Download as pdf or txt
Download as pdf or txt
You are on page 1of 5

संयोगता हरण:-

महोवा का युध समात हो चूका था, महोवा तथा कलकंजर पर प


ृ वीराज का अधकार हो गया था, उ ह!ने केवल
महोवा को अपने अधकार म$ लेकर करद रा&य बना कर वापस परमार को स(प )दया, तारायन के य
ु ध म$ भी
+वजयल,मी प
ृ वीराज को वरमाला पहना ह- चुक. थी. इस +वजय के कारण )द0ल- म$ कुछ )दन! तक उ2सव मनाई
जाने लगी थी. इस धूमधाम और प
ृ वीराज के बार बार जीत के कारण जयचंद मन ह- मन जल रहा था, साथ ह-
साथ संयोगता ने जो प
ृ वीराज के कारण जयचंद का जो अपमान 5कया था उससे उसका माथा और भी झुक गया
था. इधर प
ृ वीराज के मन म$ संयोगता को पाने क. इ7छा बढ़ती ह- जा रह- थी, 9ा:मण! ने प
ृ वीराज को ये खबर
दे द- क. संयोगता को जयचंद ने गंगा 5कनारे 5कसी महल म$ कैद कर रखा है . प
ृ वीराज ने अपने म= चंदरबरदाई
को क नोज क. राजधानी राठौर चलने का आAह 5कया, क+व च B ने उ ह$ बहुत समझाना चाहा क. जयचंद बहुत
ह- बलवान राजा है , उसने थोड़े से ह- सेना के साथ )द0ल- नगर- के सDकड़ो गाव! को जला )दया और लूट लया था
उसने कई तरह से आपक. Fजा को कGट पहुंचाया अतः आपका वहां जाना 5कसी भी तरह से उचत नह-ं है . इतना
समझाने पर भी प
ृ वीराज ने कवी च B क. एक ना मानी, अंत म$ लाचार होकर उ ह$ प
ृ वीराज के साथ ह- जाना
पड़ा. इसके कुछ )दन बाद एक शुभ मK
ु ु त दे खकर प
ृ वीराज, चंदरबरदाई और अपने कुछ सामंत! के साथ वो भेष
बदलकर क नोज क. ओर चल )दए उनके साथ कुछ थोड़ी सेना भी थी. िजस समय वे क नोज क. ओर Oनकले थे
उस समय कई सारे अपशकुन हुए थे, पर तु प
ृ वीराज अपने सामंत! के मना करने पर भी क नोज क. ओर अAसर
होते चले गए, कभी कभी मनुGय को इPवर भी कई तरह से समय असमय क. बात$ बताने क. कोशश करता है पर
ये तो मनुGय! पर OनभQर है क. वो उनक. बात मानता है या नह-ं. इ ह- कायR का नाम] शकुन और अपशकुन रखा
गया है . प
ृ वीराज के सम!त! को ये एहसास हो गया था क. कुछ बहुत गलत होने वाला है पर प ृ वीराज के सामने
कोई भी कुछ बोलने से कतरा रहा था. प
ृ वीराज ने क नोज पहुँच कर अपने बदले हुए भेष म$ ह- क नोज रा&य
घूमा. जयचंद के पास तीन लाख घुड़ सवार, एक लाख हाथी और दस लाख पैदल सेना थी जो क. भारतवषQ क. एक
बहुत ह- शिTतशाल- रा&य थी. प
ृ वीराज ने जयचंद के इन सैOनक बल और दस हजार- सेना को दे खा जो रा&य का
Uतंभ UवVप कड़ी थी, इसे दे खकर पृ वीराज का +वशाल Kदय भी कांप उठा, पर तु अब Tया हो सकता है िजस
काम के लए घर से Oनकले है उसे तो अब परू ा करना ह- था. क+व च B प
ृ वीराज को लए जयचंB के वार के
