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॥श्री मूकाम्बिका म्बिव्य-सहस्रनाम-स्तोत्रम ॥
॥ ॐ ऐ ं ह्रीं श्रीं मक
ू ाम्बिकायै नमः ॥
This beautiful Sahasranama of Shri Mukambika Devi is taken from the
chapter called Kolapura Maahaatmyam of Skanda Mahapurana.

This is a very powerful hymn and a single repetition of this hymn is


said to be equal to Sahasra-Chandi Homa.

Shri Mukaambika is the combination of not only the three prime deities
Mahakali, Mahalakshmi and Mahasarasvati, but also all the other forms
of Shridevi like Kaushiki, Mahishamardini, Shatakshi and all other
gods and goddesses.

By simply chanting this great hymn, one can please all the 300-crores
of devas who reside in Shridevi. This is a lesser known hymn probably
because it was handed over from a Guru to Shishya, during the
initiation into the Mulamantra of Shri Mukaambika, known as Gauri
Pancha-dashaakshari.

Sage Markandeya says that this hymn is of indescribable glory and


should never be given to the ignorant who do not worship Shri devi
and those who are not into initiated into the secrets of Kulaachaara!
Please use it with proper discernment.

यह "म्िव्य-वर-सहस्रनाम" िहुत ही गप्तु , प्रभावशाली, म्िव्य और शम्िशाली नाम-स्तोत्र है । इसका


पाठ करने से सभी िेवी-िेवताओ ं की असीम कृ पा प्राप्त होती है । साधक के सभी कायय म्सद्ध होते हैं ।
माता के मन्त्त्र-जप आम्ि से, िेवी-माता का १०८-नाम स्तोत्र, १००८-नाम स्तोत्र, कवच पाठ, ज्यािा
सरु म्ित रहता है, इसमे म्कसी तरह का खतरा नहीं होता है ।
मकू ाम्बिका रूप, मााँ का एक िहुत ही सौबय रूप है । िगु ाय-चण्डी-काली और अन्त्य सभी िेम्वयााँ इस
रूप में म्वद्यमान हैं, और हमेशा अपनी-अपनी कृ पा िरसाने के म्लये, इस सहस्त्रनाम का पाठ करने वाले
साधक के उपर भी, आतरु रहती है ।
साधक को िहुत ही सावधान होकर, शद्ध ु मन और भम्ि से ही यह पाठ करना चाम्हये, और सहस्त्रनाम
के साथ माता का, कोई भी एक शम्िशाली कवच ( िगु ाय-चण्डी-काली, िश-महाम्वद्या, म्शव, मृत्यञ्ु जय
आम्ि) का पाठ भी कर लेना चाम्हये । इससे म्कसी भी तरह के अम्नष्ट से अपनी रिा होती है ।

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म्कसी भी पजू ा मे पहले, गणेश, गरुु , म्शव जी की पजू ा जरूर कर लेनी चाम्हये ।
अपने कुलिेवता को भी स्मरण कर लेना चाम्हये ।

सस्ं कृ त में तंत्र - मत्रं - कथा - स्तोत्र - कवच - सहस्त्रनाम आम्ि की रचना करते समय जान-िझू कर
वणो और शब्िों को जोड़-जोड़ कर िड़ा रखा गया है , ताम्क इसका सही अथय योग्य लोगों को ही गरुु -
और- म्वद्वान लोगों के द्वारा सही लोगों को ही म्मले । जो भी रचनायें की गयी है , वह जन-कल्याण के
म्लये ही की गयी है । परन्त्तु िष्टु ों और इसका िरुू पयोग करने वालों से ही गप्तु रखने ( म्कसी भी कीमत
पर ) को कहा गया है । सभी से गप्तु रखने को नहीं ।

इसम्लये इस िेवी-सहत्रनाम को सरल-सल ु भ करने के साथ-साथ सही अथय ही म्नकले, म्िखे इसका
प्रयास म्कया गया है । शब्ि सरल हो जाने से िहुत से अथय समझने मे आसानी हो जाती है-
मैने यहां कम्ठन शब्िों को -
"-" लगाकर छोटा और सरल करने का प्रयास म्कया है ।
कुछ कम्ठन शब्ि * म्चम्न्त्हत कर उसी लाईन के िाि, सरल करने का प्रयास म्कया है,
साधक लोग िोनों शब्िों को एक ही जगह पर िेख कर, ठीक से पढ़ सकें , तल ु ना करें , समझें और गलत
लगे तो ठीक कर लें |

िहुत ही कम शब्िों का संम्ध-म्वच्छे ि म्कया, और करके , उसका मल ू अथय साफ-२ म्िखे, ऐसा प्रयास
म्कया है, ताम्क साधक गण िेखें, शब्ि कै से छुपे हुए है । यह भी ध्यान रखें यह िहुत ही गढ़ू म्वद्या है,
अतः शब्िों के अन्त्य अथय (या िहुत से अथय) भी हो सकते है ।

कुछ शब्िों मे "?" लगाकर सरल करने के प्रयास के साथ-साथ, कुछ और अथय भी हो सकते है, पाठकों
के उपर छोड़ म्िया ।

कहीं कोई त्रम्ु ट न हो, इसका ध्यान रखने का पणू य प्रयास म्कया गया है । म्फर भी कुछ गलती हो, त्रम्ु ट
हो, तो उसमें उम्चत सधु ार कर लें ।
यह म्सफय िेखने, पढ़ने, समझने और प्रैम्टटस करने के म्लये है । माता का नाम ज्यािा-से-ज्यािा पढ़ने
से, कोई हाम्न नहीं होती, पर प्रैम्टटस के िाि आप अपना मल ू पाठ ही पजू ा में उपयोग करें ॥ कोई भी
पाठ गलत नहीं है, पर अलग-अलग पस्ु तकों में नाम में कुछ न कुछ म्वम्भन्त्नता म्मलती ही है । सि माता
का ही नाम है । आपकी श्रद्धा-भम्ि और आपका म्वश्वास िड़ी िात है ।
" जय माता िी "
(धन्त्यवाि) < Share if you like >

