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राजनी त व

राजनी त व ानान
Class – 12
( RBSE अजमेर आधा रत )
Prepared By :-
गंगाधर सोनी
ा याता (राजनी त व ान )
राउमा व भोजासर (फलोद ) जोधपुर
Now - धाना यापक रामा व बांठड़ी (नागौर)

Contact No. :- B.Sc., B.Ed., M.A.(Pol.Sc.), M.A.(Hist.)


9461123805, 7976152414
NET Dec. 2013 & NET June 2019

RPSC Selections :- -: उ े य :-
Teacher – 2008 1. श क ब धु और
Senior Teacher – 2011 व ा थय को राजनी त
व ान के अ ययन म सहयोग
School Lecturer – 2017 करना
School Headmaster - 25.10.2019 से 2. मशन Merit को बढ़ावा दे ना

Home Address : गांव - खा मयाद ( लाडनूं ) नागौर


अनु म णका

भाग – अ ( राजनी त व ान क मुख अवधारणाएं )


.सं. वषय-व तु का नाम Page No.
Unit - I मुख अवधारणाएं ( 10 अंक )

1. याय 3-6

2. श , स ा और वैधता 7-12

3. धम 13-16

4. वतं ता एवं समानता 17-23

Unit - II आधु नक राजनी तक अवधारणाएँ ( 10 अंक )

5. राजनी तक समाजीकरण 24-26

6. राजनी तक सं कृ त 27-31

7. राजनी तक सहभा गता 32-36

Unit - III राजनी तक वचारधाराएँ ( 10 अंक )

8. उदारवाद 37-42

9. समाजवाद 43-47

10. मा सवाद 48-56

11. गांधीवाद 57-66

Unit - IV भारतीय राजनी त के उभरते आयाम ( 10 अंक )

12. नयोजन एवं वकास - नी त आयोग 67-71

13. पयावरण और ाकृ तक संसाधन 72-79

14. भारत एवं वै ीकरण 80-88

15. नवीन सामा जक आ दोलन 89-90

16. सामा जक और आ थक याय एवं म हला आर ण 91-96

Note : कसी भी वषय-व तु म वरोधाभास क थ त म पा -पु तक को ाथ मकता द जाएगी |


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याय क मुख अवधारणाएं


याय का अथ :-
याय या नJustice लै टन श द Justia से बना है जसका अथ है जोड़ना या स म लत करना।

याय श द क ा या अलग अलग वचारक ने अपने अपने ढं ग से क है। जहां ाचीन भारतीय वचारक ने याय को धम से जोड़कर कत
पालन पर बल दया है। वह पा ा य वचारक म सव थम ले ट ो ने याय को आ मीय गुण माना, अर तु ने याय को स गुण माना, म यकालीन
वचारक ने के रा य क त कत के पालन को याय माना।

आधु नक काल म डे वड यू म, बथम, मल आ द ने याय को उपयो गता के स ांत से स ब कया है, वह जॉन रॉ स ने औ च य पूण याय
क चचा क है।

(A) लेटो क याय क अवधारणा :-

पा ा य वचारक म से सव थम ले ट ो ने ही याय क अवधारणा क ा या क है। उसने अपनी पु तक रप लक म याय को समझाने का


यास कया है। ले ट ो के समय यू नान म याय सं बंधी न न तीन स ांत च लत थे :-

1. परंपरावाद :- इस स ांत के तपादक सै फालस थे।उसके अनुसार याय स य बोलने और कज चुकाने म न हत है।

2. उ वाद :- इस स ांत के तपादक ेसीमेकस थे। उसके अनुसार श शाली का हत ही याय है।

3. यथाथवाद :- इस स ांत के तपादक यूकोन थे।

इसके अनुसार याय भय का शशु है और कमजोर क आव यकता है।

ले ट ो इन तीन वचारधारा से सहमत नह था। उसने याय को आ मा का स गुण माना है। उसके अनुसार याय से ता पय है :- ये क
ारा अपना न द काय करना और सर के काय म ह त प े नह करना।

इस सं बंध म ले ट ो ने याय के दो प बताए ह :-

1. गत याय :-

गत याय के अनुसार ले ट ो का मानना था क त को वही काय करना चा हए जसको करने म वह ाकृ तक प से समथ और
स म हो। जैसे कसी म अ यापन क मता है तो उसे श ण काय, सीमा क र ा करने क मता है तो उसे सै नक काय और
उ पादन करने क मता है तो उसे कसान का काय करना चा हए।

2. सामा जक याय :-

ले ट ो के अनुसार मानव आ मा म तीन त व पाए जाते ह :- तृ णा, साहस और ववेक।

आ मा के इन तीन त व के अनुसार उसने समाज को तीन भाग म वभा जत कया है :-

उ पादक वग :- इस वग म इं य तृ णा और इ छा त व क धानता पाई जाती ह। इस वग म कसान, ापारी आ द आते ह।

सै नक वग :- इस वग म साहस तथा शौय त व क धानता पाई जाती ह। ऐसे सै नक काय करते ह।

आप इन नोट् स पर आधा रत Video मेरे Youtube चैनल Gangadhar233 पर दे ख सकते है। © Gangadhar Soni
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शासक वग :- इस वग के य म ववेक अथात बु त व क धानता पाई जाती ह। ऐसे शासन या म भाग ले ते ह। जैसे शासक
मं ी, अ धकारी, यायाधीश आ द। ले ट ो ने इस वग को अ भभावक वग भी कहा है ।

इस कार ले ट ो के अनुसार जस कार आ मा मनु य के व भ प म सं तुलन था पत कए रहती है, ठ क उसी कार य द समाज के तीन
वग अपनी अपनी मता से अपने न द काय कर और अ य के काय म ह त प े नह कर तो रा य म याय क थापना होगी।

इस कार ले ट ो ने याय को नै तक स ांत के पम तपा दत कया है ।

( B ) अर तु क याय संबध
ं ी अवधारणा :-
अर तू ले ट ो का श य था। उसके अनुसार याय का सरोकार मानवीय सं बंध के लए नयमन से है। अर तु ने याय क कानूनी
अवधारणा तु त क । अर तु ने याय को दो प म तु त कया है :-

1. वतरणा मक याय :-

अर तु के अनुसार पद, त ा, धनसं पदा, श व राजनी तक अ धकार का वतरण क यो यता और उसके ारा रा य के त क गई
से वा के अनुसार कया जाना चा हए।

अर तु के अनुसार याय का वतरण अं कग णतीय अनुपात से न होकर रेखाग णतीय अनुपात म होना चा हए अथात सबको बराबर ह सा न
मलकर अपनी अपनी यो यता के अनुसार ह सा मलना चा हए।

2. सुधारा मक याय :-
इस याय के अनुसार नाग रक को वतरणा मक याय से ा त अ धकार का अ य ारा पयोग व हनन नह हो । रा य के
जीवन, सं प , स मान, वतं ता व अ धकार क र ा कर अथात वतरणा मक याय से ा त अ धकार क रा य ारा र ा करना ही
सु धारा मक याय है।

इस कार अर तु के याय क अवधारणा कानूनी थी।

(C) म यकालीन याय क अवधारणा :-


म यकाल म सं त अग टाइन और थामस ए वनास ने याय क अवधारणा तु त क है। इस काल म रा य को ई रीय कृ त माना जाता था।

सं त ऑग टाइन ने अपनी पु तक " द सट ऑफ गॉड " म याय क अवधारणा तु त क है।

सं त अग टाइन के अनुसार ारा ई रीय रा य के त कत पालन ही याय ह।

थॉमस ए वनास के अनुसार याय एक व थत व अनुशा सत जीवन तीत करने म और व था के अनुसार कत के पालन म न हत है।

(D) आधु नक काल म याय संबध


ं ी अवधारणा :-
आधु नक यु ग म डे वड यू म, जेरम
े ी बथम और जॉन टू अट मल ने उपयो गतावाद स ांत के आधार पर याय के यय को प रभा षत करने
का काय कया है।

डे वड यूम के अनुसार याय उन नयम क पालना मा ह जो सव हत का आधार ह।

इसी कार बथम के अनुसार सावज नक व तु , से वा , पद आ द का वतरण उपयो गतावाद स ांत के आधार पर हो। अथात जो उपयोगी
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है और सु खदायक ह वही काय होने चा हए। इस कार बे थम ने अ धकतम लोग के अ धकतम सु ख के आधार पर याय क अवधारणा तु त
क है।

जॉन टू अट मल के अनुसार मनु य अपनी सु र ा हेतु ऐसे नै तक नयम वीकार करता है जनसे सरे भी वैसी ही सु र ा का अनुभव कर सके।
अथात उपयो गता ही याय का मूल मं है।

(E) जॉन रॉ स के याय संबध


ं ी वचार :-
जॉन रॉ स ने अपनी पु तक योरी ऑफ़ ज टस म सामा जक याय का व ष े ण कया है। रॉ स परंपरावा दय के इस वचार से असं तु थे क
सामा जक सं था को यायपूण बनाने पर बल दया जाए। रॉ स उपयो गतावा दय के अ धकतम लोग के अ धकतम सु ख पर आधा रत याय
व था क धारणा को दोषपूण बताते ए कहा है क इस स ांत से ब मत क अ पमत पर तानाशाही था पत होती ह अथात कसी काय को
करने से य द 80% लोग का क याण होता है तो भी उस काय को याय द नह ठहराया जा सकता है य क वह काय 20% लोग के व है।

रॉ स सं वैधा नक लोकतं म याय के 2 मौ लक नै तक स ांत बताए ह :-

1. अ धकतम वतं ता वयं वतं ता क सु र ा के लए आव यक ह। इस स ांत के अनुसार ये क को उतनी ही ापक वतं ता


मलनी चा हए जो अ य लोग को ा त है अथात एक म हला को भी उतनी ही वतं ता मलनी चा हए जतनी क एक पु ष को मलती है।

2. और रा य ारा ऐसी सामा जक व आ थक थ तयाँ था पत क जानी चा हए जो सबके लए क याणकारी हो। ऐसी थ तयां केवल
अ ानता के पद के स ांत के आधार पर ही था पत क जा सकती ह।

रॉ स का अ ानता के पद का स ांत :-

इस स ांत के अनुसार सभी अपनी वयं क व श पृ भू म और थ त को म य नजर रखते ए अपना वकास करते ह। इस थ त म
वयं अपनी थ त के अनुसार अ छे बुर े काय ारा अपने वकास म जुट जाता है और उसका एकमा ल य वयं अपना वकास करना
रहता है। परंतु य द अपनी वशे ष पृ भू म और थ त से अन भ हो जाए तो वह वकास के केवल वही कोण अपनाता है जो नै तक
से सही है। अथात अगर को इस बात का ान नह हो क उसके ारा कए जाने वाले काय से उसका या उसके प र चत का अ छा
या बुर ा नह होने वाला है तो वह सदै व नै तक नयम के अनुसार ही काय करेगा।

अतः रॉ स समाज/रा य के वकास के लए ऐसे ही स ांत को याय द मानता है जसम लोग वयं ही अ ानता का पदा वीकार कर ले ते ह।

(F) याय क भारतीय अवधारणा :-


ाचीन भारत म मनु, कौ ट य, बृह प त, शु , भार ाज आ द ने याय को वधम से जोड़कर को समाज म उसके नयत थान और उसके
न द कत का अ भ ान कराया ह। उनक इस अवधारणा ने त कालीन सामा जक व था म सामंज य था पत करने का काय कया है।
उनके अनुसार वधम क पालना म ही के अ धकार क उ प न हत है। इस कार ाचीन भारतीय वचारक ने याय के कानूनी प
को वीकार कया है।

याय के व भ प
परंपरागत प म याय क दो धारणाएं नै तक याय और कानूनी याय च लत थी। परंतु आधु नक समय म इनके अलावा राजनी तक,
सामा जक व आ थक याय क अवधारणा भी मह वपूण है।

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(1) नै तक याय :-

याय क मूल अवधारणा नै तकता पर ही आधा रत ह। इसके अनुसार ाकृ तक नयम व ाकृ तक अ धकार के अनुसार जीवन यापन करना ही
नै तक याय है। जब स य, अ हसा, सदाचार, दया, उदारता आ द नै तक गुण से यु होकर आचरण करता है तो उसे नै तक याय कहा
जाता है।

(2) कानूनी याय :-

जब रा य के कानून का अनुसरण कर तो उसे कानूनी याय का जाता है। कानूनी याय क धारणा दो बात पर बल दे ती ह :-

(i) सरकार ारा न मत कानून यायो चत होने चा हए ।

(ii) न मत कानून को सभी पर यायपूण ढं ग से लागू कया जाना चा हए।

(3) राजनी तक याय :-

राजनी तक याय क ा त के लए सं वधान और सं वैधा नक शासन आव यक है। ऐसा याय केवल लोकतां क व था म ही ा त कया
जा सकता है। राजनी तक याय के तहत क मता धकार, वचार, भाषण एवं अ भ क वतं ता, चुनाव लड़ने और बना कसी भेदभाव
के सावज नक पद ा त करने का अ धकार होता है। एक राजनी तक व था म सबको समान अ धकार व अवसर ा त होने चा हए।
राजनी तक याय भेदभाव और असमानता को अ वीकार करता है। यह सभी य के क याण पर आधा रत होता है।

(4) सामा जक याय :-

समाज म कसी भी के साथ भेदभावपूण वहार न हो और सभी को अपने व के वकास का समान अवसर मले । यही सामा जक
याय है।

जॉन रॉ स ने अपना याय स ांत सामा जक याय के सं दभ म ही तु त कया है। उसके अनुसार य द समाज म सभी को वकास के समान
अवसर नह मलगे तो वतं ता और समानता जैसे मू य का कोई अथ नह रहेगा। इस याय के तहत रा य से यह अपे ा क जाती ह क वह
ऐसी नी तय का नमाण कर जससे एक समतामूलक समाज क थापना हो।

(5) आ थक याय :-

आ थक याय के अनुसार समाज म आ थक समानता था पत होनी चा हए अथात् अमीरी और गरीबी के बीच क खाई र होनी
चा हए जससे सभी आ थक प से बराबर ह गे। परंतु वहार म ऐसा सं भव नह है। आ थक याय धनसं पदा के कारण उ प
असमानता अथात गरीबी और अमीरी का वरोध करता है और इसे कम करने पर बल दे ता है। इसके अनुसार आ थक याय क थापना के लए
रा य को आ थक सं साधन का वतरण करते समय क आ थक थ त को यान म रखना चा हए और गत सं प के अ धकार को
सी मत करना चा हए।

न कष :-

याय क उपरो सभी अवधारणा के अ ययन से प है क याय का जो ल य ाचीन काल म था पत कया गया था वह आज
भी ासं गक है। याय का स ांत मूल प से सामा जक जीवन म लाभ और दा य व के तकसं गत वतरण से सं बं धत है। वतमान म याय क
चचा ऐसे समाज म ही ासं गक है जनम व तु , से वा व अवसर का अभाव हो और च लत कानून , अ धकार , वत ता आ द म
और अ धक सु धार क गुंजाइश हो।

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श , स ा और वैधता
श का अथ :-

श अं ेजी भाषा के श द POWER का हद पयाय है जो लै टन भाषा केPOTERE श द से बना आ है जसका अथ है - यो य


के लए अथात न हत यो यता।

प रभाषा :-

1. मैकाइवर के अनुसार, "श कसी सं बंध के अं तगत ऐसी मता है जसम सर से कोई काम लया जाता है या आ ा पालन कराया जाता
है।"

2. आग सक के अनुसार, "श सर के आचरण को अपने ल य के अनुसार भा वत करने क मता है।"

3. रॉबट बायसटे ड के अनुसार, "श बल योग क यो यता है न क उसका वा त वक योग।"

इस कार प है क जसके पास श है, वह सर के काय , वहार और वचार को अपने अनुकूल बना सकता है।

श क पृ भू म :-

न न ल खत ब के आधार पर हम श क पृ भू म को प कर सकते ह :-

1. श ाचीन काल से ही राजनी त व ान क मूल अवधारणा रही है।

2. ाचीन भारतीय चतन म मनु, कौ ट य, शु आ द ने श के व भ त व पर काश डाला है।

3. यू र ोपीय वचारक म मै या वली को थम श वाद वचारक माना जाता है।

4. टॉमस हॉ स ने अपनी पु तक "ले वयाथन " म श के मह व को वीकारा है।

5. आधु नक काल म श राजनी त व ान क अवधारणा के प म सामने आई है।

6. श क अवधारणा को प करने म कैट लन, लासवेल, कै लान, मॉग थाउ आ द ने मह वपूण भू मका नभाई है।

7. कैट लन ने राजनी त व ान को श के व ान के प म प रभा षत कया है।

8. लॉसवेल ने अपनी पु तक "Who gets, What, When, How " म श क अवधारणा प क है।

9. मैकाइवर ने अपनी पु तक"द वेव ऑफ गवनमट" म श को प रभा षत कया है।

श एवं बल म अंतर :-

श बल

1. श छन बल है। 1. बल कट श है।

2. श अ कट त व है। 2. बल कट त व है।

3. श एक मनोवै ा नक मता है। 3. बल एक भौ तक मता है।

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श एवं भाव म समानताएं :-

1. दोन एक सरे को सबलता दान करते है।

2. दोन औ च यपूण होने पर ही भावशाली होते है।

3. भाव श को उ प करता है और श भाव को बढ़ाती है।

श एवं भाव म अंतर :-

श भाव

1. श क कृ त दमना मक होती है। 1. भाव क कृ त मनोवै ा नक होती है।

2. श स ब धा मक नह होती है। 2. भाव सं बंधा मक होता है।

3. श का योग इ छा व भी हो सकता है। 3. भाव सहम त पर आधा रत होता है।

4. यह अ जातां क है। 4. भाव जाता क है।

5. श के अ त व के लए भाव क आव यकता 5. भाव के अ त व के लए श क आव यकता नह


होती है। होती है।

श के व भ प :-
वतमान म श के न न तीन प च लत है :-

1. राजनी तक श :-

सरकार और शासन को भा वत करने वाले सम त त व जैसे पद, पुर कार, त ा आ द से सं बं धत श राजनी तक श


कहलाती है। राजनी तक श का योग शासन के औपचा रक और अनौपचा रक अं ग ारा कया जाता है। औपचा रक अं ग म व था पका,
कायपा लका और यायपा लका ारा और अनौपचा रक अं ग म राजनी तक दल, दबाव समूह, भावशाली य आ द ारा राजनी तक
श का योग कया जाता है।

2. आ थक श :-

आ थक श का ता पय उ पादन के सं साधन और धन-सं पदा पर वा म व से ह अथात जो आ थक प से श शाली होते ह,


वे राजनी तक प से भी सश होते है। मा सवाद का मानना है क राजनी तक श को नधा रत करने म आ थक श का अहम योगदान
होता है जब क उदारवाद राजनी तक श के नधारण म आ थक श क भू मका कम मानते है।

3. वचारधारा मक श :-

वचारधारा का अथ है वचार का समूह जसके आधार पर हम हमारे कोण का वकास करते है। वचारधारा लोग के सोचने
और समझने के ढं ग को भा वत करती है। अलग-अलग वचारधारा वाले लोग अलग-अलग शासन व था को उ चत ठहराते है। भ - भ
दे श म भ - भ कार क सामा जक, आ थक और राजनी तक व थाएं च लत है जनके आधार पर उन दे श म उदारवाद, समाजवाद,
सा यवाद आ द अनेक वचारधाराएं च लत है।

श के स ांत :-
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1. वग भु व का स ांत :-

यह स ांत मा सवाद क दे न है। इस स ा त के अनुसार समाज आ थक आधार पर दो भाग म वभा जत है :-

(i) बुजुआ वग : पूंजीप त लोग

(ii) सवहारा वग : गरीब व मज र

मा सवाद का मानना है क अब तक का इ तहास वग सं घष का इ तहास रहा है अथात अपना भु व था पत करने के उ े य से दोन


ही वग आपस म सं घष करते आए है।

2. व श वग य स ांत :-

इस स ांत क आधार शला पेरटे ो, मो का व मचे स ने रखी है। उ ह ने समाज को दो भाग म वभा जत कया है :-

(i) व श वग तथा (ii) सामा य वग

यह वभाजन केवल आ थक आधार पर ही नह ब क अनेक अ य आधार जैसे कुशलता, सं गठन, मता, बु मता आ द के आधार पर कया
गया है। इस स ांत के आधार पर ये क शासन व था म अपनी यो यता के आधार पर एक छोटा वग उभर कर सामने आता है जो सामा य
वग पर अपनी श का योग करता है। जैसे राजनेता, डॉ टर, वक ल, ोफेसर, उ ोगप त आ द।

3. नारीवाद स ांत :-

इस स ांत के अनुसार समाज म श का बंटवारा ल गक आधार पर कया गया है। समाज क सारी श पु ष के अधीन है
जसका योग पु ष ारा म हला पर होता है। समानता के स ांत के आधार पर नारीवाद सं गठन ने नारी मु और नारी वाधीनता
आंदोलन चलाकर नारी को बराबरी का दजा दे ने क मांग क है।

4. ब लवाद स ांत :-

इस स ांत के अनुसार समाज म सम त श कसी एक वग के हाथ म होकर अनेक समूह म बंट ई होती ह। उदार लोकतां क
व था म इन अनेक समूह के म य सतत सौदे बाजी चलती रहती है। इस स ांत का तपादन रॉबट डहल ने कया था।

स ा :-
स ा क अवधारणा समझने के लए हम एक उदाहरण ले ते है। एक पु लस वाले और एक गुंडे दोन म श न हत होती है। सम-
वषम प र थ तय म हम इन दोन के दए गए आदे श क पालना करते ह। परंतु इन आदे श क पालना म एक वशे ष अं तर होता है, वह यह है
क एक पु लस वाले के आदे श क पालना हम अपनी सहम त से करते ह य क हम जानते ह क उसे व ध या कानून ारा आदे श दे ने क श
ा त है जब क हम एक गुंडे के आदे श क पालना मा जानमाल के खोने के भय के कारण करते ह। जब यह डर हट जाता है तो हम उसके
आदे श क पालना भी नह करते है।

इस कार प है क जब श के साथ वैधता जुड़ जाती ह तो ऐसी श स ा बन जाती है।

इस कार स ा कसी , सं था, नयम या आदे श का वह गुण है जसे हम सही ( वैध ) मानकर वे छा से उसके नदश क पालना करते ह
अथात वैध श ही स ा है।

हेनरी फेयोल के अनुसार , "स ा आदे श दे ने का अ धकार और आदे श क पालना कराने क श है।"

स ा पालन के आधार :-
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कोई कसी भी स ा पालना न न ल खत आधार पर करता है :-

1. व ास :-

स ा पालन का सबसे मह वपूण आधार है व ास। य द अधीन थ को इस बात का व ास है क स ाधारी का दया गया आदे श सही है
तो स ा क पालना उतनी ही अ धक सरल हो जाएगी अ यथा नह ।

2. एक पता :-

वचार और आदश क एक पता स ा का मह वपूण आधार है। य द स ाधारक व अधीन थ के वचार और आदश म एक पता है तो
वत: ही आ ा पालन क थ त पैदा हो जाती है।

3. लोक हत :-

य द सरकार लोक हत म काय करती ह और नयम-कानून बनाती ह तो जनता उन काय , नयम और कानून का अनुसरण बे हचक
करती है। जैसे कर जमा कराना। लोग कर इस लए जमा कराते ह य क इसी कर से सरकार लोक हत के काय चलाती ह और योजनाएं बनाती
है। इसी कार हम यातायात के नयम का भी पालन करते ह य क इसम जनता क सु र ा का हत छु पा है।

4. दबाव :-

ये क व था म कुछ ऐसे लोग भी होते ह जो केवल दमन और दबाव क भाषा ही समझते ह अथात लात के बूत बात से नह , लात
से ही मानते ह।

स ा के प :-
मुख समाजशा ी मै स वेबर ने स ा के न न ल खत तीन प बताए ह :-

1. परंपरागत स ा :-

इस कार क स ा पालन का आधार समाज म था पत परंपराएं होती ह। जो वंश व परंपरा के आधार पर स ा का योग करता
है, स ा उसी के पास बनी रहती ह। जैसे हम अपने घर म माता- पता और वृ जन क आ ा का पालन परंपरागत स ा के आधार पर ही करते
ह।

2. क र माई स ा :-

यह स ा कसी के गत गुण और चम कार पर आधा रत होती ह। इसम जनता उस के इशार पर बड़े से बड़ा याग
करने के लए त पर रहती ह। जैसे महा मा गांधी, ने सन मंडेला, मोद आ द।

नर मोद के चम का रक व से भा वत होकर जनता ने नोटबंद जैसी योजना को सफल बनाया था।

3. कानूनी तकसंगत स ा :-

इस कार क स ा का आधार व न होकर पद होता है अथात जो पद धारण करता है उसम न हत स ा के आधार पर


स ा का योग करता है। जैसे कले टर क स ा, धानाचाय क स ा, श क क स ा आ द।

जो कानूनी स ा का योग कर रहा है और उसका व चम का रक है तो वह असी मत स ा का योग कर सकता है।

जैसे धानमं ी क स ा कानूनन सभी म समान है परंतु नेह , इं दरा गांधी, अटल बहारी वाजपेई आ द धानमं य ने अ य धानमं य क

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तुलना म अ य धक स ा का योग कया है य क इन धानमं य का व चम का रक था।

वैधता :-
वैधता अं ेजी श द Legitimacy का हद पयाय है जो लै टनLegitimus श द से बना है जसका अथ है वैधा नक।

वैधता क अवधारणा का इ तहास :-

ाचीन काल :-
भारतीय ाचीन वचारक ने राजा के शासन को उसके ारा कए गए जा-पालन व जन क याण के काय ारा वैधता दान क ।

यू नानी वचारक म ले ट ो ने याय स ांत ारा और अर तू ने सं वैधा नक शासन ारा शासक क वैधता को स करने का यास कया।

म यकाल :-

म यकाल म रा य के दै वी उ प त स ांत को रा य क वैधता का आधार माना। लॉक, हॉ स और सो ने दै वी उ प त स ा त क


जगह लोग क सहम त को रा य क वैधता का आधार माना।

आधु नक काल :-

आधु नक काल म लोकतां क शासन णाली म जनता क सहभा गता को रा य क वैधता का माण माना जाता है।

वैधता उस कारण क ओर सं केत करती ह जसके कारण हम कसी स ा को वीकार करते ह अथात वैधता वह सहम त ह जो लोग ारा
राजनी तक व था को दान क जाती है।

वैधता के ा त के साधन :-
मतदान, जनमत, सं चार के साधन, रा वाद आ द वे साधन है जनके मा यम से रा य वैधता ा त करने क को शश करते ह।

वैधता का संकट :-
ये क राजनी त व था को अपनी वैधता बनाए रखने के लए य न करने होते ह य क राजनी तक, आ थक, सामा जक व
सां कृ तक प र थ तय म नरंतर प रवतन होता रहता है। य द राजनी तक व था इन प रवतन के अनु प ढल जाती है तो उनक वैधता बनी
रह जाती ह। य द राजनी तक व था इन प रवतन के अनु प ढल नह पाती है तो उनक वैधता पर सं कट आ जाता है।

जैसे ाचीन काल क राजतं ीय व था म लोकतं ीय त व का उदय होने पर जन व था ने वयं को लोकतं ीय त व के अनु प ढाल
लया यानी लोकतं क थापना कर ली उनक वैधता यथावत बनी रही। जब क सा यवाद व था वयं को लोकतं ीय त व के अनु प ढाल
नह पाई, अतः वतमान म इसक वैधता न के बराबर है।

इसी कार जब परंपरागत सं थाएं व समूह नवीन व था और वचार को वीकार कर ले ते ह तो उनक वैधता बनी रहती है अ यथा उनक
वैधता म बाधा प च
ं ग
े ी।

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श , स ा और वैधता म अ तस ब ध :-
1. श के साथ वैधता जुड़कर स ा को अ धक भावी बनाती है :-

हम जानते ह क श के बना समाज म शां त, व था, याय व खुशहाली क थापना नह क जा सकती है। परंतु केवल श का
योग अ धक भावी नह होता है। जब यही श वैधता से जुड़ जाती ह तो स ा का प धारण कर ले ती है और इस स ा मक श को लोग
अपनी सहम त से वीकार करते ह।

2. श , स ा और वैधता पर पर पूरक :-

जब शासक क श स ा का प ले ले ती है तो यह श शासक का अ धकार बन जाती है। चूँ क स ा म वैधता जुड़ी होती है इस लए


नाग रक शासक क आ ा का पालन करते ह और उनका कत बन जाता है।

3. वैधता, श और स ा के म य कड़ी :-

शासक अपनी श का योग कर लोग को बाहरी प से नयं त करते ह परंतु जब शासक वैध श का योग करते ह तो लोग के
दय म शासन करता है। केवल श अ धनायक तं को द शत करती ह जब क वैध श अथात स ा लोकतं को द शत करती ह।

इस कार वैधता, श और स ा को जोड़ने का काय करती है।

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धम
धम को अं ेजी म Religion कहा जाता है जसका अथ है आ था, व ास या अपनी मा यता। इसी कार धम सं कृत भाषा के धारणात श द से
बना है जसम घृ घात है जसका आशय है - धारण करना।

भारत म धम को कत , अ हसा, याय, सदाचार एवं स गुण के अथ म मा यता ा त है अथात धम एक ऐसी एक कृत णाली है जो अपनी
था और व ास से एक समुदाय वशे ष को जोड़ता है। त परांत यही समुदाय इस णाली के आधार पर यह ा या करते ह क उनके लए
या प व ह और या अलौ कक ह।

धम नरपे ता :-
धम नरपे ता का अथ है कसी भी धम को मानने वाले के साथ भेदभाव नह हो और सभी धम को समान से दे खा जाए।

भारत म धम और धम नरपे ता

भारतीय दशन मूल प से एकांतवाद ह अथात ाचीन काल म भारत म मा एक ही धम सनातन धम च लत था परंतु वतमान म हमारे दे श म
अनेक धम को मानने वाले ह। साथ ही भारत म ई र को मानने वाले भी ह और नह मानने वाले ह । भारत म अनेक मत मता तर पाए जाते ह
जसके कारण भारतीय सं वधान म धम नरपे ता को सं वैधा नक दजा दया गया है और यह सव वीकार है।

धम और नै तकता
धम और नै तकता म घ न सं बंध है। धम का मूल ल य मानव मा क से वा करना है। धम अ छे आचरण, क णा, शील व अ हसा पर बल दे ता
है। धम बुर ाइय से र रहने और सदाचार के माग पर चलने क श ा दे ता है। धम का काम भलाई करना और उसक तु त करना है। इस कार
प है क धम नै तकता पर ही आधा रत होता है।

धम और राजनी त :-
धम का मूल त व :-

धम का मूल ल य मानव मा क से वा करना है। सभी धम नै तक मू य से प रपूण होते ह।

राजनी त का मूल त व :-

राजनी त का मूल त व है क नी त के अनुसार राज करना और नी त वह जो नै तक मू य और े धा मक मा यता सं पो षत हो।

धम और राजनी त म अ तस ब ध :-
राम मनोहर लो हया के अनुसार धम और राजनी त के दायरे अलग अलग है परंतु दोन क जड़ एक है। धम द घकालीन राजनी त ह जब क
राजनी त अ पकालीन धम है अथात धम और राजनी त दोन क जड़े नै तकता म ही न हत है।

न न ल खत ब के आधार पर हम धम और राजनी त के अ तस ब ध को समझ सकते ह :-

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1. ववेकपूण संबध
ं :-

य द धम का राजनी त म समावेश ववेकपूण और तकसं गत हो तो यह काय मानव क याण क ओर अ सर होगा य क


नी तगत धम राजनी त म सदै व व शां त क थापना बल दे ता है ।

2. अ ववेकपूण संबध
ं :-

य द राजनी त म धम का अ ववेकपूण समावेश कया जाए तो दोन एक सरे को बना दे ते ह जो क मानवता के लए


हा नकारक है। इसम रा य धम का पयोग कर अपने धम के सार व व तार क आड़ म सा ा य व तार करने लगते ह जससे
हजार लोग मारे जाते ह। वतमान म भले ही यु नह हो रहे हो परंतु धा मक े ता क होड़ म आतंकवाद ग त व धयां बढ़ रही है।

3. मया दत संबध
ं :-

वतमान म धम और राजनी त को लगभग सभी दे श पृथक-पृथक रखते ह जसका एकमा उ े य यह है क धम और रा य दोन


अपने-अपने मया दत े म रहकर एक- सरे का सकारा मक सहयोग करे न क एक सरे के वाथ क पू त हेतु एक सरे का पयोग करे।
इस हेतु आज के यु ग क सम त लोकतां क व था म धम नरपे ता के स ांत को अपनाया गया है।

धम और अ हसा :-
धम और अ हसा का अटू ट सं बंध है। दोन के आधार त व है :- मा, दया, क णा, स य, कत न ा व ईमानदारी है। इन
सभी त व को व के सभी दे श के धम म न केवल वीकारा गया है ब क इनके अभाव म कसी भी धम का गठन सं भव नह है।

धम और रा ीयता :-
हम चाहे कसी भी धम के अनुयायी हो और कसी भी पंथ का अनुसरण करते हो परंतु रा य सभी के लए सव प र है।
हमारा धम, मत, भाषा, री त- रवाज आ द रा से ऊपर नह हो सकता है। जब कोई धम से वमुख होकर या धम क आड़ म अनै तक काय
करता है तो वह न केवल समाज का वकास काय बा धत करता है ब क अं ततः रा के वकास को बा धत करता है। ऐसे समाज और रा
दोन के लए घातक होते ह।

मै थलीशरण गु त क इन पं य से हम रा क मह ा को वीकार कर सकते ह -

" जो भरा नह भाव से , बहती जसम रसधार नह ।

वह दय नह प थर है, जसम वदे श का यार नह "

अथात रा सव प र है। रा धम ही सव े धम है।

भारतीय सनातन सं कृ त म धम क सं क पना:-

भारतीय सनातन सं कृ त के सं दभ म हम धम क सं क पना को न न ब के आधार पर समझ सकते ह -

1.धम का अथ:-

सं कृत म धम श द धारणात श द से बना है जसम घृ घात है जसका अथ है धारण करना।

2.मानवता धम :-

ाचीन सं कृ त के अनुसार धम हम केवल नयम कायद म ही नह बांधता है ब क इंसा नयत का भाव रखने म भी मदद करता है। आज के
आधु नक प र े य म इसे मानवता का धम कहा जाता है।

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3.एके रवाद धम :-

" एकं सत व ा ब धा वदं त। "

ऋ वे द के अनुसार अ तीय ा अथात स य एक ही है। केवल बु जी वय ने इसे समय समय पर अलग-अलग नाम से पुकारा है
अथात ई र एक है।

4.अ हसा म व ास :-

" हसायाम यते या सा ह । "

अथात जो मन,कम, वचन आ द से अपने आप हसा से र रख और अपने कम से सर को क न दे , वे ह ह।

5.साधना प :-

भारत म धम का सं बंध साधना प से है जसका ल य मानव आ मा का उ थान है।

6. धम के ल ण :-

या व य ने धम के 9 ल ण बताए है। यह ह - अ हसा, स य, अ ते य व छता, इं य- न ह, दान, सं यम, दया व शां त। इसी


कार मनु मृ त म धम के 10 ल ण बताए गए ह।

7. मानव क याण क भावना :-

भारतीय सं कृ त म यह कहा जाता है क म न तो रा य क कामना करता ं और न ही वग और मो क । बस यह कामना


करता ं क म खी ा णय के क को र कर सकूं अथात भारतीय धम म मानव के क याण क भावना का समावेश है।

8. भ - भ उपासना प तयां और मत :-

सनातन धम वेद पर आधा रत है जसम भ - भ उपासना प तयां, मत, सं दाय व दशन न हत है। यहां पर व भ प म
कई दे वी-दे वता क पूजा क जाती है।

ईसाई धम क अवधारणा :-
ईसाई धम क न न ल खत धा मक मा यताएं है :-

1. ई र एक है।

2. ईसाई धम स ांत म अ हसा पर बल दे ते ह।

3. व म सवा धक माने जाने वाला धम है।

4. ईसाई धम म व भ सं दाय ह। जैसे कैथो लक, ोटे टट आ द।

5. इसम धम और राजनी त दोन क समांतर स ा को वीकार कया गया है।

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इ लाम क संक पना :-
इ लाम नया के नवीनतम धम म से एक है। इ लाम धम का ा भाव 622 ईसवी म मोह मद पैगंबर ने कया था। मोह मद
साहब ने केवल दो अनुया यय को ले कर इ लाम क न व रखी और आज लगभग 1.5 अरब लोग इ लाम के अनुयायी है।

भारत, पा क तान, बां लादे श, अफगा न तान, ईरान, इराक, सऊद अरब, इंडोने शया, प मी ए शया और उ र पूव अ का के दे श म इ लाम
का व तार है।

इ लाम क मुख मा यताएं :-


1. इ लाम धम व राजनी त म कोई भेद नह करता है।

2. इ लाम एके रवाद म व ास करता है।

3. मौ लक प से इ लाम म अ हसा और नै तकता पर बल दया गया है परंतु वतमान म इ लाम के नाम पर बढ़ रही धा मक क रता व के
लए घातक बन रही है ।

4.इ ला मक रा य म लोकतं का अभाव पाया जाता है।

5. इ लाम आ या मक व लौ कक म, अलौ कक व वहा रक म और धम और धम नरपे ता म कोई भेद नह करता है।

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वतं ता और समानता
वतं ता का अथ :-

वतं ता श द अं ेजी के Liberty श द का हद पयाय है। Liberty लै टन भाषा के Liber श द से बना है जसका अथ है बंधन का अभाव ।

वतं ता ( ह द श द )

Liberty (English )

Liber ( लै टन श द )

बंधन का अभाव या मु ।

य द केवल बंधन का अभाव ही वतं ता मानी जाए तो सभी बंधन मु हो जाएंगे और पर पर सं घष से न हो जाएंगे। इस थ त म
केवल सबल ही जी वत या वतं रह पाएंगे।

परंतु ऐसा नह है। वतं ता क अपनी इ छा अनुसार काय करने क श का नाम है परंतु इस दौरान सरे य क इसी कार क
वतं ता म कोई बाधा नह प च
ं े ह।

इस थ त म वतं ता के अथ के दो कार के वचार सामने आते ह :- नकारा मक वतं ता और सकारा मक वतं ता ।

A. नकारा मक वतं ता :-
नकारा मक वतं ता के अनुसार तबंध का अभाव ही वतं ता है अथात को मनमानी करने क छू ट हो और रा य को
के नजी काय म ह त प
े नह करना चा हए।

इस वचारधारा के समथक ह :- हॉ स, सो, मल आ द।

नकारा मक वतं ता क मा यताएं :-

1. तबंध का अभाव हो।

2. रा य का काय े सी मत होना चा हए।

3. कम से कम शासन करने वाली सरकार अ छ सरकार है।

4. मानव वकास के लए खुली तयो गता होनी चा हए।

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5. सरकार ारा सम थत सं र ण गत हत म ठ क नह है। जैसे आर ण, स सडी आ द।

B. सकारा मक वतं ता :-
इस अवधारणा के अनुसार कए जाने यो य काय को करने क सु वधा वतं ता है। अथात को उन काय को करने क
वतं ता है जो अ य क वैसी ही वतं ता म बाधा नह डाले ।

इस वचारधारा के समथक ह :- ला क , हीगल, महा मा गांधी, जॉन रॉल आ द।

सकरा मक वतं ता क मा यताएं :-

1. वतं ता पर यु यु तबंध हो।

2. वयं क वतं ता के अ त व को वीकार करने के लए सर क वतं ता को मा यता दे ना आव यक ह।

3. रा य के कानून क पालना म ही वतं ता न हत है।

4. समाज व के हत पर पर नभर ह।

नकारा मक वतं ता और सकारा मक वतं ता म अंतर :-

नकारा मक वतं ता सकारा मक वतं ता

1. तबंध का अभाव 1. यु यु तबंध हो

2. रा य का काय े सी मत हो 2. रा य का काय े सी मत नह हो

3. सरकार सम थत सं र ण का वरोधी 3. सरकार सम थत सं र ण का समथन

4. मानव वकास के लए खुली तयो गता का समथन 4. मानव वकास के लए रा य सम थत तयो गता का समथन

वतं ता के व वध प :-
1. ाकृ तक वतं ता :-

मनु य को इस वतं ता क ा त कसी मानवीय सं था से नह होती है ब क यह कृ त दत है। यह वतं ता कृ त ारा


मनु य को उसके ज म के साथ ही मल जाती ह। मनु य चाह कर भी इस स ा का ह तां तरण अ य को नह कर सकता है। यह वतं ता
रा य के अ त व म आने से पूव क अव था म व मान थी और रा य क उ प के बाद धीरे-धीरे वलु त होती जा रही ह। जैसे जंगल म शे र
क वतं ता।

इस सं बंध म स वचारक सो का कथन इस कार ह - "मनु य वतं प से पैदा होता है परंतु सव बे ड़य म जकड़ा रहता है। "

2. गत वतं ता :-

गत या नजी वतं ता का आशय है क को उसके नजी जीवन के सम त काय करने क पूण वतं ता होनी
चा हए। इस अथ म को वेशभूषा, खान-पान, धम, री त- रवाज, पसं द, वचार आ द क वतं ता होनी चा हए। के गत काय
पर केवल समाज हत म ही बंधन लगाया जाना चा हए।

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3. नाग रक वतं ता :-

नाग रक वतं ता कसी को दे श के नाग रक होने क है सयत से मलती ह। ऐसी वतं ता को उस दे श का समाज
वीकृ त दे ता है और रा य सं र ण दे ता है। नाग रक वतं ता असी मत और नरंकुश नह होती ह। दे श के यायालय ारा इसक सु र ा सु न त
क जाती है। नाग रक वतं ता के तहत को अपने दे श म कह भी घूमने फरने, रोजगार करने, नवास करने, वचार, अ भ वक
वतं ता, शा तपूण स मले न क वतं ता आ द शा मल है।

4. राजनी तक वतं ता :-

रा य के काय म और राजनी तक व था म भागीदारी को राजनी तक वतं ता कहते ह। जैसे मतदान करने क वतं ता,
चुनाव लड़ने क वतं ता, कोई भी सावज नक पद ा त करने क वतं ता आ द।

5. आ थक वतं ता :-

आ थक वतं ता से आशय ह क ये क का आ थक तर ऐसा होना चा हए जसम वह वा भमान के तहत अपना


और अपने प रवार का जीवन नवाह कर सके। आ थक वतं ता के तहत को काम करने का, आराम व अवकाश का, वसाय करने का,
उ ोग के नयं ण म भागीदारी का और वृ ाव था व असमथता क थ त म आ थक सु र ा ा त करने का अ धकार हो।

6. धा मक वतं ता :-

को उसके अं त:करण से कसी भी धम को मानने, उसम आ था रखने और उस धम के अनुसार आचरण करने क


वतं ता होनी चा हए। यही धा मक वतं ता है।

7. नै तक वतं ता :-

ारा नै तक गुण से यु होकर काय करने क वतं ता ही नै तक वतं ता है। य द नै तक गुण जैसे दया,
शीलता, क णा, ेम, ने ह, स य, अ हसा आ द से यु होकर काय करेगा तो ऐसे काय को करने क वतं ता नै तक वतं ता कहलाती है।

8. सामा जक वतं ता :-

मनु य के साथ जा त, वग, लग, धम, न ल, रंग, ऊंच-नीच आ द के आधार पर कसी तरह का भेदभाव नह करना और
सभी समाज के साथ समान वहार करना ही सामा जक वतं ता है।

9. रा ीय वतं ता :-

जब रा य के काय म अ य दे श का कोई ह त प
े नह हो अथात रा य अपने काय े म सं भु हो तो ऐसे रा य क
वतं ता रा ीय वतं ता कहलाती है।

10. संवध
ै ा नक वतं ता :-

कसी भी नाग रक को यह वतं ता उसके दे श के सं वधान से मलती है और सं वधान ऐसी वतं ता क र ा क गारंट
दे ता है। रा य या शासन चाह कर भी इन वतं ता को कम नह कर सकता है। सं वैधा नक वतं ता उस दे श के सं वधान म व णत होती ह।

वतं ता ा त के लए आव यक शत :-
वतं ता सभी के लए आव यक है। ये क रा य अपने नाग रक के लए सं वधान द वतं ताएं उपल ध करवाता है।
फर भी सभी को समान प से वतं ताएं नह मल पाती ह। वतं ताएं ा त करने के लए न न ल खत शत आव यक है :-

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1. नर तर जाग कता :-

यद रा य द अपनी वतं ता के उपयोग हेतु जाग क नह है तो वह कई वत ता का उपयोग करने से


वं चत रह जाता है।

2. लोकतां क व था :-

रा य और समाज म लोकतां क व था होने से ही अपनी वतं ताएं ा त कर सकेगा। वतं ता ा त क थम


शत है - लोकतं क थापना होना।

3. सं वधानवाद :-

नाग रक क वत ता का उ ले ख उस रा य के सं वधान म होना चा हए तभी सरकार लोग को सं वधान के अनुसार वतं ता


दे ने हेतु बा य होगी अ यथा सरकार ना नुकुर करती रहेगी।

4. वतं व न प यायपा लका :-

यायपा लका कायपा लका व व था पका से पृथक होनी चा हए तभी वह न प और वतं याय कर पाएगी।

5. स
े क वतं ता :-

समाचार प , मी डया, सोशल मी डया, ेस आ द को वतं ता मलनी चा हए ता क वे लोग के अ धकार क मांग और


वत ता के हनन का न प च ण कर सके।

इसी कार नाग रक का नडर व साहसी होना, अ य नाग रक का वशे षा धकार नह होना, आ थक प से समतामूलक समाज
क थापना होना, व ध का समान शासन होना आ द वतं ता ा त के लए आव यक शत ह।

वतं ता के माग म आने वाली मुख बाधाएं :-


रा य के सं वधान ारा द वतं ता के उपयोग म न न ल खत बाधाएं मुख प से सामने आती है :-

1. अ श ा :-

श ा को उसके सं वधान द अ धकार व वत ता का ान कराती ह और उनका मह व बताती ह। अतः श ा का


अभाव वतं ता ा त के माग क सव मुख बाधा है।

2. जाग कता का अभाव :-

जब अपनी वतं ता के त जाग क नह ह गे तो अ य उनक जाग कता के अभाव का लाभ उठाकर उनके
अ धकार व वत ता का योग कर उनका शोषण करने लग जाएंगे।

3. गरीबी :-

गरीब के पास सं साधन का अभाव होता है। इस कारण उ ह द वतं ता का वे उपयोग नह कर पाते ह।

4. यायपा लका के काय म कायपा लका का ह त प


े :-

क वतं ता का र क यायपा लका को माना गया है। य द कायपा लका यायपा लका के काय म ह त प
े करेगी तो
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य क वतं ता क र ा नह हो पाएगी।

5. सं वधान म कानून के त स मान का अभाव :-

वतं ता ा त के लए आव यक है क सभी नाग रक दे श के सं वधान और कानून का स मान कर। य द नाग रक म दे श के


सं वधान और कानून के त स मान का अभाव रहेगा तो अराजकता क थ त पैदा हो जाएगी। जससे य क वतं ताएं खतरे म पड़
जाएगी।

उपरो के अलावा कायपा लका का वे छाचारी आचरण, रा वरोधी त व व आतंकवाद ग त व धयां आ द भी वतं ता ा त के
माग क मुख बाधाएं ह।

समानता
समानता का अथ :-

समानता से अ भ ाय ऐसी प र थ तय के अ त व से ह जसम सभी य को अपने वकास के समान अवसर मले और


जनके ारा समाज म व मान सामा जक व आ थक वषमता को र कया जा सके।

ला क के अनुसार, "समानता का अथ यह नह है क सभी के साथ एक जैसा वहार कया जाए और ये क को एक समान वेतन
दया जाए। "

ला क के अनुसार समानता है :-

1. वशे ष सु वधा का अभाव।

2. सभी के लए समान अवसर क उपल धता।

3. सभी क ाथ मक आव यकता क पू त सव थम।

4. सामान के साथ समान वहार।

समानता के आधारभू त त व :-

1. समान लोग के साथ समान वहार।

2. सभी को वकास के समान के अवसर।

3. सभी लोग के साथ समान आचरण व वहार।

4. मानवीय ग रमा और अ धकार को समान सं र ण।

5. सामा जक भेदभाव नह ।

6. सभी को समान मह व।

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समानता के कार :-
1. नाग रक समानता :-

एक ही दे श के सम त नाग रक के साथ समान वहार ही नाग रक समानता है। भारत म सं वधान के अनु छे द 14 ारा व ध
के सम समानता और व ध का समान सं र ण ारा नाग रक समानता का अ धकार दया गया है।

2. राजनी तक समानता :-

रा य के सभी नाग रक को बना कसी भेदभाव के रा य के काय म भाग ले ने क समानता ही राजनी तक समानता है। इसके
तहत सभी को मतदान करने, चुनाव म खड़े होने, सावज नक पद ा त करने के समान अवसर आ द क समानता दे य ह।

3. सामा जक समानता :-

समाज म कसी भी के साथ धम, जा त, वण, लग, न ल आ द के आधार पर असमान वहार न हो। भारत के सं वधान
के अनु छे द 15 ारा यह समानता था पत क गई है।

4. आ थक समानता :-

रा य सभी लोग के लए काय करने के समान अवसर उपल ध करवाये और सभी क यू नतम आव यकता क पू त कर, यही
आ थक समानता है। भारतीय सं वधान के अनु छे द 16 ारा लोक नयोजन म अवसर क समानता ारा आ थक समानता था पत करने का
यास कया गया है। इसी कार नी त नदे शक त व म भी आ थक समानता पर बल दया गया है।

5. सां कृ तक समानता :-

रा य अ पसं यक और ब सं यक वग के साथ समान वहार कर सभी क भाषा, सं कृ त, ल प आ द का समान सं र ण कर,


यही सां कृ तक समानता है।

6. कानूनी समानता :-

कानून के आधार पर कसी के साथ भेदभाव नह करना कानूनी समानता है अथात त चाहे वह अमीर हो या गरीब,
राजनेता हो या आम आदमी, उ ोगप त हो या सरकारी कमचारी कानून सभी के लए समान है और सभी कानून क नजर म समान है।

इसी कार अवसर क समानता, श ा क समानता, ाकृ तक समानता आ द समानता के अ य कार ह।

वतं ता और समानता म संबध


ं :-
वतं ता एवं समानता के सं बंध को हम व भ वचारक के वचार के आधार पर न न दो भाग म पृथक कर सकते ह :-

1. वतं ता एवं समानता पर पर वरोधी है :-

इस मत के वचारक ह - लाड ए टन, डमैन, मचे स, परेट ो आ द।

इन सभी वचारक का मानना है क समानता के वचार ने वतं ता क अवधारणा को धू मल कर दया है। कृ त म सभी
समान नह होते ह। इस लए यो य और अयो य य के म य समानता था पत करना मूखतापूण काय ह। य द रा य यो य और
अयो य य के बीच समानता था पत करने का यास करेगा तो यो य य क वतं ता का हनन होगा। अथात समानता था पत करने
क दौड़ म वतं ता का हनन होता है। इसी कार सभी को समान प से वतं ता दे द जाये तो समतामूलक समाज क थापना नह
क जा सकेगी। इस कार प है क वतं ता और समानता पर पर वरोधी अवधारणा है।

2. वतं ता एवं समानता पर पर पूरक ह :-


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इस मत के वचारक ह - सो, बाकर, ला क , पोलाड, महा मा गांधी आ द ।

सो के अनुसार, " समानता के बना वतं ता जी वत नह रह सकती ह। "

पोलाड के अनुसार, " वतं ता क सम या का एक ही समाधान है और वह है समानता। "

उपयु दोन कथन से प है क वतं ता और समानता पर पर पूरक है। इसे न न कार और अ धक प कया जा सकता है :-

1. राजनी तक समानता के बना वतं ता अथहीन है।

2. नाग रक समानता के अभाव म अपनी वतं ता का उपयोग नह कर पाएगा।

3. सामा जक समानता के अभाव म वतं ता कुछ लोग का वशे षा धकार बनकर रह जाएगी।

4. आ थक समानता के अभाव म सभी कार क समानता और वतं ता नरथक है।

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राजनी तक समाजीकरण
समाजीकरण :-

समाजीकरण समाज म नरंतर चलने वाली या है जसम समाज के री त- रवाज , परंपरा , मू य और मा यता को
वीकार कर उसका एक याशील सद य बनता है।

राजनी तक समाजीकरण :-

राजनी तक समाजीकरण वह या है जसके मा यम से य को राजनी तक सं था , व था और कोण क श ा


दान क जाती है।

जस कार समाज के अपने री त- रवाज, परंपराएं और मू य होते ह, ठ क उसी कार एक राजनी तक व था के भी अपने री त-
रवाज, परंपराएं और मू य होते ह ज ह हम राजनी तक सं कृ त के नाम से जानते ह।

इस कार हम कह सकते ह क राजनी तक समाजीकरण वह या है जसके ारा समाज के य म एक पीढ़ से सरी पीढ़ म
राजनी तक सं कृ त का ह तां तरण या अ भ ान करवाया जाता है।

राजनी तक समाजीकरण क सव थम ा या हबट साइमन ने अपनी पु तक "Political Socialization अथवा राजनी तक समाजीकरण" म
क है।

राजनी तक समाजीकरण के साधन :-

म राजनी तक समझ वक सत करने वाली अनेक सं थाएं होती ह जनम से कुछ औपचा रक तरीक से काय करती ह जैसे
- राजनी तक दल, रा ीय तीक, जनसं चार के साधन आ द और कुछ अनौपचा रक तरीक से काय करती ह जैसे - प रवार, श ण सं थाएं,
धा मक सं थाएं आ द ।

1. प रवार :-

 प रवार क थम पाठशाला होती ह ।

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 प रवार के मा यम से ही री त- रवाज और परंपरा को सीखता है।

 प रवार म हम माता पता क आ ा का पालन करते ह जससे हम उनक स ा का बोध होता है।

 प रवार ही हम सखाता है क कैसे सबके साथ मलकर रहा जाता है, प रवार म पर पर कैसे सहयोग कया जाए और अपनी मांग को
मनवाने के लए कस कार दबाव बनाया जाए।

उपरो सभी बात सीखकर अपने आप को राजनी त व था के अनु प ढालता है और राजनी तक वहार करता है। इसी कार
प रवार का मु खया जस राजनी तक दल का समथक होता है, प रवार के अ य सद य भी मु खया का अनुसरण करते ए उस राजनी तक दल
का समथन करते ह।

अतः प है क प रवार ही म राजनी त क ारं भक समझ वक सत करता है।

2. श ण सं थाएं :-

 बालक प रवार से जो भी राजनी तक अनुभव सीखता है, श ण सं था म और अ धक ढ़ हो जाते ह।

 श ण सं था म व भ राजनै तक पृ भू म के बालक आते ह जससे बालक राजनी तक व था क व वधता और


वरोधाभास के साथ समायोजन करना सीखता है।

 बालक क श ा जतनी ापक होगी उसक राजनी त के त च उतनी ही अ धक होगी और उसका राजनी तक ान का वकास
भी अ धक होगा।

 श ण सं था का पा म, बालक क म -मंडली और बालक के श क का राजनी तक व था के त जो कोण होगा,


वह कोण भी बालक के राजनी तक वचार को भा वत करता है।

इस कार प है क बालक प रवार से जो भी राजनी तक समझ ा त करता है, श ण सं थाएं उनम उ यन कर ढ़ता दान करती है।

3. राजनी तक दल :-

 राजनी तक दल अपनी नी तय , वचारधारा और व भ काय म ारा राजनी तक समाजीकरण का काय करते ह ।

 राजनी तक दल स ा ा त करने के लए लोग को अपने अनुकूल करने का यास करते है।

 चुनाव के समय नार , पो टर , चुनावी-सभा , रै लय , मी डया आ द ारा लोग को राजनी तक प से श ण दान कर उ ह अपने
अनुकूल बनाने का यास कया जाता है।

 चीन जैसे सा यवाद व सवा धकारवाद दे श म राजनी तक दल पर कठोर नयं ण होता है जब क लोकतां क दे श म राजनी तक
दल पर शासन का नयं ण नह होता है।

इस कार प है क राजनी तक दल अपनी नी तय और वचारधारा से य को भा वत कर राजनी तक समाजीकरण का यास


करते ह।

4. रा ीय तीक :-

 रा ीय तीक जैसे रा ीय वज, रा गीत, रा गान, रा ीय दवस पर से ना क परेड आ द के मा यम से य म राजनी तक


व था और आदश के त आ था के भाव पैदा कए जाते ह।

 व भ महापु ष क जयं ती पर होने वाले उ सव, उ ाटन काय म आ द ारा य और वशे षकर ब च म उन महापु ष के
राजनी तक आदश और दे श के त आ था के भाव का पाठ पढ़ाया जाता है।
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5. जनसं चार के साधन :-

 वतमान समय म जनसं चार के साधन जैसे समाचार-प , रे डयो, ट वी, इंटरनेट, मी डया, फेसबुक, हाट् सएप, ट् वटर आ द के
राजनी तक समाजीकरण के सश साधन ह।

 वतमान म यह माना जाता है क चुनाव मी डया के द तर से लड़ा जाता है। व भ राजनी तक दल के व ा मी डया द तर म
अपनी पाट क नी तय , वचार , काय म आ द को जनता के सामने रखते ह और अ य दल या अ य दल क सरकार क आलोचना
कर जनता को श त करते ह।

 इसी कार सोशल मी डया जैसे फेसबुक, ट् वटर, हाट् सएप, इं टा ाम आ द के मा यम से राजनी त दल य को जोड़ने और
भा वत करने का काय भी करते ह ।

 नर मोद के Namo एप से करोड़ जुड़े ह और वे लोग मोद क नी तय और काय म के बारे म सीधी और व सनीय
जानकारी इस एप से ा त कर सकते ह ।

इस कार व सनीय और सट क जानकारी दान कर जन सं चार के साधन राजनी तक समाजीकरण म मह वपूण भू मका नभाते ह।

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राजनी तक सं कृ त
राजनी तक सं कृ त का अथ एवं प रभाषा :-

जस कार ये क समाज अपने री त- रवाज , परंपरा , आदश , मू य , था आ द से सामा जक सं कृ त का नमाण


करते ह, ठ क उसी कार ये क राजनी त व था के त य क अ भवृ , व ास , त या , अपे ा और राजनी त
वहार से राजनी तक सं कृ त का नमाण होता है।

राजनी तक सं कृ त को व भ राजनी त ने भ - भ नाम दए ह :-

वचारक राजनी तक सं कृ त का नाम

आम ड - काय के त अ भमुखीकरण

डे वड ई टन - पयावरण

परो - राजनी तक शै ली

राजनी तक सं कृ त क अवधारणा तृतीय व के दे श से सं बं धत ह। इसम अमे रका को आदश मानते ए वकासशील दे श क


सं कृ त का अ ययन कया जाता है। सव थम आम ड ने अपनी पु तक Comparative Political System-1956 म राजनी तक सं कृ त
श द का योग कया।

आम ड-पावेल के अनुसार, "राजनी तक सं कृ त कसी राजनी तक व था के सद य क राजनी त के त गत अ भवृ और


अ भमुखीकरण का तमान है।

एलन बॉल के अनुसार, "राजनी तक सं कृ त का नमाण समाज क उन अ भवृ , व ास तथा मू य के समूह से होता है जनका सं बंध
राजनी तक व था और राजनी तक वषय से ह।

इस कार प है क राजनी तक व था और राजनी तक मु से सं बं धत य क धारणा , व ास , सं वेदना और


मू य को ही राजनी तक सं कृ त कहते ह।

राजनी तक सं कृ त के घटक :-
आम ड ने राजनी तक सं कृ त को काय के त अ भमुखीकरण का नाम दया और बताया क राजनी तक सं कृ त म
अ भमुखीकरण और राजनी त वषय नामक दो घटक होते ह जो क न न कार ह :-

I. अ भमुखीकरण :-
अ भमुखीकरण का शा दक अथ है झुकाव या वृ ।

आलमंड पावेल के अनुसार अ भमुखीकरण के तीन अं ग ह :-

1. ाना मक अ भमुखीकरण :-

इसका आशय राजनी तक वषय के ान और उसके अ त व के त सजगता से जुड़ा होता है। इस अव था म

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को राजनी त वषय का ान सही और गलत दोन प म ा त हो सकता है ले कन दोन ही थ त म लया गया सं ान
के राजनी त वहार को भा वत करता है।

2. भावाना मक अ भमुखीकरण :-

इसका अ भ ाय राजनी तक व था, या और राजनी त वषय के त के मन म उ प होने वाले एवं


आकार ले ने वाले भावावेग , अ भवृ य , अनुभू तय , सहम त-असहम त, व ास, आ था आ द भावना से ह ।

3. मू यांकना मक अ भमुखीकरण :-

इसका अ भ ाय राजनी तक या , वषय एवं मु पर के मत या नणय क अ भ से ह अथात यह


व थागत राजनी त, राजनी त या और राजनी तक वषय पर के मू य नणय ह, उ चत-अनु चत का मू यांकन है।

II. राजनी त वषय :-


इसके चार वषय है :-

1. राजनी तक व था :-

इसम राजनी तक व था का सम व प जसम ऐ तहा सक वकास म, थान, आकार- कार, स ा और


सं वैधा नक वशे षताएँ शा मल है।

2. राजनी तक संरचना या आगत या :-

इसम वे श याँ है जो नणय नमाण और नणय या को भा वत करती है। जैसे - राजनी तक दल, दबाव
समूह, हत समूह, जनसं पक के थान आ द।

3. सम याएं और नी तयां या नगत या :-

इसम नी त नमाण करने, नी तय को या वत करने तथा उनक ा या करने व सं र ण दे ने वाले वभाग के काय
शा मल है।

4. राजनी तक या मू यांकन या :-

इसम राजनी तक ग त व धय के े म क वयं ारा नभायी जा रही भू मका का मू यांकन शा मल है।

राजनी तक सं कृ त के नधारक त व :-

1. इ तहास :-

ये क दे श का इ तहास उस दे श क राजनी तक सं कृ त क कृ त नधा रत करता है। जैसे भारत क राजनी तक सं कृ त शां तवाद व
लोकतां क ह, इं लड क राजनी तक सं कृ त वहां क राजनी तक नरंतरता का प रणाम है और ांस क राजनी तक सं कृ त व भ ां तयां
का प रणाम है।

2. धा मक व ास :-

व भ दे श म व मान ब सं यक धा मक व ास के आधार पर राजनी तक सं कृ तयाँ नधा रत होती है। जैसे भारत म सम वयवाद ,
पा क तान म मु लम धम आधा रत, इजराइल म ईसायत आधा रत आ द।

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3. भौगो लक प र थ तयां :-

व भ दे श क भौगो लक प र थ तयां भी वहां क राजनी तक सं कृ त को नधा रत करती ह जैसे भारत जैसे वशाल दे श क
राजनी तक सं कृ त यू र ोप के छोटे -छोटे दे श से सवथा भ है।

4. सामा जक-आ थक प रवेश :-

व भ दे श और समाज के सामा जक-आ थक प रवेश के आधार पर राजनी तक सं कृ तयाँ भी अलग अलग होती ह। सामा जक व

आ थक आधार पर राजनी तक सं कृ तय को वक सत, वकासशील व अ प- वक सत म वग कृत कया जाता है।

5. वचारधाराएं :-

व भ दे श म व मान अलग-अलग वचारधारा के आधार पर भी अलग अलग राजनी त सं कृ तय का वकास होता है।
जैसे उदारवाद, मा सवाद, पूंजीवाद, सा यवाद, समाजवाद, उपयो गतावाद, सवस ावाद, सं वधानवाद आ द के आधार पर व भ राजनी तक
सं कृ तयाँ व मान है।

इसके अ त र श ा का तर, भाषा, री त- रवाज आ द भी राजनी तक सं कृ त के नधारक त व ह।

राजनी तक सं कृ त क वशे षताएं :-

1. अमूत व प :-

राजनी तक सं कृ त का मूल आधार और समाज के मू य, वचार, व ास और कोण होते ह। इन मू य , वचार , व ास ,


आदश व कोण को केवल समझा या अनुभव कया जा सकता है। इनका मूत प नह होता है। अतः राजनी तक सं कृ त एक अमूत
वचारधारा है।

2. ग तशीलता :-

और समाज के जीवन मू य, वचार, व ास और कोण प र थ तय के अनुसार बदलते रहते ह। अत: राजनी त सं कृ त म


भी नरंतर प रवतन होता रहता है अथात राजनी तक सं कृ त ग या मक ह।

3. सम वयकारी व प :-

कसी दे श क राजनी तक सं कृ त उस दे श म व मान व भ समाज , धा मक समुदाय और व भ त व के सम वय से न मत


होती ह। अतः इसका व प सम वयकारी है।

4. राजनी तक सं कृ त आनुभ वक आ था और व ास का प रणाम है।

5. राजनी तक सं कृ त य क मू य अ भ चयाँ और भावी अनु या है।

6. राजनी तक सं कृ त श णीय और ह तां तरणीय होती है।

राजनी तक सं कृ त के कार

( I ) सं या, श और सहभा गता के आधार पर :-

सं या, श और सहभा गता के आधार पर राजनी तक सं कृ त दो कार क होती ह :-

1. अ भजन सं कृ त :-

वे लोग जो स ा म होते ह और सरकारी नणय म सहभागी होते ह व उ रदायी होते ह, अ भजन कहलाते है। अ भजन अ पसं यक होते
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ए भी सामा जक व राजनी तक काय म मह वपूण भू मका नभाते ह।

2. जनसाधारण क सं कृ त :-

साधारण लोग जो सरकारी नणय म वशे ष सहभागी नह होते ह। इनक आशाएं, वहार व काय प तयाँ अलग-अलग कार
क होती ह। इसे जनसाधारण क सं कृ त कहते ह।

( II ) स ा म सै य भू मका के आधार पर :-

ोफेसर एस.ई. फाईनर ने अपनी पु तक " The Man on Horse Back " म सै नक स ा क भू मका के आधार पर राजनी त सं कृ त
के तीन कार बताए ह :-

1. प रप व :-

इसम शासन सश से ना पर नभर नह करता है। जैसे टे न, अमे रका आ द दे श।

2. वक सत :-

इस सं कृ त म सै नक दबाव के कारण असै नक सरकार को या तो खतरा बना रहता है या उ ह नुकसान प च


ं ाया जाता है। जैसे यू बा,
म , पा क तान आ द।

3. न न :-

इस सं कृ त म लोग कम सं ग ठत होते ह और सै नक स ा भावी होती ह। जैसे सी रया, ली बया, यांम ार आ द ।

( III ) सहभा गता के आधार पर :-

वॉइजमैन ने अपनी पु तक पॉ ल टकल स टम सम सो शयोलॉ जकल अ ोच ( Political System : Some


Sociological Approach ) म राजनी तक सं कृ त के 3 वशु और तीन म त प बताए ह।

राजनी तक सं कृ त के तीन वशु प है :-

1. सं कु चत राजनी तक सं कृ त

2. अधीन थ या पराधीन राजनी तक सं कृ त

3. सहभागी राजनी तक सं कृ त

राजनी त सं कृ त के तीन म त प है :-

1. सं कु चत जाभावी

2. जाभावी सहभागी

3. सं कु चत सहभागी

( IV ) राजनी त व था क भू मका के आधार पर :-

आम ड ने राजनी त व था क भू मका के आधार पर राजनी त सं कृ त को न न चार वग म वभा जत कया है :-

1. आं ल-अमे रक राजनी तक सं कृ त :-

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इस कार क राजनी त सं कृ त म राजनी तक ल य व साधन के वषय म आम सहम त रहती ह। राजनी त व था को नधा रत
नयम के अनुसार सं चा लत कया जाता है। जैसे टे न, अमे रका और वट् जरलड क सं कृ त ।

2. महा पीय यू र ोपीय राजनी तक व था :-

यू र ोपीय महा प के दे श म राजनी तक सं कृ त म सामंज य के बजाय वघटन और खं डत व प भावी प से नजर आता है। यहां
एक सं कृ त के बजाय अनेक उप सं कृ तयाँ होने से समय-समय पर सं घष व हसा क थ तयां उ प हो जाती है। जैसे ांस, इटली, जमनी
आ द।

3. गैर-प मी या पूव औ ो गक राजनी तक व था :-

ऐसी सं कृ त तृतीय व अथात ए शया व अ का के दे श म पाई जाती ह जो अतीत म औप नवे शक शोषण के शकार रहे ह और
जहां आ थक वकास व लोकतं अभी भी अ प वक सत अव था म है ।

4. सवा धकारवाद राजनी तक व था :-

यह व था उन दे श म पाई जाती ह जहां शासन दमन व उ पीड़न पर आधा रत होता है, जनता क सहम त व सहभा गता नाममा
क होती है, अ भ क वतं ता नह होती है, सं चार के साधन पर सरकारी नयं ण होता है और वप के वरोध क सं भावना नह होती
है। जैसे चीन, उ री को रया, बु गा रया आ द।

राजनी तक सं कृ त एवं राजनी तक समाजीकरण म संबध


ं :-

राजनी तक समाजीकरण व राजनी तक सं कृ त एक सरे से जुड़े ह। राजनी तक समाजीकरण क या ारा ही राजनी तक


सं कृ त के मानक , मा यता और व ास को एक पीढ़ से सरी पीढ़ म सं चा रत कया जाता है। इस या म कई अ भकरण जैसे प रवार,
श ण सं थाएं, राजनी तक दल, सं चार के साधन आ द अपनी अहम भू मका नभाते ह । राजनी तक समाजीकरण क इस या से
राजनी तक जीवन म नरंतरता बनी रहती है। इस कार प है क राजनी तक समाजीकरण क या ारा :-

1. राजनी तक सं कृ त को बनाए रखा जाता है,

2. राजनी तक सं कृ त म प रवतन कया जाता है और

3. राजनी तक सं कृ त को उ प कया जाता है ।

राजनी तक सं कृ त का मह व :-

राजनी तक सं कृ त क अवधारणा के उ प होने के प ात राजनी तक णाली क थरता और अ थरता के कारण पर वशे ष यान दया
जाने लगा है। इसका मह व इस कार ह :-

1. राजनी तक सं कृ त क अवधारणा से ही अ ययनक ा का क ब औपचा रक सं थाएं न रहकर राजनी तक समाज बन गया है।

2. राजनी तक या के अ ययन म सामा जक व सां कृ तक त व का समावेश करना।

3. राजनी तक अ ययन म ववेकता लाना।

4. राजनी तक समाज ारा व भ दशाएं हण करने का कारण बताना।

5. राजनी तक समाजीकरण का अ ययन सरल हो जाता है।

6 राजनी तक मा यता और मू य को एक पीढ़ से सरी पीढ़ म नरंतर ह तां त रत करना।


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राजनी तक सहभा गता


अथ :-

राजनी त सहभा गता से ता पय है क जनसाधारण क राजनी तक व था के व भ तर म य या अ य प से सं पूण


