@ भाजपा कैसे जीतती है 4151

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dr.

dharmendra Singh G
2014: एक नया मोड़
यदि मध्य दिल्ली भारत की सत्ता का केन्द्र है तो दिन्द्डसर प्लेस का
गोल चक्कर इसकी गदतदिदियों का मुख्य केन्द्र है ।

पदिमी छोर से रायसीना रोड पर आइये तो आप शीघ्र ही भारत


की संसि भिन के सामने होंगे। गोल चक्कर के जदरये एक ओर
जाने िाला जनपथ आपको राजपथ, इंदडया गेट और राष्ट्रपदत
भिन की ओर ले जाएगा तो इसका िूसरा छोर शहर के पुराने
केंर कनॉट प्लेस की ओर जाता है । फीरोजशाह रोड आपको
अनेक राजनीदतज्ञों के आिासों से गुजारते हु ए मण्डी हाउस पर
खत्म होता है , जो भारतीय रं गमंच और कला का गढ़ है । थोड़ी
ही िूरी पर शास्त्री भिन है दजसमें कई प्रमुख मंरालय हैं .

12 माचच, 2017 की शाम को नरे न्द्र मोिी इस गोल चक्कर पर


अशोक रोड से भारतीय जनता पाटी के मुख्यालय की ओर बढ़ते
हु ए सड़क के िोनों ओर खड़ी जनता का अदभिािन करते हैं ।
इससे पहले िाले महीने में पांच राज्यों में दििान सभा चुनाि हु ए
थे। अब इनमें से चार राज्य भाजपा के झोले में थे। एक दिन
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पहले ही पाटी ने उत्तर प्रिे श दििान सभा चुनाि में तीन चौथाई
से अदिक सीटें जीतकर शानिार दिजय हादसल की थी। भाजपा
ने उत्तराखंड में भी दिजय पताका फहराई और गोिा तथा
मदिपुर में भी िह सरकार बनाने िाली थी। दसफच पंजाब में,
लगातार िो बार सत्ता में रहने के बाि भाजपा और उसके
सहयोगी अकाली िल की पराजय हु ई।

‘मोिी-मोिी’ नारे की गूज


ं सड़कों से होती हु ई पाटी कायालय
तक पहु ं च गई जहां प्रिानमंरी चुनाि में शानिार दिजय हादसल
करने के अिसर पर अपने िल के नेताओं और काडर को
संबोदित करने िाले थे।

उन्द्होंने होली पिच के अिसर पर सभी को शुभकामनाएं िे ते हु ए


अपना संबोिन शुरू दकया। उन्द्होंने कहा दक चुनाि सरकार
बनाने के दलए दसफच जीतने का एक सािन मार नहीं है बल्कक
यह भारतीय लोकतंर में जनता के दिश्वास को और अदिक
मजबूत करने में मिि करता है ।
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और दफर, उन्द्होंने चुनाि में दमली जबिच स्त्त सफलता पर अपना
भाषि शुरू दकया।

मोिी ने कहा, ‘मैं पांच राज्यों के नतीजों को, दिशेषकर उत्तर


प्रिे श दजसमें अपने दिशाल आकार के कारि भारत को नई
दिशा, ताकत और प्रेरिा िे ने की क्षमता है , नए भारत की
शुरुआत के रूप में िे खता हू ं ।’ इसके साथ ही उन्द्होंने इसे
‘भाजपा का स्त्िर्णिम काल’ बताया। उन्द्होंने इस उपलल्धि के
दलए भाजपा की चार पीदढ़यों के नेताओं, हजारों कायचकताओं
और पाटी अध्यक्ष अदमत शाह तथा उनकी टीम की भूदमका की
भूदर भूदर सराहना की, दजनके कायों ने आज भाजपा को इस
स्त्थान पर पहु ं चाया है ।

दनदित ही यह भाजपा का स्त्िर्णिम काल है । िस साल से भी कम


समय पहले पाटी को हादशए पर रखा जा रहा था। अनेक लोगों
ने घोषिा की थी दक पाटी के दिल्ली में सत्ता में लौटने की
संभािना बहु त ही कम है । पाच साल पहले तक ऐसा सोचा भी
नहीं जा सकता था दक भाजपा राष्ट्रीय चुनाि में ही स्त्पष्ट बहु मत
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से जीत हादसल कर पायेगी बल्कक िे श के 13 राज्यों में उसके
मुख्यमंरी भी होंगे।

आज ये सिाल पूछा जा रहा है दक क्या भाजपा को कभी दनकट


भदिष्ट्य में सत्ता से बेिखल भी दकया जा सकेगा। उसने भारतीय
लोकतंर में परखी गई प्रदिया – चुनािों - के माध्यम से यह
स्त्थान हादसल दकया है और यह तो दसफच अभी शुरुआत है ।
अदमत शाह के नेतृत्ि में भाजपा िे श भर में न दसफच अपनी
उपल्स्त्थदत िजच कराना चाहती है बल्कक संसि से लेकर पंचायत
स्त्तर तक के सभी तरह के चुनाि में जीतना भी चाहती है ।

इस पुस्त्तक में यह बताया गया है दक भारतीय जनता पाटी कैसे


इन चुनािों में दिजयी रही, िह क्यों हारी, ऐसा कब हु आ और
भदिष्ट्य में क्या होगा।

2014 के लोक सभा चुनािों ने भारतीय राजनीदत को नए दसरे


से पदरभादषत दकया है । 1984 के बाि से दकसी भी पाटी ने
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राष्ट्रीय चुनािों में पूिच बहु मत हादसल नहीं दकया था, और अब
आम तौर पर यह मान दलया गया था दक इसके बाि गठबंिन
की राजनीदत ही चलेगी दजसमें िो िुिों पर िो कमजोर राष्ट्रीय
पार्णटयां होंगी दजनके इिच -दगिच क्षेरीय िल जुटे रहें गे और गठबंिन
की सरकारें बनती रहें गी.

एक चुनाि ने सब कुछ बिल दिया.

भारतीय जनता पाटी ने लोकसभा चुनाि में 282 सीटों पर जीत


हादसल की। लोकसभा की 543 सीटों में से उसने 428 सीटों पर
चुनाि लड़ा और शेष सीटें राष्ट्रीय जनतांदरक गठबंिन के िलों
के दलए छोड़ िी थीं। इसका मतलब यह हु आ दक चुनाि में पाटी
ने हर तीन में से उन िो सीटों पर जीत हादसल की दजसमें उसकी
सीिी टक्कर थी।(1) यह शानिार प्रिशचन था।

राष्ट्रीय स्त्तर पर इसको हादसल िोट प्रदतशत 31.1 था, परं तु दजन
सीटों पर उसने अपने उम्मीििार खड़े दकए थे, उनमें उसके िोट
40 प्रदतशत के पास थे। यह 1991 से पहला मौका था जब दकसी
पाटी को 30 प्रदतशत से अदिक िोट दमले थे। उसने 137 सीटों
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पर 50 प्रदतशत से ज्यािा, 132 सीटों पर 40 प्रदतशत से ज्यािा
मत हादसल दकए और दनिाचन क्षेरों में भाजपा की जीत का
औसत अंतर 17.9 प्रदतशत था – जो दिजयी उम्मीििार और
परादजत होने िाले दनकटस्त्थ प्रत्याशी के बीच काफी अदिक
था। अतः इन चुनाि में भाजपा ने न दसफच अदिकांश सीटें जीती,
बल्कक उसने जबिच स्त्त जनािे श के साथ यह दिजय हादसल की।

भौगोदलक आिार पर भाजपा ने दहन्द्िी भाषी प्रिे शों दहमाचल


प्रिे श, उत्तराखंड, उत्तर प्रिे श, दबहार, झारखण्ड, छत्तीसगढ़,
मध्य प्रिे श, राजस्त्थान और दिल्ली में 44 प्रदतशत मत प्राप्त दकए
और 225 सीटों में से 190 पर जीत हादसल की। राजग के घटक
िलों के साथ उसने इन सीटों में से 201 पर दिजय प्राप्त की। गैर
दहन्द्िी भाषी राज्यों में भाजपा को 22 प्रदतशत मत दमले और
उसने 318 सीटों में से 92 पर जीत हादसल की, परं तु राजग के
घटक िलों के साथ िह 42 फीसिी सीटों पर कधजा करने में
सफल रही। उसे अपने प्रभाि िाले मूल शहरी भारतीय इलाकों
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के इतर अर्द्च शहरी और ग्रामीि भारत के इलाकों में भी जीत
दमली।

इस बड़े पैमाने की जीत दसफच एक व्यदि नरे न्द्र मोिी की िजह


से ही संभि हु ई दजसने गठबंिन को एक इन्द्रिनुष में दपरो दिया
था।

िह एक हहिू नेता थे। िे ‘गुजरात मॉडल‘ के दलए दजम्मेिार एक


दिकास पुरुष थे। िह एक सख्त प्रशासक थे दजन्द्हें राहु ल गांिी
की तुलना में सरकार चलाने का 13 साल का अनुभि था।
राहु ल गांिी को शासन चलाने का कोई व्यदिगत अनुभि नहीं
था और उनके साथ घोटालों से भरी पंगु संयुि प्रगदतशील
गठबंिन -2 (यूपीए-2) का बोझ था। मोिी ऐसे नेता थे जो
‘पादकस्त्तान को सबक दसखाने‘ के राष्ट्रिािी सपने को पूरा
करनेिाले थे।
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सििच जादतयों के दलए मोिी एक ऐसी पाटी का प्रदतदनदित्ि कर
रहे थे जो मोटे तौर पर उनकी आकांक्षाओं के अनुरूप थी और
दजससे िे उम्मीि करती थी दक यह ल्स्त्थरता, व्यिस्त्था और प्रगदत
लाएगी; दपछड़े िगों के दलए मोिी उनमें से ही एक थे जो उन्द्हें
लगता था दक िे उनके साथ न्द्याय करें ग।े उच्च मध्यम िगों और
मध्यम िगों के दलए, जो उनका ठोस आिार था, मोिी ऐसे व्यदि
थे जो उिार आर्णथक नीदतयों के माध्यम से उन्द्हें गुजरात की तरह
ही संपन्न बनाएंग;े सबसे िंदचत तबके दलए िह एक चाय िाले
व्यदि थे दजसने बड़ी सफलता प्राप्त की परं तु अभी भी अदभजात
िगच उनके पीछे पड़ा हु आ है । सबके दलए, िे आशाएं लेकर आए
थे।

हालांदक ‘भाजपा के साथ उच्च जादतयों और मध्यम िगच की


बेदमसाल एकजुटता थी’, परं तु राष्ट्रीय स्त्तर पर पहली बार
भाजपा को िदलतों और आदििादसयों के िोट कांग्रेस से ज्यािा
दमले। (2) िास्त्ति में दकसी भी अन्द्य िल की तुलना में िदलतों
और आदििादसयों ने भाजपा को अदिक िोट दिए और पाटी
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को दमले कुल मतों में 40 प्रदतशत अन्द्य दपछड़े िगों से आए थे।
यह भारतीय राजनीदत का एक महत्िपूिच मील का पत्थर है ।

यह सब 2014 के चुनाि में भाजपा की दिजय और इसके बाि


से इसकी सफलता तथा दिफलता के के राज के बारे में स्त्पष्ट
इशारे करते हैं । जब उसका यह फामूचला सही होता है तो िह
दिजयी रहती है । जब यह सही नहीं रहता तो असफल हो जाती
है ।

मोिी के अनेक अितारों ने 2014 में तो काम दकया परं तु 2015


में यह कामयाब नहीं रहे और भाजपा दिल्ली और दबहार जैसे िो
प्रमुख राज्यों में दििान सभा चुनाि हार गई। राहु ल गांिी ने
दपछले तीन साल में अपने सबसे तीखे राजनीदतक हमले में मोिी
सरकार को ‘सूट बूट की सरकार‘ कहा। अचानक ही एक साल
के भीतर नरे न्द्र मोिी समस्त्त भारतीयों का नेता होने के स्त्थान से
एक ऐसे व्यदि बन गये दजन्द्हें रईसों के दहमायती के रूप में िे खा
जाने लगा और जो अपना सारा समय िे श के बाहर गुजारते हैं ।
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परं तु एक चतुर और कुशाग्र बुदर्द् राजनेता होने के नाते मोिी ने
इस छदि के जाल में फंसने के खतरों को पहचाना और खुि को
नए रूप में ले आए। कुछ नीदतयों और घोषिाओं के माध्यम से
और दफर से ककयािकारी शासन पर ध्यान केल्न्द्रत करते हु ए
उन्द्होंने खुि को अब ‘गरीबों के नेता’ के रूप में स्त्थादपत कर
दलया।

यह पुस्त्तक उस कहानी को बयान करती है दक कैसे मोिी की


छदि में बिलाि आया; मोिी कैसे उच्च मध्यम िगच को अपने
साथ रखते हु ए भारत के गरीब और दनम्न मध्यम िगच के एक
तबके की पहली पसंि बन गए; और कैसे इस प्रदिया के िौरान
भारतीय जनता पाटी के िगीय आिार का िीरे -िीरे दिस्त्तार हो
रहा है । इस बिलाि ने भाजपा को हाल ही में उत्तर प्रिे श सदहत
कुछ राज्यों में संपन्न चुनािों में कैसे जबिच स्त्त सफलता दिलाई।

*
dr. dharmendra Singh G
2014 के लोक सभा चुनाि में भाजपा को कुल सीटों का छधबीस
प्रदतशत उत्तर प्रिे श से दमला। इससे तीस सालों में दकसी भी
पाटी द्वारा पहली बार अपने बूते पूिच बहु मत हादसल हु आ।

उत्तर प्रिे श में इस दिजय के पीछे मोिी के नजिीकी सहयोगी


अदमत शाह की बड़ी भूदमका थी जो गुजरात में चुनाि लड़ने
और इसके प्रबंिन का िो िशकों का अनुभि उप्र में लाये थे,
उन्द्होंने प्रिे श की राजनीदत और जातीय जदटलताओं को समझने
में समय लगाया, पाटी के मौजूिा नेताओं का प्रबंिन िे खने के
साथ ही उप्र इकाई की बागडोर अपने हाथ में ली, सहयोदगयों
को एकसूर में दपरोया और सबसे महत्िपूिच संगठन की नई
व्यिस्त्था का खाका तैयार दकया।

2014 की सफलता ने शाह की पाटी के राष्ट्रीय अध्यक्ष पि पर


पिोन्नदत करा िी। इस नई है दसयत में शाह के पास िे श भर में
संगठन का व्यापक तंर खड़ा करने का अिसर था। उन्द्होंने इस
संबंि में कोई िि जाया नहीं दकया।
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शाह ने पाटी की मशीनरी का दिस्त्तार दकया, नए सिस्त्य बनाए,
जन संपकों पर ध्यान दिया, और दनचले स्त्तर को - बूथ स्त्तर पर,
जहां मतिान होता है – पाटी का दिल और आत्मा बना दिया।
इस प्रदिया में उन्द्होंने एक संस्त्थान का गठन दकया, दजसे अदमत
शाह का चुनािी प्रबंिन स्त्कूल कहा जा सकता है ।

यह पुस्त्तक बताती है दक अदमत शाह ने दकस तरह भाजपा का


कायाककप कर दिया। सामने से नजर नहीं आने िाले संगठन
के िे लोग दजन्द्होंने जमीन पर इन कोदशशों को साकार दकया,
और प्रचार तथा चुनािों के िौरान इस व्यिस्त्था ने कैसे काम
दकया। यह दकताब इस पर नजर डालती है दक भाजपा कैसे यही
तरीके अपनाकर िूसरे क्षेरों में आगे बढ़ रही है । अदमत शाह के
जाने के लंबे समय बाि भी उनका योगिान भाजपा को राष्ट्रीय
िल बनाने में और चुनाि लड़ने की सबसे िुजेय रिनीदत तैयार
करने और चुनाि लड़ने को पुनःपदरभादषत करने में मििगार
सादबत होता रहे गा।

*
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दजस तरह मोिी ने अपनी छदि बिली, भाजपा ने भी िैसा ही
दकया।

आज, अगर कोई व्यदि भाजपा को दसफच उच्च जादत की पाटी


के रूप में िे खता है तो िह अतीत में ही जी रहा है । भाजपा सबसे
दनचले तबके, दजसमें व्यापक हहिू आिार शादमल है , सदहत
दिदभन्न समुिायों का समथचन हादसल करके एक समािेशी हहिू
पाटी बन रही है ।

2014 में, नरे न्द्र मोिी की अपील और प्रदतदनदित्ि के िायिे के


कारि पाटी इन्द्हीं हादशए िाले तबकों का समथचन हादसल करने
में सफल रही थी। 2014 के बाि पाटी के दलए अपने चदरर में
लाए गए इस बिलाि पर अपनी नीदतयों, बयानों और संगठन
के ढांचे के जदरए कायम रहना एक चुनौती थी तादक हहिू समाज
की दिदििता की इसमें झलक दमले।

िह जब ऐसा करने में दिफल रही तो िह चुनाि हार गई। दबहार


दििान सभा के दलए 2015 में चुनाि में पाटी को दपछड़े िगों
और िदलतों के प्रदत िैमनस्त्यपूिच रिैए का सामना करना पड़ा
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क्योंदक राष्ट्रीय स्त्ियंसेिक संघ के प्रमुख मोहन भागित ने
सुझाि दिया था दक आरक्षि की समीक्षा होनी चादहए; हादशए
पर समुिायों ने भाजपा में अपना अक्स और नेताओं को नहीं
िे खा। उत्तर प्रिे श में 2017 के दििान सभा चुनाि में भाजपा की
शानिार सफलता का श्रेय खुि को दपछड़े िगों और िदलतों की
पाटी के रूप में पेश करने की उसकी क्षमता को जाता है ।

यह पुस्त्तक पाटी के एक अदिक समािेशी हहिू पाटी के रूप में


बिलाि की कहानी बताती है । पाटी के भीतर अपनी जड़ें जमाए
उच्च जादतयों के दहत इस बिलाि के प्रदत पूरी तरह सहज नहीं थे
और भाजपा में बिलाि की यह प्रदिया न तो बहु त आसान थी
और न ही सीिी सरल थी। भाजपा की परीक्षा तो पाटी के पुराने
और नए समथचकों के बीच व्याप्त दिरोिाभासों में तालमेल
कायम करने में उसकी क्षमता को लेकर होगी।

अदिकांश लड़े गए चुनािों में भाजपा के दलए संघ पदरिार का


समथचन एक महत्िपूिच पहलू रहा है । परं तु 2014 से पहले शायि
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ही कभी संघ पदरिार ने अपनी समूची संगठनात्मक संरचना,
संसािन, कायचकताओं और संगठन को इतने बड़े पैमाने पर
चुनाि में लगाया हो।

सत्ता हादसल करने के प्रयास में सहयोग करना एक बात है ; सत्ता


हादसल करने के बाि इसमें एक सीमा तक दमल जाना अलग
बात है । अटल दबहारी िाजपेयी के नेतृत्ि िाली दपछली राजग
सरकार में संघ नेतृत्ि और प्रिानमंरी में मतभेि साफ नजर
आते थे। इसका बाहर असर भी नजर आता था, चुनािों के
िौरान संघ अक्सर दनल्ष्ट्िय बना रहा या दफर उसने इतनी ऊजा
नहीं लगाई दजतनी भाजपा को आशा थी। नरे न्द्र मोिी जब सत्ता
में आए तो यह संभािना भी थी, क्योंदक उनके पास अपना
बहु मत था और उनके आसपास व्यदि पूजा भी चल रही थी
और बताते हैं दक संघ इससे असहज महसूस करता था।

इसके बाि भी, व्यदित्ि, मुद्दों और चुनाि प्रबंिन को लेकर


मतभेिों के बािजूि संघ और भाजपा मोटे तौर पर एकसाथ ही
रहे । चुनािों में जाने से पहले भाजपा को संघ की अदिक जरूरत
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हो सकती है और भाजपा के सत्ता में आने के बाि संघ को
उसकी अदिक जरूरत होती है परं तु उन्द्होंने एक साथ बहु त
अच्छी तरह काम दकया।

यह पुस्त्तक बताती है दक कैसे नरे न्द्र मोिी और मोहन भागित


ने कैसे सरकार और संघ के बीच मिुर दरश्ते बनाए रखना
सुदनदित दकया; भाजपा की तरह ही संघ ने कैसे हहिू जादतयों के
प्रदत और अदिक समािेशी िृदष्टकोि अपनाने की आिश्यकता
महसूस की, परं तु हमेशा ही अपनी रूदढ़िािी िैचादरकता के प्रदत
सतकच रहा, और उत्तर प्रिे श में चुनािों तथा प्रचार के िौरान कैसे
संघ के तंर ने, दजसमें उसका काडर भी शादमल है परं तु उससे
भी अदिक महत्िपूिच उसके समथचकों का व्यापक पदरिेश है -
एक समान लक्ष्य ‘हहिू एकता’ बनाये रखने के दलए भाजपा के
प्रयासों में मिि की।

2014 में, मोिी ने हहिू भािनाओं का तो आह्वान दकया परं तु खुि


को स्त्पष्ट रूप से मुल्स्त्लम दिरोिी नजर आने से बचाने के प्रदत
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बहु त साििान रहे । उन्द्होंने एक होदशयारी भरा तरीका अपनाते
हु ए पहले तो पलायन करने िाले हहिुओं और िूसरे िमच के
अनुयादययों के बीच फकच दकया, दफर िे दजसे ‘हपक दरिॉकयूशन’
कहते हैं उस पर आए, दजसमें गाय की हत्या और मांस के दनयात
में बढ़ोतरी का आरोप लगाया गया।

लेदकन लोक सभा चुनािों के िौरान सभाओं को किर करने


िाला कोई भी व्यदि इसकी पुदष्ट करे गा दक मोिी के भाषि के
पहले होने िाले िूसरे भाजपा नेताओं के भाषि चरम राष्ट्रिाि,
एक िमच िाले राष्ट्र और मुल्स्त्लमों के ‘तुदष्टकरि’ जैसे भाजपा
के पुराने संिेशों से ओतप्रोत होते थे. चूदं क राष्ट्र ने दसफच मोिी के
भाषिों को टीिी पर िे खा, उनसे पहले बनाया गया माहौल
अक्सर ही जानकारी में नहीं आ पाता था।

पाटी ने पदिमी उत्तर प्रिे श में मुजफ्फरनगर िं गों का भी फायिा


उठाया, अदमत शाह ने स्त्पष्ट शधिों में कहा दक यह चुनाि ‘बिला’
लेने के दलए ही हैं । इस समूचे इलाके में भाजपा का तंर
‘मुसलमानों को सबक दसखाने’ संबंिी संिेश के साथ हहिू,
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दिशेषकर जाट एकजुटता बनाये रखने में जुट गया। यह कारगर
भी रहा। सेन्द्टर फॉर ि स्त्टड़ी ऑफ डेिलहपग सोसायटीज के
आंकड़ों के अनुसार भाजपा ने 77 प्रदतशत से अदिक जाटों के
िोट हादसल दकए।

2014 से ही भाजपा ने अगल अलग तरह से हहिू काडच खेला है ।


हहिू काडच दबहार में नहीं चला। इससे पता चलता है दक
िुव्रीकरि की राजनीदत के व्यापक पदरप्रेक्ष्य में यह एक मुद्दा है
परं तु सभी पदरल्स्त्थदतयों में यह काम नहीं कर सकता है । परं तु
उत्तर प्रिे श में यह सफल रहा, जहां भाजपा--प्रिानमंरी नरे न्द्ि
मोिी तक ने--अपने शधिाडंबरों के सहारे अपने हमले तेज करते
हु ए कहा दक दकस तरह से इस सरकार ने मुसलमानों का
‘तुष्टीकरि’ दकया था।

यह पुस्त्तक बताती है दक कैसे, दिशेषरूप से उत्तर प्रिे श में,


भाजपा ने िीरे िीरे नीचे से ऊपर तक इस कहानी का जाल
बनाया दक यहां बहु सख्ंयक कैसे पीदड़त हैं जबदक अकपसंख्यकों
के बारे में कहा दक उन्द्हें दसर पर चढ़ा दिया गया है । यह दकताब
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ये भी बताती है दक कैसे िबे हु ए िुराग्रहों को और भी पैना बनाया
और झूठ फरे ब के मायाजाल के जदरए नफरत की भािना को
भड़काया गया। इस काम में दिपक्षी िलों और उनकी नीदतयों ने
और मुसलमानों के बारे में उनकी भाषिबाजी ने भी भाजपा की
मिि की। दनदित ही, तकच दिया जा सकता है दक उप्र के 2017
के चुनाि में भारतीय राजनीदत के अभी तक के सुपदरभादषत
शधि ‘िमचदनरपेक्षता’ का अंत हो गया।

2014 से ही नरे न्द्र मोिी और अदमत शाह का िृदष्टकोि साफ है


दक उन्द्हें अपनी सफलता िाले क्षेरों पर कादबज रहते हु ए इसे
मजबूत बनाना है और शेष भारत में इसका दिस्त्तार करना है ।
भाजपा अब जैसे दसफच उच्च जादतयों की पाटी नहीं रह गई िैसे
ही यह अब दसफच उत्तर भारत की पाटी भी नहीं है ।

अपने गढ़ों के अलािा इसने सबसे असंभादित जगहों जैसे


जम्मू-कश्मीर से लेकर मदिपुर तक इसने अपना दिस्त्तार दकया
है । इन प्रयासों को एक और नेता ने आगे बढ़ाया दजसकी जड़ें
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संघ में हैं और िह हैं राम मािि। 2014 की जीत के बाि पाटी
में आने से पहले, संघ के दिल्ली ल्स्त्थत प्रििा के रूप में मािि ने
संघ और भाजपा के बीच में एक अहम पुल के रूप में काम
दकया.

पाटी के दिस्त्तार का आिार तीन मुख्य रिनीदतयां रही हैं –


कांग्रेस के पूिच प्रदतद्वं दद्वयों समेत मौजूिा राजनीदतक अदभजातों
को अपने में दमला लेना; अपने दिचारिारात्मक चेहरे को छुपा
कर एक ऐसी पाटी के रूप में पेश करने की कोदशश करना जो
दिदििता का सम्मान करती है और एकरूपता नहीं लाना
चाहती; और दिदभन्न क्षेरों की दिशेषताओं के अनुकूल खुि को
ढालना. यह दकताब बताती है दक कैसे मािि ने पाटी को
सचमुच राष्ट्रीय बनाने में मिि की और कैसे दिदभन्न रिनीदतयों
ने श्रीनगर, गुिाहाटी और इम्फाल में भगिा सरकारें स्त्थादपत
कीं।

*
dr. dharmendra Singh G
इस दकताब में शुरू से आदखर तक एक ही बात दमलेगी और िो
है दिपक्ष की अनेक नाकादमयां. कोई भी नेता नरे न्द्र मोिी का
मुकाबला नहीं कर पाया है और राहु ल गांिी के कमजोर प्रयास
जनता का मामूली ध्यान ही आकर्णषत कर सके हैं । कोई भी
राजनीदतक िल अदमत शाह की टक्कर का संगठन नहीं बना
सका। कोई भी िूसरा िल अपने सामादजक गठबंिन एक या िो
मुख्य जादतयों के आगे दिस्त्तार नहीं कर सका। कोई भी अन्द्य
िल पुराने ‘िमचदनरपेक्ष बनाम सांप्रिादयक’ होने के तकच से आगे
नहीं जा पाया, दजसका असल में मतलब ‘मुल्स्त्लम िोट’ पर
अत्यदिक दनभचर होना हो जाता है और इस तरह से यह दसफच
भाजपा की ही मिि करता है । और इनमें से अदिकांश ने भाजपा
के दखलाफ अलग अलग चुनाि लड़ा और जब दिपक्षी एकता
कमजोर हो तो भाजपा को परास्त्त करना मुल्श्कल है ।

जब दिपक्ष एकजुट हो गया तो कहानी अलग थी। दिल्ली में, आम


आिमी पाटी के पास एक ऐसा नेता था दजसकी व्यापक अपील
थी, एक िलील थी, एक संगठन था और एक सामादजक
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गठबंिन था। कांग्रेस की हताशा ने भी इसमें योगिान दकया था
दजसके िोट आप पाटी की ओर चले गए थे। असल में भाजपा
ने अपना मतों का प्रदतशत बचाए रखा था, परं तु िह दसमट कर
रह गई। इससे बेहतर उिाहरि तो दबहार का है जहां दिपक्षी
गठबंिन ने व्यापक सामादजक आिार पर जोर दिया और उसने
सांप्रिादयक िुव्रीकरि का कोई भी मौका नहीं िे ने की साििानी
बरती।

इन िो हदथयारों के साथ, दिशेषकर जब नीतीश कुमार जैसे एक


भरोसेमंि नेता से मुकाबला हो, तो भाजपा की यह िुजेय
मशीनरी चरमरा सकती है । यह एक िूसरा मामला है दक जुलाई
2017 में दबहार की राजनीदत में उलट-फेर हो गया। नीतीश
कुमार ने लालू प्रसाि को िता बता दिया और अपनी पुरानी
सहयोगी भाजपा के साथ हाथ दमला दलया – और पाटी चुनाि
हारने के बािजूि सत्ता में आ गई. इसने नरे न्द्र मोिी और अदमत
शाह की भूख को ही उजागर दकया, लेदकन यह दकताब मुख्यत:
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2015 की चुनािी पराजयों तक और उनसे भाजपा द्वारा सीखे
गए सबकों तक ही सीदमत है .

भाजपा की िृहत सफलता को समझने के दलए इस पुस्त्तक में


उत्तर प्रिे श में पाटी के सूक्ष्म स्त्तर पर हु ए कायाककप पर ध्यान
केल्न्द्रत दकया गया है । भारत के इस सबसे बड़े राज्य में हु ए
राजनीदतक मंथन पर दिशेष ध्यान िे ने की मजबूत िजहें हैं ।

उत्तर प्रिे श की राजनीदत भारत की राजनीदत की दिशा तय करती


है । यह भले ही बहु त दघसी दपटी बात हो, परं तु इसमें बहु त कुछ
सच्चाई भी है दक दिल्ली का रास्त्ता लखनऊ होकर ही जाता है ।
इसकी िजह ये है दक संसि में इसका िजन ज्यािा है ।

यह राज्य भाजपा के एक राष्ट्रीय संगठन के रूप में उत्थान का


केन्द्र भी रहा है । जब कभी भी पाटी ने उप्र में सफलता हादसल
की तो िह राष्ट्रीय स्त्तर पर भी फली-फूली है । जब भी राज्य में
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उसका प्रिशचन खराब हु आ तो िह बहु त ही बुरी तरह सत्ता से भी
बाहर हु ई।

पाटी की राजनैदतक और िैचादरक पदरयोजना यहां आकर


दमलती है । इसके िोनों प्रिानमंरी अटल दबहारी िाजपेयी और
नरे न्द्र मोिी इसी राज्य से दनिादचत हु ए। इसका संरक्षक संगठन
राष्ट्रीय स्त्ियंसेिक संघ 1930 से ही उत्तर प्रिे श में ध्यान िे रहा
है और इलाहाबाि दिश्वदिद्यालय और बनारस हहिू
दिश्वदिद्यालय जैसे संस्त्थानों से बड़े स्त्तर पर लोगों की भती
करता है । इसी राज्य में अयोध्या, काशी और मथुरा भी है । ये
तीनों मंदिर 1980 और 1990 के िौरान भाजपा द्वारा चलाए गए
आन्द्िोलन से संबर्द् रहे हैं ।

दिशेषकर राम जन्द्म भूदम आन्द्िोलन ने भारतीय जनता पाटी को


1984 में लोकसभा में दसफच िो सीटों से 1991 में 120 सीटों तक
पहु ं चाया। इनमें से 51 सीटें उत्तर प्रिे श से ही थीं। उस समय
अदिभादजत उत्तर प्रिे श लोकसभा के दलए 85 सांसि भेजता
था।
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1996 में जब िाजपेयी पहली बार सत्ता में आए तो भाजपा ने
इस राज्य में 52 सीटों पर दिजय प्राप्त की थी। उसने इस पर
अपना प्रिशचन बेहतर दकया और 1998 के चुनािों में 58 सीटें
जीतीं।

1999 में इस राज्य से भाजपा सीिे गोता लगाते हु ए दसफच 29


सीटों पर दिजयी हु ई। लेदकन इस पर गौर कीदजए दक तब भी
यह उप्र में सबसे बड़ी पाटी थी. एक बार दफर उसने सरकार
बनाई। 2004 और 2009 में उप्र में भाजपा दसफच िस सीटें ही
जीत सकी और िह लोक सभा में दिपक्षी सीटों पर दसमट गई।

परं तु 2014 में भारतीय राजनीदत में उत्तर प्रिे श की केन्द्रीयता


दफर से स्त्थादपत हु ई। राज्य में भाजपा की जीत ने खेल के दनयमों
नए दसरे से गढ़े और नरें र मोिी को भारत का सबसे ताकतिर
प्रिानमंरी बनने में सक्षम बनाया।

और 2017 में इसकी शानिार दिजय के साथ ही भाजपा ने यह


सुदनदित कर दिया दक तीन िशकों में पहली बार एक ही िल
दिल्ली और िे श के सबसे बड़े राज्य िोनों स्त्थानों पर शासन
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करे गा। इसने भाजपा को 2019 के आम चुनािों में बढ़त िे िी
है । इसने पाटी की राजनीदतक और सामादजक पदरयोजना में
आिामकता भी लाई है ।

इस दकताब के सभी प्रमुख दिषय - मोिी की अपील, शाह का


संगठन, भाजपा की सोशल इंजीदनयहरग, राजनीदतक ताकत
बढ़ाने के दलए सांप्रिादयक िुिीकरि और नफरत का इस्त्तेमाल,
दिपक्ष का दछन्न दभन्न होना और उसकी कमजोदरयां - उप्र में
दिखाई पड़ी हैं ।

उत्तर प्रिे श पर ध्यान केल्न्द्ित करने की एक दनजी िजह भी है ।


मैंने 2014 और 2017 में राज्य के चुनािों को व्यापक स्त्तर पर
किर दकया था। राज्य में दििान सभा चुनाि की तैयादरयों के
िौरान, एक साल से अदिक समय के भीतर, मैं राज्य में बिलते
राजनीदतक समीकरिों पर दनगाह रखने के इरािे से लगभग हर
महीने यहां आया। और मतिान शुरू होते ही मैंने सहारनपुर से
दमजापुर के पदिम और पूरब, तराई में श्रािस्त्ती से लेकर उत्तर
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में नेपाल के सीमातिी क्षेर से बुंिेलखंड के दचरकूट तक करीब
एक महीने में राज्य में पांच हजार दकलोमीटर की यारा की।

लेदकन यह दकताब दसफच उत्तर प्रिे श के बारे में नहीं है । इसमें


एक अन्द्य राज्य दबहार के चुनािी समर में पाटी की पराजय को
भी रे खांदकत दकया गया है दजसकी मैंने पांच साल तक दरपोदटिं ग
की है । इसमें इस बात का भी परीक्षि दकया गया है दक उत्तरी
और पदिमी भारत के िूसरे क्षेरों में दकस तरह से पाटी की
दिस्त्तार की रिनीदत ने काम दकया। यह दकताब इसकी पड़ताल
भी करती है दक भाजपा कैसे नई नई रिनीदतयों के जदरए आज
अनपेदक्षत इलाकों जैसे दक पूिोत्तर में भी, एक प्रभुत्िशाली पाटी
बन गई है ।

यह दकताब इस बात पर गौर करती है दक भाजपा चुनाि कैसे


जीतती है । यह इस दिषय पर गौर नहीं करती है दक चुनाि जीतने
के बाि क्या करती है और इस तरह इसने भाजपा के शासन के
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तहत हाल में होने िाली अदिक दििािास्त्पि कारच िाइयों और
घटनाओं से खुि को िूर रखा है ।

यह दकताब भदिष्ट्य के दलए कोई भदिष्ट्यिािी भी नहीं करती


है । जदटल समाज के बीच दनयदमत चुनाि और बहु िलीय
प्रदतस्त्पिा में राजनीदतक प्रदिया के बारे में कुछ भी नहीं कहा जा
सकता है । और यह तथ्य दक आज भाजपा प्रमुख िल के रूप
में है , इसका मतलब यह नहीं है दक उसे हराया नहीं जा सकता।
दनदित ही, दपछले तीन सालों के िौरान भाजपा हारी भी हु ई है
और उसकी तमाम कमजोदरयां भी उजागर हु ई हैं ।

चुनािों की लोकतांदरक प्रदिया के माध्यम से भाजपा का


उत्थान समकालीन भारत की सबसे अदिक दिलचस्त्प कहादनयों
में से एक है । इसने राजनीदत की िारा ही बिल िी है और नए
सामादजक गठबंिन बनाए हैं , पुराने खादमयों को पीछे छोड़ दिया
है , नए टकरािों को जन्द्म दिया है , कुछ को सशि बनाया तो
अन्द्य को अलग थलग दकया है और अब सरकारी संस्त्थाओं पर
उसका पूरा प्रभाि है । जब एक ताकतिर राष्ट्रीय नेता, एक
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दिकट रिनीदतकार, एक िैचादरक एिं संगठनात्मक ढांचा,
कुदटल सामादजक गठबंिन, िमच की राजनीदत और एक दनमचम
महत्िाकांक्षा, तथ्यात्मक और लचीली संस्त्कृदत का दिलय होता
है तो राजनीदतक और लोकतंर अभूतपूिच तरीके से बिल
सकता है । और शायि इस किर बिल सकता है दक उसे पलटा
नहीं जा सकता।

2. मोिी हिा
उत्तर प्रिे श के चुनाि भारतीय जनता पाटी ने नहीं, राज्य के
नेताओं ने नहीं, उम्मीििारों ने नहीं और न ही राष्ट्रीय स्त्ियंसेिक
संघ बल्कक दसफच एक व्यदि ने राज्य में भाजपा को दिजय
दिलायी और िह व्यदि प्रिान मंरी नरे न्द्र मोिी हैं ।

मुसलमानों के अलािा, उत्तर प्रिे श के प्रत्येक समुिाय ने उन्द्हें


अपना माना और दिल्ली और लखनऊ िोनों जगहों के दलए उन
पर ही भरोसा दकया। यह भरोसा 2014 के चुनािों में भी साफ
नजर आ रहा था।
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यह आियचजनक है दक तीन साल बाि भी नरे न्द्र मोिी के
दखलाफ कोई दिरोिी लहर नहीं है । िास्त्तदिकता तो है दक सत्ता
ने उनकी अपील को और बढ़ा दिया है । िह अपने पूरे कदरयर
के िौरान इसी तरह रहे हैं ।

मोिी ने 2001 के अंत में गुजरात दििान सभा में मुख्यमंरी के


रूप में प्रिेश दकया और राज्य में एक भी चुनाि कभी नहीं हारे ।
उन्द्होंने लोकसभा में प्रिानमंरी के रूप में प्रिेश दकया और दिल्ली
तथा दबहार में दमले झटके के बािजूि उनका जो दरकाडच है उससे
कोई भी िूसरा ईष्ट्या करे गा। सत्ता दमलने के कारि संतोष करने
और अपनी संभािनाओं का क्षरि करने की बजाये इसने दनरं तर
मोिी की लोकदप्रयता बढ़ाई है ।

उत्तर प्रिे श के शहरों, गांिों और सड़कों पर अदिकांश लोगों,


दजन्द्होंने का समथचन दकया, इस समथचन के दलए कोई स्त्पष्ट कारि
नहीं बता सके अथिा नहीं बताया। यह एक अकेले व्यदि के
प्रदत अभूतपूिच आस्त्था, नीयत में भरोसा, मंशा और ईमान तथा
दनष्ठा ही थी।
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इस भरोसे को आगे लाने में बहु त ही साििानी से बनायी गई,
एकिम नई छदि थी। यदि िह 2002 से हहिू हृिय सम्राट थे तो
मोिी ने बहु त ही साििानी के साथ 2007 से अपनी छदि को
दिकास पुरूष में तधिील दकया और दिकास के दलए ‘गुजरात
माडल‘ पेश दकया। इन्द्हीं िो छदियों को दमलाने का नतीजा ही
2014 में उनकी दिजय थी।

अब एक तीसरा अितार दलया है , दजसकी कम सराहना हु ई,


नरे न्द्र मोिी अपने पहले के िो अितार बनाये रखते हु ए आज
गरीबों के नेता हैं । इस छदि के साथ उन्द्होंने ‘सूट बूट िाली
सरकार‘ के आरोपों को ध्िस्त्त कर दिया है ।

आठ निंबर, 2016 को जब राम सुिार दमजापुर के जमुई बाजार


ल्स्त्थत अपने घर में टे लीदिजन िे ख रहा था तो उसने प्रिानमंरी
नरे न्द्र मोिी को यह घोषिा करते सुना दक 500 और 1000 रुपए
के नोट आिी रात के बाि से िैि मुरा नहीं रह जायेगी।
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उसे इस किम के नतीजों को समझने में कुछ क्षि लगा।

राम सुिार की बाजार में दबजली के सामान की छोटी सी िुकान


है और उसका कारोबार सामान प्राप्त करना और उसे बेचने का
है जो अदिकतर नकिी पर ही दनभचर करता है । अब यह कैसे
चलेगा?

िो दिन बाि िह दबजली के सामान की उसे आपूर्णत करने िाले


िुकानिार से दबजली के तार, केबल और बकब आदि लेने
बनारस गया। उसने उसे िह नकिी िी जो अब गैरकानूनी मुरा
हो चुकी थी। उसके आपूर्णतकता, एक पुराना संपकच, ने इसे लेने
से मना कर दिया परं तु उससे कहा दक िह 50,000 रुपए तक
का सामान लेकर इसका भुगतान बाि में कर सकता है ।

लेदकन अब जब सामान की आपूर्णत का बंिोबस्त्त हो गया, मांग


की समस्त्या बरकरार रही। जमुई बाजार में दसफच िो ही बैक हैं ,
इनमें नई मुरा अभी पहु ं ची नहीं थी, एटीएम भी बंि पड़े थे, इस
सबका मतलब यही था दक लोगों के पास नकिी नहीं है । और
इस िजह से राम सुिार की िुकान में दबिी तेजी से कम हो गई।
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रोजाना 4000 रुपए तक का कारोबार करने िाला राम सुिार
अब दसफच 1000 रूपए तक का ही सामान बेच रहा था।

अब िह एक परे शानी में पड़ गया था। उस पर अपने आपूर्णतकता


का बकाया था परं तु उसे पयाप्त आमिनी नहीं हो रही थी। सरकार
ने उसकी दजन्द्िगी में व्यििान पैिा कर दिया था और उसके छोटे
से िंिे की अथचव्यिस्त्था को डांिाडोल कर दिया था। परं तु इसके
बािजूि प्रिानमंरी में सुिार का दिश्वास कम नही हु आ था।

उसने मुझसे कहा, ‘भईया, यह प्रदतबंि नहीं है । यदि यह प्रदतबंि


होता तो तो हम बबाि हो गये होते। उन्द्होंने तो हमसे दसफच यही
कहा है दक पुरानी मुरा अपने खातों में जमा कराओ और हमें
ऐसा करने के दलए समय भी दिया है । मैं समझता हू ं दक यह
बहु त अच्छा किम है । यदि हमारे जिान 24 घंटे हमारी सुरक्षा
के दलए अपनी जान जोदखम में डाल सकते हैं , क्या हम राष्ट्र
दहत में कुछ घंटे लाइन में खड़े नहीं हो सकते?’

उसने िलील िी, ‘पैसा बैकों में िापस आएगा। दजनके पास
काला िन है िे पकडे जायेंग।े अथचव्यिस्त्था स्त्िच्छ और साफ
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हो जायेगी।’ और दफर, एक मुस्त्कुराहट के साथ राम सुिार यह
भी जोड़ता है , ‘मोिी ने कुछ समय मांगा है । यह सारी परे शादनयां,
असुदििाएं कुछ सप्ताह में खत्म हो जायेंगी। हमें उन पर भरोसा
है ।’

राम सुिार अकेला अपिाि नहीं था। निंबर, 2016 में समूचे
पूिांचल-िारािसी, दमजापुर, आजमगढ, जौनपुर-में भारत की
सबसे गरीब पट्टी में से एक इस सूबे में आम नागदरकों का यही
कहना था। दिमुरीकरि से असुदििाएं हु ई हैं परं तु िे इसका
समथचन करते हैं ।

जौनपुर में एक बैंक की लंबी कतार में खड़ी एक िृर्द् मदहला


कहती है दक िह परे शानी महसूस कर रही है । िह कहती है , ‘मेरे
पास एक भी पैसा नहीं है । मोिी सरकार ने नई मुरा चलाई है ।’
इसके बािजूि िह महसूस करती है दक सरकार ने सही काम
दकया है । ‘यदि बड़े लोगों को परे शानी हो रही है , यदि मुझे दिक्कत
हो रही हो इससे क्या फकच पड़ता है ।’
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दमजापुर के राजगढ में एक छोटा कारोबारी पदरिार में दििाह की
तैयादरयों में व्यस्त्त था। िह कुछ भुगतान तो चेक से करने में
सफल रहा जबदक िूसरी जरूरतों के दलए उिार पर दनभचर रहा।
दफर भी, िह इस नीदतगत पहल का प्रशंसक था। िह कहता है ,
‘यह ईएमआई घटायेगी। यह लोगों को चेक का इस्त्तेमाल करने
के दलए बाध्य करे गी। दरयल इस्त्टे ट के िाम भी नीचे आयेंग।े
यह एक अच्छी पहल है ।’

छोटी खेतीबाड़ी िाले एक िदलत दकसान को आगामी बुिाई के


सर के दलए बीज खरीिने के दलए नकिी की आिश्यकता थी।
परं तु िह भी दशकायत नहीं कर रहा था। िह कहता है , ‘यह
अस्त्थायी तकलीफ है । एक या िो महीने में नोट िापस आ
जायेंग।े लोग कह रहे हैं दक रईसों से दलए गये िन का गरीबों में
दनिेश दकया जायेगा।’

भारतीय अथचव्यिस्त्था के हाल के इदतहास में कोई अन्द्य किम


आम नागदरकों की रोजमरा की दजन्द्िगी में इतना अदिक
व्यििान डालने िाला नही हु आ दजतना दक दिमुरीकरि का
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दनिचय। दकसी अन्द्य किम की िजह से रोजगार नहीं गये और
न ही असुदििाएं हु ईं। दफर भी, इस किम के प्रदत उत्साह स्त्पष्ट
था।

यह अपेक्षा थी दक यह किम उन संपन्न लोगों खुशहाली िे ने के


दलए अथचव्यिस्त्था को स्त्िच्छ बनायेगा जो यह मानते थे दक िे
सबसे अदिक पीदडत हैं , इस उम्मीि से दक अदतदरि संसािनों
को और अदिक समता समाज की अपेक्षा करने िाले गरीबों के
दलए हस्त्तांतदरत दकया जायेगा, अनेक कारिों से सरकार के इस
किम को लोगों का समथचन दमला। इसके कुछ महीनों बाि ही
यह उत्साह िीरे िीरे गायब हो गया परं तु इसने कभी भी शतुता
का रूप नहीं दलया।

जनता के आिोश के कारि इतने व्यापक पैमाने पर होने िाली


अव्यिस्त्था से उत्पन्न अपदरहायच जनािोश का बहु त ही कम
लोकतांदरक अथिा िबंग नेता सामना करने में सक्षम होते।
परं तु नरे न्द्र मोिी ने न दसफच इस आिोश को शांत दकया बल्कक
िह और अदिक ताकतिर होकर ऐसे व्यदि के रूप में सामने
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आए दजसकी प्रदतबर्द्ता गरीबों के प्रदत थी और दजसने भ्रष्ट और
संपन्न प्रदतष्ठान के दखलाफ ईमानिारी का संघषच छे ड़ रखा था।

जब जनता दिमुरीकरि के पदरिामों से रूबरू हो रही थी तो उस


िौरान मोिी ने उत्तर प्रिे श में छह जनसभाएं कीं।

दिसंबर की शुरुआत में मोिी ने पीतल उद्योग के दलए प्रदसर्द्


मुरािाबाि, जो दिमुरीकरि से बुरी तरह प्रभादित हु आ था, में
ऐसी ही एक जनसभा को संबोदित दकया। करीब 50 दमनट के
अपने भाषि में मोिी ने िजचनों बार ‘गरीब’ और ‘गरीबी’ का
उल्लेख दकया। यह ऐसा भाषि था दजसके राजनीदतक संिेश को
समझने के दलए इसके िाक्यदिन्द्यास को दिस्त्तार से अलग
अलग करके समझना उपयोगी होगा, प्रिानमंरी ने दकस तरह
से अपनी राजनीदतक प्रदतष्ठा का इस्त्तेमाल दकया और दकस तरह
िह सभास्त्थल पर उपल्स्त्थत हजारों लोगों के साथ तालमेल दबठा
सके।
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मोिी ने बताया दक उन्द्होंने कैसे उप्र का चुनाि लड़ा था, क्योंदक
िह गरीबी के दखलाफ युर्द् छे ड़ना चाहते थे। भारत की गरीबी
को खत्म करने के दलए पहले उत्तर प्रिे श की गरीबी िूर करनी
होगी।

और दफर उन्द्होंने अपने आकषचक अंिाज में मोिी ने भीड़ को


इसमें शादमल कर दलया और उससे पूछा दक क्या िे अपनी
मुदियां उठाकर पूरी ईमानिारी से उनके सिालों के जिाब िे गी।

उन्द्होंने सिाल दकया, ‘क्या भ्रष्टाचार ने िे श को बबाि कर दिया


है ? क्या इसकी िजह से लूट हु ई है ? क्या इसने सबसे ज्यािा
नुकसान गरीबों को पहु ं चाया है ? क्या इसने गरीबों के अदिकारों
को छीना है ? क्या भ्रष्टाचार ही सारी समस्त्याओं की जड़ है ?’

भीड़ ने जिाब दिया, ‘हां’।

मोिी ने दफर कहा, ‘अब आप ही मुझे बतायें, क्या भ्रष्टाचार रहना


चादहए या इसे जाना चादहए? जाना चादहए दक नहीं?’

जनता का जिाब आया, जाना चादहए, इसे जाना ही चादहए।


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‘तो दफर आप मुझे बताइये, क्या यह अपने आप चला जायेगा?
क्या यह कहे गा दक मोिी जी आप आ गये हैं ; मैं डर गया हू ं , मैं
जाऊंगा?’

एक बार दफर जनता का स्त्िर उभरा, ‘नहीं, नहीं।’

‘तो दफर हमें भ्रष्टाचार को हराने के दलए डण्डे का इस्त्तेमाल


करना होगा या नहीं? क्या हमें कानून का सहारा लेना होगा या
नहीं? क्या हमें भ्रष्टाचार से दनबटना होगा या नहीं?’

‘हां’।

‘‘क्या हमें यह काम करना चादहए या नहीं?’’

‘हां’

मोिी ने आगे कहा, ‘‘यदि कोई ऐसा काम करता है तो क्या िह


अपरािी या िोषी है ? क्या भ्रष्टाचार के दखलाफ लड़ना अपराि
है ?’’

‘नहीं।’
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मोिी ने एक बार दफर जनता को कुरे िा।

‘मै आपके दलए लड़ाई लड़ रहा हू ं । ज्यािा से ज्यािा, ये लोग


मेरा क्या कर सकते हैं ? आप बतायें, ये मेरा क्या कर सकते हैं ?’
थोड़ी खामोशी के बाि िह जिाब िे ते हैं , ‘मैं तो एक फकीर हू ं ,
मैं अपना थैला उठाकर चला जाउंगा।’ इसके प्रत्युत्तर में जनता
ने जबिच स्त्त तादलयां बजाईं और मोिी मोिी के नारे लगाये। ‘और
यही फकीरी है दजसने मुझे गरीबों के दलए लड़ने की ताकत िी
है ।’

मोिी ने बात यहीं पर खत्म नहीं की।

मोिी ने कहा दक जब उन्द्होंने गरीबों के दलए जनिन खाता


खोलने का अदभयान शुरू दकया तो लोगों ने उनका मजाक
बनाया। परं तु आज, पैसे िाले अब गरीबों के घर आ रहे हैं ,
पुराने संबंिों की याि दिला रहे हैं और दफर उनसे िो तीन लाख
रुपए अपने बैंक खाते में जमा करने के दलए कह रहे हैं ।
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िह सिाल करते हैं , ‘क्या आपने पहले कभी िे खा दक पैसे िाले
गरीब के िरिाजे पर आयें और झुकें? आज, भ्रष्ट लोग गरीब
जनता के घरों के आगे लाइन लगाये हैं ।’

इसके बाि उन्द्होंने गरीबों का सािचजदनक रूप से आह्वान दकया।

‘मैं सभी जनिन खाता िारकों से कहता हू ं -दजसने भी आपको


अपना पैसा दिया है , इसमें से एक रुपया भी मत लीदजए। आप
िे खेंगे दक ये रोजाना आपके िरिाजे पर आयेंगे; आप कुछ मत
कदहये। आप उनसे कदहये दक उन्द्हें िमकायें नहीं, िरना आप
मोिी को दलख कर भेजेंग।े उनसे कह िीदजये-आप सबूत िीदजये
दक आपने मुझे पैसा दिया था। िे फंस गये हैं । आप पैसा अपने
पास रदखये और इसका रास्त्ता मैं दनकालूंगा। मैं उन उपायों पर
दिचार कर रहा हू ं दक दजन्द्होंने गैरकानूनी तरीके से पैसा जमा
दकया है , िे जेल जायेंगे और यह पैसा गरीब के ही पास रहे गा।’

अपने भाषि के अंत में शरारतपूिच मुस्त्कान के साथ यह कहते


हैं दक पैसे िाले दिन भर ‘मनी, मनी मनी कहते थे। अब िे दसफच
‘मोिी, मोिी, मोिी’ कहें ग।े ’
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मोिी के भाषि में एक बात साफ नजर आ रही थी दक िह
दिमुरीकरि से उत्पन्न परे शादनयों को समझ रहे थे।

मोिी कहते हैं , ‘इस िे श के लोगों को जब यह पता चलता है दक


इसमें मंशा अच्छी है , ईमानिार प्रयास है और उन्द्हें भरोसा है तो
यह िे श कुछ भी सहने के दलए तैयार है । क्या कोई यह सोचता
है दक सभी 125 करोड लोगों को भ्रष्टाचार के दखलाफ इस लड़ाई
की दजम्मेिारी उठानी होगी? मैं आपको नमन करता हू ं ।’

भाषि को तार तार करना आसान है । क्या दिमुरीकरि से


भ्रष्टाचार खत्म हो जायेगा? क्या काले िन एक बहु त ही छोटा
दहस्त्सा नकिी में था? क्या यह एक पेचीिगी भरे राजनीदतक
दनिचय को पेश करने का गलत तरीका था? क्या अथचव्यिस्त्था
का पैमाना इसके लाभों की तुलना में कहीं ज्यािा प्रभादित था?
मोिी को कौन अपरािी मान रहा था? क्या लोगों को पैसा नहीं
लौटाने के दलए कह कर उन्द्हें इस बात के दलए प्रेदरत करना
उदचत था दक िे समझौते को तोड़ें जो उन्द्होंने िूसरों के साथ
स्त्िेच्छा से दकया है ?
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परं तु ये सब यहां प्रासंदगक नहीं है । इसकी बजाये, प्रासंदगक यह
है दक िह भाषि में क्या कहते हैं ।

िह अपने समय के सबसे महत्िपूिच नीदतगत दनिचय को


सािारि और समझ में आने िाले शधिों में बता रहे हैं । िह सही
और गलत के बीच में इसे पेश करते हैं । िह खुि को एक ऐसे
व्यदि के रूप में पेश करते हैं जो बुरे लोगों के शोषि का दशकार
हु ई जनता की ओर से एक अच्छी लड़ाई लड़ रहा है । लेदकन
लड़ाई की इच्छा जताते हु ए भी िह खुि को एक ऐसे नेता के रूप
में पेश करते हैं जो जब कुछ छोड़ सकता है दजसमें उसका कोई
दनदहत स्त्िाथच नहीं है और खोने के दलए कुछ नहीं है । िह पीड़ा
को भी महसूस करता है परं तु िह इसे न्द्याय परायिता, त्याग के
भाि और नागदरकों को यह अहसास कराता है दक िे एक
महत्िपूिच राष्ट्रीय दमशन में दहस्त्सा ले रहे हैं ।

दफर िह इससे आगे की बात करते हैं ।

िह इस बात से प्रसन्नता व्यि करते हैं दक पैसे िाले परे शान हो


रहे हैं और िह उनका मखौल बनाने के दलए जनता को प्रेदरत
dr. dharmendra Singh G
करते हैं । िह लोगों की ईष्ट्या को भुना रहे हैं , िह उनके आिोष
को भुना रहे हैं और िह इस तरह का संिेश पेश करते हैं दक
पैसेिालों का नुकसान ही गरीबों का लाभ होगा। िह आकषचक
और समतामूलक भदिष्ट्य, जहां चंि लोग ही संपिा को अपने
पास नहीं रख सकेंगे, का िायिा करके लोगों की मौजूिा
परे शादनयों को दनष्ट्प्रभािी कर िे ते हैं ।

मोिी ने निंबर से जनिरी के िौरान अपनी सभी जनसभाओं में


यही दकया। इसके िो प्रमख दनदहताथच थे।

पहला तो, इससे जनता की भािनाओं को संभालने में मिि


दमली। एक िदरष्ठ सरकारी अदिकारी ने मुझसे कहा, ‘‘हर बार
जब उन्द्होंने भाषि दिया, हम जानते थे दक उन्द्होंने कुछ और
सप्ताह का समय हादसल कर दलया है । यदि उनकी
दिश्वासनीयता नहीं होती तो ऐसा कोई तरीका ही नहीं था दजसमें
जनािोष और िं गों का सामना दकए ही बगैर सरकारी तंर इस
पर अमल कर पाता। नौकरशाही इस चुनौती के पैमाने को लेकर
हतप्रभ थी दजससे व्यिस्त्था को रूबरू होना था। यह िीगर बात
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थी दक दनिचय सही था या गलत। परं तु उन्द्होंने एक दनिचय दलया,
उन्द्होंने इसे स्त्िीकार दकया और इसके कायाल्न्द्ित करने के दलए
उन्द्होंने एक राजनीदतक माहौल बनाया।’’ नरे न्द्र मोिी की
िाकपटुता इतनी प्रभािशाली थी दक जो उन्द्होंने कहा था दक इस
किम को न्द्यायोदचत ठहराने के दलए नागदरकों को उसे अक्षरशः
िोहराते हु ए िे खा जा सकता था।

लेदकन इसका िूसरा दनदहताथच अदिक गंभीर था, प्रिानमंरी के


भाषि दसफच अकपकालीन असंतोष को संभालने के दलए ही नहीं
थे। यह समझने के दलए दक आदखर यह कहां से आ रहे थे तो
इसके दलए 2015 में लौटना होगा।

उस िषच अप्रैल में लोकसभा में कांग्रेस उपाध्यक्ष राहु ल गांिी ने


सरकार पर जबिच स्त्त िािा बोला था। राहु ल गांिी ने अपने
भाषि में कहा, ‘‘आपकी सरकार दकसानांेे की समस्त्याओं
को नजरअंिाज कर रही है , कामगारों की नहीं सुन रही है । यह
सरकार तो उद्योगपदतयों की है । यह तो सूट बूट की सरकार है ।’’
एक ऐसा व्यदि दजसने दमतव्यता और भौदतक सुखों से िूर रहते
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हु ए अपनी बनायी हो, मोिी ने जनिरी 2015 में अमेदरकी
राष्ट््पदत बराक ओबामा के सम्मान के समय अपने नाम की
दलखािट िाला सूट पहन कर अपनी छदि को बहु त ही अदिक
नुकसान पहु ं चा दिया था। इस व्यंग्य ने उन्द्हें व्यदिगत रूप से
आहत दकया।

नीदत उसी तरह से चलती रहती है जैसे दक शुरू में भूदम


अदिग्रहि कानून में संशोिन पादरत दकए जाने को ‘अमीर
समथचक-दकसान दिरोिी’ बताया गया था। इस बात की
संभािना थी दक मोिी सरकार को भी िैसी ही कदठनाइयों का
सामना करना पड़ेगा क्योंदक पारं पदरक रूप से भाजपा को दसफच
संपन्न लोगों की पाटी के रूप में ही िे खा जाता रहा है जो चुनािी
िृदष्ट से आत्मघाती नजदरया है ।

यह अफसाना दबहार के गांिों में नीचे तक पहु ं च गया था।

आप उन्द्हें एक ग्रामीि दचदकत्सक या दफर उसे नीम हकीम भी


कह सकते हैं ।
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अमरे श कुमार दबहार के समस्त्तीपुर दजले के बासुिेिपुर में
राजमागच के दकनारे अपने क्लीदनक के बाहर बैठा हु आ था। दजला
अस्त्पताल में छह दिन के प्रदशक्षि के बाि दसदिल सजचन अमरे श
कुमार सरीखों को ग्रामीि इलाको में बुदनयािी दचदकत्सा सुदििा
उपलधि कराने के दलए प्रमाि पर िे ते हैं । दबहार दििान सभा
चुनाि से िो महीने पहले 2015 के अगस्त्त महीने के अंत में िह
भािी राजनीदतक पसंि को लेकर हचतन कर रहा था।

‘‘हां, मोिी जी जो हैं , बड़ा घूमते हैं । मोिी जी बहु त याराएं करते
हैं । उन्द्होंने 14 महीने में 16 िे शों की यारा की है और पांच साल
का कायचकाल पूरा होने तक िह इस िे श को दििे दशयों के हिाले
कर िें गे। भारत में सारा माल दििे शी दनर्णमत होगा।’’

चुनािों के िौरान उत्तरी दबहार के इलाकों के िौरे में उन लोगों


के दलए सबसे दिल्स्त्मत करने िाली बात यह थी दक दजन्द्होंने इस
क्षेर में 2014 के लोकसभा चुनािों को िे खा था, मोिी की
लोकदप्रयता में तेजी से दगरािट आयी थी। िह अब जनता के
नेता नहीं रह गये थे।
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िदरष्ठ परकार और दबहार के मामलों में पुख्ता जानकारी रखने
िाले शंकषचि ठाकुर ने बहु त ही सटीक तरीके से इसे रे खांदकत
दकया।(3)

लालू प्रसाि के गढ राघोपुर से राजू यािि को उर्द्ृत करते उन्द्होंने


कहा, ‘‘बेिकूफ बनाया गरीब को। िोट ले गया, महं गाई िे गया।
हर हर मोिी से अरहर मोिी।‘‘ िाल की कीमतें दनदित ही
आसमान छू रही थीं दजससे हर घर प्रभादित हो रहा था और यह
लोगों को भाजपा से िूर कर रहा था।

इस ल्स्त्थदत में सुिार की आिश्यकता थी। दनदित ही, राहु ल


गांिी ने सूटबूट की सरकार का प्रयोग करने िाले अपने उसी
भाषि उन्द्होंने मोिी को सलाह भी िे डाली थी। उन्द्होंने कहा था,
‘‘60 प्रदतशत जनता दकसान और श्रदमक है । यदि िह अपना
रास्त्ता बिलें तो राजनीदतक रूप से इससे प्रिानमंरी को लाभ
दमलेगा।’’

दिमुरीकरि ने जो दकया और मुरािाबाि में प्रिानमंरी के भाषि


ने यह साफ कर दिया दक दनदित ही यह उनके पक्ष में बिलाि
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में मििगार है । भाजपा के एक प्रििा ने मुझसे कहा, ‘इसने
हमेशा के दलए, यह िारिा खत्म कर िी दक यह ‘सूट बूट की
सरकार‘ है ।’ हालांदक राहु ल गांिी ने उप्र चुनािों के िौरान इसी
रिनीदत को िोहराया और उनके इस िािे का, ‘‘दक दिमुरीकरि
गरीबों द्वारा खून पसीने से कमाये गये पैसे को रईसों के खातों में
हस्त्तांतदरत करने की बहु त बड़ी सादजश है और मोिी दसफच 50
भ्रष्ट पदरिारों के दलए ही काम करते हैं , आरोपों में बहु त ही कम
भरोसा दकया गया।

प्रिानमंरी आगे थे, उन्द्होंने संभादित अंतर को भी नोदटस दकया


और इस पर दिचार दकया। िह पहले ही अपनी नई छदि बना
चुके थे और समाज में हादशये पर रहने िाले मतिाताओं के बीच
अपने दलए एक स्त्थान बना चुके थे।

आप िगच ईष्ट्या को अस्त्थायी रूप से भुना सकते हैं , परं तु आपको


अपनी छदि को मतों में पदरिर्णतत करने के दलए िास्त्ति में
आपको कुछ और पेशकश भी करनी होती है । दिमुरीकरि से
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काफी पहले ही मोिी सरकार ने अपना ध्यान ग्रामीि भारत पर
केल्न्द्रत कर दिया था।

लखनऊ के दनकट उन्नाि दजले के ब्लाक प्रमुख अरूि हसह


समाजिािी पाटी के एक प्रभािशाली स्त्थानीय नेता थे। हालांदक,
िह सपा-कांग्रेस गठबंिन की संभािनाओं को लेकर बहु त
अदिक आशाल्न्द्ित नहीं थे। यह दनिाचन क्षेर कांग्रेस की झोली
में चला गया था दजसे लेकर स्त्थानीय समाजिािी कायचकताओं
में इस बात को लेकर असंतोष व्याप्त था दक उन्द्हें अपना प्रत्याशी
उतारने का मौका नहीं दिया गया। हसह के प्रदत दनष्ठा रखने िाले
ग्राम प्रिानों का एक समूह राजनीदतक दििादलयापन की उनसे
दशकायत कर रहा था, तभी एक मुल्स्त्लम प्रिान ने कहा, ‘‘मैं
भाजपा को कभी िोट नहीं िूंगा। परं तु यदि मुझे और मेरे लोगों
को भाजपा को िोट िे ना पड़ा तो इसकी एक िजह गैस दसलेण्डर
होगी।’’

जनता के मूड के आकलन के दलए भाजपाा ने दजन स्त्ितंर


एजेल्न्द्सयों की सेिायें ली थी, उन्द्होंने एक जैसी ही अंिरूनी दरपोटच
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िी। केन्द्र सरकार के तीन फैसले-गैस दसलेण्डर (उज्ज्िला
योजना), शौचालय (स्त्िच्छ भारत) और जनिन खाते, बहु त
लोकदप्रय थे, खासकर मदहलाओं में।

उज्ज्िला योजना का मई 2016 में शुभारं भ करने के दलए उत्तर


प्रिे श के बदलया दजले का चयन दकया गया था। यह योजना
सरल थी। इसके अंतगचत, गरीबी की रे खा से नीचे जीिन यापन
करने िाले पदरिारों को 1600 रुपए प्रदत कनेक्शन के सहयोग
के साथ पांच करोड़ रसोई गैस के कनेक्शन दिए जाएंग।े ये
कनेक्शन घर की मदहलाओं नाम से पंजीकृत होंगे।

मुल्स्त्लम प्रिान ने कहा, ‘‘मैं उन्द्हें पसंि नहीं करता हू ं । परं तु यह


सही है दक मोिी इस तरह से िस साल के भीतर ग्रामीि इलाकों
का कायाककप कर िें ग।े दजन्द्हें इन लाभों की जरूरत है उन्द्हें
सीिे दमल रहा है ।’’

संप्रग ने हालांदक गरीबों के दहत िाली अनेक योजनाओं की


पहल की थी और इन्द्हें उन तक पहु ं चाने की व्यिस्त्था में सुिार
की आिश्यकता भी महसूस की थी, परं तु मोिी ने ढुलमुल
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नौकरशाही को दफर से चुस्त्त िुरुस्त्त बनाते हु ए इनमें से कई
योजनाओं पर प्राथदमकता के आिार पर अमल करने के दलए
आिार द्वारा उपलधि कराये गये नेटिकच का इस्त्तेमाल करने के
साथ ही अपने राजनीदतक अनुभि का सहारा दलया।(4)

सरकार की मिि के दलए सबसे अदिक जरूरतमंि घरों की


पहचान के दलए 2012 में संप्रग-िो के कायचकाल के िौरान शुरू
की गई सामादजक-आर्णथक और जादत जनगिना में दमले
आंकडों का इन कायचिमों में बड़े पैमाने पर उपयोग दकया गया।
सामादजक-आर्णथक और जादत जनगिना के बारे में तकच दिया
जाता है दक यह भारत में गरीबों के बारे में सबसे दिस्त्तृत लेखा
जोखा है ।

इस जनगिना में बहु त ही साििानी से बनाये गये अनेक


मानिण्डों के आिार पर घरों को िंदचत (या िंदचत नहीं) के रूप
में पदरभादषत दकया गया है । यह जनगिना चूदं क जनगिना
कानून के िायरे से बाहर थी, इसदलए इसके आंकड़ों में िास्त्ति
में व्यदि की पहचान दसफच संख्या के आिार पर नहीं बल्कक
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उसके नाम और पते के साथ की गई है । अंततः इसमें राष्ट्रीय
स्त्तर पर करीब िस करोड़ घरों की पहचान िंदचत के रूप में की
गई। ये भारत के दनिचनतम नागदरक हैं और अब सरकार इन्द्हें
ध्यान में रखते हु ए ही इसमें हस्त्तक्षेप करे गी।(5)

यह बहस का मुद्दा है दक क्या भाजपा की ककयािकारी


योजनाओं का िास्त्ति में संप्रग की योजनाओं से अदिक असर
होगा परं तु यह सिाल नहीं है दक मोिी इनके राजनीदतक महत्ि
को समझते हैं और इनका चतुराई से इस्त्तेमाल करते हैं । उन्द्होंने
एक के बाि एक जनसभाओं में अपना ही रास्त्ता चुना और
उज्ज्िला योजना को अपनी इच्छा बताते हु ए कहा दक िह चाहते
हैं दक उनकी मां की तरह खाना पकाते समय असुरदक्षत और
अस्त्िास्त्थ्यकर पदरल्स्त्थदतयों से िूसरी माताओं को रूबरू नहीं
होना पड़े।

अथिा जनिन को ही ले लीदजए। चुनाि के अंदतम पड़ाि में


मोिी की जनसभा के दलए जाते हु ए दमजापुर शहर में ऑटो
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चलाने िाले एक युिा िदलत ने मुझसे कहा दक िह भाजपा को
िोट िे गा।

उसका तकच था-‘‘मोिी जी ने खाते खुलिाये हैं ।’’ उसे इससे फकच
नहीं पड़ता दक इन खातों में पैसा नहीं है । िह कहता है , ‘‘पैसा
तो हमें कमाना है ।’’ िह इस बात से खुश था दक उसका एक
बैंक खाता है , इसने उसे सशि होने का अहसास कराया, और
िह सरकार से यह अपेक्षा नहीं करता था दक िह आएगी और
उसके स्त्थान पर काम करे गी।

उत्तर प्रिे श में भाजपा के एक रिनीदतकार ने कहा, ‘‘उज्ज्िला,


शौचालय, जनिन बहु त लोकदप्रय हैं क्योंदक यह गरीबों को
गदरमा प्रिान करते हैं । और िे इसके दलए मोिी जी को श्रेय िे ते
हैं । या आप मुरा को ही ले लीदजये। इससे बाल काटने िाले,
पान िाले आदि लघु ऋि ले रहे हैं । अभी तक दकसी ने भी इन
लोगों को दनिाचन क्षेर का दहस्त्सा ही नहीं माना था।’’

गरीब के दहतों की परिाह को लेकर दछड़ी जंग में भाजपा ने


बाजी मार ली थी। इस प्रदिया में भाजपा के िगच आिार में
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अभूतपूिच दिस्त्तार हु आ और इसने पाटी को उन दनिाचन क्षेरों
में पैठ बनाने िी जहां पारं पदरक रूप से िह पहले कभी नहीं पहु ं ची
थी।

यह बिलाि, हालांदक, अिूरा ही रह जाता परं तु मोिी अदनच्छा


से ही सही इस िायिे के दलए तैयार हो गये।

‘गरीब समथचक’ इन योजनाओं की लोकदप्रयता को प्रमुखता से


उजागर करने िाले सिेक्षिों में भाजपा नेतृत्ि को यह भी
दिखाया गया दक दकसानों की कजच माफी मतिाताओं की एक
प्रमुख मांग है । इन सिेक्षिों में बताया गया दक इस दिषय में
मतिाताओं का रुझान तीन प्रदतशत तक झुकाने की क्षमता है ।
राहु ल गांिी ने 2016 में एक यारा के माध्यम से इस मांग के इिच
दगिच जनमत तैयार करने में बड़ी भूदमका दनभाई थी लेदकन
उन्द्होंने िास्त्ति में इस मामले को अदिक महत्ि नहीं दिया। परं तु
नागदरकों को इस बात की एक झलक दमल गई थी दक यह संभि
है ।
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अनेक नौकरशाहों ने इस बात का दजि दकया दक मोिी की सोच
ककयाि संबंिी सिाल पर उनके पूिचिती, दिशेषकर सप्रंग
शासन, से दभन्न है । िह गरीबों से राहत और ‘रहमोकरम‘ की
आिश्यकता िाले पीदड़तों के रूप में व्यिहार नहीं करना चाहते,
िह संप्रग के िृदष्टकोि को इसी तरह िे खते हैं , परं तु िह उन्द्हें
स्त्ितंर शल्ख्सयत के रूप में िे खते हैं दजन्द्हें सशि और समक्ष
बनाने की आिश्यकता है तादक िे खुि प्रदतस्त्पिा कर सकें।
कजच माफी उनके इस नजदरये में दफट नहीं बैठती। यह एक तरह
से ‘मुफ्त की रे िड़ी’ थी दजसे भाजपा और मोिी दतरस्त्कारपूिच
मानते थे।

परं तु राजनीदतक िबाि बहु त अदिक था। प्रिे श इकाई और


सिेक्षिों ने अदमत शाह को यकीन दिलाया दजन्द्होंने इसे
प्रिानमंरी के साथ आगे बढ़ाया। और ऋि माफी तथा धयाज
रदहत ऋि का िायिा अंततः पाटी के संककप पर के एक दहस्त्से
के रूप में शादमल दकया गया। मोिी का दसफच यही दनिे श था दक
इसमें दसफच उन्द्हीं तत्िों को शादमल दकया जाये दजन्द्हें लागू दकया
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जा सके। इसके मसौिे को तैयार करने में शादमल राजनीदतक
नेताओं से कहा, ‘‘ऐसे िायिे मत करो दजन्द्हें हम पूरा नहीं कर
सकें।’’

िीरे न्द्र हसह ‘मस्त्त’ ऐसे ही एक नेता थे दजन्द्होंने दकसानों के कजच


माफी पर जोर दिया था।

भिोही से भाजपा के सांसि, यह कद्दािर ठाकुर नेता पाटी के


दकसान मोचा के राष्ट्रीय अध्यक्ष हैं । िह 1990 के िशक में उस
समय सुर्णखयों में आए जब िह एक बार फूलन िे िी से संसिीय
चुनाि हार गये और िूसरी बार उन्द्होंने उन्द्हें परादजत कर दिया।
मस्त्त का इसी िौरान मोिी से पदरचय हु आ जब मोिी दिल्ली में
पाटी के पिादिकारी थे। भाजपा की अंिरूनी राजनीदत और एक
अन्द्य ठाकुर नेता के उिय को िे खते हु ए राजनाथ हसह ने उन्द्हें
हादशये पर डलिा दिया। परं तु 2014 में अपनी सीट से दिजय
हादसल करने के साथ ही उनकी दफर िापसी हो गई। उत्तर प्रिे श
के चुनािों में शाह ने उन्द्हें दकसानों के मोचे की दजम्मेिारी सौंपी
थी।
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चुनाि के तुरंत बाि, मस्त्त मध्य दिल्ली में ली मरीदडयन होटल के
ठीक सामने अपने आिास में अपने संसिीय क्षेर के मेहमानों
की आिभगत कर रहे थे। आरएसएस के दद्वतीय सरसंघचालक
गुरु गोलिलकर और संघ के श्रदमक मोचे के पथ प्रिशचक
ित्तोपंत ठें गड़ी की तस्त्िीरें उनके आिास की िीिार पर लगी हु ई
थीं।

मस्त्त ने उत्तर प्रिे श में कृदष अथचव्यिस्त्था और दकसानों के


केन्द्रीयता के बारे में बता रहे थे। उन्द्होंने कहा, ‘‘गादजयाबाि से
लेकर गाजीपुर तक समूची गंगा-यमुना की पट्टी दकसान क्षेर है ।
मोिी दकसानों की ताकत समझते हैं । िूसरी बड़ी कंपदनयों से
इतर ये दकसान अपने कजच की अिायगी करते हैं । उन्द्हें कजच में
रहना पंसि नहीं है । परं तु यह आिश्यक है दक जब िे गंभीर
संकट में हों तो उनके दलए खड़ा हु आ जाये।’’ इसके साथ ही
उन्द्होंने हसचाई को बढ़ािा िे ने, ग्रामीि दिद्युतीकरि, फसल
बीमा, ग्रामीि इलाकों में सड़कें और खेती के मिेदशयों का
उिाहरि करते हु ए िािा दकया दक दकसानों के दहतों के दलए
dr. dharmendra Singh G
सरकार द्वारा दकए जा रहे अनेक प्रयासों में से यह तो दसफच एक
है ।

िह कहते हैं , ‘‘मैंने ऐसा नेता कभी नहीं िे खा जो मोिी के जैसा


भरोसा पैिा करता हो। और जब िह कजच माफी का िायिा करते
हैं , जब िह उत्तर प्रिे श में कृदष का चेहरा बिलने का िायिा
करते हैं तो दकसान उनका भरोसा करते हैं ।’’

चुनािों में ‘गांि, गरीब, दकसान’ पर ध्यान िे ने से चुनाि में


बदढ़या नतीजे दमलेंगे। यह नरे न्द्र मोिी की छदि को जमीन से
जुड़े आिमी और गरीबों के नेता के रूप सुिढ़
ृ करने में मिि
करे गी। परं तु इसकी पदरिदत चंि महीनों के भीतर ही भाजपा
शादसत महाराष्ट्र और मध्य प्रिे श की सरकारों के दलए बहु त
बड़ी नीदतगत चुनौती पैिा करे गी क्योंदक इसी तरह से कजच माफी
की मांग दकसानों के बीच से उठे गी। परं तु उत्तर प्रिे श में
दिमुरीकरि के साथ ही केन्द्र सरकार द्वारा गरीबों के दलए
योजनाएं शुरू करने की अनुभूदत मोिी को उसी रूप में स्त्थादपत
करे गी जहां िह होना चाहते थे, गरीबों के मसीहा। यह एक ऐसी
dr. dharmendra Singh G
छदि है दजसे चार िशक पहले एक और मजबूत प्रिानमंरी इंदिरा
गांिी द्वारा आगे बढ़ाया गया था।

आंदशक रूप से मोिी हिा की िजह दबखरे और अदिश्वसनीय


दिपक्ष की मौजूिगी भी है ।

दिल्ली दिश्वदिद्यालय के हहिू कालेज में स्नातक की पढ़ाई के


िौरान के मेरा एक घदनष्ठ दमर लखनऊ में आज का उभरता
हु आ कारोबारी है । मध्य उत्तर प्रिे श में पुराने कारोबार में
दिलचस्त्पी रखने िाले पारं पदरक बदनया पदरिार से आगे दनकल
कर िह खुि भी एक उद्यमी बनकर उभरा है । उसका पदरिार
पारं पदरक रूप से संघ और भाजपा का समथचक रहा है ।

हम आठ निंबर की शाम को लखनऊ के एक होटल में रादर


भोज कर रहे थे। जैसे ही हमने टे लीदिजन चालू दकया तो मेरे
दमर के पास संिेश और फोन आने शुरू हो गये। दिमुरीकरि
का – यह शधि अभी चलन में नहीं आया था – उसके कारोबार
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से बड़ा संबंि था। परं तु िह शांत था बड़ा और इसके साथ भी
सहज ही था। उसे लगता था दक यह उसके कारोबार सदहत सारे
कारोबार को अपनी कायच प्रिाली ठीक करने के दलए बाध्य
करे गा।

‘‘िीघचकालीन ल्स्त्थदत के दलए यह अच्छा है यार। आदखर कब


तक हम भी अपने कारोबार के काले अध्याय को लेकर हचता
करते रहें गे? यह पुराने कारोबारों को भी िैि रास्त्ता अपनाने और
आिुदनक बनने के दलए बाध्य करे गा। यह सही है ।’’

परं तु उसका पदरिार ऐसा महसूस नहीं करता था।

अगले िो महीने में, जैसे जैसे िे अपनी नकिी को व्यिल्स्त्थत


करने के तरीके खोज रहे थे िैसे िैसे मुझे उनमें बढ़ रहा असंतोष
और आिोष सुनाई पड़ने लगा जो नरे न्द्र मोिी के दखलाफ
पनपने लगा था। मेरे दमर ने हं सते हु ए कहा, ‘‘िे सभी समझते
दक भाजपा उनकी अपनी पाटी है और यह समझ नहीं सके दक
मोिी ने दकस तरह उनके साथ दिश्वासघात दकया है ।’’
dr. dharmendra Singh G
चुनाि संपन्न होने के बाि जब मैंने उससे बात की और पूछा दक
उसके नाराज दरश्तेिारों ने दकसे िोट दिया, उसका जिाब था,
‘भाजपा।’ मैं यह जानने के दलए उत्सुक था दक ऐसा क्या
बिलाि हो गया था। उसने कहा, ‘‘और दकसको िे ते? राहु ल
गांिी को?’’

