Professional Documents
Culture Documents
गवर्नर
गवर्नर
पर ब्रिब्रिश राज का प्रधान पद था। ब्रजसपर ब्रसर्फ अंग्रेजो का अब्रधकार था। स्वतंत्रता
प्राप्ति से पूर्फ कोई भी भारतीय इस पद पर नहीं बैठा। गवर्नर जर्रल ऑफ द
प्रेसीडें सी ऑफ फोर्न वववलयम के शीर्फक के साथ इस कायाफ लय को 1773 में सृब्रजत
ब्रकया गया था।
1858 ई. तक गर्नफ र जनरल की ब्रनयुप्ति ईस्ट इं ब्रिया कंपनी के ब्रनदे शकों द्वारा की
जाती थी, 1857 के ब्रर्द्रोह के बाद इनकी ब्रनयुप्ति ब्रिब्रिश सरकार द्वारा की जाने
लगी।
Advertisement
Table of Contents
बंगाल के गवर्नर
लािफ क्लाइर् ईस्ट इं ब्रिया कम्पनी द्वारा भारत में ब्रनयुि होने र्ाला प्रथम गवर्नर
था।
ईस्ट इं ब्रिया कंपनी ने 1757 में बंगाल का गर्नफ र ब्रनयुि ब्रकया।
लािफ क्लाइर् को भारत में अंग्रेजी शासन का जन्मदाता माना जाता है ।
क्लाइर् ने बंगाल में द्वै ध शासर् की व्यर्स्था की, ब्रजसके तहत राजस्व र्सूलने , सैब्रनक
संरक्षण एं र् ब्रर्दे शी मामले कम्पनी के अधीन थे, जबब्रक शासन चलाने की ब्रजमेदारी
नर्ाबो के हाथ में थी।
क्लाइर् के बाद, द्वै ध शासन के दौरान वेरेल्स्ट (1767-1769) और कावर्न यर (1769-
1772) बंगाल के गर्नफर रहे ।
1757 का प्लासी का युद्ध (Battle of Plassey) भी लािफ क्लाइर् के नेतृत्व में लड़ा
गया।
बंगाल के गवर्नर-जर्रल
1773 ई. में रे ग्युलेब्रिंग एक्ट के द्वारा र्ारे न हे प्तस्टंग्स को बंगाल का प्रथम गवर्नर
जर्रल बनाया गया, ब्रजसने बंगाल में स्थाब्रपत द्वै ध शासर् प्रथा को समाि कर ब्रदया
एं र् प्रत्येक ब्रजले में र्ौजदारी तथा दीर्ानी अदालतों की स्थापना की।
हे प्तस्टंग्स के समय में रे ग्युलेब्रिंग एक्ट के तहत 1774 में कलकत्ता में उच्च न्यायालय
की स्थापर्ा की गयी।
हे प्तस्टंग्स ने बंगाली िाह्मण नन्द कुमार पर छूिा आरोप लगा कर न्यायालय से र्ााँ सी
की सजा ब्रदलर्ाई।
प्रथम एं र् ब्रद्वतीय आं ग्ल-मराठा युद्ध र्ारे न हे प्तस्टंग्स के समय में ही लड़े गए, प्रथम
आं ग्ल मराठा युद्ध (1775 – 1782 ई.) जो सलबाई की संवध (1782ई.) से
समाि हुआ एं र् वद्वतीय आं ग्ल-मराठा युद्ध (1780-1784 ई.) जो मंगलोर की संवध
(1784ई.)के द्वारा समाि हुआ।
हे प्तस्टंग्स के समय में 1784 ई. को एवशयावर्क सोसायर्ी ऑफ़ बंगाल (Asiatic
Society of Bangal) की स्थापना हुई।
हे प्तस्टंग्स के समय में ही बोडन ऑफ़ रे वेन्यू (Board of Revenue) की स्थापना हुई।
हे प्तस्टंग्स ने 1781 ई. में कलकत्ता में प्रथम मदरसा की स्थापर्ा की।
हे प्तस्टंग्स के समय में 1782 ई. को जोनाथन िं कन ने बनारस में संस्कृत ब्रर्द्यालय
की स्थापना की।
र्ारे न हे प्तस्टंग्स के समय में ही वपर्् स इं वडया एक्ट (Pitt’s India Act) पाररत हुआ,
ब्रजसके द्वारा बोिफ ऑफ़ कंिर ोल की स्थापना हुई|