भागीदारी हो अथात शासन णाली म लोग क अ धक से अ धक भागीदारी ही राजनी तक सहभा गता है।

राजनी तक सहभा गता के व प :-

सै ां तक प म राजनी तक सहभा गता के दो व प पाए जाते ह :-

1. वकास परक राजनी तक सहभा गता

2. लोकतां क राजनी तक सहभा गता

राजनी तक सहभा गता एवं नाग रक चेतना :-

नाग रक चेतना से आशय ह क उनका शै क तर, वचारधारा, पृ भू म आ द कस कार क है। का शै क तर बढ़ने से


उसम नवीन चेतना का वकास होता है जससे उसे दे श और समाज के त उसके कत और उ रदा य व का ान होता है। जन दे श का
सा रता तर उ च है, वहां के नाग रक क राजनी तक सहभा गता का तर भी उतना ही अ धक ापक है। इसी कार छोटे दे श के नाग रक
का वहां के जन त न धय से य सं पक रहता है। यही कारण है क ए शया और अ का के दे श क बजाय यू र ोपीय दे श के नाग रक म
अ धक राजनी तक सहभा गता पाई जाती ह।

राजनी त सहभा गता का अ भजा य व प :-

अ भजा य वग से आशय ह नौकरशाह, टे नो े ट, बड़े उ ोगप त, वक ल, डॉ टर, ोफेसर आ द वग।

राजनी तक सहभा गता के अ भजा य व प से ता पय है क शासन स ा क भागीदारी म अ भजा य वग का ही भु व है, अ य क


भागीदारी ब त ही कम है। इसे हम इस कार समझ सकते ह :-

1. सव थम जनता क सहभा गता क बात कर तो जनता क राजनी त सहभा गता मा जन त न ध चुनने तक ही सी मत है।

2. अब जन त न धय क राजनी तक सहभा गता क बात कर तो वे केवल अपने सं या बल से केवल सरकार नमाण तक ही सी मत है


जब क स ा क वा त वक श केवल पा टय के चंद स य और अ म पं य के वसा यक नेता (मं य के प म) के पास
सी मत हो जाती है।

3. अब मं य क सहभा गता क बात कर तो वे आ थक, वै ा नक, तकनीक आ द मामल म वशे ष नह होने के कारण केवल सतही
काम कर पाते ह और वा त वक स ा म भागीदारी यू र ो े ट और टे नो े ट क ही होती है जो क अ भजा य वग है।

इस कार प है क आधु नक लोकतां क शासन णाली म जनसाधारण क राजनी तक सहभा गता अ यं त सी मत है जब क


अ भजात वग का राजनी तक सहभा गता म पूण बोलबाला है।

राजनी तक सहभा गता के व प :-

1. सामुदा यक ग त व ध :-

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इसके अं तगत समुदाय के सद य कसी सामू हक उ े य क पू त हेतु मलकर काय करते ह। जैसे :- वरोध- दशन, जुलूस, हड़ताल,
धरने- दशन आ द।

2. सरकार एवं नाग रक के बीच पर पर या :-

यह एक दोतरफा ग त व ध है जसम एक प या करता है तो सरा प यु र दे ता है। अतः इस कार क राजनी त


सहभा गता म नाग रक भी पहल कर सकते ह और सरकार भी पहल कर सकती ह।

राजनी तक सहभा गता के व भ प :-

राजनी तक सहभा गता को दो भाग म बांट ा जा सकता है :-

1. परंपरागत राजनी तक सहभा गता

2. गैर-परंपरागत राजनी तक सहभा गता

दोन को दो भाग नाग रक सहभा गता और रा य सहभा गता म बांट ा जा सकता है।

पर परागत राजनी तक सहभा गता


नाग रक सहभा गता रा य सहभा गता
1. सरकार या जन- त न धय से स पक करना। 1. चुनाव का आयोजन करना।

2. प , टे लीफोन, सा ा कार, संपादक के नाम प , ह ता र 2. सावज नक सुनवाई करना।


अ भयान।

3. दबाव समूह क ग त व धयाँ। 3. सलाहकार प रषद का गठन करना।

4. राजनी तक चार अ भयान म भाग लेना। 4. प रपृ छा।

5. सावज नक पद के लए चुनाव लड़ना।

6. कसी ताव को आर भ करना।

7. या ान

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गैर-पर परागत राजनी तक सहभा गता


नाग रक सहभा गता रा य सहभा गता
1. वरोध दशन, हड़ताल, जुलुस, बंद, धरना आ द। 1. रा ीय पव एवं उ सव का आयोजन।

2. स वनय अव ा। 2. व भ अ भयान संच ालन जैसे - ट काकरण, सा रता,


वृ ारोपण आ द।

3. राजनी तक हसा 3. सावज नक दौड़ या मानव ृं खला का आयोजन।

4. तयो गयताएँ जैसे - ो री, नब ध, वाद- ववाद,


च कला आ द।

राजनी तक सहभा गता के अ भकरण :-

1. दबाव समूह :-

ऐसे समूह जो अपने कसी समान हत क पू त हेतु सं ग ठत होकर अपने मत-समथन ारा सरकार क नी तय को भा वत करते ह,
दबाव समूह कहलाते ह। वक सत दे श म ये ब त भावी होते ह।

2. आरंभक :-

आरंभक अथात ताव तैयार करना। लोकतां क व था म जब जनता वयं कसी कानून या सं वधान सं शोधन का ताव तैयार कर
वधानमंडल के पास वचार और मतदान हेतु तु त करती ह तो इस या को आरंभक कहते ह। यह णाली वशे ष प से य
लोकतां क व था वाले दे श जैसे वट् जरलड आ द म पाई जाती ह। भारत म भी जनता अपने जन त न धय के मा यम से सं सद म नजी
वधेयक तु त कर सकती ह।

3. या ान :-

या ान का शा दक अथ है चुने ए जन त न धय को जनता ारा वापस बुलाना।

जब जनता ारा नवा चत जन त न ध मतदाता क अपे ा पर खरा नह उतरता है तो जनता एक ताव जस पर नधा रत
सं या म ह ता र ज री होते ह, तु त कर जन त न ध को कायकाल समा त होने से पूव हटा दे ती है तो लोकतां क व था म इसे या ान
कहा जाता है। यह व था भी वट् जरलड म च लत है।

4. जनसुनवाई :-

जब जन त न ध या अफसर (सरकार) जनता क व भ सम या को अ भयान चलाकर जनता के सम जाकर सु नती ह तो इसे


जनसु नवाई कहते ह। लोकतां क व था म मु यमं ी, मं ी, जन- त न ध, अफसर आ द अ भयान चलाकर या दरबार लगाकर जनसु नवाई का
काय करते ह। राज थान म शासन गांव के सं ग, शासन शहर के सं ग आ द जनसु नवाई के उदाहरण है।

5. सलाहकार प रषद :-

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सरकार अपने व भ वभाग से जुड़े ए काय के वशे ष प पर सलाह दे ने हेतु गणमा य या वशे ष यो यता वाले नाग रक का एक
सं गठन बना दे ती है जसे सलाहकार प रषद कहते ह।

6. प रपृ छा :-

प रपृ छा का शा दक अथ है कसी पर नणय हेतु जनता से उनक इ छा पूछना।

य लोकतां क व था म सरकार सावजा नक मह व के कसी वशे ष पर जनसाधारण से मतदान करा कर उनक राय ले ती
ह। उदाहरण :- हाल ही म यू र ोपीय यू नयन क सद यता यागने के मु े पर टे न ने सीधे जनता से मतदान ारा राय ली और जनता के मतदान के
अनुसार ही उसने यू र ोपीय यू नयन का सद य बने रहने से इंकार कर दया।

7. स वनय अव ा :-

जब कसी अ यायपूण कानून का आम जनता ारा जानबूझकर और खुले तौर पर उ लं घन कया जाता है तो इसे स वनय अव ा
कहते ह।

8. राजनी तक त हसा :-

ाय: जनता वरोध- दशन कर उ दशन करती ह और तोड़-फोड़ आ द के मा यम से सावज नक सं प को नुकसान प च


ं ाती ह
तो इसे राजनी तक त हसा कहा जाता है।

राजनी तक सहभा गता का मह व :-

न न ल खत ब के मा यम से नाग रक क राजनी तक सहभा गता का मह व या उपयो गता समझी जा सकती है :-

1. नाग रक क सहभा गता से सावज नक सम या पर व तृ त चचा होगी और सम या के समाधान हेतु अ धक सु झाव ा त ह गे।

2. नाग रक सहभा गता से राजनी त क ग त व धय पर कड़ी नजर रखी जा सकेगी जससे वे जनता के हत से सं बं धत प पर
अ धक यान दगे।

3. नेता और नौकरशाह ारा कए जाने वाले स ा के पयोग और ाचार को रोकने म मदद मले गी।

4. शासक और शा सत के म य नकट सं बंध था पत होगा जससे लोकतं को मजबूती मले गी।

5. लोग क राजनी तक जाग कता म वृ होगी।

6. शासन व शासन म वक करण को बढ़ावा मले गा।

7. य लोकतं क थापना क तरफ मजबूत कदम बढ़गे।

राजनी त सहभा गता का मू यांकन :-


राजनी त सहभा गता के प म तक :-

1. राजनी तक सहभा गता सहभागी के हत क र ा करती ह।

2. राजनी तक सहभा गता सामा य हत के उ े य क पू त हेतु लोग म एकता क भावना पैदा करती है।

3. राजनी त सहभा गता नाग रक क सामा य नै तक, सामा जक व राजनी तक सजगता को बढ़ाती है।

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4. यह शासक व शा सत के म य नकट सं बंध था पत करती है।

5. इससे वक करण को बढ़ावा मलता है।

6. इससे लोकतं को मजबूती मलती है।

राजनी तक सहभा गता के वप म तक :-

राजनी तक सहभा गता म अ य धक वृ होने पर लोकतं का व प वकृत होकर भीड़तं म बदल जाता है जससे कई तरह
क सम याएं उ प हो जाती है।

1. सावज नक नी तय , नणय व काय म के भावी प रणाम आने म समय लगता है जसका आम नाग रक धैय पूवक इंतजार नह कर
सकते ह।

2. राजनी तक सम याएं भले ही दखने म सामा य लगे परंतु अपनी कृ त से अ य धक ज टल होती ह। अतः आम नाग रक ारा इन
सम या का सही आकलन नह होता है।

3. अ य धक राजनी तक सहभा गता से नाग रक के सु झाव , शकायत और ववाद का अं बार लग जाएगा और इन सभी का वशे ष
ारा अ ययन कया जाना असं भव हो जाये गा।

4. जब आम जनता क सम या , सु झाव , शकायत आ द पर उ चत यान नह दया जाएगा तो यह जनता भीड़ के प म एक त


होकर अ नयं त हो जाएगी और जोश म नारेबाजी, रैली हड़ताल, दशन, तोड़फोड़ आ द ारा सावज नक हत को नुकसान प च
ं ा
दे ती है।

इस कार प है क राजनी तक सहभा गता एक न त सीमा तक ही बढ़नी चा हए अ यथा यह शासन- शासन के सहयोग क
बजाय असहयोग करने लगेगी।

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उदारवाद
अथ :-

उदारवाद का अं ेजी पयाय लबर ल म है जो क ले टन भाषा के लबर श द से बना है जसका अथ है वतं ।

उदारवाद ( ह द श द )

Liberalism ( अं ज
े ीश द)

Liber ( लै टन श द )

वतं / मु

अतः उदारवाद एक ऐसी वचारधारा है जसम क वतं ता पर अ य धक बल दया गया ह और रा य क सी मतता पर बल


दया गया है।

उदारवाद क उ प के कारण :-

म यकालीन व था म रा य व चच क अ व था के कारण आए न न आंदोलन ारा उदारवाद क उ प ई :-

1. सामंतवाद का पतन।

2. नरंकुशवाद के व त या।

3. पुनजागरण आंदोलन।

4. धम सु धार आंदोलन।

5. औ ो गक ां त व पूंजीप त वग का उदय।

उदारवाद का वकास :-

उदारवाद सामंतवाद व था के पतन और यू र ोप क दो महान ां तय - 1. पुनजागरण व 2. धम सु धार आंदोलन


क दे न है। इनके फल व प इं लड म औ ोगीकरण क शु आत ई जससे पूंजीप त वग का उदय आ। अपने वकास के थम चरण म
उदारवाद ने पूंजीप त वग का प लया। परंतु मा सवाद एवं सा यवाद वचारधारा के डर से यह गरीब के हत क बात करने लगा। वतमान म
उदारवाद लोकक याण क अवधारणा का बल समथक बना आ है। ारं भक समय म उदारवाद का व प नकारा मकता था। इसे चरस मत
या शा ीय उदारवाद भी कहा जाता है। इसका वतक जॉन लॉक था जसने क वतं ता पर अ य धक बल दे ते ए रा य को गत
काय म ह त प े नह करने क बात कही। इस वचारधारा का समथन जेरमे ी बथम, एडम मथ, जे स मल, हरबट पसर आ द ने कया। 19व
शता द म जे. एस. मल ने उदारवाद के सकारा मक व प को तु त कया जसका समथन ला क , मैकाइवर, रची आ द ने कया। उदारवाद
के वकास म के व भ चरण म न न ां तय ने वशे ष योगदान दया है :-

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म सं या ां त योगदान

1 1688 क इं लै ड क गौरवपूण ां त वाद पर बल

2 1776 क अमे रक ां त अ धकार पर बल

3 1789 क ां सीसी ां त वतं ता, समानता व बंधु व पर बल

उदारवाद क वशेषताएं/ कृ त/ स ा त/ त व :-

1. के ववेक म व ास :-

उदारवाद को ववेकशील ाणी मानते ह। उनका मानना है क य ने अपने ववेक ारा ही रा य जैसी सं था
का नमाण कया है।

2. रा य उ प का कारण सहम त :-

उदारवाद के अनुसार य ने आपस म समझौता कर अपने अ धकार रा य को स पे ह अथात आपसी सहम त से रा य का


नमाण आ है।

3. और रा य का सं बंध समझौते पर आधा रत :-

और रा य का सं बंध एक समझौते पर आधा रत है जसम सभी य ने अपने अ धकार रा य को स प दए और यु र


म रा य ने य क र ा, वकास आ द हेतु अपनी जवाबदे ही नधा रत क है।

4. कानून सव च :-

उदारवा दय का मानना है क दे श का सं वधान या कानून ही सव च है। इसका उ लं घन न तो नाग रक कर सकते ह और न ही


रा य।

5. सी मत सरकार :-

उदारवा दय का मानना है क कम से कम शासन करने वाली सरकार ही अ छ सरकार होती ह अथात रा य के काय सी मत होने
चा हए।

6. वतं ता म व ास :-

उदारवाद क वतं ता म व ास करता ह। उनका मानना है क रा य को के काय म ह त प


े नह करना चा हए।

7. आ थक े म पूण वतं ता :-

उदारवा दय ने मु बाजार व था पर बल दे ते ए कहा है क आ थक े म को पूण वतं ता दे दे नी चा हए।

8. गत सं प का अ धकार :-

उदारवा दय ने गत सं प का समथन करते ए कहा है क को सं प अ जत करने का अ धकार होना चा हए।

9. ाकृ तक अ धकार का समथन :-

उदारवा दय ने ाकृ तक अ धकार का समथन करते ए जीवन, वतं ता व सं प के ाकृ तक अ धकार क वकालत क है।

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उदारवाद के कार :-
I. परंपरागत उदारवाद :-

इसे शा ीय / चरस मत /नकारा मक / उदा त उदारवाद के नाम से भी यादा जाना जाता है। उदारवाद को एक वचारधारा के
प म सव थम जॉन लॉक ने तु त कया। इस लए जॉन लॉक को उदारवाद का जनक कहा जाता है। परंपरागत उदारवाद क गत
वतं ता, सी मत रा य और मु ापार का समथन कर पूंजीवाद का समथन करता है तथा रा य को एक आव यक बुर ाई समझता है जसके
कारण इसका व प नकारा मक हो गया। इस वचारधारा का काल 17व से 18व सद तक रहा। इसके समथक लॉक, हॉ स, यूम, मथ,
पसर, पेन, अमे रक वतं ता क घोषणा, च ां त आ द है।

पर परागत उदारवाद क वशेषताएं :-

A. दाश नक आधार पर :-

1. वाद पर बल।

2. मनु य क ववेकशीलता व अ छाई म व ास।

3. मनु य के ाकृ तक अ धकार म व ास।

4. य क आ या मक समानता म व ास।

5. य क वतं इ छा म व ास।

B. राजनी तक आधार पर :-

1. रा य क उ प के अ धकार क र ा हेतु समझौते से ई है।

2. को रा य का वरोध करने का अ धकार है।

3. कानून का आधार ववेक है।

4. रा य आव यक बुर ाई है।

5. सी मत सरकार सव म है।

C. सामा जक आधार पर :-

1. समाज कृ म सं था है य क इसका नमाण मनु य के ारा कया गया है।

2. समाज नमाण का उ े य का हत है।

3. के हत म ही समाज का हत सं भव है।

D. आ थक आधार पर :-

1. मु ापार का समथन।

2. पूंजीवाद व था का समथन।

3. नजी सं प के अ धकार को मा यता।

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4. रा य के ह त प
े व नयं ण का वरोध।

परंपरागत उदारवाद क आलोचना :-

1. परंपरागत उदारवाद अ य धक वतं ता या खुलापन पर जोर दे ता है जो क नै तकता व सामा जक हत के व ह।

2. सी मत रा य क क पना से रा य जन क याण का कोई काय नह कर पाएगा।

3. केवल पूंजीप त वग के हत पर बल दे ता है।

4. मु ापार का समथन अथ व था को बाजा बना दे गा जससे अ धक से अ धक धन कमाने क होड़ म लग जाएंगे।

5. रा य क अह त प
े ी और अ नयं ण क नी त से अ व था का माहौल बन जाएगा।

II. आधु नक उदारवाद :-

इसे सकारा मक उदारवाद भी कहा जाता है। परंपरागत उदारवाद क अवधारणा ने पूंजीवाद को पो षत कया जसके कारण समाज
दो वग पूंजीप त वग और मज र वग म बंट गया। परंपरागत उदारवाद सरकार गरीब के क याण हेतु तब नह थी जसके कारण मा सवाद
और सा यवाद का ज म आ। इन दो वचारधारा से अपने अ त व पर आए सं कट के डर से उदारवाद ने लोक क याणकारी रा य का समथन
कया और नजी सं प पर अं कुश लगाने क व पूंजीप तय पर कर लगाने क वकालत क । जॉन टू अट मल ने उदारवाद के सकारा मक
व प क अवधारणा को तु त कया और रा य को आव यक अ छाई माना। इस वचारधारा का समथन ट . एच. ीन, ला क , मैकाइवर,
हॉबहाउस आ द ने कया।

आधु नक उदारवाद क वशेषताएं :-

1. क याणकारी रा य पर बल।

2. के सवागीण वकास पर बल।

3. सकारा मक वतं ता, समानता व अ धकार पर बल।

4. वकास व वै ा नक ग त क धारणा म व ास।

5. य क मूलभूत आव यकता क पू त पर बल।

6. रा य के सामा जक हत के सं दभ म ह त प
े का समथन।

7. वग सामंज य पर बल।

8. शां तपूण, सु धारवाद और मक प रवतन पर बल।

9. अ पसं यक , वृ व द लत के वशे ष हत के सं वधन पर बल।

10. मु अथ व था के थान पर नयं त अथ व था पर बल।

11. सं प के अ धकार को सी मत करने पर बल।

12. पूंजीप तय पर कर लगाने क वकालत।


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13. लोकतं व समाजवाद को मलाने पर बल।

आधु नक उदारवाद क आलोचना :-


1. उदारवाद का यह व प मूलतः पूंजीवाद वग का ही दशन है।

2. यह यथा थ तवाद पर बल दे ता है।

3. इसका सामा जक याय मा ढकोसला है।

4. इसका वतमान व प गरीब को बरगलाता है।

5. वतं ता क आव यक प र थ तय का नमाण रा य ारा ही सं भव है।

6. पूंजी व था को समा त करने म असमथ।

परंपरागत और आधु नक उदारवाद म अंतर :-

म सं या वषय पर परागत उदारवाद आधु नक उदारवाद

1 उदय का कारण सामंतवाद, पोपवाद व नरंकुश राजत पूंजीवाद व था और मा सवाद

2 वकास का समय 16व से 18व सद 19व सद से वतमान तक

3 रा य के त कोण रा य एक आव यक बुर ाई है। रा य एक सकारा मक अ छाई है।

4 रा य का व प अह त प
े वाद हत प
े वाद

5 वत ता का व प असी मत या नकारा मक वतं ता का सी मत या सकारा मक वतं ता का


समथन समथन

6 अ धकार का व प ाकृ तक अ धकार का समथन सं वैधा नक अ धकार का समथन

7 आ थक आधार मु अथ व था का समथन नय त अथ व था का समथन

8 स प त का व प असी मत स प त अ जत करने का समथन स प त को सी मत करने का समथन

उदारवाद और जॉन लॉक का दशन :-

जॉन लॉक का ज म 1632 ई. म इं लड म आ। लॉक के समय इं लड म सं सद और रा य के म य स ा के लए गृहयु छड़ गया


जसका उसके दशन पर प भाव पड़ा है। जॉन लॉक के दशन क न न ल खत बात से यह प हो जाता है क उदारवाद का ज म उसके
वचार से ही आ है :-

1. मनु य वभाव से अ छा और ववेकशील है।

2. रा य क उ प सामा जक समझौते के स ांत से ई है जसका आधार था - य के अ धकार क र ा।

3. समझौता जनता क सहम त पर आधा रत है।

4. सी मत सरकार का समथन।
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5. वाद का समथन।

6. ाकृ तक अ धकार का समथन।

7. रा य एक आव यक बुर ाई है।

8. कानून का आधार ववेक है।

9. नकारा मक वतं ता का समथन।

10. जनता को व ोह करने का अ धकार।

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समाजवाद

समाजवाद का अथ एवं प रभाषा :-

समाजवाद अं ेजी भाषा के सोश ल म (socialism) श द का ह द पयाय है जसक उ प अं ेजी भाषा के ही सो शयस
( socious ) श द से इ है जसका अथ है समाज ।

समाजवाद ( ह द श द )

Socialism ( अं ज
े ीश द)

Socious ( अं ज
े ीश द)

अथ

समाज

इस कार समाजवाद का स ब ध समाज और उसके सु धार से है। अथात समाजवाद मूलत: समाज से स ब धत है और यायपूण समाज
क थापना के लए य नशील है। समाजवाद श द मु य प से तीन अथ म यु कया जाता है -

1. यह एक राजनी तक स ांत है।

2. यह एक राजनी तक आंदोलन है।

3. इसका योग एक वशे ष कार क समा जक व आ थक व था के लये कया जाता है।

प रभाषाएं :-

1. ऑ सफोड ड शनरी के अनुसार - "समाजवाद वह स ा त या नी त है जो उ पादन एवं वतरण के सभी साधन पर समाज के वा म व का
और इन साधन का उपयोग समाज के हत म करने का समथन करती है।"

2. जवाहरलाल नेह क अनुसार - "बल के बजाय जन सहम त के तरीक से राजनी तक एवं आ थक श य के वक करण क यायपूण
व था ही लोकतां क समाजवाद है।"

3. राम मनोहर लो हया के अनुसार - "समाजवाद ने सा यवाद क आ थक ल य और पूंजीवाद के सामा य ल ण को अपना लया है।
जातां क समाजवाद का ल य दोन म सामंज य था पत करना है।"

4. वेकर कोकर के अनुसार -‘‘समाजवाद वह नी त या स ांत है जसका उददे य एक लोकतां क के य स ा ारा च लत व था क


अपे ा धन का े तर वतरण और उसके अधीन रहते ए धन का े तर उ पादन करना है।’’

5. बनाड शॉ के अनुसार - ‘‘समाजवाद का अ भ ाय सं प के सभी आधारभूत साधन पर नयं ण से है। यह नयं ण समाजवाद के कसी एक
वग ारा न होकर वयं समाज के ारा होगा और धीरे धीरे व थत ढं ग से था पत कया जाये गा।’’
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इस कार प रभाषा के अ ययन से प है क लोकतां क तरीक से उ पादन और वतरण के सभी साधन पर रा य का
नयं ण और उससे सामा जक व आ थक याय क थापना ही समाजवाद है।

समाजवाद अवधारणा का वकास :-

( A ) ाचीन काल म समाजवाद :-

ाचीन काल म यू नान के टोइक दशन म आ थक समानता और सामा जक याय का स ांत दया गया था।

( B ) म यकाल म समाजवाद :-

म यकाल म थॉमस मूर ने अपनी स कृ त "यू ट ो पया" म एक आदश समाजवाद रा य क क पना तु त क है। इसी कार
बेकन ने अपनी पु तक " यू अटलां टस" म समाजवाद वचार का उ ले ख कया है ।

( C ) आधु नक काल म समाजवाद :-

समाजवाद क वा त वक ग त 1789 क च ां त से ई जसम वतं ता, समानता और बंधु व का नारा दया गया। 19व सद
म से ट साइमन, चा स फू रयर और रॉबट ओवन जैसे वचारक ने पूंजीवाद के दोष को उजागर कर सामा जक और आ थक क याण क बात
क । ूध ने तो अपनी पु तक "What is Property" म नजी सं प को चोरी क सं ा तक दे डाली। बाकु नन, जी. डी. कॉल, बनाड शॉ आ द
वचारक ने अनेक समाजवाद वचारधारा के स ांत का तपादन कया। इसी म म काल मा स ने वै ा नक समाजवाद क अवधारणा
तु त कर समाजवाद को नवीन दशा दान क । चूँ क औ ो गक ां त क शु आत इं लै ड से ई जससे वहाँ शहरी मक वग का ज म
आ और इसी वग ने आगे चलकर पूंजीवाद व था के व समाजवाद क अवधारणा को तु त कया। इस कार समाजवाद क शु आत
इं लै ड से मानी जाती है।

समाजवाद के त व या मूल स ांत या वशेषताएं :-


1. क अपे ा समाज को अ धक मह व :-

समाजवाद वाद के वपरीत वचार है जो क अपे ा समाज को अ धक मह व दे ता है। इस वचारधारा क मा यता है


क समाज के मा यम से ही का स पूण वकास हो सकता है।

2. पूज
ं ीवाद का वरोधी :-

समाजवाद पूंजीवाद का वरोधी है। समाजवाद के अनुसार समाज म असमानता तथा अ याय का कारण पूंजीवाद क व मानता
है। पूंजीवाद म उ पादन का समान वतरण न होने के कारण सं प पर पूंजीप तय का अ धकार होता है। समाजवा दय के वचार म पूंजीप तय
व मको म सघंष अ नवाय है। अत: समाजवाद उ पादन व वतरण के साधन को पूंजीप तय के हाथ से समाज को स पना चाहता है।

3. सहयोग पर आधा रत :-

समाजवाद तयो गता का वरोध करता है और सहयोग म वृ करने पर बल दे ता है। रा ीय तथा अ तरा ीय तर पर सहयोग
करके अनाव यक त पधा को समा त कया जा सकता है।

4. आ थक समानता पर आधा रत :-

समाजवाद सभी य के लये आ थक समानता दान करने का प पाती है। समाजवाद वचारक का मत है क आ थक
असमानता अ धकांश दे श के पछड़ेपन का मूल कारण है।

5. उ पादन तथा वतरण के साधन पर रा य का नयं ण :-


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समाजवाद वचारक का मत है क स पूण दे श क स प पर कसी वशे ष का नयं ण न होकर स पूण समाज का
नयं ण होना चा हए। उ पादन तथा वतरण के साधन य द रा य के नयं ण म रहगे तो सभी य क आव यकता क पूर ी हो जायगी।

6. लोकतां ीय शासन म आ था :-

समाजवाद वचारक रा य के लोकतं ीय व प म व ास रखते है। ये मता धकार का व तार करके सं सद को उसक व था
चलाने के लये एक मह वपूण साधन मानते है। इस व था से य को राजनी तक स ा क ा त होती है।

7. उ पादन का ल य समाजीकरण :-

उ पादन के समाजीकरण का ता पय है क उ ोग चाहे सावज नक े का हो या नजी े का हो, उन पर नयं ण क व था


रा य के नदशानुसार होनी चा हए और इनका सं चालन लाभ ा त के लए नह अ पतु सामा जक हत क से कया जाना चा हए।
उदाहरण के लए कूल, अ पताल आ द चाहे सरकारी हो या नजी, उनका ल य समाज का भला करना होता है। भले ही नजी सं थाएं लाभ क
मंशा रखते ह परंतु वह लाभ रा य ारा जारी गाइडलाइन के तहत ही ा त कया जा सकता है।

8. असी मत संप सं ह के व :-

समाजवाद का मानना है क सं प त भेदभाव को बढ़ावा दे ती है जो क शोषण को ज म दे ती है। अतः सं प के असी मत


सं ह के अ धकार को समा त कया जाना चा हए। इसी म म समाजवाद का मानना है क बड़े-बड़े उ ोग असी मत सं प को ज म दे ते ह।
अतः सभी बड़े उ ोग का रा ीयकरण कर दया जाना चा हए।

9. राजनी तक और आ थक आजाद का समथन :-

समाजवाद राजनी तक वतं ता के साथ-साथ आ थक वतं ता का प धर भी है। इसका मानना है क य को काम


का अ धकार, उ चत पा र मक का अ धकार एवं अवकाश का अ धकार होना चा हए। समाजवाद का मानना है क आ थक वतं ता के बना
राजनी तक वतं ता का कोई मह व नह है।

10. े मानव जीवन का ल य :-

समाजवाद रा य को स गुण को वक सत करने वाली सं था मानता है। इसका मानना है क समाजवाद रा य ही श ा,


वा य, च क सा, मनोरंजन और े सां कृ तक जीवन क सु वधाएं जुट ा सकता है। अतः े मानव जीवन सामा जक रा य ारा ही ा त
कया जा सकता है।

समाजवाद के प म तक या गुण -
1. शोषण का अ त : -

समाजवाद मक एवं नधन के शोषण का वरोध करता है। समाजवा दय ने प कर दया है क पूंजीवाद व था म
पूंजीप तय के षडयं के कारण ही नघन व मक का शोषण होता है। यह वचारधारा शोषण के अ त म आ था रखने वाली है। इस लये
व के मक, कसान व नघन इसका समथन करते है।

2. सामा जक याय पर आधा रत :-

समाजवाद व था म कसी वग वशे ष के हत को मह व न दे कर समाज के सभी य के हत को मह व दया जाता


है। यह व था पूंजीप तय के अ याय को समा त करके एक ऐसे वग वहीन समाज क थापना करने का समथन करती है जसम वषमता
यनूतम हो।

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3. उ पादन का ल य सामा जक आव यकता : -

वाद व था म गत लाभ को यान म रखकर कये जाने वाले उ पादन के थान पर समाजवाद व था म
समा जक आव यकता और हत को यान म रखकर उ पादन करने पर बल दया जाता है य क समाजवाद इस बात पर बल दे ता है क जो
उ पादन हो वह समाज के ब सं यक लोगो के लाभ के लए हो।

4. उ पादन पर समाज का नयं ण : -

समाजवा दय का मत है क उ पादन और वतरण के साधन पर रा य का वा म व था पत करके वषमता को समा त कया जा


सकता है।

5. सभी को उ त के समान अवसर :-

समाजवाद सभी लोग को उ त के समान अवसर दान करने के प पाती है। इस व था म कोइ वशे ष सु वधा सं प वग नही
होगा। सभी लोगो को समान प से अपनी उ त एव वकास के अवसर ा त ह गे।

6. सा ा यवाद का वरोधी : -

समाजवाद औप नवे शक परत ंता और सा ा यवाद का वरोधी है। यह रा ीय वतं ता का समथक है। ले नन के श द म
‘‘सा ा यवाद पूंजीवाद का अं तम चरण है।’’ समाजवा दय का मत है क जस कार पूंजीवाद म गत शोषण होता है, ठ क उसी कार
सा ा यवाद मे रा य को राजनी तक एवं आ थक प से परतं बनाकर शोषण कया जाता है।

7. स ा के राजनी तक एवं आ थक वके करण पर बल।

8. धम एवं नै तकता के मह व को वीकारना।

समाजवाद के वप म तक अथवा आलोचना :-


1. रा य के काय े म वृ :-

समाजवाद म आ थक तथा राजनी तक दोन े म रा य का अ धकार होने से रा य का काय े अ य धक व तृ त हो


जाये गा जसके प रणाम व प रा य ारा कये जाने वाले काय समु चत प से सं चा लत और स पा दत नही ह गे।

2. व तु के उ पादन म कमी :-

समाजवाद के आलोचक क मा यता है क य द उ पादन के साधन पर स पूण समाज का नयं ण हो तो क काय करने
क ेरणा समा त हो जाये गी और काय मता भी धीरे-धीरे घट जाये गी। को अपनी यो यता का दशन करने का अवसर नही मले गा
जससे व तु के उ पादन क मा ा घट जाये गी।

3. पूण समानता संभव नही :-

कृ त ने सभी मनु य को समान उ प नही कया। ज म से कुछ बु मान, कुछ मुख, कुछ व थ व कुछ प र मी होते है। इन
सबको समान समझना ाकृ तक स ांत क अवहेलना करना है। अत: पूण समानता था पत नही क जा सकती।

4. समाजवाद जातं का वरोधी :-

जातं म के अ त व को अ यं त े थान ा त है। वह समाजवाद म वह रा य पी वशाल मशीन म एक नज व पुजा बन


जाता है।

5. नौकरशाही का मह व : -
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समाजवाद म रा य के काय म वृ होने के कारण नौकरशाही का मह व बढ़ता है और सभी नणय सरकारी कमचा रय ारा
लये जाते है। ऐसी थ त म भ ाचार बढ़ता है।

6. समाजवाद हसा को बढाता है :-

समाजवाद अपने ल य क ा त के लए ां तकारी तथा हसा मक माग को अपनाता है। वह शां तपूण तरीको म व ास नही
करता। वह वग सं घष पर बल दे ता है। जसके प रणाम व प समाज म वैमन यता और वभाजन क भावना फैलती है।

7. प वचारधारा नह :-

समाजवाद म अ प ता और अ न तता है। उदाहरण के लए कुछ समाजवाद रा ीयकरण पर बल दे ते ह तो कुछ समाजीकरण


पर। नजी सं प पर कस सीमा तक नयं ण रखा जाए, इस सं बंध म भी समाजवा दय म एकमत नह है।

8. वरोधाभासी वचारधारा :-

लोकतं वतं ता म व ास करता है जब क समाजवाद नयं ण क व था म व ास करता है। इस कार लोकतं और


समाजवाद के पर पर वरोधाभासी वचारधारा होने के कारण समाजवा दय क वचारधारा वरोधाभासी तीत होती है।

समाजवाद क आलोचना को हम न न दो कथन से भलीभां त समझ सकते है :-

जोड़ ने कहा है- ”समाजवाद एक ऐसी टोपी है जसका प ये क के पहनने के कारण बगड़ गया है ।”

टश राजनी त हैर ॉ ड लॉ क ने कभी समाजवाद को एक ऐसी टोपी कहा था जसे कोई भी अपने अनुसार पहन ले ता है।

न कष :-

उपयु व ष े ण से प है क समाजवाद आ थक णाली अनेक गुण से स प होते ए भी दोषमु नह है । पूंजीवाद


आ थक णाली क भां त इस णाली म भी अनेक क मयां एवं दोष गोचर होते है ।
पूंजीवाद एवं समाजवाद आ थक णा लय का य द व ष े ण कया जाये तो प होता है क दोन णा लय म से कोई भी णाली अपने
आप म पूण नह है । क तु तुलना मक प से य द व षे ण कया जाये तो समाजवाद आ थक णाली पूंजीवाद णाली क तुलना म अ धक
सफल एवं वक सत ई है ।

इस सफलता का कारण समाजवाद णाली क अ धकतम सामा जक क याण क भावना का होना है । साथ ही पूंजीवाद के दोष एवं
शोषण (मु यत: आ थक वषमताएं, वग सं घष, अ याय, शोषण, अ याचार आ द) से जनमानस को मु दलाने म समाजवाद आ थक णाली
ने मह वपूण भू मका अदा क है ।

समाजवाद क इसी वशे षता के कारण अ प समय म यह णाली अनेक दे श म वक सत हो गई ।

न कष प म कहा जा सकता है क जहां पूंजीवाद असफल होता है, वहां समाजवाद सफल होता है ।

इस कार समाजवाद पूंजीवाद के दोष को र करने का एक साधन है । य द समाजवाद आ थक णाली को समाजवाद क मौ लक मा यता
के अ तगत या वत कया जाए तो समाजवाद क सफलता सु न त क जा सकती है ।

मुख समाजवाद वचारक :- सट साइमन, चा स फू रयर, रोबट ओवन, R.H. टॉनी, हेरा ड ला क , लीमट एटली, रै जे
मैकडोन ड।

मुख भारतीय समाजवाद वचारक : जवाहरलाल नेह , राममनोहर लो हया, द नदयाल उपा याय, जय काश नारायण

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मा सवाद
मा सवाद का अ भ ाय

जमनी के स वचारक काल मा स और े ड रक एं ज स ने मलकर दशन, इ तहास, समाजशा , व ान, अथशा आदक
व भ सम या पर अ य धक गंभीर अ ययन करते ए सभी सम या के सं बंध म एक सु न त वचारधारा और एक नवीन कोण व
के सामने रखा जसे मा सवाद के नाम से जाना जाता है।

मा सवाद म योगदान :-

राजनी तक पहलू का चतन : काल मा स

वै ा नक एवं दाश नक पहलू का चतन : े ड रक एं ज स

इस वचारधारा के समथक काल मा स के अ त र े ड रक एं ज स, ले नन, टा लन, कोटसी, रोजा ल जमबग, माओ, ा शी आ द है।

काल मा स का जीवन प रचय :-

काल मा स का ज म जमनी म 1818 ई. को एक य द प रवार म आ। इनके पता एक वक ल थे। उनके बचपन म ही


इनके पता ने इसाई धम वीकार कर लया। इ ह ने ब लन व व ालय म अ ययन कया। यहां पर उ ह ने हीगल के दा मक दशन का
अ ययन कया। मा स शु आत म व व ालय के श क बनना चाहते थे परंतु ना तक वचारधारा का होने के कारण वह श क नह बन
पाया। 1841 ई. म मा स ने जेना व व ालय से डॉ टरेट क उपा ध ा त क । 1843 ई. म उनका ववाह जैनी नामक यु वती से आ। 1849
ई. म मा स इं लड चले गए जहां पर उनक म ता े ड रक एं ज स से ई और यह पर काल मा स ने े ड रक एं ज स के साथ मलकर
मा सवाद वचारधारा का तपादन कया। 14 माच 1883 ई. को लं दन म इनका दे हांत हो गया।

काल मा स के दशन के ोत :-

ऐसा नह है क मा स ने जो दशन तपा दत कया वह पूणत: मौ लक था। मा स ने व भ वचारक के स ांत को अपनाकर


मा सवाद का तपादन कया। उस पर न न ल खत वचारक का प भाव था :-

1. जमन वचारक का भाव :-

जमन वचारक हीगल से मा स ने दा मक प त और फायरबाख से भौ तकवाद का वचार हण कया।

2. टश अथशा य का भाव :-

मा स टश अथशा य जैसे एडम मथ, रकाड आ द के वचार से भा वत थे। इनसे भा वत होकर मा स ने म का


स ांत और अ त र मू य के स ा त का तपादन कया है।

3. च समाजवा दय का भाव :-

च वचारक सट साइमन, चा स फो रयर आ द ने समाजवाद का तपादन कया और इन वचारक का मा स पर प भाव पड़ा

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है। इन वचारक से ही भा वत होकर मा स ने उ पादन के साधन पर वा म व का स ांत, मक का उ पादन और उनका शोषण करने वाले
वग के वनाश का स ांत और वग वहीन समाज क थापना का वचार तु त कया।

4. सामा जक व आ थक प र थ तयां का भाव :-

त कालीन सामा जक व आ थक प र थ तय म पूंजीवाद का वच व था जसने समाज के शोषणवाद च र को तु त कया और


इ ह प र थ तय ने मा स को ां तकारी वचार तु त करने के लए े रत कया।

इस कार हम कह सकते ह क मा स म अलग-अलग थान से अलग-अलग कार क वषय-व तु एवं वचार हण कए परंतु उसने
सा यवाद का जो वशाल भवन बनाया, वह पूणत: मौ लक है।

मा सवाद क मुख रचनाएं :-

1. द पॉवट ऑफ फलोसॉफ 1847

2. इकोनॉ मक एंड फलोसॉ फक मनु ट 1844

3. थी सस ऑन फायरबाख -1888

4. ला स गल इन ां स

5. द टक ऑफ पॉली टकल इकोनॉमी - 1859

6. वै यू ाइस एंड ॉ फट - 1865

7. दास कै पटल ( तीन ख ड 1867,1885 व 1894 )

8. द स वल वार इन ां स -1871

9. द गोथा ो ाम

10. दे होली फै मली - 1845 एं ज स ारा, जमन आई डयोलॉजी - 1845 और द क यु न ट मे नफे टो - 1848 दोन एं ज स के साथ
मलकर लखी।

11. द ओ रजन ऑफ फै मली, ाइवेट ॉपट एंड द टे ट - एं ज स

12. टे ट एंड रेवो यूशन - ले नन

13. ऑन कॉ े ड शन - माओ से तुंग ( माओ )

14. द जन नोट बु स - ा शी

मा स के मुख वचार या मा यताएं :-


A. ं ा मक भौ तकवाद :-

ं ा मक भौ तकवाद मा स के सं पूण चतन का मूल आधार है। ा मक भौ तकवाद म ं ा मक का आशय सृ के वकास


क या से है और भौ तकवाद का आ य सृ के मूल त व से ह। इस स ांत के तपादन म मा स ने हीगल क ा मक प त और
फायरबाख से भौ तकवाद का कोण हण कया।

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ा मक भौ तकवाद क या :-

जहाँ हीगल अपने दशन म सृ का मूल त व आ मा या चेतना को मानता है वह मा स ने सृ का मूल त व जड़ या पदाथ को माना
है। मा स ने ा मक या को गे ँ के पौधे के उदाहरण से प कया है :-

चरण ा मक या ववरण

थम वाद गे ं का दाना

तीय तवाद गे ं का पौधा

तृतीय सं वाद बाली आना, गे ं का दाना बनना, पौधे का सू खकर न होना

इसी कार मा स ने ा मक या ारा सा यवाद को समझाने का यास कया है :-

चरण ा मक या ववरण

थम वाद पूंजीवाद

तीय तवाद सवहारा वग का अ धनायक व

तृतीय सं वाद सा यवाद

ा मक वकास के नयम :-

मा स के ं ा मक वकास के न न 3 बु नयाद नयम बताए ह :-

1. पर पर एवं वप रत त व क एकता एवं सं घष

2. प रमाण से गुण क ओर प रवतन

3. नषे ध का नषे ध नयम

B. इ तहास क भौ तकवाद ा या :-

इसे ऐ तहा सक भौ तकवाद के नाम से भी जाना जाता है। मा स का मानना है क मानव इ तहास म होने वाले व भ
प रवतन एवं घटनाएं कुछ वशे ष व महान य के काय के प रणाम व प नह होते ह ब क ये प रवतन व घटनाएं भौ तक और आ थक
कारण से होती ह। मा स के ऐ तहा सक भौ तकवाद को न न कार समझा जा सकता है :-

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इस कार प है क जब जब उ पादन णाली म प रवतन आ है तब तब मनु य के सामा जक संबध
ं म प रवतन आ है । मा स ने आ थक
आधार पर मानव इ तहास के वकास को 6 भाग म बांटा है :-

1. आ दम सा यवाद अव था

2. दास अव था

3. सामंती व था

4. पूज
ं ीवाद अव था

5. सवहारा वग का अ धनायकवाद

6. सा यवाद अव था

मा स का मानना है क थम तीन अव थाएं गुजर चु क ह, चौथी अव था या न पूज


ं ीवाद अव था चल रही है और दो अव था अभी आनी
बाक है ।

इ तहास क आ थक ा या क के न कष :-

1. मानव जीवन म स यता के वकास क या का संचालक आ थक त व है ।

2. ये क युग म जसका आ थक व था पर नयं ण था उसका सामा जक व राजनी तक व था पर नयं ण था।

3. आ थक प रवतन से ही सामा जक व राजनी तक प रवतन होते ह।

4. आ दम सा यवाद अव था को छोड़कर पूज


ं ीवाद अव था तक वग संघष क अव था रही है ।

5. इ तहास क आ थक ा या के आधार पर ही मा स पूज


ं ीवाद के अंत और सा यवाद के आगमन क घोषणा करता है ।

इ तहास क आ थक ा या क आलोचना :-

1. आ थक त व पर अ यं त बल।

2. सभी ऐ तहा सक घटना क ा या आ थक आधार पर संभव नह है ।

3. इ तहास क धारणा रा य वहीन समाज पर आकर कना संभव नह है ।

4. राजनी तक स ा का एकमा आधार आ थक स ा नह हो सकता है ।

C. वग संघष का स ांत :-
मा स ने अपनी पु तक "क यु न ट मे नफे टो" का ारंभ इस वा य से कया है क समाज का अब तक का इ तहास वग संघष का इ तहास
रहा है । उसका मानना है क आ दम सा यवाद अव था को छोड़कर वतमान तक का इ तहास वग संघष से भरा पड़ा है । दास अव था म वामी व दास
के म य, सामंती अव था म जम दार और कसान के म य और पूज ं ीवाद अव था म पूज
ं ीप तय व मज र के म य संघष होता आया है । सभी युग म
यह संघष कभी चोरी-छु पे तो कभी खु लेआम होता रहा है । प रणामत: इस संघष का अंत कभी ां तकारी पुन नमाण से तो कभी-कभी दोन प के
वनाश से आ ह। मा स का कहना है क अब तक के इ तहास म जस वग ने शोषणक ा से स ा छ नी है कालांतर म वही वग शोषणक ा सा बत ए
ह।

एंगे स ने अपनी पु तक " Origin of Family : Private Property and State " म लखा है क पहली शोषक सं था प रवार है और शो षत वग
म हला है ।

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वग :- जस समूह का एक समान आ थक हत हो उसे वग कहते है । जै से मक वग, पूज
ं ीप त वग आ द।

संघष :- असंतोष, रोष व असहयोग

वग संघष के स ांत क आलोचना :-

1. एकांक व दोषपूण ।

2. सामा जक जीवन का मूल त व सहयोग है , संघष नह ।

3. समाज म केवल दो ही वग ( शोषक व शो षत वग ) नह होते ह।

4. सामा जक वग व आ थक वग म अंतर होता है ।

5. ां त मक वग क बजाय बु जीवी वग से ही संभव है ।

6. सम त इ तहास वग संघष का इ तहास नह हो सकता है ।

D. अ त र मू य का स ांत :-
मा स का यह स ांत पूज
ं ीवाद अव था म मज र के शोषण क या को प करता है । मा स ने यह स ांत रकाड के म स ांत के
आधार पर तुत कया है । मा स के अनुसार उपयो गता मू य एवं व नमय मू य का अंतर अ त र मू य है ।

मा स के अनुसार बाजार म माल प रचालन का सामा य सू है :- C - M - C अथात व तु - मु ा - व तु

अथात पूज
ं ीप त अपने पास उपल ध व तु को लेकर बाजार म आता है और उसे उ चत मू य पर बेच कर मु ा कमाता है तथा उसी मु ा से अपनी सरी
इ छत व तु खरीद कर बाजार छोड़ दे ता है । इस कार व तु के व नमय से पूज
ं ी का नमाण करता है ।

मा स के अनुसार पूज
ं ी के प रचालन का सू है :- M - C - M' अथात मु ा - व तु - (मु ा + लाभ )

इस कार पूज
ं ीप त अपनी मु ा ( M ) लेकर बाजार म आता है । इससे माल खरीद कर व म श लगा कर नया माल बनाता है तथा फर इसे बाजार
म अ धक मू य पर बेचकर अ धक मु ा ( M' ) कमा लेता है ।

इस कार ( M' - M ) को मा स अ त र मू य कहता है ।

इसके अलावा पूज ं ीप त नवाह मज री पर मक का म खरीद लेता है और वह मज र को नवाह मज री से तय म से यादा म करने के लए


बा य करता है । इस कार इस अ त र म का मू य मक के पास न जाकर पूज
ं ीप त के पास चला जाता है जो क अ त र मू य है ।

साथ ही कभी कभी बाजार म मांग पू त के कारण भी पूज


ं ीप त को मुनाफा होता है , वह भी अ त र मू य है ।

इस कार अ त र मू य पूज
ं ी का नमाण करता है जससे पूज
ं ीप त और अ धक अमीर बन जाता है एवं मक क थ त दयनीय होने लगती है ।

अतर मू य के स ांत क आलोचना :-

1. म एकमा उ पादन का साधन नह ।

2. मान सक म क अवहे लना।

3. मौ लक नह ( रकाड से भा वत )।

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अतर मू य का भाव :-

1. मक क दयनीय थ त।

2. सवहारा वग क ां त का कारण।

3. जनसं या वृ का कारण।

E. अलगाव का स ांत :-
अलगाव का स ांत मा स क पु तक "इकोना मक एंड फलोसॉ फकल मनु ट - 1844" म दया गया है । मा स के जीवन काल म यह
पु तक का शत नह हो पाई। बाद म हं गरी क मा सवाद वचारक जॉज यूकास ने सव थम अलगाववाद पर लेख लखे । जब मा स क पु तक
का शत ई तो इस स ांत का मह व और अ धक बढ़ गया।

मा स ने पूज
ं ीवाद समाज के अंतगत अलगाव के चार तर क पहचान क है :-

1. उ पादन व उ पादन णाली से अलगाव:-

इसे हम कमीज बनाने क या से समझ सकते है । पूववत सामंतवाद अव था म मज र या कारीगर कमीज का पूण नमाण वयं करता था
जसम उसे इस बात का अपनापन महसूस होता था क अमुक कमीज उसके ारा बनाया गया है परंतु पूजं ीवाद अव था म मशीन के उपयोग से अब
कमीज एक नह बनाता है ब क कमीज के अलग-अलग भाग अलग-अलग बनाते ह जससे कामगार का उस कमीज से कोई लगाव नह
रहता है ।

2. कृ त से अलगाव :-

मशीन पर काम करते-करते मनु य का ाकृ तक वातावरण जै से खे त क ह रयाली, घास के मैदान, बा रश के घने बादल आ द से संबध
ं टू ट
जाता है ।

3. सा थय से अलगाव :-

आ थक णाली त पधा मक होने के कारण अपने सा थय से भी त पधा करने लगता है जससे हम यह लगने लगता है क मेरा
काम कोई सरा न ले ले। इस कार अपने सा थय के साथ भी अलगाव रखने लगता ह।

4. वयं से अलगाव :-

अंतत: मनु य धन कमाने क अंध-दौड़ म इतना अ धक त हो जाता है क उसे सा ह य, कला, सं कृ त, री त- रवाज , परंपरा , यौहार
आ द से कोई लगाव नह रहता है और वह इन सब को मा औपचा रक समझने लगता है । इस कार वह वयं से भी अलगाव करने लगता है ।

F. पूज
ं ीवाद का व ष
े ण :-
मा स के अनुसार इ तहास क ये क अव था अपनी पछली अव था से उ त होती ह य क वह उ पादन क श य के वकास का संकेत
दे ती है । अतः सामंतवाद क तुलना म पूज
ं ीवाद े है ।

मा स ने अपनी पु तक "क यु न ट मे नफे टो" म लखा है क पूज


ं ीवाद व था ने उ पादन के साधन को त ग त से उ त करके और संचार के
साधन को अ य धक सु वधाजनक बना कर सम त रा यहां तक क बबर एवं अस य जा तय को भी स य बना दया है ।

मा स का कहना है क पूज
ं ीवाद म दो वरोधी वग का हत पाया जाता है तथा यह पूज
ं ीप तय के लए नरंतर अथाह पूज
ं ी का नमाण करता है । इस

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कार अ य धक पूज ं ी नमाण क त पधा म पूजं ीप तय ारा अ य धक उ पादन कया जाएगा प रणाम व प माल अ धक होने और खपत कम होने
से मांग कम हो जाएगी जससे पूज
ं ीप तय के त पधा के त व का अंत हो जाएगा और पूज
ं ीवाद क समा त हो जाएगी।

G. रा य व शासन संबध
ं ी वचार :-
काल मा स के रा य संबध
ं ी वचार "क यु न ट मे नफे टो" म मलते ह जो क न नानुसार है :-

1. रा य क उ प का कारण वग वभे द है ।

2. रा य शोषक वग या पूज
ं ीप त वग के हत क सुर ा करता है ।

3. रा य शोषण का यं है ।

4. वग संघष उपरांत रा य व पूज


ं ीप त वग के अवशेष को समा त करने के लए सवहारा वग का अ धनायक व क थापना होगी।

5. अंततः रा य समा त हो जाएगा और रा य वहीन व वग वहीन समाज क थापना होगी।

आलोचना :-

1. रा य केवल एक वग य सं था नह है ब क नै तक सं था है ।

2. वतमान म रा य सवहारा वग का श ु न होकर म ह।

3. रा य थायी ह न क अ थायी।

4. रा य के वलु त होने क धारणा मा क पना है ।

H. लोकतं , धम व रा वाद के संबध


ं म मा स के वचार :-

काल मा स लोकतं , धम और रा वाद को मज र के शोषण का साधन मानता है । मा स के अनुसार धम अफ म के समान नशा है जो क


मक का शोषण करता है ।

मा स के अनुसार मज र का कोई दे श नह होता है । अतः व के सभी मज र को एक हो जाना चा हए। इस स ब ध म मा स रा वाद को थ


बताता है ।

I. मा सवाद काय म :-
1. पूज
ं ीवाद व था के व ां त।

2. सं मण काल म सवहारा वग के अ धनायक व क थापना।

3. पूण सा यवाद क थापना।

मा सवाद क आलोचना :-
1. हसा व ां त को ो साहन।

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2. वग संघष का चार कर वग सहयोग को समा त कर दे ना चाहता है ।

3. गत वतं ता के लए घातक।

4. रा य के वलु त होने क धारणा गलत है ।

5. रा य शोषण का यं है , गलत है ।

6. समाज दो वग क बजाय अनेक वग म वभा जत है ।

7. पदाथ म वतः प रवतन संभव नह है ।

8. अलोकतां क वचारधारा।

मा सवाद का योगदान या वतमान समय म ासं गकता :-


काल मा स ने अपने वचार से समाजवाद लाने का ठोस एवं सुसंगत काय म तुत कया जसने व म हलचल पैदा कर द ।
मा स के वचार को आधार बनाकर ले नन ने 1917 ई. म सो वयत संघ म और 1949 म माओ से तुग ं ने चीन म सा यवाद शासन क थापना क
जससे अपने अ त व के संकट को दे खकर उदारवाद पूज
ं ीवाद ने अपने आप को सुधारने का यास करते ए लोकक याणकारी रा य क अवधारणा
तुत क । हम न न त य के आधार पर मा स के योगदान / ासं गकता को प कर सकते ह :-

1. व भ वचारधारा का आधार :-

मा सवाद ने आधु नक व म च लत अनेक वचारधारा जै से समाजवाद, फे बयनवाद, मक संघवाद, अराजकतावाद,


लोकतां क समाजवाद, ब लवाद, सा यवाद, ले ननवाद आ द को वैचा रक आधार दान कया है ।

2. उदारवाद को चुनौती :-

मा स का मानना था क जब तक उ पादन एवं वतरण के साधन पर पूज ं ीप तय का आ धप य रहे गा तब तक पूज


ं ीप तय ारा
सवहारा वग का शोषण कया जाएगा। अतः सवहारा वग को ां त के मा यम से पूज
ं ीवाद व था को उखाड़ फकना चा हए और सवहारा वग के
अ धनायक व क थापना करनी चा हए। इस कार मा स ने उदारवाद को चु नौती तुत क ।

3. समाजवाद क वहा रक योजना तुत :-

मा स ने अपने काय म के मा यम से समाजवाद क वहा रक और वै ा नक योजना तुत क । मा स से पूव का समाजवाद मा


का प नक था जो समाज म होने वाले प रवतन क आधारभू त योजना तुत करने म असफल रहा था।

4. मक वग म जागृ त :-

मा स ने अपने वचार जै से अ त र मू य का स ांत, वग संघष के स ांत आ द से मक के शोषण क व था को उजागर कर


उ ह जागृत कया। साथ ही उ ह ने अपने नार " व के मज र एक हो जाओ", "तु हारे पास खोने के लए जं जीर है और जीतने के लए सम त व
है " के मा यम से मक म अपने अ धकार के त नवीन चे तना उ प क ।

5. समाज का यथाथवाद च ण :-

मा स सव थम समाजवाद वचारक था जसने न केवल त कालीन समाज का वा त वक च ण तुत कया ब क अपने वचार से
समाजवाद के ल य को ा त करने का काय म भी तुत कया।

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गांधीवाद
गांधीवाद या है :- गांधी जी के वचार और आदश का सं ह गांधीवाद है।

गांधीजी के जीवन मू य :-

गांधीजी के जीवन मू य न न है :-

1.स य, 2. अ हसा, 3. ातृ व व 4. ेम ।

1. गांधीजी स य, अ हसा, ेम और ातृ व के पुजारी थे।

2. गांधी जी राजनी त को प व बनाकर उसे धम व याय पर आधा रत करना चाहते थे।

3. गांधीजी य म ेम और वतं ता का सं चार करना चाहते थे।

4. गांधीजी को पु षाथ का मह व समझाना चाहते थे।

5. गांधीजी सा य और साधन क प व ता पर बल दे ते थे।

गांधीवाद वचार का समूह मा है :-

गांधीवाद गांधी जी के वचार का एक समूह मा है जसम उनके न न ल खत वचार ह :-

1. गांधी जी के आदश का आधार है - स य, अ हसा, ेम व ातृ व।

2. मानवतावाद म व ास।

3. वे प रवतनवाद थे।

4. ई र म अटल व ास।

5. समूहवाद वचारक।

6. वग सहयोग व आ या मक समाजवाद पर बल।

7. ाम वरा य पर बल।

8. राजनी तक व आ थक वक करण पर बल।

9. रा य वहीन एवं वग वहीन समाज के समथक।

10. अ ते य, अप र ह एवं चय को मह व।

11. उदारवाद और नै तकता म व ास।


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गांधी जी क रचनाएं :-

1. हद वराज

2. द ण अ का के स या ह का इ तहास

3. स य के साथ मेर े योग

4.गीता पदाथ कोश

गांधीजी ारा का शत एवं स पा दत समाचार-प और प काएं :-

1. इं डयन ओ प नयन (द ण अ का म)

2. नवजीवन

3. यं ग इं डया

4. ह रजन

5. आयन पथ

गांधीवाद के ोत :-
गांधी जी के वचार पर पड़े भाव का ववेचन इस कार कर सकते ह :-

A. धा मक थ
ं का भाव :-

1. सनातन धम ंथ का भाव :-

थ भाव

पतंज ल का योग सू योग दशन

उप नषद अप र ह और याग

रामायण भ

गीता कम का स ा त

2. जैन व बौ ंथ का भाव :-

(i) अ हसा का स ांत।

(ii) मांस, म दरा व पराई ी से र रहना।

3. बाइ बल का भाव :-

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बुर ाई को भलाई से , श ुता को म ता से , घृणा को ेम से , अ याचार को ाथना से एवं हसा को अ हसा से जीतने का माग गांधी जी
ने बाइ बल से ही सीखा है।

व भ धा मक ंथ से गांधीजी ने न न वचार को अपनाया :-

1. स य 5. चय 9. शारी रक म

2. अ हसा 6. अ वाद 10. सवधम

3. अ ते य 7. अभय 11. समभाव

4. अप र ह 8. अ पृ यता नवारण 12. वदे शी

B. दाश नक का भाव :-

दाश नक भाव

जॉन र कन सव दय एवं शारी रक म का मह व

हेनरी डे वड थोरो स वनय अव ा

लयो टॉल टॉय न य तरोध

सु करात स या ह का वचार

गोपाल कृ ण गोखले राजनी तक आ या मीकरण

बाल गंगाधर तलक असहयोग, जन आंदोलन, ब ह कार

C. सुधारवाद आंदोलन का भाव :-

भारत म चल रहे व भ सां कृ तक, दाश नक व धा मक सु धारवाद आंदोलन का गांधीजी के वचार पर भाव पड़ा है, वशे षकर
रामकृ ण परमहंस और वामी ववेकानंद का। वदे श ेम और वदे शी क भावना गांधी जी ने इ ह से सीखी थी।

D. सामा जक-आ थक प र थ तय का भाव :-

भारतीय क त कालीन सामा जक एवं आ थक दशा का भी गांधीजी के वचार पर वशे ष भाव पड़ा। उनके समाजवाद वचार पर
भारतीय क असहाय दशा और गरीबी क झलक प प से दखाई दे ती है।

द णअ का गांधीजी के योग क योगशाला :-

न न ल खत त य के आधार पर हम कह सकते ह क द ण अ का गांधी जी के वचार क योगशाला थी य क द ण


अ का म ही :-

1. गांधीजी म धा मक चेतना का वकास आ।

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2. पा ा य ले खक क वचारधारा का अ ययन कया।

3. सव थम स या ह का योग आ।

4. न: वाथ मानव से वा क भावना पैदा ई।

5. समाज के त कत क अनुभू त ई।

6. रा वाद वचार पनपे।

7. मक के काय का मह व समझा।

राजनी त का आ या मीकरण :-

गांधी जी का मानना था क धम व राजनी त म घ न सं बंध है और धम व राजनी त एक ही स के के दो पहलू ह। गांधी जी का मानना


था क धम और राजनी त एक ही काय के दो नाम है। उनका व ास था क जस कार धम का उ े य अ याय, अ याचार और शोषण पर
आधा रत सामा जक सं बंध म प रवतन लाना और याय क थापना करना है, ठ क उसी कार राजनी त भी इसी उ े य क पू त करती है।
गांधीजी के अनुसार स चा धम वही है जो मानव से वा म सलं न हो और जो अ हसा, ेम व सदाचार पर आधा रत हो। इसी तरह गांधी जी ने
राजनी त को भी मानवीयता पर आधा रत माना है। अतः गांधी जी का मानना है क धम और राजनी त दोन ही नै तकता पर आधा रत होने
चा हए।

सा य और साधन क प व ता पर व ास :-

गांधी जी ने राजनी त और नै तकता म नकट सं बंध था पत करने के लए सा य एवं साधन क प व ता पर बल दया। गांधीजी का
मानना है क जैसे साधन ह गे, वैसा ही सा य होगा अथात सा य क कृ त साधन क कृ त से नधा रत होती है। उ ह ने साधन क तुलना बीज
से और सा य क तुलना वृ से करते ए बताया क जैसा बीज बोओगे, वैसा ही वृ उगेगा। बबूल का बीज बोकर आम का पेड़ नह उगाया जा
सकता। उनका मानना है क सा य व साधन एक ही स के के दो पहलू ह ज ह पृथक करना सं भव नह है। य द साधन अनै तक ह गे तो सा य
चाहे कतना भी नै तक य न हो, वह अव य ही हो जाएगा य क गलत रा ता कभी भी सही मं जल तक नह ले जा सकता। इसी कार
जो स ा भय व बल के योग पर खड़ी हो जाती है, उससे लोग के मन म ने ह और आदर क भावना पैदा नह क जा सकती है।

गांधीजी ने 1922 ई. म असहयोग आंदोलन को चौरी-चौरा कांड क घटना से इसी लए थ गत कर दया था क लोग ने हसा को साधन के प
म इ ते म ाल करना ार भ कर दया था।

गांधीजी के अ हसा संबध


ं ी वचार :-

गांधीजी के अनुसार अ हसा का अथ है मन, कम व वचन से कसी को क नह दे ना। गांधीजी के अनुसार अ हसक ेम, दया,
मा, सहानुभू त व स य क मू त होता है। गांधीजी के अनुसार अ हसा के तीन कार ह :-

1. वीर क अ हसा :-

वीर क अ हसा वह अ हसा है जब कसी के पास बल होने के बावजूद भी बल का योग नह करते ह

2. नबल क अ हसा :-

गरीब व कमजोर वग क अ हसा को नबल क अ हसा कहा जाता है।

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3. कायर क हसा :-

ऐसे जो डर या भय के कारण अ हसक हो जाते ह उनक अ हसा को कायर क अ हसा का जाता है।

स या ह :-
शा दक अथ :- स या ह = स य + आ ह अथात स य पर अ डग रहना।

अथात जसे स य समझता है उस पर अ डग रहना।

गांधी जी ने स या ह क 7 वशे षताएं बताई है :-

1. ई र म ा 2.स य-अ हसा पर अटल व ास 3. च र 4. न सनी

5. शु ये य 6. हसा का याग 7. उ साह, धैय व स ह णु ता।

स या ह का योग :-

स या ह का योग षत सरकार, कौम, जा त, समूह या वशे ष के वरोध म हो सकता है। इसका योग शासन / शासक क
अ याचारी नी त के साथ-साथ सामा जक कुरी तय के वरोध म भी कया जा सकता है।

स या ह के व प :-

गांधी जी ने स या ह के चार व भ व प बताएं :-

1. असहयोग

2. हजरत

3.स वनय अव ा

4. उपवास

1. असहयोग :-

गांधीजी के अनुसार इसका ता पय है क जसे अस य, अवैध, अनै तक या अ हतकर समझता है, उसके साथ सहयोग नह करना
चा हए। गांधीजी के अनुसार बुर ाई के साथ असहयोग करना का न केवल कत है ब क धम भी है। असहयोग के न न कार हो सकते
ह :-

(i) हड़ताल :-

या य के समूह ारा उनक याय पूण मांगे नह माने जाने पर अ हसक प से अपने काम को बंद करने को हड़ताल कहते
ह।

(ii) ब ह कार :-

अवांछनीय शासन , से वा , य , व तु , आयोजन आ द का याग करना ब ह कार है।

(iii) धरना :-

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सरकार, या वसायी के व मांगे नह मानने पर एक थान पर बैठना, धरना कहलाता है।

2. हजरत :-

हजरत का शा दक अथ है - वे छा से थान प रव तत कर ले ना।

गांधी जी ने उन लोग को हजरत क सलाह द है जो अ हसक तरीके से अपने आ मस मान क र ा नह कर पाते ह। अतः उन लोग
को अपना आ म-स मान बचाने के लए घर/ गांव /शहर / दे श छोड़ दे ना चा हए। गांधीजी ने 1928 ई. म बारडोली म और 1939 ई. म जूनागढ़
के स या हय को हजरत क सलाह द है।

3. स वनय अव ा :-

इसका अ भ ाय है - अनै तक कानून को भंग करना।

गांधीजी के अनुसार अ हसक प से सरकार के कानून को नह मानना, कर दे ने से मना करना, रा य क स ा को मानने से इनकार
करना आ द स वनय अव ा के प है। 1930 ई. म नमक कानून के वरोध म गांधीजी ने स वनय अव ा आंदोलन चलाया था।

4. उपवास :-

गांधीजी के अनुसार उपवास ऐसा क है जसे वयं अपने ऊपर लागू करता है। उपवास आ म-शु के लए होता है। को
उ चत, यायस मत और वाथर हत काय करने के लए उपवास करना चा हए। इसे भूख हड़ताल नह समझना चा हए।

गांधीजी के आ थक वचार :-
गांधी जी न तो कोई अथशा ी थे और न ही उनके आ थक वचार अथशा के नयम पर आधा रत है। उनके आ थक वचार
वा त वक जीवन और अनुभव पर आधा रत है। उनके आ थक वचार इस कार ह :-

1. यं का वरोध :-

गांधी जी ने अपनी पु तक " हद वरा य " म यं अथात मशीन का वरोध करते ए लखा है क वह यं क न न बुर ाइय के कारण
वरोध करते है :-

(i) यं क नकल हो सकती है।

(ii) यं के वकास क कोई सीमा नह है।

(iii) यह मानव म का थान ले ले ता है।

2. पूंजीवाद का वरोध :-

गांधी जी का मानना है क पूंजीवाद व था ने गरीबी, बेर ोजगारी, शोषण और सा ा यवाद को बढ़ावा दया है। परंतु गांधीजी मा स
क तरह पूंजीवाद का वरोध नह करते है। गांधीजी का पूंजी से कोई वरोध नह है परंतु वे पूंजी से उ प असमानता का वरोध करते ह।

3. शारी रक म पर बल :-

गांधीजी का मानना है क ये क को जी वका के लए नरंतर म करते रहना चा हए और जो लोग बना म के पेट भरते ह, वह
समाज के लए चोर है।

4. अप र ह :-
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गांधीजी के अनुसार आव यकता से अ धक सं ह करने से आ थक वषमता उ प होती है। अतः आव यकतानुसार ही व तु का सं ह
करना चा हए।

5. आ थक वक करण पर बल :-

गांधीजी के अनुसार बड़े-बड़े उ ोग अ धक पूंजी का उ पादन करते ह तथा मशीन ारा य के शारी रक म का थान ले लया
जाता है जससे बेर ोजगारी बढ़ती ह। अतः बड़े उ ोग क जगह कुट र उ ोग को बढ़ावा दया जाना चा हए।

6. ट शप स ांत :-

गांधीजी के अनुसार पूंजीप त लोग को अपनी आव यकतानुसार सं प का योग करना चा हए तथा आव यकता से अ धक सं प का
ट बनकर उसका उपयोग जन क याण के काय म करना चा हए।

7. वदे शी :-

गांधीजी के अनुसार हम अपने धम, रा य, अपने उ ोग और अपनी व तु का अ धक से अ धक योग करना चा हए।

8. खाद :-

गांधीजी के अनुसार खाद गांव को वावलं बी बनाने का साधन है जससे एक ओर लोग को रोजगार मले गा वह सरी ओर खाद
वतं ता आंदोलन का तीक भी है।

गांधीजी के आ थक वषमता र करने के सुझाव :-


1. अ ते य :-

अ ते य का सामा य अथ है - चोरी नह करना।

गांधीजी के अनुसार मनु य को शारी रक, मान सक, वैचा रक और आ थक चोरी से सदा र रहना चा हए। गांधीजी के अनुसार पूंजीप त लोग
मक के म क पूंजी क चोरी कर धन का सं चय करते ह। इसी कार शारी रक म क चोरी कर आलसी बन जाते है। अतः सभी तरह
क चोरी के समा त हो जाने पर समाज म आ थक समानता आ सकती है।

