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गुरु-शनि संबंध व नाड़ी ज्योतिष
गुरु-शनि संबंध व नाड़ी ज्योतिष
गु-श न सं
बध
ंअथवा धम-कम योग
ॐ
गु-जीव यानी जीवन/ ाण और श न-कम यही
दो ह हैजो अ य ह से ा त होनेवाले
शुभाशुभ फलो को भोगते है। जीव अनु भवकता
के प म जीवन जीता है और जीवन जीने हे
तु
जन कम को करना होता है उंहेश न सू चत
करता है। गुव श न कालपुष केनवं म यानी
धर्
म से लेकर ादष यानी मो भाव पर अपना
अ धकार रखते ह, कम केदोन भाव का गुके
बीच होना यह दशाता हैक इं सान जीवन मे धम
केअधीन कम कर मो ा त करने आया है ।
यही 4 भाव कसी भी इं सान केजीवन आगमन
केमूलउ े य केसू चक है। गु-श न क अशु भ
भाव मु यु त ऐसे ही गु ण के दान करने
वाली होती है
। कालपुष के नवंम यानी धम भाव
गजेसरकार
पर अपने अ धप य सेगुव कालपुष केकम
भाव पर आ धप य रखने सेश न क यु त को
नाड़ी यो तष म धम-कम योग केनाम से जाना
जाता है। एक सफल व नै तक जीवन केप रपेय
सेइसे सवा धक शु भ युत/सं
बध
ंम से एक माना
गया है
।
आपसी भाव का व प
गजेसरकार
अगर यह सं बधं ट, कोण, प रवतन इ याद
सेबनता है तो इन ह केसाथ बै ठेह, इन पर
ट डालने वालेह, इनकेपू व व भ व य माग
म मलने वालेह, व प रवतन उपरां तअय ह
के भाव योग क शु भता को अपनी शु भता/
अशु भता केअनु सार योगकारक भी बना सकते व
शु
भ फल को शू य भी कर सकते है
। अगर इस
योग पर रा का भाव हो तो सु योग को कु
योग म
भी बदल सकता हैय क जातक/जातीका के
कम व धम/भा य द नो ही माया/भृ म व पाप
भाव म ह गे, अ मे ष व अशु
भ मंगल का भाव
भी योग क दशा को भटकाने म स म ह गे।
जीवन पर पड़ने
वालेभाव
अगर गु क ड ी श न से अ धक है तो यह
तु
लना मक प से अ धक शुभ होगी, कम पर
भा य का अ धकार होगा, और कम भा य क
ओर बढ़ने व उसेा त करने क व त ज म से
ले
कर आयेहैऐसा समझा जाये गा। माग म
कावट न हो तो यह अं
शा मक भाव जीवन मे
उ रो र वकास को सू चत करता है
। ई वर व
समय पर आ था इनका मूल वभाव होता है।
ऐसेजातक क श ा का तर उ च होना
आव यक नही होता पर ान और समझ
गजेसरकार
प रप व होती है
, ऐसेजातक धन/ऐ य भोग के
अ धक लालची नही होते। अगर कोई अशु
भ भाव
या ह क कावट न हो तो ऐसे जातक कं पनी
केमै नज
ेर/ सामा जक अथवा अ य सं था के
मुख/ कसी समू ह केलीडर/ पु संचालक/
यायकता/ उ म सलाहकार/ सं तुलत
तुतकता अव य बनते है।
अ य गृ
हो के भाव से
आने
वाले
बदलाव
सू
य:
इस यु त या योग पर सू
य का भाव आजाये तो
वा भमान म वृ केसाथ ऊँ चाई पर जानेव
स ा एवं स मान ा त करने केबेहतरीन योग
बनते है
। शासन/ शाशन म नौकरी, सरकार से
सहायता अथवा स मान उ च अ धकारी व ने ता
वग से संबध
ंबन सकते है
। यह युत जातक के
पता व पुसं तान क वशेष सफलता क सू चक
है
।
गजेसरकार
चं
इस यु त पर चँका भाव हो तो जीवन व कम
म बदलाव/प रवतन का भाव आने केसंके
त है
जो इस यु त के थाई व प रप व प रणाम म
आं शक कावट का काय करती है । श योग
