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Praweev Mantra Vigyan: Writer: Mr. Praveen Kumar
Praweev Mantra Vigyan: Writer: Mr. Praveen Kumar
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PRAWEEN MANTRA VIGYAN अप्वया वाधना
Titel Page
1. POOJAN ....................................................................................3-8
2. SABAR MANTRA SIDDHI........................................................9-10
3. URVASHI BHERVI CHAKRA..................................................11-12
4. ARPANA APSARA SADHANA................................................13-14
5. RANJANI APSARA SADHANA...............................................15- 17
6. RAMBHA APSARA SADHANA...............................................18-21
7. URVASHI SADHANA...............................................................22-23
8. SADHANA NIYAM....................................................................24-25
9. NAYIKA KAVACH.....................................................................26-27
10.TILITTAMA SADHANA.............................................................28-31
!! ऩज
ू न !!
गोर सऩ
ु ायी मा गणेश जी की भर्ू तय रेकय स्थापऩत कये , गुरु चचत्र स्थापऩत कये ।
अफ दीऩक जराकय केसय से ऩॊचोऩचाय ऩज
ू न कये ।
वफवे ऩशरे ऩद्धलत्रीकयण-
ॐ अऩद्धलत्र् ऩद्धलत्रो ला वलाा गतोअऩी ला
म: स्भये त ऩुण्डयीकाषॊ व फाह्माभमाॊतय: ळुचि: |
इसके फाद ऩॊचऩात्र से जर रेकय र्नम्न भॊत्र फोरते हुए जर पऩए :
ॐ अभत
ृ ोऩस्तयणभसव स्लाशा |
ॐ अभतृ ाद्धऩधानीभसव स्लाशा |
ॐ वत्मॊ मळ: श्रीभायम श्री:श्रमताॊ स्लाशा |
अफ र्नम्न भॊत्र फोरकय हाथ धो रे
ॐ नायामणाम नभ्।
अफ र्नम्न भॊत्र को फोरते चचत्र भें अॊग स्ऩशय कय हाथ रगाए :
अॊ नारयकेर रूऩामै नभ् – सळयसव
आॊ लावुकी रूऩामै नभ् – केळाम
इॊ वागय रूऩामै नभ् -नेत्रमो
ईं भत्मस्म रूऩामै नभ् – भ्रभये
उॊ भधुयामे नभ् – कऩोरे
ऊॊ गुरऩुष्ऩामै नभ् -भुखे
एॊ गह्लयामै नभ् – चिफके
ऐ ऩाद्मऩत्रामै नभ् -अधायोष्ठे
ओॊ दाड़िभफीजामै नभ् – दन्तऩॊक्तौ
औॊ शाॊसवन्मैनभ् – चिलामै
अॊ ऩुष्ऩ लल्लल्लमै नभ् -बुजामो्
अ् वूमि
ा न्रभाम नभ् – कुिे
कॊ वागयप्रगल्लबामै नभ् – लषै
खॊ ऩीऩयऩत्रकामै नभ् – उदयों
गॊ लावुकीझील्लमै नभ् -नाबौ
वॊकल्लऩ :
भैं ……..अभक
ु ……… गोत्र भे जन्भा,………………. मशाॉ आऩके द्धऩता का नाभ……….