2. अप र ह :-

अप र ह का शा दक अथ है - सं ह नह करना।

गांधीजी के अनुसार को आव यकता से अ धक व तु या धन का सं चय नह करना चा हए। को नरंतर म करते ए समाज से


उतना ही हण करना चा हए जतना उसके जीवन के लए अ नवाय हो। शे ष को समाज के क याण हेतु सम पत कर दे ना चा हए। इस अप र ह
का ढ़तापूवक पालन करते रहने से मनु य क आव यकताएं सी मत रहेगी और समाज म ा त आ थक वषमता का अं त सं भव होगा।

3. ट शप का स ांत :-

गांधी जी के ट शप के स ांत के अनुसार पूंजीप त अपनी आव यकता के अनुसार ही सं प का उपयोग कर तथा शे ष सं प


का वह ट अथात सं र क बन कर उसका उपयोग जन क याण के काय म करे।

गांधी जी के ट शप स ांत के न न त व बताये है :-

(i) यह पूंजीवाद व था को समतावाद समाज म बदलने का साधन है।

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(ii) इसम पूंजीवाद का कोई थान नह है।

(iii) यह दय प रवतन म व ास रखता है।

(iv) यह नजी सं प के अ धकार को अ वीकार करता है।

(v) ट क सं प त का उपयोग समाज के हत म हो।

(vi) आव यकता पड़ने पर ट का नयमन रा य ारा हो।

(vii) उ पादन सामा जक आव यकता पर आधा रत हो।

4. वदे शी :-

गांधीजी वदे शी के वचार से समाज म आ थक समानता था पत करने क बात करते ह। उनके अनुसार हम जहां तक सं भव हो नजद क
के वातावरण का योग करना चा हए और र के वातावरण का याग करना चा हए। जैसे हम अपने धम का पालन करना चा हए, हम अपनी
राजनी तक सं था का योग करना चा हए, हम हमारे समीप म बनी व तु का उपयोग करना चा हए, हम अपने उ ोग का उपयोग करना
चा हए आ द। गांधीजी के वदे शी स ांत का आशय यह कतई नही है क सभी वदे शी व तु का योग व जत कर दया जाए। वे केवल उ ह
वदे शी व तु को वीकार करते थे जो घरेलू या भारतीय उ ोग को कुशल बनाने म अ नवाय हो।

5. खाद :-

गांधीजी का मानना है क आ थक सं कट क सम या का हल करने के लए खाद अथात चरखा ाकृ तक, सरल, स ता और वहा रक
तरीका है। खाद के मा यम से गांव म रोजगार क सम या को समा त कर गांव को वावल बी बनाया जा सकता है ता क गांव से शहर क
ओर पलायन भी नह होगा और गांव का शोषण भी नह होगा। इस कार खाद आल य व बेकारी क सम या का ता का लक समाधान है। साथ
ही खाद के मा यम से राजनी तक सं गठन और जनसं पक ारा रा ीय आंदोलन भी चलाया जाना सरल होगा।

गांधीजी के आ थक वचार का आलोचना मक मू यांकन :-

1. अ वहा रक।

2. एकप ीय।

3. मनु य क भौ तक आव यकता क उपे ा।

4. यं का अनाव यक वरोध।

5. वतमान समय म खाद का स ांत ासं गक नह ।

6. ट शप का स ांत अ वहा रक एवं मा का प नक।

7. पूंजीवाद को समा त नह करना चाहते थे।

गांधी जी के राजनी तक वचार :-


1. अ हसक आदश रा य क क पना :-

गांधीजी ने अपने वचार के मा यम से अ हसक और शां त पर आधा रत रा य का समथन कया है जसम उ ह ने बल आधा रत रा य को
नकारा है।
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2. मया दत रा य :-

गांधीजी का मानना है क रा य हसा का त न ध व करता है, साथ ही मनु य एक सामा जक ाणी होने के कारण सदै व समाज के
त वां छत नै तक उ रदा य व का नवहन नह कर पाता है। इस लए रा य को अ य धक श यां नह दे कर उसके काय े को सी मत रखा
जाए।

3. रा य अनाव यक बुर ाई है :-

अराजकतावाद वचारक होने के नाते गांधीजी का मानना है क रा य हसा का त न ध व करता है जससे रा य बन कर य


क वतं ता और समाज क याण के लए घातक स हो सकता है। अतः रा य एक आव यक बुर ाई है।

4. रा य क श के वकास म बाधक :-

गांधीजी का मानना है क रा य क श के नै तक गुण को न कर दे ती ह जससे का सवागीण वकास नह हो पाता है।


अतः रा य के वकास म बाधक होता है।

5. को ाथ मकता :-

गांधी जी ने रा य के भु व के स ांत का खंडन करते ए माना है क रा य का नमाण के लए आ है न क रा य के


लए है। अतः रा य को के क याण पर ाथ मकता से काय करना चा हए।

6. थानीय वशासन का समथन :-

गांधीजी रा य को के दै नक जीवन से बाहर क सं था मानते है। इस लए वे वक कृत आदश समाज क थापना पर बल दे ते ह।


उनका मानना है क गांव को आ म नभर बनाया जाए। इसके लए गांव को शासन और बंध के अ धकार मलना चा हए।

उपरो सभी त य से प है क गांधीजी अपनी रा य सं बंधी वचार से प करना चाहते ह क रा य का काय े सी मत होना
चा हए अथात उ ह ने यू नतम रा य का समथन कया है।

गांधीवाद क राजनी त शा को दे न :-
गांधीवाद दशन क राजनी त शा को न न ल खत दे न है :-

1. अ हसा :-

यह गांधीजी क राजनी त शा को सबसे बड़ी दे न है। गांधीजी का अ हसा का सव म साधन स या ह व के लए अभूतपूव दे न है।
जहां अब तक व म अ याय को र करने के लए एकमा वक प यु ही था, वहां अब गांधी जी के स या ह का स ांत वक प के प म
सामने आया है।

2. साधन और सा य क प व ता म आ था :-

गांधीजी ने मनु य के ल य अथात सा य और उसे ा त के व भ तरीक अथात साधन क प व ता पर बल दे कर मनु य को नै तक


बनाने का यास कया है।

3. राजनी त म नै तकता व आदशवाद का समावेश :-

गांधीजी ने राजनी त का आ या मीकरण कर उसे धम से सं बं धत कर दया है। बगैर धम के राजनी त को अपूण माना है। इस कार
गांधीजी राजनी त म धम अथात नी त पर बल दे ते ह।

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4. नए वचार का वागत :-

गांधीवाद दशन म सभी वचार स म लत है। अथशा , समाजशा , राजनी त शा , एवं धम सभी को एक सरे से स ब कया गए
ह और नए वचार का सदै व समथन कया है।

गांधीवाद का आलोचना मक मू यांकन :-


गांधीवाद के प म तक :-

1. गांधीजी के वचार नै तक नयम पर आधा रत है।

2. मनोवै ा नक से ां तकारी वचार है।

3. नै तक से े है।

4. राजनी तक से सरल, ापक और वहा रक ह।

5. सामा जक से सरल, ापक और वहा रक ह।

6. आ थक वावलं बन पर बल।

7. धम और नै तकता पर बल।

8. सवधम समभाव पर बल।

9. ाम वरा य पर बल।

10. स या ह पर बल।

गांधीवाद के वप म तक :-

1. वहा रक

2.अवै ा नक

3. एक प ीय

4. मौ लकता र हत

5. का प नक

6. कोरा आदशवाद

7. पूंजीवाद का समथक

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नयोजन एवं वकास


अ भ ाय :-

नयोजन या है - सोच समझ कर सही दशा म सही तरीके से कया गया काय नयोजन है।

नयोजन के लए आव यक है :- (1) उ े य प हो, (2) उ े य ा त के साधन एवं यास व थत हो और (3) समयाव ध न त हो।

योजना आयोग के अनुसार नयोजन क प रभाषा :-

" नयोजन सं साधन के सं गठन क एक ऐसी व ध है जसके मा यम से सं साधन का अ धकतम लाभ द उपयोग न त सामा जक
उ े य क पू त हेतु कया जाता है।"

नयोजन का इ तहास :-

वै क से सव थम सो वयत स ने अथ व था के वकास एवं वृ हेतु नयोजन को वीकार कया जसक सफलता से े रत


होकर भारत म भी नयोजन क आव यकता महसू स क गई क जाने लगी। भारत म नयोजन क दशा म सव थम यास 1934 ई. म एम.
व े रैया क पु तक " ला ड इकोनामी फॉर इं डया " ारा कया गया। सव थम आ थक योजना सु भाष चं बोस ारा 1938 ई. म शु क
गई। इसी म म कालां तर म 1944 ई. म ब बई योजना, ीम ारायण क गांधीवाद योजना, एम.एन. रॉय क जन योजना और 1950 ई. म
जय काश नारायण क सव दय योजना साथक यास रहे है। वतं ता उपरांत 1950 ई. म सरकार ारा गैर सं वैधा नक नकाय के प म
योजना आयोग का गठन कया गया। योजना आयोग का अ य धानमं ी होता है।

नयोजन क आव यकता :-

त कालीन भारत म नयोजन क आव यकता के न न कारण रहे है :-

1. भारत क कमजोर आ थक थ त।

2. बेर ोजगारी क सम या।

3. आ थक एवं सामा जक असमानताएं।

4. वभाजन से उ प सम याएं।

5. औ ोगीकरण क आव यकता।

6. पछड़ापन एवं धीमा वकास।

7. बढ़ती जनसं या।

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नयोजन के उ े य :-

नयोजन के न न ल खत उ े य है :-

1. सं साधन का समु चत उपयोग।

2. रोजगार के अ धका धक अवसर पैदा करना।

3. दे श के नाग रक क सोई ई तभा को जागृत कर परंपरागत कौशल को नवीनीकृत प म वक सत करना।

4. आ थक एवं सामा जक असमानता को र करना।

5. सभी ांत एवं े का सं तु लत वकास करना।

6. क आय एवं रा ीय आय म वृ करना।

7. सामा जक उ त करना।

8. रा ीय आ म- नभरता ा त करना।

9. गरीबी मटाना।

19. आ थक थरता ा त करना।

11. जन क याण के लए योजनाएं नमाण।

आ थक नयोजन के ल ण :-

अ छे आ थक नयोजन के न न ल खत ल ण है :-

1. उपल ध सं साधन का अ धकतम योग।

2. औ ो गकरण म मब वृ ।

3. कृ ष एवं उ पादन का समाना तर वकास।

4. इले ॉ न स एवं सं ेषण े म ती ग त से आगे बढ़ना।

5. शासक य काय अथात नौकरशाही म पारद शता लाना।

6. भौगो लक से वं चत े म नवेश को ाथ मकता दे कर े ीय असं तुलन को र करना।

7. श ा के े का आधु नक करण एवं सार।

8. बौ क सं पदा का समु चत उपयोग।

9. कौशल वकास पर यान दे ना।

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नयोजन का आ थक वकास से संबध
ं :-

आ थक े म नयोजन का ल य रा वकास है। सहभागी और उ रदायी बंधन वकास क थम सीढ़ है और नयोजन सं साधन
और शासन को सहभागी और उ रदायी बनाता है। पई पणधीकर एवं ीर सागर ने वकास के लए नी त नमाणकता के कोण क
अ भवृ -प रवतन प रणाम दाता, सहभा गता एवं काय के त समपणवाद होना आव यक माना है। महा मा गांधी के अनुसार नयोजन का
ल य अं तम का वकास कर सं साधन के वक करण को ाथ मकता दे ना है। धानमं ी नर मोद का सबका साथ सबका वकास का
नारा इसी अवधारणा को सु ढ़ करता है। वकास के मायने लोग के जीवन तर म उ त करने से ह। आज हम नया के अ णी दे श के साथ
खड़े नजर आते ह तो कह ना कह नयो जत वकास क हमारी रणनी त सफल नजर आ रही है। वकास के नयो जत यास म 1950 से
2015 तक योजना आयोग ने अपनी क य भू मका नभाई। 2015 म योजना आयोग के थान पर नी त आयोग वकास के नयो जत यास
का नेतृ व कर रहा है।

नी त आयोग :-
NITI :- National Institution for Transforming India अथात रा ीय भारत प रवतन सं थान।

13 अग त 2014 को क य मं मंडल ने योजना आयोग को भंग कर नी त आयोग के गठन को मंजूर ी द । नी त आयोग ने एक जनवरी 2015
से योजना आयोग का थान लया। नी त आयोग सरकार के थक टक के प म काय करता है और यह सरकार को नदशा मक और नी तगत
ग तशीलता दान करता है।

नी त आयोग के गठन के कारण :-

1. वकास म रा य क भू मका को स य बनाना।

2. दे श क बौ क सं पदा का पलायन रोक कर सु शासन म उनक भागीदारी सु न त करना।

3. वकास के ल य को ा त करने हेतु क व रा य के म य साझा मंच तैयार करना।

नी त आयोग के गठन के उ े य :-

1. धानमं ी एवं मु यमं य को रा ीय एजडे का ा प तैयार कर स पना।

2. क व रा य के म य सहकारी सं घवाद को बढ़ावा दे ना।

3. ाम तर पर व सनीय योजना नमाण हेतु ढांचागत वकास क पहल करना।

4. रा ीय सु र ा के हत को ो साहन दे ना।

5. आ थक एवं सामा जक से पछड़े वग पर अ धक यान दे ना।

6.द घकालीन वकास क योजना का नमाण।

7. बु जी वय क रा ीय वकास म भागीदारी को बढ़ाना।

8. ती वकास हेतु साझा मंच तैयार करना।

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9. सु शासन को बढ़ावा दे ना।

10. ौ ो गक उ यन एवं मता नमाण पर जोर दे ना।

नी त आयोग का संगठन :-

 अ य - धानमं ी

 गव नग प रषद के सद य :- सम त रा य के मु यमं ी और उपरा यपाल।

 े ीय प रषद :- सं बं धत े के मु यमं ी और उपरा यपाल सद य ह गे।

उ े य :- एक से अ धक रा य को भा वत करने वाले े ीय मसल पर वचार एवं नणय ले ना।

 धानमं ी ारा मनोनीत वशे ष आमं त सद य।

1. उपा य - धान मं ी ारा नयु ।

2. पूणका लक सद य।

3. अं शका लक सद य (दो)

4. पदे न सद य : क य मं ी प रषद के 4 सद य जो धानमं ी ारा नयु ह गे।

5. मु य कायकारी अ धकारी - स चव तर का अ धकारी।

6.स चवालय।

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पयावरण एवं ाकृ तक संसाधन


पयावरण :-

पृ वी के चार ओर के वातावरण को पयावरण कहते ह।

पयावरण संर ण म भारतीय सं कृ त क भू मका :-

" माता भू म: पु ोsहम पृ थ ा "

पयावरण सं र ण म भारतीय सं कृ त क भू मका हम न न ल खत ब से समझ सकते ह :-

1. वै दक सा ह य क भू मका :-

वै दक सा ह य म वेद , उप नषद , आर यक आ द म पयावरण को वशे ष मह व दया गया है। ऋ वे द म जल, वायु , व पृ वी को दे व


व प मानकर उनक तु त क गई है, वह यजुवद म इं , सू य, नद , पवत, आकाश, जल आ द दे वता का आदर करने क बात कही गई है।

2. धा मक आ था क भू मका :-

ाचीन भारतीय ऋ ष-मु नय ने पौध को धा मक आ था से जोड़कर इनके सं र ण का यास कया गया। जैसे पीपल को अटल सु हाग
का तीक मानकर, तुलसी को रोग नवारक और भगवान व णु क य मानकर, बील के वृ को भगवान शव से जोड़कर, ब व कुश को
नव ह पूजा से जोड़कर आ द।

3. ाचीन दाश नक क भू मका :-

ाचीन यु ग म व भ दाश नक और शासक ने पयावरण सं र ण के त जाग कता दखाई है। वै दक ऋ ष पृ वी, जल व औष ध


शां त द रहने क ाथना करते ह। नद सू म न दय को दे व व प माना गया है। आचाय चाण य ने सा ा य क थरता व छ पयावरण पर
नभर बताई है।

4. धम और सं दाय क भू मका :-

जैन धम अ हसा को परम धम मानते ए जीव सं र ण पर बल दे ता है। व ोई सं दाय के 29 नयम कृ त सं र ण पर बल दे ते ह।

" सर साठे ख रहे तो भी स ता जाण" कहावत को च रताथ करते ए 21 सतंबर 1730 को जोधपुर के खेजड़ली गांव के व ोई सं दाय के
363 लोग ने अमृता दे वी व ोई के नेतृ व म अपना ब लदान दे दया अथात ब ोई समाज के लोग ने वृ क र ा हेतु अपने सर कटाने क जो
मसाल पेश क , वह आज भी पयावरण हेतु सबसे बड़ा आंदोलन माना जाता है

उपरो सम त ब के अ ययन से प है क ाचीन भारतीय सं कृ त म पयावरण सं र ण रोम रोम म बसा था।

पयावरण संर ण क आव यकता :-

पयावरण सं र ण क आव यकता के सं बंध म न न ल खत तक तु त कए जा सकते ह :-

1. वै ा नक एवं ौ ो गक वकास के कारण पयावरण षत हो रहा है।

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2. वन क कटाई व व य जीवो म नरंतर कमी।

3. औ ो गकरण और शहरीकरण म वृ ।

4. जनसं या व फोट।

5. परमाणु भ य क रे डयोधम राख।

6. इले ॉ नक उपकरण का कचरा।

7. लोबल वा मग।

8. ाकृ तक सं साधन का अ य धक दोहन।

9. घटता ाकृ तक प रवेश।

ीन हाउस भाव या लोबल वा मग :-


काबन डाई ऑ सा इड, स फर डाइऑ सा इड, काबन मोनोऑ सा इड, मीथेन, नाइ ोजन ऑ सा इड, सीएफसी आ द गैस के
अ य धक उ सजन से पृ वी के वायु मड ं ल के चार ओर इन गैस का घना आवरण बन जाता है। यह आवरण सू य से आने वाली करण को पृ वी
तक आने दे ता है परंतु पृ वी से पराव तत अवर करण को बा वायु मड ं ल म जाने से रोक दे ता है जससे पृ वी के वातावरण का तापमान
बढ़ने लगता है। इसे लोबल वा मग कहते है। य क पृ वी क थ त ीन हाउस क तरह हो जाती ह इस लए इसे ीन हाउस भाव भी कहते
है।

Note :- ीन हाउस भाव :-

वतमान समय म अ धक स जय के उ पादन के लए ऐसे कांच के घर का नमाण कया जाता है जसम द वारी ऊ मा रोधी पदाथ क
और छत ऐसे कांच क बनाई जाती ह जससे सू य के काश को अं दर वेश मल जाता है परंतु अं दर क ऊ मा बाहर नह नकल पाती है। इससे
उस कांच के घर का तापमान लगातार बढ़ता रहता है। ऐसे घर को ीनहाउस कहते है।

लोबल वा मग के कारण :-

1. ीन हाउस गैस जैसे काबन डाइऑ सा इड, नाइ ोजन ऑ सा इड, मीथेन, सीएफसी आ द का उ सजन।

2. वाहन , हवाई जहाज , बजली घर , उ ोग आ द से नकलता आ धुआं।

3. जंगल का वनाश।

लोबल वा मग का भाव :-

1. वातावरण का तापमान बढ़ना :-

पछले 10 वष से पृ वी का तापमान औसतन त वष 0.03 से 0.06℃ बढ़ रहा है।

2. समु सतह म वृ :-

समु क सतह म वृ होने से अब तक 18 प जलम न हो चुके ह और सै कड़ प व समु तट य महानगर पर खतरा मंडरा रहा है।

3. मानव वा य पर असर :-
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लोबल वा मग के कारण गम बढ़ने से मले रया, डगू, येलो फ वर आ द जैसे अनेक सं ामक रोग बढ़ने लगे है ।

4. पशु-प य और वन प तय पर भाव :-

लोबल वा मग के कारण पशु -प ी गम थान से ठं डे थान क ओर पलायन करने लगते ह और वन प तय लु त होने लगती है।

5. शहर पर असर :-

ग मय म अ य धक गम और स दय म अ य धक सद के कारण शहर म एयर कंडीशनर का योग बढ़ रहा है जससे उ स जत होने


वाली सीएफसी गैस से ओजोन परत पर वपरीत भाव पड़ रहा है।

ीन हाउस गैस के उ सजन के मु य कारक :-

. सं. ीन हाउस गैस उ सजन कारक तशत मा ा

1 बजली घर 21.3

2 उ ोग 16.8

3 यातायात के साधन 14.4

4 कृ ष उ पाद 12.5

5 जीवा म धन का योग 11.3

6 रहवासी े 10.3

7 बायोमास का जलना 10.0

8 कचरा जलाना 3.4

लोबल वा मग रोकने के उपाय :-

1. आसपास पयावरण हरा-भरा रखे।

2.वन क कटाई पर रोक लगाए।

3. काब नक धन के योग म कमी लाए।

4. ऊजा के नवीनीकृत साधन जैसे सौर ऊजा, ना भक य ऊजा, वायु ऊजा, भूतापीय ऊजा आ द का योग करे।

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जलवायु प रवतन पर वै क चतन :-
1. टॉकहोम स मेलन 1972 :-

जलवायु प रवतन पर वै क चतन हेतु सव थम 1972 म वीडन क राजधानी टॉकहोम म थम बार मानवीय पयावरण पर
सं यु रा का स मेलन आ जसम जलवायु प रवतन के भाव पर व तृ त वचार- वमश कया गया।

2. नैरोबी स मेलन 1982 :-

टॉकहोम स मेलन के 10 वष होने पर के या क राजधानी नैर ोबी म 1982 म रा का स मेलन आ जसम पयावरण से जुड़ी
सम या के सं बंध म काय योजना का घोषणा प वीकृत कया गया।

3. रयो पृ वी स मेलन 1992 :-

टॉकहोम स मेलन क 20व वषगांठ पर ाजील क राजधानी रयो म थम पृ वी शखर स मेलन 1992 म आयो जत कया
गया जसम पयावरण क सु र ा हेतु सामा य अ धकार और कत को प रभा षत कया गया।

4. जलवायु प रवतन पर थम COP स मेलन :-

जलवायु प रवतन पर यू एनएफसीसीसी सं ध के तहत जमनी क राजधानी ब लन म थम COP स मेलन 1995 म आयो जत कया
गया।

5. COP - 20 स मलेन 2014 :-

जलवायु प रवतन पर COP-20 स मेलन पे क राजधानी लीमा म 1 से 14 दसं बर 2014 को आयो जत कया गया जसके
मह वपूण ब न न है :-

(i) व के 194 दे श के त न धय ने भाग लया।

(ii) वै क काबन उ सजन म कटौती के सं क प पर रा म आम सहम त बनी।

(iii) वकासशील दे श क चता का समाधान कया गया।

(iv) अमीर दे श पर कठोर व ीय मदद क तब ताएं लागू क गई।

(v) 2020 तक ह रत जलवायु कोष को $100 अरब डॉलर तवष करने का अ धकार दया गया।

(vi) सभी दे श अपने काबन उ सजन म कटौती के ल य को पे रस स मेलन 2015 म तु त करगे।

6. COP-21 स मेलन 2015 :-

जलवायु प रवतन पर COP-21 स मेलन का आयोजन ांस क राजधानी पे रस म 30 नवंबर से 12 दसं बर 2015 तक
आयो जत आ जसके मह वपूण ब न न है :-

(i) 22 अ ैल को पृ वी दवस पर 175 दे श ने पे रस जलवायु प रवतन समझौते पर ह ता र कए।

(ii) पे रस जलवायु समझौते पर ह ता र उपरांत सद य दे श अपनी सं सद से इसका अनुम ोदन करवाएंगे।

(iii) यह समझौता व म कम से कम 55% काबन उ सजन के ज मेदार 55 दे श के अनुम ोदन के 30 दन के भीतर म अ त व म आएगा।

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(iv) 21व सद म नया के तापमान म वृ 2 ड ी से सयस तक सी मत करने का ल य रखा गया।

(v) 2022 तक 175 गीगावॉट अ य ऊजा उ पादन का ल य रखा गया।

(vi) यह समझौता वकासशील दे श के वकास क अ नवायता को सु न त करता है।

(vii) भारत ने 2 अ टू बर 2016 से इस समझौते क या व त क या आरंभ कर द ।

भारतीय सं वधान और पयावरण संर ण :-

भारतीय सं वधान म रा य के नी त नदे शक त व और मूल कत के प म पयावरण सं र ण को मह व दया गया है जो इस


कार ह :-

1. अनु छे द 48 :-

रा य पयावरण सु धार एवं सं र ण क व था करेगा और व यजीव को सु र ा दान करेगा।

2. अनु छे द 51 :-

ये क नाग रक का कत है क वह ाकृ तक पयावरण (वन, झील, नद , व य जीव) क र ा कर एवं उनका सं वधन कर और


ाणी मा के त दया का भाव रख।

3. अनु छे द 21 :-

ये क को उन ग त व धय से बचाया जाए जो उनके जीवन, वा य और शरीर को हा न प च


ं ाती हो।

4. अनु छे द 252 और 253 के अनुसार रा य कानून का नमाण पयावरण को यान म रखकर करेगा।

संसद य अ ध नयम ारा पयावरण संर ण :-


A. व य जीव संर ण अ ध नयम 1972 संशोधन 2003 :-

भारतीय सं सद ारा 1972 म व यजीव के अवैध शकार और उनके हाड़-मांस व खाल के ापार पर रोक लगाने के लए व य जीव
(सं र ण) अ ध नयम 1972 पा रत कया गया जसम 2003 म सं शोधन करते ए इसे और अ धक कठोर बनाया गया और इसका नाम भारतीय
व यजीव सं र ण (सं शो धत) अ ध नयम 2002 रखा गया। इसक मु य वशे षताएं न न कार ह :-

1.व य जीव सं र ण का वषय रा य सू ची से हटाकर समवत सू ची म रखा गया।

2. व य जीव का सं र ण एवं बंधन सु न त करना।

3. व यजीव के चमड़े और चमड़े से बनी व तु पर रोक।

4. अवैध आखेट पर रोक।

5. अ ध नयम का उ लं घन करने पर 3 से 5 वष क सजा और ₹5000 का जुम ाना।

6. रा ीय पशु बाघ और रा ीय प ी मोर के शकार पर 10 वष का कारावास।

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B. पयावरण संर ण अ ध नयम - 1986 :-

इस अ ध नयम को 23 मई 1986 को रा प त क वीकृ त मली। इसके मुख ावधान न न है :-

1. थम बार उ लं घन करने पर 5 वष क कैद एवं ₹100000 का का जुम ाना।

2. मानदं ड का नरंतर उ लं घन करने पर ₹5000 त दन जुम ाना और 7 वष क कैद।

3. नयम का उ लं घन करने पर कोई भी दो माह का नो टस दे कर जन हत म मुकदमा दज कर सकता है।

4. इस अ ध नयम क धारा 5 के तहत क सरकार अपनी श य के न पादन हेतु था पत ा धकारी को ल खत म नदश दे सकती ह।

5. क सरकार का यह अ धकार है क इस अ ध नयम क पालना न करने वाले उ ोग बंद कर दे और उनक व त


ु व पेयजल कने शन क
से वाएं रोकने का नदश दे ।

C. वायु षण ( नवारण एवं नयं ण) अ ध नयम 1981 :-

इस अ ध नयम के मुख ावधान है :-

1. रा य सरकार अपने ववेक से कसी भी े को वायु षण नयं ण े घो षत कर सकती है।

2. सम त औ ो गक इकाइय को रा य बोड से अनाप माण प ले ना होगा।

3. अ ध नयम के ावधान क अनुपालना नह करने पर उ ोग बंद कराए जा सकगे और उनके व त


ु व जल कने शन काटे जा सकगे।

D. जल षण ( नवारण एवं नयं ण) अ ध नयम 1974 संशोधन 1988 :-

इस अ ध नयम क मु य वशे षता जल को षण मु रखने के उपाय से सं बं धत है। उ ोग क थापना से पहले षणक ा के


लए कड़े दं ड का ावधान है।

पयावरण संर ण हेतु यायपा लका के मह वपूण नणय :-


पयावरण सं र ण हेतु भारतीय यायपा लका ने सदै व त परता दखाते ए समय-समय पर न न नदश जारी कए ह :-

1. सावज नक थान पर धू पान नषे ध का नदश।

2. द ली म 2001 से टै सी , ऑटो- र शा और बस म सीएनजी गैस के योग का नदश।

3. 2000 म चार महानगर म सीसा र हत पे ोल के उपयोग का नदश।

4. वाहन से होने वाले षण को रोकने हेतु व भ नदश।

5. ताजमहल को बचाने हेतु 292 कोयला आधा रत उ ोग को बंद करने या अ य थानांत रत करने का नदश।

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6. द ली नगर म त दन सफाई करने, सघन वा नक अ भयान चलाने और आर त वन कानून लागू करने का आदे श।

7. व ालय , महा व ालय एवं व व ालय म अ ययन हेतु पयावरण को अ नवाय वषय बनाने का नदश।

8. रदशन एवं रे डयो पर त दन लघु अव ध और स ताह म एक बार लं बी अव ध के पयावरण सं बंधी काय म सा रत करने के नदश।

9. सनेम ाघर को वष म दो बार पयावरण सं बंधी फ म न:शु क दखाने का नदश।

पयावरण जाग कता संबध


ं ी मह वपूण दवस :-

1. व जल दवस : 22 माच

2. पृ वी दवस : 22 अ ैल

3. व पयावरण दवस : 5 जून

4. वन महो सव दवस : 28 जुलाई

5. व ओजोन दवस। : 16 सतंबर

उपभो ावाद सं कृ त :-

उपभो ावाद एक वृ है जो इस व ास पर आधा रत है क अ धक उपभोग और अ धक व तु का वामी होने से अ धक सु ख


एवं खुशी मलती है।

यह सं कृ त णक, कृ म और दखावट है जसम समाज म अपना टे टस दखाने के लए बाजार से ऐसी अनेक व तु एं


खरीद बैठता है जसको अगर वह नह खरीदता है तो भी उसे कोई फक नह पड़ता। परंतु उ पादक मत और आक षत व ापन से ाहक
को यह व ास दला दे ता है क अमुक व तु उसके उपयोग यो य ह और उसे खरीद कर अनाव यक प से अपनी जेब पर अ त र भार
बढ़ा दे ता है।

उदाहरण के लए अगर कसी म हला को नेल पॉ लश खरीदनी है तो बाजार म वह नेल पॉ लश ₹5 से ले कर हजार क क मत म उपल ध है। जब
वह नेल पॉ लश खरीदती है तो उसके साथ-साथ उसे नेल पॉ लश रमूवर भी खरीदना होता है, नेल कटर भी खरीदना होता है और अ य सह-
उ पाद भी खरीदने के लए वह बा य हो जाती ह। अब वह एक रंग क नेल पॉ लश नह खरीदे गी ब क अपनी व भ रंग क ेस , चू ड़यां
आ द से मलती-जुलती नेल पॉ लश भी खरीदे गी। यही उपभो ावाद सं कृ त है।

उपभो ावाद सं कृ त के कारण :-

1. उ ोगप तय क अ य धक लाभ ा त करने क वृ ।

2. व ापन ारा उपभो ा का मत होना।

3. ाहक को आक षत करने के लए उनम कृ म इ छा जा त करना।

4. अप यपूण उपभोग क वृ ।

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उपभो ावाद सं कृ त का भाव :-

1. वक सत दे श ारा पूंजी एवं सं साधन का अप य।

2. वला सता क साम य से लोबल वा मग को बढ़ावा।

3. आ थक दवा लयापन क थ त उ प होना।

4. उ पाद का जीवनकाल कम होना।

5. नई आव यकता क पू त क इ छा रखने के कारण मान सक तनाव को बढ़ावा।

6. अप श पदाथ के न तारण क सम या।

7. ाकृ तक सं साधन का अ य धक दोहन।

8. ाकृ तक सं साधन ख म होने के कगार पर।

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भारत और वै ीकरण
वै ीकरण का अथ समझने से पूव हम नजीकरण और उदारीकरण का अथ समझना चा हए।

नजीकरण :-

नजीकरण एक ऐसी या है जसम सावज नक वा म व एवं नयोजन यु कसी े या उ ोग को नजी हाथ म


थानांत रत कया जाता है।

उदारीकरण :-

उदारीकरण एक ऐसी या है जसम वसाय एवं उ ोग पर लगे तबंध एवं बाधा को र कर ऐसा वातावरण था पत
कया जाता है जससे दे श म वसाय एवं उ ोग वतं प से वक सत हो सके अथात वसाय और उ ोग पर सरकारी नयं ण और
वा म व को हटाना ही उदारीकरण है।

वै ीकरण का अथ :-

व तु , से वा एवं व के मु वाह क या को भूमड


ं लीकरण या वै ीकरण कहते है।

वै ीकरण क वशेषताएं :-

1. अ तरा ीय एक करण।

2. व ापार का खुलना।

3. व ीय बाजार का अ तरा ीयकरण।

4. जनसं या का दे शां तर गमन।

5. , व तु , पूंजी, आंकड़ एवं वचार का आदान- दान।

6. व के सभी थान क पर पर भौ तक री कम होना।

7. सं कृ तय का आदान- दान।

8. रा रा य क नी तय पर नयं ण।

वै ीकरण के कारण :-

वै ीकरण क या न न ल खत कारण के आधार पर क गई है :-

1. नवीन थान व दे श क खोज।

2. मुनाफा कमाने क इ छा।

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3. भु व क इ छा।

4. सं चार ां त एवं टे नोलॉजी का सार।

5. वचार, व तु , पूंजी व लोग क आवाजाही।

6. उदारीकरण।

7. नजीकरण।

वै ीकरण के भाव :-

( A ) वै ीकरण के राजनी तक भाव :-

वै ीकरण के राजनी तक भाव को दो भाग म बांट ा जा सकता है :-

( a ) नकारा मक भाव :-

1. रा रा य क सं भुता का रण।

2. ब रा ीय कंप नय क थापना से सरकार क वाय ता भा वत।

3. रा ीय रा य क अवधारणा म प रवतन। अब लोक क याणकारी रा य क जगह यू नतम ह त प


े कारी रा य क थापना।

4. नव पूंजीवाद व नव सा ा यवाद का पोषण।

( b ) सकारा मक भाव :-

1. शीत यु एवं सं घष के थान पर शां त, र ा, वकास एवं पयावरण सु र ा पर बल।

2. मानवा धकार क र ा पर बल।

3. वै क सम या के नवारण हेतु वशाल अ तरा ीय स मेलन का आयोजन।

4. सं यु रा सं घ, व बक आ द अ तरा ीय सं थाएं रा ीय रा य क ह से दारी और भागीदारी पर आधा रत।

5. तकनीक े म अ णी रा य के नाग रक के जीवन तर म ापक सु धार।

6. रा य लोक क याण के साथ-साथ आ थक व सामा जक ाथ मकता का नधारक बना।

7. वतं ता, समानता और अ धकार को बल मला।

( B ) वै ीकरण के आ थक भाव :-

मूल प से दे खा जाए तो वै ीकरण का सीधा सं बंध अथ व था से ही है जसके कारण व अथ व था पर इसका


सवा धक भाव पड़ा है :-

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( a ) अथ व था पर सकारा मक भाव :-

1. अ तरा ीय बाजार क थापना।

2. मु ापार एवं बाजार पर बल।

3. वदे शी नवेश को ो साहन।

4. लाइसस राज क समा त।

5. उदारीकरण व नजीकरण को बढ़ावा।

6. नजी नवेश को ो साहन।

7. आ थक वकास दर बढ़ना।

8. उ पादन म त पधा मक मता बढ़ना।

9. व ापार म वृ ।

10. ौ ो गक ह तां तरण को बढ़ावा।

11. वक सत दे श को अ य धक फायदा।

12. ब कग, ऑनलाइन शॉ पग एवं ापा रक ले न-दे न म सरलता।

13. आईएमएफ एवं ड यूट ओ क स य भू मका।

14. आयात पर तबंध श थल ए।

15. रोजगार के अवसर बढ़े ।

( b ) नकारा मक भाव :-

1. ब रा ीय कंप नय क थापना से कुट र उ ोग क समा त।

2. कुट र उ ोग क समा त से थानीय रोजगार के अवसर समा त।

3. नव उप नवेशवाद के नाम पर पछड़े दे श का शोषण।

4. पूंजीवाद दे श को अ य धक लाभ।

5. वक सत दे श ारा वीजा नयम को कठोर बनाना जससे उन दे श म अ य दे श के नाग रक का रोजगार हेतु पलायन क जाए।

6. ापार के बहाने अवैध ह थयार एवं अवैध लोग क आवाजाही बढ़ने से आतंकवाद घटना म इजाफा।

7. नजीकरण एवं ब रा ीय कंप नय क थापना से सरकारी सं र ण समा त।

8. पैकेट साम ी को बढ़ावा मलने से पयावरण को त।

उपयु सभी त य से प है क वै ीकरण से वै क अथ व था को लाभ एवं नुकसान दोन ही सं भव है। फर भी यह प है


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क वै ीकरण से वै क वकास और समृ दोन म वृ ई है। सं यु रा सं घ के पूव महास चव कोफ अ ान के श द म, "वै ीकरण का
वरोध करना गु वाकषण के नयम का वरोध करने के समान है।"

वै ीकरण के सां कृ तक भाव :-

वै ीकरण ने न केवल राजनी तक एवं आ थक े को भा वत कया है अ पतु इस भाव से सां कृ तक े भी अछू ता नह रहा
है। इसके सां कृ तक भाव को हम इस कार समझ सकते ह :-

( a ) सकारा मक भाव :-

1. वदे शी सं कृ तय के मेल से खान-पान, रहन-सहन, पहनावा, भाषा आ द पसं दो का े बढ़ गया है।

2. व भ सं कृ तय का सं योजन आ है।

3. सां कृ तक बाधाएं र ई है।

4. एक नवीन सं कृ त का उदय।

( b ) नकारा मक भाव :-

1. उपभो ावाद एवं खच क वृ बढ़ है।

2. दे शज ( थानीय ) सं कृ तय पर तकूल भाव पड़ा है।

3. सं कृ तय क मौ लकताएं समा त हो रही है।

4. पा ा य सं कृ त का अं धानुकरण हो रहा है।

5. तंग पहनाव म बढ़ोतरी हो रही है।

6. फा ट फूड सं कृ त को बढ़ावा।

सां कृ तक भाव बढ़ाने वाले मा यम :-

वै ीकरण ारा व के एक दे श क सं कृ त का सरे दे श म वाह न न ल खत मा यम के ारा सं भव आ है :-

( a ) सू चना मक से वा ारा :-

1. इंटरनेट एवं ईमेल के ारा।

2. इले ॉ नक ां त एवं रसं चार से वा ारा।

3. वचार और धारणा के आदान- दान ारा।

4. ड जटल ां त ारा।

( b ) समाचार से वा ारा :-

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वभ व ापी समाचार चैनल ारा भी सां कृ तक वाह सं भव आ है जनम न न ल खत मुख है :-

1. CNN

2. BBC

3. अल जजीरा

भारत एवं वै ीकरण :-


भारत म जुलाई 1991 म त कालीन धानमं ी पीवी नर स हा राव एवं व मं ी ी मनमोहन सह ने नवीन आ थक नी तय क
घोषणा कर उदारीकरण, नजीकरण और वै ीकरण क शु आत क ।

उदारीकरण, नजीकरण एवं वै ीकरण हे तु उठाए गए कदम :-

 1991 म नवीन आ थक नी तय क घोषणा।

 1992-93 म पए को पूण प रवतनीय बनाना।

 आयात- नयात पर तबंध हटाए गए।

 लाइसस राज व था समा त क गई।

 वै क समझौत के तहत नयम एवं औपचा रकता को समा त कया गया।

 1 जनवरी 1995 को भारत ड यूट ओ का सद य बना।

 शास नक व था म सु धार कए गए।

 सरकारी तं क ज टलता को ह का कया गया।

भारत के सम वै ीकरण क चुनौ तयां :-

वै ीकरण के दौर म भारत को न न चुनौ तय का सामना करना पड़ रहा है :-

1. आ थक वकास पर वषम भाव :-

वै ीकरण क या का सवा धक लाभ वक सत अथ व था वाले दे श को हो रहा है। अध वक सत एवं पछड़े दे श को


वै ीकरण का अपे ाकृत कम लाभ हो रहा है। भारत एक वकासशील दे श है जसके कारण भारत को वक सत दे श क तरह वकास का सं पूण
लाभ नह मल पा रहा है।

2. वै ीकरण क वैधता का सं कट :-

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वै ीकरण क वृ से रा ीय रा य क आ थक सं भुता म कमी आने के साथ-साथ आंत रक सं भुता पर भी असर पड़ रहा
है। अतः घरेलू सं भुता के े को बढ़ाने के लए थानीय शासन यानी पंचायत राज सं था क रचना करनी पड़ी है ता क रा य क वैधता को
आगे बढ़ाया जा सके।

3. नाग रक समाज संगठन म ती वृ :-

वै ीकरण के दौर म रसं चार व इंटरनेट क प च


ं से वचार और धारणा म ती ग त आई है जसके कारण नाग रक म
जाग कता आने के कारण अनेक नाग रक सं गठन का नमाण आ है ज ह ने रा ीय एवं ांतीय सरकार को अ य प से चुनौती द है।
साथ ही कई सं गठन क सं रचना लोकतां क शासन के समानांतर हो जाने के कारण लोकतं के सं चालन पर कु भाव पड़ा है।

भारत म वै ीकरण अपनाने के कारण :-


1. पूंजी क आव यकता हेतु।

2. नवीन तकनीक क आव यकता हेतु।

3. नवीन रोजगार के अवसर का सृ जन हेतु।

4. व ापार म भागीदारी बढ़ाने हेतु।

5. वयं को आ थक श बनाने हेतु।

भारत म वै ीकरण का भाव :-


( a ) सकारा मक भाव :-

1. वदे शी नवेश से पूंजी का आवागमन आ जससे से वा े ( रेल, सड़क, वमान, वा य, श ा आ द ) का व तार एवं वकास आ
है।

2. ब रा ीय कंप नय के आगमन के साथ नवीन उ च तकनीक का योग होने से औ ो गक उ पादन म अ य धक वृ ई है।

3. नए-नए उ ोग क थापना से रोजगार के अवसर बढ़े है।

4. श ा और वा य के े म ापक सु धार ए है।

( b ) नकारा मक भाव :-

1. ब रा ीय कंप नय क त पधा म थानीय भारतीय उ ोग समा त हो रहे ह।

2. ब रा ीय कंप नय ारा अपना लाभ अपने मूल दे श को भेजने से धन का वाह वक सत दे श क ओर हो रहा है।

3. ब रा ीय कंप नय ारा अपने कमचा रय को अ धक वेतन व सु वधाएं दे ने से अ य कमचा रय के म य आ थक असमानता उ प हो


रही है।

4. गरीब और अ धक गरीब एवं अमीर और अ धक अमीर बनता जा रहा है।


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5. उपभो ावाद एवं थ य क सं कृ त को बढ़ावा मल रहा है।

6. रा य का क याणकारी व प बदल कर यू नतम ह त प


े कारी होता जा रहा है जससे सरकार ारा आम आदमी को सं र ण कम
होता जा रहा है।

7. फूहड़ सं कृ त का उदय हो रहा है।

8. परंपरागत सं गीत क जगह पा ा य सं गीत अपना भु व जमा रहा है।

9. परंपरागत योहार क जगह पा ा य योहार को अ धक मह व दया जा रहे ह। जैसे वेलटाइन डे, समस डे, नववष आ द।

10. सामा जक एवं सां कृ तक मू य का पतन हो रहा है।

भारतीय लोक सं कृ त एवं सामा जक मू य पर वै ीकरण का भाव :-

( a ) लोक सं कृ त पर भाव :-

1. दे श के व श लोक सं गीत एवं कला को नुकसान प च


ं ा है।

2. ादे शक सां कृ तक ग त व धय का उ मूलन हो रहा है।

3. शा ीय सं गीत क जगह पा ा य एवं फूहड़ वदे शी सं गीत थान ले रहा है।

4. लोक वा यं क जगह इले ॉ नक वा यं के उपयोग से सं गीत क सु रमयता और व श ता समा त होती जा रही ह।

5. फा ट फूड, रे ां एवं पै कग खाने का चलन बढ़ रहा है जो क वा य के लए हा नकारक है।

6. कम कपड़ के चलन से ज म क नुम ाइशे यादा हो रही है।

( b ) सामा जक मू य पर भाव :-

वै ीकरण का सामा जक मू य पर सवथा तकूल भाव पड़ा है जो क इस कार है :-

1. सं यु प रवार व था का वघटन हो रहा है।

2. एकल प रवार व था को बढ़ावा मल रहा है।

3. प त-प नी के सं बंध म दरार पड़ती जा रही ह।

4. वृ को बोझ समझा जा रहा है।

5. नारी का व तु करण कया जा रहा है।

6. टे ली वजन प रवार का एक नया सद य बन गया है।

7. यु वा ने मान-मयादा, री त- रवाज एवं सं कार का याग कर दया है।

8. के नै तक च र का पतन आ है।

9. आदश और मू य का पतन हो रहा है।


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10. सामा जकता का थान वाथपरकता ने ले लया है।

वै ीकरण के प रणाम :-

वै ीकरण के प रणाम को हम न न दो कार से समझ सकते ह - आलोचना मक प से और उपल धय के पम।

( a ) आलोचना :-

वै ीकरण क आलोचना न न ल खत त व के आधार पर क जाती है :-

1. रा ीय रा य क वाय ता, सं भुता एवं आ म- नभरता भा वत हो रही है।

2. अमे रक वच व को ो साहन मल रहा है जससे भारत जैसे दे श के अमे रका के ाहक दे श बनने क आशं का क जा रही है।

3. वै ीकरण ने उदारीकरण और नजीकरण को बढ़ावा दया है जससे शासन का लोकक याणकारी व प घटता जा रहा है।

4. नव उप नवेशवाद मान सकता को बढ़ावा मल रहा है जसम वक सत दे श कम वक सत दे श के स ते क चे माल एवं स ते म का


उपयोग कर अपना औ ो गक उ पादन बढ़ा रहे ह तथा इसी उ पादन क ब हेतु कम वक सत दे श को बाजार के प म योग कर
रहे है।

5. वै ीकरण ने व म शरणाथ सम या को बढ़ावा दया है। कम वक सत दे श के लोग रोजगार हेतु पलायन कर अ य दे श म आ जाते
ह और वहां थाई प से जमा हो जाते ह जससे शरणा थय क सम या उ प हो रही है। जैसे यू र ोप म शरणा थय क सम या, भारत
म रो ह या मुसलमान क सम या, ीलं का म त मल क सम या आ द।

6. वै ीकरण का ाकृ तक पयावरण पर तकूल भाव पड़ा है। वक सत दे श म औ ो गक कचरे, ला टक एवं इले ॉ नक उ पाद
के कचरे के न तारण क भयं कर सम या उ प हो रही है। वक सत दे श इस कचरे को गरीब दे श म थानांत रत कर वहां के पयावरण
को षत कर रहे ह।

7. वै ीकरण वक सत दे श के सा ा यवाद का पोषक बन रहा है। वै ीकरण के मा यम से वक सत दे श गरीब एवं अ वक सत दे श


को ऋण आधा रत अथ व था थोप कर अपने अधीन थ करने का यास कर रहे है। इस ऋण आधा रत अथ व था से ऋण म
बेहताशा वृ हो रही है और ऋण भुगतान का सं कट उ प हो रहा है।

8. वै ीकरण ारा सभी वग के हत क जो अपे ाएं क गई, वो पूण नह हो पा रही है।

( b ) वै ीकरण क उपल धयां :-

1. वकासशील दे श क जीवन याशा लगभग गनी हो गई है।

2. शशु मृ यु दर और मातृ मृ यु दर म कमी आई है।

3. क मता धकार का ापक सार आ है।

4. लोग के भोजन म पौ कता बढ़ है।

5. बाल म घटा है।

6. त सु वधा म वृ ई है।
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7. से वा े म अभूतपूव सु धार आ है।

8. व छ जल क उपल धता बढ़ ह।

9. लोग के जीवन म खुशहाली आई है।

न कष :-
वै ीकरण क वशे षता और उसके व भ े पर पड़े भाव का अ ययन करने के उपरांत यह प है क इसका सवा धक लाभ
वक सत दे श को आ है और इसका सवा धक नुकसान अ वक सत दे श को उठाना पड़ा है। वकास क अं धी दौड़ म स यता और सं कृ त को
अपूरणीय त उठानी पड़ रही है। ऐसा नह है क वै ीकरण एक नवीन वृ ह ब क हजार वष के इ तहास के अ ययन से यह प है क
एक दे श के गुणव ा यु माल एवं कारीगरी का नयात पूव म भी बड़े पैम ाने पर कया जाता था। पहले सं चार और इंटरनेट जैसे साधन क कमी
के कारण इसका इतना चार नह था जब क वतमान म इसका चार यादा है।

साथ ही लोक-लु भावने चार एवं स ते माल के कारण व भ दे श के थानीय माल क उपे ा हो रही है। जैसे चीन उ पा दत माल
अ य धक लोक-लु भावना, आकषक एवं स ता होने के कारण व के अ य दे श के बाजार म ब त यादा बक रहा है परंतु उस माल म गुणव ा
एवं टकाऊपन न के बराबर है। अतः हम यह समझना होगा क हम सदै व अ छा और टकाऊ सामान खरीदना चा हए ता क उपभो ावाद
सं कृ त एवं थ खच से बचा जा सके।

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नव सामा जक आंदोलन
नव सामा जक आंदोलन ऐसे सामा जक आंदोलन है जो मानव जीवन म फैले ए अ याय के त नवीन चेतना से े रत
होकर समकालीन व के कुछ ह स म उभरकर सामने आए ह। इसम नारी अ धकार आंदोलन, पयावरणवाद आंदोलन, उपभो ा आंदोलन,
नाग रक अ धकार क मांग, द लत आंदोलन, छा आंदोलन, शां त आंदोलन एवं अ ा आंदोलन वशे ष प से उ ले खनीय है।

नव सामा जक आंदोलन क शु आत 1960 के दशक से ई है। नव सामा जक आंदोलन मु यत: यु वा, श त एवं म यवग य
नाग रक के आंदोलन है जो नाग रक क गत वतं ता एवं मानव मा के हत को यान म रखते ए पयावरण के सं र ण एवं शां त
वातावरण को बढ़ावा दे ना चाहते ह। इन आंदोलन म गैर सरकारी सं गठन और नाग रक समाज क महती भू मका रही है।

नवीन सामा जक आंदोलन ने समकालीन रा य के नाग रक समाज ( स वल सोसायट ) क अवधारणा को मजबूत कया है। साथ ही
वामपंथी झुकाव वाले कुछ तथाक थत नाग रक समाज ने कई बार रा य क वैधता और शासन के अ धकार को चुनौती द है। जैसे अ ा
आंदोलन, न सलवाद समथक मानवा धकार आंदोलन आ द।

कुछ सामा जक आंदोलन ने राजनी तक स ा और वचारधारा से सं ल न होकर भी अपने मत रखे। जैसे नमदा बचाओ आंदोलन के
आंदोलनका रय ारा बीजेपी क वचारधारा के व मत करना। इसके अलावा कुछ सामा जक आंदोलन ने रा य क भू मका को पु
करने एवं सकारा मक सामा जक प रवतन के भी यास कए ह। जैसे वनवासी क याण प रषद, से वा भारती, श ा बचाओ आंदोलन आ द।

सामा जक आंदोलन का वभाजन या कार :-


डे वड आवल ने 1966 म सामा जक आंदोलन को चार भाग म बांट ा है :-

1. प रवतनकारी या ां तकारी सामा जक आंदोलन :-

इस कार के सामा जक आंदोलन म आंदोलनकारी वतमान म च लत व था म आमूलचूल प रवतन करना चाहते ह। इसके
लए ये आंदोलनकारी ां त का सहारा ले ना चाहते ह। जैसे न सलवाद , वामपंथी आंदोलन आ द।

2. सुधारवाद सामा जक आंदोलन :-

सु धारवाद आंदोलनकारी समाज म च लत असमानता और सामा जक सम या म मक सु धार के प धर होते ह। इनका


मानना है क मक सु धार ही थाई रहता है। इसके लए यह लोग सं वधान का सहारा ले ते ए प रवतन करना चाहते ह। जैसे सभी गैर सरकारी
सं गठन, कनाटक म लगायत आंदोलन, उ र पूव म ी वै णव आंदोलन आ द।

3. उपचारवाद या मु द सामा जक आंदोलन :-

यह आंदोलन कसी वशे ष या सम या वशे ष पर क त होते ह और उस वशे ष सम या से मु उपरांत समा त हो जाते


ह। जैसे व ा थय , द लत , पछड़े वग , अ पसं यक वग , न न जा तय एवं अ य व श े णय के लोग के आंदोलन।

4. वैक पक सामा जक आंदोलन :-

इस कार के आंदोलन म आंदोलनकारी सं पूण सामा जक एवं सां कृ तक व था म बदलाव लाकर उसके थान पर अ य
वक प क थापना करना चाहते ह। जैसे नारीवाद आंदोलन, द ण भारत म SNDP आंदोलन, पंजाब म अकाली आंदोलन।

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नवीन सामा जक आंदोलन के उदाहरण :-

1. कृषक अ धकार आंदोलन :-

वै ीकरण और नजीकरण के दौर म मु बाजार व था म लघु कृषक के हत क र ा हेतु अनेक कसान सं गठन कायरत
है जनम भारतीय कसान सं घ, शे तकरी सं गठन (महारा म) आ द मुख ह।

2. मक आंदोलन :-

मक के हत क र ा हेतु अनेक मक सं गठन कायरत है। जैसे भारतीय मज र सं घ, वदे शी जागरण मंच, क यु न ट
इं डया े ड यू नयन आ द।

3. म हला सश करण आंदोलन :-

भारतीय म हला सश करण आंदोलन आमूलचूल बदलाव पर आधा रत है। यह जा त, वग, सं कृ त, वचारधारा आ द आ धप य
के व भ प को चुनौती दे ता है। म हला सश करण आंदोलन के चलते ही दे श म दहेज वरोधी अ ध नयम, सू त सहायता अ ध नयम,
समान काय के बदले समान वेतन, सती था वरोधी अ ध नयम आ द अनेक काय ए है। वतमान म हमारे दे श म म हला सश करण हेतु
अनेक योजनाएं जैसे बेट बचाओ बेट पढ़ाओ, उ वला योजना आ द चल रही है। म हला मु मोचा, ऑल इं डया डेम ो े टक एसो सएशन,
नागा मदस एसो सएशन, शे तकरी म हला अघाड़ी, भारतीय म हला आयोग, नभया आंदोलन 2012 आ द म हला आंदोलन के उदाहरण है।

4. वकास के प रणाम के व आंदोलन :-

पा ा य दे श के अं धानुकरण वकास हेतु योजना के चलने से अनेक प रणाम भी सामने आए ह जनम बांध प रयोजना के
नमाण से व थापन क सम या (नमदा बचाओ आंदोलन, टहरी बांध प रयोजना ववाद आ द ), नद जल ववाद ( व भ रा य के म य ),
पयावरण को नुकसान ( चपको आंदोलन) आ द से जुड़े कई आंदोलन समसाम यक प र थ तय म उभरकर सामने आए है। इसके अलावा और
अ य आंदोलन इस कार ह :-

साइलट वैली बचाओ आंदोलन केरल म, चपको आंदोलन उ राखंड म, जंगल बचाओ आंदोलन 1980 म बहार म, नमदा बचाओ आंदोलन
1985 म, जनलोकपाल बल आंदोलन 2011, प म बंगाल म स र और नंद ाम आंदोलन, नवी मुबं ई म से ज वरोधी आंदोलन आ द।

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सामा जक और आ थक याय एवं म हला आर ण


भारत के सं वधान के भाग - 4 यानी नी त नदशक त व म अनु छे द - 38 म सामा जक और आ थक याय क बात कही गई है।

सामा जक याय का अथ :-
सामा जक याय दो श द सामा जक और याय से बना है जसम सामा जक से ता पय है समाज से सं बं धत तथा याय से
ता पय है जोड़ना। इस कार सामा जक याय का शा दक अथ है समाज से सं बं धत सभी प को जोड़ना।

परंतु आधु नक प र े य म सामा जक याय का अथ ब त ही ापक तर पर लए ए है।

सामा जक याय से ता पय है क

1. समाज के सभी सद य के साथ कसी भी कार का भेदभाव न हो।

2. सभी क वतं ता, समानता और अ धकार क र ा हो।

3. कसी भी का शोषण नह हो।

4. ये क त ा और ग रमा के साथ जीवन जये ।

इस कार प है क सामा जक याय से ता पय है उस समतावाद समाज क थापना से है जो समानता, एकता व भाईचारे के स ांत
पर आधा रत हो, मानवा धकार के मू य को समझता हो और ये क मनु य क त ा को पहचानने म स म हो।

सामा जक याय क सं क पना मूलत: समानता और मानव अ धकार क अवधारणा पर आधा रत है

सामा जक याय क आव यकता य :-


भारतीय समाज म सामा जक याय क थापना के उ े य क पू त हेतु सं वधान नमाता ने सं वधान म अनेक ावधान कए है।
परंतु उ ह उस भारत म सामा जक याय ा त क आव यकता य पड़ी जसके कण-कण म ई र के ा त होने का गौरव ा त है। इस सं बंध
म न न ल खत कारण से यह गोचर होता है क भारत म सामा जक याय क ा त क आव यकता है :-

1. वण व था का जा त व था म प रवतन।

2. जा त व था म ढ़वा दता होना

3. अलगाववाद, े वाद, असमानता एवं सां दा यकता क भावना पैदा होना।

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सामा जक याय क ा त के यास :-


ाचीन भारतीय समाज म चार वण ा ण, य, वै य एवं शु थे परंतु कालां तर म वण व था षत होकर जा त व था म
प रव तत हो गई। जो वण व था कम पर आधा रत थी अब अपने नए प यानी जा त व था म ज म पर आधा रत हो गई। इस कार धीरे-
धीरे जा त व था म ढ़वा दता और कठोरता के समावेश ने भारतीय समाज म असमानता क थ त पैदा कर द जो आज भी व मान है।

ाचीन काल म महा मा बु व महावीर वामी से ले कर म यकाल म कबीर, लोक दे वता बाबा रामदे व व अनेक सं त ने और आधु नक
काल म राजा राममोहन राय, वामी ववेकानंद, महा मा गांधी, डॉ टर भीमराव अं बेडकर आ द ने अनेक समाज सु धारक काय करके समाज को
नवीन दशा दखाने का मह वपूण काय कया है।

भारतीय सं वधान म सामा जक याय :-


200 वष क गुलामी उपरांत सं वधान नमाता ने लोकक याणकारी जातं क थापना के लए सामा जक याय क थापना को अ यं त
मह वपूण माना। भारतीय सं वधान क तावना म सामा जक याय को सं वधान का उ े य और ल य बताया गया है। इस उ े य क पू त के
लए मौ लक अ धकार को सं वधान म शा मल कया गया है। साथ ही सं वधान के भाग - 4 म नी त नदे शक त व म रा य को सामा जक याय
क थापना के यास करने के नदश दए गए है।

A. सामा जक याय क ा त हे तु मूल अ धकार म ावधान :-

1. अनु छे द - 14 : व ध के सम समता

2. अनु छे द - 15 : धम, मूलवंश, जा त, व ज म थान के आधार पर भेदभाव नह ।

3. अनु छे द - 16 : लोक नयोजन म अवसर क समानता।

4. अनु छे द - 15(4) एवं 16(4) : अनुसू चत जा त, अनुसू चत जनजा त एवं अ य पछड़े वग के लए आर ण का ावधान।

5. अनु छे द - 17 : अ पृ यता का अं त।

6. अनु छे द - 21( क) : 6 से 14 वष के ब च को न:शु क एवं अ नवाय श ा का अ धकार।

7. अनु छे द - 23 : मानव य और बेगार पर रोक।

8. अनु छे द - 24 : कारखान म बाल म नषे ध।

9. अनु छे द - 29 एवं 30 : श ा एवं सं कृ त का अ धकार।

B. सामा जक याय क ा त हे तु नी त नदशक त व म ावधान :-

सं वधान के भाग - 4 म भी सामा जक याय के अनेक ावधान कए गए ह जसम रा य को नद शत कया गया है क :-

1. अनु छे द - 38 : रा य ऐसी सामा जक व था क थापना करेगा जसम ये क के लए सामा जक, आ थक एवं राजनी तक याय
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सु न त हो सके।

2. अनु छे द - 41 : बेकारी, बुढ़ापा, बीमारी एवं असमथता म सावज नक सहायता ा त करने का ावधान।

3. अनु छे द - 42 : काम क अनुकूल एवं मानवो चत अव था उपल ध करवाना और सू त सहायता उपल ध करवाना।

4. अनु छे द - 43 : मक के लए नवाह मज री एवं उ ोग के बंधन क भागीदारी सु न त करना।

5. अनु छे द - 44 : एकसमान नाग रक सं हता का नमाण करना।

6. अनु छे द - 46 : अनुसू चत जा त, अनुसू चत जनजा त एवं बल क श ा और उनके हत क उ त करना।

7. अनु छे द - 47 : मादक पदाथ पर तबंध लगाना और पोषण का तर ऊँचा रखना।

सामा जक याय क वहा रक थ त :-


भारतीय सं वधान नमाता ारा सं वधान म कए गए सामा जक याय के उपबंध से दो पहलू उभर कर सामने आ रहे है। एक पहलू
जसम जमीदारी उ मूलन अ ध नयम, भू म सु धार अ ध नयम, ह बल कोड, बक का रा ीयकरण, दास था, दे वदासी था, बंधआ ु मज री व
अ पृ यता का उ मूलन आ द ने समाज म आमूलचूल प रवतन कए है।

वही सरे पहलू को दे ख तो आज भी भारत क जनसं या का एक ब त बड़ा भाग असमानता, भुखमरी, कुपोषण और शोषण का शकार है।
दे श के इन करोड़ लोग के लए सामा जक और आ थक याय क बात तो र आज भी दो व क रोट का बंध नह हो पा रहा है। कहने को
तो भले ही यह कहा जाता है क आज दे श म 50% आर ण का लाभ अनुसू चत जा त, अनुसू चत जनजा त एवं अ य पछड़े वग को मल रहा है
परंतु इस आर ण का लाभ आज भी इन वग के वा त वक लाभा थय को नह मल पा रहा है य क इन पछड़ी जा तय म आर ण ा त कर
एक ऐसे नवीन वग का ज म आ है जो आ थक और राजनी तक आधार पर बार-बार आर ण का लाभ उठा रहा है जससे गांव का गरीब व
आ दवासी अभी भी अपने वा त वक लाभ क प च ं से कोस र है। वतमान म वोट बक क राजनी त और चुनावीकरण ने आर ण व था को
इस कदर ज टल बना दया है क कोई भी राजनी तक पाट इसम क चत भी प रवतन करने म दलच पी नह दखा रही है।

-: आ थक याय :-
यह स य है क समाज म पूण प से आ थक समानता था पत नह क जा सकती है। आ थक याय का मूल ल य आ थक
असमानता को कम करना है। ऐ तहा सक से दे खा जाए तो ये क यु ग और ये क े म आ थक आधार पर दो वग रहे ह एक शोषक
वग जो अमीर का त न ध व करता है और सरा शो षत वग जो गरीब का त न ध व करता है। इन आ थक वषमता के कारण ही हमारे
दे श म न सलवाद, ाचार, राजनी त का अपराधीकरण, त करी और आतंकवाद जैसी वृ याँ वक सत ई है जो क हमारी एकता और
अखंडता के लए ब त बड़ी चुनौती है।

आ थक याय का अथ :-
आ थक याय से ता पय ह क

1. धन एवं सं प के आधार पर - म कसी कार का भेदभाव नह होना।

2. ये क समाज एवं रा य म आ थक सं साधन का यायपूण वतरण।


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3. समाज के सभी लोग क यू नतम आव यकता क पू त हो ता क वे अपना अ त व और ग रमा बनाए रख सके।

आ थक याय के अथ को न न ल खत कथन से ब त अ छ तरह से समझा जा सकता है :-

पं डत जवाहरलाल नेह के अनुसार, "भूख से मर रहे के लए लोकतं का कोई अथ एवं मह व नह है।"

डॉ टर राधाकृ णन के अनुसार, "जो लोग गरीबी क ठोकर खाकर इधर-उधर भटक रहे है, ज ह कोई मज री नह मलती ह और जो भूख से
मर रहे है, वे सं वधान या उसक व ध पर गव नह कर सकते।"

अमे रक रा प त क लन जवे ट के अनुसार, "आ थक सु र ा और आ थक वतं ता के बना कोई भी स ची वतं ता ा त नह कर


सकता।"

इस कार प है क सामा जक और राजनी तक याय के लए आ थक याय अ नवाय शत है।

भारतीय सं वधान और आ थक याय :-


सं वधान नमाता ने भारत म आ थक याय क सं क पना को साकार करने के लए सं वधान म न न ल खत ावधान कए है :-

A. मूल अ धकार के प म ावधान :-

1. अनु छे द - 16 : लोक नयोजन म अवसर क समानता।

2. अनु छे द - 19(1)(छ) : वृ त एवं ापार क वतं ता।

B. नी त नदे शक त व के प म ावधान :-

भारतीय सं वधान के भाग - 4 म नी त नदे शक त व म आ थक याय क ा त के न न ावधान कए गए है :-

1. अनु छे द - 39 : रा य अपनी नी त इस कार नधा रत करेगा क

(i) सभी नाग रक को जी वका ा त के पया त साधन ा त हो।

(ii) समुदाय क सं प का वा म व और नयं ण इस कार हो क सामू हक हत का सव म साधन हो।

(iii) उ पादन के सं साधन का क करण न हो।

(iv) ी-पु ष को समान काय के लए समान वेतन।

(v) मक पु ष व म हला के वा य एवं श और बालक क सु कुमार अव था का पयोग न हो।

2. अनु छे द - 40 : गरीब को न:शु क व धक सहायता।

भारत म आ थक याय क थापना हे तु सुझाव :-


(1) आ थक वषमता को र करना।

(2) असी मत सं प के अ धकार पर तबंध लगाना।


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(3) ये क नाग रक को रोजगार के अवसर उपल ध कराना।

(4) सावज नक धन का उ चत वतरण।

(5) गरीब के लए क याणकारी योजना का नमाण करना एवं या वयन करना।

(6) भावशाली कर णाली क थापना करना और कर णाली म सु धार करना।

(7) आ थक आधार पर आर ण क व था करना।

आ थक याय क व तु - थ त :-
व वष 2015-16 म भारत क वकास दर 7.6 तशत थी जो व म सवा धक रही। नवंबर 2016 म वमु करण के उपरांत आ थक
वकास दर म थोड़ी गरावट ज र आई ह परंतु फर भी सं तोषजनक है। परंतु व म अ णी आ थक वकास दर वाला दे श होने के उपरांत भी
आ थक वकास का समु चत लाभ सभी वग को समान प से नह मल पा रहा है। आज भी गांव म सु वधा का अभाव है एवं इंटरनेट व
ौ ो गक का अपे त व तार गांव म नह हो पाया है। वकास का वा त वक लाभ केवल शहर तक ही सी मत है।

-: म हला आर ण :-
भारत म पु ष धान समाज होने, व भ सामा जक एवं धा मक कारण के चलते म हला क मता का पूण प से वकास
नह हो पाया है। वतं ता उपरांत म हला श ा के े म ग त अव य ई है परंतु आज भी रोजगार, वसाय, उ ोग एवं राजनी तक े म
म हला को पया त त न ध व नह मल पाया है।

अतः दे श क वा त वक ग त तब तक सं भव नह है जब तक क म हला क थ त पु ष के समतु य न हो जाए। म हला क


भागीदारी सु न त करने के उ े य से सरकार ने लोक नयोजन म म हला के लए पद आर त रखने का ावधान कया है। व भ सरकारी
े के अलावा सै य े म भी म हला को आं शक कमीशन के ारा नयो जत कया जा रहा है। सीआरपीएफ और सीआईएसएफ म
म हला के लए 33% आर ण आर त कए गए है जब क एसएसबी और आइट बीपी म 15% थान आर त कए गए है।

पंचायतीराज सं था म म हला क भागीदारी सु न त करने के लए 73व एवं 74व सं वधान सं शोधन ारा पंचायती राज सं था
म म हला के लए 33% थान आर त कए गए है।

लोकसभा, रा यसभा एवं वधानसभा म म हला आर ण क मांग :-


A. आव यकता के कारण :-

1. राजनी त म म हला का उ चत त न ध व नह होना।

2. म हला का सामा जक और शै णक से पछड़ा होना।

3. पु ष धान समाज से मु दलाने हेतु।

4. म हला से सं बं धत व भ कुरी तय एवं कु था से बचाने हेतु।

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5. लोकतं ीकरण क या को सु ढ़ करने हेतु।

B. म हला आर ण वधे यक का इ तहास :-

1. 1996 म एच. डी. दे वगौड़ा सरकार ारा 81वां सं वधान सं शोधन वधेयक तु त कया गया परंतु पा रत नह हो सका।

2. 1998 म एनडीए सरकार ारा 86वां सं वधान सं शोधन वधेयक तु त कया गया।

3. 1999 म एनडीए सरकार ारा वधेयक पुनः तु त।

4. 2008 म यू पीए सरकार ारा 108व सं वधान सं शोधन वधेयक के प म रा यसभा म पेश।

5. 2010 म रा यसभा ारा पा रत परंतु लोकसभा से पा रत नही।

6. 2016 म पुनः म हला आर ण क मांग उठ परंतु कोई ताव नह रखा गया।

7. 2018 म एनडीए सरकार ारा म हला आर ण क मंशा जा हर करना परंतु अब तक कोई कायवाही नह ।

म हला आर ण वधे यक पा रत नह होने के कारण :-

1. सभी राजनी तक दल ारा इसम च नह ले ना।

2. राजनी तक सं था म पु ष का वच व कम होने का भय।

3. कई राजनी तक दल ारा सामा य म हला क बजाय अनुसू चत जा त, अनुसू चत जनजा त एवं अ य पछड़ा वग क म हला के
अ य धक पछड़ेपन के कारण उनके लए वशे ष व था क मांग करना।

**** एक यास :- गंगाधर सोनी, ा याता ( राजनी त व ान )

राउमा व भोजासर ( फलोद ) जोधपुर

Mobile No. - 9461123805

Email : gangadharsoni4@gmail.com

Website : https://sites.google.com/site/gangadharsoni4/

आप इन नोट् स को मेर ी website को इस लक को लक कर डाऊनलोड कर सकते है :-

https://sites.google.com/site/gangadharsoni4/political-science/class-12/part-a?authuser=0

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राजनी त व
राजनी त व ानान
Class – 12
( RBSE अजमेर आधा रत )
Prepared By :-
गंगाधर सोनी
ा याता (राजनी त व ान )
राउमा व भोजासर (फलोद ) जोधपुर
Now - धाना यापक : रामा व बांठड़ी (नागौर)

Contact No. :- B.Sc., B.Ed., M.A.(Pol.Sc.), M.A.(Hist.)


