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शव वास वचार

वतमान त थ संया को २ से
गु
णा करके
उसम ५ जोड़

दे
ने
सेजो संया ा त हो उसम ७ से
भाग दे
ने
पर १

शे
ष हा सल हो तो भगवान ी महादे
व जी शव जी

का वास कै
लाश पर २ शे
ष म गौरी माँ
केसाथ,३ शे

म भगवान नं
द जी पर थत होते
ह।

४ पर सभा म,५ -भोजन ६- ड़ा ७ शे


ष यानी शू

म मशान म शव जी का वास होता है


नोट- त थ क गणना शु
लप तपदा से
१ गनती

मानकर करना होता है


शुलप क शववास क तथी

२,९ -माता गौरी के


साथ

५,१२-कै
लाश पर

६,१३-नं
द भगवान के
साथ

कृण प का शववास तथी-

१,८,३०(अमाव या)-माता गौरी के


साथ

४,११-कै
लाश पर

५,१२-भगवान नं
द के
साथ

अ नवास -

शुलप के तपदा से
अभी तथी क संया म १ जोड़कर उसमे
४ से
भाग दे
ने
पर य द १ शे
ष ा त हो

तो अ नदे
व का वास वग म,२ शे
ष ा त हो तो पाताल लोक म,३ या ० शे
ष आगमन हो तो भू
मलोक

म अ नदे
व का नवास होता है

अतः भूम म अ न का वास रहनेपर उस दन कया गया हवन शुभ और सु


खद ,क याणकारी होता है
, वग म रहने
पर होम ाणनाशक, पाताल म रहनेपर होम धं
ननाशक माना जाता है

वशेष- ववाह, तब ध,नवरा , न यपू


जनकम,कुलदेवता पू
जन होम, ी व णुभगवान केन म
होम, हण,शा तकम, पुजनमो सव,उ पात शांत, यु
गा द त थ(सतयुग-का तक शुल नवमी, त
ेा-वै
साख शुल
तृतया, ापर-भा कृण योदशी, क ल-माघ कृण अमाव या), ह शा त,ग डा त म अ नवास का वचार नही
होता।

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