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प्री-बोरर परीक्

(2017-18)
हहिन्दी ‘अ’्द
कक्- दसवी
उत्तर-संकेत
खंर-क ’्ंक-15
1. अपठठित अंश 8

i. इससे संस्ृतत ्े भावो ्ी तवसतात ममिता है। भाषा तथा सातहित ताष्त ए्ता ्े तनमारर मे
महतवपूररततव है। ताष ्े सृमन मे भाषा तथा सातहित ्ा महतव इस् रूपप मे ससद ध हुआ है। 2

ii. ताष्तता ्े सिए ए्ता अतनवातर है। ए्ता जमनत् अमध् वाप् होगीपकर्, ताष्तता ्ा उतम ह् तवसतात
होगीपकरा। भावो ्ी ए्ता से ताष्तता ्ो ससथतता ममित् है तथा वह शसकशाि् होत् है। 2

iii. ताष्तता ्ा तनमारर होता है। भावो ्ा पतसपत स्रेषर ए्ता तनमारर ्ा भ् ्ात् है। 2

iv. शाि्। 1

v. सातहित ्ी उनतत: ताष-उिथान मे सहात् 1

2. अपठठित ्ावांश 7
i. इसने तवि मे शांतत औत सुतका तथा इन पत आधारतत सह -अससतिव ्ो बनाने एवं तबठरिटटश औपतनवेसश्
दासता से दे श ्ो मुक ्त्े आमादी ठदिाने ्ा ्ातर ्त्े नव म्वन ्ा सृमन त्ता।
2
ii. इस्ा तािपतर भतवित मे ताष ्ी रगीपकरतत ्ी आधातसशिा से है। वासतव मे ताषतपता महािमागीपकरााँध् ्े म्वन
आदशर ह् वे आधात है जमन पत भतवित ्े भातत ्ा तनमारर ठरिटट्ा ध हुआ है। 2
iii. इस ्ावााँश मे महािमा गीपकरााँध् ्ी चचार है। 1
iv. मानवता ्े उस उदात गीपकरुर से है जमस्े अनतगीपकररत रिते् वसक ए् दसते ्ो तथोमचत स्मान दे ता ध हुआ
सह-अससततव मे म्ता है। 1
v. रूपप् एवं उपमा 1

खण्ड-ख
15
3. तचना ्े आधात पत वाकत भेद- 1×3=3
्) वह िड़्ा ्हााँ गीपकरता जमस्े पास ोोिा था।

1
ख) वाताम ्तो औत सवसथ तहो।
गीपकर) ्ि मुोे ठदिि् मा्त मुंबई माना है।
4. वाच्त- 1×4=4
्) ता्ेश दाता पुसत् पढी मा तह् है।
ख) मै बोो नहीं उठिा स्ा।
गीपकर) मुो से चुपचाप नहीं बैठिा मा स्ता।
घ) उसने श्शे ्ा तगीपकरिास छोड़ ठदता।
5. पद-परतचत- 1×4=4
्) वसकवाच् संज्ञा, ए्वचन, पुसििंगीपकर, ्तार ्ात्।
ख) अवत तवसमताठदबोध् (आश्चतरसूच्)
गीपकर) भाव वाच् संज्ञा।
घ) पुरुषवाच् सवरनाम (उतम पुरुष), ए्वचन, पुसििंगीपकर, ्त्र्ता ्ात्।
6. तस- 1×4=4
्) वािसित तस
ख) व्भिस तस
गीपकर) गीपकरोि ए् मंगीपकरि है तेत् आाँखो मे
मै महााँ ताह भूि माता हूाँ।
तू त्स् तेि-स् गीपकरुमतत् है।
मै त्स् पुि सा थतथताता हूाँ।
घ) शो्

