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"सझभन"

कहानी भें से लरए कुछ वाक्म :-

‘‘भैं आऩकी क्मा रगती हॉ ?’’


‘‘छोटी सारी का दसया रयश्ता?’’
‘‘छोटी फहन...।’’

‘‘नहीॊ...ऽ...ऽ...ऽ।’’ सुभन इतनी शक्क्त के साथ चीखी कक अदारत का कभया जैसे काॊऩ गमा। वहाॊ
फैठे रोग तो उसके इस कदय चीखने ऩय बमबीत हो गए..
.सुभन चीखी–‘‘फहन औय बाई के ऩववत्र रयश्ते को फदनाभ भत कये ...फहन के रयश्ते ऩय कीचड़ भत
उछारो..
.आज तभ
ु ने इस बयी अदारत भें अऩनी सारी को अऩनी फहन क्मों कहा...?
जो शब्द भुझसे अकेरे भें कहा कयते थे वह क्मों नहीॊ कहा?’’

सॊजम का चेहया हल्दी की बाॉतत ऩीरा ऩड़ चक


ु ा था...सायी अदारत भें गहया सन्नाटा था।
सॊध्मा का आगभन होते ही सूमय अऩनी सभस्त ककयणों को सभेटकय धयती के आॊचर भें भझखडा छिऩाने
की तैमायी कयने रगा। यजनी अऩने आॊचर से नग्न वातावयण को ढाॊऩने रगी। मे किमा प्रछतददन होती
थी...प्रकृछत का मह अनझऩभ रूऩ प्रछतददन साभने आता था...औय इसके साथ ही गगयीश के रृदम की
ऩीडाएॊ बमानक रूऩ धायण कयने रगतीॊ।

उसके सीने भें दपन गभों का धआ


झ ॊ भानो आग की रऩटें फनकय रऩरऩाने रगता था। उसके भन भें
एक टीस-सी उठती...मह एक ठॊ डी आह बयके यह जाता...। मे नई फात नहीॊ थी, प्रछतददन ऐसा ही
होता...।

जैसे ही सॊध्मा के आगभन ऩय सूमय अऩनी ककयणें सभेटता...जैसे ही ककयणें सूमय भें सभाती जातीॊ वैसे
ही उसके गभ, उसके दख
झ उसकी आत्भा को गधक्कायने रगते, उसके हार ऩय कहकहे रगाने रगते।

झ को फहझत योका ककॊतझ वह नहीॊ रुक सका...इधय


प्रछतददन की बाॊछत आज बी उसने फहझत चाहा...खद
सूमय अऩनी रालरभा लरए धयती के आॊचर की ओय फढा, उधय गगयीश के कदभ स्वमॊ ही फॊध
गए...उसके कदभों भें एक ठहयाव था भानो वह गगयीश न होकय उसका भत
ृ जजस्भ हो।

बावानाओ के भध्म झूरता...गभों के सागय भें डूफता...वह सीधा अऩने घय की ित ऩय ऩहझॉचा औय


कपय भानो उसे शेष सॊसाय का कोई बान न यहा।

उसकी दृजटट अऩनी ित से दयू एक दस


ू यी ित ऩय जस्थय होकय यह गई थी। मह ित उसके भकान से
दो-तीन ितें िोडकय थी। उस भकान की एक भझॊडये को फस वह उसी भझॊडये को छनहाये जा यहा
था...भझॊडये ऩय रम्फे सभम से ऩझताई न होने के कायण काई-सी जभ गई थी।

वह एकटक उसी ित को तकता यहा। इस रयक्त ित ऩय न जाने वह क्मा दे ख यहा था। ित को


छनहायते-छनहायते उसके नेत्रों से भोती िरकने रगे। कपय बी वह ित को छनहायता ही यहा...छनहायता
ही चरा गमा।...महाॊ तक कक सम
ू य ऩण
ू त
य मा धयती के आॊचर भें सभा गमा। यात्रत्र ने अऩना आॊचर
वातावयण को सौंऩा...वह ित...वह भॊझडये सबी कझि अॊधकाय भें ववरप्झ त-सी हो गई ककॊतझ गगयीश भानो
अफ बी कझि दे ख यहा था, उसे वातावयण का कोई आबास न था।

सहसा वह चौंका...ककसी का हाथ उसके कॊधे ऩय आकय दटका...वह घूभा...साभने उसका दोस्त लशव
खडा था...लशव ने उसकी आॊखों से ढझरकते आॊसझओॊ को दे खा, धीभे से वह फोरा–‘‘अफ वहाॊ क्मा दे ख
यहे हो? वहाॊ अफ कझि नहीॊ है दोस्त...वह एक स्वप्न था गगयीश जो प्रात् के साथ छिन्न-छिन्न हो
गमा...बूर जाओ सफ कझि...कफ तक उन गभों को गरे रगाए यहोगे?’’
‘‘लशव, भेये अच्िे दोस्त।’’ गगयीश लशव से लरऩट गमा–‘‘न जाने क्मों भझझे अभत
ृ के जहय फनने ऩय
बी उसभें से अभत
ृ की खश
झ फू आती है ।’’

‘‘आओ गगयीश भेये साथ आओ।’’ लशव ने कहा औय उसका हाथ ऩकडकय ित से नीचे की ओय चर
ददमा।

लशव गगयीश का एक अच्िा दोस्त था। शामद वह गगयीश की फदनसीफी की कहानी से ऩरयगचत था तबी
तो उसे गगयीश से सहानझबूछत थी, वह गगयीश के गभ फाॊटना चाहता था।

अत् वह उसका ददर फहराने हे तझ उसे ऩास ही फने एक ऩाकय भें रे गमा।
अॊधेया चायों ओय पैर चक
झ ा था, ऩाकय भें कहीॊ-कहीॊ रैम्ऩ योशन थे। वे दोनों ऩाकय के अॊधेये कोने भें
ऩहझॉचकय बीगी घास ऩय रेट गए। गगयीश ने लसगये ट सझरगा री।
धआ
झ ॊ उसके चेहये के चायों ओय भॊडयाने रगा। साथ ही वह अतीत की ऩयिाइमों भें छघयने रगा।

लशव जानता था कक इस सभम उसका चऩ


झ यहना ही श्रेमकय है ।

‘‘भैं तभ
झ से प्माय कयती हूॊ बवनेश, लसपय तभ
झ से।’’ एकाएक उनके ऩास की झाडडमों के ऩीिे से एक नायी
स्वय उनके कानों के ऩदों से आ टकयामा।

‘‘रेककन भझझे डय है सीभा कक भैं तम्


झ हें ऩा न सकॊू गा...तम्
झ हाये वऩता ने तम्
झ हाये लरए जजस वय को चन
झ ा है
वह कोई गयीफ कराकाय नहीॊ फजकक ककसी रयमासत का वारयश है ।’’ वह ऩझरुष स्वय था।

‘‘बवनेश!’’ नायी का ऐसा स्वय भानो ऩझरुष की फात ने उसे तडऩा ददमा हो–‘‘मे तभ
झ कैसी फातें कयते
हो? भैं तम्
झ हाये लरए सायी दछझ नमा को ठझकया दॊ ग
ू ी। भैं तम्
झ हायी कसभ खाती हूॊ, भेयी शादी तम्झ हीॊ से होगी,
भैं वादा कयती हूॊ, भैं तम्
झ हायी हूॊ औय हभेशा तम्
झ हायी ही यहूॊगी, बवनेश! भैं तभ
झ से प्माय कयती हूॊ, सत्म
प्रेभ।’’
झाडडमों के ऩीिे िझऩे इस प्रेभी जोडे के वातायराऩ का एक-एक शब्द वे दोनों सझन यहे थे। न जाने क्मों
सझनते-सझनते गगयीश के नथन
झ े पूरने रगे, उसकी आॉखें खन
ू उगरने रगीॊ, िोध से वह काॊऩने रगा
औय उस सभम तो लशव बी फझयी तयह उिर ऩडा जफ गगयीश ककसी जजन्न की बाॊछत लसगये ट पेंककय
पझती के साथ झाडडमों के ऩीिे रऩका। वह प्रेभी जोडा चौंककय खडा हो गमा।
इससे ऩव
ू य कक कोई बी कझि सभझ सके।
चटाक।
एक जोयदाय आवाज के साथ गगयीश का हाथ रडकी के गार से टकयामा।

सीभा, बवनेश औय लशव तो भानो बौंचक्के ही यह गए।


तबी गगयीश भानो ऩागर हो गमा था। अनगगनत थप्ऩडों से उसने सीभा को थऩेड ददमा औय साथ ही
ऩागरों की बाॊछत चीखा।
‘‘कभीनी, कझछतमा, तेये वादे झूठे हैं। तू फेवपा है , तू बवनेश को िर यही है । तू अऩना ददर फहराने के
लरए झूठे वादे कय यही है । नायी फेवपाई की ऩझतरी है । बाग जा महाॊ से औय कबी बवनेश से भत
लभरना। लभरी तो भैं तेया खन
ू ऩी जाऊॊगा।’’

बौंचक्के-से यह गए सफ। सीभा लससकने रगी।


लशव ने शजक्त के साथ गगयीश को ऩकडा औय रगबग घसीटता हझआ वहाॉ से दयू रे गमा। लससकती हझई
सीभा एक वऺ ृ के तने के ऩीिे ववरझप्त हो गई। बवनेश वहीॊ खडा न जाने क्मा सोच यहा था।

गगयीश अफ बी सीभा को अऩशब्द कहे जा यहा था, लशव ने उसे सॊगभयभय की एक फेंच ऩय त्रफठामा
औय फोरा–‘‘गगयीश, मह क्मा फदतभीजी है ?’’

‘‘लशव, भेये दोस्त! वह रडकी फेवपा है । बवनेश को उस डामन से फचाओ। वह बवनेश का जीवन
फफायद कय दे गी। उस चड
झ र
ै को भाय दो।’’

तबी बवनेश नाभक वह मझवक उनके कयीफ आमा। वह मझवक िोध भें रगता था। गगयीश का गगये फान
ऩकडकय वह चीखा–‘‘कौन हो तभ
झ ? क्मा रगते हो सीभा के?’’

‘‘भैं! भैं उस कभीनी का कझि नहीॊ रगता दोस्त रेककन भझझे तभ


झ से हभददी है । नायी फेवपा है । तभ

उसकी कसभों ऩय ववश्वास कयके अऩना जीवन फफायद कय रोगे। उसके वादों को सच्चा जानकय अऩनी
जजन्दगी भें जहय घोर रोगे। भान रो दोस्त, भेयी फात भान रो।’’

‘‘लभ...!’’
अबी मझवक कझि कहना ही चाहता था कक लशव उसे ऩकडकय एक ओय रे गमा औय धीभे-से फोरा–
‘‘लभस्टय बवनेश, उसके भझॊह भत रगो...वह एक ऩागर है ।’’
इससे ऩूवय कक कोई बी कझि सभझ सके।
चटाक।
एक जोयदाय आवाज के साथ गगयीश का हाथ रडकी के गार से टकयामा।

सीभा, बवनेश औय लशव तो भानो बौंचक्के ही यह गए।


तबी गगयीश भानो ऩागर हो गमा था। अनगगनत थप्ऩडों से उसने सीभा को थऩेड ददमा औय साथ ही
ऩागरों की बाॊछत चीखा।

‘‘कभीनी, कझछतमा, तेये वादे झूठे हैं। तू फेवपा है , तू बवनेश को िर यही है । तू अऩना ददर फहराने के
लरए झूठे वादे कय यही है । नायी फेवपाई की ऩझतरी है । बाग जा महाॊ से औय कबी बवनेश से भत
लभरना। लभरी तो भैं तेया खन
ू ऩी जाऊॊगा।’’

बौंचक्के-से यह गए सफ। सीभा लससकने रगी।


लशव ने शजक्त के साथ गगयीश को ऩकडा औय रगबग घसीटता हझआ वहाॉ से दयू रे गमा। लससकती हझई
सीभा एक वऺ ृ के तने के ऩीिे ववरझप्त हो गई। बवनेश वहीॊ खडा न जाने क्मा सोच यहा था।

गगयीश अफ बी सीभा को अऩशब्द कहे जा यहा था, लशव ने उसे सॊगभयभय की एक फेंच ऩय त्रफठामा
औय फोरा–‘‘गगयीश, मह क्मा फदतभीजी है ?’’

‘‘लशव, भेये दोस्त! वह रडकी फेवपा है । बवनेश को उस डामन से फचाओ। वह बवनेश का जीवन
फफायद कय दे गी। उस चड
झ र
ै को भाय दो।’’

तबी बवनेश नाभक वह मझवक उनके कयीफ आमा। वह मझवक िोध भें रगता था। गगयीश का गगये फान
ऩकडकय वह चीखा–‘‘कौन हो तभ
झ ? क्मा रगते हो सीभा के?’’

‘‘भैं! भैं उस कभीनी का कझि नहीॊ रगता दोस्त रेककन भझ


झ े तभ
झ से हभददी है । नायी फेवपा है । तभ

उसकी कसभों ऩय ववश्वास कयके अऩना जीवन फफायद कय रोगे। उसके वादों को सच्चा जानकय अऩनी
जजन्दगी भें जहय घोर रोगे। भान रो दोस्त, भेयी फात भान रो।’’

‘‘लभ...!’’
अबी मझवक कझि कहना ही चाहता था कक लशव उसे ऩकडकय एक ओय रे गमा औय धीभे-से फोरा–
‘‘लभस्टय बवनेश, उसके भझॊह भत रगो...वह एक ऩागर है ।’’
कापी प्रमासों के फाद लशव बवनेश नाभक मझवक के ददभाग भें मह फात फैठाने भें सपर हो गमा कक गगयीश
ऩागर है औय वास्तव भें गगयीश इस सभम रग बी ऩागर जैसा ही यहा था। अॊत भें फडी कदठनाई से लशव ने वह
वववाद सभाप्त ककमा औय गगयीश को रेकय घय की ओय फढा।

यास्ते भें लशव ने ऩूिा–‘‘गगयीश...क्मा तभ


झ उन दोनों भें से ककसी को जानते हो?’’

‘‘नहीॊ...भझझे नहीॊ भारूभ वे कौन हैं? रेककन लशव, जफ बी कोई रडकी इस तयह के वादे कयती है तो न जाने
क्मों भैं ऩागर-सा हो जाता हूॊ...न जाने क्मा हो जाता है भझझ?
े ’’

‘‘ववगचत्र आदभी हो माय...आज तो तभ


झ ने भयवा ही ददमा था।’’ लशव ने कहा औय वे घय आ गए।

अॊदय प्रवेश कयते ही नौकय ने गगयीश के हाथों भें ताय थभाकय कहा–‘‘साफ...मे अबी-अबी आमा है ।’’

गगयीश ने नौकय के हाथ से ताय लरमा औय खोरकय ऩढा।

‘गगयीश! ७ अप्रैर को भेयी शादी भें नहीॊ ऩहझॉचे तो शादी नहीॊ होगी। ऩढकय स्तब्ध सा यह गमा गगयीश।

शेखय...उसका प्माया लभत्र...उसके फचऩन का साथी, अबी एक वषय ऩूवय ही तो वह उससे अरग हझआ
है...वह जाएगा...उसकी शादी भें अवश्म जाएगा रेककन ऩाॊच तायीख तो आज हो ही गई है ...अगय वह
अबी चर दे तफ कहीॊ सात की सझफह तक उसके ऩास ऩहझॊचग
े ा।

उसने तयझ ॊ त टे रीपोन द्वाया अगरी ट्रे न का दटकट फक


झ कयामा औय कपय अऩना सट
ू केस ठीक कयके
स्टे शन की ओय यवाना हो गमा।

कझि सभम ऩश्चात वह ट्रे न भें फैठा चरा जा यहा था...ऺण-प्रछतऺण अऩने वप्रम दोस्त शेखय के
छनकट। उसकी उॊ गलरमों के फीच एक लसगये ट थी। लसगये ट के कश रगाता हझआ वह कपय अतीत की
मादों भें छघयता जा यहा था, उसके भानव-ऩटर ऩय कझि दृश्म उबय आए थे...उसके गभगीन अतीत
की कझि ऩयिाइमाॊ। उसकी आॊखों के साभने एक भझखडा नाच उठा...चाॊद जैसा हॊ सता-भझस्कयाता
प्माया-प्माया भझखडा। मह सझभन थी।
उसके अतीत का गभ...फेवपाई की ऩत
झ री...सभ
झ न। वह भस्
झ कया यही थी...भानो गगयीश की फेफसी ऩय
अत्मॊत प्रसन्न हो।

सभ
झ न हॊ सती यही...भस्
झ कयाती यही...गगयीश की आॊखों के साभने कपय उसका अतीत दृश्मों के रूऩ भें
तैयने रगा...हाॊ सझभन इसी तयह भझस्कयाती हझई तो लभरी थी...सझभन ने उसे बी हॊ सामा
था...ककॊतझ...ककॊत.झ ..अॊत भें ...अॊत भें ...उप। क्मा मही प्माय है ...इसी को प्रेभ कहते हैं।
ऩौधे के शीषय ऩय एक ऩझटऩ होता है ...हॊ सता, खखरता, भझस्कयाता हझआ।

एक पूर...जो खलझ शमों का प्रतीक है , प्रसन्नताओॊ का खजाना है ...ककॊतझ पूर के नीचे...जजतने नीचे
चरते चरे जाते हैं वहाॊ काॊटों का साम्राज्म होता है । जो अगय चब
झ जाएॊ तो एक लससकायी छनकरती
है...ददय बयी लससकायी।

जफ कोई फच्चा हॊ सता है , तो फझजगय कहते हैं कक अगधक भत हॊ साओ वयना उतना ही योना ऩडेगा। क्मा
भतरफ है इस फात का? मे उनका कैसा अनब
झ व है?

क्मा वास्तव भें हॊ सने के फाद योना ऩडता है?


ठीक इसी प्रकाय फज
झ ग
झ ों का अनब
झ व शामद ठीक ही है ...प्रत्मेक खश
झ ी गभ का सॊदेश राती है ...प्रत्मेक
प्रसन्नता के ऩीिे कटट िझऩे यहते हैं। कझि ऐसा ही अनब
झ व गगयीश का बी था।

उसके जीवन भें सभ


झ न आई...हजायों खलझ शमाॊ सभेटकय...इतने सख
झ रेकय कक गगयीश के सॊबारे न
सॊबरे।

उसने गगयीश को धयती से उठाकय अम्फय तक ऩहझॊचा ददमा।


गगयीश जजसे स्वप्न भें बी ख्मार न था कक वह ककसी दे वी के रृदम का दे वता बी फन सकता है ।

ऩहरी भझराकात...।
उप! उन्हें क्मा भारूभ था कक इतनी साधायण-सी भझराकात उनके जीवन की प्रत्मेक खश
झ ी औय गभ
फन जाएॊगे उन्हें इतना छनकट रा दे गी। वे एक-दस
ू ये के रृदमों भें इस कदय फस जाएॊगे? एक-दस
ू ये से
प्माया उन्हें कोई यहे गा ही नहीॊ।

अबी तक तो वह फाहय ऩढता था...इस शहय से फहझत दयू ।


वह रगबग फचऩन से ही अऩने चचा के साथ ऩढने गझरुकझर चरा गमा था, जफ वह ऩढाई सभाप्त
कयके घय वाऩस आमा तो ऩहरी फाय उसने अऩना वास्तववक घय दे खा।

जफ वह अऩने ही घय भें आमा तो एक अनजान की बाॊछत उसके आने के सभाचाय से घय भें हरचर हो
गई। वह अॊदय आमा, भाॊ ने वषों फाद अऩने ऩझत्र को दे खा तो गरे से रगा लरमा, फहन ने एक लभनट भें
हजाय फाय बैमा...बैमा कहकय उसके ददर को खश
झ कय ददमा।

खश
झ ी औय प्रसन्नताओॊ के फाद–
उसकी छनगाह एक अन्म रडकी ऩय ऩडी जो अनझऩभ यभणी-सी रगती थी...उसने फडे सॊकोच औय
राज वारे बाव से दोनों हाथ जोडकय जफ नभस्ते की तो न जाने क्मों उसका ददर तेजी से धडकने
रगा...वह उसकी प्मायी आॊखों भें खो गमा था। उसकी नभस्ते का उत्तय बी वह न दे सका। यभणी ने
राज से ऩरकें झझका रीॊ।

ककॊतझ गगयीश तो न जाने कौन-सी दछझ नमा भें खो गमा था।

मूॊ तो गगयीश ने एक-से-एक सझॊदयी दे खी थी रेककन न जाने क्मों उस सभम उसका ददर उनके प्रछत
िोध से बय जाता था जफ वह दे खता कक वे आधछझ नक पैशन के कऩडे ऩहनकय अऩने सौंदमय की
नझभामश कयती हझई एक ववशेष अॊदाज भें भटक-भटककय सडक ऩय छनकरतीॊ। न जाने क्मों गगयीश को
जफ उनके सौंदमय से नपयत-सी हो जाती, भॉह
झ पेय रेता वह घण
ृ ा से।
ककॊतझ मे रडकी...सौंदमय की मे प्रछतभा उसे अऩने ववचायों की साकाय भूछतय-सी रगी।

उसे रगा जैसे उसकी ककऩना उसके सभऺ खडी है ।


वह उसे उन सबी रडककमों से सझॊदय रगी जो अऩने सौंदमय की नझभामश सडकों ऩय कयती कपयती थीॊ।
ऩहरी भझराकात...।
उप! उन्हें क्मा भारूभ था कक इतनी साधायण-सी भझराकात उनके जीवन की प्रत्मेक खश
झ ी औय गभ
फन जाएॊगे उन्हें इतना छनकट रा दे गी। वे एक-दस
ू ये के रृदमों भें इस कदय फस जाएॊगे? एक-दस
ू ये से
प्माया उन्हें कोई यहे गा ही नहीॊ।

अबी तक तो वह फाहय ऩढता था...इस शहय से फहझत दयू ।


वह रगबग फचऩन से ही अऩने चचा के साथ ऩढने गझरुकझर चरा गमा था, जफ वह ऩढाई सभाप्त
कयके घय वाऩस आमा तो ऩहरी फाय उसने अऩना वास्तववक घय दे खा।

जफ वह अऩने ही घय भें आमा तो एक अनजान की बाॊछत उसके आने के सभाचाय से घय भें हरचर हो
गई। वह अॊदय आमा, भाॊ ने वषों फाद अऩने ऩत्र
झ को दे खा तो गरे से रगा लरमा, फहन ने एक लभनट भें
हजाय फाय बैमा...बैमा कहकय उसके ददर को खश
झ कय ददमा।

खश
झ ी औय प्रसन्नताओॊ के फाद–
उसकी छनगाह एक अन्म रडकी ऩय ऩडी जो अनझऩभ यभणी-सी रगती थी...उसने फडे सॊकोच औय
राज वारे बाव से दोनों हाथ जोडकय जफ नभस्ते की तो न जाने क्मों उसका ददर तेजी से धडकने
रगा...वह उसकी प्मायी आॊखों भें खो गमा था। उसकी नभस्ते का उत्तय बी वह न दे सका। यभणी ने
राज से ऩरकें झझका रीॊ।

ककॊतझ गगयीश तो न जाने कौन-सी दछझ नमा भें खो गमा था।

मूॊ तो गगयीश ने एक-से-एक सझॊदयी दे खी थी रेककन न जाने क्मों उस सभम उसका ददर उनके प्रछत
िोध से बय जाता था जफ वह दे खता कक वे आधछझ नक पैशन के कऩडे ऩहनकय अऩने सौंदमय की
नझभामश कयती हझई एक ववशेष अॊदाज भें भटक-भटककय सडक ऩय छनकरतीॊ। न जाने क्मों गगयीश को
जफ उनके सौंदमय से नपयत-सी हो जाती, भॉझह पेय रेता वह घण
ृ ा से।
ककॊतझ मे रडकी...सौंदमय की मे प्रछतभा उसे अऩने ववचायों की साकाय भछू तय-सी रगी।

उसे रगा जैसे उसकी ककऩना उसके सभऺ खडी है ।


वह उसे उन सबी रडककमों से सझॊदय रगी जो अऩने सौंदमय की नझभामश सडकों ऩय कयती कपयती थीॊ।
फस...मह थी...उसकी ऩहरी भझराकात...लसपय ऺण-भात्र की।
इस भझराकात भें गगयीश को तो वह अऩनी बावनाओॊ की साकाय भूछतय रगी थी ककॊतझ सझभन न जान
सकी थी कक गगयीश की आॊखों भें झाॊकते ही उसका भन धक् से क्मों यह गमा।

उसके फाद–
वे रगबग प्रछतददन लभरते...अनेकों फाय।

ू ये को दे खकय दठठक जाते...नमन जस्थय हो जाते...ददर धडकने रगता ककॊतझ


दोनों के कदभ एक-दस
कपय शीघ्र ही सझभन उसके साभने से बाग जाती।

िभ उसी प्रकाय चरता यहा...ककॊतझ फोरा कोई कझि नहीॊ...भानो आॊखें ही सफ कझि कह दे तीॊ। वक्त
गझजयता यहा...आॊखों के टकयाव के साथ ही साथ उसके अधय भझस्कयाने रगे।

झ कान हॊ सी भें फदरी...फोरता कोई कझि न था ककॊतझ फातें हो जातीॊ...प्रेलभमों


वक्त कपय आगे फढा...भस्
की बाषा तो प्रेभी ही जानें...दोनों ही ददर की फात अधयों ऩय राना चाहते ककॊतझ एक दस
ू ये की प्रतीऺा
थी।

ददन फीतते गए।


सझभन ऩूयी तयह से उसके भन-भॊददय की दे वी फन गई। ककॊतझ अधयों की दीवाय अबी फनी हझई थी। कहते
हैं सफ कझि वक्त के साथ होता है ...एक ही भझराकात भें कोई ककसी के भन भें तो उतय सकता है ककॊतझ
प्रेभ का स्थान ग्रहण नहीॊ कय सकता, प्रेभ के लरए सभम चादहए...अवसय चादहए...मे दोनों ही वस्तए
झ ॊ
सझभन औय गगयीश के ऩास थीॊ अथायत ऩहरे राज का ऩदाय हटा...आभने-साभने आकय भझस्कयाने
रगे...धीये -धीये दयू से ही सॊकेत होने रगे।
दे खते-ही-दे खते दोनों प्माय कयने रगे। ककॊतझ शाजब्दक दीवाय अबी तक फनी हझई थी। अॊत भें इस दीवाय
को बी गगयीश ने ही तोडा। साहस कयके उसने एक ऩत्र भें ददर की बावनाएॊ लरख दीॊ। उत्तय तयझॊ त
लभरा–आग की तवऩश दोनों ओय फयाफय थी।

कपय क्मा था...फाॊध टूट चक


झ ा था...दीवाय हट चक
झ ी थी...ऩत्रों के भाध्मभ से फातें होने रगीॊ। एक दस
ू ये
के ऩत्र का फेफसी से इॊतजाय कयने रगे। ऩहरे जभाने की फातें हझईं...कपय प्माय की फातों से ऩत्र बये
जाने रगे...धीये -धीये लभरन की रारसा जाग्रत हझई।

ऩत्रों भें ही लभरन के प्रोगाभ फने–कपय लभरन बी जैसे उनके लरए साधायण फात हो गई। वे लभरते,
प्माय की फातें कयते, एक-दस
ू ये की आॊखों भें खो जाते...औय फस...।
फस...मह थी...उसकी ऩहरी भझराकात...लसपय ऺण-भात्र की।
इस भझराकात भें गगयीश को तो वह अऩनी बावनाओॊ की साकाय भूछतय रगी थी ककॊतझ सझभन न जान
सकी थी कक गगयीश की आॊखों भें झाॊकते ही उसका भन धक् से क्मों यह गमा।

उसके फाद–
वे रगबग प्रछतददन लभरते...अनेकों फाय।

ू ये को दे खकय दठठक जाते...नमन जस्थय हो जाते...ददर धडकने रगता ककॊतझ


दोनों के कदभ एक-दस
कपय शीघ्र ही सझभन उसके साभने से बाग जाती।

िभ उसी प्रकाय चरता यहा...ककॊतझ फोरा कोई कझि नहीॊ...भानो आॊखें ही सफ कझि कह दे तीॊ। वक्त
गझजयता यहा...आॊखों के टकयाव के साथ ही साथ उसके अधय भझस्कयाने रगे।

झ कान हॊ सी भें फदरी...फोरता कोई कझि न था ककॊतझ फातें हो जातीॊ...प्रेलभमों


वक्त कपय आगे फढा...भस्
की बाषा तो प्रेभी ही जानें...दोनों ही ददर की फात अधयों ऩय राना चाहते ककॊतझ एक दस
ू ये की प्रतीऺा
थी।

ददन फीतते गए।


सझभन ऩूयी तयह से उसके भन-भॊददय की दे वी फन गई। ककॊतझ अधयों की दीवाय अबी फनी हझई थी। कहते
हैं सफ कझि वक्त के साथ होता है ...एक ही भझराकात भें कोई ककसी के भन भें तो उतय सकता है ककॊतझ
प्रेभ का स्थान ग्रहण नहीॊ कय सकता, प्रेभ के लरए सभम चादहए...अवसय चादहए...मे दोनों ही वस्तए
झ ॊ
सभ
झ न औय गगयीश के ऩास थीॊ अथायत ऩहरे राज का ऩदाय हटा...आभने-साभने आकय भस्
झ कयाने
रगे...धीये -धीये दयू से ही सॊकेत होने रगे।

दे खते-ही-दे खते दोनों प्माय कयने रगे। ककॊतझ शाजब्दक दीवाय अबी तक फनी हझई थी। अॊत भें इस दीवाय
को बी गगयीश ने ही तोडा। साहस कयके उसने एक ऩत्र भें ददर की बावनाएॊ लरख दीॊ। उत्तय तयझॊ त
लभरा–आग की तवऩश दोनों ओय फयाफय थी।

कपय क्मा था...फाॊध टूट चक


झ ा था...दीवाय हट चक
झ ी थी...ऩत्रों के भाध्मभ से फातें होने रगीॊ। एक दस
ू ये
के ऩत्र का फेफसी से इॊतजाय कयने रगे। ऩहरे जभाने की फातें हझईं...कपय प्माय की फातों से ऩत्र बये
जाने रगे...धीये -धीये लभरन की रारसा जाग्रत हझई।

ऩत्रों भें ही लभरन के प्रोगाभ फने–कपय लभरन बी जैसे उनके लरए साधायण फात हो गई। वे लभरते,
प्माय की फातें कयते, एक-दस
ू ये की आॊखों भें खो जाते...औय फस...।
‘‘नहीॊ गगयीश नहीॊ...भैं ककसी औय की नहीॊ हो सकती, भेयी शादी तम्
झ हीॊ से होगी, लसपय तभ
झ से।’’ सझभन
ने गगयीश के गरे भें अऩनी फाॊहे डारते हझए कहा।

‘‘मे सभाज फहझत धोखों से बया है सझभन। ववश्वास के साथ कझि बी नहीॊ कहा जा सकता, न जाने कफ
क्मा हो जाए?’’ गगयीश गॊबीय स्वय भें फोरा। इस सभम वे अऩने घय के छनकट वारे ऩाकय के अॊधेये
कोने भें फैठे फातें कय यहे थे। वे अक्सय महीॊ लभरा कयते थे।

‘‘तभझ तो ऩागर हो गगयीश...।’’ सभ


झ न फोरी–‘‘भैं तो कहती हूॊ कक तम् झ हें रडकी होना चादहए था औय
भझझ े रडका...जफ भैं तभ
झ से कह यही हूॊ कक तम्
झ हीॊ से शादी होगी तो तभ झ क्मों नहीॊ भेया साहस फढाते।’’

‘‘सझभन...अगय तम्
झ हाये घय वारे तैमाय नहीॊ हझए तो?’’

