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(Meaning and types of Research Hypothesis )

Chapter · December 2016

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1 author:

Patanjali Mishra
Vardhaman Mahaveer Open University
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इकाई - 8
प रक पना का अथ एवं कार
Meaning and types of Research
Hypothesis
इकाई क परेखा
8.1 तावना
8.2 उेय
8.3 प रक पना : अिभ ाय
8.4 शोध सम या तथा शोध प रक पना म अंतर
8.5 प रक पना के कार
8.5.1 चर क सं या के आधार पर
8.5.2 चर म िवशेष स ब ध के आधार पर
8.5.3 िविश उ े य के आधार पर
8.6 सारां श
8.7 श दावली
8.8 िनबं धा मक न
8.9 अित र संदभ ं थ सूची
8.1 तावना (Introduction)
मनोवै ािनक शोध का व प चाहे योगा मक हो या अ योगा मक हो, शोध सम या का वै ािनक
तरीके से चयन हो जाने के प ात शोधकता प रक पना का िनमाण करता है | अब यह उठता है
िक प रक पना से शोधकता का या ता पय होता है तथा इसका ितपादन य िकया जाता है |
चूँिक अब तक आप शोध सम या के बारे म जान एवं समझ चुके ह गे अतः तुत इकाई म हम
सम या चयन के प ात समाधान क िदशा म दूसरा कदम रखगे | इस इकाई म आप प रक पना का
अथ एवं उसके िविभ न कार के बारे म जानकारी ा करगे | प रक पना का ान आपको िकसी
भी शोध क सम या के समाधान क िदशा म िचंतन का नया आयाम दान करेगा और आपको
वै ािनक तरीके से प रक पना का िनमाण करने म सहायता दान करेगा |
8.2 उ े य
इस इकाई को पढ़ने के बाद आप-
 प रक पना के अथ को समझ सकगे |
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 प रक पना के िविभ न कार को जान सकगे ।
 प रक पना िनमाण के उ े य पर काश डाल पायगे |
 प रक पना को प रभािषत कर उनक िवशेषताएं बता पायगे |
 शोध सम या तथा शोध प रक पना म अंतर को समझ सकगे |
8.3 प रक पना : अिभ ाय (Hypothesis: Connotation)
एक बार सम या के प रभािषत हो जाने के बाद प रक पना का िनमाण और जाँच दूसरा मह वपूण
चरण है | प रक पना का शाि दक अथ पूव िचं तन से है | प रक पना शोध का एक आव यक अंग
है इसके आभाव म शोध काय एक उ े यहीन ि या है | भाषा के ि कोण से Hypothesis श द ,
दो श द hypo (कम) व thesis (शोध लेख) से बना है िजसका अथ है –शोध लेख से कम िनि त|
यह उपल ध सा य पर आधा रत एक ताव या उिचत अनुमान है िजसे अनुसधं ायक अपने
अ ययन ारा िस करना चाहता है | श द ‘प रक पना’,‘िस ां त ’व ‘िन कष ’ ायः ही शोध
सािह य म योग होते ह और उनके प ीकरण क आव यकता है | ‘प रक पना’ क सटीक
प रभाषा है ‘सम या के िनराकरण के िलए सु झाया गया ता कािलक सा य ’ और ‘िस ां त ’
वह अि तम प रक पना है िजसके प म सभी सा य ह | यह अि तम प रक पना जो सभी सा य
के अनुकूल ह , अ ययन से ा मु य िन कष का प शोधकता के ि कोण से प रक पना को
सुिवधापूवक ता कािलक सा य कहा जा सकता है और िस ांत वह अि तम प रक पना है, जो सभी
सा य से प म समिथत है | चूं िक वै ािनक िविध से ा ान नए आंकड़े िमलने पर सं शोिधत हो
सकता है, िस ां त के वल एक प म सदा कायकारी क पना रहता है िजस कारण प रक पना व
िस ां त म ढ अ तर (सा य क बढ़ती हई पया ता और प रणाम व प अिधक िनि तता के
आधार पर) के वल आपेि क है | सभी यावहा रक योजन के िलए प रक पना के दोहरे योग से
शोधकता को िचि तत नह होना चािहए बि क उसे लाभ द अनु मरण के प म यह मानना चािहए
िक वै ािनक िविध से ा कोई भी िन कष िनि त व अंितम स य नह है |
शोध ि या म िव सनीय ान ाि के िलए प रक पना एक शि शाली मा यम है | इससे
शोधकता को िस ां त को े ण को िस ां त से स ब करने म सहायता िमलती है | प रक पनाएं
सम याओं के सुझाए समाधान (हल) के प म इस ल य के साथ सं िपत क जाती है िक आगे के
अ ययन उसे अ वीकार भी कर सकते ह | उनसे शोधकता को अपने अ ययन म चर को थापन
करने व पहचानने म मदद िमलती है और यह सुझाव भी िमलता है िक कौन सी िविधक ि याएं
उपयोग क जाए |
मनोवै ािनक शोध का व प चाह योगा मक हो या अ योगा मक हो , शोध सम या का वै ािनक
चयन हो जाने के बाद शोधकता प रक पना का ितपादन करता है | यह उठाता है िक
प रक पनासे शोधक ा का या ता पय होता है तथा इसका ितपादन य िकया जाता है | जब
शोधक ा िकसी शोध सम या का चयन कर लेता है तो वह उसका एक अ थायी समाधान एक
जां चने यो य ताव के प म करता है | इसी ताव को तकनीक भाषा म प रक पना कहा जाता
है | सं ेप म तब यह कहा जा सकता है िक िकसी शोध सम या का एक तािवत जांचने यो य उ र

