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X | HINDI

C.B.S.E Board
कक्षा : 10
ह द
िं ी A – 2018
सिंकलित परीक्षा II
[Summative Assessment II]
समय : 3 घिंटे पर्
ू ाांक : 80

निदे श

1. इस प्रश्न-पत्र के चार खंड हैं - क, ख, ग, और घ।


2. चारों खंडों के प्रश्नों के उत्तर दे ना अननवार्य है ।
3. र्थासंभव प्रत्र्ेक खंड के उत्तर क्रमश: दीजिए।

1. ननम्नलिखखत गदर्ांश को ध्र्ानपव


ू क
य पढ़कर ददए गए प्रश्नों के उत्तर प्रत्र्ेक
िगभग 20 शब्दो में लिखखए :
महात्मा गांधी ने कोई 12 साि पहिे कहा था –
मैं बरु ाई करने वािों को सिा दे ने का उपार् ढूूँढ़ने िगूँू तो मेरा काम होगा
उनसे प्र्ार करना और धैर्य तथा नम्रता के साथ उन्हें समझाकर सही रास्ते पर
िे आना। इसलिए असहर्ोग र्ा सत्र्ाग्रह घण
ृ ा का गीत नहीं है। असहर्ोग का
मतिब बरु ाई करने वािे से नहीं, बजकक बरु ाई से असहर्ोग करना है।
आपके असहर्ोग का उद्धेश्र् बरु ाई को बढ़ावा दे ना नहीं है । अगर दनु नर्ा बरु ाई
को बढ़ावा दे ना बंद कर दे तो बरु ाई अपने लिए आवश्र्क पोषण के अभाव में
अपने-आप मर िाए। अगर हम र्ह दे खने की कोलशश करें कक आि समाि में
िो बरु ाई है, उसके लिए खद
ु हम ककतने जिम्मेदार हैं तो हम दे खेंगे कक समाि
से बरु ाई ककतनी िकदी दरू हो िाती है । िेककन हम प्रेम की एक झठ
ू ी भावना
में पड़कर इसे सहन करते हैं। मैं उस प्रेम की बात नहीं करता, जिसे पपता
अपने गित रास्ते पर चि रहे पत्र
ु पर मोहांध होकर बरसाता चिा िाता है ,
उसकी पीठ थपथपाता है; और न मैं उस पत्र
ु की बात कर रहा हूूँ िो झठ
ू ी

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पपत-ृ भजतत के कारण अपने पपता के दोषों को सहन करता है । मैं उस प्रेम की
चचाय नहीं कर रहा हूूँ। मैं तो उस प्रेम की बात कर रहा हूूँ, िो पववेकर्त
ु त है
और िो बपु द्धर्त
ु त है और िो एक भी गिती की ओर से आूँख बंद नहीं करता
है । र्ह सध
ु ारने वािा प्रेम है।
(क) गांधीिी बरु ाई करने वािों को ककस प्रकार सध
ु ारना चाहते हैं?
(ख) बरु ाई को कैसे समाप्त ककर्ा िा सकता है ?
(ग) ‘प्रेम’ के बारे में गांधीिी के पवचार स्पष्ट कीजिए।
(घ) असहर्ोग से तर्ा तात्पर्य है ?
(ङ) उपर्त
ुय त गदर्ांश के लिए उपर्त
ु त शीषयक दीजिए।

2. ननम्नलिखखत पदर्ांश को रहकर ददए गए प्रश्नों के उत्तर िगभग 20 शब्दों में


लिखखए :
तुम्हारी ननश्चि आूँखें
तारों-सी चमकती हैं मेरे अकेिेपन की रात के आकाश में
प्रेम पपता का ददखाई नहीं दे ता है
ज़रूर ददखाई दे ती होंगी नसीहतें
नक
ु ीिे पत्थरों-सी
दनु नर्ा भर के पपताओं की िंबी कतार में
पता नहीं कौन-सा ककतना करोड़वाूँ नम्बर है मेरा
पर बच्चों के फूिोंवािे बगीचे की दनु नर्ा में
तुम अव्वि हो पहिी क़तार में मेरे लिए
मझ
ु े माफ़ करना मैं अपनी मख
ू त
य ा और प्रेम में समझता था
मेरी छार्ा के तिे ही सरु क्षित रं ग-बबरं गी दनु नर्ा होगी तम्
ु हारी
अब िब तम
ु सचमच
ु की दनु नर्ा में ननकि गई हो
मैं खुश हूूँ सोचकर
कक मेरी भाषा के अहाते से परे है तुम्हारी परछाई।

(क) बच्चे माता-पपता की उदासी में उिािा भर दे ते हैं – र्ह भाव ककन
पंजततर्ों में आर्ा है?

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(ख) प्रार्: बच्चों को पपता की सीख कैसी िगती है?


(ग) माता-पपता के लिए अपना बच्चा सवयश्रेष्ठ तर्ों होता है ?
(घ) कपव ने ककस बात को अपनी मख
ु त
य ा माना है और तर्ों?
(ङ) भाव स्पष्ट कीजिए : 'प्रेम पपता का ददखाई नहीं दे ता।'

3. ननदे शानस
ु ार उत्तर लिखखए।
(क) बािगोपवन िानते हैं कक अब बढ़
ु ापा आ गर्ा। (आश्रश्रत उपवातर् छाूँटकर
भेद भी लिखखए)
(ख) मॉरीशस की स्वच्छता दे खकर मन प्रसन्न हो गर्ा (लमश्र वातर् में
बदलिए)
(ग) गुरुदे व आराम कुसी पर िेटे हुए थे और प्राकृनतक सौंदर्य का आनंद िे रहे
थे। (सरि वातर् में बदलिए)

4. ननदे शानस
ु ार वातर् बदलिए।
(क) मई महीने में शीिा अग्रवाि को कॉिेि वािों ने नोदटस थमा ददर्ा।
(कमयवाच्र् में )
(ख) दे शभततों की शहादत को आि भी र्ाद ककर्ा िाता है । (कतव
य ृ ाच्र् में )
(ग) खबर सन
ु कर वह चि भी नहीं पा रही थी। (भाववाच्र् में )
(घ) जिस आदमी ने पहिे-पहि आग का आपवष्कार ककर्ा होगा, वह ककतना
बड़ा आपवष्कताय होगा। (कतव
य ृ ाच्र् में )

5. रे खांककत पदों का पद-पररचर् लिखखए।


अपने गाूँव की लमट्टी छूने के लिए मैं तरस गर्ा।

6.
(क) ‘रनत’ ककस रस का स्थार्ी भाव है ?
(ख) ‘करुण’ रस का स्थार्ी भाव तर्ा है ?
(ग) ‘हास्र्’ रस का एक उदहारण लिखखए।
(घ) ननम्नलिखखत पंजततर्ों में रस पहचान क्र लिखखए :

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मैं सत्र् कहता हूूँ सखे! सक


ु ु मार मत िानो मझु ,े
र्मराि से भी र्द्ध
ु को प्रस्तत ु सदा मानो मझ
ु ।े

7. ननम्नलिखखत गदर्ांश के आधार पर पछ


ू े गए प्रश्नों के उत्तर प्रत्र्ेक िगभग
20 शब्दों में लिखखए :
िीप कस्बा छोड़कर आगे बढ़ गई तब भी हािदार साहब इस मनू तय के बारे में
ही सोचते रहे , और अंत में इस ननष्कषय पर पहुूँचे कक कुि लमिाकर कस्बे के
नागररकों का र्ह प्रर्ास सराहनीर् ही कहा िाना चादहए। महत्व मनू तय के रं ग-
रूप र्ा कद का नहीं, उस भावना का है ; वरना तो दे शभजतत भी आिकि
मज़ाक की चीज़ होती िा रही है।
दस
ू री बार िब हािदार साहब उधर से गज़
ु रे तो उन्हें मनू तय में कुछ अंतर
ददखाई ददर्ा। ध्र्ान से दे खा तो पार्ा कक चश्मा दस
ू रा है ।
(क) हािदार साहब को कस्बे के नागररकों का कौन-सा प्रर्ास सराहनीर् िगा
और तर्ों?
(ख) ‘दे शभजतत भी आिकि मज़ाक की चीज़ होती िा रही है ।' – इस पंजतत में
दे श और िोगों की ककन जस्थनतर्ों की ओर संकेत ककर्ा गर्ा है ?
(ग) दस
ू री बार मनू तय दे खने पर हािदार साहब को उसमें तर्ा पररवतयन ददखाई
ददर्ा?

8. ननम्नलिखखत प्रश्नों के उत्तर प्रत्र्ेक िगभग 20 शब्दों में लिखखए :


(क) 'बािगोबबन भगत' पाठ में ककन सामाजिक रूदढ़र्ों पर प्रहार ककर्ा गर्ा है?
(ख) महावीर प्रसाद ददववेदी लशिा-प्रणािी में संशोधन की बात तर्ों करते हैं?
(ग) ‘काशी में बाबा पवश्वनाथ और बबजस्मकिाखाूँ एक-दस
ू रे के परू क हैं' – कथन
का तर्ा आशर् है ?
(घ) वतयमान समाि को 'संस्कृत' कहा िा सकता है र्ा 'सभ्र्'? तकय सदहत
उत्तर दीजिए।

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9. ननम्नलिखखत पदर्ांश के आधार पर ददए गए प्रश्नों के उत्तर प्रत्र्ेक िगभग


20 शब्दों में लिखखए :
हमारे हरर हाररि की िकरी।
मन क्रम बचन नंद-नंदन उर, र्ह दृढ़ करर पकरी।
िागत सोवत स्वप्न ददवस-ननलस, कान्ह-कान्ह िकरी।
सन
ु त िोग िागत है ऐसी, ज्र्ौं करूई ककरी।
सु तौ ब्र्ाश्रध हमकौं िै आए, दे खी सन
ु ी न करी।
र्ह तौ 'सरू ' नतनदहं िै सौंपो, जिनके मन चकरी
(क) 'हाररि की िकड़ी' ककसे कहा गर्ा है और तर्ों?
(ख) 'नतनदहं िै सौंपौ' में ककसकी ओर तर्ा संकेत ककर्ा गर्ा है?
(ग) गोपपर्ों को र्ोग कैसा िगता है ? तर्ों?

10. ननम्नलिखखत प्रश्नों के उत्तर प्रत्र्ेक िगबग 20 शब्दों में लिखखए :


(क) िर्शंकर प्रसाद के िीवन के कौन से अनभ
ु व उन्हें आत्मकथा लिखने से
रोकते हैं?
(ख) बादिों की गियना का आह्हान कपव तर्ों करना चाहता है ? 'उत्साह'
कपवता के आधार पर स्पष्ट कीजिए।
(ग) 'कन्र्ादान' कपवता में व्र्तत ककन्हीं दो सामाजिक कुरीनतर्ों का उकिेख
कीजिए।
(घ) संगतकार की दहचकती आवाि उसकी पवफिता तर्ों नहीं है ?

11. "आि आपकी ररपोटय छाप दूँ ू तो कि ही अखवार बंद हो िाए" – स्वतंत्रता
संग्राम के दौर में समाचार-पत्रों के इस रवैर्े पर ‘एही ठै र्ाूँ झि
ु नी हे रानी हो
रामा’ के आधार पर िीवन-मक
ू र्ों की दृष्टी से िगभग 150 शब्दों में चचाय
कीजिए।
अथवा
‘मैं तर्ों लिखता हूूँ', पाठ के आधार पर बताइए की पवज्ञान के दरू
ु पर्ोग से
ककन मानवीर् मक ू र्ों की िनत होती है? इसके लिए हम तर्ा कर सकते हैं?

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12. ननम्नलिखखत में से ककसी एक पवषर् पर ददए गए संकेत-बबंदओ


ु ं के आधार पर
200 से 250 शब्दों में ननबंध लिखखए :
(क) महानगरीर् िीवन
• पवकास की अंधी दौड़
• संबंधो हा ह्रास
• ददखावा

(ख) पवो का बदिता स्वरुप


• तात्पर्य
• परं परागत तरीके
• बािार का बढ़ता प्रभाव

(ग) बीता समर् कफर िौटता नहीं


• समर् का महत्व
• समर् ननर्ोिन
• समर् गूँवाने की हाननर्ाूँ

13. आपके िेत्र के पाकय को कूड़ेदान बना ददर्ा गर्ा था। अब पलु िस की पहि और
मदद से पन
ु : बच्चों के लिए खेि का मैदान बन गर्ा है । अतः आप पलु िस
आर्त
ु त को धन्र्वाद पत्र लिखखए।
अथवा
पटाखों से होने वािे प्रदष
ु ण के प्रनत ध्र्ान आकपषयत करते हुए अपने लमत्र को
पत्र लिखखए।

14. पर्ायवरण के प्रनत िागरूकता बढ़ाने के लिए िगभग 50 शब्दों में एक पवज्ञापन
लिखखए।
अथवा

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पवदर्ािर् के वापषयकोत्सव के अवसर पर पवदर्ाश्रथयर्ों दवारा ननलमयत-हस्तकिा


की वस्तओ
ु ं की प्रदशयनी के प्रचार हे तु िगभग 50 शब्दों में एक पवज्ञापन
लिखखए।

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कक्षा : 10
ह द
िं ी A – 2018
सिंकलित परीक्षा II
[Summative Assessment II]
समय : 3 घिंटे पर्
ू ाांक : 80

निदे श

1. इस प्रश्न-पत्र के चार खंड हैं - क, ख, ग, और घ।


2. चारों खंडों के प्रश्नों के उत्तर दे ना अननवार्य है ।
3. र्थासंभव प्रत्र्ेक खंड के उत्तर क्रमश: दीजिए।

1. ननम्नलिखखत गदर्ांश को ध्र्ानपव


ू क
य पढ़कर ददए गए प्रश्नों के उत्तर प्रत्र्ेक
िगभग 20 शब्दो में लिखखए :
महात्मा गांधी ने कोई 12 साि पहिे कहा था –
मैं बरु ाई करने वािों को सिा दे ने का उपार् ढूूँढ़ने िगूँू तो मेरा काम होगा
उनसे प्र्ार करना और धैर्य तथा नम्रता के साथ उन्हें समझाकर सही रास्ते पर
िे आना। इसलिए असहर्ोग र्ा सत्र्ाग्रह घण
ृ ा का गीत नहीं है। असहर्ोग का
मतिब बरु ाई करने वािे से नहीं, बजकक बरु ाई से असहर्ोग करना है।
आपके असहर्ोग का उद्धेश्र् बरु ाई को बढ़ावा दे ना नहीं है । अगर दनु नर्ा बरु ाई
को बढ़ावा दे ना बंद कर दे तो बरु ाई अपने लिए आवश्र्क पोषण के अभाव में
अपने-आप मर िाए। अगर हम र्ह दे खने की कोलशश करें कक आि समाि में
िो बरु ाई है, उसके लिए खद
ु हम ककतने जिम्मेदार हैं तो हम दे खेंगे कक समाि
से बरु ाई ककतनी िकदी दरू हो िाती है । िेककन हम प्रेम की एक झठ
ू ी भावना
में पड़कर इसे सहन करते हैं। मैं उस प्रेम की बात नहीं करता, जिसे पपता
अपने गित रास्ते पर चि रहे पत्र
ु पर मोहांध होकर बरसाता चिा िाता है ,
उसकी पीठ थपथपाता है; और न मैं उस पत्र
ु की बात कर रहा हूूँ िो झठ
ू ी

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पपत-ृ भजतत के कारण अपने पपता के दोषों को सहन करता है । मैं उस प्रेम की
चचाय नहीं कर रहा हूूँ। मैं तो उस प्रेम की बात कर रहा हूूँ, िो पववेकर्त
ु त है
और िो बपु द्धर्त
ु त है और िो एक भी गिती की ओर से आूँख बंद नहीं करता
है । र्ह सध
ु ारने वािा प्रेम है।
(क) गांधीिी बरु ाई करने वािों को ककस प्रकार सध
ु ारना चाहते हैं?
उत्तर : गांधीिी बरु ाई करने वािों को प्रेम, धैर्य तथा नम्रता के साथ
समझाकर सध
ु ारना चाहते हैं।

(ख) बरु ाई को कैसे समाप्त ककर्ा िा सकता है ?


उत्तर : र्दद हम बरु ाई को बढ़ावा दे ना बंद कर दें गे तो बरु ाई स्वर्ं समाप्त
हो िाएगी।

(ग) ‘प्रेम’ के बारे में गांधीिी के पवचार स्पष्ट कीजिए।


उत्तर : गांधीिी के अनस
ु ार प्रेम का अथय मोह में अंधा होकर अपने पप्रर्
की गिनतर्ों का समथयन करना र्ा बढ़ावा दे ना नहीं है । बजकक
उनके अनस
ु ार उन गिनतर्ों को सध
ु ारना ही सही अथों में प्रेम की
पररभाषा है ।

(घ) असहर्ोग से तर्ा तात्पर्य है ?


उत्तर : असहर्ोग का मतिब बरु ा करने वािे से नहीं, बजकक बरु ाई से
असहर्ोग करना है । अथायत ् बरु ाई का त्र्ाग करना ही असहर्ोग
है ।

(ङ) उपर्त
ुय त गदर्ांश के लिए उपर्त
ु त शीषयक दीजिए।
उत्तर : शीषयक – 1. प्रेम और अदहंसा का अथय
2. प्रेम और अदहंसा की पररभाषा

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2. ननम्नलिखखत पदर्ांश को रहकर ददए गए प्रश्नों के उत्तर िगभग 20 शब्दों में


लिखखए :
तुम्हारी ननश्चि आूँखें
तारों-सी चमकती हैं मेरे अकेिेपन की रात के आकाश में
प्रेम पपता का ददखाई नहीं दे ता है
ज़रूर ददखाई दे ती होंगी नसीहतें
नक
ु ीिे पत्थरों-सी
दनु नर्ा भर के पपताओं की िंबी कतार में
पता नहीं कौन-सा ककतना करोड़वाूँ नम्बर है मेरा
पर बच्चों के फूिोंवािे बगीचे की दनु नर्ा में
तुम अव्वि हो पहिी क़तार में मेरे लिए
मझ
ु े माफ़ करना मैं अपनी मख
ू त
य ा और प्रेम में समझता था
मेरी छार्ा के तिे ही सरु क्षित रं ग-बबरं गी दनु नर्ा होगी तुम्हारी
अब िब तुम सचमच
ु की दनु नर्ा में ननकि गई हो
मैं खश
ु हूूँ सोचकर
कक मेरी भाषा के अहाते से परे है तम्
ु हारी परछाई।
(क) बच्चे माता-पपता की उदासी में उिािा भर दे ते हैं – र्ह भाव ककन
पंजततर्ों में आर्ा है?
उत्तर : बच्चे माता-पपता की उदासी में उिािा भर दे ते हैं – र्ह भाव
ननम्नलिखखत पंजततर्ों में आर्ा है –
"तुम्हारी ननश्चि आूँखें तारों-सी चमकती हैं मेरे अकेिेपन की रात
के आकाश में "

(ख) प्रार्: बच्चों को पपता की सीख कैसी िगती है?


उत्तर : बच्चों को प्रार्: पपता की सीख चभ
ु नेवािी नक
ु ीिे पत्थरों के समान
िगती हैं।

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(ग) माता-पपता के लिए अपना बच्चा सवयश्रेष्ठ तर्ों होता है ?


उत्तर : माता-पपता के लिए उनका बच्चा सवयश्रेष्ठ होता है तर्ोंकक दनु नर्ा
के सभी बच्चों में से सबसे अधधक प्रेम वो अपने बच्चों से ही
करते हैं।

(घ) कपव ने ककस बात को अपनी मख


ु त
य ा माना है और तर्ों?
उत्तर : कपव अपनी पत्र
ु ी को दनु नर्ा से नछपा कर अपने पास सरु क्षित
रखना चाहता है। अपनी इसी भावना को कपव अपनी मख
ु त
य ा
मानता है ।
तर्ोंकक िब उसकी पत्र
ु ी बड़ी हो िाती है तो वह खुद को उस
दनु नर्ा के अनस
ु ार ढ़ाि िेती है ।

(ङ) भाव स्पष्ट कीजिए : 'प्रेम पपता का ददखाई नहीं दे ता।'


उत्तर : पपता का प्रेम ददखाई नहीं दे ता तर्ोंकक प्रार्ः अपने बच्चों को सही
राह ददखाने के लिए पपता को कठोरता ददखानी पड़ती है। परं तु
उसकी इस कठोरता में भी प्रेम नछपा होता है जिसे बच्चें समझ
नहीं सकते है ।

3. ननदे शानस
ु ार उत्तर लिखखए।
(क) बािगोपवन िानते हैं कक अब बढ़
ु ापा आ गर्ा। (आधश्रत उपवातर् छाूँटकर
भेद भी लिखखए)
उत्तर : अब बढ़
ु ापा आ गर्ा। (संज्ञा उपवातर्)

(ख) मॉरीशस की स्वच्छता दे खकर मन प्रसन्न हो गर्ा (लमश्र वातर् में


बदलिए)
उत्तर : िैसे ही मॉरीशस की स्वछता दे खी, वैसे ही मन प्रसन्न हो गर्ा।

(ग) गुरुदे व आराम कुसी पर िेटे हुए थे और प्राकृनतक सौंदर्य का आनंद िे रहे
थे। (सरि वातर् में बदलिए)

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उत्तर : गुरुदे व आराम कुसी पर िेटे हुए ही प्राकृनतक सौंदर्य का आनंद िे


रहे थे।

4. ननदे शानस
ु ार वातर् बदलिए।
(क) मई महीने में शीिा अग्रवाि को कॉिेि वािों ने नोदटस थमा ददर्ा।
(कमयवाच्र् में )
उत्तर : मई महीने में शीिा अग्रवाि को कॉिेि दवारा नोदटस थमा ददर्ा
गर्ा।

(ख) दे शभततों की शहादत को आि भी र्ाद ककर्ा िाता है । (कतव


य ृ ाच्र् में )
उत्तर : दे शभततों की शहादत को आि भी र्ाद करते हैं।

(ग) खबर सन
ु कर वह चि भी नहीं पा रही थी। (भाववाच्र् में )
उत्तर : खबर सन
ु कर उसके दवारा चिा भी नहीं िा रहा था।

(घ) जिस आदमी ने पहिे-पहि आग का आपवष्कार ककर्ा होगा, वह ककतना


बड़ा आपवष्कताय होगा। (कतव
य ृ ाच्र् में )
उत्तर : जिस आदमी ने पहिे-पहि आग का आपवष्कार ककर्ा, वह ककतना
बड़ा आपवष्कताय है।

5. रे खांककत पदों का पद-पररचर् लिखखए।


अपने गाूँव की लमट्टी छूने के लिए मैं तरस गर्ा।
गाूँव की – िानतवाचक संज्ञा, एकवचन, पजु किंग, संबंध कारक।
लमट्टी – िानतवाचक संज्ञा, एकवचन, स्त्रीलिंग।
मैं – उत्तम परु
ु षवाचक सवयनाम, एकवचन, पजु किंग कक्रर्ा का कताय।
तरस - भाववाचक संज्ञा, एकवचन, पजु किंग।
गर्ा – अकमयक कक्रर्ा, एकवचन, पजु किग।

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6.
(क) ‘रनत’ ककस रस का स्थार्ी भाव है ?
उत्तर : श्रग
ं ृ ार रस

(ख) ‘करुण’ रस का स्थार्ी भाव तर्ा है ?


उत्तर : शोक

(ग) ‘हास्र्’ रस का एक उदहारण लिखखए।


उत्तर : एक गरभ मैं सौ-सौ पत
ू ,
िनमावे ऐसा मिबत
ू ,
करै खटाखट काम सर्ाना,
सखख सज्िन नदहं छापाखाना।

(घ) ननम्नलिखखत पंजततर्ों में रस पहचान क्र लिखखए :


मैं सत्र् कहता हूूँ सखे! सक
ु ु मार मत िानो मझु ,े
र्मराि से भी र्द्ध
ु को प्रस्तत ु सदा मानो मझ
ु ।े
उत्तर : वीर रस

7. ननम्नलिखखत गदर्ांश के आधार पर पछ


ू े गए प्रश्नों के उत्तर प्रत्र्ेक िगभग
20 शब्दों में लिखखए :
िीप कस्बा छोड़कर आगे बढ़ गई तब भी हािदार साहब इस मनू तय के बारे में
ही सोचते रहे , और अंत में इस ननष्कषय पर पहुूँचे कक कुि लमिाकर कस्बे के
नागररकों का र्ह प्रर्ास सराहनीर् ही कहा िाना चादहए। महत्व मनू तय के रं ग-
रूप र्ा कद का नहीं, उस भावना का है ; वरना तो दे शभजतत भी आिकि
मज़ाक की चीज़ होती िा रही है।
दस
ू री बार िब हािदार साहब उधर से गज़
ु रे तो उन्हें मनू तय में कुछ अंतर
ददखाई ददर्ा। ध्र्ान से दे खा तो पार्ा कक चश्मा दस
ू रा है ।
(क) हािदार साहब को कस्बे के नागररकों का कौन-सा प्रर्ास सराहनीर् िगा
और तर्ों?

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उत्तर : हािदार साहब को कस्बे के नागररकों का नेतािी की मनू तय पर


चश्मा िगाने का प्रर्ास सराहनीर् िगा तर्ोंकक िोगों का र्ह
प्रर्ास उनकी दे शभजतत की भावना प्रकट करता है ।

(ख) ‘दे शभजतत भी आिकि मज़ाक की चीज़ होती िा रही है ।' – इस पंजतत में
दे श और िोगों की ककन जस्थनतर्ों की ओर संकेत ककर्ा गर्ा है ?
उत्तर : दे शभततों ने दे श को आज़ादी ददिाने के लिए अपना सवयस्व दे श
के प्रनत समपपयत कर ददर्ा। आि िो हम स्वत्रंत दे श में आज़ादी
की साूँस िे रहे है र्ह उन्हीं के कारण संभव हो पार्ा है , उन्हीं
के कारण आज़ाद हुआ है। परन्तु र्दद ककसी के मन में ऐसे
दे शभततों के लिए सम्मान की भावना नहीं है , उनके ददखाए हुए
रास्तों पर नहीं चिते। तो र्ह बड़े ही द:ु ख की बात है। र्ह
दे शभजतत का मज़ाक ही तो है ।

(ग) दस
ू री बार मनू तय दे खने पर हािदार साहब को उसमें तर्ा पररवतयन ददखाई
ददर्ा?
उत्तर : दस
ू री बार मनू तय दे खने पर हािदार साहब को उसमें कुछ पररवतयन
ददखाई ददर्ा। ध्र्ान से दे खने पर पता चिा कक मनू तय का चश्मा
बदिा हुआ था। पहिे मोटे फ्रेमवािा चौकोर चश्मा था, अब तार
के फ्रेमवािा गोि चश्मा है ।

8. ननम्नलिखखत प्रश्नों के उत्तर प्रत्र्ेक िगभग 20 शब्दों में लिखखए :


(क) 'बािगोबबन भगत' पाठ में ककन सामाजिक रूदढ़र्ों पर प्रहार ककर्ा गर्ा है?
उत्तर : 'बािगोबबन भगत' पाठ में ननम्नलिखखत सामाजिक रुदढर्ों पर
प्रहार ककर्ा गर्ा है :
1. िब बािगोबबन भगत के बेटे की मत्ृ र्ु हुई उस समर् सामान्र्
िोगों की तरह शोक करने की बिाए भगत ने उसकी शैर्ा के
समि गीत गाकर अपने भाव प्रकट ककए - "आत्मा का

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परमात्मा से लमिन हो गर्ा है । र्ह आनंद मनाने का समर्


है , द:ु खी होने का नहीं।"
2. बेटे के कक्रर्ा-कमय में भी उन्होंने सामाजिक रीनत-ररवािों की
परवाह न करते हुए अपनी पत्र
ु वधू से ही दाह संस्कार संपन्न
करार्ा।
3. समाि में पवधवा पववाह का प्रचिन न होने के बाविद
ू भी
उन्होंने अपनी पत्र
ु वधू को ज़बरदस्ती उसके भाई के साथ
भेिकर उसके दस
ू रे पववाह का ननणयर् ककर्ा।
4. अन्र् साधओ
ु ं की तरह लभिा माूँगकर खाने के पवरोधी थे।

(ख) महावीर प्रसाद ददववेदी लशिा-प्रणािी में संशोधन की बात तर्ों करते हैं?
उत्तर : महावीर प्रसाद दपववेदी के अनस
ु ार र्दद हम चाहते हैं कक लशिा
जस्त्रर्ों का अनथय करती है , तो हम उसमें कुछ संशोधन कर जस्त्रर्ों
की लशिा प्राप्त करने के मागय को प्रशस्त कर सकते हैं। हम
लमिकर र्े तर् कर सकते हैं कक जस्त्रर्ों को तर्ा पढ़ना चादहए,
ककतना पढ़ना चादहए, ककस तरह का पढ़ना चादहए और कहाूँ
लशिा प्राप्त करनी चादहए। इससे सबका पवरोध समाप्त हो
िाएगा।

(ग) ‘काशी में बाबा पवश्वनाथ और बबजस्मकिाखाूँ एक-दस


ू रे के परू क हैं' – कथन
का तर्ा आशर् है ?
उत्तर : बाबा पवश्वनाथ के र्हाूँ शहनाई बिाकर बबजस्मकिाखाूँ अपने ददन
का आरं भ करते हैं। उनकी शहनाई सन
ु कर ही बाबा पवश्वनाथ के
ददन का भी आरं भ होता है । दोनों िैसे एक दि
ू े के बबना अधरू े हैं।
एक के बबना दस
ू रे का अजस्तत्व पण
ू य नहीं होता है। इससे इस
कथन का आशर् स्पष्ट होता है - ‘काशी में बाबा पवश्वनाथ और
बबजस्मकिाखाूँ एक-दस
ू रे के परू क हैं'।

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(घ) वतयमान समाि को 'संस्कृत' कहा िा सकता है र्ा 'सभ्र्'? तकय सदहत
उत्तर दीजिए।
उत्तर : वतयमान समाि को 'सभ्र्' कहा िा सकता है। इसके पीछे कारण
है कक िो मनष्ु र् अपनी बपु द्ध तथा पववेक के दवारा नए तथ्र्ों की
खोि व दशयन करता है , वह संस्कृत कहिाता है । भत
ू काि में
जितने भी आपवष्कार हुए थे उन्हें संस्कृत कहा गर्ा है और आि
के समर् में हम चाहे उसमें ककतने ही सध ु ार कर िे हम संस्कृत
नहीं कहिा सकते हमें सभ्र् की उपाधध दी िाएगी तर्ोंकक हमें
र्ह तथ्र् व दशयन अपनी पहिे की पीढ़ी से लमिा है ।

9. ननम्नलिखखत पदर्ांश के आधार पर ददए गए प्रश्नों के उत्तर प्रत्र्ेक िगभग


20 शब्दों में लिखखए :
हमारे हरर हाररि की िकरी।
मन क्रम बचन नंद-नंदन उर, र्ह दृढ़ करर पकरी।
िागत सोवत स्वप्न ददवस-ननलस, कान्ह-कान्ह िकरी।
सन
ु त िोग िागत है ऐसी, ज्र्ौं करूई ककरी।
सु तौ ब्र्ाधध हमकौं िै आए, दे खी सन
ु ी न करी।
र्ह तौ 'सरू ' नतनदहं िै सौंपो, जिनके मन चकरी
(क) 'हाररि की िकड़ी' ककसे कहा गर्ा है और तर्ों?
उत्तर : 'हाररि की िकड़ी' उन्होंने श्री कृष्ण को कहा है। जिस प्रकार
हाररि पिी अपनी िकड़ी को नहीं छोड़ती उसी प्रकार से गोपपर्ाूँ
श्री कृष्ण को नहीं छोड़ती हैं। श्री कृष्ण गोपपर्ों को अत्र्धधक पप्रर्
हैं उन्होंने दृढ़ता से कृष्ण को अपने मन मर बसार्ा है कृष्ण के
प्रनत अपने प्रेम को ककसी भी प्रकार नहीं छोड़ सकती।

(ख) 'नतनदहं िै सौंपौ' में ककसकी ओर तर्ा संकेत ककर्ा गर्ा है?
उत्तर : 'नतनदहं िै सौंपौ' में गोपपर्ाूँ उन िोगों की ओर संकेत करती हैं
जिनका मन श्रीकृष्ण के प्रेम और भजतत में अनरु तत नहीं है
उनका मन एकाग्र नहीं बजकक र्हाूँ-वहाूँ भटकता रहता है। उन्हीं

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िोगों को अपने मन को एकाग्र रखने के लिए र्ोग साधना की


आवश्र्कता पड़ती है ।

(ग) गोपपर्ों को र्ोग कैसा िगता है ? तर्ों?


उत्तर : गोपपर्ों को र्ोग व्र्थय, कड़वी ककड़ी के समान िगता है , जिसे
कोई खाना नहीं चाहता है । जिस प्रकार कड़वी ककड़ी को ननगिा
नहीं िा सकता है। उसी प्रकार उद्धव की ज्ञानपण
ू य र्ोग की बातें
भी उनकी समझ से बाहर हैं। वो उन्हें स्वीकार नहीं कर पा रही
हैं। र्ोग ऐसा रोग है ,िो न पहिे कभी दे खा है न सन
ु ा है।

10. ननम्नलिखखत प्रश्नों के उत्तर प्रत्र्ेक िगबग 20 शब्दों में लिखखए :


(क) िर्शंकर प्रसाद के िीवन के कौन से अनभ
ु व उन्हें आत्मकथा लिखने से
रोकते हैं?
उत्तर : िर्शंकर प्रसाद के र्े अनभ
ु व उन्हें आत्मकथा लिखने से रोकते
हैं –
1. कपव का िीवन दःु ख और अभावों से भरा रहा हैं। मजु श्कि से
कपव को अपनी परु ानी वेदना से मजु तत लमिी है, आत्मकथा
लिखकर कपव अपने मन में दबे हुए कष्टों को र्ाद करके
द:ु खी नहीं होना चाहता है ।
2. अपनी सरिता के कारण उसने कई बार धोखा भी खार्ा है ।
वह अपने व्र्जततगत िीवन को उपहास का कारण नहीं बनाना
चाहता।
3. दस
ू रों दवारा उनके िीवन को मनोरं िन की वस्तु मानना और
उसमें मज़े िेने के भाव के अनभ
ु व के कारण।

(ख) बादिों की गियना का आह्हान कपव तर्ों करना चाहता है ? 'उत्साह'


कपवता के आधार पर स्पष्ट कीजिए।
उत्तर : कपव ने बादि से फुहार, ररमखझम र्ा बरसने के लिए नहीं कहता
बजकक 'गरिने' के लिए कहा है; तर्ोंकक कपव बादिों को क्रांनत

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का सत्र
ू धार मानता है। 'गरिना' पवद्रोह का प्रतीक है। कपव बादिों
से पौरुष ददखाने की कामना करता है । कपव ने बादि के गरिने
के माध्र्म से कपवता में नत
ू न पवद्रोह का आह्वान ककर्ा है।

(ग) 'कन्र्ादान' कपवता में व्र्तत ककन्हीं दो सामाजिक कुरीनतर्ों का उकिेख


कीजिए।
उत्तर : 'कन्र्ादान' कपवता में दहे ि प्रथा तथा कन्र्ादान के नाम पर
िड़ककर्ों के िीवन से खखिवाड़ िैसी सामाजिक कुरीनतर्ों का
उकिेख लमिता है । पववाह में होनेवािे कन्र्ादान के बाद िड़की
अपने माता-पपता के लिए पराई हो िाती है। ससरु ाि िाकर
उसका स्वर्ं का अजस्तत्व भी चक
ू हे -चौके में नष्ट हो िाता है ।

(घ) संगतकार की दहचकती आवाि उसकी पवफिता तर्ों नहीं है ?


उत्तर : कपव कहता है - संगतकार िब मख्
ु र् गार्क के पीछे -पीछे गाता
है वह अपनी आवाज़ को मख्
ु र् गार्क की आवाज़ से अधधक ऊूँचें
स्वर में नहीं िाने दे ते ताकक मख्
ु र् गार्क की महत्ता कम न हो
िाए। र्ही दहचक (संकोच) उसके गार्न में झिक िाती है । वह
ककतना भी उत्तम हो परन्तु स्वर्ं को मख्
ु र् गार्क से कम ही
रखता है । िेखक आगे कहता है कक र्ह उसकी असफिता का
प्रमाण नहीं अपपतु उसकी मनष्ु र्ता का प्रमाण है कक वह शजतत
और प्रनतभा के रहते हुए स्वर्ं को ऊूँचा नहीं उठाता, बजकक अपने
गुरु और स्वामी को महत्व दे ने की कोलशश करता है।

11. "आि आपकी ररपोटय छाप दूँ ू तो कि ही अखवार बंद हो िाए" – स्वतंत्रता
संग्राम के दौर में समाचार-पत्रों के इस रवैर्े पर ‘एही ठै र्ाूँ झि
ु नी हे रानी हो
रामा’ के आधार पर िीवन-मक
ू र्ों की दृष्टी से िगभग 150 शब्दों में चचाय
कीजिए।
अथवा

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‘मैं तर्ों लिखता हूूँ', पाठ के आधार पर बताइए की पवज्ञान के दरू


ु पर्ोग से
ककन मानवीर् मक ू र्ों की िनत होती है? इसके लिए हम तर्ा कर सकते हैं?

