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Asth Sidhiya
Asth Sidhiya
Asth Sidhiya
सिद्धि अर्था त पूर्ातथ की प्रथद्धि होनथ व िफलतथ की अनुभूसत सिलनथ. सिद्धि को प्रथि करने कथ
िथर्ा एक कसिन िथर्ा हो ओर जो इन सिद्धियोों को प्रथि कर लेतथ है वह जीवन की पूर्ातथ को
पथ लेतथ है . अिथिथन्य कौशल यथ क्षितथ असजा त करने को 'सिद्धि' कहथ र्यथ है . चित्कथररक
िथधनोों द्वथरथ 'अलौसकक शद्धियोों को पथनथ जैिे - सिव्यदृसि, अपनथ आकथर छोटथ कर लेनथ,
घटनथओों की स्मृसत प्रथि कर लेनथ इत्यथसि. 'सिद्धि' इिी अर्ा िें प्रयुि होती है .
सिद्धियथों क्यथ हैं व इनिे क्यथ हो िकतथ है इन िभी कथ उल्लेख िथकंडे य पुरथर् तर्थ
ब्रह्मवैवतापुरथर् िें प्रथि होतथ है जो इि प्रकथर है :- असर्िथ लसघिथ र्ररिथ प्रथद्धि:
प्रथकथम्योंिसहिथ तर्थ। ईसशत्वों च वसशत्वोंच िवाकथिथवशथसयतथ:।।
Laghimā (लसघिथ) is a Sanskrit word referring to the “ability to become very light”, as described in the
Yoga Sūtras of Patañjali.