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Tution Ka Maza
Tution Ka Maza
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मेर न म अननल है । मेरी दीदी लीन मझ
ु से एक स ल बड़ी है । यह तब की कह नी है जब हम एच॰एस॰सी॰ के
पहले स ल में य ने ग्य रहवीां में थे। मैं अठ रह स ल क थ । क यदे से तब तक हमें ब रहवीां प स कर लेनी थी,
और दीदी मझ ु से आगे की क्ल स में य ने क लेज में होन च हहये थी। पर हम दोनों की पढ़ ई लेट शरूु हुई थी,
वह ां हम रे जर से छोटे शहर में , जो करीब-करीब एक बड़े ग ांव स ही थ , ककसी को हमें स्कूल में ड लने की
जल्दी नहीां थी और इसललये हम दोनों को एक ही क्ल स में एक स थ भरती कर य गय थ ।
लीन असल में मेरी एक दरू की मौसी की बेटी है, इसललये ररश्ते में मेरी मौसेरी बहन सी है । बचपन से रहती
हम रे यह ां ही थी क्योंकी मौसी जजस ग ांव में रहती थी वह ां स्कूल तो नहीां के बर बर थ । मैं उसे दीदी कहत
थ । आठवीां प स करने के ब द पढ़ ई के ललये हमें शहर में मेरी न नी के यह ां भेज हदय गय । न नी वह ां उस
वक्त अकेली थी क्योंकी न न जी की मत्ृ यु हो चक
ु ी थी और न नी क बेट , य ने मेर म म अपने पररव र के
स थ कुछ स ल को दब
ु ई चल गय थ ।
दसवीां प स करने के ब द हम दोनों उसी स्कूल के जूननयर क लेज में पढ़ने लगे। वह ां एक पनत पत्नी पढ़ ते थे,
चौधरी सर और मैडम। वैसे वे स्कूल में टीचर थे पर स थ-स थ क लेज में भी लेक्चर लेते थे। वे ट्यश
ू न लेते थे
पर गगने चुने स्टूडेंट्स की। वे पढ़ ते अच्छ थे और उनकी पसिन ललटी भी एकदम मस्त थी, इसललये क लेज में
बड़े प पल
ु र थे।
पहले ट्यश
ू न लेने में वे आन क नी कर रहे थे। मैडम न नी से बोलीां- “हम बस स्कूल के बच्चों की ट्यश
ू न लेते
हैं। असल में हम जर सख्त हैं, डडलसजललन रखते हैं, छोटे बच्चे तो चुपच प ड ांट डपट सह लेते हैं, ये दोनों अब
बड़े हैं तो इन्हें श यद ये पसांद न आये। क्योंकी वही सख्ती हम सब स्टूडेंट्स के स थ बरतें गे भले वे स्कूल के हों
य क लेज के…”
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हम दोनों क हदल बैठ गय क्योंकी हम दोनों उस सद
ांु र पनत पत्नी के जोड़े से इतने इम्प्रेस हो गये थे कक ककसी
भी ह लत में उनकी ट्यश
ू न लग न च हते थे। न नी ने भी उनसे लमन्नत की, बोलीां कक- “कोई ब त नहीां, आपको
जजस तरीके से पढ़ न हो, वैसे पढ़ इये, इन्हें पीट भी हदय कीजजये अगर जरूरत हो…” न नी ने हम री ओर दे ख ।
मैं बोल - “मैडम, ललीज़… हम कोई बदम शी नहीां करें ग।े आप सज दें गी तो वो भी सह लें गे…”
पढ़ने के ललये हम उनके यह ां घर में ज ते थे, जो प स ही थ , बस बीस लमनट चलने के अांतर पर। धीरे -धीरे हमें
समझ में आय कक सर और मैडम ककतने सख्त थे। हम जूननयर क लेज में हों य न हों, सर और मैडम को
िरक नहीां पड़त थ । वे हमसे वैसे ही पेश आते थे जैसे स्कूल के बच्चों के स थ। मैं मझले कद क थ और
लीन दीदी भी दब
ु ली पतली थी। ब ललग होने के ब वजद
ू हम दोनों हदखने में जर छोटे ही लगते थे इसललये सर
और मैडम हमें बच्चे समझकर ही पढ़ ते और ‘बच्चों’ कहकर बल
ु ते थे। कभी-कभी क न पकड़कर पीठ पर एक ध
घस
ांू भी लग दे ते थे, पर हम बरु नहीां म नते थे, क्योंकी उस जम ने में टीचरों क स्टूडेंट पर ह थ उठ न आम
ब त थी, कोई बरु नहीां म नत थ ।
लीन और मैं, हम दोनों बहुत करीब थे, सगे भ ई बहन जैसे इसललये मझु े दीदी के स थ जर भी खझझक नहीां
होती थी। जव नी चढ़ने के स थ लीन दीदी भी मझ ु े बहुत अच्छी लगती थी। उसे दे खकर अब उससे गचपकने क
मन होत थ । मैडम तो पहले से ही मझ ु े बहुत अच्छी लगती थीां। नयी-नयी जव नी थी इसललये र त को उन
दोनों के ब रे में सोचते हुए लण्ड खड़ हो ज त थ ।
अब मैं दीदी से भी छे ड़-छ ड़ करत थ । जब उसक ध्य न नहीां होत थ तब उसे अच नक हौले से ककस करत
और कभी मम्प्मे भी दब दे त । दीदी कभी-कभी िटक र दे ती थी पर बहुत करके कुछ नहीां बोलती और मेरी
हरकत नजरां द ज कर दे ती, श यद उसे भी अच्छ लगत थ । एक दो ब र र त को ठां ड ज्य द होने के बह ने से
उसकी रज ई में घस
ु कर मैंने दीदी से गचपटने की भी कोलशश की पर दीदी इतने आगे ज ने को तैय र नहीां थी,
मझ
ु े ड ांट कर भग दे ती थी। कभी तम च भी जड़ दे ती।
पर वैसे लीन दीदी च लू थी, उसके रनत मेर तीव्र आकर्िण उसे अच्छ लगत थ , इसललये जह ां वो मझ
ु े हथ
भर दरू अलग रखती थी, वहीां ज नबझ
ू कर ररझ ती भी थी। अन्दर कुरसी में पढ़ने बैठती तो एक ट ांग दस
ू री पर
रख लेती जजससे उसकी स्कटि ऊपर चढ़ ज ती और उसके दब
ु ले पतले गचकने पैर मझ
ु पर कय मत सी ढ दे त।े
अपनी सिेद रां ग की रबर की स्लीपर उां गली पर नच ती रहती। कभी ज नबझ
ू कर सबसे तांग परु ने ट प घर में
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पहनती जजससे उसके ट प में से उसके जर -जर से पर एकदम सख्त उरोज उभरकर मझ
ु े अपनी छट हदख ते।
एक दो ब र मैंने उसकी ट्रे ननांग ब्र और पैंटी उसकी अलम री से चरु कर उसमें मठ्
ु ठ म री। वैसे ब द में धोकर रख
दी पर उसे पत चल गय , उसने उस हदन मझ
ु े ज ांघ में अपने बड़े न खूनों से इतनी जोर से चट
ूां ी क टी कक मैं
बबलबबल उठ ।
चूांटी क टते वक्त मेरी ओर दे ख रही थी म नों कह रही हो कक ये तो बस ज ांघ में क टी है , ज्य द करे ग तो कहीां
भी क ट सकती हूूँ। उसके ब द ऐस करने की मेरी हहम्प्मत नहीां हुई। पर लगत है कक ब द में दीदी को मझ ु पर
तरस आ गय । एक हदन मझ ु े बोली कक अननल, इस लल जस्टक के बैग में मैंने अपने परु ने कपड़े रखे हैं, वो नीचे
ज कर न नी ने जो झोल बन य है बह
ु रन को कपड़े दे ने के ललये उसमें ड ल दे , अपने भी परु ने कपड़े ले ज ।
मैंने ज ते-ज ते उस बैग में दे ख , दीदी के कपड़े और मैं उनमें ह थ न ड ल।ांू दीदी की सलव र कमीज़ के नीचे
एक पैंटी और ब्र भी थी। परु नी नहीां लग रही थी, बजल्क वही व ली थी जजसमें मैंने मठ्
ु ठ म री थी।
मैंने चुपच प उसे ननक लकर अपनी अलम री में छुप ललय ।
मैंने ह ूँ कह और नजर चुर ली। किर कनखखयों से दे ख तो दीदी मन ही मन मश्ु कुर रही थी। ब द में उस पैंटी
और ब्र में मैंने इतनी मठ्
ु ठ म री कक हहस ब नहीां। हस्तमैथन
ु करत थ और दीदी को दआ
ु दे त थ । कहने क
त त्पयि ये कक मझ
ु में और दीदी में आपसी आकर्िण िट िट बढ़ रह थ , पर अभी सीम को ल ांघ नहीां थ । और
जैस आकर्िण मझ ु े लीन दीदी की ओर लगत थ , और श यद उसे थोड़ बहुत मेरी ओर लगत हो, उससे ज्य द
हम दोनों को सर और मैडम की तरि लगत ।
पहले हम इसके ब रे में ब त नहीां करते थे पर एक हदन आखखर हहम्प्मत करके मैंने दीदी से कह - “दीदी, मैडम
ककतनी सद
ुां र हैं न … किल्म में हीरोइन बनने ल यक हैं…”
“पर कैसे दे खत है मझ
ु े म लम
ू है । अब कोई बदम शी नहीां करन नहीां तो सर म रें गे…”
“तझ
ु े भी तो सर अच्छे लगते हैं दीदी, झूठ मत बोल। कैसे दे ख रही थी कल उनको जब वे अांदर के कमरे में शटि
बदल रहे थे। दरव जे में से मड़ ु -मड़
ु कर दे ख रही थी अांदर, अच्छ हुआ मैडम तब हम री नोटबक
ु जच
ां रही थीां
और उन्होंने दे ख नहीां, नहीां तो तेरी तो श मत आ ही गई थी…”
दीदी झेंप गई किर बोली- “और तू कैसे घरू त है मैडम को। कल उनक पल्लू गगर थ तो कैसे टकटकी लग कर
दे ख रह थ उनकी छ ती को। तझ
ु े अकल नहीां है क्य ? उन्होंने दे ख ललय तो?”
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दीदी बोली- “कौन सी जोड़ी की ब त कर रह है …”
दीदी मूँह
ु छुप कर हूँसने लगी। वो भी इन ब तों में कोई कम नहीां है ।
“दीदी, मैडम को बोलकर दे खें कक वे हमें बहुत अच्छी लगती हैं… श यद कुछ जुग ड़ हो ज ये, एक दो लय र के
चुम्प्मे ही लमल ज यें। मझ
ु े लगत है कक उनको भी हम अच्छे लगते हैं। कल नहीां कैसे चम
ू ललय थ हम दोनों
के ग ल को उन्होंने, जब टे स्ट में अच्छे म कि लमले थे…”
“चल हट शर रती कहीां क । कुछ मत कर नहीां तो म र पड़ेगी ि लतू में । वैसे तो आज सर ने भी मेरे ब ल सहल
हदये थे और मेरी पीठ पर चपत म रके मझ
ु े श ब शी दी थी जब मैंने वो सव ल ठीक से हल ककय थ …” दीदी
बोली। वैसे उसे भी सर और मैडम बहुत अच्छे लगते थे ये मझ
ु े म लम
ू थ । पपछली ब र वह चुपच प उनके
एल्बम में से उन दोनों क एक फ़ोटो ननक ल ल ई थी और अपने तककये के नीचे रखती थी।
इस ब त के दो तीन हदन ब द हम जब एक हदन पढ़ने पहुूँचे तो चौधरी सर ब हर गये थे। मैडम अकेली थीां।
आज वे बहुत खब ू सरू त लग रही थीां। उन्होंने लो कट स्लीवलेश ब्ल उज़ पहन रख थ और स ड़ी भी बड़ी अच्छी
थी, हल्के नीले रां ग की। पढ़ ते समय उनक पल्लू गगर तो उन्होंने उसे ठीक भी नहीां ककय , हमें एक नय सव ल
कर ने में वे इतनी व्यस्त थीां। ब्ल उज़ में से उनके स्तनों क ऊपरी हहस्स हदख रह थ । मैं ब र-ब र नजर
बच कर दे ख रह थ , एक ब र दीदी की ओर दे ख तो उसकी ननग ह भी वहीां लगी थी।
ब द में मैडम को ध्य न आय तो उन्होंने पल्लू ठीक ककय पर एक ही लमनट में वो किर से गगर गय । इस ब र
मैडम ने नीचे दे ख पर उसे वैस ही रहने ही हदय । उसके ब द मैडम हमें कनखखयों से दे खतीां और अपनी ओर
घरू त दे खकर मश्ु कुर दे ती थीां। मेर लण्ड खड़ होने लग । दीदी समझ गई, मझ
ु े कोहनी से म रकर स वध न
ककय कक ऐस वैस मत कर।
उसके ब द मैडम ने खद
ु अपनी छ ती सहल न शरू
ु ककय जैसे उन्हें थोड़ी तकलीि हो रही हो। छ ती के बीच
ह थ रखकर मलतीां और कभी अपने स्तनों के ऊपरी भ ग को सहल लेतीां। अब मैं और दीदी दोनों उनके मतव ले
उरोजों की ओर दे खने में खो से गये थे, यह ां तक कक मैडम को म लम
ू है कक हम घरू रहे हैं, यह पत होने पर
भी हम री ननग हें वह ां लगी हुई थीां। और बरु म नन तो दरू , मैडम भी पल्लू गगर गगर के झक
ु -झक
ु कर हमें
अपने सौंदयि के दशिन कर रही थीां।
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दीदी ने पछ
ू - “क्य हुआ मैडम…”
दीदी ने मेरी ओर दे ख ।
लीन बोली- “मैडम, आपकी तबबयत ठीक नहीां है , हम ज ते हैं, कल आ ज येंग,े आप आर म कर लें…”
मैडम बोलीां- “अरे नहीां, अभी ठीक हो ज येग । लीन , जर म ललश कर दे तू ही। जर आर म लमले तो किर ठीक
हो ज ऊूँगी। सर को आने में दे र है , और अभी तो तम
ु लोगों के दो लेसन भी लेन है …”
लीन दीदी ने मेरी ओर दे ख । मैंने उसे आांख म र दी कक कर न अगर मैडम कह रही हैं। दीदी शरम ते हुए उठी।
बोली- “मैडम, तेल ले आऊूँ क्य गरम करके…”
कहके मैडम ने उसके ह थ अपने मम्प्मों पर रख ललये। दीदी शरम ते हुए उनकी ब्ल उज़ के ऊपर से उनकी छ ती
की म ललश करने लगी। मैंने दीदी को आांख म री कक दीदी मैं कहत थ न कक मैडम को बोलेंगे तो कुछ च ांस
लमलेग । दीदी ने मझ
ु े चुप रहने क इश र ककय । उसक चेहर ल ल हो गय थ , स ि थ कक उसे इस तरह
मैडम की म ललश करन अच्छ लग रह थ ।
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“ऐस कर, मैं बटन खोल दे ती हूूँ। तझ
ु े ठीक से म ललश करते बनेगी। और अननल, तू स ड़ी ऊपर सरक ले, ठीक
से पैर दब और जर ऊपर भी कर, मेरी ज ांघों पर दब , वह ां भी दख
ु त है…”
मैडम ने बटन खोले। सिेद लेस व ली ब्र में बांधे उनके खूबसरू त सड
ु ौल स्तन हदखने लगे। दीदी ने उन्हें पकड़
और सहल ने लगी। मैडम ने आांखें बांद कर लीां। कुछ दे र ब द लीन दीदी के ह थ पकड़कर अपने सीने पर दब ये
और बोलीां- “अरी सहल मत ऐसे धीरे -धीरे , उससे कुछ नहीां होग , दब जर । ह …
ूँ अब अच्छ लग रह है , लीन ।
और जोर से दब …”
मझ
ु से न रह गय । मैंने चप
ु च प मैडम की पैंटी थोड़ी सी ब जू में सरक दी। दीदी दे ख रही थी, पर कुछ नहीां
बोली। अब वो भी मस्ती में थी। मैडम के मम्प्मे कस के मसल रही थी। मैडम को जरूर पत चल गय होग कक
मैंने उनकी पैंटी सरक दी है । पर वे कुछ न बोलीां।
बस आांखें बांद करके म ललश क मज ले रही थीां, बीच में लीन के ह थ पकड़ लेतीां और कहतीां- “अां… अां… अब
अच्छ लग रह है जर …”
मैंने मौक दे खकर स ड़ी उठ कर उसके नीचे झ ांक ललय , सरक यी हुई पैंटी में से मैडम की गोरी-गोरी फ़ूली बरु
की एक झलक मझ ु े हदख गई। मझ
ु े ऐस लग रह थ जैसे स्वगि क दरव ज अब धीरे -धीरे खुल रह है । उस
स्वगि सख
ु की मैं कल्पन कर ही रह थ कक अच नक उस कमरे क दरव ज खल
ु और सर अांदर आ गये।
दरव जे पर खड़े होकर जोर से बोले- “ये क्य चल रह है …” लगत है वे एक दो लमनट ब हर खड़े दे ख रहे होंगे
कक अांदर क्य चल रह है ।
हम सपकप गये और डर के उठकर खड़े हो गये। मैडम श ांत थीां। कपड़े ठीक करते हुए बोलीां- “सर… कुछ नहीां,
ये दोनों जर मेरी म ललश कर रहे थे, आप जल्दी आ गये…”
मैडम ने बोलने की कोलशश की- “सर… उनक कोई कुसरू नहीां है । वो तो…”
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ब हर आते समय मैडम पीछे से फ़ुसिस कर मझ
ु े बोलीां- “घबर मत अननल, सर गस्
ु से में हैं, म फ़ी म ांग लेन
तो श ांत हो ज येंगे। जैस वो कहें वैसे करन तो म ि कर दें ग,े है ह सख्त, पर हदल के नरम हैं…”
हम दोनों चप
ु खड़े रहे । किर मैं हहम्प्मत करके बोल - “नहीां सर, मैडम की तबबयत ठीक नहीां थी तो…”
“तो उनके बदन को मसलने लगे दोनों… क्यों… मैडम इतनी अच्छी लगती हैं तम
ु दोनों को कक अकेले में उनपर
ह थ स ि करने लगे…”
“नहीां सर…”
मैं डर के म रे चुप हो गय ।
“चप
ु क्यों है… मैंने पछ
ू कक क्यों कर रहे थे ऐस क म तम
ु दोनों… तू बत अननल, मैडम अच्छी लगती हैं तझ
ु ,े
इसललये कर रहे थे…” चौधरी सर मेरे क न को मरोड़ते हुए बोले- “य और कोई वजह है …”
“सन
ु नहीां मैंने क्य कह … मैडम अच्छी लगती हैं…” उन्होंने मेरे ग ल पर जोर से चांट
ू ी क टी।
“बत नहीां तो इतनी म र ख येग कक अस्पत ल पहुूँच ज येग , चल बोल… तेरी दीदी मैडम के मम्प्मे मसल रही थी
और तू स ड़ी उठ कर मैडम की बरु दे ख रह थ , इसललये मैंने पछ
ू कक क्य अच्छ लगत है तम ु लोगों को, बरु
य मम्प्मे…” और कस के मेर क न और मरोड़ हदय ।
“अब तझ
ु े पीटूां, तेरी मरम्प्मत करूां और तेरे घर में बत ऊूँ कक पढ़ ई करने आत है और क्य लफ़ांग पन करत है
इधर…” चौधरी सर ने मेरी गदि न पकड़कर पछ
ू ।
“ह ूँ सर, आप जो कहें गे वो करूांगी, कुछ भी सज दीजजये सर, पर घर पर मत बत इये सर। ललीज़…” दीदी आांसू
पोंछती हुई बोली।
“घर में भी करते हो यह सब… एक ही कमरे में सोते हो न … भ ई बहन हो, शरम नहीां आती…” उन्होंने किर से
कड़ी आव ज में पछ
ू ।
“नहीां सर, सच में, बस थोड़ ककस पवस कर लेते हैं। और कुछ नहीां करते सर घर में । और सर… हम सगे भ ई
बहन नहीां हैं। मैडम बहुत अच्छी लगती हैं इसललये गलती हो गई…” मैंने कह ।
“नहीां सर, सच में, ललीज़… मैं सच कह रही हूूँ सर…” लीन किर रोने को आ गई।
“लीन दे खती है तझ
ु े मठ्
ु ठ म रते हुए…”
“ह ूँ सर… र त को बत्ती बझ
ु कर म रते हैं सर। दीदी को पत चल ज त है अक्सर…” मैं लसर झक
ु कर बोल ।
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“और ये म रती है तब दे खत है त…
ू ” चौधरी सर ने लीन क क न पकड़कर पछ
ू ।
“हदखत नहीां है सर, ये च दर के नीचे करती है, पैंटी में ह थ ड लकर। इसकी स स
ां तेज चलने लगती है तो मेरे
को पत चल ज त है…” मैंने सि ई दी।
“और तम
ु कैसे मठ्
ु ठ म रते हो… मज ले-लेकर, सहल -सहल कर… य बस मठ्
ु ठी में लेकर दन दन… और क्यों री
लीन … ककस कैसे करती हो अपने भ ई को… करती हो न …” चौधरी सर ने लीन की पीठ में एक हल्क स घस
ांू
लग ते हुए कह ।
“तो अननल, तन
ू े बत य नहीां कक कैसे मैडम के न म की मठ्
ु ठ म रते हो…”
मैंने स हस करके कह - “सर मज ले-लेकर म रत हूूँ, सहल त हूूँ अपने लण्ड को लय र से, मैडम क खूबसरू त
बदन आूँखों के आगे ल त हूूँ, किर जब नहीां रह ज त तो…”
लीन ने भी झक
ु कर सर क पैर पकड़ ललय ।
चौधरी सर कुछ दे र हम री ओर दे खते रहे, किर बोले- “मैं जो कहूांग वो करोगे… जैस भी कहूांग , करन पड़ेग ,
सज तो लमलनी ही च हहये तम ु दोनों को…”
“ह ूँ सर करें ग…
े ” मैं और लीन दीदी बोले।
“तम
ु लोग वैसे हम रे स्टूडेंट हो इसललये म ि कर रह हूूँ। तम ु को दे खके लगत नहीां थ कक ऐसे बदम श
ननकलोगे। वैसे मैं म नत हूूँ कक मैडम भी सदांु र हैं, जव नी में उनको दे खकर मन भटकन स्व भपवक है पर तम
ु
दोनों को इतनी अकल तो होनी च हहये कक कह ां क्य करन च हहये। आओ, मेरे ब जू में बैठ ज ओ। घबर ओ
नहीां, मैं नहीां पीटूांग , कम से कम तब तक तो नहीां पीटूांग जब तक तम
ु दोनों मेरी ब त म नोगे…” बेंत रखते हुए
चौधरी सर बोले।
मैं और लीन चप
ु च प चौधरी सर के दोनों ओर सोिे पर बैठ गये।
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हम शरम ते हुए घबर ते हुए उनसे गचपक कर बैठे रहे ।
“अननल, तम
ु अपनी जज़प खोलो और लण्ड ब हर ननक लो…” चौधरी सर बोले।
“नहीां सर, स री सर, ललीज़…” कहते हुए मैंने जज़प खोली और लण्ड ब हर ननक ल ललय । लण्ड क्य थ , नन्
ु नी
थी, डर के म रे बबलकुल बैठ हुआ थ ।
“मेरी ड ांट ख कर घबर गय , है न । इसे अब जर मस्त करो, कैसे इसे खड़ करके मठ्
ु ठ म रते हो, जर
हदख ओ…” चौधरी सर ने मझ
ु े कह , किर लीन की ओर दे खकर बोले- “और लीन , तू कहती है न कक लसफ़ि
अपने भ ई को ककस करती है तो करके हदख ककस…”
लीन शरम कर उनकी ओर दे खने लगी। किर उठकर मेरे प स आने लगी।
तो चौधरी सर ने ह थ पकड़कर किर बबठ ललय - “अरे उसे मत तांग करो, उसे मैंने पहले ही क म दे हदय है ।
लीन , तम
ु समझो कक मैं ही तम्प्
ु ह र भ ई हूूँ और मझ
ु े ककसे करके हदख ओ…”
“ऐसे क्यों दे ख रही हो, मैं इतन बरु हूूँ क्य हदखने में कक तेरे को मझ
ु े ककस भी नहीां ककय ज त …” चौधरी सर
ने उसकी ओर दे खकर पछ ू ।
“नहीां सर आप… मेर मतलब है …” लीन को समझ में नहीां आय कक क्य कहे ।
मैंने दीदी को कह - “दीदी कर ले न ककस… सर तो ककतने अच्छे हैं हदखने में, तू नहीां कहती थी मझ
ु से रोज कक
ह य अननल… सर ककतने हैंडसम हैं…”
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“बस ऐसे ही… इसे ककस कहते हैं… ग ल पर बस जर स … नन्हे बच्चे क चुम्प्म ले रही है क्य … ये होंठ ककस
ललये हैं…”