‘‘ऩहरी फात तो ऐसा होगा नहीॊ औय अगय हो बी गमा तो दे ख रेना तभ


झ अऩनी सझभन को, वह घय
वारों का साथ िोडकय तम्
झ हाये साथ होगी।’’

‘‘क्मा तभ
झ होने वारी फदनाभी को सहन कय सकोगी?’’
‘‘गगयीश...भेया ख्मार है कक तभ
झ प्माय ही नहीॊ कयते। प्माय कयने वारे कबी फदनाभी की गचॊता नहीॊ
ककमा कयते।’’

‘‘सझभन–मह सफ उऩन्मास अथवा कपकभों की फातें हैं–मथाथय उनसे फहझत अरग होता है ।’’

‘‘गगयीश!’’ सभ
झ न के रफों से एक आह टऩकी–‘‘मही तो तम्
झ हायी गरतपहभी है । अन्म साधायण
व्मजक्तमों की बाॊछत तभ
झ ने बी कह ददमा कक मे उऩन्मास की फातें हैं। क्मा तभ
झ नहीॊ जानते कक रेखक
बी सभाज का ही एक अॊग होता है । उसकी चरती हझई रेखनी वही लरखती है जो वह सभाज भें दे खता
है । क्मा कबी तम्
झ हाये साथ ऐसा नहीॊ हझआ कक कोई उऩन्मास ऩढते-ऩढते तभ
झ उसके ककसी ऩात्र के रूऩ
भें स्वमॊ को दे खने रगे हो। हझआ है गगयीश हझआ है –कबी-कबी कोई ऩात्र हभ जैसा बी होता है –भारभ

है वह ऩात्र कहाॊ से आता है–रेखक की रेखनी उसे हभ ही रोगों के फीच से प्रस्तत
झ कयती है । जफ
रेखक ककसी ऩात्र के भाध्मभ से इतना साहस प्रस्तत
झ कयता है , जजतना तभ
झ भें नहीॊ है तो उसे मथाथय
से हटकय कहने रगते हो–रेखक तम्
झ हें प्रेयणा दे ता है कक अगय प्माय कयते हो तो सीना तानकय सभाज
के साभने खडे हो जाओ। राख ऩये शाछनमों के फाद बी अऩने वप्रम को अऩनाकय सभाज के भॉह
झ ऩय
तभाचा भायो। जजन फातों को तभ
झ लसपय उऩन्मासों की फात कहकय टार जाते हो उसकी गॊबीयता को
दे खो–उसकी सच्चाई भें झाॊको।’’ सझभन कहती ही चरी गई भानो ऩागर हो गई हो।
‘‘वाह–वाह दे वी जी।’’ गगयीश हॊ सता हझआ फोरा–‘‘रेडीज नेताओॊ भें इॊददया के फाद तम्
झ हाया ही नम्फय
है–कापी अच्िा बाषण झाड रेती हो।’’

‘‘ओफ्पो–फडे वो हो तभ
झ !’’ सझभन कातय छनगाहों से उसे दे खकय फोरी–‘‘भझझे जोश ददराकय न जाने
क्मा-क्मा फकवा गए। अफ भैं तभ
झ से फात नहीॊ करूॊगी।’’ कृत्रत्रभ रूठने के साथ उसने भझॊह पेय लरमा।

‘‘अफे ओ भोटे ।’’ जफ सभ


झ न रूठ जाती तो गगयीश का सॊफोधन मही होता था–‘‘रूठता क्मों है हभसे,
चर इधय दे ख–नहीॊ तो अबी एक ऩप्ऩी की सजा दे दें गे।’’

सझभन रजा गई–तबी गगयीश ने उसके कोभर फदन को फाहों भें रे लरमा औय उसके अधयों ऩय एक
चम्
झ फन अॊककत कयके फोरा–‘‘इससे आगे का फाॊध...सझहाग यात को तोडूॉगा दे वी जी।’’

उसके इस वाक्म ऩय तो सझभन ऩानी-ऩानी हो गई...राज से भझॊह पेयकय उसने बाग जाना चाहा ककॊतझ
गगयीश के घेये सख्त थे। अत् उसने गगयीश के सीने भें ही भझखडा िझऩा लरमा।

इस प्रकाय–कझि प्रेभ वातायराऩ के ऩश्चात अचानक सझभन फोरी–‘‘अच्िा...गगयीश, अफ भैं चरूॊ।’’

‘‘क्मों?’’
‘‘सफ इॊतजाय कय यहे होंगे।’’
‘‘कौन सफ?’’
‘‘भम्भी, ऩाऩा, जीजी, जीजाजी–सबी।’’
‘‘एक फात कहूॊ...सभ
झ न, फयझ ा-तो नहीॊ भानोगी?’’
कझि साहस कयके फोरा गगयीश।

‘‘तम्
झ हायी फात का भैं औय फझया भानूॊगी...भझझे तो दख
झ है कक तभ
झ ने ऐसा सोचा बी कैसे?’’ ककतना
आत्भ-ववश्वास था सझभन के शब्दों भें ।

‘‘न जाने क्मों भझझे तम्


झ हाये सॊजम जीजाजी अच्िे नहीॊ रगते।’’

न जाने क्मों गगयीश के भख


झ से उऩयोक्त वाक्म सन
झ कय सभ
झ न को एक धक्का रगा उसके भख
झ डे ऩय
एक ववगचत्र-सी घफयाहट उत्ऩन्न हो गई। वह घफयाहट को िझऩाने का प्रमास कयती हझई फोरी–‘‘क्मों
बरा? तभ
झ से तो अच्िे ही हैं...रेककन फस अच्िे नहीॊ रगते।’’
‘‘सच...फताऊॊ तो गगयीश...भझझे बी नपयत है ।’’
सझभन कझि गॊबीय होकय फोरी।
‘‘क्मों, तम्
झ हें क्मों...?’’ गगयीश थोडा चौंका।

‘‘मे भैं बी नहीॊ जानती।’’ सझभन फात हभेशा ही इस प्रकाय गोर कयती थी।
‘‘ववगचत्र हो तभ
झ बी।’’ गगयीश हॊ सकय फोरा।
‘‘अच्िा अफ भैं चरूॊ गगयीश!’’ सझभन गॊबीय स्वय भें फोरी।

गगयीश भहसूस कय यहा था कक जफ से उसने सझभन से सॊजम के ववषम भें कझि कहा है तबी से सझभन
कझि गॊबीय हो गई है । उसने कई फाय प्रमास ककमा कक सझभन की इस गॊबीयता का कायण जाने, ककॊतझ
वह सपर न हो सका। उसके राख प्रमास कयने ऩय बी सझभन एक फाय बी नहीॊ हॊ सी। न जाने क्मा हो
गमा था उसे?...गगयीश न जान सका।

इसी तयह उदास-उदास-सी वह ववदाई रेकय चरी गई। ककॊतझ गगयीश स्वमॊ को ही गारी दे ने रगा कक
क्मों उसने फेकाय भें सॊजम की फात िे डी? ककॊतझ मह गझत्थी बी एक यहस्म थी कक सझभन सॊजम के लरए
उसके भझख से एक शब्द सझनकय इतनी गबीय क्मों हो गई? क्मा गगयीश ने ऐसा कहकय सझभन की
छनगाहों भें बूर की। गगयीश ववगचत्र-सी गझत्थी भें उरझ गमा। रेककन एक रम्फे सभम तक मह गझत्थी
गझत्थी ही यही।
प्रेभ...एक ऐसी अनझबछत जो वक्त के साथ आगे फढती ही जाती है । वक्त जजतना फीतता है प्रेभ के
फॊधन उतने ही सख्त होते चरे जाते हैं।

प्रेभ के मे दो हभजोरी वक्त के साथ आगे फढते यहे । सझभन गगयीश की ऩूजा कयती...उसने उसकी
सूयत अऩने भन-भॊददय भें सॊजो दी। सझभन उसके गरे भें फाॊहे डार दे ती तो वह उसके गझराफी अधयों ऩय
चम्
झ फन अॊककत कय दे ता।

सभम फीतता यहा।


वे लभरते यहे , हॊ सी-खश
झ ी...वक्त कटने रगा। दोनों लभरते, प्रेभ की भधयझ -भधयझ फातें कयते–एक-दस
ू ये
की आॊखों भें खोकय...सभस्त सॊसाय को बूर जाते। सझभन को माद यहता गगयीश। गगयीश को माद यहती
लसपय सभ
झ न...।
वे प्रेभ कयते थे...अनन्त प्रेभ...औय गॊगाजर से बी कहीॊ अगधक सच्चा। प्रेभ के फाॊध को तोडकय वे
उस ओय कबी नहीॊ फढे जहाॊ इस रयश्ते को ऩाऩ की सॊऻा भें यख ददमा जाता है । वे तो लभरते...औय
फस न लभरते तो दोनों तडऩते यहते।

ककॊतझ उस ददन की गझत्थी एक काॊटा-सा फनकय गगयीश के रृदम भें चब


झ यही थी। उसने कई फाय सझभन
से बी ऩूिा ककॊतझ प्रत्मेक फाय वह लसपय उदास होकय यह जाती। अत् अफ गगयीश ने सझभन से सॊजम के
ववषम भें फातें कयनी ही सभाप्त कय दीॊ। ककॊतझ ददर-ही-ददर भें वह काॊटा नासूय फनता जा यहा
था।...जहयीरा काॊटा। गगयीश न जान सका कक यहस्म क्मा है ।

रेककन अफ कबी वह सझभन के साभने कझि नहीॊ कहता। सफ फातों को बझराकय वे हॊ सते, लभरते, प्रेभ
कयते औय एक-दस
ू ये की फाॊहों भें सभा जाते। जफ सझभन गगयीश से फातें कयती तो गगयीश उसके साहस
ऩय आश्चमयचककत यह जाता। वह हभेशा मही कहती कक वह उसके लरए सभस्त सॊसाय से टकया
जाएगी।

शाभ को तफ जफकक सूमय अऩनी ककयणों को सभेटकय धयती के आॊचर भें सभाने हे तझ जाता उस सभम
वे ककन्हीॊ कायणों से लभर नहीॊ ऩाते थे। ऐसे ही एक सभम जफ गगयीश अऩनी ित ऩय था औय सझभन
के उस भकान की ित को दे ख यहा था जजसकी दीवाय ऩझताई न होने के कायण कारी ऩड गई थी। वह
उसी ित को छनहाय यहा था कक चौंक ऩडा...प्रसन्नता से वह झूभ उठा...क्मोंकक ित ऩय उसे सझभन
नजय आईं औय फस कपय वे एक-दस
ू ये को दे खते यहे । सूमय अस्त हो गमा...यजनी का स्माह दाभन पैर
गमा...वे एक-दस ॊझ रे साए के रूऩ भें दे ख सकते थे ककॊतझ दे ख यहे थे। हटने का नाभ कोई
ू ये को लसपय धध
रेता ही नहीॊ था। अॊत भें गगयीश ने सॊकेत ककमा कक ऩाकय भें लभरो तो वे ऩाकय भें लभरे। उस ददन के
फाद ऊऩय आना भानो उनकी कोई ववशेष ड्मट
ू ी हो। सम
ू य अस्त होने जाता तो फयफस ही दोनों के कदभ
स्वमभेव ही ऊऩय चर दे ते। कपय यात तक वहीॊ सॊकेत कयते औय कपय फाग भें लभरते।

सझख...प्रसन्नताएॊ...खलझ शमाॊ, इन्हीॊ के फीच से वक्त गझजयता यहा, रेककन क्मा प्रेभ कयना इतना ही
सयर होता है ? क्मा प्रेभ भें लसपय पूर हैं? नहीॊ...अफ अगय वो पूरों से गझजय यहे थे तो याह भें काॊटे
उनकी प्रतीऺा कय यहे थे।...दख
झ उन्हें खोज यहे थे।

एक ददन...।
तफ जफकक प्रछतददन की बाॊछत वे दोनों ऩाकय भें लभरे...लभरते ही सझभन ने कहा–‘‘गगयीश...फताओॊ तो
कर क्मा है?’’

‘‘अये मे बी कोई ऩूिने वारी फात है ...कर शझिवाय है ।’’


‘‘शझिवाय के साथ औय बी फहझत कझि है ?’’
‘‘क्मा?’’
‘‘भेयी वषयगाॊठ।’’
‘‘अये ...सच...!’’ गगयीश प्रसन्नता से उिर ऩडा।

झ हें आना है , घय तो घय वारे स्वमॊ ही काडय ऩहझॉचा दें गे ककॊतझ तभ


‘‘जी हाॊ जनाफ, कर तम् झ से भैं ववशेष रूऩ
से कह यही हूॊ। आना अवश्म।’’

‘‘मे कैसे हो सकता है कक दे वी का फथय डे हो औय बक्त न आएॊ?’’

‘‘धत ्।’’ दे वी शब्द ऩय सदा की बाॊछत रजाकय सभ


झ न फोरी–‘‘तभ
झ ने कपय दे वी कहा।’’
‘‘दे वी को दे वी ही कहा जाएगा।’’

सझभन कपय राज से दोहयी हो गई। गगयीश ने उसे फाॊहों भें सभेट लरमा।
सझभन की वषयगाॊठ–
घय भानो आज सज-सॊवयकय दक
झ हन फन गमा था। चायों ओय खलझ शमाॊ–प्रसन्नताएॊ फच्चों की
ककरकारयमाॊ औय भेहभानो के कहकहे । सभस्त भेहभान घय भें सजे-सॊवये हॉर भें एकत्रत्रत हझए थे।
उऩजस्थत प्रत्मेक व्मजक्त अऩने-अऩने ढॊ ग से सझभन को भझफायकफाद दे ता, सझभन भधयझ भझस्कान के
साथ उसे स्वीकाय कयती ककॊतझ इस भझस्कान भें हककाऩन होता–हॊ सी भें चभक होती बी कैसे?...इस
चभक का वारयस तो अबी आमा ही नहीॊ था। जजसका इस भझस्कान ऩय अगधकाय है ।...हाॊ...सझभन को
प्रत्मेक ऺण गगयीश की प्रतीऺा थी जो अबी तक नहीॊ आमा था। यह-यहकय सझभन की छनगाहें दयवाजे
की ओय उठ जातीॊ ककॊतझ अऩने भन-भॊददय के बगवान को अनझऩजस्थत ऩाकय वह छनयाश हो जाती। सफ
रोग तो प्रसन्न थे...मूॊ प्रत्मऺ भें वह बी प्रसन्न थी ककॊतझ अप्रत्मऺ रूऩ भें वह फहझत ऩये शान थी।
उसके रृदम भें बाॊछत-बाॊछत की शॊकाओॊ का उत्थान-ऩतन हो यहा था।

‘‘अये सभ
झ न...!’’ एकाएक उसकी भीना दीदी फोरी।
‘‘मस दीदी।’’

‘‘चरो केक काटो...सभम हो गमा है ।’’


सझभन का रृदम धक् से यह गमा।
केक काटे ...ककॊतझ कैसे...?...गगयीश तो अबी आमा ही नहीॊ...नहीॊ वह गगयीश की अनऩ
झ जस्थछत भें केक
नहीॊ काटे गी–अत् वह सॊबरकय फोरी–‘‘अबी आती हूॊ, दीदी।’’

‘‘अफ ककसकी प्रतीऺा है हभायी प्मायी सारी जी को?’’ एकाएक सॊजम फीच भें फोरा।

‘‘आऩ भझझसे ऐसी फातें न ककमा कीजजए जीजाजी।’’ सझभन के रहजे भें हककी-सी झझॊझराहट थी जजसे
भीना ने बी भहसस
ू ककमा।

‘‘मे क्मा फदतभीजी है सझभन–क्मा इसी तयह फात होती है फडे जीजा से?’’ भीना का रहजा सख्त था।

सझभन उत्तय भें चऩ


झ यह गई–कझि नहीॊ फोरी वह। लसपय गदय न झझकाकय यह गई।

सॊजम बी थोडा-सा गॊबीय हो गमा था। अचानक भीना कपय फोरी–‘‘चरो–सभम होने वारा है ।’’

‘‘अबी भेयी एक सहे री आने वारी है ।’’


इससे ऩूवय कक भीना कझि कहे दयवाजे से उसकी सहे री प्रववटट हझई, भीना तयझ न्त स्वागत हे तझ आगे फढ
गई। सॊजम सझभन के ऩास ही खडा था। वह सझभन से फोरा–‘‘क्मों सझभन–क्मा हभसे नायाज हो?’’
‘‘नहीॊ तो–ऐसी कोई फात नहीॊ है ।’’ सझभन गदय न उठाकय फोरी।

‘‘तो कपय हभसे तभ


झ प्माय से फातें नहीॊ कयतीॊ–क्मा हभने तम्
झ हें वह उगचत प्माय नहीॊ ददमा जो एक
जीजा सारी को हो सकता है ?’’ सॊजम प्माय-बये स्वय भें फोरा।

‘‘आऩ तो फेकाय की फातें कयते हैं, जीजाजी।’’


सभ
झ न अबी इतना ही कह ऩाई थी कक उसकी आॊखों भें एकदभ चभक उत्ऩन्न हो गई। दयवाजे ऩय उसे
गगयीश नजय आमा–उसके साथ अनीता बी थी। वह सॊजम को वहीॊ िोडकय तेजी के साथ उस ओय फढी
औय अनीता का स्वागत कयती हझई फोरी–‘‘आओ अनीता–फहझत दे य रगाई। ककतनी दे य से प्रतीऺा कय
यही हूॊ।’’ शब्द कहते-कहते उसने एक तीखी छनगाह गगयीश ऩय बी डारी।
गगयीश को रगा जैसे मे शब्द उसी के लरए कहे जा यहे हो। तबी वहाॊ सॊजम बी आ गमा, सॊजम को
दे खकय गगयीश ने अऩने दोनों हाथ जोडकय कहा–‘‘नभस्काय बाई साहफ।’’

‘‘नभस्काय बई गगयीश। रगता है सझभन तम्


झ हीॊ रोगों की प्रतीऺा कय यही थी।’’

सॊजम के शब्दों भें छिऩे व्मॊग्म को सभझकय एक फाय को तो सझभन औय गगयीश स्तब्ध यह गए, ककॊतझ
भख
झ डे के बावों से उन्होंने मह प्रकट न होने ददमा, तयझ ॊ त सॊबरकय गगयीश फोरा–‘‘मे तो हभाया सौबाग्म
है सॊजम जी कक महाॊ हभायी प्रतीऺा हो यही है ।’’

कपय सझभन अनीता को साथ रेकय एक ओय को चरी गई–सॊजम औय गगयीश एक अन्म ददशा भें चर
ददए। सझभन ने सॊजम की उऩजस्थछत भें गगयीश से अगधक फातें कयना उऩमझक्त न सभझा था, ककॊतझ इस
फात से वह अत्मॊत प्रसन्न थी कक गगयीश आ चक
झ ा था।

ऩाटी चरती यही।


इतनी बीड भें बी गगयीश औय सझभन के नमन सभम-सभम ऩय लभरकय ददर भें प्रेभ जाग्रत कयते
जफकक सॊजम ऩूयी तयह उनकी आॊखों भें एक दस
ू ये के प्रछत िरकता प्रेभ दे ख यहा था औय अऩने सॊदेह
को ववश्वास भें फदरने का प्रमास कय यहा था। अन्म प्रत्मेक व्मजक्त अऩने भें व्मस्त था।

सभा मॊू ही यॊ गीन चरता यहा–कहकहे रगते यहे –फच्चों की ककरकारयमों से वातावयण गॊज
ू ता यहा।
सभ
झ न औय गगयीश के नमन अवसय प्राप्त होते ही लभरते यहे ।
अॊत भें –
तफ जफकक भीना ने सभस्त भेहभानो भें मह घोषणा की कक अफ सझभन केक काटे गी तो सफने तालरमाॊ
फजाकय उसका स्वागत ककमा। गगयीश को एक ववगचत्र-सी अनझबूछत का अहसास हझआ। सझभन आगे फढी
औय भेज ऩय यखे केक के छनकट ऩहझॊच गई। उसके दाएॊ-फाएॊ उसके भम्भी-डैडी खडे थे। ऩीिे भीना औय
सॊजम–उसके ठीक साभने गगयीश था। उसने भोभफजत्तमाॊ फझझाईं औय िझयी से केक काटने रगी–ऩहरे
हॉर तालरमों की गडहडाहट से गूॊज उठा औय कपय है प्ऩी फथय डे के शब्दों से वातावयण गझॊजामभान हो
उठा।
इधय तालरमाॊ फज यही थीॊ–सझभन को शझबकाभनाएॊ दी जा यही थीॊ–सभस्त औय खलझ शमाॊ, प्रत्मेक
व्मजक्त खश
झ । खश
झ ी-ही-खश
झ ी–खश
झ ी औय लसपय खश झ ी–ककॊतझ तबी तारी फजाता हझआ गगयीश चौंक ऩडा।
तारी फजाते हझए उसके हाथ जहाॊ के तहाॊ थभ गए। उसकी छनगाह सभ झ न ऩय दटकी हझई थी।

उसे भहसूस हझआ जैसे सझभन को कै आ यही हो–िझयी िोडकय सझभन ने सीने ऩय हाथ यखा औय उकटी
कयनी चाही–कैसे अवसय ऩय उसकी तफीमत त्रफगड गई थी।

अगरे ही ऩर सफका ध्मान उसकी ओय आकवषयत हो गमा। ऺण-भात्र भें वहाॊ सन्नाटा िा गमा। सबी
की छनगाहें सझभन ऩय दटकी हझई थीॊ। सबी थोडे गॊबीय-से हो गए थे।

सभ
झ न अबी तक इस प्रकाय की किमाएॊ कय यही थी भानो उकटी कयना चाहती हो। तबी उसके फयाफय भें
खडे उसके वऩता ने उसको सॊबारा–भेहभान उधय रऩके। भेहभानो भें एक ऩोऩरी-सी फदझ ढमा बी उस
ओय रऩकी औय बीड को चीयती हझई सभ
झ न तक ऩहझॊची।

‘‘अये ! डॉक् टय भाथयझ , दे खना सझभन को क्मा हो गमा?’’ एकाएक सझभन के वऩता चीखे। उसके दोस्त।
डॉक्टय भाथयझ , जो भेहभानो भें ही उऩजस्थत थे उसी ओय रऩके।

इससे ऩूवय कक भाथयझ वहाॊ तक ऩहझॉचे...ऩोऩरी-सी फझदढमा बरी प्रकाय से सझभन का छनयीऺण कय चक
झ ी
थी। एक ही ऩर भें फझदढमा की आॉखें आश्चमय से उफर ऩडीॊ। अऩनी उॊ गरी फूढे अधयों ऩय यखकय तऩाक
से आश्चमयऩूणय भझद्रा भें फोरी–‘‘हाम दै मा...मे तो भाॊ फनने वारी है ।’’

‘‘क्मा...ऽ...ऽ...?’’ एक साथ अनेक आवाजें।


एक ऐसा यहस्मोद्घाटन जजससे सबी स्तब्ध यह गए...प्रत्मेक इॊसान सन्न यह गमा, एक दस
ू ये की ओय
दे खा भानो ऩूि यहे हो...इसका क्मा भतरफ है ? सझभन तो अवववादहत है ...कपय वह भाॊ कैसे फनने
रगी...? हॉर भें भौत जैसी शाजन्त िा गई।
औय गगयीश!
उसके हदम ऩय भानो साॊऩ ही रोट गमा था। उसे रगा जैसे सभस्त हॉर घूभ यहा है ...सफ घूभ यहे हैं।
उसकी आत्भाएॊ उसी के हार ऩय कहकहे रगा यही है ...उसका ददभाग चकया गमा। उसे ववश्वास कैसे
हो...? मे सफ क्मा है ...? सझभन भाॊ फनने वारी है ककॊतझ क्मों? कैसा अनथय है मे? मे कैसा रूऩ है सझभन
का...? आखखय मे सफ कैसे हो गमा? सझभन के ऩेट भें फच्चा ककसका...? उसे रगा जैसे मे सभाज
उसके प्माय ऩय कहकहे रगा यहा है । उसे गधक्काय यहा है । उसे रगा जैसे वह अबी चकयाकय गगय
जाएगा...ककॊतझ नहीॊ...वह नहीॊ गगया...उसने स्वॊम को सॊबारा...उसका गगयना इस सभम उगचत न था।

सझभन के भाता-वऩता, फहन औय सॊजम सबी उस ऩोऩरी फझदढमा की सूयत दे खते यहे...क्मा कबी,
उनका इससे अगधक अऩभान हो सकता था? नहीॊ कबी नहीॊ...इतने भेहभानों के साभने-इतना फडा
अऩभान...बरा कैसे सहन कयें वे? मे क्मा ककमा सझभन ने? सझभन ने सभाज भें उसके जीने के यास्ते
ही फन्द कय ददए।

एक ऺण के लरए सभस्त हॉर आश्चमय के सागय भें गोते रगाता यहा।

सफको इस ऩोऩरी-सी फदझ ढमा का ववश्वास था क्मोंकक वह शहय की भशहूय दाई थी। नायी को एक ही
नजय भें दे खकय वह फता दे ती थी कक मह कफ तक भाॊ फन जाएगी।

भाथयझ के कदभ बी अऩने स्थान ऩय जस्थय हो गए।


सझभन को बी फझदढमा के वाक्म से एक झटका-सा रगा। बम से वह काॊऩ गई, भन की चोट से बमबीत
हो गई...उकटी भानो एकदभ ही फॊद हो गई।

तबी उसके वऩता ने उसे एक तीव्र धक्का ददमा औय चीखे–


‘‘मे तन
ू े क्मा ककमा?’’
सझभन धडाभ से पशय ऩय गगयी। गगयीश का रृदम भानो तडऩ उठा।

सबी भूछतयवत खडे थे। सझभन पूट-पूटकय योने रगी। सझभन के वऩता की आॉखें शोरे उगरने रगीॊ। वऩता
तो भानो िोध भें ऩागर ही हझए जा यहे थे।
िोध से थय-थय काॊऩ यहे थे। आॊखें आग उगर यही थीॊ, वे सझभन की ओय फढे औय चीखे–

‘‘तू भेयी फेटी नहीॊ हो सकती कभीनी।’’


सझभन की लससकारयमाॊ ऺण-प्रछतऺण तीव्र होती जा यही थी। गगयीश तो शून्म भें छनहाये जा यहा था भानो वह खडा-खडा
ऩत्थय का फझत फन गमा हो, उसे जैसे कझि ऻान ही न हो, भानो उसका शव खडा हो।

‘‘कभीनी...जरीर...कझकटा...कझछतमा।’’ आवेश भें सभ


झ न के वऩता जोय से चीखे–‘‘फोर ककसका है मे ऩाऩ? कौन है वो
कभीना जजसके साथ तन
ू े भझॊह कारा ककमा?’’ साथ ही उन्होंने सझभन के फार ऩकडकय ऊऩय उठामा।

उप! कैसा जरारत से बया हझआ चेहया था सझभन का। रार...आॊसझओॊ से बया–क्मा मह वही सझभन थी जजसे गगयीश दे वी
कहता था? जजसकी वह ऩूजा कयता था। क्मा मही रूऩ है आधछझ नक दे वी का? कैसा कठोय सत्म है मह?

कैसा भासूभ भझखडा? औय ऐसा जघन्भ ऩाऩ...दे खने भें रगती दे वी...ककॊतझ कामय भें वेश्मा। सूयत ककतनी गोयी...ककॊतझ ददर
ककतना कारा? क्मा मही रूऩ है आज की बायतीम नायी का? ऐसे जघन्म अऩयाध के फाद बरा ककसे उससे प्माय होगा?
कौन उसे सहानझबूछत की दृजटट से दे खेगा? नहीॊ–ककसी ने उसका साथ नहीॊ ददमा।

तडाक–
उसके वऩता ने उसके गार ऩय एक तभाचा भाया। उसके फार ऩकडकय जोय से झॊझोडा औय चीखे–‘‘ककसका है मे ऩाऩ–
फता–वनाय भैं तेये टझकडे-टझकडे कय दॊ ग
ू ा।’’

रेककन सभ
झ न कझि नहीॊ फोरी। उसकी ववगचत्र-सी जस्थछत थी।
औय कपय भानो उसके वऩता ऩागर हो गए–खन
ू उनकी आॊखों भें उतय आमा–याऺसी ढॊ ग से उन्होंने सझभन को फेइन्तहा
भाया–कोई कझि न फोरा–सफ भूछतयवत-से खडे यहे–अचानक उसके वऩता के दोनों ऩॊजे उसकी गदय न ऩय जभ गए तथा वे
चीखकय फोरे–‘‘अॊछतभ फाय ऩूिता हूॊ जरीर रडकी...फता मे ऩाऩ ककसका है ?’’

ककॊतझ सभ
झ न का उत्तय कपय भौनता ही थी–उसके वऩता िोध से ऩागर हझए जा यहे थे। सभ
झ न ककसी प्रकाय का प्रछतयोध बी
नहीॊ कय यही थी, कपय सझभन की गदय न ऩय उसके वऩता की ऩकड सख्त होती चरी गई, सझभन की साॊस रुकने रगी, भझखडा
रार हो गमा, नसों भें तनाव आ गमा। उसके वऩता का गझस्सा सातवें आसभान ऩय था, वे एक फाय कपय दाॊत बीॊचकय
फोरे–‘‘अफ बी फता दे कौन है वो–ककसका है मह ऩाऩ?’’