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ही प रक पना कहलाता है | एक उदाहरण िलया जाये – मान िलया जाये िक एक शोधकता क
शोध सम या यह है – या सीखना पर पुनबलन का भाव पड़ता है ? थोड़ी दे र के िलए मान िलया
जाये िक शोध सम या का एक तािवत जांचने यो य उ र इस कार तैयार िकया जाता है – “
पुर कार से सीखने क ि या तेजी से होगी तथा दं ड देने से सीखने क ि या धीमी पड़ जायेगी” यह
जां चने यो य उ र प रक पना कहलायेगा | अगर योग या शोध का िन कष से प रक पना क पुि
हो जाती है तो प रक पना को सही मान िलया जाता है | िक तु यिद पुि नह हो पाती है , तो
प रक पना म या तो प रमाजन कर िदया जाता है या उसक जगह दूसरी प रक पना िवकिसत कर
ली जाती है |
प रक पना के कु छ मुख शोध – िवशेष ने इस कार प रभािषत िकया है
मैक युगन (1990) के अनुसार, “ दो या दो से अिधक चर के बीच संभािवत स बं ध के बारे म
बनाएँ गए जांचने यो य कथन को प रक पना कहते ह”|
A testable statement of a potential relationship between two or more variables
is called hypothesis- Macgugan: Experimental Psychology. 1990
करिलं गर के अनुसार , “ दो या दो से अिधक चर के बीच स बंध के आनुमािनक कथन को
प रक पना कहा जाता है | प रक पना को हमेशा घोसणा मक वा य के प म अिभ य िकया
जाता है और वे चर से चर के बीच म सामा य या िविश स ब ध बतलाते है |”
A hypothesis is conjectural statement of the relation between two or more
variables. Hypotheses are always in declarative sentences from and they relate
either generally or specifically variables to variables- Kerlinger : Fondations
of Behavioural Research, 1986
इन प रभाषाओं का िव ेषण करने पर हम कु छ ऐसे त य ा होते ह िजनसे प रक पना का व प
प हो जाता है , कु छ ऐसे त य िन नांिकत है –
1. प रक पना म दो या दो से अिधक चर के बीच एक स बंध बताया जाता है जैसे , ‘ कु छ के
पुर कार देने से सीखने क ि या तेजी से होती है |’एक ऐसी ही प रक पना का उदाहरण
है िजसम पुर कार (एक चर) तथा सीखना (दूसरा चर) के बीच एक तरह का स ब ध
बताया जा रहा है |
2. प रक पना चर के बीच एक जांचने यो य कथन के प म अिभ य क जाती है | इसका
मतलब यह हआ िक प रक पना म दो या दो से अिधक ऐसे चर होते ह िज ह मापा जाना
स भव है | जैसे- ऊपर के उदाहरण म पुर कार तथा सीखना दोन ऐसे ही चर िजनका
आसानी से मापन िकया जा सकता है |
3. प रक पना ारा चर के बीच एक सामा य या िविश स बं ध क अिभ यि क जाती
है
इन त य से यह प हो जाता है िक प रक पना क कु छ अपनी िवशेषताएं होती है िजनसे
इनके व प के प झलक िमलती है |