उत्तर : "आि आपकी ररपोटय छाप दूँ ू तो कि की अखवार बंद हो िाए" –


स्वतंत्रता संग्राम के दौरान समाचार-पत्रों का रवैर्ा दे श के प्रनत
उपेिापण
ू य िान पड़ता है । इसकी विह अंग्रेिी शासन का डर है ।
दे शभततों का सम्मान करना, उनका समथयन करना ऐसी भावना िैसे
मर गई है। उन्हें समाचार-पत्र की शजतत का प्रर्ोग कर िोगों को एक
कर स्वतंत्रता प्राप्त करवाने में अग्रसर होना चादहए था। र्दद दे श उसी
समर् एक हो गर्ा होता, तो हमें अधधक ददनों तक गुिामी नहीं
करनी पड़ती। उन्हें दे श से नहीं अपने से अधधक प्रेम था। दि
ु ारी और
टुन्नू दो ऐसे पात्र थे, जिन्होंने गुिामी की बेड़ड़र्ों को नकार ददर्ा था।
वे स्वतंत्रतापव
ू क
य िीना चाहते थे। ऐसे में र्दद समाचार-पत्र उसका
साथ दे ते तो ऐसा िन सैिाब आता कक दे शभर िाग िाता।
अथवा
दहरोलशमा तो पवज्ञान के दरु
ु पर्ोग का ज्विंत उदाहरण है ही पर हम
मनष्ु र्ों दवारा पवज्ञान का और भी दरु
ु पर्ोग ककर्ा िा रहा है। िैस-े
1. पवज्ञान ने र्ात्रा को सग
ु म बनाने के लिए हवाई िहाज़, गाड़ड़र्ों आदद
का ननमायण ककर्ा परन्तु हमने इनसे अपने ही वातावरण को प्रदपू षत
कर ददर्ा है।
2. इस पवज्ञान की दे न के दवारा आि हम अंगप्रत्र्ारोपण कर सकते हैं।
परन्तु आि इस दे न का दरु
ु पर्ोग कर हम मानव अंगों का व्र्ापार
करने िगे हैं।
3. पवज्ञान के दरु
ु पर्ोग से भ्रण
ू हत्र्ाएूँ बढ़ रही है।
4. पवपवध कीटनाशकों का प्रर्ोग आत्महत्र्ा के लिए होता है ।
5. पवज्ञान ने कंप्र्ट
ू र का आपवष्कार ककर्ा उसके पश्चात ् उसने इंटरनेट
का आपवष्कार ककर्ा र्े उसने मानव के कार्ों के बोझ को कम करने
के लिए ककर्ा। हम मनष्ु र्ों ने इन दोनों का दरु
ु पर्ोग कर वार्रस व
साइबर क्राइम को िन्म ददर्ा है।

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6. आि हर दे श परमाणु अस्त्रों को बनाने में िगा हुआ है िो आने वािे


भपवष्र् के लिए सबसे बड़ा खतरा है ।
इसे रोकने में हमारी भलू मका बहुत ही महत्वपण ू य है। र्े कहना कक पवज्ञान
का दरु
ु पर्ोग हो रहा है - सही है! परन्तु हर व्र्जतत इसका दरु ु पर्ोग कर
रहा है । र्ह कहना सवयथा गित होगा। तर्ोंकक कुछ िोग इसके दरु
ु पर्ोग
को रोकने के लिए कार्य करते रहते हैं।
(1) पवज्ञान के बनाए हधथर्ारों का र्थासंभव मानवता की भिाई के लिए
ही करें , मनष्ु र् के पवनाश के लिए नहीं।
(2) प्रदष
ू ण के प्रनत िनता में िागरुकता िाने के लिए अनेकों कार्यक्रमों
व सभा का आर्ोिन ककर्ा िा रहा है । जिससे प्रदष
ू ण के प्रनत
रोकथाम की िा सके। इन समारोहों में िाकर व िोगों को बताकर
हम अपनी भलू मका अदा कर सकते हैं।
(3) टी.वी पर प्रसाररत अश्िीि कार्यक्रमों का खुिकर पवरोध करुूँ गा और
समािोपर्ोगी कार्यक्रमों के प्रसारण का अनरु ोध करुूँ गा।

12. ननम्नलिखखत में से ककसी एक पवषर् पर ददए गए संकेत-बबंदओ


ु ं के आधार पर
200 से 250 शब्दों में ननबंध लिखखए :
(क) महानगरीर् िीवन
• पवकास की अंधी दौड़
• संबंधो हा ह्रास
• ददखावा

महानगर से तात्पर्य ऐसे नगर से है , जिसमें िाखों की संख्र्ा में िोग रहते हैं।
महानगर र्ानन ऊूँची-ऊूँची इमारतों, बड़े-बड़े कि-कारखानों, दक
ु ानों तथा दौड़ते
वाहनों आदद से परू रत घनी आबादी वािा शहर। पवश्व के प्रार्: सभी दे शों में
महानगर हैं। न्र्र् ं टन, िंदन, टोतर्ो, पेररस आदद पवश्व के कुछ
ू ाकय, वालशग
प्रमख
ु महानगर हैं। भारत में ददकिी, मंब
ु ई, कोिकाता और चेन्नई महानगरों
की श्रेणी में आते हैं।

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महानगरों का िीवन थोड़ा अिग है - भाग-दौड़, आपा-धापी, हर कोई अपने


आप में व्र्स्त है । महानगरीर् िीवन में समस्त भौनतक सख
ु –सपु वधाओं की
चकाचौंध दे खी िा सकती है पर इस चकाचौंध में िीवन मक
ू र्ों का ननरं तर
हास हो रहा है । महानगरों के िीवन ने मनष्ु र् को मशीन बना ददर्ा है। िोगों
के पास समर् का अभाव है । ककसी के पास भी अपने सगेसंबधं धर्ों, लमत्रों से
लमिने का समर् नहीं है । एक-दस
ू रे के सख
ु -दख
ु बाूँटने का समर् नहीं है ।
महानगरों में स्पधाय और ददखावा इतना बढ़ गर्ा है की इसके चिते िोगों में
तनाव बढ़ गर्ा है।

(ख) पवो का बदिता स्वरुप


• तात्पर्य
• परं परागत तरीके
• बािार का बढ़ता प्रभाव

हमारा दे श पवों का दे श है । त्र्ौहार ऊिाय का संचार करते हैं, उदास मनों


में आशा िागत
ृ करते हैं, अकेिेपन को दरू करते हैं। आि बदिते र्ग
ु के
साथ त्र्ौहार का स्वरूप भी बदि रहा है । पहिे एक महीने पहिे ही
त्र्ौहार की तैर्ाररर्ाूँ शरू
ु कर दी िाती थी। आि िोगों के पास समर्
नहीं है, त्र्ौहार के ददन मजु श्कि से समर् ननकािते है । पहिे िोग एक-
दस
ू रे के घर िाते और लमि-िुिकर पवों का आनंद उठाते थे। परन्तु
समर् बदिने के साथ ही पवों के स्वरूप में भी भारी अंतर आर्ा है । आि
सब मोबाईि पर बधाइर्ाूँ दे कर ही पवय मना िेते है।
पहिे घर पर लमठाइर्ाूँ, तरह तरह के व्र्ंिन बनाए िाते थे आि बािार
से ही मूँगवा लिए िाते है । आि कि सभी पवय िैसे ऊपरी तौर पर मनार्े
िाते है िोगों में कोई उत्साह दे खने नहीं लमिता।

(ग) बीता समर् कफर िौटता नहीं


• समर् का महत्व
• समर् ननर्ोिन

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• समर् गूँवाने की हाननर्ाूँ


समर् ननरं तर प्रवादहत ििधारा के समान है िो आगे ही बढ़ता है बबना
ककसी की प्रतीिा र्ा पवश्राम के। िो व्र्जतत समर् के साथ आगे बढ़
सकता है, वही िीवन में सफि होता है।
समर् का सदप
ु र्ोग ही व्र्जतत को पवकास के मागय पर अग्रसर करता है ।
समर् के महत्त्व को समझने वािा िीने की किा सीख िेता है । ककसी ने
समर् की ति
ु ना धन से की है । वास्तव में समर्, धन से भी कही अधधक
ू र्वान है । धन तो आता-िाता रहता है, ककंतु गर्ा हुआ समर् कभी
मक
िौटकर नहीं आता। िो समर् की कद्र करता है , समर् उसकी कद्र करता
है । इनतहास में ऐसे अनेक उदाहरण है कक सही समर् पर सही ननणयर् िेने
वािे व्र्जतत ही िीवन में सफि हुए हैं।
इसलिए मनष्ु र् अपने समर् का पवभािन इस प्रकार करे कक उसके पास
अध्र्र्न, व्र्ार्ाम, मनन, धचंतन आदद सभी कार्ों के लिए समर् हो।
समर् पवभािन कर उसका सदप
ु र्ोग करना सीख िें तो भपवष्र्
सपु वधािनक और सख
ु मर् हो िाता है।

13. आपके िेत्र के पाकय को कूड़ेदान बना ददर्ा गर्ा था। अब पलु िस की पहि और
मदद से पन
ु : बच्चों के लिए खेि का मैदान बन गर्ा है । अतः आप पलु िस
आर्त
ु त को धन्र्वाद पत्र लिखखए।
अथवा
पटाखों से होने वािे प्रदष
ु ण के प्रनत ध्र्ान आकपषयत करते हुए अपने लमत्र को
पत्र लिखखए।
उत्तर :

सेवा में,
पलु िस आर्त
ु त अधधकारी,
अपना बाग, पजश्चम पवहार,
नई ददकिी – ११००२७

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पवषर् – पलु िस दवारा की गई मदद के लिए धन्र्वाद

मान्र्वर,
मैं अपने पत्र के माध्र्म से आपका धन्र्वाद करता हूूँ। मैं आपके सेवा िेत्र
अपना बाग में रहता हूूँ। कुछ समर् पहिे हमारे र्हाूँ के कमिा पवहार पाकय में
िोगों ने कूड़ा फ़ेकना शरू
ु कर ददर्ा था। जिससे वातावरण प्रदपू षत हो रहा था
और बच्चों को खेिने के लिए पर्ायप्त स्थान नहीं लमि रहा था। इस कारण
हमें बहुत असपु वधा हो रही थी। आपने इस समस्र्ा को दरू करने में हमारी
सहार्ता की और आवश्र्क कार्यवाही की। अब िोग पररसर स्वच्छ रखते है
और बच्चों को भी खेिने के लिए पर्ायप्त स्थान लमिता है । आपके इस
सराहनीर् प्रर्ास के लिए हमारी ओर से आपको धन्र्वाद।
भवदीर्,
अमर व्र्ास
१०२, अपना बाग
पजश्चम पवहार,
नई ददकिी – ११००२७
अथवा
पता : .........
ददनाूँक : ......

पप्रर् लमत्र,
ददवािी समीप आने वािी है । पटाखों का शोर भी सन
ु ाई दे ने िगा है । पटाखे
तो िैसे उत्सव के अलभन्न अंग बन गए हैं, िेककन इससे पर्ायवरण पर भी
प्रनतकूि प्रभाव पड़ता है । पटाखों से ध्वनन और वार्ु प्रदष
ु ण होता है । थोड़ी दे र
की खुशी पर्ायवरण को भारी नक
ु सान पहुूँचाती है । इस बार मैंने प्रर्ास ककर्ा है
कक हम हररत ददवािी मनाएूँगे। मैंने पटाखे नहीं ििाने का ननश्चर् ककर्ा है ।
दीपाविी दीपों का पवय है , पटाखों का नहीं। हम दीपक ििाकर, घर पर
लमठाइर्ाूँ बनाकर, रं गारं ग कार्यक्रम का आर्ोिन कर दीपाविी का आनंद उठा
सकेंगे।

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आशा करता हूूँ कक तम


ु भी ऐसा करोगे और हररत ददवािी मनाओगे।

तुम्हारा लमत्र
राहुि शमाय

14. पर्ायवरण के प्रनत िागरूकता बढ़ाने के लिए िगभग 50 शब्दों में एक पवज्ञापन
लिखखए।
अथवा
पवदर्ािर् के वापषयकोत्सव के अवसर पर पवदर्ाधथयर्ों दवारा ननलमयत-हस्तकिा
की वस्तओ
ु ं की प्रदशयनी के प्रचार हे तु िगभग 50 शब्दों में एक पवज्ञापन
लिखखए।

पर्ायवरण िागरूकता
पर्ायवरण की शद्ध
ु ता हमारे लिए उतनी ही िरूरी है , जितना कक भोिन
स्वस्थ पर्ायवरण ही हमारी और आनेवािी पीढ़ी की िीवन रे खा है तो –
िन िन में चेतना िाओ।
पर्ायवरण का अिख िगाओ।

हस्तकिा की वस्तुओं की प्रदशयनी


आइए हमारे हस्तकिा कार्यक्रम में चार चाूँद िगाए
वाजिब दाम में पाइए घर की सिावट का सामान –
चादर, फूिदान, पदे , मोमबजत्तर्ाूँ आदद ...

रतन पजब्िक स्कूि


11 माचय
समर् : शाम 6 से 8

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CBSE - X | HINDI

Board Paper – 2017

संकलऱत परीक्षा – II
SUMMATIVE ASSESSMENT – II
हिन्दी
HINDI
(पाठ्यक्रम अ)
(Course - A)
समय : 3 घंटे पर्
ू ाांक : 90

सामान्य निदे श :
1. इस प्रश्न-ऩत्र के चाय खॊड हैं - क, ख, ग, औय घ।
2. चायों खॊडों के प्रश्नों के उत्तय दे ना अननवामय है ।
3. मथासॊबव प्रत्मेक खॊड के उत्तय क्रभश: दीजजए।
खॊड – क
प्र.1. ननम्नलरखखत गदमाॊश को ध्मानऩव
ू क
य ऩढ़कय ऩछ
ू े गए प्रश्नों के लरए सही
उत्तय वारे ववकल्ऩ चन
ु कय लरखखए : 1 x 5 = 5
रोकतॊत्र के भर
ु बत
ु तत्व को सभझा नहीॊ गमा हे औय इसलरए रोग सभझते
हैं कक सफ कुछ सयकाय कय दे गी, हभायी कोई जजम्भेदायी नहीॊ हैं। रोगो भें
अऩनी ऩहर से जजम्भेदायी उठाने औय ननबाने का सॊस्काय ववकलसत नहीॊ हो
ऩामा हैं। परस्वरूऩ दे श कक ववशार भानव-शजतत अबी खयायटें रेती ऩड़ी है
औय दे श कक ऩॉज
ू ी उऩमोगी फनाने के फदरे आज फोझरूऩ फन फैठी हैं। रेककन
उसे नीॊद से झकझोय कय जाग्रत कयना हैं। ककसी बी दे श को भहान फनाते हैं
उसभे यहने वारे रोग। रेककन अबी हभाये दे श के नागरयक अऩनी जिम्भेदायी
से फचते यहे हैं। चाहे सड़क ऩय चरने कक फात अथवा साप-सपाई कक फात
हो, जहाॉ-तहाॉ हभ रोगों को गॊदगी पैराते औय फेतयतीफ ढॊ ग से वहाॊ दे ख
सकते हैं। कपय चाहते हैं कक सफ कुछ सयकाय ठीक कय दे।
सयकायने फहुत साये कामय ककए हैं, इसे अस्वीकाय नहीॊ ककमा जा सकता हैं।
वैऻाननक प्रमोगशाराएॉ खोरी हैं, ववशार फाॉध फनवाए हैं, फ़ौराद के कायखाने
खोरे हैं आदद-आदद फहुत साये काभ सयकाय के दवाया हुए हैं। ऩय अबी
कयोडों रोगों को कामय भें प्रेरयत नहीॊ ककमा जा सका है।

1
CBSE - X | HINDI

Board Paper – 2017

वास्तव भें होना तो मह चादहए कक रोग अऩनी सझ


ू -फझ
ू के साथ अऩनी
आॊतरयक शजतत के फर ऩय खड़े हों औय अऩने ऩास जो कुछ साधन-साभग्री
हो उसे रेकय कुछ कयना शरू
ु कय दें। औय कपय सयकाय उसभें आवश्मक
भदद कये । उदाहयण के लरए, गाॉववारे फड़ी-फड़ी ऩॊचवषीम मोजनाए नहीॊ
सभझ सकेंगे, ऩय वे रोग मह फात जरूय सभझ सकेंगे कक अऩने गाॉव भें
कुआॉ चादहए, कहाॉ लसॊचाई की िरुयत हैं, कहाॉ ऩर
ु कक आवश्मकता हैं। फाहय
के रोग इन सफ फातों से अनलबऻ होते हैं।
(i) रोकतॊत्र का भर
ू बत
ू तत्व है
(क) कतयव्मऩारन
(ख) रोगों का याज्म
(ग) चन
ु ाव
(घ) जनभत

(ii) ककसी दे श की भहानता ननबयय कयती है


(क) वहाॉ की सयकाय ऩय
(ख) वहाॉ के ननवालसमों ऩय
(ग) वहाॉ के इनतहास ऩय
(घ) वहाॉ की ऩॉज
ू ी ऩय

(iii) सयकाय के काभों के फाये भें क़ौन-सा कथन सही नहीॊ है?
(क) वैऻाननक प्रमोगशाराएॉ फनवाई हैं
(ख) ववशार फाॉध फनवाए हैं
(ग) वाहन-चारक को सध
ु ाया है
(घ) फ़ौराद के कायखाने खोरे हैं

(iv) सयकायी व्मवस्था भें ककस कभी की ओय रेखक ने सॊकेत ककमा है?
(क) गाॉव से जुड़ी सभस्माओॊ के ननदान भें ग्राभीणों की बलू भका को
नकायना
(ख) मोजनाएॉ ठीक से न फनाना

2
CBSE - X | HINDI

Board Paper – 2017

(ग) आधनु नक जानकायी का अबाव


(घ) जभीन से जुड़ी सभस्माओॊ की ओय ध्मान न दे ना

(v) झकझोय कय जागत


ृ कयना का बाव गदमाॊश के अनस
ु ाय होगा
(क) नीॊद से जगाना
(ख) सोने न दे ना
(ग) जजम्भेदायी ननबाना
(घ) जिम्भेदारयमों के प्रनत सचेत कयना

प्र. 2. प्रस्तुत गदमाॊश को ध्मानऩव


ू क
य ऩढ़कय उस ऩय आधारयत प्रश्नों के लरए सही
उत्तय वारे ववकल्ऩ चन
ु कय लरखखए : 1 x 5 = 5
हरयमाणा के ऩयु ातत्त्व-ववबाग दवाया ककए गए अफ तक के शोध औय खुदाई
के अनस
ु ाय रगबग ५५०० हे तटे अय भें पैरी मह याजधानी ईसा से रगबग
३३०० वषय ऩव
ू य भ़ौजूद थी। इन प्रभाणों के आधाय ऩय मह तो तम हो ही गमा
हैं कक याखीगढ़ी कक स्थाऩना उससे बी सैकड़ो वषय ऩव
ू य हो चक
ु ी थी।
अफ तक मही भाना जाता यहा हैं कक इस सभम ऩाककस्तान भें जस्थत हड़प्ऩा
औय भअ
ु नजोदडो ही लसॊधक
ु ारीन सभ्मता के भख्
ु मा नगय थे। याखीगढ़ी गाॉव
भें खुदाई औय शोध का काभ रुक-रुक कय चर यहा है। दहसाय का मह गाॉव
ददल्री से भात्र एक स़ौ ऩचास ककरोभीटय कक दयू ी ऩय हैं। ऩहरी फाय महाॉ
१९६३ भें खुदाई हुई थी औय तफ इसे लसॊध-ु सयस्वती सभ्मता का सफसे फड़ा
नगय भाना गमा। उस सभम के शोधार्थयमों ने सप्रभाण घोषणाएॉ कक थी कक
महाॉ दफे नगय, कबी भअ
ु नजोदोड़ों औय हड़प्ऩा से बी फड़ा यहा होगा।
अफ सबी शोध ववशेषऻ इस फात ऩय सहभत हैं कक याखीगढ़ी, बायत-
ऩाककस्तान औय अपगाननस्तान का आकय औय आफादी कक दृजटट से फड़ा
शहय था। प्राप्त वववयणों के रानस
ु ाय सभर्ु चत रूऩ से ननमोजजत इस शहय
कक सबी सड़कें १.९२ भीटय च़ौड़ी थी। मह च़ौड़ाई कारीफॊगा की सड़कों से बी
ज्मादा हैं। एक ऐसा फतयन बी लभर गमा हैं, जो सोने औय चाॉदी कक ऩयतों
से ढका हैं। इसी स्थर ऩय एक 'पाउॊ ड्री' के बी र्चह्न लभरे हैं, जहाॉ सॊबवतः
सोना ढारा जाता होगा। इसके अरावा टै याकोटा से फनी असॊख्म प्रनतभाएॊ

3
CBSE - X | HINDI

Board Paper – 2017

ताॉफे के फतयन औय कुछ प्रनतभाएॉ औय एक 'फनेस' के अवशेष बी लभरे हैं।


भई २०१२ भें ' ग्रोफर है रयटे ज पॊड' ने इसे एलशमा के दस ऐसे 'ववयासत-
स्थरों' की सच
ू ी भें शालभर ककमा है, जजनके नटट हो जाने का खतया है।
याखीगढ़ी का ऩयु ाताजत्वक भहत्तव ववलशटट है। इस सभम मह ऺेत्र ऩयू े ववश्व
के ऩयु ातत्व ववशेषऻो कक ददरचस्ऩी औय जजऻासा का केंद्र फना हुआ है । महाॉ
फहुत से काभ फकामा है; जो अवशेष लभरे है, उनका सभर्ु चत अध्मन अबी
शेष है । उत्खनन का काभ अफ बी अधयू ा है।

(i) अफ लसॊध-ु सयस्वती सभ्मता का सफसे फड़ा नगय ककसे भानने की


सॊबावनाएॉ है
(क) भअ
ु नजोदड़ो
(ख) याखीगढ़ी
(ग) हड़प्ऩा
(घ) कारीफॊगा

(ii) च़ौड़ी सड़कों से स्ऩटट होता है कक


(क) मातामात के साधन थे
(ख) अर्धक आफादी थी
(ग) शहय ननमोजजत था
(घ) फड़ा शहय था

(iii) इसे एलशमा के ववयासत स्थरों भें स्थान लभरा तमोंकक


(क) नटट हो जाने का खतया है
(ख) सफसे ववकलसत सभ्मता है
(ग) इनतहास भें इसका नाभ सवोऩरय है
(घ) महाॉ ववकास की तीन ऩयतें लभरी हैं

(iv) ऩयु ातत्व-ववशेषऻ याखीगढ़ी भें ववशेष रूर्च रे यहे हैं तमोंकक
(क) काफी प्राचीन औय फड़ी सभ्मता हो सकती है

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CBSE - X | HINDI

Board Paper – 2017

(ख) इसका सभर्ु चत अध्ममन शेष है


(ग) उत्खनन का कामय अबी अधयू ा है
(घ) इसके फाये भें अबी-अबी ऩता रगा है

(v) उऩमत
ु त शीषयक होगा
(क) याखीगढ़ी : एक सभ्मता की सॊबावना
(ख) लसॊध-ु घाटी सभ्मता
(ग) ववरप्ु त सयस्वती की तराश
(घ) एक ववस्तत
ृ शहय याखीगढ़ी

प्र. 3. ननम्नलरखखत काव्माॊश को ध्मानऩव


ू क
य ऩढ़कय ऩछ
ू े गए प्रश्नों के लरए सही
उत्तय वारे ववकल्ऩ चन
ु कय लरखखए : 1 x 5 = 5
एक ददन तने ने बी कहा था, जड़?
जड़ तो जड़ ही है;
जीवन से सदा डयी यही है
औय मही है उसका साया इनतहास
कक जभीन भें भॉह
ु गड़ा ऩड़ी यही है
रेककन भैं जभीन से ऊऩय उठा
फाहय ननकरा, फढ़ा हूॉ, भजफत
ू फना हूॉ, इसी से तो तना हूॉ

एक ददन डारों ने बी कहा था, तना?


ककस फात ऩय है तना?
जहाॉ बफठार ददमा था वहीॊ ऩय है फना
प्रगनतशीर जगती भें नतर बय नहीॊ डोरा है
खामा है, भोटामा है, सहरामा चोरा है;
रेककन हभ तने से पूटीॊ,
ददशा-ददशा भें गईं
ऊऩय उठीॊ,
नीचे आईं

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CBSE - X | HINDI

Board Paper – 2017

हय हवा के लरए दोर फनीॊ, रहयाईं,


इसी से तो डार कहराईं।

एक ददन पूरों ने बी कहा था,


ऩजत्तमाॉ?
ऩजत्तमों ने तमा ककमा?
सॊख्मा के फर ऩय फस डारों को छाऩ लरमा,
डारों के फर ऩय ही चर—चऩर यही हैं,
हवाओॊ के फर ऩय ही भचर यही हैं;
रेककन हभ अऩने से खुर,े खखरे, पूरे हैं—
यॊ ग लरए, यस लरए, ऩयाग लरए—
हभायी मश—गॊध दयू —दयू —दयू पैरी है,
भ्रभयों ने आकय हभाये गुन गाए हैं,
हभ ऩय फ़ौयाए हैं।

सफ की सन
ु ऩाई है,
जड़ भस
ु कयाई है!

(i) तने का जड़ को जड़ कहने से तमा अलबप्राम है


(क) भजफत
ू है
(ख) सभझदाय है
(ग) भख
ू य है
(घ) उदास है

(ii) डालरमों ने तने के अहॊ काय को तमा कहकय चयू -चयू कय ददमा?
(क) जड़ नीचे है तो मह ऊऩय है
(ख) मों ही तना यहता है
(ग) उसका भोटाऩा हास्मास्ऩद है
(घ) प्रगनत के ऩथ ऩय एक कदभ बी नहीॊ फढ़ा

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CBSE - X | HINDI

Board Paper – 2017

(iii) ऩजत्तमों के फाये भें तमा नहीॊ कहा गमा है?


(क) सॊख्मा के फर से फरवान हैं
(ख) हवाओॊ के फर ऩय डोरती हैं
(ग) डारों के कायण चॊचर हैं
(घ) सफसे फरशारी हैं

(iv) पूरों ने अऩने लरए तमा नहीॊ कहा?


(क) हभाये गण
ु ों का प्रचाय-प्रसाय होता है
(ख) दयू -दयू तक हभायी प्रशॊसा होती है
(ग) हभ हवाओॊ के फर ऩय झभ
ू ते हैं
(घ) हभने अऩना रूऩ-स्वरूऩ ख़ुद ही सॉवाया है

(v) जड़ तमों भस
ु कयाई?
(क) सफने अऩने अहॊ काय भें उसे बर
ु ा ददमा
(ख) पूरों ने ऩजत्तमों को बर
ु ा ददमा
(ग) ऩजत्तमों ने डालरमों को बर
ु ा ददमा
(घ) डालरमों ने तने को बर
ु ा ददमा

प्र. 4. नीचे लरखे ऩदमाॊश को ध्मानऩव


ू क
य ऩढ़कय ऩछ
ू े गए प्रश्नों के सही उत्तय
वारे ववकल्ऩ चन
ु कय लरखखए : 1 x 5 = 5
ओ दे शवालसमों, फैठ न जाओ ऩत्थाय से,
ओ दे शवालसमों, योओ भत मों ननझयय से,
दयख्वााा
स्त कयें , आओ, कुछ अऩने ईश्वय से
वह सन
ु ता है
ग़भिादों औय
यॊ जीदों की।

जफ साय सयकता-सा रगता जग-जीवन से,


अलबवषततयकयें , आओ, अऩने को इस प्रण से-

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CBSE - X | HINDI

Board Paper – 2017

हभ कबी न लभटने दें गे बायत के भन से

दनु नमा ऊॉचे


आदशों की,
उम्भीाो
दों की।

भाधना एक मग
ु -मग
ु अॊतय भें ठनी यहे
मह बलू भ फद्ध
ु -फाऩ-ू से सत
ु की जनी यहे;

प्राथयना एक मग
ु -मग
ु ऩथ्
ृ वी ऩय फनी यहे

मह जानत
मोर्गमों, सॊतों
औय शहीदों की।

(i) कवव दे शवालसमों को तमा कहना चाहता है


(क) ननयाशा औय जड़ता छोड़ो
(ख) जागो, आगे फढ़ो
(ग) ऩढ़ों, लरखो, कुछ कयो
(घ) डयो भत, ऊॉचे चढ़ो

(ii) कवव ककसकी औय ककससे प्राथयना की फात कय यहा है?


(क) बगवान औय जनता
(ख) दख
ु ी रोग औय ईश्वय
(ग) दे शवासी औय सयकाय
(घ) मव
ु ा वगय औय बिदटश सत्ता

(iii) कवव बायतीमों को क़ौन-सा सॊकल्ऩ रेने को कहता है?


(क) हभ बायत को कबी न लभटने दें गे

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CBSE - X | HINDI

Board Paper – 2017

(ख) जीवन भें साय–तत्व को फनाए यखें गे


(ग) उच्च आदशय औय आशा के भहत्त्व को फनाए यखें गे
(घ) जग-जीवन को सभयसता से अलबवषतत कयें गे

(iv) मह बलू भ फद्ध


ु -फाऩू से सत
ू की जनी यहे का बाव है
(क) इस बलू भ ऩय फद्ध
ु औय फाऩू ने जन्भ लरमा
(ख) इस बलू भ ऩय फद्ध
ु औय फाऩू जैसे रोग जन्भ रेते यहें
(ग) मह धयती फद्ध
ु औय फाऩू जैसी है
(घ) मह धयती फद्ध
ु औय फाऩू को हभेशा माद यखेगी

(v) कवव तमा प्राथयना कयता है?


(क) मोगी, सॊत औय शहीदों का हभ सफ सम्भान कयें
(ख) मग
ु ों-मग
ु ों तक धयती फनी यहे
(ग) धयती भाॉ का वॊदन कयते यहें
(घ) बायतीमों भें मोगी, सॊत औय शहीद अवताय रेते यहें

खॊड - ख
प्र. 5. ननदे शानस
ु ाय उत्तय दीजजए : 1 x 3 = 3
(क) वे उन सफ रोगों से लभरे, जो भझ
ु े जानते थे।
(सयर वातम भें फदलरए)
(ख) ऩॊख वारे चीटे मा दीभक वषाय के ददनों भें ननकरते हैं।
(वातम का बेद फताइए)
(ग) आषाढ़ की एक सफ
ु ह एक भोय ने भल्हाय के लभमाऊ को सयु ददमा था।
(सॊमत
ु त वातम भें फदलरए)

प्र. 6. ननदे शानस


ु ाय वातम ऩरयवतयन कीजजए : 1 x 4 = 4
(क) पुयसत भें भैना खूफ रयमाि कयती है। (कभयवाच्म भें फदलरए)
(ख) फाख्ताओॊ दवाया गीतों को सयु ददमा जाता है। (कतव
य ृ ाच्म भें फदलरए।
(घ) फच्चा साॉस नहीॊ रे ऩा यहा था। (बाववाच्म भें फदलरए)

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CBSE - X | HINDI

Board Paper – 2017

(ङ) दो-तीन ऩक्षऺमों दवाया अऩनी-अऩनी रम भें एक साथ कूदा जा यहा


था। (कतव
य ृ ाच्म भें फदलरए)

प्र. 7. ननम्नलरखखत वातमों भें ये खाॊजतत ऩदों का ऩरयचम दीजजए : 1 x 4 = 4


भनटु म केवर बोजन कयने के लरए जीववत नहीॊ यहता है, फजल्क वह अऩने
बीतय की सक्ष्
ू भ इच्छाओॊ की तजृ प्त बी चाहता है।

प्र. 8. ननम्नाजतत काव्माॊशो भें प्रमत


ु त यस ऩहचानकय लरखखए : 1 x 2 = 2
(क) 1. उऩमत
ु त उस खर को न मदमवऩ भत्ृ मु का बी दॊ ड है,
ऩय भत्ृ मु से फढ़कय न जग भें दॊ ड औय प्रचॊड है
अतएव कर उस नीच को यण-भध्म जो भारूॉ न भैं
तो सत्म कहता हूॉ कबी शस्त्र कपय धारूॉ न भैं
2. वह आता –
तो टूक करेजे के कयता ऩछताता
ऩथ ऩय आता
ऩेट ऩीठ दोनों लभरकय हैं एक
चर यहा रकुदटमा टे क
(ख)
1. श्ॊग
ृ ाय यस का स्थामी बाव लरखखए। 1
2. ननम्नलरखखत काव्माॊश भें स्थामीबाव तमा है? 1
कफ दवे दाॉत दध
ू के दे खीॊ, कफ तोतै, भख
ु वचन झयें
कफ नॊददहॊ फाफा कदह फोरे, कफ जननी कदह भोदहॊ ये

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CBSE - X | HINDI

Board Paper – 2017

खॊड - ग
प्र. 9. ननम्नलरखखत गदमाॊश के आधाय ऩय ऩछ
ू े गए प्रश्नों के उत्तय लरखखए :
2+2+1 = 5
ऩयु ाने जभाने भें जस्त्रमों के लरए कोई ववश्वववदमारम न था। कपय ननमभफद्ध
प्रणारी का उल्रेख आदद ऩयु ाणों भें न लभरे तो तमा आश्चमय? औय, उल्रेख
उसका कही यहा हो, ऩय नटट हो गमा हो तो? ऩयु ाने जभाने भें ववभान
उड़ाते थे। फताइए उनके फनाने की ववधा लसखने वारा कोई शास्त्र ! फड़े –फड़े
जहािों ऩय सवाय होकय रोग दववऩाॊतयों को जाते थे। ददखाइए जहाज फनाने
की ननमभफद्ध प्रणारी के दशयक ग्रॊथ ! ऩयु ाणादद भें ववभानों औय जहािों
दवाया की गई मात्राओॊ के हवारे दे खकय उनका अजस्तत्व तो हभ फड़े गवय से
स्वीकाय कयते हैं, ऩयॊ तु ऩयु ाने ग्रॊथों भें अनके प्रगल्ब ऩॊडडताओॊ के नाभोल्रेख
दे खकय बी कुछ रोग बायत की तत्कारीन जस्त्रमों को भख
ू य, अऩढ़ औय
गॊवाय फताते हैं।

(क) ऩयु ाणों भें ननमभफद्ध लशऺा-प्रणारी न लभरने ऩय रेखक आश्चमय तमों
नहीॊ भानता?
(ख) जहाज फनाने के लरए कोई ग्रॊथ न होने मा न लभरने ऩय रेखक तमा
फताना चाहता है?
(ग) लशऺा की ननमभावरी का न लभरना, जस्त्रमों की अऩढ़ता का सफत
ू तमों
नहीॊ है?

प्र. 10. ननम्नलरखखत प्रश्नों के सॊऺेऩ भें उत्तय दीजजए : 2 x 5 = 10


(क) भन्नू बॊडायी ने अऩनी भाॉ के फाये भें तमा कहा है?
(ख) अॊनतभ ददनों भें भन्नू बॊडायी के वऩता का स्वबाव शतकी हो गमा था,
रेखखका ने इसके तमा कायण ददए?
(ग) बफजस्भल्रा खाॉ को ख़ुदा के प्रनत तमा ववश्वास है?
(घ) काशी भें अबी-बी तमा शेष फचा हुआ है?
(ङ) क़ौसल्मामन जी के अनसु ाय सभ्मता के अॊतगयत तमा-तमा सभादहत है?

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CBSE - X | HINDI

Board Paper – 2017

प्र. 11. ननम्नलरखखत काव्माॊश ऩय आधारयत प्रश्नों के उत्तय दीजजए : 2+2+1 =5


तायसप्तक भें जफ फैठने रगता है उसका गरा
प्रेयणा साथ छोड़ती हुई उत्साह अस्त होता हुआ
आवाि से याख जैसा कुछ र्गयता हुआ
तबी भख्
ु म गामक को ढाॉढस फॊधाता
कहीॊ से चरा आता है सॊगतकाय का स्वय
कबी-कबी वह मों ही दे ता है उसका साथ

(क) फैठने रगता है उसका गरा' का तमा आशम है?


(ख) भख्
ु म गामक को ढाढस क़ौन फॉधाता है औय तमों?
(ग) ताय सप्तक तमा है?