ब्रपि् स एक्ट के ब्रर्रोध में इस्तीफ़ा दे कर जब र्ारे न हे प्तस्टग्स फ़रर्री, 1785 ई. में
इं ग्लैण्ड पहुाँ चा, तो बकफ द्वारा उसके ऊपर महाब्रभयोग लगाया गया। ब्रिब्रिश
पाब्रलफयामेंि में यह महाब्रभयोग 1788 ई. से 1795 ई. तक चला, परन्तु अन्त में उसे
आरोपों से मुि कर ब्रदया गया।
लािफ कॉनफ र्ॉब्रलस को भारत में वसवल सेवा एं र् पुवलस वयवस्था का जर्क माना
जाता है।
इसके समय में ब्रजले के समस्त अब्रधकार ब्रजला कलेक्टर के हाथों में दे ब्रदए गए।
कानफ र्ाब्रलस के समय में 1790 से 1792 ई. में तृतीय आं ग्ल-मैसूर (Anglo-
Mysore War) युद्ध हुआ।
1793 में कानफ र्ाब्रलस ने बंगाल, ब्रबहार और उड़ीसा में भूब्रम कर से सम्बंब्रधत स्थाई
बंदोबस्त पद् वत (Permanent Settlement) लागू की, ब्रजसके तहत जमींदारो को
अब भूराजस्व का लगभग 90% कंपनी को तथा लगभग 10% अपने पास रखना था।
कॉनफ र्ॉब्रलस ने ब्रजले में पुब्रलस थाना की स्थापना कर एक दारोगा को इसका इं चाजफ
बनाया।
Advertisement
1805 ई. में लािफ कॉनफ र्ॉब्रलस का दू सरा कायफकाल शुरू हुआ, परन्तु शीघ्र ही
उनकी म्रत्यु हो गयी।
लािफ एमहसिफ के काल में 1824-1826 ई. को प्रथम आं ग्ल-बमान युद्ध लड़ा गया
था।
1825 ई. में ब्रिब्रिश सेना के सैब्रनक कमाण्डर ने बमाफ सेना को परास्त कर 1826
ई. में ‘याण्डबू की सस्ि’ की।
1824 ई. का बैरकपुर का सैन्य ववद्रोह भी लॉिफ एमहस्टफ के समय में ही हुआ था।
लॉडन वववलयम बैंवर्क 1803 ई. में मद्रास के गर्नफ र की है ब्रसयत से भारत आया।
1833 ई. के चािफ र-एक्ट द्वारा बंगाल के गर्नफ र को भारत का गर्नफ र-जनरल बना
ब्रदया गया।
लॉडन वववलयम बैंवर्क 1828-1833 तक बंगाल के गर्नफ र एं र् 1835 तक भारत का
गर्नफ र जनरल रहा, ब्रजसे ‘ब्रर्ब्रलयम कैर्ेंब्रिश बैब्रिंग’ के नाम से भी जाना जाता है।
लॉडन वववलयम बैंवर्क के शासन काल में कोई युद्ध नहीं हुआ, एं र् इसका शासन
काल शां ब्रत का काल रहा था।
बैंब्रिक ने 1829 में सिी प्रथा पर प्रब्रतबन्ध लगा ब्रदया, इसके बाद उसने वशशु-वध पर
भी प्रब्रतबन्ध लगाया।
बैंब्रिक के कायफकाल में दे र्ी-दे र्ताओं को नर बब्रल दे ने की प्रथा का भी अंत कर
ब्रदया गया।
1833 ई. में लॉडन वववलयम बैंवर्क भारत के प्रथम गर्नफ र-जनरल बने ।
चार्ल्फ मेिकार् में भारत में समाचार पत्रों पर लगे प्रब्रतबंधों को समाि कर ब्रदया,
इस कारण इसे प्रेस का मुस्िदाता भी कहा जाता है
लािफ हाब्रििंग के कायफकाल में प्रथम आं ग्ल-वसख युद्ध (1845-1846 ई.) हुआ।
जो लाहौर की सप्तन्ध के द्वारा समाि हुआ।
लािफ हाब्रििंग ने र्रबवल-प्रथा पर प्रवतबंध लगाया।
लािफ िलहोजी के समय में वद्वतीय आं ग्ल-वसक्ख युद्ध (1848-49 ई.) तथा 1849
ई. में पंजाब का ब्रिब्रिश शासन में ब्रर्लय और ब्रसक्ख राज्य का प्रब्रसद्ध वहरा