को यह यु त बढ़ाती ह पर उतार/चढ़ाव आने के
संके
त बने रहतेहै
। यह युत माता/ बड़ी बहन
इ या द केजीवन केलये उ म कही जा सकती
है
।
मं
गल
इस युत पर मंगल का भाव हो तो श न गुके
वभाव म गम व स यता बढ़ सकती हैव
उ ता व ज दबाजी का भाव जीव व कम म
शा मल हो सकता है, मं
गल अशुभ हो तो यह योग
घटना व शार रक च क सा भी दे सकता है ।
शुभ योग जातक को खे ल/शरीर सौ व इ या द म
लगाव भी दे ता है
। अगर मंगल ी रा श के
गजेसरकार
भाव म या योगकारक हो तो एक बे
हतरीन योग
भी बन सकता हैजो अ धकार या संघष केसाथ
दे
ह केमा यम सेनैतक कम क पू त केसंकेत
होगा। ी कु
ंडली मेउसके प त केलये यह योग
कम/धम छेम उ म होगा।
बु
अगर इस यु त पर बु का भाव हो तो
ान/धम/कम/गं भीरता म ववेक व वह रकता
भी शा मल हो जाये
गी। ऐसेजातक म बु / ान
केसाथ वह रकता/ नी त का उ म समावे श
होगा, आजकेसमय केअनु सार समझ/बु भी
उसमे होगी। श ा का तर उ च हो सकता है ,
फाइनस/ एकाउं ट /माक टग/ एच.आर. इ या द
श ा म वीणता हा सल कर सकता है । जातक
अ छा ापारी/ एजसी ापार/ ट चर/ चाटड
अकाउं टट/ लेखापाल/ ऑडीटर/ ले खक हो
सकता है ।
गजेसरकार
शु
अगर इस यु त पर शु का भाव हो तो दो
गु का कम से सं
बध
ंबनता है, जो अपनेआप
मे एक वशे ष योग होगा, ऐसेजातक को धम
ान केसाथ सां सा रक ान भी होगा, और कम
छेम भी उसक धानता उ च दज क होगी,
ऐसा जातक ब त उ च ानी/ ट चर/ ोफ़े सर/
पी.एच.डी./ होटल मैनज
ेर/ कला केछेम भी
सफलता ा त कर सकते है
। यह संबध
ं ान के
साथ धन और आय केलए भी ेयोग है , पर
जातक ज तका म धन क लालसा को बढ़ा
सकता है। ऐसे जातक क प न स म और उ च
दज क होती है । अगर के
तु चँके भाव से मु
हो तो यह संबधंजातक केलयेचु र मा ा म
धन/ऐ वय व उपा ध दायक होगा।
रा
अगर इस यु
त पर रा का भाव हो तो इस योग
को शूय कर अशुभ प भी रा दे सकता है ,
गजेसरकार
धम-कम पर माया/ म/छल कारक का भाव
योग क दशा वप रत अथवा नकारा मक कर
सकता है। अ य अ छे योग सेजातक जीवन मे
ऊँचाई भी ा त कर सकता हैपर उतार-चढ़ाव व
उ ेय केप रव तत होनेका भय बना रह सकता
है
।
के
तु
इस युत पर अगर केतुका भाव हो तो यह योग
धम/कम/मो म त द ल हो जाता है , अगर चँ
इस योग म शा मल हो तो यह पू ण मो व
स यास योग का प ले सकता है
। इसे वै
रा य/
फ कड़/से वा योग भी कहा जा सकता है । ऐसे
जातक को सां सा रक जीवन सेवर भाव
महसूस होता हैव से वा, आ या म, यो तष,
मेडकल, छेम जाकर अपने मान सक उ े य
क पू त कर सकता है । ऐसे जातक यो तष/
ट चर/डॉ टर/समाज से वक इ या द बन सकते
है
। अ यथा कम के साथ ऐसेमनभाव रखते है।
गजेसरकार
कु
छ उदाहरण
गौतम बु= मे
ष रा श मे
युत के
तुका भाव।
वामी ववे
कानं
द= श न के
आगे
गु।
रामकृण परमहं
स= कोण भाव से
।
रामानु
जाचाय= सम स तक।
रमन मह ष= गुके
आगे
श न।
सं
त तु
लसीदास= वृक रा श मे
युत।
सं
त एकनाथ= सम स तक।
मह ष महे
श योगी= सम स तक।
रव नाथ टै
गोर= गुके
आगे
श न।
ध यवाद, गजेसरकार
गजेसरकार