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भगवदाराधना

यह ब्लॉग धािमर् क भावना से प्रवृत्त होकर बनाया गया है। इस ब्लॉग की रचनाएं श्रुित एवं स्मृित के आधार पर लोक में प्रचिलत एवं िविभन्न
महानुभावों द्वारा संकिलत करके पूवर् में प्रकािशत की गयी रचनाओं पर आधािरत हैं। ये ब्लॉगर की स्वयं की रचनाएं नहीं हैं, ब्लॉगर ने केवल अपने
श्रम द्वारा इन्हें सवर्सुलभ कराने का प्रयास िकया है। यिद िकसी रचना पर िकसी व्यिक्त िवशेष को कोई आपित्त हो तो ब्लॉगर उनकी आपित्तयों को
ससम्मान स्वीकार करके उनका िनराकरण करेगा। इसी भाव के साथ ईश्वर की सेवा में ई-स्तुित

गुरुवार, 8 अप्रैल 2010

श्री बृहस्पितवार व्रत कथा Shri Brihaspativar Vrat Katha

पूजा िविध
बृहस्पितवार को जो स्त्री-पुरुष व्रत करें उनको चािहए िक वह िदन में एक ही समय भोजन करें क्योंिक बृहस्पतेश्वर भगवान का इस िदन पूजन होता है
भोजन पीले चने की दाल आिद का करें परन्तु नमक नहीं खावें और पीले वस्त्र पहनें, पीले ही फलों का प्रयोग करें, पीले चन्दन से पूजन करें, पूजन के
बाद प्रेमपूवर्क गुरु महाराज की कथा सुननी चािहए। इस व्रत को करने से मन की इच्छाएं पूरी होती हैं और बृहस्पित महाराज प्रसन्न होते हैं तथा धन,
पुत्र िवद्या तथा मनवांिछत फलों की प्रािप्त होती है। पिरवार को सुख शािन्त िमलती है, इसिलए यह व्रत सवर्श्रेष्ठ और अित फलदायक, सब स्त्री व
पुरुषों के िलए है। इस व्रत में केले का पूजन करना चािहए। कथा और पूजन के समय तन, मन, क्रम, वचन से शुद्ध होकर जो इच्छा हो बृहस्पितदेव
की प्राथर्ना करनी चािहए। उनकी इच्छाओं को बृहस्पितदेव अवश्य पूणर् करते हैं ऐसा मन में दृढ़ िवश्वास रखना चािहए।

अथ श्री बृहस्पितवार व्रत कथा


कथा सुनने के िलए यहाँ िक्लक करें
भारतवषर् में एक राजा राज्य करता था वह बड़ा प्रतापी और दानी था। वह िनत्य गरीबों और ब्राह्मणों की सहायता करता था। यह बात उसकी रानी
को अच्छी नहीं लगती थी, वह न ही गरीबों को दान देती न ही भगवान का पूजन करती थी और राजा को भी दान देने से मना िकया करती थी।

एक िदन राजा िशकार खेलने वन को गए हुए थे तो रानी महल में अकेली थी। उसी समय बृहस्पितदेव साधु वेष में राजा के महल में िभक्षा के िलए
गए और िभक्षा मांगी रानी ने िभक्षा देने से इन्कार िकया और कहा- हे साधु महाराज मैं तो दान पुण्य से तंग आ गई हूं। मेरा पित सारा धन लुटाता
रहता है। मेरी इच्छा है िक हमारा धन नष्ट हो जाए िफर न रहेगा बांस न बजेगी बांसुरी।

साधु ने कहा- देवी तुम तो बड़ी अजीब हो। धन, सन्तान तो सभी चाहते हैं। पुत्र और लक्ष्मी तो पापी के घर भी होने चािहए। यिद तुम्हारे पास अिधक
धन है तो भूखों को भोजन दो, प्यासों के िलए प्याऊ बनवाओ, मुसािफरों के िलए धमर्शालाएं खुलवाओ। जो िनधर्न अपनी कुंवारी कन्याओं का िववाह
नहीं कर सकते उनका िववाह करा दो। ऐसे और कई काम हैं िजनके करने से तुम्हारा यश लोक-परलोक में फैलेगा। परन्तु रानी पर उपदेश का कोई
प्रभाव न पड़ा। वह बोली- महाराज आप मुझे कुछ न समझाएं । मैं ऐसा धन नहीं चाहती जो हर जगह बांटती िफरूं। साधु ने उत्तर िदया यिद तुम्हारी
ऐसी इच्छा है तो तथास्तु! तुम ऐसा करना िक बृहस्पितवार को घर लीपकर पीली िमट् टी से अपना िसर धोकर स्नान करना, भट् टी चढ़ाकर कपड़े
धोना, ऐसा करने से आपका सारा धन नष्ट हो जाएगा। इतना कहकर वह साधु महाराज वहां से आलोप हो गये।

