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Zalzale Kiyon Aate Hen HINDI
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Zalzale Kiyon Aate Hen HINDI
भक
ू ं प के जो दन
ु यावी कारण िज़h (चचाC) कए जाते ह9, उनका हम इंकार नहAं करते, ,यंू क द;ु नया
को अiलाह तआला ने कारण का घर बनाया है , ले कन हमारा यह ईमान और अक़ दा ( व_वास) है
क िजस तरह परू A द;ु नया ख़द
ु बख़द
ु (अपने आप) था पत नहAं हो गई, इसी तरह भक
ू ं प अपने
आप नहAं आते, असल म! इसके पीछे अiलाह का aु,म (आदे श) होता है , इ सलए अiलाह तआला
इरशाद फ़रमाता है : “लोग ने अपने हाथ से जो कमाई क , उसक वजह से सख ू े और गीलेपन
(तर) म! m@टाचार (दं गा) फैला, ता क उ ह ने जो कायC कये ह9 अiलाह उनम! से कुछ का मज़ा
( वाद) उ ह! चखाए, शायद वह बाज़ आ जाएँ (oक जाएँ)”। (सरू ह `म: 41) यानी द;ु नया म! जो
आम (सावCज;नक) मस
ु ीबत! लोग पर आq, जैसे अकाल, आफ़त (महामारA), भक
ू ं प, तानाशाह
(अrयाचा+रय ) का शासन, उनका असल कारण यह था क लोग ने अiलाह तआला के aु,म
(आदे श ) का उiलंघन कया और इस तरह यह मस
ु ीबत! अपने हाथ मोल लAं और उनका एक लsय
यह था क मस
ु ीबत से t त (पीQड़त) होकर लोग के दल कुछ नरम पड़! और वह अपने बरु े कायu
से oक जाएँ।
भक
ू ं प आने पर हम! अiलाह क तरफ़ लोटते हुए अपने गुनाह से माफ़ मांगनी चा हए, बहुत
dयादा तौबा और इि तग़फ़ार (माफ़ ) करना चा हए और बड़े गुनाह ख़ासकर ( वशेषकर) ऊपर वIणCत
गुनाह से बचने का अह;तमाम (Bयव था) करना चा हए।
कसी जगह भक
ू ं प आने से यह समझकर क यह अiलाह का अज़ाब है भूकंप से पीQड़त लोग क
मदद (सहायता) करना न छोड़!, बिiक उनक मदद (सहायता) करना हमारA दAनी, इंसानी और
नै;तक िज़wमदारA है ।
अiलाह ने प व? कुरान म! एक भूकंप का उiलेख कया है िजसके बाद द;ु नया खrम हो जाएगी।
कृपया सूरए आज़-िज़लज़ल का अनुवाद पढ़! जो उसी भूकंप के बारे म! बात करता है ।
क़ुरान और aदAv क रोशनी म! उwमत-ए-मुि लमा क सहम;त है क दो बार “vूर” फँू का जाएगा,
पहलA बार “vूर” फँू कने के बाद पूरA द;ु नया ख़rम (न@ट) हो जाएगी और दस
ू रA बार “vूर” फँू कने के
बाद aज़रत आदम अलै ह सलाम से लेकर क़यामत तक आने वाले सभी मुद} िजंदा होकर ज़मीन से
उठ! गे। दस
ू रA आयत से मालूम होता है क इस सूरह म! दस
ू रA बार “vूर” फँू कने के वVत (समय)
आने वाला ददC नाक ज़लज़ला (भूकंप) मुराद है ।
“अvक़ाल” “ vVल” क जमा (बहुवचन) है , िजसका अथC “भार” (वज़न) और “बोझ” है , इससे मुराद
मुद} ह9 जो ज़मीन म! दफ़न ह9। िजन मुदu को दफ़न करने के बजाए जला दया जाता है वह भी
मानो ज़मीन हA दफ़न कये जाते ह9, ,यूं क उनक जलA हुई राख और ह•डी आ द सब ज़मीन हA
का ह सा (अंग) बन जाती ह9, इसी तरह वह लोग जो “सुनामी” के कारण मर जाते ह9, ,यंू क
हक़ क़त (वा तव) म! समु€ (सागर) भी ज़मीन हA का एक ह सा (भाग) है । “ vVल” से वह खज़ाने
भी मरु ाद ह9 जो ज़मीन म! मौजद
ू ह9, यानी दस
ू रA बार “vरू ” फँू कने के बाद ज़मीन तमाम इंसान