9461123805, 7976152414
NET Dec. 2013 & NET June 2019

RPSC Selections :- -: उ े य :-
Teacher – 2008 से 1. श क ब धु और
व ा थय को राजनी त
Senior Teacher – 2011 से व ान के अ ययन म
School Lecturer – 2017 से सहयोग करना

2. मशन Merit को
School Headmaster - 25.10.2019 से
बढ़ावा दे ना

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गाँव – खा मयाद ( लाडनूं ) नागौर
अनु म णका

भाग – ब ( भारत म शासन एवं लोकतं )


.सं. वषय-व तु का नाम Page No.

Unit – I भारत का सं वधान ( अंकभार - 10 )

1. भारत के सं वधान क वशेषताएँ 99-105

2. मूल अ धकार, नी त नदशक त व और मूल कत 106-121

3. भारत क संघीय व था के आधारभू त त व 122-126

Unit – II भारत म शासन ( अंकभार - 10 )

4. संसद – लोकसभा व रा यसभा 127-140

5. संघीय कायपा लका – रा प त एवं धानमं ी 141-150

6. यायपा लका 151-156

7. रा य तरीय शासन एवं थानीय वशासन 157-168

Unit – III भारतीय लोकतं के सम चुनौ तयाँ ( अंकभार - 8 )

8. जा तवाद एवं सा दा यकता 169-176

9. े वाद एवं भाषावाद 177-180

10. आतंकवाद, राजनी त का अपराधीकरण व ाचार 181-188

11. गठबंधन क राजनी त 189-194

Unit – IV भारत क वदे श नी त और सयु रा संघ ( अंकभार - 12 )

12. भारत क वदे श नी त एवं गुट नरपे ता 195-201

13. संयु रा संघ और उसका योगदान 202-212

14. भारत के पड़ोसी दे श से स ब ध – पाक, चीन व नेपाल 213-228

15. े ीय संगठन – आ सयान एवं द स


े 229-236

Note : कसी भी वषय-व तु म वरोधाभास क थ त म पा -पु तक को ाथ मकता द जाएगी |


99

ख ड - ब Unit - I भारत का सं वधान


Lesson - 1 भारतीय सं वधान क वशेषताएं
डॉ. भीमराव अं बेडकर के अनुसार - "म महसू स करता ं क भारतीय सं वधान वहा रक है, इसम प रवतन मता है और इसम शां तकाल और
यु काल म दे श क एकता को बनाए रखने का साम य भी है। वा तव म म कहना चा ग ं ा क य द नवीन सं वधान के अं तगत थ त खराब होती
है तो इसका कारण यह नह होगा क हमारा सं वधान खराब है ब क हम यह कहना होगा क मनु य ही खराब है। "

भारतीय सं वधान अनेक से व का एक अनोखा सं वधान है। इसक वशे षताएं इसे व के अ य सं वधान से अलग पहचान
दान करती है। इसक मुख वशे षताएं न न कार है :-

1. वशाल एवं ल खत सं वधान :-

भारत का सं वधान व का सबसे वशाल व ल खत सं वधान है। इसक वशालता का मु य कारण क य और रा य दोन
सरकार के गठन और उनक श य का व तृ त वणन है। भारत के सं वधान म कुल 395 अनु छे द, 12 अनुसू चयां और 22 भाग है। ात रहे
मूल सं वधान म 395 अनु छे द, 8 अनुसूची व 22 भाग थे। अ य दे श के सं वधान क तुलना कर तो अमे रका के सं वधान म केवल 7 अनु छे द,
कनाडा के सं वधान म 147 अनु छे द, द णी अ का के सं वधान म 254 अनु छे द एवं ऑ े लया के सं वधान म 128 अनु छे द है।

2. ल खत सं वधान :-

कसी दे श का सं वधान ल खत और अ ल खत भी हो सकता है। जैसे टे न का सं वधान परंपरा और था पर आधा रत


एक अ ल खत सं वधान है जब क भारत का सं वधान ल खत है। भारतीय सं वधान 2 वष 11 माह 18 दन म बन कर तैयार आ। ात रहे क
सं यु रा य अमे रका का सं वधान व का थम ल खत सं वधान है।

3. तावना :-

भारत के सं वधान म तावना का उ ले ख है जसम सं वधान के उ े य और ल य को उ ले खत कया गया है।

4. संपण
ू भु व संप सं वधान :-

भारत के सं वधान म भारत को सं पूण भु व सं प रा य का दजा दया गया है। इसका ता पय है क भारत अपने आंत रक और
बा मामल म पूण प से वतं है अथात कसी अ य दे श का हमारे दे श के मामल म कोई ह त प े नह होगा।

5. संसद य शासन णाली :-

भारतीय सं वधान ारा भारत म सं सद य शासन णाली अपनाई गई है। सं सद य शासन णाली का यह व प इं लड क सं सद य
शासन णाली के समान है अथात भारत क सं सद य शासन णाली टे न से े रत है।सं सद य शासन णाली से आशय है क हमारे दे श क
कायपा लका व था पका यानी सं सद के के त उ रदायी होगी।

6. मूल अ धकार :-

भारत के सं वधान के भाग - 3 म अनु छे द 12 से 35 म 6 मूल अ धकार दान कए गए है। मूल अ धकार अमे रक सं वधान से
लए गए है। मूल सं वधान म 7 मूल अ धकार थे पर तु 44व सं वधान सं शोधन अ ध नयम 1978 के ारा सं प के मूल अ धकार को मूल
अ धकार क ण े ी से हटा दया गया और अब उसे अनु छे द 300(क) के तहत केवल कानूनी अ धकार का दजा ा त है। मूल अ धकार म
समानता, वतं ता, शोषण के व अ धकार, धा मक वतं ता के अ धकार, श ा व सं कृ त का अ धकार और सं वैधा नक उपचार का

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अ धकार दान कए गए। सव च यायालय को मूल अ धकार का सं र क घो षत कया गया है।

7. नी त नदे शक त व :-

भारत के सं वधान के भाग - 4 के अनु छे द 36 से 51 म रा य क नी त नधारण के मागदशन के लए नी त नदे शक त व का


वणन कया गया है। नी त नदे शक त व आयरलड के सं वधान से े रत है। नी त नदे शक त व के मा यम से सं वधान नमाता ने
क याणकारी रा य क अवधारणा को मूत प दान कया है।

8. मूल कत :-

भारतीय सं वधान के भाग - 4(क) और अनु छे द 51(क) म मूल कत का वणन कया गया है। मूल कत मूल सं वधान म
नह थे। सरदार वण सह स म त क सफा रश पर 42व सं वधान सं शोधन अ ध नयम 1976 ारा मूल कत को सं वधान म जोड़ा गया।
आर भ म 10 मूल कत थे परंतु 86व सं वधान सं शोधन अ ध नयम 2002 ारा 6 से 14 वष के ब च को श ा दान करने का माता- पता व
अ भभावक का कत जोड़ा गया। इस कार वतमान म 11 मूल कत है।

9. एकल नाग रकता :-

सामा यत: सं घ ा मक सं वधान म दोहरी नाग रकता ( थम सं घ क और तीय रा य क ) का ावधान होता है। जैसे अमे रका
म। परंतु भारतीय सं वधान नमाता ारा भारत क एकता और अखंडता सु न त रखने के उ े य से उसक सं घ ीय सं रचना के बावजूद एकल
नाग रकता का ावधान कया गया है। कोई भी सफ भारत का नाग रक होता है, कसी रा य का नह ।

10. क मता धकार :-

भारत म सं सद य शासन णाली अपनाई गई है और इस शासन णाली म जनता नवा चत त न धय के मा यम से शासन


करती ह। भारत म जन त न धय के नवाचन के लए क मता धकार णाली को अपनाया गया है। क मता धकार क मूल सं वधान म
यू नतम आयु 21 वष नधा रत थी परंतु 61व सं वधान सं शोधन अ ध नयम 1989 ारा अनु छे द 326 म मता धकार क यू नतम आयु 18 वष
कर द गयी। क मता धकार से ता पय है क जस भारतीय नाग रक ने मता धकार क यू नतम आयु 18 वष ा त कर ली है, को बना कसी
भेदभाव के मतदान करने का समान अ धकार ा त होगा।

11. सं वधान क सव चता :-

हमारे दे श म सं वधान को सव प र माना गया है य क सरकार के सभी अं ग जैसे कायपा लका, वधा यका और यायपा लका
तीन सं वधान से ही अपनी श यां ा त करते ह। टे न म सं सद को सव च माना गया है जब क अमे रका म यायपा लका को सव च माना
गया है। परंतु भारत म इन दोन से हटकर सं वधान को सव च थान दान कया गया है।

12. वतं यायपा लका :-

सं घ ा मक सं वधान होने के नाते सं घ और रा य के म य ववाद का समाधान और सं वधान क ा या करने का दा य व


यायपा लका पर होता है। इस लए यायपा लका का वतं एवं न प होना अ यं त आव यक है। भारतीय सं वधान ारा एक वतं
यायपा लका क थापना इसक एक महती वशे षता है। इसके लए सं वधान म यायाधीश क नयु , वेतन-भ े और पद से हटाने के प
ावधान कए गए ह जससे उन पर सरकार ारा कसी भी तरह का दबाव नह डाला जा सकता है।

13. कठोरता और लचीलापन का अनोखा म ण :-

सं वधान सं शोधन क से सं वधान कठोर और लचीले दोन कार के हो सकते है। जस सं वधान म सं वधान सं शोधन क
या ज टल हो उ ह कठोर सं वधान और जस सं वधान म सं वधान सं शोधन क या अ यं त सरल हो उ ह लचीले सं वधान कहा जाता है।
जैसे अमे रका के सं वधान म सं शोधन करना अ यं त कठोर है जब क टे न के सं वधान म सं शोधन करना अ यं त सरल है परंतु भारत के सं वधान
म कठोरता और लचीलापन का दोन का समावेश है। इससे यह ता पय है क भारत के सं वधान म कई अनु छे द म सरलता से सं शोधन कया
जा सकता है और कई अनु छे द म सं शोधन अ यं त कठोर है। भारतीय सं वधान म सं शोधन साधारण ब मत, वशे ष ब मत और वशे ष ब मत
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के साथ आधे से अ धक रा य के अनुसमथन ारा कया जा सकता है। इस कार सं वधान सं शोधन क तीन व धयां है।

14. क अ भमुख सं वधान :-

भारतीय सं वधान म सं घ ा मक स वधान के अनेक ल ण होने के साथ-साथ उसम एका मकता क वृ भी पाई जाती है। जैसे
एक नाग रकता, रा य म रा यपाल क नयु रा प त ारा कया जाना, आपातकालीन उपबंध, अ खल भारतीय से वाएं, नए रा य के नमाण
क सं सद क श आ द इन सभी ल ण के आधार पर यह दे खा जा सकता है क भारतीय सं वधान म क यकृत वृ पाई जाती है।

15. आपातकालीन उपबंध :-

सं कट काल के सं बंध म हमारे सं वधान म 3 तरह के आपातकालीन उपबंध का ावधान कया गया है।

(i) यु या बाहरी आ मण या सश व ोह क थ त म रा ीय आपातकाल ( अनु छे द 352 )

(ii) रा य म सं वैधा नक व था के भंग हो जाने पर रा प त शासन ( अनु छे द 356 )

(iii) व ीय सं कट उ प होने पर व ीय आपातकाल ( अनु छे द 360 )

आपातकालीन घोषणा का सबसे मुख भाव यह है क हमारा सं घ ा मक शासन एका मक हो जाता है।

16. पंथ नरपे ता :-

पंथ नरपे ता से ता पय है क क रा य कसी धम वशे ष को राजधम के प म मा यता दान नह करेगा ब क सभी धम को


तट थ भाव से समान सं र ण दान करेगा। भारतीय सं वधान म 42व सं वधान सं शोधन अ ध नयम 1976 ारा तावना म पंथ नरपे श द
का समावेश कया गया है।

17. समाजवाद :-

42व सं वधान सं शोधन अ ध नयम 1976 ारा भारतीय सं वधान क तावना म "समाजवाद " श द का समावेश कया गया है।
भारत का समाजवाद लोकतां क समाजवाद है जो पं डत जवाहरलाल नेह क अवधारणा पर आधा रत है। समाजवाद रा य से ता पय है क
उ पादन और वतरण के मुख साधन पर समाज अथात सरकारी नयं ण होना चा हए तथा दे श के भौ तक सं साधन का समानता के आधार
पर इस कार वतरण होगा क धन का सं क ण कुछ ही हाथ तक सी मत नह रहेगा।

18 . थानीय वशासन :-

भारत के सं वधान के अनु छे द 40 म ाम पंचायत के गठन का ावधान कया जाकर रा य से अपे ा क गई थी क रा य नकट
भ व य ाम पंचायत क थापना कर उ ह वाय ता दान करेगा जसक अनुपालना म 1959 म पंचायती राज क थापना क गई। जसे बाद
म 73व और 74व सं वधान सं शोधन ारा सं वैधा नक दजा दान कर पंचायती राज सं था को वाय ता एवं अ धकार दान कए गए।

19. व शां त का समथक :-

" वसु धव
ै कुटुं बकम" स ांत को अपनाते ए भारतीय सं वधान म व शां त का समथन कया गया है। सं वधान के अनु छे द 51 म
यह कहा गया है क रा य अं तररा ीय शां त और सु र ा एवं रा के बीच यायपूण और स मानजनक सं बंध क थापना करेगा। इस कार प
है क भारतीय सं वधान म व शां त को बढ़ावा दे ने क बात क गई है। सं वधान क भावना के अनु प भारत ने गुट नरपे ता क नी त और
पंचशील के स ांत को अपनाया ह।

20. या यक पुनरावलोकन एवं सं सद य सं भुता का सम वय:-

भारतीय सं वधान म सं सद य व था को वीकार कया गया है जसके तहत कानून नमाण े म सं सद सव च है। साथ ही सं सद
ारा न मत कानून का पुनरावलोकन करने क श सव च यायालय म न हत है जसके तहत सव च यायालय उस कानून का सं वधान के

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दायरे म रहकर पुनरावलोकन कर सकता है और अवैध पाए जाने पर स पूण कानून या उसके उस भाग को अवैध घो षत कर सकता है जो क
सं वधान का अ त मण करता हो। इस कार सं वधान म या यक पुनरावलोकन और सं सद य सं भुता का सम वय पाया जाता है।

21. लोक क याणकारी रा य क थापना का आदश :-

भारतीय सं वधान म नी त नदे शक त व के मा यम से यह प कया गया है क रा य लोक क याण क अ भवृ के लए


सामा जक व था का नमाण करेगा जसके तहत रा य नाग रक को पौ क भोजन, आवास, व , श ा एवं वा य क सु वधाएं उपल ध
कराएगा। साथ ही रा य नाग रक के जीवन तर को ऊंचा उठाने का यास करेगा, पयावरण का सं र ण करेगा, आ थक समानता लाने का
यास करेगा आ द।

22. अ पसं यक एवं पछड़े वग के क याण क वशे ष व था :-

भारतीय सं वधान म अ पसं यक के हत क र ा के लए अनु छे द 29 के तहत भाषा, ल प और सं कृ त को सु र त रखने के


रखने का अ धकार दया गया है। साथ ही अनु छे द 30 के अनुसार अ पसं यक वग को अपनी श ण सं था क थापना करने और उनका
सं चालन करने का अ धकार भी दया गया है। अनुसू चत जा त, अनुसू चत जनजा त और अ य पछड़ा वग को अनु छे द 15(4) एवं 16(4) के
तहत सरकारी से वा म आर ण का ावधान कया गया है। वतमान म अनुसू चत जा त को 15%, अनुसू चत जनजा त को 7.5% और अ य
पछड़ा वग को 27% आर ण दया गया। इसके अलावा वष 2019 म सामा य वग के पछड़े लोग के लए 10% आर ण का ावधान भी
कया गया है। सं वधान के अनु छे द 330 के अनुसार लोकसभा म और 332 के अनुसार वधानसभा म अनुसू चत जा त और अनुसू चत
जनजा त के लोग को त न ध व दान करने के लए थान आर त कए गए है।

23. एका मक और सं घ ा मक त व का अ त
ु सं योग :-

भारतीय सं वधान म एका मक व था के त व के साथ-साथ सं घ ा मक व था के त व का भी उ ले ख ह। जैसे सं घ ा मक


व था के तहत श य का वभाजन, वतं व न प यायपा लका, सं वधान क सव चता का ावधान है। इसी कार एका मक व था
के त व के तहत एकल नाग रकता, रा यपाल क नयु , सं वधान सं शोधन म क ारा, श य का वभाजन क के प म, आपातकालीन
श यां आ द का ावधान है। इस कार हम कह सकते है क सं वधान म एका मक और सं घ ा मक त व का अ त ु सं योग है।

सं प
े म भारत का सं वधान जनता क भुस ा के मूल स ांत पर आधा रत है तथा भारतीय जनता क वा त वक एकता का
तीक है। भारतीय सं वधान के व प और वशे षता से प है क भारत का सं वधान एक ऐसा आदश ले ख है जसम स ांत और
वहा रकता का े सम वय है।

तावना
तावना ारा भारतीय सं वधान के उ े य और ल य को प कया गया है।

तावना से संबं धत मह वपूण त य इस कार है :-

सं वधान सभा क थम बैठक : 9 दसं बर 1946

सं वधान सभा क ा प स म त का गठन : 29 अग त 1947

तावना को अं गीकृत करना : 26 नवंबर 1949

तावना का ोत : सं वधान सभा का उ े य ताव एवं ऑ े लया का सं वधान

तावना सं वधान क राजनी तक ज मप ी है। : के.एम. मुश


ं ी

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तावना सं वधान क मूल आ मा है : यायमू त हदायतु ला

तावना म सं शोधन : अब तक एक बार 42व सं वधान सं शोधन अ ध नयम 1976 ारा

42व सं वधान सं शोधन अ ध नयम 1976 ारा तावना म जोड़े गए श द : "समाजवाद ", "पंथ नरपे ", "और अखंडता"

सं वधान क तावना
हम भारत के लोग, भारत को संपण
ू भु व संप , समाजवाद , पंथ नरपे , लोकतं ा मक गणरा य बनाने के लए तथा उसके
सम त नाग रक को ;

सामा जक, आ थक और राजनी तक याय;

वचार, अ भ , व ास, धम और उपासना क वतं ता;

त ा और अवसर क समता;

ा त कराने के लए तथा उन सब म क ग रमा और रा क एकता और अखंडता सु न त करने वाली बंधुता बढ़ाने के लए

ढ़सं क प होकर अपनी इस सं वधान सभा म आज दनांक 26 नवंबर 1949 ई. ( म त मागशीष शु ल स तमी सं वत दो हजार छह
व मी ) को एतद् ारा इस सं वधान को अंगीकृत, अ ध नय मत और आ मा पत करते ह।"

तावना क ववेचना या तावना का सार :-


तावना क ववेचना या तावना के सार को न न ल खत तीन भाग से प कया जा सकता है :-

(A.) घोषणा मक भाग :-


" हम भारत के लोग "

भारतीय सं वधान क तावना का आरंभ "हम भारत के लोग" श द से आ है जसका ता पय है क सं वधान का नमाण
भारत क जनता ने अथात जनता ारा चुने गए त न धय ने कया है और जनता ही सव प र एवं सं भु है। सरकार और उसके व भ अं ग
को ा त श य का ोत जनता है। "हम भारत के लोग" श द सं यु रा सं घ के चाटर क तावना म यु "हम सं यु रा सं घ के लोग" के
सम प है।

(B.) उ े या मक भाग :-
उ े या मक भाग ारा यह नधा रत कया गया है क भारतीय शासन के या - या उ े य ह गे :-

1. संपण
ू भु व संप :-

इससे ता पय है क हमारा दे श अपने आंत रक एवं बा मामल म पूणत: वतं ह अथात कोई भी अ य दे श भारत के मामल म
हत प
े नह कर सकता है।

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2. समाजवाद :-

समाजवाद श द से आशय है क उ पादन एवं वतरण के साधन पर समाज अथात सरकार का नयं ण होगा और भौ तक
सं साधन का वतरण इस कार होगा क धन का सं क ण कुछ हाथ तक ही सी मत नह रहेगा।

भारतीय समाजवाद नेह जी क लोकतां क समाजवाद क अवधारणा पर आधा रत है। इसम समाज के कमजोर एवं पछड़े वग के जीवन
तर को ऊंचा उठाने और आ थक वषमता को र करने के लए म त अथ व था को अपनाया गया है।

तावना म "समाजवाद " श द का समावेश 42व सं वधान सं शोधन अ ध नयम 1976 ारा कया गया है अथात मूल तावना म समाजवाद
श द का उ ले ख नह था।

3. पंथ नरपे :-

पंथ नरपे रा य से ता पय ऐसे रा य से ह जो कसी धम वशे ष को न तो राजधम के प म मा यता दान करता है और न ही धम


के आधार पर कसी भेदभाव को बढ़ावा दे ता है। भारतीय सं वधान क मूल तावना म "पंथ नरपे " श द का उ ले ख नह था। इसे 42व
सं वधान सं शोधन अ ध नयम 1976 ारा तावना म जोड़ा गया है।

4. लोकतं ा मक :-

लोकतं से आशय है क जनता का शासन।

अ ाहम लकन के श द म, "जनता का, जनता के लए, जनता ारा था पत शासन लोकतं है।" सं वधान ारा हमारे दे श म भी लोकतं ा मक
शासन णाली को अपनाया गया है जसम जनता अपने ारा चुने ए जन त न धय के मा यम से शासन चलाती है और यह त न ध जनता
के त अपने काय के लए उ रदायी होते ह।

5. गणरा य :-

गणरा य अथात जनता का रा य।

भारत का रा या य / सव च पदा धकारी / रा प त वंशानुगत न होकर अ य प से जनता ारा नवा चत होता है। इस कार भारत
के सम त नाग रक समान है तथा कोई भी कसी भी लोक पद को ा त करने हेतु नवा चत हो सकता है।

(C.) ववरणा मक भाग :-


ववरणा मक भाग म याय, वतं ता, समानता, एकता व अखंडता था पत करने का उ ले ख कया गया है।

1. याय :-
तावना म तीन तरह के याय सामा जक, आ थक और राजनी तक याय सु न त करने का सं क प लया गया है।

सामा जक याय :-

इससे आशय ह क कसी भी के साथ धम, जा त, मूलवंश, न ल, लग व रंग के आधार पर भेदभाव नह कया जाएगा।

आ थक याय :-

इससे आशय ह क रा य सभी नाग रक को आजी वका के साधन उपल ध कराने के लए समान अवसर दान करेगा तथा भौ तक
सं साधन का वतरण इस कार करेगा क सभी का हत सं भव हो सके।

राजनी तक याय :-
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इससे ता पय है क सभी नाग रक समान प से रा य के काय म भाग ले सकते ह। इसके तहत सभी को क मता धकार का
अ धकार, चुनाव लड़ने का अ धकार, शासन क आलोचना करने का अ धकार, कसी भी दल का चार- सार करने का अ धकार आ द दान
कए गए ह।

2. वतं ता :-
भारतीय सं वधान म नाग रक को वचार, अ भ , व ास, धम और उपासना क वतं ता दान क गई है। सं वधान के
अनु छे द 19 से 22 तक व भ कार क वतं ता का उ ले ख कया गया है।

3. समानता :-
तावना म सभी नाग रक को त ा एवं अवसर क समानता का उ ले ख कया गया है। सं वधान के अनु छे द 14 से 18 तक के
वभ कार क समानता का वणन कया गया है।

4. बंधु व :-
तावना म नाग रक के म य क ग रमा और रा क एकता व अखंडता सु न त करने वाली बंधत
ु ा बढ़ाने का सं क प लया
गया है।

5. रा क एकता एवं अखं डता :-


सं वधान नमाता ने हमारे दे श क धम/ े / भाषा/ ल प/ सं कृ त आ द से स बं धत व वधता को म य नजर रखते ए एक
भारत अखंड भारत क सं क पना को साकार करने का सं क प लया गया है।

"अखंडता" श द सं वधान क मूल तावना म नह था। इसे 42व सं वधान सं शोधन अ ध नयम 1976 ारा तावना म जोड़ा गया।

भारतीय सं वधान क तावना म जन उ े य और ल य का सं क प लया गया है, उनक ा या सं वधान म मूल अ धकार ,
नी त नदे शक त व एवं मूल कत म क गई है। इस कार प है क तावना सं वधान का सार है। साथ ही तावना सं वधान का अं ग भी
है और सं वधान क ा या म तावना अ यं त उपयोगी है।

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ख ड - ब Unit - I भारतीय सं वधान

Lesson – 2 मूल अ धकार, नी त- नदशक त व और मूल कत

यायधीश स ू के श द म - "सं वधान म मूल अ धकार को रखने का उ े य नाग रक को समानता, वतं ता, याय एवं सु र ा दान करना
था।"

मूल अ धकार या है :-

ऐसे अ धकार जो के सवागीण वकास के लए अ नवाय होने के कारण कसी दे श के सं वधान ारा उस दे श के नाग रक
को ा त दान कए जाते है, मूल अ धकार कहलाते है।

ाकृ तक अ धकार :-

ऐसे अ धकार जो कसी को कृ त का सद य होने के नाते ा त होते ह, ाकृ तक अ धकार कहलाते है।

मूल अ धकार क आव यकता या मह व :-

कसी दे श के सं वधान ारा नाग रक को मूल अ धकार दान कए जाने के कारण न न ल खत है :-

1. ये क क सु र ा :-

सं वधान द मूल अ धकार का रा य ारा हनन नह कया जा सकता है इस लए के शारी रक, मान सक, नै तक एवं
अयप के वकास क सु र ा मूल अ धकार से क जा सकती है।

2. रा य क वे छाचा रता पर रोक :-

मूल अ धकार रा य को ऐसी व ध बनाने से रोकती है जो य के अ धकार को छ नती है या कम करती है। इस कार मूल
अ धकार सामा य कानून से ऊपर है। यह शासन क मनमज और तानाशाही वृ पर रोक लगाने का काय करता है।

3. या यक सु र ा :-

मूल अ धकार को यायालय का सं र ण ा त है। य द कसी के मूल अ धकार का हनन होता है तो यायालय क शरण ली
जा सकती है।

4. लोकतं का आधार तं भ :-

लोकतं अथात लोग का शासन।

जब तक लोग को अ धकार ा त नह ह गे तब तक उनके शासन क क पना भी नह क जा सकती। इस लए मूल अ धकार लोग को


अ धकार दे ने के लए आव यक है।

5. समानता के कारक :-

मूल अ धकार सभी य को समान प से ा त होते ह। इनके तहत वशे षा धकार को समा त कर समानता था पत क जाती
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है। भारतीय सं वधान म अनु छे द 14 से 18 तक समानता के अ धकार का उ ले ख कया गया है।

इस कार प है क मूल अ धकार के जीवन के लए अ यं त मह वपूण है।

मूल अ धकार से संबं धत कुछ मह वपूण त य :-

मूल अ धकार का सव थम वकास टे न म आ।

स ाट जॉन ारा 1215 ई. म जारी मै नाकाटा मूल अ धकार सं बंधी सव थम ल खत द तावेज है।

भारतीय सं वधान सभा ारा सरदार व लभ भाई पटे ल क अ य ता म मूल अ धकार स म त का गठन कया गया त प ात जे. बी. कृपलानी क
अ य ता म एक उप स म त का गठन कया गया जसक सफा रश के आधार पर भारतीय सं वधान के भाग - 3 म अनु छे द 12 से 35 तक
मूल अ धकार सं बंधी ावधान कया गया।

 मूल अ धकार अमे रक सं वधान के " बल ऑफ राइट् स" से े रत है।

 भारतीय सं वधान के भाग - 3 म मूल अ धकार का उ ले ख कया गया है।

 भारतीय सं वधान के अनु छे द 12 से 35 तक कुल 23 अनु छे द म मूल अ धकार का उ ले ख कया गया है।

 केवल नाग रक को ा त मूल अ धकार - 15, 16, 19, 29 एवं 30

 वदे शय को ा त मूल अ धकार - 14, 20, 21, 22, 23, 24, 25, 26, 27, 28

मूल सं वधान म 7 मूल अ धकार दान कए गए थे परंतु 44व सं वधान सं शोधन अ ध नयम 1978 ारा सं प के मूल अ धकार को
वलो पत कर उसे अनु छे द 300(क) ारा कानूनी अ धकार का व प दान कया गया।

वतमान म न न मूल अ धकार नाग रक को ा त है :-

1. समानता का अ धकार ( अनु छे द 14 से 18 )

2. वतं ता के अ धकार (अनु छे द 19 से 22 )

3. शोषण के व अ धकार ( अनु छे द 23 व 24 )

4. धा मक वतं ता का अ धकार ( अनु छे द 25 से 28)

5. सं कृ त एवं श ा का अ धकार ( अनु छे द 29 व 30 )

6. सं वैधा नक उपचार का अ धकार ( अनु छे द 32 )

A. समानता के अ धकार ( अनु छे द 14 से 18 ) :-


भारतीय सं वधान के भाग - 3 म अनु छे द 14 से 18 तक समानता के अ धकार दान कए गए ह जो इस कार ह :-

1. अनु छे द 14 - व ध के सम समता तथा व धय का समान संर ण :-

अथात सभी कानून के सम समान है और सभी को बना कसी भेदभाव के कानून का समान प से सं र ण ा त होगा।

2. अनु छे द 15 - धम, मूलवंश, जा त, लग या ज म थान के आधार पर भे दभाव नषेध।

अथात उपयु कारण के आधार पर कसी भी के साथ कसी भी कार का भेदभाव नह कया जा सकता है। यह मूल
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अ धकार केवल नाग रक को ा त है।

3. अनु छे द 16 - लोक नयोजन म अवसर क समानता :-

अथात रा य धम, मूलवंश, जा त, लग, ज म थान, उ व और नवास के आधार पर सरकारी नौक रय म सभी को समान
अवसर उपल ध कराएगा। अपवाद - नौक रय और श ण सं था म वेश पर अनुसू चत जा त, अनुसू चत जनजा त और अ य पछड़ा वग
को आर ण।

यह मूल अ धकार भी केवल नाग रक को ही ा त है।

4. अनु छे द 17 - अ पृ यता का अंत :-

इस अनु छे द के ारा जा त के आधार पर कसी को अ पृ य माने जाने को दं डनीय अपराध घो षत कया गया है।
अ पृ यता नवारण अपराध अ ध नयम 1955 ारा अ पृ यता के अपराध के लए ₹500 का जुम ाना या 6 माह क कारावास या दोन दं ड का
ावधान कया गया है।

5. अनु छे द 18 - उपा धय का अंत :-

इस अनु छे द के तहत रा य को उपा धयाँ दान करने एवं नाग रक व अनाग रक को उपा धय हण करने से तषे ध
कया गया है। इस अनु छे द के तहत :-

(i) रा य से ना एवं व ा सं बंधी उपा ध के अलावा अ य कोई उपा ध दान नह करेगा।

अपवाद - भारत र न स मान एवं पदम पु कार ।

(ii) कोई भी नाग रक वदे शी रा य से रा प त क अनुम त के बना उपा ध हण नह करेगा।

(iii) कोई भी वदे शी जो भारत म लाभ / व ास के पद पर कायरत हो, वह भी रा प त क अनुम त के बना वदे शी रा य से कोई भी उपा ध
हण नह करेगा।

यह अनु छे द सामा जक जीवन म भेदभाव बढ़ाने वाले वशे षा धकार को समा त करने का यास करता है। यह अनु छे द सफ नदशा मक है,
आदे शा मक नह अथात इसका उ लं घन दं डनीय नह है।

B. वतं ता का अ धकार ( अनु छे द 19 से 22 )


1. अनु छे द 19 :-

अनु छे द 19(1) के तहत केवल दे श के नाग रक को 6 मूलभूत वतं ताएं दत है जो इस कार ह :-

(i) वाक् एवं अ भ क वतं ता।

(ii) शां तपूण एवं अ -श र हत स मेलन क वतं ता।

(iii) सं घ या सं गठन बनाने क वतं ता।

(iv) भारत के सं पूण रा य े म आने जाने क वतं ता।

(v) भारत रा य े म कह भी नवास करने एवं बसने क वतं ता।

(vi) कोई भी वृ त, आजी वका, ापार या कारोबार करने क वतं ता।

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मूल सं वधान म 7 वतं ता का उ ले ख था परंतु 44व सं वधान सं शोधन अ ध नयम 1978 ारा सं प के अजन, धारण एवं
य करने के अ धकार क वतं ता वलो पत कर द गई।

अनु छे द 19(2) म इन सं था पर आरो पत तबंध का उ ले ख कया गया है जो क भारत क एकता व अखंडता, रा ीय सु र ा,


वदे शी रा य के साथ मै ीपूण सं बंध के हत म, यायालय क अवमानना, अपराध के लए उ े जत करने, अनुसू चत जनजा तय के हत के
सं र ण म आ द के आधार पर लगाए गए ह।

अपवाद - ज मू क मीर म भारत के अ य रा य के नवासी न तो अचल सं प त खरीद सकते ह और न ही थायी प से बस सकते ह।

2. अनु छे द 20 - अपराध के लए दोष स के वषय म सरं ण :-

इस अनु छे द के तहत न न ावधान कए गए ह :-

(i) कसी को उसके कसी काय के लए तब तक दोष स नह कया जा सकता जब तक क उसके काय के ारा उस समय के कसी
कानून का उ लं घन नह आ हो अथात मेर े ारा भूतकाल म कए गए कसी काय से उस समय के कसी कानून का उ लं घन नह होता है परंतु
वतमान म उसी काय को नषे ध करने हेतु कानून बना दया गया है तो मुझे भूतकाल म कए गए उस काय पर आज के सं दभ म दोषी सा बत नह
कया जा सकता है।

(ii) कसी को एक ही अपराध के लए एक से अ धक बार अभीयो जत एवं दं डत नह कया जा सकता। य द कसी को


अ भयोजन के उपरांत दं ड नह मला है तो उसे पुन: अ भयो जत एवं अपराध सा बत होने पर दं डत कया जा सकता है।

(iii) कसी को वयं अपने व सा य दे ने के लए ववश नह कया जा सकता है। इसी अनु छे द के आधार पर नारको ट स, पॉली ाफ
एवं ेन टग जैसे परी ण पर तबंध लगाया गया है। इस वतं ता को आपातकाल म भी नलं बत नह कया जा सकता है।

3. अनु छे द 21 - ाण एवं दै हक वतं ता का अ धकार :-

इसके तहत कसी भी को व ध ारा था पत या के अलावा ाण एवं दै हक वतं ता से वं चत नह कया जा सकता


है।

मेनका गांधी बनाम भारत सं घ (1978) वाद के नणय उपरांत इस अनु छे द के अं तगत वे सभी वतं ताएं आ जाती ह जो के जीवन
के लए अ नवाय और अनु छे द-19 म स म लत नह है। मेनका गांधी वाद 1978 म उ चतम यायालय ने अनु छे द 21 के भाग के पम
न न ल खत अ धकार क घोषणा क :-

 मानवीय त ा के साथ जीने का अ धकार

 नजता का अ धकार

 वा य का अ धकार

 14 वष से कम उ के ब च को न:शु क श ा का अ धकार

 दे र ी से फां सी के व अ धकार

 वदे श या ा करने का अ धकार

 सू चना का अ धकार

 त ा का अ धकार

 व छ पयावरण का अ धकार

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 जीवन र ा का अ धकार

 हथकड़ी लगाने के व अ धकार

 आपातकालीन च क सा सु वधा का अ धकार

अनु छे द-20 क तरह इसे भी आपातकाल म नलं बत नह कया जा सकता है।

4. अनु छे द-22 : कुछ दशा म गर तारी एवं नजरबंद म संर ण :-

यह अनु छे द गर तार कये गए के अ धकार और वतं ता से सं बं धत है। इसके अं तगत गर तार कए गए को


न न ल खत अ धकार ा त है :-

i. गर तारी का कारण जानने का अ धकार।

ii. अपनी इ छानुसार अ धव ा से परामश ले ने और बचाव का अ धकार।

iii. गर तारी से 24 घंटे के भीतर (या ा समय को छोड़कर) नकटतम म ज े ट के सम पेश कए जाने का अ धकार।

नवारक नजरबंद :-

नवारक नजरबंद से ता पय है क कसी को बना कसी या यक या के नजरबंद करना।

यह एक नवारणा मक कायवाही है जो कसी को अपराध करने से रोकती है। इसके तहत को सामा य या यक या से
हटकर सं देह के आधार पर गर तार कर नजरबंद कर दया जाता है।

नवारक नजरबंद म गर तार के सं बंध म न न ावधान है :-

i. नवारक नजरबंद के तहत कसी भी को 3 माह तक नजरबंद रखा जा सकता है।

ii. गर तारी आदे श के व अ यावेदन का अवसर दान कया जाता है।

iii. तीन माह से अ धक समय क नजरबंद उस थ त म क जा सकती है, जब उ च यायालय के एक यायाधीश स हत ग ठत सलाहकार
बोड से अनुम त मल चुक हो।

नवारक नजरबंद से संबं धत अ ध नयम :-

1. रा ीय सुर ा अ ध नयम 1980 :-

" रासु का " के नाम से स यह अ ध नयम 1980 म अ यादे श के प म लाया गया जसे 1981 म कानून का दजा ा त
आ और जून 1984 म इसम सं शोधन कर और अ धक कठोर बना दया गया।

इसका उ े य दे श क एकता, अखंडता और सं भुता को खतरा पैदा करने वाले या सा दा यक या जा तय दं ग को े रत करने वाले य
को नजरबंद करना है।

ावधान :-

(i) इस अ ध नयम के तहत नजरबंद कए गए क नजरबंद के आदे श क अव ध ख म होने या नजरबंद आदे श र होने या नजरबंद
आदे श वापस लए जाने पर नया नजरबंद आदे श जारी कर पुन: नजरबंद कया जा सकता है।

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(ii) नजरबंद के हर कारण पर अदालत को अलग-अलग वचार करके फैसला करना होगा।

(iii) ज मू क मीर को छोड़कर सं पूण भारत म लागू।

(iv) क एवं रा य दोन सरकार को यह अ ध नयम श दान करता है।

गर तारी कसक ? :-

यह अ ध नयम सरकार को उस (नाग रक / अनाग रक / वदे शी ) को गर तार करने क श दान करता है जससे यह लगे क :-

(i) कोई कानून व था को सु चा प से चलाने म बाधा पैदा कर रहा है।

(ii) कोई आव यक से वा क आपू त म बाधा बन रहा है।जैसे जमाखोर।

(iii) कोई अवैध प से दे श म रह रहा है।

2. वदे शी मु ा सं र ण एवं त करी नवारण अ ध नयम 1974

3. गैरकानूनी ग त व धयां ( नवारण) अ ध नयम 2004 :-

यह कानून मूलत: 1967 म बनाया गया जसे 2004 म पोटा ए ट-2002 कानून को समा त कर अ यादे श के प म लागू कया
गया। इसे 31 दसं बर 2008 को रा प त के अनुम ोदन के उपरांत कानूनी कानूनी दजा ा त आ।

C. शोषण के व अ धकार ( अनु छे द 23 व 24 ):-


1. अनु छे द-23 : मानव का ापार एवं बेगार पर तषेध :-

मानव ापार के तहत न न काय तषे ध कए गए ह :-

(i) दास था

(ii) बेगार

(iii) मनु य का व तु क भां त य- व य

(iv) य एवं ब च का अनै तक ापार

(v) बंधआ
ु मज री

सं वधान म अ पृ यता के बाद द डनीय माने जाने वाला यह सरा काय है। उपयु अपराध के लए सं सद को कानून बनाने क
श दान क गई है और इस श का योग करते ए सं सद ने न न कानून बनाए है :-

(i) बंधआ
ु मज री णाली उ मूलन अ ध नयम-1976

(ii) म हला एवं बाल ापार नवारण अ ध नयम-1986

2. अनु छे द-24 : बाल म नषेध :-

इस अनु छे द के तहत 14 वष से कम आयु के बालक को कारखान , खान या जो खम यु काय म नयोजन को नषे ध कया
गया है। इसके तहत बालक म ( तषे ध एवं व नयमन ) अ ध नयम-1986 बना आ है। इस अ ध नयम के अनुसार खतरनाक काय क सू ची
म शा मल 13 वसाय म से कसी भी वसाय म 14 वष से कम आयु के बालक का नयोजन अपराध है। इस अपराध के लए 3 माह से 1

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वष तक का कारावास और 10000 से 20000 पये तक का जुम ाना या दोन कार का दं ड दया जा सकता है।

D. धा मक वतं ता के अ धकार (अनु छे द 25 से 28) :-


1. अनु छे द 25 :-

अं त:करण क वतं ता एवं कसी भी धम को मानने, आचरण करने और उसका चार करने क वतं ता।

2. अनु छे द 26 :-

धा मक मामल के बंधन क वतं ता।

यह वतं ता को न होकर धा मक सं दाय एवं सं था को ा त है।

3. अनु छे द 27 :-

धा मक काय के अ भवृ म कर से मु ।

इसके तहत धा मक काय म दान करने पर उ धनरा श को सभी कार के कर से मु रखा जाएगा।

4. अनु छे द 28 :-

राजक य श ण सं था म धा मक श ा पर तबंध।

(i) रा य न ध से पूणत: पो षत श ण सं था म धा मक श ा नषे ध।

(ii) रा य न ध से अं शतः पो षत श ण सं था म या बालक के अ भभावक क सहम त के बना धा मक श ा या उपासना म


भाग ले ने पर तबंध।

E. श ा एवं सं कृ त संबध
ं ी अ धकार ( अनु छे द 29 व 30 ) :-
1. अनु छे द 29 :-

अ पसं यक वग के हत का संर ण।

(i) इसके तहत ये क नाग रक को अपनी वशे ष भाषा, ल प एवं सं कृ त को बनाए रखने का अ धकार है।

(ii) कसी भी नाग रक को कसी भी श ण सं था ( रा य ारा पूणत: या अं शतः पो षत ) म वेश दे ने से वं चत नह


कया जा सकता है।

2. अनु छे द 30 :-

अ पसं यक वग को श ण सं था क थापना एवं उ ह संच ा लत करने का अ धकार।

F. अनु छे द 32:-

संवध
ै ा नक उपचार का अ धकार।
इस अनु छे द के तहत उ चतम यायालय को मूल अ धकार का सं र क घो षत कया गया है।

इस अनु छे द के अनुसार य द कसी के मूल अ धकार का हनन होता है तो वह या कोई सं था इनके उपचार के लए उ चतम
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यायालय एवं उ च यायालय म से कसी भी यायालय म शरण ले सकता है।

अनु छे द 32 के तहत उ चतम यायालय को और अनु छे द 226 के तहत उ च यायालय को मूल अ धकार क र ा हेतु न न पांच तरह के
ले ख जारी करने क श दान क गई है :-

1. बंद य ीकरण

2. परमादे श

3. तषे ध

4.उ े षण ले ख

5. अ धकार पृ छा

डॉ भीमराव अं बेडकर ने सं वैधा नक उपचार के अ धकार को सं वधान क आ मा कहा है।

उनके श द म, " य द कोई मुझसे यह पूछे क सं वधान का वह कौन-सा अनु छे द है जसके बना सं वधान शू य ाय: हो जाएगा तो म अनु छे द
32 क ओर सं केत क ँ गा। यह अनु छे द तो सं वधान का दय और आ मा है।

1. बंद य ीकरण ( Habeas Corpus ) :-

इसका शा दक अथ है :- को तु त कया जाए।

यह ले ख उस या उसक ओर से कसी भी क तु त ाथना पर जारी कया जाता है जसे लगता हो क उसे अवैध प से बंद
बनाया गया है। इस ले ख के ारा यायालय सं बं धत अ धका रय को यह आदे श दे ता है क बंद बनाए गए को न त समय एवं थान पर
यायालय म द तावेज स हत तु त कया जाए ता क उसक गर तारी क वैधता और अवैधता को जांचा जा सके। य द यायालय जांच म यह
पाए क को अवैध प से गर तार कया गया है तो उसे त काल मु करने का आदे श दे ता है।

2. परमादे श ( Mandamus ) :-

शा दक अथ है :- हम आदे श दे ते ह।

इस ले ख के तहत उस पदा धकारी को कत का पालन करने का आदे श दया जाता है जो अपने कत का समु चत पालन नह कर रहा है।

3. तषेध ( Prohibition ) :-

शा दक अथ है :- मना करना।

यह ले ख उ चतम यायालय एवं उ च यायालय ारा अपने अधीन थ यायलय एवं अ - या यक अ धकरण के व तब जारी कया जाता
है, जब अधीन थ यायालय म कोई कायवाही चल रही है अथात अधीन थ यायालय को कायवाही रोकने हेतु यह ले ख जारी कया जाता है।

4. उ ेषण लेख ( Certiorari ) :-

शा दक अथ है :- पूणतया सू चत क जए।

यह ले ख भी उ चतम यायालय और उ च यायालय ारा अपने अधीन थ यायालय एवं अ - या यक अ धकरण के व तब


जारी कया जाता है, जब कसी या यक काय म नणय दया जा चुका हो। इस ले ख के ारा मामल को अधीन थ यायालय से उ च यायालय
म भेजने का नदश दया जाता है।

तषे ध और उ े षण ले ख तभी जारी कया जाता है जब उ च म यायालय या उ च यायालय को यह लगे क या यक कायवाही अधीन थ
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यायालय के अ धकार े से बाहर है और ाकृ तक याय के स ांत क पालना नह हो रही है।

तषेध एवं उ ेषण म अंतर :-

i. तषे ध ले ख लं बत मामले क कारवाही के दौरान जारी कया जाता है जब क उ े षण ले ख कारवाही क समा त पर नणय को र
करने हेतु जारी कया जाता है।

ii. तषे ध कायवाही को रोकता है जब क उ े षण मामले को उ च तर के यायालय म भेजता है।

तषेध एवं उ ेषण म समानता :-

i. दोन ही ले ख व र यायलय ारा अधीन थ यायालय को जारी कया जाता है।

ii. दोन ही ले ख कायपा लका, वधा यका एवं शास नक अ धका रय के व जारी नह कया जा सकता है।

5. अ धकार पृ छा ( The Writ of Quo-Warranto ) :-

शा दक अथ है :- आपका या ा धकार है।

यह ले ख ऐसे के व जारी कया जाता है जो कसी "लोकपद" को अवैध प से धारण कए ए ह। इस ले ख के मा यम से


यायालय उससे यह पूछता है क आप कस ा धकार से यह पद धारण कए ह। य द वह उसका सं तोषजनक उ र नह दे ता है तो यायालय उसे
पद से हटाकर उस पद को र घो षत कर सकता है।

इस ले ख के लए कोई भी यायालय म आवेदन कर सकता है। उसका उस पद से हतब पद होना या उस पद का दावेदार होना
आव यक नह है।

मूल अ धकार का मू यांकन :-


मूल अ धकार के प म तक :-

1. मूल अ धकार के अभाव म वतं ता का कोई मू य नह है।

2. मूल अ धकार वहा रकता एवं वा त वकता पर आधा रत है।

3. मूल अ धकार के ारा अनुसू चत जा त, अनुसू चत जनजा त एवं अ य पछड़ा वग के हत को वशे ष प से सं र ण दान कया
गया है।

4. मूल अ धकार लोकतं क सफलता का आधार ह।

5. मूल अ धकार सावभौ मक, मूलभूत एवं पूण है।

मूल अ धकार के वप म तक :-

1. मूल अ धकार पर अ य धक तबंध लगा दए गए ह।

2. आपातकाल के साथ-साथ शां तकाल म भी मूल अ धकार का थगन शासन क तानाशाही वृ को दशाता है।

3. सं सद मूल अ धकार को समा त करने सं बंधी कानून बना सकती है।

4. ावहा रक से मूल अ धकार पर तबंध राजनी तक वरो धय के वर को दबाने के लए कया जाता रहा है।

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5. मूल अ धकार के तहत अनुसू चत जा त, अनुसू चत जनजा त एवं अ य पछड़ा वग के लए वशे ष आर ण क व था का योग वोट
बक क राजनी त के लए हो रहा है।

6. म हला , ब च , कमजोर वग आ द के शोषण के व कानून बने ए ह फर भी वहा रक प से उनका शोषण अब तक नह


रोका जा सका है।

7. मौ लक अ धकार को या यक सु र ा दान है परंतु या यक या के अ यं त लं बी, ज टल एवं खच ली होने के कारण आम नाग रक


के हत का सं र ण नह हो पा रहा है।

नी त नदशक त व :-
नी त नदशक त व से संबं धत मह वपूण त य :-

 नी त नदशक त व आयरलड के सं वधान से लए गए ह।

 नी त नदशक त व सं वधान के भाग-4 म अनु छे द 36 से 51 म उ ले खत है।

 नी त नदशक त व का उ े य सामा जक एवं आ थक जातं क थापना कर क याणकारी रा य क थापना करना है।

 नी त नदशक त व शासन / सरकार से सं बं धत है।

डॉ राज साद के अनुसार, "रा य नी त नदशक त व का उ े य जनता के क याण को ो सा हत करने वाली सामा जक व था का नमाण
करना है।"

अनु छे द 37 के अनुसार नी त नदे शक त व वाद यो य नह है अथात यह यायालय म वतनीय नह है।

अ ययन क सु वधा क से नी त नदशक त व का न न ल खत चार वग म वभाजन कया जा सकता है :-

A. आ थक सु र ा से सं बं धत नी त नदशक त व

B. सामा जक सु र ा से सं बं धत नी त नदशक त व

C. पंचायती राज, ाचीन मारक एवं यायपा लका से सं बंधी नी त नदशक त व

D. अं तरा ीय शां त एवं सु र ा सं बंधी नी त नदशक त व

A. आ थक सुर ा संबध
ं ी नदशक त व :-
1. अनु छे द 38 के तहत :-

(i) लोक क याण क अ भवृ हेतु रा य ऐसी सामा जक व था क थापना का यास करेगा जससे ये क को सामा जक, आ थक
एवं राजनी तक याय क ा त सु न त हो सके।

(ii) रा य त ा एवं अवसर क असमानता समा त करने का यास करेगा।

2. अनु छे द 39 के तहत :-

(i) ी एवं पु ष को समान प से जी वका के साधन उपल ध कराने का यास करेगा।

(ii) रा य दे श के भौ तक सं साधन के वा म व एवं वतरण क ऐसी व था करेगा जससे सभी को सावज नक हत हो।

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(iii) रा य ऐसी व था करेगा क सं प एवं उ पादन के साधन का क करण न हो।

(iv) ी-पु ष को समान काय के लए समान वेतन।

(v) मक और बालक को ऐसा रोजगार न करना पड़े जो उनके वा य, श एवं आयु के अनुकूल न हो।

(vi) रा य ब च और यु वक क शोषण से तथा नै तक व आ थक प र याग से र ा करेगा।

(vii) रा य कमजोर वग को न:शु क व धक सहायता क व था करेगा।

3. अनु छे द 41 के तहत :-

(i) सभी नाग रक को यो यता अनुसार रोजगार एवं श ा ा त हो।

(ii) बेकारी, बुढ़ापा, बीमारी, असमथता आ द दशा म सावज नक सहायता ा त हो।

4. अनु छे द 42 के तहत :-

(i) रा य काम क मानवो चत एवं अनुकूल दशा का बंध करेगा।

(ii) य को सू ताव था म काय न करना पड़े।

5. अनु छे द 43 के तहत :-

i. रा य ऐसी व था कर जससे मक को यथो चत वेतन मले , उनका जीवन तर ऊंचा उठ सके एवं अवकाश के समय का उ चत
उपयोग हो।

ii. रा य कुट र उ ोग को ो साहन दे ।

6. अनु छे द 43 (क) के तहत :-

रा य औ ो गक सं थान के बंधन म कमचा रय को भागीदार बनाने के कदम उठाएं।

7. अनु छे द 48 के तहत :-

(i) रा य कृ ष एवं पशु पालन को आधु नक व वै ा नक बनाने का यास करेगा।

(ii) धा एवं वाहक पशु क न ल सु धारने का यास करेगा।

(iii) पशु के वध को रोकने का यास करेगा।

B. सामा जक सुर ा एवं श ा संबध


ं ी नदशक त व :-
1. अनु छे द 43(क) के तहत रा य सहकारी स म तय के बंधन को ो साहन दे गा।

2. अनु छे द 44 के तहत रा य एक समान नाग रक सं हता बनाने का यास करेगा।

3. अनु छे द 45 के तहत रा य 14 वष तक क आयु के ब च के लए न:शु क एवं अ नवाय श ा का बंध करेगा।

4. अनु छे द 46 के तहत रा य बल वग क श ा एवं आ थक हत क उ त का यास करेगा और उनका सामा जक अ याय व शोषण से


र ा करेगा।

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5. अनु छे द 47 के तहत रा य लोग का जीवन तर एवं वा य सु धारने का यास करेगा।

रा य हा नकारक मादक एवं नशीले पदाथ के से वन पर तबंध लगाएगा।

6. अनु छे द 48(क) के तहत रा य पयावरण का सं र ण एवं सं वधन का यास करेगा।

रा य वन एवं व य जीव क सु र ा का यास करेगा।

C. पंचायती राज, ाचीन मारक एवं यायपा लका संबध


ं ी नी त नदशक त व :-
1. अनु छे द 40 के तहत रा य ाम पंचायत का गठन कर उ ह वाय ता दान करेगा।

2. अनु छे द 49 के तहत रा य सं सद ारा घो षत रा ीय मह व के मारक , कला मक या ऐ तहा सक च के थान क सु र ा का यास


करेगा।

3. अनु छे द 50 के तहत रा य यायपा लका को कायपा लका से पृथक करने का यास करेगा।

D. अंतरा ीय शां त एवं सुर ा संबध


ं ी नदशक त व :-
1. अनु छे द 51 के तहत :-

(i) रा य अं तरा ीय शां त एवं सु र ा म वृ का य न करेगा।

(ii) व भ रा के म य यायपूण एवं स मानपूण सं बंध बनाए रखने का यास करेगा।

(iii) अं तरा ीय कानून एवं सं धय के त आदर क भावना बढ़ाने का यास करेगा।

(iv) अं तरा ीय झगड़ को म य थता ारा सु लझाने का ो साहन दे गा।

नी त नदशक त व के या वयन के उदाहरण :-


1. भू म सुधार :-

थम सं वधान सं शोधन अ ध नयम 1951 ारा भू म सु धार के तहत भू म जोतने वाले का अ धकार लागू कर उसे सं वधान क
अनुसूची 9 म डालने का मह वपूण काय कया गया जसम कसान को उनक जोत भू म पर अ धकार ा त आ।

2. पंच ायत राज एवं थानीय वशासन क थापना :-

अनु छे द 40 म ाम पंचायत के गठन, उनको अ धकार, श एवं वाय ता दान करने के स दभ म 2 अ टू बर 1959 को पंचायती
राज क थापना क गई। त प ात 1993 म 73व सं वधान सं शोधन अ ध नयम-1992 ारा पंचायती राज को सं वैधा नक दजा दान कया
गया और 74व सं वधान सं शोधन अ ध नयम-1992 ारा शहरी े म थानीय वशासन को सं वैधा नक दजा दान कया गया।

3. अ नवाय एवं नःशु क श ा का अ धकार :-

अनु छे द 45 के तहत 86व सं वधान सं शोधन अ ध नयम 2002 ारा 6 से 14 आयु वग के ब च के लए अ नवाय एवं न:शु क श ा का
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अ धकार सं वधान के अनु छे द 21(क) म जोड़ा गया। त प ात श ा का अ धकार अ ध नयम 2009 जो क 1 अ ैल 2010 से लागू आ, के
ारा ब च को श ा का अ धकार दान कया गया। इस ल य क ा त म के लए सव श ा अ भयान, मड डे मील योजना, रा ीय मा य मक
श ा अ भयान और वतमान म SMSA जैसे काय म सं चा लत कए जा रहे ह।

4. कमजोर वग का क याण :-

अनु छे द 46 के तहत सं वधान म कमजोर वग के क याण एवं आ थक हत क उ त के सं दभ म सं वधान के लागू होने के 10 वष


तक लागू आर ण क समय सीमा को 95व सं वधान सं शोधन अ ध नयम 2009 ारा 2020 तक बढ़ा दया गया। मूल सं वधान म अनुसू चत
जा त एवं अनुसू चत जनजा त के लए आर ण क व था थी जसे बढ़ाकर अब ओबीसी के लए भी कर दया गया है।

I. अ पृ यता नवारण के लए कठोर कानून बनाए गए।

II. न:शु क श ा एवं छा वृ य क व था क गई।

III. अनुसू चत जा त एवं अनुसू चत जनजा त आयोग को सं वैधा नक दजा दान कया गया।

IV. पंचायती राज एवं थानीय वशासन सं था म म हला के लए 30% आर त कए गए।

5. या यक व था म सुधार :-

(i) न:शु क व धक सहायता (गरीब के लए)।

(ii) लोक अदालत , राज व अदालत एवं फा ट ै क कोट क थापना ( स ता व शी याय के लए ) ।

6. सामा जक सुर ा :-

(i) अनु छे द 43 (ख) क अनुपालना म सहकारी स म तय क थापना।

(ii) अनु छे द 41 क अनुपालना म वृ ाव था पशन योजना, वकलां ग पशन योजना जैसी अनेक योजनाएं सं चा लत है।

(iii) अनु छे द 47 क अनुपालना म व भ वा य बीमा योजनाएं सं चा लत है। मादक और नशीले पदाथ पर यु यु तबंध लगाए
गए है।

7. समान काय समान वेतन :-

अनु छे द 39 क अनुपालना म ी पु ष को समान काय के लए समान वेतन दे ने का ावधान कया गया है।

8. य को सू त सहायता उपबंध :-

(i) अनु छे द 42 क अनुपालना म सरकारी से वा म कायरत य के लए वेतन स हत सू तावकाश का ावधान।

(ii) मा यता ा त अ पताल म सू त पर नगद सहायता।

(iii) जननी सु र ा काय म आ द।

9. पंचवष य योजनाएं :-

अनु छे द 48 क अनुपालना म दे श म अब तक 12 पंचवष य योजनाएं लागू क जा चुक है। इन पंचवष य योजना ारा कृ ष, सचाई,
पशु न ल सु धार, ऊजा, उ ोग, श ा, वै ा नक अनुसंधान आ द अनेक े म अभूतपूव ग त हा सल ई है।

10. बड़े उ ोग का रा ीयकरण


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11. संप के मूल अ धकार को कानूनी अ धकार म बदलना

मूल अ धकार एवं नी त नदशक त व म अंतर :-


. सं. मूल अ धकार नी त नदशक त व

1 सं वधान के भाग-3 म अनु छे द 12 से 35 तक सं वधान के भाग-4 म अनु छे द 36 से 51 तक

2 अमे रक सं वधान से े रत आयरलड के सं वधान से े रत

3 वषय - रा ीय वषय - अं तरा ीय

4 यायलय म वाद यो य यायलय म वाद यो य नह

5 नकारा मक कृ त सकारा मक कृ त

6 य से स बं धत रा य से स बं धत

7 उ े य - राजनी तक लोकतं क थापना उ े य - सामा जक एवं आ थक लोकतं क थापना

8 आपातकाल म नलं बन सं भव आपातकाल म नलं बन सं भव नह

9 यह य के कानूनी अ धकार है। यह समाज के नै तक बंधन है।

10 ये वतः लागू होते है। इ ह लागू करने के लए कानून क आव यता होती है।

11 ये वाद है ये समाजवाद है

मूल अ धकार एवं नी त नदशक त व म संबध


ं :-
सं वधान के लागू होने के समय से ही इस बात का ववाद होता रहा है क मूल अ धकार और नी त नदे शक त व म कौन सव च है।

सव थम चंपाकम दोराईजन मामले म 1951 म सव च यायालय ने यह व था द क नी त नदशक त व अ नवाय प से मूल अ धकार


के अधीन थ ह और दोन म ववाद क थ त म मूल अ धकार को वरीयता द जाएगी।

1967 म गोलकनाथ वाद म भी सव च यायालय ने मूल अ धकार को सव च एवं असं शोधनीय बताया जस पर सं सद ने 25वां सं वधान
सं शोधन अ ध नयम 1971 पा रत कर सं वधान म अनु छे द 31(ग) जोड़कर यह ावधान कया गया क नी त नदशक त व के या वयन म
रा य ारा बनाई गई व ध से अनु छे द 14 व 19 के मूल अ धकार का अ त मण होता है तो इसे यायालय म चुनौती नह द जा सकती।
अथात सं सद ने नी त नदे शक त व को मूल अ धकार पर वरीयता दान कर द ।

केशवानंद भारती वाद 1973 म सव च यायालय ने अनु छे द 31(ग) को वैध माना परंतु मूल अ धकार को सं वधान का मूल ढांचा घो षत कर
इनम आधारभूत प रवतन को नकार दया।

42व सं वधान सं शोधन अ ध नयम-1976 ारा सं सद ने अनु छे द 31(ग) म सं शोधन कर नी त नदे शक त व को मूल अ धकार पर
ाथ मकता दान क ।

बाद म मनवा म स वाद 1980 म सव च यायालय ने अनु छे द 31(ग) के सं शोधन को अवैध घो षत कर यह व था द क सं सद सं वधान
के मूल ढांचे म प रवतन नह कर सकती और नी त नदे शक त व को मूल अ धकार पर वरीयता नह दान क जा सकती। साथ ही सं सद ने
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44व सं वधान सं शोधन अ ध नयम-1978 ारा अनु छे द 31 को पूणतया सं वधान से हटा दया गया।

वतमान म अनु छे द 39(ब) व 39(स) के दो नी त नदे शक त व ही मूल अ धकार पर वरीयता ा त है जब क शे ष मूल अ धकार के
अधीन थ है।

1980 मनवा वाद म कोट ने कहा क मूल अ धकार एवं नी त नदे शक त व एक सरे के वरोधी न होकर पर पर पूरक है य क नी त नदशक
त व वे ल य ह ज ह हम ा त करना है और मूल अ धकार वे साधन है जनके मा यम से नी त नदशक त व के ल य को ा त कया जा
सकता है। अतः एक को सरे पर पूणत: वरीयता नह द जा सकती। अतः भाग-3 और भाग-4 के म य सामंज य और सं तुलन सं वधान का मूल
ढांचा है।

मूल कत :-
भारत के मूल सं वधान म मूल कत का समावेश नह था। समसाम यक प र थ तय म सं सद को यह अनुभव आ क मूल
अ धकार एवं मूल कत एक सरे के पूरक ह य क एक का अ धकार सरे का कत बन जाता है। अतः सं वधान म मूल
कत का समावेश कया जाना चा हए। सं सद को मूल कत को सं वधान म शा मल करने क ेरणा सो वयत सं घ ( स) के सं वधान से
मली। इसके लए 1976 म त कालीन र ा मं ी सरदार वण सह क अ य ता म एक 12 सद यीय कमेट का गठन कया गया जसे वण
सह स म त के नाम से जाना जाता है जसने सं वधान म 8 मूल कत जोड़ने क सफा रश क । त कालीन सरकार ने स म त ारा सु झाए गए
8 मूल कत म से तीन को नकार कर 42व सं वधान सं शोधन अ ध नयम-1976 ारा कुल 10 मूल कत सं वधान के भाग-4 (क) एवं
अनु छे द 51(क) के प म शा मल कए गए।

86व सं वधान सं शोधन अ ध नयम 2002 ारा अनु छे द 51(क) म 11वां मूल कत को जोड़ा गया क माता- पता या सं र क का यह कत
होगा क वह 6 से 14 वष के अपने ब च को श ा का अवसर दान कर।

मूल कत इस कार है :-

1. सं वधान का पालन कर तथा उसके आदश , सं था , रा वज तथा रा गान का आदर करे।

2. वतं ता के लए हमारे रा ीय आंदोलन को े रत करने वाले उ च आदश को दय म सं जोकर रखे एवं उनका पालन करे।

3. भारत क भुता, एकता व अखंडता को अ ु ण रखे।

3. दे श क र ा करे और आ ान कये जाने पर रा क से वा करे।

4. भारत के सभी लोग म समरसता और सामान भातृ व क भावना का नमाण करे जो धम, भाषा, दे श या वग पर आधा रत भेदभाव से परे हो,
ऐसी था का याग करे जो य के स मान के व हो।

5. हमारी सम वत सं कृ त क गौरवशाली परंपरा का मह व समझे और उसका प रर ण करे।

6. ाकृ तक पयावरण क जसके अं तगत वन, झील, नद व व य जीव है, क र ा करे और उसका सं वधन करे तथा ाणी मा के त दया भाव
रखे।

8. वै ा नक कोण, मानववाद और ानाजन तथा सु धार क भावना का वकास करे।

9. सावज नक सं प को सु र त रखे और हसा से र है।

10. गत और सामू हक ग त व धय के सभी े म उ कष क ओर बढ़ने का सतत यास करे जससे रा नरंतर बढ़ते ए ग त और
उ कष क नई ऊंचाइय को छू ले ।

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11. माता- पता या सं र क का कत होगा क वे 6 से 14 वष के ब च को श ा के लए अवसर दान करे।

मूल कत क आलोचना :-
मूल कत क आलोचना न न दो कार से क जा सकती है :-

1. मूल कत के उ लं घन पर सं वधान म दं ड क व था नह क गई है जसके कारण इनक पालना भली-भां त कार से नह हो पा रही है।

2. मूल कत म आदशवाद पर अ य धक जोर दया गया है जो ाय: वहार म काम म नह लए जा सकते ह।

गांधी जी ने कत के मह व और कत व अ धकार क पर पर आ तता को रेखां कत करते ए कहा है क अ धकार का ोत


कत है। य द हम सब अपने कत का पालन कर तो अ धकार को खोजने म हम र तक नह जाना पड़ेगा। य द हम अपने कत को पूर ा
कए बगैर अ धकार के पीछे भागगे तो वह (अ धकार) छलावे क भां त हमसे र ही रहगे। जतना हम उनका पीछा करगे, वे उतनी ही और र
उड़ते जाएंगे। जन अ धकार का पा होना चाहते ह तथा ज ह हम सु र त करवाना चाहते ह, वे सभी अ छ तरह से नभाए गए कत से ही
ा त कए जा सकते ह।

इस कार सं वधान म मूल कत को शा मल करने के पीछे राजनी तक या दलगत भावना नह थी ब क यह भावना थी क भ व य म


नाग रक चेतना के वकास के साथ-साथ नाग रक इन कत का पालन करने म भी अ य त हो जाएंगे तथा ये क नाग रक ारा इन कत क
पालना करना अपना सव च धम समझा जाएगा।

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ख ड - ब Unit - I भारतीय सं वधान


Lesson - 3 भारत क संघीय व था के आधारभूत त व
स ाक श य के वतरण और तर के आधार पर शासन णाली के दो प पाए जाते है :-

1. संघा मक शासन णाली :-

ऐसी शासन णाली जसम क और इकाइय के म य सं वधान के ारा श य का प वभाजन कया गया है और दोन ही
सरकार अपने-अपने े म वतं हो, सं घ ा मक शासन णाली कहलाती है। जैसे भारत, अमे रका, कनाडा, वजरलड, ाजील आ द दे श क
शासन व था।

2. एका मक शासन णाली :-

ऐसी शासन णाली जसम शासन क सं पूण श सं वधान ारा एक क य सरकार म सक त होती है, एका मक शासन णाली
कहलाती है। जैसे टे न, इटली, जापान, बे जयम आ द दे श क शासन व था।

संघीय व था का नमाण दो कार से होता है :-

1. जब अनेक सं भु इकाईयाँ आपस म मलकर एक हो जाए। जैसे अमे रक सं घ।

2. जब एक बड़ी राजनी तक ईकाई को कायकुशलता क से अलग-अलग इकाइय म वभा जत कर दया जाए। जैसे भारतीय सं घ।

भारत म सं वधान ारा सं घ ीय शासन क थापना क गई है। य प भारतीय सं वधान म कह भी सं घवाद /सं घ ीय श द का उ ले ख
नह कया गया है। सं वधान म सं घवाद के थान पर "रा य का सं घ" श द का योग कया गया है।

भारत म सं वधान लागू करते समय एक क य और 14 ांत क स ा था पत कर सं घ ीय ढांचे को मूत प दान कया गया। वतमान
म भारतीय सं घ म 29 रा य एवं 7 क शा सत दे श ह।

संघीय शासन क मु य वशेषताएं :-

1. ल खत, कठोर एवं सव च सं वधान।

2. श य का प वभाजन।

3. वतं एवं न प यायपा लका।

संघीय शासन के गौण ल ण :-

1. दोहरी नाग रकता

2. सदनीय क य व था पका

3. सं भुता का दोहरा योग

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भारतीय संघीय व था के मुख त व/ वशेषताएं /ल ण :-
भारत क सं घ ीय व था एक सु प सं घ ीय व था का उदाहरण नह है य क हमारी सं घ ीय व था म कुछ एका मक व था
के भी ल ण व मान है। भारतीय सं घ ीय व था के मुख त व इस कार है :-

1. शासन श य का प वभाजन :-

सं वधान क सातव अनुसूची म सं घ और रा य के म य श य का वभाजन कया गया है जो इस कार है:-

अनुसूची वषय क सं या कानून बनाने का अ धकार


सं घ सू ची 97 के सरकार को

रा य सू ची 66 रा य सरकार को

समवत सू ची 47 के एवं रा य दोन सरकार को


( ववाद क थ त म के का कानून भावी)

सातव अनुसूची म व णत वषय पर सं घ एवं रा य वधान मंडल को कानून बनाने का अ धकार अनु छे द 246 म दया गया है।

अनु छे द 248 म व णत अव श वषय पर कानून बनाने का अ धकार सं सद या सं घ को दान कया गया है। ात रहे क सातव अनुसूची म से
कसी भी सू ची म नह उ ले खत वषय अव श वषय है अथात सातव अनुसूची म अव श सू ची व णत नह है।

2. सं वधान क सव चता :-

टे न म सं सद को और अमे रका म उ चतम यायालय को सव च माना गया है। इन दोन के वप रत भारत म सं वधान को
सव चता दान क गई है य क सं वधान से ही शासन के तीन अं ग एवं रा य सरकार को श यां ा त होती है। कसी भी सं था या सरकार
ारा सं वधान का उ लं घन नह कया जा सकता है।

