Asth Sidhiya

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आठ प्रमुख सिद्धिय ाँ | Aath Siddhia | Ashta

Siddhia | Ashta Siddhi | Siddhia


Astrobix |

सिद्धि अर्था त पूर्ातथ की प्रथद्धि होनथ व िफलतथ की अनुभूसत सिलनथ. सिद्धि को प्रथि करने कथ
िथर्ा एक कसिन िथर्ा हो ओर जो इन सिद्धियोों को प्रथि कर लेतथ है वह जीवन की पूर्ातथ को
पथ लेतथ है . अिथिथन्य कौशल यथ क्षितथ असजा त करने को 'सिद्धि' कहथ र्यथ है . चित्कथररक
िथधनोों द्वथरथ 'अलौसकक शद्धियोों को पथनथ जैिे - सिव्यदृसि, अपनथ आकथर छोटथ कर लेनथ,
घटनथओों की स्मृसत प्रथि कर लेनथ इत्यथसि. 'सिद्धि' इिी अर्ा िें प्रयुि होती है .

शथस्त्ोों िें अनेक सिद्धियोों की चचथा की र्ई है और इन सिद्धियोों को यसि सनयसित और


अनुशथिनबि रहकर सकयथ जथए तो अनेक प्रकथर की परथ और अपरथ सिद्धियथाँ प्रथि सक जथ
िकती है . सिद्धियथाँ िो प्रकथर की होती हैं , एक परथ और िू िरी अपरथ. यह सिद्धियथों इों सियोों के
सनयों त्रर् और व्यथपकतथ को िशथा ती हैं . िब प्रकथर की उत्ति, िध्यि और अधि सिद्धियथाँ अपरथ
सिद्धियथों कहलथती है . िुख्य सिद्धियथाँ आि प्रकथर की कही र्ई हैं . इन सिद्धियोों को पथने के
उपरथों त िथधक के सलए िोंिथर िें कुछ भी अिोंभव नहीों रह जथतथ.

सिद्धियथों क्यथ हैं व इनिे क्यथ हो िकतथ है इन िभी कथ उल्लेख िथकंडे य पुरथर् तर्थ
ब्रह्मवैवतापुरथर् िें प्रथि होतथ है जो इि प्रकथर है :- असर्िथ लसघिथ र्ररिथ प्रथद्धि:
प्रथकथम्योंिसहिथ तर्थ। ईसशत्वों च वसशत्वोंच िवाकथिथवशथसयतथ:।।

यह आि िुख्य सिद्धियथाँ इि प्रकथर हैं :-

असिम सिद्धि | Anima Siddhi


अपने को िूक्ष्म बनथ लेने की क्षितथ ही असर्िथ है . यह सिद्धि यह वह सिद्धि है , सजििे युि
हो कर व्यद्धि िूक्ष्म रूप धर कर एक प्रकथर िे िू िरोों के सलए अदृश्य हो जथतथ है . इिके
द्वथरथ आकथर िें लघु होकर एक अर्ु रुप िें पररवसतात हो िकतथ है . अर्ु एवों परिथर्ुओों की
शद्धि िे िम्पन्न हो िथधक वीर व बलवथन हो जथतथ है . असर्िथ की सिद्धि िे िम्पन्न योर्ी
अपनी शद्धि द्वथरथ अपथर बल पथतथ है .

मसिम सिद्धि | Mahima Siddhi


अपने को बडथ एवों सवशथल बनथ लेने की क्षितथ को िसहिथ कहथ जथतथ है . यह आकथर को
सवस्तथर िे ती है सवशथलकथय स्वरुप को जन्म िे ने िें िहथयक है . इि सिद्धि िे िम्पन्न होकर
िथधक प्रकृसत को सवस्तथररत करने िें िक्षि होतथ है . सजि प्रकथर केवल ईश्वर ही अपनी इिी
सिद्धि िे ब्रह्मथण्ड कथ सवस्तथर करते हैं उिी प्रकथर िथधक भी इिे पथकर उन्हें जैिी शद्धि भी
पथतथ है .