प्र. 12 ननम्नलरखखत प्रश्नों के सॊऺेऩ भें उत्तय दीजजए : 2 x 5 = 10


(क) 'कन्मादान' कववता भें भाॉ ने फेटी को अऩने चेहये ऩय न यीझने कक
सराह दी है?
(ख) भाॉ का क़ौन-सा दःु ख प्राभाखणक था, कैसे?
(ग) 'जो न लभरा बर
ू उसे कय तू बववटम वयन' - कथन भें कवव कक
वेदना औय चेतना कैसे व्मतत हो यही है?
(घ) 'धनष
ु को तोड़ने वारा कोई तुम्हाया दास होगा'- के आधाय ऩय याभ के
स्वाबाव ऩय दटप्ऩणी कीजजए।
(ङ) काव्माॊश के आधाय ऩय ऩयशयु ाभ के स्वबाव कक दो ववशेषताओ ऩय
सोदाहयण दटप्ऩणी कीजजए।

प्र. 13. 'आऩ चैन कक नीॊद सो सके इसीलरए तो हभ महाॉ ऩहया दें यहा है' - एक
प़ौजी के इस कथन ऩय जीवन-भल्
ू मों कक दृजटट से चचाय कीजजए। 5

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CBSE - X | HINDI

Board Paper – 2017

खॊड – घ

प्र. 14. ननम्नलरखखत भें से ककसी एक ववषम ऩय ददए गए सॊकेत – बफन्दओ


ु ॊ के
आधाय ऩय रगबग २५० शब्दों भें ननफॊध लरखखए : 10
क) ववऻाऩन कक दनु नमा
 ववऻाऩन का मग

 भ्रभजार औय जानकायी
 साभाजजक दानमत्व

ख) भ्रटटाचाय भत
ु त सभाज
 भ्रटटाचाय तमा है
 साभाजजक व्मवस्था भें भ्रटटाचाय
 कायण औय ननवायण

ग) ऩी. वी. लसॊधु - भेयी वप्रम खखराडी


 अभ्मास औय ऩरयश्भ
 जुझारूऩन औय आत्भववश्वास
 धैमय औय जीत का सेहया

प्र. 15. अऩनी दादी की र्चत्र-प्रदशयनी ऩय अऩनी प्रनतकक्रमा लरखते हुए उन्हें फधाई
ऩत्र लरखखए। 5
अथवा

अऩनी मोग्मताओॊ का ववतयण दे ते हुए प्राथलभक लशऺक के ऩद के लरए


अऩने जजरे के लशऺा अर्धकायी को आवेदन ऩत्र लरखखए।

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CBSE - X | HINDI

Board Paper – 2017

प्र. 16. ननम्नलरखखत गद्दमाॊश का शीषयक लरखकय एक-नतहाई शब्दों भें साय
लरखखए : 5
ऐसा कोई ददन आ सकता है, जफकक भनटु म के नाखूनों का फढ़ना फॊद हो
जाएगा। प्राखणशाजस्त्रमों का ऐसा अनभ
ु ान है की भनटु म का मह अनावश्मक
अॊग उसी प्रकाय झाड़ जाएगा, जजस प्रकाय उसकी ऩॉछ
ू झड़ गई है। उस
ददन भनटु म की ऩशत
ु ा बी रप्ु त हो जाएगी। शामद उस ददन वह भयणास्त्रों
का प्रमोग बी फॊद कय दे गा। तफ तक इस फात से छोटे फच्चों को ऩरयर्चत
कया दे ना वाॊछनीम जान ऩड़ता है की नाख़न
ू का फढ़ना भनटु म के बीतय
की ऩशत
ु ा की ननशानी है औय उसे नहीॊ फढ़ने दे ना भनटु म की अऩनी इच्छा
है , अऩना आदशय है। फेहतय जीवन भें अस्त्र-शास्त्रों को फढ़ने दे ना भनटु म
की ऩशत
ु ा की ननशानी है औय उनकी फाढ़ को योकना भनटु मत्व का
तकािा। भनटु म भें जो घण
ृ ा हैं, जो अनामास बफना लसखाए आ जाती हे,
वह ऩशत्ु व का घोतक हैं औय अऩने को सॊमत यखना, दस
ू यों के भनोबावों
का आदय कयना भनटु म का स्वधभय हैं। फच्चे मह जाने तो अच्छा हो की
अभ्मास औय टऩ से प्राप्त वस्तए
ु ॉ भनटु म को भदहभा को सर्ू चत कयाती हैं।

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CBSE - X | HINDI

Board Paper – 2017

संकलऱत परीक्षा – II
SUMMATIVE ASSESSMENT – II
हिन्दी
HINDI
(पाठ्यक्रम अ)
(Course - A)
समय: 3 घंटे पर्
ू ाांक : 90

सामान्य निदे श :
1. इस प्रश्न-ऩत्र के चाय खॊड हैं - क, ख, ग, औय घ।
2. चायों खॊडों के प्रश्नों के उत्तय दे ना अननवामय है ।
3. मथासॊबव प्रत्मेक खॊड के उत्तय क्रभश: दीजजए।
खॊड – क
प्र.1. ननम्नलरखखत गदमाॊश को ध्मानऩव
ू क
य ऩढ़कय ऩछ
ू े गए प्रश्नों के लरए सही
उत्तय वारे ववकल्ऩ चन
ु कय लरखखए : 1 x 5 = 5
रोकतॊत्र के भर
ु बत
ु तत्व को सभझा नहीॊ गमा हे औय इसलरए रोग सभझते
हैं कक सफ कुछ सयकाय कय दे गी, हभायी कोई जजम्भेदायी नहीॊ हैं। रोगो भें
अऩनी ऩहर से जजम्भेदायी उठाने औय ननबाने का सॊस्काय ववकलसत नहीॊ हो
ऩामा हैं। परस्वरूऩ दे श कक ववशार भानव-शजतत अबी खयायटें रेती ऩड़ी है
औय दे श कक ऩॉज
ू ी उऩमोगी फनाने के फदरे आज फोझरूऩ फन फैठी हैं। रेककन
उसे नीॊद से झकझोय कय जाग्रत कयना हैं। ककसी बी दे श को भहान फनाते हैं
उसभे यहने वारे रोग। रेककन अबी हभाये दे श के नागरयक अऩनी जिम्भेदायी
से फचते यहे हैं। चाहे सड़क ऩय चरने कक फात अथवा साप-सपाई कक फात
हो, जहाॉ-तहाॉ हभ रोगों को गॊदगी पैराते औय फेतयतीफ ढॊ ग से वहाॊ दे ख
सकते हैं। कपय चाहते हैं कक सफ कुछ सयकाय ठीक कय दे।
सयकायने फहुत साये कामय ककए हैं, इसे अस्वीकाय नहीॊ ककमा जा सकता हैं।
वैऻाननक प्रमोगशाराएॉ खोरी हैं, ववशार फाॉध फनवाए हैं, फ़ौराद के कायखाने
खोरे हैं आदद-आदद फहुत साये काभ सयकाय के दवाया हुए हैं। ऩय अबी
कयोडों रोगों को कामय भें प्रेरयत नहीॊ ककमा जा सका है।

1
CBSE - X | HINDI

Board Paper – 2017

वास्तव भें होना तो मह चादहए कक रोग अऩनी सझ


ू -फझ
ू के साथ अऩनी
आॊतरयक शजतत के फर ऩय खड़े हों औय अऩने ऩास जो कुछ साधन-साभग्री
हो उसे रेकय कुछ कयना शरू
ु कय दें। औय कपय सयकाय उसभें आवश्मक
भदद कये । उदाहयण के लरए, गाॉववारे फड़ी-फड़ी ऩॊचवषीम मोजनाए नहीॊ
सभझ सकेंगे, ऩय वे रोग मह फात जरूय सभझ सकेंगे कक अऩने गाॉव भें
कुआॉ चादहए, कहाॉ लसॊचाई की िरुयत हैं, कहाॉ ऩर
ु कक आवश्मकता हैं। फाहय
के रोग इन सफ फातों से अनलबऻ होते हैं।
(i) रोकतॊत्र का भर
ू बत
ू तत्व है
(क) कतयव्मऩारन
(ख) रोगों का याज्म
(ग) चन
ु ाव
(घ) जनभत

(ii) ककसी दे श की भहानता ननबयय कयती है


(क) वहाॉ की सयकाय ऩय
(ख) वहाॉ के ननवालसमों ऩय
(ग) वहाॉ के इनतहास ऩय
(घ) वहाॉ की ऩॉज
ू ी ऩय

(iii) सयकाय के काभों के फाये भें क़ौन-सा कथन सही नहीॊ है?
(क) वैऻाननक प्रमोगशाराएॉ फनवाई हैं
(ख) ववशार फाॉध फनवाए हैं
(ग) वाहन-चारक को सध
ु ाया है
(घ) फ़ौराद के कायखाने खोरे हैं

(iv) सयकायी व्मवस्था भें ककस कभी की ओय रेखक ने सॊकेत ककमा है?
(क) गाॉव से जुड़ी सभस्माओॊ के ननदान भें ग्राभीणों की बलू भका को
नकायना
(ख) मोजनाएॉ ठीक से न फनाना
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Board Paper – 2017

(ग) आधनु नक जानकायी का अबाव


(घ) जभीन से जुड़ी सभस्माओॊ की ओय ध्मान न दे ना

(v) झकझोय कय जागत


ृ कयना का बाव गदमाॊश के अनस
ु ाय होगा
(क) नीॊद से जगाना
(ख) सोने न दे ना
(ग) जजम्भेदायी ननबाना
(घ) जिम्भेदारयमों के प्रनत सचेत कयना

प्र. 2. प्रस्तुत गदमाॊश को ध्मानऩव


ू क
य ऩढ़कय उस ऩय आधारयत प्रश्नों के लरए सही
उत्तय वारे ववकल्ऩ चन
ु कय लरखखए : 1 x 5 = 5
हरयमाणा के ऩयु ातत्त्व-ववबाग दवाया ककए गए अफ तक के शोध औय खुदाई
के अनस
ु ाय रगबग ५५०० हे तटे अय भें पैरी मह याजधानी ईसा से रगबग
३३०० वषय ऩव
ू य भ़ौजूद थी। इन प्रभाणों के आधाय ऩय मह तो तम हो ही गमा
हैं कक याखीगढ़ी कक स्थाऩना उससे बी सैकड़ो वषय ऩव
ू य हो चक
ु ी थी।
अफ तक मही भाना जाता यहा हैं कक इस सभम ऩाककस्तान भें जस्थत हड़प्ऩा
औय भअ
ु नजोदडो ही लसॊधक
ु ारीन सभ्मता के भख्
ु मा नगय थे। याखीगढ़ी गाॉव
भें खुदाई औय शोध का काभ रुक-रुक कय चर यहा है। दहसाय का मह गाॉव
ददल्री से भात्र एक स़ौ ऩचास ककरोभीटय कक दयू ी ऩय हैं। ऩहरी फाय महाॉ
१९६३ भें खुदाई हुई थी औय तफ इसे लसॊध-ु सयस्वती सभ्मता का सफसे फड़ा
नगय भाना गमा। उस सभम के शोधार्थयमों ने सप्रभाण घोषणाएॉ कक थी कक
महाॉ दफे नगय, कबी भअ
ु नजोदोड़ों औय हड़प्ऩा से बी फड़ा यहा होगा।
अफ सबी शोध ववशेषऻ इस फात ऩय सहभत हैं कक याखीगढ़ी, बायत-
ऩाककस्तान औय अपगाननस्तान का आकय औय आफादी कक दृजटट से फड़ा
शहय था। प्राप्त वववयणों के रानस
ु ाय सभर्ु चत रूऩ से ननमोजजत इस शहय
कक सबी सड़कें १.९२ भीटय च़ौड़ी थी। मह च़ौड़ाई कारीफॊगा की सड़कों से बी
ज्मादा हैं। एक ऐसा फतयन बी लभर गमा हैं, जो सोने औय चाॉदी कक ऩयतों
से ढका हैं। इसी स्थर ऩय एक 'पाउॊ ड्री' के बी र्चह्न लभरे हैं, जहाॉ सॊबवतः
सोना ढारा जाता होगा। इसके अरावा टै याकोटा से फनी असॊख्म प्रनतभाएॊ
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Board Paper – 2017

ताॉफे के फतयन औय कुछ प्रनतभाएॉ औय एक 'फनेस' के अवशेष बी लभरे हैं।


भई २०१२ भें ' ग्रोफर है रयटे ज पॊड' ने इसे एलशमा के दस ऐसे 'ववयासत-
स्थरों' की सच
ू ी भें शालभर ककमा है, जजनके नटट हो जाने का खतया है।
याखीगढ़ी का ऩयु ाताजत्वक भहत्तव ववलशटट है। इस सभम मह ऺेत्र ऩयू े ववश्व
के ऩयु ातत्व ववशेषऻो कक ददरचस्ऩी औय जजऻासा का केंद्र फना हुआ है । महाॉ
फहुत से काभ फकामा है; जो अवशेष लभरे है, उनका सभर्ु चत अध्मन अबी
शेष है । उत्खनन का काभ अफ बी अधयू ा है।

(i) अफ लसॊध-ु सयस्वती सभ्मता का सफसे फड़ा नगय ककसे भानने की


सॊबावनाएॉ है
(क) भअ
ु नजोदड़ो
(ख) याखीगढ़ी
(ग) हड़प्ऩा
(घ) कारीफॊगा

(ii) च़ौड़ी सड़कों से स्ऩटट होता है कक


(क) मातामात के साधन थे
(ख) अर्धक आफादी थी
(ग) शहय ननमोजजत था
(घ) फड़ा शहय था

(iii) इसे एलशमा के ववयासत स्थरों भें स्थान लभरा तमोंकक


(क) नटट हो जाने का खतया है
(ख) सफसे ववकलसत सभ्मता है
(ग) इनतहास भें इसका नाभ सवोऩरय है
(घ) महाॉ ववकास की तीन ऩयतें लभरी हैं

(iv) ऩयु ातत्व-ववशेषऻ याखीगढ़ी भें ववशेष रूर्च रे यहे हैं तमोंकक
(क) काफी प्राचीन औय फड़ी सभ्मता हो सकती है
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Board Paper – 2017

(ख) इसका सभर्ु चत अध्ममन शेष है


(ग) उत्खनन का कामय अबी अधयू ा है
(घ) इसके फाये भें अबी-अबी ऩता रगा है

(v) उऩमत
ु त शीषयक होगा
(क) याखीगढ़ी : एक सभ्मता की सॊबावना
(ख) लसॊध-ु घाटी सभ्मता
(ग) ववरप्ु त सयस्वती की तराश
(घ) एक ववस्तत
ृ शहय याखीगढ़ी

प्र. 3. ननम्नलरखखत काव्माॊश को ध्मानऩव


ू क
य ऩढ़कय ऩछ
ू े गए प्रश्नों के लरए सही
उत्तय वारे ववकल्ऩ चन
ु कय लरखखए : 1 x 5 = 5
एक ददन तने ने बी कहा था, जड़?
जड़ तो जड़ ही है;
जीवन से सदा डयी यही है
औय मही है उसका साया इनतहास
कक जभीन भें भॉह
ु गड़ा ऩड़ी यही है
रेककन भैं जभीन से ऊऩय उठा
फाहय ननकरा, फढ़ा हूॉ, भजफत
ू फना हूॉ, इसी से तो तना हूॉ

एक ददन डारों ने बी कहा था, तना?


ककस फात ऩय है तना?
जहाॉ बफठार ददमा था वहीॊ ऩय है फना
प्रगनतशीर जगती भें नतर बय नहीॊ डोरा है
खामा है, भोटामा है, सहरामा चोरा है;
रेककन हभ तने से पूटीॊ,
ददशा-ददशा भें गईं
ऊऩय उठीॊ,
नीचे आईं
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Board Paper – 2017

हय हवा के लरए दोर फनीॊ, रहयाईं,


इसी से तो डार कहराईं।

एक ददन पूरों ने बी कहा था,


ऩजत्तमाॉ?
ऩजत्तमों ने तमा ककमा?
सॊख्मा के फर ऩय फस डारों को छाऩ लरमा,
डारों के फर ऩय ही चर—चऩर यही हैं,
हवाओॊ के फर ऩय ही भचर यही हैं;
रेककन हभ अऩने से खुर,े खखरे, पूरे हैं—
यॊ ग लरए, यस लरए, ऩयाग लरए—
हभायी मश—गॊध दयू —दयू —दयू पैरी है,
भ्रभयों ने आकय हभाये गुन गाए हैं,
हभ ऩय फ़ौयाए हैं।

सफ की सन
ु ऩाई है,
जड़ भस
ु कयाई है!

(i) तने का जड़ को जड़ कहने से तमा अलबप्राम है


(क) भजफत
ू है
(ख) सभझदाय है
(ग) भख
ू य है
(घ) उदास है

(ii) डालरमों ने तने के अहॊ काय को तमा कहकय चयू -चयू कय ददमा?
(क) जड़ नीचे है तो मह ऊऩय है
(ख) मों ही तना यहता है
(ग) उसका भोटाऩा हास्मास्ऩद है
(घ) प्रगनत के ऩथ ऩय एक कदभ बी नहीॊ फढ़ा
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Board Paper – 2017

(iii) ऩजत्तमों के फाये भें तमा नहीॊ कहा गमा है?


(क) सॊख्मा के फर से फरवान हैं
(ख) हवाओॊ के फर ऩय डोरती हैं
(ग) डारों के कायण चॊचर हैं
(घ) सफसे फरशारी हैं

(iv) पूरों ने अऩने लरए तमा नहीॊ कहा?


(क) हभाये गण
ु ों का प्रचाय-प्रसाय होता है
(ख) दयू -दयू तक हभायी प्रशॊसा होती है
(ग) हभ हवाओॊ के फर ऩय झभ
ू ते हैं
(घ) हभने अऩना रूऩ-स्वरूऩ ख़ुद ही सॉवाया है

(v) जड़ तमों भस
ु कयाई?
(क) सफने अऩने अहॊ काय भें उसे बर
ु ा ददमा
(ख) पूरों ने ऩजत्तमों को बर
ु ा ददमा
(ग) ऩजत्तमों ने डालरमों को बर
ु ा ददमा
(घ) डालरमों ने तने को बर
ु ा ददमा

प्र. 4. नीचे लरखे ऩदमाॊश को ध्मानऩव


ू क
य ऩढ़कय ऩछ
ू े गए प्रश्नों के सही उत्तय
वारे ववकल्ऩ चन
ु कय लरखखए : 1 x 5 = 5
ओ दे शवालसमों, फैठ न जाओ ऩत्थाय से,
ओ दे शवालसमों, योओ भत मों ननझयय से,
दयख्वााा
स्त कयें , आओ, कुछ अऩने ईश्वय से
वह सन
ु ता है
ग़भिादों औय
यॊ जीदों की।

जफ साय सयकता-सा रगता जग-जीवन से,


अलबवषततयकयें , आओ, अऩने को इस प्रण से-
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Board Paper – 2017

हभ कबी न लभटने दें गे बायत के भन से

दनु नमा ऊॉचे


आदशों की,
उम्भीाो
दों की।

भाधना एक मग
ु -मग
ु अॊतय भें ठनी यहे
मह बलू भ फद्ध
ु -फाऩ-ू से सत
ु की जनी यहे;

प्राथयना एक मग
ु -मग
ु ऩथ्
ृ वी ऩय फनी यहे

मह जानत
मोर्गमों, सॊतों
औय शहीदों की।

(i) कवव दे शवालसमों को तमा कहना चाहता है


(क) ननयाशा औय जड़ता छोड़ो
(ख) जागो, आगे फढ़ो
(ग) ऩढ़ों, लरखो, कुछ कयो
(घ) डयो भत, ऊॉचे चढ़ो

(ii) कवव ककसकी औय ककससे प्राथयना की फात कय यहा है?


(क) बगवान औय जनता
(ख) दख
ु ी रोग औय ईश्वय
(ग) दे शवासी औय सयकाय
(घ) मव
ु ा वगय औय बिदटश सत्ता
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Board Paper – 2017

(iii) कवव बायतीमों को क़ौन-सा सॊकल्ऩ रेने को कहता है?


(क) हभ बायत को कबी न लभटने दें गे
(ख) जीवन भें साय–तत्व को फनाए यखें गे
(ग) उच्च आदशय औय आशा के भहत्त्व को फनाए यखें गे
(घ) जग-जीवन को सभयसता से अलबवषतत कयें गे

(iv) मह बलू भ फद्ध


ु -फाऩू से सत
ू की जनी यहे का बाव है
(क) इस बलू भ ऩय फद्ध
ु औय फाऩू ने जन्भ लरमा
(ख) इस बलू भ ऩय फद्ध
ु औय फाऩू जैसे रोग जन्भ रेते यहें
(ग) मह धयती फद्ध
ु औय फाऩू जैसी है
(घ) मह धयती फद्ध
ु औय फाऩू को हभेशा माद यखेगी

(v) कवव तमा प्राथयना कयता है?


(क) मोगी, सॊत औय शहीदों का हभ सफ सम्भान कयें
(ख) मग
ु ों-मग
ु ों तक धयती फनी यहे
(ग) धयती भाॉ का वॊदन कयते यहें
(घ) बायतीमों भें मोगी, सॊत औय शहीद अवताय रेते यहें

खॊड - ख
प्र. 5. ननदे शानस
ु ाय उत्तय दीजजए : 1 x 3 = 3
(क) वे उन सफ रोगों से लभरे, जो भझ
ु े जानते थे। (सयर वातम भें
फदलरए)
उत्तय : वे भेये साये ऩरयर्चतों से लभरे।

(ख) ऩॊख वारे चीटे मा दीभक वषाय के ददनों भें ननकरते हैं।
(वातम का बेद फताइए)
उत्तय : सयर वातम
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Board Paper – 2017

(ग) आषाढ़ की एक सफ
ु ह एक भोय ने भल्हाय के लभमाऊ को सयु ददमा था।
(सॊमत
ु त वातम भें फदलरए)
उत्तय : आषाढ़ की एक सफ
ु ह थी औय भोय ने भल्हाय के लभमाऊ को
सयु ददमा था।

प्र. 6. ननदे शानस


ु ाय वातम ऩरयवतयन कीजजए : 1 x 4 = 4
(क) पुयसत भें भैना खफ
ू रयमाि कयती है। (कभयवाच्म भें फदलरए)
उत्तय : पुयसत भें भैना दवाया खफ
ू रयमाि ककमा जाता है।

(ख) फाख्ताओॊ दवाया गीतों को सयु ददमा जाता है। (कतव


य ृ ाच्म भें फदलरए।
उत्तय : फाख्ता गीतों को सयु दे ते हैं।

(ग) फच्चा साॉस नहीॊ रे ऩा यहा था। (बाववाच्म भें फदलरए)


उत्तय : फच्चे से साॉस नहीॊ री जाती।

(घ) दो-तीन ऩक्षऺमों दवाया अऩनी-अऩनी रम भें एक साथ कूदा जा यहा


था। (कतव
य ृ ाच्म भें फदलरए)
उत्तय : दो-तीन ऩऺी अऩनी-अऩनी रम भें एक साथ कूद यहे थे।

प्र. 7. ननम्नलरखखत वातमों भें ये खाॊजतत ऩदों का ऩरयचम दीजजए : 1 x 4 = 4


भनटु म केवर बोजन कयने के लरए जीववत नहीॊ यहता है, फजल्क वह अऩने
बीतय की सक्ष्
ू भ इच्छाओॊ की तजृ प्त बी चाहता है।
भनटु म – जानतवाचक सॊऻा, ऩजु ल्रॊग, एक वचन, कतायकायक
वह – अन्म ऩरु
ु च वाचक सवयनाभ, ऩजु ल्रॊग, एक वचन, कताय कयक
सक्ष्
ू भ – गुण वाचक ववशेषण, एकवचन, स्त्रीलरॊग, ववशेटम इच्छाओॊ
चाहता है – सकभयक कक्रमा, एक वचन, ऩजु ल्रॊग, ‘चाह’ धातु वतयभान कार,
कभय वाच्म, भनटु म इसका कताय है।
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Board Paper – 2017

प्र. 8. ननम्नाजतत काव्माॊशो भें प्रमत


ु त यस ऩहचानकय लरखखए : 1 x 2 = 2
(क) 1. उऩमत
ु त उस खर को न मदमवऩ भत्ृ मु का बी दॊ ड है,
ऩय भत्ृ मु से फढ़कय न जग भें दॊ ड औय प्रचॊड है
अतएव कर उस नीच को यण-भध्म जो भारूॉ न भैं
तो सत्म कहता हूॉ कबी शस्त्र कपय धारूॉ न भैं
उत्तय : य़ौद्र यस

2. वह आता –
तो टूक करेजे के कयता ऩछताता
ऩथ ऩय आता
ऩेट ऩीठ दोनों लभरकय हैं एक
चर यहा रकुदटमा टे क
उत्तय : करुण यस

(ख)
1. श्ॊग
ृ ाय यस का स्थामी बाव लरखखए। 1
उत्तय : यनत

2. ननम्नलरखखत काव्माॊश भें स्थामीबाव तमा है? 1


कफ दवे दाॉत दध
ू के दे खीॊ, कफ तोतै, भख
ु वचन झयें
कफ नॊददहॊ फाफा कदह फोरे, कफ जननी कदह भोदहॊ ये
उत्तय : वात्सल्म यस – स्थामी बाव वात्सल्म
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खॊड - ग
प्र. 9. ननम्नलरखखत गदमाॊश के आधाय ऩय ऩछ
ू े गए प्रश्नों के उत्तय लरखखए :
2+2+1 = 5
ऩयु ाने जभाने भें जस्त्रमों के लरए कोई ववश्वववदमारम न था। कपय ननमभफद्ध
प्रणारी का उल्रेख आदद ऩयु ाणों भें न लभरे तो तमा आश्चमय? औय, उल्रेख
उसका कही यहा हो, ऩय नटट हो गमा हो तो? ऩयु ाने जभाने भें ववभान
उड़ाते थे। फताइए उनके फनाने की ववधा लसखने वारा कोई शास्त्र ! फड़े –फड़े
जहािों ऩय सवाय होकय रोग दववऩाॊतयों को जाते थे। ददखाइए जहाज फनाने
की ननमभफद्ध प्रणारी के दशयक ग्रॊथ ! ऩयु ाणादद भें ववभानों औय जहािों
दवाया की गई मात्राओॊ के हवारे दे खकय उनका अजस्तत्व तो हभ फड़े गवय से
स्वीकाय कयते हैं, ऩयॊ तु ऩयु ाने ग्रॊथों भें अनके प्रगल्ब ऩॊडडताओॊ के नाभोल्रेख
दे खकय बी कुछ रोग बायत की तत्कारीन जस्त्रमों को भख
ू य, अऩढ़ औय
गॊवाय फताते हैं।

(क) ऩयु ाणों भें ननमभफद्ध लशऺा-प्रणारी न लभरने ऩय रेखक आश्चमय तमों
नहीॊ भानता?
उत्तर : ऩयु ाणों भें ननमभफद्ध लशऺा-प्रणारी न लभरने ऩय रेखक
आश्चमय नहीॊ भानता तमोंकक आयॊ ब से ही जस्त्रमों को दफामा
गमा हैं। उन्हें लशऺा के अर्धकाय से जान-फझ
ू कय अरग यखा
गमा है।

(ख) जहाज फनाने के लरए कोई ग्रॊथ न होने मा न लभरने ऩय रेखक तमा
फताना चाहता है?
उत्तर : जहाज फनाने के लरए कोई ग्रॊथ न होने मा न लभरने ऩय
रेखक फताना चाहता है कक बायत भें ववलबन्न प्रकाय की
कराओॊ का अजस्तत्व नटट हो गमा तमोंकक महाॉ के रोगों ने
उन्हें दनु नमा से नछऩाने का प्रमास ककमा। इस कायण नटट हो
गए। अतः वह इसके भाध्मभ से फताना चाहता है कक मदद मे
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Board Paper – 2017

भहत्त्वऩण
ू य जानकारयमाॉ हभाये ग्रॊथों भें नहीॊ है, तो स्त्री लशऺा
होने वारी फात लभरना तो असॊबव है।

(ग) लशऺा की ननमभावरी का न लभरना, जस्त्रमों की अऩढ़ता का सफत


ू तमों
नहीॊ है?
उत्तर : लशऺा की ननमभावरी का न लभरना, जस्त्रमों की अऩढ़ता का
सफत
ू नहीॊ है तमोंकक ऩयु ाने ग्रॊथों भें ऐसी जस्त्रमों के प्रभाण
लभरे है जो फहुत ववदवान थी।

प्र. 10. ननम्नलरखखत प्रश्नों के सॊऺेऩ भें उत्तय दीजजए : 2 x 5 = 10


(क) भन्नू बॊडायी ने अऩनी भाॉ के फाये भें तमा कहा है?
उत्तर : रेखखका की भाॉ धैमय औय सहनशजतत भें धयती से कुछ ज्मादा
थी। इन्होंने कबी अऩने ऩनत औय फच्चों के सभऺ आवाज
नहीॊ उठाई। सदा वऩता के कोऩ का बाजन यहीॊ। गरती न
होने ऩय बी उनके व्मवहाय की कठोयता को झेरती औय चऩ

यहती। उनके लरए घय तथा ऩरयवाय ही सफकुछ था। स्वमॊ का
कोई अजस्तत्व नहीॊ था। इसलरए वह रेखखका के लरए कबी
आदशय ऩात्र नहीॊ यही।

(ख) अॊनतभ ददनों भें भन्नू बॊडायी के वऩता का स्वबाव शतकी हो गमा था,
रेखखका ने इसके तमा कायण ददए?
उत्तर : रेखखका के वऩता एक सभाज-सेवक थे। उन्होंने आजीवन
रोगों की भदद की, फहुत से गयीफ फच्चों को ऩढ़ा-लरखाकय
काबफर फनामा ऩयॊ तु जफ उनका फयु ा वतत आमा तो सफने
उनको धोखा ददमा। इसलरए भन्नू बॊडायी के वऩता का स्वबाव
शतकी हो गमा था।
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Board Paper – 2017

(ग) बफजस्भल्रा खाॉ को ख़ुदा के प्रनत तमा ववश्वास है?


उत्तर : बफजस्भल्रा खाॉ को ख़ुदा के प्रनत ववश्वास है कक वह एकददन
सच्चा सयु रूऩी पर दें ग।े बफजस्भल्रा खाॉ ऩाॉचों वतत नभाि
के फाद खुदा से सच्चा सयु ऩाने की प्राथयना कयते थे। वे खुदा
से कहते थे कक उन्हें इतना प्रबावशारी सच्चा सयु दें औय
उनके सयु ों भें ददर को छूने वारी ताकत फख्शे उनके शहनाई
के स्वय आत्भा तक प्रवेश कयें औय उसे सन
ु ने वारों की
आॉखों से सच्चे भोती की तयह आॉसू ननकर जाए। मही उनके
सयु की काभमाफी होगी।

(घ) काशी भें अबी-बी तमा शेष फचा हुआ है?


उत्तर : काशी भें अबी-बी गॊगा भैमा, फाफा ववश्वनाथ तथा फाराजी
का भॊददय शेष फचा हुआ है।

(ङ) क़ौसल्मामन जी के अनस


ु ाय सभ्मता के अॊतगयत तमा-तमा सभादहत है?
उत्तर : क़ौसल्मामन जी के अनस
ु ाय सभ्मता के अॊतगयत हभाये खाने-
ऩीने का ढॊ ग, ऩहनने-ओढ़ने का ढॊ ग, मातामात के साधन,
आऩस भें कट-भयने के ढॊ ग सभादहत होते है।

प्र. 11. ननम्नलरखखत काव्माॊश ऩय आधारयत प्रश्नों के उत्तय दीजजए : 2+2+1 =5


तायसप्तक भें जफ फैठने रगता है उसका गरा
प्रेयणा साथ छोड़ती हुई उत्साह अस्त होता हुआ
आवाि से याख जैसा कुछ र्गयता हुआ
तबी भख्
ु म गामक को ढाॉढस फॊधाता
कहीॊ से चरा आता है सॊगतकाय का स्वय
कबी-कबी वह मों ही दे ता है उसका साथ

(क) फैठने रगता है उसका गरा' का तमा आशम है?


उत्तय : तायसप्तक भें गामन कयते सभम भख् ु म गामक का स्वय फहुत
ऊॉचाई तक ऩहुॉच जाता है । जजसके कायण स्वय के टूटने का
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Board Paper – 2017

आबास होने रगता है औय इसी कायण वह अऩने कॊठ से


ध्वनन का ववस्ताय कयने भें कभिोय हो जाता है । इसी को
'फैठने रगता है उसका गरा' कहा गमा है।

(ख) भख्
ु म गामक को ढाढस क़ौन फॉधाता है औय तमों?
उत्तय : तायसप्तक भें गामन कयते सभम भख् ु म गामक का स्वय फहुत
ऊॉचाई तक ऩहुॉच जाता है । जजसके कायण स्वय के टूटने का
आबास होने रगता है औय इसी कायण वह अऩने कॊठ से
ध्वनन का ववस्ताय कयने भें कभिोय हो जाता है । तफ
सॊगतकाय उसके ऩीछे भख्
ु म धन
ु को दोहयाता चरता है वह
अऩनी आवाि से उसके बफखयाव को सॉबार रेता है । इस
प्रकाय सॊगतकाय भख्
ु म गामक को ढाढस फॊधता है।

(ग) ताय सप्तक तमा है?


उत्तय : सात के सभह
ू को सप्तक कहते है। ध्वनन के ऊॉचे तथा नीचे
रम के आधाय ऩय उसे तीन सप्तकों भें ववबाजजत ककमा गमा
है – भॊद सप्तक, भध्म सप्तक औय ताय सप्तक। ध्वनन जफ
भध्म से ऊऩय जाती है तो उसे ताय सप्तक कहते है।

प्र. 12 ननम्नलरखखत प्रश्नों के सॊऺेऩ भें उत्तय दीजजए : 2 x 5 = 10


(क) 'कन्मादान' कववता भें भाॉ ने फेटी को अऩने चेहये ऩय न यीझने कक
सराह दी है?
उत्तर : भाॉ ने फेटी को अऩने सौंदमय ऩय यीझने से भना ककमा है। भाॉ
के अनस
ु ाय सौंदमय उसे भ्रलभत कय सकता है औय वह अऩने
अजस्तत्व औय ववकास को बर
ू सकती है। इससे औयत
कभजोय हो जाती है। इसलरए भाॉ कहती है कक अऩने सौंदमय
ऩय यीझने के स्थान ऩय अऩने अजस्तत्व की ओय ध्मान दे ना
चादहए।
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Board Paper – 2017

(ख) भाॉ का क़ौन-सा दःु ख प्राभाखणक था, कैसे?