एक और उिाहरि िे दखए।

ि दप्रन्द्ट, एक स्त्टाटच -अप मीदडया, ने युिाओं के मूड के बारे में


खबर दलखी।

इसने िो कालेजों – कानपुर में आमतौर पर शहरी परदिेश िाले


छारों और पूिी उप्र के भिोही, में ग्रामीि पदरिेश के छारों के
िीदडयो इंटरव्यू दकए। इन छारों से यह संकेत िे ने के दलए कहा
गया था दक िे दकस नेता के सबसे अदिक प्रशंसक हैं । इसका
नतीजा एक जैसा ही था। मोिी के पक्ष में अदिसंख्य हाथ उठे ;
कुछ छारों ने अदखलेश यािि को पसंि दकया; भिोही में एक
हाथ मायािती के पक्ष में उठा। इन िोनों ही स्त्थानों पर दकसी भी
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छार ने न तो राहु ल गांिी की प्रशंसा की और न ही उनका समथचन
दकया।

भारत के नागदरक राहु ल गांिी को भरोसेमंि नेता के रूप में


स्त्िीकार नहीं कर रहे थे। उत्तर प्रिे श में, जहां राहु ल ने अभी तक
अपने राजनीदतक जीिन का अदिकांश समय लगाया है िहां
मुसलमानों के अलािा कोई अन्द्य सामादजक समूह कांग्रेस
उपाध्यक्ष को अपने नेता के रूप में नहीं िे खता था – जबदक
मोिी ने अपनी बहु िगीय छदि का दनमाि कर दलया था।

उन्द्होंने लखनऊ के बदनयों से अपील नहीं की, उन्द्होंने गोरखपुर


के ठाकुरों से अपील नहीं की, उन्द्होंने मुरािाबाि के िदलतो से
अपील नहीं, दमजापुर के कुर्णमयों से उन्द्होंने अपील नहीं की,
बुन्द्िेलखण्ड के ब्राह्मिों से उन्द्होंने अपील नहीं की, उन्द्होंने
इलाहाबाि के कुशिाहा से अपील नहीं की, उन्द्होंने
मुजफ्फरनगर के जाटों से भी अपील नहीं की, उन्द्होंने सहारनपुर
के सैनी से अपील नहीं की, उन्द्होंने संपन्न कारोबादरयों से अपील
नहीं की, उन्द्होंने मध्यम िगच के दशक्षकों से अपील नहीं की,
dr. dharmendra Singh G
उन्द्होंने दिल्ली में टै क्सी चालक के रूप में काम करने िाले
युिाओं से, जो िोट िे ने के दलए लौटे थे, अपील नहीं की, उन्द्होंने
गरीबी की रे खा से नीचे जीिन यापन करने िाली मदहलाओं से
अपील नहीं की, उन्द्होंने कालेज छार से भी अपील नहीं की जो
रोजगार के दलए तैयार थे।

एक राज्य के बाि िूसरे राज्य में यही दसलदसला िोहराया गया।


राहु ल गांिी ने दकसी समूह दिशेष या िगच से अपील नहीं की।
यदि इसका मतलब यह था दक िह सभी िगों और समुिाय तक
व्यापक पहु ं च िाले नेता थे – दजसने जिाहरलाल नेहरू, इल्न्द्िरा
गांिी और राजीि गांिी को एक अलग राष्ट्रीय नेता बनाया और
अपने अपने क्षेर, जादत, िमच से संबंदित िूसरे नेताओं पर उन्द्हें
बढ़त दिलाई – तो इसने नतीजे दिए होते। परं तु राहु ल के मामले
में, इसने उन्द्हें कहीं का नहीं छोड़ा। उनके पास भरोसा करने के
दलए कोई अपना मूल आिार नहीं था और िह अपने पदरिार
के अन्द्य सिस्त्यों के जैसा अपना व्यापक आकषचि भी पैिा नहीं
कर सके थे।
dr. dharmendra Singh G
राहु ल गांिी के अपना आकषचि बनाने में सफल नहीं होने की
एक िजह यह भी थी दक जनता की राय में उन्द्होंने इसके दलए
कुछ भी नहीं दकया था।

दकसी की भी दिलचस्त्पी संगठनात्मक सुिारों में नहीं है जो िह


युिक कांग्रेस में लाए होंगे – दजससे ऐसा नहीं लगता दक पाटी
को कोई लाभ दमला हो। दकसी भी दिलचस्त्पी उनके दपता या
उनकी िािी या उनके परनाना में थी। अदिकांश भारतीयों के
जहन में इन नेताओं की कोई याि भी नहीं है और उनमें दिरासत
में दमले दिशेषादिकार को लेकर दतरस्त्कार की भािना ही बढ़
रहा है ।

मतिाताओं की दिलचस्त्पी उनके दरकॉडच में है । और उनके पास


दिखाने के दलए कोई दरकॉडच नहीं है । िह एक लचर सांसि रहे
हैं ; िह कभी मंरी नहीं रहे और उनके पास दिखाने के दिखाने के
दलए कोई प्रशासदनक क्षमता भी नहीं है ; उनके पास ऐसी कोई
महत्िपूिच पहल भी बताने के दलए नहीं है दजसका श्रेय िह ले
सकें; उनकी मां को राष्ट्रीय ग्रामीि रोजगार गारं टी कानून बनाने
dr. dharmendra Singh G
के दलए जाना जाता है ; और बेरोजगारी सदहत सरकार की
दिफलताओं के संबंि में उनकी आलोचना खोखली लगती है ।
जनता भी सिाल करती है दक क्या राहु ल गांिी िस साल तक
सत्ता में नहीं थे? क्या उनका पदरिार आजािी दमलने के बाि से
अदिकांश समय सत्ता में नहीं था?

इनमें से कई कमजोदरयों को सशि संगठन के माध्यम से िूर


करना संभि हो सकता था।

परं तु ऐसा लगता है दक राहु ल गांिी संगठनात्मक व्यदि भी नहीं


है । अदमत शाह ने दपछले तीन साल में दजस तरह से भाजपा का
कायाककप, दजसे हम अगले अध्याय में िे खेंग,े राहु ल गांिी का
उिय दपछले एक िशक में कांग्रेस पाटी के खोखलेपन के साथ
हु आ है । कांग्रेस उपाध्यक्ष यह तकच पेश कर सकते हैं दक उनके
पास पूरा दनयंरि नहीं था और ‘पुराने लोग’, और कांग्रेस पाटी
के अपने दहत उन्द्हें िह नहीं करने िें गे जो िह करना चाहें ग।े
लेदकन, एक बार दफर यह नेतृत्ि की ही दिफलता है । यह उनके
ऊपर दनभचर करता है दक िह पाटी में अपने िचचस्त्ि िाली
dr. dharmendra Singh G
स्त्िाभादिक है दसयत का इस्त्तेमाल करें , दनयंरि अपने हाथ में
लें, अपना अदिकार दिखाएं, और सभी राज्यों में प्रत्येक स्त्तर
पर एक संगठन तथा नेताओं का एक पूल बनाएं। ऐसा कुछ भी
नहीं हु आ।

यदि राहु ल गांिी के पास अपना कदरश्मा और िाकपटुता का


कौशल होता तो ठोस सामादजक आिार और अपने दकसी
व्यदिगत दरकाडच या संगठन के बगैर भी काम करना संभि
होता। परं तु यह बानगी िे दखए।

उत्तर प्रिे श दििान सभा चुनाि प्रचार के िौरान राहु ल गांिी ने


फरिरी, 2017 के मध्य में बरे ली में एक जनसभा को संबोदित
दकया। अपराह्न करीब िो बजे भीड़ आनी शुरू हो गई थी परं तु
कभी भी लहर की तरह नहीं बढ़ी और जब ढाई घंटे बाि राहु ल
गांिी का हे लीकॉप्टर पहु ं चा तो खाली कुर्णसयों की कतारें ही िहां
थीं।

राहु ल गांिी बरे ली छािनी से कांग्रेस प्रत्याशी निाब मुजादहि


खान के दलए प्रचार करने आए थे। इस दनिाचन क्षेर में एक
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लाख से अदिक मुल्स्त्लम थे। समाजिािी पाटी के साथ गठबंिन
की िजह से कांग्रेस ने सोचा दक उसके यहां कहीं अदिक बेहतर
अिसर हैं ।

मतिान िो दिन में था और दनिाचन आयोग के दिशादनिे शों के


अनुसार चुनाि प्रचार शाम पांच बजे बंि होना था। राहु ल गांिी
जब पहु ं चे तो दनयमों को िे खते हु ए उनके पास अपना भाषि
समाप्त करने के दलए दसफच आिा घंटा ही था। ऐसी ल्स्त्थदत में
जकिबाजी ही संभि थी।

राहु ल गांिी ने अपना भाषि सीिे इस संिेश के साथ शुरू दकया


दक भारत के सामने सबसे बड़ी चुनौती रोजगार की है । उन्द्होंने
कहा, ‘‘मोिी ने कहा था दक िह िो करोड़ रोजगार का सृजन
करें ग।े मैंने संसि में उनसे पूछा, आपने दकतने रोजगारों का
सृजन दकया? एक मंरी ने कहा दक उन्द्होंने पहले साल में एक
साल रोजगारों का सृजन दकया। िूसरे साल में उन्द्होंने एक भी
रोजगार का सृजन नहीं दकया।’’ उपल्स्त्थत भीड़ ने तादलयां तो
बजायीं लेदकन उसमें उत्साह निारि था।
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परं तु उपल्स्त्थत जनसमूह उनसे उस समय पूरी तरह भ्रदमत हो
गया जब िह एक कहानी बताने लगे दजसका पहली नजर में
उनके पहले मुद्दे से कोई संबंि ही नहीं था। िह कहते हैं , ‘‘मैं
चीन गया था जहां एक स्त्थानीय नेता से िोपहर के खाने पर मेरी
मुलाकात हु ई। मैं उनसे चीन के बारे में पूछता रहा, िह मुझसे
दहमाचल प्रिे श के बारे में पूछते रहे । मैं कहा दक अरे भईया भारत
इतना बड़ा िे श है , आप दसफच दहमाचल प्रिे श के बारे में ही क्यों
पूछ रहे हैं ? और उसने कहा दक हमारी प्रदतस्त्पिा दहमाचल के
सेबों से है और िह दिन िे खना चाहते हैं जब मेड इन चाइना
िास्त्तुएं िहां दबकेंगी।’’

राहु ल दफर, ऐसा लगा, इस कहानी के बारे में पूरी तरह भूल गये
और दिमुरीकरि के बारे में बोलने लगे। उन्द्होंने भीड़ से पूछा,
‘‘क्या आपको मालूम है दक मोिी जी ने नोटबंिी क्यों की? यह
आपका पैसा लेकरर उसे 50 रईस उद्योगपदतयों को सौंपने के
दलए।’’ नोटबंिी के आर्णथक नतीजों की जानकारी िे ने के बाि
राहु ल अपनी कहानी पर लौटे ।
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उन्द्होंने अपने भ्रदमत करने िाले दनष्ट्कषच में कहा दक उन्द्हें उस
दिन का इंतजार है जब ‘ओबामाजी, अब िह खाली हैं ’ और
चीन में उनके िोस्त्त मेड इन बरे ली, मेड इन उप्र के दचह्न िाले
उत्पाि िे खेंग।े ‘‘बरे ली को उसके मांझा के दलए जाना जाता है ।
मैं िह दिन िे खना चाहता हू ं दक जब मैं िापस चीन जाऊं और
उसी नेता के साथ भोजन करते हु ए हम बरे ली के मांझे के बारे
में बात करें ।’’

राहु ल के भाषि के सार को समझा जा सकता था। उन्द्होंने मुख्य


समस्त्या के रूप में रोजगार के मसले की पहचान की थी। उनका
मानना था दक स्त्थानीय उद्योगों को बढ़ािा और स्त्थानीय स्त्तर पर
दनमाि इस रोजगार संकट से दनबटने का एक रास्त्ता है । िह यह
संिेश भी िे ना चाहते थे दक ये स्त्थानीय उत्पाि िैदश्वक स्त्तर पर
प्रदतस्त्पिात्मक हो सकते हैं ।

अपने आप में यह न्द्यायोदचत था। परं तु यहां तीन समस्त्याएं थीं।

अपनी कहानी को सरल बनाये रखने की बजाएं उन्द्होंने इसमें


कई पहलुओं को जोड़ कर इसे उपल्स्त्थत भीड़ के दलए पेचीिा
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बना दिया। चीन, दहमाचल प्रिे श, ओबामाजी, सेब पर चचा के
बाि िह बरे ली की अपनी दिशेषता पर आए – यह दनदित ही
सािारि ही बात को समझाने का अदिक प्रभािी तरीका नहीं
था। दिमुरीकरि के बाि मुरािाबाि में मोिी के प्रिशचन की
तुलना में उनके भाषि में जनता की भािनाओं से जुड़ने िाली
बात का अभाि था।

िूसरी समस्त्या मेड इन बरे ली को लेकर थी जो मेक इन इंदडया


के मोिी के अपने ब्राण्ड की नकल लग रही थी। कांग्रेस के एक
नेता ने बाि में सफाई िी, ‘‘ककपना कीदजए यदि हमारे पास
िास्त्तदिक मेड इन कनाटक मॉडल था दजसकी पहचान भी थी,
राहु ल के दलए इसे बेचना संभि हु आ होता। परं तु इस समय तो
ऐसा लगता है दक शायि हम बगैर दकसी ठोस पेशकश के दसफच
मोिी की नकल कर रहे हैं ।’’

और अंत में, राहु ल के भाषि से नजर आता है और िे दखए ऐसी


ल्स्त्थदत में मोहभंग के दशकार मेरे कारोबारी दमर के दरश्तेिार इस
ओर आकर्णषत क्यों होंगे। िह न दसफच गरीब मतिाताओं में
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अपना पुराना जनािार बरकरार रखने में ही दिफल हो रहे थे
बल्कक उनके पास उस मध्यम िगच के दलए कहने को कुछ नहीं
था जो हो सकता है दक इस चुनाि में अपने दिककपों को तोल
रहा हो। यह ध्यान रदखये दक उप्र के शहरों और छोटे नगरों में
बड़ी संख्या में मध्यम िगच रहता है ।

भाजपा के एक युिा कायचकता ने राहु ल के भाषिों और संिेशों


की समस्त्याओं पर एक बारीक राय पेश की. ‘आज का नौजिान
अपनी हजिगी में 5-4-3-2-1 फॉमूचला चाहता है – पांच अंक में
सैलरी, चार पदहया गाड़ी, तीन बीएचके का फ्लैट, िो बच्चे और
एक बीिी. जादत और िगच कोई भी हो, उनका मकसि यही होता
है . खास कर दनम्न मध्य िगच में जो पढ़ा दलखा और महत्िाकांक्षी
है . क्या आप राहु ल के भाषिों में ऐसी कोई बात सुनते हैं जो
उनकी आकांक्षाओं के पूरा होने की कोई उम्मीि बंिाती हो?
मोिी भले उनसे नहीं दमलते, लेदकन िे उन्द्हें उम्मीि और प्रेरिा
िे ते हैं दक यह संभि है .’
dr. dharmendra Singh G
अपनी कमजोदरयों के अलािा, राहु ल गांिी के बरे ली भाषि ने
कांग्रेस पाटी की संगठनात्मक समस्त्याओं को भी उजागर दकया।
इस जनसभा में अपेक्षाकृत कम भीड़ की उपल्स्त्थदत से यह भी
पता चलता था दक पाटी के संगठनात्मक तंर और जनता को
सदिय करने की सीमा सीदमत थी। लगभग पूरी तरह से मुल्स्त्लम
भीड़ की उपल्स्त्थदत हो सकता है दक दनिाचन क्षेर की रचना का
काम रहा हो परं तु यह िूसरे सामादजक समूहों के बीच पाटी की
कम पैठ को भी िशाता है । बरे ली शहर में दमली जुली आबािी
है ।

कांग्रेस बरे ली छािनी सीट से चुनाि हार गई। राहु ल गांिी के


नेतृत्ि में उप्र में पाटी की यह सबसे बुरी पराजय थी।

मोिी की सभी िगों से की गई अपील के क्या मायने थे?

गोदिन्द्िाचायच 1980 के िशक और 90 के िशक की शुरुआत


में भाजपा के संगठन में बहु त ही प्रभािशाली नेताओं में शादमल
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थे। िह अब औपचादरक राजनीदत से बाहर हैं परं तु अभी भी
संघ के िदरष्ठ दिचारक हैं और उन्द्होंने िशकों के िौरान मोिी का
दिकास होते िे खा है ।

िह कहते हैं , ‘‘मोिी की दिदशष्टता राजनीदतक माकेहटग हैं ।


उनका मानदसक सांचा सािारि है । राजनीदत का मतलब है
सत्ता। सत्ता चुनािों से दमलती है । चुनाि छदि का संघषच है । और
इसदलए राजनीदत छदि, संिेशों और संकेतों के इिच दगिच घूमती
है ।’’

इसके दलए गोदिन्द्िाचायच का सुझाि है दक एक नेता में तीन तत्िों


का होना जरूरी है ः

प्रदतकूल पदरल्स्त्थदत में खुि को डटे रखने के दलए आिारभूत


सुदििाएं; संसािन; और प्रौद्योदगकी। िह कहते हैं , ‘‘प्रदतकूल
समय में संघ के माध्यम से आिारभूत सुदििाएं उपलधि हैं ;
उनके पास अब पयाप्त संसािन हैं ; और उनके पास मीदडया और
सोशल मीदडया के रूप में प्रौद्योदगकी भी है जो संिेश अग्रसर
dr. dharmendra Singh G
करने में बहु त ही महत्िपूिच भूदमका दनभाती है । नरे न्द्र में इसका
सल्म्मश्रि करने की नैसर्णगक प्रदतभा है ।’’

इसमें कोई संिेह नहीं दक मोिी की छदि या छदियों का दनमाि


ही मोिी हिा बनाने के केन्द्र में है ।

संघ के जनािार के दलए, िह हमेशा ही हहिू नेता हैं । शहरी


मध्यम िगच के दलए िह ऐसे व्यदि हैं जो दिकास और रोजगार
लायेंगे और ऐसे राष्ट्रिािी हैं जो पादकस्त्तान को सबक
दसखाएंग।े हाल ही में संपन्न दिल्ली नगर दनगम के चुनािों ही
सबूत हैं दक उनके समथचकों को अभी भी उन पर भरोसा है ।
गरीबों के दलए, िह ऐसे व्यदि हैं दजन्द्होंने िनिानों से पंगा दलया
है और जो उनकी रोजमरा की जरूरतों के बारे में सोचते हैं । उन
लाखों नागदरकों के दलए जो हर महीने उनकी मन की बात सुनने
के दलए जुटते हैं , जो राजनीदत से हटकर हैं , नैदतक दिज्ञान के
दशक्षक हैं , एक गुरु हैं जो दशक्षा िे रहे हैं । अन्द्य दपछड़े िगों के
दलए िह उनमें से ही एक हैं । उच्च जादतयों के दलए िह एक भारत
dr. dharmendra Singh G
के उनके सपने को आगे बढ़ा रहे हैं । अक्सर ही यह पंदियां एक
िूसरे को काटती हैं ।

इन सभी छदियों को भुनाना भी काफी मेहनत का काम है । और


यही िह हबिू है जहां मोिी के व्यदित्ि का िूसरा पहलू – ऊजा
– सामने आता है ।

बनारस – मोिी के अपने लोकसभा संसिीय क्षेर-में 2017 के


उत्तर प्रिे श दििान सभा चुनािों के अंदतम चरि में मतिान होता
है । प्रिान मंरी शहर और इसके आसपास के इलाकों में तीन
दिन चुनाि प्रचार करने का दनिचय लेते हैं । अनेक लोगों ने इसे
प्रिानमंरी की अिीरता के रूप में िे खा।

परं तु इसने इस तथ्य को नजरअंिाज कर दिया दक मोिी दसफच


प्रिानमंरी ही नहीं थे बल्कक एक जननेता भी हैं । भारतीयों की
एक पीढ़ी को दिरासत में दमले पि में इस तरह का द्वै तिाि नजर
आना बंि हो गया था। दसफच 1991 के बाि के प्रिानमंदरयों पर
एक नजर डाल लीदजए।
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पी.िी. नरहसह राि हो सकता है दक अपने गृह राज्य आंध्र प्रिे श
में एक जन नेता हों परं तु अपने राज्य के बाहर उनका कोई
जनािार नहीं था और दनदित ही उत्तर प्रिे श में उनका कोई
आकषचि नहीं था। एच.ड़ी. िे िेगौडा कनाटक के एक अद्भुत
व्यदि थे। इन्द्र कुमार गुजराल दसफच दिल्ली के इंदडया इंटरनेशनल
सेन्द्टर तक का ही चुनाि जीत सकते थे। अटल दबहारी िाजपेयी
1990 के बाि के िौर में एक मार प्रिानमंरी थे दजनका
कदरश्माई व्यदित्ि, सािचजदनक आकषचि तो था ही और दजनमें
जनता तक सीिे पहु ं चने की इच्छा थी परं तु िह अपने जीिन के
सातिें िशक में प्रिानमंरी बने। िह पूरी तरह स्त्िस्त्थ नहीं थे और
इस िजह से उन्द्होंने खुि को प्रमुख चुनािों तक सीदमत रखा था।
मनमोहन हसह ने लोकसभा का जो एकमार चुनाि लड़ा उसमें
हार गये और दफर िह चुनाि की िौड़ से िूर ही रहे ।

और दफर हु आ मोिी का प्रािुभाि जो चुनाि जीतने को ही अपना


मुख्य िमच मानते थे। उन्द्होंने काफी पहले ही प्रचार शुरू कर दिया
और व्यापक जनसंपकच पर भरोसा दकया। उनकी अपनी
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संगठनात्मक पृष्ठभूदम – िह पहले संघ से भाजपा में महासदचि
बने जो गुजरात में संगठन का काम िे ख रहे थे -उन्द्हें पाटी की
मशीनरी में सबसे ऊपर रखती है । और िह पराजय से डरते नहीं
हैं और लड़ाई भागते नहीं हैं ।

उत्तर प्रिे श में चुनाि प्रचार के अंदतम दिन, भाजपा अपनी जीत
के प्रदत आश्वस्त्त थी। पूिान्द्चल के एक नेता ने, जो प्रिानमंरी
को िो िशक से जानते थे, उनसे इस बात का दजि दकया दक
उनके बनारस में प्रचार को पाटी की घबराहट के रूप में िे खा जा
रहा है मानो िह भयभीत है और उनसे पूछा दक उन्द्होंने ऐसा
करने का दनिचय क्यों दकया।

मोिी ने जिाब दिया, ‘‘चुनाि जंग है और मैं सेनापदत हू ं । मैं इस


शहर का सांसि भी हू ं , मैं यहां अदिक समय व्यतीत नहीं कर
पाया हू ं और यह मुझे लोगों से जुड़ने का अिसर प्रिान कर रहा
है । और इस प्रदिया में, यदि पाटी को भी लाभ होता है तो यह
अच्छा ही है ।’’ प्रत्येक चुनाि को महत्िपूिच नजदरये से िे खना
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और उसे जीतने के दलए उसकी दजम्मेिारी लेना तथा इसमें
असािारि ऊजा लगाना ही मोिी को िूसरों से अलग करता है ।

इसने अपने समकालीन समय में मोिी को भारत का सबसे बड़ा


जन नेता भी बना दिया। 2014 की इश्कबाजी अब तीन साल
बाि पूरी तरह रोमांस का रूप ले चुकी थी। यह पूरे िे श में
पंचायत से संसि तक के चुनाि जीतने िाली भाजपा है ।
भारतीय राजनीदत का भदिष्ट्य इस बात पर दनभचर करता है दक
क्या यह प्रेम प्रसंग राष्ट्र के जीिन का एक चरि है या यह इसके
बुदनयािी स्त्िरूप को बिलने के दलए लंबे समय तक जारी
रहे गा। और क्या लंबे समय तक इसका दटके रहना उस िूसरे
व्यदि और उन बुदनयािी सुदििाओं पर उतना ही दनभचर करे गा
दजनका उन्द्होंने दरश्तों को पल्लदित होने के दलए सृजन दकया है
– अदमत शाह।

3. शाह का सं ग ठन
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उत्तर प्रिे श में भाजपा को शानिार दिजय दिलाने के एक महीने
बाि अप्रैल, 2017 में भुिनेश्वर में हु ई पाटी की राष्ट्रीय
कायचकादरिी की बैठक में अदमत शाह ने घोषिा की दक यह
आराम का समय नहीं है ।

उन्द्होंने पाटी के दलए प्रत्येक राज्य, दिशेषकर िदक्षि और पूरब,


जीतने और पंचायत से लेकर संसि तक हर स्त्तर के चुनाि
जीतने का नया लक्ष्य रखा।

यह इस बात का द्योतक था दक नरे न्द्र मोिी और अदमत शाह को


अपने पूिचिर्णतयों के साथ ही उनके प्रमुख राष्ट्रीय प्रदतद्वं द्वी राहु ल
गांिी से अलग हैं ।

अपार और असीदमत महत्िांकाक्षा।

भाजपा के एक अंिर के व्यदि, दजसने काफी दनकट से नेतृत्ि


के साथ काम दकया था, संक्षेप में बताता है , ‘‘अटलजी और
आडिािीजी उस समय बड़े हु ए जब कांग्रेस का आदिपत्य था।
उन्द्हें हमेशा की भाजपा की प्रािे दशक सीमाओं के साथ सामंजस्त्य
dr. dharmendra Singh G
स्त्थादपत करना पडता था। मोिी और शाह िोनों ही दभन्न हैं । िे
प्रािे दशक सीमाओं और सामादजक आिार के मामले में कठोर
दिस्त्तारिािी हैं ।’’

यह दिस्त्तार उन पारं पदरक गढ़ में चुनाि जीतने के माध्यम से


हादसल दकया जहां हाल के िषों में उप्र जैसे राज्यों में हो सकता
है दक पाटी डगमगा गई हो; नए भौगोदलक क्षेरों को लक्ष्य बनाना
जहां पाटी के दिककप के दलए राजनीदतक गुज
ं ाइश है , जैसे
पूिोत्तर; और उन राज्यों में प्रमुख दिपक्षी ताकत बनना जहां
ऐदतहादसक रूप से िह कमजोर रही, जैसे पदिम बंगाल और
ओड़ीशा।

यह सब कैसे हु आ?

यदि मोिी का व्यापक जनसंपकच इस कहानी का एक भाग है तो


भाजपा का कायाककप करने में 55 िषीय अदमत शाह का काम
इस कहानी का उतना ही महत्िपूिच दहस्त्सा है ।
dr. dharmendra Singh G
अदमत शाह ने संगठन में ऊजा का संचार दकया; इसकी
सिस्त्यता का दिस्त्तार दकया; साििानी पूिचक मतिान सदमदतयों
को केन्द्र और सारी गदतदिदियों का केन्द्र दबन्द्िु बनाया; एक
केन्द्रीयकृत लेदकन दफर भी दिकेल्न्द्रत ढांचा तैयार दकया जहां
ऊपर से लेकर नीचे तक और िूसरी तरह से भी सूचनाओं का
प्रिाह होता है ; और फैसले लेने की प्रदिया तेज की; संगठन
द्वारा अपने हाथ में दलए जाने िाले उन बुदनयािी मुद्दों की पहचान
करने में मिि के दलए आंकड़ों पर आिादरत सूचनाओं के दलए
स्त्ितंर व्यिस्त्था स्त्थादपत की; और यह सुदनदित दकया दक सभी
स्त्तरों पर नेताओं की जिाबिे ही हो।

इनमें से प्रत्येक के दलए अथक प्रयास की जरूरत होती है ।

भाजपा की अभूतपूिच सफलता की गुत्थी सुलझाने के दलए


चुनाि प्रबंिन के अदमत शाह स्त्कूल के इन घटकों को सही
तरीके से समझना होगा। परं तु इससे पहले इस व्यदि को
समझना होगा। यह एक कहानी है दक कैसे एक व्यदि ने
dr. dharmendra Singh G
समकालीन भारत में सबसे अदिक दिकट चुनाि मशीनरी का
सृजन कर दिया।

अदमत शाह का जन्द्म 1964 में मुंबई में हु आ था। लेदकन उनका
पदरिार मूलतः अहमिाबाि के दनकट मनसा से था। एक िुलचभ
इंटरव्यू में जहां उन्द्होंने अपने प्रारं दभक दिनों के बारे में बताया,
शाह ने हहिूस्त्तान टाइम्स के लेखक पैदरक फ्रैंच को बताया दक
उनके िािा चाहते थे दक गांि में ही उनका लालन पालन दकया
जाये।

उनके पड़िािा व्यापार से संबंदित मामलों में मनसा के शासक


के सलाहकार हु आ करते थे, पदरिार संपन्न था और शाह एक
हिेली में बड़े हु ए। िह याि करते हु ए बताते हैं दक उन्द्हें
औपचादरक पढ़ाई पसंि नहीं थी और संघ की शाखा में खेलने
जाने को महत्ि िे ते थे। ‘अदिकांश खेलों को इस तरह से तैयार
दकया गया था दजससे शारीदरक सौष्ठि बढ़े । मुझे िे शभदि पढ़ाई
गई थी। मुझे संस्त्कार दसखाये गये थे।’ िह 15 साल की उम्र में
dr. dharmendra Singh G
अहमिाबाि आ गये, जैि-रसायन का अध्ययन दकया और 18
साल की उम्र तक पहु ं चते ही प्लाल्स्त्टक और पीिीसी के कारोबार
में शादमल हो गया। परं तु शाह संघ की गदतदिदियों में काफी
अदिक शादमल थे। उन्द्होंने अदखल भारतीय दिद्याथी पदरषि में
काम दकया और अंततः भाजपा में आ गये।

उनका राजनीदतक समाजीकरि चुनािों के िस्त्तूर के साथ शुरू


हु आ और उनकी सबसे पहला चुनािी कायच अहमिाबाि के
नारनपुरा िाडच के चुनाि एजेन्द्ट के रूप में था। इसके बाि िह
1989 के लोकसभा चुनाि में लाल कृष्ट्ि आडिािी के दलए
चुनाि संयोजक बने।

1997 से, शाह ने खुि अहमिाबाि के सरखेज दििान सभा क्षेर


से चुनाि लड़ना शुरू कर दिया और अपनी जीत का अंतर
25000 से बढ़ाकर 1998 में 1.30 लाख और 2002 में 1.5
लाख और 2007 में 2.3 लाख तक कर दिया। िह एक बार दफर
2012 में काफी छोटी निसृदजत नारायिपुरा दििान सभा सीट
से 60, 000 मतों से दिजयी हु ए।
dr. dharmendra Singh G
उन्द्होंने दसफच अपने ही चुनाि में भूदमका नहीं दनभाई बल्कक मुख्य
रिनीदतकार और संगठक नरे न्द्र मोिी के नेतृत्ि में सभी को
एकसूर में दपरो कर गुजरात में भाजपा को अदिक बड़ी जीत
दिलाई। मोिी की छदि, हहिू िािे का दमश्रि, क्षेरीय गौरि या
गुजरात अल्स्त्मता, दिकास का िायिा और सििच जादतयों का
व्यापक सामादजक गठजोड, पटे ल, अन्द्य दपछड़े िगों का एक
बड़ा िगच और िदलतों तथा आदििादसयों के िोट अनिरत
सफलता का मंर थे। लेदकन संगठन ने जोड़ने का काम दकया।
अनेक प्रयोग दजन्द्हें शाह को बाि में राष्ट्रीय स्त्तर पर अपनाना
था - पाटी की सिस्त्यता में दिस्त्तार, राजिानी से बाहर पाटी
पिादिकादरयों की दनरं तर यारा, जनसंपकच कायचिम, पाटी की
सभी इकाइयों को ऊजािान बनाना – गुजरात में पहले ही दकए
जा चुके थे।

नधबे के िशक के मध्य में शाह कांग्रेस के गढ़ सहकादरता, जो


गुजरात में राजनीदतक ताकत का मुख्य स्रोत था, को ध्िस्त्त कर
नाम अर्णजत कर चुके थे। भाजपा अचानक ही गुजरात में
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सहकारी बैंकों, िुग्ि डेयरी और कृदष दिपिन सदमदतयों के
चुनाि जीतने लगी। एक िशक बाि उन्द्होंने ऐसा ही कुछ गुजरात
दिकेट एसोदसएशन के साथ दकया और इसे मोिी के दलए जीत
दलया।

परं तु 2010 से शाह को अपने राजनीदत जीिन के सबसे कदठन


िौर से गुजरना पड़ा। न्द्यायेतर हत्या की सादजश के आरोपी शाह
को अपने ही गृह राज्य – जहां िह गृह मंरी रह चुके थे, में जेल
जाना पड़ा। अिालत ने बाि में उन्द्हें जमानत िे िी परं तु साथ ही
िो साल के दलए गुजरात से बाहर दनकाल दिया। शाह दिल्ली आ
गये और दफर पूरे िे श का भ्रमि दकया।

िह दिसंबर, 2012 में दििान सभा चुनाि के समय अपने राज्य


लौटे जो िे श के इदतहास का एक दनिायक मोड़ था। नरे न्द्र मोिी
लगातार तीसरे कायचकाल के दलए दिजयी हु ए और उन्द्होंने
नतीजे िाले दिन अपनी राष्ट्रीय महत्िाकांक्षा जादहर की।
भाजपा के िदरष्ठ नेताओं, दिशेषकर अपने पूिच प्रिेता लाल
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कृष्ट्ि आडिािी के प्रदतरोि का मुकाबला करते हु ए मोिी पाटी
के प्रिानमंरी पि के प्रत्याशी बनने तक पहु ं च गये।

2012 के दििान सभा चुनाि की जीत ने शाह को भी नया जीिन


प्रिान दकया।

कुछ महीनों के भीतर ही मई, 2013 में शाह को पाटी का


महासदचि बनाने के साथ ही उत्तर प्रिे श का प्रभारी बनाया गया।
शाह को इस राज्य के बारे में कोई जानकारी नहीं थी। अब उनके
सामने सबसे चुनौती भरी दजम्मेिारी थी जो यह तय करती दक
क्या नरे न्द्र मोिी भारत के प्रिानमंरी बनेंगे। परं तु सत्ता प्राप्त करने
के एकदनष्ठ िृढ़ दनिय ने उन्द्हें इसके दलए अच्छी तरह से तैयार
दकया था।

जनिरी, 2014 में अदमत शाह को मिि की जरूरत थी। और


उन्द्होंने िही दकया जो भाजपा के नेता जरूरत पड़ने पर मिि के
dr. dharmendra Singh G
दलए करते हैं । उन्द्होंने संघ से संपकच दकया और उप्र चुनाि
अदभयान में मिि के दलए एक सहायक की मांग की।

आरएसएस ने एक युिा परं तु संगठन में उभरती प्रदतभा 44


िषीय सुनील बंसल को भेजने का दनिचय दकया।

मूलतः राजस्त्थान के बंसल उस समय दिल्ली में अदखल भारतीय


युिा पदरषि के संयुि महासदचि थे। इसने उन्द्हें छार संगठन में
तीसरा सबसे ताकतिर व्यदि बना दिया। इसका मकसि संघ
में नए युिाओं को शादमल करना और उनके िैदश्वक नजदरये
को साल िर साल दिश्वदिद्यालयों प्रभादित करना था।

बंसल उस समय हतप्रभ रह गये जब भाजपा के प्रभारी संघ के


संयुि महासदचि सुरेश सोनी ने उन्द्हें है िराबाि में एक बैठक के
दलए बुलाया और यहां उनसे कहा गया दक अपना सामान समेटो
और भाजपा में शाह की टीम में शादमल होने जाओ। संघ में
दजम्मेिारी का मतलब दजम्मेिारी है । और आप इससे इन्द्कार
नहीं कर सकते।
dr. dharmendra Singh G
15 जनिरी, 2014 को बंसल ने दिल्ली में पहली बार शाह से
मुलाकात की। शाह ने उनसे उनके पदरिार और संगठनात्मक
पृष्ठभूदम के बारे में पूछा, यह एक अनौपचादरक बातचीत थी।
बंसल ने अदखल भारतीय दिद्याथी पदरषि के काम से उत्तर प्रिे श
में समय व्यतीत दकया था परं तु िह इस राज्य को अच्छी तरह
नहीं जानते थे। शाह ने उनसे कहा दक जाओ राज्य के उन छह
मंण्डलों - काशी, गोरखपुर, अिि, कानपुर, बुन्द्िेलखण्ड, ब्रज
और पदिमी उत्तर प्रिे श, का िौरा करो दजन्द्हें भाजपा ने अपने
संगठनात्मक मानदचर पर उकेरा है और तीन सप्ताह में लखनऊ
में उनसे मुलाकात करो।

अदमत शाह ने पांच फरिरी को उत्तर प्रिे श में 250 उन प्रमुख


व्यदियों की बैठक बुलाई जो लखनऊ में पाटी कायालय में
भाजपा की चुनाि मशीनरी का केन्द्र होंगे। इनमें भाजपा के सभी
दजलाध्यक्षों, जो लोकसभा के सभी 80 दनिाचन क्षेरों के प्रभारी
थे, और राज्य स्त्तर के प्रमुख लोग शादमल थे।
dr. dharmendra Singh G
इस बैठक में शाह ने एक दनिादरत प्रारूप में 20 सिालों पर
पिादिकादरयों से दरपोटच ली। इनमें अन्द्य बातों के अलािा प्रत्येक
दनिाचन क्षेर में सदिय हो चुकी बूथ सदमदतयों की संख्या,
मदहलाओं, युिा िगच, दपछड़ी जादतयों को लदक्षत करके की गई
बैठकों की संख्या और सोशल मीदडया पर पहु ं च शादमल थी।
दिन भर में 12 घंटे शाह ने प्रत्येक दजले की प्रगदत के बारे में िी
गई ताजा दरपोटच के बारे में सुना। उन्द्होंने फीडबैक दिया, संतुष्ट
नहीं होने पर उनसे पूछताछ की और उन्द्हें दनिे श दिए।

अंत में शाह ने बैठक में उपल्स्त्थत पिादिकादरयों का पदरचय


सुनील बंसल से कराया और कहा, ‘‘िह चुनािों के प्रबंिन की
दनगरानी करें गे। और जब िह कुछ कहें तो यह समदझये दक यह
मैं कह रहा हू ं ।’’

बंसल आदिकादरक रूप से उत्तर प्रिे श के राजनीदतक पदरिृश्य


पर पहु ं च चुके थे। िह शाह सबसे नजिीकी सहयोदगयों में से
एक बनाये जाने िाले थे।

*
dr. dharmendra Singh G
उत्तर प्रिे श अदमत शाह की दजम्मेिारी थी। उनके सहयोगी के
रूप में बंसल को चुनािों का एक दिहं गम िृश्य दमल चुका था।
दकसी और ने पाटी के भािी अध्यक्ष को काम करते हु ए इतने
नजिीक से नहीं िे खा था।

भारत में अब सबसे अदिक दनष्ठुर लोगों में शादमल और बेहि


सफल चुनाि प्रबंिक माना जा रहा व्यदि दकस तरह काम
करता है ?

बंसल बताते हैं , ‘‘चुनाि पूिच अदमत भाई पहला काम बहु त ही
गहराई से िस्त्तुल्स्त्थदत का अध्ययन करते हैं । उन्द्हें 2013 में ही
उत्तर प्रिे श का प्रभार दमला था। परं तु छह महीने के भीतर ही
उन्द्होंने राज्य के प्रत्येक कोने की यारा कर डाली थी। िह प्रत्येक
क्षेर के मुििों से अिगत थे। िह जानते थे दक कौन सा नेता कहां
उपयोगी है ।’’

व्यापक याराओं और ‘अध्ययन’ ने अदमत शाह को चुनािों की


तैयारी के दलए बुदनयािी िांिपेंचों से सुसदित कर दिया था।
उनकी समझ में आ गया दक पाटी संगठन में जंग लगा हु आ है
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और इसीदलए उन्द्होंने मतिान केन्द्र स्त्तर पर सदमदतयां बनाने पर
ध्यान केल्न्द्रत दकया। ये पाटी संगठन की िे सबसे छोटी इकाइयां
होती हैं जो मैिान में काम करती हैं जहां दकसी भी चुनाि में मत
डाले जाते हैं । ये सदमदतयां ही मतिान से पहले समुिाय के लोगों
को मत िे ने के दलए तैयार करने में अहम भूदमका दनभाती है
और िास्त्ति में मतिान के दिन मतिाताओं को बाहर आने के
दलए प्रेदरत करने का काम करके स्त्थानीय स्त्तर पर अनुकूल
माहौल तैयार करती हैं । उत्तर प्रिे श में, 20 करोड़ से अदिक
आबािी िाले इस राज्य में 1.4 लाख मतिान केन्द्र थे, सदमदतयों
को सुिढ
ृ बनाना आसान काम नहीं होगा। उन्द्होंने िे खा दक
स्त्थानीय नेतृत्ि कमजोर है और बुरी तरह से गुटबाजी में उलझा
हु आ है और उन्द्हीं की िजह से पाटी की लगातार पराजय हु ई है
– इन नेताओं को दकनारे लगाना ही होगा, लेदकन यह बंिोबस्त्त
भी करना होगा दक उनमें कोई दिरोही नही हो। िह यह भी िे ख
सकते थे दक नरे न्द्र मोिी की अपील है परं तु लोग मोिी को ठीक
से नहीं जानते हैं । परं तु शाह खुि भी अपेक्षाकृत अनजान व्यदि
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ही थे। ऐसी ल्स्त्थदत में चुनाि जीतने का एकमार रास्त्ता मोिी का
अथक इस्त्तेमाल दकया जाए। यही िह दबन्द्िु था जब शाह की
मशीनरी को तीक्ष्ि चुनाि रिनीदतज्ञ प्रशांत कुमार और
गांिीनगर ल्स्त्थत उनके िल से बहु मूकय मिि दमली। उप्र चुनाि
जीतने के दलए जनसभाओं, होलोग्राम, रथयाराओं, चाय पर
चचा, मीदडया, व्हा्सएैप संिेशों के माध्यम से मोिी घर घर
पहु ं च गये।

बंसल बताते हैं दक चुनाि में शाह का िूसरा मंर सामादजक


संरचना का साििानीपूिचक अध्ययन करना था। ‘‘िह प्रत्येक
दनिाचन क्षेर की जातीय गदित से पदरदचत थे।’’

शाह को महसूस हु आ दक पाटी की सारी गदित गलत है ।


मुसलमान पाटी को िोट नहीं िें ग।े यािि समाजिािी पाटी के
प्रदत ही िफािार रहें ग।े िदलत समुिायों में जाटि पूरी तरह
मायािती के साथ थे। यह सब दमलाकर आबािी का करीब 40
प्रदतशत थे। भाजपा के पास अन्द्य 55 से 60 प्रदतशत मतिाता
ही थे। और इसके बािजूि, इससे पहले के िशक में पाटी मुख्य
dr. dharmendra Singh G
रूप से सििच जादतयों-20 प्रदतशत से कम- तक सीदमत रही
और उसने िूसरी जादतयों तक पहु ं चने के दलए पयाप्त प्रयास नहीं
दकए थे। उन्द्होंने सििच जादतयों को एकजुट करने पर तो ध्यान
केल्न्द्रत दकया परं तु दपछड़े िगों और िदलतों में भी अपनी पहु ं च
बनायी।

बंसल बताते हैं , ‘‘अदमत भाई का अपना स्त्ितंर सूचना तंर भी


है और िह जानते हैं दक प्रत्येक दजले में क्या चल रहा है । हम
हर एक घंटे पर बात दकया करते थे और िह अक्सर मुझसे
कहते थे दक चेक करो अमुक जगह क्या चल रहा है । मुझे तब
िहां कुछ गदतदिदियों का पता चलता था।’’ यह बताते हु ए
उनकी आिाज में आिर स्त्पष्ट झलक रहा था। यह सूचना पाटी
और िैचादरक संगठनों से आयी, यह स्त्ितंर फीडबैक तंर से
दमली, यह उस पेशेिर टीम से दमली दजसकी सेिाएं िास्त्तदिक
िस्त्तुल्स्त्थदत की जानकारी िे ने के दलए ली जा रही हैं ।

इसी दिशेषता ने शाह को सारे दििरि पर दनयंरि प्रिान दकया


और इस तरह उन्द्हें अपनी व्यापक रिनीदत को माइिो तस्त्िीर
dr. dharmendra Singh G
के साथ जोड़ने में मिि दमली। िह पूरे दिन बैठकर उप्र के प्रत्येक
दजले से दिर्णनदिष्ट जानकारी प्राप्त कर सकते थे और उसके
पहलुओं पर गौर करके स्त्पष्ट जानकारी िे ना और दकसी भी समय
इसकी अपने स्त्ितंर सूचना तंर से इसकी पुदष्ट कराना चुनाि
प्रबंिन के दलए सबसे अदिक महत्िपूिच थी।

शाह के िृदष्टकोि का चौथा महत्िपूिच पहलू, गुजरात में उनके


साथ व्यापक रूप से काम कर चुके लोगों से सूचना प्राप्त कर,
चुनाि में दिपक्ष के आिार को तार तार करने पर ध्यान केल्न्द्रत
करना रहा है । अपने आप में यह एक ऐसा तरीका है दजसका
प्रत्येक राजनीदतक िल चुनाि से पहले इस्त्तेमाल करता है । परं तु
भाजपा में, एक ऐसी दिचारिारा भी है जो बाहरी तत्िों को संिेह
से िे खती है और इसे िैचादरक रूप से प्रिूदषत मानती है ।
हालांदक अदमत शाह के दलए चुनािी बाध्यताएं सिोपदर थीं।
उन्द्हें भरोसा था दक इन बाहरी लोगों को स्त्िीकार कर दलया
जायेगा और पाटी के िैचादरक िैदश्वकिशचन का आत्मसात कर
लेंग।े
dr. dharmendra Singh G
भरत पाण्या भाजपा की गुजरात इकाई के प्रििा हैं जो
दििायक और पाटी के कायालय सदचि रह चुके हैं । उन्द्होंने
नरे न्द्र मोिी और अदमत शाह िोनों के साथ ही कई िषो तक
दनकटता से काम दकया है । 2014 के चुनाि में, िह बडोिरा
सदहत मध्य गुजरात के दजलों के प्रभारी थे। बडोिरा िह िूसरी
सीट थी जहां से नरे न्द्र मोिी ने चुनाि लड़ा था।

बंसल बताते हैं , ‘‘िह दिपक्ष की ताकत को दछन्न दभन्न करने में
यकीन रखते है । अदमत भाई हमेशा ही आियच करते हैं दक
िशकों से कड़ी मेहनत कर रही भाजपा को अभी तक उस तरह
की सफलता क्यों नहीं दमल सकी जो हमें पहले ही दमल जानी
चादहए थी। उनका जिाब है दक यह सब पांच से िस प्रदतशत
मतों की कमी की िजह से हु आ। और इसे प्राप्त करने के दलए
िह िूसरे िलों से लोगों अपने यहां लाने के दलए तैयार हैं । यह
दिरोदियों को कमजोर करे गा और हमें ताकत प्रिान करे गा।
इससे कम हो रहे मतों की भरपाई होगी।’’
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और शाह के िृदष्टकोि का अंदतम पहलू सािारि लगने िाली
गुिित्ता है दजसे हम महत्ि नहीं िे ते। िह है - कठोर पदरश्रम और
ध्यान केल्न्द्रत करना।

रिीन्द्र जायसिाल ने जो िारािसी उत्तर से दििायक हैं , 2014


के प्रारं भ में नरे न्द्र मोिी के लोकसभा चुनाि के िौरान शाह के
साथ दमलकर काम दकया था। िह याि करते हैं दक पाटी मोिी
की रै ली के आयोजन की अनुमदत के दलए दजला प्रशासन के
साथ उलझी हु ई थी, तभी यह फैसला दकया गया दक िे इसकी
बजाये पूरे शहर में मोिी का रोड शो आयोदजत करें ग।े िह बताते
हैं , ‘‘रोड शो से पहले की रात अदमत शाह ने इस आयोजन के
प्रत्येक पहलू की बारीकी से योजना तैयार की। यह काम हमने
िे र रात तक दकया। और दफर उन्द्होंने मुझसे सिेरे सात बजे रोड
शो शुरू होने िाले स्त्थान पर दमलने के दलए कहा तादक हम
इसके रास्त्ते, इसमें लगी होदडिंग, लोगों की भीड़ के आने की
व्यिस्त्था पर एक बार दफर गौर कर लें। मैंने हां कहा और घर
चला गया।’’
dr. dharmendra Singh G
जायसिाल ने सही मायने में उस भारतीय परं परा के बारे में सोचा
था दक सिेरे सात बजे का मतलब सुबह नौ बजे है और अभी
भी सो ही रहे थे दक शाम का सिेरे सात बजे फोन आ गया और
पूछा दक िह कहां हैं । घबराये हु ए उन्द्होंने कहा दक रास्त्ते में हू ं ।
15 दमनट बाि शाह ने दफर फोन दकया और तब भी िे तैयार ही
हो रहे थे। एक बार दफर उन्द्होंने झूठ बोला और कहा दक मैं
करीब करीब पहु ं च ही गया हू ं । जब तक िह बैठक िाले स्त्थल
पर पहु ं चे तब तक आठ बज चुके थे। उन्द्होंने बनारस में अपने
आलीशान घर में मुझसे कहा, ‘‘अदमत भाई अपनी कार में बैठे
इंतजार कर रहे थे। िह आिशच पेश करते हैं ।’’

बंसल ने इससे सहमदत जताते हु ए कहा दक उन्द्हें अक्सर सिेरे


ढाई बजे शाह से फोन आ जाता था और दफर सिेरे सात बजे।
िह कहते हैं , ‘‘मैंने एक बार उनसे पूछ दलया दक आप सोते कब
हैं ? अदमत भाई ने मुझसे कहा दक िह योग दनरा-जहां दसफच शरीर
नहीं बल्कक मल्स्त्तष्ट्क भी शांत होता है और आराम करता है -
करता हू ं । इसके तीन चार घंटे ही शरीर की स्त्फूर्णत और पूरे दिन
dr. dharmendra Singh G
ऊजा बनाये रखने के दलए पयाप्त हैं । उन्द्होंने मुझसे भी यह करने
के दलए कहा।’’ और क्या उन्द्होंने इसका पालन दकया? िह
हं सते हु ए बताते हैं , ‘‘भाई, संघ में सीखा था हमने भी, बस दकया
ही नहीं!’’