फाटक पर पहुँच गए, जयचंB के पास कवी च B के आने क. खबर पहुंची, जयचंB चंदरबरदाई के बारे म$ बहुत कुछ
सुन रखा था, जयच B वीर! और क+वय! क. सXमान म$ कोई कसर नह-ं छोड़ता था इस लए वो अपने दरबार के
कुछ क+वय! को कवी च B के पास भेज कर पहले उनक. पर-Yा करवाई और 5फर दरबार म$ बुला लया. दरबार म$
कवी च B ने जयचंB के पूछे हुए 5कतने ह- सवाल! का जवाब )दया. च Bबरदाई ने कहा:- ”जहाँ वंश छतीस आवे
हुंकारे . तहां एक चहूवान प
ृ वीराज टारे .. क+व च B के ये अंOतम पद जयचंB के Kदय म$ तीर सा जा चभ
ु े उसके
ने= लाल हो गए. वह भयानक Vप से [ोधत हो उठा, क+व च B ने प
ृ वीराज क. Fसंसा म$ इतने जोरदार स\द
कहे थे क. वहां मौजूद सभी लोग Uत\ध होकर कवी च B और जयचंद को दे खने लगे थे. जयचंद इPयQि वत हो उठा
उसके छाती म$ सांप लोटने लगे उसने एक लXबी ठं डी सांस भर- और कहा- “प
ृ वीराज अगर मेरे सामने आये तो
बताऊँ”. प
ृ वीराज च Bबरदाई के सेवक के Vप म$ पहले से ह- पीछे खड़े थे, जयचंद क. बात$ सुनकर प
ृ वीराज भी
बहुत [ोधत हो उठे यय+प उ ह!ने अपने आप को उस समय बहुत संभाला ले5कन उनके ने=! का रं ग ह- गU ु से से
बदल गया, जयचंद ये दे खकर मन ह- मन संदेह करने लगा क. कह-ं ये ह- तो प
ृ वीराज नह-ं, ले5कन 5फर सोचा
प
ृ वीराज जैसा तेजUवी पु^ष च Bबरदाई का सेवक बन कर यहाँ Tय! आएगा, इस _म म$ वो कुछ नह-ं कहा.
इसी बीच एक और घटना घट-. जयचंद क. दासयाँ दरबार म$ पान लेकर आई उन दसय! म$ कनाQटक. भी थी.
कनाQटक. ने ये FOत`ा ल- थी क. वो प
ृ वीराज के अलावा सभी के सामने घूंघट करे गी. वो जैसे ह- प
ृ वीराज के
सामने आई उसने प
ृ वीराज को पहचान लया और वैसे ह- घूंघट को हटा )दया. यह दे खकर दरबार म$ स नाटा छा
गया. सभ! को ये यक.न होने लगा क. प
ृ वीराज दरबार म$ चंदरबरदाई के साथ अवPय ह- मौजूद है . वे सभी एक
दस
ु रे से काना फूसी करने लगे. जयचंद के 5कतने सामंत! ने तो ये कह )दया क. प
ृ वीराज इनके साथ ह- है
इसलए इ ह$ बंद- बनाकर रख लया जाए, पर तु जयचंद ने सभ! को रोक लया. क+व च B बहुत ह- ती,ण बुध
वाले थे,दरबार का बदला हुआ ^ख दे खकर उ ह!ने तरु ं त कहा:- ”कaर बल कलह सम
ु ं=ी मास!, नाह-ं चहुवान सर न
+वचासो. सेन सुवर कह- क+व समुझाई, अब तू कलह करन इहां आई.”” इतना कह कर कवी च B ने इशार! म$ उसे
समझा )दया क. “ तू हमारा काम ख़राब कर रह- है ,Tया तू यहाँ युध करवाने के लए आई है . कवी का इशारा
समझ कर कनाQटक. ने आधा माथा ढक लया.जब इसका कारण कनाQटक. से पूछा गया तब उसने कहा क. कवी
च B प
ृ वीराज के बचपन के साथी है इसलए मD उनका आधा लाज रखती हूँ, इस तरह से ये बात उस समय तो
दब कर रह गयी ले5कन जयचंB का संदेह दरू नह-ं हुआ था. इसके बावजद