उत्तर : 'कन्मादान' कववता नायी जागनृ त से सॊफॊर्धत है । इन ऩॊजततमों
दवाया कन्मादान कयते सभम भाॉ के भन को ककतना दःु ख
होता है मह फतामा गमा है । भाॉ औय फेटी का सॊफॊध
लभत्रताऩण
ू य होता है । भाॉ फेटी के सवायर्धक ननकट यहने वारी
औय उसके सख
ु -दख
ु की सार्थन होती है । कन्मादान कयते
सभम इस गहये रगाव को वह भहसस
ू कय यही है कक उसके
जाने के फाद वह बफल्कुर खारी हो जाएगी। इसलरए भाॉ के
दःु ख को प्रभाखणक कहा गमा है।

(ग) 'जो न लभरा बर


ू उसे कय तू बववटम वयन' - कथन भें कवव कक
वेदना औय चेतना कैसे व्मतत हो यही है?
उत्तर : कवव इन ऩॊजततमों दवाया मह फताने का प्रमास कय यहे है कक
उन्हें सभम ऩय कोई सख
ु प्राप्त नहीॊ हुआ। मह उनके लरए
फहुत ऩीड़ादामक था। अतः महाॉ ऩय उनकी वेदना का वणयन
ककमा गमा है। वे लरखते है उन्हें उन्हें सख
ु तो प्राप्त हुआ
ऩयॊ तु जफ उसका कोई भल्
ू म नहीॊ था। इसीके साथ वह ख़ुद
को सम्बारते हुए कहते है कक जीवन भें बववटम भें तमा
होगा ककसी को ऩता नहीॊ इसलरए जो लभरे उसका आनॊद रो
औय ना लभरे उसे बर
ू के आगे फढ़ो।

(घ) 'धनष
ु को तोड़ने वारा कोई तुम्हाया दास होगा'- के आधाय ऩय याभ के
स्वाबाव ऩय दटप्ऩणी कीजजए।
उत्तर : याभ स्वबाव से कोभर औय ववनमी हैं। ऩयशयु ाभ जी क्रोधी
स्वबाव के थे। ऩयशयु ाभ के क्रोध कयने ऩय श्ी याभ ने धीयज
से काभ लरमा। उन्होंने स्वमॊ को उनका दास कहकय ऩयशयु ाभ
के क्रोध को शाॊत कयने का प्रमास ककमा एवॊ उनसे अऩने
लरए आऻा कयने का ननवेदन ककमा।
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Board Paper – 2017

(ङ) काव्माॊश के आधाय ऩय ऩयशयु ाभ के स्वबाव कक दो ववशेषताओ ऩय


सोदाहयण दटप्ऩणी कीजजए।
उत्तर : ऩयशयु ाभ स्वबाव से क्रोधी एवॊ अहॊ कायी थे। मह स्वमॊवय भें
क्रोध कयने तथा अऩनी वीयता का ऩरयचम दे ते ख़ुद को
सहस्त्र फाहु तथा ऩथ्
ृ वी को सात फाय ऺबत्रमों से यदहत कयने
वारा कहने से ऩता चरता है।

प्र. 13. 'आऩ चैन कक नीॊद सो सके इसीलरए तो हभ महाॉ ऩहया दें यहा है' - एक
प़ौजी के इस कथन ऩय जीवन-भल्
ू मों कक दृजटट से चचाय कीजजए। 5
उत्तय : प़ौजी का जीवन फड़ा ही कदठन होता है। प़ौजी कदठन से कदठन
ऩरयजस्तर्थ भें अऩने कतयव्मों का ऩारन कयते हैं। इस कतयव्म
ऩारन भें कबी-कबी उन्हें अऩनी जान बी कुफायन कयनी ऩड़ती है
ऩयॊ तु वे ऩीछे नहीॊ हटते तमोंकक एक प़ौजी के जीवन भल्
ू म अऩने
दे श की यऺा औय नागरयकों की सयु ऺा ही होती है।

खॊड – घ

प्र. 14. ननम्नलरखखत भें से ककसी एक ववषम ऩय ददए गए सॊकेत – बफन्दओ


ु ॊ के
आधाय ऩय रगबग २५० शब्दों भें ननफॊध लरखखए : 10
क) ववऻाऩन कक दनु नमा
 ववऻाऩन का मग

 भ्रभजार औय जानकायी
 साभाजजक दानमत्व

आज के युग में विज्ञापनों का भहत्त्व स्ियॊसिद्ध है । आज विज्ञापन


हमारी ज ॊदगी का एक अहम हहस्िा बन चक
ु ा है, िब
ु ह आॉख खऱ
ु ते
ही अख़बार में िबिे पहऱे न र विज्ञापन पर ही जाती है । जत
ू े िे
ऱेकर रूमाऱ तक हर चीज विज्ञावपत हो रही है । विज्ञापन अपने छोटे
िे िॊरचना में बहुत कुछ िमाए होते है । िह बहुत कम बोऱकर भी
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Board Paper – 2017

बहुत कुछ कह जाते है । विज्ञापन एक कऱा है । विज्ञापन का मूऱ तत्ि


यह माना जाता है कक जजि िस्तु का विज्ञापन ककया जा रहा है उिे
ऱोग पहचान जाएॉ और उिको अपना ऱें। ननमााता कॊपननयों के सऱए
यह ऱाभकारी है । विज्ञापन अनेक प्रकार के होते हैं। िामाजजक
व्याििानयक आहद।
ववऻाऩन के राब की फात कयें तो हभ मह कह सकते हैं कक आज
ववऻाऩन ने हभाये जीवनस्तय को ही फदर डारा है । आज ववऻाऩन के
लरए ववऻाऩनगह
ृ एवॊ ववऻाऩन सॊस्थाएॉ स्थावऩत हो गई हैं। इस प्रकाय
इसका ऺेत्र ववस्तत
ृ होता चरा गमा। कोई बी ववऻाऩन टीवी ऩय
प्रसारयत होते ही वह हभाये जेहन भें छा जाता है औय हभ उस उत्ऩाद
के प्रनत खयीदने को रारनमत हो जाते है ।
फािाय भें आई नई वस्तु की जानकायी दे ता है । ऩयॊ तु इस ववऻाऩन ऩय
होनेवारे खचय का फोझ अप्रत्मऺ रुऩ से खयीददाय ऩय ही ऩड़ता है ।
ववऻाऩन के दवाया उत्ऩाद का इतना प्रचाय ककमा जाता है कक रोगों
दवाया बफना सोचे-सभझे उत्ऩादों का अॊधाधॊध
ु प्रमोग ककमा जा यहा है ।
इन ववऻाऩनों भें सत्मता राने के लरए फड़े-फड़े खखराडड़मों औय कफल्भी
कराकायों को लरमा जाता है । हभ इन कराकायों की फातों को सच
भानकय अऩना ऩैसा ऩानी की तयह फहाते हैं। ववऻाऩन हभायी सहामता
अवश्म कय सकते हैं ऩयन्तु क़ौन-सा उत्ऩाद हभाये काभ का है मा नहीॊ
मे हभें तम कयना चादहए।
ववऻाऩन से अनेक रोगों को योजगाय बी लभरता है । मह योजगाय एक
ववऻाऩन की शदू टॊग भें स्ऩॉट ब्वामज से रेकय फाजाय भें सेल्सभेन
तक उऩरब्ध हो जाता है । अगय कोई कॊऩनी फाहयी दे शों के लरए
ववऻाऩन फनाती है तो उसे ववदे शी भद्र
ु ा प्राप्त होती है जजससे दे श की
ववदे शी भद्र
ु ा कोष भें इजापा होता है औय दे श की आर्थयक जस्थनत
फेहतय फनती है ।
ववऻाऩन के राब व हानन दोनों है । मह हभ ऩय ननबयय कयता है कक
हभ उसका राब ककस तयह रे औय हानन से कैसे फचे।
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Board Paper – 2017

ख) भ्रटटाचाय भत
ु त सभाज
 भ्रटटाचाय तमा है
 साभाजजक व्मवस्था भें भ्रटटाचाय
 कायण औय ननवायण

भ्रटटाचाय अथायत ् भ्रटट + आचाय। भ्रटट मानी फयु ा मा बफगड़ा हुआ तथा
आचाय का भतरफ है आचयण। अथायत ् भ्रटटाचाय का शाजब्दक अथय है
भ्रटट ककसी बी प्रकाय से अनैनतक औय अनर्ु चत हो। आज बायत भें
ऐसे कई व्मजतत भ़ौजूद हैं जो भ्रटटाचायी है ।
आज हभ अऩने चायों ओय भ्रटटाचाय के अनेक रुऩ दे ख सकते हैं जैसे
रयश्वत, कारा-फाजायी, जान-फझ
ू कय दाभ फढ़ाना, ऩैसा रेकय काभ
कयना, सस्ता साभान राकय भहॉ गा फेचना आदद।
‘बटराचाय की रगी अगन है,
जजसने कय ददमा भल्
ू मों का दहन है ।’
भ्रटटाचाय ने बमानक योग की तयह हभाये सभाज को खोखरा कय
ददमा है । आज के आधनु नक मग
ु भें व्मजतत का जीवन अऩने स्वाथय
तक सीलभत होकय यह गमा है । प्रत्मेक कामय के ऩीछे स्वाथय प्रभख
ु हो
गमा है । असभानता, आर्थयक, साभाजजक मा सम्भान, ऩद-प्रनतटठा के
कायण बी व्मजतत अऩने आऩको भ्रटट फना रेता है । बायत के अॊदय
तो भ्रटटाचाय का पैराव ददन-बय-ददन फढ़ यहा है ।
बटराचाय को तीन प्रभख
ु वगो भें ववबतत कय सकते हैं : याजनीनतक,
प्रशासननक औय व्मावहारयक। आज सयकायी व गैयसयकायी ववबाग से
रेकय लशऺा के भॊददय भाने जाने वारे स्कूर व कॉरेज बी इस
भ्रटटाचाय से अछूते नहीॊ है । भ्रटटाचाय हभाये नैनतक जीवन भल्
ू मों ऩय
सफसे फड़ा प्रहाय है ।
भ्रटटाचाय के कायण बायतीम सॊस्कृनत का ऩतन हो यहा है । भ्रटटाचाय
दयू कयने के लरए हभें लशऺण दवाया व्मककत के भनोफर को उॉ चा
उठाना होगा। सफके लरए उर्चत योिगाय की तक उऩरब्ध कयानी
होगी। सभाज भें ववलबन्न स्तयों ऩय पैरे भ्रटटाचाय को योकने के लरए
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Board Paper – 2017

कठोय दॊ ड-व्मवस्था उऩरब्ध कयानी चादहए। प्रत्मेक व्मजतत को अऩने


कतयव्मों का ननवायह कयते हुए अऩने को इस भ्रटटाचाय से फाहय
ननकारना होगा। हभें प्रशासन व शासन की व्मवस्था को ऩयू ी तयह
स्वच्छ व ऩायदशी फनाना होगा।

ग) ऩी. वी. लसॊधु - भेयी वप्रम खखराडी


 अभ्मास औय ऩरयश्भ
 जझ
ु ारूऩन औय आत्भववश्वास
 धैमय औय जीत का सेहया

ऩी.वी. लसॊधु - भेयी वप्रम खखराड़ी


लसॊधु ऩव
ू य वारीफॉर खखराड़ी ऩी.वी. यभण औय ऩी. ववजमा के घय 5
जुराई 1995 भें ऩैदा हुई। लसॊधु ने 8 वषय की उम्र से फैडलभॊटन का
प्रलशऺण रेना शरू
ु ककमा। तफ उसके गुरू फने भहभद अरी। इसके
फाद वे ऩर
ु ेरा गोऩीचॊद के गोऩीचॊद फैडलभॊटन अकादभी भें शालभर हो
गई। आगे चरकय इन्होंने भेहदीऩट्टनभ से इॊटभेडडएट की ऩयीऺा
उत्तीणय की हैं। लसॊधू के घय औय फैडलभॊटन अकादभी भें 56 ककरोभीटय
की दयू ी है रेककन वह हय योज अऩने ननधायरयत सभम ऩय अकादभी
ऩहुॉच जाती हैं। उनके बीतय अऩने खेर को रेकय एक अजीफ दीवानगी
है । ऩर
ु ेरा गोऩीचॊद ने ऩी लसॊधु की तायीप कयते हुए कहा कक उनके
खेर की खास फात उनका एटीट्मड
ू औय कबी न खत्भ होने वारा
िज्फा है ।
2012 भें ऩी लसॊधु ने फैडलभॊटन वल्डय पेडये शन की टॉऩ 20 यैंककॊग भें
जगह फनाई। 10 अगस्त 2013 भें लसॊधु ऐसी ऩहरी बायतीम भदहरा
फनीॊ जजसने वल्डय चैंवऩमनलशप्स भें भेडर जीता था। 2015 भें लसॊधु को
बायत के च़ौथे उच्चतभ नागरयक सम्भान ऩद्मश्ी से सम्भाननत ककमा
गमा। लसॊधू को फेहतयीन फैडलभॊटन के लरए अजन
ुय ऩयु स्काय से बी
सम्भाननत ककमा जा चक
ु ा है । बायत की ऩी.वी. लसॊधु ने रयमो ओरॊवऩक
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Board Paper – 2017

2016 भें लसल्वय ऩदक जीतने वारी ऩहरी बायतीम भदहरा खखराड़ी
फन गई हैं। बायत को इन ऩय नाज है।

प्र. 15. अऩनी दादी की र्चत्र-प्रदशयनी ऩय अऩनी प्रनतकक्रमा लरखते हुए उन्हें फधाई
ऩत्र लरखखए। 5
याभजस बवन ,
रोकभान्म ववदमारम,
याजीव नगय ,
उत्तयाखॊड,
ददनाॉक - 10. 3. 2017
आदयणीम दादीजी,
सादय चयण स्ऩशय।
आशा कयता हूॉ कक आऩ स्वस्थ एवॊ प्रसन्न र्चत्त होंगी। भैं बी ईश्वय-कृऩा
से सकुशर हूॉ। गत शननवाय अऩने छात्रावास की तयप से भैं र्चत्र प्रदशयनी
दे खने गमा वहाॉ ऩहुॊचकय ऻात हुआ कक मे तो भेयी दादाजी की र्चत्रों की ही
प्रदशयनी है भन एकदभ बाव-ववबोय हो उठा। आऩके फनाए र्चत्र इतने
सजीव रग यहे थे जैसे अबी फोर उठे गें। आऩके र्चत्र भानवीम बावनाओॊ
को हुफहू र्चबत्रत कय यहे थे। उनभें ववदमभान प्रत्मेक यॊ ग औय आकृनत र्चत्र
की खूबफमों को फड़ी ही सयरता से फमान कय यहे थे। उसभें सादगी औय
मथाथय का र्चत्रण दे खने को लभरता है। र्चत्र फहुत ही रृदम स्ऩशी तथा
बाव स्ऩशी थे।
आऩकी इस सपरता के लरए भेयी औय से इसके लरए फधाई स्वीकाय कयें।
सच भें दादाजी भझ
ु े आऩ ऩय गवय भहसस
ू हो यहा है। इस उम्र भें बी
आऩके इस जज्फे को र्चत्र प्रदशयनी भें आमा प्रत्मेक व्मजतत तायीफ कय यहा
था। स्तॊब है। आऩ हभ सफ ऩरयवाय वारों के लरए प्रेयणा अफ ऩत्र सभाप्त
कयता हूॉ। घय भें भाॉ-फाऩज
ू ी तथा दादाजी को भेया प्रणाभ कदहमएगा।
आऩका ऩोता
याकेश अवस्थी
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Board Paper – 2017

अथवा

अऩनी मोग्मताओॊ का ववतयण दे ते हुए प्राथलभक लशऺक के ऩद के लरए


अऩने जजरे के लशऺा अर्धकायी को आवेदन ऩत्र लरखखए।
सेवा भें,
लशऺा अर्धकायी,
योहतक ,
गरु
ु ग्राभ।
ववषम - प्राथलभक लशऺक के आवदे न दे ने हे तु ऩत्र।
भहोदम,
सभाचाय ऩत्र गुरुग्राभ दै ननक ददनाॉक 20 जनवयी, 2017 से ऻात हुआ है
कक प्राथलभक लशऺक ऩद के लरए लशऺक की आवश्मकता है। भेया नाभ
चॊद्रप्रकाश भोहन है । भैंने फी .एड कक ऩयीऺा भें प्रथभ स्थान प्राप्त ककमा
है । इसके साथ भैंने दहॊदी ववषम भें एभ.ए.
् बी प्रथभ स्थान से ककमा है।
भझ
ु े इस ऺेत्र भें दो वषों का अनब
ु व बी है।
प्रस्तत
ु आवेदन के साथ भैंने अऩने सबी शैक्षऺक प्रभाण-ऩत्र सॊरग्न कयके
बेज ददए है।
अतः आऩसे ननवेदन हैं कक आऩ भझ
ु इस ऩद के लरए भझ
ु े उऩमत
ु त
उम्भीदवाय सभझते हुए ऩौकयी अवश्म दें ग।े आऩके इस सहमोग के लरए भें
सदा आऩका आबायी यहूग ॉ ा।
सधन्मवाद।
बवदीम
चॊद्रप्रकाश भोहन
200 / 4
याजकभर
लबवानी गुरुग्राभ।
ददनाॉक – 23 जनवयी 2017
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Board Paper – 2017

प्र. 16. ननम्नलरखखत गद्दमाॊश का शीषयक लरखकय एक-नतहाई शब्दों भें साय
लरखखए : 5
ऐसा कोई ददन आ सकता है, जफकक भनटु म के नाखूनों का फढ़ना फॊद हो
जाएगा। प्राखणशाजस्त्रमों का ऐसा अनभ
ु ान है की भनटु म का मह अनावश्मक
अॊग उसी प्रकाय झाड़ जाएगा, जजस प्रकाय उसकी ऩॉछ
ू झड़ गई है। उस
ददन भनटु म की ऩशत
ु ा बी रप्ु त हो जाएगी। शामद उस ददन वह भयणास्त्रों
का प्रमोग बी फॊद कय दे गा। तफ तक इस फात से छोटे फच्चों को ऩरयर्चत
कया दे ना वाॊछनीम जान ऩड़ता है की नाख़न
ू का फढ़ना भनटु म के बीतय
की ऩशत
ु ा की ननशानी है औय उसे नहीॊ फढ़ने दे ना भनटु म की अऩनी इच्छा
है , अऩना आदशय है। फेहतय जीवन भें अस्त्र-शास्त्रों को फढ़ने दे ना भनटु म
की ऩशत
ु ा की ननशानी है औय उनकी फाढ़ को योकना भनटु मत्व का
तकािा। भनटु म भें जो घण
ृ ा हैं, जो अनामास बफना लसखाए आ जाती हे,
वह ऩशत्ु व का घोतक हैं औय अऩने को सॊमत यखना, दस
ू यों के भनोबावों
का आदय कयना भनटु म का स्वधभय हैं। फच्चे मह जाने तो अच्छा हो की
अभ्मास औय टऩ से प्राप्त वस्तए
ु ॉ भनटु म को भदहभा को सर्ू चत कयाती हैं।

भनटु म औय ऩशत
ु ा
भनटु म भें नाखूनों का फढ़ना औय अस्त्र-शस्त्रों का फढ़ना दोनों ही उसके ऩशु
फनने की ननशानी है। इसलरए इन्हें योकना भनटु मत्व का तकाजा है।
भनटु म का स्वधभय है कक वह अऩने को सॊमत औय दस
ू यों के भनोबावों का
आदय कयें । फच्चे बी मह ऻान प्राप्त कय रें कक अभ्मास औय तऩ से प्राप्त
वस्तुएॉ ही भनटु म की भदहभा फताती है।
CBSE - X | HINDI

Bard Paper – 2016

संकलित परीक्षा – II
SUMMATIVE ASSESSMENT – II
हिन्दी
HINDI
(पाठ्यक्रम अ)
(Course - A)
समय: 3 घंटे पूर्ाांक : 90

निदे श :

1. इस प्रश्न-पत्र के चार खंड हैं - क, ख, ग, और घ।

2. चारों खंडों के प्रश्नों के तर दर ाे ना वान्ा है ह।

3. थासंभ् प्रर ेक खंड के तर दर क्रमश: ाीजिए।

खंड-क

प्र. 1. ानम्नलिखखद गद ांश को पढ़कर पूछे गए प्रश्नों के सही व्कल्प चुनकर


लिखखए : 1 x 5 = 5

सड़क मागहै से हम आगे बढ़े और सर ूपुि पर ही बस्दी जििे की सीमा में


प्र्ेश कक ा। हमारा पहिा पड़ा् कुशीनगर था, मगर हम कुछ ाे र मगहर
में रुके। कबीर की ान्ाहैण भूलम,मगर किरकापरस्दों ने तनकी सारी मेहनद
पर पानी िेर दा ा ह और तन्हें मंदार और मकबरे में बााँट दा ा ह। मठ
के महं द ने हमारे भोिन की व् ्स्था की और आसपास के स्कूि और
कॉिेि की िड़कक ों से मुिाकाद भी कराई। तनके बादचीद से हमने िाना
कक वब जस्थाद ााँ बािी हैं,िडकक ों कक पढ़ाई और नौकरी पर ध् ान दा ा
िादा ह। मगर सामाजिकदा का िोप-सा होने िगा ह,वब ब् ाह और
मरनी-हरनी में भी एका निर नहीं आदा। गीदों की बाद चिी दो ्हााँ
मौिूा पचास-साठ िड़कक ों में ककसी को भी िोकगीद ाा नहीं थे।
्हााँ से हम कुशीनगर पहुाँचे। राद ाघरने िगी थी,मगर हम पंडरी गााँ् के
िोगों से लमिे। कुशीनगर से िगभग बीस ककिोमीटर होने पर भी व्कास
का एक कण भी हााँ नहीं पहुाँचा था। मगर हााँ के ु्ा सिग हैं,्े

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CBSE - X | HINDI

Bard Paper – 2016

स््प्र ास से स्कूि भी चिादे हैं। राद को हम बौद्ध मठ में ठहरे । ह मठ


ककसी शानाार व्श्रामगहृ से कम नहीं था। सुबह हम केलस ा गााँ् गए।
सामाजिक और पारर्ाररक व्घटन के इस ाौर में एकमात्र सं ुक्द परर्ार
लमिा। हमने तनसे बाद की। तस परर्ार की सबसे बुिुगहै मदहिा के पास
दीि-र ोहार, गीद-ग्नई की वनुपम थादी थी, मगर तनसे सीखने ्ािा
कोई नहीं था। नई पीढ़ी िोक से व्रद थी।

(क) िेखक मगहर में रुकने के बाा स्हैप्रथम कहााँ रुके :

(i) बस्दी में

(ii) कुशीनगर में

(iii) कबीर की ान्ाहैण भूलम में

(iv) पंडरी गााँ् में


(ख) कबीर की ककस मेहनद पर पानी किर ग ा

(i) सांप्रााा क भेाभा् से ऊपर तठाने का प्र ास

(ii) दहन्ा ू धमहै के प्रचार-प्रसार का प्र ास

(iii) ब् ाह और मरनी में एका करने का प्र ास

(iv) कुशीनगर को बचाने का प्र ास

(ग) कौन सी व्शेषदा पंडरी गााँ् के ु्ाओं की नहीं ह :

(i) सचेद हैं

(ii) लशक्षा के प्राद सिग हैं

(iii) व्कास से ्ंचचद हैं

(iv) खेदी के लिए नए वनुसंधान करदे हैं

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Bard Paper – 2016

(घ) "मगर सामाजिकदा का िोप-सा होने िगा ह" – का भा् ह :

(i) सामाजिक सरोकारों का वभा्

(ii) मरने-िीने पर एकदा दाखदी ह

(iii) सांस्कृादक ज्ञान का आभा्

(iv) सौहार्द्है पूणहै व् ्हार

(ङ) गद ांश के लिए शीषहैक ह :


(i) मगहर से कुशीनगर

(ii) हमारी ात्रा हमारा ाे श

(iii) सर ू से बागमदी दक

(iv) कबीर की वनप


ु म थादी

प्र.2. तन दानों मैं वपने छात्रों को आनु्ंलशक पढ़ा ा करदा था। तस सम मैं
मांसपेलश ों की कमिोरर ों पर भी कुछ प्र ोग कर रहा था। इन प्र ोगों से
ही ‘एवपिेनेदटक्स’ की व्धा ानकि कर आई थी। मैं मूि कोलशकाओं के
प्रादरूप द ार करदा था। े मूि कोलशका की एकाम ठीक नकि होदे थे।
इन प्रादरूपी कोलशकाओं को मैं एक-एक कर के विग करदा और तन्हें
विग-विग ्ादा्रण में रखदा, विग-विग बदहैनों में ।
इस संस्कार में रखी कोलशकाओं हर 10-12 घंटे में व्भाजिद होदी हैं, एक
से ाो हो िादी हैं। किर वगिे 10-12 घंटे में ाो से चार, और किर चार से
आठ। इसी दरह ाो हफ्दे में हिारों कोलशकाएाँ द ार होदीं। किर मैंने दीन
लभन्न ्ादा्रण में कोलशकाओं की दीन लभन्न बजस्द ााँ द ार कीं। इन
‘बजस्द ों’ का रासा ानक ्ादा्रण एकाम विग-विग था। ठीक कुछ ्से
ही िसे हर व् जक्द के शरीर का ्ादा्रण विग हटा ह और एक ही शरीर
के भीदर भी कई दरह के ्ादा्रण होदे हैं । विग-विग ्ादा्रण में भी
रखी गई इन कोलशकाओं का ‘डी.एन.ए.’ दो एकाम समान था। तनका

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CBSE - X | HINDI

Bard Paper – 2016

प ाहै्रण, तनका ्ादा्रण लभन्न था। िल्ाी ही इस प्र ोग के नदीिे सामने


आने िगे।
एक बदहैन में तन्हीं कोलशकाओं ने हड्डी का रूप िे लि ा था, एक में
मांसपेशी का और दीसरे बदहैन में कोलशकाओं ने ्सा ा चबी का रूप िे
लि ा। ह प्र ोग इस स्ाि का िबाब ढूाँढ़ने के लिए कक ा था कक
कोलशकाओं ककस्मद कसे द होदी ह। सारी कोलशकाएाँ एक ही मूि से
ानकिी थीं। दो नए लसरे से ह लसद्ध हुआ कक कोलशकाओं की आन् ु ंलशकी
ान ाद द नहीं करदी ह। ि्ाब था; परर्ेश। प ाहै्रण। ्ादा्रण।

(क) िेखक ने आनु्ंलशकी के प्र ोग के लिए स्हैप्रथम क् ा कक ा

(i) मूि कोलशकाओं के प्रादरूप द ार कर लभन्न-लभन्न ्ादा्रण में


रखना

(ii) कोलशकाओं के संस्कार को समझने का प्र ास

(iii) वपने छात्रों को आनु्ंलशकी का ‘ान ाद्ाा’ पढ़ाना

(iv) 40 साि पहिे का इादहास समझाने का प्र ास

(ख) संस्कार में रखी कोलशकाएाँ हर 10-12 घंटे में व्भाजिद होकर ककदनी हो
िादी हैं

(i) चौगुनी

(ii) ादगुनी

(iii) ाग
ु ुनी

(iv) हिार गुनी


(ग) िेखक ने ककस प्रश्न का तर दर समझने के लिए ह प्र ोग कक ा था

(i) कौन-सी कोलशकाएाँ हड्डी बनदी हैं

(ii) कौन-सी कोलशकाएाँ मांसपेशी का रूप िेदी हैं

(iii) कोलशकाएाँ ्सा में कसे बािदी हैं


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Bard Paper – 2016

(iv) कोलशकाओं की ककस्मद कसे ानजश्चद होदी ह

(घ) प्र ोग से क् ा नदीिा ानकिा

(i) कोलशकाओं की ान ाद द करने ्ािा घटक ह – परर्ेश

(ii) कोलशकाओं की आनु्ंलशकी (डी. एन. ए.) तनकी ान ाद द करदी ह

(iii) मान् का स््भा् कोलशकाओं की ान ाद द करदा ह

(iv) स्ोच्च सर दा कोलशकाओं की ान ाद द करदी ह

(ङ) वपने प्र ोग के ाौरान िेखक द ार करदा था :

(i) मूि कोलशकाएाँ

(ii) नई मासंपेलश ााँ

(iii) मि
ू कोलशकाओं की नकिें

(iv) लभत्र ्ादा्रण

प्र. 3. ानम्नलिखखद काव् ांश को पढ़कर पछ


ू े गए प्रश्नों के सही व्कल्प चन
ु कर
लिखखए : 1 x 5 = 5

िब बचपन दुम्हारी गोा में


आने से कदराने िगे,
िब मााँ की कोख से झााँकदी ज ंागी
बाहर आने से घबराने िगे,
समझो कुछ गिद ह।
िब दि्ारें िूिों पर,
िोर आ माने िगें
िब मासूम आाँखों में
खौफ़ न र आने िगे
समझो कुछ गिद ह।
िब ककिकारर ां सहम िाएाँ

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CBSE - X | HINDI

Bard Paper – 2016

िब दोदिी बोलि ााँ, खामोश हो िाएाँ , समझो….


कुछ नहीं, बहुद कुछ गिद ह।
क् ोंकक िोर से बाररश होनी चादहए थी,
पूरी ााु न ा में , हर िगह, टपकने चादहए थे आाँसू,
रोना चादहए था ऊपर ्ािे को, आसमााँ से िूट िूट कर।
शमहै से झक
ु नी चादहए थीं, इंसानी सभ् दा की गाहै नें
शोक का नहीं, सोच का ्क्द ह
मादम नहीं, स्ािों का ्क्द ह।
वगर इसके बाा भी सर तठा कर
खड़ा हो सकदा ह इंसान
समझो की बहुद कुछ गिद ह।

(क) मााँ की कोख से झााँकदी जिंागी को घबराहट क् ों हो सकदी ह


(i) तसे बाहर की वसरु क्षा का आभास हो रहा ह
(ii) तसे प्राष
ू ण को डर सदा रहा ह
(iii) तसे मााँ ने बाहर की ्ास्दव्कदा बदाई ह
(iv) बाहर का मौसम वनुकूि नहीं ह

(ख) िब दि्ारें िूिों पर िोर आ माने िगें िब मासूम आाँखों में खौफ़
न र आने-िगे का दार प है ह :
(i) िब मासूमों पर वर ाचार होने िगे
(ii) मान् वपने स््ाथहै के लिए तद ान तिाड़ने िगे
(iii) िब मासूम बच्चों को भ के बबना रहना पड़े
(iv) िब मासूम आपस में िड़ने िगें
(ग) कव् के वनुसार बहुद गिद कब ह
(i) िब ओस दि्ार की नोक पर चगरे
(ii) िब मासूम सहम िाएाँ
(iii) िब बचपन समाजतद की कगार पर हो
(iv) िब ककिकारर ों की गाँूि खामोश हो िाए

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Bard Paper – 2016

(घ) कुछ भी गिद नहीं ह दा :


(i) बचपन गोा में आने िगे
(ii) बच्चों पर वर ाचार होने िगे
(iii) बाि श्रम बढ़ िाए
(iv) भ्रण
ू हर ा होने िगे

(ङ) कव् के वनुसार वभी ककसका ्क्द ह :

(i) सोच-व्चार का
(ii) ाख
ु मनाने का
(iii) तर स् मनाने का
(iv) मासूमों का

प्र. 4. ानम्नलिखखद काव् ांश को पढ़कर पूछे गए प्रश्नों के सही व्कल्प चुनकर
लिखखए : 1 x 5 = 5
थोड़े से बच्चों के लिए
एक बगीचा ह
तनके पााँ् ाब
ू पर पड़ रहे हैं
वसंख् बच्चों के लिए
कीचड़, धूि और गंागी से पटी
गलि ााँ हैं जिनमें ्े
वपना भव्ष् बीन रहे हैं।
कव्दा में आगे ाो दृश् और आदे हैं -
एक मे ह
लसफ़है छह बच्चों के लिए
और तनके सामने
तदने ही वंडे और सेब हैं
एक कटोराान ह सौ बच्चों के बीच
और ह ारों बच्चे
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CBSE - X | HINDI

Bard Paper – 2016

एक हाथ में रखी आधी रोटी को


ास
ू रे से दोड़ रहे हैं।
ईश््र होदा दो इदनी ाे र में तसकी ाे ह कोढ़ से गिने िगदी
सर होदा दो ्ह वपनी न् ा ाधीश की
कुसी से तदरकर ििदी सिाखें आाँखों में खुपस िेदा,
संा
ु र होदा दो ्ह वपने चेहरे पर
दे ाब पोद वंधे काँु ए में कूा ग ा होदा िेककन ……….
हााँ दृश् में
लसफ़है कुछ छपे हुए शब्ा हैं
चापिूसी की नााँा में
और मजस्दष्क में कािे गखणद का
पबंा ह।

(क) ाब
ू पर पड़ने ्ािे पााँ् ककन बच्चों के हो सकदे हैं
(i) िो वभी बहुद छोटे हैं
(ii) िो समद्ध
ृ परर्ार से हैं
(iii) िो लशक्षक्षद परर्ार से हैं
(iv) िो गरीब परर्ार से हैं
(ख) ‘्े वपना भव्ष् बीन रहे हैं’ का दार प है ह :
(i) कूड़ा बीन कर गरीब बच्चे िी्न चिादे हैं
(ii) ्े कूड़े में रहदे हैं
(iii) वसंख् बच्चे सुख नहीं पादे
(iv) गलि ों में बच्चे वपना भव्ष् बनादे हैं

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CBSE - X | HINDI

Bard Paper – 2016

(ग) एक मे ह/ लसफ़है छह बच्चों के लिए/और तनके सामने/तदने ही वंडे


और तदने ही सेब हैं/ एक कटोराान ह सौ बच्चों के बीच/ और हिारों
बच्चे एक हाथ में रखी आधी रोटी को/ ास
ू रे से दोड़ रहे हैं
तप ुक्
है द पंजक्द ों में कव् ककस वसमानदा की बाद कर रहा ह
(i) धालमहैक वसमानदा
(ii) सामाजिक वसमानदा
(iii) आचथहैक वसमानदा
(iv) शक्षक्षक वसमानदा

(घ) कव् ककस बाद से ानराश हो ग ा ह


(i) नादक मूल् कहीं खो गए हैं
(ii) वसीम सर दा को िोग पहचानदे नहीं
(iii) न् ा पाने के लिए िंबी प्रदीक्षा करनी पड़दी ह
(iv) बच्चों की पोशाकों में भी बहुद वंदर ह

(ङ) कव् हमें ककस ्ास्दव्कदा से पररचचद कर्ादा ह :


(i) समाि में वसमानदाएाँ हैं और ईश््र को चचंदा नहीं ह
(ii) बादें लसफ़है काग ी हैं, चापिूसी और िोड़-दोड़ का धंधा िि-िूि
रहा ह
(iii) दा सर होदा दो सच में न् ा ाधीश वपना काम करदे
(iv) बहुद से बच्चे होटिों में काम करने को मिबूर हैं

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CBSE - X | HINDI

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खंड–‘ख’
प्र. 5. ानाे शानुसार ाीजिए : 1 x 3 = 3

(क) एक दुमने ही इस िाा ू पर व्ि प्रातद की ह। (्ाक् -भेा लिखखए)


(ख) एक मोटरकार तनकी ाक
ु ान के सामने आकर रुकी। (सं ुक्द ्ाक् में
बालिए)
(ग) सभी व्द ाथी कव्-सम्मेिन में सम से पहुाँचे और शांाद से बठे
रहे । (लमचश्रद ्ाक् में बालिए)

प्र. 6. ानाे शानुसार ्ाच् -परर्दहैन कीजिए : 1 x 4 = 4


(क) मेरे द्ारा सम की पाबंाी पर ानबंध लिखा ग ा। (कृदहै्ाच् में )
(ख) मेरे लमत्र से चिा नहीं िादा। (कृदहै्ाच् में )
(ग) तनके सामने कौन बोि सकेगा? (भा््ाचक में )
(घ) भाई साहब ने मुझे पदंग ाी। (कमहै्ाच् में )

प्र. 7. रे खांककद पाों का पा-पररच ाीजिए : 1 x 4 = 4


सुरेश, दा मैं बीमार हो िाऊाँ दो घर की व् ्स्था रुक िाएगी।

प्र. 8. काव् ांश पढ़कर रस पहचानकर लिखखए : 1 x 3 = 3


(क) एक पि मेरी वप्र ा के दृग-पिक थे तठे -ऊपर सहि नीचे चगरे
चपिदा ने इस व्कंवपद पि
ु क से,दृढ़ कक ा मानो प्रण – संबंध था।
(ख) ्ीर रस का स्था ीभा् ह ?
(ग) भ ककस रस का स्था ीभा् ह ?
(घ) ानम्नलिखखद काव् ांश में कौन-सा स्था ी भा् ह?
िसोाा हरर पािने झुिा्।
हिरा्, ाि
ु रा्, मल्हा्, िोई-सोई कछु गा्।

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CBSE - X | HINDI

Bard Paper – 2016

खण्ड ग

प्र.9. ानम्नलिखखद गद ांश के आधार पर पछ


ू े गए प्रश्नों के तर दर लिखखए :
2+2+1 = 5

शहनाई और डुमरााँ् एक – ास
ू रे के लिए तप ोगी हैं। शहनाई बिाने के लिए
रीड का प्र ोग होदा ह। ररस वंार से पोिी शहनाई होदी ह जिसके सहारे
शहनाई को िाँू का िादा ह। रीड, नरकट (एक प्रकार की घास) से बनाई िादी
ह िो डुमरााँ् में मख्
ु दः सोन नाी के ककनारों पर पाई िादी ह। इदनी ही
महर दा ह इस सम डुमरााँ् की जिसके कारण शहनाई िसा ्ाद बिदा
ह। किर वमीरुद्दीन िो हम सबके वप्र हैं, वपने तस्दाा बबजस्मल्िा खााँ
साहब हैं। तनका िन्म – स्थान भी डुमरााँ् ही ह। इनके पराााा तस्दाा
सिार हुसन खााँ डुमरााँ् ान्ासी थे। बबजस्मल्िा खााँ तस्दाा पगंबरबख्श खााँ
और लमट्ठन के छोटे साहबिााे हैं।
(क) शहनाई और डुमरााँ् एक – ास
ू रे के पूरक हैं , कसे?

(ख) हााँ रीड के बारे मे क् ा – क् ा िानकारर ााँ लमिदी हैं ?

(ग) वमीरुद्दीन के मादा-वपदा कौन थे?

प्र. 10. ानम्नलिखखद प्रश्नों के तर दर संक्षेप में लिखखए : 25=10

(क) ‘मन्नू भंडारी की मााँ र ाग और ध है की पराकाष्ठा थी – किर भी


िेखखका के लिए आाशहै न बन सकी।‘ क् ों?
(ख) मन्नू भंडारी की ऐसी कौन सी खुशी थी िो 15 वगस्द, 1947 की
खुशी में समाकर रह गई?
(ग) ‘जस्त्र ााँ शक्षक्षक दृजष्ट से पुरुषों से कम नहीं हैं, - इसके लिए महा्ीर
प्रसाा दव््ेाी ने क् ा तााहरण दाए हैं ? ककन्हीं ाो का तल्िेख
कीजिए।
(घ) ‘महा्ीर प्रसाा दव््ेाी का ानबंध तनकी खि
ु ी सोच और ारू ालशहैदा
का पररचा क ह’, कसे?
(ङ) ‘संस्कृाद’ पाठ में िेखक ने आग और सुई-धागे के वव्ष्कारों से क् ा
स्पष्ट कक ा ह?
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CBSE - X | HINDI

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प्र. 11. ानम्नलिखखद काव् ांश के आधार पर दाए गए प्रश्नों के तर दर लिखखए :


2+2+1=5

छा ा मद छूना,
मन, होगा ाख
ु ान
ू ा।
िी्न में हैं , सुरंग सुचध ााँ सुहा्नी
छव् ों की चचत्र-गंध ििी मनभा्नी,
दन-सुगन्धग शेष रही, बीद गई ालमनी,
कुंदि के िूिों की ाा बनी चााँानी।
भि
ू ी-सी एक छुवन बनदा हर िीव्द क्षण-
छा ा मद छना
मन, होगा ाख
ु ान
ू ा।
(क) ‘छा ा मद छूना’ – कव् ने ऐसा क् ों कहा?
(ख) ‘छव् ों की चचत्र-गंध ििी मनभा्नी’ का क् ा दार प है ह?
(ग)‘कुंदि के िूिों की ाा बनी चााँानीं’ में कव् को कौन सी ााें
कचोटदी हैं?