This Article is Prepared / formatted by : V. K. Rakesh (MSc, B.Ed, PG DCA),


Email : viky1966@yahoo.co.in

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सूत उवाच-
ु कै लास-म्बिखरे माकक ण्डेयो महामम्बु निः।
परा

पप्रच्छ म्बिम्बरजा-नाथं म्बसद्ध-िन्धवक-सेम्बवतम ।१।
सहस्राकक -प्रतीकािं म्बत्रनेत्र ं चन्द्र-िेखरं ।
भिवत्या कृ तं कमक िानवानां रणे कथम ।२। ्
श्री म्बिव उवाच-
शृण ु वत्स प्रवक्ष्याम्बम यन्ां त्वं पम्बर-पृच्छम्बस।
ु श्री-मकहालक्ष्ीिः योऽसौभाग्यवती परा।३।
म्बत्रिणा
योिम्बनद्रा-म्बनमग्नस्य म्बवष्ोिः अम्बमत-तेजसिः।
पपजूष-तत-सम ् िु -भू
् तौ म्बवख्यातौ मध-ु कै टभौ ।४।
् यो यद्धु ं सावक-भयङ्करम।्
तयोिः म्बवष्ोिः अभूि-भू
चम्बिणा म्बनहतावेतौ महामाया-म्बवमोम्बहतौ।५।
अथ िेव-िरीरेभ्यिः प्रादुभूतक ा महेश्वरी ।

मम्बहषं सा महावीयं अवधीन-नाम-रूपकम ्
।६।

ततो िैत्यार्दितिःै िेविःै परुहूत-आम्बिम्बभिः स्ततु ा।
स ैषा भिवती िैत्य ं धूम्र-लोचन-संम्बितम ।७। ्
चण्ड-मण्ु डौ महावीयौ रक्तबीजं भयङ्करम।्
े ं म्बनिम्भ
म्बनहत्य िेवी िैत्यन्द्र ्
ु मरुु -म्बविमम।८।
ु पणम ।्
ु ासरंु महावीयं िेवता-मृत्य-रूम्ब
िम्भ
ु मानं सस ैन्यं तं अवधीि-अम्ब
यध्य ु
् िका पनिः।९।
् ऋषयिः म्बसद्धािः िन्धवाकि-च
िेवाि-च ् मिु ा तिा।
तष्टु व ्
ु िःु भम्बक्त-नम्रात्म-मूतयक िः परमेश्वरीम ।१०।

सूत उवाच-
् ण्डेयो महामम्बु निः। *एतत-श्र
ु ा* म्बिवोक्तं तत माकक
एतत्च्छ्रत्व ् त्व
ु ा
एतत-श्र ् त्व ्
ु ा पद्म ै-नाकम्ां सहस्रेण पूजयामास तां म्बिवाम ।११।

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॥ म्बवम्बनयोििः ॥
ॐ अस्य श्री मूक-अम्बिकायािः वर-म्बिव्य-सहस्रनाम-स्तोत्रमाला-महा-मन्त्रस्य
माकक ण्डेय भिवान ् ऋम्बषिः िायत्री छन्दिः, म्बत्रमूत्यक्य
ै (म्बत्रमूत्य-क ऐक्य) स्वरूम्बपणी
ु त्मका श्री मूकाम्बिका िेवता, ह्ां बीजं,
महाकाली-महालक्ष्ी-महा-सरस्वती म्बत्रिणाम्ब
ह्ीं िम्बक्तिः, ह्रं कीलकं , श्री मूकाम्बिका वर-प्रसाि-म्बसद्धयथे जपे म्बवम्बनयोििः॥
[ ह्ां इत्याम्बि वा मूकाम्बिकायािः िौरी पञ्चििाक्षयाकख्या बालकुमाम्बरका म्बवद्यया वा न्यासमाचरेत ]्
ऋष्याम्बिन्यासिः-
ु े । मूकाम्बिका िेवताय ै नमिः
माकक ण्डेय ऋषये नमिः म्बिरम्बस । िायत्री छन्दसे नमिः मख
ु । ह्ीं िक्त्य ै नमिः पाियोिः॥ ह्रं कीलकाय ै नमिः सवाकङ्गे ।
हृम्बि । ह्ां बीजाय नमिः िह्ये
करन्यास:-

ॐ ह्ां अंिष्ठाभ्यां नमिः। ॐ ह्ीं तजकनीभ्यां स्वाहा । ॐ ह्रं मध्यमाभ्यां वौषट ् । ॐ ह्ैं
अनाम्बमकाभ्यां हंम । ॐ ह्ौं कम्बनष्ठकाभ्यां वौषट । ॐ ह्िः करतल कर पृष्ठाभ्यां फट ् ॥
अङ्गन्यासिः-
ॐ ह्ााँ हृियाय नमिः। ॐ ह्ीं म्बिरसे स्वाहा । ॐ ह्रं म्बिखाय ै वषट ् ।
ॐ ह्ैं कवचाय हम ।् ॐ ह्ौं नेत्रत्रयाय वौषट ् । ॐ ह्िः अस्त्राय फट ् ॥
ध्यानम ्
िैलाम्बध-राज-तनयां िरम्बिन्दु-कोम्बट-भास्वन ,्
ु करीट-यतु ां म्बत्रनेत्राम ।्
ु ािज-म्ब
मख
िङ्खायक-भीम्बत-वर-वयककरां मनोिां,
मूकाम्बिकां मम्बु न-सरा-अभयिां
ु स्मराम्बम ।१२।
प्रमत्त मध-ु कै टभौ मम्बहष-िानवं याऽवधीत ,्
स-धूम्र-नयनाह्वयौ सबल-चण्ड-मण्ु डावम्बप ।
ु भयङ्कर-म्बनिभु -िम्भ
स-रक्त-िनजौ ु ासरौ
ु असौ,
भिवती सिा हृम्बि म्बवभात ु मूकाम्बिका ।१३।
प्रपन्न-जन-कामिां प्रबल-मूक-िपाकपहां