जैसे वह साधु कह कर गया था रानी ने वैसा ही िकया। छः बृहस्पितवार ही बीते थे िक उसका समस्त धन नष्ट हो गया और भोजन के िलए दोनों
तरसने लगे। सांसािरक भोगों से दुखी रहने लगे। तब वह राजा रानी से कहने लगा िक तुम यहां पर रहो मैं दू सरे देश में जाऊँ क्योंिक यहां पर मुझे
सभी मनुष्य जानते हैं इसिलए कोई कायर् नहीं कर सकता। देश चोरी परदेश भीख बराबर है ऐसा कहकर राजा परदेश चला गया वहां जंगल को जाता
और लकड़ी काटकर लाता और शहर में बेंचता इस तरह जीवन व्यतीत करने लगा।

एक िदन दुःखी होकर जंगल में एक पेड के नीचे आसन जमाकर बैठ गया। वह अपनी दशा को याद करके व्याकुल होने लगा। बृहस्पितवार का िदन
था। एकाएक उसने देखा िक िनजर्न वन में एक साधु प्रकट हुए। वह साधु वेष में स्वयं बृहस्पित देवता थे। लकडहारे के सामने आकर बोले- हे
लकडहारे! इस सुनसान जंगल में तू िचन्ता मग्न क्यों बैठा है? लकडहारे ने दोनों हाथ जोड कर प्रणाम िकया और उत्तर िदया- महात्मा जी! आप सब
कुछ जानते हैं मैं क्या कहूं। यह कहकर रोने लगा और साधु को आत्मकथा सुनाई। महात्मा जी ने कहा- तुम्हारी स्त्री ने बृहस्पित के िदन वीर भगवान
का िनरादर िकया है िजसके कारण रुष्ट होकर उन्होंने तुम्हारी यह दशा कर दी। अब तुम िचन्ता को दू र करके मेरे कहने पर चलो तो तुम्हारे सब कष्ट
दू र हो जायेंगे और भगवान पहले से भी अिधक सम्पित्त देंगे। तुम बृहस्पित के िदन कथा िकया करो। दो पैसे के चने मुनक्का मंगवाकर उसका प्रसाद
बनाओ और शुद्ध जल से लोटे में शक्कर िमलाकर अमृत तैयार करो। कथा के पश्चात अपने सारे पिरवार और सुनने वाले प्रेिमयों में अमृत व प्रसाद
बांटकर आप भी ग्रहण करो। ऐसा करने से भगवान तुम्हारी सब कामनायें पूरी करेंगे।

साधु के ऐसे वचन सुनकर लकड़हारा बोला- हे प्रभो! मुझे लकड़ी बेचकर इतना पैसा नहीं िमलता िजससे भोजन के उपरान्त कुछ बचा सकूं। मैंने राित्र
में अपनी स्त्री को व्याकुल देखा है। मेरे पास कुछ भी नहीं िजससे उसकी खबर मंगा सकूं। साधु ने कहा- हे लकडहारे! तुम िकसी बात की िचन्ता मत
करो। बृहस्पित के िदन तुम रोजाना की तरह लकिडयां लेकर शहर को जाओ। तुमको रोज से दुगुना धन प्राप्त होगा िजससे तुम भली-भांित भोजन
कर लोगे तथा बृहस्पितदेव की पूजा का सामान भी आ जायेगा। इतना कहकर साधु अन्तध्यार्न हो गए। धीरे-धीरे समय व्यतीत होने पर िफर वही
बृहस्पितवार का िदन आया। लकड़हारा जंगल से लकड़ी काटकर िकसी भी शहर में बेचने गया उसे उस िदन और िदन से अिधक पैसा िमला। राजा ने
चना गुड आिद लाकर गुरुवार का व्रत िकया। उस िदन से उसके सभी क्लेश दू र हुए परन्तु जब दुबारा गुरुवार का िदन आया तो बृहस्पितवार का व्रत
करना भूल गया। इस कारण बृहस्पित भगवान नाराज हो गए।