‘‘भेया!’’ एकाएक सफने चौंककय गगयीश की ओय दे खा...वह आगे फोरा–‘‘हाॊ...भेया है मे फच्चा। जजसको आऩ ऩाऩ कह यहे
हैं–भैं उसका वऩता हूॊ।’’ मे शफ ्द कहते सभम गगयीश का चेहया बावयदहत था। ऩत्थय की बाॊछत सऩाट औय सख्त।

सबी चौंके थे–सफने गगयीश की ओय दे खा, भझॊह आश्चमय से खर


झ े के खर
झ े यह गए। अनीता अऩने बाई को दे खती ही यह गई–
कैसा बावयदहत सख्त चेहया।

सझभन ने स्वमॊ चौंककय गगयीश की ओय दे खा–उसे रगा मे गगयीश वह गगयीश नहीॊ है–ऩत्थय का गगयीश है । उसके वाक्म के
साथ ही सभ
झ न के वऩता की ऩकड सभ
झ न के गरे से ढीरी ऩड गई–खन
ू ी छनगाहों से उन्होंने गगयीश की ओय दे खा, गगयीश
भानो अडडग चट्टान था।

ू ी याऺस की बाॊछत वे सझभन को िोडकय गगयीश की ओय फढे ककॊतझ गगयीश ने ऩरक बी नहीॊ झऩकाई, तबी भानो सझभन
खन
भें त्रफजरी बय गई, वह तेजी से रऩकी औय गगयीश के आगे जाकय खडी हो गई, न जाने उसभें इतना साहस कहाॊ से आ
गमा कक वह चीखी–

‘‘नहीॊ डैडी–अफ तभ
झ इन्हें नहीॊ भाय सकते–अफ मे ही भेये ऩछत हैं–भेये होने वारे फच्चे के वऩता हैं, इनसे ऩहरे तम्
झ हें भझझे
भायना होगा।’’

‘‘हट जाओ–इस कभीने के साभने से।’’ वे फझयी तयह दहाडे औय साथ ही सझभन को झटके के साथ गगयीश के साभने से
हटाना चाहा ककॊतझ सझभन ने कसकय गगयीश को ऩकड लरमा था।

‘‘हभ दोनों की शादी भॊददय भें हो चक


झ ी है ...हभ ऩछत-ऩत्नी हैं।’’ इस फाय गगयीश फोरा। न जाने वह ककन बावनाओॊ के
वशीबूत फोर यहा था। चेहये ऩय तो कोई बाव न थे।

‘‘हभ फालरग हैं डैडी...भझझे अऩना ऩछत चन


झ ने का ऩूया अगधकाय है , भैं गगयीश को अऩना ऩछत चन
झ ती हूॊ।’’

उप...! कैसी मातनाएॊ थीॊ मे फेटी की फाऩ को...क्मा कोई फेटी अऩने फाऩ को इस बये सभाज भें इतना अऩभाछनत कय
सकती है । नहीॊ...उसके वऩता इतना अऩभान सहन न कय सके। उनकी आॊखों के साभने अॊधेया िा गमा। साया वातावयण
उन्हें घूभता-सा नजय आमा। वे चकयाए औय धडाभ से पशय ऩय गगये ।

‘‘डैडी...ऽ...ऽ...!’’ सझभन फझयी तयह चीखी औय अऩने वऩता की ओय रऩकी।

‘‘ठहयो...।’’ एकाएक उसकी भम्भी चीखी...उनका चेहया बी ऩत्थय की बाॊछत सख्त था–तभ
झ इन्हें हाथ नहीॊ रगाओगी।
बाग जाओ महाॊ से।’’
सझभन दठठक गई इस फीच भाथयझ रऩककय उसके वऩता को दे ख चक
झ े थे, वे फोरे–‘‘मे फेहोश हो गए हैं...ककसी कभये भें रे
चरो।’’

उसके फाद...! सझभन ने राख चाहा कक अऩने वऩता से लभरे ककॊतझ उसे धक्के दे -दे कय उस घय से छनकार ददमा। उसकी फडी
फहन भीना ने उसे ठोकय भाय-भायकय छनकार ददमा, भेहभानो ने उसे अऩभाछनत ककमा। न जाने ककतनी फेइज्जती कयके
उसे छनकार ददमा गमा, सझभन लससकती यही...पपकती यही ऩयन्तझ गगयीश ऩत्थय की बाॊछत सख्त था...उसकी आॊखों भें
वीयानी थी। वह सफ कझि चऩ
झ चाऩ दे ख यहा था...फोरा कझि नहीॊ था। उस घय से ठझकयाई हझई सझभन को वह अऩने घय रे
आमा।

कैसी ववडम्फना थी मे...कैसा अनथय...? कैसा ऩाऩ...? कैसा प्रेभ? ककतने रूऩ हैं प्रेभ के...? मे गगयीश का कैसा प्माय
है ...आखखय सभ
झ न का क्मा रूऩ है ?...क्मा वह नायी जाछत ऩय करॊक है...? वहा कहाॊ तक सही है ? उसके भन का बेद क्मा
है ?
सफ एक यहस्म था...एक गझत्थी...एक याज।
गगयीश के घय का वातावयण कझि ववगचत्र-सा फन गमा था।
कोई ककसी से कझि कह नहीॊ यहा था, ककॊतझ आॊखें फहझत कझि कह यही थीॊ। सझभन को गगयीश वारे कभये भें ऩहझॊचा ददमा गमा
था। न गगयीश ने ही सभ
झ न से कझि कहा था न सभ झ न ने ही गगयीश से। वह तो फस ऩरॊग ऩय घट
झ नों भें भॊह
झ िझऩाए लससक
यही थी, पपक यही थी। उसके ऩास उसे साॊत्वना दे ने वारा बी कोई न था। वह लससकती यही...लससकती ही चरी गई।
रेककन ऐसा रगता था भानो जैसे वह उन लससककमों के फीच से अऩने जीवन के ककसी भहत्त्वऩूणय छनणयम ऩय ऩहझॉचने का
प्रमास कय यही है ।

गगयीश...वास्तव भें गगयीश का रृदम उस शीशे की बाॊछत था जजसभें ताय आ चक


झ ा हो। अफ बरा वह कफ तक इस जस्थछत भें
यहे गा...शीघ्र ही वह शीशा दो बागों भें ववबाजजत हो जाएगा।

घय के एक कोने भें फैठा वह न जाने ककन बावनाओॊ भें ववचयण कय यहा था, उसके नेत्रों के अगग्रभ बाग भें नीय तैय यहा था
जो नन्ही-नन्ही फूॊदों के रूऩ भें उसके कऩोरों से ढझरककय पशय ऩय गगय जाता।
वह सभझ नहीॊ ऩा यहा था कक मह सफ क्मा है । जजस सझभन को उसने दे वी सभझकय ऩूजा, क्मा वह इतनी नीच हो सकती
है ...क्मा सझभन का वास्तववक रूऩ मही है ? दे वी रूऩ क्मा उसे ददखाने के लरए फनामा गमा था? क्मा इसी दभ ऩय हभेशा
माय की कसभें खामा कयती थी सझभन...? क्मा इसी आधाय ऩय थे साये वादे ...? क्मा रूऩ है आज की बायतीम नायी का...?

नायी!
उप् ! वास्तव भें नायी की प्रवजृ त्त को आज तक कोई बी सभझ नहीॊ सका है । नायी दे वी बी होती है औय वेश्मा बी।

नायी खश
झ ी बी होती है औय गभ बी। नायी तरवाय बी होती है औय ढार बी। नायी फेवपा बी होती है औय वपा बी। सझभन
बी तो एक नायी है...ककॊतझ कैसी नायी...? दे वी अथवा वेश्मा? खश
झ ी अथवा गभ? ढार अथवा तरवाय? क्मा है सझभन?
उसका रूऩ क्मा है ?–क्मा है वह?

नहीॊ–गगयीश कझि छनणयम नहीॊ कय सका–उसने तो हभेशा दे वी का रूऩ दे खा था। उसने तो कबी ककऩना बी नहीॊ की थी कक
ू सयू त वारी बोरी-बारी रडकी वेश्मा बी हो सकती है । ककॊतझ उसके ऩेट भें ऩरता रावारयश ऩाऩ उसकी नीचता का
भासभ
गवाह था–क्मा रूऩ है सझभन का?

क्मा सझभन उसके अछतरयक्त ककसी अन्म से प्माय कयती थी? क्मा वास्तव भें उसके भन-भॊददय भें कोई अन्म भूयत है ?
क्मा सझभन ककसी अन्म को ऩूजती है ? ककॊतझ कैसे? अगय वास्तव भें वह ककसी अन्म को अऩना दे वता भानती थी तो उससे
शादी की कसभें क्मों खाईं? उससे प्रेभ का नाटक क्मों? उससे लभथ्मा वादे क्मों? क्मों मह सफ क्मों? क्मों उसके ददर से
खेरा गमा? क्मों उसकी बावनाओॊ को झॊझोडा गमा? क्मों उसे इतनी मातनाएॊ दी गईं?
उसके बीतय-ही-बीतय भानो आत्भाएॊ चीख यही थीॊ...उसके प्माय ऩय भानो अट्टहास रगा यही थीॊ। एक शोय-सा था उसके
बीतय-ही-बीतय...उसने अऩनी आत्भा की आवाज सझनने का प्रमास ककमा...। आत्भा चीख यही थी–

‘क्मों हो ना तभ
झ फझजददर–तम्
झ हें तो फडा ववश्वास था अऩने प्माय ऩय। फडे गझण गाते थे सझभन के। कहाॊ है तम्
झ हाया वह अटूट
ववश्वास? कहाॊ गई तम्
झ हायी दे वी सभ
झ न? सभ
झ न ने तम्
झ हाये साथ इतनी फेवपाई की। ककसी अन्म भयू त को अऩने भॊददय भें
सॊजोए वह तम्
झ हें फेवकूप फनाती यही।’

‘नहीॊ...मह गरत है ।’ वह ववयोध भें चीखा।


‘हा...हा...हा!’ आत्भा ने एक अट्टहास रगामा–‘मह गरत नहीॊ है ...फजकक उसने तम्
झ हें फेवकूप फना ददमा–उसने तम्
झ हें
इतना फेवकूप फना ददमा कक तभ
झ उसकी फेवपाई के फाद बी उसके लरए फदनाभ हो गए। उसके ऩेट भें ऩरते ऩाऩ को तभ
झ ने
अऩना कह ददमा–जफकक वह तम्
झ हाया नहीॊ है ।’

‘नहीॊ वह तो भेया प्माय है?’’


‘‘प्माय!’ आत्भा ने कझदटर स्वय भें कहा–‘अऩनी फझजददरी को तभ
झ प्माय कहते हो? तभ
झ सझभन के द्वाया इतने फेवकूप फनाए
गए कक तभ
झ अऩनी फेवकूपी को प्माय की आड दे कय फझजददरी को िझऩाना चाहते हो। अगय तभ
झ इसे प्माय सभझते हो तो
क्मों फैठे हो महाॊ? उठो औय सझभन से ऩूिो कक ककसका है वह ऩाऩ? अगय तभ
झ से प्माय कयती होगी तो क्मा वह तम्
झ हें नहीॊ
फताएगी?’

‘इस सभम वह स्वमॊ ही फहझत ऩये शान है ।’


‘ऩागर हो गए हो तभ
झ ...अऩनी फझजददरी को इस लभथ्मा औय खोखरे प्माय की आड भें िझऩाना चाहते हो। तभ
झ से अफ बी
सझभन के साभने जाने की शजक्त नहीॊ। तभ
झ फझजददर हो–एक भदय होकय नायी के ऩास जाने से डयते हो–क्मा मही है तम्
झ हायी
भदायनगी?...क्मा नहीॊ मह जानना चाहोगे कक वह ऩाऩ ककसका है ?’

‘नहीॊ...!’ उसने कपय चीखकय आत्भा की आवाज का ववयोध ककमा–‘भैं सझभन से प्माय कयता हूॊ–सत्म प्रेभ...लसपय आजत्भक
प्रेभ...उसके शयीय से भझझे कोई सयोकाय नहीॊ–वह ऩाऩ ककसी का बी हो, भझझे इससे क्मा भतरफ? भैं लसपय मे चाहता हूॊ कक
वह खश झ यहे –भैं क्मोंकक उससे प्माय कयता हूॊ, इस गददय श के सभम भें भैं उसे लसपय शयण दे यहा हूॊ–महाॊ वह दे वी फनकय
यहे गी। जजसकी है लसपय उसकी ही यहे गी।’
‘वाह खफ
ू –फहझत खफ
ू –!’ उसकी आत्भा ने व्मॊग्म ककमा–‘खोखरी बावनाओॊ को प्माय का नाभ दे ते हो–सझभन!’ वह सझभन
जो तम्
झ हें फेवकूप फनाती यही, तभ
झ उससे प्माय कयते हो।’

‘हाॊ...हाॊ...भैं उसी सझभन से प्माय कयता हूॊ।’


आवेश भें वह चीखा।
‘चरो भान लरमा कक तभ
झ उसे प्माय कयते हो।’

उसकी आजत्भक आवाज कपय चीखी–‘जफ तभ


झ उससे प्माय कयते हो औय तभ
झ भें उसके प्रछत त्माग की बावना है –अथवा तभ

उसे खश
झ दे खना चाहते हो तो उठो–खडे हो जाओ औय उससे ऩूिो कक वह फच्चा ककसका है ?– उसे वास्तववक खश
झ ी तम्
झ हाये
भें नहीॊ लभरेगी फजकक उसी के साथ लभरेगी जजससे उसने प्माय ककमा है ! अगय वास्तव भें तभ
झ उसको खश
झ दे खना चाहते हो
तो उससे ऩि
ू कय कक वह ककसका फच्चा है ...उसे उसके प्रेभी के ऩास ऩहझॊचा दो–उन दोनों को लभरा दो–फोरो कय सकते हो
मह सफ? है तभ
झ भें इतना साहस?’

‘हाॊ, भैं उन्हें लभराऊॊगा।’


‘तो प्रतीऺा ककस फात की कय यहे हो? उठो औय ऩूिो सझभन से कक वह ककसे चाहती है? ऩूिो, अथवा तम्
झ हाये भन भें कोई
खोट है !’

‘नहीॊ–नहीॊ–भेये भन भें कोई खोट नहीॊ।’


‘तो कपय उठते क्मों नहीॊ? चरो औय ऩूिो उससे।’

वह आजत्भक चीखों से ऩयास्त हो गमा। वह उठा औय अऩने कभये की ओय सझभन के ऩास चर ददमा, उसने छनश ्चम ककमा
था कक सझभन से ऩूिकय वह उन्हें लभरा दे गा–उसका क्मा है ? वह तो एक फदनसीफ है । एक टूटा हझआ ताया है । फदनसीफी
को ही वह गरे रगा रेगा।

वह कभये भें प्रववटट हो गमा–सभ


झ न ऩरॊग ऩय फैठी घट
झ नों भें भख
झ डा िझऩाए लससक यही थी। वातावयण बी भानो सभ
झ न के
साथ ही लससक यहा था। धीये -धीये चरता हझआ गगयीश उसके ऩरॊग के कयीफ आमा औय उसने धीभे से कहा–‘‘सझभन–!’’

ककॊतझ सझभन ने उत्तय भें न लसय उठामा औय न ही कझि फोरी। अरफत्ता उसकी लससककमाॊ तीव्र अवश्म हो गईं। एक ओय
जहाॊ गगयीश के ददर भें सझभन की फेवपाई के कायण एक टीस थी वहाॊ दस
ू यी ओय उसकी जस्थछत ऩय उसे ऺोब बी था। वह
उसके छनकट ऩरॊग ऩय फैठ गमा औय फोरा–‘‘सभ
झ न! तभ
झ ने जो भझ
झ े िरा है तभ
झ ने जो फेवपाई का खजाना भझ
झ े अवऩयत
झ हाया गगयीश सहषय स्वीकाय कयता है ककॊतझ गभ इस फात का है कक तभ
ककमा है उसे तो तम् झ भझझसे प्रेभ का नाटक क्मों कयती
यहीॊ? क्मों नहीॊ भझझसे साप कह ददमा कक तभ
झ ककसी अन्म को प्माय कयती हो–सच भानो सझभन, अगय तभ
झ भझझे
वास्तववकता फता दे तीॊ तो भैं तम्
झ हाये भागय से न लसपय हट जाता फजकक अऩनी मोग्मता के अनझसाय तम्
झ हायी सहामता बी
कयता।’’
न जाने क्मों सझभन की लससककमाॊ उसके इन शब्दों से औय बी तीव्र हो गईं। ककॊतझ वह रुका नहीॊ, फोरता ही चरा गमा–
‘‘सझभन–मे तो अच्िा हझआ कक भैंने तम्
झ हें –लसपय प्माय ककमा–तम्
झ हाये जजस्भ को नहीॊ–वनाय न जाने क्मा अनथय हो जाता।’’
सझभन उसी प्रकाय लससकती यही।

‘‘सझभन अफ तभ झ फता दो कक तभ झ ककससे प्माय कयती हो, मे लशशझ ककसका है –सच सझभन–भैं सच कहता हूॊ–स्वमॊ को दपन
कय रॊगू ा–स्वमॊ तडऩ रॊग
ू ा–साये गभों को अऩने सीने से रगा रॉ ग
ू ा–भैं तो ऩहरे ही जानता था कक भैं इतना फदनसीफ हूॊ कक
झ ी भेये बाग्म भें नहीॊ, ककॊतझ तभ
कोई खश झ से प्माय ककमा है । सच सझभन, तम्
झ हें तम्
झ हायी खश
झ ी ददराकय भैं बी थोडा खश
झ हो
रूॊगा–फोरो–फोरो कौन है वो?’’

सझभन तडऩ उठी–उसकी लससकारयमाॊ अछत तीव्र हो गईं–गगयीश ने भहसूस ककमा कक वह ऩश्चाताऩ की अजग्न भें जर यही
है । कोई गभ उसे कचोट-कचोटकय खा यहा था। ककॊतझ सझभन फोरी कझि नहीॊ–लसपय तडऩती यही। लससकती यही।

ू ा ककॊतझ लसपय लससककमों के उत्तय कोई न लभरा, उसने प्रत्मेक ढॊ ग से ऩि


गगयीश ने कपय ऩि ू ा ककॊतझ प्रत्मेक फाय सभ
झ न की
लससककमों भें ववृ ि हो गई, उत्तय कझि न लभरा।

गगयीश ने मह बी ऩूिा कक क्मा वह अफ इसी घय भें यहना चाहती है रेककन उत्तय भें कपय लससककमाॊ थीॊ। लससककमाॊ–
लससककमाॊ औय लसपय लससककमाॊ।

सभ
झ न ने ककसी फात का कोई उत्तय नहीॊ ददमा–अॊत भें गगयीश छनयाश–ऩये शान...फेचन
ै ी की जस्थछत भें कभये से फाहय छनकर
गमा।
झ ों का बी एक दामया होता है । फेवपाई की बी एक थाह होती है । ककॊतझ नहीॊ...गगयीश के
गभों की बी एक सीभा होती है ...दख
गभों की कोई सीभा न थी। उसके दख
झ ों का कोई दामया न था। प्रत्मेक गभ को गगयीश गरे रगाता यहा था–उसका प्माय
उसके साभने रझट गमा–साया शहय उस ऩय उॊ गलरमाॊ उठा यहा था। ककॊतझ वह सफको सह गमा...प्रत्मेक दख
झ को उसने सीने
से रगा लरमा।

वह फदनसीफ है...मह तो वह जानता था ककॊतझ इतना ‘फदनसीफ’ है , मह वह नहीॊ जानता था। सभस्त दख
झ बरा उसी के
नसीफ भें थे...प्रत्मेक गभ को वह सहन कयता यहा था ककॊत–

ककॊतझ अफ जो गभ लभरा था।


उप...! वह तडऩ उठा...भचर उठा...उसका रृदम घणृ ा से बय गमा...एक ऐसी ऩीडा से गचहझॊक उठा जजसने उसको जराकय
यख ददमा। नपयत कयने रगा वह नायी से...सभस्त नायी जाछत से।

वह सफ गभों को तो सहन कय गमा ककॊतझ अफ जो गभ उसे लभरा...वह गभों की सीभा से फाहय था। उस गभ को वह
हॊ सता-हॊ सता सहन कय गमा...एक ऐसी मातना दी थी सझभन ने उसे कक सभस्त नायी जाछत से घण
ृ ा हो गई। सझभन का
वास्तववक रूऩ उसके साभने आ गमा।

ककॊतझ ककतना छघनौना था वह रूऩ? ककतना घखृ णत? इस फाय सभ


झ न उसके साभने आ जाए तो वह स्वमॊ गरा दफाकय उसकी
हत्मा कय दे –उस चड
झ र
ै का खन
ू ऩी जाए।

उसके भाॊस को चीर-कौओॊ को खखरा दे ...नग्न कयके उसे चौयाहे ऩय रटका दे ।


सझभन का वास्तववक रूऩ दे खकय उसका भन घण
ृ ा से बय गमा। अऩने प्माय को उसने गधक्काया...प्माय औय प्रेभ जैसे नाभों
से उसे सख्त घण
ृ ा हो गई।

भोहब्फत शब्द उसे न लसपय खोखरा रगने रगा फजकक वह उसे छघनौना रगने रगा कक प्माय शब्द कहने वारे का गरा
घोंट दे ।

लसपय सभ
झ न से ही नहीॊ फजकक वह सभस्त नायी जाछत से नपयत कयने रगा।
वास्तव भें गगयीश जैसा ‘फदनसीफ’ शामद ही कोई अन्म हो। शामद ही कोई ऐसा हो जजसे इतना गभ लभरा हो।

उस ददन...जजस ददन गगयीश सभ


झ न को रामा था, वह उसी के कभये भें फैठी लससकती यही। उसी यात गगयीश एक अन्म
कभये भें ऩडा न जाने क्मा-क्मा सोचता यहा था।

सफ
झ ह को–
तफ जफकक वह एक फाय कपय सभ
झ न वारे कभये भें ऩहझॊचा–

फस...महीॊ से वह गभ औय घण
ृ ा की कहानी प्रायम्ब होती है ...जजसने उसके रृदम भें नायी के प्रछत घण
ृ ा बय दी। जजस गभ
ने उसका सफ कझि िीन लरमा।

हाॊ महीॊ से तो प्रायम्ब होती है वह फेवपाई की दास्तान!


जैसे ही गगयीश कभये भें प्रववटट हझआ, वह फयझ ी तयह चौंक ऩडा।

उसके भाथे ऩय फर ऩड गए। सॊदेह से उसकी आॊखें लसकझड गईं। एक ऺण भें उसका रृदम धक से यह गमा।

अवाक-सा वह उस ऩरॊग को छनहायता यह गमा। जजस ऩय सझभन को होना चादहए था ककॊतझ वह चौंका इसलरए था कक अफ
वह ऩरॊग रयक्त हो चक
झ ा था।

सभ
झ न कहाॊ चरी गई?

उसके जेहन भें एक प्रश्नवाचक गचन्ह फना–


तबी उसकी छनगाह कभये के ऩीिे ऩतरी-सी गरी भें खर
झ ने वारी खखडकी ऩय ऩडी, वह खर झ ी हझई थी।
शामद सझभन इसी खखडकी के भाध्मभ से कहीॊ चरी गई थी। खर झ ी हझई खखडकी को वह छनहायता ही यह गमा।

‘सझभन...!’ वह फडफडामा–‘सझभन तभ
झ कहाॊ चरी गईं, तम्
झ हें क्मा दख
झ थाॊ? क्मा तम्
झ हें भेयी इतनी खश
झ ी बी भॊजूय न थी?’

तबी उसकी नजय ऩरॊग ऩय ऩडे रम्फे-चौडे कागज ऩय ऩडी।


एक फाय कपय चौंका वह।

कागज ऩय कझि लरखा हझआ था। वह दयू से ही ऩहचान गमा, लरखाई सझभन के अछतरयक्त ककसी की न थी।

उसने रऩककय कागज उठा लरमा औय ऩढ। ऩढते-ऩढते उसका रृदम घण


ृ ा से बय गमा। उसकी आॊखों भें जहाॊ आॊसझओॊ की
फाढ आई वहाॊ खन
ू की नदी भानो ठहाके रगा यही थी।
उप...! ककतने दख
झ ददए उसके ऩत्र ने गगयीश को...। उस ऩत्र को न जाने ककतनी फाय ऩढ चक
झ ा वह। प्रत्मेक फाय वह
तडऩकय यह जाता। उसके रृदम ऩय साॊऩ रोट जाता। गभ-ही-गभ...। आॊसझओॊ से बयी आॊखों से उसने एक फाय कपय ऩढा।

लरखा था–
‘प्माये गगयीश,

जानती हूॊ गगयीश कक ऩत्र ऩढकय तभ झ तडऩोगे। ककॊतझ भैं वास्तववकता लरखने भें अफ
झ ऩय क्मा फीतेगी। जानती हूॊ कक तभ
कोई कसय नहीॊ िोडना चाहती। गगयीश! इस ऩत्र भें भैं एक ऐसा कटझ सत्म लरख यही हूॊ जजसे मे साया सॊसाय जानते हझए बी
अनजान फनने की चेटटा कयता है । रोग उस कटझ सत्म को कहने का साहस नहीॊ कय ऩाते, ककॊतझ नहीॊ...आज भैं नहीॊ
थभूॊगी...भैं उस कटझ सत्म से ऩदाय हटाकय ही यहूॊगी। तभ
झ जैसे बावनाओॊ भें फहकय प्रेभ कयने वारे नौजवानों को भैं
वास्तववकता फताकय ही यहूॊगी। वैसे भैं मे बी जानती हूॊ कक फहझत से नौजवान भेयी फात स्वीकाय बी न कयें । ककॊतझ उनसे
कहूॊगी कक एक फाय ददर ऩय हाथ यखकय भेयी फात को सत्मता की कसौटी ऩय यखें। जो ददर कहे उसे स्वीकाय कयें औय
आगे से कबी बावनाओॊ भें फहकय प्माय न कयें ।

वास्तववकता मे है गगयीश कक तभ
झ ऩागर हो। उसे प्माय नहीॊ कहते जो तभ
झ ने ककमा...भैं तभ
झ से लभरती थी...तभ
झ से प्माय
कयती थी...तभ
झ ऩय अऩनी जान न्मौिावय कय सकती थी...तभ
झ से शादी कयना चाहती थी...हाॊ...तभ
झ मही सफ सोचते थे,
झ हायी...ककॊतझ नहीॊ गगयीश...नहीॊ। ऐसा कझि बी न था। भैंने तभ
मही सफ बावनाएॊ थीॊ तम् झ से प्माय कबी नहीॊ ककमा...भेयी
सभझ भें नहीॊ आता है कक तभ
झ जैसे नौजवान आखखय प्माय को सभझते क्मा हैं। न जाने तम्
झ हायी नजयों भें क्मा था? तभ

प्माय कयना जानते ही नहीॊ थे। तभ
झ आवश्मकता से कझि अगधक ही बावझक औय बोरे थे। आज के जभाने भें तभ
झ जैसा
बावझक औय बोरा होना ठीक नहीॊ। तभ
झ प्माय का अथय ही नहीॊ सभझते। तभ
झ सझभन को ही न सभझ सके गगयीश। तभ
झ सझभन
की आॊखों भें झाॊकने के फाद बी न जान सके कक सझभन के भन भें क्मा है ? तभ
झ सझभन की भझस्कान भें छनदहत अलबराषा बी
न ऩहचान सके। क्मा खाक प्रेभ कयते थे तभ
झ ? नहीॊ जान सके कक प्रेभ क्मा होता है ! तभ
झ बावक
झ हो...तभ
झ बोरे हो। तभ

जैसे मझवकों के लरए प्रेभ जैसा शब्द नहीॊ।

झ चाहे भझझे कझि बी सभझो ककॊतझ आज भैं वास्तववकता लरखने जा यही हूॊ...कटझ
मे सभाज चाहे भझझे कझि बी कहे...तभ
वास्तववकता।

आज का प्माय क्मा है? तभ


झ जैसा बोरा औय बावझक सोचेगा कक शामद चम्
झ फनों तक सीलभत यहने वारा प्माय प्माय
कहराता है ...ककॊतझ नहीॊ...भैं इसको गरत नहीॊ कहती...औय न ही इस ववषम ऩय कोई तकय-ववतकय कयना ऩसॊद कयती हूॊ
रेककन भैं उस प्माय के ववषम भें लरख यही हूॊ जो आज का अगधकाॊश नौजवान वगय कयता है । तम्
झ हें मे बी फता दॊ ू कक भैं वही
प्माय कयती थी। शामद तभ ृ ा बी कयने रगो...ककॊतझ सच भानना मे शब्द भैं अऩनी आत्भा से लरख यही
झ चौंको...भझझसे घण
हूॊ मे कहानी भेयी नहीॊ फजकक अगधकाॊश प्रेलभमों की है । उनकी कहानी जो इस सत्मता को व्मक्त कयने का साहस नहीॊ
यखते। ककॊतझ तभझ जैसा बोरा प्रेभी आगे कबी भझझ जैसी प्रेलभका के जार भें न पॊसे, इसलरए इस ऩत्र भें सफ कझि लरख यही
हूॊ।

फात मे है गगयीश कक प्माय क्मा होता है –इसके ववषम भें तम्


झ हायी धायणा है कक वह चम्
झ फनों तक सीलभत यहे , तभ
झ प्माय को
लसपय रृदम की एक भीठी अनझबछत सभझते हो। लसपय आजत्भक प्रेभ सभझते हो, ककॊतझ नहीॊ गगयीश नहीॊ...सभाज भें ऐसा
प्रेभ दर
झ ब
य है । प्रेभ शब्द का सहाया रेकय अगधकाॊश मझवक-मझवछतमाॊ अऩने उस जवानी के जोश को, जजसे वे सम्हार नहीॊ
ऩाते, एक दस
ू ये के सहाये दयू कयते हैं।...प्रेभ जवानी का वह जोश है जो एक ववशेष आमझ ऩय जन्भता है । प्रेभ की आड भें
होकय प्रेभी अऩनी काभ-वासनाओॊ की सन्तजझ टट कयते हैं। तभ
झ कहोगे मे गरत है ...रेककन नहीॊ मह गरत नहीॊ एकदभ सही
है ...अगय गरत है तो क्मा तभ
झ फता सकते हो कक रोग जवानी भें ही क्मों प्रेभ कयते हैं।...क्मों नहीॊ फच्चे मे प्रेभ कयते...?
क्मों आऩस भें अधेड जोडा प्माय के यास्ते ऩय ऩीॊगें नहीॊ फढाता...?...क्मों आदभी आदभी से औय नायी नायी से वह प्रेभ
नहीॊ कयती? नहीॊ दे सकते गगयीश तभ
झ इन प्रश्नों का उत्तय, नहीॊ दे सकते।...भैं फताती हूॊ...फारक फारक से इसलरए प्रेभ
नहीॊ कयता कक उसके भन भें ऩाऩ जैसी कोई वस्तझ नहीॊ...उसभें जवानी का जोश नहीॊ...उसभें काभ-वासनाओॊ की इच्िा मा
अलबराषा नहीॊ। फूढे प्माय नहीॊ कयते क्मोंकक उनभें बी जवानी का जोश नहीॊ। मझवक मझवक से नायी नायी से प्माय नहीॊ कयती
क्मोंकक इससे उनके अॊदय उबयने वारे जज्फातों की ऩूछतय नहीॊ होती–नायी को तो एक ऩझरुष चादहए औय आदभी को चादहए
एक नायी वक्त से ऩूवय वे अऩनी जवानी के ज्वाय-बाटे को सभाप्त कय सकें।

सोच यहे हो ककतनी गॊदी हूॊ भैं।–ककतनी फेशभय हूॊ–ककतनी फेहमा–ककॊतझ सोचो गगयीश, ठॊ डे ददभाग से सोचो कक अगय प्रेभ के
ऩीिे सेक्स की बावना न होती तो मझवक औय मझवती–प्रेभी औय प्रेलभका के ही रूऩ भें क्मों प्माय कयते–क्मा एक मझवती के
लरए बाई का प्माय सफ कझि नहीॊ–क्मा एक मझवक के लरए फहन का प्माय सफ कझि नहीॊ। ककॊतझ नहीॊ–मह प्माय ऩमायप्त
झ हाया भन स्वीकाय कय यहा है ककॊतझ फाहय से भझझे ककतनी
नहीॊ। इसलरए नहीॊ कक इस प्माय के ऩीिे सेक्स नहीॊ है । शामद तम्
नीच सभझ यहे होगे।

खैय, अफ तभ
झ चाहे जो सभझो रेककन भैं अऩनी सेक्स बावना को...अऩने जीवन के कटझ अनब
झ व को इस ऩत्र के भाध्मभ से
तभ
झ तक ऩहझॊचा यही हूॊ। वास्तव भें गगयीश तभ
झ भेयी आॊखों द्वाया ददए गए भौन छनभॊत्रण को न सभझ सके। तभ झ भेयी
इच्िाओॊ को न सभझ सके। भझझे एक प्रेभी की आवश्मकता तो थी, ककॊतझ तभ झ जैसे सच्चे–बावझक औय बोरे प्रेभी की नहीॊ
फजकक ऐसे प्रेभी की जो भझझे फाॊहों भें कस सके। जो भेये अधयों का यसऩान कय सके, जो भेयी इस जवानी का बयऩूय आनन्द
उठा सके।
तम्
झ हाये ववचायों के अनझसाय भैं ककतनी घदटमा औय छनम्नकोदट की फातें लरख यही हूॊ–रेककन भेये बोरे साजन! गहनता से
दे खो इन सफ बावनाओॊ को।

झ जो बी सभझो, ककॊतझ भैं अऩनी फात ऩूयी अवश्म करूॊगी।


खैय, अफ तभ

हाॊ, तो जैसा कक भैं लरख चक


झ ी हूॊ कक भझझे ऐसे प्रेभी की आवश्मकता थी जो भझझे वह सफ दे सके जो कझि भेयी जवानी
भाॊगती थी। अऩनी इन्हीॊ इच्िाओॊ की ऩूछतय हे तझ भैंने सफसे ऩहरे तम्
झ हें अऩने प्रेभी के रूऩ भें चन
झ ा–तभ
झ से प्रेभ ककमा–अऩनी
आॊखों के भाध्मभ से तम्
झ हें छनभॊत्रण ददमा कक तभ
झ भझझे अऩनी फाहों भें कस रो–अऩनी भझस्कान से तम्
झ हें अऩने ददर के
सेक्सी बाव सभझाने चाहे , ककॊतझ नहीॊ–तभ
झ नहीॊ सभझे–तभ
झ बोरे थे ना–तम्
झ हें मे बी फता दॊ ू कक इस सॊफॊध भें नायी की चाहे
कझि बी अलबराषा यही हो–वह भॊह
झ से कबी कझि नहीॊ कहा कयती–उसकी आॊखें कहती हैं–उसके सॊकेत कहते हैं। जो इन
सॊकेतों को सभझ सके वह उसके काभ का है औय न सभझे तो नायी उसे फझिू सभझकय त्माग ददमा कयती है –क्मोंकक वह
तम्
झ हायी बाॊछत आवश्मकता से कझि अगधक बोरा होता है ।