लेदकन इससे आगे, दकसी भी चुनाि के दलए बहु त ही साििानी


भरे प्रबंिन की आिश्यकता होती है । और यही िजह है दक शाह
ने 2014 में मिि के दलए बंसल की ओर िे खा।

बंसल ने दिदभन्न राज्यों से 60 लोगों को अपने मूल िल में


शादमल दकया। इनमें से अदिकांश अदखल भारतीय दिद्याथी
पदरषि के समय से उनके सहयोगी थे। उन्द्हें 19 समूहों में दिभि
दकया गया। एक समूह मीदडया पर नजर रखता तो िूसरा भाजपा
की ओर से दनरं तर सोशल मीदडया पर था; तीसरा समूह पाटी के
िार रूम को िे खता था और चौथा दनिाचन क्षेरों से चुदनन्द्िा
नेताओं के दलए दमल रहे अनुरोिों को िे खता और उनके प्रचार
का समन्द्िय करता; एक उड्डयन मामले अथात सभी प्रमुख
प्रचारकताओं के दलए हे लीकॉप्टर की अनुमदत लेना तो िूसरा
dr. dharmendra Singh G
िल के पास प्रशासन के साथ मिुर दरश्ते बनाते हु ए आयोजनों
की अनुमदत लेने की दजम्मेिारी थी। यह प्रत्येक जनसभा के पीछे
की नजर नहीं आने िाली एक प्रमुख गदतदिदि थी।

िह बताते हैं , ‘‘हम पिे के पीछे रहकर काम करने िाले थे और


नजर आ रहे प्रचार अदभयान को सहयोग प्रिान करते थे।’’ इस
िौरान िह एक डायरी भी रखते थे और रोजाना रात में इसमें िह
सब दलखते थे जो उन्द्होंने दिनभर िे खा। इसमें पाटी की ताकत
और कमजोरी तथा अदमत शाह के चुनाि प्रबंिन स्त्कूल से दमले
सबक शादमल थे।

मोिी हिा, 24 घंटे का प्रचार, बारीकी से दकया गया


संगठनात्मक कायच, व्यापक सामादजक गठं बंिन, और संघ के
खून पसीने के प्रयासों ने उप्र में 2014 के चुनािों में भाजपा के
पक्ष में सुनामी ला िी। पाटी ने उत्तर प्रिे श में अपने िम पर 71
सीटों पर जीत हादसल की और उसके एक सहयोगी िल ने भी
उसे िो अदतदरि सीटें प्रिान कीं।

*
dr. dharmendra Singh G
16 मई, 2014 को चुनाि के नतीजों के बाि अदमत शाह दिल्ली
में सत्ता हस्त्तांतरि के प्रबंिन में मिि और नरे न्द्र मोिी सरकार
में शादमल होने िाले मंदरयों के नाम चुनने में व्यस्त्त हो गए।

बंसल भी कुछ दिन के अिकाश पर राजस्त्थान अपने घर चले


गये।

जून में शाह ने उन्द्हें िापस दिल्ली बुलाया और कहा दक िह


संगठन महामंरी के रूप में उप्र जायें। भाजपा में यह महत्िपूिच
पि है दजसमें इस पि पर आसीन व्यदि के पास पिे के पीछे से
पाटी के कामकाज के मामले में असीदमत अदिकार होते हैं ।
राष्ट्रीय स्त्तर पर राम लाल संगठन महासदचि थे जो पाटी के
कामकाज का केन्द्र थे। नरे न्द्र मोिी गुजरात में भाजपा के संगठन
महामंरी रह चुके थे। यह पि संघ के पूिच प्रचारक के दलए
सुरदक्षत रहता है । सदचि आमतौर पर पाटी मुख्यालय में ही
रहता है और अक्सर िह पाटी की राज्य इकाई के अध्यक्ष से
कहीं अदिक महत्िपूिच होता है ।
dr. dharmendra Singh G
बंसल संकोच कर रहे थे। उत्तर प्रिे श बहु त बड़ा राज्य है ; यहां
अनेक िदरष्ठ नेता थे जो हो सकता है दक इतने युिा व्यदि के
साथ सहज नहीं हों, ऐसी ल्स्त्थदत में फैसला लेना और उन्द्हें लागू
करना कदठन होगा। उन्द्होंने शाह से कहा दक बेहतर होगा दक
उन्द्हें कोई छोटा राज्य िे दिया जाये। शाह ने इसी पर जोर दिया।
बंसल ने उनसे कहा, ‘‘मेरी दसफच एक ही शतच है । आप ही, उप्र
के प्रभारी महासदचि, मेरे प्रभारी होने चादहए।’’ शाह ने जिाब
दिया, ‘‘बंसल आप जाइये, मैं आपका ध्यान रखूंगा।’’

कुछ सप्ताह के भीतर ही अदमत शाह राज्य के प्रभारी महासदचि


नहीं बल्कक पूरी पाटी के राष्ट्रीय अध्यक्ष बनने िाले थे। बंसल
इस बार जून, 2014 में िापस लखनऊ पहु ं चे तो इस स्त्पष्ट आिे श
के साथ दक 2017 का दििान सभा चुनाि जीतना है ।

अदमत शाह को जुलाई, 2014 में पाटी अध्यक्ष की बागडोर


संभालने के साथ ही मैिान में उतरना था। तीन महीने के भीतर
िो राज्यों - महाराष्ट्र और हदरयािा – दििान सभा के चुनाि
dr. dharmendra Singh G
होने थे। शाह के पास पाटी के दलए िीघचकालीन योजना थी परं तु
उनकी तात्कादलक प्राथदमकता इन राज्यों को जीतने की थी।
और इसके दलए उन्द्हें अपनी रिनीदत का उसी तरह उपयोग
करना था दजसने लोकसभा में भाजपा के शानिार प्रिशचन में
मिि की थी।

महाराष्ट्र में चुनौदतयां बहु त अदिक थीं। भाजपा अपने एक


महत्िपूिच नेता गोपीनाथ मुण्डे को जून के शुरू में ही एक िुघचटना
में खो चुकी थी। हाल ही में केन्द्र में ग्रामीि दिकास मंरी दनयुि
दकए गये मुण्डे महाराष्ट्र में सबसे अदिक गहरी पैठ िाले भाजपा
नेता थे। अन्द्य दपछड़े िगच की पृष्ठभूदम िाले मुण्डे उस समय
राज्य के उपमुख्यमंरी थे जब पाटी दशि सेना के साथ सत्ता गंिा
चुकी थी।

मोिी और शाह ने सीटों के बंटिारे को लेकर उत्पन्न मतभेिों की


िजह से तब अपनी पुरानी सहयोगी दशिसेना से संबंि दिच्छे ि
करने का फैसला दकया था। लेदकन यह तकनीकी नहीं, एक
राजनीदतक मुद्दा था। भाजपा की 2014 के चुनािों में दिजय और
dr. dharmendra Singh G
मोिी तथा शाह के पास बागडोर होने के बाि भाजपा अब
जूदनयर सहयोगी की भूदमका स्त्िीकार नहीं करे गी। इसका संिेश
सभी सहयोगी िलों के दलए स्त्पष्ट था दक रास्त्ते पर आ जाओ।
यह एक ऐसा राज्य भी था जहां भाजपा सारी सीटों पर चुनाि
लड़ने के दलए संगठनात्मक िृदष्ट से तैयार नहीं थीं; उसने 288
दनिाचन क्षेरों में आिे से अदिक सीटों पर चुनाि में प्रत्याशी ही
नहीं उतारे थे।

भाजपा की गदतदिदियों पर पैनी दनगाह रखने िाले श्रेष्ठ जानकार


राजनीदतक परकारों में से एक शीला भट्ट ने दलखा था दक एक
बार जब अकेले ही चुनाि लड़ने का दनिचय ले दलया गया तो
शाह ने मुंबई के भाजपा कायालय में ही डेरा डाल दिया और
महाराष्ट्र के 36 दजलों के दलए प्रभारी दनयुि कर दिए, दजला
पाटी अध्यक्षों के दलए कायचशालाएं आयोदजत कीं, सभी 288
दििान सभा दनिाचन क्षेरों में जीपीएस सुदििा से लैस कार में
एक व्यदि तैनात दकया और उन्द्हें मतिान संपन्न होने तक अपने
अपने क्षेर में ही रहने का दनिे श दिया।(6) इसके बाि, शाह ने
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बहु त ही साििानी के साथ राज्य में नरे न्द्र मोिी की जनसभाओं
की योजना तैयार की क्योंदक िह जानते थे दक यह दसफच मोिी
हिा ही है जो भाजपा का बेड़ा पार कर सकेगी। प्रिानमंरी ने 26
जनसभाएं कीं। भाजपा अपनी ताकत बढ़ाने के दलए िूसरे िलों
के िलबिलुओं को भी अपनाने में खुश थी।

चुनाि के बाि अंततः पाटी राज्य में सबसे बडे िल के रूप में
उभरी और उसने सरकार बनायी। चुनाि में मोिी हिा की तरह
ही भाजपा की कौशलपूिच सामादजक गठबंिन, राजनीदतक
संिेश और सरकार दिरोिी लहर ने भी अहम भूदमका दनभाई।
लेदकन यह स्त्पष्ट लग रहा था दक शाह बहु त बड़ा जोदखम लेने के
दलए तैयार थे। चूदं क दशिसेना से सबंि तोड़ने का उलटा असर
हो सकता था, लेदकन इससे उन्द्हें उन राज्यों में भी चुनािी
सुदििाओं का सृजन करने का मौका दमल गया जहां भाजपा
बहु त अदिक ताकतिर नहीं थी। हदरयािा का मामला भी
कमोबेश ऐसा ही थी। दसफच शहरी केन्द्रों तक सीदमत रहने और
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पाटी का व्यापक संगठन नहीं होने के बािजूि भाजपा चुनाि में
सफाया करने में सफल रही।

इसमें कोई संिेह नहीं दक 2014 के बाि मोिी के साथ हनीमून


अभी भी सही सलामत था और जीत में यह प्रमुख पहलू था।
परं तु सफलता की एक और दिशेषता थी। यह िैसा नहीं था जैसे
भाजपा पारं पदरक तरीके से काम करती थी या उसे सफलता
दमलती थी। रूदढ़िािी टीकाकार और अब राज्यसभा में भाजपा
के नादमत सिस्त्य स्त्िपन िासगुप्ता बताते हैं , ‘‘अनिरत
संगठनात्मक कायों की िजह से चुनाि में सफलता की
बजाये...चुनािों में दिजय के बाि संगठनात्मक आिार का
सृजन दकया गया।’’(7) िह बताते हैं दक यह समय सादरिी थी
दजसने भाजपा को िोनों राज्यों में बाध्य दकया। शाह ने दिखा
दिया था दक िह लहर पर सिार होकर और चतुर चुनाि प्रबंिन
से नतीजे ला सकते हैं । परं तु उनकी महत्िाकांक्षा भाजपा संगठन
के दिस्त्तार और उसमें बिलाि से भी कहीं अदिक बड़ी थी।

*
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एक निंबर, 2014 को अदमत शाह ने सिादिक महत्िाकांक्षी
सिस्त्यता अदभयान शुरू दकया जो िुदनया में कहीं भी दकसी िल
द्वारा दकया गया सबसे बड़ा था, इसमें सभी राज्यों के संगठन के
प्रमुख व्यदियों का आह्वान करते हु ए उनके दलए सिस्त्यता का
लक्ष्य दनिादरत दकया था। सशि भाजपा, सशि भारत
अदभयान में पाटी के प्रत्येक पिादिकारी-प्रिानमंरी से लेकर
मतिान सदमदत कायचकताओं तक- को शादमल दकया गया।
इसका एकमार लक्ष्य भाजपा में नागदरकों को लाना था।

बाहर के अदिकांश लोग भाजपा के इस सिस्त्यता अदभयान को


लेकर सशंदकत थे और उन्द्होंने सोचा दक यह जनसंपकच किायि
है । दिपक्षी नेताओं ने उपहासपूिच तरीके से इसे भाजपा को
‘दमस्त्ड कॉल’ कहने का अिसर प्रिान दकया। इसमें दसफच एक
मोबाइल नंबर पर फोन करके ही पाटी के सिस्त्य के रूप में
पंजीकरि कराया जा सकता था। लेदकन यही पाटी के दिस्त्तार
में एक दनिायक मोड़ था। इस संबंि में उत्तर प्रिे श को ही ले
लीदजये।
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दिल्ली से बैठक के दलए लखनऊ आए सुनील बंसल से शाह ने
पूछा, ‘‘इस बार उप्र दकतने सिस्त्य बनायेगा?’’उत्तर प्रिे श में
करीब 14 लाख सिस्त्य थे दजन्द्हें पुरानी ऑफ लाइन प्रिाली के
जदरये फामच भरने की प्रदिया और इसकी औपचादरक रसीि िे ने
के प्राििान से बनाये गये थे। बंसल दहचदकचाये और जो उन्द्होंने
अपने भरोसे के आिार पर कहा, ‘50 लाख’। शाह ने अपना
दसर दहलाया और कहा, ‘ नहीं, एक करोड का लक्ष्य रदखये।’
बंसल ने िबी जुबान में कहा दक यह काफी मुल्श्कल लगता है ,
तो शाह ने जिाब दिया, ‘‘करना है , यह करना ही है ।’’

लखनऊ में पाटी ने चार आयामी योजना शुरू की।

इस रिनीदत का पहला दहस्त्सा मतिान केन्द्र स्त्तरों पर काम करने


की रिनीदत थी। 2014 के चुनािों के 1,41,000 मतिान केन्द्रों
में से भाजपा को 13000 मतिान केन्द्रों पर एक भी मत नहीं
दमला था। पाटी का आकलन था दक इनमें से अदिकांश मतिान
केन्द्र मुख्यता मुल्स्त्लम बहु ल होंगे। पाटी ने ऐसे दनिाचन क्षेरों को
सहज ही अपने चुनािी गदित से बाहर रखा था। इन पर समय
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गंिाने की बजाये पाटी ने अपनी ऊजा शेष मतिान केन्द्रों पर
लगाने का फैसला दकया। पाटी ने 1, 20,000 मतिान केन्द्रों की
पहचान की और मतिान केन्द्र सदमदत के अध्यक्षों से कहा गया
दक उन्द्हें प्रत्येक मतिान केन्द्र से कम से कम एक सौ सिस्त्य
बनाने होंगे। यह प्रदिया भ्रामक रूप सरल थी। घर घर जाएं और
इसमें दिलचस्त्पी दिखाने िाले व्यदियों के फोन नंबर से दमस्त्ड
काल दभजिाएं, इसके बाि उन्द्हें एसएमएस के माध्यम से
सिस्त्यता नंबर दमलेगा और िे पाटी के प्राथदमक सिस्त्य बन
जायेंग।े

बंसल ने मुझे बताया दक एक महीने के भीतर ही उप्र में एक


लाख मतिान केन्द्रों पर यह सिस्त्यता अदभयान सफल रहा था।
िे शाह द्वारा दनिादरत लक्ष्य के काफी नजिीक करीब 80 लाख
सिस्त्य बनाने में सफल हो गये थे।

उप्र की सीमा से लगे दबहार के पदिम चंपारि दजले में िदरष्ठ


परकार अभय मोहन झा ने इस पर सिाल उठाया, ‘‘क्या हमें
इस संख्या पर भरोसा करना चादहए?’’ उन्द्होंने दलखा दक उन्द्हें
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दकस तरह से पाटी में स्त्िागत करते हु ए फोन कॉल और एक
एसएमएस दमला। जब उन्द्होंने जिाब दिया दक िह सिस्त्य बनने
के इच्छुक नहीं हैं , तो उन्द्हें एक िूसरा दलदखत संिेश दमला
दजसमें कहा गया था दक िह अपने पदरिार के सिस्त्यों को भी
इसमें शादमल होने के दलए प्रेदरत करें । परकार होने के नाते झा
ने दबहार में भाजपा नेता सुशील मोिी से बात की दजन्द्होंने संकोच
के साथ उनसे कहा दक तकनीक गूंगी और बहरी होती है और
िह इसमें सुिार करायेंग।े झा का नाम सिस्त्यता सूची से दनकाल
दिया गया।

लेदकन इस तरह की घटनाओं पर भाजपा ने जोर िे कर कहा दक


यह अपिाि हैं ।

इस किायि का असली उपयोग तो कहीं और होना था। बंसल


ने मुझे बताया, ‘‘सोदचए इस किायि ने क्या दकया। इसने
मतिान केन्द्र के स्त्तर पर सदमदतयों को सदिय दकया जो
आमतौर पर चुनािों के बीच की अिदि में दनल्ष्ट्िय ही रहती हैं ।
इसने हमारे कायचकताओं को बाहर दनकल कर क्षेर के लोगों से
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पदरचय बढ़ाने और उनसे संपकच स्त्थादपत करने के दलए बाध्य
दकया। और इसी िजह से भाजपा हर जगह नजर आने लगी।’’

लेदकन लक्ष्य अभी भी पूरा नहीं हु आ था।

इसका िूसरा दहस्त्सा व्यदिगत रूप से लोगों को लदक्षत करके


उन्द्हें पाटी का सिस्त्य बनाना था। मतिान केन्द्र स्त्तर के अदभयान
ने कायचकताओं को एक क्षेर दिशेष तक सीदमत कर दिया था।
अब भाजपा कायचकताओं से कहा गया दक िे, पदरिार के
सिस्त्यों, पड़ोदसयों, दकसी को भी सिस्त्य बना सकते है । सभी
को एक बार दफर सौ नए सिस्त्य जोड़ने के दलए िौड़ लगानी
पड़ी।

इस रिनीदत का तीसरा दहस्त्सा ब्लॉक स्त्तर पर दशदिर लगाने से


संबंदित था। उत्तर प्रिे श में बहु त अदिक अंतराज्यीय दिस्त्थादपत
हैं । मदहलाओं की शािी उनके गांि से बाहर होती है और िे
अपना घर बिलती हैं ; आिमी रोजगार के दलए जाते हैं ; छार
कॉलेज की दशक्षा के दलए बड़े शहरों में चले जाते हैं । भाजपा के
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बैनर के साथ एक दशदिर का उद्दे श्य इस िगच को आकर्णषत
करना था।

मतिान केन्द्र, व्यदिगत और दशदिर केल्न्द्रत प्रयासों के अलािा


पाटी ने हहिू समाज के प्रत्येक िगच को छूने के मकसि से
‘स्त्िस्त्पशी’ अदभयान चलाया। अन्द्य दपछड़े िगों और िदलत
समुिाय से 780 कायचकताओं की पहचान की गई और उन्द्हें
राज्य में उन जगहों पर भेजा गया जहां उनकी अपनी जादतयों के
सिस्त्य बड़ी संख्या में थे। इसका उद्दे श्य पाटी का उन िगों की
आबािी तक पहु ं चना था जो अभी तक भाजपा के स्त्िाभादिक
मतिाता नहीं थे। माचच 2015 तक राज्य में भाजपा के नए
सिस्त्यों की संख्या 1.8 करोड़ थी जो शाह द्वारा दनिादरत लक्ष्य
का लगभग िुगुना था। पाटी में इसे उप्र मॉडल के नाम से जाना
गया। इसने बंसल के अपने अंिाज में ही एक संगठक के रूप
में पहु ं चने की शुरूआत भी की। इस अिदि में उन्द्होंने प्रिे श के
प्रत्येक दजले का िौरा कर दलया था; उन्द्होंने सभी चार अदभयानों
की योजना तैयार की थी और उन पर अमल भी दकया था।
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उप्र के अनुभि ने यह अहसास कराया दक मैिान में दकस तरह
से सिस्त्यता अदभयान पर अमल दकया जा सकता है । यद्यदप उप्र
ने पाटी की झोली में सबसे अदिक नए सिस्त्य दिए थे, दफर भी
यह अदभयान उप्र केल्न्द्रत नहीं था। यह अदभयान के िूसरे राज्यों
में भी चलाया गया और इसे अलग अलग सफलता दमली।

मसलन, झारखण्ड को ही लें, जहां सिस्त्यता अदभयान शुरू होने


के तुरंत बाि 2014 के अंत में चुनाि हु ए, अदमत शाह ने अपनी
रै दलयों में टाल फ्री नंबर पढ़कर सुनाये और लोगों से इस पर
फोन करने का आह्वान दकया। दबहार में पाटी ने 50 लाख नए
सिस्त्य बनाने का लक्ष्य रखा। महाराष्ट्र में नेताओं ने िािा दकया
दक उन्द्होंने 2015 के मध्य तक एक करोड़ से अदिक नए सिस्त्य
बनाये।

30 माचच तक एक समाचार में कहा गया दक भाजपा नौ करोड़


नए सिस्त्य बनाने में सफल रही है । पाटी ने िस करोड़ सिस्त्यों
का लक्ष्य पूरा करने के दलए इस अदभयान को एक महीने के
दलए और बढ़ा दिया था। परकार संजय हसह ने इस संिभच में
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दलखा, ‘पूरी किायि िूसरे मायने में भी भाजपा के दलए बहु मूकय
रही है । पाटी ने अपनी दमस्त्ड काल सिस्त्यता अदभयान पर अमल
के दलए जो तकनीक अपनायी उसने भाजपा को दिशाल डाटा
बैंक भी उपलधि कराया दजसका उपयोग नरे न्द्र मोिी के भदिष्ट्य
के कायचिमों में जनता तक पहु ं चने के दलए हो सकता है । यह
भाजपा को उन राज्यों में भी पहु ं चने में मिि करे गा जहां उसकी
संगठनात्मक ताकत सीदमत है ।’’

यह अदभयान समाप्त होने तक भाजपा ने अपना लक्ष्य हादसल


कर दलया था। कुछ दरपोटच में कहा गया था दक पाटी का यह िािा
बढ़ा-चढा कर दकया गया है । स्त्ितंर रूप से पाटी के इस िािे की
पुदष्ट करना मुल्श्कल था दक िह अब िुदनया का एक सबसे बड़ा
राजनीदतक िल है , परं तु भले ही इसमें कुछ संिेह हो दफर भी
यदि उसके िािे से कुछ लाख संख्या कम भी हो तो भी संगठन
का व्यापक दिस्त्तार हु आ था।

इस अदभयान के असली हीरो अदमत शाह थे। उन्द्होंने सिस्त्यता


अदभयान शुरू दकया था दजसे अदिकांश लोगों ने नाटक बताते
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हु ए नकार दिया था, परं तु यह कम से कम कागजों पर ही िस
करोड सिस्त्य बनाने के साथ संपन्न हु आ। पाटी को लोकसभा
चुनाि में करीब 17 करोड़ मत दमले थे, इसदलए यह चौंकाने
िाला आंकड़ा था। शाह ने पाटी में ऊपर से लेकर नीचे तक नई
ऊजा का संचार दकया और एक समान दमशन दिया। अतः
चुनाि में अभूतपूिच दिजय के तुरंत बाि पाटी की मशीनरी
आत्ममुग्िता की अिस्त्था में आकर आसानी से थोड़ा दशदथल
हो सकती थी, परं तु पाटी की सिस्त्यता अदभयान ने ऐसा करने
से रोक दिया।

लेदकन यह यहीं नहीं रुका।

मई, 2015 में भाजपा ने फैसला दकया दक सिस्त्यता अदभयान


के बाि अब ‘महासंपकच अदभयान’ चलाया जायेगा।
कायचकताओं को अब िापस जाकर उन लोगों से संपकच करना
था दजन्द्हें उन्द्होंने सिस्त्य बनाया था और उनसे दिस्त्तृत फामच
भरिाने थे दजसमें आयु, आर्णथक ल्स्त्थदत, पेशा, पदरिार में सिस्त्य
और हलग जैसी अनेक जानकादरयां मांगी गई थीं। यह एक
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प्रकार से पुदष्टकरि और यह पता करने की प्रदिया थी दक कहीं
इसमें बड़े पैमाने पर दिसंगदतयां तो नहीं हैं ।

उप्र िापस आने पर बंसल ने खुि भी लखनऊ स्त्लम में एक


मतिान केन्द्र की दजम्मेिारी ली थी जहां उन्द्होंने एक सौ सिस्त्य
बनाए थे। अब, िह लोगों से फामच भरिाने के दलए िापस
मतिान केन्द्र गये। उन्द्होंने महसूस दकया दक यह काफी समय
लेने िाली पेचीिा प्रदिया है और प्रत्येक फामच भरने में 40 दमनट
या इससे अदिक समय लगा। इससे स्त्पष्ट था दक यह पुदष्ट करने
और सिस्त्यों से संपकच करने का यह अदभयान उन्द्हें सिस्त्य बनाने
जैसा सफल नहीं होगा।

दफर भी, भाजपा 40 लाख फामच भरिाने में सफल रही दजनमें
आिेिक की दिस्त्तृत जानकारी थी। यह आंकड़े चुनािों के दलए
अब एक नया हदथयार था और यह किायि बहु त ही उपयोगी
थी।

सिस्त्यता अदभयान और संपकच अदभयान एक साथ शुरू करने


से राज्यों में भाजपा का संगठन पुनजीदित हो गया। गुजरात,
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मध्य प्रिे श, छत्तीसगढ जैसे राज्यों को छोड़कर, जहां भाजपा
काफी लंबे समय से सत्ता में है , अन्द्य राज्यों में पाटी का ढांचा
खस्त्ताहाल था। लोकसभा के 2004 के चुनाि में पराजय और
2009 में हु ए सफाये के बाि दकसी ने भी संगठन में इतने बड़े
पैमाने पर समय नहीं दिया था। पाटी बमुल्श्कल नए सिस्त्य बना
पायी थी। मैिान में तो यह कहीं नजर ही नहीं आ रही थी।
अदिकांश राज्यों में उसका िोट प्रदतशत कम हो गया था। यह
मुल्श्कल से ही एक पाटी थी बल्कक इसके इतर यह प्रत्येक दजले
में दिदभन्न गुट के नेताओं के प्रदत िफािार लोगों का समूह बन
कर रह गई थी। इसदलए 2014 की जीत पाटी संगठन की उतनी
बड़ी दिजय नहीं थी दजतनी दक व्यदिगत रूप से नरे न्द्र मोिी की,
उनके स्त्ितंर अदभयान की व्यिस्त्था, और संघ से दमल रहे
समथचन की थी। अदमत शाह और उनके िल ने संगठनात्मक
दिस्त्तार करके भाजपा का आिार बढ़ाया, पाटी संगठन को
पुनजीदित दकया, पुराने नेताओं को दकनारे लगाया, बेशुमार
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आंकड़े एकर दकए और यह सुदनदित दकया दक 2014 का
चुनाि दसफच अचानक दमली सफलता भर नहीं रहे गी।

2015 की शेष अिदि के दलए पाटी ने अंिरूनी ल्स्त्थदत पर गौर


करने का दनिचय दलया। सिस्त्यता के दिस्त्तार और संपकच
अदभयान के बाि अदमत शाह का ध्यान अब पाटी में प्रदशक्षि
पर था।

यदि सिस्त्यता अदभयान का उद्दे श्य राज्य भर में भाजपा की


उपल्स्त्थदत िजच कराना और सत्ता के दलए खुि को मजबूत
िािेिार के रूप में पेश करना था तो उसका िूसरा चरि पाटी
की आंतदरक व्यिस्त्था को चाक चौबंि करना, कौशल का
दिकास करना और नए सिस्त्यों में पाटी के दसर्द्ांतों को
समझाना था।

पाटी के प्रदशक्षि दशदिर आयोदजत दकए गये, कायचकताओं और


नए सिस्त्यों को पाटी के दसर्द्ांतों से रूबरू कराया गया। पाटी
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में पहले मतिान केन्द्र से लेकर ब्लाक स्त्तर तक और दफर दजले
तथा राज्य स्त्तर पर संगठनात्मक चुनाि कराये गये।

उप्र में संगठनात्मक ढांचे को िुरूस्त्त करते समय भाजपा ने ब्लाक


और बूथ के बीच एक और स्त्तर को सुिढ
ृ दकया। यह सेक्टर
स्त्तर सदमदतयां होंगी। प्रत्येक सेक्टर करीब एक िजचन मतिान
केन्द्रों का प्रभारी होगा। इस प्रदिया से पाटी ने 13500 सेक्टर
इकाइयों को सदिय दकया।

इस तरह, नेताओं का एक पूल तैयार दकया गया जो प्रचार में


जाने के दलए तैयार थे। संगठनात्मक चुनािों के माध्यम से सबसे
अदिक महत्िपूिच बिलाि भाजपा के पिादिकादरयों के जातीय
समीकरि में था। मुख्य रूप से सिचि जादत की पाटी से उत्तर
प्रिे श की इकाई कहीं अदिक सिचहारा इकाई में तधिील हो चुकी
थी। (इसके बारे में अगले अध्याय में दिस्त्तर से चचा की जायेगी)

लेदकन क्या संगठनात्मक चुनाि उस व्याप्त की िारिा के दलए


महज दिखािा थे दजसे लगता था दक भाजपा एक केन्द्रीयकृत
पाटी है दजसके सारे फैसले सबसे ऊपर अदमत शाह द्वारा ही दलए
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जाते हैं ? सुनील बंसल इस तरह की िलीलों को पूरी िृढता से
खादरज करते है और मुझसे कहा दक संगठनात्मक ढांचा ही खुि
को दिकेन्द्रीकृत फैसले लेने िाला बनाता है ।

बंसल कहते हैं , ‘‘ कोई भी 24 करोड़ लोगों िाले उप्र जैसे राज्य
में अपने आप एक पाटी नहीं चला सकता है । िे खो, मैं एक
संगठनात्मक दसर्द्ांत का पालन करता हू ं जो काफी समय पहले
मैंने एक दकताब में पढ़ा था दक दनिचय लेने िालों में अपने से
एक स्त्तर नीचे के लोगों को शादमल करो और अपने से एक स्त्तर
ऊपर के प्रादिकारी को दरपोटच करो। भाजपा में भी दनिचय लेने
का ढांचा व्यापक रूप से यही है ।’’

शाह ने एक बार कहा था दक िह घंटे के अंिर उत्तर प्रिे श में


ग्रामीि स्त्तर से लेकर लाखों लोगों पर अपना संिेश भेज सकते
हैं । बंसल इस बारे में दिस्त्तार से बताते हैं , ‘‘यदि कोई संिेश है
तो अदमत भाई हमसे कह सकते हैं । मैं यह जोनल प्रमुखों से बात
कर सकता हू ं और िे सेक्टर और मतिान केन्द्र स्त्तर पर बात
कर सकते हैं । अदमत भाई जोनल प्रभारी से बात नहीं करें गे; मैं
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दजला अथिा मतिान केन्द्रों के लोगों से बात में शादमल नहीं
होऊंगा।’’ िह तकच िे ते हैं दक यह सहज लगता होगा परं तु इसने
पाटी में कुछ सामन्द्जस्त्यता प्रिान की है । इसने दनचले स्त्तर को
स्त्िायत्तता िी है और जिाबिे ही के स्त्तर बनाये हैं ।

शाह और बंसल के बीच बेहतरीन कामकाजी दरश्तों के कारि


हो सकता है दक यह उप्र में सफल हो गया हो। परं तु दनिचय लेने
की प्रदिया पाटी में अदिक जदटल है । पाटी संगठन में दनदित
ही एक नई संस्त्कृदत आयी है और इसने जदटलता को जन्द्म दिया
है ।

शाह पाटी के मुदखया थे; केन्द्रीय पिादिकादरयों अपनी अपनी


राज्यों के प्रभादरयों की अपने क्षेर में चलने िाले अदभयान के
प्रबंिन के मामले में प्रमुख भूदमका थी; राष्ट्रीय स्त्तर पर संगठन
के प्रभारी महासदचि, जो आरएसएस से होते हैं , सभी राज्यों को
आिे श िे सकते थे; संगठन के सभी अव्ययों का कामकाज;
प्रत्येक राज्य में राष्ट्रीय स्त्तर के नेता राज्य इकाई के अध्यक्ष और
संगठन महासदचि से संिाि करते हैं और यदि पाटी सत्ता में है
dr. dharmendra Singh G
तो मुख्यमंरी से संिाि करते हैं ; राज्य के ये िदरष्ठ पिादिकारी
दफर उनके अंतगचत आने िाले क्षेरों, दजलों, और मतिान केन्द्रों
का प्रबंिन िे खते हैं ।

लेदकन व्यिहार में, यह व्यिस्त्था असंतुदलत तरीके से काम


करती है । इसमें केन्द्रीय और राज्य स्त्तर के पिादिकादरयों के
बीच व्यदिगत तालमेल मायने रखता था। क्या अदमत शाह ने
यह भरोसा दकया दक राज्य अध्यक्ष अपने आप नतीजे िे सकते
हैं ? क्या राज्य स्त्तर के संगठन मुदखया के पास िही कौशल है
जो बंसल में है ? क्या राज्य का नेता अपने आप में ताकतिर था
या मोिी और शाह के संरक्षि की िजह से उसे ऐसी ल्स्त्थदत प्रिान
की गई थी? ये सब तय करें गे केन्द्र का दनयंरि और राज्य को
दकतनी स्त्िायत्तता िी जा सकती है । मोिी के समथचन और शाह
के टै ै्क दरकाडच से एक बात साफ है दक पाटी में शाह की ताकत
बढ़ी है और सत्ता के कई केन्द्रों और अलग अलग प्रादिकार का
िौर खत्म हो गया है ।
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इसमें संिेह नहीं दक इससे अहं को आघात लगता है , मौजूिा
िदरष्ठता बादित होती है और असंतोष पैिा होता है । भाजपा में
अनेक नेता उनसे कई साल जूदनयर शाह के अिीन िूसरे िजच
की भूदमका को लेकर नाराज हैं । अफिाह है कई िदरष्ठ कैदबनेट
मंदरयों को पाटी अध्यक्ष और उनके दिश्वासपारों से आिे श लेने
पड़े। शाह का मुंहफट, अक्सर अहं कारी, अंिाज है दजससे
असहता बढ़ती है । उनके प्रमुख सहायक िे नेता हैं दजनका
अपना कोई जनािार नहीं है और यह उन लोगों में आिोष पैिा
करता है जो यह समझते हैं दक राजनीदतक िृदष्ट से अदिक
अनुभिी हैं ।

भाजपा बीट के एक संिाििाता, दजसने सालों में पाटी में हो रहे


बिलाि को िे खा है , कहता है , ‘इसमें कोई संिेह नहीं है दक लाल
कृष्ट्ि आडिािी और मुरली मनोहर सरीखे ियोिृर्द् नेताओं से
लेकर पाटी के पूिच अध्यक्ष राजनाथ हसह जैसे और सुषमा
स्त्िराज सरीखे िदरष्ठ नेता और िसुन्द्िरा राजे जैसे मुख्यमंरी भी
अदमत शाह के साथ सहज नहीं हैं । परं तु उनके पास कोई
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दिककप नहीं है । उन्द्हें दसफच मोिी का ही समथचन हादसल नहीं है
बल्कक िह अपनी तरह से पदरिाम भी िे रहे हैं । और जब तक
िह नतीजे िे रहे हैं , िे कुछ नहीं कर सकते।’

लेदकन एक ऐसा भी साल था जब िह नई संगठनात्मक संस्त्कृदत


की स्त्थापना कर रहे थे, अदमत शाह नतीजे नहीं िे रहे थे। पाटी
अध्यक्ष के दलए 2015 एक गंभीर झटका िे ने िाला साल बन
गया था।

जब सिस्त्यता अदभयान जोर पकड़ रहा था, उसी िौरान 2015


के शुरू में भाजपा ने दिल्ली का चुनाि लड़ा। भाजपा संगठन के
कायचिम के अनुरूप जब सिस्त्यता अदभयान, संपकच अदभयान
और प्रदशक्षि का कायचिम समाप्त होने िाला था तो उसने 2015
के अंत में दबहार का चुनाि लड़ा।

इस तरह की मशीनरी के सृजन और इतने बड़े पैमाने पर


व्यिस्त्था के बगैर ही महाराष्ट्र, हदरयािा तथा यहां तक दक
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झारखण्ड के चुनाि जीतने के बािजूि भाजपा दिल्ली और दबहार
जैसे राज्यों में दिफल क्यों हो गई?

इसका जिाब आसान है । संगठन तो चुनािी गदठत का एक अंग


है । यह मूल नहीं बल्कक पूरक है । अन्द्य पहलुओं के साथ ही मूल
मुद्दा नेतृत्ि का आकषचि, सामादजक गठबंिन, और दिपक्ष की
ल्स्त्थदत होता है । उिाहरि के दलए, दिल्ली में पाटी के मुख्यमंरी
पि के दलए दकरि बेिी के चयन का संगठन पर नकारात्मक
असर हु आ- पाटी के पुराने कायचकता उनके प्रदत इतना िफािारी
नहीं जुटा सके और उनके दलए काम नहीं कर सके; अदिकांश
बाहर दनकले ही नहीं। दबहार में सिादिक जोर संगठन और
अप्रत्यादशत रूप से उसकी तैनाती पर रहा परं तु व्यापक
सामादजक आिार और सशि स्त्थानीय नेतृत्ि का अभाि मुख्य
कारि रहे ।

शाह के दलए ऐसा सोचना सरल होगा दक इससे पहले के साल


में संगठन को सुिढ़
ृ बनाने के उनके प्रयास व्यथच हो गये; दक क्या
िह कुछ गलत कर रहे थे; दक यह सत्ता प्राप्त करने का रास्त्ता
dr. dharmendra Singh G
नहीं था। इसके बाि भी, यदि संगठन अपने आप में पयाप्त
हदथयार नहीं था तो भी यह आिश्यक हदथयार है । अतः अदमत
शाह ने दिल्ली अथिा दबहार के नतीजे को उन्द्हें हताश नहीं करने
दिया। िह जानते थे दक अपनी प्रदतष्ठा बचाने, और यह सादबत
करने के दलए दक 2014 के चुनाि के नतीजे दसफच तुक्का नहीं थे,
उनके पास एक ही रास्त्ता था दक उप्र में काम में जुट जाओ।

2016 के शुरू में ही शाह अपने 40 सूरी कायचिम के साथ


लखनऊ पहु ं च गये दजन पर पाटी को ध्यान िे ना था। इसमें अन्द्य
बातों के साथ ही नए मतिाताओं को लदक्षत करना; यह
सुदनदित करना दक मतिान केन्द्र स्त्तर की सदमदतयां काम कर
रही हैं ; िदलतों और अन्द्य दपछड़े िगों सदहत िूसरे दहस्त्से पर
ध्यान िे ना; केन्द्र सरकार के कामों को प्रचादरत करने के तरीके
खोजना; पाटी के सांसिों को अपने संसिीय क्षेर के दििान सभा
दहस्त्सों में काम करने के दलए लाना और उन मूल मुद्दों की
पहचान करना जो पाटी का केन्द्रीय मंच बनेंग।े
dr. dharmendra Singh G
इस पर अमल की दजम्मेिारी राज्य की टीम पर छोड़ िी गई थी
और अदमत शाह इस पर पैनी नजर रखे थे। और िे एक एक
करके इस काम में जुट गये।

उन मुद्दों की पहचान करने दलए, जो मतिाताओं और उनकी


मुख्य हचताओं को प्रदतध्िदनत करते हों, तो भाजपा ने भी चुनािी
राजनीदत में अदिकांश िलों की तरह ही स्त्ितंर एजेल्न्द्सयों से
सिेक्षि कराने का तरीका अपनाया। िे छह मुद्दों के साथ िापस
आए जो जनता के दिलो दिमाग पर छाये हु ए हैं । इनमें कानून
व्यिस्त्था, मदहलाओं की सुरक्षा, भ्रष्टाचार, रोजगार, पलायन
और ‘तुदष्टकरि’ शादमल थे।

सपा सरकार कायचकाल के अंत में यह आियचजनक नहीं था, ये


मुद्दे जनता के दिमाग में छाये रहते थे। इलाहाबाि के एक
स्त्थानीय समाचार पर प्रयागराज एक्सप्रेस के संपािक और राज्य
की राजनीदत के अंिरूनी दिश्लेषि करने िालों में शादमल
अनुपम दमश्रा इस बारे में ल्स्त्थदत स्त्पष्ट करते हैं । िह कहते हैं ,
‘‘सपा के शासन में प्रत्येक दजले का नेता खुि को मुख्यमंरी
dr. dharmendra Singh G
समझता है । िह अपनी ताकत का इस्त्तेमाल करता है और दजला
प्रशासन को प्रभादित करता है । िह इन पर िबाि बनाने के दलए
लखनऊ फोन करता है और स्त्थानीय कारोबादरयों से दकराया
और संसािन की िसूली करता है । और इसी िजह से बसपा
के उलट, जहां अदिकार और भ्रष्टाचार िोनों ही पूरी तरह
केन्द्रीकृत है , सपा के शासन में यहां भ्रष्टाचार और गुण्डागिी का
लोकतंरीकरि हो गया।’’

इसका मतलब यह हु आ दक उप्र का प्रत्येक दनिासी दकसी न


दकसी तरह से सपा के कुशासन से प्रभादित है । अगर दनष्ट्पक्ष
हो कर िे खें तो 2016 में उप्र की यारा करने िाले हम सभी को
ऐसा लगा दक मुलायम हसह का कायचकाल समाप्त होने पर जो
सरकार दिरोिी भािना होती थी उससे कहीं कम अदखलेश
यािि के दखलाफ नजर आ रही थी। परं तु एक व्यदि-दजसे
सकारात्मक नजदरये से िे खते हैं - और शेष पाटी, दजसे
अराजकता को बढ़ािा िे ने िाले रूप में दलया जाता है , अंतर
dr. dharmendra Singh G
होता है । भाजपा के दलए अपना प्रचार इसी के इिच दगिच केल्न्द्रत
करने के दलए इतना ही पयाप्त था।

भाजपा का चुनाि अदभयान व्यापक रूप से भ्रष्टाचार और


गुण्डागिी इन िो मुद्दों के इिच दगिच ही रहे गा। बंसल ने बताया,
‘‘इस अिसर पर हमने नारा दिया ना गुण्डाराज, ना भ्रष्टाचार,
इस बार भाजपा सरकार।’’

भाजपा ने मतिाताओं के पंजीकरि का अदभयान भी चलाया।


इसका गदित सािारि था। पहली बार मतिान करने िाले
अदिकांश मतिाता मोिी को पसंि करें ग।े परं तु यह काम पाटी
के तत्िािान में नहीं दकया, इसकी बजाये एक तटस्त्थ ही नजर
आने िाले गैर राजनीदतक संस्त्था के तत्िािान में यह दकया
गया। इसे नाम दिया गया था, ‘‘यस, आई एम 18।’ इस
अदभयान के अंतगचत नए मतिाताओं का मतिाता सूची में
पंजीकरि कराने के दलए उनसे फामच 6 भरिाने के दलए 600
कायचकताओं को लगाया गया था।
dr. dharmendra Singh G
बंसल बताते हैं दक इस प्रायोदगक प्रदिया के जदरये हमें सबसे
अच्छी कायचप्रिाली और जो युिा मतिाताओं को पंजीकरि के
दलए प्रेदरत करे उसका चयन दकया और दफर पाटी के तत्िािान
में मतिाता पंजीकरि अदभयान शुरू दकया। ‘प्रत्येक ब्लाक में
दशदिर लगाये गये और हमने करीब िस लाख नए मतिाताओं
का पंजीकरि दकया।’ उप्र के आकार के राज्य में िस लाख
मतिाताओं के पंजीकरि के बहु त अदिक मायने नहीं है , लेदकन
नए मतिाताओं को अपनी ओर करने पर ध्यान केल्न्द्रत करना
और इस काम में संगठनात्मक ऊजा लगाना उल्लेखनीय था।

इसके बाि सबसे अदिक चुनौती िाली दहस्त्सा आया और चुनाि


प्रबंिन के बारे में अदमत शाह स्त्कूल का मूल दसर्द्ांत- मतिान
केन्द्र स्त्तर की सदमदतयों को दियाशील और सदिय बनाये रखने
का काम आया। यह ध्यान रखना चादहए दक सिस्त्यता अदभयान
और संगठनात्मक चुनािों के माध्यम से पाटी ने मतिान
सदमदतयों की मूल इकाइयों को सदिय कर रखा था।
dr. dharmendra Singh G
पाटी ने लखनऊ में अपने कायालय की पहली मंदजल से चुनाि
के िौरान 18 सिस्त्यीय काल सेन्द्टर चलाया। यहां से युिा लड़के
लड़दकयों को 1,28,000 मतिान केन्द्र स्त्तर के पाटी अध्यक्षों
को टे लीफोन करके संपकच करने और उनकी पहचान, उनके
संपकच के दििरि और पाटी से उनकी संबर्द्ता की पुदष्ट करने
के दलए तैनात दकया गया था। पहले िौर में उन्द्हें पता चला दक
दसफच 76,000 मतिान केन्द्र स्त्तर के प्रमुखों का दििरि सही है ।
शेष के या तो नाम या अन्द्य दििरि सही नहीं थे।

इसका मतलब यह हु आ दक 50,000 से अदिक के नाम सही


नहीं थे जो संगठन नेतृत्ि के दलए खतरे का सूचक था। क्या
दपछले साल दकया गया काम व्यथच था? क्या ये 50,000 इकाइयां
दसफच कागजों पर ही थीं?

इसमें तत्काल सुिार की आिश्यकता थी।

ये नाम पाटी की दजला और ब्लाक इकाइयों के पास इस स्त्पष्ट


दनिे श के साथ भेजे गये दक इन नामों को और उनके दििरि
तत्परता से िुरूस्त्त दकए जायें। इन्द्हें िापस लखनऊ भेजा गया
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जहां पाटी ने मतिान केन्द्र के अध्यक्षों के दििरि के साथ
पुल्स्त्तका प्रकादशत की।

पाटी जब अपनी इस किायि को बंि करने की तैयारी कर रही


थी तभी दनिाचन आयोग ने मतिान केन्द्रों की संख्या 1,41,000
से बढ़ाकर 1,47,000 कर िी। अतः पाटी को दफर से नई
मतिान केन्द्र इकाइयों का सृजन करके अदतदरि नामों के साथ
नई पुल्स्त्तका प्रकादशत करनी पड़ी। यह प्रदिया थकाने िाली थी
परं तु इसने पाटी को दनचले स्त्तर तक अपने लोगों के आंकड़े
उपलधि कराये दजनसे 2016 के मध्य तक दसफच एक टे लीफोन
से संपकच दकया जा सकता था।

अगला किम इन मतिान केन्द्र स्त्तर की इकाइयों से सीिे रूबरू


होना था। अदमत शाह ने एक बार दफर इसकी किायि अपने
हाथ में ली। उन्द्होंने उत्तर प्रिे श में बनाये गये भाजपा के सभी
छह मण्डलों का िौरा दकया। इनमें पदिमी उत्तर प्रिे श का
मुख्यालय गादजयाबाि, बृज का मुख्यालय आगरा, कानपुर और
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बुन्द्िेलखण्ड का कानपुर, अिि का लखनऊ, गोरखपुर और
काशी शादमल थे।

प्रत्येक मण्डल में राष्ट्रीय अध्यक्ष ने 20, 000 से अदिक मतिान


केन्द्र सदमदत के अध्यक्षों के साथ मंरिा की। बंसल स्त्पष्ट करते
हैं ः यह मतिान केन्द्र इकाइयों के नेताओं को बेहि सशि बनाने
िाला था। उन्द्होंने कभी यह सोचा भी नहीं था दक िे अध्यक्ष से
दमलेंग।े उन सभी को बैज दिए गये थे, उनके पि को मान्द्यता िी
गई थी और इसने उन्द्हें प्रेदरत दकया।’

इसी तरह की एक बैठक में पहली बार मुख्यमंरी पि के संभादित


प्रत्याशी के रूप में योगी आदित्यनाथ के नाम आया था। शाह
और उनकी टीम को यह आभास हु आ दक राज्य में पाटी के
काडर में योगी लोकदप्रय हैं । और गोरखपुर में ऐसे ही मतिान
केन्द्र स्त्तर के समागम में, ऐसा समझा जाता है दक शाह ने उत्तर
प्रिे श को ियनीय ल्स्त्थदत से उबारने की भूदमका के दलए योगी
को अपनी तैयारी शुरू करने का संकेत िे दिया था।
dr. dharmendra Singh G
परं तु बड़ी सभाएं और इसमें हजारों लोगों की उपल्स्त्थदत संिेश
िे ने के दलए एक बड़ी तस्त्िीर का मकसि ही पूरा कर सकती है ।
चुनािों के नजिीक समय इसी तरह की बैठकें दनिाचन क्षेर स्त्तर
पर और दफर सेक्टर और मण्डल स्त्तरों पर आयोदजत की गई
थीं। अतः मतिान केन्द्र सदमदत के अध्यक्षों की अपने पाटी
अध्यक्ष के साथ चार बार मुलाकात हु ई और उनसे दनिे श लेना
और अपने इलाके की गदतदिदियों के बारे में दिस्त्तार से
जानकारी भी िी।

मतिान केन्द्र सदमदतयों को अपने इलाकों में जातीय समीकरि


की सूची तैयार और ए, बी या सी श्रेिी के तहत घरों की पहचान
करने की दजम्मेिारी सौंपी गई थी। ‘ए’ का मतलब ऐसा पदरिार
जो भाजपा का मतिाता था, ‘बी’ श्रेिी में दकसी भी तरफ जा
सकने िाले और अस्त्थायी मतिाता थे जबदक ‘सी’ श्रेिी के
अंतगचत आने िाले मतिाता दकसी भी ल्स्त्थदत में भाजपा को मत
नहीं िें ग।े इसने भाजपा को पूरे राज्य के बारे में बहु त ही उपयोगी
आंकड़े उपलधि कराये थे। 2014 में, रिनीदतकार प्रशांत
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दकशोर की टीम ने भी कुछ इसी तरह का करने का प्रयास दकया
था और उसने मतिान केन्द्रों के दहसाब से एक पुल्स्त्तका में
प्रत्येक प्रत्याशी के मजबूत और कमजोर क्षेरों का दििरि दिया
था।

भाजपा का एक नारा था, उसके पास मैिान में काडर की


उपल्स्त्थदत है , उसके पास मतिाताओं के बारे में उपयोगी आंकडे
हैं और उसके पास मतिान केन्द्र इकाइयां तथा ऐसी सभी
इकाइयों का दििरि है ।

यह अब प्रचार अदभयान शुरू करने का समय है ।

भाजपा ने पांच निंबर को अपनी पदरितचन यारा को हरी झण्डी


दिखाई।

इसे राज्य के चार छोरों-पदिमी उप्र में सहारनपुर, बुन्द्िेलखण्ड में


झांसी, पूिान्द्चल में बदलया और सोनभर से इसे एक सािारि
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लक्ष्य के साथ रिाना दकया गया। बंसल बताते है , ‘भाजपा को
छा जाना था, बस भाजपा ही भाजपा दिखना चादहए था।’

लगभग इसके साथ ही यह भी दनिचय दकया गया दक अन्द्य दपछड़े


िगों, युिाओं और मदहलाओं को ध्यान में रखते हु ए बैठकें शुरू
की जायें। इन तीनों को भाजपा चुनाि में एक स्त्ितंर िगच की
तरह अपना लक्ष्य बना रही थी।

बंसल ने इसके समय के बारे में स्त्पष्टीकरि िे ते हु ए कहा, ‘हमारा


मकसि प्रत्येक दजले में, प्रत्येक पखिाड़े में एक बड़ी गदतदिदि
का आयोजन होना चादहए। इसके अंतगचत या तो दजले से एक
यारा दनकलनी चादहए या दफर मदहलाओं, युिाओं या अन्द्य
दपछड़े िगों के साथ इस तरह की एक बैठक होन चादहए। इसका
तात्पयच यह हु आ दक मुख्य आयोजन से पहले के दिनों और
आयोजन के बाि के कुछ दिनों तक लोग अपने दजले में दसफच
भाजपा के बारे में ही बात करते रहें ।’

लाल कृष्ट्ि आडिािी की सिादिक प्रदसर्द् रथयारा के साथ ही


भाजपा का रथ यारायें आयोदजत करने का इदतहास रहा है ।
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नरे न्द्र मोिी स्त्ियं भाजपा के तत्कालीन अध्यक्ष डॉ. मुरली
मनोहर जोशी की कन्द्याकुमारी से कश्मीर की यारा में उनके
साथ थे। लेदकन पदरितचन यारायें दभन्न थीं क्योंदक यह दकसी
नेता के इिच दगिच नहीं घूमती थी। बंसल गिच के साथ बताते हैं ,
‘यह संगठन की यारा थी और यह प्रिे श के 403 दनिाचन क्षेरों
में से प्रत्येक में पहु ं ची।’

इसका समय राजनीदतक िृदष्ट से महत्िपूिच था।

यह यारा पांच निंबर को शुरू हु ई और प्रिानमंरी नरे न्द्र मोिी


का पांच सौ और एक हजार के नोट बंि करने के कठोर दनिचय
की घोषिा आठ निंबर को हु ई थी। इसका मतलब यह हु आ
दक जबिच स्त्त सामादजक और आर्णथक अव्यिस्त्था – दजसमें
प्रत्येक भारतीय नागदरक एक सीमा तक असुदििा में था, जब
राजनीदतक माहौल प्रिानमंरी के दखलाफ हो सकता था – के
िौर में भाजपा की सारी मशीनरी मैिान में सदिय थी। इस यारा
के माध्यम से प्रत्येक दजले में प्रत्येक छोटी जनसभाओं में भी
छोटे बड़े नेताओं को यह समझाने के दलए उतारा गया दक राष्ट्र
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के दलए, अथचव्यिस्त्था के दलए, समाज के दलए आदखर नोटबंिी
क्यों अच्छी है और मोिी ने बड़े काले िन िालों के दखलाफ कैसे
मोचा खोला है और दकस तरह से उन्द्होंने अपना मुख्य िायिा
पूरा दकया है । इस यारा में लगाये गये अनेक नेताओं और
केन्द्रीय मंदरयों को शायि खुि भी इसमें भरोसा नहीं था और
कुछ ने तो दनजी मुलाकातों में अपनी आशंका को दछपाया भी
नहीं परं तु िे जनता को समझाने के दलए बाहर दनकले थे।

मोिी ने खुि भी पदरितचन यारा के दहस्त्से के रूप में छह


जनसभाओं को संबोदित दकया। और प्रत्येक पड़ाि पर उन्द्होंने
नोटबंिी के पक्ष में िृढ़ता से अपनी बात रखी और कहा दक यह
त्याग अपदरहायच था, परं तु यह राष्ट्र के दलए दहतकारी होगा।
नोटबंिी के राजनीदतक प्रभाि पर कहीं और चचा हु ई थी परं तु
यहां सिाल भाजपा की मशीनरी का था दजसने यारा की
व्यिस्त्था की थी और बड़े राजनीदतक क्षेर की जनता तक सीिे
पहु ं चने के दलए प्रिानमंरी को मंच उपलधि कराया था। इसने
उनका राजनीदतक संिेश पहु ं चाने में मिि की। और राजनीदतक
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संिेश िे ने की इस किायि ने उन्द्हें उस ल्स्त्थदत पर काबू पाने में
मिि की जो िुदनया के दकसी भी लोकतंर या अदिनायकिािी
व्यिस्त्था में दकसी राजनीदतक नेता के दलए आत्मघाती किम हो
सकता था।

यह यारा िो जनिरी को लखनऊ में उप्र के चुनािी माहौल की


सबसे बड़ी जनसभा के साथ संपन्न हु ई दजसमें उपल्स्त्थत हजारों
लोगों को नरे न्द्र मोिी ने संबोदित दकया। यह रै ली अपने आप
में भाजपा की संगदठत ताकत का प्रतीक थी। अब अंदतम चरि
के दलए आगे बढ़ने का समय था।

तीन िशक तक चुनाि प्रबंिन से जुड़े रहने िाले अदमत शाह


जानते थे दक आप सुिरू राजिानी में अपने िार रूम में एक
बेहतरीन नक्शा तैयार कर सकते हैं , आप एक संरचना का
िशाने िाला खूबसूरत चाटच तैयार कर सकते हैं , आप टे लीफोन
करके नंबरों की पुदष्ट कर सकते हैं परं तु संगठन की असली
परीक्षा तो नजिीक आ रहे चुनाि के िौरान मैिान में ही होती है ।
dr. dharmendra Singh G
मैंने पदिमी उत्तर प्रिे श के अमरोहा की यारा यह समझने के
दलए की दक मैिान में भाजपा संगठन दकस तरह काम कर रहा
है ।

चन्द्रमोहन, लखनऊ में भाजपा के राज्य प्रििा हैं और उन्द्हें भी


दजले का प्रभार सौंपा गया था। पदिमी उप्र के बुलंिशहर के
मूलतः दनिासी चन्द्रमोहन बाल स्त्ियंसेिक थे और िह 1993
में बाबरी मल्स्त्जि दिध्िंस के बाि अदखल भारतीय दिद्याथी
पदरषि में शादमल हो गये थे। चार साल के भीतर ही िह इसके
पूिचकादलक हो गये और पदरषि के संगठन सदचि के रूप में
काम करने लगे। इसे एटा-कासगंज क्षेर में आरएसएस के छार
प्रकोष्ठ को इसी नाम से बुलाया जाता है । अंततः िह स्त्ििे शी
जागरि मंच में चले गये और िहां उसकी राष्ट्रीय कायच सदमदत
के सिस्त्य बने।

2013 में, आरएसएस ने उन्द्हें भाजपा में भेज दिया जहां िह पाटी
के दलए मीदडया प्रभारी बनाये गये।
dr. dharmendra Singh G
पाटी ने प्रत्येक सीट के दलए एक मध्यम स्त्तर के कायचकता को
प्रभारी के रूप में लगाया था। और निंबर से सारा ध्यान - जैसा
दक नेतृत्ि ने सोचा था – संगठन की जन सभाओं और
जनसंपकच बढ़ाने पर था।

चन्द्रमोहन याि करते हैं , ‘‘हमने अन्द्य दपछड़े िगों की एक सभा


के दलए िो दनिाचन क्षेरों को दमला दिया। इसका संिेश आसान
था – यह सरकार दपछड़े िगच के प्रदत अन्द्यायपूिच है , हम दनष्ट्पक्ष
हैं और मोिी जी सबका साथ में दिश्वास करते हैं ।’’ प्रत्येक दजले
में आयोदजत में मदहलाओं को केन्द्र में रखकर आयोदजत बैठकों
का मुख्य मुद्दा कानून व्यिस्त्था, लड़दकयों का अपहरि और उन्द्हें
परे शान दकया जाना था। और युिकों के साथ भी राज्य के
प्रत्येक दजले में बैठकें आयोदजत की गयीं।

इस पदरितचन यारा के िौरान प्रभारी को यह भी सुदनदित करना


था दक उसके अंतगचत आने िाले दजले में मोिी की जनसभाओं
के दलए पयाप्त संख्या में लोग पहु ं च।े ‘दिमुरीकरि के बाि, मोिी
की पहली रै ली अमरोहा के दनकट मुराबाि में हु ई। हमारे
dr. dharmendra Singh G
कायचकताओ को लक्ष्य दिया गया था।’’ इसी जनसभा में मोिी
ने गरीबों का आह्वान दकया था दक उनका िन िापस नहीं लौटाये
दजन्द्होंने दिमुरीकरि के िौरान अपनी संपिा को दठकाने लगाने
के दलए उनके जनिन खातों का इस्त्तेमाल दकया है ।

आमतौर पर यह माना जाता है दक इन रै दलयों में शादमल होने के


दलए लोगों को भाजपा पैसे िे ती हैं । परं तु चन्द्रमोहन ऐसे तकों
को पूरी तरह अस्त्िीकार करते हैं । िह कहते हैं , ‘दबककुल नहीं,
हम बसों की व्यिस्त्था करते हैं और दजला स्त्तर के पाटी के
नेताओं से कहते हैं 80 दनजी गादड़यों की व्यिस्त्था में िे खुि
करें । हम सामूदहक भोजन और चाय की व्यिस्त्था करते हैं , यह
भी इस बात पर दनभचर करता है दक उन्द्हें अपने घर से रै ली स्त्थल
तक पहु ं चने में दकतना समय लगा। मोिी जी की सभाओं के
दलए लोग अपने आप आना चाहते थे। हमारा लक्ष्य अमरोहा से
30,000 लोगों का था, परं तु पहु ं चे 80 से 90,00 और इनमें से
अदिकांश अपने आप आए थे।’
dr. dharmendra Singh G
चुनाि की तैयादरयों के िौरान प्रभादरयों के पास िूसरा काम
स्त्थानीय कायचकताओं और दजले के नेताओं से परामशच करना
और प्रत्येक दनिाचन क्षेर से ऐसे प्रत्यादशयों की छोटी सूची
तैयार करना दजन्द्हें चुनाि में दटकट दिया जा सकता है । इसके
मुख्य आिार में प्रत्याशी के जीतने की संभािना, सामादजक
समीकरि और जादत, प्रत्याशी का नाम लोग जानते हों और
उसकी आर्णथक ल्स्त्थदत जैसे दबन्द्िु शादमल थे। उिाहरि के दलए,
पूिच दिकेटर और भाजपा के पूिच सांसि चेतन चौहान का नाम
अमरोहा के एक दनिाचन क्षेर के दलए भेजा गया। उन्द्हें लोग
अच्छी तरह जानते थे, आर्णथक ल्स्त्थदत ठीक थी और दनिाचन
क्षेर के सामादजक समीकरि के दलए पूरी तरह सही थे।

चन्द्रमोहन बताते हैं , ‘हमने उन प्रमुख नेताओं की सूची भी तैयार


की दजनके साथ संभादित प्रत्याशी की नजिीकी थी, तादक यदि
उसे दटकट नहीं दमले तो हम जानते थे दक इसके दलए दकससे
संपकच करें । असंतुष्ट को सािना महत्िपूिच है परं तु अक्सर
चुनािी कला में कमतर आंकते हैं ।
dr. dharmendra Singh G
इन सामथ्यचिान प्रत्यादशयों की सूची दफर राज्य स्त्तर के नेतृत्ि
तक भेजी जाती है और इसके बाि बंसल इसे शाह तक ले
जायेंग।े बंसल दसफच दजला इकाई पर ही नहीं, बल्कक दटकटों के
दलए नामों की दसफादरश करने से पहले पांच अन्द्य स्रोतों –
स्त्थानीय सांसि, क्षेरीय नेताओं, संघ की मशीनरी, सिेक्षि करने
िाली एजेल्न्द्सयों और दजलों में तैनात दकए गये स्त्ियंसेिकों - से
दमलने िाली जानकारी पर भी दनभचर कर रहे थे।

चुनािों में बहु त ही दििाि िाले मुद्दों में एक बनता जा रहा दटकट
दितरि का काम संपन्न हु आ और एक अिसर तो ऐसा लगा दक
यह भाजपा की सारी संभािनाओं को ही खतरे में डाल िे गा।

लखनऊ और िारािसी में प्रचार के िौरान जब हम बंसल से


दमले तो उन्द्होंने इस दििाि को पूरी तरह िरदकनार कर दिया।
उनका कहना था, ‘‘यह आपको पाटी के प्रदत आकषचि को
बताता है दक प्रत्येक दनिाचन सीट के दलए पन्द्रह पन्द्रह लोग
दटकट चाहते थे। यह स्त्िाभादिक ही है दक दजन्द्हें दटकट नहीं
दमला िे आिोदषत और आहत महसूस करें ग।े ’’
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परं तु यह पयाप्त तरीके से उस नाराजगी के पैमाने को नहीं बता
सके जो हमने दटकटों को लेकर दजलों में िे खी थी। आिश्यकता
पड़ने पर दिपक्ष को तोड़ने की कम हु ए मतो के दलए ‘क्षदतपूर्णत’
की अदमत शाह की रिनीदत से बंिी भाजपा ने बेदहचक कांग्रेस
से रीता बहु गुिा, और बसपा से स्त्िामी प्रसाि मौयच तथा बृजेश
पाठक जैसे जाने माने नामों सदहत िूसरे नेताओं को तोड़ा।

बंसल समझाते हैं , ‘60 से अदिक ऐसी सीटें थीं जहां हम कभी
नहीं जीते थे और बीस अन्द्य सीटों पर हमारी ल्स्त्थदत कमजोर
थी। इन सीटों के दलए हमने सपा और बसपा के उन नेताओं को
दलया दजनका िहां पर अपना जनािार था। इसका अदभप्राय यह
था दक िे मत उन मतों को लाएंगे और हम संगठन सहयोग
उपलधि करायेंग।े उन सीटों पर लंबे समय से पाटी के दलए काम
कर रहे भाजपा कायचकता नाराज थे। पदरिार के जो लोग दटकट
की उम्मीि लगाये थे उन्द्हें लगा दक यदि नया प्रत्याशी जीत गया
तो अगले कुछ चुनािों के दलए उनकी संभािना तो खत्म ही हो
जायेगी। इसीदलए यह नाराजगी थी।’ आदखरकार ऐसे 67 सीटों
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में से भाजपा 43 ही जीत सकी। ऐसे तेरह दजलों में जहां भाजपा
पहले कभी नहीं जीती थी, उन पर िूसरे िलों से आयादतत
नेताओं की बिौलत िे चुनािी सफलता िजच कराने िाले थे।

क्या यह िैचादरक शुर्द्ता की कीमत पर था? बंसल तकच िे ते हु ए


कहते हैं दक भाजपा इतनी दिशाल है दक इसमें शादमल होने िाले
नए लोग सहजता से पाटी की संस्त्कृदत और िैचादरक िायरे को
आत्मसात कर लेते हैं । िह कहते हैं , ‘‘मैंने इस बात को नोदटस
दकया है दक इनमें से अदिकांश नेता पहले ही हमें भाई साहब
कहने लगे हैं , िे लोगों का स्त्िागत करने के हमारे तरीके को भी
आत्मसात करने लगे हैं । िे हमारी संस्त्कृदत में रमने लगे हैं ।’’

भाजपा भी उप्र चुनाि का इस्त्तेमाल नेताओं की नई पीढी के


सृजन के दलए कर रही है । इसके पुराने नेताओं की पीढ़ी अब
सेिादनिृत्त होने की कगार पर है । पाटी अब प्रत्येक दजले में उन
लोगों को एक िो दटकट िे ने की तैयारी कर रही है जो चालीस
और पचास साल के प्रारं दभक िौर की उम्र के है । बंसल
स्त्पष्टीकरि िे ते हु ए कहते हैं , ‘‘एक समुिाय दिशेष के उस आयु
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िगच के व्यदि के बारे में सोदचये जो पाटी में है और उसे दटकट
नहीं दमला है । िह असंतुष्ट ही होगा।’

ऐसा ही कुछ एक सबसे अदिक दनगाहों में रहे दनिाचन क्षेरों में
से एक िारािसी िदक्षि में हु आ था। इस सीट का प्रदतदनदित्ि
श्याम िे ि राय चौिरी करते आ रहे थे; िह असािारि रूप से
बंगाली ब्राह्मिों में लोकदप्रय थे; और िािा के नाम से जाने जाते
थे। िह पूरी तरह से अपने क्षेर में रचे बसे थे और एक एक
व्यदि को जानते थे और रोजाना अपने क्षेर के लोगों की
समस्त्याओं पर दिचार करते थे।

िािा को इस बार दटकट नहीं दिया गया बल्कक उनके स्त्थान पर


एक युिा नील कंठ दतिारी को पाटी का उम्मीििार बनाया गया।
यह किम क्या िशाता है ? क्या इसकी िजह उम्र थी? भाजपा के
एक नेता ने कहा, ‘‘उम्र एक पहलू था परं तु यह भदिष्ट्य के दलए
दनिेश भी था। िे दखए, हमें एक स्त्थानीय ब्राह्मि की आिश्यकता
थी जो अपने समुिाय के दलए एक नेता के रूप में बढ़े गा और
दजसे उप्र के पंदडत राज्य में जोड़ सकें। मुरली मनोहर जोशी अब
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अप्रासंदगक हो चुके हैं , कलराज दमश्र पचहत्तर साल पार कर
चुके हैं । हमें िािा के बारे में तकलीफ हु ई परं तु हमें भदिष्ट्य की
ओर िे खना है ।’’

इससे एक बार दफर िृढ़ता और जोादखम की कहानी ही सामने


आती है ।

प्रत्यादशयों के चयन में व्यापक स्त्तर पर की गई किायि और


दिदभन्न स्रोतों से जानकारी प्राप्त करने की व्यिस्त्था का िृढ प्रभाि
नजर आता था। यदि दकसी प्रत्याशी के नाम की दसफादरश दजला
इकाई द्वारा, संबंदित पट्टी के नेताओं द्वारा, संघ द्वारा, स्त्थानीय
सांसि द्वारा, सिेक्षि एजेन्द्सी द्वारा, स्त्ितंर स्त्ियंसेिकों द्वारा की
गई हो तो िह स्त्िाभादिक पसंि होगा। अथिा यदि इसके नाम
को इन सभी में से अदिकांश ने आगे बढ़ाया हो तो उसका चयन
दकया जायेगा। हालांदक अंदतम दनिचय लेने का अदिकार अदमत
शाह, प्रभारी महासदचि ओम माथुर, प्रिे शाध्यक्ष केशि प्रसाि
मौयच और बंसल के पास ही था जो दकसी भी दसफादरश को
स्त्िीकार या अस्त्िीकार कर सकते थे।
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परं तु इसमें भी जोदखम था क्योंदक जो पाटी की संरचना से बाहर
थे, उन्द्हें भरोसेमंि कायचकताओं को नाराज करने की कीमत पर
लाया गया था; िूसरे समुिायों से आए नई पीढ़ के नेताओं के
दलए जगह बनाने के दलए पुराने और सफल उम्मीििारों के नाम
हटाये गये थे; दटकट दमलने की आशा में दपछले कुछ सालों में
अपनी ऊजा और िन लगाने िाले अदिकांश लोगों ने अचानक
ही खुि को िौड़ से बाहर पाया, उनके पास कहीं और जाने का
रास्त्ता भी नहीं था। यह सब एकसाथ होकर भाजपा के दलए
परे शानी का सबब बन सकते थे।

यह पाटी के दलए बेचन


ै ी का िौर था। परं तु उसने ल्स्त्थदत का
सामना करने का फैसला दकया।

िापस अमरोहा में, पाटी संगठन अंदतम चरि की तैयारी कर


रहा था। प्रारं दभक बैठकों का िौर हो चुका था, व्यापक जनसंपकच
स्त्थादपत दकया जा चुका था, मोिी इस इलाके में रै दलयों को
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संबोदित कर चुके थे और दटकटों को अंदतम रूप दिया जा चुका
था।

चन्द्रमोहन ने अमरोहा के मुख्य राजमागच पर गजरौला में उडुपी


कैफे में डोसा खाते हु ए मुझसे बताया दक पाटी ने प्रत्येक
उम्मीििार को एक डायरी और एक पेन ड्राइि िी थी। इसमें
मतिान केन्द्र स्त्तर के आंकड़े थे दजन्द्हें िो सालों में बहु त ही
साििानी के साथ तैयार दकया गया था। इसमें प्रत्येक मतिान
केन्द्र पर सिस्त्य बनाये गये लोगों के नाम, सदमदत के सिस्त्यों की
सूची और प्रत्येक केन्द्र की कदमयों और ताकतों का दिश्लेषि
था।

चन्द्रमोहन बताते हैं दक जैसे जैसे चुनाि नजिीक आया, पाटी ने


दनिाचन क्षेर के स्त्तर पर एक और व्यिस्त्था का सृजन दकया।
पाटी ने दिदनर्णिष्ट दजम्मेिारी के साथ 12 से 15 सिस्त्यों की चुनाि
संचालन सदमदत का गठन दकया।

इसमें एक व्यदि उम्मीििार के िै दनक कायचिम और क्षेर में


उसके िौरे का प्रभारी होगा, िूसरा जनसभाओं के दलए तालमेल
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में मिि करे गा; तीसरा व्यदि राष्ट्रीय और राज्य स्त्तर के
प्रचारकों के दलए मण्डल मुख्यालय के पास अनुरोि भेजेगा
और प्रचारक के कायचिम के साथ तालमेल करे गा; एक
उम्मीििार के सोशल मीदडया, दिशेषकर फेसबुक पेज और
व्हा्सएैप समूहों पर प्रचार में सहयोग करे गा, एक अन्द्य दित्तीय
मामलों का प्रभारी होगा, एक परदमट के दलए दजला प्रशासन के
साथ सामन्द्जस्त्य बनायेगा और एक व्यदि प्रचार सामग्री का
प्रभारी होगा।

रोजाना शाम को सदमदत की बैठक होगी दजसमें दिनभर की


गदतदिदियों का आकलन दकया जायेगा।

इसमें चुनाि सहायक भी थे जो मतिान केन्द्र सदमदतयों की


दनगरानी कर रहे थे। प्रत्येक दनिाचन क्षेर में करीब 350 मतिान
केन्द्र थे। दनिाचन क्षेर में प्रत्येक पन्द्रह से बीस मतिान केन्द्रों
के दलए बैठकें हु ईं दजसमें मतिान केन्द्र के कायचकताओं को
आने जाने िाले मतिाताओं की पहचान करने और उनके दलए
काम करने का दनिे श दिया गया। चन्द्रमोहन बताते हैं , ‘‘हमारे
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पर दजला स्त्तर पर थोड़े िदरष्ठ नेता भी थे दजन्द्हें दिरोदियों पर
नजर रखने और उन्द्हें अपनी ओर आकर्णषत करने और यदि
आिश्यक हो, तो उन्द्हें कुछ महत्ि िे ने तथा अपने पाले में लाने
की दजम्मेिारी सौंपी गई थी। सपा और बसपा िोनों में नेता ही
चुनाि लड़ते हैं , उम्मीििार अपने पैसे से ही लड़ते हैं । सीट की
दजम्मेिारी उसी व्यदि दिशेष को िे िी जाती है । भाजपा में
संगठन चुनाि लड़ता है । और हमने यही अंतर दजले में पाया।
दनदित ही उम्मीििार को कड़ी मेहनत करनी होती है । परं तु यहां
उसका साथ िे ने के दलए पूरी मशीनरी है ।’’

दनदित ही, भाजपा में, संगठन लड़ा और चुनाि जीता।

सिस्त्यता का िायरा बढ़ाने, सिस्त्यों के साथ संपकच को नए दसरे


से स्त्थादपत करने, प्रदशक्षि दशदिरों के आयोजन, संगठनात्मक
चुनाि कराने, मुद्दों की पहचान के दलए स्त्ितंर एजेल्न्द्सयों की
सेिाएं लेने, मतिान केन्द्र स्त्तर के कायचकताओं के साथ कई िौर
की बैठकें करने, कॉल सेन्द्टर चलाने और दनिाचन क्षेरों का
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माइिो स्त्तर पर डाटा तैयार करने, राज्यव्यापी याराओं और
जनसभाओं का आयोजन करने, उम्मीििारों और दनिाचन क्षेर
स्त्तर की चुनाि सदमदतयों का समथचन करने, दिरोदियों को
प्रलोभन और िूसरे तरीकों से पाटी में शादमल करने, प्रिानमंरी
से लेकर स्त्थानीय प्रभािशाली नेताओं की हर तरह की सभाओं
का आयोजन करने, गादड़यों का बंिोबस्त्त करने, स्त्टार प्रचारकों
के दलए हे लीकॉप्टर, जमीनी स्त्तर पर कायचकताओं के दलए कारों
और मोटरसाइदकलों के दलए ईंिन से लेकर जनसभाओं तक
लोगों को लाने के दलए बसों और कारों का बंिोबस्त्त करने,
प्रचार सामग्री का प्रकाशन और दफर प्रचार सामग्री दिज्ञापन पट
से लेकर पोस्त्टर तक प्रत्येक गांि, कस्त्बे, और नगर में पहु ं चाने
और समाचार परों और टे लीदिजन चैनलों में दिज्ञापन िे ने आदि
के दलए िन की आिश्यकता होती है ।

राजनीदत में दित्त पोषि के बारे में खोज करना सबसे अदिक
िुरूह कामों में से एक है । िलों और नेताओं ने अपनी सबसे
अंिरूनी राजनीदतक रिनीदत का खुलासा दकया परं तु संसािन
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जुटाने के बारे में सिाल आने पर िे चुप्पी साि लेते हैं क्योंदक
दरश्तों को बचाए रखना जरूरी होता है और अनुदचत और
गैरकानूनी कारोबारों को दछपाना होता है ।

यह भारत में अनोखा नहीं है । राजनीदतक िैज्ञादनक िे िेश कपूर


और दमलन िैष्ट्िि राजनीदतक दित्त पोषि के बारे में आने िाले
नए खण्ड में अपने पदरचय में दलखते हैं , ‘‘कम दिकदसत िे शों,
कम जिाबिे ही, कमजोर अथिा आंदशक पारिर्णशता, और
सािचजदनक घोषिा करने मानिं डों और कानूनों को लागू करने
की प्रदिया का अभाि ऐसा मागच उपलधि कराते हैं दजसके
जदरये बगैर दहसाब िाले िन का प्रिाह हो सकता है । दफर भी
‘काले िन’ के प्रिाह के बारे में अस्त्पष्ट पदरभाषा के कारि हम
इसके आकार और तरीके के बारे में बहु त ही कम जानते हैं ।’ िे
इस तथ्य को इंदगत करते हु ए कहते हैं , ‘‘अकेले भारत में, 1991
से ही अथचव्यिस्त्था और मतिाताओं के आकार में िृदर्द् हु ई है ;
जीत का अंतर घटने के कारि अब चुनाि बहु त अदिक
प्रदतस्त्पिी हो गये हैं ; और स्त्थानीय शासन के स्त्तर पर दनिादचत
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पिों की संख्या बढ़कर तीस लाख तक हो गई है । इन सबने खचच
में इजाफा दकया है ।“

मैंने भाजपा के िजचनों नेताओं – राष्ट्रीय पिादिकादरयों से लेकर


राज्य स्त्तर के मुख्य पिादिकादरयों, दििायक उम्मीििारों से
लेकर मैिानी स्त्तर के कायचकताओं तक – से चुनािी खचच के
बारे में पूछा। इनमें से अदिकांश स्त्पष्ट रूप से कुछ भी बताने के
प्रदत अदनच्छुक थे, अदिकांश के पास थोड़ी बहु त जानकारी थी
और बातचीत ककपना और अक्सर अनुमान के इिच दगिच ही
घूमती रही। अतः मैं जो कुछ जानकारी जुटा सका िह अिूरी
तस्त्िीर, भारतीय राजनीदत का सबसे अदिक अंिकारमय और
कड़ी सुरक्षा िाला गोपनीय पहलू है ।

उत्तर प्रिे श के 2017 के चुनािों पर भाजपा द्वारा खचच की गई


रादश के बारे में मुझे कम से कम 16 करोड़ रूपए से लेकर ज्यािा
से ज्यािा 1200-1500 करोड़ रुपए का आंकड़ा दिया गया। यहां
पर यह बताना भी महत्िपूिच है दक स्त्ितंर रूप से इन आंकड़ों
की पुदष्ट करने का कोई तरीका नहीं है ।
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पाटी ने दकस तरह से िन जुटाया?

