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@ भाजपा कैसे जीतती है 4151
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dharmendra Singh G
2014: एक नया मोड़
यदि मध्य दिल्ली भारत की सत्ता का केन्द्र है तो दिन्द्डसर प्लेस का
गोल चक्कर इसकी गदतदिदियों का मुख्य केन्द्र है ।
राष्ट्रीय स्त्तर पर इसको हादसल िोट प्रदतशत 31.1 था, परं तु दजन
सीटों पर उसने अपने उम्मीििार खड़े दकए थे, उनमें उसके िोट
40 प्रदतशत के पास थे। यह 1991 से पहला मौका था जब दकसी
पाटी को 30 प्रदतशत से अदिक िोट दमले थे। उसने 137 सीटों
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पर 50 प्रदतशत से ज्यािा, 132 सीटों पर 40 प्रदतशत से ज्यािा
मत हादसल दकए और दनिाचन क्षेरों में भाजपा की जीत का
औसत अंतर 17.9 प्रदतशत था – जो दिजयी उम्मीििार और
परादजत होने िाले दनकटस्त्थ प्रत्याशी के बीच काफी अदिक
था। अतः इन चुनाि में भाजपा ने न दसफच अदिकांश सीटें जीती,
बल्कक उसने जबिच स्त्त जनािे श के साथ यह दिजय हादसल की।
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2014 के लोक सभा चुनाि में भाजपा को कुल सीटों का छधबीस
प्रदतशत उत्तर प्रिे श से दमला। इससे तीस सालों में दकसी भी
पाटी द्वारा पहली बार अपने बूते पूिच बहु मत हादसल हु आ।
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दजस तरह मोिी ने अपनी छदि बिली, भाजपा ने भी िैसा ही
दकया।
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इस दकताब में शुरू से आदखर तक एक ही बात दमलेगी और िो
है दिपक्ष की अनेक नाकादमयां. कोई भी नेता नरे न्द्र मोिी का
मुकाबला नहीं कर पाया है और राहु ल गांिी के कमजोर प्रयास
जनता का मामूली ध्यान ही आकर्णषत कर सके हैं । कोई भी
राजनीदतक िल अदमत शाह की टक्कर का संगठन नहीं बना
सका। कोई भी िूसरा िल अपने सामादजक गठबंिन एक या िो
मुख्य जादतयों के आगे दिस्त्तार नहीं कर सका। कोई भी अन्द्य
िल पुराने ‘िमचदनरपेक्ष बनाम सांप्रिादयक’ होने के तकच से आगे
नहीं जा पाया, दजसका असल में मतलब ‘मुल्स्त्लम िोट’ पर
अत्यदिक दनभचर होना हो जाता है और इस तरह से यह दसफच
भाजपा की ही मिि करता है । और इनमें से अदिकांश ने भाजपा
के दखलाफ अलग अलग चुनाि लड़ा और जब दिपक्षी एकता
कमजोर हो तो भाजपा को परास्त्त करना मुल्श्कल है ।
2. मोिी हिा
उत्तर प्रिे श के चुनाि भारतीय जनता पाटी ने नहीं, राज्य के
नेताओं ने नहीं, उम्मीििारों ने नहीं और न ही राष्ट्रीय स्त्ियंसेिक
संघ बल्कक दसफच एक व्यदि ने राज्य में भाजपा को दिजय
दिलायी और िह व्यदि प्रिान मंरी नरे न्द्र मोिी हैं ।
उसने िलील िी, ‘पैसा बैकों में िापस आएगा। दजनके पास
काला िन है िे पकडे जायेंग।े अथचव्यिस्त्था स्त्िच्छ और साफ
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हो जायेगी।’ और दफर, एक मुस्त्कुराहट के साथ राम सुिार यह
भी जोड़ता है , ‘मोिी ने कुछ समय मांगा है । यह सारी परे शादनयां,
असुदििाएं कुछ सप्ताह में खत्म हो जायेंगी। हमें उन पर भरोसा
है ।’
राम सुिार अकेला अपिाि नहीं था। निंबर, 2016 में समूचे
पूिांचल-िारािसी, दमजापुर, आजमगढ, जौनपुर-में भारत की
सबसे गरीब पट्टी में से एक इस सूबे में आम नागदरकों का यही
कहना था। दिमुरीकरि से असुदििाएं हु ई हैं परं तु िे इसका
समथचन करते हैं ।
‘हां’।
‘हां’
‘नहीं।’
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मोिी ने एक बार दफर जनता को कुरे िा।
‘‘हां, मोिी जी जो हैं , बड़ा घूमते हैं । मोिी जी बहु त याराएं करते
हैं । उन्द्होंने 14 महीने में 16 िे शों की यारा की है और पांच साल
का कायचकाल पूरा होने तक िह इस िे श को दििे दशयों के हिाले
कर िें गे। भारत में सारा माल दििे शी दनर्णमत होगा।’’
उसका तकच था-‘‘मोिी जी ने खाते खुलिाये हैं ।’’ उसे इससे फकच
नहीं पड़ता दक इन खातों में पैसा नहीं है । िह कहता है , ‘‘पैसा
तो हमें कमाना है ।’’ िह इस बात से खुश था दक उसका एक
बैंक खाता है , इसने उसे सशि होने का अहसास कराया, और
िह सरकार से यह अपेक्षा नहीं करता था दक िह आएगी और
उसके स्त्थान पर काम करे गी।
एक और उिाहरि िे दखए।
राहु ल दफर, ऐसा लगा, इस कहानी के बारे में पूरी तरह भूल गये
और दिमुरीकरि के बारे में बोलने लगे। उन्द्होंने भीड़ से पूछा,
‘‘क्या आपको मालूम है दक मोिी जी ने नोटबंिी क्यों की? यह
आपका पैसा लेकरर उसे 50 रईस उद्योगपदतयों को सौंपने के
दलए।’’ नोटबंिी के आर्णथक नतीजों की जानकारी िे ने के बाि
राहु ल अपनी कहानी पर लौटे ।
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उन्द्होंने अपने भ्रदमत करने िाले दनष्ट्कषच में कहा दक उन्द्हें उस
दिन का इंतजार है जब ‘ओबामाजी, अब िह खाली हैं ’ और
चीन में उनके िोस्त्त मेड इन बरे ली, मेड इन उप्र के दचह्न िाले
उत्पाि िे खेंग।े ‘‘बरे ली को उसके मांझा के दलए जाना जाता है ।
मैं िह दिन िे खना चाहता हू ं दक जब मैं िापस चीन जाऊं और
उसी नेता के साथ भोजन करते हु ए हम बरे ली के मांझे के बारे
में बात करें ।’’
उत्तर प्रिे श में चुनाि प्रचार के अंदतम दिन, भाजपा अपनी जीत
के प्रदत आश्वस्त्त थी। पूिान्द्चल के एक नेता ने, जो प्रिानमंरी
को िो िशक से जानते थे, उनसे इस बात का दजि दकया दक
उनके बनारस में प्रचार को पाटी की घबराहट के रूप में िे खा जा
रहा है मानो िह भयभीत है और उनसे पूछा दक उन्द्होंने ऐसा
करने का दनिचय क्यों दकया।
3. शाह का सं ग ठन
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उत्तर प्रिे श में भाजपा को शानिार दिजय दिलाने के एक महीने
बाि अप्रैल, 2017 में भुिनेश्वर में हु ई पाटी की राष्ट्रीय
कायचकादरिी की बैठक में अदमत शाह ने घोषिा की दक यह
आराम का समय नहीं है ।
यह सब कैसे हु आ?