कोवहर्ूर महारार्ी ववक्टोररया को भेज वदया गया।
िलहौजी के कायफकाल में 1851-1852 में वद्वतीय आं ग्ल-बमान युद्ध लड़ा गया और
1852 में बमाफ के लोअर बमाफ एं र् ब्रपगु राज्य को ब्रिब्रिश साम्राज्य में ब्रमला ब्रलया
गया।
िलहौजी के कायफकाल में ही भारत में रे लवे और संचार प्रणाली का ववकास
हुआ।
इसके कायफकाल में भारत में दाब्रजफब्रलंग को सप्तम्मब्रलत कर ब्रलया गया।
लािफ िलहौजी के कायफकाल में वुड का वर्दे श पत्र (Wood’s dispatch) आया,
ब्रजसे भारत में ब्रशक्षा सुधारों के ब्रलए ‘मैग्नाकार्ान’ कहा जाता है ।
इसने 1852 ई. में एक इनाम कमीशन की स्थापना की, ब्रजसका उदे शय भूब्रमकर
रब्रहत जागीरों का पता कर उन्ें ब्रछन्ना था।
इसने 1854 में नया डाकघर अवधवर्यम (Post Office Act) पाररत वकया, ब्रजसके
द्वारा भारत में पहली बार िाक ब्रिकिों का प्रचलन प्रारं भ हुआ।
1856 ई. में अर्ध को कुशासन का आरोप लगाकर अंग्रेजी राज्य में ब्रमला ब्रलया
गया।
1856 ई. में तोपखाने के मुख्यालय को कलकत्ता से मेरठ स्थान्तररत ब्रकया,
और सेर्ा का मुख्यालय वशमला में स्थावपत वकया।
िलहौजी के समय में भारतीय बंदरगाहों का ब्रर्कास करके, इन्ें अन्तराफ ष्ट्रीय र्ाब्रणज्य
के ब्रलये खोल ब्रदया गया|
लािफ िलहौजी के समय में ही वहन्दू ववधवा पुर्ववनवाह अवधवर्यम भी पाररत
हुआ।
इसने वशमला को ग्रीष्मकालीर् राजधार्ी बनाया।
िलहोजी ने र्र-बवल प्रथा को रोकने का प्रयास भी ब्रकया।
लािफ कैब्रनंग के कायफकाल की सबसे महत्वपूणफ घिना 1857 का ववद्रोह था। 1857 के
ब्रर्द्रोह के पश्चात् बहादु र शाह को रं गून ब्रनर्ाफ ब्रसत कर ब्रदया गया।
भारत के वायसराय
लाडन कैवर्ंग (Lord Canning)
1858 में ब्रिब्रिश संसद द्वारा पाररत अब्रधब्रनयम द्वारा इसे भारत का प्रथम
वायसराय बनाया गया।
कैब्रनंग के कायफकाल में IPC, CPC तथा CrPC जै सी दण्डब्रर्ब्रधयों को पाररत ब्रकया
गया।
कैब्रनंग के समय में ही लंदन ब्रर्श्वब्रर्द्यालय की तजफ पर 1857 में कलकत्ता, मद्रास,
और बम्बई ब्रर्श्वब्रर्द्यालयों की स्थापना की गई।
1861 का भारतीय पररर्द् अब्रधब्रनयम कैब्रनंग के समय में ही पाररत हुआ।
कैब्रनंग के कायफकाल में ही भारतीय इब्रतहास का प्रब्रसद्द र्ील ववद्रोह भी हुआ।
1861 का भारतीय पररषद् अवधवर्यम कैब्रनंग के समय में ही पाररत हुआ।
इसके समय में ववधवा पुर्ववनवाह अवधवर्यम 1856 ई. में स्वतन्त्र रूप से लागु
हुआ।
सर रॉबिफ ने ब्रपयर को भारत के कायफर्ाहक र्ायसराय के रूप में ब्रनयुि ब्रकया गया
था।
सर वववलयम डे वर्सर् (Sir William Denison)
कायनकाल – 2 ब्रदसम्बर 1863 – 12 जनर्री 1864
जॉन लॉरें स ने अर्गाब्रनस्तान में हस्तक्षेप न करने की नीब्रत का पालन ब्रकया, इसके
कायफकाल में यूरोप के साथ संचार र्यर्स्था (1869-1870) कायम की गयी।
