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(2005 कका अधधिननियम ससंख्यकासंक 22)

(15 जजनि, 2005)

प्रत्ययेक ललोक प्रकाधधिककाररी कये ककायर्यकरण मम पकारदररर्यतका और उत्तरदकानयत्व कये ससंवधिर्यनि कये रलयये, ललोक
प्रकाधधिककाररययों कये ननियसंत्रणकाधिधीनि सजचनिका तक पहह च सहननिशशचत करनिये कये रलयये निकागररकयों कये सजचनिका कये
अधधिककार ककी व्यकावहकाररक रकासनि पद्धनत स्थकापपत करनिये, एक कयेन्दरीय सच ज निका आयलोग तथका रकाज्य
सजचनिका आयलोग कका गठनि करनिये और उनिसये सम्बसंधधित यका उनिकये आनिहषसंधगक पवषययों कका उपबसंधि
करनिये कये रलयये अधधिननियम

भभारत कके ससंवविधभान नके ललोकतसंतभात्मक गणरभाज्य ककी स्थभापनभा ककी हह ;

और ललोकतसंत शशिकक्षित नभागररक विगर्ग तथभा ऐससी ससचनभा ककी पभारदशशिर्गतभा ककी अपकेक्षिभा करतभा हह , जलो
उसकके कभायर्गकरण तथभा भ्रष्टभाचभार कलो रलोकनके कके शलयके भसी और सरकभाररों तथभा उनकके पररकरणरों कलो
शिभासन कके प्रतत उत्तरदभायसी बनभानके कके शलयके अतनविभायर्ग हह ;

और विभास्तवविक व्यविहभार मम ससचनभा कके प्रकटन सके ससंभविततः अन्य ललोक हहतरों, जजनकके असंतगर्गत
सरकभाररों कके दक्षि प्रचभालन, ससीशमत रभाज्य ववित्तसीय ससंसभाधनरों कके अधधकतम उपयलोग और ससंविकेदनशिसील
ससचनभा ककी गलोपनसीयतभा कलो बनभाए रखनभा भसी हह , कके सभाथ वविरलोध हलो सकतभा हह ;

और ललोकतसंतभात्मक आदशिर्ग ककी प्रभभतभा कलो बनभाए रखतके हभए इन वविरलोधसी हहतरों कके बसीच सभामसंजस्य
बनभानभा आविश्यक हह ;

अततः अब यह समसीचसीन हह कक ऐसके नभागररकरों कलो, कततपय ससचनभा दके नके कके शलयके, जलो उसके पभानके कके
इच्छभक हह, उपबसंध ककयभा जभाए;

भभारत गणरभाज्य कके छप्पनविम विरर्ग मम ससंसद द्विभारभा तनम्नशलखखत रूप मम यह अधधतनयशमत हलो :-

अध्यकाय 1
प्रकारशम्म्भिक

1. ससंकक्षिप्त निकाम, पवस्तकार और प्रकारम्म्भि-(1) इस अधधतनयम कभा ससंकक्षिप्त नभाम ससचनभा कभा अधधकभार
अधधतनयम, 2005 हह ।
(2) इसकभा वविस्तभार जम्मस-कश्मसीर रभाज्य कके शसविभाय सम्पण
स र्ग भभारत पर हह ।

(3) धभारभा 4 ककी उपधभारभा (1), धभारभा 5 ककी उपधभारभा (1) और उपधभारभा (2), धभारभा 12, धभारभा 13, धभारभा 15,
धभारभा 16, धभारभा 24, धभारभा 27 और धभारभा 28 कके उपबसंध तभरन्त प्रभभाविसी हरोंगके और इस अधधतनयम कके
शिकेर उपबसंध इसकके अधधतनयम कके एक ससौ बसीसविम हदन कलो प्रवित्व त हरोंगके।

2. पररम्भिकाषकाएसं- इस अधधतनयम मम , जब तक कक ससंदभर्ग सके अन्यथभा अपकेकक्षित न हलो,-


(क) “समभधचत सरकभार” सके ककससी ऐसके ललोक प्रभाधधकरण कके सम्बसंध मम जलो –

(i) ककेन्दद्रीय सरकभार यभा ससंघ रभाज्य क्षिकेत प्रशिभासन द्विभारभा स्थभावपत, गहठित, उसकके स्विभाशमत्विभाधसीन,
तनयसंतणभाधसीन यभा उसकके द्विभारभा प्रत्यक्षि रूप सके यभा अप्रत्यक्षि रूप सके उपलब्ध करभाई गई तनधधयरों
द्विभारभा सभारभसत रूप सके ववित्तपलोवरत ककयभा जभातभा हह , ककेन्दद्रीय सरकभार अशभप्रकेत हह ;

(ii) रभाज्य सरकभार द्विभार स्थभावपत, गहठित उसकके स्विभाशमत्विभाधसीन, तनयसंतणभाधसीन यभा उसकके द्विभारभा
प्रत्यक्षि रूप सके यभा अप्रत्यक्षि रूप सके उपलब्ध करभाई गई तनधधयरों द्विभारभा सभारभसत रूप सके ववित्तपलोवरत
ककयभा जभातभा हह , रभाज्य सरकभार अशभप्रकेत हह ;

(ख) “ककेन्दद्रीय ससचनभा आयलोग” सके धभारभा 12 ककी उपधभारभा (1) कके अधसीन गहठित ककेन्दद्रीय ससचनभा आयलोग
अशभप्रकेत हह ;

(ग) “ककेन्दद्रीय ललोक सच


स नभा अधधकभारद्री” सके उपधभारभा (1) कके अधसीन पदभाशभहहत ककेन्दद्रीय ललोक सच
स नभा
अधधकभारद्री अशभप्रकेत हह और इसकके असंतगर्गत धभारभा 5 ककी उपधभारभा (2) कके अधसीन इस प्रकभार पदभाशभहहत
कलोई ककेन्दद्रीय सहभायक ललोक ससचनभा अधधकभारद्री भसी हह ;

(घ) “मभख्य ससचनभा आयभक्त” और “ससचनभा आयभक्त” सके धभारभा 12 ककी उपधभारभा (3) कके अधसीन तनयभक्त
मभख्य ससचनभा आयभक्त और ससचनभा आयभक्त अशभप्रकेत हह;

(ड.) “सक्षिम प्रभाधधकभारद्री” सके अशभप्रकेत हह -

(i) ललोक सभभा यभा ककससी रभाज्य ककी वविधभान सभभा ककी यभा ककससी ऐसके ससंघ रभाज्यक्षिकेत ककी, जजसमम ऐससी
सभभा हह , दशिभा मम अध्यक्षि और रभाज्य सभभा यभा ककससी रभाज्य ककी वविधभान परररद ककी दशिभा मम
सभभापतत;

(ii) उच्चतम न्यभायभालय ककी दशिभा मम भभारत कभा मख्


भ य न्यभामतस तर्ग;
(iii) ककससी उच्च न्यभायभालय ककी दशिभा मम उच्च न्यभायभालय कभा मख्
भ य न्यभायमतस तर्ग;
(iv) ससंवविधभान द्विभारभा यभा उसकके अधधन स्थभावपत यभा गहठित अन्य प्रभाधधकरणरों ककी दशिभा मम ,
यथभाजस्थतत, रभाष्ट्रपतत यभा रभाज्यपभाल;
(v) ससंवविधभान कके अनच्
भ छके द 239 कके अधसीन तनयक्
भ त प्रशिभासक;

(च) “ससचनभा” सके ककससी इलकेक्ट्रट्रॉतनक रूप मम धभाररत अशभलकेख, दस्तभाविकेज, जभापन, ई-मकेल, मत, सलभाह,
प्रकेस वविजजप्त, पररपत, आदके शि, लट्रॉगबभक, ससंवविदभा, ररपलोटर्ग कभागजपत, नमसनके, मट्रॉडल, आआँकडरों सम्बसंधसी
सभामगसी और ककससी प्रभाइविकेट तनकभाय सके सम्बसंधधत ऐससी ससचनभा सहहत, जजस तक तत्समय प्रवित्व त
ककससी अन्य वविधध कके अधसीन ककससी ललोक प्रभाधधकभारद्री ककी पहभआँच हलो सकतसी हह , ककससी रूप मम कलोई
सभामगसी अशभप्रकेत हह ;

(छ) “वविहहत” सके, यथभाजस्थतत, समभधचत सरकभार यभा सक्षिम प्रभाधधकभारद्री द्विभार इस अधधतनयम कके अधसीन
बनभाए गए तनयमरों द्विभारभा वविहहत अशभप्रकेत हह ;

(ज) “ललोक प्रभाधधकभारद्री” सके,-

(क) ससंवविधभान द्विभार यभा उसकके अधसीन;


(ख) ससंसद द्विभारभा बनभाई गई ककससी अन्य वविधध द्विभारभा;
(ग) रभाज्य वविधभान-मसंडल द्विभारभा बनभाई गई ककससी अन्य वविधध द्विभारभा;
(घ) समभधचत सरकभार द्विभार जभारद्री ककी गई अधधससचनभा यभा ककए गए आदके शि द्विभारभा, स्थभावपत यभा
गहठित कलोई प्रभाधधकभारद्री यभा तनकभाय यभा स्विभायत्त सरकभारद्री ससंस्थभा अशभप्रकेत हह ,

और इसकके अन्तगर्गत,-
(i) कलोई ऐसभा तनकभाय हह जलो समभधचत सरकभार कके स्विभाशमत्विभाधसीन, तनयसंतणभाधसीन यभा उसकके द्विभार
प्रत्यक्षि यभा अप्रत्यक्षि रूप सके उपलब्ध करभाई गई तनधधयरों द्विभारभा सभारभसत रूप सके ववित्तपलोवरत हह ;
(ii) कलोई ऐसभा गहर-सरकभारद्री ससंगठिन हह जलो समधभ चत सरकभार, द्विभारभा प्रत्यक्षि यभा अप्रत्यक्षि रूप सके
उपलब्ध करभाई गई तनधधयरों द्विभारभा सभारभत
स रूप सके ववित्तपलोवरत हह ।

(झ) “अरम्भिलयेख” मम ननिम्निरलखखत सशम्मरलत हह-

(क) कलोई दस्तकावयेज, पकाण्डहरलपप और फकाइल;


(ख) ककसधी दस्तकावयेज ककी कलोई मकाइकलोकफल्म, मकाइकलोकफरये और प्रनतककनत प्रनत;
(ग) ऐसधी मकाइकलोकफल्म मम सशन्निपवष्ट प्रनतबबम्ब यका प्रनतबबम्बयों कका पनि
ह रूत्पकादनि (चकाहये वधधिर्यत रूप
मम हलो यका नि हलो) ; और
(घ) ककसधी कम्प्यट
ज र द्वकारका यका ककसधी अन्य यशह कत द्वकारका उत्पकाददत कलोई अन्य सकामगधी;

(ञ) “सजचनिका कका अधधिककार” सये इस अधधिननियम कये अधिधीनि पहहच यलोग्य सजचनिका कका, जलो ककसधी ललोक
प्रकाधधिककाररी द्वकारका यका उसकये ननियसंत्रणकाधिधीनि धिकाररत हह , अधधिककार अरम्भिप्रयेत हह और शजसमम ननिम्निरलखखत
कका अधधिककार सशम्मरलत हह -

(i) ककनत, दस्तकावयेजयों, अरम्भिलयेखयों कका ननिररीक्षिण;


(ii) दस्तकावयेजयों यका अरम्भिलयेखयों कये दटप्पण, उद्धरण यका प्रमकाखणत प्रनतरलप लयेनिका;
(iii) सकामगधी कये प्रमकाखणत निमजनिये लयेनिका;
(iv) डडस्कयेट, फ्ललॉपधी, टये प, वधीडडयलो कहसयेट कये रूप मम यका ककसधी अन्य इलयेकटलॉननिक ररीनत मम यका
पप्रसंटआउट कये मकाध्यम सये सच
ज निका कलो, जहकाह ऐसधी सच
ज निका ककसधी कम्प्यट
ज र यका ककसधी अन्य यशह कत मम
म्भिण्डकाररत हह , अरम्भिप्रकाप्त करनिका;

(ट) “रभाज्य ससचनभा आयलोग” सके धभारभा 15 ककी उपधभारभा (1) कके अधसीन गहठित रभाज्य ससचनभा आयलोग
अशभप्रकेत हह ;

(ठि) “रभाज्य मख्


भ य सच
स नभा आयक्
भ त” और “रभाज्य सच
स नभा आयक्
भ त” सके धभारभा 15 ककी उपधभारभा (3) कके
अधसीन तनयभक्त रभाज्य मभख्य ससचनभा आयभक्त और रभाज्य ससचनभा आयभक्त अशभप्रकेत हह ;

(ड) “रभाज्य ललोक ससचनभा अधधकभारद्री” सके उपधभारभा (1) कके अधसीन पदभाशभहहत रभाज्य ललोक ससचनभा
अधधकभारद्री अशभप्रकेत हह और इसकके असंतगर्गत धभारभा 5 ककी उपधभारभा (2) कके अधसीन उस रूप मम पदभाशभहहत
रभाज्य सहभायक ललोक ससचनभा अधधकभारद्री भसी हह ;

(ढ) “पर व्यजक्त” सके ससचनभा कके शलयके अनभरलोध करनके विभालके नभागररक सके शभन्न कलोई व्यजक्त अशभप्रकेत
हह , और इसकके असंतगर्गत कलोई ललोक प्रभाधधकभारद्री भसी हह ।

अध्यकाय-2
सजचनिका कका अधधिककार और ललोक प्रकाधधिककाररययों ककी बकाध्यतकाएसं

3. सजचनिका कका अधधिककार- इस अधधिननियम कये उपबसंधियों कये अधिधीनि रहतये हहए, सम्भिधी निकागररकयों कलो सजचनिका
कका अधधिककार हलोगका।

4. ललोक प्रकाधधिककाररययों ककी बकाध्यतकाएसं- (1) प्रत्यकेक ललोक प्रभाधधकभारद्री-


(क) अपनके सभसी अशभलकेखरों कलो सम्यक रूप सके सच
स सीपततत और अनक्र
भ मखणकभाबद्ध ऐससी रद्रीतत और
रूप मम रखकेगभा, जलो इस अधधतनयम कके अधसीन सच
स नभा कके अधधकभार कलो सभकर बनभातभा हह और
सभतनजश्चत करके गभा कक ऐसके सभसी अशभलकेख, जलो कसंप्यट
स रद्रीकवत ककए जभानके कके शलयके समभधचत हह,
यजभ क्तयक्
भ त समय कके भसीतर और ससंसभाधनरों ककी उपलभ्यतभा कके अधसीन रहतके हभए, कसंप्यट स रद्रीकवत और
वविशभन्न प्रणभाशलयरों पर ससंपण
स र्ग दके शि मम नकेटविकर्ग कके मभाध्यम सके ससंबद्ध हह जजससके कक ऐसके अशभलकेख
तक पहभआँच कलो सभकर बनभायभा जभा सकके;

(ख) इस अधधतनयम कके अधधतनयमन सके एक ससौ बसीस हदन कके भसीतर-

(i) अपनके ससंगठिन ककी वविशशिजष्टयभाआँ, कवत्य और कतर्गव्य;