अनष्-स ु
कलाधरां ् िताम।्
अम्बरिरा-भयेष्ट-आम्ब
ु कुटज-िैल-मूलाम्बश्रतां,
तम्बटि-म्ब् वसर-भासरां
ु त्मकां अन-भजाम्ब
अिेष-म्बवभधाम्ब ु ्
म मूकाम्बिकाम ।१४।

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मानम्बसक-पूजनिः- ॥लम्बमत्याम्बि पञ्चपूजा॥


ॐ लं पृथ्वी तत्त्वात्वकं िन्धं श्री मूकाम्बिका-प्रीतये समप कयाम्बम नमिः।
ु श्री मूकाम्बिका-प्रीतये समप कयाम्बम नमिः।
ॐ हं आकाि तत्त्वात्वकं पष्पं
ॐ यं वाय ु तत्त्वात्वकं धूप ं श्री मूकाम्बिका-प्रीतये घ्रापयाम्बम नमिः।
ॐ रं अम्बग्न तत्त्वात्वकं िीपं श्री मूकाम्बिका-प्रीतये ििकयाम्बम नमिः।
ॐ वं जल तत्त्वात्वकं न ैवेद्य ं श्री मूकाम्बिका-प्रीतये म्बनवेियाम्बम नमिः।
ॐ सं सवक-तत्त्वात्वकं तािूलं श्री मूकाम्बिका-प्रीतये समप कयाम्बम नमिः।
श्री माकक ण्डेय उवाच –
॥ सहस्रनाम - मूल पाठ ॥
श्रीं ह्ीं ऐ ं ॐ
मूकाम्बिका मूकमाता मूक-वाग्भूम्बत-िाम्बयनी |
महालक्ष्ीिः महािेवी महारज्य-प्रिाम्बयनी ।
महोिया महारूपा मान्या मम्बहत-म्बविमा ।

मनवन्द्या मम्बन्त्र-वयाक महेष्वासा मन्सम्बवनी।१।
मेनका-तनया माता मम्बहता मातृ-पूम्बजता ।
महती मार-जननी मृत-संजीम्बवनी मम्बतिः।
महनीया मिोल्लासा मन्दार-कुसम-प्रभा
ु ।
माधवी मम्बल्लका-पूज्या मलयाचल-वाम्बसनी ।२।
महाङ्क-भम्बिनी मूताक महा-सारस्वत-प्रिा ।
मत्यक-लोकाश्रया मन्यिःु मम्बतिा मोक्ष-िाम्बयनी ।
महापूज्या मखफल-प्रिा मघविाश्रया ।
ु ष्ठा महौषम्बधिः।३।
मरीम्बच-मारुत-प्राणािः मन-ज्ये
ु ाभरणा मङ्गल-प्रिा ।
महा-कारुम्बणका मक्त
मम्बण-माम्बणक्य-िोभाढ्या मिहीना मिोत्कटा।
महा-भाग्यवती मन्द-म्बस्मता मन्थ-सेम्बवता ।
ु षणी मिलालसा।४।
माया म्बवद्यामयी मंज-भाम्ब
ु थनी मृदुभाषा मृडम्बप्रया ।
मृडाणी मृत्य-मम्ब
मन्त्रिा म्बमत्र-सङ्कािा मम्बु निः मम्बहष-मर्दिनी ।

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महोिया महोरस्का मृि-दृम्बष्टिः महेश्वरी ।


मृनाल-िीतला मृत्यिःु मेरु-मन्दर-वाम्बसनी।५।
मेध्या मातङ्ग-िमना महामारी-स्वरूम्बपणी ।
मेघ-श्यामा मेघनािा मीनाक्षी मिनाकृ म्बतिः।

मनोन्यी महामाया मम्बहषासर-मोक्षिा ।
मेनका-वम्बन्दता मेन्या मम्बु न-वम्बन्दत-पादुका।६।

मृत्य-वन्द्या ु
मृत्य-िात्री ु
मोम्बहनी म्बमथना-कृ म्बतिः ।
महारूपा मोम्बहताङ्गी मम्बु न-मानस-संम्बिता ।
मोहना-कार-विना ु ला-यधु -धाम्बरणी ।
मस
मरीम्बच-माला माम्बणक्य-भूषणा मन्द-िाम्बमनी।७।
मम्बहषी मारुत-िम्बतिः महा-लावण्य-िाम्बलनी ।
मृिण्ि-नाम्बिनी मैत्री मम्बिरा-मोि-लालसा।
माया-मयी मोह-नािा मम्बु न-मानस-मम्बन्दरा ।
माताकण्ड-कोम्बट-म्बकरणा म्बमथ्या-िान-म्बनवाम्बरणी।८।
मृिाङ्क-विना मािक-िाम्बयनी मृि-नाम्बभ-धृक ् ।
मन्द-मारुत-सम्सेव्या मिु ार-तरु-मूलिा ।
मन्द-हासा मि-करी मध-ु पान-समद्य
ु ता ।
मधरु ा माधव-नता
ु माधवी माधवार्दचता*।९। *माधव-अर्दचता
माताकण्ड-कोम्बट-जननी माताकण्ड-िम्बत-िाम्बयनी ।
मृनाल-मूर्दतिः मायावी महा-साम्राज्य-िाम्बयनी ।
ु ी काली कच-म्बनर्दजत-भृम्बङ्गका ।
कान्ता कान्त-मख
कञ्जाक्षी कञ्ज-विना कस्तूरी-म्बतलकोज्जवला*।१०। *म्बतलक-उज्जवला
कम्बलकाकार-विना क
कपूरामोि-सम्य ु ।
ता
कोम्बकलालाप-सङ्गीता कनकाकृ म्बत-म्बबिभृत ।्

कि-कण्ठी कञ्ज-हारा कम्बल-िोष-म्बवनाम्बिनी ।

कञ्चकाढ्या कञ्ज-रूपा काञ्ची-भूषण-राम्बजता।११।
कण्ठीर-वम्बजता-मध्या काञ्ची-िाम-म्बवभूम्बषता ।
कृ त-म्बकम्बङ्कम्बणका-िोभा काञ्चनस्रा-म्बवनीम्बवका।

