Professional Documents
Culture Documents
Health Essentials Hindi PDF
Health Essentials Hindi PDF
आत्मिक पाठ
This manual is for general purposes only. It is not intended as a substitute for the diagnosis, treatment, and
advice of a qualified licensed professional. The authors hereby assume no responsibility for how this material
is used or misused. (यह पुस्तक सिर्फ आि शैक्षिणिक कायों के सिए है । यह रोग पहचान, उपचार और िाईिेंिधारी
पेशेवर की ििाह का स्थान के सिए नहीीं सिखा गया है । इिसिए इिके िेखक इिकी िािग्री के उपयोग या दरु
ु पयोग के
सिए त्िम्िेवार नहीीं होंगे।)
टे स्टटमनीज़, वो. 7, पृ. 62. “हम ऐसी घडी में पहुँच गए हैं जब चचच के प्रतयेक सदटय को चचककत्सा ममशनरी में
योगदान दे ना चाहहए। यह पथ्
ृ वी शारीररक एवं आस्त्मक रोगों के पीडडतों से भरा एक लाज़र (बीमार) घर है । हर
तरफ लोग उन सच्चाईयों की अज्ञानता के कारण नाश हो रहे हैं जो हमें दी गई है । चचच के सदटयों को जागत
ृ होने
की ज़रूरत है , ताकी उन्हें इन सच्चाईयों को बाुँटने की अपनी ज़म्मेदारी का एहसास हो।”
यशायह 60:2. “दे ख पथ्ृ वी पर तो अस्न्ियारा और राज्य राज्य के लोगों पर घोर अन्िकार छाया हआ है ; परन्त तेरे
ऊपर यहोवा उदय होगा, और उसका तेज तझ पर प्रगट होगा।”
ममननटरी ऑफ हीमलंग, पृ.143. “केवल यीश का तरीका ही हमें लोगों तक पहुँचने में सच्ची कामयाबी दे गा। हमारा
उध्दारकर्त्ाच, लोगों से उनके शभचचंतक के रूप में ममलता था। उसने उनके मलए सहानभूनत हदखाई, उनके ज़रूरतों में
सहायता हदया, और उनके ववश्वास को जीत मलया। तब उसने उन्हे बलाया, ‘मेरे पीछे आओ।’”
मर्त्ी 4:23,24. “यीश सारे गलील में कफरता हआ उनके आरािनालयों मे उपदे श करता, और राज्य का ससमाचार
प्रचार करता, और लोगों की हर प्रकार की बीमारी और दबचलता को दरू करता रहा।”
ममननटरी ऑफ हीमलंग, पृ. 19. “अपने कायचकाल में यीश ने प्रचार से ज्यादा समय रोचगयों को चंगा करने में
समवपचत ककया।”
ममननटरी ऑफ हीमलंग, पृ. 20. “हमारे उध्दारकर्त्ाच ने चंगाई के प्रत्येक कायच को मन और आत्मा में पववत्र
मसध्दांतो को समाववषट करने का अवसर बनाया। यही उसके कायच का उध्दे श्य था। उसने संसाररक आशीषें दी, ताकी
वह लोगों के हृदयों को अपने अनग्रह के ससमाचार को ग्रहण करने के मलए इच्छक बना सके।”
लूका 9:1. “कफर उसने बाराहों को बलाकर उन्हें सब दष्टात्माओं और बीमाररयों को दरू करने की सामथ्यच और
अचिकार हदया।”
वे मसर्फच लोगों तक पहुँचने का यीश के तरीके का पालन कर रहे थे।
मरकस 16:15,18. “और उसने उनसे कहा, “तम सारे जगत में जाकर सारी सस्ृ ष्ट के लोगों को ससमाचार प्रचार
करो... साुँपों को उठा लें गे, और यहद वे प्राणनाशक वटत भी पी जाएुँ तौभी उनकी कछ हानन न होगी; वे बीमारों पर
हाथ रखेंगे, और वे चंगे हो जाएुँगे।”
9 टे टटीमनीज़, पृ. 168. “मसीह अब इस पथ्ृ वी पर मनष्य रूप मे नहीं है , की वह शहरों और कटबों और गावों में
घम
ू ें , रोचगयों को चंगा करे ; परं त उसने हमें आज्ञा दी है कक हम उसके द्वारा शरू की गई चचककत्सा ममश्नरी के
कायच को आगे बढाए।”
7 टे टटीमनीज़, पृ. 62. “ हम ऐसी घडी में आ गए है जब चचच के प्रत्येक सदटय को चचककत्सा ममश्नरी कायच में
योगदान दे ना चाहहए।”
7 टे टटीमनीज़, पृ. 62. हर तरफ लोग उन सच्चाईयों की अज्ञानता के कारण नाश है जो हमें दी गई है । । चचच
के सदटयों को जागत
ृ होने की ज़रूरत है , ताकी उन्हें इन सच्चाईयों को बाुँटने की अपनी ज़म्मेदारी का एहसास
हो। स्जनके पास सच्चाई है , उन्हें जगत के मलए ज्योनत का वाहक बनना चाहहए। ऐसी घडी में ज्योनत को
छपाना एक भयानक गलती होगा। परमेश्वर के लोगों के मलए आज का वचन है ; “उठो, चमको; क्योंकक ज्योनत
आ गया है , और परमेश्वर की महहमा तझ से हई है ।”
ममननटरी ऑफ हीमलंग, पृ. 143. “आज भी जगत की ज़रूरत वही है जो उन्नीस सौ साल पहले थी- यीश का
प्रकटीकरण। एक महान सिार कायच की ज़रूरत है , और केवल मसीह के द्वारा ही शारीररक, मानमसक, और
आस्त्मक नवीनीकरण का कायच संपन्न ककया जा सकता है ।”
3. यह प्रथम-पंस्क्त का कायच
मेडिकल ममननटरी, पृ. 239. “चचककत्सा ममश्नरी कायच पीडाओं से मस्क्त पाने के ससमाचार को लोगों तक
पहुँचाता है । यह ससमाचार का अभ्यास है , मसीह के करूणा की प्रकटीकरण। इस कायच की बहत ज़रूरत है और
यह जगत इसके मलए खला है । परमेश्वर की कृपा से चचककत्सा ममश्नरी कायच को समझा जाएगा और नए क्षेत्रों
में तरं त पहुँचा जा सकेगा”।
3 टे टटीमनीज़, पृ. 161. “मझे कफर से हदखाया गया कक टवाटथ्य सिार उस महान कायच का ही हहटसा है जो
लोगों को यीश के दस
ू रे आगमन के मलए तैयार करे गा। यह तीसरे टवगचदत
ू के संदेश से वैसे ही जडा है जैसे
शरीर से हाथ। मनष्यों ने दस आज्ञाओं को हल्के में मलया, परमेश्वर लोगों को दं ि दे ने से पहले चेतावनी ज़रूर
मेडिकल ममननटरी, पृ. 238. “दाहहने हाथ को दरवाज़ा खोलने के मलए इटतेमाल ककया जाता है ताकक शरीर अंदर
जा सके। यही काम चचककत्सा ममश्नरी का है । ऐसी घडी में यह सत्य को ग्रहण करने के मलए राटता तैयार
करता है ।”
7 टे टटीमनीज़, पृ. 80. एक हाथ से उन्हें शाररीररक समटयाओं से राहत के मलए उपचार पहुँचाना है , और दस
ू रे
से पाप के बोझ तले दबे लोगों के मलए ससमाचार। अतः उन्हें सच्चे चचककत्सा ममश्नरी के रूप में काम करना
है ।”
स्वास््य सध
ु ार का सुसमाचार से ररश्ता
काउन्सेल्स ऑन िाईट एंि र्फूि, पृ. 44. “मनष्य को तकलीर्फ दे ने वाले पीडाओं का एक बडे हहटसे का कारण उसकी
गलत आदतें , ऐस्क्छक अज्ञानता, या उसके भले के मलए परमेश्वर द्वारा दी गई आज्ञाओं के संबंि में हदए गए
ज्योनत की अवहे लना है । जीवन के ननयमों के ववरूध्द जीते हए परमेश्वर की महीमा करना असंभव है । यह हृदय,
संभवतः परमेश्वर के साथ ररश्ता नहीं रख पाता है जब वह कामक भूख में मलप्त हो। एक बीमार शरीर और
बेकायदा बस्ध्द, हाननकारक लालसा में लगातार मलप्त होने के कारण, दे ह और आत्मा के पववत्रीकरण को नाममककन
बना दे ता है ।”
9 टे टटीमनीज़, पृ.पृ. 171,172. “कायचकर्त्ाचओं- ससमाचार चचककत्सा ममश्नररयों- की ज़रूरत है ।आप तैयारी में सालों
नहीं लगा सकते। जल्द ही वे दरवाज़े जो सत्य के मलए खले हैं, सदा के मलए बंद हो जाएुँगे। संदेश को अभी
फैलाईये। इंतज़ार मत कीस्जए, वरना दश्मन उन क्षेत्रों को कब्जे में ले लेगा जो खले हए हैं। छोटे कम्पननयों को
कायच में आगे बढने दीस्जए जैसे मसीह ने अपने चेलों को बढने हदया। उन्हें ससमाचारकों के तरह कायच करने
दीस्जए, ताकक वे हमारे साहहत्य को बाटें और स्जससे भी वे ममले, सत्य के बारे बताए। उन्हें रोचगयों के मलए प्राथचना
करने दीस्जए ताकक वे उनके ज़रूरतों में मदद, दवाईयों से नहीं बस्ल्क प्रकृनतक उपचारों से करे , और दबारा टवटथ
होने और बीमाररयों से बचने के उपाय बताएुँ।”
द ममननटरी ऑफ हीमलंग, पृ. 148,149. “मसीह का कलीमसया सेवा के मलए आयोस्जत ककया गया है । इसका
सांकेनतक शब्द ही ‘सहायता दे ना’ है ...परमेश्वर की सेवा की एकरसता को तोडने की ज़रूरत है । कलीमसया के प्रत्येक
सदटय को टवामी के सेवा में ककसी न ककसी तरह से जडना चाहहए। कछ लोग दस
ू रों के स्जतना नहीं कर पाते हैं,
परं त सभी को रोग और दःख, जो पथ्
ृ वी मों फैल गया है , कम करने के मलए अपना सवचश्रेष्ठ दे ना चाहहए। बहत से
टवाटथ्य ववद्यालय, पाक कला ववद्यालय, और अनेक कक्षाएुँ होनी चाहहए जो मसीही मदद कायच के मलए ज़रूरी
है । यहाुँ मसफच अध्यापन ही नहीं बस्ल्क अनभवी प्रमशक्षकों के दे ख रे ख में वाटताववक कायच होना चाहहए। मशक्षकों को
लोगों के बीच काम करने में अगवाई और दस
ू रों को उन्के साथ ममलकर उनके उदाहरणों से सीखना चाहहए। एक
उदाहरण अनेक उपदे शों से अचिक मल्यवान है ।”
दर्यन- मानवता की ज़रूरतों को पूरा करने के द्वारा परमेश्वर के प्रेम को बाुँटने के मलए उसके लोगों का वैस्श्वक
आुँदोलन को दे खना।
इयतहास- अचिक से अचिक ले-सदटयों को पूरे ववश्व में टवाटथ्य एवं उध्दार की अद्भत संदेश को बाुँटने के मलए
सकियता से काम करते दे खने की सबकी इच्छा के मताबबक लाईट का टथापना ककया गया। यह समझते हए कक
बहत सारे लोग काम करने लगें गे यहद उन्हें शरूआत करना मसखा हदया जाए, हम जानते थे कक सबसे अहम
ज़रूरत यह है कक सभों को छोटे प्रमशक्षण पाठ्क्िम उप्लब्ि कराए जाएुँ। 2005 में पस्श्चमी यूरोप एवं मध्य एमशया
के दे शों में दो पाईलट प्रोग्रामों का फील्ि परीक्षण यह दे खने के मलए ककया गया कक इसका पररणाम क्या होगा। इन
दोनों प्रोग्रामों की सफलता ने हमें इस तरह के सेवाओं को बेहतर तरीके से संगहठत करने के मलए प्रोत्साहहत ककया
है । आउटपोटट सेंटसच इंटरनेश्नल, एएसआई, और वाइिवि लाइफ सेंटर एवं ह़ॉस्टपटल के ववमभन्न सेवकाई के अगवों
के प्रोत्साहन से लाईट का बेहतर अविारणा का ववकास एवं नमांकरणन हआ है । 2008 में लाईट को एएसआई (दे खें
www.asiministries.org) के औपचाररक सदटय संटथान के रूप में अपना मलया गया। तब से लाईट ने 85 दे शों के
40 प्रमशक्षण ववद्यलयों की मदद से 15,000 ले-सदटयों को प्रमशक्षक्षत ककया है ।
िक्ष्य
छोटे पाठ्क्यिमों, कायचशाला एवं ऑनलाइन पाठों से परू े ववश्व के सदटयों को टवाटथ्य ससमाचार का गणवता पण
ू च
प्रमशक्षण दे ना।
हमारे सनातकों को समदानयक टवाटथ्य आउटरीच कायचिमों, टवाटथ्य ससमाचार प्रमशक्षण ववद्यालयों,
शहर के केंद्रों और गाुँवों के जीवनशैली केंद्रों में टथावपत होने में मदद करना
अनेक भाषाओं में टवाटथ्य ससमाचार प्रमशक्षण के गणवतापूणच सामग्रीयों का ववकास करना
टवाटश्य सेवाओं का एक वैस्श्वक समह बनाना
ववचध
हम एक या एक से अचिक छोटे प्रमशक्षक्षण पाठ्क्यिम पेश कर नए क्षेत्रों मे प्रवेश करते हैं। ये छोटे पाठ्क्यिम
टथाननय चचच सदटयों एवं क़ॉन्रेंसों को हमारी योजना और चचककत्सा ममशनरी कायच से अवगत कराएगी। छोटे
प्रमशक्षण ववद्यालयों के द्वारा हज़ारों को टवाटथय ससमाचार के मसद्िान्तों- टवाटथय मशक्षा एवं ससमाचार कायच
का मेल, प्राप्त करने का मौका ममलेगा। रोज़ाना के अध्यातममक पाठों के साथ ववद्याथी टवटथ जीवन, आम
बबमाररयाुँ, प्रकृनतक उपचार एवं सामदानयक टवाटथय ससमाचार के मसध्दांत सीखेंगे। यह पहला कदम अनेक
समवपचत हृदयों से जडेगा जो परमेश्वर के अंनतम कायच में योगदान दे ना चाहते हैं।
चरण 2- आदर्य
जैसे की हम ले-सदटयों को “ज़रूरी” प्रमशक्षण के द्वारा प्रेररत करते हैं, हम ऐसे भावी अगवों और समवपचत
ममशनररयों की खोज करते हैं स्जन्हें चचककत्सा ममशनरी कायच के प्रभाव को फैलाने की इच्छा हो। इन ममशनररयों के
ले हम आपना लंबा पाठ्क्यिम शरू करते हैं, समान्यतः छः महीनों का, स्जसमें उन्हें टवाटथ्य ससमाचार में
“आदशच” प्रमशक्षण हदया जाता है , यानी हमारा टवाटथ्य ससमाचार सटीफीकट पाठ्क्यिम। इस पाठ्क्यिम में ववद्याथी
न मसफच रोचगयों को चंगा करने की परमेश्वर की ववचियों को समझते हैं बस्ल्क उन्हें ससमाचार के सत्यों को बाुँटने
के मलए भी तैयार होते हैं। रोकथाम जीवनशैली मशक्षा, प्रकृनतक उपचार, बाइबल, भववष्यवाणी की आत्मा, और
परमेश्वर की चंगाई के अन्य पहलओ के बारे भी मसखाया जाता है । यह पाठ्क्यिम चंगाई, मशक्षा और टवाटथ्य केंद्रों
की टथापना के मलए ज़रूरी नीव िालता है ।
चरण 3 योजना
लाईट का मल
ू लक्ष्य हमारे टनातकों के साथ काम कर उन्हें प्रमशक्षण एवं चंगाई के टथायी केंद्रों में टथावपत करना
है । हम उन सनातकों के साथ काम करते हैं स्जन्होंने खद को परमेश्वर के मलए वर्फादार साबबत ककया है , सेवकाई
में दक्ष और स्जनके साथ काम करना आसान हो। लाईट सेवकाई के मलए सही तरह के संटथान टथावपत करने में
मागचदशचन करे गा और ग्रामीण इलाके में टथान ढूढने में मदद करे गा। हम उम्मीद करते हैं कक इन सभी सेवकाईयों
में हम छः माह का अववरूध्द टवाटथ्य ससमाचार पाठ्क्यिम चलाएुँ और व्यापार टथावपत करें जो इस योजना के
मलए और ववद्याचथचयों के मलए आचथचक मदद एवं प्रमशक्षण अभ्यास कायच के मलए मदद करे । कृवष एवं टवटथ आहार
के व्यापार हमारे प्रमख व्यापार हैं। इन यवा योजनाओं की सहायता के मलए, खास कर इनके ववकास के शरूआती
वषों में , लाईट हर वह काम करे गा जो वह कर सकता है । लाईट का सहायता पाठ्क्यिम, सलाह, नेतत्ृ व प्रमशक्षण,
आचथचक मदद के मलए उपाय, लाईट ममशनररयों का चयन एवं पदोन्नती ताकक योजनाओं को मदद ममले ।
अध्याय 2- ददर्ायनदे र्
इवें जमलज़्म, पृ. 190. “हमारे पापों के प्रायस्श्चत के रूप में मसीह का बमलदान ही वह महान सत्य है स्जसके चारों
ओर बाकी सारे सत्य एकत्र ते हैं। सही समझ और उसकी सराहना के मलए परमेश्वर के वचन के प्रत्येक सत्य,
उत्पवर्त् से प्रकामशतवाक्य तक का अध्ययन कलवरी के िस से ननकलती रोशनी में की जानी चाहहए, और
उध्दारकर्त्ाच के प्रायस्श्चत के उस अद्भत केंहद्रय सत्य से जोडकर दे खना चाहहए।”
यूहन्ना 6:45, “भववष्यव्दक्ताओं के लेखों में यह मलखा है : ‘वे सब परमेश्वर की ओर से मसखाए हए होंगे।’ स्जस
ककसी ने वपता से सना और सीखा है , वह मेरे पास आता है ।”
काउन्सेल्स टू पेरेंट्स, टीचसच, एंि टटूिेंट्स, पृ. 447. “परमेश्वर की इच्छा को समझना ही सारी मशक्षा का पहला
महान पाठ है ...मशक्षा में भ्रम इसमलए आया है क्योंकक परमेश्वर के बस्ध्द और ज्ञान की महीमा नहीं हई।”
काउन्सेल्स टू पेरेंट्स, टीचसच, एंि टटूिेंट्स, पृ. 423. “मनष्य की बातें , यहद उन्में कोई मूल्य हो, तो उनसे परमेश्वर
के वचन गंजते हैं।”
6 टे टटीमनीज़, पृ. 131. “अन्य पटतकों से अचिक, हमें परमेश्वर के वचन का अध्ययन करना है , वह सबसे महान
पटतक है , सारी मशक्षा की नींव...हमारे पराने आदतें चाहे जो भी हों।”
ममननटरी ऑफ हीमलंग, पृ. 453 “जीवन भर की मशक्षा और प्रमशक्षण को अकसर त्यागना पडता है , ताकी वह मसीह
के ववद्यालय में ववद्याशी बन सके।”
एजकेशन, पृ. 296. “मशक्षा का मूल तत्व ‘कछ बेहतर’ है , यह सच्चे जीवन का ननयम है । मसीह हमें स्जन चीजों
को त्यागने को कहता है , उसके बदले वह हमें कछ बेहतर दे ता है ।”
एजकेशन, पृ. 77. “यीश ने मशक्षा के पववत्र योजना का पालन ककया। अपने समय के ववद्यालयों को, जो छोटी
चीजों को बडी और बडी चीजों को कम आंकती थी, नहीं चाहा। उसने मशक्षा प्रास्प्त सीिे टवगच द्वारा ननिाचररत स्रोतों
से; उपयोगी कामों से, पववत्रशाटत्र और प्रकृनत के अध्ययन से, और जीवन के अनभवों -परमेश्वर की पाठ्क्य पटतकें
हैं, उन सभी के मलए ननदे शों से पररपूणच जो, इच्छक हाथ, खोजी आुँखे, और समझने के मलए तैयार मन ले कर
आए।”
5 टे टटीमनीज़, पृ. 214. “यीश ही वह सच्चा टवरूप है । सभी को अभी पूरी नम्रता से, बच्चों के सीखने वाले हृदय
के साथ, घटनों के बल, खद से बाइबल को जाुँचना चाहहए, जो यह जानना चाहता है कक परमेश्वर उससे क्या
चाहता है ”।
सारणी
एजकेशन, पृ. 205. “खाने और सोने के समय की ननयममतता की अहममत को नज़रअंदाज़ नहीं करना चाहहए।”
ममननटरी ऑर्फ हीमलंग, पृ. 208. “यहद प्रत्येक वक्त का सही उपयोग होता, तो हमारे पास अपने मलए और जगत
के मलए सारे ज़रूरी काम करने के मलए वक्त होता।”
ममननटरी ऑर्फ हीमलंग, पृ. 456. “हमें हज़ारो अनचाहे बातों से दरू रहना चाहहए जो हमारा ध्यान भटकाती है ।”
िोजन
काउन्सेल्स ऑन हे ल्थ, पृ. 67. “खाने और पीने की गलत आदतें ववचारों और कायों को प्रभाववत करते है । ”
ममननटरी ऑर्फ हीमलंग, पृ. 296. “अनाज, फल, बदाम, और सस्ब्जयां हमारे सस्ृ ष्टकताच के द्वारा हमारे मलए चने गए
आहार हैं...”
नींद
7 टे स्टटमनीज़ र्फ़ॉर द चचच, भो. 7, पृ. 247. “नींद और आराम का सही समय और भरपूर कसरत शरीर और
हदमाग के टवाटथ्य के मलए आवश्यक है ।”
काउन्सेल्स टू पेरेन्ट्स, टीचसच, एंि टटूिेन्ट्स, पृ. 297. “सोने के समय की ननयममतता के ननयंत्रण के मलए, कोई भी
बेतरतीब काम नहीं करना चाहहए। ववद्याचथचयों को मध्य राबत्र का तेल जलाकर, हदन में सोने का आदत नहीं िालना
चाहहए। यहद उन्हें घर पर ऐसा करने की आदत पड गई हो, तो उन्हें इसे सिारना चाहहए, और समय पर सोना
चाहहए। हमारे ववद्यालयों में साढे नौ बजे के बाद बवर्त्याुँ बझ जानी चाहहए।”
वस्र
चुँकू क उचचत पहनावा पढने के महौल के मलए ज़रूरी है , हम हमारे ववद्याथों से आग्रह करते हैं कक वे उचचत और
शालीन कपडे जो पौलस के चेतावनी के अनसार, “संकोच और संयम के साथ सहावने वटत्रों से संवारे ; न कक बाल
गुँथ
ू ने और सोने और मोनतयों और बहमोल कपडों से”- 1 तीमचथयस 2:9
पहनावा और ग्रमू मंग संयममत और साफ-सथरा होना चाहहए। समास्जक आउटरीच में भाग लेते वक्त हदखने की
अपेक्षा की जाती है ।
व्यवटथा को बनाए रखने के मलए, कक्षा में कछ कहने से पहले, या मशक्षक से कछ पूछने से पहले, कृप्या हाथ
उठाएुँ। कहे जा रही बातों से असमथच होने पर भी आदर करें ।
पैरीयाक्सच एंि प्रोर्फेट्स, पृ. 595. “मशक्षा का असल उध्दे श्य परमेश्वर के टवरूप को पनःटथावपत करना है ।”
एजकेशन, पृ. 263. “प्रत्येक घर, ववद्यालय, अमभभावक, मशक्षक, और बच्चे स्जसपर ससमाचार की रोशनी पडी हो,
ऐसी कहठन घडी में उनके पास वही सवाल उत्पन्न होता है जो एटथेर रानी से इस्राएल के उस ऐनतहामसक ममसबत
की घडी में ककया गया था, ‘क्या जाने तझे ऐसे कहठन समय के मलए राजपद ममल गया हो’?”
ममननटरी ऑफ हीमलंग, पृ. 402. “ज्ञान का उपयोग ही मशक्षा का मल्य ननिाचररत करता है । पढने में एक लंबा समय
लगा दे ना, उसे बाुँटने की कोमशश ककये बगैर, सच्ची ववकास में मदद करने के बजाय अकसर रूकावट बन जाती
है ।”
अधयाय 1- स्वास््य और पन
ु ःननर्ााण के सिए परर्ेश्वर की योजना
परर्ेश्वर की र्ि
ू योजना
यशायाह 43:7. “हर एक को जो मेरा कहलाता है , जजसको मैनें अपनी महहमा के ललए सज
ृ ा, जजसको मैनें
रचा और बनाया है ।”
एजूकेशन, पृ. 15. “जब आदम सजृ टिकर्त्ाा के हाथों से बनाया गया, उसकी शारीररक, मानलसक और आजममक
स्वभाव उसके सजृ टिकर्त्ाा के जैसा था। “परमेश्वर नें मनुटय की रचना अपने स्वरुप में की”(उमपतत 1:27),
और उसका उध्दे श्य था कक मनुटय जजतना अधिक जीएगा वह इस स्वरुप को उतना अधिक पूर्त
ा ा से
दशााएगा- पर्
ू ता ा से सजृ टिकर्त्ाा की महहमा को प्रततबबजबबत करे गा।”
ररव्यु एंड हे रल्ड, फरवरी 11, 1902 पारा. 1. “समूचे स्वगा ने पथ्ृ वी और मनुटय की रचना में गहरी एवं
आनंदपूर्ा हदलचस्पी हदखाई। मनुटय एक नया और ववलशटि प्रजाती था। वह “परमेश्वर के स्वरुप” में
बनाया गया था और यह परमेश्वर की योजना थी कक वे परू े पथ्
ृ वी में भर जाएँ। उन्हें स्वगा से गहरे
समन्वय में रहना था, सारी शजततयों के स्रोत से शजतत ग्रहर् करते हुए। परमेश्वर के अनुग्रह से, उन्हें
तनटपाप जीवन जीना था।”
उमपतत 1:31. “तब परमेश्वर नें जो कुछ बनाया था सब को दे खा, तो तया दे खा, कक वह बहुत ही अच्छा है ।
तथा साँझ हुई कफर भोर हुआ। इस प्रकार छठवाँ हदन हो गया।”
मनुटय जब सजृ टिकर्त्ाा के हाथों रचा गया था, वह तनदोष था- शाप के कलंक के बबना। वह कभी बबमार नहीं
होता था, न ही ददा महसस
ू करता था, और बढ
ु ापे और ममृ यु की उसे कोई जानकारी नहीं थी। जब पाप
आया, चीजें बुरी तरह से बदलीं- आजममक, मानलसक और शारीररक रूप से।
पाप का पररणार्
शाप- उमपवर्त् 3:16-18. “कफर स्री से उसने कहा, मै तेरी पीडा और तेरे गभावती होने के दुःु ख को बहुत
बढाऊँगा; तू पीडडत हो कर बालक उमपन करे गी...और आदम से उसने कहा...भलू म तेरे कारर् शावपत है । तू
उसकी उपज दुःु ख के साथ खाया करे गा;...और वह तेरे ललए कँिे और ऊँिकिारे उगाएगी।”
परर्ेश्वर का स्वरूप ्वू षत हुआ- “पाप के द्वारा पववर स्वरूप दवू षत हुआ, बुरी तरह से ववरूवपत हो गया।
मनटु य की शारीररक क्षमताएँ कमजोर हो गई, हदमागी क्षमता घि गई, उसकी आजममक दृजटि िंुिला गई।
वह ममृ यु के अिीन हो गया।” एजूकेशन, पृ. 15.
परमेश्वर परू े हक से मनटु यों को ववद्रोह के तरु ं त बाद नाश कर सकता था, परं तु उसका प्यार इतना ज़्यादा
था कक उसने हमारे उध्दार के ललए खुद को कुबाान कर हदया। हलाँकक, वह हमारा उध्दार लसर्फा आजममक रूप
से ही नहीं बजल्क शारीररक, मानलसक और भावनातमक रूप से भी करना चाहता है ।
यूहन्ना 10:10. “चोर ककसी और काम के ललए नहीं परन्तु केवल चोरी करने और घात करने और नटि
करने को आता है , मै इसललए आया कक ले जीवन पाएँ, और बहुतायत से पाएँ।”
3 यूहन्ना 2. “हे वप्रय, मेरी यह प्राथाना है कक जैसे तू आजममक उन्नतत कर रहा है , वैसे ही तू सब बातों में
उन्नतत करे और भला चंगा रहे ।”
1 धथस्सलुनीककयों 5:23. “शांतत का परमेश्वर आप ही तुबहें पूरी रीतत से पववर करे ; और तुबहरी आममा
और प्रार् और दे ह हमारे प्रभु यीशु मसीह के आने तक पूरे पूरे और तनदोष सुरक्षक्षत रहें ।”
ररफ़्लेकहिंग क्राईस्ि, पृ. 137. “चँकू क मन और आममा की अलभव्यजतत शरीर के द्वारा होती है , दोनों,
मानलसक और आजममक प्रबलता बहुत हद तक शारीररक ताकत और गततववधियों पर तनभार होती है ; जो भी
चीजें शारीररक स्वास्थय को बढावा दे ती है , वह मजबूत मन और संतुललत चररर को भी बढावा दे ती है ।
स्वस्थ रहे बबना, कोई भी, अपने प्रतत, लोगों के प्रतत या सजृ टिकर्त्ाा के प्रतत अपने दातयमवों को पूरी तरह से
न तो समझ सकता है न तनभा सकता है ।”
माई लाईफ िुडे, पृ. 141. “स्वास्थय के तनयमों का आप जजतना बेहतर पालन करें गे, उतने ही बेहतर तरीके
से आप लालच को पहचान पाएँगे, और उस पर काबू पाएँगे, और अनंत चीजों को साफ साफ पहचान
पाएँगे।”
लमतनस्री ऑर्फ हीललंग, पृ. 130. “शरीर ही वह अकेला माध्यम है जजसके द्वारा मन और आममा का ववकास
चररर तनमाार् के ललए होता है ।”
प्रकालशतवातय 21:4. “वह उनकी आँखों से सब आँसू पोंछ डालेगा; और इसके बाद ममृ यु न रहे गी, और न
शोक, न ववलाप, न पीडा रहे गी; पहली बातें जाती रहीं। ”
यशायाह 65:17. “तयोंकक दे खो, मै नया आकाश और नई पथ्ृ वी उमपन्न करता हूँ; और पहली बातें स्मरर् न
रहें गी और सोच ववचार में भी न आएँगी।”
एजूकेशन, पृ. 15. “मनुटय नें सजृ टिकर्त्ाा के स्वरूप को बहाल करने के ललए, उसे उस सबपर्
ू ता ा में लाने के
ललए जजसमें वह बनाया गया था, शरीर, मन, और आममा के ववकास को बढावा दे ने के ललए, ताकक उसके
सजृ टि का पववर उध्दे श्य जाना जाए- उध्दार का यही काम था।”
रोलमयों 12:1. “इसललए हे भाइयों मै तुम से परमेश्वर की दया स्मरर् हदलाकर ववनती करता हूँ कक अपने
शरीरों को जीववत, और पववर, और परमेश्वर को भाता हुआ बललदान करके चढाओ। यही तुबहारी आजममक
सेवा है ।”
1 कुररनधथयों 10:31. “इसललए तुम चाहे खाओ, चाहे पीयो, चाहे जो कुछ करो, सब कुछ परमेश्वर की
महहमा के ललए करो।”
1 कुररनधथयों 6:20. “तया तुम नहीं जानते कक तुबहारी दे ह पववर आममा का मजन्दर है , जो तुम में बसा
20
हुआ है और तुबहें परमेश्वर की ओर से लमला है ; और तुम अपने नहीं हो? तयोंकक दाम दे कर मोल ललए
गए हो, इसललए अपनी दे ह के द्वारा परनेश्वर की महहमा करो।”
काउन्सेल्स ऑन डाईि एंड र्फूड, पृ. 21. “परमेश्वर चाहता है कक हमारा दे ह उसके ललए एक जीवत बललदान
हो, न की मत
ृ या मरता हुआ बललदान। जो दान प्रचीन इब्री दे ते थे, उन्हें दोषमुतत होना चाहहए था, और
तया परमेश्वर को रोग और भ्रटिाचार से पूर्ा मानव दान ग्रहर् करने में आनंद होगा ? वह कहता है कक
हमारा दे ह पववर आममा का मजन्दर है ; ताकक यह उसके आममा के ललए उप्युतत तनवास स्थान हो। पौलुस
हमें चेतावनी दे ता है : “और तम
ु अपने नहीं हो; तयोंकक दाम दे कर मोल ललए गए हो, इसललए अपनी दे ह के
द्वारा परनेश्वर की महहमा करो।” सभी को अपने दे ह को स्वस्थ बनाए रखने के ललए बहुत साविानी
बरतना चाहहए, ताकक वे परमेश्वर को सबपूर्ा सेवा दे सके, और अपने पररवार और समाज के प्रतत अपने
जजबमेदाररयों को तनभा सके।”--कक्रश्च्यन िे बपरें स एंड बाइबल हाईजीन. पृ. 52,53.
हम जानते हैं कक ब्रह्माण्ड को संचाललत करने वाले कुछ मूल तनयम हैं (गुरूमवाकषार्, गतत, आहद)। हमारे शरीर
अथवा स्वास्थ को संचाललत करने वाले भी कुछ तनयम हैं।
ररव्यु एंड हे रल्ड, अप्रैल 2, 1914. “मुझे हदखाया गया है कक बहुत सारी पीडाओं से बचा जा सकता है यहद
सब लोग रोगों से दरू रहने की कोलशश करें गे, स्वास्थय तनयमों का कडाई से पालन करें गे...बहुतों ने यह
अपेक्षा ककया कक परमेश्वर उन्हें बबमाररयों से लसफा इसललए बचाएगा तयोंकक उन्होंने उससे ऐसा करने की
ववनती है । परन्तु परमेश्वर वें उनकी ववनती को नहीं स्वीकारा तयोंकक उनका ववश्वास काम द्वारा लसध्द
नहीं ककया गया। परमेश्वर उनके ललए कोई चममकार नहीं करे गा जो स्वास्थय तनयमों का लगातार उल्लंघन
करते हैं और बबमाररयों से बचने की कोलशश नहीं करते हैं। जब हम स्वस्थ रहने के ललए वे सारी चीजें
करते हैं जो हम कर सकते हैं, तब हम आशीष की उबमीद कर सकते हैं, और हम ववश्वास से, परमेश्वर से,
स्वस्थ रहने की हमारी कोलशशों को आशीष दे ने की दआ
ु कर सकते हैं। तब वह हमें प्राथाना का उर्त्र दे गा,
यहद इससे उसके नाम की महहमा हो। परं तु हम सब को यह समझना है कक उन्हें एक काम करना है ।
परमेश्वर उन लोगों को स्वस्थ रखने के ललए चममकार नहीं करे गा जो स्वास्थय तनयमों के प्रतत लापरवाही
के द्वारा बबमार होने का सतु नजश्चत तरीका अपनाते हैं।”
रोगों के उपचार
स्वास्थय के तनयम न लसर्फा हमारे सेहत को सलामत रखते और रोगों से बचाते हैं परं तु वे चंगा होने के ललए
प्रभावशाली इलाज है ।
श्रेष्ठ भोजन
ख) हर्ारा िजृ ष्टकर्त्ाा परवाह करता है - यीशु हम से अमयंत प्रेम करता है और हमारे दे ह को हम से भी
बेहतर जानता है । बाइबल और एलेन जी. व्हाईि के लेखों के द्वारा, हमारे आहार के ववषय उसने स्पटि
तनदे श हदया है ।
3. बाढ उपरांत आहार- शुध्द मांस खाने की इजाजत (उमपवर्त् 9:3;7:2; लैव्यव्यवस्था 11 और
व्यवस्थावववरर् 14 में भेद बताया गया है )
*याद रखें, इस आहार में लहु और चबी मना था (उमपवर्त् 9:4; लैव्यव्यवस्था 3:17;7:23)
5. नई पथ्
ृ वी का आहार- (यशायाह 65:21,25)
नोट: तया परमेश्वर हमें सादे भोजन की तरफ वापस लाना चाहता है जजसमें ककसी भी जानवर का जान न
जाए?
काउन्सेल्स ऑन डाईि एंड र्फूड्स, पृ. 81,82. “अनाज, फल, बदाम, और सजजजयाँ परमेश्वर द्वारा हमारे
ललए चुने गए आहार में शालमल हैं... ये ताकत, सहनशजतत, और बुजध्द बढाते हैं जो दस
ू रे जहिल और
उर्त्ेजक आहार द्वारा प्राप्त नहीं ककए जा सकते हैं...ववलभन्न जडों का भी इस्तेमाल होगा।”
क) िा्गी- “यहद कभी ऐसा वतत आया हो जब भोजन का सादा होना सबसे जरूरी हो, तो वह अभी है । ” 2
िे जस्िमनीज, पृ. 352.
ख) हर्ारे पररजस्िनत के योग्य होना चाहहए- “हमारा भोजन मौसम, जलवायु, जजसमें हम रहते हैं, और हमारे पेशे
के अनुरूप होना चाहहए। कुछ भोजन जो एक ऋतु के ललए उपयुतत हैं, दस
ू रे ऋतु के ललए नहीं हैं। इसी
तरह अलग अलग भोजन अलग अलग पेशा के लोगों के ललए होता है । अतसर वह भोजन जो कहठन
शारीररक पररश्रम करने वाले लोगों के ललए लाभकारी है , वह उन लोगों के ललए उप्युतत नहीं स्थानबध्द या
अधिक बौजध्दक काया करते हैं। परमेश्वर नें हमें बहुत सारे स्वास्थ विाक आहार हदए हैं, और प्रमयेक मनुटय
ग) पयााप्तता, ववववर्ता, और स्वा्- “जब मांस-आहार को मयाग हदया जाता है , तो उसके जगह ववलभन्न
अनाज, बदाम, सजजजयों, और फलों को शालमल करना चाहहए जो पोषक और स्वाहदटि दोनों हो। खास कर
यह उनके ललए जरूरी है जो हैं या लगातार काम करते हैं।” लमतनस्री ऑफ हीललंग, पृ. 316
घ) आहार र्ें अचानक ब्िाव नह ं- “कुछ दे शों में , जहाँ बहुत गरीबी है , मांस सबसे सस्ता भोजन है । इन
हालातों में बहुत कहठनाईयों के साथ बदलाव लाया जा सकता है , परं तु यह असंभव नहीं है । हमें लोगों की
पररजस्थयों को और जीवनभर के आदतों के ताकत को ध्यान में रखना होगा, और हमें यह भी ध्यान में
रखना होगा कक हम सही मल्
ू यों को अनधु चत पररजस्थयों में न दें । ककसी को भी अचानक बदलाव के ललए
अनरु ोि न करें । मांस के स्थान पर सस्ते और पौजटिक आहार का आपतू ता होना चाहहए। यह पकानेवाले पर
भी तनभार करता है । साविानीपूवक
ा और कुशलता से, ऐसे व्यंजन तैयार ककए जा सकते हैं जो पौजटिक और
स्वाहदटि हो, और काफी हद तक, मांस आहार का स्थान ले सके।” लमतनस्री ऑफ हीललंग, पृ. 316.
हे ल्थर्फुल ललववंग, पृ. 161. “हर वह चीज जो पेि में जाता है और लहु में तबदील हो जाता है , प्रार्ी का हहस्सा
बन जाता है ।”
बिवर्ाक व्यायार्
2
बरु े खान पान के साथ, व्यायाम की कमी भी बबमाररयों और अक्षमताओं का मख्
ु य कारर् है । परमेश्वर की
मल
ू योजना यह थी कक हम घर के बाहर सकक्रय जीवन का लफ्
ु त उठाएँ।
उमपवर्त् 2:15. “तब यहोवा परमेश्वर नें आदम को ले कर आदन की वाहिका में रख हदया, कक वह उसमें
काम करे और उसकी रक्षा करे ।”
क्रिया, हर्ारे जीवन का ननयर्- “कक्रया हमारे जीवन का तनयम है । शरीर के प्रमयेक अंग का अपना काया है ,
जजसपर उसका ताकत और ववकास तनभार करता है । सभी अंगों का सामान्य कक्रया बल और ताकत दे ता है ,
जबकक इस्तेमाल नहीं करने की प्रवतृ त ममृ यु और सडन के तरफ होती है ।”
काउन्सेल्स ऑन िे बप्रेन्स एंड बाइबल हाईजीन, पृ. 96. “लाभकारी पररश्रम मनुटय के शारीररक, मानलसक
और नैततक उमथान के ललए अतनवाया है ।”
2 िे जस्िमनीज, पृ. 530. “उल्लास के साथ, खुली हवा में र्फुतीला व्यायाम (परं तु अमयंत तीव्र नहीं),
रततसंचार बढाता है , जो मवचा में आभा लाती है , और स्वच्छ वायु के द्वारा सकक्रय हो कर सारे शरीर में
पहुँचती है ।”
हे ल्थफुल ललववंग, पृ. 133. “रोगी पेि को व्यायाम के द्वारा आराम लमलेगा...पाचन, और दे ह और हदमाग
को स्वस्थ रखने के ललए व्यायाम जरूरी है ।”
ववद्याचिायों और ह्र्ागी काया करने वािों के सिए व्यायार् की ज़रूरत- “हदमागी पररश्रम बबना शारीररक
कसरत के, हदमाग पर अधिक अनुपात में रतत की पहुँचाता है , और इस प्रकार से रततसंचार असंतुललत हो
जाता है । हदमाग में रतत की अतत हो जाती है , परं तु बाकी अंगों में रतत की कमी हो जाती हौ। पढने और
खेल-कूद का समय साविानीपव
ू क
ा तनयंबरत करना चाहहए, और कुछ समय शारीररक श्रम में बबताना
चाहहए...” माई लाईर्फ िूडे, पृ. 144
काउन्सेल्स ऑन िे बप्रेन्स एंड बाइबल हाईजीन, पृ. 100. “स्थानबध्द पेशे वालों को, यहद मुमककन हो,
खुले हवा में रोजाना (हर मौसम में ), िहल चाहहए। उप्युतत कपडे पहनें और पैरों को सुरक्षक्षत रखें। चलने
से सारी मांसपेलशयों का कसरत होता है । फोफडे भी स्वस्थ होते हैं। ”
िब
ु ह का व्यायार् रोग ननरोर्क क्षर्ता बढाता है- “सब
ु ह का व्यायाम, ताजे हवा में सैर करना, या फूलों फलों
और सजजजयों की बागवानी स्वस्थ रततसंचार के ललए आवश्यक है । सदी, जक
ु ाम, हदमाग और फेफडो के
संकुलन और यकृत, गुदों एवं फेफडो के सूजन और कई अन्य ,रोगों से सुरक्षा प्रदान करता है ।” ररव्यु एंड
हे रल्ड, अप्रैल 14,1868.
िैर िवाश्रेष्ठ है - “सैर शरीर के ललए सबसे लाभदायक व्यायाम है । खुले हवा में सैर महहलाओं के ललए अधिक
र्फायदे मंद है ; उनके स्वास्थय के ललए और स्वास्थय सुिार के ललए यह सबसे बेहतर ववकल्प है । इससे पैरों
के साथ साथ हाथों का भी व्यायाम हो जाता है । ” हे ल्थर्फुल ललववंग, पृ. 130.
दस
ू रे फायदे मंद व्यायामों में शालमल है , बागवानी, साईककल चलाना, इन्िरवल रे तनंग, तैराकी, आहद।
सभी वयस्कों को कम से कम सप्ताह में पाँच हदन, कम से कम 30 लमनिों के ललए एरोबबक या सप्ताह
में तीन हदन 20 लमनिों के ललए भारी कसरत करना चाहहए।
वे लोग जो अपने सेहत को बेहतर बनाना चाहते है , और रोगों से या मोिापे से दरू रहना चाहते है , वे
उपरोतत व्यायामों की अवधि बढा सकते है । कैंसर के रोकथाम के ललए अमेररकन कैंसर सोसाईिी4 नें
1 WHO Study Group. (2002). Diet, nutrition, and the prevention of chronic diseases (WHO Technical Report
Series, No. 916). Geneva: World Health Organization.
2 Diehl, H. & Ludington, A. (2001). Health Power. Hagerstown, Maryland: Review and Herald Publishing
Association.
3 Adventists InStep for Life. (2012). Physical Activity Guidelines. Retrieved from http://www.adventistsinstepforlife.org/
4 Kushi, L. H. Byers, T., Doyle, C., Bandera, E. V., McCullough, M., Gansler, T., ...& The American Cancer Society
2006 Nutrition and Physical Activity Guidelines Advisory Committee. (2006). American Cancer Society guidelines on
nutrition and physical activity for cancer prevention. A Cancer Journal for Clinicians 56, 254-281.
5 Institute of Medicine, National Academy of Sciences. (2002). Dietary reference intakes. Washington, DC: National
Academy Press.
6 American Council of Exercise (2012). Interval Training. Retrieved from
http://www.acefitness.org/fitfacts_display.aspx?itemid=87
शुध् जि
लमतनस्री ऑफ हीललंग, पृ. 237. “रोग में और आरोग्य में , शुध्द जल स्वगा का सबसे उमदा आशीषों में से
है । इसका सही उपयोग अच्छे स्वास्थ को बढावा दे ता है । यह वह पेय है जजसे परमेश्वर ने जानवरों और
मनटु यों की प्यास बझ
ु ाने के ललए हदया है । प्रचरु मारा में पीने से, यह अंगों की जरूरतों की आपतू ता करने में
मदद करता है और प्रकृतत को रोगप्रततरोि में भी मदद करता है ।”
शरीर के लगभग सभी अंग पानी पर तनभार है । पानी तनबनललखत तरीकों से मदद करता है :
जन्म के वतत हमारे शरीर के वजन का 75% हहस्सा पानी था। उम्र के साथ यह अनुपात घिता जाता है ।
औसत वयस्क (70 केजी) में 40 ललिर (शरीर के वजन का 57%) पानी होता है । खून का 92% हहस्सा
पानी है । गुदे रोजाना तकरीबन 180 ललिर खून साफ करते हैं। इस प्रकक्रया में यहद सारा पानी तनकाल ललया
जाए तो हर 2 घंिे में हमें 7.5 ललिर पानी पीना पडेगा। हमारे सजृ टिकर्त्ाा नें हमें इतने अदभुत रीतत से
बनाया है कक 99% कर्फल्रे ि (तनस्यंद) दब
ु ारा ललया जाता है और मार 1.5-2 ललिर ही पेशाब में जाता है ।
10-12 कप पानी हमारे सांस, पैखाने, और पसीने के द्वारा जाता है । भोजन से हमें 2-4 कप तक पानी
लमलता है । इसललए हमें रोजाना 8-10 कप (या हमारे वजन के हर एक ककलोग्राम के ललए एक आउन्स)
पानी पीना चाहहए। पेशाब को पीलेपन से बचाए रखना ही यह सुतनजश्चत करने का सबसे अच्छा तरीका है
कक हम पयााप्त मारा में पानी पी रहे हैं।
हदन में पानी कैसे पीयें? हमारा सुझाव है : सुबह उठते साथ 2 धगलास पानी पीयें (गुनगुना पानी अतडडयों के
काया के ललए मददगार है )। नाश्ता और दोपहर के भोजन बीच (नाश्ते के 2 घंिे बाद और दोपहर के भोजन
से 30 लमनि पव
ू )ा 3 धगलास पीयें। दोपहर के भोजन और शाम के हल्के भोजन के बीच (दोपहर के भोजन
के 2 घंिे बाद और शाम के भोजन से 30 लमनि पूव)ा 3 धगलास पानी पीयें।
भोजन के िाि पानी?- “भोजन के साथ जजतना अधिक तरल पेि में जाता है भोजन को हजम करने में
उतना ही कहठन होता है । अधिक मारा में नमक का सेवन न करें ; मसालेदार आचार मयाग दें ; भोजन में
पानी की कर्ी
अधिकतर लोग शायद पयााप्त मारा में पानी नहीं पीते हैं और पानी के गंभीर कमी से जझ
ु ते हैं। पानी के
गंभीर कमी बहुत खतरनाक है और जीवन को खतरे में डाल सकता है ।
हे ल्थर्फुल ललववंग, पृ. 192. “तनयलमत स्नान बहुत लाभदायक है , ववशेषकर रात को सोने से पहले या
सुबह उठने के बाद। बच्चों को नहलाने में बहुत कम समय लगता है । उन्हें तब तक रगडें जब तक
उनके शरीर दमक न उठे । ऐसा करने से खून सतह पर आ जाता है और हदमाग को राहत लमलता है ।”
3 िे जस्िमनीज, पृ. 70. “नहाने से मवचा की गंदगी िुल जाती है जो लगातार जमा होती है , और मवचा
को नमी दे ती है , जजसके फलस्वरूप रततसंचार पूरे शरीर में बढता है ।”
तया यह साफ हो चक
ु ा है कक पानी हमारे अजस्तमव के ललए अमयंत आवश्यक है ?
पथ्
ृ वी के सतह का 70% भाग पानी से ढका है परं तु 97% पानी महासागरों, समुद्रों, और खाडडयों में है
जो पीने योग्य नहीं है । मीठे पानी के स्रोतो में से 68% बर्फा और हहमनदों में और 30% भूगभा में है ।
बाकी बचे मीठे पानी के मुख्य स्रोत नहदयाँ है जजसे लोग इस्तेमाल कर सकते है परं तु यह पानी कुल
मीठे पानी का 0.006% ही है ।4
यन
ु ाईिे ड नेशन्स प्रोगाम ऑफ ऐतशन 1992 में यह अनम
ु ान लगाया गया है कक ववकासशील दे शों में
“80% बबमाररयाँ और एक ततहाई से अधिक लोगों के ममृ यु कारर् दवू षत जल का सेवन है ।”5
ख. अनचाहे दवाईयाँ: दवाईयों के िोईलेि या नाली में बहाने के अनेक खतरे हैं। “यह पानी
दवू षत करता सकता है , यह प्रमाणर्त ककया जा चुका है कक दवाईयाँ मछललयों और जल
जीवन को नुकसान पहुँचाते हैं।”7
ग. मानव अपलशटि: “प्रततहदन, 2 लमललयन िन मानव अपलशटि जल स्रोतों में बहा हदया
जाता है ।”8 पानी को दवू षत करने और अन्य अनुधचत तरीकों से फेंकने के बजाए यहद
मानव अवपशटि से उधचत रीतत से तनबिा जाए (सीवेज रीिमें ि प्लांि, लैिररन, या
व्यव्सथावववरर् 23:13 के मत
ु ाबबक दफना दे ना) तो बेहतर होगा।
2. कारखानों को कचरों के तनबिारे के ललए बेहतर उपाय करने के ललए प्रोमसाहहत करें ।
क. “ववकासशील दे शों में , 70 प्रततशत औद्योधगक कचरे पानी में बबना उपचार के बहा हदए
जाते है ।”8
3. कृवष के बेहतर तकनीक अपनाएँ (ऑरगेतनक)
क. बहुत सारे रसायतनक खाद, खाद दे ने की तकनीकों, कीिनाशकों चारे गारों और जानवरों के
बाडों से बहने वाले गंदे पानी जल स्रोतो को दवू षत करते हैं। जंगलों की किाई भी वॉिरशेडों को
क्षतत पहुँचाती है और भयंकर भूक्षरर् और तलछि प्रदष
ू र् लाती है । “युनाईिे ड स्िे ट्स में कृवष
को भूगभीय जल प्रदष
ू र् का मुख्य स्रोत बताया गया है ।”
पयााप्त र्प
ू
हे ल्थ ललववंग, पृ. 142. “यहद सभी िप
ू के महमव को समझेंगे, और कपडों को िप
ू के शुध्द करने वाले
ककरर्ो में सख
ु ाएँगे, तो लमलड्यु एवं मोल्ड से छुिकारा पाया जा सकता है ।”
बाइबल इको, फरवरी 23, पृ. 1903. “िूप एवं ताजे हवा में खेलने से बच्चों का हदमाग और शरीर स्वस्थ
और मजबूत होता है । वे आजममक एवं शारीररक रूप से लाभाववन्त होंगे।”
7 िे जस्िमनीज, पृ. 76. “प्रकक्रतत परमेश्वर का धचककमसक है । ताजे हवा, खुशनुमा िूप, और खुबसूरत फूल
और पेड, बगीचे और अंगूर के बाग, और घर के बाहर, इन सब के बीच कसरत करना स्वस्थविाक है - जीवन
का अमत
ृ है । बहुत सारे रोधगयों के ललए यह एकमार दवा है । इसका प्रभाव र्फैशन परस्त जीवन (जीवन जो
शारीररक, मानलसक, और आजममक शजततयों को कमजोर और नटि करता है ) के कारर् हुए रोगों को चंगा
करने के ललए शजततशाली है ।”
िूप के तथ्य2
चेहरे और हाथों में कुछ ही लमनि िूप पडने से वविालमन डी प्रचुर मारा में बनता है
वविालमन डी पर प्रकाश
1
Mayo Clinic, (2012). Functions of water in the body. Retrieved from
http://www.mayoclinic.com/health/medical/IM00594
2
Diehl, H.& Ludington, A. (2002). Health Power Hagerstown, MD: Review and Herald
3
Mayo Clinic, (2011). Dehydration: Symptoms.
http://www.mayoclinic.com/health/dehydration/DS00561/DSECTION=symptoms
4
http://ga.water.usgs.gov/edu/earthhowmuch.html
5
Yassi, A., Kjellstrom, T., de Kok, T. & Guidotti, T. (2001). Basic Environmental Health: Water and Sanitation.
New York: Oxford University Press.
6
Conant, J. And Fadem, P. (2008). A Community Guide to Environmental Health: Getting Rid of Trash Safely.
California: Hesperian Foundation.
7
Minnesota Pollution Control Agency, (2012). Pharmaceutical Waste: Disposing of Unwanted Medications.
Retrieved from http://www.pca.state.mn.us/index.php/living-green-citizen/household-hazardous-waste/pharmaceutical-
waste-disposing-of-unwanted-medications.html
8
United Nations Water Development (2012). Water Pollution, Environmental Degradation and Disasters. Retrieved
from http://www.unwater.org/statistics_pollu.html
9
Natural Resources Management and Environment Department. (2012) अध्याय 1: Introduction to Agricultural Water
Pollution. Retrieved from http://www.fao.org/docrep/W2598E/w25988e04.htm
10
Office of Dietary Supplements: National Institutes of Health. (2012). Dietary Supplement Fact Sheet: Vitamin D.
Retrieved from http://ods.od.nih.gov/factsheets/vitamind-HealthProfessional/
11
Manson, J. (2010). New IOM Report on Vitamin D Intakes: What Clinicians Need to Know. Retrieved from
http://www.medscape.com/viewarticle/733856?src=ptalk
िंयर्
िंयर् क्या है
हमारी दतु नया में ककतने लोग परमेश्वर की महहमा के ललए खाते है ? सच्चे संयम के बारे बहुत कम बातें होती है
और उससे भी कम होता है उसका अभ्यास। आज लोग कमी के कारर् नहीं बजल्क अतत के कारर् पीडडत हैं।
एलेन व्हाईि के बातों पर गौर करें :
काउन्सेल्स ऑन हे ल्थ एडं हीललंग, पृ. 29. “हमें कमी से नहीं बजल्क अतत से खतरा है । हम हमेशा अतत की
ओर आकवषात होते हैं। जो अपने सामथा को परमेश्वर की महहमा के ललए बचाए रखना चाहते है , उन्हें परमेश्वर
के हदए हुए आशीषों को पूरे संयम के साथ इस्तेमाल करना चाहहए, और सभी हातनकारक चीजों से दरू रहना
चाहहए।”
क. खाना, पीना, िोना, और कपडे- “खाने, पीने, सोने, और कपडे पहनने में संयम, िालमाक जीवन के बडे
लसध्दांतों में से एक है ।” 6 िे जस्िमनीज, पृ. 375.
ख. श्रर्- “काम करने में हमें संयम का अभ्यास करना चाहहए। हमें अपने आप को ऐसे जगह पर नहीं
पहुँचाना चाहहए जहाँ हमें बदााश्त से ज़्यादा काम करना पडे। कभी कभी ज़्यादा काम करने का जरूरत
पड सकता है , परं तु ऐसा हमेशा नहीं होना चाहहए।” चाईल्ड गाईडेंस, पृ.397.
ग. भूख, िाििा, नशीिे प्ािा- “संसाररक अलभलाशाओं से जो आममा से युध्द करती हैं, बचे रहो,’ (1
पतरस 2:11) पतरस की भाषा है । बहुत सारे लोग इस चेतावनी को लसफा व्यलभचार से जोडते हैं, परं तु
इसका अथा दस
ू रे बातों में भी लागू होता है । यह हमें हर तरह के हातनकारक अलभलाषाओं की तजृ प्त से
रोकता है । यह हमें नशीले पदाथों के इस्तेमाल के णखलाफ चेतावनी दे ता है , जैसे, चाय, कॉर्फी, तबबाकू,
शराब, और मॉफीन। यह ऐसी वस्तुएं हैं जजसके इस्तेमाल से नैततकता का नाश होता है । ये लतें जजतनी
जल्दी लग जाती हैं, उतनी ही मजबूती से मनुटय को जकड लेती है , और उसके जीवन को आजममक
पतन की ओर ले जाती है ।” काउन्सेल्स ऑन डाईि एंड फूड्स, पृ. 62-63
्ाननय्येि का उ्ाहरण- “दातनय्येल और उसके साधथयों का इतेहास पववर शास्र में , उसके बाद आने वाली
पीढीयों के नौजवीनों की भलाई के ललए ललखा गया है । मनटु यों ने जो तब ककया वह अब भी कर सकते हैं। तया
ये इब्री नौयुवक लालच के पररक्षा में मजबूत खडे थे, और सच्चे संयम का उदाहरर् बने? आज के युवा भी ऐसे
उदाहरर् बन सकते हैं।” काउन्सेल्स ऑन डाईि एंड र्फूड्स, पृ. 28.
या् रखें: “आदन की बारी में मनुटय संयम के पररक्षा में असफल हो गया परं तु मसीह नें उस पर ववजय प्राप्त
ककया!” (मर्त्ी 4:2-4)
1. तम्बाकू
1,2
गंभीर आंकडे:
क. परू
ु षों में 90%, और महहलाओं में 80%, फेफडे के कैंसर से होने वाले ममृ यु, िम्र
ू पान की वजह
से होते हैं।
ख. िूम्रपान से फेफडों का कैंसर होता है (जैसे- एमफाईसेमा, ब्रोंकाईहिस, क्रोतनक एयरवे
ओबस्रकशन)
ग. 90% क्रोतनक ओबस्रकहिव रोग िूम्रपान के कारर् होते हैं।
घ. िम्र
ू पान से हृदय रोगों का खतरा बढता है ।
इस लत से छुिकारा पाने के ललए लोगों को मदद की जरूरत है । अपने क्षेर के सेलमनार में
िूम्रपान छुडवाने वाले लशववर लगाने के बारे सोचें ।
2. शराब
5
मूल तथ्य
3. हशीश
7
वववरर् एवं मूल तथ्य:
क. अमेररका में यह सबसे ज़्यादा दव्ु यावहाररत अवैि नशीला पदाथा है । यह पास्ता के पौिे के फूल,
तनें, बीज, और पर्त्ों का सूखा, हरा एवं भूरा लमश्रर् है ।
ख. आम तौर पर लोग हशीश का िम्र
ू पान करते है , परं तु इसे चाय या भोजन में भी इस्तेमाल
ककया जा सकता है । इसमें िी.एच.सी. नामक तमव पाया जाता है ।
ग. शरीर के अंदर जाते ही हशीश में मौजूद िी.एच.सी. रतत में तुरंत पहुँच जाता है । “यह हदमाग
में पहुँच जाता है और आदमी नशा में डूब जाता है ।”
घ. “हशीश का नशा सोचने ववचारने की क्षमता को बुरी तरह से प्रभाववत करता है , सीखने और
याद रखने की क्षमता को घिा दे ता है ।”
ङ. यह हृदयाघात और अररदमीयाज होने का संभावना बढाता है।
च. इसमें तंबाकू के िूएँ से 50-70 प्रततशत ज़्यादा कैंसर के कारक हाईड्रोकाबान्स पाए जाते हैं।
4. कोकीन
8
वववरर् एवं मूल तथ्य:
क. कोकीन एक शजततशाली लत लगाने वाला नशीला पदाथा है । डोपामीन, हदमाग का एक हॉरमोन
(न्यरु ोरान्सलमिर) के स्तर को बढा कर यह केंद्रीय तंबरका तंर को अमयधिक उर्त्ेजजत करता है
जजसका संबंि हदमाग के रीवाडा सककाि में आनंद और हलचल से है ।
ख. कोकीन के हाईड्रोतलोराइड नमक के चूर्ा को सूंघा जाता है या पानी में लमलाकर उसका सूई
ललया जाता है । कोकीन को प्रसंसकक्रत कर स्फहिक बना हदया जाता है जजसे गमा करने पर
भाप तनकलता है । इस भाप को सूंघा जाता है । इसे क्रैक नाम हदया गया है तयोंकक इसे गमा
करने पर आवाज तनकलता है ।
ग. कोकीन को आमतौर पर सूंघा जाता है , सूई ललया जाता है या उसका िूम्रपान ककया जाता है ।
घ. कोकीन रतत को िमतनयो संकुधचत करता है , शारीररक तापमान, हृदय गतत, और रततचाप
बढाता है । इससे सरददा और पेि की तकलीफें जैसे पेि ददा , और लमचललयाँ होते हैं। कोकीन से
भूख भी घिता है इसललए इसे इस्तेमाल करने वाले कुपोषर् के भी लशकार हो जाते हैं।
ङ. सूंघने के कारर् नाक से खून भी तनकल सकता है , गंि पहचानने की क्षमता घिती है , और
दस
ू री समस्याएँ हो सकती है । सई
ू से एलजी हो सकता है और एच.आई.वी./एड्स (HIV/AIDS)
5. सर्िेम्फीटार्ीन
9
वववरर् एवं मूल तथ्य:
क. लमथेबफीिामीन एक सफेद, गंिरहहत, कडवा, स्फहिकीय चूर्ा है जो पीनी या शराब में आसानी
से घुलता है और इसे खाते, सूंघते, सूई लेते हैं या इसका िूम्रपान करते हैं।
ख. लमथेबफीिामीन हदमाग में कोकीन के ही तरह काम करता है ।
ग. थोडे मारा में भी लेने से दस
ू रे नशीले पदाथा जैसे कोकीन, एबफीिामीन के तरह ही हातनकारक
प्रभाव दे खे जाते हो, जैसे अतनद्रा, अमयधिक शारीररक गततववधियाँ, भख
ू न लगना, जल्दी
जल्दी सांस लेना, हृदय गतत बढना, असामान्य हृदय गतत, उच्च रततचाप, और
हाईपरथरलमया।
घ. लंबे समय तक लमथेबफीिामीन लेने से अनेक स्वास्थ समस्याएँ होती है , जैसे अमयधिक वजन
घिना, दाँतों के अनेक समस्याएँ, जी लमचलना, भ्रम, अतनंद्रा, और आक्रमक व्यवहार।
6. िुपार
वववरर् एवं मल
ू तथ्य:
क. कुछ लोगों का मानना है कक सुपारी सबसे ज्यादा लत लगाने वाला पदाथा है । दतु नया में
तकरीबन 10% लोग सुपारी के पर्त्े या बीज चबाते हैं। इसका इस्तेमाल खासकर एलशया में
तबबाकू के साथ या उसके बगैर होता है ।
ख. यह उर्त्ेजजत करने वाला पदाथा है और इससे अनेक स्वास्थ समस्याएँ होते हैं।
ग. “इनसानों में काफी प्रमार् लमले हैं कक सप
ु ारी (तबबाकू के साथ) में कैंसर के करक तमव पाए
जाते हैं। तबबाकू के साथ सप
ु ारी लेने से मँह
ु के कैंसर और फैररंग्स एवं भोजन नली के कैंसर
होते हैं। इनसानों में काफी प्रमार् लमले हैं कक सुपारी (तबबाकू के बबना) में कैंसर के करक
10
तमव पाए जाते हैं। सुपारी (तबबाकू के बबना) से मँह
ु के कैंसर होते हैं।”
स्वच्छ वायु
हे ल्थ ललववंग, पृ. 177. “शरीर का ताकत, काफी हद तक, सांस से ललए गए शुध्द वायु के मारा पर तनभार
करता है ...वायु स्वगा का तनुःशुल्क आशीष है , परू े शरीर सफूती लाता है ।”
फन्डामेन्िल्स ऑफ कक्रश्चय्न एजूकेशन, पृ. 73. “बंद कमरे के मुकाबले खुले हवा में काम करने से स्वास्थ
को दस गुना ज़्यादा र्फायदा होता है ।”
बबना भोजन हम हफ्तों जी सकते हैं, बबना पानी कुछ हदन पर बबना वायु मार कुछ लमनि। समुद्र स्तर पर
वायु का संघिन तकरीबन 78 नाईरोजन, 20 ऑतसीजन, 1 वाटप, .97 तनजटक्रय गैस-ें मुख्यतुः आगान, और
.03 काबान डाईऑतसाइड और अन्य गैसें है । हमारे शरीर के प्रमयेक कोलशका के ललए ऑतसीजन अमयन्त
आवश्यक है - कोलशकीय श्वासन के ललए।
औसत वयस्क प्रततहदन 3,000 गैलन वायु सांस लेता है । इसललए यह बेहद जरूरी है कक जो वायु हम सांस
में लेते हैं वह साफ एवं शुध्द हो।
1. भूख बढाए और अच्छी नीं् िाए- “स्वच्छ, ताजा वायु....भूख बढाता है , पाचन दरु
ु स्त करता है , और
अच्छा नींद लाता है ।” हे ल्थर्फुल ललववंग, पृ. 170.
2. बैक्ट ररया, वाईरि, और अन्य हाननकारक वस्तुओं को नष्ट कर शुध् करे
3. कैंिर और अन्य रोगों के वाईरि एवं रे ट्रोवाईरिों के प्रनत कोसशकीय रोग प्रनतरोर्क क्षर्ता बढाए
11
वायु प्र्ष
ू ण
वायु प्रदष
ू र् (गंदा हवा) सभी चीजों की क्षतत पहुँचा सकता है इमारतों और गाडीयों से ले कर पेड, पौिे,
झरने, जानवर और मनुटय। करोडों लोग ऐसे इलाकों में रहते हैं जहाँ िुंि, कर् प्रदष
ू र्, और जहरीले
प्रदष
ू क स्वास्थ के ललए खतरा पेश करते हैं। ककसी प्रदष
ू क के अजमिक ऊचें स्तरों के सबपका में आने से
उतत व्यजतत को आँखों में जलन, गले में खराश, या सांस लेने में कहठनाई (दमा) आहद महसूस कर
सकता है । लंबे समय तक वायु प्रदष
ू र् के सबपका में रहने से हृदयवाहहनी के सबसयाएँ, कैंसर,
मोततयाबबन्द और रोग प्रततरोिक क्षमता, तंबरका, प्रजनन एवं श्वासन प्रर्ाली को दीघा कालीन क्षतत
पहुँचती है । अमयधिक बुरे हालत में ममृ यु भी हो सकती है ।
छह आर् प्र्ष
ू क एवं उनके स्रोत
1. कर् प्रदष
ू र्- बहुत महीन िूल, काललख, िुआँ, और रसायतनक प्रककयाओं और ईंिन
(गैसोललन, कोयला, लकडी, या तेल) के जलने से उमपन्न होने वाली छोिी बूंदें।
2. भम
ू ी के स्तर का ओजोन- वाटपशील ऑरगेतनक कबपाउण्ड्स (वी.ओ.सी.) और नाईरोजन
ऑतसाईड्स ( NOX)। ये कारों के गैसोलीन जलाने से, पेरोललयम रीफाईनररयों, रसायन
उमपादन करने वाले कारखानों, और दस
ू रे कारखानों से उमपन्न होते हैं।
3. काबान मोनोऑतसाईड- तबबाकू का िूआँ, केरोसीन और गैस हीिर, धचमनमयो के ररसाव, गैस
चललत पानी गमा करने वाले, लकडी चूल्हे , गैस चूल्हे , जेनेरेिर, और वाहनों के िूएँ।
4. सल्फर डाईऑतसाईड- SO2 के मुख्य स्रोत हैं- ववद्युत संयंर (73%) और अन्य कारखाने
(20%) जो जीवाश्म ईंिन जला कर उजाा प्राप्त करते हैं।
5. नाईरोजन ऑतसाईड्स- नाईरोजन डाईऑतसाईड (NO2), और नाईहरक ऑतसाईड (NO)
जलने के प्रककया में उमपन्न होते हैं। गैस चूल्हे , रुहिपूर्ा रीतत से स्थावपत ककए गए
उपकरर्, वेजल्डंग, तबबाकू का िूआँ, वाहनों के िुएँ, और ववद्युत संयंर।
6. सीसा- अयस्क एवं िातु प्रौिौधगकी और सीसा लमला हुआ ईंिन का इस्तेमाल करने वाले
हवाई जहाज। सीसे का इस्तेमाल पें ि, पाईप, और वाहनों के ईंिन में भी होता है ।
डजल.ु एच.ओ. नें इसे खतरनाक रसायनों की सच
ू ी में शालमल ककया है और अनेक दे शों नें
इसके इस्तेमाल पर पाबंदी लगा दी है ।
ये प्रदष
ू क आपके स्वास्थय एवं पयाावरर् को क्षतत पहुँचा सकते हैं। इन छह प्रदष
ू कों में से स्वास्थय के ललए
भूलम स्तर के ओजोन सबसे व्यापक खतरे हैं।
अपयााप्त वें हटिेशन- “अपने ही कामों से, बहुत सारे पररवार गले की खराश, फेफडे के रोगों, और यकृत के
लशकायतों से पीडडत रहते हैं...वे अपने णखडककयों को इस डर से बंद रखते है कक उन्हें ठं ड लग जाएगी यहद हवा
के अंदर आने के ललए सूराख हो। वे उसी हवा को बार बार सांस लेते है , जबतक वह जहरीले अशुध्दताओं और
गंदगी से व्याप्त नहीं हो जाता जो उनके शरीर से तनकलते है , फेफडों और रोमतछद्रों से।” हे ल्थफुल ललववंग, पृ.
173
रोचगयों के सिए स्वच्छ वायु- “यहद कभी स्वच्छ वायु की सबसे ज्यादा जरूरत है , तो वह तब है जब
शरीर का कोई अंग, जैसे फेफडे या पेि, बीमार हो। पयााप्त कसरत खन
ू को सतह पर ले आता है , और
अंदरूनी अंगों को राहत दे ता है । खुली हवा में र्फुतीला व्यायाम (परं तु अमयंत तीव्र नहीं), रततसंचार बढाता
है , जो मवचा में आभा लाती है , और स्वच्छ वायु के द्वारा सकक्रय हो कर सारे शरीर में पहुँचती है ।” 2
िे जस्िमनीज, पृ. 530
गहरे िांिों की ज़रूरत- “पेि, यकृत, फेफडे, और हदमाग गहरे सांसों के कमी के कारर् पीडडत है , जो खून
को सफूती दे कर उसे सव
ु र्ा, सजीव रं ग दे । केवल यही इसे शुध्द रख सकता है , और परू े शरीर के सभी
अंगों को शजतत दे ता है ।” हे ल्थफुल ललववंग, पृ. 173.
वायु
इस वतत, बैठने या सांस लेने का तरीका बदले बबना, तनबनललखत सवालों का जवाब दें :
इस वतत मै कैसे बैठा हैं? तया मेरा पीठ सीिा है , या कुबडे बैठा हुँ? तया मेरे कंिे झुके हुए
है ?
मेरी सांसे गहरी है या नहीं?
मेरे कपडे या जजस कुसी में मै बैठा हुँ, तया मझ
ु े इनके कारर् सांस लेने में तकलीफ हो रही
है ?
तया मेरा कमरे में स्वच्छ वायु आ रही है या यह पूरी तरह से बंद है ?
तया मैनें अमयधिक वसा युतत भोजन ककया है ? (अमयधिक वसा-युतत भोजन खून के
ऑतसीजन पहुँचाने की क्षमता घिाता है ।)
आणखरी बार मैं कब उठ कर घम
ु ा था? तया मैने वपछले कुछ घंिों में ब्रेक ले कर गहरी सांसे
ली है ?
1
World Health Organization. (2011). Tobacco (Fact Sheet N°339). Retrieved from:
http://www.who.int/mediacare/factsheet/fs339/en/index.html
2
Centers for Disease Control and Prevention, National Center for Chronic Disease Prevention and Health
Promotion, Office on Smoking and Health and Human Services. The Health Consequences of Smoking: What It
Means to You, 2004. Available at: http://www.cdc.gov/tobacco/data_statistics/sgr/2004/pdfs//whatitmeanstoyou.pdf
3
Centers for Disease Control and Prevention. (2012). Health Effects of Cigarette Smoking. Retrieved from:
http://www.cdc.gov/tobacco/data_statistics/fact_sheet/effects_cig_smoking/index.htm
4
Thrash, A. (2012). Five-Day Plan Instructions. Retrieved from:
http://ucheepines.org/index.php?p=counseling.five_day_plan_instructions
5
World Health Organization. (2011). Alcohol (Fact Sheet). Retrieved from:
http://www.who.int/mediacenter/factsheets/fs349/en/index.html
6
Centers for Disease Control and Prevention (2011). Alcohol Use and Health. Retrieved from
http://www.cdc.gov/alcohol/fact-sheets/alcohol-use.htm
7
National Institute on Drug Abuse. (2010). InfoFacts: Marijuana. Retrieved from
http://www.drugabuse.gov/publications/infofacts/marijuana
8
National Institute on Drug Abuse. (2010). InfoFacts: Cocaine. Retrieved from National Institute on Drug Abuse.
(2010). InfoFacts: Marijuana. Retrieved from http://www.drugabuse.gov/publications/infofacts/marijuana
9
National Institute on Drug Abuse. (2010). InfoFacts: Methamphetamine. Retrieved from
http://www.drugabuse.gov/publications/infofacts/methamphetamine
10
WHO International Agency For Research On Cancer. (2004). Betel-quid and Areca-nut Chewing and Some
Areca-nut-derived Nitrosamine. France: World Health Organization.
11
United States Environmental Protection Agency. (2007). The Plain English Guide to the Clean Air Act. North
Carolina: EPA.
12
Cancer Epidemiol Biomarkers Prev. 2000 Nov; 9(11): 1215-21. Fumes from meat cooking and lung cancer risk
in Chinese women.
13
Epidemiology. 1999 Sep;10(5):488-94. Lung cancer and indoor air pollution arising from Chinese-style cooking
among non-smoking women living in Shanghai, China
14
Diehl, H. & Ludington, A. (2000). Health Power. Hagerstown, MD: Review and Herald.
हम एक तेज रर्फतार में भागती, व्यस्त समाज में रहते हैं जहाँ सभी आराम के ललए तरसते हैं। लोग दे र तक
जागते है और सुबह काम पर जाने के ललए जल्दी उठते हैं। दक
ु ानें आमतौर पर 24 घंिे प्रततहदन, हर सप्ताह
खुले रहते हैं। मनोरं जन और मौज-मस्ती, तकनीकी सुवविाओं के साथ हमें हर वतत इंिरनेि और ई-मेल पर
व्यस्त रहने के ललए आकवषात करते है । यीशु नें 21वीं सदी के माँगों के पहले ही दे ख ललया था और वह
जानता था कक हमें आराम की जरूरत होगी। उसके वचनों पर ध्यान दें :
मर्त्ी 11:28. “हे सब पररश्रम करने वालों और बोझ से दबे हुए लोगों, मेरे पास आओ; मै तुबहें ववश्राम दँ ग
ु ा।”
1. रोज़ाना का आरार्
क. िोना- औसत व्यजतत अपने जीवन का 1/3 सोने में बबताता है । तया यह समय की
बरबादी है ? नहीं! तयों? तयोंकक हदन में हम बहुत सारे तनाव पैदा करने वाले चीजों से
जूझते है और हमें अगले हदन के ललए तरोताजा होने के ललए हमें सोने की जरूरत है ।
कोनेल ववश्वववद्यालय के प्रोफेसर, डॉ. जेबस मास के बातों पर गौर करें :
“सोना तनजटक्रयता का ववशाल बंजर भूलम नहीं है । सोता हुआ हदमाग रात में बहुत बार
अमयंत कक्रयशील हो जाता है , अनेक शारीररक, तंबरका संबंिी, और जैव रासायतनक गह
ृ
व्यवस्थाएँ करता है । ये सारी चीजें जीवन को बनाए रखने से ले कर सोचने समझने की
1
शजतत और यदादाश्त के पन
ु तनमाार् और सि
ु ारने के ललए अमयंत जरूरी है ।”
2
ख. पयााप्त आरार् के फाय्े
यह शरीर को पुनतनमाार् के ललए पयााप्त वतत दे ता है । शरीर से हातनकारक तमव
हिाए जाते है , पुनतनमाार् होता है , एन्जाईम और ताकत बहाल होती है ।
चोि, संक्रमर् और शरीर के दस
ू रे जख्मों (जजसमें तनाव और मानलसक पीडा शालमल
है ) को ठीक करने में मदद करे ।
आराम रोगप्रततरोिक क्षमता बढाए, शरीर को रोगों से बचाए।
पयााप्त आराम उम्र बढा सकता है । अिय्यनों से पता चला है कक जो लोग तनयलमत
रूप से 7-8 घंिे सोते है , उनकी ममृ यु दर कम है , उनके मुकाबले जो 7-8 घंिों से कम
या ज्यादा सोते है ।
ग. हर्ें क्रकतने नीं् की ज़रूरत है ?2
i. नवजात लशशु: 16-20 घंिे
ii. छोिे बच्चे: 10-12 घंिे
iii. वयस्क: 7-8 घंिे
घ. नीं् का कजा:3 हर रात के हर एक घंिे की नींद जो हम नहीं ले पाते है , उसकी भरपाई
करना जरूरी है अन्यथा स्वास्थ्य समस्याएँ हो सकती है ।
डीजायर ऑफ एजेस, पृ. 207. “स्वगा का काया कभी बंद नहीं होता है , और मनुटय को भी
अच्छे काया करने से कभी नहीं रुकना चाहहए। सजबत व्यथा तनजटक्रयता के ललए नहीं बना है ।
व्यवस्था, परमेश्वर के ववश्राम के हदन संसाररक कायों को करने से मना करती है ; वह काम
जो आजीववका का लाभ दे ती है नहीं ककया जाना चाहहए; संसाररक सुख और लाभ के कोई भी
काम व्यवस्था के ववरूि है ; परं तु जैसे परमेश्वर नें सजृ टि के काया को बंद कर हदया, और
सजबत के हदन ववश्राम ककया और उसे आशीष हदया, उसी तरह मनुटय को भी अपने रोजमराा
के काया छोड दे ना चाहहए, और उन पववर घडडयों को स्वास्थविाक आराम, उपासना और
पववर कायों के ललए समवपात करना चाहहए।”
एजुकेशन, पृ. 211. “इस युग में , जीवन कृबरम बन गया है , और लोग पततत हैं। जबकक हम पूरी तरह
से पहले के दौर जैसे सरल आदतों तक नहीं लौि सकते, हम उनसे पाठ सीख सकते है जो हमारे
आनंद के समय को- जैसा की नाम से पता चलता है - दे ह, और हदमाग, और आममा के सच्चे
पुनतनमाार् का समय।”
परर्ेश्वर पर भरोिा
अिय्यन बताते है कक परमेश्वर पर दृढ ववश्वास करने वाले लोगों का स्वास्थ अववश्वलसयों के मक
ु ाबले
4
बेहतर था।
अनेक अिय्यनों के मुताबबक िालमाक आस्था शारीररक स्वास्थ को बढाता है । जैसे, 100 वषों तक जीने वाले
6 7
लोगों में िालमाक प्रवतृ त के लोगों ने बेहतर स्वास्थ अनभ
ु व ककया। ड्यक
ू ववश्वववद्यालय के एक अिय्यन
ने रोशनी डाला है कक िालमाक आस्था वाले “जीवन की अधिक संतजु टि पाते है , ज्यादा खश
ु ी पाते है , और
जीवन के कहठन घिनाओं से मानलसक रूप से कम प्रभाववत होते है ।”
नीततवचन 3:5-8. “तू अपनी समझ का सहारा न लेना, वरन ् सबपूर्ा मन से यहोवा पर भरोसा रखना। उसी
को स्मरर् करके सब काम करना, तब वह तेरे ललए सीिा मागा तनकालेगा। अपनी दृजटि में बुजध्दमान न
होना; यहोवा का भय मानना, और बुराई से अलग रहना। ऐसा करने से तेरा शरीर भला चंगा, और तेरी
हड्डडयाँ पटु ि रहें गी।”
लमतनस्री ऑफ हीललंग, पृ. 119. “कृतज्ञता और भरोसा हृदय को परमेश्वर के चंगा करने वाले ताकत के
ललए खोल दे ते हैं, और इन्सान के शजततयो को सफूतता दे ता है , और जीवन ववजय की ओर बढता है ।”
काउन्सेल्स ऑन हे ल्थ, पृ. 382. “मनुटय को पववर शजतत पर ववश्वास होना चाहहए और उस के साथ काम
करना चाहहए, हर एक सुवविा का इस्तेमाल कर के, हर चीज का फायदा उठा कर, जो उसके बुजध्द के
अनुसार, फायदे मंद है , प्राकृततक तनयमों के अनुकुल है , और ऐसा करने से वह न तो ववश्वास को इन्कार करे
न ही उसे अवरुि करे ।”
प्रवनृ त
नीततवचन 17:22. “मन का आनंद अच्छी औषधि है , परन्तु मन के िूिने से हड्डडयाँ सूख जाती है ।”
लमतनस्री ऑफ हीललंग, पृ. 281. “कृतज्ञता, आनंद, कृपा, परमेश्वर के प्रेम और पर ववश्वास- स्वास्थ के
सबसे बडे रक्षक है । ईस्राइललयों के ललए ये जीवन के मूल थे।”
8
नकारात्र्क रवैया रोगों को बि
ु ाता है
नकाराममक भावनाएँ और रवैया उन प्रकक्रयाओं को उर्त्ेजजत करते हैं जो तनबनललणखत चीजों ले जुडे हैं:
1. बुढापा
2. काडडायोवासकुलर रोग
3. अजस्थ-सवु षरता
4. गहठया
5. िाईप 2 मिुमेह
6. कुछ कैंसर
स्वच्छता
कक्रश्चय्न िे बप्रें स एंड बाइबल हाईजीन, पृ. 105. “व्यजततगत आदतों में जीवन के तनयमों का उल्लंघन, रोगों
के सबसे उवारा स्रोतों में से एक है । अनुशासन और स्वच्छता स्वगा का कानून है ।”
लमतनस्री ऑफ हीललंग, पृ. 276. “स्वच्छता शारीररक और मानलसक स्वास्थ के ललए जरूरी है ।”
ककन चीजों को साफ रखना है ? (दे खें लमतनस्री ऑफ हीललंग, प.ृ 276).
उचचत वस्र
तया हमारा वस्र का हमारे शारीररक स्वास्थ को सीिे तौर पर प्रभाववसत करता है ? एलेन वाईि के बातों पर
ध्यान दें :
हे ल्थफुल ललववंग, पृ. 123. “महहलाओं को होने वाले रोगों में से आिे रोग अनउप्यत
ु त वस्रों के कारर् होते
हैं।”
लमतनस्री ऑफ हीललंग, पृ. 292. “स्वस्थ के यह बेहद जरूरी है कक सांस लेते वतत छाती अपनी
क्षमता तक फैलने दे । फेफडे जब बंि जाते हैं, उनमें पहुँचने वाले ऑतसीजन की मारा घि जाती
है । रतत को पूरी तरह से सफूती नहीं लमलती है और जजन जहरीले तमवों को फेफडों को जररये
बाहर तनकलना चाहहए, वे शरीर में रह जाते है । इसके साथ ही रततसंचार बाधित हो जाता है , और
आंतररक अंग इतने दब जाते हैं कक वे ठीक से काम नहीं कर पाते हैं। ”
लमतनस्री ऑफ हीललंग, पृ. 293. “सही वस्र का चुनाव करते समय सारे अंगों के जरूरत को ध्यान दे ना
चाहहए। मौसम, वातावरर्, उम्र, और व्यवसाय को ध्यान दे ना चाहहए। कपडे आसानी से पहने जा सके और
रततसंचार और सांस लेने में बािा नहीं आनी चाहहए। कपडे इतने ढीले होने चाहहए कक हाथ उठाने पर कपडे
भी साथ में उठे ।”
जीवन की शुध्ता
पथ्
ृ वी बहुत सारे अंतववावेकशील लोग इन्सातनयत के मूल नैततकता को ले कर धचंततत हैं। ऐसा लगता है कक
हमें बहुत ज्यादा प्रलोभनों का सामना करना पडता है । इन लुभावने चीजों में ध्यान दे ने के बजाय परमेश्वर
के अपने लोगों को बचाने वाले खुबसूरत योजना पर ध्यान केंहद्रत करें । इन आयतों पर ववचार करें :
1 युहन्ना 3:3. “और जो कोई उस पर आशा रखता है , वह अपने आप को वैसा ही पववर करता है जैसा
वह पववर है ।”
कफललप्पयों 4:8. “इसललए हे भाईयों, जो जो बातें समय हैं, और जो जो बातें आदरर्ीय हैं, और जो जो
बातें उधचत हैं, और जो जो बातें पववर हैं, और जो जो बातें सुहावनी हैं, और जो जो बातें मनभावनी हैं,
अथाात ् जो भी सद्गुर् और प्रशंसा की बातें तुम ने मुझ से सीखीं, और ग्रहर् कीं, और सुनीं, और मुझ
में दे खीं, उन्हीं का पालन ककया करो, तब परमेश्वर जो शाजन्त का सोता है तुबहारे साथ रहे गा।”
5 िे जस्िमनीज, पृ. 443. “स्वच्छ वायु एवं जल, सार्फ सर्फाई, उधचत आहार, जीवन की पववरता, और
परमेश्वर पर दृढ ववश्वास वे औषधियाँ हैं जजनकी कमी की वजह से हजारों मर रहे हैं। ”
साईंस ऑफ द िाईबस, अप्रैल 21, 1881. “मन की शुध्दता जीवन को शुध्द बनाती है ।”
1
Mass, J. (2001). Power Sleep: The Revolutionary Program That Prepares Your Mind For Peak Performance, p. 6.
New York: Villard.
2
Diehl, H. & Ludington, A. (2001). Health Power. Hargerstown, Maryland: Review and Herald Publishing
Association.
3
Howard Medical School. (2007). Repaying Your Sleep Debt. Retrieved from
http://www.health.howard.edu/fhg/updates/Repaying-your-sleep-debt.shtml
4
Needley, N. (1999). Proof Positive: अध्याय 20, Beyond The Leading Causes Of Death. Oklahoma, Needley Capital
Publishing.
5
Seeman, T. Dubin, L. & Seeman, M. (2003). Religeousity/spirituality and health: A critical review of the evidence
for biological pathways. American Psychologist, Vol 58(1)53-63. Doi: 10.1037/0003-066X.58.1.53
6
Needley, N. (1999). Proof Positive: Beyond The Leading Causes Of Death . Oklahoma, Needley Capital Publishing.
7
Ellison, C. (1991). Religious Involvement and Subjective Well-being. J Health Soc Behav. March; 32(1):80-99
8
Kiecolt-Glaser, J. McGuire, L., Robles, T. & Glaser, R. (2002). Psychoneuroimmunology: Psychological influence
on immune function and health. Journal of Consulting and Clinical Psychlogy, Vol 70(3),537-547
1. प्रािाना करें ।
भजन संहहता 50:15. “और संकि के हदन मुझे पुकार; मैं तझ
ु े छुडाऊँगा, और तू मेरी महहमा करने
पाएगा।”
याकूब 5:14,15. “यहद तम
ु में कोई रोगी है , तो कलीलसया के प्राचीनों को बल
ु ाए, और वे प्रभु के नाम
से उस पर तेल मल कर उसके ललए प्राथाना करें , और ववश्वास की प्राथाना के द्वारा रोगी बच जाएगा
और प्रभु उसको उठाकर खडा करे गा; और यहद उसने पाप भी ककए हों, तो उन की भी क्षमा हो
जाएगी।”
मेडीकल लमतनस्री, प.ृ 12. “रोधगयों को मनुटय और परमेश्वर, दोनों के कोलशश से चंगा होना है ।”
काउन्सेल्स ऑन हे ल्थ, प.ृ 247. “मैंने दे खा कक परमेश्वर, हमारे आस पास के रोधगयों के ललए, अपने
सेवकों के प्राथानाओं को इसललए नहीं सन
ु ता है तयोंकक ऐसा करने पर उसकी महहमा नहीं होगी, जब वे
स्वास्थ्य के तनयमों का उल्लंघन करते हों। और मैंने यह भी दे खा कक उसने स्वस्थ सुिार और
स्वास्थ्य इंस्िीच्युि बनाया जो ववश्वास के प्राथाना का जवाब के ललए मागा तैयार करे गा। पीडडतों को
परमेश्वर के उपासना के ललए तैयार करने और यीशु के दस
ू रे आगमन में तैयार पाए जाने के ललए,
और उन्हें राहत दे ने के ललए, ववश्वास और अच्छे को काम साथ साथ चलना चाहहए।”
भले ही रोगों को कारर्ों के बारे बहुत कुछ पता चल चुका है कफर भी बहुत कुछ है जो हम नहीं
जानते हैं। बहुत बार लोग बबमार पड जाते हैं और कारर्ों का पता नहीं चल पता है । जैस स्तन
कैंसर, जजसमें ऐसी महहलाओं को भी यह रोग हो जाता है जजसको कोई अनुवांलशकी खतरा ना हो
और वे बचपन से ही स्वस्थ जीवनशैली का पालन कर रहीं हो।
पापी दतु नया में जीने के कारर् बहुत सारे रोग और पीडाएँ सहनी पडती है । अनुवांलशक बदलाव शरीर
को प्रभाववत कर रहे हैं जजससे बबमार होने के खतरे बढ रहे हैं। जीवार्,ु कीि, जीनवर, कुपोषर्,
दघ
ु ि
ा ना, पतन, वातावरर् के ववष, यध्
ु द, आहद रोग और पीडा बढाते हैं। अन्य ममवपूर्ा कारर्ों में
शालमल है :
क. अनधु चत जीवनशैली (जैसे गलत खान पान, तबबाकू, शराब, व्यभीचार, आहद)
गलाततयों, 6:7. “िोखा न खाओ; परमेश्वर ठट्ठों में नहीं उडाया जाता, तयोंकक मनुटय जो
कुछ बोता है , वही कािे गा।”
3 िे जस्िमनीज, पृ. 164. “स्वास्थ के तनयमों का उल्लंघन करने के कारर् बबमाररयाँ होती
है ।”
ककतने लोग परमेश्वर के आजममक और शरीररक तनयमों के उल्लंघन करने के कारर् बबमार
होते है , इस बात पर ववचार करें ।
ग. सोच/कुव्यवजस्थत ववचार
लमतनस्री ऑफ हीललंग, पृ. 241. “सोच के कारर् बहुत सारे रोग उपजते है , और अकसर
बबमारी को बढा दे ते हैं। बहुत सारे लोग ऐसे हैं जो भले चंगे हो सकते है यहद वे खद
ु को
स्वस्थ समझेंगे। बहुत सारे लोग यह सोचते हैं कक बाहर तनकलने से वे बबमार हो जाएँगे,
और इसी सोच की वजह से वे बबमार हो जाते हैं तयोंकक वे उसकी आशा करते हैं। बहुत सारे
लोग उन बबमाररयों के कारर् मरते है जो उनके सोच के कारर् उमपन्न होते हैं। ”
2 राजाओं 13:14 “एलीशा को वह रोग लग गया, जजससे उसकी ममृ यु होने पर थी।”
प्रोर्फेट्स एंड ककं ग्स 264 “उसने, जजसके ऊपर एललय्याह की आममा भरपरू ी से आई थी, अंत
तक खुद को वर्फादार साबबत ककया। वह कभी न डगमगाया। उसने सवाशजततमान के सामथा
पर कभी भरोसा नहीं खोया।... एलीशा को अपने स्वामी के साथ अजग्नमय रथ में नहीं जाने
हदया था। परमेश्वर ने उस पर लंबी बबमारी आने हदया। मानव कमजोरी और पीडा की लंबी
घडी में उसने सदै व परमेश्वर की प्रततज्ञाओं पर भरोसा ककया, और उसने अपने इदा -धगदा
संतावना और शांतत के स्वगीय दत
ू ों को दे खा। दोतान के पहाडों पर भी उसने स्वगीय सेना को
दे खा, इस्राएल के अजग्नमय रथों और घड
ु सवारों को दे खा, इसललए वह संतावना दे ने वाले
स्वगादत
ू ों की उपजस्थतत को महसूस करता था, और वह जीववत था। जीवनभर उसने दृढ
ववश्वास प्रदलशात ककया, और जैसे-जैसे वह परमेश्वर की दया दृजटि और उसके अनुग्रही दया के
ज्ञान में बढता गया, ववश्वास पक कर तैयार हो गया- परमेश्वर में भरोसा के रूप में , और जब
ममृ यु की घडी आई, वह अपने कामों से आराम पाने को तैयार था। “यहोवा के भततों की
ममृ य,ु उसकी दृजटि में अनमोल है ।” भजनसंहहता 116:15.
तनगामन 15:26. “यहद तू अपने परमेश्वर यहोवा का वचन तन मन से सुने, और जो उसकी दृजटि में
ठीक है वही करे , और उसकी आज्ञाओं पर कान लगाए, और उसकी सब ववधियों को, तो जजतने रोग मैं
ने लमलस्रयों पर भेजे हैं उनमें से एक भी तुझ पर न भेजँग
ू ा; तयोंकक मैं तुबहारा चंगा करने वाला यहोवा
हुँ।”
लमतनस्री ऑफ हीललंग, पृ. 127. “बबमारी के कारर् का पता लगाना जरूरी है । अस्वस्थ चीजों को हिाना
चाहहए, और गलत आदतें बदलनी चाहहए।”
लमतनस्री ऑफ हीललंग, पृ. 224. “यहद बबमार और लचार व्यजतत पूरी तनटठा से स्वास्थ तनयमों का
पालन करें गे, दस में से नौ मामलों में वे अपने बबमारी से तनजात पाएँगे।”
इब्रातनयों 7:25 “इसीललए जो उसके द्वारा परमेश्वर के पास आते हैं, वह उनका पूरा पूरा उध्दार
कर सकता है , तयोंकक वह उनके ललए ववनती करने को सवादा जीववत है । ”
लमतनस्री ऑफ हीललंग, पृ. 127. “यहद बबमार और लचार व्यजतत पूरी तनटठा से स्वास्थ तनयमों का
पालन करें गे, दस में से नौ मामलों में वे अपने बबमारी से तनजात पाएँगे। शरीर की गंदगी को तनकाल
फेंकने में प्रकृतत का मदद ककया जाना चाहहए।...प्रमयेक व्यजतत को प्राकृततक उपचार और उसे
इस्तेमाल करना आना चाहहए। उसके लसध्दांत और इस्तेमाल करने की ववधि, दोनों को समझना जरूरी
है जजससे व्यककत इस ज्ञान का सही इस्तेमाल कर सके।”
मेडडकल लमतनस्री, पृ. 227. “जल उपचार, यहद बजु ध्दमानी और कुशलता से दी जाए, अनेक लोगों
के प्रार् बचाने का जररया बन सकता है ।”
लमतनस्र ऑफ हीललंग, पृ. 237. “परं तु बहुतों ने अनुभव के आभाव में पानी के गुर्कारी प्रभाव को
नहीं जाना है , और वे इसके इस्तेमाल के डरते भी हैं। जलधचककमसा को वो सराहना नहीं लमली है
जजसका वह हकदार है , और इसके कुशलतापव
ू क
ा ककए जाने वाले काया को करने से कतराते हैं।
परं तु हर ककसी को इस ववषय में ज्ञान रखना जरूरी है । ददा से राहत और रोगों से छुिकारा पाने के
ललए पानी के इस्तेमाल के अनेक तरीके है । ववशेषकर माताओं को अपने पररवार का, रोग में और
आरोग्य में , ख्याल रखना आना चाहहए।”
2. जडी-बूट
2 राजाओं 20:7. “तब यशायाह नें कहा, अंजीरों की एक हिककया लो। जब उन्होंने उसे लेकर फोडे
पर बाँिा, तब वह चंगा हो गया।”
2 सेलेतिे ड मेसेजेस, पृ. 294. “परमेश्वर नें कुछ पौिे हदए है जो समय में गुर्कारी होते है ; और
यहद पररवार के सभी सदस्य बबमारी में इन पौिों के इसतेमाल करना जानते, तो बहुत सारे पीडाओं
3. चारकोि और सर्ट्ट
युहन्ना 9:6,7. “यह कह कर उसने भूलम पर थूका, और उस थूक से लमट्िी सानी, और वह लमट्िी
उस अँिे की आँखों पर लगाकर उसने कहा, जा, शीलोह के कंु ड में िो ले (शीलोह का अथा ‘भेजा
हुआ’ है । उसने जाकर िोया, और दे खता हुआ लौि आया।”
4. र्ासिश
पाउलसन कलेतशन, पृ. 15. “कई बातें हमे परे शान करती है , और उनमें से एक है बेहतर
सवु विआओं की जरूरत।...हमारे कमरों मे सवु विाएँ होनी चाहहए—माललश के ललए मेज, और एक
बबस्तर जजसमें पैक हदए जा सकें।”
2 सेलेतिे ड मेसेजेस, पृ. 281. “दवाईयों का प्रयोग कभी कभी ही होना है ।[श्री. वाईि ने इन
शजदों के समन्वय, मलेररया के इलाज में जतवनाईन के प्रयोग को ले कर सलाह हदया था। उसके
बेिे ने, जो उन के साथ ऑस्रै ललया का दौरा कर रहा था, तनबनललणखत जयोरा हदया:
“एक बार हम ऑस्रे ललया जा रहे थे, एक भाई जो वहाँ लमशनरी के रूप में काम कर रहे थे,
मेरी माँ को अपने पहहलौठे बेिे का बबमारी और के बारे बताया। वह मलेररया से पीडडत था, और
उसके वपता को जतवनाईन दे ने की सलाह दी गई, परं तु िे जस्िमनीज में दी गई सलाह के अनस
ु ार
उसनें दवा दे ने से इन्कार कर हदया, और उसके बेिे की ममृ यु हो गई। जब वह बहन वाईि से
लमला, उसने उनसे पूछा: ‘तया मैंने पाप ककया होता यहद मैंने बच्चे को जतवनाईन हदया होता, और
मैं मलेररया को राकने के ललए दस
ू रे उपाय नहीं जानता, और यह भी कक वह उसके बबना मर
जाता?’ जवाब में उसने कहा, ‘नहीं, हम से उबमीद की गई है कक हम अपने स्तर पर वह सब कुछ
करें जो हम कप सकते हैं।’”—डजल.ु सी. वाईि लेिर, लसतंबर 10, 1935.—काउन्सेल्स ऑन हे ल्थ, प.ृ
261 (1890)।
्वाईयााँ
“हमारा हे ल्थ केयर लसस्िम अमेररका में ममृ यु का तीसरा सबसे बडा कारर् है ।” द चाईना स्िडीज, पृ.
15
“हमारे अनम
ु ान से 1994 में 2,216,000 से ज्यादा अस्पताल में भरती मरीजों को गंभीर ए.डी.आरस.
[एडवसा ड्रग ररएतशन] हो गया था जजनमें से 106,000 को जानलेवा ए.डी.आरस हो गया था, जो
ए.डी.आरस को ममृ यु का चौथा और पाँचवा कारर् बनाती है ।” जामा. 1998 अप्रैल 15;279(15):1200-5.
आईये हम दवाईयों के ववषय परमेश्वर की योजना को जो बाइबल और एलेन वाईि के ककताबों के द्वारा
बताया है ।
तयमायाह 46:11. “हे लमस्र की कुमारी कन्या, धगलाद को जा कर बलसान औषधि ले; तू व्यथा ही बहु इलाज
करती है , तू चंगी नहीं होगी!”
दवाईयों में पुनुःतनमाार् की क्षमता नहीं है - “धचककमसकों को लोगों को यह लसखाना चाहहए कक पुनुःतनमाार्
की क्षमता दवाईयों में नहीं, बजल्क प्रकृतत के पास है । रोग, शरीर को उन पररजस्थयों से बाहर तनकालने का
प्रकृतत का एक जररया है जो स्वास्थ्य को तनयमों के उल्लंघन के कारर् होते हैं। बबमारी के कारर् का पता
लगाना जरूरी है । अस्वस्थ चीजों को हिाना चाहहए, और गलत आदतें बदलनी चाहहए। शरीर की गंदगी को
तनकाल फेंकने और शरीर के ललए उपयुतत पररजस्थततयाँ बनाने में प्रकृतत का मदद ककया जाना चाहहए।”
लमतनस्री ऑफ हीललंग, पृ. 127.
“कैसे जीएँ में आपके लगभग सारे सवालों का जवाब हदया गया है । दवाओं के जहर यानी वे तमव जजनका
उल्लेख ककसा गया है (पारा, जस्रतनाइन, आरसेतनक, और दस
ू रे इसी तरह के जहर और साथ ही पोिै लशयम,
आयोडीन, स्कवील, आहद) सरल उपचार इतने हातनकारक नहीं होते हैं; परं तु अनेक मामलों में इनका प्रयोग
होता है तब भी होता जब इनकी कोई जरूरत नहीं होती है । ऐसे बहुत सारे मामुली जडी-बूिी है जजनका
प्रयोग सभी पररवार बबना धचककमसक के मदद के कर सकते है । मैं नहीं जानती कक मैं आपके ऐसे दवाईयों
के बारे बता पाऊँगी जो हातनकारक नहीं है । कफर भी बेहतर यही होगा कक इस मद्
ु दे पर और भी बहस हो।”
सेलेतिे ड मेसेजेस, पृ. 279,280.
िोगों को तुरंत पररणार् चाहहए- “इन मामलों में पीडडत अपने ललए वह करते हैं जो दस
ू रे उनके ललए नहीं
कर सकते है ।...परं तु पीडडत व्यजतत अकसर अिीर हो जाता है । वे और परहे ज और थोडा से भूख सहन करने
को तैयार नहीं होते। और न ही वे प्रकृतत को शरीर को िीरे िीरे चंगा करने दे ने के ललए इन्तेजार कर सकते
हैं। वे एक ही बार में राहत पाना चाहते हैं, और धचककमसक द्वारा हदए गए कडे दवाईयों का प्रयोग करते हैं।
प्रकृतत आपना काम अच्छी तरह कर रही थी, तभी एक जहरीला अज्ञात पदाथा आ जाता है । ककतनी बडी गलती!
प्रकृतत को अब एक नहीं दो दश्ु मनों से लडना पडेगा। वह जो काम कर रही थी उसे छोड कर वह उस अज्ञात
पदाथा को शरीर से तनकाल फेंकने का कोलशश करे गी।। प्रकृतत के ऊपर बोझ बढ जाता है , और वह कमजोर हो
जाती है ।” 4 जस्परीच्वल धगर्फट्स, पृ. 133,134.
अिंयर् िे जीते रहने के सिए- “जो पहले अपना भूख लमिाते हैं और अपने असंयम के कारर् पीडडत होते
हैं, और दवाईयों के द्वारा तनजात पाने की कोलशश करते है , उन्हें यह अश्वासन है कक परमेश्वर उनको
स्वस्थ रखने के ललए चममकार नहीं करे गा। कारर् ने अपना प्रभाव हदखा हदया। बहुत सारे लोग अंत में
परमेश्वर के वचनों का पालन करते हैं और चचा के एल्डरों से प्राथाना करने की अजी करते हैं। परमेश्वर ऐसे
लोगों के ललए ककए प्राथाना का उर्त्र नहीं दे ता है , जतयं वह जानता है कक एक बार चंगे होने के बाद वे
दब ू के बेदी में बलल चढा दें गे।” काउन्सेल्स ऑन डाईि एंड र्फूड्स, पृ. 26.
ु ारा स्वास्थ को अस्वस्थ भख
्वाईयों का प्रभाव
सेलेतिे ड मेसेजेस, पृ.281. “दवाईयाँ, जैसे वे लीं जाती है , शाप है । दवाईयों से दरू रहें । उनका कम से कम
प्रयोग करें , स्वच्छ माध्यमों पर अधिक तनभार हों; तब प्रकृतत परमेश्वर के धचककमसकों को प्रततकक्रया दे गी-
स्वच्छ वायु, शुध्द जल, उपयुतत व्यायाम, साफ वववेक...दवाईयों की बहुत कम जरूरत पडेगी।”
क) प्रकृनत बाचर्त होता है । “परं तु अधिकतर मामलों में दवाईयाँ रोग के स्थान और रूप केवल बदलते है ।”
काउन्सेल्स ऑन हे ल्थ, प.ृ 89.
ख) त्रबना ज़रूरत ्वाईयााँ िेने के कारण बहुत िारे िोग र्रते है । “बाजार में दवाईयों की भरमार, नए
दवाईयों और लमश्रर्ों के अनेक ववज्ञापन, जो सभी कहते है , चंगाई के अदभत
ु दे ते है , कई सौ लोगों
को मारते है जहाँ वे एक का भला करते है ।” ररव्यु एंड हे रल्ड, लसतंबर 12, 1899.
ग)् घाकाि न िम्ियाएाँ िाते है । “धचककमसकों के पास बुजध्द और अनुभव होना चाहहए, और उन्हें स्वास्थ
सुिारक होना चाहहए। तब वे मरीजों को अपने अनुभवों से दवाईयों को बारे लसखाएँगे; तयोंकक वे भली
भाँती जानते है कक ये दवाईयाँ कुछ समय के ललए मनचाहा पररर्ाम दे ते है , परं तु बाद वे गंभीर
सबसयाएँ लाते हैं, जजनसे वे शायद जीवन में कभी छुिकारा न पाएँ।” मेडडकल लमतनस्री, पृ. 224,225.
उनका प्रयोग परू तरह िे बं् कर ्े ना- “हमारी संस्थाओं ने इस बात की स्थावपत ककया है कक रोधगयों का
इलाज स्वच्छ तरीकों से दवाईयों के प्रयोग के बबना ककए जा सकते है । ” पृ. 283.
सलाह से हमनें अब तक यह सीखा है कक ऐसा लगता है कक रोगों से दरू रहने या उनके उपचार के ललए
स्वसाथ्य तनयमों का पालन करना ही परमेश्वर की योजना है । यहद हालात नहीं सि
ु रते है , तब कुशलता से
सरल प्राकृततक उपचार करें । ववशेष पररजस्थततयों में जान बचाने के ललए या असमथाता से बचने के ललए
दवाईयों के प्रयोग कर सकते हैं।
याकूब 5:14,15. “यहद तुम में से कोई रोगी है , तो कलीलसया के प्राचीनों को बुलाए, और वे प्रभु के नाम से
उस पर तेल मल कर उसके ललये प्राथाना करें , और ववश्वास की प्राथाना के द्वारा रोगी बच जाएगा और प्रभु
उसको उठाकर खडा करे गा; और यहद उसने पाप भी ककए हों, तो उन की भी क्षमा हो जाएगी।”
मेडडकल लमतनस्री, पृ. 12. “मनुटय और परमेश्वर के संयुतत प्रयमन से रोधगयों को चंगा होना है ।”
काउन्सेल्स ऑन हे ल्थ, पृ. 247. “मैंने दे खा कक परमेश्वर, हमारे आस पास के रोधगयों के ललए, अपने सेवकों
के प्राथानाओं को इसललए नहीं सुनता है तयोंकक ऐसा करने पर उसकी महहमा नहीं होगी, जब वे स्वास्थ्य के
तनयमों का उल्लंघन करते हों। और मैंने यह भी दे खा कक उसने स्वस्थ सुिार और स्वास्थ्य इंस्िीच्युि
बनाया जो ववश्वास के प्राथाना का जवाब के ललए मागा तैयार करे गा। पीडडतों को परमेश्वर के उपासना के
ललए तैयार करने और यीशु के दस
ू रे आगमन में तैयार पाए जाने के ललए, और उन्हें राहत दे ने के ललए,
ववश्वास और अच्छे को काम साथ साथ चलना चाहहए।”
सशक्षा र्हत्वपण
ू ा है
काउन्सेल्स ऑन हे ल्थ,पृ. 37,38. पुरूषों और महहलाओं को स्वस्थ के आदशों को सीखना चाहहए। ऐसा
लगता है जैसे बुजध्दमान लोगों के हदमाग अपने शरीररक ढाँच,े और उसे स्वस्थ रखने के ज्ञान के बारे अंिेरे
में हैं। आज का पीढी ने अपने शरीरों को धचककमसकों के भरोसे छोड हदया है , और आममा पादररयों के भरोसे ।
तया वे बाइबल का पाठ करने ललए पादररयों को अच्छी तनख्वाह नहीं दे ते हैं , ताकक उन्हें खद
ु पढने की
जहमत उठानी न पडे? और तया यह उसका काम नहीं है कक वह उन्हें बताए कक तया ववश्वास करने है और
अध्यातम के सारे सवालों का जवाब दे , उनके ओर से बबना ककसी खोजबीन के ? बबमार होने पर वे
धचककमसक के पास जाते हैं- वह जो भी कहता है उस पर ववश्वास करते हैं, वह जो ऊ दे ता है उसे तनगलते
हैं ताकक वे ठीक हो सके, बात का गहराई के बारे समझने का कटि ललए बगैर....?”
अधयाय 7-पीडा िे जझ
ू ना
तया अपने कभी भी शारीररक या भावनातमक पाडा का अनुभव ककया है ? इन कहठन घडडयों से हमें कैसे संबंि
जोडना चाहहए? गौर करें प्रेररत पौलस
ु ने कैसे “शरीर में एक काँिा” से व्यवहार ककया - 2 कुररजन्थयों 12:7-10
डडजायर ऑर्फ एजेस, पृ. 224, 225. “परमेश्वर अपने बच्चों की अगव
ु ाई कभी नहीं करता है तयोंकक ऐसा होने
पर वे अगुवाई ककए जाना चुनेंगे, यहद वे शुरूआत से अंत तक दे ख सकते, और उस उध्दे श्य के महीमा के दे ख
सकते जजसे वे उसके सहकलमायों के रूप में काम करके पूरा कर रहे है ... और उन सारे तोफहे जो स्वगा से हदये
गए है में से यीशु के पीडा में साहचया ही सबसे बडा भरोसा और सबसे ऊँचा गौरव।”
हदस डे ववद गॉड, पृ. 45. “ऑस्रे ललया जाने के बाद ग्यारह महीनों तक मैं सज
ू े गहठया से पीडडत थी। मैं
भारी ददा के बबना पाँव र्फशा से नहीं उठा पा रही थी... उन ग्यारह महीनों के तकलीफ के बाद... मैं हार
मानने वाली नहीं थी। मेरा दाहहना हाथ, कुहनी के ऊपर, ठीक था, ताकक मैं कलम का प्रयोग कर सकूँ, और
मैनें पच्चीस सौ पन्नों का पर प्रकाशन ललखा। इस दौरान, मैनें अपने जीवन का सबसे पीडादायक वतत
बबताया... परं तु इन सब चीजों का एक खुशनुमा पहलु भी है। मेरा उध्दारकर्त्ाा मेरे करीब मालूम पडता था।
मैनें उसके पववर उपजस्थतत को अपने हृदय में महसूस ककया, और मैं ककतनी िन्यवादी थी। पीडा के ये
महीने मेरे जीवन के सबसे खश
ु ी के समय थे, मेरे उध्दारकर्त्ाा के साथ के कारर्... उसके प्रेम नें मेरे हृदय
को भर हदया। अपने रोग के पूरे समय, उसकी प्रेम, उसकी करुर्ा मेरे ढाढस बनी रही... यीशु की ओर दे खो,
तेरा दयालु, प्रेमी उध्दाकर्त्ाा। यहद तू अपना लाचार आममा मसीह को दोगा, वह तेरे आममा को आनंद और
शांतत दे गा। वह तेरे आनंद का मुकुि होगा, तेरा महान इनाम।”
1. परर्ेश्वर पर भरोिा।
2 सेलेतिे ड मेसेजेस, पृ. 239. “मुझे एक सवाल परे शान करता है , मुझे अच्छे स्वास्थ्य का आशीष तयों
नहीं लमलती है ? बबमारी के लंबे महीनों को तया मै परमेश्वर की अप्रसन्नता का धचन्ह समझँु तयों मै
ऑस्रे ललया आई? मेरा जवाब है , नहीं, मैं ऐसा करने की हहबमत कभी नहीं करूँगी... जब मैं अपने
स्वास्थ्य के ललए प्राथाना करती हूँ, और ऐसा लगता जैसे परमेश्वर जवाब नहीं दे रहा है , मेरा आममा
मेरे ही अंदर दब
ु ल
ा हो जाता है। तब मेरा वप्रय उध्दारकर्त्ाा मझ
ु े अपने उपजस्थतत का एहसास कराता है ।
वह मुझसे कहता, तया तुम उस पर भरोसा नहीं कर सकती जजसने तुबहें अपने लहू से खरीदा है ?”
2. यीशु के िाि हर्ारा उध्ार का ररश्ता।
काउन्सेल्स ऑन डाईि एंड फूड्स, पृ. 459. “हमें रोगी और दुःु खी लोगों को यीशु को दे खते हुए जीने के
ललए प्रमसाहहत करना चाहहए। कयाकर्त्ााओं को दे ह और आममा के रोगों से हताश लोगों के सामने मसीह,
हमारा महान वैद्य को रखना चाहहए। उसके बारे बताएँ जो उन्हें शारीररक और आजममक रोगों से चंगा
2 धथस्सलुनीककयों 22:8,9. “तब वह अिमी प्रगि होगा, जजसे प्रभु यीशु अपने मँह
ु की फंू क से मार डालेगा,
औप आगमन के तेज से भस्म करे गा। उस अिमी का आना शैतान के काया के अनुसार सब प्रकार की झुठी
सामथा, और धचन्ह, और अद्भुत काम के साथ।”
प्रकालशतवातय 13:14. “उन धचन्हों के कारर्, जजन्हें उस पशु के सामने का अधिकार उसे हदया गयया था,
वह पथ्
ृ वी में रहने वालों को भरमाता था और पथ्
ृ वी के रहने वालों से कहता था कक जजस पशु के तलवार
लगी थी वह जी गया है , उसकी मतू ता बनाव।”
कृत्ररर् चंगाई- “अदभत
ु घिनाएँ, जजनसे शैतान को तनकि संबंि होगा, जल्द ही घिने वाले हैं। परमेश्वर का
वचन कहता है कक शैतान आश्चयाकमा करे गा। वह लोगों को बबमार करे गा, और कफर अचानक ही उन्हें
अपने शैतानी ताकत से ररहा कर दे गा। तब वे चंगे कहे जाएँगे। कृबरम चंगाई के ये काया सेवेंथ-डे
एडवेजन्िस्िों को पररक्षा में डालेगी। बहुत लोग जजनके पास महान रोशनी है , रोशनी में चलने में असफल
रहें गे, तयोंकक वे मसीह के साथ एक नहीं हुए है । उसके तनदे श उन्हें नहीं भाता है ।” लास्ि डे ईवेन्ट्स, पृ.
166.
शैतान चुने हुए िोगों को भटकाने के सिए कार् करे गा- “लोगों को और यहद हो सके तो चुने हुओं को भ्रलमत
करने के ललए, शैतान, दटु ि दत
ू ों से तघरे हुए, और खुद को परमेश्वर बताते हुए, सब तरह के आश्चयाकमा
करे गा। परमेश्वर के लोग आश्चयाकमा करने में सुरक्षक्षत नहीं महसूस करें गे तयोंकक शैतान अदभुत कायों को
झूठा बना दे गा ।” 9 िे स्िीमनीज, पृ. 16
ह्र्ाग के ननयंरण का खतरा- “हदमाग को तनयंबरत करने का लसध्दांत शैतान के हदया हुआ है जजसके द्वारा
वह खुद को मुख्य कायाकर्त्ाा के रूप में पेश करता है , ताकक वह पववर दशान के स्थान पर मनुटय के दशान
को रख पाए। मसीहहयों के बीच अपनाए जाने वाले गलततयों में से, कोई भी गलती इतना भ्रमक नहीं है ,
कोई भी परमेश्वर से मनटु य को अलग करने में इस से ज्यादा प्रभावी नहीं है । दे खने में भले ही तनदोष लगे ,
परं तु रोधगयों पर प्रयोग होने पर, यह उनका ववनाश का काम करता है न की चंगा करने का। यह शैतान के
ललए दोनों हदमागों को, वह जो तनयंबरत होने के इच्छुक है और वह जो तनयंरर् करता है , खोल दे ता है
जजससे वह दोनों को अपने कबजे में ले लेता है ।” लमतनस्री ऑर्फ हीललंग, पृ. 243.
िम्र्ोहन िे बचें - “पुरूषों और जस्रयों को वह ववद्या नहीं पढना चाहहए जजसके द्वारा वे उनके हदमाग के
तनयंबरत कर सकते हैं जजनसे वे लमलते हैं। यह वह ववज्ञान है जजसे शैतान लसखाता है । हम उस तरह के
सारे चीजों से दरू रहना चाहहए। हमें सबमोहन और सबमोहन ववज्ञान से कोई छे डखानी नहीं करना चाहहए—
उसे ववज्ञान से जजसने अपना पहला घर खोया और स्वगा के प्रांगन से फेंका गया।” मेडडकल लमतनस्री, पृ.
110,111. (एम एस 86, 1905)
प्रेतवा् का हर्िा
जा्ट
ू ोन्हे : आर्ुननक ्ौर का टोन्हे - “िोन्हे के नाम को भी आज नीचा दे खा जाता है । इस दावे को कक मनुटय
दटु ि आममाओं से संबंि रख सकता है , आज अंिेरे युग की कहानी माना जाता। परं तु िोन्हा, जजसके
प्रेतवा् की चंगाई शजक्त- “प्रेतवाद के अधिकतर चेलों का दावा है कक उनके पास चंगा करने की शजतत है । वे
बबजली, चुबबकीय शजतत और “लसबपेथेहिक उपचार”, या मनुटय के मन के छुपे शजततयाँ को इसके श्रेय दे ते
हैं। और ऐसे लोगों की कमी नहीं हैं जो जीववत परमेश्वर के ताकत पर भरोसा और पढे ललखे मसीही
धचककमसकों के पाय जाने के बजाए इनके पास जाते हैं, यहाँ तक की मसीही भी।”- इवेन्जललज्म, पृ. 606
17वीं सदी से ही चुबबक और अन्य प्राकृततक वस्तुओं का प्रयोग चंगाई के ललए ककया जाता रहा है , (फ्रंलसस
बैरेि, द मैगस, 1801), 19वीं सदी में इनका इस्तेमाल चरम पर था, और ये आज भी इस्तेमाल में हैं और
इन्हें ‘जाद’ू की श्रेर्ी में नहीं रखा जाता है ।
5 िे स्िीमनीज, पृ. 191। “और अहज्याह एक जालीदार णखडकी में से, जो शोमरोन में उसकी अिारी में थी, धगर
पडा और बबमार हो गया। तब उसने दत
ू ों को यह कह कर भेजा, “तम
ु जा कर एक्रोन के बालजबब
ू नामक दे वता
से यह पूछ आओ, कक तया में इस बबमारी से बचँुगा की नहीं?” तब यहोवा के दत
ू ने ततषबी एललय्याह से कहा,
“उठ कर शोमरोन के राजा के दत
ू ों से लमलने को जा, और उनसे कह, “तया इस्राएल में कोई परमेश्वर नहीं जो
तु एक्रोन के बालजबब
ू दे वता से पूछने जाते हो?” इसललए अब यहोवा तुम से यों कहता है , “जजस पलंग पर तू
पडा है , उस पर से कभी न उठे गा, परं तु मर ही जाएगा।,” तब एललय्याह चला गया। (2 राजाओं 1:2-4) यह
घिना उन लोगों के प्रतत परमेश्वर के क्रोि को हदखाता है जो शैतान के सािनों की ओर मड
ु जाते हैं।”
प्रोफेट्स एंड ककं ग्स, पृ. 211। “एक माँ अपने बबमार बच्चे के बगल उसकी दे खरे ख करते हुए कहती है , “मैं और
नहीं कर सकती। तया कोई धचककमसक नहीं है जो मेरे बच्चे को चंगा कर सके ?” उसे ककसी जादई
ू रूप से चंगा
करने वाले के बारे बताया जाता है , और वह उस पर ववश्वास करती है , वह इस काम को शैतान के हाथों उसी
तरह सौपती है जैसे वह उसके साथ खडा हो। अनेक बार बच्चे का भववटय शैतानी चंगल
ु में इस प्रकार फंस जात
है कक उससे छुिकारा पाना असंभव सा लगता है ।”
नये दौर का आंदोलन1 एक पजश्चमी समाजजक एवं आजममक सोच है जो “सवाव्यापी समय” और मानव के
अधिकतम क्षमता को पाने की कोलशश करता है । यह जाद ू िोन्हे , ज्योततष शास्र, मेिाफीजजतस, वैतलवपक
उपचार, संगीत, तनरं तरता, और प्रकृतत को शालमल करते हैं। नए दौर का अध्यातम, व्यजततगत अभ्यास और
दशान पर ध्यान दे ते हैं, और ककसी एक िालमाक ववश्वास को नकारते हैं।
र्ान्यताएाँ
यह कोई व्यवजस्थत िमा नहीं है , परं तु आजादी से बहता िालमाक आंदोलन है जो पूराने िालमाक और आजममक
परं पराओं को जैसे बहुदे ववाद, सवेश्वारवाद को ववज्ञान, दशानशास्र, और मनोववज्ञान के साथ शालमल करता है ।
यह दतु नया के बडे िमों से प्रेररत है खास कर पूवी िमों से (बौि, हहन्द ु िमा, चीनी िमा, आहद।), प्रेतवाद,
धथयोसोफी और िोन्हे ।1
नए दौर के अनुयातययों के कुछ मूल ववश्वास2 हैं। लोगों को अपने पसंद के ववश्वास “ढूढने” को कहा जाता है
जो उनके ललए सबसे आरामदे ह हो:
प्रेतवा्- मत
ृ कों से बातचीत, खास कर माध्यमों से।
व्यजक्तगत रूपांतर- नए दौर के ववश्वासों और अभ्यासों को अपनाने के बाद का रहस्यमयी अनुभव। ध्यान,
भ्रम पैदा करने वाले दवाईयों के मदद से रूपांतरर् होता है । ववश्वालसयों का मनना है कक उनमें नई क्षमताएँ
सजृ जत होती है , जैसे- साईककक क्षमताएँ, खुद को दस
ू रों को चंगा करने की क्षमता, ब्रह्माण्ड की समझ आहद।
जब काफी लोग रूपांतररत हो जाते है तब एक बडा आजममक, भौततक, मानलसक, और सांस्कृततक रूपांतरर्
का अनुभव ककया जाता है ।
र्ानवाता को ईश्वर का ्जाा ्े ना- मान्यता है कक मानवता ईश्वर है और लोगों को प्रबोिन की जरूरत है ।
िवाव्यापी र्र्ा- चँूकक ववश्वास है कक सभी ईश्वर है , एक ही सच है , और वह है सभी िमा एकमार समय के
पास पहुँचने के अलग अलग रास्ते हैं। सवाव्यापी िमा को एक ववशाल पवात के रूप में दे खा जा सकता है ,
जजसमें चोिी में पहुँचने के अनेक पथ हैं। इनका मानना है कक इस नए सवाव्यापी िमा को, जजसमें सभी िमों
का अंश है , िीरे िीरे ववकलसत होगा और पूरे दतु नया के लोग इसे अपनाएँगे।
नए जगत का– एक ऐसे दतु नया का ववश्वास जहाँ लसफा एक सरकार होगी और जंग, बबमारी, भख
ू मरी, प्रदष
ू र्,
और गरीबी खमम हो जाएँगे। लैंधगक, जातीय, िालमाक और अन्य तरह के भेदभाव खमम हो जाएँगे। अपने
जात या दे श के प्रतत तनटठा बदलकर पूरे दतु नया और सभी के प्रतत हो जाएगी।
उद्गर्
नए दौर की मल
ू अविारर्ाएँ शैतान द्वारा अदन की वाहिका में प्रचार ककए गए जब उसने कहा, “तम
ु
तनश्चय न मरोगे” (उमपवर्त् 3:4)। प्रचीन रहस्यवादी और नए दौर के लशक्षाओं में बहुत समानता है ।
1840 और 1840 के दशक के शुरूआत में राल्प वाल्डो इमरसन और अन्य अनभ
ु वातीतववदों ने ऐसे ववचारों
का प्रचार ककया जो नए दौर के ववश्वासों के रास्ता बना गए।3 (अनभ
ु वातीत लसखाता है कक आदशा आजममक
अवस्था, शरीररक दशा से आगे बढ जाता है और यह लसफा से प्राप्त ककया जा सकता है न की ककसी स्थावपत
िालमाक ववश्वास से।)4
19वीं सदी के मध्य में मेिाकफजजकल तमव प्रेतवाद, धथयोसोफी, और नये ववचार से ववकलसत होने लगा। “नया
दौर” शजद हे लेन जलाविस्की की पुस्तक “द सीक्रेि डॉतरीन” में इस्तेमाल ककया गया जो 1888 में प्रकालशत
हुआ।5 इस समय तक मजबूत िालमाक और दशान पर आिाररत चंगाई के माध्यम जैसे चीरोप्रैकहिक और
नैचुरोपैथी का प्रचार जोरों पर था।6
1960 और 1970 के दशकों में नए दौर के आंदोलन एक नए स्वरूप में उभरा और आज इसके कई करोड
अनुयायी अमेररका में हैं और पूरे दतु नया में भी हैं।3
वैर्ता की जााँच
सेवेंथ-डे एडवें हिस्िों को प्राकृततक उपचार के ववषय ववशेष रोशनी दी गई है , जैसे माललश, जलधचककमसक, और
जडी-बि
ू ी इस सच
ू ी में शालमल है । पर ऐसे उपचार भी हदए गए हैं जो प्रेरर्ा द्वारा नहीं हदए गए है और कई
बार इन्हें तनबनललखत कारर्ों के ललए दोषी भी ठहराया है :
1. उनके उद्गम पव
ू ी िमों और पेगन (मतू तापज
ू क)/िोन्हों से संबंि रखते हैं।
2. शरीर के संरचना के हहसाब से काम नहीं करते हैं।
3. मेिाकफजजतस या आलौककक शजतत पर जोर दे ते हैं।
4. ऊजाा संतुलन और तनयंरर् पर जोर हदया है ।
साथ ही धचककमसीय समाज ने कई उपचार को कृबरम ववज्ञान का दजाा हदया है यानी उनका इन्हें ववज्ञान पर
आिाररत उपचार के रूप में पेश ककया जाता है परं तु ये ववज्ञान पर आिाररत नहीं हैं।
8
“नए दौर के सवािंगीर् स्वास्थ्य मख्
ु यतुः ऊजाा पर केंहद्रत है न कक वस्तु पर।”
“न्यू एज जनाल के संपादकों ने ललखा: ““सवािंगीर्” चंगाई के प्रर्ाली उन्हें कहा जाता है जो यह ववश्वास करते
हैं कक संपूर्ा ब्रह्माण्ड एक ऊजाा क्षेर है जजससे सभी चीजें बनती है ... इस ऊजाा, को जो जीवन को सहारा दे ती
है , अनेक नामों से जाना जाता है । चीनी इसे ‘की,’ हहन्द ु ‘प्रार्,’ जापानी ‘की,’ और अमरीकी आहदवासी इसे
‘महान आममा’ कहते हैं।”9
“यह ऊजाा दे खा नहीं जा सकता है , न नापा जा सकता, और न ही वैज्ञातनक रूप से समझाया जाता है ... परं तु
एक “सवाव्यापी” ऊजाा बहुदे ववाद और सवादेववाद पर आिाररत है ।”9
शरीर में इस चंगा करने वाले ऊजाा को बढाने के ललए, हमें बताया गया है कक हमें उसे अपनाना होगा और
सारी चीजों में एकता महसूस करना होगा।
साथ ही, सवाव्यापी चंगा करने वाला ऊजाा अन्य उपचारों के उद्गम में भी पाया जाता है :
फ्रांज अन्तोन मेसमर, आिुतनक सबमोहन का के वपता, ने इसे ‘प्राणर् चुबबकमव’ कहा।
डी. डी. पाल्मर, चीरोप्रैकहिक के संस्थापक, ने इसे ‘अंतजाात’ कहा।
ववल्हे ल्म रे च, ओगोनोमी के संस्थापक, ने इसके ललए ‘ओगोन ऊजाा’ कहा।
समूएल हानेमन, होलमयोपैथी के संस्थापक, ने इसे ‘महमवपूर्ा शजतत’ कहा।
यीन और यैंग- “की में सबसे महान है ” (जूवांग आई, 25:67/682)। दो एक से हदखने वाले गोल धचन्ह, घुमते
से हदखते है , दशााते हैं कक कैसे ववपररत या ववपररत से लगने वाले शजतत प्राकृततक दतु नया में एक दस
ू रे से कैसे
यीन- (काला) यह रात, ठं ड, चंद्रमा, बाएँ, नकाराममक, बरु ाई, कमजोरी, स्री को दशााता है ; िरती और पानी
इसका प्रतीक है ।
याँग- (श्वेत) यह हदन, गमी, सरू ज, दाएँ, सकाराममक, अच्छाई, ताकत, परू
ु ष को दशााता है ; इसका प्रतीक हवा
है । महमवपूर्ा अंगों को यीन या याँग माना जाता है ।
मेरेडडयन- ये भी परं पारकक चीनी धचककमसीय तकनीक का केंद्र है जैसे एतयूपंचर। इस अभ्यासों के अनुसार मन-
शरीर के ‘की’ के बहने के रास्ते हैं। ये तकनीक अधिकतम प्रभाव के ललए ऊजाा को पेचीदे पैिना में बहाने के
द्वार संतलु लत करते हैं। “संरचनाममक रूप से ऐसे कोई भी स्थान नहीं पाए गए है जजन्हें एतयप
ू ंचर प्वांईि या
मेरेडडयन कहते हैं।”10
1
Lewis, J. (1992), Perspectives on the New Age, pp. 15-18
2
Religious Tolerance (2012). New Age Spirituality. Retrieved from http://www.religioustolerance.org/newage.htm
3
Rhodes, R. (1995). New Age Movement. Grand Rapids, Zondervan Publishing House.
4
Gura, Philip F. American Transcendentalism: A History.
5
Spencer, N. (2000). True as the Stars above: Adventures in Modern Astrology.
6
Melton, G. New Age Transformed, Director Institute foe the Study of American Religion.
7
National Centre for Complementary and Alternative Medicine. (2012) What is Complementary and Alternative Medicine? Retrieved from
htt://nccam.nih.gov/health/whatiscam
8
Rhodes, R. (1995). New Age Movement. Grand Rapids, Zondervan Publishing House.
9
Rhodes, R. (1997). What Does the Bible Say About...? p. 341. Oregon: Harvest House Publishers.
10
Yanli Cao et.al 2010. J. Phys. : Conf. Ser. 224 012066 doi:10.1088/ 1742-6596/224/1/012066
एक्यूपंचर/एक्यूप्रेशर: सुई/ककसी वस्तु से दबाव बनाया जाता है जो मेरेडडयन में की के बहाव को तनयंबरत करता
है । कई सौ स्थान हैं जो महमवपूर्ा अंगों से जुडे हुए हैं ताकक “सवाव्यापी ऊजाा” का संतुलन बना रहे और इस
तरह से ददा या रोग से मुजतत लमलता है । इसके उद्गम का ज्योततषशास्र से मजबूत संबि
ं है ।1
औरा र डींग: व्यजतत को घेरे रहने वाली रं गीन रोशनी को “औरा” (प्रभामंडल) कहते हैं। अठवे चक्र में इसका
वर्ान है । नया दौर लसखाता है कक ये प्रभामंडल आममा के कंपन से बना है और व्यजतत के भाव या सोच को
दशााते हैं।
बायोफीडबैक: इलेतरोतनक मॉनीरींग उपकरर् से मरीज को उसके शरीर के अंतररक कायों को हदखाया जाता है
और तब थेरावपस्ि उसे अपने आंतररक तनयंरर् पर भरोसा करनी लसखाता है । अपने हृदय गतत और साँस को
िीमा करने के बारे सोचने में कोई बुराई नहीं है परं तु यह चंगाई प्रर्ाली ध्यान को बार बार दह
ु राते दृश्य,
आवाज, और/सोच पर केंहद्रत करने को कहा जाता है । ये तकनीक योग और ध्यान से बहुत मेल खाता है ।
चि: पूवी उपचार प्रर्ाली का मानना है कक “शरीर ऊजाा केंद्रों से बना है जजन्हें चक्र कहते है जो हम में
अधिकतर को नहीं हदखता है । जो इन चक्रों को दे ख सकते हैं, उनका कहना है कक ये चक्र तरल के समान
हदखने वाले रोशनी के भंवरों के समान है , हर एक का अपना रं ग होता है , जो लगाता जहिल आकृततयों में
घूमते रहते हैं। वे कहते हैं कक चक्र ब्रह्माण्ड से ऊजाा लेने वाले अंग है जो सभी को घेरे रहती है (प्रार् और
की)।”2
चीनी भोजन िेरापी: यीन और याँग के ववचार को भोजन और पाककला के क्षेर में भी इस्तेमाल ककया जाता है ।
माना जाता है कक यीन भोजन शरीर के तापमान को घिाते हैं (जैसे - चयपचाय दर घिाना), जबकक याँग भोजन
शरीर के तापमान को बढाते हैं (जैसे- चयपचाय दर बढाना)।
चीनी परं पाररक जडी-बूट : परं पाररक चीनी जडी-बूिी में प्रमयेक बूिी में “पाँच स्वादों” (तीखा, माठा, खट्िा, कडवा,
नमकीन) में से एक या एक से अधिक स्वाद होता है , और प्रमयेक के अलग काम और होते हैं, और की के
“पाँच तापमानों” में से एक होता है , जो यीन और याँग के स्तर को दशााते है जो ठं डा (यीन का छोर), शीतल,
न ठं डा न गमा, गमा और बहुत गमा (याँग का छोर) तक होता है । थेरावपस्ि द्वारा मरीज के शरीर का ऊजाावान
तापमान और काया दशा का जायजा लेने के बाद वह जडी-बूहियों वह लमश्रर् लेने को कहता है जो तारतबय को
संतलु लत करे ।
चीरोप्रैजक्टक: “संपूरक धचककमसा का एक प्रर्ाली जो जोडों के असंरेखर् का पता लगा कर उपचार करे , खास कर
रीढ का, जहाँ ये नसों, माँसपेलशयों, और अंगों को प्रभाववत कर दस
ू रे तकलीफ उमपन्न करते हैं।” (ऑतसफोडा
अमेररकन डडतशनरी.) परं पाररक धचरोप्रैजतिक दशानशास्र का मानना है कक रीढ के जोड की तकलीफे शरीर के
अन्य कायों और “अंतजााततय बुजध्द” (यह शजद डैतनएल डेववड पाल्मर, चीरोप्रैजतिक दशानशास्र के संस्थापक, के
द्वारा हदया है ) में बािा डालती है । इस अविारर्ा (जहाँ “जीवन शजतत पर तनभार है जो रसायतनक या भौततक
शजतत से अलग है ”- ऑतयफोडा अमेररकन डडतशनरी) का मानना है कक सभी जीव में “अंतजााततय बुजध्द” है और
यह शजतत शरीर के व्यवस्था, संरक्षर् और चंगाई ललए जजबमेवार है । कहा जाता है कक तंर तंबरका से व्यविान
हिाने से (रीढ का सामंजस्य बना कर) “अंतजााततय बजु ध्द” शरीर के अंदर से ही रोग को चंगा कर सकता है ।
चीरोप्रैजतिक दतु नया के बाहर, वैज्ञातनक शोि ने पाया है कक प्रमयेक कोलशका अपना ललए खुद ऊजाा का उमपादन
करती है और मेरुदं ड को क्षतत पहुँचने पर भी कोलशकाओं और तंतुओं काम जाती रहता है । साथ ही, यह भी
पाया गया है कक चीरोप्रैकहिक के कुछ उपचार माँसमेलशयों के ददा से तनजात पाने में मदद करते हैं, उनमें
रततसंचार बढते हैं, जोडो का क्षमता बढते है , और कुछ हड्डडयों को सही स्थान पर जस्थत करने में मदद करते
हैं।
ऊजाा बहाव: नए दौर की कई ऐसी अविारर्ाएँ हैं जो ऊजाा के बहाव से रोग का पता और उपचार ककया जाता
है । नए दौर के अनेक अनय
ु ायी शरीर संरचना ववज्ञान के मानकों को साफ तौर पर अस्वीकार करते हैं। उनका
कहना है कक हमें ऊजाा पर आिाररत चंगाई प्रर्ाली की जरूरत है न की भौततक वस्तओ
ु ं पर आिाररत।
होसर्योपैिी: यह मरीजों को चंगा करने के ललए बहत फीके दवाईयों से ककया जाता है जो रोग के लक्षर् के
समान प्रभाव दे ते है । इसका मल
ू लसध्दांत या है कक “लोहा लोहे को कािता है ।” उदाहरर् के ललए, यहद ककसी
व्यजतत को दस्त हो जाए, होलमयोपैथ उसे ऐसी बि
ू ी या अन्य वस्तु दी जाती है जजससे दस्त होता है । दवा को
कई सौ से हजारों बार फीका ककया जाता है , जजसके कारर् अंततम घोल में दवा न के बराबर रह जाता है । यहद
यह दवा असरदार होता है , तो यह ववज्ञान के मूल लसध्दांत के ववपररत होता है । कई आिुतनक होलमयोपैथों का
मानना है कक पानी का एक याददश्त होता है जो दवा के गैरमौजूदगी में होलमयोपैथी घोलों को काम करने में
मदद करतै है ; हलाँकक इसका कोई वैज्ञातनक आिार नहीं है ।
िम्र्ोहन: मरीज के चेतना को बदलने के ललए जजसमें वह आज्ञा मानने को तैयार रहता है , सबमोहनकर्त्ाा कई
चीजों का प्रयोग करता है (रोशनी, संगीत, और आवाज दह
ु राता है )। व्यजतत के इच्छा शजतत में और महसूस
करने की क्षमता में भरी कमी आती।
चुम्बक: आिुतनक चुबबक कई आकार और प्रकार के आते हैं; जैसे अंगूठी, घडी, चूडी, बेल्ि, जूते में लगाने के
ललए, यहाँ तक की बबस्तर पर लगाने के ललए भी। इस थेरापी का प्रचार करने वालों का कहना है कक इससे
90% रोगों 10 लमनि में ही आराम लमलता है । चुबबक के बारे भी कहा जाता है कक ये मेरेडडयनों में ऊजाा के
संतुललत बहाव को तनयंबरत करते हैं और “चुबबक की कमी”, जजससे से हम सभी कधथत रूप से पीडडत हैं, को
ठीक करता है । सब चब
ु बक बरू े नहीं होते हैं- दे खा जाए तो वे रोगों के पहचान में बहुत मददगार हैं
(एम.आर.आई.) और अिय्यनों से पता चला है चब
ु बकीय क्षेर ददा तनवीरर् में मदद करते हैं।
ररफ्िेक्िोिॉजी: हलाँकक यह सच है कक शरीर में कुछ ररफ्लेतस आका हैं, ररफ्लेतसोलॉजी भी एतयुपंचर के
मेरेडडयन रे खाओं पर ही आिाररत है । कफर से, आिार ऊजाा है । पैर का अंगठ
ू ा और हथेली इस चंगाई प्रर्ाली में
बहुत महमवपूर्ा है । इसका मानना है कक ऊजाा के ये केंद्र शरीर के ववभन्न अंगों से जड
ु े हैं। ररफ्लेतसोलॉजजस्ि
के मुताबबक कुछ स्थान में ऊजाा का संकुलन हो जाता है जजसे तोडना जरूरी होता है (माललश या खास स्पशा
से) ताकक ऊजाा सही तरह से बह सके। इस अविारर्ा के दावों के बावजूद, मवचा और तंर तंबरका को
माईक्रस्कोप में जाँचने करने पर ऐसे कोई ऊजाा से संकुललत हहस्से नहीं पाए गए!
रे की: चंगाई तकनीक जजसमें थेरावपस्ि स्पशा के मदद से मरीज के शरीर में ऊजाा डालता है , जजससे प्रकृतत
चंगाई प्रकक्रया को सकक्रय करता है और शारीररक और भावनाममक रूप से स्वस्थ बनाता है ।
टाई-क्ऱि: 19 धगततववधियों की श्रींखला और 1 आसन लमल कर इस ध्यान पर आिाररत व्यायाम है जजसे इसके
अभ्यासकर्त्ाा शारीररक और आजममक स्वास्थ्य और साथ ही “की” के ववकास और संतुलन के जजबमेदार मानते
हैं।
जा्-ू टोन्हा और शकुन: यह अभ्यास जजसे बाइबल में तनजन्दत है (दे खें 18:10-12), सभी सभ्यताओं में पाया
जाता है , दोनों प्राचीन और आिुतनक। इस अभ्यास का प्रयोग कर लोग घिनाओं के अथा या कारर् बताते है
और कभी कभी भववटय भी बताने का दावा करते हैं। इस तकनीक में ज्योततष, ऑग्यरी (धचडडयों की उडान),
िै रो या दस
ू रे काडा, हस्तरे खा ववद्या, कक्रस्िल बॉल, जानवरों के अंग, फेंग शुई, अंक ववद्या, स्वप्न, नाम,
ओईजा बोडा, छड, दपान, प्रेत ववद्या (काला जाद)ू , और अन्य।
योग: हलाँकक करोडों अनुयायीयों के साथ योग आज सबसे ज्यादा अपनाए गए व्यायामों में से एक है , वह उतना
मासूम नहीं है जजतना वह हदखता है । योग के कम से कम नौ प्रकार हैं परं तु सभी का आिार एक है । एक
प्रख्यात योगी द्वारा बताए गए इसके आिार पर ध्यान दें :
ईश्वर-चेतना, स्व-चेतना के पास पहुँचने के अनेक पथ है । योग ऐसा ही एक राह है । योग में ही कई राह है
और प्रमयेक के अपने गुरू है । योग, जजसे आप “अहम” कहते है को आपके समय, जजसे हम “स्वयं” कहते हैं,
से लमलाता है । योग का अथा सािन और जरूरत, दोनों है । जब कहा जाता है कक आप योग कर हैं, इस अथा
है आप योग के तकनीक का प्रयोग स्व-चेतना प्राप्त करने के ललए करते हैं। इन तकनीकों में हाथ का
अभ्यास, साँस तनयंरर्, स्वाथारहहत काया, ध्यान, आमम समपार्, मन के स्रोत को ढूढना, और अन्य। एक
तरह से दे खा जाए तो, सभी चीजें स्वयं के पास जाने के रास्ते हैं, चँकू क ये सहदयों से सफलतापव
ू क
ा लसखाए
और इस्तेमाल ककए गए हैं, योग में इन्हें अधिक महमव हदया जाता है । 3
5 िे स्िीमनीज, पृपृ. 192,193। “हलाँकक हम बुतपरस्त दे वताओं की पूजा नहीं करते हैं, कफर भी हजारो लोग
शैतान के मंहदर में पूजा करते हैं जैसा की इस्राएली राजा ने ककया था। ववज्ञान और लशक्षा के प्रभाव में
बहुपरस्त दे वताओं की पज
ू ा की आममा आज भी व्याप्त है और अब वह पहले से ज्यादा आकषाक है ...
बुतपरस्त दे वताओं के प्रततरूप आज के प्रेत माध्यमों, अतीजन्द्रयदशी, और ज्योततष में है । एक्रोन और एनदोर
की रहस्यमयी स्वर आज भी अपनी झूठी बोली से लोगों को बहका रहे हैं। अंिेरे का राजकुमार एक नए
अवतार में आया है । मतू तापज
ू ा के रहस्य का स्थान रहस्यमयी संस्थान और अधिवेशन, अचधचात और
आश्चयाचककत करने वाले आज के िोन्हा करने वालों ने ले ललया है । उनके प्रकििीकरर् को हजारों लोग
खुशी से अपना रहे हैं जो परमेश्वर के शजद या उसके आममा की रोशनी को नहीं अपनाते हैं। जब वे प्राचीन
जादग
ू रों को नीच दृजटि से दे खते हैं, वह महान िोखेबाज अपनी जीत पर खुश होता है , जैसे वे उसके कला
के नए रूप के सामने समपार् कर दे ते हैं।
उसके माध्यम आज भी रोग चंगा करने का दावा करते हैं। वे बबजली, चुबबकीय शजतत और “लसमपैथेहिक
उपचार”, या मनुटय के मन के छुपे शजततयाँ को इसके श्रेय दे ते हैं” जबकक सच तो यह है कक वे शैतान के
सािन हैं। इस तरह वह मनुटयों के मन और दे ह पर कजजा कर लेता है ।”
2 सेलेतिे ड मेसेजेस, पृपृ, 53-54. “मुझे यह बताने की आज्ञा दी गई है कक भववटय में अमयन्त सतककाता
की जरूरत होगी। परमेश्वर के लोगों में आजममक अज्ञानता नहीं होना चाहहए। दटु ि आममाएँ मनुटयों के मनों
को तनयंबरत करने के ललए सकक्रयता से काम कर रहे हैं। लोग में गठररयों में जुड रहे है , अंततम हदनों में
आग में भस्म होने को तैयार। जो मसीह और उसकी पववरता को नकारें गे, जगत में फैल रही कुतका को
अपनाएँगे। मसीहहयों को सचेत, सतका और दृढता से ववरोिी शैतान का सामना करना है , जो गरजते हुए
लसंह की नाई, इस खोज में रहता है कक ककसको फाड खाए। दटु ि आममाओं के प्रभाव से लोग आश्चयाकमा
जजस तरीके से यीशु ने काम ककया, वह है वचन का प्रचार, और पीडडतों को आश्चयाजनक चंगाई से राहत
हदया है । पर मैं कहा गया है कक हम इस तरह से काम नहीं कर सकते, तयोंकक शैतान आश्चयाकमा करके
अपना शजतत हदखाएगा। परमेश्वर के सेवक अब चममकारों से काम नहीं कर सकते हैं, तयोंकक चंगाई के
काम, जजनका दावा होगा कक वे ओलौककक है , ककए जाएँगे।
इसललए परमेश्वर ने अपने लोगों के ललए शारीररक चंगाई का काम वचन के प्रचार के साथ करने के ललए
रास्ता बनाया है । अस्पताल बनाए जाने हैं, और इन संस्थानों के साथ उन सेवकों को जड
ु ना है जो सच्ची
धचककमसीय लमशनरी काम को आगे बढाएँगे। इस तरह से न लोगों के आस पास सरु क्षा दे ने वाला प्रभाव
खडा रहे गा जो अस्पतालों में उपचार के ललए आएँगे। यह राह परमेश्वर द्वारा तैयार ककया गया है जहाँ
अनेक लोगों के ललए सुसमाचार धचककमसीय लमशनरी काया ककए जाएँगे।”
कब इस्लेमाल करें
कब इस्तेमाल न करें
तनटकषा
5 िे जस्िमनीज, पृ. 443. “चंगाई के कला के अभ्यास के अनेक तरीकें हैं, परं तु केवल एक ही तरीका है जो
स्वगा को स्वीकार है । परमेश्वर की औषधियाँ प्रकृतत के सरल सािन हैं जो न शुल्क लेते और न ही अपने
शजततशाली गुर्ों के द्वारा बलहीन बनाते हैं। स्वच्छ वायु एवं जल, सार्फ सर्फाई, उधचत आहार, जीवन की
पववरता, और परमेश्वर पर दृढ ववश्वास वे औषधियाँ हैं जजनकी कमी की वजह से हजारों मर रहे हैं; कफर भी ये
औषधियाँ अप्रचललत हैं तयोंकक इनका तनपुर् इस्तेमाल के ललए ऐसे कायों की जरूरत है जजसे लोग पसंद नहीं
करते। वायु, व्यायाम, स्वच्छ जल, और सार्फ सुथरा पररसर सबके पहुँच में है वह भी बहुत कम खचा में , दोनों,
सािन और शरीर पर उसके प्रभाव के हहसाब से।”
1
Kavoussi, B. (2009). Astrology with needles. Retrieved from://www.sciencebasedmedicine.org/index.php/astrology-with-needles/
2
Khalsa, Shakta Kaur. (2001). K-I-S-S Guide to yoga. New York: DK Publishing.
3
Hittleman, Richard. (1983). Yoga For Health: The Total Program. New York, Ballantine Books.
विषय सि
ू ी
अपेक्डडतस क – पन
ु जणलीिृि िरने िाले िरल ................................................................................... 111
जलचिकित्सा शब्द को दो हिस्सों में बाटााँ जा सकता िै जल= पानी +चिकित्सा= उपचार। शब्दकोश में इसकी
पररभाषा िै कुछ रोगों के इलाज में पानी का ऊपरी उपयोग। जलचचककत्सा (रोग या चोट के इलाज में ) में पानी
का इस्तेमाल इसके तीन रूपों में से ककसी भी रूप में ककया जा सकता िै - ठोस, िरल, या भाप।
जलचचककत्सा और िमारा शरीर तापमान में िोने वाले बदलावों को लेकर िमारा शरीर बेिद सींवेदनशील िै ।
जलचचककत्सा के उपयोग:
लमननस्री ऑि िीललींग, पृ. 237. “ददम से राित और रोगों से छुटकारा पाने के ललए पानी के इस्तेमाल के अनेक
तरीके िै । सभी को इसके सरल घरे लू उपचार सीखने चाहिए।”
लमननस्री ऑि िीललींग, पृ. 146. “सभी सुसमाचार प्रचारकों को ये सरल उपचार दे ना आना चाहिए जो ददम से
राित और रोग से छुटकारा दे ते िैं।”
लमननस्री ऑि िीललींग, पृ. 237. “रोग में और आरोग्य में , शुध्द जल स्वगम के सबसे उमदा आशीषों में से िै ।
इसका सिी उपयोग अच्छे स्वास्थ को बढावा दे ता िै । यि वि पेय िै श्जसे परमेचवर ने जानवरों और मनुष्यों की
प्यास बझ
ु ाने के ललए हदया िै । प्रचुर मात्रा में पीने से, यि अींगों की ज़रूरतों की आपनू तम करने में मदद करता िै
और प्रकृनत को रोगप्रनतरोध में भी मदद करता िै । पानी का ऊपरी इस्तेमाल रक्तसींचार को ननयींत्रत्रत कर का
सबसे आसान और सींतोषजनक तरीका िै । ठीं डे पानी से निाना उत्तम िै । गमम पानी से निाने से रोमनछद्र खुल
जाते िै और गींदगी त्वचा से ननकल कर धुल जाती िै । दोनों, गमम और ठीं डे स्नान रक्तसींचार को दरु
ु स्त और
सुकून दे ते िै ।
परीं तु बिुतों ने अनुभव के आभाव में पानी के गुणकारी प्रभाव को निीीं जाना िै , और वे इसके इस्तेमाल के
डरते भी िैं। जलचचककत्सा को वो सरािना निीीं लमली िै श्जसका वि िकदार िै , और इसके कुशलतापव
ू क
म ककए
जाने वाले कायम को करने से कतराते िैं। परीं तु िर ककसी को इस ववषय में ज्ञान रखना ज़रूरी िै । ददम से राित
और रोगों से छुटकारा पाने के ललए पानी के इस्तेमाल के अनेक तरीके िै । ववशेषकर माताओीं को अपने पररवार
का, रोग में और आरोग्य में , ख्याल रखना आना चाहिए।”
7 मैनूश्स्िप्ट ररलीज़ेस, पृ. 378. “बिुत सारे लोगों की मत्ृ यु बुखार में दवाईयााँ लेने के कारण िुई िै । आज वे
जीववत िोते यहद उन्िें जलचचककत्सा में कुशल कममचाररयों नें उन्िें जल उपचार हदया िोता।”
मेडडकल लमननस्री, पृ. 227. “िमारे लोगों को जिरीले दवाईयों के बगैर त्रबमाररयों का इलाज करना सीखना
चाहिए...सिी तरीके से हदया गया जल उपचार बिुतों को प्राण बचा सकता िै । इस पर गिन अधय्यन की ज़रूरत
िै । मरीज के ललए उसके लसरिाने में जा कर प्राथमना करें । उन्िें परमेचवर से आशीष मााँगने के ललए प्रोत्साहित
करें ।”
1 टे श्स्टमनीज़, पृ. 604. “चार सप्तािों तक में साींस लेने में कहठनाई मिसूस कर रिी थी, और लोगों से बातें
करने में मुझे तकलीि िो रिी थी। सब्बत के पूवम सींध्या मेरे गले में सेंक लगाया गया; परीं तु लसर को त्रबना ढके
छोड़ हदया गया, और तकलीि िेिड़ों से हदमाग पर चला गया।”
मेडडकल लमननस्री, पृ. 212. “सैननटोररयम से जुड़े सभी चीज साि और व्यवश्स्थत रखें। सिाई और व्यवस्था
का प्रभाव शब्दों से ज़्यादा िोता िै । शौचालय में सभी वस्तओ
ु ीं को इस प्रकार सजाएाँ कक अनतचथयों पर अच्छा
प्रभाव िो।”
पैरीयॉक्सम एींड प्रोिेट्स, पृ. 376. “परमेचवर व्यवस्था का परमेचवर िै । स्वगम से जुड़ी सभी चीजें सींपूणम रूप से
व्यवश्स्थत िै ; स्वचगमय जीवन पूरी तरि से । सिलता, सामींजस्यपूणम एवीं सुव्यवश्स्थत कायम को िी लमलती िै ।
परमेचवर अपने कायम में आज भी उतना िी व्यवस्था चािता िै श्जतना ईस्राइल के हदनों में । श्जतने भी लोग
उसके ललए काम कर रिें िै , उन्िें बुश्ध्दमानी के साथ काम करना िै , न की लपरवाि और बेतरतीबी। वि चािता
िै कक उसका काम ववचवास और शुध्दता से परू ा िो, ताकक वि उस पर अपने स्वीकृनत की मि
ु र लगा सके।”
अनतररक्त अधय्यन के ललए पढें : 2 सेलेक्टे ड मैसेजेस, पृ. 279-308, 2 राजाओीं 5:1-4, 1 कुररश्न्थयों 14:40.