……… का ऩत्र
ु ………………………..मशाॉ आऩका नाभ…………………,
यनलावी…………………..आऩका ऩता………………………. आज वबी दे ली-दे वताओॊ को वाषी
भानते शुए गणऩयत ,गरु
ु जी की ऩज
ू ा ,……….. दे ली की ऩज
ु ा प्रेसभका /ऩत्नी / फशन / ऩत्नी
के रूऩ प्रत्मष कयने की भनोकाभना वे वाधना कय यशा शूॉ , स्लीकाय कयना औय वाधना भें
वपरता हदराना।।।।
जर ऩथ्
ृ वी ऩय िोड़ दें….. तत्ऩश्चात गुरुऩज
ू न कयें :-
अफ गणेळ ऩज
ू न कयें —
हाथ भें जर अऺत कॊु कुभ पूर रेकय
(गणेश पवग्रह मा जो बी है गनेश के प्रतीक रूऩ भें ) साभने प्राथयना कयें —
ॐ गणानाॊ त्लाॊ गणऩयत (गूॊ) शलाभशे
द्धप्रमाणाॊ त्लाॊ द्धप्रमऩयत (गूॊ) शलाभशे
यनचधनाभ त्लाॊ यनचधऩयत (गूॊ) शलाभशे लवो
भभ |
आशभजायन गबाधभा त्लाभजावी गबाधभ |
ॐ गॊ गणऩतमे नभ् ध्मानॊ वभऩामाभी |
आवाहन—
शे शे यम्फ! त्लभेह्मेशी अक्म्फकात्रत्रमम्फकत्भज
|
सवद्धि फुद्धिऩते त्र्मष रक्ष्ममराबद्धऩतु: द्धऩतु:
ॐ गॊ गणऩतमे नभ् आलाशमासभ
स्थाऩमासभ नभ् ऩूजमासभ नभ् |
गणऩर्तजी के पवग्रह के अबाव भें एक गोर सऩ
ु ायी भें करावा
रऩेटकय ऩात्र भे यखकय उनका ऩज
ू न बी कय सकते हैं…..
अफ ऺभा प्राथयना कयें—
द्धलनामक लयॊ दे हश भशात्भन भोदकद्धप्रम |
यनद्धलघ्ा न कुरु भे दे ल वला कामेळु वलादा ||
अफ भाॉ का ऩज
ू न कयें—
भाॉ आदद शस्तत के बी अनेक ध्मान हैं जो प्रचमरत हैं….
ककन्तु आऩ ऐसे कयें…
अफ बैयल ऩज
ू न कयें —
ॐ मो बूतानाभचधऩयतमााक्स्भन रोका अचधचश्रता: |
मऽईळे भशाते भशाॊस्तेन गृह्णाभी त्लाभशभ ||
ॐ तीक्ष्मणदॊ ष्र भशाकाम कल्लऩाॊतदशनोऩभ ् |
बैयलाम नभस्तुभमॊनुसाॊ दातुभश
ा सव ||
ॐ बॊ बैयलाम नभ् |
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कशा जाता शै की वाफय भॊत्रो भें छे िखानी की गई शै , वब्दो भें पेय फदर क्रकमा गमा
शै I एवी स्थयत भें वाफय भॊत्र केवे सवि शोगा I मश तथ्म शभें वाफय भॊत्र सवद्धि कयने वे ऩशे रे
शी शताव कय दे ता शै , क्रपय शभ वाफय सवद्धि केवे कय ऩाएॊगे I
मशी कायण शै की आज शभ आऩके वाभने वाफय भॊत्रो भें जो त्रहु टमाॉ शै उवे ऩण
ू ा
कयने का तयीका फता यशे शै I इव वाधना भें एक औय खावफात मश शै की कबी कबी शभें
वाफय भॊत्रो का उच्िायण नशीॊ आता शै मा शभ भॊत्र जऩ कयते वभम कोई लाक्म बर
ू जाते शै ,
इव वबी वभस्माओ का वभाधान इव वाधना के भाध्मभ वे शभ कय वकते शै I
वाधना फशुत शी वयर शै वाफय भॊत्र अरग अरग बाऴा भें शोते शै वाथ शी मश
िाभीण बाऴा भें शोते शै इवभें मश जानना भक्ु स्कर शोता शै की मे वि
ु शै मा अवि
ु !
वाधना द्धलचध :-
हदन : कोई बी ळब
ु हदन मा िशणकार
भारा : रुराष की भारा
जऩ वॊख्मा : 10000
अलचध : जो वॊबल शो .
भॊत्र
सवयो वयस्लती ,रछभन धायी |
यतरयमा फन्दो जम – जम कारी |
तयवो बई ,गजभत शायी |
जैवे त्रफध्मा हदर बण्डायी I
जैवे भारन गुॊथे पूर I
लैवे द्धलद्मा भेयी शो वन्तुर |
गौयीऩुत गणऩयत ,भोय अच्छय त्रफवयो |
कन्ठ िढलो ,शे भाॉ ऩयभेश्लयी |
मश वाधना कयने के फाद क्रकवी बी वाफय भॊत्रो की ऩॊक्क्त छुट जाने ऩय मा त्रट
ु ी शो
जाने ऩय मश सवद्धि वे ऩण
ू ा शो जाती शै , इव वाधना को अलश्म कये !
