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3.1 Desaj Taknik
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हमारे समाज म ‘घर का जोगी जोगना, आन गांव का स ध' कहावत बेहद च लत है । यह कहावत कह तो गुणी-!ानी महातमाओं ् के संद भ% म
है &कंतु 'व!ान संबंधी नवाचार यास( के संग म भी खर उतरती है । उपे,ा क- ऐसी ह हठवा0दताओंके चलते हम उन वै!ा1नक उप ाय( को
सवतं ् 2ता के बाद लगातार नकराते चले आ रहे ह3 जो समाज को स,म और सम ृ ध करने वाले ह3। नकार क- इसी प रंप रा के चलते हमने
आजाद के प हले तो गुलामी जैसी 1तकूल प 8रस9थ1तयां् होने के बावजूद रामानज
ु म, जगद शचं< बोस, चं<शेखर वकट रमन, मेघनाद साहा
और सतय<नाथ् बोस जैसे वै!ा1नक 0दए ले&कन आजाद के बाद मौ लक आ'वषकार ् करने वाला अंतराषB् य खया1त ् का एक भी वै!ा1नक
नह ंदे प ाए। जब&क इस बीच हमारे संसथान ् नई खोज( के लए संसाधन व तकनीक के सतर ् प र समृ धशाल हुए ह3। इससे जा0हर होता है &क
हमार !ान-प ध1त म कह ंखोट है ।
द 1ु नया म वै!ा1नक और अ भयंता पैद ा करने क- Dष0ट ् से भारत का तीसरा सथान ् है । ले&कन 'व!ान सं बंधी सा0हतय् सज ृ न म केवल
प ाशचात् य् लेखक( को जाना जाता है । प श9चमी
् दे श( के वै!ा1नक आ'वषकार(् से ह यह सा0हतय ् भरा प ड़ा है । इस सा0हतय
् म न तो हमारे
वै!ा1नक( क- चचा% है और न ह आ'वषकार( ् क-। ऐसा इस लए हुआ क्य(&क हम खुद न अप ने आ'वषकारक( ् को ोतसा0हत
् करते ह3 और न ह
उनह् मानयता ् दे ते ह3। इन 1तभाओंके साथ हमारा वयवहार् भी कमोबेश अभ< ह होता है । समाचार-प 2( के 'प छले प नन(् प र यदा-कदा ऐसे
आ'वषकारक(
् के समाचार आते ह3 िजनके यास( को य0द ोतसा0हत ् &कया जाए तो हम राषB-1नमा%
् ण म बड़ा सहयोग मल सकता है ।
यहांगौरतलब यह भी है &क जब एक नवाचार वै!ा1नक के अ'वषकार( ् को डॉ. कलाम जैसे वै!ा1नक और राषBप ् 1त भी मानयता
् दे चुके ह(, वह
वै!ा1नक भी अफसरशाह के चलते बौना तो साKबत हुआ ह कालांतर म उसने घर क- प ूंजी लगाकर नई खोज( से भी तौवा कर ल ।
Kबहार के वैशाल िजले म मंसूरप ुर गांव के एक मामूल 'व युत उप करण सुधारने वाले कार गर राघव महतो ने मामूल धन रा श क- लागत से
अप ने कमय ्ु1नट रे Lडयो सटे्शन का 1नमा%ण कर डाला। और &फर उसका सफल सारण भी शुM कर 0दया। 15 वग% &कलोमीटर ,े2फल म यह
केन<् सथानीय
् लोग( का मनोरंजन कर रहा है । एकाएक 'वशवास ् नह ंहोता &क इस कार के सारण के लए जहांकंप 1नयांलाख( Mप ये खच%
करती ह3, इंजी1नयर-तकनी शयन( को रखती ह3, वह काम एक मामूल प ढ़ा- लखा 'व युत- मस2ी ् अप नी खोज के बूते कर रहा है । ले&कन
अंOेज( से उधार ल हमार अकाद मक वयवस ् था् ऐसी है &क 'व!ान के ायो9गक व वयावहा8रक
् Mप को बढ़ावा नह ं मलता। लहाजा सारण
कंप 1नयांतो लाख(-करोड़( कमाकर बारे नयारे ् करने म लगी ह3 ले&कन मौ लक 1तभाएं'वक सत होने क- बजाय सरकार ोतसाहन ् व