ू उसने कवी च B क. बहुत खाOतरदार-
क., उसने नगर के पिPचम भाग म$ कवी च B के रहने का Fबंध कराया और अOतथ स2कार 5कया. उसने अपने
सेवक! से उनपर नज़र रखने के लए भी भी कह )दया. उसके सेवक ने उसे कवी च B क. हर सूचना जयचंद को
दे ना शुV कर )दया, उसने कहा क. कवी च B के साथ एक +वच= नौकर है उसके ठाठ बात, रहन सहन, शान
शौकत को कवी च B भी नह-ं पा सकता है . प
ृ वीराज यय+प नौकर बनकर वहां गए थे ले5कन िजस मकान पर
वे ^के थे वहां पर उनका सXमान अ य सामंत एक राजा के Vप म$ ह- कर रहे थे, वो एक ऊँचे आसन म$ बैठे थे,
उ ह$ बैठे हुए जयचंद के सेवक ने दे ख लया था, और जाकर जयचंद को इसका समाचार दे )दया क. क+वचंB के
साथ प ृ वीराज भी अवPय ह- आये हुए है , जयचंद को तो पहले से ह- संदेह था अब तो उसे परू ा +वPवास हो गया
था. उसने अपने खास खास सैOनक! को एक= 5कया और च B बरदाई को +वदाई दे ने के लए हाथी, घोड़े और बहुत
सा र2न लेकर उनक. और रवाना हो गए. उसने अपने सैOनक! को समझा )दया क. कवी च B का कोई भी साथी
भागने नह-ं पाए. जयचंद अपने साथय! के साथ चंदरबरदाई के पास पहुँच गया, थोड़ी दे र तक उ ह!ने शGटाचार
क. बात$ क. उसके बाद जयचंद ने कवी च B के सेवक बने पृ वीराज को पान दे ने का आदे श )दया, प
ृ वीराज
चौहान ने उ ह$ पान )दया पर बाएं हाथ से ऐसे अशGटता को दे खकर जयचंद जल भुन गया पर ऊपर से Fसा नता
)दखाते हुए वो कुछ नह-ं बोला, इस तरह क. अनेक बात$ उस समय हुई, जयचंद प ृ वीराज को गौर से दे खने लगा
परं तू प
ृ वीराज ने इस तरह से अपना भेष बदल रखा था क. जयचंद के बार बार दे खने पर भी वो प
ृ वीराज को
नह-ं पहचान पाया. जयचंद को +वPवास होते हुए भी उस समय कुछ न बोल पाया Tय!5क अगर वो सेवक प
ृ वीराज
न Oनकला तब उसक. बड़ी बदनामी होती और लि&जत भी होना पड़ता, इस डर से वो चुप रहना ह- उचत समझा
और अपने महल लौट आया. जयचंद [ोध से अपने मं=ी से कहने लगा क. हम$ प
ृ वीराज को पकड़ कर मार डालना
चा)हए इससे संयोगता क. आश भी टूट जायगी और मेरा अपमान का बदला भी पूरा हो जायेगा. राजमं=ी सुमंत ने
कहा क. इतने बड़े Fतापी राजा को पकड़ कर मारना कदा+प संभव नह-ं है और प
ृ वीराज यहाँ चंदरबरदाई के साथ
Tय! आय$गे. इस +वषय म$ आपको चंदरबरदाई से ह- सीधे सीधे पच
ु लेना चा)हए.वो कदा+प झठ
ू नह-ं बोल$ गे. जयचंद
को अपनी मं=ी क. बात अ7छg लगी Tय!5क उ ह$ मालम
ू था क. चंदरबरदाई कभी झठ
ू नह-ं बोलते है . अतः उ ह!ने
चंदरबरदाई को बहुत ह- आदर के साथ बुलाकर पुछा क. Tया पृ वीराज तुXहारे साथ है , चंदरबरदाई ने इसका
जवाब बहुत ह- खूबसूरती से अपनी ओजUवनी भाषा म$ प
ृ वीराज क. कृती कथा का वणQन करते हुए कह )दया क.
