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RBSE राजनीति विज्ञान कक्षा 12 PDF
RBSE राजनीति विज्ञान कक्षा 12 PDF
राजनी त व ानान
Class – 12
( RBSE अजमेर आधा रत )
Prepared By :-
गंगाधर सोनी
ा याता (राजनी त व ान )
राउमा व भोजासर (फलोद ) जोधपुर
Now - धाना यापक रामा व बांठड़ी (नागौर)
RPSC Selections :- -: उ े य :-
Teacher – 2008 1. श क ब धु और
Senior Teacher – 2011 व ा थय को राजनी त
व ान के अ ययन म सहयोग
School Lecturer – 2017 करना
School Headmaster - 25.10.2019 से 2. मशन Merit को बढ़ावा दे ना
1. याय 3-6
2. श , स ा और वैधता 7-12
3. धम 13-16
6. राजनी तक सं कृ त 27-31
8. उदारवाद 37-42
9. समाजवाद 43-47
याय श द क ा या अलग अलग वचारक ने अपने अपने ढं ग से क है। जहां ाचीन भारतीय वचारक ने याय को धम से जोड़कर कत
पालन पर बल दया है। वह पा ा य वचारक म सव थम ले ट ो ने याय को आ मीय गुण माना, अर तु ने याय को स गुण माना, म यकालीन
वचारक ने के रा य क त कत के पालन को याय माना।
आधु नक काल म डे वड यू म, बथम, मल आ द ने याय को उपयो गता के स ांत से स ब कया है, वह जॉन रॉ स ने औ च य पूण याय
क चचा क है।
1. परंपरावाद :- इस स ांत के तपादक सै फालस थे।उसके अनुसार याय स य बोलने और कज चुकाने म न हत है।
2. उ वाद :- इस स ांत के तपादक ेसीमेकस थे। उसके अनुसार श शाली का हत ही याय है।
ले ट ो इन तीन वचारधारा से सहमत नह था। उसने याय को आ मा का स गुण माना है। उसके अनुसार याय से ता पय है :- ये क
ारा अपना न द काय करना और सर के काय म ह त प े नह करना।
1. गत याय :-
गत याय के अनुसार ले ट ो का मानना था क त को वही काय करना चा हए जसको करने म वह ाकृ तक प से समथ और
स म हो। जैसे कसी म अ यापन क मता है तो उसे श ण काय, सीमा क र ा करने क मता है तो उसे सै नक काय और
उ पादन करने क मता है तो उसे कसान का काय करना चा हए।
2. सामा जक याय :-
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शासक वग :- इस वग के य म ववेक अथात बु त व क धानता पाई जाती ह। ऐसे शासन या म भाग ले ते ह। जैसे शासक
मं ी, अ धकारी, यायाधीश आ द। ले ट ो ने इस वग को अ भभावक वग भी कहा है ।
इस कार ले ट ो के अनुसार जस कार आ मा मनु य के व भ प म सं तुलन था पत कए रहती है, ठ क उसी कार य द समाज के तीन
वग अपनी अपनी मता से अपने न द काय कर और अ य के काय म ह त प े नह कर तो रा य म याय क थापना होगी।
( B ) अर तु क याय संबध
ं ी अवधारणा :-
अर तू ले ट ो का श य था। उसके अनुसार याय का सरोकार मानवीय सं बंध के लए नयमन से है। अर तु ने याय क कानूनी
अवधारणा तु त क । अर तु ने याय को दो प म तु त कया है :-
1. वतरणा मक याय :-
अर तु के अनुसार पद, त ा, धनसं पदा, श व राजनी तक अ धकार का वतरण क यो यता और उसके ारा रा य के त क गई
से वा के अनुसार कया जाना चा हए।
अर तु के अनुसार याय का वतरण अं कग णतीय अनुपात से न होकर रेखाग णतीय अनुपात म होना चा हए अथात सबको बराबर ह सा न
मलकर अपनी अपनी यो यता के अनुसार ह सा मलना चा हए।
2. सुधारा मक याय :-
इस याय के अनुसार नाग रक को वतरणा मक याय से ा त अ धकार का अ य ारा पयोग व हनन नह हो । रा य के
जीवन, सं प , स मान, वतं ता व अ धकार क र ा कर अथात वतरणा मक याय से ा त अ धकार क रा य ारा र ा करना ही
सु धारा मक याय है।
थॉमस ए वनास के अनुसार याय एक व थत व अनुशा सत जीवन तीत करने म और व था के अनुसार कत के पालन म न हत है।
इसी कार बथम के अनुसार सावज नक व तु , से वा , पद आ द का वतरण उपयो गतावाद स ांत के आधार पर हो। अथात जो उपयोगी
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है और सु खदायक ह वही काय होने चा हए। इस कार बे थम ने अ धकतम लोग के अ धकतम सु ख के आधार पर याय क अवधारणा तु त
क है।
जॉन टू अट मल के अनुसार मनु य अपनी सु र ा हेतु ऐसे नै तक नयम वीकार करता है जनसे सरे भी वैसी ही सु र ा का अनुभव कर सके।
अथात उपयो गता ही याय का मूल मं है।
2. और रा य ारा ऐसी सामा जक व आ थक थ तयाँ था पत क जानी चा हए जो सबके लए क याणकारी हो। ऐसी थ तयां केवल
अ ानता के पद के स ांत के आधार पर ही था पत क जा सकती ह।
रॉ स का अ ानता के पद का स ांत :-
इस स ांत के अनुसार सभी अपनी वयं क व श पृ भू म और थ त को म य नजर रखते ए अपना वकास करते ह। इस थ त म
वयं अपनी थ त के अनुसार अ छे बुर े काय ारा अपने वकास म जुट जाता है और उसका एकमा ल य वयं अपना वकास करना
रहता है। परंतु य द अपनी वशे ष पृ भू म और थ त से अन भ हो जाए तो वह वकास के केवल वही कोण अपनाता है जो नै तक
से सही है। अथात अगर को इस बात का ान नह हो क उसके ारा कए जाने वाले काय से उसका या उसके प र चत का अ छा
या बुर ा नह होने वाला है तो वह सदै व नै तक नयम के अनुसार ही काय करेगा।
अतः रॉ स समाज/रा य के वकास के लए ऐसे ही स ांत को याय द मानता है जसम लोग वयं ही अ ानता का पदा वीकार कर ले ते ह।
याय के व भ प
परंपरागत प म याय क दो धारणाएं नै तक याय और कानूनी याय च लत थी। परंतु आधु नक समय म इनके अलावा राजनी तक,
सामा जक व आ थक याय क अवधारणा भी मह वपूण है।
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(1) नै तक याय :-
याय क मूल अवधारणा नै तकता पर ही आधा रत ह। इसके अनुसार ाकृ तक नयम व ाकृ तक अ धकार के अनुसार जीवन यापन करना ही
नै तक याय है। जब स य, अ हसा, सदाचार, दया, उदारता आ द नै तक गुण से यु होकर आचरण करता है तो उसे नै तक याय कहा
जाता है।
जब रा य के कानून का अनुसरण कर तो उसे कानूनी याय का जाता है। कानूनी याय क धारणा दो बात पर बल दे ती ह :-
राजनी तक याय क ा त के लए सं वधान और सं वैधा नक शासन आव यक है। ऐसा याय केवल लोकतां क व था म ही ा त कया
जा सकता है। राजनी तक याय के तहत क मता धकार, वचार, भाषण एवं अ भ क वतं ता, चुनाव लड़ने और बना कसी भेदभाव
के सावज नक पद ा त करने का अ धकार होता है। एक राजनी तक व था म सबको समान अ धकार व अवसर ा त होने चा हए।
राजनी तक याय भेदभाव और असमानता को अ वीकार करता है। यह सभी य के क याण पर आधा रत होता है।
समाज म कसी भी के साथ भेदभावपूण वहार न हो और सभी को अपने व के वकास का समान अवसर मले । यही सामा जक
याय है।
जॉन रॉ स ने अपना याय स ांत सामा जक याय के सं दभ म ही तु त कया है। उसके अनुसार य द समाज म सभी को वकास के समान
अवसर नह मलगे तो वतं ता और समानता जैसे मू य का कोई अथ नह रहेगा। इस याय के तहत रा य से यह अपे ा क जाती ह क वह
ऐसी नी तय का नमाण कर जससे एक समतामूलक समाज क थापना हो।
(5) आ थक याय :-
आ थक याय के अनुसार समाज म आ थक समानता था पत होनी चा हए अथात् अमीरी और गरीबी के बीच क खाई र होनी
चा हए जससे सभी आ थक प से बराबर ह गे। परंतु वहार म ऐसा सं भव नह है। आ थक याय धनसं पदा के कारण उ प
असमानता अथात गरीबी और अमीरी का वरोध करता है और इसे कम करने पर बल दे ता है। इसके अनुसार आ थक याय क थापना के लए
रा य को आ थक सं साधन का वतरण करते समय क आ थक थ त को यान म रखना चा हए और गत सं प के अ धकार को
सी मत करना चा हए।
न कष :-
याय क उपरो सभी अवधारणा के अ ययन से प है क याय का जो ल य ाचीन काल म था पत कया गया था वह आज
भी ासं गक है। याय का स ांत मूल प से सामा जक जीवन म लाभ और दा य व के तकसं गत वतरण से सं बं धत है। वतमान म याय क
चचा ऐसे समाज म ही ासं गक है जनम व तु , से वा व अवसर का अभाव हो और च लत कानून , अ धकार , वत ता आ द म
और अ धक सु धार क गुंजाइश हो।
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श , स ा और वैधता
श का अथ :-
प रभाषा :-
1. मैकाइवर के अनुसार, "श कसी सं बंध के अं तगत ऐसी मता है जसम सर से कोई काम लया जाता है या आ ा पालन कराया जाता
है।"
इस कार प है क जसके पास श है, वह सर के काय , वहार और वचार को अपने अनुकूल बना सकता है।
श क पृ भू म :-
न न ल खत ब के आधार पर हम श क पृ भू म को प कर सकते ह :-
6. श क अवधारणा को प करने म कैट लन, लासवेल, कै लान, मॉग थाउ आ द ने मह वपूण भू मका नभाई है।
8. लॉसवेल ने अपनी पु तक "Who gets, What, When, How " म श क अवधारणा प क है।
श एवं बल म अंतर :-
श बल
1. श छन बल है। 1. बल कट श है।
2. श अ कट त व है। 2. बल कट त व है।
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श एवं भाव म समानताएं :-
श भाव
श के व भ प :-
वतमान म श के न न तीन प च लत है :-
1. राजनी तक श :-
2. आ थक श :-
3. वचारधारा मक श :-
वचारधारा का अथ है वचार का समूह जसके आधार पर हम हमारे कोण का वकास करते है। वचारधारा लोग के सोचने
और समझने के ढं ग को भा वत करती है। अलग-अलग वचारधारा वाले लोग अलग-अलग शासन व था को उ चत ठहराते है। भ - भ
दे श म भ - भ कार क सामा जक, आ थक और राजनी तक व थाएं च लत है जनके आधार पर उन दे श म उदारवाद, समाजवाद,
सा यवाद आ द अनेक वचारधाराएं च लत है।
श के स ांत :-
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1. वग भु व का स ांत :-
2. व श वग य स ांत :-
इस स ांत क आधार शला पेरटे ो, मो का व मचे स ने रखी है। उ ह ने समाज को दो भाग म वभा जत कया है :-
यह वभाजन केवल आ थक आधार पर ही नह ब क अनेक अ य आधार जैसे कुशलता, सं गठन, मता, बु मता आ द के आधार पर कया
गया है। इस स ांत के आधार पर ये क शासन व था म अपनी यो यता के आधार पर एक छोटा वग उभर कर सामने आता है जो सामा य
वग पर अपनी श का योग करता है। जैसे राजनेता, डॉ टर, वक ल, ोफेसर, उ ोगप त आ द।
3. नारीवाद स ांत :-
इस स ांत के अनुसार समाज म श का बंटवारा ल गक आधार पर कया गया है। समाज क सारी श पु ष के अधीन है
जसका योग पु ष ारा म हला पर होता है। समानता के स ांत के आधार पर नारीवाद सं गठन ने नारी मु और नारी वाधीनता
आंदोलन चलाकर नारी को बराबरी का दजा दे ने क मांग क है।
4. ब लवाद स ांत :-
इस स ांत के अनुसार समाज म सम त श कसी एक वग के हाथ म होकर अनेक समूह म बंट ई होती ह। उदार लोकतां क
व था म इन अनेक समूह के म य सतत सौदे बाजी चलती रहती है। इस स ांत का तपादन रॉबट डहल ने कया था।
स ा :-
स ा क अवधारणा समझने के लए हम एक उदाहरण ले ते है। एक पु लस वाले और एक गुंडे दोन म श न हत होती है। सम-
वषम प र थ तय म हम इन दोन के दए गए आदे श क पालना करते ह। परंतु इन आदे श क पालना म एक वशे ष अं तर होता है, वह यह है
क एक पु लस वाले के आदे श क पालना हम अपनी सहम त से करते ह य क हम जानते ह क उसे व ध या कानून ारा आदे श दे ने क श
ा त है जब क हम एक गुंडे के आदे श क पालना मा जानमाल के खोने के भय के कारण करते ह। जब यह डर हट जाता है तो हम उसके
आदे श क पालना भी नह करते है।
इस कार स ा कसी , सं था, नयम या आदे श का वह गुण है जसे हम सही ( वैध ) मानकर वे छा से उसके नदश क पालना करते ह
अथात वैध श ही स ा है।
हेनरी फेयोल के अनुसार , "स ा आदे श दे ने का अ धकार और आदे श क पालना कराने क श है।"
स ा पालन के आधार :-
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कोई कसी भी स ा पालना न न ल खत आधार पर करता है :-
1. व ास :-
स ा पालन का सबसे मह वपूण आधार है व ास। य द अधीन थ को इस बात का व ास है क स ाधारी का दया गया आदे श सही है
तो स ा क पालना उतनी ही अ धक सरल हो जाएगी अ यथा नह ।
2. एक पता :-
वचार और आदश क एक पता स ा का मह वपूण आधार है। य द स ाधारक व अधीन थ के वचार और आदश म एक पता है तो
वत: ही आ ा पालन क थ त पैदा हो जाती है।
3. लोक हत :-
य द सरकार लोक हत म काय करती ह और नयम-कानून बनाती ह तो जनता उन काय , नयम और कानून का अनुसरण बे हचक
करती है। जैसे कर जमा कराना। लोग कर इस लए जमा कराते ह य क इसी कर से सरकार लोक हत के काय चलाती ह और योजनाएं बनाती
है। इसी कार हम यातायात के नयम का भी पालन करते ह य क इसम जनता क सु र ा का हत छु पा है।
4. दबाव :-
ये क व था म कुछ ऐसे लोग भी होते ह जो केवल दमन और दबाव क भाषा ही समझते ह अथात लात के बूत बात से नह , लात
से ही मानते ह।
स ा के प :-
मुख समाजशा ी मै स वेबर ने स ा के न न ल खत तीन प बताए ह :-
1. परंपरागत स ा :-
इस कार क स ा पालन का आधार समाज म था पत परंपराएं होती ह। जो वंश व परंपरा के आधार पर स ा का योग करता
है, स ा उसी के पास बनी रहती ह। जैसे हम अपने घर म माता- पता और वृ जन क आ ा का पालन परंपरागत स ा के आधार पर ही करते
ह।
2. क र माई स ा :-
यह स ा कसी के गत गुण और चम कार पर आधा रत होती ह। इसम जनता उस के इशार पर बड़े से बड़ा याग
करने के लए त पर रहती ह। जैसे महा मा गांधी, ने सन मंडेला, मोद आ द।
3. कानूनी तकसंगत स ा :-
जैसे धानमं ी क स ा कानूनन सभी म समान है परंतु नेह , इं दरा गांधी, अटल बहारी वाजपेई आ द धानमं य ने अ य धानमं य क
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तुलना म अ य धक स ा का योग कया है य क इन धानमं य का व चम का रक था।
वैधता :-
वैधता अं ेजी श द Legitimacy का हद पयाय है जो लै टनLegitimus श द से बना है जसका अथ है वैधा नक।
ाचीन काल :-
भारतीय ाचीन वचारक ने राजा के शासन को उसके ारा कए गए जा-पालन व जन क याण के काय ारा वैधता दान क ।
यू नानी वचारक म ले ट ो ने याय स ांत ारा और अर तू ने सं वैधा नक शासन ारा शासक क वैधता को स करने का यास कया।
म यकाल :-
आधु नक काल :-
आधु नक काल म लोकतां क शासन णाली म जनता क सहभा गता को रा य क वैधता का माण माना जाता है।
वैधता उस कारण क ओर सं केत करती ह जसके कारण हम कसी स ा को वीकार करते ह अथात वैधता वह सहम त ह जो लोग ारा
राजनी तक व था को दान क जाती है।
वैधता के ा त के साधन :-
मतदान, जनमत, सं चार के साधन, रा वाद आ द वे साधन है जनके मा यम से रा य वैधता ा त करने क को शश करते ह।
वैधता का संकट :-
ये क राजनी त व था को अपनी वैधता बनाए रखने के लए य न करने होते ह य क राजनी तक, आ थक, सामा जक व
सां कृ तक प र थ तय म नरंतर प रवतन होता रहता है। य द राजनी तक व था इन प रवतन के अनु प ढल जाती है तो उनक वैधता बनी
रह जाती ह। य द राजनी तक व था इन प रवतन के अनु प ढल नह पाती है तो उनक वैधता पर सं कट आ जाता है।
जैसे ाचीन काल क राजतं ीय व था म लोकतं ीय त व का उदय होने पर जन व था ने वयं को लोकतं ीय त व के अनु प ढाल
लया यानी लोकतं क थापना कर ली उनक वैधता यथावत बनी रही। जब क सा यवाद व था वयं को लोकतं ीय त व के अनु प ढाल
नह पाई, अतः वतमान म इसक वैधता न के बराबर है।
इसी कार जब परंपरागत सं थाएं व समूह नवीन व था और वचार को वीकार कर ले ते ह तो उनक वैधता बनी रहती है अ यथा उनक
वैधता म बाधा प च
ं ग
े ी।
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श , स ा और वैधता म अ तस ब ध :-
1. श के साथ वैधता जुड़कर स ा को अ धक भावी बनाती है :-
हम जानते ह क श के बना समाज म शां त, व था, याय व खुशहाली क थापना नह क जा सकती है। परंतु केवल श का
योग अ धक भावी नह होता है। जब यही श वैधता से जुड़ जाती ह तो स ा का प धारण कर ले ती है और इस स ा मक श को लोग
अपनी सहम त से वीकार करते ह।
2. श , स ा और वैधता पर पर पूरक :-
3. वैधता, श और स ा के म य कड़ी :-
शासक अपनी श का योग कर लोग को बाहरी प से नयं त करते ह परंतु जब शासक वैध श का योग करते ह तो लोग के
दय म शासन करता है। केवल श अ धनायक तं को द शत करती ह जब क वैध श अथात स ा लोकतं को द शत करती ह।
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धम
धम को अं ेजी म Religion कहा जाता है जसका अथ है आ था, व ास या अपनी मा यता। इसी कार धम सं कृत भाषा के धारणात श द से
बना है जसम घृ घात है जसका आशय है - धारण करना।
भारत म धम को कत , अ हसा, याय, सदाचार एवं स गुण के अथ म मा यता ा त है अथात धम एक ऐसी एक कृत णाली है जो अपनी
था और व ास से एक समुदाय वशे ष को जोड़ता है। त परांत यही समुदाय इस णाली के आधार पर यह ा या करते ह क उनके लए
या प व ह और या अलौ कक ह।
धम नरपे ता :-
धम नरपे ता का अथ है कसी भी धम को मानने वाले के साथ भेदभाव नह हो और सभी धम को समान से दे खा जाए।
भारत म धम और धम नरपे ता
भारतीय दशन मूल प से एकांतवाद ह अथात ाचीन काल म भारत म मा एक ही धम सनातन धम च लत था परंतु वतमान म हमारे दे श म
अनेक धम को मानने वाले ह। साथ ही भारत म ई र को मानने वाले भी ह और नह मानने वाले ह । भारत म अनेक मत मता तर पाए जाते ह
जसके कारण भारतीय सं वधान म धम नरपे ता को सं वैधा नक दजा दया गया है और यह सव वीकार है।
धम और नै तकता
धम और नै तकता म घ न सं बंध है। धम का मूल ल य मानव मा क से वा करना है। धम अ छे आचरण, क णा, शील व अ हसा पर बल दे ता
है। धम बुर ाइय से र रहने और सदाचार के माग पर चलने क श ा दे ता है। धम का काम भलाई करना और उसक तु त करना है। इस कार
प है क धम नै तकता पर ही आधा रत होता है।
धम और राजनी त :-
धम का मूल त व :-
राजनी त का मूल त व :-
धम और राजनी त म अ तस ब ध :-
राम मनोहर लो हया के अनुसार धम और राजनी त के दायरे अलग अलग है परंतु दोन क जड़ एक है। धम द घकालीन राजनी त ह जब क
राजनी त अ पकालीन धम है अथात धम और राजनी त दोन क जड़े नै तकता म ही न हत है।
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1. ववेकपूण संबध
ं :-
2. अ ववेकपूण संबध
ं :-
3. मया दत संबध
ं :-
धम और अ हसा :-
धम और अ हसा का अटू ट सं बंध है। दोन के आधार त व है :- मा, दया, क णा, स य, कत न ा व ईमानदारी है। इन
सभी त व को व के सभी दे श के धम म न केवल वीकारा गया है ब क इनके अभाव म कसी भी धम का गठन सं भव नह है।
धम और रा ीयता :-
हम चाहे कसी भी धम के अनुयायी हो और कसी भी पंथ का अनुसरण करते हो परंतु रा य सभी के लए सव प र है।
हमारा धम, मत, भाषा, री त- रवाज आ द रा से ऊपर नह हो सकता है। जब कोई धम से वमुख होकर या धम क आड़ म अनै तक काय
करता है तो वह न केवल समाज का वकास काय बा धत करता है ब क अं ततः रा के वकास को बा धत करता है। ऐसे समाज और रा
दोन के लए घातक होते ह।
1.धम का अथ:-
2.मानवता धम :-
ाचीन सं कृ त के अनुसार धम हम केवल नयम कायद म ही नह बांधता है ब क इंसा नयत का भाव रखने म भी मदद करता है। आज के
आधु नक प र े य म इसे मानवता का धम कहा जाता है।
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3.एके रवाद धम :-
ऋ वे द के अनुसार अ तीय ा अथात स य एक ही है। केवल बु जी वय ने इसे समय समय पर अलग-अलग नाम से पुकारा है
अथात ई र एक है।
4.अ हसा म व ास :-
5.साधना प :-
6. धम के ल ण :-
8. भ - भ उपासना प तयां और मत :-
सनातन धम वेद पर आधा रत है जसम भ - भ उपासना प तयां, मत, सं दाय व दशन न हत है। यहां पर व भ प म
कई दे वी-दे वता क पूजा क जाती है।
ईसाई धम क अवधारणा :-
ईसाई धम क न न ल खत धा मक मा यताएं है :-
1. ई र एक है।
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इ लाम क संक पना :-
इ लाम नया के नवीनतम धम म से एक है। इ लाम धम का ा भाव 622 ईसवी म मोह मद पैगंबर ने कया था। मोह मद
साहब ने केवल दो अनुया यय को ले कर इ लाम क न व रखी और आज लगभग 1.5 अरब लोग इ लाम के अनुयायी है।
भारत, पा क तान, बां लादे श, अफगा न तान, ईरान, इराक, सऊद अरब, इंडोने शया, प मी ए शया और उ र पूव अ का के दे श म इ लाम
का व तार है।
3. मौ लक प से इ लाम म अ हसा और नै तकता पर बल दया गया है परंतु वतमान म इ लाम के नाम पर बढ़ रही धा मक क रता व के
लए घातक बन रही है ।
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वतं ता और समानता
वतं ता का अथ :-
वतं ता श द अं ेजी के Liberty श द का हद पयाय है। Liberty लै टन भाषा के Liber श द से बना है जसका अथ है बंधन का अभाव ।
वतं ता ( ह द श द )
Liberty (English )
Liber ( लै टन श द )
बंधन का अभाव या मु ।
य द केवल बंधन का अभाव ही वतं ता मानी जाए तो सभी बंधन मु हो जाएंगे और पर पर सं घष से न हो जाएंगे। इस थ त म
केवल सबल ही जी वत या वतं रह पाएंगे।
परंतु ऐसा नह है। वतं ता क अपनी इ छा अनुसार काय करने क श का नाम है परंतु इस दौरान सरे य क इसी कार क
वतं ता म कोई बाधा नह प च
ं े ह।
A. नकारा मक वतं ता :-
नकारा मक वतं ता के अनुसार तबंध का अभाव ही वतं ता है अथात को मनमानी करने क छू ट हो और रा य को
के नजी काय म ह त प
े नह करना चा हए।
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5. सरकार ारा सम थत सं र ण गत हत म ठ क नह है। जैसे आर ण, स सडी आ द।
B. सकारा मक वतं ता :-
इस अवधारणा के अनुसार कए जाने यो य काय को करने क सु वधा वतं ता है। अथात को उन काय को करने क
वतं ता है जो अ य क वैसी ही वतं ता म बाधा नह डाले ।
4. समाज व के हत पर पर नभर ह।
2. रा य का काय े सी मत हो 2. रा य का काय े सी मत नह हो
4. मानव वकास के लए खुली तयो गता का समथन 4. मानव वकास के लए रा य सम थत तयो गता का समथन
वतं ता के व वध प :-
1. ाकृ तक वतं ता :-
इस सं बंध म स वचारक सो का कथन इस कार ह - "मनु य वतं प से पैदा होता है परंतु सव बे ड़य म जकड़ा रहता है। "
2. गत वतं ता :-
गत या नजी वतं ता का आशय है क को उसके नजी जीवन के सम त काय करने क पूण वतं ता होनी
चा हए। इस अथ म को वेशभूषा, खान-पान, धम, री त- रवाज, पसं द, वचार आ द क वतं ता होनी चा हए। के गत काय
पर केवल समाज हत म ही बंधन लगाया जाना चा हए।
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3. नाग रक वतं ता :-
नाग रक वतं ता कसी को दे श के नाग रक होने क है सयत से मलती ह। ऐसी वतं ता को उस दे श का समाज
वीकृ त दे ता है और रा य सं र ण दे ता है। नाग रक वतं ता असी मत और नरंकुश नह होती ह। दे श के यायालय ारा इसक सु र ा सु न त
क जाती है। नाग रक वतं ता के तहत को अपने दे श म कह भी घूमने फरने, रोजगार करने, नवास करने, वचार, अ भ वक
वतं ता, शा तपूण स मले न क वतं ता आ द शा मल है।
4. राजनी तक वतं ता :-
रा य के काय म और राजनी तक व था म भागीदारी को राजनी तक वतं ता कहते ह। जैसे मतदान करने क वतं ता,
चुनाव लड़ने क वतं ता, कोई भी सावज नक पद ा त करने क वतं ता आ द।
5. आ थक वतं ता :-
6. धा मक वतं ता :-
7. नै तक वतं ता :-
ारा नै तक गुण से यु होकर काय करने क वतं ता ही नै तक वतं ता है। य द नै तक गुण जैसे दया,
शीलता, क णा, ेम, ने ह, स य, अ हसा आ द से यु होकर काय करेगा तो ऐसे काय को करने क वतं ता नै तक वतं ता कहलाती है।
8. सामा जक वतं ता :-
मनु य के साथ जा त, वग, लग, धम, न ल, रंग, ऊंच-नीच आ द के आधार पर कसी तरह का भेदभाव नह करना और
सभी समाज के साथ समान वहार करना ही सामा जक वतं ता है।
9. रा ीय वतं ता :-
जब रा य के काय म अ य दे श का कोई ह त प
े नह हो अथात रा य अपने काय े म सं भु हो तो ऐसे रा य क
वतं ता रा ीय वतं ता कहलाती है।
10. संवध
ै ा नक वतं ता :-
कसी भी नाग रक को यह वतं ता उसके दे श के सं वधान से मलती है और सं वधान ऐसी वतं ता क र ा क गारंट
दे ता है। रा य या शासन चाह कर भी इन वतं ता को कम नह कर सकता है। सं वैधा नक वतं ता उस दे श के सं वधान म व णत होती ह।
वतं ता ा त के लए आव यक शत :-
वतं ता सभी के लए आव यक है। ये क रा य अपने नाग रक के लए सं वधान द वतं ताएं उपल ध करवाता है।
फर भी सभी को समान प से वतं ताएं नह मल पाती ह। वतं ताएं ा त करने के लए न न ल खत शत आव यक है :-
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1. नर तर जाग कता :-
2. लोकतां क व था :-
3. सं वधानवाद :-
यायपा लका कायपा लका व व था पका से पृथक होनी चा हए तभी वह न प और वतं याय कर पाएगी।
5. स
े क वतं ता :-
इसी कार नाग रक का नडर व साहसी होना, अ य नाग रक का वशे षा धकार नह होना, आ थक प से समतामूलक समाज
क थापना होना, व ध का समान शासन होना आ द वतं ता ा त के लए आव यक शत ह।
1. अ श ा :-
जब अपनी वतं ता के त जाग क नह ह गे तो अ य उनक जाग कता के अभाव का लाभ उठाकर उनके
अ धकार व वत ता का योग कर उनका शोषण करने लग जाएंगे।
3. गरीबी :-
गरीब के पास सं साधन का अभाव होता है। इस कारण उ ह द वतं ता का वे उपयोग नह कर पाते ह।
क वतं ता का र क यायपा लका को माना गया है। य द कायपा लका यायपा लका के काय म ह त प
े करेगी तो
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य क वतं ता क र ा नह हो पाएगी।
उपरो के अलावा कायपा लका का वे छाचारी आचरण, रा वरोधी त व व आतंकवाद ग त व धयां आ द भी वतं ता ा त के
माग क मुख बाधाएं ह।
समानता
समानता का अथ :-
ला क के अनुसार, "समानता का अथ यह नह है क सभी के साथ एक जैसा वहार कया जाए और ये क को एक समान वेतन
दया जाए। "
ला क के अनुसार समानता है :-
समानता के आधारभू त त व :-
5. सामा जक भेदभाव नह ।
6. सभी को समान मह व।
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समानता के कार :-
1. नाग रक समानता :-
एक ही दे श के सम त नाग रक के साथ समान वहार ही नाग रक समानता है। भारत म सं वधान के अनु छे द 14 ारा व ध
के सम समानता और व ध का समान सं र ण ारा नाग रक समानता का अ धकार दया गया है।
2. राजनी तक समानता :-
रा य के सभी नाग रक को बना कसी भेदभाव के रा य के काय म भाग ले ने क समानता ही राजनी तक समानता है। इसके
तहत सभी को मतदान करने, चुनाव म खड़े होने, सावज नक पद ा त करने के समान अवसर आ द क समानता दे य ह।
3. सामा जक समानता :-
समाज म कसी भी के साथ धम, जा त, वण, लग, न ल आ द के आधार पर असमान वहार न हो। भारत के सं वधान
के अनु छे द 15 ारा यह समानता था पत क गई है।
4. आ थक समानता :-
रा य सभी लोग के लए काय करने के समान अवसर उपल ध करवाये और सभी क यू नतम आव यकता क पू त कर, यही
आ थक समानता है। भारतीय सं वधान के अनु छे द 16 ारा लोक नयोजन म अवसर क समानता ारा आ थक समानता था पत करने का
यास कया गया है। इसी कार नी त नदे शक त व म भी आ थक समानता पर बल दया गया है।
5. सां कृ तक समानता :-
6. कानूनी समानता :-
कानून के आधार पर कसी के साथ भेदभाव नह करना कानूनी समानता है अथात त चाहे वह अमीर हो या गरीब,
राजनेता हो या आम आदमी, उ ोगप त हो या सरकारी कमचारी कानून सभी के लए समान है और सभी कानून क नजर म समान है।
इन सभी वचारक का मानना है क समानता के वचार ने वतं ता क अवधारणा को धू मल कर दया है। कृ त म सभी
समान नह होते ह। इस लए यो य और अयो य य के म य समानता था पत करना मूखतापूण काय ह। य द रा य यो य और
अयो य य के बीच समानता था पत करने का यास करेगा तो यो य य क वतं ता का हनन होगा। अथात समानता था पत करने
क दौड़ म वतं ता का हनन होता है। इसी कार सभी को समान प से वतं ता दे द जाये तो समतामूलक समाज क थापना नह
क जा सकेगी। इस कार प है क वतं ता और समानता पर पर वरोधी अवधारणा है।
उपयु दोन कथन से प है क वतं ता और समानता पर पर पूरक है। इसे न न कार और अ धक प कया जा सकता है :-
3. सामा जक समानता के अभाव म वतं ता कुछ लोग का वशे षा धकार बनकर रह जाएगी।
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राजनी तक समाजीकरण
समाजीकरण :-
समाजीकरण समाज म नरंतर चलने वाली या है जसम समाज के री त- रवाज , परंपरा , मू य और मा यता को
वीकार कर उसका एक याशील सद य बनता है।
राजनी तक समाजीकरण :-
जस कार समाज के अपने री त- रवाज, परंपराएं और मू य होते ह, ठ क उसी कार एक राजनी तक व था के भी अपने री त-
रवाज, परंपराएं और मू य होते ह ज ह हम राजनी तक सं कृ त के नाम से जानते ह।
इस कार हम कह सकते ह क राजनी तक समाजीकरण वह या है जसके ारा समाज के य म एक पीढ़ से सरी पीढ़ म
राजनी तक सं कृ त का ह तां तरण या अ भ ान करवाया जाता है।
राजनी तक समाजीकरण क सव थम ा या हबट साइमन ने अपनी पु तक "Political Socialization अथवा राजनी तक समाजीकरण" म
क है।
म राजनी तक समझ वक सत करने वाली अनेक सं थाएं होती ह जनम से कुछ औपचा रक तरीक से काय करती ह जैसे
- राजनी तक दल, रा ीय तीक, जनसं चार के साधन आ द और कुछ अनौपचा रक तरीक से काय करती ह जैसे - प रवार, श ण सं थाएं,
धा मक सं थाएं आ द ।
1. प रवार :-
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प रवार के मा यम से ही री त- रवाज और परंपरा को सीखता है।
प रवार म हम माता पता क आ ा का पालन करते ह जससे हम उनक स ा का बोध होता है।
प रवार ही हम सखाता है क कैसे सबके साथ मलकर रहा जाता है, प रवार म पर पर कैसे सहयोग कया जाए और अपनी मांग को
मनवाने के लए कस कार दबाव बनाया जाए।
उपरो सभी बात सीखकर अपने आप को राजनी त व था के अनु प ढालता है और राजनी तक वहार करता है। इसी कार
प रवार का मु खया जस राजनी तक दल का समथक होता है, प रवार के अ य सद य भी मु खया का अनुसरण करते ए उस राजनी तक दल
का समथन करते ह।
2. श ण सं थाएं :-
बालक क श ा जतनी ापक होगी उसक राजनी त के त च उतनी ही अ धक होगी और उसका राजनी तक ान का वकास
भी अ धक होगा।
इस कार प है क बालक प रवार से जो भी राजनी तक समझ ा त करता है, श ण सं थाएं उनम उ यन कर ढ़ता दान करती है।
3. राजनी तक दल :-
चुनाव के समय नार , पो टर , चुनावी-सभा , रै लय , मी डया आ द ारा लोग को राजनी तक प से श ण दान कर उ ह अपने
अनुकूल बनाने का यास कया जाता है।
चीन जैसे सा यवाद व सवा धकारवाद दे श म राजनी तक दल पर कठोर नयं ण होता है जब क लोकतां क दे श म राजनी तक
दल पर शासन का नयं ण नह होता है।
4. रा ीय तीक :-
व भ महापु ष क जयं ती पर होने वाले उ सव, उ ाटन काय म आ द ारा य और वशे षकर ब च म उन महापु ष के
राजनी तक आदश और दे श के त आ था के भाव का पाठ पढ़ाया जाता है।
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5. जनसं चार के साधन :-
वतमान समय म जनसं चार के साधन जैसे समाचार-प , रे डयो, ट वी, इंटरनेट, मी डया, फेसबुक, हाट् सएप, ट् वटर आ द के
राजनी तक समाजीकरण के सश साधन ह।