इसके दलए पहला तो नीचे से ऊपर तक संसािन जुटाना था।


इसका मतलब यह हु आ दक दनिाचन क्षेर के स्त्तर पर ही
प्रत्यादशयों के ‘आर्णथक रूप से मजबूत‘ होने की अपेक्षा की गई
तादक िे अपने संसािनों का इस्त्तेमाल कर सकें। यह उनकी
अपनी दनजी संपिा के रूप में हो सकता है या दफर उन्द्हें दित्तीय
मिि के दलए तैयार स्त्थानीय व्यापादरयों का नेटिकच हो या दफर
स्त्थानीय उद्यदमयों के साथ बेहतर दरश्ते हों जो गादड़यां या कारों
के ईंिन का खचच िे सकें, संचालन की व्यिस्त्था कर सकें और
अंदतम क्षिों में चुनािों में जरूरत पड़ने पर नकिी मुहैया करा
सकें।

दजला स्त्तर के भाजपा के एक नेता ने बताया, ‘‘यदि दकसी


उम्मीििार के पास अपने ही चुनाि के दलए िन एकर करने के
संसािन नहीं हैं तो िह दनिादचत होने के लायक नहीं हैं । परं तु
ध्यान रहे दक सपा और बसपा में तो उम्मीििारों को अपने आप
ही चुनाि लड़ना होता है , लेदकन हमारे मामले में, उम्मीििार के
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खचच हकदचत सीदमत रहते हैं क्योंदक संगठन तमाम खचों को
िहन कर लेता है । उसे हमारे काडर को पैसा नहीं िे ना होता;
उसे संघ पदरिार के प्रचारकों और सहानुभूदत रखने िालों को
कुछ नहीं िे ना होता; उसके प्रचार के दलए हे लीकॉप्टर से आने
िाले स्त्टार प्रचारकों का खचच िहन करने की पाटी उससे अपेक्षा
नहीं करती; पाटी मुख्यालय से तमाम प्रचार सामग्री भी आती
है । लेदकन, हां, उसे भी चुनाि में अपना िन खचच करना होता
है ।’

दित्त पोषि का िूसरा स्रोत राज्य स्त्तर के बड़े कारोबारी हैं । और


िे कई तरह से योगिान करते हैं । िे नकिी िे ते हैं - ऐसा ठे केिारों,
दबकडरों, सरकारी रे िदडयों और भदिष्ट्य में लाइसेंस के दलए
दनभचर रहने िालों के मामले में ही सही है - िे भदिष्ट्य में संभादित
सहयोग को ध्यान में रखते हु ए सेिा भी करते हैं । भाजपा के एक
नेता ने लखनऊ में पाटी कायालय में कहा, ‘‘अक्सर लोग दसफच
जुड़ना चाहते हैं और िे दकसी प्रकार के िन की मांग भी नहीं
करते हैं । िे जानते हैं दक दिल्ली में हम सत्ता में हैं , िे जानते हैं दक
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हमारे पास सांसि हैं , और एकबार यह सुगबुगाहट हो दक हम
राज्य के चुनाि जीत सकते हैं तो िे दकसी न दकसी तरह पाटी
से जुड़ना चाहते हैं , भले ही हम उनसे यह कहें दक हम उन्द्हें कोई
पैसा नहीं िें ग।े अतः हो सकता है दक कोई पेरोल पंप का मादलक
हो जो हमारे ईंिन की आिश्यकता का ध्यान रखेगा, ऐसे
रांसपोटच र हैं जो हमें कारें मुहैया करा िें ग,े और ऐसे कारोबारी भी
हो सकते हैं जो यह कहें दक िे दकराये पर हे लीकॉप्टर की व्यिस्त्था
कर िें ग।े ’’ लखनऊ के एक कारोबारी, जो पारं पदरक भाजपा
पदरिार से हैं , ने इस तरह के कारोबार के चलन की पुदष्ट की।
िह कहते हैं , ‘‘उन्द्हें मुझसे कहने की जरूरत नहीं है । चुनाि
नजिीक आते ही मैं उनके पास पांच कारें भेज िे ता हू ं और राज्य
स्त्तर के शीषच पिादिकादरयों को कुछ नकिी भी दभजिा िे ता हू ं ।
मेरे जैसे इस स्त्तर के सैकड़ों होंगे।’’

अगर दनिाचन क्षेर और राज्य स्त्तर पर जुटाये गये संसािन पाटी


के खाते में जुड़ते हैं परं तु उत्तर प्रिे श के चुनािों के दलए
अदिकांश संसािन जुटाने का काम केन्द्रीय स्त्तर पर ही हु आ
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था। इस चुनाि को मोिी और शाह िोनों के द्वारा अत्यदिक
महत्ि दिए जाने के कारि पाटी के व्यापक नेटिकच से िन जुटाने
के दलए कहा गया था। केन्द्र में भाजपा के मंरालय हैं , िह प्रमुख
राज्यों में सत्ता में हैं और उसके पास सांसि और दििायक हैं ।
भारतीय राजनीदत की अथचव्यिस्त्था से िूर से भी पदरदचत कोइ
भी व्यदि यह मान सकता है दक पाटी ने इन सभी स्त्तरों पर
संसािन जुटाने के दलए अपनी सत्ता का इस्त्तेमाल दकया होगा।
परं तु इस मामले में, िह साििान और काफी हि तक कांग्रेस के
कायचकलापों से दभन्न थी।

भाजपा की कायचशैली से पदरदचत एक रिनीदतकार ने मुझे


बताया, ‘‘कांग्रेस में, यदि पाटी नेतृत्ि उिाहरि के दलए 50
करोड़ रुपए चाहे , तो िह अपने प्रमुख सहायक को इस बारे में
संिेश िे गा, िह सहायक मंदरयों या राज्यों में तीन चार
मुख्यमंदरयों से सौ सौ करोड़ रुपए के दलए कहे गा, इसके बाि
मुख्यमंरी स्त्थानीय कारोबादरयों, ठे केिारों, नौकरशाहों, मंदरयों से
कहें गे और प्रदतिान की पेश करें गे और तत्काल की िन की
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व्यिस्त्था करें ग।े अत: 50 करोड़ रुपए प्राप्त करने के दलए पाटी
द्वारा तीन सौ करोड़ रुपए दलए जाएंगे, इस प्रदिया के िौरान,
नीचे स्त्तर तक जुड़े लोग बहु त िन अर्णजत कर लेंग,े भ्रष्टाचार
स्त्पष्ट नजर आएगा तथा अक्सर सौिे बाजी काफी जगजादहर हो
जायेगी।’’ भाजपा में, बताते हैं दक इसे िे िे खते हैं जो शीषच पर
आसीन होते हैं । ‘‘िे जानते हैं दक आदखरकार िे ने िाला िही
है । तो दफर इतनी कदड़यों से गुजर कर क्यों जायें? अतः पाटी
नेतृत्ि यह जानता है दक दकस राज्य में कौन सा मंरालय अिसर
प्रिान करे गा और िह सीिे संबंदित कारोबारी अथिा व्यदि से
बात करे गा। िे िन जुटाते हैं जो जरूरी है , िे बीच से दबचैदलयों
को हटा िे ते हैं , यह सौिे बाजी इतनी अदिक जादहर नहीं होती है ,
िे िन पर दनयंरि रखते हैं और दफर साििानी से उसका
दितरि करते हैं । उप्र में मोटे तौर पर यही तरीका था।

उत्तर प्रिे श में एक और पेंच था-नोटबंिी- दजससे राजनीदतक


खचो पर असर पड़ने की संभािना थी। परं तु ऐसा नहीं हु आ।
राजनीदतक दित्त पोषि पर अपने खण्ड के अंदतम अध्याय में
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कपूर, िैष्ट्िि और श्रीिरन इस तथ्य का दजि करते हैं दक इस
किम ने चुनाि के िौरान नकिी अथिा प्रलोभन िे ने की िूसरी
सामग्री पर आदश्रत रहने में बहु त अदिक कमी नजर नहीं आयी।
अकेले उत्तर प्रिे श में ही आिशच आचार संदहता लागू होने के
दिन से 115 करोड़ रुपए जधत दकए गए, यह 2012 के दििान
सभा चुनािों में बरामि रादश से दतगुनी थी। इससे पता चलता है
दक नोटबंिी के बाि जैसी अपेक्षा की जा रही थी, उस तरह का
नकिी का बहु त अदिक संकट नहीं था। भाजपा हो या सपा,
िोनों पर इसका असर कम था, सत्तारूढ़ िलों ने कारोबादरयों से
सीिे नकिी नहीं मांगी।

भारत के चुनािों में नकिी केन्द्र में होती है । और कोई भी िल


आर्णथक ताकत के बगैर चुनाि नहीं जीत सकता है । दफर भी,
यह ध्यान रखना जरूरी है दक यह दसफच अकेला या फैसला लेने
िाला एकमार मुख्य पहलू नहीं है । यदि यह संसािनों का संघषच
होता तो भाजपा दिल्ली या दबहार का चुनाि या दफर 2004 के
चुनाि नहीं हारती। लेदकन यह संसािन मििगार होते हैं और
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प्रत्येक िल को चुनाि में गंभीर िािेिार बनने के दलए एक
न्द्यूनतम मारा में संसािनों की जरूरत होती है । संगठन की तरह
ही यह भी आिश्यक है परं तु यह तत्ि पयाप्त नहीं है । अब, जैसा
दक उत्तर प्रिे श में सादबत हु आ, भाजपा ने सभी स्त्तरों पर
संसािन जुटाने और प्रभािी तरीके से उसके इस्त्तेमाल की
क्षमता दिखा िी है ।

संगठन जो भी है अदमत शाह की बिौलत है ।

उन्द्होंने सिस्त्यता अदभयान की पदरककपना की और तमाम


उपहास के बीच इसे अंदतम नतीजे तक पहु ं चाया। उन्द्होंने संपकच
अदभयान के माध्यम से उन लोगों से संपकच स्त्थादपत करने के
दलए कायचकताओं को तैनात दकया जो सिस्त्य बने थे। उन्द्होंने
कायचकताओं के दलए प्रदशक्षि, संगठनात्मक चुनाि और
संगठन में सामादजक दिदििता सुदनदित करने की आिश्यकता
को आगे बढ़ाया। (इस बारे में अगले अध्याय में और अदिक)।
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शाह ने मतिान केन्द्र स्त्तर की सदमदतयों को सदिय दकया, उन्द्हें
कायचशील बनाया, इसकी सिस्त्यता की साििानी पूिचक
दनगरानी सुदनदित की और इसे पाटी के तंर का अदभन्न दहस्त्सा
बनाया। उन्द्होंने मतिाताओं से संबंदित मामलों पर स्त्ितंर रूप
से जानकारी हादसल की और इसके इिच दगिच प्रचार और
जनसंपक को मूतचरूप दिया। उन्द्होंने उम्मीििारों के चयन के
दलए बहु त ही साििानी भरा तरीका तैयार दकया, और उन्द्हें
अपने चुनाि लड़ने के दलए संगठन के ठोस समथचन और
आंकडों से सुसदित दकया। और इन सबके दलए िन का
बंिोबस्त्त दकया।

और सब दिल्ली के अशोका रोड पर ल्स्त्थत पाटी के िातानुकूदलत


कायालय में बैठने से नहीं हु आ।

अगस्त्त, 2014 से माचच 2017 के िरम्यान शाह ने दििान सभा


चुनािों और 2019 के संघषच को ध्यान में रखते हु ए िस्त्तुल्स्त्थदत
को समझने, उनका प्रबंिन िे खने और पाटी इकाइयों को दनिे श
िे ने के दलए िो बार िे श में प्रत्येक राज्य का िौरा दकया। उन्द्होंने
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286 दिन दिल्ली से बाहर रहते हु ए पांच लाख दकलोमीटर की
यारा की और इस िौरान 64 दिन उप्र में रहकर व्यदिगत रूप
से राज्य में असािारि काम दकया और ऊजा लगाई। उत्तर
प्रिे श की जीत के बाि शाह िे श की 95 दिन की यारा पर दनकल
गये।

नरे न्द्र मोिी का जनता के बीच कदरश्मा और अदमत शाह के


अथक संगठनात्मक कौशल िोनों ने दमलकर सामादजक
समरसता के अपने अदत महत्िाकांक्षी प्रयोग के बीच में ही नई
भाजपा की आिारदशला रखी।

4. सामादजक समरसता
उत्तर प्रिे श में मतिान से तीन दिन पहले 11 फरिरी को भाजपा
की प्रिे श इकाई के अध्यक्ष केशि प्रसाि मौया सहारनपुर दजले
के गंगोह दनिाचन क्षेर के एक छोटे से मैिान में हे लीकॉप्टर से
पहु ं च।े
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केशि प्रसाि मौया एक दपछड़े समुिाय के हैं । िह संघ की
पैिािार हैं और उप्र दििान सभा का 2012 का चुनाि लड़ने से
पहले और दिश्व हहिू पदरषि के पिादिकारी थे। 2014 के
लोकसभा चुनाि में िह मोिी हिा पर सिार थे और फूलपुर
संसिीय क्षेर से सांसि चुने गये जो कभी पंदडत जिाहरलाल
नेहरू का दनिाचन क्षेर हु आ करता था। भाजपा ने 2016 के
प्रारं भ में उन्द्हें पाटी की उप्र इकाई का अध्यक्ष बनाया, दनदित ही
ऐसा अन्द्य दपछड़ी जादतयों को लुभाने के इरािे से ही दकया गया
था।

िह जैसे ही हे लीकॉप्टर से बाहर दनकले, भीड़ का एक समूह


उनका स्त्िागत करने के दलए मैिान की ओर लपका। मौया एक
एसयूिी, उत्तर भारत के सभी राजनीदतकों का एक रेडमाकच, में
सिार होकर जनसभा स्त्थल की ओर रिाना हो गए।

उनकी गाड़ी के पीछे चल रही कार में करीब एक िजचन लोग


सिार थे।
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ओम पाल हसह सैनी ने अपना पदरचय अदखल भारतीय सैनी
समाज के अध्यक्ष के रूप में दिया। उन्द्होंने बड़े गिच के साथ कहा
दक यह सैनी बहु ल इलाका है । उत्तर प्रिे श में सैनी अन्द्य दपछड़े
िगों की श्रेिी में आते हैं और िे खुि को एक बड़े सैनी-कश्यप-
कुशिाहा-मौया, दजससे भाजपा नेता आते हैं , समाज के दहस्त्से
के रूप िे खते हैं ।

उन्द्होंने कहा, ‘‘इस बार भाजपा ने हमें सम्मान दिया है । पूरा


समाज पाटी के साथ है क्योंदक मौया जी मुख्यमंरी बनेंग।े ’’ िह
कहते हैं , ‘‘हमारा समाज पहले भी कई िलों के बीच झूलता रहा
है परं तु 2014 के चुनािों में िह पूरी तरह नरे न्द्र मोिी के साथ
चला गया। मौया जी को 2016 में पाटी का प्रिे श अध्यक्ष बनाये
जाने के बाि से ही समाज ने कमल के साथ ही रहने का फैसला
दकया है ।”

सैनी कहते हैं , ‘‘भाजपा हमारी पाटी है अब। प्रिान मंरी हमारे
हैं । प्रिे श अध्यक्ष हमारे हैं । दजला अध्यक्ष हमारे हैं । अंततः अब
हमारी भी राजनीदतक आिाज है ।’’ हालांदक यह अनकहा छोड़
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दिया गया परं तु ‘हमारे ’ का तात्पयच था दक प्रिान मंरी भी ‘दपछड़े’
समुिाय के ही हैं । मौया अपने व्यापक जातीय समुिाय से थे
जबदक दजला अध्यक्ष कश्यप था।

तीन छोटे दकसान भी इस जनसभा में पाटी के प्रिे श अध्यक्ष को


सुनने आये थे।

इनमें से एक राम हसह गुिर था। िह बताता है दक हमारे पदरिार


की राजनीदतक संबर्द्ता पूिच प्रिानमंरी और उत्तर भारत के
बहु त ही सम्मादनत नेता चौिरी चरि हसह, दजन्द्होंने दपछड़ी
जादतयों, और मुसलमानों का उनके दकसान होने के आिार पर
गठबंिन तैयार दकया था, के साथ रही है । िह बताता है , ‘‘मेरे
दपता जी चरि हसह के साथ थे। मैं राम जन्द्म भूदम आन्द्िोलन
की ओर आकर्णषत हु आ और भाजपा में आ गया। ककयाि हसह
ने जब भाजपा छोड़ी तो मैंने िूसरे िलों को िोट दिया। परं तु
2014 में, मैं पाटी में लौट आया।’’ ककयाि हसह 1990 के
िशक में प्रिे श के भाजपा मुख्यमंरी थे। लोि समाज के ककयाि
हसह अन्द्य दपछड़े िगों को पाटी के साथ लाने में कामयाब रहे
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थे। लेदकन बहु त ही तेजी से उन्द्हें पाटी में हादशये पर डाल दिया
गया और अंततः 2009 में उन्द्होंने पाटी छोड़ िी। हालांदक बाि
में िह पाटी में लौट आये और 2014 में उन्द्होंने मोिी के दलए
प्रचार भी दकया।

राम हसह कहते हैं , ‘‘कांग्रेस और समाजिािी पाटी िोनों ही दसफच


एक समुिाय की राजनीदतक करते हैं । िे सांप्रिादयक हैं । कांग्रेस
दसफच एक ही समुिाय को िे ख सकती है , बसपा भी दसफच एक ही
समुिाय को िे खती है – िे दखए न, मायािती हमेशा यही कहती
रहती हैं दक मैंने 97 दटकट दिए हैं और हम सभी सपा के बारे में
जानते ही हैं । उसने अखलाक के पदरिार (गोमांस के सेिन के
आरोप में िािरी में मारे गए व्यदि) को एक करोड़ रुपए दिए।’’

मुल्स्त्लम शधि का इस्त्तेमाल दकये बगैर ही उसने स्त्पष्ट कर दिया


दक उसका तात्पयच क्या है ।

हसह कहते हैं दक भाजपा एक राष्ट्रिािी पाटी है । परं तु क्या


कांग्रेस भी राष्ट्रिािी पाटी थी? जो भी हो, यही िह पाटी है दजसने
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भारत को आजािी दिलाई। ‘कांग्रेस एक राष्ट्रीय पाटी है परं तु
उसकी सोच राष्ट्रिािी नहीं है ।’

ओम प्रकाश सैनी अपने समुिाय को भाजपा द्वारा दिए गए


प्रदतदनदित्ि और सम्मान से रोमांदचत थे। राम हसह
‘सांप्रिादयकता’ की बजाए ‘राष्ट्रिािी’ नजदरये को लेकर
आकर्णषत हु आ। इन िोनों को एकसाथ दमला दिया जाये तो ये
भािनायें उप्र के चुनािों का नक्शा बिलने िाली होंगी।

पाटी के शीषच रिनीदतकारों द्वारा तैयार की गयी योजना जमीन


से आ रही आिाजों के साथ एकिम सटीक बैठती थीं, दजनके
तीन घटक थे। पहला पाटी के संगठनात्मक ढांचे में बिलाि
करके इसे और अदिक समािेशी बनाना। िूसरा, इसके प्रचार
और इसके संिेश प्रेषि के तरीके को नया कलेिर िे ना तादक
दपछड़ी जादतयों को उत्पीड़न और मुदि िोनों का भाि महसूस
हो और तीसरा था भाजपा के जबिच स्त्त प्रभुत्ि के बािजूि इन
समुिायों के बीच आिार िाले िलों के साथ गठबंिन करना।
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नरे न्द्र मोिी ने संपन्न िगच का समथचन बनाये रखते हु ए स्त्ियं को
गराबों का नेता बना दलया था। पिे के पीछे , अदमत शाह संपन्न
िगच का समथचन बरकरार रखते हु ए िीरे िीरे भाजपा को िंदचत
जादतयों की पाटी के रूप में बिलने के काम में जुटे थे। इस
प्रदिया में भाजपा अपेक्षाकृत अलग हहिू पाटी बने रहने की
जगह समेदकत हहिू पाटी बनने की ओर बढ़ रही है । एक दिशेष
समायोजन में सबसे अदिक राजनीदतक प्रभुत्ि िाली के जादत
(जो जरूरी नहीं दक सबसे अदिक प्रभुत्ि िाली सामादजक जादत
का पयाय हो) की पहचान करके कम प्रभुत्ि िाली जादत को
उनके दखलाफ सदिय करके, शाह एक बेजोड़ सामादजक
गठबंिन को खड़ा करने का ताना बाना बुन रहे हैं । सामादजक
समरसता में इस उल्लेखनीय प्रयोग में भाजपा की राजनीदतक
सफलता का रहस्त्य दछपा है । और जब यह व्यापक स्त्तर पर
सामादजक गठबंिन बनाने में दिफल हो गया, जब इसे दसफच
संपन्न लोगों की पाटी के रूप में िे खा जाने लगा तब यह चरमरा
गया।
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*

पाटी अध्यक्ष का पि ग्रहि करने के बाि अदमत शाह को


महाराष्ट्र और हदरयािा में दििान सभा चुनािों की चुनौती का
सामना करना था। मजबूत संगठन के अभाि में उन्द्हें अपना
गदित सही करना था।

उन्द्होंने संपन्न जादतयों के मुकाबले के दलए राजनीदतक रिनीदत


तैयार करने पर ध्यान केल्न्द्रत दकया। पहली नजर में यह पहल
प्रदतकूल नजर आती होगी, क्योंदक यह पाटी उन जादतयों से ही
जुड़ी रही है जो सामादजक ढांचे से लाभाल्न्द्ित हु ए और हमेशा
ही श्रेष्ठता के मामले में ऊपर रहे । परं तु यहां, पाटी ने बहु त ही
चतुराई से सामादजक िदरष्ठता के मामले में पारं पदरक रूप से
प्रभुत्ि िाली जादतयों और राजनीदत रूप से दिशेषादिकार प्राप्त
जादतयों के बीच दिभेि दकया था।

इसका गदित बहु त सािारि है । सभी भारतीय राज्य अपनी


संचरना में बहु लतािािी हैं । मण्डल राजनीदत के उिय, अन्द्य
दपछड़े िगों की िािेिारी और उनकी गोलबंिी, खेदतहर पृष्ठभूदम
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से आने िाली इन जादतयों की आबािी बड़ी होने और सामादजक
रूप से प्रभुत्िशाली होने की िजह से िे राजनीदतक रूप से भी
प्रभुत्िशाली हो गईं। परं तु इसकी िजह से पारं पदरक रूप से
ताकतिर और ज्यािा हादशए िाली िोनों ही तरह की जादतयां
अलग थलग महसूस कर रही थीं। अतः इसकी तरकीब इन
जादतयों को सदिय करना और उन िचचस्त्ि िाली जादतयों के
दिरूर्द् गठजोड़ तैयार करना है – जो मण्डल के बाि के युग में
- अदिकतर बड़ी आबािी िाली मध्यम जादतयां हैं ।

महाराष्ट्र में, जहां राजनीदतक िृदष्ट से प्रभुत्िशाली जादत मराठा


है , भाजपा ने 1990 से ही अन्द्य दपछड़ा िगच समथचक रिनीदत
अपना रखी थी। इसने दपछड़ी जादतयों के नेताओं को ही आगे
बढ़ाया था। इसके साथ ही, दशिसेना से गठबंिन और
सांपरादयक िुिीकरि तेज होने की िजह से िह 1995 में सत्ता
में आई थी। लेदकन पंरह साल तक िह सत्ता से बाहर दिपक्ष में
रही थी। 2014 के लोकसभा चुनाि में मोिी की अपील की
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िजह से पाटी 48 सीटों में 42 पर दिजय हादसल करके बड़ी
सफलता के साथ लौटी।

परं तु दििान सभा चुनािों में और अदिक साििानीपूिच


सामादजक समरसता की जरूरत थी। भाजपा ने सििच जादतयों,
अन्द्य दपछड़े िगों और कुछ हि तक िदलतों के साथ दमलकर
गठबंिन तैयार दकया। भाजपा को मराठों के मतों का भी एक
दहस्त्सा दमला, चूदं क राज्य की आबािी में िे 30 प्रदतशत से
अदिक हैं , इसदलए पूरी तरह उन्द्हें बेिखल करना आसान नहीं
है । परं तु इसे असली ताकत गैर मराठा जादतयों से दमली। चूदं क
राज्य में िो सौ से अदिक अन्द्य दपछड़े िगों के समूह हैं और
इनमें से सबसे बड़े समूह में पांच प्रदतशत से कम आबािी है ,
इसदलए जमीनी स्त्तर पर प्रबंिन की आिश्यकता थी। जनािे श
के स्त्िरूप को भाजपा ने मुख्यमंरी के दलए चयन से ही व्यि
कर दिया था। पाटी ने इसके दलए ब्राह्मि िे िेन्द्र फिनिीस की
दनयुदि की।
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पुिे ल्स्त्थत, राजनीदतक िैज्ञादनक सुहाष पकसीकर कहते हैं दक
भाजपा ने 35 प्रदतशत मतों की दहस्त्सेिारी के साथ शहरों की
100 सीटों में से 53 पर दिजय प्राप्त की थी, चुनाि बाि के सिे
के अनुसार उसे सििच जादतयों के 52 प्रदतशत और अन्द्य
दपछड़ी जादतयों के 38 प्रदतशत मत भी दमले थे। ‘2014 के
चुनाि के नतीजों ने मराठा अदभजात्य िगच को पूरी िृढ़ता के साथ
राज्य की सत्ता से बाहर कर दिया।’(9)

हदरयािा दििान सभा चुनािों में भी भाजपा ने ऐसा ही कुछ


दकया दजसके बारे में सोचा भी नहीं जा सकता था। जाट समुिाय
के प्रभुत्ि िाले इस राज्य में भाजपा ने गैर जाट समुिायों का
गठबंिन बनाया। इसका मतलब यह हु आ दक भाजपा ने सििच
जादतयों, यािि, गुिर और सैनी जैसे अन्द्य दपछड़े िगों और
िदलतों को एकजुट दकया। इसने पूरी तरह से जाटों को छोड़ा
नहीं था और राज्य में इस समुिाय के िदरष्ठ नेता चौिरी िीरे न्द्र
हसह को केन्द्रीय मंदरमंडल में शादमल दकया। परं तु उसका ध्यान
कम प्रभुत्ि िाली जादतयों पर था।
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उत्तरी, पूिी और िदक्षिी हदरयािा में भाजपा का प्रिशचन अच्छा
था लेदकन राज्य के जाट बहु ल पदिमी क्षेर में िह िूसरे स्त्थान
पर रही थी। सेन्द्टर फॉर स्त्टडी ऑफ डेिलहपग सोसायटीज़ के
चुनाि बाि सिेक्षि से पता चलता है दक भाजपा को राज्य में
ब्राह्मिों के 47 प्रदतशत, सििच जादतयों में से 55 प्रदतशत और
अन्द्य दपछड़ी जादतयों के 40 प्रदतशत मत दमले। 2009 में 90
सिस्त्यीय दििान सभा चुनािों में महज चार सीट जीतने िाली
पाटी ने इस बार 47 सीटों पर कधजा कर दलया और अपने िम
पर राज्य में पहली बार सरकार का गठन दकया। यहां भी उसने
गैर जाट मनोहर लाल खट्टर को मुख्यमंरी बनाया।

अदमत शाह अपने सामादजक गदित को हल कर रहे थे। लेदकन


अगले साल दबहार में उन्द्हें एक जदटल सामादजक जमीन पर
उतरना था, जो उनके दलए सबसे बड़ी चुनौती थी और दजसमें
िे नाकाम होने िाले थे।

*
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राजनीदतक िृदष्ट से संपन्न िगच से मुकाबला करने के दलए
राजनीदतक गठबंिन तैयार करने की रिनीदत कम आबािी की
िजह से राजनीदतक रूप से कमजोर लेदकन सामादजक िृदष्ट से
प्रभुत्ि शादलयों (जैसे सििच जादतयां) और सामादजक िृदष्ट से
कमजोर और राजनीदतक रूप से अलग थलग हों परं तु पयाप्त
संख्या (जैसे दपछड़ा िगच और िदलत) िालों के बीच एक
गठबंिन पर दटकी हु ई थी।

लालू प्रसाि ऐसे नेता हैं दजनकी राजनीदतक िृदष्ट एकिम स्त्पष्ट
है । िह 1990 से ही जादत का काडच बहु त ही दनमचमता के साथ
खेल रहे हैं और उन्द्होंने लंबे समय तक राजसत्ता की तमाम
सुदििाओं पर एकादिकार कायम रखने िाली सििच जादतयों के
दखलाफ राजनीदतक िातािरि बनाया, दपछड़ों को सशि
बनाया और उन्द्हें राजनीदत में आिाज प्रिान की। उनका खेल
उस समय खत्म हो गया जब दपछड़ी जादतयों के उनके द्वारा
बनाए गठबंिन में िरार आ गई। यािि प्रभुत्ि से नाराज नीतीश
कुमार ने अदत दपछड़े समुिायों का नेतृत्ि दकया और उन्द्होंने
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सििच जादतयों के जनािार िाली भाजपा के साथ गठबंिन कर
दलया।

2015 में, नीतीश और लालू प्रसाि एक बार दफर साथ थे। लालू
प्रसाि को भी यह अहसास हो गया था दक सत्ता तक पहु ं चने का
रास्त्ता दपछड़ों के गठबंिन का िही मूल फामूचला है दजसने 1990
में उन्द्हें सत्ता तक पहु ं चाया था। यदि यह अगड़े-दपछड़े के बीच
चुनाि हु आ तो भाजपा के जीतने का कोई सिाल ही नही है
क्योंदक उसे सििच जादतयों के बीच अपने जनािार तक ही
सीदमत रहना पड़ेगा। दनःसंकोच जादत काडच का इस्त्तेमाल करते
हु ए लालू प्रसाि ने अकेले ही िम पर दबहार के चुनािों को अगड़ी
जादतयों बनाम अन्द्य दपछड़ी जादतयों के बीच चुनाि की शक्ल िे
िी थी।

इसमें उनके सबसे बड़े सहयोगी आरएसएस प्रमुख मोहन


भागित थे। आगेनाइजर के संपािक प्रफुल्ल केतकर को दिए
एक साक्षात्कार में भागित ने आरक्षि के राजनीदतकरि की
आलोचना करते हु ए इसकी समीक्षा के दलए एक सदमदत गदठत
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करने की िकालत की थी (इस इंटरव्यू के बारे में अगले अध्याय
में दिस्त्तार से बात की गई है )। उन्द्होंने सुझाि दिया था दक एक
स्त्िायत्तता प्राप्त आयोग इस पर अमल कर सकता है ।

लालू प्रसाि को इसमें राजनीदतक लाभ की गंि दमल गई और


तत्काल उन्द्होंने घोषिा की दक यदि भाजपा सत्ता में आई तो िह
आरक्षि खत्म कर िे गी। स्त्िास्त्थ्य ठीक नहीं होने के बािजूि
लालू ने रोजाना छह से सात जनसभाएं कीं। िह सुबह नौ बजे
पटना में अपने घर से दनकलते और िे र शाम लौटते तो उनके
हाथ में आरएसएस के दद्वतीय सरसंघचालक एम.एस.
गोलिलकर की बंच आफ थॉ्स की प्रदत होती। उन्द्होंने इस
दकताब से अंश उर्द्ृत करते हु ए कहा दक इससे पता चलता है
दक आरएसएस हमेशा से ही आरक्षि दिरोिी रहा है ।

राघोपुर के िबौली गांि में लालू प्रसाि के िूसरे पुर और


संभादित उत्तरादिकारी तेजस्त्िी यािि अपने पहले चुनाि में
प्रचार कर रहे थे। उन्द्होंने तेजी से चलते हु ए मदहलाओं से
आशीिाि मांगा और आिदमयों से हाथ दमलाया। उन्द्होंने
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आत्मदिश्वास के साथ कहा दक यह चुनाि उनके पक्ष में आ
चुका है । क्या बिला था?

उन्द्होंने कहा, ‘आरएसएस प्रमुख की दटप्पदियों ने िास्त्ति में


खेल ही बिल दिया है । अन्द्य दपछड़ी जादतयां एकजुट हो गई हैं ।
भाजपा शहरों में रहने िालों के बीच अंदतम प्रयास कर रही है
परं तु मैं समझता हू ं दक हम िहां भी जीतेंग।े भाजपा सोचती है
दक 2014 के चुनािों की तरह ही दिदभन्न जादतयों के लोग मोिी
के दलए िोट िें ग।े परं तु अब यह नहीं होगा।’ आिुदनक दशक्षा
के रूबरू हो चुका बीस साल से अदिक आयु का यह युिा नेता
सभी पक्षों द्वारा राजनीदत के दलए जादतयों के इस्त्तेमाल के बारे
में क्या सोचता है ? ‘यह तो हर जगह है । अमेदरका में क्या यह
श्वेतों और कालों को लेकर नहीं है ? जादतयां तो हमारे समाज
का िही तरीका है जो सदियों से बनाया गया है और यह लंबे
समय तक मुद्दा रहे गा। यह मायने रखता है ।’

राष्ट्रीय जनता िल पहले से ही सामादजक-आर्णथक जादत


जनगिना के जादत संबंदित आंकड़ों की मांग करके जादतयों के
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इिच दगिच अपना प्रचार केल्न्द्रत कर रहा था। सामादजक-आर्णथक
जादत जनगिना का काम कांग्रेस के कायचकाल में शुरू दकया
गया था, इसे भाजपा के सरकार के अंतगचत जारी दकया गया
परं तु जादतयों से संबंदित दििरि रोक दलया गया था। लालू
प्रसाि का तकच है दक यह दपछड़ों और िदलतों की ल्स्त्थदत, उनकी
संपदत्त, उनकी आमिनी और दशक्षा का स्त्तर और उनके रोजगार
की ल्स्त्थदत की सही जानकारी िे गा। िे गरजे, ‘आरएसएस
आरक्षि खत्म करने की बात कर रहा है और हम आबािी के
आिार पर इसे बढ़ाने की बात कर रहे हैं ।’

यह संिेश एकिम सही दठकाने पर पहु ं चा।

भाजपा जानती थी दक हालांदक सििच जादतयां व्यापक रूप से


पाटी के साथ रहें गी, उसे दपछड़ी जादतयों में अपनी पैठ बनानी
थी। परं तु आरक्षि खत्म होने की आशंका नीचे तक पहु ं च गई
थी। भाजपा अब पसोपेश में फंस गई थी। िह भागित की दनन्द्िा
नहीं कर सकती थी परं तु उसने आरएसएस प्रमुख की दटप्पदियों
से िूरी बना ली, उसने संघ से स्त्पष्टीकरि भी जारी कराया और
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प्रिानमंरी ने भी आरक्षि के प्रदत अपनी प्रदतबंर्द्ता िोहराई।
लेदकन कुछ भी काम नहीं आया।

डेढ साल बाि भाजपा के एक प्रमुख नेता ने, जो दबहार चुनाि


प्रचार में काफी सदिय थे, स्त्िीकार दकया, ‘भागित जी के बयान
ने दजतना हमने सोचा था उससे कहीं हमें अदिक नुकसान
पहु ं चाया। लालू प्रसाि के अलािा प्रशांत दकशोर की टीम ने भी
इस संिेश को नीचे तक पहु ं चाया। उन्द्होंने पचे छापे और इसने
हमें बचाि की ल्स्त्थदत में पहु ं चा दिया। दपछड़ों में अपनी पैठ गहरी
करने के दलए हमने दजतना भी काम दकया था, सारा चौपट हो
गया।’ इस चुनाि में नीतीश-लालू गठबंिन के दलए दकशोर
मुख्य चुनाि रिनीदतकार थे; उन्द्होंने 2012 के गुजरात चुनाि
और 2014 के लोक सभा चुनाि में मोिी के साथ काम दकया
था। हालांदक पाटी के भीतर एक अलग दिचार मंच था दजसका
मानना था दक मतों की भागीिारी से संकेत दमलता है दक पाटी
को दपछड़ों का िोट भी दमला था और यह दसफच महागठबंिन
का गदित था दजसने उसे सत्ता में पहु ं चा दिया। लेदकन यह दसफच
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संघ ही नहीं था। इसी नेता ने यह भी स्त्िीकार दकया दक भाजपा
ने भी जातीय समीकरिों, दिशेषकर दटकटों के दितरि के
मामले में, सही तरीके से प्रबंिन नहीं दकया।

‘पहली सूची में हमने सििच जादतयों को बहु त अदिक दटकट िे


दिए थे। इसने हमें अगड़ों की पाटी के रूप में पेश करने का लालू
प्रसाि का काम और अदिक आसान बना दिया था। इसके बाि,
हमने करीब तीस दटकट याििों को यह सोच कर दिए दक उनके
यािि िोट बटें गे – यह मूखचतापूिच था। यह बंटे नहीं और हमने
िे दटकट बेकार कर दिए और िूसरे समुिायों को भी नाराज कर
दलया। भाजपा के दिरोही उम्मीििार भी सत्तर से अदिक सीटों
पर चुनाि मैिान में थे।’

भाजपा दपछड़ों और िदलतों के बीच अपने समथचन के अभाि


को िे खते हु ए गठबंिन बनाने के प्रदत बहु त साििानी बरत रही
थी। उसने अपने राजग सहयोगी राम दिलास पासिान (पासिान
िोटों के दलए उन पर आदश्रत) और उपेन्द्र कुशिाहा (यह
सोचकर दक िह समुदचत कोयरी िोट दिलायेंगे और कुमी-
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कोयरी गठबिन को तोड़ेंगे दजसने नीतीश को सत्ता तक
पहु ं चाया था) के साथ दरश्ता जोड़ा। उन्द्होंने मुख्यमंरी पि से
हटाए गए जीतन राम मांझी से भी तालमेल दकया और उम्मीि
की दक िह नीतीश कुमार के महािदलत िोट बैंक में सेंि
लगाएंग।े अतः कागजों पर तो यह गिना ठीक लगती थी। परं तु
इन गठबंिनों ने बहु त बड़ी कीमत िसूली। एक और भाजपा
नेता ने, जो पासिान, कुशिाहा और मांझी के सहयोगी होने की
िजह से अपना नाम जादहर नहीं करना चाहते, कहा, ‘हमारा
गठबंिन पूरी तरह असफल रहा। हमने इन िलों को अस्त्सी सीटें
िीं। उनका इतना सीदमत जनािार था। यह बबािी ही थी। इनमें
से अदिकांश ने दटकट बेच दिए और अपनी जादत पर दबककुल
भी ध्यान नहीं दिया।’

यह सब उसके एकिम दिपरीत था जो नीतीश-लालू-कांग्रेस को


दमलाकर बने महागठबंिन ने दकया था। अपेक्षाओं के दिपरीत,
दटकट दितरि बहु त ही सहजता से हु आ था। एक बार दफर,
प्रशांत दकशोर ने जमीनी हकीकत का आकलन यह पता लगाने
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में अहम भूदमका दनभायी दक दकस दनिाचन क्षेर में कौन सा िल
और उम्मीििार सबसे अच्छी ल्स्त्थदत में होगा और िह
अनौपचादरक रूप से नीतीश और लालू प्रसाि के बीच सहज
साझेिारी सुदनदित करने के दलए मध्यस्त्थता की भूदमका दनभा
रहे थे।

भाजपा नेता बताते है , ‘लालू प्रसाि ने यािि प्रभुत्ि िाली सीटें


लीं, कांग्रेस को सििच जादतयों िाली सीटें िी गईं जबदक नीतीश
ने अदत दपछड़ी जादत की सीटें लीं। और उनके मत एक िूसरे के
दलए हस्त्तांतदरत हो गए। महागठबंिन ने करीब 55 प्रदतशत
दटकट अन्द्य दपछड़ी जादतयों और 15 प्रदतशत िदलतों को दिए
थे।’

नरे न्द्र मोिी के दपछड़ी जादत का होने की िजह से 2014 के


लोकसभा चुनािों में दपछड़े समुिायों का भाजपा को समथचन
दमल गया था। यद्यदप, एक साल के भीतर ही मोिी के दपछड़ा
होने की छदि और शाह का प्रबंिन और गठबंिन कोई काम
नहीं आया। भाजपा एक बार दफर सामादजक रूप से संपन्न सििच
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जादतयों की पाटी के रूप में िे खी जाने लगी। ऐसी पाटी जो
आरक्षि के जदरए तरक्की करने के िंदचतों और हादशए के लोगों
के िािों और अपेक्षाओं को कबूल करने को तैयार नहीं थी।
अपने िम पर दबहार में शासन करने की भाजपा की लालसा
अिूरी ही रहे गी क्योंदक िह दबहार की इस दिदििता को
पदरलदक्षत करने में असमथच थी। इसकी सामादजक इंजीदनयहरग
औंिे मुंह दगर गई।

दबहार के ताजा नतीजों से दमले सबक के बाि भाजपा अब उत्तर


प्रिे श के चुनािों की तैयादरयों में जुट गई। इसके पास गठबंिन
के दलए नमूना पहले से ही था।

2014 में, अदमत शाह ने ‘60 प्रदतशत’ का फामूचला तैयार दकया


था।

यह फामूचला था क्या?
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राज्य सभा के सिस्त्य भूपेन्द्िर यािि पाटी के महासदचि और
अदमत शाह के भरोसेमंि सहयोगी हैं । मूलतः राजस्त्थान के रहने
िाले भूपेन्द्िर यािि उत्तर भारत के जातीय समीकरिों से
पदरदचत थे और िह दबहार के प्रभारी थे।

पेशे से िकील यािि को उत्तर प्रिे श में प्रचार के िौरान पदरितचन


यारा और जनता तक पहु ं चने के काम में संगठन की मिि करने
की दजम्मेिारी सौंपी गयी थी। चुनाि के बाि उन्द्हें दपछड़े िगों के
नए आयोग के गठन संबंिी संसिीय सदमदत की अध्यक्षता
करनी थी उन्द्हें 2017 के अंत में गुजरात में होने िाले चुनाि के
मद्दे नजर राज्य का प्रभारी बनाया जानेिाला था, जो उनके प्रदत
मोिी और शाह के भरोसे को िशाता है ।

माचच महीने की एक शाम, यािि चुनाि प्रचार से लौट रहे अदमत


शाह को लेने पाटी के लखनऊ कायालय से हिाई अड्डे जा रहे
थे। हिाई अड्डे तक की 45 दमनट से अदिक की यारा के िौरान
उन्द्होंने 60 प्रदतशत के फामूचले की रूपरे खा को िोहराया जो
चुनाि प्रबंिन के मामले में अदमत शाह स्त्कूल का रेडमाकच था।
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यािि बताते हैं , ‘‘िे दखए, इस चुनाि में मुसलमान, जो 20
प्रदतशत हैं , िे हमें िोट नहीं िें ग।े यािि, जो करीब 10 प्रदतशत
हैं , मोटे तौर पर समाजिािी पाटी के प्रदत ही दनष्ठािान रहें ग।े
जाटि, जो 10 प्रदतशत से थोड़ा अदिक हैं , बसपा के प्रदत
िफािार बने रहें ग।े लुभाने के दलए हमारे पास 55 से 60 प्रदतशत
मतिाता ही बचते हैं । हम इन्द्हें ही अपना लक्ष्य बना रहे हैं ।’’

इसका मतलब पारं पदरक सििच जादतयों का जनािार है । इसका


मतलब है दक दपछड़े समुिाय, दजनमें सैकड़ों छोटी और बड़ी
जादतयां हैं , जो अन्द्य दपछड़े िगों के िायरे में आती हैं परं तु उन्द्हें
सत्ता में उस तरह की भागीिारी नहीं दमली जो याििों को दमली।
इसका मतलब है दक उप्र में 60 िदलत उप जादतयों में से 50, जो
जरूरी नहीं दक जाटिों की तरह सशि हु ई हों।

परं तु ऐसे क्षेरों की पहचान करना आसान काम था। लेदकन उन्द्हें
अपने साथ लाना असली चुनौती थी।

2014 ने इसका रास्त्ता बनाया। अन्द्य दपछड़ा िगच बड़ी संख्या में
भाजपा के पास लौट आया। परं तु पाटी नेतृत्ि जानता था दक
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इस सफलता को बनाए रखने के दलए संगठन की संरचना में
नीचे तक बिलाि करना होगा।

यही िह मुकाम था दजसमें अदमत शाह और उनकी टीम द्वारा


संगठन में दकये गये कायों को अपनी भूदमका दनभानी थी।
सुनील बंसल को जब संगठन का महासदचि बनाकर उप्र भेजा
गया तो उन्द्होंने प्रिे श में पाटी के भीतर के जातीय समीकरिों
और संरचना का फटाफट सिे कराया। और िह जानकर
हतप्रभ रहे गए दक 2014 में राज्य में लखनऊ से लेकर दजला
स्त्तर तक पाटी में दसफच सात प्रदतशत अन्द्य दपछड़े िगच और तीन
प्रदतशत िदलत समुिाय के पिादिकारी थे।

इसका मतलब साफ था दक राज्य की आबािी में करीब 70


प्रदतशत इन समूहों से थे लेदकन भाजपा के संगठन में उन्द्हें दसफच
10 प्रदतशत ही स्त्थान दमला हु आ था। संगठन में ब्राह्मिों, ठाकुर
और बदनयों का िचचस्त्ि था। यह िशाता था दक लखनऊ में
भाजपा में दकसका प्रभुत्ि है । इसमे कलराज दमश्र, राजनाथ
हसह, लक्ष्मी कांत बाजपेयी और सूयच प्रताप शाही थे दजनके पास
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दपछले िस साल से पाटी की बागडोर थी। ये नेता संगठन में
दिदभन्न स्त्तरों पर दनयुदियों के दलए अपनी जादत की ओर
मुखादतब हु ए और उन्द्हें ही आगे बढ़ाया।

भाजपा के नए नेतृत्ि के पास ऐसी टीम थी, एक ऐसी टीम जो


बार बार नतीजे िे ने में दिफल रही, ऐसी टीम दजसमें राज्य की
सामादजक दिदििता नहीं झलकती थी। िह जानती थी दक पाटी
की दिफलता की यही िजह है । दफर भी, हमेशा ही पाटी के प्रदत
दनष्ठािान रहे इन लोगों को पूरी तरह अलग थलग दकये बगैर ही
उसे इसमें बिलाि करना था।

इसे ठीक करने का उदचत समय 2014 के अंत और 2015 के


शुरू में चलाया गया सिस्त्यता अदभयान के िौरान ही था। अन्द्य
दपछड़े िगों और िदलत समुिाय के 780 कायचकताओं को नए
सिस्त्य बनाने के दलए उन गांिों और कस्त्बों में भेजा गया जहां
उनकी अपनी जादत का प्रभुत्ि था। इसका पदरिाम यह हु आ
दक इन समुिायों के 15 लाख नए सिस्त्यों का पाटी में पंजीकरि
हु आ।
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परं तु पाटी में असली बिलाि 2015 में संगठन में हु ए फेरबिल
से आया। बंसल ने शाह से पूछा दक क्या िह पाटी में अन्द्य दपछड़े
िगों और िदलतों का प्रदतदनदित्ि बढ़ा सकते हैं । शाह ने जिाब
दिया, ‘बात ठीक है , पर लोग नाराज होंगे।’

उन्द्होंने तब एक रास्त्ता दनकाला। मौजूिा व्यिस्त्था में ही


दहस्त्सेिारी िे ने की बजाये पाटी पिादिकादरयों की संख्या बढ़ा
सकती है । शाह ने इसे हरी झण्डी िे िी। इसने पाटी में हर स्त्तर
पर, दिशेषकर अन्द्य दपछड़े िगों और िदलतों के दलए, पि बढ़ाने
का लाइसेंस िे दिया। प्रत्येक दजले में 12 नये पिादिकारी जोड़े
गये। राज्य की कायच सदमदत में एक सौ नये सिस्त्य शादमल दकये
गये। जो पहले से ही पिादिकारी थे, उन्द्हें नहीं हटाया गया दजसने
पाटी में असंतोष कम करने में मिि की।

2015 के अंत तक पाटी में नये अन्द्य दपछड़े िगों और िदलतों


के एक हजार नेताओं का पूल था। अब िे लोग भी खुि को पाटी
संगठन का दहस्त्सा महसूस करने लगे दजन्द्हें पाटी में जगह दमली
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और उनकी िदरष्ठता को मान्द्यता दमली। अब पाटी की संरचना
में औपचादरक रूप से इसके नजर आने की भी जरूरत थी

संगठनात्मक चुनािों के िौरान भाजपा ने िीरे िीरे उन्द्हें नेतृत्ि


करने की बागडोर सौंपी और पाटी में समादहत करने तथा
समुदचत प्रदतदनदित्ि की उनकी अपेक्षाओं को संतुष्ट दकया।
अब 75 दजला अध्यक्षों में से 34 अन्द्य दपछड़ी जादतयों और तीन
अनुसूदचत जादत के थे।

यदि 2014 में इन समूहों का संगठन में 10 प्रदतशत प्रदतदनदित्ि


था तो िो साल के भीतर ही उनकी दहस्त्सेिारी 30 फीसिी हो गई
थी। भाजपा ने बेहि खामोशी के साथ, लगभग अिृश्य तरीके से
यह बिलाि दकया। और इसकी दिदशष्टता का अनुमान इस तथ्य
से ही लगाया जा सकता है दक मौजूिा नेतृत्ि के दखलाफ सीिे
सीिे दिरोह दकए बगैर ही यह हु आ था।

क्या इससे सििच जादतयां परे शान हु ईं?


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बंसल जिाब िे ते हैं , ‘िे दखए, अगर अन्द्य दपछड़े िगच और िदलतों
के नेताओ को कहीं और से लाकर दबठाया होता और दजला
नेतृत्ि से कहा गया होता दक इन्द्हें स्त्िीकार करो तो इसका
प्रदतरोि हो सकता था। परं तु याि रदखए हमने इन्द्हें 2015 में ही
संगठन ढांचे में शादमल कर दलया था। इस तरह िे एक साल
तक ितचमान दजला नेतृत्ि के साथ काम कर चुके थे। और
दजला प्रमुखों के चयन की प्रदिया परामशच और आम सहमदत
की थी। इसमें अदिक परे शानी नहीं थी।’’

इस किायि के अंत में ही केशि प्रसाि मौयच को राज्य इकाई


का प्रिे श अध्यक्ष दनयुि दकया गया था। मौया दपछड़े िगच के थे
और हहिुत्ि के बारे में उनकी सोच सिचदिदित थी।

दनदित ही मौया एक प्रतीकात्मक पसंि थे। उप्र में हर फैसले को


जादत के चश्मे की नजर से िे खा जाता है । परं त इस बार, भाजपा
उनकी सांकेदतक पसंि से भी आगे बढ़ गई थी। उनकी दनयुदि
संगठन के भीतर अदिक बिलाि होने की ओर इशारा कर रही
थी।
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*

केशि प्रसाि मौया ने सहारनपुर की जनसभा में अपना भाषि


खत्म दकया और हम अमरोहा में उनकी अगली जनसभा के
दलए िापस हे लीकॉप्टर में सिार हो गए।

मैंने थोड़े शरारतपूिच अंिाज में केशि प्रसाि मौया से पूछा, ‘‘यह
सब लोग यहां आये थे क्योंदक िे आपको मुख्यमंरी के रूप में
िे खना चाहते हैं । क्या पाटी को इस पि के दलए आपको
उम्मीििार के रूप में पेश नहीं करना चादहए था?’ िह बहु त
होदशयार थे और हमारे जाल में फंसने िाले नहीं थे। मौया ने
मुस्त्कुराते हु ए कंिे उचकाए और कहा, ‘भाजपा में प्रत्येक
कायचकता संभादित मुख्यमंरी है ।’

भाजपा ने 2016 में ही तीन मुख्य कारिों से दकसी को भी


मुख्यमंरी के रूप में पेश नहीं करने का फैसला दकया। िे जानते
थे दक उनके पास राज्य स्त्तर का ऐसा कोई चेहरा नहीं है जो प्रिे श
में अदखलेश यािि और मायािती सरीखे पहले से स्त्थादपत
क्षेरीय क्षरपों का मुकाबला कर सके। एक जादत के व्यदि को
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मुख्यमंरी के रूप में पेश करना िूसरी जादतयों को िूर कर िे गा
और इस तरह से बहु जातीय गठबंिन के दनमाि का काम
प्रभादित होगा। और िैसे भी मोिी का नाम और आकषचि दकसी
को मुख्यमरी के रूप में पेश नहीं करने की कमी को पूरा करने
के दलए पयाप्त होगा। पाटी नेताओं का तकच था दक इसके दलए
कोई दनदित फामूचला नहीं था। दबहार में भाजपा के पास
मुख्यमंरी पि के दलए कोई चेहरा नहीं था, िहां उसका प्रिशचन
काफी खराब रहा था जबदक महाराष्ट्र में उसने काफी अच्छा
दकया था। असम में उसके पास मुख्यमंरी पि का चेहरा था और
िह जीती परं तु दिल्ली में मुख्यमंरी पि के दलए चेहरा पेश दकया
और िह बुरी तरह परादजत हो गई।

लेदकन इसमें थोड़ा ही संिेह है दक मौया में मुख्यमंरी बनने की


महत्िाकांक्षा थी और कोई िायिा दकए बगैर दपछड़ी जादतयों के
दलए यह चालाकी भरा संिेश था दक उनका अपना आिमी इस
पि पर आसीन हो सकता है । यह संशय मििगार हु आ।
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मौया के सहायक दििेक हसह ने खाने का दडधबा दनकाला और
उसमें से घर में बनी रोटी में दलपटी सधजी अपने नेता को िी।
हमने पदिमी उत्तर प्रिे श के मैिानों को ऊपर से िे खा और
हे लीकॉप्टर के शोर के बीच ही मैंने उनसे पूछा दक उन्द्हें क्यों
लगता है दक अन्द्य दपछड़ा िगच पाटी के दलए िोट करे गा।

मौया ने जिाब दिया, ‘इस बार हमने दटकट दितरि में न्द्याय
दकया है । भाजपा ने उप्र के अपने चुनािी इदतहास में पहली बार
सबसे अदिक दटकट अन्द्य दपछड़े िगों को दिए हैं । यह हमारे
समाज को हमारी ओर आकर्णषत करे गा।’ िह इससे सििच
जादतयों के परे शान होने को लेकर हचदतत नहीं थे। ‘नहीं, उन्द्हें
भी 150 से अदिक दटकट दिए गए हैं । हम सभी को एकसाथ
लेकर चलने में दिश्वास करते हैं ।’’ और दफर दिडंबना को समझे
बगैर ही मुस्त्कुराते हु ए िह कहते हैं , ‘िूसरे िलों ने इतने सारे
दटकट मुल्स्त्लमों को दिए हैं । उन्द्होंने िूसरों के साथ अन्द्याय दकया
है ।’’
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यह दसफच प्रदतदनदित्ि नहीं था बल्कक संिेश था दजसने इन
समुिायों से अपील करने में भाजपा की मिि की। और यही
संिेश इस बात के इिच दगिच केल्न्द्रत रहा दक सपा और बसपा ने
दकस तरह उनके साथ गलत व्यिहार दकया। िह कहते हैं , ‘इन
सभी लोगों ने दकसी ने दकसी न दकसी समय समाजिािी पाटी
को िोट दिया, परं तु दसफच एक समुिाय ही लाभाल्न्द्ित हु आ। िे
अब दिककप की तलाश कर रहे हैं । िे जानते हैं दक भाजपा
दकसी के साथ भेिभाि नहीं करती है । ये सबकी पाटी है ।’ िे
यह भी जोड़ सकते थे, दक िे सभी जो हहिू हैं ।

मौया उस दिरोिाभास को उजागर कर रहे थे जो मौजूि था और


अन्द्य दपछड़ा िगच पदरिार के भीतर और अदिक तेज हो गया
था। और इसका एक पुराना इदतहास रहा है ।

उत्तर प्रिे श में, कांग्रेस सििच जादतयों, िदलतों और मुल्स्त्लमों के


दमले जुले गठबंिन के आिार पर परं परागत तरीके से चुनाि
जीतती रही थी। परं तु मंझोले कामगारों और दपछड़ों ने महसूस
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दकया दक सत्ता के इस गदित में उन्द्हें शादमल नहीं दकया गया है
और िे 1960 के िशक से ही समाजिािी संगठनों की ओर
आकर्णषत होने लगे। जैसा दक राजनीदतक िैज्ञादनक दिस्त्टॉफ
जैफ्रेलो ने िजच दकया है दक यह राम मनोहर लोदहया की राजनीदत
के िायरे में हु आ दजसमें जादत के आिार पर प्रदतदनदित्ि और
मुख्य रूप से सकारात्मक कारच िाई (यानी आरक्षि) की मांग की
गई थी, और चरि हसह की राजनीदत, दजसमें दकसानों की
व्यापक पहचान का मुद्दा उठाया गया और ‘दकसान’ की पहचान
के इिच दगिच की मांगों पर जोर दिया गया।

परं तु, अंत में लोदहया की राजनीदतक दिचारिारा का प्रभुत्ि


कायम हु आ। दिश्वनाथ प्रताप हसह के नेतृत्ि िाली जनता िल
सरकार ने मंडल आयोग की दरपोटच लागू की दजसमें अन्द्य दपछड़े
िगों के दलए केन्द्र सरकार की नौकदरयों में 27 प्रदतशत आरक्षि
का प्राििान था। यह एक दनिायक मोड़ था। अन्द्य दपछड़े िगों
की राजनीदतक चेतना गहरी होती जा रही थी, दजसने मुल्स्त्लमों
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के साथ गठबंिन करके लालू प्रयाि यािि को दबहार और
मुलायम हसह को उप्र में अपना नेता चुन दलया।

लेदकन ये राज्य सरकारें व्यापक अन्द्य दपछड़ा िगच पदरिार को


लाभ पहु ं चाने की बजाए जादत की जागीर बन कर रह गईं।
सरकारी नौकदरयों से लेकर राजनीदतक पिों तक लालू और
मुलायम िोनों के राज को यािि राज के नाम से जाना जाने
लगा। यह, जैसा दक जैफ्रेलो दलखते हैं , यह िारि बना िी दक
इस जादत ने शुरू से ही अपने लाभ के दलए अन्द्य दपछड़े िगों
का इस्त्तेमाल दकया है ।

इस िजह से दपछड़े िगों के भीतर भी दिरोिाभास शुरू हो गया।

दबहार में, उिाहरि के दलए, लालू प्रसाि और नीतीश कुमार


िोनों ही व्यापक जनता पदरिार के कॉमरे ड थे और दपछड़ों के
सशिीकरि के दलए प्रदतबर्द् थे। लेदकन नीतीश कुमार तो
कुमी थे। और कुमी, कम ताकतिर होने और याििों की तुलना
में संख्या में कम होने के बािजूि अन्द्य दपछड़े िगच की एक
महत्िपूिच जादत है । उन्द्हें पाटी में दकनारे लगाए जाने से उनमें
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असंतोष था। नीतीश कुमार ने लालू प्रसाि से दरश्ता तोड़ा और
इसे तैयार दकया। उन्द्होंने अंततः समूची अदत दपछड़ी जादतयों
को ही तैयार दकया और अन्द्य दपछड़े िगच को खंदडत कर दिया।
जैसा दक हमने ऊपर िे खा, दपछड़ों ने दसफच 2015 में ही एकसाथ
िोट दिया जब नीतीश और लालू िशकों के बाि एकसाथ आए
थे।

उप्र में भी अंतर्णिरोि तेज हो गया। हो सकता है दक अन्द्य दपछड़ा


िगच आरक्षि पाने की लालसा पूरी करने और कांग्रेस की
िािादगरी खत्म करने के अपने लक्ष्य के दलए एकजुट हो गया
हो। परं तु अब यािि और गैर यािि की िरार पैिा हो गई थी।
अदिकांश दपछड़े समूह – कुमी, कुशिाहा, लोि और अन्द्य
समाजिािी पाटी के िायरे से िूर हो चुके थे। कुछ ने बसपा से
उम्मीि लगा रखी थी परं तु यहां भी उन्द्हें दनराशा ही हाथ लगी।

िूसरे िलों द्वारा मुसलमानों को जरूरत से ज्यािा महत्ि दिए जाने


और इस तरह से िूसरों के साथ न्द्याय नहीं करने संबंिी केशि
मौया की भड़ास से भाजपा के िैचादरक पूिाग्रहों का ही पता
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चलता है । परं तु यह सही था दक सपा और बसपा ने गैर यािि
अन्द्य दपछड़े िगों को लुभाने में अदिक समय नहीं लगाया और
इसने भाजपा को पूरा खुला अिसर प्रिान कर दिया। दबहार में,
नीतीश कुमार ने इन समुिायों की नाराजगी जादहर की थी और
उनकी अपेक्षाओं पर तििो िी थी। उप्र में ऐसा कोई नेता नहीं
था। चुनािी गिना से इन 30 प्रदतशत को अलग कर िे ना उत्तर
प्रिे श में दकसी भी क्षेरीय िल के दलए आत्मघाती हो सकता है ।

अदखल यािि दिदभन्न जादतयों के बीच सपा की एक यािि पाटी


होने की छदि से बाहर दनकलते हु ए अपने दिकास के नाम पर
शधिाडंबर के भरोसे थे। लेदकन भाजपा का मानना था दक यह
काम नहीं करे गा। उसने खुि को ऐसी ताकत के रूप में पेश
दकया जो उस जादत के दखलाफ खड़ी है दजसने दसफच अपना
भला दकया और बाकी सभी की उपेक्षा की।

और इसीदलए जब हम अमरोहा में हे लीकॉप्टर से उतरे तो मौचा


ने कहा, ‘कुछ जादतयां तो दिशेषादिकार िाली जादतयां हो गयी
हैं । यह चुनाि उसके दखलाफ जनािे श है ।’
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*

भाजपा को सफलता दमली। राज्य के प्रत्येक कोने में दपछड़े िगच


के लोगों ने अपनी ल्स्त्थदत मजबूत की।

बुन्द्िेलखण्ड को ही लें।

नीलांजन सरकार, भानु जोशी और आशीष रं जन राजनीदतक


िैज्ञादनक हैं और सेन्द्टर फॉर पादलसी दरसचच के साथ हैं । उन्द्होंने
उप्र से ि हहिू अखबार के दलए दलखा।

झांसी के बबीना दनिाचन क्षेर में उनकी मुलाकात राजभर


समुिाय के एक पदरिार से हु ई, इनमें सभी ने 2012 के चुनाि में
सपा को िोट दिया था। इस बार िे भाजपा को िोट िें ग।े पदरिार
ने महसूस दकया दक उन्द्हें उतनी आर्णथक मिि नहीं दमली दजतनी
सरकार ने सूखे से प्रभादित लोगों को िे ने का िायिा दकया था
परं तु याििों को उनके दहस्त्से भी कहीं अदिक दमला। मध्यम
आयु के एक व्यदि ने उनसे कहा, ‘यह दसफच काम करने के बारे
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में नहीं है , हम कोई ऐसा चाहते हैं जो हम सभी के साथ एक
समान व्यिहार करे ।’

सरकार, जोशी और रं जन ने दनष्ट्कषच दनकाला, ‘उदचत हो या


नही परं तु पूरे उत्तर प्रिे श में उनकी (अदखलेश याि) की पाटी का
संगठन अभी भी स्त्थानीय नौकरशाही, पुदलस और सामादजक
ढांचे में बड़े पैमाने पर यािि प्रभुत्ि से जुड़ा हु आ है और भय
तथा हहसा के माध्यम से शासन चला रहा है जबदक संसािनों
को अपनी जादत की ओर मोड़ रहा है ।’

या दफर मध्य-पदिम उप्र में जाएं।

परकार दशिम दिज ने एक सप्ताह कासगंज में दबताया। यह एक


ऐसी सीट है जो 1974 से ही उप्र का चुनाि जीतने िाले िल को
िोट िे ने में आगे रही है । यह भाजपा के पूिच मुख्यमंरी ककयाि
हसह का क्षेर था। 2012 में सपा के साथ कुछ समय दबताने के
बाि पाटी का यह कद्दािर लोि नेता की घर िापसी हो गयी थी।
हालांदक इस समय िह राजस्त्थान के राज्यपाल थे लेदकन उनके
समुिाय के दलए इस संिेश में कोई तुदट नहीं थी – भाजपा उन्द्हें
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महत्ि और सम्मान िे रही है , उनका पौर एक अन्द्य सीट से
चुनाि मैिान में प्रत्याशी था और भाजपा नेतृत्ि ने अपनी प्रत्येक
जनसभा में कानून व्यिस्त्था की िृदष्ट से ककयाि हसह के शासन
को प्रिे श का स्त्िर्णिम काल बताया। (इस दिडंबना को मत
भूदलए दक ककयाि हसह के शासनकाल में ही बाबरी मल्स्त्जि
दगराई गई थी)।

दिज ने दलखा दक इस दनिाचन क्षेर में तीन लाख या इसके


आसपास मतिाताओं में से 65, 000 से अदिक लोि थे और
भाजपा अकेली पाटी थी दजसने लोि को अपना उम्मीििार
बनाया था। भाजपा के पारं पदरक सििच जादतयों के िोट और
अन्द्य दपछड़े िगच के समूहों के िोट लोि िोट के साथ जुड़ने से
भाजपा यहां करीब करीब अजेय लग रही थी।

दिज बाि में याि करते हु ए बताते हैं दक ककयाि हसह के प्रदत
दनष्ठा और उनकी जादत का उम्मीििार होने के अलािा यािि
दिरोिी भािनाएं जगजादहर थीं। िह कहते हैं , ‘एक गांि में, मुझे
याि है दक मैं गैर यािि दपछड़े िगों के एक समूह से बात कर
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रहा था, दजसमें लोि, कश्यप और अन्द्य शादमल थे, एक यािि
आया और हमारी बातचीत में व्यििान डालते हु ए बहु त ही
आिामक अंिाज में बोला, ‘‘अदखलेश, अदखलेश’’ और दफर
िहां से चला गया। लोि समुिाय का एक व्यदि घूमा और
तत्काल बोला दक इसी तरह का आचरि है जो उनकी हार का
कारि बनेगा।’’

या आप पूिांचल की ओर जाएं, जैसा टे लीग्राफ अखबार के


रोहिग एडीटर और िदरष्ठ परकार शंकषचि ठाकुर ने माचच के
शुरू में दकया था।

िारािसी में प्रिानमंरी द्वारा अपनाए गए गांि जायापुर में उनकी


मुलाकात ग्राम प्रिान नारायि पटे ल से हु ई जो कुमी थे। पटे ल
भाजपा की सहयोगी और अनुदप्रया पटे ल के नेतृत्ि िाली छोटी
पाटी अपना िल के समथचक थे। अनुदप्रया पटे ल दमजापुर से
सांसि और अब केन्द्र सरकार में मंरी हैं ।

यह गठबंिन 2014 के चुनाि में कुमी मतों को प्राप्त करने की


अदमत शाह की रिनीदत का दहस्त्सा थी। शाह ने 2017 के चुनाि
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में भी यह गठबंिन बनाए रखा था। यह दिचार आमतौर पर
चुनािों के प्रदत उनके िृदष्टकोि से सही है - मतों को बढ़ाएं, 5-
10 प्रदतशत के उस अंतर को िूर करें दजसने भाजपा को जीत से
िूर रखा था। इसके दलए िूसरे िलों के नेताओं को तोड़ने या ऐसे
सहयोगी को साथ लेने की रिनीदत थी, जो भले ही छोटे हों परं तु
एक समुिाय पर उसका प्रभाि हो। उत्तर प्रिे श में यह गठबंिन
स्त्ितंर अन्द्य दपछड़े समूहों के प्रदत भाजपा की संिेिनशीलता
को िशाने की रिनीदत में सही बैठता था। इसी तरह का गठबंिन
राजभर समुिाय की एक छोटी सी पाटी सुहेलिे ि भारतीय
समाज पाटी के साथ भी दकया गया था।

पूरे दिन अपनी मोटर साइदकल पर चुनाि प्रचार कर रहे नारायि


पटे ल ने ठाकुर से कहा, ‘मेरा सरोकार मोिी से है और दसफच
उनसे ही है । िे श को अभी तक ऐसा नेता नहीं दमला था और उप्र
को भी मोिी की जरूरत है ।’

या आप राज्य के िूसरे छोर पर करीब करीब दिल्ली की सीमा से


लगे हु ए पदिमी उत्तर प्रिे श में जाट इलाके को ही ले लीदजए।
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संिेश स्त्पष्ट था परं तु क्षेरों की दिदशष्टता ने इसे अनुकूल बनाया
था।

2014 के चुनाि में भाजपा ने मुख्य रूप से जाट िोटों के सहारे


पदिम उप्र में सफाया कर दिया था। इस बार पूिच केन्द्रीय मंरी
अदजत हसह की पाटी राष्ट्रीय लोक िल को उम्मीि थी दक जाट
समुिाय पाटी में लौट आएगा। ऐसा लगता था दक हदरयािा में
एक गैर जाट को मुख्यमंरी बनाए जाने, अन्द्य दपछड़े िगच की
केन्द्रीय सूची में जाटों को शादमल करने के दलए अदिक प्रयास
नहीं करने और उनके कद्दािर नेता चौिरी चरि हसह के प्रदत
अनािर रखने की िजह से यह समुिाय नाराज था।

इसके बािजूि भाजपा ने इस इलाके में सफाया कर दिया।


राष्ट्रीय लोक िल के एक नेता ने बाि में सफाई िे ते हु ए कहा,
‘आप जानते हैं , जाट हमारे पास लौटे हैं । 2014 में हमें दसफच
सात लाख या इसके आसपास मत दमले थे जो दसफच 0.8
प्रदतशत ही था। लेदकन इस बार हमें 15 लाख से भी ज्यािा मत
दमले जो 1.8 प्रदतशत है । समस्त्या यह हु ई दक प्रत्येक दनिाचन
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क्षेर में सभी अन्द्य दपछड़े िगच भाजपा के दलए एकजुट हो गये।
उनके पीछे दपछड़ों के एकजुट होने की सीमा चौंकाने िाली है ।’

यह इसदलए हु आ क्योंदक भाजपा को प्रभािशाली िगच से दनबटने


में सक्षम होने िाले िल के रूप में िे खा गया था। ‘हमारे इलाके
में, सैनी, पाल, गुिर ने महसूस दकया दक भाजपा जाटों को काबू
में रखेगी। जाटों ने दजतना अदिक कहा दक िे इस बार
आरएलडी को िोट िें गे, िूसरे उतना ही अदिक प्रदतबर्द् होकर
भाजपा को िोट िें ग।े अंततः भाजपा को जाटों के साथ ही सभी
दपछड़ों के भी मत दमले।’’

उत्तर प्रिे श के सभी बड़े क्षेरों में भाजपा खुि को िंदचत तबकों
के मसीहा के रूप में पेश करने में कामयाब रही और अंततः
एक ऐसी प्रभािशाली पाटी बनकर उभरी, जो सभी के दलए थी
और दजसने दभन्न-दभन्न जादतयों से बनी राज्य की अकेली सबसे
बड़ी आबािी को जीता, दजसमें गैर यािि ओबीसी शादमल थे.