वे अभी क नोज म$ ह- है उनके साथ hयारह लाख योधाओं को मार गराने वाले hयारह सौ सैOनक और सामंत भी
है .इतना सन
ु ते ह- जयचंद ने कवी च B को +वदा 5कया और मं=ी सम
ु ंत को अपनी सेना को तयार करने का आदे श
दे )दया, जयचंद के सैOनक! ने तरु ं त ह- प
ृ वीराज के Oनवास Uथल को घेरने के लए चल पड़ी जैसे ह- ये बात
प
ृ वीराज के एक सामंत लाiखराय को मल- वो तुरंत ह- उनसे युध करने के लए अAसर हो गए. उ ह!ने बहुत ह-
वीरता से युध 5कया इस युध म$ प
ृ वीराज का सामंत लाiखराय मारा गया और जयचंद का मं=ी सुमंत और
स:समल समेत कई सामंत भी मारा गया. भांजे और अपने राजमं=ी क. मौत और हार का समाचार सुनकर जयचंद
और भी [ोधत हो उठा और अपने )ह द ू और मुसलमान सेना को आ[मण करने का आदे श भी दे )दया, और साथ
ह- वो Uवयं भी युध Yे= म$ जा पहुंचा. युध आरXभ हो गया, इसबार प ृ वीराज ने अपने सेना का भार पंगुराय को
दे कर Uवयं प
ृ वीराज ने संयोगता को लाने के लए चले गए. प
ृ वीराज के सामंत ने उ ह$ अकेले जाने से रोका पर
प
ृ वीराज उनका कहना न मानकर घोड़े म$ बठकर अकेले ह- क नोज जा पहुंच.े पृ वीराज तो उधर चले गए और
इधर )द0ल- म$ श=ु सेना च B के Oनवास Uथल तक जा पहुंची.जयचंB )द0ल- म$ अपनी सेना का Fबंध कर लौट
आया. जयचंद क. सेना ने चौहान सेना को चार! ओर से घेर लया बहुत ह- भयानक युध होने लगा. जयचंB के
लगभग दो हज़ार योधा मारे गए, पृ वीराज के भी कई सामंत और सैOनक मारे गए. पृ वीराज घुमते 5फरते ठgक
उसी Uथान म$ जा पहुंचे जहाँ संयोगता थी. महल क. दासयाँ झांक झांक कर प
ृ वीराज को दे खने लगी. अब वे
गंगातट म$ बैठ कर मछलय! का तमाशा दे खने लगे. संयोगता अपने सहे लय! के साथ पहले से ह- प ृ वीराज को
गंगातट म$ बैठे हुए दे ख रह- थी. संयोगता प
ृ वीराज को पहचानती नह-ं थी. संयोगता प
ृ वीराज का कामदे व सा
Vप दे खकर अपने सुध बुध भूल चुक. थी. उनमे से कुछ सहे लय! ने उ ह$ बताया क. लगता है यह- महाराज
प
ृ वीराज चौहान है , Tया उनका पaरचय पुछा जाए. संयोगता ने कहा क. मेरा भी मन यह- कहता है क. यह- मेरे
FाणेPवर प
ृ वीराज है , मेर- हाल तो सांप-छुछुंदर सी हो गयी है इधर जब मD अपने माता +पता को दे खती हूँ तो
उनके FOत वेदना उ2प न हो जाती है और जब प ृ वीराज के बारे म$ सोचती हूँ तो उनसे मलने क. इ7छा होती है .
इसी बीच पृ वीराज के घोड़े के गले क. माला क. एक मोती टूटकर गंगा म$ लुडकता हुआ जा गरा.मछलयाँ उसे
खाने का पदाथQ समझ कर एक दस ु रे को हटाती हुई उस मोती क. ओर लपक पड़ी और उसे खाने का Fय2न करने
लगी.इसे दे खकर प
ृ वीराज ने उस माला के सभी मोती को गंगा म$ एक एक कर डालने लगे, संयोगता भी ये सार-
चीज$ दे ख रह- थी, उसने अब अपनी दासी को प
ृ वीराज के पास एक मोOतय! से भरा थाल दे कर भेज )दया, और वो
दासी ठgक प
ृ वीराज के पीछे खड़ी हो गयी, अब वो दासी पृ वीराज को मj
ु ट- भर भर के मोOतयाँ दे ने लगी और
प
ृ वीराज मछलय! म$ खोय सभी मोOतयाँ गंगा म$ डालते चले गए, जब सारे मोती ख़तम हो गए तब दासी ने अपने
गले का हार खोलकर प
ृ वीराज को दे )दया हाथ म$ हार दे खकर प
ृ वीराज च!क गये, जब उ ह!ने पीछे मुड़ा तो