अदमत शाह का जन्द्म 1964 में मुंबई में हु आ था। लेदकन उनका
पदरिार मूलतः अहमिाबाि के दनकट मनसा से था। एक िुलचभ
इंटरव्यू में जहां उन्द्होंने अपने प्रारं दभक दिनों के बारे में बताया,
शाह ने हहिूस्त्तान टाइम्स के लेखक पैदरक फ्रैंच को बताया दक
उनके िािा चाहते थे दक गांि में ही उनका लालन पालन दकया
जाये।
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उत्तर प्रिे श अदमत शाह की दजम्मेिारी थी। उनके सहयोगी के
रूप में बंसल को चुनािों का एक दिहं गम िृश्य दमल चुका था।
दकसी और ने पाटी के भािी अध्यक्ष को काम करते हु ए इतने
नजिीक से नहीं िे खा था।
बंसल बताते हैं , ‘‘चुनाि पूिच अदमत भाई पहला काम बहु त ही
गहराई से िस्त्तुल्स्त्थदत का अध्ययन करते हैं । उन्द्हें 2013 में ही
उत्तर प्रिे श का प्रभार दमला था। परं तु छह महीने के भीतर ही
उन्द्होंने राज्य के प्रत्येक कोने की यारा कर डाली थी। िह प्रत्येक
क्षेर के मुििों से अिगत थे। िह जानते थे दक कौन सा नेता कहां
उपयोगी है ।’’
बंसल बताते हैं , ‘‘िह दिपक्ष की ताकत को दछन्न दभन्न करने में
यकीन रखते है । अदमत भाई हमेशा ही आियच करते हैं दक
िशकों से कड़ी मेहनत कर रही भाजपा को अभी तक उस तरह
की सफलता क्यों नहीं दमल सकी जो हमें पहले ही दमल जानी
चादहए थी। उनका जिाब है दक यह सब पांच से िस प्रदतशत
मतों की कमी की िजह से हु आ। और इसे प्राप्त करने के दलए
िह िूसरे िलों से लोगों अपने यहां लाने के दलए तैयार हैं । यह
दिरोदियों को कमजोर करे गा और हमें ताकत प्रिान करे गा।
इससे कम हो रहे मतों की भरपाई होगी।’’
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और शाह के िृदष्टकोि का अंदतम पहलू सािारि लगने िाली
गुिित्ता है दजसे हम महत्ि नहीं िे ते। िह है - कठोर पदरश्रम और
ध्यान केल्न्द्रत करना।
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16 मई, 2014 को चुनाि के नतीजों के बाि अदमत शाह दिल्ली
में सत्ता हस्त्तांतरि के प्रबंिन में मिि और नरे न्द्र मोिी सरकार
में शादमल होने िाले मंदरयों के नाम चुनने में व्यस्त्त हो गए।
चुनाि के बाि अंततः पाटी राज्य में सबसे बडे िल के रूप में
उभरी और उसने सरकार बनायी। चुनाि में मोिी हिा की तरह
ही भाजपा की कौशलपूिच सामादजक गठबंिन, राजनीदतक
संिेश और सरकार दिरोिी लहर ने भी अहम भूदमका दनभाई।
लेदकन यह स्त्पष्ट लग रहा था दक शाह बहु त बड़ा जोदखम लेने के
दलए तैयार थे। चूदं क दशिसेना से सबंि तोड़ने का उलटा असर
हो सकता था, लेदकन इससे उन्द्हें उन राज्यों में भी चुनािी
सुदििाओं का सृजन करने का मौका दमल गया जहां भाजपा
बहु त अदिक ताकतिर नहीं थी। हदरयािा का मामला भी
कमोबेश ऐसा ही थी। दसफच शहरी केन्द्रों तक सीदमत रहने और
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पाटी का व्यापक संगठन नहीं होने के बािजूि भाजपा चुनाि में
सफाया करने में सफल रही।
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एक निंबर, 2014 को अदमत शाह ने सिादिक महत्िाकांक्षी
सिस्त्यता अदभयान शुरू दकया जो िुदनया में कहीं भी दकसी िल
द्वारा दकया गया सबसे बड़ा था, इसमें सभी राज्यों के संगठन के
प्रमुख व्यदियों का आह्वान करते हु ए उनके दलए सिस्त्यता का
लक्ष्य दनिादरत दकया था। सशि भाजपा, सशि भारत
अदभयान में पाटी के प्रत्येक पिादिकारी-प्रिानमंरी से लेकर
मतिान सदमदत कायचकताओं तक- को शादमल दकया गया।
इसका एकमार लक्ष्य भाजपा में नागदरकों को लाना था।
दफर भी, भाजपा 40 लाख फामच भरिाने में सफल रही दजनमें
आिेिक की दिस्त्तृत जानकारी थी। यह आंकड़े चुनािों के दलए
अब एक नया हदथयार था और यह किायि बहु त ही उपयोगी
थी।
बंसल कहते हैं , ‘‘ कोई भी 24 करोड़ लोगों िाले उप्र जैसे राज्य
में अपने आप एक पाटी नहीं चला सकता है । िे खो, मैं एक
संगठनात्मक दसर्द्ांत का पालन करता हू ं जो काफी समय पहले
मैंने एक दकताब में पढ़ा था दक दनिचय लेने िालों में अपने से
एक स्त्तर नीचे के लोगों को शादमल करो और अपने से एक स्त्तर
ऊपर के प्रादिकारी को दरपोटच करो। भाजपा में भी दनिचय लेने
का ढांचा व्यापक रूप से यही है ।’’
2013 में, आरएसएस ने उन्द्हें भाजपा में भेज दिया जहां िह पाटी
के दलए मीदडया प्रभारी बनाये गये।
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पाटी ने प्रत्येक सीट के दलए एक मध्यम स्त्तर के कायचकता को