जॉन लॉरें स के ही कायफकाल में कलकत्ता, बम्बई और मद्रास में उच्च न्यायालयों की
स्थापना की गयी।
इसके कायफकाल में पंजाब में काश्तकारी अब्रधब्रनयम पाररत ब्रकया गया।
लाडन मेयो के कायफकाल में भारतीय सांस्ख्यकीय बोडन का गठन ब्रकया गया।
भारत में अंग्रेजो के समय में प्रथम जर्गणर्ा 1872 ई. में लािफ मेयो के समय में
हुई थी।
मेयो के काल में 1872 ई. में अजमेर, राजस्थार् में मेयो कॉलेज की स्थापना की
गई।
1872 ई. में कृवष ववभाग की स्थापर्ा भी मेयो के काल में हुई थी।
लािफ मेयो की एक अर्गान ने 1872 ई. में चाकू मार कर हत्या कर दी।
सर जॉन स्टर े ची को भारत के कायफर्ाहक र्ायसराय के रूप में ब्रनयुि ब्रकया गया
था।
द लॉिफ ने ब्रपयर को भारत के कायफर्ाहक र्ायसराय के रूप में ब्रनयुि ब्रकया गया
था।
भारत में उसकी नीब्रत “करों में कमी, अनार्श्यक कानूनों को न बनाने तथा कृब्रर्
योग्य भूब्रम पर भार कम करने” की थी।
लािफ नाथफिुक के समय में पंजाब में कूका आन्दोलर् हुआ।
नाथफिुक ने 1875 में बड़ौदा के शासक गायकर्ाि को पदच्युत कर ब्रदया।
नाथफिुक के कायफकाल में वप्रंस ऑफ़ वेर्ल् एडवडन तृतीय की भारत यात्रा 1875 में
संपन्न हुई।
इसी के समय में स्वेज र्हर खुल जाने से भारत एं र् ब्रििे न के ब्रबच व्यापार में र्ृब्रद्व
हुई।
इसका पूरा नाम ‘रॉबर्न बुलवेर वलर्र् एडवडन ’ था, एं र् इनका एक उपनाम ‘ओवेर्
मेरेवडथ‘ भी था।
यह एक प्रसीद उपन्यासकार, ब्रनबंध-लेखक एं र् साब्रहत्यकार था, साब्रहत्य में
ऐसे ‘ओवेर् मेरेवडथ’ नाम से जाना गया।
इसमे समय में बम्बई, मद्रास, है दराबाद, पंजाब एं र् मध्य भारत में भयानक अकाल
पड़ा।
इसने ररचडन टे ची की अध्यक्षता में अकाल आयोग की स्थापना की।
लािफ ब्रलिन के कायफकाल में प्रथम वदल्ली दरबार का आयोजन ब्रकया गया और एक
राज-अब्रधब्रनयम पाररत करके 1877 में ब्रििे न की महारानी ब्रर्क्टोररया को ‘कैसर-ए-
वहन्द’ की उपाब्रध से ब्रर्भूब्रर्त ब्रकया गया।
ब्रलिन ने अलीगढ में एक मुस्िम एं ग्लो प्राच्य महाववधालय की स्थापना की।
इसके कायफकाल में 1878 में वर्ानक्यूलर प्रेस एक्ट (Vernacular Press Act) पाररत
ब्रकया गया, ब्रजसके कारण कई स्थानीय भार्ाओाँ के समाचार पत्र आब्रद
को ‘ववद्रोहात्मक सामग्री’ के प्रकाशन का आरोप लगाकर बंद कर ब्रदया गया।
इसके समय में शस्त्र एक्ट (आम्सन एक्ट) 1878 पाररत हुआ, ब्रजसमे भारतीयों को
शस्त्र रखने और बेचने से रोका गया।
इसने वसववल सेवा परीक्षाओं में प्रर्ेश की अब्रधकतम आयु ब्रसमा घिाकर 19 र्र्फ
कर दी।
लािफ एप्तिन के कायफकाल में भारत में क्रां ब्रतकाररयों की शुरुआत हुई, और पूना
के चापेकर बंधुओ ं (Chapekar brothers) दामोदर हरी चापेकर, बालकृष्ण हरी
चापेकर और र्सुदेर् हरी चापेकर ने ब्रिब्रिश प्लेग कब्रमश्नर, िब्ल्यू. सी. रैं ि (W.