लीन ने हड़बड़ कर उनके गले में अपनी ब हें ड लीां और किर से उनक चांब
ु न लेने लगी। इस ब र वह एक
लमनट तक उनके होंठों को चूमती रही।
“यह हुई न ब त। अच्छ तेर भ ई भी ऐसे ककस करत है कक बैठ रहत है… दे खो मैं करके हदख त हूूँ…” कहकर
चौधरी सर ने लीन को प स खीांचकर उसके मूँह
ु पर अपन मह
ूँु रख हदय और किर चूमने लगे। जल्द ही वे दीदी
के होंठों को अपने होंठों में लेकर चस
ू ने लगे। दीदी ने कसमस कर अलग होने की कोलशश की पर चौधरी सर ने
उसकी कमर में ह थ ड लकर प स खीांच ललय और परू े जोर से उसके चम्प्
ु बन लेने लगे।
लीन दीदी शरम कर नीचे दे खने लगी। उसके चेहरे पर से लगत थ कक सर के चुांबन से उसे मज आ गय
थ । सर मश्ु कुर कर किर दीदी को चम
ू ने लगे।
“बहुत अच्छे , परू तन्न कर खड़ करो…” मेरी पीठ थपथप कर श ब सी दे ते हुए चौधरी सर लीन दीदी की ओर
मड़ु -े “अच्छ तो लीन , चुम्प्मे क मज लेते हुए तेर ये भ ई और कुछ करत है कक नहीां… य ने दे खो ऐसे…”
कहकर उन्होंने किर से दीदी को एक ह थ से प स खीांचकर चूमन शरू
ु कर हदय और दस
ू रे ह थ से फ़्र क के
ऊपर से ही उसके मम्प्मों को सहल न शरू
ु कर हदय ।
इस ब र दीदी कुछ नहीां बोली, बस आांखें बांद करके बैठी रही। जरूर उसे मज आ रह थ ।
“अब खड़ हुआ है मस्त। अननल, क फ़ी सद ुां र है तेर लण्ड। इसे बस ऐसे ही हथेली से रगड़ते हो य ऐसे भी
करते हो…” कहते हुए चौधरी सर ने मेरे लण्ड को हथेली में लेकर दब य । किर लण्ड को मठ् ु ठी में लेकर अांगठ
ू े से
सप
ु ड़े के नीचे मसलन शरू
ु ककय ।
मैंने मड
ुां ी डुल ई।
“पहनती हूूँ सर…” लीन दीदी सहम कर बोली- “ट्रे ननांग ब्र पहनती हूूँ पर हमेश नहीां…”
“कोई ब त नहीां, अभी तो जर -जर सी हैं, अच्छी कड़ी हैं इसललये बबन ब्र के भी चल ज त है । अब बत तेर
भ ई ऐसे मसलत है चच
ू ी… य ननपल को ऐसे करत है …”
सर मजे ले-लेकर दीदी की ये अवस्थ दे ख रहे थे। उन्होंने लय र से मश्ु कुर कर दरू से ही होंठ लमल कर चुांबन क
न टक ककय । दीदी एकदम मस्त गई, मचलकर उसने खद
ु ही अपनी ब ांहें किर से सर के गले में ड ल दी और
उनसे ललपटकर उनके होंठ चूसने लगी।
दीदी ने उनक ह थ पकड़ने की कोलशश की तो सर ने चुम्प्म लेत-े लेते ही उसे आांखें हदख कर स वध न ककय ।
बेच री चप
ु च प सर को चमू ते हुए बैठी रही। सर चड्डी के कपड़े पर से ही उसकी बरु को सहल ते रहे । दीदी ने
जब स ांस लेने को चौधरी सर के मूँह
ु से अपन मूँहु अलग ककय ।
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तो चौधरी सर बोले- “लीन , तेरी चड्डी तो गीली लग रही है । ये क्य ककय तन
ू …
े बच्ची है क्य … कुछ बच्चों
जैस तो नहीां कर हदय …”
दीदी नजरें झुक कर ल ल चेहरे से बोली- “नहीां सर… ऐस कैसे करूांगी, वो आप जो… य ने…” किर चुप हो गई।
“अरे मैं तो मज क कर रह थ , मझ
ु े म लम
ू है तू बच्ची नहीां रही। और इस गीलेपन क मतलब है कक मज आ
रह है तझ
ु े। क्य बदम श भ ई बहन हो तम
ु दोनों। पर मज क्यों आ रह है ये तो बत ओ… क्यों रे अननल…
अभी रो रहे थे, अब मज आने लग …” चौधरी सर ने पछ
ू । उनकी आव ज में अब कुछ शैत नी से भरी थी।
लीन ने आखखर ल ल हुए चेहरे को उठ कर उनकी ओर दे खते हुए कह - “ह ूँ सर आप बहुत अच्छे लगते हैं, जब
ऐस करते हैं, कैस तो भी लगत है …”
मैंने भी ह ूँ में ह ूँ लमल ई- “ह ां सर, बहुत अच्छ लग रह है , ऐस कभी नहीां लग , अकेले में भी…”
“अच्छ , अब ये बत ओ कक मैं लसफ़ि अच्छ करत हूूँ इसललये मज आ रह है य अच्छ भी लगत हूूँ तम
ु दोनों
को…” चौधरी सर अब मडू में आ गये थे।
मैंने दे ख कक उनकी पैंट में तांबू स तन गय थ । अपन ह थ उन्होंने अब दीदी की पैंटी के अांदर ड ल हदय थ ।
श यद उां गली से वे अब दीदी की चूत की लकीर को रगड़ रहे थे क्योंकी अच नक दीदी लससक कर उनसे ललपट
गई और किर से उन्हें चूमने लगी- “ओह सर बहुत अच्छ लगत है, आप बहुत अच्छे हैं सर…”
“अच्छ हूूँ य ने… अच्छे हदल क हूूँ कक हदखने में भी अच्छ लगत हूूँ तम
ु दोनों को…” चौधरी सर ने किर पछ
ू ।
दीदी क चुम्प्म खतम होते ही उन्होंने मेरी ओर लसर ककय और मेर ग ल चूम ललय - “क्यों रे अननल… तू बत ,
वैसे तम
ु और तेरी बहन भी दे खने में अच्छे ख से गचकने हो…”
मैं अब बहुत मस्त हो गय थ । सर से गचपट कर बैठने में अब अटपट नहीां लग रह थ । मेर ध्य न ब र-ब र
उनके तांबू की ओर ज रह थ । अनज ने में मैं धीरे -धीरे अपने चूतड़ ऊपर नीचे करके सर की हथेली में मेरे लण्ड
को पेलने लग थ । अपने लण्ड को ऊपर करते हुए मैं बोल - “आप बहुत हैंडसम हैं सर, सच में , हमें बहुत अच्छे
लगते हैं। दीदी अभी शरम रही है पर मझ
ु से ककतनी ब र बोली है कक अननल, चौधरी सर ककतने हैंडसम हैं। कल
सर जब आपने इसके ब ल सहल ये थे और ग लों को ह थ लग य थ तो दीदी को बहुत अच्छ लग थ …”
“तेरी दीदी भी बड़ी लय री है…” सर ने दो तीन लमनट और दीदी की पैंटी में ह थ ड लकर उां गली की और किर ह थ
ननक लकर दे ख । उां गली गीली हो गई थी। सर ने उसे च ट ललय - “अच्छ स्व द है लीन , शहद जैस …”
13
लीन आांखें बड़ी करके दे ख रही थी, शमि से उसने लसर झक
ु ललय ।
“अरे शरम क्यों रही है, सच कह रह हूूँ। एकदम मीठी छुरी है तू लीन , रस से भरी गडु ड़य है …” चौधरी सर
उठकर खड़े हो गये- “बैठो, मैं अब तम्प्
ु ह री मैडम को बल
ु त हूूँ। तम
ु दोनों ने जो ककय सो ककय , तम ु को न रोक
कर बड़ गलत कर रही थीां वे, पर अब ज ने दो, तम ु दोनों भ ई बहन सच में बड़े लय रे हो, तम्प्
ु हें म ि ककय
ज त है , मैडम को भी बत दां ।ू बड़े नरम हदल की हैं वे, वह ां परे श न हो रही होंगी कक मैं तम
ु दोनों की धन
ु ई
तो नहीां कर रह । पर उसके पहले… लीन , तम
ु अपनी पैंटी उत रो और सोिे पर हटक कर बैठो…”
लीन घबर कर शम िती हुई बोली- “पर सर… आप क्य करें गे…”
“अरे उससे अब क्य शरम ती हो। इतन न टक सब रोज करती हो उसके स थ, आज दोनों लमलकर मैडम को…
और अब शरम रही हो। चलो जल्दी करो…”
लीन ने धीरे से अपनी पैंटी उत र दी। उसकी गोरी गचकनी बरु एकदम ल जव ब लग रही थी। बस थोड़े से जर -
जर से रे शमी ब ल थे। मेरी भी स ांस चलने लगी। आज पहली ब र दीदी की बरु दे खी थी, रोज कहत थ तो
दीदी मक
ु र ज ती थी। बरु गीली थी, ये दरू से भी मझ
ु े हदख रह थ ।
“अब ट ांगें फ़ैल ओ और ऊपर सोिे पर रखो। ऐसे… श ब्ब स…” चौधरी सर उसके स मने बैठते हुए बोले।
लीन दीदी ट ांगें उठ कर ऐसे सोिे पर बैठी हुई बड़ी चुदैल सी लग रही थी, उसकी बरु अब परू ी खुली हुई थी और
लकीर में से अांदर क गल ु बी हहस्स हदख रह थ । चौधरी सर ने उसकी गोरी दब ु ली पतली ज ांघों को पहले चूम
और किर जीभ से दीदी की बरु च टने लगे।
“ओह्ह… ओह्ह… ओह्ह… सर… ललीज़…” लीन शरम कर गचल्ल ई- “ये क्य कर रहे हैं…”
“नहीां सर… अजीब स … कैस तो भी होत है…” हहलडुलकर अपनी बरु को सर की जीभ से दरू करने की कोलशश
करते हुए दीदी बोली- “ऐसे कोई वह ां… य ने जीभ, मूँह
ु लग ने से… ओह्ह… ओह्ह…”
14
“लीन , बस एक ब र कहूांग , ब र-ब र नहीां कहूांग । मझ
ु े अपने तरीके से ये करने दो…” सर ने कड़े लहजे में कह
और एक दो ब र और च ट । किर दो उां गललयों से बरु के पपोटे अलग करके वह ां चम ू और जीभ की नोक
लग कर रगड़ने लगे।
“बहुत अच्छ लग रह है सर। ऐस कभी नहीां। उईऽ म ां… नहीां रह ज त सर। ऐस मत कीजजये न … अां… अां…”
कहकर दीदी किर पीछे सरकने की कोलशश करने लगी। किर अच नक चौधरी सर के ब ल पकड़ ललये और उनके
चेहरे को अपनी बरु पर दब कर सीत्क रने लगी।
सर अब कस के च ट रहे थे, बीच में बरु क ल ल-ल ल छे द चूम लेते य उसके पपोटों को होंठों जैसे अपने मूँह
ु
में लेकर चूसने लगते।
दीदी अब आांखें बांद करके ह ांिते हुए अपनी कमर हहल कर सर के मूँह
ु पर अपनी चूत रगड़ने लगी। किर एक दो
लमनट में ‘उई… म … ां मर गईऽ…” कहते हुए ढे र हो गई, उसक बदन ढील पड़ गय और वो सोिे में पीछे लढ़ु क
गई।
सर अब किर से जीभ से ऊपर से नीचे तक दीदी की बरु च टने लगे, जैसे कुत्ते च टते हैं। एक दो लमनट च टने
के ब द वे उठकर खड़े हो गये। उनके पैंट क तांबू अब बहुत बड़ हो गय थ ।
“अच्छ लग लीन … मज आय …” सर ने पछ
ू ।
दीदी कुछ बोली नहीां, बस शरम कर अपन चेहर ह थों से छुप ललय और मड
ुां ी हहल कर ह ूँ बोली।
“अच्छी है लीन तेरी बरु , बहुत मीठी है । जरूर मैडम ने गेस कर ललय होग कक कैसे मतव ले जव न भ ई बहन
हो तम
ु दोनों नहीां तो वो ह थ भी नहीां लग ने दे तीां तम
ु दोनों को। चलो, उन्हें बल
ु त हूूँ, ि लतू ड ांट हदय बेच री
को…” कहकर वे उठे और ज कर दरव ज खोल ।
“सनु नये सर, म ि कर दीजजये, बच्चे ही हैं, हो ज त है , आखखर जव नी क नश है । इन्हें पीट तो नहीां… तम्प्
ु हर
कोई भरोस नहीां, तम
ु को गस्
ु स आ गय एक ब र तो…” वे अब भी उसी ह लत में थीां, ब्ल उज़ स मने से खल
ु
हुआ थ और ब्र हदख रही थी। मझ
ु े न ज ने क्यों ऐस लग कक पैंटी भी श यद नहीां पहनी थी, पर स ड़ी के
क रण कुछ हदख नहीां रह थ ।
15
“पीटने व ल थ , बेंत भी ननक ली थी, आज इनक मैं भरु त बन दे त , ख सकर इस लीन की तो चमड़ी उधेड़
दे त , बड़ी है अननल से, दीदी है इसकी, इसे तो अकल होन च हहये। पर पत नहीां क्यों, ये म सम
ू से लगे मझ
ु ,े
रो भी रहे थे, म फ़ी म ांग रहे थे, इन्हें समझ य बझ
ु य , उसमें ट इम लग गय …”
“चलो अच्छ ककय । आखखर बेच रे न समझ हैं। पर ये लीन चड्डी उत रकर क्यों बैठी है … और ये अननल…” मेरे
लण्ड को दे खकर मश्ु कुर ते हुए वे बोलीां।
लीन लसर झुक कर पैंटी पहनने लगी तो मैडम बोलीां- “अरे रहने दे , ब द में पहन लेन । अभी चल मेरे स थ उस
कमरे में…” और चौधरी सर की ओर मश्ु कुर ते हुए वे लीन दीदी क ह थ पकड़कर ले गईं।
मैं भी पीछे हो ललय तो चौधरी सर मेर ह थ पकड़कर बोले- “तू ककधर ज त है बदम श… तेर प ठ अभी परू
नहीां हुआ है । लीन क कम से कम एक तो लेसन हो गय । और अब मैडम भी लेसन लेने व ली हैं…”
“ह ूँ सर…”
“नहीां सर, वैसे कई ब र मेर खड़ रहत है घर में, उसे हदखत है तो टक लग कर दे खती है और मेर मज क
उड़ ती है लीन दीदी…”
अच नक सर ने मझ
ु े खीांचकर गोद में बबठ ललय ।
“गोद में बैठ अननल, स्टूडेंट भले सय न हो ज ये, टीचर के ललये छोट ही रहत है…”
बैठे-बैठे मझ
ु े उनके लण्ड क उभ र अपने चूतड़ के नीचे महसस
ू हो रह थ । उन्होंने मझ
ु े ब ांहों में भर ललय और
मेरे ब ल चम
ू ललये। किर मेर लसर अपनी ओर मोड़ते हुए बोले- “अब तू चम्प्
ु म दे कर हदख , लीन ने तो िस्टि
क्ल स हदख हदय …”
“पर सर… मैं तो… मैं तो लड़क हूूँ…” मैंने हकल ते हुए कह ।
उन्हें चूमते हुए चौधरी सर ने मेरी जज़प खोलकर लण्ड ब हर ननक ल ललय और उसे ह थ में लेकर पच ु क रने
लगे। लण्ड में इतनी मीठी गद ु गद
ु ी होने लगी कक धीरे -धीरे मेरी स री हहचककच हट और… ये कुछ गलत हो रह
है … ये एहस स परू मन से ननकल गय । डर भी खतम हो गय । अब बच थ तो बस लण्ड में होती अजीब मीठी
च हत की फ़ीललांग जजसके आगे दनु नय क कोई ननयम नहीां हटकत । प स से मैंने सर को दे ख , वे सच में क फ़ी
हैंडसम थे।
बहुत दे र बस सर चमू रहे थे और मैं चप ु बैठ थ पर आखखर मैंने भी उनके होंठों को चमू न शरू
ु कर हदय ।
उनके होंठ म ांसल म स
ां ल से थे, प स से सर ने लग ये आफ़्टर शेव की भीनी-भीनी खशु बू आ रही थी। “मह
ुां बांद
क्यों है तेर … ठीक से ककस करन हो तो मूँह
ु खुल होन च हहये, इससे ककस करने व ले प स आते हैं और लय र
बढ़त है …” सर बोले।
17
“श ब्ब स… अब ये बत कक तू जीभ नहीां लड़ त अपनी दीदी से… ऐसे। जर मूँह
ु खोल तो बत त हूूँ। तेरी दीदी के
स थ भी करने व ल थ पर बेच री बहुत शम ि रही थी आज पहली ब र। तन ू े सच में जीभ नहीां लड़ ई अब तक
ककसी से…” वे एक ह थ से मेरे लण्ड को और एक से मेरी ज ांघों को सहल ते हुए बोले।
मैंने मूँह
ु खोल और जीभ ननक ली। सर ने अपनी जीभ भी मूँह
ु से ननक ली और मेरी जीभ से लड़ ने लगे। पहले
मझ
ु े अटपट लग पर किर उनकी वो ल ल-ल ल लांबी जीभ अच्छी लगने लगी। मैंने भी अपनी जीभ हहल न शरू
ु
कर दी। चौधरी सर ने सहस उसे अपने मूँह
ु में ले ललय और चूसने लगे। मझ
ु े बहुत मज आ रह थ । अब
अपने आप मेर बदन ऊपर नीचे होकर सर के ह थ की पकड़ मेरे लण्ड पर बढ़ ने की कोलशश कर रह थ । सर
ने मेरी आूँखों में झ ांकते हुए मश्ु कुर कर अपनी जीभ मेरे मूँह
ु में ड ल दी और मैं उसे चूसने लग । अब मैं भी
मजे ले-लेकर चूम च टी कर रह थ ।
चौधरी सर के मूँह
ु क स्व द मझ
ु े अच्छ लग रह थ , जीभ एकदम गीली और रसीली थी। सर क लण्ड अब
उनकी पैंट के नीचे से ही स इककल के डांडे स मेरी ज घ
ां ों के बीच सट गय थ और महु ठय -महु ठय कर मझ
ु े ब र-
ब र ऊपर उठ रह थ । मैं सोचने लग कक ककतन तगड़ होग सर क लण्ड जो मेरे वजन को भी आस नी से
उठ रह है ।
दस लमनट चूम च टी करके सर आखखर रुके- “तेरे चुम्प्मे तो लीन से भी मीठे हैं अननल। तझ
ु े उससे ज्य द म कि
लमले इस लेसन में । अब अगल लेसन करें ग,े जव नी के रस व ल । लीन क रस तो बड़ मीठ थ , अब तेर
कैस है जर हदख …”
मैं उनकी ओर दे खने लग । मेरी स ांस तेज चल रही थी। लण्ड कसकर खड़ थ ।
मझ ु े नीचे सोिे पर बबठ ते हुए सर बोले- “तू बैठ आर म से, दे ख मैं क्य करत हूूँ। सीख जर , ये लेसन बड़
इांप टें ट है…”
सर मेरे स मने बैठ गये, किर मेरे लण्ड को प स से दे खने लगे- “मस्त है , क फ़ी रसील लगत है…” किर जीभ से
धीरे से मेरे सप
ु ड़े को गद
ु गद
ु य । मैं लसहर उठ । सहन नहीां हो रह थ ।
“क्यों रे तझ
ु े भी कैस -कैस होत है लीन जैस…
े ” और किर से मेरे सप
ु ड़े पर जीभ रगड़ने लगे।
“ह ूँ सर… ललीज़ सर… मत कीजजये सर… मेर मतलब है और कीजजये सर… अच्छ भी लगत है सर पर… सहन
नहीां होत है …” मैं बोल ।
“अच्छ , अब बत , ये अच्छ लगत है …” कहकर उन्होंने मेरे लण्ड को ऊपर करके मेरे पेट से सट य और उसकी
परू ी ननचली म ांसल ब जू नीचे से ऊपर तक च टने लगे।
18
मझ
ु े इतन मज आय कक मैंने उनक लसर पकड़ ललय - “ओह्ह… ओह्ह… सर… बहुत मज आत है…”
“ये ब त हुई न , य द रखन इस ब त को और अब दे ख, ये कैस लगत है…” कहकर वे बीच-बीच में जीभ की
नोक से मेरे सप
ु ड़े के जर नीचे दब ते और गद
ु गद
ु ने लगते।
मैं दो लमनट में झड़ने को आ गय - “सर… सर… आप… आप ककतने अच्छे हैं सर… ओह्ह… ओह्ह…” और मेर
लण्ड उछलने लग ।
चौधरी सर मश्ु कुर ये और बोले- “लगत है रस ननकलने व ल है तेर । जल्दी ननकल आत है अननल, परू मज
भी नहीां लेने दे त त।ू यह ां म कि कम लमलेंगे तझ
ु े। वो लीन भी ऐसी ही झड़ने की जल्दब जी व ली थी। खैर
तम
ु को भी क्य कहें , आखखर नौलसखखये हो तम
ु दोनों, लसख न पड़ेग तम
ु लोगों को और…” कहकर उन्होंने मेरे
लण्ड को परू मूँह
ु में ले ललय और चूसने लगे। स थ ही वे मेरी ज ांघों को भी सहल ते ज ते थे। चौधरी सर की
जीभ अब मेरे लण्ड को नीचे से रगड़ रही थी और उनक त लू मेरे सप
ु ड़े से लग थ । मैंने कसमस कर उनक
लसर पकड़ और अपने पेट पर दब कर उचक-उचक कर उनके मूँह
ु में लण्ड पेलने लग । सर कुछ नहीां बोले, बस
चस
ू ते रहे ।
“तेर रस बहुत मीठ है अननल, लीन से भी, वैसे उसक भी एकदम मस्त है, तझ
ु े फ़ुल म कि इस टे स्ट में, तू
बोल, तझ
ु े मज आय …”
“ह ूँ सर… बहुत… लगत थ प गल हो ज ऊूँग , सर… थैंक यू सर… इतन मज कभी नहीां आय थ जजांदगी में पर
सर… वो मैंने आपक लसर हट ने की कोलशश तो की थी। आपने ही सब मह ूँु में ले ललय …”
“क्य ले ललय …”
“ये जो सिेद मल ई ननकली तेरे लण्ड से, उसको क्य कहते हैं?”
“श ब स। तझ
ु े म लम
ू है । वीयि य ने सच में जव नी क ट ननक होत है, बेशकीमती, उसको कभी वेस्ट मत करन ,
जब-जब हो सके, उसे मूँह
ु में ही लेन , ननगलने की कोलशश करन , सेहत के ललये मस्त होत है…”
वे मेरे लण्ड से खेलते रहे । दोनों ह थों में लेकर बेलन से बेलते, कभी मठ्
ु ठी में लेकर दब ते और कभी अांगठ
ू े और
उां गली में लेकर मसलते- “अब बोल, क्य कह रह थ तू कक लड़क है … तो लड़के य ने मदि आपस मज नहीां कर
19
सकते क्य ऐसे… तझ
ु े मज आय कक नहीां… मैं भी लड़क हूूँ, तू भी लड़क है, पर इससे कोई िरक पड़ तेरी
मस्ती में… बोल, कैस लग ये लेसन?”
“सर आप बहुत अच्छ लसख ते हैं…” मैं उन्हें दे खकर शरम त हुआ बोल ।
“और हदखने में कैस लगत हूूँ… कक लड़क हूूँ इसललये अच्छ नहीां लगत …” चौधरी सर ने मेरे लण्ड के सप
ु ड़े को
चम
ू ते हुए पछ
ू ।
“नहीां सर, बहुत लय रे लगते हैं, मैडम जैसे ही। ककतने हैंडसम हैं आप…” मैं अब ह थ को मेरी गोद में झुके उनके
लसर के घने ब लों में चल रह थ । अब तक मेरे लण्ड में किर गद ु गद
ु ी होने लगी थी और वह लसर उठ ने लग
थ । दे खकर चौधरी सर ने उसे किर मूँह
ु में ले ललय और चस
ू ने लगे। एक ह थ से वे अब मेरे पैर के तलवे में
गद
ु गद
ु ी कर रहे थे। मेर जल्द ही परू खड़ हो गय ।
“तो ये प ठ पसांद आय तझ
ु …
े ” चौधरी सर उठकर सोिे पर बैठकर मझ
ु े किर ब ह
ां ों में भरके बोले।
अब मेरी हहम्प्मत बांध गई थी। चौधरी सर ने जजस तरह से मेर लण्ड चूस थ , मैं उनक गल
ु म ही हो गय थ ।
इसललये अब बबन हहचककच हट मैंने खुद ही उनके होंठ चूम ललये- “ह ां सर, आप बहुत अच्छे हैं सर…”
“तो अब चल, प ठ में जो सीख , करके बत । मेरे ऊपर कर…” मेर ह थ पकड़कर उन्होंने अपने तांबू पर रखते हुए
कह ।
मैं बबन शरम ये सर के तांबू पर ह थ किर ने लग । मेर हदल भी अब उनक लण्ड दे खने क कर रह थ पर
थोड़ डर भी लग रह थ कक श यद चस
ू न पड़ेग ।
मेरे ह थ से मस्त होकर सर बोले- “ह ूँ… बहुत अच्छे … और चल ओ ह थ अपन अननल। लगत है ऐस ही करते
हो क्ल स में क्यों… तभी तजुब ि है लगत है । बदम श कहीां के…” दो लमनट ब द सर बोले- “अब जज़प खोलो बेटे,
मेर लण्ड ब हर ननक लो…”
मैंने जज़प खोली। अांदर सर ने ज ांनघय पहन थ और लण्ड खड़ होकर अपने आप जस्लट से ब हर आ गय थ ।
जज़प खोलते ही परू टन्न से ब हर आ गय ।
“ब प रे …” मेरे मूँह
ु से ननकल आय ।
“अच्छ लग तझ
ु …
े ठीक से दे ख, ह थ में ले…” सर बोले।
20
मैंने लण्ड ह थ में ललय ।
“सर नसें उभरी हुई हैं, एकदम मस्त हदखती हैं सर। और सर ये गोल-गोल…”
“सप
ु ड़ सर…”
“सर… ककसी टम टर जैस रसील लग रह है, ल ल-ल ल फ़ूल हुआ। कभी रसीले सेब जैस लगत है…”
“और?”
