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इसको ४ तरीको से ककया जा सकता है –

किन में धूप में,रात में किराग के उजाले में ,शीशे के सामने किन या रात में या किर कसिफ
रात में.
और जब तक किया खत्म ना हो तब तक हमजाि से कोई बात नहीीं करना िाकहए. ना ही
कोई वस्तु उससे लेनी िाकहए .िाहे वो ये कहे की अब तो मैं आ गया हूँ और किया खत्म
कर िो तब भी अपनी किया को बींि नहीीं करना िाकहए .जब किया पूरी हो जाये और वो
आपसे बात करे तो बहुत ही होकशयारी से उसका जवाब िे ना िाकहए, क्ूींकक वो बिले में
अपनी शते आपके सामने रखता है .
इस प्रकार कई ऐसी बाते हैं जो की उन्ोींने मुझे समझाई और कजनका प्रयोग मैंने करके
सिलता भी पाई. और बहुत से कवधान भी समझाए पर वो अत्यकधक ककिन भी है और उन्ें
पूरा करने के कलए बता की आत्म शक्ति भी िाकहए.और यकि मैं उन तरीको को यहाूँ पर
रखता तो आप सभी को लगता की हम ककिन कियाओीं को ही बताने के कलए कलख रहे
हैं पर उन्ी तरीको में से एक सरल परन्तु अिूक कवकध मैं आपके सामने रख रहा हूँ
कजसका प्रयोग मैंने भी करके िे खा है और शतप्रकतशत सिलता भी पाई थी.
कवकध मात्र ये है की आप अपना नाम ९० किनोीं तक प्रकतकिन ३१२५ बार कहे पर जब भी
नाम ले तब नाम के आगे या लगाया करे , जैसे की मान लीकजए आप का नाम आकित्य है
तो अमल के समय ‘या आकित्य’ कहे . ये किया अकेले में करना जरुरी है
जहा इतना प्रकाश हो की आप को आपका साया किखाई िे ता हो इसके कलए यकि रात में
अभ्यास कर रहे हो तो कमट्टी के किए में सरसोीं के ते ल का किराग जला ले . और एक
कनयत समय पर इस अभ्यास को करना है . साफ़ कपडे पहने हुए हो.
कजतने किन भी आप ये अभ्यास करें गे कोई और उस कमरे या स्थान पर न जाये इस बात
का कवशेष ध्यान रक्तखयेगा.और जब भी आप कोई िीज खाए पीये तो खाने या पीने के पहले
थोडा सा कहस्सा जमीीं पर डाल किया करे .और ये कहे की लो आकित्य तुम खा लो या पी
लो.ये तुम्हारा कहस्सा है .
यकि आपने ये िम बगैर िुके ९० किन कर कलया तो कनकित ही एक सौम्य परन्तु तीव्र शक्ति
शाली हमजाि आपके कामो को सरल करने के कलए आपके वश में होगा, ये धीरे धीरे
आपके सामने आते जाता है और अींततः आपके सामने प्रत्यक्ष हो जाता है , किर आप जो
भी आज्ञा िे ते हैं वो उसे पूरी करता ही है ,
हाूँ एक बात याि रक्तखयेगा की जब भी आपके ककसी काम को पूरा करने के कलए जायेगा
उतनी िे र तक जब तक वो वाकपस नहीीं आ जाट तब तक के कलए आपकी परछाई गायब ही
रहे गी.ये आपको अन्य हमजाि प्रयोगोीं जैसे कोई नुकसान भी नहीीं पहुिता. साधना बीि में
बींि होने पर कोई अकहत भी नहीीं होता है .ये आपकी अपनी वो शक्ति होगी,जो की हमेशा
श्रेष्ठ कायों में आपकी मिि ककया करे गा. इस किया में और कोई बींधन भी नहीीं है .
मैं बहुत शुि गुजार हूँ हसि बक्स जी का की ये िु लफभ ज्ञान उन्ोींने मुझे किया. यकि
सिगुरुिे व का आशीवाफ ि रहा तो और भी गोपनीय पक्ष व प्रयोग भकवष्य में आपके सामने
रखूूँगा

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