(ii) अपनके अधधकभाररयरों और कमर्गचभाररयरों ककी शिजक्तयभाआँ और कतर्गव्य;
(iii) ववितनश्चय करनके ककी प्रकक्रयभा मम पभालन ककी जभानके विभालद्री प्रकक्रयभा जजसमम पयर्गविकेक्षिण और
उत्तरदभातयत्वि कके मभाध्यम सजम्मशलत हह;
(iv) अपनके कवत्यरों कके तनविर्गहन कके शलयके स्वियसं द्विभारभा स्थभावपत मभानदसं ड;
(v) अपनके द्विभारभा यभा अपनके तनयसंतणभाधसीन धभाररत यभा अपनके कमर्गचभाररयरों द्विभारभा अपनके कवत्यरों कके
तनविर्गहन कके शलयके प्रयलोग ककए गए तनयम, ववितनयम, अनभदकेशि, तनदर शशिकभा और अशभलकेख;
(vi) ऐसके दस्तभाविकेजरों कके, जलो उसकके द्विभारभा धभाररत यभा उसकके तनयसंतणभाधसीन हह, प्रविगर्गों कभा वविविरण;
(vii) ककससी व्यविस्थभा ककी वविशशिजष्टयभासं, जलो उसककी नसीतत ककी ससंरचनभा यभा उसकके कभायभार्गन्वियन कके
सम्बसंध मम जनतभा कके सदस्यरों सके परभामशिर्ग कके शलयके यभा उनकके द्विभारभा अभ्यभाविकेदन कके शलयके वविद्यमभान
हह;
(viii) ऐसके बलोडर्गों, परररदरों, सशमततयरों और अन्य तनकभायरों कके, जजनमम दलो यभा अधधक व्यजक्त हह, जजनकभा
उसकके भभागरूप मम यभा इस बभारके मम सलभाह दके नके कके प्रयलोजन कके शलयके गठिन ककयभा गयभा हह और इस
बभारके मम कक क्यभा उन बलोडर्गों, परररदरों सशमततयरों और अन्य तनकभायरों ककी बहठिकम जनतभा कके शलयके खभलद्री
हरोंगसी यभा ऐससी बहठिकरों कके कभायर्गवित्व त तक जनतभा ककी पहभआँच हलोगसी, वविविरण;
(ix) अपनके अधधकभाररयरों और कमर्गचभाररयरों ककी तनदर शशिकभा;
(x) अपनके प्रत्यकेक अधधकभारद्री और कमर्गचभारद्री द्विभारभा प्रभाप्त मभाशसक पभाररश्रशमक, जजसकके अन्तगर्गत
प्रततकर ककी प्रणभालद्री भसी हह , जलो उसकके ववितनयमरों मम यथभा उपबसंधधत हलो;
(xi) सभसी यलोजनभाओसं, प्रस्तभाववित व्ययरों और ककए गए ससंववितरणरों पर ररपलोटर्गों ककी वविशशिजष्टयभासं,
उपदशशिर्गत करतके हभए अपनके प्रत्यकेक अशभकरण कलो आविसंहटत बजट;
(xii) सहभातयककी कभायर्गक्रमरों कके तनष्पभादन ककी रद्रीतत जजसमम आविसंहटत रभाशशि और ऐसके कभायर्गक्रमरों कके
फभायदभागभाहहयरों कके ब्यसौरके सजम्मशलत हह;
(xiii) अपनके द्विभारभा अनद
भ त्त ररयभायतरों, अनज
भ भापतरों यभा प्रभाधधकभाररों कके प्रभाजप्तकतभार्गओसं ककी वविशशिजष्टयभासं;
(xiv) ककससी इलकेक्ट्रट्रॉतनक रूप मम सच
स नभा कके ससंबसंध मम ब्यसौरके , जलो उसकलो उपलब्ध हरों यभा उसकके द्विभारभा
धभाररत हरों;
(xv) सच
स नभा अशभप्रभाप्त करनके कके शलयके नभागररकरों कलो उपलब्ध सवभ विधभाओसं ककी वविशशिजष्टयभासं, जजनमम
ककससी पस्
भ तकभालय यभा विभाचन कक्षि कके, यहद ललोक उपयलोग कके शलयके अनरभ कक्षित हह तलो, कभायर्गकरण घसंटके
सजम्मशलत हह;
(xvi) ललोक सच
स नभा अधधकभाररयरों कके नभाम, पदनभाम और अन्य वविशशिजष्टयभासं;
(xvii) ऐससी अन्य ससचनभा, जलो वविहहत ककी जभाए, प्रकभाशशित करके गभा और तत्पश्चभात इन प्रकभाशिनरों कलो
प्रत्यकेक विरर्ग मम अद्यतन करके गभा;

(ग) महत्त्विपसणर्ग नसीततयरों ककी वविरचनभा करतके समय यभा ऐसके ववितनश्चयरों ककी घलोरणभा करतके समय, जलो
जनतभा कलो प्रभभाववित करतके हरों, सभसी सभससंगत तथ्यरों कलो प्रकभाशशित करके गभा;
(घ) प्रभभाववित व्यजक्तयरों कलो अपनके प्रशिभासतनक यभा न्यभातयकल्प ववितनश्चयरों कके शलयके कभारण उपलब्ध
करभाएगभा।

(2) प्रत्यकेक ललोक अधधकभारद्री कभा तनरसं तर यह प्रयभास हलोगभा कक विह उपधभारभा (1) कके खसंड (ख) ककी
अपकेक्षिभाओसं कके अनभसभार, स्विप्रकेरणभा सके, जनतभा कलो तनयशमत अन्तरभालरों पर ससंससचनभा कके वविशभन्न सभाधनरों
कके मभाध्यम सके, जजनकके अन्तगर्गत इसंटरनकेट भसी हह , इतनसी अधधक ससचनभा उपलब्ध करभानके कके शलयके
उपभाय करके जजससके कक जनतभा कलो ससचनभा प्रभाप्त करनके कके शलयके इस अधधतनयम कभा कम सके कम
अविलसंब लकेनभा पडके।

(3) उपधभारभा (1) कके प्रयलोजन कके शलयके, प्रत्यकेक सच


स नभा कलो वविस्तत
व रूप सके और ऐसके प्रभारूप और रद्रीतत
मम प्रसभाररत ककयभा जभाएगभा, जलो जनतभा कके शलयके सहज रूप सके पहभआँच यलोग्य हलो।

(4) सभसी सभामगसी कलो, लभागत प्रभभाविशिसीलतभा, स्थभानसीय भभारभा और उस क्षिकेत मम ससंससचनभा ककी अत्यसंत
प्रभभाविसी पद्धतत कलो ध्यभान मम रखतके हभए, प्रसभाररत ककयभा जभाएगभा तथभा ससचनभा, यथभाजस्थतत, ककेन्दद्रीय
ललोक ससचनभा अधधकभारद्री यभा रभाज्य ललोक ससचनभा अधधकभारद्री कके पभास इलकेक्ट्रट्रॉतनक रूप मम ससंभवि ससीमभा
तक तनतःशिभल्क यभा मभाध्यम ककी ऐससी लभागत पर यभा ऐससी मभदण लभागत ककीमत पर, जलो वविहहत ककी
जभाए, सहज रूप सके पहभआँच यलोग्य हलोनसी चभाहहए।

स्पष्टरीकरण- उपधभारभा (3) और उपधभारभा (4) कके प्रयलोजनरों कके शलयके, “प्रसभाररत” सके सच
स नभा पटरों,
समभाचभारपतरों, ललोक उद्घलोरणभाओसं, मसीडडयभा प्रसभारणरों, इसंटरनकेट यभा ककससी अन्य मभाध्यम सके , जजसमम
ककससी ललोक प्रभाधधकभारद्री कके कभायभार्गलयरों कभा तनरद्रीक्षिण सजम्मशलत हह , जनतभा कलो सच
स नभा ककी जभानकभारद्री
दके नभा यभा ससंससधचत करभानभा अशभप्रकेत हह ।
5. ललोक सच
ज निका अधधिककाररययों कका पदनिकाम- (1) प्रत्यकेक ललोक प्रभाधधकभारद्री, इस अधधतनयम कके
अधधतनयमन कके ससौ हदन कके भसीतर सभसी प्रशिभासतनक एककरों यभा उसकके अधसीन कभायभार्गलयरों मम ,
यथभाजस्थतत, ककेन्दद्रीय ललोक ससचनभा अधधकभाररयरों यभा रभाज्य ललोक सच
स नभा अधधकभाररयरों कके रूप मम उतनके
अधधकभाररयरों कलो अशभहहत करके गभा, जजतनके इस अधधतनयम कके अधसीन सच
स नभा कके शलयके अनरभ लोध करनके
विभालके व्यजक्तयरों कलो सच
स नभा प्रदभान करनके कके शलयके आविश्यक हरों।

(2) उपधभारभा (1) कके उपबसंधरों पर प्रततकसल प्रभभावि डभालके तबनभा, प्रत्यकेक ललोक प्रभाधधकभारद्री, इस अधधतनयम
कके ससौ हदन कके भसीतर ककससी अधधकभारद्री कलो प्रत्यकेक उपमसंडल स्तर यभा अन्य उप जजलभा स्तर पर,
यथभाजस्थतत, कमदद्रीय सहभायक ललोक ससचनभा अधधकभारद्री यभा ककससी रभाज्य सहभायक ललोक ससचनभा अधधकभारद्री
कके रूप मम इस अधधतनयम कके अधसीन ससचनभा कके शलयके आविकेदन यभा अपसील प्रभाप्त करनके और उसके
तत्कभाल, यथभाजस्थतत, कमदद्रीय ललोक ससचनभा अधधकभारद्री यभा रभाज्य ललोक ससचनभा अधधकभारद्री यभा धभारभा 19
ककी उपधभारभा (1) कके अधसीन ववितनहदर्ग ष्ट विररष्ठि अधधकभारद्री यभा कमदद्रीय ससचनभा आयलोग अथविभा रभाज्य
ससचनभा आयलोग कलो भकेजनके कके शलयके, पदभाशभहहत करके गभातः

परसं तभ यह कक जहभाआँ ससचनभा यभा अपसील कके शलयके कलोई आविकेदन, यथभाजस्थतत, ककससी ककेन्दद्रीय सहभायक
ललोक ससचनभा अधधकभारद्री यभा ककससी रभाज्य सहभायक ललोक ससचनभा अधधकभारद्री कलो हदयभा जभातभा हह , विहभाआँ
धभारभा 7 ककी उपधभारभा (1) कके अधसीन ववितनहदर्ग ष्ट उत्तर कके शलयके अविधध ककी ससंगणनभा करनके मम पभाआँच
हदन ककी अविधध जलोड दद्री जभाएगसी।

(3) यथभाजस्थतत, प्रत्यकेक ककेन्दद्रीय ललोक ससचनभा अधधकभारद्री यभा रभाज्य ललोक ससचनभा अधधकभारद्री, ससचनभा ककी
मभासंग करनके विभालके व्यजक्तयरों कके अनभरलोधरों पर कभारर्ग विभाई करके गभा और ऐससी सच
स नभा ककी मभासंग करनके विभालके
व्यजक्तयरों कलो यजभ क्तयक्
भ त सहभायतभा प्रदभान करके गभा।

(4) यथभाजस्थतत, ककेन्दद्रीय ललोक ससचनभा अधधकभारद्री, ऐसके ककससी अन्य अधधकभारद्री ककी सहभायतभा ककी मभासंग
कर सककेगभा, जजसके विह अपनके कवत्यरों कके समभधचत तनविर्गहन कके शलयके आविश्यक समझके।

(5) कलोई अधधकभारद्री, जजसककी उपधभारभा (4) कके अधसीन सहभायतभा चभाहद्री गई हह , उसककी सहभायतभा चभाहनके
विभालके यथभाजस्थतत, ककेन्दद्रीय ललोक सच
स नभा अधधकभारद्री यभा रभाज्य ललोक ससचनभा अधधकभारद्री कलो सभसी
सहभायतभा प्रदभान करके गभा और इस अधधतनयम कके उपबसंधरों कके ककससी उल्लसंघन कके प्रयलोजनरों कके शलयके
ऐसके अन्य अधधकभारद्री कलो, यथभाजस्थतत, ककेन्दद्रीय ललोक ससचनभा अधधकभारद्री यभा रभाज्य ललोक सच
स नभा
अधधकभारद्री समझभा जभाएगभा।

6. सजचनिका अरम्भिप्रकाप्त करनिये कये रलयये अनिहरलोधि- (1) कलोई व्यशकत, जलो इस अधधिननियम कये अधिधीनि कलोई
सजचनिका अरम्भिप्रकाप्त करनिका चकाहतका हह , रलखखत मम यका इलयेकटलॉननिक यहशकत कये मकाध्यम सये असंगयेजधी यका
दहन्दरी मम यका उस क्षियेत्र ककी, शजसमम आवयेदनि ककयका जका रहका हह , रकाजम्भिकाषका मम ऐसधी फकीस कये सकाथ, जलो
पवदहत ककी जकाए,-

(क) सम्बसंधधित ललोक प्रकाधधिकरण कये, यथकाशस्थनत, कयेन्दरीय ललोक सजचनिका अधधिककाररी यका रकाज्य ललोक
सजचनिका अधधिककाररी;
(ख) यथकाशस्थनत, कयेन्दरीय सहकायक ललोक सजचनिका अधधिककाररी यका रकाज्य सहकायक ललोक सजचनिका अधधिककाररी,
कलो, उसकये द्वकारका मकासंगधी गई सजचनिका ककी पवररशष्टयकासं पवननिददर्य ष्ट करतये हहए अनिहरलोधि करये गकाग

परसं तह जहकाह ऐसका अनिरह लोधि रलखखत मम निहरीसं ककयका जका सकतका हह , वहकाह, यथकाशस्थनत, कयेन्दरीय ललोक
सच
ज निका अधधिककाररी यका रकाज्य ललोक सच
ज निका अधधिककाररी अनिरह लोधि करनिये वकालये व्यशकत कलो सम्भिधी
यशह कतयक
ह त सहकायतका ममौखखक रूप सये दये गका, शजससये कक उसये लयेखबद्ध ककयका जका सकये।

(2) सजचनिका कये रलयये अनिहरलोधि करनिये वकालये आवयेदक सये सजचनिका कका अनिहरलोधि करनिये कये रलयये ककसधी
ककारण कलो यका ककसधी अन्य व्यशकतगत ब्यमौरये कलो, रसवकाय उसकये जलो उससये ससंपकर्य करनिये कये रलयये
आवशयक हयों, दये निये ककी अपयेक्षिका निहरीसं ककी जकाएगधी।

(3) जहकाह, कलोई आवयेदनि ककसधी ललोक प्रकाधधिककाररी कलो ककसधी ऐसधी सच
ज निका कये रलयये अनिरह लोधि करतये हहए
ककयका जकातका हह ,-

(i) जलो ककसधी अन्य ललोक प्रकाधधिककाररी द्वकारका धिकाररत हह ; यका


(ii) शजसककी पवषय-वस्तह ककसधी अन्य ललोक प्रकाधधिककाररी कये ककत्ययों सये अधधिक ननिकट रूप सये सम्बसंधधित
हह , वहकाह, वह ललोक प्रकाधधिककाररी, शजसकलो ऐसका आवयेदनि ककयका जकातका हह , ऐसये आवयेदनि यका उसकये ऐसये म्भिकाग
कलो, जलो समहधचत हलो, उस अन्य ललोक प्रकाधधिककाररी कलो असंतररत करये गका और ऐसये असंतरण कये बकारये मम
आवयेदक कलो तहरसंत सजचनिका दये गका:

परसं तह यह कक इस उपधिकारका कये अनिहसरण मम ककसधी आवयेदनि कका असंतरण यथकासकाध्य रधीघ्रतका सये ककयका
जकाएगका, ककसं तह ककसधी म्भिधी दरका मम आवयेदनि ककी प्रकाशप्त ककी तकाररीख सये पकाहच ददनियों कये पशचकात निहरीसं
ककयका जकाएगका।

7. अनिहरलोधि कका ननिपटकारका- (1) धभारभा 5 ककी उपधभारभा (2) कके परसं तभक यभा धभारभा 6 ककी उपधभारभा (3) कके
परसं तभक कके अधसीन रहतके हभए, धभारभा 6 कके अधसीन अनिहरलोधि कये प्रकाप्त हलोनिये पर, यथकाशस्थनत,
कयेन्दरीय ललोक सजचनिका अधधिककाररी यका रकाज्य ललोक सच
ज निका अधधिककाररी, यथकाससंम्भिव रधीघ्रतका
सये, और ककसधी म्भिधी दरका मम अनिहरलोधि ककी प्रकाशप्त कये तधीस ददनि कये म्भिधीतर, ऐसधी फकीस कये
ससंदकाय पर, जलो पवदहत ककी जकाए, यका तलो सजचनिका उपलब्धि करकाएगका यका धिकारका 8 और धिकारका
9 मम पवननिददर्य ष्ट ककारणयों मम सये ककसधी ककारण सये अनिहरलोधि कलो अस्वधीककार करये गका:

परसं तह जहकाह मकासंगधी गई जकानिककाररी कका सम्बसंधि ककसधी व्यशकत कये जधीवनि यका स्वतसंत्रतका सये
हह , वहकाह वह अनिहरलोधि प्रकाप्त हलोनिये कये अड़तकालरीस घसंटये कये म्भिधीतर उपलब्धि करकाई जकाएगधी।

(2) यदद, यथकाशस्थनत, कयेन्दरीय ललोक सजचनिका अधधिककाररी यका रकाज्य ललोक सजचनिका अधधिककाररी उपधिकारका (1)
कये अधिधीनि पवननिददर्य ष्ट अवधधि कये म्भिधीतर सजचनिका कये रलयये अनिहरलोधि पर पवननिशचय करनिये मम असफल
रहतका हह तलो, यथकाशस्थनत, कयेन्दरीय ललोक सजचनिका अधधिककाररी यका रकाज्य ललोक सजचनिका अधधिककाररी कये बकारये
मम यह समझका जकाएगका कक उसनिये अनिहरलोधि कलो निकामसंजजर कर ददयका हह ।