वतमान म यह माना जाता है क चुनाव मी डया के द तर से लड़ा जाता है। व भ राजनी तक दल के व ा मी डया द तर म
अपनी पाट क नी तय , वचार , काय म आ द को जनता के सामने रखते ह और अ य दल या अ य दल क सरकार क आलोचना
कर जनता को श त करते ह।
इसी कार सोशल मी डया जैसे फेसबुक, ट् वटर, हाट् सएप, इं टा ाम आ द के मा यम से राजनी त दल य को जोड़ने और
भा वत करने का काय भी करते ह ।
नर मोद के Namo एप से करोड़ जुड़े ह और वे लोग मोद क नी तय और काय म के बारे म सीधी और व सनीय
जानकारी इस एप से ा त कर सकते ह ।
इस कार व सनीय और सट क जानकारी दान कर जन सं चार के साधन राजनी तक समाजीकरण म मह वपूण भू मका नभाते ह।
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राजनी तक सं कृ त
राजनी तक सं कृ त का अथ एवं प रभाषा :-
आम ड - काय के त अ भमुखीकरण
डे वड ई टन - पयावरण
परो - राजनी तक शै ली
एलन बॉल के अनुसार, "राजनी तक सं कृ त का नमाण समाज क उन अ भवृ , व ास तथा मू य के समूह से होता है जनका सं बंध
राजनी तक व था और राजनी तक वषय से ह।
राजनी तक सं कृ त के घटक :-
आम ड ने राजनी तक सं कृ त को काय के त अ भमुखीकरण का नाम दया और बताया क राजनी तक सं कृ त म
अ भमुखीकरण और राजनी त वषय नामक दो घटक होते ह जो क न न कार ह :-
I. अ भमुखीकरण :-
अ भमुखीकरण का शा दक अथ है झुकाव या वृ ।
1. ाना मक अ भमुखीकरण :-
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को राजनी त वषय का ान सही और गलत दोन प म ा त हो सकता है ले कन दोन ही थ त म लया गया सं ान
के राजनी त वहार को भा वत करता है।
2. भावाना मक अ भमुखीकरण :-
3. मू यांकना मक अ भमुखीकरण :-
1. राजनी तक व था :-
इसम वे श याँ है जो नणय नमाण और नणय या को भा वत करती है। जैसे - राजनी तक दल, दबाव
समूह, हत समूह, जनसं पक के थान आ द।
इसम नी त नमाण करने, नी तय को या वत करने तथा उनक ा या करने व सं र ण दे ने वाले वभाग के काय
शा मल है।
4. राजनी तक या मू यांकन या :-
राजनी तक सं कृ त के नधारक त व :-
1. इ तहास :-
ये क दे श का इ तहास उस दे श क राजनी तक सं कृ त क कृ त नधा रत करता है। जैसे भारत क राजनी तक सं कृ त शां तवाद व
लोकतां क ह, इं लड क राजनी तक सं कृ त वहां क राजनी तक नरंतरता का प रणाम है और ांस क राजनी तक सं कृ त व भ ां तयां
का प रणाम है।
2. धा मक व ास :-
व भ दे श म व मान ब सं यक धा मक व ास के आधार पर राजनी तक सं कृ तयाँ नधा रत होती है। जैसे भारत म सम वयवाद ,
पा क तान म मु लम धम आधा रत, इजराइल म ईसायत आधा रत आ द।
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3. भौगो लक प र थ तयां :-
व भ दे श क भौगो लक प र थ तयां भी वहां क राजनी तक सं कृ त को नधा रत करती ह जैसे भारत जैसे वशाल दे श क
राजनी तक सं कृ त यू र ोप के छोटे -छोटे दे श से सवथा भ है।
व भ दे श और समाज के सामा जक-आ थक प रवेश के आधार पर राजनी तक सं कृ तयाँ भी अलग अलग होती ह। सामा जक व
5. वचारधाराएं :-
व भ दे श म व मान अलग-अलग वचारधारा के आधार पर भी अलग अलग राजनी त सं कृ तय का वकास होता है।
जैसे उदारवाद, मा सवाद, पूंजीवाद, सा यवाद, समाजवाद, उपयो गतावाद, सवस ावाद, सं वधानवाद आ द के आधार पर व भ राजनी तक
सं कृ तयाँ व मान है।
1. अमूत व प :-
2. ग तशीलता :-
3. सम वयकारी व प :-
राजनी तक सं कृ त के कार
1. अ भजन सं कृ त :-
वे लोग जो स ा म होते ह और सरकारी नणय म सहभागी होते ह व उ रदायी होते ह, अ भजन कहलाते है। अ भजन अ पसं यक होते
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ए भी सामा जक व राजनी तक काय म मह वपूण भू मका नभाते ह।
2. जनसाधारण क सं कृ त :-
साधारण लोग जो सरकारी नणय म वशे ष सहभागी नह होते ह। इनक आशाएं, वहार व काय प तयाँ अलग-अलग कार
क होती ह। इसे जनसाधारण क सं कृ त कहते ह।
( II ) स ा म सै य भू मका के आधार पर :-
ोफेसर एस.ई. फाईनर ने अपनी पु तक " The Man on Horse Back " म सै नक स ा क भू मका के आधार पर राजनी त सं कृ त
के तीन कार बताए ह :-
1. प रप व :-
2. वक सत :-
3. न न :-
1. सं कु चत राजनी तक सं कृ त
3. सहभागी राजनी तक सं कृ त
राजनी त सं कृ त के तीन म त प है :-
1. सं कु चत जाभावी
2. जाभावी सहभागी
3. सं कु चत सहभागी
1. आं ल-अमे रक राजनी तक सं कृ त :-
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इस कार क राजनी त सं कृ त म राजनी तक ल य व साधन के वषय म आम सहम त रहती ह। राजनी त व था को नधा रत
नयम के अनुसार सं चा लत कया जाता है। जैसे टे न, अमे रका और वट् जरलड क सं कृ त ।
यू र ोपीय महा प के दे श म राजनी तक सं कृ त म सामंज य के बजाय वघटन और खं डत व प भावी प से नजर आता है। यहां
एक सं कृ त के बजाय अनेक उप सं कृ तयाँ होने से समय-समय पर सं घष व हसा क थ तयां उ प हो जाती है। जैसे ांस, इटली, जमनी
आ द।
ऐसी सं कृ त तृतीय व अथात ए शया व अ का के दे श म पाई जाती ह जो अतीत म औप नवे शक शोषण के शकार रहे ह और
जहां आ थक वकास व लोकतं अभी भी अ प वक सत अव था म है ।
यह व था उन दे श म पाई जाती ह जहां शासन दमन व उ पीड़न पर आधा रत होता है, जनता क सहम त व सहभा गता नाममा
क होती है, अ भ क वतं ता नह होती है, सं चार के साधन पर सरकारी नयं ण होता है और वप के वरोध क सं भावना नह होती
है। जैसे चीन, उ री को रया, बु गा रया आ द।
राजनी तक सं कृ त का मह व :-
राजनी तक सं कृ त क अवधारणा के उ प होने के प ात राजनी तक णाली क थरता और अ थरता के कारण पर वशे ष यान दया
जाने लगा है। इसका मह व इस कार ह :-
1. राजनी तक सं कृ त क अवधारणा से ही अ ययनक ा का क ब औपचा रक सं थाएं न रहकर राजनी तक समाज बन गया है।
1. सव थम जनता क सहभा गता क बात कर तो जनता क राजनी त सहभा गता मा जन त न ध चुनने तक ही सी मत है।
3. अब मं य क सहभा गता क बात कर तो वे आ थक, वै ा नक, तकनीक आ द मामल म वशे ष नह होने के कारण केवल सतही
काम कर पाते ह और वा त वक स ा म भागीदारी यू र ो े ट और टे नो े ट क ही होती है जो क अ भजा य वग है।
1. सामुदा यक ग त व ध :-
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इसके अं तगत समुदाय के सद य कसी सामू हक उ े य क पू त हेतु मलकर काय करते ह। जैसे :- वरोध- दशन, जुलूस, हड़ताल,
धरने- दशन आ द।
दोन को दो भाग नाग रक सहभा गता और रा य सहभा गता म बांट ा जा सकता है।
7. या ान
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1. दबाव समूह :-
ऐसे समूह जो अपने कसी समान हत क पू त हेतु सं ग ठत होकर अपने मत-समथन ारा सरकार क नी तय को भा वत करते ह,
दबाव समूह कहलाते ह। वक सत दे श म ये ब त भावी होते ह।
2. आरंभक :-
आरंभक अथात ताव तैयार करना। लोकतां क व था म जब जनता वयं कसी कानून या सं वधान सं शोधन का ताव तैयार कर
वधानमंडल के पास वचार और मतदान हेतु तु त करती ह तो इस या को आरंभक कहते ह। यह णाली वशे ष प से य
लोकतां क व था वाले दे श जैसे वट् जरलड आ द म पाई जाती ह। भारत म भी जनता अपने जन त न धय के मा यम से सं सद म नजी
वधेयक तु त कर सकती ह।
3. या ान :-
जब जनता ारा नवा चत जन त न ध मतदाता क अपे ा पर खरा नह उतरता है तो जनता एक ताव जस पर नधा रत
सं या म ह ता र ज री होते ह, तु त कर जन त न ध को कायकाल समा त होने से पूव हटा दे ती है तो लोकतां क व था म इसे या ान
कहा जाता है। यह व था भी वट् जरलड म च लत है।
4. जनसुनवाई :-
5. सलाहकार प रषद :-
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सरकार अपने व भ वभाग से जुड़े ए काय के वशे ष प पर सलाह दे ने हेतु गणमा य या वशे ष यो यता वाले नाग रक का एक
सं गठन बना दे ती है जसे सलाहकार प रषद कहते ह।
6. प रपृ छा :-
य लोकतां क व था म सरकार सावजा नक मह व के कसी वशे ष पर जनसाधारण से मतदान करा कर उनक राय ले ती
ह। उदाहरण :- हाल ही म यू र ोपीय यू नयन क सद यता यागने के मु े पर टे न ने सीधे जनता से मतदान ारा राय ली और जनता के मतदान के
अनुसार ही उसने यू र ोपीय यू नयन का सद य बने रहने से इंकार कर दया।
7. स वनय अव ा :-
जब कसी अ यायपूण कानून का आम जनता ारा जानबूझकर और खुले तौर पर उ लं घन कया जाता है तो इसे स वनय अव ा
कहते ह।
8. राजनी तक त हसा :-
1. नाग रक क सहभा गता से सावज नक सम या पर व तृ त चचा होगी और सम या के समाधान हेतु अ धक सु झाव ा त ह गे।
2. नाग रक सहभा गता से राजनी त क ग त व धय पर कड़ी नजर रखी जा सकेगी जससे वे जनता के हत से सं बं धत प पर
अ धक यान दगे।
3. नेता और नौकरशाह ारा कए जाने वाले स ा के पयोग और ाचार को रोकने म मदद मले गी।
2. राजनी तक सहभा गता सामा य हत के उ े य क पू त हेतु लोग म एकता क भावना पैदा करती है।
3. राजनी त सहभा गता नाग रक क सामा य नै तक, सामा जक व राजनी तक सजगता को बढ़ाती है।
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4. यह शासक व शा सत के म य नकट सं बंध था पत करती है।
राजनी तक सहभा गता म अ य धक वृ होने पर लोकतं का व प वकृत होकर भीड़तं म बदल जाता है जससे कई तरह
क सम याएं उ प हो जाती है।
1. सावज नक नी तय , नणय व काय म के भावी प रणाम आने म समय लगता है जसका आम नाग रक धैय पूवक इंतजार नह कर
सकते ह।
2. राजनी तक सम याएं भले ही दखने म सामा य लगे परंतु अपनी कृ त से अ य धक ज टल होती ह। अतः आम नाग रक ारा इन
सम या का सही आकलन नह होता है।
3. अ य धक राजनी तक सहभा गता से नाग रक के सु झाव , शकायत और ववाद का अं बार लग जाएगा और इन सभी का वशे ष
ारा अ ययन कया जाना असं भव हो जाये गा।
इस कार प है क राजनी तक सहभा गता एक न त सीमा तक ही बढ़नी चा हए अ यथा यह शासन- शासन के सहयोग क
बजाय असहयोग करने लगेगी।
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उदारवाद
अथ :-
उदारवाद ( ह द श द )
Liberalism ( अं ज
े ीश द)
Liber ( लै टन श द )
वतं / मु
उदारवाद क उ प के कारण :-
1. सामंतवाद का पतन।
2. नरंकुशवाद के व त या।
3. पुनजागरण आंदोलन।
4. धम सु धार आंदोलन।
5. औ ो गक ां त व पूंजीप त वग का उदय।
उदारवाद का वकास :-
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म सं या ां त योगदान
उदारवाद क वशेषताएं/ कृ त/ स ा त/ त व :-
1. के ववेक म व ास :-
उदारवाद को ववेकशील ाणी मानते ह। उनका मानना है क य ने अपने ववेक ारा ही रा य जैसी सं था
का नमाण कया है।
2. रा य उ प का कारण सहम त :-
4. कानून सव च :-
5. सी मत सरकार :-
उदारवा दय का मानना है क कम से कम शासन करने वाली सरकार ही अ छ सरकार होती ह अथात रा य के काय सी मत होने
चा हए।
6. वतं ता म व ास :-
7. आ थक े म पूण वतं ता :-
8. गत सं प का अ धकार :-
उदारवा दय ने ाकृ तक अ धकार का समथन करते ए जीवन, वतं ता व सं प के ाकृ तक अ धकार क वकालत क है।
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उदारवाद के कार :-
I. परंपरागत उदारवाद :-
इसे शा ीय / चरस मत /नकारा मक / उदा त उदारवाद के नाम से भी यादा जाना जाता है। उदारवाद को एक वचारधारा के
प म सव थम जॉन लॉक ने तु त कया। इस लए जॉन लॉक को उदारवाद का जनक कहा जाता है। परंपरागत उदारवाद क गत
वतं ता, सी मत रा य और मु ापार का समथन कर पूंजीवाद का समथन करता है तथा रा य को एक आव यक बुर ाई समझता है जसके
कारण इसका व प नकारा मक हो गया। इस वचारधारा का काल 17व से 18व सद तक रहा। इसके समथक लॉक, हॉ स, यूम, मथ,
पसर, पेन, अमे रक वतं ता क घोषणा, च ां त आ द है।
A. दाश नक आधार पर :-
1. वाद पर बल।
4. य क आ या मक समानता म व ास।
5. य क वतं इ छा म व ास।
B. राजनी तक आधार पर :-
4. रा य आव यक बुर ाई है।
5. सी मत सरकार सव म है।
C. सामा जक आधार पर :-
3. के हत म ही समाज का हत सं भव है।
D. आ थक आधार पर :-
1. मु ापार का समथन।
2. पूंजीवाद व था का समथन।
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4. रा य के ह त प
े व नयं ण का वरोध।
5. रा य क अह त प
े ी और अ नयं ण क नी त से अ व था का माहौल बन जाएगा।
इसे सकारा मक उदारवाद भी कहा जाता है। परंपरागत उदारवाद क अवधारणा ने पूंजीवाद को पो षत कया जसके कारण समाज
दो वग पूंजीप त वग और मज र वग म बंट गया। परंपरागत उदारवाद सरकार गरीब के क याण हेतु तब नह थी जसके कारण मा सवाद
और सा यवाद का ज म आ। इन दो वचारधारा से अपने अ त व पर आए सं कट के डर से उदारवाद ने लोक क याणकारी रा य का समथन
कया और नजी सं प पर अं कुश लगाने क व पूंजीप तय पर कर लगाने क वकालत क । जॉन टू अट मल ने उदारवाद के सकारा मक
व प क अवधारणा को तु त कया और रा य को आव यक अ छाई माना। इस वचारधारा का समथन ट . एच. ीन, ला क , मैकाइवर,
हॉबहाउस आ द ने कया।
1. क याणकारी रा य पर बल।
6. रा य के सामा जक हत के सं दभ म ह त प
े का समथन।
7. वग सामंज य पर बल।
4 रा य का व प अह त प
े वाद हत प
े वाद
4. सी मत सरकार का समथन।
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5. वाद का समथन।
7. रा य एक आव यक बुर ाई है।
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समाजवाद
समाजवाद अं ेजी भाषा के सोश ल म (socialism) श द का ह द पयाय है जसक उ प अं ेजी भाषा के ही सो शयस
( socious ) श द से इ है जसका अथ है समाज ।
समाजवाद ( ह द श द )
Socialism ( अं ज
े ीश द)
Socious ( अं ज
े ीश द)
अथ
समाज
इस कार समाजवाद का स ब ध समाज और उसके सु धार से है। अथात समाजवाद मूलत: समाज से स ब धत है और यायपूण समाज
क थापना के लए य नशील है। समाजवाद श द मु य प से तीन अथ म यु कया जाता है -
प रभाषाएं :-
1. ऑ सफोड ड शनरी के अनुसार - "समाजवाद वह स ा त या नी त है जो उ पादन एवं वतरण के सभी साधन पर समाज के वा म व का
और इन साधन का उपयोग समाज के हत म करने का समथन करती है।"
2. जवाहरलाल नेह क अनुसार - "बल के बजाय जन सहम त के तरीक से राजनी तक एवं आ थक श य के वक करण क यायपूण
व था ही लोकतां क समाजवाद है।"
3. राम मनोहर लो हया के अनुसार - "समाजवाद ने सा यवाद क आ थक ल य और पूंजीवाद के सामा य ल ण को अपना लया है।
जातां क समाजवाद का ल य दोन म सामंज य था पत करना है।"
5. बनाड शॉ के अनुसार - ‘‘समाजवाद का अ भ ाय सं प के सभी आधारभूत साधन पर नयं ण से है। यह नयं ण समाजवाद के कसी एक
वग ारा न होकर वयं समाज के ारा होगा और धीरे धीरे व थत ढं ग से था पत कया जाये गा।’’
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इस कार प रभाषा के अ ययन से प है क लोकतां क तरीक से उ पादन और वतरण के सभी साधन पर रा य का
नयं ण और उससे सामा जक व आ थक याय क थापना ही समाजवाद है।
ाचीन काल म यू नान के टोइक दशन म आ थक समानता और सामा जक याय का स ांत दया गया था।
( B ) म यकाल म समाजवाद :-
म यकाल म थॉमस मूर ने अपनी स कृ त "यू ट ो पया" म एक आदश समाजवाद रा य क क पना तु त क है। इसी कार
बेकन ने अपनी पु तक " यू अटलां टस" म समाजवाद वचार का उ ले ख कया है ।
समाजवाद क वा त वक ग त 1789 क च ां त से ई जसम वतं ता, समानता और बंधु व का नारा दया गया। 19व सद
म से ट साइमन, चा स फू रयर और रॉबट ओवन जैसे वचारक ने पूंजीवाद के दोष को उजागर कर सामा जक और आ थक क याण क बात
क । ूध ने तो अपनी पु तक "What is Property" म नजी सं प को चोरी क सं ा तक दे डाली। बाकु नन, जी. डी. कॉल, बनाड शॉ आ द
वचारक ने अनेक समाजवाद वचारधारा के स ांत का तपादन कया। इसी म म काल मा स ने वै ा नक समाजवाद क अवधारणा
तु त कर समाजवाद को नवीन दशा दान क । चूँ क औ ो गक ां त क शु आत इं लै ड से ई जससे वहाँ शहरी मक वग का ज म
आ और इसी वग ने आगे चलकर पूंजीवाद व था के व समाजवाद क अवधारणा को तु त कया। इस कार समाजवाद क शु आत
इं लै ड से मानी जाती है।
2. पूज
ं ीवाद का वरोधी :-
समाजवाद पूंजीवाद का वरोधी है। समाजवाद के अनुसार समाज म असमानता तथा अ याय का कारण पूंजीवाद क व मानता
है। पूंजीवाद म उ पादन का समान वतरण न होने के कारण सं प पर पूंजीप तय का अ धकार होता है। समाजवा दय के वचार म पूंजीप तय
व मको म सघंष अ नवाय है। अत: समाजवाद उ पादन व वतरण के साधन को पूंजीप तय के हाथ से समाज को स पना चाहता है।
3. सहयोग पर आधा रत :-
समाजवाद तयो गता का वरोध करता है और सहयोग म वृ करने पर बल दे ता है। रा ीय तथा अ तरा ीय तर पर सहयोग
करके अनाव यक त पधा को समा त कया जा सकता है।
4. आ थक समानता पर आधा रत :-
समाजवाद सभी य के लये आ थक समानता दान करने का प पाती है। समाजवाद वचारक का मत है क आ थक
असमानता अ धकांश दे श के पछड़ेपन का मूल कारण है।
6. लोकतां ीय शासन म आ था :-
समाजवाद वचारक रा य के लोकतं ीय व प म व ास रखते है। ये मता धकार का व तार करके सं सद को उसक व था
चलाने के लये एक मह वपूण साधन मानते है। इस व था से य को राजनी तक स ा क ा त होती है।
7. उ पादन का ल य समाजीकरण :-
8. असी मत संप सं ह के व :-
समाजवाद के प म तक या गुण -
1. शोषण का अ त : -
समाजवाद मक एवं नधन के शोषण का वरोध करता है। समाजवा दय ने प कर दया है क पूंजीवाद व था म
पूंजीप तय के षडयं के कारण ही नघन व मक का शोषण होता है। यह वचारधारा शोषण के अ त म आ था रखने वाली है। इस लये
व के मक, कसान व नघन इसका समथन करते है।
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3. उ पादन का ल य सामा जक आव यकता : -
वाद व था म गत लाभ को यान म रखकर कये जाने वाले उ पादन के थान पर समाजवाद व था म
समा जक आव यकता और हत को यान म रखकर उ पादन करने पर बल दया जाता है य क समाजवाद इस बात पर बल दे ता है क जो
उ पादन हो वह समाज के ब सं यक लोगो के लाभ के लए हो।
समाजवाद सभी लोग को उ त के समान अवसर दान करने के प पाती है। इस व था म कोइ वशे ष सु वधा सं प वग नही
होगा। सभी लोगो को समान प से अपनी उ त एव वकास के अवसर ा त ह गे।
6. सा ा यवाद का वरोधी : -
समाजवाद औप नवे शक परत ंता और सा ा यवाद का वरोधी है। यह रा ीय वतं ता का समथक है। ले नन के श द म
‘‘सा ा यवाद पूंजीवाद का अं तम चरण है।’’ समाजवा दय का मत है क जस कार पूंजीवाद म गत शोषण होता है, ठ क उसी कार
सा ा यवाद मे रा य को राजनी तक एवं आ थक प से परतं बनाकर शोषण कया जाता है।
2. व तु के उ पादन म कमी :-
समाजवाद के आलोचक क मा यता है क य द उ पादन के साधन पर स पूण समाज का नयं ण हो तो क काय करने
क ेरणा समा त हो जाये गी और काय मता भी धीरे-धीरे घट जाये गी। को अपनी यो यता का दशन करने का अवसर नही मले गा
जससे व तु के उ पादन क मा ा घट जाये गी।
कृ त ने सभी मनु य को समान उ प नही कया। ज म से कुछ बु मान, कुछ मुख, कुछ व थ व कुछ प र मी होते है। इन
सबको समान समझना ाकृ तक स ांत क अवहेलना करना है। अत: पूण समानता था पत नही क जा सकती।
5. नौकरशाही का मह व : -
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समाजवाद म रा य के काय म वृ होने के कारण नौकरशाही का मह व बढ़ता है और सभी नणय सरकारी कमचा रय ारा
लये जाते है। ऐसी थ त म भ ाचार बढ़ता है।
समाजवाद अपने ल य क ा त के लए ां तकारी तथा हसा मक माग को अपनाता है। वह शां तपूण तरीको म व ास नही
करता। वह वग सं घष पर बल दे ता है। जसके प रणाम व प समाज म वैमन यता और वभाजन क भावना फैलती है।
7. प वचारधारा नह :-
8. वरोधाभासी वचारधारा :-
जोड़ ने कहा है- ”समाजवाद एक ऐसी टोपी है जसका प ये क के पहनने के कारण बगड़ गया है ।”
टश राजनी त हैर ॉ ड लॉ क ने कभी समाजवाद को एक ऐसी टोपी कहा था जसे कोई भी अपने अनुसार पहन ले ता है।
न कष :-
इस सफलता का कारण समाजवाद णाली क अ धकतम सामा जक क याण क भावना का होना है । साथ ही पूंजीवाद के दोष एवं
शोषण (मु यत: आ थक वषमताएं, वग सं घष, अ याय, शोषण, अ याचार आ द) से जनमानस को मु दलाने म समाजवाद आ थक णाली
ने मह वपूण भू मका अदा क है ।
न कष प म कहा जा सकता है क जहां पूंजीवाद असफल होता है, वहां समाजवाद सफल होता है ।
इस कार समाजवाद पूंजीवाद के दोष को र करने का एक साधन है । य द समाजवाद आ थक णाली को समाजवाद क मौ लक मा यता
के अ तगत या वत कया जाए तो समाजवाद क सफलता सु न त क जा सकती है ।
मुख समाजवाद वचारक :- सट साइमन, चा स फू रयर, रोबट ओवन, R.H. टॉनी, हेरा ड ला क , लीमट एटली, रै जे
मैकडोन ड।
मुख भारतीय समाजवाद वचारक : जवाहरलाल नेह , राममनोहर लो हया, द नदयाल उपा याय, जय काश नारायण
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मा सवाद
मा सवाद का अ भ ाय
जमनी के स वचारक काल मा स और े ड रक एं ज स ने मलकर दशन, इ तहास, समाजशा , व ान, अथशा आदक
व भ सम या पर अ य धक गंभीर अ ययन करते ए सभी सम या के सं बंध म एक सु न त वचारधारा और एक नवीन कोण व
के सामने रखा जसे मा सवाद के नाम से जाना जाता है।
मा सवाद म योगदान :-
इस वचारधारा के समथक काल मा स के अ त र े ड रक एं ज स, ले नन, टा लन, कोटसी, रोजा ल जमबग, माओ, ा शी आ द है।
काल मा स के दशन के ोत :-
2. टश अथशा य का भाव :-
3. च समाजवा दय का भाव :-
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है। इन वचारक से ही भा वत होकर मा स ने उ पादन के साधन पर वा म व का स ांत, मक का उ पादन और उनका शोषण करने वाले
वग के वनाश का स ांत और वग वहीन समाज क थापना का वचार तु त कया।
इस कार हम कह सकते ह क मा स म अलग-अलग थान से अलग-अलग कार क वषय-व तु एवं वचार हण कए परंतु उसने
सा यवाद का जो वशाल भवन बनाया, वह पूणत: मौ लक है।
3. थी सस ऑन फायरबाख -1888
4. ला स गल इन ां स
8. द स वल वार इन ां स -1871
9. द गोथा ो ाम
10. दे होली फै मली - 1845 एं ज स ारा, जमन आई डयोलॉजी - 1845 और द क यु न ट मे नफे टो - 1848 दोन एं ज स के साथ
मलकर लखी।
14. द जन नोट बु स - ा शी
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ा मक भौ तकवाद क या :-
जहाँ हीगल अपने दशन म सृ का मूल त व आ मा या चेतना को मानता है वह मा स ने सृ का मूल त व जड़ या पदाथ को माना
है। मा स ने ा मक या को गे ँ के पौधे के उदाहरण से प कया है :-
चरण ा मक या ववरण
थम वाद गे ं का दाना
चरण ा मक या ववरण
थम वाद पूंजीवाद
ा मक वकास के नयम :-
B. इ तहास क भौ तकवाद ा या :-
इसे ऐ तहा सक भौ तकवाद के नाम से भी जाना जाता है। मा स का मानना है क मानव इ तहास म होने वाले व भ
प रवतन एवं घटनाएं कुछ वशे ष व महान य के काय के प रणाम व प नह होते ह ब क ये प रवतन व घटनाएं भौ तक और आ थक
कारण से होती ह। मा स के ऐ तहा सक भौ तकवाद को न न कार समझा जा सकता है :-
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इस कार प है क जब जब उ पादन णाली म प रवतन आ है तब तब मनु य के सामा जक संबध
ं म प रवतन आ है । मा स ने आ थक
आधार पर मानव इ तहास के वकास को 6 भाग म बांटा है :-
1. आ दम सा यवाद अव था
2. दास अव था
3. सामंती व था
4. पूज
ं ीवाद अव था
5. सवहारा वग का अ धनायकवाद
6. सा यवाद अव था
इ तहास क आ थक ा या क के न कष :-
इ तहास क आ थक ा या क आलोचना :-
1. आ थक त व पर अ यं त बल।
C. वग संघष का स ांत :-
मा स ने अपनी पु तक "क यु न ट मे नफे टो" का ारंभ इस वा य से कया है क समाज का अब तक का इ तहास वग संघष का इ तहास
रहा है । उसका मानना है क आ दम सा यवाद अव था को छोड़कर वतमान तक का इ तहास वग संघष से भरा पड़ा है । दास अव था म वामी व दास
के म य, सामंती अव था म जम दार और कसान के म य और पूज ं ीवाद अव था म पूज
ं ीप तय व मज र के म य संघष होता आया है । सभी युग म
यह संघष कभी चोरी-छु पे तो कभी खु लेआम होता रहा है । प रणामत: इस संघष का अंत कभी ां तकारी पुन नमाण से तो कभी-कभी दोन प के
वनाश से आ ह। मा स का कहना है क अब तक के इ तहास म जस वग ने शोषणक ा से स ा छ नी है कालांतर म वही वग शोषणक ा सा बत ए
ह।
एंगे स ने अपनी पु तक " Origin of Family : Private Property and State " म लखा है क पहली शोषक सं था प रवार है और शो षत वग
म हला है ।
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वग :- जस समूह का एक समान आ थक हत हो उसे वग कहते है । जै से मक वग, पूज
ं ीप त वग आ द।
1. एकांक व दोषपूण ।
D. अ त र मू य का स ांत :-
मा स का यह स ांत पूज
ं ीवाद अव था म मज र के शोषण क या को प करता है । मा स ने यह स ांत रकाड के म स ांत के
आधार पर तुत कया है । मा स के अनुसार उपयो गता मू य एवं व नमय मू य का अंतर अ त र मू य है ।
अथात पूज
ं ीप त अपने पास उपल ध व तु को लेकर बाजार म आता है और उसे उ चत मू य पर बेच कर मु ा कमाता है तथा उसी मु ा से अपनी सरी
इ छत व तु खरीद कर बाजार छोड़ दे ता है । इस कार व तु के व नमय से पूज
ं ी का नमाण करता है ।
मा स के अनुसार पूज
ं ी के प रचालन का सू है :- M - C - M' अथात मु ा - व तु - (मु ा + लाभ )
इस कार पूज
ं ीप त अपनी मु ा ( M ) लेकर बाजार म आता है । इससे माल खरीद कर व म श लगा कर नया माल बनाता है तथा फर इसे बाजार
म अ धक मू य पर बेचकर अ धक मु ा ( M' ) कमा लेता है ।
इस कार अ त र मू य पूज
ं ी का नमाण करता है जससे पूज
ं ीप त और अ धक अमीर बन जाता है एवं मक क थ त दयनीय होने लगती है ।
3. मौ लक नह ( रकाड से भा वत )।
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अतर मू य का भाव :-
1. मक क दयनीय थ त।
2. सवहारा वग क ां त का कारण।
3. जनसं या वृ का कारण।
E. अलगाव का स ांत :-
अलगाव का स ांत मा स क पु तक "इकोना मक एंड फलोसॉ फकल मनु ट - 1844" म दया गया है । मा स के जीवन काल म यह
पु तक का शत नह हो पाई। बाद म हं गरी क मा सवाद वचारक जॉज यूकास ने सव थम अलगाववाद पर लेख लखे । जब मा स क पु तक
का शत ई तो इस स ांत का मह व और अ धक बढ़ गया।
मा स ने पूज
ं ीवाद समाज के अंतगत अलगाव के चार तर क पहचान क है :-
इसे हम कमीज बनाने क या से समझ सकते है । पूववत सामंतवाद अव था म मज र या कारीगर कमीज का पूण नमाण वयं करता था
जसम उसे इस बात का अपनापन महसूस होता था क अमुक कमीज उसके ारा बनाया गया है परंतु पूजं ीवाद अव था म मशीन के उपयोग से अब
कमीज एक नह बनाता है ब क कमीज के अलग-अलग भाग अलग-अलग बनाते ह जससे कामगार का उस कमीज से कोई लगाव नह
रहता है ।
2. कृ त से अलगाव :-
मशीन पर काम करते-करते मनु य का ाकृ तक वातावरण जै से खे त क ह रयाली, घास के मैदान, बा रश के घने बादल आ द से संबध
ं टू ट
जाता है ।
3. सा थय से अलगाव :-
आ थक णाली त पधा मक होने के कारण अपने सा थय से भी त पधा करने लगता है जससे हम यह लगने लगता है क मेरा
काम कोई सरा न ले ले। इस कार अपने सा थय के साथ भी अलगाव रखने लगता ह।
4. वयं से अलगाव :-
अंतत: मनु य धन कमाने क अंध-दौड़ म इतना अ धक त हो जाता है क उसे सा ह य, कला, सं कृ त, री त- रवाज , परंपरा , यौहार
आ द से कोई लगाव नह रहता है और वह इन सब को मा औपचा रक समझने लगता है । इस कार वह वयं से भी अलगाव करने लगता है ।
F. पूज
ं ीवाद का व ष
े ण :-
मा स के अनुसार इ तहास क ये क अव था अपनी पछली अव था से उ त होती ह य क वह उ पादन क श य के वकास का संकेत
दे ती है । अतः सामंतवाद क तुलना म पूज
ं ीवाद े है ।
मा स का कहना है क पूज
ं ीवाद म दो वरोधी वग का हत पाया जाता है तथा यह पूज
ं ीप तय के लए नरंतर अथाह पूज
ं ी का नमाण करता है । इस
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कार अ य धक पूज ं ी नमाण क त पधा म पूजं ीप तय ारा अ य धक उ पादन कया जाएगा प रणाम व प माल अ धक होने और खपत कम होने
से मांग कम हो जाएगी जससे पूज
ं ीप तय के त पधा के त व का अंत हो जाएगा और पूज
ं ीवाद क समा त हो जाएगी।
G. रा य व शासन संबध
ं ी वचार :-
काल मा स के रा य संबध
ं ी वचार "क यु न ट मे नफे टो" म मलते ह जो क न नानुसार है :-
1. रा य क उ प का कारण वग वभे द है ।
2. रा य शोषक वग या पूज
ं ीप त वग के हत क सुर ा करता है ।
3. रा य शोषण का यं है ।
आलोचना :-
1. रा य केवल एक वग य सं था नह है ब क नै तक सं था है ।
3. रा य थायी ह न क अ थायी।
I. मा सवाद काय म :-
1. पूज
ं ीवाद व था के व ां त।
मा सवाद क आलोचना :-
1. हसा व ां त को ो साहन।
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2. वग संघष का चार कर वग सहयोग को समा त कर दे ना चाहता है ।
3. गत वतं ता के लए घातक।
5. रा य शोषण का यं है , गलत है ।
8. अलोकतां क वचारधारा।
1. व भ वचारधारा का आधार :-
2. उदारवाद को चुनौती :-
4. मक वग म जागृ त :-
5. समाज का यथाथवाद च ण :-
मा स सव थम समाजवाद वचारक था जसने न केवल त कालीन समाज का वा त वक च ण तुत कया ब क अपने वचार से
समाजवाद के ल य को ा त करने का काय म भी तुत कया।
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गांधीवाद
गांधीवाद या है :- गांधी जी के वचार और आदश का सं ह गांधीवाद है।
गांधीजी के जीवन मू य :-
गांधीजी के जीवन मू य न न है :-
2. मानवतावाद म व ास।
3. वे प रवतनवाद थे।
4. ई र म अटल व ास।
5. समूहवाद वचारक।
7. ाम वरा य पर बल।
10. अ ते य, अप र ह एवं चय को मह व।
गांधी जी क रचनाएं :-
1. हद वराज
2. द ण अ का के स या ह का इ तहास
1. इं डयन ओ प नयन (द ण अ का म)
2. नवजीवन
3. यं ग इं डया
4. ह रजन
5. आयन पथ
गांधीवाद के ोत :-
गांधी जी के वचार पर पड़े भाव का ववेचन इस कार कर सकते ह :-
A. धा मक थ
ं का भाव :-
1. सनातन धम ंथ का भाव :-
थ भाव
उप नषद अप र ह और याग
रामायण भ
गीता कम का स ा त
2. जैन व बौ ंथ का भाव :-
3. बाइ बल का भाव :-
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बुर ाई को भलाई से , श ुता को म ता से , घृणा को ेम से , अ याचार को ाथना से एवं हसा को अ हसा से जीतने का माग गांधी जी
ने बाइ बल से ही सीखा है।
1. स य 5. चय 9. शारी रक म
B. दाश नक का भाव :-
दाश नक भाव
सु करात स या ह का वचार
भारत म चल रहे व भ सां कृ तक, दाश नक व धा मक सु धारवाद आंदोलन का गांधीजी के वचार पर भाव पड़ा है, वशे षकर
रामकृ ण परमहंस और वामी ववेकानंद का। वदे श ेम और वदे शी क भावना गांधी जी ने इ ह से सीखी थी।