*
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मेरठ में सतीश प्रकाश एक िदलत प्रोफेसर हैं । प्रकाश की बसपा
से सहानुभूदत है परं तु िह स्त्ितंर हैं और पाटी की राजनीदत के
आलोचक हैं । िदलत समाज में अच्छी तरह पैठ रखने िाले
प्रकाश पदिमी उत्तर प्रिे श में अपने समुिाय के एक महत्िपूिच
बुदर्द्जीिी के रूप में उभर रहे हैं ।

चुनाि प्रचार के िौरान हम िोनों ने एक साथ ही हल्स्त्तनापुर, जो


एक सुरदक्षत क्षेर है , की यारा की और बसपा प्रत्याशी योगेश
िमा के प्रचार अदभयान को िे खा। प्रकाश उनकी जीत के प्रदत
उसी तरह आश्वस्त्त थे जैसा दक िह मायािती के लखनऊ में
मुख्यमंरी के रूप में सत्ता में लौटने के प्रदत थे।

चुनािों के बाि, हमने उनसे बात करके जानना चाहा दक गडबड़ी


कहां हु ई।

प्रकाश ने बताया, ‘िदलतों और जाटिों के एक िगच ने दिशेषरूप


से, ब्राह्मििाि के दखलाफ लगातार आिाज उठाई और अपने
दलए जगह मांगी। जब िे आर्णथक और शैक्षदिक रूप से सशि
हो गए तो इस जगह पर अपना एकादिकार जमाना चाहते थे।
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क्या उनकी अपने समुिाय के भीतर ही कमजोर िगों के प्रदत
कोई दजम्मेिारी नहीं थी? बसपा ने इसे नहीं समझा। भाजपा ने
इसे समझा।’

उत्तर प्रिे श में सभी सामादजक समूहों में िदलत सबसे अदिक
कमजोर हैं । और िदलतों में भी छोटी और इिर उिर फैली
जादतयां सबसे कमजोर हैं , दजनके पास संख्या दशक्षा, मध्यम िगच
और राजनीदतक नेता नहीं हैं जो उनकी समस्त्याओं को सही
तरीके से पेश कर सकें।

िे िदलत हैं दजन्द्होंने आगे बढ़ने की प्रदिया में दकसी दहस्त्से के


बगैर ही चार िशकों तक पूरी दनष्ठा के साथ कांग्रेस को िोट
दिया। िे िदलत हैं दजन्द्होंने मायािती को िोट दिया परं तु िे पाटी
की मशीनरी पर जाटिों के एकादिकार के कारि पीछे ही रह
गये। िे िदलत हैं दजन्द्होंने समाजिािी पाटी के याििों को अपने
शोषकों के रूप में िे खा है । प्रकाश उन िदलतों के संिभच में कह
रहे थे दजनके प्रदत अब अदिक ताकतिर हो चुके िदलतों की
दजम्मेिारी थी। िदलतों को पाटी में पीछे छोड़ दिया गया था।
dr. dharmendra Singh G
िे िदलत हैं जो इस बार भाजपा की ओर चले गए।

बरी नारायि उत्तर प्रिे श के िदलतों की राजनीदत के एक जाने


माने दिचारक दिद्वान और फ्रैक्चडच टे कसः इल्न्द्िदजबल इन इंदडया
के लेखक हैं । अप्रैल की शुरूआत में दबहार के प्रमुख बुदर्द्जीिी
सैबल गुप्ता द्वारा पटना में आयोदजत एक सम्मेलन में नारायि ने
व्याख्यान दिया। उत्तर प्रिे श में दमली दिजय की गहमा-गहमी
शहर में भी थी और सारी बातचीत पड़ोसी राज्य में जो कुछ हु आ
उसी के इिच दगिच केल्न्द्रत थी।

नारायि खुि भी इस दिजय के पैमाने से हतप्रभ थे और उन्द्होंने


उसी बात को आगे बढ़ाया जो प्रकाश ने मुझसे कही थी। उन्द्होंने
बताया दक उप्र में िदलतों में 60 से अदिक उपजादतयां हैं । इनमें
से कुछ का सशिीकरि हो गया है और इनमें जाटि भी है
दजन्द्होंने राजनीदतक सत्ता में एक बड़ा दहस्त्सा हादसल कर दलया
और सरकारी नौकदरयों और योजनाओं का भी लाभ प्राप्त कर
दलया।
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‘िे दशक्षा, मूलभूत बुदर्द्जीदियों और समुिाय के नेताओं के
सृजन, अपनी जादत के माध्यम से सांस्त्कृदतक रूप से अपनी
पहचान का िािा करके और हीरो तथा अन्द्य जातीय प्रतीकों
जैसे कई कारिों से आगे दनकल गए।’ कमजोर तबका अभी
भी व्यापक रूप से अदशदक्षत था, उनके पास अपने समुिाय में
उनके समकक्ष नेता नहीं थे जो उन्द्हें संगदठत करते और अपनी
पहचान को लेकर िािा करते।

‘आप जानते हैं , कांशीराम इन सभी समुिायों में आत्मदनभचर होने


का अहसास दिलाने के दलए उनमें से सभी पैंसठ के अलग से
नाम दलया करते थे। मायािती ने सभी को एक साथ इकिा कर
दिया और उन्द्हें बहु त कम जगह िी। कांशीराम ने यह भी कहा
था, ‘‘दजनकी दजतनी संख्या है , उनकी उतनी दहस्त्सेिारी। परं तु
क्या िदलतों में भी यह दनयम लागू हु आ? यह जाटि थे दजन्द्होंने
िदलतों की सीटों का बड़ा दहस्त्सा हदथया दलया था।’’

मेरठ में, प्रकाश इससे सहमत थे।।


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‘िूसरी सबसे बड़ी िदलत जादत िाकमीदकयों को ही ले लीदजए।
दजला स्त्तर पर उनमें से दकतने पाटी सदचि हैं ? एक भी नहीं।’

िह एक घटना के बारे में बताते हैं दजसके बारे में िह िािा करते
हैं दक बसपा के बारे में िाकमीदकयों का कथन महत्िपूिच है ।
‘मायािती जब मुख्यमंरी थीं, एक िदलत मदहला, रे खा
िाकमीकी, पूिांचल में कहीं पर एक स्त्कूल में मध्याह्न भोजन की
रसोईया थी। कुछ छारों ने इस पर आपदत्त की। आपको पता है
दक मायािती ने क्या दकया? उन्द्होंने िाकमीदक को हटा दिया।
इसका िूसरे स्त्कूलों पर भी िूरगामी असर पड़ा था। जरा सोदचए,
इससे पूरे समाज के दलए क्या संिेश गया होगा।’

दबहार मे, नीतीश कुमार ने िदलतों में व्याप्त दिरोिाभास का ही


सहारा दलया। इनमें पासिान को प्रबल माना जाता था। उन्द्हें
प्रदतद्वं द्वी राम दिलास पासिान के प्रदत दनष्ठािान माना जाता था।
नीतीश कुमार ने महािदलतों की एक नयी श्रेिी को जन्द्म िे
दिया। यह सबसे अदिक हादशए िाले िदलत थे जो 2010 और
2015 के चुनािों में बड़ी संख्या में उनके साथ जुड़ गए थे।
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और भाजपा ने यह समझ दलया था दक उप्र में भी यही
दिरोिाभास मौजूि है । अदमत शाह ने एक बार दफर यह दिखा
दिया दक िह उत्तर भारत में राज्य में पहले से ही गहरी जड़ें जमाए
नेताओं से कहीं अच्छे समाजशास्त्री क्यों हैं । उन्द्होंने इन
दिरोिाभासों को पहचान की, इसे और तेज दकया और इस िगच
में सबसे अदिक प्रभुत्ि िाले समूह के दखलाफ सभी को
संगदठत दकया।

नारायि तकच पेश करते हैं , ‘कांशीराम ने जो जाटिों के दलए


दकया, आरएसएस और भाजपा ने िही शेष िदलतों के दलए
दकया।’ िे समुिाय को अपने नेता तैयार करने में मिि कर रहे
हैं । िे अपनी जादत के इदतहास को संकदलत करने में मिि कर
रहे हैं । िे उनके समुिाय के हीरो का पता लगा रहे हैं । िे उनके
उत्सिों को ईजाि करके उन्द्हें मना रहे हैं । िे िदलत बल्स्त्तयों के
दनकट शाखाओं का आयोजन कर रहे हैं ।’’

और गैर यािि दपछड़ों की तरह ही इसमें भी उत्पीड़न दकए जाने


का संिेश है । ‘तुलनात्मक िृदष्ट से िंदचत दकए जाने के अहसास
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को बढ़ाया गया। िे खो जाटिों को क्या दमला, िे खो तुम लोगों
को क्या दमला। दफर क्यों बसपा से दचपके हु ए हो?’ नारायि को
लगता है दक यह तो दसफच शुरुआत है और भाजपा ने अभी
ऊपरी सतह को ही कुरे िा है और िस के आसपास िदलत
जादतयों में ही पैठ बनाई है । ककपना कीदजए यदि िीरे -िीरे िे
िूसरों के साथ भी ऐसा ही करें तो क्या होगा; िहां पूरी तरह से
खालीपन है ।’’

फामच 20 के आंकडे-दनिाचन आयोग द्वारा उपलधि कराये जाने


िाले मतिान केन्द्र स्त्तर का दििरि, के अभाि में जनसांल्ख्यकी
का दििरि प्राप्त करना और यह पता लगाना संभि ही नहीं है
दक दकस जादत और समुिाय ने दकसे िोट दिया है । और गैर
यािि दपछड़ों से इतर गैर जाटि िदलत उप्र में सभी समुिायों में
सबसे अदिक चुप्पी सािने िाले हैं तो उनसे दकसी भी तरह का
साक्ष्य दनकलिाना भी कदठत है । भाजपा िदलतों के दलए
सुरदक्षत अदिकांश सीटों पर दिजयी रही परं तु यह भी सुरदक्षत
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सीटों के दलए कोई पैमाना नही था क्योंदक सारे उम्मीििार िदलत
हैं और ऐसी ल्स्त्थदत में गैर िदलत मत महत्िपूिच हो जाते हैं ।

लेदकन हम जो जानते हैं िह यह है ।

भाजपा का अब दिल्ली में नीदतगत स्त्तर और चुनािों में जमीनी


स्त्तर पर िदलतों के बारे में ध्यान केंदरत कर रही है ।

प्रिान मंरी नरे न्द्र मोिी का बाबासाहे ब आंबेडकर की दिरासत


पर जोर, आंबेडकर के जीिन से जुड़े दिनों पर केन्द्र सरकार के
समारोह, उनके जीिन से जुड़े पांच स्त्थानों को बढ़ािा िे ने पर
उसका जोर, सरकार के दडदजटल भुगतान एैप का नाम ‘भीम’
रखकर प्रिानमंरी का आंबेडकर को समकालीन जीिंतता
प्रिान करने का प्रयास और िदलत उद्यदमयों को प्रोत्साहन िे ना
इसी राजनीदतक उपिम का दहस्त्सा है ।

दिपक्ष को उम्मीि थी दक रोदहत िेमुला की आत्महत्या और उना


की घटना भाजपा को नुकसान पहु ं चाएगी – उसने अनेक
आंबेडकरी कायचकताओं, दिशेषकर छारों को उत्तेदजत भी दकया
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– परं तु ये िे लोग थे जो दकसी भी ल्स्त्थदत में बसपा को ही िोट
िे ते। ये सब ‘अपेक्षाकृत िंदचत’ िदलतों को उप्र में भाजपा का
सहयोग करने से रोक नहीं सके।

इसका तात्पयच यह नहीं है दक िे पूरी तरह िूसरी ओर चले जाएंग;े


न ही इसका मतलब यह है दक भाजपा का प्रदतरोि खत्म हो
जाएगा। दनदित ही, भाजपा के सत्ता में आने के बाि सहारनपुर
में ठाकुरों और िदलतों के बीच हु ई झड़प और इस िजह से कई
हफ्ते तक तनाि व्याप्त रहने की घटना ने इस पाटी के दखलाफ
िदलतों, दिशेषकर जाटिों की, संगदठत होने की क्षमता को
िशाया ।

परं तु भाजपा की इतने बड़े पैमाने पर जीत ने यह संकेत तो दिया


ही दक िे श के एक दनिचनतम राज्य के सबसे अदिक िंदचत
समुिायों और भारत के सिादिक िंदचतों में से एक िगच ने उस
पाटी को िोट दिया जो प्रभािशाली जादतयों से जुड़ी हु ई पाटी
रही है । इस समथचन के प्रदत आभार व्यि करने और इसके और
अदिक बड़े पैमाने पर एकजुट होने की उम्मीि में भाजपा ने िे श
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के अगले राष्ट्रपदत पि के दलए उप्र के ही गैरजाटि िदलत राम
नाथ कोहिि को नादमत करने का फैसला दकया।

यह समझने के दलए दक क्या नई भाजपा सबको एक साथ रखेगी


और क्या उसका बहु जातीय प्रयोग सफल होगा, जरूरी है दक
अतीत पर नजर डाली जाए।

2017 या 2014 ऐसे पहले मौके नहीं थे जब भाजपा ने इन


जादतयों को लुभाया था।

िन्द्िरदबल दिश्वदिद्यालय में राजनीदत दिज्ञान के तादरक थादचल


ने भाजपा के सामादजक आिार का िायरा बढ़ाने के प्रयास पर
एक बहु त ही शानिार पुस्त्तक इलीट पाटीज, पुअर िोटसचः हाउ
सोशल सर्णिसेज दिन्द्स िो्स इन इंदडया दलखी है । उन्द्होंने इस
तथ्य का आकलन करने के दलए तीन दबन्द्िओ
ु ं को रे खांदकत
दकया है दक क्या अदभजात्य िगच, पाटी के समथचन का मुख्य
dr. dharmendra Singh G
आिार है । िे हैं : उसकी आंतदरक संरचना, मतिाताओं के
समथचन का तरीका और नीदतगत रूपरे खा।

थादचल तकच िे ते हैं दक इन तीनों ही दबन्द्िओ


ु ं पर भाजपा ने हमेशा
अदभजात्य राजनीदत के इन सभी दबन्द्िओ
ु ं को प्रिर्णशत दकया है ।

लेदकन भाजपा ने 1980 के िशक के अंत और 1990 के िशक


के प्रारं भ में िीरे िीरे यह महसूस करना शुरू कर दिया था दक
उसे िूसरे समुिायों का दिल जीतने के दलए और अदिक काम
करना होगा। इस प्रयास को गदत प्रिान करने िाले व्यदि एक
समय सबसे अदिक ताकतिर पाटी के महासदचि गोदिन्द्िाचायच
थे, दजन्द्होंने अटल दबहारी िाजपेयी के साथ मतभेि के कारि
दसतंबर, 2000 में पाटी से बाहर होने के साथ ही सदिय राजनीदत
से संन्द्यास ले दलया। बातचीत के िौरान ही गोदिन्द्िाचायच पाटी
में आए बिलाि पर चचा करते हैं ः ‘हमने 1980 के िशक के
मध्य में महसूस दकया दक यहां कुछ गुज
ं ाइश है । उस समय िो
बातें हु ई थीं। मीनाक्षीपुरम िमान्द्तरि की घटना हु ई थी दजसमें
सैकड़ों िदलतों ने इस्त्लाम िमच कबूल कर दलया था। और दफर
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शाह बानो का फैसला आया था। हहिुओं की भािना आहत
हु ई।’ उन्द्होंने तकच दिया दक उस समय ‘अकपसंख्यकिाि’
राजनीदत का केंर बन गया। ‘बाबरी मल्स्त्जि एक्शन कमेटी
सदिय हो गयी। उन्द्होंने इस पुरातत्ि स्त्थल में नमाज पढ़ने की
अनुमदत मांगना शुरू कर दिया। इस सबने हहिुओं की
भािनाओं को आहत करने में योगिान दिया।’ यह ध्यान रखना
भी जरूरी है दक हहिू भािना आहत होने की बात स्त्ितः ही नहीं
उठी बल्कक भाजपा और दिश्व हहिू पदरषि द्वारा सदियों से दकए
गए ‘अन्द्याय’ की बात लोगों के दिमाग में दबठाने के दलए सतत
दकए गए प्रचार और संगठनात्मक कायों से हु आ। यही नहीं,
ऐदतहादसक न्द्याय की आिश्यकता पर जोर िे ते हु ए इसके प्रतीक
स्त्िरूप अयोध्या में राम मंदिर के दनमाि की मांग की गयी।

और दफर, कुछ ही िषों के भीतर, राम जन्द्म भूदम आन्द्िोलन तेज


हो गया। ‘अब एक व्यापक हहिुत्ि की छाया थी। और दफर इस
ओर दपछड़े समुिाय के लोग भी आकर्णषत होने लगे। उन्द्होंने
िापस लौटना शुरू कर दिया।’ कुमी और कोयरी जैसे समूह
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1960 के िशक में भाजपा के पुराने अितार भारतीय जनसंघ
की ओर मुड़ गए थे। परं तु पाटी उनका समथचन बरकरार नहीं
रख सकी। गोदिन्द्िायच तकच िे ते हैं दक यह हहिुत्ि ही था दजसने
सभी जादतयो में हहिू एकता की रूपरे खा पेश की। ध्यान िीदजए
मोिी-शाह करीब तीन िशक बाि यही करने का प्रयास कर रहे
थे।

दिश्वनाथ प्रताप हसह की सरकार में 1989 में समाजिादियों और


माक्सचिादियों के साथ भाजपा के गठबंिन ने इसमें मिि की।
गोदिन्द्िाचायच स्त्िीकार करते हैं , ‘इसने दपछड़े समुिायों की नजर
में हमारी स्त्िीकायचता को बढ़ा दिया था।’

यह पाटी की एक महत्िपूिच रिनीदत रही है । 1967 में


समाजिादियों के साथ गठबंिन ने पाटी को पहली बार सत्ता तक
पहु ं चाया, 1970 के िशक के मध्य में जय प्रकाश नारायि के
आन्द्िोलन में दहस्त्सा लेने और जनता पाटी में दिलय ने पाटी को
सबसे पहली व्यापक स्त्िीकायचकता दिलायी और 1980 के
िशक के आदखर उन समूहों के साथ राष्ट्रीय मोचा का दहस्त्सा
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बनी दजनका मध्यम जादत के कामगारों और दपछड़ी जादतयों में
जनािार था। इसने इन समुिायों के बीच भाजपा का द्वार खोल
दिया था।

परं तु अब एक समस्त्या थी। दिश्वनाथ प्रताप हसह ने जब अन्द्य


दपछड़े िगों के दलए आरक्षि का प्राििान करने िाली मंडल
आयोग की दरपोटच लागू करने का फैसला दकया तो भाजपा
पसोपेश में पड़ गई। भाजपा इसका दिरोि करते हु ए नजर नहीं
आ सकती थी और न ही उसने इसे अंगीकार दकया क्योंदक ऐसा
करके उसे सििच जादतयों का समथचन गंिाना पड़ता। िह मंडल
को बेअसर करने के दलए एक बार दफर हहिुत्ि काडच – मंदिर
मुद्दे – पर िापस गयी और ऐसा करने के दलए उसने दपछड़े
चेहरों का इस्त्तेमाल दकया।

लाल कृष्ट्ि आडिािी की रथ यारा अब पूरे चरम पर थी, परं तु


क्षेरीय स्त्तर पर मैिान में इसके प्रमुख चेहरे ककयाि हसह, उमा
भारती, दिनय कदटयार काम पर थे। यह महज संयोग नहीं था
दक ये तीनों ही दपछड़े समुिायों से आते थे। हसह और भारती
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लोि और कदटयार कुमी थे। यह भाजपा के दिस्त्तार का स्त्िर्णिम
काल था। इस िौर के बारे में दबहार से भाजपा के एक िदरष्ठ नेता
और अब एक प्रभािशाली केन्द्रीय मंरी ने 2014 के चुनािों की
तैयारी के िौरान मुझसे कहा था, ‘हहिुत्ि सबसे अदिक सफल
उस समय होता है जब उसका चेहरा अन्द्य दपछड़े िगच का होता
है । जरा 1990 के िशक पर नजर डादलए।’

गोदिन्द्िाचायच ने इस बिलाि को प्रोत्साहन िे ने में महत्िपूिच


भूदमका दनभाई थी दजसे ‘सोशल इंजीदनयहरग’ के नाम से जाना
गया। परं तु िह जोर िे ते हु ए कहते हैं दक यह इस अनुमान के
दलए उपयुि शधि नहीं है दक समुिायों को कृदरम तरीके से
संगदठत दकया जा सकता है । परं तु शधिािली से इतर सही मायने
में जनािार के दिस्त्तार का प्रस्त्ताि था। और इस प्रदिया में,
गोदिन्द्िाचायच ने भाजपा के दलए अपने चर्णचत सलाह के अंिाज
में कहा, ‘आिश्यकता चाल, चदरर और चेहरा बिलने की है ।’

इसका तात्पयच क्या है ? ‘जब मैंने चाल के बारे में कहा तो मेरा
तात्पयच हमारी शैली बिलने की आिश्यकता से है । पहले हम
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अपनी सारी सभाएं शाम को करते थे। बदनया समाज के लोग
उस समय तक स्त्थानीय बाजार में अपना काम खत्म कर लेते थे
और िहां आने के दलए उनके पास पयाप्त समय था। मैंने तकच
दिया दक यदि हम चाहते हैं दक हमारी सभाओं में ग्रामीि इलाकों
के भी लोग आएं तो हमें ये जनसभाएं दिन में आयोदजत करनी
होंगी।’

और जब दिदभन्न जादतयों के लोग ग्रामीि इलाकों से इन सभाओ


में आए तो उनके दलए यह महत्िपूिच था दक उन्द्होंने एक चेहरा
ऐसा िे खा दजसे िे पहचान सकते थे और जो उनके अपने
समुिाय से आये लोगों में था। ‘महत्िपूिच यह था दक दिदभन्न
जादतयों के लोगों ने मंच पर अपने पदरदचत चेहरों को िे खा, उन्द्हें
भाषि िे ते िे खा, उन्द्होंने िे खा दक उन्द्हें सम्मान दिया जा रहा है ।
यही िह किम था दक लोग महसूस कर सके दक िे इसका दहस्त्सा
हैं ।’

याििों के मामले में चेहरों के महत्ि को िे खा जा सकता है ।


हहिुत्ि कायचिम के साथ उन्द्हें पहचाना जा सकता है । दनदित
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ही, यािि दबहार के भागपुर िं गों सदहत अनेक मौकों पर मुल्स्त्लम
समुिाय से टकराि होने पर अक्सर ही सबसे आगे थे।
गोदिन्द्िाचायच याि करते हैं दक इस समुिाय के लोग उनके पास
आये थे। ‘उन्द्होंने कहा दक िे गौ रक्षा के दलए प्रदतबर्द् है ; जब
हमने मथुरा को मंदिर आन्द्िोलन में जोड़ा तो उन्द्हें आभास हु आ
दक हम अपने एजेन्द्डे में भगिान कृष्ट्ि, दजन्द्हें िे अपने िंश का
मानते हैं , को भी इसमे स्त्थान िे रहे हैं , िे शुर्द् शाकाहारी थे।
लेदकन उनके पास उप्र में मुलायम हसह यािि और दबहार में
लालू प्रसाि सरीखे नेता थे और इसीदलए इस मुद्दे पर उनका
भािनात्मक लगाि पाटी के प्रदत उनके राजनीदतक समथचन में
पदरिर्णतत नहीं हु आ।’ भाजपा इस समुिाय में अपनी जगह बनाने
में असफल थी क्योंदक िह उस कि के चेहरे पेश नहीं कर सकी।

लेदकन ऐसा क्या था दक हहिू जादत व्यिस्त्था का दशकार होने के


बािजूि दपछड़े समुिाय हहिू राजनीदतक पाले की ओर आकर्णषत
हु ए?
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गोदिन्द्िाचायच ने िो बातों का उल्लेख दकया। ‘अकपसंख्यकिाि’
दजसने हहिुओं को एकजुट दकया और प्रदतदनदित्ि, लौटकर हम
दफर चेहरे की उपल्स्त्थदत पर आ गये। ‘िे हमेशा सजग थे और
उनका सहयोग मुख्य रूप से प्रदतदनदित्ि पर आिादरत है ।’

पाटी के चदरर में बिलाि लाना आसान नहीं था और बहु जातीय


गठबंिन तैयार करना भी आसान नहीं था।

मण्डल ने बहु त तेजी से समाज और संगठनों का जातीय आिार


पर िुिीकरि कर दिया था।

सििच जादतयों में अपेक्षाकृत अपने अिसरों को गंिाने को


लेकर असंतोष व्याप्त था। दपछड़ी जादतयों का सशिीकरि
हु आ था ओर इसे लेकर सििच जादतयों में व्याप्त असंतोष को
उन्द्होंने अपने अदिकारों से उन्द्हें िंदचत करने की चाल के रूप
में दलया। संघ ओर भाजपा िोनों में ही यह दिरोिाभास उभर कर
सामने आया। थादचल दलखते हैं , ‘भाजपा ने दिशुर्द् चुनािी
बाध्यताओं की िजह से काफी लंबे समय के संशय के बाि बहु त
ही अदनच्छा के साथ अन्द्य दपछड़े िगों को आरक्षि का लाभ
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िे ना स्त्िीकार दकया। जादत आिादरत आरक्षि का मुद्दा इसदलए
भी पाटी को परे शान कर रहा था क्योंदक यह उसे िूसरे तमाम
िलों से अलग कर रहा था और उसके दिरोिी इसे आसानी से
अपने अदभजात्य आिार को प्राथदमकता िे ने िाले हहिू राष्ट्रिाि
के एक और उिाहरि के रूप में पेश कर रहे थे। अंततः भाजपा
ने जब अन्द्य दपछड़े िगों के दलए आरक्षि को सशतच समथचन िे ने
का फैसला दकया तो यह उसके दलए अपनी ब्राह्मि-बदनया की
छदि से दनकलने के दलए बहु त ही कम और बहु त िे र से दलया
गया दनिचय था।

यहां तक दक हहिू काडच भी पयाप्त नहीं था। अयोध्या में बाबरी


मल्स्त्जि दिघ्िंस के तुरंत बाि 1993 में हु ए चुनािों में भी भाजपा
उप्र में अकेले बहु मत हादसल करने में असमथच रही। इसकी
बजाये, दपछड़े और िदलतों का प्रदतदनदित्ि कर रही सपा और
बसपा ने हाथ दमलाकर गठबंिन बना दलया। दनःसंिेह भाजपा
ने सििच जादतयों का समथचन हादसल कर दलया था परं तु ये
दनचली जादतयों को आकर्णषत करने के दलए पयाप्त नहीं था जो
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अपने नेताओं और िलों के साथ सशिीकरि का अहसास
महसूस कर रहे थे।

गोदिन्द्िाचायच को भी दििािों की िजह से 1993 में तदमलनाडु


भेज दिया गया था। िह जब दिल्ली से जा रहे थे तो पाटी के अन्द्य
दपछड़े िगच और िदलत समाज के कई सिस्त्य उनके पास आए
ओर कहा, ‘आप जा रहे हैं , हमारा क्या होगा?’ गहरे सांिले रं ग
के गोदिन्द्िाचायच लगभग 25 साल बाि कहते हैं , ‘उन्द्होंने महसूस
दकया दक मैं उनके अपने समुिाय का हू ं , शायि मेरे रं ग रूप को
िे खकर।’

लेदकन भाजपा भी यह जानती थी दक यदि उसने दिस्त्तार नहीं


दकया तो उसका दिकास नहीं होगा।

दिस्त्टोफॉ जैफ्रेलो इसे भाजपा की अदनच्छा और अप्रत्यक्ष


मण्डलीकरि का िौर कहते हैं । इसने गठबंिन का रास्त्ता चुना।
उिाहरि के दलए, दबहार में समता पाटी। 1989 से 1998 के
िौरान दहन्द्िी क्षेर से अन्द्य दपछड़े िगच के सांसिों में पाटी की
भागीिारी 16 से बढ़कर 20 प्रदतशत हो गयी थी, जबदक सििच
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जादत के सांसिों का अनुपात 52.3 प्रदतशत से घटकर 43.4
प्रदतशत रह गया था। अकेले उप्र में ही अन्द्य दपछड़े िगच के
दििायकों में उसकी दहस्त्सेिारी 1991 से 1996 में 18 प्रदतशत
से बढ़कर 22 प्रदतशत हो गयी थी।

थादचल भाजपा के सामादजक आिार के दिस्त्तार में सहयोग


करने िाले एक और तरीके की ओर इशारा करते हैं जो पाटी के
अपने मूल आिार के दहतों को नुकसान पहु ं चाये बगैर ही चुनािी
सफलता के दलए जरूरी थी। ‘मेरा मुख्य तकच यह है दक राजनीदत
से प्रेदरत भाजपा से संबंर्द् संगठनों द्वारा दनजी स्त्तर पर जनता की
भलाई के दलए दकये गये कायच गरीब जनता के बीच अप्रत्यादशत
रूप से सफल सादबत हु ए।’ िूसरे शधिों में संघ के संगठनों के
दशक्षा और स्त्िास्त्थ्य उपलधि कराने जैसे ककयािकारी कायों ने
भाजपा को चुनािी लाभ प्राप्त करने में मिि की। थादचल का
शोि मुख्य रूप से िदलतों और आदििादसयों के इिच दगिच केल्न्द्रत
था परं तु सामादजक दिस्त्तार के दलए पाटी द्वारा अपनायी गयी
रिनीदत के बारे में एक महत्िपूिच जानकारी है ।
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हालांदक, राजनीदतक दिरोिाभास अभी भी बरकरार थे।

उप्र में सििच जादत और गैर यािि दपछड़ों के गठबंिन में 1990
के िौरान ही िरार चौड़ी हो गयी थी। भाजपा के िदरष्ठतम नेताओं
में से एक डॉ. मुरली मनोहर जोशी ने गोदिन्द्िाचायच पर सीिा
हमला बोलते हु ए कहा था, ‘यदि पाटी को अपना चदरर, दिचार
आदि बिलने हैं , तो इसका मतलब है दक पाटी इस लायक नहीं
है ।’ उन्द्होंने यह भी कहा, ‘सामादजक समरसता के नाम पर कौन
सा सामादजक न्द्याय लाया गया है ?’ यह शायि महज एक संयोग
नहीं था दक िह ब्राह्मि थे।

अटल दबहारी िाजपेयी भी ककयाि हसह के साथ सहज नहीं थे।


इसमें कोई संिेह नहीं दक िाजपेयी अदखल भारतीय स्त्तर के नेता
थे दजन्द्होंने समुिायों और क्षेरों को आगे बढ़ाया। परं तु यह ध्यान
रखना भी जरूरी है दक िह ब्राह्मि थे और उप्र की स्त्थानीय
राजनीदत में उनका िखल था। उप्र भाजपा में उनके समथचकों -
राजनाथ हसह, कलराज दमश्र और लालजी टण्डन ने ककयाि
हसह, दजन्द्होंने दििािों के उनके मामले में मिि नहीं की, के
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दखलाफ राजनीदतक माहौल तैयार करने में अहम भूदमका
दनभाई थी।

परं तु यह दसफच व्यदित्िों का मामला नहीं था।

एक सािारि बात यह थी दक भाजपा का सििच जादत का


आिार एक दपछड़े नेता के नेतृत्ि की ओर झुकने को पूरी तरह
तैयार नहीं था। गोदिन्द्िाचायच बताते हैं , ‘िे दफर से एकजुट होने
लगे थे।’ पहला उपयुि अिसर दमलते ही दकसी ने भी ककयाि
हसह को हटाने में संकोच नहीं दकया। हसह को उनके
उत्तरादिकारी चुनने की दजम्मेिारी सौंपी गयी और उन्द्होंने राम
प्रकाश गुप्ता जैसे एक गैर राजनीदतक व्यदि को चुना। लेदकन
यह भी गुप्ता को दकनारे लगाये जाने से पहले दसफच कुछ समय
की ही बात थी और दफर राजनाथ हसह ने मुख्यमंरी पि ग्रहि
कर दलया।

इस तरह भाजपा के पास एक बार दफर सििच जादत का िचचस्त्ि


हो गया। पाटी अध्यक्ष के पि पर कलराज दमश्रा, एक ब्राह्मि,
और राजनाथ हसह, ठाकुर थे। अन्द्य दपछड़े िगों ने अपमादनत
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महसूस दकया और िे पाटी से िूर चले गये। िे सपा और बसपा
के बीच इस मुद्दे साथ झूलते रहे दक उनमें से कौन सी पाटी उन्द्हें
प्रदतदनदित्ि िे ने की पेशकश करती है ।

भाजपा ने 2002 में यह राज्य गंिा दिया और 2004 के


लोकसभा चुनाि में भी उसका बहु त खराब प्रिशचन रहा। और
एक बार जब उन्द्होंने यह पाया दक िह जीतने िाला घोडा नहीं है
तो उन्द्होंने भी दिककप तलाशना शुरू कर दिया। हार का यह
दसलदसला 2007, 2009 और 2012 में भी जारी रहा। भाजपा
का सामादजक गठबंिन चरमरा गया था।

और तभी नरे न्द्र मोिी और अदमत शाह ने उत्तर प्रिे श की


बागडोर अपने हाथ में ले ली।

उन्द्होंने सामादजक दिस्त्तार के दलए जोरिार प्रयास दकए; उन्द्होंने


सििच जादत के नेताओं को दकनारे दकया और उनके साथ ऐसा
व्यिहार दकया दजससे िे दिरोह नहीं करें गे, उन्द्होंने संगठन की
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संरचना में बिलाि शुरू कर दिया, उन्द्होंने कम प्रभाि िाले
समुिायों को प्रदतदनदित्ि और सम्मान दिया, उन्द्होंने अदिक
प्रभाि िाले अन्द्य दपछड़े िगच और िदलत समूहों के दखलाफ उन
लोगों के बीच पनप रहे असंतोष पर काबू पाया जो सोच रहे थे
दक उन्द्हें िरदकनार कर दिया गया है , उन्द्होंने बड़ी संख्या में अन्द्य
दपछड़े िगच के लोगों को पाटी का दटकट दिया और भाजपा को
‘हहिू एकता’ को लेकर सभी जादतयों में पहले से कहीं अदिक
सफलता प्राप्त करने में मिि की।

क्या िे अपने पुराने और नए समथचकों को साथ लेकर चलने में


सफल होंगे?

दनदित ही संतुलन बनाने रखना कदठन होगा। दफलहाल,


असली सत्ता और पिों के मामले में भाजपा यह साििानी बरत
रही है दक अपने पुराने समथचक बैरी नहीं बनें। उत्तर प्रिे श के
मंदरमंडल में सििच जादतयों के प्रदतदनदित्ि की अदिक संख्या
यही िशाती है दक पाटी के मूल आिार को भुलाया नहीं गया है ।
योगी आदित्यनाथ स्त्ियं ठाकुर हैं , उप मुख्यमंरी दिनेश शमा,
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ब्राह्मि हैं , प्रिे श अध्यक्ष, जो खुि मुख्यमंरी बनने की उम्मीि
लगाए थे, को भी उप मुख्यमंरी बनाकर दपछड़ों को संकेत िे ने
के साथ उनकी भूदमका का सम्मान दकया गया है । योगी आदित्य
नाथ के पि ग्रहि करने के कुछ महीनों के भीतर ही लखनऊ में
यह चचा थी दक भाजपा की इस जीत ने दकसी तरह से प्रिे श में
‘ठाकुर राज’ आ गया है । ये दिरोिाभास शासन और प्रशासन
में नजर आएंग।े भाजपा का भदिष्ट्य इसी से तय होगा दक िह
इससे दकस तरह दनबटती है ।

लेदकन अभी तो उप्र ने अदमत शाह की समाज को समझने,


दिरोिाभासों की पहचान करने और इनका िोहन करने की
उल्लेखनीय क्षमता दिखाई है । इसने भाजपा को अपने ही गढ़ में
दसफच प्रभुत्िशाली सामादजक समूहों की पाटी से कम ताकतिर
और अदिक प्रभािशाली राजनीदतक जादतयों के दखलाफ
संघषचरत पाटी में पदरिर्णतत होने के प्रयासों को भी रे खांदकत
दकया है । भाजपा आज चुनाि जीती है तो नयी भाजपा की िजह
से, क्योंदक यह एक समािेशी हहिू पाटी है । नयी भाजपा दकतनी
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िूर तक चलेगी यह इसके दपतृसंगठन राष्ट्रीय स्त्ियंसेिक संघ
के साथ उसके दरश्तों पर दनभचर करे गा।

5. सं घ : स्रोत, पदरपू र क, परछाई

भारतीय जनता पाटी की ज़बिच स्त्त सफलता और उसे ढालने में


राष्ट्रीय स्त्ियंसेिक संघ हमेशा ही उसका स्रोत, पदरपूरक और
परछाई रहा है और इस प्रदिया में उसका भी स्त्िरूप ढल रहा है ।

संघ, भाजपा का िैचादरक संरक्षक है । िह भाजपा के लगभग


समूचे नेतृत्ि और उसके काडर की ‘मातृ संस्त्था’ है , घर है जहां
िे हमेशा ही सहायता के दलए आ सकते हैं ।

दफर भी यह एकतरफा मागच नहीं है । नरे न्द्र मोिी की व्यदिगत


लोकदप्रयता, भाजपा की एक समािेशी हहिू पाटी बनने की
प्रदिया और राष्ट्रीय स्त्तर पर उसकी सफलता ने पहले ही मूल
संगठन और उससे उपजे संगठन के बीच समीकरि बिल दिए
हैं ।
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हमेशा ही संगठन पर अदिक ज़ोर िे ने िाला संघ दकसी भी प्रकार
की ‘व्यदि उपासना’ का स्त्िाभादिक बैरी है और इसदलए मोिी
जैसे अकेले ताकतिर नेता से भी। जादत के प्रदत उसका रिैया
पाटी से भी कहीं अदिक साििानी िाला है । यह बहु त पुरानी
बात नहीं है जब आरएसएस की व्यापक राष्ट्रीय स्त्तर िाला
संगठन था और भाजपा उससे दनकला संगठन था जो दनर्णिष्ट
क्षेरों तक ही सीदमत था। भारतीय जनता पाटी आज संघ की
पहु ं च और उसके दिस्त्तार को पीछे छोड़ते हु ए एक अदखल
भारतीय संगठन बनने की राह पर है । इसका मतलब यह हु आ
दक चुनािी संघषच में संघ एक पदरपूरक की भूदमका दनभाता है ।

आरएसएस और भाजपा के बीच नेतृत्ि, मुद्दे और चुनाि प्रबंिन


को लेकर लगातार दिरोिाभास बना रहा। ये तीन मुख्य िजहों
से हाथ से बाहर नहीं दनकले- नरे न्द्र मोिी की मोहन भागित के
साथ व्यदिगत दरश्ते, िैचादरक समागम और दनयदमत
समन्द्िय।

*
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नरे न्द्र मोिी ही संघ हैं । टीकाकार अशोक मदलक ने एक बार
कहा भी दक िह संघ के सबसे अदिक प्रदतभाशाली पूिच छार हैं ।
संघ ने ही 1980 के िशक के अंत में मोिी को गुजरात में भाजपा
के संगठन सदचि के रूप में भेजा था। मोिी अपने िैदश्वक
नज़दरये, अपने नेटिकच, अपने राजनीदतक जीिन और अपने
सिाचारी दसर्द्ांतों के दलए संघ के श्रृिी हैं । यदि कोई व्यदि
मोिी को पूरी तरह संघ से अलग मानता है तो िह न तो मोिी
और न ही संघ के साथ न्द्याय करता है ।

दफर भी मोिी ही दसफच संघ नहीं हैं । िह संघ से भी काफी आगे


दनकल गये हैं और महत्िपूिच अिसरों पर उन्द्होंने अपने मूल
संगठन का मुकाबला दकया है , उसे चुनौती िी है और उसे पीछे
भी हटाया है ।

यह उस समय झलकता था जब मोिी गुजरात के मुख्यमंरी थी।


गुजरात के 2002 के िं गों के बाि, जहां मोिी या तो अदनच्छा या
दफर अक्षमता की िजह से संघ से जुड़े संघटनों के अकपसंख्कों
पर हमले रोकने के दलए बहु त कम प्रयास दकये। एक ऐसा भी
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िौर था जब मोिी और संघ के दरश्तें दबगड़ गये थे। संघ नेतृत्ि
के ही एक िगच ने तो छुटपुट समूहों और नेताओं को चुनाि में
मोिी पर हमला बोलने के दलए प्रोत्सादहत भी दकया। हहिुत्ि के
नेताओं में सबसे कट्टर और दिश्व हहिू पदरषि के प्रिीि
तोगदड़या की तो सरे आम मोिी से ठनी हु ई थी। यह टकराि
व्यदित्ि और अहं को लेकर और दनयंरि तथा प्रत्यक्ष शासन
में संघ के िखल को लेकर था।

मोिी की लोकदप्रयता और कि जैसे जैसे बढ़ा, मीदडया में यह


अटकलें तेज़ होने लगी दक क्या संघ 2014 के लोकसभा चुनािों
में उन्द्हें भाजपा के चेहरे के रूप में स्त्िीकार करे गा। असंतोष की
आिाज़ें भी उठ रही थीं, परं तु उनकी काडर के बीच-प्रचारकों
और स्त्ियंसेिकों के बीच ज़बिच स्त्त अपील, पूिचकादलक काडर
और सहानुभूदत रखने िाले और नागपुर की व्यापक
पादरल्स्त्थदतकी प्रिाली का तात्पयच था दक संघ को नीचे से उठ
रही आिाज़ों को ध्यान में रखना होगा। मोहन भागित और िूसरे
िदरष्ठतम नेता भैयाजी जोशी ने मोिी का समथचन दकया और यहां
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तक असंतुष्ठ लाल कृष्ट्ि आडिािी को भी रास्त्ते पर आने के
दलए तैयार दकया।

लेदकन इसके बाि भी यह अटकलें जारी रहीं दक यदि मोिी


ज़बिच स्त्त बहु मत से जीत गये तो संघ-मोिी के बीच दरश्ते कैसे
होंगे।

आरएसएस इस बात से असहज है दजसे िह ‘व्यदि पूजा’ कहती


है । हालांदक उसने अपने व्यापक संगठनों की व्यिस्त्था को
अनुमदत प्रिान कर िी थी परं तु पूरी तरह से अपना दनयंरि
गंिाने को लेकर असहज थी। यह िह चीज़ थी दजसने अनेक
मुद्दों पर संघ नेतृत्ि और िाजपेयी सरकार के बीच दरश्तों को
तनािपूिच बना दिया था।

परं तु, मोिी ने प्रिानमंरी के रूप में संघ के साथ उल्लेखनीय तरीके
से सहज कामकाजी दरश्ते बना दलए थे। और इसका श्रेय मोहन
भागित के साथ उनके व्यदिगत समीकरिों को जाता है ।
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आरएसएस के एक पिादिकारी सफाई िे ते हैं , ‘‘अटल जी के
समकालीन रिू भैया (पूिच सरसंघचालक राजेन्द्र हसह) थे। परं तु
जब िह प्रिानमंरी बने तो सरसंघचालक सुिशचनजी थे जो उनसे
जूदनयर थे। इसने समस्त्या पैिा की क्योंदक प्रिानमंरी उनसे
दनिे श लेने के मामले में असहज थे। सरसंघचालक भी उन मुद्दों
को लेकर थोड़ा आिामक थे दजनके दलए प्रिानमंरी को थोड़ा
मौका दिया जाना चादहए था।’’

अब ल्स्त्थदत अलग है । मोिी और मोहन भागित समकालीन हैं


और िोनों ने जीिन में लगभग साथ साथ ही प्रगदत की है और
एक ही चरि में िोनों ने उच्च मुकाम हादसल दकए हैं । िोनों का
ही जन्द्म 1950 के िशक में हु आ, िे 1970 के िशक में
पूिचकादलक प्रचारक बने, भागित 1999 में संघ के महामंरी बने
और मोिी 2001 के अंत में गुजरात के मुख्यमंरी बने, भागित
ने 2009 में सरसंघचालक का पि ग्रहि दकया और मोिी का
इसके तुरंत बाि ही राष्ट्रीय फलक पर उिय हु आ दजसने 2014
में दिजय दिलाई। इसके भी ऊपर, संघ में मोिी के गुरु भागित
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के दपता थे। इन सबने 2013 में उनकी उम्मीििारी के दलए संघ
का समथचन प्राप्त करने में मिि की।

इस पिादिकारी का कहना था, ‘िे दमर हैं । सरसंघचालक भी


काफी व्यािहादरक और खुले दिमाग िाले हैं । आप उनके
समाज सुिार और एक मंदिर, एक श्मशान और एक जलाशय
अदभयान के प्रदत उनके ध्यान को िे दखए।’ यह आरएसएस का
जादत आिादरत भेिभाि समाप्त करने और ऐसी व्यिस्त्था के
सृजन का अदभयान है जहां िदलतों सदहत सभी की पहु ं च सकें।
और मोिी का ध्यान पाटी के आिार के दिस्त्तार पर केल्न्द्रत है ।
इसमे समन्द्िय है । इसका मतलब यह नहीं है दक संघ जो कुछ
भी कहता है उसे सरकार सुनती है और इसका मतलब यह भी
नहीं दक संघ हर मामले में हस्त्तक्षेप करता है । परं तु अटल जी के
शासन से ये दरश्ते बहु त दभन्न हैं ।

यहां िैचादरक झुकाि का एक और पहलू भी है ।

दिश्व हहिू पदरषि के सुप्रीमो और संघ के िदरष्ठ नेता अशोक


हसघल िाजपेयी के समय में राजग सरकार के कटु आलोचक
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थे। जून 2013 में मोिी को औपचादरक रूप से भाजपा का चेहरा
बनाये जाने से पहले हसघल गुजरात के मुख्यमंरी को एक
राष्ट्रीय नेता के रूप में लेकर बेहि उत्सादहत थे।

संघ के एकिम स्त्पष्ट अपेक्षाओं और एजेंडा का संकेत िे ते हु ए


हसघल ने कहा था दक िह चाहते हैं दक मोिी िे श में चल रहे
हहिुओं के िमचपदरितचन की प्रदिया रोकें। िह चाहते थे दक मंदिर
दनमाि का मागच प्रशस्त्त करने के दलए संसि अयोध्या मुद्दे पर
एक प्रस्त्ताि पादरत करे । संघ पदरिार चाहता था दक सरकार
‘गंगा की सफाई’ पर ध्यान िे । ‘राम की तरह ही गंगा भी हमें
जोड़ती है । और गंगा को नष्ट करने की सुदनयोदजत सादजश हो
रही है ।’ गौ िि पर प्रदतबंि उनका अगला एजेंडा था। ‘इसका
दसफच िार्णमक ही नहीं बल्कक उन्नदतशील और पोषि संबंिी
उद्दे श्य भी है ।’

2017 में ल्स्त्थदत का आकलन कीदजए और अपेक्षाओं से इसकी


तुलना कीदजए।
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अयोध्या के अलािा, जहां एकतरफा कारच िाई की संभािना
सीदमत है , सरकार ने िोनों अन्द्य दिषयों को आगे बढ़ाने के दलए
काफी ज़ोर लगाया है । गंगा हो सकता है साफ नहीं हु ई हो परं तु
दकसी अन्द्य सरकार ने इसे इतनी प्राथदमकता और संसािन नहीं
दिए थे दजतने नरे न्द्र मोिी सरकार ने दिए। न ही गौ संरक्षि के
इिच दगिच राष्ट्रीय स्त्तर पर इतने प्रिचन हु ए। राजनीदतक संकेत
एकिम साफ है । गौ िि पर एक नयी अदिसूचना लायी जा चुकी
है , उप्र में गैरकानूनी कत्लखानों के दखलाफ अदभयान छे ड़ा जा
चुका है , और खाने की बात तो छोदड़ए गौ मांस रखने का संिेह
भर स्त्ियंभू गोरक्षकों के प्रािघातक हमलों को दनमंरि िे सकता
है । यह उप्र के िािरी में 2015 में मोहम्मि अखलाक की हत्या
के साथ शुरू हु आ परं तु 2017 की गमी में गौ मांस को लेकर
भीड़ द्वारा पीट पीट कर हत्या करना भाजपा शादसत चुहनिा
राज्यों में एक नयी सामान्द्य बात हो गई थी। हो सकता है दक
इसके दलए स्त्पष्ट रूप से ऊपर से राजनीदतक मंज़ूरी नहीं हो परं तु
इस तरह की भीड़ की हहसा के दखलाफ कठोर कारच िाई के दलए
dr. dharmendra Singh G
सख्त राजनीदतक संिेश के अभाि और ऐसा करने िालों को
िं ड के भय से मुदि ने इन स्त्ियंभू गोरक्षकों के हौसले ही बढ़ाए
हैं । एक चीज़ इन सभी घटनाओं में एक जैसी थी और िह थी -
मुसलमान इनके प्रमुख दनशाना थे और इसने इस समुिाय में
असुरक्षा की भािना पैिा कर िी थी। इस तरह की हहसा इतनी
अदिक हो गई दक मोिी को जून 2017 के अंत में हस्त्तक्षेप करना
पड़ा और अनेक लोगों ने महसूस दकया दक यह काफी िे र से
उठाया गया और इसके साथ कठोर कारच िाई की आिश्यकता
थी। कुछ सप्ताह बाि ही, 2017 की मध्य जुलाई में उन्द्होने एक
बार दफर राज्य सरकारों से कहा दक ऐसी दकसी भी घटना से
सख्ती से दनबटा जाए।

मोिी के खुलकर अपनी िार्णमक पहचान के दलए िािे में भी


उनका िैचादरक झुकाि पदरलदक्षत होता है । संघ से आने िाले
भाजपा के एक प्रमुख नेता बताते हैं दक महत्िपूिच अिसरों पर
संघ गौरिाल्न्द्ित महसूस करता है । िह कहते हैं , ‘‘मोिी जब
काठमांडू में पशुपदतनाथ मंदिर, या केिारनाथ या बनारस जाते
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हैं और िहां पूजा अचचना करके माथे पर टीका लगाकर बाहर
दनकलते हैं तो िह कह रहे होते हैं दक िह हहिू हैं और उन्द्हें इस
पर गिच है । इससे पहले सािचजदनक रूप से मंदिरों में जाने िाली
आदखरी प्रिानमंरी इल्न्द्िरा गांिी थीं जो अपने अंदतम कायचकाल
के िौरान जाती थीं। मोिी तो अपना िमच का खुलकर आिरि
करते हैं , िह अपनी संस्त्कृदत के प्रिशचन को लेकर दकसी प्रकार
की शदमिंिगी भी नहीं होती है । संघ इससे बहु त खुश है । उसका
एकिम यही एजेंडा है । हमने अपने सारे प्रचार के िौरान ‘गिच से
कहो हम हहिू हैं ’ नारे का ही तो इस्त्तेमाल दकया है ।’

जमीन पर संघ कायचकताओं को यही सब आकर्णषत करता है


और मोिी में उनका भरोसा बरकरार रहता है । दिल्ली से
आरएसएस के एक युिा कायचकता का कहना था, ‘अटलजी की
सरकार पहली गैर कांग्रेसी सरकार थी दजसने अपना कायचकाल
पूरा दकया था परं तु संघ में अदिकांश लोग संिेह करते थे दक
क्या सही में यह पूरी तरह भाजपा की सरकार है । इसे बृजेश
दमश्र चलाते थे दजनमें कांग्रेसी खून था। यह गठबंिन में भी थी।
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यह पूरी भाजपा सरकार है । छोटे मोटे मतभेि होने के बािजूि
इसकी िैचादरक प्रदतबर्द्ता और मोिीजी की मंशा को लेकर
दकसी प्रकार का संिेह नहीं है ।’

और अंततः, संघ और भाजपा के नेतृत्ि के बीच अदिकतर


दनजी लेदकन कई बार सािचजदनक रूप से भी दनयदमत दिचार
का आिान प्रिान होता है । संघ से जुड़े हु ए भाजपा के एक नेता
कहते हैं , ‘‘प्रिानमंरी सिै ि ही दिस्त्तार से यह जानने के दलए
उत्सुक रहते हैं दक संघ कैसा महसूस कर रहा है । िह हमसे उन
बैठकों की दरपोटच भी लेते हैं जो हमने संघ के पिादिकादरयों के
साथ की होती हैं । िह अपने प्रचार अदभयान का समथचन करने
के दलए संघ को प्रोत्सादहत करते हैं , िह उनके सरोकार को भी
ध्यान में रखते हैं ।’’ पाटी स्त्तर पर संघ संयुि महामंरी कृष्ट्ि
गोपाल के साथ संस्त्थागत समन्द्िय है , और िह अदमत शाह और
संगठन के व्यदि राम लाल िोनों के साथ दनकटता से काम कर
रहे हैं । प्रत्येक मंरालय के िरिाज़े संघ से संबर्द् हर उस संगठन
के दलए खुले हैं जो उस क्षेर में काम कर रहा हैं , उनकी बात सुनी
dr. dharmendra Singh G
जाती है भले ही हमेशा उस पर कारच िाई नहीं होती हो। और
2015 में मोिी और उनके प्रमुख कैदबनेट मंरी दिल्ली में
आरएसएस के साथ एक मुलाकात के दलए गए थे जहां उन्द्होंने
शासन की प्राथदमकताओं और दिचार दिमशच दकया और फीड
बैक प्राप्त दकया। यह एकिम सुस्त्पष्ट और सािचजदनक रूप से
पाटी का संघ के प्रदत आभार व्यि करना और शासनकला में
संघ की भूदमका की स्त्िीकरोदि थी।

शीषच स्त्तर पर भाजपा के साथ बेहतर िैयदिक दरश्ते, िैचादरक


एजेंडे पर व्यापक झुकाि, सुचारू तालमेल की व्यिस्त्था और
परस्त्पर सामन्द्जस्त्य संघ की पृष्ठभूदम िाले व्यदियों को महत्िपूिच
संस्त्थाओं में जगह दिला रहा है और अपने दप्रय दिषयों को आगे
बढ़ाया जा रहा है तथा इसके बिले में संघ द्वारा शासन से संबंदित
िूसरे मुद्दों पर भाजपा को ढील िे ने से िोनों को साथसाथ काम
करने में मिि दमली है ।

इसने संघ के दलए सामन्द्जस्त्य स्त्थादपत करने और भाजपा के


अिीन लोगों को भी अपनाने का अिसर प्रिान दकया है ।
dr. dharmendra Singh G
*

दसतंबर 2015 में प्रफुल्ल केतकर चेन्नई में थे जब उनके पास एक


फोन आया। उन्द्हें बताया गया दक भाजपा आपके इंटरव्यू पर
एक प्रेस कॉन्द्फ्रेंस कर रही है । ज़रा िे ख लो।

आरएसएस की अंग्रेज़ी पदरका आगेनाइज़र के संपािक


केतकर, ने सरसंघचालक मोहन भागित का इंटरव्यू दकया था।
इसी इंटरव्यू में भागित ने आरक्षि व्यिस्त्था की समीक्षा का
सुझाि दिया था। दबहार में चुनाि होने िाले थे। और एक कुशाग्र
बुदर्द् िाले राजनीदतक की तरह लालू प्रसाि ने सूंघ दलया दक
इसे चुनािों में अगड़े बनाम दपछड़े में बिलने का यही मौका है ।
इसी अगड़े दपछड़े की लड़ाई को लेकर िह 1990 में सत्ता में
पहु ं चे थे।

भाजपा, दजसे चुनाि जीतने के दलए दपछड़े िगों के मतों की


िरकार थी, िह बचाि की मुरा में थी। शुरू में उसने
सरसंघचालक के इस बयान से िूरी बनायी जो एक व्यथच की
किायि थी क्योंदक कोई भी दिश्वास नहीं करे गा दक संघ सुप्रीमो
dr. dharmendra Singh G
की बात दसफच उनकी दनजी राय है , व्यापक पदरिार की नहीं।
प्रिानमंरी नरे न्द्र मोिी ने स्त्ियं आरक्षि व्यिस्त्था जारी रखने के
प्रदत अपनी प्रदतबर्द्ता िोहराई परं तु इसके बािजूि आशंकाएं
थम ही नहीं रही थीं।

इस ििव्य का इस्त्तेमाल यह दसर्द् करने के दलए दकया गया दक


संघ अभी एक ब्राह्मििािी संगठन है जो दपछड़ी जादतयों के
उत्थान से असहज है और उसे जगह िे ने के दलए तैयार नहीं है ।

करीब डेढ़ साल बाि 2017 के मध्य में केतकर दिल्ली के


पहाड़गंज में आगेनाइज़र के कायालय में बैठे अभी भी इसी में
उलझे थे दक दकस तरह से इंटरव्यू की गलत व्याख्या की गई है ।

केतकर ने मुझसे कहा, ‘‘इंटरव्यू दफर से िे खो। हम िीन ियाल


उपाध्याय पर चचा कर रहे थे और हमने यह पूछा था दक क्या
आज की नीदत मानितािाि के अनुरूप है । और इस संिभच में
उन्द्होंने आरक्षि का दज़ि दकया था। यह आरक्षि दिरोिी नहीं
बल्कक आरक्षि के समथचन में ििव्य था।’’
dr. dharmendra Singh G
केतकर को दिए गए भागित के जिाब में सामादजक रूप से
दपछड़े िगों को आरक्षि की दहमायत की थी क्योंदक यही इस
तरह की नीदतगत पहल ‘सही दमसाल’ थी। लेदकन इसके बाि
उन्द्होंने यह भी सुझाि दिया, ‘‘यदि हमने इस पर राजनीदतक
करने की बजाए संदििान दनमाताओं द्वारा पदरकल्कपत इस नीदत
पर अमल दकया होता तो मौजूिा ल्स्त्थदत उत्पन्न नहीं होती। शुरू
से ही इसका राजनीदतकरि हो गया। हमारा मानना है दक सारे
राष्ट्र के दहतों के दलए िास्त्ति में हचदतत और सामादजक एकता
के दलए प्रदतबर्द् समाज के कुछ प्रदतदनदियों सदहत प्रबुर्द् लोगों
की सदमदत बनायी जाए दजसे यह दनिचय करना चादहए दक दकस
समुिाय को और दकतने समय के दलए आरक्षि की
आिश्यकता है । एक स्त्िायत्तता प्राप्त आयोग सरीखी गैर
राजनीदतक सदमदत इस पर अमल की प्रादिकारी होनी चादहए
और राजनीदतक प्रादिकादरयों को इनकी ईमानिारी और दनष्ठा
के दलए इन पर दनगाह रखनी चादहए।’’
dr. dharmendra Singh G
इस पर बहु त तेज़ और उग्र प्रदतदिया हु ई। दनदित ही भागित ने
इसकी व्याख्या के दलए यहां गुज
ं ाइश छोड़ िी थी। जब उन्द्होंने
कहा दक संदििान दनमाताओं द्वारा पदरकल्कपत नीदत लागू की
जानी चादहए थी, लोगों ने तत्काल याि दकया दक मूल प्राििान
दसफच िदलतों और आदििादसयों के दलए ही थे। तो क्या उनका
यह सुझाि था दक उस समय अन्द्य दपछड़े िगों को आरक्षि का
लाभ दिया जाना गलत था? क्या सारी व्यिस्त्था की समीक्षा के
दलए सदमदत बनाने के उनके सुझाि ने संकल्कपत समूची
सकारात्मक कारच िाई को ही हकका बना दिया और दसफच चुहनिा
जादतयों को दनशाने पर लेने तक ही सीदमत रह गया?

यह आशंकाएं अब अदिश्वास का रूप ले चुकी थीं दक


आरएसएस ने सििच जादतयों के दलए ही यह कहा है और हहिू
एकता की उसकी प्यास सििच जादतयों के प्रभुत्ि का कूट शधि
है । यदि यह िृदष्टकोि सही है तो दफर सामादजक दिस्त्तार के
भाजपा के प्रयासों को झटका लगेगा क्योंदक सीमांत िगच िूसरे
dr. dharmendra Singh G
िगच का िजा स्त्िीकार नहीं करे गा। यदि ऐसा नहीं है तो क्या यह
संघ के अनुकूलन में कोई मूलभूत पदरितचन आया है ?

राष्ट्रीय स्त्ियसेिक संघ का दलदखत ििव्य कुछ सुराग िे ता है ।

1974 में तत्कालीन सरसंघचालक बालासाहे ब िे िरस ने पुिे में


एक व्याख्यान दिया था। यह जादतयों के बारे में संघ का दनदित
रुख बन गया। उन्द्होंने हहिुओं के एकजुट होने के बारे में बोला
और स्त्िीकार दकया दक ‘सामादजक असमानता’ इस एकता में
बहु त बड़ी बािा है । उन्द्होंने घोषिा की, ‘‘यदि अस्त्पशृयता गलत
नहीं है तो िुदनया में कुछ भी गलत नहीं है ।’’ उन्द्होंने स्त्िीकार
दकया दक ‘दपछड़े और अस्त्पृश्य भाइयों ने इतनी सदियां बहु त
अदिक कष्ट, अपमान और अन्द्याय सहा है ।’ परं तु साथ ही
उन्द्होंने उन्द्हें भी आगाह दकया दक िे अतीत के झगड़े ितचमान में
नहीं लाएं और कटु भाषा का प्रयोग और दिषिमन करना बंि
करें ।

आरक्षि के बारे में, िे िरस ने कहा था दक दपछड़ों की अिसरों


के दलए मांग न्द्यायोदचत है , परं तु िीघच काल में उन्द्हें भी ‘िूसरों के
dr. dharmendra Singh G
साथ प्रदतस्त्पिा करनी होगी और योग्यता के आिार पर समान
िजा प्राप्त करना होगा।’

यह भाषि जादत के प्रदत संघ का रिैया िशाता है । िह


असमानता के प्रदत सजग है । िह भेिभाि भी स्त्िीकार कर रहा
है । लेदकन िह इसके प्रदत भी सजग है दक क्या करना है । िह
िीरे -िीरे सामादजक बिलाि चाहता है , िह व्यदिगत आचरि
पर ज़ोर िे ता है और िह दपछड़ों तथा िदलतों की उग्र राजनीदत
को लेकर सहज नहीं है । इस तरह, संघ के छार संगठन अदखल
भारतीय दिद्याथी पदरषि ने है िराबाि दिश्वदिद्यालय में रोदहत
िेमुला के जुझारूपन पर दजस तरह प्रदतदिया व्यि की, िह
आियचजनक नहीं था।

मोहन भागित ने माचच 2017 में केतकर को एक और इंटरव्यू


दिया। भागित ने 1974 के व्याख्यान को स्त्ियंसेिकों के दलए
िैचादरक भिन बताया और तकच दिया दक संघ ने इन समूहों तक
पहु ं चने का प्रयास दकया था दजनके साथ भेिभाि हु आ था।
उन्द्होने व्यदिगत, पदरिार, पेशेगत और सामादजक व्यिहार में
dr. dharmendra Singh G
सुिार पर ज़ोर दिया और अंतर-जातीय दििाह का समथचन
दकया। उन्द्होंने इस आिोश पर समझ पैिा करने पर ज़ोर दिया।
लेदकन िे िरस की तरह ही उन्द्होंने पीदड़तों से अनुरोि दकया दक
िे अपनी भाषा का स्त्िर बिलें।

भारत में हादशए पर रहने िाले, हालांदक, दकसी तरह का


प्रतीकात्मक प्रदतदनदित्ि नहीं चाहते बल्कक िे असली ताकत
चाहते हैं । िे प्रदतदनदित्ि और गदरमा चाहते हैं । जैसा दक
आरएसएस के पुराने प्रचारक ने मुझसे कहा, ‘‘आपको संघ में
तनाि नज़र आयेगा क्योंदक िह सामादजक एकता और
सामादजक न्द्याय चाहता है । िह चाहता है गदरमा, परं तु साथ ही
असमानता िाले समाज में सद्भाि चाहता है । यह उतना
रूदढ़िािी नहीं है दजतना लोग सोचते हैं परं तु िह दिघटनकारी
नहीं है ।’’

केतकर िािा करते हैं दक प्रदतदनदित्ि के सिाल पर ध्यान िे ते


समय ितचमान संघ के िृदष्टकोि में गांिीिािी सोच का दमश्रि है
– सििच जादतयों की सोच और आंबेडकरिादियों का नज़दरया
dr. dharmendra Singh G
बिलना। ‘यह अनिरत है क्योंदक इसे संगठनात्मक ताकत का
समथचन हादसल है ।’ परं तु यह िािा सिादलया है , संघ में कभी
भी गैर सििच जादत के दकसी भी व्यदि का सरसंघचालक नहीं
बनना संभितः सबसे बड़ा उिाहरि है । िैसे भी, रिू भैया के
अदतदरि शेष सभी सरसंघचालक ब्राह्मि ही हु ए हैं । हालांदक
केतकर अब इसमें भी मंथन का िौर िे खते हैं , ‘‘आप संगठन
को नीचे से िे खते हैं । इसमें बिलाि हु आ है । प्रचारकों में, राज्य
के पिादिकादरयों में अन्द्य लोग भी हैं । आपको पदरितचन नज़र
आएगा।’’

भाजपा के हादशए के समुिायों के प्रदत अनकूल होने के प्रदत संघ


के दिकदसत हो रहे िृदष्टकोि को समझने के दलए, संघ के ऊपर
दिए गए िृदष्टकोिों को समझना ज़रूरी है । िह जब दपछड़ों को
आकर्णषत करने के भाजपा के प्रयासों के दिपरीत एक राय
जादहर करता है तो पाटी चुनाि हार जाती है , जैसा दक दबहार में
हु आ। जब िह समथचन करती है तो चुनाि जीत दलए जाते हैं
जैसा दक 2014 के लोकसभा चुनािों में हु आ।
dr. dharmendra Singh G
*

2014 के चुनािों में िो तरह का प्रचार अदभयान था दजसने नरे न्द्र


मोिी को जीत दिलायी।

पहला आिुदनक और उच्च प्रौद्योदगकी िाला चुनाि प्रचार था


दजसका संचालन गांिीनगर से मोिी की टीम कर रही थी।
नागदरकों ने छह महीने तक मोिी के चकाचौंि िाले प्रचार से
रूबरू हु ए क्योंदक भाजपा ने पूरे िे श में अपना संिेश पहु ं चाने के
दलए सभी तरह ककपनाशील प्रौद्योदगकी का इस्त्तेमाल दकया।
भाजपा की सुदििाओं का इसके दलए इस्त्तेमाल दकया गया था।

यह तो िह है जो हम सभी ने िे खा-सभायें, दिज्ञापन, होलोग्राम,


चाय पे चचा और यह संिेश दक दसफच मोिी ही ‘अच्छे दिन’ ला
सकते हैं ।

िूसरा बहु त ही चुपचाप, समानांतर चुनाि प्रचार था।


आरएसएस बहु त ही कम इतनी गहराई से दकसी चुनाि में
शादमल होता है दजतना िह 2014 में था। बेशक, उसने जनसंघ
dr. dharmendra Singh G
को बनाया और उसका समथचन दकया, उसने 1977 में जनता
पाटी के समथचन में भरपूर काम दकया, और उसने दपछले तीन
िशकों में भाजपा को सफलता दिलाने के दलए उसकी मिि की।
परं तु उसने हमेशा ही एक सीमा तक अस्त्पष्टता बना कर रखी
और इस िािे को भी बनाये रखा दक िह एक सांस्त्कृदतक संगठन
है । 2014 में, इसने बिलाि दकया और सोच समझ कर नरे न्द्र
मोिी को प्रिानमंरी बनाने की चाह में समूचे पदरिार का
इस्त्तेमाल करने का फैसला दकया। संघ की सािचजदनक अपील
लोगों को िोट िे ने और अदिक से अदिक मतिाताओं को
मतिान तक पहु ं चने के दलए प्रेदरत करने तक ही सीदमत थी। यह
एक दमशन था दजसे मोहन भागिन ने नागपुर में 2013 में दिजय
िशमी के अिसर पर अपने िार्णषक संबोिन के िौरान रे खांदकत
दकया था।

यह अिृश्य प्रचार अदभयान था जो हमने िे खा नहीं।

ये िो प्रचार कई बार एक िूसरे को परस्त्पर दमलते भी थे।


dr. dharmendra Singh G
सिोच्च स्त्तर पर मोिी खुि भी सरसंघचालक और उनके सह
सरसंघचालक भैया जी के संपकच में थे। पाटी स्त्तर पर भाजपा
के प्रभारी संघ के संयुि महामंरी के साथ सामंजस्त्य भी था।
प्रत्येक राज्य के भाजपा नेता भी संपकच में थे दजसे िह िैचादरक
पदरिार कहते थे, दिशेषकर जनािार िाले संगठन जैसे अदखल
भारतीय दिद्याथी पदरषि, दिश्व हहिू पदरषि, भारतीय मज़िूर
संघ, बजरं ग िल और िनिासी ककयाि आश्रम। स्त्थानीय स्त्तर
पर भी एक सीमा तक संघ से संबर्द् दज़ला इकाइयों और पाटी
की दज़ला इकाइयों के बीच तालमेल था।

परं तु दिल्ली में इन िोनों अदभयानों के बीच एक सेतु की


आिश्यकता थी।

यह कोई ऐसा व्यदि होना चादहए था जो आिुदनक चुनाि प्रचार


की भाषा समझता हो और इसके बािजूि संघ की जड़ों से जुड़ा
हो। यह ऐसा व्यदि होना चादहए था तो प्रौद्योदगकी से अभ्यस्त्त
होने के बाि भी यह जानता हो दक 90 साल पुराने संगठन को
इसे अपनाने में दकस तरह मिि की जाए।
dr. dharmendra Singh G
इसके दलए कोई व्यदि ऐसा नहीं था जो राम मािि से अदिक
इसके दलए उपयुि हो।

मूलतः आंध्र प्रिे श के दनिासी मािि लंबे समय से प्रचारक रहे


हैं । हालांदक इससे पहले के िशक में िह नयी दिल्ली में संघ के
चेहरे के रूप में उभरे । िह दिल्ली में राष्ट्रीय मीदडया के दलए
उनका संपकच थे, िह राजनदयक दमशन के साथ िाताकार भी थे,
और चूदं क उनका स्त्थान दिल्ली था, इसदलए िह भाजपा के साथ
एक महत्िपूिच, अनौपचादरक संपकच बन गए थे। और उनका
प्रिानमंरी पि के प्रत्याशी के साथ बेहतर समीकरि थे।

इंदडया फाउंडेशन, एक िैचादरक मंच दजसे बहु त ही साििानी


से उन्द्होंने आकार दिया था और जो दिल्ली में एक अत्यदिक
प्रभािशाली संस्त्था के रूप में उभरा था, के कायालय में बैठे
मािि 2014 के अनुभिों को याि करते हैं और स्त्िीकार करते
हैं , ‘‘मैंने चुनाि प्रचार के संघ के दहस्त्से को संभाला था। यह एक
अपिाि िाला चुनाि था और हम इसमें पूरी तरह से शादमल
थे।’’
dr. dharmendra Singh G
िह जानते थे दक संघ के तंर में सबसे महत्िपूिच प्रांतीय प्रचारक
थे। चूदं क ये पिादिकारी अपने अपने राज्य में संघ की समस्त्त
गदतदिदियों के दलए दज़म्मेिार होते हैं , िे नागपुर में नेतृत्ि और
ज़मीनी स्त्तर पर स्त्ियंसेिकों, प्रचारकों और शाखाओं के बीच
संपकच का काम करते हैं । और जब भाजपा को चुनािों के िौरान
इनकी मिि की ज़रूरत होती है तो ये प्रांत प्रचारक ही महत्िपूिच
भूदमका दनभाते हैं ।

परं तु इन्द्हें प्रचार के पारं पदरक तरीके से आगे जाने के दलए


जानकारी स्रोत उपलधि कराने की आिश्यकता होती है । अतः
मािि ने सभी प्रांत प्रचारकों के दलए लेनोिा टै बलेट लेने का
आिे श दिया और इसके इस्त्तेमाल के बारे में जानकारी िे ने के
इरािे से सबके दलए प्रदशक्षि का आयोजन दकया। उन्द्होंने
मुस्त्कुराते हु ए कहा, ‘‘यह ऐसा कुछ था दजसके सभी अभ्यस्त्त
नहीं थे।’’

और इस प्रदशक्षि के िौरान ही उन्द्होंने उन्द्हें चुनाि के िूसरे अहम


उपकरि - डाटा से अिगत कराया। मािि ने िो स्रोतो से ये
dr. dharmendra Singh G
आकंड़े प्राप्त दकय। पहला तो गांिीनगर में चुनाि रिनीदतकार
प्रशांत दकशोर की टीम से दजसने दनिाचन क्षेरों के आिार पर
प्रत्येक प्रत्याशी के दलए दिस्त्तृत पुल्स्त्तका तैयार की थी और
दनिाचन क्षेरों के बारे में राजेश जैन से आंकड़े प्राप्त दकए। जैन
एक समर्णपत संघ समथचक और उद्यमी थे दजन्द्होंने नीदत सेन्द्रल
स्त्थादपत दकया था दजसे िे दिल्ली की मीदडया के िैकल्कपक
पदरप्रेक्ष्य की पेशकश कहते थे ।

मािि बताते हैं , ‘‘मैने प्रांत प्रचारकों की मतिान केन्द्र तक के


आंकड़ों के महत्ि को समझने में मिि की।’ इसके बाि संघ ने
इन आंकड़ों का उपयोग चुपचाप घर घर प्रचार करने और
मतिाताओं को जुटाने के दलए दकया जो मतिान के दिन उन्द्हें
मतिान केन्द्रों तक लाने के दलए बेहि महत्िपूिच था।

मािि पाटी अध्यक्ष राजनाथ हसह के साथ भी एक महत्िपूिच


कड़ी बन गए थे और िह उन्द्हें प्रत्यादशयों तथा दटकट दितरि
के बारे में संघ के नेटिकच से दमलने िाली जानकारी उन्द्हें
उपलधि कराते थे। पहले से ही राजनीदतक गदतदिदियों में
dr. dharmendra Singh G
संदलप्त उनका 2014 के चुनाि में जीत के बाि भाजपा में जाना
स्त्िाभादिक था और िह पाटी में सबसे ताकतिर महामंदरयों में
से एक बनकर उभरे ।