प्रभारी के रूप में लगाया था। और निंबर से सारा ध्यान - जैसा
दक नेतृत्ि ने सोचा था – संगठन की जन सभाओं और
जनसंपकच बढ़ाने पर था।
चुनािों में बहु त ही दििाि िाले मुद्दों में एक बनता जा रहा दटकट
दितरि का काम संपन्न हु आ और एक अिसर तो ऐसा लगा दक
यह भाजपा की सारी संभािनाओं को ही खतरे में डाल िे गा।
बंसल समझाते हैं , ‘60 से अदिक ऐसी सीटें थीं जहां हम कभी
नहीं जीते थे और बीस अन्द्य सीटों पर हमारी ल्स्त्थदत कमजोर
थी। इन सीटों के दलए हमने सपा और बसपा के उन नेताओं को
दलया दजनका िहां पर अपना जनािार था। इसका अदभप्राय यह
था दक िे मत उन मतों को लाएंगे और हम संगठन सहयोग
उपलधि करायेंग।े उन सीटों पर लंबे समय से पाटी के दलए काम
कर रहे भाजपा कायचकता नाराज थे। पदरिार के जो लोग दटकट
की उम्मीि लगाये थे उन्द्हें लगा दक यदि नया प्रत्याशी जीत गया
तो अगले कुछ चुनािों के दलए उनकी संभािना तो खत्म ही हो
जायेगी। इसीदलए यह नाराजगी थी।’ आदखरकार ऐसे 67 सीटों
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में से भाजपा 43 ही जीत सकी। ऐसे तेरह दजलों में जहां भाजपा
पहले कभी नहीं जीती थी, उन पर िूसरे िलों से आयादतत
नेताओं की बिौलत िे चुनािी सफलता िजच कराने िाले थे।
ऐसा ही कुछ एक सबसे अदिक दनगाहों में रहे दनिाचन क्षेरों में
से एक िारािसी िदक्षि में हु आ था। इस सीट का प्रदतदनदित्ि
श्याम िे ि राय चौिरी करते आ रहे थे; िह असािारि रूप से
बंगाली ब्राह्मिों में लोकदप्रय थे; और िािा के नाम से जाने जाते
थे। िह पूरी तरह से अपने क्षेर में रचे बसे थे और एक एक
व्यदि को जानते थे और रोजाना अपने क्षेर के लोगों की
समस्त्याओं पर दिचार करते थे।
राजनीदत में दित्त पोषि के बारे में खोज करना सबसे अदिक
िुरूह कामों में से एक है । िलों और नेताओं ने अपनी सबसे
अंिरूनी राजनीदतक रिनीदत का खुलासा दकया परं तु संसािन
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जुटाने के बारे में सिाल आने पर िे चुप्पी साि लेते हैं क्योंदक
दरश्तों को बचाए रखना जरूरी होता है और अनुदचत और
गैरकानूनी कारोबारों को दछपाना होता है ।
4. सामादजक समरसता
उत्तर प्रिे श में मतिान से तीन दिन पहले 11 फरिरी को भाजपा
की प्रिे श इकाई के अध्यक्ष केशि प्रसाि मौया सहारनपुर दजले
के गंगोह दनिाचन क्षेर के एक छोटे से मैिान में हे लीकॉप्टर से
पहु ं च।े
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केशि प्रसाि मौया एक दपछड़े समुिाय के हैं । िह संघ की
पैिािार हैं और उप्र दििान सभा का 2012 का चुनाि लड़ने से
पहले और दिश्व हहिू पदरषि के पिादिकारी थे। 2014 के
लोकसभा चुनाि में िह मोिी हिा पर सिार थे और फूलपुर
संसिीय क्षेर से सांसि चुने गये जो कभी पंदडत जिाहरलाल
नेहरू का दनिाचन क्षेर हु आ करता था। भाजपा ने 2016 के
प्रारं भ में उन्द्हें पाटी की उप्र इकाई का अध्यक्ष बनाया, दनदित ही
ऐसा अन्द्य दपछड़ी जादतयों को लुभाने के इरािे से ही दकया गया
था।
सैनी कहते हैं , ‘‘भाजपा हमारी पाटी है अब। प्रिान मंरी हमारे
हैं । प्रिे श अध्यक्ष हमारे हैं । दजला अध्यक्ष हमारे हैं । अंततः अब
हमारी भी राजनीदतक आिाज है ।’’ हालांदक यह अनकहा छोड़
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दिया गया परं तु ‘हमारे ’ का तात्पयच था दक प्रिान मंरी भी ‘दपछड़े’
समुिाय के ही हैं । मौया अपने व्यापक जातीय समुिाय से थे
जबदक दजला अध्यक्ष कश्यप था।
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राजनीदतक िृदष्ट से संपन्न िगच से मुकाबला करने के दलए
राजनीदतक गठबंिन तैयार करने की रिनीदत कम आबािी की
िजह से राजनीदतक रूप से कमजोर लेदकन सामादजक िृदष्ट से
प्रभुत्ि शादलयों (जैसे सििच जादतयां) और सामादजक िृदष्ट से
कमजोर और राजनीदतक रूप से अलग थलग हों परं तु पयाप्त
संख्या (जैसे दपछड़ा िगच और िदलत) िालों के बीच एक
गठबंिन पर दटकी हु ई थी।
लालू प्रसाि ऐसे नेता हैं दजनकी राजनीदतक िृदष्ट एकिम स्त्पष्ट
है । िह 1990 से ही जादत का काडच बहु त ही दनमचमता के साथ
खेल रहे हैं और उन्द्होंने लंबे समय तक राजसत्ता की तमाम
सुदििाओं पर एकादिकार कायम रखने िाली सििच जादतयों के
दखलाफ राजनीदतक िातािरि बनाया, दपछड़ों को सशि
बनाया और उन्द्हें राजनीदत में आिाज प्रिान की। उनका खेल
उस समय खत्म हो गया जब दपछड़ी जादतयों के उनके द्वारा