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अ यास न
प रक पना को प रभािषत कर |
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प रक पना का व प प कर |
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Hypothesis श द क यु पि समझाएं ?
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8.4 शोध सम या तथा शोध प रक पना म अं तर (The difference


between research problem and research hypothesis)
शोध सम या दो या दो से अिधक चर के बीच एक ा मक वा य या कथन (interrogative
sentence or statement) होता है | प रक पना (hypothesis) दो या दो से अिधक चर के बीच
य ा मक कथन का एक अ थायी समाधान (tentative solution) होता है | प है िक इन
दोन म बहत हद तक समानता (similarity) ह | जैसे दोन के ारा दो या दो से अिधक चर के
बीच एक खास तरह के स ब ध क अिभ यि होती है | दूसरी समानता यह बतलायी गयी है िक
इन दोन के ारा शोध को िदशा िनदश िमलता है | पर तु इन सम याओं के बावजूद भी इन दोन म
िन नांिकत अ तर है :-
(1) प रक पना दो या दो से अिधक चर के बीच सीधे एक जाँचनीय कथन (testable
statement) होता है जबिक शोध सम या अपने आप म जाँचनीय कथन नह होता है
लेिकन इसका आशय (implication) आनुभिवक िविधय (empirical methods) ारा
अव य जांचनीय होता है | उदाहरण के िलए , या पुनबलन (reinforcement) का
भाव सीखने िक ि या पर पड़ता है ? एक शोध सम या (research problem) का

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उदाहरण है िजसक जाँच स भव नह है | पर तु जब इस शोध सम या के समाधान के िलए
एक अ थायी तौर पर हम एक ताव (proposition) तैयार कर लेते ह , तो यह
प रक पना (hypothesis) का प ले लेता है िजसक जाँच स भव है |जैसे , “पुर कार
देने से िसखने िक ि या तेजी से होगी” एकप रक पना है िजसक जाँच शोधकता योग
करके करता है |
(2) शोध सम या क अिभ यि एक ा मक कथन (interrogative statement) के प
म क जाती है जबिक प रक पना (hypothesis) क अिभ यि एक घोषणा मक वा य
कथन (declarative sentence or statement) के प म क जाती है | जैसे, या
पुनबलन (reinforcement) का भाव सीखने क ि या पर पड़ता है ? एक ा मक
कथन (interrogative statement) है जो शोध सम या का एक उदाहरण है | पर तु “
पुर कार से सीखने क ि या तेजी से होगी” या “दं ड देने से सीखने क ि या धीमी गित
से होगी” एक घोषणा मक कथन है जो प रक पना का एक उदाहरण है |
(3) शोध सम या ारा यह पता चलता है िक चर के बीच के स बं ध क मु य सम या या
है ? इससे उसके समाधान क ओर कोई सं केत नह िमलता है पर तु प रक पना ारा चर
के बीच के स बं ध क सम या के संभािवत हल का सं केत िमलता है |
इस तरह से प है िक शोध सम या अथा प रक पना म समानता होते हए भी कु छ िभ नताएँ
ह|
अ यास न
1. शोध सम या तथा शोध प रक पना म अंतर (The difference between research
problem and research hypothesis) प कर|
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2. शोध सम या को प रभािषत कर |
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8.5 प रक पना के कार (Types of Hypothesis)
मनोिव ान, समाजशा तथा िश ा के े म शोधक ाओं ारा बनाये गए प रक पनाओं के व प
पर यिद यान िदया जाए तो यह प हो जायेगा िक उसे कई कार म बाँटा जा सकता है | शोध
िवशेष ने प रक पना का वग करण िन नां िकत तीन आधार पर िकया है-