और खज़ान को बाहर ;नकाल दे गी। मसाइल और परमाणु बम के दौर म! इसको समझना बहुत
आसान हो गया है , ,यंू क वतCमान समय म! इंसान क बनाई हुई नई टे ,नोलोजी के ज़+रए कमरे
म! बैठकर हज़ार कलोमीटर क दरू A पर बम •गराकर कसी भी >े? को तरु ं त हA (उसी समय)
बबाCद (तबाह) कया जा सकता है ।
“व क़ालल इ सानु मा लहा”: उस ददC नाक ि थ;त म! इंसान पर जो असर पड़ेगा, उसको अiलाह
तआला बयान फ़रमाता है : इंसान घबराकर कह उठे गा क अरे , इस ज़मीन को ,या हो गया है क
यह तो टकने का नाम हA नहAं ले रहA।
इंसान4 के अ9छे बरु े सभी काय= को धरती बयान कर दे गी
“यवमइिज़ न तुa ~vु अख़बारहा, \बअ ना रxबका अवaालहा”: उस दन ज़मीन अपनी पूरA ख़बर!
बता दे गी, ,यूं क तुwहारे रब ने उसे यहA aु,म (आदे श) दया होगा, यानी आiलाह तआला जो
ज़मीन और आसमान का पैदा करने वाला है , उसके aु,म (आदे श) से सभी इंसान के अgछे बरु े
सभी कायu को ज़मीन बयान कर दे गी। जैसा क aुज़ूर-ए-अकरम सiलiलाहु अलै ह वसiलम ने
इरशाद फ़रमाया: “िजस दन ज़मीन अपनी तमाम (परू A) ख़बर! बता दे गी। तथा नबी-ए-अकरम
सiलiलाहु अलै ह वसiलम ने फ़रमाया: “,या तुम जानते हो क ज़मीन क ख़बर! ,या ह गी?
vaाबा-ए- कराम (रिज़यiलाहु अ हुम) ने अज़C (कहा) कया: अiलाह और उसका रसल
ू हA बेहतर
जानता है । नबी-ए-अकरम सiलiलाहु अलै ह वसiलम ने इरशाद फ़रमाया: ज़मीन क ख़बर! यह
होगी क वह हर मदC और औरत पर गवाहA दे गी क उसने ज़मीन पर ,या ,या काम कया है और
वह बताएगी क उस Bयि,त ने उस समय म! यह-यह काम कया है । (;तर मज़ी) यानी िजस तरह
ब9क से परू ा xयौरा ( ववरण) मालूम कया जा सकता है क खाते म! कतना पैसा कहाँ कहाँ जमा
कया गया और कस तारAख़ म! कस ATM मशीन से कतना पैसा ;नकाला गया। आजकल
WhatsApp के ज़+रए यह पता लगाया जा सकता है फ़लाना (वह) Bयि,त कहाँ कहाँ जाता है और
उसने कौन सा पल कहाँ गुज़ारा (\बताया)। सरकार क जाँच टAम के मांगने पर कसी भी Bयि,त
क ग;त व•ध क पूरA जानकारA सोशल मीQडया के मा लक से Zाeत क जा सकती है । इंसान
समझता है क उसने इ टरनेट या WhatsApp से पूरA जानकारA मटा दA ह9, परं तु उसे मालूम होना
चा हए क उसका लखा हुआ या बोला हुआ एक एक शxद और कसी भी Bयि,त को शेयर (भेजा
हुआ) कया हुआ एक एक फ़ोटो इंसान क तैयार क हुई टे ,नोलोजी म! सुर‚>त है , जो कसी भी
वVत (समय) सामने लाया जा सकता है । आजकल CCTV कैमरे से बहुत सी जानकारA सुर‚>त हो
जाती है । इसी तरह ज़मीन अiलाह के aु,म (आदे श) से इंसान क पूरA िज़ंदगी के एक एक पल का
+रकॉडC सेक!ड म! ;नकाल दे गी और इंसान उसको दे खकर ह,का-ब,का (भƒच,का) रह जाएगा और
कहे गा क आज इस ज़मीन को ,या हो गया है ।
“यवमइिज़ं यvदo
ु न नासु अशतातल लयुरव अअ़मालहुम:” इसके दो अथC हो सकते ह9, एक याह क हर
एक अकेला अपनी Bयि,तगत (अलग अलग) ि थ;त म! होगा, इसका समथCन क़ुरान-ए-करAम से भी
होता है , अiलाह तआला इरशाद फ़रमाता है : “अकेला हमारे पास आएगा”, (सूरह मरयम: 80) इनम!
