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अध्माम-1 यासामननक अभबक्रिमाएॉ एवॊ सभीकयण

1- यासामननक अभबक्रिमा -दो मा दो से अधधक यसामन मभरकय मदद कोई नमा यसामन फनाए , तो उसे यासामननक
अमबक्रिमा कहते है।
यासामननक अभबक्रिमा

भॊद अभबक्रिमा -ऐसी अमबक्रिमा जजसे होने भे अधधक तीव्र अभबक्रिमा -ऐसी अमबक्रिमा जजसे होने
सभम रगता है। भे कभ सभम रगता है।
जैसे-: कोमरे का फनना जैसे-: कोमरे का जरना
2- यासामननक सभीकयण -जफ यासामननक अमबक्रिमा को सभीकयण के रुऩ भे मरखते है तो उसे यासामननक सभीकयण
कहते है।
क्रिमाकायक (अभबकायक) उत्ऩाद (क्रिमापर)
प्रश्न-1 सॊऺायण क्रकसे कहते है ?
उत्तय- धातु (रोहे ) ऩय जॊग रगना सॊऺायण कहराता है|
प्रश्न-2 सॊऺायण होने का क्मा कायण है ?
उत्तय- जफ धातु ऩानी (नभी) तथा हवा (वामु) भें ऩड़ी यहती है तो सॊऺायण होता है |
प्रश्न-3 सॊऺायण से क्मा हानन मा नुकसान है |
उत्तय- सॊऺायण से धातु धीये -धीये नष्ट (खयाफ) होने रगती है, उसकी भजफूती कभ हो जाती है|
प्रश्न-4 सॊऺायण से कैसे फचा जा सकता है |
उत्तय- सॊऺायण से फचने के मरए-
1- उस ऩय आमर ऩेन्ट कय दे ना चादहए|
2- उस ऩय ये डोक्साइड का रेऩ कय दे ना चादहए|
3- उस ऩय जरा हुआ तेर का रेऩ कय दे ना चादहए|
4- उस ऩय ननकैर ऩॉमरश कय दे नी चादहए|
प्रश्न-5 रोहे की वस्तुए (ब्रेड) फयसात भें गीरी (मबगने ऩय ) होने ऩय उनके उऩय रार – बूये यॊ ग की ऩयत चढ़ जाती है,कायण
दीजजए |
उत्तय- इसका सॊऺायण हो जाता है इस कायण ऐसा होता है |
प्रश्न-6 वामु भें जराने से ऩहरे भैग्नीमशमभ ताय(रयफन) को साफ़ क्मों कयते है ?
उत्तय- भैग्नीमशमभ ताय(रयफन) हवा से क्रिमा कय रेता है जजससे उस ऩय भैग्नीमशमभ ऑक्साइड की ऩयत चढ़ी होती है, जजसे हटाने
की मरए उसे साफ़ क्रकमा जाता है |
प्रश्न-7 कॉऩय की सतह ऩय कॉऩय ऑक्साइड (II) की कारी ऩयत क्मों चढ़ जाती है ?
उत्तय- कॉऩय (ताॊफा) जफ हवा (वामु) भें ऩड़ा यहता है तो वह हवा (ऑक्सीजन) से क्रिमा कय कॉऩय ऑक्साइड (II) फना रेता है जो
की कारे यॊ ग का होता है |
प्रश्न-8 जफ रोहे की कीर को कॉऩय सल्पेट के ववरमन भें डुफोते है तो ववरमन का यॊ ग क्मों फदर जाता है ?
उत्तय- इस सभम ववस्थाऩन अमबक्रिमा होती है जजसभे आमयन(रोहा) कॉऩय सल्पेट से कॉऩय (ताॊफा) को ववस्थावऩत कय दे ता है |
आमयन (रोहा) + कॉऩय सल्पेट पैयस सल्पेट + कॉऩय
प्रश्न-9 रोहे की वस्तुओ को हभ ऩेन्ट क्मों कयते है ?
उत्तय- सॊऺायण से फचने के मरए |
प्रश्न-10 श्वसन ऊष्भाऺेऩी अमबक्रिमा क्मों है
उत्तय- श्वसन के सभम ग्रक
ू ोज का वामु द्वाया दहन होता है इस कायण श्वसन ऊष्भाऺेऩी अमबक्रिमा है |
प्रश्न-11 ववकृतगन्धधता क्रकसे कहते है ?
उत्तय- तैरीम खाने की चीजे (नभकीन,कुयकुये ,धचप्स,अचाय आदद) अधधक सभम तक हवा (वामु) भें खुरी ऩड़ी यहे जा ती है तो उसकी
खुशफू (गन्ध) तथा स्वाद फदर जाती है,ओय कड़वाऩन आ जाता है, इसे ही ववकृतगजन्धता कहते है |

PAWAN KUMAR SHARMA, LECTURER in Chemistry (M.Sc.,NET,B.Ed.)Govt.Sr.Sec.School-Mangaliyawas(AJMER)


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प्रश्न-12 ववकृतगन्धधता का क्मा कायण है ?


उत्तय- तैरीम खाने की चीजो के हवा द्वाया आक्सीकयण से होती है |
प्रश्न-13 ववकृतगन्धधता से कैसे फचा जाता है ?
उत्तय- तैरीम खाने की चीजो भें प्रनत आक्सीकायक ऩदाथथ ( जैसे- नाइट्रोजन गैस ) मभरा कय फचा जा सकता है |

प्रश्न-14 नभकीन,कुयकुये ,धचप्स आदद को ऩैक्रकटो भें ऩैक कयते सभम इसभे नाइट्रोजन गैस क्मों डारी जाती है ?
अथवा
तेर एवॊ वसा मुक्त खाद्म वस्तुओ (खाने की चीजे) को नाइट्रोजन से प्रबाववत क्मों क्रकमा जाता है ?
उत्तय- नभकीन,कुयकुये ,धचप्स आदद तैरीम खाने की चीजे होती है, जो क्रक हवा भें अधधक सभम तक ऩड़ी यहने ऩय इनके आक्सीकयणसे
स्वाद व खुशफू भें ऩरयवतथन आ जाता है इससे फचने के मरए ऩैक कयते सभम नाइट्रोजन गैस डारी जाती है |
प्रश्न-15 ऑक्सीकयण(उऩचमन) तथा अऩचमन भें अॊतय मरखखए |
उत्तय- ऑक्सीकयण (उऩचमन) अऩचमन
ऑक्सीजन का जुड़ना ऑक्सीकयण (उऩचमन) कहराता है | ऑक्सीजन का हटना अऩचमन कहराता है |
उदाहयण- N2 + O2 2NO उदाहयण- 2NO N2 + O2
प्रश्न-16 उष्भाऺेऩी तथा ऊष्भाशोषी अमबक्रिमा भें अॊतय मरखखए |
उत्तय- ऊष्भाशोषी अभबक्रिमा ऊष्भाऺेऩी अभबक्रिमा
1- इस अमबक्रिमा भे ऊष्भा का शोषण होता है | 1- इस अमबक्रिमा भे ऊष्भा फाहय ननकरती है |
2- इस सभम फतथन ठण्डा हो जाता है | 2- इस सभम फतथन गयभ हो जाता है |
3- उदहायण – ग्रूकोज को ऩानी भें घोरना 3- उदाहयण – चूने के ऩत्थय को ऩानी भें डारना,जराना,श्वसन |
4- उदाहयण- N2 + O2 2NO - ऊष्भा 4- उदाहयण- 2NO N2 + O2 + ऊष्भा
प्रश्न-17 ववस्थाऩन तथा f}- ववस्थाऩन भें अॊतय मरखखए |
उत्तय- ववस्थाऩन अभबक्रिमा f} - ववस्थाऩन अभबक्रिमा
इस अमबक्रिमा भे एक तत्त्व क्रकसी मौधगक से दस
ू ये तत्त्व को इस अमबक्रिमा भे दो मौधगक के फीच भें आमनों का
हटा कय खुद (स्वमॊ) आ जाता है | आदान-प्रदान होता है |
उदाहयण- Zn + CuSO4 ZnSO4 + Cu उदाहयण- NaCl + AgNO3 NaNO3 + AgCl
प्रश्न-18 ववमोजन अमबक्रिमा क्रकस प्रकाय समोजन अमबक्रिमा के ववऩयीत है ?
अथवा
सॊमोजन अमबक्रिमा क्रकस प्रकाय ववमोजन अमबक्रिमा के ववऩयीत है ?
उत्तय- सॊमोजन अभबक्रिमा ववमोजन अभबक्रिमा
इस अमबक्रिमा भें दो मा अधधक क्रिमाकायक जुड़कय एक इस अमबक्रिमा भें एक क्रिमाकायक टूट कय दो मा अधधक
उत्ऩाद फनाता है | उत्ऩाद फनाता है |
उदाहयण- N2 + O2 2NO उदाहयण- 2NO N2 + O2
प्रश्न-19 ये डोक्स अमबक्रिमा (उऩचमन-अऩचमन) को सभझाइमे ?
उत्तय- इस अमबक्रिमा भें एक का ऑक्सीकयण (उऩचमन) तथा दस
ू ये का अऩचमन होता है |
ZnO + C Zn + CO
महाॉ ZnO का अऩचमन हो यहा है, जफक्रक C का ऑक्सीकयण (उऩचमन) हो यहा है |
प्रश्न-20 धूऩ भें यखने ऩय सपेद (श्वेत) मसल्वय क्रोयाइड घूसय यॊ ग का क्मों हो जाता है ?
उत्तय- धूऩ (सूमथ के प्रकाश) भें मसल्वय क्रोयाइड का ववमोजन हो जाता है जजससे मह सपेद(श्वेत) यॊ ग से घूसय यॊ ग का हो जाता है |
AgCl Ag + Cl2
प्रश्न-21 श्माभ-श्वेत (ब्रेक एण्ड वाईट) पोटोग्रापी भें कौन सी अमबक्रिमा का उऩमोग होता है ?
उत्तय- धऩ
ू (सम
ू थ के प्रकाश) भें मसल्वय ब्रोभाइड का ववमोजन हो जाता है |
AgBr Ag + Br2
प्रश्न-22 अवऺेऩण अमबक्रिमा क्रकसे कहते है ?
उत्तय- ऐसी अमबक्रिमा जजसभे अवऺेऩ फनता है उसे अवऺेऩण अमबक्रिमा कहते है |
उदाहयण- NaCl + AgNO3 NaNO3 + AgCl
अवऺेऩ

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अध्माम-2 अम्र,ऺायक एव रवण


(A) अम्र ऺायक रवण
1- स्वाद भे खट्टे होते है । 1- स्वाद भे कडवे होते है । 1- स्वाद भे नभकीन होते है ।
2- नीरे भरटभस ऩत्र को रार कयते है । 2- रार भरटभस ऩत्र को नीरा कयते है । 2- भरटभस ऩत्र का यॊ ग नही फदरते है ।
3- ववधुत के चारक होते है । 3- ववधुत के चारक होते है । 3- ववधुत के चारक होते है ।
+
जर भे H (H3O )आमन दे ते है । 4- जर भे OH आमन दे ते है । 4- जर भे अम्र व ऺाय दे ते है ।
+ -
4-
5- सॊऺायक होते है | 5- छूने ऩय चचकने, सॊऺायक होते है | 5- सॊऺायक होते है |
उदाहयण:- खट्टे पर,दही, HCl उदाहयण:- साफुन भे, NaOH उदाहयण:- नभक NaCl
ववशेष बफधद:ू -
1- जर भे अम्र/ऺाय मभराना तनुकयण कहराता है |
2- गॊधीम सूचक:- ऐसे ऩदाथथ जो गन्ध के द्वाया अम्र/ऺाय क्रक ऩहचान कयाने भें सहामक होते है | जैसे- प्माज, रौंग, वनीरा आदद|
3- भधभु क्खी के डॊक, रार चीॊटी भे भेथेनोइक अम्र होता है ,जजसके कायण जरन होती है । डॊक भाये हुए स्थान ऩय फेक्रकॊ ग सोडा (खाने का
सोडा), चूना रगाते है तो आयाभ मभरता है क्मोक्रक इनभे ऺाय होता है जो क्रक अम्र को उदासीन कय दे ता है |
4- हभाये ऩेट भे हाइड्रोक्रोरयक अम्र ( HCl ) जफ अधधक हो जाता है तो इसे एभसडडटी )अनत अम्रता( कहते है । इसे दयू कयने के मरए
प्रनतअम्र )एॊटएमसड( के रुऩ भे ईनो आदद को रेते है इसभे दफ
ु र
थ ऺाय होता है जो अम्र को उदासीन कय दे ता है ।
5- धातु काफोनेटो के साथ अम्र क्रिमा कयके काफथन डाई ऑक्साइड गैस फनाता है , मह गैस आग को फुझा दे ती है । तथा चूने के ऩानी को
दधू धमा कय दे ती है ।
अधधक H आमन दे ने वारे अम्र प्रफर अम्र होते है, कभ H आमन दे ने वारे दफ
ु र
ब अम्र कहराते है ।
+ +
6-
7- प्रफर अम्र व प्रफर ऺाय से फने रवण उदासीन प्रकृनत के होते है तथा इनका pH = 7 होता है ,जफक्रक प्रफर अम्र व दफ
ु र
थ ऺाय से फने
रवण अम्रीम प्रकृनत के होते है तथा इनका pH 7 से कभ होता है इसी तयह दफ
ु र
थ अम्र व प्रफर ऺाय से फने रवण ऺायीम प्रकृनत के
होते है तथा इनका pH 7 से अधधक होता है |
8- भुॊह के अन्दय का pH जफ 5.5 से कभ हो तो दाॊत नष्ट होना चारू हो जाते है , इसे दधत ऺम कहते है ,इससे फचने के मरए बोजन कयने
के फाद ऩानी से कुल्रा कयना चादहए तथा सवेये उठने ऩय दाॊत साफ़ कयने चादहए |
9- ववयॊ जक चूण:ब - सूत्र CaOCl2 है , इसका उऩमोग यॊ ग उडाने,ऩीने के ऩानी को जीवाणु यहहत कयने के मरए होता है ।
10- खाने का सोडा(फैक्रकॊ ग सोडा) :- सूत्र NaHCO3 है , इसे भीठा सोडा बी कहते है । इस का उऩमोग ऩकोडे ,कैक,ब्रेड,बफजस्कट फनाने भे ,ऩेट क्रक
अम्रता दयू कयने भे,आग फझ
ु ाने के मॊत्र भे होता है ।
11- फैक्रकॊ ग ऩाउडय:- फैक्रकॊ ग सोडा व टाटथ रयक अम्र (इभरी का यस) का मभश्रण फैक्रकॊ ग ऩाउडय कहराता है | इसका उऩमोग कैक,ब्रेड , बफजस्कट
फनाने भे होता है ।
12- धोने का सोडा:- सूत्र NaCO3.10H2O है, इसे साफुन फनाने भे, जर क्रक स्थामी कठोयता दयू कयने के काभ भे रेते है ।
13- धान्त्वक ऑक्साइड ऺायीम प्रकृनत के होते है |
14- अधान्त्वक ऑक्साइड अम्रीम प्रकृनत के होते है |
प्रश्न- 1 शुष्क हाइड्रोक्रोरयक अम्र क्रक गैस शुष्क भरटभस ऩत्र का यॊ ग नही फदरती है , कायण दीन्जए |
उत्तय- मरटभस ऩत्र ऩरयऺण तबी हो सकता है , जफ मरटभस ऩत्र मा अम्र /ऺाय भे से कोई एक गीरा )आर्द्थ ( हो, क्मोक्रक इस सभम दोनो के फीच
क्रिमा होने के मरए भाध्मभ मभर जाता है । मदद दोनो शुष्क (सूखे) हो तो मरटभस ऩत्र का यॊ ग नही फदरता है ,इसीमरए शुष्क हाइड्रोक्रोरयक अम्र
क्रक गैस शष्ु क मरटभस ऩत्र का यॊ ग नही फदरती है । क्मोक्रक इस सभम दोनो के फीच क्रिमा होने के मरए भाध्मभ नही मभरता है ।
प्रश्न 2 अम्र मा ऺाय का ववरमन ववधुत चारन भें कैसे होता है ?
उत्तय- अम्र मा ऺाय को जफ ऩानी भें डारते है तो वह आमनों भें टूट जाते है , जजससे ववधुत चारन सॊबव हो ऩाता है |
HCl जर H+ + Cl-
प्रश्न- 3 ऩीतर तथा ताॉफे के फतथनों भें खट्टे ऩदाथथ क्मों नहीॊ यखते है ?
उत्तय- क्मोक्रक खट्टे ऩदाथथ इन फतथनो से क्रिमा कय के जहयीरा ऩदाथथ फनाते है , जो शयीय के मरए नुकसानदामक होते है |
प्रश्न- 4 धातु के साथ अम्र की क्रिमा होने ऩय कौन सी गैस ननकरती है , तथा इसकी जाॊच कैसे कयें गे?
उत्तय- अम्र की क्रिमा धातु के साथ कयाने ऩय हाइड्रोजन गैस ननकरती है , जजसकी जाॊच उसके ऩास जरती हुई भाधचस की तीरी राकय कय सकते
है , इस सभम वह ववस्पोट के साथ जरती है ।
प्रश्न- 5 कोई धातु मौधगक अम्र से क्रिमा कय एक गैस फनाता है ,जो क्रक जरती हुई भोभफत्ती को फुझा दे ती है , तो धातु मौधगक तथा फनने वारी
गैस को ऩहचाननए |
उत्तय- धातु काफोनेट, अम्र से क्रिमा कयके काफबन डाई ऑक्साइड गैस फनाते है, मह गैस जरती हुई भोभफत्ती को फझ
ु ा दे ती है | तथा इसे चन
ु े के
ऩानी भें डारे तो मह गैस चूने के ऩानी को दचू धमा कय दे ता है |
प्रश्न- 6 अम्र को तनु कयने के मरए जर भें अम्र मभराते है अथवा अम्र भें जर ,कायण दीजजए |
उत्तय- अम्र व जर के फीच क्रिमा तेज उष्भाऺेऩी होती है, अत: अम्र के तनुकयण के सभम ननकरने वारी ऊष्भा काफू भें यहे इसके मरए अम्र
को तनु कयने हे तु जर भे फॊद ू -फॊद
ू कयके दहराते हुए अम्र मभराते है। जजससे कोई दघ
ु थटना की आशॊका नही यहे |

PAWAN KUMAR SHARMA, LECTURER in Chemistry (M.Sc.,NET,B.Ed.)Govt.Sr.Sec.School-Mangaliyawas(AJMER)


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प्रश्न- 7 उदासीनीकयण अभबक्रिमा क्रकसे कहते है ?