गरिम सिद्धि | Garima Siddhi


इि सिद्धि िे िनुष्य अपने शरीर को सजतनथ चथहे , उतनथ भथरी बनथ िकतथ है . यह सिद्धि
िथधक को अनुभव करथती है सक उिकथ वजन यथ भथर उिके अनुिथर बहुत असधक बढ़ िकतथ
है सजिके द्वथरथ वह सकिी के हटथए यथ सहलथए जथने पर भी नहीों सहल िकतथ .

लसिम सिद्धि | Laghima Siddhi


स्वयों को हल्कथ बनथ लेने की क्षितथ ही लसघिथ सिद्धि होती है . लसघिथ सिद्धि िें िथधक स्वयों
को अत्योंत हल्कथ अनुभव करतथ है . इि सिव्य िहथसिद्धि के प्रभथव िे योर्ी िुिूर अनन्त तक
फैले हुए ब्रह्मथण्ड के सकिी भी पिथर्ा को अपने पथि बुलथकर उिको लघु करके अपने सहिथब
िे उििें पररवतान कर िकतथ है .

प्र द्धि सिद्धि | Prapti Siddhi


कुछ भी सनिथा र् कर लेने की क्षितथ इि सिद्धि के बल पर जो कुछ भी पथनथ चथहें उिे
प्रथि सकयथ जथ िकतथ है . इि सिद्धि को प्रथि करके िथधक सजि भी सकिी वस्तु की इच्छथ
करतथ है , वह अिोंभव होने पर भी उिे प्रथि हो जथती है . जैिे रे सर्स्तथन िें प्यथिे को पथनी
प्रथि हो िकतथ है यथ अिृत की चथह को भी पू रथ कर पथने िें वह िक्षि हो जथतथ है केवल
इिी सिद्धि द्वथरथ ही वह अिोंभव को भी िोंभव कर िकतथ है .

प्र क म्य सिद्धि | Prakamya Siddhi


कोई भी रूप धथरर् कर लेने की क्षितथ प्रथकथम्य सिद्धि की प्रथद्धि है . इिके सिि हो जथने
पर िन के सवचथर आपके अनुरुप पररवसतात होने लर्ते हैं . इि सिद्धि िें िथधक अत्योंत
शद्धिशथली शद्धि कथ अनुभव करतथ है . इि सिद्धि को पथने के बथि िनु ष्य सजि वस्तु सक
इच्छथ करतथ है उिे पथने िें कथियथब रहतथ है . व्यद्धि चथहे तो आििथन िें उड िकतथ है
और यसि चथहे तो पथनी पर चल िकतथ है .

ईसित सिद्धि | Ishta Siddhi


हर ित्तथ को जथन लेनथ और उि पर सनयोंत्रर् करनथ ही इि सिद्धि कथ अर्ा है . इि सिद्धि
को प्रथि करके िथधक ििस्त प्रभुत्व और असधकथर प्रथि करने िें िक्षि हो जथतथ है . सिद्धि
प्रथि होने पर अपने आिे श के अनुिथर सकिी पर भी असधकथर जिथय अजथ िकतथ है . वह
चथहे रथज्ोों िे लेकर िथम्रथज् ही क्योों न हो.
इि सिद्धि को पथने पर िथधक ईश रुप िें पररवसतात हो जथतथ है .

वसित सिद्धि | vashita siddhi


जीवन और िृत्यु पर सनयोंत्रर् पथ लेने की क्षितथ को वसशतथ यथ वसशकरर् कही जथती है . इि
सिद्धि के द्वथरथ जड, चेतन, जीव-जन्तु , पिथर्ा - प्रकृसत, िभी को स्वयों के वश िें सकयथ जथ िकतथ
है . इि सिद्धि िे िोंपन्न होने पर सकिी भी प्रथर्ी को अपने वश िें सकयथ जथ िकतथ है .

Laghimā (लसघिथ) is a Sanskrit word referring to the “ability to become very light”, as described in the
Yoga Sūtras of Patañjali.

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