ु तक “माई
वि बिुत प्रलसध्द िुआ, शािी पररवार, पोप, और अन्य ककसानों का उसनें उपचार ककया। उसकी पस्
वाटर क्योर” को लोगों ने पसींद ककया, और शुरूआत के पााँच सालों में िी 50 बार छापा गया। उसने बिुत लोगों
को अपने अपने दे शों में जलचचककत्सा के सींस्थान स्थावपत करने के ललए प्रोत्साहित ककया। 4,5
1852 में रटे प्रहटक एट राईसोने डी’िाईड्रोथेरापी शीषमक से लई
ु फ़्लेउरी नें जलचचककत्सा पर पिला काम
प्रकालशत ककया। जरमनी के ललबरमास्टर, ब्ााँड, और ज़ेम्सेन एवीं ववलिे म ववन्टरननट्ज़ ने और अचधक अधय्यन
के बाद जलचचककत्सा के और भी ज़्यादा वैज्ञाननक त्यों को एकत्र ककया। ववनेटरननट्ज़ ने जलचचककत्सा का एक
बेितरीन वैज्ञाननक आधार बनाने में मदद ककया और इस पर एक ववस्तत
ृ लेख भी ललखा, श्जसे 1883 में
अाँग्रेजी में अनुवाद ककया गया।5,21
1830-40 के बाद युनाईटे ड स्टे स में जलचचककत्सा के प्रनत रूचच बढता गया और 1840-1900 के बीच 231
अस्पताल खोले गए जो मरीजों का ईलाज मुख्यतः जचचककत्सा से करते थे। 1850 के आसपास द वाटर क्योर
जरनल नाम के पत्रत्रका के बढ कर 100,000 िो गए।4 यि और इसी तरि के अन्य पत्रत्रकाओीं ने आम लोगों को
रोगों और उनके कारणों के बारे जानकारी दे ने में बिुत मदद ककया और उन्िें कड़े दवाईयों के बजाए सरल
उपचारों के प्रयोग करने के ललए प्रोत्साहित ककया।
जलचचककत्सा लेने के इच्छुक व्यश्क्त के साथ प्राथमना करें (यहद वे राज़ी िों)।
सरल और साि तौप पर उपचार में िोने वाले चरणों के बारे समझाएाँ।
व्यश्क्त ठीक से गमम निीीं िो पाता िै या पसीना निीीं आता िै : व्यश्क्त को गमम पानी वपलाएाँ, और भी
अचधक चादर ढकें, पीठ पर गमम पानी का सेंक रखें, या पैरों को गमम पानी में डुबाएाँ (जब तक व्यश्क्त
में “पैरों का गमम पानी स्नान” के तित हदए गए लक्षण निीीं िों)।
कुछ परस्थनतयों में व्यश्क्त में काबमन डाइऑक्साइड के अत्यचधक ननकासी के कारण अनतवातायनता
(िाइपवेन्टलेशन) िो सकती िै । उसे चक्कर आ सकता िै , सुन्न पड़ सकता िै , और िाथ-पैर में लसिरन,
िााँिनी, और अनतवातायनता के साथ जुड़े अन्य लक्षण मिसूस कर सकता िै । व्यश्क्त को लक्षण के
कारण बताएाँ, क्योंकक बिुत बार कारण जानने से बेचैनी कम िो जाती िै , और अनतवातायनता अपने
आप ठीक िो जाती िै । आप व्यश्क्त को आपने साथ धीरे के गिरी सााँस लेने के ललए प्रेररत करें , या
एक कागज के थैले में तब तक सााँस लेने को किें जब तक की लसिरन खत्म न िो जाए।
रक्तचाप में अचानक चगरावट आने से चक्कर या कमज़ोरी मिसूस िो सकती िै । यहद व्यश्क्त अचानक
खड़ा िो जाए तो उसे तुरींत बैठने को किें और कुछ दे र इींतज़ार करने के बाद धीरे से उठने को किें ,
किर कुछ दे र वैसे िी इींतज़ार करने के बाद चलने की इजाज़त दे । उपचार दे ने वाले को िमेशा उपचार
लेने वाले व्यश्क्त के बगल खड़े रिना चाहिए ताकक वि व्यश्क्त को चक्कर आने पर मदद कर सके।
काउन्सेल्स ऑन िे ल्थ, पृपृ. 363, 364. “परमेचवर द्वारा हदए गए रोशनी के अनस
ु ार जिााँ तक सींभव िो,
महिला मरीजों की सेवा महिला चचककत्सक से करे , और पुरूषों की सेवा पुरूष चचककत्सक करे ... िमारे सींसथानों
में महिलाओीं को पुरूष चचककत्सकों नाजुक उपचार निीीं हदए जाने चाहिए। महिला मरीज को पुरूष चचककत्सक के
साथ अकेले निीीं िोना चाहिए, चािे वि खास जााँच या उपचार िो... महिलाओीं को महिलाओीं के सेवा के ललए
भली भााँनत लशक्षक्षत करें और पुरूषों को पुरूषों के सेवा के ललए।।”
अध्याय 5- महत्िपण
ू ण संिेि
मित्वपूणम सींकेतों में शालमल िै धड़कन, तापमान, और रक्तचाप। व्यश्क्त के शारीररक चगनतववचधयों के स्तर को
जााँचने के ललए इन सींकेतों को दे खा, नापा, और ननयींत्रत्रत ककया जा सकता िै । समान्य मित्वपूणम सींकेत उम्र,
ललींग, वजन, कसरत करने की क्षमता, और अवस्था के साथ बदलते िैं।
रक्तचाप के मूल
याद रखें कक रक्तचाप हदन भर बदलते रिता िै । अकसर वे सुबि सबसे ऊाँचे रिते जब आप उठते िैं और
टिलते िै । हदन भर में वे घटते जाते िैं और शाम को वे सबसे कम रिते िैं।
1. बााँि को िल्का मोड़ कर बैठें और बााँि को ककसी मेज पर हटका दें ताकक आपका ऊपरी बााँि आपके
हृदय के समान ऊाँचाई पर िो।
2. अपने ऊपरी बााँि पर रक्तचाप नापने वाले यींत्र का कि लपेटें। कि का ननचला हिस्सा मड़ु े िुए कुिनी
से 1 ई. (2.5 से.मी.) ऊपर िोना चाहिए।
3. िुलाने वाले बल्ब का वाल्व बींद करें । अपने दस
ू रे िाथ जल्दी जल्दी बल्ब दबा कर कि िुलाएाँ। तब
तक दबाते रिें जब तक कक पारा आपके समान्य लसस्टोललक रक्तचाप से 30 mm Hg ऊपर न पिुाँच
जाए। (यहद आपको अपना समान्य रक्तचाप का पता निीीं िै तो कि को 180 mm Hg तक िुलाएाँ।)
प्रेशर कि अस्थायी रूप से बााँि में रकतसींचार रोक दे गा।
4. अपने कुिनी के ऊपर के बड़े नस पर स्थेतोस्कोप रखें। अपने दस
ू रे िाथ से नाड़ी मिसूस कर आप
उसके स्थान का पता कर सकते िैं। यहद आप ऐसे कि का प्रयोग कर रिे िैं श्जसमें पिले से
स्थेतोस्कोप बना िो, तो ध्यान रखें कक वि नस के ऊपर िी रखा िो।
5. वाल्व को थोड़ा सा खोलें। पारा धीरे धीर करीब 2-3 mm Hg प्रनत सेकेंड की रफ्तार से चगरे गा। कुछ
स्वचचलत यींत्र अपने आप इस गनत से चगरते पारा को ननयींत्रत्रत करते िैं।
6. स्थेतोस्कोप से सन
ु ें। यहद आपको धड़कने की आवाज़ सन
ु ाई दे तो दबाव को तब तक बढाएाँ जब तक
की आवाज सुनाई दे ना बींद न िो जाए। जैसे की आप पारा को धीरे से चगरते दे खेंगे, डाईल पर ललखे
अींक को नोट कर ले जब आप पिली बार धड़कने वाली का आवाज़ सुनेंगे। यि आवाज बींद नस से
रक्त के बिने की कोलशश के कारण उठती िै । यि आपका लसस्टोललक रक्तचाप िै ।
7. िवा के ननकलने को जारी रखें। आवाज़ धीमा पड़ जाएगा और आखखरकार गायब िो जाएगा। आवाज़
के गायब िोने पर अींक नोट कर लें । यि आपका डाईस्टोललक रक्तचाप िै । अींत में कि खोलने के ललए
सारा िवा ननकलने दें ।
यींत्र के साथ हदए गए ननदे शों का पालन करें जैसे की वे लभन्न िोते िैं।
पररभाषा: शरीर के हिस्से को बारी बारी से गमम और ठीं डे पानी में डुबोना (गमम और ठीं डे पानी कपड़ो की मदद से
उन हिस्सों में भी हदया जा सकता श्जन्िें आसानी से पानी में डुबाया निीीं जा सकता िै )।
रक्त धमननयााँ गमी से िैलती िै और ठीं ड से लसकुड़ती िै । यि उपचार के स्थान पर (और कुछ िालातों में
ररफ्लेक्स के कारण दस
ू रे जगिों पर भी) रक्तसींचार बढाती िै । यि शरीर के अन्य हिस्सों के सींकुलन से भी
राित दे ता िै । रक्त सींचार [1] कोलशकाओीं में ऑक्सीजन और पोषक तत्वों को आपूनतम बढाता िै , [2] कोलशकाओीं
से अनचािे तत्वों का ननकासी बढाता िै , [3] चवेत रक्त कोलशकाओीं का सकियता बढाता िै । इसके कारण
स्थाननय कोलशकाओीं का चयपचाय और रोगननरोधक क्षमता बढता िै , जो उपचार हदए जा रिे हिस्से को जल्दी
चींगा िे ने में मदद करता िै ।
िब उपिार दें
स्थाननय सींिमण (हदन में 2-6 बार उपचार दें ताकक शरीर के स्थाननय प्रनतरोधकों को सींिमण से
लड़ने में मदद करे )।
मााँसपेलशयों में मोच, और अन्य जख़्म िोने पर (चोट के गींभीरता के मत
ु ात्रबक, पिले 24-48 घींटो तक
बिीले पानी से िी उपचार करें )।
फ्रैक्चर जल्दी ठीक करने के ललए (जलचचककत्सा शुरू करने से पिले कुछ हदन इींतज़ार करें )।
गहठया
सर ददम (िाथ पैर का उपचार करें )।
इडेमा (द्रव्य के न बिने के कारण शरीर का िुलना)
पैरों में ठीक से रक्त सींचार ना िोने पर, श्जससे त्वचा िटता िै , त्वचा में घाव िोते िैं, आहद।
सािर्ातनयााँ
सुन्न मिसूस करने पर, या पैरों में रक्त धमननयों के रोग िोने (जैसे मधुमेि) पर अत्यचधक गमम या
ठीं डे पानी का प्रयोग न करें । ऐसी श्स्थनतयों लसिम गुनगुना और शीतल पानी का प्रयोग करें , और धीरे
धीरे गमम पानी का तापमान बढाएाँ और ठीं डे पानी का तापमान घटाएाँ। यि जानने के ललए कक वि
तापमानों को ककतना सि पा रिा िै , व्यककत को ध्यान से दे खे।
सींिमण न िैलाने के ललए सतकम रिें । सींिमण या घाव िोने पर दस्ताने पिनें और खल
ु े घाव का
उपचार करने के बाद जलचचककत्सा के सामचग्रयों को रोगाणम
ु ुक्त करें ।
ऐसे स्थाने का उपचार करने से बचें जिााँ रक्त बिने या िे मारे ज का खतरा िो।
मललग्नन्सी (असाध्यता) के िालत में , इस उपचार का प्रयोग लसिम जलचचककत्सा में दक्ष चचककत्सक
के दे ख रे ख में िी करें ।
सामचियााँ
2 बड़े पतीले- 1 गमम और एक ठीं डे पानी के ललए (इतने बड़े कक उपचार ककए जाने वाले हिस्से
आसानी से डूब जाए)
1 केतली बिुत गमम पानी
1 बिम से भरा बाल्टी
1 तौललया
वैक्लवपक उपकरण: चादर या िल्का कींबल (सभ्यता या गमी के ललए- उपचार ककए जाने वाले हिस्से
पर ननभमर), बिीले पानी से भर एक पतीला और दो खीसे (पसीना आने पर सर ठीं डा करने के ललए)
उपचार के बाद सामचग्रयों के साि करने के ललए कीटाणुनाशक
उपिार िी विचर्
1. उपचार की तैयारी
कमरा गमम करें और सारे सामचग्रयों को इक्कठा करें ।
व्यश्क्त को उपचार की ववचध बताएाँ और उसे तैयार िोने में मदद करें ।
2. उपचार
प्राथमना करें
गमम पानी के स्नान से शुरू करें । मध्यम तापमान से शुरू करें ; सिने के हिसाब से तापमान बढाएाँ
(पेररिेरल वास्कुलर रोग या मधम
ु ेि की श्स्थनत में 102°F (39°C)से ज्यादा न बढाएाँ)। 3 लमनट बाद-
या खास पररश्स्थनत के खास समय बाद- ठीं डे पानी में डाल दे और 30 लमनटों तक हिस्से को डुबे
रिने दें ।
उपचार के दौरान, गमम और ठीं डे पानी को मनचािे तापमान पर रखने के ललए ज़रूरत के मुतात्रबक
गमम या ठीं डा पानी लमलाएाँ।
पसीना आने पर माथे पर ठीं डा कपड़ा रखें।
एक उपचार में 5-8 बार बदलाव करें ।
प्रनतहदन 1 से 4 बार उपचार दें (सींिमण की िालत में 6 बार तक)।
3. उपचार समाप्त करना
उपचार के बाद माललश दे ना िो या गहठया का उपचार कर रिे िों, उपचार को गमम पानी से समाप्त
करें , अन्यथा ठीं डे पानी से।
अींनतम बदलाव के बाद उपचाररत हिस्से को परू ी तरि सख
ू ा दें ।
नोट: पसीना आने पर (असमान्य)- गीले कपड़े िटा दें , शरीर सूखाएाँ, और साि कपड़े पिनाएाँ। किर
20-30 लमनटों का आराम लें ।
खास सलाह
1. स्थातनय संिमण, मााँसपेलशयों और जोड़ों िे जख्म
मााँसपेलशयों और जोड़ो के जख्मों को बिीले या ठीं डे पैक से उपचार करें , आराम करें , जख्मी
भाग को ऊाँचे पर रखें, 24-28 घींटे तक न हिलाएाँ (गींभीरता पर ननभमर)। सिारा के ललए बैन्डेज
पररभाषा: स्थानीय स्नान श्जसमें पााँव और एड़ी ढकते िैं- तापमान समान्यतः 100-115°F(38-46°C) के बीच
िोता िै ।
इस उपचार को अकेले या ककसी और उपचार के साथ ललया जा सकता िै जैसे सेंक या गमम कमप्रेस। पैरों का
गमम स्नान पूरे शरीर के रक्त सींचार को प्रभाववत कर सकता िै । गमी पैरों के रक्त धमननयों को िैलाती िै , इस
तरि शरीर के दस
ू रे हिस्सों के अनतररक्त रक्त को पैरों में ले आती िै और हदमाग (लसरददम ), िेिड़ों, और
पेश्ल्वक अींगों में सींकुचन से राित दे । यि चवेत रक्त कोलशकाओीं को भी सकिय करने में मदद करता िै ।
उपिार िब दें
सदी, खााँसी और ज़ूकाम से बचने में मदद करे या ठीक िोने में मदद करे
सींकुचन से राित दे (सींकुचन के कारण लसरददम , नाक से रक्त स्राव रोके, छाती के सींकुचन, पेश्ल्वक
सींकुचन, आहद)
पेश्ल्वक ददम , या प्रोस्टे ट के ववकार
शरीर के ककसी भी हिस्से के ददम रे राित दे (दााँत ददम से पीठ ददम तक)
थकान और नवमस तनाव से राित दे
माललश या उपचार की तैयारी में शरीर को गमम करे
सािर्ातनयााँ
सावधान: मधम
ु ेि रोचगयों और अन्य रोचगयों श्जन्िें सन्
ु न मिसस
ू िो या पैरों में रक्तसींचार की कमी
(या रक्तसींचार में बाधा िो) िो मे मध्यम तापमान के प्रयोग करें (102°F(39°C) से अचधक निीीं)।4
गमम पानी लमलाते वक्त, व्यश्क्त को जलने से बचाने के ललए अपने िाथ व्यश्क्त के पैरों और गमम
पानी के बीच रखें।
सामचियााँ
1 कुसी
1 बड़े बाल्टी में पानी
1 ठीं डे पानी का पतीला (ठीं डे पानी में बिम लमलाएाँ यहद सींभव िो) माथे पर ठीं डे कम्प्रेस के ललए
1 केतली या बतमन बिुत गमम पानी के ललए
2 खीसे (सर के ठीं डे कम्प्रेस के ललए
2 बड़े तौललए
1 चादर
1 कींबल
1 चगलास पानी (और पाईप- पीना आसान करे )
1 तौललया या चटाई बाल्टी के नीचे रखने के ललए (ताकक छीटें सोख ललए जाएाँ और व्यश्क्त को
उपचार के बाद गीले िशम पर पैर न रखना पड़े)
व्यश्क्त को पूरे उपचार के दौरान पानी पीने दें ताकक पसीने के खोए पानी की पूनतम की जा सके। (नोट:
यहद आप ओरल थमाममीटर से तापमान नाप रिें िो, तो ध्यान दें कक पानी तापमान नापने के बाद िी
दे , क्योंकक पीने से कृत्रत्रम रूप से तापमान कम िो जाता िै ।)
समय समय पर पतीले में गमम पानी डालें । गमम पानी डालते वक्त व्यश्क्त के पैरों और डलते पानी के
बीच िाथ रखें (पैर को जलने से बचाने के ललए)। डालते वक्त पानी को घोलें । लक्ष्य के हिसाब (नीचे
दे खें) से उपचार को 15-20 लमनटों तक जारी रखें।
3. उपचार समाप्त करना
पैरों को गमम पानी से बािर ननकालें और अींगूठों को ऊपर की ओर रखें। पााँव में जल्दी से ठीं डा पानी
डालें ।
पतीले को िटाएाँ और पैरों को सख
ू े तौललए पर रख दें । पााँव व ऊाँगललयों को अच्छी तरि सख
ु ा लें (ज़ोर
से न रगड़े क्योंकक ऐसे करने पर त्वचा नछल सकता िै )। ठीं ड से बचाने के ललए सूखने के तुरींत बाद
गमम मोजे पिना दें ।
यहद िल्का उपचार हदया गया िो (सींकुचन, आराम, ददम , आहद.), और िल्का पसीना आए, त्वचा को
जल्दी जल्दी ठीं डे खीसे से रगड़ें, और किर त्वचा को तौललए से सुखा दें । गीले कपड़े िटा कर साि सूखे
कपड़े पिनने को दें । उपचार के बाद व्यककत को 20-30 लमनटों का आराम लेना चाहिए। आराम के
दौरान भी यहद पसीना आए, तो उपचार को समाप्त करने के ललए ठीं डे पानी से निी भी सकते िैं।
यहद तीव्र उपचार हदया गया िो (सदी, ज़ुकाम, प्रनतरोधक को सकिय करने के ललए, आहद) और भारी
मात्रा में पसीना आए, गमम मोजे पिनाने के बाद, व्यश्क्त को कींबल और चादर से ओढा दें , उन्िें
त्रबस्तर पर ललटा दें (यहद त्रबस्तर के चादर ठीं डे िों ते ठीं ड से बचाने के ललए चादर और कींबल को रिने
दें ) और एक घींटे तक पसीना िोने दें । यहद उन्िें गीले कपड़ों से ठीं ड लगे तो तुरींत उनके गीले कपड़े
बदल दें । आराम करते वक्त व्यश्क्त को माथे पर ठीं डा कपड़ा रखने की इच्छा िो सकती िै । एक घींटा
आराम करने के बाद, जब उनके तापमान समान्य िो जाए, व्यककत उठकर उपचार के दौरन ननकले
गींदगी को धोने के ललए स्नान कर सकता िै ।
खास सलाि
1. सींकुचन के कारण लसरददम , िेिड़ो के सींकुचन, पेश्ल्वक अींगों के सींकुचन के ललए, अन्य पररश्स्थनतयााँ
जिााँ िल्के उपचार की ज़रूरत िो।
इस पररश्स्थनत में , सींकुचचत रक्त का बिाव, आराम, या ददम ननवारण उपचार का प्राथलमक लक्ष्य
िोता िै । ऐसे में , कींबल, और गदम न एवीं कींधे को ढीं कने वाले तौललए की ज़रूरत निीीं िोती, और
लक्ष्य में व्यश्क्त को पसीना कराना निीीं िै । बदले में , सींचार सींतुललत करना और आराम दे ना
लक्ष्य िै । इसललए, तापमान को बिुत ऊाँचे तापमान पर एक समान बनाए रखना िै । उपचार को
लक्ष्य िालसल (जैसे: लसरददम से राित) करने के कुछ दे र तक िी जारी रखा जाता िै और 15-20
लमनट में समाप्त ककया जाना चाहिए। ज़रूरत के मुतात्रबक उपचार दि
ु राया जा सकता िै ।
2. सदी, ज़क
ू ाम और अन्य सींिामक रोग
बर्ण से माललश
(दे खें ररिरें स- 2,4,16)
पररभाषााः ताप उपचार श्जसमें नम, गमम िवा से नघरा रिता िै , जबकक सर इस गमम, नम वातावरण के बािर
रिता िै ।
शारीररि प्रभाि
उपिार िे संिेि
सािर्ातनयााँ
उच्च रक्तचाप
हृदय रोग (वास्कुलर एवीं एथेरोस्क्लेरोसोलसस शालमल)
मधुमेि, गमी के प्रनत सींवेदनशील
ननबमलता
उपिरण
उपचार प्रकिया
ठीं डे झोकें रहित, कमरे को गमम रखें, और सारे उपकरण एक जगि जमा कर
लें ।
व्यश्क्त को परू ी प्रकिया समझाएाँ
व्यश्क्त को उपचार के ललए तैयार िोने के ललए मदद करें (छोटी पतलून और
टी शटम - समान्यतः सूती ज्यादा आरामदायक िोता िै , या लसिम जींनघया, या त्रबना कपड़ों के -
व्यश्क्तगत चुनाव पर ननभमर)
भाप पैदा करने वाले स्रोत को कुसी के नीचे रखें (यहद केतली के इस्तेमाल कर रिें िो तो उसे ऐसे
रखें कक केतली का माँि
ु कुसी के पीछे की ओर िो)। यि सुननश्चचत करें कक गमी पैदा करने वासा
स्रोत आग न लगाए।
कुसी को 1 या 2 तौललयों से ढीं क दें ताकक व्यश्क्त न जले।
पाींव डुबाने वाले बतमन (टब) में एडड़यों को ढकने तक पानी भरें (गमम पाींव स्नान के सावधाननयााँ
दे खें)
2. उपचार
प्राथमना करें ।
सावधानीपव
ू क
म व्यश्क्त के पाींवों के गमम टब में डालें ।
व्यश्क्त और पाींव के टब को पूरी तरि चादर और कींबल से ढकें (भाप को अींदर िी रखने के ललए,
शावर के पदों को चादर और कींबल के बीच रख सकते िैं)।
नमि से दमि
(दे खें ररिरें स 2,4,15,16)
पररभाषााः गीले को व्यश्क्त के त्वचा पर रगड़ना ताकक त्वचा में चमक आए और सति पर खन
ू की ताज़ी
आपूनतम िो।
त्रबना ताप या ठीं डक के, मकैननकल श्स्टम्यलैशन के द्वारा सतिी रक्तसींचार बढाए
रक्तसींचार बढाए
स्नायु की गनतववचधयााँ बढाए * भले चींगे िोने का एिसास कराए
िब यह उपिार दें
सामचियााँ
उपिार विचर्
1. ध्यान रखें
कमरे को गमम रखें और जल्दी उपचार दें तेकक व्यश्क्त को ठीं ड न लगे।
उत्तेजना िोगी और ज्यादा गीला िोने पर वि त्वचा को रगड़ निीीं पाएगा।
उपचार के बाद यि सुननश्चचत करें कक सारा नमक धुल जाए।
3. उपचार
4. समापन
एक ववचध श्जसमें व्यश्क्त को एक ठीं डे गीले चादर से अच्छी तरि लपेट कर एक सूखे कींबल से ढका जाता िै ।
यि रक्तसींचार बढाता और त्वचा को गमम करता िै ।
शरीर के तापमान को ननयींत्रत्रत रखने के ललए गमम और ठीं डा करने की पध्दनत का इस्तेमाल करे ।
आन्तररक सींकुलन से राित दे ।
तींत्रत्रका तींत्र को शाींत करे ।
उपिार िब दें
पिला चरण (ठीं डा करना) गमम (ज्वर) शरीर को ठीं डा करने के ललए
दस
ू रा चरण (सामान्य) अननींद्रा, उन्माज, अचेतना, बेचैनी, मानलसक थकान
तीसरा चरण (गमी दे कर पसीना लाना) ननकोटीन ववषाक्तता, महदरापान, गहठया, ब्ोंकाईहटस, जक
ु ाम,
सदी, पीलीया (जॉश्न्डस), सराइअलसस (चमम रोग), पेम्िगस (जलपीहटका), एकश्ज़मा, डममटाइहटस
(तव्चाशोथ), दीघमकालीन रोग, मीज़ल्स (खसरा), स्कालेट ज्वर
सािर्ातनयााँ
सामचियााँ
उपिार विचर्
3. उपचार का समापन
1. ठीं डा िोना
2. न ठीं डा न गमम
3. गमी और पसीना आना
चादर के गमम िोने से पिले िोता िै (तकरीबन 5-12 लमनटों के ललए)। इस चरण की अवचध बढाने के ललए
कींबल को खोल कर चादर और व्यश्क्त पर पानी छीींटा जा सकता िै । पींखा भी ककया जा सकता िै और
अनतररक्त पानी भी छीड़का जा सकता िै ।
प्रभाि: शश्क्तशाली एींटीपाइरे हटक।
तब शुरू िोता िै जब पैक का तापमान त्वचा से थोड़ा ज्यादा िो जाता िै । व्यककत के गमम िोने पर कुछ सूखे
कींबल को िटा कर इसकी अवचध बढायी जा सकती िै , ध्यान रिे कक ठीं ड न लगे। अींत करने के ललए, एक बार
में एक िी हिस्से को िटाएाँ, अच्छी तरि सुखाएाँ, और सूखे चादर से ढीं क दें ।
प्रभाि: नीींद लाए, आराम दे ।
यि चरण तब शुरू िोता िै जब त्वचा का तापमान थोड़ा सा बढता िै । लसर और गदम न पर ठीं डे पानी दे ने से
अत्यचधक पसीना आना रुकता िै और लींबे समय तक टॉननक और गमी का प्रभाव रिता िै । टॉननक प्रभाव के
ललए पैक को 20 लमनटों तक जारी रखें। यहद पसीने की इच्छा िो, अनतररक्त कींबल का इस्तेमाल ककया जा
सकता िै , और गमम पानी के बोतल और सेंक को कींबल के अींदर रखा जा सकता िै । व्यश्क्त को नीींबू पानी या
गमम पानी वपलाया जा सकता िै । पसीना लाने के ललए लसर पर हदए गए ठीं डे कमप्रेस अत्यचधक ठीं डे न िो और
तरु ीं त न बदला जाए।
प्रभाि: उपचार को पसीना आने तक िी ककया जाए तो माध्यम टॉननक और डडराईवेहटक प्रभाव। लींबी अवचध तक
पसीना आने पर, ननकासी के ललए लाभदायक।
गमण सेंि
पररभाषा: गीले मध्यम तापमान से लींबी अवचध तक, जो कई घींटों के तक िो सकता िै , शरीर के ककसी एक
हिस्से को सेंकना।
गमम सें में एक पतले, ठीं डे गीले कपड़े को त्वचा के सति पर रखा जाता िै । इस कपड़े को एक सूखे कपड़े से
पूरी तरि ढक हदया जाता िै । जैसे जैसे इसका तापमान बढता िै , गमी के कारण रक्त धमननयााँ िैल जाती िै ।
सति की रक्त के बिाव के कारण, उपचार ककए जा रिे सति के नीचे के तींतुओीं में रक्त के सींकुचन से राित
लमलता िै , और उस हिस्से में रक्त सींचार बेितर िोता िै ।
िब उपिार दें
गला टालसलीहटस, िैररींगीहटस, लैररींगीहटस, कान ददम
1. पिले, व्यश्क्त को ठीं डा, गीला (अच्छी तरि ननचोड़ा िुआ) त्रबना बाजू वाला सूती गींजी पिनने को किें ।
त्रबना बाजू वाले गींजी के आभाव में बाजू वाला कुताम िी पिनने दें पर बाजूओीं को गीला न करें ।
2. गीले कपड़े को परू ी तरि ढकने के ललए ऊन के स्वेटर या स्वेटशटम पिना दें । ज़रूरत हिसाब से, गीले
गींजी को जल्दी सख
ु ाने के ललए अनतररक्त स्वेटर पिना सकते िैं। िवा से बचाने के ललए लींबे बाजू
वाले चुस्त स्वेटर पिना दें ।
3. गले पर गमम सेंक दें
नोट: ठीं डे, गीले भीतरी कपड़े की जगि, नघसे या भपें प्याज का प्रलेप का भी इस्तेमाल कर सकते िैं।
नोट: यहद आप कपड़े के दोनों परतों के बीच प्लाश्स्टक का प्रयोग करना चािते िैं तो कूड़े वाले बैग में िाथ
और गले के ललए छे द बना कर इस्तेमाल कर सकते िैं।
पेि- त्रबस्तर पर सख
ू े बािरी कपड़े को त्रबछा दें । ठीं डे, गीले भीतरी कपड़े को उसके ऊपर त्रबछा दें । इन दोनों के
ऊपर व्यश्क्त को ऐसे ललटा दें कक ननचला छोर कमर के नीचे िो।
पेट के ऊपर कस कर कपड़ों को लपेट दें । भीतरी कपड़े के स्थान पर चारकोल प्रलेप का उपयोग ककया जा
सकता िै ।
पैर- सोने से पिले, पतले, गीले मोजे पिन लें । ऊपर से ऊन के सूखे मोजे पिन लें । इस उपचार से पिले पैरों
का गमम िोना ज़रूरी िै ! (सावधान: एथलीट्स िूट की िालत को बदतर बना सकता िै )
भाप अलभश्िसन
पररभाषा: चवास नली के ऊपरी हिस्से के चलेष्मा खझल्ली की ओर गमम गीला िवा भेजना जो सूखे खााँसी या
सींकुचन को ढीला करे ।
शरीररि प्रभाि
चलेष्मा खझश्ल्लयााँ नम िोती िै , श्जससे जलन और सींकुचन में राित लमलता िै ।
भाप के स्रोत और उपचार लेने वाले व्यश्क्त के ऊपर एक छतरी रख सकते िैं। छतरी और
व्यश्क्त को एक चादर से ढक दें - चादर के छोरों को झूलने दें श्जससे तींबूनुमा ढाींचा बन जाए जो
भाप को व्यश्क्त के सााँस लेने के ललए रोके (नोट: यहद व्यश्क्त लेटना चािे तो उसे त्रबस्तर में
ककनारे सल
ु ा दें , किर छतरी और चादर को व्यश्क्त और भाप के स्रोत के ऊपर त्रबछा दें ताकक
व्यश्क्त का लसर “तींबू ” के भीतर, ककनारे की ओर िो और भाप का सााँस ले सके)।
यहद अचधक तीव्र उपचार की इच्छा िो तो केतली के माँि
ु में कागज़ का शींकु डालें भाप को सीधे
माँि
ु या नाक में ले जाए, ध्यान दें कक व्यश्क्त न जले।
उपचार 30-60 लमनटों के ललए हदया जा सकता िै , हदन में दो या तीन बार।
हटशू पेपर या रूमाल पास िी रखें, िो सकता िै व्यश्क्त को ढीले िो चक
ु े स्रावों को ननकाले की
ज़रूरत पड़े या खााँसे।
लगातार सााँस लेने के ललए, केतली को िॉटप्लेट पर रखें, त्रबना शींकु के और भाप को तींबू में भरने
दें ।
3. उपचार समापन
चेिरे को सावधानीपूवक
म सुखाएाँ।
यि सनु नश्चचत करें कक व्यश्क्त गमम और सख
ू ा िो।
व्यश्क्त को, उपचार की तीव्रता और अवचध के आधार पर, तकरीबन 30 लमनटों के ललए आराम
करने की सलाि दें ।
आसनीय जलतनिास
(दे खें ररिरें स 21, 22)
पररभाषा: उपचार श्जसमें व्यश्क्त ऐसे पोचचर (आसन) में रिता िै जो िेिड़ों से द्रव्य और चलेम बािर ननकालता
िै । इस उपचार को अकसर छाती की थपककयों के साथ हदया जाता िै
1. बलगल ननकालने में मदद करे श्जससे चवास नली खल
ु ती िै
नोट: यि उपचार खास कर उस वक्त ज्यादा प्रभावी िोता िै जब से जलचचककत्सा के उपचार के साथ हदया
जाता िै जैसे, भाप अलभचवसन, या सेंक:
#1- त्रबमार व्यश्क्त दाहिने ओर मुड़ कर लेट जाता िै #2- त्रबमार व्यश्क्त दाहिने ओर मुड़ कर लेट जाता िै ,
और उनके पैर श्जतना िो सके उतने ऊाँचाई पर रखे एक घुमाव का ¼ तक झुका हदया जाता िै और उनके
जाएाँ (आराम के ललए पैरों के बीच एक तककया रखा पैर ऊाँचाई पर रखे जाएाँ आराम के ललए पैरों के बीच
जा सकता िै )। स्वास््य कमी 3-5 लमनटों के ललए एक तककया रखा जा सकता िै । स्वास््य कमी 3-5
ननचले िेिड़ों को दबा कर कींपन दे ता िै । दस
ू री ओर लमनटों के ललए ननचले िेिड़ों को दबा कर कींपन दे ता
से भी दि
ु राएाँ। िै ।
पररभाषा: सेंक में शरीर के एक हिस्से में गमम, गीला कपड़ा या तौललया रखा जाता िै । प्रत्येक गमम सेंक के बाद
थोड़ी दे र के ललए शरीर के उस हिस्से को ठीं डा ककया जाता िै (पाशवमशूल, गद
ु े की पत्थरी, और ददम भरे मालसक
में ठीं डा निीीं भी दे सकते िैं)। सेंक से शरीर को ननम्नललखखत रूपों से िायदा िोता िै :
चवेत रक्त कोलशकाओीं की सींख्या बढाने के ललए।
पसीने के द्वारा त्वचा से शरीर की गींदगी ननकालने में मदद करे ।
नसों, मााँसपेलशयों, जोड़ों, और शरीर के अींगों के ददम से राित दे ।
मााँसपेलशयों को आराम दे ।
परू े शरीर में रक्त सींचार को सींतलु लत करे , इस प्रकार शरीर के अींगों को सींकुचन से राित दे ।
चलेष्मा खझल्ली के स्रावों के pH बदले (अम्लीय बनाए), श्जससे लाईसोज़ाम्स अचधक सींख्या में बैक्टे रीया
मार सके।
उपिार िब दें
सदी या ज़ुकाम, ब्ोंकाइहटस, ननमोननया, दमा, और पाशवमशूल के कारण छाती में सींकुचन
अींगो की चींगाई और बेितर कायम करने में मदद करे ।
नसों में ददम (न्यरू ालचगया)
जोड़ों और मााँसपेलशयों के ददम और सूजन (पीठ के जख्म, गहठया)
सोने में तकलीि और बेचैनी (रीढ में लींबी अवचध के ललए मध्यम ताप दें )
माललश की तैयारी में शरीर गमम करने के ललए
पसीना लाने के ललए
चवेत रक्त कोलशकाओीं की सींख्या बढाने के ललए और उन्िें सकिय करने के ललए ताकक वे स्थानीय एवीं
िैलने वाले सींिमणों से लड़ने में मदद करे
सािर्ातनयााँ
धमननयों के रोग िोने पर अत्यचधक सावधानी बरतें (मध्यम उपचार दें और पैरों के गमम स्नान में हदए
गए सावधाननयााँ बरतें ):
o हृदय रोग
o पैरों में रक्त सींचार की कमी
o मधम
ु ेि
o उच्च रक्ताचाप
इन पररश्स्थनतयों में उपचार न दें :
o कैंसर (चचककत्सक के दे ख रे ख में िी करें )
o बेिोशी
o अपेन्डीसाईहटस
लकवा रोगी, इडेमा रोगी(द्रव्यों के जमाव के कारण िूले तींतु), मधुमेि रोगी या सुन्न मिसूस करने
वाले और पैरों में रक्त सींचार की कमी िोने पर ध्यान रखें कक व्यश्क्त न जले
जलने से बचने के ललए शरीर के उन हिस्सों में जिााँ िड्डी त्वचा के सति के करीब िो, अनतररक्त
पैडीींग दें
ठीं ड से बचाएाँ- सेंक को जल्दी बदलें ; शरीर को ढक कर रखें
कोलशश करें की सींिमण न िैले
सामिी
उपचार के वक्त व्यश्क्त को ललटाने के ललए त्रबस्तर या एक स्थान
1 मेज या सेंक रखने के ललए जगि
1 तककया और तककए का कवर (यहद इच्छा िो तो, घुटनों के नीचे रखने के ललए एक और तककया के
इस्तेमाल ककया जा सकता िै )
2 चादर (चादर गद्दे को ढकने के ललए एक, व्यश्क्त के ढकने के ललए एक)
2 कींबल, व्यश्क्त को ढकने के ललए
4-6 बड़े तौललए (शरीर के एक (जैसे- पीठ) या दोनों (जैसे- पीठ और छाती) हिस्सों पर सेंक दे ने पर
ननभमर करता िै )
3-4 सेंकने वाले पैक (या मोटे तौललयों का इस्तेमाल ककया जा सकता िै )
2-4 सेंक ढकने के कवर (या मोटे तौललयों का इस्तेमाल ककया जा सकता िै )
1 पतीला ठीं डा पानी (िो सके तो ठीं डे पानी पर बिम डाल दें )
2 खीसे (माथे पर दे ने रखने के ललए एक, और दस
ू रा ठीं डे दस्ताने की रगड़ के ललए)
पीने के ललए एक चगलास पानी और एक पाईप
एक बड़ा घड़ा ऊबलता पानी या केतली, रे क के साथ, या माईिोवेव (इस बात पर ननभमर करता िै कक
आप सेंक को कैसे गमम करना चािते िैं।)
वैकश्ल्पक: त्रबस्तर को छीटों से बचाने के ललए प्लाश्स्टक
वैकश्ल्पक: पैरों के गमम स्नान की सामचग्रयााँ
o पैरों के गमम स्नान के ललए 1 बड़ा पतीला श्जसमें एडड़यों तक डुबाने के ललए गमम पानी िो
o एक केतली या घड़ा गमम पानी
सेंि िी िैयारी:
ऊबले पानी िी
1. एक बड़े, ढके िुए घड़े या केतली में पानी भरें । पानी को उबलने तक गमम
करें ।
गमम पानी
2. तौललए को लींबाई से दो बार मोड़े। तौललए के दोनों छोरों को पकड़ें और
ऐठें ।
बड़ा पतीला
3. ऐठें तौललए को उबलते पानी में डुबाएाँ। तौललए को छोरों को पानी के बािर तौललया
रखें।
एक शाींत, खश
ु नम
ु ा तरीके से ववचध समझाएाँ। व्यश्क्त
त्रबस्तर या मेज
को कपड़े उतारने और उपचार के ललए तैयार िोने में
मदद करें ।
प्राथमना करें !
सेंक को त्रबस्तर पर रीढ की हदशा ऐसे में त्रबछाएाँ की ऊपरी छोर व्यश्क्त के सववमकल स्पाईन के ऊपर
िो पर लसर के नीचे निीीं। दो तौललयों से ढक दें (सेंक की मोटाई और तापमान के आधार पर, बीच से
या एक नतिाई मड़
ु ा िुआ िो) और कोकसी के नीचे एक और मोड़ा िुआ तौललया रखा जा सकता क्योंकक
(खास कर बिुत दब
ु ले व्यश्क्तयों में ) अनतररक्त सरु क्षा की ज़रूरत पड़ सकती िै । GRAPHIC
PAGE NO 66
व्यश्क्त को सेंक पर ललटा दें और उसके पैर गमम पानी में
डबा दें (पैरों का गमम स्नान)।
o यहद व्यश्क्त कमज़ोर न िो तो उसे कमरे के बािर जा कर कपड़े उतार कर चादर और कींबल से
ढक कर आने दें ।
o यहद व्यश्क्त को मदद की ज़रूरत िो तो शालीनता के ललए जब व्यश्क्त लेटा िो, सबसे उपर वाले
चादर को अपने और व्यश्क्त के बीच पकड़ें। चादर और कींबल से तुरींत ढकें। िवा के झोकों से
बचाने के ललए व्यश्क्त को लपेट दें ।
ज़रूरी तौललयों को (सेंक के तापमान पर ननभमर 1-4 मोटाई वाले- तौललया को बीच से या एक नतिाई
से मोड़ सकते िैं) छाती (या पेट) में रख दें और किर सेंक को तौललए के ऊपर रीढ के रख दें । गमम
रखने के ललए तौललया को ढक दें । छाती (चवासन सींिमण के ललए) या गले (गले की खराश के ललए)
में अच्छी तरि अटका दें और तीन से पााँच लमनटों के ललए छोड़ दें (मााँसपेलशयों के ऐींठन या व्याकुलता
से राित के ललए छः से दस लमनट)।
उपचार के दौरान व्यश्क्त के साथ रिें , सेंक के अत्यचधक गमम िोने पर अनतररक्त तौललया लगाने और
ठीं डा िोने पर तौललया िटाने के ललए तैयार रिें ।
पैरों के गमम स्नान के ललए इतना गमम (102°F (39°C))पानी डालें कक एड़ी आसानी से डूब जाए, और
पतीले के नीचे एक सूखा तौललया रख दें । कुिनी से जााँच कर सुननश्चचत करें कक पानी अश्त्धक गमम न
िो (पैरों के गमम स्नान के में हदए गए सावधानयााँ दे खें)।
व्यश्क्त के पैरों को सावधानीपूवक
म पानी में डालें ।
ध्यान रखें कक व्यश्क्त और पतीला, दोनों चादर और कींबल से ढके िों; लसर और गदम न को खुला छोड़
दें ।
इींतज़ार करते वक्त, बदामचत करने की क्षमता के हिसाब से पतीले में घड़े से गमम पानी डालें, झोखों से
बचने के ललए, डालने से पिले चादरों को पतीले के पीछे दबा दें । व्यश्क्त को पैर पानी में िी छोड़ेने को
किें और एक पैर को दस
ू रे पर रख कर और उन्िें एक ओर रख कर पानी डालें और लमलाएाँ। व्यश्क्त
के पैर और डाले जा रिे पानी के बीच अपना िाथ रखें। पानी तब तक डाले जब तक व्यश्क्त अपने
बदामचत के हिसाब से यि न किे की पानी गमम िै । (नोट: व्यश्क्त के पैरों को एक ओर करना, व्यश्क्त
के पैरों और डाले जा रिे पानी के बीच िाथ रखना, यि सब व्यश्क्त के पैरों को जलने से बचाने के
उपाय िैं।)
यि गमम सेंक व्यश्क्त पर 3-6 लमनटों के ललए रिना चाहिए (तीव्र उपचार के कम समय और आराम
दे ने वाले प्रभाव के ललए ज्यादा दे र)। उपचार के अींत िोने से तुरींत पिले बिीले पानी में एक खीसा
ठीं डक
छाती का सेंक
पीठ का सेंक
सूखा तौललया
ठं डे दस्िाने से रगड़ना
(दे खें ररिरें स 16,17,18)
पररभाषा: मोटे खीसे, तौललए, रगड़ने वाले दस्ताने, या लूिा स्पींज के द्वारा ठीं डे पानी रगड़ना।
त्वचा में रक्त सींचार बड़ाने के ललए ठीं डे दस्ताने से रगड़ना एक प्रभावशाली तरीका िै । यि रोग प्रनतरोधक
क्षमता को बढाने मददगार िै ।
शारीररि प्रभाि
रक्त सींचार और चयपचाय की सकिय करता िै ।
चवेत रक्त कोलशकाओीं की गनतववचध और एींटीबॉडीज़ का उत्पादन बढाता िै ।
नसों और मााँसपेलशयों के ललए लाभदायक।
उन मााँसपेलशयों के लाभदायक जो रक्त को िैलाते व लसकोड़ते िैं।
उपिार िब दें
सदी, ज़क
ु ाम, रोगप्रनतरोधक क्षमता की कमी, खााँसी। यि अकसर उपचार को समाप्त करने के ललए
हदया जाता िै
शरीर के रोधक क्षमता को बढाने के ललए
कमज़ोरी और सिनशश्क्त की कमी में
त्रबमारी के बाद स्वास््य-लाभ के ललए और बुखार
मश्ल्टपल स्क्लेरोलसस
सािर्ातनयााँ (उपिार िब न दें )
व्यश्क्त को ठीं ड लगने पर।
उपचार से िैलने या उपचार दे ने पर िालत बदतर िोने वाले त्वचा सींिमण िोने पर।
सामिी
दो खीसे
एक बाल्टी या पतीले में ठीं डा पानी (40-70°F(4.5-21°C)
तौललया
रोक दें । यहद दीघमकालीन पररश्स्थननयों की उपचार कर रिे िों तो इस तापमान को 20 लमनटों
तक, व्यश्क्त के सिनशीलता के मुतात्रबक, बनाए रख सकते िैं।
4. उपचार समापन
स्नान के बाद, ठीं डे दस्तानों से रगड़ें। तरु ीं त सख
ु ाएाँ।
व्यश्क्त को टब से धीरे से ननकालें । टब से ननकलने की प्रकिया से व्यश्क्त को चक्कर आ सकता
िै (अचधकाींश रक्त सति में रिे गा- इसललए ठीं डे दस्तानों से रगड़ने से त्वचा के सति के धमननयों
को लसकोड़ कर चक्कर आने से रोका जा सकता िै )।
त्रबस्तर में एक घींटा आराम करें (इच्छा िोने पर व्यश्क्त के माथे पर एक ठीं डा कपड़ा रख सकते
िैं), ध्यान रखें कक ठीं ड न लगे। पेय दे ते रिें । एक घींटा पसीना िोने पर, व्यश्क्त को उठ कर स्नान
कर सकता िै - ठीं स से बचते िुए।
लसट्ज़ स्नान
(दे खें ररिरें स 23,24,25)
पररभाषा: साि करने व चींगाई के ललए पानी से स्नान (अकसर गमम)। पानी से लसिम कमर और कूल्िे ढकते िैं।
पानी में िबमल चाय या एस्सेंशइयल ऑय्ल (तेल) लमले िो सकते िैं।
शारीररि प्रभाि
उपिार िब दें
एपीसाटोमी (प्रसव के ललए ककए गए शल्य प्रकिया)के बाद ददम से राित के ललए
सािर्ातनयााँ
सामिी
उपिार विचर्
1. प्राथमना करें ।
2. लसट्ज़ बाथ को गमम पानी से भर दें ।
3. पानी में चारकोल, जड़ी-बूटी, या तेल लमलाएाँ। (वैकश्ल्पक)।
नोट: लसट्ज़ बाथ में ककया गया व्यनतरे क स्नान भी लाभदायक िो सकता िै , और यि उपचार ककए जा रिें
हिस्सों को व्यनतरे क स्नान के िायदे दे सकता िै ।
अचधकाींश पररश्स्थनतयों में ज्वर आपका दोस्त िै । यि अस्वस्थ पररश्स्थनतयों से खुद को बचाने के ललए शरीर
का तरीका िै (िाईपोथैलेमस के “थमोस्टे ट” द्वारा)। उदािरणम के ललए, सींिमण की श्स्थनत में , शरीर अपना
“थमोस्टे ट” समान्य (98.6°F (37°C)) से बदलकर आिमणकाररयों से लड़ने की कोलशश करता िै । ऐसा िोने पर
तापमान बढाने वाले सारे कारक पूरे ताकत से काम करने लगते िैं, जैसे सतिी धमननयों का लसकुड़ना
(वैसोकींश्स्रकशन) श्जससे रकत त्वचा से शरीर के अींदर की ओर जाता िै , चयपचाय का बढना, और कींपना। यि
तब तक िोता िै जब तक शरीर अपना थमोस्टे ट का ननधामररत स्तर पर पिुाँच न जाए। तापमान तब तक बढा
िुआ रिता िै जब तक सींिमण के कारण नष्ट न िो जाए, या कारण खत्म न िो जाए। जब ऐसा िोता िै , तब
त्वचा गमम िो जाता िै व्यश्क्त को पसीना आने लगता िै । उसके बाद तापमान चगरने लगता िै ।
कई बैक्टे रीया और वाईरस उच्च तापमानों में रि निीीं पाते िैं। ज्वर चवेत रक्त कोलशकाओीं को तेजी से इधर
उधर जाने में , ववषाणुओीं को पकड़ने और सिलतापूवक
म नष्ट करने में मदद करे । ज्वर िमेशा िाननकारक निीीं
िोता िै , जब तक वि बिुत बढ न जाए, बिुत दे र तक न रिे , या व्यश्क्त का हृदवाहिनी तींत्र इसे सिने के ललए
बिुत कमज़ोर न िो।
ज्वर के उपचार के ललए सरल सलाि दे ना जो अचधकाींश पररश्स्थनतयों में असरदार िो, बिुत मुश्चकल िै ; किर भी
आम ननदे श मददगार िो सकते िैं:2
ज्वर से पीडड़त व्यश्क्तयों में पानी कमी न िोने दें , क्योंकक ज्वर पानी की कमी से भी िो सकता िै , या
पीनी की कमी के कारण श्स्तचथ त्रबगड़ सकती िै , और जलाभाव ज्वर के कारण पसीना आने से तुरींत
िो सकता िै ।
चचककत्सीय सलाि लें , इस बीच आप नीचे हदए गए उपायों का प्रयोग कर सकते िैं:
o टब में ठीं डे पानी से स्नान दें
o गीले चादर का पैक (लसिम पिला चरण- इस चरण की अवचध बढा सकते िैं)
o ठीं डे या समान्य तापमान के पानी की भरपूरी
o माथे और गदम न पर ठीं डे खीसे रखें
o व्यश्क्त के कमरे में ताजी, स्वच्छ वायु
व्यश्क्त को ज्वर के कारण का पता लगाने की कोलशश करना चाहिए, और कारण के उपचार पर ध्यान दे ना
चाहिए। ज्वर के कुछ कारण या रोग खतरनाक सात्रबत िो सकते िैं और उन्िें ततकाल चचककत्सीय दे ख रे ख की
ज़रूरत पड़ सकती िै , जैसे पेरीटोनीहटस, अपेनडीसाइहटस, मलेरीया, डेंग,ू आहद। ज्वर के बढने, सरल उपायों से
ज्वर के न उतरने, या व्यश्क्त के िालत त्रबगड़ने पर चचककत्सीय मदद लें । बूढो, बच्चों, और अस्वस्थ लोगों में
ज्वर बिुत जल्दी खतरनाक िो जाती िै । इनका ख्याल रखने वालों को अचधक सतकम िोने की ज़रूरत िै और वे
ज्वर को बिुत ज्यादा न बढने दें या लींबे समय तक अननयींत्रत्रत न रिने दें ।
अकसर, गमी तब ज्यादा िायदे मींद िोती िै जब तापमान बढ रिा िोता िै , जब व्यश्क्त में ये लक्षण हदखते िैं:
ठीं डी त्वचा, चचपचचपा त्वचा, स्यानोलसस (त्वचा का नीला िोना), रोंगटे खड़ा िोना, ठीं डा मिसूस करना, और/या
काींपना। व्यश्क्त को यहद अश्त्धक ग्रमी का अििसास, या चेिरा साल िो जाए, नाड़ी तेज िो, और बिुत गमम
और सूखे िों या बिुत पसीना आए, तो उसे ठीं डे उपचारों से मदद लमल सकती िै ।
20 मैनूश्स्िप्ट ररलीज़ेस, पृ. 278। “मुझे लगता िै कक बिम का इस्तेमाल गलत िै । एक त्रबमार बच्चे की दे ख
रे ख के दौरान, कई नाजुक पररश्स्थनतयों के ललए मुझे दी गई रोशनी में , मुझे िर बार ननदे श हदया गया कक,
लसर पर बिम न रखें परीं तु ठीं डा पानी दें ; पर आाँतों, पेट और यकृत के ललए गमम सेंक दें । यि ज्वर को ठीं डे
उपचारों से भी जल्दी उतारता िै । बुखार कम करने के बजाए, ठीं डे उपचारों के बाद की प्रकिया से बुखार चढता
िै । यि ननदे श मझे बार बार हदया गया िै । कुछ िी पररश्स्थयों में बिम उचचत िै , पर अचधकाींश पररश्स्थनतयों
उनका इस्तेमाल करने की सलाि निीीं दी जाती िै । यहद रोगी में कुछ प्राणशश्क्त िो, तो शरीर रक्त को विााँ
भेजता िै जिााँ ठीं ड िो, और बिुत बार शरीर के इस प्रकिया को सिने का ताकत निीीं िोता िै । भाई
की प्राणशश्क्त कम िै । कुछ पररश्स्थनतयााँ अन्य उपचार सि सकते िैं, परीं तु मेझे भाई के ललए बिुत
डर िै यहद इसे जारी रखा गया। गमम पानी का इस्तेमाल करें ; दस में से नौ पररश्स्थनतयों में यि ठीं डे बिम से
आचधक सिलतापूवक
म काम करे गा...”
ऑक्सीजन का अनुपश्स्थनत में लकड़ी के जलने से चारकोल बनता िै । चारकोल में सोखने की एक खास गुण िै
या जिरीले गैस, दवाईयााँ, िाननकारक रसायन, रोग िैलाने वाले बैक्टे रीया, और वाईरस। एक अच्छे गणवत्ता
वाले चारकोल नाररयल के कड़े नछलके और अचधकाींश लकडड़यों जैसे ओक (शािबलत
ू ), यश्ु क्लप्टस, ववल्लो, और
दे वदार। यहद ज्यादा कड़े लकड़ी का इस्तेमाल ककया जाए (जैसे : ओक) तो उससे बेितर गण
ु वत्ता के चारकोल
प्राप्त ककया जा सकता िै । चारकोल को घर में आसानी से बनाया जा सकता िै । सूखे लकड़ी को बराबर हिस्सों
में बााँट लें। एक गढ्ढे में लकडड़यों को कस कर बााँध के रख दें और आग लगा दें । आग लगने के बाद, उसे
लमट्टी या हटन के टुकड़े से ढक दें (यहद हटन का प्रयोग कर रिें िों तो हटन के ऊपर लमट्टी चढा दे )। जलना
जारी रखने के ललए एक छोटा छे द छोड़ दें श्जससे बिुत कम मात्रा में िवा अींदर जा सकेगी और कई हदनों तक
धीरे धीरे जलना जारी रिे गा। जब जलना परू ा िो जाए तो चारकोल को गढ्ढे में ठीं डा िोने तक छोड़ दें , क्योंकक
गमम चारकोल िवा की मौजूदगी में धधकने लगती िै । चचककत्सीय प्रयोग के ललए, चारकोल के टुकड़े कर दें ।
चारकोल को कीटाणुरहित बनाने के ललए उसे लमट्टी के घड़े या ओवन में 20-30 लमनटों के ललए गमम करें ।
कीटाणुरहित टुकड़ों को मिीन पीस लें और उन्िें सूखे डब्बे में अच्छी तरि बींद कर लें ।
िारिोल िे गण
ु
मौणखि
चारकोल के कोई िाननकारक प्रभाव निीीं िै । चारकोल को बेखझझक और जब भी जरूरत िो इस्तेमाल ककया जा
सकता िै । 1 से 2 बड़े चम्मच चारकोल चूणम को थोड़े से पानी में घोलें ; उसके बाद चगलास में अनतररक्त पानी
प्रलेप
चारकोल के चण
ू म को पानी में लमला कर उसे प्रलेप के रूप में इस्तेमाल ककया जा सकता िै । प्रलेप बनाने के
तरीके नीचे हदए गए िैं :
सािर्ान: बेितर िोगा कक चारकोल को ताज़े चोट या कटे त्वचा के ऊपर सीधे न रखें, क्योंकक ताज़े चोट
सें चारकोल का ननशान (गोदनें के जैसे) रि सकता िै । पूराने चोट या सींिलमत घाव में ननशान के कम
खतरे िोते िैं।
िारिोल िे आम प्रयोग
विष या सेिन किए गए अतिररति िारिोल िी मात्रा यटद िे 2 घंिे िारिोल िी मात्रा यटद िे 2 घंिे से
दिाई या विष िी अनुमातनि मात्रा िे िि भोजन न किया गया हो पहले भोजन िर ललए किया गया हो
1 छोटा चम्मच 1-2 बड़े चम्मच चारकोल थोड़ें 4-10 बड़े चम्मच चारकोल थोड़ें पानी में
1-2 टै ब्लेट पानी में एक चगलास में घोल लें एक चगलास में घोल लें
1-2 कैप्सल
ू बच्चे िुए चारकोल में थोड़ा और बच्चे िुए चारकोल में थोड़ा और पानी
पानी लमलाकर पी लें लमलाकर पी लें
1 बढा चम्मच 3-4 बड़े चम्मच चारकोल थोड़ें 6-15 बड़े चम्मच चारकोल थोड़ें पानी में
3-5 टै ब्लेट पानी में एक चगलास में घोल लें एक चगलास में घोल लें
2-5 कैप्सूल बच्चे िुए चारकोल में थोड़ा और बच्चे िुए चारकोल में थोड़ा और पानी
पानी लमलाकर पी लें लमलाकर पी लें
अज्ञात 1-5 बड़े चम्मच चारकोल थोड़ें 5-15 बड़े चम्मच चारकोल थोड़ें पानी में
पानी में एक चगलास में घोल लें एक चगलास में घोल लें
बच्चे िुए चारकोल में थोड़ा और बच्चे िुए चारकोल में थोड़ा और पानी
पानी लमलाकर पी लें लमलाकर पी लें
*जरूरत के मुतात्रबक दि
ु राएाँ
2. दस्ि
चारकोल दस्त का सबसे प्रभावशाली उपचारों में से एक िै ।
एक वयस्क के गींभीर दस्त के इलाज के ललए 2 बड़े चम्मच, पूरे भरे िुए, चारकोल को एक
चगलास पानी में लमलाएाँ।
प्रनतहदन हदन 4 बार एक चगलास चारकोल पानी और साथ में एक चगलास सादा पानी पीएाँ।
प्रत्येक पैखाने (पानी युक्त) के ललए एक चगलास चारकोल पानी के साथ एक चगलास सादा पानी
पाएाँ।
बालकों के ललए वयस्क का आधा खरु ाक का प्रयोग करें ।
जलाभाव के लक्षण दे खें- खास कर लशशुओीं और बालकों में- प्यास लगना, सूखा गला, कम मात्रा
में गाढा पीला पेशाब त्वचा का लचीलापन खोना, और लशशु के लसर पर एक नमम, धाँसा स्थान।
जलाभाव से बचाने के ललए पीने के ललए खूब सारा पानी दें - िल्के दस्त के ललए तरल जैसे सादा
पानी, सब्जी का काढा, सा उबले चावल का पानी। गींभीर दस्त में इलेक्रोलाईटों के सींतुलन के
ललए पन
ु जमललत करने वाले पेय (अपेश्न्डक्स क दे खें या दावाखाने से खरीदें ) दें ।
िर 5 लमनटों में तरल का एक घट
ूाँ दें - उल्टी िोने पर भी- जब तक समान्य मात्रा में पेशाब न
िोने लगे।
8. सपण दं श
सपम दीं श के 10 लमनट के अींदर यहद सूजन या ददम िो, तो समझ ले कक ववष शरीर में जा चुका
िै ।
दीं श वाले हिस्से को तुरींत साबन
ु और पानी से अच्छी तरि धो लें ।
पास आया और किा, “बिन व्िाईट, क्या आपके पास इस िालत के ललए कोई रोशनी िै ? यहद िमारी बिन को
ततकाल आराम निीीं लमला, तो उसके पास जीने के ललए लसिम कुछ िी घींटे बचें गे।” मैंने ऊत्तर हदया, “ककसी को
लि
ु ार के दक
ु ान पर भेश्जए, और कुछ चारकोल ले आईये; उसका प्रलेप बनाईये, और उसके पेट और उसके
ककनारे रख दीश्जए।” उस चचककत्सक नें तरु ीं त मेरे ननदे शों का पालन ककया। कुछ िी दे रे वि लौट आया और
किने लगा, “प्रलेप लगाने के आधे घींटे से भी कम समय में राित लमला। बिुत हदनों बाद अभी वि प्राकृनतक
रूप से सो रिी िै ।...
मैंने गींभीर पीड़ा से परे शान अन्य मरीजों के ललए भी इसी उपचार का ननदे श हदया िै , और इससे आराम
लमला िै और यि श्जींदगी बचाने का साधन िै ।”
िारिोल िे र्ायदे
2 सेलेक्टे ड मेसेजेस, पृ. 294. “एक थैले में चारकोल रख कर सेंक के रूप में इस्तेमाल करना, सबसे िायदे मींद
उपचारों में से एक िै । यि सबसे सिल उपचार िै । उबले िुए स्माटम वीड में भीगा कर, यि और भी बेितर िोता
िै । मैंने इसे इस्तेमाल का ननदे श गींभीर पीड़ा से परे शान मरीजों के ललए हदया िै , और जब चचककत्सक ने किा
कक यि जीवन के अींत की घड़ी िै । तब मैंने चारकोल के प्रयोग का सलाि हदया, और वि मरीज सो गया, और
वि घड़ी आई जब पररणाम में चींगाई था। ववद्याचथमयों को, जब वे उनके िाथों में चोट लगती िै और सूजन से
पीडड़त िोते िैं, मैंने इसी सरल उपचार का सलाि हदया िै , सींपण
ू म सिलता के साथ। सज
ू न का ववष समाप्त
िोता िै , ददम से छुटकारा लमलती िै , और चींगाई दर बढती िै । आाँखों का सबसे गींभीर सज
ू न भी एक थैले में रखे
चारकोल को गमम या ठीं डे पानी में , पररश्स्थनत के मुतात्रबक, डुबा कर बनाए गए प्रलेप से ठीक िोते िै । यि जाद ू
के तरि काम करता िै ।”
िारिोल सूजन समाप्ि िरे और विष हिाए
2 सेलेक्टे ड मेसेजेस, पृ. 299. “आाँतों के सूजन से पीडड़त व्यश्क्त ने मुझे बुलाया। मैंने और मेरे पनत ने समझा
कक उसे दस
ू रे स्थान पर ले जाना उचचत निीीं िोगा। डर था वैराग्य कक िो चक
ु ा था। तब यि ववचार मेरे मन में
आया जैसे परमेचवर ने िी मुझे बताया िो, कक चारकोल के चूणम में पानी डाल कर उसे मरीज को पीने दें , और
चारकोल की पट्हटयााँ और पेट में बााँध दे ...त्रबमार व्यश्क्त का बेटा लुिार के दक
ु ान से चारकोल ले आया, और
हदए गए ननदे श के अनुसार उसका प्रयोग ककया। पररणाम स्वरूप, आधे घींटे के अींदर व्यश्क्त बेितर मिसूस
करने लगा। िमें यात्रा करना था इसललए िम आगे बढ गए, परीं तु अगले हदन िमने आचचयम से उनके गाड़ी को
िमारे गाड़ी से भी आगे बढते दे खा। वि व्यश्क्त गाड़ी में एक त्रबस्तर पर लेटा था। परमेचवर की आशीष ने
सरल उपायों से मदद ककया।”
2 सेलेक्टे ड मेसेजेस, पृ. 298. “सूजन के ललए िमने युश्क्लप्टस के लकड़ी के चारकोल चूणम का बेखझझक
इस्तेमाल ककया िै ।”
िारिोल और जैिून िा िेल
2 सेलेक्टे ड मेसेजेस, पृ. 298. “मैं चारकोल से उपचार के ववषय अपने अनुभव का एक छोटा हिस्सा बताना
चािूाँगी। कुछ तरि के अपच के ललए, यि दवाईयों से बेितर असर करता िै । इस चूणम के घोल में थोड़ा सा
जैतन
ू का तेल लमलाने ले सिाई और चींगाई में मदद लमलती िै । मैंने इसे बिुत असरदार पाया िै ।”
2000 (updated in 2009). The Americal Heritage® dictionary of the English language (4th ed.) Boston: Houghton Mifflin Company.
1
2
Thrash, A. (1981). Home remedies: Hydrotherapy, massage, charcoal, another simple treatments. Seale, A. L.: Thrash Publications.
3
McNeilus, M. (2007). God’s healing Way. Lannesboro, MN. Graphic used with permission.
4
Sinclaire, M. (2008). Modern hydrotherapy for the massage therapist. Philadelphia: Wolters Kluwer
5
Kellogg, J. H. (1901). Rational hydrotherapy: A manual of psychological and therapeautic effects of hydriatic procedures, and the
technique of their application in the treatment of disease. Philadelphia: F. A. Davis Company
6
(1868). How to treat the sick without medicine. NY: Fouler and Wells.
7
White, E. G. (1938). Counsels on diet and foods. Washington D.C. : Review and Herald Publishing Association.
8
White, E.G. (1915). Life sketches Ellen G. White. Mountain View, CA: Pacific Press Publishing Association.
9
White, J. (1890). Bible hygiene. Battle Creek, MI: Good Health Publishing Company.
10
Loughborough, J. N. (1905). The great second advent movement: Its rise and progress. Washington D.C. : Review and Herald
Publishing Association (1992 edtion by Adventist Poineer Library, Loma Linda, CA)
11
Abbot , G. K. (1914). Principles and practice of hydrotherapy students and practitioners of medicine: Embodying a consideration
of the scientific basis, technique and therapeutics of hydrotherapy and some allied branches of physiologic therapy. Loma Linda,
CA. : The College Press.
12
Abbot, G.K. (1948). Technique of hydrotherapy and Swedish massage. (9th ed.). Mountain View, CA: Pacific Press Publishing Assn.
13
The deadly virus: The influenza Epidemic of 1918. National Archives and Records Administration:
http://www.archives.gov/exhibits/influenza-epidemic/
14
Baruch, S. (1920). An epitome of hydrotherapy: For physicians, architects and nurses. Philadelphia: W. B. Saunders.
15
Medline Plus. (2011). Vitals Signs. Retrieved from htt://www.nlm.nih.gov/medlineplus/ency/article/002341.htm
16
Healthwise Staff. (2011). How to Take Your blood Pressure at Home. Retrieved from http://www.webmed.com/hypertension-
high-blood-pressure/monitoring-your-blood-pressure-at-home/
17
Dail, C., Thomas, C. (1995). Hydrotherapy: Simple treatments for common ailments. Brushton, NY: TEACH Services.
18
Thrash, A. Simple home remedies: An instruction booklet. Seal AL.
19
Moor, F. B., Peterson, S. C. Manwell, E. M., Nobel, M. F., Muench, G. (1964). Manual of hydrotherapy and massage. Mountaion
View, CA: Pacific Presss Publishing Assn.
20
Austin, P., Thrash, A.,Thrash, C., (1990). Natural health care for your child: Trudtworthy information on the prevention, causes
and treatment of the diseases and ailments which are common form birth through the teenage years. Sunfield, MI: Family Health
Publications
21
Leader, D. (2010). Postural drainage. Retrieved October 26, 2012 from
http://copd.about.com/od./glossaryoftermsp/g/posturaldrainage.htm
22
MedlinePlus. (2012). Postural drainage. Retrieved October 26, 2012 from
http://www.nlm.nih.gov/medlineplus/ency/patientinstruction/000051.htm
23
MedlinePlus (2012). Sitz bath. Retrieved October 26, 2012 from http://www.nlm.nih.gov/medlineplus/ency/article/002299.htm
24
Breen, E., & Bleday, R., (2012). Patient information: Anal Fissure (Beyond the Basics). Retrieved October 26, 2012 from
http://www.uptodate.com/contents/anal-fissure-beyond-the-basics
25
Bolen, B. B., (2012).How to take a sitz bath. Retrieved October 26, 2012 form
http://ibs.abut.com/od/treatmentofibs/ht/sitzbath.htm
26
Thrash, A., Thrash, C., (1988). Charcoal: Startling new facts about the worlds most powerful clinical absorbent. Seal, AL: New
Lifestyle Books.
27
Kneipp (N.D.). Sebastian Kneipp. Retrievedd from http://kneippus.com/sebastian/kneipp.html
28
Fleury, L. (1856). Traté Pratique et’ Raisonné d’ hydrothérapie. Paris, Rignoux.
“कोढ़ी को उसके भयावाह रोग से चंगा करना, आत्मा को पाप से साफ करने के उसके काम को दर्ााता है । वह
व्यक्तत जो यीर्ु के पास आया था, ‘कोढ से भरा’ था। उसका खतरना ववष उसके पूरे र्ऱीर में फैल गया था। चेलों
ने अपने स्वामी को उसे छूने से रोकना चाहा; तयोंकक वह जो कोढ़ी को छूता था अर्ुध्द हो जाता था। परं तु उस
कोढ़ी को छूने पर यीर्ु अर्ुध्द नह़ीं हुआ। उसके स्पर्ा ने उसे जीवन दे ने वाल़ी र्क्तत ददया।”
डिजायर ऑफ एजेस, प.ृ 266.
मामलर् के काम
o रततसंचार ढाए
o मांसपेमर्यों को आराम दे
o चयपचाय संतमु लत करे
मामलर् र्ब्द का उद्गम
यूनानी- मासो, मासेन लानतन- मासा अर ी- मस’ह संस्कृत- मके
अथा- छूना, गूँध
ू ना, द ाना अथा- धीरे से द ाना
एजुकेर्न, प.ृ 198. “हमारें पहले लक्षयों में सह़ी तऱीके से खडे और ैठने का कोमर्र् होना चादहए। परमेश्वर ने
मनुष्य को सीधा नाया और उनके मलए उसकी इच्छा है कक वे न मसफा र्ाऱीररक क्ल्क मानमसक और नैनतक
लाभ पाएूँ, अनग्र
ु ह और गौरव और , दहम्मत और स्वलं ी, क्जसे सीधा रहने से ढावा ममलता है ...”
अध्याय 3- पररभाषाएँ
संरचिात्मक अिस्था
र्ऱीर का मूँह
ु के ल लेटा हुआ अवस्था, ज हाथ गल में सीधे हो और हथेमलयाूँ सामने का ओर हो, क्जसे
र्ऱीर के अंगों से सं ंध दर्ााने के मलए प्रयोग ककया जाता है । द़ी अमेररकन हे ऱीटे ज® मेडिकल डितर्नऱी
कॉपीराईट© 2007।
पीठ के ल: पीठ के ल लेटा हुआ
अधोमुख पेट: के ल लेटा हुआ
संरचिात्मक ददशाएँ
1. ऊपरी- मसर की ओर
2. तिचिा- पैर की ओर
उदाहरण: फेफडे पेट से ऊपर है ।
3. अग्रििी- सामने
9. सप
ू रफीलशयि (सिही)- सतह के कऱी
10. िीप (गहरा)- सतह से दरू
उदाहरण: सतह़ी माूँसपेमर्याूँ त्वचा के कऱी होती है ; हड्िी माूँसपेमर्यों से गहरे ।
प्रभाि
माँसपेलशयों और हड्डियों में प्रभाि
मामलर्, रततसंचार, तंर ढा कर, माूँसपेमर्यों के ववकास और पोषण को ढावा दे ता है । ननयममत
रूप से मामलर् माूँसपेमर्यों को मज ूत और लचीला नाते हैं। तनावग्रस्त माूँसपेमर्यों और माूँसपेमर्यों के
खखचाव से आराम के मलए मामलर् हुत प्रभावर्ाल़ी साधन है ।
माूँसपेमर्यों मे रतत का प्रचरु मारा में संचार होता है । अनम
ु ान है कक मामलर् के वतत माूँसपेर्यों में
रतत का नतगुणा संचार होता है । द ाने या घषाण खून को पम्प करके माूँसपेमर्यों में मे ताजे रतत का
संचार करते हैं। चयपचाय के दौरान उत्पन्न होने वाले हाननकारक तत्वों के ननकासी और तंतुओं को पोवषत
करने में मदद करे ।
अध्याय 5- मालिश के मि
ू िरीके
क्स्िडिश मालिश के िकिीक
इन तकनीकों को ककसी भी तरह से ममला कर इस्तेमाल ककया जा सकता है ।
थेरावपस्ट को सभी तकनीकों के ारे जानकाऱी होनी चादहए।
पतले तंतओ
ु ं और हड्डियों वाले दहस्सों की मामलर् हल्के हाथों से करें ।
तीव्र मामलर् उन दहस्सों के मलए उपयुतत है जहाूँ अचधक माूँस होता है ।
हल्के मामलर् धीरे धीरे ककए जाते हैं।
तीव्र मामलर् की गनत भी तीव्र होती है ।
मामलर् करते वकत थेरावपस्ट को मऱीज और उसके र्ऱीर के प्रनतकियाओं पर ध्यान दे ना और तकनीकों को
प्रनतकियाओं के अनुरूप ढालना चादहए।
क्स्वडिर् मामलर् की खामसयत है कक अचधकतर मामलर् हृदर की ओर ककए जाते हैं। मामलर् का लक्ष्य द्रव्यों
के संचार को हृदय की ओर करना है । मसफा हल्के मामलर्, क्जनसे द्रव्यों के हाव पर कोई खास प्रभाव नह़ीं
पडता है , ह़ी हृदय के ववपररत ददर्ा में ककए जा सकते हैं।
उपचार की अवचध ननयंबरत होनी चादहए। पूरे र्ऱीर के मामलर् में कऱी एक घंटे का समय लग सकता है ,
परं तु कुछ थेरावपस्ट थोडा ज्यादा या कम समय ले सकते हैं। लं े समय तक की मामलर् मऱीज को थका सकती
है । सीखते वतत ववद्याथी दो घंटे तक का समय ले सकता है । अभ्यास के साथ कुर्लता ढती है । ज्ञान और
अनभ
ु व मऱीज के जरूरत के दहसा से मामलर् दे ने में मदद करते हैं।
6. जोडो के धगतिविधधयाँ
जोडो की गनतववचधयाूँ दो तरह के होते हैं, पैमसव (कमा- ननक्ष्िय) एवं ऐक्तटव (कृनत- कियर्ील)। पैमसव
गनतववचध में मऱीज आराम से लेटा रहता है और थेरावपस्ट को अपने र्ऱीर के उन अंगो को खींचने दे ता है
क्जनका व्ययाम करना हो। ये गनतववचधयाूँ उस अंग को, समान्य रूप से ब ना ददा के, दहला पाने की क्षमता
का पता लगाने में मदद करता है । ये रे र्ेदार माूँसपेमर्यों को खींचते है , और जोडो को उसके क्षमता तक
घुमाते हैं। ये जोडो के घुमने के क्षमता को ेहतर नाते हैं। ऐक्तटव गनतववचधयों व्ययाम में मऱीज की
भागीदाऱी होती है और मऱीज अपने माूँसपेमर्यों का कसरत करता है । यह जोडों को कियर्ील, लचीला, और
हाथ-पैर को मज ूत नाता है ।
अचधकतम प्रभाव के मलए, जोडों को उनके पूरे क्षमता तक घुमाएूँ यानी जोडों एक अंत से दस
ू रे अंत
तक। यह जोडों के क्षमता को जाूँचने और ढाने में मदद करता है ।
चंगाई का स्पर्ा
क्स्कि रोि: अंगूठे और ऊूँगमलयों के ीच त्वचा को उठाएूँ और सामने की ओर धीरे से ले जाूँए, अंगूठे और
ऊूँगमलयों के ीच हल्का सा द ाएूँ।
बटरफ्िाई स्ट्रोक: मेज पर खडे हो जाएूँ और ऱीड के दोनों ओर हाथों को रखें, गोलाई से मामलर् करते हुए गदा न
की ओर जाूँए, कफर गोलाई से मामलर् करते हुए गदा न से कंधे और आधे पीठ तक आएूँ, और पीठ के ननचले
भाग पर फैन स्ट्रोक भी करें और वापस गदा न वाले दहस्से तक मामलर् करें , दह
ु राएूँ।
ईरे क्टर कम्प्प्रेशि: मेज पर खडे होकर ऱीड के दोनों ओर अंगूठों को रखें। हल्के द ाव के साथ, धीरे से ईरे तटर
मांसपेमर्यों से होते हुए अंगूठों को नीचे सेिम तक लाएूँ, कफर गदा न तक अंगूठों को धीरे से लाएूँ और दह
ु राएूँ।
वपट्रीसेज़: गथ
ू ने वाले अंदाज में परू े पीठ, कंधों और गदा न की मामलर्।
स्केपुिा ररिीज़: ग्राहक के ांह को पीठ के ननचले दहस्से पर रखें, उसी कंधे के नीचे अपने हाथ को रखें ताकक
स्केपुला को और भी ाहर लाया जा सके। स्केपुला के मांसपेमर्यों को गोलाई से मामलर् करते हुए गमा करें ।
फोरआमश: ग्राहक के गल खडे हाथों से गोलाई से मामलर् करें । स्केपुला के ीच के दहस्से को मामलर् करने के
मलए कुहनी मोडे। द ाव नाने के मलए मामलए करने वाले हाथ पर हल्का सा झुकें।
ररंगधगंग: रा रपडा समस्थान ददर्ा में मरोडते हुए पीठ की मामलर् करें । में ज के ककनारे खडे रहें ।
ििश स्ट्रोक: पीठ के ननचले दहस्से से मसर की ओर उूँ गमलयों से हल्के से द ाएूँ।
विधध
मामलर् करवाने वाले व्सक्तत को अनतररतत कपडे हटा दे ना चादहए, जैसे, जैकेट, टाई। उन्हें आरामदायक जगह
पर ैठाएूँ, जैसे कुसी जहाूँ पीठ और मसर का आप आराम से मामलर् कर सकते है । दोनों पाूँव जमीन पर होने
चादहए।
1. पूरे पीठ की मालिश (पाँच बार)
व्यक्तत के पीछे खडे हो जाएूँ, दोनों हाथ कंधों पर रखें। अपने र्ऱीर को आगे की ओर
धकेलें , और हाथों से परू े पीठ की मामलर् करें ।
3. हथेलियों से मालिश
ऱीड के ककनारे ककनारे , हथेमलयों से गोलाई से, नीचे से ऊपर की ओर मामलर् करें ।
4. उं गलियों से मालिश
अंगूठे को गदा न के एक ओर ऱखें और उूँ गमलयों को दस
ू ऱी ओर और गदा न के
मांसपेमर्यों को गोलाई से मामलर् करें ।
6. ििश िाईब्रेशि
उं गमलयों से हल्के थपककयाूँ दे कर अंत करें ।
याद रखे:
व्यक्तत को एक ार स्पर्ा कर लेने के ाद त तक हाथ न हटाएूँ ज तक मामलर् पूरा न जाए।
सारे स्ट्रोकों में रा र द ाव नाएूँ रखें।
दोस्ताना व्यवहार रखें पर जरूरत से ज्यादा ात न करें ।
स्ट्रचचंग (खखचाव) मांसपेमर्यों में रततसंचार ढाता है , लचीला नाता है , और चोट लगने की संभावना घटाता
1
है ।
1,2
स्ट्रे चचंग के मलए ददर्ाननदे र् :
स्ट्रे चचंग से पहले मांसपेमर्यों को 10-15 ममनट कसरत कर के गमा करें , (जैसे, जॉचगंग, साईककल
चलाना)
मांसपेमर्यों को परू ़ी तरह स्ट्रे च करें पर ददा होने तक नह़ीं
स्ट्रे च करते वतत साूँस छोडें
साूँस न रोकें
10-30 सेकेंि तक स्ट्रे च की अवस्था में रहें
हाथों और पैरों को स्ट्रे च करने से पहले दहलाएूँ
अगले स्ट्रे च के पहले 3-4 स्ट्रे च पूऱी करें
सप्ताह में 2-3 ार ननयममत रूप से स्ट्रे च करें
#1 ग्िूट स्ट्रे च
दादहने पैर को मोड कर जमीन पर ैठ जाएूँ, दाएूँ पाूँव को ाएूँ पाूँव के ऊपर रखें।
ाएूँ हाथ को दाएूँ पैर के ऊपर रखें ताकक कुहनी से दाएूँ घुटने को ढकेल सके। कुछ
दे र ठहरें और दस
ू रे तरफ से दह
ु राएूँ।
#2 एड्िक्टर स्ट्रे च
पैरों को क्जतना हो सके उतना फैला कर खडे हो जाएूँ। अपना वजन एक ओर ले जाएूँ
क्जसमस एक तरफ घुटने मुडने लगे। फैले हुए पाूँव के तरफ पहुूँचने की कोमर्र् करें और
ठहरें । दस
ू रे तरफ से दह
ु राएूँ।
मेडीकल ममनिस्ट्री, पृ. 239 9 “चिककत्सा ममशिरी कार्य के 2ास 2ीडाओं से छुटकारा 2ािे का समािार लाती है ।
र्ह सुसमािार का 2हला कार्य है । र्ह सुसमािार का अभर्ास, पृ. जो र्ीशु के दर्ा को प्रकट करता है । इस कार्य
की बहुत ज़रूरत है और र्ह संसार इसके मलए खुला हुआ है । 2रमेश्वर की क32ा से चिककत्सा ममशिरी कार्य को
समझा जा सकेगा और िए क्षेत्र में तरु ं त 2हुुँिा जा सकेगा”
मेडीकल ममनिस्ट्री, पृ. 239 49 “सच्िे चिककत्सा ममशिरी कार्य का स्ट्वगीर् उद्गम है । र्ह ककसी भी जीववत मिुष्र्
द्वारा िहें बिार्ा गर्ा। 2रं तु इस कार्य के संबंध में हम इतिा कुछ दे खते है जो 2रमेश्वर का अ2माि करतें हैं
कक मझ
ु े र्ह कहिे की आज्ञा ममली है , पृ. कक चिककत्सा ममशिरी कार्य का उद्गम 2ववत्र है और जजसे 2रू ा करिा
एक महाि ममशि है । अ2िे सं2ूर्त
य ा में इसे र्ीशु के कार्य के अिुरू2 होिा िाहहए। जो लोग 2रमेश्वर के साथ
कार्य करिे वाले है वे र्ीशु के िररत्र उसी तरह 2ेश करें गे जैसे र्ीशु िें अ2िे व2ता को इस 2थ्
3 वी में हदखार्ा
था।”
7 टे स्ट्टीमिीज़ 239 5 9 “चिककत्सा मममशिरी कार्य, पृ. सुसमािार का दाहहिा हाथ है । र्ह 2रमेश्वर के कार्य को
बढािे के मलए आवश्र्क है । क्र्ोंकक इसके द्वारा 2ुरूष एवं महहलाएुँ जीिे के सही आदतों के महत्व को जािेंगे, पृ.
सत्र् के बिािे वाले शजक्त को जािेंगे। हर एक शहर में चिककत्सा ममशिरी कार्य के कार्यकर्त्ायओं को जािा है ।
तीसरे स्ट्वगयदत
ू के संदेश के अिुसार 2रमेश्वर के तरीकों से रोगों के उ2िार मौजूदा सत्र् के मलए द्वार
खोलें गे।”
काउन्सेल्स ऑि हे ल्थ, पृ. 239 5 89 “निस्ट्वाथयता का सबसे शुध्द उदाहरर् अब चिककत्सा ममश्िररर्ों को हदखािा
है । अभ्र्ास से हामसल ककर्ा गर्ा ज्ञाि और अिुभव के द्वारा, पृ. उन्हें रोचगर्ों का उ2िार करिा है । जैसे वे एक
घर से दस
ू रे घर जाएुँगे, पृ. बहुत सारे हृदर्ों में जगह 2ाएुँगे। बहुतों के 2ास 2हुुँिा जाएगा जो अन्र्था कभी
सस
ु मािार संदेश िहीं सि
ु 2ाते।”
क्राईस्ट्ट ऑब्जेट लेसन्स, पृ. 239 , पृ. 49 “र्ीशु के िेलों को उसके उदाहरर् का अिुसरर् करिा है । जैसे वह एक
जगह से दस
ू रे को गर्ा उसिे दुःु खी लोगों को संताविा हदर्ा और रोचगर्ों को िंगा ककर्ा। किर उसिे उन्के
समक्ष उसके राज्र् के ववषर् बडी सच्िाईर्ों को रखा। र्ह उसके अिर्
ु ानर्र्ों का काम है । जैसे ही आ2 दे ह की
2ीडाओं से राहत दे ते हैं, पृ. वैसे ही आ2 आत्मा के ज़रूरतों को 2ूरा करिें का रास्ट्ता 2ाएुँगें। आ2 ऊुँिें ककए गए
उध्दरकर्त्ाय की ओर इशारा करते उस महाि चिककत्सक के प्रेम को बता सकते हैं, पृ. मसिय उसके 2ास िंगा करिे
की शजक्त है ।”
टे जस्ट्टमिीज़, पृ. 239 1679 “र्त्2श्िात चिककत्सा ममश्िरी कार्य को उस निष्ठा साथ आगे बढािा है जजससे वह आज
तक िहीं बढा है । र्ह कार्य ही वह दरवाज़ा है जजसके द्वारा महािगरों प्रवेश ककर्ा जा सकता है ।”
6 टे जस्ट्टमिीज़, पृ. 239 11 9 “प्रत्र्ेक शहर जहाुँ हमारा चगरजाघर है , पृ. उ2िार दे िे के मलए जगह की ज़रूरत है 999एक
स्ट्थाि उप्लबध्द करार्ा जािा िाहहए जहाुँ आम बबमाररर्ों का इलाज हो सके। भवि भले ही खूबसूरत ि हो, पृ.
2रं तु सरल उ2िारों के मलए सवु वधाओं का होिा अनिवार्य है ।”
बढे हुए ज्ञाि और तकिीकी के इस ज़मािे में स्ट्वास्ट्थ्र् एकस्ट्2ो, पृ. मिुष्र् के 2ीडोओं से प्रनतकक्रर्ा करिे का
साधि है । प्रनतहदि हम अस्ट्वस्ट्थ जीविशैली के कारर् होिे वाले मत्3 र्ु के साक्षी हैं। इि में अचधकतर असमर्
मत्3 र्ुओं को टाला जा सकता था और जीवि के गुर्वता को बढार्ा जा सकता था र्हद जीविशैली में सरल
बदलाव ककर्े जाते।
र्ीशु िें ज़रूरतमंदों तक 2हुुँििे के तरीके बताए। उसिे अ2िे जीवि का अचधकांश वक्त लोगों के शारीररक
और मािमसक ज़रूरतों का ख्र्ाल रखा, पृ. और ऐसा करते हुए उसे उिके हृदर्ों के निकट जािे का मौका ममला।
सहदर्ों बाद, पृ. 2रमेश्वर िे हमें बतार्ा कक मसिय उसका तरीका दीघयकालीि सिलता दे सकती है । उसिे कहा कक
2थ्
3 वी के अंनतम कार्य में चिककत्सा ममशिरी कार्य 2व
ू ायग्रह तोडेगा और सस
ु मािार का दाहहिा हाथ होगा।
इसे ध्र्ाि में रखते हुए, पृ. हम ववश्वास करते हैं कक स्ट्वस्ट्थ एक्स2ो कॉिसेप्ट सुसमािार के आज्ञा का 2ालि
करता है ।
स्ट्वस्ट्थ एक्स2ो और सेवेंथ-डे एडवें हटस्ट्ट ििय द्वारा समचथयत स्ट्वास्ट्थ के निर्मों को ववज्ञाि समथयि दे ती है ।
सबूत आधाररत दवाईर्ों के ज़मािें में र्ह बेहद ज़रूरी है । आर्ोजकों और प्रनतभाचगर्ों को प्रोत्साहहत ककर्ा जाता
है कक वे स्ट्वास्ट्थ्र् संदेश और वैज्ञानिक तथ्र्ों के मजबत
ू मसध्दांतों 2र आधाररत सलाह दें और कार्यक्रमों को
आर्ोजजत करें ।
वेईमर इंस्ट्टीच्र्ुट, पृ. वाईडवुड लाईिस्ट्टाईल सेंटर एंड हॉजस्ट्2टल और एि9ई9आर9 हे ल्थ एजूकेशि ररसोरय सेस, पृ. िे
स्ट्वास्ट्थ्र् एक्स2ो के कॉन्सेप्ट को समर् के साथ ववकमसत ककर्ा है । इि संस्ट्थाओं िें कई सौ एक्स2ो कार्यक्रमों
का आर्ोजि दनु िर्ा भर में ककर्ा है ।
दनु िर्ाभर की सरकारें मत्3 र्ु के सबसे आम कारर्ों से लडिे के मलए ज़्र्ादा कक्रर्शील हो गई हैं।
कार्डयर्ोवास्ट्कुलर रोग, पृ. कैंसर और मधुमेह उन्ित दे शों में मत्3 र्ु के सबसे आम कारर् हैं, पृ. 2रं तु अब अन्र्
ववकासशील दे शों में भी इिका महत्व तेजी से बढ रहा है ।
संक्रामक रोग ववकासशील दे शों में मत्3 र्ु के मुख्र् कारर् हैं। इिमें से एि9आई9वी9/एड्स भी उन्ित दे शों में
एक महत्व2ूर्य स्ट्वास्ट्थ समस्ट्र्ा है । अन्र् स्ट्वास्ट्थ्र् समस्ट्र्ाएुँ जैसे तिाव, पृ. आम, पृ. बि रहे हैं और हो सकता है
मत्3 र्ु के बढते खतरों से, पृ. जीवि का गुर्वता घटािे, पृ. और आ2सी संबंध प्रभाववत करिे में इिका अप्रत्र्क्ष संबंध
हो।
रोगों से बिाव और शारीररक, पृ. मािमसक और आजत्मक स्ट्वस्ट्थ के आठ मुख्र् कारक हैं। भोजि, पृ. व्र्ार्ाम, पृ.
2ािी, पृ. सूर्, पृ.य संर्म, पृ. वार्, पृ.ु आराम और ईश्वरीर् शजक्त 2र ववश्वास। प्रत्र्ेक कारक को स्ट्वास्ट्थ्र् एक्स2ो में
ववस्ट्तार से, पृ. िवीितम चिककत्सीर् जािकाररर्ों से आकषयक तरीके से सजी बैिरों, पृ. चिककत्सीर् और स्ट्वास्ट्थ्र्
सलाह के संर्ुक्त मदद से बतार्ा जाता है ।
अचधकतर स्ट्वास्ट्थ्र् प्रर्ामलर्ों में रोगनिरोधी चिककत्सा के क्षेत्र में 2ैसक की कमी का सामिा करिा 2डता है
क्र्ोंकक उ2िारात्मक चिककत्सा सेवाओं को तत्काल ज़रूरतों के कारर् प्रथममकता ममलती है । इस कारर् बहुत
कम स्ट्वास्ट्थ 2ेशेवर रोगनिरोधी चिककत्सा के क्षेत्र में काम करते हैं, पृ. जबकक दस
ू रों के 2ास मरीजों को स्ट्वस्ट्थ
जीवि जीिे के निर्म मसखािे के मलए समर् और दक्षता की कमी होती है ।
स्ट्वास्ट्थ्र् एक्स2ो, पृ. समुदार् के 2ेशेवर स्ट्वास्ट्थ्र्कमी और गैर चिककत्सा क्षेत्र के कार्यकर्त्ाओं को, पृ. जो स्ट्वस्ट्थ
जीवि में रूचि रखते हैं, पृ. शाममल करता है । स्ट्वस्ट्थ जीविशैली के निर्म और हे ल्थ एक्स2ो द्वारा प्रस्ट्ताववत
गनतववचधर्ों की एक छोटी प्रमशक्षर् कार्यक्रम है ।
अिुमाि है कक र्हद लोग हे ल्थ एक्स2ो द्वारा प्रोत्साहहत स्ट्वास्ट्थ्र् निर्मों का 2ालि करें गे तो कैंसर और
कार्डयर्ोवास्ट्कुलर बबमाररर्ों से होिे वाली मत्3 र्ु दरें 60-70% और 70-80% घट जाएुँगी। जीवि काल 6-1
सालों तक, पृ. बेहतर गुर्वता के साथ, पृ. बढ सकती है , और लोग बेहतर, पृ. स्ट्वस्ट्थ जीवि जीएुँगे।
र्ीशु लोगों को शारीररक िंगाई के साथ उिके मािमसक और आजत्मक जरूरतों का समाधाि भी करिा
िाहता था। हलाुँकक, पृ. बहुतों िे उसके िए जीवि के उ2हार को ठुकरा कर मसिय शारीररक िंगाई 2ा कर िले गए।
2रं तु र्ह र्ीशु को लोगों को मदद करिे से रोक िहीं 2ार्ा। इसी तरह, पृ. हे ल्थ एक्स2ो में हमारे कार्ों का प्रेरर्ा
स्ट्वस्ट्थ जीविशैली के शारीररक लाभों को बाुँटिा ही िहीं बजल्क 2रमेश्वर के ज्ञाि, पृ. सं2ूर्य स्ट्वस्ट्थ को भी बाुँटिे
की िाह होिी िाहहए। र्ीशु के तरह ही हमें लोगों की ज़रूरतों के प्रनत संवेदिशील होिा िाहहए, पृ. उिके वविारों
का आदर करिा िाहहए और कभी भी धाममयक वविारों को अ2िािे का ज़ोर िहीं दे िा िाहहए।
इसे ध्र्ाि में रखते हुए, पृ. हे ल्थ सांसक3नतक संवेदिाशीलताओं और उ2लब्ध समर् के मुताबबक हे ल्थ एक्स2ो
को इस्ट्तेमाल करिे के मलए अिेक प्रभावशाली तरीके है , पृ. जैसे:
स्ट्वास्ट्थ्र् एक्स2ो अिेक समस्ट्र्ाओं वाले अिेक लोगों के सं2कय में आिे का मौका दे ती है । बहुत सारे लोग
एक्स2ो में सीखे बातों से तत्काल लाभ 2ाएुँगे 2रं तु दस
ू रों के मलए एक्स2ो दोस्ट्ती के िक्र की प्रकक्रर्ा का
शुरूआत होगा जो उन्हें स्ट्वास्ट्थ्र्/2ररवार संबंधी सेममिारों में लाएगा जजसके िलस्ट्वरू2 वे 2रमेश्वर से ममलें गे।
इसे ध्र्ाि में रखते हुए, पृ. स्ट्वास्ट्थ्र् एक्स2ो के शुरू होिे से 2हले, पृ. र्ह ज़रूरी है कक हम एक िीनत बिाएुँ और
एक्स2ो के दौराि ववज्ञा2ि दें । खािा 2कािे की कक्षाएुँ, पृ. धूम्र2ामि त्र्ागिे के सेममिार, पृ. तिाव मलए सेममिार, पृ.
और वजि िा2िे के कार्यक्रम अच्छे िुिाव हैं। इस तरह के एक र्ा दो सेममिारों के बाद स्ट्वास्ट्थ्र् के मािमसक
एवं भाविात्मक 2हलुओं (जैसे तिाव प्रबन्धि, पृ. र्ा अवसाद से निजात) के मलए सेममिार रख सकते है । र्ह
ध्र्ाि रखिा ज़रूरी है कक हम सारे सेममिारों में श्रोताओँ के साथ धीरे से काम करते है , पृ. धीरे धीरे आजत्मक बातें
बताते हैं और उन्हें अ2िे कार्यक्रम में शाममल करते हैं। उदाहरर् के मलए, पृ. आ2 खािा 2कािे के कक्षा में
सकारात्मक रवैर्ा, पृ. भरोसा, पृ. और क्षमा के ववषर् कुछ बातें बता सकते हैं क्र्ोंकक र्े शारीररक एवं मािमसक
स्ट्वास्ट्थ से संबंध रखते हैं। इस तरह से आजत्मक वविारों को शाममल करिे से सीखिे की उत्सुक्ता बढती है जब
हम सेममिार के दस
ू रे िरर् में जाएुँगे।
र्े सेममिार आजत्मक बातों के ििाय के मलए मौका दे ती है । इस तरह के कार्यक्रम धीरे धीरे व्र्जक्तगत
बाइबल अधय्र्ि र्ा आजत्मक कार्यक्रमों ओर ले जाते हैं। एक्स2ो और 2हले सेममिार के बीि ज़्र्ादा हदिों का
अंतराल िहीं होिा िाहहए और हर 4-6 हफ़्तों में होिे िाहहए ताकक लोगों में उत्सुक्ता बिा रहे और उिके
जरूरतों को भी 2ूरा ककर्ा जा सके।
इस ववचध के अिेक फार्दे हैं। र्ह 2ूवायग्रह तोडे, पृ. समर् के साथ ररश्ते बिाए और लोग एडवें हटस्ट्ट स्ट्वंर्
सेवकों को उि लोगों के रू2 में जािेंगे जो सिमुि दस
ू रों का ख्र्ाल रखते हैं।
स्ट्वास्ट्थ्र् सेममिार अकसर स्ट्वास्ट्थ्र् एक्स2ो के साथ आर्ोजजत ककर्ा जाता है । सेममिार लोगों में उत्सुक्ता
बढाते है और स्ट्वास्ट्थ जािकाररर्ाुँ बाुँटिे में मदद करते हैं और ववश्वास और सं2कय बढाते है ।
रोगनिरोधी दवाईर्ों, पृ. सरल उ2िार, पृ. और खािा 2कािे की कक्षाओँ के सेममिार बहुत । र्े सेममिार तकरीबि
एक घंटे मलए होते है ।
समयसारणी
र्ह उस दे श 2र निभयर करता है जहाुँ आ2 काम कर रहे है और साल के कौि से समर्। प्रत्र्ेक
एक्स2ो -5 रातों के मलए होते है , पृ. सप्ताहांत में । िीिे, पृ. समर्सारर्ी का एक िमूिा हदर्ा गर्ा है ।
समर् गनतववचध हटप्2िी
संध्र्ा 5:00 बजे प्रनतहदि की तैर्ारी स्ट्थाि के मुताबबक आ2को तैर्ारी में कुछ वक्त लग सकता है । र्हद आ2 रात भर
आ2िा सामग्री वहाुँ रख सकते है तो आ2को अगले हदि तैर्ारी में लगभग एक घंटे
का वक्त लग सकता है । तैर्ारी के वक्त कोऑर्डयन्टर का मौजूद होिा ज़रूरी है ।
संध्र्ा 5:45 बजे आर्ोजकों की सभा और इस समर् तक सभी वॉलेजन्टर्रों का उप्सचथत होिा ज़रूरी है । प्राथयिा के सभी को
सामूहहक प्राथयिा अ2िे निधायररत स्ट्थािों 2र 2हुुँि जािा िाहहए। एक्स2ो के शुरू होिे से 2हले
कोऑर्डयिेटर को सभी बूथों का जाुँि करिा िाहहए।
संध्र्ा 6:00 बजे एक्स2ो के स्ट्क्रीनिंग सभी बथ
ू ों को जाुँििे के बाद कोऑर्डयिेटर एक्स2ो शुरू करिे की अिुमनत दे गा।
2डािव खल
ु ेंगे
संध्र्ा 7:00 बजे दरवाज़े बंद होंगे अनतचथर्ों का आगमि बंद ककर्ा जाएगा 2रं तु अनतचथ जो अंदर आ िुके है
बूथों में जािा जारी रख सकते हैं। ध्र्ाि रखे कक वे जो सभागार में 2हुुँि ि
2ाुँए हों, पृ. उन्हें वहाुँ 2हुुँििे में हदक्कत ि हो।
संध्र्ा 7:20 बजे स्ट्क्रीनिंग 2डाव बंद होंगे बथ
ू ों के बंद होिे से 2हले सभी से सभागार में आिे के मलए आग्रह करें ।
संध्र्ा 7:30 बजे स्ट्वास्ट्थ्र् 2र भाषर् इस वक्त वॉलेजन्टर्र बथ
ू ों की सिाई कर सकते हैं।
संध्र्ा 8:30 बजे भाषर् का अंत स्रोताओँ को सवाल करिे का वक्त दें ।
खास बाेें
स्ट्वास्ट्थ्र् एक्स2ो का र्ह 2ध्दनत का एक मकसद र्ह भी है कक ििय के सदस्ट्र्ों और गैर एडवें हटस्ट्टों के
बीि भरोसा और दोस्ट्ती का ररश्ता बिे। इस मलए हम िाहते हैं कक लोग कई संध्र्ा वा2स आकर सारे 2डावों
2र जाएुँ ि कक एक ही हदि में । 1 से 11/ घंटे के छोटे सत्र आदशय हैं। कभी कभी लंबे सत्रों की ज़रूरत होती है
2र वे अकसर कार्यकर्त्ायओं को थका दे ती है और अनतचथगर्ों के भी स्ट्वास्ट्थ के भाषर् शरू
ु होिे से 2हले िले
जािे की संभाविा होती है ।
स्ट्क्रीनिंग 2डावो के बंद होिे से आधे घंटे 2हले सूचित करिा िाहहए और अनतचथर्ों को स्ट्वास्ट्थ भाषर् के
मलए प्रेक्षागह
3 में आमंबत्रत करिा िाहहए।
र्हद ककसी 2डाव मे अचधक भीड हो र्ो अिुमाि लगाएुँ कक निधायररत समर् तक ककतिे लोगों का जाुँि
ककर्ा जा सकता है और बाकी लोगों को अश्वामसत करें कक अगले हदि सबसे 2हले उिका ही जाुँि होगा। र्ह
बेहद ज़रूरी है कक सारे 2डाव वक्त में बंद हों ताकक लोग प्रेक्षागह
3 में जा सके। बहुत बार कम्2र्ट
ु ररक3त जाुँि
अंत की ओर बहुत व्र्स्ट्त हो जाते हैं। ऐसे में आ2 भरे हुए क्वेश्ििार इकठ्ठे करके सेममिार के बाद 2ररर्ाम
दे सकते है ।
2. सस
ु माचारवाक्री समारोह के साथ स्वास््य एक्सपो
अमेररका, पृ. 2ूवी र्ुरो2, पृ. लैहटि अमेररका, पृ. एमशर्ा और अफरीका में स्ट्वास्ट्थ्र् सेममिार स्ट्वास्ट्थ्र् एक्स2ो के
साथ सिलता2ूवक
य आर्ोजजत ककर्े जा िुके हैं। इि दे शों में एक्स2ो, पृ. सुसमािारवादी सभाओं से - हदि
2हले र्ा एक्स2ो के साथ र्ा एक्स2ो खत्म होिे के बाद आर्ोजजत ककर्े गए।
लोगों को र्ह कभी ि लगे कक स्ट्वास्ट्थ्र् एक्स2ो के बहािे उन्हें धोखे से आजत्मक साभा में बुलार्ा गर्ा है ।
वहाुँ की समाज को समझें।
2र इसका आर्ोजि ककर्ा जािा बेहतर होगा, पृ. अिुभव से जािते है कक ऐसे जगह 2र एक्स2ो आर्ोजजत
करिे 2र जहाुँ लोग आसािी से 2हुुँि सकते है , पृ. उ2जस्ट्थनत बढती है । मॉल, पृ. ववश्वववद्र्ालर्, पृ. र्ा दस
ू रे
कार्यक्रम के साथ (मेले, पृ. उत्सव, पृ. आहद) अच्छे ववक्ल2 हैं। आ2 ववद्र्ालर् र्ा बडे कम्2िी में एक्स2ो का
आर्ोजि कर सकते हैं और उिके कमयिाररर्ों को सेवा दे सकते हैं।
आ2 िाहे जहाुँ भी, पृ. जैसे भी एक्स2ो आर्ोजजत कर रहे हैं, पृ. ध्र्ाि रखे कक अंत में एक ववशेष कार्यक्रम
जरूर होिा िाहहए। अ2िे समाज के ज़रूरतों को जाििे के मलए स्ट्वास्ट्थ्र् उम्र क्वेश्ििार में भरे गए उिकी
रूचि के सेममिारों को जािें।
समान्र्तुः आठ बूथ होते हैं। प्रत्र्ेक बूथ रं गीि स्ट्वास्ट्थ्र् 2ोस्ट्टरों से खूबसूरती से सजा होिा िाहहए।
बथ
ू समझदारी से ऐसे सजे होिे िाहहए कक लोग आसािी से आिा जािा कर सके। िीिे दो तरह के
व्र्वस्ट्थाएुँ हदए गए हैं। 1) मल
ू व्र्वसथा ) 2ल्स व्र्वस्ट्था
19 मूल व्र्वस्ट्था
हम बूथों को इस तरह व्र्वजस्ट्थत रखिा िाहते हैं कक लोग ज़रूरत के मुताबबक एक के बाद एक जाुँि करे ।
इसमलए हम 2ोषर् से शुरू करते है जहाुँ वजि और वसा का अिु2ात िा2ा जाता है , पृ. तब धू2 में रक्तिा2 और
िाडी का जाुँि होता है । र्ह जािकारी अगले िरर्ों के जाुँि के मलए ज़रूरी है जैसे - स्ट्टे 2 जाुँि र्ा कंप्र्ट
ू र
स्ट्वास्ट्थ्र् उम्र जाुँि। साथ ही संर्म और भरोसा का बथ
ू अगल बगल होिे से र्ह िार्दा है कक लोग कंप्र्ट
ू र
स्ट्वास्ट्थ्र् उम्र जाुँि के बाद सीधे स्ट्वास्ट्थ्र् और आजत्मक सलाह के बूथ में जा सकते हैं।
जल व्र्ार्ाम वार्ू
जलचचककत्सा स्टे प टे स्ट पीक फ़्लो मीटर
कुसी मामलश
आराम
रक्ेचाप
ध2
ू
ु ाे
शरीर का वसा अनप
2ोषर्
रक्तिा2
मस्ट्सों के घातक प्रवन3 त की जाुँि र्हद िमय रोग ववशेषज्ञ उ2लब्ध हो
2 धप
ू
हड्र्डर्ों के घित्व (कलाई) र्हद उ2लब्ध हो
5 वायु 2ीक फ़्लो मीटर। स्ट्2ाईरोममटरी, पृ. र्हद उ2लब्ध हो। CO का िा2
र्ह ध्र्ाि रखिा ज़रूरी है कक एक अच्छे स्ट्वास्ट्थ्र् एक्स2ो के मलए अिेक जाुँिों का उ2लब्ध होिा ज़रूरी है ।
इि दो व्र्वस्ट्थाओं में , पृ. जो हम आ2को हदखा रहे है , पृ. मूल व्र्वस्ट्था में 8 ववकल्2 हैं एवं प्लस व्र्वस्ट्था में
ववकल्2 हैं (ग्लुकोज़ एवं कॉलेल्रोल जाुँि जोडिे की वजह से)। हालाुँकक, पृ. र्हद आ2 अन्र् रोिक जाुँि ववकल्2
जोड सकते हैं तो र्ह निजश्ित रू2 से अ2जस्ट्थनत बढा सकती है । दस
ू रे ववकल्2 जजन्हें हमिे सिलता2ूवक
य प्रर्ोग
ककर्ा है :
बच्िों का कोिा- र्व
ु ाओं के मलए खास गनतववचधर्ों के साथ
दाुँतों का जाुँि
िमयरोग जाुँि
ग्लउकोमा जाुँि
केरोहटड डो2लर अल्रासाउण्ड
धू2 जल व्र्ार्ाम
रक्ेचाप जलचचककत्सा स्टे प टे स्ट
2ीक फ़्लो
वार्ू
ू ोज़ एवं कॉलेस्रोल
शारीररक वसा का ग्लक
कुसी मामलश
आराम
2ोषर्
नाप
ग्लूकोज़ जाुँि
2 खास मेज (वैकच्ल्पक)
कुल कॉलेस्ट्रोल जाुँि
रक्तिा2
3 धप
ू
वैकजल्2क त्विा जाुँि एवं हड्डी घित्व
6 वायू 2ीक फ़्लो मीटर। स्ट्2ाईरोममटरी, पृ. र्हद उ2लब्ध हो। CO का िा2
समान्र्तुः 45 व्र्जक्तर्ाुँ एक मध्र्म ववस्ट्तार के स्ट्वास्ट्थ्र् एक्स2ो के मलए कािी है (लगभग 00 व्र्जक्तर्ों
के जाुँि को मलए)। एक छोटे ववस्ट्तार के स्ट्वास्ट्थ्र् एक्स2ो के मलए 15- 5 व्र्जक्तर्ाुँ (100 व्र्जक्तर्ों के मलए)
िुँूकक स्ट्वास्ट्थ्र् एक्स2ो स्ट्थािीर् ििय के सदस्ट्र्ों 2र निभयर करता है , पृ. र्ह ज़रूरी है कक एक आर्ोजक दल
संगहठत ककर्ा जाए, पृ. एक ििय सदस्ट्र् के िेतत्3 व में , पृ. जो स्ट्वास्ट्थ्र् एक्स2ो का संिालि का काम करे । इसके
अलावा, पृ. प्रत्र्ेक स्ट्वास्ट्थ जाुँि 2डाव में एक व्र्जक्त का होिा ज़रूरी है जो गनतववचधर्ों और आ2ूतीर्ों की
जजम्मेदारी ले। इस व्र्जक्त की र्ह सनु िजश्ित करिे की जजम्मेदारी होगी की सभी कार्यकर्त्ाय प्रनतहदि समर् 2र
आर्ें ताकक एक्स2ो बबिा रूकावट के िले।
मूल काययदम
धू2 - व्र्जक्त रक्तिा2 जाुँि - रक्त जाुँि के मलए र्ंत्र 4-6 कुमसयर्ाुँ
रक्ेचाप के मलए रक्तिा2 एवं धू2 संबंचधत साहहत्र् 1 मेज
जल 1 व्र्जक्त ववचधर्ों को बोतल बंद 2ािी और क2 कुमसयर्ाुँ
जलचचककत्सा दशायिे के मलए उ2िार ववचधर्ों को दशीिे के मलए उ2करर् 1 मेज
1 व्र्जक्त ‘मरीज’ जल एवं जलचिककत्सा संबंचधत साहहत्र्
1 व्र्जक्त 2ािी दे िे के
मलए
व्र्ार्ाम -4 व्र्जक्त सीहढर्ाुँ ”×14”× 4” र्ा दो व्र्जक्तर्ों के मलए 4 कुमसयर्ाुँ
स्टे प टे स्ट एक लंबी सीढी ”×14”× 8” 1 मेज
घडी
व्र्ार्ाम संबंचधत साहहत्र्
वार्ु 1- व्र्जक्त 1- 2ीक फ़्लो मीटर कुमसयर्ाुँ
पीक फ़्लो मीटर प्रर्ोग उ2रांत िेंकिे र्ोग्र् माउथ2ीस 1 मेज
वार्ु संबंचधत साहहत्र्
आराम 6-1 प्रमशक्षक्षत व्र्जक्तर्ाुँ अल्कोहल एवं 2े2र टॉवल 6-1 कुमसयर्ाुँ
कुसी में मामलश जजिमें से 1/ 2रू
ु ष एवं आराम संबंचधत साहहत्र् मेज 0×8
/ महहलाएुँ िीट
सर्ंम कम्2र्ुटर ऑप्रेटर कम्2र्ुटर 1- मेज 0×8
कम्पयुटर 1- सहार्क, पृ. प्र2त्र भरिे -4 वप्रंटर 1- छोटी मेज
स्वास््य उम्र और के मलए एक्सटें शि कोडय 4-8 कुमसयर्ाुँ, पृ. प्र2त्र
ीपका कोरोनरी 1- व्र्जक्त, पृ. लोगों को स्ट्वास्ट्थ संबंचधत क्वेश्ििार एवं ितीजों के प्र2त्र भरिे के मलए
खेरे स्ट्वास्ट्थ्र् सलाह बूथों के कोरे िरी खतरों के क्वेश्ििार एवं ितीजों के प्र2त्र
(वैकच्ल्पकक) बारे बतािे के मलए वप्रंटर इंक, पृ. 2ेिमसल र्ा कलम
भरोसा -4 स्ट्वास्ट्थ्र् सलाहकार भरोसा संबंचधत साहहत्र् -8 कुमसयर्ाुँ
सलाह दस
ू रे साहहत्र् छोटे मेज
प्लस काययदम
हैंडीउट्स
आ2के मलए बहुत सारे 2ेशेवर रू2 से तैर्ार हैंडआउट्स हे ल्थ एक्स2ो में इस्ट्तेमाल करिे के मलए मौजूद हैं।
आ2के इस्ट्तेमाल करिे के मलए उ2लब्ध सामाचग्रर्ों की 2रू ी सि
ू ी के मलए दे खें http://
www.healthexpobanners.com.php
ववज्ञापन
ववज्ञा2ि आमतैर 2र महं गे होते है , पृ. 2रं तु र्हद आ2 मेहित करिे को तैर्ार है तो र्ह बबलकुल मुफ़्त में ककर्ा
जा सकता है । र्ह सनु िजश्ित करिा बेहद ज़रूरी है कक ककस इलाके कौि सा तरीका सबसे बेहतर 2ररर्ाम दे गा
और उन्हीं में से बजट के अिुरू2 िुिाव करें । 2रिे आमतौर 2र अचधकांश को आकवषयत करते है । दक
ु ाि की
खखडककर्ों और दस
ू रे सावयजनिक स्ट्थलों 2र 2ोस्ट्टर कािी प्रभावशाली होते है । अचधकतर टी9वी9 एवं रे र्डर्ो
स्ट्टे शि एवं अखबार मुफ़्त में सावयजनिक सेवाओं का घोषर्ा करते है 2रं तु इसके मलए आ2को हफ़्तों 2हले
र्ोजिा बिािा होगा। ववज्ञा2िों के कुछ िमुिे आगे के कुछ 2न्िों में हदए गए है । अख़बारों रे र्डर्ो और टी9वी9
स्ट्टे शिों से कार्यक्रम को बढावा दे िे के मलए सं2कय करिा ज़रूरी है । इसे समाज के मलए सेवा के रू2 में गैर
भग
ु ताि कार्यकर्त्ायओं के द्वारा प्रस्ट्तत
ु करें , पृ. और इस कार्यक्रम के गैर लाभ ववशेषताओँ 2र ज़ोर दें ।
हॉल का स्थान
अचधकतर महािगरों में िगर2ामलका का टाउि हॉल है , पृ. जो शहर के बीिों बीि जस्ट्थत होता है और सस्ट्ते कीमत
में ममलता है ; 2रं तु अक्सर महीिों 2हले बुककं ग करिा 2डता है । इसे सावयजनिक सेवा के रू2 में 2ेश करिा बेहद
ज़रूरी है और ऐसा करिे 2र बहुत कम लागत र्ा मुफ़्त में ममल जाता है । सावयजनिक इमारत र्ा ववद्र्ालर्
हमेशा बेहतर ववकल्2 होते हैं क्र्ोंकक चगरजाघर के 2ास आिे से लोग हमेशा हहिककिाते हैं।
अचधक जािकारी के मलए िाल्सय र्ा फोएबे क्लीवलैंड से हे ल्थ एजक
ू े शि ररसोसेस में ई-मेल द्वारा सं2कय करें :
Cleveland@healthexpobanners.com र्ा सभी उत्2ादों को दे खिे के मलए वेबसाईट:
http://www.healthexpobanners.com 2र जाएुँ।
स्ट्वास्ट्थ्र् जागरूकता सप्ताहांत अ2िी मण्डली को स्ट्वस्ट्थ जीवि के प्रनत जागरूक करिे का एक अच्छा मिोहर
और अभ्र्ामसक तरीका है । इस कार्यक्रम का लक्ष्र् बबिा ववरोध और ववतकों के स्ट्वास्ट्थ्र् के मूल मसध्दांतों को
बाुँटिा और उसके ववषर् अचधक जाििे की उिकी रूचि बढािा है । इसे कई तरह से आर्ोजजत ककर्ा जा सकता
है 2रन्तु र्हाुँ एक हदर्ा गर्ा उदाहरर् हदर्ा गर्ा है जो 2ूरे ववश्व में सिल रहा है :
सब्बत अ2राह्ि: आम बबमाररर्ों का भाषर् (कैंसर, पृ. हृदर् रोग, पृ. मधुमेह, पृ. आहद)
रवववार सुबह: जलचिककत्सा कर के हदखािा, पृ. कुसी मामलश, पृ. और 2ाक-कला की कक्षा
स्वास््य सप्ेाह
हम अकसर प्राथयिा के सप्ताह आर्ोजजत करते हैं, पृ. और प्रकार से स्ट्वास्ट्थ्र् सप्ताह भी आर्ोजजत ककर्े जाते हैं, पृ.
जो आ2के मण्डली और समाज में स्ट्वस्ट्थ जीवि को लेकर जागरूक बाििे के बेहतरीि तरीके हैं। र्हाुँ एक
उदाहरर् है जजससे अच्छी सिलता ममली है :
र्ह समाज के मलए मामसक रीि-आउट आर्ोजि है , पृ. जजसमें भोजि और भाषर् शाममल हैं जजसका लक्ष्र्
मशक्षक्षत करिा, पृ. प्रोत्साहहत करिा और प्रेररत करिा शाममल है ताकक इसमें उ2जस्ट्थत होिे वाले लोग अस्ट्वस्ट्थ
आदतों को त्र्ाग कर स्ट्वास्ट्थ्र्वधयक आदतें अ2िाए। र्ह जिसाधरर् को अकसर मुफ़्त में उ2लब्ध करार्ा जाता
काययदम: मेहमाि आते हैं, पृ. िाम मलखवाते हैं, पृ. रे सीव2र्ों(जो वे खाएुँगे/िमूिे) और चिककत्सक के भाषक की
ववषर्वसतु के साथ 2बत्रकाएुँ प्राप्त करते हैं। किर उन्हें रक्तिा2, पृ. वज़ि और वसा अिु2ात िा2िे के मलए
आमंबत्रत ककर्ा जाता है और उिके व्र्जक्तगत स्ट्वास्ट्थ्र् रे काडय में जोड हदर्ा जाता है । किर उन्हें भाषर् के
स्ट्थाि 2र जािे के मलए प्रोत्साहहत ककर्ा जाता है । प्रत्र्ेक माह इसके समर् सारर्ी में थोडे बदलाव होते हैं:
एक महीिे वे आकषयक व्र्ंजिों का आिन्द उठाते हैं जो 2ोषक होिे के साथ ही स्ट्वाहदष्ट भी होते हैं, पृ. जजसके
बाद चिककत्सक द्वारा स्ट्वास्ट्थ्र् संबंधी ववषर् में एक भाषर् हदर्ा जाता जैसे उच्िरक्तिा2, पृ. हृदर् रोग, पृ. मधुमेह, पृ.
कैंसर के रोकथाम, पृ. व्र्ार्ाम, पृ. आहद। हर दस
ू रे महीिे वे छोटे स्ट्वास्ट्थ भाषर् और 5 तरह 2ाक-कलाओं के दशायिे
वाले 2डावों में िमूिों के साथ आिन्द उठाते हैं। इसे डेमो और व्र्ंजि कह सकते हैं। क्र्ोंकक लोग भोजि को
तैर्ार होते दे खिे में काफी रूचि लेते हैं, पृ. हर दल एक 2डाव में 15- 0 ममिटों तक समर् बबताते हैं ताकक को
सारे 2डावों में जािे का मौका ममले। कार्यक्रम 0 ममिटों का होता है ।
हर रात 2ुस्ट्तकों के मलए 2त्र डाले जाते हैं (2कवािों के 2ुस्ट्तक, पृ. स्ट्वास्ट्थ्र् के 2ुस्ट्तक, पृ. आहद)। आमतौर 2र हर
0 मेहमािों के मलए एक 2ुस्ट्तक दें ।
प्रचार: हर एक व्र्जक्त जो शाममल होता है , पृ. उसके िाम को डाटाबेस में रखा जाता है और हर महीिे कार्यक्रम से
2हले उसे टे लीिोि र्ा इ-मेल भेजा जाता है । साथ ही व्र्जक्तगत निमंत्रर् और समाज के मलए 2ैम्2लेट बाुँटे
जाते हैं।
काययकर्त्ायओं कआ ज़ रे: एक रात में 100-1 0 लोगों के मलए 0- 5 कार्यकर्त्ायओं की ज़रूरत होती है :
1 संिालक
लोगों को उिके स्ट्थािों में बैठािे के मलए, पृ. अनतररक्त कुमसयर्ाुँ लगािे के मलए, पृ. कूडेदाि खाली करिे के मलए, पृ.
शौिालर् के समाि जुगाड करके रखिे के मलए, पृ. सभागार को सजािे और सामाि वा2स रखिे के मलए, पृ. और
समाप्त होिे 2र ताले लगािे के मलए 4 कार्यकर्त्ाय
6-7 रसोईर्े (ज़रूरत 2डिे 2र 2हले से ही सब कुछ तैर्ार रखिे के मलए और भी लोगों की ज़रूरत 2ड
सकती है )
स्वास््य क्लब
पररचय
हर दे श में जैसे जैसे लोग अ2िे सवास्ट्थ्र् 2र प्रनतहदि के िुिावों के प्रभावों के बारे सीखते हैं, पृ. वैसे ही
अचधक से अचधक लोग अ2िे जीविशैली बदलिे के मलए इच्छुक होते हैं। हमारे मलए र्ही सही समर् है जब
हम 2ूरे ववश्व में स्ट्वास्ट्थ्र् क्लबों का स्ट्था2िा करें जजससे लोग स्ट्वास्ट्थ्र् जीवि के बारे लगातार सीख सके
और प्रोत्साहहत हों।
स्ट्वास्ट्थ्र् एक्स2ो लोगों से ममलिे और हमारे स्ट्वास्ट्थ्र् संदेश को लोगों तक 2हुुँिािे के अद्भुत कार्यक्रम हैं, पृ.
2रन्तु जब तक आगे की कार्यक्रम की र्ोजिा सुनिर्ोजजत ढं ग से िहीं बिाई जाती वे ‘कलीमसर्ा में बहुत
कम लोगों को जोडते’ हैं। स्ट्वास्ट्थ्र् क्लब ववकमसत करिे से, पृ. जो निर्ममत रू2 से ममलते हैं, पृ. लोगों से ममत्रता
बढािे का मौका ममलता है जजससे मिों को छूिे का ख्रीस्ट्त के तरीके से लोगों को स्ट्वास्ट्थ्र् के निर्मों के
बारे अचधक निदे श और प्रोत्साहि दे सकते हैं।
काउन्सेल्स ऑि डाईट एंड िूड्स, पृ. 239 47 9 “लोगों को स्ट्वास्ट्थ्र्वधयक भोजि 2कािा मसखाकर हम अच्छी
सेवा दे सकते हैं। र्ह दस
ू रे कार्ों के जजतिा ही महत्व2ूर्य है । अचधक से अचधक 2ाक-कला ववद्र्ालर् खोले
जािे िाहहए, पृ. और कुछ लोगों को घर घर जाकर लोगों को स्ट्वास्ट्थ्र्वधयक भोजि तैर्ार करिा मसखािा
िाहहए। स्ट्वास्ट्थ्र् सुधार के द्वारा बहुत सारे लोग शारीररक, पृ. मािमसक, पृ. और िैनतक 2ति से बिाए जाएुँगे। र्े
मसध्दांत उि लोगों के द्वारा सराहे जाएुँगे जो ज्र्ोनत की खोज करते हैं; और वैसे लोग वतयमाि सत्र्ों प्राप्त
करिे के मलए आगे बढें गे।”
टे स्ट्टीमिीज़, पृ. 239 11 9 “हमें स्ट्वास्ट्थ्र् के मसध्दांतों को दनु िर्ा के सामिे लािे का काम हदर्ा गर्ा है ।999
हमारे शहरी केंद्रों में उ2र्क्
ु त स्ट्थाि हों जहाुँ वे, पृ. जजिमें रूचि जागी है , पृ. निदे शों के मलए इक्कठे ककर्े जा
सकें। इस काम को तच्
ु छ रू2 से आर्ोजजत िहीं करिा िाहहए जो लोगों के मिों में इसके ववषर् गलत
वविार उत्2न्ि कराए। सारी िीजें सत्र् के महाि लेखक की अच्छी गवाही दे और तीसरे स्ट्वगयदत
ू के संदेश
के सत्र्ों की महत्व और 2ववत्रता को दशायए।”
8 टे स्ट्टीमिीज़, पृ. 239 1489 “। र्ह 2रमेवर के लोगों का सकारात्मक कतयव्र् है कक वे ऐसे जगहों 2र भी जाएुँ
जहाुँ 2हले िहीं 2हुुँिा गर्ा हो। जहाुँ भी मौका ममले, पृ. िई भमू म को साि करिे के मलए लोगों को तैर्ार करें , पृ.
ताकक िए प्रभावशाली केंद्र स्ट्थाव2त ककर्े जा सकें। ऐसे कमयिाररर्ों को एकजुट करें जजिमें सच्िी ममशिरी
जोश है , पृ. और उन्हें दरू और िज़दीक में ज्र्ोनत और ज्ञाि िैलािे दें । उन्हें स्ट्वास्ट्थ्र् सुधार के जीवंत
मसध्दांतों को ऐसे समाजों में 2हुुँिािे दें जहाुँ इि मसध्दांतों के ववषर् बहुत हद तक कोई जािकारी िहीं है ।
रोगों के उ2िारों के ववषर् निदे श दे िे के मलए कक्षाएुँ बिाईं जाएुँ।”
क्लब का हर संभव तरीके से प्रिार करिा— चगराजा, पृ. व्र्ा2ार, पृ. रे र्डर्ो, पृ. अख़बार, पृ. टीवी, पृ. सोशल
मीर्डर्ा, पृ. घर-घर प्रिार, पृ. प्रत्रािार, पृ. आहद।
कार्यक्रम संिालक के साथ ममलकर 2ुस्ट्तकों, पृ. 2बत्रकाओं, पृ. डीवीडी, पृ. कलम, पृ. 2ैमप्लेट, पृ. तोफेह
आहद का बंदोबस्ट्त करता है ।
स्ट्वागत और 2ररिर् दे िा
सभा/वीर्डर्ो उ2दे श और कार्यक्रम की ववषर् वस्ट्तु की जािकारी दे ता है
मेहमािों को व्र्स्ट्त और उिकी रूचि बिाए रखता है
इस बात का ख्र्ाल रखता है कक कार्यक्रम िलता रहे और वह भीक समर् में ।
उपक्रे शक: -4 व्र्जक्त जजिको स्ट्वास्ट्थ्र् के मसध्दांतों की अच्छी जािकारी है और जो उन्हें बेतरीि
तरीके से 2ेश करे । ज़रूरी िहीं की वे स्ट्वास्ट्थ्र् कमी ही हों (चिककत्सक, पृ. िसों, पृ. थेराव2स्ट्ट, पृ. डेजन्टस्ट्ट, पृ.
आहद) 2रन्तु वे इि मसध्दांतों को अच्छी तरह से समझते हों और इिका अभ्र्ामसक उ2र्ोग जािते
हों। उन्हें हमारे “स्ट्वास्ट्थ्र् और िंगाई के मसध्दांत” की अच्छी समझ हो और र्हद संभव हो तो िील
िेडली की 2ुस्ट्तक “2ोज़ेहटव प्रफ
ू ” और हांस डेल की “हे ल्थ 2ावर” 2ुस्ट्तक की जािकारी हो।
स्वास््य कोच: प्रत्र्ेक व्र्जक्त का एक स्ट्वास्ट्थ्र् कोि हो जो उन्हें उिके खास कहठिाईर्ों को
सुलझािे में मदद करे ।
सहायक: जो लेखा-जोखा का काम के काम में मदद कर सके (प्रिार सामग्री, पृ. िाम मलखावा, पृ. डाटाबेस
प्रबंधि, पृ. आहद।)
भोजन कआ ेैयारी: वर्जक्तर्ाुँ जो र्ा तो व्र्ंजिों के िमूिे र्ा भोजि 2काते हैं र्ा भोजि के 2कािे
की ववचधर्ों को अभ्र्ामसक तौर 2र हदखाते हैं।
ेकनीकआ जानकार: इि व्र्जक्तर्ों को सारे ऑर्डर्ो/वीर्डर्ो उ2करर्ों को िलािे की जािकारी होती है
जो अ2िे िुिे हुए स्ट्थाि 2र होंगे। इिमें शाममल हैं: ऑर्डर्ो ममक्सर, पृ. माईक, पृ. कमप्र्ूटर//टै बलेट, पृ.
प्रोजेक्टर, पृ. आहद।
2. “टारगेट िुप” (मेहमानों के वगय) का चयन:
क. एक ककस्ट्म के खतरों वाले वगय— (र्ािी 5 से 65 वषय की आर्ु के लोगों में मोटा2ा हृदर्
रोग, पृ. ग्लक
ू ोज़ असहहश्ित
ु ा, पृ. उच्ि रक्तिा2, पृ. तिाव, पृ. आहद।)
ख. एक ही तरह की रूचिर्ों वाले लोगों (व्र्वसार्, पृ. चगरजा, पृ. आहद।)
ग. बच्िे और र्ुवा
घ. माताएुँ और बच्िे
ङ. खखलाडी
3. अपनी टारगेट िप
ु के मलए दक्रन और समय तनधायररे करें जो उनकआ सवु वधा के अनस
ु ार हो:
क. रवववार दो2हर र्ा शाम (मण्डली के सदस्ट्र्ों और 2ररवारों के मलए)
ख. सप्ताह के बाकी हदिों की संध्र्ा में (कामकाजी लोगों के मलए)
ग. सप्ताह के बाकी हदिों की सुबह (व्र्वसानर्र्ों के मलए)
4. क्लब ककेना और ककेने समय ममलेगी, यह तनधायररे करें : (लोगों का र्ह जाििा महत्व2ूर्य है कक वे
इसे ककतािा वक्त समयव2त कर रहे हैं)
अ2िी सभाओं में बुजध्दमािी से बाइबल की बातों, पृ. प्राथयिा र्ा आजत्मक बातों को रखें। एक बार आ2को
लगिे लगे कक आ2िे ममत्रता कर ली है र्ा अ2िे सदस्ट्र्ों का ववश्वास जीत मलर्ा है तो उन्हें आजत्मक
सभाओं, पृ. जैसे दानिय्र्ेल बाईबल अध्र्र्ि में अ2िें चगरजा र्ा समािारवादी सभा में आिे का निमंत्रर्
दें ।
हमें र्ह भी सलाह दी गई है कक हम घर-घर जाकर काम करें और बहुतों को प्रोत्साहहत करें जो हमारे आिे का
इन्तज़ार कर रहे हैं कक हम आकर उन्हें सत्र् के बारे बताुँए।
लाईट िे एक सरल माध्र्म ववकमसत ककर्ा है जो आ2को, पृ. आ2के छोटे झुण्ड, पृ. और/र्ा आ2के मण्डली को
आ2के 2डोस में प्रभावशाली रू2 से जािे में और स्ट्व्साथ्र् संदेश की मदद से ममत्र बिािे में मदद करे गा।
सात सप्ताहों में छोटे दल उस क्षेत्र के हर एक घर में जाएुँगे और उन्हें अ2िे स्ट्वास्ट्थ्र् आदतों को लेकर अच्छे
िुिाव करिे के मलए प्रोत्साहहत करें गे।
र्हाुँ सरल स्ट्वास्ट्थ्र् आदतों से एक व्र्जक्त का आजत्मक जीवि की ओर रूझाि ववकमसत करिा है जजसका
लक्ष्र् है लोगों को 7 सप्ताहों के अंत में बाईबल अध्र्र्ि के मलए तैर्ार करिा है ।
1. र्ह निजश्ित करें कक लोग कैसे इस कार्यक्रम के मलए सम2यनत होंगे। प्रत्र्ेक व्र्जक्त के काम करिे का
क्षेत्र निधायररत करें । जजतिे लोग रूचि ले रहे होंगे उतिी संख्र्ा अ2िे जीवि को ज्र्ोनत दें 2ुजस्ट्तका की
प्रनतर्ों की छ2ाई करें
2. िीिे हदर्े गए वातायला2 को कंठस्ट्थ करें
3. प्राथयिा के मलए खास समर् निकालें और
4. जाएुँ!
5. जो भी व्र्जक्त इच्छु हों उिके मलए कार्यक्रम को आगे बढाएुँ
वाेायलाप
िमस्ट्कार, पृ. मेरा िाम _______ है और र्ह मेरा दोस्ट्त __________है । हम ____________ (संस्ट्थाि का
िाम) संस्ट्थाि के कार्यकर्त्ाय हैं। हम जंक िूड और छोटे समाि बेििे के बजार् हमारे समाज के मलए कुछ
लाभदार्क िीज करिा िाहते हैं और अ2िे जीवि को ज्र्ोनत दें िाम के 7 सप्ताहों के सरल स्ट्वास्ट्थ्र् सुधार
कार्यक्रम में जुडिे के मलए हम र्हाुँ के सभी लोगों को प्रोत्साहहत कर रहे हैं। र्ह 2ूरी तरह से निशुल्क है और
आ2के 2ररवार के सभी लोग इसमें भाग ले सकते हैं!
इसे एक बार ज़रूर दे खें (2ुजस्ट्तका थमाएुँ)। ववषर्ों में शाममल है : 2ोषर् कैसे बढाएुँ, पृ. भोजि की तैर्ारी, पृ. व्र्ार्ाम, पृ.
और अन्र्।
अगले सात सप्ताहों में जैसे कक आ2 इस गाईड के अिुसरर् करें गे, पृ. आ2 अ2िे स्ट्वास्ट्थ्र् में सुधार दे खेंगे! हम
हर सप्ताह आकर आ2के सवालों का जवाब दें गे और आ2को और भी सामग्री उ2लब्ध कराएुँगे।
ववषय सच
ू ी
6 टे स्ट्टीििीज़, पृपृ. 378,379. “परिेश्वर िे िेरे साििे यह रखा कक बहुत सारे ोग शारीररक, िािमसक,
और िैनतक पति से स्ट्वास्ट््य सुधार के अभ्यामसक प्रभाव के द्वार बचाए जाएँगें। स्ट्वास्ट््य की बातें बता
जाएँगीिं; और प्रकाशि बढें गे। स्ट्वास्ट््य सुधार के नियिों को बहुत सारे ोग खु े हद से ग्रहण करें गे और
बहुत... इस सिय के सच्चा यों को ग्रहण करिे के म ए कदि बढाएँगे।”
क. सही पोश्चर
स्ट्पाज्डिंग एिंड िगि क् ेकशि, पृ. 199. “ववद्या यों िें वाणी सिंस्ट्कृनत मसखाया जािा चाहहए। इस ववषय
को ह्के िें ि ें ; क्योंकक यहद तरीका ग त हो, तो हामस ककये गए सारे ज्ञाि ककसी काि के िहीिं रहें गे।
वाणी का खेती बहुत िहत्वपूणय है , जजससे अिुग्रह और सािथय सच्चा यों को बाँटिे िें ... वाणी का सही
इस्ट्तेिा सीख कर, बहुत सारे ोग जजिे छाती किज़ोर हैं अपिा जाि बचा सकते हैं। ववद्याथी को सीधा
खडा रहिा मसखाएँ, किंधे बबिा झक
ु ाए। डककयों को खासतौर पर अपिा आवाज़ पर काबू रखिा चाहहए...
पढिे के प्रत्येक अभ्यास िें , ववद्याथी को सभी शब्दों का उच्चारण साफ साफ करिा चाहहए। ववद्यार्थययों
ख. साँस िेिा
काउन्से्स टू पैरें्स, टीचसय, एिंड सटूडें्स, पृ. 297. “वाणी सिंस्ट्कृनत एक ऐसा ववषय है जजसका सिंबिंध
ववद्याथी के स्ट्वास्ट््य से है । युवाओिं को सही ढिं ग से साँस ेिा मसखाया जािा चाहहए और ऐसा पढिा
मसखािा चाहहए कक उिके ग े और फेफडों िें अप्राकृनतक दबाव ि पडे, परिं तु यह काि पेट के िाँसपेमशयों
के साथ बाँटा जाए। ग े से बो िे से, यािी केव वाणी के ऊपरी अिंगों से आवाज़ निका िे से, इि अिंगों
को िुकसाि पहुँचता है और इिका क्षिता घटाता है । पेट के िाँसपेमशयों को सबसे भारी काि करिा चाहहए,
और ग े को िाध्यि के रूप िें इस्ट्तेिा करिा चाहहए। बहुत सारे िर गए जो जीववत रह सकते थे यहद
उन्हें वाणी का सही इस्ट्तेिा मसखाया गया होता। पढिे और बो िे के म ए पेट के िाँसपेमशयों का सही
इस्ट्तेिा बहुतों के आवाज़ और छाती की परे शानियों के म ए उपचार साबबत हो सकता है , और यह जीवि
बढािे का साधि बि सकता है ।”
एजूकेशि, पृ. 199. “साफ उच्चारण, बहढया टोि और आराि से बो िे पर बहुत ध्याि दे िा चाहहए। यह ि
मसफय स्ट्वास्ट््यवधयक है बज्क ववद्याथी के काि की क्षिता और पसिंद ककये जािे की सिंभाविा बढाती है । ”
गोस्ट्प वकयसय, पृपृ. 86-88. “वह जो सभाओिं या पररवार िें बाइब का पाठ करता है उसे िधरु ता से,
सिंगीतिय य से पढिा चाहहए जो सुििे वा ों को खुश कर दे ...
चाहे वह जो भी कि करे , प्रत्येक व्यजक्त को अपिे आवाज़ पर काबू रखिा चाहहए, ताकक जब
पररजस्ट्थतयाँ प्रनतकू हों तो वह ऐसी वाणी का प्रयोग िहीिं करे गा जो उसके िि के सबसे बुरे ववचारों को
जगा दे । बहुत बार वक्ता और श्रोता बहुत कठोर वाणी का इस्ट्तेिा करते हैं। तीखे, कठोर शब्द, गुरयते हुए
आवाज़, दोस्ट्तों को दरू कर दे ते हैं और इस कारण क ोग खो जाते हैं...
बात करते वक्त, सभी शब्दों को साफ साफ निक िे दें , और प्रत्येक वाक्त साफ हो, अिंनति शब्द
तक। बहुत सारे ोग वाक्य के अिंत होिे तक आवाज़ धीिा कर दे ते हैं, इतिा धीिा बो ते हैं कक गता है
कक ताकत खत्ि हो चुका है । वे शब्द जो कहिे ायक हैं उन्हें साफ बु िंद आवाज़ िें कहें , भाव के साथ।
परिं तु ऐसे शब्दों का खोज ि करें जो यह जताए कक आप पढे म ख हैं। सादगी जजतिा ज्यादा होगा, आपके
शब्द उतिे ही बेहतर सिझे जाएँगे।- गोस्ट्प वकयसय, पप
ृ .ृ 86-88.”
इवें जम ज़्ि, पृ. 296. “ ोगों से बात करते वक्त सकारात्िक रवैया रखें। आपका ववषय वस्ट्तु बहुता अच्छा
हो सकता है , और ोगों के ज़रूरत के िुताबबक हो सकता है , परिं तु सकारात्िकता के साथ प्रोत्साहहत करिे
वा ा होिे से यह बेहतर होगा...”
टे स्ट्टीििीज़, पृ. 215. “उन्हें (प्रचारकगण) धामियकता से बात करिा चाहहए। कुछ ऐसे हैं जो ोगों के बीच
बिी उसकी छवव को सच्चा यों को प्रस्ट्तूत करतो वक्त चीख र्च् ा कर िष्ट कर दे ते हैं। इस तरह से
प्रस्ट्तूत करिे पर, सत्य अपिी मिठास, ताकत और गिंभीरता खोिे गती है । परिं तु यहद तरीका सही हो, यहद
उसिें गिंभीरता हो, यहाँ तक की करूणा भी, तो वह बेहतर ितीजे दे गा।
आपके म ए पह े से ववषय चुिा हुआ हो सकता है , पर यहद ऐसा ि हो, तो इि बातों का ध्याि रखें :
ऐसा ववषय चुिें जजसके बारे आपको कुछ ज्ञाि हो और जो आपके म ए ज़रूरी हो। श्रोता यह जाि जाएँगे कक
जजस ववषय िें आप बात कर रहे हैं उस ववषय का आप ध्याि दे ते हैं ि िहीिं।
श्रोता के बारे सोचें । उिकी ज़रूरतें और रूर्चयाँ क्या है ? प्राथयिा कर के परिेश्वर से पूछें कक कौि सा ववषय
श्रोताओिं को सबसे अर्धक ाभ दे गा (मसफय इसम ए िहीिं कक आप उस ववषय िें बो िा चाहते हैं) और उिके
ज़रूरतों को पूरा करे गा। उम्र, म ग
िं , धिय, सिंस्ट्कृनतक पष्ृ ठभूमि, काि, सािाजजक एविं आर्थयक दजाय, और
शैक्षखणक पष्ृ ठ को ध्याि िें रखें। झुण्ड से बात कर या सावधािीपूवक
य उि के बारे जािकारी हामस ककया
जा सकता है ।
िहौ का ध्याि रखें : क्या यह खश
ु ी ििािे का िौका है ? दख
ु ः? स्ट्वास्ट््य एक्सपो? र्गरजा िें एक खास
सिारोह? अधय्यि करिे के म ए सभा? आपका सावधािीपूवक
य बिा हो।
इि बातों को ध्याि िें रख कर एक ववषय चुिें जो आपको गता अच्छा गता है , जैसे, पोषण। खुद को
दब
ु ारा पूछें: क्या यह ववषय उिके सच िें अच्छा है ? क्या यह श्रोताओिं के िाहौ के म ए उप्युक्त है ? क्या
ववषय का ववकास
िदद जट
ु ाएँ: (ककस तरह के िददों का आप इस्ट्तेिा कर रहे हैं इसका ध्याि रखें)।
o स्रोतों पर खोज करें : पस्ट्
ु तका य, स्ट्वास्ट््य की पस्ट्
ु तकें, ऑि ाइि र्चककत्सीय व शोध जिय (ठोस
शोध से अपिे त्यों को िजबूती दें , कहािी, गवाही िार का इस्ट्तेिा ि करें , जौभी की ये इस्ट्तेिा
ककये जा सकते हैं)।
o व्यजक्तगत अिुभव: (आप क्या दे खते हैं, छू सकते हैं, सूिंधते हैं, सुिते हैं, चखते हैं)
o जािकारी के म ए सवे: इसिें शामि है : 25-50 ोगों से 5-10 सवा
o साक्षात्कार:
ववषय के ववशेषज्ञ
ध्याि रखें कक आप प्राप्त ककये गए जािकारी को सही तरह से िोट कर ें
o सिथयि के म ए ववषय वस्ट्तु: पररभाषा, आँकडे, उदाहरण और र्चर, गवाहहयाँ, तु िा और अिंतर,
दह
ु राव और बयाि।
o पररपक्व श्रोता को स्ट्रोत बताएँ। 5 मििट के प्रस्ट्तुनत के म ए 2-3 स्रोतों को िँहु से बो ें (या कि से
कि पावरपॉईंट िें हदखाएँ), और 50 मििट के प्रस्ट्तनु त के म ए 5-6। स्रोत ववश्वासिीय हो और
आपके हैंडआउट या पावरपॉईंट िें साफ साफ म खे हों।
प्रस्ट्तुनत दे िा:
o आपके श्रोताओिं को आपका भाषण को सिझिे, प्रतुकरया दे िे और याद करिे िें िदद करे गी।
o इसके प्रकारों िें शामि है , वस्ट्तु, ग्राफ़, र्चर, पावर पॉईंट आहद।
o इिके इस्ट्तेिा का तरीका:
सर ता (जजसे आप आसािी से कहीिं भी े सके और सेट कर सके, क्या वह एक ही जगह पर
फोकस करता है या धूिंध ा है )
सफा (क्या यह आपके बातों को स्ट्पष्ट करता है )
क्या आपके श्रोता इसे पढ सकते हैं
o तरीकों और उपकरणों िें शामि हैं: वस्ट्तु, पोस्ट्टर, चॉकबोडय या व्हा ट बोडय, वीडडयोटे प, डीवीडी,
कम्पयुटर प्रेजेंटेशि के म ए प्रोजेक्टर, आहद।
o पावरपॉईंट और कीिोट जैसे डडजीट प्रस्ट्तनु त के म ए
सर हो, बहुत ज्यादा ऐिीिेशि, ग्राकफ़क, ेख, या र्चरों के कारण ध्याि ि भटके
आकषयक और सुिंदर हो
आपके श्रोतागणों का सीखिे का तरीक मभन्ि हो सकता है , इसम ए सभी के सीखिे के म ए बेहतर होगा, आप
सभों से मि ें और प्रत्येक प्रस्ट्तुनत िें एक श्रोता के ज़रूरत को पूरा ककरें । इसिें दे ख कर सीखिे वा े, सुि कर
सीखिे वा े, और छू कर या वह काि कर के सीखिे वा े भी शामि है ।
भाषण की रूपरे खा
पररचय (ध्याि आकवषयत करें + ववषय का पररचय दें - कु प्रस्ट्तुनत का 10-15%)
दे ह (70-80%)
निष्कषय (10-15%)
पररचय:
श्रोता का ध्याि आकवषयत करें , उििें सुििे की इच्छी जगाएँ (ववश्वासिीयता साबबत कर के), और ववषय के
बारे पररचय दें ।
कु प्रस्ट्तुनत का 10-15%।
ध्याि आकवषयत करिा:
o शुरूआत के कुछ मििट ही यह तय करें गें कक आपके श्रोता आपको सुिेंगे या िहीिं
o उन्हें सि
ु िे के म ए उत्प्रेररत करिे के म ए उिकी रूर्च के अिस
ु ार छोटी रहस्ट्यियी या हास्ट्यप्रद
कहािी सुिाएँ, र्चर हदखाएँ, चौकािे वा े त्य या आँकडे बताएँ, श्रोता से कुछ वादा करें (जजसे आप
पूरा करें गे), ववषय का िहत्व बताएँ, ककसी िौके से उसे जोडें, आहद।
िे ह:
यह वह स्ट्थाि है जहाँ आप प्रस्ट्तुनत िें अपिी बातों को रख सकते हैं।
3-5 खास बातें होती है ।
कु प्रस्ट्तुनत का 70-80%।
िुख्य बातों को त्यों, आँकडों, कहानियों, बयािों, आहद से साबबत कर सकते हैं।
सरांश:
प्रस्ट्तुनत िें बताए गए बातों का सरािंश दें और अपिे श्रोताओिं जो भी उन्होंिे सुिा उसके बारे सोचिे के म ए
छोड दें ।
उन्हें सभा के अिंत होिे का अहसास कराएँ।
कु प्रस्ट्तुनत का 10-15%।
प्रस्ट्तनु त के प्रभाव को बढाएँ. कैसे?
चौकािे वा े बयािों, आँकडो, सवा , चट
ु कु े, कहानियों, गवाहहयों, और अिभ
ु वों को बताएँ।
ज़रूरत के िुताबबक अभ्यास करें ।
जब आप अपिा प्रस्ट्तुनत दें गे: घबराहट को काबू िें रखें (प्राथयिा करें , व्यायाि करें , ववषय वस्ट्तु को जािें,
आहद), कफर प्रस्ट्तुनत दें
अिंत िें इस पर ववचार करें : कैसा रहा? क्या अग े बार इसे बेहतर बिाया जा सकता है ?
अनतररक्त स्रोत:
Leech, Thomas. (2004). How to Prepare, Stage, and Deliver Winning Presentation. New York, AMACOM.
http://presentationsoft.about.com/od/powerpointtinpsandfaqs/tp/080119powerpoint_font_tips.htm
http://presentationsoft.about.com/od/powerpointinbusiness/tp/071231resolutions.htm
व्यक्तिगि चुनाव
परं परा
उप्लब्धिा
आनंद
आदि
भावनािमक सुख
सुववधा
अर्थव्यवस्र्ा
सकारात्मक और नकारािमक संबंध (खुशी का समय, खाने के बाद बबमारी, पुरस्कार या सजा के रूप
में , आदद)
व्यक्तिगि मूल्य (राजननिी और पयाथवरण के प्रनि नजररया, धार्मथक ववश्वास, आदद)
शरीर का रूप
स्वास््य पर प्रभाव (सही या गलि ज्ञान)
जीने के र्लए
1 कुररक्थर्यों 10:31. “इसर्लए िुम चाहे खाओ, चाहे पीओ, सब कुछ परमेश्वर की मदहमा के र्लए करो।”
एक नया स्पोर्थ कार खरीदने के बारे ववचार कीक्जए। र्ं की खाली होने पर आप ककस उसमें िरह का इंधन
डालना चीहें गे? आप कैसे ननश्चय करें गे कक तया सबसे बेहिर होगा? रे ि? पानी? अंगूर का रस? या सबसे
सुरक्षिि यह होगा कक आप पढें और जाने कक उस गाडी को बनाने वाले ने उसके उप्युति कायथिमिा बनाए
रखने के र्लए कौन सा इंधन का चन
ु ाव ककया है .
मनुष्य की संरचना के बारे तया ववचार है ? यह सुननक्श्चि करना सबसे अच्छा होगा कक हमारे सक्ृ ष्र्किाथ ने
मनुष्य के अंगों की सही िरह से काम करने के र्लए ककन चीजों को बनाया है । यह जानने के र्लए हमें हमारे
सक्ृ ष्र् के समय के दे खना होगा:
उत्पवि 1:27,29- परमेश्वर के स्वरूप में बनाए गए, पेड- पौधों के बीज खाने के र्लए ददए गए
बाढ से पहले औसि जीवनकाल 900-950 वर्थ र्ा (उत्पवि 5:5, 8, 11, 14,17, 20, आदद)
काउथसेल्स ऑन डाईर् एंड फूड्स, पृ. 17. “मनुष्य के सक्ृ ष्र्किाथ ने हमारे जीववि अंगों को सजाया है । हर एक
कायथप्रणाली को अदभुि िरीके से बुक्ददमानी से बनाया गया है । और परमेश्वर ने खुद से यह वादा ककया है
कक मनुष्य के इस कायथप्रणाली को स्वस्र् रखेगा यदद मननष्य उसके आज्ञाओं का पालन करे गा और परमेश्वर
के सार् काम करे गा। मनष्ु य की कायथप्रणाली के सभी ननयमों को उधचि और आलैककक उद्गम का समझना
चादहए, चररत्र में , और महत्व में परमेश्वर के वचन के जैसा मानना है । प्रत्येक लापरवाही, बेदयान काम,
परमेश्वर के आज्ञा का उल्लंघन है । हम परमेश्वर के कायथ को प्रकृनि में दे ख सकिे है और उसकी सराहना कर
सकिे है , परं िु इस प्
ृ वी में मनुष्य का होना सबसे अदभुि है ।”
काउथसेल्स ऑन डाईर् एंड फूड्स, पृ. 18. “शरीर को स्वस्र् रखना, िाकक सारे जीववि कायथप्रणी के सभी अंग
एक सार् काम कर सके, हमारे जीवन का आधार होना चादहए।”
काउथसेल्स ऑन डाईर् एंड फूड्स, पृ. 21. “असंयर्मि आहार लेने वालों के र्लए मसीही संपण
ू ि
थ ा पाना असंभव
है ।”
शायद इसर्लए, हमारे र्लए यह जानना बेहद जरूरी है कक परमेश्वर नें हमारे आहार के र्लए ककन चीजों को
बनाया है ।
पोर्ण का अधय्यन वैज्ञाननक अनुसंधान का प्रयोग करिा है िाकक यह नापा जा सके कक मनुष्य के आहार
संबंधी जरूरिो ववर्भथन कायों के र्लए ककिनी है , जैसे:
बढने के र्लए
रोगप्रनिरोध
गनिववधधयों के र्लए
प्रजथन
पोर्क ित्व वे ित्व हैं जो हमारे शरीर में ननम्नर्लखखि चीजों के र्लए प्रयोग ककए जािे है :
जल
(अधधक मात्राओं में जरूरी): काबोहाईड्रेर्, वसा, प्रोर्ीन
(र्ोडे मात्राओं में जरूरी): ववर्ार्मन, खननज
खननज (सबसे सरल संरचना वाले): न िोडे जा सकने वाले ित्व जो रसायननक प्रनिक्रयाओं में मदद करिे है ।
प्रत्येक ित्व एक ही िरह अणुओं से बने होिे है । उदाहरण के र्लए, लोहा लोहा ही बनी रहिा है चाहे वह
कच्चा हो या पकाया हुआ, चाहे वह खून में हो, या कोर्शका को नष्र् करने पर, या जब लोहा शरीर से
ननकला जािा है । वैज्ञाननक इसे इनऑगेननक पोर्क कहिे है तयोंकक इसमें काबथन नहीं पाया जािा है ।
जि (सरल संरचना वाला): दो ित्वों से बना है - हाईड्रोजन और ऑतसीजन। इसे इनऑगेननक पोर्कों की श्रेणी
में रखा गया है ।
वसा (र्ोडे और जदर्ल संरचना वाले): ऊजाथ उत्पथन करने के र्लए मदयम उप्युतिा, हॉमोनों के उत्पादन के
र्लए जरूरी और ववर्ार्मन ए, डी, ई, और के के अवशोर्ण के र्लए जरूरी। कोर्शकाओं के ददवारों में पाए जािे
है । शरीर में ऊजाथ संग्रह करने में मदद करे । ऑगेननक पोर्कों में शार्मल।
प्रोटीन (बहुि जदर्ल संरचना वाले): बढने, कोर्शकाओं के मरम्मि, डीएनए और एथजाईमों को बनाने में मदद
करे , मदयम स्िर का ऊजाथ उत्पादन, आदद। इन ऑगेननक पदार्ों में काबथन, हाईड्रोजन, और ऑतसीजन
(काबोहाईड्रेर् और वसा के िरह) पाए जािे है , परं िु सार् ही गंधक और नाईट्रोजन भी पाए जािे हैं।
ववटालमन (अत्यधधक जदर्ल संरचना वाले): ऑगेननक पदार्थ क्जनकी जरूरि बहुि कम मात्रा में चयपचाय के
र्लए होिी है ।
प्रेररत सिाह
काउथसेल्स ऑन डाईर् एंड फूड्स, पृ. 15. “हमें जीने के र्लए र्सफथ एक मौका ददया गया है ; और हम सभों
को यह सवाल होना चादहए कक ‘मैं अपने िमिाओं का कैसे उपयोग करें कक वे सबसे ज़्यादा फायदा दे ?
परमेश्वर की अधधक से अधधक मदहमा और लोगों के फायदे के र्लएक कैसे करूाँ?”
