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Kamukta Story हवस मारा िभखारी िबचारा: - Printable Version
Kamukta Story हवस मारा िभखारी िबचारा: - Printable Version
Kamukta Story हवस मारा िभखारी िबचारा: - Printable Version
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भूरे भी उसकी याद खो जाने वाली बात से अंजान था, वरना वो अब तक उसकी चुदाई कर भी
दे ता..वो तो िसफ़ गंगू के डर से अपने सारे कदम सोच समझ कर उठा रहा था..और वो ये चाहता था
की नेहा की तरफ से ही कोई पहल हो, तािक उसके उपर कोई ज़ोर ज़बरद ी का इ ाम ना लगा
सके.
और वो इतने म माल को ज़ोर ज़बरद ी से नही , ब धीरे -2 मज़े लेकर उसका सेवन करना
चाहता था...इसिलए उसने गंगू को पैसे दे कर िदन भर के िलए दू र भेज िदया, तािक पीछे से उसकी
बीबी के साथ मज़े ले सके..
भूरे ने कोई भी कपड़ा नही पहना आ था,वो पूरा नंगा होकर नहा रहा था..उसने मन मे सोचा की
शायद उसका लंड दे खकर नेहा के िदल मे उसके िलए कुछ और भावनाए पैदा हो जाए..इसिलए वो
थोड़ा िकनारे की तरफ आ गया, जहाँ पानी उसकी कमर से नीचे था..
अब उसका लंड साफ़ िदख रहा था ...पूरा खड़ा आ था वो उस व ...वो साबुन लेकर अपने लंड
पर मलने लगा..
पर नेहा की नज़र अभी तक वहाँ नही पड़ी थी ...वो अपनी ही म ी मे दू सरी तरफ दे खती ई नहा
रही थी ..
भूरे ने थोड़ा आगे बढ़ने की सोची और बोला : "भाभी ...ज़रा यहाँ आकर मेरी पीठ पर साबुन लगा
दोगी ...''
नेहा ने पलटकर उसकी तरफ दे खा..और उसे ऐसी हालत मे बैठे दे खकर उसकी आँ खे फटी रह
गयी..पर उसने कोई िति या ना िदखाते ए उस तरफ आना शु कर िदया..भूरे एक छोटी सी
च ान पर बैठ गया..और पीछे मुड़कर उसने नेहा को साबुन दे िदया.
भूरे की खुशी की कोई सीमा ही नही रही..वो समझ गया की ये चालू टाइप की शादीशुदा औरत
है ..जो दू सरे मद के साथ मज़े लेती ह..
नेहा बेचारी तो वो सब इसिलए कर रही थी की उसे इन बातों की कोई जानकारी नही थी...उसे तो
पता भी नही था की ऐसे गैर मद की पीठ पर साबुन लगाना िकतना बुरा समझा जाता है उस समाज
मे..ख़ासकर जब सामने वाला मद नंगा हो.
वो तो अपने अबोधपन मे उसकी पीठ पर साबुन लगा रही थी..पर ऐसा करते ए उसके अंदर की
औरत बुरी तरह से उ ेिजत होती जा रही थी ..उसपर कैसे कंटोल िकया जाए, ये नेहा को नही पता
था.
भूरे तो पूरा नंगा बैठा था..उसने अपनी बेशम का प रचय दे ते ए िबना िकसी चेतावनी के अपना
चेहरा नेहा की तरफ कर िदया..और अब उसका गठीला शरीर उसके सामने था और साथ मे था
उसका तगड़ा लंड भी ..
भूरे की नज़र उसकी गीली टी शट पर चमक रहे हीरे जैसे िन पर थी..उसका मन तो कर रहा
था की अपने हाथों मे लेकर उसके उरोजों को मसल डाले..उनपर लगे ए िन को अपने दाँ तों के
बीच लेकर चूस ले..पर अपने उपर कंटोल करते ए उसने काँ पते ए हाथों से नेहा के हाथ मे साबुन
िदया..
नेहा की नज़र उसके खड़े ए कुतुब मीनार से िचपकी ई थी..उसके कठोर लंड को दे खकर उसके
िदल मे अजीब सी बेचैनी हो रही थी..
अपने लंड को ऐसे घूरते दे खकर भूरे ने नेहा से कहा : " ा दे ख रही हो भाभी जी ..''
नेहा : "दे ख रही , तुम कुछ ादा ही बेशम होकर नहा रहे हो मेरे सामने...उस िदन तो ऐसे नही
नहा रहे थे..''
भूरे : "भाभी जी, नहाने का मज़ा तो कपड़े उतारकर ही आता है ...और उस िदन काफ़ी भीड़ थी ना
इसिलए ऐसे नही नहा सके, पर आज दे खए, हमने ये नहाने की जगह आपके िलए पूरी तरह से खाली
करवा दी है ..''
नेहा : "अ ा ...तो यहाँ नहा रहे लोगो को आपने भगा िदया है ...तभी मैने सोचा की इतना स ाटा तो
नही होना चािहए यहाँ ...''
भूरे (हं सते ए) : "अरे भाभी ....आपके िलए तो हम पूरा शहर खाली करवा दे ...ये नदी ा चीज़
है ..''
उसने िदल फक अंदाज मे नेहा से कहा, िजसे सुनकर वो भी हँ सने लगी...और हं सते ए अचानक
उसके हाथ साबुन लगाते-2 उसके लंड पर प ँ च गये ..
पर नेहा अपनी ही धुन मे, उसके लंड को िकसी खलोने की तरहा हाथ मे लेकर मसल रही थी
..उसकी लंबाई को नाप रही थी ...उसपर साबुन लगाकर उसे सॉफ कर रही थी ..उसके भरे ए
िट े जैसी बॉ का वजन तोल रही थी .
भूरे ने अपनी आँ खे बंद कर ली ...और अपनी लंड रगड़ाई का मज़ा लेना लगा..
नेहा ने पहली बार िकसी का लंड पकड़ा था..और भूरे के चेहरे पर आ रहे भाव को दे खकर उसे पता
चल गया की उसे भी मज़ा आ रहा है .. वो अंजान सी बनकर उसके लंड को मसलती रही ..
अचानक भूरे ने अपने हाथ उठाकर उसके मु ों पर रख िदए ...एक पल के िलए तो नेहा भी घबरा
गयी ..पर वो कुछ ना बोली, उसे तो ऐसे संबंधों के बारे मे कोई जानकारी तक नही थी..अगर थी भी
तो वो भूल चुकी थी ..उसने तो कल अ बल मे गंगू को र ो के बदन को मसल - मसलकर मज़े
लेते ए दे खा था, और िजस तरह से गंगू उसके मु े चूस रहा था, और र ो मज़े मे दोहरी होकर
िच ा रही थी, वो बात उसकी आँ खों के सामने एकदम से उतर आई ...
और उसने उसी बात को याद करते-2 भूरे के िसर को पकड़ा और अपने मु े की तरफ खींचने
लगी..
भूरे िसंग को तो िव ास ही नही आ की नेहा उसे अपनी छाती चूसने के िलए कह रही है ...वो तो
पहले से ही उसके हाथों लंड की मािलश करवाकर सां तवे आसमान पर था, और अब नेहा उसके
चेहरे को पकड़कर अपनी छाितयों की तरफ खींच रही थी ..उसने भी िबना िकसी िवरोध के अपना
मुँह आगे िकया और अपनी लपलपाटी ई सी जीभ उसके मु े पर रख दी ..और टी शट के उपर से
ही उसके िन ल को मुँह मे लेकर चूसने लगा..
नेहा का एक हाथ उसके लंड पर चल रहा था ..और उसका दू सरा हाथ भूरे के िसर को अपनी
छाितयों पर दबाकर उसे िकसी िशशु की तरह अपना नपान करा रहा था..
उपर से पड़ रही सूरज की रोशनी मे नहाकर उसके मोटे और सफेद मु े सोने की तरह चमक रहे
थे...और उनपर लगे ए िन िकसी हीरे की तरह...और िन के चारों तरफ महीन-2 से दाने
पूरी तरह से िनकलकर बाहर आ चुके थे...
भूरे को अपनी िक त पर िव ास ही नही हो रहा था की नेहा इतनी आसानी से उसके चुंगल मे फँस
जाएगी...और अपने शरीर से खेलने दे गी..
उसने िबना कोई दे री करते ए अपने मुँह आगे िकया और उसके िन ल को मुँह मे लेकर ज़ोर से
काट िलया ..
नेहा ने िशकायत की ....पर उसे रोका नही...ब उसके िसर को पकड़कर दू सरी त री मे रखे ,
बाँ ये मु े की तरफ कर िदया और उसके उपर लाकर उसके मुँह को िफट िकया और ज़ोर से दबा
िलया अपनी छाितयों पर ...
''अहह ...... उ ममममममम ...... हाआअ ....... ऐसे ....... ही. ........... शाबाश
................... .....''
भूरे ने उसकी टी शट को घुमा कर उसके िसर से िनकाल फका और अब वो टॉपलेस होकर अपने
गोरे -2 मुममे खुले मे उससे चुसवा रही थी ..
भूरे : "अहह ..... भाभी .................. ...िकतने म है आपके मु े ...... ऐसा लगता है की
गंगू ने आज तक इ े हाथ भी नही लगाया ....''