प्र. 12. ानम्नलिखखद प्रश्नों के तर दर संक्षेप में लिखखए : 2 x 5 = 10

(क) ‘गाचधसूनु’ ककसे कहा ग ा ह ?्े मुान की ककस बाद पर मन ही


मन मुस्करा रहे थे?
(ख) स्् ं्र स्थि पर लश्धनुष दोड़ने ्ािे को परशुराम ने ककस प्रकार
धमका ा?
(ग) ‘बेटी, वभी स ानी नहीं थीं’ – में मााँ की चचंदा क् ा ह ? ‘कन् ााान’
कव्दा के आधार पर लिखखए।
(ड.)‘कन् ााान’ कव्दा में बेटी को ‘वंादम पाँि
ू ी’ क् ों कहा ग ा ह?
(घ) संगदकार में र ाग की तर कट भा्ना भरी ह – पुजष्ट कीजिए।

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Bard Paper – 2016

प्र.13. ‘ककदना कम िेकर े समाि को ककदना वचधक ्ापस िौटा ाे दी हैं ।


‘सना-सना हाथ िोडड’ पाठ के इस कथन में ानदहद िी्नमूल् ों को स्पष्ट
कीजिए और बदाइए कक ाे श की प्रगाद में नागररक की क् ा भूलमका ह? 5
खण्ड घ

प्र. 14. ककसी एक व्ष पर दाए गए संकेद-बबंाओ


ु ं के आधार पर िगभग 250
शब्ाों में ानबंध लिखखए :

(क) सििदा की कंु िी : मन की एकाग्रदा

 मन की एकाग्रदा क् ा और क् ों

 सििदा की कुंिी

 सदद वभ् ास

(ख) पजश्चम की ओर बढ़दे काम

 पजश्चम की चमक-धमक

 आकषहैण के कारण

 बचा्

(ग) इंटरनट का प्रभा्

 इंटरनट-क् ा ह

 मान् मन पर प्रभा्

 साप
ु ोग

प्र.15. तिाजस्टक की चीिों से हो रही हाान के बारे में ककसी समाचार पत्र के
संपााक को पत्र के संपााक को पत्र लिखकर वपने सुझा् ाीजिए। 5

वथ्ा

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Bard Paper – 2016

देिजस््न आपका लमत्र ह और तसने नेशनि स्दर पर ऊाँिी कूा में स््णहै
पाक प्रातद कर ाे श का नाम रोशन कक ा ह, तसे बधाई ाे दे हुए पत्र
लिखखए।

प्र. 16. ानम्नलिखखद गद ांश का शीषहैक लिखकर एक-ादहाई शब्ाों में सार
लिखखए : 5

्दहैमान सम में प्रगादशीि भारद के सामने िो समस् ाएाँ सरु सा के मह


ुाँ
की दरह मह
ाँु खोिे खड़ी हैं, तनमें बढ़दी िनसंख् ा एक व्कराि समस् ा
ह। इसके साथ वन् समस् ाएाँ भी हैं; आदं क्ाा, भ्रष्टाचार, बेरोिगारी
आदा। इन सभी समस् ाओं में िनसंख् ा की समस् ा कािी िदटि ह।
देिी से बढ़दी िनसंख् ा के वनेक कारण हैं, िसे – वलशक्षा और
वंधव्श््ास। वचधकदर िोग बच्चों को भग्ान की ाे न मानकर परर्ार
ान ोिन को वपनाना नहीं चाहदे। इस संबंध में सरकार द्ारा वनेक
प्र ास ककए गए हैं । िनसंचार माध् मों द्ारा परर्ार ान ोिन के संबंध
में व् ापक प्रचार कक ा ग ा ह और कक ा िा रहा ह। वनेक संस्थाएाँ भी
इस दाशा में का है कर रहीं हैं, किर भी आशानरू
ु प सििदा नहीं लमि पाई
ह। भारद की िनसंख् ा व्श्् की कुि िनसंख् ा का पााँच्ााँ भाग ह ।
हााँ हर ्षहै एक न ा आस्रे लि ा बन िादा ह। वद: हााँ कृवष के लिए
भूलम का वभा् हो ग ा ह। आ्ास की बढ़दी हुई समस् ा के कारण हााँ
हरे -भरे िंगिों के स्थान पर कंकरीट के िंगि बन रहे हैं। वमूल् ्न
संपाा का व्नाश, ाि
ु हैभ ्नस्पाद ों का वभा्, ्षाहै पर घादक प्रभा्
पड़ रहा ह। बेकारी बढ़ रही ह। िूट, हर ा, वपहरण िसी ्ाराादों को
बढ़ा्ा लमि रहा ह। िनसंख् ा की समस् ा का समाधान कानून द्ारा
नहीं िनिागरण दथा लशक्षा द्ारा ही संभ् ह।

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CBSE - X | HINDI

Bard Paper – 2016

संकलऱत परीक्षा – II
SUMMATIVE ASSESSMENT – II
हिन्दी
HINDI
(पाठ्यक्रम अ)
(Course - A)
समय: 3 घंटे पर्
ू ाांक : 90

निदे श :

1. इस प्रश्न-ऩत्र के चाय खॊड हैं- क, ख, ग, औय घ।

2. चायों खॊडों के प्रश्नों के उत्तय दे ना अननवामय है ।

3. मथासॊबव प्रत्मेक खॊड के उत्तय क्रभश: दीजजए।

खॊड-क

प्र. 1. ननम्नलरखखत गदमाॊश को ऩढ़कय ऩछ


ू े गए प्रश्नों के सही ववकल्ऩ चन
ु कय
लरखखए : 1 x 5 = 5

सड़क भागय से हभ आगे फढ़े औय सयमऩ


ू र
ु ऩय ही फस्ती जजरे की सीभा भें
प्रवेश ककमा। हभाया ऩहरा ऩड़ाव कुशीनगय था, भगय हभ कुछ दे य भगहय
भें रुके। कफीय की ननवायण बलू भ, भगय कपयकाऩयस्तों ने उनकी सायी भेहनत
ऩय ऩानी पेय ददमा है औय उन्हें भॊददय औय भकफये भें फाॉट ददमा है। भठ
के भहॊ त ने हभाये बोजन की व्मवस्था की औय आसऩास के स्कूर औय
कॉरेज की रड़ककमों से भर
ु ाकात बी कयाई। उनके फातचीत से हभने जाना
कक अफ जस्थनतमाॉ फदरी हैं, रडककमों कक ऩढ़ाई औय नौकयी ऩय ध्मान
ददमा जाता है। भगय साभाजजकता का रोऩ-सा होने रगा है, अफ ब्माह औय
भयनी-हयनी भें बी एका नजय नहीॊ आता। गीतों की फात चरी तो वहाॉ
भौजूद ऩचास-साठ रड़ककमों भें ककसी को बी रोकगीत माद नहीॊ थे।
वहाॉ से हभ कुशीनगय ऩहुॉच।े यात नघयने रगी थी, भगय हभ ऩॊडयी गाॉव के
रोगों से लभरे। कुशीनगय से रगबग फीस ककरोभीटय होने ऩय बी ववकास
का एक कण बी महाॉ नहीॊ ऩहुॉचा था। भगय महाॉ के मव
ु ा सजग हैं, वे

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Bard Paper – 2016

स्वप्रमास से स्कूर बी चराते हैं। यात को हभ फौद्ध भठ भें ठहये। मह भठ


ककसी शानदाय ववश्राभगह
ृ से कभ नहीॊ था। सफ
ु ह हभ केलसमा गाॉव गए।
साभाजजक औय ऩारयवारयक ववघटन के इस दौय भें एकभात्र सॊमक्
ु त ऩरयवाय
लभरा। हभने उनसे फात की। उस ऩरयवाय की सफसे फज
ु ुगय भदहरा के ऩास
तीज-त्मोहाय, गीत-गवनई की अनऩ
ु भ थाती थी, भगय उनसे सीखने वारा
कोई नहीॊ था। नई ऩीढ़ी रोक से ववयत थी।

(क) रेखक भगहय भें रुकने के फाद सवयप्रथभ कहाॉ रुके :

(i) फस्ती भें

(ii) कुशीनगय भें

(iii) कफीय की ननवायण बलू भ भें

(iv) ऩॊडयी गाॉव भें

(ख) कफीय की ककस भेहनत ऩय ऩानी कपय गमा?

(i) साॊप्रदानमक बेदबाव से ऊऩय उठाने का प्रमास

(ii) दहन्द ू धभय के प्रचाय-प्रसाय का प्रमास

(iii) ब्माह औय भयनी भें एका कयने का प्रमास

(iv) कुशीनगय को फचाने का प्रमास

(ग) कौन सी ववशेषता ऩॊडयी गाॉव के मव


ु ाओॊ की नहीॊ है :

(i) सचेत हैं

(ii) लशऺा के प्रनत सजग हैं

(iii) ववकास से वॊचचत हैं

(iv) खेती के लरए नए अनस


ु ॊधान कयते हैं
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Bard Paper – 2016

(घ) "भगय साभाजजकता का रोऩ-सा होने रगा है," – का बाव है :

(i) साभाजजक सयोकायों का अबाव

(ii) भयने-जीने ऩय एकता ददखती है

(iii) साॊस्कृनतक ऻान का आबाव

(iv) सौहार्द्य ऩण
ू य व्मवहाय

(ङ) गदमाॊश के लरए शीषयक है :


(i) भगहय से कुशीनगय

(ii) हभायी मात्रा हभाया दे श

(iii) सयमू से फागभती तक

(iv) कफीय की अनऩ


ु भ थाती

प्र.2. उन ददनों भैं अऩने छात्रों को आनव


ु ॊलशक ऩढ़ामा कयता था। उस सभम भैं
भाॊसऩेलशमों की कभजोरयमों ऩय बी कुछ प्रमोग कय यहा था। इन प्रमोगों से
ही ‘एवऩजेनदे टक्स’ की ववधा ननकर कय आई थी। भैं भर
ू कोलशकाओॊ के
प्रनतरूऩ तैमाय कयता था। मे भर
ू कोलशका की एकदभ ठीक नकर होते थे।
इन प्रनतरूऩी कोलशकाओॊ को भैं एक-एक कय के अरग कयता औय उन्हें
अरग-अरग वातावयण भें यखता, अरग-अरग फतयनों भें।
इस सॊस्काय भें यखी कोलशकाओॊ हय 10-12 घॊटे भें ववबाजजत होती हैं, एक
से दो हो जाती हैं। कपय अगरे 10-12 घॊटे भें दो से चाय, औय कपय चाय से
आठ। इसी तयह दो हफ्ते भें हजायों कोलशकाएॉ तैमाय होतीॊ। कपय भैंने तीन
लबन्न वातावयण भें कोलशकाओॊ की तीन लबन्न फजस्तमाॉ तैमाय कीॊ। इन
‘फजस्तमों’ का यासामननक वातावयण एकदभ अरग-अरग था। ठीक कुछ वैसे
ही जैसे हय व्मजक्त के शयीय का वातावयण अरग हटा है औय एक ही शयीय
के बीतय बी कई तयह के वातावयण होते हैं। अरग-अरग वातावयण भें बी
यखी गई इन कोलशकाओॊ का ‘डी.एन.ए.’ तो एकदभ सभान था। उनका
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Bard Paper – 2016

ऩमायवयण, उनका वातावयण लबन्न था। जल्दी ही इस प्रमोग के नतीजे साभने


आने रगे।
एक फतयन भें उन्हीॊ कोलशकाओॊ ने हड्डी का रूऩ रे लरमा था, एक भें
भाॊसऩेशी का औय तीसये फतयन भें कोलशकाओॊ ने वसा मा चफी का रूऩ रे
लरमा। मह प्रमोग इस सवार का जफाफ ढूॉढ़ने के लरए ककमा था कक
कोलशकाओॊ ककस्भत कैसे तम होती है। सायी कोलशकाएॉ एक ही भर
ू से
ननकरी थीॊ। तो नए लसये से मह लसद्ध हुआ कक कोलशकाओॊ की आनवु ॊलशकी
ननमनत तम नहीॊ कयती है। जवाफ था; ऩरयवेश। ऩमायवयण। वातावयण।

(क) रेखक ने आनव


ु ॊलशकी के प्रमोग के लरए सवयप्रथभ क्मा ककमा?

(i) भर
ू कोलशकाओॊ के प्रनतरूऩ तैमाय कय लबन्न-लबन्न वातावयण भें
यखना

(ii) कोलशकाओॊ के सॊस्काय को सभझने का प्रमास

(iii) अऩने छात्रों को आनव


ु ॊलशकी का ‘ननमनतवाद’ ऩढ़ाना

(iv) 40 सार ऩहरे का इनतहास सभझाने का प्रमास

(ख) सॊस्काय भें यखी कोलशकाएॉ हय 10-12 घॊटे भें ववबाजजत होकय ककतनी हो
जाती हैं?

(i) चौगुनी

(ii) नतगुनी

(iii) दग
ु न
ु ी

(iv) हजाय गुनी


(ग) रेखक ने ककस प्रश्न का उत्तय सभझने के लरए मह प्रमोग ककमा था?

(i) कौन-सी कोलशकाएॉ हड्डी फनती हैं

(ii) कौन-सी कोलशकाएॉ भाॊसऩेशी का रूऩ रेती हैं

(iii) कोलशकाएॉ वसा भें कैसे फदरती हैं


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Bard Paper – 2016

(iv) कोलशकाओॊ की ककस्भत कैसे ननजश्चत होती है

(घ) प्रमोग से क्मा नतीजा ननकरा?

(i) कोलशकाओॊ की ननमनत तम कयने वारा घटक है – ऩरयवेश

(ii) कोलशकाओॊ की आनव


ु ॊलशकी (डी. एन. ए.) उनकी ननमनत तम कयती है

(iii) भानव का स्वबाव कोलशकाओॊ की ननमनत तम कयता है

(iv) सवोच्च सत्ता कोलशकाओॊ की ननमनत तम कयती है

(ङ) अऩने प्रमोग के दौयान रेखक तैमाय कयता था :

(i) भर
ू कोलशकाएॉ

(ii) नई भासॊऩेलशमाॉ

(iii) भर
ू कोलशकाओॊ की नकरें

(iv) लबत्र वातावयण

प्र. 3. ननम्नलरखखत काव्माॊश को ऩढ़कय ऩछ


ू े गए प्रश्नों के सही ववकल्ऩ चन
ु कय
लरखखए : 1 x 5 = 5

जफ फचऩन तम्
ु हायी गोद भें
आने से कतयाने रगे,
जफ भाॉ की कोख से झाॉकती ज ॊदगी
फाहय आने से घफयाने रगे,
सभझो कुछ गरत है ।
जफ तरवायें पूरों ऩय,
जोय आ भाने रगें
जफ भासभ
ू आॉखों भें
खौफ़ न य आने रगे

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Bard Paper – 2016

सभझो कुछ गरत है ।


जफ ककरकारयमाॊ सहभ जाएॉ
जफ तोतरी फोलरमाॉ, खाभोश हो जाएॉ, सभझो….
कुछ नहीॊ, फहुत कुछ गरत है ।
क्मोंकक जोय से फारयश होनी चादहए थी,
ऩयू ी दनु नमा भें, हय जगह, टऩकने चादहए थे आॉस,ू
योना चादहए था ऊऩय वारे को, आसभाॉ से पूट पूट कय।
शभय से झक
ु नी चादहए थीॊ, इॊसानी सभ्मता की गदय नें
शोक का नहीॊ, सोच का वक्त है
भातभ नहीॊ, सवारों का वक्त है ।
अगय इसके फाद बी सय उठा कय
खड़ा हो सकता है इॊसान
सभझो की फहुत कुछ गरत है ।

(क) भाॉ की कोख से झाॉकती जजॊदगी को घफयाहट क्मों हो सकती है?


(i) उसे फाहय की असयु ऺा का आबास हो यहा है
(ii) उसे प्रदष
ू ण को डय सता यहा है
(iii) उसे भाॉ ने फाहय की वास्तववकता फताई है
(iv) फाहय का भौसभ अनक
ु ू र नहीॊ है

(ख) जफ तरवायें पूरों ऩय जोय आ भाने रगें, जफ भासभ


ू आॉखों भें खौफ़
न य आने-रगे का तात्ऩमय है :
(i) जफ भासभ
ू ों ऩय अत्माचाय होने रगे
(ii) भानव अऩने स्वाथय के लरए उदमान उजाड़ने रगे
(iii) जफ भासभ
ू फच्चों को बम के बफना यहना ऩड़े
(iv) जफ भासभ
ू आऩस भें रड़ने रगें

(ग) कवव के अनस


ु ाय फहुत गरत कफ है ?
(i) जफ ओस तरवाय की नोक ऩय चगये

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(ii) जफ भासभ
ू सहभ जाएॉ
(iii) जफ फचऩन सभाजतत की कगाय ऩय हो
(iv) जफ ककरकारयमों की गज
ॉू खाभोश हो जाए

(घ) कुछ बी गरत नहीॊ है, मदद :


(i) फचऩन गोद भें आने रगे
(ii) फच्चों ऩय अत्माचाय होने रगे
(iii) फार श्रभ फढ़ जाए
(iv) भ्रण
ू हत्मा होने रगे

(ङ) कवव के अनस


ु ाय अबी ककसका वक्त है :

(i) सोच-ववचाय का
(ii) दख
ु भनाने का
(iii) उत्सव भनाने का
(iv) भासभ
ू ों का

प्र. 4. ननम्नलरखखत काव्माॊश को ऩढ़कय ऩछ


ू े गए प्रश्नों के सही ववकल्ऩ चन
ु कय
लरखखए : 1 x 5 = 5
थोड़े से फच्चों के लरए
एक फगीचा है
उनके ऩाॉव दफ
ू ऩय ऩड़ यहे हैं
असॊख्म फच्चों के लरए
कीचड़, धर
ू औय गॊदगी से ऩटी
गलरमाॉ हैं जजनभें वे
अऩना बववष्म फीन यहे हैं।
कववता भें आगे दो दृश्म औय आते हैं-
एक भे है
लसफ़य छह फच्चों के लरए
औय उनके साभने
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Bard Paper – 2016

उतने ही अॊडे औय सेफ हैं


एक कटोयदान है सौ फच्चों के फीच
औय ह ायों फच्चे
एक हाथ भें यखी आधी योटी को
दस
ू ये से तोड़ यहे हैं।
ईश्वेय होता तो इतनी दे य भें उसकी दे ह कोढ़ से गरने रगती
सत्म होता तो वह अऩनी न्मामाधीश की
कुसी से उतयकय जरती सराखें आॉखों भें खऩ
ु स रेता,
सॊद
ु य होता तो वह अऩने चेहये ऩय
ते ाफ ऩोत अॊधे कॉु ए भें कूद गमा होता रेककन ……….
महाॉ दृश्म भें
लसफ़य कुछ छऩे हुए शब्द हैं
चाऩरसू ी की नाॉद भें
औय भजस्तष्क भें कारे गखणत का
ऩैफॊद है ।

(क) दफ
ू ऩय ऩड़ने वारे ऩाॉव ककन फच्चों के हो सकते हैं?
(i) जो अबी फहुत छोटे हैं
(ii) जो सभद्ध
ृ ऩरयवाय से हैं
(iii) जो लशक्षऺत ऩरयवाय से हैं
(iv) जो गयीफ ऩरयवाय से हैं

(ख) ‘वे अऩना बववष्म फीन यहे हैं’ का तात्ऩमय है :


(i) कूड़ा फीन कय गयीफ फच्चे जीवन चराते हैं
(ii) वे कूड़े भें यहते हैं
(iii) असॊख्म फच्चे सख
ु नहीॊ ऩाते
(iv) गलरमों भें फच्चे अऩना बववष्म फनाते हैं

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Bard Paper – 2016

(ग) एक भे है/ लसफ़य छह फच्चों के लरए/औय उनके साभने/उतने ही अॊडे


औय उतने ही सेफ हैं/ एक कटोयदान है सौ फच्चों के फीच/ औय हजायों
फच्चे एक हाथ भें यखी आधी योटी को/ दस
ू ये से तोड़ यहे हैं
उऩमक्
ुय त ऩॊजक्तमों भें कवव ककस असभानता की फात कय यहा है?
(i) धालभयक असभानता
(ii) साभाजजक असभानता
(iii) आचथयक असभानता
(iv) शैक्षऺक असभानता

(घ) कवव ककस फात से ननयाश हो गमा है ?


(i) नैनतक भल्
ू म कहीॊ खो गए हैं
(ii) असीभ सत्ता को रोग ऩहचानते नहीॊ
(iii) न्माम ऩाने के लरए रॊफी प्रतीऺा कयनी ऩड़ती है
(iv) फच्चों की ऩोशाकों भें बी फहुत अॊतय है

(ङ) कवव हभें ककस वास्तववकता से ऩरयचचत कयवाता है :


(i) सभाज भें असभानताएॉ हैं औय ईश्वय को चचॊता नहीॊ है
(ii) फातें लसफ़य काग ी हैं, चाऩरस
ू ी औय जोड़-तोड़ का धॊधा पर-पूर
यहा है
(iii) मदद सत्म होता तो सच भें न्मामाधीश अऩना काभ कयते
(iv) फहुत से फच्चे होटरों भें काभ कयने को भजफयू हैं

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खॊड–‘ख’
प्र. 5. ननदे शानस
ु ाय दीजजए : 1 x 3 = 3

(क) एक तभ
ु ने ही इस जाद ू ऩय ववजम प्रातत की है। (वाक्म-बेद लरखखए)
उत्तय : सयर वाक्म
(ख) एक भोटयकाय उनकी दक
ु ान के साभने आकय रुकी। (सॊमक्
ु त वाक्म भें
फदलरए)
उत्तय : एक भोटय आई औय उनकी दक
ु ान के साभने आकय रुकी।
(ग) सबी ववदमाथी कवव-सम्भेरन भें सभम से ऩहुॉचे औय शाॊनत से फैठे
यहे । (लभचश्रत वाक्म भें फदलरए)
उत्तय : जैसे ही ववदमाथी कवव-सम्भेरन भें सभम से ऩहुॉच,े वैसे ही
शाॊनत से फैठ गए।

प्र. 6. ननदे शानस


ु ाय वाच्म-ऩरयवतयन कीजजए : 1 x 4 = 4
(क) भेये दवाया सभम की ऩाफॊदी ऩय ननफॊध लरखा गमा। (कृतयवाच्म भें )
उत्तय : भैंने सभम की ऩाफॊदी ऩय ननफॊध लरखा।
(ख) भेये लभत्र से चरा नहीॊ जाता। (कृतयवाच्म भें)
उत्तय : भेया लभत्र चर नहीॊ सकता ।
(ग) उनके साभने कौन फोर सकेगा? (बाववाचक भें)
उत्तय : उनके साभने ककसके दवाया फोरा जाएगा।
(घ) बाई साहफ ने भझ
ु े ऩतॊग दी। (कभयवाच्म भें )
उत्तय : बाई साहफ दवाया भझ
ु े ऩतॊग दी जाती है ।

प्र. 7. ये खाॊककत ऩदों का ऩद-ऩरयचम दीजजए : 1 x 4 = 4


सयु े श, मदद भैं फीभाय हो जाऊॉ तो घय की व्मवस्था रुक जाएगी।
उत्तय : सयु े श - सॊऻा, व्मजक्तवाचक, ऩजु ल्रॊग, एकवचन।
भैं – सवयनाभ, उत्तभ ऩरु
ु ष, ऩजु ल्रॊग, एकवचन।
घय की – जानतवाचक सॊऻा, एकवचन, ऩजु ल्रॊग, सॊफॊध कायक।
रुक जाएगी - कक्रमा, अकभयक, स्त्रीलरॊग,एकवचन, वतयभानकार।

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प्र. 8. काव्माॊश ऩढ़कय यस ऩहचानकय लरखखए : 1 x 3 = 3


(क) एक ऩर, भेयी वप्रमा के दृग - ऩरक,
थे उठे – ऊऩय, सहज नीचे चगये।
चऩरता ने इस ववकॊवऩत ऩर
ु क से,
दृढ़ ककमा भानो प्रणम – सॊफॊध था।
उत्तय : श्रॊग
ृ ाय यस
(ख) वीय यस का स्थामीबाव है?
उत्तय: उत्साह
(ग) बम ककस यस का स्थामीबाव है?
उत्तय : बमानक यस
(घ) ननम्नलरखखत काव्माॊश भें कौन-सा स्थामी बाव है ?
जसोदा हरय ऩारने झर
ु ावै।
हरयावै, दर
ु यावै, भल्हावै, जोई-सोई कछु गावै।
उत्तय : वात्सल्म

खण्ड ग

प्र.9. ननम्नलरखखत गदमाॊश के आधाय ऩय ऩछ


ू े गए प्रश्नों के उत्तय लरखखए :
2+2+1 = 5

शहनाई औय डुभयाॉव एक – दस
ू ये के लरए उऩमोगी हैं। शहनाई फजाने के लरए
यीड का प्रमोग होता है। रयस अॊदय से ऩोरी शहनाई होती है जजसके सहाये
शहनाई को पॉू का जाता है। यीड, नयकट (एक प्रकाय की घास) से फनाई जाती
है जो डुभयाॉव भें भख्
ु मत् सोन नदी के ककनायों ऩय ऩाई जाती है। इतनी ही
भहत्ता है इस सभम डुभयाॉव की जजसके कायण शहनाई जैसा वादम फजता
है । कपय अभीरुद्दीन जो हभ सफके वप्रम हैं, अऩने उस्ताद बफजस्भल्रा खाॉ
साहफ हैं। उनका जन्भ – स्थान बी डुभयाॉव ही है। इनके ऩयदादा उस्ताद
सराय हुसन
ै खाॉ डुभयाॉव ननवासी थे। बफजस्भल्रा खाॉ उस्ताद ऩैगॊफयफख्श खाॉ
औय लभट्ठन के छोटे साहफजादे हैं।

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(क) शहनाई औय डुभयाॉव एक – दस


ू ये के ऩयू क हैं, कैसे?
उत्तय : भशहूय शहनाई वादक "बफजस्भल्रा खाॉ" का जन्भ डुभयाॉव गाॉव
भें ही हुआ था। इसके अरावा शहनाई फजाने के लरए यीड का
प्रमोग होता है । यीड अॊदय से ऩोरी होती है, जजसके सहाये
शहनाई को पॉू का जाता है । यीड, नयकट से फनाई जाती है जो
डुभयाॉव भें भख्
ु मत: सोन नदी के ककनाये ऩाई जाती है । इसी
कायण शहनाई औय डुभयाॉव एक – दस
ू ये के ऩयू क हैं।
(ख) महाॉ यीड के फाये भे क्मा – क्मा जानकारयमाॉ लभरती हैं?
उत्तय : शहनाई फजाने के लरए यीड का प्रमोग होता है । यीड अॊदय से
ऩोरी होती है, जजसके सहाये शहनाई को पॉू का जाता है । यीड,
नयकट से फनाई जाती है ।

(ग) अभीरुद्दीन के भाता-वऩता कौन थे?


उत्तय : बफजस्भल्रा खाॉ उस्ताद ऩैगॊफयफख्श खाॉ औय लभट्ठन के छोटे
साहफजादे हैं।

प्र. 10. ननम्नलरखखत प्रश्नों के उत्तय सॊऺेऩ भें लरखखए : 25=10

(क) ‘भन्नू बॊडायी की भाॉ त्माग औय धैमय की ऩयाकाष्ठा थी – कपय बी


रेखखका के लरए आदशय न फन सकी।‘ क्मों?
उत्तय : रेखखका के अनस
ु ाय उनकी भाॉ का उनके वऩता से हटकय कोई
स्वतॊत्र व्मजक्तत्व नहीॊ था वे हय सभम उनके वऩताजी की डाॉट-
पटकाय को चऩ
ु चाऩ सन
ु रेती थी। रेखखका की भाॉ की जीवन
सदै व घय की चाहयदीवायी से ही सफद्ध यहा इसलरए रेखखका ने
ऐसा कहा है कक बरे उनकी भाॉ त्माग औय धैमय की ऩयाकाष्ठा
यही हो ऩयॊ तु उनके लरए वे कबी आदशय नहीॊ फन ऩाई।

(ख) भन्नू बॊडायी की ऐसी कौन सी खुशी थी जो 15 अगस्त, 1947


की खश
ु ी भें सभाकय यह गई?

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उत्तय : भन्नू बॊडायी की कॉरेज की अध्मावऩका शीरा अग्रवार ऩय


छात्राओॊ को बड़काने औय अनश
ु ासन बफगाड़ने के लरए नोदटस
ददमा गमा था। इस फात को रेकय कॉरेज भें कोई हुडदॊ ग न
हो इसलरए थडय इमय की क्रास को फॊद कय ददमा गमा औय
इसके साथ ही भन्नू बॊडायी औय औय दो-तीन अन्म छात्राओॊ
का कऺा भें प्रवेश बी ननवषद्ध कय ददमा गमा। भन्नू बॊडायी ने
इस फात ऩय इतना हुडदॊ ग भचामा कक भजफयू न थडय इमय की
कऺा को शरू
ु कयना ऩड़ा। रेककन भन्नू बॊडायी की मह खशु ी
आ ादी लभरने की खुशी भें सभाकय यह गई।

(ख) ‘जस्त्रमाॉ शैक्षऺक दृजष्ट से ऩरु


ु षों से कभ नहीॊ हैं, - इसके लरए भहावीय
प्रसाद दवववेदी ने क्मा उदाहयण ददए हैं? ककन्हीॊ दो का उल्रेख
कीजजए।
उत्तय : 1. अबत्र की ऩत्नी ऩत्नी-धभय ऩय व्माख्मान दे ते सभम घॊटो
ऩाॊडडत्म प्रकट कय सकती थीॊ।
2.गागी फड़े-फड़े ब्रह्भवाददमों को हया दे ती थीॊ।
3.भॊडन लभश्र की सहधभयचारयणी ने शॊकयाचामय के बी छक्के
छुड़ा ददए थे।
इन उदाहयणों से ऩता चरता है कक जस्त्रमाॉ शैक्षऺक दृजष्ट से
ऩरु
ु षों से कभ नहीॊ हैं।

(ग)‘भहावीय प्रसाद दवववेदी का ननफॊध उनकी खुरी सोच औय दयू दलशयता का


ऩरयचामक है’, कैसे?
उत्तय : भहावीय प्रसाद दवववेदी जी ने ननफॊध के भाध्मभ से मे स्ऩष्ट
हो जाता है कक उनकी सोच ककतनी दयू गाभी थी। उस सभम
सभाज भें स्त्री लशऺा ऩय प्रनतफॊध था। उन्होंने स्त्री लशऺा के
भहत्त्व को सभाज के साभने यखा। वे जानते थे कक घय की
स्त्री के लशक्षऺत होने ऩय ऩयू ा सभाज लशक्षऺत हो सकेगा औय
याष्र उन्ननत कये गा आज सभाज भें, जस्त्रमों भें फहुत फदराव

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CBSE - X | HINDI

Bard Paper – 2016

आमा है । आज की जस्त्रमाॉ ऩरु


ु षों के सभान हैं। मे साये
ऩरयवतयन ऐसी ही सोच का ऩरयणाभ है।

(ङ)‘सॊस्कृनत’ ऩाठ भें रेखक ने आग औय सई


ु -धागे के अववष्कायों से क्मा
स्ऩष्ट ककमा है?
उत्तय : सॊस्कृनत ऩाठ भें रेखक ने आग औय सई
ु धागे के आववष्काय
से सभ्मता औय सॊस्कृनत के जन्भ को स्ऩष्ट ककमा है। आग
औय सई
ु धागा व्मजक्त ववशेष के आववष्काय से सॊस्कृनत का
जन्भ हुआ औय उस सॊस्कृनत से भानव ने जो अऩने औय
अन्म रोगों के लरए आववष्काय ककमा उससे सभ्मता का
जन्भ हुआ।

प्र. 11. ननम्नलरखखत काव्माॊश के आधाय ऩय ददए गए प्रश्नों के उत्तय लरखखए :


2+2+1=5

छामा भत छूना,
भन, होगा दख
ु दन
ू ा।
जीवन भें हैं, सयु ॊ ग सचु धमाॉ सह
ु ावनी
छववमों की चचत्र-गॊध पैरी भनबावनी,
तन-सग
ु न्धतशेष यही, फीत गई मालभनी,
कॊु तर के पूरों की माद फनी चाॉदनी।
बर
ू ी-सी एक छुअन फनता हय जीववत ऺण-
छामा भत छना
भन, होगा दख
ु दन
ू ा।
(क) ‘छामा भत छूना’ – कवव ने ऐसा क्मों कहा?
उत्तय : छामा भत छूना’ कववता भें छामा शब्द का प्रमोग सख
ु द
अनब
ु नू त के लरए ककमा है । कवव ने भानव की काभनाओॊ-
रारसाओॊ के ऩीछे बागने की प्रवजृ त्त को दख
ु दामी भाना है ।
हभ ववगत स्भनृ तमों के सहाये नहीॊ जी सकते, हभें वतयभान

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CBSE - X | HINDI

Bard Paper – 2016

भें जीना है । अऩने वतयभान के कदठन ऩरों को फीते हुए ऩरों


की स्भनृ त के साथ जोड़ना हभाये लरए फहुत कष्टऩणू य हो
सकता है । वह भधयु स्भनृ त हभें कभ ोय फनाकय हभाये दख

को औय बी कष्टदामक फना दे ती है ।

(ख) ‘छववमों की चचत्र-गॊध पैरी भनबावनी’ का क्मा तात्ऩमय है?