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काञ्चनोत्तम-िोभाढ्या कनका-क्लृप्त-पादुका ।
कण्ठीरव-समासीना कण्ठीरव-परािमा।१२।
कल्याणी कमला काम्या कमनीया कलावती ।
कृ म्बतिः कल्प-तरुिः कीर्दतिः कुटजाचल-वाम्बसनी।
कम्बवम्बप्रया काव्य-लोला कपिी-रुम्बचराकृ म्बतिः ।
कण्ठीरव-ध्वजा कामरूपा काम्बमत-िाम्बयनी ।१३।
कृ षाणिःु के िवनता
ु कृ तप्रिा कृ िोिरी ।
े ा कृ िाकर्दषत-पातका ।
कोिाधीश्वर-संसव्य
करीन्द्र-िाम्बमनी के ळी कुमारी कल-भाम्बषणी ।

कम्बल-िोष-हरा काष्ठा करवीर-समन-म्बप्रया।१४।

कलारूपा कृ ष्नता कलाधर-सपूु म्बजता ।
कुब्जा कञ्जेक्षणा कन्या कलाधर-मख
ु ा कम्बविः।
कला कलाङ्गी कावेरी कौमिु ी काल-रूम्बपणी ।
कलाढ्या कोल-सम्हत्री कुसमाढ्या
ु कुलाङ्गना।१५।
कुचोन्नता कुङ्कुमाढ्या कौसम्भ-क
ु ु सम-म्ब
ु प्रया ।
कच-िोभा कालराम्बत्रिः कीचकारण्य-सेम्बवता ।
कुष्ठ-रोि-हरा कू मक-पृष्ठा काम्बमत-म्बवग्रहा ।
कलानना कलालापा कलभाधीश्वरार्दचता*।१६। *कलभाधी-ईश्वर-अर्दचता
के तकी-कुसम-प्रीता
ु कै लास-पि-िाम्बयनी ।
कपर्दिनी कलामाला के िवार्दचत-पादुका ।
कुिात्मजा के िपािा कोलापर-म्ब
ु नवाम्बसनी ।
कोिनाथा क्लेि-हन्त्री कीि-सेव्या कृ पापरा।१७।
कौन्तेया-अर्दचत-पािाब्जा काम्बलन्दी कुमिु ालया ।

कनत-कनक-ताटङ्का कम्बरणी कुमिु क्ष
े णा ।
कोक-स्तनी कुन्द-रिना कुलमािक-प्रवर्दतनी ।
कुबेर-पूम्बजता स्कन्द-माता कीलाल-िीतला ।१८।

काली कामकला कािी काि-पष्प-समप्रभा ।
म्बकन्नरी कुमिु -आह्लाि-काम्ब
् ्
रणी कम्बपल-आकृ म्बतिः।

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कु ा म्बिम्बम-कीटान्त-मोक्षिा ।
कायक-कारण-म्बनमक्त
म्बकरात-वम्बनता काम्बन्तिः कायक-कारण-रूम्बपणी ।१९।
कम्बपला कम्बपलाराध्या* कपीि-ध्वज-सेम्बवता । *कम्बपल-आराध्या
कराली कार्दतके याख्य-जननी कान्त-म्बवग्रहा ।
कर-भोरुिः करेण-ु श्रीिः कपाम्बल-प्रीम्बत-िाम्बयनी ।
कोलर्दष*-वर-सम्सेव्या कृ तिा काम्बिताथ किा।२०। *कोल-ऋम्बष
बाला बाल-म्बनभा बाण-धाम्बरणी बाण-पूम्बजता ।
म्बबस-प्रसून-नयना म्बबस-तन्त-म्बु नभाकृ म्बतिः।
बहप्रिा बहबला बालाम्बित्य*-समप्रभा । *बाल-आम्बित्य
ु ी ।२१।
बलाधरम्बहता म्बबन्दु-म्बनलया बिलामख
बिरी-फल-वक्षोजा बाह्य-िम्भ-म्बववर्दजता ।
बला बल-म्बप्रया बन्धिःु बन्धा बौद्धा बधु श्व
े री।
म्बबल्व-म्बप्रया बाल-लता बाल-चन्द्र-म्बवभूम्बषता ।
बम्बु द्धिा बन्धन-च्छेत्री बन्धक
ू -कुसम-म्ब
ु प्रया ।२२।
ु ब्रध्न-तनया* ब्रह्मचाम्बरणी। * ? ब्रह्म-तनया
ब्राह्मी ब्रह्मनता
बृहस्पम्बत-समाराध्या बधु ार्दचत-पिािज ु ा।
बृहत-क् ु म्बक्षिः बृहि-वाणी
् ् ष्ठा म्बबलेिया ।
बृहत-पृ
ु बर्दहकचा बीजाश्रया बला।२३।
बम्बहध्वकज-सता
म्बबन्दु-रूपा बीजापूर-म्बप्रया बालेन्दु-िेखरा ।
म्बबजाङ्करु ोद्भवा* बीज-रूम्बपणी ब्रह्म-रूम्बपणी । *?म्बबजा-अङ्कुर-उद्भवा
बोधरूपा बृहद्रूपा बम्बन्धनी बन्ध-मोम्बचनी ।
म्बबि-संिा बालरूपा बाल-रात्रीि-धाम्बरणी।२४।
वनदुिाक वम्बिनौका श्रीवन्द्या वन-संम्बिता ।
वम्बितेजा वम्बि-िम्बक्तिः वम्बनता-रत्न रूम्बपणी ।

वसन्धरा ु
वसमती ु वस-िाम्ब
वसधा ु यनी ।

वासवाम्बि-सराराध्या* ् ि-सरु -आराध्या
वन्ध्यता-म्बवम्बनवर्दतनी।२५। *वासव-आम्ब ्
म्बववेम्बकनी म्बविेषिा म्बवष्िःु वैष्व-पूम्बजता ।
पम्बण्डताम्बखल-िैत्याम्बरिः* म्बवजया म्बवजय-प्रिा। *िैत्य-अम्बरिः