खण्ड-गीपकर 30
7. (पाठ्य पुसत् एवं पूत् पाठ्य पुसत्)
्) सं्िप से सनतास् मन से उन्ा आचतर सनतास् ्ी ततह न था। िोगीपकरो ्े रतत उन्ा
िगीपकराव था मैसा रात: संनताससतो मे नहीं होता। 2
ख) उच्च भाव था। तहनदी ्ो ताषभाषा ्े रूपप मे दे खना चाहते थे। वे तहनदी ्े पक मे
अ्ाट्य त्र दे ते थे। तहनदी ्ी अपेका पत वे ोुाँोिा उठिते थे। 2
गीपकर) फादत अपने परतमचतो ्े तनम् दख-त्ि्फो ्े बाते मे पूछते तहते थे। दख ्ी छड़् मे
सानिवना दे ते थे। 1
अथवा

2
्) ्पड़े तबि्ुि ्म पहनते थे। ्मत मे ए् िंगीपकरोरिटटी-मात्र औत ससत मे ्ब्त पंसथतो ्ी
स् ्नफरिटटी रिटटोप्। 2
ख) मब माड़ा आता तो ए् ्ाि् ्मि् ऊपत से ढढ िेते। 2
गीपकर) बािगीपकरोतबन भगीपकरत, तामवृक बेन्पुत् (िेख्) 1
8.
2×4=8
्) शहनाई मंगीपकरि धवतन ्ा वाद माना माता है। तबससमििा खााँ शहनाई ्े माधतम से मंगीपकरि
धवतन बमाते थे औत अपने केत्र मे सव परत सथान तखते थे। इससिए उनहे मंगीपकरि धवतन ्ा
नात् ्हा माता है। मंगीपकरि ्ा परतवेश रततमतत ्तने वािे वादो मे शहनाई ्ा तवशेष
सथान है। मांगीपकरसि् तवमध तवदाओं मे इस्ा रतोगीपकर होता है।
ख) दे वदात ्ा वृक आ्ात मे ि्बा -चौड़ा औत सघन होता है तथा सब ्ो छाता दे ता है ,
उस् र्ात फादत बुि्े अपने स्प्र मे आने वािे सभ् वसकतो ्ो आशत दे ते थे।
उन्ा वसकिव भ् दे वदात ्े वृक ्े समान ि्बा-चौड़ा था। उन्ी उपससथतत दे वदात
्ी छाता ्े समान सघन औत श्ति थ्।
गीपकर) तब ्ी सशका रराि् मे गीपकरुरु -सशित संबंध मधुत थे। सशित आशम मे पढते थे। सशका
वावहारत् ज्ञान एवं अनुभव पत आधारतत थ्। आम सिखने -पढऩे पत मोत है। तवषतो
्ा बोो बढ तहा है। अनुभव ्म है, सैदांतत् पक पत बि अमध् है।
घ) बड़् बहन सुश्ि। सवसथ औत गीपकरोत् थ्। िेखख्ा ्ाि्, मरतति औत दबि् थ्। तपता
्ो गीपकरोता तंगीपकर पसंद था। अपने ्ािे तंगीपकर औत दबिे शत्त ्े ्ातर ह्न भावना घत ्त
गीपकरई।
9 ्) वंग्त से। वे श््ृिर ्े साथ तह्त भ् उन्े रेमबनधन मे नहीं पड़े। वे रेम ्ी प्ड़ा
्ो ोेिने से बच गीपकरए। 2
ख) गीपकरुड़ पत मचपरिटटी चींठरिटटतो से। च्ठरिटटतााँ ममठिास ्े िािच मे गीपकरुड़ पत मचप् मात् है औत उसे
छोड़ नहीं पाते, गीपकरोतपतााँ ्ी श््ृिर से अिगीपकर नहीं हो स्तीं। 2
गीपकर) वह मि ्े भ्तत तह ्त भ् मि से ऊपत तहता है। मि ्ा उस पत ्ोई रभाव नहीं
पड़ता। 1
अथवा
्) उस्ा म्वन दखो से भता तहा है। िोगीपकर दसतो ्े द :खो से सहानुभूतत न ्त उस्ा
मज़ा् उड़ाते है। 2
ख) रेतस् ्े गीपकराि िाि-िाि थे। उस्े गीपकरािो ्ी मतवाि् छाता मे उषा भ् अपना सुहागीपकर
दे खत् थ् अथारतथ रेतस् ्े गीपकरािो ्ी िासिता मे मानो उषा ्ी िासिमा औत भ् मधुत
रूपप धातर ्त िेत् थ्। 2
गीपकर) म्वन ्े हते् तहसत ्ो दे खने ्ा रतास ्तना। 1
10.
2×4=8