उत्तय- अम्र तथा ऺाय के फीच भें होने वारी अमबक्रिमा को उदासीनीकयण अमबक्रिमा कहते है | मह ऊष्भाऺेऩी होती है , इस सभम रवण तथा जर
फनता है | अम्र + ऺाय रवण + जर + ऊष्भा
HCl + NaOH NaCl + H
2O + ऊष्भा
प्रश्न- 8 एभसडडटी (अनतअम्रता) क्रकसे कहते है ,इसे दयू कयने के मरए भभल्क ऑफ़ भैग्नीभशमा का उऩमोग क्मों कयते है ?
उत्तय- जफ ऩेट भें हाइड्रोक्रोरयक अम्र ( HCl ) क्रक भात्रा अधधक हो जाती है तो उसे एमसडडटी कहते है , इसे उदासीन कयने के मरए
एधटएभसड(प्रनतअम्र) के रूऩ भें ऺाय की आवश्मकता होती है , इसमरए भभल्क ऑफ़ भैग्नीभशमा का उऩमोग कयते है क्मोक्रक मह ऺाय प्रकृनत का
होता है ओय ऩेट भें अम्र से क्रिमा कय उसे उदासीन कय दे ता है जजससे ऩेट क्रक अम्रता (एमसडडटी) नष्ट हो जाती है | भभल्क ऑफ़ भैग्नीभशमा के
स्थान ऩय ईनो , फैक्रकॊ ग सोडा (खाने का सोडा), तथा चूने को बी प्रनतअम्र क्रक तयह उऩमोग रे सकते है |
प्रश्न- 9 pH स्केर क्मा होता है ?
उत्तय- (1) pH स्केर अम्र/ऺाय की शजक्त का भाऩ होता है |
(2) महाॉ p ऩुसाॊस है , जो एक जभथन शब्द है जजसका अथथ है शन्क्त |
(3) इस स्केर का भान 0 से 14 तक होता है |
(4) अम्र की pH 0 से 7 तक होती है |
(5) ऺाय क्रक pH 7 से 14 तक होती है |
(6) उदासीन ववरमन (जो न तो अम्र क्रक तयह हो औय न ही ऺाय की तयह) का pH भान 7 होता है |
(7) यक्त (खून) का pH = 7.4 होता है |
(8) pH का भान फढ़ने के साथ हाइड्रोजन आमन साॊर्द्ता का भान घटता है |
प्रश्न-10 आऩ के ऩास दो ववरमन ‘A’ तथा ‘B’ है | ’A’ के pH का भान 5 तथा ‘B’ क्रक pH का भान 9 है | तो फताइए क्रकस ववरमन भें
हाइड्रोजन आमन सान्र्द्ता अधधक है तथा कौन सा ववरमन अम्रीम है व कौन सा ऺायीम है ?
उत्तय- कभ pH भान वारे ववरमन भें हाइड्रोजन आमन सान्र्द्ता अधधक होती है , अत: ववरमन ‘A’ क्रक pH ववरमन ‘B’ से कभ होने से ‘A’ भें
हाइड्रोजन आमन सान्र्द्ता अधधक होगी | तथा ववरमन ‘A’ जजसकी pH = 5 है अम्रीम होगा, क्मोक्रक अम्र क्रक pH 0 से 7 के फीच होती है ओय
ववरमन ‘B’ जजसकी pH = 9 है ऺायीम होगा, क्मोक्रक ऺाय क्रक pH 7 से 14 के फीच होती है |
प्रश्न- 11 अम्र वषाब क्मा होती है इसके होने के क्मा कायण है , तथा इसके क्मा नुकसान है ?
उत्तय- जफ फयसात के जर का pH= 5.6 से कभ हो तो उसे अम्र वषाथ कहते है । फढ़ते वामु प्रदष
ू ण के कायण SO2, NO2, CO2 की भात्रा हवा भें
फढ़ यही है जो फयसात के ऩानी के साथ नीचे अम्र वषाथ के रूऩ भें आती है | अम्र वषाब से ननम्न नुकसान है -
1- जभीन की उऩजाऊ ऺभता कभ हो जाती है | 3 - नदी, ताराफ का ऩानी खयाफ हो जाता है |
2- भकानों को नुकसान होता है | 4 – जरीम जीव भय जाते है |
प्रश्न- 12 प्रास्टय ऑप ऩेरयस का यासामननक सूत्र मरखखए?
उत्तय- CaSO4. H2O
𝟏
𝟐
प्रश्न- 13 प्रास्टय ऑप ऩेरयस का ननभाथण कैसे कय सकते है ?
उत्तय- जफ न्जप्सभ को 373 K ताऩ ऩय गयभ कयते है तो प्रास्टय ऑप ऩेरयस का ननभाथण होता है |
CaSO4.2H2O CaSO4. H2O + H2O
𝟏
373 K
𝟐
न्जप्सभ प्रास्टय ऑप ऩेरयस
प्रश्न- 14 प्रास्टय ऑप ऩेरयस भें मदद ऩानी डार दे तो वह ऩत्थय जैसा हो जाता है , क्मों ?
उत्तय- मह ऩानी से क्रिमा कय न्जप्सभ फनाता है, जो क्रक ठोस ऩत्थय जैसा होता है |
प्रास्टय ऑप ऩेरयस + ऩानी न्जप्सभ
प्रश्न- 15 प्रास्टय ऑप ऩेरयस को नभी यहहत फतबन मा नभी यहहत थैभरमो भें ऩैक कयके क्मों यखते है ?
उत्तय- प्रास्टय ऑप ऩेरयस नभी (ऩानी ) से क्रिमा कय ठोस ऩत्थय जैसा जजप्सभ फना रेता है जो क्रपय काभ का नही यहता है इससे फचने के मरए
प्रास्टय ऑप ऩेरयस को नभी यदहत फतथन मा नभी यदहत थैमरमो भें ऩैक कयके यखते है |
प्रश्न- 16 प्रास्टय ऑप ऩेरयस के उऩमोग फताइए |
उत्तय- (1) - भूनतथ फनाने भें | (2)- चोक फनाने भें |
(3)- हड्डी टूटने ऩय प्रास्टय चढ़ाने भें | (4)- भकान ननभाथण भें |
प्रश्न- 17 एक ग्वारा (दध
ू वारा) ताजे दध
ू भें थोडा फैक्रकॊ ग सोडा (खाने का सोडा) क्मों मभराता है ?
उत्तय- फैक्रकॊ ग सोडा ऺायीम प्रकृनत का होता है जफ इसे ताजे दध
ू भें डारते है तो वह ऺायीम हो जाता है तथा दध
ू को पटने से फचाता है जजससे
इसका रम्फे सभम तक उऩमोग हो सकता है |
प्रश्न- 18 क्रोय-ऺाय प्रक्रिमा क्रकसे कहते है ?
उत्तय- जफ सोडडमभ क्रोयाइड के जरीम ववरमन का ववधत
ु अऩघटन कयते है तो क्रोयीन (क्रोय) तथा सोडडमभ हाइड्रोक्साइड (ऺाय) फनते है ,
इस कायण इसे क्रोय-ऺाय प्रक्रिमा कहते है |

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अध्माम-3 धातु एवॊ अधातु


(A) धातु अधातु
1- धातु भें धाजत्वक चभक होती है| 1 – अधातु भें चभक नहीॊ होती है|
2- धातु ठोस होते है | 2 – अधातु र्द्व मा गैस अवस्था भें होते है |
3- धातु आघातवधथनीम होते है| 3 – अधातु आघातवधथनीम नहीॊ होते है|
4- धातु तन्मता दशाथते है | 4 - अधातु तन्मता नहीॊ दशाथते है |
5- धातु ववधतु के चारक होते है | 5 – अधातु ऊष्भा के कुचारक होते है |
6- धातु ऊष्भा के चारक होते है | 6 – अधातु ववधत ु के कुचारक होते है |
7- धातु ध्वाननक (सोनोयस) गुण फताते है | 7 - अधातु ध्वाननक (सोनोयस) गुण नहीॊ फताते है |
8- धाजत्वक आक्साइड ऺायीम प्रकृनत के होते है | 8 - अधाजत्वक आक्साइड अम्रीम प्रकृनत के होते है |
 उदाहयण:- सोना,चाॊदी,रोहा,ताॊफा * उदाहयण:- काफबन,ऑक्सीजन,हाइड्रोजन
(B) चाॊदी (मसल्वय) व ताॊफा (काऩय) ऊष्भा के सफसे अच्छे चाराक होते है |
(C) रेड तथा भकथयी धातु ऊष्भा के कुचारक होते है |
(D) सोडडमभ व ऩोटे मशमभ धातु को चाकू से काट सकते है |
(E) भकथयी (ऩाया) र्द्व अवस्था भें मभरने वारी धातु है |
(F) गैमरमभ तथा सीजजमभ ऐसी धातए ु है जजनका गरनाॊक फहुत कभ होता है , इन्हें हथेरी ऩय यखने ऩय मह वऩघर जाती है |
(G) र्द्व अवस्था भें मभरने वारी अधातु ब्रोभीन है |
(H) ध्वाननक(सोनोयस) :-धातुओ ऩय चोट कयने ऩय आवाज आती है ,इसे ध्वाननक गुण कहते है |जैसे:-घॊटी ऩय चोट कयने ऩय आवाज आती है |
(I) आघातवधबनीम :- धातु को ऩीट-ऩीट कय चद्दय फना सकते है | इस गुण को आघातवधथनीम कहते है |
(J) तधमता :- धातु के खीच कय ताय फना सकते है | इस गुण को तन्मता कहते है |
(K) सोना व चाॊदी सफसे अधधक आघातवधथनीम व तन्म होते है |
(L) अम्रयाज (एक्वा ये न्जमा) :- तीन बाग हाइड्रोक्रोयीक अम्र व एक बाग नाइदट्रक अम्र (3:1) के मभश्रण को अम्रयाज (एक्वा ये जजमा)
कहते है | महे सोने व प्रेदटनभ को गरा सकता है |
(M) अभरगभ :- ऐसी मभश्रधातु जजसभे एक धातु ऩायद (ऩाया) होता है उसे अभरगभ कहते है |
(N) धातुओ का ननष्कषबण :- अमस्क से शुद्ध धातु प्राप्त कयना धातु का ननष्कषथण कहराता है |
(O) खननज:- ऩथ्ृ वी की खुदाई से प्राप्त वस्तुमे खननज कहराती है |
(P) अमस्क :- ऐसे खननज जजससे आधथथक दृजष्ट से राबदामक धातु प्राप्त होती है , उन खननजो को अमस्क कहते है |
(Q) गैंग (आधात्री) :- अमस्क भें उऩजस्थत अशुद्धधमो को गैंग (अधात्री) कहते है |
“ सबी खननज अमस्क हो मह आवश्मक नहीॊ, रेक्रकन सबी अमस्क खननज होते है |”
प्रश्न-1 बजबन तथा ननस्ताऩन को सभझाइमे |
उत्तय- बजबन ननस्ताऩन
(1) मह सल्पाइड अमस्क के मरए कयते है| (1) मह काफोनेट अमस्क के मरए कयते है|
(2) अमस्क को वामु की उऩन्स्थनत भें गभथ कयते है| (2) वामु की अनुऩन्स्थनत भें गभथ कयते है|
(3) अमस्क धातु ऑक्साइड भें फदर जाता है | (3) अमस्क धातु ऑक्साइड भें फदर जाता है |
(4) इस प्रक्रिमा भें SO2 गैस ननकरती है| (4) इस प्रक्रिमा भें CO2 गैस ननकरती है|
प्रश्न- 2 धातुओ का ववधुत अऩघटनी ऩरयष्कयण को सभझाइमे |
उत्तय- सोना,चाॉदी,ताॉफे जैसी धातओु का शद्
ु धधकयण(ऩरयष्कयण) ववधुत अऩघटनी ववचध से कयते है| इस ववधध भें जजस धातु का
शद् ु धधकयण कयना है उसी धात ु को एनोड फनाते है जफक्रक शद्
ु ध धातु का कैथोड रेते है क्रपय उसी धातु के रवण के ववरमन भें
ववधुत अऩघटन कयने ऩय कैथोड ऩय शद् ु ध धातु जभा होती जाती है जफक्रक अशद्ु धध एनोड ऩॊक (भड) के रूऩ भें एनोड के नीचे
इकठ्ठी होती जाती है |
प्रश्न-3 उबमधभी ऑक्साइड क्मा होते है ?
उत्तय- ऐसे धाजत्वक ऑक्साइड जो अम्र व ऺाय दोनों की तयह व्मवहाय कयते है , उन्हें उबमधभी ऑक्साइड कहते है | जफ मह अम्र
के साथ क्रिमा कयते है तो ऺाय क्रक तयह तथा ऺाय के साथ क्रिमा कयते है तो अम्र क्रक तयह व्मवहाय कयते है |
जैसे:- एरुमभननमभ आक्साइड ( Al2O3 ) , जजॊक आक्साइड ( ZnO )
प्रश्न-4 सोडडमभ व ऩोटे मशमभ धातु को केयोसीन के अन्दय क्मों यखते है ?
उत्तय- सोडडमभ व ऩोटे मशमभ धातु को हवा भें खुरा यखने ऩय वह हवा (ऑक्सीजन) के साथ तेजी से अमबक्रिमा कय आग ऩकड़ रेती
है, इससे फचने के मरए इन्हें केयोसीन (मभटटी के तेर) के अन्दय यखते है |
प्रश्न-5 मशदरेऩन क्रकसे कहते है तथा इसका क्मा भहत्व है ?
उत्तय- रोहे मा स्टीर को जॊग से फचाने के मरए उस ऩय जस्ते (न्जॊक) की ऩयत चढ़ाना मशदरेऩन कहराता है| मशदरेऩन से रोहे
तथा स्टीर ऩय जॊग नहीॊ रगता है ओय मह सॊऺायण से फच जाते है |

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6

प्रश्न-6 सक्रिमता श्रेणी से क्मा तात्ऩमथ है ?


उत्तय- धातओ
ु की उनके घटते क्रिमाशीरता के िभ भें जभाई गई श्रेणी को सक्रिमता श्रेणी कहते है | इस श्रेणी की ननम्न ववशेषताए
होती है-
(1) इस श्रेणी भें ऊऩय सफसे क्रिमाशीर धातुए है, जफक्रक सफसे नीचे कभ क्रिमाशीर धातुए आती है |
(2) सक्रिमता श्रेणी भें ऊऩय आने वारी धातएु अधधक क्रिमाशीर होने से मह प्रकृनत भें भुक्त (स्वतन्त्र) अवस्था भें नहीॊ मभरती
है, मह साभान्मतमा ऑक्साइड के रूऩ भें मभरते है | जैसे : - सोडडमभ, ऩोटे मशमभ |
(3) सक्रिमता श्रेणी के भध्म भें आने वारी धातुए ऑक्साइड, काफोनेट तथा सल्पाइड अमस्क के रूऩ भें मभरती है |
जैसे :- जस्ता (जजॊक) , रोहा (आमयन) आदद |
(4) सक्रिमता श्रेणी भें नीचे आने वारी धातुए कभ क्रिमाशीर होने से मह प्रकृनत भें भुक्त (स्वतधत्र) अवस्था भें मभरती है |
जैसे : - सोना तथा चाॉदी आदद |
(5) सक्रिमता श्रेणी भें ऊऩय से नीचे जाने ऩय उनका सॊऺायण घटता है |
(6) सक्रिमता श्रेणी भें ऊऩय आने वारी धातु को मदद उससे नीचे आने वारी धातु के रवण भें डारे तो वह उस धातु को
ववस्थावऩत कय दे ती है |
Zn + CuSO4 ZnSO4 + Cu
प्रश्न-7 भभश्रधातु क्रकसे कहते है, इसकी क्मा ववशेषताए होती है ?
उत्तय- दो मा दो से अधधक धातुओ के सभाॊगी मभश्रण को भभश्रधातु कहते है| मह कठोय होती है, इस ऩय जॊग बी नहीॊ रगता है,
ववधुत चारकता बी फढ़ जाती है | जैसे:- ऩीतर भें ताॊफा व जस्ता (Cu +Zn) , काॊसा भें ताॊफा व दटन (Cu + Sn) , सोल्डय भें
सीसा व दटन (Pb + Sn) होता है |
प्रश्न-8 थभीट अभबक्रिमा क्मा होती है, तथा इसका क्मा भहत्व है ?
उत्तय- रोहे के ऑक्साइड (Fe 2O3) व एरुभभननमभ के चूणब के फीच अमबक्रिमा तेज उष्भाऺेऩी होती है , इस सभम इतनी अधधक
ऊष्भा ननकरती है क्रक मह धातमु े वऩघर जाती है, इस अमबक्रिमा को थभीट अमबक्रिमा कहते है | इस अमबक्रिमा का उऩमोग ये र की
ऩटयी व भशीन के ऩुजो भें आई दयायों को जोड़ने के मरए क्रकमा जाता है|
Fe2O3 + Al Al2O3 + Fe + ऊष्भा
प्रश्न-9 सोने क्रक शद्
ु धता क्रकसभे भाऩी जाती है ?
उत्तय- सोने क्रक शद्
ु धता कैये ट भें भाऩी जाती है, शद्
ु ध सोना 24 कैये ट होता है इस सभम मह फहुत भुरामभ होता है जजससे इसके
गहने नहीॊ फना सकते है | गहने फनाने के मरए 22 अथवा 23 कैये ट सोने का उऩमोग कयते है, इसभे चाॉदी व ताॉफे क्रक अशद्ु धध
मभरी होती है जजससे इसभे भजफूती आ जाती है | 23 कैये ट सोने का अथथ है क्रक इसभे 23 बाग सोना है तथा 1 बाग अशद्
ु धध
होती है |
प्रश्न-10 आमननक मौचगक के गण ु फताइमे |
उत्तय- आमननक मौधगको भें ननम्न गुण ऩामे जाते है-
(1) मह कठोय होते है ,क्मोक्रक इनभे ववऩयीत आवेभशत आमनों के फीच भें प्रफर आकषबण भभरता है |
(2) इनके गरनाॊक फहुत अचधक होते है, क्मोक्रक इनभे ववऩयीत आवेभशत आमनों के फीच भें प्रफर आकषबण भभरता है |
(3) मह गभरत अवस्था भें ववधुत चारक होते है ,क्मोक्रक गभरत अवस्था भें आमनों को गनत कयने के भरए भाध्मभ भभर जाता है |
(4) मह बॊगुय प्रकृनत के होते है |
(5) मह जर भें घरु नशीर होते है |
प्रश्न-11 गभब जर का टैंक फनाने भें ताॉफे का उऩमोग क्मों क्रकमा जाता है ?
उत्तय- ताॉफा ऊष्भा का सफसे अच्छा चाराक होता है ,जजससे इसभे यखा ऩानी जल्दी गभथ हो सकता है इसमरए गभथ जर का टैंक
फनाने भें ताॉफे का उऩमोग होता है |
प्रश्न-12 ताॉफे के भभरन (गधदे ) फतबन नीफू मा इभरी के यस से कैसे साफ़ हो जाते है ?
उत्तय- ताॉफे के फतथनों क्रक सतह वामु से क्रिमा कयने ऩय भमरन हो जाती है मह ऩयत ऺायीम प्रकृनत क्रक होती है जफक्रक नीफू तथा
इभरी के यस भें अम्र होता है ,अत: जफ इन यस से भमरन ताॉफे क्रक सतह यगड़ी जाती है तो साधायण अम्र-ऺाय क्रिमा द्वाया ताॉफे
क्रक सतह साप हो जाती है |
प्रश्न-13 एनोडीकयण क्रकसे कहते है ?
उत्तय- एल्मुमभननमभ ऩय ऑक्साइड क्रक भोटी ऩयत चढ़ना एनोडीकयण कहराता है ,इससे आगे इसका सॊऺायण नहीॊ होता है | इस
एनोडीकयण के कायण ही एल्ममु भननमभ क्रक सतह सयु क्षऺत हो जाती ओय मह इसभें डारी गई खाद्म साभग्री से क्रिमा नहीॊ कय ऩाती
है इसमरए एल्मुमभननमभ का उऩमोग खाना फनाने के फतथन के रूऩ भें बी कय सकते है |
“अमस्क से शुद्ध धातु प्राप्त कयने क्रक प्रक्रिमा धातुकभब कहराती है |”