3. ल खत एवं कठोर सं वधान :-

भारत का सं वधान व भ ांत के त न धय से ग ठत सं वधान सभा ारा बनाया गया एक ल खत सं वधान है। साथ ही सं घ
एवं रा य दोन को भा वत करने वाले वषय म सं शोधन करने क या अ यं त कठोर होने के कारण भारतीय सं वधान को कठोर सं वधान
माना जाता है।

4. न प एवं वतं यायपा लका :-

भारत म सं वधान ारा वतं यायपा लका क थापना क गई जसके कारण यायाधीश क नयु , पदो त, वेतन-भ ,े
थानांतरण आ द पर सं सद एवं सं घ ीय सरकार का कोई ह त प
े नह है। इस कारण क एवं रा य के म य ववाद का समाधान यायपा लका
ारा सं वधान के ावधान के अनुसार न प प से कया जा रहा है।

भारतीय सं वधान क उपयु व था के आधार पर यह न कष नकलता है क भारतीय सं वधान ारा था पत शासन का व प


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सं घ ा मक है।

भारतीय सं वधान के एका मक ल ण :-


भारत एक वशाल एवं व वधतापूण दे श होने के कारण सं वधान नमाता के ारा हमारे दे श म सं घ ा मक शासन क थापना
करना उपयु समझा गया। ले कन सं वधान नमाता भारतीय इ तहास के इस त य से सु प र चत थे क भारत म जब-जब क य स ा बल हो
गई तब-तब भारत क एकता भंग ई और भारत को पराधीन होना पड़ा। इसके अ त र सं वधान नमाता इस बात से भी प र चत थे क
वतमान समय म सभी सं घ ा मक रा य म क य स ा को पहले से अ धक सश बनाने का य न कया जा रहा है। अतः सं घ ा मक व था
अपनाते ए सं वधान नमाता ने क य स ा को श शाली बनाना उ चत समझा।

भारत के सं वधान म अनेक एका मक ल ण दे खे जा सकते ह जो इस कार है :-

1.एक सं वधान :-

ज मू क मीर को छोड़कर भारत म क और रा य के लए एक ही सं वधान क व था क गई है। क और रा य दोन ही सरकार


एक ही सं वधान से श यां ा त करती है।

2. श य का वभाजन क के प म :-

सं वधान ारा क सरकार को अ धक मह वपूण और अ धक वषय पर कानून बनाने का अ धकार दया गया। ात रहे क सं घ सू ची म
97 और रा य सू ची म 66 वषय है। इसी कार समवत सू ची म दोन ही सरकार को कानून बनाने का अ धकार है परंतु ववाद क थ त म
क का कानून भावी होता है। साथ ही अव श वषय पर कानून बनाने का अ धकार भी क सरकार को ही है। अनु छे द 249 के तहत
रा यसभा कसी भी मह व वाले रा य सू ची के वषय पर कानून बनाने का अ धकार क सरकार को दे सकती है। प है क सं वधान ारा
श य का वभाजन क के प म कया गया है।

3. इकहरी नाग रकता :-

सं घ ीय व था वाले दे श म दोहरी नाग रकता का ावधान होता है जसम एक नाग रकता सं घ क और सरी नाग रकता रा य क
होती है। जैसे अमे रका और वट् जरलड जैसे दे श म। परंतु भारतीय सं वधान नमाता ने भारत क एकता को बनाए रखने के लए सभी के
लए एक ही नाग रकता का ावधान कया गया जो क एक एका मक ल ण है।

4. एक कृत याय व था :-

भारत म अमे रका एवं ऑ े लया के वत रत एक कृत याय क व था क थापना क गई है जसम सव च यायालय याय
व था के शखर पर है। सभी उ च यायालय एवं अधीन थ यायलय इसके अधीन है। सव च यायालय का आदे श सभी अधीन थ यायालय
पर बा यकारी होता है। साथ ही उ च यायालय का नमाण एवं गठन क य स ा ारा ही कया जाता है जो क एक एका मक ल ण है।

5. सं वधान संशोधन संघ ारा :-

सं वधान सं शोधन वधेयक केवल सं सद म ही तु त कया जा सकता है। इस सं बंध म रा य को कोई अ धकार ा त नह है। साथ
ही अकेली सं घ ीय सं सद सं वधान के अ धकांश भाग म साधारण ब मत से सं शोधन कर सकती है। कुछ मह वपूण उपबंध को सं सद अपने दो
तहाई ब मत से सं शो धत कर सकती है और ब त कम वषय पर सं वधान सं शोधन म रा य के वधानमंडल क वीकृ त क आव यकता
रहती है। अतः सं वधान सं शोधन म सं घ सरकार को अ य धक श यां ा त है।

6. संसद रा य क सीमा म प रवतन करने म स म :-

भारतीय सं वधान के अनु छे द-3 के तहत सं सद को यह अ धकार है क वह कसी भी रा य क सीमा म उसक सहम त लए
बगैर प रवतन कर सकती है अथात सं सद दो या अ धक रा य को मलाकर नवीन रा य बना सकती है, एक रा य से दो या अ धक रा य का
नमाण कर सकती है, दो या अ धक रा य के े से अ य नए रा य का नमाण कर सकती ह तथा कसी भी रा य के नाम म प रवतन कर

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सकती है। इसके लए सं बं धत रा य या रा य क सहम त आव यकता नह है। इस लए भारत को वनाशी रा य का अ वनाशी सं घ कहा जाता
है।

7. आपातकालीन उपबंध :-

भा रतीय सं वधान म व णत आपातकालीन उपबंध ( अनु छे द 352 से 360 ) शासन के एका मक ल ण को द शत करते है।
आपातकाल के दौरान क ांतीय सरकार नलं बत हो जाती है और सं पूण दे श म एक ही सरकार का शासन था पत हो जाता है, साथ ही रा य
वषय पर कानून बनाने का अ धकार क सरकार को मल जाता है।

8. रा य म रा यपाल क नयु :-

भारत म सभी रा य म रा यपाल क नयु रा प त ारा क जाती है जो क रा य म सं घ ीय सरकार के त न ध के तौर पर


काय करता है और उन रा य का सं वैधा नक मुख होता है।

9. रा यसभा म रा य को असमान त न ध व :-

भारतीय सं सद के उ च सदन अथात रा यसभा म रा य को त न ध व दया गया है परंतु उ त न ध व सं घ ीय व था के


तकूल समानता पर आधा रत न होकर असमान है य क भारत म रा यसभा म रा य का त न ध व उस रा य क जनसं या के अनुपात म
दया गया है जो क एक एका मक ल ण है।

10. मूलभू त वषय म एक पता :-

कुछ मूलभूत वषय क एक पता भारतीय सं वधान म एका मक ल ण को द शत करती ह। जैसे :-

(i) सम त दे श के लए एकसमान द वानी एवं फौजदारी कानून

(ii) अ खल भारतीय से वाएं

(iii) एक चुनाव आयोग

(iv) एक नयं क एवं महाले खा परी क

(v) व भ रा ीय आयोग

11. लोक सेवा का वभाजन नह :-

भारत म लोक से वा का वभाजन नह कया गया है। अ खल भारतीय से वा का नयोजन सं घ ारा कया जाकर उनक
नयु रा य सरकार के अधीन क जाती है। रा यसे वा के अधीन रहते ए भी अ खल से वा के लोक से वक को पद से हटाने क कारवाई केवल
क सरकार ही कर सकती है। इस कार रा य को लोक से वा के नयोजन एवं लोक से वक हटाने का अ धकार ा त नह है।

12. रा य को पृथक् होने का अ धकार नह :-

भारतीय सं वधान रा य के वेश क बात तो क गई है परंतु रा य के सं घ से पृथक होने क कोई बात नह क गई है। 16व
सं वधान सं शोधन अ ध नयम-1963 ारा प कया गया है क रा य को सं घ से पृथक होने का अ धकार नह है।

13. क को रा य को नदश दे ने का अ धकार।

14. व ीय मामल म रा य क क पर नभरता।

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भारतीय संघवाद क नवीन वृ यां :-


भारत क राजनी तक प र थ तय के साथ सं घवाद के व प म भी प रवतन आता रहा है। भारत क सं घ ीय व था को
राजनी तक त व के बदलते प र े य म न न कार से च त कया जा सकता है :-

1. क कृत संघवाद का युग :-

भारतीय सं घ ीय व था के 1950 से 1967 तक के समय को "क य सं घवाद का यु ग" कहा जाता है। 1950 से 1964 तक का
काल "नेह यु ग" कहलाता है जसम क और रा य के म य मधुर सं बंध बने रहे और उ मतभेद उभर कर सामने नह आए। इसके न न
कारण थे :-

(i) क म नेह , पटे ल जैसे भावशाली नेता क मौजूदगी।

(ii) क और रा य म कां ेस का एकछ शासन।

(iii) क और रा य के आपसी मतभेद का दलीय सं गठन तर पर हल होना।

2. सहयोगी संघवाद का युग :-

चौथे आम चुनाव 1967 के बाद कां ेस के वभाजन और अ धकांश रा य म गैर कां ेसी सरकार क थापना होने से क और
रा य के पार प रक सं बंध म काफ उ ता आई। फर भी क और रा य म सहयोग बना रहा य क दोन ही सरकार एक सरे पर नभर थी।
एक ओर क क अ पमत सरकार अपने अ त व के लए अ य दल पर नभर थी, वह सरी ओर रा य क गैर कां ेसी सरकार व ीय
सहायता एवं अ य वाय ता के लए क पर नभर थी। भारतीय सं घवाद क इस वृ को ेन वले ऑ टन ने सहयोगी सं घवाद का कहा है।

3. एका मक संघवाद का युग :-

1971 के लोकसभा चुनाव और 1972 के रा य वधानसभा के चुनाव त प ात 1980 के लोकसभा चुनाव म कां ेस को
फर से भारी ब मत मला और इं दरा गांधी सवमा य नेता के प म उभरी। इससे श सं तुलन फर से क क ओर झुका और इस काल म
जस तरह से सं वधान सं शोधन ए और आपातकाल क घोषणा ई उससे भारत एका मक शासन पर क वृ त उभर कर सामने आई।

4. सौदे बाजी वाली संघीय व था :-

छठे आम चुनाव के प रणाम से भारतीय राजनी त म आमूलचूल प रवतन आया। क म जनता पाट क सरकार और रा य म
व भ दल क सरकार क थापना ई। ऐसा ही 1990 के चुनाव के बाद आ। गठबंधन सरकार के यु ग म बल सरकार क थापना ई
जससे क के साथ रा य क सरकार ने सौदे बाजी करने का य न कया। भारतीय सं घवाद के इस दौर को मॉ रस जॉ स म सौदे बाजी वाला
सं घवाद माना।

5. अ -संघीय व था :-

भारतीय सं घवाद म सं घ ा मक ल ण के साथ-साथ एका मक ल ण भी द शत होते है। इस कारण के.सी. हीयर ने भारतीय
सं घवाद को अ -सं घ ीय कहा है।

उपयु ववेचन से प है क बदलती राजनी तक प र थ तय के म े नजर भारतीय सं घवाद के कोण म भी वहा रक प


से प रवतन आया है। 1983 म ग ठत सरका रया आयोग ( क रा य सं बंध पर ) ने भी मजबूत क और सु ढ़ रा य का सु झाव दया जस पर
वतमान क मजबूत क सरकार ने नी त आयोग और जीएसट जैसी कर व था से रा य को सु ढ़ता दान करने क को शश क है।

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Unit - 2 भारत म शासन

Lesson - 1 संसद, लोकसभा एवं रा यसभा

संसद :-
लोकतां क शासन व था म शासन के तीन अं ग होते ह :-

I. व था पका, जो कानून नमाण का काय करती है।

II. कायपा लका, जो कानून के अनुसार शासन करती है।

III. यायपा लका, जो कानून क ा या करती है और कानून के उ लं घन पर दं ड दे ती है।

व था पका को अलग-अलग दे श म अलग-अलग नाम से जाना जाता है :-

दे श का नाम व था पका का नाम

भारत सं सद

टे न पा लयामट

अमे रका कां ेस

जापान डायट

जमनी बुदे टांग

अफगा न तान सू र ा

ईराक मज लस

चीन नेशनल पीपु स कां ेस

नेपाल रा ीय पंचायत

स म
ू ा

पा क तान नेशनल असे बली

भारत म संसद य शासन क पृ भू म :-

भारत म सं सद य शासन के सा य ाचीन काल म भी व मान थे। ाचीन काल म सभा और स म त नामक सं था का

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उ ले ख मलता है जो मशः वतमान क रा यसभा एवं लोकसभा के समक थी। म यकाल म सभा और स म त जैसी सं थाएं गायब हो गई थी
जसका कारण आठव सद से ले कर 18व सद तक वदे शी आ मण और अन गनत यु रहे है। टश औप नवे शक काल म आधु नक
सं सद य परंपरा क शु आत ई।

 सव थम 1833 के चाटर म वधान प रषद के बीज दखाई पड़े।

 1853 के चाटर म वधायी पाषद श द का योग कया गया।

 1861 के भारत प रषद अ ध नयम को भारतीय वधानमंडल का मुख घोषणा प कहा गया।

 1885 म कां ेस क थापना के साथ राजनी त चेतना का वकास आ।

 1892 के भारत प रषद अ ध नयम ारा गवनर जनरल क वधान प रषद म नधा रत 16 सद य म से चार सद य को अ य
नवाचन ारा चुना गया और उ ह पूछने व बजट पर चचा करने का अ धकार दया गया।

 भारत प रषद अ ध नयम 1909 ारा क य वधान प रषद के सद य क सं या 16 से बढ़ाकर 60 कर द गई और सद य को पूरक


पूछने व बजट पर चचा करने क श यां दान क गई। साथ ही सां दा यक नवाचन प त ारंभ क गई।

 भारत शासन अ ध नयम 1919 ारा क य तर पर सदनीय वधानमंडल रा य प रषद एवं वधान सभा का नमाण कर पहली बार
य नवाचन क व था क गई।

 भारत शासन अ ध नयम 1935 ारा भारत म पहली बार सं घ ीय व था लागू कर क म ै ध शासन क थापना क गई। क य
वधान मंडल म सद य सं या और अ धकार म भी वृ क गई।

 अं त म 1946 म भारतीय सं वधान सभा का गठन आ और भारत म सं सद य शासन णाली का सू पात आ।

संसद का गठन :-

भारतीय सं वधान के अनु छे द 79 के अनुसार सं सद का गठन लोकसभा, रा यसभा और रा प त से मलकर होगा। इस कार प
है क लोकसभा, रा यसभा और रा प त तीन का सामू हक नाम सं सद है।

संसद का सद य होने क यो यताएं :-

भारतीय सं वधान म कसी भी के सं सद का सद य होने क न न ल खत यो यताएं नधा रत क गई है :-

 उसे भारत का नाग रक होना चा हए।

 लोकसभा सद य के लए 25 वष आयु एवं रा यसभा का सद य होने के लए 30 वष आयु होनी चा हए।

 उसके पास ऐसी यो यताएं हो जो सं सद नधा रत करे।

 भारत के कसी भी सं सद य े म मतदाता के प म र ज टड हो।

 अनुसू चत जा त एवं जनजा त आर त सीट के लए उस आर त वग का सद य होना चा हए।

संसद सद य क नय यताएं :-

कसी भी सं सद सद य को अयो य घो षत कया जा सकता है य द :-

 वह भारत सरकार या रा य सरकार के अधीन कोई लाभ का पद धारण करता हो।

 वकृत च या पागल या दवा लया घो षत हो।


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 उसने वदे शी रा य क नाग रकता हण कर ली हो।

 दसव अनुसूची के अनुसार उसे दल-बदल का दोषी पाया गया हो।

 वह चुनाव अपराध या आचरण का दोषी पाया गया हो।

 कसी अपराध के तहत दो वष या अ धक क सजा ा त क हो।

 बना सं सद को सू चत कए लगातार 60 दन से अ धक सं सद से अनुप थत रहा हो।

 सं सद ारा बनाई गई व ध के अं तगत अयो य हो।

संसद सद य क शपथ :-

सं वधान के अनु छे द 99 म सं सद सद य के बारे म लखा गया है। सं सद सद य को सांसद या M.P. कहकर सं बो धत कया जाता
है। सं सद का सद य चय नत होने पर कोई तभी सं सद के कसी सदन म बैठने का अ धकारी होता है, जब :-

 उसने रा प त या उसके ारा नयु के सम शपथ ली हो।

 तीसरी अनुसूची म ल खत शपथ के ा प पर ह ता र कए हो।

 ह द एवं अं ेजी के अलावा सं वधान क आठव सू ची म व णत 22 भाषा म शपथ ली हो।

Note :- नव- नवा चत लोकसभा के सद य रा प त ारा नयु ोटे म पीकर के सम शपथ ले ते है।

संसद के स :-

सं वधान के अनु छे द 85 म सं सद के स के बारे म बताया गया है क :-

 रा प त ये क सदन का स /अ धवेशन आ त करेगा या बुलाये गा।

 स का थान एवं समय रा प त तय करेगा।

 एक स क अं तम बैठक और आगामी स क थम बैठक के म य 6 माह से अ धक समय का अं तर नह होगा।

 सं सद के स ावसान का अ धकार रा प त को है।

 सं सद म ग तरोध होने पर सं बं धत सदन का अ य सं सद को कुछ समय के लए थ गत कर सकता है।

सं सद के तीन स ह गे :-

स स का समय

बजट स फरवरी से मई

मानसू न स जुलाई से सत बर

शीतकालीन स नव बर से दस बर

रा प त ारा कभी-कभी वशे ष बैठक या अ धवेशन भी बुलाए जाते है।

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संसद म गणपू त या कोरम :-

गणपू त या कोरम सद य क वह यू नतम सं या है जनक उप थ त से सं बं धत स क कारवाई को वैधा नकता ा त होती है।

ये क सदन म पीठासीन अ धकारी (अ य /सभाप त ) स हत सदन क कुल सं या का दसवां भाग गणपू त या कोरम होता है। लोकसभा
का कोरम 55 और रा यसभा का कोरम 25 है।

संसद म भाषा :-

सं वधान के अनुसार सं सद म काय सं चालन क भाषा हद व अं ेजी है। य द पीठासीन अ धकारी को यह लगे क कोई सद य हद
या अं ेजी म अपनी बात नह कर पा रहा है तो उसे उसक मातृ भाषा म बोलने क आ ा दे सकता है।

मं य और महा यायवाद के संसद म अ धकार :-

अनु छे द 88 के तहत ये क क य मं ी और भारत के महा यायवाद को सं सद म न न अ धकार ा त है :-

1. दोन को कसी भी सदन क कारवाई म भाग ले ने का अ धकार है।

2. दोन को कसी भी सदन म बोलने का अ धकार है।

3. महा यायवाद को सं सद म मतदान का अ धकार नह है।

4. क य मं ी को उसी सदन म मतदान का अ धकार है जसका वे सद य है।

रा य सभा
रा यसभा का गठन :-

अनु छे द 80 के तहत रा यसभा म अ धकतम सद य सं या 250 हो सकती ह जसके अनुसार रा य सभा क सं रचना इस कार
है :-

अ धकतम सद य सं या 250

रा य का तनधव 229

सं घ शा सत दे श का तनधव 9

रा प त ारा मनोनीत सद य 12

वतमान म रा यसभा क थ त :-
वा त वक सद य सं या 245

रा य का तनधव 229

सं घ शा सत दे श का तनधव 4

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रा प त ारा मनोनीत सद य 12

रा यसभा से के गठन से संबं धत मह वपूण त य :-

 रा यसभा म त न ध व जनसं या के आधार पर दान कया गया है।

 रा यसभा म सवा धक त न ध व उ र दे श से 31 सद य है।

 रा यसभा म राज थान का त न ध व 10 सद य है।

 सं घ शा सत दे श म केवल द ली और पु चेर ी को ही त न ध व ा त है।

 रा प त ारा रा यसभा म मनोनीत सद य आयरलड के सं वधान से े रत है जो सा ह य, व ान, कला या समाज से वा म वशे ष


यो यताएं रखते हो।

 रा यसभा म थान के आवंटन का ववरण सं वधान क अनुसूची 4 म कया गया है।

 रा यसभा का गठन 3 अ ैल 1952 को आ।

रा यसभा के सद य का नवाचन :-

रा यसभा के सद य का नवाचन सं बं धत रा य और क शा सत दे श क वधानसभा के नवा चत सद य ारा होगा।

Note :- रा य वधानसभा के मनोनीत सद य नवाचन म भाग नह ले ते है।

रा यसभा सद य का नवाचन आनुपा तक तनधवप त क एकल सं मणीय मत णाली ारा होता है।

Note :- रा प त का नवाचन भी इसी प त से होता है।

2003 म सं सद ारा रा यसभा सद य के नवाचन म न न दो प रवतन कए गए :-

(i) उ मीदवार का उस रा य का नवासी होना आव यक नह है।

(ii) गु त मतदान णाली के थान पर खुली मतदान णाली होगी।

रा यसभा का कायकाल :-

 अनु छे द-83 के अनुसार रा यसभा एक थायी सदन है।

 यह कभी भी भंग नह होती है।

 इसके एक- तहाई सद य ये क सरे वष क समा त पर अवकाश हण कर ले ते है और उतने ही नए सद य नवा चत हो जाते है।

 इस कार रा यसभा का कायकाल अ न त है जब क इसके सद य का कायकाल 6 वष का होता है।

 कोई भी सद य कतनी बार रा यसभा के लए चुना जा सकता है।

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रा यसभा के पदा धकारी :-

 सं वधान के अनु छे द 64 और 89 के अनुसार भारत का उपरा प त रा यसभा का पदे न सभाप त होगा अथात सभाप त रा यसभा का
सद य नह होता है।

 रा यसभा का उपसभाप त भी होगा जसका नवाचन रा यसभा के सद य अपने म से कसी एक का करते है।

 सभाप त क अनुप थ त म उपसभाप त रा यसभा क कायवाही का सं चालन करता है।

 उपसभाप त अपना यागप सभाप त को स पता है।

 सभाप त या न उपरा प त अपना यागप रा प त कौ स पता है।

 रा यसभा के सभाप त वकेया नायडू और उपसभाप त ह रवंश नारायण सह है।

रा यसभा क उपयो गता एवं आलोचना :-


रा यसभा क उपयो गता :-

 रा यसभा रा य को त न ध व दान करने वाली सं था है। इस लए इसके होने से लोकसभा म ब मत ा त क सरकार अपनी
मनमानी नह कर सकती।

 सं सद के दो सदन होने से रा यसभा को पुनरी णकारी सदन होने का दजा ा त है जो लोकसभा ारा पा रत वधेयक का पुनः बारीक
से अ ययन करती है।

 इसम समाज के व भ े यथा : सा ह य, कला, व ान व समाज से वा के तभाशाली / वशे ष लोग को सद य बनाया जाता है।

रा यसभा क आलोचना :-

 यह सं था समय और धन का पयोग है।

 रा प त ारा मनोनीत सद य वशे ष होने से यादा क सरकार के इशार पर काम करने वाले होते है।

 लोकसभा म ब मत ा त दल क सरकार को य द रा यसभा म ब मत नह है तो वप ी दल जानबूझकर अनेक वधेयक को


रा यसभा म रोक दे ते है। जैसे वतमान म क क बीजेपी सरकार के वधेयक को रा यसभा म रोका जा रहा है।

 धन वधेयक पर रा यसभा का कोई अ धकार नह है।

 रा यसभा सरकार को उसक नी तय और जनता से कए गए वादे के अनुसार वधेयक बनाने से रोकती है।

Note : य द रा यसभा को धन वधेयक पर लोकसभा के समान अ धकार होता तो या होता ?

उ र :- य द रा यसभा को धन वधेयक लोकसभा के समान अ धकार मलता तो न न दो थ तयां सं भव होती :-

य द लोकसभा म ब मत ा त दल को रा यसभा म भी ब मत है तो सरकार को कोई सम या नह होती।

य द लोकसभा म ब मत ा त दल को रा यसभा म ब मत नह है तो सरकार के सामने भयं कर सम या खड़ी हो जाती य क सरकार चलाने,


योजना बनाने एवं लागू करने के लए धन क आव यकता होती ह और धन सं सद क वीकृ त से ही खच कया जा सकता है। इस थ त म
रा यसभा धन- वधेयक को रोक दे तो सरकार चलाना मु कल हो जाता।

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लोकसभा
लोकसभा का गठन :-

भारतीय सं वधान के अनु छे द 81 म लोकसभा के गठन का ावधान कया गया है जसके अनुसार लोकसभा क सं रचना इस
कार ह :-
अ धकतम सद य सं या 552

रा य का तनधव 530

सं घ शा सत दे श का तनधव 20

रा प त ारा मनोनीत सद य 2

वतमान म लोकसभा क थ त :-

वा त वक सद य सं या 545

रा य का तनधव 530

सं घ शा सत दे श का तनधव 13

रा प त ारा मनोनीत सद य 2

लोकसभा के गठन से संबं धत मह वपूण त य :-

 ारंभ म लोकसभा के सद य क सं या 500 थी जो 1956 म 520 व बाद म 525 और 31व सं वधान सं शोधन अ ध नयम 1974
ारा अ धकतम 552 कर द गई।

 अनु छे द 82 म प रसीमन आयोग के गठन का ावधान है जो ये क जनगणना के उपरांत लोकसभा क सीट का आवंटन नधारण
करता है।

 अब तक चार प रसीमन आयोग था पत कए गए है :-

 (i) 1952 म (ii) 1962 म (iii) 1972 म (iv) 2002 म

 84व सं वधान सं शोधन अ ध नयम 2001 ारा लोकसभा क अ धकतम सद य सं या 2026 तक यथावत रखने का नणय लया
गया अथात् 2026 तक लोकसभा क अ धकतम सद य सं या 552 ही रहेगी।

 लोकसभा म सवा धक त न ध व उ र दे श (80) और महारा (48) को है।

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 राज थान से लोकसभा के 25 सद य चुने जाते है।

 लोकसभा म थान का आवंटन रा यसभा क तरह जनसं या के आधार पर ही होता है।

लोकसभा सद य का नवाचन :-

भारत म लोकसभा के सद य का नवाचन य प से वय क मता धकार ारा होता है। अनु छे द 326 के अनुसार 18 वष या
अ धक आयु ा त वय क नाग रक जनका मतदाता सू ची म पंजीकरण हो चूका है, चुनाव आयोग ारा नधा रत त थ को नधा रत मतदान के
से मतदान कर सकता है। मतदान गु त मतदान णाली ारा होगा और मतगणना पर जस उ मीदवार को सवा धक मत ा त ह गे वह वजयी
घो षत कया जाएगा। रा यसभा के सद य क तरह लोकसभा के सद य के नवाचन म न त मत ा त करना आव यक नह है। वतमान म
लोकसभा म अनुसू चत अनुसू चत जा त के लए 84 थान और अनुसू चत जनजा त के लए 47 थान आर त कए गए है।

लोकसभा का कायकाल :-

 अनु छे द 83 के अनुसार लोकसभा का कायकाल उसक थम बैठक से 5 वष होगा।

 5 वष क समा त पर लोकसभा वतः भंग हो जाती है।

 धानमं ी क सलाह पर रा प त 5 वष पहले ही लोकसभा भंग कर सकता है।

 रा ीय आपातकाल ( अनु. 352 ) क थ त म लोकसभा का कायकाल एक बार म 1 वष तक बढ़ाया जा सकता है।

 अब तक एक बार लोकसभा का कायकाल बढ़ाया गया है ( 1976-77 म )।

 थम लोकसभा का गठन 17 अ ैल 1952 को आ।

 वतमान म 16व लोकसभा कायरत ह जसका गठन मई 2014 म आ और मई 2019 म कायकाल समा त होना है।

लोकसभा के पदा धकारी :-

 अनु छे द 93 म लोकसभा के पदा धकारी एक अ य और एक उपा य का ावधान कया गया है।

 लोकसभा के सद य अपन म से ही एक अ य और एक उपा य का नवाचन करते है।

 सामा यतः अ य उसी दल का सद य नवा चत होता है जसका लोकसभा म ब मत होता है।

 परंपरा के अनुसार उपा य वप ी पाट का होता है परंतु यह कोई राजनी तक या सं वैधा नक बा यता नह है।

 अ य अपना यागप उपा य को और उपा य अपना यागप अ य को स पता है।

 अ य एवं उपा य लोकसभा को लोकसभा के त कालीन सम त सद य के ब मत से हटाया जा सकता है, बेशत ऐसा ताव लाने
के 14 दन पूव दोन को इस आशय क सू चना दे द गई हो।

 लोकसभा अ य एवं उपा य क कोई अलग से शपथ नह होती है।

लोकसभा अ य के अ धकार एवं काय :-

 लोकसभा क बैठक क अ य ता करता है और सदन क कारवाई का सं चालन करता है।

 वह सदन म शां त बनाए रखने के लए उ रदायी होता है।

 वे सद य को बोलने का समय दे ता है।


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 वह सदन म मतदान के लए रखे गए वषय पर मतदान कराता है।

 वह थमत: मतदान म भाग नह ले ता परंतु प - वप म बराबर मत आने क थ त म नणायक मत दे ता है।

 वह सदन को कुछ समय या कुछ दन तक थ गत रखने का अ धकार रखता है।

 सदन के काय म बाधा डालने वाले सद य को नलं बत कर सकता है।

 दल-बदल के आधार पर अयो यता का नणय ले ता है।

 कोई वधेयक धन वधेयक है या नह , इस सं बंध म लोकसभा अ य का फैसला अं तम माना जाता है।

 वह सं सद के सं यु अ धवेशन क अ य ता करता है।

 भारत क पहली लोकसभा का अ य गणेश वासु देव मावलं कर और उपा य अनंत शयनम अयं गर थे।

 वतमान म 16व लोकसभा क अ य सु म ा महाजन और उपा य पी. थंबी रई थे।

 17व लोकसभा के अ य ओम बड़ला है।

सं सद के न न ल खत काय होते है:-

1. कानून नमाण सं बंधी काय

2. सं वधान सं शोधन सं बंधी काय

3. कायपा लका सं बंधी काय

4. व ीय काय

5. या यक काय

6. नवाचन सं बंधी काय

7. वदे शी मामल सं बंधी काय आ द।

भारतीय संसद के मुख काय :-

A. व ध नमाण :-
व ध नमाण सं सद का सव मुख काय है। व ध नमाण म सं सद के तीन अं ग लोकसभा, रा यसभा व रा प त भाग ले ते है।

वधे यक :-

जब कसी कानून का ा प सं सद म तु त कया जाता है तो उसे वधेयक कहते है।

वधे यक के कार :-

(a). वधे यक को पेश करने वाले य के आधार पर :-

(i) सरकारी वधेयक :-


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जब वधेयक को मं ी प रषद के कसी सद य अथात कसी मं ी ारा तु त कया जाता है तो उसे सरकारी वधेयक कहते
है।

(ii) गैर-सरकारी वधेयक :-

जब वधेयक को मं प रषद के कसी सद य के अलावा अ य सद य ारा तु त कया जाता है तो उसे गैर-सरकारी वधेयक
कहते है। इस वधेयक के पा रत हो जाने पर यह तु त करने वाले सद य के नाम से जाना जाता है। जैसे - शारदा ए ट।

(b). संसद ारा अपनाई जाने वाली या के आधार पर :-

इस आधार पर वधेयक चार कार के होते है :-

(1) साधारण वधेयक

(2) धन वधेयक

(3) व वधेयक

(4) सं वधान सं शोधन वधेयक

1. साधारण वधेयक ारा व ध नमाण क या :-


साधारण वधेयक सरकार के कसी मं ी या सं सद सद य ारा सं सद के कसी भी सदन म तु त कया जा सकता है। ये क से
पा रत होने के लए तीन वाचन से गुजरना होता है जो इस कार है :-

थम वाचन :-

 कसी सदन म सरकारी वधेयक को तु त करने के लए 7 दन पूव सू चना दे नी होती है जब क गैर-सरकारी वधेयक को तु त करने
के लए एक माह पूव सू चना दे नी पड़ती है।

 अय वधेयक को पेश करने क त थ न त करता है।

 नधा रत त थ पर वधेयक तु तकता अ य से वधेयक तु त करने क अनुम त ले ता है। सामा यत: अनुम त दे द जाती है।

 अनुम त मलने के बाद तु तकता वधेयक का शीषक और उ े य बताता है।

 सद य का ब मत से समथन मलने पर वधेयक भारत के राजप म का शत कया जाता है।

 इस कार वधेयक को तु त करने क अनुम त मलने और भारत के राजप म काशन को थम वाचन माना जाता है।

 कभी-कभी सदन का अ य कसी वधेयक को सदन म तु त करने क आ ा दे ने से पूव ही भारत के राजप म काशन क अनुम त
दे दे तो इससे भी थम वाचन पूर ा आ मान लया जाता है।

तीय वाचन :-

 कसी वधेयक के पास होने का सबसे मह वपूण यही चरण है।

 सदन म वधेयक पेश होने के प ात उसक तयां सदन के सद य को बांटने के साथ तीय वचन शु हो जाता है।

 थम वाचन एवं तीय वाचन म ायः दो दन का अं तर होता है परंतु य द अ य आव यक समझे तो उसी दन वधेयक के सरे
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वाचन क आ ा दे सकता है।

वधेयक का तावक न न ताव म से कोई एक ताव रखता है :-

 सदन वधेयक पर तुरत


ं वचार करे।

 वधेयक को वर स म त को भेज दया जाए।

 वधेयक को दोन सदन क सं यु वर स म त को भेज दया जाए।

 जनमत के लए वधेयक को सा रत कया जाए।

य द सदन ब मत से सहमत हो तो सदन वधेयक पर तुरत


ं वचार कर उसी दन ये क धारा पर चचा कर मतदान करा ले ती है।

य द सदन म ग तरोध हो तो वधेयक वर स म त या सं यु वर स म त को भेज दया जाता है जो 3 माह के भीतर सं शोधन स हत सदन म
वधेयक पुन: तु त करती है तब सदन सं शोधन पर चचा कर मतदान करा ले ता है।

इस कार इस चरण म वधेयक के ये क अनु छे द को वीकार या अ वीकार कया जाता है।

तृतीय वाचन :-

 कसी सदन म वधेयक पा रत होने क यह अं तम अव था है।

 इसम वधेयक पर न कोई चचा होती है और न ही सं शोधन कया जाता है।

 इसम सं पूण वधेयक को वीकार या अ वीकार करने के लए मतदान करवाया जाता है।

 य द सदन म उप थत और मतदान म भाग ले ने वाले सद य के साधारण ब मत से वधेयक को वीकार कर लया जाता है तो सदन
का अ य उसे मा णत कर सरे सदन को वचार करने के लए भेज दे ता है।

सरे सदन म वधे यक :-

पहले सदन क तरह सरे सदन म भी वधेयक को तीन वाचन से गुजरना होता है। य द सरा सदन उप थत एवं मतदान करने
वाले सद य के साधारण ब मत से वधेयक पा रत कर दे तो उसे रा प त के पास ह ता र हेतु भेज दया जाता है।

संसद का संयु अ धवेशन :-

अनु छे द 108 म सं सद के सं यु अ धवेशन का ावधान कया गया है। जब एक सदन कसी साधारण वधेयक या व वधेयक
को पा रत कर सरे सदन को भेज दे ता है तो न न ल खत प र थ तय म रा प त सं यु अ धवेशन बुला सकता है :-

 जब सरे सदन ने वधेयक को अ वीकार कर दया हो।

 जब सरे सदन म वधेयक म ऐसा सं शोधन कर दया हो जस पर थम सदन सहमत नह हो।

 जब सरा सदन 6 माह तक वधेयक को रोक ले ता है।

सं यु अ धवेशन क अ य ता लोकसभा अ य करता है।

य द सं यु अ धवेशन म उप थत और मतदान म भाग ले ने वाले सद य के साधारण ब मत से वधेयक पा रत कर दया जाता है तो यह मान


लया जाता है क वधेयक दोन सदन से पा रत हो गया है।

अब तक केवल तीन बार सं यु अ धवेशन बुलाया गया है :-

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i. दहेज तषे ध वधेयक - 1961 म

ii. ब कग से वा आयोग वधेयक - 1978 म

iii. आतंकवाद नरोधक अ यादे श ( POTA ) - 2002 म

वधे यक पर रा प त क वीकृ त :-

यह कसी भी वधेयक के अ ध नयम बनने का अं तम चरण है। जब दोन सदन से पा रत वधेयक रा प त क वीकृ त हेतु भेजा जाता है
तो अनु छे द 111 के तहत रा प त को न न चार श यां ा त है :-

 वह वधेयक पर अपनी अनुम त दे दे ता है।

 वह वधेयक पर अपनी अनुम त नह दे ता है।

 वह वधेयक को अपने पास रोक ले ता है ( पॉकेट वीटो या जेबी वीटो )।

 वह वधेयक को अपनी सलाह के साथ सदन को पुन वचार के लए लौटा दे ता है।

रा प त के अनुम त मलने पर अथात वधेयक पर रा प त के ह ता र हो जाने पर वह वधेयक अ ध नयम बन जाता है और


भारत के राजप म का शत कर लागू कर दया जाता है।

परंतु जब रा प त वधेयक को सदन को पुन वचार के लए लौटा दे और दोन सदन रा प त क सलाह के अनुसार सं शोधन
कर या कोई सं शोधन नह कर ( मूल प ) म पुनः रा प त के पास भेज दे तो इस थ त म रा प त ह ता र करने के लए बा य होगा।

2. धन वधेयक पा रत करना :-
 धन वधेयक को सं वधान के अनु छे द 110 म प रभा षत कया गया है तथा अनु छे द 109 म धन वधेयक क या का उ ले ख
कया गया है।

 कोई वधेयक धन वधेयक है या नह , इसका फैसला लोकसभा अ य ारा ही कया जाता है।

 धन वधेयक रा प त क पूव अनुम त से ही तु त कया जाता है।

 धन वधेयक को सबसे पहले लोकसभा म ही तु त कया जा सकता है।

 लोकसभा से पा रत धन वधेयक को रा यसभा म भेजा जाता है।

 रा यसभा को ा त त थ से 14 दन के भीतर धन वधेयक पा रत कर लोकसभा को वापस भेजना होता है अ यथा धन वधेयक


पा रत आ मान लया जाता है।

 रा यसभा को धन वधेयक म सं शोधन करने का कोई अ धकार नह है।

 रा यसभा केवल सं शोधन क सफा रश कर सकती है जसे वीकार या अ वीकार करना लोकसभा का अ धकार है।

 धन वधेयक आव यक प से एक सरकारी वधेयक ही होता है।

 धन वधेयक पर सं यु अ धवेशन का ावधान नह है।

 धन वधेयक पर रा प त आव यक प से ह ता र करता है।

3. व वधेयक पा रत करना :-
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व वधेयक दो कार के होते है :-

 एक जसम अनु छे द 110 के ावधान के साथ अ य वषय का भी उ ले ख होता है। ऐसे व वधेयक को रा प त क पूव अनुम त
से ही केवल लोकसभा म तु त कया जा सकता है। परंतु यह वधेयक धन वधेयक से इस थ त म भ होता है क इसे रा यसभा
सं शो धत या अ वीकार कर सकती है और इसम सं यु अ धवेशन का भी ावधान है।

 सरा जसम अनु छे द 110 के ावधान का समावेश नह है और न ही लोकसभा अ य इसे धन वधेयक के प म मा णत करता
है। ऐसे वधेयक साधारण वधेयक के समान माने जाते है।

4. सं वधान संश ोधन करना :-


भारतीय सं वधान ारा सं सद को सं वधान सं शोधन करने क श दान क गई है। अनु छे द 368 सं सद को सं वधान सं शोधन करने
का अ धकार दान करता है।

सं सद सं वधान म तीन तरह से सं शोधन कर सकती है :-

 उप थत एवं मतदान करने वाल के साधारण ब मत से सं शोधन

 उप थत एवं मतदान करने वाल के दो- तहाई वशे ष ब मत से सं शोधन

 उप थत एवं मतदान करने वाल के दो- तहाई वशे ष ब मत और आधे से अ धक रा य के अनुसमथन से सं शोधन

Note :- अनु छे द 368 म सं वधान सं शोधन क दो व धय का ही उ ले ख है :- दो- तहाई वशे ष ब मत तथा दो- तहाई वशे ष ब मत और आधे
से अ धक रा य के अनुसमथन ारा सं शोधन।

 सं वधान सं शोधन वधेयक दोन सदन म अलग-अलग पा रत होना आव यक है

 सं वधान सं शोधन के लए सं यु अ धवेशन का ावधान नह है।

 सं वधान सं शोधन वधेयक पर रा प त ह ता र करने से मना नह कर सकता है।

वभ वधे यक पर लोकसभा एवं रा यसभा का भु व :-

 साधारण वधेयक पर लोकसभा का भु व होता है।

 धन वधेयक पर लोकसभा का भु व होता है।

 व वधेयक पर भी लोकसभा का भु व होता है।

 सं वधान सं शोधन वधेयक पर लोकसभा एवं रा यसभा का एक समान भु व होता है।

5. कायपा लका पर नयं ण :-

लोकतां क व था म कायपा लका अथात सरकार अं तम प से जनता के त उ रदायी होती है। भारत म सं सद य
शासन णाली है। अतः कायपा लका सामू हक प से सं सद (लोकसभा) के त उ रदायी होती है। भारत क सं सद कायपा लका को
न न ल खत तरीक से नयं त करने का काय करती है :-

 काल म ल खत एवं मौ खक पूछ कर।

 शू यकाल म बना पूव सू चना दए सावजा नक मह व का उठाकर।

 यानाकषण ताव ारा सावज नक मह व के वषय पर यान आक षत कर।


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 वशे षा धकार ताव ारा

 नदा ताव ारा

 काम रोको ताव ारा

 अ व ास ताव ारा आ द।

अ व ास ताव एवं व ास ताव म अंतर :-

अ व ास ताव व ास ताव

यह वप ी दल ारा लाया जाता है। यह धानमं ी ारा लाया जाता है।

इसके ारा मं प रषद म अ व ास कट कया जाता इसके ारा यह बताया जाता है क मं प रषद के पास
है। ब मत है।

इसके पा रत होने पर मं प रषद को इ तीफा दे ना इसके पा रत होने पर मं प रषद यथावत बनी रहती ह।
पड़ता है।

अ व ास ताव के लए कम से कम 50 सद य का व ास ताव लाने के लए तावक सद य क


अनुसमथन आव यक है। आव यकता नह होती है।

यह ताव सरकार गराने के लए लाया जाता है। यह सरकार बचाने के लए लाया जाता है।

6. अ य काय :-
 सं सद रा प त एवं उपरा प त का नवाचन करती है।

 सं सद रा प त, उपरा प त और यायाधीश पर महा भयोग चला सकती है।

 सं सद वदे श के साथ कए गए समझौत का अनुम ोदन करती है।

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Unit - 2 भारत म शासन

Lesson - 2 संघीय कायपा लका


कायपा लका एवं व था पका के सं बंध के आधार पर शासन के न न तीन प हो सकते है :-

1. संसदा मक शासन :-

जब कायपा लका अपने काय के लए व था पका के त उ रदायी हो तथा कायपा लका के सद य अ नवाय प से
व था पका के भी सद य हो तो ऐसी शासन णाली को सं सदा मक शासन कहते है।

इस शासन णाली म दोहरी कायपा लका पाई जाती है जसम रा का अ य और सरकार का अ य अलग-अलग होते है। जैसे :- भारत,
टे न, ऑ े लया, जापान, जमनी, इटली आ द दे श क शासन व था।

2. अ य ा मक शासन :-

जब कायपा लका अपने काय के लए व था पका के त उ रदायी नह हो और कायपा लका के सद य व था पका के


सद य न हो तो ऐसी शासन णाली को अ य ा मक शासन कहते है।

इसम रा का अ य और सरकार का अ य एक ही होता है। जैसे :- अमे रका, ाजील, चीन आ द दे श क शासन णाली।

3. अ -अ य ा मक शासन :-

ऐसी शासन णाली जसम अ य ा मक और सं सदा मक दोन णा लय के गुण न हत हो, अ -अ य ा मक शासन कहलाता है।

इसम रा प त य प से जनता से नवा चत होता है और धानमं ी सं सद से लया जाता है। जैसे :- ांस, स, ीलं का आ द दे श क
शासन णाली।

भारत का रा प त :-
 अनु छे द 52, "भारत का एक रा प त होगा।"

 अनु छे द 53, "सं घ ीय कायपा लका क श रा प त म न हत होगी जसका योग वह वयं या अपने अधीन थ अ धका रय ारा
करेगा।"

कायपा लका का व प :-

भारत म दोहरी कायपा लका अपनाई गई है :-

1. नाममा क कायपा लका

2. वा त वक कायपा लका

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नाममा क कायपा लका :-

भारत म रा प त कायपा लका का औपचा रक एवं सं वैधा नक धान है। कायपा लका क सम त श यां रा प त म न हत होती है
परंतु रा प त इनका वा तव म योग नह करता है। इस लए रा प त को नाममा क कायपा लका कहा जाता है।

वा त वक कायपा लका :-

भारत म धानमं ी के नेतृ व म मं ीप रषद कायपा लका क श य का वा त वक योग करती है। अतः मं ीप रषद वा त वक
कायपा लका है।

रा प त का नवाचन :-

रा प त के नवाचन का ावधान अनु छे द 54 एवं 55 म कया गया है। अनु छे द 54 म रा प त के नवाचन के लए नवाचक
मंडल का ावधान कया गया है जसम न न सद य शा मल है :-

 सं सद के दोन सदन के नवा चत सद य तथा

 रा य / क शा सत दे श क वधानसभा के नवा चत सद य।

अनु छे द 55 म रा प त के नवाचन क णाली का उ ले ख है। इसके अनुसार रा प त का नवाचन आनुपा तक तनधवक


एकल सं मणीय मत णाली ारा अ य प से गु त मतदान ारा कया जाता है।

रा प त के नवाचन क या :-

84व सं वधान सं शोधन अ ध नयम 2001 ारा अनु छे द 55 म यह ावधान कया गया क 2026 तक रा प त का नवाचन 1971
क जनगणना को आधार मानकर कया जाएगा। रा प त के नवाचन म न न दो स ांत को अपनाया गया है

1. सम पता एवं समतु यता का स ांत :-

सम पता के अनुसार सभी रा य और क शा सत दे श क वधानसभा के नवा चत सद य के मत मू य नधारण के लए एक


सामान या अपनाई जाएगी।

समतु यता के अनुसार सभी रा य और क शा सत दे श क वधानसभा के नवा चत सद य के मत मू य का योग सं सद के दोन


सदन के नवा चत सद य के मत मू य के योग के समान (समतु य) होगा अथात

सभी वधानसभा का मत मू य = सं सद के दोन सदन का मत मू य

वधानसभा सद य का मत मू य =

संसद सद य का मत मू य =

रा प त पद के लए नवा चत होने के लए नधा रत मत ( यू नतम कोटा ) ा त करना आव यक है जो इस सू ारा ात कया जाता है:-

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यू नतम कोटा = +1

चूं क रा प त पद के लए एक ही सद य नवा चत होता है। अतः

यू नतम कोटा = +1

अथात भारत के रा प त पद पर नवा चत को डाले गए वैध मत के आधे से अ धक मत ा त करना आव यक है।

एकल सं मणीय मत णाली स ांत :-

इस स ांत के अनुसार य द या शय क सं या एक से अ धक है तो ये क मतदाता उतने मत वरीयता म म दे गा जतने


याशी है अथात ये क मतदाता, ये क याशी को अपना मत वरीयता म के अनुसार दे ता है। जैसे य द कुल 4 याशी रा प त पद का
चुनाव लड़ रहे ह तो मतदाता चार या शय को थम, तीय, तृतीय व चतुथ वरीयता म के अनुसार अपना मत दे गा।

रा प त के चुनाव म मतदाता सद य केवल अपने इ छत उ मीदवार को ही वोट नह दे ते ह ब क वह सभी उ मीदवार को अपने मत


प म वरीयता मांक दे ते ए मतदान करता है। मतगणना म इ ह वरीयता क गणना होती है।

य द रा प त पद के लए चार उ मीदवार चुनाव म जाते ह और उनम से कसी भी उ मीदवार को यू नतम कोटा ा त नह होता है तो
सबसे कम मत ा त करने वाले उ मीदवार को हटाकर उसके मत क सरी वरीयता के अनुसार उसके मत का ह तां तरण अ य उ मीदवार को
कर दया जाता है। ऐसा तब तक कया जाता है जब तक क कसी एक उ मीदवार को यू नतम कोटा न मल जाए।

रा प त को वेतन/ वशेषा धकार :-

 रा प त का वेतन 5 लाख पये तमाह (आयकर मु )।

 रा प त के वेतन-भ े उसक पदाव ध के दौरान कम नह कए जा सकते है।

 रा प त पद से कायमु होने पर पशन एवं एक सरकारी आवास आजीवन ा त होगा और उसक मृ यु पर उसक प नी को आधी
पशन व सरकारी आवास आजीवन मले गा।

 रा प त के व पदाव ध के दौरान यायालय म द वानी व फौजदारी मुकदमा नह चलाया जा सकता है।

 रा प त के व पदाव ध के दौरान न तो गर तारी वारंट जारी कया जा सकता है और न ही उसे गर तार कया जा सकता है।

 रा प त पद हण करने से पूव या प ात के उसके गत प से कए गए काय के लए 2 माह पूव ल खत नो टस जारी कर


द वानी कारवाई क जा सकती है।

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रा प त के आवास :-

आवास का ववरण भवन का नाम पता

औपचा रक आवास रा प त भवन राय सना ह स, नई द ली

ी मकालीन आवास द र ट छरबरा ( शमला ) हमाचल दे श

अ य आवास रा प त नलयम हैदराबाद ( आं दे श )

रा प त क श यां एवं काय :-


रा प त क श य को दो भाग म बांट ा जा सकता है :-

समा यकालीन श याँ आपातकालीन श याँ

कायपा लका श यां रा ीय आपात

वधायी श यां रा य म सं वैधा नक तं क वफलता

व ीय श यां व ीय आपातकाल

या यक श यां

सै य श यां

राजनी तक श यां

A. सामा यकालीन श यां :-


1. कायपा लका श :-

सं घ क कायपा लका श रा प त म ही न हत होती है अथात रा प त कायपा लका का सं वैधा नक मुख होता है।
कायपा लका का मुख होने के नाते उसे व भ कार क नयु य का अ धकार ा त है :-

 धानमं ी व मं य क नयु यां।

 भारत के महा यायवाद क नयु ।

 उ चतम यायालय व उ च यायालय के यायाधीश क नयु ।

 रा य म रा यपाल और सं घ शा सत दे श म उपरा यपाल व शासक क नयु ।

 व भ रा ीय आयोग के अ य और सद य क नयु ।

2. वधायी श यां :-

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सं सद य व था म कायपा लका का सं वैधा नक मुख होने के साथ रा प त सं सद का अ भ अं ग है। सं सद के दोन सदन
से पा रत वधेयक पर इसे न न श यां ा त है :-

 वह वधेयक को वीकृ त दे सकता है।

 वह वधेयक को वीकृ त दे ने से मना कर सकता है।

 वह वधेयक क अ न तकाल तक अपने पास रोक सकता है।

 वह वधेयक को सलाह के साथ पुन वचार के लए लौटा सकता है।

इस कार कोई वधेयक तभी अ ध नयम बन सकता है जब रा प त उस पर अपने ह ता र कर दे ।

इसके अलावा रा प त क अ य वधायी श याँ न न है :-

 सं सद का स बुलाना एवं स ावसान क घोषणा करना।

 तवष सं सद के दोन सदन को अपना अ भभाषण दे ना।

 रा प त ारा लोकसभा को समय पूव भंग करना।

 रा प त ारा रा यसभा म 12 एवं लोकसभा म 2 सद य मनोनीत करना।

 सं सद का स नह होने पर अ यादे श जारी करना।

3. व ीय श यां :-

 रा प त त वष के आरंभ म आय- य का ववरण ( बजट ) तु त करवाता है।

 रा प त के अनुम त के बना धन वधेयक, व वधेयक एवं अनुदान मांगे लोकसभा म ता वत नह क जा सकती है।

 आक मक न ध पर रा प त का नयं ण होता है।

 वह व आयोग क नयु करता है।

 व आयोग क सफा रश पर आयकर एवं अ य कर से ा त आय का क एवं रा य म बटवारा करता है।

 वह नयं क एवं महाले खा परी क (CAG) क नयु करता है।

4. या यक श यां :-

अनु छे द 72 के तहत रा प त को अपराध के न न मामल म माधान क श यां ा त है :-

 जब द ड सं घ सू ची म व णत वषय के अपराध म दया गया हो।

 जब दं ड सै नक यायलय ारा दया गया।

 जब द ड मृ यु दंड मला हो ( सभी वषय म )।

ामाधान क श के ारा रा प त दं ड को मा कर सकता है, प रहार, वराम या लघुकरण कर सकता है।

मादान : कसी भी सजा को पूण प से माफ करना।

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वलं ब : मृ यु दंड को अ थायी प से नलं बत करना।

प रहार : दं ड क कृ त बदले बना दं ड क मा ा कम करना।

वराम : कसी वशे ष कारण से दं ड क मा ा कम करना।

लघुकरण : दं ड क कृ त बदलते ए दं ड क मा ा कम करना।

5. सै य श यां

 रा प त तीन से ना का धान से नाप त होता है।

 उसे तीन से ना अ य क नयु का अ धकार ा त है।

6. राजन यक श यां :-

 रा प त सं वैधा नक मुख होने के नाते वदे श म भारत का त न ध व करता है।

 अ य दे श के साथ सं धयाँ एवं समझौते रा प त के नाम से ही कए जाते है।

 वदे श म थत भारतीय तावास म राज त एवं कूटनी तक त न धय क नयु करता है।

 वदे शी राज त एवं कूटनी तक त न धय के माण प वीकार करता है।

B. आपातकालीन श यां :-

रा प त को सं कटकालीन प र थ तय म न न श यां ा त है :-

1. रा ीय आपातकाल क घोषणा :-

 अनु छे द 352 के ारा रा प त यु या बा आ मण या सश व ोह के कारण भारत या उसके कसी भाग म


सु र ा का सं कट उ प होने पर रा ीय आपातकाल क घोषणा कर सकता है।

 आपातकाल क घोषणा मं मंडल क ल खत सहम त होने पर ही क जाएगी।

 आपातकाल क उ ोषणा का एक माह म सं सद से अनुम ोदन आव यक है।

 आपातकाल 6 माह तक लागू रहेगा। 6 माह बाद लागू रखने के लए पुनः सं सद का अनुम ोदन आव यक है।

अब तक तीन बार रा ीय आपात क घोषणा क गई है :-

i. 1962 म भारत पर चीन के आ मण के कारण।

ii. 1971 म भारत पर पा क तान के आ मण के कारण।

iii. 1975 म आंत रक अशां त के आधार पर।

2. रा य म संवध
ै ा नक तं क वफलता :-

अनु छे द 356 के तहत जब रा प त को रा यपाल या अ य मा यम से यह ात हो जाए क रा य म ऐसी थ त उ प हो चुक है


जससे उस रा य का शासन सं वधान के अनुसार नह चलाया जा सकता है तब रा प त उस रा य क मं प रषद को बखा त कर दे ता है। इसे
आम बोलचाल म रा य म रा प त शासन लागू होना कहा जाता है।

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 रा प त क ऐसी घोषणा का सं सद ारा दो माह म अनुम ोदन मल जाना चा हए।

 अनुम ोदन उपरा त एक बार म 6 माह तक रा प त शासन लागू रहेगा।

 कसी रा य म एक वष से अ धक रा प त शासन भी रह सकता है :-

i. जब रा ीय आपात लागू हो,

ii. जब चुनाव आयोग यह मा णत कर दे क उस रा य म चुनाव कराया जाना सं भव नह है।

परंतु कसी भी प र थ त म 3 वष से अ धक समय तक रा प त शासन लागू नह रह सकता है।

Note :- ज मू क मीर म रा यपाल शासन लागू होता है।

3. व ीय आपातकाल :-

अनु छे द 360 के तहत जब रा प त को यह ात हो जाए क भारत या उसके कसी भाग म व ीय था य व का सं कट


है तो वह व ीय आपातकाल क घोषणा कर सकता है

 ऐसी घोषणा का सं सद ारा दो माह म अनुम ोदन आव यक है।

 व ीय आपातकाल म यायाधीश स हत सभी अ धका रय के वेतन म कटौती क जा सकती है।

 दे श म अब तक एक बार भी व ीय आपातकाल लगाने क नौबत नह आई है।

 आपातकाल से संबं धत मह वपूण त य :-

वषय रा ीय आपात रा प त शासन व ीय आपात

सं सद ारा अनुम ोदन एक माह म 2 माह म 2 माह म

एक बार म कतने समय तक 6 माह 6 माह 6 माह

अ धकतम अव ध अन त 3 वष अन त

कस े म लागू सं पूण भारत या एक या अ धक रा य सं पूण भारत या


उसके कसी भाग म के सं पूण रा य े म उसके कसी भाग म

इसके अलावा रा प त को कुछ व ववेक य श यां ा त है जो इस कार है :-

 लोकसभा चुनाव म खं डत जनादे श (ब मत नह ) मलने पर रा प त धानमं ी क नयु अपने ववेक से उस दल या गठबंधन के


नेता क करता है जो रा प त क राय म सदन म व ास मत ा त कर सकता हो।

 रा प त लोकसभा का वघटन मं प रषद क सलाह पर करता है परंतु य द धानमं ी के पास सदन म ब मत नह है तो रा प त


उसक सलाह मानने से इंकार कर सकता है।

 य द धानमं ी का आक मक नधन हो जाए और स ाधारी पाट कसी को नया नेता नह चुन पाती है तो रा प त स ाधारी पाट के
कसी भी को धानमं ी नयु कर सकता है।
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 य द मं प रषद ने लोकसभा म अपना व ास खो दया है परंतु यागप दे ने को तैयार नह हो तो रा प त व ववेक से मं ी प रषद को
बखा त कर सकता है।

धानमं ी
भारत म सं सद य शासन णाली है जसम शासन क श य का वा त वक योग धानमं ी क अ य ता वाली मं ीप रषद ारा
कया जाता है।

मं ीप रषद क संरचना :-

भारतीय सं वधान के अनु छे द 74 म यह बताया गया है क रा प त को सहायता एवं सलाह दे ने के लए एक मं प रषद होगी जसका
मु खया धानमं ी होगा। इस कार मं ीप रषद क रचना का थम कदम धानमं ी क नयु है।

धानमं ी क नयु :-

अनु छे द 75 के अनुसार धानमं ी क नयु रा प त करेगा।

रा प त उस दल या गठबंधन के नेता को धानमं ी नयु करता है जस दल या गठबंधन को लोकसभा म प ब मत हा सल है। य द


लोकसभा म कसी भी दल या गठबंधन को प ब मत हा सल नह है तो सामा यत: रा प त सबसे बड़े दल या गठबंधन के नेता को सरकार
बनाने के लए आमं त करता है और उसे न त अव ध म सदन म ब मत हा सल करने का आदे श दे ता है।

मं य क नयु एवं वभाग का आवंटन :-

सं वधान के अनु छे द 75 के अनुसार रा प त धानमं ी क सलाह पर मं य क नयु करता है। धानमं ी अपने पद क शपथ
ले ने के बाद अ य मं य के नाम और वभाग क सू ची रा प त को दे ता है। रा प त उस सू ची को वीकृ त दान कर मं य को पद एवं
गोपनीयता क दो शपथ दलाता है। धानमं ी स हत सभी मं ी सं सद के कसी भी सदन से चुने जा सकते है। य द कोई धानमं ी या
मं ी चुने जाने के व सं सद का सद य नह है तो उसे 6 माह के अं दर सं सद क सद यता हा सल करना अ नवाय है।

मं य के कार :-
मं प रषद म तीन कार के मं ी होते है :-

1. कै बनेट मं ी :-

ये थम ण
े ी के मं ी होते ह जो अपने आवं टत वभाग के अ य होते है। ये मं मंडल /के बनेट क बैठक म भाग ले ते है।

2. रा य मं ी :-

ये सरी ण े ी के मं ी होते ह जो कै बनेट क बैठक म भाग नह ले ते है। कुछ रा य मं य को कसी वभाग का वतं भार भी दया
जाता है तो कुछ को कै बनेट मं ी के साथ सं ब कया जाता है।

3. उपमं ी :-

ये तीसरी ण े ी के मं ी होते ह जो कै बनेट और रा यमं ी क सहायता करते है। इ ह कसी वभाग का वतं भार नह दया जाता है
और न ही ये कै बनेट क बैठक म भाग ले ते है।

संसद य स चव :-

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इनक नयु धानमं ी करता है। इनका काय वभाग के मं य क सं सद म सहायता करना है।

मं प रषद का आकार :-

91व सं वधान सं शोधन अ ध नयम 2003 ारा यह नधा रत कया गया है क मं ी प रषद म धानमं ी स हत मं य क कुल सं या
लोकसभा के कुल सद य सं या के 15% से अ धक नह होगी। वतमान म क य मं ी प रषद म अ धकतम 82 मं ी हो सकते है।

मं ीप रषद का कायकाल :-

सं वधान के अनु छे द 75 के अनुसार सभी मं ी रा प त के सादपयत अपने पद पर बने रह सकते है। सामा यतः धानमं ी एवं
मं प रषद तब तक बनी रह सकती है जब तक उनको लोकसभा म व ास मत हा सल है।

मं य क शपथ :-

धानमं ी स हत सभी मं य को तीसरी अनुसूची म व णत ा प के अनुसार पद एवं गोपनीयता क शपथ रा प त ारा दलाई जाती
है। पद क शपथ म कत के नवहन क शपथ दलाई जाती है जब क गोपनीयता क शपथ म मं मंडल के नणय को गु त रखने क शपथ
दलाई जाती है।

धानमं ी क भू मका और उ रदा य व :-


नन ब के आधार पर हम धानमं ी क भू मका एवं उ रदा य व को समझ सकते है :-

1. मं य क नयु :-

धानमं ी क सलाह पर ही मं य क नयु रा प त ारा क जाती है। साथ ही धानमं ी के कहने पर ही कसी मं ी को
अपने पद से इ तीफा दे ना पड़ता है।

2. वभाग का आवंटन :-

सभी मं य को वभाग का आवंटन धानमं ी ारा ही कया जाता है। साथ ही धानमं ी व भ मं ालय और वभाग के
बीच सम वय था पत करने का काय करता है।

3. मं मंडल का नेता :-

धानमं ी कै बनेट या मं मंडल का नेता होता है वह कै बनेट क बैठक बुलाता है और उनक अ य ता करता है। कै बनेट क
बैठक म या काय एवं वचार- वमश करना है, इसका नधारण धानमं ी करता है।

4. संसद एवं कै बनेट के म य कड़ी :-

धानमं ी सं सद म सरकार क तरफ से मु य व ा होता है और वह लोकसभा का नेता भी होता है। सरकार के नी तगत
फैसल क घोषणा धानमं ी ारा क जाती है।

5. सरकारी त न ध के प म :-

धानमं ी सरकार का त न ध होने के नाते व भ उ च तरीय बैठक और अं तरा ीय सं गठन म भारत का त न ध व करता
है। वह रा ीय मह व के व भ अवसर पर दे श को सं बो धत भी करता है।

6. मं ालय का भारी :-

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जन वभाग का आवंटन मं य को नह कया जाता है उ ह धानमं ी अपने पास रख ले ता है। इस कार वह कई मं ालय
का भारी भी होता है।

7. मं प रषद एवं रा प त के म य संवाद क कड़ी :-

धानमं ी मं प रषद के नणय से रा प त को अवगत कराता है और रा प त ारा सं घ के शासन एवं वधान के सं बंध म
जानकारी मांगने पर जानकारी उपल ध कराता है। कसी मं ी ारा लए गए नणय को रा प त के कहने पर मं प रषद म पुनः वचार
हेतु रखवाने का काय धानमं ी ारा ही कया जाता है।

धानमं ी के अ धकार एवं श यां :-


भारत के धानमं ी को व के श शाली शासना य म से एक होने का गौरव ा त है। सं पूण शासन क श धानमं ी के इद-
गद ही घूमती है। उ कथन को धानमं ी के न न ल खत अ धकार एवं श य ारा सही सा बत कया जा सकता है :-

1) वह सरकार का मु खया होता है। अतः क य मं मंडल एवं अ य नी त नमाता सं था से सं बं धत मह वपूण नणय उसक दे खरेख
म ही लए जाते है।

2) रा प त को मं य क नयु , वभाग आवंटन, वभाग प रवतन, उनके मं ी पद से यागप वीकार या अ वीकार करने क सलाह
दे ता है।

3) मं प रषद क बैठक क अ य ता करता है और यह सु न त करता है क मं प रषद सामू हक उ रदा य व के स ांत पर काय


करे।

4) क य शासन एवं वधान सं बंधी मं प रषद के नणय से रा प त को अवगत कराता है।

5) कसी मं ी के नणय को रा प त के कहने पर पुनः मं ीप रषद म वचाराथ रखवाता है।

6) वह सं सद के काय सं चालन को नेतृ व दान करता है।

7) सम त सरकारी वधेयक उसक दे खरेख और सलाह से तैयार कए जाते है।

8) वह सं सद म सरकार का मु य व ा होता है।

9) शासक य नी त क अ धकृत घोषणा धानमं ी ारा ही क जाती है।

10) वह व भ मं ालय के मतभेद को र कर उनम सामंज य था पत करवाता है।

11) वह व भ मह वपूण नयु य म रा प त को सलाह दे ता है।

12) वह रा प त को सं सद का स बुलाने एवं स ावसान क सलाह दे ता है।

13) वह रा प त को लोकसभा भंग करने क सफा रश भी कर सकता है।

14) वह व भ आयोग का पदे न अ य होता है।

15) वह लोकसभा म सामू हक उ रदा य व के स ांत को सु न त करता है।

16) वह क य मं प रषद और रा प त के बीच क कड़ी होता है।

17) वह वदे श नी त सं बंधी मह वपूण ले ता है और वदे श म दे श का त न ध व करता है।

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Unit - 2 भारत म शासन


Lesson - 3 यायपा लका
सव च यायालय :-
भारतीय शासन णाली म यायपा लका शासन णाली का तीसरा आधार तं भ है। भारत म शासन णाली सं घ ा मक है परंतु
यायपा लका एक कृत है अथात पूर े दे श के लए एक ही सव च यायालय ह। न ही क और रा य के लए पृथक-पृथक यायालय ह और न ही
व भ यायालय के म य श वभाजन है।

भारतीय यायपा लका क संरचना :-

भारत म यायपा लका क सं रचना परा मड या शं कु क तरह है जसम शखर पर उ चतम यायालय, उसके नीचे रा य म उ च
यायालय और जला तर पर अधीन थ यायालय ( जला व स यायालय ) है।

25

सव च यायालय :-

सं वधान के अनु छे द 124 से 147 तक सव च यायालय के गठन काय व श य का वणन कया गया है।

 सव च यायालय सं पूण भारतीय तर पर एक है।

 इसके नणय सभी यायालय पर बा यकारी होते है।

 यह कसी भी अदालत से मुकदमा अपने पास मंगा सकता है या अ य यायालय म थानांत रत कर सकता है।

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 इसे उ च यायलय के नणय के व अपील सु नने का अ धकार ा त है।

 इसे उ चतम यायालय के यायाधीश का थानांतरण करने का अ धकार ा त है।

 वतमान म उ चतम यायालय म मु य यायाधीश स हत 31 यायाधीश है।

 सव च यायालय का मु यालय नई द ली म थत है।

 सव च यायालय मूल अ धकार का सं र क है।

उ च यायालय :-

भारतीय सं वधान के अनु छे द 214 से 231 तक उ च यायलय का ावधान कया गया है।

 उ च यायालय रा य तर का सबसे बड़ा यायालय होता है।

 वतमान म 25 उ च यायालय है। नवीनतम तेलंगाना उ च यायालय 1 जनवरी 2019 से ।

 सव च यायालय क तरह उ च यायालय को भी मूल अ धकार के सं र ण के लए रट जारी करने का अ धकार है।

 इसे अधीन थ यायालय का पयवे ण एवं नयं ण का अ धकार है।

 इसे नचली अदालत के नणय के व अपील पर सु नवाई का अ धकार है।

अधीन थ यायालय :-

सं वधान म अनु छे द 233 से 237 तक अधीन थ यायालय का ावधान कया गया है।

अधीन थ यायालय जला तर का सबसे बड़ा यायालय होता है, इसे जला यायालय भी कहा जाता है।

जला यायालय के दो भाग होते है :-

 स वल यायालय

 स यायालय

स वल यायालय द वानी मामल क सु नवाई करता है जब क स यायालय आपरा धक मामल क सु नवाई करता है।

मुं सफ / म ज ेट यायालय :-

 यह पंचायत स म त तर पर थत होते है।

 इसे ₹5000 तक के मुकदमे सु नने का अ धकार है।

याय पंच ायत :-

 ामीण े म सबसे नचले तर पर याय पंचायत होती है।

 इ ह ₹500 तक के द वानी मामल क सु नवाई का अ धकार है।

 ये फौजदारी ववाद क सु नवाई भी कर सकते है।

 यह ₹250 तक का जुम ाना लगा सकती है परंतु कारावास के दं ड का अ धकार नह है।

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 इनके नणय के व अपील नह क जा सकती है।

यायपा लका क वतं ता :-

भारतीय सं घ ीय व था म क और रा य म श य का वभाजन कया जाकर ववाद का समाधान करने के लए वतं एवं


नप याय पा लका क थापना क गई है। यायपा लका वतं ता को बनाए रखने के लए न न ल खत ावधान कए गए है :-

1) यायाधीश क नयु म वधा यका ( सं सद / वधानसभा ) क कोई भू मका नह होती है।

2) यायाधीश क पदाव ध न त होती है।

3) यायाधीश को पद से हटाने क व ध क ठन है और उ ह केवल स कदाचार एवं असमथता के आधार पर ही महा भयोग ारा हटाया
जा सकता है।

4) यायाधीश के वेतन, भ े एवं अ य सु वधा पर सं सद म बहस एवं मतदान नह कया जा सकता है।

5) यायाधीश क नयु प ात् पदाव ध म व ीय आपातकाल के अलावा कभी भी वेतन-भ म कटौती नह क जा सकती।

6) यायधीश क पदो त एवं थानांतरण पर कायपा लका व सं सद का कोई ह त प


े नह होता है।

7) यायाधीश के काय एवं नणय पर सं सद म चचा नह क जा सकती है।

8) यायालय क और उसके नणय क अवमानना करने पर यायालय दं डत कर सकता है।

9) यायालय के नणय बा यकारी होते है।

यायाधीश क नयु :-
संवध
ै ा नक ावधान :-

सव च यायालय के यायाधीश क नयु के सं बंध म सं वधान के अनु छे द 124 म यह ावधान कया गया है क रा प त भारत के
उ चतम यायालय के मु य यायाधीश क सलाह से यायाधीश क नयु करेगा।