***********
अब आगे
*********** भूरे ने समझा की सच मे गंगू के बस का कुछ नही है ...लगता है एक टाँ ग के
साथ-2 उसका लंड भी खराब है ...इसिलए अपनी गम बीबी की आग को वो ठं डा नही कर पाता है
..
उसने सोचा, मुझे ा करना इनके घरे लू मु ों से, उसके तो मज़े ह,ऐसी औरत ही, िजनके मद िकसी
काम के नही होते ह, बाहर िनकलकर मुँह मारती ह और उसके जैसे हरािमयों के हाथों अपनी चूत
की आग को ठं डा करती है ..
उसने उसके मु े चूसने जारी रखे ..और उसके हाथ िफसलकर उसके कु ों पर आ गये ...और
उ े उसने अपनी तरफ ज़ोर से दबा िलया..और ऐसा करते ही नेहा की धधक रही चूत उसके खड़े
ए लंड से आ टकराई ....
उसने एक पल मे ही उसके पायजामे को भी नीचे खसका िदया और उसकी चूत को दे खते ही उसके
अंदर का जानवर जाग उठा ...
और उसने अपने लंड को उसकी िचकनी चूत पर रगड़ना शु कर िदया ....अपनी चूत पर िमल रही
गम डं डे की रगड़ाई से नेहा की रही सही शरम भी जाती रही...अब उसको िकसी भी हालत मे
उसका लंड अपनी चूत के अंदर चािहए था ..
उसकी आँ ख के सामने िफर से कल रात का वाक़या आने लगा, िजसमे गंगू ने र ो की घोड़ी बनाकर
चुदाई की थी..और र ो ने चीख चीखकर पूरे अ बल को िसर पर उठा िलया था ...वो समझ गयी
थी की वही असली मज़ा दे ने वाली ि या है ...उसके खड़े ए लंड को अपनी चूत मे डालना होगा...
भूरे ने पलक झपकते ही उसके पायजामे को उतार फका और उसे नंगा कर िदया ... ठं डे पानी के
अंदर दोनो नंगे थे अब ...भूरे ने उसका हाथ पकड़ा और उसे च ानों की तरफ ले जाने लगा ..उसी
जगह जहाँ पर गंगू ने र ो की चुदाई की थी, वहाँ एक सपाट सा प र था, िजसपर लेटकर वो
उसकी चुदाई करने वाला था..
भूरे ने नेहा को उसी प र पर लेजाकर िलटा िदया....और उसकी टां गे खोलकर उसकी चूत को
िनहारा ...वो िकसी क ी कली की तरह थी, ऐसा लगता था की उसके अंदर आज तक कुछ गया ही
नही है ...भूरे समझ गया की गंगू ने उसकी चूत का उदघाटन अभी तक नही िकया है ....इसिलए तो
नेहा इतनी आसानी से उसकी हर बात को मानकर चुदाई के इस मुकाम तक प ँ च चुकी है ..
उसने अपने लंड पर ढे र सारी थूक लगाकर उसे िचकना िकया और झुककर जैसे ही उसके अंदर
अपना लंड डालने लगा..उसके एक चेले की घबराई ई सी आवाज़ आई..
भूरे की तो झां टे सुलग उठी...उसने मना भी िकया था की उस तरफ कोई भी नही आएगा...िफर एन
मौके पर ये क न उसको ो आवाज़ दे रहा है ..
क न : "भाई ....सॉरी ...भाई ...वो ...दरअसल ....नेहाल भाई का फोन आया है ...''
नेहाल का नाम सुनते ही उसका िदमाग़ सु सा हो गया ...नेहाल भाई उसके बॉस का भी बॉस था
...यानी पूरे शहर का दादा ....उसका ही काम था िजसके िलए उसने गंगू को आज पेकेट लाने के
िलए भेजा था ..
दू सरी तरफ से नेहाल की गु े से भरी आवाज़ आई : "साले ...िकसे भेजा है तूने आज अपना माल
उठवाने के िलए ...''
भूरे की तो िस ी िपटी गुम हो गयी, वो हकलाते ए बोला : "एक नया बंदा है भाई ... ों ा आ
...''
नेहाल : "अभी के अभी उसको वािपस बुला ले...पुिलस को िकसी ने इनफॉम कर िदया है ..जहाँ से
माल लेना है ,उस जगह पर पूरी फी ं ग है पुिलस की ...अगर पकड़ा गया तो पूरे एक करोड़ के
पाउडर का नुकसान होगा ''
उसकी बात सुनकर भूरे भी घबरा गया...पर वो आगे ा बोलता, गंगू के पास तो कोई फोन भी नही
था ..
उसे चुप दे खकर नेहाल िफर से दहाड़ा : "अब बोल ना साले , तेरी ज़ुबान पर ताला ो लग गया है
...''
भूरे : "भाई ...वो दरअसल ....उसके पास कोई फोन नही है ..''
ये सुनते ही नेहाल ने उसको एक से बढ़कर एक गंदी गािलयों से नहला िदया और उसे उसी व गंगू
के पीछे जाने को कहा, तािक उसे दू र ही रोककर इस मुसीबत से बचा जा सके ..
उसकी बात सुनते ही उसने क न को गाड़ी िनकालने के िलए कहा ...और अपने कपड़े पहन कर
वो अपने सािथयों के साथ चल िदया.
और दू सरी तरफ बेचारी नेहा च ान की औट मे नंगी लेती ई उसके वािपस आने की ती ा कर रही
थी ...और उसे एकदम से अपने कपड़े पहन कर जाता आ दे खकर उसे भी कुछ समझ मे नही
आया...उनके जाने के बाद उसने भी बेमन से अपने कपड़े पहने और वािपस अपने घर की तरफ चल
दी ..
दू सरी तरफ गंगू को भी पता नही था की आज उसके साथ ा होने वाला है ..
वो तो अपनी ही धुन मे, अपनी जेब मे पड़े पैसों की गम को महसूस करता आ, गुनगुनाता आ ,
अपनी मंिज़ल की तरफ तेज़ी से बड़ा जा रहा था.
दू सरी तरफ, जहाँ से गंगू को वो पेकेट लेना था, उस जगह को चारों तरफ से पुिलस ने घैर रखा
था...सारे पुिलस वाले सादी वद मे थे ... उनके इनफॉमर ने बताया था की उसी िब ं ग से पेकेट
लेने के िलए कोई आएगा...
ये एक 15 मंिज़ला िब ं ग थी ... िजसमे शहर के काफ़ी रईस लोग रहते थे ... अंदर जाने की िकसी
भी पुिलस वाले मे िह त नही थी, इसिलए उ ोने िब ं ग के गेट के बाहर ही अपनी चोकसी लगा
रखी थी ..
गंगू आज ऑटो मे वहाँ गया था और थोड़ी दू र पर ही उतर गया तािक कोई उसे दे खकर ये ना कहे
की िभखारी ो ऑटो मे आ रहा है ..और िकसी को शक ना हो जाए उसपर ..
गंगू सीधा िल के पास प ँ चा...और जैसे ही अंदर जाने लगा, उसको वहाँ बैठे चोकीदार ने रोका :
"ओये .... तू कहाँ घुसा चला जा रहा है ...चल िनकल यहाँ से ...तुझे अंदर िकसने आने िदया ..साले
िभखारी ...''
गंगू ने अपनी जेब से एक िविज़िटं ग काड िनकाला और उसके सामने लहरा िदया...चोकीदार भी उस
काड को दे खकर एकदम से सहम गया...उसने िबना कुछ बोले गंगू को िल से उपर जाने िदया..
दरअसल वो िविज़िटं ग काड भूरे िसंह ने ही िदया था ,वो काड उसी िब ं ग मे रहने वाले इकबाल का
था, िजसका अफ़ग़ािन ान मे काफ़ी बड़ा िब नेस था..और उसी िब नेस की आड़ मे वो नेहाल के
िलए ड की त री करता था...
िल मे बैठे अटडर को गंगू ने वो काड िदखाया और अटडर ने उसे टॉप ोर मे बने पट हाउस के
बाहर उतार िदया..
गंगू ने ॅट की बेल बजाई तो एक नौकरानी जैसी िदखने वाली लड़की िनकल कर आई..गंगू ने
उसको वही काड िदखा िदया, वो उसको अंदर लेकर आ गयी और उसे वही खड़े रहने के िलए
कहा..
गंगू तो उसकी सुंदरता दे खता ही रह गया...बेशक दे खने मे वो थोड़ी साँ वली थी..पर उसके नैन न
काफ़ी तेज थे....उसकी कमर के पास और पेट पर बड़े -2 टै टू बने ए थे ..वो िकसी िफ ी हे रोियन
जैसी लग रही थी ..और उसका चेहरा भी दे खा आ सा लग रहा था गंगू को..
"मेरा नाम मु ैथ ख़ान है ...लोग ार से मुझे मु ू कहते ह ..तु ारा नाम ा है ..'' वो लड़की ने
अपनी सुरीली आवाज़ मे कहा..
गंगू समझ गया की वो उसको कोई पेशेवर त र समझ रही है जो भेष बदल कर िडलीवरी लेने के
िलए आया है ... उसने भी मु ु रा कर उसकी हाँ मे हाँ िमला दी..
