मौखिक निष्ठा

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मु य प ृ ठ आशय चंतन सभ
ु ा षत सं कृत बाल सरु भ सिू तयां वशेष वेब संसाधन
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English (F12)

सद य मेनु मौ खक न ठा सं कृत

पो ट कर सं कृत क यह एक वशेषता है क उसक ाचीन कृ तयाँ सं कृत णा ल

रिज े शन और लेखन ल खत न ह बि क मौ खक परं परा से टक । गेय (प य) मौ खक न ठा


होने से वे समाज म सं कार और सं कृ त के व प म
पा क चंतन उ चार शु
ि थर हुई । च र और आ मद प से कट हुई ये रचनाय
वण-माला
ह द टाइपपॅड ‘ ु त’ (सन
ु ी हुई) कहलायीं ।
मा ा
स पक कर
मौ खक शैल के इस स वशेष थान क वजह से, सं कृत म अनु वार
उ चार शु के नयम का भी याकरणतु य मह व है । वसग
श द क यु पि त से लेकर उसके यि तकरण तक सं ध
सम त या को वै ा नक और स यक् बनाने का वै दक
छ द रचना
ने य न कया, िजससे क सन ु नेवाला वह समजे और उसी
भाव से समजे जो कहनेवाले को अपे त हो । मा क छ द
मा क छ द कार
श द और भाषा क इस गहराई क वजह से, ‘श द’ को भारतीय दशन ने ‘ म’ का थान दया, और व णक छ द
उसके फोट को स का । और भी एक दाश नक स ांत था िजसने मौ खक परं परा को सु ढ व णक छ द कार
बनाया; वह था ‘व तु न ठा का गौण व’ । इ सान को आ म न ठा तक ले जाने का माग भला
कताब के ज़र ये कैसे हाँ सल हो सकता था ? अथात ् उ ह ने इ सान क ु तशि त और
म ृ तशि त को वक सत करे ऐसी मौ खक परं परा को चन
ु ा।

वै दक क ई छा नी तमू य को सं था पत कर यि त और समाज को गत बनाने क थी, और न


क उ च को ट का सा ह य पैदा करने क , जो केवल पं डत क चचाओं तक सी मत रहे ! इस लए
उ ह ने मतृ ले खत प त क जगह पर, जीवंत ऐसी मौ खक प त उठायी िजस म बोलनेवाले के
च र का त बंब हो । बोलने से व ता के मन पर Auto Sugges on का सं कार हो जाता है , और
वण वारा ोताओं पर Mass Appeal भी । मानव पश और वैयि तक आव यकताएँ यान म
लेनेवाल मौ खक परं परा हो तो Mass Media क आव यकता या अपने आप कम न ह हो जाय ?

यहाँ इस बात को भी यान म लेना आव यक है क सं कृत म प य को मख ु ो गत करना भी


अ याव यक समज़ा गया है । यूँ कहो क मख ु पाठ करना सं कृ त क अ यास प त का मह वपण ू
ह सा है । जो मख
ु ो वत होगा वह टके गा और कभी न कभी ात भी होगा ऐसी सं भ ावना है ।

इतनी पवू भू मका के बाद उ चार शु के सवसामा य नयम समज लेते ह । उ चारण के नयम
‘ श ा’ ंथ म पाये जाते ह जो क छे वेदांग म से एक ह । वै दक वा मय के नयम या उ च तर
के शु - नयम इस वेब साइट क भू मका के बाहर है ; अथात ् सामा य सं कृत िज ासु को आव यक
इतने नयम ह यहाँ संक लत कये जाते ह ।

Comments (2) Search

uday677 | Registered | 2013-10-14 13:45:43

स म चनम ।

andriaz0 | Registered | 2014-10-22 21:14:25

बहु समीचीनं भो!

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