द्धलचध :
1) उत्तय हदळा की ओय भॉश
ु कयके फेठ जाए।
2) एक थारी भें ―उलाश्मे नभ्‖ सरखे औय उवके आगे गुराफ मा
अन्म ऩष्ु ऩ त्रफछाकय उवऩय बैयलीिक्र स्थाद्धऩत कयदें ।
3) ऩॊिोऩिाय ऩज
ू न वॊऩन्न कये । वॊकल्लऩ रेना आलश्मक शोता शै ।
4) मन्त्र के वाभने वि
ु घी का दीऩक रगाए। अफ ऩान भॉश
ु भें
यखकय िफा रें।
ळाफय भॊत्र
ॐ नभो आदे ळ गुरु को आदे ळ ,गुरु जी के भुश भें र्ब्म्शा उनके भध्म भें
द्धलष्णु औय नीिे बगलान भशे श्लय स्थाद्धऩत शै , उनके वाये ळायीय भें वला
दे ल यनलाव कयते शै , उनको नभस्काय ! इॊर की अप्वया ,गन्धला कन्मा
उलाळॉ को नभस्काय ! गॊगन भॊडर भें घुॊघरुओॊ की झॊकाय औय ऩातार भें
वॊगीत की रशय ! रशय भें उलाळी के ियण, ियण भें चथयकन,चथयकन भें
वऩा, वऩा भें काभलावना ,काभलावना भें काभदे ल, काभदे ल भें बगलान
सळल, बगलान सळल ने जभीन ऩय उलाळी को उताया, ळभळान भें धुनी
जभाई,उलाळी ने नृत्म क्रकमा,वात दीऩ नलखॊड भें पूर णखरे डारी
झूसभ,ऩूल-ा ऩक्श्िभ ,उत्तय -दक्षषण ,आकाळ -ऩातऱ भें वफ भस्त बमे!
भस्ती भें एक तार , दो तार,तीन तार, भन भें हशरोय उठी,हशरोय भें
उभॊग,उभॊग भें ओज , ओज भें वुॊदयता, वुॊदयता भें िॊरभुखी, िन्रभुखी
भें ळीतरता ,ळीतरता भे वुगॊध औय वुगॊध भें भस्ती, मश भस्ती उलाळी
की भेये भन बाई! मश भस्ती भेये वाये ळयीय भें अॊग अॊग भें रशयाई,
उलाळी इॊर की वबा छोि भेये ऩाव आले,भेयी द्धप्रमा फने, शयदभ भेये वाथ यशे ,भेयो कहशमो कयें , जो कशुॉ
वो ऩुयो कये ,वोंिू तो शजाय यशे , महद ऐवा न कये तो दव अलताय की दशु ाई, ग्मायश रूर की वौगॊध, फायश
वूमा को लज्र तें तीव कोहट दे ली-दे लताओॊ की आण ! भेयो भन िढे , अप्वया को भेयो जीलन उवके श्रृॊगाय
को,भेयी आत्भा उवके रूऩ को, औय भें उवको, लश भेये वाथ यशे , धन, मोलन ,वॊऩक्त्त , वुख दें , कहशमो
कये शुकुभ भान, रूऩ मौलन बाय वे रदी भेये वाभने यशे ,जो ऐवा न कये तो बगलान सळल को त्रत्रळूर औय
इॊर को लज्र उव ऩय ऩिे !