काउथसेल्स ऑन डाईर् एंड फूड्स, पृ. 20. “सेहि एक खजाना है । सारे चीजों में यह सबसे मुल्यवान है ।
धन, ज्ञान, और इज्जि बहुि महाँगे कीमिों में सेहि के ननकसान से खरीदे जािे है । इनमें से कोई भी खुशी
नहीं दे सकिा है यदद सेहि न हो िो।”
मुँह
ु : भली भािीं चबाने से भोजन छोर्े कणों में र्ूर्िे है
क्जससे पाचाने वाले रस अंदर िक जा सके, लार अच्छी माँह
ु
लार ग्रंधर्
िरह र्मल जाए, लार में पाए जाने वाले पदार्ों को अनेक
बैतर्ीरीयों को मारने करने दे , और पेर् के पाचक रसों के
उत्पादन को प्रोत्सादहि करे , जो पाचन िंत्र के अथय दहस्सों
भोजन नली
को सकक्रय करे । लार में पाए जाए वाले पाचक एथजाइम में
स्र्ाचथ और वसा को अवशोर्ण के र्लए िोडिा है ।
यकृि
काउथसेल्स ऑन हे ल्र् एंड फूड्स, पृ. 107. “अच्छे पाचन
के र्लए, भोजन को धीरे धीरे खाना चादहए...भोजन से वपि र्ैली
छोटी आुँत के 3 दहस्से हैं: ग्रहणी (डूडेनम), जेजुनम, और ईर्लयम- िकरीबन 20 फीर् (6 मीर्र) का, पेर् में
घम
ु ावदार नली। वपि नर्लका छोर्ी आाँि से जड
ु िी है , और वपि र्ैली से वपि (जो वसा को घल
ु ािी है ) और
अग्नथयाशय के पाचक एथजाइमों को पादप प्लवकम (पाचक रसों और भोजन का र्मश्रण) में डालिी है ।
अग्नथयाशय के सोडडयम बाईकाबोनेर् उदर के अम्ल को थयुट्रलाईज करे । छोर्ी आाँिों और अग्नथयाशय के
ददवारों से ननकलने वाले पाचक एथजाईम स्र्ाचथ, शुगर, प्रोर्ीन और वसा को िोडने का काम पूरा करिे हैं।
92% अवशोर्ण छोर्ी आाँि में बहुि छोर्े ऊाँगलीनुमा के द्वारा होिी है क्जसे ववली कहिे है , ये अकेले ग्रहणी
के सिह िेत्र को 600 गुणा बढािा है । ये पोर्क ित्व ववशेर्ीकृि नसों द्वारा अवशोवर्ि ककए जािे हैं, जो
पोर्क ित्वों को रति में संचार के र्लए और यकृि में कायथववधध के र्लए पहुाँचा दे िे है ।1
र्बडी आंत: यह औसिन 5 फीर् (1.5 मीर्र) लंबी होिी है । ईर्लयोकोकल वाल्व के द्वारा पादप प्लवकम बडी
आंि में आिी है , अपेक्थडतस के छे द से गज
ु रिी है , और बडी आंि के बाद मलाशय पहुाँचिी है । बडी आंि के
से पानी सोख र्लया जािा है और िब उसे मल कहिे हैं। 7% अवशोर्ण यहााँ होिा है । 1
काउथसेल्स ऑन डाईर् एंड फूड्स, पृ. 101. “पेर् के सही दे ख-रे ख के प्रनि श्रददा, ददमाग के िाकि एवं
ववचारों की स्पष्र्िा के रूप में परु स्काररि होंगे।”
नाश्ते की अहलमयत
काउथसेल्स ऑन डाईर् एंड फूड्स, पृ. 173. “हल्का नाश्िा सामाज का ररवाज है । परं िु पेर् के दे खभाल का
यह सबसे अच्छा िरीका नहीं है । नाश्िे के वति पेर् अधधक आहार ग्रहण करने के र्लए ददन के दस
ू रे या
िीसरे भोजन के मुकाबले बेहिर हालि में होिा है । सुबह र्ोडा और राि में अधधक खाने की आदि गलि है ।
नाश्िे को ददन के सबसे अच्छे खाना बनाने का कोर्शश कीक्जए।”
सब
ु ह नाश्िा नहीं करने वालों को
हृदय आघाि के 2.5 गुणा अधधक खिरे होिे हैं - सुबह प्लेर्लेट्स गाढे हो जािे हैं, जो र्तके बनने
के खिरे को बढािे हैं क्जससे हृदयाघाि हो सकिा है (अधधकिर हृदयाघाि प्रािः7-12 बजे के होिे
है ), और नाश्िा करने से प्लेर्लेट्स के गाढे पन को घर्ाने में मदद र्मलिी है ।8,9
काउथसेल्स ऑन डाईर् एंड फूड्स, पृ. 51. “बहुि सारे लोग भोजन के सार् िं डे पानी पीने की गलिी करिे
है । भोजन धल
ु के अंदर नहीं जाना चादहए। भोजन के सार् लेने से पानी लार के बहाव को कम करिा है ;
और पानी क्जिना िं डा होगा पेर् के र्लए उिना ही हाननकारक होगा। बफ़ीला पानी या बफ़ीला नींबू पानी,
भोजन के सार् लेने से पाचन को िब िक के र्लए रोक दे िा है जब िक शरीर उदर को काम शुरू करने के
क्जिना अधधक द्रव्य पेर् में जािा है उिना ही कदिन होिा है उसे पचाना; तयोंकक पहले द्रव्य को अवशोर्ण
होिा है ।”
अल्पाहार
जााँच के र्लए स्वैक्च्छक योगदान दे ने वालों के एतस रे अधय्यनों से पिा चलािा है कक उदर को खाली होने में
ककिना वति लगिा है । उथहें पािा चला कक अनाज और क्रीम (मलाई), पावरोर्ी, पकाए गए फल, और एक
अण्डे के नाश्िे के बाद पेर् को खाली होने में 4½ घंर्े से कम समय लगा।
कुछ ददन बाद, उथहीं लोगों को उसी िरह का नाश्िा ददया गया। दो घंर्े बाद एक को एक आईसक्रीम ददया
गया। छह घंर्े बाद भी उसके पेर् में भोजन पाया गया। नाश्िे के दो घंर्े बाद दस
ू रे को मग
ुं फली का मतखन
का सैण्डववच ददया गया। नौ घंर्े बाद भी उसके पेर् में भोजन के अंश पाया गया। नाश्िे के दो घंर्े बाद
िीसरे को कोहडे का पाई और एक धगलास दध
ू ददया गया। नौ घंर्े बाद भी उसे पेर् में भोजन का एक बडा
दहस्सा पाया गया। 1½ चौर्े को मतखन के सार् एक र्ुकडा पावरोर्ी, ददया गया और प्रत्येक 1½ घंर्ों में
दह
ु राया गया, परं िु राि का भोजन नहीं ददया गया। पाया गया कक नौ घंर्े बाद भी उसके पेर् में सब
ु द के
नाश्िे का एक बडा दहस्सा पाया गया। पााँचवे को नाश्िा प्रािः 8:00 बजे ददया गया। सुबह में दो बार और
दोपहर में दो बार चॉतलेर् केण्डी का एक र्ुकडा ददया गया। सायं 9:30 बजे, नाश्िे के 13½ बाद भी नाश्िे
के आधा से भी अधधक दहस्सा पेर् में र्ा।
अधुरे पाचन के कारण उत्पाददि अनेक रसायन जहरीले होिे हैं, जैसे एल्डीहाईड, अल्कोहल, अमाईन, और
10
इस्र्र। ये ददमाग, यकृि, गद
ु े , और अथय नाजक
ु ऊिकों को िनि पहुाँचािे हैं।
अधय्यनों से पिा चलिा है कक लंबे उम्र के साि सबसे बडे कारकों में अल्पाहार को शार्मल नहीं ककया गया है । 2
काउथसेल्स ऑन डाईर् एंड फूड्स, पृ. 173,174. “एक आहार को पचाने के बाद पाचन िंत्र को आराम की
जरूरि होिी है । दो भोजन के बीच कम से कम पााँच या छह घंर्ों का अंिराल होना चादहए; और अधधकिर
लोग जो इस योजना को अजमािे है , महसूस करिे है कक िीन के बजाए दो ही बार भोजन कारना काफी
है ।”
एजूकेशन, पृ. 205. “अधधकांश क्स्र्नियों में , ददन में दो बार खाना िान बार से बेहिर है । राि का खाना
जल्दी खाने से पहले वाले भोजन के पाचन में बाधा डालिी है । दे र राि खाने से, सोने के वति िक वह खुद
नहीं पच पािा है । इस िरह शरीर संपूणथ ववश्राम से वंधचि रह जािा है । नींद में बाधा होिी है , ददमाग और
िंबत्रकाएाँ र्क जािीं है , नाश्िे के र्लए भुख घर् जािी है , पूरा शरीर िरो िाजा नहीं हो पािा है , और ददन भर
के क्जम्मेदाररयों के र्लए िैयार नहीं रहिा है ।”
दस
ू रे उदाहरण बिािे है कक कैसे ककसी ककसी को िीसरे आहार की जरूरि होिी है , परं िु यह हल्का होना
चादहए (फल, सूखी रोर्ी आदद), और यह भी कक उस एक व्यक्ति को खुद को दस
ु रे के उदाहरण नहीं बिाना
चादहए। दे खें काउथसेल्स ऑन डाईर् एंड फूड्स, 173, 176; र्मननस्ट्री ऑफ हीर्लंग, पृ. 321। यह भी बिाया
गया है कक जो लोग शारीररक पररश्रम अधधक करिे हैं उथहें िीसरे आहार से कम ददतकिें होंगी। 8
मैनुक्स्क्रप्र्स ररलीजेस, पृ. 372। दस
ू रे उदाहरण सोने से िुरंि पहले खाने के प्रभाव बिािे हैं: “ऐसे लोगों के
नींद अतसर अवप्रय सपनों के कारण बाधधि होिा है , और सब
ु ह वे िाजगी रदहि उििे है ... रति अशुदद हो
जािा है , रं गि फीका पड जािा है , और अतसर फुक्थसयां ननकलिीं है ।” काउथसेल्स ऑन डाईर् एंड फूड्स,
174।
“अप्रैल 16, 1994 में वल्डथ काउक्थसल कााँग्रेस में प्रस्िूि अप्रैल 18, 1994 में थयु जीलैंड के पाल्मरर्न नोर्थ
ईक्व्नंग स्र्ै थडडथ के अधय्यन के निीजों ने ददखाया कक यदद लोग अपने आहार को 6 घंर्ों के अवधध में रखने
और बाकी के 18 घंर्े उपवास करने से, कैंसर के खिरे को घर्ाया जा सकिा है । सुझाव ददया गया कक लोग
छह घंर्े के अंदर प्रािः 7 से सायं 12:45 बजे िक दो बार भोजन कर लेिे है । चह
ू ों पर ककए गए प्रयोगों ने
ददखाया कक ददन में दो बार खाने वालों में 93 प्रनिशि कम कैंसर रोग पाया गया उन के मक
ु ाबले जो ददन
भर मन मुिाबबक खािे है । जादहर सी बाि कैंसर से बचे रहने में कोदर्थ कोक्स्र्रोईड्स का स्िर प्राकृनिक रूप
से बढना है क्जनका बहुि शक्तिशाली शोर्रोधी प्रभाव होिा है । यह स्र्ावपि हो चुका है कक स्र्ायी शोर्
कैंसर का कारक है । ववद्याधर्थयों के एक समूह क्जथहोंने इस आहार ननयम का पालन ककया, उनके लार में
कोदर्थ कोक्स्र्रोईड्स का अधधक मात्रा पाया गया।”11
जो लोग ददन में दो बार खािे हैं उनके वजन पर बेहिर ननयंत्रण, ददथ कम, पोर्कों का बेहिर अवशोर्ण,
कम एलजी और दमा, बेहिर पाचन, कम , िेज ददमाग, बेहिर स्मरण शक्ति, अधधक िाकि, और पैसों की
बचि होिी है ।11
काउथसेल्स ऑन डाईर् एंड फूड्स, पृ. 179. “खाने में ननयर्मििा अत्यंि आवश्यक है । प्रत्येक भोजन का
समय ननधाथररि होना चादहए। इस वति सभी को वही खाना चादहए क्जसकी जरूरि शरीर को है , और उसके
बाद अगले भोजन के समय िक कुछ नहीं खाना चादहए।”
र्सकाथडडयन ररदम (शरीर का घडी) का पाचन पर बहुि असर होिा है । वे भोजन के वति से घंर्ो पहले से ही
शरीर पाचन िंत्र को िैयार करिा है , पाचक रसों का उत्पादन के दावार् िाकक सही वति पर उनका स्रवण हो
सके, आदद। पररणाम स्वरूप, खाने में अननयर्मििा पाचन को दब
ु ल
थ बनािा है ।
भोजन का संयोजन
काउथसेल्स ऑन डाईर् एंड फूड्स, पृ, 109, “एक सार् बहुि ज़्यादा र्भथनिा के भोजन न खाएाँ, िीन या चार
व्यंजन काफी है ।”
ऊपरोति वाति में हम भोजन के सादे पन की अहर्मयि दे ख सकिे हैं; कफर भी, चूंकक प्रत्येक व्यंजन में
पोर्कों का ववर्शष्र् संयोजन होिा है , लंबी अवधध में ववर्भथन िरह के भोजन खाना सीर्मि िरह के भोजन
से ज़्यादा स्वस्र्दायक है ।
अत्याहार
काउथसेल्स ऑन डाईर् एंड फूड्स, पृ. 101. “अत्याहार का पेर् पर तया प्रभाव पडिा है ? वह रोगी हो जािा
है , पाचन िंत्र कमजोर हो जािा है , और रोग, अपने सार् सारे पीडाओं को पररणाम स्वरूप ले आिा है । ”
पकाने की अहलमयत
काउथसेल्स ऑन डाईर् एंड फूड्स, पृ. 316. “कुछ लोग उधचि ढं ग से पकाने को अपना धार्मथक किथव्य नहीं
समझिे हैं; इसर्लए वे सीखने की कोर्शश नहीं नहीं करिे हैं कक कैसे.... अच्छी रोर्ी बनाने के र्लए
समझदारी और सावधानी की जरूरि होिी है । परं िु अच्छा रोर्ी बनाने में लोगों के सोच से अधधक धमथ है ।”
काउथसेल्स ऑन डाईर् एंड फूड्स, पृ. 251. “खाना पकाने के कायथ को दासिा के रूप में नहीं दे खना चादहए...
पकाना दस
ू रे कायो से कम रूधचकार माना जािा है , परं िु हकीकि में यह एक ववज्ञान है क्जसका मूल्य दस
ू रे
सारे ववज्ञानों के अधधक है । परमेश्वर स्वास््यवधथक भोजन बनाने को भला कहिा है । उन लोगो को परमेश्वर
ऊाँचे दजे पर रखिा है जो परू े ईमानदारी से स्वास््यवधथक और स्वाददष्र् भोजन बनािे है । जो लोग सही
िरह से भोजन िैयार करने की कला को समझिे हैं और इस ज्ञान का इस्िेमाल करिे हैं, दस
ू रे सारे काम
करने वालों से अधधक प्रशंसा के योग्नय हैं। इस प्रनिभा को दस प्रनिभाओं के मुल्य के बराबर समझा जाना
चादहए; तयोंकक इसका सही इस्िेमाल मनुष्य के स्वास््य से सीधे िौर से जुडा है । तयोंकक यह जीवन और
मत्ृ यु से पुणथ रूप से जुडा है , यह सारे उपहारों में सवथश्रेि है ।”
काउथसेल्स ऑन डाईर् एंड फूड्स, पृ. 253. “उन सभी पुरूर्ों मदहलाओं और से क्जथहें परमेश्वर ने बुक्दद
ददया है , मेरी यह याचना है : पकाना सीखें। ‘परू
ु र्’ कहिे हुए मैं गलिी नहीं कर रही हूाँ तयोंकक उथहें भी
मदहलाओं के िरह ही, पकाने के सरल, स्वस्र् िराकों को सीखने की जरूरि है । उनके काम अतसर उथहें ऐसे
जगहों पर ले जािी है जहााँ स्वस्र् भोजन नहीं र्मल पािा है । उथहें बहुि बार ऐसे पररवारों के बीच रहना
पडिा है क्जथहें स्वस्र् भोजन के बारे कोई ज्ञान नहीं है । ”
काउथसेल्स ऑन डाईर् एंड फूड्स, पृ. 474. “लोगों को स्वस्र् सुधार के ननयमों के बारे सीखाने के र्लए
अधधक प्रयास की जरूरि है । पाक कला के ववद्यालय स्र्ावपि ककए जाने चादहए, और घर-घर इस स्वस्र्
भोजन पकाने के कला को सीखाना चादहए। जवान और बढ
ू े , सभी को सरल िरीकों से पकाना सीखना
चादहए। जहााँ भी सत्य का प्रचार ककया जाएाँ , वहााँ के लोगों को पकाने के सरल ककं िु स्वाददष्र् िरीके
र्सखाएाँ। उथहें यह ददखाया जाना चीदहए कक स्वास््यवधथक भोजन मााँस के इस्िेमाल के बगैर भी बन सकिे
हैं...”
1
Seeley, Stephens, and Tate (2006). Anatomy and Physiology (7th ed.). New York: McGraw-Hill.
2
Belloc, N. B., & Breslow, L. (1972). Relationship of physical health status and health practices. Prev Med. 1(3);409-421.
3
Ahmadi, A., Sohrabi. Z., & Eftekhari, M. H. (2009). Evaluating the relationship between breakfast pattern and short-term memory in junior
high school girls. Pak J Biol Sci. 12(9):742-5.
4
Matthews, R. (1996). Importance of breakfast to cognitive performance and health. Perspectives in Applied Nutrition. 3(3):204-212.
5
Gajre, N. S., Fernandez, S., Balakrishna, N., & Vazir, S. (2008). Breakfast eating habit and its influence on attention-concentration,
immediate memory and school achievement. Indian Pediatrics. 45(10):8244-8.
6
Rampersaud, G. C., Pereira, M. A., Girard, B. L., Adams, J., & Metzl, J. D. (2005). Breakfast habits, nutritional status, body weight, and
academic performance in children and adolescents. J Am Diet Assoc. 105(5):743-60; quiz 761-2.
7
Smith, A. (1998). Breakfast consumption and intelligence in elderly persons. Psychological Reports. 82(2);424(3)
8
Needley, N. (1999). Proof positive. Ardmore, OK: Quality Books.
9
Raloff, J. (1991). Breakfast may reduce morning heart attack risk. Science News. 139(16):246-247.
10
Thrash, A. (2012). Eating between meals. Uchee Pines Institute. Retrieved October 10, 2012 from
http://www.ucheepines.org/index.php?p=counselling.eating_between_meals
11
Thrash, A. (2012). Meals and the two meal plan. Retrieved October 11, 2012 from
http://www.ucheepines.org/index.php?p=counselling.meals_and_the_two_meal_plan
अध्याय 3- कार्बोहाईड्रेट
पररभाषा: काबो= काबथन हाईड्रेर्= जल
काबोहाईड्रेर् ऊजाथ प्रदान करने वाले पोर्क हैं जो ववशेर् कर शाकाहारी भोजन से र्मलिे हैं। आमिौर पर उथहें
शतकर, स्र्ाचथ (माड) और रे शों के रप में जाना जािा है ।
प्रकार और स्रोत
1. र्सम्पल काबोहाईड्रेर्: शतकर के छोर्े कण जो स्वाद में मीिे होिे है । मधु, फल, दध
ू , शुगर, और मीिे
सक्ब्जयों में पाए जािे हैं। र्सम्पल शतकरों के 6 प्रकार हैं।
शक्कर:
फाईर्बर
पाचन दरू
ु स्ि करे
शरीर से ववर्ैले ित्वों को ननकालने में मदद करे
ग्िाईकोजेन
अनिररति ग्नलक
ू ोज यकृि और मााँसपेर्शयों में ग्नलाईजेन के रूप में रहिा है
1
काबोहाईड्रेर् (एक बार ग्नलूकोज बनने पर) रति में शुगर के स्िर को बनाए रखने के र्लए क्जम्मेदार है । रति
में ग्नलूकोज का एक सीर्मि स्िर बने रहना चादहए, तयोंकक ददमाग की कुछ कोर्शकाएाँ ग्नलक
ू ोज नहीं कर
सकिी हैं। के स्िर समाथय से कम जाए, िो र्कान, भूक, कमजोरी और धचडधचडेपन का एहसास होिा है ;
यदद इसका स्िर समाथय से अधधक हो जाए, िो व्यक्ति को नींद आिा है और उसकी आाँखें, गुदे, रति
धमननयााँ, और अथय अंग नष्र् होने लगिे है । यदद यह बहुि ज़्यादा बढ जाए िो व्यक्ति कोमा में जा सकिा
है या मर सकिा है ।
साधारण काबोहाईड्रर् रति में जाकर िुरंि रति में शुगर के स्िर को बढािा है और िुरंि घर् भी जािा है ।
कॉम्पलेतस काबोहाईड्रेर् पाचन िंत्र में जा कर र्ूर् कर ग्नलूकोज बनिे हैं। यह रति में शुगर को बहुि धीरे से
बढािा है और दे र िक बने रहिा है और कोर्शकाओं को धीरे धीरे ऊजाथ प्रदान करिा है । यह रति में शुगर
के स्िर को समाथय बनाए रखिा है । इसर्लए हमारे आहार में कॉम्पलेतस काबोहाईड्रर् ही काबोहाईड्रर् का
मुख्य स्रोि होना चादहए।
ककतने की ज़रूरत है ?
शरीर को कम से कम ददन में 50 से 100 ग्रा. काबोहाईड्रेर् की जरूरि होिी है । डेली ररकमें डड
े ईथर्े क
(डी.आर.आई) के मुिाबबक प्रनिददन कुल कैलोरी का 45-65% काबोहाईड्रर् होना चादहए जबकक दस
ू रों के
1
कमी
व्यक्ति जब पयाथप्ि काबोहाईड्रेर् नहीं लेिा है , ऐसे हालाि में शरीर को उसकी कमी में वसा और प्रोर्ीन से
ग्नलक
ू ोज लेना पडिा है । यह बहुि अप्रभावी होिा है और शरीर को अनेक गंदधगयों को खद
ु को छुर्कारा
ददलाना पडिा है । जब वसा का इस्िेमाल ऊजाथ के मुख्य स्रोि के रूप में होिा है िब वसा के कण र्मल कर
कीर्ोन के कण बनािे हैं। जब कीर्ोन का उत्पादन उसके प्रयोग से अधधक होिा है वे रति में जमा होने
लगिे हैं क्जससे जानलेवा बबमारी कीर्ोर्सस होिा है । कम काबोहाईड्रर् सेवन के प्रभाव इस प्रकार हैं : उबपादप
प्लवक, र्कान, कब्ज, रतिचाप, पेशाब में यूररक ऐर्सड का मात्रा बढना, बदबूदार सााँस, गभथविी मदहलाओं में
गभथपाि।
1
अनत
समाथय िौर पर लोग बबना ररफाईन ककए काबोहाईड्रर् (फल, सक्ब्जयााँ, फर्लया, कंद-मूल) आहार में नहीं लेिे
है परं िु ररफाईन ककए गए काबोहाईड्रेर् का अत्यधधक सेवन जैसे: ररफाईन ककए हुए अनाज, शुगर, फल के रस,
आदद, गंभीर परे शीननयां दे सकिे हैं।
ररफाईन ककया हुआ शुगर का सेवन बढिा जा रहा है । नीचे ददए गए आाँकडे ददखािे है कक 1822 से ले कर
अब िक में ररफाईन ककए हुए शुगर के सेवन में ककिनी बढोिरी हुई है । यह एक औसि है जो अमरीका में
पाउथड प्रनिवर्थ, प्रनिव्यक्ति सेवन को ददशाथिी है :
अमरीका में 147 पाउथड प्रनिव्यक्ति, प्रनिवर्थ खपि का अर्थ है प्रनिव्यक्ति, प्रनिददन 46 चम्मच शुगर, या
90 फीर् गथना चबािा है !
3
ररफाईन ककए हुए शुगर रति में शुगर के स्िर को एकाएक बढा दे िे हैं। निीजिन स्वादवु पंड ईथसर्ु लन के
उत्पादन को बढा दे िे हैं क्जससे रति में शुगर का स्िर िुरंि कम हो जािा है । जैसे ही शुगर आपके रति में
पहुाँचिी है , आप ऊजाथवान महसूस करने लगिे हैं, परं िु जैसे ही ईथसुर्लन अपना काम करिी रति में शुगर
का असमाथय रूप से स्िर िेजी से घर्िा है और आप र्के हुए, धचडधचडे, र्रर्री और भूख महसूस करिे हैं।
यह आपको और शुगर लेने के र्लए मजबूर करिा है । और इस िरह से रति में शुगर का बढना या घर्ना
लगा रहिा है ।
प्रोसेस ककया हुआ भोजन का भी रति में शुगर के स्िर पर प्रभाव पड सकिा है । अधधकािर, भोजन क्जिना
ज़्यादा ररफाईन ककया हुआ होगा, रति में शुगर का स्िर पर उिना ही प्रभाव पडेगा। रति में शुगर का स्िर
िेजी से बहुि ऊाँचा हो जािा है और ईथसुर्लन के प्रभाव से िुरंि िेजी से बहु नीचे भी चला जािा है । सेब,
सेब का सॉस, और सेब के रस में हुए एक अदययन में पाया गया कक सेब के सॉस ने शुगर के स्िर को सेब
के मुकाबले ज़्यादा नीचे ले गया (शुरू में िेजी से बढने के बाद)। परं ि सेब के रस ने रति में शुगर के स्िर
शुगर रोगननरोधक िमिा को प्रभाववि करिा है । शुगर का सेवन और सफेद रति कोर्शकाओं का बैतर्े ररया से
लडने की िमिा के ररशिे पर एक शोध ककया गया। जब व्यक्ति ने शुगर का सेवन नहीं ककया र्ा िब उसके
प्रक्त्यक सफेद रति कोर्शका 30 र्मनर् में 14 बैतर्े ररया मार सकिे र्े। परं िु जब व्यक्ति ने 12 चम्मच
चीनी (एक सोडा बोिल में मौजूद शुगर क्जिना) खाया, पाया गया कक बैतर्े ररया को नष्र् करने का िमिा
घर्कर 30 र्मनर् में 5.5 हो गया। जब 18 चम्मच चीनी का सेवन ककया गया (1 ½ सोडा के बराबर) िब
30 र्मनर् में मात्र 2 नष्र् ककए जा सके।14 बाकक बैतर्े ररया का तया हुआ? समाथय व्यक्तियों में 5 घंर् िक
यह असर रहिा है ।15
प्रेररत सिाह
नीिीवचन 25:27 “बहुि मधु खाना अच्छा नहीं, परं िु कदिन बािों की पूछ पाछ मदहमा का कारण होिा है ।”
काउथसेल्स ऑन डाईर् एंक फूड्स, पृ. 95. “गमथ मौसम में ... भोजन में क्जिना कम शुगर डाला जािा है , गमी
में उिनी ही कम कदिनाई होिी है ।”
काउथसेल्स ऑन डाईर् एंक फूड्स, पृ. 321 “क्जिना मीिे व्यंजन खाए जाएाँ, उिना ही अच्छा; ये पेर् में
गडबडी लािे हैं, और उन लोगों को जो इसका इस्िेमाल ननयर्मि रूप से करिे हैं उथहें अधीर और धचडधचडा
बना दे िे हैं”
काउथसेल्स ऑन डाईर् एंक फूड्स, पृ. 327 “शुगर...सडन पैदा करिा है , और यह सोच को धुंधला दे िा है ।”
काउथसेल्स ऑन डाईर् एंक फूड्स, पृ. 327 “शुगर शरीर को जाम कर दे िा है । यह जीवि िंत्र के काम में
अडचन डालिी है ।”
खाद्य फाईबर पौधों से प्राप्ि एक कॉम्पलेतस काबोहाईड्रेर् का अंश है जो मनुष्य के पाचक िंत्र द्वारा िोडा नहीं
जा सकिा है । चोकर युति अनाज और फर्लया में सबसे अधधक मात्रा में फाईबर पाया जािा है ; फल एवं
सक्ब्जयों में भी कुछ फाईबर पाए जािे है ; और पॉर्लश ककए गए अनाज और रसों में फाईबर न के समान होिे
हैं; और मााँस में फाईबर बबलकुल नहीं होिा है । डी.आर.आई. के सलाह के मि
ु ाबबक प्रनि 1000 कैलोरी के र्लए
14 ग्रा. फाईबर का सेवन करने चादहए (प्रनिददन 20-35 ग्रा.)।1
1. घुलनशीन फाईबर
पाचन को धीमा करे और छोर्ी आंि में साधरण शुगर के अवशोर्ण को धीमा करे (यह रति में
शुगर के स्िर के अचानक बढने या घर्ने की क्स्र्नि को रोके)
ईथसुर्लन के जरूरि को कम करे
छोर्ी आंि में वपि (क्जसमें कॉलेस्ट्रोल होिा है ) को बााँध कर कॉलेस्ट्रोल का स्िर कम कर
अधधकांश फल, सक्ब्जयों, फर्लया, चोकर युति अनाज और बीज में मौजूद।
2. अघुलनशील फाईबर
पानी को रोक कर रखे- पैखाने का मात्रा बढाए; आंि से दबाव घर्ाए (आंिों के कैंसर, कब्ज,
डाईवर्ीकुलेर्सस होने के खिरे घर्ाए)।
आंि में व्यिीि समय घर्ाए।
एंर्ीऑकसीडेथर् प्रभाव; आाँि के दीवारों के बचाकर आाँिों के कैंसर से बचाए।
अघुलनशीस फाईबर ब्राउन राईस(लाल चावल), फल, फर्लया, चोकर युति अनाज, बीज और
सक्ब्जयों में पाया जािा है ।
अधधकांश फाईबर, ववर्ार्मन और खननज चावल, गेहू और अथय अनाज को पॉर्लश (पररष्कृि) करने पर नष्र्
हो जािे हैं। गेहूाँ को श्वेि आर्ा बनाया जािा है , उसके सारे फाईबर नष्र् हो जािे हैं, और मूल र्ाईर्मन का
बहुि सारे पररष्कृि अनाजों को ररफाईन करने के बाद इनररच (पोर्क ित्व डाले जािे हैं) ककया जािा है । तया
वे बेहिर हैं? र्ोडा सा, शायद। इनररच ककए हुए अनाज से र्ाईर्मन, राईबोफ्लेववन, ननयार्सन, फोलेर्, और
आयरन हर्ाया हुआ रहिा है । दस
ू रे ववर्ार्मन और खननजों का तया होिा है ? वे भी मनुष्य के जीवन और
स्वास््य के र्लए जरूरी हैं।1,16,17
ररफाईन करने से मनष्ु य के स्वास््य पर तया प्रभाव पडिा है ? फाईबर की कमी का असर आप ऊपर दे ख
सकिे हैं। खननज, ववर्ार्मन, और अथय पोर्क ित्वों की कमी से कई िरह के कुपोर्ण होिे हैं (कुपोर्ण के
प्रकार का पिा लगाने के र्लए प्रत्येक िरह के ववर्ार्मन/खननज का अधय्यन करना होगा)।
स्वास््य और ववकास पर ररफाईननंग के प्रभाव का पिा लगाने के र्लए चूजों पर एक अधय्यन ककया गया।
“चूजों को िीन दहस्सों में बााँर्ा गया और उथहें इस प्रकार के भोजन ददए गए: 1)100% संपूणथ गेहूाँ का आर्ा
2) इनररच ककया हुआ श्वेि आर्ा 3) श्वेि आर्ा। ववर्ार्मन B की कमी के करण िीसरे झण्
ु ड के चूजे पााँच
ददनों के अंदर मर गए। भूरे आर्ा और इनररच ककया हुआ आर्ा खखलाए गए चूजों के पंख ननकले और दोनों
के समाथय रूप से वजन बढे , क्जसमें पााँच ददनों के अंदर पहले झाँुड में बहुि कम अंिर र्ा, जो पहले झाँड
ु के
र्लए फायदे मंद र्ा। हलााँकक दोनों झाँुड के चूजों वजन और पंख एक समान बढे , इनररच ककया हुआ श्वेि आर्ा
खाने वाले चूजों के आवाज ऊाँचे र्े। वे अपने वपजरे में अव्यक्स्र्ि र्े, कभी पानी िो कभी आर्ा में पैर डालिे।
वे उिेक्जि रहिे, और एक दस
ू रे को नोचिे, और ककसी आवाज से डरने पर वपंजर के एक कोने में दब
ु क
जािे। हम यह कह सकिे हैं कक मोर्ापा और त्वचा, बाल या पंखों की दशा केवल भोजन के गण
ु विा को
जााँचने के र्लए काफी नहीं है । खुशर्मजाजी, आत्मसंयम, व्यवस्र्ा ददमागी िमिा, और सज
ृ नात्मकिा भी यह
िय करिे हैं।”18
सरांश
“साफ िौर पर कॉम्पलेतस काबोहाईड्रेर् - स्र्ाचथ, और फाईबर- से भरपूर आहार शरीर के वजन को ननयंबत्रि
करिा है और हृदय रोग, कैंसर, और जी.आई. रोगों के ननरोध में मदद करिा है । इसर्लए, लोगों को संपूणथ
अनाज, सक्ब्जयााँ, फर्लया, और फल खाने की सलाह दी जािी है ।”19
1
Whitney, E. & Rolfes, S. (2011). Understanding Nutrition, Twelfth Edition. Belmont, CA: Wadsworth Publishing
2
Thrash, A. M., Thrash, C. L. (1982). Nutrition for Vegetarians. Seale, AL: New Lifestyle Books.
3
Nedley, N., (1999). Proof Positive. Ardmore, OK: Quality Book.
4
Haber, G.B., Heaton, K.W., et at. (1977). Depletion and disruption of dietary fibres. Effects on satiety, plasma-glucose, and serum-
insulin. Lancet. 2(8040):679-682
5
World Health Organization. (2003). Diet, Nutrition and the Prevention of Chronic Diseases. Geneva, Switzerland: World Health
Organisation.
6
Craig, W.J. (1999). Nutrition and wellness. Berrien Springs, MI: Golden Harvest Books.
7
Fung, T.T., Malik, V., Rexrode, K.M., Manson, J.E., Willett, W.C., & Hu, F.F., (2009). Sweetened beverage consumption and risk of
coronary heart disease in women. Am J Clin Nutr. 89(4):1037-42. Epub 2009 Feb 11.
8
Schulze, M.B., Manson, J.E., Ludwig, D.S., Colditz, G.A., Stampfer, M.J., Willett, W.C., Hu, F.b., (2004). Sugar-sweetened beverages,
weight gain, and incidence of type 2 diabetes in young and middle-aged women. JAMA. Aug. 25;292(8):927-34
9
Armstrong, B., & Doll, R., (1975). Environmental Ffactors and cancer incidence and mortality in different countries, with special
reference to dietary practices. Int J Cancer. 15(4):617-631.
10
Westover, A. N., & Marangell, L.B. (2002). A cross-national relationship between sugar consumption aand major depression?
Depression & Anxiety (1091-4269). 16(3):118-120
11
Mohammed, E.H., Pérez, I., Carillo, S., Cardoso, G., Zamora, J., Chavira, R., & Baños, G. (2006). Effect of sex hormones on non-esterified
fatty acids intra-abdominal fat accumulation, and hypertention induced by sucrose diet in male rats. Clinical & Experimental
Hypertension. 28(8):669-681.
12
Molteni, R., Barnard, R.j., Ying, Z., Roberts, C.K., Gómez-Pinilla, F. (2002). A high-fat, refined sugar diet reduces hippocampal brain-
derieved neurotrophic factor, neuronal plasticity, and learning. Neuroscience. 112(4):803-14.
13
Jurdak, N., Kanarek, R.B., (2009). Sucrose-induced obesity impairs novel object recognition learning in young rats. Physiol
Behav.96(1):1-5. Epub 2008 Jul 29.
14
Kijak, E., Foust, G., & Steinman, R.R., (1964). Relationship of blood sugar level and leukocytic phagocytosis. Souther California Dental
Assoc. 32(9):349-351
15
Sanchez, A., Reeser, J.L., et al. (1973). Role of sugars in human nutrophilic phagocytosis. Am J Clin Nutr. 26(11):1180-1184.
16
USDA. (2012). Nation Nutrient Database. Retrieved October 12, 2012 from http://www.nal.usda.gov/fnic/foodcomp/search/
17
Diet Analysis Plus version 8.0.1.
18
Thrash, A. (2012). The Effect of B-vitamins on the Nerves. Retrieved October 12, 2012 from
http://www.ucheepines.org/index.php?p=counseling.the_effect_of_b-vitamin_on_the_nerves
19
Whitney, E. And Rolfes, S., (2008). Understanding Human Nutrition, Eventh Edition. Belmont, CA: The Thompson Corporation.
ककतने की ज़रूरत है ?
वल्डथ हे ल्र् ऑगथनाईजेशन के मुिाबबक, वयस्कों को कम से कम 15% कैलोरी वसा से लेना चादहए पर 30%
से ज़्यादा नहीं (संपूणथ शाकाहारी आहार पर जोर ददया गया है )।2 इसका अर्थ है , यदद आपको 2000 कैलोरी
प्रनिददन लेने की जरूरि है िो कम से कम 300 (33ग्रा.) कैलोरी और अधधकिम 600 (66ग्रा.) कैलोरी वसा
से आना चादहए।
कमी
अधधकिर दे शों में कमी आम नहीं है (जब िक वे आकाल, युदद, या प्राकृनिक आपदा से न जूझ रहे हों)।
अपयाथप्ि वसा के खपि के लिणों में शार्मल है : बढना रुक जाना, प्रजथन िमिा की कमी, त्वचा में घाव,
यकृि एवं गुदे के िकलीफें, नजर व नसों का िकलीफें।1,3
अनत
1. मोर्ापा: वसा कैलोरी के गाढा स्रोि हैं और शरीर में आसानी से जमा होिे हे । 4
2. रोगप्रनिरोधक िमिा घर्ाए।5
3. लाल रति कोर्शकाओं । इससे ऑतसीजन की आपूनिथ के र्लए सिह का िेत्र घर्िा है और धमननयों से
रति का बहाव आसानी से नहीं हो पािा है ।6
1. सैचरू े टेड वसा समाथय िापमान पर िोस रहिे हैं, और अनसैचरू े र्ेड वसा के मक
ु ाबले बासी (खट्र्ा) होने
के खिरे कम होिे हैं। इनमें पशुओं के वसा जैसे चबी और मतखन शार्मल है और सारे पशुओं के
उत्पादों में मौजूद होिे हैं। वे पौधे के वसा में भी पाए जािे हैं जैसे नाररयल, और िाड िेल। सैचूरेर्ेड
वास काबथन के चेनों से बना होिा है जो हाईड्रोजन से भरे होिे हैं (उससे ज़्यादा हाईड्रोजन वे नहीं ले
सकिे हैं):
1. हाननकारक कॉलेस्ट्रोल का स्िर बढाए (एल.डी.एल. –लो डेक्थसर्ी र्लपोप्रोचीन)। कॉलेस्ट्रोल धमननयों
में अर्ेरोस्तलेरोर्सस का कारण बनिे हैं। इसके कारण उच्च रतिचाप, हृदय रोग, हृदयाघाि, और
स्ट्रोक हो सकिा है ।
2. सैचरू े र्ेड वास का अत्यधधक सेवन, खास कर पशु के वसा, का संबंध आाँि, फेफडे, गभाथशय,
ओवरी, प्रोस्ट्रे र्, और वि के कैंसर से है ।7,8
नोर्: नाररयल के िेल में भारी मात्रा में लॉररक ऐर्सड (सैचूरेर्ेड) पाया जािा है । पक्श्चमी दे शों में हुए
अधय्यनों से पिा चला है कक यह रति में कॉलेस्ट्रोल का स्िर बढािे हैं (इन में से कई अधय्यन
पशुओं में हाईड्रोजनेर्ेड नाररयल वसा से ककए गए), पर िाजे नाररयल के िेल पर हुए अधय्यनों में यह
सामने आया कक उससे एच.डी.एल. का स्िर बढिा है और रति के कुल र्लवपडों का स्िर कम करिा
है , और हृदय रोग का करक भी नहीं है । अनिररति शोध से पिा चलिा है कक ददतकि शायद सैचरू े र्ेड
फैर् का संबंध फल-सब्जी रदहि, अधधक मााँस, पौधों के फाईबर की कमी, अक्त्धक कॉलेस्ट्रल यत
ु ि
आहार से है ।9,10
2. अनसैचूरेटेड वसा समाथय िापमान पर ये िरह रहिे हैं। ये मुख्यिः पौधों से र्मलिे हैं। इन वसाओं में
एक या एक से अधधक स्र्ान पर हाईड्रोजन के स्र्ान पर काबथन के अणु होिे हैं जो डबल बॉण्ड से
जुडे होिे हैं। यदद वसा के कण में र्सफथ एक डबल बॉण्ड है िो उसे मोनोअनसैचूरेर्ेड कहिे हैं, पर यदद
उसमें एक से अधधक डबल बॉण्ड होिे हैं िो उसे पॉलीअनसैचरू े र्ेड कहिे हैं। अधधकिर िेल
मोनोअनसैचूरेर्ेड और पॉलीअनसैचूरेर्ेड फैर्ी ऐर्सड के र्मश्रण होिे हैं, परं िु क्जस िरह के वसा उन में
पाए जािे हैं उथहें उसी नाम से जाना जािा है
क) मोनोअन सैचूरेटेड फैटी ऐलसड (मोनो- एक)
समाथय िापमान पर िरल पर ररकिजरे र्र के िापमानों में िोस 4
फायदे :
“वसा” की श्रेणी में अनेक प्रकार के फैर्ी ऐर्सड पाए जािे हैं। हमारा शरीर इन सभी का
उत्पादन कर सकिा है र्सवाय ओमेगा-6 और ओमेगा-3 पॉर्लअनसैचरू े र्ेड फैर्ी ऐर्सड, क्जथहें
1
आहार से ही र्लया जा सकिा है । ओमेगा-6 और ओमेगा-3 का अनप
ु ाि 6:1।
यदद र्भथन िरह के पौधों का प्रयोग ककया जाए, िो यह आसानी से पाया जा सकिा है । मुख्य
स्रोि हैं बदाम, वनस्पनि िेल (मतका, सूरजमुखी, कुसुम, सोयबीन), और मुगे का मााँस।1
ओमेगा-3 के मख्
ु य स्रोि हैं: िीसी (बीज व िेल), अखरोर्, कनोला िेल, सोयबीन िेल, और
मछली
हमारा यकृि हमारे भोजन में पाए जाने वाले वसा से प्रचरु मात्रा में कॉलेस्ट्रोल उत्पथन करिा है । हम इसे
पशुओं के उत्पाद से भी ले सकिे हैं, जो अतसर अनि हो जािा है । अण्डे कॉलेस्ट्रोल का स्िर बढािे हैं।
कॉिेस्रि के अनत से होने वािे प्रभाव (केवि पशुओं के उत्पादों में लमिते):
ऑतसीडाईज़्ड कॉलेस्ट्रोल: वािावरण में अधधक दे र िक रहने से कॉलेस्ट्रोल ऑतसीजन से र्मल जािा है और
“ऑतसीडाईज़्ड कॉलेस्ट्रोल” बन जािा है । कॉलेस्ट्रोल का यह रूप खिरनाक होिा है , तयोंकक यह धमननयों के
ददवारों के कोर्शकाओं को हानन पहुाँचािे हैं (अर्ेरोस्तलेरोर्सस का एक कारण)। (पनीर, अण्डे, और डेरी उत्पाद,
कस्र्डथ, पैनकेक र्मतस, आदद)।
र्े स्र्ीमनीज र्ू चचथ, वोल्युम 7, पृ. 134. “जैिून को इस िरह बनाया जा सकिा है कक उसे प्रत्येक भोजन
में अच्छे प्रभाव के सार् खाया जा सकिा है । अच्छे से िैयार गए जैिून से मतखन से र्मलने वाले फायदे
र्मलिे है । जैिन
ू के िेल से कब्ज से राहि र्मलिा है ; और क्जनके पेर् में जलन होिा है , वे भी इसे खा
सकिे हैं, यह ककसी भी दवा से बेहिर है । और भोजन के रूप में यह पशुओं से र्मलने वाले ककसी भी िेल
से बेहिर है ।”
उ. िलना कभी स्वस्र् नहीं है तयोंकक ववर्ैले ित्वों का उत्पादन होिा है ; कफर भी, क्जनका स्मोककं ग पोईंर् (धुआाँ
नकलने का िापमान) ऊाँचा हो और उनमें जरूरी फैर्ी ऐर्सड (कम िापमानों में ही आसानी से नष्र् होिे हैं)
कम हो, वे िलने के र्लए बेहिर िेल है तयोंकक वे ववर्ैले ित्वों का उत्पादन कम करिे हैं, और िेल का
िापमान स्मोककं ग पोईंर् से कम ही रखें। िलने का िापमान 190 के आस पास होिा है और क्जिना बार
िेल को दब
ु ारा इस्िेमाल ककया जािा है , उिना ही यह िापमान धगरिा जािा है । स्वास््य के र्लए, िलने के
र्लए इस्िेमाल ककए गए िेल का दब
ु ारा इस्िेमाल नहीं ककया जाना चादहए। कुछ सभ्यिाओं में कडाही में
पहले र्ोडा पानी डाला जािा है कफर िेल डाला जािा है , या िेल डालने से पहले सक्ब्जयों को पहले क्स्कलेर्
में रखा जािा है । दोनो ववधधयााँ िापमान कम ही रखिे हैं और कम हानी पहुाँचािे हैं।
काउथसेल्स ऑन डाईर् एंड फूड्स, पृ. 323। “हम िले आलू के स्वस्र् नहीं मानिे हैं तयोंकक उसमें कम या
ज़्यादा िेल या मतखन का प्रयोग होिा है । उबले या बेक ककए हुए आलू र्ोडे से क्रीम और नमक सार्
ज़्यादा स्वस्र् हैं। आईररश और शतकरकंद को क्रीम के सार् िैयार ककया जािा है और कफर बेक कर ददया
जािा है , वे बहुि अच्छे होिे हैं।”
प्र. रांस फैट क्या है ? क्या हमें उनसे दरू रहना चाहहए?
उ. ट्रांस फैर् (वसा) िेल को ऊाँचे िापमानों (िलिे/डीप िाई/ररफाईन करिे वति) में गमथ करने से बनिे है और
जब खास प्रोसेर्संग िकनीक से हाईड्रोजन अणुओं को पॉलीअनसैचरू े र्ेड वसा के कणों में डाला जािा है ।
इससे वे सामाथय िापमान में भी िोस बन जािे हैं और बहुि धीरे से सडिे हैं। यह वनस्पनि िेलों और बेक
ककए व्यंजनों के र्लए अच्छा है तयोंकक यह उथहें बेहिर र्े तशचर दे िा है और वे अधधक ददनों िक िीक रहिे
हैं। कफर भी उनसे होने वाले खिरों में शार्मल है :
6,7
कुल एल.डी.एल. के स्िरों में इजाफा
कुछ अधय्यनों में सामने आया है कक ट्रांस वसा से कैंसर होिा है 7
पाया गया है कक इनसे उच्च रतिचाप, रोग प्रनिरोध में गडबडी, सज
ू न पैदा करने वाले रोग,
और एल्लजी हौिा है 19
इसर्लए, बेहिर होगा कक खाद्यों के लेबल को जााँचा जाए और ऐसे उत्पादों से दरू रहें क्जथहें आंर्शक रूप से
हाईड्रोजनेर्ेड िेलों से बनाया गया हो जैसे व्यापाररक रूप से बेक ककए ब्रेड, और बबस्कुर्, िले आलू, डोनर्
और कुछ प्रकार के पॉपकोनथ। ट्रााँस वसा कुल वसा सेवन का <1% ही होना चादहए।11
उ. अनसैचूरेर्ेड वसाओं के ऑतसीडेशन से खट्र्ापन आिा है , जो स्वाद और गंध से आसानी से पिा चलिा है ।
खट्र्े वसाओं का सेवन नहीं करना चादहए, तयोंकक वे रति धमननयों को हानन पहुाँचा सकिे हैं और कुछ
कैंसरों के होने के खिरे बढा सकिे हैं। पशुओं में ककए गए अधय्यन में उनके वजन अपेक्षिि वजन (बढना)
से कम बढे , स्पमथ के उत्पादन में कमी, श्वेि रति कोर्शकाओं के उत्पादन में कमी, यकृि में ग्नलाईकोजन
जमा करने की िमिा में कमी, यकृि की खराबी, गुदे की खराबी, आदद दे खे गए।20,21,22,23,24,
(Data not specifically credited in this section on fats drawn from: Erasmus, Udo. (1993). Fats that heal, fats that kill. Alive Books: Buraby,
BC, Canada; Nedley, N. (1999). Proof positive. Ardmore, OK: Quality Books; Seeley, Stephens, and Tate (2006). Anatomy and physiology
(7th ed.). McGraw-Hill: New York; Whitney, E. & Rolfes, S.R. (2013). Understanding nutrition. Thomson Higher Education: Belmont, CA.).
अध्याय 5- प्रोटीन
पररभाषा: एक जदर्ल नाईट्रोजन युति काबथननक पदार्थ है क्जसका गिन बडे अमीनो ऐर्सड के एक या एक से
अधधक चेन से बने बडे कणों से होिा है , और जीवों का महत्वपूणथ दहस्सा है , खास कर, शरीर के िंिुओं, जैसे,
मााँसपेर्शयों, केश, कोलाजेन, आदद और एथजाइम (ककण्वक), और ऐक्थर्बाडी (रोग-प्रनिकारक)। कुल 20 अमीनो
ऐर्सड हैं क्जनमें से 11 का उत्पादन हमारे शरीर द्वारा ककया जािा है और 9 क्जथहें इसेंर्शयल कहा जािा है ,
हमारे आहार से र्लया जाना जरूरी है । अनधगि िरह के प्रोर्ीनों का उत्पादन अमीनो ऐर्सडों से ककया जा
सकिा है , तयोंकक उनका क्रम पर उनके श्रेणी, आकार और कायथ ननभथर करिे हैं।
कायय
ककतने की ज़रूरत है ?
स्रोत
सभी जीवों में , दोनों पौधों और पशुओं में , प्रोर्ीन पाया जािा है तयोंकक यह कोर्शकाओं का महत्वपूणथ दहस्सा
है ।
2
कमी
पयाथप्ि प्रोर्ीन महत्वपूणथ है , खासकर गभथविी या स्िनपान कराने वाली मािाओं और बढने के उम्र में र्शशुओं
के र्लए। सभी को पयाथप्ि मात्रा में अच्छे स्वास््य के र्लए प्रोर्ीन की जरूरि है । कुछ प्रगनिशील दे शों के
अत्यंि गरीब, भूखमरी या आपदा से प्रभाववि िेत्रों के आहार से प्रोर्ीन या अथय पोर्कों की कमी के लिण
दे खे जा सकिे हैं। तवार्शयोकथर, एक रोग जो कुपोवर्ि बच्चों में ऊपरी बााँह को पिला और ननचले बााँह और पैरों
को मोर्ा (इडेमा के कारण) कर दे िे हैं और पेर् बहुि बडा हो जािा है , को एक समय र्सफथ प्रोर्ीन के कमी के
कारण होने वाला रोग माना जािा र्ा। अब यह स्पष्र् हो चक
ु ा है कक तवार्शयोकथर भोजन की अचानक कमी से
से होिा है , जो अतसर दस
ू रे बच्चे/रोग/संक्रमण के कारण होिा है , और आहार में अधधक मात्रा में काबोहाईड्रोर्
होने के कारण क्जसमें ववर्ार्मनों, खननजों, और फैर्ी ऐर्सडों और सार् ही प्रोर्ीन की कमी हो, और इसर्लए इसे
दस
ू रा नाम ददया गया है “प्रोर्ीन-कैलोरी डीप्राईवेशन (कमी)” वहीं मरासमस लंबे अवधध िक भोजन की कमी के
कारण होिा है , यह भूखमरी का िकनीकी नाम है ।2
को बचाए रखा। पर प्रोर्ीन का सेवन बढ कर 95 ग्राम प्रनिददन होने पर उनके शरीर से उनका
कैक्ल्शयम सेवन से 30 र्म.ग्रा. अधधक कैक्ल्शयम का िरण हुआ। प्रोर्ीन का सेवन बढ कर 142 ग्रा.
होने पर कैक्ल्शयम का िरण बढ कर उनके कैक्ल्शयम से सेवन 70 र्म.ग्रा ज़्यादा हो गया। (नोर्:
2,5
1990 में य.ू एस. में प्रोर्ीन का सेवन 105 ग्रा. प्रनिदन
ु र्ा)।
4. दस
ू रे अधय्यन में कमर र्ूर्ने और कैक्ल्शयम के सेवन का संबंध पर शोध ककया गया। पाया गया कक
कमर र्ूर्ने की घर्नाएाँ स्कैडीनेववया, यू.एस., और थयू जीलैंड जैसे दे शों में सवथधधक र्ा जहााँ डेयरी
उत्पादों और कैक्ल्शयम का सेवन अधधक है , जबकक दक्षिण अिीका, थयू धगनी, और र्संगापोर जैसे दे शों
में सबसे कम र्ा जहााँ कैक्ल्शयम का सेवन सबसे कम है (500 र्म.ग्रा. से कम)5
5. कुछ अधय्यनों में पाया गया है कक प्रोर्ीन का सेवन कम करने से गुदों के खराब होने के खिरे कम
होिे है ।5
6. प्राकृनिक रूप से मारने वाले कोर्शकाओं (कोर्शकाएाँ जो कैंसर से लडिी है ), र्ी कोर्शकाओं और
साईर्ोर्ॉक्तसक र्ी कोर्शकाओं की संख्या में कमी2,5
7. रति में कॉलेस्ट्रोल की बढोिरी6
8. गुदे की पत्र्री7
9. ग्नलूकोज और फैर्ी ऐर्सड की कमी होने पर शरीर ऊजाथ के र्लए प्रोर्ीन का प्रयोग करिा है। ऊजाथ का
कुशल स्रोि नहीं है , और शरीर के र्लए हाननकारक अमोननया का उत्पादन करिा है , जो यरु रया में
िबदील हो जािा है (जो कम हाननकारक है ), क्जसका बाद में गुदे के द्वारा शरीर से ननकासन होिा
है ।2
10. आयुवक्ृ दद की प्रकक्रया की रफिार बढािा है ।
आम प्रश्नों के उत्तर
उ. एक संपण
ू /थ उच्च स्िर के प्रोर्ीन में सभी एसेंर्शयल अमीनो ऐर्सड प्रचरु मात्राओं में पाए जािे हैं क्जनकी
जरूरि मनुष्य को होिी है , परं िु उसमें सभी नॉनएसेंर्शयल अमीनों हो ऐसा जरूरी नहीं है । अधधकांश पशुओं से
प्राप्ि प्रोर्ीन जैसै मााँस, मछली, दध
ू , पनीर और अण्डे नॉएसेंर्शयल प्रोर्ीन में संपूणथ होिे हैं तयोंकक पशु खुद
इनका उत्पादन करिे हैं। पौधों के प्रोर्ीन में अमीनो ऐर्सड के अधधक जदर्ल क्रम पाए जािे हैं और एक या
एक से अधधक एसेंर्शयल प्रोर्ीन बहुि कम मात्राओं में पाया जािा है । सोयबीन एकमात्र ऐसा स्रोि है क्जसमें
प्रचुर मात्रा में 8 एसेंर्शयल अमीनो ऐर्सड पाए जािे हैं और संपूणथ प्रोर्ीन का एकमात्र शाकाहारी स्रोि है । अथय
स्रोिों के सार् खाने से शरीर सारे जरूरी अमानो ऐर्सडों का उत्पादन कर सकिी है , और अस्र्ीयी रूप से
यकृि में इथहें जमा कर सकिी है ।दोनों आनाज (मकका, जौ, गेहूाँ, चावल, आदद.) और र्ोडे मात्राओं बीथस,
बदाम, एवं बीज एक ही ददन संपूरण प्रोर्ीन के र्लए खाया जा सकिा है , जरूरी नहीं की एक ही बार के
भोजन में । अधधकांश सक्ब्जयों और फलों में प्रोर्ीन होिा है इसर्लए ये भी आपके र्लए जरूरी अमीनो ऐर्सड
पूरा करने में मदद करिे हैं। ववर्भथन िरह के अनाज, बीथस, बीज, और बदाम खाना एक ही िरह के आहार
लेने से बेहिर है ।
एक अधय्यन में र्लम्फ ग्नलैंड के कैंसर होने के खिरे को बोवाईन (गाय से प्राप्ि) प्रोर्ीन के सेवन के सार्
िुलना ककया गया। अधय्यन से पिा चला कक क्जिना ज़्यादा बोवाईन प्रोर्ीन का सेवन ककया गया उिना ही
5
ज़्यादा कैंसर का खिरा बढ गया (यू.एस. में सबसे ज़्यादा, और बोवाईन प्रोर्ीन के सेवन में दस
ू रा स्र्ान)।
यह उन कई कैंसरों में से एक का हाल बयां करिा है क्जनका संबंध पशुओं से प्राप्ि प्रोर्ीन के सेवन से हैं।
तया पशुओं से प्राप्ि प्रोर्ीन कॉलेस्ट्रोल स्िर को प्रभाववि कर सकिा है ? खरगोशों पर ककए गए एक अधय्यन
से हमें हृदय रोंग के खिरे बढाने वाले कारकों का संकेि र्मल सकिा है । जब खरगोशों को पशुओं से प्राप्ि
प्रोर्ीन ददया गया, उनमें औसि 175 र्म.ग्रा/डे.ली. (107-270र्म.ग्रा/डे.ली) पाया गया। परं िु जब पौधों से
प्राप्ि प्रोर्ीन का इस्िेमाल ककया गया, खरगोशों में कॉलेस्ट्रोल का स्िर औसि 67 र्म.ग्रा /डे.ली. (43-
80र्म.ग्रा/डे.ली.) पाया गया।
5
परं िु एक व्यक्ति यह सवाल जरूर कर सकिा है कक तया यह केवल खरगोशों के र्लए सच है या मनुष्यों में
भी लागू होिा है । कॉलेस्ट्रोल के ऊाँचे स्िर वाले व्यक्तियों में हुए एक अदययन में कैसीन के स्र्ान पर र्सफथ
1
सोया प्रोर्ीन के प्रयोग करने से उनके एलडीएल कॉलेस्ट्रोल के स्िर में 16% सध
ु ार दे खा गया। इस िेत्र में
और भी शोध ककये जाने चादहए।
1.
Seeley, Stephens, & Tate (2006). Anatomy and physiology (7th ed.). New York: McGraw-Hill.
2.
Whitney, E. & Rolfes, S. R. (2013). Understanding nutrition (13th ed.). Belmont, CA: Thomson Higher Education.
3.
Robbins, J. (1998). A diet for a new America. p. 175. Tiburon, CA: HJ Kramer Inc.
4.
WHO/FAO. (2003). WHO/FAO release independent Expert Report on diet and chronic disease. WHO. Retrieved June 3, 2015 from
http://www.who.int/mediacentre/news/releases/2003/pr20/en/.
5.
Nedley, N. (1999). Proof positive. Ardmore, OK: Quality Books.
6.
Hu FB, Stampfer MJ, Rimm EB, et al. A Prospective Study of Egg Consumption and Risk of Cardiovascular Disease in Men and Women.
JAMA. 1999;281(15):1387-1394. doi:10-1001/pubs.JAMA-ISSN-0098-7484-281-15-joc81683.
7.
Pendick, D. (2013). 5 steps for preventing kidney stones. Havard Health Publications: Harvard Medical School. Retrieved June 3, 2015
from http://www.health.harvard.edu/blog/5-steps-for-preventing-kidney-stones-201310046721
8.
Mazess, R. B. (1974). Am. J. Clin. Nutr. 27:916.
9.
Lovati, M.R., Manzoni, C., Canavesi, A., Sirtori, M., Vaccarino, V., Marchi, M., Gaddi, G., Y Sirtori, C.R. (1987). Soybean portein diet
increases low density lipoprotein receptor activity in mononuclear cells from hypercholesterolemic patients. J. Clin. Invest. 80: 1498-
1502
अध्याय 6- पशओ
ु ं के उत्पाद और मनष्ु य के स्वास््य के खतरे , भाग I
पशुओं में रोग
काउथसेल्स ऑन डाईर् एंड फूड्स, प.ृ 373। “परमेश्वर ने हमारे पहले अर्भवाकों को वह भोजन ददया जो उसने
हमारे जानि के र्लए बनाया र्ा। यह उसके योजना के ववपररि र्ा कक ककसी भी जीव का प्राण जाए। आदन में
मत्ृ यु नहीं होना र्ा। वादर्का के पेडों के फल ही मनुष्य की जरूरि र्ी। परमेश्वर ने मनुष्य को पशुओं को
खाने की अनुमिी बाढ िक नहीं ददया। वह सारी चीजें नष्र् हो चुकी र्ी क्जसे खाकर मनुष्य जीववि रहिा,
इसर्लए उनकी जरूरि को दे खिे हुए परमेश्वर ने उथहें शुदद जानवरों को खाने की अनुमिी दी क्जथहें उसने
अपने सार् नाव में र्लया र्ा। परं िु मााँसाहरी भोजन मनष्ु य के र्लए सबसे स्वस्र्वधथक आहार नहीं र्ा।... बाढ
के बाद लोग मााँसाहारी खाना ज़्यादा खाने लगे। परमेश्वर ने लंबे उम्र वाले जानि के जीवन अवधध को कम
करने के र्लए उथहें मााँसाहारी भोजन खाने की अनुमिी दी। बाढ के बाद इस जानि का कद और उम्र में घर्ने
लगा।”
काउथसेल्स ऑन डाईर् एंड फूड्स, प.ृ 375। “उनके आहार का पववत्र योजना से भर्कने के कारण, ईस्राएर्लयों
को बहुि घार्ा सहना पडा। उथहें मााँस खाने की इच्छा हुई, और इसके निीजे सहने पडे।... उथहों के
संसाररकिा को आक्त्मकिा से बढकर चाहा, और वह पववत्र उत्कर्थ, जो उनके र्लए उसका लक्ष्य र्ा, वे पा न
सके।”
काउथसेल्स ऑन डाईर् एंड फूड्स, प.ृ 375। “परमेश्वर ने अपने लोगों से कहा कक प्रत्येक आशीर् उनके पास
आएगी यदद वे परमेश्वर की आज्ञा का पालन करें गे, और एक खास लोग बनेंगे... ददमाग का अवस्र्ा बहुि हद
िक शरीर के स्वास््य पर ननभथर करिा है ... मरूभूर्म में परमेश्वर ने अपने लोगों को मााँस नहीं ददया, तयोंकक
वह जानिा र्ा कक यह आहार रोग और पैदा करे गा। ”
काउथसेल्स ऑन डाईर् एंड फूड्स, पृ. 386। “पशु बबमार हैं, और उनके मााँस खाने से, हम अपने िंिुओं और
रति में रोग के बीज बोिे हैं।”
तया विथमान के शोध इन वातयों को सही नहीं बिािे? चर्लए हम कुछ ऐसे रोगों का पिा लगािे हैं जो
पशुओं से मनुष्यों में आ सकिे हैं (याद रखें- मााँस में अत्यधधक मात्राओं में वसा, प्रोर्ीन, लौह, और कॉलेस्ट्रोल
पाया जािा है ; और फाईबर (रे शे) नहीं पाया जािा है ।)
हृदय रोग
कैंसर
आुँतों के कैंसर: महीने में एक बार मााँस (गौ, सुकर, भेड) खाने वालों की िुलना में रोजाना मााँस खाने वालों को
149% ज़्यादा खिरा होिा है - 88,000 नसों में हवाडथ ववश्वववद्यालय द्वारा ककए गए अधय्यन के मुिाबबक।
मच्छी खाने वालों में आाँि के कैंसर का खिरा बढिा दे खा गया। हवाडथ द्वारा 50,000 पुरूर्ों में ककए गए
अधय्यन में दे खा गया कक हफ्िे में 5 से ज़्यादा बार लाल मााँस खाने वालों 3.5 गण
ु ा अधधक आाँि के कैंसर
पाए गए। एक यरू ोपीय अधय्यन में पाया गया अतसर मााँस खाने वालों में कभी कभी या बबलकुल भी मााँस नहीं
2,3,4,5
खाने वालों के मुकाबले आाँि के कैंसर होने का खिरा दग
ु ना रहिा है ।
वि के कैंसर: 140,000 जापानी मदहलाओं पर ककए गए शोध में पाया गया कक अधधक मााँस खाने वालों में,
नहीं खाने वालों के मुकाबले वि के कैंसर होने खिरा 4 गुणा अधधक पाया गया- बाकी सारे कारकों में
सामंजस्य बनने के बाद। नावे में हुए एक अदययन में पाया गया कक हफ्िे में पााँच से अधधक बार मााँस खाने
वालों में दो बार या इससे से भी कम खाने वालों के मक
ु ाबले दग
ु ना खिरा पाया गया। अथय अदयथनों में पाया
गया कक पशुओं से प्राप्ि वसा का सेवन करने वालों में वि के कैंसर का सबसे अधधक खिरा (60% से अधधक)
पाया गया।6,7,8
प्रोस्टे ट कैंसर: एडवें डदर्स्र् हे ल्र् स्र्डी के मुिाबबक, पशुओं से प्राप्ि उत्पादों का सेवन करने वालों में प्रोस्र्े र्
कैंसर से मरने के खिरे 3 गुणा ज़्यादा होिे हैं। 50,000 पुरूर्ों में ककए गए हवाथड हे ल्र् प्रोफेश्नल्स के अदययन
में उथहोंने पाया कक हफ्िे में 5 ददन लाल मााँस खाने वालों में जानलेवा प्रकार के प्रोस्र्े र् कैंसर होने के खिरे
2.5 गण
ु ा ज़्यादा पाए गए। अंिराथष्ट्रीय शोधों के द्वारा पशओ
ु ं से प्राप्ि वसा और प्रोस्र्े र् कैंसर के बीच संबंध
ददखाया गया है , जबकक वनस्पनि वसा का कोई संबंध नहीं पाया गया है । 9,10,11,12,
ओवैररयन कैंसर: 100,000 की आम आबादी में लैतर्ो-ओवो शाकाहारों में बढकर 15.9 और हफ्िे में 4 बार
मााँस खाने वालों में 26.4 हो गई। एक जापानी अदययन के मुिाबबक 20% ओवैररयन कैंसरों का संबंध केवल
मााँस खाने से है । ईिालववयों ने पाया कक हफ्िे में 7 से उससे अधधक बार मााँस खाने वाली मदहलाओं में
ओवैररयन कैंसर 60% ज़्यादा पाए गए, और हफ्िे में 4 या उससे अधधक बार है म (सूअर का जबी) का सेवन
13,14,15
करने वालों में दग
ु ना पाया गया।
लिम्फ ग्िैण्ड के कैंसर: अमेररका के ईयोवा में 35,000 मदहलाओं में हुए अदययन में पाया गया कक मााँस खाने
वाले की ऊपरी एक निहाई (अधधक मााँस खाने वाले ) में , र्लम्फ ग्नलैण्ड के कैंसर ननचली एक निहाई (कम मााँस
खाने वाले) के मुकाबले दग
ु ना पाया गया। है मबगथरों को खास कर शार्मल ककया गया, और जो हफ्िे में 4 या
उससे अधधक बार है मबगथर का सेवन करिे हैं उनमें र्लम्फ ग्नलैण्ड के कैंसर दग
ु ने पाए गए।
अन्य कैंसर जो अत्यधधक मााँस और पशुओं के उत्पादों के सेवन से संबंधधि हैं: फेफडों के कैंसर, नॉन
1
हॉजककथस र्लम्फोमा, यकृि, गद
ु े , अग्नथयाशय और गभाथशय के कैंसर।
काउथसेल्स ऑन डाईर् एंड फूड्स, पृ. 388। “कैंसर, ट्यूमर, और सारे सूजन वाले रोग में से अधधकांश, मााँस
खाने की वजह से होिे है ... कैंसर और ट्यूमर का कारण मरे मााँस में जीने के कारण होिे हैं।”
र्बेन्ज़ोपाइरीन: कैंसर के इन कारक को यकृि, उदर, आाँिों, भोजन नली, फेफडे, और वि के िंिुओं में कैंसर
पैदा करने वाले कायथ करिे पाया गया है । मााँस पकािे वति जब वसा आग या कोयले में धगरिा है , वह धुआाँ
कॉिेस्रोि (माुँस, अण्डे, और डेयरी उत्पादों में मौजूद): अण्डाशय, फेफडे, स्वासनली, और आाँिों के कैंसर का
संबंध कॉलेस्ट्रोल से पाया गया है । मदहलाएाँ क्जनके रति में उच्च कॉलेस्ट्रोल स्िर पाए गए, उथहें अण्डाशय के
1
कैंसर का खिरा निगण
ु ा रहिा है ।
अत्यधिक आयरन का सेवन: लाल मााँस से भारी मात्रा में आयरन पाया जा सकिा है । अदयथनों से पिा चला है
कक आयरन के अत्यधधक सेवन या कमी से आाँिों के पॉर्लप्स होने का खिरा रहिा है क्जसके बाद आाँिों के
कैंसर होिे हैं।1
वप्रयोन रोग
वप्रयोन रोग ववदे शी प्रोर्ीन (क्जसे वप्रयोन कहिे हैं) जो ददमाग के प्रोर्ीनों के जैसा ददखिा है , परं िु दस
ू रे िरह से
मुडा रहिा है । जब यह ददमाग के समाथय प्रोर्ीनों के संपकथ में आिा है िो यह उथहें उनका आकार को बदलने
के र्लए प्रभाववि करिा है , और यह प्रकक्रया िब िक दह
ु राई जािी है जब िक कक ददमाग स्पंज के जैसा ददखने
न लगे। यह रोग जनवरों के करीब 20 प्रजानियों और मनुष्यों में पाई गई है । यह िब सावथजननक हुआ जब
इंगलैंड में वपसे हुए संक्रर्मि भेड खखलाने के कारण, हजारों गायें वप्रयोन रोग के एक प्रकार “मैड काउ डडजीज”
से मारे गए। उसके बाद मनुष्यों में यह रोग गाय से आई। इसे दवाईयों, गमी, िं ड, सुखाकर डडसइनफेकर्ें र्ों से
नहीं मारा जा सकिा है । इस प्रोर्ीन से संक्रर्मि व्यक्ति में अलजाईमर रोग जैसे लिण ददखिे हैं जो िेजी से
बढिे हैं। लिणों के सामने आने के 2 सालों के अंदर व्यक्ति की मौि हो जािी है । यह रोग असमाथय प्रोर्ीन
खाने से होिा है जो मुख्यिः मााँस में पाया जािा है परं िु दध
ु में भी पाया जा सकिा है , और युनाईर्े ड
ककं गडम्स की सरकार नें 1988 में संक्रर्मि मवेर्शयों के दध
ू की बबक्री पर रोग लगा दी। धचंिा कक बाि िो यह
है कक यह रोग उति पशु में लिण ददखने के कई महीनों से ले कर सालों पहले से हो सकिी है , और अधधकांश
समय पशु की मत्ृ यु के बाद जााँच होिा है । इसका अर्थ यह है कक एक गाय को िब मारा जा सकिा है जब वह
स्वस्र् लग रहा हो, जबकक हकीकि में वह वप्रयोन रोग से संक्रर्मि हो, और इस िरह से मनष्ु यों में यह रोग
आए।1
र्मननस्ट्री ऑफ हीर्लंग, पृ. 315. “मााँसाहार के प्रभावों का पिा िुरंि नहीं लगिा है ; परं िु इसका अर्थ यह नहीं
है कक उसके दष्ु प्रभाव न हैं। कुछ लोगों को ववश्वास ददलाया जा सकिा है कक उनके द्वार सेवन ककए गए मााँस
ने उनके रति को ववर्ाति ककया है और उनके पीडाओं का कारण है । अनेक लोगों की मौि मााँस खाने के वजह
से होिी है , जबकक असली कारण का पिा न िो उथहें पिा चलिा है न ही दस
ू रों को।”
कैम्पाईिोर्बैक्टर यू.एस. में ववर्ाति भोजन का मुख्य कारण है । दो अरब से अधधक अमरीककयााँ हर साल
संक्रर्मि होिे है और लिण, जैसे पेर् ददथ , बुखार, चतकर आना, और उल्र्ी (20 % हालिों में लिण गंभीर
और दे र िक बने रहिे हैं) दे खे जािे हैं, क्जसमें यूएस में प्रनिवर्थ 200 िक मौिें होिी हैं। आहार क्जनसे यह
1
खिरा सबसे ज़्यादा है , में शार्मल है मुगाथ, गोमााँस, केक का आईर्संग, कच्चा दध
ू , और अण्डे।
ई. कोिी (E. coli) बैतर्े ररया मनुष्यों और पशुओं के आाँिों में पाया जािा है । पूरे ववश्व में प्रनिवर्थ या हजारों को
बबमार और कई सौ लोगों की जान लेिा है । इसके कारण लहू यत
ु ि दस्ि, पानी की कमी, और कुछ लोगों में
गद
ु े की ननक्ष्क्रयिा का जानलेवा पररक्स्िधर् उत्पथन होिी है । द सेंर्सथ फार डडजीज कथट्रोल का अनम
ु ान है कक
प्रनिवर्थ 10,000 से 20,000 अमरीकी ई. कोली से संक्रर्मि होिे हैं। मनना है कक इसका संबंध पशुओं (या
मनुष्यों) के पैखाने से है । संक्रमण के अथय स्रोि हैं, है मबगथर, दध
ू , सौसेज, भुरर्ा गोमााँस, और एप्पल साईडर।
अच्छी िरह पकाने के दवारा इसे मारा जा सकिा है ।1
सािमोनेिा से यू.एस. में प्रनिवररर् िकरीबन दो र्मर्लयन लोग बबमार होिे हैं। आाँिों के समाथय संक्रमण के
लिण जैसे दस्ि, बख
ु ार और िं ड महसस
ू करना, दे खे जा सकिे हैं। हलााँकक 10 प्रनिशि से अधधक मरीजों के
अस्पिाल में भरिी करना पडिा है और उथहें मेनेजाईदर्स, सेक्प्सस, और गंभीर गदिया हो सकिा है (कुछ लोग
मर भी सकिे हैं)। भर्लभााँनि पकाने से सालमोनेला और कैम्पाईलोबैतर्र, दोनों मारे जा सकिे हैं। पकाने वालों
को सावधानी बरिनी चादहए कक औजारों, बिथनों, कार्ने वाले िख्िों, रसोई के िौर्लए, और स्पंजों से यह
बैक्तर्ररया न फैले। ½ आईस्क्रीम में मात्र 6 बैतर्े ररया होने पर भी गंभीर बबमारी हो सकिी है । इन आहारों
संक्रमण के सबसे ज़्यादा खिरे हैं- मुगाथ, आईस्क्रीम, चॉतलेर्, अण्डे, और अण्डे से बने व्यंजन।1
लिस्टे ररया संक्रर्मि भोजन से फैलिा है , खास कर कच्चे मााँस या सक्ब्जयों जैसे स्प्राउर्, कच्चे दध
ू , आईस्क्रीम,
कुछ ककस्म के चीज, पररष्कृि मााँस और हॉर् डॉग, आदद) गंभीर बैर्ेररयल संक्रामण से बख
ु ार, मााँपेर्शयों में ददथ ,
दस्ि, र्सरददथ , भ्ााँनि, ऐंिन, और मत्ृ यु भी हो सकिी है । गभाथवस्र्ा में इससे बुखार, र्कान, जथम होिे ही र्शशु
की मत्ृ यु, गभथपाि या जथम के बाद र्शशु में प्राण घािक बबमारी (जैसे मेनननजाईदर्स) हो सकिे हैं। गभथविी
मदहलाओं, प्रौढों, र्शशुओं और कमजोर रोगप्रनिरोधक िमिा वालों के र्लए ये खासकर खिरनाक है । पकाने से
इसे मारा जा सकिा है , और किज में यह बढ सकिा है ।18
वाईरस के खतरे
दो रे र्रोवाईरस जो पशुओं में रोग उत्पथन करिे है , जो मनुष्यों में रोग उत्पथन कर सकिे हैं, नीचे ददए गए हैं:
र्बोवाईन ल्युकेलमया वाईरस: एच.र्ी.एल.वी-1 (जो मनुष्यों में र्ी-सेल ल्यूकेर्मया उत्पथन करिा है ) से संबंधधि,
यह वाईरस मवेर्शयों में ल्यक
ू े र्मया और र्लम्फोसाकोमा उत्पथन करिा है । य.ू एस.ू के करीब 40% मवेशी और
83% झुण्डों में कम से एक पशु इस वाईरस से संक्रर्मि हैं। इस वाईरस से संक्रर्मक दध
ू जब भेडों को वपलाया
जािा है , िो उथहें र्लम्फोसाकोमा (र्लम्फ ग्नलैण्ड कैंसर) हो गया, जबकक, वनमानुर्ों को संक्रर्मि स्िनपान पर
उथहें ल्यूकेर्मया और ननमोसाईदर्स ननमोननया हुआ। शोधकिाथओं ने मनुष्य के स्िन के िंिुओं में बीएलवी से
संबंधधि जीन पाए हैं, यह स्िन कैंसर के पीडडि मदहलाओं में अधधक पाया है । तया यह मनुष्यों में भी कैंसर
अन्य रोग
पशुओं की दे ख रे ख करने वालों में हॉजककं स रोग, मल्र्ीपल माईलोमा, ल्यूकेर्मया, र्मलानोमा, र्लम्फोमा, उदर
कैंसर, प्रोस्र्े र् कैंसर, और पगेर् रोग के खिरे बहुि ज़्यादा होिे हैं।1
सार् ही, यए
ू स में इन कृबत्रम हॉमोनों का प्रयोग ककया जािा है : इस्ट्राडीयोल, प्रोजेस्र्ीरोन, र्े स्र्ोस्र्ीरोन,
क्जरे नोल, ट्रे नबोर्लन एर्सर्े र्, और मेलेनजेस्ट्रोल एर्सर्े र्, क्जसका प्रयोग सुअर और मुधगथयों के अलावा बाकी
सारे पशुओं में ककया जािा है । मनुष्यों पर इनके प्रभाव अब भी अननक्श्चि हैं।25
काउथसेल्स ऑन डाईर् एंड फूड्स, पृ. 382। “मााँस कभी भी सवथश्रेष्र् आहार नहीं र्ा; परं िु अब उसका प्रयोग पर
दग
ु ना प्रश्नधचथह लग गया है , तयोंकक पशुओं में बहुि िेजी से रोग बढ रहे हैं। मााँस खाने वालो को इस बाि
की बहुि जानकारी है कक वे तया खा रहे हैं। अतसर, यदद वे उस पशु को जीववि दे खिे और उसके मााँस की
गुणविा जानिे िो वे उसे न खािे परं िु घण
ृ ा करिे। लोग लगािार वैसे मााँस को खाए जा रहे हैं जो
ट्यूबरकुलोस और कैंसर पैदा करने वाले जीवाणुओं से भरा है । र्ी.बी., कैंसर और अथय जानलेवा रोग इसी िरह
फैलिे हैं।”
मछिी पर प्रकाश
ववश्व भर के कुछ स्वास््य कमी कॉलेस्ट्रोल, हृदय रोग के खिरे कम करने के र्लए लाल मााँस के स्र्ान पर
स्वस्र् आहार के रूप में खाने की सलाह दे िे हैं। सार् ही, यह भी याद ददलाया जािा है कक यीशु ने इस प्
ृ वी
पर रहिे हुए कई बार मछली का सेवन ककया। तया समय बदल गया है ? तया हमें इसे खाने की सलाह
बेखझझक दे ना चादहए, या इस कहानी में कुछ और भी है ?
यह सच है कक बहुि ज़्यादा लाल मााँस खाने वाले बदले में यदद मछली खाने लगे िो उनके कॉलेस्ट्रोल के स्िर
और हृदय रोग होने के खिरे में कमी आएगी (एक अदययन के मुिाबबक 50% कमी)। इसे पीछे के कारण है :
लाल मााँस के मुकाबले मछली में पॉलीअनसैचुरेर्ेड वसा की मात्रा ज़्यादा और सैचुरेर्ेड वसा की मत्रा कम होिी
है - दोनों ही कारण व्यक्ति के कॉलेस्ट्रोल का स्िर और हृदय रोग के खिरे को, लाल मााँस के मुकाबले, कम
करने में मदद करिे हैं। सार् ही मछली में काफी मात्रा में ओमेगा 3 फैर्ी ऐर्सड पाया जािा है । ओमेगा 3 के
ववर्य पहले के एक लेतचर में ववस्िार से बिाया जा चुका है , और हम ने यह भी जाना कक यह हृदय रोग के
खिरे को भी कम करिा है ।1,26,27
1. पण
ू थ रूप से शाकाहारी आहार से यदद िल
ु ना ककया जाए िो, मछली खाने से असल में कॉलेस्ट्रोल का
सेवन बढिा है , और यह रति में एल.डी.एल. (अस्वस्र् कॉलेस्ट्रोल) के स्िर को बढाएगा। यह है कक
इस में लाल मााँस से कम कॉलेट्रोल होिा है परं िु पूणथ शाकाहार से बहुि ज़्यादा कॉलेस्ट्रोल होिा है
तयोंकक शाकाहार भोजन में कॉलेस्ट्रोल बबलकुल नहीं होिा है । और मछली में पाया जाने वाला सैचूरेर्ेड
वसा शाकाहार भोजन के मुकाबले कॉलेस्ट्रोल के स्िर को काफी बढा दे िा है ।28,29,30
2. पहले ददए गए एक वववरण के मुिाबबक 852 व्यक्तियों में ककए एक डच अदययन में लाल मााँस के
स्र्ान पर मछली खाने वाले लोगों में हृदय रोगों से मत्ृ यु के खिरे 50% धगरावर् आई- परं िु उनके
कॉलेस्ट्रोल के स्िर वही रहे , पण
ू थ शाकाहारी व्यक्तियों में हृदय रोगों से मत्ृ यु की दर में 86% िक की
धगरावर् आई।31,32
3. हवाथडथ द्वारा 44,895 व्यक्तियों में ककए गए एक अदययन में पाया गया कक उन पूरूर्ों में जो सप्िाह
में कई बार मछली का सेवन करिे हैं उनमें महीने में एक बार मछली खाने वोलों के क्जिना ही
हृदयाघाि होने के खिरे होिे हैं, और पाया गया कक महीने में एक या उससे भी कम मछली खाने
वालों के मक
ु ाबले हफ्िे में 6 से ज़्यादा बार मछली खाने वालों में धमननयों के रोगों का खिरा ज़्यादा
होिा है ।33
4. यह सच है कक मछली में ओमेगा 3 प्रचुर मात्रा में पाया जािा है परं िु यही ओमेगा 3 शाकाहार भोजन
से भी बबलकुल सुरक्षिि िरीके से पाया जा सकिा है । मछली में पशुओं के प्रर्ीन भी भारी मात्राओं में
पाए जािे हैं क्जनका संबंध ववपररि प्रभाव से है , क्जसके बारे प्रोर्ीन के लेतचर में भी ददया गया है ।
5. रीफ मछर्लयों 400 से भी अधधक प्रजानियों से ववर्ातिा (र्सगुवारे र्ा ववर्ातिा) की पुक्ष्र् हुई है , सार्
ही र्ूना मछली, और अथय मछर्लयों से भी (स्कोमब्रोयड ववर्ातिा)। हर साल 113,000 से अधधक
ववर्ातिा के केस समुद्री भोजन के कारण होिे हैं, पके और कच्चे, दोनों रूप में ।1
6. मछर्लयों में कई बार कई िरह के परजीवी पाए जािे है जो मनुष्यों को भा संक्रर्मि कर सकिे हैं। ये
हैं, गोलकृर्म, धचपर्े कृर्म, फीिाकृर्म, और फ्लूक।1
7. मछली और समुद्री भोजन का खास खिरा जैव आवधथन है । जैव आवधथन का िात्पयथ है “क्रर्मक पोर्ण
स्िर (ट्रॉवपक लेवल) पर अववर्ाति (ववर्ैले ित्वों) की सांद्रिा में वक्ृ दद होना। जैव आवधथन के कारण
34
आहार श्रंख
ृ ला के उच्चिर स्िर के जीवों को ननचले स्िर के जीवों से ज़्यादा हानन पहुाँचिी है ”।
उदाहरण के र्लए, पानी में कीर्नाशकों, भारी धािुओं, आदद बहुि र्ोडे मात्रओं में पाए जा सकिे हैं,
कफर पौधे और पादप प्लवक अपने कोर्शकाओं में इनका सांद्रिा बढािे हैं, कफर शाकाहारी मछली इन
पौधों को खा सकिी है , और इनकी सांद्रिा बढा सकिी है । इसके बाद मााँसाहारी मछली इन शाकाहरी
मछर्लयों को ख कर ववर्ैले ित्वों की सांद्रिा और भी बढा सकिी है । और िब तया होगा जब मनुष्य
इन मााँसाहारी मछर्लयों को खाएगा? उथहोंने ने ववर्ैले ित्वों का सेवन कर उनकी सांद्रिा अपने
कोर्शकाओं में और बढा दी, क्जसका पररणाम रोग है । ननचे डी.डी.डी. कीर्नाशक के जैव आवधथन का
मछली से जैव आवधधथि होने वाले ित्व हैं - कैंसर के कारक जैसे डाईऑक्तसन और पी.सी.बी, और सार् ही
कीर्नाशक, तलोररनेर्ेड हाईड्रोकाबथन, है लोजेननक ऑगेननक कम्पाउथड, डाईऑक्तसन, तलोरडेन, पारा, सीसा, और
नाव से ननकलने वाले कचरे । फलस्वरूप, 1996 में 47 प्रााँिों के 1740 से भी अधधक नददयें और झीलों के कुछ
मछर्लयों (जैसे र्ूना, शाकथ, ब्लूकफश, झील का ट्राउर्, और िाजे पानी के अथय मछर्लयााँ) को न खाने की
चेिावनी दी गई। गैसट्रोएनट्रीदर्स (उदर के सूजन का रोग), डडसेथट्री, और दहपार्ाईदर्स जैसे रोग कचरे के
नददयों में बह जाने से फैल सकिे हैं। इ.पी.ए. के मुिाबबक बायोएतयूमुलेशन के कारण जलीय जीवों में ववर्ैले
ित्वों की सांद्रिा मल
ू पानी से 1,000,000 गण
ु ा ज़्यादा हो सकिे हैं। जैव आवधथन का संबंध कैंसर के बढिे
खिरे , बढे हुए ट्राईक्ग्नलसेरॉयड और कॉलेस्ट्रोल स्िर से है , शुक्राणओ
ु ं की संख्या और प्रजनन िमिा प्रभाववि
करे , र्शशुओं और बालकों के ववकास को प्रभाववि करे , बच्चों और वयस्कों में िंत्र िंबत्रका और गुदे को िनि
पहुाँचाए, आई.तयू. कम करे , आदद (जैव आवधधथि ववर्ैले ित्व पर प्रभाव ननभथर करिे हैं)।1
यह सच है कक पौधे भी जैव आवधथन करिे हैं परं िु उपर ददए गए र्े बल के अनुसार वे पशुओं के उत्पादों, जो
आहार श्रंख
ृ ला में बहुि उपर होिे हैं, के मुकाबले उथमें ववर्ैले ित्वों की मात्रा बहुि कम होिी है ।
8. कैंसर. मछर्लयों में कैंसर के बढिे स्िर पाए गए हैं। एकेले एरी झील में ही, 30% बल
ु हे ड मछर्लयों में
यकृि के कैंसर पाए गए। यह धचंिा का ववर्य है तयोंकक क्जस िेत्रों के मछर्लयों में कैंसर ज़्यादा पाए
गए उन िेत्रों के लोगों में भी कैंसर से होने वाली मत्ृ यु दर ज़्यादा पाई गई। एरी झील में प्रदर्
ू ण
इिना ज़्यादा र्ा कक जब उसके सेडडमेथर्ों को चूहों पर लेप के िरह लगाया गया, िो उनमें त्वचा के
कैंसर ववकर्सि कर गए।36
मछलियों का मरना: 1993 में, कई प्रााँिों में कई मछर्लयााँ मर गई, और करोडों मछर्लयााँ कीर्नाशकों, िेल,
तलोरीन, अम्मोननया, भारी धािओ
ु ं, ववर्ैले ित्वों, और अथय कारणों से मर गई। सावधान ववचारक को यह
सवाल व्यधर्ि करिा है कक इन प्रदर्
ू कों से ककिनी मछर्लयााँ बबमार र्ीं जो मच्छुआरों द्वारा पकडी गई,
बाजारों में ले जाई गई, और आनजान व्यक्तियों द्वारा खाई गई जो यह सोच रहे र्े कक वे स्वस्र्
मछर्लयााँ खा रहे हैं ?
परं तु क्या यीशु ने मछिी नहीं खाया? हााँ, बाइबल कहिी है कक उथहोंने खाया। हलााँकक हमें यीशु के समय
और विथमान की पररक्स्र्नियों का िुलना करना चादहए:
रोग िेजी से बढ रहे हैं (काउथसेल्स ऑन डाईर् एंड फूड्स, प.ृ 145)
उन ददनों आज के मुकाबले बहुि कम “जंक आहार” र्ा जो मछली के सेवन से सार् र्मल
कर पीडा बढािे।
उन ददनों आज के मुकाबले मछर्लयों में बहुि कम बबमाररयााँ र्ीं।
पानी में जैव आवधथन के र्लए भी बहुि कम ववर्ैले ित्व र्े।
लोग ननयर्मि रूप से व्यायाम करिे र्े, और कई िरह के स्वस्र् जीवनशैली के आदिों को
अपनािे र्े जो मछली के सेवन से होने वाले िकलीफों को संिुर्लि करिे र्े।
मनुष्यों के उददार के संबंध में अपने 3 ½ साल के सेवपादप प्लवक काल में यीशु के पास
दयान दे ने के र्लए अत्यंि महत्वपूणथ कायथ र्े क्जसका महत्व उस समय मछली के सेवन से
ज़्यादा र्ा।
काउथसेल्स ऑन डाईर् एंड फूड्स, प. 366. “पशुओं में मनष्ु यों के बढिे पाप के अनप
ु ाि से रोग बढ रहे हैं।”
मैनुक्स्क्रप्र् रीलीज, वोल्युम 4, संख्या 1129, र्सिंबर 1, 1905. “बहुि सारे स्र्ानों पर मछर्लयााँ गंदगी
खाकर इिनी प्रदवू र्ि हो जािीं है कक वे रोग का कारण बन जािी है । यह खास कर िब होिा है जब
मछर्लयााँ बडे शहरों के कचरों के संपकथ में आिी है । नार्लयों में सामधग्रयों को खाने वाली मछर्लयााँ दरू के
स्वच्छ पानी में पहुाँच सकिी है और वहााँ पकडी जा सकिी है । इस िरह से जब वे भोजन के रूप में प्रयुति
होिे है , वे उन पर रोग और मत्ृ यु ले आिी है जो इस खिरे से बबललकुल अनजान हों।”
1.
Nedley, N. (1999). Proof positive. Ardmore, OK: Quality Books.
2.
Willet, W. C., Stampfer, M. J. et al. (1990). Relation of meat, fat, and fiber intake to the risk of colon cancer in a prospective study among women. New
England Journal of Medicine. 323(24):1664-1672
3.
van den Brandt, P. A., Goldbohm, R. A., et al. Cross-sectional versus longitudinal investigations of the diet-cancer relation. Epidemiology. 1(5):402-404.
4.
Giovannucci, E., Rimm, E. B, et al. (1994). Intake of fat, meat, and fiber in relation to risk of colon cancer in men. Cancer Res. 54(9):2390-2397.
5.
Steinmetz, K. A. & Potter, J. D. (1993). Food-group consumption and colon cancer in the Adelaide case-control study. I & II. Meat, poultry, seafood, dairy
foods and eggs. Int J Cancer. 53(5):711-727.
6.
Hirayama, T. (1978). Epidemiology of breast cancer with special reference to the role of diet. Preventive Medicine 7(2):173-195.
7.
Vatten, L. J., Solvoll, K. & Loken, E. B. (1990). Frequency of meat and fish intake and risk of breast cancer in a prospective study of 14,500 Norwegian
women. Int J Cancer. 46(1):12-15.
8.
Richardson, S., Gerber, M., & Cenee, S. (1991). The role of fat, animal protein and some vitamin consumption in breast cancer: a case control study in
southern France. Int. J Cancer. 48(1):1-9.
9.
Snowdon, D. A., Phillips, R. L., & Choi, W. (1984). Diet, obesity, and risk of fatal prostate cancer. American Journal of Epidemiology. 120(2):244-250.
10.
Giovannucci, E, Rimm, E. B, et al. (1993). A prospective study of dietary fat and risk of prostate cancer. J Natl Cancr Inst. 85(19):1571-1579.
11.
Rose, D. P., Boyar, A. P. & Wynder, E. L. (1986). International comparisons of mortality rates for cancer of the breast, ovary, prostate, and colon, and per
capita food consumption. Cancer. 58(11):2363-2371.
12.
Armstrong, B., & Doll R. (1975). Environmental factors and cancer incidence and mortality in different countries with special reference to dietary practices.
Int J Cancer. 15(4):617-631.
13.
Phillips, R. L., Snowdon, D. A., & Brin, B. N. Cancer in Vegetarians. In Wynder, E. L., Leveille, G. A., editors. (1983). Environmental Aspects of Cancer—The
Role of Macro and Micro Components of Foods. Westport, CT: Food and Nutrition Press.
14.
Mori, M., & Miyake, H. (1988). Dietary and other risk factors of ovarian cancer among elderly women. Jpn J Cancer Res. 79(9):997-1004.
15.
La Becchia, C., Decarli, A., et al. (1987). Dietary factors and the risk of epithelial ovarian cancer. J Natl Cancer Inst. 79(4):663-669.
16.
Chiu, B.C., Cerhan, J.R. et al. (1996). Diet and risk of non-Hodgkins lymphoma in older women. Journal of the American Medical Association. 275(17):1315-
1321.
17.
Craig, W. J. (1999). Nutrition and wellness. Berrien Springs, MI: Golden Harvest Books.
18.
CDC. (2015). Listeria (Listeriosis). Centers for Disease Control and Prevention. Retrieved June 4, 2015 from http://www.cdc.gov/listeria/
19.
Buehring, G. (2005). Bovine Leukemia Virus Infection and Human Breast Cancer Risk. University of California, Berkley. Retrieved June 4, 2015 from
http://cbcrp.org.184.seekdotnet.com/research/PageGrant.asp?grant_id=1815
20.
MSU. (2015). BLV in the USA. Michigan State University: College of Veterinary Medicine. https://cvm.msu.edu/alumni-friends/continuing-education/blv-in-
the-usa
21.
Cho, S. N., Brennan, P. J., et al. (1986). Mycobacterial aetiology of Crohn’s disease: serologic study using common mycobacterial antigens and a species-
specific glycolipid antigen from Mycobacterium paratuberculosis. Gut. 27(11):1353-1356.
22.
Mycobacterium paratuberculosis implicated in Crohn’s Disease. (1995). Gastroenterology Observer. 14(6):4-5.
23.
Streeter, R.N. Hoffsis, GF, et al. (1995). Isolation of Mhycobacterium paratuberculosis from colostrum and milk of subclinically infected cows. Am J Vet Res.
56(10):1322-1324.
24.
Grant, I.R., Ball H. J., et al. (1996). Inactivation of Mycobacterium paratuberculosis at pasteurization temperatures. Appl Environ Microbiol. 62(2):631-636.
25.
Gandi, R. & Snedeker, S.M. (2000). Consumer concerns about hormones in food. Program on Breast Cancer and Environmental Risk Factors in New York
State. Retrieved October 25, 2012, from, http://envirocancer.cornell.edu/Factsheet/Diet/fs37.hormones.cfm
26.
Kromhout, D, Bosschieter, E.B., & de Lezenne Coulander, C. (1985). The inverse relation between fish consumption and 20-year mortality from coronary
heart disease. N Engl J Med. 312(19):1205-1209.
27.
Phillipson, B.E., Rothrock, D.W., et al. (1985). Reduction of plasma lipids, lipoproteins, and apoproteins, by dietary fish oils in patients with
hypertriglyceridemia. N Engl J Med. 312(19): 1210-1216.
28.
Diagnostic Dilemmas: too much of a good thing. Cholesterol and coronary heart disease.... Reducing the risk. 1987;1(5);13-14.
29.
Wilt, T.J., Lofgren, R.P, et al. (1989). Fish oil supplementation does not lower plasma cholesterol in men with hypercholesterolemia. Results of a
randomized, placebo-controlled crossover study. Ann Intern Med. 111(11):900-905.
30.
Suzakawa, M., Abbey, M, et al. (1995). Effects of fish oil fatty acids on low density lipoprotein size, oxidizability, and uptake by macrophages. J Lipid Res.
36(3):473-484.
31.
Kromhout, D, Bosschieter, E.B., & de Lezenne Coulander, C. (1985). The inverse relation between fish consumption and 20-year mortality from coronary
heart disease. N Engl J Med. 312(19):1205-1209.
32.
Phillips, R. Lemon, F. & Kuzma, J. (1978). Coronary heart disease mortality among Seventh-day Adventist with differing dietary habits. Am J Clin Nutr. 31(10
Suppl):S191-S198.
33.
Asherio, A., Rimm, E.B., et al. (1995). Dietary intake of marine n-3 fatty acids, fish intake, and the risk of coronary disease among men. N Engl J Med.
332(15):977-982.
34.
Biomagnification. (2005). In The American Heritage Science Dictionary. Retrieved October 25, 2012, from
http://www.thefreedictionary.com/biomagnification
35.
Nadakavukaren, A. (1990). Pests and pesticides. In: Man and environment, A health perspective, (3rd ed.). Prospect Heights, IL: Waveland Press.
36.
Craig, W.J. (1992). Fishing for Trouble. In: Nutrition for the nineties. Eau Claire, MI: Golden Harvest Books.
अध्याय 7- पशओ
ु ं के उत्पादों का प्रयोग और मनष्ु य के स्वास््य पर खतरे ,
भाग II
प्रेररत सिाह
काउथसेल्स ऑन डाईर् एंड फूड्स, पृ. 355. ([सी.र्ी.बी.एच. 47] (1890) सी.एच. 114, 115)। “सरलिा से
पकाए गए फल, अनाज, और सक्ब्जयााँ, जो मसाले और हर िरह के िेल रदहि हों, दध
ू या क्रीम के सार्
सबसे स्वस्र् आहार ,बनिे हैं। वे शरीर को पोर्ण दे िे हैं और सहनशक्ति और बक्ु दद िेज करिे हैं जो
उिेजना पैदा करने वाले आहार से नहीं र्मलिा है ।”
यूननयन कॉथरेंस रे काडथ (ऑस्ट्रालेर्शयन), जुलाई 28, 1899। “मुझे दी गई रोशनी के मुिाबबक वह ददन दरू
नहीं जब हमें सभी िरह के पशुओं के उत्पादों को त्यागना पडेगा। यहााँ िक की दध
ू भी त्यागना होगा। रोग
िेजी से बढ रहा है ।”
काउथसेल्स ऑन डाईर् एंड फूड्स, पृ. 352. (लेर्र 98, 1901)। “स्वास््य सुधार के ननयमों को बढवा दे िे
वति यह खिरा है कक कुछ लोग अच्छे बदलावों के बजाय बदिर बदलावों को लाने के पि में रहें गे।
स्वास््य सध
ु ार को कभी भी उग्र रूप न दें । विथमान पररक्स्र्नि में , हम ननक्श्चि रूप से यह नहीं कह सकिे
कक दध
ू , अण्डे, और मतखन को पूरी िरह से त्यागना होगा। हमें नए नुस्खे बनाने से बचना चादहए तयोंकक
ऐसे ककिने ही ईमानदार जन हैं जो इस िरह के चरम र्शिाओं के प्रभाववि होकर चरमपंर्ी हो जाएाँगे।
उनका रूप स्वास््य सुधार के काम को हानन पहुाँचाएगा; तयोंकक बहुि ही कम लोग जानिे है कक क्जस चीज
को वे त्याग रहे हैं उसके स्र्ान को ककस वस्िु से भरा जाए।”
काउथसेल्स ऑन डाईर् एंड फूड्स, पृ. 353. (लेर्र 37, 1901)। “जब में गरीबों को सस
ु माचार सन
ु ािी हूाँ,
मझ
ु े ननदे श ददया जािा है कक मैं उथहें सबसे अधधक पोर्ण दे ने वाले भोजन खाने को कहूाँ।”
काउथसेल्स ऑन डाईर् एंड फूड्स, पृ. 359. (लेर्र 151, 1901)। “हम दे ख रहे हैं कक मवेशी बहुि ज़्यादा
बबमार होने लगे हैं, यह जगि ही भ्ष्र् है , और हम जानिे हैं कक जल्द ही वह समय आ जाएगा जब दध
ू
और अण्डे त्यागना बेहिर होगा। परं िु वह समय अब िक नहीं आया है । हम जानिे हैं कक जब वह समय
आएगा, प्रभु हमारे र्लए उपाय करे गा।... सारे जगि में दध
ू और अण्हे का स्र्ान लेने के र्लए व्यवस्र्ा हो
जाएगा। और परमेश्वर हमें बिाए कक कब इन वस्िओ
ु ं के त्यागना है ।... परमेश्वर अपने लोगों को पोर्ण
और पाक कला दे गा, और उथहें स्वस्र् जीवन के र्लए जगि के उत्पादों का इस्िेमाल करना र्सखाएगा।”
र्े स्र्ीमनीज र्ू द चचथ, वोल्युम 7, पृ. 135 (1902)। “उथहें बिाओ कक जल्द ही वह समय आएगा जब
अण्डे, दध
ू , मलाई या मतखन का सेवन सुरक्षिि नहीं रह जाएगा, तयोंकक पशुओं में मनष्ु य के बढिे पाप के
अनुपाि से रोग बढ रहे हैं। वह समय नजदीक है जब, मानव जानि के पाप के कारण, संपूणथ पशु सक्ृ ष्र्
रोग के पीडा से कराहें गे जो हमारे जागि को शावपि ककए हुए हैं।”
र्मननस्ट्री ऑफ हीर्लंग, पृ. 320, 321 (1905)। “जो लोग नए दे शों में या गरीब प्रााँिों में रहिे हैं, जहााँ फलों
और बदामों की कमी है , उनसे दध
ू और अण्डे त्यागने का आग्रह नहीं करना चादहए। यह सच है जो लोग
परू ी रूधच से मााँस खािे हैं, उथहें उिेक्जि करने वाले आहार से दरू रहना चादहए। खास कर उन पररवारों के
बच्चों के र्लए जो कामक
ु आदिों के आदद हैं, अण्डे का प्रयोग नहीं करना चादहए। परं िु उन लोगों के र्लए
क्जनके खून बनाने वाले अंग कमजोर हैं,- खास कर िब जब जरूरी ित्वों की आपूनिथ के र्लए अथय आहार
उप्लब्ध न हो,- दध
ू और अण्डे पूरी िरह से त्यागे नहीं जाने चादहए। स्वस्र् गायों से दध
ू और स्वस्र्
मुधगथयों से अण्डे प्राप्ि करने में बहुि सावधानी बरिनी चादहए, क्जथहें अच्छी िरह खखलाया जािा हो, और
क्जनका ख्याल रखा जािा हो; और अण्डे को इस िरह पकाएाँ कक वह आसानी से पच जाए।”
“आहार सध
ु ार प्रगनिशील होना चादहए। पशुओं में जैसे जैसे रोग बढिे जाएाँगे वैसे ही दध
ू और अण्डे का
इस्िेमाल असुरक्षिि होिा जाएगा। उनके स्र्ान पर अथय स्वास््यवधथक सस्िे आहार का इस्िेमाल करने की
कोर्शश की जानी चादहए। सभी जगह के लोगों को, क्जिना हो सके, अण्डे और दध
ू के बगैर, परं िु
स्वास््यवधथक और सुपाच्य भोजन पकाना र्सखाया जाना चादहए।”
र्े स्र्ीमनीज र्ू द चचथ, वोल्युम 9, पृ. 162 (1909)। “अण्डे में कुछ ऐसे गुण हैं जो कुछ िरह के ववर्ों को
नष्र् करिे हैं। कुछ लोग दध
ू , अण्डे, और मतखन त्यागने के बाद शरीर को उधचि पोर्ण दे ने में नाकाम रहे
हैं और इस कारण कमजोर हो गए हैं और काम नहीं कर पा रहे हैं । इस िरह से स्वास््य सुधार की छवव
खराब हुई है ।”
दि
ू प्रयोग की दवु विा
वसा की मात्रा और हृदवाहहनी के रोग: डेयरी उत्पादों वाले आहार में - पनीर, आईस्क्रीम, दध
ू , मतखन, दही-
काफी मात्रा में कॉलेस्ट्रोल, सैचरू े र्ेड वसा, और पशु प्रोर्ीन पाए जािे हैं। जैसा की वपछले लेतचर में बिाया
गया है , आहार क्जनमें ये ित्व अधधक मात्राओं में पाए जािे हैं, वे हृदय रोग, और अथय गंभीर रोगों के
खिरों को बढािे हैं। डेयरी का प्रयोग हृदय रोग के दर को प्रदवर्थि करने वाला सबसे अच्छा सूचक है ।1
दध
ू से अनिसंवेदनशीलिा भी होिी है । उथहें वास्िववक एलजी नहीं कहा जािा है परं िु अनेक िरह के अवप्रय
लिण दे खे जा सकिे हैं जैसे: कान के संक्रमण, िनाव से र्सरददथ , दमा, सााँस लेने में िकलीफ, संकुचन,
बबस्िर में पेशाब होना, और अनिकक्रयशीलिा। ये समस्याएाँ अथय कारणों से भी हो सकिी है , परं िु जााँच
करने के र्लए एक माह िक डेयरी उत्पादों से परहे ज करने पर पिा चल जािा है कक ये समस्याएाँ डेयरी के
कारण हो रही है या नहीं।2
मिम
ु ेह, टाइप 1: कफनलैंड अथय स्र्ानों में हुए अदययन में जेनेदर्क रूप से संवेदनशील व्यक्तियों में
इनसुर्लन-ननभथर (र्ाइप 1 या ककशोर शुरूआि मधुमेह) मधुमेह और डेयरी के प्रयोग का संबंध दशाथिे हैं।
माना जा रहा है कक र्शशुओं को गाय का स्िनपान से रोगप्रनिरोधक प्रणाली दध
ू में पाए जाने वाले 2
प्रोर्ीनों को सफलिा से ववदे शी ित्वों के रूप में पहचान लेिी है , परं िु उसके बाद उथहीं के समान ददखने
वाले अग्ननाशय के बीर्ा कोर्शकाओं को ननशाना बनािी है जो इनसुर्लन का उत्पादन करिे हैं, और उथहें
नष्र् कर दे िी है , और इस प्रकार से र्ाइप 1 मधुमेह हो जािा है ।2,8
दष
ू ण:
2
दध
ू में कई िरह के दर्
ू क होिे हैं जैसे, जीवाणु, एंर्ीबायोदर्क, कीर्नाशक, और हॉमोन।
पाश्चुररकरण में दध
ू को 15 सेकेंडों के र्लए 161°F िापमान पर गमथ ककया जािा है । इस िापमान
में जीवाणुओं की संख्या काफी कम हो जािी है , कफर भी कई जीवाणु रह सकिे हैं। यू.एस. पक्ब्लक
हे ल्र् सववथस के मानकों के अनुसार दध
ू के प्रनि र्म.र्ल. में 20,000 बैतर्े ररया और 10 कोर्लफोमथ
(पैखाने से E. coli) बैतर्े ररया से ज़्यादा न हो। यह 8 आथस के एक प्याले में 4.8 र्मर्लयन
बैतर्े ररया और िकरीबन 2,500 E. coli के बराबर है । कुछ वाइरस पाश्चरु रकरण के बाबजद
ू बच
सकिे हैं। जैसे ल्यूकेर्मया, पैवपलोमा, और साकोमा के वाइरस।2
रोग उत्पथन करने वाले बैतर्े ररयों के दर्
ू ण में शार्मल है : सालमोनेल्ला, यसीननया, र्लस्र्े ररया,
कैम्पाईलोबैतर्र, माईकोबैतर्े ररयम पाराट्यूबरकूलोर्सस, और सार् ही ब्रूसेलोर्सस, स्ट्रे प, और तयू
बुखार पैदा करने वाले बैतर्े ररया। कुछ दे र िक दध
ु उबाले से ये जीवाणु मारे जा सकिे हैं। कफर भी
वप्रयोनों को उबालकर नहीं मारा जा सकिा है । शोधकिाथ अब भी ननक्श्चि नहीं हैं कक दध
ू से वप्रयोन
फैल सकिे हैं या नहीं।2
संक्रमण से बचाने और ववकास िेज करने के र्लए गायों को कई बार एंर्ीबायोदर्क दी जािी है । ये
एंर्ीबायोदर्क कई बार दध
ू द्वारा मनुष्यों में आ सकिे हैं व्यक्ति को एंर्ीबायोदर्क रोधी बना सकिे
हैं।2
सार् ही, यू.एस. में गायों में ररकॉक्म्बनेथर् बोवाइन ग्रोर् हॉमोन (rBGH) का प्रयोग ककया जािा है
क्जससे दध
ू का उत्पादन बढिा है । स्वास््य समस्याओं के खिरों के कारण यरू ोपयन यनु नयन ने
ग्रोर् हॉमोन के प्रयोग पर और ऐसे मााँस और दध
ू के आयाि पर क्जनपर कृबत्रम ग्रोर् हॉमोन का
प्रयोग ककया गया हो, प्रनिबंध लगा ददया है ।2,14
कीर्नाशक, ववर्ैले ित्व, और भारी धािु गायों में बढिे जािे हैं और उनके दध
ू में भी र्मल जािे
हैं। इन में कई ववर्ैले ित्व शरीर से आसानी से नहीं ननकलिे हैं और शरीर में हाननकारक स्िरों
िक बढ जािे हैं।2
अण्डों की समस्या
कॉिेस्रोि: अण्डे के पीले भाग में भारी मात्रा में कॉलेस्ट्रोल पाया जािा है (एक अण्डे के पीले भाग में 200-
212 र्म.ग्रा. कॉलेस्ट्रोल)।15 कॉलेस्ट्रोल के अत्यधधक सेवन का संबंध हृदय रोगों के बढिे खिरे (खासकर
ऑतसीडाईज़्ड कॉलेस्ट्रोल जो सूखे पूड्डडंग, मकफन, पैनकेकों और इस िरह के अथय र्मश्रणों में पाए जािे हैं)
और फेफडो, स्वासनली, और अण्डाशय के कैंसरों से जोडा गया है । अण्डों में भारी मात्रा मं सैचूरेर्ेड वसा
पाया जािा है , क्जसका संबंध हृदय रोग के बढिे खिरे से है (वसा के लेतचर को दे खें)।
प्रत्यरू जता: प्रत्यरू जिा का आम कारण, और संवेदनशील व्यक्तियों में दमा में योगदान दे ।2,16
कैंसर: अण्डों के अत्यधधक सेवन करने वालों में आाँिों के कैंसर का खिरा 6 गण
ु ा ज़्यादा रहिा है ।
एक अदययन में आाँि और अण्डाशय दोनों के कैंसर, और प्रोस्र्े र् कैंसर से होने वाले मौिों को अण्डे के
सेवन से संबंधधि पाया गया। येल ववश्वववद्यालय के दस
ू रे अदययन में पाया गाया कक प्रत्येक 100 र्म.ग्रा.
अण्डे के कॉलेस्ट्रोल के सेवन से मदहलाओं में अण्डाशय कैंसर का खिरा 42% बढ जािा है । 18,19,20
र्बैक्टे ररया दष
ू ण: अण्डों में अतसर सालमोनेल्ला एनट्रीडडस मौजूद रहिा है - दोनों, नछलके के अंदर और बाहर,
21
और इससे उल्र्ी, पेर् ददथ , दस्ि, बख
ु आर, सरददथ , और यहााँ िक की गंभीर परे शाननयााँ जैसे मेनननजाईदर्स,
रति में संक्रमण, और गंभीर गदिया हो सकिा है 21 और कुछ लोगों की मौि भी हो सकिी है (सालमोनेल्ला
को मारने के र्लए अण्डों को कम से कम 7 र्मनर्ों िक उबालना होिा है )। 2,22 कम्पाईलोबैतर्र दस
ू रा रोग
उत्पथन करने वाला बैतर्े ररया है जो अण्डों के अपयाथप्ि जीवाणुनक्ष्र्करण से फैलिा है (मााँस के नीचे ददए
गए लेख को दे खें)।
वाइरसें: अण्डों में कई िरह के वाइरस पाए जािे हैं। शोधकिाथ खोज कर रहे हैं कक वाइरस मनुष्यों में आकर
रोग पैदा कर सकिे हैं या नहीं।23
चीज़ और स्वास््य
सेलेतर्े ड मेसेजेस, वोल्युम 3, पृ. 287। “यह सवाल कक तया हमें मतखन, मााँस, या चीज, खाना चादहए या
नहीं, ककसी के समि जााँच के रूप में नहीं ककया जाना चादहए, परं िु हमें दस
ू रों को उन चीजों के बरु ाईयों को
दशाथना है जो भले नहीं है ।”
“हमें चाय, कॉफी, िम्बाकू, और शराब को पापी शौकों के रूप में प्रस्िूि करना है । हम मााँस, अण्डे, मतखन,
चीज, और इस िरह के अथय वस्िुओं को भी इसी श्रेणी में नहीं रख सकिे। इथहें हमारे कायथ के भार के
रूप में सबसे सामने नहीं रख सकिे।”
काउथसेल्स ऑन डाईर् एंड फूड्स, पृ. 368। “चीज (पनीर) का प्रभाव बूरा है ।”
र्े स्र्ीमनीज र्ू द चचथ, वोल्यूम 2, पृ. 68। “पेर् में कभी भी चीज को नहीं जाना चादहए।”
द र्मननस्ट्री ऑफ हीर्लंग, पृ. 302 (1905)। “मतखन को पका कर खाने से कम हाननकारक िं डे पावरोर्ी में
लगा कर खाना है ; परं िु बेहिर यह होगा कक उसे पूरी िरह से परहे ज ककया जाए। चीज, कफर भी, अधधक
बूरा है ; [एलेन व्हाईर् की अनुमनि से, जमथन भार्ा में क्जसका अनुवाद “कडा, चोखा चीज” ककया गया है ]यह
भोजन के र्लए उप्युति नहीं है ।”
साधे िौर पर कह सकिे है , एलेन व्हाईर् कहिी है कक चीज के प्रभाव शरीर के र्लए हाननकारक है , परं िु
कहिी है कक उसके प्रयोग में हमें नहीं बनना चादहए या उसे पररिा के रूप में नहीं प्रयोग करना चादहए।
वसा और कॉिेस्रोि:
िैयार चीज में वसा की मात्रा 23-34% होिी है (उन चीजों को छोड क्जनका वसा खास िौर पर
कम ककया गया हो)24
कई चीजों में सैचूरेर्ेड वसा और कॉलेस्ट्रोल की मात्रा काफी ज़्यादा होिी है , और दोनों ही हृदय
रोग के खिरे को बढािे हैं (“वसा” के िहि ददए गए लेतचर दे खें)।
ऑतसीडाईजड कॉलेस्ट्रोल हृदय रोग के खिरे को बढािा है (“कॉलेस्ट्रोल” के िहि ददए गए लेतचर
दे खें)। िैयार चीज में ऑतसीडाईजड कॉलेस्ट्रोल प्रचुर मात्रा में पाया जािा है 25
ववषैिे तत्व: चीज के िैयार होने के दौरान, बहुि सारे चीजों में “बायोजेननक अमीन” ट्राईअमीन और
दट्रप्र्ामीन, एक िरह के रसायन जो कृबत्रम रूप से िंत्र िंबत्रका को उिेक्जि करिे हैं, क्जथहें कृबत्रम-
थयूरोट्रााँसर्मर्र भी कहिे हैं, ववकर्सि होिे हैं। वे ददमाग के समाथय एलेतट्रक संदेशों में भी गडबडी लािे हैं।
माना जा रहा है कक उनके और हल्के स्वभाववक क्स्र्नियों और दस्
ु वपनों में संबंध है । शराब के सार् सेवन
करने पर, अदययन यह भी ददखािे हैं कक कैंसर के ववकास में दट्रप्र्ामीन का महत्वपूणथ भूर्मका है । कुछ
पररस्र्नियों में दट्रप्र्ामीन का संबंध प्रीर्सवपर्े दर्ंग अररदर्मया से है ।26,27
चीज में पाए जाने वाले कुछ अमीन पेर् में मौजूद नाईट्रे र्ों से प्रनिय़कक्रया के फलस्वरूप नाईट्रोसामीन में
िबदील होिे हैं, जो कैंसर उत्पथन करने वाला कारक है । 23
“कुछ ककस्मों के चीज को “िैयार” और ककक्ण्वि करने के दौरान होने बदलावों में रोकफोर्ीन नामक ववर्ैला
अल्कालोय्ड, एक थयूरोर्ॉक्तसन हो जो चूहों में र्मगी पैदा कर सकिा है , शार्मल है । िकरीबन सभी नीले
चीजों में रोकफोर्ीन मौजूद होिा है । यह अल्कालोय्ड पेननर्सर्लयम रोकफोर्ी नामक फफूाँद से उत्पथन होिा
है ।”23 स्र्े ररगमैर्ोर्सदर्न, एक कैंसर कारक है जो पुराने, फफूाँदी चीज के र्ुकडों में पाए जाने वाले फफूाँद में
उत्पाददि होिे हैं। 29
अन्य धचंताएुँ:
यू.एस. में सप्िाह में 1 से कम बार चीज खाने वाली मदहलाओं के मुकाबले सप्िाह में 2 से अधधक बार
खाने वाली मदहलाओं में अण्डाशय कैंसर का खिरा दग
ु ना पाया गया। अजेंर्ीना में चीज के अधधक सेवन से
31
आाँि के कैंसर का खिरा दग
ु ना पाया गया।
डेयरी दध
ू से होने वाले लगभग सभी खिरे चीज से भी होिे हैं, र्सवाय यह कक जो लोग लैतर्ोज नहीं पचा
पािे वे चीज को बेहिर पचा पाएाँगे तयोंकक अधधकांश लैतर्ोज पूराने ककए जाने की प्रकक्रया के दौरान र्ूर्
जािे हैं।32
1.
Nedley, N. (1999). Proof positive. Ardmore, OK: Quality Books.
2.
Lanou, A. J., Berkow, S. E., Barnard, N. D. (2005). Calcium, dairy products, and bone health in children and young adults: a reevaluation
of the evidence. Pediatrics. 115(3):736-43.
3.
La Vecchia, C., Negri, E., et al. (1991). Dairy products and the risk of prostatic cancer. Oncology. 48(5):406-410.
4.
Snowdon, D. A. (1988). Animal product consumption and mortality because of all causes combined, coronary artery disease, stroke,
diabetes, and cancer in Seventh-day Adventists. Am J Clin Nutr. 48(3 Suppl): 739-748.
5.
Rose, D. P., Boyar, A. P. Wynder, E. L. (1986). International comparisons of mortality rates for cancer of the breast, ovary, prostate, and
colon, and per capita food consumption. Cancer. 58(11):2363-2371.
6.
Whitney, E. & Rolfes, S. R. (2008). Understanding nutrition. Belmont, CA: Thomson Higher Education.
7.
Wilson, N. W. & Hamburger, R. N. (1988). Allergy to cow’s milk in the first year of life and its prevention. Ann Allergy. 61(5):323-327.
8.
Vaarala, O., Paronen, J., Otonkoski, T., & Akerblom, H. K. (1998). Cow milk feeding induces antibodies to insulin in children—a link
between cow milk and insulin-dependent diabetes mellitus? Scand J Immunol. 47(2):131-5.
9.
Stockman, J. A. 3rd. (1992). Iron deficiency anemia. In: Behrman, R. E., editor. Nelson Textbook of Pediatrics (14th ed.). Philadelphia: WB
Saunders Company.
10.
Oski, F. A. (1993). Iron deficiency in infancy and childhood. N Engl J Med. 329(3):190-193.
11.
Pennington, J. A. (1989). Supplementary Tables: Sugars. In: Bowes and Church’s Food Values of Portions Commonly Used (15th ed.).
Philadelphia: JB. Lippencott Co.
12.
MedicineNet. (2012). Iron supplements - oral, Feosol, Fer-In-Sol, Slow-Fe. MedicineNet. Retrieved October 25, 2012, from
http://www.medicinenet.com/iron_supplements-oral/article.htm
13.
Scariati, P. D., Grummer-Strawn, L. M., & Fein, S. B. (1997). A longitudinal analysis of infant morbidity and the extent of breastfeeding in
the United States. Pediatrics. 99(6):E5.
14.
Gandi, R. & Snedeker, S.M. (2000). Consumer concerns about hormones in food. Program on Breast Cancer and Environmental Risk
Factors in New York State. Retrieved October 25, 2012, from, http://envirocancer.cornell.edu/Factsheet/Diet/fs37.hormones.cfm
15.
(2008). Diet Analysis+, Version 8.0.1. Thomson Wadsworth.
16.
James, J. M., Eigenmann, P. A., et al. (1996). Airway reactivity changes in asthmatic patients undergoing blinded food challenges. Am J.
Respir. Crit. Care Med. 153(2): 597-603.
17.
Steinmetz, K.A. & Potter, J.D. (1993). Food-group consumption and colon cancer in the Adelaide case-control study. II Meat, poultry,
seafood, dairy foods and eggs. Int J Cancer. 53(5):720-727.
ववटालमनें
ववर्ार्मनें प्रभावशाली, जैववक, जरूरी पोर्क ित्व हैं जो हमारे द्वारा खाए जाने वाले भोजन में पाए जािे हैं।
वे ऊजाथ उत्पथन नहीं करिे हैं और उनकी जरूरि र्ोडी मात्राओं में होिी है । ववर्ार्मनें एथजाईमों
(कोएनजाईमों) को काबोहाईड्रेर्ों, वसा, और प्रोर्ीनों से ऊजाथ उत्सक्जथि करने में मदद करिा है , चयपचाय को
ननयंबत्रि करने में मदद करिा है , प्रजनन, ववकास और प्राण और स्वास््य के र्लए जरूरी है । उथहें पानी
(खास कर पानी में घुलनशील), वति, िापमान, वायु, कार्ने और िारीय ित्वों (बेककं ग सोडा) से नष्र् ककया
जािा है ।
जि-घुिनशीि ववटालमन आहार के िरल भागों में पाए जािे हैं, रति में सीधे िौर पर अवशोवर्ि होिे हैं,
अनिररति मात्रा गुदों द्वार छान ददए जािे हैं, अलग अलग अवधधयों के र्लए रख र्लए जािे हैं, परं िु इनका
सेवन ननयर्मि रूप से ककया जाना चादहए। बी ववर्ार्मनें, ववर्ार्मन सी, और फोर्लक ऐर्सड जल-घल
ु नशील
ववर्ार्मन है
वसा-घुिनशीि ववटालमन आहार के वसा में पाए जािे हैं; अवशोर्ण के र्लए आहार में वसा जरूरी है । वे
पानी में नहीं घुलिे हैं और उथहें पाचने के र्लए वपि की जरूरि होिी है । वे र्लम्फेदर्क प्रणाली में
अवशोवर्ि ककए जािे हैं, जो उथहें रति में पहुाँचािी है । अनिररति ववर्ार्मन यकृि या वसा कोर्शकाओं में
िब िक के र्लए रख र्लए जािे हैं जब िक की उनकी जरूरि न हो। इसर्लए, इन ववर्ार्मनों का कभी
कभी उच्च मात्राओं में सेवन ककया जा सकिा है । चाँकू क ये आसानी से ननष्कार्सि नहीं हो पािे, वसा-
घुलनशील ववर्ार्मनों के ववर्ातििा का खिरा कहीं ज्यादा होिा है । ववर्ातििा ननयर्मि सेवन से संभव है ,
परं िु यदद इसे र्सफथ संिुर्लि आहार से र्लया जाए, िो कोई परे शानी नहीं होगी। ववर्ार्मन ए, डी, इ, और
के वसा-घुलनशील है ।
खननज
इसके ववपररि, खननज, अजैव ित्व हैं क्जनकी जरूरि जीववि कोर्शकाओं द्वारा उधचि संरचना और कायथ
करने के र्लए है । वे र्मट्र्ी में पाए जािे हैं और हम उथहें भोजन के द्वारा प्राप्ि करिे हैं। उथहें आसानी
नष्र् नहीं ककया जा सकिा, और वे अपने रसायननक गुणों को बनाए रखिे हैं। खननज शारीररक द्रव्यों के
उधचि अनप
ु ाि, और उनके उधचि रसायननक संिल
ु न बनाए रखने में मदद करिे हैं, रति और अक्स्र् के
ननमाथण में जरूरी, िंत्र िंबत्रका के कायथ को बनाए रखने के र्लए जरूरी, मााँसपेर्शयों के स्वास््य के र्लए,
ववर्ार्मनों एवं अथय पोर्कों के उधचि उपयोग के र्लए जरूरी, और ववकास, ऊजाथ, और चंगाई के र्लए
कोएथजाइम के रूप में काम करे ।
मुख्य खननज (शरीर में 5 ग्रा. या उससे ज्यादा) जैसे कैक्ल्शयम, मैनेर्शम, पोर्ै र्शयम, गंधक, सोडडयम,
तलोराइड, और फोस्फोरस
ननम्नर्लखखि सारणी में ववर्भथन ववर्ार्मनों और खननजों के कायथ, स्रोि, कमी के लिण, अत्यधधक सेवन के
लिण ददए गए हैं:
ए (वसा घि
ु नशीि) एंर्ीऑतसीडेंर्, संिरे /गहरे हरे /पीले अंधेपन, राि के यकृि की िनि
रोगप्रनिरोध (खासकर फल एवं सक्ब्जयााँ, अंधेपन का एक मात्र
बच्चों में ), नेत्र मााँ का दध
ू ननरोदय कारण
ज्योनि, बढने,
एवपधर्र्लयल
कोर्शकाओं की
सम्पूणि
थ ा, प्रजनन
डी (वसा घुिनशीि) हड्डडयों, दााँि धूप (त्वचा के ररकेट्स (मुडे पााँव या नमथ िंिुओं में
(हड्डडयों में कैक्ल्शम कॉलेस्ट्रोल से एक दस
ू रे र्करािे जमाव (गुदे,
के अवशोर्ण में ननर्मथि: हल्के रं ग घर्
ु ने, पंजरों मं गााँि, आदद)
मदद करे ) के व्यक्तियों के बाहर की ओर मुडा
र्लए 10-15 र्मनर् छािी),
सप्िाह में कई ओक्स्र्योमैलेर्सया
बार, गहरे रं ग (हड्डडयों का नमथ
वालों के र्लए 3+ होना)
घंर्े सप्िाह में कई
बार), दृदढकृि दध
ू ,
अण्डे
इ (वसा घि
ु नशीि) एंर्ीऑतसीडेंर्, पॉर्लसैचूरेर्े फैर्ी दल
ु भ
थ
र्बी12 (काम करने नसों, लाल रति पशुओं के उत्पाद, (मैक्रसायदर्क) घािक
के र्लए फोलेर् का कोर्शकाओं, डीएनए, दृदढकृि आहार अनेर्मया (खून का
जरूरि) आरएनए, ऊजाथ कमी), नसों का
उत्सजथन में अपररविथनीय िनि,
कोएथजाइम कमजोर मााँसपेर्शयााँ
िापमान से नष्र् हो िनाव में मदद करे र्मचथ, आलू, हल्के चोर् में भी खून
सवथस्रेष्ि) कीवी
सोडडयम द्रव्य, िंत्र िंबत्रका नमक, अधधकांश मााँसपेर्शयों में ऐंिन, उच्च रतिचाप
*<2 ग्रा. प्रनिदन और मााँसपेर्शयों का भोजन में ववर्भथन इडेमा
लेने का सलाह= 5 कायथ, रतिचाप मात्राओं में मौजद
ू
1
ग्रा. नमक प्रनिददन
पोटै लशयम द्रव्य, िंत्र िंबत्रका संपूणथ आहार कमजोर मााँसपेर्शयााँ, हृदय का
और मााँसपेर्शयों का (अनाज व हृदय का असमाथय असमाथय लय में
कायथ सक्ब्जयााँ) लय में धडकना धडकना
कैब्ल्शयम हड्डडयााँ, दााँि, हरी सक्ब्जयााँ, निल ररकेट्स, दर्र्े नी गदे में पत्र्र
मााँसपेर्शयों का कायथ, का बीज, र्ोफू, (मााँसपेर्शयों में ऐंिन
रतिचाप डेयरी व ददथ उिना), अक्स्र्
सुवर्रिा
मैग्नेलशयम हड्डडयााँ, दााँि, सम्पूणथ आहार दर्र्े नी (मााँसपेर्शयों में अनि (गोर्लयााँ)
मााँसपेर्शयों का कायथ ऐंिन व ददथ उिना), जानलेवा हो
हृदय का असमाथय सकिी है
लय से धडकना
ब्ज़ंक घाव भरने, बढने फर्लया, बदामों, मदय पूवथ में , घाव खून की कमी, गुदे
और ववकास, संपूणथ अनाज, जल्दी न भरना, की ननक्ष्क्रयिा
रोगप्रनिरोध, स्वाद खमीर, मााँस, संक्रमण की अत्यधधक
इंदद्रयों के र्लए पौल्ट्री, मछली खिरा, दस्ि, भूख न
लगना, बाल झडना,
लडकों के यौन अंगों
का धीमा ववकास,
स्वाद महसूस न
करना
ववटालमन र्बी12
यह मनष्ु य के स्वास््य के र्लए एक महत्वपण
ू थ ववर्ार्मन है । यह लाल रति कोर्शकाओं के उत्पादन, िंबत्रका
िंत्र के स्वास््य, और अथय के र्लए महत्वपूणथ है । बी12 की कमी के लिणों में शार्मल हैं मैक्रोसाईदर्
अनेर्मया (क्जसमें लाल रति कोर्शकाएाँ समाथय से अधधक बडी हो जािीं हैं), िंबत्रका िंत्र में समस्याएाँ जैसे
कुछ महसूस न होना, पैरों में झनझनहर्, संिुलन में समस्याएाँ, धचडधचडापन, दयान न लगना, स्मरण
शक्ति में कमी, और डडमें र्शया। कमी की उपचार नहीं ककये जाने पर मत्ृ यु भी हो सकिी है । सबसे पहले
अनेर्मया या िंबत्रका िंत्र से संबंधधि बदलाव दे खे जा सकिे हैं। बी12 की कमी से िीक होने में कई हफ्िों
से मदहनों िक लग सकिे हैं और गंभीर हालािों में कभी िीक नहीं होिे हैं। बी12 की कमी आमिौर पर
अपयाथप्ि अवशोर्ण से होिी है , जो अपयाथप्ि सेवन, हाईड्रोतलोररक ऐर्सड उत्पादन में कमी, आंिररक कारकों
की कमी (आयव
ु क्ृ दद, गैस्ट्रीदर्स, आदद), और अथय कारणों से होिी है । कई लोगों में यकृि और मााँसपेर्शयों
में बी12 के बडे बडे पत्र्र होिे हैं। पूरी िरह से शाकाहारी आहार की ओर पररवनिथि होने से कमी के लिण
ददखने में वर्ों लग सकिे हैं तयोंकक शरीर पाचन िंत्र में स्राववि बी12 को शरीर कई बार इस्िेमाल कर
सकिा है । लैतर्ो-ओवो शाकाहारी आहार आसानी से अच्छे स्वास््य के जरूरी सारे बी12 की आपनू िथ कर
सकिा है , जबकक परू ी रूप से शाकाहारी आहार में ऐसे भोजन शार्मल होने चादहए क्जनमें बी12 र्मलाया
गया हो, या इस ववर्ार्मन के र्लए सप्पलीमें र् का इस्िेमाल करें । प्रनिददन 2 से 2.4 माईक्रोग्राम का सेवन
करने का सलाह ददया गया है । बी12 का के स्िर की जााँच के र्लए रति जााँच करना एक अच्छा िरीका है ।
कफर भी, फोर्लक ऐर्सड की बडी मात्रा मैक्रोसाईदर्क अनेर्मक को र्मर्ा कर बी12 की कमी को छुपा सकिी
है , कफर भी िंबत्रका िंत्र में होने वाले प्रभावों को नहीं हर्ा सकिी है । सीवीड, खट्र्े हो चुके सोया उत्पाद,
मशरूम, और यीस्र् शरीर को जरूरी मात्रा में बी12 की आपनू िथ नहीं करिे हैं।2
पादपरसायन
पादपरसायन पौधों में पाए जाने वाले रसायन हैं। वैज्ञाननक रोज और भी अधधक खोज कर रहें हैं कक कैसे वे
हमारे शरीर में कैंसर को रोकने, कॉलेस्ट्रोल कम करने, रोगप्रनिरोध बढाने, आदद काम का करिे हैं। वनस्पनि
आहार में हजारों िरह के पादपरसायन पाए जाि हैं। इनमें से करीब 2,000 पौधों के वपगमें र् हैं, ये वे
रसायन हैं जो उथहें रं ग दे िा है । अथय पादपरसायन आहार को स्वाद दोिे हैं। उन में से सबसे पररधचि
रसायन हैं बीर्ा-कैरोर्ीन, शतकर कंद और शिािओ
ु ं को नारं गी रं ग दे ने वाला, और तलोरोकफल जो ब्रोतकली
को लाल रं ग दे िा है । कॉनेल्ल ववश्वववद्यालय के डॉ. जोसेफ हॉचककस ने कहा है कक र्मार्र में िकरीबन
10,000 पादपरसायन हो सकिे हैं !3
र्सननधग्रन ब्रस
ू ेल्स स्प्राउट्स
पी.इ.आई.र्ी.सी. वॉर्रक्रेस
ये िो महज कुछ ही हैं...पादपरसायन सारे संपूणथ भोजनों में पाए जािे हैं। वे शरीर के प्रत्येक कायथ को प्रभाववि
करिे हैं, ननम्नर्लखखि िो बस एक उदाहरण: मधुमेह, हृदय रोग, के खिरे घर्ाए, रति के जमाव/र्तके बनना
को प्रभाववि करे , एंर्ीऑतसीडेंर्ों के रूप में काम करे , डीएनए का संरिण करे , कार्सथनोजेनों (कैंसर के कारक)
को ववर्तििा को हर्ाए, पौधों के इट्राजेनों का काम करे - जो शायद वि कैंसर का खिरा करे , कार्सथनोजेनों के
ननष्कासन में मदद करे , िी-रै डडकलों के ननमाथण रोके, अक्स्र्-सरु रर्िा का खिरा कम करे , वसा के उच्च सेवन
के हाननकारक प्रभावों को कम करे , रोगप्रनिरोधक िमिा बढाए, कैंसर कोर्शकाओं को बढने ले रोके, आदद!
जैसे की हम शरीर में ववर्ार्मनों, खननजों, और पादपरसायनों के प्रभाव दे खिे हैं, यह ववर्भथन फलों, सक्ब्जयों,
और बीजों को, अच्छे उपज को चुन कर, और ववर्भथन िरह फल और सक्ब्जयााँ, जो ववर्भथन रं गों, प्रकारों के
फलों/सक्ब्जयों/अनाज/बीज/फर्लयों का क्जिना हो सके उिना सरल, प्राकृनिक और अपररस्कृि रूप में प्रनि
सप्िाह इस्िेमाल करने के महत्व को दशाथिे हैं। परमेश्वर ने में ववर्ार्मनों, खननजों, और पादपरसायनों को हमारे
जरूरि के मि
ु ाबबक उधचि अनप
ु ाि में पहले ही िैयार कर रखा है - हमारे शरीर की जरूरिों एक पादपदवा जैसे
की हम स्वाददष्र् अंगरू ों, गाजरों, रसीले र्मार्रों और संिरों, स्वाददष्र् कीवीयों, और सन
ु हरे अनाजों को खािे हैं।
1.
WHO. (2012). Guideline: Sodium intake for adults and children. World Health Organization. Retrieved June 3, 2015 from
http://www.who.int/nutrition/publications/guidelines/sodium_intake_printversion.pdf
2.
General Conference Nutrition Council. (2013). Vitamin B12 for the vegetarian. Retrieved June 3, 2015 from http://www.vegetarian-
nutrition.info/positions/english/b12-vegetarian.php
3.
Lowry, E. (1997). Phytochemicals lecture script. Shingle Springs, CA: NutriVisuals.
4.
Nedley, N. (1999). Proof positive. Ardmore, OK: Quality Books.
अध्याय 9- उत्तेजक
कैफीन, चाय, और चॉक्िेट
द र्मननस्ट्री ऑफ हीर्लंग, पृ. 362। “कॉफी एवं अथय लोकवप्रय पेयों का कायथ एक समान है । पहला प्रभाव
सफूनिथदायक होिा है । पेर् के नस उिेक्जि होिे हैं; वे ददमाग को कष्र् का संदेश दे िे हैं, और यह बदले में
उिेक्जना पैदा कर हृदय के धडकन को बढािा है , और पूरे शरीर को िणभंगुर ऊजाथ दे िा है। र्कान भुला ददया
जािा है ; ऊजाथवान महसूस होिा है । वववेक उिेक्जि होिा है और कल्पना ज्यादा जीवंि हो जािा है ।”
काउथसेल्स ऑन डाईर् एंड फूड्स, पृ. 425। “ककसी भी िरह से वे वस्िु स्वास््यवधथक नहीं हो सकिे हैं जो कुछ
वति के र्लए उिेक्जि करिे है , परं िु बाद में ऐसी प्रनिकक्रया करिे हैं जो शरीर को पहले से भी ज्यादा र्का दे िे
हैं। चाय और कॉफी कुछ ही समय के र्लए सफूनिथ दे िे हैं; परं िु जब उनका प्रभाव चला जािा है , िब अवसाद
का एहसास इसका पररणाम होिा है ।”
र्े स्र्ीमनीज, वो. 3, पृ. 487। “तयोंकक ये उिेजक कुछ समय के र्लए अच्छे पररणाम दे िे हैं, बहुि सारे लोग
यह मान लेिे हैं कक उथहें इनका प्रयोग जारी रखने की जरूरि है । िंत्र िंबत्रका, जो बेवजह उिेक्जि ककया जािा
है , विथमान प्रयोग के र्लए अपने भववष्य के ऊजाथ स्रोिों से शक्ति लेिा है ।”
द र्मननस्ट्री ऑफ हीर्लंग, पृपृ. 326, 327। “नसों को कष्र् दे ने वाले इन वस्िुओं के लगािार इस्िेमाल के बाद
र्सरददथ , अननंद्र, हृदय को जोरों से धडकना, अनपच, र्रर्राना, और अथय परे शाननयााँ होिी है ; तयोंकक वे जीवन
के शक्तियों को नष्र् करिे हैं। र्के नसों को आराम और शााँनि की जरूरि होिी है न की उिेजना और
अत्यधधक काम की। प्रकृनि को खत्म हो चुके ऊजाथ को दब
ु ार भरने के र्लए समय की जरूरि होिी है । जब
उसकी शक्तियों को उिेजकों के लगािार इस्िेमाल से भार ददया जािा है , िब कुछ समय के र्लए ज्यादा काम
हो पािा है ; परं िु उनके लगािार इस्िेमाल से जैसे जैसे शरीर शक्तिहीन होने लगिा, वैसे ही शक्ति को इक्च्छि
स्िर पर लाना कदिन होिा जािा है । उिेजकों की मााँग को ननयंत्रि करना और भी अधधक कदिन हो जािा है ,
और इच्छाशक्ति पर भारी पड जािा है , और ऐसे लगिा है कक इस अप्रकृनि चाहि को रोकने के नहीं कोई
िाकि नहीं है । िब और भी कडे उिेजकों का इस्िेमाल शुरू हो जािा है और र्के प्रकृनि के पास प्रनिक्रया
व्यति करने की िमिा समाप्ि हो जािी है ।”
र्े म्परें स, पृ. 76.2,3। “परं िु तया चाय बेहिर नहीं है ? तया हम उसके बारे अच्छी नहीं सन
ु िे हैं? “चाय... हमारे
रति में जािा है और धीरे धीरे शरीर और ददमाग के िाकि को प्रभाववि करिा है । यह उिेजना पैदा करिा है
और जीविे प्रणाली के कायथ को िेज करिा है , जो अप्रकृनि कायथ करने पर मजबूर हो जािा है , और इस प्रकार
चाय पीने वाले वाले को लगिा है कक यह उसे अच्छी सेवा दे रहा है , उसे िाकि दे रहा है । यह गलिी है । चाय
नसों की िाकिों को खीचिा है और उथहें कमजोर करके छोडिा है । जब उसका प्रभाव समाप्ि हो जािा है और
इसके इस्िेमाल से बढी हुई कायथिमिा घर् जािी है , िब तया पररणाम होिा है ? आलस्य और अिमिा जो
चाय के कृबत्रम शक्ति के कारण आिी है ।””
र्े स्र्ीमनीज, वो. 2, पृपृ. 64,65। “जब शरीर पहले ही अत्यधधक काम कर चक
ु ा है और आराम की जरूरि हो,
चाय का इस्िेमाल प्रकृनि को उिेक्जि कर अनचाहे , अप्राकृनिक कायथ करािा है , और इस िरह से उसके काम
करने की शक्ति और सहनशक्ति को घर्ािा है , और उसके शक्ति स्वगथ द्वारा िैयार ककए गए समयसीमा से
र्े म्परें स, पृ. 79.2। “चाय या कॉफी के र्लए खचथ ककए गए पैसे व्यर्थ के खचथ से भी बदिर है । वे उप्भोगिा को
र्सफथ हानन पहुाँचािे हैं, और वह भी लगािार।”
र्े स्र्ीमनीज, वो. 3, पृ. 563। “चाय और कॉफी का प्रयोग िम्बाकू के र्लए भूख जगािा है और यह बदले में
शराब के प्रयोग को प्रत्सादहि करिा है ।”
एलेन व्हाईर् चाय व कॉफी को “धमे ववर्” कहिी है । र्े म्पेरेंस, पृ. 81.
तया इस अर्भव्यककि में सच्चाई है ? चाय और कॉफी के ववर्य ववज्ञान का तया कहना है ?
चाय में िीम र्मर्ाइलजेमधर्न पाए जािे हैं: कैफीन, धर्योफायर्लन, और धर्योब्रोमीन।
सोडाओं में ववर्भथन मात्राओं में कैफीन पाया जािा है , और इस प्रकार से उनमें कैफीन के प्रभाव होिे हैं, सार्
ही अत्यधधक शतकर, फोस्फोरस, और कैलोररयों का हाननकार प्रभाव भी।
शरीर में कैफीन का अवशोर्ण िुरंि हो जाि है । अत्यधधि उच्र स्िर ववर्ैले होिे हैं और इससे ऐंिन
और उल्र्ी हो सकिा है । कम मात्रा भी शरीर को बहुि प्रभाववि कर सकिा है ।
कैफीन के प्रभाव
शरीर का रसायनशास्त्र:
रति में शतकर का स्िर बढाए (क्जससे व्यक्ति को ऐसा लगिा है जैसे उसके पास अनिररति ऊजाथ
है )
लौह का अवशोर्ण घर्ाए (र्ै र्मनों के मौजद
ू गी के कारण)
गभथविी मािाओं और गभथ में पल रहे र्शशु में खून की कमा
हृदय और रक्तसंचार
पाचन तंत्र
उदर के अम्लों का उत्पादन बढाए, और पेक्प्र्क अल्सर (उदर के घाव) का क्स्र्नि बदिर करे
भोजननली के ननचले क्स्पंचर्र को ढीला करे , जो हार्थ बनथ में योगदान दे िा है
प्रजनन तंत्र
अन्य
तया कैफीन के प्रनि ननभथर हो जाना संभव है ? हााँ छोडिे वति ये लिण (वविड्रॉवल र्सम्पर्म) दे खे जा
सकिे हैं: चतकर आना, धचडधचडपन या कष्र् महसूस होना, व्याकुलिा, बार बार र्सरददथ होना, सोने में
कदिनाई, हार् कााँपना, हार्ों एवं पैरों में पसीना आना, और अथय।
चाय: इसके प्रभाव कैफीन के समान ही है । सार् ही इसका संबंध मलाशय कैंसर के बढिे खिरे से है ।
चॉक्िेट
चॉतलेर् में पाया जाने वाल धर्योब्रोमीन एक प्रमुख र्मर्ाइलजेनधर्न, जो केंद्रीय िंत्र िंबत्रका को
उिेक्जि करिा है , अननंद्रा, पूरे या शरीर के ककसी एक भाग में खुजली, अवसाद व व्यकुलिा का
कारण बनिा है ।
शोध से यह सामने आया है कक चॉतलेर् और चाय में पाया जाने वाला धर्योब्रोमीन प्रोस्र्े र् कैंसर
का खिरा दग
ु ना करिा है (प्रनिददन 20 र्म.ग्रा. लेने पर)।
कभी कभी जीवाणु संक्रमण (सालमोनेल्ला) की भी र्शकायि र्मलिी है ।
एलक्जथक प्रनिकक्रयाओं से संबंधधि जैसे र्सरददथ , उदर वा आाँि की र्शकायिें , श्वास प्रश्वास संबंधी
र्शकायिें , नाक से खून बहना, और िव्चा के रोग। र्ाइयामीन मौजूद (“चीज” के िहि प्रनिकूल
प्रभाव दे खें)।
चॉतलेर् में अल्फा-र्मर्ाइलबेथजाइल अल्कोहल पाया जाि है , एक कैंसर कारक
चॉतलेर् में कई र्ै ननन पाए जािे हैं, क्जथहें पाचन िंत्र के कुछ िरह के कैंसरों के र्लए क्जम्मेदार
पाया गया है ।
चॉतलेर् में 0.45 से 0.49% ऑजेर्लक ऐर्सड पाया जािा है । यह ऑतजेर्लक ऐर्सड कैक्ल्शयम के
सार् र्मल कर एक अघुलनशील ित्व, कैक्ल्शमयम ऑतजलेर् बनािा है , क्जसका शरीर से
अनअवशोवर्ि ही ननकास हो जािा है , इस प्रकार से शरीर से कैक्ल्शयम घर् जािा है ।
धर्योब्रोमीन की मात्रा:
कॉफी, चाय, और चॉतलेर् में पाए जाने वाले सभी र्मर्ाइजेनधर्नों को वि के गााँि और वि के
कफब्रोर्ससदर्क रोग के ववकास के र्लए क्जम्मेदार पाए गए हैं - और वि के कफब्रोर्ससदर्क रोग से पीडडि
1
मदहलाओं में वि कैंसर का 4 गण
ु ा ज्यादा खिरा रहिा है ।
चॉक्िेट के स्थान पर इस्तेमाि ककए जाने वािे वस्त:ु कैरोब पाउडर- र्सरार्ोननया र्सर्लका पेड के फर्लयों
का आर्े के समान महीन र्मश्रण बनाया जािा है । कैरोब में खननज, ववर्ार्मनें भारी मात्राओं में पाए जािे हैं
जैसे कैक्ल्शयम, फोस्फोरस, मैग्ननेर्शयम, र्सर्लकोन, लौह, ववर्ार्मन ए, ननयर्सन, और र्ोडे मात्राओं में बी1
और बी2। यह प्रकृनि शतकरों, फाईबरों में धनी है और स्र्ाचथ और वसा इसमें कम पाए जािे हैं और ऊपर
ददए गए कोई भी र्मर्ाइलजेनधर्न इसमें नहीं पाए जािे हैं।
र्मननस्ट्री ऑफ हीर्लंग, पृ. 335। “चाय, कॉफी, िम्बाकू, और मादक पेयों के संबंध में र्सफथ एक िरीका
सरु क्षिि है वह है छूना नहीं, चखों नहीं, पकडो नहीं।... जो लोग इन उिेजकों को छोडने की कोर्शश करिे हैं
वे कुछ समय के र्लए घार्ा महसस
ू करिे हैं और इसके बबना पीडडि महसस
ू करिे हैं। परं िु समय के सार्
वे इसके इच्छा पर काबू पा सकेंगे और कमी का महसूस नहीं करें गे।”
मसािे
र्मननस्ट्री ऑफ हीर्लंग, पृ. 352। “मसाले प्राकृनिक रूप से हाननकारक होिे हैं। सरसों, र्मचथ, मसाले, अचार,
और एस िरह के अथय वस्िुएाँ पेर् को कष्र् दे िे हैं और रति को गमथ और अशुदद करिे हैं। मिवारे पेर् के
उिेक्जि हालि को अतसर मादकों के प्रभाव के रूप में दशाथया जािा है । कष्र्दायक मसालों के इस्िे माल से
भी इसी िरह के उिेक्जि हालि उत्पथन होिे हैं। जल्द ही समाथय आहार भूख को िप्ृ ि नहीं कर पािे हैं।
शरीर को जरूरि महसूस होिी है जो अधधक उिेजना उत्पथन करिे हैं।”
काउथसेल्स ऑन डाईर् एंड फूड्स, पृ. 341। “मसाले पहले उदर के नमथ परि को उिेक्जि करिे हैं , परं िु अंि
में इस नाजक
ु परि की सभी प्राकृनिक संवेदनशीलिा को नष्र् कर दे िे हैं। रति गमथ हो जािा है , पशुओं की
प्रवनृ ि जागि
ृ होिी है , जबकक नैनिक और वववेक की शक्ति कमजोर हो जािी है , और नीचिर इच्छाओं के
सेवक बन जािे हैं।”
गमथ मसाले जैसे काली र्मचथ, , र्मचथ पाउडर, करी पाउडर, सरसों, लालर्मचथ और अथय िीखे र्मचथ, िीखा
पापरीक, और अथय। तया शरीर को ककस प्रकार प्रभाववि करिे हैं ?
िािलमजय, लमचय, तीखे लमचय, और लमचय पाउडर: मसालेदार स्वाद के र्लए प्रयत
ु ि र्मचथ पाउडर, मसाले, सप
ू ों,
स्र्ानीय व्यंजनों, आदद में डाले जािे हैं। बहुि ज्यादा उिेजना उत्पथन करिे हैं और श्लेम खझल्ली और
त्वचा में बहुि कष्र् दे । र्मचली, दस्ि, उल्र्ी, आाँिों से खन
ू बहना, अल्सर (घाव), और कैंसर (उदर, आाँि,
भोजनली, माँह
ु , यकृि) के बढिे खिरे के र्लए भी जम्मेदार पाए गए हैं।
चर्लए कुछ अदयथनों पर गौर करिे हैं: 4 स्र्ानीय-संस्कृनि के लोगों पर एक एक अदययन ककया गया जो
यू.एस. में सबसे “िीखे” (िीखे र्मचथ (र्शमलार्मचथ) और श्वेि/काले र्मचथ (सैफरोल)) व्यंजन खाने वाले लोग
हैं। इनमें शार्मल हैं मैर्सकन-अमरीकन, काजन
ु , श्वेि क्रेयोल, और अश्वेि क्रेयोल। र्मलिे जल
ु िे कथट्रोल
िेत्रों के मुकाबले उन िेत्रों में यकृि और उदर के कैंसर काफी ज्यादा पाए गए जहााँ ये चार संस्कृनि के लोग
ननवास करिे हैं (पुरूर्ों व मदहलाओं में )। दयान दे ने योग्नय बाि यह है कक कैंसर का बढािा स्िर इन लोगों
की आबादी पर ननभथर पाया गया।
मैक्तसको में , र्मचथ (कैप्सीर्सन) सेवन पर हए अदययन में पाया गया कक जो लोग कैप्सीर्सन का सेवन
अधधक मात्रा में करिे हैं उनमें बहुि कम मात्रा में कैप्सीर्सन का सेवन करने वालों के मक
ु ाबले उदर कैंसर
काफी ज्यादा पाए गए। है र्लकोबैतर्र पाइलोरी से कोई संबंध नहीं पाया गया। मैक्तसको में ही एक दस
ू रे
अदययन में पाया गया कक वे लोग जो र्मचथ का अधधक सेवन करिे हैं उथमें नहीं या बहुि कम सेवन करने
वालों के मुकाबले उदर कैंसर ज्यादा पाया गया।
चीली के ननवार्सयों में र्मचथ सेवन का संबंध वपिर्ैली के कैंसर से पाया गाया।
कािी लमचय: इसमें पाए जाने वाले ित्वों, सैफरोल और र्ै ननक एर्सड (काली र्मचथ में पाया जाने वाला), को
चूहों में हुए एक अधय्यन में कैंसर उत्पथन करने वाले कमजोर ित्वों के रूप में पाया गया है । एक दस
ू रे
अधय्यन में र्मस्र के में ढकों को ननयर्मि रूप से काली र्मचथ खखलाने पर उनमें यकृि कैंसर का ववकास बहुि
ज्यादा पाया गया। मनष्ु यों के बारे तया? ऊिरी ईरान की मदहलाओं में परू
ु र्ों के मक
ु ाबले अधधक संख्याओं में
भोजन नली का कैंसर पाया गया, और यह भी पाया गया कक गभाथवस्र्ा के दौरान र्लए जाने वाले आहार में
काफी मात्रा में काली र्मचथ और कूर्े हुए आनार बीच शार्मल ककया जािा है - इनमें से दोनों ही भोजन नली
में जलन उत्पथन करिे हैं।14,15,16
(अरमोररकाना रसटीकाना): यह बहुि िेज सुगंध दे िा है । यह बहुि उिेक्जक करने वाला है । अधधक मात्रा में
सेवन करने से खन
ू की उल्र्ी और दस्ि हो सकिी है , इसके कारण बेहोशी और पेर् में िकलीफ भी हो
17,18
सकिा है । गद
ु े रोधगयों को इसके जड का सेवन नहीं करना चादहए।
दािचीनी (सीनेमोनम ज़ेिानीकम): पेस्ट्रीयों और पाईयों में स्वाद के र्लए ददया जाने वाला मसाला। एक िेज
स्र्ानीय उिेजक। पेर् के गैस और दस्ि में लाभदायक हो सकिा है । अधधक मात्राओं में सेवन करने से गुदों
को िनि पहुाँच सकिी है , चतकर और उल्र्ी हो सकिा है ।14 शोधों में दालचीनी को कुछ खास िरह के
कैंसरों के खिरे बढाने का भी कारण बिाया गया है ,19 इसमें म्युर्ोजेननक20 और जीनोर्ॉक्तसक गुण21 भी
पाए गए हैं। हलााँकक कुछ शोध इस बाि से इनकार करिे हैं कक इसमें म्युर्ाजेननक गुण हैं,22 कफर भी ये
शोध हाल के शोधों, क्जनमें इयूजीनोल के जीनोर्ॉक्तसक प्रभाव साबबि हुए, से पहले ककए गए र्े।21 हलााँकक
23
दालचीनी का एक ित्व, इयज
ू ीनोल, में एंर्ी-अल्सर (घाव नहीं होने दे ने वाले गण
ु ) गण
ु हैं, कफर भी यदद
दालचीनी को पेर् के श्लेमखझल्ली को झनि पहुाँचािे पाया गया है - इस िरह से यह अल्सर (घाव) के ववकास
में मदद करिा है ।24
अदरक (ज़ीन्जीर्बर ऑफीलसनेि): सक्ब्जयों, मााँस, र्मिाईयों, एवं पावरोदर्यों में र्मलाया जाने वाला एक िेज
मसाला है । ददथ , खााँसी, चतकर और उल्र्ी में राहि दे िा है ; और इस में बुखार कम करने और राहि दे ने
वाले गण
ु दे खे गए हैं। कफर भी, यह भी पाया गया है कक यह कैक्प्सकम के ही िरह एक उिेजक है और
अधधक मात्रा में सेवन करने से डडसररदर्मया हो सकिा है और केंद्रीय िंबत्रका िंत्र को दबाव में डाल सकिा
है ।17 कमीशन इ ने इसे यात्रा के कारण होने वाले रोग और पेर् की गडबडडयों के र्लए इस्िेमाल करने का
सलाह ददया है ।27 इसमें सूजन रोकने के गुण हैं, प्लेर्लेर्ों के जमाव को कम करिा है , और रोग प्रनिरोधक
िमिा बढािा है । अदरक के जड के अथय गण
ु ों में शार्मल है : धडकन मजबूि करे , एंर्ीऑतसीडोंर् है , और
माईग्रेन (िेज र्सर ददथ ) रोधी और एंर्ीलीपीडेर्मक गण
ु । अधधक मात्राओं में सेवन करने से पेर् के
श्लेमखझल्ली में घर्थन होने के कारण घाव हो सकिे हैं। डमाथर्ाइदर्स का एलक्जथक रूप भी ले सकिा है । 18 इस
मसाले का अधधक इस्िेमाल करिे वति दयान रखना चादहए तयोंकक इससे रतिस्राव का खिरा रहिा है
तयोंकक यह प्लेर्लेर्ों के जमाव को प्रभाववि करिा है ।28 इन खोजों से अथय कई सारे शोध में हामी भरिे
हैं।
कैफीन, चाय, कोला, और चॉतलेर् पर जानकारी (Craig, W.J. (1999). Nutritiion and wellness. Golden Harvest
Books: Berrien Springs, MI; Nedley, N. (1999). Proof positive. Ardmore, OK: Quality Books; Thrash, A.
