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10/8/13 र त सं

बं
ध ी आपके न

वाथ बनो और दे
खो
हम दसूर को े म करने केबारे ू है
म तो माल म , परं
तुवयं को? या वह दस
ूरेका काम है ? ओशो का

प ट उ तर ह,'नह ं
'; े
म तु म से ै
ह शुहोता ह और वयं सेेम करने सेपहले यह जानना
आव यक हैक तु म कौन हो।
वाथ श द का अथ समझते हो? श द बड़ा यारा है, लेकन गलत हाथ म पड़ गया है । वाथ का
अथ होता है- -आ माथ। अपना स ख ु , व का अथ। तो म तो वाथ श द म कोई ब र
ु नह ं
ाई दे
खता।
म तो बलकु ल प म हू । म तो कहता हू
ं ै
, धम का अथ ह वाथ ह। य क धम का अथ वभाव

है।

और एक बात खयाल रखना क िजसनेवाथ साध लया, उससे पराथ सधता है । िजससेवाथ ह
न सधा, उससे पराथ कैसे सधे आ, वह कसी और का कै
गा! जो अपना न हु से होगा! जो अपने को
सुख न दे सका, वह कसको स ु ख दे सकेगा! इसकेपहलेक तु म दस
ूर को े म करो, म तुह
कहता हू, अपने
ं को ेम करो। इसकेपहलेक तु म दसूर केजीवन म स ुख क कोई हवा ला सको,
कम से कम अपने जीवन म तो हवा ले आओ। इसकेपहलेक दस ू रे केअं
धेरेजीवन म काश क
करण उतार सको, कम से कम अपने अं
धे
रे म तो काश को नमंत करो। इसको वाथ कहते
हो! चलो वाथ ह सह , श द से या फक पड़ता है ! लेकन यह वाथ बलकु ल ज र है । यह
दुनया यादा स ुखी हो जाए, अगर लोग ठ क अथ म वाथ हो जाएं ।

और िजस आदमी ने अपना स ु


ख नह ंजाना, वह जब दस ूरे
को स ु
ख देनेक को शश म लग जाता है
तो बड़े
खतरे होतेह। उसे पहलेतो पता नह ंक स ुख या है? वह जबद ती दसूरे पर स ु
ख थोपने
लगता है
, िजस स ख
ु का उसेभी अन भ
ु व नह ंहआ
ु । तो करे
ग ा या? वह करे
ग ा जो उसक ेजीवन म
हु
आ ह।ै

समझो क तुहारे मां


- बाप नेतुह एक तरह क श ा द --तम ु मसुलमान-घर म पद ैा हु
ए, क
हंद-ू ै
घर म पदा हु ै
ए, क जन-घर म, तुहारे मां
- बाप ने ज द से ै
तुह जन, हं दू
या म ु
स लमान
बना दया। उ ह ने यह सोचा ह नह ंक उनकेजै न होने से, हंदू
होनेसेउ ह सुख मला है ? नह ं,
वेएकदम तुह स ु ख देने म लग गए। तुह हं दू
बना दया, म ु स लमान बना दया। तुहारे मां- बाप
नेतुह धन क दौड़ म लगा दया। उ ह ने यह सोचा भी नह ं एक भी बार क हम धन क दौड़ म
जीवनभर दौड़े, हम धन मला है ? धन सेसखु मला है
? उ ह नेजो कया था, वह तुह सखा
दया। उनक भी मजबू ै
र ह, और कु छ सखाएंगेभी या? जो हम सीखे होतेह उसी क श ा दे
सकते ह। उ ह ने
अपनी सार बीमा रयां तुह स प द ं। तुहार धरोहर बस इतनी ह है । उनकेमां -
बाप उ ह स प गए थे बीमा रयां
, वेतुह स प गए, तु म अपने ब च को स प जाओगे ।

कु
छ वाथ कर लो, कुछ सुख पा लो, ता क उतना तुम अपने ब च को देसको, उतना तु म अपने
पड़ो सय को दे
सको। यहांहर आदमी दसूरे को स ु
खी करनेम लगा है
, और यहां खी है
कोई स ु नह ं

जो वाद तुह नह ंमला, उस वाद को तु म दसूरेको कै
सेदेसकोगे? असंभ व है

म तो बलकुल वाथ केप म हू ं , मजहब मतलब क बात है


। म तो कहता हू
ं । इससे बड़ा कोई
मतलब नह ं है
। धम यानी वाथ। ले कन बड़ी अपवू घटना घटती है
, वाथ क ह ब नयाद
ु पर
पराथ का मं ै
दर खड़ा होता ह।