उत्तय : छववमों की चचत्र-गॊध पैरी भनबावनी’ से तात्ऩमय यॊ ग-बफयॊ गी
मादों से हैं।

(ग)‘कॊु तर के पूरों की माद फनी चाॉदनीॊ’ भें कवव को कौन सी मादें


कचोटती हैं?
उत्तय : महाॉ ऩय वप्रमतभ को प्रेमसी के साथ जो ऺण बफताए थे वे
मादें कचोटती है।

प्र. 12. ननम्नलरखखत प्रश्नों के उत्तय सॊऺेऩ भें लरखखए : 2 x 5 = 10

(क) ‘गाचधसन
ू ’ु ककसे कहा गमा है? वे भनु न की ककस फात ऩय भन ही भन
भस्
ु कया यहे थे?
उत्तय : ‘गाचधसन
ू ’ु महाॉ ऩय ववश्वालभत्र को कहा गमा है। ववश्वालभत्र
रृदम भें भस्
ु कुयाते हुए ऩयशयु ाभ की फवु द्ध ऩय तयस खाते हुए
भन ही भन कहते हैं कक ऩयशयु ाभ जी को चायों ओय हया ही
हया ददखाई दे यहा है। जजन्हें मे गन्ने की खाॉड़ सभझ यहे हैं
वे तो रोहे से फनी तरवाय (खड़ग) की बाॉनत हैं। इस सभम
ऩयशयु ाभ की जस्थनत सावन के अॊधे की बाॉनत हो गई है ।
जजन्हें चायों ओय हया ही हया ददखाई दे यहा है अथायत ् उनकी
सभझ अबी क्रोध व अहॊ काय के वश भें है ।

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CBSE - X | HINDI

Bard Paper – 2016

(ख) स्वमॊवय स्थर ऩय लशवधनष


ु तोड़ने वारे को ऩयशयु ाभ ने ककस प्रकाय
धभकामा?
उत्तय : स्वमॊवय स्थर ऩय लशवधनष
ु तोड़ने वारे को ऩयशयु ाभ ने
धभकामा कक जजस ककसी ने बी उनके आयाध्म दे व का मह
धनष ु तोड़ा है, वह उनके लरए सहस्त्रफाहु के सभान उनका
शत्रु है । धनष
ु तोड़ने वारा व्मजक्त सबा स्थर से अरग हो
जाम अन्मथा सबी को उनके कोऩ का बाजन फनना होगा।

(ग) ‘फेटी, अबी समानी नहीॊ थीॊ’ – भें भाॉ की चचॊता क्मा है? ‘ कन्मादान’
कववता के आधाय ऩय लरखखए।
उत्तय : महाॉ ऩय भाॉ की चचॊता फेटी के समानी अथायत ् सभझदाय न
होने को रेकय है। फेटी अबी समानी नहीॊ थी, उसकी उम्र बी
कभ थी औय वह सभाज भें व्मातत फयु ाईमों से अॊजान थी।
भाॉ की चचॊता मह बी है कक बोरी औय सयर होने के कायण
वह ससयु ार भें कैसे यहे गी औय कहीॊ उसकी की फेटी का
जीवन चल्
ू हा-चौकी तक ही न लसभट जाए।

(ड.)‘कन्मादान’ कववता भें फेटी को ‘अॊनतभ ऩॉज


ू ी’ क्मों कहा गमा है?
उत्तय : वह फचऩन से अऩनी ऩत्र
ु ी को सॉबारकय उसका ऩारन-ऩोषण
एक सॊचचत ऩॉज
ू ी की तयह कयती है । जफ इस ऩॉज
ू ी अथायत ्
फेटी का कन्मादान कये गी तो उसके ऩास कुछ नहीॊ फचेगा।
इसलरए भाॉ को अऩनी फेटी अॊनतभ ऩॉज
ू ी रगती है ।

(घ) सॊगतकाय भें त्माग की उत्कट बावना बयी है – ऩजु ष्ट कीजजए।
उत्तय : ककसी बी ऺेत्र भें सॊगतकाय की ऩॊजक्त वारे रोग प्रनतबावान
होते हुए बी भख्
ु म मा शीषय स्थान ऩय नहीॊ ऩहुॉच ऩाते क्मोंकक
सॊगतकाय जफ भख् ु म गामक के ऩीछे -ऩीछे गाता है, वह अऩनी

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CBSE - X | HINDI

Bard Paper – 2016

आवा को भख्
ु म गामक की आवा से अचधक ऊॉचें स्वय भें
नहीॊ जाने दे ते ताकक भख्
ु म गामक की भहत्ता कभ न हो
जाए। मही दहचक (सॊकोच) उसके गामन भें झरक जाती है ।
वह ककतना बी उत्तभ हो ऩयन्तु स्वमॊ को भख्
ु म गामक से
कभ ही यखता है । मह उसकी असपरता का प्रभाण नहीॊ
अवऩतु उसकी भनष्ु मता का प्रभाण है कक वह शजक्त औय
प्रनतबा के यहते हुए स्वमॊ को ऊॉचा नहीॊ उठाता, फजल्क अऩने
गरुु औय स्वाभी को भहत्त्व दे ने की कोलशश कयता है ।

प्र.13. ‘ककतना कभ रेकय मे सभाज को ककतना अचधक वाऩस रौटा दे ती हैं।'


‘सना-सना हाथ जोडड’ ऩाठ के इस कथन भें ननदहत जीवनभल्
ू मों को स्ऩष्ट
कीजजए औय फताइए कक दे श की प्रगनत भें नागरयक की क्मा बलू भका है? 5
उत्तय : ऩत्थयों ऩय फैठकय श्रलभक भदहराएॉ ऩत्थय तोड़ती हैं।
उनके हाथों भें कुदार व हथौड़े होते हैं। कइमों की ऩीठ ऩय फॉधी
टोकयी भें उनके फच्चे बी फॉधे यहते हैं औय वे काभ कयते यहते हैं।
हये -बये फागानों भें मव
ु नतमाॉ फोकु ऩहने चाम की ऩजत्तमाॉ तोड़ती
हैं। फच्चे बी अऩनी भाॉ के साथ काभ कयते हैं। इन्हीॊ की बाॉनत
आभ जनता बी अऩनी भर
ू बत
ू आवश्मकताओॊ की ऩनू तय के प्रमास
भें जीववका रूऩ भें दे श औय सभाज के लरए फहुत कुछ कयते हैं।
सड़कें, ऩहाड़ी भागय, नददमों, ऩर
ु आदद फनाना। खेतों भें अन्न
उऩजाना, कऩड़ा फन
ु ना, खानों, कायखानों भें कामय कयके अऩनी
सेवाओॊ से याष्र आचथयक सदृढ़ता प्रदान कयके उसकी यीढ़ की हड्डी
को भजफत
ू फनाते हैं। हभाये दे श की आभ जनता जजतना श्रभ
कयती है, उसे उसका आधा बी प्रातत नहीॊ होता ऩयन्तु कपय बी वो
असाध्म कामय को अऩना कतयव्म सभझ कय कयते हैं। वो सभाज
का कल्माण कयते हैं ऩयन्तु फदरे भें उन्हें स्वमॊ नाभभात्र का ही
अॊश प्रातत होता है। दे श की प्रगनत का आधाय महीॊ आभ जनता है
जजसके प्रनत सकायात्भक आत्भीम बावना बी नहीॊ होती। मदद मे
आभ जनता ना हो तो दे श की प्रगनत का ऩदहमा रुक जाएगा।

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CBSE - X | HINDI

Bard Paper – 2016

खण्ड घ

प्र. 14. ककसी एक ववषम ऩय ददए गए सॊकेत-बफॊदओ


ु ॊ के आधाय ऩय रगबग 250
शब्दों भें ननफॊध लरखखए :

(क) सपरता की कॊु जी : भन की एकाग्रता

 भन की एकाग्रता क्मा औय क्मों

 सपरता की कॊु जी

 सतत अभ्मास

ककसी ववदवान ने क्मा खफ


ू कहा है - “भन के हाये हाय भन के जीते जीत
है ” इस वाक्म का मदद आऩ गहयाई से अवरोकन कयें तो इस वाक्म की
साथयकता का ऩता चरता है कक भन ककतना शजक्तशारी है जो ककसी को
बी ऩयाजजत मा ववजमी कय सकता है । औय मे वास्तववकता बी है कक
हभाया भन ऐसा कय सकता है क्मोंकक हभाये शास्त्रों भें भन को ही फॊधन
औय भन को ही भजु क्त का कायण भाना गमा है । शद्ध
ु , शाॊत, ननभयर औय
जस्थय भन भनष्ु म को उत्कषय की ओय रे जाता है वही ऩय चॊचर, अजस्थय
कुरवषत एवॊ कुसॊस्कायों से बया हुआ भन भनष्ु म को ऩतन व ऩयाबव के
भागय ऩय धकेरता है ।
भनष्ु म का जीवन ऩरयवतयनशीर है जजस प्रकाय भौसभ भें फदराव दे खने
को लभरते हैं ठीक उसी प्रकाय भानव-जीवन भें ननयाशा-अवसाद, राब-
हानन, सपरता-असपरता आते औय जाते यहते हैं। कहने का तात्ऩमय मह
है कक भानव-जीवन भें कुछ बी जस्थय नहीॊ यहता। कबी तो कारे घटाओॊ
के फादर नघय आते हैं औय भनष्ु म अवसाद ग्रस्त हो जाता है ऩयॊ तु थोड़े
ही सभम के ऩश्चात सख
ु ों की फारयश के रूऩ भें भनभोहक इन्र्द्धनष
ु बी
भानव-जीवन भें आता है जीवन के इन्हीॊ कड़वे-भीठे अनब
ु वों से गज
ु यने
का नाभ जीवन है । इसलरए जीवन को जीने के लरए भानव को
सकायात्भक सोच को अऩनाना होगा। जहाॉ अच्छा वक्त हभें खुशी दे ता है,
वहीॊ फयु ा वक्त हभें आने वारे बववष्म के लरए सऺभ फनाता है । कुछ
रोग अऩनी ऩहरी ही असपरता ऩय हाय भान रेते हैं औय ननयाशा के
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CBSE - X | HINDI

Bard Paper – 2016

अॊधकाय भें खो जाते हैं। अब्राहभ लरॊकन के फाये भें कौन नहीॊ जानता उम्र
के 52 वषय भें वे अभेरयका के याष्रऩनत चन
ु े गए। क्मा वे चन
ु ाव हायने के
फाद ननयाश नहीॊ हुए होंगे? क्मा उन्हें अवसाद मा ननयाशा न घेया होगा?
जरुय उन्होंने ने बी इन सफ का साभना ककमा होगा ऩयॊ तु दहम्भत,
सहनशीरता औय आत्भववश्वास के कायण ही अॊत भें वे सपर हुए।
भनष्ु म ने जजस ऺण स्वमॊ को कभ ोय, राचाय औय ननफयर भहसस
ू कयना
शरू
ु कय ददमा सभझो उसी ऺण उसकी हाय ननजश्चत हो जाती है । भानव
को दो ववकल्ऩों के फीच सदै व चन
ु ाव कयना ऩड़ता है औय मह उसका
भानलसक स्तय, उसका वववेक है कक वह क्मा चन
ु ता है । भानलसक रूऩ से
सफर औय सचेत व्मजक्त सदै व आगे फढ़ने की फात कयता है उसके लरए
बाग्म जैसी फातें लसपय शब्द होते है उसे अऩने ऩरु
ु षाथय ऩय ववश्वास होता
है । वह ननयाशा भें बी आशा की ककयण खोज रेते है उनके लरए हय वक़्त
शरु
ु आत का वक़्त होता है ।

(ख) ऩजश्चभ की ओय फढ़ते कदभ

 ऩजश्चभ की चभक-धभक

 आकषयण के कायण

 फचाव

आज सभस्त ववश्व ऩाश्चात्म सॊस्कृनत का अनऩ


ु ारन आॉख भॊद
ू ें कय
कय यहा है, ऐसे भें बरा हभाये बायतवासी कहाॉ ऩीछे यहने वारे हैं।
अत् बायत भें बी ऩाश्चात्म सभ्मता-सॊस्कृनत का अनग
ु भन व
अनऩ
ु ारन बफना आगा-ऩीछे -सोचे धड़ल्रे से ककमा जा यहा है । रोग
इसके अनऩ
ु ारन कय स्वमॊ को आधनु नक एवॊ ववकलसत दे शों के
सभऺ भानने रगे हैं।

ऩाश्चात्म सॊस्कृनत का प्रबाव हभायी वेशबष


ू ा ऩय अचधक ददखाई
दे ता है । अनतश्मोजक्त नहीॊ होगी अगय मह कहा जाम कक न लसपय
मव
ु ा फजल्क फच्चे बी इस पैशन से अछूते नहीॊ हैं। आज हभ फच्चों

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CBSE - X | HINDI

Bard Paper – 2016

से रेकय फज
ु ुगों तक भें पैशन के प्रनत सजगता दे ख सकते हैं।
जजस तीव्रता से पैशन के प्रनत रोगों भें आकषयण फढ़ा है औय हय
फात को पैशन के नाभ ऩय सहजता से रेने का प्रमास होता वह
ननजश्चत रूऩ से शब
ु सॊकेत तो कतई नहीॊ है । पैशन को फढ़ावा
दे ने के अनेकों कायण हो सकते हैं। ऩयॊ तु हभाये दे श भें ऩजश्चभी
सभ्मता के कुछ ज्मादा ही प्रबाव है। हभ ऩजश्चभ की दे खा दे खी भें
अऩने वास्तववक ऩरयधानों औय वेशबष
ू ा को बर
ू ते जा यहे हैं। हभाये
ऩयु ाने औय ऩायॊ ऩरयक वस्त्र तो जैसे गामफ ही हो गए हैं।

आज हभायी खासकय मव
ु ा ऩीढ़ी पैशन की इस अॊधी होड़ भें अऩने
सॊस्काय, सभ्मता व सॊस्कृनत को शने-शने बर
ू ती जा यही।
शारीनता औय सादगी से उन्हें ऩयहे ज होता जा यहा है। अफ तो
हद मह हो गई है कक ऩरयधानों से आऩ रड़का औय रड़की भें
अॊतय बी नहीॊ कय ऩाते। आज तो रड़के बी कान नछदवाने औय
रॊफे फार यखने रगे हैं। रड़ककमाॉ बी रड़कों के सभान ही वेशबष
ू ा
धायण कयने रगी है। बायतीम ऩरयधानों को आउट डेटेट कहकय
नकाय दे ते हैं।

पैशन की इस प्रवत्ृ ती के कायण कई तयह के अऩयाध बी होते है


औय हभाये नैनतक भल्
ू मों का बी हास्र होता है। आज फड़े-फड़े
व्माऩारयक सॊस्थान राब कभाने हे तु ववलबन्न प्रकाय के पैशन से
सॊफॊचधत ववऻाऩन दे ते हैं। इसके प्रचाय-प्रसाय भें ऩबत्रकाएॉ,
टे रीववजन आदद बी ऩीछे नहीॊ यहते। चैनरों ऩय प्रसारयत होने वारे
पैशन सॊफॊचधत कामयक्रभों भें आऩजत्तजनक वेशबष
ू ा भें भॉडरों को
यैंऩ ऩय कैटवाक कयते हुए ददखामा जाता है। कपल्भों भें कहानी से
ज्मादा पैशन को प्रभख
ु ता से ददखामा जाना है । एक तयप जहाॉ
भदहराओॊ भें धायावादहकों के ऩात्रों के ऩरयधान औय डडजाइनय के
कऩड़े चचाय का केन्र्द् फनते तो दस
ू यी तयप मव
ु ाओॊ के फीच हय उस
नई आने वारी कपल्भों भें इस्तेभार ककमे गमे पैशनेफर कऩड़ें से
रेकय जूते मा कपय कोई नई तकनीक के इरेक्रोननक आइटभ चचाय

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CBSE - X | HINDI

Bard Paper – 2016

का केन्र्द् फनते। मे कुछ कायण है जजससे हभायी साभजजक औय


नैनतकभल्
ू मों का ऩतन होता है।

हभ मह नहीॊ कहते की ऩाश्चात्म सॊस्कृनत अऩनाने मोग्म है ही


नहीॊ। इसे अऩनी सॊस्कृनत के साथ तारभेर बफठाकय अऩनाएॉ।
ककसी बी चीज की अनत फयु ी होती औय वह हभाये ऩतन का कायण
फनती है अत: सोच-सभझकय इसे अऩनाएॉ।

(ग) इॊटयनैट का प्रबाव

 इॊटयनैट-क्मा है

 भानव भन ऩय प्रबाव

 सदऩ
ु मोग

ववऻान के अद्भत
ू चभत्कायों भें से एक कॊतमटू य औय इॊटयनेट की सवु वधा है ।
इस मगु की यीढ़ की हड्डी है इॊटयनेट। इॊटयनेट की सवु वधा ने ऻान के ऺेत्र
भें अद्भत
ू क्राॊनत रा दी है । हय ववषम ऩय जानकायी प्रातत कयना आसान हो
गमा है । आज इॊटयनेट ने दनु नमा को जोड़ने का कामय ककमा है । रोग भेर
के भाध्मभ से अऩने याज्म मा दे श से अन्म याज्म मा दे श भें जस्थत
कामायरम से सॊऩकय स्थावऩत कय सकते हैं। इससे आने जाने भें सभम नष्ट
नहीॊ होता औय कामय सच
ु ारू रूऩ से चरता यहता है । आज इॊटयनेट ऩय दे श-
ववदे श की जानकायी, खेर, भौसभ, कपल्भ, वववाह कयवाने, नौकयी कयने,
दटकट फकु कॊग, खयीदायी सफकुछ फड़ी सहजता से सॊबव हो जाता है । फैंकों,
बफर, सच
ू ना सॊफॊधी आवश्मकताओॊ के लरए रोगों को रॊफी कताय भें खड़े
होने की आवश्मकता नहीॊ यही है । सफ कॊतमट
ू य के भाध्मभ से ककमा जा
सकता है । ववऻान की तयह इॊटयनेट वयदान बी है औय अलबशाऩ बी।
इसका दरु
ु ऩमोग बी होता है - वाइयस, अश्रीर तस्वीयें बेजना, फेंक भें से
ऩैसे ननकार रेना आदद। सबी को इॊटयनेट के साथ-साथ उसका उचचत
उऩमोग कयने के लरए प्रेरयत कयना चादहए। इसकी अननवामयता औय भहत्ता
को दे खते हुए आज सबी के लरए इसकी जानकायी प्रातत कयना तथा इसका

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CBSE - X | HINDI

Bard Paper – 2016

प्रमोग सीखना आवश्मक होता जा यहा है । इसके प्रलशऺण की सवु वधाएॉ


आज ववदमारमों, कॉरेजों तथा अनेक ननजी सॊस्थानों भें उऩरब्ध है ।

प्र.15. तराजस्टक की चीजों से हो यही हानन के फाये भें ककसी सभाचाय ऩत्र के
सॊऩादक को ऩत्र के सॊऩादक को ऩत्र लरखकय अऩने सझाव
ु दीजजए। 5

अथवा

तेजजस्वन आऩका लभत्र है औय उसने नेशनर स्तय ऩय ऊॉजी कूद भें स्वणय
ऩदक प्रातत कय दे श का नाभ योशन ककमा है, उसे फधाई दे ते हुए ऩत्र
लरखखए।

याभरोदहमा बवन
याभ रोदहमा भागय
जफरऩयु
ददनाॉक – 2 जनवयी 2016
सेवा भें ,
सॊऩादक भहोदम,
नवबायत टाईम्स
भॊफ
ु ई
ववषम : तराजस्टक वस्तुओॊ से होने वारी हाननमों से अवगत कयाने हे तु ऩत्र।

भहोदम

भैं आऩके प्रनतजष्ठत सभाचाय ऩत्र दवाया आभ नागरयकों का ध्मान तराजस्टक


वस्तुओॊ से होने वारी हाननमों की ओय आकवषयत कयना चाहता ह।ूॉ एक
अनभ
ु ान के भत
ु ाबफक हय सार धयती ऩय 500 बफलरमन से ज्मादा ऩॉरीचथन
फैग्स इस्तेभार भें राए जाते हैं। ऩमायवयण को नक
ु सान ऩहुॉचाने के अरावा
ऩॉरीचथन फैग्स हय सार फड़ी सॊख्मा भें नदी-नारों से होते हुए सभर्द्
ु भें लभर
यहे हैं। इससे सभर्द्
ु के बीतय कई जीव-जॊतु खुद का फचाव कयने के लरए
अऩने रयमामशी ऺेत्रों से ऩरामन कय यहे हैं। नतीजा, जीव जॊतुओॊ की कई
प्रजानतमाॉ दर
ु ब
य होती जा यही है ।
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CBSE - X | HINDI

Bard Paper – 2016

तराजस्टक थैलरमों का ननऩटान मदद सही ढॊ ग से नहीॊ ककमा जाता है तो वे


जर ननकास (नारी) प्रणारी भें अऩना स्थान फना रेती हैं, जजसके
परस्वरूऩ नालरमों भें अवयोध ऩैदा होकय ऩमायवयण को अस्वास््मकय फना
दे ती हैं। इससे जरवाही फीभारयमों बी ऩैदा होती हैं। रय-साइककर ककमे गए
अथवा यॊ गीन तराजस्टक थैरों भें कनतऩम ऐसे यसामन होते हैं जो ननथय कय
जभीन भें ऩहुॉच जाते हैं औय इससे लभट्टी औय बग
ू बीम जर ववषाक्त फन
सकता है । तराजस्टक की कुछ थैलरमों जजनभें फचा हुआ खाना ऩड़ा होता है,
अथवा जो अन्म प्रकाय के कचये भें जाकय गड-भड हो जाती हैं, उन्हें प्राम:
ऩशु अऩना आहाय फना रेते हैं, जजसके नतीजे नक
ु सान दामक हो सकते हैं।
चॊकू क तराजस्टक एक ऐसा ऩदाथय है जो सहज रूऩ से लभट्टी भें घर
ु -लभर नहीॊ
सकता औय स्वबाव से अप्रबावनीम होता है, उसे मदद लभट्टी भें छोड़ ददमा
जाए तो बग
ू बीम जर की रयचाजजिंग को योक सकता है । इसके अरावा,
तराजस्टक उत्ऩादों के गुणों के सध
ु ाय के लरमे औय उनको लभट्टी से घर
ु नशीर
फनाने के इयादे से जो यासामननक ऩदाथय औय यॊ ग आदद उनभें आभतौय ऩय
लभराए जाते हैं, वे प्राम: स्वास््म ऩय फयु ा प्रबाव डारते हैं।

अत: आऩसे भेया ननवेदन है कक इस रेख को आऩ अऩने ऩत्र भें स्थान दें
जजससे हभ अऩनी ओय से आने वारे बववष्म के प्रनत कुछ जजम्भेदायी ननबा
सकें।
बवदीम
बष
ू ण ऩाॊडे

अथवा

नेहरू छात्रावास
ददल्री ऩजब्रक स्कूर
नई ददल्री
ददनाॉक-30 भाचय 2016
वप्रम तेजजस्वन
भधयु स्नेह
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Bard Paper – 2016

ऩत्र दे य से लरखने के लरए ऺभा चाहता ह।ूॉ तुभ तो जानते ही हो कक भेयी


वावषयक ऩयीऺा चर यही थी। जजसके कायण भें तुम्हें ऩत्र नहीॊ लरख ऩामा।
मह ऩत्र भैंने तुम्हें नेशनर स्तय ऩय ऊॉजी कूद भें स्वणय ऩदक प्रातत कयने
ऩय फधाई दे ने के लरए लरखा है। सचभच
ु लभत्र उस ददन अखफाय भें तुम्हाया
नाभ ऩढ़कय गवय से भेयी छाती पूर गई। नेशनर स्तय ऩय इस तयह की
सपरता ऩय हभ सफको तभ
ु ऩय गवय है।
आशा कयता हूॉ कक बववष्म भें बी इसी तयह की सपरता की खफयें हभ तक
ऩहुॉचती यही। भेये छात्रावास के सहऩादठमों ने बी तम्
ु हें शब
ु काभनाएॉ बेजी हैं।
जल्द ही भैं तुभसे लभरने आऊॉगा औय साये दोस्त लभरकय दावत का
आमोजन कयें ग।े शेष लभरने ऩय।
तुम्हाया लभत्र
सौयब

प्र. 16. ननम्नलरखखत गदमाॊश का शीषयक लरखकय एक-नतहाई शब्दों भें साय
लरखखए : 5

वतयभान सभम भें प्रगनतशीर बायत के साभने जो सभस्माएॉ सयु सा के भॉह



की तयह भॉह
ु खोरे खड़ी हैं, उनभें फढ़ती जनसॊख्मा एक ववकयार सभस्मा
है । इसके साथ अन्म सभस्माएॉ बी हैं; आतॊकवाद, भ्रष्टाचाय, फेयोजगायी
आदद। इन सबी सभस्माओॊ भें जनसॊख्मा की सभस्मा कापी जदटर है।
तेजी से फढ़ती जनसॊख्मा के अनेक कायण हैं, जैसे – अलशऺा औय
अॊधववश्वास। अचधकतय रोग फच्चों को बगवान की दे न भानकय ऩरयवाय
ननमोजन को अऩनाना नहीॊ चाहते। इस सॊफॊध भें सयकाय दवाया अनेक
प्रमास ककए गए हैं। जनसॊचाय भाध्मभों दवाया ऩरयवाय ननमोजन के सॊफॊध
भें व्माऩक प्रचाय ककमा गमा है औय ककमा जा यहा है। अनेक सॊस्थाएॉ बी
इस ददशा भें कामय कय यहीॊ हैं, कपय बी आशानरू
ु ऩ सपरता नहीॊ लभर ऩाई
है । बायत की जनसॊख्मा ववश्व की कुर जनसॊख्मा का ऩाॉचवाॉ बाग है।
महाॉ हय वषय एक नमा आस्रे लरमा फन जाता है। अत: महाॉ कृवष के लरए
बलू भ का अबाव हो गमा है। आवास की फढ़ती हुई सभस्मा के कायण महाॉ

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CBSE - X | HINDI

Bard Paper – 2016

हये -बये जॊगरों के स्थान ऩय कॊकयीट के जॊगर फन यहे हैं। अभल्


ू म वन
सॊऩदा का ववनाश, दर
ु ब
य वनस्ऩनतमों का अबाव, वषाय ऩय घातक प्रबाव
ऩड़ यहा है। फेकायी फढ़ यही है। रट
ू , हत्मा, अऩहयण जैसी वायदातों को
फढ़ावा लभर यहा है। जनसॊख्मा की सभस्मा का सभाधान कानन
ू दवाया
नहीॊ जनजागयण तथा लशऺा दवाया ही सॊबव है। 5
उत्तय : वतयभान प्रगनतशीर बायत के साभने फढ़ती जनसॊख्मा,
फेयोजगायी, भ्रष्टाचाय, आॊतकवाद आदद सभस्माएॉ है । ऩयॊ तु इन
सबी सभस्माओॊ फढ़ती जनसॊख्मा कापी जदटर है । इस फढ़ती
जनसॊख्मा के भख्
ु म कायण अलशऺा औय अॊधववश्वास है । इस
सभस्मा के सभाधान के लरए सयकाय औय अनेक सॊस्थाएॉ इस
ददशा भें कामय कय यही हैं रेककन अबी तक आशातीत सपरता
नहीॊ लभर ऩाई है । इस फढ़ती जनसॊख्मा के कायण कृवष बलू भ का
अबाव हो गमा है । आवास की सभस्मा ने हये -बये स्थानों को
काॊक्रीट के जॊगरों भें तब्दीर कय ददमा है । हत्मा रट
ू ऩाट जैसी
सभस्माओॊ को फढ़ावा लभर यहा है इस सफ से ननजात ऩानी है
तो लशऺा की इसका एकभात्र उऩाम है ।

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CBSE - X | HINDI

Bard Paper – 2015

संकलऱत परीक्षा – I I
SUMMATIVE ASSESSMENT – II
हिन्दी
HINDI
(पाठ्यक्रम अ)
(Course - A)

समय: 3 घंटे पूर्ाांक : 90

लिदे श :

1. इस प्रश्न-ऩत्र के चाय खॊड हैं-क, ख, ग, औय घ।

2. चायों खॊडों के प्रश्नों के उत्तय दे ना अननवामय है ।

3. मथासॊबव प्रत्मेक खॊड के उत्तय क्रभश: दीजजए।

खॊड-क

प्र. 1. ननम्ननरजखत गद्ाॊश को ध्मानऩूवक


य ऩढ़कय ऩूछे गए प्रश्नों के सही उत्तय वारे
ववकल्ऩ चुनकय नरजखए : 1 x 5 = 5

ववश्व स्वास््म-सॊगठन के अध्ममनों औय सॊमक्त


ु याष्ट्र की भानव ववकास
रयऩोर्टों ने बायत के फच्चों भें कुऩोषण की व्माऩकता के साथ-साथ फार
भृत्मु-दय औय भातृ भृत्मु-दय का ग्राप काफ़ी ऊॉचा यहने के त्म बी फाय-
फाय जाहहय हकए है।मूननसेफ़ की रयऩोर्टय फताती है हक रड़हकमों की दशा औय
बी खयाफ है।

ऩाहकस्तान औय अफ़गाननस्तान के फाद, फानरग होने से ऩहरे


रड़हकमों को ब्माह दे ने के भाभरे दजऺण एनशमा भें सफसे ज़्मादा बायत भें
होते हैं । भातृ भृत्मु-दय औय नशशु भृत्मु-दय का एक प्रभुख कायण मह बी
है ।मह रयऩोर्टय ऐसे सभम जायी हुई है जफ फच्चों के अनधकायों से सॊफॊनधत
वैजिक घोषणा-ऩत्र के ऩच्चीस सार ऩूये हो यहे हैं। इस घोषणा-ऩत्र ऩय
बायत औय दजऺण एनशमा के अन्म दे शों ने बी हस्ताऺय हकए थे। इसका

1
CBSE - X | HINDI

Bard Paper – 2015

वह असय ज़रूय हुआ की फच्चों की सेहत, नशऺा, सुयऺा से सॊफनधत नए


कानून फने, भॊत्रारम मा ववबाग गहठत हुए, सॊस्थाएॉ औय आमोग फने।
घोषणा-ऩत्र से ऩहरे की तुरना भें कुछ सुधाय बी दजय हुआ है। ऩय इसके
फाफजूद फहुत सायी फातें ववचनरत कयने वारी है।भसरन, दे श भें हय सार
राखों फच्चे गुभ हो जाते हैं।राखों फच्चे अफ बी स्कूरों से फाहय हैं।श्रभ-
शोषण के नरए वववश फच्चों की तादाद इससे बी अनधक है।वे स्कूर भें
वऩर्टाई औय घये रू हहॊ सा के नशकाय होते यहते हैं।

ऩरयवाय के स्तय ऩय दे खें तो सॊतान का भोह काफ़ी प्रफर हदखाई दे गा,


भगय दस
ू यी ओय, फच्चों के प्रनत साभाजजक सॊवेदनशीरता फहुत ऺीण है।
कभज़ोय तफकों के फच्चों के प्रनत तो फाकी सभाज का यवैमा अभूभन
असहहष्णुता का ही यहता है।क्मा मे स्वस्थ सभाज के रऺण हैं ?

(i) ववनबन्न रयऩोर्टों भें क्मा नहीॊ फतामा गमा है ?

(क) फच्चे घोय कुऩोषण का नशकाय हैं

(ख) फार भृत्मु-दय औय भातृ भृत्मु-दय बी काफ़ी ज़्मादा है

(ग) बायत की जस्थनत अन्म दे शों के भुकाफरे अच्छी है

(घ) रडहकमों की दशा बी शोचनीम है

(ii) भातृ भृत्मु-दय औय नशशु भृत्मु-दय अनधक होने का भुख्म कायण है

(क) रड़हकमों का वववाह कच्ची उम्र भें कयवा दे ना

(ख) अनधकायों की जानकायी का अबाव

(ग) अनधक फच्चों का होना

(घ) भाता-वऩता का फच्चों ऩय ध्मान न दे ना

2
CBSE - X | HINDI

Bard Paper – 2015

(iii) बायत ने जजस वैजश्वक घोषणा-ऩत्र ऩय हस्ताऺय हकए उसका क्मा


प्रबाव ऩड़ा?

(क) केवर आमोग फनाए गए

(ख) फच्चों की सेहत, नशऺा, सुयऺा आहद के कानून फने

(ग) फच्चों को फेहतय सुयऺा नभर गई

(घ) फर भज़दयू ी की घर्टनाएॉ कभ हुई

(iv) आज बी बायत भें फच्चों की जस्थनत कैसी है

(क) सबी फच्चों को नशऺा अवश्म दी जाती है

(ख) कोई फच्चा श्रभ-शोषण के नरए वववश नहीॊ है

(ग) कोई बी फच्चा ाामफ नहीॊ होता

(घ) ववद्ारम औय घय ऩय बी वऩर्टाई होती है

(v) गद्ाॊश का उऩमुक्त शीषयक होगा

(क) वॊनचत फचऩन

(ख) आजकर के फच्चे

(ग) मूननसेफ़ की रयऩोर्टय

(घ) रडहकमों की ऽयाफ दशा

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CBSE - X | HINDI

Bard Paper – 2015

प्र.2. ननम्ननरजखत गद्ाॊश को ध्मान से ऩढ़कय ऩूछे गए प्रश्नों के सही उत्तय वारे
ववकल्ऩ चुनकय नरजखए - 1 x 5 = 5

चॊऩायण सत्माग्रह के फीच जो रोग गाॊधीजी के सॊऩकय भें आए वे आगे


चरकय ननभायताओॊ भें नगने गए। चॊऩायण भें गाॊधीजी न नसपय सत्म औय
अहहॊ सा का सावयजाननक हहतों भें प्रमोग कय यहे थे फजल्क हरुवा फनाने की
करा बी उन फड़े वकीरों को नसखा यहे थे, जजन्हें ायीफों की अगुवाई की
जजम्भेदायी सौंऩी जानी थी। अऩने इन आध्माजत्भक प्रमोगों के भाध्मभ से वे
दे श की ायीफ जनता की सेवा कयने औय उनकी त़दीय फदरने के साथ दे श
को आज़ाद कयने के नरए सभवऩयत व्मवक्तमों की एक ऐसी जभात तैमाय कयना
चाह यहे थे जो सत्माग्रह की बट्र्टी भें उसी तयह तऩकय ननखये , जजस तयह
बट्र्टी भें सोना तऩकय ननखयता औय ़ीभती फनता है।

गाॊधीजी की भान्मता थी हक एक प्रनतवित वकीर औय हज़ाभत फनाने


वारे हज़्ज़ाभ भें ऩेशे के नरहाज़ से कोई फ़़य नहीॊ , दोनों की है नसमत एक ही
है । उन्होंने ऩसीने की कभाई को सफसे अच्छी कभाई भन औय शायीरयक श्रभ
को अहनभमत दे ते हुए उसे उनचत प्रनतिा व सम्भान हदमा था। कोई कभ फड़ा
नहीॊ, कोई काभ छोर्टा नहीॊ , इस भान्मता को उन्होंने स्थावऩत कयना चाहा।
भमायदाओॊ औय भानव-भूल्मों को उन्होंने प्राथनभकता दी ताहक साधन शुद्धता
की फुननमाद ऩय एक ठीक सभाज खड़ा हो सके। आज़ाद हहन्दस्
ु तान
आत्भननबयय,स्वावरॊफी औय आत्भ-सम्भाननत दे श के रूऩ भें ववश्व-वफयादयी के
फीच अऩनी एक खास ऩहचान फनाए औय हपय उसे फय़याय बी यखे।

(i) गाॊधीजी फड़े वकीरों को हरुवा फनाना औय नसर ऩय भसारा वऩसना क्मों
नसखाना चाहते थे?

(क) वे ायीफ जनता की सेवा कयने भें हहचहकचाएॉगे नहीॊ

(ख) आत्भननबयय फनने के नरए ज़रूयी था

(ग) सावयजननक हहत के नरए अनत-आवश्मक था

(घ) सत्माग्रह का अनोखा तयी़ा था

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CBSE - X | HINDI

Bard Paper – 2015

(ii) गाॊधीजी आध्माजत्भक प्रमोग क्मों कय यहे थे

(क) आज़ादी के प्रनत सभवऩयत रोगों का सभूह तैमाय कयने के नरए

(ख) सोने को कॊु दन फनाने के नरए

(ग) स्वास््म ठीक यखने के नरए

(घ) अॊग्रेजी शासन को अऩनी ता़त हदखाने के नरए

(iii) व्मवसाम को रेकय गाॊधीजी के क्मा ववचाय थे?

(क) उन्होंने ऩसीने की कभाई को सफसे अच्छी कभाई भाना

(ख) कोई बी काभ छोर्टा मा फड़ा नहीॊ , सबी ऩेशे एक-सभान हैं

(ग) शायीरयक श्रभ से ही आज़ादी नभरेगी

(घ) सफ अऩना-अऩना कभ ठीक से कयें

(iv) गाॊधीजी ने अच्छे सभाज के ननभायण के नरए भहत्त्व हदमा

(क) आत्भननबययता को

(ख) भमायदाओॊ औय भानव-भूल्मों को

(ग) अहहॊ सा को

(घ) फुननमादी नशऺा को

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CBSE - X | HINDI

Bard Paper – 2015

(v) आज़ाद हहन्दस्


ु तान आत्भननबयय, स्वावरॊफी औय आत्भ-सम्भाननत फने –
मह ववचाय प्रभाण था गाॊधीजी की

(क) दे शबवक्त का

(ख) आध्माजत्भकता का

(ग) फहादयु ी का

(घ) सभझदायी का

प्र. 3. ननम्ननरजखत काव्माॊश को ध्मानऩूवक


य ऩढ़कय ऩूछे गए प्रश्नों के उनचत वारे
ववकल्ऩ चुनकय नरजखए : 1 x 5 = 5

जगऩनत कहाॉ? अये ,सहदमों से वह तो हुआ याख की ढे यी;


वयना सभता-सॊस्थाऩन भें रग जाती क्मा इतनी दे यी?
छोड़ आसया अरख शवक्त का; ये जय, स्वमॊ जगतऩनत तू है ,
तू महद जूठे ऩत्ते चार्टे , तो भुझ ऩय रानत है , थू है।

कैसा फना रूऩ वह तेया, घृजणत, ऩनतत, वीबत्स, बमॊकय!


नहीॊ माद क्मा तुझको, तू है नचय सुॊदय, नवीन प्ररमॊकय?
नबऺा-ऩात्र पेंक हाथों से, तेये स्नामु फड़े फरशारी,
अबी उठे गा प्ररम नीॊद से, तननक फजा तू अऩनी तारी।

ओ नबखभॊगे, अये ऩयाजजत, ओ भज़रूभ, अये नचयदोहहत,


तू अखॊड बॊडाय शवक्त का; जाग, अये ननद्रा-सम्भोहहत,
प्राणों को तड़ऩाने वारी हॊु कायों से जर-थर बय दे ,
अनाचाय के अॊफायों भें अऩना ज्वनरत ऩरीता धय दे।

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CBSE - X | HINDI

Bard Paper – 2015

बूखा दे ख तुझे गय उभड़े आॉसू नमनों भें जग-जन के


तो तू कह दे ; नहीॊ चाहहए हभको योने वारे जनखे;
तेयी बूख, असॊस्कृ नत तेयी, महद न उबाड़ सकें क्रोधानर –
तो हपय सभझूॉगा हक हो गई सायी दनु नमा कामय ननफयर।

(i) कवव ऩहरी दो ऩॊवक्तमों भें हकस सभस्मा की ओय सॊकेत कयता है ?


(क) अनशऺा की
(ख) ऊॉच-नीच औय असभानता की
(ग) जनसॊख्मा की
(घ) साॊप्रदानमक बेदबाव की

(ii) ‘छोड़ आसया अरख शवक्त का; ये नय, स्वमॊ जगतऩनत तू है ’ – इस


ऩॊवक्त भें कवव भानव को क्मा प्रेयणा दे ता है ?
(क) बाग्म ऩय नहीॊ कभय ऩय ववश्वास कयना चाहहए
(ख) आत्भननबयय फनना ज़रूयी है
(ग) जूठे ऩत्ते नहीॊ चार्टने चाहहए
(घ) दस
ू यों का आश्रम छोड़ दे ना चाहहए

(iii) ‘भनुष्म को अऩने असीनभत फर को ऩहचानना चाहहए’ – मह हकस


ऩॊवक्त का बाव है ?
(क) अबी उठे गा प्ररम नीॊद से, तननक फजा तू अऩनी तारी
(ख) प्राणों को तड़ऩाने वारी हुॊकायों से जर-थर बय दे
(ग) तू अखॊड बॊडाय शवक्त का; जाग, अये ननद्रा-सम्भोहहत
(घ) तेयी बूख, असॊस्कृ नत तेयी, महद न उबाड़ सकें क्रोधानर -

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CBSE - X | HINDI

Bard Paper – 2015

(iv) ‘अनाचाय के अॊफायों भें अऩना ज्वनरत ऩरीता धय दे ’ – ऩॊवक्त का बाव


है
(क) हभें अऩनी शवक्त को ऩहचानना चाहहए
(ख) नबऺा-ऩात्र पेंक अऩने साभ्मय को ऩहचानना चाहहए
(ग) हकसी के आगे नगड़नगड़ाना नहीॊ चाहहए
(घ) दव्ु मयवहाय के प्रनत आवाज़ उठानी चाहहए

(v) कवव दनु नमा को कफ ‘कामय’ औय ‘ननफयर’ सभझता है ?

