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अजुर्नः फाल्गुनो िजष्णुः िकरीटी श्वेतवाहनः ।

वीभत्सुिवर् जयः कृष्णः सव्यसाची धनञ्जयः ।


किपध्वजो गुडाकेशो गाण्डीवी कृष्णसारिथः ।।
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एतान्यजुर्ननामािन गवां गोष्ठे च यो िलखेत् ।

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न तत्र पशुरोगादी शुभं शीघ्रं च जायते ।।


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तवाहनः वीभ
अजुर्न, फाल्गुन, िजष्णु, िकरीटी, श्वेतवाहन, वीभत्सु, िवजय,

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कृष्ण, सव्यसाची, धनञ्जय, किपध्वज, गुडाकेश, गाण्डीवी


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प8


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अौर कृष्णसारिथ (कृष्ण िजनके सारिथ हों) इन अजुर्न के



यः

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5

णः

स:साची धन
चौदह नामों को जो गौअों के गोष्ठ में िलखता है, वहाँ
पर िकसी भी प्रकार का पशुरोग नहीं होता अौर
अितशीघ्र शुभ ही शुभ होता है।

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