इव भॊत्र का २१ फाय उच्िायण ऩमााप्त भाना गमा शै औय वाफय भॊत्र शोने के कायण ऩण
ू ा
सवद्धि दामक शै । भॊत्र जऩ ऩण
ू ा शोने ऩय वाधना वाभिी को नदी भें प्रलाहशत कय दे ।
जफ अप्वया आऩके वाभने प्रकट शोगी तो आऩ उवका वलागत कयें औय शाथ भें शाथ यखकय लिन रें।
जफ बी आऩ इव भॊत्र का १ फाय उच्िायण कयें गे लश आऩके वाभने प्रस्तुत शो जाएगी. इव प्रकाय
वाधना वॊऩन्न शोती शै ।
द्धलचध :
वाधना के कभये को अच्छा वजाकय
उवभे गर
ु ाफ का इत्र यछिक रें , स्लमॊ वफ़ेद धोती
ऩशन कय उत्तय मा ऩल
ू ा की ओय भॉश
ु कयके वफ़ेद
मा ऊयन आवन ऩय फैठ जामे। इवके फाद वाभने
एक फाजोट ऩय वफ़ेद लस्त्र त्रफछाकय उव ऩय
गुराफ की ऩॊखुड़डमा त्रफछा दे , क्रपय उव ऩय अऩाणा
अप्वया चित्र औय मन्त्र स्थाद्धऩत कय दे ।
ऩॊिोऩिाय ऩज
ू न वॊऩन्न कयें—
(Page No. 3 -8)
!! ॐ ल्रॊ ठॊ िाॊ व् व् !!
गुरु कथन :
द्धप्रम वाधको ! वाधना भात्र एक हदन की शी शै , भगय वपरता आऩके प्रेभ , बक्क्त ऩय
यनबाय कयता शै , काभ ,रोब , सभथ्मा ,ताभसवक बोजन , आहद वे दयू यशे । वाधना ळुरू कयने
वे ऩशरे ४ भारा गुरु भॊत्र जऩ अलश्म कयें , 5 वे 10 सभनट अप्वया का ध्मान कयें । वाधना
स्थर ऩय शी द्धलश्राभ कयें । औय अऩने लिन जो आऩको अप्वया वे भाॊगना शै कृऩमा क्रकवी
कागज भें सरखकय ऩाव यखे ताक्रक आऩ अप्वया को दे खकय द्धलिसरत न शो आऩको वपरता
अलश्म सभरेगी।
नोट : वाधना भें वाभिी फदरना लक्जात शै , क्जव भारा औय मन्त्र का द्धललयण शै उवी का
प्रमोग कयें । वाधना के ऩण
ू ा शोने ऩय आऩ वाभिी जर भें द्धलवक्जात कय जर दे लता वे वपरता
की काभना कये ।
वाधना द्धलचध :
वाभिी : शल्लका शये यॊ ग का कऩडा , यॊ जनी अप्वया भारा (ययत लैजन्ती भारा ) , अप्वया मन्त्र
, अप्वया लळीकयण मन्त्र , केलिे का इत्र , औय शीना इत्र I
मश वाधना वाधक को वयू ज ढरने के फाद प्रथभ ऩशय भें शी सवि की जाती शै I
क्रकवी बी फजोट ऩय शल्लका शये यॊ ग का कऩडा त्रफछाकय उव ऩय शीना इत्र का यछडकाल कये I
इव वाधना भें कोई बी लस्त्र धायण क्रकमे जा वकते शै इवके फाद आऩको ऩयु े कभये भें केलिे
के इत्र का यछडकाल कय वजा दे ना िाहशए I उवके फाद उत्तय मा ऩल
ू ा की ओय भख
ु कयके
ऩॊिोऩिाय ऩज
ू न कये ,औय क्रपय 11 भारा हदए गए भॊत्र की जऩ कयना िाहशए I
भॊत्र
!! ॐ ऐ यॊ जनी भभ द्धप्रमाम लश्म आसा ऩारम पट !!
