Download as pdf or txt
Download as pdf or txt
You are on page 1of 13

गजेसरकार, वा लयर

गु-श न सं
बध
ंअथवा धम-कम योग


गु-जीव यानी जीवन/ ाण और श न-कम यही
दो ह हैजो अ य ह से ा त होनेवाले
शुभाशुभ फलो को भोगते है। जीव अनु भवकता
के प म जीवन जीता है और जीवन जीने हे
तु
जन कम को करना होता है उंहेश न सू चत
करता है। गुव श न कालपुष केनवं म यानी
धर्
म से लेकर ादष यानी मो भाव पर अपना
अ धकार रखते ह, कम केदोन भाव का गुके
बीच होना यह दशाता हैक इं सान जीवन मे धम
केअधीन कम कर मो ा त करने आया है ।
यही 4 भाव कसी भी इं सान केजीवन आगमन
केमूलउ े य केसू चक है। गु-श न क अशु भ
भाव मु यु त ऐसे ही गु ण के दान करने
वाली होती है
। कालपुष के नवंम यानी धम भाव
गजेसरकार
पर अपने अ धप य सेगुव कालपुष केकम
भाव पर आ धप य रखने सेश न क यु त को
नाड़ी यो तष म धम-कम योग केनाम से जाना
जाता है। एक सफल व नै तक जीवन केप रपेय
सेइसे सवा धक शु भ युत/सं
बध
ंम से एक माना
गया है

आपसी भाव का व प

गु-श न संबधं के व प को व उन पर पड़ने


वालेअ य ह के भाव को भली-भां
त जाननेके
बाद ही इसकेशुभाशु
भ फलादे
श क क पना क
जानी चा हये

सव थम तो यह कहना ऊ चत होगा क गु-श न


संबध
ं ट, र- ादश, कोण, प रवतन
इ या द से
बने गा पर इन सभी क अपेा यह
योग अगर यु त म बनता है तो मू
ल फल देनेम
अ धक स य होगा, व ज म से जातक इस योग
गजेसरकार
के भाव ले कर ज मा ह ऐसा माना जाये गा। उ
दो ह केबीच कोई ह न हो अथवा कसी अ य
वपरीत भाव रखनेह का भाव इन पर नही
आ रहा हो तो ही प रमाण इस यु त केमू ल
वभाव प म ा त हो सकगे । उ योग म दोनो
हो क अं शा मक री जतनी कम होगी यु त के
फल दे नेक छमता उतनी ही बल होगी। एक
सरे केद तांश से बाहर जाने पर तु
लना मक
प से प रणाम म अं तर गोचर होगा। अगर
द नो म कोई ह व है तो यह माना जायेगा क
वो ह कसी ार ध कम केबं धन केकारण इस
योग का पूण लाभ ले नेम वयं को आं शक प
सेकमजोर म सस कर रहा है व वापस जाकर
अ य कम का भी भोग करना पड़ रहा है । एक
सरे से2-12 म होने से भी योग तो बनेगा, पर
ऐसा समझा जाये गा क आगे वाला ह पीछे वाले
ह के भाव ज म से लेकर आया है एवं पीछे
वालेह को आगे जाकर जीवन मे अगलेह के
भाव ा त करने है

गजेसरकार
अगर यह सं बधं ट, कोण, प रवतन इ याद
सेबनता है तो इन ह केसाथ बै ठेह, इन पर
ट डालने वालेह, इनकेपू व व भ व य माग
म मलने वालेह, व प रवतन उपरां तअय ह
के भाव योग क शु भता को अपनी शु भता/
अशु भता केअनु सार योगकारक भी बना सकते व
शु
भ फल को शू य भी कर सकते है
। अगर इस
योग पर रा का भाव हो तो सु योग को कु
योग म
भी बदल सकता हैय क जातक/जातीका के
कम व धम/भा य द नो ही माया/भृ म व पाप
भाव म ह गे, अ मे ष व अशु
भ मंगल का भाव
भी योग क दशा को भटकाने म स म ह गे।

जीवन पर पड़ने
वालेभाव

नाड़ी यो तष अनु सार गु पुष जीव का


अ धप त हैअतः पुष कु ंडली को आधार
मानकर बात कर तो भाव न नानु
सार हो सकते
गजेसरकार
है
। अगर यह संबध
ंयु त म बनता है
तो ारं
भक
प से यह देखना होगा क कस ह क ड ी
यादा है
, अगर श न क ड ी अ धक है , तो
भा य या जीव कम केअधीन है ऐसा समझा
जाएगा और ारं भक जीवन मे कम पर मं
दगामी
व त, धै य, सं
तोष, आलस, गं भीरता क
अ धकता जीव पर होगी।