गंगू ने अपनी बड़ाई करने के िलए कहा : "वो तो मुझे बचपन से ही ए ं ग का और तरह-2 के
िकरदार िनभाने का शोंक है , इसिलए मैने सोचा की आज िभखारी बनकर चला जाए..''
और वो गंगू का हाथ पकड़कर अपने साथ अंदर ले गयी ...जहाँ एक बड़े से कमरे की हर दीवार पर
उसकी िप स लगी थी...कई िफ ों के पो र भी थे .. ादातर तिमल और तेलगु भाषा की मूवीस
थी ...कुछ िह ी मूवीस भी थी ..और उन िफ़ ो के पो र मे उसे दे खकर उसे याद आ गया की ये
तो िफ़ ो मे काम करती है ...उसने एक - दो पीकचस दे खी भी थी उसकी ... ादातर िप स मे
उसने आइटम सॉंग ही िकये थे...उसने जब एक मूवी मु ा भाई का पो र दे खा तो उसे भी याद आ
गया की ये वही लड़की है िजसने हॉ टल मे रात के समय गाना गया था..
उसे एकदम से याद आ गया की उसके से ी गाने ''दे ख ले ..'' को दे खकर आगे की लाइन मे
बैठकर उसने िकतनी सीिटयाँ मारी थी ...वो सोच रहा था की काश उस लड़के िज ी शेरिगल की
जगह अगर वो होता तो िकतना मज़ा आता...
और रात मे उसके भरे ए शरीर के बारे मे सोचकर उसने िकतनी बुरी तरह से चोदा था एक घ ी
को...
गंगू को ऐसे खोए ए दे खकर मु ैथ बोली : "कहाँ खो गये गंगू ... हे लो ....''
गंगू जैसे नींद से जगा : "वो दरअसल ...मैने पहले आपको पहचाना नही था ... मैने आपकी काई
िप स दे खी है ...आप तो बड़ी से ी .... लगती है उनमे ...''
गंगू उसकी बात सुनकर एकदम से सकपका गया : "जी नही ..मेरा मतलब ...आप अभी भी ...
से ी लग रे हो ...''
मु ू : "म यहीं रहती ...इक़बाल के साथ ...उ ोने ही ये पट हाउस मुझे लेकर िदया है ..वो
अ र बाहर ही रहते ह ...जब भी इं िडया आते ह तो मेरे साथ ही रहते ह ....''
गंगू समझ गया की अपने पैसों के ज़ोर पर उसने उस ए र को अपनी रखैल बना कर रखा आ है
..
गंगू : "ओहो ...हाँ ...पर अब कहाँ ए ं ग ....अब तो बस अपने काम मे ही लगे रहना पड़ता है
...''
वो उसके हाथ को पकड़कर अंदर ले आई...बड़ा ही अपनापन िदखा रही थी वो ...जैसे कोई बचपन
का साथी िमल गया हो ..
वैसे वो भी अपनी जगह सही थी ... उसने अपने िफ ी क रयर मे ना जाने िकतने हीरोस के साथ
मज़े िलए थे ..और ना जाने िकतने डाइरे स और ो ूसस को खुश िकया था ...वो चमक धमक
की दु िनया अलग ही थी ..और जब से वो इक़बाल की रखैल बनकर यहा रहने लगी थी..वो सब उसे
ब त याद आता था ...इक़बाल के बारे मे हर कोई जानता था...इसिलए उसकी रखैल के उपर हाथ
रखने की िह त िकसी की भी नही थी...इसिलए वो बेचारी अपनी सुलग रही जवानी के साथ इतने
बड़े घर मे अकेली रहकर अपनी बोर सी लाइफ जी रही थी ..
गंगू था तो िभखारी पर एक नंबर का हरामी भी था ...औरतों को दे खते ही उसकी लार टपकने लगती
थी ..िपछले कुछ िदनों से िजस तरह से नेहा ने उसे अपनी जवानी िदखाकर तड़पाया था, उसकी
हवस और भी भड़क चुकी थी ..िसफ़ र ो की चुदाई करके उसका पेट भरता नही था...और अब
ऐसी गम माल और वो भी िफ़ ो मे काम करने वाली का इतना अपनापन दे खकर उसके अंदर का
हरामी इं सान िफर से जाग उठा ...
वैसे और कोई अपराधी होता तो ऐसा कुछ सोचता भी नही...एक तो वहाँ ककर पुिलस से पकड़े
जाने का ख़तरा..और उपर से इक़बाल की रखैल के साथ ऐसा कुछ करने की कोई सोच भी नही
सकता था...सभी को पता था की उसपर उठने वाली हर नज़र को इक़बाल फोड़ दे ता है ..
पर गंगू तो नया था और उसे इक़बाल के बारे मे कुछ पता भी नही था, इसिलए वो िबना िकसी सोच
िवचार के, िसफ़ अपने लंड की बात सुनकर, मज़े लेने के मूड मे आ चुका था.
मु आराम
ैथ भी जानती थी की इक़बाल का असली काम ा है , पर जब तक उसको ऐशो
***********
अब आगे
***********
मु ेथ गंगू को अपने साथ लेकर अपने बेड म मे आ गयी...बड़ा ही आलीशान बेड म था उसका,
सफेद रं ग के पलंग के चारों तरफ कीमती कापट िबछा था, दीवारों पर ह ा नीला रं ग था और हर
जगह मु ेथ की िप स लगी थी..उसने एक बटन दबाया िजससे सारे कमरे की रोशनी धीमी सी हो
गयी..
उसके पेट पर बने ए टे टु को दे खकर उसे एक अजीब सी उ ेजना हो रही थी..उसका मन कर रहा
था की अपनी खुरदु री जीभ से उसका वो िह ा चाट जाए..इतना चाटे की उसका टे टु िमट जाए..
मु ेथ के चेहरे पर एक अजीब तरह का लालच िदख रहा था...आज उसके पास िबन माँ गे एक मद
जो आ गया था..इसिलए वो हर कीमत पर,अपने हर जलवे िदखाकर, उसे पाना चाहती थी.
मु ेथ अपने मोटे -2 मुममे िहला कर उसके इद िगद नाच रही थी..उसने अपनी टां गे उठा-2 कर जब
गंगू के चेहरे के पास रखी तो वो उसकी जाँ घो की मोटाई और मखमलीपन दे खकर है रान रह
गया..उसने तो सोचा भी नही था की औरत इतनी िचकनी भी हो सकती है ...उसने तो आजतक झु ी
मे रहने वाली या रं िडयों की चूत ही मारी थी..जो ढं ग से अपने बाल तक साफ़ नही करवाती.
और ना चाहते ए भी उसके हाथ उसकी जां घों पर आ गये..गंगू का खुरदु रा हाथ अपनी जाँ घ पर
महसूस करते ही वो िसहर उठी..इतना रफ़ सा था वो..जब चुदाई करे गा तो ा हाल होगा
उसका...ये ाल आते ही उसने गंगू के हाथ के उपर अपना हाथ रखा और उसे अपनी जां घों पर
िघसने लगी..
गंगू के इतना करीब आने की वजह से उसके शरीर से आ रही दु गध भी उसे महसूस हो रही थी..पर
कामो ेजना के आवेश मे वो दु गध भी उसे िकसी चुंबक की तरह अपनी तरफ खींच रही थी.
गंगू भी अब समझ चुका था की वो चुदने के िलए पूरी तरह तैयार है , ोंिक वो खुद उसके हाथ को
पकड़कर अपनी जां घों पर ऐसे िघस रही थी मानो उसमे से िज िनकलवाना हो..
मु ेथ की जाँ घो की रगड़ाई करते-2 गंगू का हाथ उसकी चूत की तरफ खसकने लगा..और उसे
ऐसा महसूस आ जैसे वो धीरे -2 िकसी आग की भ ी के पास जा रहा है ..उसकी चूत से िनकल रही
आँ च की तपन उसे दू र से ही महसूस हो रही थी.
पर मु ेथ पूरे मज़े लेने के मूड मे थी..उसने गंगू का हाथ हटाया और िफर से गाने की धुन पर
िथरकने लगी..उसके लटके-झटके दे खकर वो उसके डां स का कायल हो गया..उसकी मोटी कमर,
चौड़े कू े और भरं वा गां ड को दे खकर वो बेकरार सा हो उठा...और उपर से उसके मोटे -2 मु े ,
जो िहलकर अपने वजन का एहसास करवा रहे थे उसको..
नीचे खड़ा आ भूरे परे शान हो रहा था...उसके िहसाब से अब तक गंगू को वहाँ प ँ च जाना चािहए
था..पर वो दू र -2 तक नही िदख रहा था..िदखता भी कैसे, वो तो उपर मु ेथ के मु े दे खकर अपने
लंड को रगड़ रहा था..
अचानक मु ेथ ने गंगू का चेहरा पकड़ा और उसे अपने मु ों के बीच भींच िदया...गंगू को तो ऐसा
लगा की उसका चेहरा िकसी नम रज़ाई के बीच जा घुसा है ...और दू सरी तरफ मु ेथ के सीने मे जब
उसके चेहरे के बाल चुभे तो वो दद से तड़प उठी पर उसने उसके चेहरे को छोड़ा नही..वो उसे
अपने मु ों पर ज़ोर-2 से रगड़ती रही..
उसने उसके मोटे िन ल को अपने मुँह मे भरा और उसे जोरों से चूसने लगा..