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8.5.1 चर के सं या के आधार पर :- (On the basis of number of variables)
मनोवै ािनक ने प रक पनाओं का सबसे सरल वग करण प रक पना म िनिहत चर के आधार पर
िकया है |इस कसौटी पर प रक पना के मु य दो कार बताये गए ह_
(a)साधारण प रक पना (Simple hypothesis)-साधारण प रक पना ऐसी प रक पना को
कहा जाता है िजसम चर क सं या मा दो होती है और िसफ इ ह दो चर के स ब ध ारा शोध
सम या का एक तािवत उ र िदया जाता है | उदाहरण के िलए, “ब च क बुि (Intelligence)
तथा वग उपलि ध (Classroom achievement) म धना मक सहस ब ध होता है |” इस
प रक पना म दो चर है अथात बुि तथा वग उपलि ध िजनके बीच एक खास स ब ध क चचा िक
गयी है | अतःयह एक साधारण प रक पना का उदाहरण है |
(b)जिटल प रक पना(Complex hypothesis)-जिटल प रक पना ऐसी प रक पना को कहा
जाता है िजसम चर क सं या दो से अिधक होती है और उनम एक खास स ब ध बतलाकर शोध
सम या का तािवत उ र तैयार िकया जाता है | जैसे , “शहर के उ च सामािजक –आिथक तर
के लोग म धू पान करने क वृि देहात के म यम सामािजक -आिथक तर के लोग क अपे ा
अिधक होती है |”इस प रक पना म तीन चर है –सामािजक –आिथक तर ,धू पान क वृि तथा
शहरी- ामीण े | इन तीन चर म िवशेष कार का स ब ध बतलाकर िजस प रक पना का
उ लेख िकया गया है ,वह िनि त प से एक जिटल प रक पना का उदाहरण है |
8.5.2 चर म िवशेष स ब ध के आधार पर (On the basis of specific relationship of
variables)
कु छ शोध िवशेष ने प रक पना का वग करण चर के िविश स ब ध के आधार पर िकया है|
जैसे ,मैक यूगन (McGuigan,1990) ने इस कसौटी के आधार पर प रक पना के मु य दो कार
बतलाये है जो िन नांिकत है –
(a)सावि क प रक पना(Universal hypothesis)-जैसा िक नाम से ही प है ,इस तरह के
प रक पना का व प ही कु छ ऐसा होता है जो िनिहत चर के सभी तरह के मान के बीच स ब ध
को हर प रि थित म हर समय बनाये रखता है | जैसे, “मानव क सीखने क ि या पुर कार तथा
शं सा ारा तेजी से होती है ”,ऐसी प रक पना का उदाहरण है िजसम बतलाया गया स ब ध हर
प र थित म हर समय येक मानव पर लागू होता है | पर तु मनोिव ान म चूिँ क जीव के यवहार का
अ ययन िकया जाता है और चूँिक यवहार म िविभ नता होने क सं भावना अिधक होती है
,इसिलए इस तरह क सावि क प रक पना क सीमा बं धी हई होती है | जैसे ,उपयु प रक पना
को ही ले िलया जाये | यह प रक पना सामा य मानव के िलए तो ठीक है पर तु असामा य मानव के
िलए कहाँ तक उतना ही उपयु होगा ,कहना मुि कल होगा | अतः यवहार म िविभ नता के कारण
सावि क प रक पना पाने आप ही एक सीमा म बं ध जाती है |
(b)- अि त वा मक प रक पना(Existential hypothesis)- वैसी प रक पना को कहा जाता
ह जो सभी यि य या प रि थितय के िलए नह तो कम-से-कम एक यि या प रि थित के िलए
िनि त प से सही होती है | जैसे , यिद यह प रक पना िवकिसत क जाती है िक ‘वग म कम-से-
कम एक छा तो ऐसा है िजसम सीखन िक ि या द ड देने से तेजी से होती है |’तो यह एक
अित वा मक प रक पना का उदाहरण है |इस ढं ग िक प रक पना के साथ एक दोष यह बतलाया
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गया है िक यिद वह जाँच के बाद सही पाई जाती है तो उसका सामा यीकरण अ य यि य के िलए
नह िकया जा सकता है और इस तरह से आगे क सम या शोधकता के िलए बनी रह जाती है | ऐसी
प रि थित म शोधकता एक नह बि क कई अि त वा मक प रक पनाओं क जाँच करता है और
तब कह जाकर वह सामा यीकरण करने िक अव था म पहँच जाता ह
8.5.3 िविश उ े य के आधार पर (On the basis of specific purpose)
शोध के िविश उ े य के अधर पर शोध मनोवै ािनक ने प रक पना कोिन नां िकत पाँच भाग
म बाँटा है –
(a)कारण व प रक पना(Causal hypothesis)- यवहार के कारण को िनयंि त करने तथा
उसक या या के उ े य के अनुसार शोधक ा कारण व प रक पना का िनमाण करते ह | कारण व
प रक पना एक ऐसी प रक पना होती है , िजसके मा यम से यवहार का िविश करण या यवहार
पर पडने वाले िविश भाव क या या होती है | उदाहरण के िलए , शोधक ा यह प रक पना कर
सकता है िक थकान से अिधगम म हा य होता है ,तो यह कारण व प रक पना का उदाहरण होगा |
य िक उसम अिधगम म हा य होने का कारण थकान बतलाया जाता है हालांिक अिधगम म हा य
होने का कारण मा थकान ही नह होता है |
(b)वणना मक प रक पना (Descriptive hypothesis)- यवहार के बारे म पूवकथन तथा
उसका वणन करने से शोधक ा वणना मक प रक पना का िनमाण करत है | वणना मक प रक पना
वैसे प रक पना को कहा जाता है जो यवहार क या या उसक िवशेषताओं या उस प रि थित
िजसम वह होता है , के प म करता है | इस तरह का प रक पना शोधक ा को यवहार के गुण क
पहचान करने म मदद करता है और उसे पूवकथन करने म भी मदद करता है | इस ढं ग के प रक पना
क सबसे मु य िवशेषता यह होती है िक इसम यवहार के कारण क पहचान करने पर बल नह
डाला जाता है | इसे एक उदाहरण ारा इस कार समझाया जा सकता है |मान िलया जाए शोधक ा
यह प रक पना करता है िक थकान म यि म आगे काय क अिन छा होता है ,तो यह
वणाना मक प रक पना का उदाहरण होगा, य िक इसम थकान म होने वाले यवहार का मा वणन
िकया जा रहा है |
(c)शोध प रक पना या काय प प रक पना (Research hypothesis or Working
hypothesis)- शोध प रक पना (research hypothesis) से ता पय वैसी प रक पना से होता है
जो िकसी घटना या त य के िलए बनाये गए िविश िस ां त (specific theory) से िनकाली गई
अनुिमित (deductions) पर आधा रत होती है | शोधक ा इस िव ास के साथ इस तरह क
प रक पना का ितपादन करता है िक वह यथाथ (accurate) है य िक वह एक िस ां त पर
आधा रत होता है | शोधक ा क तम ना यही रहती है िक शोध के प रणाम ारा उसक शोध
प रक पना क संपिु हो जा ये, हालांिक कभी –कभी उसक यह तम ना पूरी नह हो पाती है | शोध
प रक पना को एक उदाहरण ारा इस कार समझा जा सकता है –सीखने का एक मुख िस ां त
‘सूझ िस ां त ’है | यिद इस पर आध रत करके कोई शोधक ा यह प रक पना बनाता है िक “ यि
सूझ ारा य न तथा भूल (trial and error) क अपे ा ज दी सीखता ह”( Persons learns by
insight quicker than by trial and error) तो यह एक शोध प रक पना का उदाहरण होगा |