Handouts.) से र्लया गया है ।
1.
Mayo Clinic Staff (2014). Healthy lifestyle: Nutrition and health. Mayo Clinic. Retrieved June 3, 2014 from
http://www.mayoclinic.org/healthy-lifestyle/nutrition-and-healthy-eating/in-depth/caffeine/art-20049372
2.
Komes, D., Horžić, D., Belščak, A., Kovačević Ganič, K., & Baljak, A. (2009). Determination of Caffeine Content in Tea and Maté Tea
by using Different Methods. Czech J. Food Sci. Vol. 27, Special Issue.
3.
Slattery, M.L. & West, D.W. (1993). Smoking, alcohol, coffee, tea, caffeine, and theobromine: risk of prostate cancer in Utah (United
States). Cancer Causes Control. 4(6):559-63.
4.
Minton, J. P., of Ohio State University in Columbus.
5.
Archer, V. E., & Jones, D. W. (2002). Capsaicin pepper, cancer and ethnicity. Med Hypotheses. 59(4):450-7.
6.
López-Carrillo, L., López-Cervantes, M., Robles-Díaz, G., Ramírez-Espitia, A., Mohar-Betancourt, A., Meneses-García, A., López-Vidal, Y.,
Blair, A. (2003). Capsaicin consumption, Helicobacter pylori positivity and gastric cancer in Mexico. Int J Cancer. 106(2):277-82.
7.
Lopez-Carrillo, L., Hernandez Avila, M., & Dubrow, R. (1994). Chili pepper consumption and gastric cancer in Mexico: a case-control
study. Am J Epidemiol. 139(3):263-71.
8.
Nalini, N., Manju, V., & Menon, V. P. (2006). Effect of spices on lipid metabolism in 1,2-dimethylhydrazine-induced rat colon
carcinogenesis. J Med Food. 9(2):237-45.
9.
Phukan, R. K., Chetia, C. K., Ali, M. S., & Mahanta, J. (2001). Role of dietary habits in the development of esophageal cancer in Assam, the
north-eastern region of India. Nutr Cancer. 39(2):204-9.
10.
Serra, I., Yamamoto, M., Calvo, A., Cavada, G., Báez, S., Endoh, K., Watanabe, H., & Tajima, K. (2002). Association of chili pepper
consumption, low socioeconomic status and longstanding gallstones with gallbladder cancer in a Chilean population. Int J Cancer.
102(4):407-11.
11.
Winn, D. M. (1995). Diet and nutrition in the etiology of oral cancer. Am J Clin Nutr. 61(2):437S-445S.
12.
Agrawal, R. C., Wiessler, M., Hecker, E., & Bhide, S. V. (1986). Tumour-promoting effect of chilli extract in BALB/c mice. Int J Cancer.
38(5):689-95.
13.
Nagabhushan, M. & Bhide, S. V. (1985). Mutagenicity of chili extract and capsaicin in short-term tests. Environ Mutagen. 7(6):881-8.
14.
Wrba, H., el-Mofty, M. M., Schwaireb, M. H., & Dutter, A. (1992). Carcinogenicity testing of some constituents of black pepper (Piper
nigrum). Exp Toxicol Pathol. 44(2):61-5.
15.
el-Mofty, M. M., Khudoley, V. V., & Shwaireb, M. H. (1991). Carcinogenic effect of force-feeding an extract of black pepper (Piper
nigrum) in Egyptian toads (Bufo regularis). Oncology. 48(4):347-50.
16.
Ghadirian, P., Ekoe, J. M., Thouez, J. P. (1992). Food habits and esophageal cancer: an overview. Cancer Detect Prev 16(3):163-8.
अधधक वजन वाले व्यक्ति में स्वास््य को लेकर अधधक परे शाननयााँ होिी हैं। जैसे: उच्च रतिचाप; कुल
कॉलेस्ट्रोल, ट्राईक्ग्नलसेराईड्स, एल.डी.एल. कॉलेस्ट्रोल का उच्च स्िर, हच.डी.एल. कॉलेस्ट्रल का कम स्िर;
मानर्सक पीडा (अवसाद, जी र्मचलना, अत्मववश्वास में कमी, हसीं मजाक का पात्र, आमदनी में कमी,
गरीबी का उच्च दर, वववाह होने की कम संभावनाएाँ, पढाई में कमजोरी, उथननि में बाधा); पत्र्री, गदिया,
र्ाइप 2 मधुमेह, हृदय रोग और आघाि, नींद में अडचन, फैर्ी र्लवर डीजीज (यकृि में वसा जमने की
बीमारी), अननयर्मि माहवारी, कैंसर (पुरूर्ों में : आाँि, मलाशय, प्रोस्र्े र्, अग्ननाशय, यकृि, एवं गुदे के कैंसर;
क्स्त्रयों में ; वपिर्ैली, स्िन, गभथ, ओवरी, आाँि, अग्ननाशय, यकृि, और गुदे) होने की अधधक संभावनाएाँ;
असमय मत्ृ यु, और अथय परे शाननयााँ।1,2
1. ऊजाय का उच्च सेवन: दे खा गया है कक जो अधधक वसा और ऊजाथ वाले आहार रोजाना लेने वाले और
सक्ब्जयााँ कम खाने व्यक्तियों में जरूरि से ज्यादा खाने की इच्छा दे खी जािी हा। वे जल्दी खािे,
भोजन के समाप्ि हे िे वति िक भी खाने की गनि कम नहीं करिे, और अधधक फास्र् फूड खािे पाए
गए हैं। काबोहाईड्रेर्ों को वसा में बदलकर शरीर रखने के मक
ु ाबले अधधक वसा वाले आहारों को शरीर
में रखने के र्लए कम ऊजाथ की जरूरि होिी है (आहार के वसा के 100 कैलोरीयों को शारीररक वसा मे
िबदील करने के र्लए मात्र 3 कैलोरीयों की जरूरि होिी है , जबकक काबोहाईड्रेर् के 100 कैलोरीयों को
शारीररक वसा में िबदील करने के र्लए 23 कैलोरीयों की जरूरि होिी है ) और ऐसा लगिा है कक
शरीर के पास आहार से वसा के अत्यधधक सेवन को रोकने के र्लए बहुि कमजोर संकेि हैं।
2. जेनेहटक्स एवं माता वपता का प्रभाव: शोधों से पिा चलिा है कक 25-40% लोगों में जेनेदर्क कारणों
के कारण मोर्ापा होिा है । भले ही मोर्ापा के ववकास में जेनेदर्क कारणों का काफी प्रभाव है कफर भी
जुडवा बच्चों पर ककए गए शोध में पाया कक जीवनशैली और संस्कृनि का प्रभाव अधधक है । इसर्लए
यदद जेनेदर्क रूप से खिरा हो, िो व्यक्ति को उन व्यक्तियों के मक
ु ाबले क्जथहें जेनेदर्क कारणों से
खिरा नहीं है , अपने जीवनशैली को ले कर अधधक सावधान रहने की जरूरि है ।
3. ऊजाय का कम खचय: शोधों से पिा चलिा है कक वे मोर्ापा से ग्रर्सि लोग समाथय वजन के लोगों के
मुकाबले कम सकक्रय रहिे हैं- वे प्रनिददन कम चलिे हैं, ऐसी गनिववधधयााँ चुनने की उनकी संभावनाएाँ
ज़्यादा रहिीं हैं क्जनमें ऊजाथ का खचथ कम होिा है (चलना छोड कर कार चलाना, सीदढयों के बजाए
एसकालेर्र का उपयोग करना, आदद.), और समान हलािों में पिले बच्चों के मुकाबले मोर्े बच्चे कम
सकक्रय दे खे जािे हैं (दहलना डुलना, खडा रहना, शारीररक गनिववधधयााँ)
शोधों के द्वारा पाया गया है कक लंबे समय िक वजन घर्ाने के र्लए भोजन के व्यक्तिगि चुनावों को
बहुि जरूरी है । वजन घर्ाने के ननयम के दहसाब से लोगों को समाथय वजन बनाए रखने के र्लए
जीवनशैली में बदलाव का एक महत्वपूणथ भाग में शार्मल है वसादार आहार के बदले प्रकृनि रूप से कम
वसा वाले आहार का सेवन करना है । यह फलों, सक्ब्जयों, और बबना ररफाइन ककए गए काबोहाईड्रेर्ों का
सेवन बढा कर और िेल और अथय वसादार व्यंजन, जैसे फॉस्र् फूड, और पशुओं के उत्पादों का सेवन कम
करके ककया जा सकिा है । (आहार द्वारा र्लए गए कुल वसा को कुल कैलोरी सेवन का 30% से कम रखें,
और जदर्ल संरचना वाले काबोहाईड्रेर्ों को कुल कैलोरी सेवन का 55% से ऊपर रखें।)
6 महीने में कुल वजन का 10% वजन घर्ाएाँ (यदद इिना वजन घर्ाने की जरूरि हो)। क्जिना धीरे
से वजन घर्े गा वह उिना ही स्र्ायी होगा।
पररवार और दोस्िे से मदद ले, जो स्र्ायी सफलिा के र्लए बहुि जरूरी है
वजन घर्ाने के दस
ू रे साधन भी हैं। गैस्ट्रीक ररडकश्न सजथरी एक ऐसा ही उपाय है । यह बहुि सारे
व्यककियों में स्र्ायी रूप से वजन घर्ा सकिा है , परं िु इसके कई अनचाहे और/या घािक प्रभाव हो सकिे
हैं और कई लोगों में यह प्रभानशली नहीं होिा है । वजन घर्ाने में दवाईयााँ भी मदद कर सकिे हैं, परं िु
इसके भी कई अनचाहे और/या घािक प्रभाव हो सकिे हैं। 2,3
1.
Nedley, N. (1999). Proof positive. Ardmore, OK: Quality Books.
2.
National Institute of Diabetes and Digestive and Kidney Diseases. (2010). Overweight and obesity statistics. Retrieved October 25, 2012,
from http://win.niddk.nih.gov/publications/PDFs/stat904z.pdf
3.
Nieman, D. C. (2007). Exercise testing and prescription: A health-related approach (6th ed.). Boston: McGraw Hill.
गभथविी क्स्त्रयों, स्िनपान कराने वाली मािाओं, एवं बाल्यावस्र्ा का आहार स्वस्र् वयस्कों के र्लए उधचि
आहार से ज्यादा अगल नहीं होना चादहए। गभथविी और स्िनपान कराने वाली मािाओं को सं िुर्लि, स्वस्र्,
और खद के र्लए और उनके बढिे बच्चों के जरूरिों के र्लए पयाथप्ि आहार लेना चादहए। इस अवस्र्ा में
मािा के आहार पर बच्चे के भववष्य का स्वास््य, और ववकास ननभथर कर सकिा है । गभथविी मािा को
संिर्ु लि जीवन जीना चादहए और हल्के व्यायाम करने चादहए, और खश
ु रहना चादहए, और अत्यधधक गमी
(जैसे गमथ स्नान, सौना, वलथपल
ू स्नान, आदद), िनाव, अत्यधधक काम, से दरू रहना चादहए तयोंकक ये
अजथमें र्शशु पर ववपररि प्रभाव हालिे हैं।
समाथय वजन की मदहलाओं में गभाथवस्र्ा के दौरान 25-35 पाउण्ड वजन बढना चादहए, कम वजन वाली
मदहलाओं में 28-40 पाउण्ड और अधधक वजन वाली मदहलाओं में 15-25 पाउण्ड।1
गभाथवस्र्ा के शुरूआिी ददनों में फॉर्लक ऐर्सड से भरपूर आहार लेने से जथम संबंधी ववकारों से ननजाि
पाया जा सकिा है जो नसों को प्रभाववि करिे हैं, खास कर गभथधारण के 17-30 ददनों के भीिर (जब नसों
का ववकास शुरू होिा है )। गभथविी मदहलाओं द्वारा 400 र्मग्रा प्रनिददन सेवन करने से नसों की ववकारों
जैसे स्पाईना बबफीडा और एनेनसीफेली से ननजाि पया जा सकिा है ।1
गभाथवस्र्ा और स्िनपान कराने के दौरान पोर्कों का जरूरि र्ोडा बढ जािा है । एक गभथविी मदहला और
भोजन बढा दे िी है , 15-20% अधधक प्रोर्ीन यानी 25 ग्रा, बी12, लौह (खास कर गभाथवस्र्ा के अंनिम 3
महीनों में ), क्जंक, ववर्ार्मन डी, और कैक्ल्शयम के सेवन में इजाफा।1
जथम के पव
ू थ ऊपरी िौर से पोर्कों की आपनू िथ कमजोर, एक से अधधक र्शशुओं से गभथविी, धम्र
ू पान करने
वाली और शराब और नशीले पदार्ों का सेवन करने मदहलाओं के र्लए लाभदायक साबबि हो सकिा है ।
ववर्ार्मनों एवं खननजों के अत्यधधक आपूनिथ से बचना चादहए, खास कर लौह ऐर ववर्ार्मन इ। ववर्ार्मनों
और खननजों को क्जिना हो सके भोजन द्वारा दें ।
गभथवस्र्ा के दौरान अकसर कई िरह की चीजों को खाने का ददल करिा है , और यह कुछ पोर्कों की कमी
के कारण भी हो सकिा है , क्जथहें क्जिना जल्दी हो सके परू ा ककया जाना चादहए, परं िु मािा को उन सभी
चीजों से सावधानीपूवथ दरू रहना चादहए जो स्वास््य के र्लए हाननकारक हैं, जो ववकार्सि हो रहे र्शशु के
र्लए खिरनाक हो।
स्वस्र्, शाकाहारी आहार, क्जसमें चीनी, वसा, और नमक कम हो, लेने से गभथवस्र्ा के अंनिम पडावों में
एडडयों के फूलने से बचािा है ।
गभाथवस्र्ा के दौरान भोजन को लेकर अपने चुनावों से भी बच्चे के भोजन संबंधी पसंद और नापसंदों को
प्रभाववि कर सकिी है ।2
स्तनपान/लशशु आहार
जथम के बाद र्शशु को स्िनपान क्जिना जल्दी हो सके, कराएाँ, तयोंकक समाथय दध
ू आने से पहले के गाढे
पीले रं ग के दध
ू में कई ित्व (एंर्ीबॉडी) होिे हैं जो उसे रोग से बचािे हैं। आमिौर पर स्िनपान अधधकााँश
र्शशुओं के र्लए सबसे अच्छा ववकल्प है , तयोंकक यह दध
ू कीर्ाणरु ददि होिा है , इसमें पोर्कों का आदशथ
संिुलन होिा है , इसमें ऐसे हॉमोन पाए जािे हैं जो शारीररक एवं मानर्सक ववकास के र्लए जरूरी है ,
संक्रमणों से बचािा है , एलजी के ववकास से बचािा है , और माना जािा है कक इससे आगे चलकर मधुमेह,
मोर्ापा, अर्ेरोस्तलेरोर्सस, दमा, एवं उच्च रतिचाप से भी बचा जा सकिा है । यह ओव्युलेशन को रोकिा है
और जथम के बीच के अंिराल को बढािा है (परं िु गभथननरोध के रूप में र्सफथ इसका इस्िेमाल सुरक्षिि नहीं
है )।
यदद मािा स्िनपान कराने में असमर्थ हो िो, र्शशु आहार की जरूरि हो सकिी है , परं िु दयान रखना
चादहए कक वह र्शशु के र्लए ही बना हो और संक्रमण रदहि हो िाकक दस्ि और बैतर्े ररया के संक्रमण से
बचा जा सके।1
र्शशुओं और छोर्े बच्चों को कभी भी मीिे पेय न दें , और लार आने िक काबोहाईड्रेर्ों को उनसे दरू रखें।
मीिे पेय, खास कर सोने से पहले बोिल से ददये जाने से, यदद उथहें ददया जािा है िो यह उनके दााँिों को
िोस आहार को एक एक कर शार्मल करें , और अर्भभावक को नए व्यंजन शार्मल करने से पहले 4-5 ददन
रूकना चादहए। चावल और दस
ू रे ऐसे आहार पहले शार्मल करें क्जनसे एलजी की संभावना कम होिी है ,
जबकक गेहूाँ और दस
ू रे आहार क्जनसे एलजी की संभावन कम रहिी है बाद में शार्मल ककये जाने चादहए।
मधु और कॉनथर्सरप र्शशु के प्रर्म वर्थ में नहीं ददए जाने चादहए तयोंकक इनसे बोर्ुर्लज़्म (भोजन से ववर्)
का खिरा रहिा है ।1,4
खाने की ननयर्मििा बनाए रखने की कोर्शश करें , और र्शशु को दो भोजन के बीच अल्पाहार न दें । बच्चों
को खास कर बचपन के शुरूआिी वर्ों में िीन बार भोजन करने की जरूरि होिी है , जब िक कक वे दो
बार के भोजन से अपना सारा पोर्ण पाने के लायक न बन जाएाँ।
छोर्े बच्चों को संिुर्लि, कई प्रकार के, और पोर्कों से भरपरू भोजन ददए जाने चादहए। एक र्शशु में दध
ू
या र्शशु आहार त्याग कर िोस आहार लेना शुरू करने के िुरंि बाद पोर्कों की कमी दे खी जािी है जब वह
परू ी िरह से शाकाहारी आहार लेिा है - यदद आहार संिर्ु लि और पोर्कों से भरपरू न हो िो। बच्चे को फल,
सक्ब्जयों, और संपण
ू थ अनाजों की जरूरि होिी है , परं िु अधधक गाढे आहार जैसे, मर्र, र्ोफू, या ऐवोकाडो
की भी जरूरि होिी है । संपूणथ अनाज, दाल, बदाम, फल, और सक्ब्जयााँ यदद स्वाददष्र् पकाएाँ जाएाँ और इन
के इन स्रोिों में संिुलन हो िो यह बच्चे के ववकास के र्लए जरूरी पोर्कों की आपूनिथ कर सकिा है । यदद
बच्चे का ववकास धीमा हो जाए, या वह कमजोर हो जाए, या उसका वजन समाथय से कम हो जाए, िो
धचककत्सक को सम्पकथ करें ।1
चंचल बच्चों और ककशोरों को बहुि ज्यादा ऊजाथ की जरूरि होिी है , 10 वर्थ का होने िक लगभग 2000
kcal प्रनिददन, और अकसर वयस्कों के क्जिना या उनसे भी ज्यादा खािे हैं। 1
बाल्यावस्र्ा में कई बार डेयरी कान के संक्रमण और एलक्जथयों का कारण होिा है । बहुि ज्यादा डेयरी का
सेवन करने से “दध
ू अनेर्मया” हो सकिा है , जो लौह से भरपूर आहार के स्र्ान पर दध
ू के सेवन से होिा
है ।1,3
एडवें दर्स्र् होम, पृपृ. 256-257. “जथम दे ने से पहले स्त्री के जीवन में कोई बदलाव नहीं आना एक गलिी हो
जो अकसर की जािी है । इस समय मािा का काम हल्का ककया जाना चादहए। उसके शरीर में कई िरह के
बदलाव हो रहे होिे हैं। बहुि सारे रति की जरूरि होिी है , और इसर्लए सबसे अच्छे प्रकार के पोर्क भोजन
की जरूरि होिी है क्जसे रति में बदला जा सके। जब िक उसके पास पोर्क आहार पयाथप्ि मात्रा में नहीं है ,
वह शारीररक िाकि नहीं बनाए रख सकिी है , और उसके र्शशु को जरूरी ित्व नहीं प्राप्ि होिे।... मािा और
र्शशु का भलाई गमथ कपडे और पोर्क आहार पर ननभथर करिा है ।”
काउथसेल्स ऑन डाईर् एंड फूड्स, पृपृ226-232. “र्शशु के र्लए सबसे उिम आहार वह है क्जसे प्रकृनि दे िा है ।
इसे नहीं त्यागना चादहए। एक मााँ के र्लए यह एक किोर बाि होगी यदद वह अपनी सुववधा के र्लए या समाज
में ऐश करने के र्लए अपने बच्चे को दध
ू वपलाना छोड दे गी।
“बच्चे का चररत्र बहुि हद िक अपनी मााँ से प्राप्ि पोर्न पर ननभथर करिा है । िब यह ककिना जरूरी है कक
अपने र्शशु को दध
ू वपलािे वति मााँ खश
ु रहे और अपने मन पर काबू रखे। ऐसा करने पर आहार दवू र्ि नहीं
होिा है , और मााँ का शााँि, सश
ु ील प्रवनृ ि बच्चे के मन ढालिा है । यदद वह घबराया और आसानी से धचडधचडा
हो जािा है िो मााँ का दयानपूव,थ प्यारभरा प्रभाव र्शशु के स्वस्र् को बहुि हद िक सुधार सकिा है ।
“अनुधचि दे ख रे ख र्शशु को बहुि नुकसान पहुाँचा है । यदद वह रो रहा हो िो उसे खखला कर चुप कर ददया जािा
है , और अधधकााँश हलािों में उसके रोने का कारण ही बहुि अधधक खाना होिा है , जो मााँ के गलि आदिों के
कारण होिा है । अधधक खाना क्स्र्ि को बदिर बना दे िा है , तयोंकक पेर् पहले से भरा हुआ रहिा है ।
“अपने बच्चों को केथडी, फल, बदाम या कोई भी आहार दो भोजन के बीच खाने की इजाजि न दें । उनके र्लए
ददन में दो बार भोजन िीन बार से बेहिर है । यदद अर्भभावक उदाहरण बने और ननयम का पालन करे , िो
बच्चे भी वही करें गे। खाने में अननयर्मििा पाचक अंगों के स्वास््य को बबगाडिा है , और जब आपके बच्चे
मेज पर आिे हैं, वे स्वस्र् भोजन पसंद नहीं करिे; उनके भूख सबसे हाननकारक चीजों के र्लए जागिे हैं....
“बच्चों को कई बार बहुि कम अंिराल में खखला ददया जािा है , जो बुखर और कई िरह से पीडा लािा है । पेर्
को लगािार काम नहीं कराना चादहए, परं िु उसे आराम भी दे ना चादहए। उसके बबना बच्चे धचडधचडे और िरु ं ि
बबमार पडिे हैं।
“बच्चों में भोजन की सही आदिें डालने का महत्व को हद से ज्यादा िूल नहीं ददया जा सकिा है । बच्चों को
यह सीखने की जरूरि हैं कक वे जीने के र्लए खािे हैं, न की खाने के र्लए जीिे हैं यह प्रर्शिण मााँ की गोद
में ही शुरू होना चादहए। बच्चे को ननयर्मि अंिराल में ही भोजन ददया जाना चादहए, और उसके बढने के सार्
यह अंिराल बढाना चादहए। उसे मीिे , वयस्कों का आहार नहीं ददया जाना चादहए, क्जसे वह पचा न पाए।
र्शशुओं को खखलाने में ननयर्मििा का दयान रखना चादहए तयोंकक यह उथहें न र्सफथ स्वस्र्, शााँि और अच्छे
स्वाभाव का भी बनािा है बक्ल्क यह आदिों की नींव भी डालेगा और वर्ों बाद यह उनके र्लए आशीर् का
कारण बनेगा।”
द हे ल्र् ररफॉमथर, मई 1, 1877. “अर्भभावकों को अपने बच्चों की गलनियों के र्लए जवाब दे ना होगा। बहुि
सारे अर्भभावक अनुधचि मााँगें भी पूरी करिे हैं, तयोंकक उनके इसरार से छुर्कारा पाने का सबसे आसान िरीका
यही है । एक बच्चे को ऐसा प्रर्शक्षिि करें कक मनाही को वह सही रूप से ग्रहण करे , और अंनिम ननणथय के रूप
में जाने। बच्चे अकसर यह नहीं जानिे हैं कक उथहें कब, कैसे, और तया खाना चादहए। उथहें स्वाद के अनुसार
ककसी भी वति खाने की इजाजि दी जािी है , जब दे ख कर मन करे िब फल खा लेिे हैं, और पाइ, केक और
मतखन, और मीिाईयााँ लगािार खािे हैं, यह उथहें गुस्सैल और धचडधचडा बना दे िा है । पाचक अंग, र्मल के
िरह जो सदा चलिे रहिा है , और कमजोर बन जािा है , ददमान से ऊजाथ पेर् को अत्यधधक काम करने में मदद
दे ने के र्लए आ जािी है , और मानर्सक िमिा घर् जािी है। अनचाहा उिेजना और शक्ति की कमी के कारण
डीजायर ऑफ एजेस, पृ. 101. “भूख और इच्छाओं को ददमाग से ननयंबत्रि रखना चादहए। यह स्व-अनुशासन
मानर्सक िाकि और आक्त्मक शुददिा के र्लए बहुि जरूरी है जो उथहें परमेश्वर के वचन के पववत्र सत्यों को
समझने और उनका पालन करने में मदद करिा है ।”
मरानार्ा, पृ. 119. “यह असंभव है कक एक व्यक्ति खुद को जीववि, पववत्र बर्लदान के रूप में , परमेश्वर के
ग्रहण करने के र्लए प्रस्िि
ू करे जबकक वह शरीररक, मानर्सक, और नेनिक िाकि को कमजोर करने वाले
आदिों में र्लप्ि हो। प्रेररि कहिा है , “इस संसार के सदृश न बनो; परं िु िम्
ु हारे मन के नए हो जाने से
िुम्हारा चाल चलन भी बदलिा जाए, क्जससे िुम परमेश्वर की भली, और भविी, और र्सदद इच्छा अनुभव से
मालूम करिे रहो।” रोर्मयों 12:2
“स्वास््य सुधार प्रभु के आगमन के र्लए लोगों को िैयार करने वाले काम का एक शाखा है ...
“वह जो स्वास््य सुधार पर परमेश्वर द्वारा ददया गया ज्योनि है , उसके पास सत्य से शुदद होने, और
अनंिजीवन के र्लए िैयार होने का दवा है ।”
1.
Whitney, E. & Rolfes, S.R. (2013). Understanding nutrition (13th ed.). Thomson Higher Education: Belmont, CA.
2. , ,
Nehring I., Kostka, T., von Kries R., Rehfuess, E. A. (2015). Impacts of In Utero and Early Infant Taste Experiences on Later Taste
Acceptance: A Systematic Review. J. Nutr. 145:6 1271-1279. Retrieved 06/02/2015 from
http://jn.nutrition.org/content/145/6/1271.abstract?etoc#fn-1.
3.
Women’s Health. (2010). Breastfeeding. Retrieved October 25, 2012, from http://womenshealth.gov/pub/BF.General.pdf
4.
Hoeker, J. (n.d.) How can I protect my baby from infant botulism? Retrieved October 25, 2012, from
http://mayoclinic.com/health/infant-botulism/HQ0085
मिम
ु ेह
एक ननयर्मि, रोजाना 30 र्मनर् व्यायाम करने का योजना ववकर्सि करें : मीिे भोजन, ररफाईन ककये गए
भोजन, मााँस, डेयरी, और पशुओं के अथय उत्पादों का सेवन कम करें या उथहें त्याग दें ; रे शों का मात्रा बढाएाँ
(बीथस रति में शतकर के स्िर को ननयंत्रि करने में बहुि मददगार है ); वसा सेवन कम करें ; आदशथ वजन
प्राप्ि करें ; सुबह अच्छा नाश्िा खाएाँ और राि में खाने कम खाएाँ या बबलकुल न खाएाँ; संपूणथ अनाज, फलों,
और सक्ब्जयों का सेवन बढाएाँ; जलधचककत्सा लें ; कॉफी, चाय, िम्बाकू और शराब से परहे ज करें ; और धूप में
जाएाँ
उच्च रक्तचाप
आदशथ वजन के र्लए वजन घर्ाएाँ (ि्य: िर्मंगम के अधय्यन में पाया गया कक 70%पुरूर्ों में और
61% मदहलाओं में मोर्ापा का सीधा संबंध उच्च रतिचाप से पाया गया)
कम नमक वाला आहार लें (डेयरी, अचार, सूखे मााँस, और नमक वाले अथय भोजन कम करें या त्याग
दें )
शराब, िम्बाकू और धम्र
ू पान त्यागें
कैफीन और कोला पेयों से परहे ज करें (ि्य: ददन में 1 कप कॉफी रतिचाप को 5-6 पोईंर् बढािा है )
जौ का सेवन करें
िवान ननयंबत्रि करें
फलों, सक्ब्जयों, और आनाज का सेवन बढाएाँ, वसा (सैचूरेर्ेड और कुल वसा) का सेवन कम करें
अल्पाहार न लें
चीनी का सेवन कम करें
मााँस न खाएाँ (या कम से कम उसे कम करें )
हृदय रोग
आदशथ रूप से, परू ी िरह से शाकाहारी आहार लें (क्जसमें कोई कॉलेस्ट्रोल नहीं होिा है ), या कम से कम ऐसा
आहार ले क्जसमें क्जिना संभव हो उिना कम कॉलेस्ट्रोल हो (ि्य: मुगे में गोमााँस या सअ
ु र मााँस के ही
क्जिना कॉलेस्ट्रोल होिा है ); सैर्ूरे र्ेड वसा का सेवन कम करने की कोर्शश करें (गोमााँस, मेम्ने, डेयरी,
नाररयल िेल में अधधक मात्रा में पाया जािा है ) और पोर्लसैचूरेर्ेड वसा कम मात्रा में लें (बदाम और अनाज
में पाए जािे हैं); रे शों का सेवन बढाएाँ (बबना ररफाईन ककये गए पादप आहार में पाए जािे हैं, पशुओं के
उत्पादों में नहीं पाए जािे हैं); ट्रााँस फैर्ी ऐर्सडों से परहे ज करें जो कॉलेस्ट्रोल को बढािे हैं (और कैंसर का
खिरा बढािे हैं); वसा के स्र्ान पर इस्िेमाल ककये जाने वाले पदार्ों से परहे ज करें ; पशओ
ु ं से प्राप्ि प्रोर्ीनों
का सेवन न करें या कम करें तयोंकक वे रति में कॉलेस्ट्रोल का स्िर बढािे हैं जबकक पौधों से प्राप्ि प्रोर्ीन
रति में कॉलेस्ट्रोल का स्िर कम करिे हैं ; खास कर ऐसे भोजनों से बचें क्जथमें कॉलेस्ट्रोल पाया जािा है
और वे हवा में खुले रखे हुए हों (क्जससे ऑतसीडेशन होिा है , जो धमननयों के िनिग्रस्ि होने की प्रकक्रया
को बढा दे िा है ) जैसे कस्र्डथ के र्मश्रण, पैनकेक के र्मश्रण, पारर्मर्सयन चीज, लाडथ, आदद; ननयर्मि
रोजाना, ऐरोबबक कसरि करें ; लहसुन का सेवन बढाएाँ; और आदशथ वजन प्राप्ि करें ।
दस
ू रे कारक जो कोरोनरी हार्थ डीजीज (हृदय रोग) के खिरे को कम करिे हैं इस प्रकार हैं: संपण
ू थ शाकाहारी
आहार के द्वार रति में लौह के स्िर को कम रखें (रति में अत्यधधक लौह शरीर के कॉलेस्ट्रोल को
ऑतसीडाईज करिा है क्जससे हृदय रोग का खिरा बढिा है ); ननम्नर्लखखि एंर्ीऑतसीडेंर्ों का सेवन करें :
ववर्ार्मन इ (अनाजों में मौजूद), ववर्ार्मन सी (िाजे फलों, सक्ब्जयों, और आलू), और बीर्ाकैरोर्ीन (गहरे हरे
पिेदार सक्ब्जयों, संिरों, और पीले फलों और सक्ब्जयों) जो कॉलेस्ट्रोल के ऑतसीडेशन को रोकिे हैं।
होमोर्ससर्ीन का स्िर कम रखने से भी हृदय रोग से लडने में मदद करिा है । कॉफी में होमोर्ससर्ीन की
चाँूकक एचडीएल (हाई डेथसीर्ी र्लपोप्रोर्ीन) कॉलेस्ट्रोल हृदय रोग से बचने के र्लए महत्वपूणथ है , नीचे उन
कारकों का सच
ू ी है जो एचडीएल के स्िर को बढाने में मदद करिे हैं: ननयर्मि ऐरोबबक व्यायाम, मेनोपॉज
से पहले के कुछ वर्ों में इस्ट्रोजेन (ि्य: मेनोपॉज के बाद हृदय रोग का खिरा बहुि बढ जािा है , क्जसके
कारण मदहलाओं में हृदय रोग से होने वाले 52% मौिें होिी हैं), धूम्रपान त्यागें , वजन घर्ाएाँ, ऐसे आहारों
का सेवन बढाएाँ क्जनमें लहसुन, प्याज, ब्रूवर यीस्र्, क्रोर्मयम, ववर्ार्मन सी एवं इ, लेर्सधर्न और जीनसेंग।
कॉलेस्ट्रोल कम करने वाले दवा अधधकााँश पररक्स्र्नियों में आदशथ हल नहीं है , वे बहुि महाँगे भी होिे हैं और
उनके कई दष्ु प्रभाव भी हैं। इनमें हैं दवा के कारण यकृि में होने वाली सूलन जो यकृि को बुरी िरह से
िनि पहुाँचािा है , र्सरददथ , अननंद्रा, धध
ूाँ लापन, ब्रोंकाईदर्स, छाले, उल्र्ी, अग्ननाशय में सज
ू न, कब्ज, चतकर
आना, पेर् ददथ , हार्थ बनथ, कमजोर पाचन, मााँसपेर्शयों के कोर्शकाओं का नष्र् होना क्जसके कारण गुदे खराब
हो सकिे हैं, मााँसपेर्शयों में ददथ , और अथय। कॉलेस्ट्रोल कम करने वाले अधधकााँश दवाईयों को गभाथवस्र्ा के
दौरान या संिरे के रस के सार् सेवन नहीं करना चादहए।4
कैंसर
बचाव के र्लए कैंसर के कारकों से बचने के उपायों को अपनाएाँ ननम्नर्लखखि कारकों से बचें है : शराब,
िम्बाकू (कैंसर का #1 कारक), कॉफी, कीर्नाशक एवं अथय ववर्ैले नछडकाव (जैसे पीसीबी, डीडीर्ी, डीडीइ),
एसबेसर्ोस, और चारब्रोईल्ड मााँस (कोयले में सेंका गया मााँस)। अथय कारक क्जथहें कैंसर के ववकास से जोडा
गया है (क्जनका प्रयोग नहीं करना चादहए या कम करना चादहए): अत्यधधक डेयरी वसा, मााँस, अत्यधधक
लौह, कॉलेस्ट्रोल का अत्यधधक सेवन, डेरी उत्पादों का अत्यधधक सेवन, चॉतलेर्, धूप में बहुि ज्यादा दे र
िक रहना (जलना), सैचूरेर्ेड वसा, हॉमोन ररप्लेसमें र् के र्लए दवा, वाइरस, आहार में अत्यधधक चीनी,
लकडी के धूल को अत्यधधक रूप से सााँस लेना, गुप्िााँगों के पाउडर और गुिााँगों के डडयोडोरें र् स्प्रे।1
इसके सार् ही उन कारकों का इस्िेमाल लाभदायक होगा जो कैंसर के खिरे को कम करिे हैं। इथमें
ननम्नर्लखखि शार्मल है : ववर्ार्मन ए का सेवन बढाएाँ (गहरे रं ग के संिरे , पीले और हरे फल व सक्ब्जयााँ),
ववर्ार्मन सी (र्सट्रस, स्वीर् पीप्पर, स्ट्रबेरी, कीवी, बेरी, गोभी पररवार), ववर्ार्मन इ (सूरजमुखी का बीज
और िेल, बदाम, अथय बीजों, दाल, और संपूणथ अनाज में भी ववर्भथन मात्राओं में ), पूरे पौधे (शक्तिशाली
कैंसर रोधी पादप रसायन), रे शे, सेलेननयम (संपूणथ अनाजों में ), आदशथ वजन ननयंबत्रि रखना, अनिररति
प्रोर्ीन का सेवन से परहे ज करना, ननयर्मि भोजन बबना अल्पाहार के, व्यायाम, पयाथप्ि धूप, और िनाव पर
ननयंत्रण।1
रोिप्रनतरोिक प्रणािी
ननम्नर्लखखि सुझाव रोग प्रनिरोध िमिा को बढाने में मदद कर सकिे हैं: एक संपूणथ शाकाहारी आहार,
सभी िरह के वसाओं, ररफाईन ककये गए शतकर, रसायन, मसाले (परं िु बूर्ी नहीं), और र्सरका को
त्यागना, कच्चे भोजन पर जोर दें , ननयर्मि भोजन, अल्पाहार से बचें , भोजन को अच्छी िरह से चबाएाँ,
भोजन के सार् िरल पदार्थ न लें , और अधधकािर लोगों के र्लए दो बार भोजन करना बेहिर है । िम्बाकू,
शराब, चाय, कॉफी, चॉतलेर्, सप
ु ारी, गााँजा, और अथय नशीले पदार्ों का सेवन न करें । लहसन
ु मददगार हो
सकिा है । व्यायाम, धूप, ननयर्मििा, जल्दी सोना और उिना भी महत्वपूणथ है । िाजी हवा में सााँस लेना
अच्छा है । ददन में 8 से दस धगलास पानी पीना चादहए। बुखार के उपचार संक्रमणों से लडने में मदद कर
सकिे हैं। रोग प्रनिरोध िमिा को मजबूि करने के र्लए परमेश्वर पर भरोसा भी बहुि जरूरी है ।4
1.
Nedley, N. (1999). Proof positive. Ardmore, OK: Quality Books.
2.
American Diabetes Association. (2012). Diabetes. Retrieved October 25, 2012, from http://www.diabetes.org/
3.
Haj Mouhamed D1, Ezzaher A, Neffati F, Douki W, Najjar MF. (2011). Effect of cigarette smoking on plasma homocysteine
concentrations. Clin Chem Lab Med. 49(3):479-83. doi: 10.1515/CCLM.2011.062. Epub 2010 Dec 14. Retrieved 06/02/2015 from
http://www.ncbi.nlm.nih.gov/pubmed/21143017.
4.
FDA (2014). FDA expands advice on Statin risks. FDA Consumer Health Information / U.S. Food and Drug Administration. Retrieved
06/02/2015 from http://www.fda.gov/downloads/ForConsumers/ConsumerUpdates/UCM293705.pdf
विषय सच
ू ी
अध्याय 3 – मधम
ु ेग .................................................................................................................. 242
अध्याय 9 – दस्त औि डिसेन्ट्री (िैक्टे रिया औि अमीिा से िोने िाले) ..................................... 277
“रोग कभी भी बिना कारण नह ीं होता है । स्वास््य के ननयमों का उल्लींघन करके उसके ललए रास्ता
तैयार ककया जाता है , और रोग को िुलाया जाता है । अनेक लोग अपने अलभभावकों के कारण पीड़ित
होते हैं। हलााँकक वे अपने अलभभावकों के कामों के ललए जजम्मेदार नह ीं हैं, किर भी यह उनकी
जजम्मेदार है कक वे यह ध्यान रखे कक क्या क्या स्वास््य के ननयमों का उल्लींघन और क्या क्या
नह ीं है । उन्हें अपने अलभभावकों के गलत आदतों से दरू रहना चाहहए और, सह जीवनशैल के द्वारा
आंकडे
1
2008 में हृदवाहहनी रोग ववश्व में मत्ृ यु का सिसे मख्
ु य कारण था, जजसके कारण परू े ववश्व में 17.3
लमललयन लोगों की मत्ृ यु हुई, या वललड हे ल्थ ऑरगेनाईजेशन के मुताबिक परे ववश्व में मत्ृ यु का 31%
है । इन में से 7.3 लमललयन हृदयाघात से, और 6.2 लमललयन से।2
हृदवाहहनी रोगों से होने वाल का 80% से भी अधधक मत्ृ यु थो़िे आमदानी वाले दे शों में हुए।4
हृदवाहहनी रोग महहलाओीं और पुरूषों में लगभग समान रूप से होता है , महहलाओीं को 7-10 साल िाद
होता है ।3
2030 तक मत्ृ यु दर के िढ़ कर 24 लमललयन होने की आशींका है ।4
हृदयाघात से िचने वाले को िहुत महीं गे दवाईयों पर ननभलर रहना प़िता है ।
हृदय रोग का कोई भूगोललक, लैंधगक, या आधथलक घेरा नह ीं है ।
यू.एस. के आींक़िे :
o 2008 में महहलाओीं और पुरूषों के मत्ृ यु का मुख्य कारण।5
o यू.एस., में 2008 में 616,000 ले अधधक मत्ृ यु हृदय रोगों के कारण हुई, यानी प्रत्येक चार
में लगभग एक मौत ( या 1678 मत्ृ यु प्रनतहदन)। इसमें से 405,000 मत्ृ यु कोरोनर हृदय
रोग के हुई।5
o अनुमान है कक धचककत्सीय खचल और कायलक्षमता के कम होने के कराण हुए नुकसान का 109
बिललयन यूएस डॉलर है ।6
(अपने दे श के खिर के ललए दे खें- www.who.int)
एक ववमान दघ
ु ट
ल ना होने पर हजारों मरते हैं, और कई हदनों तक खिरे आती रहती है । गौरतलि है कक यू.एस.
में प्रनतहदन अकेले हृदय रोगों से तकर िन 1678 लोगों की मौत होती है ।5 यह प्रनतहदन 4 िोईंग 747 ववमान
दघ
ु ट
ल नाओीं के िरािर है । किर भी समाचार प्रसारक ईन मौतों का खिर नह ीं दे ते हैं (जि तक ककसी महान
व्यजक्त का ननधन हृदयाघात से नह ीं होती)। ववमान हादसों के कारणों का पता लगाने के ललए िहुत मेहनत की
जाती है - क्या हमें हृदय रोगों के कारणों का पता लगाने में भी इतनी नह ीं करनी चाहहए ?
आज के युग में जहााँ हृदय रोग मौत का मुख्य कारण है , खोजकताल का मानना है कक परहे ज से मत्ृ यु में 90%
तक की कमी आ सकती है ।7
हृदय रोग िहुत कारणों से हो सकते हैं, परीं तु अि तक, अधधकाींश का सींिींध अथेरोस्क्लेरोलसस से है ।
अथेरोस्क्लेरोलसस एक ऐसा जस्तधथ है जजसमें रक्त धमननयों में वसा और कॉलेस्टोल जमने लगता है (इसे प्लेक
कहते हैं)। ये प्लेक रक्त धमननयों को पतला कर दे ते हैं और कभी कभी ऊि़ि-खाि़ि। अकसर रक्त धमननयााँ
धीरे धीरे क़िे होने लगते हैं। इन कारणों से रक्त के ललए धमननयों से पार होना िहुत मुशककल हो जाता है ।
लक्षण
हृदय के धमननयों में होने वाले अथेरोस्क्लेरोलसस हृदयाघात या अींधगना के कारण िन सकते हैं; जिकक हदमाग
में जाने वाले धमननयों में अथेरोस्क्लेरोलसस स्रोक या रजन्सयींट ईसकेलमक स्रोक का कारण िनते हैं (TIAs)।
दस
ू रे पररजस्थनत जो अथेरोस्क्लेरोलसस से होते है या उन्हें और भी खतरनाक िना सकते हैं, में ईन्टरलमटन
ग्लाउडडकेशन ( चलते या कसरत वक्त पैरों में ददल । यह समय-समय पर होने ददल शालमल आराम करने पर ठीक
हो जाते हैं), गींग्रीन ( ककसी एक हहस्से के ऊत्तकों का मरना और स़िना), और साथ ह गद
ु े को रक्त पहुाँचाने
वाले धमननयों का पतला होना और अन्य परे शाननयााँ शालमल है । 9
पिचान
एक व्यजक्त को हृदयाघत या स्रोक होने तक अथेरोस्क्लेरोलसस होने का पता नह ीं चलता है , परीं तु यह जस्थनत
कुशल धचककत्सक द्वारा इनतहास, शार ररक, रक्त जााँच और दस
ू रे जााँच से पहचाना जा सकता है ।
हृदिाहिनी िोग के खतिे (इन मे से कोई भी कारक आपके खतरे को िढ़ा सकता है ) :
1. धूम्रपान
आज के युग में कर ि 1 अरि धूम्रपान करने वाले लोग हैं।3
हृदय रोगों में धूम्रपान की अहम भूलमका है , 10% हृदवाहहनी रोगों का कारण है ।10
धूम्रपान छो़िने से हृदयाघात के खतरे 50 प्रनतशत से या उससे भी अधधक घट सकते हैं।11
जल्द त्यागें : एक बितानी अध्ययन के मत
ु ाबिक 35-44 साल के िीच धम्र
ू पान त्यागने वाले
उनके िरािर जीते हैं जजन्होंने कभी धूम्रपान नह ीं ककया है 12
2. अपयालप्त कसरत
ननयलमत कसरत हृदयाघात और दौरों के खतरे को कम करता है । अनेक अध्ययन
अकियशीलता और हृदयाघात के िढ़ते खतरे में सींिींध ितलाती है । 3
व्यस्क जजन्होंने 150 लमनटों तक ननयलमत रूप से कसरत ककया उनमें हृदय रोग 30% और
मधुमेह 27% प्रनतशत कम पाया गया।13
3. शराि सेवन
शराि सेवन से होने वाले मौतों में 14% हृदय रोग और मधम
ु ेह से होते हैं
शराि का अत्यध्क सेवन िढ़ते हृदय रोग के खतरे से सींिींधधत है
शराि सेिन हृदय के माींसपेलशयों को क्षनत पहुाँचाते है , दौरा और अननयलमत ध़िकनों के खतरे
िढ़ाते हैं।
4. उच्च रक्तचाप
जजतना ज्यादा रक्तचाप होगा, दौरा और हृदय रोग का खतरा उतना ह ज्यादा होगा। 3,4
रक्तचाप में प्रनत 20/10mm Hg की िढ़ोतर के साथ हृदय रोग के खतरे दग
ु ने हो जाते हैं,
3
जजसका शुरूआत ककसी ककसी उम्र समह
ु में 115/75 mmHg जजतना कम में भी होता।
परहे ज और उच्च रक्तचाप का समय पर पहचान और उपचार से हृदय रोग और दौरों के खतरे को
कािी कम ककया जा सकता है ।
कई जस्थनतयों में , उच्च रक्तचाप पर जीवनशैल में सरल िदलावों से कािू पाया जा सकता है ,
जैसे, आहार और कसरत।
5. अस्वस्थ आहार
सैचुरेटेड िैट (वसादार), कॉलेस्रल, और नमक के अत्यधधक सेवन से और साथ ह िलों और
सजजजयों का सेवन कम करने से हृदय रोग के खतरे िढ़ते हैं। 3
नमक का सेवन व्यजक्त का रक्तचाप और हृदय रोग के खतरे का अनुमान लगाने में मदद करती
है । डजल्यु.एच.ओ. का सलाह है कक प्रनत हदन प्रनत व्यजक्त नमक सेवन 5 ग्राम हो। 3
6. कॉलेस्रोल के उच्च स्तर
ववश्व में , एक नतहाई हृदय रोग उच्च कॉलेस्रोल स्तर के कारण होते हैं, जजसके कारण प्रनतवषल
2.6 लमललयन मौतें होती हैं।3 उच्च रक्तचाप दौरा के खतरे भी िढ़ाता है ।
रक्त में राईजग्लसरॉईड (कैलोर के अत्यधधक सेवन से िनते है ) का उच्च स्तर अथेरोस्क्लेरोलसस
के खतरे को िढ़ाता है ।3
40 वषल के पुरूषों में कॉलेस्रोल का स्तर 10% तक कम करने पर 5 वषों के अींदर हृदय रोगों में
50% कमी आई।3
कॉलेस्रोल स्तर के 150mg/dl से िढ़ जाने पर हृदय रोग से होने वाले मत्ृ यु दर में िढ़ोतर होती
है 7
“अध्यन्नों से पता चलाता है कक ववयातनाम में हुए 45% अमर की मौतें , औसत 22.1 वषल उम्र
वालों में ) कोरोनर अथेरोस्क्लेरोलसस की पुजटट करते हैं।” मेडडकल वल्डल न्युज द्वारा प्रकालशत।
शर र अपने जरूरत के मुताबिक कॉलेस्रल का उत्पादन करता है । भोजन के द्वारा कॉलेस्रल का
स्रोत केवल माींस है , और रक्त में कॉलेस्रोल का स्तर िढ़ा सकता है । सैचुरेटेड और रााँस िैट भी
कॉलेस्रोल का स्तर िढ़ाते हैं।7
7. मोटापा
मोटापा ति होता है जि कोई व्यजक्त जजतना ऊजाल खचल करता है उससे ज्यादा ऊजाल लेता है , और
यह आहार और कियाशीलता पर ननभलर करता है ।
मोटापा हृदय रोगों का कारक है , यह इसके खतरे को तीन से चार गुणा िढ़ाता है । (वल्डल हे ल्थ
ऑगलनाजेशन से 1970-1980 के डाटा के मुताबिक।)7
मोटापा रक्तचाप, रक्त में कॉलेस्रोल और राईजग्लसेरॉईड के स्तर, और इन्सलु लन (मधस
ु द
ू नी)
प्रनतरोध को अनचाहे रूप से प्रभाववत करता है - यह उच्च रक्तचाप, टाईप 2 मधुमेह, हृदय रोग,
और दौरे के खतरे को िढ़ता है ।3
8. मधुमेह3
मधुमेह रोधगयों में होने मौतों का तकर िन साठ प्रनतशत कारण हृदय रोग है
मधम
ु ेह के रोधगयों में हृदय रोग और दौरे के खतरे 2-3 गण
ु ा ज्यादा होते हैं, और मधम
ु ेह के वे
रोगी जजन्हें हृदाघात या दौरा प़िा हो, अन्य लोगों के मुकािले ज्यादा तकल िों का सामना करते
हैं
रक्त में शक्कर का स्तर िढ़ने के साथ हृदय रोग का खतरा भी िढ़ता है
9. जेनेहटक्स
पििे ज औि उपचाि
1. धूम्रपान त्यागें
2. कियाशील िनें
नेश्नल इन्सहटच्युट ऑि हे ल्थ और अमेररकन हाटल एस्सोलसएशन ने 30+ लमनट रोजाना कसरत
करने का सलाह हदया है ।9
कसरत रक्त में हाई डेजन्सहट ललपोप्रोट न के स्तर को िढ़ाता है जो हृदय रोगों से िचाता है ।
3. शराि सेवन न करें
4. रक्तचाप स्वस्थ स्तर पर िनाए रखें
5. कॉलेस्रल सेवन कम करें
आहार के रूप में कॉलेस्रल केवल मााँस में होता है । चाँूकक पौधों में कॉलेस्रल नह ीं होता है ,
ईसललए केवल शाकाहार भोजन खाने मात्र से कॉलेस्रल के स्तर में कमी आएगी।
सिसे खतरनाक कॉलेस्रल: ऑजक्सडाईज़्ड कॉलेस्रोल- मुख्यतः पनीर, दध
ू पाउडर, कस्टडल और
पडु डींग के लमश्रणों में पाया जाता है , एवीं डडजिे-िींद उत्पाद जजनमें दध
ू , अण्डे, या पशुओीं के अन्य
उत्पाद हों।7
“साक्ष्य िताते है कक पशुओीं के उत्पादों को थो़िे मात्राओीं में भी खाने से कुछ लोगों में कैंसर और
हृदयवाहहनी के रोगों के खतरे िढ़ जाते हैं।”15
6. सैचुरेटेड िैट, रााँस िैट, और नमक
आहार द्वारा कॉलेस्रोल िढ़ाने में सैचरु े टेड और रााँस वसा का मख्
ु य भलू मका है , जजसमें सैचरु े टेड
वसा कॉलेस्रोल िढ़ाने में रााँस वसा से ज़्यादा शजक्तशाल है ।7
सैचुरेटेड वसा पशुओीं के उत्पादों में पाए जाते हैं, मुख्यतः लाल मााँस (यह नाररयल और के तेल
में पाया जाता है ), जिकक रााँस वसा उन व्यींजनों में पाया जाता है जजनमें हाईड्रोजनेटेड वसा
पाए जाते हैं।7
रक्तचाप कम करने के ललए नमक का सेवन कम करें , और इस तरह से हृदय रोग के खतरे
कम करें , क्योंकक नमक का सेवन कम होने से रक्तचाप सुधरता है ।3
7. हृदय को मजिूज िनाए रखने वाले आहार चुनें
लहसुन हृदय के ललए अच्छा है , यह कॉलेस्रल, राईजग्लसेराईड्स, एवीं LDL (एक प्रकार का
कॉलेरोल जो धमननयों के जाम करता है , और इस प्रकार हृदय रोगो को िढ़ावा दे ता है ) के स्तर
को घटाता है जिकक HDL (एक प्रकार का कॉलेस्रल जो धमननयों को साि कर हृदय रोग होने
के खतरे को कम करता है ) के स्तर को िढ़ाए।7,16
जि मााँस के स्थान पर सोयािीन का प्रयोग ककया गया, हृदय रोग होने के खतरे कम हो गए,
और रक्त जााँचों ने LDL कॉलेस्रल और राईजग्लसेराईड्स के स्तरों में कमी पाया, जिकक HDL
के स्तर सामान्य थे।16,17,18
पाया गया है कक एन्ट ऑजक्सडेन्ट गण
ु ों की वजह से िीटा कैरोट न एवीं ववटालमन ई से भरपरू
भोजन हृदय रोग को खतरे को कम करते।7
िीटा कैरोट न सींतरे , पीले िल एवीं सजजजयों, और गहरे हरे पत्तेदार सजजजयों में पाया जाता है ।
सजप्लमें ट के सेवन िल एवीं सजजजयों से लमलने वाले लाभ की िरािर नह ीं कर सकते है ।
ववटालमन ई वनस्पनत तेल, दाल, िादाम, और पत्तेदार सजजजयों में पाया जाता है । प्रनतहदन
60 IU ववटालमन ई लेने से हृदय रोग होने के खतरे 34-50% कम हो जाता है ।7
दस
ू रे भोजन जो हृदय रोगों से सुरक्षा प्रदान करते है , इनमें शालमल है अखरोट और तीसी के
िीज- क्योंकक इनमें पॉललअनसैचुरेटेड वसा और ओमेगा 3 के उच्च स्तर पाए जाते हैं। एक
अध्ययन में पाया गया कक तीसी के िीज के सेवन से LDL कॉलेस्रल के स्तर में कमी आई
जिकक HDL कॉलेस्रल के स्तर में कोई िदलाव नह ीं आया। 7,6
8. उत्तम वजन िनाए रखें
9. होमोलससटाईन के स्तर को िढ़ने न दें
होमोलससटाईन एक ऐसा हॉरमोन है जजस प्रयोग शर र में प्रोट न उत्पादन एवीं ववलभन्न
रसायननक प्रनतकियाओीं के ललए जाता है ।
शोध िताते हैं कक होमोलससटाईन के स्तर में 10% की िढ़ोतर हृदयाघात के खतरे को भी
लगभग 10% िढ़ाता है ।
कॉिी, धूम्रपान, एवीं लम्योनीन (अींडा, पनीर, और मााँस में इस अलमनो एलसड के ऊाँचे स्तर पाए
जाते हैं) के ऊाँचे स्तर रक्त में होमोलससटाईन के स्तर को िढ़ाते हैं
रक्त में मौजूद िॉललक एलसड, B6 और B12 होमोलससटाईन को लम्योनीन में तिद ल करने में
मदद करते हैं, जो सामान्य स्तरों में सुरक्षक्षत होते हैं, परीं तु एक िार रक्त में इसका स्तर में
िढ़ने पर यह दि
ु रा होमोलससटाईन में िदल जाते हैं।
10. कॉलेस्रोल घटाकर नाईरक ऑक्साईड के स्वस्थ स्तर िनाए रखें 7
11. तनाव पर कािू पाएाँ
हमें तनाव को हमेशा कािू में रखना सीखने के ललए परमेश्वर में मदद मााँगना चाहहए
एक सवे में पाया गया कक हृदयाघात से िचे हुए मर जों नें हृदयाघात से एक हदन पहले कािी
तनाव महसस ू ककया था
12. उधचत चुनाव करें
हमें भूख और र नत र वाजों में िींधे नह ीं रहना चाहहए
याद रखें, स्वस्थ जीवनशैल अपनाने से 9 में से 10 हृदयाघातों से िचा जा सकता है 7
1
World Health Organization (2012). The top 10 cases of death. (http://www.who.int/mediacenter/factsheet/fs310/en/index2.html)
2
Causes of death 2008, (2008). World Health Organization, Geneva,
http://www.who.int/healthinfo/global_burden_disease/cod_2008_sources_methods.pdf.
3
Mendis S, Puska P, Norrving B (Eds.). (2011). Global atlas on cardiovascular disease prevention and control. World Health Organization.
Geneva. (http://whqlibdoc.who.int/publications/2011/9789241564373_eng.pdf)?
4
Fact sheet N°317. (2011). Cardiovascular disease (CVDs). (http://www.who.int/mediacenter/factsheet/fs317/en/index.html)
5
Miniño, A., Murphy, S., Xu, J., & Kochanek, K. (2011). Deaths: Final data for 2008. National Vital Statistics Reports; vol 59 no 10.
Hyattsville, MD: National Center for Health Statistics.
6
Heidenreich, P., Trogdon, J., Khavjou, O., et al. (2011). Forecasting the future of cardiovascular diseases in United States: A policy
statement from the American Heart Association Circulation. 123:933-44. Epub 2011 Jan 24.
7
Nedley, N. (1999). Proof positive. Ardmore, OK: Quality Books, Inc.
8
Allam, A., Thompson, R., Wann, L., Miyamoto, M., Nur El-Din Ael-H., El-Makscud, G., Al-Tphamy Soliman M., Badr I, El-Rahman Amer, H.,
Sutherland, M., Sutherland, J., & Thomas, G. (2011.). Atherosclerosis in ancient Egyptians mummies: The Horus study. JACC Cardiovascular
Imaging. Apr;4(4):315-27. Accessed online at http://www.ncbi.nlm.gov/pubmed/21466986.
9
Longo, D. L., Kasper, D. L., Jameson, J. L., Fauci, A. S., Hauser, S. L., & Loscalzo, J. (eds) (2012). Harrison’s principles of internal medicine
(18th ed). New York: McGraw Hill.
10
Alwan, A., Armstrong, T., Bettcher, D., Branca, F., Chisholm, D., Ezzati,M., et al. (Eds). (2011). Global status report on non communicable
diseases 2010. [Electronic version]. World Health Organisation. Italy.
आाँकडे
ववश्व का:
o 2009 में , ववश्व में 1 अरि लोग उच्च रक्तचाप से पीड़ित थे। 1
o तुलाने युननवलसलट स्कुल ऑि पिललक हे ल्थ के एक अध्ययन के मुताबिक उच्च रक्तचाप से
पीड़ित लोगों की सींख्या 2025 में िढ़कार 1.56 अरि हो जाएगी। 2
o अनम
ु ान है कक परू े ववश्व में , उच्च रक्तचाप 7.5 लमललयन मौतों के ललए जजम्मेदार है । यह
ववश्व के कुल मौतों का कर ि 13% है । यह 25 और उससे ज़्यादा उम्र के वयस्कों के
जनसींख्या का 40% है ।3
o वल्डल हे ल्थ ऑगलनाईजेशन के क्षेत्रों में हुए अध्ययन के मुताबिक 62% स्रोक और 49%
हृदयाघात उच्च रक्तचाप के कारण होते हैं।4
य.ू एस. के आाँक़िे:
o यू.एस. में 20 और उससे जयादा उम्र के वयस्कों में 1 में से 3 – (तकर िन 76.4 लमललयन)
– उच्च रक्तचाप से पीड़ित हैं। 5
o वषल 2008 में , 347,000 अमर ककयों में उच्च रक्तचाप मौत का मुख्य या ककसी दस
ू रे तरह से
जजम्मेदार कारक है ।5
o 2010 में , उच्च रक्तचाप के कारण तकर िन $93.5 अरि य.ू एस.डी. का धचककत्सीय खचल
और कायलक्षमता में कमी आई।6
o तकर िन 2 में 1 अमर की वयस्क जजन्हें उच्च रक्तचाप है , उसे कािू में ककए हुए है ।7
o कर ि 30% अमर की वयस्कों प्रीहाईपरटें शन है – आगे चलकर यह उच्च रक्तचाप और
हृदवाहहनी रोग होने के खतरे को िढ़ाता है ।5
िक्तचाप क्या िै ?
रक्तचाप उस दिाव का नाप है जजसे रक्त धमननयों के ववपररत डालता है । इस दिाव को लमललमीटर में उस
दरू से नापा जाता है जजतना ऊपर पारा चढ़ता है ।
डाय्सटोललक रक्तचाप= ध़िकनों के िीच दिाव का ननचतर स्तर जि हृदय आराम करता है
िक्तचाप का स्ति
समान्य रक्तचाप क्या है ? 120/80 से कम (कम समान्यतः िेहतर होता है )8
प्रीहाईपरटें शन समान्य एवीं उच्च रक्तचाप के िीच का रक्तचाप है : 120-139/80-89। उस स्तर पर पहुाँचने से
पहले ह जजस उच्च रक्तचाप माना जाता है , व्यजक्त के अींगों और तींतुओीं को क्षनत पहुाँचना शुरू हो सकता है 8
उच्च रक्त समय के साथ धमननयों पर रक्त के दिाव में इजाफा है (140 /90 या अधधक)।8
8
रक्तचाप में प्रत्येक 20/10 िढ़ोतर के साथ हृदवाहहनी के रोग का खतरा दग
ु ना होता जाता है । तकर िन एक
लमललयन व्यजक्तयों में ककया गए अधय्यन में हृदय रोग, आघात, और रक्त धमननयों के अन्य रोगों के कारण
ीं उच्च रक्तचाप से पाया गया, 115/75 mmHg से शुरू।8 समान्य रक्तचाप
होने वाल मौतों का सीधा सींिध
वाले व्यजक्तयों के मुकािले 160/95mmHg रक्तचाप वालों में अथेरोस्क्लेरोलसस के ववकास का खतरा 5X िढ़
जाता है , जजससे हृदय रोग होता है ।
साथ ह अन्य रोग भी उच्च रक्तचाप का कारण िन सकते है जैसे गााँठ, एन्डोिाईन, वास्कुलर (धमननयों का),
या जेनेहटक ववकार, नीींद में अ़िचन आने का ववकार, और अन्य।8 इसललए, उच्च रक्तचाप के पहचान और
उपचार के ललए धचककत्सीय मदद लेना चाहहए।
उच्च रक्तचाप धमननयों को प्रभाववत करता है : एक िार उच्च रक्तचाप का ववकास हो जाने पर अनतररक्त
दिाव धमननयों को क्षनत पहुाँचाता है , इस कारण अथेरोस्क्लेरोलसस का जस्थनत और भी बिगा़ि दे ता है जजससे
रक्तचाप और अधधक िढ़ जाता है ।
क्या हो सकता यहद उच्च रक्तचाप का उपचार नह ीं ककया गया? रक्तचाप िढ़ता जा सकता है । अींत में
हृदयाघत, आघात, क्षनतग्रस्त गद
ु ाल, पैरों के रक्त धमननयों को क्षनत, आाँधापन, हृदय का ननजटिय होना,
अन्यररजम्स, और मत्ृ यु हो सकता है ।8,11 एक अन्य अधय्यन में पाया गया कक उच्च रक्तचाप का उपचार नह ीं
होने पर समय के साथ हदमाग को क्षनत पहुाँचने लगता है —प्रत्येक 10 mmHg के िढ़ने के साथ 25 साल िाद
हदमागी क्षमता कम होने का खतरा 9% िढ़ जाता है ।11
लक्षण
समान्यतः लक्षण तभी नजर आते हैं जि यह िहुत ज्यादा िढ़ जाता है :8
लसर ददल
ध़िकन िढ़ना
चक्कर आना
तरु ीं त थक जाना
अक्षमता
परीं तु िहुत िार आघात होने तक कोई लक्षण नजर नह ीं आते
िोग पिचान: कई हदनो के अींतराल में कई िार रक्तचाप नापना, और अन्य कारणों का पहचान करते जाना। 9
1. वजन ज्यादा हो तो उसे घटाएाँ। आमतौर पर मात्र 10 पाउण्ड वजन घटाने से भी रक्तचाप घटता है ;
किर भी, अच्छा रक्तचाप िनाए रखने के ललए, समान्य वजन पाने तक वजन घटाते रखना चाहहए।
वजन घटाने के ललए स्वस्थ आहार और ननयलमत कसरत जरूर है । 14
2. नमक का सेवन कम करें । पकाते या खाते समय नमक न लमलाएाँ। डडजिािींद खाना खर दने से पहले
उसमें सोडडयम का मात्रा जरूर पढ़ें । शर र को कम से कम 250 लमग्रा प्रनतहदन है ।11 सेंटर फॉर डीजीज
कन्रोस इन जस्थनतयों में 1,500 लमग्रा से कम सोडडयम (3/4 चम्मच से कम) प्रनतहदन खाने की
सलाह दे ती है : 51 या इससे अधधक उम्र के होने पर, अफ़्रर की अमर की होने पर, मधुमेह, गुदे के
लशकायत, उच्च रक्तचाप, जिकक िाकी जनसींख्या को 2,300 (1 चम्मच) या इससे कम सोडडयम खाने
का सलाह दे ती है ।14,15 परू े ववश्व औसत व्यजक्त प्रनतहदन 9,000-12,000 लमग्रा प्रनतहदन खाता है ।16
पूणल रूप से नमक रहहत आहार आमतौर पर जरूर नह ीं होता है , क्योंकक शोधकतालओीं का मानना है कक
समान्य रूप से नमक का सेवन कम करने से उच्च रक्तचाप वाले और समान्य रक्त चाप वालों का
रक्तचाप कम होता है ।16 यूएस का तकर िन 75% नमक डजिािींद भोजन से आता है ।14
3. कम वसा वाले आहार लें , तले हुए व्यींजनों से परहे ज करें । सैचूरेटेड वसा, कॉलेस्रोल, और रााँस वसा
अथेरोस्क्लेरोलसस के सिसे खतरनाक कारणों में से हैं - और धमननयों को जाम कर दे ते हैं,16 परीं तु सारे
वसाओीं को थो़िे मात्राओीं में लें।
4. पशुओीं के उत्पादों का सेवन कम करें या पूर तरह से त्याग दें । इन उत्पादों के कॉलेस्रोल और
सैचूरेटेड वसा उच्च रक्तचाप, अथेरोस्क्लेरोलसस हृदय रोग और कैंसर का कारण िनते हैं।
5. कसरत करें (चलना िहुत अच्छा है ), कम से कम सप्ताह में 5 हदन 30 लमनटों के ललए।16 कसरत
हृदय के मााँसपेशेयों को मजित
ू करता है , तनाव कम करता है , रक्त से वसा हटाता है , रक्तचाप कम
करता है और रक्तसींचार िढ़ाता है ।
6. लहसन
ु का सेवन िढ़ाएाँ। लहसन
ु रक्तचाप, कुल कॉलेस्रे ल और राईजग्लसेराईड और लेड का मात्रा कम
करता है , और धमननयों को साि करता है ।17
7. सींपूणल आनाज, दाल, ताजे िल, और सजजजयों से भरपूर रे शायुक्त आहार लें । पाचन तींत्र में रे शे वपत्त
(जजसमें कॉलेस्रोल पाया जाता है ) जु़िकर अनतररक्त कॉलेस्रोल को शर र से िाहर ननकालते हैं।11,18,19
8. पोटै लशयम युक्त आहार लें । पोटै लशयम में उच्च रक्तचाप रोधी गुण होते हैं, और सोडडयम का प्रभाव
कम करते हैं। केले, सींतरे , टमाटरों, आलओ
ू ीं, और अन्य िल, सजजजयों और दालों में प्रचर मात्राओीं में
पाया जाता है ।14
9. कैजल्शयम से भरपूर भोजन भी रक्तचाप कम कर सकते हैं। एक अधय्यन में पाया गया है कक
प्रनतग्राम कैजल्शयम रक्तचाप को 12 प्रनतशत कम करता है । पौधों से खास कर हरे पत्तेदार सजजजयों से
इसे प्राप्त करें ।11
10. धूप भी रक्तचाप कम कर सकता है ।20
11. शराि या तम्िाकू का सेवन न करें ।
12. चाय, कॉफी से परहे ज करें - एक कप कॉफी 5-6 पोईंट रक्तचाप िढ़ा सकता है ।11
13. जलधचककत्सा के उपचार अस्थायी रूप से रक्तचाप कम कर सकते हैं। पैरों का गमल स्नान या गमल
पानी से स्नान करना लाभदायक साबित हो सकता है । 18
14. तनाव कम करें ।
15. ननयलमत रूप से धगरजा जाने वालों में नह ीं जोने वालों के मक
ु ािले रक्तचाप की समस्याएाँ कम दे खी
जाती है ।21
1
Bakris, G., & Ritz E. (2009). The message for world kidney day 2009: Hypertension and kidney disease: a marriage that should be
prevented. The Internet Journal of Nephrology. 5(1).
2
Kearney P., et al. (2005). Global burden of hypertension: analysis of world- wide data. Lancet. 365:217-23.
3
World Health Organization. (2012). Global Health Observatory: Raised blood pressure: Situation and trends. Accessed March 15, 2012
online at http://www.who.int/gho/ncd/risk_factors/blood_pressure_prevalence_text/en/index.html.
4
World Health Organization. (2002). World Health Report, 2002.
5
(( Roger VL, Go AS, Lloyd-Jones DM, et al. Heart disease and stroke statistics—2012 update: a report from the American Heart
Association. Circulation. Epub 2011 Dec 15) ___OR____Roger VL, Go AS, Lloyd-Jones DM, Benjamin EJ, Berry JD, Borden WB,
Bravata DM, Dai S, Ford ES, Fox CS, Fullerton HJ, Gillespie C, Hailpern SM, Heit JA, Howard VJ, Kissela BM, Kittner SJ, Lackland
DT, Lichtman JH, Lisabeth LD, Makuc DM, Marcus GM, Marelli A, Matchar DB, Moy CS, Mozaffarian D, Mussolino ME, Nichol G,
Paynter NP, Soliman EZ, Sorlie PD, Sotoodehnia N, Turan TN, Virani SS, Wong ND, Woo D, Turner MB; on behalf of the American
Heart Association Statistics Committee and Stroke Statistics Subcommittee. Heart disease and stroke statistics—2012 update: a report
from the American Heart Association. Circulation. 2012: published online before print December 15, 2011,
10.1161/CIR.0b013e31823ac046.))
6
Heidenreich, P., Trogdon, J., Khavjou, O., Butler, J., Dracup, K., Ezekowitz, M., et al. Forecasting the future of cardiovascular disease in
the United States: a policy statement from the American Heart Association. Circulation. 2011;123:933-44. Epub 2011 Jan 24.
7
CDC. (2011). Vital signs: prevalence, treatment, and control of hypertension—United States, 1999-2002 and 2005-2008. MMWR.
60(4):103-8.
8
Longo, D.L., Kasper, D.L., Jameson, J.L., Fauci, A.S., Hauser, S.L., & Loscalzo, J. (eds.) (2012). Harrison’s principles of internal
medicine (18th ed.). New York: McGraw Hill.
9
Beers, M. H., & Berkow, R. (Eds.). (1999). The merck manual of diagnosis and therapy (17th ed.). Whitehouse Station, NJ: Merck
Research Laboratories.
10
Pojoga, L.H., Yao, T.M., Sinha, S., Ross, R.L, Lin, J.C., Raffetto, J. D., Adler, G.A., Williams, G.H., & Khalil, R.A. (2008). Effect of
dietary sodium on vasoconstriction and eNOS-mediated vascular relaxation in caveolin-1-deficient mice. Published online before print
January 4, 2008, doi: 10. 1152/ ajpheart. 01014. 2007 AJP - Heart March 2008 vol. 294 no. 3 H1258-H1265.
11
Nedley, N. (1999). Proof positive. Ardmore, OK: Quality Books, Inc.
12
Kannel, W.B, Garrison, R.J. & Dannenberg, A.L. (1993). Secular blood pressure trends in normotensive persons: The Framingham Study.
American Heart Journal. 125(4):1154-1158.
13
Wakabayashi, K., Nakamura, K., et al (1995). Alcohol consumption and blood pressure: an extended study of self-defense officials in
Japan. International Journal of Epidemiology. 23(2):307-311.
14
American Heart Association. (2012). High blood pressure. Retrieved November 20, 2012 from
http://www.heart.org/HEARTORG/Conditions/HighBloodPressure/High-Blood-Pressure_UCM_002020_SubHomePage.jsp
15
CDC. (2012). Most Americans should consume less sodium. Retrieved November http://www.cdc.gov/salt/ from
http://www.cdc.gov/salt/.
16
Mendis S, Puska P, Norrving B (Eds.). (2011). Global atlas on cardiovascular disease prevention and control. World Health Organization.
Geneva. (http://whqlibdoc.who.int/publications/2011/9789241564373_eng.pdf).
17
Blumenthal, M. (ed.). (2000). Herbal medicine: Expanded Commission E monographs: Herb monographs, based on those created by a
special expert committee of the German Federal Institute for Drugs and Medical Devices. Newton, MA: Integrative Medicine
Communications.
18
Thrash, A. (2012). High blood pressure. Retrieved November 20, 2012 from
http://ucheepines.org/index.php?p=counseling.high_blood_pressure.
19
Thrash, A. (2012). Gallstones. Retrieved November 20, 2012 from http://ucheepines.org/index.php?p=counseling.gallstones.
20
Mead, M.N. (2008). Benefits of sunlight: A bright spot for human health. Environmental Health Perspectives. 116(4): A160–A167.
21
Graham, T.W., Kaplan, B.H., Cornoni-Huntley, J.C., James, S.A., Becker, C., Hames, C.G., & Heyden, S. (1978). Frequency of church
attendance and blood pressure elevation. Journal of Behavioral Medicine 1(1).
अध्याय 3- मधम
ु ेि
आाँकडे
मधम
ु ेह ववश्व में सिसे तेजी से िैलने वाले रोगों में से एक है , दोनों उच्च और कम आय वाले दे शों
में ।
2011 में पूरे ववश्व में 366 लमललयन (20-79 वषल के 8.3% वयस्क) लोगों में यह पाया गया, और
यह अनुमान लगाया गया है कक 2030 तक 552 लमललयन (9.9%) लोग इससे प्रभाववत होंगे।
अनुमान है कक 2011 में 4.6 लमललयन से भी अधधक लोगों की मत्ृ यु हुई, और कर ि 80% मौत
मध्यम आय वाले दे शों में हुए।
महहलाओीं को परू
ु षों को लगभग समान रूप से प्रभाववत करता है (185 लमललयन परू
ु ष और 181
लमललयन महहलाएाँ)।
पूरे ववश्व में 183 लमललयन लोग नह ीं जानते हैं कक उन्हें मधुमेह है (अफ़्रीका के 78% मर ज नह ीं
जानते कक उन्हें मधुमेह है )।
2011 में पूरे ववश्व में 465 अरि अमर की डॉलर मधुमेह के कारण खचल हुए।
तकर िन 78,000 िच्चों को 2011 में मधुमेह टाइप 1 ववकलसत हुआ।
2011 के दे श और इलाके के आाँक़िे दे खने के ललए दे खें,
www.idf.org/diabetesatlas/5e/detailed-data-and-interactive-map
परिभाषा:
मधुमेह एक ऐसा रोग है जजसमें शर र या तो इन्सुललन का उत्पादन पयालप्त मात्रा में नह ीं कर पाता है या
कोलशकाओीं में ग्लूकोज पहुाँचाने के ललए उसका इस्तेमाल सह तरह से नह ीं कर पाता है । पररणास्वरूप रक्त में
ग्लूकोज का मात्रा िहुत ऊाँचा रह जाता है , और पूरे शर र को नुकसान पहुाँचाता है ।
खाने के िाद, पाचन तींत्र में स्टाचल और शक्कर युक्त भोजन शक्कर के कणों में टूट जाते हैं। छोट आाँत के
हदवारों से इन्हें रक्त में सोख ललया जाता है । ग्लूकोज शर र द्वार इस्तेमाल ककया जा सकता है , जिकक
फ़्रूक्टोज और गैलक्टोज को यकृत में ग्लूकोज में तिद ल करना प़िता है । रक्त में ग्लूकोज की उच्च मात्रा अन्य
हॉमोनों और न्यरू ोलॉजजक सींकेतों के साथ लमलकर अग्नाश्य को इन्सलु लन उत्पादन के ललए उत्साहहत करता है ।
इन्सुललन कोलशकाओीं के हदवारों में चाभी के रूप में जु़ि जाता है , जजसके द्वारा ग्लूकोज कोलशकाओीं के अींदर
जाता है । जैसे जैसे ग्लूकोज कोलशकाओीं द्वारा ले ललया जाता है , रक्त में ग्लूकोज का स्तर एक स्तर तक धगर
जाता है , और अग्नाशय इन्सुललन का उत्पादन कम कर दे ता है । रक्त में एक ननधालररत मात्रा में ग्लूकोज का
उपजस्थत रहना जरूर है ताकक हदमाग को इसकी लगातार आपूनतल हो सके। हदमाग में ग्लूकोज का कमी व्यजक्त
में घिराहट, जी लमचलना, धच़िधच़िपन, भूलना, समझ की कमी, ननणलय न ले पाना, आवसाद, दस्
ु वपन, और
आत्महत्या करने की इच्छा िढ़ाती है ।
टाइप 2 मधुमेह (वयस्क शुरूआत मधुमेह): तकर िन 85 95% मधुमेह टाइप 2 के कारण होता है ।4 यह धीरे
धीरे िढ़ते उम्र के साथ ववकलसत होता है (परीं तु छोटे िच्चों में तेजी से िढ़ रहा है ), और मोटे , कसरत नह ीं
करने वालों को होता है ।1,2 महहलाओीं और परू
ु षों में लगभग िरािर सींख्या में लोग प्रभाववत हैं। टाइप 2 मधम
ु ेह
में इन्सलु लन उत्पान के मात्राओीं में अींतर हो सकता है और अकसर यह समान्य से ज्यादा होता है । हलााँकक इस
जस्थनत में कोलशकाएाँ इन्सुललन रोधी हो जाती है ।2
टाइप 2 मधुमेह में , इन्सुललन उत्पादन के मात्रा में अींतर पाया जाता है और कई िार यह समान्य से
ज्यादा होता है । चाँूकक व्यजक्त इन्सुललन के प्रनत रोधी गुण ववकलसत कर लेता है , अकसर इन्सुललन
उत्पादन की मात्रा को कम कर दे ता है ।
भोजन के िाद जि ग्लूकोज रक्त में प्रवेश करता है , उसे कोलशकाओीं में प्रवेश करने के ललए इन्सुललन
की जरूरत होती है । इन्सुललन ताले पर चाभी की तरह काम करता है , कोलशका के हदवार पर एक खास
ररसेप्टर (एक खास तरह का एन्जाइम) के साथ जु़िता है , और जरूर ग्लूकोज को कोलशका के अींदर
जाने दे ता है , ताकक कोलशका को उसके रोज की गनतववधधयों के ललए ऊजाल लमल सके।
इन्सुललन अग्नाशय के िीटा कोलशकाओीं द्वारा ति िनता है जि रक्त में ग्लूकोज की मात्रा 70 लमग्रा
प्रनत डेसील टर हो जाती है । यहद रक्त में थो़िे मात्रा में ग्लक
ू ोज हो तो अग्नाशय भी थो़िे मात्राओीं में
इन्सुललन का उत्पादन करता है , ताकक कोलशकाओीं में थो़िी मात्रा में इन्सुललन जाए। यहद रक्त में िहुत
अधधक मात्रा में ग्लूकोज जाता है तो अग्नाशय भी िहुत अधधक मात्रा में इन्सुललन उत्पान करता है ,
ताकक अधधक मात्रा में ग्लूकोज कोलशकाओीं में जा सके।
भले ह ग्लूकोज प्रत्येक कोलशका के ललए िहुत अहम है , कोलशकाओीं को अपने गनतववधधयों को पूरा
करने के ललए एक ननधालररत मात्रा में ग्लूकोज की जरूरत होती है । इस कारण वे सीलमत मात्रा में ह
ग्लक
ू ोज को प्रवेश करने दे ते हैं- जो व्यजक्त की गनतववधधयों पर ननभलर करती है । जि कोलशका के पास
से इन्सुललन और ग्लूकोज गुजरते हैं जि कोलशका यह ननणलय लेती है कक उसे ककतनी मात्रा में
ग्लूकोज की जरूरत है , और वह या तो उसे ग्रहण करता है या नकार दे ता है । यहद कोलशका के आस
पास िहुत अधधक ग्लूकोज और इन्सुललन हो जजसकी उसे जरूरत न हो तो वह इन्सुललन के प्रनत रोधी
िन जाता है , और वह इन्सुललन को ग्रहण करने वाले ररसेप्टरों को ननजटिय िना दे ता है । टाइप 2
मधुमेह में यह होता है - अग्नाशय इन्सुललन उत्पादन करना है , परीं तु कोलशकाएाँ उसे ग्रहण नह ीं करती
है ।
इसललए यहद व्यजक्त ग्लूकोज को कोलशकाओीं के अींदर भेजने के ललए मधुमेह का दवा या ऊपर तौर से
इन्सुललन लेता है तो वह, इस प्रकार रक्त के ग्लूकोज स्तर को कम कर दे ता है , और अपनी सकियता
के स्तर और आहार को नह ीं िदलता है , तो क्या यह समस्या का समाधान कर सकता है ? यहद
व्यजक्त केवल रक्त के ग्लक
ू ोज को कम करता है और उसके कारण की अनदे खी करता है तो मधम
ु ेह
समय को साथ और भी िढ़ सकता है ।
एक ननजटिय व्यजक्त को उसके कोलशकाओीं की गनतववधधयों के ललए िहुत अधधक ग्लूकोज की जरूरत
नह ीं होती है । किर भी ननजटिय व्यजक्तयों को आईस्िीम, सोडा, बिस्कुट, और आहद पसींद होता है ।
जि ग्लूकोज रक्त में प्रवेश करता है , तो अग्नाशय इन ग्लूकोजों को कोलशकाओीं में भेजने के ललए
िहुत सारा इन्सलु लन पैदा करता है । जि व्यजक्त लींिे समय तक िहुत ज्यादा कैलोर लेता है , और इन
कैलोररयों का इस्तेमाल नह ीं करता है , ति अधधकााँश कोलशकाएाँ अनतररक्त ग्लक
ू ोज और इन्सलु लन को
नकारते हैं, और व्यजक्त “इन्सुललन रोधी” िन जाता है ।
टाइप 2 मधुमेह वाले अधधकााँश लोगों के रक्त में इन्सुललन उच्च मात्रा में पाया जाता है , और साथ ह
ग्लूकोज भी। समान्यतः, हम यह उम्मीद करते हैं कक इन्सुललन का उच्च स्तर होने के कारण ग्लूकोज
का स्तर कम होगा। परीं तु टाइप 2 मधुमेह में , लींिे समय तक व्यजक्त शर र में कोलशकाओीं के जरूरत
से िहुत ज्यादा ऊजाल ग्रहण करता है , और इसललए कोलशकाएाँ अनतररक्त ग्लक
ु ोज को नकार दे ती है ।
पररणामस्वरूप, ग्लक
ू ोजों के कोलशकाओीं में भेजने के ललए अग्नाशय भार मात्राओीं में इन्सलु लन का
उत्पादन करता है , और शर र को रक्त में िहुत ज्यादा ग्लूकोज से होने वाले खतरे से िचाने की
कोलशश करता है । अींत में इन्सुललन उत्पादन उस स्तर पर पहुाँच जाता है जजससे ज्यादा वह उत्पादन
नह ीं कर सकता है । समय के साथ इन्सुललन का अनतररक्त उत्पादन और रक्त में शक्कर का स्तर
िहुत ज्यादा होने के कारण इन्सुललन िनाने वाले अग्नाशय के िीटा कोलशकाओीं को क्षनत पहुाँचता है
और वे धीरे धीरे उस जस्थनत में पहुाँच जाते हैं जि वे और इन्सलु लन का उत्पादन नह ीं कर सकते हैं।
पररणामस्वरूप व्यककत टाइप 1 मधुमेह रोगी के समान िन जाता है । इन्सुललन का उच्च मात्रा से
रक्त धमननयााँ क्षनतग्रस्त हो सकते हैं, वजन िढ़ सकता है , रक्तचाप िढ़ सकता है , एलडाएल
कॉलेस्रोल का मात्रा िढ़ता है , सेक्स हॉमोन का स्तर प्रभाववत हो सकता है , आहद।
वसा िढ़ना भी टाइप 2 मधुमेह का कारण हो सकता है क्योंकक वसा को कोलशकाओीं में जाने के ललए
इन्सुललन की जरूरत नह ीं होती है । वह सीधे अींदर चला जाता है । इस प्रकार कोलशका में वसा का ऊजाल
भर जाता है । जि ग्लक
ू ोज प्रवेश करने का कोलशश करता है ति कोलशका में पहले से ऊजाल मौजद
ू
रहता है (एक ग्रा वसा में 1 ग्रा कािोहाईड्रेट का दग
ु ना ऊजाल रहता है ) और कोलशका ग्लूकोज और
इन्सुललन को ठुकरा दे ता है । पररणामस्वरूप, रक्त में ग्लूकोज का स्तर िहुत ज्यादा रह जाता है , और
इस ग्लूकोज को कम करने के ललए और भी अधधक मात्रा में इन्सुललन का उत्पादन होता है । इस
कारण ग्लूकोज और इन्सुललन का उच्च स्तर िना रहता है , जजसके कारण वजन कम नह ीं होता है !
यहद टाइप 1 मधुमेह रोगी ननजटिय रहे , और िहुत अधधक मात्रा में खाना खाए, और किर भार मात्रा
में इन्सलु लन ले, तो वे भी टाइप 2 मधम
ु ेह रोगी की तरह इन्सलु लन रोधी हो जाते हैं और उन्ह ीं
रोग पहचान:2
मधुमेह के लक्षण और रक्त में ग्लूकोज की मात्रा ≥200 लमग्रा प्रनत डेसील टर या
खाल पेट में प्लाजमा ग्लूकोज ≥126 लमग्रा प्रनत डेसील टर या
एआईसी >6.5% या
दो घींटे का प्लाजमा ग्लक
ू ोज ≥200 लमग्रा प्रनत डेसील टर, ओरल ग्लक
ू ोज टोलरें स टे स्ट में
1. गुदे को क्षनत पहुाँचता है जो अकसर िढ़ कर गुदे की ननटियता का पररणाम दे ता है । मधुमेह से पीड़ित
10-20% लोग गुदे की ननजटियता के कारण मरते हैं।
2. धध
ूाँ ला हदखना (रे ट नोपैथी), जजससे िाद में अींधापन हो जाता है , और साथ ह मोनतयाबिींद और
ग्लाउकोमा का खतरा भी िढ़ता है । 15 वषल तक मधम
ु ेह रोगी होने पर 2% लोग अींधे हो जाते हैं और
10% लोगों की दृजटट कमजोर हो जाती है ।
3. न्यूरोपैथी (नसों का क्षनतग्रस्त होना जजसके कारण (खास कर हाथ और पैरों में ) महसूस नह ीं होता है ),
झनझनाहट, जलन, और कुछ पररजस्थनतयों में तेज ददल ), साथ ह पाचन, पेशाि और क्षमता में कमी।
4. धमननयों को क्षनत (अथेरोस्क्लेरोलसस) जजसके कारण अींगीना, हृदय रोग, आघात, और हृदय की
ननजटियता होता है । मधुमेह पीड़ित 50% लोग हृदवाहहनी के रोग (खास कर हृदयाघत और आघात) के
कारण मरते हैं।
5. पेररिेरल वस्कुलर रोग (धमननयााँ अथेरोस्क्लेरोहटक और क़िे हो जाते है )। इसके कारण हाथ पैरों में
रक्त सींचार कम हो सकता है , जजसके िदले त्वचा रोग (स्टे हटस डमालटाइहटस), त्वचा में खुजल , घाव
(पैरों के घाव जो ठीक नह ीं होते हैं), गींग्रीन हो सकते हैं और अींग को हटाना प़ि सकता है - शोध िताते
हैं कक मधम
ु ेह रोधगयों में अींग हटाने का खतरा 25X िढ़ जाता है ।
6. गभलवस्था की समस्याएाँ- मैिोसोलमया (जन्म के वक्त अधधक वजन), प्रसव के दौरान समस्याएाँ, जन्म
के िाद िच्चें में हाईपोग्लाईसेलमया, और भववटय में उन्हें मधुमेह का अधधक खतरा रहता है ।
7. माँहु का स्वास््य- धगींधगवाईहटस का अधधक खतरा, जजसके कारण दााँत धगर सकते हैं, और हृदवाहहनी
के रोगों का खतरा भी िढ़ाते हैं
8. स्ल प ऐननया (नीींद में रुकावट)- शोध से टाइप 2 मधम
ु ेह और नीींद में रुकावट के िीच सींिींध पाया
गया है ।
9. सुनने की क्षमता में कमी
10. िेहोश होना और मत्ृ यु (सिसे िुरे हलातों में )
मधम
ु ेि को ननयंबत्रत किना
इस पररजस्थनत में अग्नाशय िहुत या बिलकुल भी इन्सुललन उत्पादन नह ीं करते- जो मनुटय स्वास््य के ललए
एक िहुत ह महत्वपूणल तत्व है । इस व्यजक्त को जीवन भर प्रनतहदन इन्सुललन लेने की जरूरत होगी
(धचककत्सक की दे ख रे ख में )। उनके ललए अपने रक्त के ग्लूकोज को ननयींबत्रत करना िहुत जरूर है , सालह के
अनस
ु ार ननयलमत रूप से इन्सुललन लेने की जरूरत है , और टाइप 2 मधम
ु ेह के नीचे हदए गए जीवशैल को
अपनाना चाहहए ताकक आगे चलकर उन्हें उन समस्याओीं का सामना नह ीं करना प़िे जो मधुमेह का ननयींत्रण
नह ीं करने पर होता है ।
1. कसरत:
हाउस्टन के िेलर कॉलेज ऑि मेडडलसन के अस्सोयट प्रोिेसर, केन गुडररक, एम.डी. ने कहा “हम
जानते हैं कक यहद प्रत्येक व्यजक्त सप्ताह में कुछ घींटों के ललए कसरत करे तो टाइप 2 मधम
ु ेह
का अजस्तत्व समाप्त हो जाएगा- इसका नुस्खा है सभी को ऐसा करने के ललए प्रोत्साहहत करें ।”7
कई पररजस्थनतयों में रक्त के ग्लूकोज को ननयींबत्रत करने में मदद करे क्योंकक यह कोलशकाओीं को
रक्त के ग्लूकोज का इस्तेमाल कराने में मदद करता है , और कम मात्रा में इन्सुललन का उत्पादन
होता है । यह दवाईयों के बिना ह रक्त के ग्लूकोज स्तर को कम करने में मदद करता है ।8
कोलशकाओीं के चपचाय धगनतववधधयों को िढ़ाकर कोलशकाओीं के ग्लूकोज खपत को िढ़ाता है और
इस कारण HbA1c एवीं इन्सलु लन सींवेदनशीलता िढ़ता है 8 (इसललए कम इन्सलु लन या अन्य दवाओीं
की जरूरत होती है )। एडवडल शहाडी, एम.डी, का कहना है कक “इन्सुललन सींवेदनशीलता को िढ़ाने
6. धीरे धीरे खाएाँ और अच्छी तरह चिाएाँ, दो कौरों के िीच चम्मच नीचे रख दें
7. शराि से परहे ज करें
8. धीरे धीरे वजन घटाने का प्रयत्न करें (प्रनतसप्ताह ½ -2 पाउण्ड/250 ग्रा.) क्योंकक यह ज्यादा
स्थायी रहे गा
9. स्वस्थ आहार:
कम वसा और ररिाईन तेलों वाले आहार लें । अत्यधधक वसा इन्सुललन ररसेप्टरों का सींख्या कम
कर दे ता है । जक्लननकों में ककए गए अधय्यनों में यह पता चला कक कम वसा वाले सींपूणल
शाकाहार भोजन खाने वाले टाइप 2 मधुमेह रोधगयों आम मधुमेह आहार के मुकािले ग्लाईसेलमया
ननयींत्रण िेहतर पाया गाय।12
रे शे यक्
ु त आहार लें , जो बिना ररिाईन ककये गए पादप आहार में पाए जाते हैं, और पशुओीं के
उत्पादों में नह ीं पाए जाते हैं। रे शे इन्सुललन की जरूरत को कम करते हैं और इन्सुललन के प्रनत
अधधक सींवेदनशील िनाते हैं। घुलनशील रे शे हमारे पेट के भोजन को गाढ़ा िनाते हैं। यह पाचन,
पेट को खाल करने, पाचन तींत्र से ग्लूकोज को रक्त में सोखने की प्रकिया को धीमा करता है ।
इस कारण रक्त में ग्लूकोज का स्तर धीरे धीरे िढ़ता है , और इसका उच्चतर स्तर भी कम ह
रहता है । इसललए रक्त को ग्लक
ू ोज को समान्य स्तर पर लाने के ललए कम मात्रा में इन्सलु लन की
जरूरत होती है और ये िीन्स, जौ, एवीं अन्य आहारों में प्रचरु मात्रा में पाया जाता है ।5 हवालडल
स्कूल ऑफ पजजलक हे ल्थ ने ररपोटल हदया कक सींपूणल अनाज लेने का सींिींध मधुमेह पीड़ित
महहलाओीं में हृदवाहहनी रोगों के कारण होने वाल मौतों के घटते दर से है ।
चीनी एवीं चीनी युक्त आहारों को िहुत कम मात्रा में खाएाँ या पूर तरह से परहे ज करें , इसमें मीठा
लगने वाले व्यींजन भी शालमल हैं। इसमें कई अनतररक्त कैलोर होते हैं, जो मोटापा और अत्यधधक
ऊजाल का कारण िनता है - इस प्रकार यह इन्सलु लन रोध िढ़ाता है । इससे कारण रक्त में शक्कर
की मात्रा अचानक िढ़ती है और किर अचानक कम होती है , जो अग्नाशय को अनतररक्त इन्सुललन
उत्पादन करने पर मजिूर करती है , जजसके कारण रक्त में अचानक ग्लूकोज का मात्रा कम हो
जाता है और भूख लगता है , और कमजोर, धच़िधच़िा और दि
ु ार मीठा खाने की इच्छा होती है । ये
लक्षण मीठा खाने के िाद समाप्त हो जाते हैं और यह चि िार िार खुद को, ति तक दह
ु राते
रहता है जि तक की इन्सुललन ररसेप्टर इन्हें ग्रहण करने की कोलशश करता है और इनकी सींख्या
घट जाती है , इस प्रकार इन्सलु लन रोध िढ़ता है ।
जहटल सींरचना वाले कािोहाईड्रेटों वाले आहारों का सेवन करें । इसका अथल है सींपूणल अनाज,
सजजजयााँ, िल, िीन्स, िदाम, और िीज। ये कािोहाईरट धीरे धीरे टूटते हैं और शर र में धीरे से
जाते हैं- और इन्सुललन की अनतधधक उत्पादन के बिना ह पूरे हदन लगातार ऊजाल आपूनतल करते
हैं। इसके ववपररत, ररिाईन ककये गए अनाज और आटों से परहे ज करना चाहहए क्योंकक ये अधधक
शक्कर वाले आहारों के ह तरह काम करते हैं, और इनमें रे शों, ववटालमनों, और खननजों की कमी
होती है जजनकी जरूरत अच्छे स्वास््य की ललए जरूर है । ररिाईन ककए अनाजों में शालमल है
श्वेत चावल, श्वेत पावरोट , श्वेत पास्ता, एवीं अन्य ररिाईन ककये गए आहार। कफनलैण्ड में जस्थत
सींपूणल अनाज: कूटे हुए या पूरे अनाजों के िीज जैसे चावल, गेहूाँ, जौ, और मक्का मुख्य व्यींजन के रूप
में िहुत अच्छे आहार हैं। स्टाचल से भरपूर पास्ता जैसे स्पेगेट और मैिोनी ति तक खाए जा सकते हैं
जि तक की वे सींपूणल अनाज से िने हों। सींपूणल अनाज से िने पावरोट ह खाएाँ।
सजजजयााँ एवीं दाल: खि
ु खाएाँ। 41 से भी अधधक अधय्यनों में पाया गया है कक दाल रक्त में ग्लक
ू ोज
के स्तर को समान्य िनाए रखने में मदद करते हैं। चीन में एक अधय्यन में पाया गया कक ननयलमत
रूप से दाल खाने वालों में टाइप 2 मधुमेह के ववकास में 38% कमी आई है ।
डेयर के स्थान पर ललए जाने वाले आहार: सोयदध
ू जजसमें िहुत कम मीठा डाला गया हो या बिलकुल
नह ीं डाला गया हो और िदाम, आटे या सजजजयों से िने चीज और िीम डेयर के स्थान पर कम मात्रा
में प्रयोग ककये जा सकते हैं।
िदाम और िीज: थो़िे मात्राओीं में सभी तरह के िदाम और उनके मक्खन खाएाँ।
िलों का रस: सूखे िल एवीं अन्य िहुत मीठे िलों/सजजजयों (जैसे अींगूर) का इस्तेमाल िहुत कम या
बिलकुल न करें ।
कैफीन से परहे ज करें - क्योंकक यह रक्त में ग्लूकोज का स्तर िढ़ाता है ।
1
Unwin, N. et al (eds). (2011). IDF diabetes atlas (5th ed.). International Diabetes Federation. www.idf.org/diabetesatlas.
2
Longo, D.L., Kasper, D.L., Jameson, J.L., Fauci, A.S., Hauser, S.L., & Loscalzo, J. (eds.) (2012). Harrison’s principles of internal
medicine (18th ed.). New York: McGraw Hill
3
Bener, A., Alsaied, A., Al-Ali, M, Al-Kubaisi, A, Basha, B., Abraham, A., Guiter, G., & Mian, M. (2009). High prevalence of vitamin D
deficiency in type 1 diabetes mellitus and healthy children. Acta Diabetol. 46(3):183-9. Epub 2008 Oct 10.
4
Fact sheet N°312. (2012). World Health Organization. http://www.who.int/mediacentre/factsheets/fs312/en/
5
House, F., Seale, S.A., & Newman, I.B. (2008). Stop diabetes… before it stops you: The 30-day diabetes miracle. New York: A Perigree
Book.
6
Seeley, R.R., Stephens, T.D., & Tate, P (2008). Anatomy and Physiology (8th ed.). New York: McGraw Hill.
7
IT'S NEVER TOO LATE TO… (2001). Time, 157(5), 54.
8
Ann. Endocrinol (Paris). (2004). 65(1 Suppl):S44-51.
9
Shahady, E. (2000). University of Miami, Consultant.
10
Nedley, N. (1999). Proof positive. Ardmore, OK: Quality Books.
11
New England Journal of Medicine 2001;344:1343-1350,1390-1391.
12
Nutr. Rev. (2009). 67(5):255-263.
13
Circulation 2010;121(20):2162-2168.
14
Snowdon, D, & Phillips, R. (1985). Does a vegetarian diet reduce the occurrence of diabetes? American Journal of Public Health 75, no. 5
(1985): 507-512.
15
Journal of Applied Physiology 2005;99:2008-2019.
16
Thrash, A. (2012). Health recovery program. Retrieved November 20, 2012 from
http://ucheepines.org/index.php?p=counseling.health_recovery_program.
17
Diabetologia June 13, 2009.
18
Am. J. Clin. Nutr. 2008;87(1):162-167.
अध्याय 4- कैंसि
ववश्व में कैंसर मुख्य हत्यारों में से एक है , और 75 से कम उम्र वालों में यह 7.6 लमललयन लोगों को
2008 में मार चुका है (साभी मौतों का 11 प्रनतशत)।
अनुमान है कक 2030 में 13 लमललयन लोग इससे मरें गे।
एक भी कोलशका में िदलाव आने पर कैंसर का ववकास शुरू होता है । ये िदलाव िाहर कारकों या
जेनेहटक कारणों से होते हैं।
2008 में कैंसर से होने वाल 70% मौत गर ि या मध्यम आय वाले दे शों में हुए।
कैंसर से होने वाल मौतों में सिसे आम कैंसर हैं िेि़िों, स्तन, कोलोरे क्टम (आाँत और मलाशय
सींिींधी), उदर, और प्रोस्टे ट के कैंसर (इसी िम में )। हालााँकक, कैंसर से होने वाले मौत ललींग के अनुसार
अलग अलग हैं, पुरूषों में िेि़िों, प्रोस्टे ट, कोलेरेक्टल, उदर, और यकृत के कैंसर अधधक होते हैं जिकक
महहलाओीं में : स्तन, कोलोरे क्टल, सववलकाल, िेफ़िों और उदर के कैंसर होते हैं।
औसतन:
3
o प्रत्येक दो में से एक परू
ु ष को होगा
o हर तीन में से एक मह ला को होगा3
o इस दे श में हर चार में एक मौत कैंसर से हो रह है 3
अनुमान है कक 2011 में 571,950 लोग कैंसर से मरें गे3
जेनेहटक कारणों से लसिल 5-10% कैंसर होते हैं, जिकक 90% कैंसर व्यजक्त के वातावरण और
जीवनशैल के कारण होते हैं।4
“कैंसर सींिींधधत सभी मौतों में 25-30% तम्िाकू सेवन से होता है , और 30-35% आहार से सींिींधधत
हैं, तकर िन 15-20% सींिमणों के कारण होते हैं, और िाकी रे डडयेशन, तनाव शार ररक कियाओीं,
4
प्रदष
ू ण और अन्य करणों से होते हैं।”
कैंसर ऐसे रोगों का समूह है जजसमें कोलशकाएाँ अपना समान्य ननयींत्रण और ववशेषताओीं खो दे तीीं हैं। कोलशका के
डीएनए में िदलाव आने से यह रोग शुरू होता है । इसके कारण कोलशकाएाँ असमान्य रूप से अपना सींख्या िढ़ाने
लगती है , और गााँठ िना दे ती है , जो अनतररक्त जगह घेरती है , आस पास के तींतओ
ु ीं को नटट करती है और
शर र के अन्य हहस्सों में भी िैलती है ।5
कैंसि के आम लक्षण6
साथ ह , कैंसर के प्रकार या स्थान के मुताबिक व्यककत ववलभन्न तरह के लक्षण महसूस कर सकता है ।
िोग की पिचान:
1. धूम्रपान
ववकलसत दे शों में धूम्रपान ककसी भी तरह के अन्य कैंसरों से ज्यादा लोगों को मारता है ,3 और
70% िेि़िों के कैंसर से होने वाल मौतों का कारण है , 7 और कैंसर से होने वाले 25-30% कैंसरों
का कारण हैं।4
तम्िाकू सेवन से 14 अलग अलग तरह के कैंसर होते हैं।4
ववश्व में तम्िाकू सेवन 6 लमललयन असमय मौतों का कारण है , 600,000 से अधधक सेकेंड है ण्ड
(िचे हुए लसगरे ट का धूम्रपान) धूम्रपान से होता है ,7 और बिना धए
ूाँ के तम्िाकू (तम्िाकू खाना) से
400,0004 और तकर िन 450,000 मौत अकेले यूएस में होते हैं।3
तम्िाकू में कम से 50 कैंसर उत्पन्न करने वाले तत्व हैं4
2. शराि सेवन
ववश्व में , कर ि 3.5% कैंसर शराि सेवन से होते हैं। शोधकतालओीं का मानना है कक शराि
कोकारलसनोजेननक है , मतलि, अन्य कारकों के साथ इसके इस्तेमाल से व्यजक्त में कैंसर होने का
खतरा िढ़ता है ।4
शराि रोगप्रनतरोधक क्षमता को कमजोर करता है , और माँह
ु , गले, भोजन नल , यकृत, और स्तन
के कैंसरों का खतरा िढ़ाता है ।
कुछ कैंसरों के िढ़ते खतरे और शराि के िढ़ते सेवन के िीच सीधा सींिींध है । एक अधय्यन में
पाया गया कक प्रत्येक 10 ग्रा. शराि प्रनतहदन के सेवन से स्तन कैंसर का खतरा 7.1% िढ़ता है ।
अत्यधधक शराि सेवन का सींिींध यकृत के कैंसर और हे पाटाईहटस िी और सी से है ।4
3. आहार सींिींधधत खतरे
शोधकतालओीं का मानना है कक 30-35% कैंसर गलत आहार से होते हैं। 70% कोलोरे क्टल कैंसर
आहार के कारण होते हैं।4
(ररवसल, जे. के. (2004) क्या लमलेनोमा होने के एक से अधधक कारक हैं ? लैन्सेट.
363(9410), 728-730)।
2. परमाणु
परमाणु उद्योगों के दघ
ु ट
ल नाओीं से होने वाले फलआउट
घर एवीं कायलस्थल में रे डोन- उदर कैंसर के खतरे को िढ़ाता है
धचककत्सी एक्स-रे
3. इलेक्रोमैगनेहटक फील्ड- जैसे उच्च ऊजाल वाल बिजल के तारें और बिजल का उपयोग करने वाले
अन्य यींत्र- िच्चों में 69% ल्यूकेलमया का कारण उच्च वोल्टे ज के बिजल की तारों से 200 मीटर
की दरू में रहना है , और 200-600 मीटर की दरू पर यह 23%। लींिे समय तक मोिाईल िोन
का इस्तेमाल से भी हदमाग में गााँठ का खतरा िढ़ता है । 4
4. वातावरण के अन्य खतरे जजनसे कैंसर होता है 4
1. मोटर गाड़ियों के धए
ूाँ - िच्चों में ल्यूकेलमया
2. घर में वायु प्रदष
ू ण- िच्चों में ल्यूकेलमया और ललम्िोमा
3. नाईरे ट- ल्यूकेलमया, ललम्िोमा, कोलोरे क्टल कैंसर, मूत्राशय कैंसर
4. कीटनाशक- - िच्चों में ल्यक
ू े लमया और ललम्िोमा, हदमाग में ट्यम
ू र (गााँठ), ववल्म्स गााँठ,
इरववींग्स सारकोमा, जमल सेल ट्यम
ू र
5. डाईऑक्सेन और इनलसनेरेटर- सारकोमा और ललम्िोमा
6. गभल में ह ऑगेननक प्रदष
ू ण- टे स्ट कुलर कैंसर
7. रे डडयोऐजक्टव ककरणों (कािलन, रे डडयम, और यूरेननयम) से सींपकल- उदर कैंसर
8. पीने के पानी में क्लोर न- मूत्राशय कैंसर, कोलोरे क्टल कैंसर, ल्यूकेलमया
9. नाईहरक ऑक्साईड एवीं पॉललऐरोमेहटक हाईड्रोकािलन- िेि़िों का कैंसर
5. ननजटियता:
ननजटियता आाँतों और स्तन के कैंसर से सींिींधधत है ।4,10
6. मोटापा
अकेले यूएस में , पुरूषों में 14%, और महहलाओीं में 20% कैंसर अत्यधधक वजन के कारण होते
हैं।
“ऐसे परू
ु ष जजनका वजन 40 प्रनतशत ज्यादा है , उनमें कैंसर से मरने का खतरा 33 प्रनतशत
ज्यादा होता है । ऐसी महहलाएाँ जजनका वजन समान प्रनतशत ज्यादा है उनमें कैंसर से मरने का
खतरा 55 प्रनतशत ज्यादा होता है ।”
मोटापा के कारण (शोध में ) िढ़ने वाले कैंसरों में शालमल है आाँतों, स्तन, गुदे, एन्डोमेर यम,
भोजन नल , उदर के ऊपर भाग का, अग्नाशय, वपत्तथैल , यकृत, और प्रोस्टे ट के कैंसर हैं।
7. एचपीवी, हे पाहटईहटस, और हे ल कोिैक्टर पाईलोर का सींिमण
परू े ववश्व में 17.8% कैंसर सींिमणों से सींिींधधत है , और यह अधधक आय वाले दे शों में 10% से
ले कर अफ्रीकी दे शों में 25% तक है ।
1. धूम्रपान त्यागें ।
2. शराि से परहे ज करें ।
3. स्वस्थ आहार खाएाँ। आहार जो कैंसर से ल़िने में मदद करते हैं, वे हैं :
कई शोधों से पता चला है कक िल और सजजजयााँ कैंसर से िचाते हैं और इनका इस्तेमाल
िेखझझक करना चाहहए।4
ववटालमन ए (नारीं गी, पीले, और गहरे हरे सजजजयों में पाया जाता है ) में एींट ऑक्सीडेंट गण
ु होते है
और कैंसर के खतरे को कम करते हैं।9
ववटालमन सी (िलों, िेर , लमचल, गोभी पररवार के सजजजयों, और टमाटरों में पाया जाता है ) में
एींट ऑक्सीडेंट होते हैं, और जेनेहटक क्षनत से िचाते हैं। प्लाजमा में ववटालमन सी की भरपूर कैंसर
से होने वाल मत्ृ यु के खतरे को कम करती है ।4,9
ववटालमन इ (िदाम, सींपूणल अनाज, और तेलों में पाया जाता है - खास कर सूरजमुखी के िीज और
िदाम में ) में भी एींट ऑक्सीडेंट गण
ु हैं और आहार में पाए जाने वाले नाईरईटों को कैंसर पैदा
करने वाले नाईरोसालमनों में तिद ल होने से रोकता है ।9
सींपूणल अनाज भी कैंसर के खतरे को 30-37% तक कम करता है , उनमें कई ऐसे तत्व पाए जाते
हैं जो कैंसर से िचाते हैं जिकक ररिाईन होने के िाद उनके ये गुण नटट हो जाते हैं।4
पादप रसायनों (सींपूणल शकाहार आहारों में हजारों पादप रसायन थो़िी थो़िी मात्रओीं में पाए जाते
हैं) में कैंसर से िचाने और ल़िने वाले शजक्तशाल गुण पाए जाते है । 25,000 ऐसे रसायन पहचाने
गए हैं जजनमें कैंसर से िचाने का क्षमता है ।4
रे शों को आाँतों के कैंसर का खतरा कम करते हदखाया गया है । 4
सींपूणल अनाज में पाया जाने वाला सेलेननयम, िेि़िों, आाँतों, और प्रोस्टे ट के कैंसर का खतरा कम
करता है ।9
कैंसर से िचाव के ललए, अमेररकन कैंसर सोसाईट ने लोगों को स्वस्थ आहार लेने के ललए
प्रोत्साहहत ककया है और शाकाहार स्रोतों पर जोर हदया है । 3
प्रनतहदन में पााँच या उससे अधधक कटोर सजजजयााँ और िल खाएाँ।
ररिाईन ककये गए अनाज के िजाए सींपण
ू ल आनाज खाने की कोलशश करें ।
लाल मााँस और प्रसींस्कृत आहार लेना कम करें ।
4. िहुत ज्यादा दे र धूप में न रहें , झुलसने से िचें और वातावरण के अन्य खतरों से िचने की कोलशश
करें
5. सकिय जीवनशैल अपनाएाँ
एक अधय्यन में सामने आया कक शर ररक रूप से सकिय रहने वाले लोगों में आाँतों के कैंसर का
खतरा 50% कम रहता है ।
6. आदशल वजन प्राप्त करें
यहद मोटे हों तो वजन घटाएाँ। कैलोर सेवन और उसके खचल को सींतुललत रखें।
7. एचपीवी, हे पाटाईहटस, और हे ललकोिैक्टर पाईलोर के सींिमण से िचें
8. ननयलमत रूप से जााँच कराएाँ, इनमें ननम्नललखखत शालमल है :11
क) स्तनों का जााँच (अस्पताल में या खद
ु से)
ख) पैप स्मीयर
ग) ओकल्ट रक्त (पैखाने का नमूना)
घ) त्वचा जााँच (खास कर हल्के रीं ग के त्वचा वालों के ललए)
ङ) अन्य जााँच, मशववरा और जरूरत के मुताबिक
उपचाि के विकल्प?
अि तक सिसे िेहतर उपाय यह कक जजतना हो सके कैंसर से िचने की कोलशश करें । एक िार इसका पहचान
होने िाद हो सकता है इसका सिलतापूवक
ल उपचार करने के ललए िहुत दे र हो चुका हो। आमतौर पर एक
अच्छी धचककत्सक से इसके िैलने की सींभवनाएाँ, उपचार के ववकल्प और उस कैंसर के सिलता दर के िारे
सलाह लें । शैल्यधचककत्सा से कैंसर के ि़िे हहस्सों को हटाया जा सकता है , और स्वस्थ जीवनशैला अपनाएाँ, जो
कैंसर को रोकने में मदद करे गा, और कुछ पररजस्थनतयों में चींगा भी कर सकता है । पयालप्त मात्रा में कच्चे िल
व सजजजयााँ खाएाँ, ननयलमत रूप से ताजी हवा और धूम में ऐरोबिक व्यायाम करें , जल्द सोएाँ और अच्छी नीींद
लें , खश
ु रहें , मन साि रखें, पशुओीं के उत्पादों को भोजन में शालमल न करें और तम्िाकू, शराि, चाय, कॉिी,
और इस तरह के अन्य तत्वों से परहे ज करें , हदन में 8-10 धगलास पानी पीयें, और जलधचककत्सा के उपचारों
को सावधानीपूवक
ल लें , ये व्यककत के जल्द स्वस्थ िना सकते हैं।
किर भी यह समझने की जरूरत है कक सालों से चल रहे गलत जीवनशैल के कारण यह रोग आया हो, और
जीवनशैल में िदलाव उन्हें जल्द स्वस्थ कर सकता है , िहुतों के ललए िहुत दे र नह ीं हुआ होगा, किर भी उन्हें
अपने हृदयों को स्वगल में अनींत यौवन के ललए तैयार करने के ललए प्रोत्साहहत करें । कैंसर के उपचार में प्राथलना
भी िहुत जरूर है ।
आम जानकािी2
ये रोग एक व्यजक्त से दस
ू रे व्यजक्त को सीधे सींपकल या कीटों या अन्य वस्तुओीं से िैल सकते हैं (जैसे सींिलमत
तौललए, पानी, भोजन, पशु, आहद.)। प्रत्येक रोग के िैलने का कोई खास साधन होता है , और यहद उसके साधन
के रोक हदया जाए तो वह रोग दस
ू रों को नह ीं िैलता है । उदाहरण के ललए, मलेररया केवल सींिलमत मछर के
काटने से िैलता है (कभी कभी खून चढ़ने से)। यहद व्यजक्त मछरों के काटने से िच जाए तो उसे मलेररया नह ीं
होगा। इसललए यह िजु ध्दमानी होगा कक रोगों के िैलने के साधनों को जानें और उन्हें रोकें।
फैलने के तिीके:
प्रत्यक्ष संपकय से िैलने वाले रोग रोगाणुओीं से सींिलमत व्यककत का स्वस्थ व्यजक्त से शार ररक सींपकल होने पर
होते हैं. प्रत्यक्ष सींपकल में शालमल है छूना, चुींिन, यौन सींपकल, शार ररक द्रव्यों के सींपकल में आना, या शर र के
घावों के सींपकल में आना। ये दोस्तों और पररवार के सदस्यों के िीच आम है ।
अप्रत्यक्ष संपकय से िैलने वाले रोग व्यजक्त के सींिलमत वस्तुओीं/सतहों के सींपकल में आने से िैलते हैं। कुछ
जीवाणु वस्तुओीं/सतहों में िहुत लींिे समय तक जीववत रहते हैं। ऐसे वस्तुओीं/सतहों के उदाहरण हैं: दरावजों के
कुण्डी, मेज, बिस्तर, कुलसलयााँ, स्नानागार, शौचालय, प्याले, िरतन, धचककत्सीय उपकरण, कलम, पेनलसल,
कम्पयूटर, खखलौने, पैसा, आहद।
िायु से फैलने िाले रोग सींिलमत वायु सााँस लेने से िैलते हैं जो लार के वाटप में िदलने से वायु को दवू षत
करते हैं (पल्मनर ट्यूिरकुलोलसस (ट िी)), जो कभी कभी वायु में पाए जाने वाले धूल से धचपक जाते हैं। ये
जीवाणु अकसर सख
ू े में भी जीवत रहते हैं और मनटु य के शर र से ननकलने के िाद भो जल्द नह ीं मरते हैं।
पैखाना-मौखखक रूप से फैलने िाले रोग पैखाने से सींिलमत भोजन या पानी से िैलते हैं। ये रोगाणु पाचन तींत्र
में िढ़ते हैं और पैखाने के साथ शर र से िाहर ननकलते हैं। पैखाने से सींिलमत पानी से (जजसके कारण पानी का
िेक्टि से फैलने िाले रोग पशुओीं से जैसे मक्खी, माईट, मछर, हटक, चूहे, और कुत्तों से मनुटयों में आते हैं।
सिसे आम वेक्टर मछर है , जो अपने लार से रोगों को एक व्यजक्त/पशु से दस
ू रे तक िैलाता है । काफी सारे
रोग इस तरह से िैलते हैं, और यह रोग को िहुत कम समय में िहुत ि़िे क्षेत्रिल में िैला सकता है , और
वेक्टरों को रोक लेने से रोग पर भी कािू पाया जा सकता है। कीटों के काटने, पशुओीं के पैखाने, या उनके शर र
से (जैसे मनटु य के पैखाने से रोगाणओ
ु ीं को िैलाने वाल मजक्खयााँ) मनटु यों, उनके भोजन, या ककसी भी सतह
के सींपकल में आने से रोग िैलते हैं।
िो़िे (स्टाि. औरे यस) िैक्टे र या सींिलमत व्यजक्त से प्रत्यक्ष अप्रत्यक्ष सींपकल
िोटुललज़्म (जहर ला भोजन) िैक्टे र या सींिलमत भोजन खाने से
है जा िैक्टे र या पैखाना-मौखखक रास्ते से
डडफ़्टे ररया िैक्टे र या सींिलमत व्यजक्त से प्रत्यक्ष अप्रत्यक्ष सींपकल
E. coli (दस्त और/या पेधचश) िैक्टे र या पैखाना-मौखखक रास्ते से, (सींिलमत भीजन और पानी)
सूजाक (Gonorrhea) िैक्टे र या यौन सींपकल
कुटट रोग माइकोिैक्टे र सींिलमत व्यजक्त से प्रत्यक्ष अप्रत्यक्ष सींपकल
या
लाइम रोग िैक्टे र या हहरन के हटक कीट के काटने से
काल खााँसी िैक्टे र या सींिलमत व्यजक्त से प्रत्यक्ष अप्रत्यक्ष सींपकल
प्लेग िैक्टे र या सींिलमत व्यजक्त से प्रत्यक्ष अप्रत्यक्ष सींपकल या चूहे और मजक्खयों
से
ननमोनीया िैक्टे र या श्वसन स्राव
साल्मोनेला िैक्टे र या पैखाना-मौखखक रास्ते से- जजससे दस्त होता है , सींिलमत पौल्र
और दध
ू
स्कालेट ज्वर िैक्टे र या सींिलमत व्यजक्त से प्रत्यक्ष अप्रत्यक्ष सींपकल
लशगेला िैक्टे र या पैखाना-मौखखक रास्ते से
स्पोट्टे ड किवर (ओक प्रकार का िैक्टे र या हटक कीट के काटने से
टाइफस)
खराि गला िैक्टे र या सींिलमत व्यजक्त से प्रत्यक्ष अप्रत्यक्ष सींपकल
उपदीं श (लसिललस) िैक्टे र या यौन सींपकल
टे टनस िैक्टे र या गींदे घाव, गभलनाल को गींदे चाकू से काटने से, लमट्ट
रोहा (आाँख के रोग, यौन रोग) िैक्टे र या आाँखों के द्रव्यों के सींपकल में आने से (आाँख रोग), यौन सींपकल
ट .िी. माइकोिैक्टे र श्वसन द्रव्यों से, सींिलमत अपाश्चुररकृत दध
ू /कच्चे मााँस
या
टाइिॉइड िैक्टे र या पैखाना-मौखखक रास्ते से
टाइफस िैक्टे र या जाँ,ू मक्खी, हटक कीट के काटने से
एथल ट्स फूट ििूींद सींिलमत व्यजक्त से प्रत्यक्ष अप्रत्यक्ष सींपकल, गीले पााँव
जलाटोमाइकोलसस, हहस्टोप्लासमोलसस ििींू द दवू षत वायु सााँस लेने से
दाद ििूींद सींिलमत व्यजक्त से प्रत्यक्ष अप्रत्यक्ष सींपकल
यीस्ट सींिमण ििूींद एींट िायोहटक, रोगननरोधक क्षमता कम करने वाले दवाईयों के
सेवन, गभालवस्था
अफ्रीकी ननद्रा रोग प्रोटोजोआ सीसी मच्खी के काटने से
अमीिा प्रोटोजोआ पैखाना-मौखखक रास्ते से
बिल्हजीया धचपटाकृलम पेशाि ककए गए पानी से त्वचा का सींपकल, परजीवी घोंघी में
ववकलसत होता है , किर त्वचा से प्रवेश करता है
एल िेंटालसस गोलकृलम सींिलमत मछरों से
धगयाडडलया प्रोटोजोवा पैखाना मौखखक रास्ते से
हूकवमल और थ्रेडवमल गोलकृलम दवू षत लमट्ट के सींपकल में आने से
14. बिमार व्यजक्त के थाल से भोजन न खाएाँ। भोजन करने के ललए ककये जाने वाले िरतनों को कभी नह ीं
िााँटना िेहतर है ।
15. बिमार िच्चों को स्वस्थ िच्चों के साथ नह ीं सोना चाहहए। जाँू या अन्य ि सींिामक रोग एक साथ खाने
और सोने से िैल सकते हैं।
16. सदै व शौचालय का प्रयोक करें । ऐसे स्थानों पर जहााँ लोग चलते हैं या पानी में , कभी पेशाि या पैखाना न
करें ।
17. शौचालय हमेशा ऐसे स्थान से दरू रहने चाहहए जहााँ से पाने के पानी ललये जाते हैं। यहद आपके पास
सेजप्टक टैं क नह ीं है तो पैखाने को हमेशा दिना दें ताकक पशु उसके पास न पहुाँच पाए।
18. घर साि रखें ताकक कीटाणओ ु ीं, कीट, और अन्य जीवाणओ ु ीं पर कािू रखा जा सके।
19. यहद पीने के पानी की सुरक्षा को ले कर कोई सींदेह हो तो उसमें मौजूद जीवाणुओीं को मारने के ललए 10
लमनटों तक पानी को उिालें । अन्यथा िोतलिींद पानी पीयें।
20. सूईयों का दस
ू र िार इस्तेमाल न करें ।
21. जन्म के िार लशशु के नाभ को काटने के ललए जीवाणुरहहत या उिले हुए (20 लमनटों तक) औजारों का ह
प्रयोग करें ।
22. ऐसे स्थानों पर जहााँ लमट्ट में हूकवमल पाए जा सकते हैं, वहााँ जूते पहन कर रहें ।
23. शर र से ननकलने वाल द्रव्यों के सींपकल में आने से पूवल हाथों में ग्लव्स पहनें।
अन्ट्य मित्िपूणय सलाि:
श्वसन सींिींधी रोक से पीड़ित व्यजक्त के सींपकल में आने से, यहद सींभव हो तो, माँह
ु को ढक कर रखें।
कच्चे दध
ू से परहे ज करें क्योंकक इसमें कई तरह के रोगाणु हो सकते हैं। यहद वह पाश्चरु रकृत न हो तो
उसे पीने से पूवल उिाल लें ।
कचरों को पीने के पानी और घरों से दरू जलाएाँ। िचे खुचे भोजन और कचरों को घर के आस पास
इक्कठा कर न रखें; उनके स़िने के िम में िैक्टे र या िढ़ते हैं और ववषैले तत्वों को वातारण में छो़िते हैं
और हमारे स्वास््य को हानन पहुाँचाते हैं।
अपने हाथों को धोने के िाद ह उन्हें माँह
ु , आाँख, या नाक में डालें । आपके हाथ लगातार ऐसे लोगों या
वस्तुओीं को छूते रहते हैं जो रोगों से सींिलमत हो सकते हैं।
यहद पानी स्वच्छ न हो तो उससे माँह
ु धोने से पहले उसे उिाल लें या िोतलिींद पानी का प्रयोग करें ।
शौचालयों/स्नानागारों को जल च से ननयलमत रूप से सींिमण रहहत िनाए।
1
http://www.foodsafeschools.org/FSAG_CD/Resources/UMass/control_time_and_temperature.pdf
2
Ingraham, J.L. (2004). Introduction to microbiology: A case history approach (3rd ed.). Pacific Grove, CA: Thomson.
3
Werner, D., Thuman, C., & Maxwell, J. (1992). Where there is no doctor: A village health care handbook. Berkeley, CA: The Hesperian
Foundation.
4
United States Environmental Protection Agency. (2012). Emergency disinfection of drinking water. Retrieved December 25, 2012 from:
http://water.epa.gov/drink/emerprep/emergencydisinfection.cfm
5
CDC. (2011). Water treatment methods. Retrieved December 25, 2012 from: http://wwwnc.cdc.gov/travel/page/water-treatment.htm.
6
Vanderkooi, M. (2009). Village medical manual: A layman’s guide to health care in developing countries: Volume 1: Principles and
procedures (6th ed.). Marion, NC: Equip.
अध्याय 6- एचआईिी/एड्स
आाँकडे
एड्स ह्यूमन इम्मयूनोडेकिलशयींसी वाइरस (एचआईवी) से होता है ।
वल्डल हे ल्थ ऑगलनाईजेशन के मुताबिक 2010 में लगभग 34 लमललयन लोग एचआईवी से पीड़ित थे। 2.7
लमललयन लोग 2010 में ह सींिलमत हुए या कह सकते हैं 7,000 लोग प्रनतहदन सींिलमत हुए।
15 से कम उम्र के 3.4 लमललयन िच्चे को एचआईवी है , और तकर िन 390,000 िच्चे 2010 में ह
सींिलमत हुए, अधकतर िच्चे गभालवस्था में या स्तनपान के दौरान।
अनुमान है कक 2010 में तकर िन 1.8 लमललयन लोग एड्स से मरे ।
अनुमान है कक 1981 में एड्स का पहला मामला आने के िाद से 30 लमललयन लोग इससे मर चुके हैं।
2010 के अींत में 6.6 लमललयन लोग एींट -रोरोवाइरल थेरापी ले रहे थे।
पूरे ववश्व के ककशोरों में वयस्कों में हुए 90% एचआईवी सींिमण ववषमलैंधगक यौन सींिींधों के कारण होते
हैं।
हर साल एचआईवी से सींिलमत 350,000 लोग ट िी रोग से मरते हैं।
परिभाषा: ह्यूमन इम्मयूनोडेकिलशयींसी रे रोवाइरस से होने वाला सींिमण जो शर र के रोगप्रनतरोधक क्षमता का
गींभीर रूप से धीरे -धीरे करके समाप्त कर दे ता है जजसके कारण दि
ु ल
ल करने वाले और कई िार जानलेवा
बिमाररयााँ हो जातीीं हैं।
एचआईिी का काययप्रणाली
सींिलमत व्यजक्त के शर र के द्रव्यों के सींपकल में आने से एचआईवी मनुटय के शर र में प्रवेश करता है । जि यह
वाइरस शर र में प्रवेश करता है वह श्वेत रक्त कोलशकाओीं (ट ललम्फोसाइट (सीडी4+कोलशकाएाँ), और दस
ू रे तरह
के कई अन्य कोलशकाओीं को भी कुछ हद तक सींिलमत कर सकता है ) से ज़ि
ु जाता है और अपना जेनेहटक
कोड कोलशका में डाल दे ता है । यह कोड कोलशका के केन्द्रक में जाता है । वहााँ यह कोड कोलशका के जेनेहटक
कोड से लमलता है । इसके िाद कोलशका वाइरस के जेनेहटक कोडों का उत्पादन करने लगती है , और कोलशका के
िाहर उनके जीववत रहने के ललए उन्हें तैयार करती है , और कोलशका से उन्हें िाहर ननकाल दे ती है , और वे
अन्य कोलशकाओीं को सींिलमत करने के ललए तैयार हो जाते हैं। प्रत्येक सींिलमत कोलशका िहुत सारे वाइरसों के
उत्पादन में सक्षम होती है । सींिलमत कोलशका से उत्पन्न हुए श्वेत रक्त कोलशकाओीं में भी वाइरस होते हैं। कुछ
समय िाद वाइरस ट ललम्फोसाइट को मार डालता है । व्यजक्त के प्रनतरोधक क्षमता पर ननभलर, ये वाइरस शर र
के ट ललम्फोसाइट कोलशकाओीं को तेजी से घटा दे ते हैं। रोग प्रनतरोधक क्षमता की सकियता के ललए ट
ललम्फोसाइट कोलशकाएाँ िहुत महत्वपूणल हैं, और यहद ट ललम्िोसाइट एचआईवी द्वारा नटट कर हदये जाते हैं
तो शर र मध्यकाल न शर र के तरह हो जाता है जजन्हें हदवार से दृढ़ तो कर हदया जाता था परीं तु उसमें रहने
वाले लोगों को हमला करने आ रहे दश्ु मनों की चेतावनी दे ने के ललए कोई पहरे दार नह ीं होते थे।
ट ललम्िोसाइटों और अन्य श्वेत रक्त कोलशकाओीं के नटट होने के कारण व्यजक्त कई सींिमण के प्रनत
सींवेदनशील हो जाता है । वे रोगाणु जो स्वस्थ व्यजक्त में रोग उत्पन्न करते हैं वे ह एचआईवी से सींिलमत
व्यजक्त में वह रोग अधधक गींभीर स्तर पर रोग उत्पन्न करते हैं। साथ ह एचआईवी से सींिलमत व्यजक्त में
कई ऐसे सींिमण भी दे खे जाते हैं जो आमतौर पर एक स्वस्थ व्यजक्त में कोई रोग उत्पन्न नह ीं करते हैं। एक
व्यजक्त एचआईवी के सींिमण से नह ीं मरता है िजल्क उन सींिमणों से मरता है जो प्रनतरोधक क्षमता के
कमजोर होने के कारण होते हैं।
इनक्यूिेशन काल: चूककीं वाइरसों का उत्पादन ट ललम्फोसाइटों के अींदर होता है शुरूआत के कुछ हदनों से ले
कर मह नो तक रक्त जााँच में एचआईवी सींिमण का पता नह ीं चलता है (रक्त प्राप्त कर रहे लोगों के ललए यह
एक समस्या हो सकता है खास कर ऐसे इलाकों में जहााँ रक्त जााँच के उन्नत साधन नह ीं हैं)। इसललए खास
रक्त जााँच रक्त में एचआईवी की मौजूदगी का पता लगा सकते हैं। किर भी हो सकता है व्यजक्त में कई मह नों
से ले कर वषों तक लक्षण न हदखे। एचआईवी का का इन्क्यूिेशन काल औसत 10 वषल का होता है , परीं तु हो
सकता है की व्यजक्त सालों तक भी लक्षण न हदखे। जि व्यजक्त में लक्षण हदखने लगते हैं तो उनको एड्स
(ऑटोइम्यन
ू डेकफलशयींसी लसन्ड्रोम) से पीड़ित कहा जाता है । कुछ अध्यन्नों में पाया गया है कक एचआईवी से
सींिलमत होने के िाद मत्ृ यु तक औसर 12.5 साल होते हैं।6
फैलाि:
एड्स का वाइरस आमतौर पर शर र के द्रव्यों के सींपकल में आने से िैलता है । यह यौन सींपकल (ववषमलैंधगक और
समलैंधगक), रक्त के सींपकल में आने से (सींिलमत रक्त और उसके अन्य उत्पाद, सींिलमत सुईयों का इस्तेमाल,
टै टू/कान में छोद करने वाले सींिलमत उपकरण, आईवी दवाईयों का िााँटना), गभालवस्था के दौरान या जन्म के
समय माता से लशशु से, स्तनपान, और सींिलमत तींतुओीं के प्रत्यारोपण से होता है । सेवा प्रदानकताल सुईयों या
अन्य नुकीले वस्तुओीं से चोट लगने से एचआईवी सींिमण के खतरे में रहते हैं, और कई िार वीयल, और योनी
के स्रावों, खूनी घाव, खूनी दस्त या उल्ट , सींिलमत धचककत्सीय उपकरण, आहद के असुरक्षक्षत सींपकल में आने से
होते हैं। प्रवेश के सिसे आम द्वार हैं गुप्ताींगों या मलद्वार के श्लेम खझल्ल , और सुईयों से होने वाले छे द।7
वतलमान में चल रहे शोधों के मुताबिक ऐसा महसूस ककया गया है कक मछरों, धूल, और समान्य स्पशल से एड्स
7
वाइरस नह ीं िैलता है ।
यहद व्यजक्त को सींिलमत सई
ु से चोट लगती है या खल
ु े घाव या क्षनतग्रस्त त्वचा से ककसी सींिलमत वस्तु के
सींपकल में आता है , तो प्रभाववत हहस्से को तुरींत सािुन और पानी से अच्छी तरह से धो लें , यहद आाँखें प्रभाववत
हुई हों तो पानी या नमकीन पानी से धोएाँ। दस
ू रों को सेवा दे ते वक्त, क्षनतग्रस्त त्वचा को हमेशा सुरक्षा प्रदान
करने वाले कप़िों से ढक कर रखें। उसके िाद धचककत्सीय सेवा लेने तरु ीं त जाएाँ, क्योंकक अि ऐसी दवाईयााँ आ
चुकी है जो व्यजक्त के इस रोग से सींिमण के खतरे को कम करते हैं।
सूखाना और जल च करना, शर र के िाहर एचआईवी को मारने के दो सिसे प्रभावशाल तर के हैं, सुई से नशीले
पदाथल लेने वाले उपयोगकतालओीं के सुई से, जजन्हें जल च से साि नह ीं ककया गया था, इस्तेमाल के 24 घींटे िाद
एचआईवी अइयोलेट (अलग) ककया गया। शोध से पता चला है कक क़िे जल च से 30 सेकेंडों में ह एचआईवी
ननजटिय हो जाता है , ति भी जि रक्त के थक्के मौजद
ू होते हैं। शोध यह भी हदखाते हैं कक जल च को 10
प्रनतशत िीका करने पर वह एचआईवी को मारने में प्रभावशाल नह ीं जाता है ति भी जि रक्त से सींिलमत
सुई को 24 घींटे तक 10 प्रनतशत िीके जल च से भरा गया। दि
ु ारा इस्तेमाल ककये जाने वाले धचककत्सीय
उपकरणों को क़िे जल च में 30 सेकेंडों तक लभगाए रखने के िाद साि पानी से िहुत िार धोना चाहहए। साथ
ह धचककत्सीय उपकरणों को कम से कम 15 लमनटों के ललए उिालने से सींिमण का खतरा कम हो जाता है । 9
लक्षण
1. एक माह से हल्का िुखार रहना, कभी कभी ठीं ड लगना और िीच रात में पसीना आना।
2. धीर धीर वजन घटना। व्यजक्त धीर धीर पतला होता जाता है ।
3. दस्त जो 1 माह से अधधक समय तक रहे ।
4. थकान।
5. 2 या उससे अधधक जगह सूजे हुए ललम्ि नोड।
एचआईवा से सींिलमत व्यजक्तयों में ये रोग आमतौर पर पाये जाते हैं: ट िी और लशींगल्स
िोग का पिचान: रक्त जााँच से- कुछ जााँच लमनटों में नतीजे िताते हैं।5
यहद ककसी व्यजक्त को एचआईवी हो जाए, तो रोगप्रनतरोधक क्षमता को िढ़ाने के ललए परमेश्वर के ननयमों का
पूर इमानदार से पालन करने से कुछ लाभ हो सकता है । इन ननयमों का इमानदार से अधय्यन और प्रयोग
करना चाहहए ताकक रोगप्रनतरोधक क्षमता िढ़े ।
न्यूस्टाटल के लमयमों को सावधनीपूवल इमानदार से लागू करें । यशायाह 55:7 को याद रखें।
नीचे एचआईवी के प्राकृनतक उपचार के ललए डॉ. अगथा थ्रैश के कुछ सलाह हैं। ये सलाह एचआईवी/एड्स के
पीड़ित कई मर जो को लाभ पहुाँचा चुके हैं।
पोषण: पूणल रूप से शाकाहार भोजन जजसमें िल व सजजजयों की मात्रा अधधक हो, और शक्कर व वसा की कम
हो, रोगप्रनतरोधक क्षमता को िढ़ाने में मदद करे गा। व्यजक्त को सभी तरह के मासले, अल्पाहार, दे र रात भार
भोजन लेने, ररिाइन ककये गए भोजन, शरित, चाय, कॉफी, और चॉक्लेटों से परहे ज करना चाहहए। ननयलमतता
का ध्यान दें और दो भोजन के िीच 5 घींटे का अींतर हो। अपरागस और लहसुस में एींट वाइरल गुण हो सकते
हैं, और एलोवेरा में एक ऐसा कािोहाईड्रोट पाया जाता है जो एचआईवी के िढ़ने को धीमा कर सकता है और
रोगप्रनतरोधक क्षमता िढ़ा सकता है । पाया गया है कक ललकोराइस के ज़ि का चाय भी रोगप्रनतरोधक क्षमता
िढ़ाता है ।
चाय: (ननयलमत रूप से ललया जाना चाहहए)
इकाईनासे: इकाईनासे रोगप्रनतरोधक क्षमता को िढ़ा सकता है । एक ल टर उिलते पानी में एक भरा
चम्मच इकाईनासे डालें । 30 लमनटों तक धीमें आाँच पर पकाएाँ। चुल्हा िुता दें और 25 लमनटों तक
ठीं डा होने दें । सुिह खाल पेट सिसे पहले एक कप यह पीएाँ और हदन भर में इसे खत्म करें । इस
चाय को रोज िनाए क्योंकक इसे रखने पर इसका असर कम होता जाता है ।
पाउ डी’ अरको, और नीला िैंजनी और लाल क्लोवर। ये िट
ू रोगप्रनतरोध को मजिूत िना कर रक्त
को साि करने में मदद कर सकते हैं। एक ल टर उिलते पानी में तीन ि़िे चम्मच पाउ डी’ अरको
लमलाएाँ और 25 लमनटों तक उिलने दें । चुल्हा िुता दें , दो ि़िे चम्मच नीला िैंजनी और दो ि़िे
चम्मच लाल क्लोवर पाउ डी’ अरको में लमलाएाँ और 25 लमनटो तक ठीं डा होने दें ।
पीत कींद और एलोवेरा भी लमला सकते हैं क्योंकक इनमें रोगाणओ
ु ीं से ल़िने वाले गण
ु होते हैं।
ल कोराइस का चाय रोगप्रनतरोधक क्षमता िढ़ा सकती है । ग्लाइकोराइजा यूरालेजन्सस या ल कोराइस से
प्राप्त एक तत्व, ग्लाइके, को एचआईवी से सींिलमत 60 रोधगयों पर जााँचा गया। कर ि सत्तर प्रनतशत
रोधगयों की हालत में सुधार दे खा गया और तीन मर जों को एचआईवी से मुजक्त लमल , जजसमें से दो
हमेशा के ललए चींगे हो गए। (चीन के अकेडमी ऑफ रे डडशनल मेडडलसन के प्रोफेसर लू वेिो द्वारा
तैयार ककया गए ररपोटल )।
इन चायों को व्यजक्त अपने प्रनतहदन के जल सेवन का हहस्सा िना सकता है , और िुखार के उपचार
समाप्त होने के िाद भी दो तीन साल तक इसेका प्रयोग को जार रखना चाहहए।
सप्पमलमें ट:
का तेल: अधधक मात्रा में लें (पाया गया है कक वाइरस के अींदर जाकर यह िुखार के उपचार के प्रनत
उसे सींवेदनशील िनाता है )। िख
ु ार उपचार के दौरान हदन में 12 कैप्सल
ु तक ले सकते हैं। 1 ि़िा
चम्मच तीसी के तेल हदन में दो िार भी ललया जा सकता है ।
लहसुन: 4 कैप्सुल या 8 टै जलेट या 1-2 ताजे लहसुन हदन में 3 िार भोजन के साथ लें ।
3 सप्ताहों तक जजींक सप्पललमें ट लें , 15 लम.ग्रा. प्रनतहदन।
व्यायाम: प्रनतहदन 20 लमनटों तक एरोबिक व्यायाम करें । टहलना, तैराकी, साईककल चलाना, िागवानी, और
अन्य व्यायाम िहुत लाभदायक हो सकते हैं। किर भी िहुत ज्यादा थकने तक व्यायाम न करें ।
िस्त्र: हाथों व पैरों को ढक कर रखें ताकक वे माथे जजतना गमल रहें ।
जल: पानी शुध्द व चींगा करता है और इसका इस्तेमाल िाहर और आींतररक रूप से ककया जाता है । दो भोजन
के िीच, जजतना शुध्द हो सकते उतना शुध्द पानी पीएाँ। प्रनतहदन स्वच्छ कप़िे पहनें। िुखार का उपचार
(वयस्कों के ललए): उपाचरों के एक सीर ज में 3 सप्ताहों में 15 िुखार उपचार हदये जाते हैं। दो सीर ज उपचार
दें जजसमें प्रत्येक सीर ज 3 सप्ताहों का होगा, एक सीर ज के िाद 1 सप्ताह रुकें किर दस
ू रा सीर ज दें । एक
सप्ताह में पााँच उपचार होने चाहहए, परीं तु वयस्कों के ललए हदन से एक से अधधक िुखार उपचार न हो। प्रत्येक
पााँच हदन के उपचार के िाद दो हदन आराम करें । तीन मह नों में इसी सारणी का अनुपालन करते हुए िुखार के
दो उपचार सीर ज पूरा करें । दो सालों तक छह मह नों के अींतराल में किर दस
ू रा उपचार शुरू करें ।
िुखार उपचार का तर का:
“िख
ु ार” के ललए 108-110°F के गमल स्नान का प्रयोग करें ।
माँह
ु के तापमान को 102-104°F तक सहनशजक्त के मुताबिक 20-40 लमनटों तक िनाए रखें।
साथ ह , कुछ दवाएाँ भी हैं जो रोग के ववकास को धीमा कर सकते हैं, और गभालवस्था के दौरान माता से लशशु
में िैलने से रोकने में मदद करते हैं। इस तरह के उपचारों के लाभ और खतरों को जान कर वे अपने ललए
सिसे िेहतर उपायों को चुन सकते हैं।
1
World Health Organization. (2010). Global Summary of the AIDS Epidemic. Accessed on March 15, 2012 online at
http://www.who.int/hiv/data/.
2
UNAIDS. (2011). Press Release: Global AIDS response continues to show results as a record number of people access treatment and rates
of new HIV infections fall by nearly 25%. Accessed online on March 15, 2012 at
http://www.unaids.org/en/resources/presscentre/pressreleaseandstatementarchive/2011/june/20110603praids30/.
3
National Institute of Allergy and Infectious Diseases. (2008). HIV/AIDS: HIV infection in women. Accessed online March 16, 2012 at
http://www.niaid.nih.gov/topics/hivaids/understanding/population%20specific%20information/pages/womenhiv.aspx.
4
World Health Organization (2011). 10 Facts on HIV/AIDS. Accessed on March 15, 2012 at
http://www.who.int/features/factfiles/hiv/en/index.html.
5
Beers, M. H., & Berkow, R. (Eds.). (1999). The merck manual of diagnosis and therapy (17th ed.). Whitehouse Station, NJ: Merck
Research Laboratories.
6
(2000). Time from HIV-1 seroconversion to AIDS and death before widespread use of highly-active antiretroviral therapy: a
collaborative re-analysis. Collaborative Group on AIDS Incubation and HIV Survival including the CASCADE EU Concerted Action.
Concerted Action on Seroconversion to AIDS and Death in Europe. Lancet. 355(9210):1131-7.
7
Longo, D.L., Kasper, D.L., Jameson, J.L., Fauci, A.S., Hauser, S.L., & Loscalzo, J. (eds.) (2012). Harrison’s principles of internal
medicine (18th ed.). New York: McGraw Hill.
8
CDC. (2006). PEP steps, a quick guide to postexposure prophylaxis in the health care setting. Retrieved from
http://www.mpaetc.org/downloads/PEP%20final%20(2006).pdf
9
McCoy, C. B., et al. (1994). Proceedings workshop on needle exchange and bleach distribution programs. Panel on Needle Exchange and
Bleach Distribution Programs. Commission on Behavioral and Social Sciences and Education. National Research Council and Institute of
Medicine. National Academy Press.
Washington, D.C.
10
Vanderkooi, M. (2009). Village medical manual: A layman’s guide to health care in developing countries: Volume 1: Principles and
procedures (6th ed.). Marion, NC: Equip.
11
Thrash, A.M. (2012). How to strengthen the immune system. Retrieved from
http://ucheepines.org/index.php?p=counseling.how_to_strengthen_the_immune_system.
पूरे ववश्व में प्रत्येक 12 में से 1 व्यजक्त (500 लमललयन) को द धलकाल न वाइरल हे पाटाइहटस है ।
साथ ह , अनुमान है कक:
o हे पाटाइहटस ए: प्रनतवषल 1.4 करों़ि पीड़ित2
o हे पाटाइहटस िी (एचिीवी): पूरे ववश्व के 2 अरि लोग सींिलमत हैं, जजसमें से 30 लमललयन
लोग गींभ
ू ीर रूप से सींिलमत हैं, और 600,000 लोग प्रनतवषल गींभीर सींिमण से मरते हैं। यह
वाइरस एचआईवी से 50-100% गुणा अधधक सींिामक है । यह वाइरस शर र के िाहर 7 हदनों
तक जीववत रह सकता है । इस वाइरस के ललए ट का उप्लजध है ।2
o हे पाटाइहटस सी: ववश्व में हर वषल 3-4 लमललयन लोग सींिलमत होते हैं। 130-170 लमललयन
लोग गींभीर रूप से सींिलमत होते हैं। हर वषल 350,000 लोग हे पाटाइहटस सी से सींिींधधत रोगों
से मरते हैं। वतलमान में इसका कोई ट की उप्लजध नह ीं है ।2
हे पाटाइहटस उन कई वाइरस से होने वाले सींिमणों का नाम जो यकृत में सूजन उत्पन्न करते हैं और उसे क्षनत
पहुाँचाते हैं। साथ ह , हे पाटाइहटस कभी कभी िैक्टे ररया, ििूींद, परजीववयों, कृलमयों, रसायनों, महदरापान, और
अन्य। रक्त, यौन सींपकल, और शर र के स्रावों से कुछ तरह के वाइरस सजृ जत हे पाहटइहटस िैलते हैं; जिकक दस
ू रे
हे पाटाइहटस सींिलमत भोजन या पानी से िैलते हैं।
टाइप ए: अत्यधधक सींिामक; पैखाना-मौखखक सींिमण से िैलता है यह सींिलमत भोजन या पानी के सेवन से
होता है । सींिलमत पानी के समुद्र भोजन खाने से भी हे पाटाइहटस होता है । 1 लमनट उिालने, क्लोर न, और
परािैंगनी ककरणों से ननजटिय ककया जा सकता है । 15-50 हदनों का इनक्यूिेशन काल होता है । लक्षण हदखने
शुरू होने से पहले यह सिसे ज्यादा सींिामक होता है ।
टाइप िी: शर र के द्रव्यों से प्रत्यक्ष रूप से सींपकल में आने से पहले। सींिलमत सुईयों, यौन किया, सींिलमत रक्त,
और शर र के अन्य द्रव्यों के सींपकल में आने से व्यजक्त को इस रोग का खतरा रहता है । स्वास््य सेवा प्रदान
करने वाले अकसर इस तरह के हे पाटाइहटस की चपेट में रोधगयों के सेवा के दौरान आ जाते हैं। इनक्यि
ू े शन
काल 2-6 मह नों का है । हे पाटाइहटस की चपेट में आने वाले लोगों में से 1-10% लोगों को चीरकाल न, गींभीर
हे पाटाइहटस होता है और इससे यकृत का लसरोलसस (क्षरण), यकृत कैंसर, और मत्ृ यु हो सकती है ।
टाइप सी: शर रे के द्रव्यों से प्रत्यक्ष रूप से सींपकल में आने से होने वाला एक खतरनाक हे पाटाइहटस। इस तरह
का हे पाटाइहटस सुईयों से नशीले पदाथल लेने, सींिलमत रक्त, अींग प्रत्यारोपण, टै टू िनाने या शर र में छे द करने
वाले सूई, जलेड, माता से लशशु को, सींिलमत सुईयों से, यौन किया (कभी कभी), और शर र के अन्य द्रव्यों के
सींपकल में आने से होते हैं। इनक्यूिेशन काल 2-6 मह नों का होता है । इस हे पाटाइहटस की चपेट में आने वाले
85-90% व्यजक्तयों को चीरकाल न, गींभीर हे पाटाइहटस होता है जजससे परू े ववश्व में यकृत के लसरोलसस, कैंसर,
और मत्ृ यु होता है ।
टाइप िी: यह लसिल हे पाटाइहटस िी के मर जों में होता है क्योंकक इसका उत्पादन हे पाटाइहटस िी पर ननभलर
करता है और यह हे पाटाइहटस िी के वाइरस के िगैर जीववत नह ीं रह सकता है । रक्त और रक्त के उत्पादों के
सींपकल में आने से जैसे सुईयों से नशीले दवाईयााँ लेने वालों में होता है और हहमोकिललया के मर जों के होता है ।
इनक्यूिेशन काल 2 सप्ताहों से 2 मह नों का होता है । हे पाटाइहटस िी को और भी गींभीर िना सकता है ।
लक्षण:
चरण II
वजन घट हो सकता है , गहरे रीं ग के पेशाि (अधधक मात्रा में बिललरूबिन होने के कारण), और लमट्ट
के रीं ग के पैखाने (पैखाने में िाइल एलसडों की कमी के कारण)।
वजन घटता जा सकता है , यकृत िूला हुआ और नमल रहता है , और मर ज को ऊपर पेट के दाहहने में
असहजता और ददल महसूस हो सकता है ।
1-2 सप्ताहों तक पीललया रह सकता है - जो यकृत के कोलशकाओीं के क्षनतग्रस्त हो कर रक्त से
बिललरूबिन को ननकालने में नकाम होने के कारण होता है (कभी कभी पीललया के िगैर भी होता है )।
रोग ननवनृ त: हे पाटाइहटस ए और इ में यकृत की कोलशकाएाँ िहुत कम या बिना अवशेषी क्षनत के चींगा हो जाता
है और व्यजक्त अकसर पूर तरह से चींगा हो जाता है और हे पाटाइहटस ए के प्रनत सदा के ललए रोधी हो जाता
है ; जिकक िी, सी और डी में मर ज कभी कभी बिना अवशेषी पाश्वल प्रभाव के चींगा हो जाता है , पींरतु िहुत सारे
लोग गींभीर सींिमणों के चपेट में आ जाते हैं और ऐसी जहटलताएाँ आतीीं हैं जो गींभीर लोग और मत्ृ यु की और
ले जाते हैं।
जहटलताएाँ:
हे पाटाइहटस िी और सी के मामले में गींभीर से ले कर ऐसी पररजस्थयााँ दे खीीं जा सकती हैं जजसमें
लक्षण नह ीं हदखते
सकिय, आिमक हे पाटाइहटस जो यकृत के लसरोलसस और/ यक
ृ त कैंसर की और ले जाता है । इससे
अकसर यकृत की ननजटियता के कारण मत्ृ यु होती है ।
हे पाटाइहटस िी, सी और डी के खतरे को कम करने में ननम्नललखखत उपाय मदद कर सकते हैं:
मर ज को यहद हो सके तो दवाईयों से िचना चाहहए, क्योंकक इन में से अधधकाींश यकृत में जाते हैं
और उसके ललए हाननकारक होते हैं। यकृत के कमजोर हालत में वह दवाओीं को सह ढीं क से प्रिमण
नह ीं कर पाता है और जस्थनत को और भी खराि करता है । एींट िायोहटक हे पाटाइहटस से नह ीं ल़ि सकते
क्योंकक वे आमतौर पर वे िैक्टे ररया से ल़िते हैं और हे पाटाइहटस वाइरस से होता है (वाइरस से ल़िने
वाले दवाईयों का इस्तेमाल हे पाटाइहटस सी में मददगार साबित हो सकता है और इसे गींभीर होने से
रोक सकता है )। साथ ह कुछ और दवाईयााँ भी हैं जो हे पाटाइहटस सी से जूझ रहे व्यजक्त की मदद कर
सकते हैं।
आराम करने से चींगाई में मदद लमल सकता है , परीं तु लींिे समय तक परू तरह आराम करने से िचना
चाहहए, क्योंकक इससे कमजोर आ सकती है । व्यजक्त को बिस्तर पर नह ीं रखना चाहहए, और पीललया
के समाप्त होने पर और ऊजाल िढ़ने पर वह काम पर लौट सकता है ।
व्यजक्त को दस
ू रों के ललए भोजन तैयार नह ीं करना चाहहए, या रसोई से दरू रहना चाहहए (हे पाटाइहटस
ए और इ)।
शर र से ववषैल तत्वों को ननकालने के ललए खूि सारा पानी पीएाँ।
तेल रहहत आहार लाभदायक हो सकता है , क्योंकक िाईल के उत्पादन के ललए यकृत जजम्मेदार होता है -
जो वसा के पाचन के ललए जरूर है , और इस रोग से चींगा होने के दौरान उसे आराम की जरूरत होती
है ।
हे पाटाइहटस के पीड़ितों को पयालप्त आराम, स्वस्थवधलक पोषण की जरूरत होती है ; जो काफी कहठन हो
सकता है क्योंकक भूख कम हो जाता है और लमचल आता है । यहद मर ज ठोस आहार खाने से मना
कर दे तो उसे िलों का रस, और कढ़े या सप
ू दें । शराि यकृत प्रिलमत होता है इसललए इससे परहे ज
करें ।
रे शेदार आहार के सेवन से कजज पर कािू पाएाँ, क्योंकक कजज से रक्त में अमोननया जैसे अनचाहे
उत्पाद जमा होने लगते हैं और यकृत का कायलभार िढ़ाते हैं।
हे पाटाइहटस ए और इ के ललए: मर ज को ननयलमत रूप से नहाना चाहहए और पैखाने के िाद सािून
और पानी से हाथ धोना चाहहए। शौचालय को प्रत्येक इस्तेमाल के िाद साि करें ; यहद सींभव हो तो
मर ज को अलग शौचालय का प्रयोग करना चाहहए।
यकृत वाले हहस्से में 15 लमनटों के ललए गमल सेंक हदया जा सकता है जजसके िाद ठीं डे स्पींज से रग़िा
जा सकता है । िार िार से गमल और ठीं डे सेंक हदन में चार िार दह
ु राएाँ। उपचार को स्नान या स्पींज
स्नान से समाप्त करें । एचआईवी/एड्स के ललए हदए गए िख
ु ार उपचार भी इस वाइरस से ल़िने और
रोगप्रनतरोध क्षमता को िढ़ाने में मदद कर सकता है ।
1
Centers for Disease Control (2011). World Hepatitis Day – July 28th. Accessed March 15, 2012 at
http://www.cdc.gov/Features/dsHepatitisAwareness/
2
World Health Organization. (2008). Hepatitis A: Fact sheet Nº328. Accessed March 15, 2012 at
http://www.who.int/mediacentre/factsheets/en/
3
Ignatavicius, D. D., & Workman, M. L. (2002). Medical-surgical nursing: Critical thinking for collaborative care (4th ed.). Philadelphia:
W.B Saunders Company.