उस िदन से उस नगर के राजा ने िवशाल यज्ञ का आयोजन िकया तथा शहर में यह घोषणा करा दी िक कोई भी मनुष्य अपने घर में भोजन न बनावे न
आग जलावे समस्त जनता मेरे यहां भोजन करने आवे। इस आज्ञा को जो न मानेगा उसके िलए फांसी की सजा दी जाएगी। इस तरह की घोषणा
सम्पूणर् नगर में करवा दी गई। राजा की आज्ञानुसार शहर के सभी लोग भोजन करने गए। लेिकन लकड़हारा कुछ देर से पहुंचा इसिलए राजा उसको
अपने साथ घर िलवा ले गए और ले जाकर भोजन करा रहे थे तो रानी की दृिष्ट उस खूंटी पर पड़ी िजस पर उसका हार लटका हुआ था। वह वहां पर
िदखाई न िदया। रानी ने िनश्चय िकया िक मेरा हार इस मनुष्य ने चुरा िलया है। उसी समय िसपािहयों को बुलाकर उसको कारागार में डलवा िदया।
जब लकडहारा कारागार में पड गया और बहुत दुखी होकर िवचार करने लगा िक न जाने कौन से पूवर् जन्म के कमर् से मुझे यह दुःख प्राप्त हुआ है और
उसी साधु को याद करने लगा जो िक जंगल में िमला था। उसी समय तत्काल बृहस्पितदेव साधु के रूप में प्रकट हो और उसकी दशा को देखकर
कहने लगे- अरे मूख!र् तूने बृहस्पितदेव की कथा नहीं करी इस कारण तुझे दुःख प्राप्त हुआ है। अब िचन्ता मत कर बृहस्पितवार के िदन कारागार के
दरवाजे पर चार पैसे पड़े िमलेंगे। उनसे तू बृहस्पितदेव की पूजा करना तेरे सभी कष्ट दू र हो जायेंगे। बृहस्पित के िदन उसे चार पैसे िमले। लकडहारे ने
कथा कही उसी राित्र को बृहस्पितदेव ने उस नगर के राजा को स्वप्न में कहा- हे राजा! तूमने िजस आदमी को कारागार में बन्द कर िदया है वह िनदोर्ष
है। वह राजा है उसे छोड देना। रानी का हार उसी खूंटी पर लटका है। अगर तू ऐसा नही करेगा तो मैं तेरे राज्य को नष्ट कर दू ंगा। इस तरह राित्र के
स्वप्न को देखकर राजा प्रातःकाल उठा और खूंटी पर हार देखकर लकड़हारे को बुलाकर क्षमा मांगी तथा लकडहारे को योग्य सुन्दर वस्त्र आभूषण
देकर िवदा कर बृहस्पितदेव की आज्ञानुसार लकड़हारा अपने नगर को चल िदया। राजा जब अपने नगर के िनकट पहुंचा तो उसे बड़ा आश्चयर् हुआ।
नगर में पहले से अिधक बाग, तालाब और कुएं तथा बहुत सी धमर्शाला मिन्दर आिद बन गई हैं। राजा ने पूछा यह िकसका बाग और धमर्शाला है तब
नगर के सब लोग कहने लगे यह सब रानी और बांदी के हैं। तो राजा को आश्चयर् हुआ और गुस्सा भी आया। जब रानी ने यह खबर सुनी िक राजा आ
रहे हैं तो उसने बांदी से कहा िक- हे दासी! देख राजा हमको िकतनी बुरी हालत में छोड गए थे। हमारी ऐसी हालत देखकर वह लौट न जायें इसिलए
तू दरवाजे पर खड़ी हो जा। आज्ञानुसार दासी दरवाजे पर खड़ी हो गई। राजा आए तो उन्हें अपने साथ िलवा लाई। तब राजा ने क्रोध करके अपनी
रानी से पूछा िक यह धन तुम्हें कैसे प्राप्त हुआ है तब उन्होंने कहा- हमें यह सब धन बृहस्पितदेव के इस व्रत के प्रभाव से प्राप्त हुआ है।

राजा ने िनश्चय िकया िक सात रोज बाद तो सभी बृहस्पितदेव का पूजन करते हैं परन्तु मैं प्रितिदन िदन में तीन बार कहानी कहा करूंगा तथा रोज व्रत
िकया करूंगा। अब हर समय राजा के दुपट् टे में चने की दाल बंधी रहती तथा िदन में तीन बार कहानी कहता। एक रोज राजा ने िवचार िकया िक
चलो अपनी बहन के यहां हो आवें। इस तरह िनश्चय कर राजा घोड़े पर सवार हो अपनी बहन के यहां को चलने लगा। मागर् में उसने देखा िक कुछ
आदमी एक मुदेर् को िलए जा रहे हैं उन्हें रोककर राजा कहने लगा- अरे भाइयों! मेरी बृहस्पितदेव की कथा सुन लो। वे बोले - लो! हमारा तो आदमी
मर गया है इसको अपनी कथा की पड़ी है। परन्तु कुछ आदमी बोले- अच्छा कहो हम तुम्हारी कथा भी सुनेंगे। राजा ने दाल िनकाली और जब कथा
आधी हुई थी िक मुदार् िहलने लग गया और जब कथा समाप्त हो गई तो राम-राम करके मनुष्य उठकर खड़ा हो गया।