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् ज्या म्बविाम्बलनी ।
म्बवलाम्बसनी वेि-वेद्या म्बवयत-पू
म्बवश्वेश्वरी म्बवश्वरूपा म्बवश्व-सृम्बष्ट-म्बवधाम्बयनी।२६।
वीर-पत्नी वीर-माता वीर-लोक-प्रिाम्बयनी ।
वरप्रिा वयकपिा वैष्व-श्रीिः वधूवरा ।
ु म्बिता ।
वधूिः वाम्बरम्बध-सञ्जाता वारणाम्बि-स-सं
वाम-भािाम्बधका वामा वाम-मािक-म्बविारिा।२७।

वाम्बमनी वम्बि-सम्सेव्या विाद्यायधु *-धाम्बरणी । *विाद्य-आयधु
वश्या वेद्या म्बवश्व-रूपा म्बवश्व-वन्द्या म्बवमोम्बहनी।
् -रूपा
म्बवद्वद्रूपा* वि-नखा वयोविा-म्बववर्दजता । *म्बवि-वि ्
म्बवरोध-िमनी म्बवद्या वाम्बरतौघा म्बवभूम्बतिा ।२८।
् त्मका
म्बवश्वाम्बत्मका* म्बवश्व-पाि-मोम्बचनी वारण-म्बिता । * म्बवश्व-आम्ब
म्बवबधु ार्च्ाक म्बवश्व-वन्द्या म्बवश्व-भ्रमण-काम्बरणी।
म्बवलक्षणा म्बविालाक्षी म्बवश्वाम्बमत्र-वरप्रिा ।
म्बवरूपाक्ष-म्बप्रया वाम्बरजाक्षी वाम्बरज-सम्भवा।२९।
ु पा वारण-िाम्बमनी ।
वाङ्गग्मयी वाक्पम्बतिः वायरू
वार्दध-िम्भीर-िमना वाम्बरजाक्ष-सती वरा ।
म्बवषया म्बवषयासक्ता म्बवद्याऽम्बवद्या*-स्वरूम्बपणी । *म्बवद्या-अम्बवद्या
वीणाधरी म्बवप्र-पूज्या म्बवजया म्बवजयाम्बिता।३०।
म्बववेकिा म्बवम्बध-स्ततु ा म्बविद्धु ा म्बवजयार्दचता ।
वैधव्य-नाम्बिनी वैवाम्बहता म्बवश्व-म्बवलाम्बसनी ।
म्बविेष-मानिा वैद्या म्बवबधु ार्दत-म्बवनाम्बिनी ।

म्बवपल-श्रोम्ब ण-जघना वम्बल-त्रय-म्बवराम्बजता।३१।
म्बवजय-श्रीिः म्बवधमु ख ् िता
ु ी म्बवम्बचत्राभरणाम्बिता* । म्बवम्बचत्र-आभरण-आम्ब

म्बवपक्ष-व्रात-सम्हत्री म्बवपत-सम्हार-काम्ब रणी।
म्बवद्याधरा म्बवश्वमयी म्बवरजा वीर-सम्स्ततु ा ।
वेि-मूर्दतिः वेि-सारा वेि-भाषा-म्बवचक्षणा ।३२।
म्बवम्बचत्र-वस्त्राभरणा* म्बवभूम्बषत-िरीम्बरणी । *वस्त्र-आभरणा
ु ा वीत-रािा वस-प्रिा।
वीणा-िायन-सम्यक्त ु

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म्बवराम्बिणी म्बवश्वसारा म्बवश्वाविा*-म्बववर्दजता । *म्बवश्व-अविा


म्बवभा-वसिःु वयो-वृद्धा वार्च्-वाचक-रूम्बपणी ।३३।

वृत्र-हन्त्री वृम्बत्त-िात्री वाक-स्वरूपा म्बवराम्बजता ।
व्रत-कायाक वि-हस्ता व्रत-िीला व्रताम्बिता।
व्रताम्बत्मका व्रतफला व्रत-षाड्गण्य-काम्ब
ु रणी ।
वृम्बत्तिः वािाम्बत्मका* वृम्बत्तप्रिा वयाक वषट-कृ ् त्मका ? वािा-आम्बत्मका
् ता।३४। *? वाि-आम्ब
म्बविात्री म्बवबधु ा वेद्या म्बवभावस-समद्य
ु म्बु तिः।
म्बवश्ववेद्या म्बवरोधघ्नी म्बवबधु -स्तोम-जीवना।
ु ा म्बवयद्याना म्बविान-घन-रूम्बपणी ।
वीर-स्तत्य
वर-वाणी म्बविद्धु ान्तिःकरणा म्बवश्व-मोम्बहनी ।३५।
वािीश्वरी वाम्बग्वभूम्बत*-िाम्बयनी वाम्बरजानना । *वाि-म्ब् वभूम्बत
वारुणी-मि-रक्ताक्षी वाम-मािक-प्रवर्दतनी।
ु नषूम्बिनी । *म्बवराड-रूपा
वाम-नेत्रा म्बवराड्रूपा* वेत्रासर-म्ब ्
वाक्याथ किान-सन्धात्री वािम्बधष्ठानिेवता।३६।
् धष्ठान-िेवता,
*? वाक्य-अथ-क िान-सन्धात्री वाि-अम्ब
वैष्वी म्बवश्व-जननी म्बवष्-ु माया वरानना ।
म्बवश्वम्भरी वीम्बत-होत्रा म्बवश्वेश्वर-म्बवमोम्बहनी ।
म्बवश्व-म्बप्रया म्बवश्व-कत्री म्बवश्व-पालन-तत्परा ।
म्बवश्व-हन्त्री म्बवनोिाढ्या वीरमाता वनम्बप्रया।३७।
वरिात्री वीत-पान-रता वीर-म्बनबर्दहणी ।
म्बवद्यम्बु न्नभा* वीतरोिा वन्द्या म्बवित-कल्मषा। *म्बवद्यनु -म्ब् नभा
म्बवम्बजताम्बखल-पाषण्डा वीर-च ैतन्य-म्बवग्रहा ।
रमा रक्षा-करी रम्या रमणीया रणम्बप्रया ।३८।
रक्षापरा राक्षसघ्नी रािी रमण-राम्बजता ।
राके न्दु-विना रुद्रा रुद्राणी रौद्र-वर्दजता।
रुद्राक्ष-धाम्बरणी रोि-हाम्बरणी रङ्ग-नाम्बयका ।
राज्य-श्री-रम्बञ्जत-पिा राज-राज-म्बनषेम्बवता।३९।
रुम्बचरा रोचना रोची ऋण-मोचन-काम्बरणी ।

