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पपपपपपपपप
द पपपपप
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पंच ं गुली स धन

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त्वं ब्रह्म रूपम विष्णुस्वरूपं आत्मस्वरूपं दे ह
स्वरूपं

त्वमेि िरे ण्यम त्वमेि सद ऽहम गु रुदे ि


वनत्यम......

गु रु की आज्ञ , गु रु की कृप के विन कोई भी मन्त्र य तंत्र


य वसद्धि संभि नहीं अतः प्रथम गु रु पूजन, और म नवसक
रूप से आशीि ा द लेकर ही वकसी भी स धन में प्रिता होन
च वहए, यही वशष्य य स धक क कमा और धमा होन
च वहए.
भ इयो िहनों आप सभी को िसंत पंचमी की
ह वदा क शुभक मन ओं के स थ ही स धन की सफलत हे तु भी
शुभक मन एं ------

ये स धन सदगु रुदे ि द्व र प्रदत्त है , कई लोगों ने वकय , और


इसके आश्चयाजनक पररण म भी प्र प्त वकय , और मेर भी
स्वयं क अनुभूत है , भ इयो िहनों इसमें एक शंक लोगों को
रहती है और िो है की यंत्र, तो इसक सलुशन भी है वकन्तु
आज ‘शुक्ल पक्ष की पंचमी, निर त्री की पंचमी’ अतः इसक
ल भ तो उठ न ही च वहए, क्ोंवक इस स धन क आग ज
आज वकय तो वनवश्चत ही आगे आने ि ले समय में एक ि र
में ही पररण म भी प्रत्यक्ष होंगे.

आज की ज ने ि ली स धन में कोई
स मग्री य विशेस विध न की आिश्यकत नहीं है म त्र पीले
िस्त्र, पील आसन उत्तर वदश और आवद शद्धि क वचत्र,
और गु रु वचत्र तो अवनि या है ही.......

र त १० िजे स्न न करे और उत्तर वदश की ओर मुह करके


िैठ ज एँ , गु रु पूजन गणेश और भै रि पूजन करने के ि द
संकल्प लें और पंच न्गु ली ध्य न कर, वनम्न मन्त्र क ५१ ि र
जप कर लें....

स धन
विध न;
सिा प्रथम, गु रु मन्त्र जो भी आपक हो य ‘ॐ परम
तत्व य न र यण य गु रुभ्यो नमः’ की च र म ल करें |

‘ह्ीं’( HREEM) िीज क ७ ि र जप करे | इससे मन्त्र


प्र णमय हो ज ये ग |

इसके ि द एं ग(AING) िीज क स त ि र जप करें -----

ध्य न मन्त्र---

पं च ं गुली मह दे िी श्री सीमंधर श सने,

अवधष्ठ त्री करस्य सौ शद्धि: श्री वत्रदशेवितु : |

मन्त्र:_

‘ॐ नमो पंच ं गुली -पंच ं गुली परशरी परशरी म त मयंगल


िशीकरणी लोहमय दं डमवणनी चौसठ क म विहं डनी रणमध्ये
र उलमध्ये शत्रुमध्ये दीि नमध्ये भु तमध्ये प्रेतमध्ये वपश चमध्ये
झोव ं गमध्ये ड वकनीमध्ये शंद्धिनीमध्ये यवक्षणीमध्ये दोविणीमध्ये
शेद्धिनी मध्ये गु णीमध्ये ग रूणीमध्ये विन रीमध्ये दोिमध्ये
दोि शरणमध्ये दु ष्टमध्ये घोर कष्ट मुझ ऊपरे िु रो जो कोई
करे कर िे जड़े जड िे तत वचन्ते वचंत िे तस म थे
श्री पंच ं गुली दे िी तणों िज्र वनध ा र पड़े ॐ ठं ठं ठं स्व ह ’
|
‘OM NAMO PANCHAANGULI –PANCHAAGULI
PARSHARI PARSHARI MATA MAYNGAL VASHIKARNI
LOHMAY DANDMARNI CHAUSHATHA KAAM VIHDANI
RANMADHYE RAULMADHYE SHATRUMADHYE
DEEVANMADHYE BHUTMADHYE PRETMADHYE
PISHACHMADHYE JHOTINGMADHYE DAKINIMADHYE
SHANKHINIMADHYE
YAKSHINIMADHYE SHEKANIMADHYE GUNI MADHYE
GARUNI MADHYE VINARIMADHYE
DOSHMADHYE DOSHAASHARAN MADHYE DUSHT
MADHYE GHOR KASHT MUJH UPARE BURO JO KOI
KARE KARAVE JADE JADAVE TAT CHINTE CHINTAVE
TAS MATHE SHREE MATA SHREE PANCHAANGULI
DEVI TANO VAJRA NIRDHAR PADE OM THAM-THAM
THAM SWAHA’|

मन्त्र पूणा होने के ि द मन्त्र गु रुदे ि को समवपात करें प ं च


वदनों तक प्रवतवदन यही क्रम होग प ं च वदनों के ि द, म ँ
पंच न्गु ली दे िी क पूणा पूजन कर िीर क भोग लग कर
वकसी कन्य को भोजन कर दे न च वहए और सफलत की
क मन करन च वहए |

मन्त्र आपके स मने है और अभी समय भी है जो इसे करन


च हें तो १०, िजे,११ िजे, ११: ३०िजे भी आप िैठ सकते
हैं , वकन्तु करके दे िें जरुर, क्ोंवक स धन क प्रवतफल तो
करने पर ही दे ि प एं गे न, अतः स धन करें जरुर.
भ इयो िहनों, जो भी यंत्र के स थ ही स धन करन च हें
तो भी परे श न न हों यंत्र भी आपको वमल ज येग वकन्तु इसके
वलए वफर आपको अगले म ह की पंचमी क इन्तज र करन
पड़े ग और इसके स थ ही ति यंत्र और वचत्र की भी व्यिस्थ
कर लीवजए, वकन्तु ति तक आप इस मन्त्र को प्रवतवदन
करके न केिल य द कर लीवजए और अपने प्र णों में सम वहत
भी, क्ोंवक जि मन्त्र की क्रमशः पुनर िृवत्त होती है तो मन्त्र
और स धक दोनों ही एक होने की वक्रय प्र रम्भ हो ज ती है
और मन्त्र प्र णमय होने लगत है और ति वसद्धि की द्धिवथ
िनने लगती है , तो आप सि तैय र हो ज इये , स धन के
मह स गर से एक और मोती चुनने हे तु-----

आप सभी को मेरी शुभक मन एं स धन करें स धन मय


िनें......

नमो वनद्धिलम्

वनद्धिल प्रण म।।


जय सद् गु रुदे ि।।

‘रजनी वनद्धिल’

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