C. Rand) को गोली मारकर भारत की प्रथम राजनीब्रतक हत्या की।
लािफ एप्तिन के समय में ही भारत में दे शव्यापी अकाल पड़ा, ब्रजसमे करीब 45
लाख लोगों की मौत हुई।
एप्तिन ने ब्रहन्दु कुश पर्फत के दब्रक्षण में ब्रचत्राल राज्य के ब्रर्द्रोह को दबाया।
लािफ कजफन के कायफकाल में सर एण्डर यू फ़्रेजर की अध्यक्षता में एक पुब्रलस आयोग
का गठन ब्रकया गया। इस आयोग की अनुशंसा पर प्रान्तीय पुवलस की
स्थापर्ा र् केन्द्रीय गुप्तचर ववभाग की स्थाना (C.I.D.) की भी स्थापना की गई।
कजफ न के समय में उत्तरी पब्रश्चमी सीमार्ती प्रान्त (North West Frontier Province)
की स्थापना भी की गयी।
शैब्रक्षक सुधारों के अन्तगफत कज़फन ने 1902 ई. में सर र्ॉमस रै ले (Sir Thomas
Ralley) की अध्यक्षता में ववश्वववद्यालय आयोग का गठन ब्रकया।
कजफ न के समय में 1904 में प्राचीर् स्मारक संरक्षण अवधयम पाररत हुआ, ब्रजसके
द्वारा भारत में पहली बार ऐब्रतहाब्रसक इमारतों की सुरक्षा एर्ं मरम्मत की ओर ध्यान
दे ने के ब्रलए भारतीय पुरातत्त्व ववभाग की स्थापना हुई।
कज़फ न ने 1901 ई. में सर कॉब्रलन स्कॉि मॉनक्रीर् (Sir Colin C. Scott-Moncrieff)
की अध्यक्षता में एक ब्रसंचाई आयोग का भी गठन ब्रकया।
कजफ न के समय में भारत में भयानक अकाल भी पड़ा, ब्रजससे करीब 60-90 लाख
लोगों के मरने का अनु मान लगाया गया।
1899-1990 ई. में पड़े अकाल र् सूखे की प्तस्थब्रत के ब्रर्श्लेर्ण के ब्रलए सर एण्टनी
मैकिॉनल (Antony MacDonnell) की अध्यक्षता में एक अकाल आयोग का गठन
ब्रकया गया।
लॉिफ कज़फन के समय में सर्ाफ ब्रधक महत्त्वपूणफ कायफ था – 1905 ई. में बंगाल का
ववभाजर्, ब्रजसके बाद भारत में क्रां ब्रतकारी गब्रतब्रर्ब्रधयों का सूत्रपात हो गया।
1905 ई. में लॉिफ कज़फ न ने अपने पद से इस्तीफ़ा दे ब्रदया।
लािफ ब्रमंिो के कायफकाल में 1906 में मुप्तस्लम लीग (All-India Muslim League) की
स्थापना हुई।
इसके कायफकाल में 1906 में कां ग्रेस का सूरत का अब्रधर्ेशन हुआ ब्रजसमे कां ग्रेस का
ब्रर्भाजन हो गया, ब्रजसका 1916 के लखनऊ अब्रधर्ेशन में पुनः एकीकरण हुआ।
लॉिफ ब्रमण्टो के समय में मॉले-ब्रमंिो सुधार अब्रधब्रनयम (Morley-Minto Reforms,
1909 ई.) पाररत हुआ, ब्रजसमे सरकार में भारतीय प्रब्रतब्रनब्रधत्व में मामूली बढ़ोत्तरी
हुई और ब्रहन्दु ओं और मुसलमानों के ब्रलए अलग ब्रनर्ाफ चक मण्डल बनाया गया।
इसके कायफकाल में खुदीराम बोस (Khudiram Bose) को र्ां सी दे दी गयी, ब्रजसने