मैं टे प ले आय ।
मैंने अकेले में कई ब र न प थ किर भी सर के स मने किर से न प - “सर, प ांच इांच से ज्य द है पर स ढ़े प ांच
इांच के नीचे है…”
21
“सर पौने आठ इांच है सर। ठहररये सर किर से दे खत हूूँ…” कहकर मैंने किर टे प ठीक से लग यी- “आठ इांच है
सर। ककतन बड़ है । इतन मोट और लांब …” मैं सप
ु ड़े को हथेली में भरकर बोल - “दरू से तो ऐस लगत है
जैसे िूट भर क हो…”
“सर 2” से जर स ज्य द हुआ। य ने आपक लण्ड दो इांच से थोड़ ज्य द मोट है …” मैं बोल ।
“बहुत अच्छे … अब सप
ु ड़ न प…” सर खुश होकर बोले।
सप
ु ड़े के च रों ओर टे प लपेटी तो न प स ढ़े स त इांच आय । मैंने झट तीन से भ ग हदत - “सर, अढ़ ई इांच के
करीब है , ब प रे ककतन मोट है सप
ु ड़ , लगत है जैसे आधे प व क एक टम टर हो…” मेरे मूँह
ु से ननकल पड़ ।
“दे ख न , कैस लग सर क लण्ड अब बत …” सर बड़े गवि से बोले। वे अब खुद ही अपने लण्ड को सहल रहे
थे।
“म न गय न … अरे मेर लण्ड ऐस है कक ककसी को भी स्वगि की सैर करव दे , बस सैर करने व ल शौकीन
होन च हहये। रस चखेग इसक … बोल…”
“तो शरू
ु हो ज । खेल उससे, उसे मस्त कर, स्व द दे ख। य द है वह सब करन है जो मैंने ककय थ …” सर पीछे
हटक कर बैठते हुए बोले।
अगले दस लमनट मैं चौधरी सर के लण्ड से खेलत रह । उसे तरह-तरह से ह थ में ललय , दब य , रगड़ ,
पच
ु क र , अपने ग ल और म थे पर रगड़ । किर सर के स मने जमीन पर बैठकर च टने लग ।
22
“आऽहऽ… अब आय मज मेरे बेटे। ऊपर से नीचे तक च ट। कुत्ते च टते हैं न वैसे, परू ी जीभ सट के…” सर
मस्त होकर बोले।
सर क लण्ड च टने में बहुत मज आ रह थ । पर मन सप ु ड़े क स्व द लेने को करत थ । मैंने लण्ड को किर
से मठ्
ु ठी में पकड़ और सप ु ड़े की सतह पर जीभ किर ने लग जैसे आइसक्रीम क कोन हो। एकदम मल ु यम
रे शमी चमड़ी थी, तनी हुई। लगत है कक मेरे नौलसखखय होने के ब वजूद सर को मज आ गय क्योंकी वे ऊपर
नीचे होने लगे।
मैंने दे ख कक सप
ु ड़े के बीचे के मत
ू ने के छे द पर एक सिेद मोती स छलक आय थ - “सर वह ां तो…” मैंने
हहचकते हुए कह ।
“सर वीयि की बद
ूां है…”
“अब उसक क्य करन है… बोलो बोलो अननल। उसक क्य करन है…” उन्होंने कड़ी आव ज में पछ
ू । किर खद
ु
ही बोले- “उसे च टन है, स्व द लेन है, अांदर के खज ने क कैस ज यक है यह आजम न है । समझ न …”
सर ओह्ह… ओह्ह… करने लगे। किर मेरे ब ल खीांचकर बोले- “अरे मरू ख द ांत क्यों लग रह है … पर चल कोई
ब त नहीां, उससे भी मझ
ु े मज आ रह है । ह ूँ… ह ूँ… ऐसे ही बेटे…”
“सर… मूँह
ु में ठीक से लेकर चूसूां सर…” मैंने पछ
ू ।
सर तो तैय र ही बैठे थे। मेरे क न पकड़कर बोले- “तो और क्य कह रह हूूँ मैं तब से न ल यक लड़के…”
“परू मूँह
ु खोल, किर आयेग । मैं मदद करत हूूँ चल। पर पहले बत । मूँह
ु में लेकर क्य करे ग ?”
“सर चूसग
ूां …”
“कैसे चूसेग ?”
“सर कुल्फ़ी चस
ू ते हैं वैसे चस
ू ग
ांू …”
23
“कब तक चूसेग ?” सर मेरे ब ल सहल ते हुए बोले।
“झड़ने के ब द क्य करे ग … वीयि थूक ड लेग , है न … अच्छे बच्चे ऐस ही करते हैं न … बोल। जल्दी बोल…” सर
ने मेरी आूँखों में दे खकर कह ।
मैंने मूँह
ु खोल । सर ने सप
ु ड़ होंठों के बीच किट कर हदय । किर मेरे ग ल पपचक कर मेर मूँह
ु और खोल और
सप
ु ड़ अांदर सरक हदय । मेरे मूँह
ु में सर क वो बड़ सप
ु ड़ परू भर गय । मैं आांखें बांद करके चस
ू ने लग । अब
बहुत अच्छ लग रह थ । सप ु ड़े में से बड़ी भीनी-भीनी खुशबू आ रही थी। मैं जीभ से रगड़-रगड़कर और त लू से
सप
ु ड़े को गचपक कर लड्डू जैसे चूसने लग ।
मैं सर के लण्ड के डांडे को पकड़कर महु ठय त हुआ उनकी मठ्ु ठ म रने लग । स थ ही मूँह
ु में ललये सप
ु ड़े को
और कस के त लू और जीभ में दब य और चस ू ने लग । सर ऊपर नीचे होने लगे, मेरे मूँह
ु को अपने लण्ड से
चोदने की कोलशश करने लगे। मैं लग त र मठ्
ु ठी ऊपर नीचे करके उनको हस्तमैथुन कर रह थ ।
24
“ओहऽ… ह ूँऽ मेरे र ज ऽ… आहऽ…” करके सर ने मेरे लसर को पकड़ ललय । उनक लण्ड अब उछल-उछलकर झड़ने
लग थ ।
मेरे मूँह
ु में गरम-गरम गचपगचपे वीयि की फ़ुह र ननकल पड़ी। मैं आांखें बांद करके पीत रह । अब मेर स र परहे ज
खतम हो गय थ । मज आ रह थ । सर को ऐसे मीठ तड़प हदय यह सोचकर गवि स लग रह थ । गचपगचप
वीयि मेरे त लू से गचपक गय थ पर ऐस लग रह थ जैसे थोड़ नमक लमली जर सी कसैली मल ई हो। च र
प ांच बड़े चम्प्मच जजतन वीयि ननकल सर के लण्ड से, मैं सब ननगल गय । सोच रह थ कक कटोरी भर होत तो
और मज आत ।
मैंने पलकें झपक कर ह ूँ कह क्योंकी मैं अब भी चटख रे ले-लेकर जीभ से ललपटे गचपगचपे कतरों क स्व द ले
रह थ । मझ
ु े अच्छ भी लग रह थ सर के मह
ुां से त रीि सन
ु कर। मेर लण्ड भी अब मस्त खड़ थ । डर भी
ननकल गय थ इसललये मैं उनकी गोद में उनकी ओर मड़
ु कर बैठ गय और शटि के ऊपर से ही उनके पेट पर
लण्ड रगड़ने लग । चम
ू च टी चलती रही। सर अब बड़ी लय र भरी आूँखों से मेरी ओर दे ख रहे थे। मैंने सर क
लण्ड अब भी कसकर ह थ में पकड रख थ । वह धीरे -धीरे किर से लांब होने लग ।
कुछ दे र ब द वे उठे और बोले- “चलो, अब जर दे खते हैं कक तेरी दीदी क प ठ खतम हुआ कक नहीां। वैसे ये
बत कक मज आय … य ने रस द कैस लग … स्व द आय य नहीां?”
25
“चलो तम्प्
ू ह री दीदी से भी पछ
ू लेते हैं। और इसक क्य करें …” मेरे लण्ड को पकड़कर वे बोले- “ये तेर तो किर
से खड़ हो गय है । इसे ऐसे घर भेजन ठीक नहीां है, र त को किर शैत नी करने लगोगे तम
ु भ ई बहन…” कहते
हुए सर दरव ज खोलकर अांदर घस
ु गये।
***** *****
अांदर मैडम पलांग पर लेटकर दीदी की चूत चूस रही थीां। उनकी ब्र ग यब थी और लय रे -लय रे छोटे -छोटे मम्प्मे
नांगे थे। उनकी स ड़ी कमर के ऊपर थी और उनकी गोरी छरहरी ज ांघें फ़ैली हुई थीां। गोरी बरु एकदम गचकनी थी,
श यद शेव की हुई थी। दीदी के फ़्र क के दो बटन खुले थे और दीदी की जर -जर सी कड़क चगूां चय ां हदख रही
थीां। दीदी ट ांगें फ़ैल कर लसरह ने से हटक कर मैडम के स मने बैठी थी और “ओह्ह… ओह्ह… मैडम… ह ूँ मैडम…
ललीज़ मैडम…” कर रही थी। उसने ह थों में मैडम क लसर पकड़ रख थ जजसे वह बरु पर दब ये हुए थी। मैडम
क एक ह थ अपनी बरु पर थ और वे उसमें उां गली कर रही थीां। जीभ ननक लकर वे दीदी की बरु परू ी ऊपर से
नीचे तक च ट रही थीां।
लीन से ठीक से बोल भी नहीां ज रह थ । बस सर और मेरी ओर पथर यी आूँखों से दे खकर- “ओह्ह… ह ूँ… अां…
अां…” करती रही। किर उसकी नजर सर के आधे खड़े लण्ड पर पड़ी, बस उसने नजर वहीां गड़ दी। ऐसे दे ख रही
थी जैसे बच्च ललच कर खखलौने को दे खत है ।
मैडम ने मह
ूँु उठ कर कह - “आ गये तम
ु … प ठ खतम हो गय लगत है … कैस है यह लड़क पढ़ने में… कुछ
सीख य ऐसे ही भोंद ू जैस बैठ रह …”
सर बोले- “सपु रय र नी, ये तो एकदम होलशय र है, एक ब र में सीख गय । इसे अब एक्सपटि कर दां ग
ू । यह
लड़की कैसी है?”
“बड़ी मीठी लय री सी बच्ची है । अच्छ सीख रही है, सब कह म नती है । अभी तक मेहनत कर रही थी बेच री
अपनी मैडम की खूब सेव की इसने। मेर शहद भी चख ललय । अब जर इसे इसकी मेहनत क इन म दे रही
हूूँ…” मैडम ने मश्ु कुर कर कह ।
“ऐस करो, हम दोनों लमलकर लसख ते हैं इन्हें । जल्दी लेसन हो ज येग । किर इन्हें ज ने दो। कल से ठीक से
पढ़ न पड़ेग । बड़े होनह र स्टूडेन्ट हैं…” चौधरी सर ने पलांग पर चढ़ते हुए कह ।
26
“लीन , तू उठ और ठीक से बैठ मैडम के मूँह
ु पर। ऐसे… बहुत अच्छे … स इककल पर बैठती है न , वैसे ही बैठ।
सव री कर मैडम के मूँह
ु पर, पैर चल जर । मैडम की लय स बझ ु नी च हहये ठीक से, नहीां तो मेर वो बेंत अब
भी पड़ है ब हर। समझ गई न ?”
लीन दीदी ने मड
ुां ी हहल यी। उसकी ह लत क फ़ी न जक
ु थी। श यद चूत में होती मीठी कसक उससे सांभल नहीां
रही थी।
“अब मूँह
ु खोल लीन । ये लेसन तन
ू े नहीां ककय , पर तेरे भ ई ने बहुत अच्छ ककय । चल मूँह
ु में ले और चूस।
समझ ले गन्न है । रस ननक ल ले इसमें से। जजतनी जल्दी रस ननक लेगी, उतने म कि ज्य द दां ग ू …” चौधरी सर
दीदी के स मने बैठ गये और अपने लण्ड को उसके होंठों और ग लों पर रगड़ने लगे। अब तक उनक लशश्न
एकदम तनकर खड़ हो गय थ ।
सर मश्ु कुर ये- “बहुत अच्छे लीन । लेसन की तैय री अच्छी है । पर मूँह
ु खोलो, ये लेसन ब द में ठीक से परू
दां ग
ू । अभी जल्दी में समरी लसख त हूूँ बस…”
दीदी ने मूँह
ु खोल और सर क सप
ु ड़ गलप से ननगल ललय । किर आांखें बांद करके चूसने लगी। सर ने उसकी
दोनों चोहटय ां ह थ में लेकर उसक लसर अपनी ओर खीांच - “व ह, यह लड़की इस लेसन को अच्छ करे गी लगत
है , क्यों रे अननल, तन
ू े भी इतनी जल्दी नहीां ककय थ । और क्य लय र से चूस रही है लड़की, एकदम स्व द
लेकर। अब चूसो लीन , अपने सर क रस द प ओ। और तम
ु अननल, अब कमर आगे पीछे करो, धक्के म रो।
म लम
ू है इसे क्य कहते हैं…”
“ह ूँ सर… चोदन …” मैडम की बरु में लण्ड पेलत हुआ मैं बोल ।
दीदी ने मड
ांु ी हहल ई। हम दोनों भ ई बहन मन लग कर जैस चौधरी सर और मैडम ने बत य थ वैसे करते रहे ।
“मैडम चुद रहीां है न ठीक से अननल… दे ख इसमें गिलत मत करन , मैडम गरु
ु आइन हैं तम्प्
ु ह री, उन्हें परू
सांतष्ु ट करोगे तो आलशव द
ि प ओगे…”
27
मैं और मन लग कर सट -सट मैडम को चोदने लग । उनकी गीली ररसती बरु में से अब ‘िच’ ‘िच’ ‘िच’ की
आव ज आ रही थी।
लीन दीदी क बदन अच नक कांपकांप ने लग और वह मैडम के लसर को पकड़कर ऊपर नीचे होने लगी। मैडम
जोर-जोर से चूसने लगीां, सरि सलप सप
ु की आव जें करते हुए। स थ ही वे अपनी ट ांगें िटक रने लगीां। चौधरी सर
ने झक
ु कर मेर लसर अपनी हथेललयों में ललय ।
और मझु े चूमकर बोले- “बस बहुत अच्छे मेरे ल ड़लो। लीन तो मैडम की लय स अब बझु रही है , उसकी भख ू मैं
अभी लमट त हूूँ, अब तू मैडम को ऐसे चोद कक वे एकदम खश ु हो ज यें। और ये अपनी मैडम के मम्प्मे तझ
ु े
पसांद नहीां आये क्य … तब से दे खो बेच रे वैसे ही अलग से पड़े हैं, जर उनकी भी खबर ले…”
मैंने मैडम की चूांगचय ां पकड़ीां और दब -दब कर मैडम को चोदने लग । चौधरी सर लग त र मेर चम्प्
ु म ले रहे थे
और मेरी जीभ चूसते हुए लीन दीदी के लसर को अपने पेट पर दब कर उसक मूँह ु चोद रहे थे। पहले मैडम झड़ीां
और कसमस कर उन्होंने अपनी ट ांगों से मेरी कमर को जकड़ ललय । मैंने चौधरी सर के होंठ अपने द ांतों में
दब ये और कसके चूसते हुए एक लमनट में झड़ गय । किर लस्त होकर बैठ गय । अगले ही पल चौधरी सर ने
मेरे मह
ूँु में एक गहरी स ांस छोड़ी और उनक बदन भी गथरक उठ ।
दीदी मन लग कर उनक लण्ड चूस रही थी। दो लमनट ब द सब अलग हुए और पलांग पर बैठ गये। लीन दीदी
अपन मूँह
ु पोंछ रही थी। चौधरी सर के ग ढ़े वीयि के कुछ कतरे उसके होंठों से लटक रहे थे। मैंने तरु ां त आगे
होकर दीदी क मूँह
ु चूम ललय और वे कतरे च ट ललये।
“रुक क्यों गई बोल… बोल आपक । ये… य ने… इसके पहले क्य बोल रही थी…” सर ने हूँसते हुए पछ
ू ।
28
“बहुत अच्छे , शरम न नहीां च हहये, खुल बोलन च हहये। अब बत , तझ
ु े मज आय कक नहीां मैडम को अपन
प नी पपल कर…”
“चलो, सन
ु सपु रय र नी, तेरी स्टुडेंट तो किद है तझ
ु पर, वैसे इस लड़की क स्व द कैस थ …” चौधरी सर ने
मैडम को पछ
ू ।
मैडम एक ह थ से दीदी के मम्प्मे सहल रही थी और एक ह थ से मेरे मरु झ ये लण्ड को लय र से मसल रही थीां।
मश्ु कुर कर बोलीां- “अरे ये कोई पछ
ू ने की ब त है … ये लड़की तो एकदम लमठ ई है लमठ ई। जव न बदन क रस है
आखखर। और इस लड़के ने भी बहुत अच्छी मेहनत की। बहुत लय र से और जोर से धक्के लग रह थ । मेरी बरु
को परू मज हदय इसने…”
हमने मड
ांु ी हहल यी।
“तो बस घर ज कर अच्छे से नह धोकर फ़्रेश होकर च र बजे आ ज य करो। मैं और मैडम तीन घांटे तम्प्
ु हें
पढ़ येंगे, स त बजे तक। ठीक है न …”
“सर हम रे लेसन ऐसे ही आप और मैडम दोनों लमल कर लेंगे कक अलग-अलग। य ने…” कहकर मैं शरम कर चुप
हो गय ।
“तम
ु बोलो। तम्प्
ु हें मैडम से पढ़न है य मझ
ु से… तू भी बत लीन …” चौधरी सर मश्ु कुर कर बोले।
लीन दीदी ने मेरी ओर दे ख । उसके मन की ब त मैं समझ गय - “सर, हम दोनों को आप दोनों से पढ़न है
सर, आप बहुत अच्छे लेसन दे ते हैं…” मैं खझझकत हुआ बोल ।
मैं और लीन खुशी से एक स थ बोल पड़े- “ह ूँ मैडम…” और अपनी ककत बें उठ कर चलने की तैय री करने लगे।
लीन ने मड़
ु कर खझझकते हुए मैडम से पछ
ू - “मैडम, शननव र और रपवव र को छुट्टी होगी क्य ?”
लीन ने मेरी ओर दे ख । मैं स हस करके बोल - “ह ूँ सर, घर में तो हम अकेले हैं, न नी भर है , आस पड़ोस में
पहच न भी नहीां है । आप कहें तो…”
“अरे व ह, ये तो अच्छी ब त है , तम
ु अगर पढ़न च हते हो तो हम तो बड़ी खश
ु ी से पढ़ येंगे। ऐस करो न नी को
बोल दो कक शननव र को स्पेशल क्ल स होगी छह घांटे की, सब
ु ह जल्दी ख न ख कर 11:00 बजे आ ज य करो।
प ांच बजे तक अच्छे से पढ़ ई करें गे हम लमलकर। ठीक है न … परसों ही शननव र है , तभी से शरू
ु कर दें ग…
े ”
दो लमनट हम चुपच प चलते रहे , आज के हदन जो हुआ थ , वह इतन मस्ती व ल थ कक पवश्व स ही नहीां हो
रह थ । मन में थोड़ डर भी थ कक हमने जो ककय वो गलत तो नहीां ककय । थोड़ी दे र ब द लीन दीदी बोली-
“क्य ककय रे सर ने तेरे स थ अकेले में …”
“ह ूँ अननल, सच कहत है, वैसे ये गलत ब त है । हमें श यद नहीां आन च हहये है न …” दीदी बोली और मेरी ओर
दे खने लगी।
30
मैं थोड़ बबचक गय , सोच कक ि लतू ये कह कक सर और मैडम ने हमें िांस य । दीदी अब सोच रही थी कक
ट्यश
ू न ही बांद कर दें । लीन को मन ने के ललये बोल - “दीदी, वैसे मझ
ु े पक्क नहीां म लम
ू , ऐसे ही कह । पर
सच बोलो, मज आय कक नहीां…”
“आयेंगे न दीदी, ललीज़…” मैंने दीदी क ह थ पकड़कर कह - “मज आयेग । सर और मैडम ने ज नबझ
ू कर भले
ककय हो पर हम ही तो दे खते थे उन दोनों को, उनकी समझ में आ गय और उन्होंने ह थ स ि कर हदय । हमें
भी तो यही च हहये थ न दीदी… बोलो, आयेंगे न दीदी?”
“ह ूँ आयेंगे। पर ककसी को बत न नहीां, तेर कोई भरोस नहीां…” दीदी मेरी ओर दे खकर बोली।
“मेर क्य हदम ग खर ब हुआ है… पर दीदी अब मैडम और सर लमलकर हमको… य ने आज जैसे रोज… य ने
चोदें गे क्य ?” मैंने पछ
ू ।
“किर क्य , पज
ू करने को बल
ु य है …” दीदी हूँसने लगी।
“दीदी, तम
ु चुदव लोगी सर से… मैं तो मैडम को रोज मस्त चोद करूांग आज की तरह…”
“पर दीदी, मैं तो मदि हूूँ। मेरी… य ने मेरी चूत थोड़े है तेरे जैसी, किर कैसे चोदें ग?
े ” मैंने सकपक कर पछ
ू ।
“तो दीदी, मैं क्य लसफ़ि मैडम के स थ मस्ती नहीां कर सकत , सर मन करें गे क्य ?” मैंने पछ
ू ।
“ह ूँ दीदी, पहले बहुत अजीब लग , पर ब द में मेर खड़ होने के ब द अच्छ लग । मैं तो बस थोड़ इसललये डर
रह थ कक सर क बहुत बड़ है । वैसे बहुत मस्त है दीदी, एकदम खब ू सरू त है, जब मैं ह थ में लेकर… तब बहुत
मज आ रह थ दीदी…”
“तो न टक मत कर, अपन दोनों कल से चलेंगे तीन घांटे के ललये, ठीक है न …” दीदी बोली।
“ह ूँ दीदी। बहुत मज आयेग दीदी, आज तो सर पहले ड ांट रहे थे इसललये मैं घबर गय थ , ब द में ककतन
लय र ककय उन्होंने, है न दीदी…” मैं खुद को समझ त हुआ बोल , कल के ब रे में सोच सोचकर मेर लण्ड किर
से खड़ हो रह थ ।
“दीदी, तम
ु बहुत सद
ुां र हो, मेर खड़ हो ज त है …” मैंने सि ई दी।
“वो ठीक है रे । पर जब हम सर के यह ां ज येंगे तो क्य थके हुए ज यें… हमें परू आर म करके त जेदम होकर
ज न च हहये, जजससे सर और मैडम को मज आये। ऐसे र त को मज करन शरू ु कर हदय तो उनको जरूर
पत चल ज येग , किर पढ़ ई की छुट्टी…”
“दीदी पर तेरी चत
ू ककतनी लय री हदख रही थी आज… तम
ु तो हदख ती भी नहीां हो ठीक से। कम से कम च टने
दोगी दीदी आज र त… ललीज़…” मैंने दीदी क ह थ पकड़कर कह ।
“मैंने मन ककय न , सन
ु नहीां… अब ऐसी रोनी सरू त मत बन । सर और मैडम के स थ जब स थ-स थ लेसन
होग तो जरूर च ांस लमलेग तझ
ु े दे ख…”
32
हम दोनों घर की ओर चलने लगे
***** *****055
दस
ू रे हदन हम जल्दी पहुूँच गये।
“आओ बच्चो, दस लमनट जल्दी ही आ गये…” सर ने दरव ज हम रे पीछे बांद करते हुए पछ
ू ।
“बहुत अच्छ ककय । ज्य द ट इम लमलेग हमें, है न … लो ये मैडम भी आ गईं…” सर ने कह । वे लसफ़ि कुरत
पज म पहने हुए थे। लगत है अांदर और कुछ नहीां थ क्योंकी हम दोनों को दे खते ही उनके प ज मे में धीरे -धीरे
एक तांबू बनने लग ।
मैडम लसफ़ि एक ग उन पहने हुए थीां। उन्होंने भी अांदर कुछ नहीां पहन थ । उनके स्तनों क उभ र तो ग उन में
हदख ही रह थ , ऊपर से ननपलों क शेप भी हदख रह थ । हम री नजर कभी मैडम के मम्प्मों पर ज ती और
कभी सर के पज मे में बने तांबू पर।
सर मश्ु कुर ये और बोले- “चलो, अब आध घांट पढ़ लो। और खबरद र, ठीक से पढ़न , पढ़ ई में कोई गलती नहीां
होनी च हहये। आज से अब पननशमें ट भी लमलेग समझे न … चलो, तम
ु दोनों अब मैडम से पढ़ो, किर मेरे प स
आन …” सर दस
ू रे कमरे में चले गये।
“मैंने कह न आगे कर… ऐसे…” किर सट से खड़ी स्केल दीदी की हथेली पर जड़ दी।
“उईऽ मैडम दख
ु त है । ललीज़ मैडम। ललीज़…” वो रोने को आ गई और ह थ पीछे खीांच ललय ।
दीदी मस
ु मस
ु कर रोने लगी।
33
मैडम कड़े स्वर में बोलीां- “समझ नहीां है तझ
ु में… इतनी बड़ी हो गई है । यह ां पढ़ने आती है न … अगर िेल हो
गई तो तेरी न नी कहे गी कक मैडम तो कुछ पढ़ ती नहीां हैं, किर तेरी ट्यश
ू न बांद हो ज येगी और यह ां आन भी
बांद हो ज येग … यही च हती है त?
ू ”
उसके ब द वो भी बड़े ध्य न से पढ़ने लगी। आधे घांटे ब द मैडम ने श ब सी दी- “ऐसे पढ़ करो अच्छे बच्चों
जैसे। अब सर के प स ज ओ, अननल तम
ु लेसन खतम होने पर किर मेरे प स आन , और लीन तू सर के कमरे
में ही रहन , किर हम र अगल लेसन शरू
ु होग , जजसके ललये तम
ु दोनों बेत ब हो, ठीक है न ?”