4
Longo, D.L., Kasper, D.L., Jameson, J.L., Fauci, A.S., Hauser, S.L., & Loscalzo, J. (eds.) (2012). Harrison’s principles of internal
medicine (18th ed.). New York: McGraw Hill.
5
Beers, M. H., & Berkow, R. (Eds.). (1999). The merck manual of diagnosis and therapy (17th ed.). Whitehouse Station, NJ: Merck
Research Laboratories.
6
Vanderkooi, M. (2009). Village medical manual: A layman’s guide to health care in developing countries: Volume 1: Principles and
procedures (6th ed.). Marion, NC: Equip.
7
Thrash, A. (2012). Hepatitis. Accessed December 28, 2012 at http://ucheepines.org/index.php?p=counseling.hepatitis.
परिभाषा: श्वसन नल के गींभीर सींिमण (एमफाइसेमा और सीओपीडी जैसे धचरकाललक सींिमणों के ववपररत)
जैसे ननमोननया, जुकाम, ट िी, मीजल्स के कारण होने वाले श्वसन रोग और रे सपीरे र लसींकहटयल वाइरस। वे
नाक, गले और िेि़िों को सींिलमत करते हैं और आमतौर पर वाइरस या िैक्टे ररया से होते हैं जो सींिामक िींद
ू ों
और वायु से िैलते हैं।
1. आम सदी2
100 से अधधक तरह के वाइरसों से होता है (अधधकतर राइनोवाइरस)। आम लक्षणों में शालमल है : नाक
िींद या नाक िहना, गले में खराश, साथ में कभी कभी िदन ददल और स्वस्थ महसस
ू न करना। यह
रोग अपने आप 5-9 हदनों में ठीक हो जाता है , बिना ककसी जहटलता के।
2. जुकाम2
इसे फ़्लू भी कहते हैं, यह सदी से अलग है , और यह कई तरह के जुकाम वाइरसों से होता है । इसके
लक्षण हैं: लसर ददल , िुखार, ठीं ड महसूस करना, मााँसपेलशयों में ददल , खााँसी, गले में खराश, और अस्वस्थ
महसस
ू करना। सदी के मक
ु ािले ्लू में व्यजक्त जल्द बिमार होता ह। अधधकातर लोग 2 ह्तों में
ठीक हो जाते हैं, परीं तु इससे जहटलताएाँ आ सकतीीं हैं जैसे ननमोननया, साइनूहटस, कान ददल , िूप,
सीओपीडी का जस्थनत गींभीर होना, िोंकाइहटस, दमा, और अन्य घातक जहटलताएाँ, और व्यजक्त के
स्वास््य को और भी बिगा़ि सकता है । ववश्व में हर साल हजारों लोग फ़्लू से मरते हैं।
3. ब्रोंकाइहटस5
िोंकाइ (नल ) का सज ू न, जो वायु को िेि़िों तक पहुाँचाता है । अधधकतर वाइरस से होता है , परीं तु
िैक्टे ररया, प्रदष
ू क, या एलजी से भी हो सकता है । आमतौर पर श्वसन नल के सींिमण के िाद होता
है जैसे फ़्लू, सदी, मीजल्स, ननमोननया, या इसी तरह के अन्य सींिमण। इसके लक्षण हैं खााँसी, जजसके
साथ िुखार आ सकता है , सााँस िूलना, छाती में तकल ि, त्वचा का नीला होना, लमचल आना और
उल्ट ।
4. ननमोननया5
िेि़िों के वायु थैललयों में वाइरसों, िैक्टे ररया, या ििींू द से होने वाले सींिमण। सभी उम्र के लोगों में
हल्के से लेकर तीव्र बिमार । इसके लक्षण हैं खााँसी, िुखार, सााँस लेने में कहठनाई, छाती में ददल , और
कभी कभी पेट ददल । ननमोननया से पीड़ित िच्चों का इलाज नह ीं होता है , इस तरह से 20% िच्चे मर
जाते हैं, कई िार रोग के शुरू होने के 3 तीन िाद ह । गर ि दे शों में लसिल 50% िच्चों को ह , जो
समान्य से तेजी से या अधधक कहठनाई से सााँस ले रहे होते हैं, अलभभावक धचककत्सक के पास लेने की
जरूरत महसस
ू करते हैं, जौभी की ये ननमोननया के लक्षण होते हैं।
5. प्प्लयूरिसी:
िेि़िों और छाती के िीर के खझल्ल का सूजन
अन्य गींभीर श्वसन सींिमण हैं ट िी, साइनूलसहटस (साइनसों का सींिमण/सूजन), कान के सींिमण
(वाइरस या िैक्टे ररया के सींिमण), मीजल्स, पाराइन्फ़्लूवेंजा, और रे सपीरे र लसींकटल वाइरस (जजसके
कारण िूप, ननमोननया, या सदी जैसे अन्य लक्षण हदखते हैं )।
िोग की पिचान: आमतौर पर श्वसन नल के रोग ककसी खास जााँच के िगैर ह ठीक हो जाते हैं। लक्षणों से
पहचाने जाते हैं, श्लेम या खास रक्त जााँच से भी पहचाने जा सकते हैं (जैसे ट िी और ननमोननया), कम खतरे
वाले रोगों में इनकी जरूरत नह ीं होती है ।3
जैसे की श्वासन नल के अधधकतर सींिमण बिमार व्यजक्त से ननकले सींिामक कणों को सााँस लेने से
या सींिलमत व्यजक्त के स्रावों के सींपकल में आने से होते हैं, ननम्नललखखत सुझाव व्यजक्त को श्वसन
नल के सींिमणों से िचने में मदद कर सकते हैं।
िार िार हाथों के सािुन और पानी से धोएाँ, खास कर चेहरे को छूने, भोजन तैयार करने, खाने से
पहले, खााँसने या छीींकने, नाक साि करने, शौच, गींदे कप़िे पक़िने, सदी या जुकाम से पीड़ित व्यजक्त
से लमलने, और समाजजक सभा से आने के िाद।
जि तक हाथ अच्छी तरह से धुल न जाएाँ अपने आाँख, नाक या माँह
ु न छूएाँ क्योंकक इस तरह से
कीटाणु श्वसन नल में जा सकते हैं।
खााँसते वक्त माँह
ु ढक लें । यहद आपने अपने हाथ में खााँसा हो तो कुछ भी छूने से पहले उन्हें तुींरत धो
लें ।
हो सके तो साल के उस मौसम में जि सिसे ज्यादा श्वसन सींिमण िैलते हैं, उस दौरान भी़ि से दरू
रहें ।
यहद मेहमानों में सदी या जक
ु ाम जैसे लक्षण हदखे तो उन्हें स्वस्थ होने के िाद लमलने की सलाह दें ।
सींतुललत आहार ले जजसमें शक्कर, वसा, और ररिाइन ककए गए भोजन कम हों और ऐसे आहार लें
जजसमें ववटलमन सी की मात्रा अधधक हो (जैसे सींतरे , िेर , आहद)। अच्छा पोषण शर र को सींिमण से
िचाते हैं।
पयालप्त नीींद और आराम लें ।
प्रनतहदन कम से कम 30 लमनटों के ललए ताजी हवा में व्यायाम करें ।
हाथ और पैरों को गमल रखें (हाथ और पैरों को माथे के िरािर गमल रखें) क्योंकक ठीं ड लगने से श्वसन
नल वाइरसों के प्रनत रोधक क्षमता कम कर दे ता है ।
उपचाि4,5
सदी, जुकाम, या श्वसन नल के अन्य सींिमणों के होने के लक्षण हदखते है उससे पूर ताकत से ल़िे।
ननजम्नललखत सलाहों से आपको लाभ लमल सकता है :
सोने जल्द चले जाएाँ और अनतररक्त आराम लें ।
ताजे हवा में लींिी दरू तक टहलें , गहर सााँसे लें ।
खि
ू सारा पानी पीएाँ (कुछ लोगों ने महसस
ू ककया है कक सदी के पहले लक्षण हदखते ह 8 आउन्स
वाले प्याले से 1 प्याला पानी हर 10 लमनट में पीने से बिमार नह ीं होने में उन्हें मदद लमलता है )।
ववटालमन सी से भरपूर आहार का सेवन िढ़ाएाँ: सींतरे , स्रॉिेर , िोक्कल , टमाटर, अमरूद और अन्य
िल व सजजजयों को कुछ शोधों में शर र के रोगप्रनतरोधक क्षमता िढ़ाते पाया है ।
शक्कर और वसा से परहे ज करें । हल्का भोजन ले जजसमें िहुत सारे िल हों और पयालप्त रे शे जो कजज
से िचाते हैं।
िूट कईयों के ललए लाभदायक लसध्द हुआ है : लहसुन (2-3 कच्चे लहसुन रोजाना), एकाइनासे, पीत
कींद, मौसमी का रस। अन्य िूहटयााँ भी लाभ दे सकते हैं। अटे लमलसया अनुवा और/या नीम के पत्तों को
चूसते रहने या उनके चाय की चुजस्कयााँ लेते रहने से भी िहुतों को लाभ लमला है ।
सोने से पहले पसीना आने तक गमल पानी से स्नान करने और उसे अींत करने के ललए थो़िी दे र के
ललए ठीं डे पानी को शर र में डालने से मदद लमल सकता है । दस
ू रा उपाय है पैरों का गमल स्नान।
व्यजक्त को कुसी में िैठा दे और उसके पैरों को गमल पानी से भरे िाल्ट में डुिो दें । मर ज को कींिल से
ढक दें , और व्यजक्त के सहनशजक्त के मुताबिक गमल पानी लमलाते रहें । उन्हें माथे पर ठीं डे कप़िे की
भी जरूरत प़ि सकती है यहद उन्हें पसीना आने लगे। आदशल रूप से, व्यजक्त को पसीना आने लगे तो
और 20 लमनटों के ललए जार रखें। पैरों में ठीं डा पानी डाल कर ववधध समाप्त करें । व्यजक्त को गमल
मोजे पहना दें और उसे एक घींटे तक लेटने को कहें । उपचार के अच्छे पररणाम के ललए उनका ठीं ड से
िचना जरूर है । आमतौर पर तापमान को 104°F से अधधक न िढ़ने दें ।
गले की खराश के ललए: नमकीन पानी से कुल्ला करने से लाभ लमलता है , क्योंकक गमल पानी ताजा
रक्त और शवेत रक्त कोलशकाओीं उस हहस्से में ले आता है , और नमक जीवाणुओीं को मारता है ।
सूक्ष्मजीवीरोधी िूहटयााँ/चाय भी लमला सकते हैं। गमल सेंक भी लाभदायक हो सकता है (एक पतला
कप़िा लें , पानी में डुिाएाँ, और गले में लपेट दें । उसे प्लाजस्टक से ढक दें , किर मोटे स्कािल, ऊन,
मोजा, आहद से ढक दें , और अलवपन से उसे सावधाननपूवक
ल अटका दें । ठीं डे झोकों से िचाए रखें, और
यह कुछ ह समय में गमल हो जाना चाहहए। कई घींटों के ललए या रात भर रहने दें )। चारकोल के
टै जलेट को चूसने से भी कईयों को मदद लमला है ।
खााँसी के ललए, लाभदायक हिलल चायों में शालमल है : यक
ु ललप्टस के पत्ते, मेथी के िीज, और
7
स्वणलधान्य। व्यजक्त मधु में यक
ु ललप्टस तेल डाल कर खााँसी के ललए लसरप भी िना सकता है , और
खााँसने पर थो़िी मात्रा में उसे ले सकता है - परीं तु अत्यधधक मात्रा में लेने से िचना चाहहए क्योंकक
इसमें शक्कर होता है (परीं तु िोटूललजम के खतरे के कारण लशशुओीं और िहुत छोटे िच्चों के ललए मधु
का इस्तेमाल नह ीं करना चाहहए)। हर िार जि व्यजक्त खााँसता है , उसे एक घूट
ाँ पानी पीना चाहहए
ताकक स्रावों को तरल िनाया जा सके और शर र से वे आसानी से िाहर ननकल सके। छाती में गमल
सेंक भी हदया जा सकता है जैसा गले के ककया जाता है और उसे रात भर रखा जा सकता है । गहरे
सींकुलन के दस
ू रा लाभदायक उपचार है आसनीस जलननकास। ऐसा करने के ललए व्यजक्त को पेट के
िल ललटा दें और उसका छाती कुल्हों और पैरों से नीचे हो और कोई उनके पीठ पर थपककयााँ दे ,
हथेललयों को जल्द जल्द िदलते हुए। अत्यधधक तीव्रता से न करें क्योंकक चोट लग सकता है , इससे
िेि़िों में जमें श्लेम टूट जाते हैं। गुदों वाले हहस्से (र ढ़ के कर ि पींजरों को नीचे) को न करें । खााँसी
या ननमोननया के ललए दस
ू रा उपचार है सेंक (िार िार से गमल और ठीं डे उपचार छाती के सामने और
पीछे हदये जाते हैं)। इसके िारे जलधचककत्सा में ववस्तार से िताया जाएगा। वाटप श्वसन भी लाभदायक
हो सकता है । इसके ललए पानी उिाले लें (युकललप्टस के पत्ते या तेल लमला सकते हैं) और एक चादर
से पतीले को ढक दें और व्यजक्त को इसके वाटप को सााँस लेने दें । ध्यान रखें कक वे ज्यादा नजद क
न चले जाएाँ ताकक वे न जले, और इस िात का ध्यान दें कक चादर जल न जाए या उसमें आग न
लग जाए।
वाइरस के ललए एींट िायोहटक का प्रयोग न करें क्योंकक वे िैक्टे ररया के खखलाफ ल़िते हैं।
दस
ू रों से अलग सोएाँ ताकक उन्हें सींिमण न हो जाए।
नाक िहने पर, अत्यधधक तीव्रता से नाक साि न करें क्योंकक ऐसा करने पर कान में सींिमण पहुाँच
सकता है । गमल और ठीं डे व्यनतरे क स्नान भी िहते नाक को रोक सकते हैं। इसके ललए या तो नाक
और साइनस के ऊपर गमल तौललया रख दें (सूखे तौललए से उसे लपेटने से वह ज्यादा दे र तक गमल
रहता है और जलने से भी िचाता है ) या 3 लमनटों के ललए सहने लायक गमल पानी में चेहरे को डुिा दें
(सााँस लेने के ललए चेहरा उठना प़ि सकता है इसललए स्नोकेल का प्रयोग कर सकते हैं), किर 30
सेकेंडों तक ठीं डे कप़िे को चेहरे पर रखें या िफल भरे पतीले में चेहरा डुिाएाँ। िार िार से दह
ु राने पर
अनतररक्त गमल पानी की आवश्यकता प़ि सकती है । 5-6 िार दह
ु राएाँ और हदन में 2-3 िार यह उपचार
ले सकते हैं। यह नाक िहने की परे शानी को कम कर दे गा और इसे गींभीर होने से रोकेगा। 9
िुखार शर र का दोस्त है । आमतौर पर िुखार का उपचार पानी से ककया जाना चाहहए (पैरों के गमल
स्नान या ऐसे ह अन्य उपचारों से) ताकक व्यजक्त का तापमान पसीना आने तक िढ़े - किर उसे 20
लमनटों तक िनाए रखें यहद वह वयस्क है और िच्चों के ललए कम करें (104°F से िढ़ने न पाए)
ताकक शर र सींिमणों से ल़ि सके, क्योंकक वाइरस और िैक्टे ररया ऊाँचे तापमान सह नह ीं सकते हैं। यहद
िुखार अत्यधधक िढ़ जाए तो उसे हल्के गमल या ठीं डे कप़िे से धीरे से कम करें , परीं तु सावधान रहें
क्योंकक इससे शर र पर भार प़िता है ।
कानददल में िार िार से ठीं डा और गमल उपचार कान में दें , चारकोल का प्रलेप लगाएाँ (चाकोल कान के
अींदर न चला जाए इसललए कप़िे का प्रयोग करें ), या पीड़ित कान के कुछ दरू में हदया जलाएाँ। ध्यान
दें की मर ज को जल न जाए।
मर ज को यहद िहुत तेज िुखार चढ़ जाए, सााँस िूले, छाती का ददल तेज हो, तो धचककत्सक से तुरींत
सींपकल करें ।
1
Schluger, N.W. (2010). Acute Respiratory Infections Atlas (1st ed.). Atlanta, GA: Bookhouse Group.
2
Longo, D.L., Kasper, D.L., Jameson, J.L., Fauci, A.S., Hauser, S.L., & Loscalzo, J. (eds.) (2012). Harrison’s principles of internal
medicine (18th ed.). New York: McGraw Hill.
3
Beers, M. H., & Berkow, R. (Eds.). (1999). The merck manual of diagnosis and therapy (17th ed.). Whitehouse Station, NJ: Merck
Research Laboratories.
4
Thrash, A. (2012). Influenza or “flu” Accessed December 28, 2012 at http://ucheepines.org/index.php?p=counseling.influenza_or_flu and
http://ucheepines.org/index.php?p=counseling.flu.
5
Thrash, A. (1990). Natural healthcare for your child. Sunfield, MI: Family Health Publications.
6
Horner, S., Personal experience with herbal usage in Nepal and India.
आाँकडे
परिभाषा: दस्त पतला तरल पैखाना है । दस्त में जि लहू आता है तो उसे पेधचश कहते हैं।
खतिे :
दस्त के कई कारण हैं, परीं तु सिसे आम कारण पैखाना-मौखखक सींिमण से िैलने वाले िैक्टे ररया है । अन्य
कारणों में शालमल है परजीवी, आाँतों के फ़्ल,ू खराि खाना, एचआईवी/एड्स, दध
ू पचा न पाना, कुछ दवाओीं के
दटु प्रभाव, लैक्जेहटव (कजज के दवा), शर र के दस
ू रे अींगों के सींिमण, मलेररया, कुपोषण, अत्यधधक कच्चे िल,
लशशुओीं को समय से पहले ह ठोस आहार खखला दे ना, और अन्य। इसललए प्रत्येक मामले की सावधानीपूवक
ल
अध्ययन इसके कारण और सह उपचार को जानने के ललए िहुत जरूर है ।
दस्त के कािण
1. बिना िख
ु ार के अचानक दस्त होना: पानी खि
ू पीएाँ, पोषण दें , आमतौर पर ककसी खास उपचार की
जरूरत नह ीं होती है ।
2. दस्त के साथ उल्ट : जलाभाव का अधधक खतरा। जलापूती के ललए कढ़े , या सूप थो़िे थो़ि समय के
अींतरल में थो़िी मात्राओीं में दें । यहद व्यजक्त उल्ट भी करे तो कुछ अींदर रह ह जाएगा। यहद उल्ट
ननयींत्रण के िाहर हो जाए जो उसे तुरींत अस्पताल से जाएाँ क्योंकक उन्हें उल्ट रोकने के ललए ककसी
चीज या आईवी दवाओीं की जरूरत प़ि सकती है ताकक उनमें गींभीर रूप से पानी की कमी न हो जाए।
3. िुखार के साथ गींभीर दस्त परीं तु रक्त रहहत: पता करें कक व्यजक्त को मलेररया, टाईिड, या अन्य रोग
है या नह ीं। दस्त के कारण जलाभाव से भी िुखार चढ़ सकता है , इसललए जलाभाव की सावधानीपूवक
ल
इलाज करें ।
4. धचरकाललक दस्त: अकसर एचआईवी, कुपोषण, या अन्य धचकाललक सींिमण से होता है । यहद आप
दस्त के कारण का पता नह ीं लगा पा रहे हैं तो मदद की तलाश करें ।
5. धगयारडडया: यह पीले, िदिूदार दस्त का कारण है जजसमें िहुत सारे िुलिुले या झाग होते हैं, और
इसमें रक्त या श्लेम नह ीं होता है । व्यजक्त के पेट में िहुत हवा रहता है और उसे िदिूदार “गींधक”
वाले डकार आते हैं। आमतौर पर िुखार नह ीं रहता है । धगयारडडया दस्त का आम कारण है । 2003 में
कर ि 200 लमललयन मामले थे।2 यह एक परजीवी से होता है , और यह पैखाना-मौखखक सींिमण से
िैलता है । उपचार के ललए धचककत्सक से सलाह लें । जहााँ स्वास््य सेवा उप्लजध नह ीं है , वहााँ उपचार
के ववकल्प हैं: मेरोननडाजोल (वयस्कों के ललए 250 लम.ग्रा. हदन में 3 िार 5 हदनों के ललए, 9,3 िच्चों
के ललए 15 लम.ग्रा/के.जी/हदन 3 खुराक में िााँट कर3) या अलिेन्डाजोल (400 लम.ग्रा. प्रनतहदन 5 हदनों
के ललए4- अकसर मेरोननडाजोल से कम दटु प्रभाव हदखते हैं)। साि सिाई का ध्यान रख कर िचाव करें
(ऊपर दे खें) और 10 लमनटों तक पानी उिालें , क्योंकक धगयारडडया के लसस्ट क्लोर न से नह ीं मरता है
और आयोडीन को प्रभावशाल होने के ललए उसे पानी में कम से कम 8 घींटों तक रखना प़िता है । 3
6. है जा: चावल पानी के तरह हदखने वाला दस्त होता है । ववश्व में हर वषल तकर िन 3-5 लमललयन मामले
होते हैं।5 उपचार के आभाव वे कुछ ह घींटों में व्यजक्त की जान जा सकती है । इस रोक से प्रनतवषल
100,000-120,000 लोग मरते हैं।5 किर भी 80% मामलों में पुनजलल कृत करने वाले पेयों से
सिलतापव ल उपचार ककया जा सकता है ।5 िैक्टे ररया से होने वाले दस्त का यह घातक रूप है जो
ू क
पैखाना-मौखखक सींिमण से िैलता है जो आसानी से ि़िे महामाररयााँ उत्पन्न करता है और हजारों को
मार सकता है । एक व्यजक्त में िहुत तेजी से जलाभाव होती है और वह जल्द मर जाता है (कभी-कभी
घींटों में )। हलााँकक कुछ लोगों में कम लक्षण दे खे जाते हैं, िहुतों के ललए लक्षण िहुत गींभीर हो सकते
हैं। पैखाना चावल पानी के तरह हदखता है , और व्यजक्त को दस्त के उल्ट हो सकता है । व्यजक्त को
िहुत प्यास लगती है , पेशाि कम हो जाता है , कमजोर , मााँसपेलशयों में अक़िन, तेज हृदयगनत,
रक्तचाप में कमी, सूखा माँह
ु और जीभ, आाँसु न आना, यहद त्वचा को खीींचा जाए तो वह तुरींत अपने
आकार में नह ीं लौटता है , और जस्थनत बिग़िने से आलस्य महसूस होता है , िेहोशी, पीने की क्षमता
खत्म हो जाता है , धाँसी आाँखें (लशशुओीं में िोंटानेल), इसके िाद मत्ृ यु हो जाती है ।6 पुनजलल कृत करने
वाले पेयों से जलाभाव का उपचार जार रखें। दस्त से व्यजक्त ककतना पानी खो रहा है इसका नाप रखें
9
और उससे अधधक की भरपाई पन
ु जलल कृत करने वाले पेयों से करें । उल्ट िींद होने के िाद और भख
ू
लौटने के िाद ह ठोस आहार दें । हो सके तो धचककत्सीय मदद तुरींत लें (आईवी दवाईयों की जरूरत
प़ि सकती है )। जजनका उपचार नह ीं होता है उनमें से 50% लोग मर जाते हैं, और जो िचते हैं, वो
समान्यतः 3-6 हदनों में ठीक हो जाते हैं।3 जहााँ धचककत्सीय सेवा उप्लजध नह ीं है , वहााँ उपचार के
ववकल्प हैं: डोक्सीसाइक्ल न (वयस्कों के ललए 300 लम.ग्रा. का एक खुराक मौखखक रूप है )6,
टे टरासाईक्ल न (12.5 लम.ग्रा/केजी 3 हदनों के ललए हदन में चार िार लसिल वयस्कों और 8 वषल से
अधधक उम्र के िच्चों के ललए6- छोटे िच्चों के दााँत सदा के ललए पीले हो जाते हैं), जिकक गभलवती
महहलाओीं और िच्चों का उपचार इराइथ्रोमाइलसन से करना चाहहए (वयस्कों के ललए 40-50 लमग्रा/केजी
को 3 खुराक में िााँटें, तीन हदनों तक जार रखें या िच्चों के ललए 10 लमग्रा/केजी)। जहााँ टे रासाइक्ल न
काम न करे वहााँ लसप्रो्लोजक्सन का इस्तेमाल ककया जा सकता है - 30 लम.ग्रा./केजी का एक खुराक दें ,
1 ग्रा से ज्यादा नह ीं होना चाहहए।6
7. िैक्टे ररया से होने वाला पेधचश: यह पैखाना-मौखखक सींिमण के द्वारा लशगेला से होता है । हर साल
तकर िन 165 लमललयन मामले होते हैं जजसमें से 1.1 लमललयन मौत होते हैं।7 कर ि 60% मामले
और 60% मत्ृ यु 5 वषल से कम उम्र के िच्चों में होता है ।7 लशगेला दस्त के 30% सींिमणों का
पररणाम मत्ृ यु होता है ।7 1-4 हदनों के इनक्यूिेशन के िाद अचानक लक्षण हदखते हैं, जैसे, िुखार,
दस्त जजसमें कुछ समय िाद खन
ू आने लगता है , स्वस्थ न महसस
ू करना, भख
ू न लगना, लमचल
और उल्ट , पेट ददल , थो़िे मात्राओीं में िार िार पैखाना होना, जजसमें आाँव, मवाद, और रक्त, थो़िे िदिू
के साथ। अधधकतर मामले बिना उपचार के ह ह्ते भर में ठीक हो जाते हैं, परीं तु उपचार दे ने से वे
कुछ ह हदनों में बिना जहटलताओीं के ठीक हो जाता है ।6 उपचार नह ीं करने पर िच्चों में लक्षण हदखने
के 12 घींटों के अींदर उनकी मत्ृ यु हो जाती है ।3 जहटलताओीं में शालमल है : गींभीर जलाभाव, सजन्नपात,
ऐींठन, कोमा (अचैतन्य), पय
ू ा, खन
ू की कमी, गद
ु े की ननजटिया, मलाशय भ्रींश, आाँतों में छे द, गहठया,
और मत्ृ यु।6,3 उपचार: पेट ददल से राहत दे ने के ललए गमल पानी के िोतल से सेंकें। केवल दस्त रोकने
िैक्टे ररया और अमीिा से होने वाले है जे के िीच अींतर हदये गए हैं (कभी कभी रक्त युक्त है जे के अन्य कारण
भी हो सकते हैं):9
िोग की पिचान:
िचाि:
सिके ललए अच्छे पोषण और स्वच्छता का ख्याल रखें । यहद कोई व्यजक्त अच्छी तरह से पोवषत है तो उसे
दस्त होने का खतरा कम हो जाता है और उससे मरने का खतरा तो और भी कम हो जाता है । लशशुओीं को
िोतल-से वपलाने के िजाए उन्हें स्तनपान कराएाँ कम से कम उनके जीवन के प्रथम 6 मह नों के ललए। िोतल
का प्रयोग लशशुओीं में दस्त और मत्ृ यु का आम कारण है । प्याले और चम्मच का इस्तेमाल करें यहद स्तनपान
कराना सींभव न हो, ताकक िैक्टे ररया के सींिमण के खतरे को कम ककया जा सके। पैखाने के सींिमण से सभी
भोजन सामधग्रयों को िचाएाँ (जरूरत होने पर पानी उिाल लें , कुएाँ िींद रखें, शौच के िाद और भोजन पकाने से
पहले हाथों को अच्छी तरह धो लें , कच्चे िल व सजजजयों को सींिलमत रहहत िनाएाँ, भोजन को मजक्खयों और
नतलचटों से िचाकर रखें)। िच्चों की आाँखों और माँह
ु से मजक्खयों को दरू रखें। सदै व शौचालय का इस्तेमाल
करें , और उन्हें साि रखें। मनुटय के पैखाने का इस्तेमाल खाद के रूप में न करें क्योंकक इससें जीवाणु िैल
सकते हैं।
उपचाि:9
जलाभाव से िचें या उसे ननयींबत्रत रखें। दस्त से मत्ृ यु का यह सिसे आम कारण है , खास कर िच्चों में । उन्हें
पीने के ललए खूि सारा पानी दें । यहद दस्त गींभीर हो, या व्यजक्त में जलाभाव के लक्षण हदखे, तो उसे मौखखक
रूप से पुनजलल कृत करें । इस ननम्नललखखत ववधध से तैयार ककया जा सकता है : 1 ल टर शुध्द पानी, 8 चम्मच
चीनी, ½ चम्मच नमक, और 1 मसला हुआ पका केला लमला ले या ½ प्याला नाररयल पानी या 1-3 सींतरे
पैखाने से खो रहे पोटै लशयम की भरपाई करें गे। पानी के िदले व्यजक्त को इसे िार िार पीने के ललए प्रोत्साहहत
करें (जरूरत प़िने पर हर 5 लमनटों में एक घूट
ाँ ), ति तक दें जि तक की वे समान्य रूप से पेशाि करने में
सामथल न हो जाए (हल्का पीला या साि पेशाि)।
यहद व्यजक्त भोजन करने में असमथल महसूस कर रहा हो, तो पुनजलल करण के पेय वपलाएाँ, आलू, चावल, या
मक्के के सूप, या लशशुओीं के ललए स्तन का दध
ू वपलाएाँ। जैसे ह वह खाना शुरू करे उसे हल्के पोषक आहार
दे ना शुरू करें । उप्युक्त भोजन में शालमल है चावल, केले, सेि, पपीते, और आलू। सभी वसादार, मसालेदार
व्यींजनो, शराि, और अत्यधधक रे शेदार भोजनों को त्याग दें । व्यजक्त को पोषण दे ना िहुत जरूर है और यह
उसके जान को भी िचा सकता है (खास कर पुनजलल करण के पेय)।
आमतौर पर दवाईयााँ नह ीं हदये जाने चाहहए क्योंकक वे जस्थनत को बिगा़ि सकते हैं; किर भी इस ननयम से परे
भी कुछ पररजस्थनतयााँ है जो नीचे हदये गए हैं। खास कर लसिल दस्त रोकने वाले दवाओीं से िचें क्योंकक से
जीवाणुओीं को िढ़ने से नह ीं रोकते हैं, और िैक्टे ररया िढ़ते जाएाँगे- यहद वह िैक्टे ररया से हुआ हो तो।
1
World Health Organization. (2009). Diarrhoeal disease: Fact sheet Nº330. Retrieved March 21, 2012 from
http://www.who.int/mediacentre/factsheets/fs330/en/index.html.
2
Markell, Edward K., David T. John and Wojciech A. Krotoski. Markell and Voge’s Medical Parasitology. Eighth Edition. W. B.
Saunders: Philadelphia, 1999
3
Beers, M. H., & Berkow, R. (Eds.). (1999). The merck manual of diagnosis and therapy (17th ed.). Whitehouse Station, NJ: Merck
Research Laboratories.
4
Vanderkooi, M. (2009). Village medical manual: A layman’s guide to health care in developing countries: Volume 1: Principles and
procedures (6th ed.). Marion, NC: Equip.
Escherichia coli (इश्चेरेलशया कोल ) मूत्र नल के सींिमण का सिसे आम कारण है , ववश्व के 80%
मामले इसी से होते हैं
2
समान्यतः मूत्र नल जीवाणुह न होता है और सींिमण रोकने की क्षमता रखता है , परीं तु यहद पररजस्थनत अनुकूल
हो, तो यह िैक्टे ररया मत्र
ू नल में सींिमण कर सकता है और बिमार ला सकता है ।
3
िोग का पिचान:
लक्षण, मर ज के इनतहास की जााँच, और मूत्र के नमूने से मूत्र नल के सींिमण का पता लगाया जा सकता है ।
कभी कभी दस
ू रे जााँचों की जरूरत प़ि सकती है ।
अधधक मात्रा में पानी पीएाँ, यह िैक्टे र या को धोने में मदद करता है । एक प्याला िूचू और ऊवा उरसी
3
हर 10-15 लमनटों पर लक्षणों के दिने तक पीने से भी मदद लमल सकती है (यहद वे पेशाि न कर
9
िेनिेर मूत्र को अम्ल य िनाती है (अधधकर िैक्टे ररया, जो जलैडर को सींिलमत करते हैं, क्षार य
वातावरण पसींद करते हैं) और िैक्टे र या को जलैडर में धचपकने से रोकती है (शोध िताते है कक जलूिेर
का भी ऐसा ह प्रभाव होता है )।
पौधे जैसे िूचू और ऊवा उरसी िहुतों के ललए लाभदायक लसध्द हुआ है । प्रत्येक दे श के ववशेटज्ञों से
6,7,4
पूछें कक कौन कौम से पौधे लाभदायक है । दसू रे लाभदायक ज़िी िूहटयों में शालमल है , लहसन, पीत
कींद और मौसमी के िीज का रस।
9
कुछ महहलाएाँ को यौन सींिींध िनाने के िाद पेशाि करने से लाभ लमलता है जजससे मूत्र नल से
िैक्टे र या धोने में मदद लमलता है ।
अधधकतर समय लोग प्राकृनतक उपचार से ठीक हो जाते हैं, परीं तु यहद कोई व्यजक्त दो हदन में ठीक न
हो, तो धचककत्सीय सलाह लेनी चाहहए। यहद धचककत्सीय मदद उप्लजध न हो, ति उपचार में उनको
शालमल ककया जा सकता है : कोटीमाजोल (कोरट मेक्सजोल-एक दग
ु ने ताकत वाला या दो सामान्य
गोललयााँ 12 घींटे के अींतराल में 5-10 हदनों तक- असर के मत
ु ाबिक- वयस्कों के ललए), सल्िाडाईजीन
(सल्िाडाईजीन- 1000 लम.ग्रा 5 हदनों तक 6 घेटों के अींतराल में - वयस्कों के ललए) सीप्रो्लोक्जासीन
(सीप्रो्लोक्जासीन- 500 लम.ग्रा. 5-7 हदनों तक 12 घींटों के अींतराल में - वयस्कों के ललए)।5
अनुमान है कक ववश्व 20-25% लोग त्वचा में ििूाँद सींिमण से पीड़ित है ।10 ििूाँद सींिमणों में शालमल है:
ए्ल ट्स िूट- पैर के अाँगूठों, पैर के नाखून, पााँव और कभी कभी हाथों के नाखूनों को भी प्रभाववत करता है ;
ररींगवमल- शर र के दस
ू रे िालरहहत हहस्सों को प्रभाववत करता है ; हटनीया- लसर के त्वचा को प्रभाववत करता है
जिकक जॉक इच जननींघों के आस पास के त्वचा को प्रभाववत करता है । यह रोग ििूाँद के सींपकल में आने से
िैलता है (मनटु य या जानवरों के द्वारा) और उप्यक्
ु त वातावरण में (नमी और त्वचा में मत
ृ कोलशकाओीं के
जमने पर)। लक्षणों में शालमल है : खुजल , चम़िे का उख़िना, उठे हुए लाल या सिेद चकते, जो गोलाकार हो
सकते हैं, और साथ ह ििूाँद सींिमण में िैक्टे र या सींिमण भी हो सकता है ।3,11
िोग का पिचान: दे ख कर जााँचना, कभी कभी माईिस्कोप पर उख़िे हुए चम़िे को जााँच कर।3
िचाि: 1 1
1. ििूाँद के सींिमण के सिल रोकथाम/उपचार के ललए ककसी भी व्यजक्त को उस कारक से परहे ज करना
चाहहए जजससे वह िैलता है ।
2. जतू े मोजे न िााँटें (ए्ल ट्स िूट के ललए), अींतवस्त्र (जॉक इच के ललए), िाल में लगाने वाले समान
(ट ननया/ लसर के त्वचा के राउन्डवमल), या कप़िे (ररींगवमल के ललए)
3. सावलजाननक जगहों पर, स्वीलमींग पूल या शआवर के आस पास या उन जगहों पर जहााँ नमी हो (जहााँ
लोग हमेशा चलते हैं) नींगे पााँव न चलें । ऐसे जगहों पर हमेशा जूते या चप्पल पहन कर रहें ।
4. पााँवों के रोजाना धोएाँ और ऊाँगललयों के िीच के हहस्सों को अच्छी तरह साि कर तौललए से सुखाएाँ।
5. पााँवों को हमेशा सख
ू ा रखें।
6. नाखून हमेशा छोटे रखें।
7. पसीना कराने वाले जूते न पहनें।
8. रोज नहाएाँ, त्वचा को रग़ि कर साि करें ।
उपचाि:
पूरे ववश्व में 300 लमललयन मामले।12 छोटे की़िों से होते है जो त्वचा में घुस जाते हैं- सुरींग िनाते हैं जजससे
मादा अींडे दे ती है । कई ह्तों तक मादा रोजाना कई अींडे दे ती है । यह अक्सर ऊाँगललयों के िीच, कलाईयों,
कुहननयों, िगलों में , कमर, पााँव और पूरषों के जननाींघों में होता है । कभी कभी गले के उपर के त्वचा में भी
होता है । गमी इनके गनतववधधयों कों िढ़ाती है । सींिलमत व्यजक्त से हाथ लमलाने से, उसके बिस्तर, कप़िों के
सींपकल में आने से खाज हो सकता है । उक्त व्यजक्त को जोरदार खुजल , खासकर रात में होती है । छोटे लाल
ननशान, लाल लकीरें , सिेद सख
ू े चम़िे के नछलके, रूखा, परतदार त्वचा भी हो सकते है ; और यह िैक्टे र या से
सींिलमत हो सकता है जो इम्पेट गो या दस
ू रे त्वचा सींिमण के कारक िन सकते हैं। रोग की पहचान त्वचा को
दे खकर और उसकी पुजटट माईिोस्कोप द्वारा प्रभाववत हहस्सों के नमूनों में की़िे, उसके अण्डे या उसके पैखाने
की जााँच कर पता लगाया जा सकता है ।3,11
उपचाि विकल्प: 1 1
यहद पररवार में ककसी भी एक सदस्य को खाज हो जाए, तो घर के सभी लोगों को इसका उपचार लेना
चाहहए क्योंकक यह तेजी से िैलता है ।
खुजल करने से रोकने के ललए नाखून छोटे रखें, यह िैक्टे र या के सींिमण को भी रोकने में मदद
करता है ।
कप़िे और बिस्तर को भी गमल पानी में धोएाँ (कम से कम 140° F/60°C) और धूप में सख
ु ाएाँ। साथ
ह , कम हदनों के अींतराल में कप़िे और बिस्तर धोएाँ और धूप में सुखाएाँ। ऊाँचे तापमान में खाज के
की़िे नह ीं रह सकते हैं। इस्त्री और ड्राईक्ल न भी इन की़िों को मार सकते है ।
एक शोध के मत
ु ाबिक, 4 भाग ताजे पीसे नीम के पत्ते में 1 भाग हल्द (ज़ि) का लेप भारत में 814
सींिलमत व्यजक्तयों में से 97% लोगों के कारगार साबित हुआ। इन लोगों नें परू े दे ह में प्रनतहदन इसे
लगाया और 3-5 हदनों में सुधार और 2 ह्तों के अींदर पूणल चींगाई प्राप्त ककया।
लहसुन या सौफ को भी खाज से ल़िने वाले सामधग्रयों के रूप में लगाने की सलाह द गई है ।
पेरोललयम जेल या दे ह में लगाने वाले तेल में गींधक का लमश्रण तैयार करें (गींधक-5% िच्चों के ललए,
10% वयस्कों के ललए, िाकी अन्य सामग्री)। गींधक का लेप P.P. 97-100% कारगार है । गींधक का लेप
लगाने से पहले हल्के गमल पानी से नहा लें । 3 हदनों तक, सोने से पहले, गदल न से लेकर पााँव के
ऊाँगललयों तक लगाएाँ। यह सनु नजश्चत करने के ललए कक कोई हहस्सा म छूटे , ककसी को लगा दे ने को
कहें । उपचार के दौरान सींिलमत व्यजक्तयों को नह ीं नहाना चाहहए। सारे की़िों के मरने के 2-3 सप्ताह
िाद तक भी खुजल हो सकता है - खुजल होने का मतलि यह नह ीं है कक उपचार िेअसर रहा।
यहद दसू रे उपचार असरदार नह ीं हुए, तो पमेधथ्रन िीम (permethrin cream 5%) का प्रयोग करें , जहााँ
ललनडेन असरदार नह ीं होता है वहााँ यह असरदार होता है । नहाने के िाद कान के पीछे से ले कर परू े
शर र में लगाएाँ। 8 घींटे िाद सािन
ु और पानी से नहा लें । कुछ मामलों में इस उपचार को दह
ु राने की
जरूरत प़ि सकती है । मरे की़िों और उनके पैखाने के कारण कई ह्तों से ले कर मह नों तक खुजल
हो सकता है , और यह जरूर नह ीं है यह उपचार की असिलता को हदखाए। 4
1
Reid; G. (2001.) Probiotic agents to protect the urogenital tract against infections. American Journal of Clinical Nutrition, Vol. 73, No.
2,437S-443s.
2
Auer, S., Wojna, A. & Hell, M. (2010). Oral Treatment Options for Ambulatory Patients with Urinary Tract Infection Caused by Extended-
Spectrum-B-Lactamase-Producing Escherichia coli. Antimicrobial Agents Chemotherapy. Vol. 54 no 9 4006-4008.
3
Beers, M. H., Berkow, R. (Eds.). (1999). The merek manual of diagnosis and therapy (17th ed.). Whitehouse Station, NJ: Merek Research
Laboratories.
4
Longo, D.L., Ksaper, D.L., Jameson, J.L., Fauci, A.S., & Losscalzo, J. (eds) (2012). Harrison’s principles of internal medicine (18th ed.). New
York: McGraw Hill.
5
Vanderkooi, M. (2009). Village medical manual: A layman’s guide to health care in developing countries: Volume 1: Principles and
procedures (6th ed.).
6
Thrash, A. (2012). Cystitis 2. Accessed December 31, 2012 at http://ucheepines.org/index.php?p=counseling.cystitis_-_2
7
Pierce, Andrea. (1999). The Pharmaceutical Association practical guide to natural medicines: The first authoritative home reference for
herbs and natural remedies, from the nation’s largest and most respected organization of pharmacists. New York: Stonesong Press.
8
Duke, J.A. (1997.). The green pharmacy: New discoveries in herbal remedies for common diseases and conditions from the world’s
foremost authority on healing herbs. Emmaus, PA: Rodale Press.
9
Thrash, A. (2013). Herbal Remedies. Retrieved March 6, 2013 from http://ucheepines.org/index.php?p=counceling.herbal_remedies_2
10
Havlickova, B., Czaika, V.A., & Friedrich, M. (2008). Epidemiological trends in skin mycoses worldwide. Mycoses, 51 (Suppl. 4), 2-15.
11
Thrash, A. (1990). Natural healthcare for your child. Sunfield, MI: Family Health Publications.
12
Mark, S. & Johnstone, P. (2007). Interventions for treating scabies. Cochrane Database of Systemic Reviews. Retrieved online on March
26, 2012 from http://www.mrw.interscience.wiley.com/cochrane/clsysrev/articles/CD000320/frame.html. DOI:
10.1002/14651858.CD000320.pub2
13
Charles, V. & Charles, S.X. (1992). The use and efficacy of Azadirachta indica ADA (‘Neem’) and Curcuma longa (‘Turmeric’) in scabies. A
pilot study. Tropical and Geographical Medicine. 44(1-2):178-81.
14
Austin, P., Thrash, A., Thrash, C. (1985). More natural remedies. Sunfield, MI: Family Health Publications.
अध्याय 1 1- कृमम
कृलम स्वस्थ के ललए हाननकारक। आाँत के कृलम शर र के ललए जरूर पोषक तत्वों को सोख लेते हैं, जिकक दस
ू रे
कृलम खन
ू से जीते, और कुछ कृलम मााँसपेलशयों में सरु ीं ग और गााँठ िनाकर कर जीते हैं। ये अधधकतर मौखखक
रूप से, दवू षत पौखाने से दवू षत स्थानों नींगे पााँव चलने से, या अधपके मााँस खाने से। इनके कारण खून की
कमी, कुपोषण, रे क्टल प्रोलैप्स, मााँसपेलशयों में जलन, हदमागी क्षमता घटाए, और अन्य रोग हो सकते हैं । इसके
रोकथाम में ननरोध का सिसे महत्वपूणल स्थान है । स्वच्छता एवीं जन साधारण जागरूकता इसमें शालमल है ।
अस्थायी उपचार के ललए दवाईयााँ भी जरूर है ।
1
ववश्व में लगभग 1 अरि लोग पीड़ित है । राउन्डवमल गोल होते हैं, अधधकतर िीम रीं ग के, और 1 िूट (40
से.मी.) से भी ज्यादा लींिे हो सकते हैं। वयस्क कृलम 1-2 साल तक जीववत रह सकते हैं और मादाएाँ 240,000
अींडे प्रनतहदन दे ती है ।4,2 अींडे पैखाने में जाते हैं और माँह
ु से अींदर आते हैं; अींडे से ननकल कर खून में जाते हें ,
जजससे खुजल है , किर िेि़िे में जाते हैं, जजससे सूखी खााँसी या कभी कभी कफ में रक्त के साथ ननमोननया
भी हो सकता है । ये िालक कृलम कफ के साथ िाहर ननकलते हैं और दि
ु ार ननगल ललए जाते हैं; जहााँ वे आाँतों
में पूणल रूप से ि़िे होते हैं। आाँतों में इन कृलमयों के रहने से व्यजक्त में ककसी तरह के लक्षण नह ीं भी दे खे जा
सकते हैं या वे पेट में तकल फ, वजन घटना, और कुपोषण के लशकार हो सकते हैं। ये कृलम िच्चों में पेट
िुलने के कारण िन सकते हैं। दल
ु भ
ल पररस्थनतयों में आाँतों में अवरोध या दमा के जैसे लक्षण दे खे जा सकते
हैं। कृलम अधधकतर पैखाने में ननकलते हैं, पर कभी कभी माँह
ु , नाक से भी, और दस
ु रे रास्तों से कभी कभी ह
घस
ु ते हैं, जजसके चलते ववलभन्न तरह के लक्षण दे खे जा सकते हैं, जैसे, वपत्त नल में अवरोध, पैनिीयाटाईहटस,
यकृत में िो़िे, वपत्त थैल में सूजन/जलन, और अपेजन्डसाईहटस। प्रयोगशाला में अींडों के जााँच से, या इसका पता
चलता है , या जि वे शर र से िाहर ननकलते हैं।3,5
िचाि:
सदै व शौचालय का प्रयोग करें । भोजन के पूवल या खाद्य सामग्री छूने से पहले हाथों और हाथ के ऊाँगललयों के
नाखन
ू ों को अच्छी तरह धो लें , भोजन को मजक्खयों से िचाएाँ, और पानी एवीं भोजन के स्वच्छता के प्रनत सचेत
रहें (िैक्टे ररया से होने वाले डाईररया/डडसेन्र के ह तरह)। मनुटय के पैखाने का प्रयोग खाद के रूप में न
करें ।4,5
उपचाि:
ननम्नललखखत प्राकृनतक उपचार समान्य सींिमण में उपयोगी हो सकते हैं, परीं तु गींभीर सींिमण के हालत में ये
खतरनाक हो सकते हैं। वाजन्छत पररणाम न लमलने पर धचककत्सक से सलाह लें । यहद यह भी सींभव न हो तो
इन में से ककसी एक उपाय का प्रयोग करें । उपचारोपरान्त, दि
ु ारा सींिमण से िचने का हर सींभव कोलशश करें :
पपीते का दध
ू : हरे कच्चे पपीते से या उसके पे़ि के तने से जि वह काटा जाता है , 3-4 चम्मच “दध
ू ”
इकट्ठा करें । िरािर मात्रा में चीनी लमलाएाँ और एक प्याला गमल पानी में घोल दें । यहद सींभव हो तो
रे चक के पीएाँ। या, पपीते के सूखे िीज का चूणल िना लें । एक धगलास में तीन चम्मच चूणल लमलाएाँ।
एक एक धगलास हदन में तीन िार सात हदनों तक पीएाँ। 8,3
कोह़िे के िीज भी कृलम के ललए िहुत कारगार पाया गया है , जजसमें िीताकृलम और गोलकृलम शालमल
है । मानना है कक इसमें पाया जाने वाला अलमनो एलसड, कुकुरबिटालसन, प्रभावशाल है । सलाह द जाती
है कक कूटे हुए 150-400 ग्रा. बिन नछले िीज, खाल पेट (वयस्कों के ललए) में खाना चाहहए, या रे चक
के साथ लेना चाहहए।7,8,4
अन्य ज़िी िूहटयों में शालमल है लहसुन (कच्चे थो़िे समय के अींतराल में ),7,8 , लौंग,8 या नाररयल और
प्याज एक साथ। स्थाननय वैद्य कुछ अन्य ज़िी िूट जानकार हो साकती है ।
अल्िेनडाजोल (Albendazole- 22 पाउन्ड से ज्यादा वजन के िच्चों के ललए 400 mg कक एक खुराक,
22 पाउन्ड से कम वजन या 2 साल से कम उम के िच्चों के ललए 200 mg का एक खुराक), या
मेिेन्डाजोल (Mebendazole- हर 12 घींटों के अींतराल में 100 mg का खरु ाक, सि उम्र के लोगों के
ललए).4,5 यहद व्यजक्त के वपत्त थैल में सींिमण हो जाए या पेर टोनाईहटस (पेट में तेज ददल , छूने पर
भी ददल , क़िा हो जाना, उजल्ट होना) हो जाए, तो दवाई न दें , िजल्क धचककत्सक के पास तुरींत ले जाएाँ।
ववश्व में तकर िन 79.5 करों़ि लोग पीड़ित। मादा कृलम हदन में 3,000 से 20,000 अींडे दे ती है । इनकी लींिाई
1 6
पूरे ववश्व में पाया जाता है । यूएस में यह सिसे आम सींिमण है और यूएस में ह 40 लमललयन पीड़ित हैं7 और
पूरे ववश्व में 209 लमललयन लोग।4 ये कृनत पलते, श्वेत, और धागे के समान होते हैं और ½ इींच या 1 से.मी
लींिे होते हैं। वे 2 मह नों तक जीते हैं। हर रात ये कृलम मलाद्वार के िाहर हजारो अण्डे दे ती हैं। इसके कारण
खुजल होता है । पीड़ित उस हहस्से को राहत पाने के ललए िार िार खुजाता है , और अण्डे नाखूनों में धचपक
जाते हैं। यहद नाखूनों को तुरींत भल भाींनत साि नह ीं ककया गया तो अण्डे माँह
ु में या अन्य वस्तुओीं/भोजन में
पहुींच जाता है जो िाद में सींिलमत व्यककत द्वारा खा ललया जाता है (इस तरह से सींिमण और िढ़ जाता है )
या वे दसू रो को सींिलमत कर सकते हैं। ये कृलम अधधकााँश समय खतरनाक नह ीं होते हैं, और कई िार कोई
लक्षण भो नह ीं हदखते हैं, परीं तु खज
ु ल परे शान करता है , और गींभीर सींिमण होने पर पेट ददल , वजन घटना या
योनन या मूत्रनल को सींिलमत कर सकते हैं। मनुटय की आाँखों से अण्डे नह ीं दे खे जा सकते हैं और ये मेज,
बिस्तर, या सींिलमत व्यजक्त द्वारा छूआ गया ककसी वस्तु में पाया जा सकता है । पाचक रस अण्डों को नछल्कों
को गला दे ते हैं जजनसे कृलम ननकलते हैं और वे आाँतों में पहुाँचकर िढ़ते हैं। मादाएाँ रात में मलद्वार को जाती
है और अण्डे दे ती है । वपनवमल का जााँच करने के ललए, नहाने से पहले सेलोटे प को ऐसा मो़ि ले कक धचपधचपा
हहस्सा िाहर रहे , और ऊाँगल में ले लें । मलद्वार के आस पास इसे अच्छी तरह दवाएाँ। मैग्नीफाईंग ग्लास
(माईिस्कोप िेहतर होगा) से अण्डों को ढ़ूढ़े । 6 हदन दह
ु राएाँ। िच्चे के सोने के 1-2 घींटे िाद कृलम में दे खे जा
सकते हैं।
सींिलमत िच्चे को कस कर डायपर, पैंट पहनाएाँ या रात में सोते वक्त वन-पीस कप़िे पहनाएाँ ताकक
वह खुजल न करें ।
िच्चे के जागने पर, पैखाने के िाद, और खाने से पहले उसके हाथ धो दें ।
नाखन
ू को िहुत छोटे छोटे काट दें ताकक उनमें अण्डे जमा न हों; नाखन
ू ों को िश से रग़िें; नाखन
ू न
चिाएाँ।
सुिह और शाम को नहाएाँ- मलद्वार के आस पास के हहस्से को अच्छी तरह साि करें ।
जि भा हो सके सारे कच्छों, बिछावनों, और चादरों को गमल पानी से धोएाँ।
सींिलमत व्यजक्त को अकेले सोना चाहहए।
सोने वाले हहस्से को ननयलमत रूप से साि करें , क्यों धल
ू भो सींिलमत हो सकता है ।
मलद्वार के आस पास वैसल न लगाने से लाभ लमल सकता है ।
कुछ पररजस्थनतयों में कच्चा लहसुन खाने की सलाह द जाती है - िच्चे के वजन के मुताबिक 1-4
लहसुन हदए जा सकते हैं, किर 1 सप्ताह के ललए रुकें, और किर 2 सप्ताहों तक दह
ु राएाँ। प्याज,
जलूिेर , और कच्चे गाजर भी कुछ लोगों के ललए लाभदायक पाया गया है ।
100 लम.ग्रा. मेिेनडाजोल का एक खरु ाक अधधकतर पररजस्थनतयों में कृलमयों को मार दे गा। पररवार के
4
सभी सदस्यों को उपचार दें ताकक दि
ु ार सींिमण से िचा जा सके।
अनुमान है कक ववश्व की 25% जनसींख्या सींिलमत हैं।3 हूकवमल ½ इींच या 1 से.मी. लींिे4 होते हैं और 2-10
साल तक जीते हैं, और एव मादा हर हदन हजारों अण्डे दे ती है । 3 आमतौर पर अण्डे पौखाने में हदखाई नह ीं दे ते
हैं, वे माईिोस्कोप से दे खे जा सकते हैं। अण्डे पैखाने से शर र से िाहर ननकलते हैं, और लमट्ट के सींपकल में
आने पर वे उसे सींिलमत कर दे ते हैं। किर सींिलमत लमट्ट पर नींगे पााँव चलने से वे त्वचा से शर र में प्रवेश
करते हैं। किर वे रक्त से होते हुए िेि़िो में चले जाते हैं। व्यजक्त कृलमयों को खााँसता है और किर उन्हें ननगल
लेता है । ये कृलम आाँतों के हदवारों में खुद को धचपका लेते हैं। वे अण्डे दे ते हैं जो पैखाने के साथ शर र से िाहर
3,4
ननकलते हैं और गीले लमट्ट में इन अण्डों से कृलम ननकलते हैं, और यह चि दह
ु राया जाता है ।
कोई भी िच्चा जजसमें खून की कमी हो, पीला हदखे, या लमट्ट खाता हो, उसे हूकवमल हो सकता है । अन्य
लक्षणों में खन
ू की कमी, पीलापन, थकान, सााँस िूलना, तेज ध़िकन, इडेमा, परू
ु षों में अक्षमता, पेट ददल , दस्त,
भूख की कमी, वजन घटना, और ननमोननया या दमा जैसे लक्षण (जि कृलम िेि़िो से गुजर रहे हों) दे खे जा
सकते हैं। ये लक्षण नह ीं भी हदख सकते हैं।
िचाि: हमेशा शौचालय का प्रयोग करें । ऐसे स्थानों पर नींगे पााँव न जाएाँ जहााँ सींिमण का खतरा हो।
उपचाि के विकल्प: गोलकृलमयों के उपचार इसमें भी इस्तेमाल ककये जा सकते हैं। यहद ये उपचार असिल हों
तो धचककत्सक से सलाह लें । यहद धचककत्सक उप्लजध न हो तो अल्िेनडाजोल (400 लम.ग्रा. एक िार), या
मेिेनडाजोल (3 हदनों तक 12 घींटों के अींतराल में 100 लम.ग्रा. प्रनतहदन) लें ।3,4 उसके िार सावधानीपूवल िचाव
करें ।
फीताकृमम
टाननया साधगनाटा (गोमााँस का िीताकृलम), टाननया सोललयम (सुअर मााँस का िीताकृलम) और टाननया
एलसयाहटका (एलशयन िीताकृलम) जैसे सेसटोडों से होता है ।4 ववश्व के 20-100 लमललयन लोगों को प्रभाववत
करता है ।8 सुअर िीताकृनत के वयस्क कृलम हदन में 300,000 अण्डे, गोमााँस के िीतकृलम प्रनतहदन 600,000
अण्डे9 और मछल के िीता कृलम 1 लमललयन अण्डे दे ते है ।3 यह रोग परू े ववश्व में पाई जाती है । इन कृलमयों
में सेगमें ट (िाँटा हुआ शर र) होते हैं, ये धचपटे , और कई मीटर लींिे होते हैं। आमतौर पर ये हहस्से टूट कर
पैखाने से ननकलते हैं। इन टुक़िों में अण्डे भरे होते हैं।4
लोगों में अकसर कच्चे मााँस या अधपके मााँस (सुअर मााँस, गोमााँस, मछल , या अन्य मााँस) खाने से िीताकृलम
होता है या पैखाने से िैलने वाले और माँह
ु से अींदर जाने वाले सींिमणों के द्वारा। कच्चा/अधपका मााँ खाने से
नया िीताकृलम आाँतों में रहने लगता है । जि व्यजक्त सअ
ु र िीताकृलम खा ले है तो यह कृलम शर र में घम
ू ता है
और मााँसपेलशयों, तींतुओीं और/या हदमाग में लसस्ट (गोट नुमा गोल आकृनत) िनाता। ऐसा ति भी हो सकता है
जि कोई टुक़िा आाँतो से वापस पेट की ओर चला जाता है ।4
आाँतों के िीताकृलम के लक्षण नह ीं भी हदख सकते हैं या उनसे पेट में ददल , उल्ट आना, भख
ू में िदलाव,
कमजोर , और वजन घट सकता है । िीकल-ओरल (पैखाना से िैल कर माँह
ु से अींदर जाने वाले) सींिमण से
ज्यादा खतरनाक समस्याएाँ आ सकतीीं हैं। लमगी, हदमाग में द्रव्य का जमाव (हदमाग के तींतओ
ु ीं को दिाते हैं),
सोच में िदलाव, मेनननजाईहटस, और अन्य लक्षण दे खे जा सकते हैं। वे आाँख या मेरुदीं ड में जा कर वहााँ लक्षण
हदखा सकते हैं।4 पैखाने में अण्डे या कृलम के हहस्से दे ख कर या एक्स-रे में कैजल्सफाईड लसस्टों को दे ख कर
रोग का पहचान ककया जा सकता है ।3
िचाि: मााँस/मछल से दरू रहना िेहतर है । यहद इस्तेमाल कर रहे हों तो उसे अच्छी से तरह पका लें । सावधान
रहें कक सींिमण न िैले।
उपचाि के विकल्प: िीताकृलम के प्रकार पर ननभलर करता है । हो सके तो धचककत्सक को हदखाएाँ, यहद न हो पाए
तो अधधकााँश प्रकारों के ललए (आाँत के गोमााँस और सुअर िीताकृलम) प्रजीक्वान्टे ल (10 लम.ग्रा./के.जी.)। हदमाग
के लसस्ट के ललए धचककत्सीय मदद जरूर है क्योंकक उपचार के दौरान दवाओीं के असर को कई कारक प्रभाववत
करते हैं।
ववश्व के 11 लमललयन लोग राईकोनेला से सींिलमत हैं। ये रोग छोटे कृलमयों से होते हैं जो पैखाने में कभी नह ीं
हदखते हैं। यह सुअर, कुत्ते, भालू, घो़िे या अन्य जींगल जानवर के कच्चे या अधपके मााँस खाने से होता है ,
और आाँतो से शर र के तींतुओीं से होकर हृदय के मााँसपेलशयों तक पहुाँच सकता है । शुरू में व्यजक्त को उल्ट ,
दस्त या कजज, पेट ददल हो सकता है । 1-2 हदन में कृलम घम ू ना शुरू करते हैं, और िुखार, आाँखों के आस पास
और चेहरे में सज
ू न, त्वचा में घाव, आाँखों की सिेद में रक्तस्राव, लसर ददल , छाले, खााँसी, सााँस ले में कहठनाई
भी हो सकती है । जैसे जैसे वे मााँसपेलशयों में लसस्ट िनाने लगते हैं, व्यजक्त को मााँसपेलशयों में ददल , सूजन,
शर र िूलना, कमजोर जैसे लक्षणों का अनुभव होता है । िहुत कम पररजस्थनतयों में व्यजक्त को
एनसीिालाईहटस होता है । हृदय में सींिमण के कारण कई िार मत्ृ यु भी हो जाती है । लक्षण धीर धीर कम हो
सकते हैं, परीं तु मााँसपेलशयों में थकान मह नों तक रह जाता है । मााँसपेलशयों की िायोप्सी यया रक्त जााँच से
कृलम का पता लगाया जा सकता है , परीं तु ये दोनों पर ह परू तरह से भरोसा नह ीं ककया जा सकता है ।
उपचाि: आमतौर से एक भी नह ीं, क्योंकक लसस्ट के अींदर के कृलम पर दवाओीं का कोई असर नह ीं होता है ।3,4
1
WHO. (2012). Intestinal worms: Soil-transmitted helminths. Retrieved March 26, 2012 from http://www.who.int/intestinal_worms/en/
2
CDC. (2009). DPDx: Parasites and Health: Ascariasis. Retrieved March 26, 2012 from http://www.dpd.cdc.gov/dpdx/html/Ascariasis.htm
3
Longo, D.L., Kasper, D.L., Jameson, J.L., Fauci, A.S., Hauser, S.L., & Loscalzo, J. (eds.) (2012). Harrison’s principles of internal
medicine (18th ed.). New York: McGraw Hill.
4
Vanderkooi, M. (2009). Village medical manual: A layman’s guide to health care in developing countries: Volume 1: Principles and
procedures (6th ed.). Marion, NC: Equip.
5
Beers, M. H., & Berkow, R. (Eds.). (1999). The merck manual of diagnosis and therapy (17th ed.). Whitehouse Station, NJ: Merck
Research Laboratories.
6
Duke, J.A. (1997). The green pharmacy: New discoveries in herbal remedies for common diseases and conditions from the owrld’s
foremost authority on healing herbs. Emmaus, PA: Rodale Press.
7
Blumenthal, M. (ed.). (2000). Herbal medicine: Expanded Commission E monographs: Herb monographs, based on those created by a
special expert committee of the German Federal Institute for Drugs and Medical Devices. Newton, MA: Integrative Medicine
Communications.
8
Pierce, Andrea. (1999). The American Pharmaceutical Association practical guide to natural medicines: The first authoritative home
reference for herbs and natural remedies, from the nation’s largest and most respected organization of pharmacists. New York: Stonesong
Press.
9
Mehlhorn, H., Al-Quraishy, S., Al-Rasheid, K.A., Jatzlau, A., & Abdel-Ghaffar, F. (2011). Addition of a combination of onion (Allium
cepa) and coconut (Cocos nucifera) to food of sheep stops gastrointestinal helminthic infections. Parasitol Res. 108(4):1041-6. doi:
10.1007/s00436-010-2169-3. Epub 2010 Dec 1. Retrieved March 6, 2013 from http://www.ncbi.nlm.nih.gov/pubmed/21120531
10
CDC. (2009). DPDx: Parasites and Health: T1 WHO. (2012). Intestinal worms: Soil-transmitted helminths. Retrieved March 26, 2012
from http://www.who.int/intestinal_worms/en/
11
CDC. (2009). DPDx: Parasites and Health: Ascariasis. Retrieved March 26, 2012 from http://www.dpd.cdc.gov/dpdx/html/Ascariasis.htm
richuriasis. Retrieved March 26, 2012 from http://www.dpd.cdc.gov/dpdx/html/trichuriasis.htm
12
CDC. (2009). DPDx: Parasites and Health: Enterobiasis. Retrieved March 26, 2012 from
http://www.dpd.cdc.gov/dpdx/html/Enterobiasis.htm
13
Thrash, A. (1990). Natural healthcare for your child. Sunfield, MI: Family Health Publications.
14
Mansur, M.M. (2010). Cysticercosis. Medscape Reference: Drugs, Diseases, and Procedures. Retrieved March 26, 2012 from
http://emedicine.medscape.com/article/215589-overview.
15
CDC. (2009). DPDx: Parasites and Health: Taeniasis. Retrieved March 26, 2012 from http://www.dpd.cdc.gov/dpdx/html/Taeniasis.htm
16
Gideon. (2012). Trichinosis: Global status. Los Angeles, CA: Gideon Informatics.
टीिी के आाँकडे
2010 में 8.8 लमललयन लोग ट िी से बिमार हुए, इससे कर ि 1.4 लमललयन लोगों की मत्ृ यु हुई1
ककसी एक सींिामक जीवाणु से होने वाले मौतों के ललए ववश्व में यह एचआईवी/एड्स के िाद दसू रे
स्थान पर है 1
ट िी से होने वाल 95% मत्ृ यु अल्प और मध्यम आय वाले दे शों में होते हैं।1
2009 में 10 लमललयन िच्चे अनाथ हो गए क्योंकक उनके अलभभावक ट िी से मर गए। 2
वतलमान में माईकोिैक्टे ररयम ट्यूिरकुलोलसस ववश्व में 2 अरि लोगों को सींिलमत करता है ।3
एचआईवी 1 से सींिलमत लोगों में ट िी से सिसे अधधक मौत होती है , 2008 में 400,000 लोगों की
मत्ृ यु हो गई।3
कािण औि प्रणाली:
माईकोिैक्टे ररयम ट्यूिरकुलोलसस सींिामक, धीरे से िढ़ने वाला, मोमनुमा, ऐलसड-फास्ट िैक्टे ररया है जजससे ट िी
होता है
ट िी अधधकतर िेि़िों को प्रभाववत करता है , परीं तु यह शर र के ककसी भी अींग को सींिलमत कर सकता है , जैसे
हदमाग, हड्डडयााँ, जो़ि, गद
ु े , केंहद्रय तींबत्रका तींत्र, प्रजन्न तींत्र, ललम्िेहटक प्रणाल , रक्त, पेट के अींग, हृदय,
यकृत, त्वचा, और लगभग सभी हहस्सों को।3
एक व्यजक्त के ट्यूिरकुलोलसस के िैक्टे ररया से सींिलमत होने के िाद भी लक्षण नह ीं भी दे खे जा सकते हैं।
सींिमण के शुरूआती दौर में व्यजक्त में छोटे -छोटे कई गााँट ववकलसत हो सकते हैं जजसमें िैक्टे ररया होते हैं। कई
िार ये गााँठ िैक्टे ररया को िींद रख कर शर र के अन्य हहस्सों में िढ़ने से रोकते भी हैं। किर वे ननजटियता में
चले जाते हैं (इसे लेटेंट ट िी कहते हैं)। ककसी ककसी में ट िी कभी सकिय नह ीं होता है । किर भी जि
रोगप्रनतरोधक क्षमता घट जाता है , िैक्टे ररया सकिया हो सकता है , गााँठ से ननकलकर सकिय रोग उत्पन्न कर
सकता है । यह तनाव, मधुमेह, कोहटल कोस्टे रोइड या प्रनतरे ध क्षमता कम करने वाले दवाओीं के प्रयोग, एचआईवी
सींिमण, ककशोरावस्था या अधे़ि उम्र, या अन्य कारणों से जो रोगप्रनतरोधक क्षमता को कम करते हैं, हो सकता
है ।3
फैलने का माध्यम:
लक्षण:
िेि़िों के सकिय ट िी के लक्षण हैं: “स्वस्थ न महसूस करना,” तीन या उससे सप्ताहों तक खााँसी का िने
पहना जजसमें श्लेम का उत्पादन हो (सि
ु ह जस्थनत अधधक गींभीर रहता है ), सज
ू े हुए ललम्ि नोड (गााँठ), रक्त
युक्त श्लेम, अनचाहे रूप से वजन घटना, कमजोर , हल्का िुखार और रात में पसीना आना, भूख में कमी, सााँस
लेने या खााँसने से ददल (प्लूररसी), सााँस लेते वक्त असमान्य आवाज आना, और सााँस लेने में हदक्कत।3,4
िोग की पिचान:
ऐलसड-फास्ट िैक्टे ररया की जााँच के ललए माईिस्कोप में श्लेम की जााँच करना ट्यि
ू रकुलोलसस के जााँच का
सिसे कारगार तर का है । व्यजक्त का एक्स-रे , कल्चर, िायोप्सी, और न्यूजक्लक ऐलसड जााँच भी ककया जा
सकता है । ट िी जस्कन जााँच से िैक्टे ररया का पता लगाया जा सकता है , परीं तु यह पता लगाना आसान नह ीं है
कक उसे सकिय या ननजटिय ट िी है , और गलत पररणाम आम हैं। 3,4
ननम्नललखखत कारक ट िी के ववकास के खतरे को िढ़ा सकते हैं: एचआईवी सींिमण, ऐसे दे शों में रहना जहााँ
एचआईवी का खतरा अधधक है , समाजजक हदक्कतें , शहर गर िी, आवासह नता, नशीले पदाथों का सेवन, ट िी
का अपयालप्त इलाज, एथननलसहट (अफ़्रीकी मूल और ऊतर अमर का के मूल ननवालसयों में अधधक आसानी से
ववकलसत होता है ), कमजोर रोगप्रनतरोधक क्षमता, जेनेहटक रूप से सींवेदनशील, दवाईयों का असर न होना,
अपयालप्त स्वास््य सेवा, और भी़ि वाले इलाकों में रहना।4
िचाि
आमतौर से ट्यि
ू रकुलोलसस से िचा जा सकता है । सावलजननक स्वास््य के नजररये से दे खने पर,
ट्यूिरकुलोलसस को रोकने का सिसे अच्छा तर का है रोग की पहचान कर ट्यूिरकुलोलसस का इलाज करना,
इससे पहले की वह सकिय हो जाए और ट्यूिरकुलोलसस रोग के कारण अस्पताल में भरती लोगों के सावधानी
िरतें ताकक दस
ू रों तक यह न िैले। खुद को दस
ू रों को िचाने के उपायों में शालमल है :
अपना रोगप्रनतरोधक क्षमता और श्वसन प्रणाल को स्वस्थ रखें। ध्यान रखें की आप खूि सारा स्वस्थ
भोजन ले रहे हैं, पयालप्त नीींद ले रहे हैं और जल्द सो रहे हैं, ताजा वायु (तम्िाकू और धए
ूाँ से िचें ),
और ननयलमत व्यायाम आपके स्वास््य को िनाए रखेंगे।
ट्यूिरकुललन-पीपीडी त्वचा जााँच (इसे मनटॉक्स या ट एसट भी कहते हैं ) ननयलमत रूप से करें यहद
एचआईवी हो या अन्य रोग हो जो रोगप्रनतरोधक क्षमता को घटाते हैं , जेल में रहते या काम करते हैं,
आवासह न शरणस्थान, अस्पताल में रहते हैं, स्वास््य सेवक हैं, या रोग के अधधक खतरे हैं। यहद
आपने िीसीजी इम्यन
ू ाइजेशन ललया हो तो जााँच से पहले अपने धचककत्सक से िात कर लें क्योंकक
इससे गलत पररणाम आ सकते हैं और यह त्वचा में सूजन उत्पन्न कर सकता है । िदले ऐसे
व्यजक्तयों के िेि़िों का एक्स-रे ककया जा सकता है । िीसीजी ट का उप्लजध है (और कई दे शों में
इसका प्रयोग भी ककया जाता है ) और ट िी रोकने में इससे मदद लमल सकता है । यूनाइटे ड स्टे ट्स में
इसका प्रयोग आम नह ीं है (क्योंकक इससे त्वचा जााँच में गलत पररणाम (पॉजेहटव) आता है ) और ऐसे
दे शों में यह आम है जहााँ ट िी आम है । शोधकत्ताल अधधक प्रभावशाल ट का का ववकास करने की
कोलशश कर रहे हैं।3,4
सकिय ट िी के मर जों के साथ ज्यादा समय न गुजारें ।
वप्रवें हटव (रोकथाम) थेरापी पर ववचार करें । यहद ककसी व्यजक्त का जााँच पररणाम लेटेंट ट िी के ललए
पॉजेहटव आता है , परीं तु सकिय ट िी का कोई लक्षण न हो तो उसे अपने धचककत्सक से आइसोनीयाजजड
या भववटय में सकिय ट िी के ववकास को रोकने के ललए अन्य दवा से थेरापी के ललए िात करना
चाहहए (खतरा 98.5% तक कम हो जाता है )।3
सकिय ट िी के ललए, पीड़ित के स्वस्थ होने में मदद करने और उसके पररवार और दोस्तों को बिमार होने से
िचने के ललए ननम्नललखखत सुझाव है :
ट िी से सिलतापूवक
ल ल़िने के ललए, बिमार व्यजक्त को एक िार में कई एींट िायोहटकों का सेवन
करना प़िता है ताकक िैक्टे ररया दवा के प्रनत रोधक क्षमता ववकास न ले। व्यजक्त के दवा का कोसल पूरा
करना जरूर है । यह चींगा होने और दस
ू रों को सींिलमत होने से िचने के ललए सिसे महत्वपूणल कदम
है । जि व्यजक्त दवा िीच में ह छो़ि दे ता है या खुराक लेना भूल जाता है , तो खतरा रहता है कक ट िी
के िैक्टे ररया कुछ म्यट
ू े शन (जीन में िदलाव) के जररये सिसे शजक्तशाल दवाईयों के प्रनत भी रोधक
क्षमता ववकास कर ले। ये दवा रोधी जानतयााँ अधधक खतरनाक और उपचार करने में कहठन होते हैं।
व्यजक्त को घर में ह रहना चाहहए जि तक की धचककत्सक यह न कह दे कक वह अि सींिामक नह ीं
है । सकिय ट िी के उपचार के शुरूआत के सप्ताहों में व्यजक्त को काम पर या ववद्यालय नह ीं जाना
चाहहए या दस
ू रे व्यजक्तयों के साथ एक कमरे में नह ीं सोना चाहहए।
रोग प्रनतरोधक क्षमता को िढ़ाने वाले स्वास््य के ननयमों का क़िाई से पालन करें - स्वस्थ आहार
जजसमें शक्कर कम हो, शजक्त के अनुसार व्यायाम, पयालप्त पानी, और ननयलमत रूप से धूप में कुछ
दे र रहना- सारे हाननकारक चीजों से परहे ज और सारे अच्छे चीजों का सीलमत मात्रा में प्रयोग, ताजी
हवा, पयालप्त और सह वक्त में नीींद, और धन्यवाद रहें और परमेश्वर पर भरोसा।
खााँसते वक्त व्यजक्त को अपना माँह
ु ढकना चाहहए, किर गींदे रुमाल को एक थैले में अच्छी तरह से िींद
करके उसे िेंक दें । उपचार के शुरूआचती ह्तों में व्यजक्त को लोगों के िीच मास्क पहनना चाहहए
4
ताकक दस
ू रों के सींिालमत होने का खतरा कम हो।
जलधचककत्सा: छाती में गमल करने वाले सेंक से लाभ लमल सकता है (ठीं डे झोंकों से िचाएाँ)। िुखार
उपचार या तीव्र सेंकों का प्रयोग न करें क्योंकक ये शर र में ट िी को िैला सकते हैं। 5
प्रत्येक दे श में िूहटयााँ होती हैं और इनके स्थानीय जानकारों को उन पौधों की जानकार होगी जो
लाभदायक हो सकते हैं। उस स्थान के पौधों के िारे पछ
ू ें जो ट िी से ल़िने में मदद कर सकते हैं।
इकाइनासी, पीत कींद, स्वणलधान्य, लाल लौंग, िोरसाइधथया के टहनी और मधुचूष (चाय के रूप में 1:2
के अनुपात में ), यूकेललप्टस, और मुलैठी को ट िी के उपचार के ललए लाभदायक िताया गया है । गहरे
हरे रीं ग के पत्तेदार सजजजयााँ जैसे कोलाडल और शलगम भी लाभ दे सकते हैं। खास कर लहसुन और
प्याज जीवाणुओीं से ल़िने के ललए िहुत शजक्तशाल हैं और ट िी से ल़िने के ले इनका इस्तेमाल भी
ककया गया है । जैतन
ू भी मदद कर सकता है ।
मलेरिया के आाँकडे:
ववश्व की तकर िन आधी जनसींख्या को मलेररया होने का खतरा है - अल्प आय वाले दे शों में अधधक खतरा है ।
ववश्व के 108 दे शों में , जजसमें 3 अरि लोग रहते हैं, यह रोग है , और हर साल कर ि 1 लमललयन लोगों के
मत्ृ यु का कारण।3
जीिनचक्र:3
मलेररया पाल्समोडडम जीनस के प्रोटोजोवा से होता है । इसके पााँच प्रकार हैं: पी. िालसीपेरम, पी. वाईवैक्स, पी.
मलेररए, पी. ओवेल, और पी. नोवेलसी, सभी मछरों से मनुटयों को िैलते हैं। पी. िालसीपेरम से मलेररया से
होने वाले अधधकााँश मत्ृ यु होते हैं, जजसके कारण उपचार नह ीं होने पर असकर मत्ु यु हो जाती है ।
जि असींिलमत मछर सींिलमत व्यजक्त को काटता है , वह मलेररया के कुछ परजीववयों को ननगल लेता है । जि
ऐसा होता है , ये परजीवी मछर के अींदर पररपक्व होते हैं और उसके लार में चले जाते हैं, अनजान लशकार में
मछर के काटने से जाने के तैयार हो जाते हैं। जि मछर दस
ू रे व्यजक्त को काटता है , खून चूसते वक्त उसके
लार थो़िी मात्रा में रक्त में पहुाँचती है । इस तरह से परजीवी मनुटय में चले आते हैं। रक्त इन परजीववयों को
यकृत में ले जाता है । वे पररपक्व होते हैं और इनकी सींख्या िढ़ती है , अकसर एक परजीवी से, जो यकृत
पहुाँचते हैं, 10,000->30,000 परजीवी उत्पन्न होते हैं। पररपक्व होने पर वे यकृत से ननकल कर लाल रक्त
कोलशकाओीं को सींिलमत करते हैं। लाल रक्त कोलशका में प्रवेश करने के िाद वे किर से 6-30 नए परजीववयों
को उत्पन्न करते हैं और पररपक्व होते हैं- कोलशका के घटकों को अपने पोषण के ललए इस्तेमाल करते हैं। अींत
में कोलशका िट जाता है , और िहुत सारे नए परजीवी रक्त में आ जाते हैं जो और भी अधधक लाल रक्त
कोलशकाओीं को सींिलमत करते हैं, और यह चि खुद को दह ु राता रहता है , और चरघाताींकी रूप से लाल रक्त
कोलशकाओीं को हर चि के साथ सींिलमत करता है । इस प्रकिया में सींिलमत लाल रक्त कोलशकाएाँ नटट हो जातीीं
हैं। प्रत्येक कोलशका तक ऑक्सीजन पहुाँचाने और शर र से कािलनडाईऑक्सीईड के ननकासन के ललए लाल रक्त
कोलशकाएाँ िहुत अहम हैं। मलेररया सींिमण के कारण जि लाल रक्त कोलशकाओीं की सींख्या घट जाती है ,
व्यजक्त धीरे धीरे अधधक हाईपोक्सीक हो जाता है , और अींत में ऑक्सीजन की कमी से इसका दम घुट जाता है ।
कािलनडाईऑक्साईड भी शर र से पयालप्त रूप से ननकल नह ीं पाता है । जि कोलशकाएाँ िट जातीीं हैं, जजससे नए
परजीवी रक्त में आते हैं, व्यजक्त में इसकी प्रनतकिया िख
ु ार (जो िहुत अधधक िढ़ सकता है ) के ववकास और
ठीं ड महसूस करने के रूप होती है । जि सारे परजीवी नए लाल रक्त कोलशकाओीं में प्रवेश करते हैं, ति तापमान
धगर जाता है , और व्यजक्त पसीना से सरािोर हो जाता है ।
पी. िाईिैक्स औि पी. ओिेल यकृत में सालों तक ननजटिय रह सकता है , बिना ककसा लक्षण के, किर भी वे
रक्त में दि
ु ारा ककसी भी वक्त लौट सकते हैं, खास कर ति जि रोगप्रनतरोधक क्षमता धगरता है , और मलेररया
के सकिय मामले का कारण िनता है ।
पी. फालसीपेिम, सिसे घातक मलेररया, आमतौर पर यकृत में ननजटिय नह ीं रहता है । यह उटणकहटिींधीय क्षेत्रों
तक ह सीलमत है जहााँ साल भर मछर सकिय रहते हैं। ककसा भी अन्य प्रकार के मलेररया के मक
ु ािले पी.
िालसीपेरम के परजीववयों की सींख्या रक्त में सिसे अधधक सींख्या तक िढ़ सकती है । पी. िालसीपेरम से
ननरीं तर, परीं तु पररवतलनशील, तेज िुखार चढ़ता है । इस मलेररया के दो खतरनाक जहटलताओीं में शालमल है िेन
मलेररया और जलैकवाटर मलेररया। यह गभालवस्था में गभलपात का कारण भी िन सकता है । िेन मलेररया में
परजीवी हदमाग के छोटे रक्त धमननयों के हदवारों में धचपक जाता है , जजससे रक्त का िहाव िींद हो जाता है ,
और हदमाग में ऑक्सीजन की कमी हो जाती है (तींतुएाँ मर सकतीीं हैं)- जजससे ववलभन्न लक्षण हदखते हैं, जजसमें
शालमल है धच़िधच़िापन, भ्राींनत, लमगी, तींबत्रकाओीं के असमान्य गनतववधधयााँ, सााँस लेने में तकल ि, रे हटना में
रक्तस्राव, कोमा, और अन्य।3,10 जलैकवाटर िख
ु ार में लाल रक्त कोलशकाओीं के भार मात्रा में िटने के कारम
रक्त में भार मात्रा में हहमोग्लोबिन छूट जाता है । यह हहमोग्लोबिन पेशाि के िाहर ननकाल जाता है और पेशाि
का रीं ग गढ़ा हो जाता है - इसललए इसका नाम है “जलैकवाटर िुखार”। यहद इसका तत्काल और सिलतापूवक
ल
उपचार नह ीं ककया जाता है , तो इस रोग का पररणाम गुदे की ननजटियता होता है । इसके कुछ समय िाद मत्ृ यु
हो जाती है ।9
लक्षण:
मछर के काटने से लेकर पहले लक्षण के िीच 10 हदन से ले कर एक साल या उससे भी अधधक समय (केवल
10,3
पी. वाईवैक्स या पी. ओवेल इतना लींिा समय ले सकते हैं) का इनक्यि
ू ेशन काल होता है ।
लक्षण लभन्न हो सकते है और इनमें ननम्नललखखत शालमल हो सकते हैं: ठीं ड महसूस करना, िुखार, अत्यधधक
कमजोर और थकान, स्वस्थ न महसूस करना, लमचल , उल्ट , भूख न लगना, पेट ददल , लसर ददल , मााँसपेलशयों
में ददल , पीठ ददल , जो़िों और हड्डडयों में ददल , खून की कमी, पीललया, यकृत या प्ल हा का िढ़ जाना, सजन्नपात,
अक़िन, कोमा, और मत्ृ यु। लाल रक्त कोलशकाओीं के िटने से गींभीर दौरे होते हैं। इन दौरों के अकसर 3 चरण
होते हैं (हलााँकक, खास कर पी. पालसीपेरम के साथ- कई सींिमण एक साथ हो सकते हैं या लाल रक्त
कोलशकाएाँ अलग अलग समय में िट सकते हैं, जजससे ननम्नललखखत चरणों का साि से पता चलने की
सींभावना कम हो जाती है ):
ठीं ड महसूस करना: रक्त में परजीववयों के छूटने पर होता है । व्यजक्त को िहुत ठीं ड महसूस होता है ,
तापमान िढ़ता है ।
िख
ु ार: 102 106°F (38.8-41.1°C) या इससे अधधक का तेज िख
ु ार
पसीना आना (परजीवी नए रक्त कोलशकाओीं में प्रवेश कर चक
ु े होते हैं, शर र क़िी प्रनतक्या नह ीं दे
पाता है ): िहुत ज्यादा पसीना आता है 10
िोग की पिचान:
माइिोस्कोप से रक्त की जााँच में लाल रक्त कोलशकाओीं में परजीववयों का पाया जाना या कफीं गर वप्रक रक्त
जााँच से, जजसमें गभालवस्था की जााँच के ललए इस्तेमाल ककए जाने वाले जस्रप्स के जैसे ह काडों का प्रयोक
ककया जाता है , रक्त में एींट जेनों की मौजूदगी की जााँच कर, जो वतलमान या कुछ समय पहले के मलेररया की
जानकार दे ते हैं (ये कई सप्ताहों के िाद भी पॉजेहटव हो सकते हैं) , पता ककया जा सकता है ।3
मलेररया (खास कर पी. िालसीपेरम) से ल़िने वाले ननयलमत उपचार जो शोध स्तर पर पाए गए हैं:11
पिले लक्षण हदखने पि हदये जाने िाले उपचाि (जो़िों में ददल , स्वस्थ न महसूस करना, ऐसा महसूस करना
जैसा जुकाम होने को है )
कच्चे लहसुन के 5 जवा भोजन के साथ प्रनतहदन 3 िार लें (इसे परजीवी रोधी माना जाता है , लाल
रक्त कोलशकाओीं के थक्के िनने से रोके12)
अटे लमलसया अनुवा: इससे काफी लाभ लमल सकता है ।13 यह रक्त में िहुत दे र तक नह ीं रहता है ,
इसललए व्यजक्त को इसका चाय पीना चाहहए (हदन और रात), लक्षणों के दिने के 3+ हदनों तक पीएाँ।
हदन में कम से कम दो िार पसीना होने तक व्यायाम करें । मलेररया में परजीवी द्वारा स्राववत ववष के
कारण लाल रक्त कोलशकाएाँ एक जगह जमा होने लगतीीं हैं।16 व्यायाम रक्त सींचार सुधारने में मदद
करता है ।
ठीं डे पानी से स्नान- तीव्रता से रग़िते हुए ठीं डे पानी से स्नान करें : यकृत के हहस्से को 1 लमनट, प्ल हा
के हहस्से को 1 लमनट, और परू े शर र को 1 लमनट रग़िें।17 ठीं डे पानी से स्नान करने से रक्त सींचार
िढ़ सकता है और रोग प्रनतरोधक क्षमता को सकिय िनाता है ।
सारे लक्षणों के दिने के 3 हदन िाद तक सारे उपचार जार रखें (ताकक लाल रक्त कोलशकाओीं में नछपे
परजीवी भी सिलतापव
ू क
ल नटट ककये जा सकें)।
काम में पूर तरह से लौटने से पहले अपने शर र को चींगा होने के ललए समय दें ।
मलेररया के ललए तत्काल दवा लेना शुरू करें (अपने दे श में पता करें कक क्या सिसे कारगार है और
उसका खुराक क्या है )
अटे लमलसया अनुवा के रस यहद मलेररया के उपचार के ललए उप्लजध हों तो, पहले इसे अजमाएाँ, क्योंकक
हाल के शोधों में पता चला है कक इस िट ू की सिलता दर िहुत अधधक है और इसके दटु प्रभाव िहुत
कम हैं (दवा के रूप में - अटे सूनेट सिसे िेहतर ववकल्प है , यहद यह उप्लजध न हो तो अटे लमलसननन या
अटे मेथर का इस्तेमाल कर सकते हैं)
याद रखें कक परमेश्वर के ललए जीववत कमलचार मत
ृ लमशनर से अधधक मूल्यवान है जो यह सोचते हैं
कक वे इससे प्राकृनतक रूप से ल़ि सकते हैं। मलेररया के कुछ रूप कुछ हदनों के ललए खतरनाक हो
सकते हैं। यहद प्रकृनत उपचारों से कोई सध
ु ार न हदखे तो तरु ीं त धचककत्सीय मदद लें !!!
वतलमान में इस रोग का कोई प्रभावशाल ट का नह ीं है । कुछ दवा इससे रोगननरोधी रूप से िचाने में मदद और
इसका उपचार कर सकते हैं, किर भी इनके दटु प्रभाव हो सकते हैं। मलेररया के दवाईयों के प्रनत रोधक गुण भी
काफी ज्यादा पाया जाता है , खास कर क्लोरोजक्वन, जजसके कारण दवा असरदार नह ीं रह जाता है । मलेररया के
कई दवा उप्लजध हैं। चाँूकक प्रत्येक दवा परजीवी के जीवन के ववलशटट प़िाव में ह काम करता है इसललए इन्हें
इमानदार से लेना चाहहए (सलाह के अनस
ु ार) ताकक परजीवी को ववकास के उसी प़िाव में मारा जा सके, और
यहद जल्द ह सुधार नह ीं हुआ तो व्यजक्त को समझ जाना चाहहए कक परजीवी उस दवा के प्रनत रोधी िन चुका
है , और दस
ू रे दवा की जरूरत प़ि सकती है । स्थानीय स्वास््य सेवक ववश्व के उस क्षेत्र में क्या सिसे अच्छा
करता है इसकी जानकार दे सकते हैं।
1
World Health Organization. (2012). Tuberculosis: Fact sheet Nº104. Retrieved March 26, 2012 from
http://www.who.int/mediacentre/factsheets/fs104/en/index.html.
2
World Health Organization. (2012). Acute Respiratory Infections (Update September 2009). Retrieved March 15, 2012 from
http://www.who.int/vaccine_research/diseases/ari/en/index4.html
3
Longo, D.L., Kasper, D.L., Jameson, J.L., Fauci, A.S., Hauser, S.L., & Loscalzo, J. (eds.) (2012). Harrison’s principles of internal
medicine (18th ed.). New York: McGraw Hill.
4
Ignatavicius, D., & Workman, M. (2002). Medical-surgical nursing: Critical thinking for collaborative care (4th ed.). Philadelphia: W.B.
Saunders Company.
5
Thrash, A. (2013). Fomentations. Retrieved February 5 from http://ucheepines.org/index.php?p=counseling.fomentations.
6
Thrash, A. (2013). Tuberculosis. Retrieved February 5 from http://ucheepines.org/index.php?p=counseling.tuberculosis.
7
Duke, J.A. (1997). The green pharmacy: New discoveries in herbal remedies for common diseases and conditions from the owrld’s
foremost authority on healing herbs. Emmaus, PA: Rodale Press.
8
Pierce, Andrea. (1999). The American Pharmaceutical Association practical guide to natural medicines: The first authoritative home
reference for herbs and natural remedies, from the nation’s largest and most respected organization of pharmacists. New York: Stonesong
Press.
9
Pearson, R. (2007). Malaria. The Merk Manual Home Health Handbook. Retrieved March 6, 2013 from
http://www.merckmanuals.com/home/infections/parasitic_infections/malaria.html.
10
Beers, M. H., & Berkow, R. (Eds.). (1999). The merck manual of diagnosis and therapy (17th ed.). Whitehouse Station, NJ: Merck
Research Laboratories.
11
Horner, L. Practical experience in treating malaria in Zambia, Africa.
12
Thrash, A. (2013). Designer foods, herbs, and disease prevention. Retrieved January 23, 2013 from:
http://www.ucheepines.org/index.php?p=counseling.designer_foods.
13
World Health Organization. (2004). “Efficacy of artesunate for emergency malaria treatment.” WHO Drug Information. 18.2: 117-120.
14
O’Neill, P.M. (2004). A worthy adversary for malaria. Nature. 838-839.
15
Ittarat, W., et al. (2003).“Recrudescence in Artesunate-treated patients with falciparum malaria is dependent on parasite burden not on
parasite factors. The American Journal of Tropical Medicine and Hygiene. 147-152.
16
Chen, Q. Schlichtherle, M. & Wahlgren, M. (2000). Molecular aspects of severe malaria. Clin Microbiol Rev. 13(3): 439–450. PMCID:
PMC88942. Retrieved March 6 from http://www.ncbi.nlm.nih.gov/pmc/articles/PMC88942/.
17
Kellogg, J. H. (1901). Rational hydrotherapy: A manual of the physiological and therapeutic effects of hydriatic procedures, and the
technique of their application in the treatment of disease. Philadelphia: F. A. Davis Company.
18
Rand, H.F. (2013). Treatment of malaria without drugs. Retrieved January 23, 2013 from
http://www.ucheepines.org/index.php?p=counseling.treatment_of_malaria_without_drugs (originally from Life and Health, August,
1909).
1
Nosten, F., et al. (2005). Malaria misconceptions. The Lancet. 365: 653.
Nosten, F. (2005). Personal interview.
खास सलाह
7 टे स्टीमनीज़, पृ. 55. “जब कभी भी हमारे बडे शहरों में चिककत्सीय ममशनरी कायय ककये जाते हैं, पाक-कला
की पाठ्यक्रम भी िलाए जाएँ; और जब कभी भी एक मजबत
ू शैक्षणिक ममशनरी कायय आगे बढे , एक स्वच्छ
भोजनालय स्थापपत ककया जाए, जो भोजन के सही िुनाव और उसे स्वास््यवर्यक रूप से पकाए जाने का
अभ्यामसक उदाहरि दे ।”
9 टे स्टीमनीज़, पृ. 161. “लोगो को स्वास््य सुर्ार के मसधदाांतों के पवशष मशक्षक्षत करने के मलए बडे कोमशश
की जानी िाहहए। पाक-कला पवद्यालयों का स्थापना ककया जाना िाहहए। स्वास््यवर्यक भोजन पकाने की कला
का मशक्षा घर-घर जाकर दे ना िाहहए। जवान और बूढे, सब को सरल तरीकों से पकाना सीखना िाहहए। जहाँ
कहीां भी सत्य बताए जा रहे हैं वहाँ के लोगों को सादे , परन्तु स्वाहदष्ट भोजन पकाना भी सीखाना िाहहए। उन्हें
हदखाया जाना िाहहए कक पोषक भोजन बबना माँसाहारी भोजन के मलए उपलब्र् कराया जा सकता है । ”
ए कॉल टू मेडिकल इवें जमलज़म एांि हे ल्थ एजूकेशन. “लोगो को स्वास््य सुर्ार के मसधदाांतों के पवशष मशक्षक्षत
करने के मलए बडे कोमशश की जानी िाहहए। पाक-कला पवद्यालयों का स्थापना ककया जाना िाहहए। अचर्क से
अचर्क पाक-कला पवद्यालयों का स्थापना ककया जाना िाहहए, और कुछ को स्वास््यवर्यक भोजन पकाने की
कला का मशक्षा घर-घर जाकर दे ना िाहहए। अमभभावकों और बच्िों को अकसर जजतनी सरलता से भोजन
पकाया जाता है , उससे अचर्क सरलता से भोजन पकाना सीखना िाहहए। कई तरह के जहटल व्यांजनों को पकाने
में बहुतों का इतना वक्त और धयान लग जाता है कक वे सत्य को उस तरह से मसखाने में अयोग्य हो जैसा की
वह यीशु में पाया जाता है ।” --लेटर 279, 1905।
काउन्सेल्स ऑन िाईट एांि फूड्स, पृ. 255. “स्वास््य सुर्ार का अभ्यास करने में लोगों की अरूचि का एक
कारि यह है कक जजस भोजन के वे आहद हैं, उसे बदलने के मलए उन्होंने सरलता से बने उचित भोजन तैयार
करना नहीां सीखा है । वे अरूचिकर भोजन दे खते भी ऊब जाते हैं, और उस तरह से नहीां जी सकते हैं। बहुत सारे
लोग स्वास््य सुर्ार के छोटे ननदे शों का पालन करने की कोमशश करते हैं, परन्तु इतने बुरे पकवान बनाते हैं
जो उनके हाजमे को प्रभापवत करता है , और जो भी उसे िखता है उसके मलए हतोत्साहहत करने वाला होता है ।
आप स्वास््य सुर्ार होने का दावा करते हैं, और इसमलए आपको पाक-कला में माहहर होना िाहहए। जो अच्छी
तरह से सांिामलत पाक-कला पवद्यालयों में जाने का लाभ उठा सकते हैं, वे अपने मलए और दस
ू रों को मसखाने
के मलए भी लाभाजन्वत होंगे।”
वेलफेर ममननस्री, पृ. 128. “तानाशाह पक्षपात के कारि िूांकक मन के रास्ते बांद हो जाते हैं, इसमलए बहुत सारे
लोग स्वास््यवर्यक जीवन से अनजान हैं। अचर्क से अचर्क पाक-कला पवद्यालयों का स्थापना ककया जाना
िाहहए, और कुछ को स्वास््यवर्यक भोजन पकाने की कला का मशक्षा घर-घर जाकर दे ना िाहहए। लोगों को
स्वास््यवर्यक भोजन पकाना मसखाकर हम अच्छी सेवा दे सकते हैं। यह दस
ू रे कायों के जजतना ही महत्वपूिय
है । अचर्क से अचर्क पाक-कला पवद्यालय खोले जाने िाहहए, और कुछ लोगों को घर घर जाकर लोगों को
स्वास््यवर्यक भोजन तैयार करना मसखाना िाहहए। स्वास््य सर्
ु ार के द्वारा बहुत सारे लोग शारीकरक,
मानमसक, और नैनतक पतन से बिाए जाएँगे। ये मसधदाांत उन लोगों के द्वारा सराहे जाएँगे जो ज्योनत की खोज
करते हैं; और वैसे लोग वतयमान सत्यों प्राप्त करने के मलए आगे बढें गे।
ममननस्री ऑफ़ हीमलांग, पृ. 320. “आहार सुर्ार प्रगनतशील होना िाहहए। पशुओां में जैसे जैसे रोग बढते जाएँगे
वैसे ही दर्
ू और अण्िे का इस्तेमाल असुरक्षक्षत होता जाएगा। उनके स्थान पर अन्य स्वास््यवर्यक सस्ते आहार
का इस्तेमाल करने की कोमशश की जानी िाहहए। सभी जगह के लोगों को, जजतना हो सके, अण्िे और दर्
ू के
बगैर, परां तु स्वास््यवर्यक और सप
ु ाच्य भोजन पकाना मसखाया जाना िाहहए।”
व्यिहारिक सलाह
िैयािी
योजना बनाने से पहले प्राथयना करें ।
एक सहयोगी िुनें।
रसोई, पांजीकरि, और तकनीकी पहलओ ु ां के मलए अन्य काययकर्त्ायओां की मदद लें ।
तारीख और समय यह ननर्ायकरत करें । (2-3 महीने पहले से तैयारी करना बेहतर है )
एक स्थान िुनें। रसोई नहीां होने से भी कोई बात नहीां परन्तु यहद हो तो बेहतर होगा। आप हॉट प्लेट,
ब्लें िर का प्रयोग कर सकते हैं। ओवन व्यांजनो को पहले से तैयार कर मलया जा सकता है और दशयकों
को पवचर्यों का िेमो दे सकते हैं और बेक करने के तरीके बता सकतै हैं।
ज़रूरी समाचियों को कैसे खरीदना है और सजाना है , यह ननश्िय करें ।
यह जानें कक कौन आपने सदस्य हो सकते हैं, और उनकी क्या ज़रूरतें हैं।
अपने व्यांजन िुनें, इन बातों पर गौर करें :
*उन्हें पोषक और लज़ीज़ बनाएँ
*उन्हें सरल बनाएँ – बहुत अचर्क सामिी न ममलाएँ, बनाने में सहज हों
*सांपूिय आहार का इस्तेमाल करें
*सारे व्यांजनों ब्लें िर का प्रयोग न करें वरना कक्षा में बहुत शोर होगा, दो ब्लें िर व्यांजनों के बीि
दस
ू रे व्यांजन बनाएँ
*4 व्यांजन काफ़ी है , इससे “उत्पादन” कहलाएगा और आप दस
ू री बार कक्षा नहीां लेना िाहें गे
समय से पहले ही सोि लें कक आप उस व्यांजन के बारे क्या कहने वाले हैं और उसे मलख लें । कुछ
उदाहरि हैं: बीन में प्रोटीन की मात्रा, सांपूिय गेहूँ का पेस्री आटा बनाम सांपूिय गेहूँ आटा, िीनी के
स्थान पर खजूर का प्रयोग क्यों करें , व्यांजन को परोसने के अलग अलग तरीके, वह अच्छी तरह से
जमता है या नहीां, व्यांजन के अन्य रूप, आप व्यांजन के क्यों पसांद करते हैं, पकाने के अन्य तरीके,
व्यांजन के फायदे - हो सकता है वह सस्ता हो, ककसी एक सामिी के स्थान पर कोई दस
ू रा इस्तेमाल
ककया जा सकता हो तो...
अपने व्यांजनों के है ण्िआउट बनाएँ
अपनी कक्षा के शैक्षणिक बनाएँ। यहाँ कुछ उदाहरि हैं:
*स्वास््य वीडियो या िीवीिी का प्रयोक करें
*मेहमान वक्ता को आमांबत्रत करें
*अपना भी एक भाषि तैयार करें
इन शैक्षक्षिक पवषयों का प्रयोग कर सकते हैं:
*NEWSTART (न्यस्
ू टाटय )
*मेनू तैयार करना
*ननर्ायकरत बजट में खाना
*अपने रसोई में ककन सामचियों को रखना िाहहए
*हाननकारक सामिी
*माँस और माँस के उत्पादों के खतरे
*पािन के मसधदाांत
*ननर्ायकरत वक्त में खाने का महत्व
*हदन में दो बार खाने के लाभ
*भोजन के मेल
*िीनी के हाननकारक प्रभाव
*तेलों का प्रयोग
यह सुननजश्ित करने के मलए कक आप उन्हें दो भोजन के बीि खाने को प्रोत्साहहत नहीां करें गे, इसमलए
यह तो खाने के वक्त ही भोजन वहीां परोसें, या उनके घरों में पै क कर के मभजवा दें ।
यह जताने के मलए आप उनके आने से खुश हैं, उन्हें उपहार दें (वैकजल्पक)
अपने सामचियों को पहले से ही खरीद कर रखें।
यह ननश्िय करें कक आप शुल्क लें गे या ननशुल्क ही करें गे (दान आर्ाकरत)
प्रिार करें ।
*यहद ननशुल्क हो तो आप सामज सेवा के रूप में रे डियो, टीवी, और अख़बार से प्रिार कर सकते हैं
*पोस्टर और पैम्पलेट
*घर-घर जाकर
*चगरजा के सूिनापट में
परमेश्िर की मल
ू योजना: मनष्ु य के साथ सीधी सहभागिता
उत्पत्ति 3:8. “तब यहोवा परमेश्वर, जो दिन के ठं डे समय वादिका में फिरता था, का शब्ि उनको सुनाई
दिया।”
फिश्चय्न एजूकेशन, पृ. 207. “वह पत्तवत्र जोडा [आिम और हवा] परमेश्वर के त्तपतव
ृ त ् स्नेह के अधीन बच्चे
ही नहीं बल्कक सववबुल्दिमान सल्ृ टिकिाव से शशक्षा प्राप्त करने वाले त्तवद्याथी भी थे। स्वर्गवित
ू उनसे शमलने
आते, और उन्हें अपने सल्ृ टिकिाव से सहभागर्गता की अनुमती थी, उनके बीच फकसी तरह की बाधा नहीं थी।”
यशायाह 59:2. “परं तु तुम्हारे अधमव के कामों ने तुम को तुम्हारे परमेश्वर से अलर्ग कर दिया है , और
तम्
ु हारे पापों के कारण उसका मुँह
ु तम
ु से ऐसा छिपा है फक वह नहीं सन
ु ता।”
एजूकेशन, प.ृ 17. “आिम और हवा के शलए प्रकृछत पत्तवत्र बुल्दि से जुडा था। परं तु पाप के कारण मनुटय
परमेश्वर के साथ सीधे सहभागर्गता से अलर्ग हो र्गया, और बहुत हि तक अपने कमों से।”
पाप ने हमें परमेश्वर से अलर्ग कर दिया, परं तु उसके प्यार से अलर्ग नहीं फकया। उसने हमसे बात करने का
रास्ता छनकाला। उसने ऐसे पुरूष और मदहलाओं को चुना ल्जन पर अपना आवाज़ बनने के शलए भरोसा कर
सके, ताफक वह अपने प्यार और योजनाओं को मनटु य तक पहुुँचा सके।
नए ननयम के निी- जकयावह, योहन्ना बल्प्तस्मा िे ने वाला, युहन्ना, पौलुस, अर्गाबस, पतरस, यीशु, आदि।
मदहला निी- मररयम, हुविा, दिबोरा, अन्ना, और फिशलप की चार बेदियाुँ (प्रेररतों 21:8,9).
जहाुँ तक हमें पता है , मनुटय के इछतहास के प्रथम 2,500 साल, मूसा के आने से पहले तक, परमेश्वर के
द्वारा कोई शलखित िल
ु ासा नहीं हुआ था।
अमोस 3:7. “इसा प्रकार से प्रभु यहोवा अपने िास भत्तवटयव्िक्ताओं पर अपना ममव बबना प्रर्गि फकए कुि
भी नहीं करे र्गा।”
कभी कभी परमेश्वर अपने नबबयों के अपना संिेश शलिने को कहता था ( हबक्कूक2:2) और अन्य मौकों पर
संिेश बोल कर बताने को कहता है (छयमवयाह26:2)।
1 कुररल्न्थयों 12 में पौलुस दििाता है फक परमेश्वर ने अपने लोर्गों को अलर्ग अलर्ग िान दिया है और शरीर
के त्तवशभन्न अंर्गों के तरह उन्हें एक साथ काम करना है । शरीर में फकसी भी तरह का अलर्गाव नहीं होना
चादहए (25वाुँ पि)।
1 कुररल्न्थयों 12:28. “और परमेश्वर ने कलीशसया में अलर्ग अलर्ग व्यल्क्त छनयुक्त फकए हैं, प्रथम प्रेररत,
िस
ू रे भत्तवटयव्िक्ता, तीसरे शशक्षक, फिर सामथव के काम करने वाले, फिर चुँर्गा करने वाले, फिर उपकार
करने वाले, और प्रबंि करने वाले, और नाना प्रकार की भाषा बोलने वाले।”
त्तवलापर्गीत 2:9- दयान िें फक इस्राएल को धमव त्यार्ग के दिनों में कोई नबी नहीं शमला।
परं तु पत्तवत्रशास्त्र, उस भयावाह धमव त्यार्ग की भत्तवटयवाणी के साथ ही, यह भी शसिाती है फक मसाह के
िस
ू रे आर्गमन से पहले यह पथ्
ृ वी परमेश्वर की महीमा और भत्तवटयवाणी की िान से चमकेर्गी ताफक वह
अपने बचे हुए कलीशसया के पास लौि सके।
योएल 2:28.29. “उन बातों के बाि मैं सब प्रखणयों पर अपना आत्मा उण्डेलुँ र्ग
ू ा, तम्
ु हारे बेिे बेदियाुँ
भत्तवटयव्िनी करें र्गी, और तुम्हारे पुछनवये स्वप्न िे िेंर्गे, और तुम्हारे जवान िशवन िे िेंर्गे। तुम्हारे िास और
िाशसयों पर भी मैं उन दिनों मे अपना आत्मा उण्डेलुँ र्ग
ू ा।”
प्रेररतों 2:17. “परमेश्वर कहता है , फक अंत के दिनों में ऐसा होर्गा फक मैं अपना आत्मा सब मनुटयों पर
उण्डेलुँ र्ग
ू ा, और तम्
ु हारे बेिे और बेदियाुँ भत्तवटयव्िानी करें र्गी, और तम्
ु हारे जवान िशवन िे िेंर्गे, और तम्
ु हारे
पछु नवये स्वप्न िे िेंर्गे। वरन मैं अपने िासों और अपनी िाशसयों पर भी उन दिनों में अपने आत्मा मे से
उण्डेलुँ र्ग
ू ा, और वे भत्तवटयव्िानी करें र्गे।”
अंछतम दिनों में पूरा फकया जाना: योएल 2:31. “यहोवा के उस बडे और भयानक दिन के आने से पहले सूयव
अंगधयारा होर्गा और चन्रमा रक्त सा हो जाएर्गा।”
मलाकी 4:5- िस
ू रे आर्गमन के तुरंत पहले अंछतम नबी का भत्तवटयवाणी।
युहन्ना बल्प्तस्मा िे ने वाले के समय पहले आर्गमन के संबंध में आंशशक रूप से पूरा होना
“यीशु की र्गवाही” क्या है? – प्रकाशशतवाक्य 19:10. “तब मैं उन को िण्डवत करने के शलए उसके पाुँवों पर
गर्गर पडा। उसने मझ
ु से कहा, ‘िे ि, ऐसा मत कर, मैं तेरा और तेरे भाईयों का संर्गी िास हुुँ जो यीशु की
र्गवाही िे ने परा ल्स्थर हैं। परमेश्वर ही को िण्डवत कर, क्योंफक यीशु की र्गवाही भत्तवटयव्िानी की आत्मा
है ।’”
मिी 24:24- यीशु ने हमें चेतावनी दिया है फक अंछतम दिनों में बहुत सारे “झूठे मसीह, और झूठे
भत्तवटयव्िक्ता” उठे िडे होंर्गे और “बडे गचन्ह, और अद्भत
ु काम दििाएुँर्गे फक यदि हो सके तो चन
ु े हुओं को
भरमा िें ।”
हम परमेश्वर एक सच्चे नबी और झूठे नबी में कैसे िकव कर सकते हैं?
िस
ू रे दयान िे ने योग्य बातें :
कुि भत्तवटयवाखणयाुँ पररल्स्थयों के आधार पर होती है । छननवे के शलए योनाह के संिेश को दयान िें ।
नबी भी र्गलत हो सकते हैं। दयान िें फक नतान नबी नें 2 शमुएल 7:1-5 में र्गलत संिेश दिया था।
(इससे हम में आत्मत्तवश्वास बढना चादहए फक यदि एक नबी र्गलती करता है तो परमेश्वर उसे सुधारता
है ।)
जौभी की उसका कायव और िक्षा अद्भुत है , उसकी सबसे बडी इच्िा यह थी फक लोर्ग यीशु के पास आए और
बाइबल अधय्यन के।
कुि लोर्ग सोच रहे होंर्गे फक एलेन व्हाईि कौन और कैसी थी? इसका जवाब हमें नवम्बर 26, 1827 में ले
जाता है , जब जॉन क्वींसी ऐडम्स राटरपछत थे। उस दिन, एक िोिे र्गाुँव र्गोरहम, मैन, में युछनस और रॉबिव
हारमन के यहाुँ जुडवा बेदियाुँ, एशलज़ाबेत और एलेन पैिा हुई। एलेन आठ बच्चों में सबसे िोिी थी।
एलेन बाइबल की एक उत्सुक त्तवद्याथी बन र्गई। वह कैम्प मीदिंर्ग, ररवाईवल, और कॉिे ज सभाओं में जाने
लर्गी। जून 26, 1842 में बक्सिन, मैन, में एक मेथोडडस्ि कैम्प मीदिंर्ग भार्ग लेने के बाि उसने अिलांदिक
महासार्गर में बल्प्तस्मा ले शलया और मेथोडडस्ि कलीशसया की सिस्य बन र्गई। कुि समय बाि एलेन और
उसके पररवार ने पोिव लड
ैं , मैन, में त्तवशलयम शमलर द्वारा आयोल्जत सभा में भार्ग शलया, जो सेना के पुवव
कप्तान थे जो बाइबल का बहुत दयान से अधय्यन कर रहे थे। क्योंफक वह यीशु के जकि आर्गमन पर त्तवश्वास
करते थे, उन्हें और उसके अनुयाछययों को ‘एडवेन््स’ या ‘शमलरॉई्स’ कहते थे।
हामन पररवार को शमलर के संिेश की सच्चाई पर यकीन हो र्गया। फिर भी अक्िुबर 22, 1844 के महान
छनराशा के बाि वे भी हताश हो र्गए थे। और एलेन की छनराशा उम्र कम होने के बाबजूि कुि न थी। वह रोई,
उसने प्राथवना फकया, परमेश्वर के वचन का अधय्यन फकया, जैसा की बहुत सारे िस
ू रे आर्गमन के त्तवश्वाशसयों ने
फकया।
अपने शब्िों मे वह अपना प्रछतिया कुि इस प्रकार बताती है : “िशवन िे िने, और परमेश्वर से रोशनी पाने के
बाि, उसने मुझे यह सबको बताने की आज्ञा िी...परं तु मैं घबरा र्गई। मैं युवा थी, मुझे लर्गा फक वे मुझे सुनना
पसंि नहीं करें र्गे।” एलेन जी. व्हाईि लेिर 3, 1847। परमेश्वर के द्वारा सौपे र्गए काम के शलए वह भले ही
िि
ु को कमजोर और शरीररक रूप से असमथव मान रही थी, त्तवश्वास में उसने परमेश्वर के कायव को स्वीकार
फकया जो उसके जीवन भर चलता रहा।
अर्गस्त 6, 1881 में एलेन के पछत, जेम्स का छनधन बैिल िीक, शमगचर्गन, यू.एस.ए. में हुई। उसके िब के
पास िडे होकर एलेन ने उस काम को जारी रिने का वचन दिया ल्जसे िोनों ने लर्गतार 35 वषों तक फकया !
एलेन के सबसे िुबसूरत और प्रेरणािायी लेि इस ताररि के बाि आए। उसने और 34 वषों तक अकेले काम
फकया।
अपने काम के शलए उसे कई िे शों में जाना पडा- जहाुँ वह लोर्गों का मार्गविशवन करती और त्तवश्वाशसयों को
परमेश्वर के बताए अनस
ु ार सलाह िे ती।
एलेन व्हाईि का जीवन और काम जुलाई 16, 1915 को समाप्त हुआ। उसे अपने पछत के बर्गल, बैिल िीक,
शमगचर्गन के ओक दहल सेमेरी में ििनाया र्गया। उसके छनधन के कुि सप्ताह बाि एक अिबार में यह वाक्य
िपा: “उसमें फकसी भी प्रकार का आल्त्मक िं भ नहीं था और वह धन िौलत के पीिे नहीं र्गई। उसने एक योग्य
नबी का जीवन जीया और काम फकया, अमरीका की सबसे प्रशंसनीय।”- ि न्यू योकव इनडडपें डेंि, अर्गस्त 23,
1915।
उसकी आवाज़ और कलम ज़रूर रूक र्गई है । परं तु परमेश्वर के इस अिम्य प्रवक्ता के सलाह, दहिायत और
प्रोत्साहन के अमुकय शब्ि परमेश्वर के लोर्गों का अंत के त्तवजय तक मार्गविशवन करे र्गी।
यह फकतना महत्वपूणव है फक हम परमेश्वर और उसके संिेशवाहकों पर त्तवश्वास करें ल्जन्हें वह हमारे पास प्यार
से भेजता है ?- 2 कुररल्न्थयों 20:20
प्रेरणा का काम
2 पतरस 1:21. “क्योंफक कोई भी भत्तवटयव्िानी मनुटय की इच्िा से कभी नहीम हुई,पर भक्त जन पत्तवत्र
आत्मा के द्वारा उभारे जा का परमेश्वर की ओर से बोलते थे। ”
1 सेलेक्िे ड मेसेजेस, पृ. 21. “बाइबल के शब्ि प्रेररत नहीं बल्कक लोर्ग प्रेररत थे। प्रेरणा व्यल्क्त के शब्िों या
अशभव्यल्क्त पर काम नहीं करती परं तु उस व्यल्क्त पर करती है , जो पत्तवत्र आत्मा के प्रभाव में त्तवचारों से भर
जाता है । परं तु शब्ि व्यल्क्त के दिमार्ग की उपज है । पत्तवत्र दिमार्ग और इच्िा शल्क्त मनुटय के दिमार्ग और
इच्िा शल्क्त से शमल जाता है ; इस प्रकार मनुटय के बोल परमेश्वर का वचन बन जाते हैं।”
1 सेलेक्िे ड मेसेजेस, प.ृ 16. “कुि लोर्ग हमें हीनता से िे ि कर कहते है , “आपको नहीं लर्गता फक प्रछतशलत्तपक
या अनुवािक से र्गलती हो र्गई होर्गी?” यह संभव है , और वह मन जो इतना संकीणव है , इस संभावना पर ठोकर
िाएर्गा, परमेश्वर के वचन के अन्य रहस्यों पर भी ठोकर िाएर्गा, क्योंफक उसका कमज़ोर मन परमेश्वर के
1 सेलेक्िे ड मेसेजेस, पृ. 37. “हलाुँफक की मैं अपने त्तवचारों को शलिने में पत्तवत्र आत्मा पर उतना ही छनभवर हूुँ
ल्जतना उन्हें पाने के शलए, फिर भी ल्जन शब्िों से मैं वह बताती हूुँ जो मैं ने िे िा है वे मेरे अपने हैं, एक
स्वर्गवित
ू के शब्िों को िोड जो वह मुझ से कहाता, ल्जन्हें मैं गचल्न्हत करती हूुँ।”
3 सेलेक्िे ड मेसेजेस, पृ. 51. “इन बहुमुकय पुस्तकों को शलिते वक्त, जब भी दहचफकचाई, वह शब्ि ल्जससे मैं
अपने त्तवचार शलि सकूुँ, मझ
ु े िी र्गई।”
1 सेलेक्िे ड मेसेजेस, पृ. 39. “परं तु ऐसे वक्त आते है जब आम बातों बताई जानी चादहए, आम त्तवचार मन में
आने चादहए, आम शब्ि शलिे जाने चादहए और जानकारी एक कायवकिाव से िस
ू रे तक पहुुँचने चादहए। इस तरह
के शब्ि, जानकारी, परमेश्वर के आत्मा के त्तवशेष प्रेरणा से नहीं दिए र्गए हैं। कई बार धाशमवक त्तवषय के अलवा
िस
ू रे सवाल भी फकए जाते है ल्जनका जवाब िे ना ज़रूरी होता है । हम हमारे घरों और जमीनों, व्यवसाय, और
संस्थानों, उनके र्गुण एवं अवर्गुणों की चचाव करते हैं।”
1 सेलेक्िे ड मेसेजेस, पृ. 27. “फिर भी अब जब मैं आपके पास दहिायत और सुधार की र्गवाही का संिेश भेजती
हुुँ, आप में बहुत कोई उसे महज बहन व्हाईि का त्तवचार समझते हैं। इस तरह से आपने परमेश्वर की आत्मा
को ठे स पहुुँचाया है । आप जानते हैं फक कैसे परमेश्वर ने भत्तवटयवाणी की आत्मा के द्वारा िुि को प्रर्गि फकया
है । भत
ू , वतवमान और भत्तवटय मेरे सामने र्गज़
ु रे हैं। मझ
ु े ऐसे चेहरे दििाए र्गए हैं ल्जन्हें मैं नें पहले कभी नहीं
िे िा था, और उसके कई वषव बीतने के बाि मैं अब उन्हें जानती हूुँ। मैं कई बार सच से प्रतीत होने वाले
त्तवचारों के साथ नींि से जार्गी और बीच रात मे उन शब्िों को शलिा जो कई महाद्वीपों में िैल र्गया है , और
ज़रूरत के जर्गह पहुुँच कर परमेश्वर के काम को बडे मुसीबतों से बचाया है । बहुत सालों से यह मेरा काम रहा
है । एक शल्क्त ने मुझे उन र्गलत चीजों को सुधारने और ििकारने के शलए उक्साया है ल्जनके बारे मैं ने कभी
नहीं सोचा था। ितीस वषों का यह कायव ऊपर या नीचे से था।”
1 सेलेक्िे ड मेसेजेस, पृ. 27. “कमज़ोर और काुँपते हुए, मैं भोर के तीन बजे आपके पास शलिने के शलए उठी।
परमेश्वर शम्िी के द्वारा बात कर रहा था। आप कह सकते हैं फक यह वातावलाप महज एक पत्र है । हाुँ, वह पत्र
ही था, परं तु परमेश्वर के आत्मा से प्रेररत, ताफक आपके मनों के समक्ष वह चीजें ले आऊुँ जो मुझे दििाया
र्गया है । इन पत्रों में , ल्जन्हें मैं शलिती हूुँ, मेरे र्गवादहयों में , मैं आपके समक्ष उन चीजों को प्रस्तूत करती हूुँ
ल्जन्हें परमेश्वर ने मेरे पास प्रस्तूत फकया है । इस पत्र में एक भी लेि में मैंने महज अपने त्तवचार व्यक्त नहीम
फकए हैं। ये वे है ल्जन्हें परमेश्वर ने मेरे समक्ष िशवन में िोला है - शसंहासन से चमकती बहुमुकय फकरणें।”
5 िे स्िीमनीज़, पृपृ. 671,672. “र्गवादहयाुँ को उनके िलों से जाुँचे जाएुँ,” उसने शलिा। “उनके शशक्षओं का क्या
आत्मा है ? उनके प्रभाव का क्या पररणाम है ?... परमेश्वर उनके कलीशसया के या तो शसिा रहा है , र्गलछतयाुँ
सुधार रहा है , और उनके त्तवश्वास को मजबूत कर रहा है , या वह ऐसा नहीं कर रहा है । यह तो परमेश्वर का
काम है या नहीं है । परमेश्वर शैतान के साथ शमल कर कभी काम नहीं करता है । मेरे काम... में परमेश्वर का
मुहर है , या तो िश्ु मन का मुहर है । इस त्तवषय में आधा आधा काम नहीं होता है ।
“जैसे की परमेश्वर ने िुि को भत्तवटयवाणी का आत्मा के द्वारा प्रर्गि फकया है , भूत, वतवमान और भत्तवटय
मेरे सामने से र्गज़
ु रे हैं। मझ
ु े ऐसे चेहरे दििाए र्गए हैं ल्जन्हें मैं नें पहले कभी नहीं िे िा था, और उसके कई वषव
बीतने के बाि मैं अब उन्हें जानती हूुँ। मैं कई बार सच से प्रतीत होने वाले त्तवचारों के साथ नींि से जार्गी और
बीच रात मे उन शब्िों को शलिा जो कई महाद्वीपों में िैल र्गया है , और ज़रूरत के जर्गह पहुुँच कर परमेश्वर
के काम को बडे मुसीबतों से बचाया है । बहुत सालों से यह मेरा काम रहा है । एक शल्क्त ने मुझे उन र्गलत
चीजों को सुधारने और ििकारने के शलए उक्साया है ल्जनके बारे मैं ने कभी नहीं सोचा था।... यह कायव ऊपर
या नीचे से था?.. ल्जन्हें सच जानने की इच्िा है उन्हे त्तवश्वास करने के शलए भरपूर प्रमाण शम जाएर्गा।”
अली राईदिंग्स, पृ. 78. “त्तप्रय पाठक, मैं आपको सलाह िे ती हूुँ फक परमेश्वर का वचन आपके त्तवश्वास आर
व्यवहार का आधार हो। उसी वचन से हमारा न्याय होर्गा। परमेश्वर ने उस वचन में अंछतम दिनों में िशवन िे ने
का वािा फकया है , त्तवश्वास के नए छनयम के शलए नहीं बल्कक अपने लोर्गों को संतावना िे ने के शलए, उन लोर्गों
को सुधारने के शलए जो बाइबल से भिकते हैं। इस तरह से परमेश्वर ने पतरस को अन्य जाछतयों के पास
भेजने से पहले तैयार फकया। (प्रेररतों 10)”
कुि लोर्ग जे परमेश्वर के वचन की छनंिा कर रहे थे, उनके पास उसने शलिा: “अपने बाइबल को न िोडे जैसा
वह कहता है और उसके वैधता की छनंिा करना िोड िे और वचन के आज्ञा को मानें, और तुम में से एक भी
न भिकेर्गा।” 1 सेलेक्िे ड मेसेजेस, पृ. 18.
ररव्यू एंज हे रकड, जनवरी 20, 1903 पारा. 9. “बाइबल को बहुत कम महत्व दिया जाता है परमेश्वर ने मंि
रोशनी ल्स्त्रयों और पुरूषों को ‘बडे रोशनी’ के पास जाएर्गा।” (कोलपोिव र शमछनस्री, पृ. 125)
ू व शरीर के पोषण के शलए मार्गविशवन है ।” नैचुरल िूड एंड िाशमिंर्ग, मई, 1958।
उनके लेि संपण
1864 में एलेन ने शलि: “तंबाकू सबसे ितरनाक प्रवछृ त का जहर है । यह इसशलए अगधक ितरनाक है क्योंफक
शरीर पर इसका असर धीरे -धीरे दििता है ।” स्वास्थ्य त्तवभार्ग के लोर्गों ने उस वह इस वाक्य पर हुँसा होर्गा,
क्योंफक उन दिनों यह माना जाता था फक धूम्रपान िेिडे के रोर्गों को ठीक करता है ।
आखिरकार 1957 में अमेररकन कैंसर सोसाईिी और अमेररकन हािव एसोशसएसन ने यह छनश्कषव छनकाला फक
धूम्रपान िेिडे के कैंसर का कारक है ! 1905 में श्रीमती व्हाईि ने शलिा कैंसर पैिा करने वाले “त्तवषाणु” होते हैं।
उसने शलिा: “लोर्ग लर्गातार माुँस िाते जा रहे हैं ल्जसमें िी.बी. और कैंसर के त्तवषाणु हे ते हैं। िी.बी., कैंसर और
अन्य िैलने वाले रोर्ग इस तरह से िैलते हैं।” शमछनस्री ऑि हीशलंर्ग, प.ृ 313।
हाुँ आज हम ज्यािा सही शब्ि, वाइरस, का प्रयोर्ग करते हैं। 93 साल बाि, न्यूज़वीक पबत्रका ने “वाईरस कैंसर
के कारक हैं।” शीषवक से एक लेि िापा। “डॉ वेन्डेल स्िे नली, यूनीवशसविी ऑि कैलीिोछनवया के वाईरोलॉल्जस्ि
और नोबेल प्राईज़ त्तवजेता,” लेि में िपा था, “ने बबना अधय्यन यह तक कह डाला फक उन्हें त्तवश्वास है फक
वाईरस ही अगधकांश कैंसरों के कारण हैं।” न्यूजवीक, जून 18, 1956।
1902 में एलेन व्हाईि ने चेतावनी दिया फक परमेश्वर सैन फ्ांशससको और ओकलैंड को नाश करे र्गा क्योंफक वे
सोिम और र्गोमोराह के तरह बन रहे हैं। (मैनल्ू स्िप्ि 1902, प.ृ 114)
अप्रैल 18, 1906, प्रातः 5:12 बजे, सैन फ्ांशससको का महान भूकंम आया। भत्तवटयवाणी सच था। पूवावनुमाछनत
नाश सच में हुआ। लोर्ग कहते है , नबी ने आुँसू बहाया!
श्रीमती व्हाईि की उप्लल्ब्धयाुँ और भी अचंशभत करने वाली है यदि हम उसके पूरे जीवन में उसके द्वारा
सामना फकए र्गए मस
ु ीबतों पर र्गौर करें ।
एलेन व्हाईट ने क्यों कहा कक ििादहयों को सिसे सामने नहीं रखना चादहए ?
इवें जशलज़्म, पृ. 256। “बहन व्हाईि की र्गवादहयों को सामने नहीम रिना चादहए। शसिव परमेश्वर का वचन ही
अचक
ू मानक है । र्गवादहयाुँ वचन का स्थान नहीं ले सकती। इन सवालो का उिर िे ने में त्तवश्वाशसयों को हमेशा
सावधानी बरतनी चादहए, और जरूरत भर कहने के बाि रुक जाना चादहए। सभी अपने त्तवश्वासों के साक्ष्य
पत्तवत्रशास्त्र से िें और प्रत्येक तथ्य को परमेश्वर के वचन से प्रकाशशत बताएुँ।”
इवें जशलज़्म, पृ.164। “सभी तथ्यों को पूवावग्रही भीड के सामने न रिें।... उन सच्चाईयों को पहले रिें ल्जन पर
िोनों त्तवश्वास करते हों, और श्रोताओं के भरोसे को जीतें । ”
3 सेलेक्िे ड मेसेजेस, पृपृ. 29,30। “लोर्गों के बीच अपने त्तवश्वासों को प्रमाखणत करने के शलए बहन व्हाईि के
लेिों का उकलेि न करें । ऐसा करने से र्गवादहयों पर भरोसा नहीं बढे र्गा अपने साक्ष्यों को साि साि परमेश्वर
के वचन से लें । “परमेश्वर यों कहता है ” सबसे मजबत
ू र्गवाही है ल्जसे लोर्गों के समक्ष रि सकते हैं। फकसी को
भी बहन व्हाई के लेिों की ओर िे िना न शसिाएुँ , परं तु महान परमेश्वर की ओर जो बहन व्हाईच को शलिने
का छनिे श िे ता है ।”
ररव्यू एंड हे रकड, जनवरी 20, 1903। “परमेश्वर ने अपने लोर्गों को कई छनिे श दिए है , वाक्य पर वाक्य, आज्ञा
पर आज्ञा, थोडा यहाुँ, थोडा वहाुँ। बाइबल पर कम दयान दिया जाता है , और परमेश्वर ने परू
ु षों और मदहलाओं
को महान रोशनी की ओर अर्गव
ु ाई करने के शलए मगधम रोशनी दिया है । यह फकतना अच्िा होता यदि उन
पुस्तकों को ल्जनमें यह रोशनी है ,उनमें दिए र्गए शसदिांत को पलान करने की इच्िा से पढे जाते! हज़ार र्गुणा
अगधक सतकवता होती, हज़ार र्गुणा अगधक आत्मत्यार्ग और अिल प्रयास होता। और कई लोर्ग अभी वतवमान
सत्य की रोशनी में आनंदित होते।”
ररव्यू एंड हे रकड, अप्रैल 8, 1873। “ युहन्ना मगधम रोशनी था, ल्जसके पीिे महान रोशनी को होना था। उसे
परं पराओं से लोर्गों का त्तवश्वास हिाना था, और उनके पाप उन्हें याि दिलाना था, और उन्हें पश्चताप के शलए
अर्गव
ु ाई करना था; ताफक वे मसीह के कायव की सराहना करने के शलए तैयार हो सकें।”
साईंस ऑि ि िाईम्स, अर्गस्त 25, 1887। “यीशु के पहले आर्गमन के साथ महान रोशनी और मदहमा का िौर
आया; परं तु मगधम रोशनी का छनंिा करना क्योंफक अगधक मदहमामयी रोशनी का आर्गमन हुआ, अकृतज्ञताभरा
पाप है । जो यहूदियों के िौर की आशीष और महीमा को तुच्ि जानते हैं, वे सुसमाचार प्रचार के आशीष के शलए
तैयार नहीं हैं। त्तपता के मदहमा की तेज, और उसके पत्तवत्र व्यवस्था की श्रेटठता एवं पररपूणत
व ा, को शसिव उसके
त्तप्रय बेिे की कलवरी पर प्रायल्श्चत के द्वारा ही समझा जा सकता है ; परं तु या प्रायल्श्चत भी अपना महत्व िो
िे ता है जब परमेश्वर की व्यवस्था को नकारा जाता है । ”
2 िे स्िीमनीज़, पृ. 454। “परमेश्वर का वचन सबसे धुंधले दिमार्ग को भी ज्ञानोिय के शलए कािी है और उनके
द्वारा समझा जा सकता है ल्जन्हें समझने की इच्िा है । इन सब के बावजूि, ऐसे भी लोर्ग हैं जो परमेश्वर के
वचन को अपना अधय्यन का त्तवषय मानते हैं पर उसके सबसे सािे शशक्षाओं के त्तवपररत जीते हैं। इसशलए
परू
ु षों और मदहलाओं को बहाने के बबना िोडने के शलए, परमेश्वर ने सािे और साि दििने वाले र्गवादहयाुँ िीं
हैं, ल्जससे वे वचन के पास वापस आ जाए ल्जसे उन्होंने त्यार्ग दिया था।”
अली राईिींग्स, पृ. 78। “मेरा सलाह है , त्तप्रय पाठक, फक आपके त्तवश्वास और अभ्यास का आधार परमेश्वर का
वचन हो। वचन के द्वारा ही आपका न्याय होर्गा। परमेश्वर ने उस वचन में , वािा फकया है फक अंछतम दिनों
में वह िशवन िे र्गा; एक नए छनयम के शलए नहीं, बल्कक अपने लोर्गों के संतावना के शलए, और उन्हें सुधारने के
शलए जो बाइबल के सत्य से भिक जाते हैं।”
3 सेसेक्िे ड मेसेजेस, पृ. 32। “बाइबल आपका सलाहकार हो। उसे और र्गवादहयों को पढें ; क्योंफक वे कभी उसके
वचन के त्तवपररत नहीं बोलते हैं।”
5 िे स्िीमनीज़, पृ. 454। “यदि आप र्गवादहयों पर से त्तवश्वास िोते हैं तो आप बाइबल के सच्चाईयों से भी
भिक जाते हैं।”
2 िे स्िीमनीज़, पृपृ. 112,113। “यदि फकसी को िास र्गलती के शलए ििकारा जाता है , भाईयों और बहनों को
िुि को जाुँचना चादहए की वे िे िें फक उन्होंने कहाुँ र्गलती की और क्या वे भी उसी पाप के िोषी हैं।... एक को
र्गलती के शलए ििकार कर वह कईयों सध
ु ारता है । परं तु यदि वे िि
ु को सही करने से चक
ू ते हैं, और यह
सोचते हैं फक परमेश्वर उनके र्गलछतयों को नज़रं िाज़ कर िे र्गा क्योंफक उसने उन्हें िास कर अलर्ग से नहीं
ििकारा, वे िुि को ही धोिा िे ते हैं और वे अंधेरे में ही बंि रह जाएुँर्गे और अपने हृिय के ककपनाओं के
दहसाब से चलने के शलए िोड दिए जाएुँर्गे।... वह कुि के र्गलछतयों को उजार्गर करता है ताफक अन्यों कों इस से
चेतावनी शमल सके, और डरे , और र्गलती करना िोडे। स्वपररक्षण से वे जान सके फक वे भी वही र्गलछतयाुँ कर
रहे हैं ल्जसके शलए परमेश्वर ने िस
ू रों को िोषी ठहराया।”
2 िे स्िीमनीज़, पृ. 447। “वे सभी जो िोषी हैं इन र्गवादहयों में उनके बारे दिया र्गया है , भले ही िास शलिे
र्गवादहयों में उनके नाम नहीं दिए हैं... अपने पापी राह में चलते रहने के कारण, वे अपने त्तववेक के खिलाि
काम कर रहे हैं, अपने हृिय को कठोर कर रहे हैं, और अपने र्गिव न को कडा कर रहे हैं, ठीक उसी तरह जैसे
र्गवादहयाुँ उनके ही बारे बता रही हों।”
2 िे स्िीमनीज़, पृ. 687। “मैं ने िे िा फक सभी अपने जीवन और हृियों को ििोल सकते हैं और िे ि सकते हैं
यदि उन्होंने ने भी र्गलछतयाुँ की हैं या नहीं ल्जसके शलए िस
ू रों को सही फकया र्गया है और क्या िस
ू रों को िी
र्गई चेतावनी उन पर भी लार्गू होतीं हैं या नहीं। यदि हाुँ, तो उन्हें यह समझना चादहए फक सलाह और ििकार
िास उन्हीं के शलए है और उसका ल्जतना बेहतर हो सके उतना ही बेहतर तरीके से लार्गू करे , जैसा फक वे िास
उन्हीं के शलए दिए र्गए हों।”
1 सेसेक्िे ड मेसेजेस, पृ. 45। “ल्जनके पास र्गवादहयों के खिलाि कहने के शलए बहुत बाते हैं, ये वे लोर्ग
ल्जन्होंने उन्हें पढा ही नहीं है ।”
1 सेसेक्िे ड मेसेजेस, पृ. 45। “जब आप मनुटयों को र्गवादहयों पर सवाल िडा करते, उनमें र्गलछतयाुँ ढूढते, और
लोर्गों को उसके प्रभाव से िरू लेते िे िते हैं, आप यह सछु नल्श्चत कर ले फक परमेश्वर उनके मादयम से काम
नहीं कर रहा है । यह िस
ू री आत्मा है ।”
2 मैनूल्स्िप्ि रीलीज़ेस, पृ. 87। “यदि पहले का सोच या कोई िार त्तवचार र्गवादहयों के ज़ररए र्गलत पाए जा रहे
हैं, उनके पास यह बोझ है फक वे अपने तथ्यों के साक्ष्य िें , और बहन व्हाईि के मानव त्तववेक एवं परमेश्वर के
वचन के बीच अंतर स्पटि करे । वह सब कुि जो उनके सोच के पक्ष में हो, स्वर्गीय है , और र्गवादहयाुँ जो उनके
र्गलछतयों को सुधारने के शलए हैं, मनुटय का है - बहन व्हाई का त्तवचार। परं पाररक वे परमेश्वर के सलाह पर कोई
अंतर नहीं डालते।”
अंनतम छल क्या है ?
2 सेसेक्िे ड मेसेजेस, पृ. 78। “शैतान का अंछतम िल परमेश्वर की आत्मा के र्गवाही के प्रभाव को झूठलाना।
“जहाुँ िशवन की बात नहीं होती, वहाुँ लेर्ग छनरं कुश हो जाते हैं” (नीछत. 291:8) शैतान बुल्दिमानी से काम
करे र्गा, अलर्ग अलर्ग तरीकों से और अलर्ग अलर्ग मादयमों से, ताफक वह सच्चे र्गवाही से परमेश्वर के लोर्गों के
त्तवश्वास को डर्गमर्गा सके। वह भिकाने के शलए कृबत्रम िशवन लाएर्गा, सच को झूठ से शमला िे र्गा, और इस
तरह से लोर्गों के मन में उन चीजों के शलए घण
ृ ा उत्पन्न करे र्गा जो िशवन से जड
ु े हों क्योंफक वे इसे क्िरपन
समझेंर्गे; परं तु सच्चा मन, सच और झूठ के परि कर, उनके बीच अंतर िे ि सकेर्गा।”
1 सेसेक्िे ड मेसेजेस, पृ. 48। “र्गवादहयों के प्रछत निरत जार्ग उठे र्गी जो शौतानी है । शौतान का काम कलीशसया
के त्तवश्वास को झकझोरने का है , इसशलए : शौतान के पास बहुत साि रास्ता नहीं होर्गा फक वह अपने िल से
मनों को बाुँध सके यदि परमेश्वर की आत्मा का सलाह, और ििकार पर दयान दिया जाए।”
चाँूकक समय ििल िया हैं क्या हमें अि भी भविष्यिाणी की आत्मा का अनुसरण करना चादहए?
1 सेसेक्िे ड मेसेजेस, पृ. 41। “शुरूआत के दिनों में दिए र्गए संिेश के छनिे श को सुरक्षक्षत छनिे श के तरह मानना
है , ल्जसका अंछतम दिनों में पालन फकया जाए।”
3 सेसेक्िे ड मेसेजेस, पृ. 76। “अंछतम दिनों में हमारे लोर्गों को भरपूर रोशनी िी र्गई है । मैं जीत्तवत रहूुँ या न
रहूुँ, मेरे लेि लर्गातार बोलते रहें र्गे, और उनके काम समय के अंत कर जारी रहें र्गे।”
3 सेसेक्िे ड मेसेजेस, पृ. 77। “जब उसे लर्गेर्गा फक मुझे आराम दिया जाए, वह िे र्गा। उसके संिेश और भी
महत्वपूणव हो जाएुँर्गे उस वक्त के मुकाबले जब यह कमजोर मादयम ल्जसके द्वारा वे दिए र्गए, जीत्तवत था।”
अध्याय 1 – सस
ु माचारवाद का चक्र ................................................................................... 314
सुसमाचारवाद का कैलेण्डर .......................................................................................................... 317
लाईट की ओर से अमेजीींग फैक्ट्स, माकक और अर्नेस्टटर्न फफर्नले, गैरी गगब्स और ऐर्नी मोगकर्न को इस पाठ्यक्रम
में ससखाए गए अर्नेक ससध्दान्तों के सलए धन्यावाद।
अध्याय 1- सस
ु माचारवाद का चक्र
बाइबल में हम पाते हैं फक परमेश्वर र्ने हमें 6 अर्नींत सुसमाचारवादी नर्नयम ददये हैं जो पूरे जगत के परीं पाररक
और भाषाई ददवारों को पार करते हैं।
टटे प्स टू क्राईटट, पृ. 78. “जैसे ही कोई ख्रीटत के पास आता है उसके मर्न में दस
ू रों को भी यह बताते की
इच्छा जाग उठती है फक फकतर्ना मूल्यवार्न दोटत उसर्ने यीशु में पाया है , बचार्ने और शुध्द करर्ने वाले सत्य को
उसके मर्न में दबाया र्नहीीं जा सकता है ।”
1 सेलेक्टटे ड मेसेजेस, पृ. 121. “सच्चे पववत्रता का जागरण हमारा सबसे बडा और तत्काल ज़रूरत है । इसे पार्ना
हमारा पहला काम होर्ना चादहए। परमेश्वर की आशीष को पार्ने के सलए कोसशश करर्ना चादहए, इससलए र्नहीीं की
परमेश्वर हमें आशीष र्नही दे र्ना चाहता है , परीं तु हम उसे पार्ने के सलए तैयार र्नहीीं हैं। जगत के माता वपता अपर्ने
बच्चों को अच्छी वटतुएँ दे र्ने के सलए स्जतर्ने तत्पर हैं, उससे अगधक तत्पर हमारे टवगीय वपता अपर्ने पववत्र
आत्मा को उन्हें दे र्ने के सलए है जो उसे माँगते हैं। ”
3 तरीरों से हम
समनर्नटरी ऑफ हीसलींग, पृ. 458. “सींपूणक बाइबल यीशु में परमेश्वर की महीमा को उजागर करती है ।
अपर्नार्ने, ववश्वास, पालर्न करर्ने से, यह चररत्र को बदलर्ने के सलए महार्न और साधर्न है । यह महार्न
प्रोत्साहर्न, बाध्य करर्ने वाला ताकत है , जो शारीररक, मार्नससक, और आस्त्मक शस्क्टतयों को सचेत करता है
और जीवर्न को सही राटते में लाता है ।
यव
ु ाओीं, और पररपक्टव हो चक
ु े लोग भी इतर्नी आसार्नी से पररक्षा और पाप में इससलए पडते हैं क्टयोंफक वे
परमेश्वर के वचर्न को र्नहीीं पढ़ते और उस पर वैसा ध्यार्न र्नहीीं दे ते हैं जैसा उन्हें दे र्ना चादहए।”
4 टे टटीमर्नीज़, पृ. 528. “हमारे पास पररवतकर्न की सेवकाई होर्नी चादहए। एक सच्चे पररवनतकत सेवक की
प्रभावशीलता और ताकत सीयोर्न के पाखींडी काींप उठें गे और पापी घबराएँगे। सत्य और पववत्रता का मार्नक
धल
ू में वपछड रहा है । यदद वे जो इस घडी की गींभीरता की चेतावर्नी दे ते हैं परमेश्वर के प्रनत अपर्नी
जवाबदे ही को महसस
ू करते हैं तो वे जोशीले प्रार्कर्ना की ज़रूरत को दे खेंगे...