अफ दे खो भेये ऩास सभम अगधक नहीॊ यहा है । अत् सॊऺेऩ भें सफ कझि लरख यही हूॊ–हाॊ तो भैं कह यही थी कक तभ
झ भेये
सॊकेतों को न सभझ सके–अत् भैंने दस
ू या प्रेभी तराश ककमा, उसने भेयी वासना शाॊत की–प्रेलभमों की कभी नहीॊ है गगयीश–
कभी है तो लसपय तभ
झ जैसे बोरे प्रेलभमों की।
झ हाये यहते हझए ही एक प्रेभी फनामा औय उसने भेयी सभस्त अलबराषाएॊ ऩूणय की–ककॊतझ गगयीश, महाॊ भैं एक फात
भैंने तम्
अवश्म लरखना चाहूॊगी कक न जाने क्मों भेया भन तम्
झ हाये ही ऩास यहता था–भझझे तम्
झ हायी ही माद आमा कयती थी।
उसकी...उस नए जवाॊ भदय की माद तो लसपय तफ आती जफ भेयी जवानी भझझे ऩये शान कयती।

अफ तो सभझ गए ना भेये ऩेट भें मे ककसका ऩाऩ ऩर यहा है? मे भेये उसी प्रेभी का है । अफ भैं साप लरख दॊ ू कक सचभझच न
तभ
झ भेये कात्रफर थे, औय न हो सकोगे। अत् भैंने तभ
झ से प्माय नहीॊ ककमा। जो कझि बी तम्
झ हाये साथ ककमा गमा वह लसपय
तम्
झ हाया बोराऩन दे खकय तम्
झ हाये प्रछत सहानझबूछत थी। भझझे जैसे प्माय की खोज थी...भझझे भेये इस प्माये प्रेभी ने ददमा औय
जीवन बय दे ता यहे गा। अत् अफ इसी के साथ महाॊ से फहझत दयू जा यही हूॊ। भझझे तभ
झ जैसा सच्चा नहीॊ ‘उस’ जैसा झूठा
चादहए जो भेयी इच्िाओॊ को ऩयू ी कय सके। तभ
झ बोरे हो–सदा बोरे ही यहोगे–ककसी बी नायी की तम्
झ हें सहानब
झ छू त तो प्राप्त
हो सकती है ककॊतझ प्रेभ नहीॊ।

तभ
झ से भैंने कबी प्रेभ नहीॊ ककमा–तभ
झ से वे वादे लसपय तम्
झ हाये भन की शाजन्त के लरए थे। वे कसभें भेये लरए भनोयॊ जन का
भात्र एक साधन थीॊ। अफ न जाने तभ
झ भझ
झ े कझरटा–फेवपा–चड
झ र
ै –डामन–हवस की ऩज
झ ारयन–जैसे न जाने ककतने खखताफ दे
डारोगे ककॊतझ अफ जैसा बी तभ
झ सभझो–भैंने इस ऩत्र भें वह कटझ सत्म लरख ददमा है जजसे लरखने भें प्रत्मेक स्त्री ही नहीॊ
ऩझरुष बी घफयाते हैं। भैं फेवपा तो तफ होती जफ भैं तभ
झ से प्माय कयती होती। भैंने तो तभ
झ से कबी वह प्माय ही न ऩामा जो
भैंने चाहा था अत् फेवपाई की कोई सूयत ही नहीॊ। अफ बी अगय भेया गभ कयो तो तभ
झ से फडा भूखय इस सॊसाय भें तो होगा
नहीॊ।
एक फाय कपय ऩत्र ऩढते-ऩढते वह तडऩ उठा–उसके ददर भें ददय ही ददय फढ गमा। उसके सीने ऩय साॊऩ रोट गमा। फयफस ही
उसका हाथ सीने ऩय चरा गमा औय सीने को भसरने रगा भानो वह उस ऩीडा को ऩी जाना चाहता है ककॊतझ असपर यहा।

आॊसू उसकी दास्तान सझना यहे थे। इस ऩत्र को ऩढकय उसके रृदम भें घण
ृ ा उत्ऩन्न हो गई। उसने तो कबी ककऩना बी न
की थी कक सझभन जैसी दे वी इतनी नीच–इतनी छघनौनी हो सकती है । वह जान गमा कक सझभन हवस की बूखी थी प्रेभ की
नहीॊ।

उसे भानो स्वमॊ से बी नपयत होती जा यही थी। नायी का मे रूऩ उसके लरए नमा औय छघनौना था। वह नहीॊ जानता था कक
बायतीम नायी इतनी गगय सकती है –वह प्रत्मेक नायी से नपयत कयने रगा, प्रत्मेक नायी भें उसे वऩशागचनी के रूऩ भें सझभन
नजय आने रगी–अफ उसके ददर भें नायी के प्रछत नपयत–थी। नपयत–नपयत–औय लसपय नपयत।

नायी के वामदे से वह गचढता था–नायी की कसभों से उसके तन-फदन भें आग रग जाती थी। उसे प्रत्मेक नायी का वादा
सझभन का वादा रगता। क्मों न कये वह नपयत? उसकी तो सभस्त बावनाएॊ इस नायी ने िीन री थीॊ। नायी ही तो उसके
जीवन से खेरी थी।

उसके फाद–
क्मा-क्मा नहीॊ सहा उसने–सभाज के कहकहे–ठोकयें –जरी-कटी फातें –सबी कझि सहा उसने। लसपय एक नायी के लरए गझॊडा–
फदभाश–आवाया–फदचरन शामद ही कोई ऐसा खखताफ यहा हो जो सभाज ने उसे न दे डारा हो। जजधय जाता, आवाजें कसी
जातीॊ–जहाॊ जाता उसे तडऩाता जाता–रेककन मह सफ कझि सहता यहा–आॊसू फहाता यहा–फहाता बी क्मों नहीॊ–उसने प्रेभ
कयने का ऩाऩ जो ककमा था। ककसी को दे वी जानकय अऩने भन-भॊददय भें फसाने की बर
ू जो की थी।

सझभन का वह जरारत बया ऩत्र उसने लशव के अछतरयक्त ककसी को न ददखामा। लशव को ही वास्तववकता ऩता थी वनाय तो
साया सभाज उसके ववषम भें जाने क्मा-क्मा धायणाएॊ फनाता यहा था। सफ कझि सहता यहा गगयीश–प्रत्मेक गभ को सीने से
रगाता यहा–तडऩता यहा–

औय आज–
आज जफकक इन घटनाओॊ को रगबग एक वषय गज
झ य चक
झ ा है –सभ
झ न के ददए घाव उसी तयह हये बये हैं। वह कझि नहीॊ बर
ू ा
है –छनयॊ तय तडऩता यहा है–आज बी सझभन का वह ऩत्र उसके ऩास सझयक्षऺत है । आज बी वह उसे ऩढने फैठता है तो न जाने
क्मा फात थी कक अफ उसे कझि याहत बी लभरती है । आज बी सझभन...उसकी फातें–रृदम भें वास कयती हैं–चाहें वह फेवपाई
की ऩझतरी के रूऩ भें यही हो।

उसके फाद...सझभन को कपय कबी कहीॊ ककसी ने नहीॊ दे खा–गगयीश ने मह जानने की कबी चेटटा बी नहीॊ की। वह जानता
था कक अगय अफ कबी सभ
झ न उसके साभने आ गई तो िोध भें वह ऩागर हो जाएगा। वह सोचा कयता–क्मा नायी इतनी
गगय सकती है ? सझभन, वही सझभन जो उसके गरे भें फाॊहे डारकय अऩने प्रेभ को छनबाने की कसभें खाती थी। वही सझभन जो
हभेशा कहा कयती थी कक उसके लरए वह साये सभाज से टकया जाएगी। क्मा...क्मा वो सफ गरत था? क्मा मे ऩत्र उसी
सझभन ने लरखा है ? उप् –सोचते-सोचते गगयीश कयाह उठता–योने रगता। उसके ददर को एक चोट रगी थी–फेहद कयायी
चोट।

गगयीश एक ऩरु
झ ष–ऩरु
झ ष अहॊ कायी होता है –अऩने अहॊ काय ऩय चोट फदायश्त नहीॊ कयता। ऩरु
झ ष सफ कझि फदायश्त कय सकता है
रेककन अऩने ऩझरुषाथय ऩय चोट सहन नहीॊ कय सकता। उसने सझभन को क्मा नहीॊ ददमा? अऩना सफ कझि उसने सझभन को
ददमा था। अऩनी आत्भा, ददर, ऩववत्र ववचाय–सझभन को उसने अऩने भन-भॊददय की दे वी फना लरमा था। उसने वह कबी
नहीॊ ककमा जो सझभन चाहती थी–केवर इसलरए कक कहीॊ उसका प्माय करॊककत न हो जाए। उसने अऩने प्रणम को गॊगाजर
की बाॊछत ऩववत्र फनाए यखा–वनाय–वनाय वो आखखय क्मा नहीॊ कय सकता था? सझभन की ऐसी कौन-सी अलबराषा थी जजसे
वह ऩण
ू य नहीॊ कय सकता था? मे सच है कक उसने सभ
झ न की आॊखों भें झाॊका था।

ककॊतझ उसने सझभन की आॊखों भें तैयते वासना के डोये कबी नहीॊ दे खे। कपय–कपय–मह सफ क्मा था?

फस–मही सोचते-सोचते उसका ददर कसभसा उठता।


उस ददन से आज तक वह जरता यहा था–तडऩता यहा था। उसके भाता-वऩता ने, फहन नें दोस्तों ने–सबी ने शादी के लरए
कहा था भगय शादी के नाभ ऩय ही वह बडक उठता। शादी ककससे कयता–

नायी से?
उस नायी से जो फेवपाई के अछतरयक्त कझि नहीॊ जानती।

उसकी आॉखों के साभने तैयते हझए अतीत के दृश्म सभाप्त होते चरे गए, भगय भजस्तटक भें अफ बी ववचायों का फवॊडय था।
उसने अऩने भजस्तटक को झटका ददमा औय वाऩस वहाॊ रौट आमा जहाॊ वह फैठा था।
अॊधकाय के सीने को चीयती हझई, ऩटरयमों के करेजे को यौंदती हझई ट्रे न बागी जा यही थी।

ट्रे न भें प्रकाश था...लसगये ट गगयीश की उॊ गलरमों के फीच पॊसी हझई थी, जजसका धआ झ ॊ उसकी आॊखों के आगे भॊडया यहा था
औय धए झ ॊ के फीच भॊडया यहे थे उसके अतीत के वे दृश्म...एक वषय ऩूवय की वे घटनाएॊ...वह तडऩ उठा माद कयके...एक फाय
कपय उसकी आॊखों भें आॊसू तैय आए। अतीत की वे ऩयिाइमाॊ उसका ऩीिा नहीॊ िोडतीॊ।

सभ
झ न हॊ सती औय हॊ साती उसके जीवन भें प्रववटट हझई औय जफ गई तो स्वमॊ की आॊखों भें तो आॊसू थे ही, साथ ही उसे बी
जीवन-बय के लरए आॊसू अवऩयत कय गई।

उसके फाद न तो उसने सझभन को ढूॊढने की कोलशश ही की औय न ही सझभन लभरी। अफ तो वह लसपय तडऩता था।

लसगये ट का धआ
झ ॊ छनयन्तय उसके चेहये के आगे भॊडया यहा था।

गगयीश का सभस्त अतीत उसकी आॊखों के सभऺ घभ


ू गमा था।...उसने लसय को झटका ददमा...सभस्त ववचायों को त्माग
उतने कम्ऩाटय भेंट का छनयीऺण ककमा–अगधकाॊश मात्री सो चक
झ े थे। ट्रे न छनयन्तय तीव्र गछत के साथ फढ यही थी।...उसे ध्मान
आमा।

वह तो अऩने दोस्त शेखय के ऩास जा यहा है...उसकी शादी भें...शेखय का ताय आमा था। उसने सोचा कक अफ वह अऩने
दोस्त शेखय की एक खश
झ ी भें सजम्भलरत होने जा यहा है । उसे वहाॊ उदास औय नीयस नहीॊ यहता है ।

ककॊतझ अतीत की मादें तो भानो स्वमॊ उसकी ऩयिाई थीॊ...।


सात अप्रैर का प्रबात होते-होते गगयीश अऩने दोस्त शेखय के ऩते ऩय ऩहझॊच गमा। वहाॊ जाकय उसने दे खा कक शेखय अच्िी-
खासी एक कोठी भें यहता है । अथायत आगथयक दृजटट से वह प्रगछत कय चक झ ा था।

उस सभम वह कोठी के फाहय खडे दयफान से शेखय के ववषम भें फात कय यहा था कक उसकी छनगाह रॉन भें ऩडी हझई कझि
कझलसयमों ऩय गई। वहाॊ कझि स्त्री-ऩरु ू का आनन्द उठा यहे थे। उन्हीॊ भें ही शेखय बी फैठा था ककॊतझ
झ ष शामद प्रबात की धऩ
शेखय का ध्मान अबी तक उसकी ओय आकवषयत नहीॊ हझआ था।

दयफान ने रॉन की ओय सॊकेत कय ददमा, गगयीश भझस्कयाकय रॉन की ओय फढ गमा। तबी शेखय की दृजटट उस ऩय ऩड गई।
हषय से वह उिर ऩडा औय एकदभ गगयीश की ओय रऩका।

दोनों भें से कोई कझि न फोरा ककॊतझ दोनों की आॊखों भें अथाह प्रेभ था। दोनों के ददरों भें एक अजीफ-सी खश
झ ी की रहय दौड
गई थी।...मे उनकी फचऩन की आदत थी, मे अऩने प्रेभ को भॊझह से फहझत कभ कहते थे जफकक ददरों भें अथाह प्रेभ होता
था।

गगयीश ने अऩना साभान एक स्थान ऩय यख ददमा औय दोनों दौडकय गरे लभर गए। दोनों की आॊखों भें प्रसन्नता के आॊसू
िरिरा गए। गगयीश की ऩीठ थऩथऩाता हझआ शेखय फोरा–‘‘भझझे ववश्वास था दोस्त कक तभ
झ अवश्म आओगे।’’

‘‘तेयी शादी हो औय भैं ना आऊॊ...मह कैसे हो सकता है ?’’

‘‘आओ...।’’ शेखय उसका हाथ थाभकय खीॊचता हझआ फोरा–‘‘भेये दोस्तों से लभरो।’’
शेखय गगयीश को रॉन भें त्रफिी कझलसयमों के कयीफ रे गमा।...लशटटाचायवश रगबग सबी खडे हो गए। एक अधेड से व्मजक्त
की ओय सॊकेत कयते फोरा–‘‘लभरो...मे हैं भेयी लभर के भैनेजय फाटरे...औय लभस्टय फाटरे, मे हैं भेये सफसे ऩझयाने दोस्त
लभस्टय गगयीश।’’

दोनों ने हाथ लभराए।


उसके फाद शेखय ने गगयीश का अन्म सबी दोस्तों से ऩरयचम कयामा।
कपय ऩूणय औऩचारयकता छनबाई गई...।
कझि दे य फाद शेखय के दोस्त ववदाईं रेकय चरे गए, वहाॊ यह गए लसपय शेखय औय गगयीश...जो अऩने फचऩन की मादों को
ताजा कयके ठहाके रगा यहे थे। शेखय से लभरकय गगयीश भानो सझभन को बूर-सा गमा था औय शामद उसी के
ऩरयणास्वरूऩ एक रम्फे अयसे के ऩश्चात ् उसके चेहये ऩय हॊ सी आई थी।

तबी रॉन के एक ओय फनी कॊकयीट की एक सडक ऩय एक काय आकय थभी...दोनों का ध्मान उस ओय आकवषयत
हझआ।...गगयीश ने दे खा कक काय ऩय जगह-जगह कागज गचऩके हझए थे जजन ऩय ‘शेखय वेडस भोनेका’ लरखा हझआ था।

शेखय ने उस ओय दे खा औय ड्राइवय को सॊफोगधत कयके फोरा–‘‘क्मा फात है ...?’’

‘‘ऩेट्रोर खत्भ गो गमा, सय।’’


‘‘भन
झ ीभ से ऩैसे रे रो।’’
तत्ऩश्चात ड्राइवय वहाॊ से चरा गमा।

‘‘भेये ववचाय से बाबी का नाभ भोनेका है ।’’


गगयीश शेखय से फोरा।
‘‘त्रफककझर ठीक सभझे...!’’ शेखय भझस्कयाकय फोरा।

‘‘अच्िा हाॊ...एक फात माद आई।’’ गगयीश इस प्रकाय उिरा भानो अनामास ही उसे कझि ख्मार आ गमा हो–‘‘तम्
झ हें माद है
आज से रगबग ऩाॊच वषय ऩूवय हभने क्मा शतय रगाई थी?’’

‘‘शतय...कैसी शतय...?’’ शेखय आश्चमय के साथ कझि सोचने की भझद्रा भें फोरा।

‘‘हाॊ...फेटे अफ तम्
झ हें वह शतय कफ माद यहे गी, तम्
झ हायी शादी जो ऩहरे हो यही है ।’’

‘‘अये ...कहीॊ तभ
झ उस सह
झ ागयात वारी शतय की फात तो नहीॊ कय यहे?’’

‘‘त्रफककझर, उसी की फात कय यहा हूॊ फेटे...माद है हभने शतय रगाई थी कक हभभें से जजसकी शादी ऩहरे हो...सझहागयात
दस ू या भनाएगा।...मानी भेयी होती तो सझहागयात तभ झ भनाते औय अफ तम्झ हायी है तो शतय के अनझसाय सझहागयात भझझे भनानी
है । कहो क्मा ववचाय है ?’’ भझस्कयाता हझआ गगयीश फोरा।

वास्तव भें ऩक्के दोस्त होने के नाते वे भजाक-भजाक भें इस प्रकाय की शतय रगा गए थे। मूॊ तो मह भजाक की ही फात थी।
उसभें गॊबीयता का तो प्रश्न ही न था।
v ‘‘ववचाय ही क्मा है ...।’’ शेखय फोरा–‘‘भैं तम्
झ हे सझहागयात की दावत दे ता हूॊ।’’
‘वैयी गझड।’’ गगयीश फोरा–‘‘फस तो कपय जकदी से राओ बाबी को...।’’

‘‘शादी इसी शहय से है फेटे...वह आज ही आ जाएगी।’’


‘‘फस तो फेटा यात को तभ
झ रारीऩाऩ चस
ू ना औय भैं...।’’

‘‘फेटे गगयीश...।’’ शेखय ने कहा–‘‘तभ


झ फहझत सझताय छनकरे...तन
ू े प्माय बी ककमा रेककन भझझे बाबी के दशयन एक फाय बी न
कयाए...।’’

शेखय के वाक्म ने गगयीश के सूखते जख्भों ऩय भानो जस्प्रट के पाए का काभ ककमा। उसके हदम भें एक टीस-सी उठी, तडऩ
उठा वह! कपय कझि नायाजगी के बाव भें फोरा–‘‘शेखय...तभ
झ उस कझछतमा का नाभ भेये साभने न लरमा कयो।’’

शेखय गगयीश के प्रछत सभ


झ न की फेवपाई की कहानी से ऩरयगचत था। वह जानता था कक सभ
झ न ककस तयह गगयीश की
जजन्दगी भें अॊधेया कय गई। वह कह तो गमा ककॊतझ उसे स्वमॊ कहने के फाद ऩश्चाताऩ हझआ आखखय वह महाॊ फेवक्त सभ
झ न
का नाभ क्मों रे गमा।...ककॊतझ फात को सॊबारता हझआ फोरा–‘‘भैं जानता हूॊ गगयीश कक सझभन ने तम्
झ हें नपयत का खजाना
अवऩयत ककमा है ककॊतझ सच भानना दोस्त, अगय भैं उसे दे ख रेता तो अऩने हाथों से उसकी जान रे रेता।’’

खैय...फात अगधक आगे न फढ सकी।...मही फस हो गई...ववषम फदर गमा।

उसके फाद...।
सॊऩण
ू य यस्भों के साथ शादी हझई...भोनेका बी ककसी सेठ की रडकी थी।

शामद शेखय से अगधक ही धनी थे वे रोग।


दहे ज के रूऩ भें इतना सफ कझि ददमा गमा कक दे खने वारे दॊ ग यह गए।

सझहागयात...।
कैसी ववगचत्र शतय रगाई थी इन लभत्रों ने...शादी शेखय की–ऩत्नी शेखय की औय सझहागयात भनानी थी गगयीश को–
सझहागयात का वक्त आमा–गगयीश ने ववगचत्र से प्माय औय व्मॊग्म बयी दृजटट से शेखय को दे खा औय फोरा–‘‘कहो फेटा–क्मा
इयादे हैं?’’

‘‘सझहागयात तम्
झ हीॊ भनाओगे–रेककन मे ध्मान यखना कक भोनेका अऩने ऩछत को ऩहचानती है ।’’

‘‘उसकी तभ
झ गचन्ता भत कयो।’’
‘‘तो कपय भेयी ओय से तभ
झ ऩूणत
य मा स्वतॊत्र हो।’’
‘‘ओके–तो फेटा–भैं चरता हूॊ औय तभ
झ ताये गगनो।’’ गगयीश ने कहा।

दोनों के अधयों ऩय भझस्कान थी। ककतना आत्भववश्वास था उन्हें एक-दस


ू ये ऩय।

ठीक तबी...।
जफकक गगयीश उस कभये भें प्रववटट हझआ जजसभें भोनेका सझहाग-सेज ऩय राज की गठयी फनी अऩने दे वता की प्रतीऺा कय
यही थी।

इधय शेखय कभये का हार दे खने सीधा योशनदान ऩय ऩहझॊचा–योशनदान से उसने दे खा कक गगयीश अॊदय प्रववटट हझआ–सफसे
ऩहरे उसने अॊदय से चटकनी रगा दी। उसने योशनदान से दे खा कक आहट सझनकय भोनेका अऩने आऩ भें लसभट गई।
शामद वह मही अनभ
झ ान रगा यही थी कक आने वारा शेखय है ।

गगयीश सझहाग सेज के छनकट ऩहझॊचा–सफसे ऩहरे उसने अऩना कोट उताया। अबी तक गगयीश ने भोनेका का भझखडा न दे खा
था क्मोंकक वह राज के ऩदे भें थी। औय स्वमॊ उसने तो दे खा ही न था कक आने वारा उसका ऩछत नहीॊ–कोई अन्म है ।

शेखय योशनदान से सफ कझि दे ख यहा था–उसके अधयों ऩय भझस्कान थी। इधय गगयीश ने कोट एक ओय सोपे ऩय डारा औय
भोनेका के अत्मॊत छनकट आ गमा–वह औय कयीफ आमा–उधय योशनदान भें खडे शेखय की धडकने तीव्र हो गईं।

अचानक गगयीश भोनेका के अत्मॊत छनकट ऩहझॉचकय फोरा–‘‘भझ


झ से इस ऩदे की जरूयत नहीॊ बाबी जी भैं आऩसे िोटा हूॊ।’’

बीतय-ही-बीतय शामद भोनेका चौंकी–ककॊतझ प्रत्मऺ भें वह उसी प्रकाय फैठी यही। आखखय राजवान दक
झ हन जो थी। गगयीश
का वाक्म सझनकय शेखय के अधयों ऩय एक गवीरी भझस्कान उबय आई। इधय गगयीश ऩरॊग के नीचे–ककॊतझ भोनेका के छनकट
फैठकय फोरा–‘‘अबी शेखय नहीॊ आमा है–भैं अऩनी प्मायी बाबी का भझखडा दे खग
ूॊ ा तफ उस नारामक को आऩके ऩास आने
की अनभ
झ छत दॉ ग
ू ा।’’
भोनेका उसी प्रकाय गझभसझभ फैठी यही।
गगयीश ने जेफ भें हाथ ददमा औय जेफ भें से कझि छनकारकय फोरा–‘‘बाबी...भझॊह ददखाई भें भैं इससे अगधक कझि नहीॊ दे
सकता।’’ गगयीश ने कहा औय वह वस्तझ शेखय के पोटो के अछतरयक्त कझि बी न थी, भोनेका की गोद भें डारकय फोरा–
‘‘बगवान से लसपय मे काभना कयता हूॊ कक आऩका सझहाग जन्भ-जन्भान्तय तक चभचभाता यहे ।’’ बीतय ही बीतय गगयीश के
वाक् म ऩय भोनेका तो गद्गद हो गई साथ ही साथ योशनदान भें खडा शेखय बी अऩने प्रछत गगयीश का प्रेभ दे खकय
प्रपझजकरत हो उठा–‘‘अफ चाॊद के ऊऩय से फादरों का मह आवयण तो हटा दो बाबी।’’ गगयीश का सॊकेत भोनेका के भझखडे से
था।

भोनेका चऩ
झ चाऩ फैठी यही।
तबी गगयीश ने हाथ फढामा औय धीभे से घूॊघट हटाने रगा...भोनेका ने कोई ववयोध बी नहीॊ ककमा।

घॊघ
ू ट हट गमा, गगयीश ने चाॊद के दशयन ककए...भोनेका राज से लसय झक
झ ाए चऩ
झ चाऩ फैठी थी।

ककॊत.झ ..उस चाॊद को दे खते ही...भोनेका के भझखडे ऩय दृजटट ऩडते ही, गगयीश के ऩैयों के तरे से भानो धयती खखसक गई। वह
इस फझयी तयह से चौंका भानो हजायों, राखों त्रफच्िझओॊ ने उसे डॊक भाय ददमा हो।

एक ऩर के लरए तो वह अवाक् -सा यह गमा...आॊख पाडे भोनेका का चेहया दे खता यहा। उसकी आॊखें आश्चमय से पैर गईं।
भानो वह ऩत्थय का फत
झ फन गमा था। वास्तव भें उसे रगा, सॊसाय का सवयश्रेटठ आश्चमय दे ख यहा हो...अचानक कपय जैसे
उसे होश आमा।

उसका सभस्त चेहया िोधावस्था भें कनऩटी तक रार हो गमा। आॊखें अॊगाये उगरने रगीॊ। िोध से वह काॊऩने रगा...भानो
वह बमॊकय याऺस के रूऩ भें ऩरयवछतयत होता जा यहा था। एकाएक वह उिरकय खडा हो गमा। बमानक स्वय भें वह चीखा–
‘‘तभ
झ ! सझभन तभ
झ महाॊ...डामन, कभीनी...तभ
झ महाॊ। भेये दोस्त की ऩत्नी। तभ
झ महाॊ कैसे? तभ
झ आखखय चाहती क्मा हो?’’

अचानक रूऩ-ऩरयवतयन ऩय भोनका बी चौंक ऩडी...एकदभ वह सभस्त राज बझराकय आश्चमय के साथ गगयीश को दे खने
रगी...इससे ऩूवय कक वह कझि सभझ सके, अचानक गगयीश ने उसकी कराई थाभकय फडी फेयहभी के साथ उसे झटका दे कय
उठामा औय...
चटाक–
एक जोयदाय थप्ऩड भोनेका के गार से टकयामा...भोनेका अवाक यह गई, कझि न सभझ सकी वह। इधय योशनदान भें
उऩजस्थत शेखय बी फझयी तयह चौंका, वह तयझ ॊ त योशनदान से हट गमा औय दौडकय कभये के दयवाजे ऩय आमा...ककॊतझ
दयवाजा फॊद था। अत् वह जोय से थऩथऩाता हझआ चीखा–‘‘खोरो...खोरो गगयीश दयवाजा खोरो।’’

ककॊतझ गगयीश–
उप...! गगयीश तो भानो ऩागर हो गमा था...याऺसी हवस उसकी आॊखों से झाॊक यही थी। उसने भोनेका को एक थप्ऩड
भायकय ही फस नहीॊ कय दी...उसने भोनेका को ऩकडकय झॊझोड ददमा...इस सभम वह खतयनाक रग यहा था–भोनेका को
झॊझोडता हझआ वह चीखा–‘‘तभ झ ने भझझे फफायद कय ददमा...अफ भेये दोस्त को फफायद कयना चाहती हो। रेककन नहीॊ सझभन
नहीॊ। भैं कबी ऐसा नहीॊ होने दॊ ग
ू ा...तभ
झ रडकी नहीॊ हो...गॊदी नारी की गॊदगी भें यें गता वह कीडा हो जो लसपय गॊदगी भें ही
यह सकता है ...तभ
झ रडकी नहीॊ हो, हवस की ऩझजारयन हो...तभ
झ नहीॊ जानती प्माय क्मा होता है ...तम्
झ हें तो अऩनी काभ-
वासनाओॊ की ऩछू तय चादहए...नहीॊ...नहीॊ...अऩने फाद भैं अऩने दोस्त को तम्
झ हाये हाथों फफायद न होने दॊ ग
ू ा–न जाने ककस
तयह धोखा दे कय तभ
झ ने मह जगह ग्रहण कय री है –बाग जाओ सझभन–तभ
झ अफ बी चरी जाओ महाॊ से–वनाय भैं तम्
झ हाया
खन
ू कय दॊ ग
ू ा।’’ आवेश भें वह चीखा।

भोनेका के चेहये ऩय ऐसे बाव थे भानो वह गगयीश को ऩहचानती ही न हो। भानो वह उसके भझख से छनकरने वारे शब्दों से
झ ान रगाना चाहती हो ककॊतझ वह ककसी प्रकाय का बी छनणयम छनकारने भें असभथय यही–अॊत भें वह धीभे से फोरी–
कझि अनभ
‘‘आऩ कौन हैं–औय भझझे सझभन क्मों कह यहे हैं?’’

‘‘क्मा कहा?’’ उसके उऩयोक्त वाक्म ऩय तो गगयीश भानो गचहझॊक उठा, उसका िोध सातवें आसभान ऩय ऩहझॊच गमा। वह फझयी
तयह चीखा–‘‘क्मा कहा तभ झ ने? भैं कौन हूॊ? तभ
झ सझभन नहीॊ हो कभीनी–जरीर–जरारत की सीभा से फाहय जा यही हो
तभ
झ । तभ
झ इतनी गगय सकती हो–तभ
झ इतनी छघनौनी औय भतरफी बी हो–मे भैंने कबी सोचा बी न था। तम्
झ हाया जीववत
यहना न जाने ककतने मव
झ कों के लरए खतयनाक है –नहीॊ–भैं तम्
झ हें नहीॊ िोडूग
ॊ ा–तम्
झ हायी जान अऩने हाथों से रॊग
ू ा।’’

भोनेका का बोरा-बारा भझखडा मूॊ ही भासूभ फना यहा, ऐसा रगता था जैसे वह गगयीश की ककसी फात का भतरफ न सभझ
यही हो। अबी वह कझि सभझ बी न ऩाई थी एकाएक वह चौंकी–गगयीश का फडा औय शजक्तशारी ऩॊजा उसकी ऩतरी गदय न
ऩय आ जभा–ऩॊजे का दफाव ऺण-प्रछतऺण फढता जा यहा था। भोनेका को रगा जैसे मे याऺस वास्तव भें उसकी हत्मा कय
डारेगा, अत् वह फझयी तयह घफयाई। गगयीश के ऩॊजे से छनकरने हे तझ वह िटऩटाई ककॊतझ असपर यही–गगयीश की ऩकड
ककसी याऺस की तयह सख्त थी। अॊत भें प्रमास कयके वह जोय से चीखी औय कपय फचाओ-फचाओ ऩक
झ ायने रगी।
इधय शेखय छनयॊ तय चीख-चीखकय दयवाजा ऩीट यहा था, ककॊतझ दयवाजा न खर
झ ा–तबी उसने अॊदय से गगयीश के चीखने के
फाद भोनेका की चीख औय फचाओ-फचाओ की आवाजें उसके कानों भें ऩडीॊ। बमानक खतये को वह तयझ ॊ त बाॊऩ गमा, वह
जान गमा कक अॊदय गगयीश ऩागर हो गमा है । वह इस जस्थछत भें भोनेका की हत्मा बी कय सकता है । ककॊतझ उसने सोचने भें
अगधक सभम व्मथय न ककमा–जोय-जोय की आवाजें औय चीखें सझनकय कोठी भें उऩजस्थत भेहभान औय नौकय इत्मादद दौड
आए थे। शेखय ने चीखकय उन्हें दयवाजा तोड दे ने का आदे श ददमा था।
अॊदय गगयीश तो भानो गगयीश ही न यहा था–बमानक याऺस फन गमा था। उसने न लसपय भोनेका की चीखों को नजयअॊदाज
कय ददमा फजकक दयवाजे ऩय ऩडने वारी छनयन्तय चोटे बी उस ऩय कोई प्रबाव न डार सकीॊ। उसके ऩॊजे भोनेका की गदय न
ऩय कसते ही चरे गए। चीखने की शजक्त ऺीण ऩड गई। उसकी साॊस-किमा थभने रगी–भझखडा रार हो गमा–आॊखों की
नसों भें तनाव आ गमा। गगयीश फडी फेहयभी के साथ गरा घोंटता ही जा यहा था।

वह तो शामद भोनेका की जान ही रे रेता रेककन ठीक उस सभम जफ भोनेका की आॊखें लभचने रगीॊ–कभये का दयवाजा
टूट गमा, शेखय के साथ अन्म नौकय औय भेहभान उस ओय झऩटे । फडी कदठनाई से खीॊच-तानकय सफने गगयीश को अरग
ककमा।

शेखय ने रऩककय भोनेका को सॊबारा जो चकयाकय गगयने ही वारी थी।

नौकय इत्मादद ने गगयीश को ऩकडकय खीॊचा ककॊतझ गगयीश छनयन्तय अऩनी सम्ऩण
ू य शजक्त का प्रमोग कयके उनके फॊधनों से
छनकरने का प्रमास कयता हझआ जोय-जोय से चीख यहा था–‘‘िोड दो भझ े भैं इसका खन
झ – ू कय दॊ ग
ू ा, मे डामन है –चड
झ र
ै है ।’’

‘‘क्मा फक यहे हो, गगयीश? मे क्मा ऩागरऩन है ?’’ शेखय चीखा।

‘‘शेखय–शेखय भेये दोस्त, खन


ू कय दो इस कभीनी का–मे सझभन है –वही सझभन जजसने भझझे इस जस्थछत तक ऩहझॉचा ददमा–
अफ मे तम्
झ हें फफायद कय दे गी।’’

‘‘ऩागर भत फनो, गगयीश।’’ शेखय भोनेका को सॊबारता हझआ फोरा–‘‘मे सभ


झ न नहीॊ है –ध्मान से दे खो इसे–मे भोनेका है –
तम्
झ हायी सझभन बरा महाॊ कैसे आ सकती है ?’’