आगे मागर् में उसे एक िकसान खेत में हल चलाता िमला। राजा ने उसे देखा और उससे बोला- अरे भइया! तुम मेरी बृहस्पितवार की कथा सुन लो।
िकसान बोला जब तक मैं तेरी कथा सुनूंगा तब तक चार हरैया जोत लूंगा। जा अपनी कथा िकसी और को सुनाना। इस तरह राजा आगे चलने लगा।
राजा के हटते ही बैल पछाड़ खाकर िगर गए तथा उसके पेट में बड़ी जोर का ददर् होने लगा। उस समय उसकी मां रोटी लेकर आई उसने जब यह देखा
तो अपने पुत्र से सब हाल पूछा और बेटे ने सभी हाल कह िदया तो बुिढ़या दौड़ी-दौड़ी उस घुड़सवार के पास गई और उससे बोली िक मैं तेरी कथा
सुनूंगी तू अपनी कथा मेरे खेत पर चलकर ही कहना। राजा ने बुिढ़या के खेत पर जाकर कथा कही िजसके सुनते ही वह बैल उठ खड़ हुए तथा
िकसान के पेट का ददर् भी बन्द हो गया। राजा अपनी बहन के घर पहुंचा। बहन ने भाई की खूब मेहमानी की। दू सरे रोज प्रातःकाल राजा जगा तो वह
देखने लगा िक सब लोग भोजन कर रहे हैं। राजा ने अपनी बहन से कहा- ऐसा कोई मनुष्य है िजसने भोजन नहीं िकया हो, मेरी बृहस्पितवार की कथा
सुन ले। बिहन बोली- हे भैया! यह देश ऐसा ही है िक पहले यहां लोग भोजन करते हैं बाद में अन्य काम करते हैं। अगर कोई पड़ोस में हो तो देख
आऊॅं◌ं । वह ऐसा कहकर देखने चली गई परन्तु उसे कोई ऐसा व्यिक्त नहीं िमला िजसने भोजन न िकया हो अतः वह एक कुम्हार के घर गई िजसका
लडका बीमार था। उसे मालूम हुआ िक उनके यहां तीन रोज से िकसी ने भोजन नहीं िकया है। रानी ने अपने भाई की कथा सुनने के िलए कुम्हार से
कहा वह तैयार हो गया। राजा ने जाकर बृहस्पितवार की कथा कही िजसको सुनकर उसका लडका ठीक हो गया अब तो राजा की प्रशंसा होने लगी।

एक रोज राजा ने अपनी बहन से कहा िक हे बहन! हम अपने घर को जायेंगे। तुम भी तैयार हो जाओ। राजा की बहन ने अपनी सास से कहा। सास ने
कहा हां चली जा। परन्तु अपने लड़कों को मत ले जाना क्योंिक तेरे भाई के कोई औलाद नहीं है। बहन ने अपने भइया से कहा- हे भइया! मैं तो चलूंगी
पर कोई बालक नहीं जाएगा। राजा बोला जब कोई बालक नहीं चलेगा, तब तुम क्या करोगी। बड़े दुखी मन से राजा अपने नगर को लौट आया।
राजा ने अपनी रानी से कहा हम िनरवंशी हैं। हमारा मुंह देखने का धमर् नहीं है और कुछ भोजन आिद नहीं िकया। रानी बोली- हे प्रभो! बृहस्पितदेव ने
हमें सब कुछ िदया है। हमें औलाद अवश्य देंगे। उसी रात को बृहस्पितदेव ने राजा से स्वप्न में कहा- हे राजा उठ। सभी सोच त्याग दे तेरी रानी गभर् से
है। राजा की यह बात सुनकर बड़ी खुशी हुई। नवें महीने में उसके गभर् से एक सुन्दर पुत्र पैदा हुआ। तब राजा बोला- हे रानी! स्त्री िबना भोजन के रह
सकती हे िबना कहे नहीं रह सकती। जब मेरी बिहन आवे तुम उससे कुछ कहना मत। रानी ने सुनकर हां कर िदया।

जब राजा की बिहन ने यह शुभ समाचार सुना तो वह बहुत खुश हुई तथा बधाई लेकर अपने भाई के यहां आई, तभी रानी ने कहा- घोड़ा चढ कर तो
नहीं आई, गधा चढ़ी आई। राजा की बहन बोली- भाभी मैं इस प्रकार न कहती तो तुम्हें औलाद कैसे िमलती। बृहस्पितदेव ऐसे ही हैं, जैसी िजसके
मन में कामनाएं हैं, सभी को पूणर् करते हैं, जो सदभावनापूवर्क बृहस्पितवार का व्रत करता है एवं कथा पढता है अथवा सुनता है दू सरो को सुनाता है
बृहस्पितदेव उसकी मनोकामना पूणर् करते हैं।

भगवान बृहस्पितदेव उसकी सदैव रक्षा करते हैं संसार में जो मनुष्य सदभावना से भगवान जी का पूजन व्रत सच्चे हृदय से करते हैं तो उनकी सभी
मनोकामनाएं पूणर् करते हैं जैसी सच्ची भावना से रानी और राजा ने उनकी कथा का गुणगान िकया तो उनकी सभी इच्छायें बृहस्पितदेव जी ने पूणर् की
थीं। इसिलए पूणर् कथा सुनने के बाद प्रसाद लेकर जाना चािहए। हृदय से उसका मनन करते हुए जयकारा बोलना चािहए।