(3) जहभाआँ, सच
स नभा उपलब्ध करभानके ककी लभागत कके रूप मम ककससी और फकीस कके ससंदभाय पर सच
स नभा
उपलब्ध करभानके कभा ववितनश्चय ककयभा जभातभा हह , विहभाआँ यथभाजस्थतत, ककेन्दद्रीय ललोक ससचनभा अधधकभारद्री यभा
रभाज्य ललोक सच
स नभा अधधकभारद्री अनरभ लोध करनके विभालके व्यजक्त कलो,-

(क) उसकके द्विभारभा यथभाअविधभाररत ससचनभा उपलब्ध करभानके ककी लभागत कके रूप मम और फकीस कके
ब्यसौरके , जजनकके सभाथ उपधभारभा (1) कके अधसीन वविहहत फकीस कके अनभसभार रकम तनकभालनके कके शलयके ककी
गई ससंगणनभाएसं हरोंगसी, दके तके हभए उससके उस फकीस कलो जमभा करनके कभा अनभरलोध करतके हभए कलोई ससंससचनभा
भकेजकेगभा और उक्त ससंससचनभा कके प्रकेरण और फकीस कके ससंदभाय कके बसीच मध्यवितर्ती अविधध कलो उस धभारभा
मम तनहदर्ग ष्ट तसीस हदन ककी अविधध ककी ससंगणनभा करनके कके प्रयलोजन कके शलयके अपविजजर्गत ककयभा जभाएगभा;
(ख) प्रभभाररत फकीस ककी रकम यभा उपलब्ध करभाई गई पहभआँच कके प्ररूप कके बभारके मम , जजसकके असंतगर्गत
अपसील प्रभाधधकभारद्री ककी वविशशिजष्टयभासं, समय-ससीमभा, प्रकक्रयभा और कलोई अन्य प्ररूप भसी हह, ववितनश्चय
करनके कभा पभनवविर्गललोकन करनके कके ससंबसंध मम उसकके अधधकभार सके ससंबसंधधत ससचनभा दके तके हभए, कलोई
ससंससचनभा भकेजकेगभा।

(4) जहभाआँ, इस अधधतनयम कके अधसीन अशभलकेख यभा उसकके ककससी भभाग तक पहभआँच अपकेकक्षित हह और
ऐसभा व्यजक्त, जजसकलो पहभआँच उपलब्ध करभाई जभानसी हह , ससंविकेदनभात्मक रूप सके तनतःशिक्त हह , विहभाआँ
यथभाजस्थतत, ककेन्दद्रीय ललोक ससचनभा अधधकभारद्री यभा रभाज्य ललोक ससचनभा अधधकभारद्री ससचनभा तक पहभआँच कलो
समथर्ग बनभानके कके शलयके सहभायतभा उपलब्ध करभाएगभा, जजसमम तनरद्रीक्षिण कके शलयके ऐससी सहभायतभा करभानभा
भसी सजम्मशलत हह , जलो समभधचत हलो।

(5) जहभाआँ, सचस नभा तक पहभआँच महभ दत यभा ककससी इलकेक्ट्रट्रॉतनक रूपवविधभान मम उपलब्ध करभाई जभानसी हह ,
विहभाआँ आविकेदक, उपधभारभा (6) कके अधसीन रहतके हभए, ऐससी फकीस कभा ससंदभाय करके गभा, जलो वविहहत ककी जभाए:
परसं तभ धभारभा 6 ककी उपधभारभा (1) और धभारभा 7 ककी उपधभारभा (1) और उपधभारभा (5) कके अधसीन वविहहत फकीस
यभजक्तयभक्त हलोगसी और ऐसके व्यजक्तयरों सके, जलो गरद्रीबसी ककी रके खभा कके नसीचके हह, जहसभा समभधचत सरकभार
द्विभारभा अविधभाररत ककयभा जभाए, कलोई फकीस प्रभभाररत नहद्रीसं ककी जभाएगसी।

(6) उपधभारभा (5) मम ककससी बभात कके हलोतके हभए भसी, जहभाआँ कलोई ललोक प्रभाधधकभारद्री उपधभारभा (1) मम ववितनहदर्ग ष्ट
समय-ससीमभा कभा अनप भ भालन करनके मम असफल रहतभा हह , विहभाआँ सच स नभा कके शलयके अनरभ लोध करनके विभालके
व्यजक्त कलो प्रभभार कके तबनभा सच
स नभा उपलब्ध करभाई जभाएगसी।

(7) उपधभारभा (1) कके अधसीन कलोई ववितनश्चय करनके सके पसवि,र्ग यथभाजस्थतत, ककेन्दद्रीय ललोक ससचनभा अधधकभारद्री
यभा रभाज्य ललोक ससचनभा अधधकभारद्री धभारभा 11 कके अधसीन पर व्यजक्त द्विभारभा ककए गए अभ्यभाविकेदन कलो
ध्यभान मम रखकेगभा।

(8) जहभाआँ, ककससी अनरभ लोध कलो उपधभारभा (1) कके अधसीन अस्विसीकवत ककयभा गयभा हह , विहभाआँ, यथभाजस्थतत,
ककेन्दद्रीय ललोक सच
स नभा अधधकभारद्री यभा रभाज्य ललोक ससचनभा अधधकभारद्री अनरभ लोध करनके विभालके व्यजक्त कलो,-

(i) ऐससी अस्विसीकवतत कके शलयके कभारण;


(ii) विह अविधध, जजसकके भसीतर ऐससी अस्विसीकवतत कके वविरूद्ध कलोई अपसील ककी जभा सककेगसी; और
(iii) अपसील प्रभाधधकभारद्री ककी वविशशिजष्टयभासं, ससंससधचत करके गभा।

(9) ककससी सच
स नभा कलो सभाधभारणतयभा उससी प्रभारूप मम उपलब्ध करभायभा जभाएगभा, जजसमम उसके मभासंगभा गयभा
हह , जब तक कक विह ललोक प्रभाधधकभारद्री कके सलोतरों कलो अननभपभातसी रूप सके वविचशलत न करतभा हलो यभा
प्रश्नगत अशभलकेख ककी सभरक्षिभा यभा ससंरक्षिण कके प्रततकसल न हलो।

8. सजचनिका कये प्रकट ककए जकानिये सये छजट- (1) इस अधधतनयम मम असंतवविर्गष्ट ककससी बभात
कके हलोतके हभए भसी, ककससी नभागररक कलो तनम्नशलखखत ससचनभा दके नके ककी बभाध्यतभा नहद्रीसं
हलोगसी-

(क) सच
ज निका, शजसकये प्रकटनि सये म्भिकारत ककी प्रम्भित
ह का और अखण्डतका, रकाज्य ककी सरह क्षिका,
रणनिधीनत, वहजकाननिक यका आधथर्यक दहत, पवदये र सये सम्बसंधि पर प्रनतकजल प्रम्भिकाव पड़तका हलो
यका ककसधी अपरकाधि कलो करनिये कका उदधीपनि हलोतका हलो;
(ख) सजचनिका, शजसकये प्रककारनि कलो ककसधी न्यकायकालय यका अधधिकरण द्वकारका अरम्भिव्यकत
रूप सये ननिपषद्ध ककयका गयका हह यका शजसकये प्रकटनि सये न्यकायकालय कका अवमकानि हलोतका हह ;
(ग) सजचनिका, शजसकये प्रकटनि सये ससंसद यका ककसधी रकाज्य कये पवधिकानि-मसंडल कये
पवरयेषकाधधिककार कका म्भिसंग ककाररत हलोगका;
(घ) सजचनिका, शजसमम वकाखणशज्यक पवशवकास, व्यकापकार गलोपनिधीयतका यका बमौपद्धक ससंपदका
सशम्मरलत हह , शजसकये प्रकटनि सये ककसधी पर व्यशकत ककी प्रनतयलोगधी शस्थनत कलो
निहकसकानि हलोतका हह , जब तक कक सक्षिम प्रकाधधिककाररी कका यह समकाधिकानि निहरीसं हलो जकातका हह
कक ऐसधी सच
ज निका कये प्रकटनि सये पवस्तत
क ललोक दहत कका समथर्यनि हलोतका हह ;

(ड.) ककसधी व्यशकत कलो उसककी वहशवकारसक निकातयेदकाररी मम उपलब्धि सजचनिका, जब तक कक


सक्षिम प्रकाधधिककाररी कका यह समकाधिकानि निहरीसं हलो जकातका हह कक ऐसधी सजचनिका कये प्रकटनि सये
पवस्तत
क ललोक दहत कका समथर्यनि हलोतका हह ;

(च) ककसधी पवदये रधी सरककार सये पवशवकास मम प्रकाप्त सजचनिका;

(छ) सजचनिका शजसकलो प्रकट करनिका ककसधी व्यशकत कये जधीवनि यका रकाररीररक सहरक्षिका कलो
खतरये मम डकालयेगका यका जलो पवधधि प्रवतर्यनि यका सहरक्षिका प्रयलोजनियों कये रलयये पवशवकास मम दरी
गई ककसधी सच
ज निका यका सहकायतका कये सलोत ककी पहचकानि करये गका;

(ज) सच
ज निका, शजससये अपरकाधधिययों कये अन्वयेषण, पकड़ये जकानिये यका अरम्भियलोजनि ककी प्रककयका
मम अड़चनि पड़येगधी;

(झ) मसंबत्रमसंडल कये ककागजपत्र, शजसमम मसंत्रपररषद, सधचवयों और अन्य अधधिककाररययों कये
पवचकार-पवमरर्य कये अरम्भिलयेख सशम्मरलत हहग

परन्तह यह कक मसंबत्रपररषद कये पवननिशचय, उनिकये ककारण तथका वह सकामगधी, शजसकये


आधिकार पर पवननिशचय ककए गए थये, पवननिशचय ककए जकानिये और पवषय कये पजरका यका
समकाप्त हलोनिये कये पशचकात जनितका कलो उपलब्धि करकाए जकाएसंगयेग

परन्तह यह और कक वये पवषय, जलो इस धिकारका मम पवननिर्यददष्ट छजटयों कये असंतगर्यत आतये हह,
प्रकट निहरीसं ककए जकाएसंगये;
(ञ) सजचनिका, जलो व्यशकतगत सजचनिका सये सम्बसंधधित हह , शजसकका प्रकटनि ककसधी ललोक
ककयकाकलकाप यका दहत सये सम्बसंधि निहरीसं रखतका हह यका शजससये व्यशष्ट ककी एककासंततका पर
अनिकावशयक अनतकमण हलोगका, जब तक कक, यथकाशस्थनत, कयेन्दरीय ललोक सजचनिका
अधधिककाररी यका रकाज्य ललोक सजचनिका अधधिककाररी यका अपधील प्रकाधधिककाररी कका यह समकाधिकानि
निहरीसं हलो जकातका हह कक ऐसधी सच
ज निका कका प्रकटनि पवस्तत
क ललोक दहत मम न्यकायलोधचत हह :

परन्तह ऐसधी सच
ज निका कये रलयये, शजसकलो, यथकाशस्थनत, ससंसद यका ककसधी रकाज्य पवधिकानि-मसंडल
कलो दये निये सये इसंककार निहरीसं ककयका जका सकतका हह , ककसधी व्यशकत कलो इसंककार निहरीसं ककयका जका
सकयेगका।

(2) रकासककीय गहप्त बकात अधधिननियम, 1923 (1923 कका 19) मम , उपधिकारका (1) कये अनिहसकार
अनिहजयेय ककसधी छजट मम ककसधी बकात कये हलोतये हहए म्भिधी, ककसधी ललोक प्रकाधधिककाररी कलो सजचनिका
तक पहहच अनिहजकात ककी जका सकयेगधी, यदद सजचनिका कये प्रकटनि मम ललोक दहत, ससंरकक्षित
दहतयों कये निहकसकानि सये अधधिक हह ।

(3) उपधिकारका (1) कये खण्ड (क), खण्ड (ग) और खण्ड (झ) कये उपबसंधियों कये अधिधीनि रहतये
हहए, ककसधी ऐसधी घटनिका, वत्क तकासंत यका पवषय सये सम्बसंधधित कलोई सच ज निका, जलो उस तकाररीख
सये, शजसकलो धिकारका 6 कये अधिधीनि कलोई अनिरह लोधि ककयका जकातका हह , बधीस वषर्य पव ज र्य घदटत हहई
थधी यका हहआ थका, उस धिकारका कये अधिधीनि अनिहरलोधि करनिये वकालये ककसधी व्यशकत कलो उपलब्धि
करकाई जकाएगधीग

परन्तह यह कक जहकाह उस तकाररीख कये बकारये मम , शजससये बधीस वषर्य ककी उकत अवधधि कलो
ससंगखणत ककयका जकातका हह , कलोई प्रशनि उदत
ज हलोतका हह , वहकाह इस अधधिननियम मम उसकये
रलयये उपबसंधधित प्रकानयक अपधीलयों कये अधिधीनि रहतये हहए कयेन्दरीय सरककार कका पवननिशचय
असंनतम हलोगका।

9. कनतपय मकामलयों मम पहह च कये रलयये अस्वधीककनत कये आधिकार- धिकारका 8 कये उपबन्धियों पर
प्रनतकजल प्रम्भिकाव डकालये बबनिका, यथकाशस्थनत, कलोई कयेन्दरीय ललोक सच
ज निका अधधिककाररी यका कलोई
रकाज्य ललोक सजचनिका अधधिककाररी सच
ज निका कये ककसधी अनिहरलोधि कलो वहकाह अस्वधीककार कर
सकयेगका, जहकाह पहहच उपलब्धि करकानिये कये रलयये ऐसका अनिहरलोधि रकाज्य सये रम्भिन्नि ककसधी
व्यशकत कये अशस्तत्वयहकत प्रनतरलप्यकाधधिककार कका उल्लसंघनि अन्तवर्यरलत करये गका।

क ककरणधीयतका- (1) जहकाह सजचनिका तक पहह च कये अनिहरलोधि कलो इस आधिकार पर


10. पथ
अस्वधीककार ककयका जकातका हह कक वह ऐसधी सजचनिका कये सम्बसंधि मम हह , जलो प्रकट ककए जकानिये
सये छजट प्रकाप्त हह , विहभाआँ इस अधधतनयम मम ककससी बभात कके हलोतके हभए भसी, पहभआँच
अशभलकेख कके उस भभाग तक उपलब्ध करभाई जभा सककेगसी जजसमम कलोई ऐससी सच
स नभा
अन्तवविर्गष्ट नहद्रीसं हह , जलो इस अधधतनयम कके अधसीन प्रकट ककए जभानके सके छसट प्रभाप्त हह
और जलो ककससी ऐसके भभाग सके, जजसमम छसट प्रभाप्त ससचनभा अन्तवविर्गष्ट हह , यभजक्तयभक्त रूप
सके पथ
व क ककी जभा सकतसी हह ।

(2) जहभाआँ उपधभारभा (1) कके अधसीन अशभलकेख कके ककससी भभाग तक पहभआँच अनभदत्त ककी जभातसी हह , विहभाआँ,
यथभाजस्थतत, ककेन्दद्रीय ललोक ससचनभा अधधकभारद्री यभा रभाज्य ललोक ससचनभा अधधकभारद्री तनम्नशलखखत ससचनभा
दके तके हभए, आविकेदक कलो एक ससचनभा दके गभा कक-

(क) अनरभ लोध ककए गए अशभलकेख कभा ककेविल एक भभाग हद्री, उस अशभलकेख सके उस सच
स नभा कलो, जलो
प्रकटन सके छसट प्रभाप्त हह पथ
व क करनके कके पश्चभात उपलब्ध करभायभा जभा रहभा हह ;

(ख) ववितनश्चय कके शलयके कभारण, जजनकके असंतगर्गत तथ्य कके ककससी महत्त्विपसणर्ग प्रश्न पर उस सभामगसी
कके प्रतत, जजस पर विके तनष्करर्ग आधभाररत थके, तनदर शि करतके हभए कलोई तनष्करर्ग भसी हह;

(ग) ववितनश्चय करनके विभालके व्यजक्त कभा नभाम और पदनभाम;

(घ) उसकके द्विभारभा ससंगखणत फकीस कके ब्यसौरके और फकीस ककी विह रकम जजसककी आविकेदक सके तनक्षिकेप
करनके ककी अपकेक्षिभा ककी जभातसी हह ; और