‘‘नहीॊ-नहीॊ दोस्त, भैं इस नागगन को राखों भें ऩहचान सकता हूॊ, मह सझभन है –मह वही जहयीरी नागगन है जजसने भझझे
डस लरमा–अफ मे नागगन तम् झ हें डसेगी।’’

‘‘इसे कभये भें फॊद कय दो।’’ शेखय ने नौकयों को आदे श ददमा।

इधय भोनेका का फेहोश जजस्भ शेखय के हाथों भें झर यहा था औय उधय नौकय गगयीश को रगबग घसीटते रे जा यहे थे।
ककॊतझ गगयीश छनयन्तय चीखे जा यहा था–‘‘मे सझभन है –भैं इसे ऩहचानता हूॊ–मह जहयीरी नागगन है –मे सझभन है –मे सझभन
है ।’’ ककॊतझ ककसी ने उसकी फात ऩय कोई ववशेष ध्मान न ददमा।

उसकी जस्थछत ऩागरों जैसी हो गई थी।


भोनेका के अचेत होते ही डॉक्टय दौड ऩडे। भोनेका को होश भें रामा गमा। मॊू तो उसकी जस्थछत साधायण ही थी ककॊतझ
गगयीश की फातों से उसके भजस्तटक ऩय गहया प्रबाव ऩडा था। रेककन खतये की कोई फात न थी। उसके होश भें आने ऩय
शेखय ने उससे ऩूिा–‘‘क्मा तभ
झ भेये दोस्त को ऩहचानती हो?’’

‘‘नहीॊ–भैंने आज से ऩूवय उन्हें कबी नहीॊ दे खा रेककन वे भझझे सझभन क्मों कह यहे थे? वे भझझे इतने गॊदे-गॊदे शब्द क्मों कह
यहे थे?’’ भोनेका धीभे स्वय भें फोरी।

‘‘उसका फयझ ा भत भानना भोनेका–वह अनेक गभों का भाया हझआ है । सभ झ न नाभक ककसी रडकी ने उसे नपयत का खजाना
अवऩयत ककमा है । वह अत्मॊत दख
झ ी है भोनेका–शामद ही जभाने भें कोई उससे अगधक ‘फदनसीफ’ यहा हो–न जाने ककतने दख

उठाए हैं उसने–तम्
झ हें उसकी फातों का फझया नहीॊ भानना है भोनेका। वह प्माय का बूखा है –अऩने प्माय से उसके गभ को बझरा
दो–वह भेया दोस्त है –फहझत प्माया है वह। भन का फहझत साप। तभ
झ उसके गभ को बझरा दो।’’

‘‘क्मा कहानी है उनकी?’’

‘‘उसकी कहानी तभ
झ धीये-धीये जान जाओगी–इस सभम तभ
झ मे जान रो कक वह एक फदनसीफ इॊसान है –जो प्माय के
अबाव भें ऩागर-सा हो गमा है ।

शामद वह बाबी का प्माय ऩाकय अऩने अतीत के गभों को बूर जाए–शामद वह जीवन भें कबी खश
झ हो सके।’’

‘‘रेककन वे तो भझझे दे खते ही चीखते हैं।’’


‘‘मे भैं बी अबी नहीॊ सभझ सका हूॊ कक वह तम्
झ हें सझभन क्मों कह यहा है? भैं अबी उसके ऩास जा यहा हूॊ औय उससे फातें
कयता हूॊ।’’ कहकय शेखय उठा।

‘‘ऩहरे तो वे फहझत प्मायी-प्मायी फातें कय यहे थे, ककॊतझ न जाने क्मों वे भेयी सूयत दे खते ही चीखने रगे।’’

‘‘कहीॊ ऐसा तो नहीॊ भोनेका कक तम्


झ हायी सूयत सझभन से लभरती हो?’’
‘‘आऩ उन्हीॊ से फात कयें !’’
‘‘अच्िा भैं चरता हूॊ।’’ कहकय शेखय, उस कभये से फाहय छनकर गमा। अफ उसका रक्ष्म वह कभया था जजसभें नौकयों ने
गगयीश को फॊद कय ददमा था।

जफ शेखय फाहय से दयवाजा खोरकय अॊदय प्रववटट हझआ तो गगयीश उसकी ओय रऩका जो अफ तक फेचन ै ी के साथ कभये भें
इधय-उधय टहर यहा था। वह शेखय को दे खकय प्रसन्नता से झूभ उठा। रऩककय उसने शेखय को गरे से रगा लरमा औय
फोरा–‘‘शेखय–भेये दोस्त तभ
झ ठीक तो हो।’’

‘‘क्मों–भझ
झ े क्मा हझआ था?’’
‘‘शेखय ववश्वास कयो तम्झ हायी फीवी भोनेका के रूऩ भें वह नागगन सभ
झ न है । भैं उसे ठीक से ऩहचान गमा हूॊ, भेया ववश्वास
कयो शेखय–वह सझभन है ।’’

‘‘रगता है गगयीश तम्


झ हें फहझत फडा धोखा हो यहा है , वह भोनेका है , वह तम्
झ हें नहीॊ ऩहचानती। वह बरा सझभन कैसे हो सकती
है ?’’

‘‘नहीॊ, शेखय नहीॊ–चाहे कझि बी हो–भेया ववश्वास कयो–वह सभ


झ न ही है । न जाने कौन-सी चार चर यही है वह नागगन–
शेखय भैंने उसे ऩास से दे खा है –भैंने कबी उस नागगन को अऩनी बावनाओॊ से चाहा है –उसे ऩहचानने भें भैं कबी बूर नहीॊ
कय सकता।’’

‘‘तभ
झ ऩागर हो गए हो–होश की दवा कयो।’’ शेखय गगयीश की फाय-फाय एक ही यट ऩय झझॊझरा गमा था।

‘‘आखखय उस जहयीरी नागगन ने तभ


झ ऩय बी कय ही ददमा जाद।ू ’’

‘‘गगयीश!’’ इस फाय शेखय कझि कडे रहजे भें फोरा–‘‘अफ भोनेका भेयी ऩत्नी है , तभ
झ छनयाधाय उसको अऩशब्द नहीॊ कह
सकते।’’
‘‘शेखय, भेये शेखय–अफ तम्
झ हाया सभम बी नजदीक आ गमा है । अफ तभ
झ बी फफायद हो जाओगे–भैं कपय कहता हूॊ कक मह
जहयीरी नागगन है जजसे तभझ दधू वऩरा यहे हो।’’
‘‘भेयी सभझ भें नहीॊ आता कक तभ
झ आखखय चाहते क्मा हो? क्मा तभ
झ ऩय कोई आधाय है जजससे तभ
झ मे लसि कय सको कक
भोनेका ही सझभन है ?’’

‘‘आधाय–!’’ अचानक गगयीश उिर ऩडा औय वह फोरा–‘‘हाॊ–आधाय है –भेयी अटै ची कहाॊ है –राओ भेयी अटै ची राओ।’’

गगयीश की अटै ची उसी कभये भें यखी थी। शेखय ने अटै ची छनकारकय गगयीश के साभने डार दी औय फोरा–‘‘छनकारो–ककसी
आधाय ऩय तभ
झ भोनेका को सझभन कह यहे हो?’’

गगयीश ने एक फाय शेखय की ओय दे खा औय कपय अटै ची खोरकय उसकी जेफ से एक पोटो छनकारा औय शेखय की ओय
उिार ददमा औय फोरा–‘‘रो दे ख रो–मे है सभ
झ न।’’

शेखय ने पोटो उठाकय दे खा तो स्तब्ध यह गमा–अवाक-सा वह उस पोटो को दे खता यह गमा।

उसकी आॊखों भें गहन आश्चमय उबय आमा। पोटो वास्तव भें सौ प्रछतशत भोनेका का ही था। कहीॊ बी हकका-सा बी तो
ऩरयवतयन नहीॊ था। उसकी सभझ भें नहीॊ आमा कक मह सफ यहस्म क्मा है ।

‘‘क्मा वास्तव भें मे तम्


झ हायी सझभन का पोटो है ?’’
‘‘ऩहचान रो इस नागगन को–मही है सभ
झ न, क्मा तम्
झ हायी भोनेका मे नहीॊ है ।’’

‘‘रेककन गगयीश–भोनेका का बोराऩन–उसकी फातें , तम्


झ हाये लरए कहे गए उसके शब्द भझझसे चीख-चीखकय कह यहे हैं कक
वह धोखेफाज नहीॊ हो सकती? वह भासूभ करी, बरा इतनी पये फी कैसे हो सकती है ?’’ शेखय पोटो से नजयें हटाकय गगयीश
की ओय दे खता हझआ फोरा।

‘‘इसी भासभ
ू भख
झ डे ने तो भेये भन को जीता था दोस्त! इसकी इन्हीॊ बोरी-बारी फातों ने तो भझ
झ े अऩना फना लरमा था।
इसकी इसी सादगी के कायण तो भैं इसकी ओय आकवषयत हझआ था। मे सफ कझि धोखा है शेखय–नायी का एक खफ ू सूयत
धोखा। जजसभें भैं तो आ गमा ककॊतझ तम्
झ हें ककसी बी जस्थछत भें नहीॊ आने दॊ ग
ू ा–मे बोराऩन, मे प्माया भझखडा, मे सादगी–सफ
कझि धोखा है –भदय को िरने के ढॊ ग हैं। तभ
झ उसे भेये ऩास बेज दो–भैं अऩने हाथ से उसका खन
ू करूॊगा।’’
‘‘तभ
झ कपय ऩागरऩन की सीभाओॊ की ओय फढते जा यहे हों।’’

‘‘नहीॊ शेखय–क्मा तम्


झ हें अफ बी ववश्वास नहीॊ कक तम्
झ हायी भोनेका औय भेयी सभ
झ न एक ही नागगन है । एक ऐसी जहयीरी
नागगन जजसने न केवर भझझे फयफाद ककमा फजकक इस फीच न जाने ककतनों के जीवन से खेरी होगी अफ वह तम्
झ हें डसना
चाहती है । अगय वक्त ऩय भैं न दे ख रेता तो वास्तव भें इस कझछतमा के हाथों तभ
झ बी फयफाद हों जाते। अफ अगय तभ
झ फच
जाओगे तो हवस की ऩझजारयन अन्म ककसी बोरे मझवक को अऩनी हवस का लशकाय फनाएगी–नहीॊ िोडूग
ॊ ा...।’’

‘‘गगयीश–कबी-कबी सॊसाय भें दो सूयतें त्रफककझर एक जैसी बी ऩाई जाती हैं। कहीॊ ऐसा तो नहीॊ कक मे बी कझि ऐसा ही
चक्कय हो।’’ न जाने क्मों शेखय को अफ बी ववश्वास नहीॊ आ यहा था कक भोनेका का बोरा भख
झ डा धोखा दे सकता है । अत्
वह प्रत्मेक सॊबव ढॊ ग से मह सोचने का प्रमास कय यहा था कक भोनेका सझभन नहीॊ है ।
‘‘तम्
झ हायी आॊखों के साभने इस सभम शामद–‘डफर योर’ वारी कपकभ अथवा उऩन्मास घूभ यहे हैं।’’ गगयीश व्मॊग्मात्भक
रहजे भें फोरा–‘‘भेये दोस्त, मे लसपय फोगस कपकभें औय उऩन्मास की कजकऩत फातें होती हैं–वास्तववक जीवन भें ऐसा नहीॊ
हझआ कयता–वास्तववक जीवन भें अगय होता है तो लसपय इतना कक कबी-कबी दो चेहये एक से हो जाते हैं–उन्हें अरग-
अरग दे खकय तो भ्ाॊछत हो जाती है ककॊतझ अगय दोनों को आस-ऩास खडा कय ददमा जाए तो स्ऩटट ऩता रगता है कक कौन
क्मा है ?–भेया भतरफ है–कहीॊ न कहीॊ ककसी न ककसी फात भें अॊतय अवश्म होता है ।’’

‘‘तबी तो कहता हूॊ–ऐसा हो सकता है कक सझभन औय भोनेका की सूयत लभरती हो। हभाये ऩास सझभन का पोटो जो है जजससे
हभ भोनेका को लभरा यहे हैं–जीती-जागती सझभन तो नहीॊ है ।’’

‘‘ऩता नहीॊ तम्


झ हें क्मों ववश्वास नहीॊ हो यहा है कक मे ही सझभन है । दे खना–क्मा पोटो भें मे छनशान ठीक वैसा नहीॊ है जैसा
भोनेका के चेहये ऩय है –क्मा इस छनशान भें रेशभात्र बी अॊतय है औय वैसे बी मह चोट का छनशान है –क्मा दोनों के महीॊ
चोट रगनी थी?’’
‘‘ऩता नहीॊ भझझे क्मों ववश्वास नहीॊ हो यहा है ?’’ शेखय ववचायता हझआ फोरा। वैसे इस फाय वह गगयीश की फात से प्रबाववत
हझआ था क्मोंकक वास्तव भें पोटो भें औय भोनेका के चेहये भें छतर-बय का बी अॊतय न था। उसकी सभझ भें नहीॊ आ यहा था
कक आखखय मे सफ है क्मा?

‘‘क्मा वह मह कह यही है कक वह सभ
झ न नहीॊ है ?’’
‘‘हाॊ!’’
‘‘तो कपय चरो–उसी से ऩूिेंगे कक मे पोटो ककसका है ?’’

‘‘चरते हैं, ककॊतझ एक शतय ऩय–’’


‘‘क्मा?’’

‘‘मही कक तभ
झ भेये सॊकेत के त्रफना कझि नहीॊ कहोगे औय स्वमॊ को होश भें यखोगे।’’

‘‘भैं सहभत हूॊ–चरो।’’


उसके फाद गगयीश ने अटै ची से एक वस्तझ औय छनकारकय जेफ भें डार री औय सझभन के कभये की ओय चर ददए।

एक ववगचत्र-सी गझत्थी भें उनका भजस्तटक उरझ गमा था।


तफ जफकक वे दोनों भोनेका वारे कभये भें ऩहझॊचे तो भोनेका त्रफस्तय ऩय उठकय फैठ चक
झ ी थी। उन दोनों को आता दे ख वह
सचेत हो गई।

सझभन के चेहये ऩय दृजटट ऩडते ही गगयीश के ददर ने चीखना चाहा–उसका चेहया गगयीश को फडा बमानक रग यहा था–सझभन
इस सभम उसे कोई याऺसी नजय आ यही थी। उसका भन कह यहा था कक आगे फढकय वह उस खफ
ू सूयत नागगन का गरा
दफा दे ककॊतझ नहीॊ–उसने कझि न ककमा–उस सभम उसने अऩनी सभस्त बावनाओॊ का गरा घोंट ददमा। स्वमॊ सॊमभ ककमा
औय शेखय के साथ आगे फढ गमा।

उन दोनों की तीक्ष्ण छनगाहें प्रत्मेक ऩर उसके भझखडे ऩय जभी हझई थीॊ।


शेखय की छनगाहों भें तो कपय बी कझि प्रेभ था ककॊतझ गगयीश की छनगाहें तो अत्मॊत िूय थीॊ...भानो वह भोनेका को आॊखों ही
ृ ा हो यही थी सझभन के चेहये से ककॊतझ अॊदय की ज्वारा को उसने इतना
आॊखों भें ऩी जाने का इयादा यखता हो। उसे तीव्र घण
न बडकने ददमा कक शब्दों के भाध्मभ से वह कझि कहे ।
वह शाॊत ककॊतझ खतयनाक दृजटट से उसे छनहाय यहा था।

शेखय की छनगाहें बी उसी ऩय गडी थीॊ। वह शामद उसके चेहये को ऩढकय सत्म-लभथ्मा का ऩता रगाना चाहता था ककॊतझ
उसके चेहये ऩय गजफ की भासूलभमत थी। जजसके कायण मह फात उसके कॊठ से नहीॊ उतय यही थी कक भोनेका ही सझभन है ।

‘‘ऐसे क्मा दे ख यहे हैं आऩ दोनों?’’ फडे धीभे से भोनेका ने छनस्तब्धता बॊग की। उसका रहजा अत्मॊत कोभर, भासभ
ू औय
भधयझ था ककॊतझ गगयीश को ठीक ऐसे रगा भानो कोई बमानक घयघयाती आवाज भें सभ
झ न उसकी जस्थछत ऩय खखकरी उडा
यही हो। रेककन कपय बी वह कझि नहीॊ फोरा। लसपय खन
ू ी छनगाहों से उसे दे खता यहा।

उनके इस तयह दे खने ऩय वह थोडा-सा घफया गई, उसका हरक सूख गमा। उसे उन दोनों से बम रगने रगा। सूखे अधयों
ऩय वह जीब पेयकय फोरी–‘‘आऩ रोग इस प्रकाय क्मों घूय यहे हैं–क्मा चाहते हैं भझझसे?’’

‘‘तो तभ
झ सभ
झ न नहीॊ हो।’’ शेखय उसे फयझ ी तयह घयू ता हझआ फोरा।

‘‘क्मा आऩको बी कोई गरतपहभी हो गई है –आऩ तो वऩिरे ि् भहीने से भझझे जानते हैं–भझझसे प्माय कयते हैं–क्मा आऩ
बी मह कहना चाहते हैं कक भैं भोनेका नहीॊ सझभन हूॊ?’’

‘‘अगय तभ
झ सझभन नहीॊ हो तो फताओ कक मे पोटो ककसका है –औय गगयीश के ऩास कहाॊ से गमा?’’ शेखय ने कझि कडे स्वय
भें कहा औय पोटो उसकी गोद भें पेंक ददमा।

गगयीश शान्त खडा यहा–उसके अधयों ऩय ऐसी जहयीरी भस्


झ कान थी, भानो उसने इस रडकी को कोई अऩयाध कयते यॊ गे
हाथों ऩकड लरमा हो।
भोनेका ने धीये से वह पोटो उठामा औय दे खा–शेखय औय गगयीश की तीक्ष्ण छनगाहें प्रत्मेक ऺण उसके भझख ऩय जभी हझई थीॊ
औय उन्होंने पोटो दे खते सभम उसके भझखडे ऩय उत्ऩन्न होने वारे चौंकने के बावों को स्ऩटट दे खा–कपय आश्चमय से भोनेका
का भॊह
झ खर
झ गमा। दोनों भें से कोई बी मह छनश्चम कयने भें असपर यहा कक उसके चेहये ऩय उत्ऩन्न होने वारे मे बाव
वास्तववक हैं अथवा उन्हें धोखा दे ने के लरए खफ
ू सयू त औय सपर अलबनम है ।

कझि दे य तक वह सझभन के पोटो को दे खती यही औय कपय उनकी ओय दे खकय फोरी–‘‘मे पोटो तो भेया ही रगता है –
ककॊत.झ ..।’’

‘‘ककॊतझ...क्मा?’’ इस फाय शेखय आवेश भें फोरा। वह शेखय के इस प्रकाय चीखने से घफया गई औय फोरी–‘‘ककॊतझ भैंने इस
ऩोज भें कबी कोई पोटो नहीॊ खखॊचवामा।’’

‘‘कपय मह कहाॊ से आ गमा?’’


‘‘भैं नहीॊ जानती–।’’

‘‘तभ
झ वास्तव भें सयासय धोखा हो।’’ शेखय चीखा–‘‘तम्
झ हाये मे खोखरे उत्तय तम्
झ हाये भन भें िझऩे चोय को स्ऩटट कय यहे हैं–
तम्
झ हायी फातों से ऩता रगता है कक तम्
झ हीॊ सझभन हो।’’

‘‘उप् ...! मे कैसा षड्मॊत्र यचा जा यहा है भेये ववरुि।’’ भोनेका एकदभ लससककय फोरी–‘‘सच भानो शेखय, भैं सभ
झ न नहीॊ
हूॊ–भैं तम्
झ हायी सौगॊध खाती हूॊ–मे भेये ववरुि कोई षड्मॊत्र यचा जा यहा है–नहीॊ शेखय, भैं सझभन नहीॊ हूॊ–भैं भोनेका हूॊ–तम्
झ हायी
भोनेका।’’

शेखय को रगा जैसे भोनेका ठीक कह यही है –उसने भोनेका की आॊखों के अगग्रभ बाग भें तैयते आॊसू दे खे तो वऩघर गमा–
औयत के आॊसू तो अॊछतभ औय शजक्तशारी हगथमाय होते हैं।

शेखय बी उन आॊसझओॊ का ववयोध न कय सका। उसे जैसे मे आॊसू भोनेका के सच्चे होने के प्रभाण हैं। वास्तव भें उसके ववरुि
कोई षड्मॊत्र यचा जा यहा है । अत् वह एकदभ गगयीश की ओय घभ
ू गमा।

गगयीश के होंठों ऩय जहयीरी भझस्कान थी–फडे व्मॊग्मात्भक ढॊ ग से शेखय को दे खता हझआ फोरा–

‘‘क्मों, प्रबाववत हो गए ना इस नागगन के आॊसू दे खकय?’’


उसके मे शब्द सझनकय भोनेका की लससककमाॊ फॊद हो गईं।

‘‘गगयीश, भैंने तभ
झ से कहा था कक कोई अऩशब्द प्रमोग नहीॊ कयोगे।’’
‘‘भान गमा दोस्त कक वास्तव भें औयत के आॊसू आदभी को अॊधा फना दे ते हैं। सबी प्रभाण इसके ववरुि हैं, ककॊतझ कपय बी
तम्
झ हें सॊदेह है कक मे सझभन नहीॊ है रेककन दोस्त झूठ अगधक दे य तक नहीॊ चर सकता। सत्म की ककयण लभथ्मा के अॊधकाय
को ठीक इस प्रकाय चीय डारें गी जैसे यजनी के अॊधेये को प्रबात का सूम.य ..। चरो एक फाय को भैं बी भानता हूॊ कक मे रडकी
सझभन नहीॊ रेककन भेये ऩास अॊछतभ वस्तझ ऐसी है जजससे दध ू का दध
ू औय ऩानी का ऩानी हो जाएगा।’’

‘‘क्मा?’’
‘‘वैसे तो दोस्त, मे बी नहीॊ हो सकता कक दो सूयते इस हद तक एक हों ककॊतझ अगय तभ
झ मे सॊबावना व्मक्त कयते हो तो
थोडी दे य के लरए भान रेता हूॊ कक भोनेका सझभन नहीॊ ककॊतझ मे तो तभ
झ भानोगे कक एक-सी दो सूयत वारों की ‘याइदटॊग,
एक-सी नहीॊ हो सकती।’’

‘‘वैयी गझड–मे भानता हूॊ ‘याइदटॊग’ एक-सी नहीॊ हो सकती, क्मा तम्
झ हाये ऩास सझभन का कझि लरखा हझआ है ?’’ शेखय को
ववश्वास हो गमा कक दो इॊसानों की याइदटॊग एक-सी नहीॊ हो सकती।’’

‘‘उसका लरखा ‘प्रभाण’ तो अबी तो भेये ऩास है दोस्त! जजसने भेये रृदम भें नायी के प्रछत नपयत बय दी, जजसने भेये साभने
नायी को नग्न कय ददमा। जो भेये जीवन भें सफसे अगधक भहत्त्व यखता है ।’’

‘‘कपय तो लरखवाओ भोनेका से कझि।’’


‘‘ऩता नहीॊ आऩ क्मों भझ
झ े सभ
झ न लसि कयना चाहते हैं–राइए ऩैन औय कागज–फोलरए क्मा लरख?
ॊू ’’ इस फाय भोनेका
लससकती हझई फोरी। उसके फाद...।

भोनेका से एक कागज ऩय फहझत कझि लरखवामा था।


भोनेका के लरखे कागज को सझभन के ऩत्र से लभरामा गमा जो गगयीश ने ऩहरे ही अटे ची से छनकारकय जेफ भें यख लरमा
था। उस सभम शेखय की आॊखें आश्चमय से पैर गईं जफ उसने भोनेका औय सझभन की याइदटॊग भें रेशभात्र बी अॊतय नहीॊ
ऩामा।

ठीक उसके ववऩयीत गगयीश के अधयों ऩय ववजम की गवीरी भझस्कान थी।


‘‘भोनेका...मे याइदटॊग लसद्ध कयती है कक तम्
झ हीॊ सझभन हो।’’
मह कहकय शेखय ने उसके लरखे कागज के साथ-साथ सझभन का ऩत्र बी उसकी ओय फढा ददमा।...भोनेका ने...जफ दे खा तो
है यत से उसकी आॊखें बी पैर गईं...आश्चमय के साथ वह फोरी–‘‘ओह भाई गॉड...मे सफ क्मा है ...मे याइदटॊग तो भेयी है
रेककन मे ऩत ्य भैंने कबी नहीॊ लरखा। इस ऩय ऩडा हझआ मे नाभ बी भेया नहीॊ है ...? मे सझभन कौन है जजसकी याइदटॊग तक
भझझसे लभरती है ...कौन मे सझभन...?
‘‘अफ अगधक चाराक फनने की कोलशश भत कयो भोनेका...मे ऩयू ी तयह लसि हो चक
झ ा है कक तम्
झ हीॊ सभ
झ न हो।...उसके
ववयोध भें तम्
झ हायी दरीरें, तम्
झ हाये ववयोध सबी खोखरे हैं...एक ओय तभ
झ मे बी स्वीकाय कयती हो कक मे याइदटॊग तम्
झ हायी है
रेककन दस
ू यी ओय तभ
झ सझभन होने से इॊकाय कयती हो जजसने स्वमॊ मे ऩत्र लरखा है –अफ तम्
झ हाया मे ढोंग सभाप्त हो चक
झ ा है
जरीर रडकी...अच्िा मे है कक अफ तभ
झ बी मे स्वीकाय कय रो कक तम्
झ हीॊ सझभन हो।...वैसे अफ तम्
झ हाये स्वीकाय अथवा
अस्वीकाय कयने से कोई अॊतय नहीॊ ऩडता क्मोंकक इस अॊछतभ ऩयीऺा ने सॊदेह की कोई गझॊजाइश ही नहीॊ िोडी है –अफ
तम्
झ हायी कोई बी चाराकी चर नहीॊ सकती।’’ शेखय कठोय होकय फोरा।

‘‘अफ भैं आऩको कैसे सभझाऊॊ कक भैं नहीॊ जानती कक मह सफ क्मा है ? मे सझभन कौन है ?’’

‘‘भोनेका उपय सझभन! मे शीशे की बाॊछत साप हो चक


झ ा है कक तम् झ एक चाराक रडकी हो ककॊतझ
झ हीॊ सझभन हो–मे भाना कक तभ
सभस्त सझफूत स्ऩटट हो जाने के फाद जो चाराकी तभ
झ ददखा यही हो वह खोखरी है –उसभें कोई तत्त्व नहीॊ यह गमा है –अफ
तम्
झ हें ऩलझ रस के हाथों भें सोंऩने के अछतरयक्त कोई चाया नहीॊ है ।’’ शेखय उसे धभकाता हझआ फोरा।

‘‘ऩता नहीॊ आऩ रोग भझझे क्मों सझभन फनाना चाहते हैं...भझझे ऩझलरस-वझलरस भें दे ने से ऩहरे भेये डैडी को फझरा दीजजए। वे ही
आऩको फताएॊगे कक भैं उनकी फेटी भोनेका हूॊ अथवा तम्
झ हायी सझभन।’’ वह लससकती-सी फोरी।
तत्ऩश्चात–

वे दोनों राख प्रमास कयते यहे कक वह स्वमॊ कह दे कक वह सझभन है–उन्होंने सभस्त ढॊ ग अऩनाए ककॊतझ उसने नहीॊ कहा कक
वह सभ
झ न है । वह मही कहती यही कक वह भोनेका है औय सभ
झ न नाभ की ककसी रडकी से ऩरयगचत तक नहीॊ है ।

न जाने क्मों उसका बोरा भझखडा दे खकय शेखय के कॊठ से मे फात नीचे नहीॊ उतय यही थी कक मे भासूभ रडकी इतना फडी
फ्रॉड हो सकती है । ककॊतझ उसकी सूयत–उसकी याइदटॊग–।
उरझन...उरझन औय...अगधक उरझन...।
भोनेका...।

झ हये बववटम के स्वप्न होते हैं। ककॊतझ साथ ही मह वह आमझ


भोनेका खखरती हझई करी थी जजसभें बावनाएॊ होती हैं–अऩने सन
बी है जजससे अगय बावनाओॊ को ठे स रग जाए तो ददर टूट जाता है । हकके से झटके से सझनहये बववटम के स्वप्न छिन्न-
लबन्न हो जाते हैं।

भोनेका भें बी अऩनी आमझ के अनझसाय वे सफ बावनाएॊ ववद्मभान थीॊ–उसे वय लभरा था–शेखय के रूऩ भें भनचाहा
वय...उसके स्वप्नों का शहजादा। उसने बी ददर ही ददर भें न जाने ककतने अयभान सजाए थे?...सह
झ ागयात के ववषम भें
जफ वह सोचती थी तो एक ववगचत्र-सी लभठास का अनझबव कयती थी। ककतनी फेताफी से प्रतीऺा की थी उसने इस यात की–
इस यात की ककऩना कयके उसका ददर तेजी से धडकने रगता था–ककॊत–

ककॊतझ उसकी सझहागयात–मानी आज की यात–


उसके न लसपय सभस्त सऩने, उसकी बावनाएॊ, उसकी ककऩनाएॊ ही छिन्न-लबन्न हो गईं फजकक क्मा-क्मा नहीॊ कहा गमा।
उसे न लसपय दख
झ हझआ फजकक इस फात का ऺोब बी हझआ कक शेखय को बी उस ऩय ववश्वास नहीॊ है । कझि ववगचत्र-सी घटनाएॊ
ऩेश आईं उसके जीवन भें–

गगयीश ने तो जफ से उसकी सूयत दे खी तफ से क्मा-क्मा नहीॊ कहा?–ककॊतझ वह सॊतटझ ट यही कक उसका दे वता तो उसके ऩऺ
भें है ककॊतझ जफ शेखय ने बी उसे एक से एक कटझ वचन कहा–उसे झूठी सात्रफत ककमा–उस ऩय से ववश्वास उठा लरमा तो वह
तडऩ उठी–लससक उठी वह–उसका रृदम ऩीडाओॊ से बय गमा। ककॊतझ एक तयप उसे इस फात ऩय गहन आश्चमय बी था कक
आखखय मे सझभन कौन है जजसकी न लसपय सूयत उससे लभरती है फजकक याइदटॊग बी ठीक वही है –रेककन मे सोचने से
अगधक वह अऩना बववटम सोच यही थी।

जजस यात के लरए उसने इतनी भधयझ -भधयझ ककऩनाएॊ की थीॊ उसी यात उसकी इतनी जजकरत–उसका इतना अऩभान–नहीॊ–
वह भासूभ करी सहन न कय सकी। उसके नन्हे-भझन्ने से, प्माये औय भासूभ ददर को एक ठे स रगी–अऩभान की एक तीव्र
ठे स।
गगयीश औय शेखय कभये से फाहय जा चक
झ े थे।
वह पपक-पपककय यो ऩडी–आॊसझओॊ से उसका भझखडा बीग गमा–सझहाग सेज ऩय फैठी वह योती यही।

न जाने उसके ददर भें ककतने ववचायों का उत्थान-ऩतन हो यहा था।

शामद कोई बी रडकी ऩहरी ही यात को इतना अऩभान सहन नहीॊ कय सकती। अचानक उसके ददभाग भें ववचाय आमा कक
क्मों न वह इसी सभम अऩने वऩता के ऩास चरी जाए–वहाॊ जाकय उनसे सफ कझि कहे । हाॊ तबी सफ कझि ठीक हो सकता
है । एक मही यास्ता है जजससे वह शेखय को अऩने सच्चे होने का ववश्वास ददरा सकती है, उसे रगा जैसे अगय अफ वह महाॊ
यही तो मे गगयीश नाभक शेखय का दोस्त उसे सझभन सभझकय उसकी हत्मा कय दे गा। वास्तववकता तो मे थी कक उसे
गगयीश ऩय सफसे अगधक िोध आ यहा था। वह बी उसे याऺस जैसा रगा था–न मे होता न मह सफ झगडे होते।

अफ तो शेखय को बी उस ऩय ववश्वास न यहा था–वह बी उसे सभ


झ न ही सभझकय उससे नपयत कयने रगा है –अफ क्मा कये
वह–?