भारतीय क त कालीन सामा जक एवं आ थक दशा का भी गांधीजी के वचार पर वशे ष भाव पड़ा। उनके समाजवाद वचार पर
भारतीय क असहाय दशा और गरीबी क झलक प प से दखाई दे ती है।
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2. पा ा य ले खक क वचारधारा का अ ययन कया।
3. सव थम स या ह का योग आ।
5. समाज के त कत क अनुभू त ई।
7. मक के काय का मह व समझा।
राजनी त का आ या मीकरण :-
सा य और साधन क प व ता पर व ास :-
गांधी जी ने राजनी त और नै तकता म नकट सं बंध था पत करने के लए सा य एवं साधन क प व ता पर बल दया। गांधीजी का
मानना है क जैसे साधन ह गे, वैसा ही सा य होगा अथात सा य क कृ त साधन क कृ त से नधा रत होती है। उ ह ने साधन क तुलना बीज
से और सा य क तुलना वृ से करते ए बताया क जैसा बीज बोओगे, वैसा ही वृ उगेगा। बबूल का बीज बोकर आम का पेड़ नह उगाया जा
सकता। उनका मानना है क सा य व साधन एक ही स के के दो पहलू ह ज ह पृथक करना सं भव नह है। य द साधन अनै तक ह गे तो सा य
चाहे कतना भी नै तक य न हो, वह अव य ही हो जाएगा य क गलत रा ता कभी भी सही मं जल तक नह ले जा सकता। इसी कार
जो स ा भय व बल के योग पर खड़ी हो जाती है, उससे लोग के मन म ने ह और आदर क भावना पैदा नह क जा सकती है।
गांधीजी ने 1922 ई. म असहयोग आंदोलन को चौरी-चौरा कांड क घटना से इसी लए थ गत कर दया था क लोग ने हसा को साधन के प
म इ ते म ाल करना ार भ कर दया था।
गांधीजी के अनुसार अ हसा का अथ है मन, कम व वचन से कसी को क नह दे ना। गांधीजी के अनुसार अ हसक ेम, दया,
मा, सहानुभू त व स य क मू त होता है। गांधीजी के अनुसार अ हसा के तीन कार ह :-
1. वीर क अ हसा :-
2. नबल क अ हसा :-
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3. कायर क हसा :-
ऐसे जो डर या भय के कारण अ हसक हो जाते ह उनक अ हसा को कायर क अ हसा का जाता है।
स या ह :-
शा दक अथ :- स या ह = स य + आ ह अथात स य पर अ डग रहना।
स या ह का योग :-
स या ह का योग षत सरकार, कौम, जा त, समूह या वशे ष के वरोध म हो सकता है। इसका योग शासन / शासक क
अ याचारी नी त के साथ-साथ सामा जक कुरी तय के वरोध म भी कया जा सकता है।
स या ह के व प :-
1. असहयोग
2. हजरत
3.स वनय अव ा
4. उपवास
1. असहयोग :-
गांधीजी के अनुसार इसका ता पय है क जसे अस य, अवैध, अनै तक या अ हतकर समझता है, उसके साथ सहयोग नह करना
चा हए। गांधीजी के अनुसार बुर ाई के साथ असहयोग करना का न केवल कत है ब क धम भी है। असहयोग के न न कार हो सकते
ह :-
(i) हड़ताल :-
या य के समूह ारा उनक याय पूण मांगे नह माने जाने पर अ हसक प से अपने काम को बंद करने को हड़ताल कहते
ह।
(ii) ब ह कार :-
(iii) धरना :-
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सरकार, या वसायी के व मांगे नह मानने पर एक थान पर बैठना, धरना कहलाता है।
2. हजरत :-
गांधी जी ने उन लोग को हजरत क सलाह द है जो अ हसक तरीके से अपने आ मस मान क र ा नह कर पाते ह। अतः उन लोग
को अपना आ म-स मान बचाने के लए घर/ गांव /शहर / दे श छोड़ दे ना चा हए। गांधीजी ने 1928 ई. म बारडोली म और 1939 ई. म जूनागढ़
के स या हय को हजरत क सलाह द है।
3. स वनय अव ा :-
गांधीजी के अनुसार अ हसक प से सरकार के कानून को नह मानना, कर दे ने से मना करना, रा य क स ा को मानने से इनकार
करना आ द स वनय अव ा के प है। 1930 ई. म नमक कानून के वरोध म गांधीजी ने स वनय अव ा आंदोलन चलाया था।
4. उपवास :-
गांधीजी के अनुसार उपवास ऐसा क है जसे वयं अपने ऊपर लागू करता है। उपवास आ म-शु के लए होता है। को
उ चत, यायस मत और वाथर हत काय करने के लए उपवास करना चा हए। इसे भूख हड़ताल नह समझना चा हए।
गांधीजी के आ थक वचार :-
गांधी जी न तो कोई अथशा ी थे और न ही उनके आ थक वचार अथशा के नयम पर आधा रत है। उनके आ थक वचार
वा त वक जीवन और अनुभव पर आधा रत है। उनके आ थक वचार इस कार ह :-
1. यं का वरोध :-
गांधी जी ने अपनी पु तक " हद वरा य " म यं अथात मशीन का वरोध करते ए लखा है क वह यं क न न बुर ाइय के कारण
वरोध करते है :-
2. पूंजीवाद का वरोध :-
गांधी जी का मानना है क पूंजीवाद व था ने गरीबी, बेर ोजगारी, शोषण और सा ा यवाद को बढ़ावा दया है। परंतु गांधीजी मा स
क तरह पूंजीवाद का वरोध नह करते है। गांधीजी का पूंजी से कोई वरोध नह है परंतु वे पूंजी से उ प असमानता का वरोध करते ह।
3. शारी रक म पर बल :-
गांधीजी का मानना है क ये क को जी वका के लए नरंतर म करते रहना चा हए और जो लोग बना म के पेट भरते ह, वह
समाज के लए चोर है।
4. अप र ह :-
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गांधीजी के अनुसार आव यकता से अ धक सं ह करने से आ थक वषमता उ प होती है। अतः आव यकतानुसार ही व तु का सं ह
करना चा हए।
5. आ थक वक करण पर बल :-
गांधीजी के अनुसार बड़े-बड़े उ ोग अ धक पूंजी का उ पादन करते ह तथा मशीन ारा य के शारी रक म का थान ले लया
जाता है जससे बेर ोजगारी बढ़ती ह। अतः बड़े उ ोग क जगह कुट र उ ोग को बढ़ावा दया जाना चा हए।
6. ट शप स ांत :-
गांधीजी के अनुसार पूंजीप त लोग को अपनी आव यकतानुसार सं प का योग करना चा हए तथा आव यकता से अ धक सं प का
ट बनकर उसका उपयोग जन क याण के काय म करना चा हए।
7. वदे शी :-
8. खाद :-
गांधीजी के अनुसार खाद गांव को वावलं बी बनाने का साधन है जससे एक ओर लोग को रोजगार मले गा वह सरी ओर खाद
वतं ता आंदोलन का तीक भी है।
गांधीजी के अनुसार मनु य को शारी रक, मान सक, वैचा रक और आ थक चोरी से सदा र रहना चा हए। गांधीजी के अनुसार पूंजीप त लोग
मक के म क पूंजी क चोरी कर धन का सं चय करते ह। इसी कार शारी रक म क चोरी कर आलसी बन जाते है। अतः सभी तरह
क चोरी के समा त हो जाने पर समाज म आ थक समानता आ सकती है।
2. अप र ह :-
अप र ह का शा दक अथ है - सं ह नह करना।
3. ट शप का स ांत :-
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(ii) इसम पूंजीवाद का कोई थान नह है।
4. वदे शी :-
गांधीजी वदे शी के वचार से समाज म आ थक समानता था पत करने क बात करते ह। उनके अनुसार हम जहां तक सं भव हो नजद क
के वातावरण का योग करना चा हए और र के वातावरण का याग करना चा हए। जैसे हम अपने धम का पालन करना चा हए, हम अपनी
राजनी तक सं था का योग करना चा हए, हम हमारे समीप म बनी व तु का उपयोग करना चा हए, हम अपने उ ोग का उपयोग करना
चा हए आ द। गांधीजी के वदे शी स ांत का आशय यह कतई नही है क सभी वदे शी व तु का योग व जत कर दया जाए। वे केवल उ ह
वदे शी व तु को वीकार करते थे जो घरेलू या भारतीय उ ोग को कुशल बनाने म अ नवाय हो।
5. खाद :-
गांधीजी का मानना है क आ थक सं कट क सम या का हल करने के लए खाद अथात चरखा ाकृ तक, सरल, स ता और वहा रक
तरीका है। खाद के मा यम से गांव म रोजगार क सम या को समा त कर गांव को वावल बी बनाया जा सकता है ता क गांव से शहर क
ओर पलायन भी नह होगा और गांव का शोषण भी नह होगा। इस कार खाद आल य व बेकारी क सम या का ता का लक समाधान है। साथ
ही खाद के मा यम से राजनी तक सं गठन और जनसं पक ारा रा ीय आंदोलन भी चलाया जाना सरल होगा।
1. अ वहा रक।
2. एकप ीय।
4. यं का अनाव यक वरोध।
गांधीजी ने अपने वचार के मा यम से अ हसक और शां त पर आधा रत रा य का समथन कया है जसम उ ह ने बल आधा रत रा य को
नकारा है।
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2. मया दत रा य :-
गांधीजी का मानना है क रा य हसा का त न ध व करता है, साथ ही मनु य एक सामा जक ाणी होने के कारण सदै व समाज के
त वां छत नै तक उ रदा य व का नवहन नह कर पाता है। इस लए रा य को अ य धक श यां नह दे कर उसके काय े को सी मत रखा
जाए।
3. रा य अनाव यक बुर ाई है :-
4. रा य क श के वकास म बाधक :-
5. को ाथ मकता :-
उपरो सभी त य से प है क गांधीजी अपनी रा य सं बंधी वचार से प करना चाहते ह क रा य का काय े सी मत होना
चा हए अथात उ ह ने यू नतम रा य का समथन कया है।
गांधीवाद क राजनी त शा को दे न :-
गांधीवाद दशन क राजनी त शा को न न ल खत दे न है :-
1. अ हसा :-
यह गांधीजी क राजनी त शा को सबसे बड़ी दे न है। गांधीजी का अ हसा का सव म साधन स या ह व के लए अभूतपूव दे न है।
जहां अब तक व म अ याय को र करने के लए एकमा वक प यु ही था, वहां अब गांधी जी के स या ह का स ांत वक प के प म
सामने आया है।
2. साधन और सा य क प व ता म आ था :-
गांधीजी ने राजनी त का आ या मीकरण कर उसे धम से सं बं धत कर दया है। बगैर धम के राजनी त को अपूण माना है। इस कार
गांधीजी राजनी त म धम अथात नी त पर बल दे ते ह।
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4. नए वचार का वागत :-
गांधीवाद दशन म सभी वचार स म लत है। अथशा , समाजशा , राजनी त शा , एवं धम सभी को एक सरे से स ब कया गए
ह और नए वचार का सदै व समथन कया है।
3. नै तक से े है।
6. आ थक वावलं बन पर बल।
7. धम और नै तकता पर बल।
9. ाम वरा य पर बल।
10. स या ह पर बल।
गांधीवाद के वप म तक :-
1. वहा रक
2.अवै ा नक
3. एक प ीय
4. मौ लकता र हत
5. का प नक
6. कोरा आदशवाद
7. पूंजीवाद का समथक
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नयोजन या है - सोच समझ कर सही दशा म सही तरीके से कया गया काय नयोजन है।
नयोजन के लए आव यक है :- (1) उ े य प हो, (2) उ े य ा त के साधन एवं यास व थत हो और (3) समयाव ध न त हो।
" नयोजन सं साधन के सं गठन क एक ऐसी व ध है जसके मा यम से सं साधन का अ धकतम लाभ द उपयोग न त सामा जक
उ े य क पू त हेतु कया जाता है।"
नयोजन का इ तहास :-
नयोजन क आव यकता :-
1. भारत क कमजोर आ थक थ त।
4. वभाजन से उ प सम याएं।
5. औ ोगीकरण क आव यकता।
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नयोजन के उ े य :-
नयोजन के न न ल खत उ े य है :-
6. क आय एवं रा ीय आय म वृ करना।
7. सामा जक उ त करना।
8. रा ीय आ म- नभरता ा त करना।
9. गरीबी मटाना।
आ थक नयोजन के ल ण :-
अ छे आ थक नयोजन के न न ल खत ल ण है :-
2. औ ो गकरण म मब वृ ।
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नयोजन का आ थक वकास से संबध
ं :-
आ थक े म नयोजन का ल य रा वकास है। सहभागी और उ रदायी बंधन वकास क थम सीढ़ है और नयोजन सं साधन
और शासन को सहभागी और उ रदायी बनाता है। पई पणधीकर एवं ीर सागर ने वकास के लए नी त नमाणकता के कोण क
अ भवृ -प रवतन प रणाम दाता, सहभा गता एवं काय के त समपणवाद होना आव यक माना है। महा मा गांधी के अनुसार नयोजन का
ल य अं तम का वकास कर सं साधन के वक करण को ाथ मकता दे ना है। धानमं ी नर मोद का सबका साथ सबका वकास का
नारा इसी अवधारणा को सु ढ़ करता है। वकास के मायने लोग के जीवन तर म उ त करने से ह। आज हम नया के अ णी दे श के साथ
खड़े नजर आते ह तो कह ना कह नयो जत वकास क हमारी रणनी त सफल नजर आ रही है। वकास के नयो जत यास म 1950 से
2015 तक योजना आयोग ने अपनी क य भू मका नभाई। 2015 म योजना आयोग के थान पर नी त आयोग वकास के नयो जत यास
का नेतृ व कर रहा है।
नी त आयोग :-
NITI :- National Institution for Transforming India अथात रा ीय भारत प रवतन सं थान।
13 अग त 2014 को क य मं मंडल ने योजना आयोग को भंग कर नी त आयोग के गठन को मंजूर ी द । नी त आयोग ने एक जनवरी 2015
से योजना आयोग का थान लया। नी त आयोग सरकार के थक टक के प म काय करता है और यह सरकार को नदशा मक और नी तगत
ग तशीलता दान करता है।
नी त आयोग के गठन के उ े य :-
4. रा ीय सु र ा के हत को ो साहन दे ना।
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9. सु शासन को बढ़ावा दे ना।
नी त आयोग का संगठन :-
अ य - धानमं ी
2. पूणका लक सद य।
3. अं शका लक सद य (दो)
6.स चवालय।
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1. वै दक सा ह य क भू मका :-
2. धा मक आ था क भू मका :-
ाचीन भारतीय ऋ ष-मु नय ने पौध को धा मक आ था से जोड़कर इनके सं र ण का यास कया गया। जैसे पीपल को अटल सु हाग
का तीक मानकर, तुलसी को रोग नवारक और भगवान व णु क य मानकर, बील के वृ को भगवान शव से जोड़कर, ब व कुश को
नव ह पूजा से जोड़कर आ द।
4. धम और सं दाय क भू मका :-
" सर साठे ख रहे तो भी स ता जाण" कहावत को च रताथ करते ए 21 सतंबर 1730 को जोधपुर के खेजड़ली गांव के व ोई सं दाय के
363 लोग ने अमृता दे वी व ोई के नेतृ व म अपना ब लदान दे दया अथात ब ोई समाज के लोग ने वृ क र ा हेतु अपने सर कटाने क जो
मसाल पेश क , वह आज भी पयावरण हेतु सबसे बड़ा आंदोलन माना जाता है
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2. वन क कटाई व व य जीवो म नरंतर कमी।
3. औ ो गकरण और शहरीकरण म वृ ।
4. जनसं या व फोट।
7. लोबल वा मग।
वतमान समय म अ धक स जय के उ पादन के लए ऐसे कांच के घर का नमाण कया जाता है जसम द वारी ऊ मा रोधी पदाथ क
और छत ऐसे कांच क बनाई जाती ह जससे सू य के काश को अं दर वेश मल जाता है परंतु अं दर क ऊ मा बाहर नह नकल पाती है। इससे
उस कांच के घर का तापमान लगातार बढ़ता रहता है। ऐसे घर को ीनहाउस कहते है।
लोबल वा मग के कारण :-
1. ीन हाउस गैस जैसे काबन डाइऑ सा इड, नाइ ोजन ऑ सा इड, मीथेन, सीएफसी आ द का उ सजन।
3. जंगल का वनाश।
लोबल वा मग का भाव :-
2. समु सतह म वृ :-
समु क सतह म वृ होने से अब तक 18 प जलम न हो चुके ह और सै कड़ प व समु तट य महानगर पर खतरा मंडरा रहा है।
3. मानव वा य पर असर :-
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लोबल वा मग के कारण गम बढ़ने से मले रया, डगू, येलो फ वर आ द जैसे अनेक सं ामक रोग बढ़ने लगे है ।
4. पशु-प य और वन प तय पर भाव :-
लोबल वा मग के कारण पशु -प ी गम थान से ठं डे थान क ओर पलायन करने लगते ह और वन प तय लु त होने लगती है।
5. शहर पर असर :-
1 बजली घर 21.3
2 उ ोग 16.8
4 कृ ष उ पाद 12.5
6 रहवासी े 10.3
4. ऊजा के नवीनीकृत साधन जैसे सौर ऊजा, ना भक य ऊजा, वायु ऊजा, भूतापीय ऊजा आ द का योग करे।
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जलवायु प रवतन पर वै क चतन :-
1. टॉकहोम स मेलन 1972 :-
जलवायु प रवतन पर वै क चतन हेतु सव थम 1972 म वीडन क राजधानी टॉकहोम म थम बार मानवीय पयावरण पर
सं यु रा का स मेलन आ जसम जलवायु प रवतन के भाव पर व तृ त वचार- वमश कया गया।
टॉकहोम स मेलन के 10 वष होने पर के या क राजधानी नैर ोबी म 1982 म रा का स मेलन आ जसम पयावरण से जुड़ी
सम या के सं बंध म काय योजना का घोषणा प वीकृत कया गया।
टॉकहोम स मेलन क 20व वषगांठ पर ाजील क राजधानी रयो म थम पृ वी शखर स मेलन 1992 म आयो जत कया
गया जसम पयावरण क सु र ा हेतु सामा य अ धकार और कत को प रभा षत कया गया।
जलवायु प रवतन पर यू एनएफसीसीसी सं ध के तहत जमनी क राजधानी ब लन म थम COP स मेलन 1995 म आयो जत कया
गया।
जलवायु प रवतन पर COP-20 स मेलन पे क राजधानी लीमा म 1 से 14 दसं बर 2014 को आयो जत कया गया जसके
मह वपूण ब न न है :-
(v) 2020 तक ह रत जलवायु कोष को $100 अरब डॉलर तवष करने का अ धकार दया गया।
जलवायु प रवतन पर COP-21 स मेलन का आयोजन ांस क राजधानी पे रस म 30 नवंबर से 12 दसं बर 2015 तक
आयो जत आ जसके मह वपूण ब न न है :-
(iii) यह समझौता व म कम से कम 55% काबन उ सजन के ज मेदार 55 दे श के अनुम ोदन के 30 दन के भीतर म अ त व म आएगा।
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(iv) 21व सद म नया के तापमान म वृ 2 ड ी से सयस तक सी मत करने का ल य रखा गया।
1. अनु छे द 48 :-
2. अनु छे द 51 :-
3. अनु छे द 21 :-
4. अनु छे द 252 और 253 के अनुसार रा य कानून का नमाण पयावरण को यान म रखकर करेगा।
भारतीय सं सद ारा 1972 म व यजीव के अवैध शकार और उनके हाड़-मांस व खाल के ापार पर रोक लगाने के लए व य जीव
(सं र ण) अ ध नयम 1972 पा रत कया गया जसम 2003 म सं शोधन करते ए इसे और अ धक कठोर बनाया गया और इसका नाम भारतीय
व यजीव सं र ण (सं शो धत) अ ध नयम 2002 रखा गया। इसक मु य वशे षताएं न न कार ह :-
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4. इस अ ध नयम क धारा 5 के तहत क सरकार अपनी श य के न पादन हेतु था पत ा धकारी को ल खत म नदश दे सकती ह।
5. ताजमहल को बचाने हेतु 292 कोयला आधा रत उ ोग को बंद करने या अ य थानांत रत करने का नदश।
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6. द ली नगर म त दन सफाई करने, सघन वा नक अ भयान चलाने और आर त वन कानून लागू करने का आदे श।
7. व ालय , महा व ालय एवं व व ालय म अ ययन हेतु पयावरण को अ नवाय वषय बनाने का नदश।
8. रदशन एवं रे डयो पर त दन लघु अव ध और स ताह म एक बार लं बी अव ध के पयावरण सं बंधी काय म सा रत करने के नदश।
1. व जल दवस : 22 माच
2. पृ वी दवस : 22 अ ैल
उपभो ावाद सं कृ त :-
उदाहरण के लए अगर कसी म हला को नेल पॉ लश खरीदनी है तो बाजार म वह नेल पॉ लश ₹5 से ले कर हजार क क मत म उपल ध है। जब
वह नेल पॉ लश खरीदती है तो उसके साथ-साथ उसे नेल पॉ लश रमूवर भी खरीदना होता है, नेल कटर भी खरीदना होता है और अ य सह-
उ पाद भी खरीदने के लए वह बा य हो जाती ह। अब वह एक रंग क नेल पॉ लश नह खरीदे गी ब क अपनी व भ रंग क ेस , चू ड़यां
आ द से मलती-जुलती नेल पॉ लश भी खरीदे गी। यही उपभो ावाद सं कृ त है।
4. अप यपूण उपभोग क वृ ।
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उपभो ावाद सं कृ त का भाव :-
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भारत और वै ीकरण
वै ीकरण का अथ समझने से पूव हम नजीकरण और उदारीकरण का अथ समझना चा हए।
नजीकरण :-
उदारीकरण :-
उदारीकरण एक ऐसी या है जसम वसाय एवं उ ोग पर लगे तबंध एवं बाधा को र कर ऐसा वातावरण था पत
कया जाता है जससे दे श म वसाय एवं उ ोग वतं प से वक सत हो सके अथात वसाय और उ ोग पर सरकारी नयं ण और
वा म व को हटाना ही उदारीकरण है।
वै ीकरण का अथ :-
वै ीकरण क वशेषताएं :-
1. अ तरा ीय एक करण।
2. व ापार का खुलना।
7. सं कृ तय का आदान- दान।
8. रा रा य क नी तय पर नयं ण।
वै ीकरण के कारण :-
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3. भु व क इ छा।
6. उदारीकरण।
7. नजीकरण।
वै ीकरण के भाव :-
( a ) नकारा मक भाव :-
1. रा रा य क सं भुता का रण।
( b ) सकारा मक भाव :-
( B ) वै ीकरण के आ थक भाव :-
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( a ) अथ व था पर सकारा मक भाव :-
7. आ थक वकास दर बढ़ना।
9. व ापार म वृ ।
11. वक सत दे श को अ य धक फायदा।
( b ) नकारा मक भाव :-
4. पूंजीवाद दे श को अ य धक लाभ।
5. वक सत दे श ारा वीजा नयम को कठोर बनाना जससे उन दे श म अ य दे श के नाग रक का रोजगार हेतु पलायन क जाए।
6. ापार के बहाने अवैध ह थयार एवं अवैध लोग क आवाजाही बढ़ने से आतंकवाद घटना म इजाफा।
वै ीकरण ने न केवल राजनी तक एवं आ थक े को भा वत कया है अ पतु इस भाव से सां कृ तक े भी अछू ता नह रहा
है। इसके सां कृ तक भाव को हम इस कार समझ सकते ह :-
( a ) सकारा मक भाव :-
2. व भ सं कृ तय का सं योजन आ है।
4. एक नवीन सं कृ त का उदय।
( b ) नकारा मक भाव :-
6. फा ट फूड सं कृ त को बढ़ावा।
( a ) सू चना मक से वा ारा :-
4. ड जटल ां त ारा।
( b ) समाचार से वा ारा :-
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वभ व ापी समाचार चैनल ारा भी सां कृ तक वाह सं भव आ है जनम न न ल खत मुख है :-
1. CNN
2. BBC
3. अल जजीरा
2. वै ीकरण क वैधता का सं कट :-
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वै ीकरण क वृ से रा ीय रा य क आ थक सं भुता म कमी आने के साथ-साथ आंत रक सं भुता पर भी असर पड़ रहा
है। अतः घरेलू सं भुता के े को बढ़ाने के लए थानीय शासन यानी पंचायत राज सं था क रचना करनी पड़ी है ता क रा य क वैधता को
आगे बढ़ाया जा सके।
1. वदे शी नवेश से पूंजी का आवागमन आ जससे से वा े ( रेल, सड़क, वमान, वा य, श ा आ द ) का व तार एवं वकास आ
है।
( b ) नकारा मक भाव :-
2. ब रा ीय कंप नय ारा अपना लाभ अपने मूल दे श को भेजने से धन का वाह वक सत दे श क ओर हो रहा है।
9. परंपरागत योहार क जगह पा ा य योहार को अ धक मह व दया जा रहे ह। जैसे वेलटाइन डे, समस डे, नववष आ द।
( a ) लोक सं कृ त पर भाव :-
( b ) सामा जक मू य पर भाव :-
8. के नै तक च र का पतन आ है।
वै ीकरण के प रणाम :-
( a ) आलोचना :-
2. अमे रक वच व को ो साहन मल रहा है जससे भारत जैसे दे श के अमे रका के ाहक दे श बनने क आशं का क जा रही है।
3. वै ीकरण ने उदारीकरण और नजीकरण को बढ़ावा दया है जससे शासन का लोकक याणकारी व प घटता जा रहा है।
5. वै ीकरण ने व म शरणाथ सम या को बढ़ावा दया है। कम वक सत दे श के लोग रोजगार हेतु पलायन कर अ य दे श म आ जाते
ह और वहां थाई प से जमा हो जाते ह जससे शरणा थय क सम या उ प हो रही है। जैसे यू र ोप म शरणा थय क सम या, भारत
म रो ह या मुसलमान क सम या, ीलं का म त मल क सम या आ द।
6. वै ीकरण का ाकृ तक पयावरण पर तकूल भाव पड़ा है। वक सत दे श म औ ो गक कचरे, ला टक एवं इले ॉ नक उ पाद
के कचरे के न तारण क भयं कर सम या उ प हो रही है। वक सत दे श इस कचरे को गरीब दे श म थानांत रत कर वहां के पयावरण
को षत कर रहे ह।
6. त सु वधा म वृ ई है।
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7. से वा े म अभूतपूव सु धार आ है।
8. व छ जल क उपल धता बढ़ ह।
न कष :-
वै ीकरण क वशे षता और उसके व भ े पर पड़े भाव का अ ययन करने के उपरांत यह प है क इसका सवा धक लाभ
वक सत दे श को आ है और इसका सवा धक नुकसान अ वक सत दे श को उठाना पड़ा है। वकास क अं धी दौड़ म स यता और सं कृ त को
अपूरणीय त उठानी पड़ रही है। ऐसा नह है क वै ीकरण एक नवीन वृ ह ब क हजार वष के इ तहास के अ ययन से यह प है क
एक दे श के गुणव ा यु माल एवं कारीगरी का नयात पूव म भी बड़े पैम ाने पर कया जाता था। पहले सं चार और इंटरनेट जैसे साधन क कमी
के कारण इसका इतना चार नह था जब क वतमान म इसका चार यादा है।
साथ ही लोक-लु भावने चार एवं स ते माल के कारण व भ दे श के थानीय माल क उपे ा हो रही है। जैसे चीन उ पा दत माल
अ य धक लोक-लु भावना, आकषक एवं स ता होने के कारण व के अ य दे श के बाजार म ब त यादा बक रहा है परंतु उस माल म गुणव ा
एवं टकाऊपन न के बराबर है। अतः हम यह समझना होगा क हम सदै व अ छा और टकाऊ सामान खरीदना चा हए ता क उपभो ावाद
सं कृ त एवं थ खच से बचा जा सके।
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नव सामा जक आंदोलन
नव सामा जक आंदोलन ऐसे सामा जक आंदोलन है जो मानव जीवन म फैले ए अ याय के त नवीन चेतना से े रत
होकर समकालीन व के कुछ ह स म उभरकर सामने आए ह। इसम नारी अ धकार आंदोलन, पयावरणवाद आंदोलन, उपभो ा आंदोलन,
नाग रक अ धकार क मांग, द लत आंदोलन, छा आंदोलन, शां त आंदोलन एवं अ ा आंदोलन वशे ष प से उ ले खनीय है।
नव सामा जक आंदोलन क शु आत 1960 के दशक से ई है। नव सामा जक आंदोलन मु यत: यु वा, श त एवं म यवग य
नाग रक के आंदोलन है जो नाग रक क गत वतं ता एवं मानव मा के हत को यान म रखते ए पयावरण के सं र ण एवं शां त
वातावरण को बढ़ावा दे ना चाहते ह। इन आंदोलन म गैर सरकारी सं गठन और नाग रक समाज क महती भू मका रही है।
नवीन सामा जक आंदोलन ने समकालीन रा य के नाग रक समाज ( स वल सोसायट ) क अवधारणा को मजबूत कया है। साथ ही
वामपंथी झुकाव वाले कुछ तथाक थत नाग रक समाज ने कई बार रा य क वैधता और शासन के अ धकार को चुनौती द है। जैसे अ ा
आंदोलन, न सलवाद समथक मानवा धकार आंदोलन आ द।
कुछ सामा जक आंदोलन ने राजनी तक स ा और वचारधारा से सं ल न होकर भी अपने मत रखे। जैसे नमदा बचाओ आंदोलन के
आंदोलनका रय ारा बीजेपी क वचारधारा के व मत करना। इसके अलावा कुछ सामा जक आंदोलन ने रा य क भू मका को पु
करने एवं सकारा मक सामा जक प रवतन के भी यास कए ह। जैसे वनवासी क याण प रषद, से वा भारती, श ा बचाओ आंदोलन आ द।
इस कार के सामा जक आंदोलन म आंदोलनकारी वतमान म च लत व था म आमूलचूल प रवतन करना चाहते ह। इसके
लए ये आंदोलनकारी ां त का सहारा ले ना चाहते ह। जैसे न सलवाद , वामपंथी आंदोलन आ द।
इस कार के आंदोलन म आंदोलनकारी सं पूण सामा जक एवं सां कृ तक व था म बदलाव लाकर उसके थान पर अ य
वक प क थापना करना चाहते ह। जैसे नारीवाद आंदोलन, द ण भारत म SNDP आंदोलन, पंजाब म अकाली आंदोलन।
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वै ीकरण और नजीकरण के दौर म मु बाजार व था म लघु कृषक के हत क र ा हेतु अनेक कसान सं गठन कायरत
है जनम भारतीय कसान सं घ, शे तकरी सं गठन (महारा म) आ द मुख ह।
2. मक आंदोलन :-
मक के हत क र ा हेतु अनेक मक सं गठन कायरत है। जैसे भारतीय मज र सं घ, वदे शी जागरण मंच, क यु न ट
इं डया े ड यू नयन आ द।
भारतीय म हला सश करण आंदोलन आमूलचूल बदलाव पर आधा रत है। यह जा त, वग, सं कृ त, वचारधारा आ द आ धप य
के व भ प को चुनौती दे ता है। म हला सश करण आंदोलन के चलते ही दे श म दहेज वरोधी अ ध नयम, सू त सहायता अ ध नयम,
समान काय के बदले समान वेतन, सती था वरोधी अ ध नयम आ द अनेक काय ए है। वतमान म हमारे दे श म म हला सश करण हेतु
अनेक योजनाएं जैसे बेट बचाओ बेट पढ़ाओ, उ वला योजना आ द चल रही है। म हला मु मोचा, ऑल इं डया डेम ो े टक एसो सएशन,
नागा मदस एसो सएशन, शे तकरी म हला अघाड़ी, भारतीय म हला आयोग, नभया आंदोलन 2012 आ द म हला आंदोलन के उदाहरण है।
पा ा य दे श के अं धानुकरण वकास हेतु योजना के चलने से अनेक प रणाम भी सामने आए ह जनम बांध प रयोजना के
नमाण से व थापन क सम या (नमदा बचाओ आंदोलन, टहरी बांध प रयोजना ववाद आ द ), नद जल ववाद ( व भ रा य के म य ),
पयावरण को नुकसान ( चपको आंदोलन) आ द से जुड़े कई आंदोलन समसाम यक प र थ तय म उभरकर सामने आए है। इसके अलावा और
अ य आंदोलन इस कार ह :-
साइलट वैली बचाओ आंदोलन केरल म, चपको आंदोलन उ राखंड म, जंगल बचाओ आंदोलन 1980 म बहार म, नमदा बचाओ आंदोलन
1985 म, जनलोकपाल बल आंदोलन 2011, प म बंगाल म स र और नंद ाम आंदोलन, नवी मुबं ई म से ज वरोधी आंदोलन आ द।
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सामा जक याय का अथ :-
सामा जक याय दो श द सामा जक और याय से बना है जसम सामा जक से ता पय है समाज से सं बं धत तथा याय से
ता पय है जोड़ना। इस कार सामा जक याय का शा दक अथ है समाज से सं बं धत सभी प को जोड़ना।
सामा जक याय से ता पय है क
इस कार प है क सामा जक याय से ता पय है उस समतावाद समाज क थापना से है जो समानता, एकता व भाईचारे के स ांत
पर आधा रत हो, मानवा धकार के मू य को समझता हो और ये क मनु य क त ा को पहचानने म स म हो।
1. वण व था का जा त व था म प रवतन।
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ाचीन काल म महा मा बु व महावीर वामी से ले कर म यकाल म कबीर, लोक दे वता बाबा रामदे व व अनेक सं त ने और आधु नक
काल म राजा राममोहन राय, वामी ववेकानंद, महा मा गांधी, डॉ टर भीमराव अं बेडकर आ द ने अनेक समाज सु धारक काय करके समाज को
नवीन दशा दखाने का मह वपूण काय कया है।
1. अनु छे द - 14 : व ध के सम समता
4. अनु छे द - 15(4) एवं 16(4) : अनुसू चत जा त, अनुसू चत जनजा त एवं अ य पछड़े वग के लए आर ण का ावधान।
5. अनु छे द - 17 : अ पृ यता का अं त।
1. अनु छे द - 38 : रा य ऐसी सामा जक व था क थापना करेगा जसम ये क के लए सामा जक, आ थक एवं राजनी तक याय
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सु न त हो सके।
2. अनु छे द - 41 : बेकारी, बुढ़ापा, बीमारी एवं असमथता म सावज नक सहायता ा त करने का ावधान।
3. अनु छे द - 42 : काम क अनुकूल एवं मानवो चत अव था उपल ध करवाना और सू त सहायता उपल ध करवाना।
वही सरे पहलू को दे ख तो आज भी भारत क जनसं या का एक ब त बड़ा भाग असमानता, भुखमरी, कुपोषण और शोषण का शकार है।
दे श के इन करोड़ लोग के लए सामा जक और आ थक याय क बात तो र आज भी दो व क रोट का बंध नह हो पा रहा है। कहने को
तो भले ही यह कहा जाता है क आज दे श म 50% आर ण का लाभ अनुसू चत जा त, अनुसू चत जनजा त एवं अ य पछड़े वग को मल रहा है
परंतु इस आर ण का लाभ आज भी इन वग के वा त वक लाभा थय को नह मल पा रहा है य क इन पछड़ी जा तय म आर ण ा त कर
एक ऐसे नवीन वग का ज म आ है जो आ थक और राजनी तक आधार पर बार-बार आर ण का लाभ उठा रहा है जससे गांव का गरीब व
आ दवासी अभी भी अपने वा त वक लाभ क प च ं से कोस र है। वतमान म वोट बक क राजनी त और चुनावीकरण ने आर ण व था को
इस कदर ज टल बना दया है क कोई भी राजनी तक पाट इसम क चत भी प रवतन करने म दलच पी नह दखा रही है।
-: आ थक याय :-
यह स य है क समाज म पूण प से आ थक समानता था पत नह क जा सकती है। आ थक याय का मूल ल य आ थक
असमानता को कम करना है। ऐ तहा सक से दे खा जाए तो ये क यु ग और ये क े म आ थक आधार पर दो वग रहे ह एक शोषक
वग जो अमीर का त न ध व करता है और सरा शो षत वग जो गरीब का त न ध व करता है। इन आ थक वषमता के कारण ही हमारे
दे श म न सलवाद, ाचार, राजनी त का अपराधीकरण, त करी और आतंकवाद जैसी वृ याँ वक सत ई है जो क हमारी एकता और
अखंडता के लए ब त बड़ी चुनौती है।
आ थक याय का अथ :-
आ थक याय से ता पय ह क
डॉ टर राधाकृ णन के अनुसार, "जो लोग गरीबी क ठोकर खाकर इधर-उधर भटक रहे है, ज ह कोई मज री नह मलती ह और जो भूख से
मर रहे है, वे सं वधान या उसक व ध पर गव नह कर सकते।"
B. नी त नदे शक त व के प म ावधान :-
आ थक याय क व तु - थ त :-
व वष 2015-16 म भारत क वकास दर 7.6 तशत थी जो व म सवा धक रही। नवंबर 2016 म वमु करण के उपरांत आ थक
वकास दर म थोड़ी गरावट ज र आई ह परंतु फर भी सं तोषजनक है। परंतु व म अ णी आ थक वकास दर वाला दे श होने के उपरांत भी
आ थक वकास का समु चत लाभ सभी वग को समान प से नह मल पा रहा है। आज भी गांव म सु वधा का अभाव है एवं इंटरनेट व