(ड.) सच
स नभा कके भभाग कलो प्रकट न ककए जभानके कके सम्बसंध मम ववितनश्चय कके पन
भ वविर्गललोकन कके बभारके मम
उसकके अधधकभार, प्रभभाररत फकीस ककी रकम यभा उपलब्ध करभायभा गयभा पहभआँच कभा प्ररूप, जजसकके
अन्तगर्गत, यथभाजस्थतत, धभारभा 19 ककी उपधभारभा (1) कके अधसीन ववितनहदर्ग ष्ट विररष्ठि अधधकभारद्री यभा ककेन्दद्रीय
सच
स नभा अधधकभारद्री यभा रभाज्य सच
स नभा अधधकभारद्री ककी वविशशिजष्टयभासं, समय-ससीमभा, प्रकक्रयभा और कलोई अन्य
पहभआँच कभा प्ररूप भसी हह ।
11. पर व्यशकत सजचनिका-(1) जहभाआँ, यथभाजस्थतत, ककससी ककेन्दद्रीय ललोक ससचनभा अधधकभारद्री यभा रभाज्य ललोक
ससचनभा अधधकभारद्री कभा, इस अधधतनयम कके अधसीन ककए गए अनभरलोध पर कलोई ऐससी ससचनभा यभा
अशभलकेख यभा उसकके ककससी भभाग कलो प्रकट करनके कभा आशिय हह , जलो ककससी पर व्यजक्त सके सम्बसंधधत
हह यभा उसकके द्विभारभा इसकभा प्रदभाय ककयभा गयभा हह और उस पर व्यजक्त द्विभारभा उसके गलोपनसीय मभानभा
गयभा हह , विहभाआँ यथभाजस्थतत, ककेन्दद्रीय ललोक ससचनभा अधधकभारद्री यभा रभाज्य ललोक ससचनभा अधधकभारद्री अनभरलोध
प्रभाप्त हलोनके सके पभाआँच हदन कके भसीतर, ऐसके पर व्यजक्त कलो अनभरलोध ककी और इस तथ्य ककी शलखखत
रूप मम ससचनभा दके गभा कक, यथभाजस्थतत, ककेन्दद्रीय ललोक ससचनभा अधधकभारद्री यभा रभाज्य ललोक ससचनभा
अधधकभारद्री कभा उक्त ससचनभा यभा अशभलकेख यभा उसकके ककससी भभाग कलो प्रकट करनके कभा आशिय हह , और
इस बभारके मम कक ससचनभा प्रकट ककी जभानसी चभाहहए यभा नहद्रीसं, शलखखत मम यभा मसौखखक रूप सके तनविकेदन
करनके कके शलयके पर व्यजक्त कलो आमसंततत करके गभा तथभा ससचनभा कके प्रकटन कके बभारके मम कलोई ववितनश्चय
करतके समय पर व्यजक्त कके ऐसके तनविकेदन कलो ध्यभान मम रखभा जभाएगभा:

परन्तभ वविधध द्विभारभा ससंरकक्षित व्यभापभार यभा विभाखणजज्यक गभप्त बभातरों ककी दशिभा कके शसविभाय, यहद ऐसके
प्रकटन मम ललोकहहत, ऐसके व्यजक्त कके हहतरों ककी ककससी ससंभभाववित अपहभातन यभा क्षितत सके अधधक
महत्त्विपसणर्ग हह तलो प्रकटन अनभजभात ककयभा जभा सककेगभा।

(2) जहभाआँ उपधभारभा (1) कके अधसीन, यथभाजस्थतत, ककेन्दद्रीय ललोक ससचनभा अधधकभारद्री यभा रभाज्य ललोक ससचनभा
अधधकभारद्री द्विभारभा व्यजक्त पर ककससी ससचनभा यभा अशभलकेख यभा उसकके ककससी भभाग कके बभारके मम ककससी
ससचनभा ककी तभामसील ककी जभातसी हह , विहभाआँ ऐसके व्यजक्त कलो, ऐससी ससचनभा ककी प्रभाजप्त ककी तभारद्रीख सके दस
हदन कके भसीतर, प्रस्तभाववित प्रकटन कके वविरुद्ध अभ्यभाविकेदन करनके कभा अविसर हदयभा जभाएगभा।

(3) धभारभा 7 मम ककससी बभात कके हलोतके हभए भसी, यथभाजस्थतत, ककेन्दद्रीय ललोक ससचनभा अधधकभारद्री यभा रभाज्य
ललोक ससचनभा अधधकभारद्री धभारभा 6 कके अधसीन अनभरलोध प्रभाप्त हलोनके कके पश्चभात चभालद्रीस हदन कके भसीतर,
यहद पर व्यजक्त कलो उपधभारभा (2) कके अधसीन अभ्यभाविकेदन करनके कभा अविसर दके हदयभा गयभा हह , तलो इस
बभारके मम ववितनश्चय करके गभा कक उक्त ससचनभा यभा अशभलकेख यभा उसकके भभाग कभा प्रकटन ककयभा जभाए यभा
नहद्रीसं और अपनके ववितनश्चय ककी ससचनभा शलखखत मम पर व्यजक्त कलो दके गभा।

(4) उपधभारभा (3) कके अधसीन दद्री गई सच


स नभा मम यह कथन भसी सजम्मशलत हलोगभा कक विह पर व्यजक्त,
जजसके सच
स नभा दद्री गई हह , धभारभा 19 कके अधसीन उक्त ववितनश्चय कके वविरुद्ध अपसील करनके कभा हकदभार हह ।

अध्यकाय-3
कयेन्दरीय सजचनिका आयलोग
12. कयेन्दरीय सच
ज निका आयलोग कका गठनि- (1) ककेन्दद्रीय सरकभार, रभाजपत मम अधधससचनभा द्विभारभा, ककेन्दद्रीय
सच
स नभा आयलोग कके नभाम सके जभात एक तनकभाय कभा गठिन करके गसी, जलो ऐससी शिजक्तयरों कभा प्रयलोग और
ऐसके कवत्यरों कभा पभालन करके गभा, जलो उसके इस अधधतनयम कके अधसीन ससौंपके जभाएसं।

(2) ककेन्दद्रीय ससचनभा आयलोग तनम्नशलखखत सके शमलकर बनकेगभा-


(क) मभख्य ससचनभा आयभक्त; और
(ख) दस सके अनधधक उतनसी ससंख्यभा मम ककेन्दद्रीय ससचनभा आयभक्त, जजतनके आविश्यक समझके जभाएसं।

(3) मभख्य सच
स नभा आयक्
भ त और सच
स नभा आयक्
भ तरों ककी तनयजभ क्त, रभाष्ट्रपतत द्विभारभा तनम्नशलखखत सके
शमलकर बनसी सशमतत ककी शसफभाररशि पर ककी जभाएगसी-
(i) प्रधभानमसंतसी, जलो सशमतत कभा अध्यक्षि हलोगभा;
(ii) ललोक सभभा मम वविपक्षि कभा नकेतभा; और
(iii) प्रधभानमसंतसी द्विभारभा नभामतनहदर्ग ष्ट ससंघ मसंततमण्डल कभा एक मसंतसी।

स्पष्टरीकरण- शिसंकभाओसं कके तनविभारण कके प्रयलोजन कके शलयके यह घलोवरत ककयभा जभातभा हह कक जहभाआँ ललोक
सभभा मम वविपक्षि कके नकेतभा कलो उस रूप मम मभान्यतभा नहद्रीसं दद्री गई हह , विहभाआँ ललोक सभभा मम सरकभार कके
वविपक्षिसी एकल सबसके बडके समसह कके नकेतभा कलो वविपक्षि कभा नकेतभा समझभा जभाएगभा।

(4) ककेन्दद्रीय ससचनभा आयलोग कके कभायर्गों कभा सभाधभारण अधसीक्षिण, तनदके शिन और प्रबसंधन, मभख्य ससचनभा
आयभक्त मम तनहहत हलोगभा, जजसककी सहभायतभा ससचनभा आयभक्तरों द्विभारभा ककी जभाएगसी और विह ऐससी सभसी
शिजक्तयरों कभा प्रयलोग और ऐसके सभसी कभायर्ग और बभातम कर सककेगभा, जजनकभा ककेन्दद्रीय ससचनभा आयलोग
द्विभारभा स्वितसंत रूप सके इस अधधतनयम कके अधसीन ककससी अन्य प्रभाधधकभारद्री कके तनदर शिरों कके अधसीन रहके
तबनभा प्रयलोग ककयभा जभा सकतभा हह यभा जलो ककी जभा सकतसी हह ।

(5) मभख्य ससचनभा आयभक्त और ससचनभा आयभक्त वविधध, वविजभान और प्रसौद्यलोधगककी, समभाज सकेविभा, प्रबसंध
पतकभाररतभा, जनससंपकर्ग मभाध्यम यभा प्रशिभासन तथभा शिभासन कभा व्यभापक जभान और अनभ
भ वि रखनके विभालके
जनजसीविन मम प्रख्यभात व्यजक्त हरोंगके।

(6) मभख्य ससचनभा आयभक्त यभा कलोई ससचनभा आयभक्त, यथभाजस्थतत, ससंसद कभा सदस्य यभा ककससी रभाज्य
यभा ससंघ रभाज्य क्षिकेत कके वविधभान-मसंडल कभा सदस्य नहद्रीसं हलोगभा यभा कलोई अन्य लभाभ कभा पद धभाररत
नहद्रीसं करके गभा यभा ककससी रभाजनहततक दल सके ससंबद्ध नहद्रीसं हलोगभा अथविभा कलोई कभारलोबभार नहद्रीसं करके गभा यभा
कलोई विजव त्त नहद्रीसं करके गभा।
(7) ककेन्दद्रीय सच
स नभा आयलोग कभा मभख्यभालय, हदल्लद्री मम हलोगभा और ककेन्दद्रीय सच
स नभा आयलोग, ककेन्दद्रीय
सरकभार कके पवि
स र्ग अनम
भ लोदन सके, भभारत मम अन्य स्थभानरों पर कभायभार्गलय स्थभावपत कर सककेगभा।

13. पदकावधधि और सयेवका-रतर- (1) मभख्य ससचनभा आयभक्त, उस तभारद्रीख सके, जजसकलो विह अपनभा पद गहण
करतभा हह , पभाआँच विरर्ग ककी
अविधध कके शलयके पद धभारण करके गभा और पभनतनर्गयभजक्त कके शलयके पभात नहद्रीसं हलोगभा:

परन्तभ यह कक कलोई मभख्य ससचनभा आयभक्त 65 विरर्ग ककी आयभ प्रभाप्त करनके कके पश्चभात उस रूप मम
पदधभारण नहद्रीसं करके गभा।

(2) प्रत्यकेक ससचनभा आयभक्त, उस तभारद्रीख सके, जजसकलो विह अपनभा पद गहण करतभा हह , पभाआँच विरर्ग ककी
अविधध कके शलयके यभा 65 विरर्ग ककी आयभ प्रभाप्त करनके तक इनमम सके जलो भसी पवि
स तर्ग र हलो, पद धभारण करके गभा
और ससचनभा आयभक्त कके रूप मम पभनतनर्गयभजक्त कके शलयके पभात नहद्रीसं हलोगभातः

परन्तभ प्रत्यकेक ससचनभा आयभक्त, इस उपधभारभा कके अधसीन अपनभा पद ररक्त करनके पर, धभारभा 12 ककी
उपधभारभा (3) मम ववितनहदर्ग ष्ट रद्रीतत सके मभख्य ससचनभा आयभक्त कके रूप मम तनयभजक्त कके शलयके पभात हलोगभा:

परन्तभ यह और कक जहभाआँ ससचनभा आयभक्त कलो मभख्य ससचनभा आयभक्त कके रूप मम तनयभक्त ककयभा
जभातभा हह विहभाआँ उसककी पदभाविधध ससचनभा आयभक्त और मभख्य ससचनभा आयभक्त कके रूप मम कभल शमलभाकर
पभाआँच विरर्ग सके अधधक नहद्रीसं हलोगसी।

(3) मभख्य ससचनभा आयभक्त यभा कलोई ससचनभा आयभक्त, अपनभा पद गहण करनके सके पवि
स र्ग रभाष्ट्रपतत यभा
उसकके द्विभारभा इस तनशमत्त प्रभाधधकवत ककससी अन्य व्यजक्त कके समक्षि, पहलद्री अनभससचसी मम इस
प्रयलोजन कके शलयके उपविखणर्गत प्ररूप कके अनभसभार एक शिपथ यभा प्रततजभान लकेगभा और उस पर हस्तभाक्षिर
करके गभा।

(4) मभख्य ससचनभा आयभक्त यभा कलोई ससचनभा आयभक्त, ककससी भसी समय, रभाष्ट्रपतत कलो ससंबलोधधत अपनके
हस्तभाक्षिर सहहत लकेख द्विभारभा अपनभा पद त्यभाग सककेगभा:

परन्तभ मभख्य सच
स नभा आयक्
भ त यभा ककससी सच
स नभा आयक्
भ त कलो धभारभा 14 मम ववितनहदर्ग ष्ट रद्रीतत सके हटभायभा
जभा सककेगभा।

(5) ससंदकेय विकेतन और भत्तके तथभा सकेविभा कके अन्य तनबसंधन शितर-
(क) मभख्य सच
स नभा आयक्
भ त ककी विहद्रीसं हरोंगसी, जलो मभख्य तनविभार्गचन आयक्
भ त ककी हह ;
(ख) सच
स नभा आयक्
भ त ककी विहद्रीसं हरोंगसी, जलो तनविभार्गचन आयक्
भ त ककी हह:

परन्तभ यहद मभख्य ससचनभा आयभक्त यभा कलोई ससचनभा आयभक्त, अपनसी तनयभजक्त कके समय, भभारत
सरकभार कके अधसीन यभा ककससी रभाज्य सरकभार कके अधसीन ककससी पसविर्ग सकेविभा कके सम्बसंध मम कलोई पम शिन,
अक्षिमतभा यभा क्षितत पम शिन सके शभन्न, प्रभाप्त कर रहभा हह तलो मभख्य ससचनभा आयभक्त यभा ससचनभा आयभक्त
कके रूप मम सकेविभा कके सम्बसंध मम उसकके विकेतन मम सके, उस पम शिन ककी, जजसकके असंतगर्गत पम शिन कभा ऐसभा
कलोई भभाग, जजसके ससंरभाशशिकवत ककयभा गयभा थभा और सकेविभातनविजव त्त उपदभान कके समतभल्य पम शिन कलो
छलोडकर, सकेविभातनविजव त्त फभायदरों कके अन्य रूपरों कके समतभल्य पम शिन भसी हह , रकम कलो कम कर हदयभा
जभाएगभातः

परन्तभ यह और कक यहद मभख्य ससचनभा आयक्


भ त यभा कलोई सच
स नभा आयक्
भ त, अपनसी तनयजभ क्त कके
समय, ककससी ककेन्दद्रीय अधधतनयम यभा रभाज्य अधधतनयम द्विभारभा यभा उसकके अधसीन स्थभावपत ककससी
तनगम मम यभा ककेन्दद्रीय सरकभार यभा रभाज्य सरकभार कके स्विभाशमत्विभाधसीन यभा तनयसंतणभाधसीन ककससी सरकभारद्री
कसंपनसी मम ककी गई ककससी पसविर्ग सकेविभा कके सम्बसंध मम सकेविभातनविजव त्त फभायदके प्रभाप्त कर रहभा हह तलो मभख्य
ससचनभा आयभक्त यभा ससचनभा आयभक्त कके रूप मम सकेविभा कके सम्बसंध मम उसकके विकेतन मम सके, सकेविभातनविजव त्त
फभायदरों कके समतभल्य पम शिन ककी रकम कम कर दद्री जभाएगसीतः

परन्तभ यह भसी कक मभख्य ससचनभा आयभक्त और ससचनभा आयभक्त कके विकेतन, भत्तरों और सकेविभा ककी अन्य
शितर्गों मम उसककी तनयभजक्त कके पश्चभात उसकके अलभाभकर रूप मम कलोई पररवितर्गन नहद्रीसं ककयभा जभाएगभा।

(6) ककेन्दद्रीय सरकभार, मभख्य ससचनभा आयभक्त और ससचनभा आयभक्तरों कलो उतनके अधधकभारद्री और कमर्गचभारद्री
उपलब्ध करभाएगसी, जजतनके इस अधधतनयम कके अधसीन उनकके कवत्यरों कके दक्षि पभालन कके शलयके आविश्यक
हरों और इस अधधतनय कके प्रयलोजन कके शलयके तनयभक्त ककए गए अधधकभाररयरों और अन्य कमर्गचभाररयरों
कलो ससंदकेय विकेतन और भत्तके तथभा सकेविभा कके तनबसंधन और शितर ऐससी हरोंगसी जलो वविहहत ककी जभाएसं।