॥ बोलो बृहस्पितदे व की जय। भगवान िवष्णु की जय॥

बृहस्पितदे व की कथा

प्राचीन काल में एक ब्राह्मण रहता था, वह बहुत िनधर्न था। उसके कोई सन्तान नहीं थी। उसकी स्त्री बहुत मलीनता के साथ रहती थी। वह स्नान न
करती, िकसी देवता का पूजन न करती, इससे ब्राह्मण देवता बड़े दुःखी थे। बेचारे बहुत कुछ कहते थे िकन्तु उसका कुछ पिरणाम न िनकला।
भगवान की कृपा से ब्राह्मण की स्त्री के कन्या रूपी रत्न पैदा हुआ। कन्या बड़ी होने पर प्रातः स्नान करके िवष्णु भगवान का जाप व बृहस्पितवार का
व्रत करने लगी। अपने पूजन-पाठ को समाप्त करके िवद्यालय जाती तो अपनी मुट्ठी में जौ भरके ले जाती और पाठशाला के मागर् में डालती जाती।
तब ये जौ स्वणर् के जो जाते लौटते समय उनको बीन कर घर ले आती थी।

एक िदन वह बािलका सूप में उस सोने के जौ को फटककर साफ कर रही थी िक उसके िपता ने देख िलया और कहा - हे बेटी! सोने के जौ के िलए
सोने का सूप होना चािहए। दू सरे िदन बृहस्पितवार था इस कन्या ने व्रत रखा और बृहस्पितदेव से प्राथर्ना करके कहा- मैंने आपकी पूजा सच्चे मन से
की हो तो मेरे िलए सोने का सूप दे दो। बृहस्पितदेव ने उसकी प्राथर्ना स्वीकार कर ली। रोजाना की तरह वह कन्या जौ फैलाती हुई जाने लगी जब
लौटकर जौ बीन रही थी तो बृहस्पितदेव की कृपा से सोने का सूप िमला। उसे वह घर ले आई और उसमें जौ साफ करने लगी। परन्तु उसकी मां का
वही ढंग रहा। एक िदन की बात है िक वह कन्या सोने के सूप में जौ साफ कर रही थी। उस समय उस शहर का राजपुत्र वहां से होकर िनकला। इस
कन्या के रूप और कायर् को देखकर मोिहत हो गया तथा अपने घर आकर भोजन तथा जल त्याग कर उदास होकर लेट गया। राजा को इस बात का
पता लगा तो अपने प्रधानमंत्री के साथ उसके पास गए और बोले- हे बेटा तुम्हें िकस बात का कष्ट है? िकसी ने अपमान िकया है अथवा और कारण
हो सो कहो मैं वही कायर् करूंगा िजससे तुम्हें प्रसन्नता हो। अपने िपता की राजकुमार ने बातें सुनी तो वह बोला- मुझे आपकी कृपा से िकसी बात का
दुःख नहीं है िकसी ने मेरा अपमान नहीं िकया है परन्तु मैं उस लड़की से िववाह करना चाहता हूं जो सोने के सूप में जौ साफ कर रही थी। यह सुनकर
राजा आश्चयर् में पडाा और बोला- हे बेटा! इस तरह की कन्या का पता तुम्हीं लगाओ। मैं उसके साथ तेरा िववाह अवश्य ही करवा दू ंगा। राजकुमार ने
उस लडकी के घर का पता बतलाया। तब मंत्री उस लडकी के घर गए और ब्राह्मण देवता को सभी हाल बतलाया। ब्राह्मण देवता राजकुमार के
साथ अपनी कन्या का िववाह करने के िलए तैयार हो गए तथा िविध-िवधान के अनुसार ब्राह्मण की कन्या का िववाह राजकुमार के साथ हो गया।
कन्या के घर से जाते ही पहले की भांित उस ब्राह्मण देवता के घर में गरीबी का िनवास हो गया। अब भोजन के िलए भी अन्न बड़ी मुिश्कल से
िमलता था। एक िदन दुःखी होकर ब्राह्मण देवता अपनी पुत्री के पास गए। बेटी ने िपता की दुःखी अवस्था को देखा और अपनी मां का हाल पूछा।
तब ब्राह्मण ने सभी हाल कहा। कन्या ने बहुत सा धन देकर अपने िपता को िवदा कर िदया। इस तरह ब्राह्मण का कुछ समय सुखपूवर्क व्यतीत
हुआ। कुछ िदन बाद िफर वही हाल हो गया। ब्राह्मण िफर अपनी कन्या के यहां गया और सारा हाल कहा तो लडकी बोली- हे िपताजी! आप
माताजी को यहां िलवा लाओ। मैं उसे िविध बता दू ंगी िजससे गरीबी दू र हो जाए। वह ब्राह्मण देवता अपनी स्त्री को साथ लेकर पहुंचे तो अपनी मां
को समझाने लगी- हे मां तुम प्रातःकाल प्रथम स्नानािद करके िवष्णु भगवान का पूजन करो तो सब दिरद्रता दू र हो जावेगी। परन्तु उसकी मांग ने एक
भी बात नहीं मानी और प्रातःकाल उठकर अपनी पुत्री के बच्चों की जूठन को खा िलया। इससे उसकी पुत्री को भी बहुत गुस्सा आया और एक रात
को कोठरी से सभी सामान िनकाल िदया और अपनी मां को उसमें बंद कर िदया। प्रातःकाल उसे िनकाला तथा स्नानािद कराके पाठ करवाया तो
उसकी मां की बुिद्ध ठीक हो गई और िफर प्रत्येक बृहस्पितवार को व्रत रखने लगी। इस व्रत के प्रभाव से उसके मां बाप बहुत ही धनवान और पुत्रवान
हो गए और बृहस्पितजी के प्रभाव से इस लोक के सुख भोगकर स्वगर् को प्राप्त हुए।
सब बोलो िवष्णु भगवान की जय। बोलो बृहस्पित दे व की जय