ौ ो गक का अपे त व तार गांव म नह हो पाया है। वकास का वा त वक लाभ केवल शहर तक ही सी मत है।
-: म हला आर ण :-
भारत म पु ष धान समाज होने, व भ सामा जक एवं धा मक कारण के चलते म हला क मता का पूण प से वकास
नह हो पाया है। वतं ता उपरांत म हला श ा के े म ग त अव य ई है परंतु आज भी रोजगार, वसाय, उ ोग एवं राजनी तक े म
म हला को पया त त न ध व नह मल पाया है।
पंचायतीराज सं था म म हला क भागीदारी सु न त करने के लए 73व एवं 74व सं वधान सं शोधन ारा पंचायती राज सं था
म म हला के लए 33% थान आर त कए गए है।
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5. लोकतं ीकरण क या को सु ढ़ करने हेतु।
1. 1996 म एच. डी. दे वगौड़ा सरकार ारा 81वां सं वधान सं शोधन वधेयक तु त कया गया परंतु पा रत नह हो सका।
2. 1998 म एनडीए सरकार ारा 86वां सं वधान सं शोधन वधेयक तु त कया गया।
4. 2008 म यू पीए सरकार ारा 108व सं वधान सं शोधन वधेयक के प म रा यसभा म पेश।
7. 2018 म एनडीए सरकार ारा म हला आर ण क मंशा जा हर करना परंतु अब तक कोई कायवाही नह ।
3. कई राजनी तक दल ारा सामा य म हला क बजाय अनुसू चत जा त, अनुसू चत जनजा त एवं अ य पछड़ा वग क म हला के
अ य धक पछड़ेपन के कारण उनके लए वशे ष व था क मांग करना।
Email : gangadharsoni4@gmail.com
Website : https://sites.google.com/site/gangadharsoni4/
https://sites.google.com/site/gangadharsoni4/political-science/class-12/part-a?authuser=0
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राजनी त व
राजनी त व ानान
Class – 12
( RBSE अजमेर आधा रत )
Prepared By :-
गंगाधर सोनी
ा याता (राजनी त व ान )
राउमा व भोजासर (फलोद ) जोधपुर
Now - धाना यापक : रामा व बांठड़ी (नागौर)
RPSC Selections :- -: उ े य :-
Teacher – 2008 से 1. श क ब धु और
व ा थय को राजनी त
Senior Teacher – 2011 से व ान के अ ययन म
School Lecturer – 2017 से सहयोग करना
2. मशन Merit को
School Headmaster - 25.10.2019 से
बढ़ावा दे ना
Home Address
गाँव – खा मयाद ( लाडनूं ) नागौर
अनु म णका
भारतीय सं वधान अनेक से व का एक अनोखा सं वधान है। इसक वशे षताएं इसे व के अ य सं वधान से अलग पहचान
दान करती है। इसक मुख वशे षताएं न न कार है :-
भारत का सं वधान व का सबसे वशाल व ल खत सं वधान है। इसक वशालता का मु य कारण क य और रा य दोन
सरकार के गठन और उनक श य का व तृ त वणन है। भारत के सं वधान म कुल 395 अनु छे द, 12 अनुसू चयां और 22 भाग है। ात रहे
मूल सं वधान म 395 अनु छे द, 8 अनुसूची व 22 भाग थे। अ य दे श के सं वधान क तुलना कर तो अमे रका के सं वधान म केवल 7 अनु छे द,
कनाडा के सं वधान म 147 अनु छे द, द णी अ का के सं वधान म 254 अनु छे द एवं ऑ े लया के सं वधान म 128 अनु छे द है।
2. ल खत सं वधान :-
3. तावना :-
4. संपण
ू भु व संप सं वधान :-
भारत के सं वधान म भारत को सं पूण भु व सं प रा य का दजा दया गया है। इसका ता पय है क भारत अपने आंत रक और
बा मामल म पूण प से वतं है अथात कसी अ य दे श का हमारे दे श के मामल म कोई ह त प े नह होगा।
भारतीय सं वधान ारा भारत म सं सद य शासन णाली अपनाई गई है। सं सद य शासन णाली का यह व प इं लड क सं सद य
शासन णाली के समान है अथात भारत क सं सद य शासन णाली टे न से े रत है।सं सद य शासन णाली से आशय है क हमारे दे श क
कायपा लका व था पका यानी सं सद के के त उ रदायी होगी।
6. मूल अ धकार :-
भारत के सं वधान के भाग - 3 म अनु छे द 12 से 35 म 6 मूल अ धकार दान कए गए है। मूल अ धकार अमे रक सं वधान से
लए गए है। मूल सं वधान म 7 मूल अ धकार थे पर तु 44व सं वधान सं शोधन अ ध नयम 1978 के ारा सं प के मूल अ धकार को मूल
अ धकार क ण े ी से हटा दया गया और अब उसे अनु छे द 300(क) के तहत केवल कानूनी अ धकार का दजा ा त है। मूल अ धकार म
समानता, वतं ता, शोषण के व अ धकार, धा मक वतं ता के अ धकार, श ा व सं कृ त का अ धकार और सं वैधा नक उपचार का
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अ धकार दान कए गए। सव च यायालय को मूल अ धकार का सं र क घो षत कया गया है।
7. नी त नदे शक त व :-
8. मूल कत :-
भारतीय सं वधान के भाग - 4(क) और अनु छे द 51(क) म मूल कत का वणन कया गया है। मूल कत मूल सं वधान म
नह थे। सरदार वण सह स म त क सफा रश पर 42व सं वधान सं शोधन अ ध नयम 1976 ारा मूल कत को सं वधान म जोड़ा गया।
आर भ म 10 मूल कत थे परंतु 86व सं वधान सं शोधन अ ध नयम 2002 ारा 6 से 14 वष के ब च को श ा दान करने का माता- पता व
अ भभावक का कत जोड़ा गया। इस कार वतमान म 11 मूल कत है।
सामा यत: सं घ ा मक सं वधान म दोहरी नाग रकता ( थम सं घ क और तीय रा य क ) का ावधान होता है। जैसे अमे रका
म। परंतु भारतीय सं वधान नमाता ारा भारत क एकता और अखंडता सु न त रखने के उ े य से उसक सं घ ीय सं रचना के बावजूद एकल
नाग रकता का ावधान कया गया है। कोई भी सफ भारत का नाग रक होता है, कसी रा य का नह ।
हमारे दे श म सं वधान को सव प र माना गया है य क सरकार के सभी अं ग जैसे कायपा लका, वधा यका और यायपा लका
तीन सं वधान से ही अपनी श यां ा त करते ह। टे न म सं सद को सव च माना गया है जब क अमे रका म यायपा लका को सव च माना
गया है। परंतु भारत म इन दोन से हटकर सं वधान को सव च थान दान कया गया है।
सं वधान सं शोधन क से सं वधान कठोर और लचीले दोन कार के हो सकते है। जस सं वधान म सं वधान सं शोधन क
या ज टल हो उ ह कठोर सं वधान और जस सं वधान म सं वधान सं शोधन क या अ यं त सरल हो उ ह लचीले सं वधान कहा जाता है।
जैसे अमे रका के सं वधान म सं शोधन करना अ यं त कठोर है जब क टे न के सं वधान म सं शोधन करना अ यं त सरल है परंतु भारत के सं वधान
म कठोरता और लचीलापन का दोन का समावेश है। इससे यह ता पय है क भारत के सं वधान म कई अनु छे द म सरलता से सं शोधन कया
जा सकता है और कई अनु छे द म सं शोधन अ यं त कठोर है। भारतीय सं वधान म सं शोधन साधारण ब मत, वशे ष ब मत और वशे ष ब मत
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के साथ आधे से अ धक रा य के अनुसमथन ारा कया जा सकता है। इस कार सं वधान सं शोधन क तीन व धयां है।
भारतीय सं वधान म सं घ ा मक स वधान के अनेक ल ण होने के साथ-साथ उसम एका मकता क वृ भी पाई जाती है। जैसे
एक नाग रकता, रा य म रा यपाल क नयु रा प त ारा कया जाना, आपातकालीन उपबंध, अ खल भारतीय से वाएं, नए रा य के नमाण
क सं सद क श आ द इन सभी ल ण के आधार पर यह दे खा जा सकता है क भारतीय सं वधान म क यकृत वृ पाई जाती है।
सं कट काल के सं बंध म हमारे सं वधान म 3 तरह के आपातकालीन उपबंध का ावधान कया गया है।
आपातकालीन घोषणा का सबसे मुख भाव यह है क हमारा सं घ ा मक शासन एका मक हो जाता है।
17. समाजवाद :-
42व सं वधान सं शोधन अ ध नयम 1976 ारा भारतीय सं वधान क तावना म "समाजवाद " श द का समावेश कया गया है।
भारत का समाजवाद लोकतां क समाजवाद है जो पं डत जवाहरलाल नेह क अवधारणा पर आधा रत है। समाजवाद रा य से ता पय है क
उ पादन और वतरण के मुख साधन पर समाज अथात सरकारी नयं ण होना चा हए तथा दे श के भौ तक सं साधन का समानता के आधार
पर इस कार वतरण होगा क धन का सं क ण कुछ ही हाथ तक सी मत नह रहेगा।
18 . थानीय वशासन :-
भारत के सं वधान के अनु छे द 40 म ाम पंचायत के गठन का ावधान कया जाकर रा य से अपे ा क गई थी क रा य नकट
भ व य ाम पंचायत क थापना कर उ ह वाय ता दान करेगा जसक अनुपालना म 1959 म पंचायती राज क थापना क गई। जसे बाद
म 73व और 74व सं वधान सं शोधन ारा सं वैधा नक दजा दान कर पंचायती राज सं था को वाय ता एवं अ धकार दान कए गए।
" वसु धव
ै कुटुं बकम" स ांत को अपनाते ए भारतीय सं वधान म व शां त का समथन कया गया है। सं वधान के अनु छे द 51 म
यह कहा गया है क रा य अं तररा ीय शां त और सु र ा एवं रा के बीच यायपूण और स मानजनक सं बंध क थापना करेगा। इस कार प
है क भारतीय सं वधान म व शां त को बढ़ावा दे ने क बात क गई है। सं वधान क भावना के अनु प भारत ने गुट नरपे ता क नी त और
पंचशील के स ांत को अपनाया ह।
भारतीय सं वधान म सं सद य व था को वीकार कया गया है जसके तहत कानून नमाण े म सं सद सव च है। साथ ही सं सद
ारा न मत कानून का पुनरावलोकन करने क श सव च यायालय म न हत है जसके तहत सव च यायालय उस कानून का सं वधान के
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दायरे म रहकर पुनरावलोकन कर सकता है और अवैध पाए जाने पर स पूण कानून या उसके उस भाग को अवैध घो षत कर सकता है जो क
सं वधान का अ त मण करता हो। इस कार सं वधान म या यक पुनरावलोकन और सं सद य सं भुता का सम वय पाया जाता है।
23. एका मक और सं घ ा मक त व का अ त
ु सं योग :-
सं प
े म भारत का सं वधान जनता क भुस ा के मूल स ांत पर आधा रत है तथा भारतीय जनता क वा त वक एकता का
तीक है। भारतीय सं वधान के व प और वशे षता से प है क भारत का सं वधान एक ऐसा आदश ले ख है जसम स ांत और
वहा रकता का े सम वय है।
तावना
तावना ारा भारतीय सं वधान के उ े य और ल य को प कया गया है।
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तावना सं वधान क मूल आ मा है : यायमू त हदायतु ला
42व सं वधान सं शोधन अ ध नयम 1976 ारा तावना म जोड़े गए श द : "समाजवाद ", "पंथ नरपे ", "और अखंडता"
सं वधान क तावना
हम भारत के लोग, भारत को संपण
ू भु व संप , समाजवाद , पंथ नरपे , लोकतं ा मक गणरा य बनाने के लए तथा उसके
सम त नाग रक को ;
त ा और अवसर क समता;
ढ़सं क प होकर अपनी इस सं वधान सभा म आज दनांक 26 नवंबर 1949 ई. ( म त मागशीष शु ल स तमी सं वत दो हजार छह
व मी ) को एतद् ारा इस सं वधान को अंगीकृत, अ ध नय मत और आ मा पत करते ह।"
भारतीय सं वधान क तावना का आरंभ "हम भारत के लोग" श द से आ है जसका ता पय है क सं वधान का नमाण
भारत क जनता ने अथात जनता ारा चुने गए त न धय ने कया है और जनता ही सव प र एवं सं भु है। सरकार और उसके व भ अं ग
को ा त श य का ोत जनता है। "हम भारत के लोग" श द सं यु रा सं घ के चाटर क तावना म यु "हम सं यु रा सं घ के लोग" के
सम प है।
(B.) उ े या मक भाग :-
उ े या मक भाग ारा यह नधा रत कया गया है क भारतीय शासन के या - या उ े य ह गे :-
1. संपण
ू भु व संप :-
इससे ता पय है क हमारा दे श अपने आंत रक एवं बा मामल म पूणत: वतं ह अथात कोई भी अ य दे श भारत के मामल म
हत प
े नह कर सकता है।
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2. समाजवाद :-
समाजवाद श द से आशय है क उ पादन एवं वतरण के साधन पर समाज अथात सरकार का नयं ण होगा और भौ तक
सं साधन का वतरण इस कार होगा क धन का सं क ण कुछ हाथ तक ही सी मत नह रहेगा।
भारतीय समाजवाद नेह जी क लोकतां क समाजवाद क अवधारणा पर आधा रत है। इसम समाज के कमजोर एवं पछड़े वग के जीवन
तर को ऊंचा उठाने और आ थक वषमता को र करने के लए म त अथ व था को अपनाया गया है।
तावना म "समाजवाद " श द का समावेश 42व सं वधान सं शोधन अ ध नयम 1976 ारा कया गया है अथात मूल तावना म समाजवाद
श द का उ ले ख नह था।
3. पंथ नरपे :-
4. लोकतं ा मक :-
अ ाहम लकन के श द म, "जनता का, जनता के लए, जनता ारा था पत शासन लोकतं है।" सं वधान ारा हमारे दे श म भी लोकतं ा मक
शासन णाली को अपनाया गया है जसम जनता अपने ारा चुने ए जन त न धय के मा यम से शासन चलाती है और यह त न ध जनता
के त अपने काय के लए उ रदायी होते ह।
5. गणरा य :-
भारत का रा या य / सव च पदा धकारी / रा प त वंशानुगत न होकर अ य प से जनता ारा नवा चत होता है। इस कार भारत
के सम त नाग रक समान है तथा कोई भी कसी भी लोक पद को ा त करने हेतु नवा चत हो सकता है।
1. याय :-
तावना म तीन तरह के याय सामा जक, आ थक और राजनी तक याय सु न त करने का सं क प लया गया है।
सामा जक याय :-
इससे आशय ह क कसी भी के साथ धम, जा त, मूलवंश, न ल, लग व रंग के आधार पर भेदभाव नह कया जाएगा।
आ थक याय :-
इससे आशय ह क रा य सभी नाग रक को आजी वका के साधन उपल ध कराने के लए समान अवसर दान करेगा तथा भौ तक
सं साधन का वतरण इस कार करेगा क सभी का हत सं भव हो सके।
राजनी तक याय :-
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इससे ता पय है क सभी नाग रक समान प से रा य के काय म भाग ले सकते ह। इसके तहत सभी को क मता धकार का
अ धकार, चुनाव लड़ने का अ धकार, शासन क आलोचना करने का अ धकार, कसी भी दल का चार- सार करने का अ धकार आ द दान
कए गए ह।
2. वतं ता :-
भारतीय सं वधान म नाग रक को वचार, अ भ , व ास, धम और उपासना क वतं ता दान क गई है। सं वधान के
अनु छे द 19 से 22 तक व भ कार क वतं ता का उ ले ख कया गया है।
3. समानता :-
तावना म सभी नाग रक को त ा एवं अवसर क समानता का उ ले ख कया गया है। सं वधान के अनु छे द 14 से 18 तक के
वभ कार क समानता का वणन कया गया है।
4. बंधु व :-
तावना म नाग रक के म य क ग रमा और रा क एकता व अखंडता सु न त करने वाली बंधत
ु ा बढ़ाने का सं क प लया
गया है।
"अखंडता" श द सं वधान क मूल तावना म नह था। इसे 42व सं वधान सं शोधन अ ध नयम 1976 ारा तावना म जोड़ा गया।
भारतीय सं वधान क तावना म जन उ े य और ल य का सं क प लया गया है, उनक ा या सं वधान म मूल अ धकार ,
नी त नदे शक त व एवं मूल कत म क गई है। इस कार प है क तावना सं वधान का सार है। साथ ही तावना सं वधान का अं ग भी
है और सं वधान क ा या म तावना अ यं त उपयोगी है।
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यायधीश स ू के श द म - "सं वधान म मूल अ धकार को रखने का उ े य नाग रक को समानता, वतं ता, याय एवं सु र ा दान करना
था।"
मूल अ धकार या है :-
ऐसे अ धकार जो के सवागीण वकास के लए अ नवाय होने के कारण कसी दे श के सं वधान ारा उस दे श के नाग रक
को ा त दान कए जाते है, मूल अ धकार कहलाते है।
ाकृ तक अ धकार :-
ऐसे अ धकार जो कसी को कृ त का सद य होने के नाते ा त होते ह, ाकृ तक अ धकार कहलाते है।
1. ये क क सु र ा :-
सं वधान द मूल अ धकार का रा य ारा हनन नह कया जा सकता है इस लए के शारी रक, मान सक, नै तक एवं
अयप के वकास क सु र ा मूल अ धकार से क जा सकती है।
मूल अ धकार रा य को ऐसी व ध बनाने से रोकती है जो य के अ धकार को छ नती है या कम करती है। इस कार मूल
अ धकार सामा य कानून से ऊपर है। यह शासन क मनमज और तानाशाही वृ पर रोक लगाने का काय करता है।
3. या यक सु र ा :-
मूल अ धकार को यायालय का सं र ण ा त है। य द कसी के मूल अ धकार का हनन होता है तो यायालय क शरण ली
जा सकती है।
4. लोकतं का आधार तं भ :-
5. समानता के कारक :-
मूल अ धकार सभी य को समान प से ा त होते ह। इनके तहत वशे षा धकार को समा त कर समानता था पत क जाती
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है। भारतीय सं वधान म अनु छे द 14 से 18 तक समानता के अ धकार का उ ले ख कया गया है।
स ाट जॉन ारा 1215 ई. म जारी मै नाकाटा मूल अ धकार सं बंधी सव थम ल खत द तावेज है।
भारतीय सं वधान सभा ारा सरदार व लभ भाई पटे ल क अ य ता म मूल अ धकार स म त का गठन कया गया त प ात जे. बी. कृपलानी क
अ य ता म एक उप स म त का गठन कया गया जसक सफा रश के आधार पर भारतीय सं वधान के भाग - 3 म अनु छे द 12 से 35 तक
मूल अ धकार सं बंधी ावधान कया गया।
भारतीय सं वधान के अनु छे द 12 से 35 तक कुल 23 अनु छे द म मूल अ धकार का उ ले ख कया गया है।
वदे शय को ा त मूल अ धकार - 14, 20, 21, 22, 23, 24, 25, 26, 27, 28
मूल सं वधान म 7 मूल अ धकार दान कए गए थे परंतु 44व सं वधान सं शोधन अ ध नयम 1978 ारा सं प के मूल अ धकार को
वलो पत कर उसे अनु छे द 300(क) ारा कानूनी अ धकार का व प दान कया गया।
अथात सभी कानून के सम समान है और सभी को बना कसी भेदभाव के कानून का समान प से सं र ण ा त होगा।
अथात उपयु कारण के आधार पर कसी भी के साथ कसी भी कार का भेदभाव नह कया जा सकता है। यह मूल
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अ धकार केवल नाग रक को ा त है।
अथात रा य धम, मूलवंश, जा त, लग, ज म थान, उ व और नवास के आधार पर सरकारी नौक रय म सभी को समान
अवसर उपल ध कराएगा। अपवाद - नौक रय और श ण सं था म वेश पर अनुसू चत जा त, अनुसू चत जनजा त और अ य पछड़ा वग
को आर ण।
इस अनु छे द के ारा जा त के आधार पर कसी को अ पृ य माने जाने को दं डनीय अपराध घो षत कया गया है।
अ पृ यता नवारण अपराध अ ध नयम 1955 ारा अ पृ यता के अपराध के लए ₹500 का जुम ाना या 6 माह क कारावास या दोन दं ड का
ावधान कया गया है।
इस अनु छे द के तहत रा य को उपा धयाँ दान करने एवं नाग रक व अनाग रक को उपा धय हण करने से तषे ध
कया गया है। इस अनु छे द के तहत :-
(iii) कोई भी वदे शी जो भारत म लाभ / व ास के पद पर कायरत हो, वह भी रा प त क अनुम त के बना वदे शी रा य से कोई भी उपा ध
हण नह करेगा।
यह अनु छे द सामा जक जीवन म भेदभाव बढ़ाने वाले वशे षा धकार को समा त करने का यास करता है। यह अनु छे द सफ नदशा मक है,
आदे शा मक नह अथात इसका उ लं घन दं डनीय नह है।
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मूल सं वधान म 7 वतं ता का उ ले ख था परंतु 44व सं वधान सं शोधन अ ध नयम 1978 ारा सं प के अजन, धारण एवं
य करने के अ धकार क वतं ता वलो पत कर द गई।
(i) कसी को उसके कसी काय के लए तब तक दोष स नह कया जा सकता जब तक क उसके काय के ारा उस समय के कसी
कानून का उ लं घन नह आ हो अथात मेर े ारा भूतकाल म कए गए कसी काय से उस समय के कसी कानून का उ लं घन नह होता है परंतु
वतमान म उसी काय को नषे ध करने हेतु कानून बना दया गया है तो मुझे भूतकाल म कए गए उस काय पर आज के सं दभ म दोषी सा बत नह
कया जा सकता है।
(iii) कसी को वयं अपने व सा य दे ने के लए ववश नह कया जा सकता है। इसी अनु छे द के आधार पर नारको ट स, पॉली ाफ
एवं ेन टग जैसे परी ण पर तबंध लगाया गया है। इस वतं ता को आपातकाल म भी नलं बत नह कया जा सकता है।
मेनका गांधी बनाम भारत सं घ (1978) वाद के नणय उपरांत इस अनु छे द के अं तगत वे सभी वतं ताएं आ जाती ह जो के जीवन
के लए अ नवाय और अनु छे द-19 म स म लत नह है। मेनका गांधी वाद 1978 म उ चतम यायालय ने अनु छे द 21 के भाग के पम
न न ल खत अ धकार क घोषणा क :-
नजता का अ धकार
वा य का अ धकार
14 वष से कम उ के ब च को न:शु क श ा का अ धकार
दे र ी से फां सी के व अ धकार
सू चना का अ धकार
त ा का अ धकार
व छ पयावरण का अ धकार
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जीवन र ा का अ धकार
iii. गर तारी से 24 घंटे के भीतर (या ा समय को छोड़कर) नकटतम म ज े ट के सम पेश कए जाने का अ धकार।
नवारक नजरबंद :-
यह एक नवारणा मक कायवाही है जो कसी को अपराध करने से रोकती है। इसके तहत को सामा य या यक या से
हटकर सं देह के आधार पर गर तार कर नजरबंद कर दया जाता है।
iii. तीन माह से अ धक समय क नजरबंद उस थ त म क जा सकती है, जब उ च यायालय के एक यायाधीश स हत ग ठत सलाहकार
बोड से अनुम त मल चुक हो।
" रासु का " के नाम से स यह अ ध नयम 1980 म अ यादे श के प म लाया गया जसे 1981 म कानून का दजा ा त
आ और जून 1984 म इसम सं शोधन कर और अ धक कठोर बना दया गया।
इसका उ े य दे श क एकता, अखंडता और सं भुता को खतरा पैदा करने वाले या सा दा यक या जा तय दं ग को े रत करने वाले य
को नजरबंद करना है।
ावधान :-
(i) इस अ ध नयम के तहत नजरबंद कए गए क नजरबंद के आदे श क अव ध ख म होने या नजरबंद आदे श र होने या नजरबंद
आदे श वापस लए जाने पर नया नजरबंद आदे श जारी कर पुन: नजरबंद कया जा सकता है।
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(ii) नजरबंद के हर कारण पर अदालत को अलग-अलग वचार करके फैसला करना होगा।
गर तारी कसक ? :-
यह अ ध नयम सरकार को उस (नाग रक / अनाग रक / वदे शी ) को गर तार करने क श दान करता है जससे यह लगे क :-
यह कानून मूलत: 1967 म बनाया गया जसे 2004 म पोटा ए ट-2002 कानून को समा त कर अ यादे श के प म लागू कया
गया। इसे 31 दसं बर 2008 को रा प त के अनुम ोदन के उपरांत कानूनी कानूनी दजा ा त आ।
(i) दास था
(ii) बेगार
(v) बंधआ
ु मज री
सं वधान म अ पृ यता के बाद द डनीय माने जाने वाला यह सरा काय है। उपयु अपराध के लए सं सद को कानून बनाने क
श दान क गई है और इस श का योग करते ए सं सद ने न न कानून बनाए है :-
(i) बंधआ
ु मज री णाली उ मूलन अ ध नयम-1976
इस अनु छे द के तहत 14 वष से कम आयु के बालक को कारखान , खान या जो खम यु काय म नयोजन को नषे ध कया
गया है। इसके तहत बालक म ( तषे ध एवं व नयमन ) अ ध नयम-1986 बना आ है। इस अ ध नयम के अनुसार खतरनाक काय क सू ची
म शा मल 13 वसाय म से कसी भी वसाय म 14 वष से कम आयु के बालक का नयोजन अपराध है। इस अपराध के लए 3 माह से 1
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वष तक का कारावास और 10000 से 20000 पये तक का जुम ाना या दोन कार का दं ड दया जा सकता है।
अं त:करण क वतं ता एवं कसी भी धम को मानने, आचरण करने और उसका चार करने क वतं ता।
2. अनु छे द 26 :-
3. अनु छे द 27 :-
धा मक काय के अ भवृ म कर से मु ।
इसके तहत धा मक काय म दान करने पर उ धनरा श को सभी कार के कर से मु रखा जाएगा।
4. अनु छे द 28 :-
राजक य श ण सं था म धा मक श ा पर तबंध।
E. श ा एवं सं कृ त संबध
ं ी अ धकार ( अनु छे द 29 व 30 ) :-
1. अनु छे द 29 :-
अ पसं यक वग के हत का संर ण।
(i) इसके तहत ये क नाग रक को अपनी वशे ष भाषा, ल प एवं सं कृ त को बनाए रखने का अ धकार है।
2. अनु छे द 30 :-
F. अनु छे द 32:-
संवध
ै ा नक उपचार का अ धकार।
इस अनु छे द के तहत उ चतम यायालय को मूल अ धकार का सं र क घो षत कया गया है।
इस अनु छे द के अनुसार य द कसी के मूल अ धकार का हनन होता है तो वह या कोई सं था इनके उपचार के लए उ चतम
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यायालय एवं उ च यायालय म से कसी भी यायालय म शरण ले सकता है।
अनु छे द 32 के तहत उ चतम यायालय को और अनु छे द 226 के तहत उ च यायालय को मूल अ धकार क र ा हेतु न न पांच तरह के
ले ख जारी करने क श दान क गई है :-
1. बंद य ीकरण
2. परमादे श
3. तषे ध
4.उ े षण ले ख
5. अ धकार पृ छा
उनके श द म, " य द कोई मुझसे यह पूछे क सं वधान का वह कौन-सा अनु छे द है जसके बना सं वधान शू य ाय: हो जाएगा तो म अनु छे द
32 क ओर सं केत क ँ गा। यह अनु छे द तो सं वधान का दय और आ मा है।
यह ले ख उस या उसक ओर से कसी भी क तु त ाथना पर जारी कया जाता है जसे लगता हो क उसे अवैध प से बंद
बनाया गया है। इस ले ख के ारा यायालय सं बं धत अ धका रय को यह आदे श दे ता है क बंद बनाए गए को न त समय एवं थान पर
यायालय म द तावेज स हत तु त कया जाए ता क उसक गर तारी क वैधता और अवैधता को जांचा जा सके। य द यायालय जांच म यह
पाए क को अवैध प से गर तार कया गया है तो उसे त काल मु करने का आदे श दे ता है।
2. परमादे श ( Mandamus ) :-
शा दक अथ है :- हम आदे श दे ते ह।
इस ले ख के तहत उस पदा धकारी को कत का पालन करने का आदे श दया जाता है जो अपने कत का समु चत पालन नह कर रहा है।
3. तषेध ( Prohibition ) :-
शा दक अथ है :- मना करना।
यह ले ख उ चतम यायालय एवं उ च यायालय ारा अपने अधीन थ यायलय एवं अ - या यक अ धकरण के व तब जारी कया जाता
है, जब अधीन थ यायालय म कोई कायवाही चल रही है अथात अधीन थ यायालय को कायवाही रोकने हेतु यह ले ख जारी कया जाता है।
शा दक अथ है :- पूणतया सू चत क जए।
तषे ध और उ े षण ले ख तभी जारी कया जाता है जब उ च म यायालय या उ च यायालय को यह लगे क या यक कायवाही अधीन थ
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यायालय के अ धकार े से बाहर है और ाकृ तक याय के स ांत क पालना नह हो रही है।
i. तषे ध ले ख लं बत मामले क कारवाही के दौरान जारी कया जाता है जब क उ े षण ले ख कारवाही क समा त पर नणय को र
करने हेतु जारी कया जाता है।
ii. दोन ही ले ख कायपा लका, वधा यका एवं शास नक अ धका रय के व जारी नह कया जा सकता है।
इस ले ख के लए कोई भी यायालय म आवेदन कर सकता है। उसका उस पद से हतब पद होना या उस पद का दावेदार होना
आव यक नह है।
3. मूल अ धकार के ारा अनुसू चत जा त, अनुसू चत जनजा त एवं अ य पछड़ा वग के हत को वशे ष प से सं र ण दान कया
गया है।
मूल अ धकार के वप म तक :-
2. आपातकाल के साथ-साथ शां तकाल म भी मूल अ धकार का थगन शासन क तानाशाही वृ को दशाता है।
4. ावहा रक से मूल अ धकार पर तबंध राजनी तक वरो धय के वर को दबाने के लए कया जाता रहा है।
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5. मूल अ धकार के तहत अनुसू चत जा त, अनुसू चत जनजा त एवं अ य पछड़ा वग के लए वशे ष आर ण क व था का योग वोट
बक क राजनी त के लए हो रहा है।
नी त नदशक त व :-
नी त नदशक त व से संबं धत मह वपूण त य :-
डॉ राज साद के अनुसार, "रा य नी त नदशक त व का उ े य जनता के क याण को ो सा हत करने वाली सामा जक व था का नमाण
करना है।"
A. आ थक सु र ा से सं बं धत नी त नदशक त व
B. सामा जक सु र ा से सं बं धत नी त नदशक त व
A. आ थक सुर ा संबध
ं ी नदशक त व :-
1. अनु छे द 38 के तहत :-
(i) लोक क याण क अ भवृ हेतु रा य ऐसी सामा जक व था क थापना का यास करेगा जससे ये क को सामा जक, आ थक
एवं राजनी तक याय क ा त सु न त हो सके।
2. अनु छे द 39 के तहत :-
(ii) रा य दे श के भौ तक सं साधन के वा म व एवं वतरण क ऐसी व था करेगा जससे सभी को सावज नक हत हो।
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(iii) रा य ऐसी व था करेगा क सं प एवं उ पादन के साधन का क करण न हो।
(v) मक और बालक को ऐसा रोजगार न करना पड़े जो उनके वा य, श एवं आयु के अनुकूल न हो।
3. अनु छे द 41 के तहत :-
4. अनु छे द 42 के तहत :-
5. अनु छे द 43 के तहत :-
i. रा य ऐसी व था कर जससे मक को यथो चत वेतन मले , उनका जीवन तर ऊंचा उठ सके एवं अवकाश के समय का उ चत
उपयोग हो।
7. अनु छे द 48 के तहत :-
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5. अनु छे द 47 के तहत रा य लोग का जीवन तर एवं वा य सु धारने का यास करेगा।
3. अनु छे द 50 के तहत रा य यायपा लका को कायपा लका से पृथक करने का यास करेगा।
थम सं वधान सं शोधन अ ध नयम 1951 ारा भू म सु धार के तहत भू म जोतने वाले का अ धकार लागू कर उसे सं वधान क
अनुसूची 9 म डालने का मह वपूण काय कया गया जसम कसान को उनक जोत भू म पर अ धकार ा त आ।
अनु छे द 40 म ाम पंचायत के गठन, उनको अ धकार, श एवं वाय ता दान करने के स दभ म 2 अ टू बर 1959 को पंचायती
राज क थापना क गई। त प ात 1993 म 73व सं वधान सं शोधन अ ध नयम-1992 ारा पंचायती राज को सं वैधा नक दजा दान कया
गया और 74व सं वधान सं शोधन अ ध नयम-1992 ारा शहरी े म थानीय वशासन को सं वैधा नक दजा दान कया गया।
अनु छे द 45 के तहत 86व सं वधान सं शोधन अ ध नयम 2002 ारा 6 से 14 आयु वग के ब च के लए अ नवाय एवं न:शु क श ा का
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अ धकार सं वधान के अनु छे द 21(क) म जोड़ा गया। त प ात श ा का अ धकार अ ध नयम 2009 जो क 1 अ ैल 2010 से लागू आ, के
ारा ब च को श ा का अ धकार दान कया गया। इस ल य क ा त म के लए सव श ा अ भयान, मड डे मील योजना, रा ीय मा य मक
श ा अ भयान और वतमान म SMSA जैसे काय म सं चा लत कए जा रहे ह।
4. कमजोर वग का क याण :-
III. अनुसू चत जा त एवं अनुसू चत जनजा त आयोग को सं वैधा नक दजा दान कया गया।
5. या यक व था म सुधार :-
6. सामा जक सुर ा :-
(ii) अनु छे द 41 क अनुपालना म वृ ाव था पशन योजना, वकलां ग पशन योजना जैसी अनेक योजनाएं सं चा लत है।
(iii) अनु छे द 47 क अनुपालना म व भ वा य बीमा योजनाएं सं चा लत है। मादक और नशीले पदाथ पर यु यु तबंध लगाए
गए है।
अनु छे द 39 क अनुपालना म ी पु ष को समान काय के लए समान वेतन दे ने का ावधान कया गया है।
8. य को सू त सहायता उपबंध :-
9. पंचवष य योजनाएं :-
अनु छे द 48 क अनुपालना म दे श म अब तक 12 पंचवष य योजनाएं लागू क जा चुक है। इन पंचवष य योजना ारा कृ ष, सचाई,
पशु न ल सु धार, ऊजा, उ ोग, श ा, वै ा नक अनुसंधान आ द अनेक े म अभूतपूव ग त हा सल ई है।
5 नकारा मक कृ त सकारा मक कृ त
6 य से स बं धत रा य से स बं धत
10 ये वतः लागू होते है। इ ह लागू करने के लए कानून क आव यता होती है।
11 ये वाद है ये समाजवाद है
1967 म गोलकनाथ वाद म भी सव च यायालय ने मूल अ धकार को सव च एवं असं शोधनीय बताया जस पर सं सद ने 25वां सं वधान
सं शोधन अ ध नयम 1971 पा रत कर सं वधान म अनु छे द 31(ग) जोड़कर यह ावधान कया गया क नी त नदशक त व के या वयन म
रा य ारा बनाई गई व ध से अनु छे द 14 व 19 के मूल अ धकार का अ त मण होता है तो इसे यायालय म चुनौती नह द जा सकती।
अथात सं सद ने नी त नदे शक त व को मूल अ धकार पर वरीयता दान कर द ।
केशवानंद भारती वाद 1973 म सव च यायालय ने अनु छे द 31(ग) को वैध माना परंतु मूल अ धकार को सं वधान का मूल ढांचा घो षत कर
इनम आधारभूत प रवतन को नकार दया।
42व सं वधान सं शोधन अ ध नयम-1976 ारा सं सद ने अनु छे द 31(ग) म सं शोधन कर नी त नदे शक त व को मूल अ धकार पर
ाथ मकता दान क ।
बाद म मनवा म स वाद 1980 म सव च यायालय ने अनु छे द 31(ग) के सं शोधन को अवैध घो षत कर यह व था द क सं सद सं वधान
के मूल ढांचे म प रवतन नह कर सकती और नी त नदे शक त व को मूल अ धकार पर वरीयता नह दान क जा सकती। साथ ही सं सद ने
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44व सं वधान सं शोधन अ ध नयम-1978 ारा अनु छे द 31 को पूणतया सं वधान से हटा दया गया।
वतमान म अनु छे द 39(ब) व 39(स) के दो नी त नदे शक त व ही मूल अ धकार पर वरीयता ा त है जब क शे ष मूल अ धकार के