मैंने रोनी आव ज में ‘स री’ कह और ध्य न दे कर पढ़ने लग । हम दोनों समझ गये थे कक अगली मस्ती व ली
पढ़ ई के ललये इस पढ़ ई को सीररयसली लेने की जरूरत थी।
आधे घांटे ब द सर बोले- “चलो, आज क ये लेसन खतम हुआ। लीन , तू बहुत ध्य न से पढ़ती है, बहुत अच्छी
बच्ची है , तू यहीां रुक, अब तझ
ु े अगल लेसन दे त हूूँ। अननल तम
ु मैडम के कमरे में ज ओ…”
मैं मैडम के कमरे में द खखल हुआ, हदल धड़क रह थ । मैडम परू ी नांगी होकर सोिे पर बैठी मेर इांतज र कर
रही थीां।
“आओ अननल, पहले अपने सब कपड़े उत रो, किर मेरे प स आओ…” अपने मम्प्मे एक ह थ से सहल ती हुई वे
बोलीां। उनक दस
ू र ह थ अपनी बरु से खेल रह थ ।
मैंने िट िट कपड़े उत रे और शरम त हुआ उनके प स बैठ गय । मेर लण्ड अभी बैठ थ ।
मैडम ने मझ
ु े चम
ू ललय - “अब घबर ने की जरूरत नहीां है , अब पढ़ ई भल
ू ज ओ और इस तरि ध्य न दो। दे खो,
तेरी दीदी क लेसन कैस चल रह है ?”
मैंने दे ख तो दोनों कमरों के बीच में एक खखड़की थी। मैं चकर गय , कल तक तो यह नहीां थी।
34
खखड़की में से सर क कमर हदख रह थ । सर ने अपने कपड़े उत र हदये थे और दीदी को गोद में बबठ कर चूम
रहे थे। दीदी शरम रही थी पर बड़ी खश
ु ी-खश
ु ी चौधरी सर को चम्प्
ु मे दे रही थी। सर कुछ दे र तक दीदी की
चूांगचय ां ब्ल उज़ पर से दब ते रहे किर अपन लण्ड दीदी के ह थ में दे हदय और उसके कपड़े उत रने लगे। सर
क बदन एकदम गठील और गोर गचट्ट थ । लण्ड के च रों ओर अच्छी घनी झ ांटें थीां।
मेर लण्ड खड़ हो गय । मैडम भी बड़े लय र से उसे महु ठय रही थीां। अब मेरी खझझक ज चुकी थी, स हस करके
मैंने मैडम की एक चच
ू ी पकड़ ली और धीरे -धीरे दब ने लग ।
क्योंकी चौधरी सर और दीदी के बीच क क म दे खकर मैं उत्तेजजत हो गय थ और जोर से मैडम के ननपल
मसलने लग थ । मैंने स री कह तो मैडम बोलीां- “अरे परे श न मत हो अननल बेटे, मझ
ु े अच्छ लगत है, जर
दब भी न जोर से मेरे मम्प्मे, मन में तो खूब सोचत होग कक मैडम लमल ज यें तो उनके भोंपू दब ऊूँग तो अब
क्यों शरम रह है?”
“मैडम भोंप…
ू ” मैंने कह ।
मैडम ने नरम-नरम भोंपू दब त हुआ मैं दे खने लग । अब तक सर ने दीदी को नांग कर हदय थ और उससे
कुछ कह रहे थे। दीदी शरम रही थी। सर ने उसे गोद में लेकर अपने लण्ड पर स इककल के डांडे जैस बबठ
ललय थ और उनक तन हुआ लण्ड दीदी की दब ु ली पतली ज ांघों के बीच से ब हर ननकल आय थ । सर अब
दीदी की चूांगचय ां दोनों ह थों से मसल रहे थे और कस के उसे चूम रहे थे। वे ब र-ब र दीदी क मह
ूँु अपने होंठों
से खोलते और चूसने लगते। दीदी एक लमनट शरम ती रही किर उसने भी मूँह
ु खोलकर अपनी जीभ सर को
चूसने को दे दी और हथेली में उनक सप
ु ड़ लड्डू जैस पकड़ ललय ।
उनकी चम
ू च टी दे खकर मझ
ु से न रह गय और मैंने मैडम की ओर दे ख । उन्होंने मश्ु कुर कर मेरे होंठों पर अपने
गल
ु बी होंठ रख हदये और चूमने लगीां। उनकी जीभ मेरे मूँह
ु पर लग रही थी। मैंने मूँह
ु खोल और मैडम की
रसीली जीभ चस
ू ने लग । स थ-स थ मैं कमर हहल कर मैडम की मठ्
ु ठी में दबे मेरे लण्ड को आगे पीछे कर रह
थ।
35
मैडम ने किर मेर लसर अपनी छ ती पर दब य और बोलीां- “अननल, अब मूँह
ु में लो। अपनी मैडम के मम्प्मे
चस
ू ने क मन नहीां करत है क्य ?” मेर ह थ पकड़कर उन्होंने अपनी बरु पर रख हदय ।
“अरे ऐसे उां गली से कर मेरे बच्चे, जर मज दे मझु ,े अब सीख ले यह कल , बहुत क म आयेगी तेरे। उधर दे ख,
तेरे सर क्य कर रहे हैं। आह्ह… ह ूँ ऐसे ही रगड़ अब। अरे जर धीरे , लय र से…”
मैंने दे ख तो अब चौधरी सर ने दीदी को एक कुरसी में बबठ हदय थ और स मने बैठकर उसकी चत
ू च ट रहे
थे। बड़े लय र से उसपर नीचे से ऊपर तक जीभ रगड़ रहे थे जैसे कैं डी च ट रहे हों। दीदी मेरी और मैडम की
तरि दे ख रही थी, उसक चेहर ल ल हो गय थ पर एकदम खुश नजर आ रही थी। सर ने अब उसकी बरु की
लकीर में एक उां गली ड ली और नघसने लगे। दीदी ‘सी’ ‘सी’ करने लगी। थोड़ी दे र से सर ने उां गली मोड़ी और
धीरे से दीदी की बरु में घस
ु ड़
े दी।
“ह ऽय… आऽह… सर… बहुत अच्छ लगत है सर… ललीज़ सरऽ… उईऽ म ूँऽ…” कहकर दीदी अपनी कमर हहल ने
लगी। उसने सर क लसर पकड़ ललय थ और उनके मह ूँु पर अपनी चत
ू रगड़ रही थी।
दे खकर मझ
ु से न रह गय । उनक ननपल मूँह
ु से ननक लकर मैंने अपनी उां गली मैडम की बरु में से ननक ली और
च टकर दे खी- “मैडम मैं आपकी चूत चूस…
ूां ”
“क्यों रे … चस
ू ेग कक चोदे ग … कल तन
ू े बहुत अच्छ चोद थ । मज आय । बहुत हदन में ककसी ने ऐसे चोद
मझु …
े ” मैडम मेरे ग लों पर अपनी चूांगचय ां रगड़ती हुई बोलीां।
“मैडम, चोदां ग
ू भी पर पहले चस
ू ने दीजजये न , कल भी आपने लसफ़ि दीदी को चत
ू चटव यी, मझ
ु े कुछ नहीां
लमल …” मैं बोल । मेरे मन में आय कक सर क इतन मस्त लण्ड है , उससे तो मैडम रोज चुदव ती होंगी, किर
ऐस क्यों बोलीां कक बहुत हदन ब द कल चुदव य । पर कुछ बोल नहीां।
“चल, चूस ले, वैसे तेरी दीदी ने भी बहुत लय र से मेरी बरु क रस पपय थ कल…” कहकर मैडम ने पैर फ़ैल
हदये। मैं झट से नीचे बैठ और उनकी बरु से मूँहु लग हदय ।
“ह ूँऽ बस ऐसे हीऽ जीभ लग । वो द न है न … वह ां बस ऐसे ही। बहुत अच्छे अननल। अच्छ लग टे स्ट?”
36
“ह ूँ मैडम…” मैं बोल और चूसत रह । थोड़ी दे र के ब द वे आगे पीछे होने लगीां और मेरे लसर को अपनी ज घ
ां ों
में कसकर मेर चेहर अपनी बरु पर सट ललय ।
“ओह्ह… ओह्ह… तम
ु दोनों बच्चे हो बड़े होलशय र इन क मों में । आहऽ… वो दे ख तेरी दीदी झड़ गई। छूटने की
कोलशश कर रही है पर सर उसे नहीां छोड़ेंग,े रस क चस्क जो लग गय है । अब तेरी दीदी की बरु को ननचोड़
कर ही दम लेंगे। ओह्ह… ओह्ह… ले… तू भी पी मेर रस। ह ूँऽ ह ूँ अननल। ऐसे ही…” कहते हुए मैडम क बदन
कांपकांप य और मेरे मूँह
ु में प नी बहने लग ।
मैं मूँह
ु पोंछत हुआ उठ बैठ । दे ख तो दीदी सर के स मने नीचे बैठकर उनक लण्ड मूँह
ु में लेने की कोलशश कर
रही थी। बस सप ु ड़ ही ले प यी थी, उसके ग ल फ़ूल गये थे। सर अपन लण्ड उसके मह ूँु में पेलने की कोलशश
कर रहे थे और कह रहे थे- “लीन , ऐसे तो तन
ू े कल भी चूस थ , अब नय कुछ सीखन है कक नहीां… और मूँह
ु
में ले, ज ने दे गले में, रोक नहीां, परू ले आज…”
वे कमरे के ब हर गये और एक लमनट में एक मोट लांब केल लेकर व पस आये। केल छीलते हुए बोले- “इससे
रैजक्टस करव त हूूँ, दे ख लीन , पहली ब त यह ध्य न में रख कक गले को ढील छोड़, एकदम ढील । दस
ू रे यह
कक ऐसे समझ कक तू जो ननगल रही है उसमें से तझ
ु े बहुत सी मल ई लमलने व ली है , ठीक है न … अब मह
ूँु
खोल…”
लीन ने मड
ुां ी हहल ई और परू मूँह
ु ब हदय । चौधरी सर ने उसके मूँह
ु में केल ड ल और धीरे -धीरे अांदर घस
ु ड़
े ने
लगे। च र प ांच इांच के ब द दीदी कसमस ई तो वे रुक गये- “तू गल नहीां ढील कर रही है लीन , बबलकुल ढील
कर…”
लीन दीदी ने पलकें झपक ईं और सर किर से केल अांदर ड लने लगे। इस ब र दीदी परू ननगल गई।
37
“श ब स लीन , ये हुई न ब त। ये केल बड़ व ल मद्र सी केल है, दस इांच क , मेरे लण्ड से दो इांच बड़ , अब
तो तू आर म से ले-लेगी, बस अांदर ब हर करने की रैजक्टस कर। लण्ड चस
ू ते समय, जजतन जरूरी परू मूँह ु में
लेन है , उतन ही ब र-ब र अांदर ब हर करन है, इससे जो मज लमलत है उससे कोई भी मदि तेर गल
ु म हो
ज येग । और दे ख, द ांत नहीां लग न , इस केले पर दे ख ये ननश न बन गये हैं, अब बबन द ांत लग ये अांदर ब हर
कर, द ांतों को अपने होंठों से ढक ले…”
मैडम ने मझ
ु से कह - “तेरी दीदी तो एकदम एक्सपटि हो गई अननल… लगत है क फ़ी मतव ले स्वभ व की है ।
आ, मैं भी तझ
ु े जर मज दां ू इस ब त क , पर झड़न नहीां हां … नहीां तो सर मझ
ु े ड ांटेंगे, बोले थे कक अननल को
इस लेसन में झड़ न नहीां…”
***** *****
सर ने केल एक ललेट पर रख हदय थ और दीदी को स मने िशि पर बबठ कर उसके मूँह
ु में लण्ड पेल रहे थे।
आध तो दीदी ने ले भी ललय थ । सर लय र से दीदी के ब ल सहल रहे थे- “दे ख गय न गले के नीचे… बस हो
गय , अब परू ले-ले…”
दीदी ने लसर नीचे ककय और सर की झ ांटें उसके होंठों पर आ हटकीां। दीदी के ग ल ऐसे फ़ूल गये थे जैसे बड़
सेब मूँह
ु में ले ललय हो।
38
तो वे बोलीां- “अरे तू लेट रह, मैं चोदां ग
ू ी, तेर कोई भरोस नहीां, झड़ ज येग । तू लेट और वो लसनेम दे ख, मैं
करती हूूँ जो करन है …”
मझ
ु े ललट कर मैडम मेरे ऊपर चढ़ गईं और मेरे लण्ड को अपनी चूत में लेकर मेरे पेट पर बैठ गईं। किर चोदने
लगीां। चुद ई क आनांद लेते हुए मैंने दस ू रे कमरे में दे ख तो सर दीदी से लण्ड चस
ु व ते हुए वो व ल केल ख
रहे थे, जो दीदी के मूँह
ु में अांदर ब हर हुआ थ । मेरे चेहरे के भ व दे खकर मैडम हूँसने लगीां- “अरे अचरज क्यों
करत है , तेरी दीदी क चम्प्
ु म इतन मीठ है, सर उसके मूँह
ु क स्व द ले रहे हैं…”
“तेरे मूँह
ु के स्व द क जव ब नहीां लीन , अमत
ृ है अमत
ृ , अब जब ककस करूां तो मेरे को ढे र सी च सनी पपल न
अपने मूँह
ु की। ठीक है न …” सर केल खतम करके बोले।
सर अब आर म से पीछे हटक कर बैठ गये और लीन दीदी क लसर पकड़कर उसके ब लों में उां गललय ां चल ते हुए
दीदी के लसर को आगे पीछे ग इड करने लगे- “ह अ लीन … बस ऐसे ही। ह ूँ… ह ूँ मेरी र नी। मेरी ल ड़ली बच्ची।
चूस र नी चूस। अपने सर क लौड़ चूस। उनक रस द प ले। चल चूस…”
थोड़ी ही दे र में सर ने दीदी के सर को कसकर अपने पेट पर भीांच ललय और झड़ गये- “ओह्ह… ह ूँ… लीन । तू
तो कम ल करती है री। आह्ह… मज आ गय …”
सर ने उसे खीांचकर वह ां के सोिे पर ललट य और उसक बदन जगह जगह चूमने लगे- “बहुत लय री है तू लीन ,
अब जर आर म कर, मझ ु े अपने इस खूबसरू त बदन क स्व द लेने दे …”
वे दीदी को हर जगह चूम रहे थे, छ ती, पेट, पीठ, कांधे, ज ांघ,ें पैर। थोड़ी दे र किर से उन्होंने दीदी की बरु चूसी
और दीदी जब गरम कर सी सी करने लगी तो उसे पलटकर सोिे पर पेट के बल ललट हदय और उसके चूतड़ों
में मूँह
ु ग ड़ हदय ।
पर सर ने उसके चत
ू ड़ों को नहीां छोड़ ।
39
मैडम अब कस के मझ ु े चोद रही थीां। अपने मम्प्मे खदु दब रही थीां। ह ांिते हुए बोलीां- “अरे यह लीन … नहीां
ज नती कक वह …
ां पीछे … तेरे सर क ख स इांटरे स्ट है । समझ ज येगी जल्दी। ओहऽ ओहऽ अननल…” कहकर वे झड़
गईं और मेरे पेट पर उनक प नी बह आय । मैं उठने लग तो बोलीां- “अरे रुक… एक ब र और। अभी मन नहीां
भर मेर । सर अब लीन को लेकर आते ही होंगे। तब तक… और दे ख… झड़न नहीां…”
मैडम ने मझ
ु े दस लमनट और चोद । उधर सर दीदी के बदन को लय र करते रहे , वे ब र-ब र दीदी की बरु य
ग ण्ड से मूँह
ु लग दे ते थे। बीच में उन्होंने मैडम की ओर दे ख और आूँखों-आूँखों में पछ
ू कक हो गय क्य तो
मैडम ने लसर हहल कर न बोल हदय । सर किर से दीदी की ग ण्ड चूसने में जट
ु गये।
दस
ू री ब र जब मैडम झड़ीां तो उन्होंने सर की ओर दे ख और मश्ु कुर दीां। सर ने लीन को उठ य और बोले-
“चल मेरी र नी, अब एक स थ लेसन लेंगे तम
ु दोनों क …”
दीदी एकदम मस्त थी, सर की गदि न में ब हें ड लकर ब र-ब र उनको चूम रही थी। हम रे कमरे क दरव ज खुल
और सर दीदी को उठ ये अांदर आये- “व ह अननल, मैडम अच्छ लेसन दे रही है तझ
ु ,े तेरी इस दीदी ने तो आज
बहुत कुछ सीख , है न लीन …”
“ह ूँ… बहुत। ये लड़क कम ल क है, बहुत कांट्रोल है इसे। मैंने दो ब र चोद , यह आर म से सह गय …” मैडम
मझु पर से उतरती हुई बोलीां।
मझ
ु े ठीक से समझ में नहीां आय कक मेरे लण्ड की इतनी त रीि क्यों हो रही है , सर के मतव ले मस
ू ल के आगे
तो ये कुछ भी नहीां है, और सर के लण्ड पर तो मैडम क ही हक है, च हे जैसे चद
ु व यें।
लीन के ब जू में लेटकर मैडम ने लीन दीदी की चूत में उां गली ड ली और उसक मूँह
ु चूमने लगीां- “ये लड़की तो
एकदम गरम गई है सर। लगत है आपने खब
ू अगन दी है इसकी ट ांगों के बीच, इसको ठां ड नहीां ककय ठीक
से…”
40
“ह ूँ सर, बहुत मस्ती लग रही है , रह नहीां ज रह है …”
“अरे मैडम को तो अब तक चोद रहे थे। कल भी चोद थ , मन नहीां भर लगत है । अब और ककसी को चोदो…”
वे बोले- “अरे अपनी इस लय री दीदी को चोद लो। बेच री दे खो कैसी तरस रही है । ऐसे क्यों दे ख रहे हो… दीदी
को चोद नहीां है न अब तक…”
“नहीां सर…”
दीदी की ह लत खर ब थी, मैडम उसकी बरु में ऐसी उां गली कर रही थीां कक दीदी बेच री बस तड़प-तड़पकर कमर
हहल रही थी। मैडम उसक मह
ूँु चस
ू रही थीां इसललये वह चप
ु थी। जब मैडम ने दो लमनट ब द उसक मह
ूँु छोड़
तो लससक कर बोली- “ह ूँ सर, ललीज़ सर… मैडम… ललीज़ आप…”
दीदी ने मैडम की चच
ू ी चूसते-चूसते हुए पलक झपक कर ह ूँ कह ।
मैडम हूँसने लगीां- “क्यों सर, आप प ठ बहुत अच्छ पढ़ ते हैं लगत है… ये लड़की आप पर लट्टू है, दे खो झट से
ह ूँ कह हदय नहीां तो लड़ककय ां ककतने नखरे करती हैं। अब आप चोदें गे न …”
सर बोले- “ह ूँ चोदां ग
ू , इस फ़ूल सी नरम बरु में घस
ु ने के खय ल से ही दे खो मेर लण्ड कैस किर से मचलने
लग है । पर इसपर ज्य दती हो ज येगी। अभी मस्ती में चहक रही है, किर चीखने गचल्ल ने लगेगी। इसललये
कहत हूूँ इसे पहले अननल से चुदव दो और इसकी चत
ू खोल दो, किर मेर ज ने में इसको तकलीि नहीां होगी…”
“ह ूँ भई, भ ई बहन को चोदे इससे ज्य द मस्ती की ब त और क्य हो सकती है, है न लीन … चल अननल तू
इधर आ जल्दी से…” कहकर मैडम ने लीन दीदी को नीचे पलांग पर ललट हदय - “लीन , ठीक से लेट और ट ांगें
फ़ैल , अब जर अपने भ ई क लण्ड ह थ में लेकर दे ख, इसे लेगी न अब अपनी चूत में…”
दीदी तो अब मछली जैसी तड़प रही थी। उसने झट से ट ांगें फ़ैल यीां और मेर लण्ड पकड़कर बोली- “अननल,
जल्दी कर न । ह य… मैडम रह नहीां ज त …” उसकी नजर सर के किर से खड़े लण्ड पर हटकी थी।
41
चौधरी सर बोले- “अननल बेटे, पहले लीन की चत
ू की पज
ू करो, आखखर तम्प्
ु ह री बड़ी बहन है …”
वह मेरे लसर को भीांचकर तड़पने लगी- “सर… सर… रह नहीां ज त सर… बहुत अच्छ लगत है सर…”
मैं लप लप दीदी की बरु च टने में जुट थ । आज लग रह थ जैसे वरद न प ललय हो, जजस लमठ ई की इतने
हदन तमन्न की थी, वो अब प ली थी मैंने।
“अरे धीरे बेटे, हौले-हौले, दीदी ने कभी लण्ड ललय नहीां है न , ऐसे धसड़ पसड़ न कर…” मैडम ने समझ य ।
“अरे मोमबत्ती ककतनी मोटी है और तेर ये लण्ड ककतन मोट है , कुछ तो खय ल कर…”
मैंने किर लण्ड पेल और वो परू दीदी की बरु में सम गय । दीदी जर सी गचहुूँकी और मझ
ु े कस के पकड़
ललय ।
चौधरी सर खुश होकर बोले- “बहुत अच्छे बेटे। ये अच्छ हुआ, बहन ने कैसे लय र से भ ई क ले ललय । भ ई क
हो तो ददि भी कम होत है । अब चोद धीरे -धीरे । जगह बन मेरे मस
ू ल के ललये। लय र से चोदन , और जर
मस्ती से दस लमनट तक चोद, जल्दी मत कर…”
मैं चोदने लग । पहले धीरे चोद कक दीदी को ददि न हो। पर दीदी की चूत ऐसी गीली थी कक आर म से लण्ड
अांदर ब हर होने लग । दीदी कमर उचक ने लगी और मैडम की चच
ू ी मूँह
ु से ननक लकर बोली- “अननल… बहुत
अच्छ लग रह है रे । मैडम… बहुत मज आ रह है मैडम…”
42
मैडम ने अपन मम्प्म किर से दीदी के मूँह
ु में घस
ु ेड़ और खद
ु दीदी के मम्प्मे मसलने लगीां- “चल अननल चोद
अपनी बहन को। कब से इसक मौक दे ख रह थ न त…
ू चल अब दीदी को हदख दे कक ककतन लय र करत
है …”
मैडम उनसे बोलीां- “अरे सर, अपने स्टूडेंट क हौसल बढ़ इये, दे ख बेच र ककतनी मेहनत कर रह है …”
सर मेरे प स आकर बैठ गये और मेरी कमर और चूतड़ों पर ह थ किर ने लगे- “बस ऐसे ही अननल, कसकर चोदो
हचक-हचक कर, तेरी दीदी की चूत अब खुल गई है , मस्ती से चोदो, झड़न नहीां बेटे…” कहकर उन्होंने मेरे मूँह
ु
को चूमन शरू
ु कर हदय । अपने ह थ से वे अब मेरे चूतड़ ऐसे दब रहे थे जैसे चूतड़ न होकर ककसी औरत के
मम्प्मे हों। इधर उनकी जीभ मेरी जीभ से लगी और उधर मझ
ु े ऐस मज आय कक मैंने दो च र धक्के कसकर
लग ये और झड़ गय ।
मैडम बोलीां- “अरे उसे लसख रही थी कक मज लेने के ललये कांट्रोल कैसे करते हैं, खैर चलो अच्छ हुआ, ये
लड़की अब परू ी मस्ती में है, बेच री झड़ी भी नहीां है । सर, आप इसकी तकलीि दरू कर दीजजये…”
मेर लण्ड ननक लकर मैं ब जू में बैठ गय । दीदी को चोदकर बहुत अच्छ लग रह थ । मैडम बोलीां- “इधर आ
बेटे, ऐसे मेरे प स आ…” मैं उनके प स गय तो झक ु कर उन्होंने मेरी नन्
ु नी मूँह
ु में ली और चूसकर स ि कर
दी।
उधर सर भी झक
ु कर दीदी की बरु च ट रहे थे। लीन दीदी ने उनक लसर पकड़ ललय और कमर हहल ने लगी।
मैडम हूँसने लगीां- “क्यों सर, गन्ने के रस को चखने क कोई भी मौक आप नहीां छोड़ते…”
“मैडम, ये ख स छोटे रसीले गन्ने क रस है, और गन्ने के रस के स थ-स थ कमलसन बरु क शहद भी है ।
इतन अच्छ म ल कौन छोड़ेग , आपने छोड़ …” कहकर उन्होंने दीदी की बरु परू ी च टी और किर उसकी ट ांगों के
बीच बैठ गये- “चल लीन , ट ांगें फ़ैल । मैडम आप अपनी स्टूडेंट को सांभ ललये, उसने बड़ क म ककय है, इस
लड़की की चूत ऐसी गचकनी और गीली कर दी है कक अब ये आर म से मेर ले-लेगी…”
43
मैडम समझ गईं और लीन के मूँह
ु से चच
ू ी ननक लकर उसके ब जू में लेट गईं। लीन को ब हों में भरके चूमते
हुए बोलीां- “लीन , अब मज ले, सर मेहरब न होने व ले हैं तझ
ु पर…”
सर क मस
ू ल दीदी की चत
ू को चौड़ कर रह थ , दीदी की बरु क छे द ऐसे िैल थ जैसे िट ज येग, तने रबर
बैंड स लग रह थ । दे खकर मझ
ु े भी मज आ गय । मैंने दीदी के पैर पकड़े और सर ने कस के सट क से
अपन परू लण्ड दीदी की बरु में ड ल हदय । दीदी क बदन एकदम कड़ हो गय और वो क ांपने लगी, अब वो
परु ी तरह से तड़पती हुई ह थ पैर िटक रने की कोलशश कर रही थी पर मैंने और मैडम ने उन्हें कस के पकड़े
रख , हहलने तक नहीां हदय । उधर दीदी की आूँखों में ददि से आांसू आ गये थे और वो बड़ी क तर आूँखों से हम री
ओर दे ख रही थी। सर मस्ती में आकर बोले- “ओह्ह… ओह्ह… क्य कसी चत
ू है इस लौंडी की। मैडम, मज आ
गय , बहुत हदन हो गये ऐसी चूत लमली है …”
सर दीदी के सांभलने क इांतज र करने लगे। स थ ही झुक कर होंठों से दीदी की आांखें चूमने लगे। मेर लण्ड अब
लसर उठ ने लग थ । सर ने उसे पकड़ और दब ने लगे- “अननल, मज आ रह है दीदी की चुद ई दे खकर…”
“ह ूँ सर, दीदी की चूत ककतनी खुल गई है, ये िट तो नहीां ज येगी सर…” मैंने उत्सक
ु त से पछ
ू ।
“अरे नहीां, तेरी दीदी जैसी खूबसरू त मतव ली लड़ककयों की चूत ऐसे नहीां िटती, ये तो बनी ही है हरदम चद
ु व ने
को। बस दो लमनट ब द ये कैसे मचलने लगेगी, तू ही दे खन …”
सर मझु े प स खीांचकर मेर चुम्प्म लेते हुए बोले। मैडम अपनी छ ती से दीदी की छ ती मसल रही थीां और किर
से लीन दीदी के होंठ चूसने में लग गई थीां। धीरे -धीरे दीदी क कांपकांप त बदन श ांत हुआ। सर ने एक उां गली से
दीदी क द न रगड़न शरू
ु कर हदय । दो लमनट में दीदी कमर हहल ने लगी।
44
मैडम बोलीां- “तेरी गलती नहीां है , सर क हगथय र है ही ऐस मस
ू ल जैस , मझ
ु े म लम
ू है , मैं तो कब से सह रही
हूूँ। पर अब दे ख, सर तझ
ु े ऐस मज दें गे कक तू स्वगि क सख
ु लेगी…”
दीदी हौले-हौले स ांसें ले रही थी और सर की आूँखों में आांखें ड ले हुए थी- “सर… मज आ रह है सर… कीजजये
न और…”
सर उसे अब हौले-हौले चोदने लगे। दीदी ने एक लससक री भरी और सर से ललपट गई- “ह ऽय सर… उईऽ म ांऽ…
सर ददि होत है सर पर बहुत अच्छ लग रह है सर। और… और कीजजये न … ललीज़…”
मैडम ने मझ
ु े प स खीांच ललय - “अरे ऐसे क्य दे खत है अननल बेटे… तेरी दीदी ककतनी चद
ु ै ल है ये अब पत
चल है तझ
ु े। मैंने तो इसे दे खते ही पहच न ललय थ …”
दीदी लससक लससक कर कह रही थी- “सर… बहुत मज आ रह है सर… रह नहीां ज त । आह्ह… ओह्ह… ललीज़।
ललीज़… और जोर से कीजजये। चोहदये न … मैडम दे खखये न … ललीज़…”
और मझु े बोले- “तू क्यों ऐसे बैठ है अननल, चढ़ ज मैडम पर, चोद ड ल। बजल्क मैं तो कहूांग कक ग ण्ड म र ले
उनकी, क्यों मैडम…”
मझ
ु े रोम च
ां हो आय । मैडम की ग ण्ड म रने को लमलेगी क्य … पर लगत थ आज वो जन्नत मेरे नसीब में
नहीां थी।
मैडम बोलीां- “नहीां सर, ग ण्ड व ांड रहने दीजजये आज। यह मेर लशष्य इतन अच्छ चोदत है कक क्य कहूां। आ
ज अननल, चोद ले मझ ु …
े ” कहकर वे लेट गईं।
“कल पत चल ज येग , यह ां ग ण्डों की कमी है क्य … पर मज आयेग इसे इसकी ग रां टी है…” कहकर सर ने
दीदी के होंठ अपने मह
ूँु में ललये और उसक मह
ूँु चस
ू ते हुए हचक-हचक कर चोदने लगे।
मैं मैडम पर चढ़कर चोदने लग । अब कमरे में बस ‘िच िच’ ‘िच िच’ ‘प क प क पक
ु पक
ु ’ ऐसी चद
ु ई की
आव जें आ रही थीां। दीदी ने अपनी ट ांगें और ह थ सर के बदन के इदि गगदि भीांच ललये थे और कमर उछ ल-
उछ ल कर उनक मूँह
ु चूसते हुए चुदव रही थी।
मैडम मझ
ु े बोलीां- “तेरी दीदी झड़ गई है इसललये अब ह लत खर ब है उसकी। पर तेरे सर नहीां म नेंगे। अब तो
उन्हें ख स मज आ रह होग । आखखर अनचद
ु ी, कच्ची बरु ऐसे रोज-रोज थोड़े लमलती है चोदने को…”
सर ने एक लमनट के ललये चुद ई रोक दी- “इत्ते में खल स हो गई तू लीन … तेरी मैडम को दे ख, घांटों चद
ु व ती हैं
किर भी मन नहीां भरत उनक , उनके जैसी बनन है कक नहीां?”
