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टिटहरी एक मनमोजी पक्षी ( Lapwing Bird) - (लुप्तप्राय प्रजाति)

   टिटहरी एक मनमोजी पक्षी  ( Lapwing Bird)  - (लप्ु तप्राय प्रजाति)  

 टिटहरी एक ऐसा अनोखा पक्षी है जो उड़ता कम है यह अपना अधिकांश समय तालाब और


झीलों के नजदीक गुजारता है । भारत के सभी प्रदे शों में टिटहरी पाई जाती है । इसका अंग्रजी
नाम ‘‘ लेपविंग ’’ है । भारत में इसकी 2-3 प्रजातियां ही पाई जाती है । टिटहरी का आकार
प्रकार कुछ कुछ बगुले से मिलता जल
ु ता होता है । गर्दन बगल
ु े से छोटी होती है । सिर और
गर्दन के ऊपर की तरफ और गले के नीचे का रं ग काला होता है इसके पंखों का रं ग चमकीला
कत्थई तथा सिर गर्दन के दोनों ओर एक सफेद चैड़ी पटटी होती है । टिटहरी की दोनों आंखों के
सामने एक गूदेदार रचना पाई जाती है इस रचना को दे खकर यह पक्षी द रू से ही पहचान लिया
जाता है । टिटहरी की दस
ू री प्रजाति में आंखों के पास पाई जाने वाल यह रचना पीले रं ग की
गूदेदार होती है । 
टिटहरी एक मनमोजी पक्षी है । जिसे खुला स्थान जहां कीड़े मकोड़े खाने को मिले रहता है ।
टिटहरी एक चैकन्ना और चालाक पक्षी है । जो अपने नजदीक आने वाले जानवर (कुत्ते एवं
बिल्ली इत्यादि), मनष्ु य को दे खकर शोर मचाना शरू
ु कर दे ता है । टिटहरी दिन रात जाग कर
अपने अंडों और बच्चों की दे खभाल करता है । । टिटहरी मार्च से अगस्त महीने  के बीच 2-3 या
4 अंडे दे ती है । टिटहरी के अंडों का रं ग मिटटी से मिटटी के रं ग से मिलता जल
ु ता होता है ।
इसलिए लोगों की नजर  इनके अंडों पर नहीं पड़ती है । टिटहरी के बच्चों का रं ग भी धरती के
रं ग जैसा ही होता है । मादा टिटहरी और नर टिटहरी दोनों मिलकर बच्चों का पालन पोषण
करती है । हमारे दे श में सलेटी टिटहरी ( सोशिएब लैप विंग) की प्रजाति पर लुप्त होने का खतरा
आ गया है । इंटरनेशनल यूनियन फोर कनजरवेशन आफ नेचर एवं नेचुरल रिर्सोसेस (आई यू सी
एन ) ने 2006 को जारी नई रे ड डेटा बुक में लुप्तप्राय प्रजातियों का उल्लेख करते हुए कहा है कि
सलेटी टिटहरी को लुप्त प्रायः श्रेणी में रखा है । भारत के सूखी घास एवं सूखे मैदानी इलाकों में
लंबी टांगों वाला यह पक्षी अपना भोजन तलाश करते हु ए गुजारा करता है । टिटहरी पक्षी की
लम्बाई 11-13 इंच एवं पंखों का फैलाव 26-34 इंच होता है इसका शरीरिक भार लगभग 128-330
ग्राम पाया गया है । इसके पंख गोलाकार होते हैं तथा सिर पर एक उभरा भाग होता है जिसे
क्रेस्ट कहते हैं ।  इसकी पूंछ छोटी एवं काली होती है जिसकी लम्बाई लगभग 104-128 मि.मी.
पाई गई है इनके चोंच की लम्बाई लगभग 31-36 मि.मी. दे खी गई है । अंडों का आकार ओवल
होता है जिसकी आकार 33 गुना 47 मि.मी. होती है । ये चिकने एवं पत्थर / मिटटी के रं ग के
होते हैं एवं इन पर काले धब्बें होते हैं । मादा टिटहरी 4 अण्डें दे ती है एवं इनसे 28 से 30 दिनों
में बच्चे निकल आते हैं । दोनो मादा एवं नर अण्डों की दे खभाल एवं सेने का काम करते हैं ।
टिटहरी चिड़िया टांग आकाश की तरफ उठा कर सोती है और सोचती है कि आकाश उसी के
कारण टिका है । आसमान के बारे में अनेक कहावतें हैं उनमें से एक यह कि टिटहरी को हमेशा
लगता है कि उसकी टांग हटी कि आसमान गिरा । कोई वैज्ञानित प्रमाण नहीं पर बज
ु र्गों
ु के
अनस
ु ार उनका कई वर्षो का अनभ
ु व कहता है कि  जिस वर्ष टिटहरी जितने मात्रा में अंडे दे ती है
उतने माह तक भरपरू बारिश होती है । कहा जाता है कि टिटहरी नदी, नालों व तालाब के किनारे
पर ही अंडे रखती है । पानी के किनारों से जितना दरू वह अंडे रखे बारिश उतनी अधिक । अगर
वह किनारों से 50 मीटर की दरू ी पर अंडे रखे है जिससे लगता है कि बारिश तो अधिक होगी ही
साथ ही बाढ़ जैसे हालात भी   बनेंगें । खेतों / जोहड़ के आस पास टिटहरी की तलाश की जाती
है फिर दे खते हैं कि  उसने कितने ऊंचें अंडें दिए है अगर वह पाल से भी ऊपर अंडे दे ती है तो
समझों कि इस बार पानी की कोई कमी नहीं होगी । 
 टिटहरी के अलावा अन्य पशु पक्षियों को मौसम और अन्य खागोलिक घटनाओं का पूर्वानुमान
होता है ।  आज हम प्रकृति से दरू होते जा रहें हैं । पता नही ंहम कब कुछ ऐसा सीखेंगें जो
हमें और प्रकृति को एकमेव कर दे गा ।

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