अधीन थ है।
1980 मनवा वाद म कोट ने कहा क मूल अ धकार एवं नी त नदे शक त व एक सरे के वरोधी न होकर पर पर पूरक है य क नी त नदशक
त व वे ल य ह ज ह हम ा त करना है और मूल अ धकार वे साधन है जनके मा यम से नी त नदशक त व के ल य को ा त कया जा
सकता है। अतः एक को सरे पर पूणत: वरीयता नह द जा सकती। अतः भाग-3 और भाग-4 के म य सामंज य और सं तुलन सं वधान का मूल
ढांचा है।
मूल कत :-
भारत के मूल सं वधान म मूल कत का समावेश नह था। समसाम यक प र थ तय म सं सद को यह अनुभव आ क मूल
अ धकार एवं मूल कत एक सरे के पूरक ह य क एक का अ धकार सरे का कत बन जाता है। अतः सं वधान म मूल
कत का समावेश कया जाना चा हए। सं सद को मूल कत को सं वधान म शा मल करने क ेरणा सो वयत सं घ ( स) के सं वधान से
मली। इसके लए 1976 म त कालीन र ा मं ी सरदार वण सह क अ य ता म एक 12 सद यीय कमेट का गठन कया गया जसे वण
सह स म त के नाम से जाना जाता है जसने सं वधान म 8 मूल कत जोड़ने क सफा रश क । त कालीन सरकार ने स म त ारा सु झाए गए
8 मूल कत म से तीन को नकार कर 42व सं वधान सं शोधन अ ध नयम-1976 ारा कुल 10 मूल कत सं वधान के भाग-4 (क) एवं
अनु छे द 51(क) के प म शा मल कए गए।
86व सं वधान सं शोधन अ ध नयम 2002 ारा अनु छे द 51(क) म 11वां मूल कत को जोड़ा गया क माता- पता या सं र क का यह कत
होगा क वह 6 से 14 वष के अपने ब च को श ा का अवसर दान कर।
मूल कत इस कार है :-
2. वतं ता के लए हमारे रा ीय आंदोलन को े रत करने वाले उ च आदश को दय म सं जोकर रखे एवं उनका पालन करे।
4. भारत के सभी लोग म समरसता और सामान भातृ व क भावना का नमाण करे जो धम, भाषा, दे श या वग पर आधा रत भेदभाव से परे हो,
ऐसी था का याग करे जो य के स मान के व हो।
6. ाकृ तक पयावरण क जसके अं तगत वन, झील, नद व व य जीव है, क र ा करे और उसका सं वधन करे तथा ाणी मा के त दया भाव
रखे।
10. गत और सामू हक ग त व धय के सभी े म उ कष क ओर बढ़ने का सतत यास करे जससे रा नरंतर बढ़ते ए ग त और
उ कष क नई ऊंचाइय को छू ले ।
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11. माता- पता या सं र क का कत होगा क वे 6 से 14 वष के ब च को श ा के लए अवसर दान करे।
मूल कत क आलोचना :-
मूल कत क आलोचना न न दो कार से क जा सकती है :-
1. मूल कत के उ लं घन पर सं वधान म दं ड क व था नह क गई है जसके कारण इनक पालना भली-भां त कार से नह हो पा रही है।
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ऐसी शासन णाली जसम क और इकाइय के म य सं वधान के ारा श य का प वभाजन कया गया है और दोन ही
सरकार अपने-अपने े म वतं हो, सं घ ा मक शासन णाली कहलाती है। जैसे भारत, अमे रका, कनाडा, वजरलड, ाजील आ द दे श क
शासन व था।
ऐसी शासन णाली जसम शासन क सं पूण श सं वधान ारा एक क य सरकार म सक त होती है, एका मक शासन णाली
कहलाती है। जैसे टे न, इटली, जापान, बे जयम आ द दे श क शासन व था।
2. जब एक बड़ी राजनी तक ईकाई को कायकुशलता क से अलग-अलग इकाइय म वभा जत कर दया जाए। जैसे भारतीय सं घ।
भारत म सं वधान ारा सं घ ीय शासन क थापना क गई है। य प भारतीय सं वधान म कह भी सं घवाद /सं घ ीय श द का उ ले ख
नह कया गया है। सं वधान म सं घवाद के थान पर "रा य का सं घ" श द का योग कया गया है।
भारत म सं वधान लागू करते समय एक क य और 14 ांत क स ा था पत कर सं घ ीय ढांचे को मूत प दान कया गया। वतमान
म भारतीय सं घ म 29 रा य एवं 7 क शा सत दे श ह।
2. श य का प वभाजन।
2. सदनीय क य व था पका
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भारतीय संघीय व था के मुख त व/ वशेषताएं /ल ण :-
भारत क सं घ ीय व था एक सु प सं घ ीय व था का उदाहरण नह है य क हमारी सं घ ीय व था म कुछ एका मक व था
के भी ल ण व मान है। भारतीय सं घ ीय व था के मुख त व इस कार है :-
1. शासन श य का प वभाजन :-
रा य सू ची 66 रा य सरकार को
सातव अनुसूची म व णत वषय पर सं घ एवं रा य वधान मंडल को कानून बनाने का अ धकार अनु छे द 246 म दया गया है।
अनु छे द 248 म व णत अव श वषय पर कानून बनाने का अ धकार सं सद या सं घ को दान कया गया है। ात रहे क सातव अनुसूची म से
कसी भी सू ची म नह उ ले खत वषय अव श वषय है अथात सातव अनुसूची म अव श सू ची व णत नह है।
2. सं वधान क सव चता :-
टे न म सं सद को और अमे रका म उ चतम यायालय को सव च माना गया है। इन दोन के वप रत भारत म सं वधान को
सव चता दान क गई है य क सं वधान से ही शासन के तीन अं ग एवं रा य सरकार को श यां ा त होती है। कसी भी सं था या सरकार
ारा सं वधान का उ लं घन नह कया जा सकता है।
भारत का सं वधान व भ ांत के त न धय से ग ठत सं वधान सभा ारा बनाया गया एक ल खत सं वधान है। साथ ही सं घ
एवं रा य दोन को भा वत करने वाले वषय म सं शोधन करने क या अ यं त कठोर होने के कारण भारतीय सं वधान को कठोर सं वधान
माना जाता है।
भारत म सं वधान ारा वतं यायपा लका क थापना क गई जसके कारण यायाधीश क नयु , पदो त, वेतन-भ ,े
थानांतरण आ द पर सं सद एवं सं घ ीय सरकार का कोई ह त प
े नह है। इस कारण क एवं रा य के म य ववाद का समाधान यायपा लका
ारा सं वधान के ावधान के अनुसार न प प से कया जा रहा है।
1.एक सं वधान :-
2. श य का वभाजन क के प म :-
सं वधान ारा क सरकार को अ धक मह वपूण और अ धक वषय पर कानून बनाने का अ धकार दया गया। ात रहे क सं घ सू ची म
97 और रा य सू ची म 66 वषय है। इसी कार समवत सू ची म दोन ही सरकार को कानून बनाने का अ धकार है परंतु ववाद क थ त म
क का कानून भावी होता है। साथ ही अव श वषय पर कानून बनाने का अ धकार भी क सरकार को ही है। अनु छे द 249 के तहत
रा यसभा कसी भी मह व वाले रा य सू ची के वषय पर कानून बनाने का अ धकार क सरकार को दे सकती है। प है क सं वधान ारा
श य का वभाजन क के प म कया गया है।
सं घ ीय व था वाले दे श म दोहरी नाग रकता का ावधान होता है जसम एक नाग रकता सं घ क और सरी नाग रकता रा य क
होती है। जैसे अमे रका और वट् जरलड जैसे दे श म। परंतु भारतीय सं वधान नमाता ने भारत क एकता को बनाए रखने के लए सभी के
लए एक ही नाग रकता का ावधान कया गया जो क एक एका मक ल ण है।
4. एक कृत याय व था :-
भारत म अमे रका एवं ऑ े लया के वत रत एक कृत याय क व था क थापना क गई है जसम सव च यायालय याय
व था के शखर पर है। सभी उ च यायालय एवं अधीन थ यायलय इसके अधीन है। सव च यायालय का आदे श सभी अधीन थ यायालय
पर बा यकारी होता है। साथ ही उ च यायालय का नमाण एवं गठन क य स ा ारा ही कया जाता है जो क एक एका मक ल ण है।
सं वधान सं शोधन वधेयक केवल सं सद म ही तु त कया जा सकता है। इस सं बंध म रा य को कोई अ धकार ा त नह है। साथ
ही अकेली सं घ ीय सं सद सं वधान के अ धकांश भाग म साधारण ब मत से सं शोधन कर सकती है। कुछ मह वपूण उपबंध को सं सद अपने दो
तहाई ब मत से सं शो धत कर सकती है और ब त कम वषय पर सं वधान सं शोधन म रा य के वधानमंडल क वीकृ त क आव यकता
रहती है। अतः सं वधान सं शोधन म सं घ सरकार को अ य धक श यां ा त है।
भारतीय सं वधान के अनु छे द-3 के तहत सं सद को यह अ धकार है क वह कसी भी रा य क सीमा म उसक सहम त लए
बगैर प रवतन कर सकती है अथात सं सद दो या अ धक रा य को मलाकर नवीन रा य बना सकती है, एक रा य से दो या अ धक रा य का
नमाण कर सकती है, दो या अ धक रा य के े से अ य नए रा य का नमाण कर सकती ह तथा कसी भी रा य के नाम म प रवतन कर
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सकती है। इसके लए सं बं धत रा य या रा य क सहम त आव यकता नह है। इस लए भारत को वनाशी रा य का अ वनाशी सं घ कहा जाता
है।
7. आपातकालीन उपबंध :-
भा रतीय सं वधान म व णत आपातकालीन उपबंध ( अनु छे द 352 से 360 ) शासन के एका मक ल ण को द शत करते है।
आपातकाल के दौरान क ांतीय सरकार नलं बत हो जाती है और सं पूण दे श म एक ही सरकार का शासन था पत हो जाता है, साथ ही रा य
वषय पर कानून बनाने का अ धकार क सरकार को मल जाता है।
8. रा य म रा यपाल क नयु :-
9. रा यसभा म रा य को असमान त न ध व :-
(v) व भ रा ीय आयोग
भारत म लोक से वा का वभाजन नह कया गया है। अ खल भारतीय से वा का नयोजन सं घ ारा कया जाकर उनक
नयु रा य सरकार के अधीन क जाती है। रा यसे वा के अधीन रहते ए भी अ खल से वा के लोक से वक को पद से हटाने क कारवाई केवल
क सरकार ही कर सकती है। इस कार रा य को लोक से वा के नयोजन एवं लोक से वक हटाने का अ धकार ा त नह है।
भारतीय सं वधान रा य के वेश क बात तो क गई है परंतु रा य के सं घ से पृथक होने क कोई बात नह क गई है। 16व
सं वधान सं शोधन अ ध नयम-1963 ारा प कया गया है क रा य को सं घ से पृथक होने का अ धकार नह है।
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भारतीय सं घ ीय व था के 1950 से 1967 तक के समय को "क य सं घवाद का यु ग" कहा जाता है। 1950 से 1964 तक का
काल "नेह यु ग" कहलाता है जसम क और रा य के म य मधुर सं बंध बने रहे और उ मतभेद उभर कर सामने नह आए। इसके न न
कारण थे :-
चौथे आम चुनाव 1967 के बाद कां ेस के वभाजन और अ धकांश रा य म गैर कां ेसी सरकार क थापना होने से क और
रा य के पार प रक सं बंध म काफ उ ता आई। फर भी क और रा य म सहयोग बना रहा य क दोन ही सरकार एक सरे पर नभर थी।
एक ओर क क अ पमत सरकार अपने अ त व के लए अ य दल पर नभर थी, वह सरी ओर रा य क गैर कां ेसी सरकार व ीय
सहायता एवं अ य वाय ता के लए क पर नभर थी। भारतीय सं घवाद क इस वृ को ेन वले ऑ टन ने सहयोगी सं घवाद का कहा है।
1971 के लोकसभा चुनाव और 1972 के रा य वधानसभा के चुनाव त प ात 1980 के लोकसभा चुनाव म कां ेस को
फर से भारी ब मत मला और इं दरा गांधी सवमा य नेता के प म उभरी। इससे श सं तुलन फर से क क ओर झुका और इस काल म
जस तरह से सं वधान सं शोधन ए और आपातकाल क घोषणा ई उससे भारत एका मक शासन पर क वृ त उभर कर सामने आई।
छठे आम चुनाव के प रणाम से भारतीय राजनी त म आमूलचूल प रवतन आया। क म जनता पाट क सरकार और रा य म
व भ दल क सरकार क थापना ई। ऐसा ही 1990 के चुनाव के बाद आ। गठबंधन सरकार के यु ग म बल सरकार क थापना ई
जससे क के साथ रा य क सरकार ने सौदे बाजी करने का य न कया। भारतीय सं घवाद के इस दौर को मॉ रस जॉ स म सौदे बाजी वाला
सं घवाद माना।
5. अ -संघीय व था :-
भारतीय सं घवाद म सं घ ा मक ल ण के साथ-साथ एका मक ल ण भी द शत होते है। इस कारण के.सी. हीयर ने भारतीय
सं घवाद को अ -सं घ ीय कहा है।
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संसद :-
लोकतां क शासन व था म शासन के तीन अं ग होते ह :-
भारत सं सद
टे न पा लयामट
जापान डायट
अफगा न तान सू र ा
ईराक मज लस
नेपाल रा ीय पंचायत
स म
ू ा
भारत म सं सद य शासन के सा य ाचीन काल म भी व मान थे। ाचीन काल म सभा और स म त नामक सं था का
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उ ले ख मलता है जो मशः वतमान क रा यसभा एवं लोकसभा के समक थी। म यकाल म सभा और स म त जैसी सं थाएं गायब हो गई थी
जसका कारण आठव सद से ले कर 18व सद तक वदे शी आ मण और अन गनत यु रहे है। टश औप नवे शक काल म आधु नक
सं सद य परंपरा क शु आत ई।
1861 के भारत प रषद अ ध नयम को भारतीय वधानमंडल का मुख घोषणा प कहा गया।
1892 के भारत प रषद अ ध नयम ारा गवनर जनरल क वधान प रषद म नधा रत 16 सद य म से चार सद य को अ य
नवाचन ारा चुना गया और उ ह पूछने व बजट पर चचा करने का अ धकार दया गया।
भारत शासन अ ध नयम 1919 ारा क य तर पर सदनीय वधानमंडल रा य प रषद एवं वधान सभा का नमाण कर पहली बार
य नवाचन क व था क गई।
भारत शासन अ ध नयम 1935 ारा भारत म पहली बार सं घ ीय व था लागू कर क म ै ध शासन क थापना क गई। क य
वधान मंडल म सद य सं या और अ धकार म भी वृ क गई।
संसद का गठन :-
भारतीय सं वधान के अनु छे द 79 के अनुसार सं सद का गठन लोकसभा, रा यसभा और रा प त से मलकर होगा। इस कार प
है क लोकसभा, रा यसभा और रा प त तीन का सामू हक नाम सं सद है।
संसद सद य क नय यताएं :-
संसद सद य क शपथ :-
सं वधान के अनु छे द 99 म सं सद सद य के बारे म लखा गया है। सं सद सद य को सांसद या M.P. कहकर सं बो धत कया जाता
है। सं सद का सद य चय नत होने पर कोई तभी सं सद के कसी सदन म बैठने का अ धकारी होता है, जब :-
Note :- नव- नवा चत लोकसभा के सद य रा प त ारा नयु ोटे म पीकर के सम शपथ ले ते है।
संसद के स :-
सं सद के तीन स ह गे :-
स स का समय
बजट स फरवरी से मई
मानसू न स जुलाई से सत बर
शीतकालीन स नव बर से दस बर
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ये क सदन म पीठासीन अ धकारी (अ य /सभाप त ) स हत सदन क कुल सं या का दसवां भाग गणपू त या कोरम होता है। लोकसभा
का कोरम 55 और रा यसभा का कोरम 25 है।
संसद म भाषा :-
सं वधान के अनुसार सं सद म काय सं चालन क भाषा हद व अं ेजी है। य द पीठासीन अ धकारी को यह लगे क कोई सद य हद
या अं ेजी म अपनी बात नह कर पा रहा है तो उसे उसक मातृ भाषा म बोलने क आ ा दे सकता है।
रा य सभा
रा यसभा का गठन :-
अनु छे द 80 के तहत रा यसभा म अ धकतम सद य सं या 250 हो सकती ह जसके अनुसार रा य सभा क सं रचना इस कार
है :-
अ धकतम सद य सं या 250
रा य का तनधव 229
सं घ शा सत दे श का तनधव 9
रा प त ारा मनोनीत सद य 12
वतमान म रा यसभा क थ त :-
वा त वक सद य सं या 245
रा य का तनधव 229
सं घ शा सत दे श का तनधव 4
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रा प त ारा मनोनीत सद य 12
रा यसभा के सद य का नवाचन :-
रा यसभा सद य का नवाचन आनुपा तक तनधवप त क एकल सं मणीय मत णाली ारा होता है।
रा यसभा का कायकाल :-
इसके एक- तहाई सद य ये क सरे वष क समा त पर अवकाश हण कर ले ते है और उतने ही नए सद य नवा चत हो जाते है।
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रा यसभा के पदा धकारी :-
सं वधान के अनु छे द 64 और 89 के अनुसार भारत का उपरा प त रा यसभा का पदे न सभाप त होगा अथात सभाप त रा यसभा का
सद य नह होता है।
रा यसभा का उपसभाप त भी होगा जसका नवाचन रा यसभा के सद य अपने म से कसी एक का करते है।
रा यसभा रा य को त न ध व दान करने वाली सं था है। इस लए इसके होने से लोकसभा म ब मत ा त क सरकार अपनी
मनमानी नह कर सकती।
सं सद के दो सदन होने से रा यसभा को पुनरी णकारी सदन होने का दजा ा त है जो लोकसभा ारा पा रत वधेयक का पुनः बारीक
से अ ययन करती है।
इसम समाज के व भ े यथा : सा ह य, कला, व ान व समाज से वा के तभाशाली / वशे ष लोग को सद य बनाया जाता है।
रा यसभा क आलोचना :-
रा प त ारा मनोनीत सद य वशे ष होने से यादा क सरकार के इशार पर काम करने वाले होते है।
रा यसभा सरकार को उसक नी तय और जनता से कए गए वादे के अनुसार वधेयक बनाने से रोकती है।
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लोकसभा
लोकसभा का गठन :-
भारतीय सं वधान के अनु छे द 81 म लोकसभा के गठन का ावधान कया गया है जसके अनुसार लोकसभा क सं रचना इस
कार ह :-
अ धकतम सद य सं या 552
रा य का तनधव 530
सं घ शा सत दे श का तनधव 20
रा प त ारा मनोनीत सद य 2
वतमान म लोकसभा क थ त :-
वा त वक सद य सं या 545
रा य का तनधव 530
सं घ शा सत दे श का तनधव 13
रा प त ारा मनोनीत सद य 2
ारंभ म लोकसभा के सद य क सं या 500 थी जो 1956 म 520 व बाद म 525 और 31व सं वधान सं शोधन अ ध नयम 1974
ारा अ धकतम 552 कर द गई।
अनु छे द 82 म प रसीमन आयोग के गठन का ावधान है जो ये क जनगणना के उपरांत लोकसभा क सीट का आवंटन नधारण
करता है।
84व सं वधान सं शोधन अ ध नयम 2001 ारा लोकसभा क अ धकतम सद य सं या 2026 तक यथावत रखने का नणय लया
गया अथात् 2026 तक लोकसभा क अ धकतम सद य सं या 552 ही रहेगी।
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राज थान से लोकसभा के 25 सद य चुने जाते है।
लोकसभा सद य का नवाचन :-
भारत म लोकसभा के सद य का नवाचन य प से वय क मता धकार ारा होता है। अनु छे द 326 के अनुसार 18 वष या
अ धक आयु ा त वय क नाग रक जनका मतदाता सू ची म पंजीकरण हो चूका है, चुनाव आयोग ारा नधा रत त थ को नधा रत मतदान के
से मतदान कर सकता है। मतदान गु त मतदान णाली ारा होगा और मतगणना पर जस उ मीदवार को सवा धक मत ा त ह गे वह वजयी
घो षत कया जाएगा। रा यसभा के सद य क तरह लोकसभा के सद य के नवाचन म न त मत ा त करना आव यक नह है। वतमान म
लोकसभा म अनुसू चत अनुसू चत जा त के लए 84 थान और अनुसू चत जनजा त के लए 47 थान आर त कए गए है।
लोकसभा का कायकाल :-
वतमान म 16व लोकसभा कायरत ह जसका गठन मई 2014 म आ और मई 2019 म कायकाल समा त होना है।
परंपरा के अनुसार उपा य वप ी पाट का होता है परंतु यह कोई राजनी तक या सं वैधा नक बा यता नह है।
अ य एवं उपा य लोकसभा को लोकसभा के त कालीन सम त सद य के ब मत से हटाया जा सकता है, बेशत ऐसा ताव लाने
के 14 दन पूव दोन को इस आशय क सू चना दे द गई हो।
भारत क पहली लोकसभा का अ य गणेश वासु देव मावलं कर और उपा य अनंत शयनम अयं गर थे।
4. व ीय काय
5. या यक काय
A. व ध नमाण :-
व ध नमाण सं सद का सव मुख काय है। व ध नमाण म सं सद के तीन अं ग लोकसभा, रा यसभा व रा प त भाग ले ते है।
वधे यक :-
वधे यक के कार :-
जब वधेयक को मं प रषद के कसी सद य के अलावा अ य सद य ारा तु त कया जाता है तो उसे गैर-सरकारी वधेयक
कहते है। इस वधेयक के पा रत हो जाने पर यह तु त करने वाले सद य के नाम से जाना जाता है। जैसे - शारदा ए ट।
(2) धन वधेयक
(3) व वधेयक
थम वाचन :-
कसी सदन म सरकारी वधेयक को तु त करने के लए 7 दन पूव सू चना दे नी होती है जब क गैर-सरकारी वधेयक को तु त करने
के लए एक माह पूव सू चना दे नी पड़ती है।
नधा रत त थ पर वधेयक तु तकता अ य से वधेयक तु त करने क अनुम त ले ता है। सामा यत: अनुम त दे द जाती है।
इस कार वधेयक को तु त करने क अनुम त मलने और भारत के राजप म काशन को थम वाचन माना जाता है।
कभी-कभी सदन का अ य कसी वधेयक को सदन म तु त करने क आ ा दे ने से पूव ही भारत के राजप म काशन क अनुम त
दे दे तो इससे भी थम वाचन पूर ा आ मान लया जाता है।
तीय वाचन :-
सदन म वधेयक पेश होने के प ात उसक तयां सदन के सद य को बांटने के साथ तीय वचन शु हो जाता है।
थम वाचन एवं तीय वाचन म ायः दो दन का अं तर होता है परंतु य द अ य आव यक समझे तो उसी दन वधेयक के सरे
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वाचन क आ ा दे सकता है।
य द सदन म ग तरोध हो तो वधेयक वर स म त या सं यु वर स म त को भेज दया जाता है जो 3 माह के भीतर सं शोधन स हत सदन म
वधेयक पुन: तु त करती है तब सदन सं शोधन पर चचा कर मतदान करा ले ता है।
तृतीय वाचन :-
इसम सं पूण वधेयक को वीकार या अ वीकार करने के लए मतदान करवाया जाता है।
य द सदन म उप थत और मतदान म भाग ले ने वाले सद य के साधारण ब मत से वधेयक को वीकार कर लया जाता है तो सदन
का अ य उसे मा णत कर सरे सदन को वचार करने के लए भेज दे ता है।
पहले सदन क तरह सरे सदन म भी वधेयक को तीन वाचन से गुजरना होता है। य द सरा सदन उप थत एवं मतदान करने
वाले सद य के साधारण ब मत से वधेयक पा रत कर दे तो उसे रा प त के पास ह ता र हेतु भेज दया जाता है।
अनु छे द 108 म सं सद के सं यु अ धवेशन का ावधान कया गया है। जब एक सदन कसी साधारण वधेयक या व वधेयक
को पा रत कर सरे सदन को भेज दे ता है तो न न ल खत प र थ तय म रा प त सं यु अ धवेशन बुला सकता है :-
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i. दहेज तषे ध वधेयक - 1961 म
वधे यक पर रा प त क वीकृ त :-
यह कसी भी वधेयक के अ ध नयम बनने का अं तम चरण है। जब दोन सदन से पा रत वधेयक रा प त क वीकृ त हेतु भेजा जाता है
तो अनु छे द 111 के तहत रा प त को न न चार श यां ा त है :-
परंतु जब रा प त वधेयक को सदन को पुन वचार के लए लौटा दे और दोन सदन रा प त क सलाह के अनुसार सं शोधन
कर या कोई सं शोधन नह कर ( मूल प ) म पुनः रा प त के पास भेज दे तो इस थ त म रा प त ह ता र करने के लए बा य होगा।
2. धन वधेयक पा रत करना :-
धन वधेयक को सं वधान के अनु छे द 110 म प रभा षत कया गया है तथा अनु छे द 109 म धन वधेयक क या का उ ले ख
कया गया है।
कोई वधेयक धन वधेयक है या नह , इसका फैसला लोकसभा अ य ारा ही कया जाता है।
रा यसभा केवल सं शोधन क सफा रश कर सकती है जसे वीकार या अ वीकार करना लोकसभा का अ धकार है।
3. व वधेयक पा रत करना :-
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व वधेयक दो कार के होते है :-
एक जसम अनु छे द 110 के ावधान के साथ अ य वषय का भी उ ले ख होता है। ऐसे व वधेयक को रा प त क पूव अनुम त
से ही केवल लोकसभा म तु त कया जा सकता है। परंतु यह वधेयक धन वधेयक से इस थ त म भ होता है क इसे रा यसभा
सं शो धत या अ वीकार कर सकती है और इसम सं यु अ धवेशन का भी ावधान है।
सरा जसम अनु छे द 110 के ावधान का समावेश नह है और न ही लोकसभा अ य इसे धन वधेयक के प म मा णत करता
है। ऐसे वधेयक साधारण वधेयक के समान माने जाते है।
उप थत एवं मतदान करने वाल के दो- तहाई वशे ष ब मत और आधे से अ धक रा य के अनुसमथन से सं शोधन
Note :- अनु छे द 368 म सं वधान सं शोधन क दो व धय का ही उ ले ख है :- दो- तहाई वशे ष ब मत तथा दो- तहाई वशे ष ब मत और आधे
से अ धक रा य के अनुसमथन ारा सं शोधन।
लोकतां क व था म कायपा लका अथात सरकार अं तम प से जनता के त उ रदायी होती है। भारत म सं सद य
शासन णाली है। अतः कायपा लका सामू हक प से सं सद (लोकसभा) के त उ रदायी होती है। भारत क सं सद कायपा लका को
न न ल खत तरीक से नयं त करने का काय करती है :-
अ व ास ताव ारा आ द।
अ व ास ताव व ास ताव
इसके ारा मं प रषद म अ व ास कट कया जाता इसके ारा यह बताया जाता है क मं प रषद के पास
है। ब मत है।
इसके पा रत होने पर मं प रषद को इ तीफा दे ना इसके पा रत होने पर मं प रषद यथावत बनी रहती ह।
पड़ता है।
यह ताव सरकार गराने के लए लाया जाता है। यह सरकार बचाने के लए लाया जाता है।
6. अ य काय :-
सं सद रा प त एवं उपरा प त का नवाचन करती है।
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1. संसदा मक शासन :-
जब कायपा लका अपने काय के लए व था पका के त उ रदायी हो तथा कायपा लका के सद य अ नवाय प से
व था पका के भी सद य हो तो ऐसी शासन णाली को सं सदा मक शासन कहते है।
इस शासन णाली म दोहरी कायपा लका पाई जाती है जसम रा का अ य और सरकार का अ य अलग-अलग होते है। जैसे :- भारत,
टे न, ऑ े लया, जापान, जमनी, इटली आ द दे श क शासन व था।
2. अ य ा मक शासन :-
इसम रा का अ य और सरकार का अ य एक ही होता है। जैसे :- अमे रका, ाजील, चीन आ द दे श क शासन णाली।
3. अ -अ य ा मक शासन :-
ऐसी शासन णाली जसम अ य ा मक और सं सदा मक दोन णा लय के गुण न हत हो, अ -अ य ा मक शासन कहलाता है।
इसम रा प त य प से जनता से नवा चत होता है और धानमं ी सं सद से लया जाता है। जैसे :- ांस, स, ीलं का आ द दे श क
शासन णाली।
भारत का रा प त :-
अनु छे द 52, "भारत का एक रा प त होगा।"
अनु छे द 53, "सं घ ीय कायपा लका क श रा प त म न हत होगी जसका योग वह वयं या अपने अधीन थ अ धका रय ारा
करेगा।"
कायपा लका का व प :-
2. वा त वक कायपा लका
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नाममा क कायपा लका :-
भारत म रा प त कायपा लका का औपचा रक एवं सं वैधा नक धान है। कायपा लका क सम त श यां रा प त म न हत होती है
परंतु रा प त इनका वा तव म योग नह करता है। इस लए रा प त को नाममा क कायपा लका कहा जाता है।
वा त वक कायपा लका :-
भारत म धानमं ी के नेतृ व म मं ीप रषद कायपा लका क श य का वा त वक योग करती है। अतः मं ीप रषद वा त वक
कायपा लका है।
रा प त का नवाचन :-
रा प त के नवाचन का ावधान अनु छे द 54 एवं 55 म कया गया है। अनु छे द 54 म रा प त के नवाचन के लए नवाचक
मंडल का ावधान कया गया है जसम न न सद य शा मल है :-
रा य / क शा सत दे श क वधानसभा के नवा चत सद य।
रा प त के नवाचन क या :-
84व सं वधान सं शोधन अ ध नयम 2001 ारा अनु छे द 55 म यह ावधान कया गया क 2026 तक रा प त का नवाचन 1971
क जनगणना को आधार मानकर कया जाएगा। रा प त के नवाचन म न न दो स ांत को अपनाया गया है
वधानसभा सद य का मत मू य =
संसद सद य का मत मू य =
रा प त पद के लए नवा चत होने के लए नधा रत मत ( यू नतम कोटा ) ा त करना आव यक है जो इस सू ारा ात कया जाता है:-
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यू नतम कोटा = +1
यू नतम कोटा = +1
य द रा प त पद के लए चार उ मीदवार चुनाव म जाते ह और उनम से कसी भी उ मीदवार को यू नतम कोटा ा त नह होता है तो
सबसे कम मत ा त करने वाले उ मीदवार को हटाकर उसके मत क सरी वरीयता के अनुसार उसके मत का ह तां तरण अ य उ मीदवार को
कर दया जाता है। ऐसा तब तक कया जाता है जब तक क कसी एक उ मीदवार को यू नतम कोटा न मल जाए।
रा प त पद से कायमु होने पर पशन एवं एक सरकारी आवास आजीवन ा त होगा और उसक मृ यु पर उसक प नी को आधी
पशन व सरकारी आवास आजीवन मले गा।
रा प त के व पदाव ध के दौरान न तो गर तारी वारंट जारी कया जा सकता है और न ही उसे गर तार कया जा सकता है।
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रा प त के आवास :-
व ीय श यां व ीय आपातकाल
या यक श यां
सै य श यां
राजनी तक श यां
सं घ क कायपा लका श रा प त म ही न हत होती है अथात रा प त कायपा लका का सं वैधा नक मुख होता है।
कायपा लका का मुख होने के नाते उसे व भ कार क नयु य का अ धकार ा त है :-
व भ रा ीय आयोग के अ य और सद य क नयु ।
2. वधायी श यां :-
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सं सद य व था म कायपा लका का सं वैधा नक मुख होने के साथ रा प त सं सद का अ भ अं ग है। सं सद के दोन सदन
से पा रत वधेयक पर इसे न न श यां ा त है :-
3. व ीय श यां :-
रा प त के अनुम त के बना धन वधेयक, व वधेयक एवं अनुदान मांगे लोकसभा म ता वत नह क जा सकती है।
4. या यक श यां :-
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वलं ब : मृ यु दंड को अ थायी प से नलं बत करना।
5. सै य श यां
6. राजन यक श यां :-
B. आपातकालीन श यां :-
रा प त को सं कटकालीन प र थ तय म न न श यां ा त है :-
1. रा ीय आपातकाल क घोषणा :-
आपातकाल 6 माह तक लागू रहेगा। 6 माह बाद लागू रखने के लए पुनः सं सद का अनुम ोदन आव यक है।
2. रा य म संवध
ै ा नक तं क वफलता :-
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रा प त क ऐसी घोषणा का सं सद ारा दो माह म अनुम ोदन मल जाना चा हए।
3. व ीय आपातकाल :-
अ धकतम अव ध अन त 3 वष अन त
य द धानमं ी का आक मक नधन हो जाए और स ाधारी पाट कसी को नया नेता नह चुन पाती है तो रा प त स ाधारी पाट के
कसी भी को धानमं ी नयु कर सकता है।
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य द मं प रषद ने लोकसभा म अपना व ास खो दया है परंतु यागप दे ने को तैयार नह हो तो रा प त व ववेक से मं ी प रषद को
बखा त कर सकता है।
धानमं ी
भारत म सं सद य शासन णाली है जसम शासन क श य का वा त वक योग धानमं ी क अ य ता वाली मं ीप रषद ारा
कया जाता है।
मं ीप रषद क संरचना :-
भारतीय सं वधान के अनु छे द 74 म यह बताया गया है क रा प त को सहायता एवं सलाह दे ने के लए एक मं प रषद होगी जसका
मु खया धानमं ी होगा। इस कार मं ीप रषद क रचना का थम कदम धानमं ी क नयु है।
धानमं ी क नयु :-
सं वधान के अनु छे द 75 के अनुसार रा प त धानमं ी क सलाह पर मं य क नयु करता है। धानमं ी अपने पद क शपथ
ले ने के बाद अ य मं य के नाम और वभाग क सू ची रा प त को दे ता है। रा प त उस सू ची को वीकृ त दान कर मं य को पद एवं
गोपनीयता क दो शपथ दलाता है। धानमं ी स हत सभी मं ी सं सद के कसी भी सदन से चुने जा सकते है। य द कोई धानमं ी या
मं ी चुने जाने के व सं सद का सद य नह है तो उसे 6 माह के अं दर सं सद क सद यता हा सल करना अ नवाय है।
मं य के कार :-
मं प रषद म तीन कार के मं ी होते है :-
1. कै बनेट मं ी :-
ये थम ण
े ी के मं ी होते ह जो अपने आवं टत वभाग के अ य होते है। ये मं मंडल /के बनेट क बैठक म भाग ले ते है।
2. रा य मं ी :-
ये सरी ण े ी के मं ी होते ह जो कै बनेट क बैठक म भाग नह ले ते है। कुछ रा य मं य को कसी वभाग का वतं भार भी दया
जाता है तो कुछ को कै बनेट मं ी के साथ सं ब कया जाता है।
3. उपमं ी :-
ये तीसरी ण े ी के मं ी होते ह जो कै बनेट और रा यमं ी क सहायता करते है। इ ह कसी वभाग का वतं भार नह दया जाता है
और न ही ये कै बनेट क बैठक म भाग ले ते है।
संसद य स चव :-
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इनक नयु धानमं ी करता है। इनका काय वभाग के मं य क सं सद म सहायता करना है।
मं प रषद का आकार :-
91व सं वधान सं शोधन अ ध नयम 2003 ारा यह नधा रत कया गया है क मं ी प रषद म धानमं ी स हत मं य क कुल सं या
लोकसभा के कुल सद य सं या के 15% से अ धक नह होगी। वतमान म क य मं ी प रषद म अ धकतम 82 मं ी हो सकते है।
मं ीप रषद का कायकाल :-
सं वधान के अनु छे द 75 के अनुसार सभी मं ी रा प त के सादपयत अपने पद पर बने रह सकते है। सामा यतः धानमं ी एवं
मं प रषद तब तक बनी रह सकती है जब तक उनको लोकसभा म व ास मत हा सल है।
मं य क शपथ :-
धानमं ी स हत सभी मं य को तीसरी अनुसूची म व णत ा प के अनुसार पद एवं गोपनीयता क शपथ रा प त ारा दलाई जाती
है। पद क शपथ म कत के नवहन क शपथ दलाई जाती है जब क गोपनीयता क शपथ म मं मंडल के नणय को गु त रखने क शपथ
दलाई जाती है।
1. मं य क नयु :-
धानमं ी क सलाह पर ही मं य क नयु रा प त ारा क जाती है। साथ ही धानमं ी के कहने पर ही कसी मं ी को
अपने पद से इ तीफा दे ना पड़ता है।
2. वभाग का आवंटन :-
सभी मं य को वभाग का आवंटन धानमं ी ारा ही कया जाता है। साथ ही धानमं ी व भ मं ालय और वभाग के