बनाए गठबंिन में िरार आ गई। यािि प्रभुत्ि से नाराज नीतीश
कुमार ने अदत दपछड़े समुिायों का नेतृत्ि दकया और उन्द्होंने
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सििच जादतयों के जनािार िाली भाजपा के साथ गठबंिन कर
दलया।
2015 में, नीतीश और लालू प्रसाि एक बार दफर साथ थे। लालू
प्रसाि को भी यह अहसास हो गया था दक सत्ता तक पहु ं चने का
रास्त्ता दपछड़ों के गठबंिन का िही मूल फामूचला है दजसने 1990
में उन्द्हें सत्ता तक पहु ं चाया था। यदि यह अगड़े-दपछड़े के बीच
चुनाि हु आ तो भाजपा के जीतने का कोई सिाल ही नही है
क्योंदक उसे सििच जादतयों के बीच अपने जनािार तक ही
सीदमत रहना पड़ेगा। दनःसंकोच जादत काडच का इस्त्तेमाल करते
हु ए लालू प्रसाि ने अकेले ही िम पर दबहार के चुनािों को अगड़ी
जादतयों बनाम अन्द्य दपछड़ी जादतयों के बीच चुनाि की शक्ल िे
िी थी।
यह फामूचला था क्या?
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राज्य सभा के सिस्त्य भूपेन्द्िर यािि पाटी के महासदचि और
अदमत शाह के भरोसेमंि सहयोगी हैं । मूलतः राजस्त्थान के रहने
िाले भूपेन्द्िर यािि उत्तर भारत के जातीय समीकरिों से
पदरदचत थे और िह दबहार के प्रभारी थे।
परं तु ऐसे क्षेरों की पहचान करना आसान काम था। लेदकन उन्द्हें
अपने साथ लाना असली चुनौती थी।
2014 ने इसका रास्त्ता बनाया। अन्द्य दपछड़ा िगच बड़ी संख्या में
भाजपा के पास लौट आया। परं तु पाटी नेतृत्ि जानता था दक
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इस सफलता को बनाए रखने के दलए संगठन की संरचना में
नीचे तक बिलाि करना होगा।
मैंने थोड़े शरारतपूिच अंिाज में केशि प्रसाि मौया से पूछा, ‘‘यह
सब लोग यहां आये थे क्योंदक िे आपको मुख्यमंरी के रूप में
िे खना चाहते हैं । क्या पाटी को इस पि के दलए आपको
उम्मीििार के रूप में पेश नहीं करना चादहए था?’ िह बहु त
होदशयार थे और हमारे जाल में फंसने िाले नहीं थे। मौया ने
मुस्त्कुराते हु ए कंिे उचकाए और कहा, ‘भाजपा में प्रत्येक
कायचकता संभादित मुख्यमंरी है ।’
मौया ने जिाब दिया, ‘इस बार हमने दटकट दितरि में न्द्याय
दकया है । भाजपा ने उप्र के अपने चुनािी इदतहास में पहली बार
सबसे अदिक दटकट अन्द्य दपछड़े िगों को दिए हैं । यह हमारे
समाज को हमारी ओर आकर्णषत करे गा।’ िह इससे सििच
जादतयों के परे शान होने को लेकर हचदतत नहीं थे। ‘नहीं, उन्द्हें
भी 150 से अदिक दटकट दिए गए हैं । हम सभी को एकसाथ
लेकर चलने में दिश्वास करते हैं ।’’ और दफर दिडंबना को समझे
बगैर ही मुस्त्कुराते हु ए िह कहते हैं , ‘िूसरे िलों ने इतने सारे
दटकट मुल्स्त्लमों को दिए हैं । उन्द्होंने िूसरों के साथ अन्द्याय दकया
है ।’’
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यह दसफच प्रदतदनदित्ि नहीं था बल्कक संिेश था दजसने इन
समुिायों से अपील करने में भाजपा की मिि की। और यही
संिेश इस बात के इिच दगिच केल्न्द्रत रहा दक सपा और बसपा ने
दकस तरह उनके साथ गलत व्यिहार दकया। िह कहते हैं , ‘इन
सभी लोगों ने दकसी ने दकसी न दकसी समय समाजिािी पाटी
को िोट दिया, परं तु दसफच एक समुिाय ही लाभाल्न्द्ित हु आ। िे
अब दिककप की तलाश कर रहे हैं । िे जानते हैं दक भाजपा
दकसी के साथ भेिभाि नहीं करती है । ये सबकी पाटी है ।’ िे
यह भी जोड़ सकते थे, दक िे सभी जो हहिू हैं ।
बुन्द्िेलखण्ड को ही लें।
दिज बाि में याि करते हु ए बताते हैं दक ककयाि हसह के प्रदत
दनष्ठा और उनकी जादत का उम्मीििार होने के अलािा यािि
दिरोिी भािनाएं जगजादहर थीं। िह कहते हैं , ‘एक गांि में, मुझे
याि है दक मैं गैर यािि दपछड़े िगों के एक समूह से बात कर
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रहा था, दजसमें लोि, कश्यप और अन्द्य शादमल थे, एक यािि
आया और हमारी बातचीत में व्यििान डालते हु ए बहु त ही
आिामक अंिाज में बोला, ‘‘अदखलेश, अदखलेश’’ और दफर
िहां से चला गया। लोि समुिाय का एक व्यदि घूमा और
तत्काल बोला दक इसी तरह का आचरि है जो उनकी हार का
कारि बनेगा।’’
उत्तर प्रिे श के सभी बड़े क्षेरों में भाजपा खुि को िंदचत तबकों
के मसीहा के रूप में पेश करने में कामयाब रही और अंततः
एक ऐसी प्रभािशाली पाटी बनकर उभरी, जो सभी के दलए थी
और दजसने दभन्न-दभन्न जादतयों से बनी राज्य की अकेली सबसे
बड़ी आबािी को जीता, दजसमें गैर यािि ओबीसी शादमल थे.