कॉले जयम व था :-

इस व था क उ प सव च यायालय के नणय से ई है जसे " ी जजेज केसे स" भी कहा जाता है। 6 अ टू बर 1993 को सु ीम
कोट के नौ जज क खंडपीठ ारा दए गए नणय के आधार पर कॉले जयम व था का गठन कया गया है।

कॉले जयम व था के तहत उ चतम यायालय के मु य यायाधीश और उ चतम यायालय के चार व र तम यायाधीश क एक व था होगी
जसक सलाह पर ही रा प त यायाधीश क नयु करेगा।

इस कार यायाधीश क नयु म सामू हकता के स ांत को अपनाया गया है जसम रा प त, कॉले जयम व था एवं मं प रषद
मह वपूण भू मका नभाती है।

यायाधीश को पद से हटाना :-

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संवध
ै ा नक ावधान :-

सं वधान के अनु छे द 124 के अनुसार यायाधीश को महा भयोग क या ारा हटाया जा सकता है।

हटाने का आधार :-

 स कदाचार

 असमथता

महा भयोग क या :-

 यायाधीश को हटाने का ताव कसी भी सदन म लाया जा सकता है।

 ताव य द लोकसभा म लाया जाता है तो 100 सद य ारा और य द ताव रा यसभा म लाया जाता है तो 50 सद य ारा
ह ता रत होना चा हए।

 लोकसभा अ य या सभाप त ताव को वीकार या अ वीकार करने का अ धकार रखता है।

 ताव वीकार करने पर आरोप क जांच करने के लए एक 3 सद य स म त का गठन कया जाता है जसम -

i. उ चतम यायालय का मु य यायाधीश,

ii. कसी एक उ च यायालय का मु य यायाधीश और

iii. कोई स व धवेता शा मल होते है।

 आरोप स होने पर यह स म त अपनी रपोट सदन को स पती है और यायाधीश को हटाने का ताव रखती है।

 पहला सदन उप थत एवं मतदान करने वाले सद य के दो- तहाई ब मत से ताव पा रत कर सरे सदन को भेजता है।

 सरा सदन भी उप थत एवं मतदान करने वाले सद य के दो- तहाई ब मत से ताव पा रत कर दे तो रा प त उस यायाधीश को
हटाने का आदे श दे ता है।

सव च यायालय का े ा धकार :-

1. ारं भक े ा धकार :-
उ चतम यायालय का वह े ा धकार जसके तहत वह कसी मामले क सीधे सु नवाई करता है, ारं भक े ा धकार
कहलाता है। उ चतम यायालय को दो कार के ारं भक े ा धकार ा त है :-

आ या तक ारं भक े ा धकार :-

इसके तहत वे मामले आते है जनक सु नवाई का अ धकार केवल उ म यायालय को ही है। जैसे :-

i. भारत सरकार तथा एक या एक से अ धक रा य के म य ववाद।

ii. ऐसे ववाद जनम एक तरफ भारत सरकार व एक या अ धक रा य और सरी तरफ एक या अ धक रा य हो।

iii. दो या दो से अ धक रा य के म य ववाद।

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रट संबध
ं ी े ा धकार या समवत ारं भक े ा धकार :-

इसके तहत वे मामले आते है जनक सु नवाई का अ धकार उ चतम यायालय एवं उ च यायालय दोन को समान प से
है। इसके तहत उ च म यायलय को अनु छे द 32 और उ च यायालय को अनु छे द 226 के तहत मूल अ धकार क र ा हेतु
व भ तरह क रट जारी करने का अ धकार है।

2. अपीलीय े ा धकार :-
सव च यायालय का अपीलीय े ा धकार वह अ धकार है जसके तहत वह उ च यायालय के नणय के व अपील
सु नता है। इस कार सव च यायालय अपील का उ चतम यायालय है। अपीलीय मामल म तभी सु नवाई होती ह जब उ च यायालय
यह माण प दे क :-

 उस मामले म व ध का मह वपूण न हत है।

 उसक राय म उस पर उ चतम यायालय ारा नणय ले ना आव यक है।

उ च यायालय के इस माण प के आधार पर सव च यायालय के अपीलीय अ धकार को चार भाग म बांट ा जा सकता है :-

 सं वैधा नक मामल म अपील।

 स वल मामल म अपील।

 आपरा धक मामल म अपील।

 वशे ष इजाजत से अपील।

3. सलाह स ब धी े ा धकार :-
सं वधान के अनु छे द 143 के तहत रा प त न न दो मामल म उ चतम यायालय से सलाह ले सकता है :-

 जो सावजा नक मह व का हो।

 ऐसी सं ध या समझौते जो सं वधान लागू होने से पूव कए गए थे।

थम मामले म न तो उ च म यायालय सलाह दे ने के लए बा य है और न ही रा प त उसक सलाह मानने के लए बा य है। ीय


मामले म उ चतम यायालय सलाह दे ने हेतु बा य है परंतु रा प त सलाह मानने के लए बा य नह है।

सलाहकार े ा धकार क उपयो गता :-

जब रा प त या सरकार दोन ही थ तय म उ चतम यायालय क सलाह मानने के लए बा य नह है फर भी इसक न न


उपयो गता है :-

 कसी मह वपूण मु े पर उ चतम यायालय क कानूनी राय मल जाने से उस मु े पर कानूनी ववाद से बचा जा सकता है।

 सरकार उ च यायालय क सलाह के अनुसार अपने ता वत नणय या वधेयक म समु चत सं शोधन कर सकती है।

 यह सलाह अधीन थ यायालय के लए बा यकारी एवं नदश के प म मानी जाती है।

या यक स यता :-
जब यायपा लका लोग के मौ लक अ धकार क र ा एवं सामा जक याय क उ त के लए अपने काय े से ऊपर उठकर

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काय करती है या नणय ले ती है तो इसे या यक स यता कहा जाता है।

भारत म या यक स यता का मु य साधन जन हत या चका ( PLI ) है। या यक स यता का थम मु ा भागलपुर ( बहार) के


कै दय के अ धकार के लए 1979 म तु त आ। तब से आज तक या यक स यता ने अ त ु काय कए है।

जन हत या चका क शु आत 1980 के दशक म यायमू त पी. एन. भगवती एवं कृ णा अ यर ने क ।

या यक स यता का भाव :-

या यक स यता के न न ल खत भाव गोचर हो रहे है :-

 उ चतम यायालय ने जन हत या चका को मा यता दान क है। अब कोई भी कसी अ य या समूह क ओर से या चका
दायर कर उसका मुकदमा लड़ सकता है।

 उ चतम यायालय ने अनु छे द 21 के मौ लक अ धकार क नवीन ा या क है और आम आदमी के जीवन व सु र ा को वहा रक


बनाने का यास कया है।

 उ चतम यायालय ने नाग रक क ग रमा और त ा क सु र ा क ओर अ धक यान क त कया है।

 उ चतम यायालय ने कायपा लका के व ववेक पर नयं ण कया है।

 यायपा लका और मौ लक अ धकार :-


सव च यायालय को मौ लक अ धकार का सं र क एवं सं वधान का ा याकार होने का गौरव ा त है। कसी भी के
मौ लक अ धकार का हनन होने पर वह सीधे उ चतम यायालय या उ च यायालय म या चका दायर कर सकता है। उ चतम यायालय एवं उ च
यायालय मशः अनु छे द 32 एवं अनु छे द 226 के तहत मूल अ धकार के सं र ण के लए पांच तरह क रट जैसे - बंद य ीकरण,
परमादे श, तषे ध, उ े षण ले ख और अ धकार पृ छा जारी करते है। य द वधा यका या रा य ऐसा कानून बनाते है जससे मूल अ धकार का
हनन होता है तो सव च यायालय अनु छे द 13 क अनुपालना कर ऐसे कानून को नर त कर सकता है। इस काय को या यक पुनरावलोकन
कहा जाता है।

यायपा लका और संसद :-


या यक स यता से वतमान म यायपा लका एवं सं सद व भ मामल म आमने-सामने खड़ी है। सं वधान लागू होने के ारंभ से ही
कसी न कसी मु े पर सं सद एवं यायपा लका म टकराव क थ त रही है। ारंभ म सं सद सं प के अ धकार पर कुछ तबंध लगा कर भू म
सु धार को लागू करना चाहती थी परंतु यायपा लका ने कहा क सं सद मूल अ धकार को सी मत नह कर सकती। गोलकनाथ ववाद 1967 से
केशवानंद भारती ववाद 1973 तक सं सद एवं यायपा लका म ववाद काफ गहरा गया। अं ततः यायपा लका ने सं वधान के आधारभूत ढांचे म
बना कसी बदलाव के सं सद के सं वधान सं शोधन क श को वीकारा। 44व सं वधान सं शोधन अ ध नयम 1978 ारा सं प के अ धकार
के मूल अ धकार से नरसन एवं मनवा म स बाद 1980 ारा दए गए नणय से यायपा लका का कद काफ ऊंचा उठा। 1980 के दशक म
यायमू त पी.एन. भगवती एवं कृ णा अ यर ने जन हत या चका के मा यम से यायपा लका के काय, अ धकार और श य को काफ
ापक बना दया। वतमान म यायपा लका ने अनु छे द 21 क ा या कर उसे अ यं त ापक बना दया है। यायपा लका ने कई मु पर
कायपा लका और व था पका को कानून बनाने के लए आदे श दया है और कई बार सं सद ारा बनाए गए कानून को या यक पुनरावलोकन
ारा नर त कया है।

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Unit - 2 भारत म शासन


Lesson - 4 रा य शासन एवं थानीय शासन
भारतीय सं घ ीय व था म श य का वभाजन सं घ एवं उसक इकाइय के म य कया गया है। सं घ ीय तर पर सं घ ीय सरकार व
सं सद और रा य तर पर रा य सरकार व वधानम डल कायरत है।

रा य शासन क वशेषताएं :-

रा य शासन क वशे षताएं न न ल खत है :-

i. रा य शासन का वतं अ त व।

ii. पृथक सं वधान नह ।

iii. रा यपाल रा प त का त न ध।

iv. आपातकाल म क य शासन लागू।

v. क य सरकार पर नभरता।

vi. थानीय वशासन रा य शासन के अधीन।

vii. स चवालय - रा य शासन क धुर ी।

viii. जन सहभा गता पर आधा रत।

रा यपाल :-
भारतीय सं वधान के अनु छे द 153 के अनुसार ये क रा य का एक रा यपाल होगा। साथ ही एक ही को एक या अ धक
रा य का रा यपाल भी नयु कया जा सकता है।

रा यपाल उस रा य का सं वैधा नक मुख होता है और रा प त क तरह नाम मा क श य का योग करता है। इस कार रा य तर
पर रा यपाल नाम मा क कायपा लका है।

रा यपाल क थ त :-

सं वधान के अनु छे द 154 के तहत रा य क कायपा लका श रा यपाल म न हत होगी जसका योग वह वयं या अपने
अधीन थ के मा यम से करेगा।

अनु छे द 163 म रा यपाल क सहायता एवं सलाह के लए मं प रषद होने क बात क गई है परंतु साथ ही रा यपाल को कुछ काय व ववेक
से करने के बारे म भी लखा गया है।

रा य क बदलती एवं वशे ष प र थ तय म रा यपाल क व ववेक श यां अ यं त मह वपूण हो जाती है।

रा यपाल क बदलती भू मका के कारण :-


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सं वधान लागू होने के ारं भक वष म नेता के चम कारी गुण के कारण रा यपाल केवल सं वैधा नक मुख होने क
औपचा रकता पूण करता था परंतु वतमान म नेता के बदलते राजनी तक च र के साथ रा यपाल क भू मका म आधारभूत प रवतन आए ह,
जसके न न कारण है :-

 मु यमं य का कमजोर व।

 रा य सरकार के पास ए सु प ब मत नह होना।

 गठबंधन सरकार।

 गठबंधन क वखंडनकारी वृ ।

 दल बदल क वृ ।

 े ीय दल का अ धक श शाली होना।

रा यपाल को मनोनीत करने के कारण :-

सं वधान के अनु छे द 155 के अनुसार रा यपाल क नयु रा प त करता है। इसका अथ है क रा यपाल जनता ारा सीधे
चुना न जाकर रा प त ारा मनोनीत होता है। ऐसा करने के पीछे न न ल खत कारण है :-

 सं सद य शासन णाली होना।

 रा य म क य त न ध का काय करना ता क सं घ एवं रा य म एकता व अखंडता था पत हो सके।

 एक वतं एवं न प म य थ व नणायक के लए।

 रा यपाल को नाममा क श दे ना ता क मु यमं ी वा त वक श य का योग कर सके।

रा यपाल क नयु के संबध


ं म परंपराएं :-

 एक रा य म उसी रा य के नवासी को रा यपाल नह बनाया जाना।

 रा य मं मंडल / मु यमं ी उस रा यपाल के नाम पर सहमत हो।

 व र राजनी त , नौकरशाह और सै य-अ धका रय को रा यपाल बनाना।

 एक को केवल एक बार ही रा यपाल बनाना।

रा यपाल क नयु के संबध


ं म सरका रया आयोग क सफा रश :-

क -रा य सं बंध पर अ ययन करने के लए 1983 म सरका रया आयोग का गठन कया गया जसने 1985 म अपनी रपोट
तु त क । उसने रा य म रा यपाल क नयु के सं बंध म न न ल खत सफा रश द :-

 रा प त रा यपाल क नयु से पूव उस रा य के मु यमं ी से परामश ले ।

 रा यपाल को 5 वष का कायकाल पूर ा करने दया जाना चा हए।

 य द क एवं रा य म अलग-अलग दल क सरकार है तो क को अपने दल से सं बं धत को रा यपाल नयु नह करना


चा हए।

 रा यपाल एक व श होना चा हए जो क थानीय दलीय राजनी त से सं बं धत नह हो।

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रा यपाल क श यां :-
रा यपाल रा य का सं वैधा नक मुख होता है। उसक रा य म वही थ त है जो क म रा प त क है। रा प त क तरह उसे भी
अनेक श यां ा त ह परंतु रा प त क तरह उसे सै य श यां, राजन यक श यां एवं आपात श यां नह ा त है।

रा यपाल क श यां :- एक नजर

I. कायपा लका श यां

II. वधायी श यां

III. व ीय श यां

IV. या यक श यां

V. मं य के खलाफ मुकदमे क अनुम त दे ने क श

VI. व ववेक य श यां

कायपा लका श यां :-

रा य क कायपा लका का औपचा रक धान होने के नाते उसे न न श यां ा त है :-

 रा य म मु यमं ी एवं व भ मं य क नयु करना।

 रा य के महा धव ा क नयु करना।

 व व ालय के कुलप त क नयु करना।

 व भ रा य आयोग के अ य एवं सद य क नयु करना।

 रा य वधान प रषद म कुल सं या के 1/6 सद य का मनोनयन करना।

वधायी श यां :-

 वधानमंडल का स बुलाने एवं स ावसान क श ।

 वधानमंडल म अ भभाषण क श ।

 वधान मंडल को सं देश भेजने क श ।

 वधानसभा को वघ टत करने क श ।

 वह वधानसभा ारा पा रत कसी वधेयक को वीकृ त दे सकता है, मना कर सकता है या रा प त क वीकृ त के लए रोक सकता
है।

 वधानमंडल स नह होने पर अ यादे श जारी कर सकता है।

व ीय श यां :-

 बजट तैयार करवाना और उसे वधानसभा म तु त करवाना।

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 धन वधेयक पर रा यपाल क पूव अनुम त आव यक।

 रा यपाल क अनुम त के बना रा य के राज व से कोई रा श य नह क जा सकती है।

 रा य व आयोग क नयु करना।

या यक श यां :-

अनु छे द 161 के तहत रा यपाल रा य सू ची के वषय के अपराध को मा कर सकता है, वल ब, प रहार, वराम या लघुकरण कर
सकता है परंतु रा यपाल को मृ यु दंड को मा करने का अ धकार नह है। रा य के उ च यायालय के यायाधीश क नयु म रा प त ारा
रा यपाल से परामश लया जाता है। रा यपाल अधीन थ यायालय के यायाधीश क नयु , मोशन, थानांतरण आ द म उ च यायालय के
परामश से करता है।

मं य के व मुकदमा चलाने क अनुम त दे ना :-

य द कसी मं ी के खलाफ ाथ मक तौर पर मामला बनता है तो रा यपाल क अनुम त से उसके खलाफ मुकदमा चलाया जा
सकता है।

व ववेक श यां :-

 रा यपाल रा य के सं वैधा नक तं क वफलता क सू चना रा प त को दे ता है।

 रा यपाल रा य वधान मंडल ारा पा रत कए गए वधेयक को रा प त के वचार के लए व ववेक से आर त कर सकता है।

 य द चुनाव म कसी दल या गठबंधन को ब मत नह ा त होता है तो रा प त से व ववेक से मु यमं ी क नयु कर सकता है।

 य द वधानसभा म सरकार का ब मत समा त हो गया है तो वे मु यमं ी को ब मत सा बत करने के लए कह सकता है।

मु यमं ी एवं मं प रषद :-

 सं वधान के अनु छे द 163 के अनुसार रा यपाल क सहायता एवं सलाह हेतु एक मं प रषद होगी जसका मु खया मु यमं ी होगा।

 सं वधान के अनु छे द 164 के अनुसार मु यमं ी क नयु रा यपाल करेगा एवं अ य मं य क नयु रा यपाल मु यमं ी क
सलाह से करेगा।

 मु यमं ी रा य कायपा लका का वा त वक धान होता है। मं प रषद का नमाण, वघटन एवं वभाग आवंटन मु यमं ी ही तय
करता है।

मु यमं ी एवं रा यपाल :-


रा यपाल रा य का सं वैधा नक मुख होता है जब क मु यमं ी वा त वक मुख होता है।

 मु यमं ी रा य मं ीप रषद एवं रा यपाल के बीच सं वाद क कड़ी होता है।

 मु यमं ी क नयु रा यपाल ारा क जाती है।

 शं कु वधानसभा या अ प ब मत क थ त म रा यपाल व ववेक से मु यमं ी क नयु करता है।

अनु छे द 167 के तहत मु यमं ी के कत दए गए है क :-

 वह रा य के शासन एवं वधान सं बंधी मं प रषद के नणय क सू चना रा प त को दे ।

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 रा यपाल ारा सू चना मांगे जाने पर सू चना उपल ध कराएं।

 य द कसी वषय पर मं ी ने नणय कर लया है परंतु मं प रषद ने उस पर वचार वमश नह कया है तो रा यपाल के कहने पर
मु यमं ी उस मं ी के नणय को पुनः मं प रषद म वचाराथ रखवाता है।

मु यमं ी एवं रा य वधा यका :-

 मु यमं ी वधानसभा म ब मत दल का नेता होता है।

 वह वधानसभा का भी नेता होता है।

 वह वधानमंडल म सरकार का मु य व ा होता है।

 सरकार के नी तगत फैसल क घोषणा मु यमं ी ही करता है।

मं ीप रषद का गठन :-

रा य मं प रषद क नयु रा य का रा यपाल करता है। मं ीप रषद का धान मु यमं ी होता है।

मं प रषद म तीन तरह के मं ी होते है :-

i. कै बनेट मं ी

ii. रा य मं ी

iii. उपमं ी

मं य क नयु के साथ-साथ वधानमंडल म मं य क सहायता करने के लए सं सद य स चव क नयु क जाती है।

91व सं वधान सं शोधन अ ध नयम 2003 के अनुसार मं प रषद के सद य क सं या रा य वधानसभा के नवा चत सद य के


15% से अ धक नह हो सकती है। जैसे राज थान वधानसभा म कुल 200 सद य है। अतः मु यमं ी स हत मं प रषद के सद य क
अ धकतम सं या 30 हो सकती है।

मु यमं ी क श यां एवं काय :-


धानमं ी क तरह रा य म मु यमं ी के भी अनेक काय एवं श यां होती है जो इस कार है :-

1) वह सरकार का मु खया होता है। अतः रा य मं मंडल एवं अ य नी त नमाता सं था से सं बं धत मह वपूण नणय उसक दे खरेख म
ही लए जाते है।

2) रा यपाल को मं य क नयु , वभाग आवंटन, वभाग प रवतन, उनके मं ी पद से यागप वीकार या अ वीकार करने क सलाह
दे ता है।

3) रा य मं प रषद क बैठक क अ य ता करता है और यह सु न त करता है क मं प रषद सामू हक उ रदा य व के स ांत पर


काय करे।

4) रा य शासन एवं वधान सं बंधी मं प रषद के नणय से रा यपाल को अवगत कराता है।

5) कसी मं ी के नणय को रा यपाल के कहने पर पुनः मं ीप रषद म वचाराथ रखवाता है।

6) वह रा य वधानमंडल के काय सं चालन को नेतृ व दान करता है।

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7) सम त सरकारी वधेयक उसक दे खरेख और सलाह से तैयार कए जाते है।

8) वह रा य वधानमंडल म सरकार का मु य व ा होता है।

9) शासक य नी त क अ धकृत घोषणा मु यमं ी ारा ही क जाती है।

10) वह व भ मं य के वभाग का रपोट काड मंगवाता है।

11) वह व भ मं ालय के मतभेद को र कर उनम सामंज य था पत करवाता है।

12) वह व भ मह वपूण नयु य म रा यपाल को सलाह दे ता है।

13) वह रा यपाल को वधानम डल का स बुलाने एवं स ावसान क सलाह दे ता है।

14) वह रा यपाल को वधानसभा भंग करने क सफा रश भी कर सकता है।

15) वह व भ आयोग का पदे न अ य होता है।

16) वह वधानसभा म सामू हक उ रदा य व के स ांत को सु न त करता है।

17) वह रा य मं प रषद और रा यपाल के बीच क कड़ी होता है।

थानीय वशासन :-

थानीय वशासन से ता पय शासन क उस णाली से है जसम नचले तर पर लोग को भागीदार बना कर लोकतां क वक करण
को सु न त कया जाता है और लोग को अपनी सम याएं वयं हल करने के लए स म बनाया जाता है।

भारत म थानीय वशासन के सं केत ाचीन काल म मौय सा ा य म दे खने को मलते है। चोल शासन म थानीय वशासन का आदश
प दे खने को मलता है। तभी तो स इ तहासकार अ टेकर ने भारतीय गांव को छोटे -छोटे गणरा य क सं ा द है।

टश शासन काल म सव थम 1870 म लॉड मेयो ने थानीय वशासन लागू करने क अनुशंसा क परंतु थानीय वशासन का आरंभ
1882 म लॉड रपन के समय आ। इस लए लाड रपन को थानीय वशासन का जनक कहा जाता है।

भारत के रा ीय आंदोलन म महा मा गांधी ने पंचायती राज को अ यं त लोक य बना दया। उनक ेरणा से ही सं वधान सभा ने नी त
नदे शक त व म ाम पंचायत के गठन का ावधान कया।

वतं ता उपरांत 1952 म सामुदा यक वकास काय म क शु आत क गई जसक असफलता उपरांत पंचायती राज के बेहतर
या वयन के लए 1957 म बलवंत राय मेहता स म त क थापना ई।

बलवंत राय मेहता स म त क सफा रश :-

 तरीय पंचायती राज क थापना।

 ाम पंचायत का य जब क पंचायत स म त एवं जला प रषद का अ य प से चुनाव हो।

 नयोजन व वकास क सभी ग त व धयां इन सं था को स पी जाए।

बलवंत राय मेहता क सफा रश पर सव थम राज थान म 2 अ टू बर 1959 को नागौर म पंचायत राज लागू कया गया जसका
उ ाटन पं डत जवाहरलाल नेह ने कया। इस कार पंचायती राज लागू करने वाला थम रा य राज थान बना जब क सरा रा यआं दे श
था।
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1960 के दशक म भारत-चीन यु और भारत-पा क तान यु ए जससे खा ा एवं आ थक सं कट पैदा आ। इस कारण पंचायत
राज का भावी या वयन नह कया जा सका।

अशोक मेहता स म त - 1977 :-

पंचायती राज व था के मू यांकन और इसे भावशाली बनाने के लए सतंबर 1977 म अशोक मेहता क अ य ता म 13
सद यीय स म त का गठन कया गया जसने 1978 म न न सफा रश द :-

 तरीय पंचायत राज क थापना हो ( जला प रषद एवं मंडल पंचायत )।

 जला कले टर स हत सभी अ धकारी जला प रषद के अधीन रखे जाए।

 पंचायत राज सं था के चुनाव दलगत आधार पर हो।

 अनुसू चत जा त, अनुसू चत जनजा त एवं म हला वग को आर ण दया जाए।

 वयं सेवी सं था क भू मका बढ़ाई जाए।

 मंडल अ य का चुनाव य प से और जला प रषद अ य का चुनाव अ य प से हो।

 जला प रषद को सम त वकास काय का क ब बनाकर वकास योजना क तैयारी जला प रषद से और उनका या वयन
मंडल पंचायत से हो।

इस स म त क सफा रश को अपया त मानते ए इसे अ वीकार कर दया गया।

जी.वी.के. राव स म त - 1985 :-

इस स म त ने न न सफा रश द :-

 ाम पंचायत को अ धक व ीय सहायता द जाए।

 रा य व आयोग का गठन कया जाए ।

 पंचायत राज सं था का कायकाल 8 वष कया जाए ।

M.L. सघवी स म त - 1986 :-

1986 म राजीव गांधी क सरकार ने ल मी मल सह क अ य ता म एक स म त का गठन कया गया जसने न न सफा रश द :-

 पंचायत को सं वैधा नक दजा दया जाए।

 तरीय पंचायत का गठन कया जाए।

 पंचायत के न त अव ध म चुनाव सं प कराने के लए एक नवाचन आयोग क व था क जाए।

 याय पंचायत का गठन कया जाए।

M. L. सघवी स म त क सफा रश के आधार पर 64वां सं वधान सं शोधन का यास कया गया परंतु वधेयक रा यसभा म पास
नह हो सका।

P.K. थुग
ं न स म त 1988 :-

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इस स म त ने भी पंचायत राज सं था को सं वैधा नक दजा दे ने क सफा रश क ।

73वां सं वधान संशोधन अ ध नयम 1992 :-


73वां सं वधान सं शोधन अ ध नयम 1992 सं सद ारा पा रत होकर 24 अ ैल 1993 को लागू आ। अतः 24 अ ैल को
पंचायत राज दवस मनाया जाता है।

मु य वशेषताएं :-
पंच ायती राज क संरचना :-

इस अ ध नयम म पंचायत राज के तरीय ढांचे का ावधान कया गया जो इस कार है :-

तर नवा चत सं था का नवा चत पदा धकारी


नाम

ाम ाम पंचायत सरपंच

ख ड/ लॉ क पंचायत स म त धान

जला जला प रषद जला मुख

कायकाल :-

 सभी पंचायत राज सं था का कायकाल 5 वष न त।

 समय पूव वघटन पर 6 माह म चुनाव परंतु चुनाव पूर े 5 वष के लए होकर बचे समय के लए होगा।

 य द कायकाल 6 माह से कम शे ष रहा हो और सं थाएं वघ टत हो जाए तो चुनाव नह होगा।

नवाचन :-

तर नवा चत सद य पदा धकारी एवं नवाचन का कार

ाम पंच सरपंच - य & उपसरपंच - अ य

खंड पंचायत स म त धान - अ य & उप धान - अ य


सद य

जला जला प रषद जला मुख - अ य & जला उप मुख - अ य


सद य

अ य नवाचन से ता पय है क उस तर के नवा चत सद य म से ही चुनाव कया जाएगा।

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आर ण क व था :-

पंचायत राज के तीन तर पर न न कार आर ण क व था क गई है :-

 म हला के लए एक- तहाई (33%) सीट पर आर ण क व था।

 अनुसू चत जा त / जनजा त के लए उनक जनसं या के अनुपात म आर ण क व था।

 रा य वधानमंडल अ य पछड़ा वग के आर ण के लए अ धकृत होगा।

यो यताएं :-

 यू नतम आयु 21 वष हो।

 रा य वधानमंडल के नवाचन के लए यो य हो।

 रा य वधानमंडल ारा समय-समय पर व ध ारा नधा रत यो यताएं पूर ी करता हो।

रा य नवाचन आयोग :-

 पंचायत के नवाचन के लए रा य नवाचन आयोग क थापना क जाएगी।

 रा य नवाचन आयु क नयु रा यपाल ारा होगी।

 रा य नवाचन आयोग मतदाता सू ची तैयार करने से ले कर नवा चत पदा धका रय को शपथ दलाने तक का काय करेगा।

 रा य नवाचन अ धकारी को केवल महा भयोग ारा हटाया जा सकता है।

 पंचायत के नवाचन े के प रसीमन का या यक पुनरावलोकन नह होगा।

 पंचायत के चुनाव म गड़बड़ी एवं ववाद का नपटारा उ च यायालय ारा होगा।

रा य व आयोग का गठन :-

 पंचायत राज सं था क व ीय थ त क समी ा करने के लए रा यपाल ये क 5 वष उपरांत रा य व आयोग का गठन


करेगा।

 रा य व आयोग के अ य क नयु रा यपाल करेगा।

रा य व आयोग के काय :-

 रा य और पंचायत के ारा लगाए जाने वाले शु क का नधारण एवं उनके बीच वभाजन।

 कर, शु क, पथकर और फ स पंचायत को दए जा सकते है।

 पंचायत को सहायता व अनुदान दे ना।

 पंचायत क व ीय थ त म सु धार के लए आव यक सु झाव दे ना।

लेखा परी ण (ऑ डट) :-

रा य सरकार इन सं था के ले ख का समय-समय पर परी ण एवं जांच करने हेतु नयम बना सकेगी।

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पंच ायत को श यां एवं ा धकार :-

पंचायत राज सं था क वाय ता के लए उ ह श यां और ा धकार दान कए गए ह :-

 आ थक एवं सामा जक वकास क योजनाएं बनाना।

 आ थक वकास एवं सामा जक याय क योजनाएं या वत करना।

 11व अनुसूची म सू चीब 29 वषय पर काय एवं श य का ह तां तरण।

74वां सं वधान संशोधन अ ध नयम 1992 :-


वतं ता उपरांत शहर म थानीय वशासन को सं वैधा नक दजा दान करने के लए 1989 म त कालीन धानमं ी राजीव गांधी
ारा 65वां सं वधान सं शोधन वधेयक लाया गया परंतु यह वधेयक रा यसभा म पा रत नह हो सका। इस वधेयक म सु धार कर पी.वी. नर सह
राव ने इसे 74वां सं वधान सं शोधन वधेयक 1992 के प म पुनः लोकसभा म तु त कया। 20 अ ैल 1993 को रा प त क वीकृ त
उपरा त इसे 1 जून 1993 से लागू कर दया गया।

इस अ ध नयम ारा सं वधान म एक नया भाग-9क, अनु छे द 243त से 243यछ तक 18 नए अनु छे द और एक 12व अनुसूची जोड़ी
गई।

नगरीय शासन : एक झलक

वषय नगर पा लका नगर प रषद नगर नगम

जनसं या 10000 से 1 लाख तक 1 लाख से 5 लाख 5 लाख से अ धक


तक

सद य पाषद पाषद पाषद

नकाय मुख चेयरमैन सभाप त मैयर / महापौर

सद य का चुनाव य य य

नकाय मुख का चुनाव अ य अ य अ य

कायकाल 5 वष 5 वष 5 वष

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थानीय वशासन म वषय का ह तांतरण :-
73व एवं 74व सं वधान सं शोधन अ ध नयम 1992 ारा 11व एवं 12व अनुसूची जोड़ी गई जसम मशः पंचायती राज एवं नगर
नकाय को स पे गए वषय का उ ले ख है। पंचायती राज को 29 वषय एवं नगर नकाय को 18 वषय ह तां त रत कए गए जो इस कार है :-

पंच ायती राज वषय नगर नकाय वषय

1. कृ ष एवं कृ ष व तार 1. नगरीय योजना जसके अं तगत शहरी योजना भी है

2. भू म वकास, भू म सु धार, चकबंद और भू म सं र ण 2. भू म उपयोग का व नमय और भवन का नमाण

3. लघु सचाई, जल बंध और जल े का वकास 3. आ थक और सामा जक वकास क योजना

4. पशु पालन, डेयरी उ ोग और कु कु ट पालन 4. सड़क और पुल

5. म य उ ोग 5. घरेलू, औ ो गक और वा ण यक योजन के लए जल
दाय:

6. सामा जक वा नक और फाम वा नक 6. लोक वा य, व छता, सफाई, कूड़ा-करकट बंध

7. लघु वन उपज 7. अ नशमन से वाएं

8. लघु उ ोग जसके अं तगत खा सं करण उ ोग भी है 8. नगरीय वा नक क पयावरण सरं ण और पा र थ तक


अ भवृ

9. खाद ामो ोग और कुट र उ ोग 9. समाज के बल वग के हत का सं र ण

10. ामीण आवास 10. गंद ब ती सु धार और उ यन

11. पेयजल 11. नगरीय नधनता उ मूलन

12. धन एवं चारा 12. नगरीय सु ख-सु वधा जैसे पाक, उ ान, खेल मैदान क
व था

13. सड़क, पु लया, पुल, फेरी, जलमाग, अ य सं चार साधन 13. सां कृ तक, शै णक और सौ दयपरक पहलु क
अ भवृ

14. ामीण व त
ु ीकरण जसके अं तगत व त
ु का वतरण है 14. शमशान, क तान, व त
ु शवदाहगृह का बंधन

15. अपारंप रक ऊजा ोत 15. कांजी हाउस का बंधन

16. गरीबी उ मूलन काय म 16. ज म मृ यु पंजीकरण

17. श ा ( ाथ मक एवं मा य मक व ालय स हत) 17. रोड लाइट, पा कग, बस टॉप जैसे सावज नक सु वधा
का व तार

18. तकनीक श ण और वसा यक श ा 18. वधशाला और चमड़ा उ ोग का व नयमन

19. ौढ़ एवं अनौपचा रक श ा

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20. पु तकालय

21. सां कृ तक याकलाप

22. बाजार और मेले

23. वा य और व छता (अ पताल, ाथ मक वा य क


और औषधालय

24. प रवार क याण

25. म हला एवं बाल वकास

26. समाज क याण

27. बल वग का क याण

28. सावज नक वतरण णाली

29. सामुदा यक आ तय का अनुर ण

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Unit - III भारतीय लोकतं के सम चुनौ तयाँ

Lesson - 1 जा तवाद और सां दा यकता


जा त :-

जा त अं ेजी भाषा के Caste का हद पयाय है जो क पुतगाली भाषा के Casta श द से बना आ है जसका अथ है मत- वभेद
अथवा जा त व था।

जा त( ह द ) ➡ Caste(English) ➡ Casta (पुतगाली) ➡ मत - वभेद ( अथ )

े सया डी ओरेट ा ने सव थम 1665 म जा त/Caste श द का योग कया था।

जा त क प रभाषा :-

जा त एक सामा जक सं रचना है जो अ त ाचीन काल से ही भारत म च लत है।

जा त एक ऐसा समूह होता है :-

 जो सर से अपने को अलग मानता हो।

 जसक अपनी वशे षताएं होती हो।

 जसम उनक अपनी प र ध म वैवा हक सं बंध होते हो।

 जनका कोई अपना परंपरागत वसाय होता हो।

जा तवाद :-

जा तवाद एक ही जा त के लोग क वह भावना है जो अपनी जा त वशे ष के हत क र ा के लए अ य जा तय के हत क


अवहेलना करे और उनका हनन करने के लए े रत करे।

जा त और जा तवाद का व प :-
ाचीन काल म भारत म वण व था व मान थी जसम सं पूण समाज चार वण म वभ था :- ा ण, य, वै य और शू ।

यह व था कम पर आधा रत थी। कालां तर म इस व था म वकृ त आने लगी और वण व था कम के बजाय ज म पर आधा रत हो गई


जसने आगे चलकर जा त का प धारण कर लया।

1. जा तवाद का सामा जक व प :-

जा तवाद ने जहां एक ओर व भ समाज म एकता दान कर उ ह जोड़ने का यास कया है वह सरी ओर इस व था ने एक


जा त से सरी जा त के बीच टकराव को बढ़ावा दे कर सामा जक स ावना को बगाड़ने का भी काय कया है।

2. जा तवाद का राजनी तक व प :-

जा तवाद के राजनी तक व प ने रा ीय राजनी त पर काफ प रणाम डाला है। आज जा त आधा रत वोट बक क राजनी त ने न
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केवल समाज को बांटने का काम कया है ब क आपसी े ष और अलगाववाद को भी बढ़ावा दया है। इससे सं वधान आधा रत लोकतं क
न व हलने लगी है।

भारतीय राजनी त म जा त क भू मका :-


जय काश नारायण के श द म, "जा त भारत म अ य धक मह वपूण दल है।" इस कथन को म े नजर रखते ए भारतीय राजनी त म
जा त क भू मका का वणन न न प म कया जा सकता है :-

1. नणय या म जा त क भू मका :-

हमारे दे श म व भ जातीय सं गठन शासन- शासन क नणय या को य अ य प से भा वत करने का यास करते


है। व भ जातीय सं गठन अपने हत के अनुसार नणय करने और अपने हत के तकूल होने वाले नणय को रोकने का यास करते है। जैसे
वे जा तयां जनको आर ण का लाभ नही मल रहा है, आर ण ा त के लए य नरत ह जब क वे जा तयां जनको आर ण ा त है, आर ण
क समय सीमा बढ़ाने हेतु य नशील है।

2. जा तगत आधार पर या शय का चयन :-

चुनाव म राजनी तक दल अपने या शय का चयन जा त को आधार बनाकर करती है। जैसे कसी े म जस जा त का बा य
होता है राजनी तक दल उस जा त से सं बं धत को अपना याशी बनाती है। साथ ही राजनी तक दल अपने सं गठन के चुनाव और
नयु य म भी जातीय समीकरण का वशे ष यान रखती है।

3. जा तगत आधार पर मतदान वहार :-

हमारे दे श म जा तगत आधार पर मतदान वहार क भावना अ यं त पाई जाती है। चुनाव म कसी गांव/ े वशे ष क जनता
जा तवाद के बहकावे म आकर कसी एक वशे ष दल को वोट दे बैठती है। हमारे दे श म पंचायती राज सं था के चुनाव म इसका प भाव
दे खने को मलता है।

4. मं मंडल नमाण म जा तगत त न ध व :-

सभी राजनी तक दल चुनाव म ब मत ा त करने के उपरांत मं मंडल नमाण म जातीय सं तुलन का वशे ष यान रखते है। मं मंडल
म जातीय समीकरण के अनुसार व भ जा तय को त न ध व ा त होता है। ऐसा केवल सं घ ीय सरकार एवं ांतीय सरकार म ही नह होता
है ब क थानीय शासन या न पंचायत राज म भी दे खने को मलता है।

5. जा तगत दबाव समूह :-

हमारे दे श क राजनी तक व था म जातीय सं गठन दबाव समूह के प म काय करते है। जा तगत सं गठन चुनाव म टकट ा त करने
के लए, मं मंडल म थान ा त करने के लए, जा तय के हत के अनुसार नणय कराने के लए तथा जातीय हत के व होने वाले नणय
को रोकने या बदलने के लए सरकार पर नरंतर दबाव डालते रहते है।

जैसे वतमान म गुजर जा त के व भ सं गठन वष 2008 से वशे ष पछड़ा वग के तहत 5% आर ण लाभ ा त करने के लए राज थान
सरकार पर नरंतर दबाव बनाए ए है।

6. चुनाव णाली म जा त का सहारा :-

राजनी तक दल और उ मीदवार ायः चुनाव म खुलकर जा त का सहारा ले ते है। चुनाव जीतने के लए जातीय समीकरण बनाये जाते
है और कसी ब ल जा त े म उ च जा त के बड़े-बड़े नेता को चुनाव चार करने के लए वशे ष प से भेजा जाता है।

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7. रा य राजनी त म जा त :-

अ खल भारतीय राजनी त के बजाय रा य तर क राजनी त म जा त क भू मका यादा स य रहती है। राज थान, बहार, उ र दे श,
केरल, आं दे श जैसे अनेक रा य म जा तगत राजनी त का पूणत: बोलबाला है।

8. जा त के आधार पर राजनी तक अ भजन का उदय :-

जातीय सं गठन म उ च पद पर आसीन लोग राजनी त म भी मह वपूण थान ा त करने म सफल रहे है। जैसे व भ जातीय सं गठन
के रा ीय और रा य तर के अ य एवं अ य पदा धकारी।

यह लोग राजनी त म भले ही खुलकर जा तवाद का सहारा ना ल परंतु अपने जातीय हत क सदै व य या परो प से पैरवी करते
रहते है।

9. जा त एवं शासन :-

... वतमान म ह रयाणा, राज थान, गुजरात आ द रा य के व भ जातीय सं गठन जा त के आधार पर लोक नयोजन म आर ण क
मांग कर रहे ह ता क व भ जा तय के लोग को शासन म उ चत भागीदारी मल सके। भारत म लोक नयोजन म अनुसू चत जा त को 15%
एवं अनुसू चत जनजा त को 7.5% के अलावा अ य पछड़ा वग को 27% आर ण दया गया है। हाल ही म सामा य वग के पछड़े लोग को भी
10% आर ण का लाभ दान कया गया है।

जा तगत राजनी त क वशेषताएं :-

1. व भ जातीय सं गठन म राजनी तक मह वकां ा बढ़ना।

2. जा तवाद क भावना एवं एक करण को बल मलना।

3. े वशे ष म वशे ष जा त का भावशाली एवं श शाली होना।

4. जा त व राजनी त म ग या मक सं बंध होना।

5. जा त का राजनी तकरण और राजनी त का जा तकरण होना।

भारतीय राजनी त पर जा तवाद का भाव :-


A. जा तवाद के सकारा मक भाव :-

 जा त और राजनी त के सं बंध ने लोग को एकता के सू म बांधा है।

 लोग म राजनी तक स यता पैदा होना।

 पछड़ी जा तय म जा तगत राजनी तक जाग कता एवं सहभा गता बढ़ना।

 सां कृ तक एकता क थापना होना।

 भारतीय लोकतं का ब सं यक तानाशाही का शकार होने से बचना।

 जा तगत समानता को बढ़ावा मलना।


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B. जा तवाद के नकारा मक भाव :-

जा तवाद के नकारा मक भाव को न न दो कथन से आसानी से समझा जा सकता है :-

डी.आर. गॉड गल के अनुसार, " जा त का भाव जातं के वकास म सहायक नह है।"

डॉ. आश वादम के अनुसार, "भूतकाल म जा त के जो चाहे लाभ हो परंतु आज ग त म बाधक है।"

 व भ जा तय म पर पर बंधु व और एकता क भावना को हा न प च


ं ना।

 समाज म सं घष और अशां त का उदय।

 चुनाव म यो य य क उपे ा।

 रा ीय हत क बजाए जातीय हत को ाथ मकता दे ना।

 जा त के आधार पर राजनी तक दल का नमाण।

 ढ़वा दता को बढ़ावा दे ना।

 अ पसं यक म असु र ा क भावना पैदा होना।

 सरकार ारा जातीय सं गठन के दबाव म काय करना।

 जातीय सं घष और आंदोलन म सावज नक सं प को नुकसान प च


ँ ना।

 लोकतां क भावना के व होना।

 वोट बक क राजनी त को बढ़ावा दे ना।

उपयु सभी ब से प है क जा तवाद भारतीय समाज म कसर के समान भयं कर रोग है जसका नदान असं भव है। जा तवाद
ढ़वा दता को बढ़ावा दे ता है और - के म य ै ष क भावना पैदा करता है जो क रा ीय हत के अनुकूल नह है। अतः जा तवाद
दे श, समाज और राजनी त के वकास म बाधक त व है।

-: सा दा यकता :-
सा दा यकता का अथ :-

आपसी मत भ ता को स मान दे ने के बजाय वरोधाभास उ प होना।

प रभाषा :-

सा दा यकता एक धा मक सं दाय क अ य सं दाय या सं दाय के त उदासीनता, उपे ा, घृणा, वरोध एवं आ मण क भावना
है जसका आधार वह का प नक या वा त वक भय है क उ सं दाय उनके सं दाय को न करने या जानमाल को हा न प च ं ाने के लए
क टब है।

अथात सा दा यकता वह राजनी त है जो व भ धा मक समुदाय के बीच वरोध और झगड़े पैदा करती ह और एक समुदाय को
अ य समुदाय से लड़ने के लए े रत करती है।

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सा दा यक संगठन के उ े य :-

सा दा यक सं गठन के न न उ े य है :-

 शासक के ऊपर दबाव डालकर अपने सद य के लए अ धक स ा, त ा और राजनी तक अ धकार ा त करना।

 अपने स दाय के हत को रा ीय और सामा जक हत के ऊपर रखना।

 समाज म फूट पैदा करना।

भारत म सा दा यकता का उदय :-

भारत म सा दा यकता का उदय टश सरकार क "फूट डालो और राज करो" क नी त से आ। 1857 क ां त के बाद टश
सरकार ने भारत म ह और मुसलमान के म य दरार पैदा करने के भरसक यास कए जसम वे सफल भी ए। 1885 म था पत भारतीय
रा ीय कां ेस के इन दाव को भी टश सरकार ने सदै व नकारा क कां ेस मु लम का त न ध व कर रही है। त प ात 1905 म बंगाल का
ह और मु लम ब ल े के आधार पर कया गया वभाजन भी सां दा यक था। साथ ही टश सरकार का यह चार क इस वभाजन से
मुसलमान को अ धक फायदा होगा, ने आग म घी डालने का काय कया।

1906 म ग ठत मु लम लीग और 1915 म ग ठत ह महासभा ने भी अपने चार और ग त व धय से ह और मुसलमान के बीच


री को और अ धक बढ़ाया। 1909 के माल- मटो सु धार ारा मुसलमान के लए पृथक नवाचक मंडल क थापना ने भारत म सां दा यकता
को चरम पर प च
ं ा दया।

अं ततः 1940 म मोह मद अली जला के रा स ांत ने भारत म सां दा यकता को चरम पर प च
ं ा दया जसक प रणी त व प
1947 म भारत का सां दा यक आधार पर वभाजन आ।

सां दा यक सम या के कारण :-
वतं ता उपरांत भारत म सां दा यक सम या के न न कारण है :-

1. वभाजन क कटु मृ तयां :-

मु लम लीग क सीधी कारवाही और वतं ता के बाद भारत के वभाजन से दे श के व भ थान पर सां दा यक दं गे भड़क उठे ।
वभाजन से लाख लोग व था पत ए। पा क तान से आने वाले लाख लोग को अपना घर-बार, सं प आ द को छोड़कर भारत आना पड़ा
जससे कई जगह पर हसक वारदात ई जसम हजार लोग क ह याएं ई, म हला व लड़ कय के साथ अ याचार आ और ब चे अनाथ
ए। यु र म भारत से पा क तान जाने वाले लोग के साथ भी ऐसी ही घटनाएं ई। अपने प रजन के साथ ए इस क ले आम का य लोग
क मृ तय म आज भी बना आ है। इस मान सकता के कारण आज भी कोई छोट -सी सा दा यक घटना घ टत होती ह तो वह बड़ा प ले
ले ती है।

2. राजनी तक दल ारा न हत वाथ के लए पृथ करण क भावना पनपाना :-

वतं ता पूव और प ात धा मक आधार पर ग ठत व भ सं गठन एवं राजनी तक दल ने अलगाववाद क वृ को बढ़ावा दया


है जसम मुख है :- ह महासभा, अकाली दल, जमात-ए-इ लाम, समी आ द।

3. मुसलमान का आ थक और शै णक पछड़ापन :-

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टश काल से ही मुसलमान शै णक और आ थक से पछड़े रहे। वतं ता उपरांत 70 वष बीत जाने के बाद भी उनक
सरकारी नौक रय , ापार और उ ोग धंध म थ त सु धर नह पाई ह। मु लम राजनी त के क म रहे नेता ने मुसलमान को मदरसा और
मजहबी श ा के मकड़जाल से बाहर नह नकलने दया जसके कारण आज भी मु लम समाज आधु नक श ा और आधु नकता से कोस र
है।

4. पा क तानी चार और ष ं :-

पा क तानी मी डया ने भी ह -मु लम तनाव को बढ़ा-चढ़ा कर चा रत कर मुसलमान को भड़काने का काय कया है। जसके
लए उसने अनेक षडयं रचे ह। जैसे -

 1980 के दशक म ह व स ख म वैमन य बढ़ाने का चार।

 1993 के मुब
ं ई बम धमाक म पा क तान क भू मका।

 क मीर म भारतीय से ना ारा मुसलमान पर अ याचार करने का झूठा चार।

5. सरकार क उदासीनता :-

सरकार और शासन क उदासीनता और लापरवाही के चलते भी कई छोट -छोट सा दा यक घटना ने वशाल प


अ तयार कर लया था। जैसे 2013 का मुज फरनगर का दं गा।

6. दलीय गुटबंद एवं चुनावी राजनी त :-

वतं ता उपरांत 1950 से ले कर आज तक जतने भी दं गे ए है उनम कह न कह व भ राजनी त दल क भू मका रही है।


राजनी तक दल ने अपने सं कु चत वाथ क पू त हेतु दं ग को हवा द है।

7. वोट बक क राजनी त :-

कुछ राजनी तक दल कसी वग वशे ष को अपना वोट बक बनाते ए उनके सभी सही-गलत काय एवं मांग का समथन कया
जसके त या व प अ य राजनी तक दल ने सरे अ य वग का समथन कया। इस कार वोट बक के न हत वाथ क पू त हेतु जब कसी
वग वशे ष को अ य क उपे ा कर वशे ष रयायत दे ते है तो उससे भी सां दा यक तनाव उ प होता है।

8. तु ीकरण क नी त :-

सरकार वोट बक के लए कसी वग क उ चत-अनु चत मांग को मानकर उ ह वशे ष रयायत या वशे षा धकार दे ती ह तो कालां तर
म वह वग इसे अपना अ धकार समझ बैठता है जससे सरे वग म असं तोष क भावना पैदा होती है।

9. वदे शी धन :-

खाड़ी दे श से मु लम सं गठन और यू र ोपीय दे श से ईसाई सं गठन को मलने वाले धन का स पयोग इन समाज के शै णक और


आ थक वकास म न होकर अलगाववाद काय म होने के कारण भी सां दा यक घटना को बढ़ावा मला है।

सां दा यकता के प रणाम :-


1. सां दा यकता के कारण समाज म फूट पड़ना, आपसी े ष और अ व ास पैदा होना।

2. सां दा यक दं ग के भड़कने पर आ थक हा न होना। जैसे - सावज नक एवं नजी सं प का नुकसान होना, बाजार बंद होना आ द।

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3. सां दा यक दं ग म सकड़ लोग के मारे जाने पर ाण हा न होना।

4. सां दा यक दं ग के कारण सरकार क थरता भा वत होना।

5. रा ीय एकता म बाधा उ प होना।

6. रा ीय सु र ा को खतरा उ प होना।

7. दे श का औ ो गक और वसा यक वकास बा धत होना।

सां दा यकता को र करने के सुझाव :-


1. सरकार ारा ऐसे काय नह करने चा हए जससे सां दा यकता को ो साहन मले ।

2. शा त नै तक मू य एवं आ या मक मू य क श ा अ नवाय क जाए।

3. धम के आधार पर कसी भी धा मक वग को वशे ष सु वधाएं न द जाए।

4. अ पसं यक के मन म सु र ा का भाव पैदा कया जाए।

5. राजनी तक दल ारा चुनाव चार म य -अ य प से धम का सहारा ले ने पर रोक लगाने हेतु कठोर नयम का नमाण और
या वयन कया जाना चा हए।

6. सां दा यकता के आधार पर त न ध व क मांग सदै व ठु करानी चा हए।

7. श ा का ापक चार- सार हो।

8. सवधम समभाव को बढ़ावा दे ने वाले काय म का आयोजन कया जाए।

9. धम के आधार पर राजनी तक दल के गठन पर पूण तबंध हो।

स चर कमेट तवेदन 2006


कमेट का गठन : 9 माच 2005

अय : रा जदर सह स चर ( सेवा नवृ यायधीश )

सद य :7

रपोट के पृ : 403

रपोट लोकसभा म पेश : 30 नवंबर 2006

वषय : भारतीय मुसलमान क सामा जक, आ थक एवं शै णक थ त का अ ययन करना और उसम सुधार

. हे तु सुझाव दे ना।

रपोट के मु य ब :-
 सरकारी नौक रय म मु लम क भागीदारी काफ कम होना।

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 मु लम समुदाय क थ त अनुसू चत जा त/अनुसू चत जनजा त से भी बदतर बताना।

 श ा का यू न तर।

सु धार हेतु सु झाव :-

श ा, रोजगार, कौशल वकास एवं ऋण सु वधा को बढ़ावा दे ना।

त कालीन क सरकार ने धम के आधार पर मुसलमान को 5% आर ण दे ने का नणय लया जसे पहले आं दे श हाईकोट ने और बाद म
सु ीम कोट ने खा रज कर दया।

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Unit - III भारतीय लोकतं के सम चुनौ तयाँ

Lesson - 2 े वाद एवं भाषावाद


े वाद का अथ :-
े वाद का शा दक अथ है -

एक वशे ष े के हत के त वफादारी।

या अपने े को अ य े से अ धक मह व दे ना।

या अपने े को रा से भी अ धक मह व दे ना।

या े ीय हत क पू त के लए रा ीय हत क अनदे खी करना।

अतः े वाद एक ऐसी वचारधारा ह जो कसी ऐसे े से सं बं धत होती ह जो धा मक, आ थक, सामा जक और सां कृ तक कारण
से अपने पृथक अ त व के लए जा त ह और अपनी पृथकता को बनाए रखने का यास करता रहता है।

े वाद के मा यम से ही थानीय नवासी रा ीय या ांत क तुलना म े वशे ष के हत को अ धक मह व दे ते ह।

े वाद का उ े य : संक ण े ीय वाथ क पू त करना।

भारत म े वाद को करने के तरीके :-


 रा य के पुनगठन क मांग।

 नवीन रा य के नमाण क मांग।

 भारत सं घ से अ धक वाय ता क मांग।

 भारत सं घ से सं बंध- व छे द करने क मांग। जैसे - नागा एवं मजो ारा।

 अं तरा यीय मसल म अपने प म समाधान पाने क मांग। जैसे - ाकृ तक सं साधन पर अ धकार क मांग।

 क से अ धका धक आ थक सहायता क मांग। जैसे - वशे ष रा य के दज क मांग।

 अ धका धक राजनी तक सहभा गता क मांग।

भारत म े वाद के कारण :-


 कृ त द भ ताएं और असमानताएं / भौगो लक भ ताएं।

 शास नक भेदभाव।

 असं तु लत वकास।

 ऐ तहा सक एवं राजनी तक कारण।

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 सां कृ तक व वधताएं ।

 भाषाई व वधताएं। जैसे भाषा के आधार पर रा य का पृथ करण।

 नृजातीय पहचान। जैसे - बोडोलड और झारखंड के आंदोलन।

 धा मक पहचान। जैसे - पंजाब म पृथक खा ल तान क मांग।

 थानीय एवं े ीय राजनेता क वाथपरक राजनी त।

भारत म े वाद के प रणाम :-


 दे श क एकता और अखंडता को चुनौती।

 नए रा य के नमाण क मांग।

 े ीय राजनी त को बढ़ावा मलना।

 वभ े के बीच सं घष और तनाव उ प होना।

 रा ीय कानून और आदे श को चुनौती मलना।

 अं तररा ीय राजनी त म दे श क साख खराब होना।

 भू मपु क अवधारणा का वकास।

भू मपु क अवधारणा एक रा य के उस भाषाई वशे ष समूह क है जो उस रा य के मूल नवासी है। उनका मानना है क उस
रा य क भू म उनक है। अतः अ य रा य से आए मज र , उ ोगप तय और वसा यय आ द को बाहरी घो षत कया जाए। भू मपु क
अवधारणा मु य प से महारा और असम म च लत रही है।

े वाद क सम या का समाधान :-
े वाद को रोकने के उपाय न न ल खत ह :-

1. संतु लत रा ीय नी त का नमाण :-

क सरकार ारा सभी रा य और े का वकास करने के लए एक सं तु लत रा ीय नी त का नमाण करना


चा हए जसम छोटे एवं सं साधन क से अपे ाकृत कमजोर रा य / े को वकास म समान ाथ मकता दे नी चा हए
जससे सभी रा य एवं े का एकसमान प से वकास होगा और े वशे ष के हत क मांग उठाने क आव यकता ही
नह रहेगी।

2. रा य म थायी आधारभू त ढांच ागत वकास करना :-

े ीय व भ ता म कमी लाने के लए पछड़े / अ वक सत े म व त


ु , यातायात, सं चार, सचाई आ द के
आधारभूत साधन के वकास को ाथ मकता दे नी चा हए।

3. वकास के वशेष काय म ारंभ करना :-

े वशे ष के लए वशे ष काय म को प रयोजना के प म ारंभ करना चा हए। जैसे - सू खा सं भा


े काय म(DPAP), म वकास काय म(DDP), पहाड़ी े वकास काय म(AADP), जनजा त े वकास
काय म(TADA) आ द इसी कार के वशे ष काय म है।
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4. शास नक से छोटे रा य का गठन :-

छोटे रा य का शासन चलाना बड़े रा य क अपे ाकृत आसान होता है और इससे लोग को क य तर पर
त न ध व भी अ धक ा त होता है। अतः शास नक से छोटे रा य का गठन कया जाना चा हए।

5. सां कृ तक एक करण को बढ़ावा दे न ा :-

रे डयो, रदशन, समाचार प -प का और सं ेषण के अ य मा यम के ारा व भ रा य और े क


सं कृ तय को पहचान दान कर उ ह आपस म जोड़ने का यास करना चा हए ता क सभी भारतवासी अपनी व वधतापूण
सं कृ त पर गव अनुभव कर सके।

6. भाषाई व वधता का स मान :-

सं वधान म व भ रा य और े क भाषा को वीकार कर ांतीय भाषा का स मान करना चा हए।


व भ भाषा के अनुवाद का दायरा बढ़ाना चा हए। व ालय पा म म व भ भाषा को थान दे कर व भ भाषाएं
सीखने पर बल दे ना चा हए।

भाषावाद :-
भाषावाद का अथ :- भाषा के आधार पर े ीय भाषाई लोग ारा हद का वरोध करना और हद को अ य े ीय भाषा के वकास म
बाधक समझना भाषावाद है।

भाषा के संबध
ं म संवध
ै ा नक ावधान :-
हमारे दे श म भाषा के सं बंध म न न ल खत ावधान कए गए है :-

1. अनु छे द 343 के अनुसार भारत सं घ क राजभाषा हद होगी। सं वधान सभा ने 14 सतंबर 1949 को हद को राजभाषा घो षत
कया था।

2. अनु छे द 344 के अनुसार रा प त भाषा आयोग का गठन करेगा।

उ े य :-

 हद के अ धका धक योग हेतु सु झाव दे ना।

 े ीय भाषा क थ त पर सु झाव दे ना।

 दे श क औ ो गक, सां कृ तक एवं वै ा नक उ त और लोक से वा के सं बंध म अ ह द भाषी े के य क

उ चत मांग पर वचार करना।

3. अनु छे द 345 के अनुसार रा य वधान मंडल को यह अ धकार है क वह उस रा य म राजक य योजन हेतु हद या उस रा य क


े ीय भाषा को वीकार कर सकेगा।

4. दो या अ धक रा य भी पर पर सहम त से राजभाषा ह द को प वहार क भाषा बना सकगे।

5. अनु छे द 29 अ पसं यक वग को अपनी भाषा, ल प एवं सं कृ त को सु र त रखने का अ धकार दान करता है।

6. अनु छे द 343(2) म ावधान है क सं वधान के लागू होने के 15 वष तक शासक य काय म अं ेजी भाषा का योग कया जाता

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रहेगा।

7. राजभाषा अ ध नयम 1963 ारा यह ावधान कया गया क हद के अ त र अं ेजी भी सं घ के सभी सरकारी योजन म बराबर
यु होती रहेगी।

8. राजभाषा (सं शोधन) अ ध नयम 1967 ारा यह ावधान कया गया क जब तक सभी रा य वधानमंडल और सं सद के दोन सदन
अं ेजी भाषा के योग को समा त करने का सं क प नह करते तब तक अं ेजी सं घ क सह-राजभाषा के प म यु रहेगी।

9. भाषा ववाद को सु लझाने के लए भाषा फामूला लागू करने का सु झाव दया गया।

भाषा फामूला :- हद , अं ज
े ी और एक ादे शक भाषा ( ादे शक भाषा सं वधान क अनुसूच ी 8 म व णत हो )

मह वपूण ब :-

 वतमान म 9 रा य और 1 क शा सत दे श म हद राजभाषा के प म यु है।

 तीन रा य म अं ेजी राजभाषा के प म यु है।

 17 रा य म े ीय भाषाएं राजभाषा के प म यु है।

 भाषा के आधार पर ग ठत होने वाला थम रा य आं दे श है।

भाषावाद के कारण :-
1. हद को े ीय भाषा के वकास म बाधक समझना।

2. व भ भाषा म आपसी वैमन य।

3. अ हद भाषी े म हद सा ा यवाद क भावना पनपना।

भाषावाद के समाधान के उपाय :-


1. अ हद भाषी रा य को समझाना और े रत करना क हद उनक े ीय भाषा के लए चुनौती नह है ब क सहायक है।

2. सभी रा य को व ास म ले कर सु नयो जत तरीके से हद का चार सार करना।

3. भाषाई आदान- दान हेतु सां कृ तक और शै णक ग त व धय का व तार करना।

4. पयटन को बढ़ावा दे कर हद क आव यकता को वहा रक बनाना।

5. भाषा फामूला सु चा प से लागू करना।

6. ादे शक भाषा का व तार करना।

7. राजनी तक सं क णताएं समा त करना।

8. अं ेजी भाषा का सी मत योग हो।

9. भाषाएं लोग को पर पर जोड़ती ह, यह भाव जगाना।

https://sites.google.com/site/gangadharsoni4/political-science/class-12/part-b?authuser=0

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Unit - III भारतीय लोकतं के सम चुनौ तयाँ

Lesson - आतंकवाद, राजनी त का अपराधीकरण एवं ाचार


आतंकवाद मूलतः वखंडनकारी वृ है। यह अ य वघटनकारी वृ य जैसे सां दा यकता एवं पृथकतावाद से अ भ प से जुड़ी ई है।
आज व म सवा धक अशां त का कारक है तो वह आतंकवाद।

आतंकवाद का अथ :-

आतंकवाद Terrorism का हद पयाय है जो क Terror श द से बना आ है। जसका लै टन भाषा म अथ है To frighten या न


डराना।

इस कार आतंकवाद का अ भ ाय है क ऐसा स ांत जो हसा एवं भय पर आधा रत हो।

आतंकवाद को समझने से पहले हम आंदोलन श द का अथ समझते ह। जब एक या य का समूह अपनी उ चत मांग


क पू त के लए शां त और अ हसा मक ढं ग से सकारा मक यास करे तो उसे आंदोलन कहते है।

इसी कार जब कोई या समूह अपनी अनु चत मांग क पू त के लए ापक तर पर हसा और अशां त पर आधा रत
नकारा मक यास करता है तो उसे आतंकवाद कहा जाता है।

इस कार सामा य अथ म कसी तरह से भय उ प करने क व ध को आतंकवाद कहा जा सकता है।

आतंकवाद का मु य ल य :- मनोवै ा नक प रणाम ा त करना।

आतंकवाद क कृ त :- हसा क नाटक य तु त, उ त और स पाना।

आतंकवाद के समथन का आधार :- धा मक, जातीय, े ीय और न लीय।

आतंकवाद का वै क प र य :-
शीत यु के काल म सो वयत स के भाव को रोकने के लए अमे रका ने अफगा न तान म ता लबान को पनपाया। आगे
चलकर इसी ता लबानी दै य ने अमे रका म 11 सतंबर 2001 को अलकायदा के आतंकवा दय के मा यम से अमे रका के चार हवाई जहाज का
अपहरण कर इ ह व ड े ड सटर, पटागन और वा शगटन म ै श कया जसम लगभग 3000 लोग मारे गए। इस घटना को 9/11 भी कहा जाता
है।

त प ात अमे रका ने अफगा न तान क ता लबानी सरकार और ईराक क स ाम सै न सरकार के व कारवाई कर यु र दया।

जस कार अमे रका ने ता लबान को पो षत कया उसी कार पा क तान म भी धम और जहाद के नाम पर आतं कय को पो षत
कया जा रहा है। आज व म अनेक आतंकवाद सं गठन व भ दे श म स य ह और अपनी वारदात को अं जाम दे रहे ह जसम सव मुख
आईएसआईएस, ता लबान, अल कायदा, ल े , ल कर-ए-तैयबा, ह बु लाह, ह बु ल मुजा हद न, बोको हराम, हमास आ द ।

इनम से दजन आतंक सं गठन के व भ ब रा ीय कंप नय के साथ सं बंध रहे ह जनसे उनको ह थयार और वदे शी धन मलता रहा
है।

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आतंकवाद के पा :-

आतंकवाद के मु य प से तीन पा ह - 1. आतंकवाद गुट 2. वरोधी गुट 3. सरकार।

भारत म आतंकवाद :-

हमारा दे श पछले तीन दशक से आतंकवाद ग त व धय से त है जसम पंजाब के स ख का धा मक आतंकवाद, ज मू


क मीर म इ ला मक आतंकवाद, म य भारत के व भ रा य म फैला े ीय न सलवाद और पूव र रा य का आतंकवाद मुख है। वष
2016 तक 38 आतंकवाद सं गठन को UAPA कानून के तहत तबं धत कया जा चुका है।

भारत म आतंकवाद का व प :-

भारत म स य व भ आतंकवाद सं गठन क कृ त अलग-अलग है।

1. धा मक आतंकवाद :-

1980 के दशक म पंजाब म स य आतंकवाद और वतमान म ज मू क मीर म स य आतंकवाद पूण प से धा मक


आतंकवाद है जो कसी एक धम से सं बं धत है।

2. पृथकतावाद आतंकवाद :-

पंजाब म पृथक खा ल तान क मांग पर फैला आतंकवाद और ज मू क मीर म क मीर को आजाद कराने क मांग पर
फैला आतंकवाद पृथकतावाद आतंकवाद क ण े ी म आते ह।

3. वदे शी आतंकवाद :-

ज मू क मीर म पा क तान सम थत और पो षत आतंकवाद वदे शी आतंकवाद क ण


े ी म आता है। पा क तान ारा
ज मू क मीर म आतंकवा दय क घुसपैठ कराना और भारत म व भ आतंक घटना को अं जाम दे ना इसका मु य उ े य रहा है।

4. े ीय आतंकवाद :-

आं दे श, छ ीसगढ़, झारखंड, बहार, प मी बंगाल, उड़ीसा, म य दे श एवं महारा म फैला न सलवाद े ीय


आतंकवाद का उदाहरण है जो क मु य प से गरीब व आ दवा सय से सं बं धत है। न सलवाद मु य प से क यु न ट वचारधारा
से सं बं धत है और गरीब व कसान ारा जमीदार के व एक सामा य सं घष था जो आज े ीय आतंकवाद का प धारण कर
चुका है। न सलवाद आज न केवल सं प और अमीर को अपना नशाना बना रहा है ब क आम जनता, पु लस और यहां तक क
राजनेता को भी अपना नशाना बना रहै है।

5. पूव र का आतंकवाद :-

भारत के पूव र रा य जनको seven sisters भी कहा जाता है, म भी आतंकवाद फल-फूल रहा है। पूव र का आतंकवाद
मु य प से वतं रा नमाण और वाय ता ा त करने के उ े य से सं बं धत रहा है। इसे वदे शी सरकार ने भी सहयोग दान कया है। यह
आतंकवाद भी क यु न ट वचारधारा से सं बं धत है। इसम मुख आतंकवाद सं गठन इस कार है- बोडो, उ फा, एनएलएफट , एनडीएफबी,
एनएससीएन, पीएलए आ द 14 मुख आतंकवाद सं गठन क पहचान क गई है।

भारत म आतंकवाद और न सलवाद से भा वत रा य :-


1.ज मू क मीर

2. पंजाब

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3. उ र-प मी भारत

4. नई द ली

5. पूव र रा य : आसाम, मेघ ालय, म णपुर, पुर ा, नागालड, मजोरम व अ णाचल दे श

6. द ण भारत : आं दे श, त मलनाडु , कनाटक

आतंकवा दय क सामा जक पृ भू म :-
1. म यम एवं उ च वग के श त लोग।

2. गरीब तबके के मत यु वक।

आतंकवाद कारवाई के ल य :-
1. कायनी तक ल य :-

सु न तढं ग से हमला करना, डराना, धमकाना एवं आतं कत करना।

2. रणनी तक ल य :-

आतंक और हसा क कायवाही क ज मेदारी ले ना और लोग का यान अपनी ओर आक षत करना।

3. मूल अभी ल य :-

स ा से लाभ ा त करना। जैसे - आतंकवा दय को छु ड़ाने क मांग करना, फरौती मांगना आ द।

आतंकवाद के मनोवै ा नक त व :-

आतंकवाद का मु य उ े य मनोवै ा नक भाव डालना है। आतंकवाद न न ल खत तरीक से मनोवै ा नक भाव डालते ह :-

1. कम ारा चार करके

2. डरा धमका कर

3. उकसावे ारा

4. अ व था और अराजकता उ प करके

5. सं घष ारा

आतंकवाद एवं मी डया कवरेज :-

जैसा क हम जानते ह क आतंकवाद एक मनोवै ा नक भाव डालने वाली कु वृ है जो क अ धक से अ धक लोग या शासन

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का यान अपनी ओर आक षत कर लाभ उठाना चाहती है। इस थ त म अगर आतंकवाद घटना और आतंकवा दय को मी डया कवरेज
दया जाएगा तो वे लोग अपने आप को हीरो क छ व म पेश कर जन समुदाय से सहानुभू त ा त करने का यास करगे। जैसे पा क तान ारा
े रत और भारत म घुसपैठ करने वाले आतंकवा दय को मारे जाने पर उ ह जेहाद / वतं ता से नानी बताकर उनका झूठा म हमामंडन कया
जाता है। उ काय मी डया और सोशल मी डया के बना सं भव नह हो सकता है।

मी डया कवरेज के प रणाम :-

1. आतंक घटना को मी डया कवरेज से मलने वाले मह व से अ य लोग भी वैसी ही कारवाई करने के लए े रत होते है।

