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MADHO HUM AISE TU AISA

सोरठि महला ५ ॥

हम मैले तुम ऊजल करते हम ठिरगुि तू दाता ॥


हम मूरख तुम चतुर ठसआणे तू सरब कला का ठगआता ॥१॥

माधो हम ऐसे तू ऐसा ॥


हम पापी तुम पाप खंडि िीको िाकुर दे सा ॥ रहाउ ॥

तुम सभ साजे साठज ठिवाजे जीउ ठपंडु दे प्रािा ॥


ठिरगुिीआरे गुिु िही कोई तुम दािु दे हु ठमहरवािा ॥२॥

तुम करहु भला हम भलो ि जािह तुम सदा सदा दइआला ॥


तुम सुखदाई पुरख ठबधाते तुम राखहु अपुिे बाला ॥३॥

तुम ठिधाि अटल सुठलताि जीअ जंत सठभ जाचै ॥


कहु िािक हम इहै हवाला राखु संति कै पाछै ॥४॥६॥१७॥

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