उसके सामने थी मु ेथ ख़ान, पूरी नंगी..अपने भरपूर जवानी मे िलपटी ई...िकसी नािगन की तरह
उसका शरीर िब र पर मचल रहा था..
उसके पेट पर बना आ टे टु उसकी चूत के दरवाजे तक जा रहा था..और उसकी चूत को िछदवा कर
उसने एक सोने की बाली पहनी ई थी..ये नज़ारा गंगू के िलए नया था, वो तो ये सोचकर ही िसहर
उठा की उसने कैसे अपनी चूत िछदवाई होगी और ये सोने की बाली उसमे डलवाई होगी...खेर ,उँ चे
लोगो की ऊँची पसंद .
गंगू ने अपनी टी शट उतार फकी..उसकी छाती के बाल दे खकर मु ेथ स ोिहत सी होकर उठी
और अपनी नाक वहाँ पर रगड़ने लगी...गंगू ने उसके बालों को पकड़ा और उसके चेहरे को उपर
िकया और अपने होंठों को उसके होंठों पर रखकर जोरों से रगड़ने लगा...चूसने लगा ...उ े खाने
लगा.
मु ेथ को भी उसका जंगली तरीका पसंद आ रहा था, उसकी नशीली जवानी को आजतक सुलझे ए
लोगो ने ही चखा था, आज पहली बार वो अपने शरीर को ऐसे इं सान से नुचवा रही थी जो उसके
े टस का भी नही था..
गंगू ने उसके चेहरे को चूसा, उसकी गदन को चाटा और उसके मु े चूसता आ वो उसकी चूत तक
प ँ च गया..और एक ही झटके मे उसने अपना िसर आगे िकया और मु ेथ ने अपनी चूत ....
दोनो एक दू सरे से ऐसे टकराए जैसे कोई तूफ़ान , मु ेथ को तो ऐसा लगा जैसे उसने बरसों से भूखे
कु े को खाना िदया गया है ..वो सड़प -2 करते ए उसकी शहद जैसी मीठी चूत का रस पीने
लगा...और साथ ही साथ उसकी चूत मे फंसी सोने की बाली को भी चुभलाने लगा..उसने नोट िकया
की जब वो उसे चुभलाता तो वो दद और मज़े से एक साथ िसहर उठती..शायद इसी िलए उसने वहाँ
पाईरे िसंग करवाई थी .
गंगू की लंबी जीभ ने मु ेथ की चूत की गहराई बड़ी आसानी से नाप ली...उसके अंदर से िनकल रहा
रस उसे इतना ािद लग रहा था की वो कने का नाम ही नही ले रहा था...और अचानक मु ेथ
झड़ने के कगार पर आ गयी...उसने गजब की श और फुत िदखाते ए गंगू को नीचे पटका और
खुद उसके चेहरे पर सवार होकर जोरों से अपनी चूत को उसके चेहरे पर िघसने लगी...वो ऐसे िघस
रही थी मानो अपनी चूत का रस िनकलवा रही हो उसके मुँह की मशीन से...गंगू के बाल पकड़कर
वो बावली कुितया की तरह अपनी आँ खे बंद िकए उसके मुँह के अंदर अपनी चूत को ठूसकर जोरों से
हीले जा रही थी..
और अगले ही पल उसकी चूत के अंदर से गरमा गरम रसमलाई िनकल कर गंगू के चेहरे पर िबखर
गयी...गंगू को ऐसा लगा की उसके चेहरे पर िकसी ने िगलास भरकर मीठा पानी फक िदया है ..वो
अपनी जीभ से , ादा से ादा मलाई को चाटकर अपनी ास बुझाने लगा.
झड़ने के बाद मु ेथ िकसी कटे पेड़ की तरह एक तरफ िगर गयी....उसके शरीर मे जान नही बची
थी...पूरा शरीर पसीने से नहा चुका था.
अब गंगू की बारी थी...वो उठा और उसने अपने लंड को उसके चेहरे के सामने लहरा िदया...मु ेथ
आधी बेहोशी मे थी, जैसे ही उसकी नाक के पास गंगू का लंड आया, एक तेज दु गध से उसकी आँ खे
खुल गयी..जैसे िमग के मरीज को बदबूदार च ल सुंघा दी गयी हो
दू सरी तरह गंगू समझ रहा था की ये भी शायद बड़े लोगो का कोई तरीका होगा...पता नही कैसे-2
कामो मे इन लोगो को मज़े आते ह..उसे कोई फ़क नही पड़ रहा था, उसे तो मज़े आ रहे थे...एक
नये अनुभव का एहसास हो रहा था..
मु ेथ का मुँह उसके लंड को पूरा अंदर नही ले पा रहा था...पर िफर भी वो उसको चूसती रही..
मु ेथ को ऐसा करता दे ख गंगू ने कमान संभाली और उसके बालों को पकड़ कर अपना पूरा लंड
एक ही झटके मे उसकी हलक तक उतार िदया...मु ेथ की तो आँ खे िनकल कर बाहर आ
गयी...उसे ऐसा लगा की उसकी साँ से क जाएगी, उसके गले की नस फट जाएगी..
गंगू ने उसके चेहरे को िकसी स ी रं डी की तरह चोदना शु िकया...हर झटके मे उसके लंड का
टोपा मु ेथ के टॉ को छूकर वािपस आता..थोड़ी दे र बाद वो अ हो गयी और उसे भी
मज़ा आने लगा.
गंगू भी जानता था की उसके पास ादा समय नही है ...उसने ज ी से अपना लंड बाहर िनकाला
और उसकी दोनो टां गे फेला कर उसे मोरनी बना िदया...और उसकी आँ खों म दे खते-2 अपना मीठा
लंड उसकी चाशनी से भीगी चूत की गहराइयों मे उतार िदया...
उसकी चीख इतनी तेज थी की पूरी िब ं ग मे गूँज गयी...इतना मोटा लंड शायद उसने पहली बार
िलया था..
गंगू उसके उपर लेट गया और दोनो के शरीर एक दू सरे से पूरी तरह से िचपक गये..उसका लंड
अभी भी अंदर था और वो अपने चूतड़ उठा-2 कर उसे अंदर बाहर कर रहा था...गंगू उसके होंठों
को चूसता आ झड़ना चाहता था...उसने मु ेथ के मोटे होंठों को चूसना शु िकया और ज ही
उसका ऑगॅज़म िनकट आ गया...और उसके लंड के पाइप से गाड़े रस की सारी स ाई उसकी चूत
के अंदर प ँ च गयी.
वो तो िफर से बेहोशी के कगार पर प ँ च गयी... ोंिक वो लगातार तीसरी बार झड़ चुकी थी..
नीचे खड़े ए पुिलस के लोगो को अब िव ास होने लगा था की शायद उनकी इ फ़ॉमशन ग़लत
थी... ोंिक अब तक 1 घंटे से ादा हो चुका था, और ऐसी डी अपने समय के अनुसार ही होती
है , वरना नही होती..उ ोने अपने सीिनयस से परामश िकया और वहाँ से िनकल गये..
भूरे ने जब उ े जाते ए दे खा तो वो भी समझ गया की पुिलस वाले ो चले गये ह, पर उसे अभी
भी डर था की कही कोई पुिलस वाला छु प कर िब ं ग की िनगरानी ना कर रहा हो, इसिलए वो खुद
जाकर या अपने िकसी साथी को उपर िब ं ग मे भेजकर कोई र नही लेना चाहता था...गंगू का
कोई पता नही था, वो उसका वहीं ककर इं तजार करने लगा...वो उसे भी उपर भेजकर कोई र
नही लेना चाहता था..दे र से ही सही, उसे िव ास था की वो वहाँ ज़ र प चेगा..शायद रा ा ना िमल
रहा हो या टे िफक मे फँसा हो.
और उपर गंगू अपने जीवन की सबसे म चुदाई करने के बाद प सा होकर एक तरफ लुडक
गया..मु ेथ उसके सीने पर िसर रखकर होल से मु ु राइ..उसने भी आज से पहले ऐसी चुदाई नही
करवाई थी.वो आज ब त खुश थी..उसने साइड की डॉयर से दस हज़ार की ग ी िनकाल कर गंगू
को दे दी...गंगू की तो लॉटरी िनकल गयी...पहले भूरे ने दस िदए और अब मु ेथ ने भी...इतने पैसे
तो आज तक उसने नही दे खे थे.
उसके बाद दोनों ने अपने-2 कपड़े पहने..और गंगू वहाँ से पेकेट लेकर बाहर िनकल आया..
वो बड़ी सी सतकता से इधर उधर दे खकर बाहर िनकल रहा था...उसे िब ं ग से बाहर िनकलता
दे खकर क न की नज़र उसपर पड़ी और वो एकदम से िच ाया : "अर भाई...वो दे खो ...वो रहा
साला गंगू ...''
भूरे ने चोंक कर उसी तरफ दे खा, तब तक गंगू ने भी उ े दे ख िलया था और वो भागकर उनके पास
प ँ च गया.
भूरे को तो िव ास ही नही हो रहा था की गंगू िब ं ग से िनकला है .....पर वहाँ कोई तमाशा करना
बेकार था, वो ज ी से गाड़ी मे बैठे और वािपस झु ी की तरफ चल िदए..