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मेरठ में सतीश प्रकाश एक िदलत प्रोफेसर हैं । प्रकाश की बसपा
से सहानुभूदत है परं तु िह स्त्ितंर हैं और पाटी की राजनीदत के
आलोचक हैं । िदलत समाज में अच्छी तरह पैठ रखने िाले
प्रकाश पदिमी उत्तर प्रिे श में अपने समुिाय के एक महत्िपूिच
बुदर्द्जीिी के रूप में उभर रहे हैं ।
उत्तर प्रिे श में सभी सामादजक समूहों में िदलत सबसे अदिक
कमजोर हैं । और िदलतों में भी छोटी और इिर उिर फैली
जादतयां सबसे कमजोर हैं , दजनके पास संख्या दशक्षा, मध्यम िगच
और राजनीदतक नेता नहीं हैं जो उनकी समस्त्याओं को सही
तरीके से पेश कर सकें।
िह एक घटना के बारे में बताते हैं दजसके बारे में िह िािा करते
हैं दक बसपा के बारे में िाकमीदकयों का कथन महत्िपूिच है ।
‘मायािती जब मुख्यमंरी थीं, एक िदलत मदहला, रे खा
िाकमीकी, पूिांचल में कहीं पर एक स्त्कूल में मध्याह्न भोजन की
रसोईया थी। कुछ छारों ने इस पर आपदत्त की। आपको पता है
दक मायािती ने क्या दकया? उन्द्होंने िाकमीदक को हटा दिया।
इसका िूसरे स्त्कूलों पर भी िूरगामी असर पड़ा था। जरा सोदचए,
इससे पूरे समाज के दलए क्या संिेश गया होगा।’
इसका तात्पयच क्या है ? ‘जब मैंने चाल के बारे में कहा तो मेरा
तात्पयच हमारी शैली बिलने की आिश्यकता से है । पहले हम
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अपनी सारी सभाएं शाम को करते थे। बदनया समाज के लोग
उस समय तक स्त्थानीय बाजार में अपना काम खत्म कर लेते थे
और िहां आने के दलए उनके पास पयाप्त समय था। मैंने तकच
दिया दक यदि हम चाहते हैं दक हमारी सभाओं में ग्रामीि इलाकों
के भी लोग आएं तो हमें ये जनसभाएं दिन में आयोदजत करनी
होंगी।’
उप्र में सििच जादत और गैर यािि दपछड़ों के गठबंिन में 1990
के िौरान ही िरार चौड़ी हो गयी थी। भाजपा के िदरष्ठतम नेताओं
में से एक डॉ. मुरली मनोहर जोशी ने गोदिन्द्िाचायच पर सीिा
हमला बोलते हु ए कहा था, ‘यदि पाटी को अपना चदरर, दिचार
आदि बिलने हैं , तो इसका मतलब है दक पाटी इस लायक नहीं
है ।’ उन्द्होंने यह भी कहा, ‘सामादजक समरसता के नाम पर कौन
सा सामादजक न्द्याय लाया गया है ?’ यह शायि महज एक संयोग
नहीं था दक िह ब्राह्मि थे।
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नरे न्द्र मोिी ही संघ हैं । टीकाकार अशोक मदलक ने एक बार
कहा भी दक िह संघ के सबसे अदिक प्रदतभाशाली पूिच छार हैं ।
संघ ने ही 1980 के िशक के अंत में मोिी को गुजरात में भाजपा
के संगठन सदचि के रूप में भेजा था। मोिी अपने िैदश्वक
नज़दरये, अपने नेटिकच, अपने राजनीदतक जीिन और अपने
सिाचारी दसर्द्ांतों के दलए संघ के श्रृिी हैं । यदि कोई व्यदि
मोिी को पूरी तरह संघ से अलग मानता है तो िह न तो मोिी
और न ही संघ के साथ न्द्याय करता है ।
परं तु, मोिी ने प्रिानमंरी के रूप में संघ के साथ उल्लेखनीय तरीके
से सहज कामकाजी दरश्ते बना दलए थे। और इसका श्रेय मोहन
भागित के साथ उनके व्यदिगत समीकरिों को जाता है ।
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आरएसएस के एक पिादिकारी सफाई िे ते हैं , ‘‘अटल जी के
समकालीन रिू भैया (पूिच सरसंघचालक राजेन्द्र हसह) थे। परं तु
जब िह प्रिानमंरी बने तो सरसंघचालक सुिशचनजी थे जो उनसे
जूदनयर थे। इसने समस्त्या पैिा की क्योंदक प्रिानमंरी उनसे
दनिे श लेने के मामले में असहज थे। सरसंघचालक भी उन मुद्दों
को लेकर थोड़ा आिामक थे दजनके दलए प्रिानमंरी को थोड़ा
मौका दिया जाना चादहए था।’’
तीन बुज़ुगच एक शांत कमरे में रखी एक बड़ी सी मेज़ के इिच दगिच
बैठकर अखबार पढ़ रहे हैं । एक प्रचारक अपना पदरचय िे ता है
दक िह संघ के साथ 1955 से जुड़ा हु आ है । िह मेहरा की हां में
हां दमलाता है ः ‘इस तरह की भािना है दक केन्द्र और राज्य स्त्तर
पर एक ही पाटी की सरकार होनी चादहए। अमीर और गरीब
िोनों ही मोिी जी को चाहते हैं । सेना का मनोबल ऊंचा है ।
दिकास का काम आगे बढ़ रहा है ।’
लेदकन संघ ने दकस तरह से पाटी की मिि की, इस बारे में सबसे
अदिक दिश्वसनीय जानकारी प्रमुख राजनीदतक िाताकारों ने
स्त्ियं िी। भाजपा का एक प्रमुख नेता, जो रोज़ाना संघ के साथ