बीच सम वय था पत करने का काय करता है।
3. मं मंडल का नेता :-
धानमं ी कै बनेट या मं मंडल का नेता होता है वह कै बनेट क बैठक बुलाता है और उनक अ य ता करता है। कै बनेट क
बैठक म या काय एवं वचार- वमश करना है, इसका नधारण धानमं ी करता है।
धानमं ी सं सद म सरकार क तरफ से मु य व ा होता है और वह लोकसभा का नेता भी होता है। सरकार के नी तगत
फैसल क घोषणा धानमं ी ारा क जाती है।
5. सरकारी त न ध के प म :-
धानमं ी सरकार का त न ध होने के नाते व भ उ च तरीय बैठक और अं तरा ीय सं गठन म भारत का त न ध व करता
है। वह रा ीय मह व के व भ अवसर पर दे श को सं बो धत भी करता है।
6. मं ालय का भारी :-
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जन वभाग का आवंटन मं य को नह कया जाता है उ ह धानमं ी अपने पास रख ले ता है। इस कार वह कई मं ालय
का भारी भी होता है।
धानमं ी मं प रषद के नणय से रा प त को अवगत कराता है और रा प त ारा सं घ के शासन एवं वधान के सं बंध म
जानकारी मांगने पर जानकारी उपल ध कराता है। कसी मं ी ारा लए गए नणय को रा प त के कहने पर मं प रषद म पुनः वचार
हेतु रखवाने का काय धानमं ी ारा ही कया जाता है।
1) वह सरकार का मु खया होता है। अतः क य मं मंडल एवं अ य नी त नमाता सं था से सं बं धत मह वपूण नणय उसक दे खरेख
म ही लए जाते है।
2) रा प त को मं य क नयु , वभाग आवंटन, वभाग प रवतन, उनके मं ी पद से यागप वीकार या अ वीकार करने क सलाह
दे ता है।
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भारत म यायपा लका क सं रचना परा मड या शं कु क तरह है जसम शखर पर उ चतम यायालय, उसके नीचे रा य म उ च
यायालय और जला तर पर अधीन थ यायालय ( जला व स यायालय ) है।
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सव च यायालय :-
सं वधान के अनु छे द 124 से 147 तक सव च यायालय के गठन काय व श य का वणन कया गया है।
यह कसी भी अदालत से मुकदमा अपने पास मंगा सकता है या अ य यायालय म थानांत रत कर सकता है।
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इसे उ च यायलय के नणय के व अपील सु नने का अ धकार ा त है।
उ च यायालय :-
भारतीय सं वधान के अनु छे द 214 से 231 तक उ च यायलय का ावधान कया गया है।
अधीन थ यायालय :-
सं वधान म अनु छे द 233 से 237 तक अधीन थ यायालय का ावधान कया गया है।
अधीन थ यायालय जला तर का सबसे बड़ा यायालय होता है, इसे जला यायालय भी कहा जाता है।
स वल यायालय
स यायालय
स वल यायालय द वानी मामल क सु नवाई करता है जब क स यायालय आपरा धक मामल क सु नवाई करता है।
मुं सफ / म ज ेट यायालय :-
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इनके नणय के व अपील नह क जा सकती है।
3) यायाधीश को पद से हटाने क व ध क ठन है और उ ह केवल स कदाचार एवं असमथता के आधार पर ही महा भयोग ारा हटाया
जा सकता है।
4) यायाधीश के वेतन, भ े एवं अ य सु वधा पर सं सद म बहस एवं मतदान नह कया जा सकता है।
5) यायाधीश क नयु प ात् पदाव ध म व ीय आपातकाल के अलावा कभी भी वेतन-भ म कटौती नह क जा सकती।
यायाधीश क नयु :-
संवध
ै ा नक ावधान :-
सव च यायालय के यायाधीश क नयु के सं बंध म सं वधान के अनु छे द 124 म यह ावधान कया गया है क रा प त भारत के
उ चतम यायालय के मु य यायाधीश क सलाह से यायाधीश क नयु करेगा।
कॉले जयम व था :-
इस व था क उ प सव च यायालय के नणय से ई है जसे " ी जजेज केसे स" भी कहा जाता है। 6 अ टू बर 1993 को सु ीम
कोट के नौ जज क खंडपीठ ारा दए गए नणय के आधार पर कॉले जयम व था का गठन कया गया है।
कॉले जयम व था के तहत उ चतम यायालय के मु य यायाधीश और उ चतम यायालय के चार व र तम यायाधीश क एक व था होगी
जसक सलाह पर ही रा प त यायाधीश क नयु करेगा।
इस कार यायाधीश क नयु म सामू हकता के स ांत को अपनाया गया है जसम रा प त, कॉले जयम व था एवं मं प रषद
मह वपूण भू मका नभाती है।
यायाधीश को पद से हटाना :-
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संवध
ै ा नक ावधान :-
सं वधान के अनु छे द 124 के अनुसार यायाधीश को महा भयोग क या ारा हटाया जा सकता है।
हटाने का आधार :-
स कदाचार
असमथता
महा भयोग क या :-
ताव य द लोकसभा म लाया जाता है तो 100 सद य ारा और य द ताव रा यसभा म लाया जाता है तो 50 सद य ारा
ह ता रत होना चा हए।
ताव वीकार करने पर आरोप क जांच करने के लए एक 3 सद य स म त का गठन कया जाता है जसम -
आरोप स होने पर यह स म त अपनी रपोट सदन को स पती है और यायाधीश को हटाने का ताव रखती है।
पहला सदन उप थत एवं मतदान करने वाले सद य के दो- तहाई ब मत से ताव पा रत कर सरे सदन को भेजता है।
सरा सदन भी उप थत एवं मतदान करने वाले सद य के दो- तहाई ब मत से ताव पा रत कर दे तो रा प त उस यायाधीश को
हटाने का आदे श दे ता है।
सव च यायालय का े ा धकार :-
1. ारं भक े ा धकार :-
उ चतम यायालय का वह े ा धकार जसके तहत वह कसी मामले क सीधे सु नवाई करता है, ारं भक े ा धकार
कहलाता है। उ चतम यायालय को दो कार के ारं भक े ा धकार ा त है :-
आ या तक ारं भक े ा धकार :-
इसके तहत वे मामले आते है जनक सु नवाई का अ धकार केवल उ म यायालय को ही है। जैसे :-
ii. ऐसे ववाद जनम एक तरफ भारत सरकार व एक या अ धक रा य और सरी तरफ एक या अ धक रा य हो।
iii. दो या दो से अ धक रा य के म य ववाद।
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रट संबध
ं ी े ा धकार या समवत ारं भक े ा धकार :-
इसके तहत वे मामले आते है जनक सु नवाई का अ धकार उ चतम यायालय एवं उ च यायालय दोन को समान प से
है। इसके तहत उ च म यायलय को अनु छे द 32 और उ च यायालय को अनु छे द 226 के तहत मूल अ धकार क र ा हेतु
व भ तरह क रट जारी करने का अ धकार है।
2. अपीलीय े ा धकार :-
सव च यायालय का अपीलीय े ा धकार वह अ धकार है जसके तहत वह उ च यायालय के नणय के व अपील
सु नता है। इस कार सव च यायालय अपील का उ चतम यायालय है। अपीलीय मामल म तभी सु नवाई होती ह जब उ च यायालय
यह माण प दे क :-
उ च यायालय के इस माण प के आधार पर सव च यायालय के अपीलीय अ धकार को चार भाग म बांट ा जा सकता है :-
स वल मामल म अपील।
3. सलाह स ब धी े ा धकार :-
सं वधान के अनु छे द 143 के तहत रा प त न न दो मामल म उ चतम यायालय से सलाह ले सकता है :-
जो सावजा नक मह व का हो।
कसी मह वपूण मु े पर उ चतम यायालय क कानूनी राय मल जाने से उस मु े पर कानूनी ववाद से बचा जा सकता है।
सरकार उ च यायालय क सलाह के अनुसार अपने ता वत नणय या वधेयक म समु चत सं शोधन कर सकती है।
या यक स यता :-
जब यायपा लका लोग के मौ लक अ धकार क र ा एवं सामा जक याय क उ त के लए अपने काय े से ऊपर उठकर
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काय करती है या नणय ले ती है तो इसे या यक स यता कहा जाता है।
या यक स यता का भाव :-
उ चतम यायालय ने जन हत या चका को मा यता दान क है। अब कोई भी कसी अ य या समूह क ओर से या चका
दायर कर उसका मुकदमा लड़ सकता है।
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रा य शासन क वशेषताएं :-
i. रा य शासन का वतं अ त व।
iii. रा यपाल रा प त का त न ध।
v. क य सरकार पर नभरता।
रा यपाल :-
भारतीय सं वधान के अनु छे द 153 के अनुसार ये क रा य का एक रा यपाल होगा। साथ ही एक ही को एक या अ धक
रा य का रा यपाल भी नयु कया जा सकता है।
रा यपाल उस रा य का सं वैधा नक मुख होता है और रा प त क तरह नाम मा क श य का योग करता है। इस कार रा य तर
पर रा यपाल नाम मा क कायपा लका है।
रा यपाल क थ त :-
सं वधान के अनु छे द 154 के तहत रा य क कायपा लका श रा यपाल म न हत होगी जसका योग वह वयं या अपने
अधीन थ के मा यम से करेगा।
अनु छे द 163 म रा यपाल क सहायता एवं सलाह के लए मं प रषद होने क बात क गई है परंतु साथ ही रा यपाल को कुछ काय व ववेक
से करने के बारे म भी लखा गया है।
मु यमं य का कमजोर व।
गठबंधन सरकार।
गठबंधन क वखंडनकारी वृ ।
दल बदल क वृ ।
े ीय दल का अ धक श शाली होना।
सं वधान के अनु छे द 155 के अनुसार रा यपाल क नयु रा प त करता है। इसका अथ है क रा यपाल जनता ारा सीधे
चुना न जाकर रा प त ारा मनोनीत होता है। ऐसा करने के पीछे न न ल खत कारण है :-
क -रा य सं बंध पर अ ययन करने के लए 1983 म सरका रया आयोग का गठन कया गया जसने 1985 म अपनी रपोट
तु त क । उसने रा य म रा यपाल क नयु के सं बंध म न न ल खत सफा रश द :-
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159
रा यपाल क श यां :-
रा यपाल रा य का सं वैधा नक मुख होता है। उसक रा य म वही थ त है जो क म रा प त क है। रा प त क तरह उसे भी
अनेक श यां ा त ह परंतु रा प त क तरह उसे सै य श यां, राजन यक श यां एवं आपात श यां नह ा त है।
III. व ीय श यां
IV. या यक श यां
वधायी श यां :-
वधानमंडल म अ भभाषण क श ।
वधानसभा को वघ टत करने क श ।
वह वधानसभा ारा पा रत कसी वधेयक को वीकृ त दे सकता है, मना कर सकता है या रा प त क वीकृ त के लए रोक सकता
है।
व ीय श यां :-
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धन वधेयक पर रा यपाल क पूव अनुम त आव यक।
या यक श यां :-
अनु छे द 161 के तहत रा यपाल रा य सू ची के वषय के अपराध को मा कर सकता है, वल ब, प रहार, वराम या लघुकरण कर
सकता है परंतु रा यपाल को मृ यु दंड को मा करने का अ धकार नह है। रा य के उ च यायालय के यायाधीश क नयु म रा प त ारा
रा यपाल से परामश लया जाता है। रा यपाल अधीन थ यायालय के यायाधीश क नयु , मोशन, थानांतरण आ द म उ च यायालय के
परामश से करता है।
य द कसी मं ी के खलाफ ाथ मक तौर पर मामला बनता है तो रा यपाल क अनुम त से उसके खलाफ मुकदमा चलाया जा
सकता है।
व ववेक श यां :-
सं वधान के अनु छे द 163 के अनुसार रा यपाल क सहायता एवं सलाह हेतु एक मं प रषद होगी जसका मु खया मु यमं ी होगा।
सं वधान के अनु छे द 164 के अनुसार मु यमं ी क नयु रा यपाल करेगा एवं अ य मं य क नयु रा यपाल मु यमं ी क
सलाह से करेगा।
मु यमं ी रा य कायपा लका का वा त वक धान होता है। मं प रषद का नमाण, वघटन एवं वभाग आवंटन मु यमं ी ही तय
करता है।
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161
रा यपाल ारा सू चना मांगे जाने पर सू चना उपल ध कराएं।
य द कसी वषय पर मं ी ने नणय कर लया है परंतु मं प रषद ने उस पर वचार वमश नह कया है तो रा यपाल के कहने पर
मु यमं ी उस मं ी के नणय को पुनः मं प रषद म वचाराथ रखवाता है।
मं ीप रषद का गठन :-
रा य मं प रषद क नयु रा य का रा यपाल करता है। मं ीप रषद का धान मु यमं ी होता है।
i. कै बनेट मं ी
ii. रा य मं ी
iii. उपमं ी
1) वह सरकार का मु खया होता है। अतः रा य मं मंडल एवं अ य नी त नमाता सं था से सं बं धत मह वपूण नणय उसक दे खरेख म
ही लए जाते है।
2) रा यपाल को मं य क नयु , वभाग आवंटन, वभाग प रवतन, उनके मं ी पद से यागप वीकार या अ वीकार करने क सलाह
दे ता है।
4) रा य शासन एवं वधान सं बंधी मं प रषद के नणय से रा यपाल को अवगत कराता है।
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7) सम त सरकारी वधेयक उसक दे खरेख और सलाह से तैयार कए जाते है।
थानीय वशासन :-
थानीय वशासन से ता पय शासन क उस णाली से है जसम नचले तर पर लोग को भागीदार बना कर लोकतां क वक करण
को सु न त कया जाता है और लोग को अपनी सम याएं वयं हल करने के लए स म बनाया जाता है।
भारत म थानीय वशासन के सं केत ाचीन काल म मौय सा ा य म दे खने को मलते है। चोल शासन म थानीय वशासन का आदश
प दे खने को मलता है। तभी तो स इ तहासकार अ टेकर ने भारतीय गांव को छोटे -छोटे गणरा य क सं ा द है।
टश शासन काल म सव थम 1870 म लॉड मेयो ने थानीय वशासन लागू करने क अनुशंसा क परंतु थानीय वशासन का आरंभ
1882 म लॉड रपन के समय आ। इस लए लाड रपन को थानीय वशासन का जनक कहा जाता है।
भारत के रा ीय आंदोलन म महा मा गांधी ने पंचायती राज को अ यं त लोक य बना दया। उनक ेरणा से ही सं वधान सभा ने नी त
नदे शक त व म ाम पंचायत के गठन का ावधान कया।
वतं ता उपरांत 1952 म सामुदा यक वकास काय म क शु आत क गई जसक असफलता उपरांत पंचायती राज के बेहतर
या वयन के लए 1957 म बलवंत राय मेहता स म त क थापना ई।
बलवंत राय मेहता क सफा रश पर सव थम राज थान म 2 अ टू बर 1959 को नागौर म पंचायत राज लागू कया गया जसका
उ ाटन पं डत जवाहरलाल नेह ने कया। इस कार पंचायती राज लागू करने वाला थम रा य राज थान बना जब क सरा रा यआं दे श
था।
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1960 के दशक म भारत-चीन यु और भारत-पा क तान यु ए जससे खा ा एवं आ थक सं कट पैदा आ। इस कारण पंचायत
राज का भावी या वयन नह कया जा सका।
पंचायती राज व था के मू यांकन और इसे भावशाली बनाने के लए सतंबर 1977 म अशोक मेहता क अ य ता म 13
सद यीय स म त का गठन कया गया जसने 1978 म न न सफा रश द :-
जला प रषद को सम त वकास काय का क ब बनाकर वकास योजना क तैयारी जला प रषद से और उनका या वयन
मंडल पंचायत से हो।
इस स म त ने न न सफा रश द :-
M. L. सघवी स म त क सफा रश के आधार पर 64वां सं वधान सं शोधन का यास कया गया परंतु वधेयक रा यसभा म पास
नह हो सका।
P.K. थुग
ं न स म त 1988 :-
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इस स म त ने भी पंचायत राज सं था को सं वैधा नक दजा दे ने क सफा रश क ।
मु य वशेषताएं :-
पंच ायती राज क संरचना :-
ाम ाम पंचायत सरपंच
ख ड/ लॉ क पंचायत स म त धान
कायकाल :-
समय पूव वघटन पर 6 माह म चुनाव परंतु चुनाव पूर े 5 वष के लए होकर बचे समय के लए होगा।
नवाचन :-
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आर ण क व था :-
यो यताएं :-
रा य नवाचन आयोग :-
रा य नवाचन आयोग मतदाता सू ची तैयार करने से ले कर नवा चत पदा धका रय को शपथ दलाने तक का काय करेगा।
रा य व आयोग का गठन :-
रा य व आयोग के काय :-
रा य और पंचायत के ारा लगाए जाने वाले शु क का नधारण एवं उनके बीच वभाजन।
रा य सरकार इन सं था के ले ख का समय-समय पर परी ण एवं जांच करने हेतु नयम बना सकेगी।
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पंच ायत को श यां एवं ा धकार :-
इस अ ध नयम ारा सं वधान म एक नया भाग-9क, अनु छे द 243त से 243यछ तक 18 नए अनु छे द और एक 12व अनुसूची जोड़ी
गई।
सद य का चुनाव य य य
कायकाल 5 वष 5 वष 5 वष
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थानीय वशासन म वषय का ह तांतरण :-
73व एवं 74व सं वधान सं शोधन अ ध नयम 1992 ारा 11व एवं 12व अनुसूची जोड़ी गई जसम मशः पंचायती राज एवं नगर
नकाय को स पे गए वषय का उ ले ख है। पंचायती राज को 29 वषय एवं नगर नकाय को 18 वषय ह तां त रत कए गए जो इस कार है :-
5. म य उ ोग 5. घरेलू, औ ो गक और वा ण यक योजन के लए जल
दाय:
12. धन एवं चारा 12. नगरीय सु ख-सु वधा जैसे पाक, उ ान, खेल मैदान क
व था
13. सड़क, पु लया, पुल, फेरी, जलमाग, अ य सं चार साधन 13. सां कृ तक, शै णक और सौ दयपरक पहलु क
अ भवृ
14. ामीण व त
ु ीकरण जसके अं तगत व त
ु का वतरण है 14. शमशान, क तान, व त
ु शवदाहगृह का बंधन
17. श ा ( ाथ मक एवं मा य मक व ालय स हत) 17. रोड लाइट, पा कग, बस टॉप जैसे सावज नक सु वधा
का व तार
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20. पु तकालय
27. बल वग का क याण
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जा त अं ेजी भाषा के Caste का हद पयाय है जो क पुतगाली भाषा के Casta श द से बना आ है जसका अथ है मत- वभेद
अथवा जा त व था।
जा त क प रभाषा :-
जा तवाद :-
जा त और जा तवाद का व प :-
ाचीन काल म भारत म वण व था व मान थी जसम सं पूण समाज चार वण म वभ था :- ा ण, य, वै य और शू ।
1. जा तवाद का सामा जक व प :-
2. जा तवाद का राजनी तक व प :-
जा तवाद के राजनी तक व प ने रा ीय राजनी त पर काफ प रणाम डाला है। आज जा त आधा रत वोट बक क राजनी त ने न
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केवल समाज को बांटने का काम कया है ब क आपसी े ष और अलगाववाद को भी बढ़ावा दया है। इससे सं वधान आधा रत लोकतं क
न व हलने लगी है।
1. नणय या म जा त क भू मका :-
चुनाव म राजनी तक दल अपने या शय का चयन जा त को आधार बनाकर करती है। जैसे कसी े म जस जा त का बा य
होता है राजनी तक दल उस जा त से सं बं धत को अपना याशी बनाती है। साथ ही राजनी तक दल अपने सं गठन के चुनाव और
नयु य म भी जातीय समीकरण का वशे ष यान रखती है।
हमारे दे श म जा तगत आधार पर मतदान वहार क भावना अ यं त पाई जाती है। चुनाव म कसी गांव/ े वशे ष क जनता
जा तवाद के बहकावे म आकर कसी एक वशे ष दल को वोट दे बैठती है। हमारे दे श म पंचायती राज सं था के चुनाव म इसका प भाव
दे खने को मलता है।
सभी राजनी तक दल चुनाव म ब मत ा त करने के उपरांत मं मंडल नमाण म जातीय सं तुलन का वशे ष यान रखते है। मं मंडल
म जातीय समीकरण के अनुसार व भ जा तय को त न ध व ा त होता है। ऐसा केवल सं घ ीय सरकार एवं ांतीय सरकार म ही नह होता
है ब क थानीय शासन या न पंचायत राज म भी दे खने को मलता है।
हमारे दे श क राजनी तक व था म जातीय सं गठन दबाव समूह के प म काय करते है। जा तगत सं गठन चुनाव म टकट ा त करने
के लए, मं मंडल म थान ा त करने के लए, जा तय के हत के अनुसार नणय कराने के लए तथा जातीय हत के व होने वाले नणय
को रोकने या बदलने के लए सरकार पर नरंतर दबाव डालते रहते है।
जैसे वतमान म गुजर जा त के व भ सं गठन वष 2008 से वशे ष पछड़ा वग के तहत 5% आर ण लाभ ा त करने के लए राज थान
सरकार पर नरंतर दबाव बनाए ए है।
राजनी तक दल और उ मीदवार ायः चुनाव म खुलकर जा त का सहारा ले ते है। चुनाव जीतने के लए जातीय समीकरण बनाये जाते
है और कसी ब ल जा त े म उ च जा त के बड़े-बड़े नेता को चुनाव चार करने के लए वशे ष प से भेजा जाता है।
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7. रा य राजनी त म जा त :-
अ खल भारतीय राजनी त के बजाय रा य तर क राजनी त म जा त क भू मका यादा स य रहती है। राज थान, बहार, उ र दे श,
केरल, आं दे श जैसे अनेक रा य म जा तगत राजनी त का पूणत: बोलबाला है।
जातीय सं गठन म उ च पद पर आसीन लोग राजनी त म भी मह वपूण थान ा त करने म सफल रहे है। जैसे व भ जातीय सं गठन
के रा ीय और रा य तर के अ य एवं अ य पदा धकारी।
यह लोग राजनी त म भले ही खुलकर जा तवाद का सहारा ना ल परंतु अपने जातीय हत क सदै व य या परो प से पैरवी करते
रहते है।
9. जा त एवं शासन :-
... वतमान म ह रयाणा, राज थान, गुजरात आ द रा य के व भ जातीय सं गठन जा त के आधार पर लोक नयोजन म आर ण क
मांग कर रहे ह ता क व भ जा तय के लोग को शासन म उ चत भागीदारी मल सके। भारत म लोक नयोजन म अनुसू चत जा त को 15%
एवं अनुसू चत जनजा त को 7.5% के अलावा अ य पछड़ा वग को 27% आर ण दया गया है। हाल ही म सामा य वग के पछड़े लोग को भी
10% आर ण का लाभ दान कया गया है।
चुनाव म यो य य क उपे ा।
उपयु सभी ब से प है क जा तवाद भारतीय समाज म कसर के समान भयं कर रोग है जसका नदान असं भव है। जा तवाद
ढ़वा दता को बढ़ावा दे ता है और - के म य ै ष क भावना पैदा करता है जो क रा ीय हत के अनुकूल नह है। अतः जा तवाद
दे श, समाज और राजनी त के वकास म बाधक त व है।
-: सा दा यकता :-
सा दा यकता का अथ :-
प रभाषा :-
सा दा यकता एक धा मक सं दाय क अ य सं दाय या सं दाय के त उदासीनता, उपे ा, घृणा, वरोध एवं आ मण क भावना
है जसका आधार वह का प नक या वा त वक भय है क उ सं दाय उनके सं दाय को न करने या जानमाल को हा न प च ं ाने के लए
क टब है।
अथात सा दा यकता वह राजनी त है जो व भ धा मक समुदाय के बीच वरोध और झगड़े पैदा करती ह और एक समुदाय को
अ य समुदाय से लड़ने के लए े रत करती है।
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सा दा यक संगठन के उ े य :-
सा दा यक सं गठन के न न उ े य है :-
भारत म सा दा यकता का उदय टश सरकार क "फूट डालो और राज करो" क नी त से आ। 1857 क ां त के बाद टश
सरकार ने भारत म ह और मुसलमान के म य दरार पैदा करने के भरसक यास कए जसम वे सफल भी ए। 1885 म था पत भारतीय
रा ीय कां ेस के इन दाव को भी टश सरकार ने सदै व नकारा क कां ेस मु लम का त न ध व कर रही है। त प ात 1905 म बंगाल का
ह और मु लम ब ल े के आधार पर कया गया वभाजन भी सां दा यक था। साथ ही टश सरकार का यह चार क इस वभाजन से
मुसलमान को अ धक फायदा होगा, ने आग म घी डालने का काय कया।
अं ततः 1940 म मोह मद अली जला के रा स ांत ने भारत म सां दा यकता को चरम पर प च
ं ा दया जसक प रणी त व प
1947 म भारत का सां दा यक आधार पर वभाजन आ।
सां दा यक सम या के कारण :-
वतं ता उपरांत भारत म सां दा यक सम या के न न कारण है :-
मु लम लीग क सीधी कारवाही और वतं ता के बाद भारत के वभाजन से दे श के व भ थान पर सां दा यक दं गे भड़क उठे ।
वभाजन से लाख लोग व था पत ए। पा क तान से आने वाले लाख लोग को अपना घर-बार, सं प आ द को छोड़कर भारत आना पड़ा
जससे कई जगह पर हसक वारदात ई जसम हजार लोग क ह याएं ई, म हला व लड़ कय के साथ अ याचार आ और ब चे अनाथ
ए। यु र म भारत से पा क तान जाने वाले लोग के साथ भी ऐसी ही घटनाएं ई। अपने प रजन के साथ ए इस क ले आम का य लोग
क मृ तय म आज भी बना आ है। इस मान सकता के कारण आज भी कोई छोट -सी सा दा यक घटना घ टत होती ह तो वह बड़ा प ले
ले ती है।
3. मुसलमान का आ थक और शै णक पछड़ापन :-
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टश काल से ही मुसलमान शै णक और आ थक से पछड़े रहे। वतं ता उपरांत 70 वष बीत जाने के बाद भी उनक
सरकारी नौक रय , ापार और उ ोग धंध म थ त सु धर नह पाई ह। मु लम राजनी त के क म रहे नेता ने मुसलमान को मदरसा और
मजहबी श ा के मकड़जाल से बाहर नह नकलने दया जसके कारण आज भी मु लम समाज आधु नक श ा और आधु नकता से कोस र
है।
4. पा क तानी चार और ष ं :-
पा क तानी मी डया ने भी ह -मु लम तनाव को बढ़ा-चढ़ा कर चा रत कर मुसलमान को भड़काने का काय कया है। जसके
लए उसने अनेक षडयं रचे ह। जैसे -
1993 के मुब
ं ई बम धमाक म पा क तान क भू मका।
5. सरकार क उदासीनता :-
7. वोट बक क राजनी त :-
कुछ राजनी तक दल कसी वग वशे ष को अपना वोट बक बनाते ए उनके सभी सही-गलत काय एवं मांग का समथन कया
जसके त या व प अ य राजनी तक दल ने सरे अ य वग का समथन कया। इस कार वोट बक के न हत वाथ क पू त हेतु जब कसी
वग वशे ष को अ य क उपे ा कर वशे ष रयायत दे ते है तो उससे भी सां दा यक तनाव उ प होता है।
8. तु ीकरण क नी त :-
सरकार वोट बक के लए कसी वग क उ चत-अनु चत मांग को मानकर उ ह वशे ष रयायत या वशे षा धकार दे ती ह तो कालां तर
म वह वग इसे अपना अ धकार समझ बैठता है जससे सरे वग म असं तोष क भावना पैदा होती है।
9. वदे शी धन :-
2. सां दा यक दं ग के भड़कने पर आ थक हा न होना। जैसे - सावज नक एवं नजी सं प का नुकसान होना, बाजार बंद होना आ द।
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3. सां दा यक दं ग म सकड़ लोग के मारे जाने पर ाण हा न होना।
6. रा ीय सु र ा को खतरा उ प होना।
5. राजनी तक दल ारा चुनाव चार म य -अ य प से धम का सहारा ले ने पर रोक लगाने हेतु कठोर नयम का नमाण और
या वयन कया जाना चा हए।
सद य :7
रपोट के पृ : 403
वषय : भारतीय मुसलमान क सामा जक, आ थक एवं शै णक थ त का अ ययन करना और उसम सुधार
. हे तु सुझाव दे ना।
रपोट के मु य ब :-
सरकारी नौक रय म मु लम क भागीदारी काफ कम होना।
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मु लम समुदाय क थ त अनुसू चत जा त/अनुसू चत जनजा त से भी बदतर बताना।
श ा का यू न तर।
त कालीन क सरकार ने धम के आधार पर मुसलमान को 5% आर ण दे ने का नणय लया जसे पहले आं दे श हाईकोट ने और बाद म
सु ीम कोट ने खा रज कर दया।
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एक वशे ष े के हत के त वफादारी।
या अपने े को अ य े से अ धक मह व दे ना।
या अपने े को रा से भी अ धक मह व दे ना।
या े ीय हत क पू त के लए रा ीय हत क अनदे खी करना।
अतः े वाद एक ऐसी वचारधारा ह जो कसी ऐसे े से सं बं धत होती ह जो धा मक, आ थक, सामा जक और सां कृ तक कारण
से अपने पृथक अ त व के लए जा त ह और अपनी पृथकता को बनाए रखने का यास करता रहता है।
अं तरा यीय मसल म अपने प म समाधान पाने क मांग। जैसे - ाकृ तक सं साधन पर अ धकार क मांग।
शास नक भेदभाव।
असं तु लत वकास।
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सां कृ तक व वधताएं ।
नए रा य के नमाण क मांग।
भू मपु क अवधारणा एक रा य के उस भाषाई वशे ष समूह क है जो उस रा य के मूल नवासी है। उनका मानना है क उस
रा य क भू म उनक है। अतः अ य रा य से आए मज र , उ ोगप तय और वसा यय आ द को बाहरी घो षत कया जाए। भू मपु क
अवधारणा मु य प से महारा और असम म च लत रही है।
े वाद क सम या का समाधान :-
े वाद को रोकने के उपाय न न ल खत ह :-
1. संतु लत रा ीय नी त का नमाण :-
छोटे रा य का शासन चलाना बड़े रा य क अपे ाकृत आसान होता है और इससे लोग को क य तर पर
त न ध व भी अ धक ा त होता है। अतः शास नक से छोटे रा य का गठन कया जाना चा हए।
भाषावाद :-
भाषावाद का अथ :- भाषा के आधार पर े ीय भाषाई लोग ारा हद का वरोध करना और हद को अ य े ीय भाषा के वकास म
बाधक समझना भाषावाद है।
भाषा के संबध
ं म संवध
ै ा नक ावधान :-
हमारे दे श म भाषा के सं बंध म न न ल खत ावधान कए गए है :-
1. अनु छे द 343 के अनुसार भारत सं घ क राजभाषा हद होगी। सं वधान सभा ने 14 सतंबर 1949 को हद को राजभाषा घो षत
कया था।
उ े य :-
5. अनु छे द 29 अ पसं यक वग को अपनी भाषा, ल प एवं सं कृ त को सु र त रखने का अ धकार दान करता है।
6. अनु छे द 343(2) म ावधान है क सं वधान के लागू होने के 15 वष तक शासक य काय म अं ेजी भाषा का योग कया जाता
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रहेगा।
7. राजभाषा अ ध नयम 1963 ारा यह ावधान कया गया क हद के अ त र अं ेजी भी सं घ के सभी सरकारी योजन म बराबर
यु होती रहेगी।
8. राजभाषा (सं शोधन) अ ध नयम 1967 ारा यह ावधान कया गया क जब तक सभी रा य वधानमंडल और सं सद के दोन सदन
अं ेजी भाषा के योग को समा त करने का सं क प नह करते तब तक अं ेजी सं घ क सह-राजभाषा के प म यु रहेगी।
9. भाषा ववाद को सु लझाने के लए भाषा फामूला लागू करने का सु झाव दया गया।
भाषा फामूला :- हद , अं ज
े ी और एक ादे शक भाषा ( ादे शक भाषा सं वधान क अनुसूच ी 8 म व णत हो )
मह वपूण ब :-
भाषावाद के कारण :-
1. हद को े ीय भाषा के वकास म बाधक समझना।
https://sites.google.com/site/gangadharsoni4/political-science/class-12/part-b?authuser=0
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आतंकवाद का अथ :-
इसी कार जब कोई या समूह अपनी अनु चत मांग क पू त के लए ापक तर पर हसा और अशां त पर आधा रत
नकारा मक यास करता है तो उसे आतंकवाद कहा जाता है।
आतंकवाद का वै क प र य :-
शीत यु के काल म सो वयत स के भाव को रोकने के लए अमे रका ने अफगा न तान म ता लबान को पनपाया। आगे
चलकर इसी ता लबानी दै य ने अमे रका म 11 सतंबर 2001 को अलकायदा के आतंकवा दय के मा यम से अमे रका के चार हवाई जहाज का
अपहरण कर इ ह व ड े ड सटर, पटागन और वा शगटन म ै श कया जसम लगभग 3000 लोग मारे गए। इस घटना को 9/11 भी कहा जाता
है।
त प ात अमे रका ने अफगा न तान क ता लबानी सरकार और ईराक क स ाम सै न सरकार के व कारवाई कर यु र दया।
जस कार अमे रका ने ता लबान को पो षत कया उसी कार पा क तान म भी धम और जहाद के नाम पर आतं कय को पो षत
कया जा रहा है। आज व म अनेक आतंकवाद सं गठन व भ दे श म स य ह और अपनी वारदात को अं जाम दे रहे ह जसम सव मुख
आईएसआईएस, ता लबान, अल कायदा, ल े , ल कर-ए-तैयबा, ह बु लाह, ह बु ल मुजा हद न, बोको हराम, हमास आ द ।
इनम से दजन आतंक सं गठन के व भ ब रा ीय कंप नय के साथ सं बंध रहे ह जनसे उनको ह थयार और वदे शी धन मलता रहा
है।
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आतंकवाद के पा :-
भारत म आतंकवाद :-
भारत म आतंकवाद का व प :-
1. धा मक आतंकवाद :-
2. पृथकतावाद आतंकवाद :-
पंजाब म पृथक खा ल तान क मांग पर फैला आतंकवाद और ज मू क मीर म क मीर को आजाद कराने क मांग पर
फैला आतंकवाद पृथकतावाद आतंकवाद क ण े ी म आते ह।
3. वदे शी आतंकवाद :-
4. े ीय आतंकवाद :-
5. पूव र का आतंकवाद :-
भारत के पूव र रा य जनको seven sisters भी कहा जाता है, म भी आतंकवाद फल-फूल रहा है। पूव र का आतंकवाद
मु य प से वतं रा नमाण और वाय ता ा त करने के उ े य से सं बं धत रहा है। इसे वदे शी सरकार ने भी सहयोग दान कया है। यह
आतंकवाद भी क यु न ट वचारधारा से सं बं धत है। इसम मुख आतंकवाद सं गठन इस कार है- बोडो, उ फा, एनएलएफट , एनडीएफबी,
एनएससीएन, पीएलए आ द 14 मुख आतंकवाद सं गठन क पहचान क गई है।
2. पंजाब
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3. उ र-प मी भारत
4. नई द ली
आतंकवा दय क सामा जक पृ भू म :-
1. म यम एवं उ च वग के श त लोग।
आतंकवाद कारवाई के ल य :-
1. कायनी तक ल य :-
2. रणनी तक ल य :-
3. मूल अभी ल य :-
आतंकवाद के मनोवै ा नक त व :-
आतंकवाद का मु य उ े य मनोवै ा नक भाव डालना है। आतंकवाद न न ल खत तरीक से मनोवै ा नक भाव डालते ह :-
2. डरा धमका कर
3. उकसावे ारा
4. अ व था और अराजकता उ प करके
5. सं घष ारा
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का यान अपनी ओर आक षत कर लाभ उठाना चाहती है। इस थ त म अगर आतंकवाद घटना और आतंकवा दय को मी डया कवरेज
दया जाएगा तो वे लोग अपने आप को हीरो क छ व म पेश कर जन समुदाय से सहानुभू त ा त करने का यास करगे। जैसे पा क तान ारा