14. सच
ज निका आयक
ह त यका मख्
ह य सच
ज निका आयक
ह त कका हटकायका जकानिका- (1) उपधभारभा (3) कके उपबसंधरों कके
अधसीन रहतके हभए, मख्
भ य सच
स नभा आयक् भ त यभा ककससी सच
स नभा आयक्
भ त कलो रभाष्ट्रपतत कके आदके शि द्विभारभा
सभातबत कदभाचभार यभा असमथर्गतभा कके आधभार पर उसकके पद सके तभसी हटभायभा जभाएगभा, जब उच्चतम
न्यभायभालय नके, रभाष्ट्रपतत द्विभारभा उसके ककए गए ककससी तनदर शि पर जभाआँच कके पश्चभात यह ररपलोटर्ग दद्री हलो
कक, यथभाजस्थतत, मभख्य सच
स नभा आयक्
भ त यभा सच
स नभा आयक्
भ त कलो उस आधभार पर हटभा हदयभा जभानभा
चभाहहए।
(2) रभाष्ट्रपतत, उस मख्
भ य सच
स नभा आयक्
भ त यभा ससचनभा आयक्
भ त कलो, जजसकके वविरुद्ध उपधभारभा (1) कके
अधसीन उच्चतम न्यभायभालय कलो तनदर शि ककयभा गयभा हह , ऐसके तनदर शि पर उच्चतम न्यभायभालय ककी ररपलोटर्ग
प्रभाप्त हलोनके पर रभाष्ट्रपतत द्विभारभा आदके शि पभाररत ककए जभानके तक पद सके तनलसंतबत कर सककेगभा और
यहद आविश्यक समझके तलो, जभाआँच कके दसौरभान कभायभार्गलय मम उपजस्थत हलोनके सके भसी प्रततबवद्धत कर
सककेगभा।

(3) उपधभारभा (1) मम असंतवविर्गष्ट ककससी बभात कके हलोतके हभए भसी रभाष्ट्रपतत, मभख्य ससचनभा आयभक्त यभा ककससी
ससचनभा आयभक्त कलो आदके शि द्विभार पद सके हटभा सककेगभा, यहद, यथभाजस्थतत, मभख्य ससचनभा आयभक्त यभा
ससचनभा आयभक्त,-

(क) हदविभाशलयभा न्यभायतनणर्तीत ककयभा गयभा हह ; यभा


(ख) विह ऐसके अपरभाध कके शलयके दलोरशसद्ध ठिहरभायभा गयभा हह , जजसमम रभाष्ट्रपतत ककी रभाय मम , नहततक
अधमतभा अन्तविर्गशलत हह ; यभा
(ग) अपनसी पदभाविधध कके दसौरभान, अपनके पद कके कतर्गव्यरों सके परके ककससी विहततनक तनयलोजन मम लगभा हभआ
हह ; यभा
(घ) रभाष्ट्रपतत ककी रभाय मम , मभानशसक यभा शिभारद्रीररक अक्षिमतभा कके कभारण पद पर बनके रहनके कके अयलोग्य
हह ; यभा
(ड.) उसनके ऐसके ववित्तसीय और अन्य हहत अजजर्गत ककए हह, जजनसके मभख्य ससचनभा आयभक्त यभा ककससी
ससचनभा आयभक्त कके रूप मम उसकके कवत्यरों पर प्रततकसल प्रभभावि पडनके ककी ससंभभाविनभा हह ।

(4) यहद मभख्य ससचनभा आयक्


भ त यभा कलोई सच
स नभा आयक्
भ त, ककससी प्रकभार भभारत सरकभार द्विभारभा यभा
उसककी ओर सके ककी गई ककससी ससंवविदभा यभा करभार सके ससंबद्ध यभा उसमम हहतबद्ध हह यभा ककससी तनगशमत
कसंपनसी कके ककससी सदस्य कके रूप मम सके अन्यथभा और उसकके अन्य सदस्यरों कके सभाथ सभामभान्यततः
उसकके लभाभ मम यभा उससके प्रलोदत स हलोनके विभालके ककससी फभायदके यभा पररलजब्धयरों मम हहस्सभा लकेतभा हह तलो विह,
उपधभारभा (1) कके प्रयलोजनरों कके शलयके, कदभाचभार कभा दलोरसी समझभा जभाएगभा।

अध्यकाय 4
रकाज्य सजचनिका आयलोग

15. रकाज्य सच
ज निका आयलोग कका गठनि- (1) प्रत्यकेक रभाज्य सरकभार रभाजपत मम अधधससचनभा द्विभारभा.........
(रभाज्य कभा नभाम) सच
स नभा आयलोग कके नभाम सके जभात एक तनकभाय कभा गठिन करके गसी, जलो ऐससी शिजक्तयरों
कभा प्रयलोग और ऐसके कवत्यरों कभा पभालन करके गभा, जलो उसके इस अधधतनयम कके अधसीन ससौंपके जभाएसं।

(2) रभाज्य ससचनभा आयलोग तनम्नशलखखत सके शमलकर बनकेगभा-


(क) रभाज्य मभख्य सच
स नभा आयक्
भ त; और
(ख) दस सके अनधधक उतनसी ससंख्यभा मम रभाज्य सच
स नभा आयक्
भ त जजतनके आविश्यक समझके जभाएसं।

(3) रभाज्य मभख्य ससचनभा आयभक्त और रभाज्य ससचनभा आयभक्तरों ककी तनयभजक्त रभाज्यपभाल द्विभारभा
तनम्नशलखखत सके शमलकर बनसी ककससी सशमतत ककी शसफभाररशि पर ककी जभाएगसी,-

(i) मख्
भ यमसंतसी, जलो सशमतत कभा अध्यक्षि हलोगभा;
(ii) वविधभान सभभा मम वविपक्षि कभा नकेतभा; और
(iii) मभख्यमसंतसी द्विभारभा नभामतनदर शशित ककयभा जभानके विभालभा मसंततमसंडल कभा सदस्य।

स्पष्टरीकरण- शिसंकभाओसं कलो दरस करनके कके प्रयलोजनरों कके शलयके यह घलोवरत ककयभा जभातभा हह कक जहभाआँ
वविधभान सभभा मम वविपक्षिसी दल कके नकेतभा कलो उस रूप मम मभान्यभात नहद्रीसं दद्री गई हह , विहभाआँ वविधभान सभभा मम
सरकभार कके वविपक्षिसी एकल सबसके बडके समसह कके नकेतभा कलो वविपक्षिसी दल कभा नकेतभा समझभा जभाएगभा।

(4) रभाज्य सच
स नभा आयलोग कके कभायर्गों कभा सभाधभारण अधसीक्षिण, तनदके शिन और प्रबसंध रभाज्य मभख्य सच
स नभा
आयक्
भ त मम तनहहत हलोगभा, जजसककी रभाज्य सच
स नभा आयक्
भ तरों द्विभारभा सहभायतभा ककी जभाएगसी और विह सभसी
ऐससी शिजक्तयरों कभा प्रयलोग कर सककेगभा और सभसी ऐसके कभायर्ग और बभातम कर सककेगभा जलो रभाज्य सच
स नभा
आयलोग द्विभारभा इस अधधतनयम कके अधसीन ककससी अन्य प्रभाधधकभारद्री कके तनदर शिरों कके अध्यधसीन रहके तबनभा
स्वितसंत रूप सके प्रयलोग ककी जभा सकतसी हह यभा ककी जभा सकतसी हह।

(5) रभाज्य मभख्य ससचनभा आयभक्त और रभाज्य ससचनभा आयभक्त वविधध, वविजभान और प्रसौद्यलोधगककी,
समभाजसकेविभा, प्रबसंध, पतकभाररतभा जनससंपकर्ग मभाध्यम यभा प्रशिभासन और शिभासन मम व्यभापक जभान और
अनभभवि विभालके समभाज मम प्रख्यभात व्यजक्त हरोंगके।

(6) रभाज्य मभख्य ससचनभा आयभक्त यभा रभाज्य ससचनभा आयभक्त, यथभाजस्थतत, ससंसद कभा सदस्य यभा ककससी
रभाज्य यभा ससंघ रभाज्यक्षिकेत कके वविधभान-मसंडल कभा सदस्य नहद्रीसं हलोगभा यभा कलोई अन्य लभाभ कभा पद धभारण
नहद्रीसं करके गभा यभा ककससी रभाजनसीततक दल सके ससंबद्ध नहद्रीसं हलोगभा यभा कलोई कभारलोबभार नहद्रीसं करके गभा यभा कलोई
विजव त्त नहद्रीसं करके गभा।

(7) रभाज्य ससचनभा आयलोग कभा मभख्यभालय रभाज्य मम ऐसके स्थभान पर हलोगभा, जजसके रभाज्य सरकभार रभाजपत
मम अधधससचनभा द्विभारभा ववितनहदर्ग ष्ट करके और रभाज्य सच
स नभा आयलोग, रभाज्य सरकभार कके पवि
स र्ग अनम
भ लोदन
सके, रभाज्य मम अन्य स्थभानरों पर अपनके कभायभार्गलय स्थभावपत कर सककेगभा।
16. पदकावधधि और सयेवका ककी रतर- (1) रभाज्य मख्
भ य सच
स नभा आयक्
भ त उस तभारद्रीख सके, जजसकलो विह अपनभा
पद गहण करतभा हह , पभाआँच विरर्ग ककी अविधध कके शलयके पद धभारण करके गभा औ पन
भ तनर्गयजभ क्त कके शलयके पभात
नहद्रीसं हलोगभातः

परन्तभ कलोई रभाज्य मभख्य ससचनभा आयभक्त पहसठि विरर्ग ककी आयभ प्रभाप्त करनके कके पश्चभात उस रुप मम
पद धभारण नहद्रीसं करके गभा।

(2) प्रत्यकेक रभाज्य सच


स नभा आयक्
भ त उस तभारद्रीख सके, जजसकलो विह अपनभा पद गहण करतभा हह , पभाआँच विरर्ग
ककी अविधध कके शलयके यभा पहसठि विरर्ग ककी आयभ प्रभाप्त करनके तक, इनमम सके जलो भसी पवि
स तर्ग र हलो, पद धभारण
करके गभा और रभाज्य सच
स नभा आयक्
भ त कके रूप मम पन
भ तनर्गयजभ क्त कके शलयके पभात नहद्रीसं हलोगभातः

परन्तभ प्रत्यकेक रभाज्य ससचनभा आयभक्त, इस उपधभारभा कके अधसीन पद ररक्त करनके पर, धभारभा 15 ककी
उपधभारभा (3) मम ववितनहदर्ग ष्ट रद्रीतत सके रभाज्य मभख्य ससचनभा आयभक्त कके रूप मम तनयभजक्त कके शलयके पभात
हलोगभातः

परन्तभ यह और कक जहभाआँ रभाज्य सच


स नभा आयक्
भ त ककी रभाज्य मभख्य सच
स नभा आयक्
भ त कके रूप मम
तनयजभ क्त ककी जभातसी हह , विहभाआँ उसककी पदभाविधध रभाज्य सच
स नभा आयक्
भ त और रभाज्य मभख्य सच
स नभा
आयभक्त कके रूप मम शमलभाकर पभाआँच विरर्ग सके अधधक नहद्रीसं हलोगसी।

(3) रभाज्य मभख्य ससचनभा आयभक्त यभा कलोई रभाज्य ससचनभा आयभक्त अपनभा पद गहण करनके सके पसविर्ग
रभाज्यपभाल यभा इस तनशमत्त उसकके द्विभारभा तनयभजक्त ककए गए ककससी अन्य व्यजक्त कके समक्षि पहलद्री
अनभससचसी मम इस प्रयलोजन कके शलयके उपविखणर्गत प्ररूप कके अनभसभार शिपथ यभा प्रततजभान लकेगभा और उस
पर अपनके हस्तभाक्षिर करके गभा।

(4) रभाज्य मभख्य ससचनभा आयभक्त यभा कलोई रभाज्य ससचनभा आयभक्त, ककससी भसी समय, रभाज्यपभाल कलो
ससंबलोधधत अपनके हस्तभाक्षिर सहहत लकेख द्विभारभा अपनके पद कभा त्यभाग कर सककेगभातः

परन्तभ रभाज्य मभख्य ससचनभा आयभक्त यभा ककससी रभाज्य ससचनभा आयभक्त कलो धभारभा 17 मम ववितनहदर्ग ष्ट
रद्रीतत सके हटभायभा जभा सककेगभा।

(5) ससंदकेय विकेतन और भत्तके तथभा सकेविभा कके अन्य तनबसंधन और शितर-
(क) रभाज्य मभख्य ससचनभा आयभक्त ककी विहद्री हरोंगसी, जलो ककससी तनविभार्गचन आयभक्त ककी हह;
(ख) रभाज्य ससचनभा आयभक्त ककी विहद्रीसं हरोंगसी, जलो रभाज्य सरकभार कके मभख्य सधचवि ककी हहतः
परन्तभ यहद रभाज्य मख्
भ य सच
स नभा आयक्
भ त यभा कलोई रभाज्य सच
स नभा आयक्
भ त अपनसी तनयजभ क्त कके समय
भभारत सरकभार कके अधसीन यभा ककससी रभाज्य सरकभार कके अधसीन ककससी पवि
स र्ग सकेविभा कके सम्बसंध मम कलोई
पम शिन, अक्षिमतभा यभा क्षितत पम शिन सके शभन्न, प्रभाप्त कर रहभा हह तलो रभाज्य मभख्य ससचनभा आयक्
भ त यभा
रभाज्य सच
स नभा आयक्
भ त कके रूप मम सकेविभा कके सम्बसंध मम उसकके विकेतन मम सके उस पम शिन ककी रकम कलो,
जजसकके असंतगर्गत पम शिन कभा ऐसभा भभाग जजसके ससंरभाशशिकवत ककयभा गयभा थभा और सकेविभातनविजव त्त उपदभान कके
समतभल्य पम शिन कलो छलोडकर अन्य प्रकभार कके सकेविभातनविजव त्त फभायदरों कके समतल्
भ य पम शिन भसी हह , कम
कर हदयभा जभाएगभातः

परन्तभ यह और कक जहभाआँ रभाज्य मभख्य ससचनभा आयभक्त यभा रभाज्य ससचनभा आयभक्त, अपनसी तनयभजक्त
कके समय, ककससी ककेन्दद्रीय अधधतनयम यभा रभाज्य अधधतनयम द्विभारभा यभा उसकके अधसीन स्थभावपत ककससी
तनगम यभा ककेन्दद्रीय सरकभार यभा रभाज्य सरकभार कके स्विभाशमत्विभाधसीन यभा तनयसंतणभाधसीन ककससी सरकभारद्री
कसंपनसी मम ककी गई ककससी पसविर्ग सकेविभा कके सम्बसंध मम सकेविभातनविजव त्त फभायदके प्रभाप्त कर रहभा हह विहभाआँ रभाज्य
मभख्य ससचनभा आयभक्त यभा रभाज्य ससचनभा आयभक्त कके रूप मम सकेविभा कके सम्बसंध मम उसकके विकेतन मम सके
सकेविभातनविजव त्त फभायदरों कके समतभल्य पम शिन ककी रकम कम कर दद्री जभायकेगसीतः

परन्तभ यह और कक रभाज्य मभख्य ससचनभा आयभक्त और रभाज्य ससचनभा आयभक्तरों कके विकेतन, भत्तरों और
सकेविभा ककी अन्य अन्य शितर्गों मम उनककी तनयभजक्त कके पश्चभात उनकके शलयके अलभाभकभारद्री रूप मम पररवितर्गन
नहद्रीसं ककयभा जभाएगभा।

(6) रभाज्य सरकभार, रभाज्य मभख्य ससचनभा आयभक्त और रभाज्य ससचनभा आयभक्तरों कलो उतनके अधधकभारद्री
और कमर्गचभारद्री उपलब्ध करभाएगसी, जजतनके इस अधधतनयम कके अधसीन उनकके कवत्यरों कके दक्षि पभालन कके
शलयके आविश्यक हरों और इस अधधतनयम कके प्रयलोजन कके शलयके तनयभक्त ककए गए अधधकभाररयरों और
अन्य कमर्गचभाररयरों कलो ससंदकेय विकेतन और भत्तके तथभा सकेविभा कके तनबसंधन और शितर ऐससी हरोंगसी, जलो
वविहहत ककी जभाएसं।