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7

अध्माम-4 काफबन ओय उसके मौचगक


(A) काफथन के सफसे अधधक मौधगक मभरते है, क्मोक्रक इसभे श्रखरन का गण ु मभरता है औय मह चतस ु मोजी होता है |
(B) काफथन व हाइड्रोजन से फने मौधगक हाइड्रोकाफबन कहराते है । काफथन व इसके मौधगक ईधन के रूऩ भें काभ आते है क्मोक्रक इनके दहन
(जराने) से अधधक ऊष्भा ननकरती है |
(C) सॊतप्ृ त हाइड्रोकाफथन साफ़ ज्वारा के साथ जरते है , जफक्रक असॊतप्ृ त हाइड्रोकाफथन कारे धुए के साथ जरते है |
(D) सॊतप्ृ त हाइड्रोकाफथन का कभ ऑक्सीजन भें अऩूणथ दहन(जरना) होता है ,जजससे फतथन कारे ऩड़ जाते है | तथा ईधन बी ज्मादा खचथ होता
है |
(E) कोमरे व ऩेट्रोमरमभ (जीवाश्भ ईंधन) भें नाइट्रोजन तथा सल्पय होता है ,जजससे इनके दहन से नाइट्रोजन तथा सल्पय के ऑक्साइड फनते
है जो ऩमाथवयण को प्रदवू षत कयते है |
(F) भसयका:- एसीदटक अम्र के 3 - 4% जरीम ववरमन को मसयका कहते है | इसका उऩमोग अचाय, भुयब्फा के ऩरययऺण (खयाफ होने से
फचाने के मरए ) के मरए होता है |
(G) ग्रैशर एसीहटक अम्र:- एसीदटक अम्र को ठण्डा कयने ऩय मह फपथ जैसा जभ जाता है , इस कायण एसीदटक अम्र को ग्रैशर एसीदटक
अम्र बी कहते है |
(H) एथेनोर के उऩमोग:- एथेनोर का उऩमोग दटॊचय आमोडीन, कप मसयऩ, टोननक जैसी ओषधधमो भें होता है |
(I) एस्टयीकयण अभबक्रिमा:- एसीदटक अम्र व एथेनोर के फीच अमबक्रिमा को एस्टयीकयण कहते है , क्मोक्रक इससे एस्टय फनता है जजसकी
गॊध परों जैसी होती है |
(J) साफन
ु ीकयण:- एस्टय की क्रिमा जफ NaOH से कयाते है तो साफन ु फनती है , इसे साफन
ु ीकयण कहते है |
(K) वनस्ऩनत तेर असॊतप्ृ त होते है जफक्रक जॊतु वसा सॊतप्ृ त होते है , इस कायण मह स्वास्थ्म के मरए हाननकायक होते है | इसीमरए बोजन
ऩकाने के मरए वनस्ऩनत तेरों का उऩमोग कयना चादहए |
प्रश्न- 1 काफथन क्रक सवबतोभुखी प्रकृनत से क्मा तात्ऩमथ है ?
उत्तय- काफथन भें सफसे अधधक श्रखरन का गुण मभरता है तथा चत:ु सॊमोजी होता है ,जजससे काफथन-काफथन आऩस भें हय प्रकाय से
जड़ ु कय असॊख्म मौधगक फना सकता है इस कायण काफथन तथा इसके मौधगक हय जगह मभरते है |
प्रश्न- 2 सॊतप्ृ त तथा असॊतप्ृ त काफबननक मौचगक क्मा होते है ?
उत्तय- (1) सॊतप्ृ त काफबन मौचगक:- जफ काफथन-काफथन आऩस भें एक आफॊध (C C) से जुड़े हो तो उसे सॊतप्ृ त काफथन मौधगक कहते
है| जैसे:- एल्केन (साभान्म सूत्र - CnH2n+2 )
(2) असॊतप्ृ त काफबन मौचगक:- जफ काफथन-काफथन आऩस भें फहु (दो मा तीन) आफॊध( C C) मा (C C) से जुड़े हो
तो उसे असॊतप्ृ त काफथन मौधगक कहते है| जैसे:- एल्कीन (साभान्म सूत्र - CnH2n , इनभे काफथन-काफथन दो (द्वव)( C C) आफॊध
होते है तथा एल्काइन (साभान्म सूत्र - CnH2n - 2 , इनभे काफथन-काफथन तीन (बत्र) आफॊध ( C C ) होते है |)
प्रश्न- 3 एल्केन को ऩैयाक्रपन क्मों कहते है ?
उत्तय- एल्केन ( सॊतप्ृ त काफथन मौधगक ) फहुत कभ क्रिमाशीर होते है , इसमरए इन्हें ऩैयाक्रपन कहते है |
प्रश्न- 4 एल्कीन तथा एल्काइन को ओभरक्रपन क्मों कहते है ?
उत्तय- एल्कीन तथा एल्काइन ( असॊतप्ृ त काफथन मौधगक ) क्रोयीन से क्रिमा कय तैरीम ऩदाथथ फनाते है , इस कायण इन्हें
ओमरक्रपन ( तेर जैसा ) कहते है |
प्रश्न- 5 प्रकामाबत्भक (क्रिमात्भक) सभूह क्मा होते है ?
उत्तय- प्रकामाथत्भक (क्रिमात्भक) सभूह:- ऐसे सभूह जो मौधगक को ववशेष गुण दे ते है, उन्हें प्रकामाथत्भक सभूह कहते है|
जैसे:- (1) एल्कोहार सभूह – OH (2) कीटोन सभूह C O
(3) काफोक्सीमरक अम्र सभूह - COOH (4) एल्डीहाइड सभूह -CHO
प्रश्न- 6 सभजातीम श्रेणी क्मा होती है तथा इसकी क्मा ववशेषताए होती है ?
उत्तय- सभजातीम श्रेणी:- काफथननक मौधगको की फढती काफथन सॊख्मा भें जभी हुई श्रेणी, जजन्हें एक साभान्म सत्र
ू से दशाथ सकते है,
उसे सभजातीम श्रेणी कहते है | सभजातीम श्रेणी की ववशेषता :-
(1) सदस्मों को एक साभान्म सत्र
ू से दशाथते है |
(2) िभागत सदस्मों भें CH2 का अॊतय होता है |
(3) िभागत सदस्मों भें 14 आणववक बाय का अॊतय होता है |
(4) सदस्मों के यासामननक गुणधभथ सभान होते है |
(5) सदस्मों के बौनतक गणु धभथ सभान नहीॊ होते है |
प्रश्न- 7 हाइड्रोजननकयण क्रकसे कहते है तथा इसका क्मा औध्मोगीक भहत्व है ?
उत्तय- हाइड्रोजनीकयण:- मह एक सॊकरन अभबक्रिमा होती है जजसभे असॊतप्ृ त हाइड्रोकाफथन ननकैर उत्प्रेयक की उऩजस्थनत भें
हाइड्रोजन के जुड़ने से सॊतप्ृ त हाइड्रोकाफथन भें फदर जाते है, इसे हाइड्रोजनीकयण कहते है | इसका उऩमोग वनस्ऩनत तेरों से
वनस्ऩनत घी फनाने भें होता है |
C2H4 + H2 ननकैर उत्प्रेयक C2H6

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प्रश्न- 8 साफनु तथा अऩभाजबक क्रक तरु ना कीजजए |


उत्तय- साफन
ु अऩभाजबक
(1) मह काफोन्क्सभरक अम्र के सोडडमभ मा ऩोटे भशमभ (1) मह काफोन्क्सभरक अम्र के अभोननमभ मा सल्पोनेट
रवण होते है | रवण होते है |
(2) मह खाये (कठोय) जर के साथ झाग नहीॊ दे ती है| (2) मह खाये (कठोय) जर के साथ बी झाग दे ते है |
प्रश्न- 9 भभसेर ननभाथण को सभझाइए |
अथवा
साफुन तथा अऩभाजथक द्वाया होने वारी कऩड़ो क्रक सपाई प्रक्रिमा को सभझाइए |
उत्तय- साफुन मा अऩभाजबक की सपाई प्रक्रिमा (भभसेर) :- भैर तैरीम होता है, जफ साफुन रगाते है तो साफुन के अणु का आमननक
बाग जरयागी होने से जर की औय यहता है , जफक्रक काफथन वारा बाग जरववयागी होने से भैर की तयप यहता है, इस प्रकाय
साफुन के अणु भैर को चायो ओय से घेय रेते है, जजसे मभसेर कहते है| साफुन रगे कऩडे को जफ ऩानी भें दहराते है तो भैर कऩडे
से अरग हो जाता है|

चचत्र :- भभसेर
प्रश्न-10 आमननक तथा सहसॊमोजी आफॊध की तुरना कीजजए ?
उत्तय- सहसॊमोजी आफॊध आमननक आफॊध
(1) ऩयभाणओ
ु के भध्म इरेक्ट्रोनो के साझे से जो फन्ध फनता है (1) एक ऩयभाणु से दस
ू ये ऩयभाणु भें इरेक्ट्रोनो के स्थानान्तयण से
उसे सहसॊमोजी आफॊध कहते है , सहसॊमोजी आफॊध से ननमभथत जो फन्ध फनता है उसे आमननक आफॊध कहते है तथा ननमभथत
मौधगको को सहसॊमोजक मौचगक कहते है , इनके ननम्नमरखखत मौधगक को आमननक मौचगक कहते है , इनके ननम्नमरखखत
रऺण होते है – रऺण होते है –
(2) सहसॊमोजक मौचगक र्द्व अथवा गैसीम अवस्था भें मभरते है | (2) आमननक मौचगक ठोस अवस्था भें मभरते है |
(3) सहसॊमोजक मौचगक का गरनाॊक तथा क्वथनाॊक कभ होता है | (3) आमननक मौचगक का गरनाॊक तथा क्वथनाॊक उच्च होता है |
(4) सहसॊमोजक मौचगक ववधुत के कुचारक होते है | (4) आमननक मौचगक ववधुत के चारक होते है |
(5) सहसॊमोजक मौचगक जर भें नहीॊ घुरते है | (5) आमननक मौचगक जर भें घुरते है |

-: काफबननक मौचगको का नाभकयण :-


काफबन उऩसगब एल्केन (-ऐन) CnH2n+2 एल्कीन (-ईन) CnH2n एल्काइन (-आइन) CnH2n - 2
सॊख्मा
C1 भेथ- भेथ+ऐन= भेथेन CH4 - -

C2 एथ- एथ+ऐन= एथेन C 2H 6 एथ+ईन= एथीन C 2H 4 एथ+आइन= एथाइन C 2H 2

C3 प्रोऩ-

C4 ब्मुट-

C5 ऩेधट-

C6 हैक्स-

C7 हे प्ट-

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अध्माम-5 तत्वों का आवतब वगीकयण


(1) तत्वों को उनके गुणधभो भें सभानता के आधाय ऩय वगीकयण क्रकमा गमा है |
(2) डौफेयाइन का बत्रक :- डौफेयाइन ने तीन-तीन तत्वों के ऐसे सभूह फनाए न्जसभे ऩहरे व तीसये तत्व के ऩयभाणु बाय के मोग
का भाध्म फीच वारे तत्व के ऩयभाणु बाय के फयाफय होता है | जैसे:- Li, Na, K
कभी :- इससे केवर तीन बत्रक ही फन सके थे |
(3) धमर
ू ड
ैं का अष्टक :- धमूरडैं ने सॊगीत के सुयों के आधाय ऩय तत्वों के सभूह फनाए न्जसभे आठवे तत्व के गुण प्रथभ तत्व
के साभान प्राप्त होते है | धमूरड
ैं ने भाना था की केवर 56 तत्व ही भभरते है |
कभी:- (1) मह ननमभ केवर Ca तक रागू होता है |
(2) कई स्थानों ऩय दो तत्वों को एक साथ यख हदमा था |
-:भें डर
े ीप की आवतब सायणी:-
(4) भें डेरीप का आवतब ननमभ :- तत्वों के बौनतक व यासामननक गुणधभब उनके ऩयभाणु बायो के आवती परन होते है | इनके
सभम तक केवर 63 तत्व ऻात थे |
(5) डेरीप की आवतब सायणी की ववशेषताए मा रऺण ननम्न है -
1- सायणी ऩयभाणु बाय ऩय आधारयत है |
2- तत्वों को ऩयभाणु बाय के आयोही िभ (फढ़ते हुए) भें जभामा गमा है |
3- इसकी सायणी भें 8 वगब (स्तम्ब) व 6 आवतब थे |
4- धातओ ु को फामीॊ व अधातओ
ु को दामी ओय यखा गमा |
(6) भें डेरीप की आवतब सायणी की सीभाए मा कभी मा दोष:-
1- हाइड्रोजन की न्स्थनत ननन्श्चत नहीॊ थी |
2- सभस्थाननको को स्थान नहीॊ हदमा गमा था |
(7) भें डेरीप की आवतब सायणी की उऩरन्ब्धमाॊ :- इनके सभम तक जो तत्व ऻात नहीॊ थे उनके भरए रयक्त स्थान छोड़े थे
न्जससे उनकी खोज सॊम्बव हो सकी |
नाभ न्जससे छोड़ा गमा रयक्त स्थान वह तत्व जो खोजा गमा
एका – फोयोन स्कैं डीमभ ( Sc )
एका – एरुभभननमभ गैभरमभ ( Ga )
एका – भसभरकोन जभेननमभ ( Ge )
-:आधुननक आवतब सायणी:-
(8) आधुननक आवतब ननमभ:- मह भोजरे ने हदमा, इसके अनुसाय तत्वों के बौनतक व यासामननक गुणधभब उनके ऩयभाणु-सॊख्मा
के आवती परन होते है |
(9) आधुननक आवतब सायणी की ववशेषताए मा रऺण :-
1 सायणी ऩयभाणु-सॊख्मा ऩय आधारयत है |
2 तत्वों को ऩयभाणु-सॊख्मा के आयोही िभ (फढ़ते हुए) भें जभामा गमा है |
3 इसकी सायणी भें 18 वगब (स्तम्ब) व 7 आवतब है |
4 धातुओ को फामीॊ व अधातुओ को दामी ओय यखा गमा |
(10) आधनु नक आवतब सायणी की सीभाए मा कभी मा दोष:- हाइड्रोजन की न्स्थनत ननन्श्चत नहीॊ है |
(11) आधुननक आवतब सायणी की उऩरन्ब्धमाॊ :- आधुननक आवतब सायणी भें तत्वो को ऩयभाणु-सॊख्मा के आयोही िभ भें जभाने से
भें डेरीप की आवतब सायणी की सीभाए,कभी मा दोष दयू हो गए |
(12) ऩयभाणु के कोशो ( K,L,M,N,.......) भें इरेक्रोनो की सॊख्मा ऻात कयना:-
ऩयभाणु के कोशो ( K,L,M,N,.......) भें इरेक्रोनो की सॊख्मा = 2n2 सूत्र से ऻात कयते है |
महाॉ K के भरए n = 1, L के भरए n = 2 , M के भरए n = 3, N के भरए n = 4 होगा |
(13) आधुननक आवतब सायणी भें एक ववकणब ये खा धातुओ को अधातुओ से अरग कयती है, इस ये खा ऩय उऩन्स्थत तत्व
उऩधातु कहराते है | इनभे धातु व अधातु दोनों के गुण भभरते है |
इस ये खा ऩय ननम्न तत्व उऩन्स्थत होते है - B, Si, As, Te, At
(14) सायणी भें क्रकसी आवतब भें फाॊमे से दाए जाने ऩय धान्त्वक गुण भें कभी होती है ,जफक्रक अधान्त्वक गुण फढता है | रेक्रकन
वगब भें उऩय से नीचे जाने ऩय धान्त्वक गुण फढता है,जफक्रक अधान्त्वक गुण भें कभी होती है |
(15) सायणी भें क्रकसी आवतब भें फाॊमे से दाए जाने ऩय ऩयभाणु के आकाय भें कभी होती है, जफक्रक वगब भें उऩय से नीचे जाने ऩय
ऩयभाणु का आकाय फढता होती है |

PAWAN KUMAR SHARMA, LECTURER in Chemistry (M.Sc.,NET,B.Ed.)Govt.Sr.Sec.School-Mangaliyawas(AJMER)


10

अध्माम-6 जैव प्रिभ


(A) यक्त का रार यॊ ग हीभोग्रोबफन के कायण होता है |
(B) हीभोग्रोबफन ऑक्सीजन का वहन कयता है |
(C) यक्त दाफ भाऩने के मन्त्र को स्पाईग्भोभैनोभीटय कहते है |
(D) ह्रदम क्रक धड़कन सन ु ने वारे मन्त्र को स्टे थोस्कोऩ कहते है |
(E) स्वस्थ व्मजक्त के ह्रदम क्रक धड़कन 72 प्रनत भभनट होती है |
(F) स्वस्थ व्मजक्त के शयीय का धमूनतभ यक्त दाफ 80 तथा अचधकतभ यक्त दाफ 120 mm (ऩाया) होता है |(यक्त दाफ 80/120)
(G) भनुष्म भें ऩरयसॊचयण तधत्र का कामथ ऑक्सीजन, CO2 , बोजन तथा उत्सजी ऩदाथो का वहन कयना होता है |
(H) श्वसन द्वाया ननकरी ऊजाथ ATP ( एडडनोभसन राई पास्पेट ) के रूऩ भें सॊधचत यहती है |
(I) शयीय क्रक सफसे फड़ी ग्रजन्थ मकृत होती है |
(J) अग्न्माशम, वष ृ ण तथा अण्डाशम अॊत:स्रावी तथा फदहस्राथवी दोनों प्रकाय क्रक ग्रजन्थमो क्रक तयह कामथ कयाती है |
(K) जोड़ो भें कई फाय अवामवीम श्वसन से रैजक्टक अम्र फनता है जो क्रक िैम्ऩ (रचक) का कायण होता है |
प्रश्न-1 धभनी तथा भशया भें अन्तय फताइए ?
उत्तय- धभनी भशया
(1) ह्रदम से अॊगो तक यक्त को ऩहुॉचाती है | (1) अॊगो से ह्रदम तक यक्त को ऩहुॉचाती है |
(2) साभान्मतमा इसभे ऑक्सीजन मुक्त यक्त होता है | (2) साभान्मतमा इसभे ऑक्सीजन यदहत यक्त होता है |
(3) इसभे यक्त अधधक दाफ से फहता है | (3) इसभे यक्त कभ दाफ से फहता है |
(4) इसकी दीवाये भोटी तथा रचीरी होती है | (4) इसकी दीवाये कभ भोटी तथा कभ रचीरी होती है |
(5) मह शयीय भें सतह ऩय नहीॊ होती है | (5) मह शयीय भें सतह ऩय त्वचा के नीचे ऩामी जाती है |
(6) इसभे वाल्व नहीॊ ऩाए जाते है | (6) इसभे वाल्व ऩाए जाते है |
प्रश्न-2 दोहये ऩरयसॊचयण को सभझाइए |
उत्तय- भानव भें प्रत्मेक चि भें दो फाय यक्त ह्रदम भें जाता है, प्रथभ
चयण भें अॊगो से अशद् ु ध यक्त ह्रदम भें जाता है क्रपय महाॉ से यक्त शद् ु ध
होने के मरए पुफ्पुस (पेपड़े) भें जाता है तथा शद् ु ध होकय दस ू ये चयण भें पुफ्पुस
ह्रदम अॊग
वाऩस ह्रदम भें आ जाता है, इस प्रकाय अॊगो भें जाने से ऩहरे यक्त दो
फाय ह्रदम भें जाता है, इसे ही दोहया ऩरयसॊचयण कहते है |
प्रश्न-3 भानव ह्रदम भें चाय कोष्ठ होने का क्मा पामदा होता है ?
अथवा
स्तनधारयमो तथा ऩक्षऺमों भें ऑक्सीजननत तथा ववऑक्सीजननत यक्त को अरग कयना क्मों आवश्मक है ?
उत्तय- स्तनधारयमो (भनुष्म) तथा ऩक्षऺमों भें अधधक ऊजाथ क्रक आवश्मकता होती है, ह्रदम भें चाय कोष्ठ होने से अशद् ु ध तथा शद्ु ध
यक्त आऩस भें मभर नहीॊ ऩाते है, इससे शयीय को अधधक ऑक्सीजन मभर ऩाती है , जजससे अधधक ऊजाथ क्रक आवश्मकता ऩण ू होती