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् द्र
ु ा *रजताम्बद्र-म्बनके तना । *रजत-आम्ब
रजनीि-कलायक्त
रािोष्ठी राि-हृिया रामा रावण-सेम्बवता ।
रक्त-बीजार्दिनी रक्त-लोचना राज्य-िाम्बयनी ।४०।
रम्बव-प्रभा रम्बत-करा रत्नाढ्या राज्य-वल्लभा ।

राजत्कुसम-धम्ब ् ु सम-धम
िल्ला* राज-राजेश्वरी रम्बतिः। *राजत-क ु -म्ब् मल्ला
राधा राधार्दचता रौद्री रणन्ञ्जीर-नूपरा ु ।
् त्मका।४१।
राका-राम्बत्रिः ऋजू-राम्बििः रुद्र-दूती ऋि-आम्ब

राजच-चन्द्र-जटाजू ु -पङ्कजा ।
टा राके न्दु-मख
रावणाम्बर*-हृिावासा रावणेि-म्बवमोम्बहनी । *रावण-अम्बर हृिय-वासा

राजत-कनक-के ु
यूरा राजत्करम्बजतािजा*। ् जता-अिज
*राजत-करम्ब ु ा
राि-हार-यतु ा राम-सेम्बवता रण-पम्बण्डता।४२।
रम्भोरू रत्न-कटका राज-हम्स-ितािम्बतिः ।
राम्बजव-रम्बञ्जत-पिा राज-पसहासन-म्बिता।
रक्षाकरी राज-वन्द्या रक्षो-मण्डल-भेम्बिनी ।

िाक्षायणी िान्त-रूपा िानकृ त िानवार्द िनी।४३।
ु ा दुरासिा ।
िाम्बरद्र्य-नाम्बिनी िात्री िया-यक्त
दुजकया दुिःख-िमनी दुिक-िात्री दुरत्यया।
िासी-कृ तामरा िेवमाता िाम्बक्षण्य-िाम्बलनी ।
िौभाकग्य-हाम्बरणी िेवी िक्ष-यि-म्बवनाम्बिनी ।४४।
ियाकरी िीघक-बाहिः दूत-हन्त्री म्बिम्बव-म्बिता ।
ियारूपा िेवराज-सम्स्ततु ा िग्ध-मन्था ।
् ट-सङ्कािा म्बिम्बवष-म्बिव्य-म्बवग्रहा ।
म्बिन-कृ त-कोम्ब
िीन-म्बचन्तामम्बणिः म्बिव्य-स्वरूपा िीम्बक्षताम्बयनी।४५।
िीम्बधम्बतिः िीप-मालाढ्या म्बिक्पम्बतिः म्बिव्य-लोचना ।
दुिाक दुिःखौघ-िमनी दुम्बरतघ्नी दुरासिा ।

दुिेया दुष्ट-िमनी दुिाक-मूर्दतिः म्बििीश्वरी*। *म्बिि-ईश्वरी , म्बिि :् म्बििा
दुरन्ताख्या दुष्ट-िाह्या* दुधकषाक दुन्दुम्बभ-स्वना ।४६। *िाह-या

दुष्प्रधषाक दुराराध्या दुनीम्बत-जन-म्बनग्रहा ।

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दूवाकिल-श्यामल-आङ्गी ् षणोम्बिता।
द्रुत-दृि-धू
े ी िेवी िेम्बिक-वल्लभा ।
िेवता िेव-िेवि
िेम्बवका िेव-सवकस्वा िेि-प्रािेि-काम्बरणी।४७।
िोषापहा* िोष-दूरा िोषाकर-समानना । *िोष-अपहा(नष्ट)
िोग्री िौजकन्य-िमनी िौम्बहत्र-प्रम्बत-पाम्बिनी ।
् ि
दूत्याम्बि*-िीडन-परा द्य-ु मम्बणिः द्यूत-िाम्बलनी । * दूत्य-आम्ब
द्योम्बततािा द्यूत-परा द्यावाभूम्बम-म्बवहाम्बरणी ।४८।
िम्बन्तनी िम्बण्डनी िंष्ट्री िन्त-िूक-म्बवषापहा ।
ु िण्ड-मात्र-जयप्रिा।
िम्भ-दूरा िम्बन्त-सता
िवी-करा िि-ग्रीवा िहनार्दचिः िम्बध-म्बप्रया ।
िधीम्बच-वरिा िक्षा िम्बक्षणामूर्दत-रूम्बपणी।४९।
िान-िीला िीघक-वर्ष्ाक िम्बक्षणाधेश्वरा* । *? िम्बक्षणा-अधक-ईश्वरा
दृता िाम्बडमी-कुसम-प्रीता
ु दुिक-दुष्कृ त-हाम्बरणी ।
जयन्ती जननी ज्योत्स्ना जलजाक्षी जयप्रिा ।
ु -प्रीता जरा-मरण-वर्दजता ।५०।
जरा जरायज
जीवना म्बजवनकरी म्बजवेश्वर-म्बवराम्बजता। * जीवनकरी
् निः
जिद्योम्बनिः* जम्बनहरा जातवेिा जलाश्रया। *जिि-योम्ब
म्बजतािरा म्बजताहारा म्बजताकारा जिम्बिया ।
िानम्बप्रया िानघना िान-म्बविान-काम्बरणी ।५१।
िानेश्वरी िान-िम्या िाता-िातौघ-नाम्बिनी ।
म्बजग्िासा जीणक-रम्बहता िाम्बननी िान-िोचरा ।
अिान-ध्वंम्बसनी िान-रूम्बपणी िान-काम्बरणी ।
जातार्दत-िमनी जन्-हाम्बरणी िान-पञ्जरा।५२।
जाम्बतहीना जिन्ाता जाबाल-मम्बु न-वम्बन्दता ।
जािरूका जित्पात्री जिद्वन्द्या* जिद्गरुिः।
ु ्
*जिि-वन्द्या