दिचार दिमशच करते थे, घटनािम का पुनर्णनमाि करते हैं ।’
चुनािों के बारे में संघ के साथ हमारी पहली बैठक निंबर 2016
में हु ई थी। और उस बैठक में ही यह दनिचय हो गया था दक िे
ज़मीनी स्त्तर पर संपकच पर ध्यान िें ग।े चुनािों से पहले संघ के
िदरष्ठ नेता मतिान िाले क्षेरों में पहु ं चे और स्त्ितंर रूप से बैठकें
आयोदजत की और मिि की।’
नरे न्द्र मोिी संघ में ही प्रचारक थे। अदमत शाह भी संघ से ही हैं ।
सुनील बंसल तो दसफच तीन साल पहले ही संि से आये थे।
केशि प्रसाि मौया भी कुछ समय पहले तक दिश्व हहिू पदरषि
के कायचकता और पिादिकारी थे। िदरष्ठता के िम में अगर नीचें
आयें, चन्द्रमोहन भी भाजपा में आने से पहले अदखल भारतीय
दिद्याथी पदरषि और स्त्ििे शी जागरि मंच में राज्य स्त्तर के
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अनेक नेताओं का आिार संघ पदरिार के एक या िूसरे संगठन
में रहा है । अदमत शाह से लेकर नीचे तक भाजपा नेताओं को
सहयोग करने िाले सभी कमचचारी संघ की पृष्ठभूदम से आते हैं ।
अपनी स्त्थापना के नधबे साल बाि संघ अपने अनुयायी नरे न्द्र
मोिी के माध्यम से, खुि को और समािेशी बनाने के दलए
उपलधि करने, आंदशक और िीरे िीरे , और खामोशी से
संगठनात्मक कायो के माध्यम से चुनािी सफलताओं के ज़दरये
भारत में मैरीपूिच सरकारें स्त्थादपत करने में मिि कर रहा है । इस
प्रदिया में, इसका राजनीदतक संगठन पहले से कहीं अदिक
ताकतिर हो रहा है । हहिू एकता और हहिू राष्ट्र हादसल करने के
अपने लक्ष्य के दलए िोनों अदिभाज्य हैं ।
6. ‘एच-एम’ चु नाि
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सोम घायल हो गये थे, उनके बाएं हाथ में प्लास्त्टर लगा हु आ था।
इसके बािजूि इस ठाकुर नेता की गदतदिदियां िीमी नहीं हु ई
थीं। उन्द्होंने फोन से दखलिाड़ करते हु ए अपने सहायक को
दनिे श दिया दक उसके कायचिम में कुछ और गांिों को शादमल
दकया जाये। सांप्रिादयकतािाि के बारे में मेरे सिाल के जिाब
में सोम को कोई ग्लादन नहीं थी और िे पूरे दिश्वास से भरे हु ए थे।
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सोम कहते हैं , ‘‘सपा ने कदब्रस्त्तान के दलए चाहरिीिादरयों का
दनमाि क्यों कराया, श्मशान भूदम और राम लीला मैिान के
दलए नहीं? उन्द्होंने गादजयाबाि में हज हाउस के दनमाि पर
हजारों करोड़ रुपए क्यों खचच दकए लेदकन कांिदड़यों के दलए,
जो उसी रास्त्ते से यारा करते हैं , दिश्राम गृह बनाने पर एक पैसा
खचच नहीं दकया? सरकार ने दसफच मुल्स्त्लम लड़दकयों के दलए
छारिृदत्त िी और हमारी लड़दकयों को नहीं? मुलायम हसह यह
क्यों कहते हैं दक दसफच सपा ही मुसलमानों का ध्यान रख सकती
है , क्या अदखलेश यािि ने दसफच मुल्स्त्लम िोटों के दलए ही नहीं
कांग्रेस के साथ तालमेल दकया है ? क्या हहिू इस राज्य में नहीं
रहते हैं ? िे जो चाहें मुसलमानों को िे सकते हैं , मैं उसके दखलाफ
नहीं हू ं परं तु उन्द्हें िही सब हहिुओं को भी िे ना चादहए।’’
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संगीत सोम दकसी अपिाि का नहीं बल्कक उन्द्हीं मापिं डों का
प्रदतदनदित्ि कर रहे थे।
इस लड़ाई में उनका पक्ष जीता। नयी दििान सभा में मुल्स्त्लम
दििायकों की संख्या में जबिच स्त्त दगरािट आई और उनकी
संख्या 25 ही रह गई जबदक 2012 के चुनाि में 68 मुल्स्त्लम
दििायक दनिादचत हु ए थे। िे श के सबसे बड़े राज्य में सत्ता पक्ष
की सीट पर एक भी मुल्स्त्लम नहीं था जबदक उप्र में इनकी
आबािी चार करोड़ से भी अदिक है ।
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प्रिान मंरी नरे न्द्र मोिी के चुनाि प्रचार में उतरने से पहले उनके
कायालय को पाटी से एक ई मेल दमला। इसमें उनकी
जनसभाओं से संबंदित क्षेर का राजनीदतक महत्ि, मुख्य मुद्दे,
क्षेर की प्रमुख हल्स्त्तयों के संदक्षप्त इदतहास के साथ ही भाजपा
द्वारा उठाये जा रहे राजनीदतक मुद्दे भी शादमल थे।
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मोिी का संिेश और भाजपा का िृहि संिेश दिशेषरूप से इस
दिषय पर 2014 और 2017 में िोनों में क्यों अदिक गूज
ं ा?