है |
प्रश्न-4 धभनी क्रक दीवाये मशया क्रक तुरना भें भोटी क्मों होती है ?
उत्तय- धभनी भें यक्त अधधक दाफ से फहता है अत: इस दाफ को सहन कयने के मरए इसकी दीवाये भोटी होती है |
प्रश्न-5 ननरम क्रक दीवाये आमरन्द क्रक दीवायों से भोटी क्मों होती है ?
उत्तय- ननरम यक्त को सम्ऩूणथ शयीय भें ऩम्ऩ कयने का कामथ कयता है, इसके मरए अधधक दाफ रगाने क्रक आवश्मकता होती है ,
जजससे इसकी दीवाये भोटी होती है |
प्रश्न-6 भयीज को ग्रूकोज धभनी भें चढ़ामा जाता है अथवा भशया भें , कायण सहहत उत्तय दीन्जए |
उत्तय- हभ जानते है क्रक धभनी यक्त को अॊग तक रे जाती है मदद धभनी भें ग्रक ू ोज चढ़ामा जाएगा तो वह क्रकसी एक अॊग तक ही
जाएगा सम्ऩूणथ शयीय को नहीॊ ऩहुॉचेगा जफक्रक मशया अॊगो से यक्त को ह्रदम तक रे जाती है जजससे मदद ग्रूकोज मशया भें चढ़ामा
जाए तो वह ह्रदम से होता हुआ सभूणथ शयीय को ववतरयत हो सकता है इसीमरए भयीज को ग्रूकोज मशया भें चढ़ामा जाता है |
प्रश्न-7 शयीय भें यक्त नभरमों के ऺनतग्रस्त होने ऩय उनकी भयम्भत कौन कयता है ?
उत्तय- खून भें प्रेटरेट्स होती है,जो शयीय भें यक्त नमरमों के ऺनतग्रस्त होने ऩय खून का थक्का जभाकय उनकी भयम्भत कयती है |
प्रश्न-8 भानव ह्रदम क्रक सॊयचना तथा क्रिमाववचध सभझाइए |
उत्तय- भानव ह्रदम एक ऩेशीम सॊयचना होती है , इसके अन्दय चाय कोटय (खाने) होते है
ऊऩय के दो कोटय आमरन्द कहराते है ,जफक्रक नीचे के दो कोटय ननरम कहराते है ,ह्रदम
के दाॊमे बाग भें अशद् ु ध यक्त होता है, जफक्रक फाॊमे बाग भें शद् ु ध यक्त होता है | अॊगो से
अशद् ु ध यक्त भहाभशया द्वाया दाॊमे आमरन्द भें आता है, जो क्रक इसभे सॊकुचन से दाॊमे
ननरम भें जाता, महाॉ से यक्त शद् ु ध होने के मरए दाॊमे ननरम भें सॊकुचन से पुफ्पुसीम
धभनी द्वाया पुफ्पुस भें चरा जाता है|इसके फाद पुफ्पुस भें शद् ु ध हुआ यक्त पुफ्पुसीम
भशया द्वाया फाॊमे आमरन्द भें आता है, क्रपय इसभे सॊकुचन से मह फाॊमे ननरम भें चरा
जाता है,फाॊमे ननरम भें सॊकुचन से शद् ु ध यक्त भहाधभनी द्वाया अॊगो को चरा जाता है |
इस प्रकाय भानव ह्रदम एक ऩम्ऩ क्रक तयह कामथ कयता है |

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प्रश्न-9 भानव भें हीभोग्रोफीन क्रक कभी के क्मा ऩरयणाभ होते है ?


उत्तय- भानव भें हीभोग्रोफीन क्रक कभी होने से यक्त द्वाया ऑक्सीजन को कोमशकाओॊ तक ऩहुॊचाने भें कभी आती है , जजससे
थकान, फैचेनी, कभजोयी जैसी जस्थनतमाॉ उत्ऩन हो जाती है |
प्रश्न-10 रुचधय भें ऑक्सीजन तथा काफबन डाई ऑक्साइड का वहन क्रकस प्रकाय होता है ?
उत्तय- यक्त भें ऑक्सीजन का वहन रार यक्त कखणकाओ भें उऩजस्थत हीभोग्रोफीन द्वाया होता है, जफक्रक काफबन डाई ऑक्साइड का
वहन यक्त भें उऩजस्थत जर भें घुमरत अवस्था भें होता है |
प्रश्न-11 रसीका क्मा होती है ?
उत्तय- जफ यक्त केमशकाओ भें यक्त दाफ अधधक होता है तो उस सभम यक्त भें उऩजस्थत प्रैज्भा ,प्रोटीन ,तथा कुछ यक्त कखणकाए
केमशकाओ क्रक दीवायों से फाहय रयक्त स्थानों भें आ जाता है जजसे रसीका कहते है |
प्रश्न-12 उत्सजबन क्रकसे कहते है ?
उत्तय- ववमबन्न जैव प्रिभो से ननमभथत अऩमशष्ट ऩदाथो को शयीय से फाहय ननकारना उत्सजथन कहराता है |
प्रश्न-13 वसा का शयीय भें वहन कैसे होता है ?
उत्तय- वसा का वहन रभसका द्वाया होता है |
प्रश्न-14 ऩादऩो भें ऩरयवहन क्रकस प्रकाय से होता है ?
उत्तय- ऩादऩो भें ऩरयवहन के मरए दो प्रकाय के सॊवहन ऊतक ऩाए जाते है, जजसभे जामरभ नाभक सॊवहन ऊतक जर तथा खननज
रवण का सॊवहन कयता है (जड़ो से ऊऩय तक) तथा फ्रोएभ नाभक सॊवहन ऊतक खाद्म ऩदाथो का सॊवहन कयते है (ऊऩय से नीचे
क्रक तयप)| ऩादऩ भें जड़ो द्वाया जर अवशोषण के मरए ऩौधे भें होने वारी वाष्ऩोत्सजबन प्रक्रिमा (ऩौधे भें उऩजस्थत जर का वाष्ऩ के
रूऩ भें फाहय ननकरना) उत्तयदामी होती है| इससे जर के मरए एक खखचाव उत्ऩन होता है जजससे जड़ो द्वाया अवशोवषत जर
जामरभ द्वाया ऊऩय क्रक ओय खखचता है |
प्रश्न-15 भानव उत्सजबन तधत्र का वणबन कीन्जए |
उत्तय- भानव उत्सजथन तन्त्र वक् ृ क, भत्र
ू वादहनी ,भत्र
ू ाशम
तथा भूत्र भागथ द्वाया फना होता है | भानव भें दो वक् ृ क
होते है ,जजनसे भूत्र वादहनी फाहय ननकर कय भूत्राशम भें
खुरती है, भूत्राशम भें भूत्र इकठ्ठा यहता है | भूत्राशम भूत्र
भागथ द्वाया फाहय खुरता है|प्रत्मेक वक् ृ क के अन्दय असॊख्म
वक्ृ काण ु (ने फ्रोन) होते है ,प्रत्मे क व क्
ृ काणु का अग्र मसया
प्मारे सभान होता है जजसे फोभन सम्ऩुट कहते है, इसभे
यक्त केमशकाओ का गुच्छे सभान सॊयचना होती है जजसे
केभशका गच् ु छ (ग्रोभेरुरस) कहते है इससे उत्सजी ऩदाथथ
छनकय फोभन सम्ऩुट भें आ जाते है फोभन सम्ऩुट से आगे चचत्र – उत्सजबन तधत्र चचत्र – वक्
ृ काणु (नेफ्रोन)
एक नरी ननकरी होती है, जजसके चायो ओय यक्त केमशकाओ का जार बफछा होता है, महाॉ ऩय
छननत से उऩमोगी ऩदाथो का वाऩस अवशोषण होता है,शेष फचा उत्सजी ऩदाथथ सबी वक् ृ काणओ

क्रक नमरमों के जुड़ने से फनी भूत्र नमरका द्वाया भूत्राशम भें चरा जाता है, जो सभम सभम ऩय
भूत्र भागथ द्वाया फाहय ननकार ददमा जाता है |
प्रश्न-16 ऩादऩ उत्सजी (अऩभशष्ट) ऩदाथो से क्रकस प्रकाय छुटकाया ऩाते है ?
उत्तय- ऩौधे ववमबन्न तयीको से अऩमशष्ट ऩदाथो से छुटकाया ऩाते है,जो क्रक ननम्न प्रकाय है-
(1) कुछ अऩमशष्ट ऩदाथथ कोमशका क्रक रयजक्तका भें इकट्ठे यहते है |
(2) कुछ अऩमशष्ट ऩदाथथ गोंद मा ये जजन के रूऩ भें फाहय ननकरते है |
(3) कुछ अऩमशष्ट ऩदाथथ ऩवत्तमों भें एकत्र यहते है जो क्रक ऩवत्तमों के धगयने से अरग होते है |
प्रश्न-17 भानव श्वसन तधत्र तथा उसकी क्रिमा ववचध का वणबन कीन्जए |
उत्तय- भानव श्वसन तन्त्र का ननभाथण नासा नछद्र ,नासा भागब श्वासनरी ,श्वसनी, श्वसननकाओ
तथा पुफ्पुस से होता है | भनुष्म भें एक जोड़ी पुफ्पुस होते है मह स्ऩॊज सभान होते है जजन्हें
ऩसमरमाॉ घेये यहती है जो इन्हें सयु ऺा प्रदान कयती है|नासा नछर्द् ,नासाभागथ द्वाया श्वासनरी भें
खुरते है ,श्वासनरी ऩय उऩाजस्थ के वरम ऩाए जाते है जजससे मह वऩचकती नहीॊ है | श्वासनरी
आगे दो शाखाओॊ भें फॊट जाती है जजन्हें श्वसनी कहते है मह श्वसननमाॉ अऩनी तयह के पुफ्पुस
भें प्रवेश कय अनेक शाखाओॊ भें फॊट जाती है जजन्हें श्वसननकाए कहते है | प्रत्मेक श्वसननका के आगे गब्ु फाये जैसी सॊयचना होती है
जजसे कूवऩका कहते है | कूवऩकाओ क्रक दीवायों भें यक्त केमशकाओ का जार बफछा यहता है जजससे ववसयण द्वाया O 2 तथा CO 2 का
आदान-प्रदान होता है|
प्रश्न-18 जरीम जीवो क्रक तुरना भें स्थरीम जीव श्वसन के भरए कैसे पामदे भें यहते है ?
अथवा
जरीम जीवो क्रक श्वसन दय स्थरीम जीवो क्रक तर
ु ना भें अचधक क्मों होती है ?
उत्तय- जरीम जीव ऩानी भें घुमरत ऑक्सीजन का उऩमोग श्वसन के मरए कयते है ,चूॊक्रक ऩानी भें घुमरत ऑक्सीजन क्रक भात्रा कभ
होती है इस कायण शयीय क्रक ऑक्सीजन आवश्मकता की ऩूनतथ कयने के मरए जरीम जीवो क्रक श्वसन दय अधधक होती है | रेक्रकन
स्थरीम जीव वामुभॊडरीम ऑक्सीजन का उऩमोग कयते है जो क्रक ऩानी क्रक तुरना भें फहुत अधधक होती है ,इस कायण स्थरीम
जीवो क्रक श्वसन दय जरीम जीवो क्रक तर
ु ना भें कभ होती है |

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प्रश्न-19 ऑक्सी-श्वसन (वामवीम) तथा अनऑक्सी-श्वसन (अवामवीम) क्रक तुरना कीजजए |


उत्तय- ऑक्सी-श्वसन (वामवीम) अनऑक्सी-श्वसन (अवामवीम)
(1) मह भाइटोकोंडड्रमा भें होता है | (1) मह कोमशका र्द्व्म भें होता है |
(2) मह वामु (ऑक्सीजन) क्रक उऩजस्थनत भें होता है | (2) मह वामु (ऑक्सीजन) क्रक अनुऩजस्थनत भें होता है |
(3) अधधक ऊजाथ ननकरती है | (3) कभ ऊजाथ ननकरती है |
(4) CO2 तथा जर फनता है | (4) एथेनोर तथा CO 2 फनता है |

प्रश्न-20 याबत्र को ऩेड़ो के नीचे सोने से क्मों भना क्रकमा जाता है ?


उत्तय- याबत्र भें ऩौधे केवर श्वसन कयते है, प्रकाश सॊश्रेषण नहीॊ कयते है ,जजससे ऩेड के नीचे CO 2 क्रक भात्रा फढ़ जाती है व
ऑक्सीजन क्रक भात्रा भें कभी होती जाती है इस कायण याबत्र भें ऩेड़ के नीचे सो यहे व्मजक्त को साॊस रेने भें ऩये शानी हो सकती है |
प्रश्न-21 प्रकाश सॊश्रेषण प्रक्रिमा को सभझाइए?
उत्तय- हये ऩौधों भें ऩणब हरयत (क्रोयोक्रपर) वणबक मभरता है, जजसकी सहामता से सम ू थ के प्रकाश भें CO 2 व जर मभरकय बोजन का
ननभाथण कयते है तथा ऑक्सीजन गैस ननकरती है , इसे प्रकाश सॊश्रेषण कहते है अत: हये ऩौधे स्वऩोषी होते है क्मोक्रक इनका बोजन
इनके शयीय भें ही फनता है |
6 CO2 + 12 H2O ऩणबहरयत तथा सूमब का प्रकाश C 6H12O6 + 6 H2O + 6 O2

भानव ऩाचन तधत्र सॊयचना तथा क्रिमाववचध

सफसे फड़ी ग्रन्धथ

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अध्माम- 7 ननमधत्रण एवॊ सभधवम


प्रश्न- 1 प्रनतवनृ त क्रिमा क्मा होती है ? उदाहयण द्वाया सभझाइए |
उत्तय- काॉटे मा कीर ऩय अन्जाने ऩैय यखने ऩय ऩैय तुयन्त हटा रेना ,गभथ
वस्तु ऩय अन्जाने हाथ मा ऩैय रगने ऩय तुयन्त हाथ मा ऩैय का हटा रेना
आदद प्रनतवनृ त क्रिमा के उदाहयण है | इसके अन्तगथत सॊवेदी तॊबत्रकाए सॊवेदना
भेरुयज्जु से भजस्तष्क तक रे जाती है क्रपय वहाॉ से जो अनुक्रिमा दशाथनी है वह
प्रेयक तन्धत्रका द्वाया सम्फजन्धत अॊग को आती है जजससे सम्फजन्धत अॊग
तयु न्त अनुक्रिमा प्रदमशथत कयता है |मह ऩयू ी प्रक्रिमा प्रनतवनृ त चाऩ कहराती है |

प्रश्न- 2 अॊत:स्रावी ग्रॊचथमो को नभरका ववहीन ग्रॊचथमाॉ क्मों कहते है ?


उत्तय- क्मोक्रक इनसे ननकारने वारा यसामन (हाभोन) बफना नमरकाओॊ
के सीधे ही यक्त भें मभर जाता है , इस कायण इन्हें नमरका ववहीन ग्रॊधथमाॉ कहते है |
ि०सॊ० नाभ स्थान हाभोन कामब
1- शेष अॊत:स्रावी ग्रन्धथमो ऩय ननमॊत्रण यखना |
वऩमूष (भास्टय) भन्स्तष्क के
1 वऩट्मट
ू याइन हाभोन 2- कभी से शयीय फौना यह जाता है |
ग्रन्धथ अधय तार ऩय
3- अचधकता से शयीय भहाकाम हो जाता है |
कण्ठ के ऩास थाइयौन्क्सन हाभोन 1- शकबया,प्रोटीन व वसा के उऩाऩचम का ननमॊत्रण
थाइयाइड (अवटु)
2 ( H आकाय (फनने के भरए 2- कभी से गरगॊड (घेंघा / गौमटय) योग हो जाता है
ग्रन्धथ
क्रक होती है ) आमोडीन जरुयी) जजसभे गरा पूर जाता है |
अग्न्याशय ग्रन््थ 1- यक्त भें ग्रूकोज क्रक भात्रा का ननमॊत्रण कयना
इधसभु रन व
3 मकृत के ऩास 2- इधसुभरन क्रक कभी से भधुभेह (डामफटीज) योग हो
( लैंगर हे्स द्वीप ) ग्रक
ु ागोन
जाता है |
अचधवक्ृ क 1- सॊकट कारीन ऩरयन्स्थनतमों का साभना कयने को
4 वक्
ृ क के ऊऩय एड्रीनरीन हाभोन
(एडड्रनर) ग्रन्धथ तैमाय कयता है |
वष
ृ ण(नय जनन 1- शि
ु ाणु ननभाबण को प्रेरयत कयना |
5 वष
ृ ण कोष भें टे स्टोंस्टे योन हाभोन
ग्रन्धथ) 2- न्द्वतीयक गौण रैंचगक रऺणों का ननमॊत्रण |
अण्डाशम (भादा गबाबशम के 1- अण्डाणु ननभाबण को प्रेरयत कयना |
6 एस्रोजन हाभोन
जनन ग्रन्धथ) ऩाश्वब भें 2- न्द्वतीयक गौण रैंचगक रऺणों का ननमॊत्रण |
प्रश्न- 3 जधतओ ु भें यासामननक सभधवम कैसे होता है ?
उत्तय- जन्तुओ भें अॊत:स्रावी ग्रॊधथमाॉ मभरती है जजनसे एक प्रकाय का यसामन ननकरता है जजसे हाभोन कहते है मह यक्त भें मभरकय
हभाये शयीय क्रक ववमबन्न क्रिमाववधधमो का ननमॊत्रण कयता है , इसे ही यासामननक सभन्वम कहते है |
जैसे :- 1-वऩमूष ग्रजन्थ से ननकरा हाभोन शयीय क्रक वजृ ध्द को ननमॊबत्रत कयता है |
2- एडड्रनर ग्रजन्थ से ननकरा हाभोन हभें सॊकट कारीन ऩरयजस्थनतमों का साभना कयने को तैमाय कयाता है |
3-अग्न्माशम ग्रजन्थ से ननकरा हाभोन यक्त भें ग्रक
ू ोज क्रक भात्रा का ननमॊत्रण कयता है |
4-इसी प्रकाय जनन ग्रजन्थमो से ननकरा हाभोन शयीय के द्विद्वतयक गौण रैंधगक रऺणों का ननमॊत्रण कयता है |
प्रश्न- 4 आमोडीन मक् ु त नभक क्रक उऩमोग क्रक सराह क्मों दी जाती है ?
उत्तय- शयीय क्रक वजृ ध्द के मरए थाइयौजक्सन हाभोन क्रक आवश्मकता होती है ओय इस हाभोन को फनाने के मरए आमोडीन क्रक आवश्मकता होता
है |इसमरए आमोडीन मुक्त नभक के उऩमोग क्रक सराह दी जाती है ,इसकी कभी से गरगॊड (घेंघा) योग हो जाता है |
प्रश्न- 5 भधुभेम के योचगमों को चचक्रकत्सा इधसुभरन का इधजेक्शन दे कय क्मों क्रक जाती है ?
उत्तय- इन्सुमरन हाभोन क्रक कभी से यक्त भें ग्रूकोज क्रक भात्रा फढ़ जाती है तथा भूत्र के साथ ग्रूकोज फाहय ननकरता है इसे भधुभेम योग कहते
है | यक्त भें ग्रूकोज क्रक भात्रा नहीॊ फढे इसके मरए धचक्रकत्सक योगी को इन्सुमरन का इॊजेक्शन बोजन कयने के आधे घन्टे ऩहरे रगाने क्रक सराह
दे ता है |
प्रश्न- 6 ऩादऩ हाभोन क्मा होते है ?
उत्तय- ऩौधों भें मभरने वारे ऐसे यसामन जो क्रक उसकी वजृ ध्द तथा ववकास को ननमजन्त्रत कयते है ऩादऩ हाभोन कहराते है | जैसे:-
1- ऑक्सीन हाभोन – ऩौधे के अग्र भसये ऩय भभरता है तथा कोभशकाओ क्रक रम्फाई भें वन्ृ ध्द कयता है |
2- न्जब्फेयेभरन – तने क्रक रम्फाई भें वन्ृ ध्द भें सहामक होता है |
3- साइटोकाइननन – कोभशका ववबाजन से सम्फॊचधत है | पर तथा फीजो भें अचधक भभरता है |
4- एन्ब्सभसक अम्र – मह ऩादऩ वन्ृ ध्द को योकता (सधदभभत) है | ऩवत्तमों का भुयझाना इसी हाभोन के कायण होता है |
5- एचथरीन- गैसीम अवस्था भें भभरता है ,तथा कच्चे परो को कृबत्रभ रूऩ से ऩकाने भें सहामक होता है |
प्रश्न- 7 ऩादऩ के प्रकाश क्रक ओय भुड़ने भें कौनसा हाभोन तथा कैसे सहामक होता है ?
उत्तय- ऩादऩ के प्रकाश क्रक ओय भुड़ने भें ऑक्सीन हाभोन सहामक होता है मह प्रकाश के ववऩयीत ददशा भें चरा जाता है जजससे ऑक्सीन वारे
बाग क्रक ओय कोमशका क्रक रम्फाई अधधक फढ़ जाती है ,ओय तना प्रकाश क्रक ओय झुक जाता है मा भुड़ जाता है |
प्रश्न- 8 भानव भन्स्तष्क क्रक सॊयचना व कामब भरखखए |
उत्तय- भजस्तष्क शयीय का भुख्म सभन्वमक (ननमन्त्रण) केन्र्द् है ,इसके भुख्म बाग
1- अग्र भन्स्तष्क - मह सोचने,दे खने,सूॊघने व सभझने का कामथ कयता है |
2- भध्म भन्स्तष्क – कई अनैजच्छक क्रिमाओॊ का ननमन्त्रण कयता है |
3- ऩश्च भन्स्तष्क – इसभें अनु भन्स्तष्क होता है जो शयीय का सन्तुरन
फनाने का कामथ कयता है ,ऩीछे क्रक ओय जस्थत भेडुरा यक्त दाफ, राय
आना व वभन (उल्टी) जैसी अनैजच्छक क्रिमाओॊ का ननमन्त्रण कयता है |