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शोध प रक पना के संि या मक अिभ यि (Operational statement) को ही वैकि पत
प रक पना कहा जाता है |
शोध प रक पना क अिभ यि (expression) दो ढं ग से क जा सकती है –िदशा मक
अिभ यि (directional expression) तथा अिदशा मक अिभ यि (non- directional
hypothesis) | उदाहरण के िलए , मान िलया जाये िक कोई शोधक ा यि य के दो समूह म
बुि म अ तर का अ ययन करना चाहता है िजसके िलए वह शोध प रक पना इस तरह बनाता है –
समूह ‘अ’ समूह ‘ब’ से बुि म े है |”इस शोध प रक पना के िलए वह वैकि पक (alternative
hypothesis) प रक पना दो तरह से तैयार कर सकता है | समूह अ तथा समूह ब क बुि एक
सामान है | या िफर समूह ब बुि म समूह अ से े है या समूह अ बुि म समूह ब से े है | पहली
प रक पना अिदशा मक ढं ग से अिभ य क गयी है य िक इसम समूह व तथा समूह ब म अ तर
क कोई िदशा का उ लेख नह है | पर तु दूसरी प रक पना िदशा मक ढं ग (directional way) से
अिभ य क गई है य िक इसम समूह अ तथा बा के अ तर म एक िदशा पर बल डाला गया है |
अिदशा मक प रक पना (Non directional hypothesis) को ि – पा प रक पना (Two-
tailed hypothesis) तथा िदशा मक प रक पना( Directional hypothesis) एक पा
प रक पना( One tailed hypothesis) भी कहा जाता है |
(d)नल प रक पना(Null hypothesis)-नल प रक पना शोध प रक पना के ठीक िवपरीत
होती है | जैसा िक नाम से ही प है ,यह एक तरह से उ लेिखत चर के बीच भाव नह क
प रक पना होती है | दूसरे श द म ,नल प रक पना वह प रक पना है िजसके ारा हम चर के बीच
कोई अ तर नह होने का उ लेख करते ह | शोधक ा जब कोई शोध प रक पना बनाता है तो साथ
ही साथ ठीक उसके िवपरीत ढं ग से नल प रक पना भी बना लेता है और उसक तम ना यही रहती
है िक शोध के प रणाम ारा नल प रक पना अ वीकृ त हो जाय तािक वह िव ाश के साथ शोध
प रक पना को वीकृ त करके उस िदशा म एक िनि त िन कष पर पहँच सके |जैसे , उपयु शोध
प रक पना के िलए नल प रक पना इस कार होगी, “ यि सूझ ारा य न तथा भूल क अपे ा
ज दी नह सीखता है” | यिद शोध के प रणाम ारा यह अ वीकृ त हो जाता है तो वतः उसका
िवपरीत (यानी , शोध प रक पना) कोयथाथ मान िलया जाता है |यही कारण है िक नल प रक पना
को एक का पिनक मॉडल मान िलया गया है य िक उसका अि त व वा तिवक प से तो होता
नह है |
(e)सां यक य प रक पना(Statistical hypothesis)-सां यक य प रक पना से ता पय
वैसी प रक पना से है िजसम सां यक य जीवसं या के बारे म िवशेष स ब ध क उि होती है
तथा िजसे शोधक ा अपने ा आँकड़ के आधार पर वीकृ त या अ वीकृ त करना चाहता है| लैक
तथा चैि पयन के श द म , “सां यक य प रक पना सां यक य जीव सं या के बारे म वैसा कथन
होता है िजसे िे त आंकड़ो से िमलाने वाली सूचनाओं के आधार पर समथन िदया जाता है या
खंडन िकया जाता है |” सां यक य प रक पना का अथ समझाने के िलए यह आव यक है िक
सां यक य जीव सं या का ता पय समझा जाए | सां यक य जीव सं या एक ऐसी जीव सं या है
जो यि य क या कु छ चीज़ क भी हो सकती है | सां यक य जीव सं या क िवशेषता यह है िक
इसम यि य या चीज़ के बारे म िकये गए े ण को कु छ सं या मक मा ाओं म बदल िदया
जाता है ,और तब उसके बारे म कोई िनणय िलया जाता है | उदाहरण के िलए मान िलया जाये िक
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शोधकता समूह अ तथा समूह ब म उन अंतरो का अ ययन करना चाह रहा है | इसके िलए वह शोध