े रत और भारत म घुसपैठ करने वाले आतंकवा दय को मारे जाने पर उ ह जेहाद / वतं ता से नानी बताकर उनका झूठा म हमामंडन कया
जाता है। उ काय मी डया और सोशल मी डया के बना सं भव नह हो सकता है।
1. आतंक घटना को मी डया कवरेज से मलने वाले मह व से अ य लोग भी वैसी ही कारवाई करने के लए े रत होते है।
आतं कय का मु य उ े य स ा ह थयाना या स ा से लाभ ा त करना रहा है। औप नवे शक काल मे उप नवेशवाद वरोधी
आतंक गुट जैसे के या के EOKA सं गठन ने टश सा ा यवाद के व और अ जी रया के FLN सं गठन ने ांसीसी उप नवेशवाद के
व पूणतः सफलता ा त क है।
मगर 20व और 21व सद के अ धकांश आतंकवाद गुट पूणतया असफल रहे है। जैसे भारत म पंजाब म खा ल तानी आतंक सं गठन,
ीलं का म ल े , ां स-इटली म रेड गेड। इसके अलावा आईएसआईएस, ता लबान एवं अ य मु लम आतंकवाद सं गठन अं ततः राजनी तक
प से असफल रहे है।
न कष :-
आज व म आतंकवाद शां त और सु र ा के लए गंभीर चुनौती बना आ है। पा क तान जैसे दे श आतंकवा दय के शरण थली
सा बत हो रहे है। जब तक व के सम त दे श एकजुट नह ह गे तब तक आतंकवाद का खा मा सं भव नह है।
डे वड ॉम कन के अनुसार, " हसा आतंकवाद का आरंभ है, इसका प रणाम है और इसका अं त है।
धमाधता और आतंकवाद :-
काफ समय से आतंकवाद को धम से स ब मानने क वृ ववाद का वषय बनी ई है। यह बात पूण प से स य है क कोई
भी धम आतंकवाद जैसी हसा आधा रत ग त व धय को न तो समथन करता है और न ही आ य दे ता है। अगर आतंकवा दय का कोई धम होता
तो 2014 म पा क तान के पेशावर म एक कूल म ई आतंक घटना न ई होती। इस घटना म 132 ब च क ह या ई जो क मु लम थे और
हमलावर आतंक भी मु लम थे। यह घटना द शत करती है क आतंकवाद का कोई धम नह होता है।
परंतु प म ए शया के मु लम दे श म पनप रहे आतं कय और वहां के जनसमथन से यह स होता है क आतंकवाद धमाध होते
है। धम के कुछ ठे केदार गरीब लोग को उकसा कर जेहाद के नाम पर आ म-ब लदान करवाकर, अपने बबर काय से लै कमेल करके या नमम
ह या ारा आतंकवाद को फैला रहे ह जो एक वशे ष समुदाय से सं बं धत है और आजकल इसे इ लामी आतंकवाद के नाम से जाना जाता है।
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राजनी त का अपराधीकरण
अथ :-
सरे श द म राजनी त म वेश करने, स ा ा त करने और स ा म बने रहने के लए राजनी त ारा समय-समय पर अपरा धय क
मदद ले ना और चुनाव म मतदाता को धन, बल, भय और आतंक से भा वत करना राजनी तक अपराधीकरण है।
आज राजनी त अपराध का पयाय बन चुक है। अ धकांश राजनेता आपरा धक ग त व धय म ल त है। चुनाव म वजय दलाने के
लए आपरा धक त व नेता क मदद करते ह त प ात स ा ा त के उपरांत राजनेता अपरा धय को राजनी तक शरण दे कर उनक मदद
करते ह।
1. रा ीय च र का पतन होना।
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लोकसभा चुनाव वष आपरा धक पृ भू म वाले तशत
सांसद
14व 2004 128 24%
1. राजनी तक दल ारा ईमानदार छ व के लोग क तुलना म धन, बल और जताऊ उ मीदवार को टकट दे ना।
2. अपरा धय ारा चुनावी राजनी त को भा वत करना। जैसे बूथ कैपच रग, अपरा धक कायकता क फौज बनाना, फज मतदान
आ द।
N.N. वोहरा स म त
वषय : राजनी त के अपराधीकरण क जांच।
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रपोट के मु य ब :
4. पु लस, अपराधी एवं राजनेता का गठजोड़ लोकतं को द मक क तरह चाट रहा है।
6. मतदाता क उदासीनता, अगंभीरता और भावशू यता ने राजनी तक अपराधीकरण को बढ़ावा दया है।
ाचार
शा दक अथ :-
ाचार या है :-
जब कोई या सं गठन नधा रत कानून के दायरे से परे जाकर अनु चत ढं ग से कसी अ य या सं गठन को लाभ प च
ं ाए
और बदले म धन या सु वधाएं ा त कर सावज नक हत को नुकसान प च ं ाए तो उसे ाचार कहा जाता है।
ाचार का आरंभ :-
ाचार का आरंभ उ ोगप तय या ापा रय ारा चुनाव के समय राजनी तक दल को दए जाने वाले चंदे से होता है।
ाचार के अ धकांश मामले र त, चुनावी धांधली, टै स चोरी, झूठ गवाही, परी ा म नकल, परी ा थय का गलत मू यांकन, यायाधीश ारा
प पात पूण नणय दे ना, वोट के लए पैसा और शराब बाँटना, नयु , थानांतरण, नमाण काय, लाइसस नमाण, लोन, खरीद आ द के
मामल से सं बं धत होते है।
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ाचार के प रणाम :-
घ टया तर का सावज नक नमाण काय / केवल कागज म नमाण।
काले धन का बढ़ना।
https://sites.google.com/site/gangadharsoni4/political-science/class-12/part-b?authuser=0
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गठबंधन क राजनी त का अथ :-
व भ राजनी तक दल ारा एक यू नतम साझा काय म के तहत राजनी तक ग त व धय के सं चालन के लए बनाए गए गठबंधन
को गठबंधन क राजनी त कहा जाता है।
जब राजनी तक दल गठबंधन के ारा स ा ा त कर ले ते ह तो ऐसी सरकार को गठबंधन सरकार या मली जुली सरकार कहा जाता है।
रा ीय मोच क इस सरकार को दोन वामपंथी दल -मा सवाद पाट तथा भारतीय सा यवाद पाट एवं भारतीय जनता पाट का बाहर
से समथन ा त था। वामपंथी दल और भारतीय जनता पाट सरकार म शा मल नह ए।
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अग त 1990 म वी.पी. सह क सरकार ारा पछड़े वग को आर ण दे ने के लए म डल कमीशन क सं तु तय को लागू कया
गया, जसका आर ण वरो धय ने दे श ापी वरोध कया । इस कारण यह सरकार राजनी तक अ थरता का शकार हो गयी तथा भारतीय
जनता पाट ने अपना समथन ले ने क घोषणा क । लोकसभा म अपना व ास मत न ा त करने के कारण व नाथ ताप सह ने धानमं ी
पद से यागप दे दया ।
इसके बाद जनता दल म भी वघटन हो गया तथा जनता दल के 58 लोकसभा सद य को अलग ले कर च शे खर ने कां ेस के बाहरी समथन से
नई सरकार बनाई। इस सरकार म च शे खर धानमं ी तथा दे वीलाल उप- धानमं ी थे। 7 महीने बाद मई 1991 म कां ेस ने इस सरकार से
समथन वापस ले ने क घोषणा क तथा इसी के साथ यह सरकार भी गर गयी तथा नई लोकसभा के चुनाव क घोषणा क गयी।
मई 1991 म 10व लोकसभा के चुनाव कराये गये । चुनाव चार के दौरान ही कां ेस के अ य तथा पूव धानमं ी राजीव गांधी क
ीलं का के लट् टे आतंकवा दय ारा त मलनाडु के पेर ब र थान पर एक बम व फोट ारा ह या कर द गयी। अभी तक द ण भारत म
लोकसभा के लए मतदान नह आ था। इसका प रणाम यह आ क द ण भारत म सहानुभू त के कारण कां ेस ने अ छा दशन कया।
जब क राजीव गाँधी क ह या के पूव उ र भारत म मतदान हो चुका था तथा उसम कां ेस का दशन अ छा नह था।
1996 म 11व लोकसभा चुनाव म पुन: ऐसी थ त बनी क कसी भी पाट को लोकसभा म पूण ब मत ा त नह आ। इन
चुनाव म कां ेस को मा 140 सीट पर वजय हा सल ई। त कालीन रा प त शं कर दयाल शमा ने भारतीय जनता पाट के सं सद य दल के
नेता अटल बहारी वाजपेयी को सरकार बनाने के लए आमं त कया। उ ह 16 मई 1996 को भारत का धानमं ी नयु कया गया ले कन
लोकसभा म अपना ब मत न स करने के कारण 13 दन बाद ही 1 जून, 1996 को उ ह अपने पद से यागप दे ना पड़ा।
इसके बाद 1 जून, 1996 को के म सं यु मोच क सरकार का गठन कया गया तथा कनाटक के नेता एच. डी. दे वगौडा को
धानमं ी नयु कया गया। य प सं यु मोच को पूण ब मत ा त नह था ले कन कां ेस के बाहरी समथन से यह सरकार 11 महीने चलती
रही। कां ेस के समथन वापसी के कारण 21 अ ैल 1997 को यह सरकार गर गयी ले कन पुन: कां ेस के बाहरी समथन से आई. के. गुजराल
के नेतृ व म सरी सं यु मोचा सरकार का गठन आ।
इस सरकार म आई. के. गुजराल धानमं ी बने ले कन शी ही राजीव गांधी क ह या क जाँच कर रहे जैन आयोग क रपोट
से यह पता चला क सं यु मोच म शा मल त मलनाडु क डी. एम. के. पाट भी इस ह या म लट् टे के साथ सं ल त थी। अत: कां ेस ारा यह
माँग क गयी क गुजराल सरकार से डी. एम. के. के मं य को हटा दया जाये । ले कन सं यु मोच क सरकार ने कां ेस क इस माँग को
वीकार नह कया तथा कां ेस ने अपना समथन ले ने क घोषणा कर द । प रणामत: सं यु मोचा क सरकार को यागप दे ना पड़ा ले कन वे
18 माच 1998 तक दे श के कायवाहक धानमं ी बने रहे ।
1998 म 12व लोकसभा के चुनाव के समय भारतीय जनता पाट के नेतृ व म कई पा टय को मलाकर रा ीय लोकतां क
गठब धन का गठन कया गया। 1998 के चुनाव म इस गठब धन को ब मत तो नह ा त आ ले कन सबसे अ धक सीट ा त ई।
अत: गठब धन के नेता अटल बहारी वाजपेयी को 19 माच 1998 को दे श का धानमं ी नयु कया गया। ले कन यह
सरकार 13 महीने ही चल पाई य क गठब धन म शा मल त मलनाडु क ए.आई.डी.एम.के. पाट ने इस सरकार से अपना समथन वापस ले ने
क घोषणा कर द । इसके प रणाम व प रा ीय लोकतां क गठब धन क सरकार गर गयी तथा लोकसभा को भंग कर दया गया । ले कन
अटल बहारी वाजपेयी अगले चुनाव तक कायवाहक धानमं ी के प म काय करते रहे ।
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6. 1999 के चुनाव तथा रा ीय लोकतां क गठब धन को पूण ब मत :-
1999 म 13व लोकसभा के चुनाव स प कराये गये । इन चुनाव म रा ीय लोकतां क गठब धन को पूण ब मत ा त आ
तथा 13 अ टू बर, 1999 को इसके नेता अटल बहारी वाजपेयी को पुन: धानमं ी नयु कया गया। इस सरकार ने अपना पाँच साल का
कायकाल पूर ा कया। सही अथ म पाँच साल का कायकाल पूर ा करने वाली यह के क पहली गठब धन सरकार थी ।
मई 2009 म 15व लोकसभा के चुनाव स प ए। इन चुनाव म कां ेस को गत तौर पर तो केवल 205 सीट ा त ,
ले कन उसके नेतृ व वाले सं यु ग तशील गठब धन को लोकसभा म ब मत ा त हो गया। इन चुनाव म भारतीय जनता पाट को केवल 116
सीट ा त । प रणामत: मनमोहन सह के नेतृ व म पुन: 22 मई 2009 को सं यु ग तशील गठब धन क सरकार का गठन कया गया। इस
गठब धन क सरकार ने भी अपना पाँच वष का कायकाल पूर ा कया।
16व लोकसभा के चुनाव म भी चुनाव पूव दो गठबंधन थे NDA और UPA। इस बार 1984 के बाद कसी एक दल को पूण
ब मत मला और नर मोद भारत के धानमं ी बने। साथ BJP ने गठबंधन को बनाये रखा और मं प रषद म NDA के सद य दल को भी
त न ध व दया। इस चुनाव म BJP क 282 सीट स हत NDA को कुल 336 सीटे ा त ई जब क UPA गठबंधन को मा 59 सीट पर ही
सं तोष करना पड़ा जसम कां ेस को मा 44 सीट मली।
17व लोकसभा के चुनाव 2019 म नर मोद के नेतृ व म BJP स हत NDA को भारी समथन मला और NDA ने 354 सीट पर
जीत दज क जनम 303 सीट BJP के खाते म गई जब क UPA गठबंधन को 91 सीट मली जसम कां ेस क 52 सीट भी शा मल है। BJP
को पूण ब मत के बावजूद भी NDA गठबंधन क सरकार बनी और नर मोद सरी बार धानमं ी बने।
भारतीय राजनी त म अब तक जतने भी गठबंधन बने ह उनम एक दल क धानता रही है। जैसे रा ीय जनतां क
गठबंधन म भारतीय जनता पाट और UPA म कां ेस धान दल रहे है जब क अ य दल मा से सहयोगी क भू मका म है।
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3. गठबंधन म था य व का अभाव :-
भारतीय राजनी त म बनने वाले गठबंधन थायी प से नह बने रहते है। राजनी तक दल अपनी राजनी त लाभ के
अनुसार गठबंधन बनाते रहते ह और तोड़ते रहते है। जैसे ट एमसी ारा NDA को छोड़ना, जेडीयू ारा बहार चुनाव म NDA
को छोड़कर कां ेस और आरजेडी के साथ गठबंधन बनाना तथा पुनः NDA म लौट आना। लोकसभा चुनाव 2019 म उ र
दे श म सपा-बसपा का गठबंधन बनना और टू ट जाना।
1977 म पांच दल ने कां ेस को स ा से बाहर रखने के लए जनता दल का नमाण कया और चुनाव जीता।
ठ क इसी कार 2014 और 2019 के लोकसभा चुनाव म बीजेपी को स ा से बाहर रखने के लए व भ गठबंधन का
नमाण आ।
7. दबाव क राजनी त :-
गठबंधन सरकार म छोटे दल अपने वाथ पू त हेतु धानमं ी पर मं ी पद व वभाग आवंटन और नी त नणय बदलने हेतु
नर तर दबाव डालते रहते है।
कसी भी एक दल को प ब मत नह मलना।
गठबंधन क सरकार म मं ी प रषद को गठबंधन के यू नतम साझा काय म के अनुसार काय करना पड़ता है
जससे कसी पाट वशे ष से सं बं धत धानमं ी या मं ी नी त- नणय के नमाण म अपनी मनमानी नह कर पाते है।
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2. अ धक यो य लोग क मं प रषद म भागीदारी :-
3. ापक जनसमथन :-
4. सश वप का नमाण :-
5. म यम माग का अनुसरण :-
3. कमजोर सरकार :-
गठबंधन क सरकार ठोस एवं कठोर नणय ले ने म असमथ रहती ह जसके कारण सरकार कमजोर सा बत होती है।
5. े ीय दल का भाव बढ़ना :-
6. रा ीय एकता को नुकसान :-
7. सरकार क प नी त नह :-
गठबंधन सरकार म सभी दल अपनी-अपनी नी तय के अनुसार सरकार का सं चालन करना चाहते ह जससे
सरकार एक प नी त के अनुसार काय नह कर पाती है।
8. सु ढ़ वदे श नी त का अभाव :-
गठबंधन सरकार म धानमं ी पर गठबंधन के दल का दबाव बना रहता है जसके कारण धानमं ी वतं
प से काय नह कर पाता है। इस कारण धानमं ी सु ढ़ वदे श नी त के नमाण और सं चालन करने म असमथ रहता है।
इसम भारतीय जनता पाट (BJP), शवसे ना, जनता दल यू नाइटे ड(JDU), अकाली दल, लोक जनश पाट (LJP) आ द
स हत कुल 23 दल शा मल है। इस गठबंधन क वतमान म लोकसभा म 354 सीट, रा यसभा म 113 सीट और 22 रा य म सरकारे
है।
इसम भारतीय रा ीय कां ेस (INC), रा ीय कां ेस दल(NCP), रा ीय जनता दल(RJD), झारखंड मु मोचा, केरल कां ेस
स हत कुल 16 दल शा मल है। इस गठबंधन क वतमान म लोकसभा म 91 सीट, रा यसभा म 66 सीट और 7 रा य म सरकारे है।
3. वामपंथी राजनी तक दल :-
4. अ य दल :-
इसम वे दल शा मल है जो उपयु तीन गठबंधन म शा मल नही है। जैसे - अ ा मुक(AIDMK), तृणमूल कां ेस (TMC), बीजू
जनता दल (BJD), आम आदमी पाट आ द।
https://sites.google.com/site/gangadharsoni4/political-science/class-12/part-b?authuser=0
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शां तपूण सह-अ त व से आशय है क व के सभी रा को मलजुल कर शां तपूण रहना, एक- सरे का सहयोग करना और यु
आ द से परहेज करना।
हमारा दे श हमारी गौरवशाली सं कृ त के मूल मं "जीओ और जीने दो" क अवधारणा म व ास करता है। इ तहास गवाह है क भारत ने
कसी भी दे श पर आ मण नह कया य क भारतीय लोग यह भली-भां त जानते ह क यु केवल मानवता को तहस-नहस कर सकता है,
आबाद नही।
इस लए हमारी वदे श नी त क भी यह सव मुख वशे षता है क हम शां तपूवक रह और अ य को भी शां तपूवक रहने दे ।
उप नवेशवाद से आशय है क कसी समृ एवं श शाली रा ारा अपने हत को साधने के लए अ य रा के सं साधन का
श के बल पर उपभोग करना। जैसे - भारत का टे न का उप नवेश होना।
हमारा दे श उप नवेशवाद और सा ा यवाद दोन का दं श भोग चुका है। इस लए हमने रा के आप- नणय के अ धकार क वकालत क
है। उप नवेशवाद और सा ा यवाद के वरोध व प भारत ने 1956 के वे ज नहर ववाद, खाड़ी दे श म अमे रका के ह त पे और महाश य
क सारवाद नी त का सदै व वरोध कया है।
3. रंगभे द नी त का वरोध :-
द ण अ का क नेशनल पाट क ते सरकार ने 1948 म रंगभेद क नी त का नमाण कर काले लोग के साथ भेदभाव कया और
उनका शोषण कया जसका भारत स हत व के अनेक दे श ने वरोध कया। अं ततः 1994 म द ण अ का म ने सन मंडेला के नेतृ व म
रंगभेद नी त का उ मूलन आ।
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हमारे दे श के सं वधान के अनु छे द 15 के तहत रंग के आधार पर भेदभाव को व जत कया गया है।
4. अंतरा ीय सं था का समथन :-
अं तरा ीय सं था का समथन और स मान करना हमारी वदे श नी त क मु य वशे षता रही है। वतं ता के प ात हमारे दे श ने
सं यु रा सं घ और इसके व भ अं ग के त स मान क भावना रखते ए इनके व वध काय म बढ़-चढ़कर ह सा लया है। साथ ही
अं तरा ीय सं गठन जैसे रा मंडल, गुट नरपे आंदोलन, यू र ोपीय यू नयन, आ सयान आ द का समथन भी कया है।
5. पंचशील के स ांत :-
पंचशील के स ांत का तपादन त बत के सं बंध म भारत के धानमं ी पं डत जवाहरलाल नेह और चीन के धानमं ी चाऊ
एन लाई के बीच 29 अ ैल 1954 को आ। यह स ांत इस कार है :-
iv. समानता।
v. शां तपूण सह अ त व।
6. गुट नरपे ता :-
भारत ने वतं ता उपरांत गुट नरपे ता क नी त अपनाई जसके तहत भारत ने शीत यु और श गुट जैसे नाटो, सीटो, सटो,
वारसा आ द से री बनाए रखने क नी त अपनाई।
गुट नरपे ता से ता पय ह अं तरा ीय तर पर व के कसी भी सै य गुट के साथ प ीय सं बंध के आधार पर सै नक समझौते म भाग
नह ले ना।
7. साधन क शु ता म व ास।
8. नश ीकरण का समथन।
गुट नरपे ता
गुट नरपे ता का अथ :-
रा ीय हत को यान म रखते ए कसी भी सै य गुट म शा मल ए बगैर वतं वदे श नी त का सं चालन गुट नरपे ता है।
भारत क वतं ता के समय व शीत यु क ओर अ सर था जसम एक ओर अमे रका सो वयत सं घ के सा यवाद के सार को रोकने
हेतु और सरी ओर सो वयत सं घ अमे रका के पूंजीवाद को रोकने हेतु व भ कार के सै नक गुट का नमाण कर रहे थे जससे व इस
व
ु ीय महाश य के जाल म फंसता जा रहा था।
1. भारत कसी एक श प
ु से जुड़कर वै क तनाव को नह बढ़ाना चाहता है।
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3. भारत अपने आ थक वकास के लए दोन महाश य से बराबरी का सं बंध बनाए रखने का प धर है।
4. गुट नरपे ता क नी त भारत क सामा जक, साम रक, भौगो लक, राजनी तक, आ थक और सां कृ तक मांग के अनु प है।
अपनी थापना से आज तक गुट नरपे आंदोलन ने कई मह वपूण उपल धयां हा सल क है। जैसे:-
उप नवेशवाद क समा त।
सा ा यवाद क समा त।
रंगभेद नी त का उ मूलन।
सो वयत सं घ के वघटन और शीत यु क समा त के साथ ही व एक व ु ीय व था म बदल गया जससे सं यु रा अमे रका और
सो वयत सं घ के टकराव क थ त ख म हो गई है। इस थ त म यह माना जाने लगा क गुट नरपे आंदोलन क उ प जस उ े य को ले कर
क गई वह उ े य पूण हो चूका है। अतः अब गुट नरपे आंदोलन क ासं गकता ख म हो गई है। परंतु आज भी गुट नरपे आंदोलन
ासं गकता बनी ई। न न ल खत ब से प है क य आज भी गुट नरपे आंदोलन ज री/ ासं गक है :-
सं भु रा क समानता और सं भुता क सु र ा क से ।
द ण-द ण सहयोग क से ।
नोट :- गुट नरपे आंदोलन के जनक भारत के पं डत जवाहरलाल नेह , यू गो ला वया के माशल ट टो और म के ना सर है।
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भारत के थम धानमं ी पं डत जवाहरलाल नेह से ले कर वतमान सरकार तक सभी ने गुट नरपे नी त का पालन कया। भारत ने
वतमान म न न ल खत मु पर गुट नरपे आंदोलन का एक उ चत मंच के प म भावी उपयोग कया है :-
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1990 के दशक के आ थक सु धार के बाद से वतमान म भारत एक तेजी से उभरती ई अथ व था है। भारत म आ थक सु धार क
वदे श नी त के मु य आधार बने ए है। वतमान सरकार क मौजूदा वदे श नी त न न कार है :-
वसु धव
ै कुटु बकम क परंपरा के अनु प वदे श नी त का सं चालन।
1. ापार
2. सं कृ त
3. सं पक
1. नरंतर वाता
2. आ थक समृ को ो साहन
4. रा ीय सु र ा का समथन
पड़ोस पहले क नी त :-
16व लोकसभा चुनाव 2014 म नर मोद के नेतृ व म सरकार बनने के उपरांत भारतीय वदे श नी त म एक नवीन आयाम का
सू पात आ, वह है पड़ोस पहले क नी त।
इस नी त के मु य ब इस कार ह :-
धानमं ी मोद ने अपने शपथ हण समारोह म साक दे श के रा ा य को बुलाकर अपने पड़ोसी दे श के साथ सघन
सं पक था पत करने का अभूतपूव उदाहरण तु त कया। इसके अलावा धानमं ी मोद ने सभी पड़ोसी दे श क या ा कर एक नवीन
अ याय का सू पात कया।
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2. पड़ोसी दे श के साथ संबध
ं सुधार :-
भारत ने अपनी पड़ोस पहले क नी त के तहत अपने पड़ो सय के साथ सं बंध मजबूत करने के लए अनेक कदम उठाए।
जैसे -
4. ए ट ई ट नी त :-
मोद सरकार ने पहले क "लु क ई ट" एवं "लु क वे ट" क नी त म बदलाव करते ए "ए ट ई ट" नी त का पालन कया जसके ारा
पूव के दे श के साथ मलकर वशे षकर आ सयान, जापान, द ण को रया एवं ऑ े लया के साथ आ थक सं बंध को सु धारा गया है।
आतंकवाद का सार
भारत एवं ईरान म घ न सं बंध। ईरान के चाबहार बंदरगाह म भारत का भारी नवेश।
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दोन ही दे श आतंकवाद से उ पी ड़त ह।
जल ौ ो गक , च क सा, सु र ा, उ च तकनीक , नवाचार एवं कृ ष म इजराइल भारत क मदद कर सकता है, वह भारत इजरायली
उ पाद को बेचने म बड़ा बाजार दान कर सकता है।
उपरो त य से प है क भारतीय म य पूव क वदे श नी त एक चुनौतीपूण काय है जसम एक तरफ अरब दे श है और सरी तरफ
इजराइल जो क एक सरे के धुर- वरोधी ह। भारत का एक ओर अरब दे श से अपनी ऊजा आव यकता क पू त हेतु अ छे सं बंध बनाए
रखना ज री है वह र ा और ौ ो गक के सं बंध म इजरायल के साथ भी अ छे सं बंध रखना भी ज री है।
भारत और स संबध
ं :-
भारत एवं स पर परागत म रहे है। 1991 म सो वयत सं घ के पतन और भारत के ारा वै ीकरण क थापना के उपरांत पुर ानी
गाढ़ता म कमी अव य आई है परंतु आज भी भारत अपने र ा एवं सै य उपकरण क आव यकता क पू त हेतु स पर नभर है।
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इस सं दभ म टे न क त कालीन धानमं ी व टन च चल का यह कथन अ यं त मह वपूण है, "ह यार क लड़ाई से बेहतर है जुबानी जंग। यह
बेहतर होगा क ऐसा व मंच बने जहां नया के सारे दे श एक त हो और एक सरे का सर खाएं न क सर कलम करे।"
4 मा को घोषणा अ टू बर 1943
आज सं यु रा सं घ व तर पर एक भावशाली अं तररा ीय मंच है। कुछ आशावाद लोग ने इसम व सरकार के ल ण दे खे परंतु
यह उनक केवल कोरी क पना मा सा बत ई। सं यु रा सं घ के तीय महास चव डेग हेमरसो ड के अनुसार, "सं यु रा सं घ का गठन
मानवता को वग तक प चं ाने के लए नह ब क उसे नक से बचाने के लए आ है।"
सं यु रा सं घ के मुख अं ग : 6
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सं यु रा महासभा क थम बैठक : 10 जून 1946 को लं दन म
सं थापक सद य : 51
वतमान सद य : 193
संयु रा संघ के ल य :-
सं यु रा सं घ के चाटर क तावना म इसके न न ल खत ल य उ ले खत ह :-
3. व भ रा क पर पर सं धय का आदर करना।
संयु रा संघ के उ े य :-
सं यु रा सं घ के चाटर के अनु छे द एक म उसके न न ल खत उ े य बताए गए ह :-
3. आ थक, सामा जक, सां कृ तक एवं मानवीय सम या के समाधान के लए अं तररा ीय सहयोग ा त करना।
3. अं तरा ीय ववाद का शां तपूण समाधान ता क अं तरा ीय शां त, सु र ा और याय खतरे म न पड़े।
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5. सभी सद य सं यु रा सं घ को हर सं भव सहायता उपल ध कराएंगे।
1. ारं भक सद यता :-
2. अ जत सद यता :-
सद यता हण करने क शत :-
आवेदनक ा शां त य दे श होना चा हए तथा चाटर म व णत उ रदा य व का पालन करने क इ छा होनी चा हए।
न कासन :-
1. महासभा
2. सु र ा प रषद
4. अं तरा ीय यायालय
5. यास प रषद
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6. स चवालय
I. महासभा :-
इसे व क सं सद भी कहा जाता है। सं यु रा सं घ के सभी सद य महासभा के सद य होते ह। एक दे श महासभा म अ धकतम 5
त न ध भेज सकता है परंतु एक ही वोट का अ धकार होता है। महासभा कसी भी अं तरा ीय सम या को रखने और अ याय के खलाफ
आवाज उठाने वाला मंच है जसम सभी सद य के वचार सु ने जाते ह।
सं यु रा महासभा के न न ल खत काय ह :-
महासभा का संगठन :-
कुल सद य : 193
थम सभाप त : पॉल पू क
उपा य : 17
थायी स म तयां : 7
महासभा के स :-
वशेष स :-
सु र ा प रषद या ब मत सद य के अनुर ोध पर महासभा का 24 घंटे के भीतर सं कटकालीन अ धवेशन बुलाया जा सकता है जसम
महासभा उ ह वषय पर वचार- वमश करती ह जसके लए अ धवेशन बुलाने क मांग क गई है।
महासभा का मू यांकन :-
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1950 म को रया सं कट के समय महासभा ारा पा रत "शां त के लए सं ग ठत एकता ताव" से महासभा क श य और
भू मका म आ यजनक प रवतन ए। इस ताव ने महासभा को सं यु रा क सामू हक सु र ा का सं र क बना दया। इस ताव के
अनुसार य द सु र ा प रषद अं तररा ीय शां त को खतरा होने, शां त भंग होने और आ मण क थ त म अं तरा ीय शां त और सु र ा बनाए
रखने म असफल रहती है तो महासभा अपने सद य से उ चत सफा रश करने के लए मामले को एकदम अपने हाथ म ले ले गी ता क सामू हक
यास कए जा सके।
अत: महासभा के मू यांकन म टाक का कथन उ चत तीत होता है क "अं तरा ीय शां त और सु र ा के पर महासभा वहा रक प से
मु य व प हण करने के यो य हो गई ह, यह सचमुच म वल ण है।"
पामर एवं पा कस ने इसे सं यु रा सं घ क कुंजी कहा है। जी.जे. मैगॉन ने ठ क ही कहा है क "अं तरा ीय यु को रोकने के लए न तो सारे
व म और न ही इ तहास म कह भी इतना श शाली अं ग मलता है।"
कुल सद य : 15
अ थायी सद य : 10
अ थायी सद य तवष 5 सद य दो वष के लए महासभा ारा चुने जाते ह जनको चुनते समय महासभा न न त न ध व का
यान रखती ह ता क सु र ा प रषद म सभी े को व ापी त न ध व मल सके :-
ए शया-अ का से : 5 सद य
द ण अमे रका से : 2 सद य
प मी यू र ोप और अ य े से : 2 सद य
पूव यू र ोप से : एक सद य
3. नवाचन संबध
ं ी काय :-
सु र ा प रषद अं तरा ीय ववाद के शां तपूण नपटारे हेतु सव थम ताव पा रत करती है। उसके बाद आ थक तबंध लगाने
पर वचार करती है। इन दोन क असफलता के बाद ही सु र ा प रषद सै नक कारवाई पर वचार करती है।
संरचना :-
यायाधीश क यो यता :-
उ च नै तक च र हो।
यायाधीश का चुनाव :-
यायाधीश का कायकाल :-
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यायाधीश अपने म से ही एक सभाप त और उपसभाप त को तीन वष के लए चुनते है।
2. अ नवाय े ा धकार :-
सं धय क ा या करना।
3. सलाहकार े ा धकार :-
अं तरा ीय यायालय के पास सलाहकारी े ा धकार के तहत महासभा, सु र ा प रषद एवं अ य एज सय ारा कानूनी
पर ल खत नवेदन करने पर सलाह दे ने का अ धकार है। सलाह मांगने वाली सं था ारा सलाह मानना अ नवाय नह है।
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V. सामा जक एवं आ थक प रषद :-
आ थक एवं सामा जक प रषद इस धारणा पर आधा रत है क अं तरा ीय शां त केवल राजनी त ववाद के समाधान पर ही नह
नभर करती ब क अं तरा ीय आ थक, सामा जक और उनसे सं बं धत अ य सम या के सं बंध म उ चत एवं भावपूण कायवाही पर भी नभर
करती ह।
शां त व था को थायी प से बनाए रखने के लए जीवन का उ च तर, पूण रोजगार, आ थक-सामा जक उ त और वकास क
प र थ तयां अ यं त आव यक है।
सद य :-
कायकाल :-
नवाचन :-
महासभा ारा।
अ धवेशन :-
काय :-
1. अं तरा ीय आ थक एवं सामा जक मु पर चचा के लए एक क य मंच के प म काय करना और इस वषय म महासभा, व श
अ भकरण और सद य रा को सु झाव दे ना।
2. अं तरा ीय आ थक, सामा जक, सां कृ तक, शै णक, वा य एवं अ य सं बं धत मामल पर अ ययन करना और महासभा को
तवेदन दे ना।
वतमान म 2015 से सामा जक-आ थक प रषद "सतत वकास ल य " को ा त करने के लए य नरत है जसे 2030 तक ा त करना
है।
VI. स चवालय :-
स चवालय सं यु रा सं घ का एक थायी शास नक अं ग है। यह व भ अं ग ारा स पी गई नी तय और काय म को
या वत करता है। स चवालय का मुख महास चव होता है जसक नयु सु र ा प रषद के परामश पर महासभा ारा क जाती है।
सं यु रा सं घ के दै नक काय करना।
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स चवालय के धान के प म काय करना।
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उप नवेशवाद और सा ा यवाद के उ मूलन म भावी योगदान।
व था पत का पुनवास।
3. इंडोने शया ववाद :- 1947 म पोलड एवं इंडोने शया म यु होना, 1950 म इंडोने शया को वतं ता।
5. द ण अ का म न लवाद :- 1948 म द णी अ का क त
े सरकार ारा रंगभेद क नी त अपनाना।
6. कांगो सं कट :- 1960 म कांगो म छड़ा गृहयु जसम सं यु रा शां त से ना ने मह वपूण भू मका नभाई है।
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2003 म इराक पर अमे रक आ मण
फ ल तीन, बां लादे श, बो नया, सू डान एवं सी रया म नरसं हार रोकने म नाकाम।
ली बया म प मी दे श क कायवाही।
वतमान वै क सम याएं सावभौ मक कृ त क है जनका एक रा य ारा समाधान सं भव नह है। जैसे आतंकवाद, साइबर ाइम,
नशीली व तु का अवैध ापार, पयावरणीय सम याएं आ द। अतः इन वै क सम या के समाधान म सभी दे श का सहयोग
आव यक है जो क सं यु रा सं घ क अगुवाई म ही ा त कया जा सकता है।
सं यु रा सं घ एक वै क मंच के प म सभी दे श को वैचा रक मंच दान करता है, जहां सभी दे श एक त होकर अपनी सम या
को रख सकते ह।
सं यु रा सं घ को व ीय प से सश बनाया जाए।
अ थायी सद य क सं या म भी वृ क जाए।
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भारत के पड़ोसी दे श म सवा धक मह वपूण और बेहद सं वेदनशील सं बंध वतमान समय म चीन, नेपाल और पा क तान के साथ ही
बने ए ह। य प भारत क वदे श नी त का मूल त व है क पड़ोसी दे श के साथ स ाव, शां त और मह वपूण सं बंध रखे जाए। परंतु यह कहा
जाता है क मै ीपूण सं बंध का नवहन करने के लए दोन प क पर पर सहम त और वे छा का होना आव यक है। इस से भारत अपनी
सीमा से सटे पड़ो सय के साथ सौहादपूण सं बंध का हमायती तो अव य है परंतु अपनी सीमा म घुसपैठ, अ त मण और दे श के अं द नी
मामल म ह त प े क क मत वह चुप नह बैठ सकता। इस लए जब भी पड़ोसी रा अपनी हद को पार करने लगते ह तो भारत को इसका
यु र दे ना ही पड़ता है।
वतं ता उपरांत भारत ारा पड़ोसी दे श के साथ जस सं बंध क आव यकता महसू स क गई वैसे सं बंध था पत नह हो पाए। एक
ओर पा क तान के साथ भारत का नरंतर और एक अघो षत सं घष क थ त चल रही है वह चीन के साथ भी लगभग यही थ त है और नेपाल
के साथ भारत सदै व वशे ष सं बंध बनाना चाहता है परंतु नेपाल भारत और चीन के साथ सम- र थ स ांत के तहत अपनी वदे श नी त का
सं चालन करना चाहता है।
1. वभाजन से उ प सम याएं
मद य GDP के अनुसार
भारत पा क तान
3. आतंक ग त व धय पर 0 8%
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वभाजन से उ प होने वाली सम याएं :-
1. क मीर ववाद
2. हैदराबाद ववाद
3. जूनागढ़ ववाद
4. ऋण अदायगी का
6. शरणा थय का
क मीर ववाद :-
क मीर क सम या भारत और पा क तान के म य एक वलं त और थाई सम या है। यह एक स य वालामुखी के समान है जो समय
समय पर अपना लावा उगलती रहती ह।
क मीर क सम या भारत-पा क तान वभाजन के साथ ही ारंभ ई। दे सी रयासत के वलय के सं बंध म टश सरकार ारा उन