अगर गु क ड ी श न से अ धक है तो यह
तु
लना मक प से अ धक शुभ होगी, कम पर
भा य का अ धकार होगा, और कम भा य क
ओर बढ़ने व उसेा त करने क व त ज म से
ले
कर आयेहैऐसा समझा जाये गा। माग म
कावट न हो तो यह अं
शा मक भाव जीवन मे
उ रो र वकास को सू चत करता है
। ई वर व
समय पर आ था इनका मूल वभाव होता है।

गु-श न दोन ही कालपुष केमंदगामी गृ


ह है
अतः ऐसा पुष जातक वभाव सेथोड़ा धीमा व
मं
द ग त व मं
द कम से जीवन ार भ करता है,
गजेसरकार
इस लयेऐसेअ धकां श जातक के ार भक
जीवन सं घषमय दे खेगयेहै । श न-गं
भीरता व
प रप वता का सू चक होने सेजातक म गं
भीरता/
प रप वता/ वचारशीलता केगु ण ज द आजाते
है
, चू
ंक यह यु त उसकेधम-कम उ े य केल य
को भी इंगत करती है , अतः ऐसा जातक अपने
कम छेम काफ स य व व थत होता है ।
इ ह अपने काय/कायालय के त काफ लगाव
दे
खा गया है। अपने कम और अपने ल य के त
समपण भाव रखता हैव उसे ा त करनेम
सफल भी होता है । कसी भी काय को काफ
सोच- वचार कर व थत प दे नेक कला
चुर होती है। ऐसेजातक अपनेसामा जक/
का मक/से वायु उ े यो क पू त म अ धक
च रखते है अतः अपने घर प रवार म कम/
दा य व म कभी-कभी उदासीनता/अ च दे खने
को मलती है । पर आं त रक प से यह सदैव
अपने सभी दा य व के त उदार भाव रखने
वाले होतेहै। श न बड़े भाई/ताऊ इ या द का
कारक होने सेबड़े भाई/ताऊ केजीवन को भी
गजेसरकार
भा य का साथ ा त होता है। श न आयु पर भी
अ धकार रखता है अतः रा -केतु सेअशु भ सं बध

न बन रहा हो तो अमू मन ऐसे जताक अथवा
जातीका लं
बी आयुा त करते है। श न कम और
गु स मान/उपा ध का कारक हैअतः इसे
जातक/जातीका अपनेकम के तफल म
स मान भी ा त करते है
, श न, कम/ यायाधीश
व गु, धम नी त होने से ऐसे जातक/जातीका
याय य होते है
, अ छेसु लझेये सलाहकार
होतेहै
। याय छेम जाने केभी योग बनते है

नैतक कम क ओर झु काव रहता है व वाद-
ववाद तथा थ क चचा से सदा र रहने का
यास करते है
। गुखाने क आदत व श न के
साथ पाचन तंपर भी भाव रखता है तो इस
योग सेपाचन तंश न के भाव से खा हो
जाता है
। श न पर अशु भ भाव हो तो जातक
कभी-कभी नकारा मक भी हो सकता है ।

ऐसेजातक क श ा का तर उ च होना
आव यक नही होता पर ान और समझ
गजेसरकार
प रप व होती है
, ऐसेजातक धन/ऐ य भोग के
अ धक लालची नही होते। अगर कोई अशु
भ भाव
या ह क कावट न हो तो ऐसे जातक कं पनी
केमै नज
ेर/ सामा जक अथवा अ य सं था के
मुख/ कसी समू ह केलीडर/ पु संचालक/
यायकता/ उ म सलाहकार/ सं तुलत
तुतकता अव य बनते है।

अ य गृ
हो के भाव से
आने
वाले
बदलाव

सू
य:
इस यु त या योग पर सू
य का भाव आजाये तो
वा भमान म वृ केसाथ ऊँ चाई पर जानेव
स ा एवं स मान ा त करने केबेहतरीन योग
बनते है
। शासन/ शाशन म नौकरी, सरकार से
सहायता अथवा स मान उ च अ धकारी व ने ता
वग से संबध
ंबन सकते है
। यह युत जातक के
पता व पुसं तान क वशेष सफलता क सू चक
है

गजेसरकार
चं
इस यु त पर चँका भाव हो तो जीवन व कम
म बदलाव/प रवतन का भाव आने केसंके
त है
जो इस यु त के थाई व प रप व प रणाम म
आं शक कावट का काय करती है । श योग
को यह यु त बढ़ाती ह पर उतार/चढ़ाव आने के
संके
त बने रहतेहै
। यह युत माता/ बड़ी बहन
इ या द केजीवन केलये उ म कही जा सकती
है