उसका (यीशु) के चररत्र में पाप के धब्बे र्नहीीं र्े। मर्नुष्य का पुत्र होर्ने के र्नाते वह वपता से प्रार्कर्ना करता
र्ा, यह ददखाता है फक मर्नुष्य को सींपूणक आलौफकक शस्क्टत की ज़रूरत है स्जसे वह पा सकता है ताफक वह
अपर्ने कतकव्य और पररक्षाओीं के सलए तैयार हो सके। जीवर्न का राजकुमार होर्ने के र्नाते परमेश्वर के सार्
उसका ताकत र्ा और वह लोगों के सलए प्रबल रहा। इस उध्दारकर्त्ाक र्नें, स्जसर्ने उर्नके सलए भी प्रार्कर्ना फकया
स्जन्होंर्ने इसकी आवश्यकता महसस
ू र्नहीीं फकया, और उर्नके सलए रोया स्जन्होंर्ने आँसू की ज़रूरत महसस
ू र्नहीीं
फकया, और अब वह ससींहासर्न के समक्ष है , अपर्ने वपता के समक्ष उर्नकी यागचका और प्रार्कर्नाओीं को ग्रहण
और अपकण करर्ने सलए स्जर्नके सलए उसर्ने जगत में प्रार्कर्ना फकया र्ा। ख्रीटत का उदाहरण हमारे अर्नुकरण
क्राइटट ऑब्जेक्टट लेसन्स, पृ. 354. “वह जो र्ोडी जार्नकारी के सार् शुरूआत करता है , दीर्नता के सार्,
और वह बताता है जो वह जार्नता है , और इस दौरार्न वह अगधक जार्नकारी की खोज इमार्नदारी से करता है ,
टवगीय खजार्ने को पाएगा जो उसका इींतज़ार कर रही है । स्जतर्ना ज्यादा वह रोशर्नी को बाँटेगा, वह उतर्ना
ही ज्यादा रोशर्नी पाएगा। दस
ू रों के सलए प्रेम के सार्, स्जतर्ना अगधक वह परमेश्वर के वचर्न को दस
ू रों को
समझार्ने की कोसशश करे गा, वह उसके सलए उतर्ना ही सरल होता जाएगा।”
समनर्नटरी ऑफ हीसलींग, पृ. 148, 149. “कलीससया के प्रत्येक सदटय को परमेश्वर का कुछ र्न कुछ सेवा
ज़रूर करर्ना चादहए। कुछ लोग दस
ू रों के स्जतर्ना र्नहीीं कर सकते हैं, परीं तु सभी को अपर्ने पूरे क्षमता से रोग
और पीडा के बाढ़ जो हमारे जगत में फैल रहा है रोकर्ने में मदद करर्ना चादहए। बहुत सारे लोग काम करर्ने
के इच्छुक होंगे यदद उन्हें शुरूआत करर्ना ससखाया जाए। उन्हें नर्नदे श और प्रोत्साहर्न दे र्ने की ज़रूत है ।
प्रत्येक कलीससया को मसीही कायककताकओीं के सलए प्रसशक्षण का कें्र होर्ना चादहए। उसके सदटयों को
बाइबल अध्ययर्न दे र्ना, सब्बत टकूल कक्षाएँ लेर्ना, गरीबों को मदद करर्ना और रोगगयों का ख्याल रखर्ना,
और अपररवनतकतों के सलए काम करर्ना ससखाया जार्ना चादहए। टवाट्य, पाक कला, और मसीही मदद कायक
के ववसभन्र्न शाखाओीं के सलए ववद्यालय होर्ने चादहए। यहाँ ससफक ससखाया जार्ना ही र्नहीीं बस्ल्क अर्नुभवी
प्रसशक्षकों के अधीर्न असल काम भी होर्ने चादहए। लोगों और दस
ू रों के बीच काम करते वक्टत सशक्षकों को
अगव
ु ाई करर्ने दें , उर्नके सार् होकर, वे उर्नके उदाहरणों से सीखेंगे। एक उदाहरण कई उपदे शों से बेहतर है ।”
इवें जसलज़्म, पृ. 109. “एक कमकचारी जो इस काम के सलए प्रसशक्षक्षत और सशक्षक्षत है , जो ख्रीटत के आत्मा
से नर्नयींत्रत्रत हैं, वह ज्ञार्न और ववश्वास के त्रबर्ना काम में नर्नकले दस कमकचाररयों से अगधक हाससल करे गा।
वह जो परमेश्वर की सलाह के सार्, और लोगों के सार् समलकर काम करता है , अच्छा करर्ने में दस लोगों
के मुकाबले ज्यादा सक्षम रहे गा, जो परमेश्वर पर अपर्नी नर्नभकरता और काम के मूल योजर्ना के अर्नुरूप
इवें जसलज़्म, पृ. 115. “हमारे कलीससया में सेवा के सलए झण्ु ड बर्नाए जाएँ। प्रभु के काम में कोई भी आलसी
र्न हो। सभी को मर्नुष्यों को पकडर्ने वाले मुछुए के काम में एक होर्ने दें । उन्हें लोगों को जगत की भ्रष्टता से
नर्नकाल कर ख्रीटत के बचार्ने वाले प्रेम की शुध्दता में लार्ने दें ।
मसीही कोसशश के रूप में छोटे झुण्डों की टर्ापर्ना एक योजर्ना है स्जसे मेरे सामर्ने उसर्ने जो कभी गलत
र्नहीीं कर सकता है , प्रटतत
ु फकया है । यदद कलीससया में बडी सींख्या है तो सदटयों के छोटे झण्
ु डों बर्नाएँ, की
वे र्न ससफक कलीससया के सदटयों के काम करें बस्ल्क अववश्वाससयों के सलए भी काम करे । ”
बाइबल पर आधाररत
समनर्नटरी ऑफ हीसलींग, पृ. 143. “ससफक मसीह का ही तरीका लोगों तक पहुँचर्ने में सच्ची सफलता दे गा।
मसीह लोगों से उर्नके दहतैषी के रूप में समला। उसर्ने उर्नके सलए अपर्ना दया ददखाया, उर्नके ज़रूरतों को परू ा
फकया, और उर्नका ववश्वास जीत सलया। तब उसर्ने उर्नसे कहा, ‘मेरे पीछे आओ।’”
काउन्सेल्स ऑर्न हे ल्र्, पृ. 497. “गचफकत्सीय समशर्नरी कायक सुसमाचार कायक का शुरूआती कायक, यह वह
द्वार है स्जसके द्वारा इस घडी का सत्य बहुत सारे घरों में प्रवेश पा सकता है । परमेश्वर के लोगों को सच्चे
गचफकत्सीय समशर्नररयाँ बर्नर्ना चादहए, क्टयोंफक उन्हें आत्मा और शरीर, दोर्नों के ज़रूरतों को पूरा करर्ना
सीखर्ना है । अभ्यास कायक के द्वारा हाससल फकये गए ज्ञार्न और अर्नुभाव के सार् हमारे कायककर्त्ाकओीं को
रोगगयों को उपचार दे ते वक्टत सबसे शुध्द नर्नटवार्कता ददखार्ना चादहए। जैसे वे एक घर से दस
ू रे घर जाएँगे वे
बहुत सारे हृदयों को छू सकेंगे। बहुत सारे ऐसे लोगों तक भी पहुँचा जा सकेगा जो अन्यर्ा कभी सस
ु माचार
र्नहीीं सुर्न पाते। टवाट्य सुधार के नर्नयमों को दशाकर्ने से हमारे सुसमाचारवादी कायक के प्रनत पुवध
क ारणाओीं को
हटाया जा सकता है । वह महार्न गचफकत्सक, गचफकत्सीय समशर्नरी कायक का उदगमकताक, उर्न सभी को आशीष
दे गा जो इस घडी की सच्चाईयों को बाँटर्ने की कोसशश करें गे। ”
इवें जसलज़म, पृ. 168. “परमेश्वर द्वार ठहराए गए लोग सबसे अगधक अचींसभत करर्ने वाले सींदेश दें गे, लोगों
को चेतावर्नी दे र्ने वाले सींदेश, उन्हें जगार्ने वाले सींदेश...हमारे पास भी होर्ने चादहए, हमारे शहरों में ,
असभवषक्टत सुसमाचार वाहक, स्जर्नके द्वारा एक सींदेश इतर्नी नर्नस्श्चता से ददया जार्ना चादहए फक सुर्नर्ने वाले
अचींसभत रह जाएँ।”
इवें जसलज़म, पृ. 119. “सुसमाचार प्रचारक के बातों को सुर्नर्ने के सलए हमें बडी सभाओीं को इक्टकठा करर्ने की
कोसशश करर्नी चादहए। और जो कोई परमेश्वर के वचर्न का प्रचार करते हैं उन्हें सत्य ही बतार्ना चादहए।
उन्हें अपर्ने श्रोताओीं को, जैसे ससर्नाई पवकत के पास हों, भयार्नक मदहमा के बीच परमेश्वर द्वारा कहे गए
वचर्नों को सुर्नर्ने के सलए इक्टकठा करर्ना चादहए।”
इवें जसलज़म, पृ. 351. “वे यह महसूस र्नहीीं करते हैं फक र्नए पररवनतकत ववश्वाससयों को पोषण की ज़रूरत है ,--
ध्यार्न, मदद, और प्रोत्साहर्न। उन्हें अकेला र्नहीीं छोडर्ना चादहए, क्टयोंफक वे शैतार्न के सबसे शस्क्टतशाली
यह अनर्नवायक है फक हम यह समझें की सुसमाचारवाद एक चक्र है एकाींगी र्न की कायकक्रम। पके अर्नाजों से भरे
खसलहार्न खेतों में कडी मेहर्नत करर्ने और पररपक्टव होर्ने तक पौधों की सावधार्नीपूवक
क ख्याल रखर्ने के बाद आते
हैं। और खसलहार्न काम का अींत र्नहीीं है , क्टयोंफक उस फ़सल से र्नए बीच आते हैं स्जन्हें अगले फ़सल के सलए
रोपा जाता है । इससलए कटर्नी मात्र एक कायकक्रम र्नहीीं है , परीं तु एक चक्र का दहटसा है ।
फ़सल के चक्र का सस
ु माचारवादी चक्र से तल
ु र्ना
सुसमाचारवाद का कैलें डर
सुसमाचारवादी चक्र की सफ़लता के सलए ठोस योजर्ना और प्रत्येक चरण के बीच गहरे सींबींध की ज़रूरत होती
है । सबसे अगधक प्रभावशाली होर्ने की सलए, प्रत्येक चरण और पूरे चक्र के सलए खास लक्ष्य होर्ने चादहए। र्नापर्ने
योग्य पररणामों के लक्ष्य अद्भुत रूप से प्रेरणादायी होते हैं।
चरण 2: जमीन तै यार करें फरवरी (जुलाई) यीशु पर उपदे शों की श्रींख
ृ ला, गवाही और प्रार्कर्ना लोगों तक पहुँचर्ने के सलए योजर्नाएँ (एमएच
143)
चरण 3: बीज रोपे फरवरी - मई दरवाजे-से-दरवाजा, कॉल्पोटक र (पुसक्टतों को घूम कर बेचर्ने सभी को यीशु के पास आर्ने का नर्नमींत्रण दें
(जुलाई- अगटत) वाला) रे डडयो ववज्ञापर्न, टीवी, पाक कला की कक्षाएँ, टवाट्य
की बातें
चरण 4: उगाएाँ और कटाई मई (ससतींबर) छोटे सेसमर्नार (जैसे भववष्यवाणी, सेसमर्नारें , मींददर, 2रा उर्नकी खोज करें स्जन्हें वतकमार्न की सच्चाई में
आगमर्न, पररवार, हे ल्र् एक्टसपो, पुरातत्व) ददलचटपी है
चरण 6: सुरक्षित रखना जुलाई (र्नवींबर) बाइबल माफकिंग कक्षा प्रारीं सभक सशक्षा
बाइबल के ससध्दाींत
सुसमाचारों का अध्ययर्न
बहुत सारे लोग “फ़सल के तैयार” होर्ने में वक्टत लगाते हैं। हम उस वक्टत को याद कर सकते हैं जब फकसी को
धैयप
क ूवक
क बीज बोर्ना पडा र्ा और आस्त्मक रूप से हमारे “अींकुररत” होर्ने का इींतज़ार करर्ना पडा र्ा।
सस
ु माचारवाद को कभी र्नहीीं रुकर्ने दे र्ने का एक कारण यह भी है - फकसी भी सस
ु माचारवादी कोसशश के अींत में
बहुत सारे ऐसे लोगों र्ने अब तक फ़ैसला र्नहीीं सलया है जो ले सकते र्े। परीं तु ऐसी बहुत सी “नर्नराशाएँ” तैयार
हो सकतीीं हैं यदद उन्हें मुरझार्ने और मरर्ने के सलए छोड र्न ददया जाए। (पढ़ें सभोपदे शक 11 1-6) हमें तब तक
आमींत्रत्रत करते रहर्ना चादहए जब तक की भोज गह
ृ भर र्न जाए (दे खें मर्त्ी 22 1-14)।
1 सेलेक्टटे ड मेसेजेस, पृ. 121. “हमारे बीच सच्ची पववत्रता की जागरण हमारे सारे ज़रूरतों में सबसे बडी और
तत्काल ज़रूरत है ।...पाप टवीकार, ववर्नीतता, पश्चाताप, और जोशीले प्रार्कर्ना के ज़ररये हमारा काम ही है फक हम
उर्न शतों को पूरा करें स्जर्नपर परमेश्वर र्ने आशीष दे र्ने का वादा फकया है । जागरण की अपेक्षा ससफक प्रार्कर्ना के
जवाब के रूप में फकया जा सकता है ।”
अली राईटीींग्स, पृ. 115. “माँगें, ववश्वास करें , और ग्रहण करें । परमेश्वर का बहुत अगधक मज़ाक उडाया जा रहा
है , अत्यगधक प्रार्कर्ना फकया जा रहा है जो असल में प्रार्कर्ना है ही र्नहीीं और यह टवगकदत
ू ों को र्का दे रहा है और
परमेश्वर को दुःु खी कर रहा है , अत्यगधक त्रबर्ना अर्क की प्रार्कर्नाएँ। पहले हमें ज़रूरत महसूस होर्ना चादहए, और
तब उन्हीीं चीज़ों को परमेश्वर से माँगर्ना चादहए स्जर्नकी हमें ज़रूरत है , माँगते समय भी यह ववश्वास करें फक
वह हमें दे ता है ; और तब हमारा ववश्वास बढ़े गा, हम सभी सन्मागक में लाए जाएँगे, बलहीर्न शस्क्टतशाली बर्नेंगे,
डीज़ायर ऑफ़ एजेस, पृ. 142. “परमेश्वर हमारे मदद के त्रबर्ना ही पावपयों को बचार्ने का उसके लक्ष्य को पूरा
कर सकता र्ा; परीं तु यीशु के समार्न अपर्ना चररत्र बर्नार्ने के सलए हमें उसके काम को अपर्नार्ना होगा। उसके
आर्नींद में शासमल होर्ने के सलए,-- उसके बसलदार्न के द्वारा बचाए गए लोगों को दे खर्ने का आर्नीं द,--हमें उर्नके
उध्दार के सलए उसके काम में मदद करर्ना होगा।”
6 टे टटीमर्नीज़, पृ. 90. “पववत्र आत्मा उर्न सब पर उतरे गा जो अपर्ने पडोससयों को जीवर्न की रोटी दे र्ने का भीख
माँग रहे हैं।”
दस
ू रों के ललए प्रार्यना करने के ललए 5 कारण
1. हम अपर्ने जीवर्न और मण्डली में पाप और यीशु की ज़रूरत को दे ख सकते हैं (भजर्नसींदहता 51 10-13;
यहोशु 7 5-11)।
2. प्रार्कर्ना उर्न चीजों को दे खे का इच्छा बढ़ाती है स्जसके सलए हम प्रार्कर्ना करते हैं ( उत्पवर्त् 32 24-261; 1
राजाओीं 18 41-46)।
पैरीयाक्टसक एींड प्रोफे्स, पृ. 203. “याकूब इससलए प्रबल हुआ क्टयोंफक वह हार र्न मार्नर्ने वाला और दृढ़ र्ा।
उसका अर्नभ
ु व आग्रही प्रार्कर्ना के शस्क्टत की गवाही दे ता है । हमें अभी नर्नरीं तर प्रार्कर्ना के इस पाठ से सीख लेर्ना
है , दृढ़ ववश्वास के सार्।”
प्रेयर, पृ. 139. “एसलया के अर्नुभव के द्वारा हमें महत्वपूणक सीख समलते हैं।... यदद छठवीीं बार में वह नर्नराश
हो कर हार मार्न गया होता, तो उसके प्रार्कर्ना का जवाब उसे र्नहीीं समलता, परीं तु उसर्ने जवाब समलर्ने तक
नर्नरीं तर प्रार्कर्ना फकया। हमारा एक परमेश्वर है स्जसके कार्न हमारे प्रार्कर्नाओीं के सलए बींद र्नहीीं है ; और यदद हम
उसके वचर्न को सात्रबत कर दें गे, तो वह हमारे ववश्वास का मार्न रखेगा। वह चाहता है फक हमारी इच्छाएँ उसकी
इच्छाओीं से मेल खाए, और तब वह हमें सरु क्षक्षत रूप से आशीष दे पाएगा; क्टयोंफक तब हम मदहमा को खद
ु में
र्नहीीं लेगें जब हमें आशीष ददया जाएगा, परीं तु हम परमेश्वर की मदहमा करें गे।”
लेटर 201, 1899. “इसमें हम यह दे खते हैं फक टवगीय प्रनतनर्नगधयों को रूकावट के सार् सींतोष करर्ना पडता है
जब तक की परमेश्वर का मकसद उसके समय में परू ा र्न हो जाए। फारस के राजा को दष्ु ट दत
ू ों में सबसे दष्ु ट
द्वारा नर्नयींत्रत्रट फकया जा रहा र्ा। उसर्ने फफरौर्न के तरह ही परमेश्वर के वचर्न को मार्नर्ने से इींकार फकया।
स्जब्राएल र्ने बताया, उसर्ने मुझे इक्टकीस ददर्नों तक अपर्ने प्रनतनर्नगधयों के द्वारा यहूददयों के खखलाफ मेझे रोके
रखा। परीं तु माइकल उसके मदद में आया, और तब वह फारस के राजाओीं के सार् रहा, ताकत नर्नयींत्रत्रत रखा,
बुरे सुझाव के खखलाफ सही सझ
ु ाव ददया। अच्छे और दष्ु ट टवगकदत
ू परमेश्वर के जगतीय राज्य की योजर्ना में
दहटसा ले रहे हैं। यह परमेश्वर का मकसद है फक उसका काम सही तरीके से आगे बढ़ रहा है , ऐसे तरीकों से
ग्रेट कन्रोवसी, पृ. 525. “ववश्वास से फकये गए हमारे प्रार्कर्नाओीं का जवाब दे र्ना परमेश्वर की योजर्ना का दहटसा
है , जो हमें र्नहीीं ददया जाता यदद हमर्ने र्नहीीं माँगा होता।”
6 टे टटीमर्नीज़, पृ. 80. “परमेश्वर से उर्न गढ़ों में , जहाँ शैतार्न में अपर्ना ससींहासर्न खडा फकया है , प्रवेश पार्ने के
सलए राटता खोलर्ने को कहर्ने के सलए हमें प्रार्कर्ना सभाएँ आयोस्जत करर्नी होंगी, और उर्न लोगों के राटते से
उसकी परछाई को हटार्ने के सलए स्जन्हें वह ठगर्ना और र्नाश करर्ना चाहता है । ”
ददस डे ववद गॉड, पृ. 171. “ववश्वास को जोशीला प्रार्कर्ना हर तरफ उठे , गलनतयों के कचरे में दबे मर्नों को अभी
मुझे दो, वरर्ना मैं मर जाउँ गा! उन्हें सत्य के ज्ञार्न के पास ले आओीं जो यीशु में है ।”
ऑपरे शन अक्रियास
यह
ु न्र्ना 1 40-42 “अस्न््र यास....पहले अपर्ने सगे भाई शमौर्न से समलकर... वह उसे यीशु के पास ले आया।”
टटे प्स टू क्राईटट, पृ. 115. “अपर्ने प्रत्येक बच्चे के सार्, यीशु जगत को एक पत्र भेजता है । यदद आप मसीह
के अर्नुयायी हैं, तो वह आप में आपके पररवार, गाँव, मुहल्ला जहाँ आप रहते हैं, के सलए एक पत्र भेजता है ।
आपमें रहते हुए, यीशु उर्न सभी के हृदयों से बात करर्ना चाहता है जो उसे र्नहीीं जार्नते हैं। शायद वे बाइबल
र्नहीीं पढ़ते हैं, या उस आवाज़ को सुर्न र्नहीीं पाते जो उर्नसे उसके पन्र्नों में बाते करते हैं; वे परमेश्वर के प्रेम को
उसके कामों के ज़ररये र्नहीीं दे खते हैं। परीं तु यदद आप यीशु के सच्चे प्रनतनर्नगध हैं, हो सकता है फक आपके द्वारा
वे उसी अच्छाई को समझ पाएँ और उससे प्रेम करर्ने और उसकी सेवा करर्ने के सलए वे जीत सलए जाएँ। ”
परमेश्वर र्ने हमें अलग अलग टर्ार्नों में , पररवारों में , और कामों में रखा है ताफक हम अपर्ने आस पास के लोगों
से यीशु को बाँट सके। दस
ू रों के सलए करर्ने के सलए सबसे अच्छी चीजों में एक है उर्नके सलए जोश से प्रार्कर्ना
करर्ना। 5-10 ऐसे लोगों को चुर्नें स्जर्नसे आप नर्नयसमत रूप से समलते हैं (पररवार, दोटत, पडोसी, सहकमी) और
3 महीर्नों के सलए प्रनतददर्न उर्नके सलए प्रार्कर्ना करर्ने की ठार्न लें । परमेश्वर अद्भुत काम करे गा! ऐसे मौकों की
खोज करें जब आप अर्ूकणक तरीके से यीशु को उर्नसे बाँटेंगे।
1 टे टटीमर्नीज़, पृ. 33. “मैंर्ने ठार्न सलया फक मैं तब तक कोसशश करर्ना छोडूँगी जब तक की ये मुल्यवार्न हृदयें,
स्जर्न पर मुझे बहुत ददलचटपी र्ी, परमेश्वर को समवपकत र्न हो जाए। कई रातें मैंर्ने इर्नके सलए प्रार्कर्ना करर्ने में
त्रबताया स्जन्हें मैंर्ने ढूढा और लाया र्ा ताफक मैं इर्नके सार् काम और प्रार्कर्ना करूँ। कुछ लोग हम से इससलए
समले क्टयोंफक वे मेरी बातों को सुर्नर्ने को उत्सुक र्े; मेरे अलावा भी दस
ू रों र्नें सोचा फक मेरी कोसशशे बहुत
नर्नरीं तर है , खास कर तब जा उन्होंर्ने अपर्ने तरफ से कोई कोसशश र्नहीीं की। परीं तु हमारे सभी मल
ु ाकातों में मैंर्ने
व्यवटर्ावववरण 5:29 “भला होता फक उर्नका मर्न सदै व ऐसा ही बर्ना रहे , फक वे मेरे भय मार्नते हुए मेरी सब
आज्ञाओीं पर चलते रहें , स्जससे उर्नकी और उर्नके और उर्नके वींश की सदै व भलाई होती रहे !”
र्नीनतवचर्न 23:26 “हे मेरे पुत्र, उपर्ना मर्न मेरी ओर लगा और तेरी दृस्ष्ट मेरे चालचालर्न पर लगी रहे ।”
ररव्यु एींड हे रल्ड, फरवरी 28, 1882. “जगत की सारी आशीषें मर्न के ज़रूरत को पूरा करर्ने में अक्षम है । एक
ऐसी अर्नजार्न चीज की ज़रूरत रहती है जो उर्नके पास र्नहीीं है , ऐसी शाींनत, और आराम जो इस जगत का र्नहीीं
है ...ससफक मसीह ही उस ररक्टतता को भर सकता है । ”
परमेश्वर सलए मर्न में एक आस्त्मक ज़रूरत होती है , बेरूखी और ववव्दे ष के परत के र्नीचे भी।
डडज़ायर ऑफ एजेस, पृ. 151. “यीशु र्ने प्रत्येक के मर्न में ऐसे जर्न को दे खा स्जसे उसके राज्य में बुलाया जार्ना
चादहए। उसर्ने उर्नके ददलों को उर्नके बीच जाकर छूआ।”
साईंस ऑफ द टाईम्स, पृ. अक्टटूबर 21, 1897. “वह हमारे उध्दारकर्त्ाक का कोमलता, सशष्ट व्यवहार र्ा, स्जसर्ने
उन्हें ददलों का ववजेता बर्नाया।”
काउन्सेल्स ऑ सब्बत टकूल वकक, पृ. 73. “सारे सच्चे सशक्षाओीं में व्यस्क्टतगत अींश होर्ना ज़रूरी है । मसीह अपर्ने
सशक्षाओीं में लोगों से व्यस्क्टतगत रूप से समला (जैसे नर्नकुददमुस और साईकर के कुएँ के पास वह मदहला)... यहाँ
तक की लोगों का भीड जो हमेशा उसके पैरों के पास होता, मसीह के सलए वह भीड मात्र र्नहीीं र्आ। वह सीधे
तौर पर प्रत्येक के मर्न और हृदय से बात करता र्ा। ”
र्ॉ्स फ़्राम द माउन्ट ऑफ ब्लैससींग, पृ. 129. “हमारा उध्दारकर्त्ाक एक भी मर्न को छोड कर चले र्नहीीं गया, जो
टवगक के अर्नमोल सत्य को पार्ने का इच्छुक र्ा, भले ही वह फकतर्ना भी पापी क्टयों र्न हो। मररयम मगदसलर्नी,
स्जसपर से उसर्ने सात दष्ु ट आत्माएँ नर्नकाली, यीशु के कब्र से जार्ने वाली आखखरी और वह पहली र्ी स्जससे
पुर्नरूकर्ार्न के बाद समला। वह साउल र्ा, सुसमाचार का सबसे बडा दश्ु मर्न, जो पौलुस बर्न कर यीशु का ववश्वासी
समनर्नटरी ऑफ हीसलींग, पृ. 143. “ससफक मसीह का ही तरीका लोगों तक पहुँचर्ने में सच्ची सफलता दे गा। मसीह
लोगों से उर्नके दहतैषी के रूप में समला। उसर्ने उर्नके सलए अपर्ना दया ददखाया, उर्नके ज़रूरतों को पूरा फकया,
और उर्नका ववश्वास जीत सलया। तब उसर्ने उर्नसे कहा, ‘मेरे पीछे आओ।’”
सफलता का मूमींत्र
एक बार ववश्वास जीतर्ने के बाद व्यस्क्टत को यीशु के पीछे चलर्ने का न्योता दें !
यीशु की इच्छा मर्नुष्य के व्यवहार में केवल ऊपरी बदलाव लार्ना र्नहीीं र्ा- वह हृदयों को बदलर्ना चाहता र्ा।
क्राईट्स ऑब्जेक्टट लेसन्स, पृ. 97. “जैसे की खींमीर मैदे के सार् समलर्ने पर भीतर से अींदर की ओर काम
करता है , वैसे ही हृदय के र्नवीर्नीकरण के द्वारा परमेश्वर का अर्नुग्रह जीवर्न को बदलता है । केवल ऊपरी
बदलाव से हम परमेश्वर के सार् र्नहीीं हो सकते हैं। बहुत से लोग अपर्ने बुरे आदतों को छोड कर सुधार लार्ने
की कोसशश करते हैं, और वे सोचते हैं फक मसीही बर्नर्ने का यही तरका है , परीं तु वे गलत टर्ार्न पर शुरूआता
कर रहे हैं। हमारा पहला कायक हृदय में है ।”
एजूकेशर्न, पृ. 41. “कच्चे और अग्रहणशील मर्न को नर्नदे शों को पालर्न करर्ने के सलए दबाव में डालर्ना करर्ने
सच्ची सशक्षा र्नहीीं है । मार्नससक ताकत को पहले जगार्ना होगा, उत्सुकता जगार्ना होगा। इसे सलए, ससखार्ने का
परमेश्वर का तरीका है ।”
गहरे ज़रूरत
1. पहले परमेश्वर की ज़रूरत का अहसास होगा तब परमेश्वर और आस्त्मक चीजों के सलए इच्छा उत्पन्र्न
होगा।
साइींस ऑफ़ द टाईम्स, अगटत 1, 1895 पारा. 13. “इससे पहले की उस धर्न को पार्ने की तीव्र इच्छा हो
जो यीशु में है , जो उर्न सभी के सलए है जो अपर्नी गरीबी को पहचार्नते हैं, ज़रूरत को अहसास होर्ना ज़रूरी
है ।”
2. बहुत सारे लोग एक ज़रूरत महसूस करते हैं परीं तु वे र्नहीीं जार्नते हैं फक यह परमेश्वर की ज़रूरत है ।
ररव्यु एींड हे रल्ड, फरवरी 28, 1882. “मार्नव जाती का अगधकाींश भीड इस जीवर्न के चीजों में व्यटत है ,
और पववत्र सत्य उर्नके हृदयों में जगह र्नहीीं बर्ना रहा है । फफर भी जगत की सारी आशीषें उर्नके मर्नों की
1. प्रार्यना- करें फक आपकों सतह के अींदर दे खर्ने की बुस्ध्द समले और प्रार्कर्ना करें की परमेश्वर उर्नके जीवर्न में
भी काम करे जो उसे र्नहीीं जार्नते हैं।
2. परमेश्वर के सार् काम करें - लोगों की आस्त्मक असभरुगच को जगार्ने के सलए परमेश्वर जो करता है उसके
अर्नुरूप काम करें ।
1 माईन्ड कैरे क्टटर एींड पसकर्नासलटी, पृ. 347. “पररमेश्वर अपर्ने लोगों की अगव
ु ाई हर कदम पर करता है । वह
उन्हें ऐसी पररस्टर्नतयों में डालता है जहाँ उर्नके हृदयों की मींशा सामर्ने आती है । ”
क) परमेश्वर अकसर मुसीबत आर्ने दे ता है ताफक हृदय खुल सके
क) सब कुछ खोर्ना- जब लोग कुछ बहुमुल्य खोते हैं तो वे परमेश्वर की ओर मुडते हैं
ख) सब कुछ पार्ना- जब लोग सब कुछ पाते हैं तब भी पूछते हैं “क्टया कुछ और भी है ”
साइन्स ऑफ़ द टाईम्स, अगटत 1, 1895 पारा, 13. “जब हमारा हृदय टवावलम्बी हो जाता है , और जगत
के सतही चीजों में ध्यार्नमग्र्न हो जाता है , यीशु फटकार लगाता है और अर्नश
ु ाससत करता है ताफक लोग
अपर्ने असली पररस्टर्नत को जार्नें।”
ररव्यु एींड हे रल्ड, अगटत 3, 1905. “बहुत सारे लोग अर्नींत सच्चाईयों भूल गए हैं, परमेश्वर रूप को भूल
गए हैं, और उन्हें शायद ही पता होगा फक उर्नकी आत्माओीं को बचाया जार्ना है भी या र्नहीीं। उन्हें र्न तो
परमेश्वर पर ववश्वास है र्न मर्नुष्य पर भरोसा है । जब वे दे खते हैं फक उर्नके दुःु खी घर में जगत की मदहमा
की लालाच के त्रबर्ना कोई आता है , त्रबमारों की सेवा करता है, भूखों को भोजर्न खखलाता है , र्नींगों को कपडे
पहर्नाता है , और कोमलता से उसकी ओर इशारा करता है स्जसके प्रेम और दया का वह कायककर्त्ाक
सींदेशवाहाक है —जैसे ही वे यह दे खते हैं, उर्नके हृदय छू सलये जाते हैं। कृतज्ञता उभर कर सामर्ने आता है ।
ववश्वास जाग उठता है । वे दे खते हैं फक परमेश्वर उर्नका ख्याल रखता है , और जैसे ही परमेश्वर का वचर्न
उर्नके सामर्ने खुलता है वे उसे सुर्नर्ने के सलए तैयार हो जाते हैं।
परमेश्वर के बच्चे जैसे ही खुद को उसके कायक में समवपकत कर दे ते हैं, बहुत सारे लोग उस हार् को र्ाम
लें गें जो उर्नको बचार्ने के सलए बढ़ा हुआ है । बचाए गए लोगों में से ही कुछ लोग, ख्रीटत पर ववश्वास के
द्वारा, सेवा के ऊँचे पदों पर उठाए जाएँगे, और उन्हें लोगों को बचार्ने के काम की स्जम्मेदारी समलेगी। वे
अर्नुभव से उर्न लोगों की ज़रूरतों को जार्नते हैं स्जर्नके सलए वे काम करते हैं; वे जार्नते हैं फक फकर्न चीजों के
इटतेमाल से र्नाश होते लोगों को बचाया जा सकेगा; और वे जार्नते हैं फक उन्हें कैसे मदद करर्ना है । जो
आशीष उन्होंर्ने प्राप्त फकये उसके सलए वे परमेश्वर के प्रनत कृतज्ञता से भर जाते हैं; उर्नके हृदय प्रेम से
सजीव हो जाते हैं, और उर्नकी ऊजाक दस
ू रों को उठार्ने के सलए बढ़ जाती है जो त्रबर्ना मदद के उठ र्नहीीं सकते
हैं।”
इवें जसलज़म, पृ. 517.1,2 “जगत में पाप का दवा होर्ना चादहए। पीडाओीं से राहत दे र्ने और जीवर्न बचार्ने का
काम जैसे जैसे गचफकत्सीय समशर्नरी बुस्ध्दमार्नी से करता है , उर्नके हृदय र्नमक हो जाते हैं। स्जर्नकी मदद की
जाती है उर्नके मर्न कृतज्ञता से भर जाते हैं।
इवें जसलज़म, पृ 434. “ज्योनत, परमेश्वर के वचर्न से आर्ने वाले रोशर्नी,-- लोगों को इसकी ज़रूरत है । यदद
वचर्न के सशक्षक इच्छुक हैं, तो परमेश्वर उन्हें लोगों से सींबध
ीं मजबूत बर्नार्ने में अगुवाई करे गा। वह उन्हें
उर्न घरों में ले जाएगा स्जन्हें सत्य की ज़रूरत है और इसे जार्नर्ना चाहते हैं; और जैसे जैसे परमेश्वर के
सेवक खोए हुए भेडों को ढूँढर्ने के काम में लग जाते हैं, उर्नकी आस्त्मक इच्छाएँ जाग जातीीं हैं और ऊजाकवार्न
हो जातीीं हैं। यह जार्नकर की परमेश्वर उर्नके सार् है , खुश और आर्नींददत होते हैं। उर्नकी मार्नससक और
र्नेनतक ताकत ववकास के सबसे ऊँचे पायदार्न पर पहुँचते हैं; क्टयोंफक अर्नुग्रह माँगर्ने पर ददया जाता है ।”
3. आक्त्मक बातों की ओर वातायलाप को मोड़ना- लोगों की बातों को सींबींगधत आस्त्मक ववषय से जोडर्ने के राटते
ढूँढें, आप जो भी कहते हैं उसमें आस्त्मक बातों को वपरोएँ, खास कर उर्न ववषयों को जो परमेश्वर की हमारी
ज़रूरत से सींबींगधत है ।
इवें जसलज़म, पृ 434. “यीशु मर्नों में उर्नके सबसे पररगचत सींबींधों के राटते से पहँचता र्ा। वह उर्नके ववचारों
के अभ्यटत धाराओीं को, ववषम गनतववगधयों या नर्नधाकररत नर्नयमों से, स्जतर्ना कम हो सके उतर्ना कम छे डता
र्ा। वह मर्नुष्य को अपर्ने भरोसे से र्नवाजता र्ा, और तरह से उसे अपर्ने मार्न में रखता र्ा। वह पुरार्ने
सत्यों का पररचय र्नए और बहुमल्
ु य रोशर्नी में दे ता र्ा।”
इवें जसलज़म, पृ. 436. “आपकी सफलता आपके ज्ञार्न और उप्लस्ब्धयों पर अगधक नर्नभकर र्नहीीं रहे गा, बस्ल्क
हृदय तक जगह बर्नार्ने की आपकी क्षमता पर नर्नभकर रहे गा।”
हर एक काई फकसी र्न फकसी को प्रभाववत करता ही है । इसमें शासमल है पररवार, दोटत, पडोसी, सहकमी, और
पररगचत। परमेश्वर र्ने इर्न सींबींधों को फकसी मकसद से ही बर्नाया है - ताफक हम जीतर्ने वाले प्रभाव बर्नें। यहाँ
उन्हें बाइबल अध्ययर्न के द्वारा ख्रीटत के पास लार्ने के सलए एक सरल तरीका है । इर्न छोटे वाताक लापों में से
फकसी भी एक को याद कर लें और अपर्ने पररस्टर्नत के अर्नुरूप ढाल लें । टवाट्य आउटरीच कायकक्रमों में ये
खास कर मददगार सात्रबत हो सकते हैं, जैसे टवाट्य एक्टसपो।
1. “मैंर्ने कुछ रोचक बाइबल अध्ययर्न की पुस्टतकाओीं को को पाया है , हो सकता है आपको इसमें रूगच हो। वे
बाइबल की भववष्यवाणी और अन्य रोचक ववषयों के बारे है । मैं खुद ये करर्ना चाहता र्ा, परीं तु उम्मीद र्ा
की मैं इसे फकसी और के सार् भी बाँटूँ। यदद आपको ये रोचक लगे तो मैं आपको इर्नमें से कुछ दे सकती
हूँ” (यदद आपके पास उस वक्टत से पुटतकें हों तो आप उन्हें ददखा सकते हैं। सप्ताह में एक बार सार् में
अध्ययर्न करर्ने के सलए समय तय करें ।)
2. “मैं बाइबल को बेहतर तरीके से जार्नर्ने के सलए बाइबल अध्ययर्न ले रहीीं हूँ। मैंर्ने इससलए अध्ययर्न लेर्ना शुरू
फकया क्टयोंफक मैं बाइबल की व्यस्क्टतगत समझ को बढ़र्ना चाहता र्ा और मैं अब बहुत कुछ सीख रही हूँ
और मेरे इससे आर्नींद भी समल रहा है । ये रीं गी, जार्नकाररयों से पूण,क और प्रेरणादायी हैं। वे ऐसे ववषयों के
बारे हैं जो अगधकाींश लोगों को रोचक लगता है - यदद परमेश्वर अच्छा है तो जगत इतर्ना बुरा क्टयों है । हमारे
समय के बारे बाइबल क्टया कहती है , और बहुत सारी बातें । क्टया आपको लगता है आप इसमें मेरी मदद कर
सकते हैं?” (अध्ययर्न की पुटतकें ददखाएँ)।
ृ ला शुरू होर्ने को है तो आप इस तरह कह सकते हैं “मैंर्ने कुछ
3. यदद कोई सुसमाचारवादी सभाओीं की श्रींख
समय पहले बाइबल की भववष्यवाखणयों और वतकमार्न में इसका क्टया अर्क है पर होर्ने वाले सेसमर्नार के बारे
सुर्ना र्ा जो जल्द ही इस शहर में आर्ने वाला है । इर्न सभाओीं से पहले लोग बाइबल अध्ययर्न के कुछ
पुस्टतकाओीं पढ़ रहे हैं। से अध्ययर्न मुझे बाइबल को बेहतर तरीके से समझर्ने में मदद करें गे और सभा के
सलए तैयार करें गे। यदद आपको इस तरह की चीजों में ददलचटपी है तो मैं आपके सलए भी ये मुफत में गाईड
ला सकती हूँ।” (यदद उन्हें ददलचटपी हो तो आप सार् अध्ययर्न करर्ने की कोसशश करें )।
हम बाइबल ससध्दातों का बहुत शस्क्टतशाली अध्ययर्न दे सकते हैं परीं तु सबसे महत्वपूणक काम जो हम कर सकते
हैं वह है फकसी को यीशु मसीह को अपर्ना व्यस्क्टतगत उध्दारकर्त्ाक के रूप में टवीकार करर्ने में अगव
ु ाई करर्ना।
बाइबल के सभी बहुमुल्य सशक्षाओीं को बाँटते वक्टत उर्नमें यीशु को कें्र में रखें।
इवें जसलज़म, पृ. 188. “बहुत सारे लोग जार्नर्ना चाहते हैं फक बचर्ने के उन्हें क्टया करर्ना चादहए। वे पररवनतकत
होर्ने के सलए तरीकों का सादा और साफ वववरण चाहते हैं, और इस पर उपदे श र्नहीीं ददया जार्ना चादहए तब तक
की जब तक फकसी खास दहटसे को समझार्ना पडे जो यह बताता है फक कैसे पापी ख्रीटत के पास आ सकते हैं
और बचाए जा सकते हैं।”
गोटपल वककसक, पृ. 158 “स्जतर्ना हम सोचते हैं उससे कहीीं ज्यादा लोग ख्रीटत के पास आर्ने का राटता पार्ना
चाहते हैं। जो लोग दया के अींनतम सींदेश का प्रचार करते हैं उन्हें यह याद रखर्ना चादहए फक ख्रीटत को पावपयों
के शरण के रूप में दशाकर्ना है । कुछ प्रचार सोचते हैं फक पश्चाताप और ववश्वास का प्रचार करर्ना ज़रूरी र्नहीीं है ;
वे सोचते हैं फक उर्नके श्रोतागण सुसमाचार से अच्छी तरह से पररगचत हैं, और दस
ू रे तरह के ववषयों को प्रटतूत
करर्ना चादहए ताफक उर्नका ध्यार्न बर्ना रहे । परीं तु दुःु ख की बात है फक बहुत सारे लोग उध्दार की योजर्ना से
अपररगचत हैं; उन्हें फकसी भी दस
ू रे ववषय से अगधक इस सबसे महत्वपण
ू क ववषय की सशक्षा की ज़रूरत है ।”
इवें जसलज़म, पृ. 319. “उध्दार का अर्क बपनतटमा लेर्ना र्नहीीं है , र्न ही मण्डली के पुटतकों में र्नाम होर्ना, र्न ही
सत्य का प्रचार करर्ना। परीं तु यह यीशु में एक हो कर जीर्ना है , हृदय का पररवनतकत होर्ना है , यीशु के कायों को
ववश्वास से करर्ना और प्रेम, धयक, दीर्नता, और आशा का काम है । ख्रीटत से जुडा प्रत्येक मर्न उसके पास के
सभी लोगों के सलए जीववत समशर्नरी बर्नेगा।”
लाटट डे इवें ्स, पृ. 283. “ख्रीटत, केवल ख्रीटत और उसकी पववत्रता, हमें टवगक का पासपोटक दे सकता है । ”
डीज़ायर ऑफ एजेस, पृ. 300. “दीं भी मर्न उध्दार कमार्ना चाहता है , परीं तु टवगक के सलए हमारी योग्यता ख्रीटत
की पववत्रता में पाया जाता है ।”
शैतान का सस
ु माचारवादी योजना
शैतार्न चाहता है फक बहुत सारे लोग जो यीशु को र्नहीीं अपर्नाते हैं वे भी मण्डली में आए।
5 टे टटीमर्नीज़, पृ. 172. “ऐसे सदटयों का मण्डली से जुडर्ना स्जर्नका हृदय र्नहीीं बदला है और जीवर्न र्नहीीं सुधरा
है , मण्डली के कमज़ोरी का स्रोत है । इस त्य को अकसर अर्नदे खा फकया जाता है । कुछ प्रचारक मण्डली की
सदटयता को बढ़ार्ने में इतर्ना अगधक ददलचटपी लेते हैं फक वे ऐसी आदतों और गनतववगधयों के खखलाफ़
इमार्नदार गवाही र्नहीीं दे ते हैं। जो लोग सत्य को ग्रहण कर लेते हैं उन्हें यह र्नहीीं ससखाया जाता है फक वे
दनु र्नयादारी में सरु क्षक्षत र्नहीीं रह सकते हैं जबफक वे र्नाममात्र के मसीही बर्नते हैं। इस तरह से वे शैतार्न के प्रजा
हैं; आगे से उन्हें ख्रीटत का प्रजा बर्नार्ना है । हमारा जीवर्न हमारा र्नेतत्ृ व करर्ने वाले के सलए गवाही हो।
सावकजनर्नक मत मसीहीत को बढ़ावा दे ता है । र्ोडा सा आत्म-त्याग की ज़रूरत होती है ताफक पववत्रता की झलक
यह बहुत ज़रूरी है फक स्जसके सार् आप बाइबल अध्ययर्न कर रहे हैं उससे यीशु के सार् उसके सींबींध पूछर्ने से
पहले उस व्यस्क्टत सार् आप अच्छा सींबींध बर्नाएँ। अगधकाींश पुस्टतकाओीं में उध्दार के बारे तीसरे या चौर्े
अध्याय में सलखा रहता है । उर्नके वचर्नबध्दता को पुर्नुः सात्रबत करके या उन्हें यीशु को आपर्ना उध्दारकर्त्ाक के
रूप में टवीकार करर्ने में उर्नकी अगव
ु ाई कर के उर्नके फ़ैसले को ठोस बर्नार्ने का यह अर्नक
ु ू ल समय होता है ।
व्यवहाररक उपयेगगता
जब आपर्ने फकसी व्यफकत के ववश्वास को जीत सलया हैं उर्नसे पूछें फक यदद आप उर्नसे यह सवाल कर सकते हैं
फक वे अपर्ने जीवर्न का सबसे महत्वपूणक सवाल फकसे मार्नते हैं।
यदद हाँ, उर्नसे पूछे यदद वे अर्नींत जीवर्न के बारे आश्वटत हैं। (उर्नके जवाब के सलए इींतज़ार करें )।
सही जवाब होर्ना चादहए क्टयोंफक जो यीशु र्ने हमारे सलए फकया है र्न की उर्नके अपर्ने काम।
यदद उन्हें सुसमाचार को लेकर गलतफहमी है जो उर्नसे पूछें फक क्टया आप उर्न के सार् बाइबल को कहती है
वह बाँट सकते हैं। (औपको अगले पष्ृ ठ में ददयें गए प्रत्येक पद को पढ़र्ने की ज़रूरत र्नहीीं हैं परीं तु केवल खास
बाते बताएँ और उन्हीीं पदों को पढ़ें स्जसे पढ़र्ने के सलए पववत्र आत्मा आपकी अगुवाई करता है )।
1. परमेश्वर प्रेम है । बहुत सारे लोग परमेश्वर को तार्नाशाह के रूप में दे खते और उन्हें यह समझर्ने की
ज़रूरत होती है फक परमेश्वर प्रेम है ।
क. नयमकयाह 29 11- परमेश्वर हमारे सलए सबसे बेहतर चीजें चाहता है
ख. नर्नगकमर्न 34 6,7- वह दयावार्न और अर्नुग्रही है
ग. युहन्र्ना 3 16- परमेश्वर र्ने अपर्ने महार्न प्रेम के कारण यीशु को अपर्ना चररत्र उजागर करर्ने के
सलए भेजा
घ. लूका 4 18- यीशु र्ने भले और चींगाई के काम फकये जगत के सलए (उध्दार) लाया
ङ. इब्रानर्नयों 13 8- यीशु आज भी वैसा ही है जैसा वह प्
ृ वी में र्ा
2. परमेश्वर ने मानवता को।
क. उत्पवर्त् 1 31- सब कुछ “बहुत अच्छा” र्ा
3. पाप नें हमें परमेश्वर से अलग कर द्रदया।
क. यशायाह 59 2- हमारा पाप हमें परमेश्वर से अलग करता है
ख. रोसमयों 3 23- सभी पापी हैं
4. पाप के क्जस गढ्ढे में हम गगर गए हैं उसे से आप ही ननकलना हमारे ललए असंभव है ।
क. आयुब 14 4- हम खुद को साफ र्नहीीं कर सकते हैं
ख. रोसमयो 8 7- हमारा गगरा हुआ प्रकृनत परमेश्वर के खखलाफ काम करता है
ववश्वास का प्रार्यना
मुझे क्षमा करें “टवगीय वपता, कृपया मेरे पापों को क्षमा कर दें ।”
टवीकार “मैं मार्नता हूँ फक मैं पापी हूँ और मत्ृ यु दण्ड का भागी हूँ और यीशु के
जीवर्न से अपर्ने जीवर्न को ढकर्ना चाहती हूँ”
खुद को समवपकत करता हूँ “मैं अभी अपर्ना पूरा जीवर्न तूझे सौंपता हूँ।”
धन्यवाद “मसीह के द्वारा उध्दार के कर रदहत भें ट के मैं तेरा धन्यवाद करता हूँ”
ररव्यू एींड हे रल्ड, अगटत 30, 1892. “प्रचारकों के स्जम्मेदारी है फक वे लोगों पर ध्यार्न दे ते रहें क्टयोंफक उर्नसे
इसका दहसाब माँगा जाएगा। उसे उर्ने लोगों पर पर ददलचटपी होर्ना चादहए स्जर्नके सलए वह काम करता है , जो
भी चीजों उन्हें उलझर्न में डालती है और परे शार्न करती है , और उन्हें सत्य के रोशर्नी में चलर्ने से रोकती है ,
उर्नका खोज करर्ना करर्ना चादहए।”
गोटपल वरकसक, पृ. 190. “बहुत सारे कायककर्त्ाक अपर्ने कायक में इससलए र्नाकाम हो जाते हैं क्टयोंफक वे उर्नके पास
र्नहीीं जाते स्जन्हें उर्नकी मदद की ज़रूरत रहती है । हार् में बाइबल र्ामें , उसे ववर्नयपूवक
क उर्न लोगों के मर्न के
की शींकाओीं को जार्नर्ने की कोसशश करर्नी चादहए जो पूछर्ना शुरू कर रहे हैं, ‘सत्य क्टया है ?’ सावधार्नीपूवक
क और
कोमलता से उसे उर्नकी अगव
ु ाई करर्नी चादहए और उन्हें ससखार्ना चादहए, जैसे की वे फकसी ववद्यालय के
ववद्यार्ी हों।”
फरीससयों से (मर्त्ी 22 42- “मसीह के ववषय में तुम क्टया सोचते हो”)
व्यवटर्ापक से (लूका10 26-28- “व्यवटर्ा में क्टयो सलखा है ? तू कैसे पढ़ता है?”)
चेलों से (मर्त्ी 16 13- “लोग मर्नुष्य के पुत्र को क्टया कहते हैं?”)
I. जानकारी
सारे अच्छे फैसले पयाकप्त जार्नकारी पर आधाररत होते हैं। इससे पहले की हम हमारे दोटतों से सत्य के
के सलए फैसला लेर्ने को कहें , हमें खुद से पूछर्ना चादहए “क्टया मैंर्ने उन्हें बाइबल की पयाकप्त जार्नकरी
दी है स्जसके आधार पर वे इस ववषय में फैसला ले सकते हैं ?”
टे टटीमर्नीज़, वो 7, पृ. 71. “बाइबल का एक वाक्टय मर्नुष्य को दस हज़ार ववचार या तको से बेहतर है ”
इर्न पर ववचार करें रखें
बाइबल को अगधकाींश बातें कहर्ने दें ।
पयाकप्त जार्नकारी दे र्ने से पहले यदद आप उसे फैसला लेर्ने को कहें गे तो वह र्नकारात्मक
फ़ैसला लेगा।
एक बार में अत्यगधक जार्नकारी दे र्ने से बचें और भारी ववषयों को धीरे धीरे प्रटतूत करें
(सब्बत, मत्ृ यु, मार्नकों, इसा रोधी)
ऐसे सवाल पूछें “क्टया आपर्ने इसके बारे कभी सुर्ना है ” और “क्टया इस ववषय को आप पूरी
तरह से समझ गए हैं ?”
II. अलभशंसा
असभशींसा इस बात का एहसास है फक परमेश्वर हमें क्टया करार्ना चाहता है । जब फकसी व्यस्क्टत को सही
और गलत के ववषय पयाकप्त जार्नकारी समल जाती ह, वे यह जार्नर्ने लगते हैं फक उन्हें क्टया करर्ना
चादहए। यदद कोई व्यस्क्टत असभशींसा का पालर्न र्नहीीं करता है तो उसे सींतुसलत र्नहीीं महसूस होता है ।
याद रखें फक असभशींसा का काम बाइबल के वचर्नों और पववत्र आत्मा को करर्ने दें ।
इवें जसलज़म, पृ. 300. “वचर्न को काटर्ने दें , र्न की अपर्ने शब्दों को।”
इवें जसलज़म, पृ. 298. “जब व्यस्क्टत को एहसास हो जाता है और उसे तुरींत फैसला लेर्ने में अगुवाई र्नहीीं
फकया जाता है , तो इस बात का खतरा रहता है फक असभशींसा धीरे धीरे र्नष्ट हो जाएगा।”
इर्न बातों पर ववचार करें
असभशींसा के गचन्हों को दे खें (सकारात्मक या र्नकारात्मक) आर्नींद, उत्सुक्टता, जीवर्नशैली में
बदलाव, इमार्नदार सवाल या क्रोध, वव्र ोह, तकक ववतकक। दोर्नो ही इस बात के गचन्ह हो सकते
हैं फक पववत्र आत्मा के द्वारा उन्हें एहसास हो रहा है ।
उर्नसे पूछें फक कौर्न सी बात उन्हें सत्य को अपर्नार्ने से रोक रही है ।
प्यार से उन्हें समझाएँ फक वे यीशु को दे खे र्न की टवयीं को।
III. इच्छा
1. बात करर्ना (खुद के बारे में !) और हटतक्षेत र्न करें ! ध्यार्न पूवक
क सुर्नें।
2. “आपसे बेहतर” की प्रवनृ त। सींवेदर्नशील बर्नें और अपर्नी जरूरतों के बारे भी बताएँ।
3. सामान्यकरण जैसे “आप कभी र्नहीीं” “आप हमेशा”।
4. रूढ़ोस्क्टत। सतही वाताकलाप उत्सुकता को मारता है । केंद्र त रहें ।
5. रूगच की कमी (भटकता ध्यार्न, बेचैर्न ददखर्ना, चींचलता, भटकती र्नज़रें )। उर्नसें पूछें फक आप उर्नकी
मदद कैसे कर सकते हैं।
6. अधैय,क हडबडार्ना (घडी दे खते रहर्ना, दस
ू री बातों के बारे सोचर्ना)। धीमें हो जाएँ!
7. र्नकारात्मक प्रनतफक्रया (सदमा, अचरज, असहमती, नर्नराशा)। सकारात्मक बर्नें।
8. कुछ ज्यादा ही जल्दी हल बतार्ना, खास कर ढीं ग से समझे त्रबर्ना।
9. रूदढ़बध्दता। (ओह, आप ऐसे लोगों में से हैं...)
10. आत्मरक्षा करर्ना। “मैं ससफक एक सवाल ही तो पूछा र्ा।” “क्टया आप वो सब कुछ भूल गए जो मैंर्ने
आपके सलए फकया है ?”
11. प्रत्यक्ष और अप्रत्यक्ष रूप से असींवेदर्नशील बातें कहर्ना। “कुछ लोग मूल बात दे ख ही र्नहीीं पाते हैं...”
12. भरोसा तोडर्ना।
डीज़ायर ऑफ़ एजेस, पृ. 347. “उसके ववश्वासर्नीयता के बारे हमारी गवाही टवगक का चुर्ना हुआ साधर्न है स्जससे
जगत ख्रीटत को जार्ने पाएगा। हमें उसके अर्नुग्रह को सरहर्ना होगा स्जसे पुरार्ने समय के पववत्र लोगों के द्वारा
बताया गया है ; परीं तु जो सबसे अगधक प्रभावशाली रहे गा वह है हमारे अपर्ने अर्नुभवों की गवाही। जैसे की हम
खद
ु में पववत्र सामर्क के काम को दशाकते हैं, हम परमेश्वर के सलए गवाह बर्नते हैं।”
प्रकासशतवाक्टय 12 11 “वे मेम्र्ने के लहू के कारण और अपर्नी गवाही के वचर्न के कारण उस पर जयवींत हुवे।”
6 बाइबल कमें री, पृ. 1091. “हृदय से ददया गया गवाही, नर्नश्छल होटों से नर्नकला, ववश्वास और दीर्न भरोसे से
पूण,क भले ही लडखडाते जीभ से ददया गया हो, परमेश्वर के सलए बहुमुल्य कींु दर्न की तरह है ।”
डीज़ायर ऑफ़ एजेस, पृ. 340 “वे जो जार्नते र्े वह बता सकते र्े; स्जसे उन्होंर्ने खुद दे खा र्ा, और सुर्ना र्ा,
और ख्रीटत के सामर्क को महसस
ू फकया र्ा। प्रत्येक जर्न स्जसके हृदय को यीशु र्ने छुआ है , वे यह बता सकते
हैं।”
टटे प्स टू क्राईटट, पृ. 78. “जैसे ही कोई ख्रीटत के पास आता है उसके मर्न में दस
ू रों को भी यह बताते की
इच्छा जाग उठती है फक फकतर्ना मूल्यवार्न दोटत उसर्ने यीशु में पाया है , बचार्ने और शुध्द करर्ने वाले सत्य को
उसके मर्न में दबाया र्नहीीं जा सकता है ।”
व्यक्ततगत गवाही से उन लोगों तक भी पहूाँचा जा सकता है क्जनके पास अरय तरीकों स नहीं पहुाँचा जा सकता
है
डीज़ायर ऑफ़ एजेस, पृ. 347 “उसकी नर्नष्ठा की हमारी गवाही ख्रीटत को जगत के सामर्ने पेश करर्ने का टवगक
का चयनर्नत माध्यम है ।... प्रत्येक व्यस्क्टत का जीवर्न दस
ू रे से अलग है , और उर्नके अर्नुभव भी अलग अलग हैं।
परमेश्वर चाहता है क हमारी प्रशींसा उस तक पहुँच,े हमारे वैयस्क्टतकता उसमें ददखे। उसके अर्नुग्रह की महीमा के
इर्न बहुमल्
ु य सराहर्नाएँ जब ख्रीटत के जैसा जीवर्न से समर्कर्न पाते हैं, उसमें एक चम्
ु बकीय शस्क्टत होती है जो
मर्नों के अध्दार के काम करता है ।”
दष्ु ट आत्माओीं से ग्रससत व्यस्क्टत (मरकुस 5 1-20)- महार्न कायक जो यीशु र्ने हमारे सलए व्यस्क्टतगत रूप से
फकया है
समनर्नटरी ऑफ़ हे ल्र् एींड हीसलींग, पृ. 102. “चेलों र्ने समाररया में ऐसा कुछ र्नहीीं दे खा जो इस बात की पुस्ष्ट
करे की वह प्रोत्सादहत करर्ने वाले क्षेत्र र्ा।”
टे टटीमर्नीज़ टू समनर्नटटसक, पृ. 168. “कलीससया के पहले कायक तब दे खे गए जब ववश्वाससयों र्ने दोटतों, पररजर्नों,
और पररगचतों को, प्रेम से भरपूर होकर बताया फक यीशु उर्नके सलए क्टया है और वे यीशु के क्टया हैं।”
9 टे टटीमर्नीज़, पृ. 38. “उन्हें बताएँ की आपर्ने कैसे यीशु को पाया, और आपको फकतर्नी आशीष समली है जब
से आप र्नें उसके काम में अर्नभ
ु व पाया। उन्हें बताएँ फक कौर्न सी आशीषें आतीीं हैं जब आप यीशु के चरणों में
बैठते हैं, उसके वचर्न से अर्नमोल पाठ सीखते हैं। मसीही जीवर्न के आर्नींद और खुशी के बारे उन्हें बाताएँ।
आपके कोमल, नर्नरीं तर शब्द उसे ववश्वास ददलाएगा की आपर्ने बडी मूल्य का मोती पाया है । आपके खुसमजाज,
प्रोत्सादहत करर्ने वाले शब्दों से बताएँ की आपर्ने सच में ऊँचा राटता पाया है । यह इमार्नदार समशर्नरी कायक है ,
और जैसा फक ये फकया जाता है , बहुत सारे लोग र्नीींद से जागें गे।”
डीज़ायर ऑफ़ एजेस, पृ. 340 “ख्रीटत के गवाहों के रूप में हमें वह बतार्ना है जो हम जार्नते हैं, जो हमर्ने खद
ु
दे खा है और सुर्ना है और महसूस फकया है । यदद हम कदम कदम पर यीशु का अर्नुसरण फकया है , तो हम पास
कुछ बतार्ने के सलए जो सही है ताफक हम यह बता सके फक फकस तरह से उसर्ने हमारी अगुवाई की है । हम
बता सकते हैं हम र्ने उसके वादों को परखा है , और पाया फक वे सही हैं। हम उस बात की गवाही दे सकते हैं
जो हम ख्रीटत के बारे जार्नते हैं। यह वह गवाही है स्जसके सलए परमेश्वर हमें बुलाता है , और स्जसकी कमी के
कारण जगत का ववर्नाश हो रहा है ।”
व्यवहाररक सलाह
1. परे श्वर जो फकया है वह बतार्ना सीखें र्न की जो आपर्ने फकया है । दीर्न बर्नें, अपर्ने श्रोता को सुववधाजर्नक
महसूस कराएँ।
2. ऐसे शब्दों का प्रयोग करें स्जसे लोग आसार्नी से समझे। ऐसे शब्दों या वाक्टयों के प्रयोग से बचें स्जसे ससफक
एडवें दटटट लोग समझते हैं। ऐसे वाक्टयों का प्रयोग र्न करें स्जसे गैर मसीही र्न समझें, जैसे, “औगचत्य
अद्भूत है ।” “मैं अर्नुग्रह से बचाया गया हूँ।” “मैं लहू से धुला हूँ।” बदले में ऐसे वाक्टयों का प्रयोग “मुझे
बहुत शाींनत समली है यह जार्न कर की परमेश्वर र्ने मझ
ु े माफ फकया है ,” “यीशु की भें ट की वजह से मैंर्ने
जीवर्न में चींगाई का अर्नुभव फकया,” “यीशु र्नें मेरे पापों की कीमत चुकाया।”
3. सच्चे और इमार्नदार बर्नें, भावुक र्नहीीं।
1. आपका कल। यीशु में समलर्ने से पहले के जीवर्न को सींक्षेप में बताएँ।
2. आपने यीशु को कैसे पाया। यीशु से समलर्ने की कहार्नी बताएँ (जैसे. बाइबल अध्ययर्न, पुटतक, उपदे श,
अर्नुभव, आदद।)
3. वतयमान में आपका जीवन। यीशु को पार्ने के बाद आप फकतर्ने अशीवषत हैं।
कलीससया ववश्व में सबसे तेजी से उर्न क्षेत्रों में बढ़ रही है और सदटयों को कलीससया में बर्नाए हुए है जहाँ छोटे
दल बर्ना ददये गए। ये छोटे झण्
ु ड एक टर्ार्न उपलब्ध कराते हैं जहाँ लोगो एक सार् अध्ययर्न करके और एक
दस
ू रे के सार् जीवर्न के अर्नुभवों को बाँट कर लाभास्न्वत होते हैं। आदशक रूप से 7-12 व्यस्क्टत एक झुण्ड में
होते हैं। अगधकाींश झुण्ड फकसी नर्नधाकररत वक्टत तक समलते हैं और फफर अपर्नी पररस्टर्नत का मूल्याींकर्न करते हैं
और हो सकते तो र्नए झुण्ड बर्ना लेते हैं। हम छोटे झुण्ड का उदाहरण यीशु के जीवर्न में भी दे ख सकते हैं
(मर्त्ी 4 18-22; 10 1-8) और फफर से प्रेररतों की पूरी पुटतक में पाई जाती है (प्रेररतों 2 41-47)
प्रेररतों 2 संघटक
40-55 लमनट बाईबल अध्ययन (नर्नधाकररत पाठों का अध्ययर्न करर्ना, या बाईबल की कोई एक पट
ु तक को
पढ़र्ना, कोई खास ववषय, आदद।)
15-30 लमनट प्रार्यना का समय (प्रार्कर्ना के सलए खास अर्नुरोध या चुर्नौनतयाँ बाँटर्ना और एक सार् प्रार्कर्ना
करर्ना)
छोटे झण्
ु ड के कायक करर्ने के सलए सदटयों को उर्नकी स्जम्मेदारी बाँटर्ना ज़रूरी है । कुछ स्जम्मेदाररयाँ र्नीचे दी
गई:
1) अगव
ु ा/आयोजक: यह व्यस्क्टत बाईबल अध्ययर्न में अगव
ु ाई करता है , सवालों के जवाब दे ता है , और
मुख्य आयोजक है ।
2) सहयोगी अगुवा: यह व्यस्क्टत आमतौर पर युवा होता है , और कम अर्नुभव वाला होता है , स्जसको
सुसमाचार प्रचार में रूगच हो, और ज़रूरत पडर्ने पर हर काम करर्ने को तैयार हो, पूरे सभा के दौरार्न
परमेश्वर से आशीष माँगता है , और प्रटतूनत पर लोगों की प्रनतफक्रया पर गौर करता है ।
“मसीही कोसशश के आधार पर छोटे झुण्डों को गठर्न करर्ने का ववचार मुझे उसके द्वारा ददया गया है जो कभी
गलती र्नहीीं कर सकता है । यदद फकसी मण्डली में बहुत अगधक सदटय हैं, तो उन्हें छोटे झुण्डों में बाँट दें , ताफक
वे र्न ससफक कलीससया के सदटयों के सलए काम करे , परन्तु अववश्वाससयों के सलए भी। यदद फकसी टर्ार्न पर दो
या तीर्न ही लोग सत्य को जार्नते हैं, तो उन्हें कमकचारी का एक दल बर्नार्ना चादहए। उन्हें एकता के बींधर्न को
बर्नाए रखर्ना चादहए, स्जससे वे प्रेम और एकता में बर्ने रहे , और एक दस
ू रे को बढ़र्ने के सलए प्रोत्सादहत करे ,
और एक दस
ू रे की सहायता से वे दहम्मत और ताकत पाएँ। उन्हें मसीही सहर्नशस्क्टत और धीरज से काम करर्ना
चादहए, बरे शब्दों के प्रयोग र्न करके वे वाणी की प्रनतभा का इटतेमाल कर एक दस
ू रे को सबसे पववत्र ववश्वास
में बढ़ार्ने दे । वे अववश्वाससयों के सलए मसीही प्रेम से करे , और खुद को भूल कर दस
ू रों की मदद करे । ख्रीटत के
र्नाम से काम करते हुए उर्नकी सींख्या बढ़ जाएगी, क्टयोंफक मसीह कहता “” मर्त्ी 18 19” 7 टे टटीमर्नीज़, पृ.
21,22
अींग्रेजी – www.download.lightingtheworld.org/caregroups
पुतग
क ाली – www.adventistas.org/pt/ministeriopessoal
इब्रयननयों 4:14. “इसललए जब हमयरय ऐसय बढय महयययजक है , जो स्वर्गों से हो कर र्गयय है , अर्यात परमेश्वर
कय पुत्र यीशु, तो आओ, हम अपने अंर्गीकयर को दृढतय से र्यमें रहें ।”
ग्रेट कन्ट्रोवसी, प8. 488,489। “परमेश्वर के लोर्गों को परमेश्वर के मंदिर और जयाँच पड़तयल और न्ट्ययय के
ववषय को भली भयाँनत समझनय चयदहए। सभी को महयन महयययजक के कयम और स्र्यन के ज्ञयन की ज़रूरत
है । वरनय, उनके ललए ववश्वयस में बने रहनय असंभव होर्गय जो इस घड़ी में बहुत ज़रूरी है , यय उस स्र्यन में
पहुाँचयनय जजसे परमेश्वर ने उनके ललए बनययय है ... मनुष्यों के ललए यीशु के कयया केंि है स्वर्गा कय
पववत्रस्र्यन है । इसकय संबंध जर्गत के प्रत्येक प्रयणी से है । यह उध्ियर के योजनय कय दृश्य खोलतय है , और
हमें समय के अंत में पहुाँचयतय है , और धयलमाकतय और पयप की जीत के ललए संघषा को दिखयती है । यह बहुत
ज़रूरी है कक सभी इन ववषयों की अच्छी तरह जयाँच करे , और उन सभी को जवयब िे सके जो उन्ट्हें आशय,
जो इन में है , के कयरण पूछे।”
ग्रेट कन्ट्रोवसी, प8. 488,489। “पववत्र स्र्यन कय ववषय एक चयभी र्य जजसेने सन ् 1844 ई. के ननरयशय के
रहस्य को खोल दियय। इसने संपूणा सच्चयई के तंत्र, जो एक िस
ू रे से जुड़य हुआ और सयमंजस्यपूणा है , को
दिखलययय जो यह दिखयतय है कक एडवें ट आंिोलन को चलयने में परमेश्वर कय हयर् र्य और वतामयन
जजम्मेियरी को प्रकयलशत करतय है जैसे कक यह उसके लोर्गों के कयम एंव जस्र्नत पर प्रकयश डयलतय है ।”
लयस्ट डे इवें ट्स, प8. 44। “1844 बड़ी घटनयओं कय समय र्य, हमयरे आश्चयाचककत आाँखों कय खल
ु नय, स्वर्गीय
मंदिर कय शुध्ि ककयय जयनय, और जर्गत पर परमेश्वर के लोर्गों कय संबंध तय होनय, और पहले और िस
ू रे
स्वर्गाित
ू ों कय संिेश और तीसरे कय उस बैनर को खोलनय जजसमें “परे श्वर की आज्ञयएाँ और यीशु कय ववश्वयस”
ललखय र्य। इन संिेशों के कई सीमयचचन्ट्हों में से क के नीचे परमेश्वर कय मंदिर र्य, जजसे स्वर्गा में उसके
सत्य से प्रेम करने वयले िे खते हैं, और वह संिक
ू जजसमें परमेश्वर की आज्ञयएाँ है । चौर्ी आज्ञय की सब्बत की
ज्योनत उनके रयह में चमकती है जो परमेश्वर की आज्ञयओं को तोड़ते हैं। िष्ु टों की नश्वरतय एक पुरयनय
सीमयचचन्ट्ह है । परु यने सीमयचचन्ट्हों के नीचे आने वयले चीजों में से मझ
ु े इतनय ही ययि है । परु यने सीमयचचन्ट्हों के
बिलने के सब बयतें कयल्पननक है ।”
एजुकेशन, प8. 36। “ख्रीस्त द्वयरय उस उद्येश्य को पूरय ककयय जयनय र्य जजसकय वह ननवयस एक चचन्ट्ह र्य--
वह मदहमयमयी इमयरत, उसकी सोने की दिवयरें जो इन्ट्रधनुष के रं र्गों को प्रनतबबंबबत करती र्ी और परिों पर
कयरूब सजे र्े, सिय जलने वयली धूप की सुर्गंध जो सबको तर करती र्ी, श्वेत वस्त्र पहने ययजकर्गण, और
भीतरी भयर्ग के र्गहरे रहस्य में , ियय के लसंहयसन के ऊपर, िण्डवत ककए हुए स्वर्गाित
ू ों की आक8नतयों के बीच,
महयपववत्र की मदहमय। इन सब में , परमेश्वर चयहतय र्य कक लोर्ग मनष्ु य के आत्मय के ललए उसके उद्येश्य
को जयने।”
सरांश: क्योंकक हमयरय पयप हमें परमेश्वर से हमें अलर्ग करतय है , मंदिर कय कयया हमें यह दिखलयतय है कक
यीशु के द्वयरय क्षमय लमल सकती है , हमयरे पयप धुल सकते हैं, और हम पववत्र जीवन जीने के ललए सशक्त
हो सकते हैं। मंदिर यह भी दिखलयती है कक जब तक पयप कय मंदिर में जयनय बंि नहीं होर्गय तब तक मंदिर
पूरी तरह से शुध्ि नहीं हो सकतय है ।
बाहरी प्ााँगण
पैरीययक्सा एंड प्रोफेट्स, प8. 347। “पववत्र तंबू की स्र्यपनय खुले स्र्यन पर हुई र्ी जजसे प्रयाँर्गन कहते हैं, जो
लटकनों, यय महीन सयन के पिों जो पीतल के खम्भों से झल
ू ते र्े, नघरय हुआ र्य। इसकय द्वयर पूवी छोर में
र्य। उसे महं र्गे नक्कशीियर पिों से ढक दियय र्गयय र्य, भले ही वे मंदिर के पिों से र्ोड़े कमतर र्े। प्रयाँर्गन
के लटकनों की ऊाँचयई ननवयस के दिवयरों की ऊाँचयई से आधी र्ी, इस इमयरत को लोर्ग बयहर से ही िे ख सकते
र्े। प्रयाँर्गन और सबसे करीब के द्वयर पर होम बलल के ललए पीतल कय वेिी र्य। इसी वेिी पर परमेश्वर के
ललए होमबलल के सयरे बललियनों को चढययय जयतय र्य, और उसके लसंर्गों में प्रययजश्चत्त करने वयलय नछड़यकय
जयतय र्य। वेिी और ननवयस के िरवयजे के बीच हौिय र्य, जो पीतल कय र्य, जजसे उन आईनों से बनययय र्गयय
र्य जजसे इस्रयएल की मदहलयओं ने स्वेच्छय से ियन ककयय र्य। जब भी वे पववत्र कक्षों में जयते र्े, यय
परमेश्वर को होमबलल चढयने के ललए वेिी के पयस पहुाँचते र्े, इस में ययजकों को अपने हयर् और पैर धोने
पड़ते र्े।”
प्रयाँर्गन की लंबयई चौड़यई: 100x90x9 हयर्= 180x90x9 फी. यय तकरीबन 55x27.5x2.74 मी.। फयटक 20
हयर् चौड़य और नीले, बैंजनी, और लयल रं र्ग से बनय हुआ।
प्रकयलशतवयक्य 3:18. “इसी ललए मैं तुम्हें सम्मनत िे तय हूाँ...श्वेत वस्त्र ले ले कक पदहनकर तुझे अपने नंर्गेपन
की लज्जय न हो।”
आवर हयई कॉललंर्ग, प8. 350. “हमें मन के मंदिर से खरीिे ने और बेचने वयलों को बयहर ननकयलनय होर्गय, तयकक
यीशु हमयरे मन में ननवयस करे । एस वक्त वह हमयरे हृिय के द्वयर में स्वर्गा के व्ययपयरी के रूप में खड़य है ;
वह कहतय है ,... ‘मेरे ललए द्वयर खोलो; स्वर्गीय वस्तुएाँ मुझ से मोल लो; आर्ग में तययय हुआ सोनय मुझ से
मोल लो।’ ववश्वयस और प्रेम मोल लो, जो हमयरे उध्ियरकतया के बहुमुल्य, सुंिर खजयने हैं... वह हमें श्वेत
वस्त्र मोल लेने कक ललए आमंबत्रत करतय है , जो उसकय मदहमयमयी धयलमाकतय है , और वह मलहम, तयकक हम
आजत्मक चीजों को पहचयन सके। आह, क्यय हमें अपने मन के द्वयर को इस स्वर्गीय मेहमयन के ललए नहीं
खोलनय चयदहए?”
प्रकयलशतवयक्य 7:13,14 “इन्ट्होंने अपने वस्त्र मेम्ने के लहू से धो कर श्वते ककए हैं।”
प्रकयलशतवयक्य 19:8 “क्योंकक उस महीन मलमल कय अर्ा पववत्र लोर्गों के धमा के कयम है ।”
यूहन्ट्नय 10:9 “द्वयर मैं हूाँ, यदि कोई मेरे भीतर प्रवेश करे , तो उध्ियर पयएर्गय।”
यूहन्ट्नय 14:6 “मयर्गा और सत्य और जीवन मैं ही हूाँ; बबनय मेरे द्वयरय कोई वपतय के पयस नहीं पहुाँच सकतय।”
डीज़ययर ऑफ़ एजेस, प8. 477 “यीशु पेरमेश्वर के पयस जयने कय द्वयर है । इसी द्वयर से, आदि कयल से अब
तक के उस के सभी बच्चों ने, प्रवेश पययय है । यीशु में , जैसय प्रनतरूपों में दिखययय र्गयय है , जैसय प्रतीकों में
दिखययय र्गयय है , जैसय नबबयों को दिए र्गए प्रकयश में दिखययय र्गयय है , जैसय उसके चेलों को दिए र्गए सीखों
में दिखययय र्गयय है , और मनुष्य के पुत्रों के ललए ककए र्गए आश्चयाकमों में , उन्ट्होंने िे खय कक वह “परमेश्वर
कय मेम्ने है जो जर्गत के पयप को उठय ले जयतय है ” (यह
ू न्ट्नय 1:29), और उसी के द्वयर वे उसके अनग्र
ु ह में
लयए र्गए हैं। बहुत सयरे लोर्ग आए जजन्ट्होंने जर्गत के अन्ट्य वस्तुओं को ववश्वयस कय आधयर बतययय है ;
मनुष्यों द्वयर रीनत और ररवयज़ बनयए हैं जजसके द्वयर मनुष्य परमेश्वर के सयर् न्ट्ययय और शयाँनत पयने और
इस तरह से उसके पयस प्रवेश पयने की उम्मीि करते हैं। परं तु लसफा यीशु ही वह द्वयर है , और वे सभी लोर्ग
जो यीशु कय स्र्यन लेने की कोलशश करते हैं, वे सभी लोर्ग जो ककसी िस
ू रे तरीके से उसके पयस प्रवेश करने
की कोलशश करते हैं, वे चोर और लूटेरे हैं।”
इब्रयननयों 10:4 “क्योंकक यह अनहोनय है कक बैलों और बकरों कय लहू पयपों को िरू करे ।”
इब्रयननयों 9:11,12 “परं तु जब मसीह आनेवयली अच्छी वस्तुओं कय महयययजक होकर आयय....और बकरों और
बछड़ों के लहू के द्वयरय नहीं पर अपने ही लहू के द्वयरय एक ही बयर पववत्रस्र्यन में प्रवेश ककयय और अनंत
छुटकयरय प्रयप्त ककयय।”
फ़ेर् आई ललव बयय, प8. 196। “प्रनतदिन सुबह और शयम उस वेिी पर एक वषा के एक मेम्ने कय होम ककयय
जयतय र्य, उसके उचचत अन्ट्नबलल के सयर्, इस प्रकयर िशयायय जयतय र्य कक से िे श को यहोवय को अपाण कर
दियय र्गयय है , और वे यीशु के शुध्ि करने वयले लहू में ननभार हैं। परमेश्वर ने ननजश्चत तौर पर ननिे श दियय
कक मंदिर के कयया के ललए प्रत्येक बललियन “ननिोष” हो।... लसफा “ननिोष” बललियन ही उसके सम्पूणा शुध्ितय
कय चचन्ट्ह हो सकतय र्य जो आर्गे चलकर “ननिोष और ननष्कलंक मेम्ने” के रूप में खि
ु कय ियन िे र्गय। प्रेररत
पौलस
ु कहतय है कक ये बललियन यह िशयाते हैं कक यीशु के अनय
ु ययीयों को क्यय बननय है । वह कहतय है ,
“इसललए हे भयईयो, मैं तुम से परमेश्वर की ियय स्मरण दिलयकर ववनती करतय हूाँ कक अपने शरीरों को
जीववत, और पववत्र, और परमेश्वर को भयवतय हुआ बललियन करके चढयओ। यही तुम्हयरी आजत्मक सेवय है ।”
र्गोस्पेल वकाकसा, प8. 162,1892। “प्रयचीन समय में ययजकों को पववत्र स्र्यन में सेवय करते समय, और
ययजक के कययास्र्ल पर कयम करते वक्त, ववलशष्ट रूप से तैययर ककए र्गए वस्त्र पहनने होते र्े। उन्ट्हें उनके
कयया के अनरू
ु प वस्त्र पहनने होते र्े, और परमेश्वर ने उन्ट्हें खयस तौर पर बतययय र्य कक ये कौन से होंर्गे।
वेिी और सभय के बीच एक हौिी र्य, तयकक परमेश्वर की उपजस्र्नत में आने से पहले, और सभय के नज़रों में
आने से पहले, वे अपने हयर् और पैर धो सके। सभय पर इसकय क्यय प्रभयव पड़नय र्य? यह यह दिखयने के
चमकियर पीतल से लमलने वयली प्रनतबबम्ब आइने कय कयम करतय र्ी, इस प्रकयर वह परमेश्वर के आज्ञय को
िशयाती र्ी (ययकूब 1:23-25)। जब हम यीशु और उसके आज्ञय को िे खते हैं, हम अपने आप को वैसे िे ख
पयते हैं जैसे हम हैं। पीतल अनंत कयल को िशयातय है- इसललए आज्ञय अनंत है , कफर भी, हमें धोने में असमर्ा
है । तब महयययजक को सयफ होने के ललए हयर् और पैर धोनय पड़तय र्य।
तीतुस 3:4,5 “पर जब हमयरे उध्ियरकत्तया परमेश्वर की क8पय और मनष्ु यों पर उसकय प्रेम प्रर्गट हुआ तो उसने
हमयरय उध्ियर ककयय; और यह धमा के कयमों के कयरण नहीं, जो हमने आप ककए, पर अपनी ियय के अनस
ु यर
नए जन्ट्म के स्नयन और पववत्र आत्मय के हमें नयय बनयने के द्वयरय हुआ।”
यूहन्ट्नय 3:5 “मैं तुम से सच सच कहतय हूाँ, जब तक कोई मनुष्य जल और आत्मय से न जन्ट्में तो वह
परमेश्वर के रयज्य में प्रवेश नहीं कर सकतय।”
सरांश: उध्ियर के परमेश्वर के प्रस्तयव को झूठे धमों से तुलनय करके िे खें। झूठे में हमें कुछ करनय पड़तय है
जो परमेश्वर को खश
ु करे , परं तु मंदिर में हम पयते हैं कक परमेश्वर ने अपने लोर्गों को छुड़यने के क्यय ककयय
है और कर रहय है । भले ही हम ने उसी आज्ञय को तोड़य है और मत्8 यु के लययक हैं, मंदिर में हम पयते हैं कक
यीशु ने हमयरे र्गुनयहों के बिले कीमत चुकययय। यीशु के लहू में न लसफा हमयरे पयपों को क्षमय करने बजल्क
हमें सयरे अधयलमाकतय से सयफ की तयकत है । कफर हम पववत्र स्र्यन में शुजध्िकरण के कयया को जयरी रखने के
ललए प्रवेश करते हैं।
पववत्र स्र्यन में िीवट ही रोशनी कय एक मयत्र स्रोत र्य। यह यीशु और जर्गत के ललए हमयरी र्गवयही को
िशयातय है ।
यूहन्ट्नय 8:12. “जर्गत की ज्योनत मैं हूाँ: जो मेरे पीछे हो लेर्गय वह अाँधकयर में न चलेर्गय।”
मत्ती 5:14 “तुम जर्गत की ज्योनत हो, जो नर्गर पहयड़ पर बसय हुआ है वह नछप नहीं सकतय।
िीवट को तेल से जलययय जयतय है , जो बय में पववत्रआत्मय कय चचन्ट्ह है (िे खें मत्ती 25:1-9)।
पैरीययक्सा एंड प्रोफ़ेट्स, प8. 354. “पववत्र मेज परमेश्वर के समक्ष ननत्य भें ट के रूप में हमेशय रखी जयती र्ी।
इस प्रकयर वह प्रनतिन कय बललियन र्य। भें ट की ये रोदटययाँ परमेश्वर के समक्ष हमेशय मौजूि रहतय र्य। यह
आजत्मक और लौककक भोजन के ललए परमेश्वर पर मनुष्य की ननभारतय को िशयातय र्य। परमेश्वर ने इस्रयएल
को मरूभूलम में स्वर्गा कय रोटी खखलययय, और वे तब भी उसके उियरतय पर ननभार र्े, लौककक भोजन और
आजत्मक आशीष िोनों के ललए। मन्ट्नय और भें ट की रोदटययाँ िोनों मसीह की ओर इशयरय करते हैं, ययनी
जीवन की रोटी, जो हमयरे ललए परमेश्वर के सम्मख
ु हमेशय रहतय है । उसने स्वयं ही कहय, “जीवन की रोटी
मैं हूाँ जो स्वर्गा से उतरी।” यूहन्ट्नय 6:48-51। रोदटयों के ऊपर लोबयन रखय जयतय र्य। प्रत्येक सब्बत जब रोटी
को हटययय जयतय र्य, तयकक बिले में तयज़ी रोदटययाँ रखीं जयए, लोबयन को वेिी पर रख कर स्मरण जलय दियय
जयतय र्य।”
यूहन्ट्नय 6:51. “जीवन की रोटी जो स्वर्गा से उतरी, मैं हूाँ। यदि कोई इस रोटी में से खयए, तो सवािय जीववत
रहे र्गय; और जो रोटी मैं जर्गत के जीवन के ललए िाँ र्ग
ू य, वह मेरय मयाँस है ।”
आवर हयई कॉलींर्गस, प8. 209. “लौककक भोजन खय कर जजस तरह हमयरय शरीर मजबूत होतय है , उसी प्रकयर
परमेश्वर के पुत्र कय मयाँस खयकर और लहू पी कर, हम आजत्मक रूप से मजबूत होते हैं। परमेश्वर कय वचन
उन सभी के ललए आत्मय और जीवन है जो उसके ललए तरसते हैं। वह जो ख्रीस्त के मयाँस और लहू कय
भयर्गीियर है वह स्वर्गीय प्रक8नत कय भी भयर्गीिर है ... उस के पयस उसके उध्िरकत्तया एक महत्वपूण,ा जीवन
िययी झरनय बह रहय र्य।
“एक बयर खययय हुआ भोजन हमें सिय के ललए तप्8 त नहीं करतय है । हमें रोज़यनय खयने की ज़रूरत है ।
इसललए हमें रोज़यनय परमेश्वर के वचन को खयनय है तयकक आत्मय कय जीवन नवीक8त हो। जो हमेशय वचन
को ग्रहन करते हैं उन में यीशु बनतय है , मदहमय कय उम्मीि। बयइबल अध्यन्ट्न की उपेक्षय आजत्मक अकयल
लयतय है ।”
पैरययक्सा एंड प्रोफ़ेट्स, प8. 348. “पववत्र स्र्यन और महयपववत्र स्र्यन और परमेश्वर की उपजस्र्नत को बयाँटने
वयले परिे से ठीक पहले, धप
ू की सन
ु हरी वेिी र्ी। इस वेिी के ऊपर ययजक प्रत्येक सब
ु ह और शयम धप
ू
जलयतय र्य; उसके सींर्ग में पयपबलल कय लहू छुवययय जयतय र्य, और प्रययजश्चत्त के दिन उस पर लहू नछड़कय
दिखययय र्गयय दृश्य को लोर्गों के ललए मसीह की सेवय के रूप में समझ सकते हैं (िे खें रोलमयों 8:34)। मसीह,
रक्षक के रूप में , संतों के प्रयर्ानय के सयर् अपनी अच्छयईयों को लमलयतय है , जो तब जयके परमेश्वर द्वयरय
स्वीकयर ककए जयते हैं। धूप कय लर्गयतयर जलनय यह ययि दिलयतय र्य कक हमयरे ललए ख्रीस्त कय “मीठय”
मध्यस्र्तय लर्गयतयर बबनय बुझे बनय रहतय है , और यह कक वह हमयरी प्रयर्ानयओं को सुनने के हमेशय तैययर है ।
8 टे स्टीमनीज़, प8. 178. “परमेश्वर और मनुष्य को जोड़ने वयली कड़ी यीशु है । उसने अपने व्यजक्तर्गत
मध्यस्र्तय कय वयिय ककयय है । वह अपनी धयलमाकतय के सयरे र्गुण मयाँर्गने वयले के पक्ष में कर िे तय है । वह
मनुष्य के ललए ननवेिन करतय है , और मनुष्य, पववत्र मिि की ज़रूरत में , उसके प्रभयव कय उपययर्ग करके
जजसने परू े जर्गत जीवन िे ने के ललए अपनी जयन िी, परमेश्वर की उपजस्र्त में अपने ललए ननवेिन करतय
है । जैसे हम परमेश्वर के सम्मख
ु यीशु के र्गण
ु ों को सरयहते हैं, हमयरी मध्यस्र्तय को सर्ग
ु ंध दियय जयतय है ।
जैसे हम परमेश्वर के पयस उध्ियरकत्तया के र्गुणों के द्वयरय जयते हैं, ख्रीस्त हमें अपने समीप रखतय है , अपने
मयनव हयर् से वह हमें पकड़तय है और अलौककक हयर् से वह अनन्ट्त के लसंहयसन को पकड़े रहतय है । वह
अपने र्गुणों को, मीठे धूप की तरह, हमयरे हयर्ों के धूपियन में रखतय है , तयकक हमयरे प्रयर्ानयओं को प्रत्सयहन
लमले। वह हमयरे प्रयर्ानयओं को सुनने कय वयिय करतय है ।”
सरयंश: पववत्र स्र्यन में हम शुजध्िकरण की प्रकक्रयय को िे खते हैं। एक बयर जब हम बयहरी प्रयाँर्गण में िब
ु यरय
जन्ट्म लेते हैं, हम मसीह में रोप दिए जयते हैं की हम उसके सयर् चमकें। वचन (रोटी) को प्रनतदिन ग्रहण
कर, प्रयर्ानय में समय बबतय कर (धूप), और पववत्र आत्मय (तेल) से पररपूणा हो कर हम मसीह में बढें । ययि
रखें, रोज़यनय प्रयर्ानय और मदहमय करनय ही परमेश्वर की लसंहयसन के पयस पहुाँचने कय रहस्य है ।
वाचा का संिक
ू (ननगिमन 25:10-22, इब्राननयों 9:4)
पैरीययक्सा एंड प्रोफ़ेट्स, प8. 348। “भीतरी परिे के पीछे पववत्रों कय पववत्र र्य, जहयाँ प्रययजश्चत्त और मध्यस्र्तय
के प्रतीक कय केंर र्य, और स्वर्गा और पथ्
8 वी को जोड़ने वयलय कड़ी बनय। इस कक्ष में वह संिक
ू र्य, बबूल की
लकड़ी से बनय, जजस पर भीरत और बयहर से सोनय मढय हुआ र्य, और उसके ऊपर सोने कय ढक्कन र्य। यह
उस पत्र्र को रखने के ललए र्य जजस पर परमेश्वर ने खि
ु िस आज्ञयओं को ललखय र्य। इसललए इसे
परमेश्वर के वयचय कय संिक
ू भी कहय जयतय है , यय वयचय कय संिक
ू , क्योंकक िस आज्ञयएाँ ही परमेश्वर और
इस्रयएल के बीच वयचय कय आधयर र्य।”
परमेश्वर का लसंहासन
“प्रययजश्चत्त को ढकने के ऊपर शेकीनयह र्य, पववत्र उपजस्र्त कय प्रत्यक्षीकरण; और करूबों के बीच में से,
परमेश्वर अपनी इच्छय को प्रकट करतय र्य। ये पववत्र संिेश कभी कभी महयययजक को बयिल से आवयज़ के
द्वयरय लमलते र्े। कभी कभी ियदहने स्वर्गाित
ू के ऊपर रोशनी पड़ती र्ी, जो स्वीक8नत को िशयातय र्य, यय बयएाँ
कयरूब पर छयाँव यय बयिल रुकतय र्आ जो अस्वीक8नत को िशयातय र्य।”
परमेश्वर की आज्ञा
पैरीययक्सा एंड प्रोफ़ेट्स, प8. 355. “इस वयवषाक सेवय से लोर्गों को प्रययजश्चत्त के महत्वपूणा सच्चयईययाँ बतययी
जयतीं र्ीं। पूरे सयल पयपबलल में पयपी के बिले िस
ू रे जीव को सवीकयर ककयय जयतय र्य; परं तु उस जीव कय
लहू पयप कय परू य प्रययजश्चत्त हीं बन पयतय र्य। वह पयप को मंदिर में ले जयने कय एक ज़ररयय र्य। लहू बहय
कर, पयपी आज्ञय के अचधकयर को मयनतय र्य, अपने र्गुनयहों को मयनतय र्य, और उस पर अपने ववश्वयस को
प्रकट करतय र्य जो जर्गत कय पयप ले जयएर्गय; परं तु वह आज्ञय की िण्ड से पूरी तरह स्वतंत्र नहीं र्य।
पैरीययक्सा एंड प्रोफ़ेट्स, प8प8. 357, 358. “जैसे की ख्रीस्त स्वर्गा जयने के बयि परमेश्वर के समक्ष अपने लहू
के द्वयरय ववश्वयलसयों के ललए अनुग्रह मयाँर्गते हैं, उसी तरह ययजक भी अपने प्रनतदिन की सेवय में पयपी के
ललए पववत्र स्र्यन में बललियन कय लहू नछड़कतय र्य।
“ख्रीस्त कय लहू, पक्षतयपी पयपी को व्यवस्र्य के िण्ड के मुक्त करतय है , परं तु पयप को लमटय नहीं िे तय,
प्रययजश्चत्त के दिन तक वह मंदिर तहरीर में बनय रहे र्गय; इसललए यरूशलेम के मंदिर में पयपबलल पयपी से
उसके पयप को हटय िे तय है , परं तु वह मंदिर में प्रययजश्चत्त के दिन तक बनय रहतय र्य।
“अंनतम प्रनतफल के उस महयन दिन में “मरे हुओं कय न्ट्ययय पुस्तकों में ललखे बयतों से उनके कयमों के
मुतयबबक ककयय जयएर्गय।” प्रकयलशतवयक्य 20:12। तब ख्रीस्त के शुध्ि करने वयले लहू से सच्चे पछतयने वयलों
के नयम स्वर्गा के पुस्तकों से लमटय दिए जयएाँर्गे। मंदिर पयप से शुध्ि ककयय जयएर्गय। यरूशलेम के मंदिर में
प्रययजश्चत्त कय यह कयम, यय पयपों को धोने कय कयम, प्रययजश्चत्त के दिन की सेवय में िशयायय जयतय र्य—जर्गत
के मंदिर को, पयपबलल के द्वयर, उन सभी पयपों से जो मंदिर को अशुध्ि ककए हुए र्े, शुद्ध ककयय जयतय र्य।
“जैसे की अंनतम प्रययजश्चत्त के द्वयरय स्च्चे पछतयवपयों के पयप स्वर्गा के पुस्तकों से लमटय दिए जयएाँर्गे, और
वे मन में कभी ययि ककए जयएाँर्गे, उसी तरह यरूशलेम के मंदिर में उन्ट्हें मरूस्र्ल भेज दियय जयतय र्य, सभय
से हमेशय के ललए िरू ।
“चाँूकक शैतयन पयप कय वपतय है , वह, सभी पयपों के ललए, परमेश्वर के पुत्र के मत्8 यु कय मख्
ु य िोषी है ,
न्ट्ययय मयाँर्गतय है कक शैतयन अंनतम िण्ड भुर्गते। मनुष्यों के उध्ियर के ललए और ब्रह्मयण्ड को शुध्ि करने कय
ख्रीस्त कय कयम स्वर्गीय मंदिर से पयप को हटय कर शैतयन, जो अंनतम सजय भर्ग
ु तेर्गय, पर रखने के बयि
समयप्त होर्गय। इसललए यरूशलेम के मंदिर की सेवय में , वयवषाक सेवय मंदिर के शुध्ि करने पर, और शैतयन के
बकरे पर सयरे पयप डयलने के बयि समयप्त होतय र्य।
“इसललए मंदिर की सेवय में लोर्गों को प्रनतदिन ख्रीस्त की मत्8 यु और सेवय के महयन सत्य लसखयए जयते र्े,
और सयल में एक बयर उनके मनों को ख्रीस्त और शैतयन के बीच हो रहे महयन के अंत की ओर ले जयतय र्य,
ययनी ब्रह्मयण्ड कय शुजध्िकरण।”
कक्रश्चन एजूकेशन, प8. 157. “हम प्रययजश्चत्त के दिन के प्रनतरूप में हैं, और हमें न लसफा परमेश्वर के समक्ष
अपने हृियों को नम्र और पयपों को स्वीकयरनय करनय है बजल्क, लसखयने के हमयरे र्गुण से हमें उन सभों को
लसखयनय है जजनके संपका में हम आते हैं, और उपिे शों और उियहरणों से उन्ट्हें परमेश्वर और यीशु मसीह
जजसे उसने भेजय र्य, जयनने में मिि करें ।”
लैव्यव्यववस्र्य 23:4. “कफर यहोवय के पवा जजनमें से एक एक के ठहरयए हुए समय में तम्
ु हें पववत्र सभय करने के
ललए प्रचयर करनय होर्गय, वे ये हैं।”
लैव्यव्यवस्र्य 23 में पयए जयने वयले पवा, परमेश्वर के लोर्गों को यह ययि दिलयने के ललए र्े कक ककस तरह से
परमेश्वर ने बीते समय में उनकी अर्गुवयई की; सयर् ही ये पवा ख्रीस्त की मत्8 यु, पनरूर्यन, स्वर्गारोहण और कयम
की ओर इशयरय करते र्े।
पिीस्तीन में मौसमों का बििना: (िे खें पैट्रीयाक्सि एंड प्ोफेट्स, पृपृ. 537-542).
यहूिी कैलें डर कय पहलय महीनय (अबीब) मयचा के अंत और अप्रैल के शुरूआत में होतय है । खेतों में जयड़े
के िौरयन फसल पक रहे होते हैं। अंनतम वषया हो चुकी है , और फसह कय पवा शुरू हो चुकय है , जौ तैययर
होनय शुरू हो चक
ु य र्य (8 बयइबल कमें री, प.8 442)। यह अनयज दहलयए जयने वयली भें ट में प्रयोर्ग होते
र्े।
वसंत के पवों के बयि फसल कयट ललए जयते र्े ( जौ, र्गेहूाँ, आदि.) (रूत 2:23)
हे मंत ऋतु में िस
ू रय कटनी आतय है - सजब्जयों और फलों के बर्गीचों के उत्पयि: फल, तेल, ियखरस,
आदि।
कटनी के कयम अंत होने के बयि (ननर्गामन 23:16), और नए सयल के कयम शुरू होने से पहलै, सभी
लोर्ग कयम से मक्
ु त हो जयते र्े और झोपडड़यों के पवा पर परू य ध्ययन िे ते र्े।
1. रूप: फसह – ननर्गामन 12:1-13:10- पहले मयह के 14वें दिन। लैव्यव्यवस्र्य 23:5। “पहले महीने के चौिहवे
दिन को र्गोधल
ु ी के समय यहोवय कय फसह हुआ करे ।” [इसे अबीब कहते हैं, इब्रयनी में इसकय अर्ा “पहलय”
है ]
ख्रीस्त के दिन में मेम्ने के बलल कय समय: “वे 9वें से 11वें पहर तक बलल करते।” 9 बयइबल कमें री, प.8 710,
“फसह” के तहत िे खें
प्नतरूप: किवरी का क्रूस- 1 कुररजन्ट्र्यों 5:7. “क्योंकक हमयरय भी फसह, जो मसीह है , बललियन हुआ है ।”
पैरीययक्सा एंड प्रोफेट्स, प8. 539. “मयह के चौिहवें दिन, र्गोधुली के समय, फसह मनययय जयतय र्य, इसके
र्गंभीर, कययाक्रम लमस्र के बंधुवयई से छुटकयरय के ययि दिलयते र्े, और उस बललियन की ओर इशयरय करते र्े
जो पयप के र्गुलयमी से छड़यने वयलय र्य।”
ग्रेट कन्ट्रोवसी, प8. 399. “फसह के मेम्ने कय बललियन ख्रीस्त के आर्गयमी मत्8 यु की ओर इशयरय करतय र्य।
पौलुस कहतय है ‘क्योंकक हमयरय भी फसह, जो मसीह है , बललियन हुआ है ।’ 1 कुररजन्ट्र्यों 5:7। परमेश्वर के
समक्ष दहलयए र्गए बयली ख्रीस्त के पुनरूर्यन कय चचन्ट्ह र्य।”
2. रूप: अखमीरी रोिी- ननर्गामन 12:8. “और वे उसके मयाँस को उसी रयत आर्ग में भाँज
ु कर अखमीरी रोटी और
कड़वे सयत पयत के सयर् खयएाँ।”
लैव्यव्यवस्र्य 23:6. “और उसी महीने के पंरहवे दिन को यहोवय के ललए अखमीरी रोटी कय पवा हुआ करे ,
उस में तम
ु सयत दिन तक अखमीरी रोटी खययय करनय।”
प्नतरूप: ख्रीस्त का िे ह- 1 कुररजन्ट्र्यों 5:7,8. “पुरयनय खमीर ननकयलकर अपने आप को शुध्ि करो कक नयय र्गाँध
ू य
हुआ आटय बन जयओ; तयकक तुम अखमीरी हो। क्योंकक हमयरय भी फसह, जो मसीह है , बललियन हुआ है । इसललए
आओ, हम उत्सयह के में आनंि मयनवें : न तो पुरयने खमीर से और न बुरयई और िष्ु टतय के खमीर से; परं तु
सीधयई और सच्चयई की अखमीरी रोटी से।”
“नयय भें ट”: 2 कुररजन्ट्र्यों 5:17. “इसललए यदि कोई मसीह में है , तो वह नई सज8 ष्ट है ।”
रोलमयों 6:4. “अतः उस मत्8 यु कय बजप्तस्मय पयने से हम उसके सयर् र्गयड़े र्गए, तयकक जैसे मसीह वपतय की
मदहमय के द्वयरय मरे हुओं में से जजलययय र्गयय, वैसे ही हम भी नए जीवन की सी चयल चलें ।”
3. रूप: दहिाने वािे भें ि- लैव्यव्यवस्र्य 23:10-11। “अपने अपने पके खेत की पहली उहज कय पूलय ययजक के
पयस ले आयय करनय; और वह उस पूले को यहोवय के सयमने दहलयए, कक वह तुम्हयरे ननलमत्त ग्रहण ककयय
जयए।”
प्नतरूप: ख्रीस्त का पन
ु रूथान और जी उठाए गए िोग
1 कुररजन्ट्र्यों 15:20. “परं तु सच मुच मसीह मुिों में से जी उठय है , और जो सो र्गए हैं उन में वह पहलय
फल हुआ।”
इकफ़लसयों 4:8. “वह ऊाँचे पर चढय, और बंदियों को बयाँध ले र्गयय, और मनुष्यों को ियन दिए।”
मत्ती 27:52,53. “और कब्रें खुल र्गईं, और सोए हुए पववत्र लोर्गों के बहुत से सौ जी उठे , और उसके जी
उठने के बयि वे कब्रों में से ननकलकर पववत्र नर्गर में र्गए और बहुतों को दिखयई दिए।”
ि डीज़ययर ऑफ़ एजेस, प8. 834 [यीशु के स्वर्गारोहन के वक्त] “वह अपने ववजय के चचन्ट्ह को दिखय कर;
परमेश्वर के समक्ष दहलयए जयने वयली भें ट चढयतय है , उसके सयर् उठयए र्गए लोर्ग उस बड़े समह
ू की ओर
इशयरय करते हैं जो उसके िस
ू रे आर्गमन पर कब्रों से उठय ललए जयएाँर्गे।”
4. रूप: पेन्तेकोस्ि (सप्ताहों का पवि व पहिे िवे हुए गेहूाँ का पवि भी कहा जाता है ) िैव्यव्यवस्था 23:15-17
एवं ननगिमन 19:1,16-19.
यह अबीब महीने के 16वें दिन में मनयए जयने वयले दहलयए जयने वयले पवा के 50वें दिन, अर्यात तीसरे महीने
के 6वें दिन- मई के अंत यय जन
ू के शुरूआत में - मनययय जयतय र्य। इसे “सप्तयहों कय पवा” व “पहले लवे हुए
र्गेहूाँ कय पवा” भी कहय जयतय र्य (ननर्गामन 34:22)। नए ननयम के दिनों में इसे “” कहय जयतय र्य जजसे यूनयनी
शब्ि से ललयय र्गयय है जजसकय अर्ा पचयस “है ।”
जैसे की कटनी से पहले दहलयए जयने वयली भेंट चढययय जयतय र्य, वैसे ही पेन्ट्तेकोस्ट कटनी कय अंत में आतय
र्य। यह धन्ट्यवयि िे ने और परमेश्वर पर सयरी अच्छी वस्तुओं के ललए इस्रयएल की ननभारतय को मयनने कय
समय र्य। इस समय (वपछले पवा की तरह) पल
ू े नहीं दहलयई जयती र्ी, परं तु खमीर के पकयई हुई महीन आटे
की िो रोदटययाँ, सयर् में सयत मेम्ने, एक बच्छड़य, िो मेढे, पयप बलल के ललए एक बकरय, और मेल बलल के
ललए िो मेम्ने चढयई जयती र्ीं (लैव्यव्यवस्र्य 23:1719)।
जैसे कक दहलयए जयने वयली रोदटययाँ दहलयए जयने वयली भेंट के पचयस दिनों बयि चढयई जयती र्ी, वैसे ही
ख्रीस्त के जी उठने और इंतज़यर कर रहे चेलों पर पववत्र आत्मय की बयररश के बीच पचयस दिनों कय अंतर
र्य। इन चयलीस दिनों में ख्रीस्त ने अपने चेलों को लसखययय एवं प्रत्सयदहत ककयय। कफर वह स्वर्गा चलय र्गयय
और िस दिनों तक चेले “वपतय कय वयिय- आत्मय की बयररश” कय इंतज़यर करते रहे (ऐक्ट्स ऑफ िी
अपोसल्स, प8. 35।)
सरांश: पेन्ट्तेकोस्ट कय पवा यहूदियों के ललए एक आनंि कय अवसर र्य जब वे परमेश्वर द्वयर दिए र्गए फ़सल
कय खुशी मनयते र्े। जैसे की दहलयए जयने वयलय पवा ख्रीस्त के जी उठने और इसके सयर् जजलयए र्गए लोर्गों
को िशयातय र्य, वैसे ही पचयस दिनों बयि पेन्ट्तेकोस्ट के दिन कलीलसयय में लोर्गों के महयन फसल की खुशी में
उत्सव मनयए जयने को िशयातय है , जजसकय चचन्ट्ह िो रोदटयों कय भें ट र्य, जो कटनी के फल। कफर भी,
पेन्ट्तेकोस्ट कय पूरय होनय कलीलसयय में लोर्गों के जुड़नी की खुशी कय उत्सव मयत्र नहीं र्य, बजल्क यह
अश्वयसन की यीशु स्वर्गा में र्य, और उसने पववत्र आत्मय को भेजने कय वयिय ककयय र्य, और वह पयप में चर्गरे
हुए मनष्ु य को छुड़यने में सफल रहय।
5. रूप: नव वषि का पवि- लैव्यव्यवस्र्य 23:24. “इस्रयएललयों से कह कक सयतवें महीने के पहले दिन को तुम्हयरे
ललए परम ववश्रयम हो; उसमें स्मरण दिलयने के ललए नरलसंर्गें फूाँके जयएाँ।”
प्नतरूप: न्याय की घड़ी की घोषणा– ियननएल 7:10. “उस प्रयचीन के सम्मुख से आर्ग की धयरय ननकलकर वह बह
रही र्ी; कफर हज़यरों हज़यर लोर्ग उसकी सेवय टहल कर रहे र्े, और लयखों लयख लोर्ग उसके सयमने हयजजर र्े;
कफर न्ट्यययी बैठ र्गए, और पस्
ु तके खोली र्गईं।”
योएल 2:15,16. “लसय्योन में नरलसंर्गय फूाँको, उपवयस कय दिन ठहरयओ, महयसभय कय प्रचयर करो।”
प्रकयलशतवयक्य 14:6-12.
6. रूप: प्ायजश्चत्त का दिन- लैव्यव्यवस्र्य 23:27. “उसी सयतवें महीने कय िसवयाँ दिन प्रययजश्चत्त कय दिन मयनय
जयए।”
प्नतरूप: न्यास की घड़ी- प्रकयलशत वयक्य 14:7. “क्योंकक उसके न्ट्ययय करने कय समय आ पहुाँचय है ।”
ररव्यु एंड हे रल्ड, जून 26, 1888. “हम प्रययजश्चत्त के दिन के प्रनतरूप में जी रहे हैं, और हमयरय महयययजक
स्वर्गीय मंदिर के महयपववत्र स्र्यन में है , अपने लहू के द्वयरय अपने लोर्गों के ललए लसफ़ररश कर रहय है ।
कलवरी की उपलजब्ध हम में से ककसी के ललए भी, एक पुरयनी भूली हुई कहयनी नहीं बननी चयदहए।”
ग्रेट कन्ट्रोवसी, प8. 430. “प्रययजश्चत्त के दिन के प्रनतरूप में हमयरे ललए यह समझनय ककतनय ज़रूरी है कक
हमयरे महयययजक के कयम को समझें और अपनी जजम्मेियररयों को जयनें। ”
7. रूप:- लैव्यव्यवस्र्य 23:34. “इस्रयएललयों से कह कक उसी सयतवें महीने के पंरहवे दिन से सयत दिन तक
यहोवय के ललए झोपडड़यों कय पवा रह करे ।”
लैव्यव्यवस्र्य 23:42,43. “सयत दिन तक तुम झोपडड़यों में रहय करनय, अर्यान जजतने जन्ट्म के इस्रयएली हैं वे
सब के सब झोपडड़यों में रहें , 43 इसललए की तुम्हयरी पीढी पीढी के लोर्ग जयन रखें, कक जब यहोवय हम
इस्रयएललयों को लमस्र िे श से ननकयलकर कय रहय र्य तब उसने उनको झोपडड़यों में दटकययय र्य; मैं तुम्हयरय
परमेश्वर यहोवय हूाँ।”
पैरीययक्सा एंड प्रोफेट्स, प.8 540. “फसह के ही तरह, झोपडड़यों कय पवा ययिर्गयरी में मनययय जयतय र्य।
मरूभलू म में ययबत्रयों वयले जीवन की ययि में उन्ट्हें इस वक्त अपने घरों को छोड़नय होतय र्य, और झोपडड़यों
और तंबुओं में रहनय होतय र्य।”
ू रा आगमन- 1 चर्स्सलुनीककयों 4:16,17. “क्योंकक प्रभू आप ही स्वर्गा से उतरे र्गय; उस समय ललकयर
प्नतरूप: िस
और प्रधयन ित
ू कय शब्ि सुनयई िे र्गय।”
पैरीययक्सा एंड प्रोफेट्स, प8. 541. “झोपडड़यों कय पवा लसफा एक ययिर्गयर ही नहीं बजल्क वह एक रूप भी र्य।
यह न लसफा मरूभूलम की ययत्रय को िर्यातय है , बजल्क, कटनी के पवा की ही तरह, यह भूलम के उपज को
इक्कठे करने की खश
ु ी कय उत्सव र्य, और अंनतम कटनी के दिन की ओर भी इशयरय करतय र्य, जब कटनी
कर प्रभू र्गेहूाँ को इक्कठय करने और भूसी को आर्ग में डयलने के ललए उनकी र्गठररययाँ बनयने के ललए अपने
कलमायों को भेजेर्गय।”
पैरीययक्सा एंड प्रोफेट्स, प8. 539. “उध्ियकत्तया ने जब कलवरी पर अपनी जयन िी, फसह कय महत्व खत्म हो
र्गयय, और प्रभू भोज की ववचध को उस घटनय कय ययिर्गयर के रूप में स्र्यवपत ककयय र्गयय जजसकय रूप फसह
र्य।”
1 कुररजन्ट्र्यों 11:26. “क्योंकक जब कभी तुम यह रोटी खयते और इस कटोरे में से पीते हो, तो प्रभू की मत्8 यु
को जब तक वह न आए, प्रचयर करते हो।”
पढें :
ववषय सच
ू ी
अध्याय 1- दानिय्येल 1
दानिय्येल की पुस्तक जगत के इनतहास के ककस समय के ललए खास कर ललखा गया है? दानिय्येल 12:4,9
दानिय्येल अध्याय 1-6= अधिकतर कहानियों से भरे है ताकक हमें अंनतम ददिों के ललए तैयार होिे मदद
लमले
दानिय्येल अध्याय 7-12= अधिकतर भविष्यिाणियााँ हैं जो हमें अंनतम ददिों के घटिाओं को समझें
प्रोफेट्स एंड ककं ग्स, पृ. 453. “यहूदा के शेष लोगों को बंदी में जािा प़िा, ताकक िे कदिि पररजस्थनतयों में
उि सीखों को सीख सके जजसे उन्होंिे अधिक सुहाििे पररजस्थनतयों में सीखिे से इन्कार ककया।”
6 टे स्टीमिीज़, पृ. 219. “सेिेंथ-डे एडिें दटस्टों द्िारा स्थावपत ककए गए प्रत्येक संस्थाि को दनु िया के िो
बििा है जो लमस्र में युसूफ, और बाबुल में दानिय्येल और उसके साथी थे।”
बेलतशस्सर शायद= “बेल उसके (राजा के) जीिि की रक्षा करे । ” शद्रक और मेशक= (बेबीलोिी भाषा में
समझाया िहीं जा सकता है )। अबेदिगो= “िेबू का सेिि”
दानिय्येल की ववश्वासिीयता- पद 8
4 टे स्टीमिीज़, पृ. 570. “दानिय्येल अिारह िषम का था जब उसे बाबुल के राजा की सेिा में मूनतमपूजक
न्यायालय में लाया गया, और उसके युिा होिे के कारि गलत का प्रनतरोि और सही चीजों का दृढ़ पालि
अधिक प्रशंसिीय है । उसका शािदार उदाहरि थके और पररक्षा में प़िे हुओं को ताकत दे गा, यहााँ तक की
आज भी।”
बाइबल इको, माचम 1, 1887. “सुिार माता के साथ शुरू होिा चादहए; उसकी जजम्मेदारी महाि है । माताओं
को बबिा दे र ककये सजृ ष्टकताम के साथ खुद को सही संबंि में लािा है , ताकक उसके अिुग्रह से िे अपिे
बच्चों ककिारे लंपटता और असंयम से बचािे के बााँि बिा ले। यदद िे बुराई के रास्ते में ि चले, यदद
परमेश्िर के ददये गए निदे शों का पालि इमािदारी से करे , असंयम का अजस्तत्ि िहीं रह जाएगा, और िे
अपिे बच्चों को, युिा दानिय्येल की तरह, िेनतक और बौधिक ऊाँचाईयों पर पहूाँचेंगे; िे अच्छी के ललए दृढ़
और मजबत
ू रहें गे, और समाज के ललए आशीष का कारि बिेंगे और अपिे सजृ ष्टकर्त्ाम के ललए सम्माि का
कारि बिेंगे।”
एजूकेशि, पृपृ. 54, 55. “चाँकू क भोजि के कुछ दहस्से को मूनतमयों को समक्ष चढ़ाया जाता था, इसललए राजा
के मेज का भोजि मूनतमपूजा को समवपमत था; और राजा उपहार में सहभाधगता से ये युिकों को झूिे दे िताओं
के श्रध्दा में एकजुट मािा जाता।”
4 बाइबल कमें ट्री, पृ. 1166. “जैसे दानिय्येल और उसके साधथयों को पररक्षा में लाया गया, उन्होंिे खद
ु को
पूरी तरह से िालममकता और सत्य के पक्ष में रखा। उन्होंिे चंचलता से िहीं बजल्क बुजध्दमािी से काम
“दाल”- स्ट्रोंग्स #2235 ‘जज़योरा’- अथामत सजब्जयााँ (जैसे िे रोपे जाते हैं); मूल शब्द उत्पवर्त् 1:29 से स्ट्रोंग्स
#2233 ‘ज़ीरा’- अथामत बीज
जज़योरा शब्द का इस्तेमाल कर के दानियल का मतलब था भोजि जो रोपे गए बीच से आते हैं, जैसे फल,
बदाम, सजब्जयााँ और बीज, या शाकाहारी भोजि
10 ददिों का पररणाम!
प्रोफेट्स एंड कींग्स, पृ. 485. “बाबुल के न्यायालय में सभी राज्यों से प्रनतनिधि उपजस्थत थे, प्रनतभािाि
पुरूष, प्रकनतक उपहारों से संपन्ि पुरूष, और जगत के विभन्ि संस्कृनतयों संपन्ि; कफर भी उि सबके बीच,
इि इब्री युिकों के समाि कोई कुलीि िहीं था। शारीररक ताकत और खूबसूरती में , मािलसक क्षमता और
साक्षरता में , िे बेजो़ि थे। उिका सीिा ख़िा होिा, िोस, लचीला कदम, सुंदर मुखाकृनत, तेज वििेक, बबिा
बदबू का सााँस—सभी अच्छी आदतों के बहुत सारे प्रमािपत्र थे, कुलीिता के प्रमाि हैं जजससे प्रकृनत उि
सभी को ििाज़ती है जो उसके ियमों का पालि करते है ।”
यूथ इन्सट्रकटर, ििम्बर 12, 1907. “परं तु राजा की ऐशोआराम इि युिाओं को साफ मुखाकृनत और तीक्ष
आाँखें िहीं दे सकती थी। िह परमेश्िर की अिुमोदि का चेतिा था। आर दानिय्येल जािता था कक यदद उसे
और उसके साधथयों को सादा भोजि खािे की अिुमनत लमलती है , तो राजा के सम्मुख हाजजर होिे के िक्त
तक स्िास््य सुिार के लाभ उिके शारीररक स्िास््य में साफ ददखिे लगेगा।”
काउन्सेल्स ऑि हे ल्थ, पृ. 66. “दानिय्येल का जीिि शुध्द ककए गए चररत्र का प्रेररत उदाहरि है । िे चाहे
जहााँ भी हों, जो सच में शुध्द ककये गए हैं, िे सही शारीररक आदतों, और दानिय्येल की तरह, दस
ू रों के
सामिे संयम और आत्मोत्सगम का उदाहरि रख कर अपिा िैनतक मािक ऊाँचा करें गे। ”
काउन्सेल्स ऑि हे ल्थ, पृ. 66. “क्या होता यदद दानिय्येल और उसके साथी मूनतमपूजक अधिकाररयों के साथ
समझौता कर लेत,े और अिसर के दबाि में आकर िे खाते और पीते जैसा की बेबीलोनियों की संस्कृनत था?
नियमों से अलगाि का िह एक मात्र घटिा सही और गलत के बोि को कमज़ोर कर दे ती। भख
ू में ललप्त
होिे से उिका शारीररक स्िास््य कम हो जाता, बुध्दी की तेज कम घट जाती, आजत्मक सामथम कमज़ोर हो
काउन्सेल्स ऑि हे ल्थ, पृ. 453. “जो लोग संदेश दे ते हैं उन्हें स्िास््य सुिार भी लसखािा चादहए। यह एक
ऐसा विषय है जजसे हमें समझिा है ताकक हम आिे िाली घटिाओं के ललए तैयार हो सके, और इसका
विलशष्ि स्थाि हो।”
1 टे स्टीमिीज़, पृ. 619. “परमेश्िर चाहता है कक िे सभी लोग जो सत्य पर विश्िास करते हैं, हमारे सामिे
जो गंभीर और महत्िपूिम काम है , उसके ललए शारीररक स्िास््य को सबसे अच्छे हालत में बिाए रखिे के
ललए निरं तर प्रयास करिा चादहए। इस काम में स्िस्थ शरीर और ददमाग की ज़रूरत है ।... जजि लोगों को
इस काम स फकम िहीं प़िता है और यह काम िहीं करते हैं...िे प्
ृ िी के दीि लोगों के साथ कमज़ोर पाए
जाएाँगे, जजिपर उसका न्याय आएगा, िे परमेश्िर के क्रोि के ददि नछप जाएाँगे....परमेश्िर का सामथम केिल
उि लोगों पर आता है जो खुद को दे ह और आत्मा की सारी गंदधगयों से साफ कर लेते हैं, परमेश्िर के भय
में पवित्रता को अपिाते हैं।”
काउन्सेल्स ऑि हे ल्थ, पृ. 443. “स्िास््य सुिार का काम परमेश्िर का एक सािि है जजससे हमारी दनु िया
में पी़िा कम हो और उसकी कलीलसया शुध्द हो।”
काउन्सेल्स ऑि हे ल्थ, पृ. 22. “िह जो उस ज्योनत को मािता है जजसे परमेश्िर िे स्िास््य सि
ु ार पर
ददया है , उसके पास सत्य के द्िारा शुध्द होिे, और अिंतजीिि के ललए उप्युक्त बििे का एक महत्िपूिम
सािि है । परं तु यदद िह इस ज्योनत की अिहे लिा करता है और प्रकृनत के नियमों के विरुध्द जीता है , तो
उसे इसकी कीमत चुकािी होगी; उसकी आजत्मक क्षमताएाँ कमज़ोर हो जाएाँगी, और िह परमेश्िर के भय में
पवित्र कैसे हो सकता है ?”
काउन्सेल्स ऑि डाईट एंड फूड्स, पृ. 69. “ददसंबर 10, 1817, मुझे कफर ददखाया गया कक स्िास््य सुिार
महाि कायम का एक शाखा है जो लोगों को प्रभु के दस
ू रे आगमि के तैयार करे गा। तीसरे स्िगमदत
ू के संदेश
से यह करीब से जु़िा है क्योंकक हाथ शरीर के साथ है ।”
काउन्सेल्स ऑि डाईट एंड फूड्स, पृ. 50. “असंयलमत भोजि करिे, बहुत कम अंतराल में खािे, बहुत
ज्यादा, और भारी, संपूिम आहार रदहत भोजि का पाप, पाचि तंत्र के स्िस्थ कक्रया को िष्ट कर दे ती है ,
ददमाग को प्रभावित करता है , और समझ कम दे ता है जजससे सही, शांत, स्िस्थ सोच और में बािा आती
है । और यह कलीलसया के पररक्षाओं का फलदायक स्रोत है ।”
6 टे स्टीमिीज़, पृपृ. 370, 371. “मण्डललयों के सामिे स्िास््य सुिार का विषय प्रस्तूत ककया गया है : परं तु
इस संदेश को ददल से अपिाया िहीं गया है ...यदद मण्डली ताकत की अपेक्षा करती है , तो उसे परमेश्िर के
ददये गए सत्य में जीिा होगा।.... मण्डली के सदस्यों के कारि जो कभी पररिनतमत िहीं हुए और जो कभी
पररिनतमत थे परं तु अब धगर गए हैं, परमेश्िर अब बहुत सारे लोगों को सत्य में लािे के ललए काम िहीं
करता।”
अध्याय 2- दानिय्येल 2
राजा का स्वप्ि भल
ु ाया जा चक
ु ा है - पद 1-5
द सैंक्टीफाईड लाईफ, पृ. 34. “राजा जािता था कक यदद िे सच में अथम बता सकते हैं तो िे स्िप्ि भी बता
सकते हैं। परमेश्िर िे अपिी योजिा में िबूकदिेस्सर को स्िप्ि ददया, और उसे भुलिा ददया, जबबक उसका
भय उसके ददमाग में रह गया, ताकक बाबुल में ढोंग करिे िाले बुजध्दमािों का परादाफाश हो।”
फन्डामें टल्स ऑफ़ कक्रश्च्यि एजूकेशि, पृ. 411. “उसमें (स्िप्ि में ) लसखाए गए सीख परमेश्िर द्िारा आज
के लोगों के ललए गए थे। स्िप्ि का अथम बतािे में असमथम बुजध्दमाि व्यजक्त, आज के बुजध्दमािों का
प्रतीक है , जजन्हें परमेश्िर से ्ाि प्राप्त िहीं है , और इसललए िे भविष्यिाणियों को समझ िहीं पाते हैं।
जगत के सबसे लशक्षक्षत लोग, जो इस बात पर ध्याि िहीं दे ते हैं कक परमेश्िर का िचि उि से क्या कहता
है , और अपिे हृदयों को िचि ग्रहि करिे और उसे दस
ू रों को बााँटिे के ललए िहीं खोलते हैं, उसके
प्रनतनिधि िहीं हैं। अिंत जीिि का सत्य पािे िाले प्
ृ िी के महाि और लशक्षक्षत, राजा और ऊाँचे पद के
लोग िहीं हैं, जौभी की िह उिके पास लाया जाएगा।” दे खें दानिय्येल 12:10
फन्डामें टल्स ऑफ़ कक्रश्च्यि एजूकेशि, पृ. 411. “परमेश्िर बाबुल के राज्य में काम कर रहा था, चार इब्री
युिकों को ज्योनत दे रहा था, ताकक िह अपिा काम लोगों को ददखा सके। िह यह ददखाता कक उसके पास
प्
ृ िी के सारे राज्यों चलािे का सामथम है , िह राजाओं को ख़िा कर सकता है और उन्हें धगरा भी सकता है ।
राजाओं का राजा बाबुल के राजा को महाि सत्य बता रहा था, जजससे उसके मि में परमेश्िर के प्रनत
जजम्में दारी का आभास हुआ। उसिे परमेश्िर की बजु ध्द और अपिे राज्य को सबसे लशक्षक्षत लोगों के बीच का
अंतर दे खा।”
एजूकेशि, पृ. 175. “इि बातों को समझिे के ललए—यह समझिे के ललए कक “जानत की बढ़ती िमम से होती
है ” कक “गद्दी िमम से ही जस्थर रहती है ” और “कृपा करिे से उसकी गद्दी संभलती है ” (िीनतिचि 14:34;
16:12; िीनतिचि 20:28); उसके सामथम की प्रत्यक्षीकरि में , जो “राजाओं का अस्त और उदय भी िही
करता है ” (दानिय्येल 2:21) इि नियमों के काम को पहचाििे के ललए कक,- इनतहास के दशमिशास्त्र को
समझिे के ललए।
“परमेश्िर के िचि में यह साफ ददखता है । इसमें ददखाया गया है कक राज्यों की ताकत, व्यजक्तयों को
जैसे, उि मौको या सुवििाओं पर िहीं पाए जाते जो उन्हें अपरजजत बिाते ददखते हैं; िह उिके महािता में
भी िहीं पाया जाता है । यह उस इमािदारी से िापा जाता जजससे िे परमेश्िर के मकसद को पूरा करते हैं।”
प्रोफेट्स एंड ककं ग्स, पृ. 497. “‘स्िप्ि यह है ,’ दानिय्येल िे आत्मविश्िास से कहा; और िह राजा, जो ब़िे
ध्याि से स्िप्ि का सारी बातों को सुि रहा था, जािता था कक यही िह स्िप्ि है जजसिे उसे इतिा परे शाि
ककया। इसललए उसका मि इसे अथम को ग्रहि करिे के ललए खुल गया। राजाओं का राजा महाि सत्य को
बाबुल के राजा को बतािे िाला था। परमेश्िर यह बतािे िाला था कक जगत के सारे राज्यों के ऊपर उसकी
सामथम है , राजाओं का बिािे का और राजाओँ को गद्दी से ऊतारिे का। िबक
ू दिेस्सर का ददमाग खल
ु गया,
हो सकता है स्िगम के प्रनत अपिे जजम्मेदारी को लेकर। भविष्य की घटिाएाँ, अंत के समय तक की, उसके
सामिे खुलिे िाली थीं।”
168 ई.पू.- मैसेडोनिया को जीतिे के बाद रोग एक ब़िा सम्राज्य बि गया, परं तु रोम सदा
के ललए राज िहीं कर सकता था। रोमी सम्राज्य बाद में टूट गया क्योंकक उसके जीते हुए
क्षेत्र अपिी आज़ादी के ललए ल़िे।
कलीलसया और सरकार
दानिय्येल 2:41. “तू िे पााँिों और उाँ गललयों को दे खा, जो कुछ कुम्हार की लमट्टी की और कुछ लोहे की थीं”
“कुछ लोहे की थीीं”- लोहा रोम को दशामता है इसललए हम यहााँ दे खते हैं कक िए दौर में भी उसके प्रभाि को
दे खते हैं
“कुछ कुम्हार की लमट्टी”- यह पहला तत्ि है जो िातु िहीं है , इससे साफ़ ज़ादहर होता है कक ये राज्य पहले
के राज्यों के जैसे िहीं है ।
यशायाह 64:8; रोलमयों 9:21- ये पद बताते हैं कक कुम्हार की लमट्टी परमेश्िर के लोगो का प्रतीक है
“लमट्टी के सींग लोहा भी लमला हुआ”- जब कुम्हार की शुध्द लमट्टी के अंश लोहे से लमलती है तो िह जैसे
दानिय्येल ललखता है “दवू षत लमट्टी बि जाता है ” जजससे घ़िा बिािे के तब तक इस्तेमाल िहीं ककया जा
सकता है जब तक की उसे शुध्द ि ककया जाए।
भजिसींदहता 40:2- दाऊद भी परमेश्िर से अगल बबताए गए अिुभि को दवू षत लमट्टी कहता है
15 मैिूजस्क्रप्ट रीललज़ेस, पृ. 39. “कलीलसया और सरकार का लमलिा लोहा और लमट्टी द्िारा दशामया गया
है । यह मेल कलीलसयाओं के सभी ताकतों को कमज़ोर कर दे ती है । कलीलसया और सरकार के मेल के बुरे
ितीजे निकलें गे। मिुष्यों िे परमेश्िर की सहिशजक्त की सीमा को लगभग पार ही कर ददया है । उन्होंिे
अपिी ताकत का इस्तेमाल राजिीनत में ककया है और पोप से लमल गए हैं। पर िह समय आएगा जब
निश्कषथ: लोहा और लमट्टी से बिे पैरों और उाँ गललयों में हम बबभाजजत दनु िया दे खते हैं जो दे श के ककसी
एक सम्राज्य के अिीि ि होगा। हम एक िए शजक्त को भी दे खेंगे जो रोमी राज्य के प्रभाि को परमेश्िर
के लोगों के साथ लमलािे का काम करे गी, या कलीलसया और सरकार लमल जाएाँगे। इनतहास में हम दे खते हैं
कक यह रोमि कैथोललक चचम द्िारा पूरा ककया गया जजसिे यूरोप के दे शों पर रोम के धगरिे के बाद 1000
िषों से अधिक समय तक दमिकारी रूप शासि ककया, और आज भी दनु िया में इसका प्रभाि है और
भविष्यिािी में जैसा की हम दे खते हैं इसका प्रभाि अंत तक रहे गा। पनतत कलीलसयाएाँ जो सरकार के साथ
लमलती हैं अंत में अन्य दे शों के साथ यीशु के दस
ू रे आगमि में न्याय में लाए जाएाँगे। बाइबल के इस अथम
का समथमि ऊपर ददये गए एलेि जी. व्हाईट के लेखों द्िारा ककया गया है ।
दानिय्येल 2:34. “एक पत्थर िे बबिा ककसी के खोदे आप ही आप उख़िकर उस मूनतम के पााँिो पर लग
कर...उिको चरू चरू कर डाला।”
दानिय्येल 2:35. “िह पत्थर जो मनू तम पर लगा था िह ब़ि पहा़ि बि कर सारी प्ृ िी में फैल गया।”
दानिय्येल 2:44. “स्िगम का परमेश्िर एक ऐसा राज्य उदय करे गा जो अिन्तकाल तक ि टूटे गा...और िह
सदा जस्थर रहे गा।”
प्रोफेट्स एंड ककं ग्स, पृ. 499“िबूकदिेस्सर िे बुध्दीमािों को िाश कर दे िे की आ्ा को रोक ललया। उिके
प्राि इसललए बच गए क्योंकक दानिय्येल का संबंि रहस्यों को उजागर करिे िाले से था। और “राजा िे
दानिय्येल का पद ब़ि ककया, और उसको बहुत ब़िे ब़िे दाि ददए; और आ्ा दी कक िह बाबुल के सारे
प्रान्त पर हाककम और बाबुल के सब पजण्डतों पर मुख्य प्रिाि बिे। तब दानिय्येल िे वििती करिे से राजा
िे शद्रक, मेशक, और अबेदिगो को बाबुल के प्रान्त के कायम के ऊपर नियुक्त कर ददया; परन्तु दानिय्येल
स्ियं राजा के दरबार में रहा करता था।”
“मिुष्य को इनतहास के विलभन्ि समय में , राज्यों का बढ़िा, सम्राज्यों का धगरिा, ददखिे में ऐसा लगता
है जैसे यह मिष्ु य की इच्छा और सामथम पर निभमर करती है ; घटिाएाँ बहुत हद तक ऐसी लगती है जैसे िे
उसकी समाथम, मह्िाकांक्षा या सिक पर निभमर करता है । परमेश्िर के िचि में पदाम खुल चुका है , और
दे खो, पीछे , मािि रूधच और शजक्त और चाहत के प्रत्येक खेल और प्रनतखेल के पीछे , अणखल दयालू की
एजेंलसयााँ थी, मौि रहकर, िैयम से उसकी अपिी इच्छी के सुझािों पर कर रहीं थी।”
अध्याय 3- दानिय्येल 7
चार पशुओीं का दशथि- पद 1-3
भाल-ू पद 5
चीता- पद 6
दानिय्येल 8:21 भविष्यिािी करता है कक यूिाि के सम्राट लसकंदर महाि मादी-फारस पर विजय
पाएगा
चार पंख तेजी के प्रतीक हैं, जजस तेजी से लसकंदर महाि सर्त्ा में आया, दनु िया का सबसे ब़िा सम्राज्य
ख़िा ककया। ये सब महज 10 िषों में हुआ, परं तु असंयम के कारि िह बबमार प़ि गया और मर
गया।
चूंकक इस युिा राजा िे अपिे राजगद्दी का उर्त्राधिकरी िहीं चुिा था इसललए राज्य चार दहस्सों में
बट गया, इसे भविष्यिािी में चार लसरों से दशामया गया है ।
इस खंख
ु ार पशु के ललए प्राकृनतक दनु िया में प्रतीक के रूप में शायद कोई जीि िहीं पाया गया, क्योंकक
पछले तीि पशुओं की तरह इस पशु का ककसी से तुलिा िहीं ककया गया है ।
दस सीींग- पद 24
“राजिीनतक रोम के अिशेषों में से महाि िैनतक सम्राज्य निकला, रोमि चचम के विशाल रूप में ” (ए. सी.
जललक, द राईज़ ऑफ़ द मेडडिल चचम [1900], पृ. 150)।
तीि सींगों का उखा़िा जािा तीि बबमर राज्यों का हटाया जािा है । पोप के रोम के राजिीनतक उदय में
रूकािट पैदा करिे िाले राजिीनतक ताकतों में थे हे रुली, ििडल, और ओस्ट्रोगोथ।
533 में जसदटिीयि िे पोप के िालममक प्रभुता को पूिम और पजश्चम में “सभी पवित्र कलीलसयाओं का प्रमुख”
के रूप में स्िीकार ककया, और इस कािूिी मान्यता को इम्पेररयल कोड ऑफ़ लॉज़ (शाही नियमों का कोड)
में शालमल ककया गया (कोड ऑफ़ जसदटिीयि, बुक 1, टाईटल 1, पृ. 534)।
जौभीकक कािूिी रूप से पोप के िालममक प्रभुता को मान्यता 533 में ही प्राप्त हो गया, यह जादहर है कक
जब तक आररयि ओसट्रोगोधथक राज्य रोम और इटली के अधिकांश दहस्से पर राज करता तब तक यह
शाही फ़रमाि प्रभािशाली िहीं हो सकता था। जब तक ओट्रोगोथ के शासि को िहीं तो़िा जाता तब तक
पोप अपिे शजक्त को पूरी तरह से विकलसत करिे के आज़ाद िहीं था। 538, में पहली बार पजश्चमी शाही
पररिार के खत्म होिे के बाद रोम का शहर आररयि राज से मुक्त हुआ। उस िषम ओस्ट्रोगोथ राज्य का अंत
हो गया। इसललए 538 का तारीख 533 की ताररख से अधिक महत्िपूिम है । इसके बाद से पोप का राज्य
अपिा िालममक ताकत को बढ़ािे के ललए पूरी तरह से आज़ाद हो गया। निकोल, फ़्ांलसस डी., द सेिेंथ डे
एडिें दटस्ट बाइबल कम्में ट्री, (िालशंगटि, डी. सी.: ररव्यू एंड हे रल्ड पबलललशंग एस्सोलसयेशि) 1978.
“पोप का पद इतिा ब़िा है और इसकी मदहमा इतिी है जैसे की िह सािरि मिुष्य िहीं बजल्क िह जैसे
की िह परमेश्िर ही है , और परमेश्िर का प्रनतनिधि है ।”
“पोप प्
ृ िी में परमेश्िर की तरह है , ख्रीस्त के िफ़ादारों का एकलौता अधिपनत, राजाओं का मुख्य, अत्यंत
सामथी, जजसे सिमशजक्तमाि परमेश्िर िे ि लसफम प्
ृ िी परं तु स्िगम के राज्य की भी जजम्मेदारी सौंपी है ।”
“पोप पवित्र नियमों को भी बदल सकता है , क्योंकक उसका ताकत मिुष्य का िहीं बजल्क परमेश्िर का है ,
और िह प्
ृ िी पर परमेश्िर का प्रनतनिधि है और उसके पास अपिी भे़िों को एकजुट करिे और उन्हें अलग
करिे की ताकत है ।”
(18िीं सदी के एक रोमक कैथोललक, लूसीयस फेराररस, के “पापा II”, प्रोम्पटा बबललयोधथका, िो. VI, पप
ृ .ृ 25-29 से अिुिाददत)।
4. “सींतों के लड़ेगा”
पोप मािता है कक उसिे सताया है , और िह अपिे बचाि में कहता है कक ख्रीस्त द्िारा ददए गए ताकत का
कािूिी इस्तेमाल है । अंिेरे युग में बाइबल में विश्िास करिे िाले करो़िों विश्िालसयों को रोमी कलीलसया िे
वििमी मािा और उन्हें सताया, और उिके विश्िास के ललए उन्हें मार डाला।
पूिम मसीदहयों के महाि िममत्याग के िषों में अिेक ऐसे लसध्दांत और रीनत-रीिाज़ शालमल ककए गए जो
पवित्रशास्त्र में प्रकालशत परमेश्िर की इच्छा के विरूध्द हैं। सबसे दस्
ु साहसी बदलि दस आ्ाओं और सब्बत
के विषय की गई।
अरामी शब्द “इडाि” का अिुिाद “समय” ककया गया है , यह अध्याय 4:16,23,25,32 में पाया जाता है । इि
पदों में “इडाि” का अथम बेशक “एक साल है ”।
“इडाि” के अरामी रूप को “समयों” कहा गया है , हकीकत में यह दोिचि शब्द है , इसललए इसे “दो साल”
समय का यह भविष्यिािी दानिय्येल 12:7 में और प्रकालशतिाक्य में पााँच बार ददया गया है :
वषथ-ददि का लसध्दाींत
बाइबल में भाविष्यिािी िाले भाग को प्रतीकों के रूप में समझिा है ि की हूबहू ऐसा हो। जैसे, पंखों िाले
लसंह िे प्
ृ िी पर राज िहीं ककया। चाँूकक सारी बातें प्रताकों में कही गई है इसललए समय िाली बात भी
प्रतीक ही है ।
गगिती 14:34. “जजतिे ददि तुम उस दे श का भेद लेते रहे , अथामत ् चालीस ददि, उिकी धगिती के अिुसार
ददि पीछे एक िषम, अथामत चालीस िषम तक तुम अपिे अिमम का दण्ड उिाए रहोगे, तब तुम जीि लोगे कक
मेरा विरोि क्या है ।”
यहे जकेल 4:6 “जब इतिे ददि परू े हो जाएाँ तब द ू दादहिी करिट लेट कर यहूदा के घरािे के अिमम का भार
सह लेिा; मैंिे उसके ललए भी और तेरे ललए एक िषम के बदले एक ददि अथामत चालीस ददि िहराएाँ हैं। ”
िषम-ददि लसध्दांत की सत्यता को इस विधि से पररकललत करिे पर नििामररत समय में भविष्यिाणियााँ पूरी
हुई, खास कर 1260 ददि और 70 हफ्तों िाला। साढ़े तीि िषम का समय पोप के विषय में की गई 1260
ददिों की भविष्यिािी के ललए कम प़ि जाता है । परं तु जब इसे िषम-ददि लसध्दांत के अिुसार दहसाब ककया
जाता है तो यह समय 1260 िषम बि जाता है जो इस भविष्यिािी को संपि
ू म रूप से परू ा करता है ।
हम जािते हैं कक 538 ई में ओस्ट्रोगोथ, जो उखा़िे गए तीि सींगों में से अणखरी था, रोम से निकाल ददया
गया, जजससे 533 इ में निकले सम्राट जसदटनियि के अदे शपत्र के तहत, पोप को इस शहर पर संपूिम राज
लमल गया। 1260 साल बाद 1798 में िेपोललयि के आदे श से, फ़्ांस के जेिेरल बधथमयर िे रोम पर
आक्रमि ककया और पोप को फ़्ांस के बंदीगह
ृ में डाल ददया जहााँ िह मर गया।
1. अध्यायों का प्रतीकों में बात करिा साबबत करता है कक समय को भी प्रतीकों में दशामया गया है
2. इस लसध्दांत का आिार बाइबल के धगिती 14:34 और यहे जकेल 4:6 है
3. हूबहू अथम निकाले से यह समय भविष्यिािी के होिे के ललए कम प़ि जाता है
4. िषम-ददि लसध्दांत भविष्यिािी में सटीक बैिता है
605 ई.पू. 539 ई.पू. 331 ई.पू. 168 ई.पू 476-538 ई. 1798 ई.
गगराया गया- अरामी में रे माह। इसका अथम “रख दे िा” या “ख़िा करिा” भी हो सकता है , जो बेहतर अिि
ु ाद हो
सकता है ।
महाि वििाद, पृ. 479. “[दानिय्येल 7:9,10 से ललया गया]। इस तरह से िबी को दशमि में िह महाि और
गंभीर ददि ददखाया गया जब लोगों के चररत्र और जीिि प्
ृ िी के न्यायी के सामिे रखा जाएगा, और प्रत्येक
व्यजक्त को उसके “कामों के अिुसार” प्रनतफल ददया जाएगा।”
महाि वििाद, पृ. 479-480. “[दानिय्येल 7:13,14 से ललया गया]। मसीह के आगमि का ििमि प्ृ िी पर
उसके दस
ू रे आगमि का िहीं है । िह स्िगम में प्रभता और मदहमा, और एक राज्य प्राप्त करिे परमेश्िर के पास
पहुाँचता है , जो उसे उसके के काम की समाजप्त पर लमलेगा। यह िह आगमि है ि कक प्
ृ िी में उसका दस
ू रा
आगमि, जजसके बारे 1260 ददिों के भविष्यिािी में बताया गया है जो 1844 में पूरा हुआ। स्िगीय दत
ू ों
सामिे, हमारा महयाजक पवित्रो के पवित्र में प्रिेश करता है और िहााँ परमेश्िर के पास जाकर मिुष्यों के ललए
अपिे काम के अंनतम चरि में —प़िताल और न्याय के काम को पूरा करके उि सभी के ललए प्रायजश्चत करें
जजन्हें इसके लाभों के ललए उप्युक्त पाया गया है ।”
2300 ददिों के अंत की ओर इशारा करते हुए, एलेि व्हाईट िे अली राईदटंग्स, पृ. 54 में ललखा: “मैंिे एक
लसंहासि दे खा, और उसमें वपता और पुत्र बैिे थे।”
दस
ू रा आगमि गचत्रत्रत ककया गया- पद 27
थोट् फ़्ाम द माउन्ट ऑफ़ ब्लेलसंग, पृ. 108. “परं तु उसके मदहमा का राज्य स्थापिा प्ृ िी पर ख्रीस्त के दस
ू रे
आगमि तक िहीं होगा। “संपूिम स्िगम के िीचे, राज्य और प्रभुता, और राज्य की मदहमा”, “परम प्रिाि के संतों
के लोगों” को दी जाएगी।” दानिय्येल 7:27
महाि वििाद, पृ. 613. “कफर यीशु िे स्िगम के मंददर में मध्यस्था का काम समाप्त ककया।...सारे मामले जीिि
और मत्ृ यु के ललए सुनिजश्चत कर ददए गए हैं। ख्रीस्त िे अपिे लोगों के प्रयाजश्चत कर ददया है और उिके पापों
को लमटा ददया है । उसके प्रजा की धगिती हो चुकी है ; “राज्य और प्रभुता, और धरती पर के राज्य की मदहमा,”
उध्दार के उर्त्राधिकाररयों को दी जाएगी, और यीशु राजाओं के राजा और प्रभुओं के प्रभु के रूप में राज करे गा।”
दानिय्येल 2 दानिय्येल 7
यि
ू ाि 331-168 ई.प.ू यि
ू ाि
इसललए हम दे खते हैं कक 1798 के बाद स्िगम में न्याय हुआ, यीशु के दस
ू रे आगमि से बहुत पहले।
अध्याय 4- दानिय्येल 8
मेढे का दशथि- पद 1-4
बकरा- पद 5-8
साथ ही 8िें अध्याय के बकरे और 7िें अध्याय के चीते के बीच समािता दे खें :
दानिय्येल 2 में , मादी-फारस और यूिाि के बाद अगला ताकत रोम था, जजसका प्रतीक सारे िातुओं में
सबसे मजबत
ू , लोहा है ।
“दक्षक्षि...पूि.म .और लशरोमिी दे श की ओर” रोमी राज्य दक्षक्षि का ओर, लमस्र को रोमी राज्य बिाया, पूिम
में सेल्यूकस का राज्य, और पललस्तीि।
“स्िगम की सेिा”- इस पद का अथम 24िें पद में ददया गया है । “सेिा” और “तारों” निजश्चत रूप से
“सामधथमयों और पवित्र लोगों के समुदाय” को दशामते हैं।
“रौंद डाला”- यह जजस क्रुरता से रोम शुरूआती मसीदहयों को, तािाशाहों के द्िारा, जैसे िीरो, डेक, सताता
था, को दशामता है । (संभि है कक यह पद पोप के रोम द्िारा परमेश्िर के विश्िासी लोगों के सताहाट को
बताता हो।)
“िह बढ़ गया”- 7िें अध्याय के 25 पद को 8िें अध्याय से तुलिा करें । यहााँ हम पोप के रोम की ओर साफ
इशारा दे खते हैं, इसललए पता है कक 8िााँ अध्याय रोम के मूनतमपूजक काल को ही िहीं बजल्क पोप के रोम
को भी दशामता है ।
शुरू में ऐसा लगता है कक पद 26 और 27 का पद 14 में मंददर के शुध्द ककए जािे से कोई संबंि िहीं है ।
कफर भी दानिय्येल 8:14 को यदद पढ़ें तो ललखा है , “जब तक सााँझ और सबेरा दो हज़ार तीि सौ बार ि हों,
तब पवित्रस्थाि शुध्द ककया जाएगा।” पद 26 का “सााँझ और सबेरा का दशमि” इसललए मंददर के शुध्द ककये
जािे को दशामता है ।
हर साल एक बार, प्रायजश्चत के ददि, मंददर में “जमा” हुए पापों को मंददर से निकाल कर मंददर को
शुध्द ककया जाता था, ताकक लोग “परमेश्िर के सम्मख
ु पापों से मक्
ु त पाए जाएाँ।”
यहूदी आज भी मंददर के साफ होिे के ददि या प्रायजश्चत के ददि को जजसे अब योम ककपप
ु कहते हैं,
न्याय के ददि के रूप में मिाते हैं। यह असल न्याय के ददि का रूप है ।
यह शुध्द ककया जािा आिे िाली चीजों की परछाईं है - (दे खें इब्रानियों 9:11,12 और 10:1)
दानिय्येल 8:17 में हम िे दे खा की दशमि “अन्त के समय” के ललए है और मंददक दशमि के अंत में
शुध्द ककया जाएगै। इसललए., जो मंददर इस में बताया गया है िह स्िगम का मंददर है (जजसे इब्रानियों
का पस्
ु तक में साफ साफ बताया गया है ) क्योंकक अंनतम यहूदी मंददर को 70 ई में िष्ट कर ददया
गया था।
गौर करें कक, दशमि और उसे विििम में मंददर का शुध्द ककया जािा रोम के बाद आता है ।
(बटा हुआ प्
ृ िी) स्िगम में न्याय 1844 ई. मंददर शुध्द ककया जािा
दानिय्येल 9 हमें दानिय्येल 8:14 के भविष्यिािी का सटीक तारीख निकालिे में मदद करे गी।
अनतररक्त अध्ययि के ललए पढ़ें : ग्रेट कन्ट्रिसी, 23 और 24िााँ अध्याय; लास्ट डे इिें ट्, 5िााँ अध्याय।
अध्याय 5- दानिय्येल 9
िोट: इससे पहले की हम दानिए 9 पढ़ें हमें रखिा है कक दानिय्येल 2 में एक दशमि और उसका अथम है ,
दानिय्येल 7 में एक दशमि और उसका अथम है , और दानिय्येल 8 में एक दशमि और उसका आंलशक अथम है , और
अब दानिय्येल 9 में इस्राएल की आज़ादी के ललए दानिय्येल की वििती और एक दशमि का अथम है ।
प्रोफेट्स एंड ककं ग्स, पृ. 554. “परू हृदय से िह दशमि के अथम को ढूंढिे लगा। िह यह समझ िहीं पा रहा
था कक नयममयाह िे जो सर्त्र िषम की बंिुिाई का भविष्यिािी ककया था उसका दो हज़ार तीि सौ साल के
उस दशमि से क्या संबंि है , जजसमें कहा गया कक यह भविष्यिािी परमेश्िर के मंददर के शुध्द होिे से पहले
पूरा होगा।
प्रोफेट्स एंड ककं ग्स, पृ. 554. “स्िगम इस िबी की प्राथमिाओं को सुििे के ललए झुकिे लगा। इससे पहले की
क्षमा और पि
ु ुःस्थापिा के ललए उसका प्राथमिा परू ी होता, सामथी जजब्राएल उसके सम्मख
ु प्रगट हुआ, और
दशमि की ओर उसका ध्याि आकवषमत ककया जजसे उसिे बाबुल के धगरिे और बेलशस्सर की मत्ृ यु से पहले
दे खा था।”
जजब्राएल को वपछली बार हमिें कब दे खा था? दानिय्येल 8 में दशमि का अथम बतािे बतािे के ललए, परं तु उसिे
समझािा समाप्त िहीं ककया था।
जजब्राएल 2300 ददिों का पूरा अथम बतािे के ललए लौटा है जजसे वपछले अध्याय में िहीं बताया गया है ।
सत्तर-सप्ताहों का दशथि- पद 24
“सर्त्र सप्ताह िहराए गए हैं” िहराए- स्ट्रोंग्स# 2852- चथक, अलग करिा, जैसे: आ्ापत्र:- िहरािा
ग्रेट कन्ट्रोिसी, पृ. 326. “यह जजस शब्द को “िहराया” अिुिाददत ककया गया है उसका अथम “अलग करिा”
है । सर्त्र सप्ताह 490 ददिों के प्रतीक हैं, इसे स्िगमदत
ू िे “अलग ककया” है , खास कर यह यहूददयों के ललए
है । परं तु उन्हें ककस चीज से अलग ककया गया है ? चाँकू क केिल 2300 ददिों का ही समय अध्याय 8 में ददया
गया है , यह िह समय है जजससे सर्त्र सप्ताह काट ललए जािे थे; इसललए सर्त्र सप्ताह 2300 सप्ताहों का
ही दहस्सा होिे चादहए, और काल एक साथ शुरू होिे चादहए।”
“अपराि का होिा बंद”- चुिे हुए लोगों के ललए जााँच का अंनतम समय।
“और युग युग की िालममकता प्रगट होगी”- ख्रीस्त का िालममक जीिि यह बताता है कक उसके उध्दार की
योजिा से हम सभी िमी बिाए जाएाँगे।
“और दशमि की बात पर भविष्यिािी की छाप दी जाए”- मसीह के पहले आगमि से संबंि भविष्यिाणियों
का नििामररत समय पर परू ा ककया जािा इस बात का अश्िासि है कक भविष्यिािी की अन्य बातें भी खास
कर भविष्यिािी के 2300 ददि भी सटीकता से परू े होंगे।
“और परमप्रिाि का अलभषेक ककया जाएगा”- यह इब्री िाक्यांश बेदी (निगममि 29:37; 40:10), और तंबू के
अन्य सामाि और उपस्करों (निगममि 30:36) के ललए, पवित्र सुगंि द्रव्य (निगममि 30:36), अन्ि बलल
(लैव्यव्यिस्था 2:3,10; 6:17; 10:12) इस्तेमाल ककया है , दोष बलल (लैव्यव्यिस्था 7:1,6), भें ट की रोदटयााँ
(लैव्यव्यिस्था 24:5-9), अपमि की हुई िस्तु (लैव्यव्यिस्था 27:28), (धगिती 18:10; यहे जकेल 43:12)
मंददर का महापवित्रस्थाि (निगममि 28:33,34) इस्तेमाल ककया गया है । बाइबल में कहीं भी यह िाक्यांश
ककसी भी व्यजक्त के ललए प्रयोग िहीं ककया गया है । इस त्य को ध्याि में रखते हुए और यह भी ध्याि
दे ते हुए की दशमि के अधिकतर दहस्से में स्िगीय मंददर की बात की जा रही हैं (दे खें दानिय्येल 8:14), यह
निश्कषम निकालिा सही होगा कक दानिय्येल यहााँ ख्रीस्त के महायाजक के रूप में काम शुरू करिे से पहले
स्िगीय मंददर के अलभषेक ककए जािे की बात कर रहा है ।
8िें अध्याय में 2300 ददिों की भविष्यिािी के शुरूआती िक्त के बारे कुछ िहीं कहा गया है ।
अपिे आ्ापत्रों में ि तो कुस्रु और ि ही दारा िे इस शहर के पुिुःस्थापिा के ललए विषेश कोलशश ककया,
जबकक भविष्यिािी में दोिों िालममक और सरकार के पुिुःस्थापिा का िादा ककया गया था। छायसम का 7िे
साल का आ्ापत्र पहला था जजसमें यहूदी राज्य को पूरी तरह से स्ििीिता दे िे का आ्ा ददया गया था।
एज्रा 7,12,13,25
ु से लोट िहीं गया, जो 457 ई.प.ू के जेि का अंत या पतझ़ि का शुरूआत था। निकोल, फ़्ांलसस डी.,
बाबल
द सेिेंथ डे एडिें दटस्ट बाइबल कम्में ट्री, (िालशंगटि, डी. सी.: ररव्यू एंड हे रल्ड पबलललशंग एस्सोलसयेशि)
1978.
अब जब हम जािते हैं कक शुरूआती ताररख 457 ई.पू. है , और हम यह भी जािते हैं कक बाइबल में समय की
भविष्यिािी में एक ददि एक िषम के बराबर होता है , (दे खें धगिती 14 :34 और यहे जकेल 4:4-6) हम दोिों
भविष्यिाणियों के अंत हे िे की तारीख निकाल सकते हैं।
इि सप्ताहों का दहसाब करिे का प्राकृनतक तरीका की उन्हे एक के बाद एक मािें, जैसे की, 62िााँ सप्ताह िहााँ
शुरू होता जहााँ 7िााँ सप्ताह समाप्त होता है । ये भाग 70 सप्ताहों के दहस्से हैं जजसका जजक्र 24 पद में है ,
इसललए 7+62+1=70।
457 ई.पू. के पतझ़ि से शुरू करिे पर, जब यह आ्ापत्र प्रभाि में आया, भविष्यिािी के 69 सप्ताह, या
483 साल बाद, हम 27 ई. में यीशु के बपनतस्मा में पहुाँचते हैं। यह इसललए है कक इनतहासकार िषम शून्य
को िहीं धगिते हैं। कुछ लोग सोच में प़ि जाते हैं कक यह कैसे संभि है कक यीशु अपिा काम 27 ई. में
शुरू करे जबकक दस्तािेज बताते हैं कक जब उसिे सािमजनिक सेिा कायम शुरू ककया तब िे लगभग 30 िषम
के थे (लूका 3:23)। ऐसा इसललए है क्योंकक जब पहली बार कक्रश्चयि एरा का दहसाब ककया गया तब करीब
4 बषों की ग़िब़िी पाई गयी। यीशु 1 ई में िहीं जन्मा था, यह त्य की िह हे रोद महाि के ददिों में
जन्मा था, इस बात की पुजष्ट करता है । हे रोद 4 ई.पू. में मरा था। (दे खें मर्त्ी 2:13-20)। इसललए, यरूशलेम
के पुिुःस्थापिा (457 ई.पू.) की आ्ा के बाद “मसीह” तक 483 िषम, या 27 ई., ख्रीस्त के बपनतस्मा के
िषम तक होगा।
“कष्ट के समय”
यरूशलेम शहर विरोि और कदिि पररजस्थयों में पुिुःस्थावपत ककया गया (अधिक जािकारी के ललए पढ़े ,
प्रोफेट्स एंड ककं ग्स, पप
ृ .ृ 635-645)।
इब्री में ललखता है कक “बासि सप्ताहों” में “अलभवषक्र्त् पुरूष काटा जाएगा”। यह 27 ई. में समाप्त होता है ।
27 ई. के बाद ही- सात िषों के बीच जो सर्त्र सप्ताह बिाते हैं - अलभवषक्र्त् परू
ु ष काटा जाएगा। “काटा
जाएगा” दे खें- उत्पवर्त् 9:11; धगिती 9:13; भजिसंदहता 12:3; 34:16; 37:9,22,28,38; यशायाह 53:8;
गलनतयों 3:13 “काटा जाएगा” क्रूस में यीशु के अिुभि को बताता है ।
यहााँ ददया गया सप्ताह, सर्त्र सप्ताहों का अणखरी सप्ताह है ; यह यहूददयों को ददया गया समय का अंनतम
सात िषम है । इस दौराि, 27 ई. से 34 ई. तक, ख्रीस्त िे पहले खद
ु ही और बाद में अपिे चेलों के द्िारा,
सस
ु माचार का आमंत्रि खास कर यहूददयों को ददया। जैसे की चेले राज्य का सस
ु माचार ले कर बतािे गए,
उध्दारकर्त्ा को निदे श था: “अन्यजानतयों की ओर ि जािा, और समाररयों के ककसी िगर में प्रिेश ि करिा।
परन्तु इस्राएल के घरािे ही खोई हुई भे़िों के पास जािा।” मर्त्ी 10:5,6
ग्रेट कन्ट्रोिसी, पृ. 327-328. “सप्ताह के बीच में िह मेलबलल और अन्िबलल को समाप्त कर दे गा।” 31 ई.