उ ह!ने एक U=ी को दे खा और 5फर प
ृ वीराज उससे पूछने लगे क. तू कौन है ? तब दासी ने अपना पaरचय दे ते हुए
कहा क. मD महाराज जयचंद क. राजकुमार- संयोगता क. दासी हूँ, प
ृ वीराज ने भी अपना पaरचय दे )दया, इतना
सन
ु ते ह- उस दासी ने प
ृ वीराज को संयोगता के तरफ इशारा कर )दया, संयोगता उस समय iखड़क. से प
ृ वीराज
को ह- दे ख रह- थी,संयोगता को दे खते ह- प
ृ वीराज क. बहुत ह- +वच= दशा हो गयी. दासी ने भी संयोगता को
इशारे म$ सार- बात$ बता द-. संयोगता ने सभी से सलाहकार प ृ वीराज को महल म$ बुला लया और यह-ं पर उ ह!ने
गंधवQ +ववाह 5कया. अब वहां से घर जाने का समय हो गया था Tय!5क उ ह$ मालूम था क. उनके सामंत अभी भी
युध कर रहे थे, घर जाने के नाम से ह- संयोगता kयाकुल हो उठg और +वलाप करने लगी, उनक. दशा बहुत ह-
द-ंन हो गयी.प
ृ वीराज भी बहुत kयाकुल हो उठे पर उ ह$ वहां ठहरना उचत न लगा,इतने म$ ह- ग^
ु राम प
ृ वीराज
को सामने से आते हुए )दखाई )दए, इ ह$ दे खकर प
ृ वीराज के जी म$ जी आया, ग^ु राम को पृ वीराज क. तलाश म$
भेजा गया था. गु^राम ने प
ृ वीराज को कहा क. अआप तो यहाँ lींगाररस म$ डूबे हुए है पर तु Tया आपको पता है
क. लिTखराय,इंदरमन,कुरं ग, दज
ु न
Q राय, सलाख संह,भीम राय, और न जाने 5कतने ह- सामंत मारे जा चुके है ,
इतना कहकर उ ह!ने का हा को )दया प= उनके हाथ! म$ थमा )दया, प= पढ़कर प
ृ वीराज वहां से चल )दए.
प
ृ वीराज को रUते म$ ह- जयचंद क. सेना ने घेर लया. इस Uथान म$ प
ृ वीराज ने वीरता )दखाते हुए बखब ू ी उतने
सारे सैOनक! का मक
ु ाबला 5कया, ग^
ु राम 9ा:मण होते हुए भी तलवार Oनकाल कर य ु ध म$ कूद पड़े, वे दोन! लड़ते
लड़ते का हा के पास जा मले. का हा से मलते ह- प
ृ वीराज ने सार- कहानी का हा से जा कहे , इस पर का हा ने
कहा ये Tया महाराज, ये आप Tया कर आये, ये काम तो आप बहुत ह- अनुचत 5कया,दिु 0हन को वह-m छोड़ आये,
या तो आपका उनका हाथ ह- नह-ं पकड़ना था, और अगर पकड़ लया था तो छोड़ कर न आना था.प
ृ वीराज का हा
क. बात मान कर 5फर लौट आये.साथ म$ वीरवर गोय दराय भी थे. प
ृ वीराज महल म$ जाकर संयोगता को लेकर
5फर अपने Uथान क. ओर बढ़े . ये समाचार सारे क नोज म$ जंगल क. आग क. तरह तुरंत ह- फ़ैल गयी क.
प
ृ वीराज संयोगता को लए जा रहे रहे है .जयचंद क. सेना प
ृ वीराज को पकड़ने के लए दौड़ पड़ी. इससमय
क नोज रा&य म$ जयचंद का रावण नामक एक सरदार था, उसने जयचंद के आदे शानस
ु ार सारे क नोज म$ ये बात
फैला द- क. प
ृ वीराज जहाँ मल जाए उसे पकड़ कर मार )दया जाए. जयचंद ने प
ृ वीराज को पकड़ने के लए
अपनी समUत सेना को ज0द से ज0द उपिUथत होने का आदे श दे )दया. उसक. तoयार- दे खते ह- सारे क नोज
वाशी कहने लगे थे क. आज प
ृ वीराज का िज दा क नोज से Oनकल जाना असंभव है . राह म$ ह- जयचंद क. सेना
का सामना प
ृ वीराज से 5फर से हो गया. जयचंद क. सेना को दे खकर गोय दराय ने इस समय अतु0य Fकारम
)दखाया, उसने दोन! हाथ! म$ तलवार लेकर जयचंद क. सेना म$ इस तरह टूट पड़ा और उ ह$ काटने लगा क. जैसे