वाधना आयम्ब कयने वे ऩशरे आऩ नशा धोकय अच्छे कऩडे ऩशन खुद को ळि
ु
औय ऩद्धलत्र कय रें I उवके फाद आऩ ऩीरे यॊ ग के आवन ऩय फैठ जाएॉ औय ऩल
ू ा हदळा की तयप
भॊश
ु कयें I ध्मान यशें क्रक आऩ अऩने ऩाव पूरों की 2 भारामें अलश्म यखें औय जफ अप्वया
आऩ शय भॊत्र के जाऩ के फाद कुछ िालरों को मन्त्र ऩय अलश्म डारते जाएॉ I इवके फाद
आऩको 15 अप्वया भारा तक इव भॊत्र को जऩना शै:
वालधायनमाॉ :
लैवे अप्वयामें ळीघ्रता वे अऩनी वाधना वे को ऩयू ा बी नशीॊ शोने दे ती औय आऩके ध्मान
को बाग कयने की कोसळळ कयती यशती शै I कई फाय तो आऩको आऩकी वाधना ऩण
ू ा
शोने वे ऩशरे शी अप्वया हदखने रगती शै क्रकन्तु उव क्स्थयत भें आऩ अऩनी वाधना को
त्रफरकुर बी ना योके औय भन्त्रों औय जऩ के ऩण
ू ा शोने के फाद शी उनके ऩाव जाएॉ I
वाधना के दौयान औय अप्वया को दे खने के फाद अऩनी काभ इच्छाओॊ ऩय काफू यखें
औय उवके प्रयत वभद्धऩात यशें I
वाधना के दौयान जो बी घहटत शोता शै उवे आऩ अऩने तक शी सवसभत यखें I
जफ वाधना खत्भ शो जाएॉ तो आऩ एक भहु रका को अऩनी अनासभका लारी उॊ गरी भें
धायण कयें . वाथ शी फाकी के वाभान को आऩ क्रकवी फशते ऩानी अथाात नदी भें प्रलाहशत
कय दें I
उलाळी वाधना
(सौन्दमय, सुख प्रेभ की ऩूणत
य ा हे तु )
क्रकवी बी ळक्र
ु लाय वे प्रायम्ब
क्रकमा जा वकता शै । मश यात्रत्रकारीॊ वाधना शै । स्नान
आहद कय ऩीरे आवन ऩय उत्तय की ओय भॊश
ु कय फैठ जाएॊ। वाभने ऩीरे लस्त्र ऩय ‗उलाळी मॊत्र‘
(ताफीज) स्थाद्धऩत कय दें तथा वाभने ऩाॊि गर
ु ाफ के ऩष्ु ऩ यख दें । क्रपय ऩाॊि घी के दीऩक रगा
दें औय अगयफत्ती प्रज्लसरत कय दें ।
इव भॊत्र के नीिे केवय वे अऩना नाभ अॊक्रकत कयें । क्रपय उलाळी भारा
वे यनम्न भॊत्र की १०१ भारा जऩ कयें –
यनमभ
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-:क्जनका ऩारन अचधक वे अचधक इव वाधना भे कयना िाहशए लो वफ नीिे सरखे शैं:-
र्ब्ह्भियी यशना ऩयभ जरुयी शोता शैं अगय कुछ द्धलिायना शैं तो केलर अऩने ईष्ट:
का मा ॐ नभ् सळलाम मा अप्वया का ध्मान कयें , आऩ वदै ल मश वोिे क्रक लो वन्
ु दय वी
अप्वया आऩके ऩाव शी भौजुद शैं औय आऩको दे ख यशी शैं। ऐवी अलस्था भे क्मा ळोबनीम शैं
आऩ स्लमॉ अन्दाजा रगा वकते शैं।
बोजन: भाॊव, ळयाफ, अन्डा, नळे, तम्फाकू, ताभसवक बोजन आहद वबी वे ज्मादा वे ज्मादा
दयु यशना शैं। इनका प्रमोग भना शी शैं। केलर वाक्त्लक बोजन शी कयें क्मोंक्रक मश काभ बालना
को बडकाने का काभ कयते शैं।
महद आऩको सवद्धि िाहशए तो बगलन श्री सळल ळॊकय बगलान के कथन को कबी
ना बर
ु ना क्रक "क्जव वाधक की क्जवशा ऩयान्न (दव
ु ये का बोजन खाना) वे जर गमी
शो, क्जवका भन भें ऩयस्त्री (अऩनी ऩक्त्न के अराला कोई बी) शो औय क्जवे क्रकवी वे प्रयतळोध