17. रकाज्य महख्य सजचनिका आयहकत यका रकाज्य सजचनिका आयहकत कका हटकायका जकानिका- (1) उपधभारभा (3) कके
उपबसंधरों कके अधसीन रहतके हभए, रभाज्य मभख्य ससचनभा आयभक्त यभा ककससी रभाज्य ससचनभा आयभक्त कलो
रभाज्यपभाल कके आदके शि द्विभारभा सभातबत कदभाचभार यभा असमथर्गतभा कके आधभार पर उसकके पद सके तभसी
हटभायभा जभाएगभा, जब उच्चतम न्यभायभालय नके, रभाज्यपभाल द्विभारभा उसके ककए गए ककससी तनदर शि पर जभाआँच
कके पश्चभात यह ररपलोटर्ग दद्री हलो कक, यथभाजस्थतत, रभाज्य मभख्य ससचनभा आयभक्त यभा रभाज्य ससचनभा
आयभक्त कलो उस आधभार पर हटभा हदयभा जभानभा चभाहहए।
(2) रभाज्यपभाल, उस रभाज्य मख्
भ य सच
स नभा आयक्
भ त यभा रभाज्य सच
स नभा आयक्
भ त कलो, जजसकके वविरुद्ध
उपधभारभा (1) कके अधसीन उच्चतम न्यभायभालय कलो तनदर शि ककयभा गयभा हह , ऐसके तनदर शि पर उच्चतम
न्यभायभालय ककी ररपलोटर्ग ककी प्रभाजप्त पर रभाज्यपभाल द्विभारभा आदके शि पभाररत ककए जभानके तक, पद सके
तनलसंतबत कर सककेगभा और यहद आविश्यक समझके तलो ऐससी जभाआँच कके दसौरभान कभायभार्गलय मम उपजस्थत
हलोनके सके प्रततशसद्ध भसी कर सककेगभा।

(3) उपधभारभा (1) मम असंतवविर्गष्ट ककससी बभात कके हलोतके हभए भसी रभाज्यपभाल, रभाज्य मभख्य ससचनभा आयभक्त यभा
ककससी रभाज्य ससचनभा आयभक्त कलो, आदके शि द्विभारभा, पद सके हटभा सककेगभा, यहद, यथभाजस्थतत, रभाज्य मभख्य
ससचनभा आयभक्त यभा रभाज्य ससचनभा आयभक्त-

(क) हदविभाशलयभा न्यभायतनणर्तीत ककयभा गयभा हह ; यभा


(ख) विह ऐसके ककससी अपरभाध कके शलयके दलोरशसद्ध ठिहरभायभा गयभा हह , जजसमम रभाज्यपभाल ककी रभाय मम
नहततक अधमतभा असंतविर्गशलत हह ; यभा
(ग) विह अपनसी पदभाविधध कके दसौरभान अपनके पद कके कतर्गव्यरों सके परके ककससी विहततनक तनयलोजन मम लगभा
हभआ हह ; यभा
(घ) रभाज्यपभाल ककी रभाय मम , मभानशसक यभा शिभारद्रीररक अक्षिमतभा कके कभारण पद पर बनके रहनके कके अयलोग्य
हह ; यभा
(ड.) उसनके ऐसके ववित्तसीय यभा अन्य हहत अजजर्गत ककए हह, जजनसके, रभाज्य मभख्य ससचनभा आयभक्त यभा
रभाज्य ससचनभा आयभक्त कके रूप मम उसकके कवत्यरों पर प्रततकसल प्रभभावि पडनके ककी ससंभभाविनभा हह ।

(4) यहद रभाज्य मभख्य सच


स नभा आयक्
भ त यभा कलोई रभाज्य ससचनभा आयक्
भ त, ककससी प्रकभार, रभाज्य सरकभार
द्विभारभा यभा उसककी ओर सके ककी गई ककससी ससंवविदभा यभा करभार सके ससंबद्ध यभा उसमम हहतबद्ध हह यभा ककससी
तनगशमत कसंपनसी कके ककससी सदस्य कलो ककससी रूप मम सके अन्यथभा और उसकके अन्य सदस्यरों कके सभाथ
सभामभान्यततः उसकके लभाभ मम यभा उससके प्रलोदत स हलोनके विभालके ककससी फभायदके यभा पररलजब्धयरों मम हहस्सभा
लकेतभा हह तलो विह उपधभारभा (1) कके प्रयलोजनरों कके शलयके कदभाचभार कभा दलोरसी समझभा जभाएगभा।

अध्यकाय 5
सजचनिका आयलोगयों ककी रशकतयकासं और ककत्य, अपधील तथका रकाशस्तयकासं

18. सचज निका आयलोगयों ककी रशकतयकासं और ककत्य- (1) इस अधधतनयम कके उपबसंधरों कके अधसीन रहतके हभए,
यथभाजस्थतत, ककेन्दद्रीय सच
स नभा आयलोग यभा रभाज्य आयलोग कभा यह कतर्गव्य हलोगभा कक विह तनम्नशलखखत
ककससी ऐसके व्यजक्त सके शशिकभायत प्रभाप्त करके और उसककी जभासंच करके -
(क) जलो, यथभाजस्थतत, ककससी ककेन्दद्रीय ललोक सच
स नभा अधधकभारद्री यभा रभाज्य ललोक सच
स नभा अधधकभारद्री कलो,
इस कभारण सके अनरभ लोध प्रस्तत
भ करनके मम असमथर्ग रहभा हह कक इस अधधतनयम कके अधसीन ऐसके
अधधकभारद्री ककी तनयजभ क्त नहद्रीसं ककी गई हह यभा, यथभाजस्थतत, ककेन्दद्रीय सहभायक ललोक सच
स नभा अधधकभारद्री यभा
रभाज्य सहभायक ललोक सच
स नभा अधधकभारद्री नके इस अधधतनयम कके अधसीन सच
स नभा यभा अपसील कके शलयके
धभारभा 19 ककी उपधभारभा (1) मम ववितनहदर्ग ष्ट ककेन्दद्रीय ललोक सच
स नभा अधधकभारद्री यभा रभाज्य ललोक सच
स नभा
अधधकभारद्री अथविभा ज्यकेष्ठि अधधकभारद्री यभा, यथभाजस्थतत, ककेन्दद्रीय सच
स नभा आयलोग यभा रभाज्य सच
स नभा आयलोग
कलो उसकके आविकेदन कलो भकेजनके कके शलयके स्विसीकभार करनके सके इसंकभार कर हदयभा हह ;
(ख) जजसके इस अधधतनयम कके अधसीन अनभरलोध ककी गई जभानकभारद्री तक पहभआँच कके शलयके इसंकभार कर
हदयभा गयभा हह ;
(ग) जजसके इस अधधतनयम कके अधसीन ववितनहदर्ग ष्ट समय-ससीमभा कके भसीतर ससचनभा कके शलयके यभा ससचनभा
तक पहभआँच कके शलयके अनभरलोध कभा उत्तर नहद्रीसं हदयभा गयभा हह ;
(घ) जजससके ऐससी फकीस ककी रकम कभा ससंदभाय करनके ककी अपकेक्षिभा ककी गई हह , जलो विह अनधभ चत समझतभा
हह यभा समझतसी हह ;
(ड.) जलो यह वविश्विभास करतभा हह कक उसके इस अधधतनयम कके अधसीन अपसण,र्ग भ्रम मम डभालनके विभालद्री यभा
शमथ्यभा ससचनभा दद्री गई हह ; और
(च) इस अधधतनयम कके अधसीन अशभलकेखरों कके शलयके अनभरलोध करनके यभा उन तक पहभआँच प्रभाप्त करनके सके
सम्बसंधधत ककससी अन्य वविरय कके सम्बसंध मम ।

(2) जहभाआँ, यथभाजस्थतत, ककेन्दद्रीय सच


स नभा आयलोग यभा रभाज्य सच
स नभा आयलोग कभा यह समभाधभान हलो जभातभा
हह कक उस वविरय मम जभाआँच करनके कके शलयके यजभ क्तयक्
भ त आधभार हह, विहभाआँ विह उसकके सम्बसंध मम जभाआँच
आरम्भ कर सककेगभा।

(3) यथभाजस्थतत, ककेन्दद्रीय ससचनभा आयलोग यभा रभाज्य ससचनभा आयलोग कलो, इस धभारभा कके अधसीन ककससी
मभामलके मम जभाआँच करतके समय विहद्री शिजक्तयभासं प्रभाप्त हरोंगसी, जलो तनम्नशलखखत मभामलरों कके सम्बसंध मम
शसवविल प्रकक्रयभा ससंहहतभा, 1908 (1908 कभा 5) कके अधसीन ककससी विभाद कभा वविचभारण करतके समय शसवविल
न्यभायभालय मम तनहहत हलोतसी हह, अथभार्गत :-

(क) ककन्हद्रीसं व्यजक्तयरों कलो समन करनभा और उन्हम उपजस्थत करभानभा तथभा शिपथ पर मसौखखक यभा
शलखखत सभाक्ष्य दके नके कके शलयके और दस्तभाविकेज यभा चसीजम पकेशि करनके कके शलयके उनकलो वविविशि करनभा;
(ख) दस्तभाविकेजरों कके प्रकटद्रीकरण और तनरद्रीक्षिण ककी अपकेक्षिभा करनभा;
(ग) शिपथपत पर सभाक्ष्य कलो अशभगहण करनभा;
(घ) ककससी न्यभायभालय यभा कभायभार्गलय सके ककससी ललोक अशभलकेख यभा उसककी प्रततयभासं मसंगभानभा;
(ड.) सभाकक्षियरों यभा दस्तभाविकेजरों ककी परद्रीक्षिभा कके शलयके समन जभारद्री करनभा; और
(च) कलोई अन्य वविरय, जलो वविहहत ककयभा जभाए।

(4) यथभाजस्थतत, ससंसद यभा रभाज्य वविधभान-मसंडल कके ककससी अन्य अधधतनयम मम असंतवविर्गष्ट ककससी
अससंगत बभात कके हलोतके हभए भसी, यथभाजस्थतत, ककेन्दद्रीय ससचनभा आयलोग यभा रभाज्य ससचनभा आयलोग इस
अधधतनयम कके अधसीन ककससी शशिकभायत ककी जभाआँच करनके कके दसौरभान, ऐसके ककससी अशभलकेख ककी परद्रीक्षिभा
कर सककेगभा, जजसके यह अधधतनयम लभागस हलोतभा हह और जलो ललोक प्रभाधधकभारद्री कके तनयसंतण मम हह और
उसकके द्विभारभा ऐसके ककससी अशभलकेख कलो ककन्हद्रीसं भसी आधभाररों पर रलोकभा नहद्रीसं जभाएगभा।

19. अपधील- (1) ऐसभा कलोई व्यजक्त, जजसके धभारभा 7 ककी उपधभारभा (1) यभा उपधभारभा (3) कके खसंड (क) मम
ववितनहदर्ग ष्ट समय कके भसीतर कलोई ववितनश्चय प्रभाप्त नहद्रीसं हभआ हह यभा जलो यथभाजस्थतत, ककेन्दद्रीय ललोक
सचस नभा अधधकभारद्री यभा रभाज्य ललोक सच
स नभा अधधकभारद्री कके ककससी ववितनश्चय सके व्यतसीत हह उस अविधध
ककी समभाजप्त सके यभा ऐसके ककससी ववितनश्चय ककी प्रभाजप्त सके 30 हदन कके भसीतर ऐसके अधधकभारद्री कलो
अपसील कर सककेगभा, जलो प्रत्यकेक ललोक प्रभाधधकरण मम , यथभा जस्थतत ककेजन्दय ललोक ससचनभा अधधकभारद्री यभा
रभाज्य ललोक ससचनभा अधधकभारद्री ककी पसंजक्त सके ज्यकेष्ठि पसंजक्त कभा हह तः

परन्तभ ऐसभा अधधकभारद्री, तसीस हदन ककी अविधध ककी समभाजप्त कके पश्चभात अपसील कलो गहण कर सककेगभा,
यहद उसकभा यह समभाधभान हलो जभातभा हह कक अपसीलभाथर्ती समय पर अपसील फभाइल करनके मम पयभार्गप्त
कभारण सके तनविररत ककयभा गयभा थभा।

(2) जहभाआँ अपसीन धभारभा 11 कके अधसीन, यथभाजस्थतत, ककससी ककेन्दद्रीय ललोक ससचनभा अधधकभारद्री यभा ककससी
रभाज्य ललोक ससचनभा अधधकभारद्री द्विभारभा पर व्यजक्त ककी ससचनभा प्रकट करनके कके शलयके ककए गए ककससी
आदके शि कके वविरुद्ध ककी जभातसी हह विहभाआँ सम्बसंधधत पर व्यजक्त द्विभारभा अपसील, उस आदके शि ककी तभारद्रीख सके
तसीस हदन कके भसीतर ककी जभाएगसी।

(3) उपधभारभा (1) कके अधसीन ववितनश्चय कके वविरुद्ध दस


स रद्री अपसील उस तभारद्रीख सके, जजसकलो ववितनश्चय
ककयभा जभानभा चभाहहए थभा यभा विभास्तवि मम प्रभाप्त ककयभा गयभा थभा, नब्बके हदन कके भसीतर ककेन्दद्रीय सच
स नभा
आयलोग यभा रभाज्य सच
स नभा आयलोग कलो हलोगसीतः

परन्तभ, यथभाजस्थतत, ककेन्दद्रीय ससचनभा आयलोग यभा रभाज्य ससचनभा आयलोग नब्बके हदन ककी अविधध ककी
समभाजप्त कके पश्चभात अपसील कलो गहण कर सककेगभा, यहद उसकभा यह समभाधभान हलो जभातभा हह कक
अपसीलभाथर्ती समय पर अपसील फभाइल करनके सके पयभार्गप्त कभारण सके तनविभाररत ककयभा गयभा थभा।
(यहद, यथभाजस्थतत, ककेन्दद्रीय ललोक ससचनभा अधधकभारद्री यभा रभाज्य ललोक सच
स नभा अधधकभारद्री कभा ववितनश्चय,
जजसकके वविरुद्ध अपसील ककी गई हह , पर व्यजक्त ककी सच
स नभा सके सम्बसंधधत हह तलो, यथभाजस्थतत, ककेन्दद्रीय
सच
स नभा आयलोग यभा रभाज्य सच
स नभा आयलोग उस पर व्यजक्त कलो सभनविभाई कभा यजभ क्तयक्
भ त अविसर दके गभा।

(5) अपसील सम्बसंधसी ककन्हद्रीसं कभायर्गविभाहहयरों मम यह सभातबत करनके कभा भभार कक अनभरलोध कलो अस्विसीकभार
करनभा न्यभायलोधचत थभा, यथभाजस्थतत, ककेन्दद्रीय ललोकससचनभा अधधकभारद्री यभा रभाज्य ललोक ससचनभा अधधकभारद्री
पर, जजसनके अनभरलोध सके इसंकभार ककयभा थभा, हलोगभा।

(6) उपधभारभा (1) यभा उपधभारभा (2) कके अधसीन ककससी अपसील कभा तनपटभारभा, लकेखबद्ध ककए जभानके विभालके
कभारणरों सके, अपसील ककी प्रभाजप्त कके तसीस हदन कके भसीतर यभा ऐससी वविस्तभाररत अविधध कके भसीतर, जलो
उसकके फभाइल ककए जभानके ककी तभारद्रीख सके कभल पहतभालद्रीस हदन सके अधधक न हलो, ककयभा जभाएगभा।

(7) यथभाजस्थतत, ककेन्दद्रीय ससचनभा आयलोग यभा रभाज्य ससचनभा आयलोग कभा ववितनश्चय आबद्धकर हलोगभा।

(8) अपनके ववितनश्चय मम , यथभाजस्थतत, ककेन्दद्रीय सच


स नभा आयलोग यभा रभाज्य सच
स नभा आयलोग कलो
तनम्नशलखखत ककी शिजक्त हह -

(क) ललोक प्रभाधधकरण सके ऐसके उपभाय करनके ककी अपकेक्षिभा करनभा, जलो इस अधधतनयम कके उपबसंधरों कभा
अनभपभालन सभतनजश्चत करनके कके शलयके आविश्यक हलो, जजनकके असंतगर्गत तनम्नशलखखत भसी हहतः-
(i) ससचनभा तक पहभआँच उपलब्ध करभानभा, यहद वविशशिष्ट प्ररूप मम ऐसभा अनभरलोध ककयभा गयभा हह ;
(ii) यथभाजस्थतत, ककेन्दद्रीय ललोक सच
स नभा अधधकभारद्री यभा रभाज्य ललोक ससचनभा अधधकभारद्री कलो तनयभक्त
करनभा;
(iii) कततपय ससचनभा यभा ससचनभा कके प्रविगर्गों कलो प्रकभाशशित करनभा;
(iv) अशभलकेखरों कके अनभरक्षिण, प्रबसंध और वविनभाशि सके सम्बसंधधत अपनसी पद्धततयरों मम आविश्यक
पररवितर्गन करनभा;
(v) अपनके अधधकभाररयरों कके शलयके सच
स नभा कके अधधकभार कके सम्बसंध मम प्रशशिक्षिण कके उपबसंध कलो बढभानभा;
(vi) धभारभा 4 ककी उपधभारभा (1) कके खसंड (ख) कके अनस
भ रण मम अपनसी एक विभावरर्गक ररपलोटर्ग उपलब्ध
करभानभा;