से हर एक क़यामत के दन अiलाह तआला के दरबार म! अकेला हािज़र (उपि थत) होगा”, (सूरह
मरयम: 95)। दस
ू रा अथC यह भी हो सकता है , क वह सभी लोग जो हज़ार वषC के बीच जगह
जगह मरे थे, ज़मीन के कोने कोने से झुंड के झुंड (दल के दल) चले आ रहे ह गे, जैसा क
अiलाह तआला इरशाद फ़रमाता है : “िजस दन vरू फँू का जाएगा तो तुम फ़ौज के फ़ौज आओगे”,
(सरू ह नबा: 18)। बहरaाल िजस तरह द;ु नया म! लोग Power Point Presentation के ज़+रए अपनी
या अपनी कंपनी क उपलिxध (ZदशCन) पैश करते ह9, इसी तरह बिiक इस से लाख गुना dयादा
ZमाIणक जानकारA के साथ हर Bयि,त को उसके कये हुए सभी काय} दखाए जाएंगे।
फ़मयं यअ़मल मvक़ाला ज़रC ;तन ख़यरयं यरह, वमयं यअ़मल मvक़ाला ज़रC ;तन शरC यं यरह:” यह आयत
पहलA आयत क तफ़vील (xयौरा) बयान कर रहA है क िजसने थोड़ी सी भी नेक क होगी वह भी
उसके सामने आएगी और िजसने थोड़ी सी भी बरु ाई क होगी वह भी उसके सामने आएगी। यहाँ
यह बात याद रखनी है क हर मो मन और का फ़र क छोटA बड़ी नेक या बरु ाई उसके सामने
आएगी तो ज़`र, ले कन उस ;नयम के अनस
ु ार आएगी जो अiलाह तआला ने क़ुरान-ए-करAम म!
दस
ू रA जगह पर िज़h फ़रमाई है , यानी एक मो मन यह दे खेगा क उससे ने कय के साथ वह वह
गल;तयाँ भी हुई ह9 ले कन अiलाह तआला ने उसक इन इन ने कय को इनका कˆफ़ारा बना दया
है , इसी तरह एक का फ़र यह दे खेगा क उसने बुराइय के साथ कुछ नेक काम भी कये ह9, ले कन
वह नेक काम उसके उन बुरे कायu और व_वास ( वचार ) के कारण न@ट कर दए गए या उनका
द;ु नया म! हA कोई बदला दे दया गया था, ,यूं क आIख़रत क कामयाबी (सफलता) के लए सबसे
बु;नयादA शतC अiलाह और उसके रसूल पर ईमान लाना है । सांसा+रक जीवन के अgछे बुरे काय}
दे खने के बाद हर Bयि,त अपना ठकाना समझ जाएगा। इसी को अiलाह तआला ने सूरह
“अलक़ा+रआत” म! बयान फ़रमाया है : “िजस Bयि,त के पलड़े भारA ह गे (यानी िजसने द;ु नया म!
अgछे काय} कये ह गे) तो वह पसंदAदा जीवन म! होगा (यानी ज नत म! होगा) और िजसके पलड़े
हलके ह गे (यानी िजसने द;ु नया म! अपनी चाहत क पैरवी (पालन) क होगी) तो उसका ठकाना
एक गहरा ग•ढा होगा, और तुwह! ,या मालूम क वह गहरा ग•ढा ,या चीज़ है ? वह एक दहकती
हुई आग है (िजसम! अiलाह तआला के नाफ़रमान (अपरा•धय ) और पा पय को डाला जाएगा)।