रेना शो उवे बरा केवै सवद्धि प्राप्त शो वकती शैं"।
क्रकवी बी वाधना को वीधे शी कयने नशी फैठना िाहशए। उववे ऩशरे आऩको अऩना
कुछ अभमाव कयना िाहशए। भॊत्रो का उिायण कैवे कयना शै मश बी जान रेना िाहशए औय फाय
फाय फोरकय अभमाव कय रेना िाहशए।
ऐवा कयने ऩय अप्वया जरुय सवॊि शोती शैं फाकी जो दे ली कासरका की इच्छा
क्मोंक्रक शोता लशी शैं जो दे ली जगत जननी िाशती शैं। वाधना वे क्रकवी को नक
ु वान ऩशुॉिाने
ऩय वाधना ळक्क्त स्लमॉ शी वभाप्त शोने रगती शैं। इवसरए अऩनी वाधना की यषा कयनी
िाहशए।
क्रकवी को अऩनी ळक्क्त का प्रदळान कयने की जरुयत नशीॊ शैं। मशाॉ कोई क्रकवी के
काभ नशीॊ आता शैं रेक्रकन क्रपय बी कबी कबाय क्रकवी ना क्रकवी जो फशुत शी जरुयत भन्द शो
की वशामता कयी जा वकती शैं। लैवे मश वाधना वाधक का शी ज्मादा बरा कयने लारे शैं।
नायमका कलि
इव कलि के जऩ वे क्रकवी बी प्रकाय की वन्
ु दयी वाधना भें द्धलऩयीत ऩरयणाभ
प्राप्त नशीॊ शोते औय वाधना भें जल्लद शी सवद्धि प्राप्त शोती शैं। ऩज
ु ा वे ऩशरे 1,5 मा 7 फाय
जऩ क्रकमा जाना िाहशए। इव कलि के जऩ वे वभस्त प्रकाय की सवद्धिमाॉ दे ने लारी मक्षषणी
वाधक के यनमॊत्रण भे आ जाती शैं औय वाधक के वबी भनोयथो को ऩण
ू ा कयती शैं। मक्षषणी
वाधना वे जुडा मश कलि अऩने आऩ भे दर
ु ब
ा शैं। इव कलि के जऩने वे मक्षषणीमों का
लळीकयण शोता शैं।
द्धलयनमोग्- ॐ अस्म श्रीमक्षषणी-कलिस्म श्री गगा ऋद्धऴ्, गामत्री छन्द्, श्री अभक
ु ी मक्षषणी
दे लता, वाषात ् सवद्धि-वभि
ृ मथे ऩाठे द्धलयनमोग्।
।। भर
ू ऩाठ ।।
सळयो भे मक्षषणी ऩातु, रराटॊ मष-कन्मका।
भख
ु ॊ श्री धनदा ऩातु, कणौ भे कुर-नायमका ।।
िषुऴी लयदा ऩातु, नासवकाॊ बक्त-लत्वरा।
केळािॊ द्धऩॊगरा ऩातु, धनदा श्रीभशे श्लयी ।।
स्कन्धौ कुरारऩा ऩातु, गरॊ भे कभरानना।
क्रकयायतनी वदा ऩातु, बुज-मुग्भॊ जटे श्लयी ।।
द्धलकृतास्मा वदा ऩातु, भशा-लज्र-द्धप्रमा भभ।
अस्त्र-शस्ता ऩातु यनत्मॊ, ऩष्ृ ठभुदय-दे ळकभ ् ।।
बेरुण्डा भाकयी दे ली, रृदमॊ ऩातु वलादा।
दोनो शाथो को सभराकय औय पैराकय कुछ नभाज ऩढने की तयप फना रो। वाथ शी
वाथ ―ॐ िीॊ श्रीॊ क्रीॊ श्रीॊ यतरोत्त्भा अप्वया आगच्छ आगच्छ स्लाशा‖ भॊत्र का 21 फाय उिायण
कयते शुए एक एक गुराफ थारी भे िढाते जामे। अफ वोिो क्रक अप्वया आ िक
ु ी शैं।
शे वन्
ु दयी तुभ तीनो रोकों को भोशने लारी शो तुम्शायी दे श गोये गोये यॊ ग के कायण अतमॊत
िभकती शुई शैं। तुभ नें अनेको अनोखे अनोखे गशने ऩशने शुमे औय फशुत शी वन्
ु दय औय अनोखे
लस्त्र को ऩशना शुआ शैं। आऩ जैवी वन्
ु दयी अऩने वाधक की वभस्त भनोकाभना को ऩयु ी कयने
ऩज
ु ा के अॊत भे एक िम्भि जर आवन के नीिे जरुय डार दें औय आवन को प्रणाभ
कय शी उठें ।
COMMING SOON
APSARA SIDDHI -2