दे सी रयासत को अ धकार दया गया क :-
इस सं बंध म क मीर रयासत ने कोई ता का लक नणय नह लया जसके कारण पा क तान जो क क मीर को अपने दे श म
शा मल करना चाहता था, ने कबाय लय क मदद से 22 अ टू बर 1947 को क मीर पर आ मण कर दया जसका क मीरी से ना सामना नह
कर सक । चार दन म आ मणकारी कबायली से ना ीनगर से 25 कलोमीटर र बारामुला तक प च ं गई। तब क मीर के राजा हरी सह ने
भारत से सहायता क गुहार क जस पर धानमं ी नेह ने क मीर के वलय का ताव रखा। इसे राजा ह र सह ारा मान लया गया। इस
कार 27 अ टू बर 1947 को क मीर का भारत म आ धका रक प से वलय आ। साथ ही उसी दन भारतीय से ना ने क मीर म वेश कर
कबाय लय को खदे ड़ दया।
ारंभ म पा क तान का कहना था क क मीर पर कबाय लय ने हमला कया परंतु बाद म इस बात के माण मलने लगे
क पा क तान सरकार वयं इन कबाय लय क मदद कर रही है। इस पर धानमं ी नेह ने 1 जनवरी 1948 को सु र ा प रषद म शकायत
क क पा क तान क सहायता से कबाय लय ने भारत के भू-भाग क मीर पर हमला कर दया जससे अं तररा ीय शां त को खतरा उ प हो
गया है।
संयु रा आयोग :-
भारत ारा क मीर पर पा क तान के आ मण क शकायत सु र ा प रषद म करने पर मौके क थ त का अ ययन करने के लए
5 सद यीय सं यु रा आयोग का गठन कया गया जसके सद य चेको लोवा कया, अजट ना, अमे रका, कोलं बया और बे जयम थे।
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सं यु रा आयोग ने त काल काय ारंभ करते ए और मौके क थ त का अ ययन कर 13 अग त 1948 को समझौते हेतु
न न ल खत सु झाव दए :-
पा क तान समझौते क उपयु शत क पालना कर भारत को सू चत कर ता क भारत भी अपनी अ धकांश से नाएं हटाए।
भारत सरकार क मीर म उतनी ही से ना रख जतनी कानून और व था बनाए रखने हेतु आव यक हो।
ज मू क मीर म जनमत सं ह कराने के लए अमे रक नाग रक एड मरल चे टर न म ज को शासक नयु कया गया जसने
दोन प से बातचीत क परंतु कोई प रणाम नह नकला। अं ततः उ ह ने अपने पद से इ तीफा दे दया।
वतमान थ त :-
यु वराम होने और लाइन ऑफ कं ोल का नधारण होने पर क मीर का 32000 वग मील का े पा क तान के अधीन रह गया
जसे पा क तान "आजाद क मीर" के नाम से पुकारता है, वह 53000 वग मील का े भारत के अ धकार े म आ गया।
भारत-पाक यु -1965 :-
1947 म भारत के वभाजन के उपरांत भी भारत के गुजरात ांत और पा क तान के सध ांत के बीच समु सीमा लाइन का
वभाजन नह हो पाया था और यह े क छ के रन के नाम से व यात ह।
त प ात क छ के रन के े म तेल और ाकृ तक गैस के वशाल भंडार होने क सं भावना के कारण इसका और अ धक मह व बढ़ गया
और पा क तान इस पर अपना दावा जताने लगा। इसके लए पा क तान ने दोहरी रणनी त के तहत क छ के रन म घुसपैठ क ता क वह भारत
का यान इस दशा म भटका कर क मीर म घुसपैठ कर और क मी रय के सहयोग से क मीर को हड़प ले । क छ म घुसपैठ के उपरांत 4-5
अग त 1965 को पा क तान क से ना ने घुसपै ठय के वेश म सीमा पार कर क मीर म वेश कया परंतु पा क तान क सा जश नाकाम ई।
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क मीर के थानीय लोग ने घुसपैठ क जानकारी भारतीय से ना को दे ते ए भारत का साथ दया। भारत सरकार ने उन थान पर अ धकार करने
का नणय लया जहां से पा क तानी घुसपै ठये भारत म वेश करते थे। इसी बीच पा क तान क नय मत से ना ने अं तररा ीय सीमा रेखा पार
कर भारतीय भू-भाग पर हमला कर दया और दोन दे श के म य यु ारंभ हो गया। भारत ने इस यु म 750 वगमील पा क तानी भू म पर
क जा कर लया और पा क तान को करारी हार का सामना करना पड़ा। अं ततः सं यु रा सं घ क सु र ा प रषद के ताव पर दोन दे श ने
यु वराम आ और 22 सतंबर 1965 को यु समा त आ।
ताशकंद समझौता :-
सो वयत सं घ के यास के प रणाम व प 10 जनवरी 1966 को ताशकंद म भारत और पा क तान म समझौता आ जो ताशकंद
समझौते के नाम से जाना जाता है। भारत क ओर से धानमं ी लाल बहा र शा ी और पा क तान क ओर से रा प त अयू ब खान ने समझौते
पर ह ता र कए। समझौते के मूल ावधान इस कार है :-
यु बं दय क अदला-बदली करगे।
भारत-पाक यु 1971 :-
1965 के यु के बाद पा क तान के हालात बदतर होने लगे। रा प त अयू ब खां को अपद थ कर जनरल या ा खान ने स ा
सं भाली। 1947 से ही प मी पा क तान और पूव पा क तान म स ा के ग तरोध, सां कृ तक भ ता और भौगो लक री के कारण नरंतर
तनाव बना रहा जसके कारण दोन दल का साथ चलना मु कल होता जा रहा था। 1970 के आम चुनाव म पूव पा क तान क वधानसभा म
शे ख मुजीबुरहमान क अवामी लीग को प ब मत मला जसे पा क तान क सै य सरकार ने वीकार नह कया और अं ततः शे ख मुजीब को
गर तार कर प म पा क तान ले जाया गया। इससे पूव पा क तान म वाय ता हेतु आंदोलन होने लगे जस पर पा क तान ने यहां सै य
शासन लागू कर बंगा लय और वशे षकर ह को नशाना बनाते ए भयं कर नरसं हार कया। इस कारण पूव पा क तान के लोग घबराकर
भारतीय सीमा म वेश करने लगे। इस कार भारत म शरणा थय क सं या एक करोड़ तक प च ं गई और भारतीय अथ व था असं तु लत
होने लगी। भारत ने अं तररा ीय समुदाय से इसक शकायत क परंतु कोई कारवाई नह होने पर भारत ने बां लादे श क वाय ता का समथन
कया जस पर 3 दसं बर 1971 को पा क तानी वायु सेना ने भारतीय हवाई अ पर भीषण बमबारी क । भारत ने इसे यु क पहल मानते ए
4 दसं बर 1971 को जवाबी कारवाई करते ए वायु सेना, नौसे ना और थलसे ना के मा यम से पूव एवं प मी पा क तान पर भीषण हमला कया
और पा क तान को चार खाने चत कर दया। मा 13 दन चले इस यु के उपरांत 16 दसं बर 1971 को पा क तान के जनरल नयाजी ने
भारत के ले टनट जनरल जगजीत सह अरोड़ा के सामने 93000 पा क तानी सै नक स हत आ मसमपण कर दया और बां लादे श का उदय
आ। भारत ने इस यु म लगभग 6000 वगमील पा क तानी भू म पर क जा कया।
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समझौते के ावधान इस कार ह :-
आपसी सं बंध को सामा य बनाने के लए सं चार से वा, या ा से वा, ापा रक से वा और आ थक सहयोग को बढ़ावा दया जाएगा।
यु बं दय को छोड़ा जाएगा।
शमला समझौते के आलोचक का कहना है क भारत के सै नक ने जसे यु के मैदान म जीता था उसे भारत क
कूटनी त ने शमला म खो दया।
आतंकवाद और पा क तान :-
आतंकवाद का पा क तान के साथ गहरा सं बंध रहा है। वगत वष म खाड़ी दे श म जेहाद जुनन
ू को गैर- ज मेदाराना ढं ग से
भड़काने से धा मक क रवाद को बढ़ावा मला है। इसी धा मक क रवाद ने जेहाद (आतंकवाद) को बढ़ावा दया है।
इसके अलावा 1979 म सो वयत सं घ ारा अफगा न तान म से ना तैनात करने पर अमे रका ने पा क तान क धरती का उपयोग कर
ता लबान नामक आतंकवाद सं गठन का समथन कर उसे पो षत कया। पछले तीन दशक से अफगा न तान म चल रहे गृहयु से परेशान लोग
शरणाथ के प म पा क तान प च ं रहे। पा क तान ारा इ ह पेशेवर जेहा दय के प म श त कर क मीर म वेश करवाया जा रहा है जो
क अब जगजा हर हो चुका है।
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भारत-पाक र त को सुधारने के य न :-
भारत-पाक सं बंध को सामा य बनाने के लए काफ यास कए गए जो क इस कार ह :-
समझौता ववरण
1. ताशकंद समझौता 1966 1965 म भारत-पाक के यु के बाद
ापार समझौता
6. गुट नरपे आंदोलन क सद यता 1979 म पा क तान ारा सटो क सद यता छोड़ने पर गुट नरपे
आंदोलन के हवाना शखर स मेलन म पाक को सद यता मली।
द ली-लाहौर बस से वा ारंभ
11. आगरा शखर वाता 2001 2001 म अटल बहारी वाजपेई और जनरल परवेज मुशरफ के बीच
वाता-दर-वाता नतीजा शू य :-
भारत और पा क तान म सं बंध सु धारने हेतु अनेक वाता का दौर चला, चाहे वह दोन दे श के रा ा य के म य हो या वदे श
मं य के म य हो या वदे श स चव के म य हो या त न धमंडल वाताएं हो। परंतु सभी वाता म पा क तान ारा क मीर मु े को ाथ मकता
के साथ उठाने के कारण लगभग सभी वाताएं असफल रही ह य क भारत क मीर को अपना अ भ अं ग मानता है और उसम पा क तान का
हत प े वीकार नह है। इसके अलावा पा क तान ारा ायो जत आतंकवाद से क मीर और शे ष भारत म अनेक आतंकवाद हमले ए और
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पा क तान इन हमल के सा जशकता हा फज सईद, मसू द अजहर, दाउद इ ा हम आ द को पनाह दे रहा है।
25 दसं बर 2015 को नर मोद अपनी अफगा न तान से या ा से लौटते समय अचानक लाहौर प च ं े और नवाज शरीफ को ज म दन
क बधाई द एवं उनक ना तन क शाद पर आशीवाद दया। मोद क इस आक मक या ा से सं पूण व म इस बात का सं केत गया क अब
भारत और पा क तान म ऐ तहा सक पहल होने वाली है परंतु 1 जनवरी 2016 को पठानकोट एयरबेस पर आतंकवाद हमला होने और इसम
पाक आतंकवा दय के हाथ होने के सबूत उपल ध कराने के बावजूद भी पा क तान ने उनको नकार दया। त प ात सतंबर 2016 म उरी म
भारतीय सै य श वर पर हमला होने पर भारत ने स त कदम उठाया और भारतीय से ना ने पाक अ धकृत क मीर म घुसकर आतंक श वर पर
स जकल ाइक क । भारत क स जकल ाइक से भारत और पा क तान के सं बंध म काफ कड़वाहट आई जो क सीमा पार से आए दन
पाक से ना ारा यु वराम का उ लं घन करने और भारतीय से ना व थानीय नवा सय को नशाना बनाने से प प से जा हर है।
इसके बाद 14 फरवरी 2019 को जैश-ए-मोह मद नामक आतंक सं गठन ने सीआरपीएफ के का फले पर हमला कया जसम 40 जवान
शहीद हो गए। भारत ने इस घटना के 13 दन बाद 26 फरवरी 2019 को वायु से ना ारा पा क तान के बालाकोट म आतंक श वर पर एयर
ाइक क जससे 300 से अ धक आतं कय के मारे जाने क सं भावना बताई गई। इस एयर ाइक के बाद पा क तानी वायु सेना के F-16
वमान ने भारतीय े म घुसपैठ क जस पर भारत के मग-21 ने उसे मार गराया। इसम मग-21 भी घटना त हो गया और पायलट
अ भनंदन पैर ाशू ट से पा क तान सीमा म उतर गए ज ह भारत के दबाव के कारण पा क तान को छोड़ना पड़ा।
वतमान म भारत ारा ज मू-क मीर से धारा 370 हटा ले ने से पा क तान तल मला उठा है और ज मू क मीर म मानवा धकार के हनन
को ले कर वै क मंच पर मांग उठाता रहा परंतु भारत के प रवैये और कूटनी त के चलते पा क तान को कोई सफलता हा सल नह हो पाई
और वह वै क समुदाय से अलग-थलग पड़ गया है।
भारत-चीन संबंध :-
ऐ तहा सक पृ भू म :-
ऐ तहा सक से दे ख तो भारत और चीन दोन दे श म हजार वष पुर ाने सां कृ तक सं बंध का उ ले ख है। चीन म बौ धम है
जसके वतक महा मा बुध का ज म भारत म ही आ था। इसके अलावा फा ान, े नसांग, इ सं ग आ द चीनी या य ने भारत क या ा क
और बौ धम क श ाएं ा त क ।
1949 म चीन म सा यवाद शासन क थापना होने के उपरांत भारत ने उसका समथन कया और सं यु रा सं घ म चीन को सद यता
दलाने व थाई सद य बनाने म मह वपूण भू मका नभाई।
चीन ने 1950 म त बत पर अपना अ धकार जमा लया जसके बाद भारत ने त बत पर चीन के अ धकार को वीकारा। त प ात
1950 के दशक म हद -चीनी भाई-भाई का नारा मुखर आ और चीन को बांडुंग स मेलन म आमं त कया गया। 1954 म त बत के सं बंध म
भारत और चीन के म य पंचशील समझौता आ।
टश शासनकाल म मैकमोहन नामक अं ेजी अफसर ने भारत और चीन के म य सीमा का नधारण कया जसे मैकमोहन रेखा
भी कहा जाता है। टश शासन काल म शमला समझौते म चीन ने इस सीमा को मा यता भी दान क परंतु कभी भी इसे मन से नह माना।
1. पंचशील का समझौता :-
भारत ने चीन के त बत पर दावे को मा यता दे ते ए 1954 म उसके साथ पंचशील का समझौता कया।
2. त बत को लेकर संबध
ं म खटास :-
3. चीन क व तारवाद नी त :-
चीनी ने अपनी व तार नी त के तहत पहले त बत पर क जा कया और हमालय के पठार म 50000 वग कमी. भू-भाग
ह थया लया और वहां पर साम रक मह व क सड़क का नमाण कर अपनी फौज तैनात कर द । इसके अलावा चीन ने ल ाख के
अ सा ई चीन दे श पर भी अपना क जा कर लया है।
चीन ने 1962 म अ णाचल दे श और ल ाख े पर हमला कर दया जसके लए भारतीय सै नक तैयार नह थे। चीन
क से ना हर मोच पर आगे बढ़ती गई जसका भारतीय सै नक बेहतर मुकाबला नह कर सके। अं ततः एक माह बाद चीन ने अपने
साम रक और राजन यक उ े य पूण होने पर एकतरफा यु वराम कर दया और कुछ पीछे हट गया।
चीन के उ वाद और व तारवाद नी त के चलते सो वयत स का भारत के त झुकाव बढ़ता गया और भारत- स म
गहरी म ता बनी य क भारत क तरह चीन और स के म य भी सीमा ववाद था। अतः सं तुलन के लए स ने भारत को चुना।
स ने हर सं कट म भारत का साथ दया। इसके अलावा परमाणु धन क आपू त, तकनीक के ह तां तरण और साम रक साजो सामान
क पू त ारा भारत को सु ढ़ सहयोग दान करता रहा है।
भारत और चीन के म य सीमा ववाद समाधान के लए वाता के कई दौर चले परंतु इनम ग तरोध बना रहा और कसी भी
कार का समझौता नह हो पाया।
7. जल ववाद :-
चीन यारलुं ग सांगपो यानी पु नद पर ऊंचे पहाड़ म वशाल बांध नमाण कर अपनी जल सु र ा सु न त करना
चाहता है। चीन का कहना है क वह इस बांध ारा केवल बजली उ पादन करना चाहता है और पानी क मा ा को भा वत नह करेगा
परंतु भारत का मानना है क चीन द ण से उ र क ओर जल वाह क योजना पर काय कर रहा है और इसके तहत वह पु नद
के पानी को सु रग
ं ारा उ र दशा क ओर मोड़ना चाहता है जससे भ व य म भारत के पूव र रा य म पानी के सं कट क थ त
पैदा हो सकती ह। भारत इस मु े को कई बार चीन के सम उठा चुका है परंतु सवाय मौ खक आ ासन के हमारे हाथ कुछ भी नह
लगा है।
चीन सु र ा प रषद क थाई सद यता क भारत क दावेदारी का कभी भी खुलकर समथन नह कर रहा है जब क चीन
को सु र ा प रषद क थाई सद यता दलवाने म भारत क मह वपूण भू मका रही है। चीन वयं को ए शया महा प म एकमा श
मानता है और भारत को थाई सद यता मलने पर उसका यह दा य व खा रज हो जाता है। इस कारण वह भारत क थाई सद यता
का खुलकर समथन नह कर रहा है।
भारत और चीन म लगभग 250 अरब डॉलर का ापार चल रहा है परंतु यह ापार भारत के त असं तु लत ह य क हमारे
ापार म चीन क भागीदारी पहले थान पर ह परंतु चीन के ापार म भारत क भागीदारी दसव थान पर भी नह है जसके कारण हमारा चीन
के साथ आयात बढ़ता जा रहा है परंतु चीन के साथ नयात म कोई ग त नह हो रही है। इस कारण भारत-चीन ापार लगभग एकतरफा है।
भारत ने समय-समय पर इस मु े को चीन के सम उठाया परंतु चीन इसे नजरअं दाज करता जा रहा है। अतः आज चीन के साथ स त ापार
ापार सं तुलन क आव यकता बनी ई है।
1977 म भारत म जनता पाट क सरकार बनने और चीन म माओ के उपरांत अ य नेता क सरकार बनने पर दोन दे श ने नए
सरे से मधुर सं बंध था पत करने के यास कए जो क इस कार ह :-
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3. चीन के रा प त शी जन पग क भारत या ा :-
मुब
ं ई और शं घ ाई म स टर सट समझौता
न कष :-
वगत वष म व व था म भारत क बढ़ती है सयत, बढ़ते आ थक वकास और आईट के े म भारतीय क वशे ष ता के चलते
दोन दे श म नजद कयाँ बढ़ है। पछले 5 वष म दोन दे श के ापार म कई गुना बढ़ोतरी ई है। साथ ही ापा रक सं तुलन भी कायम हो रहा
है। सीमा ववाद पर दोन दे श म सहम त बनती दखाई दे रही है। अतः भारत और चीन के सौहादपूण सं बंध से द ण ए शया महाद प म शां त
और वकास के नए आयाम बनने क सं भावनाएं बनती जा रही ह।
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भारत-नेपाल संबंध :-
1. आरं भक अव था :-
नेपाल हमालय क पहा ड़य पर बसा एक छोटा-सा दे श है जो क भारत और चीन के म य बफर टे ट के प म काय करता है।
यह व का एकमा ह रा था। आधु नक नेपाल का नमाता पृ वी नारायण शाह थे जनके अनुसार नेपाल दो च ान ( भारत व चीन ) के
बीच खले ए फूल के समान है। पछले 200 वष से नेपाल क वदे श नी त क यह धान वशे षता रही है क दोन पड़ोसी दे श के साथ अ छे
सं बंध रखे जाए।
भारत के उ र पूव म थत नेपाल साम रक से अ यं त मह वपूण है। 1950 म चीन ारा त बत अ धकार कर लए जाने से
नेपाल का राजनी तक मह व बढ़ गया। आज उ र म भारत सीमा क सु र ा नेपाल क सु र ा पर नभर करती है। तभी तो पं डत नेह का
यह कथन सही तीत होता है क "नेपाल पर कए जाने वाले कसी भी आ मण को भारत सहन नह कर सकता। नेपाल पर कोई भी सं भा वत
आ मण न त प से भारत क सु र ा के लए खतरा होगा।"
2. टश काल म नेपाल क थ त :-
अं तररा ीय कानून क से नेपाल हमेशा वतं दे श रहा है परंतु उसक यह वाधीनता भारतीय रजवाड़ो और रयासत क
पराधीनता से जरा भी भ नह थी। इसक पु न न ल खत त य के आधार पर क जा सकती ह :-
i. नद जल ववाद ।
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vii. एवरे ट पवत के सं बंध म चीन-नेपाल समझौता।
5. भारत-नेपाल सं ध 1950 :-
भारत-नेपाल के म य 30 जुलाई 1950 को ऐ तहा सक सं ध ई जसके न न ल खत ावधान है :-
iii. दोन दे श के नाग रक का एक- सरे के दे श म नवास करने, जमीन-जायदाद खरीदने, घूमने- फरने और ापार करने के समान
अ धकार ह गे।
8. भारत-नेपाल संबध
ं क पुन थापना :-
1962 म भारत पर चीन के आ मण से भारत क उ री सीमा सु ढ़ करना आव यक हो गया। इसके लए न न ल खत कदम उठाए
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गए :-
iii. नेपाल ारा भारत को आ त करना क नेपाल के रा ते भारत पर कोई आ मण नह होने दया जाएगा।
iv. नेपाल के सं गौली क बे से अखोरा घाट तक भारत ारा 128 मील लं बी सड़क नमाण क घोषणा।
vi. भारत ारा नेपाल को बाढ़ से बचाने, बजली आपू त करने और सचाई का लाभ प च
ं ाने के लए कोसी योजना का नमाण।
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10. भारत-नेपाल प ीय सं ध 1950 क समा त :-
भारत-नेपाल म 1950 प ीय सं ध ई जसके तहत दोन दे श एक- सरे के नाग रक को म कसी कार का भेदभाव नह करगे
और नाग रक को एक दे श से सरे दे श म नवास करने, जायदाद खरीदने, उ ोग- ापार था पत करने, रोजगार करने, घूमने- फरने और
सरकारी से वा म छू ट रहेगी।
1967 म नेपाल ने भारत सरकार से सलाह कए बगैर भारतीय लोग के लए वक पर मट क शत लगा द जो क 1950 क सं ध का
उ लं घन था। इस पर भारत ने 1989 म सं ध क अव ध पूर ी हो जाने पर इसका नवीनीकरण करने से इंकार कर दया और भारत क ओर से
सीमा शु क एवं जांच सं बंधी काय म कठोरता बरती जाने लगी जससे धीरे-धीरे भारत-नेपाल के म य तनाव गहराता गया।
1970 के दशक म नेपाल ने भारत-चीन के साथ सम री स ांत क वदे श नी त अपनाई और चीन के साथ कई समझौते कए।
1971 क भारत-पाक यु , भारत ारा 1974 म परमाणु बम का परी ण, 1975 म स कम के भारत म वलय और भारत-सो वयत सं ध के
चलते नेपाल इस बात से आशं कत था क भारत अब श सं प दे श बन गया है और वह स कम क तरह नेपाल का भी भारत म वलय कर
सकता है। इस कारण नेपाल अपनी सं भुता और रा ीय व को बनाए रखने के लए वयं को शां त े घो षत करने का दबाव बनाने लगा
नेपाल के इस ताव को भारत ने इस लए वीकार कर दया य क भारत का मानना है क नेपाल का वयं को शां त े घो षत करवाने के
पीछे यह उ े य है क नेपाल भारत को अपने लए खतरा मानता है और इस ताव के मानने से अं तररा ीय तर पर भारत क नकारा मक छ व
तु त होगी।
जून 2001 म नेपाल नरेश ान ने अपने भाई राजा वीर और उसके प रवार क ह या कर नेपाल क राजग सं भाली। राजा
बनने के उपरांत उसने सं सद य लोकतं को नुकसान प च
ं ाया और सं सद को भंग कर 2005 म नेपाल म आपातकाल लागू कर राजशाही
था पत कर द ।
भारत ने नेपाल नरेश के इस काय क नदा क और नेपाल म लोकतं क बहाली का दबाव बनाया। इसके लए भारत ने नेपाल को द
जा रही ह थयार क आपू त रोक द और 2005 म ढाका म आयो जत होने वाले द से स मेलन म भाग ले ने से मना कर दया।
इस कार नेपाल म 240 वष से चली आ रही राजशाही 28 मई 2008 को समा त हो गई और नेपाल को धम नरपे लोकतां क
गणरा य घो षत कया गया। सं वधान सभा के नणय से नेपाल नरेश का दजा एक आम आदमी के समान हो गया।
इसके उपरांत 25 अ ैल 2015 को नेपाल म आए भूकंप के बाद भारत ने सव थम नेपाल क सहायता क । भारत ने "ऑपरेशन
मै ी" नामक अ भयान चलाकर राहत काय म सहायता दान क ।
नेपाल क पहाड़ी और बहार-उ र दे श के मैदान के बीच आने वाला तराई े मधेश े कहलाता है। इस े म नेपाल के 75 म
से 22 जनपद/ जले आते ह जसम नेपाल क 40% से अ धक जनसं या नवास करती ह। मधेश े नेपाल का सबसे पछड़ा, गरीब व उपे त
े ह और इस े क स ा म भागीदारी ब त ही कम है। नेपाल क स ा पहाड़ी, ा ण, य और नेवाड़ी लोग के हाथ म रही है। मधेश
े म अ धकांशत: भारतीय मूल के मै थली, भोजपुर ी व अवधी भाषा बोलने वाले पछड़े और द लत लोग भु व है।
मधे शी सम या :-
1964 म नाग रकता अ ध नयम के ारा मधे शय को नाग रकता माण-प से वं चत करना।
मधे शी आंदोलन :-
सं वधान नमाण के समय मधे शय ने अपने तराई े के लए 2 ांत के नमाण क मांग क परंतु पहाड़ी भु व वाले स ाधारी
नेता ने मधे शय क मांग को अनसु ना कर मधेशी तराई े को पहाड़ी और मैदानी े के साथ जोड़ दया ता क स ा म मधे शय का
वच व नह हो सके। साथ ही नए सं वधान म यह ावधान कया गया क नेपाल म रा प त, धानमं ी और सं वैधा नक पद पर उ ह नेपाली
नाग रक को नयु कया जाएगा जनके माता- पता नेपाली है जब क मधे शय के माता- पता नेपाली नह है।
मधे शय ने ावधान को भेदभाव माना और वरोध दशन कया जसका सरकार ने पूण दमन करते ए मानवा धकार का खुले तौर पर
हनन कया। मधे शय ने यु र म भारत-नेपाल सीमा को बंद कर दया जससे भारत-नेपाल पारगमन एवं ापार से वा बा धत ई और नेपाल
म पे ो लयम उ पाद , गैस और दवाइय का सं कट खड़ा हो गया। इससे भारत-नेपाल के ऐ तहा सक सं बंध खतरे म पड़ गए य क नेपाल का
मानना था क भारत मधे शय का समथन कर रहा है।
नेपाल ने पे ो लयम पदाथ क क लत को दे खते ए आनन-फानन म चीन के साथ पे ो चाइना समझौते पर ह ता र कए।
इसके उपरांत नेपाल ने ग तरोध को ख म करने के लए पहला सं वधान सं शोधन कया और सं सद म जनसं या के आधार पर सीट का नधारण
कया गया और मधे शय को स ा एवं से ना म उ चत त न ध व दे ने का ावधान कया जसका भारत सरकार ने वागत कया।
नेपाल भारत व चीन के साथ सम री स ांत के साथ सं बंध वक सत करना चाहता है।
भारत के संदभ म :-
https://sites.google.com/site/gangadharsoni4/political-science/class-12/part-b?authuser=0
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पूरा नाम :
आ सयान : द णी पूव ए शयाई रा का सं घ
सं थापक सद य : इंडोने शया, मले शया, फलीप स, सगापुर एवं थाईलै ड (5)
अ य : महास चव
कायकाल : 2 वष
आ सयान के गठन के उ े य :-
1. े म आ थक ग त, सामा जक ग त एवं सां कृ तक वकास।
2. े ीय था य व एवं शां त म वृ ।
3. आ थक, सामा जक, सां कृ तक, तकनीक , वै ा नक और शास नक े म समान हत के मु पर पार प रक सहायता और स य
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सहयोग।
2. सामा जक े म भू मका :-
3. संच ार के े म भू मका :-
1969 म सं चार एवं सां कृ तक ग त व धय को बढ़ावा दे ने के लए एक समझौता कया गया जसके अं तगत
आ सयान के सद य दे श रे डयो और रदशन के मा यम से एक- सरे के काय म का पर पर आदान- दान कर सकते ह।
4. पयटन े म भू मका :-
इस े म पयटन को बढ़ावा दे ने के लए "आ सयं ट ा" नामक एक सामू हक सं गठन का नमाण कया गया जो
वीजा मु पयटन पर बल दे ता है। इसके अलावा 1971 म हवाई से वा के ापा रक अ धकार क र ा हेतु और 1972 म
फंसे ए जहाज को सहायता प च ं ाने हेतु समझौते पर भी ह ता र कए गए।
5. कृ ष और तकनीक े म भू मका :-
6. आ थक े म भू मका :-
आ सयान दे श ने आ थक े म वतं ापार े या साझा बाजार था पत करने का यास कया है जससे आपस म
आयात- नयात आसान हो सके।
1991 के आ थक सु धार के उपरांत भारत ने "लु क ई ट" क नी त अपनाई जसका सीधा सं बंध आ सयान दे श से ही था।
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1996 म ही भारत ARF का सद य बना।
2001 म भारत-आ सयान थम शखर स मेलन का आयोजन आ जो क तवष आयो जत कया जा रहा है।
वगत 10 वष म आ सयान दे श के साथ भारत का ापार बढ़कर 5 गुना हो चुका है। वतमान सरकार क "ए ट ई ट" नी त ने
ए शया- शां त े म अभूतपूव सफलता हा सल क है।
1. बाजार क आव यकता :-
3. गाढ़ मै ी संबध
ं था पत करना :-
भारत आ सयान दे श से गाढ़ मै ी सं बंध था पत कर अपनी साम रक, कूटनी तक, आ थक एवं सां कृ तक
थ त को सु ढ़ करना चाहता है।
ए शया- शां त े म थत आ सयान दे श चीन क व तारवाद नी त और सामु क सीमा ववाद के चलते चीन से
सशं कत है। भारत इन दे श के साथ मजबूत कूटनी तक एवं आ थक सं बंध था पत करना चाहता है।
सद य रा के म य हत का टकराव होना।
सद य रा का प मी रा क ओर झुकाव होना।
उपयु असफलता और आलोचना के बावजूद भी आ सयान एक असै नक सं गठन बना आ है। आ सयान क सद यता के
ार द ण-पूव ए शया के उन रा के लए खुले ह जो इसके उ े य , स ांत और योजन म व ास रखते है। आज आ सयान अपने े को
मु ापार े बनाने क ओर अ सर है। इसने सद य रा के बीच सामा जक, आ थक, सां कृ तक, तकनीक और शास नक सहयोग पर
बल दया है।
द ेस :-
एक नजर
द स
े : द ण ए शयाई े ीय सहयोग सं गठन
मूल सद य : भारत, पा क तान, बां लादे श, नेपाल, ीलं का, भूट ान एवं मालद व
पयवे क रा : 9
वै क ह से दारी :-
जनसं या म : 21%
े फल म : 3%
अथ व था म : 9.12%
ऐ तहा सक पृ भू म :-
द ण ए शया म े ीय सं गठन बनाने के यास 1947 के नई द ली म आयो जत ए शयाई स मेलन से ही ारंभ हो गए थे।
त प ात बागुई स मेलन 1950 और कोलं बो स मेलन 1954 म पुन: वचार- वमश कया गया परंतु भारत-पा क तान के पर पर तनाव के कारण
इसे मूत प नह दया जा सका।
1970 के दशक म आ सयान क सफलता से े रत होकर पुन: इस दशा म गंभीरता से वचार कया गया और 1977 म बां लादे श के
त कालीन धानमं ी जया उर रहमान अं सारी ने पहल क । 1981 म कोलं बो म सात दे श के वदे श स चव ने बां लादे श के ताव पर वचार
कया और पांच ापक े म सहयोग बढ़ाने पर सहम त द ।
1. कृ ष 2. ामीण वकास 3. रसं चार 4. मौसम 5. वा य एवं जनसं या सं बंधी ग त व धयां 6. व ान एवं ौ ो गक 7. प रवहन
8. डाक से वा 9. खेल, कला एवं सं कृ त
सद य दे श के रा मुख ारा उ घोषणा प वीकार कए जाने पर 8 दसं बर 1985 को इसक औपचा रक प से थापना ई।
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द स
े का चाटर :-
1985 म वीकार कया गया है। इसम कुल 10 अनु छे द है।
अनु छे द वषय
1 द स
े के उ े य
2 द स
े के स ांत
3 रा ा य का शखर स मेलन
6 तकनीक स म तय का ावधान
7 कायकारी स म त का ावधान
8 द स
े स चवालय का ावधान
9 व 10 व ीय सं था और अं शदान का ावधान
द स
े के उ े य :-
द स
े के चाटर के अनु छे द एक म इसके उ े य का वणन कया गया है जो क इस कार ह :-
2. सामू हक आ म नभरता म वृ
5. आ थक, सामा जक, सां कृ तक, तकनीक और वै ा नक े मस य सहयोग एवं पार प रक सहायता म वृ
द स
े के स ांत :-
चाटर के अनु छे द दो म इसके न न स ांत दए गए है :-
1. अह त प
े एवं आपसी लाभ के स ांत का स मान।
आप इन नोट् स पर आधा रत Video मेरे Youtube चैनल Gangadhar233 पर दे ख सकते है। © Gangadhar Soni
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3. इस कार का सहयोग प ीय और ब प ीय उ रदा य व का वरोध नह करेगा
सांगठ नक ढांचा :-
1. शखर स मेलन :-
अनु छे द तीन के अनुसार तवष शखर स मेलन आयो जत होगा जसम सद य दे श के रा ा य / शासना य भाग लगे।
अब तक 18 शखर स मेलन आयो जत कए जा चुके ह। 19वां शखर स मेलन 2016 म इ लामाबाद (पा क तान) म आयो जत होना था परंतु
आतंकवाद ग त व धय के कारण भारत ने इस स मेलन म भाग ले ने से मना कर दया जसके कारण यह थ गत हो गया है।
Note :- य द एक भी रा मुख शखर स मेलन म भाग ले ने से मना कर दे ता है तो शखर स मेलन थ गत कर दया जाता है।
2. मं प रषद :-
अनु छे द 4 के अनुसार मं प रषद सद य दे श के वदे श मं य क प रषद होगी। इसक वष म दो बैठक होती है।
काय :-
नी त नधारण करना
सहयोग के नए े खोजना
3. थायी स म त :-
अनु छे द 5 के अनुसार थायी स म त का नमाण सद य दे श के वदे श स चव से होगा। इसक वष म एक बैठक अ नवाय है।
काय :-
ाथ मकता का नधारण
4. तकनीक स म त :-
अनु छे द 6 के अनुसार े ीय सहयोग के नवीन वषय क खोज एवं आपसी सम वय हेतु तकनीक स म तय का नमाण कया
जाएगा जो क थायी स म त के अं तगत काय करेगी।
5. कायकारी स म त :-
6. स चवालय :-
आप इन नोट् स पर आधा रत Video मेरे Youtube चैनल Gangadhar233 पर दे ख सकते है। © Gangadhar Soni
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अनु छे द 8 म द स
े के स चवालय का ावधान है। द स
े स चवालय क थापना क घोषणा इसके सरे शखर स मेलन 1987
(बगलु ) म क गई। इसका मु यालय काठमांडू (नेपाल) म है।
काय :-
द स
े के व भ अं ग क बैठक क व था करना।
द स े म 1993 म वरीयता ापार समझौता लागू आ जसके अं तगत अ प वक सत दे श जैसे नेपाल, बां लादे श, मालद व एवं भूट ान को
वशे ष छू ट दे ने का ावधान कया गया। इस वरीयता ापार को 2004 को इ लामाबाद म ए 12व शखर स मेलन म SAFTA म प रव तत
कर दया गया।
इसे एक जनवरी 2006 से लागू कया गया। SAFTA के तहत भारत, पा क तान और ीलं का को 1 जनवरी 2009 तक सीमा शु क को
घटाकर शू य से 5% तक के लाना था जब क अ प वक सत दे श जैसे नेपाल, भूट ान, मालद व और बां लादे श को 1 जनवरी 2016 तक का
समय दया गया।
परंतु पा क तान क नी तय के कारण SAFTA को पूण प से लागू नह कया जा सका जसके कारण सद य दे श म आ थक
सहयोग क र तार धीमी रही और पर पर व ास का अभाव बना रहा ।
एक ओर यू र ोपीय यू नयन के सद य दे श म आपसी ापार कुल ापार का 55% है, NAFTA के सद य म 52% और आ सयान सद य म
20% है ,वह द स े दे श म आपसी ापार मा 5% है जो क इन दे श क जीडीपी का मा 1% है।
द स
े का मू यांकन एवं ासं गकता :-
वतमान म द से व क 22% जनसं या का त न ध व करता है। इस से यह व का सबसे बड़ा े ीय सं गठन है।
अपनी थापना से ले कर आज तक द स े के सद य रा म आ थक, तकनीक , शै क, वै ा नक और सां कृ तक सहयोग बढ़ा है। इस े को
मु ापार े बनाने क से भी अनेक यास कए गए। इन सफलता के बावजूद भी वतमान म द स े क ासं गकता पर च लगे
ए ह जो क न न ल खत त य से प है :-
चीनी ह त प
े ।
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