***********
अब आगे
***********
भूरे िसंह के अचानक चले जाने के बाद कुछ दे र तक तो नेहा वही पानी मे खड़ी रही......इतना मज़ा
आ रहा था ...और अचानक भूरे कहीं चला गया...आज तो अगर गंगू घर पर होता तो उसके उपर
चड़कर वो उसके लंड को अपने अंदर ले लेती...इतनी आग लगी ई थी उसके अंदर..
वो ऐसे ही िबना कपड़े बदले अपना भीगा बदन िलए अपने झोपडे की तरफ चल दी...वो िकसी रोबोट
की तरह चले जा रही थी...उसके मन मे उथल पुथल मची ई थी..जो ऐसे िमटने वाली नही थी...उसे
अपनी चूत पर चींिटयां सी रगती महसूस हो रही थी..ऐसा तो उसके साथ आजतक नही आ
था...अगर आ भी होगा तो उसे याद नही, वैसे भी उसकी यादा खोए िसफ़ एक ह ा ही तो आ
था.
तभी उसे याद आया की वो खाने के िलए पैसे भी लाई है ...भूख भी लगने लगी थी उसको..वो जैसे
िकसी सपने से एकदम से बाहर आई..और जब उसे ये एहसास आ की वो पूरी गीली है और उसके
कपड़े उसके बदन से िचपक कर पारदश लुक दे रहे ह और आने जाने वाले सभी लोग उसके बदन
को आँ खे फाड़े दे ख रहे ह..उसने ज ी से अपने साथ लाया आ टावल अपने उपर लपेट िलया..
सामने ही उसको एक हलवाई की दु कान िदख गयी..वो वहाँ प ँ ची और दे खने लगी की ा िमल
सकता है उसके पास ..पर वहाँ कुछ सुखी िमठाइयों के अलावा कुछ नही था..एक मोटा सा आदमी
ग े पर बैठा था.
उसने उसे उपर से नीचे तक दे खा और बोला : "बस जी, अभी तैयारी कर रहा , आलू पूरी का
ना ा बनाते ह हम...थोड़ी ही दे र मे पूरी िनकालने वाला ..''
वो पूरी भीगी ई थी और उसके अंदर से पानी टपक रहा था..उसकी हालत दे खकर वो हलवाई बोला
: "तू गंगू की लुगाई है ना ...?''
हलवाई : "तू जा...म अपने लड़के के हाथ िभजवाता तेरे िलए आलू पूरी..''
नेहा वहां से चली गयी..अब उसको सच मे काफ़ी तेज भूख लगी थी..भूख के मारे उसके जबड़े खींच
रहे थे..
पर पहले उसने अपने कपड़े बदलने की सोची, उसने दरवाजा बंद कर िदया और अपने सारे कपड़े
उतार कर सूखने के िलए टाँ ग िदए..उसका नंगा संगमरमरी बदन चमक रहा था...वो दीवार पर लगे
छोटे से शीशे मे अपनी बड़ी-2 छाितयाँ दे खकर मु ु रा दी...आिख़र उसको दे खकर ही तो ादातर
मद खुश होते ह..और गंगू भी तो उस िदन कैसे र ो की चुदाई करते ए उसके मु े चूस रहा
था...दबा रहा था...और वो भी िकतनी आनंदिवभोर हो रही थी उनको दबवाते ए..
गंगू और र ो की चुदाई के बारे मे सोचते ही उसके अंदर एक अजीब सी लहर दौड़ गयी...उसके
हाथ अपने आप अपने नों के उपर चले गये और उसने उ े पूरी ताक़त से दबा िदया..
''अहह स ...''
िफर उसके हाथ अपने आप अपनी चूत की तरफ खसकने लगे.. ोंिक वहां तो ादा तकलीफ हो
रही थी उसको इस व ..........
पर तभी बाहर का दरवाजा खड़का...वो िफर से अपने सपने से बाहर िनकली..कौन हो सकता है इस
व ....वो पूरी नंगी खड़ी थी.
उसने अपने बदन पर ज ी से टावल लपेट िलया...और दरवाजा खोल िदया, ये सोचकर की हलवाई
की दु कान पर काम करने वाला कोई ब ा होगा..
वो एकदम से अंदर आ गया,और सीधा िकचन वाली जगह पर प ँ चकर उसने अपने हाथ मे पकड़ी
थाली रख दी..
केशव : "गंगू भाई ने पहले भी कई बार ना ा मँगवाया है हमारी दु कान से...और िपछली बार की
थाली अभी तक वािपस भी नही की...िपताजी वो भी मंगवा रहे ह..''
उसको तो जैसे कोई फ़क ही नही पड़ा था नेहा को केवल टावल मे खड़ा दे खकर..वो अपनी ही म ी
मे इधर उधर दे खता आ ेट ढू ँ ढने लगा..
नेहा को अपने इतने पास दे खकर केशव सकपका सा गया..उसने आज तक िकसी लड़की को छु आ
तक नही था...सारा िदन दु कान पर काम करते रहने की वजह से उसका कोई ऐसा दो भी नही था
जो उसे से के बारे मे सोचने के िलए उकसाता..यानी उसकी कोई बुरी संगत नही थी...
पर औरत का शरीर होता ही ऐसा है ..समझ ना होते ए भी सामने वाला उसके जाल मे फँस जाता
है ...नेहा ने जो टावल बाँ धा आ था, वो उसके बड़े -2 मु ो को पूरी तरह से ढक नही पा रहा
था..उसके उभरे ए मु े दे खकर केशव की हालत भी खराब होने लगी...और उसके लंड मे
कड़ापन आने लगा..
वो नेहा की बात मानकर वहीं ज़मीन पर बैठ गया..और नेहा ना ा करने लगी..
अब उसका ान आलू पूरी से ादा केशव के केले पर था..जो धीरे -2 खड़ा होकर उसके पायजामे
मे उभर रहा था..
जैसे ही केशव ेट लेने के िलए आगे आया..नेहा ने ज़ोर से साँ स ली और उसकी छाितयाँ फूल कर
और बाहर िनकल आई...और उसके साथ ही उसके टावल की गाँ ठ भी खुल गयी...और एक ही पल
मे उसका टावल नीचे पड़ा था...और वो पूरी नंगी होकर केशव के सामने खड़ी थी.
नेहा बड़ी ही अदा से मटकती ई उसके पास आई और बोली : "ऐसे ा दे ख रहा है रे ...कभी
लड़की नही दे खी ा..''
नेहा समझ गयी की उसे से के बारे मे कोई ान नही है ...वैसे पता तो उसको भी नही था
ादा...उसने तो िसफ़ एक बार ही गंगू और र ो की चुदाई दे खी थी...पर िजस तरह भूरे ने उसकी
चूत की रगदाई की थी वो उसे ब त अ ा लगा था...उसने सोचा की चलो आज यही करवा लेती
इस केशव से...अगर मौका िमला तो आगे भी करवा लेगी..
वो धीरे -2 चलती ई उसके पास प ँ ची और केशव के काँ पते ए हाथ पकड़ कर अपनी छाती पर
रख िदए..
अब इतना तो केशव भी जानता था की मु ो को कैसे हडल करते ह...उनके उपर हाथ लगते ही
उसकी उं गिलयों ने अपनी पकड़ बना ली और उ े ज़ोर से दबा िदया...
बेचारा अबोध सा केशव , अपनी िक त पर उसे अभी तक िव ास नही हो रहा था...ऐसी सुंदर
लड़की उसके गले से िलपटी खड़ी है और वो भी पूरी नंगी...उसने उसकी गां ड के उपर अपने पंजे
जमाए और उसे हवा मे उठा िलया...
नेहा तो अभी नहा कर आई थी..पर केशव सुबह से तो ा ,शायद िपछले कई िदनों से नहाया नही
था...झु ी मे रहने वाले लोग शायद ऐसे ही होते ह...उसके शरीर की दु गध काफ़ी ादा थी, पर
नेहा के िसर पर उ ेजना का जो नशा चड़ा आ था उसके आगे उसे वो दु गध भी खु बू के जैसी लग
रही थी..
उसने अगले ही पल केशव के होंठों पर हमला बोल िदया...और उसे नोचने कचोटने लगी...ऐसे जैसे
कोई जंगली िब ी अपने िशकार के साथ करती है ..
केशव के िलए तो ये सब नया था...पहली बार जो था उसके साथ...पर िकसी लड़की के साथ ऐसे
मज़े िमलते है , ये एहसास उसे आज ही आ था..
नेहा के हाथ सीधा उसके लंड के उपर जा िचपके...और उसकी लंबाई नापकर वो भी है रान रह
गयी...गंगू के िजतना तो नही था..पर काफ़ी लंबा था वो भी..
वो झटके से नीचे बैठी और उसने केशव का पायजामा नीचे खसका िदया..उसका लंड एकदम से
उसके सामने खड़ा होकर फु कारने लगा...और िबना कुछ सोचे उसने उसे अपने मुँह के अंदर ले
िलया...
केशव बेचारे ने तो आज तक मूठ भी नही मारी थी...उसके लंड के टोपे की खाल अभी तक िचपकी
ई थी...इसिलए वो पूर तरह से पीछे भी नही हो रही थी...ब उसे वहाँ तकलीफ़ होने लगी..दद
होने लगा..