में , उसके बपनतस्मा के साढ़े तीि साल बाद, हमारा प्रभु क्रूस पर चढ़ाया गया। कलिरी के इस महाि
बललदाि िे बललदाि की विधि को समाप्त कर ददया, जजसिे चार हज़ार साल तक परमेश्िर के मेम्िे की
इशारा ककया था। रूप प्रनतरूप से लमला, और सारे अन्िबलल और मेलबलल िहीं समाप्त हो गईं।
“सर्त्र सप्ताहों, या 490 िषम, जो खास कर यहूददयों के ललए आिंदटत थे, जैसे की हमिें दे खा, 34 ई. में
समाप्त हुआ। उस समय, यहूदी सैिहे डिि के द्िारा उिाए गए कदम से, उस दे श िे स्तीफि को शहीद
बिाकर और ख्रीस्त के अिुयानययों को सताकर, सुसमाचार के िुकरािे पर मुहर लगा ददया। इसके बाद
उध्दार का संदेश, चुिे हुए लोगों तक सीलमत िहीं रह गया, और दनु िया को दे ददया गया।”
3½ िषम 3½ िषम
पत्थरिा
“और कंगूरे पर उजा़ििेिाली घणृ ित िस्तुएाँ ददखाई दें गी”- यह यहूदी दे श और उिके प्यारे शहर के दख
ु द हाल
को बयां करता है जो उध्दार की आशा को िुकरािे के कारि हुआ।
दानिए 8 में हमिे दे खा कक 2300 ददिों िाले दहस्से को ही जजब्राएल िे िहीं समझाया था। दानिए 9 में कोई
दशमि िहीं है , लसफम अथम बताया गया है , और लसफम एक मात्र जगह जहााँ दानिय्येल को अथम को समझिे की
ज़रूरत थी िह 2300 ददिों का दशमि है ।
सलमक्षा
दानिय्येल 8 में हमिे दे खा कक जजब्राएल िे लसफम 2300 ददिों को अथम िहीं बताया था। दानिय्येल 9 में
कोई दशमि िहीं है , लसफम अथम बताया गया है । जजब्राएल, दानिय्येल 8 का अथम बतािे िाला स्िगमदत
ू , अथम
बतािे आता है , और हम दे खते हैं कक लसफम एक भाग जजसका अथम दानिय्येल समझ िहीं पाया है िह है
2300 ददिों का अथम। जजब्राएल कफर दानिय्येल का ध्याि 2300 ददिों िाले दशमि की ओर ले जाता है , जो
एक समय का भविष्यिािी है , और कफर उसे एक दस
ू रा समय का भविष्यिािी दे ता है । इस भविष्यिािी में
सर्त्र सप्ताह हैं काट ललए गए हैं । िे 2300 ददिों से ही काटे गए हैं।
सर्त्र सप्ताह जो 457 ई.पू. में शुरू होता है , 2300 ददिों का दहस्सा है ।
1. 2300 ददि 34 ई. में पूरी होंगी जजसके कारि इस भविष्यिािी का शुरूआता 2267 ई.पू. में चला
जाएगा, एक ऐसा ताररख तो हमारे अध्ययि के बाहर है ।
2. परं तु इससे भी अधिक महत्िपूि,म अंत से अलग करिे से मंददर के शुध्द ककए जािे की ताररख 34
ई. प़िती है । और हमिे अपिे वपछले अध्ययिों में दे खा है कक मंददर का शुध्द ककया जािा छोटे
लसंह के 1260 साल के बाद ही होगा जो 1798 में अंत होता है । 34 ई. में मंददर का शुध्द ककया
जािा िीक िहीं बैिता है । साथ ही दानिय्येल 8 के दशमि में दानिय्येल कहता है कक यह अंत के
समय के ललए है , और 34 ई. अंत के करीब भी िहीं है ।
याद रखें: यीशु का जीिि हमारे ललए इस भविष्यिािी के सच हो का अश्िासि है । िह इसका अिार है ।
भविष्यिािी यीशु के जजतिा सच है ।
यह भी याद रखें कक प्राचीि इस्राएल यीशु के पहले आगमि के ललए तैयार िहीं था, अन्य कारिों में एक
कारि यह भी है कक िे 2300 ददिों के भविष्यिािी के पहले दहस्से को िहीं समझ थे : यािी 70 सप्ताह, जो
उिके समय का ितममाि सत्य था। हो सकता है कक हम भी यीशु के दस
ू रे आगमि के तैयार ि हों क्योंकक,
अन्य बातों के साथ ही, हम 2300 ददिों के भविष्यिािी को पूरी तरह से िहीं समझते हैं: मंददर का शुध्द
ककया जािा- जो हमारे समय के ललए ितममाि सत्य है ।
द फेथ आई ललि, पृ. 208. “पाया गया है कक 2300 ददि यरूशलेम पुिुःनिमामि के ललए क्षयषम के आ्ापत्र से
शुरू होता है , जो 457 ई.पू के पतझ़ि से लागू हुआ. इस शुरूआत माििे से दानिय्येल 9:25-27 में ददए गए
भविष्यिािी का अथम सटीक बैिता है । सर्त्र सप्ताह, या 490 िषम, खास कर यहूददयों के ललए थे। 34 ई. में
इस समय के अंत पर उस दे श िे ख्रीस्त के चेलों की प्रताड़ित कर ख्रीस्त को त्यागिे पर मह
ु र लगा ददया, और
चेले अन्यजानतयों की ओर चले गए। 2300 के 490 िषों का अंत हो गया, 1810 िषम बच गए। 34 ई. से
1810 िषम 1844 में अंत होते हैं। स्िगम दत
ू िे कहा था कक तब मंददर शुध्द ककया जाएगा।”
“पहले, दस
ू रे और स्िगमदत
ू के संदेश को लेकर हमार विश्िास सही था। जो ब़िी पथ दशमक धचन्ह हमिे पार
ककए हैं िे हटाए िहीं जा सकते हैं। भले ही िरक की सेिा उन्हें उिके िींि से उखा़िे की ककतिी भी कोलशश
कर ले, और िे सोचें की उन्होंिे सफलता हालसल कर ललया है , कफर भी सफल िहीं होंगे। सत्य के खंभे अिंत
पहा़िों की तरह दृढ़ रहते हैं, उन्हें मिुष्य और शैताि और उसकी सेिा भी िहीं दहला सकती है । हम बहुत कुछ
सीख सकते हैं, और हमें पवित्रशास्त्र को लगातार ढूंढ़ते रहिा चादहए ताकक हम दे खते रहें कक ये ऐसी ही हैं।”
विषय सूची
स्िास््य सस
ु माचारिाद में पररिार भी शाममल है
स्वास््य की परिभाषा इस प्रकाि है “दै हहक, मानससक औि सामाजिक रूप से पर्
ू तण : स्वस्थ होना”
(डब्लूएचओ कन्सटीट्यूशन, 1948)। परिवारिक महौल जिसमें हम बडे होते हैं िीवन के इन सभी क्षेत्रों के
प्रभाववत किती है । उदाहिर् के सलए: िब हम बड िहे होते हैं, उस दौिान परिवाि के अभ्यास हमािे आहाि
के आदतों को प्रभाववत किते हैं; व्यायाम औि कहिन परिश्रम के वप्रत िवैया बहुत हद तक घि के महौल से
प्रभाववत होते हैं, औि मानससक सोच ववचाि औि धमण के प्रतत िवैया माता-वपता के ववश्वासों औि
गततववधधयों से प्रभाववत होते हैं।
एडवें हटस्ट होम, पृ. 15. “समाि परिवािों से बना है , औि वह वही बनता िो परिवािों के मुखिया उसे बनाते
हैं। हृदय से “िीवन के मामले” तनकलते हैं; समाि, कलीससया, औि दे श का हृदय घि है । समाि का
स्वास््य, कलीससया की सफलता, दे ि की प्रगतत, घि के प्रभाव पि तनभणि किती है ।
शैतान िगत को नाश किना चाहता है औि िास कि पिमेश्वि की कलीससया को; इससलए परिवाि
उसका िास लक्ष्य है ।
वैजश्वक तलाक दिें तेिी से बढ़ िहीीं हैं (बहुत सािे दे शों में 50% वववाहों का अींत तलाक से होता है -
कलीससया के अींदि औि बाहि)।
o हृदय दस
ू िों के दे हदये िाते हैं औि अनकही भावनाएँ दोनों साधथयों को पिे शान किती है
o बच्चे ससफण असभभावक या रिश्तेदािों से साथ बढ़ िहे हैं
यौन-सींबींधों से होने वाली बबमारियाँ किोडों िीवनों के बिबाद कि िही है
इससलए पिमेश्वि ने अपने लोगों को घि की ििाब परिजस्थततयों से तनकाले के सलए ववस्ताि में सलाह हदया
है ।
अनतररक्त अध्ययन के मलए: एडवें हटस्ट होम अध्याय 6, “द ग्रेट डीससज़न” औि रिव्यू एींड हे िल्ड, िनविी 26,
सप
ु ररचय
1 धथस्सलन
ु ीककयों 5:22. “सब प्रकाि की बिु ाई से बचे िहो।”
2 सेलेतटे ड मेसेिे, पृ. 30. “स्वगीय उद्गम के सत्य उसे प्राप्त किने वालों को कभी नाश नहीीं किता है ,
औि न उसकी अगुवाई बुिे व्यवहाि की ओि किता है िो व्यथण में ककसी से परिचय बढ़ाए; इसके ववपरित,
वह ववश्वासी को शुध्द किता है , उसके पसींद को सुधािता है , औि उसे बेहति व्यजतत बना कि यीशु के पास
लाता है । वह प्रेरित पौलुस के सुझाव, कक बुिाई से दिू िहने में भलाई हैं विना उसकी अच्छाई की भी बुिाई
होगी, को अपनाने की अगव
ु ाई किता है ।”
काउन्सेल्स ऑन हे ल्थ, पृ. 295. “नैततक शुध्दता, स्व-आदि, बुिाई में न पडी की शजतत, को लगाताि पोवषत
किना चाहहए। इनमें से ककसी से भी दिू नहीीं होना चाहहए। सुपरिचय की एक किया, एक मूित
ण ा, परिक्षा के
सलए द्वाि िोलकि इन्काि किने की क्षमता को कमज़ोि कि दे ता है , औक आत्मा को ििते मे डाल दे ता
है ।”
काउन्सेल्स ऑन हे ल्थ, पृ. 570. “बहनों को सच्ची नम्रता को प्रोत्साहहत किना चाहहए। उन्हें तेि, बातूनी,
औि दस्
ु साहसी नहीीं होना चाहहए, पिीं तु शुध्द औि धीमा बोलने वाली बनना चाहहए। उन्हें ववनम्र होना
चाहहए। दयालू, नम्र, क्षमा किनी वाली, औि दीन बनना पिमेश्वि की नज़िों में अच्छा है । यहद वे इस
स्थान पि पहुँच िाएँ, तो उन पि पुरूषों के अनचाहे ध्यान का बोझ नहीीं पडेगा। सभों को पिमेश्वि का भय
मानने वाली इन महहलाओीं के आस पास शुध्दा का घेिा महसूस होगा, िो उन्हें अनचाहे छूट से बचाता है ।”
गॉस्पेल वकणसण, पृ. 129. “युवा प्रचािकों की उपयोधगत, वववाहहत या अवववाहहत, अकसि युवततयों से सींबींध
होने के कािर् नष्ट हो िाती है ।...उन्हें ऐसे आकषणर्ों से बचना चाहहए; औि यहद वे पिमेश्वि के तनदे षों के
अनस
ु ाि चलें तो उन्हें अधधक समय तक तींग नहीीं ककया िाएगा। सािी दष्ु टाओीं से उन्हें पिहे ि किना
चाहहए; औि िब युवततयाँ उनके किीब आने की कोसशश किती हैं तो युवा प्रचािक को यह बताना चाहहए
कक यह उसे पसींद नहीीं है । उन्हें अत्यधधक समलनसाि बनने से बचना, भले ही उन्हें किोि समझा िाए,
ताकक वे ततिस्काि से बचें ।”
काउन्सेल्स ऑन हे ल्थ, पृ. 294. “िब िवान पुरूष औि महहलाएँ साथ में काम किते हैं, तो उनके बीच
हमददी की भावना िागती है िो बढ़ कि अततभावुकता बन िाती है । यहद असभभावकों को इससे फकण नहीीं
पडता है , तो इन आत्माओीं को चोट पहुँच सकती है औि सींस्थान की ऊँच नैततकता पि आँच आती है । यहद
कोई, मिीि या सहायक, इस तिह के व्यवहाि को तनदे षों के बाविूद धोिे से िािी ििते हैं, तो उन्हें
सींस्थान में नहीीं ििना चाहहए, तयोंकक उनका प्रभाव तनदोषों को हानी पहुँचा सकता है ।”
काउन्सेल्य टू पैिेंट्स, टीचसण, एडीं स्टूडेंट्स, पृ. 257. “िो परिक्षा को प्रोत्साहहत किने िैसे काम नहीीं किते
हैं, उनके पास िब वह आए तो भी दृढ़ िहने की क्षमता होती है ; पिीं तु िो दष्ु टता के वाताविर् में िहते हैं
उनके पास परिक्षा में पडने पि िद
ु को दोष दोने के अलावा कुछ नहीीं िह िाता है ।”
काउन्सेल्स ऑन हे ल्थ, पृ. 341. “बबना आकषणर् के, बबना अनचाहे सप
ु रिचय के सच्चे तौि पि नम्र बनने
का ससफण एक िास्ता है , वह है ख्रीस्त के आत्मा को पीना, औि इस आदे श को मानना, ‘पववत्र बनो, तयोंकक
मैं पववत्र हूँ।’”
अनतररक्त अध्ययन के मलए: टे स्टीमनीज़ फॉि स्टूडेंट्स एींड वकणसण ऑफ आवि सैनेटेरियम्स (SpTB16),
एडवें हटस्ट होम अध्याय 55, “मॉिल स्टैं डर्डणस”, पैंपलेट 167 (PH167) काउन्सेल्स टू फीिीससयन्स एींड
मेडडकल स्टूडेंट्स, 5 टे स्टीमनीज़ अध्याय 10, “अनवाईज़ मैिेिेस”, एडवें हटस्ट होम अध्याय 55, “मॉिल
स्टैं डर्डणस”, 2 टे स्टीमनीज़ अध्याय 10, “कन्टे म्पलेहटींग मैिेि”, औि मेसेिेस टू यींग पीपल अध्याय 151,
“नीड ऑफ काउन्सेल एींड गाईडेन्स”
यहद आप प्राथणना औि सलाह से, ववश्वास किते हैं कक वववाह किने के सलए पिमेश्वि आपकी अगव
ु ाई कि िहा
है तो प्रेमालाप से पहले इन सवालों का िवाब दें ।
5 टे स्टीमनीज़, पृ. 362. “मेिी बहन, िब तक तुम्हािे पास ऐसा घि न हो िाए जिसपि से छाँव कभी न
उिाया िाता है , तब तक ऐसे व्यजतत से कभी न एक होना िो पिमेश्वि का वविोधी है । ”
4 टे स्टीमनीज़, पृ. 505. “हो सकता है कक अववश्वासी का नैततक चरित्र बहुत अच्छा हो; पिीं तु यह त्य
कक उसने पिमेश्वि के बुलावे का िवाब नहीीं हदया है , औि इतने महान उध्दाि की अवहे लाना की है ,
उससे वववाह न किने का पयाणप्त कािर् है । उस अववश्वासी का चरित्र उस नविवान से मेल िा सकता
है जिसे यीशु ने कहा, ‘’
आप ऊपि हदए गए सवालों के िवाब यहद आप सकािात्मक रूप से दे सकते हैं तो प्राथणना के साथ आगे
बढ़ें ।
उधचत प्रेमालाप
एडवें हटस्ट होम, पृ. 49. “वववाह की ओि बढ़ते प्रत्येक कदम में नम्रता, सादगी, इमानदािी, औि पिमेश्वि
को िश
ु किने उसका सम्मान किने का मकसद हो।”
मेसेिेस टू पीपल, पृ. 442. “यहद ककसी ववषय को प्रत्येक दृजष्टकोर् से दे िने की ज़रूित है तो वह
वववाह है । दस
ू िों के अनभ
ु वों की मदद से, औि दोनों पक्षों का शाँत, सावधानीपव
ू क
ण िाँच, सकािात्मक रूप
सू ज़रूिी है । यह ऐसा ववषय है जिसे अधधकति लोगों द्वािा बहुत हल्के में सलया िाता है ।”
मेसेिेस टू पीपल, पृ. 442. “प्रत्येक भावना को िाँच,े औि उस व्यजतत के चरित्र में हो िहे प्रत्येक
ववकास पि गौि किें कक तया जिससे आप िड
ु ने वाले हैं आपके काबबल है । िो कदम आप उिाने वाले हैं
वह आपके िीवन का सबसे महत्वपव
ू ण कदम है , औि िल्दबािी में नहीीं सलया िाना चाहहए।”
मेसेिेस टू पीपल, पृ. 442. “अपना हाथ वववाह में सौंपने से पहले, प्रत्येक महहला को इस बात को िाँचे
कक जिसे से वह वववाह किने वाली है वह उपयत
ु त है या नहीीं। उसका बीता कल कैसा है? तया उसका
िीवन शुध्द है ? तया उसका प्रेम जिसे वह व्यतत किता है सच औि अच्छे चरित्र का है , या वह महि
आकषणर् है ? तया वह अपना वैयजततकता को बनाए िि सकती है , यह उसे अपना वववेक औि ववचाि
पतत के अधीन किना पडेगा? ख्रीस्त के अनुयायी के रूप में , वह िुद की नहीीं है ; उसे कीमत से मोल
सलया गया है । तया वह उध्दाकिाण के दावे को सवोच्च स्थान दे सकेगी ? तया शिीि औि आत्मा, ववचाि
औि मकसदों को शुध्द औि पववत्र िि पाएगी? वववाह के सींबींध में प्रवेश किने वाली प्रत्येक महहला की
भलाई के सलए ये सवाल महत्वपर्
ू ण हैं।”
आम र्लनतयाूँ
मेसेिेस टू पीपल, पृ. 442. “प्रेमालाप, जिस तिह से की इस युग के अभ्यास ककया िाता है , धोिे औि
पािण्ड की योिना है , जिसपि पिमेश्वि से अधधक आत्माओीं के दश्ु मन का रूधच है । यहाँ, कहीीं औि से
ज्यादा, अच्छे वववेक की ज़रूित है : पिीं तु सच तो यह है कक इस ववषय में इसका उपयोग कम ककया
िाता है ।” (आि.एच., िनविी 26, 1886 पािा. 13)
मेसेिेस टू पीपल, पृ. 446. “धोिे का प्रेमालाप िािी ििा िाता है , औि नीिी बातें तब तक की िातीीं
हैं, िब तक की अनुभवहीन व्यजतत का प्रेम अपने असभभावकों से हटकि उस व्यजतत सलए हो िाती है
मेसेिेस टू पीपल, पृ. 445. “वह िो एक बेटी को उसके कतणव्य से दिू किता है , िो उसके असभभावकों
का आदि किने के पिमेश्वि के सादे औि सकािात्मक ववचािों को धूसमल किता है , वह वववाह के वचनें
के प्रतत सच्चा नहीीं होगा।”
3 टे स्टीमनीज़, पृ. 44. “अकसि अपने पसींद के व्यजतत के सींगतत में िहना, औि वह भी अपने धासमणक
सौभाग्य औि अपने प्राथणनाओीं के समय को त्याग कि, ितिनाक है ; आप ऐसे घाटे में िाएँगे जिसकी
भिपाई किना आपके बस में नहीीं होगी। दे ि िात तक िागना व्यावहारिक है ; पिीं तु यह पिमेश्वि की
आँिों में बुिा है , भले ही आप दोनों ही मसीही हैं। ये अतनयसमतता स्वास््य को हातन पहुँचाते हैं, अगले
हदन के कायों के सलए हदमाग को अस्वस्थ किते हैं, औि इनमें बुिाई है ।”
मेसेिेस टू पीपल, पृ. 459. “सलाहों को वे लोग फेंक दे ते हैं िो अपने िास्ते पि चलने की हि किते हैं।
लालसा इन व्यजततयों को हि सीमा के पाि कि दे ती है जिससे वववेक औि सुववचाि सकते हैं।”
मूँर्नी
पिीं तु जिसके साथ आप िीवन बबताने की सोच िहे हैं उसके चरित्र को आप पिू ी तिह समझे बबना
यहद मँगनी हो िाए; तो ये न सोचना कक मँगनी हो िाने के कािर् आप दोनों का वववाह किना ज़रूिी
है , औि अपना िीवन उससे िोडे जिसके साथ आप प्रेम औि आदि के साथ िह सकते हैं। ”
वििाह की विधध
एडवें हटस्ट होम, पृ. 100. “पववत्रशास्त्र बताती है कक यीशु औि उसके चेलों को इस वववाह में आमींबत्रत
गया था (काना में )। ख्रीस्त ने वववाह में बल
ु ाए िाने पि कोई स्वीकृतत या प्रततबींध नहीीं लगाई है । तया
हमें इतनी िुशी के मौके पि मौिूद नहीीं िहना चाहहए? इस भोि का हहस्सा बनकि ख्रीस्त ने ससिाया
कक वह हमें चाहता है कक हम उन लोगों के साथ िुशी मनाएँ िो उसकी आज्ञाओीं को मानने में
आनजन्दत होते हैं। वह मानवता के तनदोष पवों को हतोसाहहत नहीीं किता है िो स्वगण की आज्ञाओीं के
मुताबबक मनाए िाते हैं। एक भोि जिसे ख्रीस्त ने अपनी उपजस्थतत से अनुग्रहहत ककया, उसमें उनके
अनुयातययों का शासमल होना उधचत है । उस भोि के बाद भी ख्रीस्त कई औि समािोहों में गया, औि
अपनी उपजस्थतत औि तनदे शों से उन्हें पववत्र ककया।”
4 टे स्टीमनीज़, पृ. 503. “दो लोगों के वववाह में आनन्द का अत्यधधक हदिावा नहीीं ककया िाना चाहहए।”
प्रकासशतवातय 21
अनतररक्त अध्ययन के मलए: एडवें हटस्ट होम अध्याय 8, “कॉमन कोटण सशप प्रैजतटसेस,” एडवें हटस्ट होम
अध्याय 11, “हे स्टी इम्मैच्योि मैिेिेस,” एडवें हटस्ट होम अध्याय 13, “डोमेजस्टक ट्रे तनींग,” औि एडवें हटस्ट
होम अध्याय 15, “सोलेम्न प्रोसमसेस”
लूका 14:26. “यहद कोई मेिे पास आए, औि अपने वपता औि माता औि पत्नी औि बच्चों औि
भाईयों औि बहहनों विन अपने प्रार् को भी अवप्रय न िाने, तो वह मेिा चेला नहीीं हो सकता।”
पिमेश्वि के किीब आकि, पतत औि पत्नी तनजश्चत रूप से किीब आएँगे। यह बत्रकोर् के तिह है
जिसमें पिमेश्वि ऊपि औि पतत औि पत्नी नीचे के दोनों छोिों में हैं। जितना ऊपि वे दोनों िाते हैं
ऊपि ही किीब वे दोनों आते हैं।
इब्रातनयों 13:16. “भलाई किना औि उदािता हदिाना न भूलो, तयोंकक पिमेश्वि ऐसे बसलदानों से
प्रसन्न होता है ।”
13 मैन्यूस्िीप्ट रिलीज़ेस, पृ. 138. “गलततयाँ अज्ञानता के कािर् की िातीीं हैं, औि तनजश्चत रूप से
इसके परिर्ाम गलतफहमी औि दिू ी लाती है । यहद पतत औि पत्नी एक दस
ू िे से ख्रीस्त की आत्मा
में िल कि बात किते हैं, कहिनाई का उपचाि हो िाएगा। पिीं तु अनेक बाि वे दिू िह िाते हैं, औि
कहिनाई को पाले ििते हैं, औि यह उन्हें लगाताि चोट पहूँचाता िहता है ।”
1 कुरिजन्थयों 13:4,5,7. “प्रेम धीििवींत है , औि कृपालु है ; प्रेम डाह नहीीं किता; प्रेम
अपनी बडाई नहीीं किता, औि फूलता नहीीं, वह अनिीतत नहीीं चलता, वह अपनी भलाई
नहीीं चाहता, झँुझलाता नहीीं, बुिा नहीीं मानता। वह सब बातें सह लेता है , सब बातों की
प्रतीतत किता है , सब बातों की आशा ििता है , सब बातों में धीिि धिता है ।”
4) सिाहना िताएँ।
क) नकािात्मक आलोचना के बिाए सकािात्मक भाषा का प्रयोग किें । मनुष्य का प्रकृतत
नकािात्मक चीिों पि ध्यान अधधक दे ती है , औि यह रिश्तों को तोडता है । सकािात्मक
बातें लोगों को अपने बुिे व्यवहािों को बदलने में अधधक मदद किते हैं, न की
अततशयोजतत।
ि) उदाहिर्: “आि िात बच्चों के साथ वतत बबताने के शुकिया! मैं दे ि िही हूँ उन्होंने
अच्छा वतत बबताया” न की “बच्चों के साथ तुम्हें वतत बबताना चाहहए। वे तुम्हें िानते
तक नहीीं।” औि “घि साफ किने में मदद किने के सलए शुकिया” न की “मुझे घि
लौटने पि गींदगी दे िना पसींद नहीीं।”
5) गैि-मौखिक वाताण के प्रतत सींवद
े न शील िहें ।
क) कुछ ववशेषज्ञों का मनना है 90% वाताणलाप भाव-भींधगमाओीं औि बोलने का लहिा से
होती है , इससलए के इस रूप को समझना ज़रूिी है ।
6) ववषय से न भटकें।
प्रमातनत पारिवारिक िीवन सशक्षक्षका नेन्सी वैन पेल्ट बबलकुल सही कहती है “वववाह में सबसे बडी चन
ु ौततयों में
से एक है , अपने साथी से उस ववषय में बात किना िो आपको पसींद नहीीं है या ऐसे व्यवहाि के बािे जिससे
आपको धचढ़ हो... िब आपके साथ ऐसा होता है औि आप अपने साथी के व्यवहाि को उधचत नहीीं मानते, तो
आिोप लगाने के बिाय उस समस्या का मामलक खुद को बनाए....आपका साथी उस समस्या का कािर् हो
सकता है , पिीं तु यहद हैं जिसे धचढ़ है , तो यह आपकी समस्या बन िाती है ।”
यह नस्
ु िा अिमाएँ: मझ
ु े (दुःु ि, िोध, शमींदगी, असहि, आहद) महसस
ू होता है
जब तुम (मेिे साथ गुर्वतापूर्ण वतत नहीीं बबताते हो, मेिे बािे चुटकुले कहते हो, मुझे
बबना बताए पैसे िचण किते हो, आहद) क्योंकक (मुझे तुम्हािे साथ एकाींत में िहने की
सख्त ज़रूित है , मुझे चोट पहुँचती है , मुझे ऐसा लगता है कक हम साथ में योिनाएँ नहीीं बना िहे हैं,
आहद)।
आमोस 3:3. “यहद दो मनष्ु य पिस्पि सहमत न हों; तो तया वे एक सींग चल सकेंगे?”
समतनस्ट्री ऑफ हीसलींग, पृ. 393. “पतत औि पत्नी के बीच पूर्ण भिोसा होना चाहहए। एक
साथ दोनों को अपनी जिम्मेदारियों को तनभाना चाहहए।”
डॉ. गैिी ने कई लेि सलिें हैं िो यह सींकेत दे ते हैं कक प्रत्येक व्यजतत तनम्नसलखित पाँच
प्रेम भाषाओीं से सबसे ज्यादा प्रेम ककये िाने का एहसास किते हैं: असभपुजष्ट के वचन,
3
गर्
ु वतापूर्ण वतत, तोफहे प्राप्त किना, सेवा के काम, औि शािीरिक स्पशण। अपने पतत या
पत्नी को इस तिह से यह िताना सीिना कक आप ककतना उनका ख्याल ििते हैं जिसे वह
सबसे बेहति तिीके से समझे औि सिाहना किे , बुजध्दमानी होगा।
5. सीखें की परमेश्िर हमारे अर्ल अर्ल कामों में हमसे क्या अपेक्षा करता है
इकफससयों 5:21-33.
हे ल्थ रिफॉिमि, हदसम्बि 1, 1877. “एक महहला को अपना ख्याल ििना िानती है ,
दस
ू िों का भी ख्याल िि सकती है । वह परिवाि में या समाि में कभी भी बोझ नहीीं
बनेगी। परिजस्थततयों के ििाब होने भी, उसके सलए कहीीं न कहीीं स्थान ज़रूि िहे गा, एक
स्थान िहाँ वह इमानदािी से आिीववका कमा सकती है , औि उन लोगों की मदद कि
सकती है िो उस पि तनभणि हैं। महहलाओीं को ककसी न ककसी िोज़गाि में प्रसशक्षक्षत ज़रूि
होगा चाहहए जिससे वह ज़रूित पडने पि आिीववका कमा सकती है । ”
पनत की न्जम्मेदारी:
1. घि का प्रबींधक
3. अन्नदाता
4. नम्र अगुवा
समतनस्ट्री ऑफ हीसलींग, पृ. 374. “िीवन के कहिन िास्ते में पतत औि वपता को “नम्रता
से अगव
ु ाई” किना चाहहए, िैसा की उसकी िीवन साथी सह पाए। धन औि ताकत के
सलए िगत के दौड के बीच, वह अपना कदम जस्थि ििना सीिे, ताकक वह उसे
अश्वासन औि सहािा दे िो उसके साथ चल िही है । ”
पत्नी की न्जम्मेदारी:
1. साथी औि सहायक।
एडवें हटस्ट होम, पृ. 99. “पिमेश्वि ने नािी को नि से बनाया, ताकक वह उसकी साथी बने
औि उसकी मदद किे , ताकक वह उसके साथ एक िहे , उसे िश
ु ििे, प्रोत्साहन दे , औि
आशीष दे , औि बदले में वह भी उसका शजततशाली सहायक बने। सभी िो पववत्र मकसद
से वववाह के सींबींध में प्रवेश किते हैं —पतत अपनी पत्नी के हृदय से शुध्द प्रेम पाने के
सलए, औि पत्नी अपने पतत के चरित्र को नम्र बनाने औि सुधािने के सलए औि उसे
पूर्त
ण ा दे ने के सलए— उनके सलए पिमेशवि के मकसद को पिू ा किते हैं।”
2. गह
ृ नी।
एडवें हटस्ट होम, पृ. 91. “अन्य सभी कामकाि में दक्षता के साथ ही, प्रत्येक यव
ु ती को
घि के कामों की दे ििे ि किना सीिना चाहहए, उसे पाक कला में दक्ष, घि की दे ििे ि
किना औि ससलाई आना चाहहए। उसे उन सभी चीिों की समझ होनी चाहहए िो घि की
मालककन में होना चाहहए, भले उसका परिवाि धनी या गिीब हो। तब ककसी भी ववपरित
परिजस्थतत के सलए तैयाि िहे गी; एक तिह से वह सािे परिजस्थततयों में आत्मतनभणि हो।”
3. आकषणक बनना।
एडवें हटस्ट होम, पृ. 99. “बहनें, अपने काम के वतत, ऐसे कपडे न पहनें जिसमें वे गायों
को िेतों से भगाने वाली मूततणयों के तिह न हदिे हैं। मेहमानों से ज्यादा पततयों औि
बच्चों को उन्हें अच्छे कपडों में दे िना अच्छा लगता हैं। ”
पत्नी औि माता को अपने ताकत की बसल नहीीं चाहहए औि शजततयों को तनजष्िय नहीीं
िहने दे ना चाहहए, औि पतत पि पूिी तिह से तनभणि नहीीं िहना चाहहए। उसकी
वैयजततकता पतत में समल न िाए। उसे महसूस होना चाहहए की वह पतत के बिाबि है —
उसे साथ िडे िहने के सलए, वह अपने कतणव्यों के प्रतत इमानदाि िहे औि पतत अपने
कतणव्यों के प्रतत। बच्चों को पढ़ाने का उसका काम हि प्रकाि से उतना ही सम्मानीय है
जितना कक पतत को कोई भी काम हो, भले ही पतत दे श का प्रधान न्यायाधीश ही तयों
न हो।”
1
Waters, Tom and Alane. (2012). For Better or Worst Best. Coldwater, MI: Remnant Publications.
2
Van Pelt, Nancy. (1997). Heart to Heart: The Art of Communication. Madrid, Spain: Editorial Safeliz.
3
www.5lovelanguages.com
भिनसींहहता 127:3. “दे िो, लडके यहोवा के हदये हुए भाग हैं, गभण का फल उसकी ओि से प्रततफल है ।”
ए4डवें हटस्ट होम, पृ. 159. “बच्चे पिमेश्वि की अमानत हैं, औि हम उसकी सम्पतत के प्रबींधन के सलए
िवाबदे ह हैं।... प्रेम, ववश्वास औि प्राथणना के साथ असभभावक अपने घि के सलए काम किे , िब तक वे
पिमेश्वि के पास आकि यह न कह सके, “दे ि, मुझे औि उन बच्चों को जिन्हें पिमेश्वि ने मुझे हदया है ।”
जिस घि में बच्चे न हो वह घि सूना है । उसमें िहने वाले सदस्यों के हृदयों को स्वाथी बनने का ितिा है ,
अपने सुववधा के सलए प्रेम को पोवषत किने का, औि ससफण अपनी इच्छाओीं औि सुववधाओीं का ध्यान ििने का
ितिा है । वे अपने सलए हमददी इतकिा किते हैं, पिीं तु दस
ू िों को दे ने के सलए उनके पास कम ही िहता है ।”
पररिार का आकार
एडवें हटस्ट होम, पृ. 163. “असभभावकों को अपना परिवाि तब तक नहीीं बढ़ाना चाहहए िब तक कक वे यह
नहीीं िान िाते कक उनके बच्चों की सशक्षा औि दे ििे ि अच्छी तिह हो सकती है । माँ के बाँहों में हि वषण
बालक होने उसके सलए बहुत बडा अन्याय है । यह अकसि समाजिक आनन्द नष्ट कि दे ता है औि घि की
जिम्मेदारियाँ बढ़ाता है । यह बच्चों को उस दे ििे ि औि सशक्षा से वींधचत कि दे ता है जिसका एहसास उनके
असभभावकों को होना चाहहए कक यह उनका कतणव्य है । ”
एडवें हटस्ट होम, पृ. 165, 166. “दिू दे शों में समशनरियाँ भेिने के सलए ऐसे व्यजततयों का चयन किना चाहहए
िो कम िचण में िीवनयापन किना िानते हों, जिनके परिवाि ज्यादा बडे न हों, औि िो समय की कमी औि
उस किने के सलए िो महान काम, उसे महसूस किते हुए अपने हाथ औि परिवाि बच्चों से न भि दे , पिीं तु वह
उन सब चीिों से जितना हो सके मुतत िहे िो उस महान काम से उनके मन को भटकाते हैं। औि पत्नी, यहद
उसे ऐसा किने के सलए आज़ादी दे दी िाए, तो वह भी अपने पतत के साथ िडे होकि उसके जितना ही हाससल
कि सकती है । पिमेश्वि ने स्त्री को ऐसी प्रततभाएँ दीीं हैं जिन्हें उसकी महहमा के सलए बहुत बेटे औि बेहटयाँ
पिमेश्वि के पास लाने में इस्तेमाल ककया िा सकता है ; पिीं तु अनेक महहलाओीं को िो कुशल कमी बन सकतीीं
हैं, घि पि बच्चों का ख्याल ििने के सलए छोड हदया िाता है ।”
जडम-पूिग प्रभाि
एडवें हटस्ट होम, पृ. 256. “बच्चे के िन्म से पहले ही उन तैयारियों को शुरू कि दें िो उसे बुिाई से
सफलतापूवक
ण लडने में मदद किगी।
अपने सशशु के पैदा होने से पहले यहद वह ववलासी हो, यहद वह स्वाथी हो, अधीि, औि किोि हो, तो ये
अवगुर् बच्चें के चरित्र में भी िहें गी। इससलए कई बच्चें िन्मससध्द अधधकाि के रूप में इन लगभग अिेय
बुिाईयों के प्रतत रूझान के साथ पैदा होते हैं।
पिीं तु यहद माता बेहहचक सही ससध्दाींतों का पालन किे , यहद वह सींयसमत िहे , यहद वह दयालु हो, नम्र, औि
तनस्वाथण हो, तो वह अपने बच्चे को चरित्र के ये बहुमूल्य गुर् दे सकती है ।”
2 टे स्टीमनीज़, पृ. 381,382. “िन्म दे ने से पहले स्त्री के िीवन में कोई बदलाव नहीीं आना एक गलती हो िो
अकसि की िाती है । इस समय माता का काम हल्का ककया िाना चाहहए। उसके शिीि में कई तिह के बदलाव
हो िहे होते हैं। बहुत सािे ितत की ज़रूित होती है , औि इससलए सबसे अच्छे प्रकाि के पोषक भोिन की
चाईल्ड गाईडेन्स, पृ. 194. “माताएँ अपने बच्चों को उनके प्रथम तीन वषण में अनश
ु ाससनत किना सतु नजश्चत
किें । माता को अपने सशशु का मन होना चाहहए। प्रथम तीन वषण वह समय है िब आप ककसी भी टहनी को
झुका सकते हैं। उन्हें अपने चाहत औि इच्छाएँ ववकससत न किने दें । माताओीं को इस समय के महत्व को
समझना चाहहए। इसी समय नीींव ििी िाती है ।”
चाईल्ड गाईडेन्स, पृ. 194. “एक बालक के िीवन के प्रथम छुः या सात वषण में उसके शािीरिक ववकास पि
बौधधक ववकास से अधधक ध्यान हदया िाना बेहद महत्वपूर्ण है । इसके बाद, यहद शािीरिक गिन यहद अच्छा
हो तो दोनों सशक्षाओीं पि ध्याने दें । बालावस्था छुः से सात वषण की होती है । इस दौिान बच्चों को छोटे भेडों
की तिह घि औि आँगन में घम
ू ने दें , अपने आत्मा की चींचलता में , कूदने-फाँदने, औि बोझ औि तकलीफ
के कफिों के बबना िीने दें ।”
एिूकेशन, पृ. 208. “बालक के प्रथम आि से दस वषों में िेत या बगीचे उसके सलए सवोत्कृष्ट कक्षाएँ हैं,
माता सवणश्रेष्ि सशक्षक्षका, औि प्रकृतत सबसे अच्छी पुजस्तका है । िब बालक ववद्यालय िाने के सलए तैयाि हो
िाए तब भी पुस्तकों के ज्ञान से अधधक उसके स्वास््य को महत्व हदया िाना चाहहए। उसे ऐसे महौल से
धधिा िहना चाहहए िो उसके शािीरिक औि मानससक, दोनों के ववकास के सलए लाभदायक हो।”
चाईल्ड गाईडेन्स, पृ. 82. “बचपन में ही माता-वपता के प्रतत आज्ञाकािी बनाने गर्
ु ों के बीच बोने
चाहहए जिसकी दे ििे ि ककशोिावस्था में की िानी चहहए।
कुछ असभभावक सोचते हैं कक वे अपने बच्चों को बालावस्था में अपने मनमानी किने दे सकते हैं,
औि िब वे थोडे बडे हो िाएँगे, वे उन्हें समझाएँगे; पिीं तु यह एक गलती है । बालावस्था में ही
आज्ञाकारिता ससिाएँ।...घि औि ववद्यालय में आज्ञाकारिता को िरूिी बनाएँ।
अपने िीवन के शुरू से ही बच्चों को असभभावकों का आदि किना ससिाएँ, कक वे उनकी बातों का
आदि किे , औि उनके अधधकाि का सम्मान किे ।”
2. आत्म-ननयंत्रण
चाईल्ड गाईडेन्स, पृ. 92. “एक बहुमुल्य पाि जिसे माता को बाि बाि दहु िाना पडेगा, वह यह कक बच्चे
शासन किने के सलए नहीीं हैं; वह गरू
ु नहीीं है , पिीं तु माता की इच्छा ही सवोपरि है । इस तिह से वह
उन्हें आत्म-तनयींत्रर् ससिाएगी। उन्हें वे चीिें न दें जिसके सलए वे िोते हैं, भले ही आपका कोमल हृदय
ऐसा किना चाहे गा; तयोंकक यहद वे एक बाि िोकि वविय प्राप्त कि लें गे तो वे दब
ु ािा इसी की उम्मीद
किें गे। औि दस
ू िी बाि युध्द अधधक लवलीन होगा।”
चाईल्ड गाईडेन्स, पृ. 103. “बजु ध्द की शुरूआत से, मनुष्य के वववेक को शािीरिक गिन के प्रतत अधधक
ज्ञानी बनना चाहहए।” (इसमें शासमल है : शिीि सींिचना औि ववज्ञान, स्वच्छता, व्यवस्था, तनयसमतता,
आहद।)
काउन्सेल्स टू पेिेन्ट्स, टीचसण, एींड स्टूडेंट्स, पृ. 122. “घि के ववद्यालय में बच्चों को प्रततहदन के
अभ्याससक कतणव्यों को तनभाना ससिाना चाहहए। िब वे बच्चे ही हैं, उस समय माताओीं को उन्हें
प्रततहदन सिल काम किने दे ना चाहहए। उसे स्वयीं उस काम को किने के मक
ु ाबले काम किने ससिाने
में ज्यादा वतत लगेगा; पिीं तु वह याद ििे कक उसे उनके चरित्र में उयोधगता का नीींव ििनी है । यह
उसका काम है कक वह बच्चों को घि के कामों को िल्दी औि कुशुलता से किना ससिाए। िीवन में
जितना िल्दी हो सके उन्हें घि के जिम्मेदारियों को बाँटना ससिाएँ। बचपन से ही, लडके औि
लडककयों को धीिे धीिे भािी औि उससे भी भािी भाि जिम्मेदारियों का तनवाणहन किना ससिाएँ, औि
बुजध्दमानी से घि के कायाणलय के कामों में मदद किना ससिाएँ।”
5. शुध्दता
चाईल्ड गाईडेन्स, पृ. 114. “ककतनी सावधानी से असभभावकों को अपने बच्चों की िक्षा लापिवाह ढीले,
अनैततक व्यवहािों के प्रतत चाहहए! माता औि वपता, तया आप अपनी जिम्मेदािी की महत्व को समझते
हैं? तया आप अपने बच्चों को दस
ू िे बच्चों से दोस्ती किने दे ते हैं, बबना यह िानें कक उनसे वे ककस
तिह के सशक्षा प्राप्त किते हैं ? उन्हें दस
ू िे बच्चों के साथ अकेला न िहने दें । उन्हें अपना िास ध्यान
दें ।”
6. सादर्ी
चाईल्ड गाईडेन्स, पृ. 141. “असभभावों के पास अपने बच्चों को घि के बोझ उिाने में सहायता किना,
सादे भोिन औि स्वच्छ औि सस्ते वस्त्रोंसे सींतुष्ट िहना ससिाने की एक पववत्र जिम्मेवािी है ।”
6 टे स्टीमनीज़, पृ. 214. “उपदे शों औि उदाहिर्ों से आत्म-इन्काि, आधथणक सशक्षा, बढ़पन्न औि
आत्मतनभणिता ससिाएँ। प्रत्येि िन जिसका चरित्र सच्चा है , वह मुसीबतों का समाना किने के सलए
तैयाि पाया िाएगा औि वह इस बात का अनुकिर् किे गा, ‘पिमेश्वि यों कहता है ।’”
“वपताओीं को झि
ू े गौिव से बचना चाहहए, औि आत्म-सींतजु ष्ट का थोडा समय त्यागना होगा ताकक वे
अपने बच्चों से धुलने-समलने के सलए वतत तनकाल सकें, उनकी छोटी छोटी पिे शातनयों से हमददी ििे,
जिससे वे उन्हें अपने मन से प्रेम के मिबूत बींधन से बाँध सके, औि उनके बढ़ते मन पि ऐसा प्रभाव
स्थावपत किे कक उनका सलाह पववत्र माना िाए।” एडवें हटस्ट होम, पृ. 220.
चाईल्ड गाईडेन्स, पृ. 303. “माता-वपता, अपने बच्चों को ऐसे प्रसशक्षर् केन्द्रों में डालें जिनके प्रभाव सही
प्रकाि से सींचासलत घिे लु ववद्यालय के िैसा हो; ऐसे ववद्यालय जिनके सशक्षक उन्हें एक बबन्द ु से दस
ू िे
बबन्द ु तक आगे बढ़ाएँगे, औि जिसमें आजत्मक महौल िीवन का स्वाद बढ़ाए।”
चाईल्ड गाईडेन्स, पृ. 328. “तुम प्राथणना किते हो, ‘हमें परिक्षा में न डाल’। तब अपने बच्चों को भी ऐसे
स्थानों में ििने के सलए िािी न हों िहाँ वे बेविह परिक्षा में पडेंगे। उन्हें ऐसे ववद्यालयों में न भेिें
िहाँ ऐसे प्रभावों के सींपकण में आएँगे िो हृदय के िेत में ििपतवाि की तिह होंगे।
घि के ववद्यालय में , उनके शुरूआती वषों के दौिान, अपने बच्चों को पिमेश्वि के भय में प्रसशक्षक्षत
एवीं अनुशाससत किें । औि कफि सावधान िहें अन्यथा, िो धासमणक सशक्षाएँ उन्होंने प्राप्त ककया है वे
वववाह का प्रथम वषण या शुरूआत के कुछ वषण बीतने के बाद, जिसे कुछ लोग हनीमून चिर् कहते हैं, अब
लगता है की िीवन आपका सािा वतत माँग िही है । छोटी छोटी पिे शातनयाँ जिन्हें नज़िअींदाज़ ककया िाता है
अब वववाह के तोडने में लगी है । लगता है िैसे िोमाँस िीवन से िा चक
ु ा है ; आधथणक सींकट आपकी ऊँची
आशाओीं को कुचल चक
ु े हैं। ये तया चल िहा है ? तया आपने गलती की है ? प्रत्येक वववाह में बडी चन
ु ौततयाँ
औि प्रेम की परिक्षाएँ आतीीं हैं, िो या तो वववाह को मिबूत बनाते हैं या कमज़ोि कि दे ते हैं, औि ये दोनों
साथी के तनर्णयों औि समपणनों पि तनभणि किते हैं। मसीहहयों के सलए यह बडी मत्ृ यु या तनजश्चल प्रेम की
बुलाहट है ।
दभ
ु ाणग्य से मसीहहयों में भी 50% वववाह का अींत तलाक से होता है । तयों ?
पैट्रीयातसण एींड प्रोफेट्स, पृ. 308. “(तनगणमन 20:14 से सलया गया है )। यह आज्ञा अशुध्दता की
गततववधधयों को ही प्रततबींधधत नहीीं किता, पिीं तु लालसापूर्ण ववचाि औि इच्छाएँ, या ऐसे अभ्यास िो
पुरूषों के पास दस
ू िी महहलाओीं को लालसा से दे िने की परिक्षा िहती है । पुरूषों के सलए अय्यूब 31:1
में हदये गए उदाहिर् ज़रूिी है । “मैं ने अपनी आँिों के साथ वाचा बाँधी है , कफि मैं ककसी कुवाँिी पि
कैसे आँिें लगाऊँ?”
महहलाओीं के पास दस
ू िे परू
ु षों की ओि आकवषणत होने की परिक्षा िहती है । इस सझ
ु ाव पि गौि किें :
इवें िसलज़म, पृ. 460. “िब महहला पिे शानी में होती है , तो उसे महहला के पास िाने दें । यहद यह
महहला िो आपके पास आयी है उसके पास अपने पतत के सशकायत का सही कािर् है , उसे अपनी
पिे शानी दस
ू िी महहला के पास ले िाना चाहहए िो, यहद ज़रूिी हो, तो इस बािे में आपसे बात किे ,
बबना ककसी दष्ु टता के।”
एडवें हटस्ट होम, पृ. 177. “प्रत्येक परिवाि के इदण धगदण एक पववत्र घेिा है जिसकी हहफाज़त किनी
चाहहए। ककसी भी दस
ू िे को इस पववत्र घेिे में कोई हक नहीीं है । पत्नी के पास ऐसी कोई गप्ु त बात न
हो जिसे वह अपने पतत से तछपाए औि दस
ू िों को िानने दे , पतत के पास पत्नी के छुपाने के सलए
कोई गुप्त बात न हो जिसे वह दस
ू िो से बाँटे। पत्नी का हृदय पतत के गलततयों को कब्र िहे , औि पतत
का हृदय पत्नी की गलततयों का कब्र िहे । दोनों में से कोई भी अपने साथी के भावनाओीं की कीमत पि
हँसी न उडाए। पतत औि पत्नी दस
ू िों के सामने अपने साथी की सशकायत न किे , तयोंकक इस बेवाकूफी
में पडने से िो मज़ाक लग सकता है अींत में झगडे में तबदील हो िाएगी औि शायद अलगाव में
भी।...घि के घेिे को पववत्र माना िाए।..हमािे दोस्त औि परिधचत हो सकते हैं, पिीं तु घिे लू मामलों में
उन्हें दख़ल नहीीं दे ना है ।”
6. क्षमा करें
मेसेिेस टू यींग पीपल, पृ. 450. “प्रेम अनेक गलततयों को नज़िीं दाज़ कि दे गा।”
माई लाईफ टूडे, पृ. 32. “प्रत्येक सींध्या अिाधना में परिवाि का प्रत्येक सदस्य अपने हृदय को अच्छी
तिह िाने। प्रत्येक गलत सही ककये िाएँ। यहद हदन में ककसी ने गलत ककया हो या िूिता से कुछ
कहा हो, तो गलती किने वाला चोट पहुँचाए गए व्यजतत से क्षमा माँगे।”
1 कुरिजन्थयों 7:3. “पतत अपनी पत्नी का हक पूिा किे ; औि वैसे ही पत्नी भी अपने पतत का।”
2 टे स्टीमनीज़, पृ. 417. “घि जिसमें प्रेम हो, िहाँ प्रेम शब्दों, कामों औि नज़िों से िताया िाता हो,
उस स्थान में स्वगणदत
ू अपनी उपजस्थतत हदिाना पसींद किते हैं औि उस दृष्य को महहमा की ज्योतत
के पववत्र किते हैं।”
9. अंतरं र् बनें
अींतिीं गता का अथण दै हहक अनुभव से कहीीं ज्यादा है । यह मन, भावना, औि समझ का िास सींबींध है ,
औि यह यौन अनुभव को अधधक सींतोषिनक बनाता है ।
काउन्सेल्स ऑन स्टीवडणसशप, पृ. 249. “बहुत सािे लोगों ने िुद को इतना सशक्षक्षत नहीीं बनाया है कक
वे अपने िचों को आय की सीमा तक ही ििे। वे परिजस्थततयों में िद
ु को ढालना नहीीं सीिते हैं, औि
बाि बाि उधाि लेते हैं, औि किण में दब िाते हैं, औि इस कािर् तनिाश औि दुःु िी हो िाते हैं।”
िोसमयों 12:1. “अपने शिीिों को िीववत, औि पववत्र, औि पिमेश्वि को भवता हुआ बसलदान किके
चढ़ाओ।”
मिकुस 6:31.
1 टे स्टीमनीज़, पृ. 515. “उन्हें (कायाणलय में काम किने वाले) बीच में बदलाव लाना चाहहए, औि एक
पूिा हदन परिवाि के साथ अमोद-प्रमोद में बबताना चाहहए, जिनके साथ वे न के बिाबि वतत बबता
पाते हैं।”
इन सवालों के िवाब इमानदािी से दें औि दे िें की आप प्रेमालाप के सलए तैयाि हैं या नहीीं।
1. तया मैं अपने असभभावकों के घि में इमानदाि िही हूँ? हाँ नहीीं
2. तया मेिी अम्र हो चुकी है ? हाँ नहीीं
3. तया प्रेमालाप मेिी सशक्षा में रूकावट लाएगा? हाँ नहीीं
4. तया मेिा स्वास््य परिवाि बसाने के सलए उपयत
ु त है ? हाँ नहीीं
5. तया मेिे ववचाि परिपतव हैं? हाँ नहीीं
6. तया मेिा चरित्र ज़रूित के मुताबबक ववकससत हो चुका है ? हाँ नहीीं
7. तया मैंने अभ्याससक कुशता हाससल कि ली है ? हाँ नहीीं
8. तया में अपने परिवाि को सींभाल सकता हूँ? हाँ नहीीं
9. तया मैं सचमचु परिवततणत हो चक ु ा हूँ? हाँ नहीीं
10. तया उम्र में बहुत अधधक अींति है ? हाँ नहीीं
11. तया मैं ससफण एक ववश्वासी से वववाह किने के सलए समवपणत हूँ? हाँ नहीीं
12. तया मुझे सलाह दे नेवाले सोचते हैं कक मैं प्रेमालाप के सलए तैयाि हूँ? हाँ नहीीं
13. तया मुझे पूिा ववश्वास है कक पिमेश्वि चाहता है कक मैं प्रेमालाप करूँ? हाँ नहीीं
इन में उस िवाब को चुनें िो वतणमान में आपके साथी के साथ आपके व्यवहाि का सबसे सही ववविर् दे ता।
अंक
1-35 औसत से कम। आपको सुधािने के सलए कडी मेहनत किनी पडेगी पि आप यह कि सकते हैं !
अध्याय 2 – पौिस
ु का उदाहरण ........................................................................................ 413
अध्याय 5 – ववस्तत
ृ दीर्मकालिक सुसमाचारवाद .................................................................. 425
एक से बेहतर दो ...................................................................................................................... 425
शहरी काम .............................................................................................................................. 425
आऊटपोस्ट केंद्र ........................................................................................................................ 426
प्रलशक्षण ववद्यािय ................................................................................................................... 426
“बाइबल में बताए गए सबसे गंभीर फिर भी सबसे महिमयी सत्यों में से एक।” ग्रेट कन्ट्रोवसी, पृ. 299.
िमारा सोच कैसा िोना चाहिए? प्रकाशितवाक्य 22:20 और 2 पतरस 3:10-12 िमें बेितर समझ दे ती िै ।
मरानाथा, पृ. 19. “जगत को सुसमाचार दे ने के द्वारा िमारे पास यीिु के आगमन को िीघ्र लाने की ताकत िै ।
िमें शसिफ इन्ट्तजार नि ं करना िै परन्ट्तु परन्ट्तु परमेश्वर के हदन को िीघ्र लाना िै । 2 पतरस 3:12। यहद
कल शसया ने अपने काम को वैसे ि फकया िोता जैसा फक परमेश्वर ने अशभषेक फकया था, तो पूर दनु नया को
अब तक चेतावनी शमल जाती, और यीिु अब तक पूर महिमा और सामथफ से िमारे जगत में आ जाता।”
इन िे वनल प्लेसेस, पृ. 96. “ऐसा क्यूँ िैं फक ये सारे दष्ु टताएँ एक साथ धाशमफकता और सत्य के खखलाि हिंसा
में टूट नि ं पड़ते? ऐसा इसशलए िै क्योंफक चार स्वगफदत
ू चार िवाओं को थामे िुए िैं, ताफक वे पथ्
ृ वी में न बिें ।”
लास्ट डे इवें ट्स, पृ. 125. (प्रकाशितवाक्य 7:1-3 पढ़ने के बाद) “यि उस काम की ओर इिारा करता िै जजसे
िमें अभी करना िै , और यि िै , िमें परमेश्वर से इन चार स्वगफदत
ू ों से चार िवाओं को थामे रिने के शलए
प्रथफना करना िै ।”
क्या िमें दे र के शलए प्रथफना करना िै ? िम हिंसा को रोकने के शलए क्यों रो रिे िैं ? क्या िमें आनजन्ट्दत नि ं
िोना चाहिए फक यीिु का आगमन ननकट िै ? यीिु के आगमन को िीघ्र लाने का क्या?
5 टे स्ट मनीज, पृपृ. 713,714. “दष्ु टता के इन्ट्तजार में िांनत से कोई न बैठे, और यि न सोचे की यि काम
जार रिे क्योंफक भववष्यवाणी ने ऐसा किा िै , और यि फक परमेश्वर अपने लोगों को बचाए रखेगा। िम चप
ु चाप
रि कर परमेश्वर की इच्छा पूर नि ं कर रिे िैं, ववचारों की आजाद को बचाए रखने के शलए कुछ नि ं कर रिे
िैं।”
ररव्यु एंड िे रल्ड, हदसंबर 18,1888. (प्रकाशितवाक्य 7:1-3 पढ़े ) “इससे पिले की स्वगफदत
ू चार िवाओं को छोड़
दे , यिाँ काम फकया जाना था (मुिर लगाया जाना); यहद िम जाग कर फक िमारे आस-पास क्या िो रिा िै तो
िम पाएँगे फक िम संघषफ और परे िाननयों के शलए तैयार नि ं िैं जो िमारे ऊपर आज्ञापत्र के पश्चात आने वाले
िैं।... िमें स्वगफ के परमेश्वर से एक साथ शमल प्रथफना करना िै फक स्वगफदत
ू चारों िवाओं को तब तक रोके रखें
जब तक फक शमिनर दनु नया के सारे हिस्सों में भेजे नि ं जाते, जब तक िमने यिोवा की आज्ञा के अनादर
और पिु और उसकीमूनतफ की उपासना के खखलाफ़ चेतावनी नि ं दे दे ते िैं। परमेश्वर की आज्ञा को जगत में
रिने वाले लोगों के बीच प्रचार करना िै । यि िमारा काम िै ; परन्ट्तु दश्ु मन िर वि संभव चीज करगे जजससे
परमेश्वर के लोगों को जागने से रोका जा सके।”
टे स्ट मनीज, वो. 5, पृपृ. 713,714. “िम ने उसके लोगों के रूप में िमें द गई काम को परू ा नि ं फकया िै । िम
रवववार कानून के लागू िोने से आने वाल मुसीबतों के शलए तैयार नि ं िै । यि िमारा कतफव्य िै फक आने वाले
ववनाि को दे खते िुए िम जाग जाएँ और अपना काम करें ।... पूर मन से प्रभाविाल प्रथफनाएँ स्वगफ की ओर
उठे फक सतािट तक तक के रुका रिे जब िम इतने लंबे समय से अनदे खे फकये गए काम पूरा न कर लें । और
भी अधधक प्रथाफएँ की जाएँ; और फिर िम एक दस
ू रे के साथ शमलकर प्रथफना करते िुए काम करें ।”
यहद िम ये सारे चीजें कर रिे िैं, तो चारों िवाओं को थामे रखने की िमार प्रथफनाओं के उत्तर में , िम प्रभु के
आगमन को िीघ्र ला रिे िैं। (पढ़ें 2 पतरस 3:3-12)
दया के कारण दस
ू रा आगमन रुका हुआ है
1868-- “उदासी की लंबी रात थका दे ने वाल िै , परन्ट्तु भोर दया से रुका िुआ िै , क्योंफक यहद स्वामी आ जाए
तो बिुत सारे लोग तैयार नि ं पाए जाएँगे। परमेश्वर नि ं चािता िै फक उसके लोगों का ववनाि िो,
इतनी लंबी दे र का यि कारण िै ।” (टे स्ट मनीज, वो. 2, 194).
1900-- “यहद परमेश्वर के काम को उसके लोगों ने जगत को दया के संदेि दे कर फकया िोता, तो ख्रीस्त अब
तक आ जाता और संतों ने परमेश्वर के नगर में स्वागत प्राप्त कर शलया िोता।” (टे स्ट मनीज, वो. 6,
450).
1901-- “इस्राएल के सन्ट्तानों की तरि िमें इस दनु नया में अवज्ञा के कारण और कई सालों तक रिना पड़
सकता िै ; परन्ट्तु ख्रीस्त के शलए, उसके लोगों को परमेश्वर को अपने गलत कामों के पररणामों के शलए
कोस कर पाप में पाप नि ं बढ़ाना चाहिए।” (इवें जशलज़्म 696)
1902-- “मण्डल की सदस्यता में ऐसे बिुत से नाम िैं जो ऐसे जी रिे िैं जैसे फक कोई मिान आपातकाल नि ं
िै , लोगों के अनन्ट्त जीवन खोने का कोई डर नि ं िै । बिुत सारे लोग आराम से िाथ मोड़े िुए िैं, फिर
भी खद
ु को ख्रीस्त के अनय
ु ायी किते िैं। तनख्वाि से काम कर रिे लोगों पर ि अधधकांि डाले िुए
9टे स्ट मनीज, पृ. 11 6. “इस जगत में परमेश्वर का काम तब तक परू ा नि ं िोगा जब तक फक िमारे मण्डल
के सारे सदस्य, महिला और पुरूष, एकजुट िोकर प्रचारकों और पाहदयों के साथ काम में िाथ नि ं बटाँगे।”
2 टे स्ट मनीज, पृ. 195. “लगभग सभी ने इन्ट्तजार करना और सतकफ रिना छोड़ हदया िै ; िम उसे शलए द्वार
खोलने के शलए तैयार नि ं िै । जगत के शलए प्रेम ने िमारे मनों को इतना भर हदया िै फक िमार आँख ऊपर
नि ं उठते िैं, परन्ट्तु नीचे पथ्
ृ वी को दे खते रिते िैं। िम अपने ववशभन्ट्न व्यवसायों में पूरे उत्साि के साथ व्यस्थ
िैं, परन्ट्तु परमेश्वर भुला हदया गया िै , और स्वगीय खजानों को मूल्य नि ं हदये जा रिे िैं। िम इन्ट्तजार करने
और सतकफ रिने वाल अवस्था में नि ं िैं। संसाररकता के प्रेम और धन की लोभ के धोखें ने िमारे ववश्वास को
ढक हदया िै , और िम िमारे त्राणकत्ताफ के आने का न तो इन्ट्तजार करते िैं और न ि िमार इच्छा रि गई िै ।
िम शसिफ अपना ख्याल रखने के शलए अत्यधधक कोशिि करते िैं। ”
8 टे स्ट मनीज, पृ. 148. “िम में से एक सौ में एक भी जन संसाररक व्यवायों में शलप्त रिने के अलावा कोई
काम नि ं कर रिे िैं। ख्रीस्त ने जजनके शलए जान हदया उनके मनों के मूल्य का आधा भी नि ं जगे िैं।”
मरानाथा, पृ. 242. “मैंने दे खा फक बिुत सारे लोग इतनी मित्वपूणफ तैयार की अनदे खी कर रिे िैं और
“जागरण” और “अंनतम वषाफ” के इन्ट्तजार में िैं फक यि उन्ट्िें परमेश्वर के हदन में जस्थर रखे और उसकी नजरों
में जीववत रिे । ओि, मैंने फकतनों को सतािट के हदनों में बबना ठाँव के दे खा!”
एकट्स ऑफ़ द अपोसल्स, पृ. 111. “परमेश्वर ने बिुत लंबे समय तक सेवा की भावना को पूरे कल शसया में
जागने का इन्ट्तजार फकया ताफक प्रत्येक जन अपने काबबशलयत से उसके शलए काम करे । जब परमेश्वर की
कल शसया के सदस्य घर और ववदे िों में जरूर इलाकों में अपने काम करते िैं, ताफक सुसमाचार का काम पूरा
फकया जा सके, पूर दनु नया को जल्द ि चेतावनी शमल जाएगी और प्रभु यीिु जगत में सामथफ और महिमा के
साथ लौटे गा।”
ररव्यु एंड िे रल्ड, जुलाई 21, 1896. “जब िम खुद को ख्रीस्त की सेवा में पूरे मन से लगा दें गे, परमेश्वर अपनी
आत्मा को बबना नाप के उण्डेलकर इस तथ्य को ग्रिण करे गा; परन्ट्तु ऐसा तब तक नि ं िोगा जब तक फक
कल शसया को अधधकांि लोग परमेश्वर के साथ शमलकर काम नि ं करें गे। ”
मेडडकल शमननस्र , पृ. 248. “अशभवषक्त पादर अकेले से इस काम को पूरा नि ं कर सकते िैं। परमेश्वर
बाइबल कमफचाररयों और ववशभन्ट्न प्रनतभाओं वाले अन्ट्य समवपफत ले सदस्यों को बुला रिा िै जजनके पास वतफमान
सत्य का ज्ञान िै , फक वे उन ििरों में जाएँ जिाँ चेतावनी नि ं पिुँची िै । अभी जिाँ एक कमफचार िै , उसके
स्थान पर एक सौ कमफचार िोने चाहिए जो व्यजक्तगत शमिनर कायफ में सफिय िैं। समय तेजी से पार िो रिा
िै । िैतान की ववरोध तेज िोने से पिले बिुत सारे काम फकये जाने िैं। िम एक कमफचार को काम में लग जाना
चाहिए, ताफक वतफमान अवसर बजु ददमानी से बढ़े ।”
7 टे स्ट मनीज, पृ. 254. “िमारे आत्म-त्यागी सेवकों की कमी के कारण कटनी के शलए तैयार खेतों के अनाज
अब तक अंदर नि ं फकये गए। इन खेतों में जाना आवश्यक िै , और बिुत सारे कमफचाररयों को इस ववचार के
साथ उनके पास जाना चाहिए फक वे अपना खचफ खुद उठाएँगे।”
ररव्यु एंड िे रल्ड, जनवर 1, 1889 पारा. 21. “ क्या अब िम, जजसके पास बिुत ज्योनत िै , यीिु के शलए कुछ
त्याग करें गे, जो िमारे शलए गर ब बना, फक िम उसी गर बी के द्वारा धनी बनाए जा सके ? अब िमें जागना
चाहिए और धाशमफकता और उत्साि के साथ स्वामी के शलए काम करना चाहिए, मनों के शलए उसके प्रेम और
परमेश्वर में ववश्वास के सिभागी बनना चाहिए, ताफक वि िमारे साथ और िमारे द्वारा काम करे ।”
अध्याय 2- पौिस
ु का उदाहरण
महत्वपूणम आँकड़े
1 पादर की सिायता के शलए औसतन 706 सदस्य िै पूरे ववश्व के एसडीए कल शसया में
दक्षक्षण एशिया ववभाग (भारत) और दक्षक्षण अफ़्रीका-हिन्ट्दमिासागर ववभाग में 1 पादर की सिायता के शलए
2,000 सदस्य िैं
मण्ििी के बबना आधर्मक मदद से िे सदस्य कैसे लमशनररयों के रूप में काम कर सकते हैं ?
1. परमेश्वर पर भरोसा रखें की वि दे गा जैसा फक उसने बारि प्रेररतों को हदया था- दे खें मत्ती 10:5-10;
लूका 22:35
2. स्वावलंबी सेवक के रूप में पौलुस के उदािरण को अनुसरण करें ।
1 कुररजन्ट्थयों 9:6,7,12,14,15,18.
“वे जो सुसमाचार प्रचार करते िै उन्ट्िें सुसमाचार की जीना िोगा” यि परमेश्वर के व्यवजस्थत पूरे समय के कायफ
का शसददांत िै । एक्ट्स ऑफ़ द अपोसल्स, पृ. 335 दे खें।
1 धथस्सलुनीफकयों 2:9. “क्योंफक िे भाईयो, तुम िमारे पररश्रम और कष्ट को स्मरण रखते िो; िम ने इसशलए
रात हदन काम धन्ट्धा करते िुए तुम में परमेश्वर का सुसमाचार प्रचार फकया फक तुम में से फकसी पर भार न
िों।”
2 धथस्सलुनीफकयों 3:8. “और फकसी की रोट मुफ़्त में न खाई ; पर पररश्रम और कष्ट से रात हदन काम धन्ट्धा
करते थे फक तुम में से फकसी पर भार न िो।”
एकट्स ऑफ़ द अपोसल्स, पृ. 348. “धथस्सलूनुके में रिने के दौरान पौलुस िाथों से काम करके आजीववका
प्राप्त करने पर पूर तरि से ननभफर नि ं था। उस ििर में अपने अनुभव के बारे बाद में उस ने फिशलजप्पया के
ववश्वाशसयों के पास उसने उनसे प्राप्त भें टों के बारे शलखा, “इसी प्रकार जब मैं धथस्सलुनीके में था, तब भी तुम
ने मेर घट पूर करने के शलए एक बार क्या वरन ् दो बार कुछ भेजा था” फिशलजप्पयों 4:16। सिायता प्राप्त
करने के बावजूद वि धथस्सलुनीफकयों के पास मेिनत का उदािरण रखने के शलए सतकफ था, ताफक कोई भी
उसपर लालच का आरोप नि ं लगा पाए, और साथ ि जो िार ररक श्रम के बारे चरमपंथी ववचार रखते िैं उन्ट्िें
अभ्याशसक फ़टकार दे सके।”
“पौलुस ने पिले इस ववचार के खखलाफ़ उदािरण पेि फकया फक सुसमाचार का प्रचार सिलापूवक
फ शसिफ उन
लोगों के द्वारा फकया जा सकता िै जो जजन्ट्िें िार ररक श्रम से पूर तरि से छुट्ट दे द जाए, और फिर
मण्डल को प्रभाववत करने की जस्थनत में पिुँचा। उसने अभ्याशसक तौर पर पेि फकया फक ले सदस्य भी बिुत
सारे जगिों में जिाँ लोग सत्यों को नि ं जानते िैं, काम कर सकते िैं। ”
“उसके काम ने बिुत सारे द न श्रशमकों को परमेश्वर के काम को आगे बढ़ाने के शलए काम करने के शलए
प्रोत्याहित फकया, जबबक इस काम के साथ ि वे अपनी आजीववका के शलए श्रम कर सकते थे। ”
“स्वावलंबी सुसमाचार प्रचारकों के पास एक बिुत बड़ा खुला खेत िै । बिुत सारे लोग अपने समय के कुछ भाग
में िार ररक श्रम करते िुए सेवकाई में भी अनुभव प्राप्त कर सकते िैं, और इस तर के से मजबूत कमफचार
ववकशसत िोंगे जो जरूर क्षेत्रों में मित्वपण
ू फ योगदान दे ।”
“पौलुस इस तरि से व्यतीत समय को बरबाद नि ं समझता था। अकीला के साथ काम करते वक्त वि मिान
शिक्षक के संपकफ में सदा बना रिा, फक वि त्राणकत्ताफ के शलए गवाि और जरूरतमंदों की सेवा का कौई भी
मौका न खोए। उसका हदमाग लगातार आजत्मक ज्ञान की खोज में लगा रिता था। उसने अपने सिकशमफयों को
आजत्मक बातों की शिक्षाएँ द , और उसने उनके समाने श्रम और कुिलता का उदािरण भी रखा।”
न्जनके पास नहीं पहुँचा गया है उनके पास पहुँचना- एकट्स ऑफ़ द अपोसल्स, पृ. 351.
“इस तरि से काम और प्रचार करके उसने सवोच्च मसीहियत का उदािरण पेि फकया।”
“पौलस
ु जानता था फक जो िार ररक श्रम की अविे लना करते िैं वे जल्द ि कमजोर िो जाएँगे। वि यव
ु ा
प्रचारक को शसखाना चािता था फक अपने िाथों से काम करने के द्वारा वे अपनी माँसपेशियों और नसों का
व्यायाम कराते िैं, जजसके द्वारा वे ताकतवर बनेंगे और सुसमाचार के क्षेत्र में अकेले रि जाने पर आने वाल
मुसीबतों का सामना कर सके। और उसके खुद भी मिसूस फकया फक यहद वि अपने िर र को ननयशमत कसरत
न दे तो उसके संदेि की क्षमता कम िो जाती िै । ”
युवा प्रचारक पौिुस का अनुसरण करें - एकट्स ऑफ़ द अपोसल्स, पृ. 354.
“उन सारे लोगों को, जो प्रचार करना चािते िैं, एकाएक अपने पररवारों को आधथफक सिायता के शलए कल शसया
के भरोसे नि ं छोड़ दे गा चाहिए। इसमें खतरा रिता िै फक कम अनभ
ु व वाले वे परू तरि से अपनी
जजम्मेदाररयों को भूल जाएँ, और पूर सिायता फक उम्मीद करे जबफक अपने तरि से बिुत कम कोशिि करे ।”
“क्योंफक बिुतों के काम प्रत्यक्ष रूप से धाशमफक कामों से जुड़े नि ं िोते िैं, बिुतों को लगता िै फक उनका जीवन
व्यथफ िै , और वे परमेश्वर के राज्य को िीघ्रता से लाने के शलए कुछ नि ं कर रिे िैं।... एक व्यजक्त परमेश्वर
के काम में अपने साधरण काम, प्रनतहदन के कामों के दौरन भी सफिय रि सकता िै —पेड़ काटते वक्त, भशू म
साि करते वक्त या िल चलाते वक्त। और एक माता जो अपने बच्चों को ख्रीस्त के शलए प्रशिक्षक्षत कर रि िै ,
वि परमेश्वर के शलए उतनी की सच्चाई से काम कर रि िै जजतना की पुलवपट में काम करता प्रचारक करता
िै ।”
“वि (पौलुस) अपने आम व्यवसाय को दरफकनार करने के शलए िमेिा तैयार रिता था जब भी को दश्ु मन
सस
ु माचार का ववरोध करता था, या जब भी उसे यीिु के शलए मनों को जीतने का कोई खास अवसर शमलता।”
“एक जाने माने शमिनर के मुकाबले एक शमस्त्री, व्यव्सायी, वकील, या फकसान को परमेश्वर का काम करने
करने के शलए अधधक अनुग्रि और अनुिासन की जरूरत िोती फक वि मसीि शसददांतों को जीवन के आम
कामों में लागू करे , क्योंफक एक शमिनर खुले इलाकों में काम करता िै , जिाँ उसके काम को समझा जाता िै ,
और आधी मुिफकलें इसी तथ्य से कम िो जाती िै ।”
पौिस
ु ने क्यों एक आन्त्मतनिमर लमशनरी के रूप में काम क्रकया?- सरांश
दाखबारी
“और उसने उनसे किा, “तुम सारे जगत में जाकर सार सजृ ष्ट के लोगों को सुसमाचार प्रचार करो।” मरकुस
16:15. “िर एक जाती, और कुल, और भाषा, और लोगों को”प्रकाशितवाक्य 14:6
“स्वामी ने दास से किा, ‘सड़कों पर और बाड़ों की ओर जा और लोगों को वववि करके ले आ ताफक मेरा घर
भर जाए।’” लूका 14:23
िाइस्ट्स ऑब्जेक्ट लेसन्ट्स, पृ. 226. “(लूका 14:23) यिाँ ख्रीस्त ने यिूद धमफ के अिाते के बािर ससुसमाचार
के काम की ओर इिारा फकया, यानी जगत के सड़कों और पगडंडडयों में ।”
पव
ू ी एशिया एसोशसयेिन (चीन) 3,292 में 1 1,366,475,000
पापआ
ु न्ट्यू धगनी यनु नयन शमिन 25 में 1 6,310,000
“जब ख्रीस्त ने जब बािर सड़कों और बाड़ों में जाने को किा, तो उसकी बिुत गिरा अथफ था। सड़को की
अनदे खी न करो। सड़कों में रिने वालों के पास सत्य पिुँचाना चाहिए। बाड़ों में रिने वालों की अनदे खी न करें ।
ििरों में फकये जाने वाले काम के अलावा उसके आस-पास नछतरे इलाकों में भी काम करना िै ।” पृ. 3
“यि सच िै कुछ लोगों को उस समय की ओर दे खने का योजना बनाना जिाँ वे आम बिुलावे के प्रनतफिया में
बड़े काम करें गे; परन्ट्तु सड़कों को कौन दे खेगा? बाड़ों पर कौन जाएगा? ऐसे लोग भी िैं जजन्ट्िें ख्रीस्त अगव
ु ाई
करे गा, और दाखबार के अविे लना फकये गए हिस्सों में काम की जरूरत को दे खेंगे। वे उन के सामने पववत्रिास्त्र
को खोलने में आनन्ट्द मिसूस करें गे जो अजन्ट्धयारे में िैं और उन्ट्िें सत्य की समझ नि ं िै । यि वि काम जजसे
पूरा करना आवश्यक िै । चशलए, िम सभी अपनी भूशम पर अपने स्थानों में खड़े िों। और यहद ऐसे लोग िैं
जजन्ट्िें परमेश्वर अगुवाई करता िै फक वे दाखबार के अविे लना फकये गए हिस्सों में काम करे , तो कोई भी
व्यजक्त उन्ट्िें उनके हदये गए काम से न भटकाए। यहद वे, जो सत्य जानते िैं, मिान रोिनी को दस
ू रों से
नछपाता िै जो उसके हृदय में चमकी िै , तो वि अपने कतफव्य की अनदे खी के शलए दोषी पाया जाएगा।” पृ. 4
“िमारे बीच ऐसे बिुत से लोग िैं जो सत्य में सालों से रिे िैं, परन्ट्तु उन्ट्िें कभी भी सड़कों और बाड़ों में काम
की जरूरत नि ं मिसूस िुई िै । उन सभी को दब
ु ार हृदय पररवतफन करने की कोशिि करनी चाहिए, पववत्र बुजदद,
के शलए चेष्टा करनी चाहिए, ताफक वे मर रिे जगत के जरूरतों को पिचानें। ” पृ. 10
ररव्यु एंड िे रल्ड, अगस्त 2, 1906. “बड़े केंद्रों में रिने वाले िमारे लोग खास अनभ
ु व िाशसल कर लेत,े यहद वे
िाथों में बाइबल ले कर, और पववत्र आत्मा के शलए हदल खोलकर, जगत के सड़कों और पगडंडडयों में उनके
द्वारा प्राप्त फकये गए संदेिों के जाते।”
फिश्च्यन सववफस, पृ. 66. “ववद्याधथफयों, सड़कों और बाड़ों में जाओ। ऊँचे और नीचे, दोनों वगों में पिुँचने की
कोशिि करें । धनी और गर ब, दोनों के घरों में प्रवेि करो।”
मैनूजस्िपट्स 11, 1908. “कमफचाररयों को सड़कों और बाड़ों में जाने के शलए तैयार करें । िमें ऐसे माशलयों की
जरूरत िै जो ववशभन्ट्न स्थानों मे पेड़ों को रोपे और उन्ट्िें पोवषत करें फक वे बढ़े । यि परमेवर के लोगों का
सकारात्मक कतफव्य िै फक वे ऐसे जगिों पर भी जाएँ जिाँ पिले नि ं पिुँचा गया िो। जिाँ भी मौका शमले, नई
भूशम को साि करने के शलए लोगों को तैयार करें , ताफक नए प्रभाविाल केंद्र स्थावपत फकये जा सकें।”
फ़न्ट्डामेन्ट्टल्स ऑफ़ फिश्च्यन एजूकेिन, पृ. 366. “परमेश्वर इन्ट्तजार कर रिा िै फक लोग िमारे बड़े िरों में घर
घर शमिनर कायफ करें , महिलाएँ और पुरूष बैटल िीक में ि रि जाते िैं जबफक उन्ट्िें ििरों और नगरों में िैल
जाना चाहिए, सड़कों और बाड़ों में भी।”
कममचारी
परस्नल लेटर, अकटूबर, 1908. “कल शसया के सदस्यों को बािर ननकलकर काम करना चाहिए।... मैझु यि
किने का ननदे ि हदया गया िै फक परमेश्वर के स्वगफदत
ू , नजद क और दरू में भी, नए क्षेत्रों में प्रवेि करने में
अगुवाई करें गे।... परमेश्वर ववश्वाशसयों को बुलाता िै फक वे नए क्षेत्रों में जा कर शमिनर कायफ का अनुभव करें ,
और पगडंडडयों में रिने वाले लोगों के शलए बुजददमानी करें ।... परमेश्वर िमारे शलए ननजश्चत तौर पर रास्ते बना
रिा िै ताफक िम लोगों की बढ़ती संख्या को छोटे कम्पननयों में बाँट दें ताफक िमें एक साथ काम करने में
हदक्कतें न आए और सबसे अधधक लाभ िो।”
पैमप्लेट 005, एन अपील फ़ॉर सेल्फ़-सपोहटिं ग लेबरसफ टू एन्ट्टर अनवक्डफ फ़ील्ड, पृ. 29. “पूर कल शसया
शमिनर आत्मा पररपण
ू फ िो जानी चाहिए; तब बिुत सारे लोग अपनी क्षमता के अनस
ु ार बबना तनख्वाि के
ववशभन्ट्न तर कों से काम कर सकेंगे।... युवाओं में शमिनर आत्मा आनी चाहिए, और उन्ट्िें संदेि की आत्मा से
पररपूणफ िोना चाहिए।”
मेडडकल शमिनर , पृ. 321. “युवकों, परमेश्वर की आत्मा के द्वारा हदखाए गए स्थानों मे जाओ। अपने िाथों से
काम करो, ताफक तुम स्वावलंबी बन सको, और जैसे ि तुम्िारे पास अवसर आए, चेतावनी का संदेि दो। ”
पेमप्टले 113, वडफस ऑफ़ एनकरे जमें ट टू सेल्फ़-सपोहटिं ग वकफसफ. “मुझे खुिी िै फक िमारे लोग यिाँ मेडडसन में
स्थावपत िो चक
ु े िैं। मझ
ु े यिाँ के कमफचाररयों से शमलकर खि
ु ी िुई, जो अलग अलग स्थानों में जाने के शलए
तैयार िै । परमेश्वर के काम को तेजी से बढ़ना िै ; उसके सत्य को ववजय प्राप्त करना िै । प्रत्येक ववश्वासी से
िम किें गे: कोई रुकावट न बने। यि न किें , “िम इतने कम जनसंख्या वाले स्थान में नि ं रि सकते, और वि
भी मुख्यतः स्वावलंबी तर के से, जबफक दनु नया में फकतने बड़े बड़े क्षेत्र िैं जिाण भीड़ के भीड़ लोगों तक पिुँचा
जा सकता िै ।” और कोई न किे , “िम आपको उन पथ
ृ क स्थानों में काम करने के शलए सिायता नि ं दे सकते
लेटर 136, 1902. “सत्य तो जानने वाले िाद िुदा महिलाओं और पुरूषों को अनदे खी फकये गए क्षेत्रों में दस
ू रों
को ज्योनत दे ने जाने दें । उनके उदािरण अपनाएँ जजन्ट्िोंने नए क्षेत्रों में सिलतापूवक
फ काम फकया िै । उन जगिों
पर बुजददमानी से काम करें जिाँ आप सबसे बेितर काम कर सकते िैं। स्वास्थ्य सुधार के ननयमों को जानें,
ताफक आप दस
ू रों को भी ये शसखा सके। स्वास्थ्य के ववषय अनेक पुस्तकें पढ़ कर बबमारों का उपचार करना
सीखें, और तरि से स्वामी के शलए बेितर काम करें । ”
पैमप्लेट 005, एन अपील फ़ॉर सेल्फ़-सपोहटिं ग लेबरसफ टू एन्ट्टर अनवक्डफ फ़ील्ड, पृ. 35. “सवाल यि िै फक इन
दे िों के लोगों को चेतावनी कैसे द जाए। संदेि को िैलाने के शलए िमें क्या करना चाहिए जबफक िमारे पास
काम करने के शलए इतने कम साधन िैं, और इतने कम कमफचार िैं।
यहद कई पररवार जो इस पररजस्थनत को समझते िैं उन दे िों में चले जाए और ऐसे स्थानों मे व्यापार िुरू
करे जिाँ सब्बत मानने वाले बिुत कम िैं, और ख्रीस्त के शलए शमिनर कायफ करे । मैं जानती िूँ फक व्यजक्तगत
पररश्रम से और अच्छे प्रभाव से वे बिुत कुछ िाशसल कर लें गे। परमेश्वर अमेररका के बिुत सारे लोगों के मनों
में काम करे की वे खद
ु को इस काम में सौंप दे । मैंने इस पररजस्थनत को बैटल िीक में िमारे लोगों के समक्ष
बार बार रखा, परन्ट्तु कोई प्रनतफिया नि ं शमल ।
मुझे कभी कभी ऐसा लगता िै फक मुझे इस क्षेत्र को तब तक नि ं छोड़ना चाहिए जब तक की अमेररका से
शमिनर यिाँ आकर बस न जाएँ, अशभवषक्त पादर नि ं, बजल्क दस
ू रे व्यवसायों के कमफचार ।”
ररव्यु एंड िे रल्ड, मई 25, 1897. “परमेश्वर के वचन से यि क्यों नि ं समझा जा रिा िै फक धचफकत्सीय
शमिनर कायफ पववत्रिास्त्र का परू ा फकया जाना िै , “ििर के सड़कों और गशलयों में तरु न्ट्त जाओ, और गर बों,
लँ गड़ों, गँग
ू ों, और अंधों को ले आओ।... सेवक ने किा, प्रभ,ु जैसा आपने आज्ञा हदया था वैसा िमने फकया, और
फिर भी खाल स्थान। तब स्वामी ने अपने सेवक से किा, सड़को और बाड़ों में जाओ, और उन्ट्िें आने को किो,
ताफक मेरा घर भर जाए।”
यि एक ऐसा काम िै जजसे िर एक मण्डल को करना िै , फिर चािे वि उत्तर या दक्षक्षण में िो या पूवफ या
पजश्चम में िो। इस काम को करने के शलए मण्डशलयों को अवसर हदया गया िै । उन्ट्िोंने क्यों नि ं फकया िै ? इस
काम को फकसी को तो करना ि िोगा।”
एडवडफ सदरलैण्ड एक यव
ु क था जो बैटल िीक में एलेन जी. व्िाइट के घर के पास बड़ा िुआ। बचपन में वि
उसे पैरों के पास बैठ जाता िै जब वि उसे किाननयाँ सन
ु ाती थी। 1890 में वि बैटल िीक से स्नातक िुआ
और अगले दो वषों तक उसने शिक्षक का अनुभव प्राप्त फकया।
1892- बिुत ि सक्षम युवक के रूप में दे खे जाने के कारण, उसे वाला वाला में िमारे मिाववद्यालय के पिले
प्रधानादयापक के रूप में चुना गया।
1894- उसे वाला का प्रेसीडेंट चुना गया और उसने ववद्यालय को अवोन्ट्डेल के ववद्यालय के जैसे बनाना चािा,
अवोन्ट्डेल ऑस्रे शलया में िमारा एक ववद्यालय िै जिाँ का पाठ्यिम और ववद्याथी कायफ योजना को तैयार करने
में एलेन व्िाइट ने सियोग हदया िै । एलेन व्िाइट को हदखाया गया फक अभ्याशसक शिक्षा ववद्याधथफयों के शलए
उतना ि जरूर िै जजतना फक बौधधक शिक्षा जरूर िै , और दोनों एक साथ चलते िैं। उसने यि भी ननवेदन
फकया फक िमारे मिाववद्यालय के ववद्याथी ववद्यालय से जुड़े व्यवसायों में सिायता कर के आधथफक रूप से
स्वावलंबी बनें।
वाला वाला में सदरलैण्ड ने ववद्याधथफयों और कमफचाररयों को ववद्यालय के कृवषभूशम और काठ के व्यवसाय में ,
जजसे उसने बाद में िुरू फकया, साथ में काम कराया। जल्द ि वि ववद्यालय आधथफक रूप से इतना मजबत
ू िो
गया फक उसे सिायता के शलए जेनेरल कॉनफ़्रेंस से धन की आवश्यकता नि ं रि गई।
1897- वाला वाला में अपने काम की जानकार दे ने के बाद जेनेरल कॉनफ़्रेंस ने उसे 32 वषफ की आयु में बैटल
िीक का प्रेसीडेंट ननयुक्त फकया और उसके अच्छे दोस्त, पसी मेगन को मिाववद्यालय का अधधष्ठाता बनाया।
उसने ववद्यालय का दयान शमिनर कायों के शलए प्रशिक्षण के लगाए रखने की भरपूर कोशिि की और न शसिफ
डडग्री के शलए पढ़ने के शलए। उसने बैटल िीक में कायफ योजना िुरू फकया, परन्ट्तु यि मुजश्कल था क्योंफक यि
ववद्यालय ििर में था।
“ववद्यालय के सात एकड़ के छोटे क्षेत्र में भी- जजसमें एक टे ननस कोटफ िाशमल था, कुछ करने के शलए
सदरलैण्ड ने मेगन के साथ उस भीड़ भाड़ वाले पररजस्थनत में दौरा फकया। ‘चशलए िम टे ननस कोटफ और बेसबॉल
के मैदान को सजब्जयों का बगान बना दें ,’ एडवडफ सदरलैण्ड ने सुझाव हदया। ‘मैं मदद करूँगा।’ कमीज मोड़े िुए
पसी मेगन ने किा।” इस तरि से उन्ट्िोंने वि फकया, और कुछ ि समय में उन्ट्िोंने अपने ववद्याधथफयों को
बगानों में सजब्जयाँ उगाते पाया- मिज खेलने के बजाय।
1903- यि मिाववद्यालय दब
ु ारा अपने नए स्थान में खुला और इसका नाम बदलकर इम्मानुएल शमिनर
कॉलेज रखा गया। यिाँ सदरलैण्ड उस पाठ्यिम को लागू कर पाया जजसे बिन व्िाइट ने तैयार फकया था।
ववद्याधथफयों को विाँ स्वाथी मकसद से नि ं रिना था, परन्ट्तु अपने प्रनतभाओं को परमेश्वर की महिमा के शलए
शमिन के काम के शलए ववकशसत करना था। प्रत्ये क ववद्याथी को बाइबल और ववज्ञान पढ़ने के अलावा आधा
हदन अभ्याशसक काम में बबताना था।
मेडिसन स्कूि
“दोनों पुरूषों का एक ि सपना था फक एक ववद्यालय िो जिाँ सच्ची शिक्षा की ववज्ञान को उसके भरपूर तक
लाया जा सके- ववरोध से िोने वाले रुकावट के बबना- एक ऐसा ववद्यालय जिाँ िर चीज में परमेश्वर का कायफ
फकया जा सके।” नैिववल के बािर ि मेडडसन, टे नेसी में इस कायफ के शलए एलेन व्िाइट के द्वारा स्थावपत
अलाभकार संस्थान ने इ. ए. सदरलैण्ड, पसी ट . मेगन, जॉजफ बटलर- दक्षक्षण यनु नयन के प्रेसीडेंट और जेनेरल
कॉन्ट्रेंस के पूवफ प्रेसीडेंट और एस. एन. िास्केल के साथ जमीन खर दा। िुरू में जेनेरल कॉन्ट्फ़्रेंस के अगुवों ने
इस ननणफय पर असमनत व्यजक्त की, परन्ट्तु एलेन व्िाइट के लगातार सियोग और लोगों के मन में पववत्र
आत्मा के काम के द्वारा आखखरकार मेडडसन ववद्यालय को वाशिंगटन डी. सी. के अगुवों से सिमनत शमल गई।
यि पिला और आखखर पररषद् था जजसकी सदस्य कभी एलेन जी. व्िाइट बनीं। उसे गवाि के खास श्रंख्लाएँ
भी शलखीं जजसे “द मेडडसन स्कूल” किते िैं।
एसपीट बी11, द मेडडसन स्कूल, पृ. 21. “एल्डर ......., ......., और ....... , ननदे ि के ये िब्द आपको बताने के
शलए मुझे हदया दया िै । मैंने किा: आपको मेडडसन, टे नेसी के स्कूल के काम को प्रोत्साहित करने का काम
हदया गया िै ।... जजन कायफकत्ताफओं ने मेडडसन में परमेश्वर के इच्छा को पूरा करने का बीड़ा उठाया िै , उन्ट्िें
पयाफप्त प्रोत्सािन नि ं शमल रिा िै ।... प्रभाविाल भाईयों से अनुरोध िै फक वे इस कमफचाररयों को प्रोत्साहित कर
इनका िाथ थामें और मेडडसन स्कूल के काम में सियोग दे । मेडडसन के काम के शलए जरूर साधन जुगाड़
करने में मदद करें ताफक शिक्षकों के काम भववष्य में बिुत कहठन न िो।”
1908- मेडडसन ने जेनेरल कॉन्ट्फ़्रेंस के प्रसीडेंट ए. जी. डैननयल्स का ववश्वास जीत शलया और जेनेरल कॉन्ट्फ़्रेंस
ने मदद के शलए $19,500 हदये।
1909- 1900 के वाशिंगटन डी. सी. में िुए जेनेरल कॉन्ट्फ़्रेंस की सभा में जेनेरल कॉन्ट्फ़्रेंस ने ननम्नशलखखत
सुझाव हदये:
“िमारा सुझाव िै
फक िमारे मजबत
ू कॉन्ट्फ़्रेंस एसे व्यजक्तयों को ढूँढ़े और प्रोत्साहित करे जो स्वावलंबी काम कर सके, और इस
तरि से चयननत कमफचाररयों को नैिववल एग्रीकलचरल एंड नॉमफल इन्ट्ट च्यूट में शिक्षा िाशसल करने को
प्रोत्साहित करें ।
1914- पसी मगन दक्षक्षण कैल फ़ॉननफया के लोमा शलंडा में एक नया धचफकत्यसीय शमिनर ववद्यालय खोलने के
शलए मेडडसन स्कूल से चले गए।
1938- राष्र य पबत्रकाओं में जैसे “र डसफ डाईजेस्ट”, “न्ट्यूयॉकफ टाईम्स”, “ररपलेज बबशलव इट ऑर नॉट” और यिाँ
तक की अमेररका के राष्रपनत की पत्नी, एलेनोर रूजवेल्ट ने भी एक लेख शलखा जजसका नाम िै “माई डे”,
जिाँ वि “प्रथम स्वावलंबी मिाववद्यालय” में अपने भ्रमण के ववषय शलखती िै ।
1942- दक्षक्षण कैल फ़ोननफया कान्ट्फ़्रेंस के सुसमाचार प्रचारक डब्लू. डी. फ़्रेजी ने मेडडसन मिाववद्यालय से मात्र दो
घंटे की दरू में मेडडसन मिाववद्यालय के सनातकों के साथ शमलकर वाइल्डवुड लाईफ़ सेंटर एंड िॉस्पीटल का
स्थापना फकया।
1979- समय बीतने के साथ एएसआई ने व्यापारों और एडवें हटस्ट व्यवसानययों और पेिेवारों को भी िाशमल
फकया। इसशलए एएसआई के ववशभन्ट्न सदस्यताओं को प्रनतबबंबबत करने के शलए संस्थान का नाम बदलकर
एडवें हटस्ट लेमेन सववफसेस एंड इंडस्र ज रखा गया। एएसआई को मुख्यालय उत्तर अमर की ववभान के मुख्यालय
में जस्थत िै जो शसलवर जस्प्रंग्स, मेर लैण्ड में िै । एएसआई के सदस्यों को सेवेंथ-डे एडवें हटस्ट कल शसया के
शसददांतों, पररकल्पनाओं, और मकसद से सिमत िोना िै और मण्डल के दसवांि को अपने सेवकाई में नि ं
लेना िै ।
एएसआई के सदस्यों के उदाहरण: 3एबीएन, एमेजजंग िैक्ट्स, गॉस्पेल आउटर च इन्ट्टरनेश्नल, एडवें हटस्ट
रँहटयर शमिन्ट्स, आउटपोस्ट सेंटसफ इन्ट्टरनेिनल, एडवें हटस्ट साउथइस्ट एशिया प्रोजेक्ट्स और 1000 से भी
अधधक!
1983- 1970 और 80 के दिकों में पूरे ववश्व में वाईल्डवुड नए स्वावलंबी िाखाओं की स्थापना में बिुत
मददगार रिा िै । एएसआई की बढ़ती सदस्यता के साथ ि एक ऐसे संस्थान की जरूरत मिसूस िुई जो
स्वावलंबी संस्थानों के शलए सलािकार और प्रोत्सािक का काम करे । यि संस्थान स्वावलंबी कायफ को बढ़ाने,
मौजूदा योजनाओं को एकत्र करने और अगुवों को मजबूत बनाने और उन्ट्िें प्रशिक्षण दे ने का काम कर सकता
था। 1983 में आउटपोस्ट सेंटसफ इन्ट्टरनेिनल या ओसीआई का गठन िुआ जो इस कायफ को करता। ओसीआई
और इसके सारे सदस्य एएसआई के सदस्य िैं।
िे इडसटीच्यट
ू फ़ॉर ग्िोबि हे ल्र् रे तनंग (िाईट)
2008- पूरे जगत में उनकी अपनी भाषाओं में छोटे स्वास्थ्य सुसमाचारवाद प्रशिक्षणों को िर एक सदस्य के
शलए उपलब्ध करने के शलए और स्थायी स्वास्थ्य एंव चंगाई केंद्रों के स्थापना में मदद के शलए, 2008 में
एएसआई के सदस्य और सेवेंथ-डे एडवें हटस्ट कल शसया के सियोगी िाखा के रूप में लाईट का स्थापना िुआ।
Pamphlet 012, An Appeal to Seventh-day Adventists to Fulfill Their Duty to the South, p. 15.
http://download.lightingtheworld.org/MMDocs/
अध्याय 5- ववस्तत
ृ दीर्मकालिक सस
ु माचारवाद
एक से बेहतर दो
इवें जशलज़्म, पृ. 43. “जब एक व्यजक्त लगातार अकेले काम करता रिता िै , तो वि सोचने लगता िै फक उसके
तर के आलोचना के परे िैं, और उसे फकसी साथी के साथ काम कारने के की इच्छा नि ं िोती िै । परन्ट्तु यि
परमेश्वर की इच्छा िै फक कोई उसके साथ िमेिा खड़ा रिे , ताफक काम पूर तरि से शसिफ एक व्यजक्त के
वववेक से न चले, और उसकी चररत्र की खाशमयाँ, उसके द्वारा और उसके श्रोताओं के द्वारा अच्छे न समझें
जाएँ।”
काउन्ट्सेल्स टू पैरेनट्स, ट चसफ, एंड स्टूडेंट्स, पृ. 462. “कोई भी एक व्यजक्त, चािे वि शिक्षक िो, या पादर ,
कभी यि उम्मीद नि ं कर सकता िै फक वि अकेले की काफ़ी िै । परमेश्वर ने िर एक को कुछ प्रनतभाएँ द िैं
और उसकी योजना िै फक उसके सेवा में अनेक व्यजक्तयों के ववशभन्ट्न वप्रभाएँ शमल जाए। वववेक से वववेक
संपकफ ववचारों को जगाता िै और क्षमताएँ बढ़ाता िै । एक कमफचार के दोष अकसर दस
ू रे की खास प्रनतभाओं से
दम जाते िैं; और इस तरि से जब धचफकत्सक और शिक्षक शमल कर ज्ञान बाँटते िैं, तो युवाओं को सेवा के
शलए उनके अधीन प्रशिक्षण में एक अच्छा, संतुशलत शिक्षा प्राप्त िोती िै ।”
नीततवचन 27:17- लोिा लोिे को चोखा करता िै ; इसी तरि से एक व्यजक्त अपने शमत्र का मुखमंडल तेज कर
िै ।
काउन्ट्सेल्स ऑन िे ल्थ, पृ. 493. “दक्षक्षणी राज्यों के कई स्थानों में आरोग्यालय और ववद्यालय खोले जाएँ।
दक्षक्षणी ििरों में अनाज भण्डरणों के िाकािार भोजनालयों के खुलने से प्रभाविाल केंद्र स्थावपत िों। सादे ,
सस्ते स्वास्थ्यवधफक भोजन के उत्पादन की भी सुववधाएँ बनें। परन्ट्तु स्वाथी संसाररक नीनतयों को काम में लागू
न करें , परमेश्वर ने मना फकया िै । ननस्वाथफ पुरूषों को परमेश्वर के भय में और मनुष्यों के प्रेम में ये काम
करने दें ।”
शहरों के काम
7 टे स्ट मनीज, पृपृ. 122,123. “मुझे ननदे ि हदया गया िै फक बड़े ििरों के केंद्रों में स्वच्छ भोजनालयों और
उपचार घरों के स्थापना का मख्
ु य शसददांत यि िै फक इन से प्रमुख लोगों का दयान तीसरे स्वगफदत
ू के संदेि में
जाएगा। यि दयान हदया जाएगा फक इन भोजनालयों को परू तरि से अलग तर के से चलाया जाता िै , और
बुजददमान लोग इस बात की छानबीन करें गे फक फकन कारणों से यिाँ के भोजन बेितर िैं। इस तरि से वे इस
समय के शलए जो संदेि िै उसे जान पाएँगे।”
7 टे स्ट मनीज, पृ. 129. “स्वास्थ्यवधफक भोजन के उत्पादन का ज्ञान, जजसे परमेश्वर ने अपने काम की
सिायता के हदया िै , जो उसे अपने व्यजक्तगत लाभ के शलए इस्तेमाल करते िै , उन लोगों ने उसे संसाररक
लाभ में लगा हदया िै । उन्ट्िोंने परमेश्वर के सामान को व्यजक्तगत लाभ के शलए बेच हदया िै । ”
काउन्ट्सेल्स ऑन िे ल्थ, पृ. 468. “िर एक ििर में जिाँ िमार मण्डल िै , वि एक स्थान की जरूरत िै जिाँ
उपचार हदये जा सके।”
कन्ट्र शलववंग, पृ. 31. “बार बार परमेश्वर ने िमें ििरों में आउटपोस्ट सेंटरों से काम करने का ननदे ि हदया िै ।
इन ििरों में िमें परमेश्वर के शलए अराधनालय बनाने िैं, परन्ट्तु िमारे पुस्तकों के प्रकािन, बबमारों के उपचार,
और कमफचाररयों के प्रशिक्षण के संस्थान ििरों के बािर स्थावपत करने िैं। ििर जीवन के चकाचौंध से िमें
िमारे युवाओं को बचाना िै ।”
प्रलशक्षण ववद्यािय
काउन्ट्सेल्स टू पैरेन्ट्ट्स ट चसफ एंड स्टूडेंट्स, पृ. 469. “और जबफक परमेश्वर उन युवाओं को जजनके पास रोगों के
उपचार के अभ्याशसक ज्ञान िै , अनुभवी सुसमाचार प्रचारकों के साथ सुसमाचारवाद धचफकत्सीय शमिनररयों के
रूप में काम करने के बुला रिा िै , वि दस
ू रों को भी िमारे धचफकत्सीय शमिनर प्रशिक्षण केंद्रों में प्रवेि करने के
शलए बुला रिा िै ताफक वे सेवा के शलए तेजी से तैयार फकये जा सकें। कुछ लोगों को इन ववद्यालयों में दस
ू रों
के जजतना वक्त गज
ु ारने की जरूरत नि ं पड़ती िै । परमेश्वर की योजना में यि नि ं िै फक सफिय रूप से काम
िुरू करने से पिले िर कोई एक बराबर वक्त बबताए, चािे वि तीन, चार या पाँच साल िो। कुछ लोग कुछ
समय तक पढ़ने के बाद, संस्थान में रिने के मुकाबले, अनुभवी अगुवों के दे ख-रे ख में अभ्याशसक काम के साथ
जल्द सीखते िैं। जैसे जैसे वे ज्ञान और क्षमता में बढ़ते िैं, इन में कुछ को आरोग्यालय प्रशिक्षण ववद्यालय में
लौट कर आगे की प्रशिक्षण से अधधक लाभ िोता िै । इस तरि से कुलि धचफकत्सीय शमिनर बन जाएँगे जो
आपातकाल न सेवाओं के शलए तैयार पाए जाएँगे।”
8 टे स्ट मनीज, पृ. 172. “िमारे युवाओं को िमारे मसीि कमफचाररयों के प्रशिक्षण ववद्यालयों में प्रवेि के शलए
प्रोत्साहित फकया जाना चाहिए। ये संस्थान परमेश्वर के द्वारा स्थावपत फकये गए िै , और यहद इन्ट्िें उसी योजना
के मुताबबत चलाया जाए, तो वे शमिनर कायफ के शलए जल्द ि तैयार िो जाएँगे। कुछ लोग शमिनर नसों के
रूप में तो कुछ अनुयाचरों के रूप में और कुछ सुसमाचार प्रचाकों के रूप में प्रशिक्षक्षत फकये जा सकते िैं।”
फिश्च््न एजूकेटर, अगस्त 1, 1897. “अभी िमें सच्ची शिक्षा के ववज्ञान को समझने की जरूरत पिले से
ज्यादा िै । यहद िम इसे समझने में वविल िोते िैं, तो िम परमेश्वर के राज्य में कभी स्थान नि ं शमलेगा।”
स्पाजल्डंग एंड मेगन कल्लेकिन, पृ. 397. “िमें स्वावलंबी ववद्यालयों की जरूरत िै ; और ऐसा िो सकता िै यहद
शिक्षक और ववद्याथी सियोगी, मेिनती और अल्पव्ययी िोंगे।”
6 टे स्ट मनीज, पृ. 172. “भले ि िमारे शिक्षण संस्थान बिुत सार बातों में संसाररकता में शलप्त िो चुके िैं,
भले ि वे कदम दर कदम संसार की ओर बढ़ रिे िैं, वे आिा के कैद िैं। ने उनके कायों को बाँधा नि ं िै फक
वे दभ
ु ाफग्य के अननजश्चतता में ननस्सिाय बने रिें । यहद वे उसकी वाणी को सन
ु ेंगे और उसके रास्तों पर चलें गे,
पैमप्लेट 005, एन अपील फ़ॉर सेल्फ़-सपोहटिं ग लेबरसफ टू एन्ट्टर अनवक्डफ फ़ील्ड, पृ. 35. “आज सत्य को उस
तरि से प्रचार करना िै जैसे की ख्रीस्त ने प्रचार फकया था जब वि इस पथ्
ृ वी पर था। बड़े केंद्र में इक्कठे ,
िमारे लोगों को बािर ननकलकर मनों के शलए काम करना चाहिए। उन्ट्िें एक स्थान से दस
ु रे स्थान को जाना
चाहिए जिाँ सत्यों को कभी नि ं ना गया िै , और प्रथफना करें और योजनाएँ बनाएँ, और अभ्याशसक काम के
द्वारा अनुभव िाशसक करें । क्या ख्रीस्त आज िमारे संसार में उतना ि नि ं िै जजतना वि तब था? क्या वि
उस समय के जैसा ि आज भी बबमारों को चंगा नि ं कर सकता िै ? छोटे आरोग्यालय और उपचार गि
ृ बनाएँ,
और लोगों को रोगों के सरल उपचारों के तर कों को शसखाएँ। जो इस काम को करते, उनकी क्षमताएँ बिुत बढ़
जाएँगी; क्योंफक स्वगफ के अनदे खे प्रनतननधध उनके मदद के शलए उपजस्थत रिें गे।”
मैनूजस्िप्ट 5, 1908. “िममें से अधधकतर लोग जो सोचते िैं, उससे कि ं अधधक गिरा िै सुसमाचार प्रचार का
अथफ। यि चौड़ा, दरू तक जाने वाला काम िै । मुझे हदखाया गया िै फक िमारे आरोग्यालय सुसमाचार प्रचार के
शलए सबसे अधधक कुिल िैं।”
लेटर 213, 1902. “मनों का पररवतफन ि िमारे धचफकत्सीय संस्थानों का एक सबसे बड़ा लक्ष्य िो।”
मेडडकल शमननस्र , पृ. 327. “िमारे आरोग्यालयों को परमेश्वर के शलए लोगों की संख्या बढ़ाने में मदद करना
िै । िमें कुछ ि बिुत बड़े संस्थान नि ं स्थावपत करने िैं; क्योंफक तब मर जों को आत्मा की चंगाई करने वाले
संदेि नि ं दे सकते िैं। बिुत सारे स्थानों में छोटे छोटे आरोग्यालय स्थावपत फकये जाएँ।”
काउन्ट्सेल्स ऑन िे ल्थ, पृ. 211. “मिँगे, बड़े आरोग्यालय नि ं, परन्ट्तु मनमोिक स्थानों में घर के जैसे संस्थान
िों।”
मेडडकल शमननस्र , पृ. 158. “बड़े केंद्रों को छोटे कर दें ,” यि परमेश्वर का वचन रिा िै । “ज्योनत को ववशभन्ट्न
स्थानों में िैलाएँ।” कुिल धचफकत्सीय शमिनर कायों मे प्रशिक्षण लेने को इच्छुक व्यजक्तयों को यि समझना
िोगा फक बड़े आरोग्यालय संसार के अन्ट्य संस्थानों के ि तरि संचाशलत िोने लगें गे और इस तरि के
आरोग्यालयों में काम करने वाले ववद्याथी मसीि धचफकत्सीय शमिनर कायफ के शलए उपयुक्त प्रशिक्षण िाशसल
नि ं कर पाएँगे।”
काउन्ट्सेल्स ऑन िे ल्थ, पृ. 469. “जब ज्योनत शमल की आरोग्यालयें खोल जाएँ, तो उसके कारण सादे तौर पर
बताए गए थे। बिुत लोग थे जजन्ट्िें स्वस्थ जीवन की शिक्षा की जरूरत थी। जैसे जैसे काम ववकशसत िुआ, िमें
मैनूजस्िप्ट 5, 1908. “इन संस्थानों का मिौल ऐसा िो फक जो महिलाएँ और पुरूष इन आरोग्यलयों में उपचार
प्राप्त करने के शलए आते िैं, वे यि सीखें की उनके बबमार आत्माओं को भी उपचार की जरूरत िै ।...
सभागारों में सरल बातें बताई जा सकती िैं जो उनके आत्माओं के उददार की एकमात्र उम्मीद की ओर
इिारा करे । ये धाशमफक सभाएँ छोट और बातों को सीधे तौर पर रखने वाल िों, औक वे श्रोताओं के शलए
आिीष साबबत िोंगे।... मर जों के कमरों में सस
ु माचार के बिुमल्
ू य सत्यों से संबंधधत प्रकािन रखे िों, यि ऐसे
जगिों में जिाँ वे इन्ट्िें आसानी से पा सके। िर एक आरोग्यालय में एक पुस्तकालय िो, और उसमें सुसमाचार
की ज्योनत के पुस्तक िों। बुजददमानी से ऐसी योजनाएँ बनाई जानी चाहिए फक मर जों को वतफमान सत्यों के
पुस्तकों की आसानी से उपलब्ध िो।...
िमारे आरोग्यालयों वि बनाएँ जो उन्ट्िें िोना चाहिए-- एक घर जिाँ पाप से बबमार मनों को चंगाई द जाए।
और यि तब िो सकता िै जब कमफचार मिान धचफकत्सक के साथ जीवंत संपकफ में रिे । ”
मेडडकल शमननस्र , पृ. 27. “िमारे संस्थानों में इस्तेमाल िो रिे दवा उस ज्योनत के ववपररत िै जजसे दे ना में
परमेश्वर को आनन्ट्द शमल थी। दवाओं के व्यापार ने िमार जगत को अधधक नुकसान हदया िै और जजतनो को
चंगा फकया िै उससे कि ं अधधक लोगों को मारा िै । सबसे पिले मुझे यि ज्योनत द गई फक क्यों संस्थानों का
स्थापना फकया जाना िै , यानी, आरोग्यालयों को धचफकत्सकों के धचफकत्सीय अभ्यासों में सध
ु ार लाना िै ।”
शमननस्र ऑफ़ हिशलंग, पृ. 237. “परं तु बिुतों ने अनुभव के आभाव में पानी के गुणकार प्रभाव को नि ं जाना
िै , और वे इसके इस्तेमाल के डरते भी िैं। जलधचफकत्सा को वो सरािना नि ं शमल िै जजसका वि िकदार िै ,
और इसके कुिलतापव
ू क
फ फकए जाने वाले कायफ को करने से कतराते िैं। परं तु िर फकसी को इस ववषय में ज्ञान
रखना जरूर िै । ददफ से राित और रोगों से छुटकारा पाने के शलए पानी के इस्तेमाल के अनेक तर के िै ।
वविेषकर माताओं को अपने पररवार का, रोग में और आरोग्य में , ख्याल रखना आना चाहिए।”
मेडडकल शमननस्र , पृ. 191 “िमारे धचफकत्सीय संस्थानों में मनों को बचाने के शलए िर मादयम ढूँढ़ा जाए। यि
िमारा काम िै । यहद आजत्मक काम को बबना फकये छोड़ हदया जाए, तो िमारे लोगों को इन संस्थानों की
स्थापना के शलए बल
ु ाने की कोई आवश्यकता नि ं िै । जजनको मनों को बचाने की कोई इच्छा नि ं िै उन्ट्िें िमारे
आरोग्यालयों से नि ं जड़
ु ना चाहिए।”
हदमाग की सार िजक्तयों का इस्तेमाल और ववकशसत करना चाहिए, ताफक महिलाओं और पुरूषों के हदमाग
संतुशलत िो सकें। दनु नया एक-तरिा महिलाओं और पुरूषों से भरा पड़ा िै , क्योंफक एक हिस्से का ववकास फकया
जाता िै जबफक दस
ू रे को ननजष्ियता के कारण बौना कर हदया जाता िै । अधधकांि युवाओं का शिक्षा व्यथफ िै । वे
बिुत ज्यादा पढ़ते िैं और उस हिस्से की अनदे खी करते िैं जो अभ्याशसक व्यवसानयक जीवन में इस्तेमाल िोता
िै ।
बीते पीहढ़यों में शिक्षा के शलए बड़े पैमाने पर प्रावधान बनाए जाने चाहिए।... मुझे इस बात की जाँच करने
की अगुवाई की गई िै फक क्या िमारा युवावस्था में जो कुछ भी जरूर िै उसे ववद्यालयों में शिक्षा के शलए
त्याग दे ना क्या जरूर िै ? यहद िमारे ववद्यालयों से कृवष और उत्पादन के संस्थान जुड़े िोते, और सक्षम
शिक्षकों को युवाओं को अदययन और काम के ववशभन्ट्न िाखाओं के शलए ननयुक्त फकया जाता तो िमारा युवा
सफियाता के ऊपर स्तर पर िोते और समाज को ववकशसत करने के शलए प्रभाववत करते। ऐसे संस्थानों से पढ़
कर ननकलने वाले यव
ु ाओं के चररत्र अधधक जस्थर िोते। बाधाओं को पार करने के शलए उनमें लगन, पररश्रम
और हिम्मत िोता ऐसे शसददांत पाए जाते जो लोकवप्रय परन्ट्तु गलत प्रभाव में भी नि ं डोलते। ऐसी अनुभवी
शिक्षकाएँ भी ननयुक्त िोतीं जो युवनतयों को पाक-कला शसखातीं। युवानतयों को पिने के शलए कपड़े तैयार करने,
कपड़ों को काटने, बनाने और शसलाई करना शसखाती, और इस तरि से जीवन के अभ्याशसक दानयत्वों को पूरा
करने के शलए शिक्षक्षत िोतीं।
युवाओं को शलए ऐसे संस्थान िोते जिाँ वे ववशभन्ट्न व्यवसायों के बारे सीखते, जो उनके माँसपेशियों और
मानशसक क्षमताओं का कसरत कराते। यहद यव
ु ा शसिफ के एक-तरििा शिक्षा प्राप्त कर सकते, और पछ
ू ा जाता
फक कौन सी शिक्षा अधधक मित्वपूणफ िैं, वि जो स्वास्थ्य और जीवन की बशल ले कर ववज्ञान का शिक्षा दे ता िै
या वि अभ्याशसक जीवन के शलए काम करना शसखाता िै , तब िम बबना हिचफकचािट के कि सकते िैं, फक बाद
वाला। यहद एक की अनदे खी करना जरूर िो, तो पुस्तकों की अनदे खी करें ।
इस ववचार से, फक िैिनपरस्त जीवन के शलए श्रम िाननकारक िै , िजारों लोग मारे जा चक
ु े िैं जो अभी
जीववत रि सकते थे।... अच्छी तरि से संतुशलत और ववकशसत महिलाओं और पुरूषों के शलए बराबर मात्राओं में
बौधधक, िार ररक और नैनतक ववकास जरूर िै । कुछ लोग बौधधक रूप से अधधक ताकतवर िैं तो कुछ लोगों को
िार ररक श्रम से अधधक प्रेम िोता िै । परन्ट्तु दोनों को ि उस क्षेत्र में भी सुधार लाने की जरूरत िै जजसमें वे
कमजोर िैं, ताफक वे परमेश्वर के सामने जीववत बशलदान के रूप में वे खुद को संपूणत
फ ा से प्रस्तूत कर सके, जो
उनका उधचत काम िै । िैिनपरस्त समाज के आदत और र वाज उनकों कायों को प्रभाववत न करे । प्रेररत पौलुस
किता िै (रोशमयों 12:2 पढ़ें )।”
पम्पलेट 119, एन अपील टू मेडडसन स्कूल, पृपृ. 2-3. “मेडडसन ववद्यालय में द जाने वाल शिक्षा ऐसी िै
फक जो लोग शमिनर कायों के शलए ववदे िों में जाएँगे, उनके शलए यि खजाना िै । यहद और भी ववद्याथी जो
अन्ट्य ववद्यालयों में पढ़ते िैं, इसी तरि के प्रशिक्षण प्राप्त करते, तो िम एक झुण्ड के रूप में जगत, स्वगफदत
ू ों
और मनुष्यों के शलए उत्सुकता बन जाते। संदेि िर एक दे ि में तुरंत पिुँच जाता, और जो लोग अभी अन्ट्धेरे
में िैं उन्ट्िें ज्योनत प्राप्त िोती।
परमेश्वर के शलए यि आनन्ट्द का ववषय िोता यहद, जबफक मेडडसन ववद्यालय अपना कायफ कर रिा िोता,
इसी तरि के अन्ट्य ववद्यालय दक्षक्षणी क्षेत्र में भी स्थावपत फकये जाते। दक्षक्षण में बिुत सारे जमीन िैं जो व्यथफ
पड़े िैं जजन्ट्िें मेडडसन ववद्यालय के आस पास के जमीन की ि तरि सुधारा जा सकता था। वि समय जल्द
आ रिा िै जब परमेश्वर के लोग ववशभन्ट्न दे िों में सतािट के कारण बबखर जाएँगे। जजनको सब तरि की शिक्षा
प्राप्त िै वे फकसी भी पररजस्थनत में रि सकते िैं। परमेश्वर इस तरि से अपने बच्चों को प्रशिक्षक्षत करने की
इच्छा जाहिर करता िै , फक वे सार क्षमताओं का ववकास करें ताफक वे सत्य को बाँट सके।
दक्षक्षण के ववशभन्ट्न भागों में मेडडसन के ि तरि के ववद्यालय स्थावपत करने की िर संभव कोशिि करें ;
और जो लोग इस काम को बढ़ाने में सिायता करते िैं, वे परमेश्वर के काम को आगे बढ़ा रिे िैं। मुझे ननदे ि
हदया गया िै फक जजनके पास भी बाँटने के धन िै वे मेडडसन के काम में मदद करें । आपके पास खोने के शलए
समय नि ं िै । िैतान जल्द ि रुकावट उत्पन्ट्न करने के शलए खड़ा िोगा; जब तक िो सके काम को बढ़ने दें ।
परिचय .......................................................................................................................................................432
परिचय
रिव्यु एंड हे िल्ड, मार्च 9, 1905. “पिमेश्वि के दिए शक्ति से र्लिए हम एि िाख र्ौवािीस हजाि बनने की
कोलशश किें ।”
1 युहन्ना 3:2- जो इस जर्ि में यीशु के आने पि जीववि िहें र्े, उनमें यीशु का र्रित्र दिखेर्ा
उत्पवि 1:26- हमािा सक्ृ टि पिमेश्वि के स्वरूप में ककया र्या था; किि भी पाप के कािर् हमािा परिविचन
जरूिी है
मिी 7:13- जर्ि ववनाश के र्ौडे िास्िे पि र्ि िही है । यदि हम पििे औि सीधे िास्िे पि र्िें र्े िो हम
अल्प संख्या में िहें र्े।
िोलमयों 12:2- हम मन के नए बनाए जाने से परिवनिचि होिे हैं। पिमेश्वि र्ाहिा है कक हम प्रत्येक ववषय में
सीधा सोर्ें ।
यह
ु न्ना 17:17- पिमेश्वि ने हमें हमािे ववर्ािों के नाप के लिए एक मानक दिया है - उसका वर्न।
2 कुरिजन्थयों 3:18- हम िे खने के द्वािा बिििे हैं। हमें अपने मन को बििने के लिए इच्छुक होना होर्ा।
पिमेश्वि की योजना भीिि से बाहि की बििना है ।
अिी िाईदिंग्स, पृ. 71. “मैं ने यह भी िे खा कक अनेक िोर् यह नहीं समझिे कक सिाहि के वति जब
महायाजक मंदिि में नहीं होर्ा, िब पिमेश्वि की नजिों में जीने के लिए तया बनना होर्ा। जो पिमेश्वि की
मह
ु ाि प्राप्ि कि िेिे हैं वे सिाहि के वति सिु क्षिि िहें र्े औि उन्हें यीशु के चरित्र को संपण
ू त
ा ा से प्रनतबबंबबत
किना होगा।
मैंने िे खा कक बहुि सािे िोर् इिनी महत्वपूर्च िैयािी की अनिे खी कि िहे हैं औि “जार्िर्” औि “अंनिम
वषाच” के इन्िजाि में हैं कक यह उन्हें पिमेश्वि के दिन में क्स्थि िखे औि उसकी नजिों में जीववि िहे । ओह,
मैंने ककिनों को सिाहि के दिनों में बबना ठाँव के िे खा! उन्होंने जरूिी िैयािी की अवहे निना की थी; इसलिए वे
जार्िर् को प्राप्ि नहीं कि पाए कक वह उन्हें पववत्र पिमेश्वि के समि जीवि िखे।
सेिेतिे ड मेसेजे, पृ 191. “अंनिम वषाच आएर्ी, औि पिमेश्वि की आशीष उन सभी के आत्मा को भि िे र्ी जो
सब ििह के बुिाईयों से शुध्ि हो र्ुका है । यह आज हमािा काम है कक हम अपनी आत्मा को ख्रीस्त को दे दें ,
िाकक हम पिमेश्वि की उप्सधथनि से लमिने वािी जार्िर् के समय के लिए िैयाि पाए जा सकें —पववत्र आत्मा
के बपनिस्मा के लिए िैयाि पाए जा सकें।”
आवि हाई कॉलिंर्, पृ. 15. “जैसे की शैिान मन के दिवोिों को िोडने की कोलशश कििा है , हमें पाप किने की
िोभ िे िे हुए, हमें जीविे ववश्वास के द्वािा पिमेश्वि से संबंध बनाए िखना है , औि उसके िाकि में भिोसा
किना है कक वह हमें सािी बिु ाईयों पि ववजय पाने में मिि किे र्ा। हमें िटु ििा से ििू भार्ना र्ादहए, औि
धालमचकिा, िीनिा, औि पववत्रिा का खोज किना है ।”
सन्स एंड डॉिसच ऑफ़ र्ॉड, पृ. 370. “वविोधी के हि एक बुिाई पि ववजय पाने के लिए, हमें उस शक्ति को
थामें िखना है जो हमािी िाकि के सीमा से बढ़कि है । हमें ख्रीस्ि के साथ जीववि संबंध बनाए िखना है ,
क्जसके पास प्रत्येक आत्मा को ववजय दििाने का शक्ति है जो हममें ववश्वास औि िीनिा बनाए िखेर्ा।”
ग्रेि कन्रोवसी, पृ. 425. “जो िोर् पथ्ृ वी पि उस समय जीववि िहें र्े जब स्वर्ीय मंदिि में ख्रीस्ि का मध्यस्िा
समाप्ि हो जाएर्ा, उन्हें पववत्र पिमेश्वि के समि बबना मध्यस्ि के िहना होर्ा। उनके वस्त्रों को ननमचि होना
र्ादहए, उनके र्रित्र िहू के नछडकाओ से र्ुनाहों से शुध्ि होने र्ादहए। पिमेश्वि की अनुग्रह से वे अपने ही
कोलशशों से बुिाई से युध्ि में जीि हालसि किें र्े। जब स्वर्च में जाँर् पडिाि का न्याय र्ि िहा है , जब
पश्र्ािाप किने वािे ववश्वालसयों के पाप मंदिि से ननकािे जा िहे हां, शुक्ध्िकिर् का एक खास काम हो िहा है ,
जर्ि में पिमेश्वि के िोर्ों के बीर् से पाप हिाया जा िहा है । यह प्रकालशिवातय 14 के संिेश में अधधक
स्पटििा से िशाचया र्या है ।”
पिमेश्वि के िोगों में हो िहे इस महान काम को िोकने के लिए शैतान हि वह काम कि िहा जो वह कि
सकता है ।
ग्रेि कन्रोवसी, पृ. 516. “महान धोखेबाज ककसी भी र्ीज से इिना नहीं डििा है क्जिना कक इस बाि से कक
हम उसके जािों को जान जाएँ।”
अध्याय 1- चरित्र
ननिं ति मसीही चरित्र का महत्व
रिफ़्िेक्तिं र् क्राईस्ि, पृ. 158. “र्रित्र की स्च्र्ी खूबसूििी वह नहीं जो लसिच ककसी खास मौके पि ही
र्मकिी है ; मन में वास किने वािा ख्रीस्ि का अनुग्रह सािी परिक्स्थनियों में झिकिा है । वह जो इस
अनुग्रह से जीवन में उपक्स्थि िख कि प्रेम कििा है , वह इसकी खूबसूििी को कदठन अथवा आसान
परिक्स्थयों में झिकने िे र्ा। घि में . जर्ि में , धर्िजा में , हमें ख्रीस्ि के जीवन को जीना है । हमें आस पास
ऐसे कई आत्माएँ हैं क्जन्हें परिवनिचि होने की जरूिि है । जब पिमेश्वि की आज्ञा मन में लिखी जािी है ,
औि पववत्र र्रित्र में दिखिी है , जो ख्रीस्ि के अनुग्रह की शक्ति को नहीं पहर्ानिे हैं वे इसे अपनाना
र्ाहें र्े, औि परिवनिचि होंर्े।” (साईंन्स ऑफ़ ि िाईम्स, नवंबि 14, 1911)
प्रोिेट्स एंड ककं ग्स, पृ. 233. “शुध्ि ककये र्ए हृिय के सब कुछ बिि जािा है । र्रित्र का बििना जर्ि के
लिए ख्रीस्ि के मन किने की उिाहिर् है । पिमेश्वि की आत्मा मन में नया जीवन उत्पन्न कििा है , औि
यह ववर्ािों औि इच्छाओं को ख्रीस्ि की इच्छा का आज्ञापािन किािी है ; औि वह मनुटय का मन पिमेश्वि
के स्वरूप में बिि जािा है । कमजोि औि र्ििी किने वािे परू
ु ष औि मदहिाएँ जर्ि को यह दिखािे है
कक अनुग्रह की शक्ति से र्िि र्रित्र भी सही आकाि औि अत्यन्ि िििायी बन कि ववकलसि हो जािी
है ।”
र्ाइल्ड र्ाईडेंस, पृ. 161. “वपवत्र स्वरूप में ववकलसि र्रित्र ही एक ऐसा खजाना है क्जसे हम इस िनु नया से
अर्िे िनु नया में िे सकिे हैं। इस जर्ि में जो ख्रीस्ि के ननिे शों के अधीन िहिे हैं वे हालसि ककए र्ए हि
एक पववत्र र्ीज को अपने साथ स्वर्ीय महिों में िे सकिे हैं। औि स्वर्च में हम िर्ािाि बेहिि बनेंर्े। िब
यह ककिना महत्वपूर्च है कक हम इस जीवन में र्रित्र ववकलसि किें ।”
र्ाइल्ड र्ाईडेंस, पृ. 164. “र्रित्र नसीब से नहीं आिा है । वह क्रोध के एक बाि नकिने, या र्िि दिशा में
एक कमि से नहीं ननधाचरिि होिा है । बाि बाि एक र्निववधध को िह
ु िाने से वह आिि बन जािी है , औि
र्रित्र को या का अच्छा या बुिा बना िे िी है । सही र्रित्र िर्ािाि मेहनि, िर्ािाि कोलशश, प्राप्ि हि एक
प्रनिभा को सुधािने, औि पिमेश्वि की मदहमा किने की िमिा से ववकलसि होिा है । ऐसा किने से बजाय,
अनेक िोर् खुि को अपने ववर्ािों औि परिक्स्थनियों में बहने िे िे हैं। यह इसलिए नहीं है कक उनमें अच्छी
वस्िु की कमी है , पिं िु वे यह महसस
ू नहीं कििे कक पिमेश्वि र्ाहिा है कक वे अपने यव
ु ावस्था में ही
अपना सबसे बेहिि िे ।
पिमेश्वि औि अपने पडोलसयों के लिए हमािा पहिा किचव्य है आत्म-ववकास। प्रत्येक प्रनिभा जो
पिमेश्वि ने हमें िी है हमें उन्हें पूिे संपूर्ि
च ा में बढ़ाने की कोलशश किनी र्ादहए, िाकक हम अपनी िमिा के
अनुसाि सबसे अधधक भिाई कि सके। हमािे र्रित्रों को शुध्ि औि बेहिि बनाने के लिए हमें ख्रीस्ि के दिये
हुए अनुग्रह की जरूिि है जो हमें अपनी र्िनियों को िे खने औि सुधािने में मिि किे र्ा औि अपनी र्रित्र
में जो अच्छा है उसे बढ़ाने में मिि किे र्ा।”
र्ाइल्ड र्ाईडेंस, पृ. 161. “धर्निववधधयों के िहु िाने से आिि बनिे हैं औि र्रित्र ननमाचर् होिा है ।”
र्ाइल्ड र्ाईडेंस, पृ. 161. “र्रित्र की मजबूिी िो र्ीजों पि ननभचि कििी है —इच्छा शक्ति औि आत्म-
ननयंत्रर्। अनेक युवा िाकिवाि, अननयंबत्रि अलभिाषा को र्रित्र की मजबूिी समझिे हैं; पिं िु सर् िो यह
कक जो अलभिाषाएँ क्जसकी र्रू
ु है वह िब
ु ि
च पुरूष है । व्यक्ति की सच्र्ी महानिा औि र्ुर् भावनाओं को
ननयंबत्रि िखने की उसकी शक्ति से नापी जािी है । सबसे शक्तिशािी व्यक्ति वह है जो िव्ु यचवहाि के प्रनि
संवेिनशीि होिे हुए भी अपनी भावनाओं को काबू में िख सकिा है औि वविोधधयों को िमा कि सकिा है ।”
अपने चरित्र के ववकास में हमें पिमेश्वि के साथ काम किना चाहहए
र्ाइल्ड र्ाईडेंस, पृ. 161. “बहुि हि िक एक व्यककि अपने र्रित्र का लशल्पकाि है । हि एक दिन यह
ननमाचर् समाक्प्ि के औि नजकीि पहुँर्िा जािा है । पिमेश्वि का वर्न हमें इस बाि पि ध्यान िे ने को
कहिा है कक हम अपना भवन अनन्ि र्ट्िान में बना िहे हैं। वह समय आ िहा है जब हमािा काम जैसा
वह है वैसा दिखेर्ा। अभी हम सभी के लिए वह समय है जब हम पिमेश्वि के सामथच जो हमें िी र्ई,
उसका प्रयोर् किें , िाकक हम उपयोधर्िा के र्रित्र बनाएँ, यहाँ औि इसके बाि की जीवन के लिए।..
पिमेश्वि र्ाहिा है कक हम जो उिाहिर् हमािे समि िखी र्ई है उसी के अनुरूप अपना र्रित्र र्ठन
किें । हमें एक एक कि ईंि पि ईंि िखना है , अनुग्रह पि अनुग्रह जोडना है , अपने िब
ु ि
च िाओं को ढूँढ़ना है
औि दिए र्ए ननिे शों के अनुसाि उन्हें सुधािना है । जब महि के दिवािों पि ििािें दिखिीं हैं, हम जान जािे
हैं कक भवन में कुछ र्िि है । हमािे र्रित्र के भवन में भी अकसि ििािें दिखिीं हैं। जब इन त्रुदियों को
ठीक नहीं जािा है , घि ढह जाएर्ा जब मसब
ु िों के िफ़
ु ान आएँर्े।
पिमेश्वि हमें िाकि, समझने की शक्ति, समय, िे िा है िाकक हम अपने र्रित्र ननमाचर् कि सकें क्जस
पि वह अपनी सहमनि का मुहि िर्ा सके। वह र्ाहिा है कक उसका प्रत्येक सन्िान, शुध्ि, अच्छे कामों के
द्वािा एक अच्छा र्रित्र बनाएर्ा जो अंि में एक सुडौि ढार्ाँ पेश किे र्ा, एक सुन्िि मंदिि, मनुटय औि
पिमेश्वि के द्वािा सम्माननि.... अपने र्रित्र ननमाचर् में हमें ख्रीस्ि पि ननमाचर् किना र्ादहए। वह एक
सुननक्श्र्ि नींव है —एक नींव जो कभी नहीं ििेर्ा। परििाओं का िुफ़ान उस भवन को कभी नहीं दहिा
पाएर्ा क्जसका नींव अनन्ि र्ट्िान है ।
वह जो पिमेश्वि के लिए एक सुंिि भवन िैयाि किना र्ाहिा है उसे अपनी सािी िमिा िर्ानी होर्ी।
प्रनिभाओं के सही प्रयोर् से ही र्रित्र संपूर्च संिुिन से ववकलसि हो सकिा है । इस ििह से हम नींव में उन
र्ीजों को िािे क्जन्हें वर्न में सोना, र्ाँदि, बुमूल्य पत्थि कहा र्या है —वस्िुएँ जो पिमेश्वि के शुध्ि किने
वािे आर् में िीके िहिे हैं। अपने र्रित्र ननमाचर् में ख्रीस्ि हमािा उिाहिर् है । ”
सैतिीफ़ाइड िाईफ़, पृ. 93. “यदि हम ऐसा र्रित्र ववकलसि किना र्ाहिे हैं जो पिमेश्वि के लिए ग्रहर्
योग्य है , िो हमें अपने धालमचक जीवन में सही आििों को बनाना होर्ा। प्राथचना अनग्र
ु ह में बढ़ने औि
आक्त्मक जीवन के लिए भी उिना ही जरूिी है क्जिना कक शािीरिक स्वास्थ्य के लिए िौककक भोजन। हमें
अपने ववर्ािों को अकसि प्राथचना में ऊँठाने का आिि बनाना र्ादहए। यदि मन भिकिा है िो हमें उसे
उपदे श
युथ्स इन्सरकिि, अर्स्ि 18, 1886, पािा. 7. “अभी वह समय है जब पिमेश्वि के वर्न के आईने से हम
सिाह िे सकिे हैं, यह ध्यान से िे खने के लिए कक आप उसके द्वािा िोषी नहीं ठहिाए जा िहे हैं। यदि
आप िोषी पाए जािे हैं, िो अपनी आििों को ििु न्ि बिि िें ; तयोंकक आप ख्रीस्ि के हाथ को कभी नहीं
पहुँर्ा पाएँर्े यदि आप पिमेश्वि की आज्ञा का उल्िंघन कििे िहिे हैं। पिं िु यदि आप पिमेश्वि से
पश्र्ािाप किके िमा माँर्िे हैं तयोंकक आपने उसकी आज्ञा का उल्िंघन ककया है , िब आपका एकमात्र
उम्मीि यीशु मसीह पि ववश्वास किना है । यदि हम पाप कििे हैं िो हमािे पास वपिा से वकािि किने
वािा एक वकीि है , पववत्र यीशु मसीह। यीशु के पास जीवविे ववश्वास से आएँ। िटु ििा ििू िखें जो आत्मा
से धर्पका िह कि उसकी सािी र्निववधधयों में ववष घोििा है । हमें उन पापों के खखिाफ़ युध्ि किना है जो
आत्मा के खखिाफ़ यध्
ु ि कििे हैं। आप अपने ही िाकि से इस काम को नहीं कि सकिे हैं, पिं िु यीशु के
पास ववश्वास से आएँ। वह आपको िटु ि रुझानों से ििू होनें के लिए मिि किे र्ा औि िाकि िे र्ा; औि
आपको अपने र्रित्र के सच्र्ी सुंिििा में सजाएर्ा। हमें यीशु को पदहनने के उपिे श दिये र्ए हैं। सिि
ववश्वास औि आज्ञापािन एक साथ र्ििे हैं। पिमेश्वि के आज्ञा का पािन के बर्ैि आपके ववश्वास का कोई
मूल्य नहीं है , पिं िु पिमेश्वि के प्रनि आज्ञाकािी बनकि औि महान बलििान में ववश्वास के द्वािा—यानी िहू
आपके लिए बहाया र्या है , आप ख्रीस्ि की धालमचक को प्राप्ि कि सकिे हैं, --आप ववजयी बनेंर्े। अपना
भिोसा यीशु मसीह पि िखें, औि वह आपको क्जिना आप हालसि किें र्े उससे अधधक िे र्ा।”
क्राईस्ट्स ऑब्जेति िेसन्स, पृ. 331. “कोई यह न कहे कक मेिे र्रित्र की त्रुदियाँ सुधािी नहीं जा सकिी है ।
यदि आप इस ननर्चय में पहुँर् जािे हैं, िो आप ननक्श्र्ि रूप से अनन्ि जीवन पाने से वंधर्ि िह जाएँर्े।
असंभविा आपके अपनी इच्छा में है । यदि आप नहीं र्ाहें र्े िो आप कभी ववजयी नहीं हो सकिे हैं। असि
कदठनाई भ्रटि औि अपववत्र हृिय, औि पिमेश्वि के ननयंत्रर् में समपचनि होने की अनइच्छा से उठिी है । ”
क्राईस्ट्स ऑब्जेति िेसन्स, पृ. 331. “ख्रीस्ि ने हमें इस बाि का अश्वासन नहीं दिया है कक र्रित्र का
ननटकिंकिा हालसि किना आसान है । एक अच्छा, सब र्ुर्ों से पूर्च र्रित्र जन्मजाि नहीं होिा है । यह
अर्ानक ही नहीं आिा है । एक अच्छा र्रित्र व्यक्तिर्ि कोलशशों के द्वािा ख्रीस्ि के र्र्
ु ों औि अनुग्रह से
लमििा है । पिमेश्वि प्रनिभा औि मन की शक्ति िे िा है ; हम र्रित्र बनािे हैं। ये स्वयं से ककए र्ए कदठन
युध्िों से बनिा है । बुिाईयों के प्रनि हमािे जन्मजाि रुझानों के खखिाि हमें एक के बाि एक युध्ि किने
पडिे हैं। हमें खुि की आिोर्ना किनी होर्ी, औि एक भी अनर्ाहे अवर्ुर् को सुधािे बबना नहीं िहना है ।”
र्ाइल्ड र्ाईडेंस, पृ. 162. “र्रित्र का ननमाचर् जीवन भि का काम है औि यह अनन्िकाि िक िहने वािा
है । यदि इस बाि को सभी महसस
ू कििे हैं, िो यह हमािी सोर् को जर्ाएर्ा कक हम व्यक्तिर्ि रूप से
अनिरिति अध्ययन के लिए: एजूकेशन अध्याय 25, “एजूकेशन एंड कैिे तिि,” काउन्सेल्स िू पैिेन्ट्स, िीर्सच एंड
स्िूडेंट्स अध्याय 8, “कैिे तिि बबक्ल्डंर्”
*व्यवस्थाववविर् 14:2 *ननर्चमन 19:5 *िीिुस 2:14 *1 पििस 2:9 *2 कुरिक्न्थयों 6:14-18
मत्ती 7:13,14. “सकेि िािक से प्रवेश किो, तयोंकक र्ौडा है वह िािक औि सिि है वह मार्च जो ववनाश
को पहुँर्ािा है ; औि बहुि से हैं जो उस से प्रवेश कििे हैं। तयोंकक सकेि है वह िािक औि कदठन है वह
मार्च जो जीवन को पहुँर्ािा है ; औि थोडे हैं जो उसे पािे हैं।”
1 िे स्िीमनीज, पृपृ. 127,8. “(मत्ती 7:13,14 से लिया हुआ). ये िास्िे आसानी से पहर्ाने जा सकिे हैं, ये
अिर् है औि ववपरिि दिशा में हैं। एक अनन्ि जीवन की िे जािा है औि िस
ू िा अनन्ि मत्ृ यु की ओि िे
जािा है । मैंने इन िोनों िास्िों का अन्िि िे खा, औि साथ इनमें यात्रा कि िहे याबत्रयों में भी अन्िि िे खा।
िोनों िास्िे ववपरिि दिशा में हैं; एक र्ौडा औि धर्कना है , िस
ू िा संकीर्च औि उबड-खाबड है । इसलिए उनमें
यात्रा किने वािे याबत्रयों के र्रित्र, जीवन, कपडे, औि बािर्ीि के िौि ििीके ववपरिि हैं। संकीर्च िाह में
र्िने वािे यात्रा के अंि में लमिने वािे आनन्ि औि खुशी के बािे बाि कि िहे थे। उनके मुख अकसि
उिास दिखिे, किि भी वे कभी कभी पववत्र अनन्ि से िमक उठिे। वे र्ौडे िास्िे में र्िने वािे याबत्रयों के
जैसे कपडे न िो पहनिे थे, न बाि कििे थे, न व्यवहाि कििे थे। उन्हें एक िौि ििीक दिया र्या था।
पीडाओं को जानने वािा औि िुःु ख से परिधर्ि व्यक्ति ने यह िास्िा उनके लिए खोिा था, औि उसने खुि
भी उसी िास्िे में यात्रा ककया था। उसके अनुयायी उसकी पिधर्न्हों को िे खिे हैं, औि अश्वालसि औि खुश
होिे हैं। वह सुरिक्षिि रूप से उसमें र्िा था, इसलिए वे भी सुिक्षिि िह सकिे हैं, यदि वे उसके पि धर्न्हों
पि र्िें । र्ौडे िास्िे में सब अपने अहं से भिे हुए है , उपने कपडे औि िास्िे में उपने अमोि-प्रमोि से भिे
हुए हैं। वे हाँसी ठहाकों में व्यस्ि िहिे हैं, औि यात्रा के अन्ि के ववषय नहीं सोर्िे हैं, उस ववनाश के बािे
नहीं सोर्िे हैं जो यात्रा के अंि में ननक्श्र्ि रूप से आने वािी है । प्रनिदिन वे अपनी ववनाश के औि किीब
पहुँर्िे हैं; किि भी वे पार्िों की ििह औि िेजी से भार्िे िहिे हैं। यह मुझे ककिना भयावाह दिखा! मैंने
इस र्ौडे िास्िे में कईयों को िे खा क्जनपि ये शब्ि लिखे थे: ‘जर्ि के लिए मि
ृ । सािी र्ीजों का अंि
ननकि है । िुम भी िैयाि िहो।’ वे अपने आस-पास के िोर्ों के जैसे दिखिे थे, फ़कच यह था कक उनके र्ेहिों
पि एक ककस्म का उिासी था। उनके वािाचिाप भी उन खुशलमजाज, अवववेकपूर्च बािें किने वािों के जैसे थे
जो उनके आसपास थे; पिं िु वे कभी-कभी अपने कपडों की लिखावि की ओि अत्यन्ि संिोष के इशािा कििे
औि िस
ू िों को भी ये उनके वस्त्रों में लिखने को कहिे। वे र्ौडो िास्िे में यात्रा कि िहे थे, किि भी वे कहिे
कक वे संकीर्च िाह में यात्रा कि िहे हैं। उनके आस-पास के िोर् उनसे कहिे: ‘हमािे बीर् कोई अन्िि नहीं
1 िे स्िीमनीज, पृ. 131. “मुझे जर्ि के कुछ ऐसे िोर्ों को ववषय भी दिखाया र्या जो सब्बि पािन किने
का िावा कििे हैं। मैंने िे खा कक यह उनके काम के लिए शमींिर्ी है , पिमेश्वि के काम के लिए शमींिर्ी
है । वे अपने काम में झूठ शालमि कििे हैं। वे सोर्िे हैं कक वे बाकी िनु नया के जैसे नहीं हैं, पिं िु उनके
कपडों में , बािर्ीि में , औि र्निववधधयों में कोई अन्िि नहीं है । मैंने उन्हें अपने िब
ु ि
च , िर्भंर्ुि िे हों को
सजािे िे खा, जो इस योग्य हैं कक ककसी िर् पिमेश्वि का उँ र्िी उन्हें छूवेर्ा औि वे पीडा के बबस्िि में
पड जाएँर्े।... आत्म-त्यार् औि िीन जीवन जीना इिना कदठन तयों है ? तयोंकक मसीही कहे र्ए िोर् जर्ि
के लिए मि
ृ नहीं हैं। मिने के बाि जीना हमािे लिए अधधक आसान है । पिं िु अनेक िोर् हैं जो लमस्र के
सार् औि प्याज के लिए ििानयि हैं। उन्हे कपडों की अलभिाषा है औि िनु नया के ििह ही व्यवहाि किना
र्ाहिे हैं औि किि भी स्वर्च जाना र्ाहिे हैं। वे िस
ू िी िाह में र्ढ़िे हैं। वे संकीर्च िाह के सीधी द्वाि से
प्रवेश नहीं कििे हैं।”
पन्डामेन्िल्स ऑफ़ क्रीस्र्य्न एजूकेशन, पृ. 288. “पिमेश्वि की इच्छा में पूिी ििह से समवपचि होने से वह
हम सलु भिे भलू म में िखे जाएँर्े, औि हम िनु नया के िीनि-रिवाजों से अिर् होने की जरूिि को समझेंर्े।
हमें अपना मानक िनु नया के मानक से ऊपि नहीं उठाना है ; बक्ल्क हमें अंिि दिखाने वािी िकीि को स्पटि
किना है । मण्डिी में ऐसे कई िोर् हैं जो मन से िनु नया के हैं, पिं िु पिमेश्वि उन िोर्ों को बुिािा है जो
यह िावा कििे हैं कक वे सत्य पि ववश्वास कििे हैं, कक वे आज के िोकवप्रय किीलसयाओं के दृक्टिकोर् से
ऊपि उठे । आत्म-त्यार् कहाँ है , क्रूस को ढोना कहाँ हो िहा है क्जसके बािे यीशु ने कक ये र्ुर् उसके
अनुयानययों में होंर्े? अववश्वासी रिश्िेिािों औि परिधर्िों पि बहुि कम प्रभाव का कािर् यह है कक हम
अपनी औि िनु नया के िीनि-रिवाजों के बीर् का अंिि नहीं दिखिा पािे हैं। घि के जीवन में सत्य का
अभ्यासस कि के अलभभावकों को जार्ने, औि अपनी आत्माओं को शुध्ि किने की जरूिि है । जब हम उस
मानक को पहुँर्ाएँर्े क्जसमें पिमेश्वि र्ाहिा है कक हम पहुँर्ें, संसारिक िोर् सेवेंथ-डे एडवें दिस्िों को एक
अिर् ककस्म के, र्िमपंधथयों के रूप में िे खेंर्े। ‘तयोंकक हम जर्ि औि स्वर्चिि
ू ों औि मनुटयों के लिए एक
िमाशा ठहिे हैं।’”
िे स्िीमनीज, पृ. 91. “बपनिस्मा जर्ि को त्यार्ने का सबसे र्ंभीि बयान है ।...‘उनके बीर् से ननकिो औि
अिर् िहो; औि अशुध्ि वस्िुओं को मि छूओ।’”
क्या इसका अथा यह है कक हम दनु नया के साथ न घुिे लमिे? िूका 15:1
*यीशु ने जर्ि से अिर्ाव औि उसमें घुिे-लमिने का उत्तम संिुिन दिखाया... र्लिए हम उसका अनुसिर्
किें !
व्यवस्थाववविर् 4:2. “जो आज्ञा मैं िुम को सुनािा हूँ उसमें न िो कुछ बढ़े र्ा औि न कुछ घिे र्ा; िुम्हािे
पिमेश्वि यहोवा की जो जो आज्ञा मैं िम्
ु हें सन
ु ािा हूँ उन्हें िम
ु मानना।”
यहोशू 1:8. “व्यवस्था की यह पुस्िक िेिे धर्त्त से कभी न उििने पाए, इसी में दिन िाि ध्यान दिए िहना,
इसलिए कक जो कुछ उस में लिखा है उसके अनुसाि किने की िू र्ौकसी किे ; तयोंकक ऐसा ही किने से िेिे
सब काम सिि होंर्े, औि िू प्रभावशािी होर्ा।”
5 िे स्िीमनीज, पृ. 644. “हमने अपने अनुभव में पाया है कक यदि शैिान मनों को उिासीनिा के बिच में
बाँध कि नहीं सकिा है वह उन्हें र्िमपंथ के आर् में धकेिने की कोलशश कििा है । जब पिमेश्वि का
आत्मा उसके िोर्ों के बीर् में आिा है , िो वविोधी भी काम किने इस अवसि को पकड िेिा है , औि वह
पिमेश्वि के काम को अिर् अिर् िोर्ों के अपववत्र र्ुर्ों के द्वािा बििने की कोलशश कििा है जो इस
काम से जड
ु े हैं। इसलिए यह खििा हमेशा बना िहिा है कक हम र्िि किम उठाएँर्े। अनेक िोर् अपने
मन से काम किना जािी िखिे हैं क्जसे पिमेश्वि ने नहीं ठहिाया है ।
पिं िु क्जिना काम बैिि क्रीक में अब िक िे खा र्या है उसमें कोई र्िमपंथ नहीं पाया र्या है ।
हम ने उससे ििू िहने के लिए बहुि सावधाननयाँ बििीं; तयोंकक यदि वविोधी व्यक्तियों को र्िमपंथ की ओि
धकेि सकिा है िो वह बहुि आनक्न्िि होिा है । इस ििह से वह अधधक हानन पहुँर्ा सकिा है , बजाए
इसके की कोई धालमचक जार्िर् होिी िो। हम जानिे हैं ऐसा कोई भी धालमचक काम नहीं है क्जस में शैिान
िख्ि िे ने की पिू ी कोलशश न कििा हो, औि अंनिम दिनों में वह सबसे अधधक कोलशश किे र्ा। वह िे खिा है
कक समय कम है , औि अधालमचकिा के सािे धोखों से पिमेश्वि के काम में र्िनियाँ औि त्रुदिपूर्च ववर्ािों को
शालमि किने की कोलशश किे र्ा औि िोर्ों को र्ििफ़हलमयों में डािेर्ा।”
र्ोस्पि वकचसच, पृ. 316. “जैसे जैसे अन्ि नजिीक आिा जा िहा है , वविोधी पूिी िाकि से हमािे बीर्
र्िमपंथ िाने की कोलशश किे र्ा। वह यह िे ख कि बहुि खुश होर्ा कक सेवेंथ-डे एडवें दिस्ि िोर् इिने
अनिवािी बन िहे हैं कक जर्ि ने उन्हें अनिवादियों का झुण्ड किाि दिया है । इस खििे की र्ेिावनी पािरियों
औि िे सिस्यों को िे ने को मझ
ु े कहा र्या है । हमािा काम है कक हम मदहिाओं औि परूषों को सच्र्े नींव
में खडा किें र्े, औि उनके किमों को इस भूलम पि िखेंर्े, ‘पिमेश्वि यों कहिा है ।’”
1 समचन्स एंड िॉतस, पृ. 12. “हम स्वास्थ्य सुधाि को िोहे खाि नहीं बनािे हैं, न ही िोर्ों को काि कि
या खींर् कि उस में समाने का कोलशश कििे हैं। एक व्यक्ति सभी के लिए मानिण्ड नहीं बन सकिा है ।
हमें अच्छी वववेक की जरूिि है । र्िमपंथी न बनें। यदि आप र्ििी कििे हैं, िो िोर्ों के ििि र्ििी
एिूकेशन, पृ. 293. “युवा के लिए खास खििे के समय में , परििाएँ उन्हें हि समय घेिे िहिी है ; औि
जबकक उसमें बहना आसान है , िेज धािाओं के खखिाि खडे िहने के लिए सबसे मजबूि कोलशश की जरूिि
होिी है । प्रत्येक ववद्यािय परििाओं में पडने वािे युवाओं के लिए “एक शिर् स्थान बने”, एक ऐसा स्थान
जहाँ र्िनियाँ धीिज से बक्ु ध्िमानी से ननयंबत्रि ककये जािे हैं। लशिक जो अपनी क्जम्मेिािी को समझिे हैं,
वे उन सब र्ीजों से खि
ु को अिर् िखेंर्े जो उन्हें बिमाश औि अनआज्ञाकािी ववद्याधथचयों को लसखाने में
अडर्न डाििे हैं। प्रेम औि िया, धीिज औि आत्मत्यार्, उनके बोिी का ननयम बनेंर्े। िया औि अवुग्रह
को न्याय से लमिाया जाएर्ा। ििकाि िर्िे वति उनका भाषा अत्यंि कठोि नहीं विन ् नम्र होिी है ।
नम्रिा से वे र्ििी किने वािे को उसकी र्ििी दिखािे हैं औि उसे सुधिने में मिि कििे हैं। प्रत्येक सच्र्े
लशिक को यह महसूस होर्ा कक िया की ओि र्ििी किना कठोििा की ओि से बहे िि है ।”
र्िानियों 6:1,2. “हे भाईयो, यदि कोई मनटु य ककसी अपिाध में पकडा भी जाए िो िम
ु जो आक्त्मक हो,
नम्रिा के साथ ऐसे को संभािो, औि अपनी भी र्ौकसी िखो कक िम
ु भी परििा में न पडो। (2) िम
ु एक
िस
ू के का भाि उठाओ, औि इस प्रकाि मसीह की व्यवस्था को पूिी किो।”
4 िे स्िीमनीज, पृ. 64. “यदि आप र्ििी कििे हैं, िो िया औि सहानूभुनि की ओि र्ििी किना कठोििा
की ओि से बहे िि है ।”
डीजायि ऑफ़ एजेस, पृ. 251. “पिमेश्वि िोर्ों को वैसा ही स्वीकाि कििा है जैसे वे हैं, औि यदि वे उसमें
समवपचि होिे हैं िो वह उन्हें अपने काम के लिए लशक्षिि कििा है । मन में पिमेश्वि की आत्मा को ग्रहर्
किने से वह सािे दहस्सों को जर्ािा है । पववत्र आत्मा की अर्ुवाई से पिमेश्वि को पूिी ििह से समवपचि मन
अच्छी ििह से ववकलसि होिा है , औि पिमेश्वि के काम को पूिा किने औि समझने के लिए िाकि भी
लमििी है । कमजोि, िुच्छ र्रित्र बििकि मजबूि औि दृढ़ बन जािा है । िर्ािाि समवपचि िहने से यीशु
औि उसके र्ेिों के साथ इिना नजिीक संबंध स्थावपि होिा है कक मसीही मन औि र्रित्र से उसी के ििह
बन जािा है । ख्रीस्ि के साथ संबंध के द्वािा उसे पास अधधक साफ़ औि ववस्िि
ृ दृक्टिकोर् होर्ा। उसकी
पहर्ाने की िमिा बढ़े र्ी, औि उसकी समझ अधधक संिुलिि होर्ी। वह जो ख्रीस्ि की सेवा की इच्छा
िखिा है वह धालमचकिा के सूयच से इिना जार्ि
ृ होर्ा कक वह पिमेश्वि की मदहमा के लिए अधधक िि
िाएर्ा।”
ककिना प्रयोर् ककया जाना र्ादहए? नीनिवर्न 24:13, नीनिवर्न 25:27, नीनिवर्न 25:6
ककिना काम किना र्ादहए? उत्पवत्त 3:19, सभोपिे शक 9:10— मिकुस 6:31
हमें ककिने नींि की जरूिि है ? भजनसंदहिा 127:2— नीनिवर्न 24:30-34
हमें ककिना पढ़ना र्ादहए? 2 निमुधथयुस 2:5— सभोपिे शक 12:12
7 मैनुक्स्क्रप्ि रििीजेस, पृ. 224. “दिमार्ी काम किने वािों के लिए समय समय पि मझ
ु े िी र्ई र्वादहयों
से मुझे पिा है कक मध्य िाबत्र के बाि का नींि के मुकबिे पहिे का नींि ज्यािा मुल्यवान है । 12 बजने से
पहिे के 2 घंिे का नींि 12 बजने के बाि र्ाि घंिे का नींि से अधधक महत्वपूर्च है ...” (िेिसच 85, 1888)
7 िे स्िीमनीज, पृ. 133. “भोजन के प्रयोर् में हमें अच्छे वववेक के इस्िेमाि किने की जरूिि है । जब हम
पािे हैं कक कुछ आहाि हमािे लिए ठीक नहीं हैं िो उनके ववषय जानने की बेवजह कोलशश किने से बेहिि
है आहाि बििन िे ना। बििे में कुछ भोजनों को कम मात्राओं में खाएँ, अन्य व्यंजनों का प्रयोर् किें । जल्ि
ही हम इनका प्रभाव को जान जाएँर्े। बुक्ध्िमान मनुटय होने के नािे हम व्यक्तिर्ि रूप से सािे ननयमों का
अध्ययन किना र्ादहए औि अपने अनुभवों का इस्िेमाि किना र्ादहए कक हम अपने लिए सही आहाि का
र्न
ु ाव कि सकें।”
सपन्याह 3:17. “िेिा पिमेश्वि यहोवा िेिे बीर् में है , वह उध्िाि किने में पिाक्रमी है ; वह िेिे कािर्
आनन्ि से मर्न होर्ा, वह अपने प्रेम के मािे र्प
ु का िहे र्ा; किि ऊँर्े स्वि से र्ािा हुआ िेिे कािर् मर्न
होर्ा!”
लमननस्री ऑफ़ हीलिंर्. “र्ीि के साथ उसने भोि की ज्योनि का स्वार्ि ककया। धन्यवाि के र्ीिों से उसमें
काम के वति को खुखनुमा बनाया, औि स्वर्च के आनन्ि को काम से थके औि िुःु खी को आनन्ि िे ने के
लिए िाया।”
भजनसंदहिा 100:2. “आनन्ि से पिमेश्वि की आिाधना किो! जयजयकाि के साथ उसके सम्मख
ु आओ!”
1 इनिहास 13:16. “िाऊि औि सािे इस्राएिी पिमेश्वि के सामने िन मन से र्ीि र्ािे औि वीर्ा, सािं र्ी,
डि, झाँझ औि िुिदहयाँ बजािे थे।”
इवें जलिज़्म, पृ. 507. “स्वर्च के प्राँर्न में भी संर्ीि पिमेश्वि की उपासना का दहस्सा है । अपने र्ीिों में भी
हमें स्वर्च के िाििम्य संर्ीि के जीिना किीब हो सके उिना किीब पहुँर्ने की कोलशश किनी र्ादहए।”
एजूकेशन, पृ. 47. “इन ववद्याियों (नबबयों के ववद्यािय में ) में इन मुख्य ववषयों में लशिा िी जािी थी,
पिमेश्वि की व्यवस्था, क्जसमें मस
ू ा को दिये र्ए ननिे श शालमि थे, पववत्र इनिहास, पववत्र संगीत, औि
कवविाएँ... पववत्र ककये र्ए व्यक्ति पिमेश्वि के खजाने के घि से नई व पिु ानी र्ीजों को िािे थे, औि
पिमेश्वि का आत्मा भववटयवार्ी औि पववत्र संगीत में प्रर्ि होिा था।”
3. शैतान भी संगीतकाि है ।
सेिेतिे ड मेसेजेस, पृ. 332. “मैंने िे खा कक हमें िोजाना बढ़िे िहना है औि अंधकाि से ऊपि ही िहना है ।
हमािा पिमेश्वि सामथी है । मैंने िे खा की पिमेश्वि के र्ीि र्ाने से वविोधी अकसि भार् जािा है , औि
पिमेश्वि की मदहमा किने से हम उस पि ववजय पा सकिे हैं। ” (मैनूक्स्क्रप्ि 5, 1850)
शैतान के ओि का संगीत
5. शैतान आज हि तिह के संगीत का प्रयोग कि िहा है ताकक वह िोगों को ख्रीस्त से दिू कि सके।
िी एडवें दिस्ि होम, पृ. 407. “उनके कान संर्ीि के लिए िेज हैं, औि शैिान जानिा है कक ककन अंको को
उत्तेक्जि किने से, औि ककस ििह से दिमार् को आनक्न्िि किने से ख्रीस्ि को पाने र्ाहि कम होर्ी।...