(क) जफ ायीफी, बूख औय राचायी ऩय क्रोध नहीॊ आता


(ख) जफ बूखे को दे ख दनु नमा की आॉखें नहीॊ बयती
(ग) जफ जूठे ऩत्ते चार्टते हुए नबखायी को दे खकय बी दनु नमा अनदे खा
कयती है
(घ) जफ हाथ ऩसाये फच्चों को दे खकय दनु नमा का भन नहीॊ ऩसीजता

प्र. 4. ननम्ननरजखत काव्माॊश के आधाय ऩय ऩूछे गए प्रश्नों के सही उत्तय के नरए


उनचत ववकल्ऩ चुनकय नरजखए : 1 x 5 = 5
ओ भहभूदा भेयी हदर जजगयी
तेये साथ भैं बी छत ऩय खड़ी हूॉ
तुम्हायी यसोई तुम्हायी फैठक औय गाम-घय भें
ऩानी घुस आमा
उसभें तैय यहा है घय का साभान
तेये फाहय के फाग का सेफ का दयख्त
र्टूर्ट कय ऩानी के साथ फह यहा है
अगरे सार इसभें ऩहरी फाय सेफ रगने थे
तेयी फर खाकय जाती कश्भीयी कढ़ाई वारी चप्ऩर
हुसन
ै की ऩेशावयी जूती
फह यहे हैं गॊदरे ऩानी के साथ
तेयी ढरवाॉ छत ऩय फैठा है

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CBSE - X | HINDI

Bard Paper – 2015

घय के वऩॊजये का तोता
वह हपय वऩॊजये भें आना चाहता है
भहभूदा भेयी फहन
इसी ऩानी भें फह यही है तेयी राडरी गऊ
इसका फछड़ा ऩता नहीॊ कहाॉ है
तेयी गऊ के दध
ू बये थन
अकड़ कय रोहा हो गए हैं
जभ गमा है दध

सफ तयप ऩानी ही ऩानी
ऩूया शहय डर झीर हो गमा है
भहभूदा, भेयी भहभूदा
भैं तेये साथ खड़ी हूॉ
भुझे मकीन है छत ऩय जरुय
कोई ऩानी की फोतर नगये गी
कोई खाने का साभान मा दध
ू की थैरी
भें कुयफान उन फच्चों की भाॉओॊ ऩय
जो फाढ़ भें से ननकरकय
फच्चों की तयह ऩीहड़तों को
सुयजऺत स्थान ऩय ऩहुॉचा यही है
भहभूदा हभ दोनों हपय खड़े होंगे
भें तुम्हायी कभनरनी अऩनी धयती ऩय .....
उसे चूभ रेंगे अऩने सूखे होठों से
ऩानी की इस तफाही से हपय ननकर आएगा
भेया चाॉद जैसा जम्भू
भेया पूर जैसा कश्भीय।

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CBSE - X | HINDI

Bard Paper – 2015

(i) घय भें ऩानी घुसने का कायण है


(क) नर औय नारी की ऽयाफी
(ख) फाॉध का र्टूर्टना
(ग) प्राकृ नतक आऩदा
(घ) नदी भें रुकावर्ट

(ii) भहभूदा की फहन को ववश्वास नहीॊ है


(क) छत ऩय ऩानी की फोतर नगये गी
(ख) कुछ खाने-ऩीने की सहामता ऩहुॉचेगी
(ग) कोई हे नरकॉप्र्टय उन्हें फचाने छत ऩय आएगा
(घ) इस भुसीफत से ननकर जाएॉगे

(iii) ‘भेया चाॉद जैसा जम्भू


भेया पूर जैसा कश्भीय’ का बावाथय है
(क) जम्भू औय कश्भीय भें हपय से चाॉद हदखने रगेगा
(ख) जम्भू औय कश्भीय का सौंदमय वावऩस रौर्टे गा
(ग) जम्भू औय कश्भीय स्वगय है
(घ) जम्भू औय कश्भीय चाॉद औय पूर जैसा सुॊदय है

(iv) कवनमत्री भाताओॊ ऩय क्मों न्मौछावय होना चाहती है ?


(क) दस
ू यों को फचाने के कामय भें जुर्टी हैं
(ख) फच्चों को सुयजऺत स्थान ऩय ऩहुॉचा यही हैं
(ग) स्वमॊ बूखी यहकय फच्चों की दे खबार कयती हैं
(घ) यसद ऩहॉु चाने का कामय कय यही हैं

(v) ऩूया शहय डर झीर जैसा रग यहा है क्मोंहक


(क) डर झीर का पैराव फढ़ गमा है
(ख) ऩूये शहय भें ऩानी बय गमा है
(ग) ऩूये शहय भें नशकाये चरने रगे हैं

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CBSE - X | HINDI

Bard Paper – 2015

(घ) झीर भें नगय का प्रनतवफॊफ झरक यहा है

खॊड–‘ख’
प्र. 5. ननदे शानुसाय उत्तय दीजजए : 1 x 3 = 3

(क) भान रीजजए हक ऩुयाने ज़भाने भें बायत की एक स्त्री बी ऩढ़ी-नरखी न


थीॊ। (वाक्म-बेद नरजखए)

(ख) एक नचहड़मा हभायी जखड़की ऩय डयी-डयी फैठी थी। (नभश्र वाक्म भें
फदनरए)
(ग) झूयी के दोनों फैरों को गमा के घय भजफूयन जाना ऩड़ा। (सॊमक्त
ु वाक्म
भें फदनरए)

प्र. 6. ननदे शानुसाय वाच्म-ऩरयवतयन कीजजए : 1 x 4 = 4


(क) भाॉ ने स्वाहदष्ट बोजन फनामा। (कभयवाच्म भें)
(ख) मह दऩयण भुझसे नगय गमा था। (कृ तयवाच्म भें)
(ग) इतनी गभी भें कौन सो सकता है ?(बाववाचक भें)
(घ) यातबय कैसे जागा जाएगा? (कृ तयवाच्म भें)

प्र. 7. ये खाॊहकत ऩदों का ऩद-ऩरयचम दीजजए : 1 x 4 = 4


फारगोवफन बगत कफीय के गीतों को गाते औय उनके आदशों ऩय चरते थे।

प्र. 8. (क) ननम्ननरजखत काव्माॊश ऩढ़कय यस ऩहचानकय नरजखए : 1 x 3 = 3


(i) कहत, नर्टत, यीझत, जखझत
नभरत, जखरत, रजजमात
बये बवन भें कयत हैं
नैननन ही सौं फात।
(ii) एक ओय अजगयहहॊ रजख एक ओय भृगयाम।
ववकर फर्टोही फीच ही, ऩमों भूयछा खाम।

11
CBSE - X | HINDI

Bard Paper – 2015

(iii) एक नभत्र फोरे “रारा तुभ ककस चक्की का खाते हो?


इतने भहॉ गे याशन भें बी, तुभ तोंद फढ़ाए जाते हो।”

(ख) वीय यस का स्थामी बाव क्मा है ? 1

खण्ड ग

प्र.9. ननम्ननरजखत गद्ाॊश को ऩढ़कय ऩूछे गए प्रश्नों के सही उत्तय वारे ववकल्ऩ
चुनकय नरजखए : 2+2+1 = 5

इसने उन्हें मश औय प्रनतिा तो फहुत दी, ऩय अथय नहीॊ औय शामद


नगयती आनथयक जस्थनत ने ही उनके व्मवक्तत्व के साये सकायात्भक ऩहरुओॊ
को ननचोड़ना शुरू कय हदमा। नसकुड़ती आनथयक जस्थनत के कायण औय अनधक
ववस्पारयत उनका अहॊ उन्हें इस फात तक की अनुभनत नहीॊ दे ता था हक वे
कभ-से-कभ अऩने फच्चों को तो अऩनी आनथयक वववशताओॊ का बागीदाय
फनाएॉ। नवाफी आदतें, अधूयी भहत्वकाॊऺाएॉ, हभेशा शीषय ऩय यहने के फाद
हानशए ऩय सयकते चरे जाने की मातना क्रोध फनकय हभेशा भाॉ को कॉऩाती-
थयथयाती यहती थीॊ। अऩनों के हाथों ववश्वासघात की जाने कैसी गहयी चोर्टें
होंगी वे जजन्होंने आॉख भूॉदकय सफका ववश्वास कयने वारे वऩता को फाद के
हदनों भें इतना शक्की फना हदमा था हक जफ-तफ हभ रोग बी उसकी चऩेर्ट
भें आते ही यहते।
(क) भन्नू बॊडायी के वऩता की नगयती आनथयक जस्थनत का उन ऩय क्मा प्रबाव
ऩड़ा?
(ख) ऩहरे इन्दौय भें उनकी आनथयक जस्थनत कैसी यही होगी?
(ग) भन्नू के वऩता का स्वबाव शक्की क्मों हो गमा था?

अथवा

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ऩेर्ट बयने औय तन ढॉ कने की इच्छा भनुष्म की सॊस्कृ नत की जननी


नहीॊ है । ऩेर्ट बया औय तन ढॉ का होने ऩय बी ऐसा भानव जो वास्तव भें
सॊस्कृ त है , ननठल्रा नहीॊ फैठ सकता। हभायी सभ्मता का एक फड़ा अॊश हभें
ऐसे सॊस्कृ त आदनभमों से ही नभरा है , जजनकी चेतना ऩय स्थूर बौनतक
कायणों का प्रबाव प्रधान यहा है , हकन्तु उसका कुछ हहस्सा हभें भनीवषमों से
बी नभरा है जजन्होंने त्म-ववशेष को हकसी बौनतक प्रेयणा के वशीबूत होकय
नहीॊ, फजल्क उनके अऩने अॊदय की सहज सॊस्कृ नत के ही कायण प्राप्त हकमा
है । यात के तायों को दे खकय न सो सकने वारा भनीषी हभाये आज के ऻान
का ऐसा ही प्रथभ ऩुयस्कताय था।
(क) सॊस्कृ त व्मवक्त की कौन-सी ववशेषताएॉ फताई गई हैं ?
(ख) यात के तायों को दे खकय न सो सकने वारे भनीषी को प्रथभ ऩुयस्कताय
क्मों कहा गमा है ?
(ग) ऩेर्ट बयना मा तन ढॉ कना भनुष्म की सॊस्कृ नत की जननी क्मों नहीॊ है ?

प्र. 10. ननम्ननरजखत प्रश्नों के उत्तय सॊऺेऩ भें नरजखए : 25=10

(क) रेखक नार्टकों भें जस्त्रमों की बाषा प्राकृ त होने को उनकी अनशऺा का
प्रभाण नहीॊ भानता। इसके नरए वह क्मा तकय दे ता है ?

(ख) ‘स्त्री-नशऺा के ववयोधी कुतकों का खॊडन’ रेखक की दयू गाभी औय खुरी


सोच का ऩरयचामक है।कैसे?

(ग) वफजस्भल्रा खाॉ जीवन बय ईश्वय से क्मा भाॉगते यहे , औय क्मों? इससे
उनकी हकस ववशेषता का ऩता चरता है ?

(घ) काशी भें हो यहे कौन-से ऩरयवतयन वफजस्भल्रा खाॉ को व्मनथत कयते
थे?

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प्र. 11. ननम्ननरजखत काव्माॊश के आधाय ऩय हदए गए प्रश्नों के उत्तय

नरजखए : 2+2+1=5

कहे उ रखन भुनन सीरु तुम्हाया। को नहह जन वफहदत सॊसाया।।

भाता वऩतहह उरयन बमे नीकें। गुयरयनु यहा सोचु फड़ जी कें।।

सो जनु हभये हह भाथें काढ़ा। हदन चनर गमे ब्माज फड़ फाढ़ा।।

अफ आननअ व्मवहरयआ फोरी। तुयत दे उॉ भैं थैरी खोरी।।

(क) रक्ष्भण ने ऩयशुयाभ ऩय क्मा व्मॊग्म हकमा?


(ख) महाॉ हकस गुरु-ऋण की फात हो यही है उसे चुकाने के नरए रक्ष्भण ने
ऩयशुयाभ को क्मा उऩाम सुझामा?
(ग) ‘भाता वऩतहह उरयन बमे ननकें’ ऩॊवक्त का आशम स्ऩष्ट कीजजए।

अथवा

तायसप्तक भें जफ फैठने रगता है उसका गरा


प्रेयणा साथ छोड़ती हुई उत्साह अस्त होता हुआ
आवाज़ से याख जैसा कुछ नगयता हुआ
तबी भुख्म गामक को ढाॉढ़स फॉधाता
कहीॊ से चरा आता है सॊगतकाय का स्वय।
(क) ‘याख जैसा’ हकसे कहा गमा है औय क्मों?
(ख) ‘तायसप्तक भें जफ फैठने रगता है उसका गरा
प्रेयणा साथ छोड़ती हुई उत्साह अस्त होता हुआ’ – का बाव स्ऩष्ट
कीजजए।
(ग) ‘उसका गरा’ भें ‘उसका’ हकसके नरए प्रमुक्त हुआ है ?

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प्र. 12. ननम्ननरजखत प्रश्नों के उत्तय सॊऺेऩ भें नरजखए : 2 x 5 = 10

(क) ‘भृगतृष्णा’ हकसे कहते हैं ? ‘छामा भत छूना’ कववता भें इसका प्रमोग
हकस अथय भें हुआ है ?
(ख) क्मा हुआ जो जखरा पूर यस फसॊत जाने ऩय?–का क्मा बाव है?
(ग) ‘कन्मादान’ कववता भें हकसे दख
ु वाॉचना नहीॊ आता था औय क्मों?
(घ) ‘कन्मादान’ कववता की भाॉ ऩयॊ ऩयागत भाॉ से कैसे नबन्न है ?
(ङ) भाॉ की सीख भें सभाज की कौन-सी कुयीनतमों की ओय सॊकेत हकमा
गमा है ?

प्र.13. दे श की सीभा ऩय फैठे फ़ौजी कई तयह से कहठनाईमों का भुकाफरा कयते है।


सैननकों के जीवन से हकन-हकन जीवन-भूल्मों को अऩनामा जा सकता है ?
चचाय कीजजए। 5

खण्ड घ

प्र. 14. ननम्ननरजखत भें से हकसी एक ववषम ऩय हदए गए सॊकेत-वफन्दओ


ु ॊ के
आधाय ऩय रगफग 250 शब्दों भें ननफॊध नरजखए :10

(क) प्रदष
ू ण : सभस्मा औय सभाधान

 प्रदष
ू ण के प्रकाय

 कायण औय प्रबाव

 उऩाम

(ख) जीवन भें खेरों का भहत्त्व

 खेरकूद का भहत्त्व

 ववद्धानों के ववचाय

 स्वास््म, बाईचाये के नरए ज़रूयी

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(ग) भ्रष्टाचाय से भुक्त होगा दे श

 फढ़ता भ्रष्टाचाय

 भुवक्त के उऩाम

 भ्रष्टाचाय से भुक्त दे श की कल्ऩना

प्र.15. अऩने वप्रम नभत्र को ऩत्र नरखकय धन्मवाद दीजजए की आड़े वक्त भें उसने
हकस तयह आऩका साथ हदमा था। 5

प्र. 16. ननम्ननरजखत गद्ाॊश का शीषयक नरखकय एक-नतहाई शब्दों भें साय नरजखए
: 5

भधुय वचन सुनकय हकसका रृदम प्रसन्न नहीॊ हो जाता। भधुय वचन भीठी
औषनध के सभान रगते हैं तो कड़वे वचन तीय के सभान चुबते हैं। भधुय
वचन वास्तव भें औषनध के सभान दख
ु ी भन का उऩचाय कयते हैं। भधुय
वचन न केवर सुननेवारे अवऩतु फोरनेवारे को बी आजत्भक शाॊनत प्रदान
कयते हैं । जो व्मवक्त भधुय वचन नहीॊ फोरते, वे अऩनी ही वाणी का
दरू
ु ऩमोग कयते हैं। ऐसे व्मवक्त सॊसाय भें अऩनी साभाजजक प्रनतिा खो
फैठते हैं तथा अऩने जीवन को कष्टकायी फना रेते हैं। कड़वे वचनों से
उनके फनते कभ वफगड़ जाते है तथा वे प्रनतऩर अऩने ववयोनधमों व शत्रुओॊ
को जन्भ दे ते हैं। भुसीफत के सभम रोग उनसे भुॉह पेय रेते हैं। भधुय
वचन से कोभरता, नम्रता तथा सहहष्णुता की बावना का जन्भ होता है।
इन गुणों से व्मवक्त का व्मवक्तत्व ननखय उठता है। शाॊत व्मवक्त ही भधुय
वचन फोर ऩता है जफहक क्रोधी सदा दव
ु च
य न ही फोरता है। दव
ु च
य न सभाज
भें ईष्माय, द्वे ष, रड़ाई, वैभनस्म, ननदा आहद दग
ु ण
ुय ों को जन्भ दे ते हैं।
भधुय वचन ननजित रूऩ से सॊसाय भें प्रेभ, बाईचाया तथा सुखों का सॊचाय
कयते हैं । भानव को सॊसाय की सुख-शाॊनत के नरए वाणी को ननमॊत्रण भें
यखकय सदा ही उसका सदऩ
ु मोग कयना चाहहए।

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संकलऱत परीक्षा – I I
SUMMATIVE ASSESSMENT – II
हिन्दी
HINDI
(पाठ्यक्रम अ)
(Course - A)

समय: 3 घंटे पूर्ाांक : 90

लिदे श :

1. इस प्रश्न-ऩत्र के चाय खॊड हैं-क, ख, ग, औय घ।

2. चायों खॊडों के प्रश्नों के उत्तय दे ना अननवामय है ।

3. मथासॊबव प्रत्मेक खॊड के उत्तय क्रभश: दीजजए।

खॊड-क

प्र. 1. ननम्ननरजखत गद्ाॊश को ध्मानऩूवक


य ऩढ़कय ऩूछे गए प्रश्नों के सही उत्तय वारे
ववकल्ऩ चुनकय नरजखए : 1 x 5 = 5

ववश्व स्वास््म-सॊगठन के अध्ममनों औय सॊमक्त


ु याष्ट्र की भानव ववकास
रयऩोर्टों ने बायत के फच्चों भें कुऩोषण की व्माऩकता के साथ-साथ फार
भृत्मु-दय औय भातृ भृत्मु-दय का ग्राप काफ़ी ऊॉचा यहने के त्म बी फाय-
फाय जाहहय हकए है।मूननसेफ़ की रयऩोर्टय फताती है हक रड़हकमों की दशा औय
बी खयाफ है।

ऩाहकस्तान औय अफ़गाननस्तान के फाद, फानरग होने से ऩहरे


रड़हकमों को ब्माह दे ने के भाभरे दजऺण एनशमा भें सफसे ज़्मादा बायत भें
होते हैं । भातृ भृत्मु-दय औय नशशु भृत्मु-दय का एक प्रभुख कायण मह बी
है ।मह रयऩोर्टय ऐसे सभम जायी हुई है जफ फच्चों के अनधकायों से सॊफॊनधत
वैजिक घोषणा-ऩत्र के ऩच्चीस सार ऩूये हो यहे हैं। इस घोषणा-ऩत्र ऩय
बायत औय दजऺण एनशमा के अन्म दे शों ने बी हस्ताऺय हकए थे। इसका

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वह असय ज़रूय हुआ की फच्चों की सेहत, नशऺा, सुयऺा से सॊफनधत नए


कानून फने, भॊत्रारम मा ववबाग गहठत हुए, सॊस्थाएॉ औय आमोग फने।
घोषणा-ऩत्र से ऩहरे की तुरना भें कुछ सुधाय बी दजय हुआ है। ऩय इसके
फाफजूद फहुत सायी फातें ववचनरत कयने वारी है।भसरन, दे श भें हय सार
राखों फच्चे गुभ हो जाते हैं।राखों फच्चे अफ बी स्कूरों से फाहय हैं।श्रभ-
शोषण के नरए वववश फच्चों की तादाद इससे बी अनधक है।वे स्कूर भें
वऩर्टाई औय घये रू हहॊ सा के नशकाय होते यहते हैं।

ऩरयवाय के स्तय ऩय दे खें तो सॊतान का भोह काफ़ी प्रफर हदखाई दे गा,


भगय दस
ू यी ओय, फच्चों के प्रनत साभाजजक सॊवेदनशीरता फहुत ऺीण है।
कभज़ोय तफकों के फच्चों के प्रनत तो फाकी सभाज का यवैमा अभूभन
असहहष्णुता का ही यहता है।क्मा मे स्वस्थ सभाज के रऺण हैं ?

(i) ववनबन्न रयऩोर्टों भें क्मा नहीॊ फतामा गमा है ?

(क) फच्चे घोय कुऩोषण का नशकाय हैं

(ख) फार भृत्मु-दय औय भातृ भृत्मु-दय बी काफ़ी ज़्मादा है

(ग) बायत की जस्थनत अन्म दे शों के भुकाफरे अच्छी है

(घ) रडहकमों की दशा बी शोचनीम है

(ii) भातृ भृत्मु-दय औय नशशु भृत्मु-दय अनधक होने का भुख्म कायण है

(क) रड़हकमों का वववाह कच्ची उम्र भें कयवा दे ना

(ख) अनधकायों की जानकायी का अबाव

(ग) अनधक फच्चों का होना

(घ) भाता-वऩता का फच्चों ऩय ध्मान न दे ना

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(iii) बायत ने जजस वैजश्वक घोषणा-ऩत्र ऩय हस्ताऺय हकए उसका क्मा


प्रबाव ऩड़ा?

(क) केवर आमोग फनाए गए

(ख) फच्चों की सेहत, नशऺा, सुयऺा आहद के कानून फने

(ग) फच्चों को फेहतय सुयऺा नभर गई

(घ) फर भज़दयू ी की घर्टनाएॉ कभ हुई

(iv) आज बी बायत भें फच्चों की जस्थनत कैसी है

(क) सबी फच्चों को नशऺा अवश्म दी जाती है

(ख) कोई फच्चा श्रभ-शोषण के नरए वववश नहीॊ है

(ग) कोई बी फच्चा ाामफ नहीॊ होता

(घ) ववद्ारम औय घय ऩय बी वऩर्टाई होती है

(v) गद्ाॊश का उऩमुक्त शीषयक होगा

(क) वॊनचत फचऩन

(ख) आजकर के फच्चे

(ग) मूननसेफ़ की रयऩोर्टय

(घ) रडहकमों की ऽयाफ दशा

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प्र.2. ननम्ननरजखत गद्ाॊश को ध्मान से ऩढ़कय ऩूछे गए प्रश्नों के सही उत्तय वारे
ववकल्ऩ चुनकय नरजखए - 1 x 5 = 5

चॊऩायण सत्माग्रह के फीच जो रोग गाॊधीजी के सॊऩकय भें आए वे आगे


चरकय ननभायताओॊ भें नगने गए। चॊऩायण भें गाॊधीजी न नसपय सत्म औय
अहहॊ सा का सावयजाननक हहतों भें प्रमोग कय यहे थे फजल्क हरुवा फनाने की
करा बी उन फड़े वकीरों को नसखा यहे थे, जजन्हें ायीफों की अगुवाई की
जजम्भेदायी सौंऩी जानी थी। अऩने इन आध्माजत्भक प्रमोगों के भाध्मभ से वे
दे श की ायीफ जनता की सेवा कयने औय उनकी त़दीय फदरने के साथ दे श
को आज़ाद कयने के नरए सभवऩयत व्मवक्तमों की एक ऐसी जभात तैमाय कयना
चाह यहे थे जो सत्माग्रह की बट्र्टी भें उसी तयह तऩकय ननखये , जजस तयह
बट्र्टी भें सोना तऩकय ननखयता औय ़ीभती फनता है।

गाॊधीजी की भान्मता थी हक एक प्रनतवित वकीर औय हज़ाभत फनाने


वारे हज़्ज़ाभ भें ऩेशे के नरहाज़ से कोई फ़़य नहीॊ , दोनों की है नसमत एक ही
है । उन्होंने ऩसीने की कभाई को सफसे अच्छी कभाई भन औय शायीरयक श्रभ
को अहनभमत दे ते हुए उसे उनचत प्रनतिा व सम्भान हदमा था। कोई कभ फड़ा
नहीॊ, कोई काभ छोर्टा नहीॊ , इस भान्मता को उन्होंने स्थावऩत कयना चाहा।
भमायदाओॊ औय भानव-भूल्मों को उन्होंने प्राथनभकता दी ताहक साधन शुद्धता
की फुननमाद ऩय एक ठीक सभाज खड़ा हो सके। आज़ाद हहन्दस्
ु तान
आत्भननबयय,स्वावरॊफी औय आत्भ-सम्भाननत दे श के रूऩ भें ववश्व-वफयादयी के
फीच अऩनी एक खास ऩहचान फनाए औय हपय उसे फय़याय बी यखे।

(i) गाॊधीजी फड़े वकीरों को हरुवा फनाना औय नसर ऩय भसारा वऩसना क्मों
नसखाना चाहते थे?

(क) वे ायीफ जनता की सेवा कयने भें हहचहकचाएॉगे नहीॊ

(ख) आत्भननबयय फनने के नरए ज़रूयी था

(ग) सावयजननक हहत के नरए अनत-आवश्मक था

(घ) सत्माग्रह का अनोखा तयी़ा था

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(ii) गाॊधीजी आध्माजत्भक प्रमोग क्मों कय यहे थे

(क) आज़ादी के प्रनत सभवऩयत रोगों का सभूह तैमाय कयने के नरए

(ख) सोने को कॊु दन फनाने के नरए

(ग) स्वास््म ठीक यखने के नरए

(घ) अॊग्रेजी शासन को अऩनी ता़त हदखाने के नरए

(iii) व्मवसाम को रेकय गाॊधीजी के क्मा ववचाय थे?

(क) उन्होंने ऩसीने की कभाई को सफसे अच्छी कभाई भाना

(ख) कोई बी काभ छोर्टा मा फड़ा नहीॊ , सबी ऩेशे एक-सभान हैं

(ग) शायीरयक श्रभ से ही आज़ादी नभरेगी

(घ) सफ अऩना-अऩना कभ ठीक से कयें

(iv) गाॊधीजी ने अच्छे सभाज के ननभायण के नरए भहत्त्व हदमा

(क) आत्भननबययता को

(ख) भमायदाओॊ औय भानव-भूल्मों को

(ग) अहहॊ सा को

(घ) फुननमादी नशऺा को

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(v) आज़ाद हहन्दस्


ु तान आत्भननबयय, स्वावरॊफी औय आत्भ-सम्भाननत फने –
मह ववचाय प्रभाण था गाॊधीजी की

(क) दे शबवक्त का

(ख) आध्माजत्भकता का

(ग) फहादयु ी का

(घ) सभझदायी का

प्र. 3. ननम्ननरजखत काव्माॊश को ध्मानऩूवक


य ऩढ़कय ऩूछे गए प्रश्नों के उनचत वारे
ववकल्ऩ चुनकय नरजखए : 1 x 5 = 5

जगऩनत कहाॉ? अये ,सहदमों से वह तो हुआ याख की ढे यी;


वयना सभता-सॊस्थाऩन भें रग जाती क्मा इतनी दे यी?
छोड़ आसया अरख शवक्त का; ये जय, स्वमॊ जगतऩनत तू है ,
तू महद जूठे ऩत्ते चार्टे , तो भुझ ऩय रानत है , थू है।

कैसा फना रूऩ वह तेया, घृजणत, ऩनतत, वीबत्स, बमॊकय!


नहीॊ माद क्मा तुझको, तू है नचय सुॊदय, नवीन प्ररमॊकय?
नबऺा-ऩात्र पेंक हाथों से, तेये स्नामु फड़े फरशारी,
अबी उठे गा प्ररम नीॊद से, तननक फजा तू अऩनी तारी।

ओ नबखभॊगे, अये ऩयाजजत, ओ भज़रूभ, अये नचयदोहहत,


तू अखॊड बॊडाय शवक्त का; जाग, अये ननद्रा-सम्भोहहत,
प्राणों को तड़ऩाने वारी हॊु कायों से जर-थर बय दे ,
अनाचाय के अॊफायों भें अऩना ज्वनरत ऩरीता धय दे।

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बूखा दे ख तुझे गय उभड़े आॉसू नमनों भें जग-जन के


तो तू कह दे ; नहीॊ चाहहए हभको योने वारे जनखे;
तेयी बूख, असॊस्कृ नत तेयी, महद न उबाड़ सकें क्रोधानर –
तो हपय सभझूॉगा हक हो गई सायी दनु नमा कामय ननफयर।

(i) कवव ऩहरी दो ऩॊवक्तमों भें हकस सभस्मा की ओय सॊकेत कयता है ?


(क) अनशऺा की
(ख) ऊॉच-नीच औय असभानता की
(ग) जनसॊख्मा की
(घ) साॊप्रदानमक बेदबाव की

(ii) ‘छोड़ आसया अरख शवक्त का; ये नय, स्वमॊ जगतऩनत तू है ’ – इस


ऩॊवक्त भें कवव भानव को क्मा प्रेयणा दे ता है ?
(क) बाग्म ऩय नहीॊ कभय ऩय ववश्वास कयना चाहहए
(ख) आत्भननबयय फनना ज़रूयी है
(ग) जूठे ऩत्ते नहीॊ चार्टने चाहहए
(घ) दस
ू यों का आश्रम छोड़ दे ना चाहहए

(iii) ‘भनुष्म को अऩने असीनभत फर को ऩहचानना चाहहए’ – मह हकस


ऩॊवक्त का बाव है ?
(क) अबी उठे गा प्ररम नीॊद से, तननक फजा तू अऩनी तारी
(ख) प्राणों को तड़ऩाने वारी हुॊकायों से जर-थर बय दे
(ग) तू अखॊड बॊडाय शवक्त का; जाग, अये ननद्रा-सम्भोहहत
(घ) तेयी बूख, असॊस्कृ नत तेयी, महद न उबाड़ सकें क्रोधानर -

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(iv) ‘अनाचाय के अॊफायों भें अऩना ज्वनरत ऩरीता धय दे ’ – ऩॊवक्त का बाव


है
(क) हभें अऩनी शवक्त को ऩहचानना चाहहए
(ख) नबऺा-ऩात्र पेंक अऩने साभ्मय को ऩहचानना चाहहए
(ग) हकसी के आगे नगड़नगड़ाना नहीॊ चाहहए
(घ) दव्ु मयवहाय के प्रनत आवाज़ उठानी चाहहए

(v) कवव दनु नमा को कफ ‘कामय’ औय ‘ननफयर’ सभझता है ?

(क) जफ ायीफी, बूख औय राचायी ऩय क्रोध नहीॊ आता


(ख) जफ बूखे को दे ख दनु नमा की आॉखें नहीॊ बयती
(ग) जफ जूठे ऩत्ते चार्टते हुए नबखायी को दे खकय बी दनु नमा अनदे खा
कयती है
(घ) जफ हाथ ऩसाये फच्चों को दे खकय दनु नमा का भन नहीॊ ऩसीजता

प्र. 4. ननम्ननरजखत काव्माॊश के आधाय ऩय ऩूछे गए प्रश्नों के सही उत्तय के नरए


उनचत ववकल्ऩ चुनकय नरजखए : 1 x 5 = 5
ओ भहभूदा भेयी हदर जजगयी
तेये साथ भैं बी छत ऩय खड़ी हूॉ
तुम्हायी यसोई तुम्हायी फैठक औय गाम-घय भें
ऩानी घुस आमा
उसभें तैय यहा है घय का साभान
तेये फाहय के फाग का सेफ का दयख्त
र्टूर्ट कय ऩानी के साथ फह यहा है
अगरे सार इसभें ऩहरी फाय सेफ रगने थे
तेयी फर खाकय जाती कश्भीयी कढ़ाई वारी चप्ऩर
हुसन
ै की ऩेशावयी जूती
फह यहे हैं गॊदरे ऩानी के साथ
तेयी ढरवाॉ छत ऩय फैठा है

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Bard Paper – 2015

घय के वऩॊजये का तोता
वह हपय वऩॊजये भें आना चाहता है
भहभूदा भेयी फहन
इसी ऩानी भें फह यही है तेयी राडरी गऊ
इसका फछड़ा ऩता नहीॊ कहाॉ है
तेयी गऊ के दध
ू बये थन
अकड़ कय रोहा हो गए हैं
जभ गमा है दध

सफ तयप ऩानी ही ऩानी
ऩूया शहय डर झीर हो गमा है
भहभूदा, भेयी भहभूदा
भैं तेये साथ खड़ी हूॉ
भुझे मकीन है छत ऩय जरुय
कोई ऩानी की फोतर नगये गी
कोई खाने का साभान मा दध
ू की थैरी
भें कुयफान उन फच्चों की भाॉओॊ ऩय
जो फाढ़ भें से ननकरकय
फच्चों की तयह ऩीहड़तों को
सुयजऺत स्थान ऩय ऩहुॉचा यही है
भहभूदा हभ दोनों हपय खड़े होंगे
भें तुम्हायी कभनरनी अऩनी धयती ऩय .....
उसे चूभ रेंगे अऩने सूखे होठों से
ऩानी की इस तफाही से हपय ननकर आएगा
भेया चाॉद जैसा जम्भू
भेया पूर जैसा कश्भीय।

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Bard Paper – 2015

(i) घय भें ऩानी घुसने का कायण है


(क) नर औय नारी की ऽयाफी
(ख) फाॉध का र्टूर्टना
(ग) प्राकृ नतक आऩदा
(घ) नदी भें रुकावर्ट

(ii) भहभूदा की फहन को ववश्वास नहीॊ है


(क) छत ऩय ऩानी की फोतर नगये गी
(ख) कुछ खाने-ऩीने की सहामता ऩहुॉचेगी
(ग) कोई हे नरकॉप्र्टय उन्हें फचाने छत ऩय आएगा
(घ) इस भुसीफत से ननकर जाएॉगे

(iii) ‘भेया चाॉद जैसा जम्भू


भेया पूर जैसा कश्भीय’ का बावाथय है
(क) जम्भू औय कश्भीय भें हपय से चाॉद हदखने रगेगा
(ख) जम्भू औय कश्भीय का सौंदमय वावऩस रौर्टे गा
(ग) जम्भू औय कश्भीय स्वगय है
(घ) जम्भू औय कश्भीय चाॉद औय पूर जैसा सुॊदय है

(iv) कवनमत्री भाताओॊ ऩय क्मों न्मौछावय होना चाहती है ?