46
दीदी लांबी-लांबी स ांसें लेती हुई सांभलने की कोलशश करने लगी। हूँसते हुए सर उसके ग ल चूमते रहे , किर
अच नक किर से दीदी के होंठों को अपने मूँह ु में पकड़ और शरू
ु हो गये। अब वे परू ी त कत से चोद रहे थे।
उनक परू लण्ड दीदी की बरु में अांदर ब हर हो रह थ ।
मैडम ने मझ ु े कस के भीांच ललय और मस्ती से अपनी कमर उछ लते हुए बोलीां- “सर उसे छोड़ेंगे नहीां, शेर के
मूँह
ु में खून लग गय है, परू ी मेहनत करें गे और तेरी दीदी को चुद ई क परू सख
ु दे कर ही रुकेंगे, खुद भी परू
मज ललये बबन अब नहीां रुकने व ले ये…”
दीदी छटपट ने लगी। बहुत छूटने की कोलशश की पर सर के आगे उसकी क्य चलने व ली थी। सर अब कस के
धक्के लग रहे थे, बबन ककसी परव ह के कक उनके नीचे कोई चद
ु ै ल रां डी नहीां बजल्क मेरी न जक
ु बहन थी। यह
सीन इतन मस्त थ कक मैं झड़ गय और मैडम पर पड़ पड़ ह ांिने लग । मैडम भी तीसरी ब र झड़ चक
ु ी थीां,
मझ
ु े चूमने लगीां।
हम दोनों दीदी की होती पपस ई दे खने लगे। सर अब ऐसे कसके दीदी की धुन ई कर रहे थे कक दे ख-दे खकर मझ
ु े
ही डर लग रह थ कक दीदी को कुछ हो न ज ये। अच नक दीदी ने आांखें बांद कर लीां और लस्त हो गई,
छटपट न भी बांद हो गय ।
“बेहोश हो गई श यद, बेच री की पहली ब र है, बरु ने जव ब दे ही हदय आखखर बेच री की, आखखर ऐसे सोंटे के
आगे उसकी क्य चलती, इसने तो बड़ों-बड़ों को खल स कर हदय है, ये बच्ची ककस खेत की मल
ू ी है…” मैडम ने
बड़े गवि से कह । किर सर से बोलीां- “अब तो उसपर रहम कीजजये सर, बेच री ने हगथय र ड ल हदये हैं आपके
आगे…”
सर ह ांिते हुए बोले- “अभी नहीां… अब आयेग मज … लगत है कक ककसी रबड़ की गडु ड़य को चोद रह हूूँ। आप
नहीां ज नती मैडम। ऐसे ककसी बेहोश बदन को कचरने में क्य आनांद आत । है । इसे भी मज आ रह होग ।
बेहोशी में भी। नांबर एक की चुदैल कन्य । है ये…” दो लमनट ब द सर भी कस के गचल्ल ये और झड़ गये। किर
दीदी के बदन पर पड़े-पड़े जोर-जोर की स ांसें भरते हुए लस्त पड़कर आर म करने लगे।
प ांच लमनट ब द मैं और सर दोनों उठ बैठे। सर ने उठकर मेर लण्ड च ट और किर मैडम की बरु में मूँह
ु डल
हदय । लप लप उनकी बरु से बहते वीयि और प नी क भोग लग ने लगे। बीच में मेरी ओर मड़
ु कर बोले- “बैठ
क्यों है रे मरू ख… भोग नहीां लग न है … अरे इस रस द से स्व हदष्ट और कुछ नहीां है इस दनु नय में । चल, घस
ु
ज अपनी बहन की ट ांगों में …”
मैडम ने मझ
ु े इश र ककय कक पहले सर के लण्ड को च टूां। मैंने सर क झड़ लण्ड मूँह
ु में ललय और चूस ड ल ।
दीदी की बरु के प नी और उनके वीयि क लमल जुल स्व द थ । किर दीदी की बरु अपनी जीभ से स ि करने में
लग गय ।
दीदी ने प च
ां लमनट ब द आांखें खोलीां। पहले वह इधर उधर दे खती रही किर मैडम को दे खकर लससकती हुई उनसे
ललपट गई।
47
मैडम उसे ब हों में लेकर चम
ू ने लगीां- “क्य हुआ लीन … ठीक है न … तू तो टें बोल गई। मझ
ु े लग थ कक परू
मज लेगी, ऐस अपने सर और मैडम से कुछ सीखने क मौक सबको थोड़े लमलत है । और ऐसे क्यों लससक
रही है , दख
ु रह है क्य ?”
मझ
ु े लग कक दीदी श यद रोये, अब भी उसकी चूत परू ी खुली थी, ल ल-ल ल छे द हदख रह थ ।
पर दीदी तो मैडम को गचपटकर बोली- “मैडम… मैडम… अब मैं यहीां रहूांगी। आप रख लीजजये न मझ
ु े यहीां।
इतन अच्छ लग रह थ मैडम। सर क लण्ड जब अांदर ब हर हो रह थ तो… सर। मैं यहीां रहूां आप दोनों के
प स…”
सर मश्ु कुर ये और उसके ब ल बबखेरते हुए बोले- “चलो, मेर लेसन बहुत पसांद आय लगत है । अरे अभी तो
बहुत लेसन हैं। और घबर ओ मत, रोज ये लेसन होंगे, रपवव र को भी। तम्प्
ु ह री न नी को अच्छ थोड़े लगेग
अगर तम
ु लोग यह ां रहो तो, वो जरूर पछ
ू े गी। बस र त को सोने घर ज य करो, ब की स्कूल के ब द यहीां आकर
पढ़ करो। ठीक है न …”
दीदी ने मड
ुां ी हहल ई।
मैं और दीदी खश
ु ी-खश
ु ी घर चल हदये। दीदी थोड़ धीरे चल रही थी, पैर नछतर कर। मैंने पछ
ू - “क्यों दीदी, सर
ने आज तम्प्
ु ह री परू ी खोल दी। ददि हो रह है क्य ? कल आन है य न कर दें ?”
“मैं तो आऊूँगी, सर ने क्य चोद मझ ु े अननल। बहुत ददि हुआ पर… अननल चद
ु व ने में इतन मज आत होग
मैंने सोच भी नहीां थ । तझु े न आन हो तो मत आ, तू डर गय श यद सर के लण्ड से, कल तेरी ब री है न …”
दीदी मेर क न पकड़कर बोली।
“क्य मतलब… सर क लण्ड तो मस्त है, परसों चूस थ तो बहुत मज आय थ , मैं भी अब रोज आऊूँग , बस
चले तो र त को भी सो ज ऊूँ वह ां। कल क्य होग … क्य कह रही है त…
ू मैं तो तेरे ब रे में सोचकर बोल रह थ
कक सर के लण्ड ने क्य ह लत की थी तेरी…” मैंने पछ
ू
कुछ दे र हम चप
ु च प चलते रहे । मैंने कह - “दीदी, तम
ु ने दे ख … मैडम के पैर ककतने खब
ू सरू त हैं न … एकदम गोरे
गोरे । और मैडम वो चलपलें पहने थीां, रबर की, ककतनी कोमल और मल
ु यम थीां न …”
48
दीदी हूँस कर दे खने लगी- “ह ूँ मझ
ु े म लम
ू है । किकर मत कर, उनके पैर पड़ने के बह ने उन्हें छू लेन । तझ
ु े
चलपलों क शौक है न … खेलने में मज आत है न … मझ
ु े म लम
ू है । कल र त मैं सो रही थी तो मेरी चलपल के
स थ क्य कर रह थ …”
मैं कुछ बोल नहीां, बस शरम से हूँस हदय । लीन दीदी ने दे ख ललय ये ज नकर जर शरम भी महसस ू हुई, पर
क्य करूां, सच में लीन दीदी के पैर और वे सिेद रबर की हव ई चलपलें मेरे को बहुत भ ती हैं, ख स करके दीदी
जब पढ़ते समय एक पैर पर दस
ू र पैर रखकर उां गली में चलपल लटक कर नच ती है तो मेरी ह लत खर ब हो
ज ती है । कल र त मन नहीां म न तो ल इट आि होने के ब द, ये सोचकर कक दीदी सो गई है, जर उसकी
चलपल से चूम च टी कर रह थ ।
***** *****
दस
ू रे हदन जब हम पहुूँचे तो कल की ही तरह पहले मैडम ने हमें पढ़ य । किर सर ने। सर क लेसन खतम होने
पर मैं उठकर ज ने लग तो सर बोले- “कह ां ज रह है तू अननल…”
“अरे आज तेरी ब री है मझ
ु से लेसन लेने की। आज लीन ज येगी मैडम के प स। तू ज लीन , मैडम र ह दे ख
रही होंगी…” और सर ने मझ
ु े ह थ पकड़कर अपनी गोद में खीांच ललय । लीन दीदी ज ते-ज ते मेरी ओर
मश्ु कुर कर दे ख रही थी कक अब समझे बच्च…
ू
चौधरी सर कपड़े उत रने लगे। मैं अभी भी सकुच त हुआ वैसे ही खड़ थ । सर बोले- “चल नांग हो ज िट िट।
अब हम ये लेसन आर म से सलीके से करते हैं ये तन
ू े दे ख न कल…”
“किर ननक ल कपड़े जल्दी। कल कैसे मस्ती में मैडम दे लेसन ले रह थ । आज और मज आयेग । मैं मदद करूां
नांग होने में …”
चौधरी सर क लण्ड मस्त खड़ थ । लण्ड पकड़कर सहल ते हुए वे सोिे में बैठे और मझु े ह थ से पकड़कर खीांच
और गोद में बबठ ललय । मझ
ु े कस के चूम और बोले- “पहले खूब चम्प्
ु मे दे अननल। परसों तेरे चुम्प्मे बड़े मीठे थे
पर जल्दी-जल्दी में मज नहीां आय । आज लय र से अपने सर को चम्प्
ु मे दे , तझ
ु े अच्छे लगते हैं न … मैडम को
तो कल खूब चूम रह थ …”
49
मैंने शरम ते हुए मड
ांु ी हहल ई और लसर सर की ओर घम ु कर सर के होंठ चम
ू ने लग । सर क लण्ड मेरी पीठ पर
धक्के म र रह थ । सर ने मेरे लण्ड को मठ् ु ठी में ललय और मस्त करने लगे। उनकी जीभ मेरे मूँह
ु में घस
ु गई
थी। मैं उसे चूसने लग और कमर उचक कर लण्ड उनकी मठ्
ु ठी में अांदर ब हर करने लग । सर की जीभ मेरे
गले में घस
ु गई। मझ
ु े थोड़ी ख ांसी आयी पर सर ने मेर मूँह
ु अपने मूँह
ु से बांद कर हदय थ , इसललये उनके मूँह
ु
में ही दब के रह गई।
“बहुत मज आ रह है सर… रह नहीां ज त । ललीज़ सर…” मैंने अपन ह थ अपनी पीठ के पीछे करके सर के
मसू ल को पकड़कर कह - “सर… अब चसु व इये न ललीज़…”
“अरे व ह, आखखर तन
ू े अपने मन की कह ही दी। अरे ऐसे ही खुलकर बोल कर, सेक्स में शरम नहीां। तझ
ु े स्व द
पसांद आय उस हदन लगत है । उस हदन मज आय थ ?”
50
“अरे नहीां, वो तो न जक
ु सी बच्ची है इसललये केले से च लू ककय । तू तो बह दरु बच्च है , वैसे ही ले-लेग । चल
आ ज , आर म से लेटकर चस ु व त हूूँ…” कहकर सर बबस्तर पर लेट गये और मझ
ु े अपने स मने ललट कर लण्ड
मेरे चेहरे पर रगड़ने लगे।
लण्ड मस्त खड़ थ , गल
ु बी ल ल सप
ु ड़ तो क्य रसील थ । उसमें सर के मत
ू की धीमी-धीमी खुशबू आ रही
थी। मैंने मूँह
ु ब य और सप
ु ड़ मूँह
ु में लेकर चूसने लग । परसों जैसे मैंने सर क लण्ड पकड़ और आगे पीछे
करने लग ।
“ऐसे तो तू िेल हो ज येग । ये क्य नसिरी के बच्चे जैस लेसन ले रह है । अब आगे क लेसन है, र इमरी क ।
परू मूँह
ु में ले, चल िट िट। आज लसफ़ि लड्डू ख कर नहीां छुटक र होग तेर , परू ी डडश ख न पड़ेगी…” सर ने
मेरे ब लों में उां गललय ां चल ते हुए कह ।
मैंने तीन च र ब र कोलशश की पर सर क मतव ल लौड़ हलक से नीचे नहीां उतरत थ , फ़ांस ज त थ । मैंने
आांखें उठ कर सर की ओर दे ख कक सर, अब क्य करूां… मझ
ु े थोड़ी शरम भी आ रही थी कक मैं वो क म नहीां
कर प रह थ जो दीदी ने कर ललय थ ।
सर ने मेरे मूँह
ु से लण्ड ननक ल । मेरे क न पकड़कर बोले- “क्यों रे न ल यक… इतन भी नहीां कर सकत … और
डीांग म र रह थ कक सर आप मझ
ु े बहुत अच्छे लगते हैं। उधर लीन दे ख ककतनी सेव कर रही है अपनी मैडम
की…”
मैंने दे ख तो मैडम ने अपनी ट ांगों के बीच दीदी क लसर दब ललय थ और दीदी के मूँह
ु पर बैठकर ऊपर नीचे
हो रही थीां। दीदी ने मैडम के चत
ू ड़ ह थों में पकड़ रखे थे और मन लग कर मैडम की बरु चस
ू रही थी। मैं
परे श न होकर बोल - “स री सर, म ि कर दीजजये, बहुत बड़ है । एक ब र और करने दीजजये ललीज़, अब जरूर ले
लग
ूां सर…”
“नहीां तझ
ु े नहीां जमेग । श यद तझ
ु े मेरे लेसन अच्छे लहीां लगते। तू ज अपनी मैडम के प स। मैं तेरी दीदी को
ही लेसन दां ग
ू आगे से…” सर कड़ ई से बोले।
मेर हदल बैठ गय । वैसे मैडम के स थ ज ने को मैं कभी भी तैय र थ , पर ऐसे नहीां, सर न र ज हो ज यें तो
किर आगे की मस्ती में ब्रेक लगन ल जमी थ । और सरके लण्ड क अब तक मैं आलशक हो चक
ु थ।
सर ने दे ख तो मझ
ु े भीांचकर चूम ललय । मश्ु कुर ते हुए बोले- “अरे मैं तो मज क कर रह थ । सच में सर अच्छे
लगते हैं… कसम से…”
51
मैं कसम ख कर बोल , उनके पैर भी पकड़ ललये- “ह ां सर, मैं आपको छोड़कर नहीां ज न च हत , जो भी लेसन
आप लसख येंग,े मैं सीखांग
ू …”
“तो आज मैं तझ
ु े दो लेसन दां ग
ू । दो तीन घांटे लग ज येंगे। ब द में मक
ु रे ग तो नहीां… पीछे तो नहीां हटे ग … सोच
ले…” उनके ह थ अब लय र से मेरे चूतड़ों को सहल रहे थे।
मैंने किर से उनके पैर छूकर कसम ख ई- “नहीां सर, आप जो कहें गे वो करूांग सर। मझ
ु े अपन लण्ड चस
ू ने
दीजजये सर एक ब र किर से…” सर के पैर भी बड़े गोरे गोरे थे, वे रबड़ की नीली स्लीपर पहने थे, उन्हें छूकर
अजीब सी गद
ु गद
ु ी होती थी मन में । मेरे ध्य न में आय कक मैडम के गोरे न जक
ु पैरों से कोई कम नहीां थे सर
के पैर।
मैंने मड
ुां ी हहल ई, किर बोल - “पर सर… बबन झड़े ये कैसे बैठेग ?”
“नन्
ु नी सर…”
“न ल यक, नन्
ु नी कहते हैं बच्चों के बैठे लण्ड को। बड़ों के बैठे लण्ड को लल्
ु ली कहते हैं। अब जल्दी से मेरी
लल्
ु ली मूँह
ु में ले। इसे तो ले-लेग न य ये भी तेरे बस की ब त नहीां है…” सर ने त न हदय ।
मेर दम स घट
ु ने लग । मैंने कसमस कर लसर अलग करने की कोलशश की तो सर मझ
ु े नीचे पटककर मेरे
ऊपर चढ़ गये और मेरे लसर को कस के अपने नीचे दब कर मेरे ऊपर औांधे सो गये। उनकी झ ट
ां ों में मेर चहर
परू दब गय ।
सर क लण्ड अब परू तनकर मेरे गले के नीचे उतर गय थ । स ांस लेने में भी तकलीि हो रही थी। सर ने
अपने तलवों और चलपल के बीच मेरे लण्ड को पकड़ और रगड़ने लगे। दम घट
ु ने के ब वजूद सर क लण्ड मूँह
ु
में बहुत मस्त लग रह थ । सर की झ ांटों में से भीनी-भीनी खुशबू आ रही थी। अच नक अपने आप मेर गल
ढील पड़ गय और सर क ब की लण्ड अपने आप मेरे हलक के नीचे उतर गय । मैं चटख रे ले-लेकर लण्ड
चूसने लग ।
“ह ूँऽ ऐसे ही मेरे बच्चे… ह ूँ… अब आय तू र स्ते पर, बस ऐस ही चूस। अब ये लेसन आ रह है तेरी समझ में ।
बहुत अच्छे मेरे बेटे। बस ऐसे ही चूस। अब घबर न मत, मैं तेरे गले को धीरे -धीरे चोदां ग
ू । ठीक है न ?”
मैं सर के चूतड़ों को ब ांहों में भरके उनको दब रह थ । सर के चूतड़ अच्छे बड़े बड़े थे। सर अब हल्के हल्के मेरे
मूँह
ु को चोद रहे थे। मेरे गले में उनक लण्ड अांदर ब हर होत थ तो अजीब स लगत थ , ख ांसी आती थी। मेरे
मूँह
ु में , अब ल र भर गई थी इसललये लण्ड आर म से मेरे गले में किसल रह थ ।
कुछ दे र चोदने के ब द सर अपने बगल पर लेट गये और मेर लसर छोड़कर बोले- “अब तू खद
ु अपने मूँह
ु से मेरे
लण्ड को चोद, अांदर ब हर कर। ये होत है असली चस
ू न । बहुत अच्छ कर रह है… अननल तू ऐसे ही कर…
आह्ह… ओह्ह… अननल बेटे। तू तो लगत है अव्वल म कि लेग इस लेसन में । कह ां मझ
ु े लग थ कक तू िेल न
हो ज ये और यह ां ओह्ह… ओह्ह… तू एकदम एक्सपटि जैस कर रह है । एकदम ककसी रां डी जैस । ह ूँ ऐसे ही मेरे
र ज । परू ननक ल और अांदर ले, ब र-ब र ऐसे ही…” सर मस्ती से भ व पवभोर होकर मझ
ु े श ब सी दे रहे थे और
मेरे ब लों में लय र से उां गललय ां चल रहे थे।
53
सर मस्ती से झूम उठे - “आह्ह… ह ूँ… ह ूँ मेरी ज न… मेरे बच्चे… ऐसे ही कर… ओह्ह… ओह्ह…” एक लमनट वे
मझ
ु से ऐसे ही लण्ड चटव ते रहे और किर ब ल पकड़कर लण्ड को किर से मेरे मूँह
ु में घस
ु ने की कोलशश करने
लगे।
मेरी नजर दस
ू रे कमरे में गई तो मैडम मझ
ु े बड़े ल ड़ से दे ख रही थीां। दीदी आांखें ि ड़कर मेरे क रन मे दे ख रही
थी। उसे यकीन नहीां हो रह थ कक मैं भी इस तरह से सर क परू मस
ू ल मूँह
ु में ले सकत हूूँ। मैडम ने दीदी
को जबरदस्ती अपने स मने बबठ ललय और उसके लसर को अपनी ज ांघों में जकड़कर अपनी बरु चस ु व ने लगीां।
मझ
ु े दे खकर उन्होंने इश र ककय कक बहुत अच्छे , लगे रहो।
मझु े बड़ िक्र हुआ कक सर को मैं इतन सखु दे रह हूूँ। मैंने किर से उनक लण्ड मूँह
ु में ले ललय और आर म
से ननगल ललय । अब लण्ड ननगलने में मझु े कोई तकलीि नहीां हो रही थी, ऐस लगत थ कक ये क म मैं स लों
से कर रह हूूँ। सर ने घट
ु ने मोड़े तो मेर ह थ उनके पैर में लग । मैं अपन ह थ उनके पैरों के तलवे और चलपल
पर किर ने लग । सर की चलपल बड़ी मल
ु यम थी, उसे छूने में मज आ रह थ ।
अब मैं सर की मल ई के ललये भख
ू थ । लगत थ कक चब -चब कर उनक लण्ड ख ज ऊूँ। मेरे ह थ उनके
मजबत
ू मोटे चूतड़ों पर घम
ू रहे थे। मेरी उां गली उनकी ग ण्ड के बीच की लकीर पर गई और बबन सोचे मैंने
अपनी उां गली उनके छे द से लभड़ दी। सर ऐसे बबचके जैसे बबच्छू ने क ट ख य हो। अपने चूतड़ हहल -हहल कर वे
मेरे मूँह
ु में लण्ड पेलने लगे।
“अननल, उां गली अांदर ड ल दे … ये अगले लेसन में मैं करव ने व ल थ पर त।ू इतन मस्त सीख रह है । चल
उां गली कर अांदर…”
मैं चटख रे ले-लेकर सर क वीयि पीत रह । एकदम गचपगचप लेई जैस थ पर स्व द ल जव ब थ । मैंने अब भी
सर के चूतड़ पकड़ रखे थे और मेरी उां गली उनकी ग ण्ड में थी। मेर ध्य न पीछे के आइने पर गय उसमें सर
क पपछव ड़ हदख रह थ । क्य चूतड़ थे सर के, पहली ब र मैं ठीक से दे ख रह थ । गोरे गोरे और गठे हुए।
मझ
ु े परू वीयि पपल कर सर ने मझ
ु े आललांगन में ललय और मेरे ननपल मसलते हुए बोले- “भई म न गये आज
अननल, चेल गरू ु से आगे ननकल गय , तझ ु में तो कल है लण्ड चूसने की। अपने सर क रस द अच्छ लग …”
54
“ह ूँ सर, बहुत मस्त है, इतन सद
ुां र लण्ड है सर आपक , दीदी भी कल गण
ु ग रही थी। और स्व द भी उतन ही
अच्छ है सर… सर आपकी… मेर मतलब है कक आपके… य ने…” और सकुच कर चप ु हो गय ।
“ऐसी ब त है… अरे तो शरम ते क्यों हो… ये तो मेरे ललये बड़े हौसले की ब त है कक तेरे जैसे गचकने लड़के को
मेरे चूतड़… य मेरी ग ण्ड कहो… ठीक है न … ग ण्ड अच्छी लगी। ठीक से दे खन च होगे?”