।। आरती ।।
जय बृहस्पित देवा, ॐ जय बृहस्पित देवा।
िछन िछन भोग लगाऊं, कदली फल मेवा॥
ॐ जय बृहस्पित देवा ।।१।।

तुम पूरण परमात्मा, तुम अंतयार्मी।


जगतिपता जगदीश्वर, तुम सबके स्वामी॥
ॐ जय बृहस्पित देवा।।२।।

चरणामृत िनज िनमर्ल, सब पातक हतार्।


सकल मनोरथ दायक, कृपा करो भतार्।।
ॐ जय बृहस्पित देवा।।३।।

तन, मन, धन अपर्ण कर, जो जन शरण पड़े।


प्रभु प्रकट तब होकर, आकर द्वार खड़े॥
ॐ जय बृहस्पित देवा।।४।।

दीनदयाल दयािनिध, भक्तन िहतकारी।


पाप दोष सब हतार्, भव बंधन हारी॥
ॐ जय बृहस्पित देवा।।५।।

सकल मनोरथ दायक, सब संशय हारी।


िवषय िवकार िमटाओ, संतन सुखकारी॥
ॐ जय बृहस्पित देवा।।६।।

जो कोई आरती तेरी, प्रेम सिहत गावे।


जेष्ठानंद आनंदकर, सो िनश्चय पावे॥
ॐ जय बृहस्पित देवा।।७।।

सब बोलो िवष्णु भगवान की जय!


बोलो बृहस्पितदेव की जय!!

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िहमांशु पाण्डेय at 1:30 pm

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66 िटप्पिणयां:

aditya loya 6 अक्तूबर 2015 को 3:17 pm


Hey I am doing this fasting since last 4 months and the results are just AWESOME... I request everyone to follow the
procedure and do it religiously. As per Katha do not break fasting for continuous 7 weeks.
Do it 7 weeks, 11 weeks, 21 weeks or go on...You will have peace of mind, office problems will be minimal, business growth
will be awesome...family, wealth, health everything will be in place. Good Luck.
जवाब दें

उत्तर

vikash kumar 24 नवंबर 2016 को 4:01 pm


Brihaspati bhagwaan ki jai vishnu bhagwaan ki jai

Pathways lyallpur 14 जून 2018 को 7:09 pm


Prem she bolo vrihaspati dev bhagwaan ki Jai

Sonam Verma 2 अगस्त 2018 को 1:17 pm


Ryt bhraspati dev ji sbki manokamna purn krte h meti b ki

Unknown 30 िसतंबर 2018 को 7:08 pm


Thank you for sharing your experiences.

Unknown 25 अक्तूबर 2018 को 8:43 am


I also keep fast on every Thursday since last 4 yr

Unknown 8 नवंबर 2018 को 11:29 am


True feelings blessed

Nisha Singh 8 नवंबर 2018 को 8:52 pm


I am doing since 22nd march 2018, n I ll continue till I can. .Dis actually helps to keep mind constant n calm so
can do all work peaceful.

Unknown 25 जुलाई 2019 को 4:20 pm


I strongly believe in this fasting.jai brihaspati dev ki.