2. मी डया कवरेज से रा य उ पीड़न क कारवाई बढ़ती है।

3. आम जनता म भावशू य क थ त पैदा होना।

4. मी डया कवरेज से अप त या ब द / य क जान को खतरा होना।

5. मी डया चैन स पर आतंक सं गठन का नयं ण था पत होने क आशं का होना।

6. शासन क कायकुशलता पर तकूल भाव।

आतंकवाद क सफलता और असफलता :-

आतं कय का मु य उ े य स ा ह थयाना या स ा से लाभ ा त करना रहा है। औप नवे शक काल मे उप नवेशवाद वरोधी
आतंक गुट जैसे के या के EOKA सं गठन ने टश सा ा यवाद के व और अ जी रया के FLN सं गठन ने ांसीसी उप नवेशवाद के
व पूणतः सफलता ा त क है।

मगर 20व और 21व सद के अ धकांश आतंकवाद गुट पूणतया असफल रहे है। जैसे भारत म पंजाब म खा ल तानी आतंक सं गठन,
ीलं का म ल े , ां स-इटली म रेड गेड। इसके अलावा आईएसआईएस, ता लबान एवं अ य मु लम आतंकवाद सं गठन अं ततः राजनी तक
प से असफल रहे है।

न कष :-

आज व म आतंकवाद शां त और सु र ा के लए गंभीर चुनौती बना आ है। पा क तान जैसे दे श आतंकवा दय के शरण थली
सा बत हो रहे है। जब तक व के सम त दे श एकजुट नह ह गे तब तक आतंकवाद का खा मा सं भव नह है।

यू र ी फोनाव के अनुसार, "आतंकवाद का व तर पर पतन आ है, रंगमंच खून से तरबतर ह और च र मृ यु है।"

डे वड ॉम कन के अनुसार, " हसा आतंकवाद का आरंभ है, इसका प रणाम है और इसका अं त है।

धमाधता और आतंकवाद :-

काफ समय से आतंकवाद को धम से स ब मानने क वृ ववाद का वषय बनी ई है। यह बात पूण प से स य है क कोई
भी धम आतंकवाद जैसी हसा आधा रत ग त व धय को न तो समथन करता है और न ही आ य दे ता है। अगर आतंकवा दय का कोई धम होता
तो 2014 म पा क तान के पेशावर म एक कूल म ई आतंक घटना न ई होती। इस घटना म 132 ब च क ह या ई जो क मु लम थे और
हमलावर आतंक भी मु लम थे। यह घटना द शत करती है क आतंकवाद का कोई धम नह होता है।

परंतु प म ए शया के मु लम दे श म पनप रहे आतं कय और वहां के जनसमथन से यह स होता है क आतंकवाद धमाध होते
है। धम के कुछ ठे केदार गरीब लोग को उकसा कर जेहाद के नाम पर आ म-ब लदान करवाकर, अपने बबर काय से लै कमेल करके या नमम
ह या ारा आतंकवाद को फैला रहे ह जो एक वशे ष समुदाय से सं बं धत है और आजकल इसे इ लामी आतंकवाद के नाम से जाना जाता है।

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राजनी त का अपराधीकरण
अथ :-

राजनी तक अपराधीकरण वह वृ है जसके अं तगत अपरा धक पृ भू म के लोग य या अ य प से राजनी तक या


को भा वत करते है।

सरे श द म राजनी त म वेश करने, स ा ा त करने और स ा म बने रहने के लए राजनी त ारा समय-समय पर अपरा धय क
मदद ले ना और चुनाव म मतदाता को धन, बल, भय और आतंक से भा वत करना राजनी तक अपराधीकरण है।

आज राजनी त अपराध का पयाय बन चुक है। अ धकांश राजनेता आपरा धक ग त व धय म ल त है। चुनाव म वजय दलाने के
लए आपरा धक त व नेता क मदद करते ह त प ात स ा ा त के उपरांत राजनेता अपरा धय को राजनी तक शरण दे कर उनक मदद
करते ह।

राजनी त के अपराधीकरण के कारण :-

राजनी त के अपराधीकरण के न न ल खत कारण है :-

1. रा ीय च र का पतन होना।

2. गरीबी, अ श ा और बेर ोजगारी।

3. राजनेता और राजनी तक दल क साधन क प व ता म व ास न होना।

4. पु लस,राजनेता , नौकरशाह और अपरा धय क पर पर सांठगांठ।

5. चुनावी राजनी त पर अपरा धय का भाव।

6. नवाचन णाली क खा मयां।

7. या यक णाली क मूलभूत खा मयां।

8. अपरा धक त व का समाज म दबदबा और जनता म वीकायता।

9. धन, बल एवं राजनी त का म ण।

10. कानून का भावशाली ढं ग से लागू न हो पाना।

भारत म राजनी तक अपराधीकरण का वतमान प र य :-


भारतीय राजनी त म आपरा धक छ व के राजनेता क सं या म नरंतर वृ हो रही है। न केवल राजनी तक दल आपरा धक
छ व या पृ भू म वाले लोग को टकट दे रहे ह ब क चुनाव म जीत कर सं सद क चौखट तक प च ं रहे ह और अपने धन-बल के भाव से मं ी
बनकर दे श के नी त नमाता बन जाते है। आज हमारे दे श म "दागी मं ी" एक मश र सं ा बन चुक है।

न न ल खत सारणी भारत क सं सद म चुने गए अपरा धक पृ भू म के राजनेता क सं या को दशा रही है :-

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लोकसभा चुनाव वष आपरा धक पृ भू म वाले तशत
सांसद
14व 2004 128 24%

15व 2009 158 30%

16व 2014 186 34%

भारतीय राजनी त पर अपराधीकरण का भाव :-


भारतीय राजनी त पर अपराधीकरण का न न ल खत भाव दे खने को मल रहा है :-

1. राजनी तक दल ारा ईमानदार छ व के लोग क तुलना म धन, बल और जताऊ उ मीदवार को टकट दे ना।

2. अपरा धय ारा चुनावी राजनी त को भा वत करना। जैसे बूथ कैपच रग, अपरा धक कायकता क फौज बनाना, फज मतदान
आ द।

3. अपरा धय का वधा यका म वेश और ह त प


े ।

4. राजनेता और अपरा धय म सांठगांठ।

राजनी त के अपराधीकरण को रोकने के उपाय :-


1. राजनी तक दल म आंत रक लोकतं और जवाबदे ही का वकास हो।

2. सं सद ारा कानून बनाकर राजनी तक दल क काय णाली को नयं त करना।

3. राजनी त दल को मलने वाले चंदे को सावज नक करना।

4. अपराधी राजनेता के मुकदमे फा ट- ै क यायालय म थानांत रत कया जाना।

5. कानून म प रवतन कर आपरा धक पृ भू म वाले लोग के चुनाव लड़ने से तबंध करना।

6. नप और पारदश नवाचन आयोग का गठन।

7. अपरा धय को टकट दे ने वाले दल पर जुम ाना एवं दं ड का ावधान हो।

8. भ व य म भावी ऑनलाइन नवाचन क व था हो।

N.N. वोहरा स म त
वषय : राजनी त के अपराधीकरण क जांच।

अ य : नर नाथ वोहरा ( त कालीन क य गृह स चव )

रपोट तु त : 5 दसं बर 1993

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रपोट के मु य ब :

1. भारत म मा फया नेटवक ारा एक समानांतर सरकार चल रही है।

2. राजनेता ारा अपरा धय गग का सं चालन कया जा रहा है।

3. अपराधी राजनेता (सांसद एवं वधायक) बन रहे ह।

4. पु लस, अपराधी एवं राजनेता का गठजोड़ लोकतं को द मक क तरह चाट रहा है।

5. शासक य मशीनरी हा शये पर चल रही है।

6. मतदाता क उदासीनता, अगंभीरता और भावशू यता ने राजनी तक अपराधीकरण को बढ़ावा दया है।

ाचार
शा दक अथ :-

ाचार अथात + आचार

या न बुर ा या बगड़ा आ तथा आचार या न आचरण।

इस कार ाचार का शा दक अथ है बुर ा आचरण।

अतः ाचार का अथ है क ऐसा आचरण जो सभी कार से अनै तक और अनु चत हो।

ाचार या है :-

जब कोई या सं गठन नधा रत कानून के दायरे से परे जाकर अनु चत ढं ग से कसी अ य या सं गठन को लाभ प च
ं ाए
और बदले म धन या सु वधाएं ा त कर सावज नक हत को नुकसान प च ं ाए तो उसे ाचार कहा जाता है।

ाचार का आरंभ :-

ाचार का आरंभ उ ोगप तय या ापा रय ारा चुनाव के समय राजनी तक दल को दए जाने वाले चंदे से होता है।

ापारी ारा राजनेता या दल को चंदा दे ना

राजनी तक दल या नेता ारा चुनाव जीतकर स ा म आना

दल या नेता ारा नी तय म फेरबदल कर ापा रय को लाभ प ंच ाना

ाचार के अ धकांश मामले र त, चुनावी धांधली, टै स चोरी, झूठ गवाही, परी ा म नकल, परी ा थय का गलत मू यांकन, यायाधीश ारा
प पात पूण नणय दे ना, वोट के लए पैसा और शराब बाँटना, नयु , थानांतरण, नमाण काय, लाइसस नमाण, लोन, खरीद आ द के
मामल से सं बं धत होते है।
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ाचार के प रणाम :-
 घ टया तर का सावज नक नमाण काय / केवल कागज म नमाण।

 समाज म आ थक वषमता बढ़ना।

 काले धन का बढ़ना।

 यो य एवं न ावान य को समु चत अवसर नह मलना।

 आम आदमी का सरकारी तं से व ास उठ जाना।

 उ च तर के ाचार ने नचले तर के कमचा रय को नक मा और कामचोर बना दया।

 बेर ोजगारी को बढ़ावा मलना।

 गरीब के अ धकार का हनन होना।

Note:- वै क ाचार सू चकांक 2018 म भारत क 180 दे श म 78व रक है।

ाचार रोकने के उपाय :-


हमारे दे श म ाचार रोकने के लए अनेक कानून बने ए है। उनम से सव मुख है - ाचार नरोधक कानून। इस कानून के
भावी या वयन का ज मा ाचार नरोधक यू र ो का है। कसी या सं गठन के व ाचार क शकायत ा त होने पर यू र ो
त काल कारवाई करता है और ाचा रय को रंगे हाथ गर तार कर सजा दलवाता है। इसके अलावा सतकता आयु णाली भी लागू क
गई है। इसके अं तगत ये क वभाग म एक सतकता अ धकारी क नयु क गई है जो क ाचार के मामल क जांच कर कारवाई करता है।

ाचार रोकने के लए न न ल खत उपाय है :-

1. नाग रक को सरकारी नणय या और ग त व धय को जानने का अ धकार होना।

2. य को व रत या यक या ारा कठोर दं ड दे ना।

3. सरकार नणय और काय म पारद शता लाना।

4. लोक से वक क अवैध सं प ज त करना।

5. राजनी तक दल को मलने वाले चंदे को सावज नक करना।

6. नयु एवं थानांतरण या म पारद शता लाना।

7. बेनामी सौदा नषे ध अ ध नयम 1988 को त काल भाव से लागू करना।

8. लोकपाल कानून बनाकर भावी ढं ग से लागू करना।

आप इन नोट् स को मेरी website को इस लक को लक कर डाऊनलोड कर सकते है :-

https://sites.google.com/site/gangadharsoni4/political-science/class-12/part-b?authuser=0

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Unit - III भारतीय लोकतं के सम चुनौ तयाँ

Lesson - 2 गठबंधन क राजनी त

गठबंधन क राजनी त का अथ :-
व भ राजनी तक दल ारा एक यू नतम साझा काय म के तहत राजनी तक ग त व धय के सं चालन के लए बनाए गए गठबंधन
को गठबंधन क राजनी त कहा जाता है।

जब राजनी तक दल गठबंधन के ारा स ा ा त कर ले ते ह तो ऐसी सरकार को गठबंधन सरकार या मली जुली सरकार कहा जाता है।

भारत म गठबंधन क राजनी त का उदय :-


थम तीन आम चुनाव म क सरकार के साथ-साथ रा य सरकार म भी कां ेस को प ब मत मलता रहा। चतुथ आम चुनाव
1967 म कां ेस के आंत रक मतभेद के कारण क म तो जैसे-तैसे ब मत से सरकार का नमाण हो गया परंतु ब त से रा य म वह ब मत से
वं चत रह गई जसके कारण एक या अ धक अ य दल के समथन से सरकार का नमाण आ। इस कार चतुथ आम चुनाव से भारत म
गठबंधन क राजनी त क शु आत ई। छठे आम चुनाव 1977 म पांच व भ दल से ग ठत जनता पाट भी एक तरह से गठबंधन ही था। 9व
लोकसभा चुनाव 1989 म कसी भी पाट को ब मत नह मला जससे समथन आधा रत सरकार का नमाण आ। 10व लोकसभा चुनाव
1991 म भी यही थ त रही। 11व लोकसभा चुनाव 1996 से गठबंधन सरकार का दौर चला जो वतमान तक जारी है। वतमान म हमारे दे श म
दो मु य गठबंधन है जो क एक दल धान गठबंधन के कार है :-

.सं. गठबंधन का नाम पूरा नाम धान दल

1 NDA रा ीय जनतां क गठबंधन BJP

2 UPA सं यु ग तशील गठबंधन कां ेस

भारत म गठबंधन सरकार का इ तहास :-


1. 1977 के लोकसभा चुनाव म पांच दल से मलकर बनी जनता पाट एक तरह का गठबंधन का ही प था।

2. 1989 के चुनाव तथा रा ीय मोचा क सरकार :-

1989 म 9व लोकसभा के चुनाव म मु य मु ा कां ेस क के सरकार म ा त ाचार था। चुनाव के बाद वप ी दल क


गठब धन सरकार बनी। इस गठब धन को रा ीय मोचा के नाम से जानते ह, जसम मु य प से जनता दल, कां ेस(S), तेलगू दे शम पाट तथा
असम क े ीय पाट असम गण प रषद् शा मल थे। रा ीय मोचा सरकार म व नाथ ताप सह धानमं ी नयु कये गये । वे 1988 म
ग ठत जनता दल के अ य थे। इसके पहले वे कां ेस सरकार म व मं ी थे ले कन बोफोस घोटाले म ए ाचार के मु े पर कां ेस छोड़कर
उ ह ने जनता दल क थापना क ।

रा ीय मोच क इस सरकार को दोन वामपंथी दल -मा सवाद पाट तथा भारतीय सा यवाद पाट एवं भारतीय जनता पाट का बाहर
से समथन ा त था। वामपंथी दल और भारतीय जनता पाट सरकार म शा मल नह ए।

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अग त 1990 म वी.पी. सह क सरकार ारा पछड़े वग को आर ण दे ने के लए म डल कमीशन क सं तु तय को लागू कया
गया, जसका आर ण वरो धय ने दे श ापी वरोध कया । इस कारण यह सरकार राजनी तक अ थरता का शकार हो गयी तथा भारतीय
जनता पाट ने अपना समथन ले ने क घोषणा क । लोकसभा म अपना व ास मत न ा त करने के कारण व नाथ ताप सह ने धानमं ी
पद से यागप दे दया ।

इसके बाद जनता दल म भी वघटन हो गया तथा जनता दल के 58 लोकसभा सद य को अलग ले कर च शे खर ने कां ेस के बाहरी समथन से
नई सरकार बनाई। इस सरकार म च शे खर धानमं ी तथा दे वीलाल उप- धानमं ी थे। 7 महीने बाद मई 1991 म कां ेस ने इस सरकार से
समथन वापस ले ने क घोषणा क तथा इसी के साथ यह सरकार भी गर गयी तथा नई लोकसभा के चुनाव क घोषणा क गयी।

3. 1991 के चुनाव तथा कां स


े क सरकार :-

मई 1991 म 10व लोकसभा के चुनाव कराये गये । चुनाव चार के दौरान ही कां ेस के अ य तथा पूव धानमं ी राजीव गांधी क
ीलं का के लट् टे आतंकवा दय ारा त मलनाडु के पेर ब र थान पर एक बम व फोट ारा ह या कर द गयी। अभी तक द ण भारत म
लोकसभा के लए मतदान नह आ था। इसका प रणाम यह आ क द ण भारत म सहानुभू त के कारण कां ेस ने अ छा दशन कया।
जब क राजीव गाँधी क ह या के पूव उ र भारत म मतदान हो चुका था तथा उसम कां ेस का दशन अ छा नह था।

य प इन चुनाव म कां ेस को पूण ब मत ा त नह आ ले कन नर स हा राव के नेतृ व म 1991 म नई कां ेस सरकार का गठन


आ तथा इस सरकार ने अपना पाँच वष का कायकाल पूर ा कया। य प यह तकनीक तौर पर गठब धन सरकार नह थी ले कन फर भी पूण
ब मत के अभाव म झारख ड मु मोचा जैसे े ीय दल के समथन पर नभर थी ।

4. 1996 के चुनाव तथा संयु मोचा क सरकार :-

1996 म 11व लोकसभा चुनाव म पुन: ऐसी थ त बनी क कसी भी पाट को लोकसभा म पूण ब मत ा त नह आ। इन
चुनाव म कां ेस को मा 140 सीट पर वजय हा सल ई। त कालीन रा प त शं कर दयाल शमा ने भारतीय जनता पाट के सं सद य दल के
नेता अटल बहारी वाजपेयी को सरकार बनाने के लए आमं त कया। उ ह 16 मई 1996 को भारत का धानमं ी नयु कया गया ले कन
लोकसभा म अपना ब मत न स करने के कारण 13 दन बाद ही 1 जून, 1996 को उ ह अपने पद से यागप दे ना पड़ा।

इसके बाद 1 जून, 1996 को के म सं यु मोच क सरकार का गठन कया गया तथा कनाटक के नेता एच. डी. दे वगौडा को
धानमं ी नयु कया गया। य प सं यु मोच को पूण ब मत ा त नह था ले कन कां ेस के बाहरी समथन से यह सरकार 11 महीने चलती
रही। कां ेस के समथन वापसी के कारण 21 अ ैल 1997 को यह सरकार गर गयी ले कन पुन: कां ेस के बाहरी समथन से आई. के. गुजराल
के नेतृ व म सरी सं यु मोचा सरकार का गठन आ।

इस सरकार म आई. के. गुजराल धानमं ी बने ले कन शी ही राजीव गांधी क ह या क जाँच कर रहे जैन आयोग क रपोट
से यह पता चला क सं यु मोच म शा मल त मलनाडु क डी. एम. के. पाट भी इस ह या म लट् टे के साथ सं ल त थी। अत: कां ेस ारा यह
माँग क गयी क गुजराल सरकार से डी. एम. के. के मं य को हटा दया जाये । ले कन सं यु मोच क सरकार ने कां ेस क इस माँग को
वीकार नह कया तथा कां ेस ने अपना समथन ले ने क घोषणा कर द । प रणामत: सं यु मोचा क सरकार को यागप दे ना पड़ा ले कन वे
18 माच 1998 तक दे श के कायवाहक धानमं ी बने रहे ।

5. 1998 के लोकसभा चुनाव तथा रा ीय लोकतां क गठब धन (एन.डी.ए.) क सरकार :-

1998 म 12व लोकसभा के चुनाव के समय भारतीय जनता पाट के नेतृ व म कई पा टय को मलाकर रा ीय लोकतां क
गठब धन का गठन कया गया। 1998 के चुनाव म इस गठब धन को ब मत तो नह ा त आ ले कन सबसे अ धक सीट ा त ई।

अत: गठब धन के नेता अटल बहारी वाजपेयी को 19 माच 1998 को दे श का धानमं ी नयु कया गया। ले कन यह
सरकार 13 महीने ही चल पाई य क गठब धन म शा मल त मलनाडु क ए.आई.डी.एम.के. पाट ने इस सरकार से अपना समथन वापस ले ने
क घोषणा कर द । इसके प रणाम व प रा ीय लोकतां क गठब धन क सरकार गर गयी तथा लोकसभा को भंग कर दया गया । ले कन
अटल बहारी वाजपेयी अगले चुनाव तक कायवाहक धानमं ी के प म काय करते रहे ।

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6. 1999 के चुनाव तथा रा ीय लोकतां क गठब धन को पूण ब मत :-

1999 म 13व लोकसभा के चुनाव स प कराये गये । इन चुनाव म रा ीय लोकतां क गठब धन को पूण ब मत ा त आ
तथा 13 अ टू बर, 1999 को इसके नेता अटल बहारी वाजपेयी को पुन: धानमं ी नयु कया गया। इस सरकार ने अपना पाँच साल का
कायकाल पूर ा कया। सही अथ म पाँच साल का कायकाल पूर ा करने वाली यह के क पहली गठब धन सरकार थी ।

7. 2004 के लोकसभा चुनाव तथा संयु ग तशील गठब धन (यू.पी.ए.) क सरकार :-

मई 2004 म 14व लोकसभा के चुनाव स प ये । इस चुनाव म कां ेस के नेतृ व म ग ठत सं यु ग तशील गठब धन को


सरकार बनाने का अवसर ा त आ। कां ेस के नेता मनमोहन सह को धानमं ी नयु कया गया। इस गठब धन म 15 दल शा मल थे
जसम कां ेस के अ त र मु य दल थे- रा ीय जनता दल, वड मुने कडगम, रा ीय कां ेस पाट , तेलंगाना रा स म त, झारख ड मु
मोचा आ द।

8. 2009 के चुनाव तथा पुन: संयु ग तशील गठब धन क सरकार :-

मई 2009 म 15व लोकसभा के चुनाव स प ए। इन चुनाव म कां ेस को गत तौर पर तो केवल 205 सीट ा त ,
ले कन उसके नेतृ व वाले सं यु ग तशील गठब धन को लोकसभा म ब मत ा त हो गया। इन चुनाव म भारतीय जनता पाट को केवल 116
सीट ा त । प रणामत: मनमोहन सह के नेतृ व म पुन: 22 मई 2009 को सं यु ग तशील गठब धन क सरकार का गठन कया गया। इस
गठब धन क सरकार ने भी अपना पाँच वष का कायकाल पूर ा कया।

9. 2014 के चुनाव और NDA को पूण ब मत :-

16व लोकसभा के चुनाव म भी चुनाव पूव दो गठबंधन थे NDA और UPA। इस बार 1984 के बाद कसी एक दल को पूण
ब मत मला और नर मोद भारत के धानमं ी बने। साथ BJP ने गठबंधन को बनाये रखा और मं प रषद म NDA के सद य दल को भी
त न ध व दया। इस चुनाव म BJP क 282 सीट स हत NDA को कुल 336 सीटे ा त ई जब क UPA गठबंधन को मा 59 सीट पर ही
सं तोष करना पड़ा जसम कां ेस को मा 44 सीट मली।

10. 2019 के चुनाव NDA क पुनः सरकार :-

17व लोकसभा के चुनाव 2019 म नर मोद के नेतृ व म BJP स हत NDA को भारी समथन मला और NDA ने 354 सीट पर
जीत दज क जनम 303 सीट BJP के खाते म गई जब क UPA गठबंधन को 91 सीट मली जसम कां ेस क 52 सीट भी शा मल है। BJP
को पूण ब मत के बावजूद भी NDA गठबंधन क सरकार बनी और नर मोद सरी बार धानमं ी बने।

भारतीय गठबंधन क राजनी त क वशेषताएं :-


1. गठबंधन म एक दल क धानता :-

भारतीय राजनी त म अब तक जतने भी गठबंधन बने ह उनम एक दल क धानता रही है। जैसे रा ीय जनतां क
गठबंधन म भारतीय जनता पाट और UPA म कां ेस धान दल रहे है जब क अ य दल मा से सहयोगी क भू मका म है।

2. असमान वचारधारा वाले दल का गठबंधन म शा मल होना :-

भारतीय गठबंधन क राजनी त म यह सदै व गोचर आ है क असमान वचारधारा वाले राजनी तक दल भी


राजनी तक लाभ के लए गठबंधन म शा मल हो जाते है। जैसे प म बंगाल के वधानसभा चुनाव 2016 म कां ेस और
सीपीएम का गठबंधन, बहार म कां ेस का आरजेडी के साथ गठबंधन और ज मू क मीर म बीजेपी का पीडीपी के साथ
गठबंधन।

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3. गठबंधन म था य व का अभाव :-

भारतीय राजनी त म बनने वाले गठबंधन थायी प से नह बने रहते है। राजनी तक दल अपनी राजनी त लाभ के
अनुसार गठबंधन बनाते रहते ह और तोड़ते रहते है। जैसे ट एमसी ारा NDA को छोड़ना, जेडीयू ारा बहार चुनाव म NDA
को छोड़कर कां ेस और आरजेडी के साथ गठबंधन बनाना तथा पुनः NDA म लौट आना। लोकसभा चुनाव 2019 म उ र
दे श म सपा-बसपा का गठबंधन बनना और टू ट जाना।

4. गठबंधन म वचारधारागत अलगाव नही :-

भारतीय राजनी त म दो मुख गठबंधन एनडीए और यू पीए म वचारधारा और सै ां तक अं तर खोजना अ यं त


क ठन है।

5. गठबंधन दल व स ांत के बजाय नेता पर आधा रत :-

भारतीय राजनी त म गठबंधन न तो दल पर आधा रत होता है और न ही स ांत पर ब क गठबंधन का नमाण


पाट के मु य नेता के आधार पर ही कया जाता है। उदाहरण - बहार म बीजेपी और जेडीयू का गठबंधन था। जैसे ही 16व
लोकसभा चुनाव हेतु नर मोद को बीजेपी ने अपना नेता घो षत कया, जेडीयू ने गठबंधन समा त कर दया। ठ क इसी
कार 1996 म एच.डी. दे वगौड़ा कां ेस के समथन से धानमं ी बने परंतु कुछ दन बाद कां ेस ने धानमं ी बदलने क
मांग क जसे नह मानने पर कां ेस ने समथन वापस ले लया और दे वगौड़ा सरकार को इ तीफा दे ना पड़ा। बाद म इं कुमार
गुजराल को धानमं ी बनाने पर कां ेस ने पुनः समथन दे दया।

6. नषेधा मक आधार पर गठबंधन का नमाण :-

1977 म पांच दल ने कां ेस को स ा से बाहर रखने के लए जनता दल का नमाण कया और चुनाव जीता।
ठ क इसी कार 2014 और 2019 के लोकसभा चुनाव म बीजेपी को स ा से बाहर रखने के लए व भ गठबंधन का
नमाण आ।

7. दबाव क राजनी त :-

गठबंधन सरकार म छोटे दल अपने वाथ पू त हेतु धानमं ी पर मं ी पद व वभाग आवंटन और नी त नणय बदलने हेतु
नर तर दबाव डालते रहते है।

गठबंधन सरकार बनने के कारण :-


 ब दलीय राजनी तक व था।

 कसी भी एक दल को प ब मत नह मलना।

 शं कु लोकसभा क थ त पैदा होना।

 वग य हत पर आधा रत सै कड़ राजनी तक दल का नमाण होना।

गठबंधन क राजनी त के लाभ :-


1. शासन का नरंकुश नह बन पाना :-

गठबंधन क सरकार म मं ी प रषद को गठबंधन के यू नतम साझा काय म के अनुसार काय करना पड़ता है
जससे कसी पाट वशे ष से सं बं धत धानमं ी या मं ी नी त- नणय के नमाण म अपनी मनमानी नह कर पाते है।

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2. अ धक यो य लोग क मं प रषद म भागीदारी :-

एक दल क सरकार म मं ीप रषद के सभी सद य उसी दल से लए जाते है जब क गठबंधन क सरकार म मं ी


प रषद म सभी दल को त न ध व मलता है जससे सभी दल के यो य, तभावान एवं सव- वीकाय नेता को
मं प रषद म जगह मलती है। इस कार मं प रषद म अ धक यो य लोग का दायरा बढ़ जाता है।

3. ापक जनसमथन :-

गठबंधन सरकार म जतने यादा दल ह गे सरकार को उतना ही अ धक जनसमथन मले गा और सरकार क


वीकायता बढ़े गी य क सभी दल का अपने-अपने े म जन-समथन होता है। 16व लोकसभा चुनाव 2014 म बीजेपी
को 31% वोट मले परंतु य द एनडीए गठबंधन क बात क जाए तो उसे 38.5% वोट मले । इसी कार 17व लोकसभा म
बीजेपी को 38% वोट मले जब क उसके NDA गठबंधन को 45.5% वोट मले ।

4. सश वप का नमाण :-

गठबंधन क राजनी त म गठबंधन क सरकार बनाने के साथ-साथ वप म भी गठबंधन हो रहा है जससे


एकजुट वप सरकार क मनमानी नी तय का भावशाली तरीके से तरोध करने म स म आ है। जैसे यू पीए गठबंधन
क सरकार म एनडीए का वप और वतमान म एनडीए गठबंधन क सरकार म यू पीए का वप है।

5. म यम माग का अनुसरण :-

गठबंधन सरकार म व भ दल शा मल होने के कारण एक दल अपनी नी त और वचारधारा सरकार पर थोप


नह सकता है। इस कारण गठबंधन म सदै व सहम त और म यम माग का अनुसरण कया जाता है।

गठबंधन क राजनी त के नुकसान :-


1. अ थायी सरकार का नमाण :-

राजनी तक लाभ पर आधा रत गठबंधन क सरकार म जब व भ दल के वाथ क पू त नह होती है तो वह


सरकार से समथन वापस ले ले ते ह जससे गठबंधन टू ट जाता है और सरकार गर जाती है । जैसे 1996 म दे वगौड़ा सरकार,
गुजराल सरकार एवं वाजपेयी सरकार।

2. सामू हक उ रदा य व का अभाव :-

गठबंधन सरकार म व भ दल के मं य के म य आपसी सामंज य नह हो पाने के कारण सदै व टकराव क


थ त बनी रहती है जससे सामू हक दा य व का स ांत कमजोर होने का भय बना रहता है।

3. कमजोर सरकार :-

गठबंधन क सरकार ठोस एवं कठोर नणय ले ने म असमथ रहती ह जसके कारण सरकार कमजोर सा बत होती है।

4. धानमं ी के वशेषा धकार का हनन :-

गठबंधन सरकार म धानमं ी के वशे षा धकार का हनन होता है य क कस सद य को मं ी बनाना है और


कौनसा वभाग आवं टत करना है, यह धानमं ी का वशे षा धकार होता है परंतु गठबंधन क सरकार म व भ दल यह तय
करते ह क कस सद य को मं ी बनाना है और कौन सा वभाग आवं टत करना है।

5. े ीय दल का भाव बढ़ना :-

गठबंधन म रा ीय दल क अपे ा े ीय दल क सं या अ धक होती है। इस कारण े ीय दल रा ीय हत क


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अपे ा े ीय हत को यादा ाथ मकता दे ते है जससे उनका भाव बढ़ता जाता है।

6. रा ीय एकता को नुकसान :-

े ीय दल ारा े ीय हत क पैरवी करने से रा ीय हत को नुकसान होता है और े ीयता क भावना बढ़ती ह


जससे सदै व रा ीय एकता को खतरा बना रहता है।

7. सरकार क प नी त नह :-

गठबंधन सरकार म सभी दल अपनी-अपनी नी तय के अनुसार सरकार का सं चालन करना चाहते ह जससे
सरकार एक प नी त के अनुसार काय नह कर पाती है।

8. सु ढ़ वदे श नी त का अभाव :-

गठबंधन सरकार म धानमं ी पर गठबंधन के दल का दबाव बना रहता है जसके कारण धानमं ी वतं
प से काय नह कर पाता है। इस कारण धानमं ी सु ढ़ वदे श नी त के नमाण और सं चालन करने म असमथ रहता है।

9. छोटे -छोटे राजनी त दल के नमाण को ो साहन।

10. सरकार के व भ मं ालय म तालमेल का अभाव होना।

वतमान म मुख राजनी तक गठबंधन :-


1. रा ीय जनतां क गठबंधन (NDA):-

इसम भारतीय जनता पाट (BJP), शवसे ना, जनता दल यू नाइटे ड(JDU), अकाली दल, लोक जनश पाट (LJP) आ द
स हत कुल 23 दल शा मल है। इस गठबंधन क वतमान म लोकसभा म 354 सीट, रा यसभा म 113 सीट और 22 रा य म सरकारे
है।

2. संयु ग तशील गठबंधन (UPA) :-

इसम भारतीय रा ीय कां ेस (INC), रा ीय कां ेस दल(NCP), रा ीय जनता दल(RJD), झारखंड मु मोचा, केरल कां ेस
स हत कुल 16 दल शा मल है। इस गठबंधन क वतमान म लोकसभा म 91 सीट, रा यसभा म 66 सीट और 7 रा य म सरकारे है।

3. वामपंथी राजनी तक दल :-

इसम वामपंथी वचारधारा वाले दल शा मल है। जैसे - CPM, CPI आ द।

4. अ य दल :-

इसम वे दल शा मल है जो उपयु तीन गठबंधन म शा मल नही है। जैसे - अ ा मुक(AIDMK), तृणमूल कां ेस (TMC), बीजू
जनता दल (BJD), आम आदमी पाट आ द।

आप इन नोट् स को मेर ी website को इस लक को लक कर डाऊनलोड कर सकते है :-

https://sites.google.com/site/gangadharsoni4/political-science/class-12/part-b?authuser=0

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Unit - IV भारत क वदे श नी त एवं संयु रा संघ


Lesson - 1 भारत क वदे श नी त क मुख वशेषताएं और गुट नरपे ता
भारत क वदे श नी त
भारत क वदे श नी त थम धानमं ी पं डत जवाहरलाल नेह के वचार का दपण है। सतंबर 1946 को पं डत जवाहरलाल
नेह ने कहा था "वैदे शक सं बंध के े म भारत एक वतं नी त का अनुसरण करेगा और गुट क ख चतान से र रहते ए सं सार के सम त
पराधीन दे श को आ म नणय का अ धकार दान कराने और जा तय भेदभाव क नी त का ढ़ता पूवक उ मूलन कराने का य न करेगा।"

भारत क वदे श नी त क मुख वशेषताएं :-


1. शां तपूण सह-अ त व क नी त :-

शां तपूण सह-अ त व से आशय है क व के सभी रा को मलजुल कर शां तपूण रहना, एक- सरे का सहयोग करना और यु
आ द से परहेज करना।

हमारा दे श हमारी गौरवशाली सं कृ त के मूल मं "जीओ और जीने दो" क अवधारणा म व ास करता है। इ तहास गवाह है क भारत ने
कसी भी दे श पर आ मण नह कया य क भारतीय लोग यह भली-भां त जानते ह क यु केवल मानवता को तहस-नहस कर सकता है,
आबाद नही।

इस लए हमारी वदे श नी त क भी यह सव मुख वशे षता है क हम शां तपूवक रह और अ य को भी शां तपूवक रहने दे ।

2. उप नवेशवाद एवं सा ा यवाद का वरोध :-

उप नवेशवाद से आशय है क कसी समृ एवं श शाली रा ारा अपने हत को साधने के लए अ य रा के सं साधन का
श के बल पर उपभोग करना। जैसे - भारत का टे न का उप नवेश होना।

सा ा यवाद का आशय है क कसी मह वाकां ी रा ारा अपनी श और गौरव को बढ़ाने के लए अ य रा पर आ मण कर


सभी कार से नयं ण था पत कर ले ना।

हमारा दे श उप नवेशवाद और सा ा यवाद दोन का दं श भोग चुका है। इस लए हमने रा के आप- नणय के अ धकार क वकालत क
है। उप नवेशवाद और सा ा यवाद के वरोध व प भारत ने 1956 के वे ज नहर ववाद, खाड़ी दे श म अमे रका के ह त पे और महाश य
क सारवाद नी त का सदै व वरोध कया है।

3. रंगभे द नी त का वरोध :-

रंगभेद से अ भ ाय है क सरकार ारा नाग रक क न ल और चमड़ी के रंग के आधार पर भेदभावपूण नी त अपनाना और एक


वशे ष रंग के य को राजनी तक और नाग रक अ धकार नह दान कर उनका शोषण करना।

द ण अ का क नेशनल पाट क ते सरकार ने 1948 म रंगभेद क नी त का नमाण कर काले लोग के साथ भेदभाव कया और
उनका शोषण कया जसका भारत स हत व के अनेक दे श ने वरोध कया। अं ततः 1994 म द ण अ का म ने सन मंडेला के नेतृ व म
रंगभेद नी त का उ मूलन आ।

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हमारे दे श के सं वधान के अनु छे द 15 के तहत रंग के आधार पर भेदभाव को व जत कया गया है।

4. अंतरा ीय सं था का समथन :-

अं तरा ीय सं था का समथन और स मान करना हमारी वदे श नी त क मु य वशे षता रही है। वतं ता के प ात हमारे दे श ने
सं यु रा सं घ और इसके व भ अं ग के त स मान क भावना रखते ए इनके व वध काय म बढ़-चढ़कर ह सा लया है। साथ ही
अं तरा ीय सं गठन जैसे रा मंडल, गुट नरपे आंदोलन, यू र ोपीय यू नयन, आ सयान आ द का समथन भी कया है।

5. पंचशील के स ांत :-

पंचशील के स ांत का तपादन त बत के सं बंध म भारत के धानमं ी पं डत जवाहरलाल नेह और चीन के धानमं ी चाऊ
एन लाई के बीच 29 अ ैल 1954 को आ। यह स ांत इस कार है :-

i. एक सरे क अखंडता और सं भुता का स मान।

ii. पर पर अना मण।

iii. एक सरे के आंत रक मामल म ह त प


े नह करना।

iv. समानता।

v. शां तपूण सह अ त व।

6. गुट नरपे ता :-

भारत ने वतं ता उपरांत गुट नरपे ता क नी त अपनाई जसके तहत भारत ने शीत यु और श गुट जैसे नाटो, सीटो, सटो,
वारसा आ द से री बनाए रखने क नी त अपनाई।

गुट नरपे ता से ता पय ह अं तरा ीय तर पर व के कसी भी सै य गुट के साथ प ीय सं बंध के आधार पर सै नक समझौते म भाग
नह ले ना।

7. साधन क शु ता म व ास।

8. नश ीकरण का समथन।

गुट नरपे ता
गुट नरपे ता का अथ :-

रा ीय हत को यान म रखते ए कसी भी सै य गुट म शा मल ए बगैर वतं वदे श नी त का सं चालन गुट नरपे ता है।

भारत क वतं ता के समय व शीत यु क ओर अ सर था जसम एक ओर अमे रका सो वयत सं घ के सा यवाद के सार को रोकने
हेतु और सरी ओर सो वयत सं घ अमे रका के पूंजीवाद को रोकने हेतु व भ कार के सै नक गुट का नमाण कर रहे थे जससे व इस

ु ीय महाश य के जाल म फंसता जा रहा था।

भारत ारा गुट नरपे ता क नी त अपनाने के कारण :-

1. भारत कसी एक श प
ु से जुड़कर वै क तनाव को नह बढ़ाना चाहता है।

2. भारत अं तरा ीय राजनी त म वतं नी त के अनुसरण का प धर है।

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3. भारत अपने आ थक वकास के लए दोन महाश य से बराबरी का सं बंध बनाए रखने का प धर है।

4. गुट नरपे ता क नी त भारत क सामा जक, साम रक, भौगो लक, राजनी तक, आ थक और सां कृ तक मांग के अनु प है।

5. भारत के ारं भक नेतृ व क गुट नरपे ता क नी त म अटू ट ा होना।

6. गुट नरपे ता क नी त का भारत क ऐ तहा सक पृ भू म और व वधतापूण सं कृ त के अनुकूल होना।

वतमान म गुट नरपे आंदोलन क ासं गकता :-

अपनी थापना से आज तक गुट नरपे आंदोलन ने कई मह वपूण उपल धयां हा सल क है। जैसे:-

 उप नवेशवाद क समा त।

 सा ा यवाद क समा त।

 रंगभेद नी त का उ मूलन।

 नवो दत रा को उपयु मंच दान करना।

 व को श गुट म शा मल होने से बचाना।

 शीत यु को तृतीय व यु म बदलने से रोकना।

सो वयत सं घ के वघटन और शीत यु क समा त के साथ ही व एक व ु ीय व था म बदल गया जससे सं यु रा अमे रका और
सो वयत सं घ के टकराव क थ त ख म हो गई है। इस थ त म यह माना जाने लगा क गुट नरपे आंदोलन क उ प जस उ े य को ले कर
क गई वह उ े य पूण हो चूका है। अतः अब गुट नरपे आंदोलन क ासं गकता ख म हो गई है। परंतु आज भी गुट नरपे आंदोलन
ासं गकता बनी ई। न न ल खत ब से प है क य आज भी गुट नरपे आंदोलन ज री/ ासं गक है :-

 सं भु रा क समानता और सं भुता क सु र ा क से ।

 वकासशील दे श को व भ अं तरा ीय सम या के लए भावी मंच दान करने हेतु।

 द ण-द ण सहयोग क से ।

 वै क चुनौ तय का भावी ढं ग से सामना करने हेतु।

 वै क सं था म वकासशील दे श को समु चत त न ध व दलवाने हेतु।

 सामा जक, सां कृ तक एवं राजनी तक मू य के आदान- दान हेतु।

नोट :- गुट नरपे आंदोलन के जनक भारत के पं डत जवाहरलाल नेह , यू गो ला वया के माशल ट टो और म के ना सर है।

बांडुंग स मेलन - 1954

थम गुट नरपे शखर स मेलन - 1961 म बेल ेड म

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गुट नरपे शखर स मेलन :-

शखर स मेलन वष थान सद य क सं या

पहला 1961 बेल ेड 25

सरा 1964 का हरा 47

तीसरा 1970 लु साका 53

चौथा 1973 अ जीयस 75

5वां 1976 कोलं बो 85

छठा 1979 हवाना 92

7वां 1983 नई द ली 100

8वां 1986 हरारे 101

9वां 1989 बेल ेड 102

19वां 1992 जकाता 108

11वां 1995 काटजेना 113

12वां 1998 डरबन 114

13वां 2003 कुआलाल पुर 116

14वां 2006 हवाना 118

15वां 2009 शम-अल-शे ख 118

16वां 2012 तेहरान 120

17वां 2016 मारग रता 120

गुट नरपे ता और वतमान सरकार :-

भारत के थम धानमं ी पं डत जवाहरलाल नेह से ले कर वतमान सरकार तक सभी ने गुट नरपे नी त का पालन कया। भारत ने
वतमान म न न ल खत मु पर गुट नरपे आंदोलन का एक उ चत मंच के प म भावी उपयोग कया है :-

 आतंकवाद को पो षत करने और सं र ण दे ने पर पा क तान को अलग-थलग करना।

 UNO म भारत क थायी सद यता के लए समथन जुट ाना।

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भारतीय वदे श नी त के नवीन आयाम :-

1990 के दशक के आ थक सु धार के बाद से वतमान म भारत एक तेजी से उभरती ई अथ व था है। भारत म आ थक सु धार क
वदे श नी त के मु य आधार बने ए है। वतमान सरकार क मौजूदा वदे श नी त न न कार है :-

 वसु धव
ै कुटु बकम क परंपरा के अनु प वदे श नी त का सं चालन।

 आतंकवाद के त जीरो टॉलरस क नी त।

 सहयोगी दे श का सं जाल वक सत करना।

 भारत को एक श शाली रा बनाना।

नवीन वदे श नी त का सू पात :-

वतमान म भारत क वै क छ व और राजनी तक प च


ं के ारा वदे श नी त म न न तीन और जुड़ गए है :-

1. ापार

2. सं कृ त

3. सं पक

वतमान सरकार क वदे श नी त के पांच मूल स ांत :-

1. नरंतर वाता

2. आ थक समृ को ो साहन

3. भारत क त ा एवं स मान म वृ

4. रा ीय सु र ा का समथन

5. भारतीय सं कृ त एवं स यता क मा यता को ो साहन दे ना

पड़ोस पहले क नी त :-
16व लोकसभा चुनाव 2014 म नर मोद के नेतृ व म सरकार बनने के उपरांत भारतीय वदे श नी त म एक नवीन आयाम का
सू पात आ, वह है पड़ोस पहले क नी त।

इस नी त के मु य ब इस कार ह :-

1. पड़ोसी दे श के साथ संपक :-

धानमं ी मोद ने अपने शपथ हण समारोह म साक दे श के रा ा य को बुलाकर अपने पड़ोसी दे श के साथ सघन
सं पक था पत करने का अभूतपूव उदाहरण तु त कया। इसके अलावा धानमं ी मोद ने सभी पड़ोसी दे श क या ा कर एक नवीन
अ याय का सू पात कया।

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2. पड़ोसी दे श के साथ संबध
ं सुधार :-

भारत ने अपनी पड़ोस पहले क नी त के तहत अपने पड़ो सय के साथ सं बंध मजबूत करने के लए अनेक कदम उठाए।
जैसे -

 भारत क सं सद ारा बां लादे श के साथ सीमा करार।

 नेपाल के साथ पन बजली प रयोजना पर ह ता र।

 भारत-भूट ान खोल गचु पन बजली प रयोजना क आधार शला रखना।

 कोलं बो-जाफना रेलमाग भारत के सहयोग से खोलना।

 अफगा न तान म व भ प रयोजना का समय पर नमाण।

3. संकट त पड़ो सय क सहायता करना :-

भारत पड़ोस पहले क नी त के तहत आपात थ त म पड़ोसी दे श क सहायता क है। जैसे -

 मालद व म जल सं कट के दौरान ऑपरेशन नीर ारा जल प च


ं ाना।

 नेपाल म आए भूकंप के उपरांत सं साधन और मशीन रय के मा यम से सहायता करना।

4. ए ट ई ट नी त :-

मोद सरकार ने पहले क "लु क ई ट" एवं "लु क वे ट" क नी त म बदलाव करते ए "ए ट ई ट" नी त का पालन कया जसके ारा
पूव के दे श के साथ मलकर वशे षकर आ सयान, जापान, द ण को रया एवं ऑ े लया के साथ आ थक सं बंध को सु धारा गया है।

भारत एवं म य पूव के संबध



भारत का प म ए शया के दे श के साथ ऐ तहा सक प से घ न सं बंध रहे है। सधु घाट स यता से ले कर वतमान तक प म
ए शया के मु लम दे श के साथ घ न आ थक सं बंध रहे है।

प मी ए शयाई दे श का नकारा मक भाव :-

 धमाधता और इ ला मक क रवाद का सार

 आतंकवाद का सार

 वहाबी वचारधारा का सार

 आईएसआईएस क वचारधारा क घुसपैठ।

प मी ए शयाई दे श का सकारा मक भाव :-

 भारत के तेल आव यकता क पू त

 भारत एवं ईरान म घ न सं बंध। ईरान के चाबहार बंदरगाह म भारत का भारी नवेश।

 खाड़ी दे श म रोजगार क वपुल सं भावनाएं और वदे शी धन का भारत क ओर वाह।

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भारत और इजराइल संबध


ं :-

भारत और इजराइल के घ न सं बंध न न ल खत कारण से है :-

 दोन ही दे श म ाचीन धम का अ त व और धम प रवतन म व ास नह ।

 दोन दे श लोकतं और धम नरपे ता म व ास रखते ह।

 दोन ही दे श आतंकवाद से उ पी ड़त ह।

 दोन ही दे श क अमे रका से घ न ता है।

 दोन दे श म ब तायत मु लम समुदाय नवास करता है।

वतमान म दोन ही दे श न न कार पार प रक नभरता पर बल दे रहे ह :-

 खु फया सू चना के आदान- दान म

 जल ौ ो गक , च क सा, सु र ा, उ च तकनीक , नवाचार एवं कृ ष म इजराइल भारत क मदद कर सकता है, वह भारत इजरायली
उ पाद को बेचने म बड़ा बाजार दान कर सकता है।

 इजराइल भारत को ह थयार क आपू त करने वाला तीसरा सबसे बड़ा दे श ह।

उपरो त य से प है क भारतीय म य पूव क वदे श नी त एक चुनौतीपूण काय है जसम एक तरफ अरब दे श है और सरी तरफ
इजराइल जो क एक सरे के धुर- वरोधी ह। भारत का एक ओर अरब दे श से अपनी ऊजा आव यकता क पू त हेतु अ छे सं बंध बनाए
रखना ज री है वह र ा और ौ ो गक के सं बंध म इजरायल के साथ भी अ छे सं बंध रखना भी ज री है।

भारत और स संबध
ं :-
भारत एवं स पर परागत म रहे है। 1991 म सो वयत सं घ के पतन और भारत के ारा वै ीकरण क थापना के उपरांत पुर ानी
गाढ़ता म कमी अव य आई है परंतु आज भी भारत अपने र ा एवं सै य उपकरण क आव यकता क पू त हेतु स पर नभर है।

भारत-अमे रका और यूरोपीय दे श :-


व क बदलती राजनी तक प र थ तय के अनुसार भारत क वदे श नी त ता का लकता और ावहा रकता पर आधा रत है।
वतमान सरकार भारत क सु र ा ज रत और ए शया महा प म बदलते राजनी तक समीकरण से प र चत ह। हमारी वदे श नी त म उ
प रवतन चीन क खर नी त और पा क तान क नी त के त या व प आया है। 2014 के उपरांत भारत क अमे रका और यू र ोपीय दे श
जैसे जमनी, ां स, टे न आ द से घ न ता बढ़ है।

आप इन नोट् स को मेर ी website को इस लक को लक कर डाऊनलोड कर सकते है :-

https://sites.google.com/site/gangadharsoni4/political-science/class-12/part-b?authuser=0

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Unit - IV भारत क वदे श नी त एवं संयु रा संघ

Lesson - 2 संयु रा संगठन एवं व शां त थापना म योगदान


रा सं घ क वफलता और 1939 म ारंभ ए तीय व यु एवं उसक वभी षका से अं तररा ीय तर पर एक भावी सं गठन क
आव यकता महसू स ई।

इस सं दभ म टे न क त कालीन धानमं ी व टन च चल का यह कथन अ यं त मह वपूण है, "ह यार क लड़ाई से बेहतर है जुबानी जंग। यह
बेहतर होगा क ऐसा व मंच बने जहां नया के सारे दे श एक त हो और एक सरे का सर खाएं न क सर कलम करे।"

इस व मंच के नमाण हेतु म न न ल खत यास ए :-

. सं. स मेलन / बैठक वष

1 लं दन घोषणा जून 1941

2 एटलां टक चाटर घोषणा अग त 1941

3 सं यु रा घोषणा जनवरी 1942

4 मा को घोषणा अ टू बर 1943

5 तेहरान घोषणा नव बर 1943

6 ड बाटन ऑ स स मेलन अ टू बर 1944

7 या टा स मेलन फरवरी 1945

8 सै न- ां स को स मेलन अ ेल-जून 1945

सै न- ां स को स मेलन 1945 म व के 50 दे श ने भाग लया और सं यु रा के गठन को ले कर 26 जून 1945 को एक घोषणा पर


ह ता र कए गए। पोलड ने भी इसका समथन कया। इस कार सं यु रा सं घ के 51 सं थापक दे श बने जसम भारत भी शा मल है। यह
घोषणा प 24 अ टू बर 1945 से भावी हो गया। इस कार 24 अ टू बर 1945 को सं यु रा सं घ क थापना ई।

आज सं यु रा सं घ व तर पर एक भावशाली अं तररा ीय मंच है। कुछ आशावाद लोग ने इसम व सरकार के ल ण दे खे परंतु
यह उनक केवल कोरी क पना मा सा बत ई। सं यु रा सं घ के तीय महास चव डेग हेमरसो ड के अनुसार, "सं यु रा सं घ का गठन
मानवता को वग तक प चं ाने के लए नह ब क उसे नक से बचाने के लए आ है।"

संयु रा संघ के संबध


ं म कुछ मह वपूण ब :-
सं यु रा दवस : 24 अ टू बर

सं यु रा सं घ के मुख अं ग : 6

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सं यु रा महासभा क थम बैठक : 10 जून 1946 को लं दन म

सं यु रा सं घ के चाटर : अनु छे द 111 एवं अ याय 19

सं थापक सद य : 51

वतमान सद य : 193

सबसे नवीनतम सद य : द णी सू डान ( 2011 म )

मु यालय : ( यू यॉक - सं यु रा य अमे रका म)

आ धका रक भाषाएं : अरबी, चीनी, अं ेजी, च, सी एवं पे नश (6)

कायकारी भाषाएं : अं ेजी और च (2)

संयु रा संघ के ल य :-
सं यु रा सं घ के चाटर क तावना म इसके न न ल खत ल य उ ले खत ह :-

1. व को यु क वभी षका से बचाना।

2. सभी के लए समान अ धकार क थापना।

3. व भ रा क पर पर सं धय का आदर करना।

4. सामा जक उ त एवं बेहतर जीवन तर दान करना।

संयु रा संघ के उ े य :-
सं यु रा सं घ के चाटर के अनु छे द एक म उसके न न ल खत उ े य बताए गए ह :-

1. अं तरा ीय शां त एवं सु र ा बनाए रखना।

2. रा के म य मै ीपूण सं बंध का वकास करना।

3. आ थक, सामा जक, सां कृ तक एवं मानवीय सम या के समाधान के लए अं तररा ीय सहयोग ा त करना।

4. उपयु उ े य क ा त के लए रा क कायवा हय म सहम त बनाने वाले क के प म अपनी पहचान बनाना।

संयु रा संघ के स ांत :-


चाटर के अनु छे द दो म सं यु रा सं घ के उ े य क ा त हेतु न न ल खत स ांत को आव यक माना गया है :-

1. सभी सद य क सं भुता का स मान करना।

2. सद य ारा चाटर के उ रदा य व का वे छा से पालन करना।

3. अं तरा ीय ववाद का शां तपूण समाधान ता क अं तरा ीय शां त, सु र ा और याय खतरे म न पड़े।

4. सद य दे श अं तरा ीय सं बंध म श के योग या धमक से परहेज रख।

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5. सभी सद य सं यु रा सं घ को हर सं भव सहायता उपल ध कराएंगे।

6. जो दे श सं यु रा सं घ के सद य नह है वे भी सं यु रा सं घ के स ांत के अनुकूल आचरण करे।

7. सं यु रा सं घ कसी भी दे श के आंत रक/ घरेलू मामल म ह त प


े नह करेगा।

संयु रा संघ क सद यता :-


सं यु रा सं घ के चाटर के अनु छे द 4 से 6 म सद यता सं बंधी ावधान कए गए ह जसम दो कार के सद य का ावधान है :-

1. ारं भक सद यता :-

ारं भक सद य वे ह ज ह ने सै न- ां स को स मेलन म न मत चाटर पर ह ता र कए। इनक सं या 51 है।

2. अ जत सद यता :-

अ जत सद य वे ह ज ह ने न तो सै न- ां स को स मेलन म भाग लया और न ही चाटर पर ह ता र कए।

सद यता हण करने क शत :-

सं यु रा सं घ के अनु छे द 4 म सद यता हण करने क शत का उ ले ख है जो न न है :-

 आवेदनक ा सं भुता सं प दे श होना चा हए।

 आवेदनक ा शां त य दे श होना चा हए तथा चाटर म व णत उ रदा य व का पालन करने क इ छा होनी चा हए।

 आवेदनक ा दे श को चाटर के ारा नधा रत दा य व को वीकार करना होगा।

आवेदन के प ात सव थम सु र ा प रषद आवेदन पर वचार करती ह और अपनी सफा रश महासभा को भेजती है जस पर


महासभा के 2/3 सद य के ब मत से आवेदनक ा को सद यता मल जाती है।

Note : सु र ा प रषद म सभी पांच थायी सद य स हत कम से कम 9 सद य का समथन होना ज री है।

न कासन :-

य द कोई रा य सं यु रा सं घ के चाटर का बार-बार उ लं घन करता है तो सु र ा प रषद क सफा रश पर महासभा ारा न का सत


कया जा सकता है। अब तक कसी भी दे श का सं यु रा सं घ से न कासन नह कया गया है।

संयु रा संघ के मुख अंग :-


चाटर के अनु छे द 7 के अनुसार सं यु रा सं घ के 6 मुख अं ग है :-

1. महासभा

2. सु र ा प रषद

3. सामा जक एवं आ थक प रषद

4. अं तरा ीय यायालय

5. यास प रषद

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6. स चवालय

I. महासभा :-
इसे व क सं सद भी कहा जाता है। सं यु रा सं घ के सभी सद य महासभा के सद य होते ह। एक दे श महासभा म अ धकतम 5
त न ध भेज सकता है परंतु एक ही वोट का अ धकार होता है। महासभा कसी भी अं तरा ीय सम या को रखने और अ याय के खलाफ
आवाज उठाने वाला मंच है जसम सभी सद य के वचार सु ने जाते ह।

महासभा के काय एवं श यां :-

सं यु रा महासभा के न न ल खत काय ह :-

 अं तरा ीय शां त एवं सु र ा से सं बं धत मामल पर वचार- वमश करना।

 नरी ण सं बंधी काय।

 सं यु रा सं घ का बजट पास करना।

 चुनाव सं बंधी काय ।

 सं यु रा सं घ के चाटर म सं शोधन करना।

महासभा का संगठन :-

कुल सद य : 193

सभाप त का चुनाव : 1 वष के लए गु त मतदान ारा एवं गत यो यता के आधार पर

थम सभाप त : पॉल पू क

वतमान सभाप त : त जानी मोह मद बांडे ( 74वां स )

उपा य : 17

थायी स म तयां : 7

महासभा के स :-

महासभा क एक नय मत वा षक बैठक होती है जो ये क वष सत बर माह के तीसरे मंगलवार से ारंभ होकर दसं बर के म य तक


चलती है।

वशेष स :-

सु र ा प रषद क सफा रश या महासभा के सद य के ब मत के आधार पर तु त ाथना प पर वशे ष स बुलाया जा सकता है।

Note : - ये क स के लए महासभा अपना नया अ य /सभाप त चुनती है।

सु र ा प रषद या ब मत सद य के अनुर ोध पर महासभा का 24 घंटे के भीतर सं कटकालीन अ धवेशन बुलाया जा सकता है जसम
महासभा उ ह वषय पर वचार- वमश करती ह जसके लए अ धवेशन बुलाने क मांग क गई है।

महासभा का मू यांकन :-
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1950 म को रया सं कट के समय महासभा ारा पा रत "शां त के लए सं ग ठत एकता ताव" से महासभा क श य और
भू मका म आ यजनक प रवतन ए। इस ताव ने महासभा को सं यु रा क सामू हक सु र ा का सं र क बना दया। इस ताव के
अनुसार य द सु र ा प रषद अं तररा ीय शां त को खतरा होने, शां त भंग होने और आ मण क थ त म अं तरा ीय शां त और सु र ा बनाए
रखने म असफल रहती है तो महासभा अपने सद य से उ चत सफा रश करने के लए मामले को एकदम अपने हाथ म ले ले गी ता क सामू हक
यास कए जा सके।

अत: महासभा के मू यांकन म टाक का कथन उ चत तीत होता है क "अं तरा ीय शां त और सु र ा के पर महासभा वहा रक प से
मु य व प हण करने के यो य हो गई ह, यह सचमुच म वल ण है।"

II. सुर ा प रषद :-


सु र ा प रषद सं यु रा सं घ क कायकारी स म त है जसके कंध पर अं तरा ीय शां त एवं सु र ा को बनाए रखने का उ रदा य व
है। जस कार महासभा व क सव च राजनी तक श का त न ध व करती ह उसी कार सु र ा प रषद व क सव च श का
त न ध व करती है। राजनी तक वषय म सु र ा प रषद को सं यु रा सं घ क कायपा लका माना जाता है। सु र ा प रषद अं तरा ीय शां त
एवं सु र ा का पहरेदार मानी जाती है।

पामर एवं पा कस ने इसे सं यु रा सं घ क कुंजी कहा है। जी.जे. मैगॉन ने ठ क ही कहा है क "अं तरा ीय यु को रोकने के लए न तो सारे
व म और न ही इ तहास म कह भी इतना श शाली अं ग मलता है।"

सुर ा प रषद का गठन :-

सु र ा प रषद म 5 थायी और 10 अ थायी सद य होते ह।

कुल सद य : 15

थायी सद य : सं यु रा य अमे रका, टे न, चीन, ां स एवं स (5)

अ थायी सद य : 10

अ थायी सद य तवष 5 सद य दो वष के लए महासभा ारा चुने जाते ह जनको चुनते समय महासभा न न त न ध व का
यान रखती ह ता क सु र ा प रषद म सभी े को व ापी त न ध व मल सके :-

ए शया-अ का से : 5 सद य

द ण अमे रका से : 2 सद य

प मी यू र ोप और अ य े से : 2 सद य

पूव यू र ोप से : एक सद य

सुर ा प रषद क श यां एवं काय :-


1. अंतरा ीय शां त और सुर ा के संबध
ं म नणय लेना :-

य द व म कह भी शां त को खतरा उ प हो गया हो, शां त भंग हो गई हो या आ मण क थ त पैदा हो गई


हो तो अं तरा ीय शां त और सु र ा के सं बंध म नणय ले ने क श एकमा सु र ा प रषद क ही है।

2. अपने नणय के नःश या वयन क श यां :-


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सु र ा प रषद अपने नणय को नःश या वयन करने क श यां रखती है। इसके तहत वह दोषी दे श के
खलाफ कूटनी तक और आ थक तबंध लगा सकती ह जसे मानने और लागू करने के लए सद य रा बा य है।

3. नवाचन संबध
ं ी काय :-

नए सद य के नमाण, महास चव के नवाचन और अं तरा ीय यायालय के यायाधीश के चुनाव म सु र ा


प रषद के सभी पांच थायी सद य के समथन स हत सफा रश आव यक है।

4. ववाद का शां तपूण नपटारा :-

सु र ा प रषद अं तरा ीय ववाद के शां तपूण नपटारे हेतु सव थम ताव पा रत करती है। उसके बाद आ थक तबंध लगाने
पर वचार करती है। इन दोन क असफलता के बाद ही सु र ा प रषद सै नक कारवाई पर वचार करती है।

सुर ा प रषद का आलोचना मक मू यांकन :-


सु र ा प रषद म या सं बंधी नणय को छोड़कर अ य सभी नणय के लए थायी सद य क सवस म त आव यक है। य द
कसी वषय पर थायी सद य म से कसी एक सद य ारा भी असहम त दान कर द जाती है तो ऐसे वषय पर सु र ा प रषद कोई नणय
नह ले पाती है। इस कार समय-समय पर सु र ा प रषद के पांच थायी सद य ने अपने वाथ हेतु वीटो का योग कया और सु र ा प रषद
को पंगु बना दया जसके कारण सु र ा प रषद अपनी अपे त भू मका नह नभा पाई जसक क पना क गई थी।

III. अंतरा ीय यायालय :-


सं यु रा सं घ के चाटर के अनु छे द 92 म अं तरा ीय यायालय का ावधान कया गया है। अं तररा ीय यायालय क थापना 3
अ ैल 1946 को ई जसका मु यालय हेग ( नीदरलड ) म है।

संरचना :-

अं तरा ीय यायालय म कुल 15 सद य होते ह।

यायाधीश क यो यता :-

 अं तरा ीय कानून का व धवेता हो।

 उ च नै तक च र हो।

यायाधीश का चुनाव :-

यायाधीश क नयु सु र ा प रषद एवं महासभा दोन म ब मत मलने पर क जाती है।

यायाधीश का कायकाल :-

 अं तररा ीय यायालय म यायाधीश का कायकाल 9 वष का होता है।

 ये क तीन वष बाद पांच यायाधीश से वा नवृ हो जाते है।

 यायाधीश पुन: नवा चत भी हो सकते है।

 यायालय के नणय ब मत के आधार पर होते है।

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 यायाधीश अपने म से ही एक सभाप त और उपसभाप त को तीन वष के लए चुनते है।

अंतरा ीय यायालय का े ा धकार एवं श यां :-


1. ऐ छक े ा धकार :-

सद य रा य को यह अ धकार है क वह अपने आपसी ववाद अं तरा ीय यायालय म ले कर आये या नह आये ।

2. अ नवाय े ा धकार :-

अं तरा ीय यायालय के अ नवाय े ा धकार न न है :-

 सं धय क ा या करना।

 अं तरा ीय कानून क ा या करना।

 अं तरा ीय तबंध को भंग करने क थतम तपू त का व प और सीमा तय करना।

 कोई भी वा त वकता जो था पत हो चुक हो अं तरा ीय दा य व क शाखा बन जाएगी।

3. सलाहकार े ा धकार :-

अं तरा ीय यायालय के पास सलाहकारी े ा धकार के तहत महासभा, सु र ा प रषद एवं अ य एज सय ारा कानूनी
पर ल खत नवेदन करने पर सलाह दे ने का अ धकार है। सलाह मांगने वाली सं था ारा सलाह मानना अ नवाय नह है।

IV. यास प रषद :-


इसका नमाण यास दे श क दे खरेख के लए कया गया। इसक थापना 1945 म औप नवे शक अधीन े के बंधन के लए
तथा उनको वतं ता एवं वशासन के लए ो सा हत करने के लए कया गया था। यह 1994 के बाद से न य है। यास प रषद के सद य
का चुनाव महासभा ारा होता है। यह महासभा के सहायक के प म काय करती ह और रणनी तक े म के सं बंध म सु र ा प रषद के
अं तगत काय करती है।

यास प रषद का योगदान :-


 वउप नवेशीकरण को बढ़ावा दया।

 यास े के लोग क उ त को ो साहन दया।

 यास े के लोग को वशासन के लए े रत कया।

 यास े के लोग म राजनी तक जाग कता का सृ जन करना।

 वासी मज र के मामले को सु लझाने म मह वपूण भू मका अदा करना।

 यास े को राजनी तक वतं ता दलाना।

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V. सामा जक एवं आ थक प रषद :-
आ थक एवं सामा जक प रषद इस धारणा पर आधा रत है क अं तरा ीय शां त केवल राजनी त ववाद के समाधान पर ही नह
नभर करती ब क अं तरा ीय आ थक, सामा जक और उनसे सं बं धत अ य सम या के सं बंध म उ चत एवं भावपूण कायवाही पर भी नभर
करती ह।

शां त व था को थायी प से बनाए रखने के लए जीवन का उ च तर, पूण रोजगार, आ थक-सामा जक उ त और वकास क
प र थ तयां अ यं त आव यक है।

सद य :-

सामा जक आ थक प रषद म कुल 54 सद य होते है।

कायकाल :-

सद य का कायकाल 3 वष का होता है। 18 सद य त वष नवा चत होते ह।

नवाचन :-

महासभा ारा।

अ धवेशन :-

वष म दो बार। पहला यू यॉक म तथा सरा जनेवा म।

काय :-
1. अं तरा ीय आ थक एवं सामा जक मु पर चचा के लए एक क य मंच के प म काय करना और इस वषय म महासभा, व श
अ भकरण और सद य रा को सु झाव दे ना।

2. अं तरा ीय आ थक, सामा जक, सां कृ तक, शै णक, वा य एवं अ य सं बं धत मामल पर अ ययन करना और महासभा को
तवेदन दे ना।

3. सभी के मानवीय अ धकार और मौ लक वत ता के त आदर को ो सा हत करना।

वतमान म 2015 से सामा जक-आ थक प रषद "सतत वकास ल य " को ा त करने के लए य नरत है जसे 2030 तक ा त करना
है।

VI. स चवालय :-
स चवालय सं यु रा सं घ का एक थायी शास नक अं ग है। यह व भ अं ग ारा स पी गई नी तय और काय म को
या वत करता है। स चवालय का मुख महास चव होता है जसक नयु सु र ा प रषद के परामश पर महासभा ारा क जाती है।

वतमान म 9व महास चव ए टो नयो गुटेरस


े (पुतगाल) है जब क थम महास चव गवे ली (नाव) थे।

महास चव के काय एवं भू मका :-


 सं यु रा सं घ के काय का रकॉड रखना।

 सं यु रा सं घ के दै नक काय करना।
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 स चवालय के धान के प म काय करना।

 व म कूटनी तक के प म काय करना।

 न:श ीकरण को बढ़ावा दे ना।

 सतत वकास के ल य को अ जत करना।

 स चवालय टाफ क नयु करना।

 सं यु रा सं घ के व भ अं ग और एज सय ारा बनाए गए ो ाम और नी तय को सम वत करना एवं शा सत करना।

संयु रा संघ से संबं धत व भ वशेष एज सयां :-


.सं . एजसी का नाम पूर ा नाम मु यालय

1 UNESCO United Nation Educational Scientific and Cultural Organization पे रस

2 UNIDO United Nation Industrial Development Organization वएना

3 WHO World Health Organization जनेवा

4 WIPO World Intellectual Property Organization जनेवा

5 UPU Universal Postal Union बन

6 ITU International Telecommunication Union जनेवा

7 IAEA International Atomic Energy Agency वएना

8 FAO Food and Agriculture Organization रोम

9 IFAD International Fund for Agriculture Development रोम

10 ICAO International Civil Aviation Organization मां यल

11 IMO International Maritime Organization ल दन

12 WTO World Trade Organization जनेवा

13 ILO International Labour Organization जनेवा

संयु रा संघ क भू मका/ उपल धयां :-


सं यु रा सं घ अपनी थापना से ले कर आज तक नरंतर भावशाली भू मका नभाता आया है जो क न न ल खत ब से प है :-

 व शां त एवं सु र ा बनाए रखने म योगदान।

 परमाणु अ सार के सं बंध म नरंतर काय करना।

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 उप नवेशवाद और सा ा यवाद के उ मूलन म भावी योगदान।

 व से गरीबी, नर रता एवं भूखमरी र करने म भावी यास।

 मानवा धकार क र ा का बीड़ा उठाना।

 पयावरण सं र ण और सतत वकास के ल य ा त करने म योगदान।

 वै क मु पर एक अं तररा ीय मंच क भू मका नभाना।

 नवीन अं तरा ीय अथ व था क थापना करना।

 हद महासागर को शां त े घो षत करना।

 अं तरा ीय ववाद को शां तपूण तरीके से हल करना।

 व था पत का पुनवास।

व शां त एवं सुर ा हेतु संयु रा संघ के यास :-


व शां त और सु र ा क बहाली हेतु सं यु रा सं घ ने अनेक सम या के हल हेतु यास कए ह जो क इस कार ह :-

1. ईरान सम या :- 1946 म सो वयत सं घ ारा ईरान के अजरबैजान म सी से ना भेजना।

2. यू नान ववाद :- 1946 म सा यवाद दे श ारा यू नान क सीमा पर आ मक कारवाई करना।

3. इंडोने शया ववाद :- 1947 म पोलड एवं इंडोने शया म यु होना, 1950 म इंडोने शया को वतं ता।

4. क मीर ववाद :- अ टू बर 1947 म क मीर पर अवैध क जे को ले कर ववाद सं यु रा सं घ प च


ं ा परंतु अब तक समाधान नह ।

5. द ण अ का म न लवाद :- 1948 म द णी अ का क त
े सरकार ारा रंगभेद क नी त अपनाना।

6. कांगो सं कट :- 1960 म कांगो म छड़ा गृहयु जसम सं यु रा शां त से ना ने मह वपूण भू मका नभाई है।

7. को रया सं कट :- 1950 म उ री को रया और द ण को रया म यु छड़ा।

8. वे ज नहर सं कट :- 1956 म म ारा वे ज नहर का रा ीयकरण कर दे ने पर प मी दे श ारा पुन: नयं ण था पत करने के लए