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14

अध्याय-8,जीव जनन कैसे करते है


(1) प्रजनन/जनन:-एक द्विन से उसी का नया िीव बनने की प्रद्विया प्रिनन कहलाती है |
(2) एक पीढ़ी से दूसरी पीढ़ी में लक्षणों को स्थानान्तररत DNA के िारा होता है | ( DNA= डी-ऑक्सीराइबो ्यूक्लीक अम्ल )
(3) यौन संक्रन्मत रोग (STD) –ऐसे रोग िो की यौन सम्पकक िारा फै लते है|
िैसे- िीवाणु िद्वनत STD रोग - द्वसफ़द्वलस ,गोनेररया |
वाइरस िद्वनत STD रोग – एड्स , मस्सा |
(4) जनन स्वास््य – (1) सुरद्वक्षत यौन सम्पकक करना द्विससे यौन संक्रन्मत रोग (STD) से बचा िा सके |
(2) गभक द्वनरोधन के द्वलए सुरद्वक्षत तकनीके अपनाना | िैसे- कन्डोम /द्वनरोध (याद्वन्िक अवरोध ) ,पुरुष में शुि
वाद्वहका अथवा मद्वहला में अंड वाद्वहका को अवरुद्ध करके ,कॉपर –T (शल्य द्विया द्ववद्वध ) का उपयोग कर अथवा गभक द्वनरोधक गोद्वलयों
(रासायद्वनक द्ववद्वध) का उपयोग करना |
(5) न्वन्भ्नता का महत्त्व- िनन के समय िनन कोद्वशकाओं के केन्रक में उपद्वस्थत DNA में प्रद्वतकृद्वत होती है |यह पण ू क रूप से एक
समान नहीं होने से द्ववद्वभन्नताये आती है यद्वद इन द्ववद्वभन्नताओ की मािा अद्वधक होतो यह िैव द्ववकास का आधार बनती है |
प्रजनन/जनन
अलैंन्गक जनन लैंन्गक जनन
(1) िनन प्रद्विया में एक िीव भाग लेता है | (1) िनन प्रद्विया में दो िीव (नर व मादा)भाग लेते है |
(2) सरल प्रद्विया है | (2) िद्विल प्रद्विया है |
(3) युग्मक नहीं बनते है | (3) नर(शुिाणु) व मादा (अंडाणु)युग्मक बनते है |
(4) द्ववद्वधयााँ- द्ववखंडन,द्विद्ववखंडन,बहु द्ववखंडन,पुनरुद्धभवन (4) द्ववद्वध –द्वनषेचन
,मुकुलन ,काद्वयक प्रवधक न व बीिाणु समासंघ
(7) मानव में लैंन्गक जनन :-
नर जनन त्र मादा जनन त्र
(1) वषृ ण कोष में एक िोड़ी (दो) वष ृ ण होते है | (1) एक िोड़ी अंडाशय होते है |
(2) वषृ ण में नर युग्नमक- शुक्राणुओ का द्वनमाक ण होता है | (2) अंडाशय में मादा युग्नमक-अंडाणु का द्वनमाक ण होता है |
(3) वषृ ण से शुक्रवान्हनी नली द्वनकलती है िो शुिाणुओ को (3) अंडाशय से अंड वान्हनी नली द्वनकलती है िो द्वक
शुक्राशय में पंहुचाती है | गभााशय में खल ु ती है |
(4) शुक्राशय में शुिाणु एकि रहते है | (4) गभााशय में भ्रण ू का द्ववकास होता है |
(5) शुक्राशय ,मि ू नद्वलका से िुडा रहता है ,िो द्वक नर इन्री (5) गभाक शय योद्वन मागक िारा बाहर खुलता है | गभाक शय में
(द्वशश्न) िारा बाहर खुलती है |इस प्रकार शुिाणु तथा मि ू का भ्रण
ू अपरा (प्लेस्े टा) िारा माता के गभाक शय से िुड़ा
त्याग नर में एक ही द्विर िारा होता है | रहता है तथा इसी से पोषण,श्वसन,उत्सिक न व रक्त प्राप्त
करता है |
(6) द्विस स्थान पर शुिाशय मि ू नद्वलका में खुलता है वहां पर एक (6) अंड वाद्वहनी में अंडाणु का शुिाणु िारा न्नषेचन होता है
िोड़ी प्रोस्टेट ग्रन््थ पाई िाती है इनसे द्वनकला स्राव शुिाणुओ ं , तथा युग्नमनज का द्वनमाक ण होता है |
का पोषण करता है साथ ही उन्हें गद्वत के द्वलए माध्यम उपलब्ध
कराता है |
(7) वषृ ण से नर िनन हामोन –टेस्टोस्टेरोन स्राद्ववत होता है िो (7) अंडाशय से मादा िनन हामोन –एस्रोजन स्राद्ववत
द्वक शुिाणु द्वनमाक ण को प्रेररत करता है तथा द्वितीयक-गौण होता है िो द्वक अंडाणु द्वनमाक ण को प्रेररत करता है तथा
लैंद्वगक लक्षणों का द्वनयन्िण करता है | द्वितीयक-गौण लैंद्वगक लक्षणों का द्वनयन्िण करता है |

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(8) क्या होता है जब अंड का न्नषेचन नहीं होता है – यद्वद अंड का द्वनषेचन नहीं होता है
तो उस द्वस्थद्वत में गभाक शय की आतंररक द्वभद्वि िो की गभक धारण के द्वलए तैयार हु ई थीं ,
वह िूि कर रक्त स्राव के रूप में योद्वन मागक िारा बाहर द्वनकलती है इस प्रद्विया को
ऋतु-स्राव / रजोधमा /मान्सक धमा कहते है |
(9) पादप में लैंन्गक जनन:-
(1) पौधे का िनन भाग पुष्प होता है
(2) नर जननांग –पुक ं े सर ( इनमे नर युग्मक-परागकण बनते है )
(3) मादा जननांग- स्त्रीकेसर ( इनमे अण्डाशय के बीिाण्ड में अंड
कोद्वशका –मादा युग्मक होती है |)
(4) परागण- परागकण का स्त्रीकेसर की वद्वतककाग्र तक पहु ंचना |
दो प्रकार से हो सकता है-
(a) स्वपरागण :- अपने ही पुष्प की वद्वतककाग्र तक परागकणों का पहु ाँचना |
(b) परपरागण :- एक पुष्प के परागकणों का दूसरे पुष्प की वद्वतककाग्र तक पहु ाँचना |
(5) परागकण का अंकुरण – वद्वतककाग्र पर परागकण से परागनली का द्वनमाक ण होता है
िो की वद्वतकका से होती हु ई अण्डाशय के बीिाण्ड में प्रवेश करती है |
(6) न्नषेचन- बीिाण्ड में नर युग्मक व अंड कोद्वशका के द्वमलने से द्वनषेचन होता है
,द्विससे युग्मनि बनता है िो बीज के रूप में द्ववकद्वसत होता है िबद्वक अण्डाशय फल में
बदल िाता है | बीि भ्रण ू होता है |

अध्माम-9 आनुवॊभशकता एवॊ जैव ववकास


1- भें डर को आनव
ु ॊभशकी का जनक कहते है |
2- भें डर ने अऩने आनुवॊभशकी/सॊकयण प्रमोगों के भरए भटय के ऩौधे का उऩमोग क्रकमा था | क्मोक्रक इसभें अनेक ववऩमाबसी
रऺण भभरते है, न्जससे सॊकयण प्रमोग के ऩरयणाभ जल्दी व आसानी से भभर गए थे | xx
X X
3- भानव (भनष्ु म) भें भरॊग ननधाबयण:-
XY
ऩुरुष भें XY जफक्रक स्त्री भें XX भरॊग गुणसूत्र भभरते है | भानव भें भरॊग ननधाबयण
के भरए ऩुरुष (वऩता) न्जम्भेदाय होता है न की स्त्री (भाता) क्मोक्रक ऩत्र
ु ऩैदा होने के भरए X XX XX
आवश्मक Y गुणसूत्र ऩुरुष के ऩास होता है |
इस प्रकाय 50 प्रनतशत ऩुत्र (XY) तथा 50 प्रनतशत ऩुत्री (XX) होने की सॊबावना यहती है | Y XY XY
4- उऩान्जबत रऺण:- ऐसे रऺण जो की जीव अऩने जीवन कार भें प्राप्त कयता है,उधहें उऩान्जबत रऺण कहते है |
5- आनव ु ॊभशक रऺण:- ऐसे रऺण जो जीव भें जधभजात होते है, उधहें आनुवॊभशक रऺण कहते है |
6- नई स्ऩीशीज के उदबव (उत्ऩन) होने के भरए बौगोभरक प्रथक्कयण सफसे भहत्वऩूणब है |
7- सभजात अॊग :- ऐसे अॊग न्जनकी उत्ऩवत्त सभान होती है , जफक्रक कामब अरग-अरग होते है, उधहें सभजात अॊग कहते है |
जैसे:-ऩऺी के ऩॊख तथा भनुष्म के हाथ की उत्ऩवत्त सभान होती है,जफक्रक कामब अरग-अरग होते है,अत: मह सभजात अॊग
है |
8- सभरूऩ अॊग :- ऐसे अॊग न्जनकी उत्ऩवत्त अरग-अरग होती है, जफक्रक कामब सभान होते है, उधहें सभरूऩ अॊग कहते है |
जैसे:- ऩऺी के ऩॊख तथा नततरी के ऩॊख दोनों की उत्ऩवत्त अरग-अरग होती है,जफक्रक कामब सभान होते है,अत: मह सभरूऩ
अॊग है |
9- जीवाश्भ (पौभसर) :- जफ भत
ृ जीव की छाऩ जभीन भें दफने के फाद सुयक्षऺत यहे तो भत
ृ जीव की इस छाऩ को जीवाश्भ
कहते है | जीवाश्भ क्रकतना ऩुयाना है इसकी जाॊच दो प्रकाय से कय सकते है एक तो है “ पौभसर काफबन डेहटॊग ” तथा
दस
ू या तयीका है की जीवाश्भ जभीन के अॊदय क्रकतनी गहयाई ऩय भभर यहा है | जीवाश्भ न्जतनी अचधक गहयाई भें भभरेगा
वह उतना ही अचधक ऩयु ाना होगा |
10- आधुननक भानव स्ऩीशीज “ होभो सेवऩमधस ” कहराती है |
आधुननक भानव स्ऩीशीज का उद्दबव (उत्ऩवत्त) “ अफ्रीका “ से हुआ भाना जाता है |

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अध्याय-10,प्रकाश का परावतान एवं अपवतान


दपाण

समतल दपाण गोलीय दपाण


(परावतक क पष्ठ
ृ समतल होता है ) (परावतक क पष्ठ
ृ विाकार/गोलीय होता है)

फोकस दूरी –वक्रता न्रज्या में सम्ब्ध अवतल दपाण उत्तल दपाण
उपयोग:- उपयोग:-
विता द्विज्या (1) वाहनों के अग्र द्वीपों (हेड लाईट) में वाहनों के साईड-ग्नलास में
(2) दन्त द्वचद्वकत्सक इन्हें लगाते है ,क्योद्वक
फोकस दूरी =
(3) सौर भट्टी में इनका दृद्वि क्षैि अद्वधक
2 (4) शेद्ववंग दपक ण में होता है तथा इनसे हमेशा
सीधा प्रद्वतद्वबम्ब बनता है |
प्रन्तन्बम्ब न्नमााण :- (अवतल दपाण द्वारा ) प्रन्तन्बम्ब न्नमााण :-
(1) जब वस्तु अन्त पर हो – वास्तद्ववक,उल्िा,द्वबन्दु आकार का व फोकस द्वबन्दु पर बनता है | (उत्तल दपाण द्वारा )
(2) जब वस्तु अन्त एवं वक्रता के्र के मध्य हो- वास्तद्ववक,उल्िा,िोिा व विता केन्र एवं फोकस द्वबन्दु प्रद्वतद्वबम्ब हमेशा सीधा,
के मध्य बनता है | आभासी एवं िोिे आकार का व
(3) जब वस्तु वक्रता के्र पर हो- वास्तद्ववक,उल्िा,द्वबम्ब के समान आकार का व विता केन्र पर बनता है | दपक ण के पीिे बनता हु आ
(4) जब वस्तु वक्रता के्र एवं फोकस न्ब्दु के मध्य हो- वास्तद्ववक, उल्िा,बड़ा व विता केन्र एवं अनन्त प्रतीत होता है |
के मध्य बनता है |
(5) जब वस्तु फोकस न्ब्दु पर हो- वास्तद्ववक,उल्िा, अत्यद्वधक बड़ा व अनन्त पर बनता है |
(6) जब वस्तु फोकस न्ब्दु एवं ध्रुव के मध्य हो-आभासी,सीधा ,बड़ा व दपक ण के पीिे बनता हु आ प्रतीत होता है |
दपाण सूर एवं गोलीय दपाणों के न्लए कातीय न्च्ह पररपाटी
f = दपक ण के ध्रुव से फोकस द्वबन्दु के बीच की दूरी रान्श अवतल दपाण उत्तल
1 1 1 u = दपक ण के ध्रुव से द्वबम्ब / वस्तु के बीच की दूरी दपाण
v = दपक ण के ध्रुव से प्रद्वतद्वबम्ब के बीच की दूरी
f v u

गोलीय दपाणों के न्लए कातीय न्च्ह पररपाटी:- वक्रता न्रज्या - ve + ve


(1) द्वनदे शांक ज्याद्वमद्वत अनस
ु ार गणना की िाती है | फोकस दरू ी - ve + ve
(2) बााँयी ओर की गणना में ऋणात्मक िबद्वक दााँयी ओर धनात्मक द्वचन्ह न्बम्ब की ऊचाई (h) + ve + ve
(3) मुख्य अक्ष से ऊपर धनात्मक िबद्वक नीचे की ओर ऋणात्मक द्वचन्ह प्रन्तन्बम्ब की ऊचाई (h’) आभासी के समय +ve + ve
वास्तद्ववक के समय -ve
(4) वस्त/ु द्वबम्ब हमेशा बााँयी तरफ रखी िाती है | न्बम्ब की ध्रुव से दूरी (u) - ve + ve
प्रन्तन्बम्ब की ऊचाई (h’) v प्रन्तन्बम्ब की ध्रुव से दूरी (v) आभासी के समय +ve + ve
वास्तद्ववक के समय -ve
आवधान (m) = =
आवधान ( m ) आभासी के समय +ve + ve
न्बम्ब की ऊचाई (h) u वास्तद्ववक के समय -ve
प्रश्न:- आभासी तथा वास्तन्वक प्रन्तन्बम्ब में अ्तर बताईए ?
उत्तर:
आभासी प्रन्तन्बम्ब वास्तन्वक प्रन्तन्बम्ब
(1) प्रन्तन्बम्ब हमेशा सीधा बनता है | (1) प्रन्तन्बम्ब हमेशा उल्टा बनता है |
(2) प्रन्तन्बम्ब परदे पर प्राप्त नहीं न्कया जा सकता है | (2) प्रन्तन्बम्ब परदे पर प्राप्त न्कया जा सकता है |
प्रश्न:- समतल दपाण से बने प्रन्तन्बम्ब की प्रकृन्त बताइये ?
उत्तर:- समतल दपक ण से बना प्रद्वतद्वबम्ब हमेशा आभासी,सीधा ,वस्तु (द्वबम्ब) के समान आकार का तथा पाश्वक परावतक न होता है |
परावतान अपवतान
पररभाषा:- प्रकाश द्वकरण का द्वकसी अवरोध से िकराकर पररभाषा:- प्रकाश द्वकरण िब एक माध्यम से दूसरे माध्यम में प्रवेश करती है
उसी माध्यम में लौि आना , परावतक न कहलाता है | तो वह अपने पथ से द्ववचद्वलत हो िाती है ,इस घिना को अपवतक न कहते है |
अपवतान का कारण :- प्रकाश द्वकरण के वेग में पररवतक न से
परावतान के न्नयम:- (1) आपद्वतत द्वकरण, परावद्वतकत द्वकरण अपवतान के न्नयम:- (1) आपद्वतत द्वकरण,अपवद्वतकत द्वकरण व अद्वभलम्ब तीनो
व अद्वभलम्ब तीनो एक तल में होते है | एक तल में होते है |
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(3) आपतन कोण ( i) = परावतक न कोण ( r ) (2) स्नेल का अपवतान न्नयम :- आपतन कोण की ज्या तथा अपवतक न कोण
आपन्तत न्करण अन्भलम्ब परावन्तात न्करण की ज्या का अनुपात द्वनद्वित माध्यम युग्म के द्वलए द्वस्थर रहता है ,द्विसे दूसरे
माध्यम का प्रथम माध्यम के सापेक्ष अपवतानांक कहते है |
i r sin i प्रथम माध्यम में प्रकाश की चाल v1
अपवतक नांक = = = द्वस्थरांक
sin r न्द्वतीय माध्यम में प्रकाश की चाल v2