नेहा को लगा की शायद वो ही कुछ ग़लत कर रही है ...उसके िलए भी तो ये पहला मौका था िकसी
के लंड को चूसने का..उसने केशव के लंड को मुँह से िनकाल िदया..उसके लंड की खाल पीछे तक
नही जा पा रही थी..
वो झट से चारपाई पर लेट गयी और केशव को अपनी चूत के उपर झुका िलया..वो बेचारा आँ खे
फाड़े उसका चेहरा दे खने लगा...की करना ा है ..
केशव उस व ऐसी हालत मे नही था की उसे मना कर सके...उसने वैसा ही िकया...और उसके
मोटे -2 हलवाई वाले होंठ अपनी चूत पर लगते ही उसकी चूत पर रग रही चींिटयाँ गायब सी होने
लगी...और वो मज़े से दोहरी होकर उसके बाल पकड़ कर अपनी चूत पर रगड़ने लगी.
''आआयययययीीईईईईईईईईईईईईईईईईईईईईईईईईईईईईईईईई ....................... स
ईईईईईईईईईईईईईईई .................. ऊऊहह''
ऐसे मज़े की तो उसने क ना भी नही की थी..हाथ लगाने का अलग ही असर था पर िकसी के गीले
होंठ ऐसा मज़ा दे सकते ह, ये उसे आज ही पता चला..
नेहा की चूत मे उबाल सा आने लगा..उसे अंदर से महसूस होने लगा की उसे अब जीभ के बदले
कुछ और ही चािहए अपने अंदर...और उसने अपनी पूरी ताक़त लगा कर केशव को अपने उपर
खींच िलया...और उसकी कमर पर अपनी टां गे लपेट कर उसके लंड को अपनी चूत के उपर रगड़ने
लगी..
केशव बेचारा पहले से ही अपने लंड पर ए हमले से कराह रहा था..उसकी आग उगलती चूत की
तपन और ह े बालों की चुभन उससे बदा नही ई और वो वािपस खसक कर नीचे आ गया..
एक अनाड़ी से अपनी पहली चुदाई करवाने मे िकतना नुकसान है ये अब नेहा को समझ आ रहा
था...उसकी आग तो वो शां त कर ही नही सकता था.. ो ना उपर के ही मज़े लेकर अभी के िलए
शां ित प ँ चा ले वो..
और उसने िफर से उसे नीचे खदे ड़ िदया..और इस बार केशव को उसने नीचे िलटा िदया..और खुद
उछलकर उसके उपर जा चढ़ी ...
ये लगभग वही व था जब दू सरी तरफ गंगू मु ैत ख़ान की चुदाई करने मे लगा आ था..
नेहा ने केशव के शरीर पर बैठकर उपर खसकना शु िकया...वो जहाँ -2 से होकर उपर जाती जा
रही थी, उसकी चूत से िनकल रही चाशनी अपने िनशान पीछे छोड़ती जा रही थी..केशव का पूरा
शरीर उसकी िमठास मे नहा कर मीठा हो गया.
नेहा के मुँह से तेज ं कार सी िनकलने लगी...गम साँ से इतनी तेज़ी से वो बाहर फक रही थी की
केशव के चेहरे तक टकरा रही थी वो...और िफर नेहा ने केशव के बाल पकड़ कर अपनी पकड़
मजबूत करी और उसके मुँह पर िकसी कुशल घुड़सवार की तरहा घुड़सवारी करने लगी...आगे-पीछे
िघ े लगाते ए वो अपनी चूत के होंठों को उसके मोटे और खुरदु रे होंठों पर रगड़ने लगी....
और िफर एक जोरदार तूफान आया नेहा के अंदर....ठीक वैसा ही जैसा अ बल मे आया था, उस
घोड़े के लंड को पकड़कर...ब उससे भी ादा भयंकर...और उसने अपने अंदर का सारा मीठा
और गाड़ा रस केशव के मुँह मे भर िदया...
हलवाई होने के नाते केशव ने एक से बड़कर एक िमठाइयाँ खाई थी...पर ऐसी िमठास उसने आज
तक नही चखी थी...वो लॅप-लॅप करते ए सारी चाशनी पी गया उसकी..
नेहा भी िनढाल सी होकर उसके उपर िगर पड़ी...नेहा का मां सल शरीर केशव को ब त अ ा लग
रहा था...पर वो मन ही मन अपनी नासमझी को भी कोस रहा था, ोंिक उसे पता था की असली
काम जो होना चािहए था वो कर नही पाया...उसका लंड ो इतना दद करने लगा...इसका कोई
इलाज ज ही ढू ँ ढना पड़े गा...
नेहा उठी और उसने अपने कपड़े पहन िलए,केशव को भी उसने जाने के िलए कह िदया, वो अपने
बतन उठा कर चलता बना...
आज के िलए तो नेहा ने अपने आप को शां त कर िलया था...पर ादा िदनों तक वो अपनी चूत की
ास को ऐसे ही नही बुझाना चाहती थी...इसके िलए अब उसको िकसी ना िकसी का लंड चािहए ही
था...िफर वो अब चाहे गंगू का हो या भूरे का...
उसने सोच िलया की पहला मौका िमलते ही वो अपनी ास बुझवाकर ही रहे गी.
***********
अब आगे
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उसने क न को वो पकेट लेकर नेहाल भाई को दे ने के िलए भेज िदया और खुद गंगू को लेकर एक
होटल मे चल िदया...आिख़र उसने आज उसके करोड़ो पए के पेकेट की सही सलामत डे िलवरी
जो ली थी और अपनी जान बचने की खुशी भी थी भूरे को..इसिलए वो अपनी खुशी को सेले ेट करना
चाहता था.
गंगू को लेकर भूरे एक 4 ार होटल मे प ँ चा, जहा वो अ र मज़े लेने के िलए जाया करता
था..गंगू के िलए ये पहला अवसर था िकसी बड़े होटे ल मे जाने का, वो घबरा भी रहा था..और अंदर
ही अंदर उसे नेहा की भी िचंता सता रही थी..पर भूरे ने जब कहा की उसे आज हर तरह की म ी
करवाएगा तो शराब की बोतल और नंगी लड़िकया उसकी आँ खो के सामने नाचने लगी..
पर गंगू की हालत तो वही थी ना, िभखारी वाली..भूरे उसे सीधा होटे ल के अंदर बने ा एं ड मसाज
सटर मे लेकर गया..और वहां के मेनेज़र के हाथ मे नोट पकड़ा कर उसे धीरे से सब समझा िदया..वो
मॅनेजर भी भूरे को जानता था इसिलए उसने चुपचाप वो पैसे जेब मे रखे और गंगू को अपने साथ
अंदर ले गया..वैसे तो उसकी िभखारी वाली हालत दे खकर वो भी अपनी नाक भो िसकोड रहा था,
पर भूरे के बारे मे वो जानता था की वो अंडरव का बंदा है , इसिलए उसको वो मना नही कर
सकता था.
भूरे उसके िलए कुछ नये कपड़े लेने के िलए पास ही बने एक शो म की तरफ चल िदया..और साथ
ही उसने होटल मॅनेजर को बोलकर अपने और गंगू के िलए कुछ िवदे शी ''माल'' का भी इं तज़ाम
करने के िलए कह िदया.
गंगू तो ा के अंदर आते ही वहां की लड़िकयों को दे खकर पागल सा हो गया..इतनी सुंदर-2
लड़िकया थी वहां .. ादातर चींकी टाइप की थी और कुछ मोटी छाितयों वाली नॉथ साइड की भी..
ाहक को दे खकर मु ु राना उनकी ूटी थी...पर ऐसे िभखारी जैसे ाहक को दे खकर सभी एक
दू सरे को ताक रही थी...उनके मॅनेजर ने जब जाकर उ े समझाया की वो िकसके साथ आया है और
उ े िकतने सारे पैसे िमले है तो उनके सामने मना करने का सवाल ही नही था.
उनमे से दो सुंदर सी िदखने वाली लड़िकया गंगू के पास आई और उसे अपने साथ लेकर एक कमरे
मे चली गयी.
गंगू के पेट मे गुदगुदी सी हो रही थी, जो भी हो रहा था उसके िलए िकसी सपने जैसा ही था..
अंदर प ँ चकर उन लड़िकयो ने गंगू को कपड़े उतारने के िलए कहा, उसने कपड़े उतार कर
अलमारी मे टाँ ग िदए..अब उसके शरीर पर िसफ़ एक पुराना सा क ा था ..जो कई जगह से फटा
भी आ था..और लड़िकयो को दे खकर वैसे भी उसका लंड खड़ा हो चुका था पूरा का पूरा..
उसकी श तो वैसे भी िभखा रयो जैसी थी..पर उसके गठीले शरीर और उसके उफनते लंड को
दे खकर वो दोनो लड़िकयो के अंदर कुछ-2 होने लगा..
ाची शायद आसाम की होगी..उसका गोरा रं ग और छोटे -2 मु े बड़े ही गज़ब के लग रहे थे..
गंगू के शरीर पर काफ़ी मैल सी थी..इसिलए उ ोने पहले उसको नहलाने की सोची..उन दोनो
लड़िकयो ने भी अपने कपड़े उतार िदए और वो िसफ़ ा-पटी मे खड़ी थी..उनके िज को दे खकर
उसके लंड का साइज़ पूरे आकार मे आ गया...