(ख) ललोक प्रभाधधकभारद्री सके शशिकभायतकतभार्ग कलो, उसकके द्विभारभा सहन ककी गई ककससी हभातन यभा अन्य
नभकसभान कके शलयके प्रततपसररत करनके ककी आपकेक्षिभा करनभा;
(ग) इस अधधतनयम कके अधसीन उपबसंधधत शिभाजस्तयरों मम सके कलोई शिभाजस्त अधधरलोवपत करनभा;
(घ) आविकेदन कलो नभामसंजसर करनभा।
(9) यथभाजस्थतत, ककेन्दद्रीय सच
स नभा आयलोग यभा रभाज्य सच
स नभा आयलोग शशिकभायतकतभार्ग और ललोक
प्रभाधधकभारद्री कलो, अपनके ववितनश्चय ककी, जजसकके असंतगर्गत अपसील कभा कलोई अधधकभार भसी हह , सच
स नभा दके गभा।

(10) यथभाजस्थतत, ककेन्दद्रीय ससचनभा आयलोग यभा रभाज्य ससचनभा आयलोग, अपसील कभा ववितनश्चय ऐससी
प्रकक्रयभा कके अनभसभार करके गभा, जलो वविहहत ककी जभाए।

20. रकाशस्त- (1) जहभाआँ ककससी शशिकभायत यभा अपसील कभा ववितनश्चय करतके समय, यथभाजस्थतत, ककेन्दद्रीय
सच
स नभा आयलोग यभा रभाज्य सच
स नभा आयलोग ककी यह रभाय हह कक, यथभाजस्थतत, ककेन्दद्रीय ललोक सच
स नभा
अधधकभारद्री यभा रभाज्य ललोक सच
स नभा अधधकभारद्री नके, ककससी यजभ क्तयक्
भ त कभारण कके तबनभा सच
स नभा कके शलयके,
कलोई आविकेदन प्रभाप्त करनके सके इसंकभार ककयभा हह यभा धभारभा 7 ककी उपधभारभा (1) कके अधसीन ववितनहदर्ग ष्ट
समय कके भसीतर सच
स नभा नहद्रीसं दद्री हह यभा असदभाविपवि
स कर्ग सच
स नभा कके शलयके अनरभ लोध सके इसंकभार ककयभा हह यभा
जभानबझ
स कर गलत, अपण
स र्ग यभा भ्रभामक सच
स नभा दद्री हह यभा उस सच
स नभा कलो नष्ट कर हदयभा हह , जलो
अनभरलोध कभा वविरय थसी यभा ककससी रद्रीतत सके ससचनभा दके नके मम बभाधभा डभालद्री हह , तलो विह ऐसके प्रत्यकेक हदन कके
शलयके, जब तक आविकेदन प्रभाप्त ककयभा जभातभा हह यभा ससचनभा दद्री जभातसी हह , दलो ससौ पचभास रुपए ककी
शिभाजस्त अधधरलोवपत करके गभा, तथभावप ऐससी शिभाजस्त ककी कभल रकम पच्चसीस हजभार रुपए सके अधधक नहद्रीसं
हलोगसीतः

परन्तभ यथभाजस्थतत, ककेन्दद्रीय ललोक ससचनभा अधधकभारद्री यभा रभाज्य ललोक ससचनभा अधधकभारद्री कलो, उस पर
कलोई शिभाजस्त अधधरलोवपत ककए जभानके कके पसवि,र्ग सभनविभाई कभा यभजक्तयभक्त अविसर हदयभा जभाएगभातः

परन्तभ यह और कक यह सभातबत करनके कभा भभार कक उसनके यभजक्तयभक्त रूप सके और तत्परतभापसविक
र्ग
कभायर्ग ककयभा हह , यथभाजस्थतत, ककेन्दद्रीय ललोक ससचनभा अधधकभारद्री यभा रभाज्य ललोक ससचनभा अधधकभारद्री पर
हलोगभा।

(2) जहभाआँ ककससी शशिकभायत यभा अपसील कभा ववितनश्चय करतके समय, यथभाजस्थतत, ककेन्दद्रीय ससचनभा आयलोग
यभा रभाज्य सच
स नभा आयलोग ककी यह रभाय हह कक, यथभाजस्थतत, ककेन्दद्रीय ललोक सच
स नभा अधधकभारद्री यभा रभाज्य
ललोक सच
स नभा अधधकभारद्री, ककससी यजभ क्तयक्
भ त कभारण कके तबनभा और लगभातभार सच
स नभा कके शलयके कलोई
आविकेदन प्रभाप्त करनके मम असफल रहभा हह यभा उसनके धभारभा 7 ककी उपधभारभा (1) कके अधसीन ववितनहदर्ग ष्ट
समय कके भसीतर सच
स नभा नहद्रीसं दद्री हह यभा असदभाविपवि
स कर्ग सच
स नभा कके शलयके अनरभ लोध सके इसंकभार ककयभा हह यभा
जभानबझ
स कर गलत, अपण
स र्ग यभा भ्रभामक सच
स नभा दद्री हह यभा ऐससी सच
स नभा कलो नष्ट कर हदयभा हह , जलो
अनरभ लोध कभा वविरय थसी यभा ककससी रद्रीतत सके सच
स नभा दके नके मम बभाधभा डभालद्री हह विहभाआँ विह, यथभाजस्थतत, ऐसके
ककेन्दद्रीय ललोक सच
स नभा अधधकभारद्री यभा रभाज्य ललोक ससचनभा अधधकभारद्री कके वविरुद्ध उसके लभागस सकेविभा तनयमरों
कके अधसीन अनभशिभासतनक कभारर्ग विभाई कके शलयके शसफभाररशि करके गभा।
अध्यकाय 6
प्रककीणर्य

21. सदकावपवर्यक ककी गई ककारर्य वकाई कये रलयये ससंरक्षिण- कलोई विभाद, अशभयलोजन यभा अन्य वविधधक
कभायर्गविभाहद्री ककससी भसी ऐससी बभात कके बभारके मम , जलो इस अधधतनयम यभा उसकके अधसीन बनभाए गए ककससी
तनयम कके अधसीन सदभाविपसकर्ग ककी गई हह यभा ककी जभानके कके शलयके आशितयत हह , ककससी व्यजक्त कके वविरुद्ध
न हलोगसी।

22. अधधिननियम कका अध्यकारलोहरी प्रम्भिकाव हलोनिका- इस अधधतनयम कके उपबसंध, शिभासककीय गभप्त बभात
अधधतनयम, 1923 (1923 कभा 19) और तत्समय प्रवित्व त ककससी अन्य वविधध मम यभा इस अधधतनयम सके
अन्यथभा ककससी वविधध कके आधभार पर प्रभभावि रखनके विभालद्री ककससी शलखत मम , उससके अससंगत ककससी बभात
कके हलोतके हभए भसी, प्रभभाविसी हरोंगके।

23. न्यकायकालययों ककी अधधिककाररतका कका वजर्यनि- कलोई न्यकायकालय, इस अधधिननियम


कये अधिधीनि ककए गए ककसधी आदये र कये सम्बसंधि मम कलोई वकाद, आवयेदनि यका
अन्य ककायर्यवकाहरी गहण निहरीसं करये गका और ऐसये ककसधी आदये र कलो, इस
अधधिननियम कये अधिधीनि ककसधी अपधील कये रूप कये रसवकाय ककसधी रूप मम
प्रशनिगत निहरीसं ककयका जकाएगका।

24. अधधिननियम कका कनतपय ससंगठनियों कलो लकागज नि हलोनिका- (1) इस अधधिननियम मम असंतपवर्यष्ट कलोई बकात,
कयेन्दरीय सरककार द्वकारका स्थकापपत आसजचनिका और सहरक्षिका ससंगठनियों कलो, जलो दस
ज ररी अनिहसजचधी मम
पवननिददर्य ष्ट हह यका ऐसये ससंगठनियों द्वकारका उस सरककार कलो दरी गई ककसधी सजचनिका कलो लकागज निहरीसं हलोगधीग

परन्तह भ्रष्टकाचकार और मकानिव अधधिककारयों कये अनतकमण कये अरम्भिकथनियों सये सम्बसंधधित सजचनिका इस
उपधिकारका कये अधिधीनि अपवशजर्यत निहरीसं ककी जकाएगधीग

परन्तह यह और कक यदद मकासंगधी गई सजचनिका मकानिवकाधधिककारयों कये अनतकमण कये अरम्भिकथनियों सये
सम्बसंधधित हह तलो सजचनिका, कयेन्दरीय सजचनिका आयलोग कये अनिहमलोदनि कये पशचकात हरी दरी जकाएगधी और धभारभा
7 मम ककससी बभात कके हलोतके हभए भसी, ऐससी ससचनभा अनभरलोध ककी प्रभाजप्त कके पहतभालद्रीस हदन कके भसीतर दद्री
जभाएगसी।
(2) ककेन्दद्रीय सरकभार, रभाजपत मम ककससी अधधसच
स नभा द्विभारभा, अनस
भ सचसी कभा उस सरकभार द्विभारभा स्थभावपत
ककससी अन्य आसच
स नभा यभा सभरक्षिभा ससंगठिन कलो उसमम सजम्मशलत करकके यभा उसमम पहलके सके ववितनहदर्ग ष्ट
ककससी ससंगठिन कभा उससके ललोप करकके, ससंशिलोधन कर सककेगसी और ऐससी अधधससचनभा कके प्रकभाशिन पर
ऐसके ससंगठिन कलो अनस
भ च
स सी मम , यथभाजस्थतत, सजम्मशलत ककयभा गयभा यभा उसकभा उससके ललोप ककयभा गयभा
समझभा जभाएगभा।

(3) उपधभारभा (2) कके अधसीन जभारद्री ककी गई प्रत्यकेक अधधससचनभा, ससंसद कके प्रत्यकेक सदन कके समक्षि रखसी
जभाएगसी।

(4) इस अधधतनयम ककी कलोई बभात ऐसके आससचनभा और सरभ क्षिभा ससंगठिनरों कलो लभागस नहद्रीसं हलोगसी, जलो
रभाज्य सरकभार द्विभारभा स्थभावपत ऐसके ससंगठिन हह, जजन्हम विह सरकभार समय-समय पर, रभाजपत मम
अधधसच
स नभा द्विभारभा, ववितनहदर्ग ष्ट करके तः

परन्तभ भ्रष्टभाचभार और मभानवि अधधकभाररों कके अततक्रमण कके अशभकथनरों सके सम्बसंधधत ससचनभा इस
उपधभारभा कके अधसीन अपविजजर्गत नहद्रीसं ककी जभाएगसीतः

परन्तभ यह और कक यहद मभासंगसी गई ससचनभा मभानवि अधधकभाररों कके अततक्रमण अशभकथनरों सके
सम्बसंधधत हह तलो ससचनभा रभाज्य ससचनभा आयलोग कके अनभमलोदन कके पश्चभात हद्री दद्री जभाएगसी और धभारभा 7
मम ककससी बभात कके हलोतके हभए भसी, ऐससी ससचनभा अनभरलोध ककी प्रभाजप्त कके पहतभालद्रीस हदनरों कके भसीतर दद्री
जभाएगसी।

(5) उपधभारभा (4) कके अधसीन जभारद्री ककी गई प्रत्यकेक अधधससचनभा रभाज्य वविधभान-मसंडल कके समक्षि रखसी
जभाएगसी।

25. मलॉनिधीटर करनिका और ररपलोटर्य करनिका- (1) यथभाजस्थतत, ककेन्दद्रीय ससचनभा आयलोग यभा रभाज्य ससचनभा
आयलोग, प्रत्यकेक विरर्ग कके असंत कके पश्चभात यथभासभाध्यशिसीघ्रतभा सके उसके विरर्ग कके दसौरभान इस अधधतनयम कके
उपबसंधरों कके कभायभार्गन्वियन कके सम्बसंध मम एक ररपलोटर्ग तहयभार करके गभा और उसककी एक प्रतत समभधचत
सरकभार कलो भकेजकेगभा।

(2) प्रत्यकेक मसंतभालय यभा वविभभाग, अपनसी अधधकभाररतभा कके भसीतर ललोक प्रभाधधकभाररयरों कके सम्बसंध मम , ऐससी
सच
स नभा एकततत करके गभा और उसके, यथभाजस्थतत, ककेन्दद्रीय सच
स नभा आयलोग यभा रभाज्य सच
स नभा आयलोग कलो
उपलब्ध करभाएगभा, जलो इस धभारभा कके अधसीन ररपलोटर्ग तहयभार करनके कके शलयके अपकेकक्षित हह और इस धभारभा
कके प्रयलोजनरों कके शलयके, उस सच
स नभा कलो दके नके तथभा अशभलकेख रखनके सके सम्बसंधधत अपकेक्षिभाओसं कभा पभालन
करके गभा।
(3) प्रत्यकेक ररपलोटर्ग मम , उस विरर्ग कके सम्बसंध मम , जजससके ररपलोटर्ग सम्बसंधधत हह , तनजम्नशलखखत कके बभारके मम
कथन हलोगभा,-

(क) प्रत्यकेक ललोक प्रभाधधकभारद्री सके ककए गए अनभरलोधरों ककी ससंख्यभा;


(ख) ऐसके ववितनश्चयरों ककी ससंख्यभा, जहभाआँ आविकेदक अनरभ लोधरों कके अनस
भ रण मम दस्तभाविकेजरों तक पहभआँच कके
शलयके हकदभार नहद्रीसं थके, इस अधधतनयम कके विके उपबसंध, जजनकके अधसीन यके ववितनश्चय ककए गए थके और
ऐसके समयरों ककी ससंख्यभा, जब ऐसके उपबसंधरों कभा अविलसंब शलयभा गयभा थभा;
(ग) पन
भ वविर्गललोकन कके शलयके, यथभाजस्थतत, ककेन्दद्रीय सच
स नभा आयलोग यभा रभाज्य सच
स नभा आयलोग कलो तनहदर्ग ष्ट
ककी गई अपसीलरों ककी ससंख्यभा, अपसीलरों ककी प्रकवतत और अपसीलरों कके तनष्करर्ग;
(घ) इस अधधतनयम कके प्रशिभासन कके सम्बसंध मम ककससी अधधकभारद्री कके वविरुद्ध ककी गई अनशि
भ भासतनक
कभारर्ग विभाई ककी वविशशिजष्टयभासं;
(ड.) इस अधधतनयम कके अधसीन प्रत्यकेक ललोक प्रभाधधकभारद्री द्विभारभा एकततत ककी गई प्रभभाररों ककी रकम;
(च) कलोई ऐसके तथ्य, जलो इस अधधतनयम ककी भभाविनभा और आशिय कलो प्रशिभाशसत और कभायभार्गजन्वित
करनके कके शलयके ललोक प्रभाधधकभाररयरों कके ककससी प्रयभास कलो उपदशशिर्गत करतके हह;
(छ) सभधभार कके शलयके शसफभाररशिम, जजनकके असंतगर्गत इस अधधतनयम यभा अन्य वविधभान यभा सभामभान्य वविधध
कके वविकभास, समभन्नतत, आधभतनककीकरण, सभधभार यभा ससंशिलोधन कके शलयके वविशशिष्ट ललोक प्रभाधधकभाररयरों कके
सम्बसंध मम शसफभाररशिम यभा ससचनभा तक पहभआँच कके अधधकभार कलो प्रवितर्गनशिसील बनभानके सके सभससंगत कलोई
अन्य वविरय भसी हह।

(4) यथभाजस्थतत, ककेन्दद्रीय सरकभार यभा रभाज्य सरकभार प्रत्यकेक विरर्ग कके असंत कके पश्चभात, यथभासभाध्यशिसीघ्रतभा
सके, उपधभारभा (1) मम तनहदर्ग ष्ट, यथभाजस्थतत, ककेन्दद्रीय सच
स नभा आयलोग यभा रभाज्य सच
स नभा आयलोग ककी ररपलोटर्ग
ककी एक प्रतत ससंसद कके प्रत्यकेक सदन कके समक्षि यभा जहभाआँ रभाज्य वविधभान-मसंडल कके दलो सदन हह, विहभाआँ
प्रत्यकेक सदन कके समक्षि और जहभाआँ रभाज्य वविधभान-मसंडल कभा एक सदन हह विहभाआँ उस सदन कके समक्षि
रखविभाएगसी।