मैंने 75 दिन से अदिक समय उप्र प्रिे श में दबताया। इसमें पूरा
एक महीना चुनाि के िौरान 2016 के अंत और 2017 के शुरू
का समय शादमल था। मैंने राज्य के प्रत्येक क्षेर का और अक्सर
कई बार िौरा दकया। और मेरी मुलाकात प्रत्येक दनिाचन क्षेर
में सैकड़ों व्यदियों से हु ई। परं तु अपनी इस पूरी यारा के िौरान
मैंने एक भी हहिू से इतने लंबे समय तक राष्ट्रीय राजनीदत को
पदरभादषत करने िाला ‘िमचदनरे क्षता’ शधि बोलते नहीं सुना।
भारत जीता। हहिू 2014 में जीते थे, इसके बाि अनेक राज्यों में
चुनाि जीते और 2017 में सबसे बड़े राज्य उप्र पर कधजा दकया।
7. मु ख्य भू दम से आगे
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भारतीय जनता पाटी आज भारत की प्रभुत्िशाली राष्ट्रीय पाटी
है ।
परं तु यदि कश्मीर हमारे दलए बड़ा झटका था तो जम्मू में भाजपा
ने सफाया कर दिया और उसे दििान सभा के इदतहास में सबसे
अदिक सीटें दमलीं।
नरे न्द्र मोिी पूिोत्तर सदहत पूरे िे श में लगातार प्रचार कर रहे थे।
भाजपा ने महसूस दकया दक दिशेष रूप से असम चुनािी लाभ
के दलए पूरी तरह तैयार है ।
भाजपा को राज्य में सात लोक सभा सीटें जीतनी थीं और इनमें
से कुछ सरमा के खामोश सहयोग से थीं। पाटी ने 2011 में राज्य
में 12 प्रदतशत मत हादसल दकए थे। परं तु 2014 के चुनािों में
उसे 37 प्रदतशत मत दमले। अब भाजपा जानती थी दक िह
दििान सभा चुनाि को लक्ष्य बना सकती है ।
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डेढ़ साल बाि अगस्त्त 2015 में 25 दकलोमीटर लंबे ग्रैंड रोड
शो, दजसमें हजारों लोग शादमल हु ए, सरमा भाजपा में शादमल
हो गये। िह अपने साथ कांग्रेस दििायकों को भी लाए थे।
भाजपा के भीतर और संघ की स्त्थानीय इकाई ने इसका प्रदतरोि
दकया था। परं तु अदमत शाह से हरी झण्डी दमलने के साथ ही
मािि इस ओर आगे बढ़े ।
राज्य में एक साल बाि मई में हु ए दििान सभा चुनािों में सरमा
पाटी के दलए सबसे ताकतिर शदि के रूप में उभर कर आए।
भाजपा निंबर, 2015 में दिल्ली का चुनाि हार चुकी थी, प्रिान
मंरी नरे न्द्र मोिी के जोरिार प्रचार अदभयान के बािजूि पाटी
दबहार चुनाि भी हार गयी थी। यह भािना बढ़ती जा रही थी दक
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मोिी अपनी राह से भटक गए थे। उनकी दििे श याराएं मजाक
का दिषय बन गयीं थीं। महं गाई बढ़ गयी थी। िाल की कीमतें
आसमान छू रहीं थी और 2014 के हर हर मोिी के नारे का
स्त्थान अरहर मोिी ने ले दलया था। इस िौरान, चुनािी िृदष्ट से
संिेिनशील एक दजले के मदजस्त्रेट के पि पर कायचरत एक
सरकारी अदिकारी ने दटप्पिी भी की, ‘‘कांग्रेस की जड़ें काफी
गहरी हैं । इस बार 2014 की हिा भी नहीं है । इस बार भाजपा
के दलए मुल्श्कल होगी।’’
ऐसी पाटी दजसने 2015 में दबहार और दिल्ली में जबिच स्त्त आघात
झेला था, िह पूरे जोश के साथ िापस आयी। इसने नेतृत्ि और
काडर में नया भरोसा और जोश बढ़ाया। इसने पूिोत्तर राज्यों में
भाजपा के प्रिेश को भी इंदगत करके इसे सही मायने में राष्ट्रीय
िल बना दिया। और इसने राम मािि की ल्स्त्थदत को भी मजबूत
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बना दिया क्योंदक इससे चुनािी रिनीदतकार और राजनीदतक
सोच िाले व्यदि के रूप में उनकी प्रदतष्ठा बढ़ाई।
कांग्रेसी नेता और पूिच मंरी हसह इम्फाल में अपने घर के लान में
बैठे थे। मािी सरकार ने हाल ही में नेशनदलस्त्ट सोशदलस्त्ट
काउल्न्द्सल आफ नगालैंड (इसाक मुइिा) (एनएससीएन आई-
एम) के साथ एक फ्रेमिकच समझौते पर हस्त्ताक्षर दकए थे।
डेढ़ साल बाि, माचच 2017 में एन बीरे न दसह उस पाटी में शादमल
हो गये दजसकी िह आलोचना कर रहे थे। उन्द्हें मदिपुर में
भाजपा के प्रथम मुख्यमंरी के रूप में शपथ दिलाई गई। यह सब
कैसे हु आ?
