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OSHO
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बं
ध ी आपके न
वाथ बनो और दे
खो
हम दसूर को े म करने केबारे ू है
म तो माल म , परं
तुवयं को? या वह दस
ूरेका काम है ? ओशो का
ै
प ट उ तर ह,'नह ं
'; े
म तु म से ै
ह शुहोता ह और वयं सेेम करने सेपहले यह जानना
आव यक हैक तु म कौन हो।
वाथ श द का अथ समझते हो? श द बड़ा यारा है, लेकन गलत हाथ म पड़ गया है । वाथ का
अथ होता है- -आ माथ। अपना स ख ु , व का अथ। तो म तो वाथ श द म कोई ब र
ु नह ं
ाई दे
खता।
म तो बलकु ल प म हू । म तो कहता हू
ं ै
, धम का अथ ह वाथ ह। य क धम का अथ वभाव
ं
है।
और एक बात खयाल रखना क िजसनेवाथ साध लया, उससे पराथ सधता है । िजससेवाथ ह
न सधा, उससे पराथ कैसे सधे आ, वह कसी और का कै
गा! जो अपना न हु से होगा! जो अपने को
सुख न दे सका, वह कसको स ु ख दे सकेगा! इसकेपहलेक तु म दस
ूर को े म करो, म तुह
कहता हू, अपने
ं को ेम करो। इसकेपहलेक तु म दसूर केजीवन म स ुख क कोई हवा ला सको,
कम से कम अपने जीवन म तो हवा ले आओ। इसकेपहलेक दस ू रे केअं
धेरेजीवन म काश क
करण उतार सको, कम से कम अपने अं
धे
रे म तो काश को नमंत करो। इसको वाथ कहते
हो! चलो वाथ ह सह , श द से या फक पड़ता है ! लेकन यह वाथ बलकु ल ज र है । यह
दुनया यादा स ुखी हो जाए, अगर लोग ठ क अथ म वाथ हो जाएं ।
कु
छ वाथ कर लो, कुछ सुख पा लो, ता क उतना तुम अपने ब च को देसको, उतना तु म अपने
पड़ो सय को दे
सको। यहांहर आदमी दसूरे को स ु
खी करनेम लगा है
, और यहां खी है
कोई स ु नह ं
।
जो वाद तुह नह ंमला, उस वाद को तु म दसूरेको कै
सेदेसकोगे? असंभ व है
।
तम
ु जब धीरे- धीरे अपनेजीवन म शांत, स ख
ु, आनं द क झलक पाने लगतेहो, तो अनायास ह
तुहारा जीवन दसूर केलए उपदे श हो जाता है
। तुहारेजीवन सेदस
ूर को इंगत और इशारे
मलने लगतेह। तु म अपने ब च को वह सखाओगे िजससे तु
म नेशां
त जानी। तु
म फर
त पधा न सखाओगे , तयो गता न सखाओगे , संघष-वै
म न य न सखाओगे । तुम उनकेमन
म जहर न डालोगे ।
इस द ु
नया म अगर लोग थोड़ेवाथ हो जाएं
तो बड़ा पराथ हो जाए।
नह ं
छेड़े
। कहां
का अथ और कहां
का व!
इस बात को तु
म जीवन केग णत का बहु त आधारभ ू
त नयम मान लो क अगर तु म चाहते
हो
दुनया भल हो, तो अपने सेशुकर दो--तु म भले हो जाओ।
फर तु
म कहते हो, 'परमा मा म ु
झेय द मले भी, तो उससे अपनी शांत मां
गनेकेबजाय म उन
लोग केलए दं ड ह मांगना पसंदकं गा िजनकेकारण सं स ार म शोषण है ु है
, दख और अ याय
है
।'
या तु
म सोचते हो तुम उन लोग म सि म लत नह ं हो? या तु म सोचते हो वेलोग कोई और
लोग ह? तमु उन लोग से भी तो प छ
ूो कभी! वे
भी यह कहते हए
ु पाए जाएंग े क दस
ूर केकारण।
ै
कौन ह दसूरा यहां
? कसक बात कर रहे हो? कसको दंड दलवाओगे ? तु म ने शोषण नह ंकया है?
तु
म नेदस
ूरे को नह ं सताया है
? तुम दस ूरेक छाती पर नह ं बै
ठ गए हो, मा लक नह ं बन गए हो?
तु
म नेदस
ूर को नह ं दबाया है
? तुम ने वह सब कया है , मा ा म भले भेद ह । हो सकता हैतुहारे
शोषण क या बहु
त छोटे दायरेम चलती हो, ले कन चलती है । तुम जी न सकोगे । तु
म अपने
सेनीचेकेआदमी को उसी तरह सता रहे हो िजस तरह तुहारे ऊपर का आदमी तुह सता रहा है ।
ै
यह सारा जाल जीवन का शोषण का जाल ह, इसम तु म एकदम बाहर नह ं हो, दं
ड कसकेलए
मां
गोगे
?
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