उनके चूतड़ हदख रहे थे। मैं उनके प स बैठ और उनको ह थ से सहल ने लग । किर एक उां गली सर की ग ण्ड में
ड लने की कोलशश करने लग , कनखखयों से दे ख कक बरु तो नहीां म न गये पर सर तो आांखें बांद करके मज ले
रहे थे। उां गली ठीक से गई नहीां।
“अांदर ब हर कर अननल। ऐसे ही। ह ूँ… अब इधर उधर घमु । जैसे टटोल रह हो। ह ूँ ऐसे ही। बहुत अच्छे बेटे।
कैस लग रह है अननल… मेरी ग ण्ड अांदर से कैसी है… मैडम की चूत जैसी है…”
मैंने कह - “बहुत मल
ु यम है सर। एकदम मखमली। मैडम की चत
ू से ज्य द ट इट भी है …”
“तन
ू े कभी खद
ु की ग ण्ड में उां गली नहीां की…” चौधरी सर ने पछ
ू ।
“मरू ख… सख
ू ी की होगी। वैसे तेरी तो मैडम य लीन की चूत से ज्य द मल
ु यम होगी। ये लेसन समझ ले।
ग ण्ड भी चूत जैसी ही कोमल होती है और उससे भी चूत जैस ही… चूत से ज्य द आनांद ललय ज सकत है ।
ये मैं तझ
ु े अगले लेसन में और बत ऊूँग …”
55
लगे। कभी हथेललयों में लेकर बेलन स रगड़ते, कभी एक ह थ से ऊपर से नीचे तक सहल ते तो कभी उसे मठ्
ु ठी
में भरके दस
ू रे ह थ की हथेली मेरे सप
ु ड़े पर रगड़ते।
मैं परे श न होकर मचलने लग । बहुत मज आ रह थ , रह नहीां ज रह थ - “सर… ललीज़… ललीज़ सर… रह
नहीां ज त सर…”
“नहीां सर…”
“मठ्
ु ठ म रने की य ने हस्तमैथुन की अलग-अलग तरह की तरकीब लसख रह हूूँ। समझ … और भी बहुत सी हैं,
धीरे -धीरे सब लसख दां ग
ू । और एक ब त… ये सीख ले कक ऐसे मचलन नहीां च हहये। असली आनांद लेन हो तो
खुद पर कांट्रोल रखकर मज लेन च हहये। जैसे मैंने तझ
ु से आधे घांटे तक लण्ड चस
ु व य , झड़ने के ललये दो
लमनट में क म तम म नहीां ककय । समझ न …”
मैंने अपनी ग ण्ड में जोर से उां गली की और एक लमनट में तड़प के झड़ गय - “ओह्ह… ओह्ह… ह य सर… मर
गय सर… उई म ांऽ…”
56
सर ने मेरे उछलते सप
ु ड़े के स मने अपनी हथेली रखी और मेर स र वीयि उसमें इकठ्ठ कर ललय । लण्ड श ांत
होने पर मझ
ु े हथेली हदख ई। मेरे सिेद ग ढ़े वीयि से वो भर गई थी- “ये दे ख अननल… ये रस द है क मदे व क …
ख स कर तेरे जैसे सद
ुां र नौजव न क वीयि… य ने तो ये मेव है मेव … समझ न … जो ये मेव ख येग वो बड़
भ ग्यश ली होग । अब मैं ही इसे प लेत हूूँ, आखखर मेरी मेहनत है । ठीक है न … वो दे ख तेरी मैडम इधर आ
रही है …” सर जीभ से मेर वीयि च ट च टकर ख ने लगे।
मैडम दीदी को लेकर हम रे कमरे में आयीां और बोलीां- “क्यों सर, क्य चल रह है … अकेले-अकेले ही… हमें भी
चख इये। और आज ककतन चलेग आपक यह लेसन… स थ में लेसन नहीां दे न है क्य …” मैडम थीां तो परू ी नांगी
पर अपनी रबर की चलपलें पहने थीां।
मैडम ने ब की बच वीयि सर की हथेली से च ट ललय । बोलीां- “मजे हैं आपके सर, तो आज परू लेसन आप ही
दें गे…” उन्होंने कनखखयों से सर की ओर दे ख ।
सर ने आूँखों-आूँखों में कुछ कह और बोले- “ह ूँ मैडम, आज ये एकदम ि स्ट सीख रह है । एक दो बड़े इम्प्पॉटें ट
लेसन बचे हैं, वे भी दे दां ू आज ही। आपक लेसन कैसे चल रह है… लीन तो बड़ी खश
ु लग रही है, दे खखये
आपसे अलग भी नहीां रह प रही है …”
लीन दीदी मैडम से गचपट कर खड़ी थी और उनके मम्प्मे दब रही थी। उसक एक ह थ अपनी बरु में चल रह
थ । मझ
ु े दे खकर दीदी मश्ु कुर यी।
मैडम उसकी कमर में ह थ ड लकर बोलीां- “चल लीन , हम चलके अपने लेसन परू े करते हैं, तेरे ये सर आज मड
ू
में हैं, अननल को परू लसख कर ही म नेंग…
े ”
“ऐस कीजजये मैडम, आ ही गई हैं तो हम दोनों को अपन रस द चख ती ज इये, बड़ी मतव ली महक आ रही
है …” चौधरी सर बोले।
“सर… सर… आपक चुसव इये न ललीज़…” लीन दीदी ने िरम इश की।
57
मैडम हूँस कर बोलीां- “दे ख मेरी स्टूडेंट को, ककतनी होलशय र है , आपने बस एक ब र लसख य है और दे खखये,
कैसी अव्वल आने लगी है इस क म में…” मेरे मूँह
ु पर वे अपनी बरु के पपोटे नघस रही थीां।
सर हां से और बोले- “आज नहीां, असल में ये मस्त खड़ है , अगले लेसन में मझ
ु े ये ऐस ही च हहये…”
मैडम बोलीां- “चल लीन , सर को तेरे भ ई को लेसन दे ने दे , अभी क फ़ी दे र लगेगी उसमें…” किर वे उठकर लीन
के स थ अपने कमरे में चली गईं। ज ते-ज ते मैडम मड़
ु कर बोलीां- “अगले लेसन में मेरी हे ल्प लगे तो बल
ु इयेग
सर, जर कहठन है…”
मैडम ने मश्ु कुर कर मेरी और सर की ओर दे ख और अपनी चलपलें वहीां सर की चलपल के प स उत र दीां- “ये
ठीक रहें गीां…”
“ह ूँ मैंने भी गौर ककय है, बहुत शौकीन लगत है इनक , चल लीन …” लीन को पकड़कर खीांचती हुई मैडम उसे
अपने कमरे में ले गईं।
मझ
ु े बबस्तर पर सल
ु कर मेर झड़ लण्ड सर ने लय र से मूँह
ु में ललय और चूसने लगे। एक ह थ बढ़ कर उन्होंने
थोड़ न ररयल तेल अपनी उां गली पर ललय और मेरी गद
ु पर चुपड़ । किर मेर लण्ड चूसते हुए धीरे से अपनी
उां गली मेरी ग ण्ड में आधी ड ल दी।
“क्य हुआ, दख
ु त है…” चौधरी सर ने पछ
ू ।
58
“ह ूँ सर… कैस तो भी होत है …”
“इसक मतलब है कक दख
ु ने के स थ मज भी आत है, है न … यही तो मैं लसख न च हत हूूँ अब तझ
ु े। ग ण्ड
क मज लेन हो तो थोड़ ददि भी सहन सीख ले…” कहकर सर ने परू ी उां गली मेरी ग ण्ड में उत र दी और हौले-
हौले घम
ु ने लगे। पहले ददि हुआ पर किर मज आने लग । लण्ड को भी अजीब स जोश आ गय और वो खड़
हो गय । सर उसे किर से बड़े लय र से चम
ू ने और चस
ू ने लगे- “दे ख … तू कुछ भी कहे य नखरे करे , तेरे लण्ड
ने तो कह हदय कक उसे क्य लत्ु फ़ आ रह है…”
प ांच लमनट सर मेरी ग ण्ड में उां गली करते रहे और मैं मस्त होकर आखखर उनके लसर को अपने पेट पर दब कर
उनक मूँह
ु चोदने की कोलशश करने लग ।
सर मेरे ब जू में लेट गये, उनकी उां गली बर बर मेरी ग ण्ड में चल रही थी। मेरे ब ल चूमकर बोले- “अब बत
अननल बेटे, जब औरत को लय र करन हो तो उसकी चूत में लण्ड ड लते हैं य उसे चूसते हैं। है न … अब ये
बत कक अगर एक परु
ु र् को दस
ू रे परु
ु र् से लय र करन हो तो क्य करते हैं…”
“और अगर और कसकर लय र करन हो तो… य ने चोदने व ल लय र…” सर ने मेरे क न को द ांत से पकड़कर
पछ
ू । मझ
ु े बड़ अच्छ लग रह थ ।
“सर, ग ण्ड में उां गली ड लते हैं, जैस मैंने ककय थ और आप कर रहे हैं…”
मैं समझ गय । हहचकत हुआ बोल - “सर… ग ण्ड में लण्ड ड लकर सर…”
मेर लण्ड मस्ती में उछल क्योंकी सर ने अपनी उां गली सहस मेरी ग ण्ड में गहर ई तक उत र दी।
“सर ददि होग सर… ललीज़ सर…” मैं लमन्नत करते हुए बोल ।
“अरे उसकी किकर मत कर, ये तेल ककस ललये है, आधी शीशी ड ल दां ग
ू अांदर, किर दे खन ऐसे ज येग जैसे
मख्खन में छुरी। और तझ
ु े म लम
ू नहीां है , ये ग ण्ड लचीली होती है, आर म से ले-लेती है । और दे ख, मैंने पहले
एक ब र अपन झड़ ललय थ , नहीां तो और सख्त और बड़ होत । अभी तो बस लय र से खड़ है, है न … और
च हे तो तू भी पहले मेरी म र सकत है…”
मेर मन ललच गय ।
सर हूँस कर बोले- “म रन है मेरी… वैसे मैं तो इसललये पहले तेरी म रने की कह रह थ कक तेर लण्ड इतन
मस्त खड़ है, इस समय तझ
ु े असली मज आयेग इस लेसन क । ग ण्ड को लय र करन हो तो अपने स थी को
मस्त करन जरूरी होत है, वैसे ही जैसे चूत चोदने के पहले चूत को मस्त करते हैं। मैंने और मैडम ने तेरी
बहन को कैसे मस्त ककय थ , समझ न … लण्ड खड़ है तेर तो मरव ने में बड़ मज आयेग तेरे को…”
“ह ूँ सर…” सर मझ
ु े इतने लय र से दे ख रहे थे कक मेर मन डोलने लग - “सर… आप ड ल दीजजये सर अांदर, मैं
सांभ ल लग
ूां …”
सर मश्ु कुर ये- “अब हुई न ब त। चल पलट ज , पहले तेल ड ल दां ू अांदर। तझ
ु े म लम
ू है न की क र के एांजजन
में तेल से पपस्टन सट सट चलत है… बस वैसे ही तेरे लसललांडर में मेर पपस्टन ठीक से चले इसललये तेल जरूरी
है । अच्छ पलटने के पहले मेरे पपस्टन में तो तेल लग …”
मैंने हथेली में न ररयल क तेल ललय और चौधरी सर के लण्ड पर चुपड़ने लग । उनक खड़ लण्ड मेरे ह थ में
न ग जैस मचल रह थ । तेल चप
ु ड़कर मैं पलटकर सो गय । डर भी लग रह थ । तेल लग ते समय मझ
ु े
अांद ज हो गय थ कक सर क लण्ड किर से ककतन बड़ हो गय है । सर ने भले ही हदल स दे ने को यह कह
थ कक एक ब र झड़कर उनक जर नरम खड़ रहे ग पर असल में वो लोहे की सल ख जैस ही टनटन गय थ ।
सर ने तेल में उां गली डुबोके मेरी गद
ु को गचकन ककय और एक उां गली अांदर ब हर की। किर एक ह थ से मेरे
चूतड़ फ़ैल ये और कुलपी उठ कर उसकी नली धीरे से मेरी ग ण्ड में अांदर ड ल दी।
मैं सर की ओर दे खने लग ।
वे मश्ु कुर कर बोले- “बेटे, अांदर तक तेल ज न जरूरी है । मैं तो भर दे त हूूँ आधी शीशी अांदर जजससे तझ
ु े कम से
कम तकलीि हो…” वे शीशी से तेल कुलपी के अांदर ड लने लगे।
मझ
ु े समझ में नहीां आय कक क्य कहूां। मेरी नजर वह ां पलांग के नीचे पड़ी सर की और मैडम की हव ई चलपल
पर गई।
सर बोले- “अच्छ ये ब त है… शौकीन लगत है त।ू कल से दे ख रह हूूँ कक तेरी नजर ब र-ब र मेरी और मैडम
की चलपलों पर ज ती है । तझ
ु े पसांद हैं क्य ?”
मैडम की चलपल दे खकर मेरे मूँहु में प नी भर आय पर किर मैंने सोच कक ये ठीक नहीां है , सर से मरव रह हूूँ
तो उन्हीां के चरणों की चलपल ज्य द ठीक होगी। मैंने कह - “सर मैडम की ब द में ले लग
ूां , मैडम की सेव
करूांग तब, आज आपकी ही च हहये मझ
ु …
े ”
मैंने मड
ुां ी हहल ई और मैडम की हव ई चलपल मूँह
ु में ले ली। लण्ड तन्न गय थ , नरम-नरम रबर की मल
ु यम
चलपल की भीनी-भीनी खुशबू से मज आ रह थ ।
“अब पलटकर लेट ज , आर म से। वैसे तो बहुत से आसन हैं और आज तझ ु े सब आसनों की रैजक्टस कर ऊूँग ।
पर पहली ब र ड लने को ये सबसे अच्छ है…” मेरे पीछे बैठते हुए सर बोले। सर ने मेरे चेहरे के नीचे एक
तककय हदय और अपने घट ु ने मेरे बदन के दोनों ओर टे ककर बैठ गये- “अब अपने चूतड़ पकड़ और खोल, तझ ु े
भी आस नी होगी और मझ
ु े भी… और एक ब त है बेटे, गद
ु ढील छोड़न नहीां तो तझ
ु े ही ददि होग । समझ ले
कक तू लड़की है और अपने सैंय के ललये चूत खोल रही है , ठीक है न …”
61
मैंने अपने ह थ से अपने चत
ू ड़ पकड़कर फ़ैल ये। सर ने मेरे गद
ु पर लण्ड जम य और पेलने लगे।
सर ने मझ
ु े श ब सी दी- “बस बेटे बस, अब ददि नहीां होग । बस पड़ रह चप
ु च प…” और एक ह थ से मेरे चत
ू ड़
सहल ने लगे। दस
ू र ह थ उन्होंने मेरे बदन के नीचे ड लकर मेर लण्ड पकड़ ललय और उसे आगे पीछे करने
लगे।
सर बोले- “लगत है कक थोड़ी बड़ी है तेरे ललये। आज पहली ब र है तेरी… ऐस कर ये मैडम की चलपल मूँह
ु में
ले-ले। जर छोटी है, तझ
ु े भी मूँह
ु में लेने में आस नी होगी…” अपनी चलपल मेरे मूँह
ु से ननक लकर उन्होंने मैडम
की चलपल मेरे मूँह
ु में ड ल दी।
“अरे ख ज येग क्य …” सर ने हूँस कर कह । किर बोले- “कोई ब त नहीां बेटे, जैस मन में आये वैसे कर, मस्ती
कर… हम और ले आयेंगे तेरे ललये…”
दो लमनट में जब ददि कम हुआ तो मेर कस हुआ बदन कुछ ढील पड़ और मैंने जोर से स ांस ली। सर समझ
गये। झुक कर मेरे ब ल चम
ू े और बोले- “बस अननल, अब धीरे -धीरे अांदर ड लत हूूँ। एक ब र तू परू ले-ले, किर
तझ
ु े समझ में आयेग कक इस लेसन में ककतन आनांद आत है…” किर वे हौले-हौले लण्ड मेरे चत
ू ड़ों के बीच
पेलने लगे। दो तीन इांच ब द जब मैं किर से थोड़ तड़प तो वे रुक गये। मैं जब सांभल तो किर शरू
ु हो गये।
प ांच लमनट ब द उनक परू लण्ड मेरी ग ण्ड में थ । ग ण्ड ऐसे दख
ु रही थी जैसे ककसी ने हथौड़े से अांदर से
ठोंकी हो। सर की झ ांटें मेरे चत
ू ड़ों से लभड़ गई थीां। सर अब मझ
ु पर लेटकर मझ
ु े चम
ू ने लगे। उनके ह थ मेरे
बदन के इदि गगदि बांधे थे और मेरे ननपलों को हौले-हौले मसल रहे थे।
मैंने लसर घम
ु कर दे ख तो मैडम दीदी के मम्प्मे दब ती हुई कस के दीदी को चूम रही थीां। दीदी की आांखें मेरी
इस ह लत को दे खकर चमक रही थीां।
मैंने मड
ांु ी हहल कर ह ूँ कह । सर बोले- “अब तझ
ु े लय र करूांग , मदों व ल लय र। थोड़ ददि भले हो पर सह लेन ,
दे ख मज आयेग …” और वे धीरे -धीरे मेरी ग ण्ड म रने लगे। मेरे चूतड़ों के बीच उनक लण्ड अांदर ब हर होन
62
शरू
ु हुआ और एक अजीब सी मस्ती मेरी नस-नस में भर गई। ददि हो रह थ पर ग ण्ड में अांदर तक बड़ी मीठी
कसक हो रही थी।
एक दो लमनट धीरे -धीरे लण्ड अांदर ब हर करने के ब द मेरी ग ण्ड में से ‘सप’ ‘सप’ ‘सप’ की आव ज ननकलने
लगी। तेल परू मेरे छे द को गचकन कर चक
ु थ । मैं कसमस कर अपनी कमर हहल ने लग ।
सर मड
ु कर मैडम से बोले- “दे ख मैडम मेरे स्टूडेंट क कम ल… चूां नहीां की और कैसे आर म से मेरे मस
ू ल को
ननगल गय । मैं कह रह थ न कक ये बहुत आगे ज येग , मेर न म रोशन करे ग …”
“ह ूँ… सर… आपक लेकर बहुत मज आ रह है …” सर के धक्के झेलत हुआ मैं बोल - “सर… आपको कैस लग
सर?”
“अब दस
ू र आसन। भल
ू गय कक ये लेसन है… ये तो थ ग ण्ड म रने क सबसे सीध स द और मजेद र आसन।
अब दस
ू र हदख त हूूँ। चल उठ और ये सोिे को पकड़कर झुक कर खड़ हो ज …” सर ने मझ
ु े बड़ी स वध नी से
उठ य कक लण्ड मेरी ग ण्ड से ब हर न ननकल ज ये और मझ
ु े सोिे को पकड़कर खड़ कर हदय - “झुक अननल,
ऐसे सीधे नहीां, अब समझ कक तू कुनतय है, य घोड़ी है और मैं पीछे से तेरी म रूांग …”
मैं झुक कर सोिे के सह रे खड़ हो गय । सर मेरे पीछे खड़े होकर मेरी कमर पकड़कर किर पेलने लगे। आगे
पीछे , आगे पीछे । स मने आइने में हदख रह थ कक कैसे उनक लण्ड मेरी ग ण्ड में अांदर ब हर हो रह थ ।
दे खकर मेर और जोर से खड़ हो गय । मस्ती में आकर मैंने एक ह थ सोिे से उठ य और लण्ड पकड़ ललय ।
सर पीछे से पेल रहे थे, धक्के से मैं गगरते गगरते बच ।
63
“चल… जल्दी ह थ हट और सोि पकड़ नहीां तो तम च म रूांग …” सर गचल्ल ये।
मझ
ु े ब ांहों में लेकर सर चम
ू -च टी करने लगे। मैं भी मस्ती में थ , उनके गले में ब ांहें ड लकर उनक मूँह
ु चम
ू ने
लग और जीभ चस
ू ने लग । सर धीरे -धीरे ऊपर नीचे होकर अपन लण्ड नीचे से मेरी ग ण्ड में अांदर ब हर करने
लगे।
मैं बोल - “ह ूँ सर…” मेरी ग ण्ड अपने आप ब र-ब र लसकुड़ कर सर के लण्ड को ग य के थन जैस दहु रही थी।
64
सर ह ांिते ह ांिते खड़े रहे और मझ
ु पर हटक कर मेरे ब ल चूमने लगे। परू झड़ कर जब लण्ड लसकुड़ गय तो
सर ने लण्ड ब हर ननक ल । किर मझ
ु े खीांचकर बबस्तर तक ल ये और मझ
ु े ब ांहों में लेकर लेट गये और चम
ू ने
लगे- “अननल बेटे, बहुत सख
ु हदय तन ू े आज मझ ु ,े बहुत हदनों में मझु े इतनी मतव ली कुव री ग ण्ड म रने को
लमली है , आज तो द वत हो गई मेरे ललये। मेर आलशव िद है तझ ु े कक तू हमेश सखु प येग , इस कक्रय में मेरे से
ज्य द आगे ज येग । तझ
ु े मज आय … ददि तो नहीां हुआ ज्य द …”
सर के ल ड़ से मेर मन गदगद हो गय । मैं उनसे गचपट कर बोल - “सर… बहुत मज आय सर… ददि हुआ…
आपक बहुत बड़ है सर… लग रह थ कक ग ण्ड िट ज येगी। किर भी बहुत मज आ रह थ सर…”
सर ने मेरे गद
ु को सहल कर कह - “दे ख, कैसे मस्त खल
ु गय है तेर छे द, अब तकलीि नहीां होगी तझ
ु ,े मजे
से मरव येग । अब तू कांु व र नहीां है …” किर मेर लण्ड पकड़कर बोले- “मज आ रह है …”
“सर… अब नहीां रह ज त ललीज़। मर ज ऊूँग अब… अब कुछ करने दीजजये सर…” कमर हहल -हहल कर सर के
ह थ में अपन लण्ड आगे पीछे करत हुआ मैं बोल ।
“सर चोदां ग
ू … हचक-हचक के चोदां ग
ू …” मैं मचलकर बोल ।
“मैडम य दीदी को बल ु ऊूँ… य …” सर कनखखयों से मेरी ओर दे खते हुए बोले। वे अब पलट गये थे और उनकी
भरे परू े चूतड़ मेरे स मने थे। मेरी नजर उनपर गड़ी थी।
सर हूँस कर बोले- “अरे तो हदल खोलकर बोल न , डरत क्यों है… यही तो मैं सन
ु न च हत थ । वैसे मेरी ग ण्ड
तेरे जजतनी न जक
ु नहीां है …”
“सर बहुत मस्त है सर… मोटी-मोटी, गठी हुई, म ांसल… ललीज़ सर…”
“तो आ ज … पर एक शति है । दो तीन लमनट में नहीां झड़न , जर मस्ती ले-लेकर दस लमनट म रन । मझ
ु े भी तो
मज लेने दे जर । ठीक है न … समझ ले यही तेर एग्ज़ म है , दस लमनट म रे ग तो प स नहीां तो िेल…” सर
बोले।
“ह ूँ सर… मेर बस चले तो घांट भर म रूां सर…” सर के चूतड़ों को पकड़कर मैं बोल ।
वे मश्ु कुर ये और पेट के बल लेट गये- “थोड़ी उां गली कर पहले, तेल लग ले। मज आत है उां गली करव ने में …”
65
मैंने उां गली पर तेल ललय और सर की ग ण्ड में ड ल हदय । गरम-गरम मल
ु यम ग ण्ड थी चौधरी सर की। मैं
उां गली इधर उधर घम
ु ने लग ।
मैंने दो तीन लमनट और उां गली की पर किर रह नहीां गय , झट से सर पर चढ़कर उनकी ग ण्ड में लण्ड फ़ांस य
और पेल हदय । लण्ड आस नी से अांदर चल गय ।
“अच्छी है न … तेरे जजतनी अच्छी तो नहीां होगी, तू तो एकदम कली जैस है…” सर बोले।
सर ने गद
ु लसकोड़कर मेरे लण्ड को कस के पकड़ ललय थ - “अब म र… कस के म रन , धीरे -धीरे की कोई
जरूरत नहीां है …” सर कमर हहल कर बोले।
मैं सर की म रने लग । पहले वैसे ही झुक कर बैठे-बैठे म री पर किर उनपर लेट गय और उनके बदन से गचपट
कर म रने लग । सर की चौड़ी पीठ मेरे मूँह
ु के स मने थी, उसे चम
ू त हुआ मैं जोर-जोर से चोदने लग । उतन
ही मज आ रह थ कक जैस मैडम को चोदते समय आय थ ।
मेरी स ांस चलने लगी तो सर ड ांट कर बोले- “सांभ ल के… सांभ ल के… िेल हो ज येग तो आज उसी बेंत से म र
ख येग …”
ककसी तरह मैंने दस लमनट ननक ले। किर बोल - “सर… ललीज़ सर… अब…”
मैं कस के सर की ग ण्ड पर पपल पड़ और उसे चोद-चोदकर अपन वीयि उनकी ग ण्ड में उगल हदय । किर हम
वैसे ही पड़े रहे , चूम च टी करते।
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मैडम लीन को लेकर हम रे प स आयीां- “व ह, क्य खेल थ गरु
ु लशष्य क । भई मज आ गय । पर सर…
आपकी ये स्टूडेंट बहुत तड़प रही है , आज इसकी लय स बझ
ु ये नहीां बझ
ु ती, मैंने इतनी चस
ू ी इसकी पर ठां डी नहीां
हो रही है , कहती है कक सर से चुदव ऊूँगी…”
सर उठकर लीन को पलांग पर लेते हुए बोले- “क्यों नहीां, आ ज लीन बेटी, अभी चोद दे त हूूँ, तेरे भ ई को
चोद , अब तझ
ु े चोदकर तेरी लय स बझ
ु दे त हूूँ। पर झड़ूग ां नहीां लीन …”
लीन सी सी करती रही, कुछ बोली नहीां। उसक चेहर तमतम गय थ , आांखें चमक रही थीां। सर ने उसकी
ट ांगें फ़ैल कर उसकी बरु में लण्ड ड ल और शरू
ु हो गये। लीन ऐसे सर को गचपकी जैसे बांदर क बच्च अपनी
म ां को जकड़ लेत है , अपने ह थों और पैरों से सर के बदन को ब ध
ां कर कमर हहल ने लगी- “सर… चोहदये सर…
ललीज़ सर… जोर से सर… आह्ह… ओह्ह…”
मैडम ने मझ
ु े अपनी ट ांगों के बीच ललय और बड़े अगधक र से अपनी बरु मेरे मह
ूँु से लगी दी- “तू भी स्व द ले-
ले अननल। तेरी दीदी को तो खूब चख य मैंने अपन शहद पर आज उसकी भख
ू ही नहीां लमट रही है , ज नत है
क्यों?”