जम्मू कश्मीर में काम शुरू करने के दलए पाटी का आिार था।
जम्मू राजनीदतक िृदष्ट से स्त्िागत करता हु आ इलाका था। असम
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में भाजपा ने लोक सभा चुनािों में काफी अच्छा प्रिशचन दकया
था और िहां भी काम आगे बढ़ाने के दलए कुछ बुदनयाि थी।
दििान सभा में उसका कोई प्रदतदनदि नहीं था। राज्य से उसका
कोई सांसि नहीं था। दपछले चुनाि में उसे िो प्रदतशत मत दमले
थे। पाटी का कोई संगठन नहीं था। उसका कोई नेता नहीं था।
उसके पास कोई ताकतिर उम्मीििार भी नहीं था। िे एकिम
शून्द्य से शुरू कर रहे थे।
नागा प्रभुत्ि िाले इलाकों में केन्द्र में राजग के घटक छोटे नागा
संगठन अलग अलग चुनाि लड़ रहे थे क्योंदक यदि भाजपा को
उनके सहयोगी के रूप में िे ख दलया गया तो िो मैतेई समुिाय
से हाथ िो बैठेगी। मािि ने अपनी गिना में अनुमान लगाया
दक यदि आिश्यक हु आ तो ये समूह इम्फाल में चुनािों के बाि
भी भाजपा का समथचन करें ग।े सारा ध्यान मैतेई समुिाय पर
केल्न्द्रत करना था और 40 सीटों में पयाप्त संख्या प्राप्त करनी थी।
भाजपा सही मायने में एकता सरकार बनाने में कामयाब हो गयी
थी दजसमें नागा पाटी, नागा पीपुकस फ्रंट गठबंिन में शादमल थे।
मािि तकच िे ते हैं , ‘‘दजस तरह से पीडीपी और भाजपा को साथ
लाना ऐदतहादसक घटना थी, मेरा मानना है दक हमने मदिपुर में
जो हादसल दकया है िह भी समान रूप से ऐदतहादसक है । िो
प्रमुख ताकतें – मैतेई और नागा, जो अलग अलग राजनीदतक
िलों का प्रदतदनदित्ि करते हैं , एक साथ आ गये।’’ िो समुिायों
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के बीच राज्य में चल रही राजनीदत कुल जमा शून्द्य का खेल हो
गयी और राजग इसे तोड़ने में सफल रहा था।
8. आदिपत्य का भदिष्ट्य
समकालीन भारतीय राजनीदतक पदरिृश्य में भारतीय जनता
पाटी की अजेय बढ़त में इजाफा होता ही दिख रहा है । अदिकांश
टीकाकार और यहां तक दक कुछ दिपक्षी नेता भी यह मानते हैं
दक यह अिश्यंभािी है दक 2019 में नरे न्द्र मोिी दफर सत्ता में
लौटें गे। जुलाई के अंत में दबहार के मुख्यमंरी नीतीश कुमार ने,
दजन्द्हें मोिी को चुनौती िे ने के दलए राष्ट्रीय नेता के रूप में पेश
दकया गया था, पाला बिल दलया और भाजपा के साथ हो गए
और सािचजदनक रूप से यह घोषिा कर डाली दक अगले चुनाि
में प्रिानमंरी को हराना असंभि है । दनदित ही मौजूिा पदरिृश्य
में दफलहाल तो ऐसा ही होने की संभािना लगती है ।
चार ऐसे व्यापक पहलू फैसला करें गे दक क्या भारत में भाजपा
का व्यापक दिस्त्तार और अदिपत्य जारी रहे गा या क्या भाजपा
का दिजय अदभयान रोक दलया जाएगा?
उप्र को ही ले लीदजए।
यह एक बड़ा काम है ।
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और यही िजह थी दक दिरोिाभास अिश्यंभािी हो जाते हैं । उप्र
में अनेक लोगों का मानना है दक योगी आदित्यनाथ सरकार के
पहले सौ दिन की मुख्य बात ‘ठाकुरिाि’ है , यह ठाकुरों की सत्ता
की राजनीदतक और प्रशासन में अपनी ल्स्त्थदत मजबूर करने के
संिभच में है जो योगी की अपनी जादत का समूह है । आंकड़ों से
पता चलता है दक यह पूरी तरह सही नहीं है । हालांदक सच्चाई यह
है दक सििच जादतयों की सत्ता में सबसे अदिक दहस्त्सेिारी हो गई
है । योगी सरकार के सत्ता में सौ दिन के बाि जून, 2017 तक
पुदलस में दनयुदियों के बारे में कराए गए एक सिेक्षि से पता
चला दक पुदलस के 75 दजला अिीक्षकों में 42 सििच जादतयों
के थे। इनमें 20 ब्राह्मि और 13 ठाकुर थे। योगी सरकार के 46
मंदरयों में से 25 सििच जादतयों के थे। सहारनुपर में ठाकुरों और
िदलतों के बीच झड़प हु ई और िदलतों के बीच कड़े शधिों में यही
कहा जा रहा है दक पुदलस ने अब अपना ही आिमी मुख्यमंरी
होने की िजह से ठाकुरों का साथ दिया। दपछड़े समुिायों में
अदिकांश अब यह महसूस करने लगे हैं दक हालांदक उनके मतों
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से ही भाजपा सत्ता में आयी परं तु उन्द्हें अभी तक लाभ में अपना
दहस्त्सा नहीं दमला है ।
िूसरी बात, उसके अपनी ताकत िाले मुख्य इलाकों में, ऐसा
प्रतीत नहीं होता है दक इस तरह की गौ राजनीदत िास्त्ति में
हहिुओं को संगदठत कर रही है । िास्त्ति में, यह 2014 में भाजपा
के साथ जाने िाले शहरी, मध्यम िगीय हहिू मतिाताओं के एक
िगच को उससे िूर कर रही होगी।
नोट्स
2 आईदबड
आभार
अनु वाद
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अनूप कुमार भटनागर तीन िशकों से भी अदिक समय से
कायचरत िदरष्ठ परकार हैं । इस समय िह पीटीआई भाषा के साथ
जुड़े हु ए हैं । इससे पहले दहन्द्िस्त्ु तान और नई िुदनया समाचार पर
में महत्िपूिच पि पर काम कर चुके हैं । िह िो पु स्त्तकों का
अनुिाि कर चुके हैं ।
Prashant Jha