प्रर्ुल्लकुमार चाकी (Prafulla Chaki) के साथ ब्रमलकर कलकत्ता के मब्रजस्टर े ि
ब्रकंग्जर्ोिफ (Kingsford) की बग्घी पर बम र्ेंका था।
ब्रमंिो के ही कायफकाल 1908 में बालगंगाधर ब्रतलक को 6 र्र्फ की सजा सुनाई गयी
थी, क्ोंब्रक ब्रतलक ने क्राप्तन्तकारी प्रर्ुल्ल चाकी और खु दीराम बोस के बम हमले
का समथफन ब्रकया था, और इन्ें बमाफ की जेल में भेज ब्रदया गया।
लािफ ब्रमंिो के समय में अंग्रेजों ने बां िो और राज करो की नीब्रत औपचाररक रूप से
अपना ली थी।
लािफ हाब्रििंग के समय सन 1911 में जॉजफ पंचम के आगमन पर वदल्ली दरबार का
आयोजन ब्रकया गया, साथ ही बंगाल ब्रर्भाजन को रद्द कर ब्रदया गया।
1911 में ही बंगाल से अलग करके ब्रबहार और उड़ीसा नाम से नए राज्यों का
ब्रनमाफ ण हुआ।
हाब्रििंग के कायफकाल में भारत की राजधानी को कलकत्ता से ब्रदल्ली स्थानां तररत कर
ब्रदया गया।
हाब्रििंग के समय में ही सन 1914 में प्रथम ब्रर्श्व युद्ध प्रारं भ हुआ, ब्रजसके ब्रलए र्ह
भारत का समथफन पाने में सर्ल रहा।
हाब्रििंग के समय में 1913 में वफ़रोजशाह मेहता ने बाम्बे क्रावर्कल एर्ं गणेश शंकर
ववद्याथी ने प्रताप का प्रकाशन ब्रकया।
हाब्रििंग के कायफकाल में वतलक ने अप्रैल 1915 में और एर्ी बेसेंर् ने ब्रसतम्बर 1915
में होमरूल लीग की स्थापना की।
1916 ई. में पंब्रित महामना मदन मोहन मालर्ीय ने बनारस ब्रहन्दू की स्थापना की
और लॉिफ हाब्रििंग को बनारस ब्रहन्दू ब्रर्श्वब्रर्द्यालय का कुलपब्रत भी ब्रनयुि ब्रकया
गया।
इसके कायफकाल में ब्रतलक और एनी बेसेंि ने अपने होमरूल लीग के आन्दोलन की
शुरुआत की।
1916 में कां ग्रेस और मुप्तस्लम लीग में एक समझौता हुआ ब्रजसे लखर्ऊ पैक्ट के
नाम से जाना जाता है।
इसके समय में ही भारत में शौकत अली, मुहम्मद अली और मौलाना अबुल कलम
आजाद द्वारा स्खलाफत आन्दोलर् (khilafat movement) की भी शुरुआत की
गयी, ब्रजसे बाद में गााँधी द्वारा चलाये गए असहयोग आन्दोलर्
(noncooperation movement) का भी समथफन भी ब्रमला।
1920 में ही मोहम्मिन एं ग्लो ओररएं िल कालेज (सैयद अहमद खान द्वारा 1875 में
स्थाब्रपत) अलीगढ़ मुप्तस्लम ब्रर्श्वब्रर्द्यालय बना।
चेम्सर्ोिफ के कायफकाल में, सर ब्रसिनी रौलि की अध्यक्षता में एक कमेिी ब्रनयुि
करके रौलेि एक्ट (Rowlatt Acts) माचफ 1919 में पाररत ब्रकया गया, ब्रजससे मब्रजस्टर े िों
को यह अब्रधकार ब्रमल गया ब्रक र्ह ब्रकसी भी संदेहास्पद प्तस्थब्रत र्ाले व्यप्ति को
ब्रगरफ्तार करके उस पर मुकदमा चला सकता था।