प रक पना इस कार िवकिसत कर सकता है
समूह अ समूह ब से ौढ़ है | इस शोध प रक पना को सां यक य प रक पना म बदलने के िलए
पहले शोध कता कोसमूह अ के सभी यि य के उ का मा य ात करना होगा, तथा उसी कार
समूह ब के सभी यि य के उ का मा य ात करना होगा | इसके बाद इन दोन मा य क तुलना
कर इस त य पर पहंचा जाएगा िक दोन मा य म से कौन बड़ा है और िकस समूह को ौढ़ मान
िलया जाएगा | इस तरह से प है िक सां यक य प रक पना शोध प रक पना का ही सां यक य
पद म एक प रवितत प कोकहा जाता है | सां यक य प रक पना म िसफ शोध प रक पना को ही
नह बि क नल प रक पना कोभी सां यक य पद म प रवितत कर िदया जाता है | जब शोध
प रक पना एवं नल प रक पना के प मने य िकया जाता है, तो िवशेष संकेत का योग िकया
जाता है | शोध प रक पना के िलए H1 तथा नल प रक पना H0 का संकेत योग िकया जाता है
तथा मा य के िलए X का योग िकया जाता है | यिद शोध प रक पना यह है समूह अ समूह ब से
ौढ़ है तो इसक सां यक य प रक पना के प म H0 तथा H1क अिभ यि िन न कार से िकया
जाता है |
अ यास न
चर क सं या के आधार पर (On the basis of number of variables) प रक पना के िविभ न
कार को प रभािषत कर ?
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चर म िवशेष स ब ध के आधार (On the basis of specific relationship of variables)
प रक पना के िविभ न कार को प रभािषत कर ?
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िविश उ े य के आधार पर (On the basis of specific purpose) प रक पना के िविभ न
कार को प रभािषत कर |
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सां यक य प रक पना(Statistical hypothesis) से आप या समझते ह ?
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नल प रक पना(Null hypothesis) से आप या समझते ह ?
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8.6 सारां श (Summary)
प रक पना शोध का एक आव यक अंग है , इसके अभाव म शोध काय एक उ े यहीन ि या है |
भाषा के ि कोण से Hypothesis श द , दो श द hypo (कम) व thesis (शोध लेख) से बना है
िजसका अथ है – शोध लेख से कम िनि त | यह उपल ध सा य पर आधा रत एक ताव या
उिचत अनुमान है िजसे अनुसं धायक अपने अ ययन ारा िस करना चाहता है | श द ‘प रक पना
,’ ‘िस ां त ’व ‘िन कष ’ ायः ही शोध सािह य म योग होते ह | मैक युगन (1990) के अनुसार, “
दो या दो से अिधक चर के बीच सं भािवत स बंध के बारे म बनाएँ गए जांचने यो य कथन को
प रक पना कहते ह” A testable statement of a potential relationship between two or
more variables is called hypothesis. शोध सम या दो या दो से अिधक चर के बीच एक
ा मक वा य या कथन (interrogative sentence or statement) होता है | प रक पना
(hypothesis) दो या दो से अिधक चर के बीच य ा मक कथन का एक अ थायी समाधान
(tentative solution) होता है |
मनोिव ान, समाजशा तथा िश ा के े म शोधक ाओं ारा बनाये गए प रक पनाओं के व प
पर यिद यान िदया जाए तो यह प हो जायेगी िक उसे कई कार म बाँटा जा सकता है | शोध
िवशेष ने प रक पना का वग करण िन नां िकत तीन आधार पर िकया ह-
1. चर के सं या के आधार पर (On the basis of number of variables)
2. चर म िवशेष स ब ध के आधार (On the basis of specific relationship of
variables)
3. िविश उ े य के आधार पर (On the basis of specific purpose)