माध्यम :- उत्तल लैंस अवतल लैंस


(1) सघन माध्यम – कण पास-पास (ठोस/कााँच) (अन्भसारी लैंस (अपसारी लैंस भी
(2) न्वरल माध्यम – कण दूर-दूर (गैस/वाय)ु भी कहते है) कहते है)
ठोस-रव यग्नु म में रव न्वरल माध्यम है | जबन्क उपयोग:- उपयोग:-
(1) वस्तुओ को (1) द्वनकि दृद्वि दोष
रव-गैस यग्नु म में रव सघन माध्यम है | बड़ा दे खने के द्वनवारण में
(A) प्रकाश न्करण का न्वरल से सघन माध्यम में प्रवेश / द्वलए दूरदशी,
(वायु से कााँच अथवा पानी से कााँच में) – इस समय प्रकाश द्वकरण सक्ष्ू मदशी ,
का वेग कम हो िाने से अपवतक न के बाद प्रकाश द्वकरण अद्वभलम्ब दूरबीन में
की ओर झुकती है | (2) दूर दृद्वि दोष
(B) प्रकाश न्करण का सघन से न्वरल माध्यम में प्रवेश / द्वनवारण में
(कााँच से वायु अथवा कााँच से पानी में) – इस समय प्रकाश द्वकरण
का वेग बढ़ िाने से अपवतक न के बाद प्रकाश द्वकरण अद्वभलम्ब से दूर
िाती है अथवा अद्वभलम्ब से परे हिती है |
प्रन्तन्बम्ब न्नमााण :- (उत्तल लैंस द्वारा ) प्रन्तन्बम्ब न्नमााण :-
(1) जब वस्तु अन्त पर हो – वास्तद्ववक,उल्िा,द्वबन्दु आकार का व फोकस द्वबन्दु पर बनता है | (अवतल लैंस द्वारा )
(2) जब वस्तु अन्त एवं वक्रता के्र के मध्य हो- वास्तद्ववक,उल्िा,िोिा व विता केन्र एवं फोकस द्वबन्दु प्रद्वतद्वबम्ब हमेशा सीधा,
के मध्य बनता है | आभासी एवं िोिे आकार का
(3) जब वस्तु वक्रता के्र पर हो- वास्तद्ववक,उल्िा,द्वबम्ब के समान आकार का व विता केन्र पर बनता है | होता है |
(4) जब वस्तु वक्रता के्र एवं फोकस न्ब्दु के मध्य हो- वास्तद्ववक, उल्िा,बड़ा व विता केन्र एवं
अनन्त के मध्य बनता है |
(5) जब वस्तु फोकस न्ब्दु पर हो- वास्तद्ववक,उल्िा, अत्यद्वधक बड़ा व अनन्त पर बनता है |
(6) जब वस्तु फोकस न्ब्दु एवं ध्रुव के मध्य हो- आभासी,सीधा ,बड़ा व वस्तु/द्वबम्ब की ओर ही बनता हु आ
प्रतीत होता है |
लैंस सूर एवं गोलीय लैंसो के न्लए कातीय न्च्ह पररपाटी
f = लैंस के केंर से फोकस द्वबन्दु के बीच की दूरी रान्श उत्तल लैंस अवतल
1 1 1 u = लैंस के केंर से द्वबम्ब / वस्तु के बीच की दूरी लैंस
v = लैंस के केन्र से प्रद्वतद्वबम्ब के बीच की दूरी वक्रता न्रज्या + ve - ve
f v u
फोकस दूरी + ve - ve
गोलीय लैंसो के न्लए कातीय न्च्ह पररपाटी:- न्बम्ब की ऊचाई (h) + ve + ve
(1) द्वनदे शांक ज्याद्वमद्वत अनस
ु ार गणना की िाती है | प्रन्तन्बम्ब की ऊचाई (h’) आभासी के समय +ve + ve
वास्तद्ववक के समय -ve
(2) बााँयी ओर की गणना में ऋणात्मक िबद्वक दााँयी ओर धनात्मक द्वचन्ह न्बम्ब की प्रकाशीय के्र से - ve - ve
(3) मुख्य अक्ष से ऊपर धनात्मक िबद्वक नीचे की ओर ऋणात्मक द्वचन्ह दूरी (u)
(4) वस्त/ु द्वबम्ब हमेशा दााँयी तरफ रखी िाती है | प्रन्तन्बम्ब की प्रकाशीय आभासी के समय -ve - ve
के्र से दूरी (v) वास्तद्ववक के समय +ve
प्रन्तन्बम्ब की ऊचाई (h’) v आवधान ( m ) आभासी के समय +ve + ve
वास्तद्ववक के समय -ve
आवधान (m) = =
लैंस की क्षमता (p) + ve - ve
न्बम्ब की ऊचाई (h) u
प्रश्न:- लैंस की क्षमता को समझाइये ?
उत्तर- (1) लैंस की फोकस दूरी के व्युत्िम ( 1/f ) को लैंस की क्षमता ( P) कहते है | P = 1/f

(2) लैंस की क्षमता का SI मािक डाइऑप्टर (D) होता है | एक डाइऑप्टर (D) = 1 प्रन्त मीटर अथवा 1 m होता है |
(3) यद्वद एक से अद्वधक लैंस एक िम में लगे हो तो कुल क्षमता P = P 1 + P 2 + P ३ + ......................... होगी |

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अध्माम-11 भानव नैत्र तथा यॊ गबफयॊ गा सॊसाय


1- सभॊजन ऺभता:- भानव नैत्र का रेंस ऩास व दयू की चीजे दे खने के मरए अऩनी पोकस दयू ी को सभामोजजत कय
सकता है , इसे नैत्र की सभॊजन ऺभता कहते है |
2- ननकट बफधद ु :- नैत्र से वह कभ से कभ दयू ी जहाॉ ऩय यखी वस्तु साफ़ ददखाई दे , उसे नैत्र का ननकट बफन्द ु कहते है|
भानव नैत्र के मरए ननकट बफधद ु 25 cm होता है, इससे कभ दयू ी ऩय यखी वस्तु साफ़ ददखाई नहीॊ दे ती है |
3- दयू बफधद ु :- नैत्र से वह अधधकतभ दयू ी जहाॉ ऩय यखी वस्तु साफ़ ददखाई दे , उसे नैत्र का दयू बफन्द ु कहते है |
भानव नैत्र के मरए दयू बफधद ु अनधत ऩय होता है |
4- ननकट द्रन्ष्ट दोष दयू /दीघब द्रन्ष्ट दोष
1- ऩास का साफ़ ददखाई दे ता है | 1 - दयू का साफ़ ददखाई दे ता है |
2- दयू का साफ़ ददखाई नहीॊ दे ता है | 2 - ऩास का साफ़ ददखाई नहीॊ दे ता है |
3- प्रनतबफम्फ ये दटना(र्द्जष्ट ऩटर) के साभने फनता है | 3 - प्रनतबफम्फ ये दटना(र्द्जष्ट ऩटर) के ऩीछे फनता है |
4- इस दोष को दयू कयने के मरए अवतर रेंस 4 - इस दोष को दयू कयने के मरए उत्तर रेंस
(अऩसायी रेंस) काभ भें रेते है | (अभबसायी रेंस) काभ भें रेते है |
5- जया-दयु द्रन्ष्टता:- उम्र फढ़ने के साथ नैत्र की सभॊजन ऺभता कभ हो जाती है , जजससे दयू व ऩास दोनों जगहों का
साफ़ नहीॊ ददखता है , क्मोक्रक इस सभम नैत्र की ऩेमशमा कभजोय हो जाती है | ऐसे रोग द्ववपोकसी रेंस का
उऩमोग कयते है | इसभें ऊऩय का रेंस अवतर रेंस होता है जफक्रक नीचे वारा उत्तर रेंस होता है |
6- वणब-ववऺेऩण:- जफ श्वेत (सफ़ेद) प्रकाश वप्रज्भ ऩय ऩड़ता है , तो वह सात यॊ गों भें फट जाता है इसे प्रकाश का
वणथ ववऺेऩण कहते है | फयसात के ददनों भें इन्र्द्धनष
ु वणथ-ववऺेऩण के कायण ही फनता है |
7- इधद्रधनष
ु का फनना :-फयसात के ददनों भें वामभ
ु ड
ॊ र भें उऩजस्थत जर की छोटी फॊद
ू े वप्रज्भ की तयह कामथ कयती
है | जफ इन ऩय सम ू थ का प्रकाश ऩड़ता है तो वणथ-ववऺेऩण के कायण इन्र्द्धनषु फनता है |
8- प्रकाश का प्रकीणबन :- जफ प्रकाश की क्रकयणें वामभु ड
ॊ र भें उऩजस्थत कोराइड कणों ऩय ऩड़ती है तो वह सबी
ददशाओॊ भें ऩयावनतथत हो जाती है , इसे प्रकाश का प्रकीणथन कहते है | आकाश का नीरा यॊ ग, सभन्ु र्द् का हया यॊ ग,
दटॊडर प्रबाव, सम
ू ोदम व सम ू ाथस्त के सभम सम
ू थ का यक्ताब (रार) नजय आना प्रकाश के प्रकीणथन के कायण
होता है |
9- हटॊडर प्रबाव :- कोराइड घोर भें प्रकाश क्रकयण का ऩथ नजय आना दटॊडर प्रबाव कहराता है |मह प्रकाश के
प्रकीणथन के कायण होता है |प्रक्रकखणथत प्रकाश का यॊ ग कोराइड घोर के कणों के साइज ऩय ननबथय कयता है |छोटे
कण नीरे प्रकाश का प्रकीणथन कयते है जफक्रक फड़े कण रार प्रकाश का प्रकीणथन कयते है | योशनदान से प्रकाश
का ऩथ नजय आना, घने जॊगर भें ऩवत्तमों के फीच से प्रकाश का ऩथ नजय आना(ववतान) मह सबी दटॊडर प्रबाव
के उदाहयण है |
10- वामभ
ु ड
ॊ रीम अऩवतबन :- वामभ
ु ड
ॊ र भें अरग-अरग घनत्व की ऩयते होती है जजससे जफ प्रकाश क्रकयणे इनसे
गज
ु यती तो इनका फाय फाय अऩवतथन होता है , जजसे वामभ
ु ड
ॊ रीम अऩवतथन कहते है | इससे ही ताये दटभदटभाते
हुए नजय आते है ,इसी से अधग्रभ समू ोदम (सम
ू थ उगने से ऩहरे नजय आना), ववरॊबफत सम ू ाथस्त (सम
ू ाथस्त होने के
फाद बी कुछ सभम तक सम ू थ का नजय आना) नजय आता है | जफक्रक वास्तववक सम ू ोदम 2 मभनट का अॊतय
होता है | तथा वास्तववक सम
ू ाथस्त भें बी 2 मभनट का अॊतय होता है |
11- अधधक उच्चाई ऩय उड़ते माबत्रमों व अॊतरयऺ माबत्रमों को आकाश कारा ददखाई दे ता है क्मोक्रक वहाॊ ऩय वामभ
ु ड
ॊ र
नहीॊ होने से प्रकीणथन साफ़ नहीॊ होता है |
12- खतये के ननशान (सॊकेत) रार यॊ ग के होते है क्मोक्रक रार यॊ ग का प्रकीणथन कोहये भें सफसे कभ होता है जजससे
वह रार यॊ ग दयू से बी ददखाई दे ता है |

धचत्र - प्रकाश का वणब ववऺेऩण धचत्र - भानव नैत्र

PAWAN KUMAR SHARMA, LECTURER in Chemistry (M.Sc.,NET,B.Ed.)Govt.Sr.Sec.School-Mangaliyawas(AJMER)


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अध्माम-12 ववधुत
प्रश्न-1 घयो भें आने वारी ववधुत का ववबव तथा आवनृ त क्रकतनी होती है ?
उत्तय- घयो भें आने वारी ववधुत का ववबव 220 V तथा आवनृ त 50 Hz होती है |
प्रश्न-2 ववधुत ऩरयऩथ भें फ्मज
ु का क्मा भहत्व है ?
उत्तय- फ्मज
ु अल्ऩ गरनाॊक का ताय होता है जो क्रक ऩरयऩथ भें रोड फढ़ने (अनतबायण) ऩय वऩघर जाता है जजससे
ऩरयऩथ भें ववधत
ु धाया का प्रवाह फन्द हो जाता है मदद मह नहीॊ रगा होता तो ऩरयऩथ जरने का डय यहता | इस प्रकाय
फ्मज
ु रगे होने से ऩरयऩथ भें रगे ववधुत उऩकयण अनतबायण क्रक जस्थनत भें जरने (खयाफ होने) से फच जाते है | फ्मज

को ऩरयऩथ भें श्रेणी िभ भें रगाते है |
प्रश्न-3 अनतबायण तथा रघऩ
ु थन से क्मा तात्ऩमब है ?
उत्तय- जफ ऩरयऩथ क्रक ववधुत धायण ऺभता से अधधक शजक्त के ववधुत उऩकयणों को एक साथ चरा ददमा जाता है तो
ऩरयऩथ के ताय गभथ हो जाते है इसे अनतबायण (ओवय रोड) कहते है | इस सभम मदद ऩरयऩथ भें फ्मज
ु नहीॊ रगा हो
तो ऩरयऩथ के तायो के गभथ होने से उन ऩय रगा कुचारक ऩदाथथ वऩघरने से पेज तथा न्मट्र
ू र ताय ऩास आ जाते है
ओय धचन्गारयमा ननकरती है तथा ऩरयऩथ जर जाता है इसे शॉटब सक्रकबट (रघऩु थन) कहते है | इस प्रकाय रघऩ
ु थन से
आग रगने का डय यहता है |
प्रश्न-4 फल्फ का तॊतु क्रकस धातु का फना होता है ?
उत्तय- फल्फ का तन्तु टॊ गस्टन धातु का फना होता है , इसका गरनाॊक उच्च होने से मह वऩघरता नहीॊ है | साथ ही इसभे
नाइट्रोजन व आगथन जैसी अक्रिम गैसे बयी होती है जजससे इसकी राइप (उभय) फढ़ती है |
प्रश्न-5 ओभ का ननमभ क्मा है ?
उत्तय- ननमत ताऩ ऩय क्रकसी चारक ताय के मसयों के फीच ववबवान्तय उसभे प्रवादहत होने
वारी ववधुत धाया के सभानऩ
ु ाती होता है |
महाॉ ऩय V = ववबव (भात्रक= वोल्ट)
I = ववधुत धाया (भात्रक= एन्म्ऩमय)
R = प्रनतयोध (भात्रक= ओभ)

प्रश्न-6 प्रनतयोध क्रकसे कहते है तथा मह क्रकन कायको ऩय ननबबय कयता है ?


उत्तय- ववधत ु धाया प्रवाह का ववयोध कयने वारी मजु क्त को प्रनतयोध कहते है |चारक ताय का प्रनतयोध
फढ़ने के साथ उसभे से प्रवादहत होने वारी ववधुत धाया का भान घटता है | क्रकसी चारक ताय का
प्रनतयोध उसकी प्रकृनत,रम्फाई, अनुप्रस्थ काट ऺैत्रपर तथा ताऩ ऩय ननबबय कयता है | क्रकसी चारक
ताय का प्रनतयोध उसकी रम्फाई फढाने ऩय फढ़ता है , जफक्रक भोटाई फढाने ऩय घटता है |

महाॉ ऩय l = रम्फाई
A= ऺैत्रपर, p = प्रनतयोधकता
प्रश्न-7 अभीटय तथा वोल्टभीटय भें ववबेद कीन्जए |
उत्तय- अभीटय वोल्टभीटय
1- ववधुत धाया भाऩता है | 1- ववबव भाऩता है |
2- श्रेणी िभ भें जोड़ते है | 2- सभान्तय िभ भें जोड़ते है |
3- प्रनतयोध अल्ऩ होता है | 3- प्रनतयोध उच्च होता है |

प्रश्न-8 घयो भें ववधत


ु उऩकयण क्रकस िभ भें रगे होते है ,ओय क्मों ?
उत्तय- सभाधतय िभ (ऩाश्वब िभ) भें रगे होते है इस िभ भें रगे होने का राब मह है , क्रक-
(1) इस सभम प्रत्मेक ववधुत उऩकयण को सभान ववबव मभरता है |
(2) कोई एक उऩकयण ख़याफ हो जाने ऩय ऩरयऩथ भें ववधुत धाया का प्रवाह फन्द नहीॊ होता है |

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प्रश्न-9 श्रेणी तथा सभाधतय (ऩाश्वब) िभ सॊमोजन क्रक तुरना कयो |


उत्तय- श्रेणी िभ सभाधतय (ऩाश्वब)िभ
1- सबी प्रनतयोध एक श्रॊखरा भें जड़
ु े होते है | 1- सबी प्रनतयोधो के ऩाश्वथ मसये आऩस भें जड़
ु े होते है |
2- सबी प्रनतयोधो ऩय धाया का भान सभान | 2- सबी प्रनतयोधो ऩय धाया का भान अरग-अरग |
3- सबी प्रनतयोधो ऩय ववबव का भान असभान | 3- सबी प्रनतयोधो ऩय ववबव का भान सभान |
4- इस सभम अचधकतभ प्रनतयोध मभरता है | 4- इस सभम धमन
ू तभ प्रनतयोध मभरता है |
5- R = R1 + R2 + R3 + ............. 5- 1 1 1 1

R R1 R2 R3
प्रश्न-10 ववधुत धाया का ताऩीम प्रबाव (जूर का ताऩन ननमभ) क्मा है ?
उत्तय- ववधुत ऊजाथ का ताऩीम ऊजाथ भें फदरना ववधुत धाया का ताऩीम प्रबाव (जूर का ताऩन ननमभ) कहराता है |इसका
उऩमोग ववधुत हीटय, इस्त्री ववधुत केतरी ,ऩानी गभथ कयने क्रक छड आदद भें होता है | फ्मज ु बी जूर का ताऩन ननमभ
ऩय कामथ कयता है | t सभम भें क्रकसी R प्रनतयोध भें I ववधुत धाया प्रवादहत कयने ऩय उत्ऩन्न ऊष्भा (H) को ननम्न
प्रकाय दशाथते है – H = I2Rt
ववधुत ऊष्भा (H) का भात्रक= जूर होता है | मदद सभम घन्टे अथवा मभनट भें दे यखा हो तो उसे ऩहरे सैकेण्ड भें
फदरना है |सभम मभनट भें हो तो सैकेण्ड भें फदरने के मरए, दी गए मभनट क्रक सॊख्मा को 60 से गुणा कयते है ,जफक्रक मदद सभम
घन्टे भें ददमा हो तो इसे सैकेण्ड भें फदरने के मरए, दी गई घन्टे क्रक सॊख्मा को 60x60=3600 से गुणा कयते है |
प्रश्न-11 ववधत
ु शन्क्त से क्मा तात्ऩमब है ?
उत्तय- ववधतु ऩरयऩथ भें आवेश द्वाया एकाॊक सभम भें क्रकमा गमा कामथ ववधत
ु शजक्त कहराता है |
P = W/t चूॊक्रक V = W/Q अथवा W = VQ
अत: P = VQ/t चूॊक्रक I = Q/t (महाॉ Q = आवेश है न्जसका भात्रक कूराभ होता है )
अत: P = VI शजक्त का भात्रक वाट होता है |
प्रश्न-12 ववधुत ऊजाब क्रकसे कहते है ?
उत्तय- ववधुत शजक्त तथा सभम के गण ु नपर को ववधुत ऊजाथ कहते है | ववधुत शजक्त का व्माऩारयक भात्रक क्रकरो वाट
घधटा (kWh) होता है | घयो भें होने वारे ववधत
ु खचथ को क्रकरो वाट घधटा (kWh) भें भाऩा जाता है |
ववधतु ऊजाथ = शजक्त X सभम (एक क्रकरो वाट घधटा (kWh) ,एक मनू नट के फयाफय होता है |)
प्रश्न-13 एक क्रकरो वाट घधटा (kWh) क्रकतने जूर के फयाफय होता है ?
उत्तय- 1 kWh = 1000 x वाट x 60 x 60 सैकेण्ड
(चूॊक्रक क्रकरो = 1000 तथा एक घधटा = 60 x 60 = 3600 सैकेण्ड)
= 3600000 वाट सैकेण्ड (1 kWh = 3.6 x 106 जूर)
प्रश्न-14 क्रकसी ववधत ु उऩकयण द्वाया हदए गए हदनों भें खचब ववधत
ु ऊजाब तथा खचब क्रक गणना कयना |
उत्तय- ददए गए ददनों भें खचथ ववधत
ु ऊजाथ = शन्क्त x प्रनतहदन उऩमोग आने वारा सभम x कुर हदनों क्रक सॊख्मा
( मनू नट भें ) 1000
(नोट :- प्रनतददन उऩमोग आने वारे सभम को घन्टे भें रेना है ,मदद सभम सैकेण्ड अथवा मभननट भें ददमा गमा है तो
उसे घन्टे भें फदरना होगा )
खचब ववधत
ु ऊजाब का भल्
ू म = कुर खचब मनू नट x एक मनू नट का भल्
ू म
*न्वन्भ्न भौन्तक रान्शयााँ एवं उनकी इकाईयााँ(मारक):-
रान्श इकाई/भात्रक
द्ववद्यत ु आवेश कूलाम
द्ववद्युत धारा एद्वम्पयर
द्ववभव वोल्ि
कायक /ऊिाक /द्ववद्यत ु ऊष्मा िल ू
द्ववद्युत शद्वक्त वाि
प्रद्वतरोध ओम
चम्ु बकीय क्षैि की तीव्रता ऑरस्टेड
लैंस की क्षमता डाइऑप्टर