जवाब दें
Parul Chaurasia 15 फ़रवरी 2016 को 11:20 pm
Agar vrat na kar paye to kya sirf katha padhke b vishnu bhagwan ki puja kr skte h ????
जवाब दें

उत्तर

chandan jha 21 जुलाई 2016 को 7:21 am


Haan kar sakte ho...yaha tak ki agar koi puja kr RHA ho to katha padhne ki v jarurat ni hai,bs unhe sun kr
Bhagwan ko pranam kare

जवाब दें

Drkunal Kumar 30 जून 2016 को 9:52 am


कृपया व्रत सम्बंिधत और भी कुछ प्रेिषत करतें रहें ।
जवाब दें

Pradeep sharma 10 नवंबर 2016 को 1:25 pm


Jai vishnu bhagwan ki jai bhrahspati bhagwan ki..
जवाब दें

उत्तर

Ashish kumar jaiswal 23 अगस्त 2018 को 8:01 am


जय वृहस्पित भगवान की

जवाब दें

Irish Red Cross Blog 24 नवंबर 2016 को 1:53 pm


om bring brihaspataye namah.......om bhagwate wasudevaye namah....
जवाब दें

vikash kumar 24 नवंबर 2016 को 4:11 pm


Vishnu bhagwaan or bhrahaspati maharaj ji m bahut taakat h
जवाब दें

Dev Kumar 27 जनवरी 2017 को 4:36 pm


Thanks
जवाब दें

kirti shree 3 जुलाई 2017 को 11:47 pm


Jai Vishnu bhagwan ji..
Thanx for everything.... N I knw u r always wid me...
Love u bhagwan ji.
जवाब दें
Priyanka Dwivedi 3 अगस्त 2017 को 2:28 pm
On namo narayan..on namo bhagwate vasudeva...thnk u Bhagwan ji...for blessing us ..thnk u for everything...
जवाब दें

Mahesh Jorwal 17 अगस्त 2017 को 6:41 pm


Vishnu bhagwan ki jai laxmi Mata ki jai
जवाब दें

Mahesh Jorwal 17 अगस्त 2017 को 6:41 pm


Vishnu bhagwan ki jai laxmi Mata ki jai
जवाब दें

Mahesh Jorwal 24 अगस्त 2017 को 1:57 pm


Vishnu bhagwan ki jai
जवाब दें

Mahesh Jorwal 31 अगस्त 2017 को 1:32 pm


Jai Vishnu bhagwan ki
जवाब दें

Mahesh Jorwal 7 िसतंबर 2017 को 3:24 pm


Bhagwan Vishnu ki jai laxmi Mata ki jai
जवाब दें

Kavit@mit 21 िसतंबर 2017 को 8:19 am


जय बृहस्पित देवता की ।
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Mahesh Jorwal 21 िसतंबर 2017 को 6:19 pm


Jai ho Vishnu bhagwan ki jai laxmi Mata ki
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Mahesh Jorwal 28 िसतंबर 2017 को 12:59 pm


Jai Vishnu bhagwan
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Mahesh Jorwal 5 अक्तूबर 2017 को 5:50 pm


Vishnu bhagwan ki jai laxmi Mata ki jai
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Swati Pandey 19 अक्तूबर 2017 को 11:59 am
Jai brahaspati Dev ki thanku so much
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Mahesh Jorwal 9 नवंबर 2017 को 3:22 pm


Jai ho Vishnu bhagwan ki jai laxmi Mata ki
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vik 16 नवंबर 2017 को 9:30 am


Bolo bhraspati Dev bhagwan ki Jay, bolo Vishnu bhagwan ke Jay
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Mahesh Jorwal 16 नवंबर 2017 को 4:59 pm


Vishnu bhagwan ki jai laxmi Mata ki jai
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Mahesh Jorwal 23 नवंबर 2017 को 4:57 pm


Vishnu bhagwan ki jai laxmi Mata ki jai
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Raj 23 नवंबर 2017 को 7:02 pm


It's really very effective fast.....I have seen apparent changes on my life after fasting for Thursday...
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Mahesh Jorwal 7 िदसंबर 2017 को 8:59 am


Vishnu bhagwan ki jai
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Ashu 21 िदसंबर 2017 को 11:24 am


You can eat all fruits except banana as we worship it this day. You can't eat wheat, maize,or any grains except in the
evening. Avoid salt.
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Rahul 23 िदसंबर 2017 को 11:20 pm


Jai brahspati dev
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Satya 18 जनवरी 2018 को 7:03 am


Sab bolo Visnu Bhagvan ki Jai, App sab log is katha ko kariye aur vrat kariye, mai ye katha aur vrat continue 11-12 sal se
kar raha hu aur bahut hi jada happy aur successful hu.
Brihaspati Bhagvan Ki Jai..
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Soni Kumari 1 फ़रवरी 2018 को 11:52 am


I wish mere life me bi vishnu bhgwan jldi kuch acha kre...me vrat sacche mn se krti hu, thank u vishnu bhgwan bs apni dya
mere family pr bnaye rkhna, jai vishnu bhgwan
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pooja shekhawat 3 मई 2018 को 10:13 am


Plzz esme ek ganesh ji ki kahani b add krdijiye.. Qki dadi bolte h k bina ganesh ji ki kahani k hr ktha adoori hoti h.. Uska
pura phl ni mill pata..
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ASHA RAJPUT 3 मई 2018 को 8:58 pm