चेम्सर्ोिफ के समय में ही 1919 में जवलयााँवाला बाग हत्ाकाण्ड हुआ।
इसके समय में भारत सरकार अब्रधब्रनयम, 1919 ई. र् मॉण्टे ग्यू-चेम्सफ़ोडन सुधार
(Montagu-Chelmsford reforms) लाया गया।
1916 ई. में पूना में मब्रहला ब्रर्श्वब्रर्द्यालय की स्थापना तथा 1917 ई. में ब्रशक्षा
पर सैडलर आयोग (Sadler Commission) की ब्रनयुप्ति लॉिफ चेम्सफ़ोिफ के समय
में ही की गई।
लॉिफ रीब्रिंग के समय में गााँधी जी का भारतीय राजनीब्रत में पूणफरूप से प्रर्ेश हो
चुका था।
लािफ रीब्रिंग के कायफकाल में 1919 का रौलेि एक्ट र्ापस ले ब्रलया गया।
रीब्रिंग के समय में ही केरल में 1921 में मोपला ववद्रोह (Moplah
Rebellion) हुआ, जो प्तखलार्त आन्दोलन का ही एक रूप था, ब्रजसके ने ता
र्रीयनकुन्नाथ कुंजअहमद हाजी, सीथी कोया थंगल और अली मुप्तस्लयर थे।
लािफ रीब्रिंग के ही कायफकाल में 5 र्रर्री 1922 को चौरी-चौरा की घर्र्ा हुई,
ब्रजसकी र्जह से गााँधी जी ने अपना असहयोग आन्दोलन र्ापस ले ब्रलया।
लािफ रीब्रिंग के समय में 1921 में वप्रन्स ऑफ़ वेर्ल् (Prince of Wales) का भारत
आगमन भी हुआ।
लािफ रीब्रिंग के कायफकाल एम. एन. रॉय (Manabendra Nath Roy) द्वारा ब्रदसम्बर
1925 में भारतीय कम्युवर्ट पार्ी (Communist Party of India, CPI) का भी
गठन ब्रकया गया।
1922 में ब्रचतरं जन दास, नरब्रसंह ब्रचंतामन केलकर और मोतीलाल ने हरू ने
ब्रमलकर स्वराज पार्ी (Congress-Khilafat Swarajaya Party) का गठन ब्रकया।
लािफ रीब्रिंग के कायफकाल में ब्रदल्ली और नागपुर ब्रर्श्वब्रर्द्यालयों की भी स्थापना हुई।
1939 में सुभार् चन्द्र बोस ने कां ग्रेस छोड़कर फॉरवडन ब्लाक नाम की अलग पािी
का गठन कर ब्रलया।
लािफ ब्रलनब्रलथगो के समय में ही पहली बार मुप्तस्लम लीग द्वारा 1940 में पावकस्तार्
की मांग की गयी।
1942 ई. में वक्रप्स वमशर्(cripps mission) भारत आया।
1940 में कां ग्रेस ने व्यप्तिगत असहयोग आन्दोलन प्रारं भ ब्रकया।
लािफ ब्रलनब्रलथगो के कायफकाल में गााँ धी जी ने करो या मरो का नारा दे ते हुए भारत
छोड़ो आन्दोलर् की शुरुआत की।
1945 में लािफ र्ेर्ेल ने ब्रशमला में एक समझौते का आयोजन ब्रकया, ब्रजसे वशमला
समझौता या वेवेल प्लार् के नाम से जाना गया।
र्ेर्ेल के समय में 1946 में नौसेना का ब्रर्द्रोह हुआ था।
1946 में अंतररम सरकार का गठन ब्रकया गया।
ब्रििे न के प्रधानमंत्री क्लीमेंि एिली ने 20 फरवरी, 1947 को भारत को स्वतंत्र करने
की घोर्णा कर दी।