3
्) मो त्स् रससद वसक ्ी सफिता मे पदर ्े प्छे तह्त महतवपूरर भूमम्ा तनभाते
है। ऐसे िोगीपकर सामानत िोगीपकरो ्ी नज़तो मे नहीं आते पत मुखत वसक ्ो सफि अवशत
बना दे ते है।
ख) र्ृतत मे तवशेष तनखात आ माता है। हत ढत हरतताि् छा मात् है। फूिो ्ी बहात आ
मात् है। पेड़-पौधो पत नए-नए पते आ माते है। श्ति, मंद औत सुगीपकरंमधत हवा चित्
है।
गीपकर) ममट्टी ्े अंदत बोए ब्म पत नठदतो ्ा पान् माद ्ा सा असत ्तता है। वह अं्ुरतत
हो्त धतत् ्ो फोड़्त बाहत तन्ि आता है। जमस र्ात मादगीपकरत अपने माद से
त्स् च्ज़ ्ो अचान् र्रिटट ्त दे ता है। ब्म ्ा अं्ुतर औत धतत् से बाहत
तन्िना भ् माद ्े समान िगीपकरता है।
घ) साहस औत शसक दोनो सदगीपकरुर है। तवनमता भ् ए् अनु्तर्त गीपकरुर है। साहस औत
शसक ्ा रदशरन ्तते समत तवनमता प्छे छू रिटट मात् है। वासततवता मे तठद साहस औत
शसक ्े साथ तवनमता ममि माए तो रशंसन्त हो माता है। ताम ्े चरतत्र मे इन त्नो
गीपकरुरो ्ो दे खा मा स्ता है।
11. वृक िगीपकरा्त उन्ी दे खभाि ्तना, वृको ्ो ्ारिटटने से तो्ने ्ा रतास ्त, धवतन रदषर ्ो
तनतंतत्रत ्त्े, पोि्सथन ्ा रतोगीपकर न ्त्े, तवज्ञान ्े घात् शसत्रो पत तो् िगीपकरा्त, नठदतो
व ोतनो मे गीपकरंदगीपकर् न बहा्त औत उन्ी पतवत्रता व सवच्छता ्ी तका ्त्े। 4
अथवा
ना् ्ा सथान वसक ्े मुाँह पत सव परत है। ना् ्ा होना मान-स्मान व रततता ्ा रत्् है।
मॉमर पंचम ्ी ना् ्रिटटना उस्ी रततता ्ा धूि मे ममिना है। मॉमर पंचम ्ी रततता ्े साथ
तबठरिटटश सामायत ्ी रततता मुड़् ध हुई है। दोनो ्ी रततता ्ो खतता है। भातत ्े महान नेताओं
एवं बाि्ो ्ा स्मान मॉमर पंचम से बढ्त है अत : उन्ी ना् ऊाँच् है। मॉमर पंचम उन्े
सामने ्हीं नहीं ठिहतते। तह बात अने् सथिो पत उभत्त सामने आई है।
खंड-‘घ’
िेखन 20
12 तनबंध िेखन- 10
्) रसतुतत 1
 भाषा-शुदता 2
 वाकत-तवनतास 1
 तवषत वसतु 4
 समग रभाव 2
 पत्र िेखन 5
13 रात्भ औत अंत ्ी औपचारत्ताएाँ 2
 तवषत वसतु 2
 भाषा शुदता 1
14 तवज्ञापन िेखन 5

4
 रारूपप 2
 तवषत वसतु 2
 भाषा 1

‘End of Paper’

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