106
8.7 श दावली (Glossary)
 शोध सम या : शोध सम या दो या दो से अिधक चर के बीच एक ा मक वा य या
कथन (interrogative sentence or statement) होता है |
 प रक पना : दो या दो से अिधक चर के बीच सं भािवत संबं ध के बारे म बनाए गए जांचे
जाने यो य कथन को प रक पना कहते ह |
 साधारण प रक पना (Simple hypothesis)-साधारण प रक पना वैसी प रक पना
को कहा जाता है िजसम चर क सं या मा दो होती है और िसफ इ ह दो चर के स ब ध
ारा शोध सम या का एक तािवत उ र िदया जाता है |
 जिटल प रक पना(Complex hypothesis)-जिटल प रक पना वैसी प रक पना को
कहा जाता है िजसम चर क सं या दो से अिधक होती है और उनम एक खास स ब ध
बतलाकर शोध सम या का तािवत उ र तैयार िकया जाता है |
 सावि क प रक पना(Universal hypothesis)-जैसा िक नाम से ही प है ,इस
तरह के प रक पना का व प ही कु छ ऐसा होता है जो िनिहत चर के सभी तरह के मान
के बीच स ब ध कोहर प रि थित म हर समय बनाये रखता है |
 अि त वा मक प रक पना(Existential hypothesis)- वैसी प रक पना को कहा
जाता है जो सभी यि य या प रि थितय के िलए नह तो कम-से-कम एक यि या
प रि थित के िलए िनि त प से सही होती है |
 कारण वप रक पना(Causal hypothesis)- कारण व प रक पना एक ऐसी
प रक पना होती है, िजसके मा यम से यवहार का िविश कारण या यवहार पर पडने
वाले िविश भाव क या या होती है |
 शोध प रक पना या काय प प रक पना (Research hypothesis or
Working hypothesis)- शोध प रक पना (research hypothesis) से ता पय वैसी
प रक पना से होता है जो िकसी घटना या त य के िलए बनाये गए िविश िस ां त
(specific theory) से िनकाली गई अनुिमित (deductions) पर आधा रत होती है |
 नल प रक पना(Null hypothesis)-नल प रक पना शोध प रक पना के ठीक
िवपरीत होती है | जैसा िक नाम से ही प है ,यह एक तरह से उ लेिखत चर के बीच
भाव नह क प रक पना होती है | दूसरे श द म ,नल प रक पना वह प रक पना है
िजसके ारा हम चर के बीच कोई अ तर नह होने का उ लेख करते ह |
 सां यक य प रक पना : सां यक य प रक पना सां यक य जीव सं या के बारे म
वैसा कथन होता है िजसम िे त आंकड़ो से िमलाने वाली सूचनाओं के आधार पर
समथन िदया जाता है या खंडन िकया जाता है |