मैडम की बरु में जीभ ड लकर अांदर ब हर करते मैंने आूँखों-आूँखों में पछ
ू कक क्यों मैडम?
“जैसे हम री औरतों की चूत में होती है लण्ड लेकर। वैसे सर तेरी ग ण्ड के आलशक हो गये हैं। इतन खुश मैंने
उन्हें नहीां दे ख कभी…” कहकर कस के उन्होंने मेरे मूँह
ु पर अपनी चत
ू लग यी और प नी छोड़ हदय ।
मैडम मेरे लण्ड को पकड़कर बोलीां- “अरे ये किर लसर उठ ने लग … सच में जव ब नहीां तम
ु दोनों भ ई बहन क ,
क्य रसीले बच्चे हो तम
ु लोग। पर नहीां अननल, आज नहीां, अभी सर क तेरे स थ क लेसन खतम नहीां हुआ
है । मैं तो बस लीन की तकलीि दरू करने आयी थी। दे खो सर क्य हचक-हचक कर चोद रहे हैं तेरी बहन को।
वो ठां डी होने को है दे ख…”
सर कस के दीदी को चोद रहे थे, अांदर तक लण्ड पेल रहे थे। दीदी अपने ह थों से उनके पीठ को नोंच रही थी।
किर दीदी चीखी और लस्त हो गई। पर सर ने उसे नहीां छोड़ । मेरी ओर मड़
ु कर बोले- “अननल, यह ां ध्य न दो,
ये आसन ध्य न से दे खो…” उन्होंने दीदी के पैर मोड़कर उसकी ट ांगें दीदी के लसर के इदि गगदि कर दीां और किर
उसे चोदने लगे।
67
“दे ख … ऐसे मोड़कर मस्त चोद ज सकत है, किर छे द कोई भी हो, समझे न … च हे चत
ू में ड ल दो य ग ण्ड
में , आसन यही रहत है । और आगे से मस्त चम्प्
ु मे ले-लेकर लय र करते हुए ग ण्ड भी चोद सकते हैं…”
दीदी कसमस रही थी- “बस सर… हो गय … अब नहीां… ललीज़ छोडड़ये न … मत कीजजये सर… ललीज़… मैं झड गई
सर… बस…”
सर ने लण्ड ब हर ननक ल - “लो, ये तो गई क म से। वैसे बड़ी लय री बच्ची है, क फ़ी रलसक है , इसकी चत
ू क्य
गीली थी आज, मैडम ये आपकी स्टूडेंट आपसे भी आगे ज येगी…”
लण्ड जब दीदी की चत
ू से ननकल , तो दीदी के प नी से गील थ ।
“मैडम, अब कह ां ले ज येंगी इसे… आपको उठ कर ले ज न पड़ेग । इसे यहीां सोने दो ब जू में, आप इसक भोग
लग ओ और मझ
ु े अननल क लेसन परू करने दो। आओ अननल, यह ां लेटो बेटे…” सर मझ
ु े प स खीांचते हुए बोले।
मैं दीदी के ब जू में पेट के बल लेटने लग तो सर बोले- “अरे वो आसन तो हो गय , अब स मने व ल , बबलकुल
जैसे तेरी दीदी को चोद न , वैस…
े इसललये तो तझ
ु े दे खने को कह थ मरू ख, भल
ू गय … सीध लेटो। तू भल
ू
ज येग कक तेरी ग ण्ड म र रह हूूँ, तझ
ु े भी यही लगेग कक तेरी चत
ू चोद रह हूूँ। ये अपने पैर मोड़ो बेटे, और
ऊपर… उठ लो ऊपर… और ऊपर… अपने लसर तक… ह ूँ अब ठीक है…”
मैंने ट ांगें उठ ईं। सर ने उन्हें मोड़कर मेरे टखने मेरे क नों के इदि गगदि जम हदये। कमर दख
ु रही थी- “अब इन्हें
पकड़ो और मझ
ु े अपन क म करने दो…” कहकर सर मेरे स मने बैठ गये और लण्ड मेरी परू ी खुली ग ण्ड पर
रखकर पेलने लगे। पक्क से लण्ड आध अांदर गय ।
“श ब स बेटे, अब तू परू तैय र हो गय है , दे ख जर स भी नहीां गचल्ल य मेर लण्ड लेने में । कमर दख
ु ती है
क्य ऐसे ट ग
ां ें मोड़कर…”
“ह य… सर… ककतन लय र लग रह है अननल, इसी ह लत में , इसके ब ल लांबे कर दो तो कोई कहे ग नहीां इस
ह ल में कक लड़क है । अननल, अपनी ट ांगों से सर के बदन को पकड़ ले बेटे…” मैडम लस्त पड़ी दीदी की ट ग
ां ों
को फ़ैल कर उनके बीच अपन मूँह
ु ड लते हुए बोलीां।
मैंने थोड़ ऊपर उठकर सर की पीठ को ब ांहों में भीांच ललय और अपने पैर उनकी कमर के इदि गगदि लपेट ललये।
बहुत अच्छ लग रह थ सर के सड
ु ौल बदन से ऐसे आगे से गचपटकर। मेर लण्ड उनके पेट और मेरे पेट के
बीच दब गय थ ।
सर ने लय र से मझ
ु े चम
ू और चोदने लगे- “अच्छ लग रह है अननल… य तझ ु े अनू कहूां… अननल, थोड़ी दे र को
समझ ले कक तू लड़की है और चतू चद ु रही है…” किर मेरे ग ल और आांखें चूमने लगे। वे मझ ु े हौले-हौले चोद
रहे थे, बस दो तीन इांच लण्ड ब हर ननक लते और किर अांदर पेलते।
कुछ दे र मैं पड़ पड़ चुपच प ग ण्ड चुदव त रह । किर कमर क ददि कम हुआ और मेरी ग ण्ड ऐसी खखल उठी
जैसे मस्ती में प गल कोई चत
ू । ग ण्ड के अांदर मझ
ु े बड़ी मीठी-मीठी कसक हो रही थी। जब सर क सप
ु ड़ मेरी
ग ण्ड की नली को नघसत तो मेरी नस-नस में लसहरन दौड़ उठती। मेर लण्ड भी मस्ती में थ , बहुत मीठी-मीठी
चुभन हो रही थी। मझ
ु े लग कक लड़ककयों के जक्लट में कुछ ऐस ही लगत होग ।
सर पर मझ
ु े खूब लय र आने लग वैस ही जैसे ककसी लड़की को अपने आलशक से चुदव ने में आत होग । मैंने
उन्हें जम के अपनी ब ांहों में भीांच और बेतह श उन्हें चूमने लग - “सर… मेरे अच्छे सर… बहुत अच्छ लग रह
है सर… चोहदये न … कस के चोहदये न … ि ड़ दीजजये मेरी ग ण्ड… चूत… मेरी चत ू को ढील कर दीजजये सर… ओह
सर… आप अब जो कहें गे मैं करूांग सर… आप मेरे भगव न हैं सर… सर मैं आपको बहुत लय र करत हूूँ सर…
सर… आपको मैं अच्छ लगत हूूँ न सर…” और कमर उछ ल-उछ ल कर मैं अपनी ग ण्ड में सर के लण्ड को
जजतन हो सकत है उतन लेने की कोलशश करने लग ।
सर मझ ु े चमू कर मेरी ग ण्ड में लण्ड पेलते हुए बोले- “ह ूँ अनू र नी, मैं तझ
ु े लय र करत हूूँ। बहुत लय री है त।ू
तन
ू े मझु े बहुत सख
ु हदय है । अब आगे दे खन कक ककस तरह से मैं तझ ु े और तेरी दीदी को चोदां गू …” सर ने मझ ु े
खूब दे र चोद । हचक-हचक कर धक्के लग ये और मेरी कमर करीब-करीब तोड़ दी।
मैडम दीदी की बरु चूसती रहीां और अपनी बरु में उां गली करके हम री रनत दे खकर मज लेती रहीां। बीच-बीच में
मेरे ग ल सहल कर श ब सी दे ती ज तीां- “बहुत अच्छ चद
ु रह … स री सर… चद
ु रही है तू अनू बेटी…” किर
बोलीां- “सर कल एक खेल करते हैं। अननल को लड़की और लीन को लड़क बन ते हैं। अरे पर कल तो रपवव र
है …”
सर मेरी ग ण्ड में लण्ड पेलते हुए बोले- “बहुत अच्छ खय ल है मैडम… आप तैय री कर लीजजयेग … वो आपकी
पैडड
े ब्र है न , वो ननक लकर रखखये और ब लों क वो क्य करें गीां मैडम?”
“आप किकर मत कीजजये सर। मैं पवग ले आऊूँगी आज श म को। वो डडल्डो तो है न जो हम रोज यज़
ू करते
हैं…” मैडम ने पछ
ू ।
“ह ूँ… यहीां रख है । इन तीन हदनों में जरूरत ही नहीां पड़ी। दे खखये ये बच्चे इतने होलशय र ननकले ओह्ह… ओह्ह…
अनू र नी… अननल र ज …” और चौधरी सर भलभल कर झड़ गये।
मैडम ने मेरी ग ण्ड के छे द पर उां गली किर यी- “सर, आपने तो इसकी गि
ु बन दी एक हदन में…”
मैडम मेरे लण्ड को सहल ती हुई बोलीां- “इसे दे खखये सर, है जर स और नन्
ु नी भर है पर ये कैसे कसमस रह
है जैसे मज आ रह हो, क्यों रे अननल, अच्छ लगत है …”
“ह ूँ मैडम, बहुत मीठ लग रह है लण्ड में …” मैं मैडम क ह थ पकड़कर अपने लण्ड पर और जोर से नघसने की
कोलशश करते हुए बोल ।
“मैडम ऐस होत है… जब ज्य द ग ण्ड म र ली ज ये तो ऐस ही होत है, लण्ड खड़ नहीां होत पर मज बहुत
आत है । म ल लमलेग इसमें से… आपक मड ू है य मैं चूस ल…
ूां ”
मैडम जब मझ
ु े झड़ कर मेर वीयि खतम करके उठीां तो हूँस के बोलीां- “ये लड़क तो आपकी चलपलों क भी
आलशक हो गय है लगत है । वैसे ठीक भी है , आपक लशष्य है, आपकी चरण पज
ू करे ग तो आलशव िद ही
प येग …”
70
हम सब दस लमनट ऐसे ही पड़े रहे । किर मैडम बोलीां- “चलो, श म हो गई, अब तम
ु लोग ज ओ। सोमव र को
आन ऐसे ही। ख स खेल है । और न नी को बत दे न कक सर दो घांटे की एक्सट्र क्ल स लेने व ले हैं…”
दीदी अब तक होश में आ गई थी। बहुत थकी हुई लग रही थी। मैडम ने हम दोनों के ललये शरबत बन य । उसे
पीकर दीदी जर सांभली। हमने कपड़े पहने और चलने लगे। मैं और दीदी दोनों पैर नछतर कर चल रहे थे। सर
बोले- “ये लो दो रुपये, ररक्स से चले ज ओ, ऐसे ज ओगे तो लोग दे खकर कहें गे कक क्य हो गय । आज आर म
करन । परसों एक और अच्छ मजेद र लेसन दें गे तम
ु लोगों को। मैडम आज कुछ श पपांग करने व ली हैं तम
ु
लोगों के ललये…”
“ह ूँ दीदी, बहुत दख
ु । पर दीदी, ग ण्ड मर ने क मज और ही है । तू मर येगी क्य ?”
***** *****
रपवव र को हमने परू े हदन आर म ककय । दीदी तो सोती ही रही। मैं भी कहीां नहीां गय , ग ण्ड में अब भी ददि थ ,
सोच बबस्तर में पड़ रहूांग तो जल्दी आर म लमलेग ।
सोमव र को हम क फ़ी ठीक हो गये थे। मेरी भी ग ण्ड सम्प्भल गई थी, ददि खतम हो गय थ , जर सी टीस भर
थी। जब हम सर के यह ां पहुूँचे तो मैडम र ह दे ख रही थीां। हमें खीांचकर वे अांदर ले गईं। वह ां उन्होंने अपन
ग उन उत र और हमें भी कपड़े उत रने को कह ।
मैडम की नांगी जव नी को दे खते हुए हम भी नांगे होने लगे। दो हदन के आर म से थक न ग यब हो गई थी। मेर
लण्ड मैडम को दे खकर खड़ हो गय ।
71
“सर कह ां हैं मैडम?” दीदी ने पछ
ू ।
दीदी खखलखखल कर हूँसने लगी- “मैडम, सच में । क्य लगत है अननल। इसे ऐसे ही ब हर र स्ते पर ले ज इये
मैडम…”
मझ
ु े शरम लग रही थी पर मज आ रह थ । लीन मह
ूँु दब कर मझ
ु े गचढ़ कर हूँस रही थी- “तू क्यों किदी किदी
कर रही है शैत न, अब तू आ इधर, तेरी ब री है…”
लीन दीदी चप
ु हो गई। किर बोली- “मैडम मैं…”
“तझ
ु े भी तो लड़क बन न है । चल ब ल ब ांध ले…” कहकर मैडम ने दीदी के ब ल ब ांधकर छोटे कर हदये और
एक कक्रकेट कैप पहन दी। किर एक डडल्डो ननक ल और दीदी को ब ांधने लगीां- “ये लसर अांदर ड ल ले, डर मत
छोट है, मज आयेग …”
“क्य हुआ… दख
ु त है…” मैडम ने पछ
ू ।
“जजसे हम कहें । इतने लोग तो हैं यह ां, सब चुद ते हैं, दे ख नहीां दो हदन में… कोई बच चद
ु ने से… अब इधर आ,
तेरे मम्प्मे ब ांधने हैं नहीां तो लड़क कैसे बनेगी…” कहकर मैडम ने एक रे शम क पट्ट ललय और कस के दीदी
की छ ती के च रों ओर ब ांध हदय । दीदी की जर -जर सी चगू चय ां दबकर ग यब सी हो गईं। ऊपर से दीदी को
मैडम ने एक टी-शटि पहन हदय ।
“चलो, मैं तैय र हूूँ। बच्चो, आज मैं और मैडम जो कहें गे वो करन । बहुत मज आयेग । पहले जर सब लोग
पलांग पर आओ। लमल-जुल कर थोड़ लय र करें ग,े किर खेल शरू ु करें ग…
े ” सर बोले।
पलांग पर हम र लय र शरू
ु हो गय । एक दस
ू रे को चम
ू न , लण्ड पकड़न , मैडम की चत
ू में उां गली करन आहद
क रन मे शरू
ु हो गये। दीदी परे श न थी, बेच री की चत
ू डडल्डो से ढकी थी इसललये कुछ कर नहीां प रही थी।
मैं मैडम पर चढ़ने लग तो बोले- “अरे तू नहीां, ये नय लड़क , लीन कुम र, य ऐस करो इसे लललत कुम र
न म दे दो…”
मैडम लीन को लेकर लेट गईं- “आ ज लीन । मेर मतलब है लललत। चोद ले अपनी मैडम को…”
लीन को अटपट लग रह थ । उसने मैडम की बरु में अपन नकली लण्ड ड ल और मैडम पर लेट गई।
“अरे चोद न , जैसे सर करते हैं य तेर ये भ ई, मेर मतलब है ये अनू करती है…”
लीन मैडम को चोदने लगी। उसक चेहर खखल उठ - “मैडम… मैडम बहुत अच्छ लगत है । बहुत गद
ु गद
ु ी सी
होती है जब डडल्डो आपकी चूत में अांदर ब हर करती हूूँ…”
73
“अरी बत य तो थ कक तेरे जक्लट पर वो द ने रगड़ते हैं। ऐस ही लगत होग अननल को य सर को जब वो
तझ
ु े चोदते हैं। अब चोद ठीक से, मेहनत करके, अभी लड़की जैसी चोद रही है, नखरे करके, जर लड़के जैसे
चोद जोर-जोर से…” मैडम ने लीन दीदी को मीठी िटक र लग यी।
मैडम अब भी मड
ू में थीां- “अरे रुक क्यों गय लललत, और चोद न …”
“मैडम… हो गय मैडम। अब नहीां होत …” कहकर दीदी पड़ी रही। लगत है जोर से झड़ गई थी।
“दे ख कम ल डडल्डो क लीन … ये मज आत है इसमें। बबन डडल्डो के तू घांटे-घांटे चुद ती थी। अब चोद न
और, नखरे मत कर…”
“मैडम, आप ऊपर से चोहदये, इसके बस की ब त नहीां है …” सर ने मेरी ग ण्ड चोदते हुए मैडम को सल ह दी।
किर मझु े बोले- “चल अन,ू अब मझ
ु े चद
ु ने दे जर …”
अपन खड़ लण्ड उन्होंने खीांचकर मेरी ग ण्ड से ननक ल और किर मेर लण्ड अपनी ग ण्ड में लेते हुए मेरे पेट
पर बैठ गये। लगत है कक वे ग ण्ड में भी तेल लग कर आये थे। मेर लण्ड आस नी से अांदर हो गय । किर सर
उचक-उचक कर अपनी मरव ने लगे। मैंने मस्ती में इधर उधर लसर हहल न शरू
ु कर हदय । मेरी नजर नीचे पड़ी
मैडम की चलपल पर गई।
मैं मैडम की रबर की जस्लपर च टने लग । सर मेरे ऊपर चढ़े -चढ़े मेरी नकली चूगचय ां दब ने लगे- “ये मस्त मम्प्मे
हैं मैडम, एकदम ठोस, आपके जैसे ही हैं…”
“कल च र दक
ु न घम
ू ी तब लमले हैं सर…” मैडम गवि से बोलीां। किर- “आपक तो अभी खड़ है सर, अनू को ठीक
से परू नहीां चोद …” मैडम ने उठते हुए पछ
ू ।
“नहीां मैडम, अभी इसे क फ़ी मेहनत करनी है , झड़ने के पहले और मज लेन है, असली क म तो अभी होग
थोड़ी दे र से…” और मैडम को आांख म र दी।
74
मैडम हूँसने लगीां- “आप बड़े ज ललम हैं सर…”
“बस-बस, मझ
ु े न उल्लू बन इये, और आपको जो करन है कर लीजजये आज, अच्छ मौक है…” मैडम बोलीां।
मैडम ने लीन को नीचे ललट य और उसके ऊपर चढ़कर डडल्डो अपनी चूत में लेकर ऊपर नीचे होने लगीां।
मैडम ने अनसन
ु कर हदय और तब तक चोदती रहीां जब तक वे खद
ु नहीां झड़ गईं। दीदी तो एकदम से खल स
हो गई थी, बस इधर उधर लसर िेंक कर मैडम से गह
ु र कर रही थी कक अब छोड़ दो।
सर की ग ण्ड में मेर लण्ड चल रह थ । मैं दो तीन ब र झड़ते झड़ते बच । एकदम मस्ती चढ़ी थी पर सर मझ
ु े
झड़ने नहीां दे रहे थे। बस मेरी ओर दे खकर मश्ु कुर रहे थे और उछल-उछलकर मेरे लण्ड को अपनी ग ण्ड क
मज दे रहे थे। सर थोड़ी दे र ब द मेर लण्ड ग ण्ड में से सलप से खीांचकर उठे तो मैं तरु ां त ह थ में अपन लण्ड
लेकर मठ्
ु ठ म रने लग ।
मैडम उठकर स त-आठ रे शम की रजस्सय ां ले आईं। सर और मैडम लमलकर मेरे ह थ पैर ब ांधने लगे।
“अरे तेर तो ख स क म है आज। नय खूबसरू त लड़क लमल है हम दोनों को आज, खूब मजे लेंगे। ख सकर
सर, तझ
ु े तो म लम
ू है कक सर को ककतन मज आत है लड़कों को चोदने में…” मैडम बोलीां।
75
दीदी के ह थ और पैर ब ध
ां कर सर ने उसे ललट हदय । किर उसपर चढ़ गये- “अब तेरे लण्ड से मरव त हूूँ, नये
लण्ड से मरव ने की ब त ही कुछ और है…” सर ने डडल्डो अपने छे द पर रख और किर उसे अपनी ग ण्ड में लेते
हुए बैठ गये- “आह्ह… मज आय । इस लण्ड की ख स ब त है कक ये झड़त नहीां है , ककतन भी चुदव ओ…” किर
सर ऊपर नीचे होकर अपनी ग ण्ड खुद मरव ने लगे।
दीदी किर सी सी करने लगी। उसकी बरु में डडल्डो थोड़ स अांदर ब हर हो रह थ और जक्लट पर उसके द ने
रगड़ रहे थे।
“नहीां सर… ललीज़ सर… आप नहीां म रें गे न मेरी…” लीन रोने को आ गई थी।
मैडम मझ
ु से ललपटकर मझ
ु े चूमने लगीां। मेरे मूँह
ु में अपनी चूची दे दी और मेरी नकली चूांगचय ां दब ने लगीां। एक
ह थ से मेरे लण्ड को पकड़कर बोलीां- “मज आ रह है अन…
ू ”
“ह ूँ मैडम, बहुत। मस्ती लग रही है । मैडम। लण्ड चूस लीजजये न ललीज़…” मैंने मचलकर कह ।
मैडम मेरे लण्ड को बरु में लेकर चोदने लगीां। पर मेरी ह लत और खर ब हो गई। चोद तो रही थीां पर खद
ु के
मजे के ललये, मेरे लण्ड को बबन झड़ ये।
“अरे चोद तो रही हूूँ, मैंने कह थ वैस,े मैंने ये थोड़े ही कह थ कक झड़ दां ग ू ी। आज तो समझ ले कक तू मेर
गड्
ु ड है । य गड्
ु डी है , खेलग ूां ी मन भर के, गड्
ु डों से थोड़े कोई पछ
ू त है कक अब खेलें य नहीां। इसीललये तो तेरे
ह थ पैर ब ांधे हैं…” मैडम उछलते हुए बोलीां।
76
उधर लीन की ह लत खर ब थी। झड़-झड़ कर बेच री परे श न हो गई थी। बस- “अां… आह्ह… ओह्ह… नहीां सर…
बस सर… ललीज़ सर…” ऐसे बोल रही थी। उसके जक्लट पर डडल्डो क ननचल लसर नघस-नघस कर चत
ू एकदम
खल स हो गई थी, वह उसे अब जर स भी नघसन सहन नहीां हो रह थ ।
सर मस्ती से ग ण्ड चुदव रहे थे और लीन की रोने को आयी सरू त दे ख-दे खकर मज ले रहे थे। उनक लण्ड
अब ऐसे खड़ थ जैसे लोहे की सल ख हो। एक दो लमनट के ब द वे डडल्डो ग ण्ड से ननक लकर बैठ गये और
लीन को ब हों में उठ कर चम
ू ने लगे- “आ ज लीन , परे श न मत हो, अब तेरी ग ण्ड चोदत हूूँ। तू यही च हती
है न …”
लीन डर से गचल्ल ने लगी- “अननल… बच न … ललीज़… मैं मर ज ऊूँगी… मैडम ऐस मत कीजजये ललीज़…”
“मैडम, वही इस्तेम ल करें गे जो करन च हहये। आखखर हम रे स्टूडेंट हैं, हम री चरण पज
ू करन अपन सौभ ग्य
म नते हैं, इन्हें अपने सर और मैडम की चलपल ककतनी पसांद हैं आपने दे ख है न …”
सर को म लम
ू थ कक मेरे मन में क्य चल रह है, वे मेरी ओर दे खकर मश्ु कुर ये और बोले- “लीन , तू क्यों
डरती है , अपने भ ई को दे ख, लसफ़ि ग ण्ड म रने के न म से ही कैस मस्त हो गय है । एक ब र तू मर लेगी तो
किर ब द में खद
ु ही करव य करे गी। चल मूँह
ु खोल…”
लीन मूँह
ु खोल नहीां रही थी। बस सर के ह थ में उनकी चलपल को घबर कर दे ख रही थी। मैडम ने उसके ग ल
दब कर मूँह
ु खल
ु व य और सर ने अपनी चलपल क पांज दीदी के मूँह
ु में ठूांस हदय ।
77
“अरे इतन स … और ठूांसो न …” मैडम बोलीां।
“तो क्य हुआ… ठीक से मह ूँु बांद करो उसक । नहीां तो गचल्ल ने लगेगी। आपक मस
ू ल उसे भ री पड़ने व ल है ।
और लीन , तझु े तो खुश होन च हहये, ये तो तझ ु े अपने टीचर क , अपने सर क आलशव िद लमल है उनकी
चलपल के रूप में, ठीक से स्व द ले उसक …”
“अब ठीक है…” कहकर सर ने उसक मश्ु कें बांध बदन नीचे रख और दीदी के चूतड़ों में मूँह
ु ड ल हदय - “क्य
खज न है मैडम, कब से सोच रह थ कक कब इसक भोग लग ने क मौक लमलेग …” और दीदी के चूतड़ों को