लोक सभा चुनाि के अनुभि ने इस बात की एक झलक िी दक


यदि संघ दकसी चुनाि में अपना पूरा संगठनात्मक तंर लगा िे
तो क्या संभि है ।

इसका काम बहु त ही सहज काम था दक मतिाताओं को मतिान


केन्द्रों तक दनकाल कर लाया जाये। परं तु इस सरल काम, जो
राजनीदतक नतीजों की शक्ल बिल सकता है , में संभादित
मतिाताओं की पहचान करना, व्यदिगत रूप से उन तक
पहु ं चना, उन्द्हें राज़ी करना, अनुकूल राजनीदतक माहौल बनाना,
संगठनात्मक सहयोग उपलधि कराना, दिशेषकर उन क्षेरों में
जहां पाटी खुि ही कमज़ोर है और छारों, कामगारों तथा
आदििादसयों के बीच काम कर रहे संगठनों का इस्त्तेमाल करके
अपने नेटिकच को सदिय करना।
dr. dharmendra Singh G
एक और अप्रत्यक्ष भूदमका है - संघ की पादरल्स्त्थदतकी व्यिस्त्था।
इसमें िे लोग हैं जो पूिचकादलक प्रचारक हैं परं तु संघ के प्रदत
सहानुभूदत रखने िाले स्त्ितंर पेशेिर हैं । िे अपने अपने क्षेरों में
प्रभािशाली हैं और राय का रूझान बिल सकते हैं । िे संसािन
भी लगा सकते हैं ।

संघ की मशीनरी और संघ की अपनी व्यिस्त्था अकेले ही पाटी


को चुनाि नहीं दजता सकती है । परं तु इसके बगैर अक्सर पाटी
चरमराने लगती है । ये दिशुर्द् रूप एकिम अलग तरह का
समथचन िे ती है , ये पाटी का मनोबल बढ़ाती है और एक पदरपूरक
की तरह यह अनमोल है । यही भूदमका इसने उत्तर प्रिे श में
दनभाई है ।

यह समझने के दलए ज़मीनी स्त्तर पर संघ पदरिार दकस तरह


काम करता है , मैंने उत्तर प्रिे श चुनाि के अंदतम चरि के दलए
िारािसी की यारा की।
dr. dharmendra Singh G
बनारस हहिू दिश्वदिद्यालय संघ के सबसे पुराने भती स्त्थलों में
से एक है । मोिी सरकार ने यह दनिय कर दलया था दक अपने
कायचकाल के पहले ही िषच में दिश्वदिद्यालय के संस्त्थापक पंदडत
मिन मोहन मालिीय को भारत रत्न प्रिान दकया जाए। ऐसे
कुलपदत के साथ, जो स्त्ियं के संघ की उपज होने पर गिच महसूस
करते हैं , दिश्वदिद्यालय ने 2014 के बाि िूसरी अदिकांश
भारतीय उच्च दशक्षि संस्त्थाओं की तरह ही अनेक ऐसे
दशक्षादििों को िे खा जो सािचजदनक रूप से संगठन के व्यापक
नजदरए के प्रदत अपनी िफािारी ज़ादहर कर रहे थे।

ऐसे ही एक प्रोफेसर ने, जो स्त्ियंसेिक भी हैं , बताया दक ‘101


प्रदतशत’ संघ इस चुनाि प्रचार में शादमल था। िह भाजपा के
दटकट दितरि से पूरी तरह सहमत नहीं थे और महसूस करते
थे दक पाटी के दलए यह सही नहीं था दक लंबे समय तक
दटकटार्णथयों को जानबूझ कर लटकाए रखा जाए। िह यह भी
महसूस करते थे दक भाजपा ने चुनाि जीतने की खादतर िूसरे
सभी तत्िों की बदल चढ़ा िी थी। िह कहते हैं , ‘पहले उन्द्होंने
dr. dharmendra Singh G
संघ से जानकारी प्राप्त की थी। इस बार भी उन्द्होंने यही दकया
परं तु दपछली बार की तुलना में कम। उन्द्होंने िूसरे िलों से िल
बिलने िालों को िैचादरक प्रदतबर्द्ता की कीमत पर दलया।’

िह ज़ोर िे ते हैं दक लेदकन इसने पाटी का समथचन करने के


व्यापक लक्ष्य से दिमुख नहीं दकया। ‘आदखरकार, भाजपा को
ही चुनाि लड़ना है हमे नहीं।’ दशक्षादिि ने उस भूदमका को
रे खांदकत दकया जो संघ दनभा रहा था। िह उन असंतुष्टों को िे ख
रहा था दजनमें दटकट नहीं दमलने के कारि असंतोष था। ‘हम
उनसे कह रहे थे दक उन्द्हें अगली बार जगह िी जाएगी और उन्द्हें
समाजिािी पाटी की सरकार को सत्ता से हटाने के बारे में ही
सोचना चादहए।’ उनकी तरह के अनेक स्त्ियंसेिक अपने दमरों
और पदरिार, सहयोदगयों और छारों तथा दिश्वदिद्यालय के
कमचचादरयों से बात करके उन्द्हें यह बता रहे थे दक उत्तर प्रिे श में
भाजपा की सरकार लाने से दकस तरह के लाभ होंगे। ‘और
हमारे प्रचारक िही कर रहे हैं जो उन्द्होंने 2014 में दकया था और
dr. dharmendra Singh G
िे मतिाताओं को बाहर ले आने के दलए मतिान केन्द्र स्त्तर पर
काम कर रहे थे।’

समथचकों के एक िूसरे क्षेर को ही ले लीदजए। संघ को आर्णथक


ताकत पुराने उद्यदमयों और कारोबादरयों से दमलती है ।

दििम मेहरा का िश्वाश्मेघ घाट के दनकट गोिौदलया में होटल


स्त्िाल्स्त्तक इन है । होटल संकरी गली के अंिर एक इमारत की
िूसरी मंदज़ल पर है , यह उन सैकड़ों होटलों में से एक है दजसने
िारािसी को शहरी भूल भुलैया बना दिया है । मेहरा एक पुदलस
अदिकारी के साथ बैठे थे दजन्द्होंने अपने पदरचय में बताया दक
िह दिश्वनाथ मंदिर ओर आसपास की सुरक्षा के दलए दज़म्मेिार
हैं । िह आरएसएस से सहानुभूदत भी रखते थे।

मेहरा तकच िे ते हैं दक यह महत्िपूिच चुनाि था क्योंदक इसने उन्द्हें


दिल्ली और लखनऊ में एक ही सरकार होने का अिसर प्रिान
दकया है । ‘‘दशदक्षत लोगों और व्यापारी समुिाय के बीच यह
आम भािना है दक इस बार दिकास के दलए उप्र में भाजपा को
ही जीतना चादहए। यही संिेश हम अपने िोस्त्तों और अपने
dr. dharmendra Singh G
सर्णकल में प्रसादरत कर रहे हैं । सब को मौका दमला है तो इस
बार भाजपा को क्यों नहीं? यह िलील बहु त से लोगों को जंच
रही है ।

मेहरा संघ समथचक पदरिार से आते हैं और िह स्त्थानीय संघ


व्यिस्त्था के साथ घदनष्ठता से जुड़े हु ए हैं ।

मेहरा हं सते हु ए कहते हैं , ‘मेरा इसी में जन्द्म हु आ है । हम ही संघ


हैं । िह बताते हैं दक संगठन और उसके समथचक दकस तरह
काम करते हैं ।’ िह बताते हैं , ‘संघ चुपचाप काम करता है ।
हमारे में से कोई भी प्रचार नहीं चाहता है । मैं आपको एक
उिाहरि िे ता हू ं । काशी क्षेर के एक प्रचारक ने कल भाजपा के
एक सांसि को व्यापादरयों से दमलाया। हमारी उनके साथ
बातचीत हु ई। और दफर हम लोगों ने फोटो हखचाई। जैसे ही
लोगों ने सेकफी लेना शुरू दकया तो प्रचारक चुपचाप एक ओर
दखसक गया। आप उन्द्हें िे खेंगे नहीं और इसीदलए ऐसी अनुभूदत
होती है दक िे उपल्स्त्थत नहीं हैं ।’
dr. dharmendra Singh G
संि के दलए मेहरा सरीखे व्यदियों की महत्ता उनकी पुरानी
दनष्ठा, स्त्थानीय बाज़ार और समुिाय में उनका महत्ि और उनकी
आर्णथक ल्स्त्थदत से आती है । मेहरा और उनके व्यापक पदरिार
के दलए संघ और उससे संबर्द् राजनीदतक घटकों से यही अपेक्षा
है दक िे कारोबार के दलए और बेहतर माहौल तैयार करें ग।े
हालांदक प्रिशचन जैसी बािा डालने िाली गदतदिदि अभी ही हु ई
है और इसने उनके कारोबार पर प्रदतकूल असर डाला है दफर
भी मेहरा की दनष्ठा नहीं दडगी है ।

मेहरा कहते हैं , ‘दसफच बेईमान कारोबारी ही नाराज़ होगा। इसने


कुछ समय के दलए हमारे कारोबार को प्रभादित दकया होगा परं तु
यह संकट अब खत्म हो गया है । आप मुंबई नगर पादलका के
चुनािों को ही िे दखए। िह तो भारत के कारोबार का केन्द्र है ।
और भाजपा ने नोटबंिी के बािजूि िहां चुनािों में दकतना
शानिार प्रिशचन दकया है ।’

मेहरा उसी शाम व्यापादरयों की एक बड़ी सभा में जाने की तैयारी


कर रहे थे। इस सभा को दित्त मंरी अरुि जेटली संबोदित करने
dr. dharmendra Singh G
िाले थे और इसके दलए िह अपनी उत्सुकता दछपा नहीं पा रहे
थे। िह कहते हैं , ‘आप भी आइए। आप खुि िे दखए दक व्यापारी
समाज दकस तरह से मोिी जी के साथ है ।’

बनारस हहिू दिश्वदिद्यालय के दशक्षादिि और मेहरा संघ के


स्त्ियंसेिकों का प्रदतदनदित्ि कर रहे थे दजनकी गिना इसमें नहीं
होगी यदि आप बहु त ही सीदमत िृदष्टकोि लें दक कैसे
आरएसएस ने भाजपा का समथचन दकया। िे अिृश्य समथचक हैं
दजनकी प्रभािशाली होने के साथ ही अपने समुिाय में पैठ है
और जो चुनाि में हिा बना सकते हैं ।

लोगों को संगदठत करने का अदिक प्रत्यक्ष काम संघ की


मशीनरी करती है ।

िारािसी में मेहरा के होटल के ठीक सामने आरएसएस का


पुराना कायालय है ।

प्रचारक संगठन के ‘हहिू समाज की एकता’ के उद्दे श्य की खादतर


इसे बनाए रखने और इसके दिस्त्तार के दलए अपनी हजिगी लगा
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िे ते हैं । ये िे लोग हैं जो चुनाि जैसे महत्िपूिच अिसरों पर पाटी
को कायचकता उपलधि कराते हैं ।

तीन बुज़ुगच एक शांत कमरे में रखी एक बड़ी सी मेज़ के इिच दगिच
बैठकर अखबार पढ़ रहे हैं । एक प्रचारक अपना पदरचय िे ता है
दक िह संघ के साथ 1955 से जुड़ा हु आ है । िह मेहरा की हां में
हां दमलाता है ः ‘इस तरह की भािना है दक केन्द्र और राज्य स्त्तर
पर एक ही पाटी की सरकार होनी चादहए। अमीर और गरीब
िोनों ही मोिी जी को चाहते हैं । सेना का मनोबल ऊंचा है ।
दिकास का काम आगे बढ़ रहा है ।’

उन्द्होंने चुनािों के बारे में संघ और भाजपा के दिचारों में


महत्िपूिच अंतर को दचदह्नत दकया। ‘संघ एक ऐसा स्त्कूल है जहां
हम लोगों को उनकी योग्यता, कठोर पदरश्रम और इसके नतीजे
के आिार पर अंक िे ते हैं । परं तु राजनीदत अलग है । एक
राजनीदतक िल को जादत, आर्णथक मज़बूती, चुनाि जीतने की
संभािना आदि को िे खना होता है । आदखरकार, उन्द्हें तो चुनाि
लड़ना है । और हम यहां उनका समथचन करने के दलए हैं ।’
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यह िारािसी में मतिान से छह दिन पहले की बात है । भाजपा
के साथ तालमेल करने िाले प्रमुख व्यदि, आरएसएस के
संयुि महामंरी कृष्ट्ि गोपाल िारािसी पहु ं च गए थे और िह
दिदभन्न दज़लों के कायचकताओं की बैठकें बुला रहे थे। पूिी उत्तर
प्रिे श के प्रत्यक्ष प्रभारी होने की िजह से गोपाल पूरे राजनीदतक
पदरिृश्य से पदरदचत थे। बुज़ुगच प्रचारक ने बताया दक इन बैठकों
में क्या हु आ। ‘िह सभी कायचकताओं से राजनीदतक माहौल,
मतिान केन्द्र स्त्तर के समीकरि और मतिाताओं के रुझान के
बारे में जानकारी प्राप्त करते हैं । िह यह भी स्त्पष्ट दनिे श िे ते हैं दक
उन्द्हें मतिान के दलए क्या करना है और बड़ी संख्या में
मतिाताओं के मत डालने पहु ं चने पर ज़ोर िे ते हैं । यही जीत
सुदनदित करे गी।’

लेदकन यह काम चुपचाप दकया जाता है और यही िजह है दक


संघ की भूदमका अक्सर ही यह पहे ली ही बनी रहती है ।

प्रचारक ने अपनी बात जारी रखी, ‘मैं एक और तरह से आपको


बताता हू ं । दपता अपने बच्चे, उसकी दशक्षा का ध्यान रखता है ,
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उसे जीिन में बसने में मिि करता है , उसे घर मुहैया कराता है
परं तु िह चारों ओर गा गा कर लोगों को नहीं बताता है ।’ संघ
के कायचकता पोस्त्टर नहीं बांटते हैं , जनसभाओं में कुर्णसयां नहीं
लगाते और न ही खुि भीड़ जुटाते है । ‘ये हमारा काम नहीं है
और इसीदलए मीदडया को अक्सर गलतफहमी हो जाती है । िे
गलत स्त्थानों पर िे खते हैं । हम तो चुपचाप घर घर जाकर संपकच
करते हैं , लोगों को एक नेता और एक पाटी को िोट िे ने के दलए
लोगों को प्रोत्सादहत करते है जो राष्ट्र के बारे में सोचते हैं , िुदनया
भर में भारत की प्रदतष्ठा बढ़ाते हैं , सेना का मनोबल ऊंचा करते
हैं और सबके दिकास में दिश्वास करते हैं ।’

संघ की पदरककपना और संिेशों में दसफच एक ही नेता और एक


पाटी इस कसौटी पर खरी उतरती है । िह नेता नरे न्द्र मोिी हैं ।
िह पाटी भाजपा है ।

संघ का नया कायालय गोिौदलया चौक से महज कुछ


दकलोमीटर की िूरी पर दसगरा में ल्स्त्थत है , लेदकन शहर के
पुरानी तरह के यातायात का मतलब हमें अपने दलए रें गते हु ए
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रास्त्ता बनाना है । इसी कायालय से काशी प्रांत के 18 दज़लों में
संघ के कामकाज का प्रबंिन दकया जाता है ।

भीतर, एक छोटे से कमरे में एक व्यदि लगन के साथ एकाउन्द्ट


का काम कर रहा है । उसने मुझसे कहा, ‘आप भी बाहर जाइये
और आप अपने दजन दमरों और लोगों को जानते हैं उन्द्हें मोिीजी
को िोट िे ने के दलए तैयार कीदजए। हमारा सांस्त्कृदतक संगठन
है परं तु दिकास के दलए हम राज्य में भाजपा की सरकार चाहते
हैं ।’

उसने दफर इस तथ्य को रे खांदकत दकया दक संघ दकस तरह से


इस लक्ष्य को प्राप्त करने में मिि कर रहा था।

‘हम मतिाता जागरूकता मंच नाम के प्लेटफामच के माध्यम से


काम करते हैं । हम अदिक से अदिक मतिान पर ध्यान केल्न्द्रत
कर रहे हैं । आरएसएस का मानना है दक प्रत्येक भारतीय
नागदरक का यह कतचव्य है दक लोकतंर में शादमल हो और
मतिान करे ।’ इसका दनष्ट्कषच यह था दक यह प्रोत्साहन उन
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मतिाताओं के दलए सुरदक्षत था दजनकी बहु त अदिक संभािना
संघ से संबर्द् राजनीदतक िल को िोट िे ने की थी।

लेदकन संघ ने दकस तरह से पाटी की मिि की, इस बारे में सबसे
अदिक दिश्वसनीय जानकारी प्रमुख राजनीदतक िाताकारों ने
स्त्ियं िी। भाजपा का एक प्रमुख नेता, जो रोज़ाना संघ के साथ
दिचार दिमशच करते थे, घटनािम का पुनर्णनमाि करते हैं ।’
चुनािों के बारे में संघ के साथ हमारी पहली बैठक निंबर 2016
में हु ई थी। और उस बैठक में ही यह दनिचय हो गया था दक िे
ज़मीनी स्त्तर पर संपकच पर ध्यान िें ग।े चुनािों से पहले संघ के
िदरष्ठ नेता मतिान िाले क्षेरों में पहु ं चे और स्त्ितंर रूप से बैठकें
आयोदजत की और मिि की।’

उन्द्होंने बताया दक हालांदक 2014 और 2017 में राज्य में चुनाि


में संघ की भूदमका को लेकर िो बड़े अंतर थे।

‘‘पहला तो यह था दक उत्तर प्रिे श में भाजपा खुि भी कमज़ोर


थी और उसे इस तरह की मिि की आिश्यकता थी। 2017
तक अदमत शाह, सुशील बंसल और उनके टीम द्वारा दकये गये
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कामों से भाजपा संगठन काफी ताकतिर हो गया था और बाहर
से मिि की आिश्यकता कम हो गयी थी। यह दनदित ही परं तु
एक महत्िपूिच दबन्द्िु था जो राष्ट्रीय स्त्तर पर लागू होता है । जहां
भाजपा अपने आप ही ताकतिर थी और उसकी गहरी पैठ थी,
िहा पर चुनाि प्रदिया में संघ की आिश्यकता कम थी लेदकन
जहां भाजपा कमज़ोर थी, परं तु संघ की जडें काफी मज़बूत थीं
तो िहां यह अदिक महत्िपूिच हो गया था।’’

इसका नतीजा िूसरे अंतर में आया। 2014 में आरएसएस के


अनेक कायचकताओं को उत्तर प्रिे श के बाहर से राज्य में सभी
गदतदिदियों में सहयोग के दलए लाया गया था, चाहें तो सूचना
प्रौद्योदगकी हो, फीडबैक और दनगरानी हो, घर घर संगदठत करने
का काम हो या प्रचार प्रबंिन हो। यह नज़दरया कभी कभी उलटा
पड़ जाता है । दबहार के चुनाि में राज्य के एक शीषच नेता ने मुझे
संकेत दिया दक इसने स्त्थानीय कायचकताओं में असंतोष पैिा कर
दिया था। उप्र में 2017 में भाजपा को बाहर से बड़ी संख्या में
कायचकताओं की आिश्यकता नहीं थी। िास्त्ति में, स्त्थानीय
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नेता जो पहले ही मतिान कर चुके थे उन्द्हें उन क्षेरों में भेजा गया
जहां मतिान होना था।

आरएसएस से पुराना दरश्ता रखने िाले एक नेता ने बताया,


‘‘बाहर के आरएसएस के कायचकता इतना अदिक संदलप्त नहीं
थे, परं तु ऐसा इसदलए था क्योंदक इसकी आिश्यकता नहीं थी।
िे िही कर रहे हैं जो आिश्यक है । आदखरकार, कृपा करके
इसे समदझये दक संघ जहां भी हो हम उसी से आते हैं । िह तो
मेरा माई बाप भी है । यह दिभेि बनािटी है ।’’

दनदित ही, आरएसएस की भूदमका की तलाश में इस तथ्य का


छूट जाना सहज था दक समूचा नेतृत्ि ही संघ से आया हु आ है ।

नरे न्द्र मोिी संघ में ही प्रचारक थे। अदमत शाह भी संघ से ही हैं ।
सुनील बंसल तो दसफच तीन साल पहले ही संि से आये थे।
केशि प्रसाि मौया भी कुछ समय पहले तक दिश्व हहिू पदरषि
के कायचकता और पिादिकारी थे। िदरष्ठता के िम में अगर नीचें
आयें, चन्द्रमोहन भी भाजपा में आने से पहले अदखल भारतीय
दिद्याथी पदरषि और स्त्ििे शी जागरि मंच में राज्य स्त्तर के
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अनेक नेताओं का आिार संघ पदरिार के एक या िूसरे संगठन
में रहा है । अदमत शाह से लेकर नीचे तक भाजपा नेताओं को
सहयोग करने िाले सभी कमचचारी संघ की पृष्ठभूदम से आते हैं ।

दनदित ही भाजपा ही संघ है । कुछ चुनािों में आरएसएस की


शेष मशीनरी अदिक सदिय हो सकती है और कुछ में यह पीछे
रह सकते हैं ।

यह खोज बाहरी व्यदियों का पता लगाने की भी थी क्योंदक हम


कुछ ऐसे रहस्त्यमयी, गुप्त सेना की तलाश में थे जो चुनािों के
िौरान प्रचार के दलए अचानक ही अितदरत होती थी और दफर
निारि हो जाती है । बेशक, यह इस तरह तो काम नहीं करती है ।

बनारस हहिू दिश्वदिद्यालय के दशक्षादिि संघ थे। िरूि मेहरा


संघ थे। हमने दसफच प्रचारकों और हमने संगदठत करने के काम
में उनकी भूदमका पर ही ध्यान केल्न्द्रत दकया जो अपयाप्त था।
संघ में िूसरे सबसे अदिक ताकतिर व्यदि भैयाजी जोशी ने
आगेनाइज़र को दिए एक इंटरव्यू में कहा था, ‘‘हमारा सारा
प्रयास गृहस्त्थ कायचकताओं को अपने काम का मुख्य स्त्तंभ बनाने
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का है । आज, हज़ारों पदरिार इस काम को आगे बढ़ा रहे हैं ।
गृहस्त्थ कायचकताओं की तुलना में प्रचारकों की संख्या बहु त कम
है ।’’

यह व्यापक व्यिस्त्था थी और प्रत्येक व्यदि ने अक्सर चुपचाप


ही अपनी तरह से िह काम दकए जो चुनाि के िौरान उसे करने
थे।

अपनी स्त्थापना के नधबे साल बाि संघ अपने अनुयायी नरे न्द्र
मोिी के माध्यम से, खुि को और समािेशी बनाने के दलए
उपलधि करने, आंदशक और िीरे िीरे , और खामोशी से
संगठनात्मक कायो के माध्यम से चुनािी सफलताओं के ज़दरये
भारत में मैरीपूिच सरकारें स्त्थादपत करने में मिि कर रहा है । इस
प्रदिया में, इसका राजनीदतक संगठन पहले से कहीं अदिक
ताकतिर हो रहा है । हहिू एकता और हहिू राष्ट्र हादसल करने के
अपने लक्ष्य के दलए िोनों अदिभाज्य हैं ।

6. ‘एच-एम’ चु नाि
dr. dharmendra Singh G

23 फरिरी, 2017 को इलाहाबाि में एक होटल का प्रबंिक गिच


से अपनी उंगली पर लगी स्त्याही दिखाता है । ‘मैंने मत दिया है
ओर साइदकल जीतेगी।’ साइदकल समाजिािी पाटी का चुनाि
दचह्न है ।

उसने तब मतिान केन्द्र की एक कहानी सुनायी। लाइन में लगा


एक व्यदि ठीक से िे ख नहीं पा रहा था और उसने मिि मांगी।
‘‘िह कमल का बटन िबाना चाहता था। मैंने कहा दक मैं मिि
नहीं कर सकता लेदकन िहां मौजूि पुदलस ने कहा दक उन्द्हें दिखा
िो।’’ िह थोड़ा रुका और दफर शरारती मुस्त्कान के साथ बोला,
‘‘मैंने कमल की बजाये उसे साइदकल दिखाई और उसने िह
बटन िबा दिया। हमारे दलए एक और िोट आ गया।’’

होटल के स्त्िागत कक्ष पर उसके आसपास मौजूि िूसरे लोग


हौले हौले मुस्त्कुराये।

जब िह चला गया तो उसके एक सहयोगी ने कहा, ‘‘आपने


िे खा उसने क्या दकया? क्या यह गलत नहीं है ? िह मुसलमान
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है । यह सब लोग ऐसे ही हैं । यह पूरी कौम ही इसी तरह की है ।
प्रिे श को बबाि कर दिया है ।’’ होटल का यह िूसरा कमचचारी
ब्राह्मि था और उसने कहा दक िह बाि में भाजपा के दलए िोट
करे गा। भाजपा ही जीतेगी। लेदकन ये लोग भी बड़ी संख्या में है ,
िे थोक में िोट िे ते हैं , िे तो ब्रश से अपने िांत साफ दकए बगैर
ही िोट िे ने पहु ं च जाते हैं और इसदलए ये एक चुनौती होगी। पर
इनको हराना है ।’’

सपा-कांग्रेस गठबंिन मुल्स्त्लम मतिाता की ऊजा और उत्साह


िे खकर बहु त ही खुश होते। परं तु इसकी प्रदतदिया भी भाजपा
के दलए बेहि किचदप्रय होती क्योंदक इससे पता चला दक चुनाि
को िार्णमक पहचान के चश्मे के जदरए िे खने की प्रिृदत्त बढ़ती
जा रही है ।

भाजपा अपने ितचमान िैचादरक रूपरे खा के सहारे उत्तर और


पूिी भारत में, दिल्ली की सीमा से उत्तर प्रिे श और दबहार होते
हु ए पदिम बंगाल के रास्त्ते असम तक जबिच स्त्त सांप्रिादयक
िुिीकरि के बगैर चुनाि जीत नहीं सकती थी। इसकी िजह
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साफ थी। इन सभी राज्यों में मुल्स्त्लम आबािी 20 प्रदतशत या
इससे अदिक है । और पाटी 20 प्रदतशत के नुकसान के साथ
शुरू करती है क्योंदक मुल्स्त्लम न तो पाटी के दलए िोट करते हैं
और न ही पाटी की उनके िोटों में दिलचस्त्पी है ।

शेष मतिाताओं के बीच अपनी ल्स्त्थत मजबूत करने के दलए


उसे अंिरूनी तरीके से हहिू जादतयों की िरकार होगी दजसके
दलए िह कोदशश कर रही है परं तु इसके दलए उसे मुल्स्त्लमों को
‘अन्द्य’ बनाकर पेश करना होगा क्योंदक अगर िूसरे जीत गये
तो यह समुिाय अकूत ताकत का इस्त्तेमाल करे गा और उसे
‘एक सबक दसखाने’ की जरूरत है । उसे मौजूिा पूिाग्रहों का
िोहन करना होगा, उसे असंतोष बढ़ाना होगा, उसे हहिुओं में
भय और आिोष पैिा करना होगा और इसके दलए संिेिनाओं
से खेलने की जरूरत है । अक्सर हकीकत में िूसरों का ध्यान
‘मुल्स्त्लम मतिाताओं’ को जीतने में लगा होता है ।

इसे हादसल करने के दलए भाजपा और उसके िैचादरक संगठनों


ने अत्यदिक प्रगदतशील, दफर भी सिादिक भौंडे, प्रचार को
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आिार बनाया, प्रगदतशील क्योंदक यह निाचार और प्रौद्योदगकी
के इस्त्तेमाल का था और भौंडा क्योंदक इसके संिेश के दलए
सीिे झूठ का सहारा दलया गया था। िे मुल्स्त्लम दिरोिी िं गों और
हहसा में सदिय रूप से भागीिार रहे हैं और ऐसे क्षिों से उत्पन्न
िोि और उत्तेजना से लाभाल्न्द्ित हु ए हैं । उन्द्होंने कम तीव्रता
िाले परं तु सतत तनाि को बढ़ािा दिया और िार्णमक आिार
पर िोस्त्तों, पड़ोदसयों, गांिों और श्रदमकों के बीच दिश्वास की
कमी को और बढ़ाया।

यह दिदभन्न जादतयो से एकसाथ मतिान कराने के लक्ष्य को


हादसल करने और हहिू समाज को एकजुट करने के व्यापक
िैचादरक लक्ष्य को प्राप्त करने में मििगार था। और जब पाटी
चुनाि को ‘एच-एम’ (हहिू-मुल्स्त्लम) चुनाि की शक्ल िे ने में
सफल हो गयी तो हहिू बहु कय पदरिृश्य में उसकी दिजय दनदित
हो गयी।

‘‘एकता की पहचान, संगीत सोम, हहिू पहचान संगीत सोम।’’


dr. dharmendra Singh G
चुनाि प्रचार की गाड़ी पर लगा इस नारे ने घोषिा की दक उप्र
के 2017 के चुनाि में संगीत सोम मेरठ की सरिाना सीट से
भाजपा के उम्मीििार हैं । हाल ही में भंग हु ई दििान सभा के
दििायक सोम को 2013 के मुजफ्फरनगर िं गों में आरोपी
बनाया गया था। इन िं गों में करीब 50 व्यदि मारे गये थे और
40,000 से अदिक लोग दिस्त्थादपत हो गये थे। हहसा के िौरान
ही जाट समुिाय ने एक महापंचायत आयोदजत की दजसमें सोम
ने कदथत रूप से भड़काने िाले भाषि दिए और फजी िीदडयो
अपलोड दकए।

इसी तरह के एक िीदडयो में जादहर तौर यह दिखाया गया था दक


मुजफ्फरनगर के कािल गांि में मुसलमानों ने दकस तरह िो
जाट युिकों सदचन और गौरि की हत्या की। इसमें बताया गया
दक िे एक मुल्स्त्लम व्यदि से अपनी बहनों के सम्मान की रक्षा
कर रहे थे और इसके दलए उन्द्हें अपनी जान गंिानी पड़ी। िं गा
भड़कने के बारे में अलग अलग बातें सामने आ रही थीं और
सदचन तथा गौरि के साथ झगड़े में शादमल मुल्स्त्लम व्यदि की
dr. dharmendra Singh G
मौत कैसे हु ई। परं तु बाि में पता चला दक उन्द्माि और आिोष
पैिा करने के इरािे से अपलोड दकया गया यह िीदडयो दक्लप
2012 पादकस्त्तान के एक प्रांत का था।

इन िं गों की घटनाओं की जांच के दलए गदठत न्द्यायमूर्णत दिष्ट्िु


सहाय आयोग का दनष्ट्कषच थाः ‘‘जब तक इन्द्हें (िीदडयो दक्लप)
हटाया गया उस समय तक मुजफ्फरनगर और आसपास के
दजलों में इसकी िजह से हहिू और मुसलमानों के बीच तनाि
बहु त अदिक बढ़ चुका था।’’ इसके दलए दजम्मेिार ठहराए गए
व्यदियों में सोम भी शादमल थे। उनके दखलाफ राष्ट्रीय सुरक्षा
कानून के तहत मामला िजच दकया गया। यह फजी िीदडयो एक
अपिाि नहीं था। संघ से संबर्द् संगठनों ने, अपनी यह कहानी
गढ़ने के दलए दक दकस तरह से मुल्स्त्लम, हहिू लड़दकयों को
अपने जाल में फंसा रहे हैं और िं गों में हहिू लड़कों की हत्या कर
रहे हैं , इस तरह की सामग्री व्हा्सऐप में संिेश और आदडयो
िीदडयो के जदरए प्रसादरत की, इनमें अदिकांश फजी थे।
dr. dharmendra Singh G
गौ रक्षा सदहत हहिू दहतों के चरमपंथी संगठनों से संबर्द् होने की
िजह से सोम का व्यदिगत दरकाडच भी कम साफ था। मेरठ से
हहिुस्त्तान टाइम्स ने दरपोटच दकया था दक सोम मांस के प्रसंस्त्करि
और इसका दनयात करने िाली एक कंपनी के दनिे शक थे।
इसके बारे में जब पूछा गया तो उनका जिाब था, ‘‘मैं कट्टरपंथी
हहिू हू ं और इसदलए ऐसी दकसी गदतदिदि में शादमल होने का
सिाल ही नहीं उठता जो मेरे िमच के दखलाफ हो।’’

हालांदक यह पाखण्ड उन्द्हें ‘कट्टरपंथी’ पृष्ठभूदम से अलग करने


में बहु त अदिक मििगार नहीं हु आ। और सोम दनरं तर ‘हहिू
काडच’ का इस्त्तेमाल करते रहे । 2017 के चुनािो में, स्त्थानीय
पयचिेक्षक ने इस बात की ओर इशारा भी दकया उनके दलए कड़ी
चुनौती है । और सोम एक बार दफर मुजफ्फरनगर को बुरी तरह
प्रभादित करने िाले िं गों को भुनाने में लग गए दजसने लोकसभा
चुनाि में इस क्षेर में पाटी को मिि पहु ं चाई थी। चुनाि प्रचार के
िौरान उन्द्होंने िं गों की भड़काने िाली सीडी दितदरत कीं और
एक बार दफर सांप्रिादयक िुिीकरि करने का प्रयास दकया।
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उनके दखलाफ चुनाि आचार संदहता का उल्लंघन करने के
आरोप में मामला भी िजच हु आ।

ये िं गे चार साल बाि भी भाजपा की मिि कर रहे थे।

यह भोर का पहर था जो प्रत्यादशयों के अपने क्षेर के ग्रामीि


इलाकों में चुनाि अदभयान पर दनकलने से पहले दमलने का
सबसे उदचत समय था। सरिाना में संगीत सोम के घर के बाहर
मेरी मुलाकात पाटी के समथचक राज कुमार सैनी से हु ई।

‘‘इस राज्य में हहिुओं पर अत्याचार और उनका शोषि होता है ।


मुजफ्फरनर िं गों के दसलदसले में हहिू लड़के अभी भी जेल में हें
परं तु सभी मुल्स्त्लम मौज कर रहे हैं । उप्र में हहिू लड़दकयों से
बलात्कार दकया गया लेदकन मुल्स्त्लम लड़दकयों को दसर पर
दबठाया गया। अब जरूरत यह है दक हहिू िोट एकसाथ पड़ें।’

िं गों के िौरान जो कुछ भी हु आ उसकी अनुभूदत और प्रचार


हकीकत से बहु त िूर था। िं गों में मुसलमान ज्यािा मारे गये थे।
मुसलमानों को बहु त ही तकलीफिे ह पदरल्स्त्थदतयों में दशदिरों में
dr. dharmendra Singh G
रहना पड़ा था। मुल्स्त्लम मदहलाओं के साथ बलात्कार के बारे में
भरोसेमंि दरपोटें थीं। दफर भी, हहिुओं में उनका उत्पीड़न होने
का भाि बहु त अदिक था। अदनल सैनी की बातचीत से यह
झलकता था।

‘‘यह सरकार उनकी है । उन्द्होंने ही िं गा शुरू दकया। इसके बाि


भी आजम खान अपने लड़कों को दरहा करा दलया। और दफर
मुआिजा भी दलया, उन्द्हें बहु त सारा िन दमला। हहिुओं को क्या
दमला?” समाजिािी पाटी में मुसलमानों के सुप्रीम नेता आजम
खान को लेकर यही कहा जाता रहा है दक सदचन और गौरि की
हत्या में शादमल मुल्स्त्लम लड़कों को संरक्षि प्रिान करने में
उन्द्होंने अहम भूदमका दनभाई। उनकी सांप्रिादयक रूप से
भड़काने िाली दटप्पदियों ने भाजपा को अपने समथचकों को
एकजुट करने में मिि की। लेदकन यह दिश्वास करना दक
मुजफ्फरनगर में आजम खां की िजह से मुसलमानों को दिशेष
अदिकार प्राप्त थे, सरासर असत्य था।
dr. dharmendra Singh G
परं तु तथ्यों से दकसी को कुछ लेना िे ना नहीं था। हहिुओं को
एकजुट करने के प्रयास में सोम लगातार यह बता रहे थे दक सपा
के शासन में दकस तरह से हहिुओं का उत्पीड़न दकया गया।

सैनी से बात करने के बाि मैं िरिाजे के बाहर तैनात


सुरक्षाकर्णमयों के पास से गुजरता हु आ सीदढ़यों के रास्त्ते छह से
होता हु आ एक बड़े से कक्ष में पहु ं चा जहां तीन बड़ी बड़ी मेज़ें
लगी हु ई थीं। लोग िोनों ओर बैठकर इलाके के इस ताकतिर
व्यदि के साथ बातचीत के दलए अपनी बारी का इंतजार करते
थे।

सोम घायल हो गये थे, उनके बाएं हाथ में प्लास्त्टर लगा हु आ था।
इसके बािजूि इस ठाकुर नेता की गदतदिदियां िीमी नहीं हु ई
थीं। उन्द्होंने फोन से दखलिाड़ करते हु ए अपने सहायक को
दनिे श दिया दक उसके कायचिम में कुछ और गांिों को शादमल
दकया जाये। सांप्रिादयकतािाि के बारे में मेरे सिाल के जिाब
में सोम को कोई ग्लादन नहीं थी और िे पूरे दिश्वास से भरे हु ए थे।
dr. dharmendra Singh G
सोम कहते हैं , ‘‘सपा ने कदब्रस्त्तान के दलए चाहरिीिादरयों का
दनमाि क्यों कराया, श्मशान भूदम और राम लीला मैिान के
दलए नहीं? उन्द्होंने गादजयाबाि में हज हाउस के दनमाि पर
हजारों करोड़ रुपए क्यों खचच दकए लेदकन कांिदड़यों के दलए,
जो उसी रास्त्ते से यारा करते हैं , दिश्राम गृह बनाने पर एक पैसा
खचच नहीं दकया? सरकार ने दसफच मुल्स्त्लम लड़दकयों के दलए
छारिृदत्त िी और हमारी लड़दकयों को नहीं? मुलायम हसह यह
क्यों कहते हैं दक दसफच सपा ही मुसलमानों का ध्यान रख सकती
है , क्या अदखलेश यािि ने दसफच मुल्स्त्लम िोटों के दलए ही नहीं
कांग्रेस के साथ तालमेल दकया है ? क्या हहिू इस राज्य में नहीं
रहते हैं ? िे जो चाहें मुसलमानों को िे सकते हैं , मैं उसके दखलाफ
नहीं हू ं परं तु उन्द्हें िही सब हहिुओं को भी िे ना चादहए।’’

सोम उसी मुद्दे पर लौट रहे थे जो भाजपा की राजनीदतक कथन


का केन्द्र रहा है -यह है ‘तुदष्टकरि।’ यह इस िािे पर आिादरत
है दक भारत में िमच दनरपेक्षता की राजनीदत का तात्पयच मुल्स्त्लम
समथचक राजनीदत है , िमच दनरपेक्ष िल मुल्स्त्लम समथचक हैं और
dr. dharmendra Singh G
इस प्रदिया में हहिू कहीं पीछे छूट चुके हैं । और यही िह मुद्दा है
दजसे हम उप्र में चुनाि प्रचार के िौरान बार बार सुन रहे थे।

और इसीदलए िे श की राजिानी से करीब सौ दकलोमीटर की


िूरी पर पदिमी उत्तर प्रिे श के इस क्षेर में भाजपा का प्रचार
अदभयान हहसा के मदहमामंडन, उत्पीड़न और पूिाग्रहों की
कहादनयों पर आिादरत था। उप्र में सपा की सरकार को
एकसमान रूप से कानून लागू करने की बजाए अकपसंख्यकों
के पक्ष में भेिभाि करने िाली सरकार के रूप में िे खा जाता था
और भाजपा ने इसे भी शादमल कर दलया।

इसने काम भी दकया।

11 माचच को संगीत हसह सोम सरिाना सीट से दििायक


दनिादचत हु ए। उन्द्हें 97921 मत दमले जबदक उनके सबसे
नजिीकी प्रदतद्वं द्वी 20 हजार से भी अदिक मतों से पीछे रहे ।

*
dr. dharmendra Singh G
संगीत सोम दकसी अपिाि का नहीं बल्कक उन्द्हीं मापिं डों का
प्रदतदनदित्ि कर रहे थे।

अमरोहा से पूिच टे स्त्ट दिकेटर दखलाड़ी चेतन चौहान दििान


सभा चुनाि लड़ रहे थे। उनके दनिाचन क्षेर में उनके साथ चाय
की चुल्स्त्कयों के िौरान चौहान ने कहा दक इस क्षेर का ‘बहु मत
िाला समुिाय महसूस करता है दक उसके साथ न्द्याय नहीं दकया
गया है । दसफच मुल्स्त्लम लोगों का ही काम हु आ है ।’ उनका
आरोप था दक सपा दििायक ने उन लोगों को संरक्षि दिया
दजन्द्होंने जमीन छीनी और लूटपाट की, इनमें से अदिकांश
अपराि मुल्स्त्लम समुिाय ने ही दकए थे, उनकी गुड
ं ागिी के
दखलाफ ही प्रदतदिया हु ई थी, और उन्द्होंने स्त्िीकार दकया दक
भाजपा इस गुस्त्से को भुनायेगी। पांच साल तक हहिुओं को तोड़ा
गया है । ...िे एकजुट होंगे।’

यह एक उल्लेखनीय प्रचार मंच था। दकसी प्रत्याशी के दलए इतना


खुलकर बोलना दक अपराि के दलए एक समुिाय दिशेष
दजम्मेिार था, िूसरे समुिाय में (जो ज्यािा प्रभुत्िशाली है )
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असंतोष पैिा करता है और उम्मीििार का उम्मीि करना दक
इससे उसे फायिा होगा, यह भाजपा द्वारा िमच की राजनीदत के
दसदनकल उपयोग को उजागर करता है । मुजफ्फरनगर के
आसपास की घटनाओं के बारे में बताई जा रही बातों के समथचन
में कोई तथ्य और साक्ष्य नहीं थे। व्हा्सएैप का, और व्यापक
संगठनात्मक नेटिकच का इस्त्तेमाल करके तस्त्िीरो और दलदखत
संिेशो के आिार पर इस दनष्ट्कषच तक पहु ं चना आसान था दक
मुसलमान ही अपरािी और हहिू पीदड़त हैं और िूसरे सभी
राजनीदतक िल दसफच मुल्स्त्लम समुिाय के दलए ही काम कर रहे
हैं और भाजपा हहिुओं के दहतों की रक्षा करने िाली एकमार
पाटी है ।

चुनाि में इसने काम दकया।

चेहन चौहान नौगांिा की जनता का प्रदतदनदित्ि करने िाले


दििायक के रूप में आराम से चुनाि जीत गए। उन्द्हें 97030
मत दमले। उनकी जीत का अंतर भी संगीत सोम की तरह ही
20,000 मतों से अदिक था।
dr. dharmendra Singh G
िह आज िे श के सबसे बड़े राज्य के खेल मंरी हैं और उन्द्हें
कैदबनेट मंरी का िजा प्राप्त है ।

अनेक लोगों ने भाजपा द्वारा दिकास काडच, कानून एिं व्यिस्त्था


काडच और हहिू काडच इस्त्तेमाल दकए जाने को खांचों में रखा और
इसे एकिम अलग प्लेटफामच के रूप में दलया। इसे नजरअिांज
कर दिया दक भाजपा दकतनी चतुराई से अक्सर ही तीनों का एक
ही कहानी में इस्त्तेमाल करती है । और इस प्रदिया में, िह उस
चीज का इस्त्तेमाल करके खुश है दजसे झूठ कहते हैं । िूसरे मुद्दों
को ही लीदजए, जो उसने पदिमी उप्र में उठाए।

पाटी ने िािा दकया दक मुल्स्त्लम गैंगस्त्टरों की िजह से हहिू कैराना


में असुरदक्षत हैं , उन्द्हें इस भय के कारि िहां से भागना पड़ रहा
है और कैराना ‘नया कश्मीर’ बन गया है । िस्त्तुल्स्त्थदत का पता
लगाने िाले सभी स्त्ितंर िलों ने इस िािे को असत्य पाया,
पलायन बेहतर अिसरों की तलाश के दलए हु आ था। एक बार
दफर, जैसे मुजफ्फरनगर में मुसलमानों को दकस्त्मत िाला या
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अमरोहा में मुल्स्त्लमों को अपरािी बताने जैसे ही कथानक की
पुनरािृदत्त कैराना में हु ई जहां मुल्स्त्लमों को गैंगस्त्टर और हहिुओं
को जबरन दिस्त्थादपत बताया गया, हालांदक यह झूठ था।
व्हा्सएैप समूहों और भाजपा का लखनऊ कायालय खुि ही
800 से ऐसे अदिक समूह और सोशल मीदडया, दिशेषकर
फेसबुक, पर चला रहा था दजसमें हहिुओं में असुरक्षा की कहानी
गढ़ी गई थी। पाटी के एक नेता से जब इन तथ्यों के साथ कहा
गया दक यह सच नहीं है तो उसने मुझसे स्त्िीकार दकया, ‘‘भाई
साहब, इससे कोई फकच नहीं पड़ता। सिाल यह है दक हम
दिखाना चाहते हैं दक हम उत्पीदड़त हैं । इससे हहिू नाराज होंगे।
उन्द्हें तभी अहसास होगा दक उन्द्हें मुसलमानों के दखलाफ
एकजुट होना है ।”

इसी तरह की एक और कहानी गैरकानूनी बूचड़खानों के बारे में


गढ़ी गई और बताया गया दक दकस तरह से मुल्स्त्लम समथचक
सपा सरकार में इसे बढ़ािा दिया गया। आिकादरक रूप से इसे
कानून एिं व्यिस्त्था, पयािरि और सफाई और स्त्थानीय
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दनकायों के दनयमों के पालन करने से जोड़ दिया गया था। परं तु
िही नेता साफ तौर पर अपने गदित पर भी जोर िे ता है ः ‘‘जब
आप इन बूचड़खानों के बारे में सोचते हैं तो आपके दिमाग में
कैसी तस्त्िीर बनती है ? मै एक मुल्स्त्लम कसाई, गौ िि और
सड़कों पर फैले खून के बारे में सोचता हू ं । मैं सोचता हू ं दक दकस
तरह से मुसलमानों ने हमारे सािचजदनक जीिन पर कधजा कर
दलया है , िे कैसे हमारी संस्त्कृदत और जीिन शैली को बबाि कर
रहे हैं , दकस तरह से आज दचकन और मांस की िुकानें हर जगह
हैं , और दकस तरह से ऐसा करके िे रईस बन गए। ये सिाल
उठाकर हम हहिुओं को जागृत करना चाहते हैं , उन्द्हें गुस्त्सा
दिलाना चाहते हैं ।’’

परं तु भाजपा और उससे संबर्द् संगठनों ने उप्र और यहां तक


दक िे श के िूसरे दहस्त्सों में जो सबसे अदिक संदिग्ि कहानी गढ़ी
िह थी ‘लि दजहाि’ के बारे में। यह शधि मुजफ्फरनगर िं गों के
िौरान उस समय प्रचदलत हु आ जब संघ कायचकताओं ने इस
कहानी को आगे बढ़ाया दक मुल्स्त्लम लड़के हहिू लड़दकयों को
dr. dharmendra Singh G
अपने जाल में फंसाने के दलए उनसे झूठ बोलकर संबंि स्त्थादपत
करते हैं और उनका िमच पदरितचन कराते हैं । िे िलील िे ते हैं दक
ये ‘जनसांल्ख्यकी आिामकता’ थी। यह मुल्स्त्लम जनसंख्या
बढ़ाने और हहिुओं को अकपसंख्यक बनाने की एक सुदनयोदजत
सादजश थी। दपछले तीन साल में लि दजहाि की कहानी पदिम
उप्र के प्रत्येक समागम और बातचीत का दहस्त्सा बन चुकी थी।

सच्चाई इस िािे से अलग थी। पहली बात तो अंतर-िार्णमक और


ऐसी शादियों की संख्या बढ़ने का कोई सबूत नहीं था। िूसरी
बात यह दक यदि ऐसी संख्याओं में िृदर्द् हु ई थी तो भी ऐसा कोई
सबूत नहीं था दक यह दकसी सुदनयोदजत मुल्स्त्लम सादजश का
दहस्त्सा था। यह हो सकता है दक यह दमली जुली आबािी िाले
क्षेर में दिश्वदिद्यालयों और बाजारों जैसे िमचदनरपेक्ष स्त्थानों पर
दिदभन्न िमों के ियस्त्कों के बीच बढ़ते मेल जोल के कारि हु आ
हो। और तीसरी बात यह दक अनेक िजच मामलों और आरोपों
से पता चलता है दक मदहलाओं को ऐसे संबंिों से रोकने के
दपतृसत्तात्मक प्रयास थे।
dr. dharmendra Singh G
लेदकन भाजपा ने मुसलमानों के प्रदत असंतोष और संिेह उत्पन्न
करने के दलए सफलतापूिचक इसका इस्त्तेमाल दकया था। उसने
सफलतापूिचक हहिू माता दपता और हहिू लड़दकयों में भय दबठा
दिया था। और पाटी ने इसे अपने चुनाि अदभयान से जोड़ दिया
था। भाजपा के राज्य प्रििा चन्द्रमोहन ने स्त्पष्ट रूप से कहा,
‘‘पदिम उप्र में चुनाि प्रचार में हमारा ये एक बड़ा मुद्दा एन्द्टी
रोदमयो िस्त्ता है । यह कानून और व्यिस्त्था का मसला है ।
मदहलाओं को सुरक्षा िास्त्ति में एक बड़ा मुद्दा है । परं तु यह ‘लि
दजहाि’ के बारे में भी है ।’’ लेदकन 2017 में साफ तौर पर इसका
इस्त्तेमाल करने की बजाये भाजपा ने एन्द्टी रोदमयो िस्त्ते गदठत
करने का िायिा दकया। िह मुस्त्कुराते हु ए कहते हैं , ‘‘एन्द्टी
रोदमया िस्त्ते िास्त्ति में एन्द्टी सलमान िस्त्ते हैं । यह एन्द्टी नौशाि
िस्त्ता है ।’’

उप्र में सत्ता संभालने के बाि भाजपा सरकार ने अपनी पहली


नीदतगत कारच िाई में एन्द्टी रोदमयो िस्त्ते तैनात दकये और
गैरकानूनी बूचड़खानों के दखलाफ कारच िाई की।
dr. dharmendra Singh G
यह तरीका साफ था। भाजपा ने प्रचार के ही मुद्दे को उठाया था
जो हहिुओं के बीच उत्सुकता और िोि को जन्द्म िे गा और
मुसलमानों के प्रदत संिेह और नफरत पैिा करे गा। उसके संिेशों
में रत्तीभर भी सच्चाई नहीं थी और दनदित ही उसने मुजफ्फरनगर
में मुसलमानों को लाभ िाला समुिाय इंदगत करके, अमरोहा में
सारे अपरािों के दलए मुल्स्त्लम को दजम्मेिार ठहराकर, कैराना
में सारे हहिुओं को बाहर जाने पर मजबूर करने का आरोप
मुल्स्त्लम दगरोहों पर लगाकर, मुल्स्त्लम कसाइयों पर सांस्त्कृदतक
मूकयों को नष्ट करने और राज्य में मुल्स्त्लम युिकों द्वारा हहिू
मदहलाओं को अपने जाल में फंसाने के बारे में सरासर झूठ बोला
था। इन सभी में यही कहानी िोहराई गई दक दिपक्षी िल मुल्स्त्लम
का साथ िे रहे हैं । भाजपा हहिुओं के दहतों, अदिकारों, मूकयों
और संस्त्कृदत की रक्षा करे गी। और इसके दलए उसे उनके िोट
चादहए। यह बहु त ही सोचा-समझा िोट बांटने या राजनीदतक
भाषा में कहें तो िुिीकरि करने का प्रयास बहु त ही स्त्िाथच भरा
और खतरनाक प्रयास था।
dr. dharmendra Singh G
*

मुसलमानों के तुदष्टकरि का मुद्दा उच्च स्त्तर पर पाटी नेतृत्ि ने


चुना था।

पीलीभीत में ड्रमंड कालेज के मैिान में जब अदमत शाह का


हे लीकॉप्टर उतरा तो उनका सम्मान शहर के दसख समुिाय ने
दकया था, उन्द्होंने शाह को पगड़ी बांिी। प्रिान मंरी या शाह ने
इस तरह की दरयायत मुल्स्त्लम टोपी पहनने के दलए नहीं िी थी।

अपने भाषि के िौरान केन्द्र सरकार के दरकाडच का बचाि और


सपा के दरकाडच की आलोचना के बाि शाह ने हमले की दिशा
बिली।

उन्द्होंने सिाल दकया, ‘‘क्या आपको अदखलेश के िायिे के


अनुसार लैपटाप दमले ?’’ उन्द्होंने ही जिाब भी दिया, ‘‘आपको
नहीं दमले क्योंदक आपकी जादत सही नहीं थी। आपको नहीं
दमला क्योंदक आपका िमच सही नहीं था।’’
dr. dharmendra Singh G
‘‘क्या आपकी लड़दकयों को अदखलेश के िायिे के अनुसार
छारिृदत्त दमली?’’ साथ ही शाह ने जोड़ा, ‘‘नहीं, आपको नहीं
दमला क्योंदक आपका िमच सही नहीं है ।’’

इसके समथचन में जोरिार आिाज केसदरया िारक युिकों के


एक छोटे से समूह से आयी दजन्द्होंने ‘जय श्रीराम’ का उद्घोष
दकया।

शाह उन अंतर्णनदहत भािनिाओं को भुनाने को उभार रहे थे


दजन्द्हें सोम और चौहान ने तैयार और पल्लदित दकया था। िह था
सपा के शासनकाल में भेिभाि। परं तु सोम और चौहान के िािों
की तरह यह पूरी तरह तथ्यों पर आिादरत नहीं थे। कुल
दमलाकर लैपटाप दितरि दनष्ट्पक्ष और भेिभाि रदहत था।
चुनाि प्रचार के अंदतम क्षिों में अदखलेश यािि ने उन छारों के
नाम लेने शुरू दकए दजन्द्हें लैपटाप दमले थे और इसमें सभी
जादतयों और समुिायों के बच्चे और युिा ियस्त्क शादमल थे।

परं तु शाह की बात लोगों के मन में बैठ गई थी और अनेक लोगों


को यह दिश्वास हो गया दक सपा सरकार मुसलमानों की दहतैषी
dr. dharmendra Singh G
है । इसके दलए कोई और नहीं बल्कक सपा खुि ही िोषी है क्योंदक
पाटी ने अकपसंख्यकों के िोटों को आकर्णषत करने के दलए
मुलायम हसह के समय से ही बहु त ही गिच के साथ यह छदि
बनाई थी जो अब ऐसे िि में उस पर भारी पड़ने लगी, जब एक
राजनीदतक ताकत सुदनयोदजत तरीके से बहु मत के मतों को
अपनी ओर करने में जुटी हु ई थी।

शाह ने िूसरी जगह भी जनसमूह में यही संिेश गहराई तक


पहु ं चाया।

पदिमी उप्र में भाजपा ने 2014 के चुनाि में सफाया कर दिया


था। िं गों के बाि समाज का िुिीकरि हो गया था, हहिू-मुल्स्त्लम
के बीच िूरी बढ़ गई थी और दिशेषकर जाटों ने बढ़चढ़ कर
भाजपा को िोट दिया था।

परं तु इस बार, ऐसा लग रहा था दक कई कारिों से जाट पाटी से


नाराज हैं । इनमें भाजपा को लेकर यह मानना दक जाट समुिाय
को केन्द्री अन्द्य दपछड़े िगों की सूची में शादमल कराने के प्रदत
अदनच्छा या असमथचता, हदरयािा में जाटों के प्रदत उसका रिैया
dr. dharmendra Singh G
और एक गैर जाट को राज्य का मुख्यमंरी बनाना, िं गों में
आरोपी बने जाट युिकों को जेलों से दरहा कराने में उसकी
असमथचता, चौिरी चरि हसह के प्रदत उसका अनािर, दजनकी
जयंती पर प्रिानमंरी ने ट्वीट नहीं दकया था, और दजनके पदरिार
को दिल्ली में लुदटयन क्षेर के बंगलों से बेिखल कर दिया गया
था।

इसके साथ ही मुल्स्त्लम समुिाय के साथ िरार अभी भी बनी हु ई


थी। जो कुछ भी हु आ उसके दलए िोनों समुिाय एक िूसरे पर
िोषारोपि कर रहे थे। मुल्स्त्लम समुिाय जाटों को हमलािर,
हहसा के दलए दजम्मेिार और हजारों लोगों के दिस्त्थादपत होने की
िजह से उनके दशदिर में रहने के दलए बाध्य करने िालों के रूप
में िे खते थे। जाटों का कहना था दक मुल्स्त्लम समुिाय ने लड़ाई
शुरू की और िे बच कर भी दनकल गए क्योंदक लखनऊ में
उनकी ही सरकार थी दजसने उन्द्हें राहत प्रिान करके दसर पर
दबठाया और उन्द्हें ही अपने समुिाय के युिकों की दगरफ्तारी के
दलए दजम्मेिार ठहराया।
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उप्र में पहले चरि का मतिान होने से एक दिन पहले अदमत
शाह का एक आदडयो टे प लीक हो गया। उन्द्हें दिल्ली में जाट नेता
और केन्द्रीय मंरी चौिरी िीरे न्द्र हसह के आिास पर जाट
समुिाय के नेताओं से बात करते सुना गया। िह जाट समुिाय
से पुरजोर अपील कर रहे थे दक िे भाजपा के साथ ही डटे रहें
और िायिे कर रहे थे, उन्द्होंने उन सभी से एक सािारि सिाल
पूछा।

‘‘यदि हम हार गये तो कौन जीतेगा?’’ लोगों के फुसफुसाहट


सुनायी पड़ी दक गठबंिन। शाह ने जिाब दिया, ‘‘सपा
गठबंिन।” ‘‘कौन बनेगा मुख्यमंरी? और आपको क्या
दमलेगा?’’ इस बार दकसी को जोर से यह जिाब िे ते सुना गया,
‘‘मुजफ्फरनगर के िं ग।े ’’

इस दरकादडिंग में शाह ने कुछ समय बाि दफर सिाल िोहराया,


‘‘यदि आप हमें िोट नहीं िें गे तो क्या होगा?’’ भाजपा हार
जायेगी। इस पट्टी पर हम आप पर ही दनभचर हैं । हम आपके बगैर
जीतने की बात सोच भी नहीं सकते। लेदकन दबरािरी भी हार
dr. dharmendra Singh G
जायेगा। उनके बारे में सोदचए जो सत्तासीन होंगे, उन सब के
बारे में सोदचए जो उन्द्होंने दबरािरी के दलए दकया, सोदचए दक
िह दबरािरी का क्या करें ग।े ’’

यह अनकहा छोड़ दिया गया परं तु शाह ने यह संकेत जरूर िे


दिया दक सत्ता में कौन आ रहा है । और ऐसा नहीं था दक शाह
दसफच एक पाटी और एक नेता का दजि कर रहे थे। यह जाट
समुिाय को फैसला करना था दक िे दकसे अदिक नापसंि करते
हैं ः मुल्स्त्लमों और उन िलों को दजन्द्होंने उनकी दहमायत की या
दफर भाजपा को।

एक अन्द्य चुनािी सभा में, िह और अदिक मुखर थे और उप्र


को कसाब - कांग्रेस (क), समाजिािी पाटी (सा) और बहु जन
समाज पाटी (ब) - के दखलाफ चेतािनी िे रहे थे। यह न दसफच
प्रदतद्वं द्वी िलों को मुसलमानों के साथ जोड़ता है , बल्कक उस
पादकस्त्तानी से भी जोड़ता है , जो मुंबई हमले में अपनी भूदमका
की िजह से भारत में आिुदनक आतंकिाि की पदरभाषा बन
गया। शाह ठीक िही कर रहे थे जो पाटी की मशीनरी चुनािी
dr. dharmendra Singh G
मैिान में कर रही थी। हहिुओं को उद्वे दलत करना और
मुसलमानों को संिेह का प्रतीक बनाना और सभी िूसरे िलों को
दसफच मुल्स्त्लमों और संभादित आतंकिादियों के दहतैषी के रूप
में दिखाना।

संिेश स्त्पष्ट था – उप्र को मुसलमानों से बचाने और इस तरह


उप्र को आतंकिादियों से बचाने के दलए हहिुओं को जागरूक
होना पड़ेगा और भाजपा को िोट िे ना होगा।

यदि प्रदतद्वल्न्द्द्वयों को मुसलमानों के मििगार के रूप में पेश


करना था तो भाजपा के दलए भी ‘शुर्द्ता’ बनाए रखना
महत्िपूिच है । शाह के नेतृत्ि में भाजपा ने एक भी मुसलमान को
पाटी का दटकट नहीं दिया। उिार आलोचकों के दलए यह पाटी
की कमजोरी थी। इससे िह सब पदरलदक्षत हो रहा था दक पाटी
में क्या गड़बड़ी है और इसदलए यह भाजपा को कठघरे में खड़ा
करने की एक िजह भी थी।
dr. dharmendra Singh G
पाटी के दनष्ठािान और उसकी िैचादरकता से संबर्द् लोगों का
मानना था दक यह पाटी की शदि का प्रतीक है ।

पाटी का आदिकादरक स्त्पष्टीकरि सािारि सा था। िे


प्रत्यादशयों के जीतने की क्षमता के आिार पर फैसला करते हैं ,
मुल्स्त्लम में कोई भी जीतने योग्य उम्मीििार नही था, मुसलमानों
ने पाटी को िोट नहीं दिया था, और यह अपेक्षा करना ही गलत
और भोलापन होगा दक पाटी उन्द्हें दटकट िे गी।

2014 के चुनाि के तुरंत बाि मैं अशोक हसघल के यहां गया


था। 88 िषीय हसघल भाजपा से संबंि रखने िाले एक मीदडया
उद्यमी के साथ बातचीत कर रहे थे और मेरी उपल्स्त्थदत में उनसे
कहा, ‘‘आपके संबंि तो मुसलमानों से भी हैं । उनसे कह िीदजये
दक 2014 ने दिखा दिया है दक मुल्स्त्लम समथचन के बगैर भी
चुनाि जीते जा सकते हैं । यही समय है दक िे इसे समझें और
हहिू भािनाओं का सम्मान करें ।’’

हसघल ने दिस्त्तार से कहा, ‘‘बहु त लंबे समय तक मुल्स्त्लम यह


समझते रहे दक राष्ट्र पर उनका िीटो है । परं तु इसने भी हहिुओं
dr. dharmendra Singh G
को संगदठत कर दिया है । आज हहिू एकजुट हो गये हैं । 700
साल बाि एक स्त्िादभमानी हहिू दिल्ली पर राज कर रहा है । और
मुल्स्त्लम अब अप्रासंदगक हो गए हैं । यह उनके दलए एक झटका
है । अब ल्स्त्थदत बिल गयी है ।’’

हसघल का 2016 में िे हांत हो गया लेदकन उनका नजदरया फल-


फूल रहा है । 2017 के चुनाि के बीच में भाजपा के एक नेता ने
लखनऊ में हसघल के दिचारों को िोहराया। ‘‘हम मुल्स्त्लम
दिरोिी िुिीकरि चाहते हैं । िूसरी तरह का नाटक क्यों? हम
मुल्स्त्लम को एक दटकट िे कर दिल्लीिालों को खुश करने में
यकीन नहीं करते हैं ।’’

जहां तक मुसलमानों की बात है , िे भी जानते हैं दक िे दकसे


िोट नहीं कर रहे हैं ।

लखनऊ के अहमिनगर पाकच में एक युिा मुल्स्त्लम कहता है दक


िह नरे न्द्र मोि को 2002 के दलए कभी माफ नहीं करे गा। िे िबंि
में एक मुल्स्त्लम छार ने कहा दक िह सोचता था दक मोिी में
‘सुिार’ हु आ है लेदकन योगी आदित्यनाथ ओर साक्षी महाराज
dr. dharmendra Singh G
के बयानों पर िह नाराज हो जाता है । बरे ली में सबसे
प्रभािशाली मकतबों में एक िरगाह-ए-आला-हजरत के
मौलानाओं का कहना था दक समान नागदरक संदहता और हाल
ही में तीन तलाक के मसले पर भाजपा के रुख ने उन्द्हें बहु त
आहत दकया है ।

झांसी में एक मुल्स्त्लम कारोबारी ने कहा दक मोिी के सत्ता में


आने से िह परे शान नहीं है क्योंदक इस भय के बािजूि दक बहु त
खूनखराबा होगा लेदकन उनके प्रिानमंदरत्ि काल में कोई िं गा
नहीं हु आ है । लेदकन परे शानी यह है दक जब भाजपा सत्ता में
होती है तो मुसलमानों की सरकार तक कोई पहु ं च नहीं होती
है ,कोई सुनिाई नहीं, कोई आिाज नहीं। कानपुर िे हात के
अकबरपुर बाजार में एक मुल्स्त्लम मैकेदनक ने इस पर दिस्त्तार
से बताया और कहा, ‘‘भाजपा हम सभी को मार नहीं सकती।
िे हमें पादकस्त्तान भी नहीं भेज सकते। िे दसफच हमें सत्ता से बाहर
रखना चाहते हैं । िे हमें अलग रखना चाहते हैं । िे हमें गुलाम
बनाना चाहते हैं ।’’
dr. dharmendra Singh G
दिश्व भर में प्रभािशाली एक और इस्त्लामी मिरसे, पदिमी उप्र
के िे िबंि में एक मुल्स्त्लम िमचगुरु का एक अलग ही नजदरया
था। उनका कहना था दक भाजपा को खुि ही मुसलमानों के िोट
नहीं चादहए। ‘‘क्योंदक िे हमें एक समस्त्या के रूप में दिखाकर
सभी को एकजुट करना चाहते हैं । ऐसी ल्स्त्थदत में दकसी प्रकार
की िाता कैसे हो सकती है ?’’