(5) यहद ककेन्दद्रीय ससचनभा आयलोग यभा रभाज्य ससचनभा आयलोग कलो ऐसभा प्रतसीत हलोतभा हह कक इस
अधधतनयम कके अधसीन अपनके कवत्यरों कभा प्रयलोग करनके कके सम्बसंध मम ककससी ललोक प्रभाधधकभारद्री ककी
पद्धतत इस अधधतनयम कके उपबसंधरों यभा भभाविनभा कके अनभरूप नहद्रीसं हह तलो विह प्रभाधधकभारद्री कलो ऐसके उपभाय
ववितनहदर्ग ष्ट करतके हभए, जलो उसककी रभाय मम ऐससी अनभरूपतभा कलो बढभानके कके शलयके ककए जभानके चभाहहए,
शसफभाररशि कर सककेगभा।
26. समधह चत सरककार द्वकारका ककायर्यकम तहयकार ककयका जकानिका- (1) समधभ चत सरकभार, ववित्तसीय और अन्य
ससंसभाधनरों ककी उपलब्धतभा ककी ससीमभा तक-

(क) जनतभा ककी, वविशिकेर रूप सके, उपकेकक्षित समभदभायरों ककी इस बभारके मम समझ ककी विवव द्ध करनके कके शलयके कक
इस अधधतनयम कके अधसीन अनभध्यभात अधधकभाररों कभा प्रयलोग कहसके ककयभा जभाए शिहकक्षिक कभायर्गक्रम बनभा
सककेगसी और आयलोजजत कर सककेगसी;
(ख) ललोक प्रभाधधकभाररयरों कलो, खसंड (क) मम तनहदर्ग ष्ट कभायर्गक्रमरों कलो बनभानके और उनकके आयलोजन मम भभाग
लकेनके और ऐसके कभायर्गक्रमरों कभा स्वियसं जजम्मभा लकेनके कके शलयके प्रलोत्सभाहहत कर सककेगसी;
(ग) ललोक प्रभाधधकभाररयरों द्विभारभा उनकके कक्रयभाकलभापरों कके बभारके मम सहद्री जभानकभारद्री कभा समय सके और
प्रभभाविसी रूप मम प्रसभाररत ककए जभानके कलो बढभाविभा दके सककेगसी;
(घ) ललोक प्रभाधधकरणरों कके, यथभाजस्थतत, ककेन्दद्रीय ललोक ससचनभा अधधकभाररयरों यभा रभाज्य ललोक ससचनभा
अधधकभाररयरों कलो प्रशशिकक्षित कर सककेगसी और ललोक प्रभाधधकरणरों द्विभारभा स्वियसं कके उपयलोग कके शलयके
सभससंगत प्रशशिक्षिण सभामधगयरों कभा उत्पभादन कर सककेगसी।

(2) समभधचत सरकभार, इस अधधतनयम कके प्रभारम्भ सके अठिभारह मभास कके भसीतर, अपनसी रभाजभभारभा मम ,
सहज व्यभापक रूप और रद्रीतत सके ऐससी ससचनभा विभालद्री एक मभागर्गदशशिर्गकभा ससंकशलत करके गसी, जजसककी ऐसके
ककससी व्यजक्त द्विभारभा यभजक्तयभक्त रूप मम अपकेक्षिभा ककी जभाए, जलो अधधतनयम मम ववितनहदर्ग ष्ट ककससी
अधधकभार कभा प्रयलोग करनभा चभाहतभा हह ।

(3) समभधचत सरकभार, यहद आविश्यक हलो तलो, उपधभारभा (2) मम तनहदर्ग ष्ट मभागर्गदशिर्ती शसद्धभासंतरों कलो तनयशमत
असंतरभालरों पर अद्यतन और प्रकभाशशित करके गसी, जजनमम वविशशिष्टतयभा और उपधभारभा (2) ककी व्यभापकतभा
पर प्रततकसल प्रभभावि डभालके तबनभा तनम्नशलखखत सजम्मशलत हलोगभा-

(क) इस अधधतनयम कके उदकेश्य;


(ख) धभारभा 5 ककी उपधभारभा (1) कके अधसीन तनयभक्त प्रत्यकेक ललोक प्रभाधधकरण कके, यथभाजस्थतत, ककेन्दद्रीय
ललोक ससचनभा अधधकभारद्री यभा रभाज्य ललोक ससचनभा अधधकभारद्री कभा डभाक और गलद्री कभा पतभा, फलोन और
फहक्स नसंबर और यहद उपलब्ध हलो तलो उसकभा इलकेक्ट्रट्रॉतनक डभाक पतभा;
(ग) विह रद्रीतत और प्ररूप, जजसमम , यथभाजस्थतत, ककससी ककेन्दद्रीय ललोक ससचनभा अधधकभारद्री यभा रभाज्य ललोक
ससचनभा अधधकभारद्री सके ककससी ससचनभा तक पहभआँच कभा अनभरलोध ककयभा जभाएगभा;
(घ) इस अधधतनयम कके अधसीन ललोक प्रभाधधकरण कके, यथभाजस्थतत, ककससी ककेन्दद्रीय ललोक ससचनभा
अधधकभारद्री यभा रभाज्य ललोक ससचनभा अधधकभारद्री सके उपलब्ध सहभायतभा और उसकके कतर्गव्य;
(ड.) यथभाजस्थतत, ककेन्दद्रीय ससचनभा आयलोग यभा रभाज्य ससचनभा आयलोग सके उपलब्ध सहभायतभा;
(च) इस अधधतनयम द्विभारभा प्रदत्त यभा अधधरलोवपत ककससी अधधकभार यभा कतर्गव्य कके सम्बसंध मम कलोई
कभायर्ग करनके यभा करनके मम असफल रहनके कके बभारके मम वविधध मम उपलब्ध सभसी उपचभार, जजनकके असंतगर्गत
आयलोग कलो अपसील फभाइल करनके ककी रद्रीतत भसी हह ;
(छ) धभारभा 4 कके अनस
भ भार अशभलकेखरों कके प्रविगर्गों कके स्विहजच्छक प्रकटन कके शलयके प्रभाविधभान करनके विभालके
उपबसंध;
(ज) ककससी सचस नभा तक पहभआँच कके शलयके अनभरलोधरों कके सम्बसंध मम ससंदत्त ककी जभानके विभालद्री फकीसरों सके
सम्बसंधधत सच
स नभाएसं; और
(झ) इस अधधतनयम कके अनभसभार ककससी ससचनभा तक पहभआँच प्रभाप्त करनके कके सम्बसंध मम बनभाए गए यभा
जभारद्री ककए गए कलोई अततररक्त ववितनयम यभा पररपत।

(4) समभधचत सरकभार कलो, यहद आविश्यक हलो, तनयशमत असंतरभालरों पर मभागर्गदशिर्ती शसद्धभासंतरों कलो अद्यतन
और प्रकभाशशित करनभा चभाहहए।

27. ननियम बनिकानिये ककी समहधचत सरककार ककी रशकत- (1) समभधचत सरकभार, इस अधधतनयम कके उपबसंधरों
कलो कभायभार्गजन्वित करनके कके शलयके, रभाजपत मम अधधससचनभा द्विभारभा, तनयम बनभा सककेगसी।

(2) वविशशिष्टतयभा और पसविग


र्ग भामसी शिजक्त ककी व्यभापकतभा पर प्रततकसल प्रभभावि डभालके तबनभा, ऐसके तनयम
तनम्नशलखखत सभसी यभा ककससी वविरय कके शलयके उपबसंध कर सकमगके, अथभार्गत :-

(क) धभारभा 4 ककी उपधभारभा (4) कके अधसीन प्रसभाररत ककी जभानके विभालद्री सभामधगयरों कके मभाध्यम ककी लभागत
यभा वप्रन्ट लभागत मसल्य;
(ख) धभारभा 6 ककी उपधभारभा (1) कके अधसीन ससंदकेय फकीस;
(ग) धभारभा 7 ककी उपधभारभा (1) और उपधभारभा (5) कके अधसीन ससंदकेय फकीस;
(घ) धभारभा 13 ककी उपधभारभा (6) और धभारभा 16 ककी उपधभारभा (6) कके अधसीन अधधकभाररयरों और अन्य
कमर्गचभाररयरों कलो ससंदकेय विकेतन और भत्तके तथभा उनककी सकेविभा कके तनबसंधन और शितर;
(ड.) धभारभा 19 ककी उपधभारभा (10) कके अधसीन अपसीलरों कभा ववितनश्चय करतके समय, यथभाजस्थतत, ककेन्दद्रीय
ससचनभा आयलोग यभा रभाज्य ससचनभा आयलोग द्विभारभा अपनभाई जभानके विभालद्री प्रकक्रयभा;
(च) कलोई अन्य वविरय, जलो वविहहत ककए जभानके कके शलयके अपकेकक्षित हलो यभा वविहहत ककयभा जभाए।

28. ननियम बनिकानिये ककी सक्षिम प्रकाधधिककाररी ककी रशकत- (1) सक्षिम प्रभाधधकभारद्री, इस अधधतनयम कके उपबसंधरों
कलो कभायभार्गजन्वित करनके कके शलयके, रभाजपत मम अधधसच
स नभा द्विभारभा, तनयम बनभा सककेगभा।
(2) वविशशिष्टतयभा और पवि
स गर्ग भामसी शिजक्त ककी व्यभापकतभा पर प्रततकसल प्रभभावि डभालके तबनभा, ऐसके तनयम
तनम्नशलखखत सभसी यभा ककससी वविरय कके शलयके उपबसंध कर सकमगके, अथभार्गत :-

(i) धभारभा 4 ककी उपधभारभा (4) कके अधसीन प्रसभाररत ककी जभानके विभालद्री सभामधगयरों कके मभाध्यम ककी लभागत यभा
वप्रन्ट लभागत मसल्य;
(ii) धभारभा 6 ककी उपधभारभा (1) कके अधसीन ससंदकेय फकीस;
(iii) धभारभा 7 ककी उपधभारभा (1) कके अधसीन ससंदकेय फकीस; और
(iv) कलोई अन्य वविरय जलो वविहहत ककए जभानके कके शलयके अपकेकक्षित हलो यभा वविहहत ककयभा जभाए।

29. ननियमयों कका रखका जकानिका-(1) इस अधधतनयम कके अधसीन ककेन्दद्रीय सरकभार द्विभारभा बनभायभा गयभा
प्रत्यकेक तनयम, बनभाए जभानके कके पश्चभात, यथभाशिसीघ्र, ससंसद कके प्रत्यकेक सदन कके समक्षि, जब विह ऐससी
कभल तसीस हदन ककी अविधध कके शलयके सत मम हलो, जलो एक सत मम अथविभा दलो यभा अधधक आनक्र
भ शमक
सतरों मम पसरद्री हलो सकतसी हह , रखभा जभाएगभा और यहद उस सत कके यभा पसविर्वोक्त आनभक्रशमक सतरों कके
ठिठीक बभाद कके सत कके अविसभान कके पसविर्ग दलोनरों सदन उस तनयम मम कलोई पररवितर्गन करनके कके शलयके
सहमत हलो जभाएसं यभा दलोनरों सदन इस बभात सके सहमत हलो जभाएसं कक ऐसभा तनयम नहद्रीसं बनभायभा जभानभा
चभाहहए तलो ऐसभा तनयम तत्पश्चभात, यथभाजस्थतत, ककेविल ऐसके उपभासंतररत रूप मम हद्री प्रभभाविसी हलोगभा यभा
उसकभा कलोई प्रभभावि नहद्रीसं हलोगभा। तथभावप, उस तनयम कके ऐसके उपभासंतररत यभा तनष्प्रभभावि हलोनके सके उसकके
अधसीन पहलके ककी गई ककससी बभात ककी वविधधमभान्यतभा पर प्रततकसल प्रभभावि नहद्रीसं पडकेगभा।

(2) इस अधधतनयम कके अधसीन ककससी रभाज्य सरकभार द्विभारभा बनभायभा गयभा प्रत्यकेक तनयम अधधससधचत
ककए जभानके कके पश्चभात यथभाशिसीघ्र, रभाज्य वविधभान-मसंडल कके समक्षि रखभा जभाएगभा।

30. कदठनिकाइययों कलो दरज करनिये ककी रशकत- (1) यहद इस अधधतनयम कके उपबसंधरों कलो प्रभभाववित करनके मम
कलोई कहठिनभाई उत्पन्न हलोतसी हह तलो ककेन्दद्रीय सरकभार, रभाजपत मम प्रकभाशशित आदके शि द्विभारभा ऐसके उपबसंध
बनभा सककेगसी, जलो इस अधधतनयम कके उपबसंधरों सके अससंगत न हरों, जलो उसके कहठिनभाई कलो दरस करनके कके
शलयके आविश्यक और समसीचसीन प्रतसीत हलोतके हरोंतः

परन्तभ कलोई ऐसभा आदके शि इस अधधतनयम कके प्रभारम्भ सके दलो विरर्ग ककी अविधध ककी समभाजप्त कके पश्चभात
नहद्रीसं ककयभा जभाएगभा।

(2) इस धभारभा कके अधसीन ककयभा गयभा प्रत्यकेक, आदके शि, ककए जभानके कके पश्चभात यथभाशिसीघ्र, ससंसद कके
प्रत्यकेक सदन कके समक्षि रखभा जभाएगभा।

31. ननिरसनि- सच
स नभा स्विभातसंत्र्य अधधतनयम, 2002 (2003 कभा 5) इसकके द्विभारभा तनरशसत ककयभा जभातभा हह ।
पहलद्री अनभससचसी

[धिकारका 13(3) और धिकारका 16(3) दये खखए]


महख्य सजचनिका आयहकत/सजचनिका आयहकत/रकाज्य महख्य सजचनिका आयहकत/रकाज्य सजचनिका आयहकत द्वकारका लरी
जकानिये वकालरी रपथ यका ककए जकानिये वकालये प्रनतजकानि कका प्ररूप

“मह_______________ जलो मभख्य ससचनभा आयभक्त/ससचनभा आयभक्त/रभाज्य मभख्य ससचनभा आयभक्त/रभाज्य


ससचनभा आयभक्त तनयभक्त हभआ हसआँ, ईश्विर ककी शिपथ लकेतभा हसआँ/सत्यतनष्ठिभा सके प्रततजभान लकेतभा हसआँ कक मह
वविधध द्विभारभा स्थभावपत भभारत कके ससंवविधभान कके प्रतत सच्चसी श्रद्धभा और तनष्ठिभा रखससंगभा, मह भभारत ककी
प्रभभतभा और अखसंडतभा अक्षिभण्ण रखससंगभा तथभा मह सम्यक प्रकभार सके और श्रद्धभापसविक
र्ग तथभा अपनसी पसरद्री
यलोग्यतभा, जभान और वविविकेक सके अपनके पद कके कतर्गव्यरों कभा भय यभा पक्षिपभात, अनभरभाग यभा द्विकेर कके
तबनभा पभालन करूसंगभा तथभा मह ससंवविधभान और वविधधयरों ककी मयभार्गदभा बनभाए रखससंगभा।”

दस
स रद्री अनस
भ सचसी

(धिकारका 24 दये खखए)

कयेन्दरीय सरककार द्वकारका स्थकापपत आसजचनिका और सहरक्षिका ससंगठनि

1. आसजचनिका ब्यजरलो।
2. मसंबत्रमसंडल सधचवकालय कये अनिहससंधिकानि और पवशलयेषण खसंड।
3. रकाजस्व आसजचनिका ननिदये रकालय।
4. कयेन्दरीय आधथर्यक आसजचनिका ब्यजरलो।
5. प्रवतर्यनि ननिदये रकालय।
6. स्वकापक ननियसंत्रण ब्यरलो।
7. वहमकाननिक अनिहससंधिकानि कयेन्द।
8. पवरयेष सधीमकान्त बल।
9. सधीमका सहरक्षिका बल।
10. कयेन्दरीय आरकक्षित पहरलस बल।
11. म्भिकारत-नतब्बत सधीमका बल।
12. कयेन्दरीय औद्यलोधगक सहरक्षिका बल।
13. रकाष्टरीय सहरक्षिका गकाडर्य।
14. असम रकाइफल्स।
15. सरस्त्र सधीमका बल।
16. आय-कर महकाननिदये रकालय (अन्वयेषण)।
17. रकाष्टरीय तकनिधीककी अनिस
ह संधिकानि ससंगठनि।
18. पवत्तधीय आसजचनिका यनज निट, म्भिकारत।
19. पवरयेष ससंरक्षिका गहप।
20. रक्षिका अनिस
ह संधिकानि और पवककास ससंगठनि।
21. सधीमका सड़क पवककास बलोडर्य।
22. रकाष्टरीय सहरक्षिका पररषद सधचवकालय।

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