(क) दस
ू यों को फचाने के कामय भें जुर्टी हैं
(ख) फच्चों को सुयजऺत स्थान ऩय ऩहुॉचा यही हैं
(ग) स्वमॊ बूखी यहकय फच्चों की दे खबार कयती हैं
(घ) यसद ऩहॉु चाने का कामय कय यही हैं

(v) ऩूया शहय डर झीर जैसा रग यहा है क्मोंहक


(क) डर झीर का पैराव फढ़ गमा है
(ख) ऩूये शहय भें ऩानी बय गमा है
(ग) ऩूये शहय भें नशकाये चरने रगे हैं

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Bard Paper – 2015

(घ) झीर भें नगय का प्रनतवफॊफ झरक यहा है

खॊड–‘ख’
प्र. 5. ननदे शानुसाय उत्तय दीजजए : 1 x 3 = 3

(क) भान रीजजए हक ऩुयाने ज़भाने भें बायत की एक स्त्री बी ऩढ़ी-नरखी न


थीॊ। (वाक्म-बेद नरजखए)

उत्तय:नभश्र वाक्म

(ख) एक नचहड़मा हभायी जखड़की ऩय डयी-डयी फैठी थी। (नभश्र वाक्म भें
फदनरए)
उत्तय:एक नचहड़मा हभायी जखड़की ऩय फैठी थी जो हक डयी-डयी थी।
(ग) झूयी के दोनों फैरों को गमा के घय भजफूयन जाना ऩड़ा। (सॊमक्त
ु वाक्म
भें फदनरए)
उत्तय:झूयी के दोनों फैरों को गमा के घय नहीॊ जाना था, उन्हें भजफूयन
जाना ऩड़ा।

प्र. 6. ननदे शानुसाय वाच्म-ऩरयवतयन कीजजए : 1 x 4 = 4


(क) भाॉ ने स्वाहदष्ट बोजन फनामा। (कभयवाच्म भें)
उत्तय:भाॉ द्वाया स्वाहदष्ट बोजन फनामा जाता है ।
(ख) मह दऩयण भुझसे नगय गमा था। (कृ तयवाच्म भें)
उत्तय: भुझसे दऩयण नगय गमा था ।
(ग) इतनी गभी भें कौन सो सकता है ?(बाववाचक भें)
उत्तय:इतनी गभी भें सोमा नहीॊ जाता है।
(घ) यातबय कैसे जागा जाएगा? (कृ तयवाच्म भें)
उत्तय:यातबय जागा नहीॊ जा सकता।

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प्र. 7. ये खाॊहकत ऩदों का ऩद-ऩरयचम दीजजए : 1 x 4 = 4


फारगोवफन बगत कफीय के गीतों को गाते औय उनके आदशों ऩय चरते थे।
उत्तय: कफीय - सॊऻा, व्मवक्तवाचक, ऩुजल्रॊग, एकवचन।

औय - सभुच्चमफोधक अव्मम ,सभानानधकयण मोजक,'फारबोनगन बगत


कफीय के गीतों को गाते' औय 'उनके आदे शों ऩय चरते थे' वाक्मों को
नभरा यहा है ।
उनके - ऩुरुषवाचक सवयनाभ, अन्म ऩुरुष, एकवचन, ऩुजल्रॊग, सॊफॊध कायक ।

चरते थे - हक्रमा, अकभयक, चर धातु, अन्म ऩुरुष, ऩुजल्रॊग, एकवचन, बूतकार,


कतृव
य ाच्म, कतयरय प्रमोग, कताय फारबोनगन बगत।

प्र. 8. (क) ननम्ननरजखत काव्माॊश ऩढ़कय यस ऩहचानकय नरजखए : 1 x 3 = 3


(i) कहत, नर्टत, यीझत, जखझत
नभरत, जखरत, रजजमात
बये बवन भें कयत हैं
नैननन ही सौं फात।
उत्तय:श्रृग
ॊ ाय यस
(ii) एक ओय अजगयहहॊ रजख एक ओय भृगयाम।
ववकर फर्टोही फीच ही, ऩमों भूयछा खाम।
उत्तय: अद्भत
ु यस
(iii) एक नभत्र फोरे “रारा तुभ ककस चक्की का खाते हो?
इतने भहॉ गे याशन भें बी, तुभ तोंद फढ़ाए जाते हो।”
उत्तय:हास्म यस

(ख) वीय यस का स्थामी बाव क्मा है ? 1


उत्तय: वीय यस का स्थामी बाव उत्साह है।

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खण्ड ग

प्र.9. ननम्ननरजखत गद्ाॊश को ऩढ़कय ऩूछे गए प्रश्नों के सही उत्तय वारे ववकल्ऩ
चुनकय नरजखए : 2+2+1 = 5

इसने उन्हें मश औय प्रनतिा तो फहुत दी, ऩय अथय नहीॊ औय शामद


नगयती आनथयक जस्थनत ने ही उनके व्मवक्तत्व के साये सकायात्भक ऩहरुओॊ
को ननचोड़ना शुरू कय हदमा। नसकुड़ती आनथयक जस्थनत के कायण औय अनधक
ववस्पारयत उनका अहॊ उन्हें इस फात तक की अनुभनत नहीॊ दे ता था हक वे
कभ-से-कभ अऩने फच्चों को तो अऩनी आनथयक वववशताओॊ का बागीदाय
फनाएॉ। नवाफी आदतें, अधूयी भहत्वकाॊऺाएॉ, हभेशा शीषय ऩय यहने के फाद
हानशए ऩय सयकते चरे जाने की मातना क्रोध फनकय हभेशा भाॉ को कॉऩाती-
थयथयाती यहती थीॊ। अऩनों के हाथों ववश्वासघात की जाने कैसी गहयी चोर्टें
होंगी वे जजन्होंने आॉख भूॉदकय सफका ववश्वास कयने वारे वऩता को फाद के
हदनों भें इतना शक्की फना हदमा था हक जफ-तफ हभ रोग बी उसकी चऩेर्ट
भें आते ही यहते।
(क) भन्नू बॊडायी के वऩता की नगयती आनथयक जस्थनत का उन ऩय क्मा प्रबाव
ऩड़ा?
उत्तय: भन्नू बॊडायी के वऩता की नगयती आनथयक जस्थनत ने उनके वऩता
को अहॊ वादी,क्रोधी,शक्की औय अन्तभुख
य ी फना हदमा था।
(ख) ऩहरे इन्दौय भें उनकी आनथयक जस्थनत कैसी यही होगी?
उत्तय:ऩहरे इॊ दौय भें उनकी आनथयक जस्थनत फड़ी अच्छी थी क्मोंहक उनके
वऩता काॊग्रेस के साथ जुड़े होने के साथ सभाज-सुधाय के कामय बी हकमा
कयते थे।कई फच्चों को भुफ्त भें ऩढ़ामा कयते थे औय काफ़ी दरयमाहदर
थे।
(ग) भन्नू के वऩता का स्वबाव शक्की क्मों हो गमा था?
उत्तय:भन्नू बॊडायी के वऩता का स्वबाव अऩने ही रोगों द्वाया ववश्वासघात
हकए जाने के कयण शक्की हो गमा था ।
अथवा

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ऩेर्ट बयने औय तन ढॉ कने की इच्छा भनुष्म की सॊस्कृ नत की जननी


नहीॊ है । ऩेर्ट बया औय तन ढॉ का होने ऩय बी ऐसा भानव जो वास्तव भें
सॊस्कृ त है , ननठल्रा नहीॊ फैठ सकता। हभायी सभ्मता का एक फड़ा अॊश हभें
ऐसे सॊस्कृ त आदनभमों से ही नभरा है , जजनकी चेतना ऩय स्थूर बौनतक
कायणों का प्रबाव प्रधान यहा है , हकन्तु उसका कुछ हहस्सा हभें भनीवषमों से
बी नभरा है जजन्होंने त्म-ववशेष को हकसी बौनतक प्रेयणा के वशीबूत होकय
नहीॊ, फजल्क उनके अऩने अॊदय की सहज सॊस्कृ नत के ही कायण प्राप्त हकमा
है । यात के तायों को दे खकय न सो सकने वारा भनीषी हभाये आज के ऻान
का ऐसा ही प्रथभ ऩुयस्कताय था।
(क) सॊस्कृ त व्मवक्त की कौन-सी ववशेषताएॉ फताई गई हैं ?
उत्तय:सॊस्कृ त व्मवक्त कबी ननठल्रा नहीॊ फैठ सकता वह अऩनी फुवद्ध औय
वववेक का प्रमोग कय नवीन त्मों का दशयन कयता यहता है।
(ख) यात के तायों को दे खकय न सो सकने वारे भनीषी को प्रथभ ऩुयस्कताय
क्मों कहा गमा है ?
उत्तय: यात के तायों को दे खकय न सो सकने वारे भनीषी को प्रथभ
ऩुयस्कताय इसनरए कहा गमा है क्मोंहक उन्होंने त्म-ववशेष को हकसी
बौनतक प्रेयणा के वशीबूत होकय नहीॊ , फजल्क उनके अऩने अॊदय की
सहज सॊस्कृ नत के ही कायण प्राप्त हकमा है।
(ग) ऩेर्ट बयना मा तन ढॉ कना भनुष्म की सॊस्कृ नत की जननी क्मों नहीॊ है ?
उत्तय:ऩेर्ट बयने औय तन ढॉ कने ऩय बी भनुष्म की इच्छाएॉ शाॊत नहीॊ
होती।वह ननठल्रा न फैठकय कुछ न कुछ कयता ही यहता है इसनरए
ऩेर्ट बयना मा तन ढॉ कना भनुष्म की सॊस्कृ नत की जननी नहीॊ है।

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प्र. 10. ननम्ननरजखत प्रश्नों के उत्तय सॊऺेऩ भें नरजखए : 25=10

(क) रेखक नार्टकों भें जस्त्रमों की बाषा प्राकृ त होने को उनकी अनशऺा का
प्रभाण नहीॊ भानता। इसके नरए वह क्मा तकय दे ता है ?

उत्तय: ऩुयाने ज़भाने की जस्त्रमों द्वाया प्राकृ त भें फोरना उनके अऩढ़ होने
का प्रभाण नहीॊ है,क्मोंहक फोरचार की बाषा प्राकृ त ही थी जजसे
सुनशजऺतों द्वाया बी फोरा जाता था। जजस तयह आज हहॊ दी जन
साधायण की बाषा है ।

महद हहॊ दी फोरना औय नरखना अऩढ़ औय अनशजऺत होने का प्रभाण


नहीॊ है , तो उस सभम प्राकृ त फोरने वारे बी अनऩढ़ मा गॉवाय नहीॊ हो
सकते। इसका एकभात्र कायण मही है हक प्राकृ त उस सभम की
सवयसाधायण की बाषा थी।अत:उस सभम की जस्त्रमों का प्राकृ त बाषा भें
फोरना उनके अऩढ़ होने का सफूत नहीॊ है ।

(ख) ‘स्त्री-नशऺा के ववयोधी कुतकों का खॊडन’ रेखक की दयू गाभी औय


खुरी सोच का ऩरयचामक है।कैसे?

उत्तय: भहावीय प्रसाद हद्ववेदी जी ने ननफॊध के भाध्मभ से मे स्ऩष्ट हो


जाता है हक उनकी सोच हकतनी दयू गाभी थी। उस सभम सभाज भें
स्त्री नशऺा ऩय प्रनतफॊध था।उन्होंने स्त्री नशऺा के भहत्त्व को सभाज के
साभने यखा।वे जानते थे हक घय की स्त्री के नशजऺत होने ऩय ऩूया
सभाज नशजऺत हो सकेगा औय याष्ट्र उन्ननत कये गा आज सभाज भें,
जस्त्रमों भें फहुत फदराव आमा है ।आज की जस्त्रमाॉ ऩुरुषों के सभान हैं ।मे
साये ऩरयवतयन ऐसी ही सोच का ऩरयणाभ है ।

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(ग) वफजस्भल्रा खाॉ जीवन बय ईश्वय से क्मा भाॉगते यहे , औय क्मों? इससे
उनकी हकस ववशेषता का ऩता चरता है ?

उत्तय: वफजस्भल्रा खाॉ बायत के सवयश्रि


े शहनाई वादक थे। वे अऩनी
करा के प्रनत ऩूणत
य मा सभवऩयत थे। उन्होंने जीवनबय सॊगीत को
सॊऩण
ू त
य ा व एकानधकाय से सीखने की इच्छा को अऩने अॊदय जजॊदा
यखा। वे अऩने सुयों को कबी बी ऩूणय नहीॊ सभझते थे इसनरए खुदा के
साभने वे नगड़नगड़ाकय कहते - ''भेये भानरक एक सुय फख्श दे । सुय भें
वह तासीय ऩैदा कय हक आॉखों से सच्चे भोती की तयह अनगढ़ आॉसू
ननकर आएॉ।'' खाॉ साहफ ने कबी बी धन-दौरत को ऩाने की इच्छा
नहीॊ की फजल्क उन्होंने सॊगीत को ही सवयश्रि
े भाना। वे कहते थे -
''भानरक से मही दआ
ु है -पर्टा सुय न फख्शें। रुॊनगमा का क्मा है, आज
पर्टी है , तो कर सी जाएगी।"

इससे मह ऩता चरता है हक वफजस्भल्रा खाॉ करा के अनन्म उऩासक


थे।

(घ) काशी भें हो यहे कौन-से ऩरयवतयन वफजस्भल्रा खाॉ को व्मनथत कयते
थे?

उत्तय: काशी की अनेकों ऩयम्ऩयाएॉ धीये -धीये रुप्त होती जा यही है।ऩहरे
काशी खानऩान की चीज़ों के नरए ववख्मात हुआ कयता था। ऩयन्तु अफ
वह फात नहीॊ यह गई है।कुरसुभ की छन्न कयती सॊगीतात्भक कचौड़ी
औय दे शी घी की जरेफी आज नहीॊ यही है ।सॊगीत, साहहत्म औय अदफ
की ऩयॊ ऩया भें बी धीये -धीये कभी आ गई है । अफ ऩहरे जैसा प्माय औय
बाईचाया हहन्दओ
ु ॊ औय भुसरभानों के फीच दे खने को नहीॊ
नभरता।गामक कराकायों के भन भें बी सॊगत कयने वारे कराकायों के
प्रनत फहुत अनधक सम्भान नहीॊ फचा है ।काशी की इन सबी रुप्त होती
ऩयॊ ऩयाओॊ के कायण वफजस्भल्रा खाॉ द:ु खी थे।

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प्र. 11. ननम्ननरजखत काव्माॊश के आधाय ऩय हदए गए प्रश्नों के उत्तय

नरजखए : 2+2+1=5

कहे उ रखन भुनन सीरु तुम्हाया। को नहह जन वफहदत सॊसाया।।

भाता वऩतहह उरयन बमे नीकें। गुयरयनु यहा सोचु फड़ जी कें।।

सो जनु हभये हह भाथें काढ़ा। हदन चनर गमे ब्माज फड़ फाढ़ा।।

अफ आननअ व्मवहरयआ फोरी। तुयत दे उॉ भैं थैरी खोरी।।

(क) रक्ष्भण ने ऩयशुयाभ ऩय क्मा व्मॊग्म हकमा?


उत्तय: महाॉ ऩय रक्ष्भण ने ऩयशुयाभ ऩय उनके शीर स्वबाव औय
भाता-वऩता के ऋण से भुक्त होने ऩय व्मॊग हकमा है हक हकस प्रकाय
ऩयशुयाभ ने वऩता के कहने ऩय अऩनी ही भाता का वध कय हदमा था।
(ख) महाॉ हकस गुरु-ऋण की फात हो यही है उसे चुकाने के नरए रक्ष्भण ने
ऩयशुयाभ को क्मा उऩाम सुझामा?
उत्तय:ऩयशुयाभ ने रक्ष्भण का नसय कार्ट कय गुरु ऋण चुकाने की फात
कही तो उसका व्मॊग्मात्भक उत्तय दे ते हुए रक्ष्भण ने कहा हक फहुत
हदन फीत जाने ऩय गुरु का ऋण बी फढ़ गमा होगा महद वे हहसाफ
रगाकय फता दें तो वह थैरी खोरकय उसे चुका दे गा।इस प्रकाय
रक्ष्भण ने व्मॊग्मात्भक रूऩ से ऩयशुयाभ को ऋण चुकाने का उऩाम
फतामा।
(ग) ‘भाता वऩतहह उरयन बमे ननकें’ ऩॊवक्त का आशम स्ऩष्ट कीजजए।
उत्तय: ‘भाता वऩतहह उरयन बमे ननकें’ ऩॊवक्त का आशम महाॉ ऩय
ऩयशुयाभ के क्रोध तथा क्रूयता ऩय रक्ष्भण द्वाया हकए गए व्मॊग से
है ।महाॉ ऩय कहने का तात्ऩमय मह है हक ऩयशुयाभ ने वऩता के कहने ऩय
अऩनी ही भाता का वध कय हदमा था।मही फात रक्ष्भण उन ऩय व्मॊग
कयते हुए कहते हैं।

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अथवा
तायसप्तक भें जफ फैठने रगता है उसका गरा
प्रेयणा साथ छोड़ती हुई उत्साह अस्त होता हुआ
आवाज़ से याख जैसा कुछ नगयता हुआ
तबी भुख्म गामक को ढाॉढ़स फॉधाता
कहीॊ से चरा आता है सॊगतकाय का स्वय।
(क) ‘याख जैसा’ हकसे कहा गमा है औय क्मों?
उत्तय:याख जैसा भुख्म गामक के गरे फैठने को कहा गमा है।महाॉ ऩय
कहने का तात्ऩमय मह है हक ऊॉचें स्वय भें गाते यहने के कायण जफ
भुख्म गामक का गरा फैठने रगता है तो उसकी आवाज डू फती सी
प्रतीत होती है।
(ख) ‘तायसप्तक भें जफ फैठने रगता है उसका गरा
प्रेयणा साथ छोड़ती हुई उत्साह अस्त होता हुआ’ – का बाव स्ऩष्ट
कीजजए।
उत्तय:इन ऩॊवक्तमों का बाव मह है हक तायसप्तक भें गाने के कायण कई
फाय कवव का गरा फैठने रगता है ,गाने की इच्छा सभाप्त होने रगती
है ,उसका उत्साह भॊद औय आवाज डू फने रगती है ।
(ग) ‘उसका गरा’ भें ‘उसका’ हकसके नरए प्रमुक्त हुआ है ?
उत्तय: ‘उसका गरा’ भें ‘उसका’ भुख्म गामक नरए प्रमुक्त हुआ है।

प्र. 12. ननम्ननरजखत प्रश्नों के उत्तय सॊऺेऩ भें नरजखए : 2 x 5 = 10

(क) ‘भृगतृष्णा’ हकसे कहते हैं ? ‘छामा भत छूना’ कववता भें इसका
प्रमोग हकस अथय भें हुआ है ?
उत्तय: भृगतृष्णा दो शब्दों से नभरकय फना है भृग व तृष्णा। इसका
अथय है आॉखों का भ्रभ अथायत ् जफ कोई चीज़ वास्तव भें न होकय भ्रभ
की जस्थनत फनाए, उसे भृगतृष्णा कहते हैं । इसका प्रमोग कववता भें
प्रबुता की खोज भें बर्टकने के सॊदबय भें हुआ है । इस तृष्णा भें पॉसकय
भनुष्म हहयन की बाॉनत भ्रभ भें ऩड़ा हुआ बर्टकता यहता है ।

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(ख) क्मा हुआ जो जखरा पूर यस फसॊत जाने ऩय?–का क्मा बाव है?
उत्तय: ‘क्मा हुआ जो जखरा पूर यस फसॊत जाने ऩय ऩॊवक्त का बाव
फीती फातों को बुराकय आगे फढ़ने से है।कवव के कहने का तात्ऩमय
महाॉ मह है हक भन भें फसी मादों औय कल्ऩनाओॊ भें न जीकय हभें
वतयभान को स्वीकाय कयके आगे का जीवन जीना चाहहए।
(ग) ‘कन्मादान’ कववता भें हकसे दख
ु वाॉचना नहीॊ आता था औय क्मों?
उत्तय:’कन्मादान’ कववता भें फेर्टी को द्ु ख फाॉचना नहीॊ आता है।फेर्टी
अबी सयर औय बोरी है।वह वैवाहहक जीवन के कष्टों औय दख
ु ों को
नहीॊ जानती है।
(घ)‘कन्मादान’ कववता की भाॉ ऩयॊ ऩयागत भाॉ से कैसे नबन्न है ?
उत्तय:’कन्मादान’ कववता की भाॉ ऩयॊ ऩयागत भाॉ से नबन्न इसनरए है
क्मोंहक वह अऩनी फेर्टी को ऩुयानी भान्मताओॊ के अनुसाय केवर एक
फेर्टी फनने की अथायत ् अत्माचाय सहने की सीख नहीॊ दे ती है फजल्क
अऩनी फेर्टी को सभाज की वस्तु जस्थनत से ऩरयनचत कयवा कय उसे
सचेत औय सावधान कयती है जजससे कोई उसका अनुनचत राब न
उठाएॉ ।
(ङ) भाॉ की सीख भें सभाज की कौन-सी कुयीनतमों की ओय सॊकेत हकमा
गमा है ?
उत्तय:भाॉ की सीख हभाये सभाज भें व्माप्त स्त्री-ऩुरुष
असभानता,भहहराओॊ का शोषण,अत्माचाय, दहे ज़ प्रथा आहद कुयीनतमों
की ओय सॊकेत कयती है।
फेहर्टमाॉ अऩने घय भें तो असभानता झेरती ही है ऩयन्तु ससुयार भें बी
उसके साथ दम
ु भ व्मवहाय ही हकमा जाता है।वे घय गृहस्थी सॊबारती
है , इसके फावजूद उस ऩय कई प्रकाय के अत्माचाय हकए जाते हैं ।कई
फाय तो उसे आग से जरा हदमा जाता है मा आत्भहत्मा कयने के नरए
भजफूय हकमा जाता जाता है।

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प्र.13. दे श की सीभा ऩय फैठे फ़ौजी कई तयह से कहठनाईमों का भुकाफरा कयते है।


सैननकों के जीवन से हकन-हकन जीवन-भूल्मों को अऩनामा जा सकता है ?
चचाय कीजजए। 5
उत्तय: 'साना साना हाथ जोहड' ऩाठ भें दे श की सीभा ऩय तैनात पौजजमों की
चचाय की गई है । वस्तुत: सैननक अऩने उत्तयदानमत्व का ननवायह ईभानदायी,
सभऩयण तथा अनुशासन से कयते है । सैननक दे श की सीभाओॊ की यऺा के
नरए कहर्टफध्द यहते है । दे श की सीभा ऩय फैठे फ़ौजी प्रकृ नत के प्रकोऩ को
सहन कयते हैं । हभाये सैननकों (पौजी) बाईमों को उन फपय से बयी ठॊ ड भें
हठठु यना ऩड़ता है । जहाॉ ऩय ताऩभान शून्म से बी नीचे नगय जाता है । वहाॉ
नसों भें खून को जभा दे ने वारी ठॊ ड होती है । वह वहाॉ सीभा की यऺा के
नरए तैनात यहते हैं औय हभ आयाभ से अऩने घयों ऩय फैठे यहते हैं । मे
जवान हय ऩर कहठनाइमों से जूझते हैं औय अऩनी जान हथेरी ऩय यखकय
जीते हैं । हभें सदा उनकी सराभती की दआ
ु कयनी चाहहए। उनके
ऩरयवायवारों के साथ हभेशा सहानुबनू त, प्माय व सम्भान के साथ ऩेश आना
चाहहए।
इन सैननकों के जीवन से हभें अर्टूर्ट दे शप्रेभ,त्माग,ननिा,सभऩयण आहद भूल्मों
को ह जीवन भें अऩनाना चाहहए।

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खण्ड घ

प्र. 14. ननम्ननरजखत भें से हकसी एक ववषम ऩय हदए गए सॊकेत-वफन्दओ


ु ॊ के
आधाय ऩय रगफग 250 शब्दों भें ननफॊध नरजखए :10

(क) प्रदष
ू ण : सभस्मा औय सभाधान

 प्रदष
ू ण के प्रकाय

 कायण औय प्रबाव

 उऩाम

आज के ववऻान-मुग भें प्रदष


ू ण की सभस्मा एक फड़ी चुनौती है ।
प्रदष
ू ण का अथय है -वामुभॊडर मा वातावयण का दवू षत होना।प्रदष
ू ण कई
तयह का होता है-जर प्रदष
ू ण, वामु प्रदष
ू ण औय ध्वनन
प्रदष
ू ण,यासामननक आहद।
उद्ोगों के ववस्ताय के कायण प्रदष
ू ण औय बी अनघक फढ़ा है । जहयीरे
ऩदाथय, झीरों,झयनों, नहदमों, सागयों तथा अन्म जराशमों भें जाते हैं
तो इससे ऩानी प्रदवू षत हो जाता है, उसकी गुणता घर्ट जाती है । इसके
अरावा नदी-ताराफों भें रोगों का नहाना, कऩड़े धोना, जानवयों की
गॊदगी डारने के कायण जर प्रदवू षत होता है जजससे तयह-तयह के
योग पैरते हैं ।
वामु भें हाननकायक ऩदाथों को छोड़ने से वामु प्रदवू षत हो जाती है । मह
स्वास््म सभस्मा ऩैदा कयती है तथा ऩमायवयण एवॊ सम्ऩवत्त को
नुकसान ऩहुॉचाती है । इससे ओजोन ऩतय भें फदराव आमा है जजससे
भौसभ भें ऩरयवतयन हो गमा है ।
भशीन, ये रगाहडमाॉ, ऩर्टाखे, ये हडमो व राउड-स्ऩीकय तेज़ी से फजाना
आहद से ध्वनन प्रदष
ू ण पैरता हैं । ध्वनन प्रदष
ू ण नीॊद, सुनना, सॊवाद
महाॉ तक शायीरयक तथा भाननसक स्वास््म को प्रबाववत कयते हैं ।
हभ प्रदष
ू ण को योकने के नरए कुछ ननम्न उऩामों को अऩना सकते हैं
जैसे-

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ध्वनन प्रदष
ू ण को योकने के नरए घय भें र्टी.वी., सॊगीत सॊसाधनों की
आवाज धीभी यखें,काय का हानय अनावश्मक न फजामें,राउड स्ऩीकय का
प्रमोग न कयें ,शादी वववाह भें फैंड-फाजे-ऩर्टाखे आहद व्मवहाय भें न
राऐॊ।
वामु प्रदष
ू ण से फचने के नरए-घय, पैक्री, वाहन के धुॉए को सीभा भें
यखें,ऩर्टाखों का इस्तेभार न कयें,कूड़ा-कचया जराऐॊ नहीॊ, ननमत स्थान
ऩय डारें,जरूयी हो तो थूकने के नरए फहती नानरमों मा थूकदान का
इस्तेभार कयें ।
जर प्रदष
ू ण से फचने के नरए-नारों-कुओॊ-ताराफों-नहदमों भें गन्दगी
न,सावयजननक जर ववतयण के साथ छे ड़छाड़ न कयें,ववसजयन ननमत
स्थान ऩय ही कयें ,ऩानी की एक बी फूॉद फफायद न कयें ।
यासामननक प्रदष
ू ण से फचने के नरए-यासामननक की जगह जैववक
खाद, प्राजस्र्टक की जगह कागज, ऩोनरस्र्टय की जगह सूती कऩड़े मा
जूर्ट आहद का इस्तेभार कयें,प्राजस्र्टक की थैनरमाॉ आहद यास्ते भें न
पेंकें,ज्मादा से ज्मादा ऩेड़-ऩौधे, हरयमारी रगाए।
अत:हभ सफको नभरकय प्रदष
ू ण को फढ़ने से योकना होगा अन्मथा
आनेवारे वषो भें हभाया जीवन दब
ू य हो जाएगा।

(ख) जीवन भें खेरों का भहत्त्व

 खेरकूद का भहत्त्व

 ववद्धानों के ववचाय

 स्वास््म, बाईचाये के नरए ज़रूयी

भनुष्म के जीवन भें आयॊ ब से ही खेरों का भहत्व यहा है । खेरों के


वफना भनुष्म अधूया है ।प्राचीन सभम भें तो उसके भनोयॊ जन का साधन
ही खेर हुआ कयते थे। स्वमॊ के भनोयॊ जन के नरए उसने ववनबन्न
तयह के खेरों की यचना बी की है औय आगे बी कयता यहा है । शयीय
को स्वस्थ यखने का एक साधन खेर बी है । आज खेर नशऺा का

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आवश्मक अॊग सभझा जाने रगा है । शायीरयक नशऺा भनुष्म के


सवायगीण ववकास भें सहामक है । सबी प्रकाय के कतयव्मों का ऩारन
स्वस्थ शयीय से ही सॊबव है । भनुष्म के व्मवक्तत्व के चहुॉभख
ु ी ववकास
भें खेर-कूद की भहत्त्वऩूणय बूनभका यहती है । खेरों से स्वस्थ प्रनतस्ऩधाय
की बावना उत्ऩन्न होती हैं जो सभाज को जोड़ने भें अऩनी बूनभका
ननबाते हैं ।

खेर कई तयह के होते हैं - हक्रकेर्ट , हॉकी, रॉन र्टे ननस, पुर्टफॉर जैसे
खेरों के नरए फड़े भैदान की ज़रुयत होती है । खो-खो , कफड्डी,र्टे फर-
र्टे ननस जैसे खेर छोर्टे भैदान भें बी खेरे जा सकते हैं ।महद हभ
ननमनभत रूऩ से खेरते यहते हैं ,तो हभाया स्वास््म ठीक यहता है ।हभ
चुस्त-दरू
ु स्त फने यहते हैं । इससे फीभारयमाॉ बी दयू यहती हैं साथ ही
डॉक्र्टय औय दवाईमों भें आने वारा खचाय बी कभ हो जाता है ।
ववद्ानथयमों के नरए तो खेर उत्तभ औषनध के सभान है । ऩढ़ाई कयने के
फाद खेरने से भन को नई शवक्त प्रदान होती है । खेरने से ववद्ानथयमों
भें उऩजा तनाव कभ होता है ।
आज हय दे श भें खेरों को आवश्मक औय भहत्वऩूणय स्थान हदमा जाता
है । स्कूरों भें फच्चों के सॊऩण
ू य ववकास के नरए अनेक प्रकाय के खेरों
की व्मवस्था होती है , इसनरए भाता-वऩता बी अऩने फच्चो को उसी
स्कूर भें डारना चाहते हैं जहाॉ खेरों को ज्मादा भहत्व हदमा जाता
है ।खेरों से सहमोग ,उदायता,सहनशीरता,अनुशासन बाईचाये आहद की
बावना तथा भेर जोर की आहद जैसे गुण ववकनसत होते है । खेरों
को व्मवसाम के रूऩ भें अऩनाने से जखराड़ी दे श-ववदे श भें मश औय
धन दोनों कभा यहे हैं । इन सफ फातों को दे खते हुए हभ खेरों के
भहत्व को नकाय नहीॊ सकते हैं । कई याष्ट्रीम औय फहुयाष्ट्रीम कॊऩननमा
खेर-क्रफों औय प्रनतबाशारी जखराहडमों को आनथयक सहामता दे यही है

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Bard Paper – 2015

। इसके अनतरयक्त प्राॊतीम ,याष्ट्रीम औय अॊतयायष्ट्रीम स्र्टाय ऩय खेर


प्रनतमोनगताओ का सभम-सभम ऩय आमोजन हो यहा है । प्रत्मेक
भनुष्म के नरए आज मह आवश्मक हो गमा है की वह अऩने आऩ को
खेरों से जोड़कय जीवन को सहे ज फनाकय जीने का प्रमास कये ।

(ग) भ्रष्टाचाय से भुक्त होगा दे श

 फढ़ता भ्रष्टाचाय

 भुवक्त के उऩाम

 भ्रष्टाचाय से भुक्त दे श की कल्ऩना

भ्रष्टाचाय अथायत ् भ्रष्ट + आचाय। भ्रष्ट मानी फुया मा वफगड़ा हुआ तथा
आचाय का भतरफ है आचयण। अथायत ् भ्रष्टाचाय का शाजब्दक अथय है
भ्रष्ट हकसी बी प्रकाय से अनैनतक औय अनुनचत हो। आज बायत भें
ऐसे कई व्मवक्त भौजूद हैं जो भ्रष्टाचायी है ।

आज हभ अऩने चायों ओय भ्रष्टाचाय के अनेक रुऩ दे ख सकते हैं जैसे


रयश्वत, कारा-फाजायी, जान-फूझकय दाभ फढ़ाना, ऩैसा रेकय काभ
कयना, सस्ता साभान राकय भहॉ गा फेचना आहद।

बष्ट्राचाय की रगी अगन है,

जजसने कय हदमा भूल्मों का दहन है ।

बष्ट्राचाय ने बमानक योग की तयह हभाये सभाज को खोखरा कय हदमा


है ।आज के आधुननक मुग भें व्मवक्त का जीवन अऩने स्वाथय तक
सीनभत होकय यह गमा है । प्रत्मेक कामय के ऩीछे स्वाथय प्रभुख हो गमा
है । असभानता, आनथयक, साभाजजक मा सम्भान, ऩद -प्रनतिा के कायण
बी व्मवक्त अऩने आऩको भ्रष्ट फना रेता है । बायत के अॊदय तो भ्रष्टाचाय
का पैराव हदन-बय-हदन फढ़ यहा है ।
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बष्ट्राचाय को तीन प्रभुख वगो भें ववबक्त कय सकते


हैं :याजनीनतक,प्रशासननक औय व्मावहारयक।आज सयकायी व गैयसयकायी
ववबाग से रेकय नशऺा के भॊहदय भाने जाने वारे स्कूर व कॉरेज बी
इस भ्रष्टाचाय से अछूते नहीॊ है । भ्रष्टाचाय हभाये नैनतक जीवन भूल्मों
ऩय सफसे फड़ा प्रहाय है ।

भ्रष्टाचाय के कायण बायतीम सॊस्कृ नत का ऩतन हो यहा है ।भ्रष्टाचाय दयू


कयने के नरए हभें नशऺण द्वाया व्महकत के भनोफर को उॉ चा उठाना
होगा। सफके नरए उनचत योज़गाय उऩरब्ध कया ना हो गा। सभाज भें
ववनबन्न स्तयों ऩय पैरे भ्रष्टाचाय को योकने के नरए कठोय दॊ ड-
व्मवस्था उऩरब्ध कयानी चाहहए। प्रत्मेक व्मवक्त को अऩने कतयव्मों का
ननवायह कयते हुए अऩने को इस भ्रष्टाचाय से फाहय ननकारना होगा। हभें
प्रशासन व शासन की व्मवस्था को ऩूयी तयह स्वच्छ व ऩायदशी
फनाना होगा।

प्र.15. अऩने वप्रम नभत्र को ऩत्र नरखकय धन्मवाद दीजजए की आड़े वक्त भें उसने
हकस तयह आऩका साथ हदमा था। 5

नेहरू छात्रावास
हदल्री ऩजब्रक स्कूर
नई हदल्री
हदनाॉक-30 भाचय 20XX
वप्रम याजीव
सप्रेभ नभस्ते
ऩत्र दे य से नरखने के नरए ऺभा चाहता ह।ॉू तुभ तो जानते ही हो हक भेयी
वावषयक ऩयीऺा चर यही थी।जजसके कायण भें तुम्हें ऩत्र नहीॊ नरख ऩामा। मह
ऩत्र भैंने तुम्हें धन्मवाद दे ने के नरए नरखा है।तुम्हें माद होगा ही हक
छात्रावास रौर्टने के ऩहरे भें तुम्हाये घय तुभसे नभरने आमा था, ऩयन्तु तुभ
नहीॊ नभरे औय उसी दौयान भेया ऩाठ्मक्रभ से सम्फॊनधत अनत भहत्त्वऩूणय

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कॉवऩमाॉ तुम्हाये ही घय छूर्ट गई, जजसका भुझे जया बी बान न था।छात्रावास


ऩहुॉचने के ऩिात ् जफ ऩयीऺा के नरए भुझे उन कॉवऩमों की माद आई तो भैं
ऩये शान हो उठा।कॉवऩमाॉ न नभरने ऩय भेयी ऩयीऺा की तैमायी ऩय ऩानी हपय
जाता।भैं फस-अड्डे बी गमा उन ऩुस्तकों के फाये भें जानने के नरए ऩयन्तु
कुछ बी ऩता न चरा उतावरेऩन की अऩनी इसी आदत को भैं कोसने रगा।
इसी उधेड़फुन भें था हक तुम्हाये चाचाजी दे वदत
ू की तयह ऩहुॉच गए औय
उन्होंने भेयी कॉवऩमाॉ भुझे रौर्टा दी। सच कहूॉ नभत्र भैं फता नहीॊ सकता उस
सभम भुझे हकतना आनॊद हुआ।
भैं तुम्हायी इस कृ ऩा के नरए आबाय व्मक्त कयता हॉू औय तुम्हाये चाचाजी को
हुए कष्ट के नरए ऺभा बी भाॉगता ह।ूॉ
तुम्हाया नभत्र
सौयब

प्र. 16. ननम्ननरजखत गद्ाॊश का शीषयक नरखकय एक-नतहाई शब्दों भें साय नरजखए
: 5

भधुय वचन सुनकय हकसका रृदम प्रसन्न नहीॊ हो जाता। भधुय वचन भीठी
औषनध के सभान रगते हैं तो कड़वे वचन तीय के सभान चुबते हैं। भधुय
वचन वास्तव भें औषनध के सभान दख
ु ी भन का उऩचाय कयते हैं। भधुय
वचन न केवर सुननेवारे अवऩतु फोरनेवारे को बी आजत्भक शाॊनत प्रदान
कयते हैं । जो व्मवक्त भधुय वचन नहीॊ फोरते, वे अऩनी ही वाणी का
दरू
ु ऩमोग कयते हैं। ऐसे व्मवक्त सॊसाय भें अऩनी साभाजजक प्रनतिा खो
फैठते हैं तथा अऩने जीवन को कष्टकायी फना रेते हैं। कड़वे वचनों से
उनके फनते कभ वफगड़ जाते है तथा वे प्रनतऩर अऩने ववयोनधमों व शत्रुओॊ
को जन्भ दे ते हैं। भुसीफत के सभम रोग उनसे भुॉह पेय रेते हैं। भधुय
वचन से कोभरता, नम्रता तथा सहहष्णुता की बावना का जन्भ होता है।
इन गुणों से व्मवक्त का व्मवक्तत्व ननखय उठता है। शाॊत व्मवक्त ही भधुय
वचन फोर ऩता है जफहक क्रोधी सदा दव
ु च
य न ही फोरता है। दव
ु च
य न सभाज

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भें ईष्माय, द्वे ष, रड़ाई, वैभनस्म, ननदा आहद दग


ु ण
ुय ों को जन्भ दे ते हैं।
भधुय वचन ननजित रूऩ से सॊसाय भें प्रेभ, बाईचाया तथा सुखों का सॊचाय
कयते हैं । भानव को सॊसाय की सुख-शाॊनत के नरए वाणी को ननमॊत्रण भें
यखकय सदा ही उसका सदऩ
ु मोग कयना चाहहए।

उत्तय: भधुय वचन भीठी औषनध के सभान दख


ु ी भन का उऩचाय औय
सुननेवारे को आजत्भक शाॊनत प्रदान कयते हैं ।इसके ववऩयीत जो भधुय
वचन नहीॊ फोरते वे अऩनी साभाजजक सम्भान औय जीवन को कष्टकायी
फना रेते हैं ।भधुय वचनों से जहाॉ कोभरता, नम्रता तथा सहहष्णुता की
बावना का ऩनऩती है वहीीँ दव
ु च
य न से सभाज भें ईष्माय, द्वे ष, रड़ाई,
वैभनस्म, ननॊदा आहद दग
ु ण
ुय ों को जन्भ होता है ।अत: भानव को सॊसाय की
सुख-शाॊनत के नरए वाणी को ननमॊत्रण भें यखकय सदा ही उसका सदऩ
ु मोग
कयना चाहहए।

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