लेदकन जब मुल्स्त्लम यह जानते हैं दक िे भाजपा को िोट नहीं


िें ग,े इसदलए इसका यह तात्पयच जरूरी नहीं है दक उन सभी ने
एकसाथ िोट िे ने या भाजपा को हराने की योजना तैयार की है ।
अब ऐसे अनेक साक्ष्य उपलधि हैं दक मुल्स्त्लम समुिाय में भी
शहरी-ग्रामीि, जादत, िगच और िलीय समीकरि के आिार पर
दिखंडन होता है । और कांग्रेस और सपा िोनों के गठबंिन तथा
बसपा द्वारा मुल्स्त्लम मतिाताओं को लुभाने की कोदशश के
कारि मुल्स्त्लम मत बंट गए। मुल्स्त्लम समुिाय का मानना था दक
भाजपा को िुिीकरि का अिसर प्रिान करने का खतरनाक
और गहरा असर होगा, हहिू भी संगदठत होंगे।
dr. dharmendra Singh G
भाजपा के एक रिनीदतकार ने स्त्िीकार दकया, ‘‘हां, बेशक,
हमने इसका इस्त्तेमाल दकया। हर कोई मुल्स्त्लम मतिाताओं को
लुभा रहा था। हमने हहिुओं से कहा, ‘‘िे एकजुट हो जायेंगे, क्या
हम हमेशा ही बंटे हु ए रहें गे? अमेदरकी चुनाि में रंप ने दिखा
दिया दक काले, दहस्त्पैदनक और मुल्स्त्लम दनिचय नहीं करें गे दक
अमेदरका का राष्ट्रदत कौन होगा। श्वेत लोग यह करें गे। यहां भी,
मुसलमान यह दनिचय नहीं करें गे दक उप्र में शासन कौन करे गा।
यह काम हहिू करें ग।े िे हमें हराना चाहते हैं । हम उन्द्हें और
उनके िलों को परादजत करना चाहते हैं । यह संघषच है ।’’

इस लड़ाई में उनका पक्ष जीता। नयी दििान सभा में मुल्स्त्लम
दििायकों की संख्या में जबिच स्त्त दगरािट आई और उनकी
संख्या 25 ही रह गई जबदक 2012 के चुनाि में 68 मुल्स्त्लम
दििायक दनिादचत हु ए थे। िे श के सबसे बड़े राज्य में सत्ता पक्ष
की सीट पर एक भी मुल्स्त्लम नहीं था जबदक उप्र में इनकी
आबािी चार करोड़ से भी अदिक है ।

*
dr. dharmendra Singh G
प्रिान मंरी नरे न्द्र मोिी के चुनाि प्रचार में उतरने से पहले उनके
कायालय को पाटी से एक ई मेल दमला। इसमें उनकी
जनसभाओं से संबंदित क्षेर का राजनीदतक महत्ि, मुख्य मुद्दे,
क्षेर की प्रमुख हल्स्त्तयों के संदक्षप्त इदतहास के साथ ही भाजपा
द्वारा उठाये जा रहे राजनीदतक मुद्दे भी शादमल थे।

प्रिानमंरी ने इस कागज पर एक नजर डाली और जनसभा में


उठाये जाने िाले प्रमुख मुद्दों को आत्मसात कर दलया।

लेदकन इस बात की कोई अपेक्षा नहीं की जा सकती दक


प्रिानमंरी अपने भाषि में दकसी पटकथा तक सीदमत रहें ग।े
प्रिानमंरी के साथ दनकटता से काम करने िाले एक अदिकारी
ने उनकी िाकपटुता और दिदभन्न मुद्दों को जनता के सामने रखने
में उनकी िक्षता की प्रशंसा करते हु ए कहा दक िह जनसमुिाय
का मूड और उसकी प्रदतदिया को िे खते हु ए बहु त ही सरल
शधिों में अपनी बात रखते हैं । िह चुदनन्द्िा बातों की जानकारी
प्राप्त कर लेते हैं परं तु अक्सर उनका भाषि मूल ही होता है । िह
दबना दकसी तैयारी के ही भाषि िे ते हैं और दसफच जनसभा में
dr. dharmendra Singh G
दलए जाने िाले नामों और स्त्थानों के अलािा नोट से दकसी तरह
की मिि नहीं लेते हैं ।

इस सबका मतलब यह हु आ दक दकसी को नही मालूम होता दक


मोिी अपने भाषि में क्या बोलने िाले हैं ।

और शायि यह िजह है दक अदमत शाह के अलािा दकसी को


िे श के प्रिानमंरी द्वारा यह कहे जाने की अपेक्षा नहीं थी जो
उन्द्होंने अिि इलाके में तीसरे चरि के मतिान के िौरान 19
फरिरी को फतेहपुर में कहा था।

मोिी ने हमेशा की तरह ही भारत माता की जय के उद्घोष के


साथ अपना भाषि शुरू दकया। जनता ने भी हमेशा की तरह ही
पूरे जोश के साथ इसका जिाब दिया। इसके बाि उन्द्होंने मंच
पर उपल्स्त्थत सभी पिादिकादरयों के नाम दलए। यह मंच पर
उपल्स्त्थत नेताओं के महत्ि को िशाने का सामान्द्य तरीका है
और जनसमूह को यह आभास दिलाना की मंच पर दिदभन्न
समुिायों के नेतागिों का प्रदतदनदित्ि है । इसके बाि दजले से
चुनाि लड़ रहे प्रत्यादशयों का पदरचय कराया। प्रत्येक
dr. dharmendra Singh G
उम्मीििार आगे आया और उनकी बगल में खड़ा हु आ जहां
पाटी का चुनाि दचह्न कमल लहरा रहा था।

प्रिानमंरी ‘दिकास की गंगा’ का िायिा करते हैं । िह सपा-


कांग्रेस गठबंिन का मजाक भी बनाते हु ए उनकी अिश्यम्भािी
पराजय के बारे में बोलते हैं और सपा पर पुदलस थानों को पाटी
कायालय में तधिील करने तथा अपरादियों को संरक्षि िे ने का
आरोप लाते हैं । िह दकसानों का कजच माफ करने की प्रदतबर्द्ता
करने और केन्द्र सरकार द्वारा शुरू दकए गए िूसरे दिकास कायच
के बारे में बोलते हैं ।

परं तु मोिी ने अपने 35 दमनट के भाषि में ‘तुदष्टकरि’ की


राजनीदत का एक बार भी दजि दकए बगैर ही अपने ही अंिाज
बहु त ही दिस्त्तार से सब कुछ कह डाला।

प्रिानमंरी ने कहा, ‘‘हम सबका साथा, सबका दिकास में


दिश्वास करते है । सभी के साथ न्द्याय होना चादहए। उज्ज्िला
योजना के अंतगचत हमने रसोई गैस के दसलेण्डर दितदरत दकये।
हमने यह नहीं कहा दक मोिी चूदं क बनारस से सांसि हैं , इसदलए
dr. dharmendra Singh G
दसफच बनारस के दनिादसयों को यह दमलेगा। नहीं, उत्तर प्रिे श
के प्रत्येक कोने कोने में रहने िाले प्रत्येक व्यदि को यह
दमलेगा। हमने यह नहीं कहा दक दसफच हहिुओं को ही दमलेगा,
मुल्स्त्लम लोगों को नहीं दमलेगा। सभी को यह दमलेगा, लाइन में
लगे प्रत्येक व्यदि को दमलेगा। हमने यह नहीं कहा दक इस जादत
को दमलेगा और इस जादत को नहीं दमलेगा। नहीं, नही, गांि की
सूची के अनुसार नंबर आने पर प्रत्येक व्यदि को यह दमलेगा
और प्रत्येक व्यदि के अदिकारों को आने िाले दिनों में पूरा
दकया जायेगा। मेरा-पराया नहीं चलता है । सरकार को ऐसा
करने का कोई अदिकार नहीं है ।’’

और इसी िजह से मोिी ने कहा दक उप्र में भेिभाि पक्षपात


उसकी सबसे बड़ी समस्त्या है । ‘‘अन्द्याय की जड़ यही पक्षपात
है । आप मुझे बतायें – यहां पक्षपात है या नहीं?’’ जनता ने जोर
से कहा, ‘हां’।

मोिी ने अपना भाषि जारी रखा, ‘‘ मैं है रान हू ं । उप्र में, आप


एक िदलत से पूदछए और िह कहता है मुझे मेरा दहस्त्सा नहीं
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दमलता, अन्द्य दपछड़े िगच उसे ले जाते हैं । ओबीसी कहते हैं दक
हमें हमारा दहस्त्सा नहीं दमलता। यािि उस ले जाते हैं । याििों से
पूदछये और िे कहते हैं दक जो पदरिार से जुडे हैं दसफच उन्द्हें ही
यह दमलता है और बाकी मुल्स्त्लमों में चला जाता है और यहां
तक दक हमें भी नहीं दमलता। हर व्यदि दशकायत कर रहा है ।
यह पक्षपात काम नहीं कर सकता। हर एक को उसके अदिकारों
के अनुसार दमलना चादहए। यही है सबका साथ सबका दिकास
और भाजपा इसके दलए प्रदतबर्द् है ।’’

और दफर अपनी बात के संिभच और िशचन की भूदमका बांिने


के बाि मोिी ने नाक आउट पंच मारा दजसके बारे में दनदित ही
िह जानते थे दक यह 2017 के चुनाि का संघषच का नारा बन
जाएगा।

‘‘इसीदलए यदि गांि में कदब्रस्त्तान बनता है तो एक श्मशानघाट


का दनमाि भी होना चादहए। यदि रमजान के अिसर पर दबजली
आपूर्णत की जाती है तो िीिाली पर भी यह उपलधि करायी जानी
चादहए। यदि होली के अिसर पर दबजली की आपूर्णत की जाती
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है तो ईि के मौके पर भी की जानी चादहए। इसमें दकसी प्रकार
का भेिभाि नहीं होना चादहए। यह सरकार का कतचव्य है दक
िह पक्षपात रदहत प्रशासन उपलधि कराये। न िमच के आिार
पर, न कभी जादत के आिार पर और न ही कभी उंच नीच के
आिार पर दकसी प्रकार का अन्द्याय नहीं होना चादहए। यही है
सबका साथ सबका दिकास।’’

यह एक असािारि महत्ि िाला भाषि था।

इसे पूरा पदढ़ये, संिभच से हटकर इसका एक भी शधि नहीं था।


मोिी ने इसे िमच पर बहस के दलए तैयार नहीं दकया था, न जादत
पर बहस के दलए, न ही भाजपा के अदतदप्रय शधि ‘तुदष्टकरि’
के दलए तैयार दकया था, बल्कक इसे सरकार के संिैिादनक
कतचव्य को ध्यान में रखकर तैयार दकया था दक सभी नागदरकों
से एक समान व्यिहार हो। कई लोग यह तकच िे सकते हैं दक
मोिी खुि मुख्यमंरी के रूप में 2002 गुजरात में ऐसा करने में
दिफल रहे । परं तु फतेहपुर में उनकी अपील ऐसी भाषा में गढा
हु ई थी जो अनापदत्तजनक थी।
dr. dharmendra Singh G
लेदकन जब इसे उस राजनीदतक पदरप्रेक्ष्य में रखते हैं , दजसमें यह
कहा जा रहा था, तो मोिी का इशारा एकिम स्त्पष्ट था। मोिी ने
जो कहा था और सरिाना में जो संगीत सोम ने, अमरोहा में चेतन
चौहान ने जो कहा था और जो पाटी के मुदखया अदमत शाह
पीलीभीत में कहें गे उनमें कोई दिशेष अंतर नहीं था।

इसका मकसि ही हहिुओं में उसके दलए कड़िाहट पैिा करनी


थी जो उन्द्हें नहीं दमल रहा था, उसमें असंतोष का यह भाि पैिा
करना था दक मुल्स्त्लमों को दसर पर चढाया जा रहा है , इसका
मकसि बाकी सभी राजनीदतक िलों को िमच आिादरत दहतों की
दहमायत करने िाले िलों के रूप में पेश करना था। आम
नागदरकों और भेिभाि रदहत शासन के नाम पर इसका मकसि
समुिायों को बांटना था।

और जैसा दक िूसरों ने िािा दकया, मोिी के तकच भी पूरी तरह


साक्ष्यों पर आिादरत नहीं थे – मसलन ऐसा कोई संकेत नहीं
था दक सरकार ने जानूबझकर दनबाि रूप से दबजली की आपूर्णत
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सुदनदित करके ईि को होने दिया और िूसरे त्योहार में ऐसा नहीं
करके बािा डाली।

जैसे ही यह संिेश नीचे तक पहु ं चा तो उनकी कदब्रस्त्तान-


श्मशान, रमजान-िीिाली और दकस तरह से सरकार िूसरे की
कीमत पर पहले की दहमायत कर रही है जैसी तुलना की शधि
रचना सबसे अदिक लोकदप्रय हो गयी। इसकी इस तरह व्याख्या
की गयी दक सरकार दकस तरह से हहिुओं की तुलना में
मुसलमानों का पक्ष ले रही है । और इसी िजह से इसने सरकार
के दखलाफ ही नहीं बल्कक िूसरे समुिाय, इस मामले में मुल्स्त्लम
के दखलाफ भी लोगों में गुस्त्सा पैिा कर दिया।

दमजापुर बाजार में एक कुमी कारोबारी राम पटे ल ने मुझसे कहा,


‘‘मोिी सही कह रहे हैं । सब मुसलमानों के दलए काम हो रहा
है ।’’ मोिी जैसी कुशाग्र राजनीदतक बुदर्द् िाला व्यदि ही यह
जानता था दक इस संिेश को दकस तरह सुना जाएगा। इसने काम
दकया।

*
dr. dharmendra Singh G
मोिी का संिेश और भाजपा का िृहि संिेश दिशेषरूप से इस
दिषय पर 2014 और 2017 में िोनों में क्यों अदिक गूज
ं ा?

मैंने 75 दिन से अदिक समय उप्र प्रिे श में दबताया। इसमें पूरा
एक महीना चुनाि के िौरान 2016 के अंत और 2017 के शुरू
का समय शादमल था। मैंने राज्य के प्रत्येक क्षेर का और अक्सर
कई बार िौरा दकया। और मेरी मुलाकात प्रत्येक दनिाचन क्षेर
में सैकड़ों व्यदियों से हु ई। परं तु अपनी इस पूरी यारा के िौरान
मैंने एक भी हहिू से इतने लंबे समय तक राष्ट्रीय राजनीदत को
पदरभादषत करने िाला ‘िमचदनरे क्षता’ शधि बोलते नहीं सुना।

मुल्स्त्लम, हां, लगातार इस शधि का इस्त्तेमाल करते थे। िे ललक


के साथ ‘िमचदनरपेक्ष िलों’ की ओर िे खते थे और इसमें कांग्रेस,
सपा और यहां तक दक कुछ हि तक बसपा को भी इसमें शादमल
करते थे। राजनीदतक िल भी कभी कभी अकपसंख्यकों से िोट
की अपील करते समय इस शधि का इस्त्तेमाल करते थे।

परं तु, यहां तक दक िे हहिू जो भाजपा को िोट नहीं िे ते थे, जो


सपा पदरिार के थे, जो पारं पदरक रूप से बसपा के साथ थे, जो
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कांग्रेस के साथ थे, के पास अपने िलों का समथचन करने के दलए
अपने अपने कारि थे। इन कारिों में उन्द्होंने कभी भी
िमचदनरपेक्षता को नहीं दगनाया।

रोजमरा की राजनीदतक पदरचचाओं में ‘िमचदनरपेक्षता’ के खत्म


होने की िजह जानने के दलए और गहराई में जाकर जांच
पड़ताल की आिश्यकता है । यह एक अच्छा दिषय बन सकता
है दक दकस प्रकार संघ का िशकों से चल रहा अनिरत
‘सांप्रिादयकता का प्रचार’ अंततः अब इसके पदरिाम िे रहा है ।
इसके संकेतों का पैमाना और कई बार सीिे िूतचता, संिेशों के
प्रसार के दलए प्रौद्योदगकी और संगठनात्मक नेटिकच का
इस्त्तेमाल, ये संिेश आंदशक रूप से ही सही और कई बार
एकिम गलत होते थे, और उस व्यिल्स्त्थत तरीके ने, दजसमें
पाटी प्रिानमंरी से लेकर मतिान केन्द्र के कायचकता काम करते
हैं , बातचीत के तरीके को ही पूरी तरह बिल कर रख दिया है ।

एक नजदरया यह भी हो सकता है दक यह िलों की प्रशासदनक


और शासन की दिफलता है दजसने सािचजदनक रूप से खुि को
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िमचदनरपेक्षता के दिचार से संबर्द् करके िमचदनरपेक्षता को ही
कलंदकत कर दिया। यह भी िृदष्टकोि हो सकता है दक इस शधि
का प्रयोग खत्म होने का तात्पयच यह नहीं है दक लोगों को सद्भाि,
सदहष्ट्िुता के दसर्द्ांत और िमच के मामले में सरकार की
तटस्त्थता दप्रय नहीं है या िे ‘प्रदतगामी’ हो गए हैं ।

लेदकन एक सबसे प्रभािशाली तकच यह भी है दक उप्र जैसे राज्यों


में िमचदनरपेक्ष िलों ने खुि ही अकपसंख्यकों से िोट की अपील
करके िमचदनरपेक्षता के दिचार को ही कमतर कर दिया। दजतना
अदिक उन्द्होंने यह दकया उतना ही अदिक इसने हहिुओं को
एकजुट करने के दलए भाजपा को अिसर प्रिान दकया।

दनदित ही, दबहार के 2015 के चुनाि के नतीजे िशाते हैं दक


यदि दिपक्ष सही तरीके से अपनी राजनीदत करे तो ऐसा नहीं है
दक हहिू काडच के आिार पर चुनािी जीत को टाला नहीं जा
सकता।

लालू प्रसाि यािि जैसे दबहार चुनाि को ‘अगड़े बनाम दपछड़े’


की शक्ल िे ने की उम्मीि करते हैं , िैसे ही भाजपा चुनाि को हहिू
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बनाम मुल्स्त्लम बनाना चाहती है । यदि हहिू एकजुट हो जाते हैं तो
खेल खत्म हो जाता है । ईमानिारी से कहा जाये तो िमच का
इस्त्तेमाल करना उनके दलए कोई नयी बात नहीं थी। नीतीश-
लालू-कांग्रेस गठबंिन मुल्स्त्लम मतों की एकजुटता सुदनदित
करने, न दक 2014 की तरह खंदडत करने, के इरािे से ही बनाया
गया था।

ऐसा करने के दलए ही पाटी (भाजपा) ने ‘िुिीकरि’ की भाषा


का इस्त्तेमाल दकया।

अदमत शाह ने घोषिा की दक यदि भाजपा चुनाि हार गयी तो


पादकस्त्तान में िीिाली मनायी जायेगी।

एक पयचिेक्षक के दलए यह चुनाि के िौरान कही जाने िाली


सामान्द्य बात हो सकती है परं तु इस बयान के कई मायने थे।
इसने पहले तो इस तरह से पेश दकया दक भाजपा एक पाटी के
रूप में भारत की रक्षा कर रही है , इसमें यह तथ्य भी दछपा था
दक चुनाि मैिान में उतरे िूसरे िल ‘राष्ट्र दिरोिी’ हैं ।
dr. dharmendra Singh G
परं तु इसमें अपने जनािार को भेजा गया िूसरा दछपा हु आ
मतलब और ज्यािा स्त्पष्ट था। यह कोई छुपी हु ई बात नहीं है दक
राज्य में पयाप्त संख्या िाली अकपसंख्यक आबािी चाहती थी दक
भाजपा चुनाि हारे । और इसदलए दबहार के मुसलमान भाजपा
की हार का जश्न मनायेंग,े कट्टरपंथी हहिुओं की पदरककपना में
भारतीय मुस्त्लमान और पादकस्त्तानी एक जैसे थे, और इसदलए
भाजपा की पराजय का जश्न पादकस्त्तान में मनाया जाएगा। शाह
ने संघ की उस तकनीकी व्यिस्त्था को अपनाया था दजसमें
राष्ट्रिाि और िमच को दमला कर तथा अकेले खुि को राष्ट्र के
एकमार रक्षक के रूप में पेश दकया जाता है । उन्द्होंने उप्र के
चुनाि में कसाब का दजि करके एकिम यही दकया था।

भाजपा ने बीफ काडच भी खेला। उप्र के िािरी में दसतंबर, 2015


में मोहम्मि अखलाक को कदथत रूप से गौ मांस का सेिन करने
और इसे घर में रखने के कारि उग्र भीड़ ने पीट पीट कर मार
डाला था। भाजपा ने िािा दकया दक यह कानून और व्यिस्त्था
का मामला था और चूदं क कानून व्यिस्त्था राज्य का दिषय था,
dr. dharmendra Singh G
इसदलए इसमें िह बहु त अदिक कुछ नहीं कर सकती थी। परं तु
उससे संबर्द् संगठन कदथत हत्यारों के बचाि में कूि पड़े और
उन्द्होंने सारा ध्यान हत्या की बजाये गौ मांस के मुद्दे पर ही केल्न्द्रत
दकया।

इस हत्या के तुरंत बाि लालू प्रसाि यािि ने अपने एक भाषि


में कहा था दक हहिू भी गौमांस खाते हैं और उन्द्होंने संघ और
भाजपा को चेतािनी िी थी दक इस मुद्दे का सांप्रिायीकरि नहीं
करें । भाजपा को इसमें मौके की गंि आयी। पाटी ने तत्काल
आकलन दकया दक महागठबंिन को गौ िि और इसके मांस
के सेिन का बचाि करने िालों के रूप में पेश करने से यह
हहिुओं और याििों को भी लालू यािि से िूर कर सकता है ।
मोिी ने स्त्ियं भी कहा दक इस दटप्पिी ने ‘यिुिंदशयों’ का
अपमान दकया है । लालू भी तत्काल इस कथन से पीछे हट गए।

दफर भी, इन प्रयासों के बािजूि और दजसे लालू प्रसाि के कैंप


में भी अदिकांश लोग बहु त बड़ी भूल के रूप में िे ख रहे थे, हहिू
काडच दबहार में नहीं चला। क्यों?
dr. dharmendra Singh G
भाजपा के एक िदरष्ठ नेता ने इसका स्त्पष्टीकरि दिया। ‘पहले तो
आपको समझना होगा दक दबहार उत्तर प्रिे श नहीं है । उत्तर प्रिे श
में िुिीकरि का इदतहास रहा है । अयोध्या, काशी, मथुरा सभी
िहां हैं । भागलपुर के 1989 के िं गों के बाि दबहार में कोई बड़ा
िं गा नहीं हु आ है । दिदभन्न समुिायों के बीच संबंि बहु त अदिक
कटुतापूिच नहीं है । हमें इस तथ्य पर ध्यान िे ना चादहए था।’’

परं तु यह दसफच अंतर-समुिाय समीकरि ही नहीं था, यह


राजनीदत भी थी। नीतीश कुमार हमेशा से चौकस थे दक िह
स्त्ियं को मुसलमानों के नेता के रूप में पेश नहीं करें जो दकसी
भी कीमत पर उनके दहतों की खादतर दकसी भी सीमा तक जा
सकता है । उन्द्होंने मोिी से संबंि तोड़कर उनका दिश्वास जीत
दलया था। दकन्द्तु उत्तर प्रिे श में मुलायम हसह की तरह उन्द्हें कभी
भी दसफच इस समुिाय के नजिीकी के रूप में नहीं जाना गया था।
‘इसने तुदष्टकरि की भाषा के प्रयोग और सरकार द्वारा हहिुओं
की तुलना में मुसलमानों का अदिक पक्ष लेने जैसे मुद्दे के
इस्त्तेमाल को भाजपा के दलए बहु त ही मुल्श्कल बना दिया था।
dr. dharmendra Singh G
लालू प्रसाि का मामला अलग था। उनकी राजनीदत ही मुल्स्त्लम-
यािि गठबंिन पर दटकी थी और िह मुल्स्त्लम मुद्दों पर काफी
प्रखर भी रहे हैं । परं तु 2015 में उनकी आलंकादरक भाषा में
नरमी आ गई थी और चुनाि के अदिकांश समय िह
िमचदनरपेक्ष-सांप्रिादयक की बहस में पड़ने से िूर ही रहे ।

राजि के एक प्रमुख नेता ने इस बारे में सफाई िीः ‘‘मुल्स्त्लम नेता


हमारे पास आये थे और उन्द्होंने हमसे साफ शधिों में कहा दक िे
महागठबंिन के साथ रहें ग।े हमें उनके बारे में हचता करने की
कोई जरूरत नहीं है । और दफर उन्द्होंने कहा दक हमारे बारे में
बात मत कीदजए। इससे उन्द्हें हहिुओं को एकजुट करने में मिि
दमलेगी। िूसरे दिषयों के बारे में बात कीदजए। हम चुप रहें ग,े
आयेंगे और आपको िोट करें ग।े ’’

भाजपा भी चुनािी मैिान में यह िे ख रही थी। यही नहीं, पयाप्त


संख्या में मुल्स्त्लम आबािी िाले कदटहार और अरदरया जैसे
दनिाचन क्षेरों में महागठबंिन ने भाजपा को इस चुनाि को हहिू
बनाम मुल्स्त्लम का रं ग िे ने से रोकने के इरािे से हहिू प्रत्याशी
dr. dharmendra Singh G
खड़े दकए। इसमें सफलता दमली, मुसलमानों ने गठबंिन के हहिू
प्रत्याशी को िोट दिए। भाजपा के एक नेता ने इसकी प्रशंसा
करते हु ए स्त्िीकार दकया, ‘‘िे इस तरह की चतुराई से मतो के
िुिीकरि को रोकने में कामयाब रहे ।’’

इस सबका नतीजा यह हु आ दक भाजपा की पादकस्त्तान और


गौमांस की रिनीदत उलटी पड़ गई। िह न दसफच हहिुओं को
एकजुट करने में दिफल हो गयी बल्कक इसने मुल्स्त्लमों को
एकजुट होने और अदिक आिामक तरीके से िोट करने में
मिि की। इसी भाजपा नेता ने कहा, ‘‘िैसे भी िे गठबंिन के
साथ ही होते परं तु हमारी आिमकता ने उन्द्हें असुरदक्षत बना
दिया। िे बड़ी संख्या में मतिान करने आये और िे बड़ी चतुराई
से खामोश भी रहे ।’’

ऐसा कोई दनदित फामूचला नहीं है । भाजपा के हहिू काडच ने


चुदनन्द्िा पदरल्स्त्थदतयों में पाटी के दलए जबिच स्त्त काम दकया था।

दबहार में ऐसा नहीं हु आ। दबहार के राजनीदतक पदरिृश्य की


दिलक्षिता के अलािा, यह संकेत भी िे ता है दक दसफच हहिू काडच
dr. dharmendra Singh G
ही पयाप्त नहीं है और यह बेहि जदटल समस्त्या का एक अंश हो
सकता है ।

हालांदक दबहार का अनुभि यह भी बता रहा है दक दकस तरह


से समाज और राजनीदत बिल रही है । दबहार में ‘िमचदनरपेक्ष
िल’ अपनी िमचदनरपेक्षता का ढोल पीट कर नहीं बल्कक इसे कम
महत्ि िे कर चुनाि जीते। िे सािचजदनक रूप से अकपसंख्यकों
की अपेक्षाओं की चचा करके नहीं बल्कक खामोशी के साथ इस
पर फैसला करके जीते। महागठबंिन को मुल्स्त्लम मतों के बारे
में भरोसा दिलाया जा चुका था और उन्द्हें इसके दलए प्रदतस्त्पिा
नहीं करनी पड़ी और इसे इसी तरह से चलने दिया। उप्र में,
‘िमचदनरपेक्ष’ िलों ने अपने िमचदनरपेक्षता के मुद्दे को खूब
उछाला। िो िमचदनरपेक्ष गुटों, बसपा और सपा-कांग्रेस, उन्द्हीं
मुल्स्त्लम मतों के दलए प्रदतस्त्पिा कर रहे दजनके दलए उनकी
आिामक अपेक्षाएं थीं। इसने भाजपा को इसका जिाब गढ़ने
का अिसर प्रिान दकया।
dr. dharmendra Singh G
एक दसर्द्ांत के रूप में िमचदनरपेक्षता का अंत होने का अपने
आप में एक गंभीर चुनािी दनदहताथच है । और यदि भाजपा की
असािारि दसदनकल बहु संख्यकपरस्त्त राजनीदतक पदरयोजना
इसकी एक िजह है तो िमचदनरपेक्षता को महज अकपसंख्यक
मतों तक सीदमत कर िे ने की िमचदनरपेक्ष िलों की भूदमका
इसकी िूसरी िजह है ।

उप्र के नतीजों से मजबूत हु ए आरएसएस और भाजपा का


दिश्वास है दक उनकी िैचादरक योजना सही रास्त्ते पर है ।
अंिरूनी गदतदिदियों से जुड़े भाजपा के एक प्रमुख नेता ने
बताया, ‘‘राष्ट्रों का दनमाि बहु संख्यकों की पहचान पर होता है ।
भारत एक अपिाि था क्योंदक उिार अदभजात्य िगच के पास
अकूत ताकत थी। हहिू संगदठत नहीं थे। सच्चाई तो यह है दक यह
हहिू राष्ट्र है । हम जो कुछ िे ख रहे हैं िह मतपेदटयों पर यही िािा
है । जो इस प्रारूप में सही नहीं बैठेंगे, जो बहु मत के दसर्द्ांतों को
स्त्िीकार नहीं करें ग,े िे हादशए पर चले जायेंगे। यही संघ की
dr. dharmendra Singh G
पुरानी सोच रही है । हम इसे चुनािी प्रदिया के माध्यम से ऐसा
होते िे ख रहे हैं ।’’

िह जोर िे कर कहते हैं दक चुनािों के माध्यम से एक हहिू राष्ट्र


बनने की प्रदिया में है ।

अनेक लोगों ने भी इस लड़ाई को इसी नजदरए से िे खा।

2017 के दििान सभा चुनाि के बाि नई दिल्ली में खान माकेट


के एक कॉफी शॉप में पदिमी उत्तर प्रिे श से निदनिादचत एक
युिा भाजपा दििायक अपनी जीत के बारे में बताता है ।

िह बड़ी प्रसन्नतापूिचक कहता है , ‘‘यह भारत-पादकस्त्तान का


चुनाि था।”

भारत जीता। हहिू 2014 में जीते थे, इसके बाि अनेक राज्यों में
चुनाि जीते और 2017 में सबसे बड़े राज्य उप्र पर कधजा दकया।

7. मु ख्य भू दम से आगे
dr. dharmendra Singh G
भारतीय जनता पाटी आज भारत की प्रभुत्िशाली राष्ट्रीय पाटी
है ।

ठीक उसी तरह जैसे यह अब सििच जादत की पाटी नहीं रह गई


है , उसी तरह यह अब उत्तर भारतीय पाटी भी नहीं रह गई है ।
हहिी के केन्द्रीय स्त्थल में भाजपा का मौदलक िगच और जातीय
स्त्िरूप बिल रहा है जो उसे चुनािी सफलता दिला रहा है । मूल
कमचक्षेर से आगे ऐसे अनेक स्त्थानों पर उसका दिस्त्तार तीन
दमली जुली रिनीदत पर दटका है । ये हैं ः मौजूिा राजनीदतक
अदभजात्य िगच से सहयोग, िैचादरक आिार में नरमी लाना और
दिदशष्ट िास्त्तदिकताओं की व्यािहादरकता को अपनाना।

भाजपा की पारं पदरक ताकत िाले क्षेरों से बाहर पाटी का


दिस्त्तार करना नरे न्द्र मोिी और अदमत शाह की साििानीपूिचक
तैयार की गयी योजना का दहस्त्सा है । और प्रमुख क्षेरों में इस पर
आरएसएस के पुराने अनुभिी और आज भाजपा के नेतृत्ि में
सबसे अदिक प्रभािशाली नेताओं में से एक राम मािि काम
dr. dharmendra Singh G
कर रहे हैं जो इस समय घरे लू राजनीदत की िुदनया, राष्ट्रीय
सुरक्षा और दििे श नीदत के मामले में मुदखया बने हु ए हैं ।

राम मािि का जब लोक सभा चुनािों के बाि पाटी में पिापचि


हु आ तो उन्द्हें पूिोत्तर को जीतने का आिे श था।

परं तु इससे पहले ही एक अनपेदक्षत काम उनके सामने आ गया।

राजनाथ हसह ने जब गृह मंरी के रूप में पिभार ग्रहि दकया तो


पाटी को एक व्यदि एक पि की अपनी परपंरा बनाये रखने के
दलए अध्यक्ष पि के दलए नए नेता को चुनना था। इसके दलए
पसंिीिा उम्मीििारों में थे अदमत शाह, दजन्द्होंने 2014 में उप्र में
पाटी को शानिार सफलता दिलाकर नाम अर्णजत दकया था, और
जेपी नड्डा, जो संगठन की एक प्रमुख हस्त्ती थे। संघ के एक बड़े
िगच ने नड्डा का समथचन दकया परं तु मोिी के समथचन से शाह
अध्यक्ष बन गए। नड्डा को तब यह चुनने का दिककप दिया गया
दक िह पाटी के संगठन में ही बने रहना चाहें गे या दफर सरकार
dr. dharmendra Singh G
में काम करना चाहें गे। नड्डा ने िूसरा दिककप चुना और िे भारत
सरकार में स्त्िास्त्थ्य मंरी बन गए।

इसने हालांदक पाटी में एक दरि स्त्थान उत्पन्न कर दिया क्योंदक


नड्डा जम्मू-कश्मीर के पाटी में प्रभारी थे। भाजपा को यह प्रभार
संभालने के दलए एक नए व्यदि की तलाश थी और शाह ने
मािि से कहा, ‘‘आप जरा िे ख लीदजए।’’ इस बार दफर इस
पसंि की िजह थी और िह यह दक मािि ने संघ में दबताये गये
अपने िषों के िौरान इस राज्य का िौरा दकया था और िह
गुप्तचर-सुरक्षा प्रदतष्ठान - के बारे में अच्छी तरह जानते थे जो
राज्य की राजनीदत में महत्िपूिच भूदमका दनभाती है । समस्त्या यह
थी दक उनके पास राज्य में चुनाि से पहले दसफच िो महीने का ही
समय था।

मािि ने िोहरी रिनीदत तैयार की। जम्मू में ल्स्त्थदत मजबूत


करके पूरा सफाया करो और कश्मीर घाटी में अपनी उपल्स्त्थदत
िजच कराओ जो बहु त ही बड़ा प्रतीक होगा। भारत के इकलौते
मुल्स्त्लम बहु मत िाले प्रांत में सरकार बनाने की महत्िाकांक्षा
dr. dharmendra Singh G
पूरी करो। घाटी में लंबे समय तक अलगाििािी आन्द्िोलन रहा
है , जो कभी अलगाििादियों का गढ़ रहा है िह अलग थलग
पड़ रहा है , िहां भी कुछ सीटें जीतने की उम्मीि करना। इसके
दलए ऊजा और दिस्त्तार की ललक जरूरी है जो 2014 से ही
मोिी और शाह के अंतगचत भाजपा में पयाप्त था।

घाटी में सीटों की चाह के दसलदसले में मािि एक दनिायक


मोड़ के बारे में स्त्मरि करते हैं और िह था पूिच अलगाििािी
नेता सिाि लोन का साथ आना। मािि ने कई हफ्ते इस पर
काम दकया और अंततः लोन के दलए प्रिान मंरी मोिी की बैठक
की व्यिस्त्था की। यह पूिच अलगाििािी साथ आ गया।

िह बताते हैं , ‘‘हमने घाटी में मोिी जी अपील पर भी भरोसा


दकया। हम चाहते थे दक िह िहां एक रै ली करें । सुरक्षा
एजेल्न्द्सयों सदहत अनेक लोग इसे लेकर काफी असहज थे। परं तु
मैं िहां एक सप्ताह रुका, सिाि की भूदमका भी काफी महत्िपूिच
थी और श्रीनगर में प्रिानमंरी की रै ली आयोदजत कराने में
सफल रहे और अलगाििादियों की अपील के बािजूि लोग
dr. dharmendra Singh G
उन्द्हें सुनने आए।’’ िह याि करते हैं , ‘‘यहां तक दक मोिी जी
को भी इसकी अपेक्षा नहीं थी। जम्मू की रै ली खत्म होने और
श्रीनगर के दलए रिाना होने से पहले प्रिानमंरी ने मािि को
फोन दकयाः ‘‘भीड़ है ? आना है क्या?’’

पाटी भी इसे अपनी ताकत में बिलना चाहती थी जो भारतीय


लोकतंर की िुखती हु ई रग रहा था।

जैसा दक शंकषचि ठाकुर ने टे लीग्राफ अखबार में दलखा,


मतिाताओं के आने की अपेक्षा मतिाताओं की अनुपल्स्त्थदत ने
कश्मीर घाटी की सीट के दलए भाजपा को जोर िे ने पर प्रेदरत
दकया। ‘‘भाजपा के पीछे के रिनीदतकारो ने कुछ सीटों पर ध्यान
केल्न्द्रत करना शुरू कर दिया दजनके बारे में उन्द्हें भरोसाा था दक
दिस्त्थादपत मतिाताओं की अनुपल्स्त्थदत की मिि से िह ये सीट
जीत सकती है । इन सीटों में पुराने श्रीनगर की हधबाकािल और
अमीराकािल, उत्तर कश्मीर में सोपोर शहर की सीट शादमल
थी। ये िह जगह थीं जहां कभी कश्मीरी पंदडत बड़ी संख्या में
रहते थे।
dr. dharmendra Singh G
इसके बाि भी, मािि स्त्िीकार करते हैं दक िे अपने दमशन में
असफल हो गए। िह बताते हैं , ‘‘मैंने कठोर पदरश्रम दकया था
दक कम से कम एक सीट तो हम घाटी में जीत जाएं, हम ऐसा
करने में असमथच रहे । िूसरों ने यह प्रचार दकया दक मोिी मत को
एकजुट करने आ रहे हैं ।’’

परं तु यदि कश्मीर हमारे दलए बड़ा झटका था तो जम्मू में भाजपा
ने सफाया कर दिया और उसे दििान सभा के इदतहास में सबसे
अदिक सीटें दमलीं।

जम्मू के दनिादसयों के दलए अभी भी मोिी लहर का जबिच स्त्त


प्रभाि था। जम्मू ने लंबे समय तक घाटी के प्रभुत्ि को बिाश्त
दकया था और भाजपा ने इस असंतोष का लाभ उठाया और इस
क्षेर को सत्ता में उसकी भागीिारी दिलाने का िायिा दकया।
हालांदक मािि इन्द्कार करत हैं परं तु स्त्ितंर पयचिेक्षकों का
मानना था दक जम्मू में राष्ट्रिाि से भरपूर जबिच स्त्त हहिू असर
था।
dr. dharmendra Singh G
चुनाि के नतीजे आये और राज्य में दरशंकु दििान सभा बनी
दजसमें पीपुकस डेमोिेदटक पाटी बहु त ही मामूली अंतर से
भाजपा से आगे थी। मािि ने पहले नेशनल कॉन्द्फ्रेस के साथ
तालमेल स्त्थादपत करने का प्रयास दकया। भाजपा के सूरों ने मुझे
बताया दक दिल्ली के है ली रोड ल्स्त्थत एक अपाटच मेन्द्ट में, इसी
पदरसर में इंदडया फाउण्डेशन का कायालय भी है , अदमत शाह
और मािि ने उमर अधिुल्ला से मुलाकात की और उन्द्हें
मुख्यमंरी पि की पेशकश की। भाजपा ने उमर अधिुल्ला को
तैयार करने के दलए उनके दपता फारुक अधिुल्ला से भी संपकच
सािा था। परं तु उमर, दजन्द्होंने भाजपा नेताओं के अनुसार बैठक
में उनके साथ प्रस्त्ताि पर दिचार दकया, घाटी लौट गए और इस
प्रस्त्ताि को ठुकरा दिया। उमर अधिुल्ला ने हमेशा इस तरह की
दकसी भी बैठक के आयोजन से इन्द्कार दकया।

मािि ने इसके बाि ही पीडीपी के साथ बातचीत शुरू की


दजसका मुख्य चुनािी मुद्दा भाजपा को बाहर रखना था। यह
दिडंबना ही थी दक संघ के िैदश्वक पदरिृश्य के इस व्यदि को
dr. dharmendra Singh G
अब उस पाटी के साथ एक समझौते के दलए बातचीत करनी थी
दजसे अक्सर ही ‘अलगाििाि के प्रदत नरम रुख’ अपनाने के
दलए जाना जाता रहा है । लेदकन कई महीनों बाि मािि पीडीपी
के िाताकार हसीब राबू के साथ समझौता करने में सफल रहे ।

चूदं क 2016 की गर्णमयों और 2017 में घाटी में ल्स्त्थदत दबगड़ी


थी, इसदलए गठबंिन इसे लेकर बढ़ते हु ए िबाि में था। पीडीपी
और भाजपा के बीच दिरोिाभास तथा भाजपा की अपनी
व्यापक राजनीदतक योजना और कश्मीरी अपेक्षाओं की िजह
से सरकार की दिश्वसनीयता खत्म होने लगी थी। अनेक लोग
मािि की रिनीदत पर सिाल उठाते परं तु पाटी का तकच था दक
जनािे श में कोई और दिककप ही नहीं बचा था।

हमारी कहानी के दलए इससे अदिक महत्िपूिच यह था दक चुनाि


भाजपा की आकांक्षाओं का सबूत था। इसने मोिी लहर पर
सिार होने की पाटी की क्षमता का भी प्रिशचन कर दिया था।
राष्ट्रिाि, और हहिू, जैसे भाजपा के मुख्य पहलुओं ने जम्मू के
हहिू मतिाताओं के बीच बेहतरीन काम दकया। इसने सिाि
dr. dharmendra Singh G
लोन जैसे चरमपंथी नेता को लुभाने और उनके साथ काम करने
की पाटी की व्यािहादरकता का भी प्रिशचन दकया। लेदकन चुनाि
ने भाजपा के दिस्त्तार की सीमाओं को भी दिखाया। घाटी ने पूरी
तरह से पाटी को अस्त्िीकार कर दिया था। शेष भारत में संघ से
संबर्द् संगठनों के झगड़ालूपन ने पाटी की संभािनाओं को ठे स
पहु ं चा िी थी।

परं तु राम मािि के दलए यह िुःखि अनुभि था। यह पहला


मौका था जब िह एक राजनीदतक नेता के रूप में पूरे चुनाि का
बन्द्िोबस्त्त िे ख रहे थे।

मािि बताते हैं , ‘‘इसका एक बड़ा सबक मेरे दलए यह था दक


चुनािों का प्रबंिन भी राजनीदत के प्रबंिन जैसा ही होता है ।
आपको प्रत्येक दनिाचन क्षेर को अच्छी तरह समझना होगा,
आपको अपने संसािनों का प्रबंिन करना होगा, आपको यह
भी जानना होगा दक कहां पर क्या इस्त्तेमाल दकया जाये, आपको
साििानीपूिचक रिनीदत, योजना तैयार करने और उन पर
अमल करने की जरूरत है ।’’
dr. dharmendra Singh G
यह सब मािि के दलए अच्छा अिसर होने िाला था, जब िे
पूिोत्तर में भाजपा को प्रिेश दिलाने के दलए अग्रिूत बनने िाले
थे।

2014 के लोकसभा चुनाि असम में नजिीक थे।

नरे न्द्र मोिी पूिोत्तर सदहत पूरे िे श में लगातार प्रचार कर रहे थे।
भाजपा ने महसूस दकया दक दिशेष रूप से असम चुनािी लाभ
के दलए पूरी तरह तैयार है ।

राम मािि अभी संघ में ही थे परं तु अक्सर इस राज्य का िौरा


करते थे।

चुनाि से ठीक पहले ही ऐसे ही एक िौरे में एक अदिकारी के


घर पर उनकी मुलाकात कांग्रेस के नेता और कैदबनेट मंरी
दहमन्द्त दबस्त्िास सरमा से हु ई। गुिाहाटी में सत्ता के गदलयारे में
यह दकसी से दछपा नहीं था दक सरमा अपने बॉस मुख्य मंरी
तरूि गोगोई और दिल्ली के नेतृत्ि से खुश नहीं थे। गोगोई का
dr. dharmendra Singh G
यह तीसरा कायचकाल था और सरमा खुि को राज्य में पाटी के
अगले स्त्िाभादिक नेता के रूप में िे ख रहे थे लेदकन कांग्रेस
इसका िायिा करने की इच्छुक नहीं थी। इसकी बजाय, गोगोई
के पुर गौरि को आगे बढ़ाया गया और िह लोक सभा का
चुनाि लड़ रहे थे।

मािि ने इसे एक अिसर के रूप भांप दलया और िह सरमा के


संपकच में बने रहे थे।

इस बैठक में मािि ने फोन पर सरमा की बात करायी। सरमा ने


प्रिानमंरी पि के उम्मीििार से कहा, ‘‘मोिी साहे ब, हचता मत
कीदजए। आपको अपनी अपेक्षा से तीन या चार सीटें ज्यािा ही
यहां से दमलेंगी।’’

भाजपा को राज्य में सात लोक सभा सीटें जीतनी थीं और इनमें
से कुछ सरमा के खामोश सहयोग से थीं। पाटी ने 2011 में राज्य
में 12 प्रदतशत मत हादसल दकए थे। परं तु 2014 के चुनािों में
उसे 37 प्रदतशत मत दमले। अब भाजपा जानती थी दक िह
दििान सभा चुनाि को लक्ष्य बना सकती है ।
dr. dharmendra Singh G
डेढ़ साल बाि अगस्त्त 2015 में 25 दकलोमीटर लंबे ग्रैंड रोड
शो, दजसमें हजारों लोग शादमल हु ए, सरमा भाजपा में शादमल
हो गये। िह अपने साथ कांग्रेस दििायकों को भी लाए थे।
भाजपा के भीतर और संघ की स्त्थानीय इकाई ने इसका प्रदतरोि
दकया था। परं तु अदमत शाह से हरी झण्डी दमलने के साथ ही
मािि इस ओर आगे बढ़े ।

राज्य में एक साल बाि मई में हु ए दििान सभा चुनािों में सरमा
पाटी के दलए सबसे ताकतिर शदि के रूप में उभर कर आए।

बहु त कम लोगों को ही इसकी जानकारी थी दक 2014 के चुनािों


में सरमा भाजपा के दलए अिृश्य शदि की भूदमका दनभा चुके
थे।

मािि ने इस तथ्य को स्त्िीकार दकया दक असम के दलए उनकी


योजनाओं का यह दनिायक मोड़ था। िह उस दसर्द्ांत पर काम
कर रहे थे दजसपर उनकी पाटी के अध्यक्ष अदमत शाह ने हमेशा
दिश्वास दकया और िह था, जब आप अकेले नहीं जीत सकें तो
उस व्यदि को साथ लायें जो आपको दजता सके, आपको अपने
dr. dharmendra Singh G
दलए आिश्यक अदतदरि िोट जुटाने चादहए, दिपक्ष को दछन्न
दभन्न कीदजए और उन लोगों को दिश्वास में लीदजए जो आपके
दलए काम कर सकते हैं । मािि दजस व्यािहादरकता में दिश्वास
कर रहे थे उसमें यह दसर्द्ांत एकिम सही बैठ रहा था।

केन्द्रीय मंरी सबानंि सोनोिाल, दजन्द्हें पाटी ने मुख्यमंरी पि के


चेहरे के तौर पर चुना था, पाटी की मशीनरी और काडर से
अपील करते और सरमा जनता से अपील करते थे। यह पूिोत्तर
की बािा को पार करने का सही समय था।

असम ने भाजपा के दलए एक दिदचर दिरोिाभास पेश कर रखा


था।

यह एक ऐसा राज्य था जहां संघ और पाटी द्वारा लंबे समय से


प्रमुखता से उठाया जा रहा राष्ट्रीय सुरक्षा का मुद्दा राजनीदतक
महत्ि का था क्योंदक यह सीमा पार से आये बांग्लािे शी
दिस्त्थादपतों से जुड़ा था। दफर भी पाटी कभी भी इसका लाभ नहीं
उठा सकी थी। यह तो असम गि पदरषि थी दजसने 1980 के
िशक में इसे प्रमुखता से उठाया और इसके युिा नेता प्रफुल्ल
dr. dharmendra Singh G
कुमार महं त को मुख्यमंरी बना दिया। और पहले के 15 साल
तक कांग्रेस राज्य में अपना प्रभुत्ि बनाये रखने में सफल रही
थी।

इस राज्य में उत्तर भारत की पाटी के दलए संगठनात्मक स्त्तर पर


प्रदतकूल पदरल्स्त्थदत रही है क्योंदक लंबे समय से दिशेष रूप से
उप राष्ट्रिाि की परं परा हमेशा ही पाटी का पीछा करती रही थी।

भाजपा िैसे भी संगठनात्मक िृदष्ट से कमजोर थी। गोगोई,


सरकार दिरोिी हिा का सामना कर रहे थे परं तु िह जमीन से
जुड़े नेता थे दजन्द्होंने मुख्य ककयािकारी योजनाओं से जनता को
लाभ पहु ं चाया था। कांग्रेस का यहां पर मतिान केन्द्रों की प्रबंिन
व्यिस्त्था भी बेहतरीन रही है ।

चुनाि का समय भी दिशेषरूप से अनुकूल नहीं था।

भाजपा निंबर, 2015 में दिल्ली का चुनाि हार चुकी थी, प्रिान
मंरी नरे न्द्र मोिी के जोरिार प्रचार अदभयान के बािजूि पाटी
दबहार चुनाि भी हार गयी थी। यह भािना बढ़ती जा रही थी दक
dr. dharmendra Singh G
मोिी अपनी राह से भटक गए थे। उनकी दििे श याराएं मजाक
का दिषय बन गयीं थीं। महं गाई बढ़ गयी थी। िाल की कीमतें
आसमान छू रहीं थी और 2014 के हर हर मोिी के नारे का
स्त्थान अरहर मोिी ने ले दलया था। इस िौरान, चुनािी िृदष्ट से
संिेिनशील एक दजले के मदजस्त्रेट के पि पर कायचरत एक
सरकारी अदिकारी ने दटप्पिी भी की, ‘‘कांग्रेस की जड़ें काफी
गहरी हैं । इस बार 2014 की हिा भी नहीं है । इस बार भाजपा
के दलए मुल्श्कल होगी।’’

इस पृष्ठभूदम में राम मािि और सरमा भदिष्ट्य की रिनीदत


बनाने के दलए एकसाथ आए।

उनका पहला किम यह सुदनदित करना था दक कांग्रेस पूरी तरह


अलग थलग हो जाये और अकेले ही चुनाि लड़े। दबहार में
महागठबंिन की सफलता के बाि दबहार के मुख्य मंरी सदहत
अनेक ताकतें कांग्रेस को असम में भी इसी तरह के भाजपा
दिरोिी गठबंिन के दलए प्रोत्सादहत करने के इरािे से िबाि बना
रही थीं। इसे हर कीमत पर रोकना था। और इसमें आल इंदडया
dr. dharmendra Singh G
यूनाइटे ड डेमोिेदटक फ्रंट के नेता और िुबरी से लोकसभा
सांसि बिरूद्दीन अजमल एक प्रमुख चेहरा थे। अजमल का
सशि मुल्स्त्लम जनािार था और कांग्रेस तथा अजमल के बीच
गठबंिन स्त्पष्ट रूप से मुल्स्त्लम मतिाताओं को एकजुट करे गा।

भाजपा हरकत में आ गयी और उसने यह सुदनदित करने के


दलए दक कांग्रेस और अजमल के बीच इस तरह को कोई
तालमेल नहीं हो, सभी संभि तरीके अपनाये। पाटी को इसमें
सफलता हाथ लगी। अजमल ने स्त्ितंर रूप से चुनाि ही नहीं
लड़ा बल्कक लगातार कांग्रेस की आलोचना भी की। मुल्स्त्लम
मतिाताओं को और अदिक भ्रदमत करने के दलए भाजपा ने
उन्द्हें ही प्रमुख प्रदतद्वं द्वी के रूप में पेश कर दिया। चुनाि में
सफलता के दलए मुल्स्त्लम मतों का दिभाजन जरूरी था।

लेदकन यदि उसकी रिनीदत का एक दहस्त्सा कांग्रेस को अलग


थलग करना रहा था तो िूसरा पहलू यथासंभि पाटी से गठबंिन
को दिस्त्तादरत करना भी रहा था। और इस अदभयान में मािि
ने बोडोलैंण्ड पीपुकस फ्रंट के साथ बातचीत शुरू की दजसके
dr. dharmendra Singh G
मौजूिा सिन में 12 दििायक थे और यह गोगोई मंदरमण्डल का
दहस्त्सा भी था। यह गठबंिन असम गि पदरषि के बगैर अिूरा
होता और सीटों के बंटिारे को लेकर कड़ी सौिे बाजी के बािजूि
असम गि पदरषि ने भाजपा के नेतृत्ि िाले राजग से हाथ दमला
दलया।

मािि की रिनीदत के तीनों पहलू अब अपनी अपनी जगह थे।


सरमा को पाटी में शादमल कर दलया गया था, कांग्रेस को अलग
थलग कर दिया गया था और भाजपा गठबंिन का नेतृत्ि कर
रही थी। यह काम इतना आसान नहीं था और गुिाहाटी में यह
चचा थी दक पाटी और संघ की स्त्थानीय इकाई के बीच इस
गठबंिन और चुनाि प्रबंिन के मुद्दों को लेकर तनाि स्त्पष्ट था।
परं तु चुनाि प्रचार के दलए नींि रखी जा चुकी थी।

चुनािी एजेंडे के संिभच में भाजपा ने मुख्यमंरी के दखलाफ


आिामक होने का दनिचय दकया। एक समय जब कांग्रेस
प्रिानमंरी नरे न्द्र मोिी और अदमत शाह पर बेहि दनजी हमले
कर रही थी तो मािि के स्त्पष्ट दनिे श थे दक ये हमले दकतने ही
dr. dharmendra Singh G
भड़काने िाले क्यों नहीं हो, लेदकन पाटी को इनका जिाब नहीं
िे ना है । कुल दमलाकर गोगोई पर हमले जारी रखना और उनके
दरकाडच को केन्द्र बनाना ही लक्ष्य था। भाजपा ने गोगोई के
दनिाचन क्षेर में उनके दखलाफ एक तगड़ा प्रत्याशी खड़ा दकया
था तादक मुख्यमंरी को अपने स्त्थानीय प्रदतद्वं द्वी से दनबटने में ही
अदिक से अदिक समय लगाना पड़े। यह सुदनदित करने के
दलए दक सारा ध्यान स्त्थानीय मुद्दों पर केल्न्द्रत रहे , मािि ने यह
भी फैसला दकया दक इसमें केन्द्रीय नेतृत्ि की सीदमत भूदमका
रहे । मोिी ने, दजन्द्होंने दबहार में ताबड़तोड़ अपनी रै दलयां की थीं,
दसफच तीन बड़ी रै दलयां कीं, अदमत शाह ने िो जनसभाओं को
संबोदित दकया। इसका नेतृत्ि राज्य स्त्तर के स्त्थानीय चेहरों को
दिया गया था।

स्त्ितंर पयचिेक्षकों का मानना था दक इस चुनाि में प्रगदत और


बिलाि का िायिा ही भाजपा की मुख्य अपील थी।

सेन्द्टर फॉर पादलसी दरसचच (सीपीआर) के नीलांजन सरकार,


भानु जोशी और आशीष रं जन ने चुनािों के िौरान राज्य का
dr. dharmendra Singh G
व्यापक िौरा दकया था। सीपीआर के िस्त्तोिज में िे दलखते हैं
दक असम को लेकर प्रमुख संचार माध्यमों में भाषाई, दिदशष्ट
संस्त्कृदत और िार्णमक झगड़ों को अत्यदिक प्रमुखता िे कर
‘पदरभादषत’ दकया गया। अदिकांश मतिाताओं ने, दजनसे
उन्द्होंने बात की, चुनाि में सामादजक टकराि को नहीं बल्कक
दिकास और आर्णथक दिकास को ही मुख्य मुद्दे बताया।
‘‘कांग्रेस ने इस क्षेर में शांदत और ल्स्त्थरता स्त्थादपत की, परं तु
ऐसा लगता है दक असम आर्णथक दिकास के मामले में शेष
भारत से काफी पीछे है । यही सबसे बड़ा मुद्दा है दजसके दलए
मतिाता इस चुनाि में बिलाि चाहते हैं ।’’

इसी दिषय को आगे बढ़ाते हु ए सरकार और रं जन ने ि हहिू


समाचार पर में दलखाः ‘‘भाजपा दिकास और पदरितचन के उसी
मंर की ओर लौट आयी है जो 2014 के चुनािों में बहु त ही
उपयोगी सादबत हु आ था। श्री सरमा को कांग्रेस के दलए एक
प्रभािी स्त्िास्त्थ्य एिं दशक्षा कैदबनेट मंरी माना जाता था। मोिी
dr. dharmendra Singh G
की लोकदप्रय छदि ने असम के दिकास के दलए पाटी के िािे
को लेकर भाजपा की ल्स्त्थदत मजबूत कर िी है ।’’

परं तु दिकास के साथ ही पहचान भी एक प्रमुख मुद्दा था।

इसमें पाटी के मुख्यमंरी पि का चेहरा असम गि पदरषि के पूिच


नेता सबानन्द्ि सोनोिाल का था, जो दिस्त्थादपतों के दखलाफ
संघषच में सदिय थे। सरमा ने भी असमी पहचान और इसके
खतरे का मुद्दा जोरशोर से उठाया था। एक के बाि एक रै दलयों
में उनका इस बात पर जोर रहा दक यह ‘अपनी पहचान’ बचाने
का अंदतम मौका है ।’ उन्द्होंने इंदडयन एक्सप्रेस की परकार शीला
भट्ट से कहा, ‘‘हम नहीं चाहते दक बांग्लािे शी हमारी जमीन पर ही
नहीं बल्कक हमारी राजनीदत में अदतिमि करें । इस चुनाि में
बांग्लािे शी दिस्त्थादपत अपना मुख्यमंरी चाहते हैं ।’’ भाजपा ने
औपचादरक रूप से भारतीय मुसलमानों और बांग्लािे शी मूल के
मुसलमानों के बीच दिभेि दकया परं तु इस किम ने हहिुओं को
संिेश िे ने में मिि की।
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शेखर गुप्ता ने 1980 के िशक के प्रारं भ से असम की राजनीदत
को िजच दकया है , जब िह यहां एक संिाििाता के रूप में कायचरत
थे। इस चुनाि के िौरान दबजनेस स्त्टै ण्डडच समाचार पर में अपने
लेख में उन्द्होंने दिस्त्तार से बताया दक आरएसएस ने दकस तरह
से भाजपा के दलए अनुकूल राजनीदतक माहौल तैयार दकया
तादक उसे इसका लाभ दमल सके। िह दलखते हैं , ‘‘असम का
आन्द्िोलन जातीय समुिाय की भािना से प्रेदरत था। यह
बाहदरयों के दखलाफ आन्द्िोलन के रूप में शुरू हु आ था दजसका
दनशाना मुख्य रूप से मुल्स्त्लम और बंगाली हहिू और मारिाड़ी
थे। आरएसएस को इसमें आशा की दकरि नजर आई परं तु उसे
जातीयता और िमच के बीच टकराि से भी दनबटना था।’’ गुप्ता
ने इस बात का भी उल्लेख दकया दक आरएसएस ने इस
आन्द्िोलन को दिस्त्थादपत दिरोिी आन्द्िोलन से दिस्त्थादपत
मुल्स्त्लम दिरोिी की ओर मोड़ने के दलए िैयचपूिचक काम दकया।
इस िैचादरक बिलाि में ‘बंगाली’ को लेकर व्याप्त नफरत और
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भय अब मुल्स्त्लम दिस्त्थादपत दिरोि या ‘दमयां मानुस’ बन गया
था।’’

इस चुनाि ने भाजपा के दलए चुनाि रिनीदतकारों के एक नए


समूह को भी जन्द्म दिया। रजत सेठी और शुभ्रस्त्थ अपने आप
ही इस चुनाि में आए थे।

दिल्ली की दमराण्डा कालेज से स्नातक शुभ्रस्त्थ मोिी के प्रचार


अदभयान और नीतीश कुमार-लालू प्रसाि के प्रचार में प्रशांत
दकशोर के दसटीजंस फॉर एकाउण्टे बल गिनेन्द्स का दहस्त्सा थीं।
यहीं पर उन्द्होंने शोि, मीदडया प्रचार, आंकड़ों पर आिादरत
फैसले करने और स्त्थानीय स्त्तर की िास्त्तदिकताओं को
अपनाते हु ए केन्द्रीयकृत प्रचार की आिश्यकता को समझा।

उन्द्होंने यहां प्रचार के िौरान उस समय अदिक असहज महसूस


करना शुरू कर दिया जब चुनाि प्रचार के िौरान एक पाटी द्वारा
सालों से संकदलत दकए गए आंकड़ों को बाहरी लोग मांगने लगे,
उन्द्हें बिलने लगे और पाटी की मशीनरी को एक तरह से हटाने
की ही मांग करने लगे और दफर आगे बढ़ गए। उन्द्होंने बाि में
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कहा, ‘‘मेरा तो िास्त्ति में यही मानना है दक आपको
कायचकताओं की राजनीदतक पूंजी नहीं हदथयानी चादहए। पाटी
की भूदमका के प्रदत आभार प्रकट करने की बजाए इसका श्रेय
लेने की प्रिृदत्त है । आप एक छोटे समूह में काम कर सकते हैं ,
पाटी कायचकताओं पर भरोसा कर सकते हैं । उस समय तक िह
िैचादरक रूप से भाजपा के अदिक नजिीक आ गई थीं।

अब यहां से आगे बढ़ने का समय आ गया था।

रजत सेठी, अपनी साझीिार और भािी पत्नी के उलट, हमेशा ही


भाजपा की राजनीदत का दहस्त्सा रहे । भारतीय प्रौद्योदगकी
संस्त्थान में पढ़ाई के िौरान ही उनकी मुलाकात राम मािि से हु ई
थी और उन्द्होंने उन्द्हें हािचडच में भाषि िे ने के दलए उस समय
आमंदरत दकया था जब िह िहां छार थे। हािचडच और
मैसाच्युसे्स इंस्त्टीट्यूट ऑफ टे क्नोलॉजी से दडग्री लेकर सेठी
2015 में स्त्ििे श लौटे थे।

मािि से सेठी से जानना चाहा दक क्या िह गुिाहाटी चलकर


असम चुनाि प्रचार में मिि करना चाहें ग।े सेठी इसके दलए राजी
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हो गए। दबहार चुनाि खत्म होते ही, शुभ्रस्त्था भी असम में उनके
साथ आ दमलीं। िोनों ने प्रत्येक दनिाचन क्षेर के आिार पर
ताकत और कमजोदरयों का दिश्लेषि तैयार करना शुरू कर
दिया। उनका बुदनयािी काम जमीनी हकीकत से जुड़ी
जानकादरयां उपलधि कराना और नेताओं के दट्वटर और
फेसबुक खातों, व्हा्सएैप समूह सदहत सोशल मीदडया और
दिज्ञापन पट तथा होदडिंग्स और समाचार परों में संिेशों के
प्रबंिन तथा चुनाि प्रचार चलाना शादमल था। उन्द्होंने एबीिीपी
और पाटी काडर के साथ काम दकया।

राम मािि बताते हैं , ‘‘उन्द्होंने बहु त ही महत्िपूिच भूदमका दनभाई


और समय के अनुरूप जानकादरयां उपलधि कराईं। हमें प्रत्येक
दनिाचन क्षेर के दििरि की जानकारी दमल रही थी, मसलन
आज िोपहर इलाके में मतिाताओं का यह रुझान है । अगले
दिन, ताजा ल्स्त्थदत के बारे में जानकारी उपलधि होगी। जमीनी
हकीकत की जानकारी िे ने के दलए हमारे आिमी थे और इसे
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अंदतम रूप िे ने के दलए हमारे पास एैप था। यह बहु त ही
संिेिनशील था।’’

यह सारी चीजें भाजपा को एकसाथ दमलीं और उसने अपने


सहयोदगयों के साथ असम चुनाि में दिजय हादसल कर ली।

इस चुनाि ने एक बार दफर भाजपा की महत्िाकांक्षा को उजागर


कर दिया। इसने दिखाया दक चुनाि जीतने और अपनी दनमचम
व्यािहादरकता के दलए पाटी तरह तरह की रिनीदत और हथकंडे
अपनाने के दलए तैयार है ।

िह सरमा जैसे बाहरी लोगों को अपनाने के दलए तैयार हैं


दजन्द्होंने अपना पूरा राजनीदतक जीिन ही भाजपा की आलोचना
करने में लगा दिया था। इसने खुि के एक राष्ट्रीय िल होने और
शीषच पर मोिी जैसा नेतृत्ि होने के बािजूि अपनी कमजोदरयों
का महसूस दकया ओर पूरी दिनम्रता के साथ घटक िलों के साथ
िाता की। िह यह भी जानती थी दक कुछ चुनािों में जहां केन्द्रीय
नेतृत्ि बहु त ही अहम है िहीं िूसरे चुनािों में स्त्थानीय नेतृत्ि
अदतमहत्िपूिच है ओर 2016 का असम चुनाि इसमें पूरी तरह
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सही बैठता है । उसने तरह तरह के हथकंडे अपना कर दिपक्ष
को दततर दबतर करके यह भी दिखा दिया दक िह 30 फीसिी
मुल्स्त्लम आबािी िाले राज्य में भी चुनाि जीत सकती है । पाटी
ने नेताओं के बीच संतुलन बनाया, सोनोिाल को नेतृत्ि की
कमान सौंपी तो सरमा को भी पयाप्त महत्ि दिया - यह ऐसा गुि
है जो अक्सर नजर नहीं आता है और इस िजह से िलों में
अंिरूनी गुटबाजी जन्द्म लेती है , चुनािी संभािनाएं बबाि होती
हैं । भाजपा दिकास और पहचान के मुद्दे को साथ ले आई।

असम चुनाि में भाजपा की जीत के नतीजे असम से भी आगे


दनकल गए।

ऐसी पाटी दजसने 2015 में दबहार और दिल्ली में जबिच स्त्त आघात
झेला था, िह पूरे जोश के साथ िापस आयी। इसने नेतृत्ि और
काडर में नया भरोसा और जोश बढ़ाया। इसने पूिोत्तर राज्यों में
भाजपा के प्रिेश को भी इंदगत करके इसे सही मायने में राष्ट्रीय
िल बना दिया। और इसने राम मािि की ल्स्त्थदत को भी मजबूत
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बना दिया क्योंदक इससे चुनािी रिनीदतकार और राजनीदतक
सोच िाले व्यदि के रूप में उनकी प्रदतष्ठा बढ़ाई।

लेदकन यह समय आराम करने का नहीं था क्योंदक अगला


पड़ाि मदिपुर था।

दसतंबर, 2015 में एन बीरे न हसह एक असंतुष्ट व्यदि थे।

कांग्रेसी नेता और पूिच मंरी हसह इम्फाल में अपने घर के लान में
बैठे थे। मािी सरकार ने हाल ही में नेशनदलस्त्ट सोशदलस्त्ट
काउल्न्द्सल आफ नगालैंड (इसाक मुइिा) (एनएससीएन आई-
एम) के साथ एक फ्रेमिकच समझौते पर हस्त्ताक्षर दकए थे।

मदिपुर की िुखती हु ई रग घाटी और पहाड़ों के बीच के


अंतर्णिरोि हैं । घाटी में मैतेई समुिाय, जो मुख्य रूप से हहिू हैं ,
का प्रभुत्ि है और पहाड़ों में आदििासी, खासकर नागा और
कुकी हैं , जो ईसाई हैं । नागा दिरोही समूहों की पुरानी मांग है दक
मदिपुर के नागा भाषी इलाकों को दमलाकर ग्रेटर नगालैंड का
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सृजन दकया जाए। यह घाटी के मैतेई समुिाय को स्त्िीकार नहीं
है । उनका सत्ता के ढांचे पर प्रभुत्ि है ।

और इसी िजह से जब फ्रेमिकच समझौते के दिस्त्तृत दििरि की


जानकारी दिए बगैर ही जब इस पर हस्त्ताक्षर हु ए तो इम्फाल की
राजनीदतक सत्ता और दसदिल सोसायटी भाजपा की मंशा को
लेकर सशंदकत थी। केन्द्र ने मदिपुर को पुनः यह भरोसा दिलाने
का प्रयास दकया दक इसका बंटिारा नहीं होगा लेदकन इसके
बािजूि संिेह बना रहा।

क्या अदखल नागा सांस्त्कृदतक पदरषि, जो राज्य की सीमा को


प्रभादित नहीं करती है ,स्त्िीकायच होगी?

हसह ने फौरी तौर पर इसे अस्त्िीकार कर दिया।

िह सिाल करते हैं , ‘‘यह सांस्त्कृदतक पदरषि क्या है ? पंजाबी


तो भारत और पादकस्त्तान िोनों ही में हैं , क्या दिल्ली उन्द्हें
सांस्त्कृदतक पदरषि बनाने की अनुमदत िे गी? क्या दिल्ली
पादकस्त्तानी झण्डे की कश्मीर में इजाजत िे गी? हम नागा को
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क्यों बिाश्त करें दजनकी दनष्ठा दमलीजुली है और अपनी सीमा
में नागा ध्िज की अनुमदत िें ?’’ िह िलीलें िे ते रहे दक दिल्ली,
दजसका मतलब केन्द्र में भाजपा सरकार से है , ‘ईसाई
आदििादसयों’ का समथचन कर रही है जो अलग राज्य का
एजेण्डा आगे बढ़ा रहे हैं ।

डेढ़ साल बाि, माचच 2017 में एन बीरे न दसह उस पाटी में शादमल
हो गये दजसकी िह आलोचना कर रहे थे। उन्द्हें मदिपुर में
भाजपा के प्रथम मुख्यमंरी के रूप में शपथ दिलाई गई। यह सब
कैसे हु आ?