कोई गाजर मूल- काटता हो, गोय दराय ने अकेले ह- श=ु क. सेना म$ हलचल मचा द-, उसने जयचंद के कई
सैOनक! को अकेले ह- मार गराया,अंत म$ गोय दराय इस वीरता के बावजूद वीरगOत को Fात 5कया, प
ृ वीराज ने
संयोगता को एक 5कनारे म$ कर खुद भी युध म$ उतर गए और वीरता के साथ लड़ने लगे,प
ृ वीराज के अलाव
पं&जूराय,केहर-राय, कएंथर परमार,+पपराय,आ)द भी युध म$ पराकमQ )दखने लगे. पं&जुराय भी मारा गया, ले5कन
मरने से पहले उसने जयचंद क. मसु लमान सेना को बहुत हाOन पहुँचाया.अब पय
ु ां)दर का हा के साथ यु ध भू म म$
आकर प ृ वीराज क. मदद करने लगा, एक एक कर प ृ वीराज के कई सामंत मरने लगे, पुयांद-र ने भी शाम तक
युध 5कया और वीरगOत को Fात 5कये. रात हो चुक. थी ले5कन आज युध थमने का नाम नह-ं ले रह- थी. अब
का हा ने अपना बहुत ह- पर[म )दखाया. आज के युध म$ का हा ने जैसा F[म )दखाया है उसे दे खकर
चंदरबरदाई ने बहुत ह- &वलंत भाषा म$ लखा है क. का हा क. तलवार का घाव खाकर मेघ के सामान शर-र वाले
हाथी और श=ु के सेना मेघ के सामान ह- गरज उठते थे. धीरे धीरे रात गहर- हुई और य ु ध थम गया, सब
सामंत! ने संयोगता समेत प
ृ वीराज को बीच म$ 5कया और बैठकर धीरे धीरे ये +वचारने लगे क. आगे Tया करना
है .सभी सामंत! ने चंदरबरदाई को दोष दे ने लगे क. इसी के सच बोलने के गुण के कारण हम पर इतनी बड़ी +वपदा
आई है . प
ृ वीराज ने सबको समझाया. इस समय सभी सामंत! क. लाश को एक जगह एक= 5कया जाने लगा,
प
ृ वीराज उ ह$ दे खकर अपने आप को रोक नह-ं पाए और और िजस जगह म$ लाश रखी थी उस जगह जाकर उनसे
लपट लपट कर रोने लगे और अपना माथा पटकने लगे. पृ वीराज क. दग
ु OQ त दे खकर सारा माहोल शोक म$ डूब
गया, प
ृ वीराज का रो रो कर जब बहुत ह- बरु ा हाल हो गया तब च Bबरदाई ने उ ह$ समझाने को कोशश क. 5क
जो होना था वो तो हो गया अब आगे के लए Tया +वचार है .सभी सामंत! ने ये +वचार 5कया क. अभी जैसे बन पड़े
महाराज को बेदाग़ )द0ल- पहुंचा दे ना चा)हए,इसके बाद हम दPु मन के सेना को समझ ल$गे अगर हम सबको भी
वीरगOत को Fात करना पड़े तो कोई बात नह-ं सीधे UवगQ पहुंच$गे. अब सामंत उ ह$ समझाने लगे क. आप
संयोगता को लेकर राq= के अँधेरे म$ Oनकल जाए, सभी सामंत प
ृ वीराज को समझा कर थक गए पर वो एक न
माने, उनके सामंत िजतना समझाते वो उतना ह- उनपर qबगड़ते. उनक. ये हालत दे खकर सभी सामंत बहुत दख ु ी
हुए. सुबह होते ह- प
ृ वीराज घोड़े पर सवार हुए संयोगता उनके पीछे जा बैठg,सारे सपाह-गण और सामंत उ ह$
चाVं ओर से घेरे हुए )द0ल- क. ओर अAसर हुए,इधर क नोज क. सेना उनको राह म$ गरrतार करने के लए बहुत
ह- वेग से बढ़-. क नोज सेना पृ वीराज को पकड़ना चाहती और सभी सामंतगण उनक. रYा 5कये जा रहे थे.
प
ृ वीराज क. सेना एक घेरा बनाये हुए )द0ल- क. ओर चल- जा रह- थी, जयचंद क. सेना बराबर उनके पीछा करती
जा रह- थी, इस तरह से य ु ध करते करते का हा भी वीरगOत को Fात 5कया. इस य
ु ध म$ प
ृ वीराज के चौसठ
सामंत वीरगOत को Fात 5कये. और बहुत ह- क)ठनता से )द0ल- पहुँच गए. इसFकार से प
ृ वीराज अपने रा&य क.
इतने मजबूत Uतंभ! को गंवाकर संयोगता का हरण 5कया.

You might also like