Is vrat main kale ke PED ki Pooja zaruri hai Kaya mere yahan kale Ka PED nahi hai Lekin main vrat Kirti hun
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उत्तर

chanda bisht 23 मई 2018 को 7:26 pm


Kele k ped ki pooja compulsury h...nhi to results nhi milenge

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ASHA RAJPUT 3 मई 2018 को 9:22 pm


Please reply
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Parveen Kumar 10 मई 2018 को 8:34 am


Mere last 2 vart aise hi ho rhe h.. Maine kele ki jagah suraj ko jal samarpit kiya h

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Mukesh kumar 17 मई 2018 को 11:42 am


बृहस्पित देव जी की जय
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dia 24 मई 2018 को 12:06 pm


Jai ho dev ki
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Barun Kumar 31 मई 2018 को 11:12 am


Jai ho brihaspati dev..Om Vishnu bhagwan..
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NEHA JAISWAL 7 जून 2018 को 10:30 am


Kya dono Katha padni compulsory hai... Koi ek Katha padh lu to chalega.
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SUSHIL KUMAR PANIGRAHI 19 जुलाई 2018 को 11:23 am


Jay Brihaspati deva,jay Vishnu deba
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Rohit 2 अगस्त 2018 को 12:54 pm


Jai ho Vishnu maharaj ji ki jai ho bhrispati Dev Ji ki
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Amit Chibber 2 अगस्त 2018 को 8:59 pm


जय ब्रहस्पती देव। जय िवष्णु महाराज तेरी सदा ही जय।
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Raunak Sharma 16 अगस्त 2018 को 10:34 am


me ek bar subah or ek bar sham ko katha krti hu or fr sham ko khana khati hu. mujhe btaiye kya yh pani pi skte hain vrat
rakhte wqt?
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Unknown 16 अगस्त 2018 को 11:25 am


नमक नही खावे ओर एक अन्न का भोजन संध्या में करे, बाकी िदन में फल, सब्जी िबना नामक के कहा सकते है, साबूदाना, िसं घाड़े का आटा िबना
नमक के दीन में खा सकते है।।

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Anupam Srivastava 25 अक्तूबर 2018 को 10:02 am


Jai Shri Brihaspati Dev.
Hare Ram Hare Ram, Ram Ram Hare Hare;
Hare Krishna Hare Krishna, Krishna Krishna Hare Hare.
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Unknown 25 अक्तूबर 2018 को 11:00 am


JAI SHRI BRAHSPATI DEV KI JAI
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Unknown 11 नवंबर 2018 को 11:27 am


Jai brahaspati devaye nano..jai laxmi priyaye nano..
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Unknown 11 नवंबर 2018 को 11:30 am


Jai vishnu devaye namo ..mere privar pr Kabhi koi problem na na Aaye..or Jo h.. wo apki kripa se khatam ho jaye
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Unknown 22 नवंबर 2018 को 1:29 pm


Om bisnu
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Unknown 3 जनवरी 2019 को 8:24 am


Om vishnu devaynamah
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subhash bhatt 16 मई 2019 को 2:24 pm


सब बोलो िवष्णु भगवान की जय!
बोलो बृहस्पितदेव की जय!!
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Yash mehendi art nashik 24 मई 2019 को 8:17 pm


Vishnu bhagwanki Jay
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Hindi Short Stories 19 जून 2019 को 6:43 pm


ब्रहस्पित देव को प्रसान्न करने के िलए मिहलाऐं और पुरुष इस व्रत को रखते हैं! लेिकन इस व्रत में कई बातों का ध्यान िभओ रखना पड़ता है! व्रत कथा के बारे
में और अिधक जानने के िलए िनचे दी गई िलं क पर िक्लक करें!
https://www.hindishortstories.com/brihaspativar-vrat-katha/
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Ananya 16 जुलाई 2019 को 10:23 am


Periods me vrat rakhke pooja kar sakte hai kya?
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Unknown 22 अगस्त 2019 को 12:46 pm


Vart me kya kha skte hai
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उत्तर

Unknown 29 अगस्त 2019 को 11:38 am


बृहस्पितवार को जो स्त्री-पुरुष व्रत करें उनको चािहए िक वह िदन में एक ही समय भोजन करें क्योंिक बृहस्पतेश्वर भगवान का इस िदन पूजन होता
है भोजन पीले चने की दाल आिद का करें परन्तु नमक नहीं खावें और पीले वस्त्र पहनें, पीले ही फलों का प्रयोग करें, पीले चन्दन से पूजन करें,
पूजन के बाद प्रेमपूवर्क गुरु महाराज की कथा सुननी चािहए। इस व्रत को करने से मन की इच्छाएं पूरी होती हैं
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Unknown 29 अगस्त 2019 को 11:35 am


Jai virhaspati dewa
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