जलजाक्ष-सती जेत्री जित-सम्हार-काम्ब रणी ।
ु ा*।५३। *मख
ु ािज
म्बजत-िोधा म्बजत-रता म्बजत-चन्द्र-मख ु
ु -अिजा
यिेश्वरी यिफला यजना यम-पूम्बजता ।

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यम्बतिः योम्बनिः यवम्बनका यायजूका यिु ाम्बत्मका।


यिु ाकृ म्बतिः योििात्री यिा यद्धु -म्बविारिा ।
यग्ु म-म्बप्रया यक्त
ु -म्बचत्ता यत्न-साध्या यिस्करी।५४।
याम्बमनी यातन-हरा योि-म्बनद्रा यम्बत-म्बप्रया ।
यातहृत-कमला यज्या यजमान-स्वरूम्बपणी।
यक्षेिी यक्ष-हरणा यम्बक्षणी यक्ष-सेम्बवता ।
यािव-स्त्री यदुपम्बतिः यमलाजनकु -भञ्जना ।५५।

व्यालाल-अङ्काम्ब रणी व्याम्बध-हाम्बरणी व्यय-नाम्बिनी ।
् ष्ठा म्बतरोम्बहता।
म्बतरस्कृ त-महाम्बवद्या म्बतयकक-पृ

म्बतल-पष्प-समाकार-नाम्ब सका तीथ क-रूम्बपणी ।
म्बतयकग्रपू ा तीथ कपािा म्बत्रविाक म्बत्रपरेु श्वरी*।५६। *म्बत्रपर-ईश्वरी


म्बत्रसंध्या म्बत्रिणाध्यक्षा* ु
म्बत्रमूर्दतिः म्बत्रपरान्तकी ु
। *म्बत्रिणा-अध्यक्षा
म्बत्रनेत्र-वल्लभा त्र्यक्षा त्रयी त्राण-परायणा ।
तारणा ताम्बरणी तारा तारापम्बर-कलावृता ।
ताराम्बत्मका* तार-जपा तम्बु रताढ्या तरूत्तमा।५७।
*? तारा (महाम्बवद्या)-आम्बत्मका ? तार (ॐ)-आम्बत्मका
तूण-क प्रसािा तूणीर-धाम्बरणी तूण-क संस्कृता ।
ु ाहीनाऽतल
तोम्बषणी तूण-क िमना तल ु प्रभा*॥ *तल
ु ाहीना-अतल
ु -प्रभा
ु ा तम्बु न्दल-पम्बु त्रणी ।
तरम्बङ्गणी तरङ्गाढ्या तल
तनूनपात ् तन्त-ु रूपा तारिी तन्त्र-रूम्बपणी ।५८।
तारकाम्बरिः तङ्गु -कुचा म्बतलकाम्बलिः म्बतलार्दचता ।
तमोपहा ताक्ष्यक-िम्बतिः तामसी म्बत्रम्बिवेश्वरी।

तपम्बस्वनी तपोरूपा तापसेड्या त्रयीतनिः।
तपिःफला तपस्साध्या तलातल-म्बनवाम्बसनी ।५९।
ताण्डवेश्वर-सम्प्रीता तम्बट-िीक्षण-सम्भ्रमा ।

तन-मध्या ्
तनू-रूपा तम्बळभानिःु तम्बटत-प्रभा ।
सिस्या सिया सवक-वम्बन्दता सि-सत्परा ।

सद्यिःप्रसाम्बिनी सधीिः सम्बििानन्द-रूम्बपणी।६०।

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् त-वसन्धरा
सम्बरद्वेिा* सिाकारा सम्बरत-पम्ब ु ् िा
। *सम्बरि-वे
सरीसृपाङ्गाभरणा* सवक-सौभाग्य-िाम्बयनी । *सरीसृपा-अङ्ग-आभरणा
साम-साध्या साम-िीता सोम-िेखर-वल्लभा ।
सोम-वक्त्रा सौम्य-रूपा सोम-याि-फलप्रिा।६१।
ु सम्बिया सत्या साधकाभीष्ट*-िाम्बयनी । *साधका-अभीष्ट
सिणा

सधा-वे ु सश्रीिः
णी सौध-वासा सिा ु सरेु श्वरी।
के तकी-कुसम-प्रख्या
ु कच-म्बनर्दजत-नीरिा ।
कुन्तलाम्बयत-भृङ्गाम्बलिः कुण्डली-कृ त-कै म्बिकी ।६२।

म्बसन्दूराम्बङ्कत*-के िान्ता कञ्जाक्षी स-कपोम्ब लका । * म्बसन्दूर-अम्बङ्कत

कनत-कनक-ताटङ्का चम्पकाकृ म्बत*-नाम्बसका। *चम्पक-आकृ म्बत
नासा-अलङ्कृत-सन-म ् क्त
ु ा म्बबिोष्ठी बाल-चन्द्र-धृत ।्
कुन्द-िन्ता म्बत्र-नयना पण्य-श्रवण-कीतक
ु ना ।६३।
कालवेणी कुच-म्बजत-चकोरा हार-रम्बञ्जता ।
करिाङ्गम्बु लका* रत्न-काञ्ची-िाम-म्बवराम्बजता । *करिा-अङ्गम्बु लका
् कम्बणका रम्यनीम्बवका रत्न-कञ्चका
रत्न-म्बकङ-म्ब ु ।
हम्बरमध्या-ऽिाध*-पृष्ठा करभोरुिः म्बनतम्बिनी ।६४। *अिाध
पि-म्बनर्दजत-पद्माभा ऊर्दमका-रम्बञ्जताङ्गम्बु लिः ।
ु ा रमणीयाङ्गल
िाङ्गे य-म्बकम्बङ्कणी-यक्त ु ी-यतु ा ।
माम्बणक्य-रत्नाभरणा* ्
मधपु ान-म्बविारिा । *रत्न-आभरणा
मध-ु मध्या मन्द-िता मत्तेभिा-ऽमरार्दचता*।६५। *अमरार्दचता
मयूर-के त-ु जननी मलयाचल-पम्बु त्रका ।
पराधक-भािा हयकक्ष-वाहना हम्बर-सोिरी।
ु हंसिा हंस-रूम्बपणी |
हाटकाभा हम्बरनता