मं
गल
इस युत पर मंगल का भाव हो तो श न गुके
वभाव म गम व स यता बढ़ सकती हैव
उ ता व ज दबाजी का भाव जीव व कम म
शा मल हो सकता है, मं
गल अशुभ हो तो यह योग
घटना व शार रक च क सा भी दे सकता है ।
शुभ योग जातक को खे ल/शरीर सौ व इ या द म
लगाव भी दे ता है
। अगर मंगल ी रा श के
गजेसरकार
भाव म या योगकारक हो तो एक बे
हतरीन योग
भी बन सकता हैजो अ धकार या संघष केसाथ
दे
ह केमा यम सेनैतक कम क पू त केसंकेत
होगा। ी कु
ंडली मेउसके प त केलये यह योग
कम/धम छेम उ म होगा।

बु
अगर इस यु त पर बु का भाव हो तो
ान/धम/कम/गं भीरता म ववेक व वह रकता
भी शा मल हो जाये
गी। ऐसेजातक म बु / ान
केसाथ वह रकता/ नी त का उ म समावे श
होगा, आजकेसमय केअनु सार समझ/बु भी
उसमे होगी। श ा का तर उ च हो सकता है ,
फाइनस/ एकाउं ट /माक टग/ एच.आर. इ या द
श ा म वीणता हा सल कर सकता है । जातक
अ छा ापारी/ एजसी ापार/ ट चर/ चाटड
अकाउं टट/ लेखापाल/ ऑडीटर/ ले खक हो
सकता है ।

गजेसरकार
शु
अगर इस यु त पर शु का भाव हो तो दो
गु का कम से सं
बध
ंबनता है, जो अपनेआप
मे एक वशे ष योग होगा, ऐसेजातक को धम
ान केसाथ सां सा रक ान भी होगा, और कम
छेम भी उसक धानता उ च दज क होगी,
ऐसा जातक ब त उ च ानी/ ट चर/ ोफ़े सर/
पी.एच.डी./ होटल मैनज
ेर/ कला केछेम भी
सफलता ा त कर सकते है
। यह संबध
ं ान के
साथ धन और आय केलए भी ेयोग है , पर
जातक ज तका म धन क लालसा को बढ़ा
सकता है। ऐसे जातक क प न स म और उ च
दज क होती है । अगर के
तु चँके भाव से मु
हो तो यह संबधंजातक केलयेचु र मा ा म
धन/ऐ वय व उपा ध दायक होगा।

रा
अगर इस यु
त पर रा का भाव हो तो इस योग
को शूय कर अशुभ प भी रा दे सकता है ,
गजेसरकार
धम-कम पर माया/ म/छल कारक का भाव
योग क दशा वप रत अथवा नकारा मक कर
सकता है। अ य अ छे योग सेजातक जीवन मे
ऊँचाई भी ा त कर सकता हैपर उतार-चढ़ाव व
उ ेय केप रव तत होनेका भय बना रह सकता
है

के
तु
इस युत पर अगर केतुका भाव हो तो यह योग
धम/कम/मो म त द ल हो जाता है , अगर चँ
इस योग म शा मल हो तो यह पू ण मो व
स यास योग का प ले सकता है
। इसे वै
रा य/
फ कड़/से वा योग भी कहा जा सकता है । ऐसे
जातक को सां सा रक जीवन सेवर भाव
महसूस होता हैव से वा, आ या म, यो तष,
मेडकल, छेम जाकर अपने मान सक उ े य
क पू त कर सकता है । ऐसे जातक यो तष/
ट चर/डॉ टर/समाज से वक इ या द बन सकते
है
। अ यथा कम के साथ ऐसेमनभाव रखते है।
गजेसरकार
कु
छ उदाहरण

गौतम बु= मे
ष रा श मे
युत के
तुका भाव।
वामी ववे
कानं
द= श न के
आगे
गु।
रामकृण परमहं
स= कोण भाव से

रामानु
जाचाय= सम स तक।
रमन मह ष= गुके
आगे
श न।
सं
त तु
लसीदास= वृक रा श मे
युत।
सं
त एकनाथ= सम स तक।
मह ष महे
श योगी= सम स तक।
रव नाथ टै
गोर= गुके
आगे
श न।

गु सेा त ान व नज अनु भव को अपने


श द म लखनेका यास है
। ु
टपू
ण ले
खन हे
तु
छमा ाथ ।ँ

ध यवाद, गजेसरकार
गजेसरकार

You might also like