ाची ने गंगू के शरीर पर साबुन लगाना शु िकया और िदया ने अपने हाथ मे एक बर लेकर
उसके शरीर को रगड़ना शु कर िदया...गंगू तो अपने आप को आसमान पर उड़ता आ महसूस
कर रहा था...उसने तो सोचा भी नही था की उसके जैसे िभखारी को ऐसे िदन भी दे खने को िमलगे..
ाची ने उसके िसर पर शपू लगाया, और पूरे शरीर को बॉडी वॉश से दोबारा से रगड़ा...
उसको नहलाते -2 वो दोनो भी पूरी तरह से भीग चुकी थी..पर ये तो उनका रोज का काम था..उसी
काम के तो उ े पैसे िमलते थे..
अचानक ाची ने गंगू के क े को पकड़कर नीचे खींच िदया..गंगू ने अपने लंड को छु पाने की कोई
कोिशश नही की पर उसे आ य ज़ र आ की िकतनी बेशम से उसने वो कर िदया...शायद यही
काम होगा इनका रोज का..
उसे अ ी तरह से नहलाने के बाद वो उसे बाहर ले आई...गंगू ने शीशे मे अपना पूरा अ दे खा तो
अपनी सफाई दे खकर वो भी है रान रह गया...पर चेहरे पर घनी दाढ़ी और लंड के चारों तरफ घना
जंगल उसे अभी भी जंगली लुक दे रहा था..
अपने सामने दोनो को एकदम से नंगा दे खकर गंगू के स का बाँ ध टू ट गया और वो एकदम से उठा
और ाची के रसीले बदन से िलपट गया..
गंगू बेचारा एकदम से क गया...वो तो समझ रहा था की पहले उसको नंगा करके और िफर खुद
नंगा होकर वो उसे चुदाई का िनमं ण दे रही ह..पर िफर उ ोने समझाया की वो दोनो िमलकर उसे
ेशल मसाज दे ने वाली ह..और उसके िलए वो िबना कपड़ो के ही अपने क मर के सामने आती
ह..
वो समझ गया, उसे अपनी ग़लती का एहसास आ..वैसे तो वो इस तरह से मानने वालो मे से नही
था, पर उँ चे लोगो की उँ ची बात , ये सोचकर वो कुछ ना बोला और चुपचाप टे बल पर लेट गया.
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अब आगे
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उसने क न को वो पकेट लेकर नेहाल भाई को दे ने के िलए भेज िदया और खुद गंगू को लेकर एक
होटल मे चल िदया...आिख़र उसने आज उसके करोड़ो पए के पेकेट की सही सलामत डे िलवरी
जो ली थी और अपनी जान बचने की खुशी भी थी भूरे को..इसिलए वो अपनी खुशी को सेले ेट करना
चाहता था.
गंगू को लेकर भूरे एक 4 ार होटल मे प ँ चा, जहा वो अ र मज़े लेने के िलए जाया करता
था..गंगू के िलए ये पहला अवसर था िकसी बड़े होटे ल मे जाने का, वो घबरा भी रहा था..और अंदर
ही अंदर उसे नेहा की भी िचंता सता रही थी..पर भूरे ने जब कहा की उसे आज हर तरह की म ी
करवाएगा तो शराब की बोतल और नंगी लड़िकया उसकी आँ खो के सामने नाचने लगी..
पर गंगू की हालत तो वही थी ना, िभखारी वाली..भूरे उसे सीधा होटे ल के अंदर बने ा एं ड मसाज
सटर मे लेकर गया..और वहां के मेनेज़र के हाथ मे नोट पकड़ा कर उसे धीरे से सब समझा िदया..वो
मॅनेजर भी भूरे को जानता था इसिलए उसने चुपचाप वो पैसे जेब मे रखे और गंगू को अपने साथ
अंदर ले गया..वैसे तो उसकी िभखारी वाली हालत दे खकर वो भी अपनी नाक भो िसकोड रहा था,
पर भूरे के बारे मे वो जानता था की वो अंडरव का बंदा है , इसिलए उसको वो मना नही कर
सकता था.
भूरे उसके िलए कुछ नये कपड़े लेने के िलए पास ही बने एक शो म की तरफ चल िदया..और साथ
ही उसने होटल मॅनेजर को बोलकर अपने और गंगू के िलए कुछ िवदे शी ''माल'' का भी इं तज़ाम
करने के िलए कह िदया.
ाहक को दे खकर मु ु राना उनकी ूटी थी...पर ऐसे िभखारी जैसे ाहक को दे खकर सभी एक
दू सरे को ताक रही थी...उनके मॅनेजर ने जब जाकर उ े समझाया की वो िकसके साथ आया है और
उ े िकतने सारे पैसे िमले है तो उनके सामने मना करने का सवाल ही नही था.
उनमे से दो सुंदर सी िदखने वाली लड़िकया गंगू के पास आई और उसे अपने साथ लेकर एक कमरे
मे चली गयी.
गंगू के पेट मे गुदगुदी सी हो रही थी, जो भी हो रहा था उसके िलए िकसी सपने जैसा ही था..
अंदर प ँ चकर उन लड़िकयो ने गंगू को कपड़े उतारने के िलए कहा, उसने कपड़े उतार कर
अलमारी मे टाँ ग िदए..अब उसके शरीर पर िसफ़ एक पुराना सा क ा था ..जो कई जगह से फटा
भी आ था..और लड़िकयो को दे खकर वैसे भी उसका लंड खड़ा हो चुका था पूरा का पूरा..
उसकी श तो वैसे भी िभखा रयो जैसी थी..पर उसके गठीले शरीर और उसके उफनते लंड को
दे खकर वो दोनो लड़िकयो के अंदर कुछ-2 होने लगा..
ाची शायद आसाम की होगी..उसका गोरा रं ग और छोटे -2 मु े बड़े ही गज़ब के लग रहे थे..
गंगू के शरीर पर काफ़ी मैल सी थी..इसिलए उ ोने पहले उसको नहलाने की सोची..उन दोनो
लड़िकयो ने भी अपने कपड़े उतार िदए और वो िसफ़ ा-पटी मे खड़ी थी..उनके िज को दे खकर
उसके लंड का साइज़ पूरे आकार मे आ गया...
ाची ने गंगू के शरीर पर साबुन लगाना शु िकया और िदया ने अपने हाथ मे एक बर लेकर
उसके शरीर को रगड़ना शु कर िदया...गंगू तो अपने आप को आसमान पर उड़ता आ महसूस
कर रहा था...उसने तो सोचा भी नही था की उसके जैसे िभखारी को ऐसे िदन भी दे खने को िमलगे..
ाची ने उसके िसर पर शपू लगाया, और पूरे शरीर को बॉडी वॉश से दोबारा से रगड़ा...
उसको नहलाते -2 वो दोनो भी पूरी तरह से भीग चुकी थी..पर ये तो उनका रोज का काम था..उसी
काम के तो उ े पैसे िमलते थे..
अचानक ाची ने गंगू के क े को पकड़कर नीचे खींच िदया..गंगू ने अपने लंड को छु पाने की कोई
कोिशश नही की पर उसे आ य ज़ र आ की िकतनी बेशम से उसने वो कर िदया...शायद यही
काम होगा इनका रोज का..
उसे अ ी तरह से नहलाने के बाद वो उसे बाहर ले आई...गंगू ने शीशे मे अपना पूरा अ दे खा तो
अपनी सफाई दे खकर वो भी है रान रह गया...पर चेहरे पर घनी दाढ़ी और लंड के चारों तरफ घना
जंगल उसे अभी भी जंगली लुक दे रहा था..
अपने सामने दोनो को एकदम से नंगा दे खकर गंगू के स का बाँ ध टू ट गया और वो एकदम से उठा
और ाची के रसीले बदन से िलपट गया..
गंगू बेचारा एकदम से क गया...वो तो समझ रहा था की पहले उसको नंगा करके और िफर खुद
नंगा होकर वो उसे चुदाई का िनमं ण दे रही ह..पर िफर उ ोने समझाया की वो दोनो िमलकर उसे
ेशल मसाज दे ने वाली ह..और उसके िलए वो िबना कपड़ो के ही अपने क मर के सामने आती
ह..
वो समझ गया, उसे अपनी ग़लती का एहसास आ..वैसे तो वो इस तरह से मानने वालो मे से नही
था, पर उँ चे लोगो की उँ ची बात , ये सोचकर वो कुछ ना बोला और चुपचाप टे बल पर लेट गया.
अलग ही तरह की खु बू
ाची ने अपने हाथ मे एक तेल की बोतल ली, उसमे से
''आआययययययययययययययययीीईईईईईईईईईईईईईईई
.... स ....''
RE: Kamukta Story हवस मारा िभखारी िबचारा - sexstories - 07-17-2018
िदया ने भी एक जोरदार िससकारी मारते ए उसके लंड को एकदम से पकड़ा और ज़ोर से दबा
िलया...गंगू को एकबार तो ऐसा लगा की वो उसे उखाड़ कर अपने घर ही ले जाएगी..उसकी गां ड
अपनी जगह से उपर उठ गयी..और उसका लाभ उठाते ए िदया ने अपने तेल से सने हाथ उसकी
गां ड के नीचे लगा कर वहाँ भी तेल मल िदया.