अफ लसपय एक ही यास्ता है –वह है कक उसे अफ सीधे अऩने वऩता के घय जाना चादहए, उन्हें सभस्त घटनाओॊ से ऩरयगचत
कयाए तबी कझि हो सकता है–उसके वऩता स्वमॊ इन उरझनों को सझरझा रें गे। अफ उसे जाना चादहए–अबी इसी वक्त।

ककॊतझ कैसे?–कैसे जाए वह–?


मह बी एक फहझत फडा प्रश्न था–अगय अफ वह जाने के लरए शेखय से कहे गी तो शेखय उसे कबी नहीॊ जाने दे गा। उसकी
छनगाहों भें तो वह अफ फेवपा, हवस की ऩझजारयन सझभन यह गई है । अफ तो शेखय बी उससे घण
ृ ा कय यहा है औय–औय–
अगय उस याऺस गगयीश को ऩता रग गमा कक वह अऩने वऩता के घय जाना चाहती है तो उसका खन
ू ही कय दे गा। वह तो
उसे भाय ही डारेगा–उसे माद आमा उस सभम का गगयीश–जफ वह उसका गरा घोंट यहा था–कैसी रार-रार आॊखें,
बमानक चेहया, ककतनी शजक्त से गरा घोंटा था उसने? सोचते-सोचते वह बम से काॊऩ गई। गगयीश से उसे डय-सा रगने
रगा। वह बमबीत हो चक
झ ी थी।

नहीॊ–अगय वह जाने के लरए गगयीश से कहे गी तो वह याऺस उसकी हत्मा कय दे गा–वह तो है ही उसके खन
ू का प्मासा। तो
कपय वह कैसे जाए? जाना तो उसे होगा ही।
अगय न जाएगी तो मे रोग उसे सझभन ही सभझते यहें गे। रेककन जाए तो कैसे? मही एक प्रश्न था उसके भजस्तटक भें ।
आखखय कैसे जाए वह?
अऩने गभों को बझराकय इस सभम वह सोचने भें व्मस्त हो गई थी।

अत् नमनों भें नीय आना फॊद हो गमा–आॊसू सूख चक


झ े थे।
सोचते-सोचते अचानक उसकी छनगाह भेज ऩय ऩडे ऩैन औय एक कागज ऩय ऩडी। कपय जैसे उसे कझि सूझ गमा हो।

उसने तयझ ॊ त दोनों वस्तए


झ ॊ उठाईं औय कागज ऩय छनम्न शब्द लरखे–

‘भेये प्राणनाथ शेखय!


शामद ही भझझ जैसी अबागगन इस सॊसाय भें कोई अन्म हो। कैसा अबाग्म है भेया कक इस यात जजस भझॊह से भेये लरए पूर
झडने थे उस भझॊह से काॊटों की वषाय हझई। आऩका ववश्वास भझझसे इतना शीघ्र उठ गमा, मह भेया अबाग्म नहीॊ तो क्मा है ? जो
कदभ भैं अफ उठाने जा यही हूॊ, सवयप्रथभ भैं आऩके चयणों को स्ऩशय कयके उसके लरए ऺभा चाहती हूॊ।

भेये रृदमेश्वय, भैं आऩको त्रफना सगू चत ककए औय त्रफना आऩकी आऻा लरए महाॊ से जा यही हूॊ। भैं जानती हूॊ भेये दे वता कक
इससे फडा आऩका अऩभान नहीॊ हो सकता। ककॊतझ मह सफ कयने के लरए इस सभम भैं वववश हूॊ–न जाने क्मों आऩ बी भझझे
सझभन सभझने रगे, भैं सझभन नहीॊ हूॊ मही लसि कयने भझझे अऩने वऩता के घय जाना ऩड यहा है ।

भेये प्राणेश्वय–मे तच्


झ ि ववचाय कदावऩ अऩने भजस्तटक भें न राना कक भैं वऩता के घय जाकय अऩना कोई फडप्ऩन ददखाना
चाहती हूॊ अथवा आऩका अऩभान कय यही हूॊ–आऩके साभने भैं क्मा हूॊ–औय भेये वऩता क्मा हैं? भैं तो हूॊ ही आऩके चयणों की
दासी–औय भेये वऩता ने तो आऩको मोग्म जानकय अऩनी सभस्त इज्जत ही आऩको सौंऩ दी है ।

अच्िा भेये सझहाग, अफ आऩको भोनेका फनकय लभरूॊगी।


आऩके चयणों की दासी
उसने शीघ्रता से मह सफ लरखा औय ऩास ही यखी भेज ऩय यखकय ऩेऩयवेट से दफा ददमा। कपय वह दफे ऩाॊव कभये से फाहय
आ गई। वातावयण भें यात का साम्राज्म था–ककॊतझ आज चाॊद बी भानो यात के साभने डट गमा था।

जहाॊ यात ने अऩनी स्माह चादय से वातावयण को ढाॊऩा था वहाॊ चाॊद ने अऩनी चाॊदनी से उस अॊधकाय को अऩनी ऺभता के
अनझसाय ऩयाजजत बी कय ददमा था।

वह गैरयी भें आ गई।


सभस्त कोठी सन्नाटे भें डूफी हझई थी–उसने दे खा कक गैरयी के सफसे अॊछतभ वारे कभये से िनता हझआ प्रकाश आ यहा था।

वह जानती थी कक मह कभया शेखय का है–उसने अनझभान रगामा कक शामद शेखय औय गगयीश इस ववषम ऩय ववचाय-
ववभशय कय यहे हैं।

ककॊतझ इस ववषम ऩय उसने अगधक नहीॊ सोचा फजकक वह दफे ऩाॊव आगे फढ गई।

उसके फाद–
इसी प्रकाय सतकयता के साथ वह सयझ क्षऺत फाहय आ गई।
फाहय आकय उसने इधय-उधय दे खा औय ऩैदर ही तेजी के साथ ववधवा की सूनी भाॊग की बाॊछत ऩडी सडक ऩय फढ गई।
यात के वीयान सन्नाटे भें उसके कदभों की टक-टक दयू तक पैरी चरी जाती तो फडी यहस्मभमी-सी प्रतीत होती।

अबी वह अगधक दयू नहीॊ चरी थी कक उसने साभने से आती एक टै क्सी दे खी। उसने तयझ न्त सॊकेत से उसे योका। टै क्सी
जजतनी उसके छनकट आती जा यही थी उसकी गछत उतनी ही धीभी होती जा यही थी।
रगता था आज टै क्सी-ड्राइवय को कापी भोटा भार लभर गमा था, तबी तो वह ठे के से ठयाय न लसपय रगाकय आमा था
फजकक आवश्मकता से अगधक चढा गमा था–यह-यहकय उसकी आॊखें फॊद होने रगतीॊ। मह ववचाय ददभाग भें आते ही कक इस
सभम वह टै क्सी चरा यहा है वह इस प्रकाय चौंककय आॊखें खोरता भानो अचानक उसके जफडे ऩय कोई शजक्तशारी घूॊसा
ऩडा हो–स्टे मरयॊग रडखडा जाता ककॊतझ वह कपय सॊबर जाता। औय उस सभम तो न लसपय उसकी आॊखें खर
झ गईं फजकक
उसकी फाॊिे बी खखर गईं जफ उसने लभचलभचाती आॊखों से सडक के फीचोफीच खडी रार साडी भें लरऩटी एक स्वगीम
अप्सया को दे खा–वह उसे रुकने का सॊकेत कय यही थी।

उसके अॊदय की शयाफ फोरी–‘फेटे फकरो–आज तो भेया माय खद


झ ा ऩहरवान तझ
झ ऩय जरूयत से कझि ज्मादा ही भेहयफान है –
दे ख नहीॊ यहा साभने खडी अप्सया को–मह खद
झ ा ऩहरवान ने तेये लरए ही बेजा है ।’

भोनेका के छनकट ऩहझॊचते-ऩहझॊचते उसने टै क्सी योक दी औय सॊबरकय उसने खखडकी से अऩनी गदय न छनकारकय कहा–
‘‘कहाॊ जाना है , भेभ साहफ?’’ उसने बयसक प्रमास ककमा था कक मझवती मह न सभझ सके कक मह नशे भें है –औय वास्तव
भें वह कापी हद तक सपर बी यहा।

भोनेका अऩने ही ववचायों से खोई हझई थी, उसने ही ठीक से टै क्सी ड्राइवय का वाक्म बी न सझना फजकक सीट ऩय फैठकय ऩता
फता ददमा।

फकरो ने टै क्सी वाऩस कयके आगे फढा दी।


भोनेका सीट ऩय फैठते ही कपय ववचायों के दामये भें छघय गई।

इधय फकरो ऩये शान हो गमा–एक तो ऩहरे ही शयाफ का नशा औय ऊऩय से भोनेका के सौन्दमय का नशा। वह तो भानो अऩने
होशोहवास ही खोता जा यहा था। उसके ददभाग भें ऊर-जरूर ववचाय आ यहे थे। उसे न जाने क्मा सूझा कक वह एक हाथ
िाती ऩय भायकय रडखडाते स्वय भें फोरा–‘‘कहो भेयी जान, रार िडी–माय के ऩास जा यही हो मा आ यही हो?’’
भोनेका एकदभ चौंक गई–उसके ददभाग को एक झटका-सा रगा–वह ववचायों भें इतनी खोई हझई थी कक उसने लसपय मह
अनझबव ककमा कक टै क्सी ड्राइवय ने कझि कहा है –ककॊतझ क्मा कहा है मह वह न सझन सकी। अत् चौंककय वह कझि आगे होकय
फोरी–‘‘क्मा...?’’

‘‘भैंने कहा भेयी जान, कभ हभ बी नहीॊ हैं।’’ फकरो एक हाथ से उसे ऩकडता हझआ फोरा।

भोनेका सहभी औय चौंककय ऩीिे हट गई।


उस सभम गाडी एक भोड ऩय थी...फकरो का लसपय एक हाथ स्टे मरयॊग ऩय था...भोनेका के सौन्दमय के नशे भें वह भोड के
दस
ू यी ओय से फजने वारे हॉनय का उत्तय बी न दे सका फजकक रडखडाती-सी चार से उस भोड ऩय भड
झ गमा। तबी दस
ू यी
ओय से आने वारी काय ऩय उसकी दृजटट ऩडी।...साभने वारी काय वेग की दृजटट से अत्मॊत तीव्र थी औय उसके कापी छनकट
बी ऩहझॊच चक
झ ी थी।

फकरो ने जफ भौत को इतने छनकट से दे खा तो हडफडा गमा...उसने स्टे मरयॊग सॊबारने का प्रमास ककमा ककॊतझ काय
रडखडाकय यह गई।...साभने वारी काय को वह झरक के रूऩ भें लसपय एक ही ऩर के लरए दे ख सका...अगरे ही ऩर...।
अगरे ही ऩर तो तीव्र वेग से दौडती काय उसकी टै क्सी से आ टकयाई। एक तीव्र झटका रगा...कानों के ऩदो को पाड दे ने
वारा एक तीव्र धभाका हझआ?...प्रकाश की एक गचॊगायी बडकी...ऩेट्रोर हवा भें रहयामा।...साथ ही आग के शोरे बी।

मह एक बमॊकय एक्सीडेंट था।


दोनों कायें आग की रऩटों से छघयी हझई थीॊ। दे खते-ही-दे खते वह स्थान रोगों की बीड से बय गमा। शीघ्र ही ऩझलरस औय
पामय त्रिगेडयों ने जस्थछत ऩय काफू ऩामा।
रगबग सझफह के चाय फजे...।
अचानक सेठ घनश्माभदास के लसयहाने यखी भेज ऩय पोन की घॊटी घनघना उठी।...यात क्मोंकक दे य से सोए थे अत् वे घॊटी
सझनकय झझॊझरा गए। ककॊतझ जफ घॊटी ने फॊद होने का नाभ ही नहीॊ लरमा तो वववश होकय उन्हें रयसीवय उठाना ही ऩडा औय
आॊख भीॊच-े ही-भीॊचे वे अरसाए-से स्वय भें फोरे–‘‘कौन है ...क्मा भझसीफत है ...?’’

‘‘आऩ सेठ घनश्माभदास फोर यहे हैं ना।’’ दस


ू यी ओय से आवाज आई।

‘‘मस...आऩ कौन हैं?’’ वे उसी प्रकाय आॊख फॊद ककए फोरे।


‘‘भैं भेडडकर हॉजस्ऩटर से डॉक्टय शभाय फोर यहा हूॊ...।

‘‘ओफ्पो! माय शभाय...मे बी कोई सभम है पोन कयने का।’’ सेठजी झझॊझराए।

‘‘घनश्माभ, तम्
झ हायी फेटी जफयदस्त दघ
झ ट
य ना का लशकाय हो गई है ।’’

‘‘क्मा फकते हो?’’ सेठ घनश्माभ की आॊखें एक झटके के साथ खर


झ गईं–‘‘आज शाभ तम्
झ हायी उऩजस्थछत भें ही तो उसे ववदा
ककमा है ।’’

‘‘वह तो ठीक है घनश्माभ रेककन भारूभ नहीॊ क्मों वह इस सभम वाऩस आ यही थी कक दघ
झ ट
य ना का लशकाय हो
गई।...ड्राइवय की तो घटना-स्थर ऩय ही भत्ृ मझ हो गई, भोनेका अबी अचेत है ।’’

‘‘भैं अबी आमा।’’ सेठजी ने पझती से कहा। उनकी नीॊद हवा हो गई थी। उन्होंने तयझ ॊ त शेखय के नम्फय डामर ककए औय पोन
उठाए जाने ऩय वे फोरे–‘‘कौन फोर यहा है ? जया शेखय को फझराओ।’’
‘जी...भैं शेखय फोर यहा हूॊ...भोनेका शामद वहाॊ ऩहझॊच गई है ...भैं वहीॊ आ यहा हूॊ।’’ दस
ू यी ओय से शेखय का स्वय था।

‘‘शेखय...यास्ते भें भोनेका दघ


झ ट
य ना का लशकाय हो गई है ।’’
‘‘क्मा...क्मा...क्मा कहा?’’ शेखय फयझ ी तयह चौंक ऩडा–‘‘कैसे?’’

‘‘अबी-अबी भेये ऩास डॉक्टय शभाय का पोन आमा था।’’ उसके फाद सेठ घनश्माभदास ने पोन ऩय सॊऺेऩ भें वह सफ कझि
फता ददमा जो उन्हें ऩता था।

सझनकय शेखय ने शीघ्रता से हॉजस्ऩटर भें ऩहझॉचने के लरए कहा औय पोन यख ददमा।

सॊफॊध ववच्िे द होते ही सेठ घनश्माभदास ने ड्राइवय को जगामा औय अगरे ही कझि ऺणों भें उनकी काय आॊधी-तप
ू ान का
रूऩ धायण ककए हॉजस्ऩटर की ओय फढ यही थी।
रगबग तीन लभनट ऩश्चात उनकी काय हॉजस्ऩटर के रॉन भें आकय थभी।...उन्होंने रॉन भें खडी शेखय की काय से
अनझभान रगामा कक शेखय उनसे ऩहरे महाॊ ऩहझॊच चक
झ ा है ।

जफ वे अॊदय ऩहझॊचे तो सफसे ऩहरे उनके कदभ डॉक्टय शभाय के कभये की ओय फढे ...जफ वे कभये भें प्रववटट हझए तो उन्होंने
दे खा कक शेखय औय गगयीश कझलसयमों ऩय फैठे फेचन
ै ी से ऩहरू फदर यहे थे। गगयीश से उनका ऩरयचम शादी के सभम स्वमॊ
शेखय ने कयामा था।

कभये भें शभाय बी थे।...घनश्माभ को दे खकय तीनों उठ खडे हझए...घनश्माभ रऩकते हझए फोरे–‘‘कहाॊ है भेयी फेटी?’’

‘‘आइए भेये साथ।’’ शभाय ने कहा औय वे चायों कभये से फाहय आकय तेजी के साथ रम्फी गैरयी ऩाय कयने रगे। सफसे आगे
शभाय चर यहे थे।
तफ जफकक वे रोग उस कभये भें ऩहझॉचे जहाॊ भोनेका अचेत ऩडी थी...सेठ घनश्माभजी अऩनी फेटी की ओय रऩके।...गगयीश
औय शेखय ने भोनेका के चेहये को दे खा जो इस सभम ऩदट्टमों से फॊधा हझआ था। अगधकतय चोट उसके भाथे औय गद्द
झ ी वारे
बाग भें आई थी।...मूॊ तो सभस्त चेहया ही चोटों से बया था ककॊतझ वे कोई भहत्त्व न यखती थीॊ। ववशेष चोट उसके भजस्तक
वारे बाग ऩय थी...उसके अन्म जजस्भ ऩय कऩडा ढका था। अत् चेहये के अछतरयक्त चोटें औय कहाॊ आई हैं...मे वो नहीॊ
दे ख सके थे। गगयीश औय शेखय ने भोनेका के चोटग्रस्त, शाॊत, बोरे औय भासूभ भझखडे को दे खा औय कपय एक-दस
ू ये की
ओय दे खकय यह गए।

‘‘डॉक्टय...अगधक चोट आई है क्मा...?’’ सेठ घनश्माभदास ने प्रश्न ककमा।

‘‘बगवान का धन्मवाद अदा कयो घनश्माभ कक भोनेका फच गई वनाय टै क्सी ड्राइवय औय दस


ू यी काय भें फैठे दो व्मजक्तमों की
तो घटना-स्थर ऩय ही भत्ृ मझ हो गई।’’

‘‘हे बगवान, राख-राख शझि है तम्


झ हाया।’’ सेठजी अॊतधायन-से होकय फोरे।

‘‘वैसे कोई ववशेष तो चोट नहीॊ आई है ...लसपय भाथे औय गद्द


झ ी भें गहयी चोट रगी है ।’’ डॉक्टय शभाय ने फतामा।

‘‘अबी दस लभनट ऩूवय नसय ने इॊजेक्शन ददमा होगा...भेये ख्मार से दो-एक लभनट भें होश आ जाना चादहए।’’ डॉक्टय शभाय
घडी दे खते हझए फोरे।

कझि ऺणों के लरए कभये भें छनस्तब्धता िा गई, तबी सेठ घनश्माभ ने छनस्तब्धता को बॊग ककमा–‘‘शेखय, भोनेका अकेरी
टै क्सी भें घय क्मों आ यही थी?’’

उसके इस प्रश्न ऩय एक फाय को तो शेखय हडफडाकय यह गमा। उससे ऩूयव


् कक वह कझि उत्तय दे , वे चायों ही चौंक
ऩडे।...चायों की छनगाह भोनेका ऩय जा दटकी।...चौंकने का कायण भोनेका की कयाहट थी। उसके जजस्भ भें हयकत होने
रगी।...चायों शाॊछत औय जजऻासा के साथ उसकी ओय दे ख यहे थे।

भोनेका कयाह यही थी उसके अधय पडपडाए...धीये-धीये उसकी ऩरकों भें कम्ऩन हझआ...कम्ऩन के फाद धीभे-धीभे उसने
ऩरकें खोर दीॊ...उसे सफ कझि धध
ॊझ रा-सा नजय आमा।
‘‘भोनेका...भेयी फेटी...आॊखें खोरो, दे खो भैं आ गमा हूॊ...तम्
झ हाया डैडी।’’ सेठ घनश्माभदास भभता बये हाथ उसके कऩोरों
ऩय यखते हझए फोरे।
शेखय व गगयीश शाॊत खडे थे।
‘‘घनश्माभ, उसे ठीक से होश भें आने दो।’’ डॉक्टय शभाय फोरे।

सेठ घनश्माभ की आॊखों से आॊसू टऩक ऩडे। भभताभमी दृजटट से वे उसे छनहाय यहे थे।
इसी प्रकाय कयाहते हझए भोनेका ने आॊखें खोर दीॊ...चायों ओय छनहायती–सी वह फडफडाई–‘‘भैं कहाॊ हूॊ?’’

‘‘तभ
झ हॉजस्ऩटर भें हो भोनेका...दे खो भैं तम्
झ हाया वऩता हूॊ तभ
झ ठीक हो।’’

‘‘भेये वऩता...।’’ उसके अधयों से धीभे कम्ऩन के साथ छनकरा–‘‘नहीॊ...आऩ भेये वऩता नहीॊ हैं...भैं कहाॊ हूॊ...अये तभ
झ रोगों
ने भझझे फचा क्मों लरमा...भझझे भय जाने दो...भैं डामन हूॊ...चड
झ र
ै हूॊ, भझझे भेये वऩता भाय डारेंगे।’’

‘‘मे क्मा कह यही हो तभझ भोनेका...? क्मा तभ


झ इसे बी नहीॊ ऩहचानती...?’’ उन्होंने शेखय को ऩास खीॊचते हझए कहा–‘‘मे है
शेखय...तम्झ हाया ऩछत।’’

‘‘ऩछत...भोनेका?’’ ऐसा रगता था जैसे वह कझि सोचने का प्रमास कय यही है ...ऩये शान-सी होकय वह फोरी–‘‘आऩ रोग
कौन हैं ‘औय मे क्मा कह यहे हैं...भेयी तो अबी शादी बी नहीॊ हझई...भेया नाभ भोनेका नहीॊ...भैं सझभन हूॊ...भझझे भय जाने
दो...अफ भैं जीना नहीॊ चाहती।’’ वह फडफडाई।
मे शब्द सबी ने सझन.े ..सबी चौंके...फझयी तयह चौके गगयीश औय शेखय, उसके शब्द सझनते ही उन्होंने कपय एक दस
ू ये को
दे खा।

गगयीश तयझ ॊ त रऩककय उसके ऩास ऩहझॊचा औय फोरा–‘‘सझभन...सझभन क्मा भझझे ऩहचानती हो?’’

‘‘गगयीश...गगयीश!’’ उसने आश्चमय के साथ दो फाय फझॊदफझदामा औय कपय उसकी गदय न एक ओय ढझरक गई...वह दोफाया
अचेत हो गई थी।
सफ एक दस
ू ये को दे खते यह गए...सबी के चेहयों ऩय आश्चमय के बाव स्ऩटट थे।

‘‘डॉक्टय शभाय...मे सफ क्मा है ...?’’ ‘घनश्माभ ने घफयाते हझए प्रश्न ककमा।

‘‘इसके ददभाग भें ऩरयवतयन हो गमा है ।’’ डॉक्टय शभाय फोरे।

सबी के भझॊह आश्चमय से पटे यह गए। डॉक्टय शभाय गगयीश से सॊफोगधत होकय फोरे–‘‘क्मा तभ
झ इसे सझभन के नाभ से जानते
हो?’’

‘‘जी हाॊ...उतनी ही अच्िी तयह जजतना एक प्रेभी अऩनी प्रेलभका को जान सकता है । रेककन सेठजी, मे क्मा यहस्म है । जफ
इस रडकी का नाभ सझभन था तो मे भोनेका कैसे फनी?’’ गगयीश ने सेठ घनश्माभ से प्रश ्न ककमा।

‘‘उप...गगयीश! अफ भैं मे कहानी तम्


झ हें कैसे सझनाऊॊ?’’
‘‘नहीॊ, आऩको फताना ही होगा।’’

‘‘इस यहस्म से डॉक्टय बी ऩरयगचत हैं, उन्हीॊ से ऩि


ू रो।’’ सेठ घनश्माभदास अऩना भाथा ऩकडकय फैठ गए।
‘‘क्मों डॉक्टय शभाय?’’
‘‘खैय नवमझवक...!’’ डॉक्टय शभाय फोरे–‘‘मूॊ तो सेठ घनश्माभ की ऩत्नी हभसे कझि वचन रेकय इस सॊसाय से ववदा हझई थी
रेककन अफ जफकक इस रडकी की खोई हझई स्भछृ तमाॊ वाऩस आ गई हैं तो उन्हें िझऩाना रगबग व्मथय-सा ही है ।...फात आज
से रगबग एक वषय ऩझयानी है जफ हभ मानी भैं, सेठ घनश्माभदास, उनकी ऩत्नी वऩकछनक भनाने जॊगर भें नदी के ककनाये
गए हझए थे। उस सभम भैं भिरी पॊसाने के लरए काॊटा नदीॊ भें डारे फैठा था कक भैंने अऩने काॊटे भें फढता हझआ बाय अनझबव
ककमा। भैंने सभझा...आज फहझत फडी भिरी पॊसी है ।

कापी प्रमास के फाद भैं काॊटा खीॊचने भें सपर यहा।...इस फीच लभस्टय घनश्माभ औय उनकी ऩत्नी बी भेयी ओय आकवषयत
हो चक
झ े थे। अत् ध्मान से काॊटे की ओय दे ख यहे थे ताकक दे ख सकें कक वह ऐसी कौन-सी भिरी है जजसे खीॊचने भें इतनी
शजक्त रगानी ऩड यही है । रेककन जफ हभने काॊटा दे खा तो वहाॊ भिरी के स्थान ऩय एक रडकी को दे खकय चौंक
ऩडे।...कापी प्रमासों के फाद हभ रोगों ने उसे फाहय खीॊचा...डॉक्टय भैं था ही, तयझ न्त उसकी गचककत्सा की औय भैंने उसे
होश भें रामा। होश भें आने ऩय रडकी ने मे कहा कक ‘भैं कहाॊ हूॊ...? भैं कौन हूॊ...?’ उसके दस
ू ये वाक्म मानी ‘भैं कौन हूॊ’ ने
भझझे सफसे अगधक चौंकामा। अत् भैंने तयझ न्त ऩूिा–‘क्मा तभ
झ नहीॊ जानतीॊ कक तभ झ कौन हो?’’ उत्तय, भें रडकी ने इॊकाय
भें गदय न दहरा दी।...भैं जान गमा कक नदी भें गगयने की दघ
झ ट
य ना के कायण रडकी अऩनी स्भछृ त गॊवा फैठी है ।...भैंने
घनश्माभ की ओय दे खा औय फोरा–‘मे रडकी अऩनी माददाश्त गॊवा फैठी है ।’
‘क्मा भतरफ...?’ दोनों ही चौंककय फोरे थे।
‘भतरफ मे कक अफ इसे अऩने वऩिरे जीवन के ववषम भें कोई जानकायी नहीॊ है ...इसे नहीॊ ऩता कक मे कौन है?...इसका
नाभ क्मा है ...? कहाॊ यहती है ...? कौन इसके भाता-वऩता हैं?...सफ कझि बूर गई है मे। इसे कझि माद नहीॊ आएगा...मे
सभझो कक मे इसका नमा जीवन है ।’

‘सच शभाय...क्मा ऐसा हो सकता है ।’ सेठजी की ऩत्नी ने ऩूिा था।


‘हाॊ...ऐसा हो सकता है ।’ भैंने उत्तय ददमा था।

‘डॉक्टय...हभाये ऩास इतनी धन-दौरत है ककॊतझ सॊतान कोई नहीॊ...क्मा सॊबव नहीॊ कक हभ रोग इस रडकी को अऩनी फेटी
फनाकय यखें?’