राम मािि जानते थे दक मदिपुर उन्द्हें सौंपा गया अब तक का


सबसे कदठन काम हो सकता है ।

जम्मू कश्मीर में काम शुरू करने के दलए पाटी का आिार था।
जम्मू राजनीदतक िृदष्ट से स्त्िागत करता हु आ इलाका था। असम
dr. dharmendra Singh G
में भाजपा ने लोक सभा चुनािों में काफी अच्छा प्रिशचन दकया
था और िहां भी काम आगे बढ़ाने के दलए कुछ बुदनयाि थी।

परं तु मदिपुर में तो पाटी के पास कुछ भी नहीं था।

दििान सभा में उसका कोई प्रदतदनदि नहीं था। राज्य से उसका
कोई सांसि नहीं था। दपछले चुनाि में उसे िो प्रदतशत मत दमले
थे। पाटी का कोई संगठन नहीं था। उसका कोई नेता नहीं था।
उसके पास कोई ताकतिर उम्मीििार भी नहीं था। िे एकिम
शून्द्य से शुरू कर रहे थे।

लेदकन उनके पास केन्द्र में सत्ता थी और इसने मनौिैज्ञादनक


और राजनीदतक बढ़त प्रिान की। मदिपुर के समाचार पर फ्री
इम्फाल प्रेस के संपािक और राज्य के एक प्रभािशाली व्यदि
प्रिीप फिजोबाम ने बताया, ‘‘पूिोत्तर के सभी छोटे और
कमजोर राज्यों में यह माना जाता है दक राज्यों को अदिक
आसानी होगी यदि िे केन्द्र में सत्तारूढ़ िल के साथ गठबंिन
करके चलेंग।े राज्य के राजनीदतकों और मतिाताओं िोनों का
ही यही िृदष्टकोि है । पहले जब केन्द्र और राज्य में अलग अलग
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सत्तारूढ़ िल थे तो राज्य को जबिच स्त्त आर्णथक संकट का सामना
करना पड़ा था और ये संभितः आंदशक रूप से संयोगात्मक हो,
परं तु मुझे यकीन है दक इसकी िजह ढांचागत भी है ।’’

फिजोबाम बताते हैं दक दनदित ही जब अटल दबहारी िापजेयी


प्रिानमंरी थे तो भाजपा ने पहली बार मदिपुर दििान सभा में
चार दििायकों के साथ अपना खाता खोला था। जब
एनएससीएन (आई-एम) के साथ युर्द्दिराम का समझौता
2001 में बढ़ाया गया तो मदिपुर में इसी तरह की आशंकाओं
को जन्द्म दिया था दजनके बारे में हमने पहले एन बीरे न हसह सुना
था। इसके बाि भाजपा लगातार चुनाि हारी और फिजोबाम
कहते हैं दक इन सालों में केन्द्र में कांग्रेस के सत्तारूढ़ होने ने ही
‘यहां पहु ं चने’ में मिि की।

लेदकन जहां भाजपा को यह बढ़ता हादसल थी, िहीं चुनाि तो


जमीन पर ही लड़ना होता है । ऐसा कोई स्त्िचादलत, आसान
रास्त्ता नहीं था और केन्द्र में सत्ता होना मििगार तो था परं तु
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जीतने की कोई गारं टी नहीं थी। और इसी िजह से मािि को
िही हथकंडे अपनाने पड़े तो उन्द्होंने िूसरी जगह अपनाए थे।

एक बात के बारे में पाटी भलीभांदत जानती थी दक उसे यहां


नेताओं का पूल तैयार करना होगा।

मािि ने स्त्िीकार दकया, ‘‘हम जानते थे दक सशि संगठन के


अभाि में हम मोिीजी की छदि और स्त्थानीय उम्मीििार की
ताकत पर ही दनभचर थे और इसदलए इसे हादसल करना
महत्िपूिच था।’’ कश्मीर में सिाि लोन को तैयार करने और
असम में दहमन्द्त दबस्त्िास सरमा को अपनाने की तरह ही मािि
दकसी बाहरी व्यदि की तलाश में थे। फुटबॉल दखलाड़ी से
राजनीदतक बने एन. बीरे न हसह ऐसे ही एक नेता थे दजन्द्हें कांग्रेस
के िूसरे लोगों के साथ पाटी में शादमल दकया गया था।

िूसरी बड़ी चुनौती एक सुसंगत और सुस्त्पष्ट पाटी का मंच और


एजेंडा तैयार करने की थी और इस काम में भाजपा ने चीजों को
अंगीकार करने में उल्लेखनीय क्षमता का प्रिशचन दकया।
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सबसे पहले तो उसे मैतेई-नागा मतभेिों के बीच रास्त्ता बनाना
था। मैतेई के प्रभुत्ि िाली घाटी में दििान सभा की 40 सीटें हैं
जबदक आदििासी बहु ल पिचतीय क्षेर में 20 सीटें हैं । भाजपा उस
फ्रेमिकच समझौते से पल्ला नहीं झाड़ सकती थी दजस पर केन्द्र में
उसकी ही सरकार ने हस्त्ताक्षर दकए थे और दजसने हसह को
2015 में इतना अदिक उद्वे दलत कर दिया था। दफर भी उसे
सफलता के दलए घाटी में मैतेई समुिाय की राय को जीतना था।

नागा प्रभुत्ि िाले इलाकों में केन्द्र में राजग के घटक छोटे नागा
संगठन अलग अलग चुनाि लड़ रहे थे क्योंदक यदि भाजपा को
उनके सहयोगी के रूप में िे ख दलया गया तो िो मैतेई समुिाय
से हाथ िो बैठेगी। मािि ने अपनी गिना में अनुमान लगाया
दक यदि आिश्यक हु आ तो ये समूह इम्फाल में चुनािों के बाि
भी भाजपा का समथचन करें ग।े सारा ध्यान मैतेई समुिाय पर
केल्न्द्रत करना था और 40 सीटों में पयाप्त संख्या प्राप्त करनी थी।

कांग्रेस प्रचार के एक प्रमुख स्त्तंभ ने आरोप लगाया था दक


भाजपा राज्य का बंटिारा कर िे गी। भाजपा ने फैसला दकया दक
dr. dharmendra Singh G
अदिकांश समय िह इस जाल में फंसने से बचेगी और यही
कहे गी दक िह मदिपुर की एकता के दलए प्रदतबर्द् है । और जब
प्रिानमंरी ने इन्द्फाल में एक जनसभा को संबोदित दकया तो
पाटी ने उनसे कहा दक िह भी मंच से इस ल्स्त्थदत के दलए
प्रदतबर्द्ता िोहरा िें । मोिी ने जब मदिपुर की सीमा की
अखण्डता बनाये रखने के प्रदत खुि अपनी प्रदतबर्द्ता िोहराई
तो मैतेई समुिाय के बीच पाटी का हौसला बढ़ गया। फिजोबाम
पुदष्ट करते हैं , ‘‘स्त्ियं प्रिानमंरी सदहत भाजपा के केन्द्रीय नेताओं
के आश्वासन ने इस आशंका को काफी हि तक िूर कर दिया
था।’’

भाजपा को अभी एक और मुल्श्कल मुद्दे का सामना करना था,


जहां आफ्सपा के नाम से चर्णचत सशस्त्र बल दिशेष अदिकार
कानून के मामले में उसका पारं परागत रुख मदिपुर में व्यापक
स्त्तर पर लोकदप्रय समझी जा रही राय के ही दिरूर्द् चला गया
था।
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इरोम शर्णमला ने हाल ही में अपना उपिास खत्म दकया था और
उन्द्होंने चुनाि लड़ने की अपनी इच्छा की घोषिा की थी। भाजपा
हालांदक शर्णमला के चुनाि लड़ने से हचदतत नहीं थी परं तु जानती
थी दक आफ्सपा को हलका करना या उसे दनरस्त्त करने के
दखलाफ उसका िृदष्टकोि उसके दिरुर्द् जा सकता है । मािि
जानते थे दक यह मुद्दा दकतना संिेिनशील है क्योंदक उन्द्होंने
कश्मीर में इसी मुद्दे पर पीडीपी के साथ भी िाता की थी। भाजपा
अपनी ल्स्त्थदत पर अड़ी रही थी और उसने आफ्सपा पर पीडीपी
की मांग नहीं मानी थी।

परं तु सौभाग्यिश जब पाटी ने एक सिे कराया तो पता चला दक


मदिपुर के चुनाि के प्रमुख मुद्दों में आफ्सपा काफी नीचे है । यह
चुनाि में शर्णमला के अपने प्रिशचन से भी पदरलदक्षत हु आ।
मानिादिकार के दलए संघषच करने िाली शर्णमला को चुनाि में
एक सौ से भी कम मत दमले। भाजपा भी इस मुद्दे पर बहस करने
से िूर ही रही।
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भाजपा को इस सिे से पता चला दक जनता के दलए दिकास
और मुख्यमंरी ओकराम इबोबी हसह के तहत भ्रष्टाचार सबसे
बड़े मुद्दे हैं । और इसीदलए भाजपा ने असम की तरह ही सरकार
दिरोिी और स्त्थानीय मुद्दों पर ही चुनाि में ज्यािा ध्यान केल्न्द्रत
दकया। उसने मुख्यमंरी को लक्ष्य करके जबिच स्त्त दिज्ञापन
अदभयान चलाया दजसमें उन्द्हें दमस्त्टर िस प्रदतशत मुख्यमंरी
बुलाया गया। इससे हताश मुख्यमंरी ने संपािकों को बुलाकर
उन्द्हें चेतािनी िी।

भाजपा को इस सिे के माध्यम से यह भी पता चला दक ‘मुठभेड़


में होने िाली मौतों’ का मसला भी यहां के लोगों की हचता के
दिषयों में काफी प्रमुख है । राष्ट्रीय स्त्तर पर भाजपा को ‘नागदरक
स्त्ितंरता’ के स्त्थान पर ‘सुरक्षा’ को प्राथदमकता िे ने िाले िल
के रूप में िे खा जाता है और उसे कुछ उल्लघनों की कीमत पर
भी इसमें कटौती करने की इच्छुक पाटी माना जाता है । हालांदक
मदिपुर में इसे लेकर उठ रही आिाजों को िे खते हु ए भाजपा ने
इसे एक प्रमुख मुद्दा बनाया और कांग्रेस को बचाि की मुरा में
dr. dharmendra Singh G
ला खड़ा दकया। पाटी ने बार बार इस बात को प्रमुखता से उठाया
दक राज्य में हाल के समय में हु ई मुठभेड़ों या न्द्यायेत्तर हत्याओं
में 1528 व्यदि मारे गये हैं , पाटी ने एक पूिच पुदलस अदिकारी
को दटकट िे ने से इन्द्कार कर दिया क्योंदक इन मुठभेड़ों में
शादमल अदिकादरयों के रूप में उसकी पहचान हु ई थी और पाटी
ने ऐसे मामलों की सीबीआई जांच कराने का िायिा दकया था।
उसने स्त्थानीय मानि अदिकार समूहों के साथ दमलकर खुि को
नागदरक स्त्ितंरता की चैंदपयन पाटी के रूप में पेश दकया।

एक और उिाहरि में पाटी की आत्मसात करने की क्षमता नजर


आती है । ईसाई आदििासी उम्मीििार पिचतीय क्षेरों में जाकर
जनता से मजाक-मजाक में कह रहे थे दक भारतीय जनता पाटी
िास्त्ति में भारतीय जीसस पाटी है तादक भाजपा के हहिू स्त्िरूप
को लेकर उनकी हचताओं को शांत दकया जा सके।

दनदित ही, पूिोत्तर में भाजपा ने एक अपिाि दकया और अपने


गौ रक्षा और गौ मांस सेिन दिरोिी जैसे मुद्दों को आगे नहीं
बढ़ाया। मािि ने एकिम साफ शधिों में कहा, ‘‘हम इस क्षेर की
dr. dharmendra Singh G
सांस्त्कृदतक दिदििता का सम्मान करते हैं ।’’ यहां िैचादरक
आस्त्थाओं और चुनािी जरूरतों के बीच उसका तनाि स्त्पष्ट है
और पाटी ने िूसरे दिककप को चुना। फिजोबाम इससे सहमत
होते हु ए कहते हैं दक भाजपा ने इस क्षेर में उत्तर भारतीय
सांस्त्कृदतक प्रभुत्ि को यहां आगे नहीं बढ़ाया। िह बताते हैं ,
‘‘बीफ आज भी यहां खुलेआम दबकता है , बालीिुड दफकमें
प्रदतबंदित हैं , पूजा के तरीके में कोई बिलाि नहीं आया है । परं तु
अभी भी कोई स्त्पष्ट फैसला सुनाना जकिीबाजी होगा।’’

मािि के साथ एक बार दफर रजत सेठी और शुभ्रास्त्था की टीम


काम कर रही थी। उन्द्होंने 2016 खत्म होने के करीब ही इम्फाल
में अपना दठकाना बनाया और करीब छह महीने िहां व्यतीत
दकये। उन्द्होंने चुनािी मुद्दों की पहचान करने के दलए दिस्त्तार से
लोगों के इंटरव्यू करे , याराएं कीं और सिे दकए और रिनीदत
में मिि की। उन्द्होंने संिाि की रिनीदत को भी आकार दिया
दजसे अंततः मािि ने मंजूरी िी थी।
dr. dharmendra Singh G
परं तु मदिपुर के चुनाि दसफच मुद्दों और संिाि के ही बारे में नहीं
थे।

राज्य में िजचनों भूदमगत संगठनों की मौजूिगी दजनका प्रिे श के


महत्िपूिच दहस्त्सों पर प्रभाि था और िे यह दनिादरत कर सकते
थे दक कौन और कैसे िोट करे गा, भाजपा ने ऐसे ही कुछ
भूदमगत संगठनों यानी ‘यूजी’ के साथ िाता का रास्त्ता खोला।
राज्य में इन्द्हें इसी नाम से जाना जाता है । उन्द्हें कई तरीकों से
‘मनाया गया’ और आसानी से यह माना जा सकता है दक इसमें
िन का प्रलोभन, भदिष्ट्य में पुनिास का िायिा और राजनीदतक
समािान तथा और भी बहु त कुछ शादमल था।

चुनाि में हर जगह िन का बोलबाला होता है । परं तु इम्फाल में


राजनीदतक सूरों ने मुझे बताया दक दजस तरह की सौिे बाजी की
राजनीदत यहां हु ई िह चौंकाने िाली थी। यहां पर एक हजार
रुपए से लेकर पांच हजार रुपए तक में िोट सीिे खरीिे जाते हैं ।
इसका मतलब यह हु आ दक भाजपा को भी बहु त अदिक
संसािनों का इस्त्तेमाल करना पड़ा होगा जो कुछ हि तक दिल्ली
dr. dharmendra Singh G
से और कुछ पूिोत्तर के उन राज्यों से आए, जहां िह शासन कर
रही थी।

यह सिाल करने पर दक क्या लोगों के दलए पैसा लेकर और


दफर अपनी इच्छा के मुतादबक िोट िे ना संभि था? मदिपुर के
एक नेता ने कहा, ‘‘यह आसान नहीं है । हमारे यहां छोटे छोटे
दनिाचन क्षेर और मतिान केन्द्र हैं । यह अनुमान लगाना
आसान है दक दकस पदरिार ने दकस तरह से मतिान दकया है ।’’

एक और अंिरूनी चुनौती थी।

भाजपा में कई सत्ता केन्द्र थे जो मदिपुर के चुनािों में अपना


िखल रखने का प्रयास कर रहे थे। ‘‘इस िजह से दटकट दितरि
और रिनीदत को लेकर टकराि भी हु आ और भाजपा में कई
लोगों का मानना था दक यदि असम की तरह ही स्त्पष्ट रूप से
अदिकारों का दिभाजन हु आ होता और राम मािि को पूरा
अदिकार दमला होता तो हो सकता है दक पाटी और अदिक सीटें
जीती होती।
dr. dharmendra Singh G
जब चुनाि के नतीजे आए तो भाजपा को सबसे अदिक मत
दमले लेदकन उसे कांग्रेस की 28 सीटों की तुलना में काफी कम
अथात 21 सीटें ही दमलीं।

दफर भी, मैिानी हकीकत में जनािे श ने कांग्रेस को ठुकरा दिया


था, भाजपा ने तत्काल ही गठबंिन तैयार दकया। राजग के घटक
िलों, दजन्द्होंने अलग अलग चुनाि लड़ा था, और कांग्रेस से
पाला बिल कर आए कुछ लोगों के समथचन से पाटी ने बहु मत
हादसल कर दलया था।

भाजपा सही मायने में एकता सरकार बनाने में कामयाब हो गयी
थी दजसमें नागा पाटी, नागा पीपुकस फ्रंट गठबंिन में शादमल थे।
मािि तकच िे ते हैं , ‘‘दजस तरह से पीडीपी और भाजपा को साथ
लाना ऐदतहादसक घटना थी, मेरा मानना है दक हमने मदिपुर में
जो हादसल दकया है िह भी समान रूप से ऐदतहादसक है । िो
प्रमुख ताकतें – मैतेई और नागा, जो अलग अलग राजनीदतक
िलों का प्रदतदनदित्ि करते हैं , एक साथ आ गये।’’ िो समुिायों
dr. dharmendra Singh G
के बीच राज्य में चल रही राजनीदत कुल जमा शून्द्य का खेल हो
गयी और राजग इसे तोड़ने में सफल रहा था।

शपथ ग्रहि समारोह में राम मािि एक और दिजय के सेहरे के


साथ पहली पंदि में बैठे थे। यदि असम के नतीजों के बाि िह
और दहमंत सरमा व्यदिगत रूप से तरूि गोगोई को शपथ
ग्रहि समारोह के दलए आमंदरत करने गए थे तो इस बार,
इम्फाल में िह कांग्रेस के दनितचमान मुख्यमंरी इबोबी हसह के
बगल में बैठे थे।

2015 के एंग्री मैन एन बीरे न हसह ने नए मुख्यमंरी के पि की


शपथ ली। रजत सेठी को उनका सलाहकार दनयुि दकया गया
था।

मदिपुर चुनािों ने भाजपा की दनरं तर व्यािहादरकता और िूसरे


संगठनों से नेताओं को, दजनका समुदचत प्रभाि था, अपनाने के
प्रदत अपनी इच्छा मंशा जादहर कर िी थी। अदिकांश लोगों का
मत था दक यह िास्त्ति में भाजपा के कांग्रेसीकरि का प्रतीक
हो सकता है । हसह भाजपा के एकमार मुख्यमंरी हैं जो पुराने
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कांग्रेसी हैं । परं तु पाटी को पूरा भरोसा है दक ये उसके िैचादरक
मूकयों को हलका दकए बगैर ही उसकी ताकत बढ़ाएंग।े

िास्त्ति में, चुनाि ने यह दिखाया दक चुनािी सफलता की


तलाश में भाजपा में िैचादरक रुख के मामले में लचीलापन है ।
उसने इदतहास में एक िूसरे से टकराि में उलझे िो पक्षों, मैतेई
और नागा को एकसाथ दकया और िोनों से ही समथचन प्राप्त दकया
और खुि को नागदरक अदिकारों और अकपसंख्यक अदिकारों
की चैंदपयन की तरह पेश दकया। और इससे यह भी नजर आता
है दक इम्फाल की जबिस्त्त रै ली के साथ मोिी की अपील प्रांतों
में नीचे तक पहु ं ची और यह चुनाि का एक दनिायक दबन्द्िु था।

परं तु इस जीत का प्रतीकिाि काफी नीचे तक गया।

एक राज्य दजसने िे खा दक दिदभन्न आन्द्िोलनों के जदरये भारत


में उलझा सबसे ताकतिर अलगाििािी संगठन स्त्ियंभू
‘राष्ट्रिािी’ की प्रदतज्ञा करने िाले संगठन के दलए िोट कर रहा
था। िैचादरकता में लचीलेपन, अनुकूलन और सहयोग का यह
dr. dharmendra Singh G
दमश्रि भाजपा को सबसे ऐसे क्षेरों में अपना दिस्त्तार करने में
मिि कर रहा था जो एकिम संभि नहीं था।

8. आदिपत्य का भदिष्ट्य
समकालीन भारतीय राजनीदतक पदरिृश्य में भारतीय जनता
पाटी की अजेय बढ़त में इजाफा होता ही दिख रहा है । अदिकांश
टीकाकार और यहां तक दक कुछ दिपक्षी नेता भी यह मानते हैं
दक यह अिश्यंभािी है दक 2019 में नरे न्द्र मोिी दफर सत्ता में
लौटें गे। जुलाई के अंत में दबहार के मुख्यमंरी नीतीश कुमार ने,
दजन्द्हें मोिी को चुनौती िे ने के दलए राष्ट्रीय नेता के रूप में पेश
दकया गया था, पाला बिल दलया और भाजपा के साथ हो गए
और सािचजदनक रूप से यह घोषिा कर डाली दक अगले चुनाि
में प्रिानमंरी को हराना असंभि है । दनदित ही मौजूिा पदरिृश्य
में दफलहाल तो ऐसा ही होने की संभािना लगती है ।

परं तु भारतीय राजनीदत के बारे में कोई भी भदिष्ट्यिािी नहीं की


जा सकती है । और राजनीदत के भीतर ही लोकतंर के पास
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चीजों को संतुदलत संतुलन करते रहने का अपना ही तरीका
होता है । कोई भदिष्ट्यिािी दकए बगैर ही, दरकाडच के आिार पर,
दिदभन्न पहलुओं पर गौर करना उपयोगी होगा जो भाजपा के
भदिष्ट्य का दनिारि करें ग।े

चार ऐसे व्यापक पहलू फैसला करें गे दक क्या भारत में भाजपा
का व्यापक दिस्त्तार और अदिपत्य जारी रहे गा या क्या भाजपा
का दिजय अदभयान रोक दलया जाएगा?

यदि भाजपा की सफलता एक बार और मुख्य रूप से नरे न्द्र मोिी


की व्यापक अपील िजह से हु ई तो मोिी ब्राण्ड का भदिष्ट्य ही
व्यापक रूप में भाजपा के भदिष्ट्य का दनिारि करे गा। मोिी की
सबसे बड़ी सफलता सभी िगों में उनकी अपील थी, हालांदक
आमिनी के स्त्तर में दगरािट होने की िजह से इस समथचन में भी
कमी आई। राजनीदतक िैज्ञादनक ई. श्रीिरन के अनुसार 2014
के चुनािों में 38 प्रदतशत उच्च मध्यम िगच, 32 प्रदतशत मध्यम
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िगच, 31 प्रदतशत दनम्न मध्यम िगच और 24 प्रदतशत गरीबों ने
भाजपा को िोट दिए थे।(10)

एक बार सत्ता में आने के बाि मोिी िनिानों और कापोरे ट दहतों


के काफी नजिीक आ गए थे लेदकन उन्द्होंने शीघ्र ही स्त्ियं के
दलए नई छदि तैयार की। और आज उनके प्रदत मध्यम िगच का
समथचन बरकरार है लेदकन गरीबों के समथचन के मामले में उन्द्हें
ऐसा नजर नहीं आ रहा है ।

दनदित ही मोिी इस बात को समझते हैं दक यह सही तरीके से


संतुलन रखना जरूरी है । उत्तर प्रिे श दििान सभा चुनाि के
नतीजों के बाि 12 माचच को दिल्ली में पाटी मुख्यालय में अपने
भाषि में प्रिानमंरी ने नए भारत के िृदष्टकोि की घोषिा करते
हु ए गरीबों के ककयाि की बातें कीं। उन्द्होंने कहा, ‘‘मैं गरीबों
की क्षमता िे ख सकता हू ं । मैं उनकी ताकत िे ख सकता हू ं । यदि
गरीब दशदक्षत हो जाये तो िह समाज को ही नतीजे िे गा। यदि
उसे काम दमलता है तो िह िे श के दलए और अदिक सेिा
करे गा। गरीब िे श की सबसे बड़ी ताकत हैं ।’’
dr. dharmendra Singh G
लेदकन इसके तुरंत बाि उन्द्होंने भाषि का प्रिाह बिला, ऐसा
लगता है दक िह अपने मूल जनािार को दफर से भरोसा दिलाने
के प्रदत जागरूक थे और इस बात का उल्लेख दकया दक
मध्यमिगच ही अक्सर भारी दजम्मेिारी िहन करना है । ‘‘उन्द्हें ही
कर िे ना पड़ता है । उन्द्हें दनयमों का पालन करना पड़ता है । उन्द्हें
ही समाज के मानिण्डों का पालन करना होता है । उन्द्हें ही मारा
के दलहाज से सबसे अदिक आर्णथक बोझ िहन करना पड़ता
है । मध्यम िगच के इस बोझ को कम करना होगा। मध्यम िगच में
क्षमता है और िह दसफच यही चाहता है दक इसमें कोई अड़चन
नहीं आए और इससे िह पल्लदित होगा।’’ पाटी मुख्यालय में
भाजपा के अदिक प्रखर समथचकों और संगठनात्मक ढांचे का
दहस्त्सा रहे लोगों ने इस बयान का ‘मोिी मोिी’ के नारे लगाकर
स्त्िागत दकया।

मोिी ने इसके बाि िोनों को एकसाथ जोड़ते हु ए कहा, ‘‘एक


बार जब इस िे श के गरीब के पास अपना भार उठाने की क्षमता
आ जाएगी तो मध्य िगच का बोझ स्त्ितः ही पूरी तरह खत्म हो
dr. dharmendra Singh G
जाएगा। यदि हम गरीबों की ताकत और मध्यम िगच के सपनों
को जोड़ सके तो कोई भी भारत को नयी बुलंदियों पर पहु ं चने से
रोक नहीं सकता।’’

इस भाषि में दनदहत संिेश स्त्पष्ट है । मोिी इस बात को मानते हैं


दक िह मध्यम िगच की अपेक्षाओं को पूरा नहीं कर पाए परं तु िह
कोई अदतदरि िायिा भी नहीं करते हैं , िह यह भी स्त्िीकार
करते हैं दक गरीबों के दलए बहु त कुछ करना है परं तु उनकी
उम्मीिों को यह कहते हु ए ढाढ़स बंिाते हैं दक प्रगदत होने ही
िाली है ।

क्या मोिी ‘सबका साथ सबका दिकास’ के नारे के साथ


बहु िगीय सघनता को बनाए रख पाएंगे और क्या िह िनिानों,
मध्यम िगच और गरीब तबके के नेता बने रहें गे? अथिा यह
दिदभन्न समुिायों के बीच शून्द्य जमा खेल बन कर रह जाएगा?
क्या असंतोष का स्त्िर सबसे पहले उस िगच से उभरे गा जो पहले
उन्द्हें सत्ता में लाया और िह है मध्यम िगच, भारत का व्यािसायी
समाज और युिा? अथिा िह दकसानों जैसे तुलनात्मक रूप से
dr. dharmendra Singh G
िंदचत िगच से उभरे गा? 2017 के मध्य में हु आ दकसानों का
आन्द्िोलन इसी ओर कुछ संकेत कर रहा है ।

भाजपा के एक प्रमुख नेता, जो संगठन और सरकार िोनों को


ही िे खते हैं , संभादित गड़बड़ी िाले क्षेर की बात स्त्िीकार करते
हैं ।

‘‘हम जो िे ख रहे हैं िह यह है दक प्रिानमंरी नए आिार की ओर


आगे बढ़ गये हैं । और यह पाटी के दलए बहु त अदिक लाभ ला
रहा है । लेदकन पाटी के संगठन ने अभी तक खुि को नहीं बिला
है । इस समय सभी एकजुट हैं । परं तु पाटी का स्त्िरूप और
प्रिानमंरी का मूल आिार िीरे िीरे दछतरा सकता है । और
इसीदलए पाटी को अपने मौजूिा स्त्िरूप को बिलना होगा। यदि
आप का लक्ष्य गरीब मतिाता हैं तो एसयूिी गाड़ी चलाने िाले
संपन्न ठे केिार को आप अपना दजला अध्यक्ष नहीं बना सकते।’’

उन्द्होंने आगाह दकया, ‘‘अन्द्यथा, िो नािों के बीच दगरने और


एक अस्त्थायी आियच बन कर रह जाने का पूरा खतरा है क्योंदक
गरीब हो सकता है शायि न आयें और िनिान और मध्यम िगच
dr. dharmendra Singh G
तथा व्यािसायी समाज कोई दिककप खोजेगा। इस समय हमें
जो मिि कर रहा है िह है राष्ट्रीय स्त्तर पर कोई चुनौती उपलधि
नहीं होना।’’

यदि गरीबों, दनम्न मध्यम िगच और कम प्रभुत्ि िालों पर ध्यान


केल्न्द्रत करने का दसलदसला जारी रहा तो क्या उच्च मध्यम िगच
और मध्यम िगच का भाजपा का पारं पदरक आिार मोिी को पीछे
िकेलेगा?

सेिादनिृत्त नौकरशाह शदि दसन्द्हा राजनीदत की परख और


शैक्षदिक दिलचस्त्पी िाले व्यदि हैं । दसन्द्हा ने 1990 के िशक
के अंत में प्रिानमंरी कायालय में अटल दबहारी िाजपेयी के
साथ काम दकया है और उन्द्हें संस्त्थान के भीतर और नेता की
कायचशैली की बेहतर जानकारी है । िह अब नेहरू स्त्मारक
संग्रहालय और पुस्त्तकालय के मुदखया हैं ।

िह बताते हैं , ‘‘आज क्या हो रहा है दक भले ही पारं पदरक


समथचक पहले की तरह उपलधि नहीं हैं लेदकन उनके दिचार
आज भी प्रचदलत हैं । भारत राष्ट्र का दिचार, अदखल भारतीय
dr. dharmendra Singh G
पहचान, एक सशि राष्ट्र, दिरोदियों के सामने खड़े होने की
इच्छा, अंतरराष्ट्रीय स्त्तर पर भारत का उिय, आर्णथक दिकास,
आिुदनकता और बुदनयािी संरचना आदि जैसे सारे दिचार
उनके दििेक का दहस्त्सा हैं और यह िशाता है दक उन्द्होंने कैसे
भारत की ककपना की है । और मोिी का व्यापक संिेश और
एजेण्डा इन्द्हीं दिषयों के इिच दगिच घूमता है ।’ दसन्द्हा कहते हैं , मोिी
की समाज के दिदभन्न िगों से की गई अपील ने ही उन्द्हें ‘इतना
ताकतिर बना दिया जैसा जनसंघ या भाजपा ने अपने इदतहास
में पहले कभी नहीं िे खा था।’

मूलरूप से, यह सिाल दक क्या मोिी अपनी अपील को कायम


रख सकेंगे, उनकी नीदतयों, उनके दनष्ट्पािन और शासन पर
दनभचर करता है ।

2017 के मध्य में िे श की अथचव्यिस्त्था ने गंभीर चुनौती पैिा


की। दिकास िर कम हो गई, माल एिं सेिा कर (जीएसटी)
व्यिस्त्था लागू होने से भी िे श भर में व्यािसादयक गदतदिदियां
अव्यिल्स्त्थत हु ई हैं , राजेगारों का सृजन नहीं हो रहा है , दनजी
dr. dharmendra Singh G
दनिेश भी कम हो गया है , सूचना प्रौद्योदगकी (आईटी) जैसे
प्रमुख क्षेर में नौकदरयों में कटौदतयां हो रही हैं , नोटबंिी के बाि
के असर नजर आने लगे हैं , अच्छे कृदष सर के बािजूि मुख्य
राज्यों में दकसान आन्द्िोलनरत हैं । प्रमुख नीदत दनिारक स्त्िीकार
करते हैं दक बेरोजगारी में हो रही िृदर्द् राजनीदतक और आर्णथक
िोनों ही तरह की परे शादनयों का प्रदतदनदित्ि कर रही है , क्योंदक
हर महीने करीब िदसयों लाख युिा श्रमशदि में जुड़ रहे हैं ।
2019 के चुनाि नजिीक आ रहे हैं , पर ‘अच्छे दिन’ का िायिा
पूरा करने के िािे की संभािना क्षीि हो रही है । सरकार को
जकि ही जनता में पनप रहे असंतोष को शांत करना होगा,
मध्यम िगच के सपनों को साकार करना होगा, दसफच रोजगार के
अिसर प्रिान करने के साथ ही गरीबों के उत्थान पर ध्यान
केल्न्द्रत िे ना होगा तादक मोिी की अपील बरकरार रहे ।

राजनीदत, दिरोिाभासों के प्रबंिन की कला है । और यदि मोिी


की अपने समथचकों के दिदभन्न िगों के बीच व्याप्त अल्स्त्थर
dr. dharmendra Singh G
दिरोिाभासों के साथ सामन्द्जस्त्य स्त्थादपत करने का कौशल एक
अहम कारक है तो भाजपा की दिदभन्न जादतयों के बीच - जो
अक्सर ही सीिे एक िूसरे के साथ टकराि की ल्स्त्थदत में होती हैं
- दिरोिाभास से समझौता करने का कौशल एक िूसरा कारक
होगा, जो चुनािी सफलता को तय करे गा।

उप्र को ही ले लीदजए।

जैसा दक इस पुस्त्तक में िजच दकया गया है , भाजपा की असली


सफलता उसका अपने सामादजक आिार का दिस्त्तार करने में
सफल रहने में था। यह उसके पुराने जनािार की कीमत पर नहीं
हु आ था। ब्राह्मि और ठाकुर सरीखी सििच जादतयां 2014 और
2017 के चुनािों में पाटी के साथ एकजुट होकर खडी थीं। परं तु
िह इनसे आगे दनकल कर दपछड़े िगों, खासकर, याििों के
प्रभुत्ि से असंतुष्ट समूहों और िदलतों, खासकर, जाटिों के
प्रभुत्ि से आहत ‘नजर नहीं आने िाली जादतयों’ तक पहु ं चने में
कामयाब रही थी।

क्या यह व्यापक गठबंिन दटकाऊ होगा?


dr. dharmendra Singh G
सरकार के संरक्षि, संसािनों, सत्ता तक पहु ं च के दलए ये जादत
समूह एक िूसरे से प्रदतस्त्पिा करते रहते हैं । चूदं क सीदमत
अिसर ही उपलधि हैं , इसदलए कुछ जादतयों के समूह और
जादत समूह के अंिर के कुछ व्यदि अपने दहस्त्से ज्यािा स्त्थान
हदथयाने में कामयाब हो जाते हैं । दिभागीय नीदतयां भी, दजस
तरह से इन पर अमल होता है , अक्सर इसी तरह के खेल का
दशकार हो जाती हैं यानी एक सड़क का दनमाि या दफर
योजनाओं पर कारगर तरीके से अमल इस बात पर दनभचर करता
है दक क्या उस गांि के लोग सत्तारूढ़ िल के समथचक हैं ।
संस्त्थागत कमजोदरयों की िजह से राजनीदतक सत्ता तक पहु ं च
ही अक्सर यह भी तय करती है दक क्या एक जादत दिशेष के
व्यदि की स्त्थानीय थाने में पहु ं च है और क्या थाना उसकी
दशकायतों को महत्ि िे ता है ।

इसी िोषपूिच राजनीदतक शासन के मॉडल ने ही िास्त्ति में


भाजपा के सत्ता में आने का रास्त्ता तैयार दकया। समाजिािी
पाटी और बहु जन समाज पाटी के शासनकाल के िौरान सत्ता
dr. dharmendra Singh G
के िायरे से बेिखल महसूस करने िाली जादतयां ‘सबका साथ,
सबका दिकास’ के मोिी के नारों की िजह से उनके पीछे
एकजुट हो गईं।

परं तु िायिों को पूरा करने के दलए भाजपा के सामने शासन के


समूचे मॉडल को ही नया रूप िे ने की जरूरत है । उसे ऐसी
संरचना का सृजन करना है दजसमें दशकायतकता की जादत पर
ध्यान दिए बगैर ही स्त्थानीय पुदलस अदिकारी उस पर ध्यान िें
और सत्ता के समीकरि में उस जादत की क्या ल्स्त्थदत है । उसे
सक्षमता के आिार पर व्यदियों की प्रमुख पिों पर दनयुदि
करनी होगी न दक इसदलए दक अमुक व्यदि उस जातीय समूह
का है दजसने चुनािों के िौरान भाजपा का समथचन दकया था।
उसे दिकास कायों िाली संस्त्थाओं को इस तरह से रास्त्ते पर
लाना होगा दक उससे पक्षपातपूिच संबर्द्ता के आिार पर नहीं
बल्कक सभी को लाभ दमले।

यह एक बड़ा काम है ।
dr. dharmendra Singh G
और यही िजह थी दक दिरोिाभास अिश्यंभािी हो जाते हैं । उप्र
में अनेक लोगों का मानना है दक योगी आदित्यनाथ सरकार के
पहले सौ दिन की मुख्य बात ‘ठाकुरिाि’ है , यह ठाकुरों की सत्ता
की राजनीदतक और प्रशासन में अपनी ल्स्त्थदत मजबूर करने के
संिभच में है जो योगी की अपनी जादत का समूह है । आंकड़ों से
पता चलता है दक यह पूरी तरह सही नहीं है । हालांदक सच्चाई यह
है दक सििच जादतयों की सत्ता में सबसे अदिक दहस्त्सेिारी हो गई
है । योगी सरकार के सत्ता में सौ दिन के बाि जून, 2017 तक
पुदलस में दनयुदियों के बारे में कराए गए एक सिेक्षि से पता
चला दक पुदलस के 75 दजला अिीक्षकों में 42 सििच जादतयों
के थे। इनमें 20 ब्राह्मि और 13 ठाकुर थे। योगी सरकार के 46
मंदरयों में से 25 सििच जादतयों के थे। सहारनुपर में ठाकुरों और
िदलतों के बीच झड़प हु ई और िदलतों के बीच कड़े शधिों में यही
कहा जा रहा है दक पुदलस ने अब अपना ही आिमी मुख्यमंरी
होने की िजह से ठाकुरों का साथ दिया। दपछड़े समुिायों में
अदिकांश अब यह महसूस करने लगे हैं दक हालांदक उनके मतों
dr. dharmendra Singh G
से ही भाजपा सत्ता में आयी परं तु उन्द्हें अभी तक लाभ में अपना
दहस्त्सा नहीं दमला है ।

व्यापक गठबंिन के आिार पर चुनाि जीतने की अपनी


राजनीदतक चुनौदतयां होती हैं । उत्तर प्रिे श में भाजपा की पहली
प्राथदमकता ‘60 प्रदतशत’ - सििच जादतयों, गैर यािि दपछड़े
और गैर जाटि िदलतों - को एकजुट रखना होगी। उसे उन शेष
40 फीसिी मुल्स्त्लम, याििों और जाटिों को भी संभालना होगा
जो भाजपा के नेतृत्ि में जीतने िाले गठं बिन से बाहर थे, परं तु
िे व्यििान पैिा करके सरकार के समक्ष चुनौदतयां खड़ी करने
िाला ताकतिर सामादजक समूह हैं ।

लेदकन यह दसफच सभी सामादजक समूहों को खुश रखने के बारे


में नहीं है । भाजपा और उसके असली िैचादरक गुरु आरएसएस
की असली परीक्षा तो यह है दक क्या िह भरोसे और सोच में
बिलाि लाने के साथ ही अपने सििच जादत के मूल आिार का
सामंजस्त्य अिीनस्त्थ लोगों की िािेिादरयों के साथ स्त्थादपत कर
सकेगा।
dr. dharmendra Singh G
संघ बिल रहा है । िह जानता है दक हहिू एकता की उसकी
तलाश उस समय तक अिूरी रहे गी जब तक िह यह स्त्िीकार
नहीं कर ले दक हहिू समाज में भेिभाि, असमानता और
िगीकरि रहा है । िह इस दसर्द्ांत को स्त्िीकार करने में सहज
है परं तु िह इसके अंदतम पदरिाम के प्रदत सचेत है और िह है
सामादजक दरश्तों को िजच करने की आिश्यकता। अतः जादत
के सिाल पर संघ का नजदरया न्द्याय के दलए स्त्िीकार करने की
आिश्यकता और दकसी भी तरह की उथल-पुथल से बचने की
आिश्यकता के बीच झूल रहा है । कांग्रेस पाटी की तरह ही
उसका अपना सििच जादत का चदरर, दिशेषकर नेतृत्ि के स्त्तर
पर, स्त्ियं की पैतृक ल्स्त्थदत, ऊपर से नीचे सुिार की िारिा प्रिान
करता है जो अब सशि दपछड़े समुिायों के दलए अरुदचकर है ।

यही िह हचता है जो दबहार चुनाि के िौरान मोहन भागित के


बयान में झलक रही थी। यही िह रिैया है जो भाजपा में
अदिकांश लोगों में व्याप्त है और यही दपछड़े समुिायों और
िदलतों, खासकर आंबेडकरिादियों में पाटी की इस मंशा के प्रदत
dr. dharmendra Singh G
गहरा संिेश पैिा करता है दजसे िे सििच जादतयों की अपना
िचचस्त्ि बनाए रखने की सादजश के रूप में िे खते हैं । दबहार से
भाजपा के एक प्रमुखा नेता स्त्िीकार करते हैं , ‘‘हम अभी भी
दपछड़ों और िदलतों की स्त्िाभादिक पाटी नहीं हैं । अभी दसफच
यही बिला है दक हम उनके दलए अछूत नहीं है । अभी यह
कमजोर है । िे अभी िे ख रहे हैं । और जब तक ‘सबका साथ
सबका दिकास’ जमीनी हकीकत में नहीं बिलता है और जब
तक िे अपने नेताओं के दलए पाटी में सभी स्त्तरों पर महत्िपूिच
स्त्थान नहीं िे खते हैं और जब तक िे हमे सििच जादतयों के
दखलाफ संघषच में अपनी ओर नहीं िे खते हैं , िे हम पर पूरी तरह
दिश्वास नहीं करें ग।े यही हमारे दलए असली परीक्षा है ।’’

यह परीक्षा ही दनिादरत करे गी दक भाजपा एक समेदकत हहिू पाटी


बनेगी या एक दफर दसकुड़ेगी। यही यह भी दनिादरत करे गा दक
क्या भाजपा लगातार चुनाि जीतेगी या िापस दिपक्षी सीटों पर
आ जाएगी जहां उसने अपना अदिकांश राजनीदतक जीिन
गुजारा है ।
dr. dharmendra Singh G
*

चूदकए मत। अपनी हहिू पृष्ठभूदम पर जोर िे ने और साथ ही


मुसलमानों और ‘िमचदनरपेक्ष’ राजनीदतक िलों, जो मुसलमानों
की ही दहमायत करते हैं , के प्रदत असंतोष पैिा करने की प्रदिया
ने भी भाजपा की मिि की। इसी तलाश में पाटी जानबूझ कर
छल-प्रपंच के हथकंडों का इस्त्तेमाल करने की इच्छुक रहती है ।
िह सांप्रिादयक सद्भाि को भंग करने की भी इच्छुक है । यही
नहीं, िह छोटे स्त्तर पर टकराि और यहां तक दक िं गा भड़काने
के दलए भी तैयार है ।

अदिकांश लोग भाजपा को दहस्त्सों में िे खते हैं , ऐसी पाटी जो


दिकास और संपन्नता में दिश्वास करने िाला एक
आिुदनकतािािी संगठन है और एक एक हहिू पुनजागरि पाटी
है जो नफरत की राजनीदत में भरोसा करती है । और िे पहले
िाली िृदष्ट की सराहना करते हु ए आशा करते हैं दक िूसरा रूप
दिलुप्त हो जाएगा या िलील िे ते हैं दक इसी िजह से भाजपा पीछे
रह जाती है ।
dr. dharmendra Singh G
यह एक नकली और गलत बंटिारा है । भाजपा िोनों ही है । िह
एक हहिू पाटी है । इसके नेताओं और समथचकों में मुसलमानों के
प्रदत बहु त गहराई तक असंतोष व्याप्त है । िह राजनीदतक सत्ता
की चाहत में हहिू-मुल्स्त्लम में िूरी बढ़ाने के दलए अपना हमला
तेज करने में भी संकोच नहीं करती है । िह इसमें भी दिश्वास
करती है दक भारत को दिश्व मंच पर महत्िपूिच स्त्थान दिलाने के
दलए बुदनयािी संरचना, दनिेश और आिुदनक अथचव्यिस्त्था भी
जरूरी है ।

इस फामूचले ने उसके दलए बदढ़या काम दकया है । ‘‘2014 के


चुनािों में िोनों ही पहलू थे। उप्र चुनाि में भी, जैसा दक इस
पुस्त्तक में िजच दकया गया है , हहिुत्ि के प्रखर तत्ि के साथ ही
भाजपा ने सभी के दलए दिकास का िायिा भी दकया था।
िास्त्ति में, अक्सर ही ये िोनों पहलू एक िूसरे से जुड़े थे, पाटी
िािा करती थी दक सपा के शासन में मुल्स्त्लम समुिाय को
आिश्यकता से अदिक लाभ पहु ं चाया गया और अब िह
समानता बहाल करे गी।
dr. dharmendra Singh G
परं तु दसफच मुल्स्त्लम दिरोिी राजनीदत अपने आप में अकेले ही
भाजपा को चुनाि दजताने के दलए पयाप्त नहीं है ।

और इसीदलए पाटी का भदिष्ट्य इस बात पर दनभचर करता है दक


िह दकस तरह से हहिुत्ि काडच का उपयोग करती है । उप्र के
मुख्यमंरी पि पर योगी आदित्यनाथ की दनयुदि, कुछ हि तक,
जनािे श के ‘हहिू’ स्त्िरूप और हहिू एकता, जो उसका दहस्त्सा है ,
के प्रदत कृतज्ञता व्यि करती है । गैरकानूनी बूचड़खानों के
दखलाफ कारच िाई हो सकता है दक कानून और पयािरि
दिदनयमनों के िायरे में की गयी हो परं तु यह मुल्स्त्लम समुिाय के
दलए एक संकेत था। और गौ रक्षा के नाम पर 2015 में मोहम्मि
अखलाक की भीड़ द्वारा पीट पीट कर की गयी हत्या से लेकर
2017 में पहलू खान की हत्या तक हमने हहिुत्ि के नाम पर
सबसे अदिक हहसक रूप िे खा है । भाजपा और संघ की अपनी
व्यिस्त्था भले ही इससे िूरी बना ले और इसके दलए हादशए के
तत्िों को दजम्मेिार ठहराए, परं तु इस बात से इन्द्कार नहीं दकया
जा सकता दक राजनीदतक नेतृत्ि इससे पूरी गंभीरता से नहीं
dr. dharmendra Singh G
दनबटा दजससे यह दनष्ट्कषच दनकाला जा रहा है दक उसकी इसे
मौन स्त्िीकृदत है ।

गौ रक्षा की राजनीदत, िास्त्ति में, भाजपा के दलए हहिुत्ि की


राजनीदत में संदलप्तता की ओर ही इशारा करती है ।

पाटी में अदिकांश लोग न तो इस तरह की हत्याओं को लेकर


हचदतत हैं और न ही इसकी आलोचना कर रहे हैं जो आमतौर
पर ऐसी घटनाओं के बाि होती है । उनका मानना है दक यह
हहिुओं को संगदठत करने में पाटी के दलए मिि कर रहा है । पाटी
के नेता कहते हैं , ‘‘हहसा गलत है । परं तु मूल प्रश्न यह है दक क्या
हमें गाय का सम्मान करना चादहए या नहीं? क्या हमें इस िे श के
हहिुओं की भािनाओं का सम्मान करना चादहए या दसफच
अकपसंख्यकों की भािनाओं और अदिकारों का सम्मान होना
चादहए? क्या हहिुओं की भािनाओं को आहत करते हु ए बीफ
के सेिन की अनुमदत िी जानी चादहए?’’

इस दिचारिारा िाले िगच का तकच है दक ये घटनाएं इस मुद्दे पर


अदभप्राय का िुव्रीकरि करती हैं । और जब िुव्रीकरि होता है
dr. dharmendra Singh G
तो यद्यदप इसकी समीक्षा हो सकती है , दफर भी समाज का एक
िगच ऐसा है जो इस मुद्दे पर संगदठत हो जाता है । ‘‘गौ रक्षा हमारा
पुराना एजेण्डा है । परं तु आज, िे श इस बारे में बात कर रहा है ।
आपको हो सकता है दक यह पसंि नहीं हो, परतु सड़कों पर
हहिुओं के दलए यह हहसा नहीं बल्कक गौ रक्षा का मुद्दा है जो
महत्िपूिच है ।’’

लेदकन यह कोई सीिी सुस्त्पष्ट पटकथा नहीं है , और यहां तक दक


संघ-भाजपा की व्यिस्त्था के भीतर भी इस बात को स्त्िीकार
दकया जा रहा है दक इसी तरह की लड़ाई की राजनीदत ही उसे
मंहगी पड़ी है ।

पहली बात भाजपा की राष्ट्रीय महत्िाकांक्षा है ।

भाजपा की 2019 की रिनीदत पूिोत्तर और िदक्षि के राज्यों में


अपनी उपल्स्त्थदत के दिस्त्तार पर दटकी हु ई है । िास्त्ति में, पूिोत्तर
एक एक ऐसा क्षेर है जहां भाजपा ने गौ संरक्षि और बीफ के
सेिन के बारे में कुछ भी नहीं बोला है । िह जानती है दक इस
तरह के उसके दकसी भी किम को इस क्षेर में उत्तर भारतीय
dr. dharmendra Singh G
हहिू आचार दिचार थोपने के रूप में िे खा जायेगा जहां
उपराष्ट्रिाि की भािना बहु त ही बलिती है और यह चुनािी िृदष्ट
से आत्मघाती हो सकती है । परं तु क्या इस क्षेर को िे श के शेष
दहस्त्से में जो कुछ भी हो रहा है उससे अलग रखा जा सकता है ?
उत्तर प्रिे श में भाजपा से जुड़े तत्ि जो कुछ भी कर रहे हैं , उसको
केरल में भाजपा के दिस्त्तार की योजनाओं से, जहां बीफ
महोत्सि का आयोजन होता है , कैसे अलग दकया जा सकता
है ? इस मुद्दे पर मेघालय जैसे राज्यों में भाजपा नेताओं द्वारा पाटी
छोड़ने की घटनाएं हो चुकी हैं ।

िूसरी बात, उसके अपनी ताकत िाले मुख्य इलाकों में, ऐसा
प्रतीत नहीं होता है दक इस तरह की गौ राजनीदत िास्त्ति में
हहिुओं को संगदठत कर रही है । िास्त्ति में, यह 2014 में भाजपा
के साथ जाने िाले शहरी, मध्यम िगीय हहिू मतिाताओं के एक
िगच को उससे िूर कर रही होगी।

मुंबई बैंकरों से लेकर गुरुग्राम के उद्यमी तक सभी मोिी के प्रबल


समथचक हैं । लोगों ने गौ रक्षा के तरीके को अस्त्िीकार दकया है
dr. dharmendra Singh G
और इसे रोकने के दलए भाजपा द्वारा पयाप्त किम नहीं उठाने पर
दनराशा भी जताई है । 2014 के चुनािों के िौरान पाटी का
समथचन करने िाले िदक्षिी पक्ष के टीकाकारों ने भी पाटी के रुख
की दनरं तर आलोचना की है । क्या िे इस तरह की राजनीदत से
असहज महसूस कर रहे थे या उन्द्हें इतना पीछे िकेल दिया गया
था दक भाजपा के दखलाफ हो गए, यह स्त्पष्ट नहीं है । परं तु पाटी
को 2014 के चुनाि में उसे दमले अदिक मतों पर इस तरह की
अदतिािी राजनीदत के पदरिामों पर पैनी दनगाह रखनी होगी।

और तीसरी बात, यह भाजपा के व्यिस्त्था और शासन बहाल


करने िािों को खोखला बना रही है । भीड़ की हहसा, बल पर
राज्य के एकादिकार की बुदनयाि पर चोट कर रही है । यह
असुरक्षा को जन्द्म िे ती है । यह बड़े पैमाने पर अराजकता फैला
सकती है और बड़ी हहसा को जन्द्म िे सकती है ।

दनदित ही, प्रिानमंरी नरे न्द्र मोिी, दजनकी महत्िाकांक्षा एक


िैदश्वक नेता के रूप में पहचाने जाने की है , ऐसा लगता है दक
इस तरह की गौरक्षा के नाम पर हहसा और दहसा के खतरों को
dr. dharmendra Singh G
समझते हैं । जून महीने के अंत में अहमिाबाि में ल्स्त्थत
साबरमती आश्रम में मोिी ने ‘गौ भदि’ के नाम पर इस तरह की
हहसा की सािचजदनक रूप से दनन्द्िा की और कहा दक समाज में
हहसा के दलए कोई जगह नहीं है और उन्द्होंने महात्मा गांिी को,
जो गौ रक्षा में दिश्वास करते थे, यह कहते हु ए उर्द्ृत दकया दक
िह कभी भी इसे स्त्िीकृदत नहीं िे ते।

भाजपा िैचादरक और चुनािी कारिों से हहिू काडच लगातार


खेलती रहे गी। इसके नेता अक्सर िािे करते हैं दक हहिुओं को
संगदठत करना जहां उसका चुनािी हथकण्डा भले है , उसकी
सरकार की रिनीदत सबका साथ, सबका दिकास की ही है । यह
बहस का दिषय है । परं तु एक बात स्त्पष्ट है दक भाजपा की भािी
राजनीदत इस पर दटकी हु ई है दक िह कैसे हहिुत्ि की राजनीदतक
को बढ़ाती है , क्या यह राजनीदत पाटी को ही डुबो िे गी या क्या
पाटी पदरल्स्त्थदतयों, समय और संिभच के अनुसार इसका
इस्त्तेमाल करे गी और क्या यह भाजपा के सही मायने में राष्ट्रीय
dr. dharmendra Singh G
पाटी बनने की उसकी योजना में सहयोगी होगी अथिा उसे
कमजोर बना िे गी।

अंदतम कारक जो भाजपा के भदिष्ट्य का फैसला करे गा उसका


इससे कोई संबंि नहीं है दक उसने क्या दकया और क्या नहीं
दकया। आप हमेशा ही दसफच अपने िम पर चुनाि नहीं जीतते हैं ।
िूसरा पक्ष चुनाि हारता है । और 2014 से ही इसमें कोई संिेह
नहीं है दक भाजपा के उिय में दिपक्ष की ल्स्त्थदत का भी योगिान
रहा है । क्याा कांग्रेस एकजुट होकर काम करने, क्या क्षेरीय
‘िमचदनरपेक्ष’ और ‘समाजिािी न्द्याय’ िाले िल अपनी जमीन
पुनः हादसल करने और क्या गैर भाजपा िल एकजुट होकर यह
दनिचय करने में बड़ी भूदमका दनभाने में सफल होंगे दक मोिी
दकतने समय तक प्रिान मंरी आिास में रहें गे दजसका हाल ही
में नया नामकरि लोक ककयाि मागच, नयी दिल्ली कर दिया गया
है ।
dr. dharmendra Singh G
कांग्रेस में, पदरिार और पाटी के बीच पुराना करार सरल था दक
पदरिार िोट लाएगा और पाटी उसके प्रदत िफािार बनी रहे गी।
पदरिार अब मतिाताओं को आकर्णषत करने में सक्षम नहीं है
परं तु कांग्रेस अभी भी दटकी हु ई है । पदरिार के एक सिस्त्य के
शीषच पर कादबज रहे बगैर यह एकीकृत पाटी नहीं रह सकती
क्योंदक िूसरे नंबर के दकसी भी नेता को अन्द्य कोई नेता पाटी
के बॉस के रूप में स्त्िीकायच नहीं होगा। और इसीदलए उसे
इंतजार है दक एक न एक दिन राहु ल गांिी इसकी कमान लेकर
पदरिाम दिलाएंग।े ऐसा कुछ होने के कोई संकेत नहीं हैं ।

क्षेरीय िल दजन्द्होंने िमचदनरपेक्षता और सामादजक न्द्याय के नाम


पर चुनाि लड़ा था, लगातार भाजपा के िबाि में हैं । और इसी
िजह से पाटी यह कहानी गढ़ने में सफल रही है दक
िमचदनरपेक्षता का मतलब ही अकपसंख्यकों को बढ़ािा िे ने और
सामादजक न्द्याय का तात्पयच एक या िो दपछड़ी जादतयों को िूसरी
जादतयों की कीमत पर सत्ता सौंपना है । भले ही यह उदचत या
प्रासंदगक नहीं हो परं तु दनदित रूप से ये इन गठबंिनों पर खुि
dr. dharmendra Singh G
पर नये दसरे से आत्मदनरीक्षि करने के दलए िबाि तो बनाती
हैं । जब तक िे ऐसा करने में सफल नहीं होंगे, िे भाजपा के
दनशाने पर रहें ग।े

और अंततः, भाजपा को हटाने और उसके भदिष्ट्य का दनिारि


दिपक्षी एकता के इंडेक्स पर दनभचर करे गा।

दबहार में, नीतीश कुमार-लालू प्रसाि-कांग्रेस के महागठबंिन ने


काम दकया और भाजपा मतों में सम्मानजनक दहस्त्सा प्राप्त करने
के बािजूि इस गदित को मात नहीं िे सकी जब चतुकोिीय
चुनाि में तीन अन्द्य िलों ने दमलकर चुनाि लड़ा। उत्तर प्रिे श
में, अदखलेश यािि और राहु ल गांिी का गठबंिन था परं तु यह
महागठबंिन नहीं था। मायािती, दजनके पास 20 प्रदतशत िोट
थे, गठबंिन से बाहर ही थीं। भाजपा दिरोिी मत बंट गये और
मोिी सहजता से दिजय की ओर बढ़ गये।

पहला, एक बार दफर सभी िलों को एकजुट करने के प्रयास


दकए जा रहे हैं । नीतीश कुमार के पाला बिल कर राजग में जाने
से इन योजनाओं को करारा झटका लगा है । परं तु अन्द्य के दलए
dr. dharmendra Singh G
राजनीदत में बने रहने की लालसा उन्द्हें एकजुट दकए हु ए है । ये
राजनीदतक िल जानते हैं दक अलग अलग रहकर िे मोिी के
दिजय रथ को नहीं रोक पाएंगे, इसदलए सामूदहक कारच िाई ही
उनकी उम्मीि का सहारा है । दनदित ही यह भाजपा के दलए एक
कड़ी चुनौती पेश करे गा।

हालांदक, एकजुट दिपक्ष को भी चार चुनौदतयों से रूबरू होना


पड़ेगा। पहली तो यह दक नेतृत्ि को लेकर इनमें कोई आम
सहमदत नहीं है । क्या राहु ल गांिी दकसी क्षेरीय नेता का नेतृत्ि
स्त्िीकार करें गे? क्या ममता बनजी जैसी ताकतिर क्षेरीय नेता
राहु ल गांिी को स्त्िीकार करें गी? राष्ट्रपदत पि जैसे चुनाि की
तरह, खासकर नरे न्द्र मोिी के दखलाफ, पहले ही एक सिचमान्द्य
चेहरा खोजना जरूरी है । परं तु इस मुद्दे पर दकसी भी तरह की
एकराय बनाना ऐसे दकसी भी गठबंिन के दलए सबसे बड़ी
चुनौती है और हां, यह इसके अल्स्त्तत्ि में आने से पहले ही ढहने
का संकेत भी हो सकता है ।
dr. dharmendra Singh G
िूसरा, इस दिपक्षी गठबंिन के पास एक भरोसेमंि मकसि का
होना आिश्यक है । यदि ‘मोिी हटाओ’ ही एकमार संिेश हो
और िे एकसाथ बंिे रहें तो उनके सामने चुनौती है । मोिी इसे
ठीक उसी तरह पेश करें गे जैसे इल्न्द्िरा गांिी ने दकया था। िह
इसे भारत से गरीबी हटाने और दिकास के दलए प्रदतबर्द् व्यदि
और छोटे , इिर उिर दबखरी और हताश िलों के गठबंिन के
बीच संघषच के रूप में पेश करें गे जो दसफच उनके दखलाफ नफरत
फैलाने के दलए एकजुट हु ए हैं ।

तीसरा, एक महागठबंिन अपने आप में सफलता की गारं टी नहीं


है । सभी नागदरकों के पास सािन होते हैं । प्रत्येक व्यदि स्त्ितंर
रूप से अपने मत के बारे में दनिचय लेता है । और यहां तक दक
पूरा समुिाय ही नहीं बल्कक पदरिार के सिस्त्य भी एकसाथ मत
नहीं िे ते हैं । इसका तात्पयच यह हु आ दक मतों का दमलना अब
आसान नहीं है । कोई भी गठबंिन उन्द्हीं पदरल्स्त्थदतयों में जीतेगा
यदि उसके दिश्वसनीय संिेश, जमीनी स्त्तर पर संगठनात्मक
dr. dharmendra Singh G
सामन्द्जस्त्य और स्त्िादभिक दहत दमलते हों। शीषच स्त्तर से
फरमान काम नहीं करता है ।

और अंत में, यह इस समस्त्या को हल नहीं करता दक दद्वपक्षीय


ल्स्त्थदत में, जहां भाजपा की सीिे कांग्रेस से प्रदतस्त्पिा है और
उसने बहु त ही शानिार प्रिशचन दकया है । कांग्रेस राजस्त्थान,
गुजरात और मध्य प्रिे श राज्यों में दपछले लोक सभा चुनािों में
बुरी तरह परादजत हो गई। दिपक्षी एकता इन राज्यों में कांग्रेस
को पुनजीदित नहीं कर सकती है । और इसदलए, दिपक्ष एक
बार दफर दकस तरह अच्छा करता है यह इस बात पर दनभचर
करता है दक कांग्रेस प्रिशचन कैसा करती है और यही भाजपा के
भदिष्ट्य का दनिारि करे गी।

भारतीय लोकतंर में भारतीय जनता पाटी का उत्थान


पदरितचनकारी की तरह हु आ है । यह ताकतिर बनी रह सकती
है , यह िचचस्त्िशाली भी हो सकती है या दफर यह उतनी ही तेजी
से नीचे आ सकती है , दजस तरह से उसका उत्थान हु आ। परं तु
dr. dharmendra Singh G
दमली जुली रिनीदतयों के माध्यम से पाटी ने भारत में
राजनीदतक मुकाबले के स्त्िरूप को ही बिल दिया है और िह
यह पुनपचदरभादषत करने की राह पर है दक भारतीयता का मतलब
क्या होता है ।

अब यह स्त्पष्ट हो गया है दक भाजपा ने सत्ता कैसे प्राप्त की। परं तु


चुनाि जीतना शासन करने से आसान है । भारतीय जनता पाटी
द्वारा इतनी मेहतन से हादसल की गयी राजनीदतक ताकत के
इस्त्तेमाल का तरीका ही यह दनिादरत करे गी दक क्या नरे न्द्र का
‘नए भारत’ का सपना पूरा हु आ।

नोट्स

. ‘बीजेपीज 2014 रीसजेन्द्स’, प्रिीप दछधबर ओैर राहु ल िमा,


इलेक्टोरल पॉदलदटक्स इन इंदडयाः रीसजेन्द्स ऑफ ि भारतीय
जनता पाटी, सुहास पकशीकर, संजय कुमार और संजय लोढ़ा
द्वारा संपादित: राउटलेज, 2017।
. आईदबड।
dr. dharmendra Singh G
. ‘हर हर टु अरहर मोिी: ए िाइ इन फीफ ऑफ लालू क्लान’,
शंकषचि ठाकुर, टे लीग्राफ, 26 अिूबर, 2015।
. ‘टु सेक्योर 2019....मोिी टागे्स रूरल इकोनॉमी’, सुभरा
चटजी, हहिुस्त्तान टाइम्स, पांच मई, 2017।
. ‘दिल योगी आदित्यनाथ माचच टू बीजेपीज़ बीट ऑफ क्लास बेस्त्ड
पोदलदटकल इनसेक्युदरटी?’ प्रिब ढल सुमंत, इकोनॉदमक
टाइम्स, 21 माचच, 2017।
. ‘हाउ ि दरस्त्क टे हकग अदमत शाह िेन्द्ट फॉर ब्रोक इन महाराष्ट्र’,
शीला भट्ट, www.rediff.com, 16 अिूबर, 2014।
. ‘हाउ मोिी है ज चैन्द्ज्ड बीजेपीज गेम टु दिन दबग’, स्त्िपन
िासगुप्ता, www.rediff.com, 21 अिूबर, 2014।
. ‘ि न्द्यू नाइन िोर बीजेपी’, संजय हसह, फस्त्टच पोस्त्ट, िो अप्रैल,
2015।
. ‘फेयरिेल टु मराठा पॉदलदटक्स’, सुेुहास पकसीकर,
इकोनॉदमक एण्ड पोदलदटकल िीकली, 18 अिूबर, 2014।
dr. dharmendra Singh G
0. ई श्रीिरन, ‘दमदडल क्लास िो्स फॉर बीजेपी’, इलेक्टोरल
पॉदलदटक्स इन इंदडयाः रीसजेन्द्स ऑफ ि भारतीय जनता पाटी,
सुहास पकशीकर, संजय कुमार और संजय लोढा द्वारा संपादित:
राउटलेज, 2017।
नो्स

1 ‘बीजेपीज 2014 रीसजचन्द्स’, प्रिीप दछधबर ओैर राहु ल िमा,


‘इलेक्टे रल पालदटक्स इन इंदडयाः रीसजचन्द्स आफ ि भारतीय
जनता पाटी, सुहास पकशीकर, संजय कुमार और संजय लोढा
द्वारा संपादित: राउटलेज, 2017ेः

2 आईदबड

3 ‘हर हर टु अरहर मोिी’ेः ‘ए िाइ इन फीफ आफ लालू


क्लैन’, शंकरषन ठाकुर, टे लीग्राफ, 26 अिूबर, 2015

4 ‘टु सेक्योर 2019....मोिी टागच्स रूलर इकोनामी’, सुभरा


चटजी, दहन्द्िस्त्ु तान टाइम्स, पांच मई, 2017
dr. dharmendra Singh G
5 ‘दिल योगी आदित्यनाथ माचच टु बीजेपीज बीट आफ क्लास
बेस्त्ड पालदटकल इनसेक्युदरटी?’ प्रिब ढल सुमंत, इकोनादमक
टाइम्स, 21 माचच, 2017

6 ‘हाउ ि दरस्त्क टे हकग अदमत शाह िेन्द्ट फार ब्रोक इन


महाराष्ट््’, शीला भट्ट, ेूेूेूण्तमकदपदेण्बिउए 16
अिूबर, 2014

7 ‘हाउ मोिी है ज चैन्द्ज्ड बीजेपीज गेम टु दिन दबग’, स्त्िपन


िासगुप्ता, ेूेूेूण्िकजअण्बिउए 21 अिूबर, 2014

8 ‘ि न्द्यू नाइन िोर बीजेपी’, संजय हसह, फस्त््टपोस्त्ट, िो अप्रैल,


2015

9 ‘फेयरिेल टु मराठा पालदटक्स’, सुेुहास पकसीकर,


इकोनादमक एण्ड पालदटकल िीकली, 18 अिूबर, 2014

10 ई श्रीिरन, ‘चैप्टर टाइटल’, ‘इलेक्टे रल पालदटक्स इन


इंदडयाः रीसजचन्द्स आफ ि भारतीय जनता पाटी, सुहास
dr. dharmendra Singh G
पकशीकर, संजय कुमार और संजय लोढा द्वारा संपादित:
राउटलेज, 2017

आभार

आभार दचकी सरकार - पुस्त्तक की रूपरे खा तैयार करने के


दलए, मुझे केंदरत प्रश्न िे ने, और उनके दनमचम तथा तीक्ष्ि
संपािकीय हस्त्तक्षेप के दलए, दजसने इस पुस्त्तक को िह बना
दिया जो यह है । जयश्री राम मोहन – बहु त ही साििानीपूिचक
कॉपी संपािन और अंदतम चरि तक इसे िे खने के दलए। बॉबी
घोष, राजेश महापारा, रूबेन बनजी – हहिुस्त्तान टाइम्स में मेरे
संपािक, मुझे चुनाि मैिान से राजनीदत को िजच करने की खुली
छूट िे ने और इस पुस्त्तक में शादमल अदिकांश दरपोटों के दलए
संस्त्थागत जगह उपलधि कराने के दलए। दनक िािेस और
संजय नारायि – मुझे हहिुस्त्तान टाइम्स में लाने और परं परागत
िायरे से बाहर जाकर मुझे अपनी परकादरता करने की अनुमदत
िे ने के दलए। दसर्द्ाथच िरिराजन और एम. के. िेिु – ि हहिू में
dr. dharmendra Singh G
संघ, उप्र और दबहार पर लेख दलखने की दजम्मेिारी िे ने के दलए
दजन्द्होंने इस यारा का शुभारं भ दकया। समूचे फलक पर िजचनों
राजनीदतकों, और कायचकताओं को, इनमें से कुछ को पुस्त्तक में
उर्द्ृत दकया गया है , इनमें से अदिकांश गुमनाम हैं , चुनाि के
व्यस्त्त कायचिम के बीच समय दनकालने और अपने अनुभि
साझा करने के दलए। अनुपम दमश्रा, सुिाकर यािि, सतीश
प्रकाश – उप्र में राजनीदत और समाज के दिदभन्न आयामों से
मेरा पदरचय कराने के दलए। चंरमोहन – अपनी यूटी से आगे
जाकर उप्र में भाजपा में मेरा मागचिशचन करने में मिि के दलए।
मेरठ में एस.राजू, बरे ली में चंिन कुमार और सुहैल खान,
गोरखपुर में मनोज कुमार हसह, िरभंगा में प्रमोि गुप्ता और
पूर्णिया में आदित्य नाथ झा, मैिानी स्त्तर पर अपनी िक्षता और
संपकच साझा करने के दलए। बेदतया में अभय मोहन, गमचजोशी
से मेजबानी करने, उत्कृष्ट गाइ और िे र रात के साथ के दलए।
दिश्वनाथ पाण्डे और गौरि दतिारी – बीएचयू में अपने बसेरे
से पूरा ज्ञान िे ने के दलए। प्रिीप फिजोबाम – मदिपुर की
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जदटलता से भरी राजनीदत में मेरा मागच िशचन करने के दलए। ि
इंदडया फाउण्डेशन टीम – सही मायने में लोकतांदरक होने और
मेरे जैसे बाहरी व्यदि के दलए िैकल्कपक इकोदसस्त्टम खोलने के
दलए। प्रताप भानु मेहता – भारत के सबसे बुदर्द्मान और
साहसी सािचजदनक बुदर्द्जीिी, बहु त ही भरोसे िाले दशक्षक,
उनकी दमरता तथा उिारता के दलए। िे िेश कपूर – यूदनिर्णसटी
ऑफ पेल्न्द्सलिादनया में िो महीने से अदिक समय तक उनके
संरक्षि के दलए दजसने मुझे भारतीय राजनीदत के बारे में नए
तरीके से सोचने की राह दिखाई, उसी समय से उनके संपूिच
पांदडत्य, स्नेह और दिश्वास तथा दलदखत दलदप की बड़ी कदमयों
को िूर करने में मिि के दलए। मािि खोसला – एक
असािारि उिार दमर, और अदिक पदरमाि में रचना के दलए
लगातार प्रेदरत करने, स्त्ियं अपना व्याख्यान दलखते हु ए ही
प्रारं दभक मसौिे को पढ़ने, पुस्त्तक के नाम के चयन में मिि और
लेखन तथा प्रकाशन की प्रदिया के िौरान हर किम पर सलाह
िे ने के दलए। दमलन िैष्ट्िि - उप्र चुनाि के िौरान हर सप्ताह
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मुझे डीएम नाम के दट्वटर के माध्यम से मुझे बताना, यह पुस्त्तक
के दलए समय था और साििानीपूिचक इसके मसौिे को पढ़ना
और पन्ना िर पन्ना दिस्त्तार से दटप्पिी करने के दलए। शदि
दसन्द्हा - कई सालों में भाजपा में हु ए बिलाि के बारे में अपने
दिश्लेषि, जादत के बारे में उनका ज्ञान, और संजो कर रखी गयी
जानकादरयों के संग्रहालय तीनमूर्णत से मुझे रूबरू कराने के
दलए। शंकषचि ठाकुर- उत्तर भारत में राजनीदतक खबरों के
संकलन की कला से मुझे अिगत कराने के दलए। दशिम दिज
– उप्र और भारतीय राजनीदत के दछरान्द्िेषि में मेरे साझीिार,
चुनाि अदभयान के िौरान कुछ दहस्त्सों की यारा में मेरे साथी
और उस बड़े सिाल के बारे में हचता साझा करने के दलए दजसे
चुनाि के िौरान दरपोटच र पूछते हैं ः कौन जीतने जा रहा है । कुमार
उत्तम – दनःसंिेह शहर में भाजपा बीट के सिचश्रेष्ठ संिाििाता।
उनकी जानकारी, पुस्त्तक का मसौिा पढ़ने और शदमिंिा करने
िाली तुदटयों से मुझे बचाने के दलए। एजाज अशरफ, प्रिीप
मैगजीन, नीलांजन सरकार – ज्ञान िर्द्च क िातालाप के दलए।
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आमीष मुकमी – पुस्त्तक की अििारिा से लेकर इसके अंदतम
संपािन तक हर किम पर दनरं तर आगाह करने, बार बार बन
रहे ड्राफ्ट को पढ़ने, उनकी तीक्ष्ि, अनुभिी जानकारी, और नाथच
कैम्पस से नेपाल और दिल्ली के प्रकाशकों के गदलयारे में दबताये
गये सालों के दलए। आदित्य अदिकारी – अंदतम व्यदि दजनके
साथ मैंने इस पुस्त्तक पर चचा की, एक बुदर्द्जीिी व्यदि और
भी इससे अदिक बहु त कुछ। थॉमस मैथ्यू – मुझे अपनी अगली
पदरयोजना के दलए प्रोत्सादहत करने और फासले के दिचार से
पदरचय कराने के दलए। भास्त्कर गौतम – आलोचनात्मक
फासले के सुझाि और एक असंबर्द् पाठक के रूप में हस्त्तक्षेप
के दलए। काठमांडो और मिेस के समूह – राकेश दमश्रा, तुला
नारायि साह, िीपेन्द्र झा, दिजय कांत किच, खगेन्द्र संगरौला,
उज्ज्िल प्रसाई, अनुभि अजीत, कदशश िास सुरेन्द्र, सुबेल
बहािुर, अनंग नीलकंठन और अमरे श हसह मुझे जमीन से जुड़ा
रखने के दलए। दिजय कुमार पाण्डेय – उनके स्नेह के दलए,
अशोक गुरूंग- उनके प्रोत्साहन के दलए, और सी के लाल,
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हमेशा उनकी बुदर्द्मत्ता के दलए। जयंत प्रसाि, रं जीत राय,
दिनय कुमार, जािेि अशरफ, अभय ठाकुर, शंभू कुमारन,
जयिीप मजूमिार और अंशुमन गौड़ – उनके सौहािच , और
लंबी िाताओं के दलए दजसने राजनीदत, उनके िे श और मेरे
अपने िे श के बारे में गहराई से जानकारी िी। यश गांिी –
उनकी दमरता और दिश्वास और उनके पदरहास के दलए।
ज्योत्सना और अनुज अग्रिाल – लखनऊ में पदरिार की तरह।
गौरि कपूर – गमचजोशी िाले शहर िारािसी में सबसे जोशभरे
मेजबान के दलए, अशोक कपूर – 2014 के चुनाि में उनके
मागच िशचन के दलए। फरे हा अहमि खान - सभी मनोरं जन और
मेरी पत्नी की दकसी भी अन्द्य से कहीं बेहतर तरीके से िे खभाल
के दलए। मोयुख चटजी – करीब 20 साल के दरश्तों, दिल्ली से
पूिी उप्र की सडक मागच से यारा, इलाहाबाि में मेरा ध्यान रखने
और पुस्त्तक का शुरूआती मसौिा पढ़ने के दलए। और अब
दनदखल के दलए। ए-32 सुदििा – खासकर संबुिा और दप्रयंका
ित्त और समर नारायि – उन शामों के दलए जब कोने में
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लैपटाप में व्यस्त्त एक व्यदि को सहने के दलए। श्रेयांश और
श्लोक – खुशी होने और भदिष्ट्य होने के दलए। छाया और
परीदक्षत झा - उनकी िे खभाल करने, मेरी अनुपल्स्त्थदत को क्षमा
करने और हमेशा उनके पास रहने के दलए। पदरमल झा – हमारे
दलए हर दिन हर क्षि जुझारू बने रहने के दलए। रूही दतिारी -
मेरा सहारा बनने, मेरी लंबी अनुपल्स्त्थदत को बिाश्त करने,
एकांत में लेखन के िौर, और मूड में तेजी से होने िाले बिलाि
तथा प्यार के दलए। और हां, राजनीदतक सहज ज्ञान के दलए जो
मुझसे भी कहीं ज्यािा है । नानीमा, मिुरानी झा – उनके साहस,
हजिगी के प्रदत उनके उत्साह, िार्णषक काठमांडु याराओं और
पटपड़गंज के सालों, उनके आशीिाि और हां हड्रक्स के दलए।
और तात्ता, डॉ. जोगेन्द्र झा - जब 1942 में बीएचयू में एक सुबह
अपना घर बनाने िाले उनके पदरिार की सफलता को मैंने िजच
दकया तो अतीत में झांकने और मुस्त्कुरा कर यह िे खने के दलए
दक हजिगी दकस तरह पूरा चक्कर लगाती है ।

अनु वाद
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अनूप कुमार भटनागर तीन िशकों से भी अदिक समय से
कायचरत िदरष्ठ परकार हैं । इस समय िह पीटीआई भाषा के साथ
जुड़े हु ए हैं । इससे पहले दहन्द्िस्त्ु तान और नई िुदनया समाचार पर
में महत्िपूिच पि पर काम कर चुके हैं । िह िो पु स्त्तकों का
अनुिाि कर चुके हैं ।

ABOUT THE AUTHOR

Prashant Jha

Prashant Jha is a journalist with the HINDUSTAN


TIMES and the acclaimed author of BATTLES OF
THE NEW REPUBLIC: A CONTEMPORARY
HISTORY OF NEPAL

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