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अध्याय-13, द्ववद्युत धारा के चुम्बकीय प्रभाव


(1) िब द्वकसी चालक तार में द्ववद्युत प्रवाद्वहत करते है तो उसके चारो ओर
चुम्बकीय क्षैि उत्पन्न हो िाता है ,इसका सवक प्रथम अध्ययन ऑरस्टेड
वैज्ञाद्वनक ने द्वकया तथा इस घिना के समय उत्पन्न चम्ु बकीय क्षैि की
द्वदशा दन्क्षण हस्त अंगुष्ठ न्नयम (मैक्सवेल का कॉका - स्क्रू न्नयम) से
ज्ञात करते है |
(2) दन्क्षण हस्त अंगष्ठ ु न्नयम (मैक्सवेल का कॉका - स्क्रू न्नयम) :-
चालक तार को दद्वक्षण हस्त (सीधे हाथ ) में इस प्रकार पकडे की
अंगठ ू े की द्वदशा द्ववद्युत धारा की द्वदशा में हो ,तो अंगुद्वलयों का
घुमाव उत्पन्न चुम्बकीय क्षैि की द्वदशा को प्रदद्वशकत करता है |
चालाक तार में धारा की द्वदशा द्ववपरीत करने पर उत्पन्न
चुम्बकीय क्षैि की द्वदशा भी द्ववपरीत हो िाती है |
(3) चुम्बकीय क्षेि की तीव्रता का मािक ऑरस्टेड है |
(4) चुम्बकीय क्षेि एक सद्वदश राद्वश है क्योद्वक इसकी द्वदशा व पररणाम दोनों होते है |
प्रश्न-1 चुम्बकीय क्षैि रे खाओं की द्ववशेषताए बताइये ?
उिर- (1) चुम्बक के बाहर इनकी द्वदशा उिरी ध्रुव से दद्वक्षण ध्रुव की और होती है |
िबद्वक चुम्बक के अन्दर इनकी द्वदशा दद्वक्षण ध्रुव से उिरी ध्रुव की और होती है |
(2) यह एक बन्द वि बनाती है |
(3) यह ध्रुवो पर पास–पास होती है ,िबद्वक दूरी बढ़ने पर इनके मध्य भी दूरी बढती है |
(4) यह एक दूसरे को कही पर भी नहीं कािती (प्रद्वतच्िे दीत ) है |
प्रश्न-2 चुम्बकीय क्षैि रे खाऐ एक दूसरे को कही पर भी नहीं कािती है ,क्यों ?
उिर- चम्ु बकीय क्षैि रे खाऐ एक दूसरे को कही पर भी नहीं कािती है क्योद्वक यद्वद ऐसा होता तो कािने वाले स्थान पर चम्ु बकीय क्षैि की दो
द्वदशाये होती िो द्वक सम्भव नहीं है |
प्रश्न-3 पररनाद्वलका (सोलोनाइड ) क्या होती है ?
उिर- द्ववद्युतरोधी तांबे के तार से बेलन के आकार में द्वलपिी हु ई अनेक फेरो वाली कुण्डली को पररनाद्वलका कहते है | िब इसके दोनों द्वसरे
बैिरी से िोड़े िाते है तो यह एक चुम्बक की तरह कायक करती है | इस समय इसका एक द्वसरा उिरी ध्रुव की तरह िबद्वक दूसरा द्वसरा दद्वक्षण
ध्रुव की तरह कायक करता है |
प्रश्न-4 द्वकसी धारावाही चालक तार को चुम्बकीय क्षेि में रखने पर उसपर लगने वाले बल की
द्वदशा द्वकस प्रकार ज्ञात करते है ?
उिर- फ्लेन्मंग के वाम हस्त न्नयम के िारा द्वकसी धारावाही चालक तार को चुम्बकीय क्षैि में
रखने पर उत्पन्न बल की द्वदशा ज्ञात की िा सकती है | इसके अनुसार यद्वद वाम हस्त (उल्िे
हाथ ) की तिक नी, मध्यमा व अंगठ ू े को परस्पर लम्बवत व्यवद्वस्थत करे तथा तिक नी को
चुम्बकीय क्षेि की द्वदशा में ,मध्यमा को बहने वाली धारा की द्वदशा में हो तो अंगठ ू ा धारावाही
चालक तार पर लगने वाले बल की द्वदशा को दशाक ता है |
प्रश्न-5 न्वद्युत मोटर की कायाप्रणाली समझाइये ?
उिर-(1) यह द्ववद्युत ऊिाक को याद्वन्िक ऊिाक में बदलती है |
(2) यह फ्लेन्मंग के वाम हस्त न्नयम पर आधाररत है |
(3) बनावट- चुम्बकीय ध्रुव ,द्ववद्युत रोधी तांबे के तार की नमक लोहे पर
द्वलपिी कुण्डली(आमेचर),न्दक् पररवताक (कम्यूटटे र/ न्वभक्त वलय)
एवं काबक न ब्रुश
(4)कायाप्रणाली- िब द्ववद्युत धारा प्रवाद्वहत करते है तो द्वदक् पररवतक क की सहायता
से कुण्डली के दोनों द्वसरों पर धारा की द्वदशा हमेशा एक ही द्वदशा में होने फ्लेन्मंग के वाम
हस्त न्नयम से आमेचर एक ही द्वदशा में घम ू ने लगता है |
(5)आमेचर के घूणान की न्नभारता – कुण्डली में फेरो की संख्या,चुम्बकीय क्षैि की
तीव्रता एवं प्रवाद्वहत होने वाली धारा की मािा पर आमेचर का घण ू क न द्वनभक र करता है |
प्रश्न-6 न्वद्युत चुम्बकीय प्रेरण क्या होता है ?
उिर- िब द्वकसी द्ववद्युत धारावाही चालक तार की कुण्डली को पररवती चुम्बकीय क्षैि में रखी
िाए तो कुण्डली में प्रेररत द्ववद्युत धारा उत्पन्न होती है ,इस घिना को द्ववद्युत चुम्बकीय प्रेरण
कहते है |
प्रश्न-7 फ्लेद्वमंग का दद्वक्षण हस्त द्वनयम क्या है ?
उिर- िब द्वकसी चालक तार को चुम्बकीय क्षैि की द्वदशा के लम्बवत गद्वत कराते है तो
उसमे प्रेररत द्ववधुत धारा उत्पन्न होती है द्विसकी द्वदशा फ्लेद्वमंग के दद्वक्षण हस्त द्वनयम से

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ज्ञात कर सकते है | द्विसके अनुसार यद्वद दद्वक्षण हस्त (सीधे हाथ ) की तिक नी, मध्यमा व अंगठ ू े को परस्पर लम्बवत इस प्रकार व्यवद्वस्थत
करे की तिक नी चुम्बकीय क्षेि की द्वदशा में ,अंगठ ू ा चालक तार की गद्वत की द्वदशा में हो,तो मध्यमा चालक तार में प्रेररत द्ववद्युत धारा की द्वदशा
को प्रदद्वशकत करती है |
प्रश्न-8 द्ववद्युत िद्वनि द्वकसे कहते है ?
उिर- न्वद्युत जन्नर
न्दष्ट धारा जन्नर प्रत्यावती धारा जन्नर
(1) यह याद्वन्िक ऊिाक को द्ववद्युत ऊिाक में बदलता है | (1) यह याद्वन्िक ऊिाक को द्ववद्युत ऊिाक में बदलता है |
(2) यह द्ववद्यत च
ु ु म् बकीय प्रे रण द्व स द्धां त पर कायक करते है | (2) यह द्ववद्यत
ु चम्ु बकीय प्रेरण द्वसद्धांत पर कायक करते है |
(3) बनावट- चुम्बकीय ध्रुव , द्ववद्युत रोधी तांबे के तार की नमक लोहे पर (3) बनावट- चुम्बकीय ध्रुव , द्ववद्युत रोधी तांबे के तार की नमक लोहे पर
द्वलपिी कुण्डली(आमेचर), न्दक् पररवताक (कम्यूटटे र/ न्वभक्त द्वलपिी कुण्डली(आमेचर),सपी वलय एवं काबक न ब्रुश
वलय) एवं काबक न ब्रुश
(4) कायाप्रणाली- कुण्डली के दोनों द्वसरे न्दक् पररवताक (4) कायाप्रणाली- कुण्डली के दोनों द्वसरे सपी वलय से िुड़े होते है
(कम्यटू टे र/ न्वभक्त वलय) से िड़ ु े होते है ,द्व ि ससे उत्पन्न प्रेररत ,द्विससे प्रत्येक आधे घण ू क न के बाद उत्पन्न प्रेररत धारा की द्वदशा
धारा की द्वदशा हमेशा एक ही द्वदशा में बनी रहती है | पररणाम स्वरूप द्ववपरीत हो िाती है ,पररणाम स्वरूप प्रत्यावती धारा (AC) प्राप्त होती
न्दष्ट धारा (DC) प्राप्त होती है | है |

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अध्माम-14 ऊजाब के स्रोत


प्रश्न-1 आदशब (उत्तभ) ईंधन की क्मा-क्मा ववशेषता होती है ?
उत्तय- (1) आसानी से मभरना चादहए ) 2( अधधक ऊष्भा दे ना चादहए ) 3( कभ धआ ु दे ना चादहए |
(4) कभ याख दे ना चादहए ) 5( सस्ता होना चादहए ) 6( उसका बण्डायण तथा ऩरयवहन आसान होना चादहए |
प्रश्न-2 ऊजाथ के स्रोत कौन-कौन से होते है ?
उत्तय- (1) ऊजाब के नवीकयणीम स्रोत :- ऊजाथ के ऐसे स्रोत जजनका उऩमोग कयने के फाद उन्हें वाऩस प्राप्त क्रकमा जा सकता है , ऊजाब के
नवीकयणीम स्रोत कहते है | मह स्रोत कबी ख़त्भ नहीॊ हो सकते है , इस कायण इन्हें ऊजाथ के अऺम स्रोत बी कहते है | चूॊक्रक मह स्रोत वाऩस प्राप्त
हो सकते है इस कायण इन्हें ऊजाथ के प्राप्म स्रोत बी कहते है | जैसे:- सौय ऊजाथ ,ऩवन ऊजाथ, जर ऊजाथ |
(2) ऊजाब के अनवीकयणीम स्रोत :- ऊजाथ के ऐसे स्रोत जजनका उऩमोग कयने के फाद उन्हें वाऩस प्राप्त नहीॊ क्रकमा जा सकता है , ऊजाब के
अनवीकयणीम स्रोत कहते है | चूॊक्रक मह स्रोत वाऩस प्राप्त नहीॊ हो सकते है , इस कायण इनका उऩमोग सोच सभझकय कयना चादहए अन्मथा मह
सभाप्त हो जाएगे ,इस कायण इन्हें ऊजाथ के सभाप्म स्रोत बी कहते है | जैसे :- जीवाश्भ ईंधन ( कोमरा, ऩेरोर, डीजर, केयोसीन आहद )
प्रश्न-3 ऊजाथ के ऩायम्ऩरयक स्रोत तथा गैय-ऩायम्ऩरयक स्रोत (वैकन्ल्ऩक स्रोत) क्रकसे कहते है ?
उत्तय- (1) ऊजाब के ऩायम्ऩरयक स्रोत :- ऊजाथ के ऐसे स्रोत जजनका उऩमोग ऩुयाने सभम (सददमों) से होता आ यहा है ,उन्हें ऊजाथ के ऩायम्ऩरयक स्रोत
कहते है | जैसे :- जीवाश्भ ईंधन ( कोमरा, ऩेरोर, डीजर, केयोसीन आहद )
(2) ऊजाब के गैय-ऩायम्ऩरयक स्रोत (वैकन्ल्ऩक स्रोत) :- ऊजाथ की फढ़ती आवश्मकता के कायण ऊजाथ के नमे स्रोतों की खोज की जरूयत हुई
ओय इनका उऩमोग होने रगा है ,ऊजाथ के ऐसे स्रो तो को ऊजाब के गैय-ऩायम्ऩरयक स्रोत (वैकन्ल्ऩक) स्रोत कहते है | जैसे:- सौय ऊजाथ ,ऩवन ऊजाथ,
जर ऊजाथ, नामबकीम ऊजाथ, बू-ताऩीम ऊजाथ, ज्वायीम ऊजाथ आदद |
प्रश्न-4 ऊजाथ के गैय-ऩायम्ऩरयक स्रोत (वैकन्ल्ऩक स्रोतो) की आवश्मकता क्मों ऩड़ी ?
उत्तय- ऊजाथ के ऩायम्ऩरयक स्रो तो का सीमभत होने तथा फढ़ती जनसॊख्मा के कायण ऊजाथ की आवश्मकता फढ़ यही है , इस कायण ऊजाथ के नमे स्रोतों
की खोज की जरूयत हुई ओय इनका उऩमोग होने रगा है ,ऊजाथ के ऐसे स्रोतो को ऊजाब के गैय-ऩायम्ऩरयक स्रोत (वैकन्ल्ऩक) स्रोत कहते है | जैसे:-
सौय ऊजाथ ,ऩवन ऊजाथ, जर ऊजाथ, नामबकीम ऊजाथ, ब-ू ताऩीम ऊजाथ, ज्वायीम ऊजाथ आदद |
प्रश्न-5 जीवाश्भ ईंधन क्रकसे कहते है ?
उत्तय- जीवो के अवशेषों से प्राप्त ईंधन को जीवाश्भ ईंधन कहते है | मह ऊजाथ का अनवीकयणीम स्रोत है , जजन्हें वाऩस प्राप्त नहीॊ क्रकमा जा सकता
है इस कायण इनका उऩमोग सोच सभझकय कयना चादहए अन्मथा मह सभाप्त हो जाएगे | जीवाश्भ ईंधन के अन्तगथत कोमरा, ऩेरोर, डीजर,
केयोसीन आदद आते है |
प्रश्न-6 जीवाश्भ ईंधन को जराने से होने वारी हाननमाॊ क्मा है ?
अथवा
जीवाश्भ ईंधन ऩमाथवयण दहतैषी / मभत्र क्मों नहीॊ है ?
अथवा
जीवाश्भ ईंधन क्रकस प्रकाय ऩमाथवयण के मरए नुकसानदामक मा हाननकायक है ?
उत्तय- जीवाश्भ ईंधन को जराने से वामु प्रदष ू ण होता है | इनके जरने से वामुभॊडर भें काफथन, नाइट्रोजन, सल्पय के हाननकायक ऑक्साइड ( SO2,
NO2, CO 2 ) मभर जाते है , जजससे ऩमाथवयण प्रदवू षत होता है जीव- जन्तुओ को साॊस सम्फजन्धत फीभारयमाॉ हो जाती है ,अम्र वषाथ हो सकती है
जजससे ऩानी , मभटटी ,जरीम जीवो को नुकसान होता है , इसमरए जीवाश्भ ईंधन ऩमाथवयण दहतैषी / मभत्र नहीॊ है |
प्रश्न-7 ग्रीन हाउस गैस क्मा होती है ओय मह ऩमाथवयण को क्रकस प्रकाय प्रबाववत कय यही है ?
उत्तय- काफबन डाई ऑक्साइड ( CO 2 ) गैस को ग्रीन हाउस गैस कहते है , जीवाश्भ ईंधनो को जराने से मह गैस ऩमाथवयण भें इकठ्ठी हो यही है ,
इसकी भात्रा फढ़ने से ऩथ्
ृ वी के ताऩभान भें फढ़ोतयी हो यही है जजससे फपीरे ऺेत्रो का फपथ वऩघर यहा है ओय ऩथ्
ृ वी का जर स्तय फढ़ने रगा है |
इस प्रक्रिमा को वैन्श्वक ताऩवचृ ध (ग्रोफर वाभभिंग) बी कहते है |
प्रश्न-8 सौय ऊजाथ से ववधत
ु ऊजाथ कैसे प्राप्त कयते है ?
अथवा
सौय-ऩेनर की कामथ प्रणारी सभझाइमे ?
उत्तय- इसके मरए सौय-ऩेनर का उऩमोग कयते है जो क्रक भसभरकॉन क्रक प्रेट होती है ,जजस ऩय सीन्जमभ अथवा रुबफडडमभ धातु के सौरय सेर रगे
होते है | सबी सौरय-सेर एक दस
ू ये से चाॉदी के ऩतरे तायो से जुड़े होते है | जफ इन सौरय सेर ऩय सूमे का प्रकाश ऩड़ता है तो सौय ऊजाथ ववधुत
ऊजाथ भें फदर जाती है ओय सौय ऩेनर से जुडी चाजेफर फैटयी भें एकत्र हो जाती है जजसका आवश्मकतानुसाय उऩमोग कय मरमा जाता है | इस
प्रकाय सौय ऊजाथ का उऩमोग कयने ऩय ऩमाथवयण को कोई नुकसान नहीॊ होता है अत: सौय ऊजाथ ऩमाबवयण हहतैषी / भभत्र ऊजाथ का स्रोत है |
प्रश्न-9 सौरय कुकय क्रक कामथ प्रणारी सभझाइमे ?
उत्तय- सौरय कुकय एक फक्से जैसी सॊयचना होती है , जजसकी अन्दय क्रक सतह कारी यॊ ग क्रक होती है तथा इसके ढ़कन ऩय अवतर दऩबण रगा यहता
है जो क्रक ऩड़ने वारी सूमथ क्रक प्रकाश क्रकयणों को फक्से के अन्दय क्रक ओय केजन्र्द्त (ऩयावनतथत) कय दे ता है जजससे उसभे यखी खाद्म साभग्री (खाने
क्रक वस्तु) ऩक जाती है | इस प्रकाय सौय ऊजाथ का उऩमोग खाना ऩकाने भें कय सकते है | ओय इससे ऩमाथवयण को कोई नुकसान नहीॊ होता है
अत: सौय ऊजाथ ऩमाबवयण हहतैषी / भभत्र ऊजाथ का स्रोत है |
प्रश्न-10 जर ववधुत समॊत्र क्मा होता है ?
उत्तय- ऊॉचाई से जफ ऩानी टयफाइन (डामनेभो) के ऩॊखे ऩय धगयामा जाता है तो टयफाइन (डामनेभो) भें माजन्त्रक ऊजाथ ववधुत ऊजाथ भें फदर जाती है |
इस प्रकाय जर ऊजाथ का उऩमोग ववधुत उत्ऩादन भें कय सकते है | ओय इससे ऩमाथवयण को कोई नुकसान नहीॊ होता है अत: जर ऩमाबवयण
हहतैषी / भभत्र ऊजाथ का स्रोत है |
प्रश्न-11 ताऩीम ववधुत समॊत्र क्मा है ?
उत्तय- ऩानी को गभथ कयके बाऩ भें फदर कय क्रपय बाऩ द्वाया टयफाइन (डामनेभो) के ऩॊखे को घुभामा जाता है तो टयफाइन (डामनेभो) भें माजन्त्रक
ऊजाथ ववधुत ऊजाथ भें फदर जाती है | इस प्रकाय जर ऊजाथ का उऩमोग ववधुत उत्ऩादन भें कय सकते है |