तम
ु जब धीरे- धीरे अपनेजीवन म शांत, स ख
ु, आनं द क झलक पाने लगतेहो, तो अनायास ह
तुहारा जीवन दसूर केलए उपदे श हो जाता है
। तुहारेजीवन सेदस
ूर को इंगत और इशारे
मलने लगतेह। तु म अपने ब च को वह सखाओगे िजससे तु
म नेशां
त जानी। तु
म फर
त पधा न सखाओगे , तयो गता न सखाओगे , संघष-वै
म न य न सखाओगे । तुम उनकेमन
म जहर न डालोगे ।

इस द ु
नया म अगर लोग थोड़ेवाथ हो जाएं
तो बड़ा पराथ हो जाए।

अब तु म कहतेहो क ' या ऐसी ि थ त म यान आ द करना नपट वाथ नह ं ै'


ह?
नपट वाथ है। ले कन वाथ म कह ं भी कु छ बरुा नह ंहै
। अभी तक तम ुने िजसको वाथ समझा

ह, उसम वाथ भी नह ं ै
ह। तु
म कहते हो, धन कमाएं गे ै
, इसम वाथ ह; पद पा लगे , इसम वाथ
है
; बड़ा भवन बनाएं गे, इसम वाथ है। म तुम से कहता हू , इसम वाथ कु
ं छ भी नह ं है। मकान
बन जाएगा, पद भी मल जाएगा, धन भी कमा लया जाएगा--अगर पागल हु ए तो सब हो जाएगा
जो तुम करना चाहते हो--मगर वाथ हल नह ं होगा। य क स ु ख न मले गा। और वयं का
मलन भी नह ं होगा। और न जीवन म कोई अथव ता आएगी। तुहारा जीवन यथ ह रहे गा,
कोरा, िजसम कभी कोई वषा नह ं हु
ई। जहां कभी कोई अं कु र नह ं
फूटे
, कभी कोई ह रयाल नह ं
और कभी कोई फू ल नह ं आए। तुहार वीणा ऐसी ह पड़ी रह जाएगी, िजसम कभी कसी ने तार
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10/8/13 र त सं
बं
ध ी आपके न

नह ं
छेड़े
। कहां
का अथ और कहां
का व!

तु िजसको वाथ समझा ह,ैउसम वाथ नह ं


म ने है ढ़ता है
, सफ म ू । और िजसको तु
म वाथ
कहकर कहते हो क कै
सेम कं? म तम
ु से
कहता हं

, उसम वाथ हैऔर परम समझदार का

कदम भी ह। तु
म यह वाथ करो।

इस बात को तु
म जीवन केग णत का बहु त आधारभ ू
त नयम मान लो क अगर तु म चाहते
हो
दुनया भल हो, तो अपने सेशुकर दो--तु म भले हो जाओ।
फर तु
म कहते हो, 'परमा मा म ु
झेय द मले भी, तो उससे अपनी शांत मां
गनेकेबजाय म उन
लोग केलए दं ड ह मांगना पसंदकं गा िजनकेकारण सं स ार म शोषण है ु है
, दख और अ याय
है
।'

या तु
म सोचते हो तुम उन लोग म सि म लत नह ं हो? या तु म सोचते हो वेलोग कोई और
लोग ह? तमु उन लोग से भी तो प छ
ूो कभी! वे
भी यह कहते हए
ु पाए जाएंग े क दस
ूर केकारण।

कौन ह दसूरा यहां
? कसक बात कर रहे हो? कसको दंड दलवाओगे ? तु म ने शोषण नह ंकया है?
तु
म नेदस
ूरे को नह ं सताया है
? तुम दस ूरेक छाती पर नह ं बै
ठ गए हो, मा लक नह ं बन गए हो?
तु
म नेदस
ूर को नह ं दबाया है
? तुम ने वह सब कया है , मा ा म भले भेद ह । हो सकता हैतुहारे
शोषण क या बहु
त छोटे दायरेम चलती हो, ले कन चलती है । तुम जी न सकोगे । तु
म अपने
सेनीचेकेआदमी को उसी तरह सता रहे हो िजस तरह तुहारे ऊपर का आदमी तुह सता रहा है ।

यह सारा जाल जीवन का शोषण का जाल ह, इसम तु म एकदम बाहर नह ं हो, दं
ड कसकेलए
मां
गोगे
?

और जरा खयाल करना, दंड भी तो दखु ह दे


गा दस
ूर को! तो तुम दस
ूर को दख
ुी ह दे
खना चाहते
हो! परमा मा भी मल जाएगा तो भी तु
म मां
गोगे दं
ड ह ! दस
ूर को दख
ु दे
नेका उपाय ह ! तु

अपनी शां त तक छोड़नेको तै
यार हो!

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