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जन्म कुंडली का परिचय
जन्म कुंडली का परिचय
जन्म कुं डली को पढ़ने के ललए कछ बातोुं को ध्यान में रखा जाता है . आइए सबसे
पहले उन बातो को आपके सामने रखने का प्रयास करें . जन्मकुं डली बच्चे के जन्म के
समय लिशेष पर आकाश का एक नक्शा है .
जन्म कुं डली में एक समय लिशेष पर ग्रहो की स्थिलत तिा चाल का पता चलता है .
जन्म कुं डली में बारह खाने बने होते हैं लजन्हें भाि कहा जाता है . जन्म कण्डली
अलग - अलग थिानो पर अलग-अलग तरह से बनती है . जैसे भारतीय पद्धलत तिा
पाश्चात्य पद्धलत. भारतीय पद्धलत में भी उत्तर भारतीय, दलिण भारतीय तिा पूिी भारत
में बनी कुं डली लभन्न होती है .
जन्म कुं डली बनाने के ललए बारह रालशयोुं का उपयोग होता है , जो मेष से मीन रालश
तक होती हैं . बारह अलग भािोुं में बारह अलग-अलग रालशयााँ आती है . एक भाि में
एक रालश ही आती है . जन्म के समय भचक्र पर जो रालश उदय होती है िह कुं डली
के पहले भाि में आती है .
अन्य रालशयााँ लिर क्रम से लिपरीत लदशा(एुं टी क्लॉक िाइज) में चलती है . माना पहले
भाि में लमिन रालश आती है तो दू सरे भाि में ककक रालश आएगी और इसी तरह से
बाकी रालशयााँ भी चले गी. अुंलतम और बारहिें भाि में िृ ष रालश आती है !