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प्रश्न-12 ऩवन ऊजाब नवीकयणीम एवॊ ऩमाथवयण दहतैषी ऊजाथ का स्रोत है , कैसे ?
उत्तय- ऩवन उजाथ कबी ख़त्भ नहीॊ होने वारा तथा उऩमोग के फाद वाऩस प्राप्त होने वारा ऊजाथ का स्रोत है जो क्रक ऩमाबवयण को क्रकसी बी प्रकाय
से नुकसान नहीॊ ऩहुॊचाता है इस भरए मह नवीकयणीम एवॊ ऩमाथवयण दहतैषी ऊजाथ का स्रोत है |
प्रश्न-13 ऩवन ऊजाब से ववधुत ऊजाथ कैसे प्राप्त होती है ?
उत्तय- ववधत ु प्राजप्त के मरए हवा का वेग 15 क्रक.भी. प्रनत घधटे से अधधक होना चादहए | वामु से ऩवन चक्की क्रक ऩॊखुडडमो को घुभामा जाता है ,
जो क्रक क्रपय टयफाइन को घुभाती है जजससे माजन्त्रक ऊजाथ ववधुत ऊजाथ भें फदर जाती है | इस प्रकाय ऩवन ऊजाथ का उऩमोग ववधुत उत्ऩादन भें कय
सकते है | ओय इससे ऩमाथवयण को कोई नुकसान नहीॊ होता है अत: वामु ऩमाबवयण हहतैषी / भभत्र ऊजाथ का स्रोत है |
प्रश्न-14 बू-ताऩीम ऊजाब क्मा है ?
उत्तय- ऩथ्
ृ वी के अन्दय के ताऩ से कुछ स्थानों ऩय बूमभगत जर बाऩ भें फदर जाता है जजसे ऩाईऩो द्वाया फाहय ननकार कय ववधुत जननत्र
(डामनेभो) के टयफाइन को घुभामा जा सकता है तो टयफाइन (डामनेभो) भें माजन्त्रक ऊजाथ ववधत ु ऊजाथ भें फदर जाती है | इस प्रकाय बू-ताऩीम ऊजाथ
से ववधुत ऊजाथ प्राप्त कय सकते है | धमूजीरैंड तथा अभेरयका भें बू-ताऩीम ऊजाथ से ववधुत ऊजाथ प्राजप्त के समॊत्र रगी है |
प्रश्न-15 नाभबकीम ऊजाब क्मा है ?
उत्तय- बायी ऩयभाणुओॊ (मुयेननमभ,प्रूटोननमभ व थोरयमभ) को जफ हल्के नामबको भें तोडा जाता है तो अत्मधधक भात्रा भें ऊजाथ ननकरती है जजसे
नामबकीम ऊजाथ कहते है , इससे ऩानी को बाऩ भें फदर कय ववधुत जननत्र (डामनेभो) के टयफाइन को घुभामा जा सकता है तो टयफाइन (डामनेभो)
भें माजन्त्रक ऊजाथ ववधुत ऊजाथ भें फदर जाती है | इस प्रकाय नामबकीम ऊजाथ का उऩमोग ववधुत उत्ऩादन भें क्रकमा जा सकता है | इन्हें नाभबकीम
ववधुत समॊत्र कहते है |
प्रश्न-16 नामबकीम ईंधन के उदाहयण दीजजए ?
उत्तय- नामबकीम ईंधन के उदाहयण मुयेननमभ,प्रूटोननमभ व थोरयमभ है |
प्रश्न-17 नाभबकीम ववधुत शन्क्त समॊत्रो क्रक सफसे फड़ी सीभा क्मा है ?
उत्तय- नामबकीम ववधुत शजक्त समॊत्रो भें उऩमोग आने वारे नामबकीम ईंधन का बण्डायण तथा अऩमशष्ट का सही तयीके से ननस्तायण नहीॊ क्रकमा
जाए तो इसके हाननकायक प्रबाव साभने आते है ओय मह ऩमाथवयण को नुकसान ऩहुॊचाते है क्मोक्रक इन से हाननकायक ववक्रकयण ननकरती है जो क्रक
ऩमाथवयण क्रक मरए हाननकायक होती है |
प्रश्न-18 सभुन्दो से क्रकस प्रकाय ऊजाथ प्राप्त कय सकते है ?
उत्तय- सभुन्र्द् क्रक रहयों (तयॊ गो) भें फहुत ऊजाथ होती है , इसी प्रकाय चन्र्द्भा के गुरुत्वीम प्रबाव से सभुन्र्द् क्रक सतह का ऩानी ऊऩय उठता व नीचे
धगयता है इसे ज्वाय-बाटा कहते है इसभे फहुत ऊजाथ होती है जजसे ज्वायीम ऊजाब कहते है | इसका उऩमोग टयफाइन द्वाया ववधुत उत्ऩादन भें क्रकमा
जा सकता है |
प्रश्न-19 जैव भात्रा (फामो भास) क्रकसे कहते है ?
उत्तय- ईंधनो के ऐसे स्रोत जो जीव जन्तुओ तथा ऩौधों से प्राप्त होते है उन्हें फामो भास (जैव भात्रा) कहते है |
प्रश्न-20 जैव गैस / फामो गैस / गोफय गैस समॊत्र का वणथन कीजजए |
उत्तय- इस समॊत्र भें ईंटो से फनी गुम्फद जैसी सयॊ चना होती है जजसभे एक तयप से गोफय तथा जर का गाढ़ा घोर (कदब भ) डारा जाता है | अन्दय
वारे बाग को सॊऩाचचत्र कहते है महाॉ ऩय गोफय का वामु क्रक अनुऩजस्थनत भें अऩघटन होता है जजससे गोफय गैस फनती है इस गैस भें 75 % भात्रा
भेथेन गैस ( CH 4 ) क्रक होती है | इस गैस को गम्
ु फद के ऊऩय रगे ऩाईऩ से आवश्मकतानुसाय ननकार मरमा जाता है | गोफय गैस फनने के फाद
शेष यहा अऩमशष्ट बी उऩमोगी होता है इसका उऩमोग खाद के रूऩ भें क्रकमा जा सकता है | गोफय गैस का उऩमोग ईंधन के रूऩ भें बोजन
फनाने,ऩानी गयभ कयने आदद भें कयते है मह बफना धुए ,बफना याख के जरता है अथाथत मह ऩमाथवयण को कोई नुकसान नहीॊ ऩहुॊचाता है अत: मह
ऩमाबवयण हहतैषी / भभत्र ऊजाथ का स्रोत है |
प्रश्न-21 CNG तथा LPG का ऩूया नाभ मरखखए |
उत्तय- CNG का ऩयू ा नाभ सॊऩीडडत प्राकृनतक गैस है |
LPG का ऩूया नाभ द्रववत ऩेरोभरमभ गैस है |
प्रश्न-22 कोई ऊजाथ का स्रोत हभाये मरए कफ तक फना यह सकता है ?
उत्तय- ऊजाथ के अनवीकयणीम स्रोत सीमभत होने के कायण सभाप्त हो सकते है जफक्रक ऊजाथ के नवीकयणीम स्रोत ऊजाथ के अऺम स्रोत है जो क्रक
कबी ख़त्भ नहीॊ हो सकते है | अत: ऊजाथ के स्रोतों का वववेकानुसाय उऩमोग क्रकमा जाए तो वह सददमों तक फने यह सकते है |
प्रश्न-23 आऩकी नजयो भें ऊजाथ का कौनसा स्रोत उत्तभ होगा ?
उत्तय- ऊजाथ का ऐसा स्रोत जो क्रक मभरने भें आसान हो, खयीदने भें सस्ता हो, ओय ऩमाथवयण को नुकसान ऩहुॊचाए बफना हभायी आवश्मकताओॊ क्रक
ऩूनतथ कय सके उसे हभ ऊजाथ का उत्तभ स्रोत कहें गे | जैसे:- सौय ऊजाथ, जर ऊजाथ , ऩवन ऊजाथ आदद |

सौय ऩेनर सौरय कुकय ऩवन चक्की गोफय गैस समधत्र

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अध्माम-15 हभाया ऩमाबवयण


प्रश्न-1 कचया मा अऩभशष्ट क्मा है ?
उत्तय- ऐसी चीजे जो हभाये उऩमोग की नहीॊ होती है , उन्हें कचया मा अऩमशष्ट कहते है | मह कचया मदद सही ढॊ ग से नष्ट नहीॊ हो
तो मह ऩमाथवयण को प्रदवू षत कय सकता है |
प्रश्न-2 अऩभशष्ट (कचया) क्रकतने प्रकाय का होता है ?
उत्तय- कचया दो प्रकाय का होता है-
जैव ननन्म्नकयणीम कचया (अऩभशष्ट) अजैव ननन्म्नकयणीम कचया (अऩभशष्ट)
(1) ऐसा कचया जो क्रक सूक्ष्भजीवो द्वाया अऩघदटत (नष्ट) (1) ऐसा कचया जो क्रक सूक्ष्भजीवो द्वाया अऩघदटत नहीॊ हो
सकता है,उसे जैव ननजम्नकयणीम कचया कहते है | सकता है,उसे अजैव ननजम्नकयणीम कचया कहते है|
(2) मह ऩमाथवयण को प्रदवू षत नहीॊ कयता है | (2) मह ऩमाथवयण को प्रदवू षत कयता है |
(3) जैसे- भाॊस,रकड़ी,कागज,सत
ू ी कऩडा,भत
ृ जीव-जॊतु (3)जैसे- प्राजस्टक, ऩोरीधथन, कीटनाशी आदद |
प्रश्न-3 आहाय श्रॊखरा (खाद्म श्रॊखरा) क्मा होती है ?
उत्तय- प्रकृनत भें फड़ा व ताकतवय जीव छोटे जीव को खा जाता है, इस प्रकाय खाने-खखराने की एक श्रॊखरा फन जाती है जजसे
आहाय श्रॊखरा कहते है | आहाय श्रॊखरा भें सफसे ऩहरे ऩेड़-ऩौधे होते है,जजन्हें उत्ऩादक कहते है, इसके फाद शाकाहायी जीव क्रपय
भाॊसाहायी जीव आते है, जजन्हें उऩबोक्ता कहते है | आहाय श्रॊखरा भें उऩजस्थत मह सबी जीव ऩोषीस्तय कहराते है | इस आहाय
श्रॊखरा के कायण ही प्रकृनत भें जीवो का सॊतुरन फना यहता है |
ऩौधे शाकाहायी जीव भाॊसाहायी जीव
पसर हटड्डा भें ढक साॊऩ फाज
प्रश्न-4 आहाय जार क्मा होता है ?
उत्तय- जफ प्रकृनत भें एक जीव को खाने वारे एक से अधधक होते है,अथाथत कई ववकल्ऩ उऩरब्ध हो तो उस सभम खाने -खखराने का
एक जार फन जाता है, जजसे आहाय जार कहते है |
प्रश्न-5 ऩौधे प्रकाश-सॊश्रेषण द्वाया क्रकतनी सौय ऊजाब को खाद्घ ऊजाब भें फदर सकते है ?
उत्तय- ऩौधे प्रकाश-सॊश्रेषण द्वाया केवर 1% सौय ऊजाब को ही खाद्घ ऊजाब भें फदर सकते है |
प्रश्न-6 आहाय श्रॊखरा भें एक जीव से दस
ू ये जीव भें क्रकतने प्रनतशत ऊजाब का स्थानाधतयण होता है ?
उत्तय- आहाय श्रॊखरा भें एक जीव से दसू ये जीव भें केवर 10% ऊजाब का स्थानाधतयण होता है |
प्रश्न-7 जैव-आवधबन क्रकसे कहते है ?
उत्तय - आहाय श्रॊखरा भें एक जीव जफ दस
ू ये जीव को खाता है तो अॊत भें जाते-जाते आहाय श्रॊखरा के अजन्तभ मसये ऩय उऩजस्थत
जीव के शयीय भें हाननकायक यसामनों की भात्रा सफसे अधधक हो जाती है, इस जस्थनत को जैव-आवधथन कहते है | इससे फचने के
मरए ही कहा जाता है की खाने की चीजो को साफ़ धोकय खाना चादहए |
प्रश्न-8 प्रकृनत (ऩारयतॊत्र) भें अऩभाजबको की क्मा बूमभका होती है ?
उत्तय – प्रकृनत भें अऩभाजथक के रूऩ भें सक्ष्
ू भजीव आते है जो क्रक सड़े-गरे, भत
ृ जीवो का अऩघटन (नष्ट) कयने का काभ कयते है
जजससे ऩमाथवयण प्रदवू षत नहीॊ होता है, इस प्रकाय मह ऩारयतॊत्र भें सपाई का काभ कयते है,इसमरए इन्हें अऩभाजथक कहते है |
प्रश्न-9 ओजोन-ऩयत का क्मा भहत्व है ?
उत्तय – सम ू थ से आने वारी हाननकायक ऩयाफैंगनी क्रकयणों को ऩथ्
ृ वी ऩय आने से योकने का काभ ओजोन-ऩयत कयती है | मदद मह
क्रकयणे ऩथ्
ृ वी तक ऩहुॉच जाए तो इससे त्वचा का कैं सय हो सकता है | इस प्रकाय मह एक सुयऺा ऩयत है | ओजोन-ऩयत का ननभाथण
ऑक्सीजन के तीन ऩयभाणुओ से होता है, इसभें ओजोन गैस O3 होती है |
प्रश्न-10 ओजोन-ऩयत ऺम (नष्ट होना/ओजोन नछद्र) क्मा है, औय मह कैसे होता है ओय इसका क्मा प्रबाव ऩड़ता है ?
उत्तय – वामुभॊडर भें ओजोन गैस की भात्रा भें कभी होना ओजोन-ऩयत ऺम कहराता है, ओजोन-ऩयत ऺम होने से हाननकायक
ऩयाफैंगनी क्रकयणे ऩथ् ृ वी तक ऩहुॊचेगी जजससे त्वचा का कैं सय हो सकता है | ओजोन-ऩयत ऺम भनुष्म द्वाया ही क्रकमा जा यहा है |
ये फ्रीजेयेटय (क्रफ्रज), एoसीo,अजग्नशाभक भें उऩमोग आने वारी क्रोयोफ्रोयोकाफबन(CFC) गैस ओजोन-ऩयत ऺम कयने भें सफसे
अधधक बूमभका ननबाती है |
प्रश्न-11 कचया प्रफॊधन के मरए आऩ क्मा बूमभका ननबा सकते है ?
उत्तय - कचया मदद सही ढॊ ग से नष्ट नहीॊ क्रकमा जाए तो मह ऩमाथवयण को प्रदवू षत कय सकता है, तथा फीभारयमों का कायण फन
सकता है |अत: कचये का सही ढॊ ग से ननऩटायण आवश्मक है | इसके मरए हभे कचये को आफादी से दयू डारना चादहए, घय व स्कूर
भें एक कचया-ऩात्र यखना चादहए व कचया उसी भें डारना |कचये को इकठ्ठा कयके जरा दे ना चादहए | गन्दी नामरमों का गन्दा ऩानी
ताराफ व नददमों भें नहीॊ जाने दे ना चादहए |नष्ट नहीॊ होने वारे कचये को जभीन भें गढ़ा खोद कय दफा दे ना चादहए | कचया
प्रफन्धन के भहत्व के फाये भें आस ऩड़ोस के रोगो को जागरूक कये गे |

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अध्माम-16 प्राकृनतक सॊसाधनों का प्रफॊधन


“गॊगा नदी भें हाननकायक “ कोभरपोभब जीवाणु “ होने से 1985 भें गॊगा सपाई मोजना प्रायम्ब की गई थी |”
प्रश्न-1 ऩमाथवयण को फचाने के मरए उऩमोग आने वारे तीन R से क्मा तात्ऩमथ है ?
उत्तय - ऩमाथवयण को फचाने के मरए उऩमोग आने वारे तीन R भें से -
(1) ऩहरे R का अथब है कभ उऩमोग अथाथत सॊसाधनों का कभ उऩमोग कयना चादहए जजससे मह रम्फे सभम तक हभे
मभर सके |
(2) दस
ू ये R का अथब है ऩुन् चिण अथाथत अनुऩमोगी चीजो का ऩुन् चिण कयके उऩमोगी वस्तुए फनाना चादहए |
(3) तीसये R का अथब है ऩुन् उऩमोग अथाथत ् चीजो का फाय-फाय उऩमोग कयना चादहए |
प्रश्न-2 सॊसाधनों के प्रफॊधन की क्मों आवश्मकता है ?
उत्तय - सॊसाधन हभाये मरए रम्फे सभम (दीघथ कार) तक फने यहे इसके मरए इनके सॊयऺण तथा प्रफॊधन अथाथत ् उधचत
यख-यखाव की आवश्मकता है | हभे सॊसाधनों का उऩमोग आवश्मकता के अनस
ु ाय ही कयना चादहए उन्हें , व्मथथ
नष्ट नहीॊ कयना चादहए ओय इनके ववकास के फाये भें धचन्तन कयना चादहए |तथा नवीन (नमे) सॊसाधनों की
ख़ोज के फाये भें सोचना चादहए |
प्रश्न-3 स्टे कहोल्डय (दावेदाय) से क्मा तात्ऩमथ है ?
उत्तय – हभ जहाॊ ऩय यहते है , हभाये आस-ऩास जो बी सॊसाधन मभरते है उनकी सयु ऺा व सॊयऺण की जजम्भेदायी हभायी
ही होती है | साथ ही इन सॊसाधनों का ऩहरे उऩमोग कयने का अधधकाय बी हभाया ही फनता है | इस प्रकाय हभाये
आस-ऩास मभरने वारे सॊसाधनों के उधचत यख-यखाव के जजम्भेदाय, दावेदाय (स्टे कहोल्डय) हभ स्वमॊ होते है |
प्रश्न-4 सॊसाधनों के सॊऩोवषत प्रफॊधन से क्मा तात्ऩमथ है ?
उत्तय – हभाये चायो ओय मभरने वारे सॊसाधनों के उधचत यख-यखाव तथा ववकास के मरए ऐसे कामथ कये जजससे मह रम्फे
सभम (दीघथ कार) तक उऩमोग के मरए फने यहे तथा इनका उऩमोग आगे आने वारी हभायी ऩीदढ़मा बी कय
सके, इसे सॊसाधनों का सॊऩोवषत प्रफॊधन कहते है , सॊसाधनों के सॊऩोवषत प्रफॊधन के मरए हभ ननम्न उऩाम कय
सकते है -
(1) हभे हभाये चायो ओय मभरने वारे सॊसाधनों का उऩमोग सोच-सभझ कय कयना चादहए |
(2) हभें इन्हें व्मथथ फफाथद (नष्ट) नहीॊ कयना चादहए |
(3) हभें जजतनी आवश्मकता है उसी अनस ु ाय इनका उऩमोग कयना चादहए |
(4) हभें इनके ववकास के फाये भें सोचना चादहए |
(5) हभें नमे सॊसाधनों के ववकास तथा खोज के फाये भें सोचना चादहए |
प्रश्न-5 फड़े फाॉध फनाने भें क्मा सभस्माएॊ आती है ?
उत्तय - फड़े फाॉध फनाने भें ननम्न सभस्माएॊ आती है -
(1) साभान्जक सभस्मा :- फड़े फाॉध फनाने से फड़ी सॊख्मा भें क्रकसान व जनता ववस्थावऩत हो जाती है |
(2) आचथबक सभस्मा :- फड़े फाॉध फनाने भें फहुत अधधक ऩैसा खचथ होता है |
(3) ऩमाबवयणीम सभस्मा :- फड़े फाॉध फनाने के मरए फहुत अधधक सॊख्मा भें वनों को काटा जाता है , जजससे ऩेड़ो
व वन्म जीवो को नक
ु सान होता है |
प्रश्न-6 जर सॊग्रहण की “ खाहदन ऩद्धनत “ क्मा है ?
उत्तय – याजस्थान भें जर सॊग्रहण के मरए ढ़रान वारे स्थानों ऩय जहाॊ ढ़रान ख़त्भ होती है वहाॊ ऩय फाॉध जैसी भोटी
दीवाय फना दे ते है जजससे फयसात के ददनों भें फहता हुआ ऩानी इकठ्ठा हो जाता है |जजसका उऩमोग आगे के
ददनों भें क्रकमा जा सकता है |

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