‘इस सभम तो इस रडकी को त्रफककझर ऐसी सभझो जैसे फारक...इसे जो फता दो वही कये गी...
इसका जो नाभ फता दोगे फस वही नाभ छनधायरयत होकय यह जाएगा।’

इस प्रकाय हभ रोगों ने इस रडकी का नाभ भोनेका यखा। उसे तथा सबी लभरने वारों को मे फतामा कक वह अफ तक
इॊग्रैंड भें ऩढ यही थी। उसे फता ददमा गमा कक उसके वऩता सेठ घनश्माभदास जी हैं औय भाॊ घनश्माभदास की ऩत्नी।...इस
यहस्म को हभ तीनों के अछतरयक्त कोई नहीॊ जानता था। इस घटना के केवर दो भहीने फाद सेठजी की ऩत्नी का दे हावसान
हो गमा ककॊतझ भत्ृ म-झ शैय्मा ऩय ऩडी वे हभ दोनों से मे वचन रे चरीॊ कक हभ रोग इस यहस्म को यहस्म ही फनाए यखेंगे औय
फडी धभ
ू धाभ के साथ इसका वववाह कयें गे। अबी तक हभ उन्हें ददए वचन को छनबा यहे थे कक वक्त ने कपय एक ऩरटा
खामा औय काय एक्सीडेंट वारी दघ
झ ट
य ना से उसकी खोई स्भछृ तमाॊ कपय से माद आ गई हैं। भेये ववचाय से अफ उसे उस जीवन
की कोई घटना माद न यहे गी जजसभें मह भोनेका फनकय यही है ।’’

‘‘ववगचत्र फात है ।’’ सायी कहानी सॊऺेऩ भें सझनकय शेखय फोरा।
‘‘लभस्टय गगयीश!’’ शभाय उससे सॊफोगधत होकय फोरा–‘‘क्मा तभ
झ आज से एक वषय ऩहरे मानी जफ मे सझभन थी, उसके प्रेभी
थे?’’
‘‘छनसन्दे ह।’’
‘‘तो भझझे रगता है कक इस कहानी के ऩीिे अऩयाधी तम्
झ हीॊ हो।’’

‘‘क्मो...आऩने ऐसा क्मों सोचा।’’ गगयीश उरझता हझआ फोरा।

‘‘भेये ववचाय से तभ
झ ने सभ
झ न को प्माय भें धोखा ददमा, क्मोंकक जफ हभने इसे नदी से छनकारा था तो मह गबयवती थी जजसे
फाद भें भैंने गगया ददमा था। वैसे भोनेका के रूऩ भें इसे ऩता न था कक वह एक फच्चे की भाॊ बी फन चक
झ ी है । भेये ख्मार से
वह फच्चा तम्
झ हाया ही होगा।’’

डॉक्टय शभाय के मे शब्द सझनकय गगयीश का रृदम कपय टीस से बय गमा...सूखे घाव कपय हये हो गए। उसके ददर भें एक
हूक-सी उठी...तीव्र घण
ृ ा कपय जाग्रत हझई...उसकी आॊखों के साभने एक फाय कपय फेवपा सझभन घूभ गई...एक फाय कपय
वही सभ
झ न उसके साभने आ गई थी जो नायी के नाभ ऩय करॊक थी सभ झ न का वह गॊदा ऩत्र कपय उसकी आॊखों के साभने
घभ
ू गमा।

अफ उसे सझभन से कोई सहानझबूछत-नहीॊ थी...मह तो वह जान चक


झ ा था कक भोनेका के रूऩ भें वह जो कझि कह यही थी, जो
कझि कय यही थी, इसभें उसकी कोई गरती न थी ककॊतझ गगयीश बरा उस सझभन को कैसे बूर सकता है जजसने उसे नपयत
का खजाना अवऩयत ककमा? जजसने उसे फफायद कय ददमा। वह उस गॊदी, फेवपा औय छघनौनी सझभन को कैसे बूर सकता था?
उसे तो सभ
झ न से नपयत थी...गहन नपयत।

औय आज–
आज एक वषय फाद बी डॉक्टय शभाय सझभन के कायण ही ककतने फडे अऩयाध का अऩयाधी ठहया यहा था।

उसकी आॊखों भें िोध बय आमा, उसका चेहया रार हो गमा।


उसका भन चाहा कक आगे फढकय अचेत नागगन का ही गरा घोंट दे । वह आगे फढा ककॊतझ शेखय ने तयझ ॊ त उसकी कराई
थाभकय दफाई...कपरहार चऩ
झ यहने का सॊकेत ककमा।
गगयीश खन
ू का घूॊट ऩीकय यह गमा।
डॉक्टय शभाय के अधयों ऩय एक ववगचत्र भझस्कान उबयी...मे भझस्कान फता यही थी कक उन्होंने गगयीश की चप्झ ऩी का भतरफ
अऩयाध स्वीकाय से रगामा है । अत् वे गगयीश की ओय दे खकय फोरे–‘‘लभस्टय गगयीश...अऩने दोस्त के ऩास आकय तभ

सझभन से लभरे ककॊतझ ववश्वास कयो, भोनेका के रूऩ भें वह तम्
झ हें नहीॊ ऩहचानती थी रेककन अफ जफकक वह अऩनी ऩझयानी
स्भछृ तमों भें वाऩस आ गई है तो वह तम्
झ हाये अछतरयक्त हभभें से ककसी को नहीॊ ऩहचानेगी। अत् अफ तम्
झ हें भानवता के
नाते सझभन को अऩनाकय उसके घावों ऩय पोमा यखना होगा। होश भें आते ही तभ
झ उससे प्माय की फातें कयोगे ताकक उसके
जीववत यहने की अलबराषा जाग्रत हो।...तम्
झ हें सझभन को स्वीकाय कयना ही होगा।’’

गगयीश का भन चाहा कक वह चीखकय कह दे –‘प्माय की फातें ...औय इस डामन से, इसके होश भें आते ही भैं इसकी हत्मा
कय दॊ ग
ू ा...मे नागगन है ...जहयीरी नागगन।’ रेककन नहीॊ वह कझि नहीॊ फोरा। उसने अऩने आॊतरयक बावों को व्मक्त नहीॊ
ककमा, वहीॊ दफा ददमा...वह शान्त खडा यहा।

उसके फाद...।
तफ जफकक एक इॊजेक्शन दे कय अचेत सझभन को कपय होश भें रामा गमा...उसी प्रकाय कयाहटों के साथ उसने आॊखें
खोरीॊ...आॊखें खोरते ही वह फडफडाई–
‘‘गगयीश...गगयीश...।’’
गगयीश के भन भें एक हूक-सी उठी। उसका भन चाहा कक वह चीखकय कह दे कक वह अऩनी गॊदी जफान से उसका नाभ न
रे ककॊतझ उसने ऐसा नहीॊ ककमा फजकक ठीक इसके ववऩयीत वह आगे फढा औय सझभन के छनकट जाकय फोरा–‘‘हाॊ...हाॊ सझभन
भैं ही हूॊ...तम्
झ हाया गगयीश।’’ न जाने क्मों इस नागगन को भत्ृ म-झ शैमा ऩय दे खकय उसका रृदम वऩघर गमा था। कझि बी हो
उसने तो प्माय ककमा ही था इस डामन को।
गगयीश के भझख से मे शब्द सझनकय सझभन की वीयान आॊखों भें चभक उत्ऩन्न हझई...उसके अधयों भें धीभा-सा कॊम्ऩन हझआ,
उसने हाथ फढाकय गगयीश का स्ऩशय कयना चाहा ककॊतझ तबी सफ चौंक ऩडे। उसका ध्मान उसी ओय था कक कभये के दयवाजे
से एक आवाज आई–‘‘एक्सक्मज
ू भी।’’

चौंककय सफने दयवाजे की तयप दे खा औय दयवाजे ऩय उऩजस्थत इॊसानों को दे खकय, वे अत्मॊत फझयी तयह चौंके, वहाॊ कझि
ऩलझ रस के लसऩाही थे औय सफसे आगे एक इॊस्ऩेक्टय था। इॊस्ऩेक्टय फढता हझआ डॉक्टय शभाय से फोरा–‘‘ऺभा कयना डॉक्टय
शभाय, भैंने आऩके कामय भें हस्तऺेऩ ककमा, ककॊतझ क्मा ककमा जाए, वववशता है । महाॊ एक जघन्म अऩयाध कयने वारा
अऩयाधी उऩजस्थत है ।’’

सझभन सदहत सबी चौंके...चौंककय एक-दस झ ने कोई अऩयाध ककमा है ? ककॊतझ ककसी
ू ये को दे खा भानो ऩूि यहे हों कक क्मा तभ
बी चेहये से ऐसा प्रगट न हझआ जैसे वह अऩयाध स्वीकाय कयता हो। सफकी नजयें आऩस भें लभरीॊ औय अॊत भें कपय सफ
रोग इॊस्ऩेक्टय को दे खने रगे भानो प्रश्न कय यहे हो कक तभ
झ क्मा फक यहे हो? कैसा जघन्म अऩयाध? कौन है अऩयाधी?

इॊस्ऩेक्टय आगे फढता हझआ अत्मॊत यहस्मभम ढॊ ग से फोरा–‘‘अऩयाधी ऩय हत्मा का अऩयाध है ।’’

‘‘इॊस्ऩेक्टय!’’ शभाय अऩना चश्भा सॊबारते हझए फोरा–‘‘ऩहे लरमाॊ क्मों फझझा यहे हो...स्ऩटट क्मों नहीॊ कहते ककसकी हत्मा हझई
है ...हभभें से हत्माया कौन है ?’’

‘‘हत्मा दे हरी भें...ऩाॊच तायीख की शाभ को हझई है , औय शाभ के तयझ ॊ त फाद वारी ट्रे न से लभस्टय गगयीश महाॊ के लरए यवाना
हो गए ताकक ऩझलरस उन ऩय ककसी तयह का सॊदेह न कय सके।’’

‘‘क्मा फकते हो इॊस्ऩेक्टय?’’ गगयीश फझयी तयह चौंककय चीखा–‘‘अगय ऩाॊच तायीख की शाभ को खन
ू हझआ है औय भैं सॊमोग
से महाॊ आमा हूॊ तो क्मा खन ू ी भैं ही हूॊ।’’
‘‘लभस्टय गगयीश...ऩझलरस को फेवकूप फनाना इतना सयर नहीॊ...खन
ू आऩ ही ने ककमा है, इसके कझि जरूयी प्रभाण ऩझलरस
के ऩास भौजद
ू हैं, मे फहस अदारत भें होगी...कपरहार हभाये ऩास तम्
झ हायी गगयफ्तायी का वायन्ट है ।’’ इॊस्ऩेक्टय भस्
झ कयाता
हझआ फोरा।

‘‘रेककन इॊस्ऩेक्टय खन
ू हझआ ककसका है ?’’ प्रश्न शेखय ने ककमा।

‘‘इनकी ही एक ऩडोसी लभसेज सॊजम मानी भीना का...।’’


‘‘भीना का कत्र...?’’ गगयीश का भॊह
झ आश्चमय से खर
झ ा यह गमा।

औय सझभन को कपय एक आघात रगा...होश भें आते ही उसने सझना कक उसकी दीदी का खन
ू हो गमा है । खन
ू कयने वारा
बी स्वमॊ गगयीश। क्मा गगयीश इस नीचता ऩय उतय सकता है?...हाॊ उसके द्वाया लरखे गए ऩत्र का प्रछतशोध गगयीश इस रूऩ
भें बी रे सकता है । बीतय-ही-बीतय उसे गगयीश से घण
ृ ा हो गई। उसने चीखना चाहा...गगयीश को बरा-फझया कहना चाहा
ककॊतझ वह सपर न हो सकी। उसकी आॊखें फॊद होती चरी गईं औय त्रफना एक शब्द फोरे वह कपय अचेत हो गई, अचेत होते-
होते उसका ददर बी गगयीश के प्रछत नपयत औय घण
ृ ा से बय गमा।

इधय भीना की हत्मा के ववषम भें सझनकय गगयीश अवाक ही यह गमा। सबी की छनगाहें उस ऩय जभी हझई थीॊ। इॊस्ऩेक्टय
व्मॊग्मात्भक रहजे भें फोरा–‘‘भान गए लभस्टय गगयीश कक तभ
झ सपर अलबनेता बी हो।’’

‘‘इस्ऩेक्टय! आखखय ककस आधाय ऩय तभ


झ भझ
झ े इतना सॊगीन अऩयाधी ठहया यहे हो?’’

‘‘मे अदारत भें ऩता रगेगा, कपरहार भेये ऩास तम्


झ हाये लरए मे गहना है ।’’ कहते हझए इॊस्ऩेक्टय ने गगयीश की कराइमों भें
हथकडडमा ऩहना दीॊ।

गगयीश एकदभ शेखय की ओय घूभकय फोरा–‘‘शेखय...खन


ू भैंने नहीॊ ककमा...मे भेये ववरुि कोई षड्मॊत्र है ।’’

शेखय चऩ
झ चाऩ दे खता यहा। उसकी सभझ भें नहीॊ आ यहा था कक मह वह क्मा है ? गगयीश ‘फदनसीफ’ है रेककन आखखय
ककतना आखखय ककतने गभ लभरने हैं गगयीश को? आखखय ककन-ककन ऩयीऺाओॊ से गझजाय यहा है बगवान उसे? एक गभ
सभाप्त नहीॊ होता था कक दस
ू या गभ उसका दाभन थाभ रेता था।

शेखय सोचता यह गमा औय गगयीश को रेकय इॊस्ऩेक्टय कभये से फाहय छनकर गमा।
लशवदत्त शभाय, फी.ए.एर.एर.फी.।
जी हाॊ...मही फोडय रटका हझआ था, उस कभये के फाहय जजसभें सॊजम प्रववटट हझआ। ठीक साभने भेज के ऩीिे एक कझसी ऩय
वकीरों के लरफास भें लशव फैठा हझआ था।

औऩचारयकता के फाद लशव ने कहा–‘‘कदहए, भैं आऩके क्मा काभ आ सकता हूॊ?’’

‘‘आऩकी कापी प्रलसवि सझनकय आऩके ऩास आमा हूॊ।’’

सॊजम ध्मान से उसके चेहये को दे खता हझआ फोरा। ऐसा रगता था भानो वह फात कहने से ऩव
ू य लशव की कोई ऩयीऺा रेनी
चाहता हो।

‘‘मे तो भेयी खश
झ ककस्भती है , कदहए।’’
‘‘एक भडयय केस है ।’’
‘‘आऩ तो जानते ही होंगे कक भैं भडयय केसों का ही ववशेषऻ हूॊ।’’

‘‘जी...तबी तो आऩके ऩास आमा हूॊ...फात मे है कक वऩिरी ऩाॊच तायीख की शाभ को भेयी फीवी का खन
ू हो गमा है ।’’

‘‘ऩूया वववयण फताइए।’’


‘‘वववयण कोई अगधक रम्फा-चौडा नहीॊ है ...भेये ऩझलरस लरखखत फमान मे हैं कक भैं ऩाॊच तायीख की दोऩहय को दे हरी से
फाहय त्रफजनेस के लसरलसरे भें चरा गमा था। सझफह को जफ वाऩस आमा तो सीधा भीना मानी अऩनी फीवी के कभये की
ओय फढा, वहाॊ भीना की राश दे खकय भझझ ऩय क्मा फीती? भैं ऩागर-सा होकय चीख ऩडा औय कझि ही सभम फाद वहाॊ सबी
एकत्रत्रत हो गए।’’

‘‘हत्मा ककस चीज से की गई?’’


‘‘भीना के जजस्भ भें रयवॉकवय की दो गोलरमाॊ ऩाई गईं।’’

‘‘जफ तभ
झ मे कह यहे हो कक दोऩहय के गए हझए तभ झ दसू ये ददन सझफह को घय वाऩस आए तो तम्
झ हें कैसे भारूभ कक खन
ू शाभ
को हझआ था...क्मा मे नहीॊ हो सकता कक तम्
झ हाये जाते ही अथवा यात के सभम हत्माये ने अऩना काभ ककमा हो।’’
‘‘मे भझझे ऩोस्टभाटय भ की रयऩोटय से ऩता रगा...मे ऩोस्टभाटय भ की रयऩोटय है कक हत्मा शाभ के ऩाॊच से सात फजे के फीच भें
ककसी सभम हझई है ।’’

‘‘वैयी गझड...अफ ऩूयी जस्थछत फताओ क्मा है ?’’


‘‘जफ ऩझलरस ने घटनास्थर की जाॊच की तो वहाॊ कझि ऐसे सझफूत लभरे जजन्हें ऩझलरस अऩयाधी के सभझ यही है ...जैसे कक
भीना की राश की फॊद भझट्ठी भें ककसी की कभीज का कऩडा–राश के ऩास ऩडी हझई एक लसगये ट का टझकडा औय तीसया सझफूत
है अऩयाधी के जूतों के छनशान।’’

‘‘जहाॊ हत्मा हझई, क्मा वहाॊ का पशय कच्चा है ?’’


‘‘नहीॊ।’’

‘‘तो कपय जूतों के छनशान कहाॊ औय कैसे ऩाए गए?’’


‘‘ऩझलरस का ख्मार है कक हत्मा से ऩूवय भीना औय हत्माये के फीच कोई खीॊचतान हझई है जजसके कायण भेज ऩय यखे ऩीतर के
गगरास भें यखा दधू त्रफखय गमा औय वहाॊ ऩय त्रफखये दध
ू के ऊऩय अऩयाधी के जत ू ों के छनशान ऩाए गए।’’ सॊजम ने स्ऩटट
ककमा।

‘‘क्मा ऩझलरस मे जान चक


झ ी है कक मे सफ सझफूत ककसकी ओय सॊकेत कयते हैं?’’

‘‘जी हाॊ–अऩयाधी ऩझलरस की दहयासत भें है ।’’


‘‘तो कपय तभ
झ भेये ऩास क्मा रेने आए हो?’’

‘‘वकीर साहफ...! हत्माया फहझत ही फदभाश है ...भैं अऩनी फीवी से फहझत प्रेभ कयता था। अत् हो सकता है कक वह ककसी
फडे वकीर की भदद से झूठा केस फनाकय छनकर जाए, अत् आऩ मे केस भेयी ओय से रडकय उस गझॊडे को उसके अऩयाध
की सख्त से सख्त सजा ददराएॊ।’’ कहते हझए सॊजम ने नोटों का ऩझलरन्दा भेज ऩय यखकय लशव की ओय खखसका ददमा।

‘‘अच्िा...जफ तभ
झ मे चाहते हो कक भैं तम्
झ हाया केस रडू.ॊ ..तो स्ऩष ्ट फता दो कक ऩझलरस को ददए गए फमान भें ककतना सच
औय ककतना झठ
ू है ?...वे फातें बी भझ
झ े साप-साप फता दो जोकक तभ
झ ने ऩलझ रस को नहीॊ फताई हैं औय तम्
झ हायी जानकायी भें
हैं।’’ लशव ने नोटों का ऩझलरन्दा जेफ के हवारे कयते हझए कहा।
‘‘वकीर साहफ...भेयी जो जानकायी थी वह सफ भैंने स्ऩटट ऩझलरस को फता दी है औय सच ऩूछिए तो हत्माया ऩकडा बी भेयी
जानकारयमों के कायण गमा है । वनाय वह तो इतना चाराक था कक हत्मा कयके ही इस शहय से दयू चरा गमा...। अफ ऩझलरस
उसे वहाॊ से ऩकड कय राई है ।’’

‘‘जफ ऩलझ रस ने भेये फमान भें मे ऩि


ू ा कक भझ
झ े ककस ऩय सॊदेह है तो भैंने गगयीश का नाभ रे ददमा, क्मोंकक भझ
झ े वास्तव भें
गगयीश ऩय सॊदेह था। आऩ शामद भझझे जानते नहीॊ हैं, भैं चयणदास जी (सझभन औय भीना के वऩता) का फडा दाभाद हूॊ–भीना
चयणदास जी की रडकी थी।’’

सॊजम के इन शब्दों ऩय लशव चौंका–उसे अबी तक ऩता नहीॊ था कक सॊजम ही चयणदास का दाभाद है । उसे रगा जैसे सॊजम
ककसी षड्मॊत्र की यचना कय यहा है ।...गगयीश का नाभ आते ही वह चौंक ऩडा था। रेककन उसे तयझ ॊ त माद आमा कक ऩाॊच
तायीख की शाभ को तो गगयीश स्वमॊ उसके साथ था कपय बरा उसने खन
ू कैसे कय ददमा? उसे रगा जैसे गगयीश के ववरुि
कोई गहया षड्मॊत्र यचा जा यहा है । उसने भन ही भन गगयीश की सहामता कयने का प्रमास ककमा ककॊतझ चेहये से ककसी प्रकाय
का बाव व्मक्त न कयके फोरा–‘‘तभ
झ ने ऩझलरस को क्मा-क्मा जानकारयमाॊ दी जजनसे गगयीश नाभक हत्माया गगयफ्ताय
हझआ?’’

‘‘जफ ऩझलरस ने भेया सॊदेह ऩूिा तो भैंने गगयीश का नाभ लरमा, क्मोंकक भीना के ऩरयवाय से उसकी शत्रत
झ ा चर यही थी।
उसने ककसी तयह भीना की िोटी फहन औय भेयी सारी सझभन को प्रेभ जार भें पॊसाकय उसको रूट लरमा। जफ वह भाॊ फनने
वारी थी तो अऩने घय रे गमा रेककन उसके फाद आज तक ऩता नहीॊ रगा कक सझभन का क्मा हझआ। भैंने मे ही सॊबावना
प्रकट की थी कक शामद इसी शत्रत
झ ा के कायण गगयीश ने भेयी अनझऩजस्थछत का राब उठाकय भीना की हत्मा कय दी हो। भेये
फमान के आधाय ऩय ऩलझ रस गगयीश के घय ऩहझॊची ककॊतझ जफ गगयीश के नौकय ने फतामा कक गगयीश तो यात साढे आठ वारी
गाडी से फाहय चरा गमा है ...उसने फतामा कक जाते सभम वह फहझत जकदी भें था। नौकय के इन फमानों से सॊदेह गहया
हझआ–उसके फाद ऩझलरस ने उसके घय की तराशी री औय उस सभम गगयीश के हत्माया होने भें सॊदेह न यहा जफ खन ू से सने
कऩडे एक सझयक्षऺत स्थान ऩय यखे ऩाए गए। वहीॊ वह जूता बी था जजसके तरे भें दध
ू के छनशान थे।...शामद मे दोनों चीजें
गगयीश ने उस सझयक्षऺत स्थान ऩय छिऩा दी थीॊ, ककॊतझ ऩझलरस ने खोज ही छनकारीॊ।...उस सभम तो मह ववश्वास ऩूयी तयह
दृढ हो गमा जफ गगयीश के कभये से उसी िाॊड की लसगये टों के वऩिरे बाग ऩाए गए जो राश के ऩास ऩामा था।’’
लशव को रगा मे षड्मॊत्र गगयीश के चायों ओय कापी दृढता से फझना जा यहा है...इतना तो मह छनजश्चत रूऩ से जानता था कक
हत्माया गगयीश तो है नहीॊ क्मोंकक उस शाभ वह स्वमॊ उसके साथ था। उसके साभने ही उसे शेखय का ताय लभरा था औय
स्वमॊ वही उसे गाडी भें फैठाकय आमा था।...रेककन अबी तक वह मह न सभझ सका था कक सॊजम ने जो सॊदेह व्मक्त
ककमा था वह सच्ची बावनाओॊ से ककमा था अथवा उसके ऩीिे उसी का कोई हाथ था।...इतना बी वह सभझ गमा कक
एकत्रत्रत ककए गए सभस्त सफ
झ त ू कय गगयीश को पॊसाने की चार चरी है , ककॊतझ अबी वह ववश्वास के साथ
ू ककसी ने जानफझ
मह छनश्चम न कय सका कक गगयीश को पॊसाने वारा सॊजम है अथवा कोई अन्म...? औय आखखय हत्माया गगयीश को ही
क्मों पॊसा यहा है ...? क्मा हत्माये की गगयीश से कोई व्मजक्तगत दश्झ भनी है...? खैय कपराहार उसने प्रश्न ककमा–‘‘वह
कभया तो फॊद होगा, जजसभें भीना दे वी का खन
ू हझआ?’’

‘‘जी हाॊ, उसभें ऩझलरस का तारा ऩडा हझआ है ।’’


‘‘ऩाॊच तायीख की दोऩहय को तभ झ त्रफजनेस के लसरलसरे भें फाहय कहाॊ गए थे?’’

‘‘कपयोजा नगय!’’
‘‘वहाॊ तक तो लसपय ववभान सेवा है?’’

‘‘जी हाॊ...! लशव चेतावनी-बये रहजे भें फोरा–‘‘वकीर से कबी कझि िझऩाना हाछनकायक होता है । इसके अछतरयक् त तम्
झ हें
जजतनी जानकारयमाॊ हों, फता दो ताकक गगयीश को सख्त से सख्त सजा ददरा सकॊू ।’’

‘‘इसके अछतरयक्त भेये ऩास कोई जानकायी नहीॊ।’’


‘‘अफ तभ
झ जा सकते हो?’’ उसके फाद सॊजम चरा गमा।
लशव ने सॊजम से ऩैसे तो रे लरए ककॊतझ जफ उसने जाना कक खन
ू के केस भें एक छनदोष व्मजक्त सॊमोग से पॊस यहा है अथवा
उसे पॊसामा जा यहा है...अगय फात महीॊ तक सीलभत यहती तो शामद वह शाॊत यहता ककॊतझ जफ उसे मे ऻान हझआ कक पॊसने
वारा उसी का लभत्र गगयीश है तो वह सकिम हो उठा।
सफसे ऩहरे तो उसे मह ऩता रगाना था कक षड्मॊत्रकायी कौन है ?...सॊजम के फमानों को वह दोनों ऩहरझओॊ से सोच यहा था।

सॊजम के फमानों का ऩहरा ऩहरू तो मे था कक वास्तव भें उसकी दृजटट भें उसके फमान छनटऩऺ हों...अथायत ऩरयजस्थछतमों
को दे खते हझए सॊजम का ददर कहता हो कक खन
ू गगयीश ने ही ककमा हो।

औय दस
ू या ऩहरू मह बी था कक सॊबव है सॊजम ने ही गगयीश को पॊसाने के लरए एक षड्मॊत्र के अॊतगयत मे फमान ददए
हों...रेककन इस जस्थछत भें प्रश्न मे था कक क्मा सॊजम स्वमॊ भीना का खन
ू कय सकता है ...खैय सबी ऩहरू उसके साभने थे
औय वह सकिम हो उठा था।

सवयप्रथभ लशव हवारात भें जाकय फॊद गगयीश से लभरा।


उससे कझि व्मजक्तगत फातें हझईं औय उसने सॊजम के आने का ऩूया वववयण गगयीश को फताकय उससे ऩूिा कक सॊजम चरयत्र
का कैसा था इसके उत्तय भें गगयीश ने फतामा कक इस ववषम भें वह अगधक नहीॊ जानता ककॊतझ उसने मह अनब
झ व अवश्म
ककमा था कक सभ
झ न सॊजम का नाभ आते ही गभ
झ -सभ
झ हो जामा कयती थी।

जजस इॊस्ऩेक्टय के ऩास मे केस था उससे लभरकय लशव ने वे सबी वस्तए


झ ॊ फडे ध्मान से दे खीॊ जो ऩझलरस को तराशी भें
गगयीश के घय से लभरी थीॊ। उन वस्तओ
झ ॊ का उसने अऩने ढॊ ग से प्रमोगशारा भें ऩयीऺण बी कयामा। उसने कई अन्म
भहत्वऩूणय कामय बी ककए।
अदारत का ऩहरा ददन।

वकीर लसपय लशव ही था–सॊजम की ओय से बी औय गगयीश को तो उसने आश्वासन ददमा ही था कक वह जानता है कक मह


छनदोष है, अत् उसे भझक्त कयाकय ही दभ रेगा।

अदारत भें ऩहरे ददन लशव अगधक कझि नहीॊ फोरा, लसपय अदारत से मे भाॊग की कक वह उस कभये का छनयीऺण कयना
चाहता है जजसभें भीना दे वी का खन
ू हझआ।

अदारत ने उसे मे ऩयभीशन दे कय अगरी तायीख रगा दी।

अगरे ददन–
जफ वह उस कभये भें ऩहझॊचा तो उसने प्रत्मेक वस्तझ को बरी-बाॊछत ऩयखा...जहाॊ दध
ू त्रफखया हझआ था उस स्थान ऩय फहझत
दे य तक उसकी छनगाह जभी यही...ऩीतर का गगरास अबी तक उसी स्थन ऩय ऩडा था। उसने अऩने ढॊ ग से ऩीतर के
गगरास औय दध
ू त्रफखये वारे बाग के पोटो लरए। कभया कापी फडा था।

उसने फडे ध्मान से कभये का छनयीऺण ककमा औय अऩने ढॊ ग से पोटो आदद रेता यहा। उस सभम उसके साथ लसपय एक
इॊस्ऩेक्टय था जो आश्चमय के साथ उसके कामों को दे ख यहा था।

अचानक एक सोपे के ऩीिे से उसे कोई वस्तझ ऩाई जजसे उसने फडी सपाई से जेफ भें खखसका लरमा।

इॊस्ऩेक्टय को इस फात का रेशभात्र बी अहसास न हो सका। ऩूणत


य मा छनयीऺण के फाद वह कभये से फाहय आ गमा।
उसके फाद...।
उसने सभस्त पोटझओॊ के छनगेदटव दे खे...सोपे के ऩीिे ऩाई गई वस्तझ के आधाय ऩय कझि अन्म भहत्त्वऩूणय जानकारयमाॊ
एकत्रत्रत कीॊ।...यात के अॊधेये भें उसे चोय बी फनना ऩडा। खैय अलबप्राम मे है कक अगधक ऩरयश्रभ कयके उसने कझि ऐसे सझफूत
एकत्रत्रत ककए जजनसे वह अदारत भें गगयीश को छनदोष सात्रफत कय सके।

उसके फाद...अदारत की तायीख वारे ददन...।


अदारत के अऩयाधी वारे फॉक्स भें गगयीश लसय झझकाए इस प्रकाय खडा था भानो वास्तव भें हत्माया वही हो औय अफ बेद
स्ऩटट हो जाने ऩय ऩश्चाताऩ की ज्वारा भें जर यहा हो।
अदारत वारा कभया बीड से बया हझआ था, सफसे अगग्रभ सीटों ऩय भीना के भाता-वऩता औय सॊजम फैठा था।...बीड भें एक
सीट ऩय शेखय बी उऩजस्थत था।

अऩने भाता-वऩता से तो गगयीश आॊख लभराने का साहस ही न कय ऩा यहा था।

उसकी फहन अनीता की शादी हो चक


झ ी थी, वह ऩछत के घय थी। अत् अदारत भें उऩजस्थत न थी।

लशव अफ बी सॊजम के ऩास फैठा केस के ऩहरओ


झ ॊ ऩय ववचाय-ववभशय कय यहा था। तफ जफकक न्माम की कझसी के ऊऩय रगे
घॊटे ने दस घॊटे फजाए...न्मामाधीश भहोदम शीघ्रता से आकय न्माम की कझसी ऩय फैठ गए।

उऩजस्थत खडे व्मजक्तमों ने उनका अलबवादन ककमा।


‘‘कामयवागी शझरू की जाए।’’ न्मामाधीश भहोदम ने इजाजत दी।

लशव अऩने स्थान से खडा हो गमा औय फोरा–‘‘सफसे ऩहरे भैं अदारत से अऩीर करूॊगा कक लभस्टय सॊजम को फमानों के
लरए खडा ककमा जाए।’’
सॊजम उठा औय फॉक्स भें जाकय खडा हो गमा औय उसने अऩने वे सबी फमान दोहया ददए जो उसने ऩझलरस को ददए थे।

उसके फमानों की सभाजप्त ऩय लशव फोरा–‘‘तो आऩका भतरफ मे है लभस्टय सॊजम कक आऩ खन


ू के सभम कपयोज नगय भें
थे?’’

‘‘जी हाॊ!’’
‘‘क्मा आऩ फता सकते हैं कक आऩने अऩना सॊदेह लभस्टय गगयीश ऩय ही क्मों ककमा?’’

‘‘सझभन के कायण हझई ऩारयवारयक शत्रत


झ ा के कायण।’’
‘‘अफ आऩ जा सकते हैं।’’

उसके फाद सॊजम की कोठी ऩय कामय कयने वारे एक नौकय से लशव ने प्रश्न ककमा–‘‘जजस सभम हत्मा हझई–क्मा तभ
झ उस
सभम कोठी भें थे?’’

‘‘जी हाॊ...भैं अऩनी कोठयी भें था, ककॊतझ भैं मे न जान सका कक हत्मा हो गई है ।’’

‘‘भतरफ मे कक तभ
झ ने ककसी धभाके इत्मादद की आवाज नहीॊ सझनी।’’
‘‘जी, त्रफककझर नहीॊ।’’

‘‘साप जादहय है मोय ऑनय कक हत्मा साइरें सयमक्


झ त रयवॉकवय से की गई है ...।’’ लशव न्मामाधीश भहोदम से सॊफोगधत
होकय फोरा–‘‘रेककन रयवॉकवय कहाॊ है ...अबी तक कोई मह न जान सका।’’
‘‘तभ
झ कहना क्मा चाहते हो?’’
‘‘भैं मे कहना चाहता हूॊ कक फॉक्स भें खडा मे (गगयीश) अऩयाधी छनदोष है...इसके चायों ओय एक षड्मॊत्र फझना गमा...वह
षड्मॊत्र जो ऩैसे के फर ऩय फझना गमा है ।...मे आदभी जजस ऩय हत्मा का झूठा इकजाभ रगामा जा यहा है , हत्मा वारे सभम
स्वमॊ भेये साथ था।’’
‘‘तम्
झ हाया भतरफ हभायी सभझ भें नहीॊ आमा–हभने सन
झ ा था कक तभ
झ लभस्टय सॊजम के वकीर हो रेककन फोर त्रफककझर
उकटे यहे हो।’’

लशव के इस प्रकाय उकटा फोरने से सॊजम बी चौंका था।


‘‘नहीॊ मोय ऑनय...भैं सॊजम का वकीर नहीॊ फजकक लभस्टय गगयीश का वकीर हूॊ...भैंने लभस्टय सॊजम से पीस अवश्म री
थी ककॊतझ जफ कझि सत्म तथ्म भेये साभने आए तो भैंने अदारत के साभने वास्तवककता यखने का छनश्चम ककमा औय अफ
भैं लभस्टय सॊजम के नोटों का मह ऩलझ रन्दा फाइज्जत उन्हें वाऩस कयता हूॊ।’’

सॊजम िोध से काॊऩने रगा। कपय सॊजम की भाॊग ऩय उस ददन बी अदारत की तायीख रग गई। अगरी तायीख ऩय सॊजम
की ओय से शहय के एक अन्म फडे वकीर थे।...उस ददन लशव ने अऩने तथ्म कझि इस प्रकाय चीख-चीखकय यखे–

‘‘मोय ऑनय! हकीकत मे है कक इस केस की िानफीन अधयू ी है –ऩूये तथ्मों को फायीकी से नहीॊ ऩयखा गमा है ।’’

अफ फायी सॊजम की ओय के फडे वकीर साहफ की थी। फोरे–‘‘भेये दोस्त लभस्टय लशव खाभखाह इस केस को उरझाने की
कोलशश कय यहे हैं। केस का हय ऩहरू शीशे की बाॊछत साप है –साये सझफूत भझजरयभ के घय भें भौजूद थे।’’

‘‘नहीॊ मोय ऑनय, नहीॊ।’’ लशव चीखा–‘‘फस, महीॊ ऩय भेये पाजजर दोस्त गरती कय यहे हैं–वे फाय-फाय क्मों बूर जाते हैं कक
वह रयवॉकवय अबी तक साभने नहीॊ आमा जजससे खन
ू ककमा गमा–आखखय कहाॊ गमा वह रयवॉकवय?’’