हष करूपा हम्बरपम्बतिः हयारूढा* हम्बरत्पम्बतिः।६६। *हय-आरूढा
े ी साम-िान-म्बप्रया सती ।
सवकिा सवक-िेवि
सवोपद्रव*-सम्हत्री सवक-मङ्गल-िाम्बयनी । *सवक-उपद्रव
साध-ु म्बप्रया सािरजा सवक-कत्री सनातनी ।
सवोपम्बनषदुद्गीता* सवक-ित्र-ु म्बनबर्दहणी ।६७। *सवक-उपम्बनषि-उद्गीता

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ु ा सिाम्बिव-मनोहरा । *सनक-आम्बि
सनकाम्बि*-मम्बु न-स्तत्य
सवकिा सवक-जननी सवाकधारा सिा-िम्बतिः।
सवक-भूत-म्बहता साध्या सवक-िम्बक्त-स्वरूम्बपणी ।

सवकिा सवक-सखिा सवेिी सवक-रम्बञ्जनी ।६८।
म्बिवेश्वरी म्बिवाराध्या म्बिवानन्दा म्बिवाम्बत्मका ।
सूय-क मण्डल-मध्यिा म्बिवा िङ्कर-वल्लभा ।

सधाप्लवा ु
सधा-धारा ु
सख-सम्ब ्
ित-स्वरूम्बपणी ।
ु ी सूक्ष्-िान-स्वरूम्बपणी ।६९।
म्बिवङ्करी सवक-मख
अद्वयानन्द-संिोभा भोि-स्विाकप-विकिा ।
म्बवष्-ु स्वसा वैष्वाप्ता म्बवम्बविाथ-क म्बवनोम्बिनी।
म्बिम्बरजा म्बजम्बरि-प्रीता िवकणी सह्र्म-िाम्बयनी ।
* ? म्बिम्बरजा म्बिम्बरि-प्रीता िवाकणी श्रम-िाम्बयनी ।

हृत-पद्म-मध्य-म्ब नलया सवोत्पम्बत्तिः स्वराम्बत्मका।७०।
तरुणी तरुणाकाकभा म्बचन्त्या-म्बचन्त्य-स्वरूम्बपणी ।
ु ा स्तम्बु त-रूपा स्तम्बु त-म्बप्रया ।
श्रम्बु त-स्मृम्बत-मयी स्तत्य

ॐकारिभाक ह्योऽङ्कारी* कङ्काली काल-रूम्बपणी । *ह्य-ओऽङ्कारी
म्बवश्वम्भरी म्बवनीतिा म्बवधात्री म्बवम्बवध-प्रभा ।७१।
श्रीकरी श्रीमती श्रेयिः श्रीिा श्री-चि-मध्यिा ।

द्वाििान्त*-सरोजिा म्बनवाकण-सख-िाम्बयनी । *द्वािि-अन्त

साध्वी सवोद्भवा* सत्वा श्रीकण्ठ-स्वान्त-मोम्बहनी । *सवोि-भवा = सवक-उद्भवा
म्बवद्यातनिःु मन्त्र-तनिःु मिनोद्यान-वाम्बसनी ।७२।
योि-लक्ष्ीिः राज्य-लक्ष्ीिः महा-लक्ष्ीिः सरस्वती ।
् ि
सिानन्दैक-रम्बसका ब्रह्मम्बवष्ण्वाम्बि*-वम्बन्दता । *ब्रह्म-म्बवष्ण्व-आम्ब
कुमारी कम्बपला काली म्बपङ्गाक्षी कृ ष्-म्बपङ्गला ।
चण्ड-घण्टािः महाम्बसम्बद्धिः वाराही वरवर्दणनी ।७३।
कात्यायनी वायवु ि
े ा कामाक्षी कमक-साम्बक्षणी ।
दुिाकिवे ी महािेवी आम्बि-िेवी महासना।
महाम्बवद्या महामाया म्बवद्यालोला तमोमयी ।

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िङ्ख-चि-ििा-हस्ता महा-मम्बहष-मर्दिनी ।७४।


खम्बड्गनी िूम्बलनी बम्बु द्ध-रूम्बपणी भूम्बत-िाम्बयनी ।
वारुणी जम्बटनी त्रस्त-िैत्य-सङ्घा म्बिखम्बण्डनी ।
सरेु श्वरी िस्त्र-पूज्या महाकाली म्बद्वजार्दचता*। * म्बद्वज-अर्दचता
इच्छा-िान-म्बिया सवक-िेवतानन्द-रूम्बपणी।७५।
ु -म्बनिम्भ
मत्त-िम्भ ु घ्नी चण्ड-मण्ु ड-म्बवघाम्बतनी ।
वम्बि-रूपा महा-काम्बन्तिः हरा ज्योत्स्ना-वती स्मरा ।
वािीश्वरी व्योम-के िी मूक-हन्त्री वर-प्रिा स्वाहा ।

स्वधा सधाश्वमे ु
धा* श्रीं ह्ीं िौरी परमेश्वरी ।७६। *सधा-अश्वमे
धा
॥ॐ॥

॥ इम्बत श्री स्कान्दमहापराणे कोलापरु मूकाम्बिका-माहात्म्याख्ये
उपाख्याने श्री िेव्यािः म्बिव्यवर-सहास्रनाम स्तोत्रं म्बिवमस्त ु ॥

॥* इम्बत श्री स्कन्द-महापराणे ु ्


कोलापरु मूक-अम्बिका-माहात्म्य-आख्ये

उप-आख्याने ्
श्री िेव्यािः म्बिव्य-वर-सहास्रनाम स्तोत्रं, म्बिवम-अस्त ु॥

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