वै!ा1नक मानयता ् न मलने के कारण कंु 0ठत व हतोतसा0हत् हो रह ह3।
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- 85 1तशत Pवदे शी तकनीक से 1न म%त अिQन-5 यह उRमीद जगाती है &क हम दे सज !ान, Pथानीय संसाधन और Kबना &कसी बाहर प ूंजी
के वै!ा1नक उप लिSधयांहा सल करने म स,म ह3। वैसे भी प िTचमी दे श( ने भारत को मसाइल तकनीक दे ने प र 1तबंध लगाया हुआ है ।
इस लहाज से अिQन-5 क- उप लिSध प िTचमी दे श( के लए भी आइना 0दखाने जैसा है ।
- हालां&क इस प र ,ण के बाद भारत के 1त कालांतर म कई दे श( क- सामा8रक रणनी1त म बदलाव दे खने को मलेगा। अतीत क-
उप लिSधयांभारत म एक-कृत 'वकास काय%Vम क- शुWआत 1983 म इं0दरा गांधी के काय%काल म हुई थी। इसका मुXय Mप से उ दे Tय
दे सज तकनीक और Pथानीय संसाधन( के आधार प र मसाइल के ,े2 म आYम1नभ%रता हा सल करना था। इस प 8रयोजना के अंतग%त ह
अिQन, प Z ृ वी, आकाश और K2शूल मसाइल( का 1नमा%ण &कया गया।
- ट3क( को न[ट करने वाल मसाइल नाग भी इसी काय%Vम का 0हPसा है । प िTचमी दे श( को चुनौती दे ते हुए यह दे सज तकनीक भारतीय
वै!ा1नक( ने इं0दरा गांधी के ोYसाहन से इस लए 'वक सत क- थी, \य(&क सभी यूरोप ीय दे श( ने भारत को मसाइल तकनीक दे ने से
इनकार कर 0दया था।
- दे शज तकनीक प र आधा8रत आवाज से तेज र]तार से चलने वाले यु धक 'वमान एलसीए-तेजस
- दे शज तकनीक से 1न म%त 'वमानवाहक प ोत आईएनएस 'वVांत
- हाइK^ड बीज( और रसायन के इPतेमाल के बजाय तुलनाYमक Mप से कम लागत पर उप लSध दे शज बीज( से &कसान दोगुनी पैद ावार उपजा
सकता है , ले&कन उसके पास !ान और तकनीक 'वक सत करने का साधन नह ंहै जै'वक खेती हमारे प ूवज % ( वारा खोजी और परखी गई
दे शज !ान पर आधा8रत वह खेती है , जो हम सीधे कृ1त से जोड़ती है ।
- प ारंप 8रक उ _नम( के ज8रये गाँव के आ9थ%क Pवालंबन को सुDढ़ &कया जा सकता है । राaय म इस उ _नम, प रRप रागत जनजातीय पेशा
एवंदे शज हुनर के 'वकास से आम गर बी का उbमल ू न संभव है । यह बहुत बड़ा ,े2 है जहाँ आम लोग( को जोड़ा जा सकता है । आ9थ%क
'वकास के साथ ह इससे प रRप रागत शcप का संर,ण एवंसंव ध % न भी हो सकेगा।
- दे श म रे ल द घु ट
% नाएंरोकने के लए रे लवे क- अनुसंधान शाखा 8रसच% Lडजाइन ऐंड Pट3ड dस आरगनाइजेशन :आरडीएसओ: ने दे शज
तकनीक के आधार प र ट सीएएस का 'वकास &कया है । यह है द राबाद और वाडी के बीच प र ,ण आधार प र संचा लत है ।
- मeय दे श के अल राजप ुर िजले के स(डवा Sलाक के भील आ0दवा सय( ने अप ने इलाके क- भू-आकृ1तय( से तालमेल Kबठाती प ाट प ध1त
'वक सत क- है । इस प ध1त म &कसान प हाड़ी fोत( के प ानी को मोड़कर अप ने खेत( म ले जाता है और सं चाई करता है । यह जल बंध का
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