‘‘मोय ऑनय–वह रयवॉकवय त्रफना राइसैंस का था, भझजरयभ गगयीश उसे ककसी बी ऐसे स्थान ऩय िझऩा सकते हैं जहाॊ से वह
ऩलझ रस के हाथ न रगे।’’

‘‘ककतनी फचकाना फात कही है भेये पाजजर दोस्त ने...लभस्टय गगयीश रयवॉकवय को तो ऐसे स्थान ऩय िझऩा सकते हैं जहाॊ
वह ऩझलरस के हाथ न रगे ककॊतझ जूते औय कऩडे इत्मादद को ऐसी जगह िझऩाएॊगे जहाॊ से वे ऩझलरस को प्राप्त हो जाए।’’
‘‘मोय ऑनय–।’’ ववयोधी वकीर फोरा–‘‘वकीरे भझजरयभ फेकाय भें िोटी-भोटी फातों को तथ्म फनाना चाहते हैं–मह तो एक
सॊमोग है कक ऩझलरस को कऩडे औय जूते लभर गए औय रयवॉकवय नहीॊ लभरा।’’

‘‘नहीॊ मोय ऑनय–मे सॊमोग नहीॊ है , एक सोचा-सभझा षड्मॊत्र है जजसभें ऩझलरस बी आ गई औय भेये पाजजर दोस्त बी
चकया गए। अफ भैं कझि ऐसे तथ्म साभने रा यहा हूॊ जजनसे सात्रफत हो जाएगा कक वही सझफूत मानी गगयीश की कभीज, जूता
औय लसगये ट इत्मादद जो अबी तक गगयीश को अऩयाधी सात्रफत कय यहे हैं–मे ही सझफूत अफ चीख-चीखकय कहें गे कक हत्माया
गगयीश नहीॊ फजकक वह एक षड्मॊत्र का लशकाय है–मे सफ गगयीश को पॊसाने के लरए एकत्रत्रत ककए गए हैं।’’

‘‘भैं सभझ नहीॊ ऩा यहा हूॊ कक लभस्टय लशव आखखय कहना क्मा चाहते हैं?’’

‘‘भैं एक फाय कपय मही कहना चाहता हूॊ मोय ऑनय कक वास्तव भें इस केस के ककसी ऩहरू को फायीकी से नहीॊ दे खा गमा है –
भसरन–मे वे कभीज है जो ऩझलरस ने गगयीश के घय से प्राप्त की है ।’’ लशव ने वह कभीज अदारत को ददखाते हझए कहा–
‘‘इस ऩय रगे खन
ू के छनशान, जो छनसॊदेह भीना के खन
ू के हैं औय कभीज का मे पटा बाग भीना की राश की भझट्ठी भें ऩामा
गमा है ...सात्रफत कयते हैं कक हत्मा गगयीश ने ही की है रेककन अगय फायीकी से दे खा जाए तो मे सझफूत उकटी फात कहने
रगते हैं।...अफ अदारत जया फायीकी से भेये तथ्मों ऩय ध्मान दें ।’’ लशव आगे फोरा–‘‘सफसे ऩहरे मे दे खें कक खन
ू रयवॉकवय
से ककमा गमा है तो ककसी बी सूयत भें खन
ू के दाग इस ढॊ ग से कभीज ऩय नहीॊ रग सकते। इससे बी अगधक फायीक सझफूत
मे है कक कपॊ गय वप्रॊट्स ववबाग कक रयऩोटय के अनझसाय मे कभीज धर
झ ी हझई है ...अथायत धर
झ ने के ऩश्चात ् इसे एक लभनट के
लरए ऩहना नहीॊ गमा है ...औय अगय ऩहना नहीॊ गमा है तो इस ऩय खन ू के छनशान कहाॊ से आ गए। साप जादहय है मोय
ऑनय कक षड्मॊत्रकायी ने मह कभीज स्वमॊ गगयीश के घय से चयझ ाकय खन ू से यॊ गकय गगयीश की कोठी भें िझऩा दी।’’ कहते हझए
लशव ने कपॊ गय वप्रॊट्स ववबाग की रयऩोटय के साथ–जजसभें साप लरखा था कक कभीज धर झ ी है औय ऩहनी नहीॊ गई है , जज
भहोदम तक ऩहझॊचा दी।
जज ने स्वीकाय ककमा कक वास्तव भें मे कभीज कहने रगी है कक अऩयाधी गगयीश नहीॊ है । तबी ववयोधी वकीर चीखा–‘‘भेये
पाजजर दोस्त शामद जत
ू े को बर
ू गए...क्मा वे बर
ू गए कक दध
ू के ऊऩय लभस्टय गगयीश के जत
ू ों के छनशान थे।’’

‘‘माद है मोय ऑनय...वे जूते बी माद हैं।’’ लशव चीखा–‘‘सफसे ऩहरे आऩ उस स्थान के पोटो के छनगेदटव को दे खखए जहाॊ
दध
ू त्रफखया हझआ था। ध्मान से दे खने ऩय आऩ जानेंगे कक दध
ू ऩय फना जूते का छनशान ककतना हकका है ...अथायत भैं मे
कहना चाहता हूॊ कक मे छनशान उस सभम नहीॊ फना जफ जूता ककसी के ऩैय भें हो...अगय जूता ऩैय भें होता तो उस ऩय एक
व्मजक्त का साया बाय होता औय छनशान कझि गहया फनता जफकक छनशान लसपय हकका-सा है ...साप जादहय है कक जूता फाद
भें रे जाकय त्रफखये दध
ू ऩय छनशान फना ददमा गमा। इससे बी अगधक भेया दस
ू या तकय है ...वह है कपॊ गय वप्रॊट्स ववबाग की
रयऩोटय...रयऩोटय भें साप लरखा है मोय ऑनय कक जूता वऩिरे रम्फे सभम भें ऩहना ही नहीॊ जा यहा है ।...कायण है कक
गगयीश का नमा जूता खयीद रेना...मे जूता एक प्रकाय से उनके लरए फेकाय था...जो जूता वे उन ददनों ऩहनते थे उसे
ऩहनकय तो लभस्टय गगयीश अऩने दोस्त शेखय की शादी भें चरे गए थे।’’ कहते हझए लशव ने रयऩोटय के साथ वह ताय बी, जो
शेखय ने गगयीश को लरखा था, न्मामधीश भहोदम तक ऩहझॊचा ददमा–‘‘यही लसगये ट की फात...उसके ववषम भें कहने के लरए
कोई फात यह ही नहीॊ गई है क्मोंकक षड्मॊत्रकायी इतने सफ
झ त
ू फना सकता है उसके लरए मे कदठन नहीॊ है कक वह गगयीश वारे
िाॊड की लसगये ट राश के ऩास डार दे ।’’ लशव ने अजन्तभ सझफूत बी पाका कय ददमा।

अदारत सन्न यह गई...गगयीश की आॊखों भें चभक उबय आई, सॊजम की आॊखों भें िोध औय गचॊता के बाव थे।

ववयोधी वकीर की जफान भें तारा रटक गमा।


‘‘लभस्टय लशव!’’ एकाएक न्मामाधीश भहोदम फोरे–‘‘वास्तव भें तम्
झ हाये तथ्म औय तकय कापी फायीक हैं...मे तो तभ
झ ने
सात्रफत कय ददमा कक लभस्टय गगयीश लसपय षड्मॊत्र के लशकाय हैं ककॊतझ क्मा फता सकते हो कक मे षड्मॊत्र ककसका है औय
वास्तववक हत्माया कौन है ?’’

‘‘मोय ऑनय, अफ भैं हत्माये को ही अदारत के साभने रा यहा हूॊ।’’ लशव ने कहना आयम्ब ककमा–‘‘भैं फात को अगधक
रम्फी न कहकय स्ऩटट कयता हूॊ कक हत्माये लभस्टय सॊजम हैं।’’

उसके इन शब्दों के साथ अदारत कऺ भें अजीफ-सा शोय उत्ऩन्न हो गमा–सॊजम खडा होकय एकदभ ववयोध भें चीखने
रगा। ववयोधी वकीर ने केस को सभझने के लरए सभम की भाॊग की...उसकी भाॊग स्वीकाय ककए जाने ऩय लशव ने तयझ ॊ त
अदारत से सॊजम को दहयासत भें यखने की अऩीर की।

‘‘उसकी अऩीर बी अदारत ने स्वीकाय कय री।


अदारत की अगरी तायीख वारे ददन–
‘‘मे वो रयवॉकवय है मोय ऑनय जजससे भीना दे वी का खन
ू ककमा गमा।’’ एक रयवॉकवय ऊऩय उठाए लशव चीख यहा था।
अदारत भें गहन सन्नाटा था।
लशव कपय चीखा–‘‘जो गोलरमाॊ भीना दे वी के जजस्भ भें ऩाई गईं मे क्मोंकक थ्री फोय की हैं। अत् चीख-चीखकय कह यही हैं
कक उन्हें चराने वारा रयवॉकवय मही है क्मोंकक मे गोलरमाॊ अन्म रयवॉकवय से नहीॊ चराई जा सकतीॊ।’’

‘‘भेये पाजजर दोस्त का मे तकय कझि खोखरा-सा रगता है । मे कैसे भान लरमा जाए कक गोलरमाॊ इसी रयवॉकवय से चराई
गई, मे ठीक है कक मे गोलरमाॊ ववशेष रयवॉकवय से चरती हैं ककॊतझ क्मा ऐसा नहीॊ हो सकता कक लसपय एक ही रयवॉकवय हो
औय कपय दस
ू या प्रश्न मे बी है कक भेये पाजजर दोस्त आखखय मे रयवॉकवय रे कहाॊ से आए?’’

‘‘सफसे ऩहरे भैं अदारत को मे फता दॊ ू कक मे रयवॉकवय लभस्टय सॊजम की कोठी की सझयक्षऺत सेप भें यखा हझआ था जजसे चोय
फनकय ‘भास्टय की’ द्वाया प्राप्त ककमा।’’

‘‘मे झठ
ू है...।’’ एकाएक सॊजम चीख ऩडा–‘‘मे न जाने कहाॊ से रयवॉकवय उठा राए औय भझ
झ े षड्मॊत्र का लशकाय फनामा जा
यहा है ...इस रयवॉकवय का भेये घय भें होने का कोई प्रश्न ही नहीॊ।’’

‘‘प्रश्न है लभस्टय सॊजम...औय भेये ऩास प्रभाण बी है ...।’’ लशव कपय चीखकय फोरा–‘‘हत्माये ने हत्मा कझि इस तसकरी
औय शाॊछत के साथ की कक अऩनी ओय से कोई गचन्ह न िोडा गमा...भसरन हत्माये ने साये काभ चभडे के दस्ताने ऩहनकय
ककए...। अदारत को माद होगा कक ऩीतर के उस गगरास ऩय जजससे दध
ू था ककन्हीॊ ववशेष दस्तानों के गचन्ह थे...मे ही
गचन्ह हत्मा वारे कभये भें अन्म स्थानों ऩय ऩाए हझए हैं जजसभें से हत्माये ने गगयीश को पॊसाने के लरए उसकी धर
झ ी हझई
कभीज छनकारी थी...औय अॊत भें अफ भैं मह कहूॊगा कक इस रयवॉकवय ऩय बी वे ही गचन्ह हैं...दस्ताने क्मोंकक चभडे के
ववशेष दस्ताने थे इसलरए अगय वे दस्ताने साभने आ जाएॊ तो स्ऩटट हो जाएगा कक हत्माया कौन है ?’’

‘‘रेककन लभस्टय लशव, मे ककस आधाय ऩय कह यहे हैं कक हत्माये लभस्टय सॊजम हैं।’’
‘‘सफसे ऩहरा सझफूत मे कक लभस्टय सॊजम अऩने फमान के अनझसाय कपयोज नगय गए ही नहीॊ...। उसके इस कथन की ऩझजटट
ववभान सेवा के अगधकायी ने की जजसके ऩास मे रयकाडय यहता था कक कौन से ववभान भें कौन-कौन से मात्री थे। लशव आगे
फोरा–‘‘दस
ू या सझफूत मे झझभका जो भझझे हत्मा वारे कभये के सोपे के ऩास से लभरा था, इस झझभके ऩय शहय की भशहूय
तवामप का नाभ लरखा है ...इससे साप जादहय है कक हत्मा से ऩूवय वह वहाॊ था।’’

मह एक नमा यहस्मोद्घाटन था...अदारत भें भौत जैसी शाॊछत थी।

उसके फाद लशव ने उस तवामप को ऩेश ककमा, उसने स्ऩटट फतामा कक उस ददन सॊजम के उसी कभये भें (जजसभें हत्मा
हझई) भझजया हो यहा था। इस फात से उसकी फीवी नायाज थी। उनका झगडा हझआ। इस झगडे के फीच भें ही भैं चरी आई
रेककन मे झगडा इतना गॊबीय रूऩ रे रेगा मे भैं नहीॊ जानती थी।’’

‘‘अदारत कोई ठोस सझफूत चाहती थी। मोय ऑनय...मे फमान झूठे बी हो सकते है ।

‘‘भेये ऩास एक अन्म ठोस सझफूत मे है ।’’ कहते हझए लशव ने वे दस्ताने हवा भें रहया ददए–‘‘मे वही दस्ताने हैं मोय ऑनय जो
खनू ी ने सायी वायदातों भें ऩहन यखे थे...अदारत भें भैं मे स्ऩटट कय दॊ ू कक इन दस्तानों के अॊदय...माछन जहाॊ हाथ ददमा
जाता है...कपॊ गय वप्रॊट्स ववबाग की रयऩोटय के अनझसाय दस्ताने के अॊदय ऩाए जाने वारे छनशान लभस्टय सॊजम के हैं।’’

कझि औय सख्त फहस के फाद मे लसि हो गमा कक हत्माया सॊजम ही था। तफ न्मामधीश फोरे–‘‘सभस्त प्रभाणों औय गवाहों
तथा वकीरों की फहस से अदारत इस नतीजे ऩय ऩहझॊची कक हत्मा लभस्टय सॊजम ने ही की। अत् हत्मा औय पैराए गए
षड्मॊत्र के अऩयाध के दॊ ड भें ...।’’

‘‘ठहयों...!’’ एकाएक दयवाजे से एक आवाज आई सफकी गदय नें एकदभ दयवाजे की ओय घूभ गईं।
गगयीश की आॊखों भें जैसे एकदभ शोरे उफर ऩड़े। दयवाजे ऩय शेखय औय सुभन थे...सुभन को साभने दे खकय उसके भाता-
वऩता औय सॊजम ने उसकी ओय जाना चाहा ककॊतु न्मामाधीश ने आडडय...आडडय...कहकय उनके इयादों ऩय ऩानी पेय
ददमा।...गगयीश को रगा जैसे मे नागगन अबी कुछ औय जहय घोरेगी।

वह आगे फढ़ती हुई फोरी–‘‘ठहरयए जज साहफ...ठहरयए। मे इस दॊ ड के काबफर नहीॊ है ।’’

सायी अदारत सन्न यह गई...क्मा कोई अन्म यहस्म साभने आ यहा है ...? क्मा हत्माया सॊजम बी नहीॊ है ।
गगयीश की आॊखों भें जैसे एकदभ शोरे उफर ऩडे। दयवाजे ऩय शेखय औय सभ
झ न थे...सभ
झ न को साभने दे खकय उसके भाता-
वऩता औय सॊजम ने उसकी ओय जाना चाहा ककॊतझ न्मामाधीश ने आडयय...आडयय...कहकय उनके इयादों ऩय ऩानी पेय
ददमा।...गगयीश को रगा जैसे मे नागगन अबी कझि औय जहय घोरेगी।

वह आगे फढती हझई फोरी–‘‘ठहरयए जज साहफ...ठहरयए। मे इस दॊ ड के कात्रफर नहीॊ है ।’’

सायी अदारत सन्न यह गई...क्मा कोई अन्म यहस्म साभने आ यहा है ...? क्मा हत्माया सॊजम बी नहीॊ है ।

‘‘अगय तभ
झ कझि कहना चाहती हो तो फॉक्स भें आकय फोरो।’’ तबी जज साहफ फोरे।

सझभन का चेहया सख्त, सॊगभयभय की बाॊछत सऩाट था। वह धीये-धीये चरती हझई फॉक्स भें ऩहझॊची औय सफसे ऩहरा प्रश्न
उसने सॊजम से ककमा–‘‘भैं आऩकी क्मा रगती हूॊ?’’

‘‘िोटी सारी।’’ सॊजम का चेहया ऩीरा ऩड चक


झ ा था।
‘‘िोटी सारी का दस
ू या रयश्ता?’’
‘‘िोटी फहन...।’’

‘‘नही...ऽ...ऽ...।’’ सझभन इस शजक्त के साथ चीखी कक अदारत का कभया जैसे काॊऩ गमा। वहाॊ फैठे रोग तो उसके इस
कदय चीखने ऩय बमबीत हो गए।...सझभन चीखी–‘‘फहन औय बाई के ऩववत्र रयश्ते को फदनाभ भत कयो...फहन के रयश्ते
ऩय कीचड भत उिारो...आज तभ
झ ने इस बयी अदारत भें अऩनी सारी को अऩनी फहन क्मों कहा...? जो शब्द भझझसे
अकेरे भें कहा कयते थे वह क्मों नहीॊ कहा?’’

सॊजम का चेहया हकदी की बाॊछत ऩीरा ऩड चक


झ ा था।...सायी अदारत भें गहया सन्नाटा था।
जज साहफ कपय फोरे–‘‘तभ
झ कहना क्मा चाहती हो?’’
‘‘जज साहफ...आज जो कझि भैं कहना चाहती हूॊ...उससे मे सभाज...काॊऩ जाएगा मे दछझ नमा काॊऩ जाएगी। आज भैं वे शब्द
कह दॊ ग
ू ी जजसे कोई बी रडकी कह नहीॊ ऩाती...जज साहफ...साभने खडे हझए लभस्टय सॊजम भेये जीजा हैं...वे जीजा जो
िोटी सारी से मे कहा कयते थे–‘सारी आधी ऩत्नी होती है ।’ नहीॊ जज साहफ, मे कहानी लसपय भेयी औय सॊजम की नहीॊ
है ...मे आज के अगधकाॊश सभाज की कहानी है ...नब्फे प्रछतशत जीजा औय सालरमों की कहानी है ।...जज साहफ, भझझ जैसी
बोरी-बारी सारी जीजा के भन के ऩाऩ को क्मा जाने? भैं तो अऩने जीजा से प्माय कयती थी...त्रफककझर खर
झ कय भजाक
कयती थी...वे सबी ऊऩयी भजाक जो एक जीजा से ककए जा सकते हैं...ककॊतझ भेये जीजा ने भेये प्माय को...भेये भजाक
को...एक गॊदा रूऩ दे ददमा। भझझे आधी ही नहीॊ फजकक ऩूयी ऩत्नी फना लरमा।’’

सॊजम ने लसय झझका लरमा...शभय से वह जभीन भें गडा जा यहा था।

‘‘जज साहफ...अफ भैं इस अदारत को इस ऩाऩी की कहानी फताने जा यही हूॊ।’’ सझभन ने आगे कहा–‘‘फात मे है जज
साहफ–आज से रगबग एक-डेढ वषय ऩूवय भैं लभस्टय गगयीश से प्माय कयती थी। एक ऐसा ऩववत्र प्माय जज साहफ जजसकी
आज के जभाने भें ककऩना बी कॊठ से नीचे नहीॊ उतयती। भेया मे प्रेभ तो था एक तयप...ककॊतझ दस
ू यी ओय भेये ददर भें एक
ऐसी ऩीडा थी जो भझझे कचोट यही थी ककॊतझ भैं ककसी ऩय बी वह दख
झ प्रकट नहीॊ कय सकती थी...सच जज साहफ, भैं अऩनी
उस कसक को अऩने दे वता गगयीश को बी नहीॊ फता सकती थी।...भैं अत्मॊत सॊक्षऺप्त रूऩ भें उन घटनाओॊ को अदारत के
साभने यख यही हूॊ जो भेये जीवन भें जहय घोर यही थीॊ औय आगे चरकय घोर ही ददमा।...जज साहफ, भेयी फडी फहन के
ऩछत लभस्टय सॊजम क्मोंकक भेये जीजाजी थे अत् प्रत्मेक सारी की बाॊछत भैं अऩने जीजा से फहझत अगधक प्माय कयती
थी।...भैं सच कह यही हूॊ जज साहफ...भैं उन्हें फहझत चाहती थी।...उनके प्रत्मेक भजाक खर
झ कय ककमा कयती थी...घय की
तयप से बी हभें ऩूयी आजादी थी...आखखय लभस्टय सॊजम भेये जीजाजी जो ठहये...भेयी फहन भीना को बी कोई सॊदेह न
था...सॊदेह तो भझझे बी कोई नहीॊ था जज साहफ, भैं तो वास्तव भें उनसे इस प्रकाय खर
झ गई थी जैसे बाई फहन...रेककन
जज साहफ भेये प्माये जीजाजी के ददर भें कझि औय ही था।...वे जफ बी भेये ऩास अकेरे भें होते तो कझि ववगचत्र-ववगचत्र-सी
फातें कयते...कझि ववशेष अॊदाज भें भझझे दे खते...जफ कहीॊ बी मे अकेरे भेये ऩास होते तो भैं अऩने प्रछत इनके सॊफोधन,
फतायव, दृजटट इत्मादद सबी फातों भें लबन्नता ऩाती।...मे अकेरे भें भझ
झ से कहते कक सारी तो आधी ऩत्नी होती है ...इन्होंने
कई फाय मे बी सभझाने का प्रमास ककमा कक प्माय कयना है तो घय ही भें भझझसे कय रो, अगय कहीॊ फाहय कयोगी तो
फदनाभी होगी।...घय भें तो ककसी को ऩता बी न रगेगा। इतनी-गॊदी-गॊदी फातें मे भझझसे कयते...भझझे िोध आता ककॊतझ चऩ

यह जाती। आखखय भैं कयती बी क्मा? ककसी से कहती बी क्मा...? एक रम्फे सभम तक मे भझझ ऩय जार पेंके प्रतीऺा
कयते यहे कक शामद भैं स्वमॊ जार भें पॊस जाऊॊ रेककन जज साहफ, भैं प्रत्मेक फाय स्वमॊ को फचाती यही।...भझझे तो फताते
हझए शभय आती है मोय ऑनय, रेककन आज भैं सफ स्ऩटट कहूॊगी ताकक भेयी कहानी जानकय अन्म कोई रडकी अऩने जीजा
के जार भें न पॊस सके...उन जीजाओॊ के जार भें जो सालरमों को आधी ऩत्नी कहते हैं...जजनकी नजय भें सत्मता नहीॊ
गॊदी वासनाएॊ हैं...जजन्होंने इस ऩववत्र रयश्ते को गॊदा रयश्ता फना ददमा है ।...हाॊ भैं कह यही थी कक कबी-कबी मे अकेरे भें
भेये गझप्ताॊगो को ककसी फहाने से स्ऩशय कयके भझझे उत्तेजजत कयने का प्रमास ककमा कयते थे रेककन भैं मे नहीॊ कहती कक
प्रत्मेक सारी भेयी ही तयह है ...भैं मे बी भानती हूॊ कक शामद कझि सालरमाॊ बी ऐसी हों जो जीजाओॊ को आधा ऩछत सभझती
हों रेककन जज साहफ भैंने कबी ऐसा सोचा बी नहीॊ...भैं अऩने आऩको सॊजम से फचाती यही। ककॊतझ उस यात...उप...। भैं
कैसे फमान करूॊ अऩने जीजा की याऺसी हवस की उस कहानी को?...हाॊ तो जज साहफ एक यात को जफ सफ सो यहे थे...सो
भैं बी यही थी कक एकाएक चौंकी–भेये त्रफस्तय ऩय भेये जीजा थे भैं काॊऩकय यह गई। इससे ऩूवय कक भेये भझख से कोई चीख
छनकरे इन्होंने भेये भझॊह ऩय हाथ यख ददमा। भैं िटऩटाई ककॊतझ उस सभम तो मे भानो आदभी न होकय याऺस थे...भैंने शोय
भचाना चाहा ककॊतझ सभझ भें नहीॊ आमा कक भैं क्मा कहूॊ...क्मा कहकय शोय भचाऊॊ...औय जज साहफ...उस यात गगयीश की
दे वी अऩववत्र हो गई।...सॊजम की याऺसी हवस सभाप्त हो चक झ ी थी।...भैं त्रफस्तय ऩय ऩडी पूट-पूटकय यो यही थी कक सॊजम
भझझे मे धौंस दे कय चरा गमा कक अगय भैंने ककसी से कहा तो भेयी फडी फहन भीना की जजन्दगी फयफाद हो जाएगी।...भेये
ददभाग भें बी मे फात फैठ गई, अऩनी फहन को फफायदी से फचाने के लरए भैंने अऩना भझॊह फॊद ही यखा।...भैं मे जानती थी
कक अगय भीना दीदी मे जानें गी तो वे अऩने ऩछत से घण
ृ ा कयने रगें गी...। सबी कझि नटट-भ्टट हो जाता। अत् जज साहफ
भैं उस टीस को अॊदय ही अॊदय सहती यही।...जफ बी भेये साभने कोई सॊजम का नाभ रेता भेयी ववगचत्र-सी हारत हो
जाती।...भेयी जीब तरवों से गचऩककय यह जाती...कझि फोर बी नहीॊ ऩाती थी भैं।
भैं नहीॊ जानती थी जज साहफ कक उस यात का ऩाऩ इस तयह भेये ऩेट भें ऩर यहा है ।...जफ ऩाटी भें मह यहस्म खर
झ ा तो भैं
बी स्तब्ध यह गई। अगय भैं वहाॊ बी सॊजम का नाभ रेती तो हभाया ऩरयवाय सभाप्त हो जाता रेककन भेये दे वता गगयीश ने
भेया करॊक अऩने भाथे रे लरमा।...शामद ही कोई इतना सच्चा प्माय कय सके। गगयीश भझझे अऩने घय भें यखना चाहता था
रेककन नहीॊ जज साहफ...भैं अफ स्वमॊ को इस दे वता के कात्रफर नहीॊ सभझती थी...याऺस के ऩैयों तरे भसरी गई करी
बरा दे वता के गरे का हाय कैसे फनती। अत् भैंने छनणयम ककमा कक भैं गगयीश के जीवन से छनकर जाऊॊगी ककॊतझ भैं जानती
थी कक गगयीश भझझसे ककतना प्माय कयता है अत् भैंने उसके ददर भें अऩने प्रछत नपयत बयने के लरए एक ऐसा गॊदा औय
झठ
ू ा ऩत्र लरखा जजसे ऩढकय गगयीश भझ
झ े फेवपा...नागगन, हवस की ऩज
झ ारयन जानकय अऩने ददर से छनकार पेंके।...उस
ऩत्र को लरखते सभम भेये ददर ऩय क्मा फीती? मे शामद गगयीश ने बी नहीॊ सोचा था। उस ऩत्र का एक-एक शब्द झूठा था।
जज साहफ उस ऩत्र भें भैंने एक कजकऩत प्रेभी फनामा था ताकक गगयीश मे सभझे कक वास्तव भें भैं हवस की ऩझजारयन
थी...अफ भैं जीववत यहना नहीॊ चाहती थी जज साहफ...अत् आत्भहत्मा कयने नदी ऩय ऩहझॊच गई, भैं नदीॊ भें कूद गई ककॊतझ
जफ होश आमा तो मे बी भेया सौबाग्म था कक भैंने स्वमॊ को एक अस्ऩतार भें ऩामा औय वहाॊ बी गगयीश उऩजस्थत
था।...लभस्टय शेखय कहते हैं कक जफ भैं नदी भें कूदकय फेहोश होने के फाद होश भें आई तो स्वमॊ को बर
ू चक
झ ी थी औय वह
जीवन भैंने भोनेका फनकय गझजाया रेककन एक अन्म दघ
झ ट
य ना भें भेयी माददास्त कपय रौट आई औय भैं स्वमॊ को सझभन
फताने रगी।...रेककन भझझे भोनेका वारे जीवन की कोई घटना माद नहीॊ है ।’’

सझभन के रम्फे चौडे फमान सभाप्त हझए तो अदारत भें भौत जैसा सन्नाटा था। सबी ददर थाभे उसकी ददय बयी कहानी सझन
यहे थे।...गगयीश तो सझभन को दे खता ही यह गमा। उसे रगा जैसे सझभन ‘दे वी’ से बी फढकय है ।...उसने अफ तक जो सझभन
को फयझ ा-बरा कहा है उससे वह फहझत फडा ऩाऩ हो गमा है ।...उसे रगा जैसे वह सभ
झ न के साभने फहझत तच्
झ ि है ।...उसने
स्वमॊ को ही ‘फदनसीफ’ सभझा था, रेककन आज उसे भारूभ हझआ कक सझभन बी उससे कभ फदनसीफ नहीॊ है ।
सझभन साॊस रेने के लरए रुकी थी, वह कपय आगे फोरी–‘‘जफ भझझे लभस्टय शेखय ने मे फतामा कक भेयी फहन का हत्माया
सॊजम ही है तो भेयी बावनाएॊ चीख उठीॊ–भैं स्वमॊ को सॊबार न सकी–अफ तो भेयी फहन बी नहीॊ यही थी, जजसके कायण
भैंने उस आवाज–उस याज को अऩने सीने भें दपन ककए यखा था। अत् आज आकय भैंने इस सभाज को फता ददमा है कक
जीजा औय सारी के रयश्ते को जो एक प्रकाय से बाई-फहन का रयश्ता है –कझि गॊदे रोगों ने ककतना गॊदा औय छघनौना फना
ददमा है –भैं इस सभाज–इस दछझ नमा से–इन नौजवानों से अऩीर कयती हूॊ कक आगे से सभाज भें कोई बी ऐसी कहानी जन्भ
न रे–गॊदे रोग इस ऩववत्र रयश्ते को छघनौना न फनाएॊ ताकक कोई बी सारी अऩने जीजा से लसपय प्माय कये –उससे डये नहीॊ–
उससे घण
ृ ा न कये –वनाय–वनाय अगय मे रयश्ता इसी तयह गतय भें गगयता यहा तो ना कोई जीजा होगा–ना कोई सारी–ना मे
सभाज होगा–ना मे दछझ नमा–कोई सारी अऩने जीजा से प्माय नहीॊ कये गी–जीजा जीजा नहीॊ यहे गा...नहीॊ–नहीॊ सभाज से इस
ऩाऩ को दयू कयो–सभाज से इस करॊक को छनकार पेंको–छनकार पेंको।’’ कहते-कहते सभ
झ न योने रगी–औय अऩने फॉक्स
भें फैठती चरी गई।

अदारत भें उऩजस्थत प्रत्मेक इॊसान के आॊसू उभड आए।


उसके फाद–
सॊजम को उम्र कैद की सजा लभरी।

गगयीश जफ सझभन के कयीफ ऩहझॊचा तो सझभन उसके कदभों भें गगयकय लससकने रगी–गगयीश की आॊखों भें बी भानो फाढ आ
गई थी। प्रत्मेक आॊख भें नीय था।

गगयीश ने सझभन को चयणों से उठाकय सीने से रगा लरमा। सझभन ने अऩना भझखडा उसके सीने भें िझऩा लरमा औय पूट-
पूटकय योने रगी। गगयीश प्माय से उसके लसय ऩय हाथ पेय यहा था।

।। सभाप्त ।।

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