इजरायल, टे न और ां स ारा म पर आ मण करना।

संयु रा संघ क ासं गकता :-


यह स य है क महाश य के दबाव के कारण सं यु रा सं घ अपनी वह भू मका नही नभा पाया जसक उ मीद इस सं गठन ने
क थी। जैसे -

 शीत यु का समाधान नह कर पाना और दो करोड़ लोग मारे जाना।

 ईरान-इराक यु 10 वष तक चलते रहना।

 सो वयत सं घ का अफगा न तान म 10 वष तक ह त प


े ।

 सं यु रा सु र ा प रषद म वीटो का अ य धक योग।

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 2003 म इराक पर अमे रक आ मण

 फ ल तीन, बां लादे श, बो नया, सू डान एवं सी रया म नरसं हार रोकने म नाकाम।

 आतंकवाद को रोकने म नाकाम।

 ली बया म प मी दे श क कायवाही।

 अफगा न तान म नाटो से ना क मौजूदगी।

 यमन म सऊद गठबंधन का आ मण।

उपयु असफलता के बावजूद भी सं यु रा क वतमान म ासं गकता बनी ई है जो क हम न न ल खत ब के मा यम से


समझ सकते है :-

 वतमान वै क सम याएं सावभौ मक कृ त क है जनका एक रा य ारा समाधान सं भव नह है। जैसे आतंकवाद, साइबर ाइम,
नशीली व तु का अवैध ापार, पयावरणीय सम याएं आ द। अतः इन वै क सम या के समाधान म सभी दे श का सहयोग
आव यक है जो क सं यु रा सं घ क अगुवाई म ही ा त कया जा सकता है।

 सं यु रा सं घ एक वै क मंच के प म सभी दे श को वैचा रक मंच दान करता है, जहां सभी दे श एक त होकर अपनी सम या
को रख सकते ह।

 वकासशील दे श क सामा जक और आ थक सम या के समाधान म सं यु रा सं घ क भू मका मह वपूण रही ह। अतः भ व य म


भी उसक उपयो गता आव यक है।

 सं यु रा सं घ व म शां त एवं सहयोग क आव यकता पर बल दे ता है और वह व भर म शां त थापना म मह वपूण योगदान


दान करता है।

संयु रा संघ म सुधार हेतु सुझाव :-


 सु र ा प रषद का व तार कया जाए।

 वीटो के सी मत योग पर बल दया जाए।

 सं यु रा सं घ को व ीय प से सश बनाया जाए।

 भारत, जापान, जमनी एवं ाज़ील को थायी सद यता दान क जाए।

 अ थायी सद य क सं या म भी वृ क जाए।

 अं तरा ीय यायालय को और अ धक सश बनाया जाए।

 सामा जक-आ थक प रषद जैसे अं ग म वृ क जाए।

 यास प रषद का उ मूलन कया जाए।

आप इन नोट् स को मेर ी website को इस लक को लक कर डाऊनलोड कर सकते है :-

https://sites.google.com/site/gangadharsoni4/political-science/class-12/part-b?authuser=0

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Lesson - 3 भारत के पड़ोसी दे श से संबंध - पा क तान, चीन व नेपाल

भारत के पड़ोसी दे श म सवा धक मह वपूण और बेहद सं वेदनशील सं बंध वतमान समय म चीन, नेपाल और पा क तान के साथ ही
बने ए ह। य प भारत क वदे श नी त का मूल त व है क पड़ोसी दे श के साथ स ाव, शां त और मह वपूण सं बंध रखे जाए। परंतु यह कहा
जाता है क मै ीपूण सं बंध का नवहन करने के लए दोन प क पर पर सहम त और वे छा का होना आव यक है। इस से भारत अपनी
सीमा से सटे पड़ो सय के साथ सौहादपूण सं बंध का हमायती तो अव य है परंतु अपनी सीमा म घुसपैठ, अ त मण और दे श के अं द नी
मामल म ह त प े क क मत वह चुप नह बैठ सकता। इस लए जब भी पड़ोसी रा अपनी हद को पार करने लगते ह तो भारत को इसका
यु र दे ना ही पड़ता है।

वतं ता उपरांत भारत ारा पड़ोसी दे श के साथ जस सं बंध क आव यकता महसू स क गई वैसे सं बंध था पत नह हो पाए। एक
ओर पा क तान के साथ भारत का नरंतर और एक अघो षत सं घष क थ त चल रही है वह चीन के साथ भी लगभग यही थ त है और नेपाल
के साथ भारत सदै व वशे ष सं बंध बनाना चाहता है परंतु नेपाल भारत और चीन के साथ सम- र थ स ांत के तहत अपनी वदे श नी त का
सं चालन करना चाहता है।

भारत पा क तान संबंध :-


भारत-पाक संबध
ं को भा वत करने वाली सम याएं :-

1. वभाजन से उ प सम याएं

2. पा क तान क भारत वरोध नी त और आतंकवाद का समथन।

3. पा क तान ारा सै य गुट क सद यता हा सल करना और भारत क घेर ाबंद का यास।

भारत पाक सै य तनाव को दशाने वाले त य :-

मद य GDP के अनुसार

भारत पा क तान

1. वकास काय पर 6.2% 3.8%

2. सै य तैया रय पर 2.9% 4.7%

3. आतंक ग त व धय पर 0 8%

4. सीमा पर अ त र य 9000 करोड़ 0

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वभाजन से उ प होने वाली सम याएं :-

1. क मीर ववाद

2. हैदराबाद ववाद

3. जूनागढ़ ववाद

4. ऋण अदायगी का

5. नहरी पानी ववाद

6. शरणा थय का

क मीर ववाद :-
क मीर क सम या भारत और पा क तान के म य एक वलं त और थाई सम या है। यह एक स य वालामुखी के समान है जो समय
समय पर अपना लावा उगलती रहती ह।

अलाप माइकल के श द म, "क मीर सम या अ नवायत: भू म या पानी क सम या नह है ब क यह दोन दे श के लोग और त ा का


है।"

क मीर क सम या भारत-पा क तान वभाजन के साथ ही ारंभ ई। दे सी रयासत के वलय के सं बंध म टश सरकार ारा उन
दे सी रयासत को अ धकार दया गया क :-

 रयासत अपनी इ छा अनुसार भारत या पाक म शा मल हो जाए।

 रयासत अपना वतं अ त व बनाए रखे।

इस सं बंध म क मीर रयासत ने कोई ता का लक नणय नह लया जसके कारण पा क तान जो क क मीर को अपने दे श म
शा मल करना चाहता था, ने कबाय लय क मदद से 22 अ टू बर 1947 को क मीर पर आ मण कर दया जसका क मीरी से ना सामना नह
कर सक । चार दन म आ मणकारी कबायली से ना ीनगर से 25 कलोमीटर र बारामुला तक प च ं गई। तब क मीर के राजा हरी सह ने
भारत से सहायता क गुहार क जस पर धानमं ी नेह ने क मीर के वलय का ताव रखा। इसे राजा ह र सह ारा मान लया गया। इस
कार 27 अ टू बर 1947 को क मीर का भारत म आ धका रक प से वलय आ। साथ ही उसी दन भारतीय से ना ने क मीर म वेश कर
कबाय लय को खदे ड़ दया।

ारंभ म पा क तान का कहना था क क मीर पर कबाय लय ने हमला कया परंतु बाद म इस बात के माण मलने लगे
क पा क तान सरकार वयं इन कबाय लय क मदद कर रही है। इस पर धानमं ी नेह ने 1 जनवरी 1948 को सु र ा प रषद म शकायत
क क पा क तान क सहायता से कबाय लय ने भारत के भू-भाग क मीर पर हमला कर दया जससे अं तररा ीय शां त को खतरा उ प हो
गया है।

संयु रा आयोग :-
भारत ारा क मीर पर पा क तान के आ मण क शकायत सु र ा प रषद म करने पर मौके क थ त का अ ययन करने के लए
5 सद यीय सं यु रा आयोग का गठन कया गया जसके सद य चेको लोवा कया, अजट ना, अमे रका, कोलं बया और बे जयम थे।

संयु रा आयोग के काय :-

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सं यु रा आयोग ने त काल काय ारंभ करते ए और मौके क थ त का अ ययन कर 13 अग त 1948 को समझौते हेतु
न न ल खत सु झाव दए :-

 पा क तान अ धकृत े से अपनी से नाएं हटाए।

 पा क तान कबाय लय और घुसपै ठय को भी हटाए।

 पा क तान से ना ारा खाली कये गई दे श का शासन बंध थानीय अ धकारी कर।

 पा क तान समझौते क उपयु शत क पालना कर भारत को सू चत कर ता क भारत भी अपनी अ धकांश से नाएं हटाए।

 भारत सरकार क मीर म उतनी ही से ना रख जतनी कानून और व था बनाए रखने हेतु आव यक हो।

इस समझौते के उपरांत दोन प म एक लं बी वाता ई और न न ल खत मु पर सहमत ए :-

 1 जनवरी 1949 से यु वराम घो षत हो।

 ज मू क मीर म जनमत सं ह कराया जाए।

ज मू क मीर म जनमत सं ह कराने के लए अमे रक नाग रक एड मरल चे टर न म ज को शासक नयु कया गया जसने
दोन प से बातचीत क परंतु कोई प रणाम नह नकला। अं ततः उ ह ने अपने पद से इ तीफा दे दया।

वतमान थ त :-

यु वराम होने और लाइन ऑफ कं ोल का नधारण होने पर क मीर का 32000 वग मील का े पा क तान के अधीन रह गया
जसे पा क तान "आजाद क मीर" के नाम से पुकारता है, वह 53000 वग मील का े भारत के अ धकार े म आ गया।

भारत-पाक के बीच थाई है क मीर ववाद :-


15 अग त 1947 को वतं ता उपरांत भारत ने पड़ोसी दे श के साथ शां तपूण सं बंध रखने क इ छा जताते ए आ थक एवं
सां कृ तक सहयोग पर बल दया मगर अ टू बर 1947 म पा क तान ने तट थ नी त रखने वाली क मीर रयासत पर आ मण कर और इसे
धा मक रंग दे कर आपसी सं बंध म दरार डाल द । क मीर क ब सं यक मु लम आबाद के आधार पर और भारत-पा क तान का धा मक
आधार पर वभाजन होने के त य पर पा क तान क मीर को अपने े म वलय कराना चाहता था जसे क मीर के शासक ने नामंजूर कर दया।
इस कारण कबाय लय क आड़ म पा क तान ने क मीर पर आ मण कर लगभग 32000 वग मील े हड़प लया। क मीर के शासक ह र
सह के ारा भारत के साथ वलय प पर ह ता र करने और ज मू क मीर क सं वधान सभा ारा इसे मंजूर कए जाने के उपरांत भी
पा क तान क मीर ववाद को नरंतर हवा दे ता आ रहा है। आज भी पा क तान UNO जैसे वै क सं गठन के मा यम से क मीर ववाद को बार-
बार उछलता रहता है। इससे प है क क मीर ववाद भारत और पा क तान के बीच एक थाई सम या बन चुका है।

भारत-पाक यु -1965 :-
1947 म भारत के वभाजन के उपरांत भी भारत के गुजरात ांत और पा क तान के सध ांत के बीच समु सीमा लाइन का
वभाजन नह हो पाया था और यह े क छ के रन के नाम से व यात ह।

त प ात क छ के रन के े म तेल और ाकृ तक गैस के वशाल भंडार होने क सं भावना के कारण इसका और अ धक मह व बढ़ गया
और पा क तान इस पर अपना दावा जताने लगा। इसके लए पा क तान ने दोहरी रणनी त के तहत क छ के रन म घुसपैठ क ता क वह भारत
का यान इस दशा म भटका कर क मीर म घुसपैठ कर और क मी रय के सहयोग से क मीर को हड़प ले । क छ म घुसपैठ के उपरांत 4-5
अग त 1965 को पा क तान क से ना ने घुसपै ठय के वेश म सीमा पार कर क मीर म वेश कया परंतु पा क तान क सा जश नाकाम ई।

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क मीर के थानीय लोग ने घुसपैठ क जानकारी भारतीय से ना को दे ते ए भारत का साथ दया। भारत सरकार ने उन थान पर अ धकार करने
का नणय लया जहां से पा क तानी घुसपै ठये भारत म वेश करते थे। इसी बीच पा क तान क नय मत से ना ने अं तररा ीय सीमा रेखा पार
कर भारतीय भू-भाग पर हमला कर दया और दोन दे श के म य यु ारंभ हो गया। भारत ने इस यु म 750 वगमील पा क तानी भू म पर
क जा कर लया और पा क तान को करारी हार का सामना करना पड़ा। अं ततः सं यु रा सं घ क सु र ा प रषद के ताव पर दोन दे श ने
यु वराम आ और 22 सतंबर 1965 को यु समा त आ।

ताशकंद समझौता :-
सो वयत सं घ के यास के प रणाम व प 10 जनवरी 1966 को ताशकंद म भारत और पा क तान म समझौता आ जो ताशकंद
समझौते के नाम से जाना जाता है। भारत क ओर से धानमं ी लाल बहा र शा ी और पा क तान क ओर से रा प त अयू ब खान ने समझौते
पर ह ता र कए। समझौते के मूल ावधान इस कार है :-

 दोन दे श अ छे पड़ो सय के सं बंध था पत करने के यास करगे।

 एक सरे के व बल का योग नह करगे।

 ववाद का शां तपूण समाधान करने का यास करगे।

 आ थक, ापा रक, रसं चार व था और सां कृ तक सं बंध बहाल करगे।

 राजन यक सं बंध बहाल करगे।

 यु बं दय क अदला-बदली करगे।

 जीते ए े पुनः लौटायगे।

भारत-पाक यु 1971 :-
1965 के यु के बाद पा क तान के हालात बदतर होने लगे। रा प त अयू ब खां को अपद थ कर जनरल या ा खान ने स ा
सं भाली। 1947 से ही प मी पा क तान और पूव पा क तान म स ा के ग तरोध, सां कृ तक भ ता और भौगो लक री के कारण नरंतर
तनाव बना रहा जसके कारण दोन दल का साथ चलना मु कल होता जा रहा था। 1970 के आम चुनाव म पूव पा क तान क वधानसभा म
शे ख मुजीबुरहमान क अवामी लीग को प ब मत मला जसे पा क तान क सै य सरकार ने वीकार नह कया और अं ततः शे ख मुजीब को
गर तार कर प म पा क तान ले जाया गया। इससे पूव पा क तान म वाय ता हेतु आंदोलन होने लगे जस पर पा क तान ने यहां सै य
शासन लागू कर बंगा लय और वशे षकर ह को नशाना बनाते ए भयं कर नरसं हार कया। इस कारण पूव पा क तान के लोग घबराकर
भारतीय सीमा म वेश करने लगे। इस कार भारत म शरणा थय क सं या एक करोड़ तक प च ं गई और भारतीय अथ व था असं तु लत
होने लगी। भारत ने अं तररा ीय समुदाय से इसक शकायत क परंतु कोई कारवाई नह होने पर भारत ने बां लादे श क वाय ता का समथन
कया जस पर 3 दसं बर 1971 को पा क तानी वायु सेना ने भारतीय हवाई अ पर भीषण बमबारी क । भारत ने इसे यु क पहल मानते ए
4 दसं बर 1971 को जवाबी कारवाई करते ए वायु सेना, नौसे ना और थलसे ना के मा यम से पूव एवं प मी पा क तान पर भीषण हमला कया
और पा क तान को चार खाने चत कर दया। मा 13 दन चले इस यु के उपरांत 16 दसं बर 1971 को पा क तान के जनरल नयाजी ने
भारत के ले टनट जनरल जगजीत सह अरोड़ा के सामने 93000 पा क तानी सै नक स हत आ मसमपण कर दया और बां लादे श का उदय
आ। भारत ने इस यु म लगभग 6000 वगमील पा क तानी भू म पर क जा कया।

शमला समझौता 1971 :-


1971 के यु म पा क तान क करारी हार के बाद स ा म प रवतन आ। या ा खान को स ा छोड़नी पड़ी। अब जु फकार
भु ो पा क तान के रा प त बने और 3 जुलाई 1972 को इं दरा गांधी और जु फकार भु ो के म य ऐ तहा सक शमला समझौता आ। शमला

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समझौते के ावधान इस कार ह :-

 दोन दे श ववाद के शां तपूण समाधान हेतु सीधी बातचीत करगे।

 एक- सरे के व बल का योग नह करगे।

 ादे शक अखंडता का स मान करगे।

 एक- सरे क राजनी तक वतं ता म ह त प


े नह करगे।

 आपसी सं बंध को सामा य बनाने के लए सं चार से वा, या ा से वा, ापा रक से वा और आ थक सहयोग को बढ़ावा दया जाएगा।

 17 सतंबर 1971 को यु वराम लाइन को नयं ण रेखा ( LOC) क मा यता द जाएगी।

 दोन दे श क से नाएं अपने-अपने े म वापस लौट जाएगी।

 बां लादे श को मा यता दान क जाएगी।

 यु बं दय को छोड़ा जाएगा।

शमला समझौते के आलोचक का कहना है क भारत के सै नक ने जसे यु के मैदान म जीता था उसे भारत क
कूटनी त ने शमला म खो दया।

आतंकवाद और पा क तान :-
आतंकवाद का पा क तान के साथ गहरा सं बंध रहा है। वगत वष म खाड़ी दे श म जेहाद जुनन
ू को गैर- ज मेदाराना ढं ग से
भड़काने से धा मक क रवाद को बढ़ावा मला है। इसी धा मक क रवाद ने जेहाद (आतंकवाद) को बढ़ावा दया है।

इसके अलावा 1979 म सो वयत सं घ ारा अफगा न तान म से ना तैनात करने पर अमे रका ने पा क तान क धरती का उपयोग कर
ता लबान नामक आतंकवाद सं गठन का समथन कर उसे पो षत कया। पछले तीन दशक से अफगा न तान म चल रहे गृहयु से परेशान लोग
शरणाथ के प म पा क तान प च ं रहे। पा क तान ारा इ ह पेशेवर जेहा दय के प म श त कर क मीर म वेश करवाया जा रहा है जो
क अब जगजा हर हो चुका है।

पा क तान क ख ता हालात और भारत क परेश ानी :-


धा मक आधार पर ग ठत पा क तान म लोकतं नाममा का है। वहां स ा पर अ धकांश समय से ना का क जा रहा है जसके कारण
पा क तान म हमेशा लोकतं क ह या होती रही है। बार-बार से ना ारा स ा का त ता पलटने से पा क तान अ श ा, बेर ोजगारी और गरीबी के
साए म पलता बढ़ता रहा है। इसके अलावा पा क तान म हत समूह के आपसी टकराव और आतंकवाद ग त व धय म सं ल तता से उसक
हालत काफ ख ता बनी ई है। इस कारण पा क तान क आंत रक एवं बा दोन ही थ तयां भारत के लए खतरे का सू चक है।

पा क तान ारा आतंकवाद को ो साहन :-


आजाद के उपरांत से ही पा क तान क मीर के मु े को ले कर भारत के आंत रक मामल म ह त पे करने क नी त अपनाता रहा
है। क मीर म अ व था फैला कर वै क तर पर भारत को बदनाम करने क नी त के तहत पा क तान ने अपने दे श म आतंकवाद को समथन
दया है जसके सव थम सं केत माच 1993 के मुब
ं ई बम धमाक से ा त ए। उसके बाद भारत म आतंकवा दय क घुसपैठ, कार गल यु ,
2003 म सं सद पर हमला, 2008 म मुबं ई 26/11 क आतंकवाद घटना और क मीर म से ना के श वर पर आतंकवाद हमल म पा क तान
क से ना और आईएसआई क भागीदारी के प सबूत ा त ए ह। यही ही नही 26/11 आतंक घटना के गुनाहगार हा फज सईद, कंधार
वमान अपहरण के गुनहगार मसू द अजहर और 1993 के मुब ं ई बम धमाक के मा टर माइंड दाऊद इ ा हम जैसे आतंकवा दय को पा क तान
शरण दए ए ह।

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भारत-पाक र त को सुधारने के य न :-
भारत-पाक सं बंध को सामा य बनाने के लए काफ यास कए गए जो क इस कार ह :-

समझौता ववरण
1. ताशकंद समझौता 1966 1965 म भारत-पाक के यु के बाद

2. शमला समझौता 1972 1971 के भारत-पाक यु के बाद

3. प ीय समझौता 1974  यु बं दय क सम या का समाधान

 डाक, तार, या ा आ द पर समझौता

 ापार समझौता

4. 1976 का समझौता दोन दे श म कूटनी तक सं बंध पुनः था पत करने का न य।

5. सलाल जल-सं ध 1978 सलाल जल प रयोजना के सं बंध म सं ध

6. गुट नरपे आंदोलन क सद यता 1979 म पा क तान ारा सटो क सद यता छोड़ने पर गुट नरपे
आंदोलन के हवाना शखर स मेलन म पाक को सद यता मली।

7. 1985 का 6 सू ी समझौता 1985 म राजीव गांधी और जया उल हक के म य समझौता जसम एक-


सरे के परमाणु ठकान पर हमला नह करना शा मल था।

8. 1986 के आ थक सं बंध मु ापार, सावज नक े का ापार दोगुना करना, सीधी हवाई से वा


और वायु से वा सु वधा बढ़ाना।

9. 1988 बेनजीर-राजीव समझौता  परमाणु ठकान पर हमला नह करना

 द ली-लाहौर बस से वा ारंभ

10.1999 का करार अटल बहारी वाजपेयी ारा द ली-लाहौर बस से वा को नय मत करना


और बस ारा लाहौर क या ा करना।

11. आगरा शखर वाता 2001 2001 म अटल बहारी वाजपेई और जनरल परवेज मुशरफ के बीच

वाता असफल रही

वाता-दर-वाता नतीजा शू य :-
भारत और पा क तान म सं बंध सु धारने हेतु अनेक वाता का दौर चला, चाहे वह दोन दे श के रा ा य के म य हो या वदे श
मं य के म य हो या वदे श स चव के म य हो या त न धमंडल वाताएं हो। परंतु सभी वाता म पा क तान ारा क मीर मु े को ाथ मकता
के साथ उठाने के कारण लगभग सभी वाताएं असफल रही ह य क भारत क मीर को अपना अ भ अं ग मानता है और उसम पा क तान का
हत प े वीकार नह है। इसके अलावा पा क तान ारा ायो जत आतंकवाद से क मीर और शे ष भारत म अनेक आतंकवाद हमले ए और

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पा क तान इन हमल के सा जशकता हा फज सईद, मसू द अजहर, दाउद इ ा हम आ द को पनाह दे रहा है।

मोद सरकार का पा क तान के त रवैया :-


2014 म एनडीए सरकार बनने पर धानमं ी नर मोद ने पड़ोस पहले क नी त के तहत द स े के रा ा य को शपथ हण समारोह
म आमं त कया जससे यह लगा क दोन दे श के म य पुन: बातचीत और वाता का सल सला ारंभ होगा परंतु पा क तानी हाई क म र
ारा क मीर के अलगाववाद नेता से मुलाकात करने पर दोन दे श के म य सं बंध पुनः बगड़ गए और 2014 म इ लामाबाद म होने वाली
वदे श स चव क बातचीत भारत ारा रोक द गई और काठमांडू (नेपाल) म आयो जत 18व द स े स मेलन 2014 म नर मोद और नवाज
शरीफ के म य प रयां दे खी गई।

25 दसं बर 2015 को नर मोद अपनी अफगा न तान से या ा से लौटते समय अचानक लाहौर प च ं े और नवाज शरीफ को ज म दन
क बधाई द एवं उनक ना तन क शाद पर आशीवाद दया। मोद क इस आक मक या ा से सं पूण व म इस बात का सं केत गया क अब
भारत और पा क तान म ऐ तहा सक पहल होने वाली है परंतु 1 जनवरी 2016 को पठानकोट एयरबेस पर आतंकवाद हमला होने और इसम
पाक आतंकवा दय के हाथ होने के सबूत उपल ध कराने के बावजूद भी पा क तान ने उनको नकार दया। त प ात सतंबर 2016 म उरी म
भारतीय सै य श वर पर हमला होने पर भारत ने स त कदम उठाया और भारतीय से ना ने पाक अ धकृत क मीर म घुसकर आतंक श वर पर
स जकल ाइक क । भारत क स जकल ाइक से भारत और पा क तान के सं बंध म काफ कड़वाहट आई जो क सीमा पार से आए दन
पाक से ना ारा यु वराम का उ लं घन करने और भारतीय से ना व थानीय नवा सय को नशाना बनाने से प प से जा हर है।

इसके बाद 14 फरवरी 2019 को जैश-ए-मोह मद नामक आतंक सं गठन ने सीआरपीएफ के का फले पर हमला कया जसम 40 जवान
शहीद हो गए। भारत ने इस घटना के 13 दन बाद 26 फरवरी 2019 को वायु से ना ारा पा क तान के बालाकोट म आतंक श वर पर एयर
ाइक क जससे 300 से अ धक आतं कय के मारे जाने क सं भावना बताई गई। इस एयर ाइक के बाद पा क तानी वायु सेना के F-16
वमान ने भारतीय े म घुसपैठ क जस पर भारत के मग-21 ने उसे मार गराया। इसम मग-21 भी घटना त हो गया और पायलट
अ भनंदन पैर ाशू ट से पा क तान सीमा म उतर गए ज ह भारत के दबाव के कारण पा क तान को छोड़ना पड़ा।

वतमान म भारत ारा ज मू-क मीर से धारा 370 हटा ले ने से पा क तान तल मला उठा है और ज मू क मीर म मानवा धकार के हनन
को ले कर वै क मंच पर मांग उठाता रहा परंतु भारत के प रवैये और कूटनी त के चलते पा क तान को कोई सफलता हा सल नह हो पाई
और वह वै क समुदाय से अलग-थलग पड़ गया है।

भारत-चीन संबंध :-
ऐ तहा सक पृ भू म :-
ऐ तहा सक से दे ख तो भारत और चीन दोन दे श म हजार वष पुर ाने सां कृ तक सं बंध का उ ले ख है। चीन म बौ धम है
जसके वतक महा मा बुध का ज म भारत म ही आ था। इसके अलावा फा ान, े नसांग, इ सं ग आ द चीनी या य ने भारत क या ा क
और बौ धम क श ाएं ा त क ।

1949 म चीन म सा यवाद शासन क थापना होने के उपरांत भारत ने उसका समथन कया और सं यु रा सं घ म चीन को सद यता
दलाने व थाई सद य बनाने म मह वपूण भू मका नभाई।

चीन ने 1950 म त बत पर अपना अ धकार जमा लया जसके बाद भारत ने त बत पर चीन के अ धकार को वीकारा। त प ात
1950 के दशक म हद -चीनी भाई-भाई का नारा मुखर आ और चीन को बांडुंग स मेलन म आमं त कया गया। 1954 म त बत के सं बंध म
भारत और चीन के म य पंचशील समझौता आ।

टश शासनकाल म मैकमोहन नामक अं ेजी अफसर ने भारत और चीन के म य सीमा का नधारण कया जसे मैकमोहन रेखा
भी कहा जाता है। टश शासन काल म शमला समझौते म चीन ने इस सीमा को मा यता भी दान क परंतु कभी भी इसे मन से नह माना।

वतं भारत और चीन संबध


ं :-
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1947 म भारत आजाद आ और 1949 म सा यवाद ां त के उपरांत चीन। 1950 म चीनी से ना ारा त बत पर नयं ण
था पत करने और चीन ारा त बत पर अपना दावा जताने पर भारत ने इसे मा यता द जो क भारत क भारी भूल थी। 1950 के दशक म
दोन दे श के म य शां तपूण सं बंध होने के बावजूद भी नेपाल क तरह त बत को भी बफर टे ट के प म मह वपूण माना गया और त बत के
सं बंध म पंचशील का समझौता कया। वतं ता उपरांत भारत चीन सं बंध इस कार रहे :-

1. पंचशील का समझौता :-

भारत ने चीन के त बत पर दावे को मा यता दे ते ए 1954 म उसके साथ पंचशील का समझौता कया।

2. त बत को लेकर संबध
ं म खटास :-

1956 म त बत के ख पा े म चीनी शासन के त व ोह हो गया जो क 1959 तक चला। इस व ोह को चीनी


सरकार ने कुचल दया जस पर दलाई लामा ने अपने हजार अनुया यय के साथ 31 माच 1959 को भारत म शरण ली। इस बात को
चीन ने श ुतापूण काय माना और दोन दे श के बीच सं बंध म खटास उ प हो गई।

3. चीन क व तारवाद नी त :-

चीनी ने अपनी व तार नी त के तहत पहले त बत पर क जा कया और हमालय के पठार म 50000 वग कमी. भू-भाग
ह थया लया और वहां पर साम रक मह व क सड़क का नमाण कर अपनी फौज तैनात कर द । इसके अलावा चीन ने ल ाख के
अ सा ई चीन दे श पर भी अपना क जा कर लया है।

4. चीन ारा भारत पर आ मण :-

चीन ने 1962 म अ णाचल दे श और ल ाख े पर हमला कर दया जसके लए भारतीय सै नक तैयार नह थे। चीन
क से ना हर मोच पर आगे बढ़ती गई जसका भारतीय सै नक बेहतर मुकाबला नह कर सके। अं ततः एक माह बाद चीन ने अपने
साम रक और राजन यक उ े य पूण होने पर एकतरफा यु वराम कर दया और कुछ पीछे हट गया।

5. चीनी भाव संतल


ु न हे तु भारत- स संबध
ं वक सत :-

चीन के उ वाद और व तारवाद नी त के चलते सो वयत स का भारत के त झुकाव बढ़ता गया और भारत- स म
गहरी म ता बनी य क भारत क तरह चीन और स के म य भी सीमा ववाद था। अतः सं तुलन के लए स ने भारत को चुना।
स ने हर सं कट म भारत का साथ दया। इसके अलावा परमाणु धन क आपू त, तकनीक के ह तां तरण और साम रक साजो सामान
क पू त ारा भारत को सु ढ़ सहयोग दान करता रहा है।

6. सीमा ववाद और बेनतीजा वाताएं :-

भारत और चीन के म य सीमा ववाद समाधान के लए वाता के कई दौर चले परंतु इनम ग तरोध बना रहा और कसी भी
कार का समझौता नह हो पाया।

7. जल ववाद :-

चीन यारलुं ग सांगपो यानी पु नद पर ऊंचे पहाड़ म वशाल बांध नमाण कर अपनी जल सु र ा सु न त करना
चाहता है। चीन का कहना है क वह इस बांध ारा केवल बजली उ पादन करना चाहता है और पानी क मा ा को भा वत नह करेगा
परंतु भारत का मानना है क चीन द ण से उ र क ओर जल वाह क योजना पर काय कर रहा है और इसके तहत वह पु नद
के पानी को सु रग
ं ारा उ र दशा क ओर मोड़ना चाहता है जससे भ व य म भारत के पूव र रा य म पानी के सं कट क थ त
पैदा हो सकती ह। भारत इस मु े को कई बार चीन के सम उठा चुका है परंतु सवाय मौ खक आ ासन के हमारे हाथ कुछ भी नह
लगा है।

8. चीन-पा क तान क बढ़ती नकटता :-


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पा क तान के परमाणु काय म को वक सत करने और मसाइल के नमाण म चीन क अहम भू मका है। पा क तान
चीन के सहयोग से वादर बंदरगाह को वक सत कर रहा है ता क भारतीय नौसे ना को ट कर दे सके। अतः चीन क पा क तान नी त
के चलते भारत के साथ सं बंध बगड़ रहे ह।

9. सुर ा प रषद म भारत क थाई सद यता का समथन नह करना :-

चीन सु र ा प रषद क थाई सद यता क भारत क दावेदारी का कभी भी खुलकर समथन नह कर रहा है जब क चीन
को सु र ा प रषद क थाई सद यता दलवाने म भारत क मह वपूण भू मका रही है। चीन वयं को ए शया महा प म एकमा श
मानता है और भारत को थाई सद यता मलने पर उसका यह दा य व खा रज हो जाता है। इस कारण वह भारत क थाई सद यता
का खुलकर समथन नह कर रहा है।

10. ापार असंतल


ु न :-

भारत और चीन म लगभग 250 अरब डॉलर का ापार चल रहा है परंतु यह ापार भारत के त असं तु लत ह य क हमारे
ापार म चीन क भागीदारी पहले थान पर ह परंतु चीन के ापार म भारत क भागीदारी दसव थान पर भी नह है जसके कारण हमारा चीन
के साथ आयात बढ़ता जा रहा है परंतु चीन के साथ नयात म कोई ग त नह हो रही है। इस कारण भारत-चीन ापार लगभग एकतरफा है।
भारत ने समय-समय पर इस मु े को चीन के सम उठाया परंतु चीन इसे नजरअं दाज करता जा रहा है। अतः आज चीन के साथ स त ापार
ापार सं तुलन क आव यकता बनी ई है।

वकास के सोपान के संबध


ं :-
1. जनता पाट क सरकार ारा यास :-

1977 म भारत म जनता पाट क सरकार बनने और चीन म माओ के उपरांत अ य नेता क सरकार बनने पर दोन दे श ने नए
सरे से मधुर सं बंध था पत करने के यास कए जो क इस कार ह :-

 1978 म एक उ च तरीय चीनी त न ध मंडल का भारत आगमन।

 1978 म ापार-वा ण य त न ध मंडल का दौरा और ापार 1 करोड़ 20 लाख पये तक प च


ं ना।

 1978 म चीन के कृ ष वै ा नक क भारत या ा।

 1978 म यू यॉक म वदे श मं य क मुलाकात।

 1978 म चीन थापना दवस पर भारतीय उपरा प त का चीन दौरा।

 1979 म वदे श मं ी अटल बहारी वाजपेई क चीन क या ा जसे उ ह ने "टोही मशन" क सं ा द ।

2. राजीव गांधी सरकार के यास :-

1988 म धानमं ी राजीव गांधी ने चीन क या ा कर सं बंध को सु धारने के लए न न यास कए :-

 सीमा ववाद का समाधान पर पर सहयोग ारा कया जाएगा।

 ापार, वा ण य और सं कृ त के े म सहयोग बढ़ाने पर बल दया।

 सीमा ववाद सु लझाने के लए सं यु कायदल क थापना ई।

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3. चीन के रा प त शी जन पग क भारत या ा :-

चीन के रा प त शी जन पग 17 से 19 सतंबर 2014 को भारत क या ा पर आए और न न ल खत समझौते ए :-

चीन व गुजरात सरकार के म य तीन करार ए -

 पहला - वांगड ग क तज पर गुजरात का वकास

 सरा - वांगझू क तज पर अहमदाबाद का वकास

 तीसरा - वडोदरा म औ ो गक पाक वक सत करना

दोन दे श म 12 समझौते ए जो इस कार है :-

 कैलाश मानसरोवर के लए नया रा ता खोलने पर सहम त

 रेलवे को आधु नक बनाने पर समझौता

 चीन ारा अगले 5 वष म 120 अरब पए का नवेश करना

 पंचवष य ापार और आ थक वकास योजना पर समझौता

 अं त र के शां तपूण इ ते म ाल म सहयोग

 मुब
ं ई और शं घ ाई म स टर सट समझौता

4. धानमं ी मोद क चीन या ा :-

भारत के धानमं ी नर मोद 14 से 16 मई 2015 तक चीन क या ा पर रहे और न न ल खत समझौते ए :-

 दोन दे श म 10 अरब डॉलर के 24 समझौत पर ह ता र ए।

 भारत और चीन क कंप नय के म य 22 अरब डॉलर के 26 समझौते ए।

 मोद ारा चीनी नवेशक को भारत म नवेश करने का आमं ण दे ना।

 चीन के नाग रक को ई-वीजा दे ने क घोषणा।

 जलवायु प रवतन पर दोन दे श ारा सं यु व जारी करना।

न कष :-

वगत वष म व व था म भारत क बढ़ती है सयत, बढ़ते आ थक वकास और आईट के े म भारतीय क वशे ष ता के चलते
दोन दे श म नजद कयाँ बढ़ है। पछले 5 वष म दोन दे श के ापार म कई गुना बढ़ोतरी ई है। साथ ही ापा रक सं तुलन भी कायम हो रहा
है। सीमा ववाद पर दोन दे श म सहम त बनती दखाई दे रही है। अतः भारत और चीन के सौहादपूण सं बंध से द ण ए शया महाद प म शां त
और वकास के नए आयाम बनने क सं भावनाएं बनती जा रही ह।

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भारत-नेपाल संबंध :-
1. आरं भक अव था :-
नेपाल हमालय क पहा ड़य पर बसा एक छोटा-सा दे श है जो क भारत और चीन के म य बफर टे ट के प म काय करता है।
यह व का एकमा ह रा था। आधु नक नेपाल का नमाता पृ वी नारायण शाह थे जनके अनुसार नेपाल दो च ान ( भारत व चीन ) के
बीच खले ए फूल के समान है। पछले 200 वष से नेपाल क वदे श नी त क यह धान वशे षता रही है क दोन पड़ोसी दे श के साथ अ छे
सं बंध रखे जाए।

भारत के उ र पूव म थत नेपाल साम रक से अ यं त मह वपूण है। 1950 म चीन ारा त बत अ धकार कर लए जाने से
नेपाल का राजनी तक मह व बढ़ गया। आज उ र म भारत सीमा क सु र ा नेपाल क सु र ा पर नभर करती है। तभी तो पं डत नेह का
यह कथन सही तीत होता है क "नेपाल पर कए जाने वाले कसी भी आ मण को भारत सहन नह कर सकता। नेपाल पर कोई भी सं भा वत
आ मण न त प से भारत क सु र ा के लए खतरा होगा।"

2. टश काल म नेपाल क थ त :-
अं तररा ीय कानून क से नेपाल हमेशा वतं दे श रहा है परंतु उसक यह वाधीनता भारतीय रजवाड़ो और रयासत क
पराधीनता से जरा भी भ नह थी। इसक पु न न ल खत त य के आधार पर क जा सकती ह :-

 नेपाल महाराज के दरबार म टश रे जडट क नयु ।

 अं तररा ीय सं बंध का सं चालन टश भारत सरकार के नदशानुसार होना।

 घरेलू राजनी त म वतं नही होना।

 राणावंशी धानमं य क सामंती व था बनी रहना।

3. भारत-नेपाल सीमा जुड़ाव :-


भारत-नेपाल के म य 1700 कमी ल बी सीमा है जो क मु आवाजाही के लए खुली है। दोन दे श के लोग म भाषा, धम और
सां कृ तक समानता होने के कारण उनम अं तर करना क ठन है। भारत और नेपाल के नाग रक एक- सरे दे श म बना कसी रोक-टोक के आ जा
सकते ह।

4. नेपाल के साथ उलझन :-


भारत और नेपाल के म य न न ल खत उलझन है जो क ाय: ववाद का कारण बन जाती है :-

i. नद जल ववाद ।

ii. नेपाल से भारत म त कर और आतं कय का वेश।

iii. भारत ारा नेपाल म राजशाही का समथन।

iv. असं तु लत आ थक ापार।

v. नेपाल के अनुसार भारतीय ापारी मुनाफाखोर है।

vi. नेपाल म चीन क ग त व धयां बढ़ना।

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vii. एवरे ट पवत के सं बंध म चीन-नेपाल समझौता।

viii. काठमांडू- हासा माग नमाण पर चीन-नेपाल समझौता।

ix. नेपाल ारा वयं को शां त े घो षत करना।

x. नेपाल के नवीन सं वधान म मधे शय क यायसं गत बात नह मानना और मधेशी आंदोलन।

5. भारत-नेपाल सं ध 1950 :-
भारत-नेपाल के म य 30 जुलाई 1950 को ऐ तहा सक सं ध ई जसके न न ल खत ावधान है :-

i. वदे शी आ मण पर दोन दे श एक सरे क र ा करगे।

ii. नेपाल यु साम ी भारत से खरीदे गा।

iii. दोन दे श के नाग रक का एक- सरे के दे श म नवास करने, जमीन-जायदाद खरीदने, घूमने- फरने और ापार करने के समान
अ धकार ह गे।

iv. नेपा लय को भारत सरकार क व भ से वा म रोजगार ा त करने क सु वधा।

6. नेपाल म राणाशाही का वरोध :-


नेपाल म राणाशाही शासन से मु के लए यास 1950 म ही शु हो गए जब नेपाल के महाराजा भुवन ने अपने प रवार के 14
सद य के साथ राजमहल का प र याग कर भारत म शरण ली। नेपाल म राणा शमशे र के व गृहयु ारंभ हो गया। इस व ोह का सं चालन
भारत के भू-भाग से ही कया गया जा रहा था। अं ततः भारत के सहयोग से राणाशाही का अं त आ और नेपाल म लोकतं क थापना ई।
भारत के सहयोग से ही नेपाल 1955 म सं यु रा सं घ का सद य बना।

7. चीन के साथ नेपाल के संबध


ं क थापना और चीन क अ भ च :-
1955 म नेपाल म राजा भुवन के थान पर राजा मह का शासन था पत आ और राजा मह ने चीन के साथ बेहतर सं बंध
था पत करने का यास कया जसके तहत 1956 म नेपाल ने चीन के साथ कूटनी तक सं बंध था पत कए और काठमांडू- हासा माग बनाने
के सं बंध म चीन के साथ समझौता कया। 1959 म नेपाल ने एवरे ट पवत शखर के सं बंध म चीन के साथ एक समझौता कया जसक भारत
म कड़ी आलोचना ई। राजा मह ने कोइराला मं मंडल को भंग कर अनेक नेपाली कां ेस के नेता को गर तार कर लया। शे ष नेता ने
भाग कर भारत म शरण ली और राजा मह के व जन-आंदोलन चलाया। इस कार नेपाल म लोकतं का पतन आ। भारत के भू भाग से
नेपाल के शासक के व चलाए जाने वाले इस जन-आंदोलन के कारण नेपाल म यह समझा जाने लगा क भारत नेपाल नरेश के वरो धय को
शरण और समथन दे रहा है जससे भारत और नेपाल के सं बंध म कटु ता आई। इसी कारण 1962 म चीन ारा भारत पर आ मण करने पर
नेपाल ने तट थता क नी त अपनाई। चीन ने भी नेपाल के साथ सं बंध था पत करने म त परता दखाई य क चीन नेपाल म भारत का भाव
ख म करना चाहता है और भारत को साम रक प से चार ओर से घेरना चाहता है।

8. भारत-नेपाल संबध
ं क पुन थापना :-
1962 म भारत पर चीन के आ मण से भारत क उ री सीमा सु ढ़ करना आव यक हो गया। इसके लए न न ल खत कदम उठाए
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गए :-

i. त कालीन गृहमं ी लाल बहा र शा ी ारा नेपाल या ा और नेपाल के सं देह को र करना।

ii. दोन दे श के रा ा य का एक- सरे दे श का दौरा।

iii. नेपाल ारा भारत को आ त करना क नेपाल के रा ते भारत पर कोई आ मण नह होने दया जाएगा।

iv. नेपाल के सं गौली क बे से अखोरा घाट तक भारत ारा 128 मील लं बी सड़क नमाण क घोषणा।

v. भारत ारा काठमांडू को र सौ ल से जोड़ने वाली सड़क का नमाण।

vi. भारत ारा नेपाल को बाढ़ से बचाने, बजली आपू त करने और सचाई का लाभ प च
ं ाने के लए कोसी योजना का नमाण।

9. भारत-नेपाल आ थक और तकनीक संबध


ं :-
नेपाल के वकास काय म सबसे अ धक नवेश भारत का है जो क नेपाल के कुल नवेश का लगभग 66.5% है। भारत ने नेपाल
को हर तरह का श ण, तकनीक और गैर तकनीक सहायता दान क ह। भारत का नेपाल क अथ व था म न न ल खत योगदान है :-

 कोलं बो योजना के तहत नेपाली नाग रक को श ण दे ना।

 दे वीघाट, शू ल, करनाली एवं पंचे र जल- व त


ु प रयोजना का नमाण।

 भुवन गणपथ, काठमांडू- शू ली माग और भुवन हवाई अ े के नमाण म सहयोग।

 काठमांडू-र सौ ल टे लीफोन सं यं क थापना।

 च नहर, कोसी एवं गंडक प रयोजना का नमाण।

 भू-वै ा नक अनुसंधान और ख नज खोजबीन का काय।

 वीरगंज एवं हतौदा रेल नमाण।

 काठमांडू के पाटन म औ ो गक ब ती क थापना।

 को हापुर-महाकाली े म 22 पुल का नमाण।

 भारत-नेपाल फाउंडेशन क थापना।

 वराटनगर म मे डकल कॉले ज क थापना।

 रंगेली म टे लीफोन ए सचज का नमाण।

 वराटनगर-झापा-चतरावीपुर माग का नमाण।

 जनकपुर-बीजलपुर रेल लाइन का नवीनीकरण।

 र सौ ल रेल लाइन को बड़ी लाइन म प रव तत करना।

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10. भारत-नेपाल प ीय सं ध 1950 क समा त :-
भारत-नेपाल म 1950 प ीय सं ध ई जसके तहत दोन दे श एक- सरे के नाग रक को म कसी कार का भेदभाव नह करगे
और नाग रक को एक दे श से सरे दे श म नवास करने, जायदाद खरीदने, उ ोग- ापार था पत करने, रोजगार करने, घूमने- फरने और
सरकारी से वा म छू ट रहेगी।

1967 म नेपाल ने भारत सरकार से सलाह कए बगैर भारतीय लोग के लए वक पर मट क शत लगा द जो क 1950 क सं ध का
उ लं घन था। इस पर भारत ने 1989 म सं ध क अव ध पूर ी हो जाने पर इसका नवीनीकरण करने से इंकार कर दया और भारत क ओर से
सीमा शु क एवं जांच सं बंधी काय म कठोरता बरती जाने लगी जससे धीरे-धीरे भारत-नेपाल के म य तनाव गहराता गया।

11. नेपाल भारत के म य मतभेद :-


नेपाल ारा वयं को शां त े घो षत करने का दबाव :-

1970 के दशक म नेपाल ने भारत-चीन के साथ सम री स ांत क वदे श नी त अपनाई और चीन के साथ कई समझौते कए।
1971 क भारत-पाक यु , भारत ारा 1974 म परमाणु बम का परी ण, 1975 म स कम के भारत म वलय और भारत-सो वयत सं ध के
चलते नेपाल इस बात से आशं कत था क भारत अब श सं प दे श बन गया है और वह स कम क तरह नेपाल का भी भारत म वलय कर
सकता है। इस कारण नेपाल अपनी सं भुता और रा ीय व को बनाए रखने के लए वयं को शां त े घो षत करने का दबाव बनाने लगा
नेपाल के इस ताव को भारत ने इस लए वीकार कर दया य क भारत का मानना है क नेपाल का वयं को शां त े घो षत करवाने के
पीछे यह उ े य है क नेपाल भारत को अपने लए खतरा मानता है और इस ताव के मानने से अं तररा ीय तर पर भारत क नकारा मक छ व
तु त होगी।

राजप रवार क ह या और आपातकाल :-

जून 2001 म नेपाल नरेश ान ने अपने भाई राजा वीर और उसके प रवार क ह या कर नेपाल क राजग सं भाली। राजा
बनने के उपरांत उसने सं सद य लोकतं को नुकसान प च
ं ाया और सं सद को भंग कर 2005 म नेपाल म आपातकाल लागू कर राजशाही
था पत कर द ।

भारत ने नेपाल नरेश के इस काय क नदा क और नेपाल म लोकतं क बहाली का दबाव बनाया। इसके लए भारत ने नेपाल को द
जा रही ह थयार क आपू त रोक द और 2005 म ढाका म आयो जत होने वाले द से स मेलन म भाग ले ने से मना कर दया।

12. नेपाल म लोकतं क बहाली :-


नेपाल म लोकतं क बहाली के लए चलाए गए जन-आंदोलन के प रणाम व प 24 अ ैल 2006 को राजा ान को पुर ानी
सं सद को बहाल करना पड़ा। साथ ही 1995 से नेपाल म चल रहा माओवाद आंदोलन भी दसं बर 2006 म समा त हो गया। अब माओवा दय
ने अं त रम सरकार म भाग ले ने का फैसला कया और सभी राजनी तक दल के साथ मलकर नेपाल नरेश के अ धकार समा त करने और शाही
सं प को सावज नक सं प घो षत करने पर सहमत ए।

इस कार नेपाल म 240 वष से चली आ रही राजशाही 28 मई 2008 को समा त हो गई और नेपाल को धम नरपे लोकतां क
गणरा य घो षत कया गया। सं वधान सभा के नणय से नेपाल नरेश का दजा एक आम आदमी के समान हो गया।

13. नेपाल सरकार के त धानमं ी मोद का स ाव :-


भारतीय धानमं ी नर मोद ने अग त 2014 म नेपाल का आ धका रक दौरा कया जसके न न ल खत मह वपूण ब है :-

 यह कसी भारतीय धानमं ी क 17 वष बाद नेपाल या ा थी।


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 धानमं ी ने नेपाल क सं वधान सभा और सं सद को सं बो धत कया।

 पशु प तनाथ मं दर को 2500 कलो चंदन क लकड़ी उपहार म द ।

 द ली-काठमांडू बस से वा "पशु प तनाथ ए स ेस" को शु कया गया।

 पनौती म रा ीय पु लस अकादमी का नमाण का समझौता।

 नेपाल को ह का लड़ाकू वमान माक III स पा।

इसके उपरांत 25 अ ैल 2015 को नेपाल म आए भूकंप के बाद भारत ने सव थम नेपाल क सहायता क । भारत ने "ऑपरेशन
मै ी" नामक अ भयान चलाकर राहत काय म सहायता दान क ।

14. मधेश ी आंदोलन और भारत-नेपाल संबध


ं :-
मधे शी कौन है :-

नेपाल क पहाड़ी और बहार-उ र दे श के मैदान के बीच आने वाला तराई े मधेश े कहलाता है। इस े म नेपाल के 75 म
से 22 जनपद/ जले आते ह जसम नेपाल क 40% से अ धक जनसं या नवास करती ह। मधेश े नेपाल का सबसे पछड़ा, गरीब व उपे त
े ह और इस े क स ा म भागीदारी ब त ही कम है। नेपाल क स ा पहाड़ी, ा ण, य और नेवाड़ी लोग के हाथ म रही है। मधेश
े म अ धकांशत: भारतीय मूल के मै थली, भोजपुर ी व अवधी भाषा बोलने वाले पछड़े और द लत लोग भु व है।

मधे शी सम या :-

नेपाल म मधे शय के साथ अनेक कार के भेदभाव ए। जैसे -

 1964 म नाग रकता अ ध नयम के ारा मधे शय को नाग रकता माण-प से वं चत करना।

 पहाड़ी े क तुलना म इस े का कम वकास होना।

 नवीन सं वधान के ारा मधे शय के साथ भेदभाव करना।

मधे शी आंदोलन :-

सं वधान नमाण के समय मधे शय ने अपने तराई े के लए 2 ांत के नमाण क मांग क परंतु पहाड़ी भु व वाले स ाधारी
नेता ने मधे शय क मांग को अनसु ना कर मधेशी तराई े को पहाड़ी और मैदानी े के साथ जोड़ दया ता क स ा म मधे शय का
वच व नह हो सके। साथ ही नए सं वधान म यह ावधान कया गया क नेपाल म रा प त, धानमं ी और सं वैधा नक पद पर उ ह नेपाली
नाग रक को नयु कया जाएगा जनके माता- पता नेपाली है जब क मधे शय के माता- पता नेपाली नह है।

मधे शय ने ावधान को भेदभाव माना और वरोध दशन कया जसका सरकार ने पूण दमन करते ए मानवा धकार का खुले तौर पर
हनन कया। मधे शय ने यु र म भारत-नेपाल सीमा को बंद कर दया जससे भारत-नेपाल पारगमन एवं ापार से वा बा धत ई और नेपाल
म पे ो लयम उ पाद , गैस और दवाइय का सं कट खड़ा हो गया। इससे भारत-नेपाल के ऐ तहा सक सं बंध खतरे म पड़ गए य क नेपाल का
मानना था क भारत मधे शय का समथन कर रहा है।

नेपाल ने पे ो लयम पदाथ क क लत को दे खते ए आनन-फानन म चीन के साथ पे ो चाइना समझौते पर ह ता र कए।

इसके उपरांत नेपाल ने ग तरोध को ख म करने के लए पहला सं वधान सं शोधन कया और सं सद म जनसं या के आधार पर सीट का नधारण
कया गया और मधे शय को स ा एवं से ना म उ चत त न ध व दे ने का ावधान कया जसका भारत सरकार ने वागत कया।

नेपाल-चीन पे ो लयम समझौता :-


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2015 म नेपाल म मधे शय ारा भारत-नेपाल पारगमन सीमा ब द कर दे ने से नेपाल म पे ो लयम उ पाद क भारी कमी आने
लगी। इससे नेपाल ने चीन के साथ "पे ो-चाइना" समझौते पर ह ता र कए जसके तहत चीन क ओर से नेपाल को 1000 मी क टन
पे ो लयम उ पाद और 13 लाख लीटर गैसोलीन क आपू त क जानी थी।

15. भारत-नेपाल समझौता 2016 :-


2016 म नेपाल के धानमं ी के.पी. शमा 'ओली' अपनी पहली वदे श या ा पर भारत आए और कई महीन से दोन दे श म चल
रही खटास र ई। दोन धानमं य क उप थ त म भारत-नेपाल म सहयोग के नौ समझौत पर ह ता र जसके तहत भारत ारा नेपाल के
तराई े म 518 कलोमीटर लं बी 17 सड़क बनाना शा मल है।

16. नेपाल का मनो व ान :-


नेपाल के संदभ म :-

 नेपाल जू नयर भागीदार के मनो व ान से त ह।

 नेपाल भारत ारा आ धप य करने क आशं का से त ह।

 नेपाल वयं का रा ीय व बनाए रखना चाहता है।

 नेपाल भारत व चीन के साथ सम री स ांत के साथ सं बंध वक सत करना चाहता है।

भारत के संदभ म :-

 भारत नेपाल को आंत रक दे श मानता ह।

 भारत नेपाल के सम री स ांत के बजाय वशे ष सं बंध चाहता है।

 भारत नेपाल क सु र ा के त आशं कत ह।

 भारत चीन क व तारवाद नी त और भारत को घेरने क नी त से आशं कत ह।

17. नेपाल क भावी रणनी त :-


2017 म नेपाल म ए चुनाव म वामपंथी दल को भारी सफलता मली और के.पी. शमा 'ओली' नेपाल के 41व धानमं ी चुने
गए। इस वामपंथी सरकार का चीन क सा यवाद सरकार के साथ सं बंध बढ़ता जा रहा ह। हालां क भारत-नेपाल सं बंध म भी काफ सु धार आ
है परंतु नेपाल क भारत और चीन के साथ सम री क वदे श नी त से भारत को अपनी नेपाल नी त म बदलाव करने क आव यकता महसू स हो
रही है।

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Lesson - 4 आ सयान एवं द ेस संगठन


आ सयान :-

पूरा नाम :
आ सयान : द णी पूव ए शयाई रा का सं घ

ASEAN : Association of South East Asian Nations

थापना : 8 अग त 1967 को बकॉक म

सं थापक सद य : इंडोने शया, मले शया, फलीप स, सगापुर एवं थाईलै ड (5)

: 1984 म ुनेई छठा सद य बना।

: 1995 म वयतनाम सातवां सद य बना

: 1997 म लाओस आठवां और यांम ार न वा सद य बना।

: 1999 म कंबो डया दसवां सद य बना।

स चवालय : जकाता (इंडोने शया)

आ सयान े ीय मंच (ARF) क थापना : 1994 म

ARF के सद य : अमे रका, स, भारत, चीन, जापान स हत 23 सद य।

आ सयान 3+ क थापना : 1997 म

सद य : आ सयान सद य, चीन, जापान एवं द ण को रया।

पूण सं वाद सहभागी : भारत, चीन एवं स

अ य : महास चव

कायकाल : 2 वष

शखर स मेलन : थम शखर स मेलन 1967 म बाली (इंडोने शया म)

आ सयान के गठन के उ े य :-
1. े म आ थक ग त, सामा जक ग त एवं सां कृ तक वकास।

2. े ीय था य व एवं शां त म वृ ।

3. आ थक, सामा जक, सां कृ तक, तकनीक , वै ा नक और शास नक े म समान हत के मु पर पार प रक सहायता और स य
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सहयोग।

4. शै क, तकनीक एवं शास नक े म श ण और अनुसंधान म एक- सरे क सहायता।

5. द णी पूव ए शयाई दे श के अ ययन को बढ़ावा दे ना।

6. कृ ष, उ ोग एवं ापार को बढ़ावा दे ना और पर पर सहयोग करना।

7. समान उ े य के लए वतमान अं तरा ीय एवं े ीय सं गठन म लाभकारी सहयोग को बढ़ावा दे ना।

आ सयान के काय एवं भू मका :-


1. राजनी त े म भू मका :-

आ सयान सद य दे श ारा अपनी वैय क काय णा लय को े ीय आधार पर समझाने का यास कया जा


रहा है।

2. सामा जक े म भू मका :-

सामा जक ग त व धय से सं बं धत अनेक कार क प रयोजनाएं बनाई गई है जनका उ े य जनसं या नयं ण


एवं प रवार नयोजन, सामा जक क याण, श ा, खेल आ द को मह व दे ना है।

3. संच ार के े म भू मका :-

1969 म सं चार एवं सां कृ तक ग त व धय को बढ़ावा दे ने के लए एक समझौता कया गया जसके अं तगत
आ सयान के सद य दे श रे डयो और रदशन के मा यम से एक- सरे के काय म का पर पर आदान- दान कर सकते ह।

4. पयटन े म भू मका :-

इस े म पयटन को बढ़ावा दे ने के लए "आ सयं ट ा" नामक एक सामू हक सं गठन का नमाण कया गया जो
वीजा मु पयटन पर बल दे ता है। इसके अलावा 1971 म हवाई से वा के ापा रक अ धकार क र ा हेतु और 1972 म
फंसे ए जहाज को सहायता प च ं ाने हेतु समझौते पर भी ह ता र कए गए।

5. कृ ष और तकनीक े म भू मका :-

आ सयान दे श ने खा ा के उ पादन को ाथ मकता दे ने हेतु कसान को आधु नक तकनीक श ा दे ने हेतु


वशे ष कदम उठाए ह।

6. आ थक े म भू मका :-

आ सयान दे श ने आ थक े म वतं ापार े या साझा बाजार था पत करने का यास कया है जससे आपस म
आयात- नयात आसान हो सके।

भारत एवं आ सयान संबध


ं :-

1991 के आ थक सु धार के उपरांत भारत ने "लु क ई ट" क नी त अपनाई जसका सीधा सं बंध आ सयान दे श से ही था।

 1992 म भारत आ सयान का े ीय सं वाद सहभागी बना।

 1996 म भारत आ सयान का पूण सं वाद सहभागी बना।

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 1996 म ही भारत ARF का सद य बना।

 2001 म भारत-आ सयान थम शखर स मेलन का आयोजन आ जो क तवष आयो जत कया जा रहा है।

 इसके अलावा भारत आ सयान दे श के साथ आ सयान+1 और आ सयान+6 का भी सद य है।

वगत 10 वष म आ सयान दे श के साथ भारत का ापार बढ़कर 5 गुना हो चुका है। वतमान सरकार क "ए ट ई ट" नी त ने
ए शया- शां त े म अभूतपूव सफलता हा सल क है।

आ सयान े म भारत क बढ़ती ई भू मका के न न ल खत कारण है :-

1. बाजार क आव यकता :-

भारत व क सबसे तेजी से उभरती ई अथ व था है और आ सयान व क सातव सबसे बड़ी अथ व था


है। अतः दोन को अपने उ पाद को बेचने के लए एक- सरे के बाजार क आव यकता है।

2. तेल ाकृ तक गैस और ऊजा बाजार क आव यकता :-

भारत क अपनी ऊजा आव यकता क पू त के लए सवा धक उपयु थान आ सयान े है। इस े से


वशे षकर इंडोने शया से कोयले क आपू त और वयतनाम से गैस क आपू त सं भव है।

3. गाढ़ मै ी संबध
ं था पत करना :-

भारत आ सयान दे श से गाढ़ मै ी सं बंध था पत कर अपनी साम रक, कूटनी तक, आ थक एवं सां कृ तक
थ त को सु ढ़ करना चाहता है।

4. कूटनी तक एवं आ थक संबध


ं :-

ए शया- शां त े म थत आ सयान दे श चीन क व तारवाद नी त और सामु क सीमा ववाद के चलते चीन से
सशं कत है। भारत इन दे श के साथ मजबूत कूटनी तक एवं आ थक सं बंध था पत करना चाहता है।

आ सयान का योगदान एवं समी ा :-

आ सयान क थापना से ले कर अब तक ए 33व शखर स मेलन ( सगापुर) तक का व ष े ण करने से यह ात होता है क


आ सयान क थापना जन उ े य को ले कर क गई थी उ ह पूण प से ा त नह कया जा सका है। जैसी सफलता यू र ोपीय यू नयन ने
हा सल क वैसी सफलता आ सयान नही ा त कर सका है जसके न न ल खत कारण है :-

 सद य रा के पास पूंजी एवं यश का अभाव होना।

 सद य रा के म य हत का टकराव होना।

 सद य रा का प मी रा क ओर झुकाव होना।

 सद य रा म वदे शी सै नक हवाई अ े होना।

उपयु असफलता और आलोचना के बावजूद भी आ सयान एक असै नक सं गठन बना आ है। आ सयान क सद यता के
ार द ण-पूव ए शया के उन रा के लए खुले ह जो इसके उ े य , स ांत और योजन म व ास रखते है। आज आ सयान अपने े को
मु ापार े बनाने क ओर अ सर है। इसने सद य रा के बीच सामा जक, आ थक, सां कृ तक, तकनीक और शास नक सहयोग पर
बल दया है।

आ सयान का मह व इस त य से पता चलता है क आ सयान े ीय फोरम म व के 23 मु य दे श स म लत है। अमे रका, स, चीन,


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भारत, जापान, ऑ े लया, द ण को रया आ द दे श आ सयान के साथ मह वपूण सं बंध बनाए ए ह और मु ापार े बनाने क दशा म
काय कर रहे है।

द ेस :-
एक नजर
द स
े : द ण ए शयाई े ीय सहयोग सं गठन

SAARC : South Asian Association for Regional Cooperation

थापना : 8 दसं बर 1985 को ढाका म

स चवालय : काठमांडू ( नेपाल म )

मूल सद य : भारत, पा क तान, बां लादे श, नेपाल, ीलं का, भूट ान एवं मालद व

आठवां सद य : अफगा न तान ( 2007 म )

पयवे क रा : 9

वै क ह से दारी :-

जनसं या म : 21%

े फल म : 3%

अथ व था म : 9.12%

ऐ तहा सक पृ भू म :-
द ण ए शया म े ीय सं गठन बनाने के यास 1947 के नई द ली म आयो जत ए शयाई स मेलन से ही ारंभ हो गए थे।
त प ात बागुई स मेलन 1950 और कोलं बो स मेलन 1954 म पुन: वचार- वमश कया गया परंतु भारत-पा क तान के पर पर तनाव के कारण
इसे मूत प नह दया जा सका।

1970 के दशक म आ सयान क सफलता से े रत होकर पुन: इस दशा म गंभीरता से वचार कया गया और 1977 म बां लादे श के
त कालीन धानमं ी जया उर रहमान अं सारी ने पहल क । 1981 म कोलं बो म सात दे श के वदे श स चव ने बां लादे श के ताव पर वचार
कया और पांच ापक े म सहयोग बढ़ाने पर सहम त द ।

1983 म नई द ली म आयो जत वदे श मं य क बैठक म द स


े घोषणा प को वीकार कया गया जसम सहयोग के 9 वषय का
चयन कया गया जो इस कार है :-

1. कृ ष 2. ामीण वकास 3. रसं चार 4. मौसम 5. वा य एवं जनसं या सं बंधी ग त व धयां 6. व ान एवं ौ ो गक 7. प रवहन
8. डाक से वा 9. खेल, कला एवं सं कृ त

सद य दे श के रा मुख ारा उ घोषणा प वीकार कए जाने पर 8 दसं बर 1985 को इसक औपचा रक प से थापना ई।

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द स
े का चाटर :-
1985 म वीकार कया गया है। इसम कुल 10 अनु छे द है।

अनु छे द वषय

1 द स
े के उ े य

2 द स
े के स ांत

3 रा ा य का शखर स मेलन

4 वदे श मं य क प रषद का ावधान

5 वदे श स चव क थायी स म त का ावधान

6 तकनीक स म तय का ावधान

7 कायकारी स म त का ावधान

8 द स
े स चवालय का ावधान

9 व 10 व ीय सं था और अं शदान का ावधान

द स
े के उ े य :-
द स
े के चाटर के अनु छे द एक म इसके उ े य का वणन कया गया है जो क इस कार ह :-

1. जनक याण एवं जीवन तर म सु धार

2. सामू हक आ म नभरता म वृ

3. आ थक, सामा जक और सां कृ तक वकास

4. आपसी व ास तथा एक सरे क सम या का मू यांकन

5. आ थक, सामा जक, सां कृ तक, तकनीक और वै ा नक े मस य सहयोग एवं पार प रक सहायता म वृ

6. अ य वकासशील दे श के साथ सहयोग म वृ करना

7. सामा य हत के मामल पर अं तररा ीय मंच पर आपसी सं बंध मजबूत करना।

द स
े के स ांत :-
चाटर के अनु छे द दो म इसके न न स ांत दए गए है :-

1. अह त प
े एवं आपसी लाभ के स ांत का स मान।

2. कोई भी सहयोग प ीय और ब प ीय नह होगा, उनका पूरक होगा।

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3. इस कार का सहयोग प ीय और ब प ीय उ रदा य व का वरोध नह करेगा

सांगठ नक ढांचा :-
1. शखर स मेलन :-

अनु छे द तीन के अनुसार तवष शखर स मेलन आयो जत होगा जसम सद य दे श के रा ा य / शासना य भाग लगे।

अब तक 18 शखर स मेलन आयो जत कए जा चुके ह। 19वां शखर स मेलन 2016 म इ लामाबाद (पा क तान) म आयो जत होना था परंतु
आतंकवाद ग त व धय के कारण भारत ने इस स मेलन म भाग ले ने से मना कर दया जसके कारण यह थ गत हो गया है।

Note :- य द एक भी रा मुख शखर स मेलन म भाग ले ने से मना कर दे ता है तो शखर स मेलन थ गत कर दया जाता है।

2. मं प रषद :-

अनु छे द 4 के अनुसार मं प रषद सद य दे श के वदे श मं य क प रषद होगी। इसक वष म दो बैठक होती है।

काय :-

 नी त नधारण करना

 सहयोग क समी ा करना

 सहयोग के नए े खोजना

 सामा य हत के बारे म नणय करना

3. थायी स म त :-

अनु छे द 5 के अनुसार थायी स म त का नमाण सद य दे श के वदे श स चव से होगा। इसक वष म एक बैठक अ नवाय है।
काय :-

 सहयोग म सम वय एवं पयवे ण करना

 प रयोजना क अनुशंसा करना एवं वत बंधन करना

 ाथ मकता का नधारण

 सहयोग के नए े क पहचान करना।

4. तकनीक स म त :-

अनु छे द 6 के अनुसार े ीय सहयोग के नवीन वषय क खोज एवं आपसी सम वय हेतु तकनीक स म तय का नमाण कया
जाएगा जो क थायी स म त के अं तगत काय करेगी।

5. कायकारी स म त :-

अनु छे द 7 के अनुसार तकनीक स म त ारा न मत प रयोजना को लागू करने के लए दो या अ धक सद य से कायकारी


स म त का नमाण होगा।

6. स चवालय :-

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अनु छे द 8 म द स
े के स चवालय का ावधान है। द स
े स चवालय क थापना क घोषणा इसके सरे शखर स मेलन 1987
(बगलु ) म क गई। इसका मु यालय काठमांडू (नेपाल) म है।

इसका एक महास चव होता है जसका कायकाल 2 वष का होता है।

स चवालय के सहयोग के लए सद य दे श म 12 े ीय क , 6 उ च तरीय सं थाएं और 17 मा य सं थाएं कायरत है।

काय :-

 काय म का पयवे ण, सम वयन और या वयन।

 द स
े के व भ अं ग क बैठक क व था करना।

द ण ए शया मु ापार े ( SAFTA ) :-


द ण ए शया मु ापार े क थापना का सव थम यास 1995 म द स े क मं प रषद क बैठक म कया गया। 1998
के 10व शखर स मेलन म SAFTA क पृ भू म तैयार करने के लए एक वशे ष स म त के गठन का नणय लया गया।

द स े म 1993 म वरीयता ापार समझौता लागू आ जसके अं तगत अ प वक सत दे श जैसे नेपाल, बां लादे श, मालद व एवं भूट ान को
वशे ष छू ट दे ने का ावधान कया गया। इस वरीयता ापार को 2004 को इ लामाबाद म ए 12व शखर स मेलन म SAFTA म प रव तत
कर दया गया।

इसे एक जनवरी 2006 से लागू कया गया। SAFTA के तहत भारत, पा क तान और ीलं का को 1 जनवरी 2009 तक सीमा शु क को
घटाकर शू य से 5% तक के लाना था जब क अ प वक सत दे श जैसे नेपाल, भूट ान, मालद व और बां लादे श को 1 जनवरी 2016 तक का
समय दया गया।

परंतु पा क तान क नी तय के कारण SAFTA को पूण प से लागू नह कया जा सका जसके कारण सद य दे श म आ थक
सहयोग क र तार धीमी रही और पर पर व ास का अभाव बना रहा ।

एक ओर यू र ोपीय यू नयन के सद य दे श म आपसी ापार कुल ापार का 55% है, NAFTA के सद य म 52% और आ सयान सद य म
20% है ,वह द स े दे श म आपसी ापार मा 5% है जो क इन दे श क जीडीपी का मा 1% है।

द स
े का मू यांकन एवं ासं गकता :-
वतमान म द से व क 22% जनसं या का त न ध व करता है। इस से यह व का सबसे बड़ा े ीय सं गठन है।
अपनी थापना से ले कर आज तक द स े के सद य रा म आ थक, तकनीक , शै क, वै ा नक और सां कृ तक सहयोग बढ़ा है। इस े को
मु ापार े बनाने क से भी अनेक यास कए गए। इन सफलता के बावजूद भी वतमान म द स े क ासं गकता पर च लगे
ए ह जो क न न ल खत त य से प है :-

 भारत पा क तान के म य जारी राजनी तक ववाद।

 क मीर सम या और सीमापार से आतं कय क घुसपैठ।

 चीनी ह त प
े ।

 भारत क व ापी थ त को पा क तान ारा नकारना।

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