चम
ू ने और च टने लगे। बीच-बीच में दीदी की ग ण्ड क छे द चस
ू ने लगते।
“अरे ह ूँ पर आज उनमें घस
ु ने क मौक लमल रह है । मैडम वो मख्खन ले आइये, लसफ़ि तेल से क म नहीां
चलेग …”
मैडम ज कर ककचन से कटोरी भर मख्खन ले आईं। किर खुद ही सर के लण्ड और दीदी की ग ण्ड में लग ने
लगीां। बोलीां- “सर आज आपक घोड़े जैस हो गय है । चलो अच्छ हुआ कक आपको मन की मरु द लमलने व ली
है । मन भर के ग ण्ड म रने लमलेगी अब से…”
किर मेरी ओर मड़
ु कर बोलीां- “अननल, पत है कक ये पहले मेरी म र करते थे। अब तम
ु लोग आ गये हो तो मेरी
ग ण्ड की तो ज न छूटी कम से कम। वैसे तम
ु को मज आत है ये मझ
ु े म लम
ू है …”
“अरे लड़कों को मज आयेग ही। बस लड़ककय ां रोती हैं। वैसे ये लड़की है बहुत गरम, एक दो ब र में सीख लेगी।
बस आज की ब त है । समझी लीन … आज सहन कर ले, किर जब खुद मरव ने लगेगी तो मैं मह ूँु में चलपल दे न
भी बांद कर दां ग
ू । पर आज तो मूँह
ु में रहे गी तेरे, वैसे स्व द ले उसक , तझ
ु े अच्छ लगेग , तेरे भ ई की तो पसांद
की चीज है …” सर बोले।
“सर… सर मैं लग
ूां सर आपकी चलपल मूँह
ु में मर ते समय, बहुत मज आत है सर… और मैडम की भी…” मैं
कहन च हत थ पर मैडम की चलपल मूँह ु में थी इसललये चुप रह ।
“चललये सर, अपन क म कीजजये, आपकी लशष्य तैय र है …” मैडम ने ह थ पोछे कर और ब जू में हो गईं और
मेर लण्ड अपनी चगूां चयों के बीच लेकर रगड़ने लगीां।
“मैडम, भर हदय न अांदर तक… बेच री को ज्य द तकलीि हो ये मैं नहीां च हत …” चौधरी सर बोले।
78
मैडम खखलखखल उठीां- “मैं अच्छी तरह ज नती हूूँ आपको क्य च हहये। चललये अब म ररये, और मैंने अांदर तक
भर हदय है मख्खन, पेट तक घस ु ग
ें े तो भी सट से चल ज येग …”
“क्य हुआ सर, ब ांध तो है आपके खखलौने को। कोई तकलीि नहीां होगी, आखखर जर सी तो बच्ची है…”
“ह ूँ पर बड़ी हहल डुल रही है , छूटने की कोलशश कर रही है , जर इसे पकडड़ये…”
“आज आपक सप
ु ड़ नहीां किसल सर… पपछली ब र उस लड़की… क्य न म थ उसक । वो बड़ी सेक्सी बदम श
लड़की थी ब बकट व ली… ह ूँ… रीत । आपक ब र-ब र किसल ज त थ , आध घांट लग गय थ उसकी लेने में …”
मैडम बोलीां।
मैडम की ब त सन
ु कर मैं अपनी कमर उचक ने लग , लण्ड और तन गय ।
मैडम दे खकर हूँस कर बोलीां- “ये अननल दे खो कैस बदम श है , दीदी की ग ण्ड िटने की ब त सन
ु कर ही मज
आ गय इसको…”
79
“क्य सर छोकरी को तड़प रहे हैं आप… मैंने वो टी॰वी॰ पे दे ख थ , एक शेर हहरन के बच्चे क ऐस ही लशक र
कर रह थ …” मैडम सर को चम
ू कर बोलीां।
मैडम सर के चूतड़ दब कर बोलीां- “अब परू ड ल दीजजये सर, जड़ तक, मैं दे खन च हती हूूँ कक क्य होत है,
वैसे ये लड़की ले नहीां प येगी आपक लांब डांड , इसके मूँह
ु से ननकल आयेग दे खखयेग …”
“ह ूँ मैडम… ओह मैडम… मैडम मैं झड़ने व ल हूूँ…” कहकर सर ने मस्ती में आांखें बांद कर लीां। मैडम ने उनके
लण्ड के बेस को जोर से दब य और झड़ने से रोक हदय ।
“अरे सर… क्य कर रहे हैं आप, इतनी मजु श्कल से ये तमन्न आपकी परू ी हुई है, अब ठीक से चोहदये आपकी
लशष्य को…”
सर एक लमनट वैसे ही बैठे रहे , किर बोले- “धन्यव द मैडम, आपने बच ललय नहीां तो हमेश मैं आपको कोसत ।
मैं भी कैस हूूँ, अब तक इतने लोगों को चोद चक ु हूूँ किर भी मझ
ु से कांट्रोल नहीां हुआ, आपक कैसे शकु क्रय अद
करूां…” और झुक कर मैडम की चच ू ी चस
ू ने लगे।
सर ने एक गहरी स ांसे ली और दीदी की ग ण्ड में लण्ड पेलने लगे। ऐस लग रह थ जैसे कोई मल
ु यम तरबज
ू
में बड़ी छुरी घस
ु रही हो। दीदी अब चुपच प पड़ी थी, श यद बेहोश हो गई थी।
80
मैडम ने श यद ये भ ांप ललय । सर को रोक कर बोलीां- “रुककये सर, ये बेच री तो क म से गई, इसे क्य मज
आयेग । आपको और मझ
ु े कोसेगी कक सोते-सोते ही परू क म कर हदय । जर होश आने दीजजये, किर ड ललये
परू …”
“बस यही तो मजे लेने की ब त है सर। मैं इसे जग ती हूूँ, किर इसे भी मज दीजजये अपने लण्ड क । ट इट भले
हो पर इन चद
ु ै ल जव न बदनों के छे द अच्छे गहरे होते हैं, आर म से ले-लेते हैं आपक परू मस
ू ल, आपने खद
ु
तो दे ख है इतनी ब र…” कहकर मैडम दीदी को चूम-चूमकर उसे जग ने लगीां। उसके मूँह
ु पर रुम ल से थोड़ ठां ड
प नी भी लग य । सर की चलपल दीदी के गचल्ल ने की कोलशश करने की वजह से उसके मूँह
ु से ननकल आयी
थी।
दीदी अब ऐसी तड़पी कक ककसी ने गल दब हदय हो। कस के अपने बांधे ह थ पैर फ़ेंकने की कोलशश करने
लगी। उसक लसर अब ककसी हल ल होते बकरे जैस इधर उधर हो रह थ । मैडम ने अपन ह थ उसके पेट के
नीचे ड ल और टटोल कर दे ख - “सर, इसकी तो छ ती तक घस
ु गय है लगत है, दे खखये पेट के ऊपर कैस
सप
ु ड़े क आक र महसस
ू हो रह है …”
81
“मैडम, ये लण्ड तो बन ही है ऐसे सद
ुां र स्टूडेंट्स की सेव के ललये। उनके बदन में गहर घस
ु त है तो बड़ सक
ु ून
लमलत है …” कहकर सर लीन के ब ल चम
ू ने लगे।
मैडम मश्ु कुर ते हुए बोलीां- “और मज ले अननल, अभी नहीां छोड़ूग
ां ी तझ
ु ,े अभी तो सर क एक क म करव न है
मझु े तझ
ु से…”
सर ने अब दीदी के बदन को ब ांहों में भर ललय थ और अपनी ट ांगें दीदी की कमर के आस प स कस ली थी।
दीदी की ग ण्ड को अब वे बरु ी तरह से चोद रहे थे, जैसे घोड़ी की सव री कर रहे हों। थोड़ी ही दे र में दीदी की
मख्खन भरी ग ण्ड से ‘िच’ ‘िच’ ‘िच’ आव ज आने लगी।
“कैस लग रह है सर… स्व द ले-लेकर चोहदये जर । जल्दब जी मत कीजजये…” मैडम अपन ह थ चौधरी सर की
पीठ पर िेरते हुए बोलीां।
सर ह ांिते हुए पड़े रहे । किर सांभलने पर बोले- “कोई ब त नहीां मैडम, ये तो शरु
ु आत है । आज तो हदन भर लीन
की लग
ूां मैं। ये दे खखये मेर लण्ड भी बस ढोंग कर रह है , बस जर स थक गय है …” उन्होंने अपन लण्ड आध
ब हर खीांचकर हदख य । वो अब ही क फ़ी तन हुआ थ ।
“ननक ल लीजजये सर। बहुत रसील लग रह है । अननल को दे खखये। बेच र कैसे ललच कर दे ख रह है । क्यों रे
अननल…” मैडम ने मेरे ग ल को अपने पैर के अांगठ
ू े से कुरे दते हुए पछ
ू ।
मैंने जोर से मड
ुां ी हहल ई।
सर ने लण्ड पक्
ु क से ब हर खीांच ललय । उसपर मख्खन और उनके वीयि क झ ग लग थ । मैडम ने मेरी मह
ूँु से
अपनी चलपल ननक ली और उठ बैठीां- “बहुत हो गय मैडम की चरण पज
ू । अननल, अब तू ये लमठ ई च ट ले, मैं
भी तो जर दे खांू मेरी लय री गडु ड़य क ह ल…”
82
सर मेरे प स आकर बैठे और मेर लसर अपनी गोद में लेकर अपन लण्ड मेरे मूँह
ु में दे हदय । उधर मैडम ने
ज कर दीदी के चत
ू ड़ खीांचकर फ़ैल ये और बोली- “व ह सर, आपने एकदम चौड़ कर हदय मेरी गडु ड़य को। कैसी
छोटी सी थी इसकी ये म्प्य न, अब दे खखये, मूँह
ु ब कर कैसे तैय र है । िटी तो नहीां…” कहकर वे दीदी के गद
ु को
उां गली से हौले-हौले टटोलने लगीां।
“नहीां सर, मैं क्यों च हूांगी पर कुछ भी कहहये, जब आपने रीत की ि ड़ी थी तब भी बहुत मज आय थ दे खने
में । वैसे वो लड़की भी बदम श थी, मह ांु िट भी थी, जबरदस्ती करन पड़ी थी, ह थ नहीां लग ने दे ती थी। आपने
उसकी परू ी खोल दी, ब द में कैसी डरती थी वो, स ल भर मरव ती रही पर चूां नहीां की उसने। ये दोनों तो बहुत
लय रे हैं, खुद ही कैसे आ गये हम री सेव करने को। इनसे जबरदस्ती क क्य क म…” मैडम झुकीां और दीदी की
ग ण्ड च टने लगीां।
सर क किर से जोर से खड़ हो गय थ और मेरे गले तक उतर गय थ । वे आगे पीछे होकर मेरे गले को चोद
रहे थे। मैं भी मस्ती से चस
ू रह थ कक सर क और म ल लमल ज ये।
“नहीां ऐसी ब त नहीां है मैडम, आज तो बस लीन की ग ण्ड है और मैं हूूँ। असल में ये दोनों भ ई बहन इतने
लय रे हैं कक समझ में नहीां आत कक ककस पर चढ़ूँू और ककसे छोड़ू…
ां ” सर उठकर दीदी के प स ज ते हुए बोले।
सर किर दीदी पर चढ़ गये और उसकी ग ण्ड में अपन लण्ड उत र हदय । इस ब र बस प ांच लमनट भी नहीां
लगे। दीदी जरूर छटपट ई पर उसकी बोलती अब भी बांद थी, मूँह
ु में सर की चलपल जो थी।
“ह ूँ सर…”
“तो ददि भी सहन करन सीख। गचल्ल येगी नहीां तो ह थ पैर भी खोल दां ग
ू …” कहकर सर शरू
ु हो गये। बड़े लय र
से हौले-हौले वे दीदी के चूतड़ों के बीच अपन लण्ड अांदर ब हर करने लगे। दीदी थोड़ी लससकी पर चुप रही।
“चलो… ये ठीक हुआ। अब जर रुको…” मैडम ने कह और मेरे ह थ पैर खोल हदये। मेरे मूँह
ु से चलपल भी
ननक ल दी।
“चल अब किर म र। मैं मख्खन लग दे ती हूूँ। पपछली ब र तेल लग य थ न … मख्खन से और मस्त सटकत
है …” मैडम ने मेरे लण्ड और सर के छे द में मख्खन चप
ु ड़।
“म न गय मैडम आपको। आप ककतन खय ल रखती हैं मेर । ये तो कब से मेरे मन में थ …” सर अपने चूतड़
थोड़े हहल कर बोले।
“अब लड़की के स थ-स थ एक लड़क भी स्टूडेंट लमल है सर, इसक ि यद तो लेन ही च हहये। चल अननल,
आज सर को खुश कर दे …” मैडम ब जू में हटीां और मैं सर पर चढ़ गय । एक ब र में आध लण्ड ग ड़ हदय
उनकी ग ण्ड में । किर परू पेल और उनपर सो गय ।
84
मैं सर की ग ण्ड म रने लग । लण्ड मस्त खड़ थ , मख्खन से किसल भी मस्त रह थ । हमने बहुत दे र तक
चद
ु ई की। पहले धीरे -धीरे हौले-हौले। किर ब द में सर कसके दीदी की म रने लगे। उनके चत
ू ड़ हव में उछल-
उछल रहे थे। दीदी कर ह रही थी, पर गचल्ल ई नहीां, श यद मैडम के डर से। मैं भी सर के स थ-स थ ऊपर नीचे
होत रह ।
“बस ऐसे ही सर, बहुत ठीक कर रहे हैं आप। मेरे प स कैमर होत तो पपक्चर ले-लेती, बहुत बबकत । क्य हदख
रही है आपकी ये नतकड़ी सर, एक बड़ ऊूँच परू परु ु र् और उसके दोनों और ये गचकने जव न भ ई बहन सैंडपवच
बन ते हुए। लीन मज आ रह है न … आखखर हम दोनों के प स आये हुए स्टूडेंट बनकर तो हम र तो िज़ि है
तम्प्
ु हें परू आनांद दे न और तम
ु दोनों क िज़ि है अपनी मैडम और सर के सख
ु क खय ल रखन …”
सर जब झड़े तो गचल्ल उठे , इतन मज उन्हें आय कक वे रोक नहीां प ये। आखखर पहली ब र ककसी और की
ग ण्ड म रते हुए अपनी ग ण्ड चुद ने क ये पहल मौक थ । उनके झड़ने के ब द भी मैंने उन्हें नहीां छोड़ और
गचपक कर कसकर म रत रह । मैडम ने मझ ु े अलग करने की कोलशश की तो सर ह ांिते हुए बोले- “अरे मज
कर लेने दीजजये उसे मैडम, बहुत मेहनत की है बेच रे ने, बहुत सख
ु हदय है अपने टीचर को। भगव न भल करे
बेट तेर , ऐस ही सख
ु लेत रह और दे त रह…”
इस चुद ई के ब द मैडम सबके ललये च य बन ल यीां। दीदी लस्त पड़ी थी, उठकर बैठ भी नहीां रही थी।
उसक मरु झ य चेहर दे खकर मैडम बोलीां- “आज तो इस कन्य को ननचोड़ ललय परू आपने सर…”
“ह ूँ मैडम, बहुत अच्छ लग । पर अभी मन नहीां भर , अभी तो तीन च र घांटे हैं श म होने में । आज लीन को
मैं परू भोग लग ूां , जब से इसे दे ख है, मन तरस रह है , आज तो मरु द लमल गई है मझ
ु ,े क्यों लीन बेटी, तझ
ु े
अच्छ लग कक नहीां…”
“अभी वो सकते में है सर, बेच री तब से अकेले आपको झेल रही है, वैसे इसे बहुत सख
ु लमल होग , मैं कहती हूूँ
न , अब आप आगे शरू ु कीजजये जल्दी…” मैडम ने सर को कह ।
मैं झेंप गय । सर मझ
ु े चूमकर बोले- “अरे ये तो मेर ल ड़ल है । पर बेटे, तन
ू े तो मज ले ललय पपछले दो हदन,
अब दीदी को लेने दे । मेर मतलब ये है कक अब इसपर चढ़ूांग नहीां, गोद में बबठ ऊूँग । आ ज लीन …”
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दीदी ककसी तरह उठी और सर की गोद में बैठने लगी।
“ऐसे नहीां मेरी र नी, ये खूांट तो लभड़व ले अपने बदन में …” कहकर सर ने अपन लण्ड उसकी ग ण्ड के छे द पर
रख और थोड़ स अांदर कर हदय - “अब बैठ ज …”
“अरे इतनी दे र से ग ण्ड मरव रही है अब भी लेने में डरती है … किकर मत कर, मैं मदद करती हूूँ…” कहकर
मैडम ने दीदी के कांधे पकड़े और जोर से सर की गोद में उसे बबठ हदय । लण्ड गलप से दीदी के चूतड़ों के ब च
धांस गय और दीदी धम्प्म से सर की गोद में बैठ गई। वो चीखती इसके पहले मैडम ने उसक मूँह
ु अपने मह
ूँु से
बांद कर हदय ।
मैडम बोलीां- “लीन अब पस्त हो गई है सर, अब इस ललट कर म ररये, दे खखये न गगरने को है…”
“आप गचांत न कीजजये मैडम, नहीां गगरे गी, मेरे खूांटे से जो टां गी है, ये दे खखये…” कहकर सर ने दीदी के बदन से
अपने ह थ हट ललय । दीदी वैसी की वैसे रही। उसके पैर हव में झूल रहे थे, बस सर के लण्ड से टां गी हुई थी।
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मैडम बस लेटी-लेटी अपनी बरु में उां गली करती हुई मस्ती लेती रहीां और सर के क रन मे दे खती रहीां। श म होते
होते दीदी परू ी लस्त हो गई। वह तो बेहोश ही हो गई थी और चप ु च प पड़ी थी। सर जब परू ी तरह से तलृ त हो
गये तो आखखर में मैडम ने मझ
ु से दीदी की ग ण्ड म रने को कह । मैंने मन लग कर मजे लेते हुए म री। अब
दीदी की इतनी फ़ुकल हो गई थी कक सर की ग ण्ड भी उसके मक ु बले कसी हुई लगती थी।
मैंने कह तो मैडम बोलीां- “अरे उसकी ग ण्ड में जो लण्ड चल आज हदन भर वो तेरे से दग
ु न है । तो किर होग
ही। किकर मत कर। आज र त तू दीदी की ग ण्ड में बफ़ि के गोले भर दे न । कल तक किर अच्छी लसकुड़
ज येगी…”
चुद ई खतम होने पर मैडम ने हमें आध घांट आर म करने हदय । किर दीदी को नहल य और उसे और मझ
ु े
दध
ू पीने को हदय । हमने कपड़े पहने। दीदी को मैडम ने कपड़े पहन ये। उसके ब द सर खद
ु हमें अपने स्कूटर
पर बबठ कर घर छोड़ गये क्योंकी दीदी से चल नहीां ज रह थ । न नी ने पछ
ू तो सर बोले कक अरे जर गगर
पड़ी इसललये पैर में मोच है।
मझ
ु े डर थ कक दीदी के स थ जर ज्य द ही हो गय , वो न नी को कह न दे । पर दीदी चप
ु थी। न नी ने पछ
ू
कक आज इतनी थकी मरु झ यी क्यों लग रही है तो दीदी धीमी आव ज में बोली कक न नी, आज बहुत पढ़ ई की
है हदन भर।
र त को ख ने के पहले दीदी खुद ही बोली कक अननल वो मैडम ने कह थ न बफ़ि के ब रे में । मैंने बफ़ि से दीदी
की ग ण्ड सेक दी। वो सी सी करते हुए पड़ी रही। श यद बफ़ि से दख
ु भी रह थ । मैंने कह कक दीदी दख
ु त है
तो रहने दो… तो बोली कक अरे मैडम ने कह थ न कक ट इट हो ज येगी किर से, किर सेक न , मेरे ददि की
परव न कर… ख न ख ते समय दीदी चुप चुप थी।
“अरे नहीां, मझ
ु े तो पत भी नहीां पड़ , वो सर ने ही मेरी ऐसी ह लत कर दी थी कक मझ
ु े कुछ समझ में नहीां आ
रह थ , मैं तो बेहोश ही थी श यद। तझ
ु े मज आय क्य ?”
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दीदी बोली- “तझ
ु े मज नहीां आय … सर और मैडम पसांद नहीां हैं तझ
ु …
े ”
मैं उसकी ओर दे खत रह । किर बोल - “दीदी, बहुत मज आय । पर तेरी जर ज्य द पपस ई हो गई लगत है ।
सर और मैडम तो ऐसे हैं कक मैं तो उनकी पजू करूां रोज। पर तेरी ह लत आज जर न जक
ु हो गई है इसललये
कह रह थ …”
थोड़ी दे र वो चुप रही। किर बोली- “पर अननल, जब सर मेरी म र रहे थे न तो ग ण्ड तो बहुत दख
ु रही थी पर
मेरी चत
ू ऐसी गीली थी कक बहुत मीठी कसक हो रही थी रे । इतन अच्छ लग रह थ कक… अननल… सर और
मैडम के प स ज द ू है ज द।ू लगत है मैं परू ी चद
ु ै ल बन गई हूूँ, दे ख किर से चूत बह रही है , य द आती है कक
आज क्य हुआ तो ऐसी कसकती है अननल। अब ऐस लगत है कक मेरी ये आग श ांत ही नहीां होती। अननल आ
न र ज , मेरी बरु चूस दे रे , किर चोद दे न …”
हम दोनों ने मैडम की ओर दे ख ।
वे बोलीां- “अरे तेरे सर असल में शौकीन हैं इन गोल मटोल गोरे चूतड़ों के। बरु के भी शौकीन हैं पर उनक
असल इांटरे स्ट परू पपछव ड़े ही होत है । ख सकर तम
ु जैसे लय रे जव न लड़के लड़ककयों के पपछव ड़े में । तम
ु नहीां
थे तो मझ
ु े झेलन पड़त थ , अब मेरी ज न छूटी। वो सर मझ
ु े चोदते कम थे और ग ण्ड ज्य द म रते थे। तभी
तो अननल आ गय तो मैं खुश हो गई, बहुत लय र से चोदत है तू मझ ु े अननल। और मझु े भी तमु जैसे बच्चे
बहुत पसांद हैं। अब हम दोनों की च द
ां ी है । मैं अपनी तरह से तम
ु दोनों से सेव करव य करूांगी और सर अपनी
तरह से…”
“पर मैडम…” मैं खझझकत हुआ बोल - “आप और सर तो। पनत पत्नी हैं। और मैं और दीदी भ ई बहन…”
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मैडम हूँसने लगी- “ककतने भोले हो अननल। तझ
ु े कैसे म लम
ू कक हम दोनों पनत पत्नी हैं… भ ई बहन भी हो
सकते हैं न … तझ
ु े म लम
ू है कक हम कह ां से आये हैं, हम र ग ूँव कौन स है… हम तो नये हैं यह ां…”
“अब चप
ु , ककसी से कहन नहीां। पर हम दोनों जैसे तम
ु लोग भी आगे खब
ू मजे करन । ये जीवन है ही इस
तरह क आनांद उठ ने के ललये। भ ई बहन क असली लय र तम
ु ने दे ख है, अब आगे बहुत तरह के लय र
दे खन …” मैडम ने हमें चूमकर कह ।
लीन दीदी मझ
ु े ड ांट कर बोली- “चुप कर… हम दोनों भ ई बहन हैं…”
“पर सगे तो नहीां हैं न । दरू के ररश्ते में श दी चलती है । मैं तो म ूँ से कह दां ग
ू …”
“ह ूँ दीदी। क्य मज लट
ू ते हैं दोनों। हम दोनों भी ऐसी ही मस्ती करें ग…
े ” मैं बोल । लीन कुछ नहीां बोली, बस
मश्ु कुर दी। पर उस र त घर पर न नी के सोने के ब द उसने मझ
ु े पहली ब र अकेले में चोदने हदय ।
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