उपर की तरफ मािलश कर रही ाची भी अब अपने असली रं ग मे आने लगी थी..वो जान बूझकर
अपने मोटे मु े उसके होंठों के उपर लटका रही थी, जैसे कोई दासी अपने राजा को अंगूर खलाती
है , गंगू ने भी बड़े ही राजसी अंदाज मे अपना मुँह खोला और उसकी छाती पर लगे अंगूर को अपने
मुँह के अंदर लेकर ज़ोर से चुभला िदया..
अब गंगू का क ा दोनो के िन पर था..नीचे उसने अपने दोनो पैरों की उं गिलयों के बीच िदया
के िन ल फँसा रखे थे और उपर अपने मुँह के अंदर ाची का और अपने हाथ से उसके दू सरे
िन ल को..
वो एक बार िफर से चीखी : "नही सर ...आप ऐसा नही कर सकते...ये एलाउ नही है ...''
गंगू को ब त गु ा आया...साली ये कैसी लड़िकयाँ है ...उसके सामने पूरी नंगी खड़ी है , उसके
शरीर से खेल रही है , अपने शरीर से खेलने दे रही है , पर चुदाई का टाइम आते ही कहती है की ये
एलाउ नही है ...
ाची बोली : "सॉरी सर ...पर फ़िकंग एलाउ नही है ...बाकी जो भी करना चाहे आप कर सकते
ह...''
भागते भूत की लंगोटी ही सही...ये सोचकर उसने चबर-2 बोल रही ाची के मुँह के अंदर अपना
लंड ठूस कर उसे चुप करा िदया...और िदया को अपने पास बुलाकर उसकी छोटी सी चूत के अंदर
अपनी मोटी उं गली घुसेड दी..
ाची ने आजतक इतने बड़े लंड के दशन नही िकए थे...उसे हडल करना उसके िलए काफ़ी मु ल
हो रहा था..वो सही तरह से उसे अपने मुँह मे भी नही ले पा रही थी..
और दू सरी तरफ अपनी चूत के अंदर गंगू की उं गिलयों की िथरकन से िदया िकसी नतकी की तरह
नाचने लगी...और गंगू के ह े से झटके ने उसके चेहरे को उसके एकदम पास कर िदया...और
अगले ही पल गंगू के खूंखार होंठों ने उस िहरनी के होंठों को अपने मुँह मे दबोचकर उसे चूसना शु
कर िदया...
गंगू के दु गध भरे मुँह से वो पीछा छु ड़वाना चाहती थी, पर उसकी मजबूत पकड़ और अपनी चूत पर
िमल रही मसाज की वजह से वो ऐसा नही कर पाई..और वहीं खड़ी होकर उसका साथ दे ने लगी.
गंगू ने आज तक एक साथ दो-2 लड़िकयो से मज़े नही िलए थे...पर आज उसे ये एहसास हो गया था
की ऐसी अ ाशी का भी अपना ही मज़ा है ..
और उसे ज ही ये एहसास हो गया की उसके अंदर एक तूफान बनने लगा है , उसकी खंच रही
मां सपेिशयो को दे खकर वो दोनो भी समझ गयी की सावन की बा रश कभी भी हो सकती है ..
ाची ने अपने हाथ मे गंगू के लंड को पकड़कर जोरों से िहलाना शु कर िदया, और दोनो ने
अपने-2 मुँह उसके सामने भूखी कुितया की तरह खोल िलए..
और एक तेज गड़गड़ाहट के साथ गंगू लंड का बादल फट गया और उसके बीच से तेज बा रश की
बूंदे िनकलकर उनके चेहरे पर िगरने लगी और वो उसके मीठे रस को अपने -2 मुँह मे कैच करने
की कोिशश करने लगी..
गंगू तब का जब उन दोनो के चेहरे पर अपने सफेद रस की पूरी परत िबछा चुका था वो...बा रश
के साथ-2 ो फाल का एहसास हो रहा था उन दोनो को अब..
वो दोनो गंगू को लेकर िफर से बाथ म मे चली गयी और उसे दोबारा रगड़ -2 कर नहलाया..वैसे तो
कुछ ही दे र मे गंगू का लंड दोबारा खड़ा हो गया, पर उसके बाद भी वो चुदवाने के िलए तैयार नही
ई..
उसको अ ी तरह से नहलाने के बाद वो तीनो बाहर आ गये, और गंगू को वहीं छोड़कर दोनो ने
अपने-2 कपड़े पहने और बाहर िनकल गयी...
पर बेचारा असिलयत नही जानता था..जो ज ही उसके सामने आने वाली थी..
ोंिक भूरे ने एक िवदे शी लड़की का इं तज़ाम करवा िलया था..और दोनो एक ही कमरे मे िमलकर
उसे चोदने वाले थे..
भूरे अपने साथ गंगू के िलए नये कपड़े लेकर आया था...वो उसे दे कर बाहर उसका इं तजार करने
लगा.
जब नये कपड़े पहन कर गंगू बाहर िनकला तो भूरे भी उसको पहचान नही सका..वो काफ़ी अ ा
लग रहा था..
कमी थी तो उसकी घनी दाढ़ी र उसकी लंगड़ाती चाल की...वरना वो िकसी िफ ी हीरो जैसा ही
लगता..
वो उसे लेकर होटे ल के कमरे की तरफ चल िदया...और साथ ही साथ ये भी बता िदया की अब
असली मज़ा लेने की बारी है ...और वो भी एक िवदे शी चूत की..
गंगू सोच रहा था की िकतना अ ा िदन है उसकी िजंदगी का आज..पहली बार उसकी जेब मे बीस
हज़ार पय थे, उसके बाद उसने मु ेथ ख़ान की भी अ ी तरह से बजाई और िफर ा सटर मे
उन दोनो लड़िकयो ने उसे ज त का एहसास िदलाया और अब एक िवदे शी लड़की की चूत भी
िमलेगी..और उससे पहले महं गी शराब भी पीने को िमलेगी
एक तरफ गंगू मज़े ले रहा था और दू सरी तरफ बेचारी नेहा अपने िज की आग मे सुलगकर गंगू का
इं तजार कर रही थी..
गंगू और भूरे एक आलीशान कमरे मे प ँ चे, दो कमरे थे वहाँ , एक मे तो सोफा ,टे बल और बार बनी
ई थी, दू सरे कमरे मे आलीशान बेड और बा नी थी..िजसमे खड़े होकर पूरा शहर िदख रहा था.
गंगू और भूरे सोफे पर बैठ गये..तभी अंदर के कमरे से िनकल कर एक रिशयन लड़की बाहर
आई..उसको दे खकर एक पल के िलए गंगू तो अपनी पलक झपकना भी भूल गया, इतनी गोरी
लड़की, इतने मोटे मु े , सुनहरे बाल, लाल सुख होंठ..टी शट और िमनी ट , टी शट मे से
उसके मु े बाहर िनकलने के िलए जैसे मरे जा रहे थे, उसने अंदर ा भी नही पहनी थी..िजसकी
वजह से उसके दू िधया नों के उपर लगे लाल िन ल साफ़ िदख रहे थे..गंगू तो पागल ए जा रहा
था उसको दे खकर..
गंगू बेचारा ा बोलता, आज तो उसकी िजंदगी का ऐसा िदन था,िजसमे उसको ये पता चला था की
खूबसूरत औरत कैसी होती है ...और अब ये िवदे शी लड़की को दे खकर और ये सोचकर की थोड़ी ही
दे र मे उसकी मारने को िमलेगी, उसका लंड फटा जा रहा था..और भूरे के का वो कोई जवाब भी
नही दे पाया..
भूरे को उसकी हालत दे खकर हँ सी आ गयी..वो बोला : "हा हा ... दे ख ले गंगू, ये होती है असली
िजंदगी...तुझे पता है , मैने इस लड़की की पहले भी दो बार बजाई है ...साली को अँ ेज़ी के िसवा कुछ
समझ नही आता और हमे अँ ेज़ी आती नही...पर चुदाई के मामले मे ये सब बात समझती है ...अब
दे खता जा तू, कैसे मज़े िदलवाता म तुझे..''
भूरे ने उसे पेग बनाने का इशारा िकया...अब उसको अँ ेज़ी तो आती नही थी..इसिलए टू टी फूटी
अँ ेज़ी और इशारों से काम चला रहा था..और कमाल की बात ये थी की वो सब समझ भी रही थी..
भूरे ने उसको िफर से कहा : "नो ..नो ...ऐसे मत दो ....िडप ..िडप ..''
गंगू की समझ मे नही आया की ये ा िडप करने के िलए कह रहा है ..पर वो शायद पहले भी भूरे के
साथ आई थी और वो सब कर चुकी थी, इसिलए उसका अथ वो फ़ौरन समझ गयी...और उसने एक
झटके मे अपनी टी शट उतार फकी..और उपर से नंगी हो गयी..उसके मोटे -2 सफेद खरबूजे दोनो
की वहशी आँ खों के सामने झूल गये..
गंगू तो उसका बेबाकपन दे खकर है रान था...और िफर जो उसने िकया, उसे दे खकर तो गंगू ने अपने
लंड पर हाथ रखकर सहलाना शु कर िदया..
मालिवना ने दोनो पेग उठाए...और थोड़ा झुक कर अपनी चुिचयों को दोनो ास मे िडप करा
िदया...और िफर उन दोनो के सामने प ँ च कर उनके हाथ मे वो ास थमा िदए..