107
8.8 िनबं धा मक न
1. प रक पनाओं को प रभािषत कर एवं इसक िवशेषताओं का उ लेख कर |
2. शोध सम या और शोध प रक पना म या अंतर है प कर |
3. प रक पना से आप या समझते ह ? प रक पना िनमाण के उ े य बताएं |
4. प रक पना के िविभ न कार का उदाहरण के साथ िववेचन कर |
5. िट पणी िलख
1. सां यक य प रक पना
2. शू य प रक पना
3. शोध प रक पना

8.9 अित र सं दभ ं थ सू ची(Suggested Readings)


 Best, John W. , Kahn J James (2002)Research In Education, Allyn &
Bacon; 9th Edition.
 Kerlinger, F.N. (1986) Foundation of Behavioral Research Holt,
Rinehart and Winston, Inc., American Problem Series, New York, NY
 किपल ,डा० च० के ० (2010 ): अनुसं धान िविधया – यवहा रक िव ानो म , हर
साद भागव , पु तक काशक ,4/230, कचहरी घाट , आगरा |
 ि पाठी , जगपाल (2007 ): मनोिव ान व िश ा म शोध प ितया , च० पी० भागव
बुक हाउस , 4/230 , कचहरी घाट आगरा |
 ि पाठी , ो० लाल बचन व अ य (2008 ): मनोवै ािनक अनुसं धान प ितया, च ०
पी० भागव बुक हाउस, 4/230, कचहरी घाट, आगरा|
 िसह, अ ण कु मार (2009 ): मनोिव ान, समाजशा तथा िश ा म शोध िविधया ,
मोतीलाल बनारसी दास , पटना एवं वाराणसी |
 िसं ह, अ ण कु मार, (2001) िश ा मनोिव ान, पटना, भारती भवन, पि लशस एड
िड ी यूटस।
 िसं ह, अ ण कु मार, (2001) सं ाना मक मनोिव ान, वाराणसी, मोतीलाल बनारसीदास
पि लशस एड िड ी यूटस।
 िसं ह, अ ण कु मार, (2001) उ चतर मनोिव ान, पटना,भारती भवन, पि लशस एड
िड ी यूटस।

108
 Goode, W.J.&Hatt, P.K.(1981): Methods in Scoial Research
 Festinger and Katz: Research method in Behavioural Sciences .
 Mc Guin, F.J.(1990): Experimental Psychology .
 Wiersma, W.,& Jurs, S.G.(2009) Research Methods in Education: An
Introduction. New Delhi: Pearson Publication

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