घिों में संर्ीि िाने से पववत्रिा औि धालमचकिा का वािाविर् बनाने के बजाय, यह मन को सत्य से ििू
भिकाने का काम कििा है । आजकि के िोकवप्रय संर्ीि उन्हें भािे हैं। संर्ीि के यंत्रों ने वति को हधथया
लिया है क्जसे प्राथचना में बबिाया जाना र्ादहए। शैिान युवा बंदियों का अर्ुवाई कििा है । मैं उसके आकषचन
के शक्ति को िोडने के लिए तया कह सकिी हूँ! वह एक कुशि मोहक है , औि उन्हें ववनाश की ओि िे
जािा है ।”
आज मसीही संर्ीिों में नार् के िािों का लमिाया जाना नया नहीं है ; 1900 के लसिंबि में एक सेवेंथ-डे
एडवें दिस्ि कैम्प मीदिंर् में एल्डि औि श्रीमिी एस. एन. हॉस्केि को जेनेिि कॉन्रेस द्वािा भेजा र्या कक
वह उस कैम्प मीदिंर् में जो इक्न्डयाना के मनसी में ठहिाया र्या था, मिि किे । िभ
ु ाचग्य से वहाँ एक
र्िमपंथी क्राँनि र्ि िहा था जो इन सभाओं पि हावी होने की कोलशश कि िहा था। उस िं पनि ने पहिे भी
ऐसी र्ीजों को िे खा था पिं िु जो उन्होंने मनसी में िे खा वह उनसे भी र्ंभीि था।
श्रीमिी हॉस्केि ने सािा मैकएन्ििफ़ि को पत्र लिखा औि न केवि सभा के बािे ववविर् दिया, पिन्िु
क्जस संर्ीि का प्रयोर् ककया र्या था उसके बािे में भी लिखा: “हमािे पास एक बडा ड्रम है , िो खंजरियाँ हैं ,
एक बड बास वायलिन, िो छोिे वायलिन, एक बाँसिु ी, औि िो ििु दहयाँ, औि एक हामोननयम, औि कुछ
आवाजें हैं। उनका र्ीि पुस्िक र्ाडेन ऑफ़ स्पाईसेस है औि पववत्र शब्दों में नाच के ताि हदये गए हैं।”
2 सेिेतिे ड मेसेजेस, पृ. 36. “जैसी र्ीजें आपने इक्न्डयाना में िे खीं, पिमेश्वि ने मुझे दिखा कक िया का
द्वाि बंि होने से पहिे इसी ििह की घिनाएँ होंर्ी। हि एक अपववत्र र्ीज प्रिलशचि की जाएर्ी। ड्रम औि
संर्ीि के साथ िर्ो धर्ल्िाएँर्े औि नार्ें र्े। बुक्ध्िजीववयों का वववेक इिना भ्रलमि हो जाएर्ा कक उनपि
सही ननर्चय िेने के लिए भिोसा नहीं ककया जा सकिा है । औि इसे पववत्रआत्मा का काम कहा जाएर्ा।
पववत्र आत्मा खि
ु को इस ििह के ििीकों के प्रर्ि नहीं कििा, इिने शोिर्ि
ु में । यह शैिान का
आववटकाि है क्जससे वह इमानिाि, मन को हल्का किने वािा औि विचमान के सत्य को प्रकि किने के
प्रभाव को िीर् कि िे िा है । बेहिि होर्ा कक संर्ीि को उपासना में शालमि न किें , बजाय इसके की
जनविी अंि में मुझे दिखाए र्ए इन वाद्य यंत्रों का इस्िेमाि हो जो इन कैम्प मीदिंर्ों में िाए जाएँर्े। इस
समय के सत्य को मनों को परिवनिचि किने के लिए इस ििह के कामों की जरूिि नहीं है । शोिर्ुि
िंबत्रकाओं को झिके िे िी है जो यदि सही इस्िेमाि ककये जाएँ िो आशीष का कािर् बन सकिे हैं। ” “जो
र्ीजें बीिे समय में हो र्क
ु ी हैं वे भववटय में भी होंर्ी। क्जस ििह के संर्ीि बनाए जा िहे हैं उससे िो
शैिान संर्ीि को एक जाि बना िे र्ा।”
2- िय। यह िब होिा है जब िो या िो से अधधक स्वि एक साथ र्ाए जािे हैं। िार् “पाश्वच धर्त्र” प्रिान
कििा है औि िय उसे “व्यक्तित्व” िे िा है ।
3- ताि। एक सुि या ककसी पि में एक उच्र्ािर् को को दिया जाने वािा वति औि संर्ीि के ननमाचर् के
समय के नाप को िाि कहिे हैं। यह पूिे समय संर्ीि का व्यवक्स्थि रूप से र्िना है ।
िाि को र्क्रों में बाँिा जािा है । सबसे आम ववभाजन हैं िो िाि, िीन िाि, या र्ाि िाि। ककसी भी अच्छे
संर्ीि में पहिा िाि सबसे मजबूि होिा है । यदि कुि र्ाि िाि हैं िो पहिा िाि सबसे शक्तिशािी होर्ा
िस
ू िा सबसे शक्तिशािी िाि िीसिा िाि होर्ा, जैसे की नीर्े दिया र्या है :
िॉक संर्ीि में यह िाि आम व्यवस्था के ववपरिि हो जािा है औि ऑफ़ बीि पि अधधक ध्यान दिया जािा
है । ऑफ़ बीि में सबसे अधधक ध्यान र्ौथे िाि पि दिया जािा है , उसके बाि िस
ू िे िाि में , जैसा कक नीर्े
दिया र्या है :
शैतान ने इस व्यवस्था को पि् हदया है औि ताि को संगीत का सबसे प्रमुख हहस्सा बना हदया है , बजाय
िाग के। र्ौि से र्िनियों 5:16,17; औि सेिेतिे ड मेसेजेस, पृ. 36 को स्मिर् किें ।
डॉ. जॉन डायमन्ड, जो एक धर्ककत्सक हैं, उन्होंने शिीि में संर्ीि के प्रभाव पि र्हन अध्ययन ककया है ।
उन्होंने र्ौि ककया कक मनुटय का साँस, धडकन, नब्ज, बोिी, औि र्ाि सभी का एक िाि है , औि जब
संर्ीि का िाि शिीि के िािों से मेि खािा है िो यह उल्िास, सिकचिा, औि शाँनि का एहसास किािा है
औि यह शिीि औि मन को ऊजाचवान बनािा है , औि संिुिन औि आत्म ननयंत्रर् प्रिान कििा है । (इन
सांसारिक खोजों को बाइबि का भी समथचन है - 1 शमए
ू ि 16:15-17,23)।
“इसके ववपरिि, “डडस्हामोननक” (क्जनका िय एक सा नहीं होिा) िाि के संर्ीि सुनने से, “र्ाहे वह
िनाव हो जो शोि से उत्पन्न होिा है या अनुधर्ि हो—से सब ववलभन्न ििह के बििाव िा सकिे हैं: र्ड़कन
में बदिाव क्जसके साथ िक्तचाप भी बदिता है ; हॉमोनों का अत्यचर्क काम किना (खास कि एन्डोपीनों
का) क्जससे व्यक्ति के चचत में बदिाव आिा है , आनन्ि के एक छोि से िस
ू िे छोि में बेहोशी िक; औि
अनपच” (िूई िोिे स, नोट्स ऑन म्यूक्जक, पृ. 19)।
“इस सावि का जवाब ‘तया संर्ीि व्यक्ति के शािीरिक स्वास्थ्य को बिििी है ?’ अधनु नक शोध हाँ में
िे िी है । शिीि में शायद ही ऐसा कोई काया होगा जजस पि संगीत का प्रभाव नहीं पड़ता है । शोधों से पिा
र्िा है कक संर्ीि पार्न, आंिरिक स्रावों, संर्ाि, पोषर् औि साँस को प्रभाववि कििा है । यहाँ िक के
दिमान की िंबत्रकाएँ भी संर्ीि के ननयमों के प्रनि संवेिशीि पाए र्ए हैं। ” (डेवेड िे म, ि सीक्रेि पावि ऑफ़
म्यूक्जक, प.ृ 136)।
“संर्ीि के प्रभावों की सिाहना किने के लिए, हमें उन प्रकक्रयाओं के बािे सर्ेि िहना होर्ा जो कान में
संर्ीि के पडने से होिे हैं। ध्वनन के िहि जब कान के पििे पि पडिे हैं िो वे िसायननक संिेशों में िबिीि
हो जािे हैं जो हमािे दिमान पि जाकि ध्वनन के अिर् अिर् र्ुर्ों को पहर्ानिे हैं। एक बाि जो बहुि
िोर् नहीं जानिे हैं वह यह कक “श्रवर् संबंधी िंबत्रकाओं का जड शिीि में ककसी भी अन्य जड के मुकाबिे
अधधक िैिा हुआ है ... [इस र्हन नेिवकच के कािर्] शिीि में शायि ही कोई कायच होर्ा जो संर्ीि के िय
औि िािों से प्रभाववि नहीं होर्ा।” (पोडोल्स्की, म्यूक्जक फ़ॉि यूथ, पप
ृ .ृ 26,17)।
“संर्ीि, जो शिीि में प्रवेश पाने के लिए दिमार् में ननभचि नहीं होिा है , वह थैिेमस के द्वािा- भावनाओं
का िीिे स्िे शन- एहसास औि भावनाएँ उत्पन्न कि सकिा है । एक बाि एक थैिेमस के उत्तेक्जि होने से ही,
दिमार् का अपने आप आक्रमर् हो जािा है ।” (अल्िशूिि, म्यूक्जक एंड मेडीलसन, प.ृ 270)।
जब िॉक संर्ीि िर्ािाि कानों पि पडिा है , औि शिीि में प्रवेश कििा है , दिमार् िनाव में र्िा जािा
है । इस िनाव के प्रनिकक्रया में दिमार् कई हॉमोनों का स्राव कििा है । िो उिहिर् हैं: प्रकृनत ओवपयोड, जो
वतामान के चचककत्सीय ववशेषज्ञों का कहना है िॉक संगीत (इससे फ़का नहीं पड़ता कक वह र्मा से जुड़ा
नहीं है या “मसीही” है ) मनुषय के िचना के प्रकृनत के ववपरित काम किता है । संगीत आज एक कामुक
अनुभव बन गया है जो न लसफा नाइ्कल्बों औि िॉक कनस्ों में पाया जाता है , बजल्क चगिजा घिों में भी।
इन पाँर् कािर्ों से सांसारिक िॉक संर्ीि को मसीही बनाने की कोलशश अंि में मसीही ववश्वास औि उपासना
के वेश्यावनृ ि बनिा है :
एडवें दिस्ि होम, पृ. 517. “पिमेश्वि के सामने िाऊि के पववत्र आनन्ि में नत्ृ य की घिना की कहानी से
अमोि-प्रमोि के प्रेमी आधनु नक नत्ृ य को प्ररिि होिे हैं, पिं िु इस ििह के नत्ृ य का बाइबि में कोई समथचन
नहीं है । हमािे समय में नत्ृ य का संबंध नािानी मध्यिात्री के आन्नि से है । स्वास्थ्य औि नैनिकिा का
बलििान अमोि-प्रमोि के लिए ककया जािा है । नत्ृ यों में जाने वािों के लिए पिमेश्वि ववर्ाि का वस्िु नहीं
है ; प्राथचना या मदहमा के र्ीि उनकी सभाओं में उधर्ि नहीं िर्िे हैं। यह परििर् ननर्ाचयक होना र्ादहए।
ऐसे आनन्ि जो पववत्र र्ाजों औि पिमेश्वि की सेवा के आनन्ि को कम कििी है , उनसे मसीदहयों को ििू
िहना र्ादहए। संिक
ू के स्थान को बिििे वति पिमेश्वि के लिए हुए आनन्िमयी नार् औि र्ान आज के
आधनु नक नत्ृ य के समान नहीं था। वह पिमेश्वि को स्मिर् किािा था औि उसके पववत्र नाम का मदहमा
कििा था। औि यह शैिान का माध्यम है क्जससे वह मनुटयों को पिमेश्वि को भुिवा िे िा है औि उसकी
ननिािि होिा है ।”
इवें जलिज़्म, पृपृ. 508,9. “िोर्ों िक पहुँर्ने के लिए पिमेश्वि के संिेशवाहकों को जर्ि के िास्िों पि नहीं
र्िना र्ादहए। सभाओं में उन्हें संसारिक र्ायकों औि धथयेिि पि उत्साह जर्ाने के लिए ननभचि नहीं होना
र्ादहए। हम उन से यह कैसे उम्मीि कि सकिे हैं क्जन्हें पिमेश्वि के वर्न पि कोई रूधर् न औि उसके
वर्न को कभी पढ़ा नहीं कक वे आत्मा औि समझ से र्ाए? उनके हृिय पववत्र र्ीि के बोिों के साथ िय
में कैसे िह सकिे हैं? तया स्वर्ीय र्ीि मण्डिी इस संर्ीि में भार्ीिाि हो सकिे हैं ?”
इवें जलिज़्म, पृ. 508. “मैंने िे खा कक सभी को आत्मा औि समझ से र्ाना र्ादहए।”
इवें जलिज़्म, पृ. 507. “मुझे बहुि बाि अप्रलशक्षिि आवाजों का पीडा हुआ है , इिने ऊँर्े िार् में , मदहमा के
र्ीि के पववत्र बोिों को र्ीख कि र्ाए र्ए हैं। इन िेज, ककचश स्विों में पिमेश्वि के र्ंभीि, आनन्िमयी
र्ीिों को र्ाना ककिना अनुधर्ि है । मुझे अपने कान बंि किने का दिि कििा है , या जी कििा है मैं उस
स्थान से भार् जाउँ , औि जब यह ििच नाक र्ान समाप्ि होिा है िो मैं आनक्न्िि होिी हूँ।”
इवें जलिज़्म, पृ. 507. “स्वर्च के प्राँर्न में भी संर्ीि पिमेश्वि की उपासना का दहस्सा है । अपने र्ीिों में भी
हमें स्वर्च के िाििम्य संर्ीि के जीिना किीब हो सके उिना किीब पहुँर्ने की कोलशश किनी र्ादहए।”
1. पिमेश्वि को मदहमा िे औि हमें उसकी उधर्ि रूप से उपासना किने में मिि किे । 1 कुरिक्न्थयों
10:31
2. मसीही ववर्ािों को उठाए। कििीक्प्पयों 4:8; पैरीयातसच एंड प्रोिेट्स, पृ. 594
3. किीलसया के लशिाओं से उसके बोि मेि खािे हों।
4. दिखावे औि िं भ न हो। इवें जलिज़्म, पृ. 137
5. संर्ीि के सािे भार् (यानी, सिु , िय, िाि) उधर्ि संिि
ु न में हों।
6. ऐसे रििलमक (िाि) र्क्रों को शालमि किें जो ‘डाउन बीि’ पि ध्याव िे न कक ‘बैक बीि’ पि।
“हमें घि, समाक्जक सभाओं, ववद्यािय, औि धर्िजा के लिए बहुि सावधानी से संर्ीि का र्यन किना
र्ादहए। औि जैज, िॉक, या इस ििह के अन्य संर्ीिों, या ककसी भी भाषा जो मूखि
च ा भिी भावनाओं
को जादहि किे , शालमि नहीं ककया जाना र्ादहए।” (सेवेंथ-डे एडवें दिस्ि र्र्च मैनुअि, 18वाँ प्रकाशन
(2010), पृ. 144)
7. अवसि के लिए उधर्ि हो, श्रोिा औि सभा, क्जसके लिए आयोक्जि र्या हो। इवें जलिज़्म, पृपृ. 507-8
8. आत्मा औि समझ के साथ र्ाया औि बजाया र्या हो। इवें जलिज़्म, पृपृ. 508,510.
9. अनिरिति अध्ययन के लिए पढ़ें : इवें जलिज़्म अध्याय 15, “सोंर् इवें जलिज़्म”
भजनसंदहिा 45:1,2- यीशु प्रनिदिन पिमेश्वि के साथ वति बबिािा था औि िोजाना िाजी अनुग्रह पािा
था।
एजूकेशन, पृ. 78,79. “उसने जो लसखाया वही जीया भी... औि इससे भी बढ़कि; उसने वही लसखाया जो वह
खुि था। उसके शब्ि भावनाओं को व्यति कििे थे, उसके अपने जीवन की अनुभव से नहीं बक्ल्क उसके
अपने र्रिभ के। उनसे न लसिच सत्य लसखाया बक्ल्क वह स्वयं सत्य था। “इसी से उसी लशिाओं को बि
लमििा था।”
यही शेष किीलसया को ताकत दे ता है । यह ऊाँचे स्वि का शजक्त है ; सुन्दि जीवन के सुन्दि शब्द औि सत्य।
पिं तु इस बाहि ननकिने से पहिे अन्दि आना होगा, क्योंकक “जो मन में भिा है , वही माँह
ु पि आता है ।”
मिी 12:34.
लमननस्री ऑफ़ हीलिंर्, पृ. 100. “उसकी ननटठा की हमािी र्वाही ख्रीस्ि को जर्ि के सामने पेश किने का
स्वर्च का र्यननि माध्यम है । हमें उसकी अनग्र
ु ह को स्वीकि किना है जैसे की प्रार्ीन काि के पववत्र िोर्ों
ने ककया; पिं िु सबसे अधधक प्रभावशािी र्वाही हमािे अपने जीवन के अनभ
ु व हैं। प्रत्येक व्यक्ति का जीवन
िस
ू िे से अिर् है , औि उनके अनुभव भी अिर् अिर् हैं। पिमेश्वि र्ाहिा है क हमािी प्रशंसा उस िक
पहुँर्,े हमािे व्यक्तिर्ििा उसमें दिखे।”
एजूकेशन, पृ. 154. “िुम मेिे सिी हो, यहोवा की यह वार्ी है ” (यशायाह 43:12)—र्वाह िें कक वह भिा है ,
औि यह कक उसकी भिाई सवोच्र् है । ‘हम जर्ि औि स्वर्चिि
ू ों के लिए एक िमाशा ठहिे हैं’ 1 कुरिक्न्थयों
4:9।”
यीशु का उिाहिर्: “यीशु का कामों में कोई दिखावा या अलभनय नहीं था।”-इवें जलिज़्म प.ृ 267
सक्षी- ककसी बाि का र्वाह होना, यानी ककसी सुनी हुई बाि या महसूस ककये र्ए र्ीजों की पुक्टि किना
मैनूक्स्क्रप्ि िीलिज, संख्या 926, पृ. 61. “अर्म्भे की बाि िो यह है कक हमािे अपने िोर् अलभनय को
परिमेश्वि के आत्मा की प्रेिर्ा के रूप में िे खिे हैं। ”
अलभनय- नािक किना; ककसी घिना को दृटयों के रूप में प्रिलशचि किना।
11 मैनूक्स्क्रप्ि िीलिजेस, पृ. 338. “हमािे जर्ि में अलभनय की कमी नहीं है , पिं िु इसके सवोच्र् प्रस्िूनि
में पिमेश्वि का वास नहीं िहिा है ।”
इवें जलिज़्म, पृ. 266. “शैिान के शासन का सबसे पसंिीिा ििीका है बुजध्द भ्रष् कि िोर्ों को िंबे समय में
अलभनय दे खने के लिए उकसाना।”
काउन्सेल्स िू पैिेनट्स, िीर्सच, एंड स्िूडेंट्स, पृ. 274. “अलभनय युवाओं के वववेक को इतना भ्रलमत कि दे गा
की पिमेश्वि औि स्वगा को भि
ू जाएाँगे।” (रिव्यु एंड हे िल्ड, अकिूबि 3, 1912 पािा. 5)
एडवें दिस्ि होम, पृ. 516. “आनन्द के खतिनाक हठकानों में एक अलभनय है । नैनिकिा औि शुध्ििा का
ववद्यािय होने के बजाए, जैसा कक वे िावा कििे हैं, वह अनैनिकिा का दठकाना। बिु े आिि औि पापमय
ववर्ािों को इन मनोिं जनों से िाकि लमििी है । कामुक र्ीि, भावभंधर्माएँ औि प्रवनृ ि नैनिकिा की कल्पना
को धर्िा िे िे हैं। हि एक युवा जो आििन इन प्रस्िूनियों में शालमि होिा है उसकी नैनिकिा भ्रटि हो
जाएर्ी। हमािी भूलम में धथएिि अलभनय से शक्तिशािी कोई प्रभाव नहीं है जो कल्पना में ववष घोि िे ,
एडवें दिस्ि होम, पृ. 516. “सच्चा मसीही मनोिं जन के ऐसे ककसी भी स्थान में प्रवेश नहीं किना चाहे गा या
ऐसी ककसी भी भ्काव के ओि नहीं जाएगा जहााँ वह पिमेश्वि से आशीष नहीं मााँग सकता है । वह चथए्ि
में नहीं पाया जाएगा...”
सेवेंथ-डे एडवें दिस्ि र्र्च मैनुअि, 18वाँ प्रकाशन (2010), पृ. 142-143. “िभ
ु ाचग्य से आधनू नक मास मीडडया
अपने िशचकों के पास िर्ािाि अलभनय प्रस्िनू ियाँ िा सकिा है जो भिे नहीं हैं। यदि हम इन्हें छािें र्े नहीं
िो हमािे घिों में बुिे प्रोग्राम आ जाएँर्े। हमें उन सािी र्ीजों से ििू िहना र्ादहए जो अपिाधों को
मदहमामंडडि कि के दिखािे हैं। हमािे लिए सुिक्षिि िो यही होर्ा कक हम पौिुस के सिाह को मानें:
“इसलिए हे भाईयों, जो जो बािें सत्य... आििर्ीय... उधर्ि... पववत्र... सुहावनी... मनभावनी हैं, अथाचि जो
भी सिर्ुर् औि प्रशंसा की बािें हैं, उन पि ध्यान िर्ाया किो।” (किलिक्प्पयों 4:8)”
साईन्स ऑफ़ ि िाईम्स, अप्रैि 21, 1890. “इस पीढ़ी के लिए यीशु की बािें िुःु ख से भिे हैं। वह पूछिा है ,
“?” ख्रीस्ि ने पीदढ़यों के पाि िे खा औि भववटयवतिा की नजिों से सत्य के झुठ के ववपरिि लसध्िांिों के
बीर् संघषच िे खा। उसने दे खा कक ककस तिह से मसीहहयत जगत से वविुप्तप्राय हो जाएगी, इसलिए अपने
िस
ू िे आर्मन में वह एक ऐसे समाज को पाएर्ा जैसा बाढ़ के दिनों के पहिे था। जगत पवों औि
मनोिं जनों में मशगि
ू िहे गा, चथए्िों, औि घणृ णत िािसाओं में लिप्त िहे गा। हि ििह के असंयम पाए
जाएँर्े, औि यहाँ िक की किीलसयाएँ भी अनैनिक कायों में लिप्ि हो जाएर्ी, बाइबि की अवहे िना की
जाएर्ी। उसने िे खा कक अंनिम दिनों के संघषच के बीर् ही पिमेश्वि का न्याय आ जाएर्ा।”
अनिरिति अध्ययन के लिए: 2 सेिेतिे ड मेसेजेस अध्याय 1, “वानींग्स अर्ेन्स्ि सेनसेश्नि िीर्ींग्स एंड
इमोशनि रिलिजन”
युहन्ना 14:6 में यीशु ने कहा: “मार्च औि सत्य औि जीवन मैं ही हूँ।”
युहन्ना 8:44 हमें बिािा है कक “वह (शैिान) झूठा है , विन ् झूठ का वपिा है ” औि िोलमयों 1:25 उन िोर्ों
कक ववषय कहिा है जो शैिान के उिाहिर् में र्ििे हैं औि “पिमेश्वि की सच्र्ाई को बििकि झूठ बना
डािा।”
लमननस्री ऑफ़ हीलिंर्, पृ. 439. “सािी िटु ििा का षडयंत्रकािी पिमेश्वि के वर्न को हमािी नजिों से ििू
िखने की पूिी कोलशश कििा िहिा है , औि मनुटयों के ववर्ािों को सामने िािा है ।”
दाशाननक अ्किें औि झूठे ववज्ञान- “िाशचननक अिकिें औि वैज्ञाननक शोध क्जनमें पिमेश्वि को स्वीकाि नहीं
ककया जािा है हजािों को धोखें में िखिे हैं।” (लमननस्री ऑफ़ हीलिंर्, पृ. 439.2)
मूनतापूजकों के िेख- “लशिा प्राप्ि किने के लिए बहुिों का ववर्ाि है कक मूनिचपूजक िेखकों के िेखों को पढ़ना
आवश्यक है , तयोंकक इनमें ववर्ािों के मोिी हैं। पिं िु ववर्ािों को मोनियों का सज
ृ नकिाच कौन है । केवि
पिमेश्वि। वह सािी ज्योनि का स्रोि हो। किि तयों हम मोिी के एक अिि के लिए अनधर्नि र्िनियों को
पढ़ें , जबकक सािे सत्य हमािे पास हैं।” (लमननस्री ऑफ़ हीलिंर्, पृ. 440.2)
आम इनतहास के पुस्तक- “इनिहास पढ़ना र्िि नहीं है । पववत्र इनिहास नबबयों के ववद्यािय में एक महत्वपूर्च
ववषय था। िे शों के साथ पिमेश्वि के व्यवहाि से हम यहोवा पिधर्न्हों को िे ख सकिे हैं। इसलिए आज भी हमें
जर्ि िे शों के साथ पिमेश्वि के व्यवहाि पि र्ौि किना र्ादहए। इनिहास में हमें पिमेश्वि की भववटयवार्ी के
पूिे होने को िे ख सकिे हैं, सुधाि के महान कामों में उसकी िया को िे ख सकिे हैं, औि उन घिनाओं पि र्ौि
कि सकिे हैं जो महान वववाि के अंनिम संघषच के धर्न्ह दिखािे हैं। ”(लमननस्री ऑफ़ हीलिंर्, पृ. 441.2)
लमननस्री ऑफ़ हीलिंर्, पृ. 442.2. “पिं िु इनिहास, जैसा कक आमिौि पि पढ़ा जािा है , मनटु य की उपिक्ब्धयों,
युध्िों में उसके ववजय, शक्ति औि महानिा प्राप्ि किने की सिििा के ववषय है । मनुटय के कायों में पिमेश्वि
की सामथच वविुप्ि हो जािी है । िे शों के शक्तिशािी होने औि उनके धर्िने के पीछे उसकी योजना के पूिे होने
के ववषय बहुि ही कम िोर् पढ़िे हैं।”
र्माशास्त्रों की कई पुस्तकें- “धमच की लशिा, जैसे आज पढ़ाई जािी है , अिकिों से भिी पडी है , जो “अज्ञानिा
के शब्िों से सिाहों का मल्
ू य कम कििी है ”। इन पस्
ु िकों का संग्रह बहुि बाि आत्मा औि मन के भोजन के
लिए नहीं बक्ल्क िशचनशाक्स्त्रयों, औि धालमचक र्रू
ु ओं से संबंध कायम हो औि मसीहीयि को िोर्ों के समि पढ़े
लिखे िोर्ों के ििह पेश किने के का िक्ष्य िह जािा है । ” (लमननस्री ऑफ़ हीलिंर्, पृ. 442.3)
क्िालसक्स- “तिालसतस पढ़ने वािे कई िोर् आपसे कहें र्े “यूनानी कहाननयों में कौिुक्म्बक व्यलभर्ाि, हत्याएँ,
औि कामािुि औि प्रनिदहंसक िे विाओं के लिए मनुटयों की बलि भिे हुए हैं।” जर्ि के लिए बेहिि होर्ा कक
इस ििह स्रोिों से ज्ञान अक्जचि किना त्यार् दिया जाना र्ादहए।” (लमननस्री ऑफ़ हीलिंर्, पृ. 443.4)
लमननस्री ऑफ़ हीलिंर्, पृ. 445.1. “िोमाँस, उत्तेक्जि किने वािी कहाननयाँ, भी पाठक के लिए शाप है । िे खक
नैनिक पाठ लसखाने की बाि कह सकिा है , अपने पिू े काम में वह धालमचक संवेिनाओं को वपिो सकिा है , पिं िु
यह कई बाि र्िनियों औि ननिाथचकिा को ढकने के लिए होिा है । ”
वैज्ञाननक परिकल्पनाएाँ/लमथ/पिी कथाएाँ- “बच्र्ों औि युवाओं की लशिा में परिकथाएँ, लमथ, औि परिकाल्पननक
कहाननयों को बडा स्थान दिया जा िहा है । इस ििह की पुस्िकें ववद्याियों में प्रयोर् ककये जािे हैं औि घि में
भी पाए जािे हैं। मसीही अलभभावक अपने बच्र्ों को इस ििह के झूठे लशिा प्राप्ि किने के अनुमनि कैसे िे
सकिे हैं? जब बच्र्े कहानी का अथच पूछिे हैं जो अपने अलभभावकों की लशिाओं से लभन्न होिे हैं, िो एक ही
जवाब बर्िा है कक से कहाननयाँ सर् नहीं हैं; पिं िु इससे इनके प्रयोर् के िटु परिर्ामों से ननजाि नही लमििा
है । इन पुस्िकों में प्रस्िूि ककये र्ए ववर्ाि बच्र्ों का र्िि अनुवाई कििे है । वे जीवन के ववषय र्िि ववर्ाि
िे िे हैं औि उनके मन में हकीकि से पिे एक िनु नया की इच्छा जार्िी है ।”...“ऐसे पुस्िक जो सत्य को मिोड
कि पेश कििे हैं, उन्हें बच्र्ों औि युवाओं के हाथों में कभी पडने न िें ।” (लमननस्री ऑफ़ हीलिंर्, पृ. 446,447)
सत्य लसखाने के लिए परिकल्पनाएाँ- “ऐसी भी परिकाल्पननक कहाननयाँ लिखीं र्ईं हैं जो सर् लसखाने औि बडे
बुिाई को दिखाने के लिए लिखी र्ईं हैं। इनमें से कुछ ने अच्छी उपिक्ब्ध पाई है । साथ ही इन्होंने अनकहे हानन
भी पहुँर्ाई है । इनमें ऐसे बयान हैं औि वर्चन हैं जो कल्पना को उत्तेक्जि कििे हैं औि इस ििह के ववर्ािों को
उत्पन्न कििे हैं क्जनमें बहुि खििा है , खास कि युवाओं में । वखर्चि दृटय ववर्ािों में बाि बाि जीए जािे हैं।”
(लमननस्री ऑफ़ हीलिंर्, पृपृ. 445.3)
ग्रेि कनरोवसी, पृ. 252.2. “िम्पिों औि अपिाधधयों से भिे नघनोने कािकोठिी में जॉन बनयन ने स्वर्च की
वायु को साँस लिया; औि वहाँ उसने ववनाश के िे श से स्वर्ीय शहि जा िहे िीथचयात्री के यात्रा पि एक
खूबसूिि रूपक लिखा। र्ाि सौ साि से अधधक समय से बेडफ़ोडच बंदिर्ह
ृ से आिी उस आवाज ने बडी सामथच से
िोर्ों के हृियों को पुकािा है ।”
बाइबि में रूचच घ्ाती है - “परिकल्पनाओं के पाठक ऐसी िटु ििा में शालमि हो िहे हैं जो आक्त्मकिा का
नाश कििी है , औि पववत्र पन्नों की खूबसूििी को ढकिी है । यह अस्वास्थ्य उत्साह उत्पन्न कििी है ,
कल्पना को िोगी बनाता है - “कहानी पढ़नी में लिप्ि दिमार् बिबाि हो जािा है । कल्पना िोर्ी बन जािा है ,
दिमार् में भावुकिा भि जािी है , औि अशाँनि बनी िहिी है , दिमान का अनउधर्ि भोजन की भूख िर्िी
िहिी है , जो मन को ननिं िि रूप से असंिुलिि बना िे िी है ।” (मेसेजेस िू यंर् पीपि, पृ. 290.3)
लसफा मनोिं जन के लिए पढ़ने को प्रोत्साहन दे ता है - “यहाँ िक की परिकल्पना, क्जसमें अशुध्ििा न दिखे,
औि क्जसे बहुि अच्छे लसध्िांिों के लिए िर्ा र्या हो, हाननकािक है । यह कहानी को यूँ ही पढ़ने का आिि
बनािी है ... महज मनोिं जन के प्रनि प्रेम जर्ा कि, परिकल्पना जीवन के किचव्यों के प्रनि अरूधर् पैिा कििी
है ।” (लमननस्री ऑफ़ हीलिंर्, पृपृ. 445,6)
4 िे स्िीमनीज, पृ. 581.1. “पिमेश्वि की मदहमा उसके काम में प्रिलशचि है । यहाँ ऐसे िहस्य हैं क्जनकी खोज
किने से दिमार् मजबूि होर्ा। दिमार् जो परिकल्पनाओं को पढ़ कि मनोिं क्जि औि प्रिाडडि ककए र्ए हैं,
उनके लिए प्रकृनि में खि
ु ी पस्
ु िक है , औि अपने आस पास पिमेश्वि के कामों को पढ़ें र्े।”
2 मैन्यूक्स्क्रप्ि रििीजेस, पृ. 245. “दिमार् जो इस ििह के सािे स्सिेपन को नकाििी है , औि र्हिे , र्ौडे
सत्यों के ववर्ाि पि ध्यान केंदद्रि कििी है , वह मजबूि बनिी है । सािे ज्ञान से अधधक बाइबि का ज्ञान
बुक्ध्ि को मजबूि बनािी है । यदि आपके संस्थान औि सादहक्त्यक समाजों में बाइबि अध्ययन के लिए
अवसि बनाएँ जाएँ, िो वह धथयेिि के प्रस्िूि पि ध्यान किने किने से अधधक ज्ञान बाइबि अध्ययन से
अक्जचि किे र्ा। ककिने ऊँर्े औि भिे सत्यों से मन को बाँध कि पिमेश्वि के वर्न का अध्ययन ककया जा
सकिा है ! मन अपनी खोज में अधधक र्हिाईयों िक जा सकिा है , औि हि एक सच्र्ाई के ििाश से वह
मजबि
ू बनिा जाएर्ा, औि किि वह कभी समाप्ि नहीं होर्ा।”
गौि किें कक शुरूआती चेिों ने कुछ अर्मी पुस्तकों के साथ क्या ककया- प्रेरििों 19:19
मेसेजेस िू यंर् पीपि, पृ. 278. “जब मन में ख्रीस्ि का परिविचन किने वािा अनुग्रह होिा है , आत्मा में
एक धमी िक्ष्य स्थान िेर्ा, तयोंकक पापी ने बहुि समय िक पिमेश्वि के महान उध्िाि की अहे िना की
क्जसे पिमेश्वि ने खुि दिया है । किि वह खुि को, अपना शिीि, मन, औि आत्मा पिमेश्वि को अपचन कि
िे र्ा औि पिमेश्वि की अनग्र
ु ह से, शैिान के संर्नि से ििू होिा जाएर्ा। वह इकफ़लसयों की ििह जाि-ू िोने
की ननंिा किे र्ा, औि शैिान से जोडने वािे अंनिम धार्े को भी काि िे र्ा। वह अंधधयािे के िाजकुमाि के
ध्वज ििे से ननकि जाएर्ा, औि वह िाजकुमाि इम्मानुएि के िहू से िं र्े ध्वज ििे आ जाएर्ा। वह
जािई
ु पुस्िकों को नटि कि िे र्ा।”
ये सिाह जीवन के औि ककन अन्य क्षेत्रों के लिए हैं ? ऑडडयो पुस्िकें, िे डडयो, िी.वी., र्िधर्त्र, इन्ििनेि
अनिरिति अध्ययन के लिए पढ़ें : लमननस्री ऑफ़ हीलिंर् अध्याय 37, “ि फ़ॉल्स एंड ि ट्रूथ इन एजूकेन”
1 यह
ु न्ना 4:7- “पिमेश्वि प्रेम है ” यशायाह 14:12-14- “िूसीफ़ि...मैं स्वर्च पि
2. ति
ु ना का आर्ाि क्या है ? र्ढ़ँू र्ा...ऊपि र्ढ़ँू र्ा।”
प्रभाव पडेर्ा, औि वह उन्हें भी ववजयी होने का एतट्स ऑफ़ िी अपोसल्स, प.ृ 313. “र्ाहे धावक ककिना भी
िेज तयों न िौडें, इनाम लसिच एक को ही लमिेर्ा। लसिच एक ही
प्रोत्सान िे र्ा।
के हाथ वह इनाम िर्ेर्ा। कुछ िोर् इनाम िेने के लिए पिू ी
5. दस
ू िों को ककस नज़ि से दे खते हैं? कोलशश कि हाथ बढ़ाएँर्े पिं िु उसी वति कोई औि उसे िे
िेर्ा।”
युहन्ना 3:30 नीनिवर्न 24:17 यशायाह
35:3,4 5. दस
ू िों को ककस नज़ि से दे खते हैं?
डीजायि ऑफ़ एजेस, प.ृ 436. “िाज्य सबसे अधधक मजबि
ू
िावेिाि के हाथ िर्ेर्ा। शैिान का िाज्य िाकि का िाज्य है, हि
एक व्यक्ति िस
ू िे को अपनी प्रर्नि का रुकावि समझिा है।”
एजूकेशन, पृ. 190.2. “ववद्याथी को... सवोच्र् स्थान के लिए संघषच कि िहे िोनों लसध्िांिों के र्रित्र को
समझने की जरूिि है , औि इनिहास में उनके काम के ििीकों को जानना र्ादहए, उनके बािे में की र्ई
भववटयवार्ी के बािे अंि िक जाँर् किें । उसे िे खना र्ादहए कक यह संघषच मनुटय के जीवन के प्रत्येक अनुभव
को ककस प्रकाि प्रभाववि कििे हैं; कैसे उसकी प्रत्येक गनतववर् में ये दो ववपरित शजक्तयााँ खुद को जाहहि किते
हैं; औि ककस प्रकाि से वह इस संघषच के िोनों पिों में से एक को र्न
ु िा है ।”
1. लशक्षा
एजूकेशन, पृपृ. 225,6. “यह अपीि ककस लिए िी जािी है ? आज की लशिा का अधधकांश भार् भ्रटि को
र्क
ु ा है । सच्र्ी लशिा में स्वाथी अलभिाषाएँ, शक्ति का िोभ, अधधकािों औि इन्साननयि की अवहे िना का,
जो इस जर्ि के लिए शाप हैं, कोई स्थान नहीं है । जीवन के लिए पिमेशवि की योजना में हि एक मनटु य
के लिए एक स्थान है । हि को अपनी प्रनिभा को क्जिना हो सके उिना बढ़ाना है र् औि ऐसा किने में
इमानिािी बहुिों के लिए उपहाि होर्ा।”
ि बाइबि इको, अर्स्ि 21, 1899 पािा. 3. “हमािे प्रत्येक ववद्यािय में इस्राएि के पिमेश्वि की मदहमा
की जानी र्ादहए, उसका सम्मान, औि आिि किना र्ादहए। जर्ि के सम्मान के लिए अपववत्र प्रनिस्पधाच
के बजाए उनका सबसे ऊँर्ा िक्ष्य यह होना र्ादहए कक वे पिमेश्वि के लमशनिी बनें, औि वह लसखाएँ जो
उन्होंने लसखा है ।”
2. आजीववका
3. घिे िु जीवन
एडवें दिस्ि होम, पृपृ. 150,151. “बहुिों के लिए जीवन एक ननिाशा है तयों वे खुि को बेकाि के
क्जम्मेिारियों से िबा िे िे हैं। उनके मन िर्ािाि उन जरूििों को पूिा किने के लिए धर्ंनिि िहिे हैं जो
धमण्ड औि िैशन के सन्िान हैं।...
यदि ऐशो आिाम की र्ीजों में ककये र्ए व्यथच के खर्ों को पिमेश्वि के काम में िर्ाया जाए िो बेहिि
परिर्ाम लमिें र्े।। िोर् ऐशो आिाम के जीवन के लिए िोर् ििसिे हैं इसे पाने के लिए औि स्वास्थ्य,
िाकि, औि साधन िर्ा िे िे हैं। िोर्ों में िश्ु मनी की भावना जार्िी है औि एक ही वर्च के िोर्ों में
दिखिी है जो अपने कपडों औि घि के खर्ों में दिखावा कििे हैं। “घि” के मीठे नाम का अथच बििकाि
उसका अथच र्ाि दिवािों का ढ़ाँर्ा का हो जािा है क्जसमें महँर्े मेज, कुलसचयाँ औि दिखावे के सामन होिे हैं
जबकक उसमें िहने वािे िोर् जीवन के अिर् अिर् िेत्रों की जरूििों को पूिा किने के लिए िनावग्रस्ि
होिे हैं।”
4. चगिजा
मिकुस 9:34. “मार्च में उन्होंने आपस में यह वाि-वववाि ककया था कक हम में से बडा कौन है ।”
1 कुरिक्न्थयों 11:1,12. “िुम में झर्डे हो िहे हैं।... िुम में कोई िो अपने आप को “पौिस
ु का,” कोई
“अपुल्िोस का,” कोई “कैिा का,” िो कोई “मसीह का” कहिा है ।”
िास्ि डे इवें ट्स, पृ. 190. “जब यीशु कमचर्ारियों के मन में िहिा है , जब सािे स्वाथच नटि हो जािे हैं, औि
कोई िश्ु मनी नहीं िह जािी है , औि प्रधानिा के लिए कोई युध्ि नहीं िह जािे हैं, जब एकिा का अक्स्ित्व
5. प्रनतस्पर्ाा खेि
13 मैन्यूक्स्क्रप्ि रििीजेस, पृ. 45. “अलभभावकों औि बच्र्ों को सत्य की जानकािी के मुिाबबक एक साथ
लमि कि काम किना र्ादहए; पिं िु इसके बजाए, हि ििि िोर् अपना िाभ िे खिे पाए जािे हैं। हि कोई
ककसी न ककसी र्ीज के दिखावे में लिप्ि िहिा है । ववद्याियों में खेि भावना जर्ाने के लिए खेि
आयोक्जि ककये जािे हैं। युवा उसमें सिि होने की इच्छा में खो जािे हैं, औि उस पाने के लिए वे अपनी
जान िक ववनाश की ओि र्िे जािे हैं।”
िन्डामें िल्स ऑफ़ क्रीश्च्य्न एजूकेशन, पृ. 221. “मनोिं जन ककसी भी र्ीज से अधधक पववत्र आत्मा के काम
को िबाह किने का काम कििा है , औि पिमेश्वि को िुःु ख होिा है ।”
4 मैन्यूक्स्क्रप्ि रििीजेस, पृ. 255. “वे ऐसा व्यवहाि कििे हैं जैसे कक वे ववद्यािय में खेि की सवोच्र्
लशिा प्राप्ि किने आए हैं, जैसे कक वह लशिा का एक बहुि महत्वपूर्च शाखा है , औि वे इस ििह की र्ीजों
के लिए पूिी िैयािी के साथ आिे हैं। ये सब र्िि है , शुरू से अंि िक।”
सेिेतिे ड मेसेजेस, पृ. 132. “तया खेि-कूि, औि इनाम, औि मुतकेबाजी के िस्िानों ने शैिान के दिशा
ननिे श में लशिा िे ने का काम नहीं ककया है , क्जससे वे उसकी र्ुर्ों को प्राप्ि कििे हैं।”
सेिेतिे ड मेसेजेस, पृ. 131. “जब ववद्याथी ववद्यािय र्ए औि अपने खेि कूि में भार्ीिाि हुए, जब वे इस
मनोिं जन में डूब में , शैिान ने िे खा कक यह पववत्रआत्मा के प्रभाव को समाप्ि किने का अच्छा समय
है ।...”
8 िे स्िीमनीज, पृ. 52. “मुझे मेिे र्ाईड ने कहा: “िे खो, मेिे िोर्ों की मूनिचपूजा को, क्जससे मैं बाि कि
िहा हूँ, कक जल्िी उठकि उन्हें उनके खििों के बािे बिाए। मैंने इसलिए िे खा कक वे िि िाएँर्े। ” वहाँ कुि
िोर् सवोत्तम बनने की कोलशश कि िहे थे, हि एक कोई अपनी साईककि को सबसे िेज िौडाने की कोलशश
कि िहा था। यहाँ वही आत्मा िे खी जा सकिी थी जो महाववद्याियों के बेसबॉि मैर्ों में दिखिे हैं। मेिे
र्ाईड ने कहा: “ये सािी र्ीजें पिमेश्वि की नजिों में बिु ी हैं। सामने औि ििू के िोर् जीवन की िोिी औि
उध्िाि के जि के लिए ििस िहे हैं।”
काउन्सेल्स िू पैिेनट्स, िीर्सच, एंड स्िूडेंट्स, पृ. 350. “एक िाि मैं ने ववद्यािय के क्रीडाँर्न में एक
कायचक्रम िे खा। क्जस ििह से ववद्याथी वहाँ र्निववधधयों में दहस्स िे िहे थे, वे वविोधी के र्ुर्ों को प्रस्िूि
कि िहे थे, वह भी भद्िे ििीके से। वे िे ननस औि कक्रकेि खेि िहे थे। किि मुझे इस ििह के मनोिं जन के
बािे ननिे श दिया र्या। वे मेिे सामने मूनिचपूजा के ही एक प्रजािी के रूप में प्रस्िूि ककए र्ए, जैसे की िे शों
के मनू िच।”
एडवें दिस्ि होम, पृ. 499. “मैं गें द से खेिने के सादे व्यायाम की वविोर्ी नहीं हूाँ; पिं तु अपनी सादगी में भी
उसकी अनत हो सकती है । मैं इन मनोिं जनों के परिर्ाम के ववर्ाि मात्र से घबिा जािी हूँ। यह उन स्रोिों
क्जस ििह से वे महाववद्याियों में आयोक्जि ककए जािे हैं, उनमें स्वर्च की छाप नहीं दिखिी है । यह
बुक्ध्ि नहीं बढ़ािी है । ये धार्े सांसारिक आििों औि िीनियों से ननकििे हैं, औि इनके अलभनेिा इनमें इिने
लिप्ि हो जािे हैं कक स्वर्च उन्हें अमोि-प्रमोि के प्रेमी कहिे हैं न कक पिमेश्वि के प्रेमी। बक्ु ध्ि बढ़ने, औि
मसीसी किचव्यों को पिू ा किने के लिए मसीही र्र्
ु िे ने के बजाए, इन खेिों में भागीदािी से हदमाग में ऐसे
ववचाि भि जाते हैं जो मन को पढ़ाई से दिू भ्काते हैं।...
क्या आाँख इन खेिों में पिमेश्वि की महहमा के लिए अकेिा है ? मैं जानती हूाँ कक ऐसे नहीं है । पिमेश्वि
का िाह औि उसकी योजना को िोर् भूि िहे हैं। परिवीिाधीन समय में बुक्ध्िमान जीवी पिमेश्वि की
प्रकालशि इच्छा से अधधक मनुटयों के अिकिों औि आववटकािों को अधधक महत्व िे िहे हैं, क्जसमें उनके
साथ शैिान है जो अपनी आत्मा उन्हें िे िा है ।... स्वर्च का पिमेश्वि खेि में प्रधानिा के लिए िािसा का
वविोध कििा है ।”
िन्डामें िल्स ऑफ़ क्रीश्च्य्न एजूकेशन, पृ. 229. “मैंने यीशु के जीवन में कोई भी ऐसा पि नहीं पाया
क्जसमें वह खेि औि मनोिं जन में लिप्ि था। वह विचमान औि भववटय के जीवन का महान लशिक था।”
अनिरिति अध्ययन के लिए पढ़ें : एडवें दिस्ि होम अध्याय 80, “वॉि शैि वी प्िे”
अध्याय 7- मनोिं जन
यशायाह 30:15. “प्रभु यहोवा, इस्राएि का पववत्र यों कहिा है , “िौि आने औि शान्ि िहने में िुम्हािा उध्िाि
है ; शान्ि िहने औि भिोसा िखने में िुम्हािी वीििा है ।” पिन्िु िुम ने ऐसा नहीं ककया।”
मिकुस 6:31. “उसने उन से कहा, “िुम आप अिर् ककसी एकान्ि स्थान में र्िकि थोडा ववश्राम किो।”
तयोंकक बहुि िोर् आिे जािे थे, औि उन्हें खाने का अवसि भी नहीं लमििा था।”
मत्ती 11:28,29. “हे सब परिश्रम किनेवािो औि बोझ से िबे हुए िोर्ो, मेिे पास आओ; मैं िुम्हें ववश्राम िँ र्
ू ा।
मेिा जआ
ु अपने ऊपि उठा िो, औि मझ
ु से सीखो; तयोंकक मैं नम्र औि मन में िीन हूँ: औि िम
ु अपने मन में
ववश्राम पाओर्े।”
हे ल्थ रििोमचि, जुिाई 1, 1871 पािा. 3. “मसीहीयों का किचव्य है कक वे अपनी आत्मा को ििोिाजा किें औि
शिीि को ननिोष मनोिं जन से दृढ़ किें , औि इसमें उनका उध्िे श्य अपनी शािीरिक औि मानलसक िाकि से
पिमेश्वि की मदहमा किे । हमािे मनोिं जन व्यथच र्ीजों का दृटय नहीं हो। हम उन्हें इस ििह से आयोक्जि कि
सकिे हैं कक इनसे हमािे साथ िहने वािों को भी िाभ हो, औि हमें बेहिि मसीही बनाए। हम पिमेश्वि की
नजिों में ननिोष नहीं ठहिें र्े यदि हम ऐसे मनोिं जक र्निववधधयों में दहस्सा िें र्े जो हमें जीवन के आम
किचव्यों का ननवाचह किने की िमिा घिाए, औि इस ििह से हम पिमेश्वि औि स्वर्ीय वस्िुओं के बािे ववर्ाि
किना त्यार् िे िे हैं। ये, सािे र्ीजों के ऊपि, मूखि
च ापूर्च हँसी मजाक हैं, औि व्यथच की बािें हैं। हमािे मनोिं जन
के सािे अवसिों में हमें पववत्र स्रोि से िाकि, नयी दहम्मि औि शक्ति इतकठा किनी र्ादहए, िाकक हम अपने
जीवन को अधधक सिििा से शुध्ि औि पववत्र कि सके।”
स्वस्थ मनोिं जन
1. आजत्मक गनतववचर्।
1 िे स्िीमनीज, पृ. 503. “युवाओं को मन को ििोिाजा किने के लिए ककसी न ककसी र्ीज की जरूिि
पडिी है । मैंने िे खा की मेहनि में भी आनन्ि है , उपयोधर्िा में एक संिोष है । कुछ िोर् किि भी
कहिे हैं कक काम समाप्ि होने के बाि उन्हें मन को उत्सादहि किने के लिए ककसी र्ीज की जरूिि
पडिी है , कुछ मानलसक काम या आमोि-प्रमोि क्जससे मन मेहनि किने के बाि िाजा हो। यहाँ
मसीही भिोसा की ही जरूिि है । धमच, ववश्वासी को अश्वासन िे र्ा, सच्र्ी खुशी का र्ाईड वही है ।
युवाओं को पिमेश्वि के वर्न का अध्ययन किना र्ादहए औि खुि को प्राथचना में समवपचि किना
र्ादहए, औि पाएँर्े की उनके खािी वति का इससे बेहिि इस्िेमाि नहीं हो सकिा है । ”
2. प्रकृनत में समय बबताना।
एजूकेशन, पृ. 211. “प्रार्ीन समय में , पिमेश्वि के ननिे शों में र्िने वािे िोर्ों का जीवन सािा था। वे
प्रकृनि के हृिय के समीप िहिे थे। बच्र्े अपने अलभभावकों के काम में मिि कििे थे औि प्रकृनि के
खजाने की िहस्यों औि खूबसूििी का अध्ययन कििे थे। औि खेिों औि जंर्िों में वे उन सामथी
सत्यों पि ववर्ाि कििे थे जो उन्हें पीढ़ी िि पीढ़ी िी र्ई थी। इस ििह के प्रलशिर् मजबूि पुरूष िे िे
थे। आज के समय में जीवन कृबत्रम बन र्या है , औि िोर् िटु ि हो र्ए हैं। जबकक हम प्रर्ीन समय
सिांश
एडवें दिस्ि होम, पृ. 512. “मनोिं जन औि आमोि में एक अंिि है । मनोिं जन िमिा बढ़ाने के लिए
होिा है । हमािे ननयलमि दिनर्ायच िो िोडकि वह हमािे मन औि शिीि को ििोिाजा बनािे हैं औि वह
हमें नई िाजर्ी से काम में िौिने में मिि कििी है । िस
ू िी ओि आमोि, आनन्ि के लिए ककए जािे
हैं औि बहुि बाि उसकी अनि होिी है ; वह शिीि का िाकि सोख िेिी है क्जसकी जरूि काम किने
लिए पडिी है औि इस ििह से जीवन में सच्र्ी सिििा पाने में अडर्न बनिी है । ”
एडवें दिस्ि होम, पृ. 493. “ऐसे िोर् भी हैं क्जनकी कल्पना इिनी िोर्ी है कक वे धमच को एक िानाशाह
के रूप में िे खिे हैं, जो उनपि िोहे की छड से शासन कििा है । वे िर्ािाि अपनी परिक्स्थि औि
िनु नया की बुिाई का िोना िोिे हैं। उनके मन में प्रेम का कोई अक्स्ित्व नहीं है ; उनके मुख में उिासी
छाई िहिी है । ककसी भी युवा के ननिोष ठहाके से भी वे घबिा जािे हैं। वे मानिे है कक सािे मनोिं जन
या आमोि पाप हैं औि सोर्िे हैं कक मन को हमेशा र्ंभीि िहना र्ादहए। ये अनि है । िस
ू िे समझिे हैं
कक मन को हमेशा खुश िखना र्ादहए औि हमेशा नए आमोि-प्रमोि के अवसिों को ढूँढ़ना र्ादहए िाकक
स्वास्थ्य बना िहे । वे उत्साह में ननभचि हो जािे हैं औि उसके बबना असहज महसूस कििे हैं। वे सच्र्े
मसीही नहीं हैं। वे िस
ू िी अनि में जािे हैं।”
एजूकेशन, पृ. 246. “कोई भी लशिा वस्त्रों के ववषय सही लसध्िांि लसखाए बबना पूिी नहीं हो सकिी है । इस
ििह की लशिा के बर्ैि लशिा का काम बहुि बाि धीमा औि भ्रटि हो जािा है । वस्त्रों का प्रेम औि िैशन
के प्रनि रूझान, लशिा के सबसे खििनाक वविोधी हैं औि सबसे अधधक प्रभावशािी रूकाविें है । ”
रिव्यू एंड हे िल्ड, जून 10, 1852. “हमे मसीही (मसीह के जैसा) बनने के हि संभव कोलशश किने र्ादहए,
औि हमािे वस्त्र, बािर्ीि औि काम यह प्रर्ाि किे कक ख्रीस्ि हमािे अन्िि है , मदहमा की उम्मीि, औि यह
कक हम आशीवषि उम्मीि औि यीशु के मदहमयी आर्मन का इंिजाि कि िहे हैं, यह भी िोर् जाने। हम
अपने आस-पास के िोर्ों को दिखाएँ कक यह जर्ि हमािा घि नहीं है , औि हम यहाँ यात्री औि वविे शी िोर्
हैं।”
6 िे स्िीमनीज, पृ. 96. “नए ववश्वासववयों के सीखने की एक नई बबन्ि ु वस्त्र के ववषय है । नए ववश्वालसयों
के साथ सावधाननपूवक
च विाचव किें । तया वे अनुधर्ि वस्त्रों में हैं? तया उनके मन में िं भ है ? वस्त्रों की
मूनिचपूजा औि नैनिक िोर् है । इसे नए जीवन में नहीं िाना र्ादहए। अधधकांश मामिों में सुसमार्ाि के प्रनि
होने पि व्यक्ति को वस्त्रों िाने का ननर्चय िेना होर्ा।
वस्त्रों में कोई असावधानी नहीं बििनी है । ख्रीस्ि के लिए, क्जसे सािी हम हैं, हमें अपनी रूप को बेहिि
बनाने की कोलशश किनी र्ादहए। लमिापवािे िंबू की सेवा में पिमेश्वि ने उसके समि सेवा कायच किने
वािों के वस्त्रों के हि एक बािीकी का ननिे श दिया था। हारून के वस्त्रों के ववषय स्पटि ननिे श दिये र्ए थे,
तयोंकक उसकी वस्त्र एक प्रिीक था। इस कािर् से मसीह के अनुयानययों के वस्त्रों को भी प्रिीक होना
र्ादहए। सािी र्ीजों में हमें उसका प्रनिननधध बनना है । ”
वस्त्र चरित्र का सच
ू क है
काउन्सेल्स िू ि र्र्च, पृ. 180. “वस्त्र औि व्यक्ति पि उसका व्यवस्था आमिौि पि व्यक्ति के मदहिा या
परू
ु ष होने का सर्
ू क है ।
फैशन के खतिे
4 िे स्िीमनीज, पृ. 647. “िैशन िोर्ों के वववेक को नटि कि िहा है औि हमािे िोर्ों की आक्त्मकिा को
खा िहा है । िैशन के प्रनि आज्ञाकारििा हमािे सेवेंथ -डे एडवें दिस्ि मण्डलिओं को िवू षि कि िहीं है औि हमािे
िोर्ों को पिमेश्वि से ििू किने की हि संभव कोलशश कि िही है ।”
रिव्यू एंड हे िल्ड, मार्च 31, 1891. “कपडों की मूनिचपूजा उन सभी को नटि कििी है क्जनके र्रित्र में िीनिा,
नम्रिा औि प्रेम हो। यह उस बहुमूल्य समय को बबाचि कििा है क्जसे प्राथचना में , अपने हृिय को ििोिना,
औि पिमेश्वि के वर्न के अध्ययन में बबिाया जा सकिा है । पिमेश्वि के वर्न में , प्रेिर्ा के द्वािा खास
हमािे लिए ननिे श लिखे र्ए हैं।... कोई भी मसीही जर्ि के अनैनिक िैशन में अपनी आत्मा के ववनाश के
बर्ैि लिप्ि नहीं हो सकिा है । ”
स्पाडडंर् एंड मेर्न कल्िेकशन, पृ. 91. “मुझे कोई एक खास प्रकाि वस्त्र के बािे नहीं बिाया र्या है जो
हमािे कपडों के ववषय एक खास मार्चिशचन िे ।”
1 िे स्िीमनीज, पृ. 425. “हमें सौम्य कपडे पहनना र्ादहए।...इन र्ीजों में एक बीर् का स्थान है । िआ
ु किें
कक हम सभी उस स्थान को पाएँ औि अपनाएँ।”
इसलिए हमें लसध्िांिों को पढ़ना होर्ा कक कैसे कपडे स्वर्च को भािे हैं।
मसीही वस्त्र के गण
ु
1. उचचत
लमननस्री ऑफ़ हीलिंर्, पृ. 287. “बाइबि कपडों में संयम िखना लसखािी है । “वैसे ही क्स्त्रयाँ भी संकोर्
औि संयम के साथ सुहावने वस्त्रों से अपने आप को संवािे ।” 1 िीमुधथयुस 2:9। यह कपडों में भडकाऊ िं र्,
जिी के अत्यधधक काम वािे वस्त्र नहीं पहनने की सिाह िे िी है । कोई भी वस्िु जो पहनने वािे की ओि
ध्यान खींर्ने के लिए बनाई जािी है या आकषचक बनाने के लिए िैयाि की जािी है , वे उधर्ि वस्त्र नहीं हैं
क्जसके पिमेश्वि का वर्न कहिा है ।”
साईन्स ऑफ़ ि िाईम्स, जुिाई 1, 1903. “एक बाि जब मदहिाओं के मयाचिा के दिवाि हिा दिये जािे हैं,
िब सबसे अधधक नीर्िा में भी पाप नहीं दिखिा है । ककिनी िुःु ख की बाि है कक आज िटु ििा में मदहिा
का ककिनी प्रभाव है ! “पिाई स्त्री” के िोभ में हजािों आज बंिीर्ह
ृ में कैि हैं, बहुि सािे िोर् अपनी ही जान
िे िेिे हैं, औि बहुि सािे िोर् िस
ू िों के जीवन को छोिा कि िे िे हैं। प्रेिर्ा के शब्ि ककिने सर् है , “उसके
पाँव मत्ृ यु की ओि बढ़िे हैं, औि उसके पर् अधोिोक िक पहुँर्िे हैं।”
2 िे स्िीमनीज, पृ. 458. “बहुि सािी बहने िटु ििा की पिछाई से भी पिहे ज कििी हैं। आज के भ्रटि जमाने
में आप िब िक सुिक्षिि नहीं है जब िक कक आप सावधान नहीं हैं। शुध्ििा औि नम्रिा िि
ु भ
च हैं। मसीह
2. सादा
2 िे स्िीमनीज, पृ. 643. “कपडों की सािर्ी एक बक्ु ध्िमान स्त्री के लिए िाभिायक है ... बेहिि पसंि औि
उच्र् ववर्ाि उसकी सािे औि उधर्ि र्ुनाव में दिखेंर्े।”
3. व्यवजस्थत
1 िे स्िीमनीज, पृ. 275. “जब हमािा रूझान स्वच्छिा औि व्यवस्था की ओि कम हो जािा है , िो वास्िव
में सत्य को त्यार् िें र्े, तयोंकक सत्य कभी धर्ििा नहीं पिं िु बढ़िा जािा है ।”
4. आकषाक
महहिा: “मािाओं के कपडे भी सािे औि स्वच्छ हों। िाकक वह अपनी मयाचिा औि प्रभाव बनाए िख सके।
यदि वह घि में बेढंर्े कपडे पहनिी है िो वह अपने बच्र्ों को भी ऐसे ही आिि ववकलसि किाना लसखािी
है । अनेक मािाएँ यह सोर्िीं हैं कक वे घि में कुछ भी पहन सकिी है र्ाहे वह मैिा ही तयोंकक न हो। पिं िु
वे जल्ि ही परिवाि में अपना प्रभाव खोने िर्िे हैं। बच्र्े अपनी मािा औि िस
ू िी मदहिाओं के कपडों की
िुिना कििे हैं, औि उसके प्रनि उनका आिि कम हो जािा है । मािाएँ खुि को क्जिना हो सके उिना
आकषचक बनाएँ, भडकाऊ कपडे पहनकि नहीं, बक्ल्क साि औि सही नाप के कपडे पहनकि।” क्रीस्च्यन
िे म्पेिेंस एंड बाइबि हाइजीन, पृ. 143.
पुरूष: “एक प्रर्ाि जो वस्त्रों अपने कपडों को िेकि सर्ेि नहीं िहिा है अकसि ऐसे िोर्ों को र्ोि पहुँर्ािा
है क्जनके ववर्ाि बेहिि हैं....अंि में कुछ िोर्ों को संसारिक जीवन में िौिना प्रर्ाि के अव्यवक्स्थि िहने के
जुडे हो सकिे हैं। उसके पहिे प्रस्िूनि का उनपि प्रनिकूि प्रभाव पडिा है , तयोंकक ककसी भी ििह से वे
उसके रूप को उसके द्वािा बिाए र्ए सच्र्ाईयों से जोड नहीं पािे हैं। ” 2 िे स्िीमनीज, प.ृ 613.
बच्चे औि युवा: “छोिे बच्र्ों को वस्त्रों के ववषय सही आिि डािना लसखाएँ िाकक वे साि औि आकषचक
दिखें; उन्हें अपने कपडे साि िखने औि ििने पि लसिना लसखाएँ। उनके सािे आिि ऐसे होने र्ादहए जो
5. साफ
साईन्स ऑफ़ ि िाईम्स, अप्रैि 22, 1880. “पिमेश्वि र्ाहिा है कक उसके िोर् साि औि व्यवक्स्थि िहें ।
इस्राएि की सािी सन्िानों के लिए उसके ननिे श अपने कपडों में , अपने आसपास की र्ीजों में साि औि
6. ह्काऊ
लमननस्री ऑफ़ हीलिंर्, पृ. 288. “पिं िु हमािे कपडे उधर्ि औि सािे होने के बावजूि, अच्छी र्ुर्वत्ता, सुंिि
िं र्, औि सभा में उपक्स्थि होने के िायक के हों। दिखावा किने के बजाय उसे दिकाऊ होने र्ादहए।”
रिव्यु एंड हे िल्ड, दिसंबि 1, 1910. “मजबूि कपडे खिीिकि उसे सावधानीपूवक
च लसिवाना सही है । यह
ककफ़ायिी है ।”
5 िे स्िीमनीज, पृ. 499. “सभी को साि-सुथिे , औि व्यवक्स्थि कपडे पदहनना सीखना र्ादहए, पिं िु बाहिी
दिखावे से बर्ना र्ादहए जो पूिी ििह से पववत्र मंदिि में उधर्ि नहीं है । कपडों की दिखावा न हो; तयोंकक
यह अनािि की भावना जर्ािी है । िोर्ों का ध्यान अकसि कपडों के ककसी न ककसी महीन कािीर्िी पि
जािी िहिी है , औि इस ििह से ऐसे ववर्ाि हैं क्जनका पिमेश्वि के उपासकों के मन में कोई स्थान नहीं
होना र्ादहए। पिमेश्वि ही ववर्ािों का ववषय र्ादहए, उपासना का केंद्र हाना र्ादहए; औि कोई भी वस्िु जो
र्ंभीि, पववत्र उपासना से मन को भिकािी है , वह उसकी नजिों में पाप है । िीिे, िेस औि पंख, औि सोने
औि र्ाँिी के र्हने मूनिचपूजा के प्रजािी हैं औि पिमेश्वि की पववत्र सेवा कायच के पूिी ििह से अनुधर्ि है ,
जहाँ प्रत्येक आँख को केवि उसी की मदहमा में ध्यान िे ना है ...कोई भी अपनी वस्त्रों की र्मक-धमक से
पिमेश्वि के मंदिि की अनािि न किे ।”
6 िे स्िीमनीज, पृ. 355. “बहुिों को यह लसखाने की जरूिि है कक सब्बि के उपासना सभा में ककस ििह से
पेश ििह से पेश आना है । सप्िाह के बाकी दिनों की ििह िैयाि हो कि वे पिमेश्वि के समि नहीं आ
सकिे। सभी के पास सब्बि में पदहनने के लिए खास कपडे होने र्ादहए, क्जसे पिमेश्वि की उपासना में
पहना जा सके। जबकक हमें िैशन में अधधक ध्यान नहीं िे ना र्ादहए, किि भी हमें अपनी रूप को िेकि
सर्ेि िहना र्ादहए। हमें बबना साज-सज्जा के दह साि औि व्यवक्स्थि िहना है ।”
व्यवस्थाववविर् 22:5. “कोई स्त्री पुरूष का पदहिावा न पदहने, औि न कोई पुरूष स्त्री का पदहिावा पदहने;
तयोंकक ऐसे कामों के सब किनेवािे िेिे पिमेश्वि यहोवा की दृक्टि में घखृ र्ि हैं।”
1 िे स्िीमनीज, पृ. 460. “पिमेश्वि ने मदहिा औि पुरूष के कपडो के बीर् िकच िखने को कहा, औि इस
ववषय को काफ़ी महत्व िे कि उसने इसके ववषय में ववशेष दिशाननिे श दिये हैं; तयोंकक मदहिा औि पुरूष के
एक ही कपडे पदहनने से भ्रम उत्पन्न होर्ा क्जससे अपिाध बढ़े र्ा।”
9. व्यथा हदखावा न हो
सेवेंथ-डे एडवें दिस्ि र्र्च मैनूवि, 18वाँ प्रकाशन (2010), पृ. 140-141. “सािे कपडे पहनें, र्हने पदहनकि
दिखावे से पिहे ज किें , इसी से ववश्वास में बने िहें र्े।”—िे स्िीमनीज, वो. 3, प.ृ 366. पववत्रशास्त्र में साि
िौि से लसखाया र्या है कक र्हने पदहनना पिमेश्वि की इच्छा के ववरूध है । प्रेरिि पौिस
ु कहिा है “सह
ु ावने
वस्त्रों से अपने आप को संवािे ; न कक बाि र्ँथ
ू ने औि सोने औि मोनियों औि बहुमल्
ू य कपडों से” (1
िीमुधथयुस 2:9)। र्हने पदहनने से उसी पि ध्यान िहिा है न कक मसीही आत्मत्यार् में । ” जब याकुब औि
उसका परिवाि पिमेश्वि में िब
ु ािा खुि को समवपचि कििा है िो वे सािे र्हनों को भूलम में ििना िे िे हैं
(उत्पवत्त 35:1,2,4)। जब इस्राएिी प्रनििा ककये र्ए िे श में प्रवेश किने वािे थे, िब पिमेश्वि ने उन्हें र्हने
उिािे को कहा (ननर्चमन 33:5,6)।
10. स्वास््यवर्ाक
सिांश:
रिव्यु एंड हे िल्ड, जनविी 30, 1900. “मसीही को बाकी िोर्ों से अिर् दिखने के लिए मेहनि किने की
जरूिि नहीं है । पिं िु यदि अपने ववश्वास औि किचव्य के आधाि पि वे िैशन को उधर्ि औि स्वास्थ्यवधचक
नहीं पािे हैं िो उन्हें िनु नया को िोर्ों के ििह दिखने के लिए अपने वस्त्र नहीं बििने र्ादहए। पिं िु जो
सही हो उसके लिए उन्हें एक अच्छा आत्मननभचििा औि नैनिक दहम्मि दिखाना र्ादहए, भिे ही पूिी िनु नया
उनका वविोध किे । पिं िु यदि िनु नया में ऐसे वस्त्रों का िौि आए जो उधर्ि, आिामिायक, औि स्वास्थ्यवधचक
हो, औि पिमेश्वि से उनके संबंध को न बििे िो उन्हें अपनाने से न दहर्ककर्ाएँ। मसीदहयों को यीशु के
उिाहिर् का अनस
ु िर् किना र्ादहए, औि अपने वस्त्र पिमेश्वि के वर्न के अनस
ु ाि र्न
ु ें । उन्हें अनियों
पिहे ज किना र्ादहए। उन्हें िीनिा से सीधे िाह पि र्िना र्ादहए, र्ादहए उसकी प्रशंसा हो या न हो, औि
जो सही हो, उसकी भिाईयों के कािर्, उसी पि दृढ़ बने िहें । ”
सेवेंथ-डे एडवें दिस्ि र्र्च मैनूवि, 18वाँ प्रकाशन (2010), पृ. 140-141 “वस्त्र: सेवेंथ-डे एडवें दिस्िों के रूप में
हमें जर्ि के बाहि बुिाया र्या है । हमािे धमच का हमािी र्निववधधयों में प्रभाव दिखना र्ादहए। हमािे
आििों का आधाि लसध्िांि होने र्ादहए न कक जर्ि के उिाहिर्। िीनि औि िैशन बिि सकिे हैं पिं िु
व्यवहाि के लसध्िांि नहीं बिििे हैं। हमािे शुरूआिी इनिहास में एिेन व्हाईि ने लिखा कक मसीही वस्त्र का
मकसि ‘पिमेश्वि के िोर्ों को जर्ि के भ्रटि किने वािे प्रभाव से बर्ाए, औि साथ ही शािीरिक औि
नैनिक स्वास्थ्य को भी बढ़ावा िे ।’—िे स्िीमनीज, वो. 4, पृ. 643.....पिमेश्वि के िोर्ों को वस्त्रों के मामिे में
रूढ़ीवािी होना र्ादहए, औि ‘वस्त्र को ववर्ािों में भिने न िे ।’—इवें जलिज़्म, पृ. 273”
इकिलसयों 5:4. “औि न ननिचज्जिा, न मूढ़िा की बािर्ीि की, न ठट्िे की; तयोंकक ये बािें शोभा नहीं िे िीं,
विन ् धन्यवाि ही सन
ु ा जाए।”
आवि हाई कॉलिंर्, पृ. 292. “एक व्यजक्त का चरित्र उसके बातों से काफ़ी हद तक स्ीकता से पता चिता
है ।... जो हँसी ठट्िा कििे हैं औि सस्िे वािाचिाप में शालमि होिे हैं, वे खुि को ऐसे स्िि पि पहुँर्ा िे िे हैं
जहाँ से शैिान उनके पास आसानी से पहुँर् सकिा है ।... हँ सी ठट्िे सस्िे वर्च के िोर्ों को अच्छा िर्
सकिा है , किि भी इस प्रभाव आक्त्मकिा के लिए ववनाशकािी है । मैं िुम से एक वर्च औि एक व्यक्ति के
रूप में बोििी हूँ: अपने शब्िों पि ध्यान िो। संयम औि व्यवहारिकिा आपके बािों से झिके। भद्िे ठट्िों,
औि इस ििह से बािर्ीि की आिि बनाकि अपने मनों की शुध्िा औि भिाई से खखिवाड न किें ...
काश कक हमािे सािे युवा मूढ़ बािों की िटु ििा को समझिी, औि अथचहीन बािों को कहने की आिि को
सुधाििी। हि एक कोई जो इस पाप में पडा हो पश्र्ािाप किे , पिमेश्वि के समि अंर्ीकाि किे , औि इसे
खुि से ििू किे । उसके होठों से कोई बुिी बाि नहीं ननकिी था, कपि या झूठ का कोई शब्ि नहीं पाया र्या
था। एक िाख र्ौआिीस हजाि िोर्ों के बािे ववविर् दिया र्या है कक उनके माथे पि वपिा का नाम लिखा
था, उनके बािे लिखा था: ‘उनके मँह
ु से कभी झूठ न ननकिा था, वे ननिोष हैं।’ प्रकालशिवातय 14:5”
2 िीमुधथयुस 2:16. “पि अशुध्ि बकवाि से बर्ा िह, तयोंकक ऐसे िोर् औि भी अलभक्ति में बढ़िे जाएँर्े।”
रिव्यु एंड हे िल्ड, लसिंबि 11, 1888 पािा. 7. “झर्डे उत्पन्न किना शैिान के खास र्ािों में से है , िाकक
ऐसी बािें उठे जो ककसी िाभ के नहीं हैं। वह अच्छी ििह से जानिा है कक यह मन औि समय को बािबािी
किे र्ा। बहुिों के मन में यह िडाकूपन उत्पन्न कििा है , औि िोषलसक्ध्ि का आत्मा की प्यास बुझािा है ,
औि उन्हें ववलभन्न ववर्ािों वािे, िोषी ठहिाने वािे, औि पिपािी है , जो सत्य के लिए ििवाजा बंि कििा
है । पौिुस के दिनों में भी यह प्रभाव था, औि हम भी यही िे खिे हैं। ववश्वास में आए िोर्ों के
आत्मववश्वास को डर्मर्ािा है , औि जो सत्य को ठुकिाने का बहना ढूंढ़ िहे होिे हैं, उन्हें ििू कि िे िा।
प्रर्ाि अपनी शब्िों का क्जिना कम प्रयोर् किे र्ा, उिना ही साि पिमेश्वि का जीववि वर्न सन
ु ाई िे र्ा।
िम्
ु हािे शब्ि कम हो। पिमेश्वि को बािने िें । सािे झर्डों का ‘पिमेश्वि यों कहिा है ’ सि
ु झाए।”
फ़ेथ आई लिव बाए, पृ. 236. “यह कैसे हो सकिा है कक ख्रीस्ि के नाम का िावा किने वािे इिने अथचहीन
बािें किें र्े? जो असंयलमि रूप से बािें कििे हैं, उन्हें शैिान अपने जाि में िँसाने की कोलशश कििा िहिा
है ।... जब हम अथचहीन औि मख
ू ि
च ा भिी बािें कििे हैं, िो हम िस
ू िों को भी इसी ििह के बािें किने के
लिए प्रोत्सादहि कििे हैं।... हमािे मँह
ु से लसिच शुध्ि बािें ननकिनी र्ादहए। कोई नहीं बिा सकिा है कक
असंयलमि, अथचहीन, मूखचिापूर्च बािों से ककिना पाप सज
ृ िा है । आपके द्वािा कहे र्ए हि एक शब्ि बीज हैं
जो अंकुरिि होंर्े औि अच्छे या बुिे िि िें र्े।
व्यथच की बािें किने वािों की संधर्ि में िहने पि यह हमािा किचव्य बनिा है कक हम बािर्ीि का ववषय
बििने की कोलशश किें । पिमेश्वि की अनग्र
ु ह की मिि से ऐसी बािों के धीिे धीिे उठाएँ जो बािों को
िाभिायक िास्िे में िे आए।
पिमेश्वि र्ाहिा है कक हम खुशलमजाज िहें , पिन्िु व्यथच न हों। वह हम में से हि एक से कहिा है , ‘पि
जैसा िुम्हािा बुिानेवािा पववत्र है , वैसे ही िुम भी अपने सािे र्ाि-र्िन में पववत्र बनो।’ 1 पििस 1:5।
पिमेश्वि र्ािा है कक हम खुश िहें । वह हमािे मँह
ु में एक नया र्ीि डािना र्ाहिा है , िाकक पिमेश्वि की
मदहमा हो।...
हम स्वर्च, संिों की धिोहि, के यीशु के बािे बाि न किके बहुि कुछ खोिे हैं। हम स्वर्च की बािों के
बािे क्जिना अधधक सोर्ें र्े, उिना ही अधधक नई मनमोहक र्ीजों को िे खेंर्े, औि हमािे मन हमािे
पिोपकािी सक्ृ टिकत्ताच को धन्यावाि िे ने के लिए उमडेर्ा।" (युथ इन्स्रकिि, जून 27, 1895 पािा. 2)
दोष ढूाँढ़ना
रिव्यु एंड हे िल्ड, नवंबि 24, 1904. “मुझे िोष ढूँढ़ने औि िटु ि बािें किने औि र्ुर्िी किने के खखिाि
ववषेश ननिे श दिये र्ए हैं।...वह बहुमूल्य वक्त जजसमें मसीह के बचाने वािी शजक्त के ववषय उध्दाि की
बातें की जा सकती थीं, उनका बुिी बातों की चचाा में दरू
ु पयोग ककया जाता है । जब िक वे पूिी ििह से
बिि नहीं जािे, उनमें कमी पायी जाएर्ी। जब तक की उनके चरित्र पूिी तिह से बदि नहीं जाते, वे स्वगा
में प्रवेश नहीं पाएाँगे। जो खुि को पिमेश्वि के बच्र्े कहिे हैं उनके हृियों में र्हिे काम ककये जाने की है ।
जब िक की वे उस ववश्वास को जादहि नहीं किें र्े जो प्रेम के द्वािा काम कििा है , औि आत्मा को शुध्ि
कििा है , िब िक जर्ि में सच्र्ा काम बहुि कम ही हो पाएर्ा।
हमािे िोर् दिये र्ए काम की क्जम्मेिािी िे,-- िोर्ों को बर्ाने का काम। उन्हें यह नहीं सोर्ना र्ादहए
कक उनके ऊपि िोर्ों को िे खने औि उनके कामों की आिोर्ना का भाि दिया र्या है । जो अपने पूिी िमिा
पिमेश्वि के काम में िर्ा िे िे हैं उनके पास सहकलमचयों के कोलशशों की आिोर्ना किने का वति नहीं
िहे र्ा, औि न हीं उन होथों को कमजोि किने के वति होर्ा जो काम को बढ़ाने के लिए हि एक नस औि
माँसपेशी का प्रयोर् कि िहे हैं।
पिमेश्वि इस ििह के सािे कामों से नफ़िि कििा है । वह उन सब से जवाब मााँगेगा जो ऐसा किते हैं।
वे जो पिमेश्वि का भय मानिे हैं औि उसके वर्न पि ववश्वास कििे हैं अपने होठों को ननयंबत्रि िखें। वे
ननश्चय किे कक वे ऐसे शब्द कभी न बोिे जो पिमेश्वि के काम को चो् पहुाँचाता है , या उसके संस्थानों में
हो िहे काम का र्िि रूप दिखाए। उन्हें ऐसे शब्िों के प्रयोर् के इस्िेमाि नहीं किने किने के लिए
सावधान िहना र्ादहए जो िस
ू िों के लिए परििा बन सकिे हैं िाकक ऐसे शब्िों का ववश्वास बना िहे क्जन्हें
उनको दिया जाना है जो बहुि थके हुए हैं, औि जो, शायि बहुि सुबह से िे ि िाि िक, िब िक काम कििे
हैं जब िक की उन्हें ऐसा नहीं िर्िा है कक थकान के कािर् उनके शिीि औि दिमार् साथ छोड िें र्े, िाकक
वे अपने अनेक क्जम्मेिारियों को पूिा किने के लिए कििे हैं।
शंका औि अववश्वास के शब्ि काँिे की ििह हैं जो हवा से उड कि इिने ििू ििू िक िैि जािे हैं कक वे
कभी याि नहीं आिे हैं। मण्डिी के हि दस में नौ पिे शानी ऐसे भाषणों के कािण होते हैं जो मसीह के
वचनों के जैसे नहीं हैं। शैिान के कायचकिाच मसीदहयों को अनुधर्ि ििीके से बािें किाने के लिए मेहनि कि
िहें हैं। जब वे सिि होिे हैं, शैिान आनक्न्िि होिा है , तयोंकक पिमे श्वि के िोर्ों ने अपना प्रभाव कि
दिया। इस र्ंभीि घडी में हमािे पास एक िस
ू िे से मनमुिाव के लिए वति नहीं है । जो बुिे ववर्ािों औि बािें
किने में व्यस्ि िहिे हैं, वे नहीं जानिे हैं कक वे िस
ू िों का ककिना वति बबाचि कि िहे हैं। पिमेश्वि के
सेवकों को भाई औि भाई के बीर् के झर्डो को सि
ु झाने के लिए बि
ु ाया र्या है , औि वति को िोर्ों के
ववनाश के लिए इस्िेमाि ककया र्या है , -- क्जस समय में सस
ु मार्ाि का प्रर्ाि ककया जाना र्ादहए था।”
अनिरिति अध्ययन: रिव्यु एंड हे िल्ड, नवंबि 24, 1904, “ए प्रीपिे शन फ़ाि ि कलमंर् ऑफ़ ि िॉडच,” वोईस इन
स्पीर् एंड सोंर् अध्याय 1 से 3
अध्याय 4 – ऊँची पक
ु ार ................................................................................................... 484
मत्ती 24:36. “उस दिन और उस घडी के विषय में कोई नह ीं जानता, न स्िर्ग के ित
ू और न पुत्र, परन्तु
केिल वपता।”
1 थिस्सलुनीककयों 5:4-6. “पर हे भाईयो, तुम तो अन्धकार में नह ीं हो कक िह दिन तुम पर चोर के समान
आ पडे। (5) क्योंकक तुम सब ज्योतत की सन्तान और दिन की सन्तान हो, हम न रात के हैं, न अन्धकार
के हैं। (6) इसललए हम िस
ू रों के समान सोते न रहें , पर जार्ते और सािधान रहें ।”
ग्रेट कन्रोिसी, पृ. 360. “क्या हमारे प्रभु ने कहा कक िह दिन और पहर कभी नह ीं जाना जाएर्ा? क्या
उसने हमें समय के थचन्ह नह ीं दिये, ताकक हम कम जान सके कक उसके आने का दिन नज़ि क है , जैसे की
हम अींजीर के नए पत्ते िे ख कर जानते हैं र्मी का मौसम आने को है ? मत्ती 24:32। क्या में काल के बारे
कभी नह ीं जानना है , जबकक उसने हमें िातनय्येल की पुस्तक को न लसर्ग पढ़ने को कहा है बल्कक समझने
को भी कहा है ? और उसी िातनय्येल में , जहााँ ललखा है कक ये शब्ि अींत तक बींि रहें र्े (जो कक उसके समय
के ललए िा), और यह कक ‘लोर् िौड भार् करें र्े’ (एक इब्री कहाित है ल्जसका अिग है समय पर र्ौर करना
और उस पर विचार करना), ‘और ज्ञान बढ़ जाएर्ी’ (समय के बारे )। िातनय्येल 12:4। इसके साि ह , प्रभु
के अिग यह नह ीं िा कक उसे आने के समय का पता नह ीं चलेर्ा, बल्कक यह कक उसके आर्मन की ततथि
और घडी को कोई नह ीं जानता है । िह हमें कहता है कक समय के थचन्ह दिखाए जाएाँर्े, ताकक हम उसके
आर्मन की तैयार कर सके जैसा कक नूह ने नाि तैयार ककया िा।”
ग्रेट कन्रोिसी, पृ. 356. “परीं तु 1798 के बाि पुस्तक से मुहर हटा ि र्ई है , भविष्यिाणियों का ज्ञान बढ़
र्या है , और बहुतों ने उसके शीघ्र आर्मन के र्ींभीर सींिेश का प्रचार ककया है ।”
रोलमयों 13:11. “समय को पदहचान कर ऐसा ह करो, इसललए कक अब तुम्हारे ललए नीींि से जार् उठने की
घडी आ पहुाँची है ; क्योंकक ल्जस समय हम ने विश्िास ककया िा, उस समय के विचार से अब हमारा उध्िार
तनकट है ।”
1 इततहास 12:32. “इस्साकाररयों में से जो समय को पहचानते िे कक इस्राएल को क्या करना उथचत है ...”
क्या 1844 के बाद के ललए कोई समय संबंचित भववष्ट्यवाणी है ?— प्रकालशतिाक्य 10:2,6
हमें उन चीजों का अध्ययन करना है न्जन्हें परमेश्वर ने हमें ददया है और अटकलों पर ध्यान नहीं दे ना है
व्यिस्िावििरि 29:29. “र्ुप्त बातें हमारे परमेश्िर यहोिा के िश में हैं; परन्तु जो प्रर्ट की र्ईं हैं िे
सिा के ललए हमारे और हमारे िींश के िश में रहें र्ी, इसललए कक इस व्यिस्िा की सब बातें पूर की
जाएाँ।”
प्रेररतों 1:7. “उस ने उन से कहा, उन समयों या कालों को जनना, ल्जन को वपता ने अपने ह
अथधकार में रखा है , तम्
ु हारा काम नह ीं।”
डब्लू. डी. फ़्राज़ी. “अटकलों के ललए भविष्य से बेहतर कोई खेत नह ीं है । ”
शरू
ु आती चेलों से सबक
ग्रेट कन्रोिसी, पृ. 594. “अपने क्रूस से पहले मसीह ने अपने चेलों को बताया कक उसे मारा जाएर्ा और
िह तीसरे दिन कब्र से जी उठे र्ा, और स्िर्गित
ू हृियों और मनों में इस बात को समझाने के ललए मौजूि
िे। परन्तु चेले रोमी शासन के बोझ से छुटकारे की आशा रखते िे, और िे इस विचार को ग्रहि नह ीं कर
पा रहे िे कक ल्जनपर उनकी सार उम्मीि दटकी िी, िह इस प्रकार प्रताडडत ककया जाएर्ा और मारा
जाएर्ा। ल्जन शब्िों को उन्हें याि रखना चादहए िा, िे उनके दिमार् से तनकल र्ए; और जब पररक्षा की
घडी आयी, िे तैयार नह ीं पाए र्ए। यीशु की मत्ृ यु ने उनके उम्मीिों को खत्म कर दिया जैसे की उसने उन्हें
चेतािनी नह ीं दिया हो। चेलों के ललए ख्रीस्त के शब्िों की ह तरह भविष्यिािी में हमारे समाने भविष्य की
बातें खोल र्ईं हैं। िया के िरिाज़े के बींि होने, और अींततम दिनों की सताहट के ललए तैयार से सींबींथधत
घटनाए सार्-सार् दिये र्ए हैं। परीं तु इन के बारे लोर्ों की समझ उतनी ह है ल्जनता कक इनके नह ीं बताए
जाने पर होती।”
परमेश्वर के लोर्ों को क्या सहना पडा? अजर्र, पशु और उसकी मूततग से महान सींघषग: प्रकालशतिाक्य
12:17; 13
परमेश्िर के लोर्ों के विकास के विरुध्ि शैतान अपनी सार ताकत लर्ा िे ता है । यह जर्त में महान
अल्न्तम सींघषग है । तीन परतों के इस सींिेश में चेतािनी की अल्न्तम सींिेश है जो लोर्ों को यह तनश्चय
करने में मिि करे र्ी कक परमेश्िर के दिन में कौन दटका रहे र्ा: प्रकालशतिाक्य 14:14,15
अली राईदटींग्स, पृ. 256. “ये सींिेश मुझे परमेश्िर के लोर्ों के ललए लींर्र के रूप में दिखाए र्ए। जो इन्हें
समझेंर्े और ग्रहि करें र्े िे शैतान के चालों में खोने से बचा ललए जाएाँर्े। ”
पहले स्वर्गदत
ू का संदेश
न्याय की पुकार, िातनय्येल 8:14, अकटूबर 22, 1844 में शुरू हुआ।
1830 में विललयम लमलर से यू.एस. में और ितु नया के िजगनभर लोर् िातनय्येल 8:14 के 2300 िषग के
भविष्यिािी का अध्ययन कर रहे िे और सभी इस पररिाम पर पहुाँचे कक यीशु 1844 के आस पास
लौटे र्ा। उन्होंने यीशु के िस
ू रे आर्मन से सींबींथधत कई और भविष्यिाणियों को भी पूरा होते िे खा।
विललयम लमलर के प्रचार के पररिामस्िरूप, सारे कल लसयाओीं के प्रचारकर लमलकर यीशु के जकि आर्मन
के चेतािनी का प्रचार करने लर्े। यह सींिेश 1844 के जेठ में अींकुररत हुआ और यह एक शहर से िस
ू रे
शहर और एक प्रााँत से प्रााँत में र्ैलने लर्ा। हज़ारो पररिततगत हुए, और कर ब एक सौ हज़ार लोर्ों को पूिग
विश्िास िा कक यीशु का आर्मन अकटूबर 22, 1844 को होर्ा। उनका विचार िा कक िातनय्येल 8:14 में
प्रथम स्वर्गदत
ू के संदेश का मकसद
दस
ू रे स्वर्गदत
ू का संदेश
‘बेबीलोन’- यूनानी में बाबुलो- अिग: भ्रम; मूलतः बेबीलोन के लमनार से ललया हुआ (उत्पवत्त 11:9)
प्रकालशतिाक्य 17 में बाबुल को िेश्या कहा र्या है ।
भविष्यिािी में स्त्री का अिग कल लसया है - तयमगयाह 6:2 2 कुररल्न्ियों 11:2 इकर्लसयों 5:23,32
शुध्ि स्त्री= शुध्ि कल लसया; िेश्या स्त्री= मतू तपज
ू क कल लसया
प्रकालशतिाक्य 17 की िेश्या स्त्री (बेबीलोन), जो “पवित्र लोर्ों के लहू से मतिाल ” है , रोमन
कैिोललक कल लसया का स्पष्ट प्रतीक है ।
उसे िेश्याओीं की माता कहा र्या है , इसललए उसकी बेदटयााँ िे कल लसयाएाँ हैं जो उसके लसध्िाींतों
पर चलते हैं।
प्रकालशतिाक्य 14:8 में बेबीलोन का थर्रना उन कल लसयाओीं को िशागता है जो कभी शुध्ि िे और
अब भ्रष्ट हो र्ए हैं।
प्रकालशतिाक्य 18:1-4 के अनस
ु ार परमेश्िर के लोर् अब भी बेबीलोन में होंर्े।
ग्रेट कन्रोिसी, पृ. 384. “इस महान धमगपतन का उद्र्म क्या िा? कल लसया कैसे पहल बार सुसमाचार
की सािर्ी से पि
ृ क हो र्ई? यह मूततगपूजकों की र ततविथधयों के पालन करने के द्िारा और अन्यजाततयों
को मसीह धमग में ग्रहि करने के ललए लसध्िाींतों को सर्
ु म बनाने से हुआ। क्योंकक अपने दिन में भी प्रेररत
पौलुस ने कहा, “क्योंकक अधमग का भेि अब भी कायग करता जाता है ””
ग्रेट कन्रोिसी, पृ. 376. “इस प्रकार विश्िालसयों ने खुि को बड पररक्षा और परे शानी में पाया। िे अपनी
कल लसयाओीं से प्रेम करते िे और िे उनसे अलर् नह ीं होता चाहते िे; परन्तु जैसे उन्होंने परमेश्िर के िचन
की र्िाह को िबाए जाते िे खा और भविष्यिािी की छानबीन के अथधकार से उन्हें िींतछत करता दिया र्या
उन्होंने अनुभि ककया कक परमेश्िर के प्रतत िफािार उन्हें हार मानने से रोक रह है । जो परमेश्िर के िचन
की र्िाह को बींि कर रहे िे, उन्हें िे मसीह के कल लसया के खम्भे और सत्य के ललए भूलम के रूप में नह ीं
िे ख सकते िे। इसललए उन्होंने पूिग सींबींध से अलर् होना सह समझा। 1844 के र्रमी में कर ब पचास
हज़ार लोर् इन कल लसयाओीं से बाहर तनकल र्ए।”
ग्रेट कन्रोिसी, पृ. 403. “प्रततक्षा का समय आकर बीत र्या, परीं तु उनका उध्िारकत्ताग नह ीं आया। बहुत बडी
आशा और विश्िास से िे उसके आने की प्रततक्षा कर रहे िे। परन्तु जब िह नह ीं आया, तो िे िैसे ह िख
ु ी
हुए जैसे मररयम हुई जब उसने यीशु के कब्र पर जाकर उसे खाल पाया, और िह रोते िह कहने लर्ी,
“हाय! प्रभु को लोर् कहााँ ले र्ए, मैं नह ीं जानती हूाँ।” युहन्ना 20:13...
...एक िर्ग के लोर्ों ने बडी सींख्या में विश्िास त्यार् दिया, जो यह कहते िे कक िे प्रभु के जकि
आर्मन पर विश्िास करते हैं। बहुत सारे लोर् ल्जनका विश्िास बहुत बडा िा, उनके र्िग को इतना बडा
चोट लर्ा कक उनका जी करता िा कक िे जर्त से भार् जाएाँ। योना के तरह ह िे परमेश्िर का लशकायत
करने लर्े, और जीिन के बजाय उन्होंने मत्ृ यु को चन
ु ा। जो लोर् अपना विश्िास िस
ू रों के विचारों पर
दटकाए हुए िे, िे एक कर्र अपना विचार बिलने को तैयार िे। मज़ाक उडाने िाले लोर्ों ने कमज़ोर और
डरपोक लोर्ों को जीत ललया, और ये सभी लमलकर कहने लर्े कक अब उन्हें न डरने और न प्रततक्षा करने
की ज़रूरत है । समय बीत चुका है और प्रभु नह ीं आया है , जर्त शायि हज़ारों िषों तक ऐसा ह रहे र्ा।”
ग्रेट कन्रोिसी, पृ. 406, 407. “यह सच है कक प्रततक्षा की र्ई घटना नह ीं हुई, परन्तु यह परमेश्िर के
िचन पर से उनका विश्िास को नह ीं दहला पाया।... परमेश्िर ने अपने लोर्ों को नह ीं त्यार्ा िा; उसकी
आत्मा अब भी उनके पास िी ल्जन्होंने प्राप्त रोशनी पर विचार ककये बबना उसे नह ीं ठुकराया िा, और
एडिें ट मूिमें ट (आर्मन का आींिोलन) को त्यार्ा नह ीं िा।”
ग्रेट कन्रोिसी, पृ. 410. “परन्तु परमेश्िर ने महान एडिें ट मूिमें ट में अपने लोर्ों की अर्ुिाई की िी;
उसकी सामिग और मदहमा ने काम में मिि ककया िा, और िह इसे अन्धेरे और तनराशा में समाप्त होने की
अनम
ु ती नह ीं िे ता ताकक इसे झठ
ू े और चरमपींिी उत्साह के रूप में नह ीं िे खा जाए। िह अपने िचन को
शींका और अतनल्श्चतता के घेरे में नह ीं छोड सकता िा।... जैसे की उन्हें भविष्यिािी के समय-अिधी को
समझने में कोई र्लती नह ीं लमल इसललए िे मींदिर के विषय पर अथधक अध्ययन करने लर्े। ”
न्जन्होंने परमेश्वर के वचन को खुले ददल से जाँचा, उन्होंने से मंददर के साफ ककये जाने का सही अथग को
समझा।
ग्रेट कन्रोिसी, पृ. 370. “यह सिाल, मींदिर क्या है ? का जिाब पवित्र शास्त्र में स्पष्ट रूप से दिया र्या है ।
“मींदिर” शब्ि को प्रयोर् बाइबल में िो चीजों के ललए ककया र्या है , पहला, मस
ू ा का लमलाप िाला तम्ब,ू जो
स्िर्ग के चीजों का रूप िा, और िस
ू रा, स्िर्ग के “सच्चे मींदिर” के ललए ल्जसकी ओर जर्त की मींदिर इशारा
करती िी। ख्रीस्त के मत्ृ यु पर जर्त के मींदिर का सेिा कायग समाप्त हो र्या। स्िर्ग का “सच्चा मींदिर” नयी
िाचा है । चाँूकक िातनय्येल 8:14 का भविष्यिािी यहााँ पूरा होता है , इसललए ल्जस मींदिर की िह बात करता
है , िह मींदिर नए िाचा का ह होर्ा।”
अली राईदटींग्स, पृ. 235. “मैंने परमेश्िर के लोर्ों को आनन्िमयी इींतजार में िे खा, िे प्रभु के इींतज़ार में िे।
परीं तु परमेश्िर की योजना उन्हें तराशने की िी। उसने भविष्यिािी के समय के अिग तनकलने में हुई र्लती
को अपने हाि से ढका। जो लोर् अपने प्रभु के इन्तज़ार में िे उन्होंने इस र्लती को नह ीं िे खा, और जो
लोर् इसके विरोध में िे उनमें से सबसे विद्िान परू
ु ष भी इसे िे खने में विर्ल रहे । परमेश्िर की योजना िी
कक उसके लोर् तनराशा का स्िाि चखे। समय बीत र्या और जो लोर् उध्िारकत्ताग के आने का बेसब्री से
इन्तज़ार कर रहे िे िे िख
ु ी और तनराश िे, जबकक जो यह नह ीं चाहते िे कक यीशु आए, परीं तु डर से इस
सींिेश को ग्रहि ककये िे, िे खुश हो र्ई कक िह उस समय नह ीं आया। उनके अींर्ीकार ने उनके हृियों और
जीिन को शुध्ि नह ीं ककया िा। समय का बीतना उनके हृिय की बातों को जादहर करने के ललए िा। िे उन
लोर्ों का मज़ाक बनाने में पहले िे जो सच्चे दिल से उध्िारकत्ताग के आर्मन के इन्तज़ार में िे और अब
तनराश िे। मैंने लोर्ों को जााँचने में परमेश्िर की बल्ु ध्ि को िे खा कक कौन कौन पररक्षा की घडी में पीछे हट
जाएाँर्े।”
प्रकालशतिाक्य 10:9,10.— इस महान तनराशा की भविष्यिािी युहन्ना के प्रकालशतिाक्य के 10िें अध्याय में
की र्ई िा।
तीसरे स्वर्गदत
ू का संदेश
ग्रेट कन्रोिसी, पृ. 370. “मींदिर का विषय 1844 के तनराशा के रहस्य का चाभी िा। इससे सत्य का सींपूिग
प्रिाल दिखने लर्ा, जो एक िस
ू रे से जुडे हैं, और इससे यह दिखा कक महान एडिें ट मूिमें ट और ितगमान
कतगव्य को प्रस्तत
ू करने के पीछे परमेश्िर का हाि िा और उसने परमेशिर के लोर्ों को काम करने की
ज्यातत ि ।”
ग्रेट कन्रोिसी, पृ. 370. “परन्तु लोर् अपने प्रभु से लमलने के ललए अभी तैयार नह ीं िे। अभी भी तैयार का
काम बाकी िा। ज्योतत ि र्ई िी, जो उनके विचारों को स्िर्ग में परमेश्िर के मींदिर की ओर ले जा रहा
िा; और जैसे ह िे विश्िास से अपने महायाजक की सेिकाई में उसके पीछ जाते, नए कतगव्य दिखाए जाते।
कल लसया को चेतािनी और तनिे श का िस
ू रा सींिेश दिया जाना िा।”
पहले और िस
ू रे स्िर्गित
ू के सींिेश महापवित्रस्िान में ख्रीस्त के काम, उसके न्याय के काम, मींदिर के शुध्ि
करने (िातनय्येल 8:14) और उसके लोर्ों के पापों को शुध्ि करने की ओर इशारा करते हैं।
मलाकी 3:1. “िे खो, मैं अपने ित
ू को भेजता हूाँ, और िह मार्ग को मेरे आर्े सुधारे र्ा, और प्रभु ल्जसे तुम
ढूाँढ़ते हो, िह अचानक अपने मींदिर में आ जाएर्ा; हााँ, िाचा का िह ित
ू ल्जसे तम
ु चाहते हो, सन
ु ो, िह
आता है , सेनाओीं के यहोिा का यह िचन है ।”
ग्रेट कन्रोिसी, पृ. 433. “जो कोई विश्िास से अपने महान महायाजक के पीछे र्ए जैसे की िह अपनी
सेिकाई में महापवित्र स्िान में र्या, उन्होंने िाचा के सींिक
ू को िे खा। जैसे की उन्होंने मींदिर के विषय में
अध्ययन ककया िा, िे उध्िारकत्ताग के सेिकाई में बिलाि को समझ र्ए िे, और उन्होंने िे खा की िह अब
परमेश्िर के सींिक
ू के समक्ष काम कर रहा िा, पावपयों के एिज में अपनी लहू की िह
ु ाई िे रहा िा।”
ग्रेट कन्रोिसी, पृ. 436. “ताकक मनष्ु य न्याय में ल्स्िर पाए जाने के ललए तैयार हो पाए, यह सींिेश उन्हें
आज्ञा िे ता है कक िे “पमरे श्िर से डरो, और उसकी मदहमा करो,” “और उसका भजन करो, ल्जसने स्िर्ग और
पथ्
ृ िी और समुद्र के सोते बनाए।”
सभोपिे शक 12:13. “सब कुछ सुना र्या; अन्त की बात यह है कक परमेश्िर का भय मान और उसकी
आज्ञाओीं का पालन कर; क्योंकक मनष्ु य का सम्पि
ू ग कतगव्य यह है ।”
ग्रेट कन्रोिसी, पृ. 370. “न्याय के ललए तैयार होने के ललए यह ज़रूर है कक मनष्ु य परमेश्िर की आज्ञा का
पालन करे । न्याय में चररत्र का मानक व्यिस्िा रहे र्ा। प्रेररत पौलुस कहता है : “और ल्जन्होंने व्यिस्िा
पाकर पाप ककया, उनका िण्ड व्यिस्िा के अनुसार होर्ा,...ल्जस दिन परमेश्िर मेरे सुसमाचार के अनुसार
यीशु मसीह के द्िारा मनुष्यों की र्ुप्त बातों का न्याय करे र्ा।” और िह कहता है “व्यिस्िा पर चलने िाले
धमी ठहराए जाएाँर्े।” रोलमयों 2:12-16। परमेश्िर की आज्ञा का पालन करने के ललए विश्िास ज़रूर है ।
क्योंकक “और विश्िास बबना उसे प्रसन्न करना अनहोना है ” और “और जो कुछ विश्िास से नह ीं, िह पाप
है ।” इब्रतनयों 11:6; रोलमयों 14:23”
1 कुररल्न्ियों 6:19,20. “क्या तुम नह ीं जानते कक तुम्हार िे ह पवित्र आत्मा का मींदिर है , जो तुम में बसा
हुआ, और तुम्हें परमेश्िर की ओर से लमला है ; और तुम अपने नह ीं हो? क्योंकक िाम िे कर मोल ललए र्ए
हो, इसललए अपनी िे ह के द्िारा परमेश्िर का मदहमा करो।”
सरांश: हम परमेश्िर की मदहमा उसके आत्मा में भार्ीिार और विश्िास से उसकी आज्ञाओीं का पालन करके
जर्त के ललए उसके प्रेम को प्रततबबींबबत करने के द्िारा करते हैं।
प्रकालशतिाक्य 14:7. “और उसका भजन करो, ल्जसने स्िर्ग और पथ्ृ िी और समुद्र के सोते बनाए” यह
िाक्याींश िस आज्ञाओीं में से चौिे आज्ञा (तनर्गमन 20:8-11) का दहस्सा है जो सब्बत के विषय है ।
ग्रेट कन्रोिसी, पृ. 436. “परमेश्िर की उपासना करने का कतगव्य इस तथ्य पर आधाररत है कक िह
सल्ृ ष्टकत्ताग है उसी के कारि सारे जीि जीवित हैं।”
सब्बत उपासना का खास दिन है और यह परमेश्िर के लोर्ों का थचन्ह है : तनर्गमन 31:13-17; येजकेल
20:12,20
तीसरे स्वर्गदत
ू का संदेश कृत्रिम उपासना के ववरुध्द चेतावनी दे ता है - प्रकालशतिाक्य 14:9-11
सरांश: परमेश्िर का भय मानने िालों, उसकी उपासना करने और आज्ञाओीं को मानने िालों के विपक्ष में िे
हैं जो पशु और उसकी मूततग की उपासना करते हैं और पशु के छाप को ग्रहि करते हैं। जो इस छाप को
ग्रहि करते हैं िे परमेश्िर के क्रोध को प्राप्त करें र्े, जो कक अींततम सात महामाररयााँ हैं।
तीन स्वर्गदत
ू ों का संदेश- एक ठोस मंच
अली राईदटींग्स, पृ 258. “मैंने एक झुण्ड िे खा जो सतकग और दृढ़ िे, िे ककसी को भी िे ह के स्िावपत
विश्िासों को बबखेरने नह ीं िे रहे िे। परमेश्िर ने उन्हें प्रशींसा की दृल्ष्ट से िे खा। मुझे तीन सीदढ़यााँ दिखीीं—
पहले, िस
ू रे और तीसरे स्िर्गित
ू के सींिेश। मेरे साि रहने िाले स्िर्गित
ू ने कहा, “उसको हाय जो इन सींिेशों
का एक भी ईंट को हटाए या अल्स्िर करे । इन सींिेशों की सच्ची समझ बहुत महत्िपूिग है । आत्मा की
मींल्जल इसी बात पर तनभगर करती है कक इन सींिेशों को कैसे प्राप्त ककया जाता है । ”
समद्र
ु से तनकलता है
o समद्र
ु लोर्ों, भीड और िे शों और जाततयों का प्रतीक है । प्रकालशतिाक्य 17:15।
o िातनय्येल 7:2,3 से तुलना करें । “समुद्र पर हलचल मचाती स्िर्ग की चार हिाएाँ जीत और
क्रााँतत के भयींकर दृष्यों के प्रतीक है ल्जससे राज्यों ने ताकत पाया है । ” (महान वििाि, प.ृ
439)
43 मह नों, 1260 दिनों या 3 ½ िषों तक उसकी शल्क्त िी (पशु और यीशु के बीच के समानताओीं
को िे खें)
माँह
ु परमेश्िर के विरूध्ि बडी पाखण्डी बातें करता है
सींतों के साि युध्ि ककया
उसे एक घातक चोट लर्ी जो चींर्ा हो र्या
पूर पथ्
ृ िी पशु के पीछे अचम्भी करती है
सरांश: पहले पशु के र्ुि इस शल्क्त को िातनय्येल 7 के छोटे सीींर् से जोडते हैं, यानी रोमन कैिोललक
कल लसया।
दस
ू रा पश-ु प्रकालशतिाक्य 13:11-14
सरांश: 1798 के आस-पास कौन सा िे श उदित हुआ, और दहींसात्मक विजयों से नह ीं बल्कक शााँतत से, पौधे
के समान विकलसत हुआ, िह भी तल
ु नात्मक रूप से बबना जनसींख्या िाले पथ्
ृ िी के “नए” क्षेत्र में , जो एक
स्िाधीन सरकार के पक्ष में है , बबना राजा के, जो आज़ाि , बराबर , और न्याय के मसीह लसध्िाींतों को
अपनाना और प्रततबबींबबत करना चाहता है , और जो अींत में िैल्श्िक ताकत हालसल करता है ? यह िस
ू रा पशु
सींयुक्त राष्र अमेररका के अलािा और कोई नह ीं हो सकता है ।
मारानािा, पृ. 131. “एक बडी मुसीबत परमेश्िर के लोर्ों का इन्तज़ार कर रह है । मूसीबत जर्त का
इन्तज़ार कर रह है । सार पीदढ़यों का सबसे बडा सींघषग हमारे ठीक सामने है ।... रवववार उपासना का कानून
5 टे स्ट मनीज़, पृ. 451. “लोकवप्रयता और सहायता पाने के ललए कानून बनाने िाल रवििार कानून के मााँर्
के आर्े झुक जाएाँर्े। जो लोर् परमेश्िर का भय मानते हैं, िे ऐसे ककसी भी सींस्िान को ग्रहि नह ीं करें र्े
जो िस आज्ञाओीं का उकलींघन करें र्े। युध्ि के इस मैिान में सत्य और र्लती के सींग्राम का अींततम सींघषग
होर्ा। और हमें इस विषय में शींका में नह ीं छोड दिया र्या है । मोरिकाई के समय के ह तरह परमेश्िर
अपने लोर्ों और अपने सत्य को बचाएर्ा। पेपेसी (पोप के अथधकार) को परमेश्िर की आज्ञा के विरुध्ि
स्िान िे कर हमारा िे श खुि को धालमगकता से पूर तरह से अलर् कर िे र्ा।... ल्जस तरह से रोमी
सैतनकों का आर्मन चेलों के ललए यरूशलेम के विनाश का सींकेत िा, उसी तरह यह अपोस्टे सी इस बात का
सींकेत हो कक परमेश्िर के सहनशल्क्त की सीमा पहुाँच चुकी है , और यह कक हमारे िे श के पाप का प्याला
भर चुका है , और िया का स्िर्गित
ू जाने को तैयार है , कक िह िब
ु ारा न लौटे ।”
“राष्र य अपोस्टे सी के बाि राष्र य विनाश आएर्ा।”- 7 बाइबल कम्में र , पृ. 977 (1888)
“राष्र य अपोस्टे सी राष्र य विनाश की तनशानी है ”- 2 सेलेक्टे ड मेसेजेस, पृ. 373 (1891)
“इस राष्र य अपोस्टे सी के तुरींत बाि राष्र य विनाश आएर्ा”- ररव्यु एींड हे रकड, जून 15, 1897
“इस राष्र य अपोस्टे सी का पररिाम केिल राष्र य विनाश ह होर्ा”- इिें जललज़्म, पृ. 235 (1899)
2. शैतान के आश्चयग कमग। (प्रकालशतिाक्य 13:13,14)
5 टे स्ट मनीज़, पृ. 451. “जब प्रोटे स्टें ट और रोमन कैिोललक ताकत एकजुट हो जाएाँर्े, जब प्रोटे स्टें ट प्रेतिाि
से लमल जाएर्ी, जब, इन तीनों की लमल हुई शल्क्त के प्रभाि में हमारा िे श प्रोटे स्टें ट और र्ितींत्र सरकार
के अपने सींविधान के लसध्िाींतों को बिल िे र्ा, और पेपल झठ
ू और कुररततयों के प्रचार के ललए रास्ता
बनाएर्ा, तब हम जान जाएाँर्े कक शैतान के आश्चयगकमों का समय आ चुका और अींत तनकट है ।”
लास्ट डे इिें ट्स, पृ. 136. “िष्ु टों ने... ऐलान ककया कक उनके पास सत्य है , कक उनके बीच चम्तकार हैं,
और यह ऐलान ककया कक स्िर्ग के ित
ू उनसे बातें करते हैं और उनके साि चलते हैं, और उनके बीच बडी
ताकत और थचन्ह और आश्चयगकमग हुए, और यह िह क्षिभींर्ुर सि है ल्जसके िे इतने लींबे समय से
इन्तज़ार कर रहे िे। परू जर्त पररिततगत हो चुकी िी और िह भी रवििार कानन
ू के ललए।”
स्टोर ऑफ ररडेम्पशन, पृ. 381,382. “पशु की मूततग अन्य धमों का प्रतीक है ल्जनके पास समान ताकत है ।
इस मूततग को उत्पन्न करने का काम उस पशु का है जो शााँततपूिग रूप से उदित होता है और मीठी बातें
करता है इसललए िह अमेररका का प्रतीक है । यहााँ पेपेसी का मूततग पाया जाता है । हमारे िे श के कल लसयाएाँ
विश्िास की ऐसी बबन्ि ु में एकजुट होकर िे श को ऐसे कानून पाररत करने के ललए प्रभावित करें र्ी और
अपने सींस्िानों को बचाएाँर्ी, तब प्रोटे स्टें ट अमेररका रोमी शासन का मतू तग बन जाएर्ा। तब सच्चे कल लसया
को प्रताडडत ककया जाएर्ा, जैसे की परमेश्िर के प्राचीन लोर्ों के साि ककया र्या िा।”
5 टे स्ट मनीज़, पृ. 464. “िह समय िरू नह ीं जब हमें भी पहले चेलों की तरह सन
ु सान और एकाींत जर्हों
में शरि लेना पडेर्ा। जैसे की रोमी सैतनकों के द्िारा यरूशलेम को कब्जे में लेना यिह
ू मसीदहयों के ललए
भार्ने का सींकेत िा, िैसे ह हमारे ललए भी पेपल सब्बत सींबींधी कानून के लार्ू होना हमारे ललए चेतािनी
होर्ा। तब यह हमारे ललए बडे शहरों को छोडने का समय होर्ा, छोटे शहरों से र्ााँिों में भार्ने का समय
होर्ा, और पहाडों में भार्ने का समय होर्ा।”
6 टे स्ट मनीज़, पृ. 195. “ल्जतना जकि हो सके उतना जकि बडे शहरों से भार् जाएाँ। ” (1901)
ररव्यु एींड हे रकड, अप्रैल 4. 1903. “मेरा चेतािनी है : शहरों से बाहर रहें । शहरों में अस्पताल न बनाएाँ। हमारे
लोर्ों को लसखााँए की शहरों से तनकलकर िे बल्स्तयों में चले जाएाँ, जहााँ िे जमीन के छोटे टुकडे खर ि
सकते हैं, और खुि के ललए और अपने बच्चों के ललए घर बना सकते हैं।”
कन्र ललविींर्, पृ. 9. “बार बार प्रभु ने तनिे श दिया है कक हमारे लोर् अपने पररिारों को ले कर शहरों से िरू
चले जाएाँ, िे हातों में चले जाएाँ जहााँ िे अपने जीिन बसर कर सके; क्योंकक भविष्य में खर िने और बेचने
की समस्या बहुत र्ींभीर हो जाएर्ी।”
5. सताहट लाता है
ग्रेट कन्रोिसी, पृ. 607. “सींिेश (तीसरे स्िर्गित
ू का) की मिि करने िाले शल्क्त उन लोर्ों को पार्ल बना
िे र्ी जो इसकी विरोध करते हैं। पािर र्ि ज्योतत को बुझाने के ललए लर्भर् अमानिीय शल्क्त लर्ा िें र्े
अन्यिा िह उनके भेडों पर चमकेर्ी। अपनी आज्ञा की सार ताकत से इन महत्िपूिग सिालों पर चचाग
रोकेंर्े। कल लसया राजनीतत के मज़बत
ू ताकत का इस्तेमाल करे र्ी और इसमें कैिोललक और प्रोटे स्टें ट
(सुधारिाि ) कल लसया, िोनों एकजुट होंर्ी। जैसे जैसे रवििार उपासना की क्रााँतत बढ़ती जाएर्ी, आज्ञा पालन
करने िालों के णखलार् कानून बनाए जाएाँर्े। उन्हें जुमागने भरने और जेल में डालने की धमककयााँ ि जाएर्ी,
और कुछ लोर्ों को ऊाँचें पि के लोभ दिये जाएाँर्े कक िे अपने विश्िास को त्यार् िे । परीं तु उनका दृढ़ उत्तर
है : ‘हमें परमेश्िर के िचन से हमार र्लती दिखाएाँ ’ ल्जनको न्यायालय में प्रस्तूत ककया जाएर्ा, िे िहााँ
साइन्स ऑफ ि टाइम्स, मई 6, 1897, पारा. 16. “पररक्षा और सताहट उन सभी के पास आएर्ा जो
परमेश्िर की िचन का पालन करते हुए झठ
ू े सब्बत में उपासना करने से इन्कार करें र्े। सारे झठ
ू े धमों का
अींततम चरि दहींसा है । पहले िह प्रलोभन िे ता है , जैसे की बेबीलोन के राजा ने सींर्ीत और बाहर दिखािट
से कोलशश ककया िा। शैतान की प्रेरिा से मनुष्यों द्िारा आविष्कार ककये र्ए ये आकषगि यदि मनुष्यों को
मूततग की पूजा करने को बाध्य नह ीं कर सकती िी, तो भठ्ठे के आर् उन्हें जलाने को तैयार िे। आज भी
िैसा ह होर्ा। पोप के सम्राज्य ने अपनी ताकत से लोर्ों बाध्य ककया है और िह ऐसा जार रखेर्ी। हमें
मतू तगपज
ू ा से सींघषग में ल्जस आत्मा को परमेश्िर के सेिकों को प्रिलशगत ककया िा, हमें भी उसी की ज़रूरत
है ।”
अततररक्त अध्ययन के ललए पढ़ें : ग्रेट कन्रोिसी अध्याय 5, “र्ॉड्स लॉ इम्युटेबल” और 5 टे स्ट मनीज़
अध्याय 52, “ि कलमींर् क्रइलसस”
अध्याय 4- ऊँची पक
ु ार
प्रकालशतवाक्य 18:1-4
1. ऊँचे स्वर से पक
ु ार की संदेश
ग्रेट कन्रोिसी, पृ. 390. “प्रकालशतिाक्य 18 एक िक्त के बारे बताता है जब प्रकालशतिाक्य 14:6-12
के त्रीस्तर य सींिेश के इनकार ककये जाने के पररिामस्िरूप कल लसया िस
ू रे स्िर्गित
ू द्िारा
भविष्यिािी ककये र्ए ल्स्ितत में पहुाँच जाएर्ा, और परमेश्िर के लोर् जो अब भी बेबीलोन में होंर्े,
उन्हें उसकी सहभाथर्ता से तनकलने के ललए आणखर पुकार ि जाएर्ी।”
बेबीलोन के पापों का परिार्ाश
o पि 2- यहााँ हम प्रोटे स्टें दटज़्म के साि प्रेतिाि के प्रिेश को स्पष्ट रूप से िे खते हैं।
o पि 3- प्रोटे स्टें ट कल लसयाओीं के पाप िेश्या स्त्री, रोमन कैिोललक कल लसया, के साि
लमलने का होर्ा ताकक रवििार कानून पाररत हो।
बाहर तनकलने की पुकार
o इन कल लसयाओीं में परमेश्िर के जो लोर् हैं उनके ललए बाहर तनकलने की अींततम
चेतािनी है ।
o उन्हें बाहर तनकलने को कहा र्या है “क्योंकक तम
ु उसके (पाप के) सहभार्ी न हो”।
o “और तो पाप व्यिस्िा का विरोध है ।” 1 युहन्ना 3:4
सरांश: ऊाँची पुकार प्रकालशतिाक्य 14 के त्रीस्तर य सींिेश के इन्कार के पररिामस्िरूप दिया जाएर्ा;
यह रवििार कानून से पहले दिया जाएर्ा, परन्तु रवििार कानून के समय इसकी शल्क्त सबसे अथधक
रहे र्ी, और िया के िरिाजे बींि होने तक रहे र्ी जब विपवत्तयााँ आएाँर्ी।
3. ऊँची पक
ु ार की शन्क्त
यशायाह 60:1. “उठ, प्रकाशमान हो; क्योंकक तेरा प्रकाश आ र्या है , और यहोिा का तेज तेरे ऊपर उिय
हुआ है ।”
याकुब 5:7. “इसललए हे भाईयो, प्रभु के आर्मन तक धीरज धरो। िे खो, ककसान पथ्ृ िी की बहुमूकय फसल
की आशा रखता हुआ प्रिम और अल्न्तम िषाग होने तक धीरज धरता है ।”
अली राइदटींग्स, पृ. 85,86. “जबकक उध्िार का काम समाप्त हो रहा है , जर्त में मस
ु ीबतें आएाँर्ी, और िे श
क्रोथधत होंर्े, कर्र भी तनयींत्रि में रहें र्े ताकक तीसरे स्िर्गित
ू के काम में रुकािट न आए। और उस समय
‘अन्न्तम वषाग’ या परमेश्िर की उपल्स्ितत से जार्तृ त आएर्ी, ताकक तीसरे स्िर्गित
ू के सींिेश को ऊाँची
आिाज़ लमल सके, और अींततम सात विपवत्तयोँ के िौरान खडे रहने के ललए सींत तैयार हो सके।”
अली राइदटींग्स, पृ. 278 “बडे आश्चयगकमग ककये र्ए, बबमार चींर्े हुए, और विश्िालसयों के साि थचन्ह और
आश्चयग कमग दिखे। परमेश्िर काम कर रहा िा, और प्रत्येक सींत, पररिाम के भय के बबना अपनी वििेक के
अनुसार उन से साि एकजुट हो र्ए जो परमेश्िर की आज्ञाओीं का पालन करते िे; और सामिग से िे तीसरे
सींिेश का प्रचार कर रहे िे। मैंने िे खा कक यह सींिेश मध्यराबत्र की पुकार से भी अथधक सामिग और शल्क्त
के साि समाप्त होर्ा।”
ररव्यु एींड हे रकड, दिसींबर 23, 1890, पारा. 18. “मण्डललयों में परमेश्िर के सामिग का एक अद्भत
ु प्रस्ततू त
होर्ा; परीं तु यह उनके पास नह ीं जाएर्ा जो खि
ु को परमेश्िर के अधीन नम्र नह ीं बना लेते हैं, और अपने
हृिय के िरिाजे को अींर्ीकार और पश्चाताप के ललए खोल नह ीं िे ते हैं। उस सामिग की प्रस्तूतत में , जो
जर्त में उल्जयाला लाता है , िे ऐसी चीज को िे खेंर्े ल्जसे िे अपने अाँधेप न में खतरा समझते िे, कुछ ऐसा
जो उनके हृियों में डर उत्पन्न करता है , और खुि को उसके विरोध के ललए तैयार करें र्े।”
ररव्यु एींड हे रकड, दिसींबर 23, 1890, पारा. 18. “क्योंकक परमेश्िर उनके उम्मीिों और आिशों के मुताबबक
काम नह ीं करता है , िे उसके काम का विरोध करें र्े। िे कहते हैं कक क्योंकक हमे परमेश्िर की आत्मा को
जानना है जब हम इतने िषों से इस काम में हैं, क्योंकक उन्होंने चेताितनयों को नह ीं सुना और परमेश्िर के
सींिेशों पर ध्यान नह ीं दिया, और लर्ातार करते रहे , ‘मैं धनी हूाँ और धनिान हो र्या हूाँ और मुझे ककसी
िस्तु की घट नह ’ीं ”
टे स्ट मनीज़ टू लमतनस्टसग, पृ 300. “जब तक िे, जो मिि कर सकते हैं .... अपने कतगव्य के प्रतत जार्रुक
नह ीं होंर्े, िे परमेश्िर के काम को नह ीं पहचान पाएाँर्े जब तीसरे स्िर्गित
ू की ऊाँची पुकार सुनाई पडेर्ी।
जब ज्योतत जर्त को उज्जिल करने के ललए आर्े बढ़ती है , िे परमेश्िर की मिि करने के ललए आर्े आने
के बजाए, उसके काम को बाथधत करने की कोलशश करें र्े ताकक िे अपने सींकीिग विचारों को पूरा कर सके।
सरांश: इसका अिग यह नह ीं है कक सेिेंि-डे एडिें दटस्ट कल लसया थर्र जाएर्ी या परमेश्िर इसे ठुकरा िे र्ा।
िह इस आींिोलन की अर्ुिाई इसके समाप्ती तक करे र्ा ल्जसे उसने 1844 में शुरू ककया िा, भले ह हमारे
बहुत से ऊाँचे पि िाले विश्िास को त्यार् िें र्े, और अींततम िषाग को प्राप्त नह ीं करें र्े और कल लसया को
छोड िें र्े क्योंकक उनके हृिय परमेश्िर को समपगि करने के ललए तैयार नह ीं हैं।
5. ऊँची पक
ु ार के काम
ग्रेट कन्रोिसी, पृ. 612. “सींिेश तकग से नह ीं बल्कक परमेश्िर के आत्मा द्िारा र्हरे बोध से र्ैलेर्ी। तकग
को प्रस्तत
ू ककये जा चक
ु े हैं। बीज बोया जा चक
ु ा है , और अब िह अींकुररत होकर र्ल िे र्ा। लमशनर
कायगकत्तागओीं द्िारा बााँटे र्ए प्रकाशनों ने अपना प्रभाि दिये हैं, कर्र भी बहुत लोर् हैं ल्जनके मन प्रभावित
होने के बािजूि सत्यों को समझ नह ीं पाए हैं या आज्ञा के समक्ष समपगन नह ीं ककये हैं। अब रोशनी की
ककरिें सब तरर् र्ैल रहे हैं, सत्य को स्पष्टता से िे खा जा रहा है , और परमेश्िर के सच्चे बालक उन
बींधनों को तोड रहे हैं जो उन्हें बााँधते हैं। पररिार के सींबींध, कल लसया के सींबींध, ये सब उन्हें बााँधने में
नकाम हैं। सत्य सार चीजों से अथधक महत्िपि
ू ग है । सत्य के विरोध में जो शल्क्तयााँ लमल कर काम कर
रहे हैं, उन्हें िरककनार कर एक बडी सींख्या में लोर् परमेश्िर के पक्ष में खडे हो रहे हैं। ”
लास्ट डे इिें ट्स, पृ. 182. “छोड हुए पि उनके द्िारा भरे जाएाँर्े ल्जन्हें ख्रीस्त के द्िारा िशागया र्या है
जब िह ग्यारहिे पहर में आता है । अनेक लोर् हैं ल्जनके साि परमेश्िर का आत्मा काम कर रहा है ।....
बडी सींख्या में ऐसे लोर् जुडेंर्े ल्जन्होंने अींततम दिनों में पहल बार परमेश्िर का िचन सुना होर्ा।”
6. बेबीलोनी ववरोि
ग्रेट कन्रोिसी, पृ. 607. “सींिेश की मिि करने िाले शल्क्त उन लोर्ों को पार्ल बना िे र्ी जो इसकी
विरोध करते हैं। पािर र्ि ज्योतत को बुझाने के ललए लर्भर् अमानिीय शल्क्त लर्ा िें र्े अन्यिा िह
ग्रेट कन्रोिसी, पृ. 612. “कर्र क्यों ऐसा लर्ता है कक सताहट र्हर नीींि में सो रह है ? लसर्ग एक ह
कारि है , िह यह कक मण्डल जर्त के मानकों को अपना रह है , और इसललए इसका विरोध नह ीं हो रहा
है ।”
7. ऊँची पक
ु ार की मदहमा
ररव्यु एींड हे रकड, निम्बर 22, 1892, पारा. 7. “हमारे ऊपर पररक्षा की घडी है , क्योंकक तीसरे स्िर्गित
ू की
ऊाँची पुकार ख्रीस्त के धालमगकता के प्रकाशन के साि शुरू हो चुकी है , जो हमारे पापों को क्षमा करने िाला
उध्िारकत्ताग है । यह उस स्िर्गित
ू के ज्योतत का शुरूआत है ल्जसकी मदहमा पूरे जर्त को भर िे र्ी। क्योंकक
ल्जसके पास भी चेतािनी का यह सींिेश पहुाँचा है उनमें से हर एक का काम है कक िह यीशु को ऊाँचा उठाए,
उसे जर्त के सामने पेश करे जैसा कक उसे रूप में िशागए र्या है , थचन्हों में दिखाया है , जैसा कक
भविष्यव्िक्ताओीं द्िारा दिखाया र्या है , जैसा कक उसे चेलों को दिये र्ए पाठों में दिखाया र्या है और
मनुष्यों के पुत्रों द्िारा ककये र्ए अद्भुत कमों में दिखाया र्या है । शास्त्रों को पढ़ें ; क्योंकक ये िे हैं जो
उसकी र्िाह िे ते हैं।
यदि आप पररक्षा की घडी में खडे रहें र्े, तो आपको ख्रीस्त को जानना होर्ा, और उसकी धालमगकता के
तोर्ेह का सह इस्तेमाल करना होर्ा, ल्जसे िह पश्चाताप करने िाले पापी को िे ता है । ”
ख्रीस्त को जर्त के सामने पेश करने का सबसे अच्छा रास्ता चचककत्सीय लमश्नरी कायग के द्वारा है ।
लोमा ललन्डा मेसेजेस, पृ. 336. “इस समय के सत्य, यानी तीसरे स्िर्गित
ू के सींिेश को ऊाँचे स्िर में
प्रचार करना है , (अिागत बढ़ते शल्क्त के साि), क्योंकक हम अींततम बडी पररक्षा के कर ब हैं। ये पररक्षाएाँ उन
मण्डललयों में आएाँर्े ल्जनका सींबींध सच्चे थचककत्सीय लमश्नर कायग से है । ”
सरांश: ऊाँची पुकार का सींिेश िे ने िाले िे लोर् होंर्े ल्जन्होंने अपने जीिन को पूर तरह से यीशु को
समवपगत कर दिया है और पवित्र आत्मा के साि लमल र्ए हैं। इस तरह से िे सबसे र्ींभीर चेतािनी िें र्े को
अततररक्त अध्ययन: पढ़ें ग्रेट कन्रोिसी अध्याय 38, “ि फाईनल िातनिंर्”, और अली राइदटींग्स, पप
ृ .ृ 277-
282.
2 थिस्लुनूककयों 2:8-12
प्रकालशतिाक्य 13:12-14
प्रकालशतिाक्य 16:13,14
o अजर्र- प्रकालशतिाक्य 12:3 ;13:1। इस त्रीस्तर य धालमगक मेल के पहले स्िस्य को या तो
प्रेतिाि या मूततगपूजा के रूप मे िे खा जा सकता है । और यह सच है कक अनेक मूततगपूजक प्रेतों
की उपासना करते हैं और प्रेतिाि के कई रूपों का अभ्यास करते हैं जो मसीह िे शों के
आधुतनक प्रेतिाि अभ्यासों से लमलते-जुलते हैं।
o पशु- प्रकालशतिाक्य 13:1 के पशु से तुलना करें जो रोमन कैिोललक कल लसया को िशागता है ।
o झठ
ु े नबी- प्रकालशतिाक्य 13 के िस
ू रे पशु से मेल खाता है , यानी प्रोटे स्टें ट अमेररका, जो
सत्य की लशक्षाएाँ िे ने का िािा करता है जबकक िह पहले पशु या रोमन कैिोललक कल लसया
के झूठे लसध्िाींतों को सहारा िे ता है ।
5 टे स्ट मनीज़, पृ. 87. “पेपेसी (पोप के अथधकार) को परमेश्िर की आज्ञा के विरुध्ि स्िान िे कर हमारा
िे श खुि को धालमगकता से पूर तरह से अलर् कर िे र्ा।... तब हम जान जाएाँर्े कक शैतान के आश्चयगकमों
का समय आ चक
ु ा है और अींत तनकट है ”
आत्माओं का ददखना
अली राइदटींग्स, पृ. 87. “शैतान के पास ऐसी ताकत होर्ी कक िह हमारे समक्ष हमारे ररश्तेिारों या िोस्तों के
जैसे दिखने िाले रूप ले आएर्ा जो अभी यीशु में सो रहे हैं। ऐसा लर्ेर्ा जैसे हमारे ये िोस्त उपल्स्ित हैं;
जो बातें िे कहते िे जब िे यहााँ िे, ल्जनसे हम इतने िाककफ िे, कर्र से कहे जाएाँर्े, और उन्ह ीं के आिाज़
के जैसे आिाज़ सुनाई पडेंर्े। और यह सार चीजें सींतों को धोखे में लेने के ललए ककये जाएाँर्े।”
ग्रेट कन्रोिसी, पृ. 588. “प्रेतिाि के द्िारा चमत्कार ककये जाएाँर्े, बबमार चींर्े होंर्े, और भी बहुत सारे
चमत्कार होंर्े। चाँूकक प्रेत कहें र्े कक िे बाइबल में विश्िास करते हैं, और कल लसया के सींस्िानों का आिर
करते िे खे जाएाँर्े, उनके कामों को आलौककक शल्क्त का िजाग लमलेर्ा।”
1 टे स्ट मनीज़, पृ. 302. “कुछ लोर्ों को इन चमत्कारों को ग्रहि करने का लोभ होर्ा। हमारे सामने बबमार
चींर्े होंर्े। हमार आाँखों के सामने चमत्कार होंर्े। क्या हम पररक्षा के ललए तैयार हैं जो हमारा इन्तज़ार कर
रहे हैं कक शैतान के चमत्कार हमारे सामने परू तरह से प्रस्तत
ू होने लर्ें ने।”
झठ
ू े चंर्ाई- “हमें धोखा खाने की ज़रूरत नह ीं है । अद्भत
ु दृष्य, जो शैतान से जड
ु े होंर्े, जकि ह होंर्े। िचन
कहता है कक शैतान आश्चयगकमग करे र्ा। िह लोर्ों को बबमार करे र्ा, और कर्र अचानक से उन पर अपनी
शैतानी ताकत हटा लेर्ा। कर्र उन्हें चींर्ा हुआ माना जाएर्ा। झूठे चींर्ाई के ये काम सेिेंि-डे एडिें दटस्टों को
पररक्षा में लाएर्ी। बहुत सारे लोर् ल्जन्हें महान रोशनी ि र्ई है , िे उस ज्योतत में चलने से विर्ल होंर्े
क्योंकक िे यीशु में एक नह ीं हुए हैं।” मरानािा, पृ. 209.
ददमार् तनयंिण और आितु नक चंर्ाई- “हमें शैतान के धोखे िे ने िाले चालों से सािधान रहना होर्ा। परू
ु ष
और स्त्री एक िस
ू रे के दिमार् को तनयींबत्रत रखने के विज्ञान को नह ीं सीखते हैं। यह विज्ञान शैतान लसखाता
है ।... में सम्मोहन से नह ीं खेलना चादहए, जो अपने पहले घर को खोने िाले का विज्ञान है , ल्जसे स्िर्ग से
बाहर र्ेंक दिया र्या िा।” मेडडकल लमतनस्र , पृ. 110.
यशायाह 8:20 “व्यव्स्िा और थचतौनी ह की चचाग ककया करो! यदि िे लोर् इन िचनों के अनुसार न बोलें
तो तनश्चय उनके ललए पौ न र्टे र्ी।”
ग्रेट कन्रोिसी, पृ. 562. “परमेश्िर की शल्क्त से, उसके िचन के द्िारा बचाए र्ए लोर्ों के अलािा, बाकक
सभी लोर् इस धोखे में पडेंर्े।”
ग्रेट कन्रोिसी, पृ. 464. “आत्माओीं को िश्ु मन इस काम में बाधा लाने की कोलशश करता है ; और इस
आींिोलन के आने से पहले िह उसे रोकने के ललए एक झूठा रूप लेकर आएर्ा। उन कल लसयाओीं में जहााँ
िह अपने धोखे की शल्क्त का प्रयोर् कर सकता है , िहााँ िह ऐसा प्रतीत होने िे र्ा कक परमेश्िर की आशीष
उण्डेल जा रह है ; और िहााँ ऐसी चीज दिखेर्ी ल्जसे धालमगक अलभरूथच समझा जाएर्ा। भीड के भीड यह
सोचें र्े कक परमेश्िर उनके ललए चमत्काररक रूप से काम कर रहा है , जबकक काम िरअसल िस
ू रे आत्मा के
द्िारा हो रहा होर्ा। धालमगक मख
ु ौटे में शैतान परू े मसीह जर्त में अपने प्रभाि को र्ैलाने की कोलशश
करे र्ा।”
सरांश: शैतान अपने झूठे जार्रि से उत्साह, चमत्कार और चींर्ाई लेकर आएर्ा। इन माध्यमों से िह लोर्ों
के धालमगक सींिेिनाओीं को इतना ज्यािा भ्रष्ट कर िे र्ा कक िे परमेश्िर के द्िारा ि र्ई अींततम समय के
ललए सच्चे सींिेश को पहचान नह ीं पाएाँर्े। िे बेबीलोन के मदिरा के नशे में ललप्त होंर्े। सेिेंि -डे एडिें दटस्ट
कल लसया में भी ये धोखे लाए जाएाँर्े, परीं तु जब तक हम अपना पूरा भरोसा परमेश्िर के िचन पर रखेंर्े,
हम नह ीं दहलें र्े।
ग्रेट कन्रोिसी, पृ. 464. “धोखे के नाटक में सबसे बडे काम के रूप में शैतान खुि को ख्रीस्त के रूप में
प्रस्तूत करे र्ा।... जर्त के विलभन्न भार्ों में , शैतान खुि को मनुष्यों के समाने चमकते मदहमामयी रूप में
प्रस्तूत करे र्ा, और युहन्ना के प्रकालशतिाक्य में दिए र्ए परमेश्िर के पुत्र के वििरि के जैसा ह दिखेर्ा।
प्रकालशतिाक्य 1:13-15। जो मदहमा उसे घेर रहे र्ी िह उन सार मदहमाओीं से बढ़कर होर्ी ल्जसे अब तक
मनष्ु य की आाँखों ने िे खा है । जयजयकार के बोल सन
ु ाई पडेर्े: ‘ख्रीस्त आ र्या! ख्रीस्त आ र्या!’ लोर्
उसके सामने झुकर िण्डित करें र्े, जबकक िह अपने हाि ऊपर उठाकर उन्हें आशीष िे र्ा, जैसे की ख्रीस्त ने
अपने चेलों को आशीष दिया िा जब िह पथ्
ृ िी पर िा। उसकी िािी नमग और धीमी होर्ी, कर्र भी मधुर
होर्ी। और नमग, िया से पररपि
ू ग लहजे में िह कुछ अनुग्रकार , स्िर्ीय सत्यों को कहे र्ा ल्जन्हें उध्िारकत्ताग
कहता िा; िह के रोर्ों को चींर्ा करे र्ा, और कर्र यीशु के रूप में िह िािा करे र्ा कक सब्बत को बिलकर
रवििार बना दिया र्या है , और िह उस दिन को पवित्र रखने का आज्ञा सबको िे र्ा ल्जसे उसने आशीष
दिया है । िह कहे र्ा कक जो लोर् अब तक सातिे दिन को पवित्र रखना जार रखते हैं िे उसके नाम का
अनािर करते हैं क्योंकक उन्होंने उसके द्िारा भेजे र्ए ित
ू ों की नह ीं सुनी ल्जन्हें उसने रोशनी दिया िा। यह
बहुत ह शल्क्तशाल और लर्भर् पूर तरह से धोखा िे ने िाला ठर्ी है । जैसे की सामर लोर्, जो शमौन
मत्ती 24:24- यीशु ने हमें इन घटनाओीं के बारे चेताया है । यदि हम उस पर भरोसा रखेंर्े तो हम ठर्े नह ीं
जाएाँर्े। चललए हम सतकग रहें और प्रािगना करें ।
भजनसंदहता 91- अश्िासन की परमेश्िर हमें इस कदठन घडी में पार करे र्ा।
अततररक्त अध्ययन: पढ़ें पैर याक्सग एींड प्रोफेट्स अध्याय 67, “एल्न्शयींट एींड मॉडनग सोसगर ”।
पोप का सताहट- “क्योंकक उस समय ऐसा क्लेश होर्ा, जैसा जर्त के आरम्भ से न आब तक हुआ और न
कभी होर्ा।” मत्ती 24:21,22
दया का दरवाजा बंद होने पर “तब ऐसा सींकट का समय होर्ा, जैसा ककसी जातत के उत्पन्न होने के समय
से लेकर अब तक कभी न हुआ न होर्ा।” िातनय्येल 12:1
दातनय्येल 12 का सताहट का समय- अींततम सात महामाररयों की ओर इशारा करता है , जो सबसे अथधक
शल्क्तशाल होंर्े और िष्ु टों का सबसे अथधक िैल्श्िक विनाश होर्ा। इस भयािाह समय में परमेश्िर के लोर्
बचाए जाएाँर्े।
अली राइदटींग्स, पृ. 284. “परमेश्िर िष्ु टों को उनका नाश करने नह ीं िे र्ा जो उसका इन्तज़ार कर रहे होंर्े,
और पशु के आज्ञापत्र के सामने नह ीं झुकेंर्े और न ह उसके छाप को ग्रहि करें र्े। मैंने िे खा कक यदि िष्ु टों
को सींतों का नाश करने दिया जाएर्ा तो शैतान और उसकी सेना, और परमेश्िर से नफरत करने िाले सारे
लोर्ों को सींतोष होर्ा।”
सताहट शरू
ु होना
िातनय्येल 12:1- माईकल का खडा होना इस बात को िशागता है क िया के िरिाज़े के बींि होने पर स्िर्ीय
मींदिर में यीशु अपने मध्यस्िता के काम को समाप्त कर लेर्ा।
अली राइदटींग्स, पृ. 36. “तब मैंने िे खा कक यीशु महापवित्र स्िान को तब तक नह ीं छोडेर्ा जब तक की हर
एक मामला का न्याय कर यह नह ीं तय हो जाता कक उसे उध्िार लमलेर्ा या विनाश, और परमेश्िर का
क्रोध तब तक नह ीं आएर्ा जब तक यीशु महापवित्र स्िान में अपना काम पूरा न कर ले।”
हर एक मामले का न्याय हो चक
ु ा है - “जर्त में अींततम पररक्षा आ चक
ु ी है , और ल्जन्होंने भी खि
ु को पवित्र
आज्ञाओीं के प्रतत िफािार साबबत कर ललया है , उन्होंने जीवते परमेश्वर की मह
ु र प्राप्त कर ललया है । तब
स्िर्ग के मींदिर में यीशु मध्यस्थता का काम समाप्त करे र्ा। िह अपने हािों को ऊपर उठाकर ऊाँचे स्िर में
कहता, ‘पूरा हुआ;’ और सार स्िर्ीय सेना अपनी मुकुट उतार है जैसे कक िह यह र्ंभीर ऐलान करता है । ‘’
प्रकालशतिाक्य 22:11। जीिन और मत्ृ यु के ललए हर एक मामले का न्याय हो चुका है । ख्रीस्त ने अपने
लोर्ों के ललए प्रयाल्श्चत कर ललया है और उनके पापों को लमटा दिया है । ” ग्रेट कन्रोिसी, पृ. 613.
त्रबना मध्यस्थता के- “उस भयािाह घडी में धलमगयों को परमेश्िर के समक्ष बबना मध्यस्िता के जीना
होर्ा।... अभी जबकक हमारा उध्िारकत्ताग हमारे प्रयाल्श्चत कर रहा है , हमें ख्रीस्त में सींपि
ू ग बनने की कोलशश
करनी चादहए।” ग्रेट कन्रोिसी, पृ. 614.
परमेश्वर का क्रोि कैसे उण्डेला जाता है ?- प्रकालशतिाक्य 14:9,10- बबना लमलािट के।
अली राइदटींग्स, पृ. 36. “तब यीशु वपता के मनुष्य के बीच से तनकल जाएर्ा, और परमेश्िर अब चुप नह ीं
रहे र्ा, परीं तु अपना क्रोध उन पर उण्डेला ल्जन्होंने उसके सत्यों को ठुकराया है ।... िे श अब क्रोध हो रहे हैं,
परन्तु जब हमारा महायाजक मींदिर के काम को परू ा कर लेर्ा, िह उठ खडा होर्ा, प्रततशोध के िस्त्र धारि
करे र्ा, और तब अींततम सात विपवत्तयााँ उण्डेले जाएाँर्े।... मैंने िे खा कक चार स्िर्गित
ू चार हिाओीं को मींदिर
में यीशु के काम पूरे होने तक िामे रहें र्े, और तब अींततम सात विपवत्तयााँ आएाँर्ी।”
मत्ृ यु दण्ड और याकुब की संकट की घडी- “इन विपवत्तयों ने िष्ु टों को धलमगयों के णखलाफ क्रोथधत ककया;
उन्होंने सोचा कक हमने उनके ऊपर परमेश्िर का न्याय लाया है , और यदि िे हमें धरती से लमटा िें र्े तो
विपवत्तयााँ रुक जाएाँर्ी। सींतों को मारने के ललए एक आज्ञापत्र तनकल , ल्जसके कारि िे दिन और रात बचाि
के ललए रोते रहे । यह याकुब के सींकट का समय िा।” अली राइदटींग्स, पृपृ. 36,37
मत्ृ यु दण्ड तीसरे ववपवत्त के पहले आएर्ी- “और “नदियााँ और पानी के सोते लहू बन र्ए” इन विपवत्तयों के
इतने भयानक होने के बािजि
ू , परमेश्िर के न्याय को सह ठहराया र्या है । “हे पवित्र, जो है और जो िा,
तू न्यायी है और तू ने न्याय ककया है । क्योंकक उन्होंने पवित्र लोर्ों और भविष्यव्िक्ताओीं का लहू बहाया िा,
और तू ने उन्हें लहू वपलाया; क्योंकक िे इसी योग्य हैं।” (प्रकालशतिाक्य 16:2-6) परमेश्िर के लोर्ों को मत्ृ यु
िण्ड सुना कर उन्होंने खि को उनके लहू का िोषी ठहराया है , जैसे कक उन्होंने अपने हािों से उनका लहू
बहाया हो।” ग्रेट कन्रोिसी, पृ. 628.
ग्रेट कन्रोिसी, पृ. 635. “परमेश्िर के लोर्- कुछ लोर् बींि र्हृ ों में , कुछ जींर्लों और पहाडों में तछपे हुए-
सुरक्षा की र्ुहार लर्ाएाँर्े, जबकक हर एक घर में बींिक
ू धार पुरूष, िष्ु ट ित
ू ों के प्रभाि में , मत्ृ यु के काम के
ललए तैयार कर रहे होंर्े। तब, अल्त्धक अतत की घडी में , इस्राएल का परमेश्िर अपने चुने हुओीं को
छुडाएर्ा।”
प्रततज्ञा की इन्रिनुष- “विजय, उपहास और शाप के स्िरों से साि िष्ु ट लोर्ों के भीड अपने लशकार को
र्ाडने िाले हैं, तब, िे खों, एक र्हरा अन्धेरा छा र्या, राबत्र के अन्धेरे से भी अथधक अन्धेरा पथ्
ृ िी पर छा
र्या। जब एक इन्द्रधनुष, परमेश्िर के लसींहासन के मदहमा से चमकता हुआ, पूरे आकाश में र्ैलाता है , और
प्रिगना करने िाले झुण्डों को घेर लेता है । क्रोथधत भीड अचानक काबू में आ जाती है । उपहास के स्िर खो
जाते हैं। िे अपने खूनी क्रोध के कारि भूल जाते हैं। भय के साि िे परमेश्िर की िाचा के थचन्ह को िे खते
हैं, और उसके अद्भुत चमक से तछपना चाहते हैं।” ग्रेट कन्रोिसी, पृपृ. 635,636
ओरायन में खुला स्थान- “घनघोर, काले बािल छाने लर्ते हैं और एक िस
ू रे से टकराते हैं। िायुमींडल िो
दहस्सों में बींट र्ई; तब हम ओरायन के खल
ु े छे ि से िे खेंर्े जब परमेश्िर की िािी सन
ु ाई िे र्ी। पवित्र शहर
ु े छे ि से उतरे र्ी।” ग्रेट कन्रोिसी, पृपृ. 636
उसी खल
पथ्
ृ वी में ववनाश- “पहाड हिा में दहलते सरकींडे की नाई कााँप उठे , और पत्िर हर तरर् तछतर र्ए। आने
िाले तुर्ान की र्जगन सुनाई पडती है । समुद्र में तुर्ान उठा। बडी भार आींधी की चीख सन
ु ाई पडती है जैसे
की िष्ु ट आत्माएाँ विनाश के ललए तनकले हों। पूर पथ्
ृ िी समुद्र के लहरों की नाई उठती और थर्रती है । भूलम
चटखते हैं। लर्ता है कक भूलम के नीींि ढह र्ए हों। पिगत श्रींख्लाएाँ डूब रह ीं हैं। टापू डूब रहे हैं। बींिरर्ाह, जो
िष्ु टता के कारि सोिोम की तरह बन र्ए हैं, क्रोथधत पानी में डूब र्ए हैं।” ग्रेट कन्रोिसी, पृपृ. 637.
खास परू
ु त्थान- िातनय्येल 12:2
दष्ट्ु टों में कोई जी उठे र्ा?- प्रकालशतिाक्य 1:7- यीशु के बेधने िाले।
परमेश्वर की आज्ञा को सभी दे खेंर्े- “बािल में के छे ि से एक लसतारा चमकता है ल्जसकी ज्योतत अन्धकार
की तल
ु ना में चारर्ि
ु ा बढ़ जाती है । िह िफािारों से आशा और आनन्ि के शब्ि बोलती है , परन्तु परमेश्िर
के आज्ञाओीं का उकलींघन करने िालों के ललए िण्ड और क्रोध....
उन लोर्ों में अद्भुत बिलाि आए ल्जन्हों ने मत्ृ यु के कर ब भी तनष्ठा दिखाया िा। िे उन तानाशाह
मनुष्यों के चींर्ुल से अचानक छुडा ललए र्ए जो अब िानि बन र्ए िे। उनके िख
ु ी, थचींततत, पीले पड र्ए
चेहरों में अब अचींभे, विश्िास और प्रेम से भरपूर लाललमा आ र्ई िी। उनके स्िर विजय के र्ीतों में उठने
लर्े: [भजनसींदहता 46:1-3]...
जब पवित्र विश्िास के ये शब्ि परमेश्िर के पास जाते हैं, बािल छटने लर्ते हैं, और आसमान में लसतारे
दिखते हैं, अििगनीय मदहमा ल्जसके िोनों ओर काले क्रोथधत आकाश है । स्िर्ीय नर्र के मदहमा खुले
र्ाटकों से दिखती है । तब आसमान में एक हाि दिखाई पडता है जो पत्िर के िो टुकडों के पकडे हुए है ।
नबी कहता है : “स्िर्ग उसके धमी होने का प्रचार करे र्ा क्योंकक परमेश्िर तो आप ह न्यायी है ।” भजनसींदहता
50:6। परमेश्िर की िह पवित्र आज्ञा, परमेश्िर की धालमगकता, ल्जसे लसनाई पिगत में र्जगन और धुएाँ के बीच
दिया र्या िा, अब लोर्ों के बीच न्याय के मानक के रूप में िशागया र्या। हाि टुकडों को खोलता है , और
उसमें िस आज्ञाएाँ दिखतीीं हैं, जैसे की िे आर् के कलम से ललखे हों। शब्ि इतने सरल हैं कक उन्हें सभी पढ़
सकते हैं। याििाश्त जार् उठती है , और अन्धविश्िास और पाखण्ड के अन्धेरे हर एक दिमार् से बाहर चल
जाती है , और परमेश्िर के िस शब्ि, सींक्षेप, समझने योग्य, और अथधकार पूि,ग पथ्
ृ िी के तनिालसयों के
सामने पेश ककये जाते हैं।” ग्रेट कन्रोिसी, पृ. 638,639.
ख्रीस्त का दस
ू रा आर्मन
1 चथस्सलुनूककयों 4:16,17
हमारे प्रभु से लमलना, कभी न अलर् होने के ललए- “परमेश्िर के नर्र में प्रिेश करने से पहले, उध्िरकत्ताग
अपने अनुयातययों को विजय के उन्हें शाह घराने के होने का तमर्ा िे ता है । उध्िार ककए र्ए लोर्ों की
चमकती हुई बडी भीड अपेन राजा के चारों ओर चतभ
ु ज
ुग आकार में खडे हो जाते हैं, उसका रूप अपनी
मदहमा में ित
ू ों और सींतों से अथधक ओजस्िी है । उसके चेहरे में ियामयी प्रेम की झलक दिखाई िे ती है ।
उध्िार ककये र्ए लोर्ों की भीड बबना पलक झपकाए उसकी ओर दृल्ष्ट ककये हैं, प्रत्येक आाँख उसकी मदहमा
को िे खती है ल्जसका “ल्जसका रूप ककसी भी व्यल्क्त से अथधक बबर्डा हुआ िा और िे ह मनुष्य के पुत्रों से
अथधक चोदटल िा।” जो जय पाए हैं उनके लसर पर यीशु स्ियीं अपने िादहने हाि से मदहमा का मुकुट रखता
है । प्रत्येक के ललए मुकुट है , उसने उसका अपना नया नाम (प्रकालशतिाक्य 2:17)ललखा हुआ है , और उसमें
अींककत है , “यहोिा के ललए पवित्र” खजरू की डाल और चमकती हुई िीिा। तब जैसे अर्ुिाई करने िाला ित
ू
रार् िे ता है सभी अपनी अपनी िीिा लेकर बजाने िाले के समान बजाने लर्े । उसके बाजों से ऐसी मधरु
ध्ितन तनकलती िी कक ल्जसकी तुलना नह ीं है । सभी आनन्ि से मधुर ध्ितन को सुन कर कृतज्ञता का र्ीत
र्ाने लर्े: “िह हम से प्रेम रखता है , और उसने अपने लहू के द्िारा हमें पापों से छुडाया है , और हमें एक
राज्य और अपने वपता परमेश्िर के ललए याजक भी बना दिया; उसी की मदहमा और पराक्रम युर्ानुयुर्
रहे ।” प्रकालशतिाक्य 1:5,6...
उध्िार ककये र्ए लोर्ों के ललए ख्रीस्त का क्रूस ह अनन्तकाल तक विज्ञान और सींर्ीत बना रहे र्ा।
ख्रीस्त के मदहमा में िे ख्रीस्त के क्रूस को िे खेंर्े। यह कभी नह ीं भल
ू ा जाएर्ा कक िह ल्जसके सामिग से
सल्ृ ष्ट हुई है और ब्रह्माण्ड में अनथर्नत ितु नया दटके हुए हैं, परमेश्िर का वप्रय, स्िर्ग का राजा, ल्जसे कारूब
और चमकते सेराफ वप्रय जानते हैं —थर्रे हुए मनुष्य को उठाने के ललए खुि को ि न बनाया; और उसने
मनुष्य के पाप का ग्लातन और को ढोया, अपने वपता के माँह
ु र्ेर लेने को सहा, तब तक जब तक की खोए
ृ िी के की पीडा उसके हृिय को तोड नह ीं दिया और कलिर के क्रूस ने उसकी जान न ले ल ।” ग्रेट
हुए पथ्
कन्रोिसी, पृपृ. 645, 646.
जीवन में हमें अनेक ननर्णय लेते पड़ते हैं। कुछ छोटे और ननरर्णक से लगते हैं, जैसे: ककसी तरह और कौन
से रं ग के कपड़े पहनना है , क्या खाना है , क्या सन
ु ना है या क्या दे खना है , आदद। हम लगता है कक अन्य
ननर्णय बहुत महत्वपूर्ण हैं और वे हमारे जीवन को प्रभाववत कर सकते हैं, जैसे: ककस क्षेत्र में शिक्षा प्राप्त
करना है , ककस तरह के नौकरी पकड़ना है , ककससे वववाह करना है , बच्चे चादहए या नहीं, कहााँ रहना है ,
ककस कलीशसया का दहस्सा बनना है , आदद।
सच तो यह है कक जीवन के प्रत्येक क्षेत्र में ननर्णय लेने के शलए हमें परमेश्वर की ज़रूरत है । आदम और
हवा का चुनाव ददखने में छोटा र्ा परन्तु उसके बड़े प्रभाव के बारे सोचें . परमेश्वर अपने रास्तों को हम पर
नहीं र्ोपेगा। यहााँ बहुत महत्वपूर्ण शसधदांत ददये गए जजन्हें अपने जीवन में लागू कर हम यह सुननजश्चत
कर सकते हैं कक हम सही चुनाव कर रहे हैं।
नयमणयाह 10:23. “हे यहोवा, मैं जान गया हूाँ, कक मनष्ु य का मागण उसके व में नहीं है , मनष्ु य चलता तो है ,
परन्तु उसके डग उसके अधीन नहीं हैं।”
शमननस्री ऑफ़ हीशलंग, पृ. 478. “अनेक लोग अपने भववष्य के शलए ननजश्चत योजनाएाँ नहीं बना पाते हैं।
उनका जीवन जस्र्र नहीं है । वे चीजों के पररर्ामों को दे ख नहीं पाते, और यह बहुत बार उन्हें चचन्ता और
तनाव में डाल दे ता है । हमें यह याद रखना चादहए की इस जगत में परमेश्वर सन्तानों का जीवन एक यात्री
का जीवन है । हमारे पास अपने जीवन की योजना बनाने का बुजधद नहीं है । हमें अपने भववष्य को संवार
नहीं सकते। ‘ववश्वास ही से अब्राहम जब बुलाया गया तो आज्ञा मानकर ऐसी जगह ननकल गया जजसे
मीरास में लेने वाला र्ा; और यह न जानता र्ा कक मैं जाता हूाँ, तौभी ननकल गया।’”
शमननस्री ऑफ़ हीशलंग, पृ. 478. “इस जगत के जीवन में ख्रीस्त में ने अपने शलए कोई योजनाएाँ नहीं
बनायी। उसने अपने शलए परमेश्वर की योजनाओं को ग्रहर् ककया, और प्रनतददन एक एक कर परमेश्वर ने
अपनी योजनाओं का प्रगट ककया। इसशलए, क्या हमें परमेश्वर पर ननभणर रहना चादहए, कक हमारे जीवन
उसकी इच्छा का पररर्ाम है । जैसे ही हम अपने रास्ते उसे सौंप दें गे हैं, वह हमारे कदमों को मागण
ददखाएगा।”
शमननस्री ऑफ़ हीशलंग, पृ. 478. “अनेक लोग, उज्जवल भववष्य की योजना बनाते बनाते अत्यंत असफ़ल हो
जाते हैं। परमेश्वर को अपने शलए योजना बनाने दें । छोटे बच्चे की तरह, उसके अगव
ु ाई पर भरोसा रखें जो
‘अपने भक्तों के पााँवों को सम्भाले रहे गा।’”
पहला किम—समपगन
नीनतवचन 3:5,6. “सम्पूर्ण मन से यहोवा पर भरोसा रखना। उसकी को स्मरर् करके सब काम करना तब
वह तेरे शलए सीधा मागण ननकालेगा।”
युहन्ना 7:17. “यदद कोई उसकी इच्छा पर चलना चाहे , तो वह इस उपदे ि के ववर्य जान जाएगा कक यह
परमेश्वर की ओर से है या मैं अपनी ओर से कहता हूाँ।”
डीज़ायर ऑफ़ एजेस, पृ. 668. “जो यह ननर्णय लेते हैं कक वे ऐसा कुछ नहीं करें गे जो परमेश्वर को दुःु खी
करें , खद
ु को उसके समक्ष अपणर् करने के बाद, वे जानेंगे की ककस राह पर चलना हैं। वे न केवल बजु धद
बजकक ताकत भी प्राप्त करें गे। आज्ञापालन, और सेवा की िजक्त उन्हें दी जाएगी, जैसा की ख्रीस्त ने प्रनतज्ञा
ककया है ।”
एक खास स्थान
प्रोफ़ेट्स एंड ककं ग्स, पृ. 536. “प्रत्येक व्यजक्त के शलए परमेश्वर ने अपनी योजना में एक खास स्र्ान
आवंदटत ककया है ।”
क्राईस्ट ऑब्जेक्ट लेसन्स, पृ. 301. “हम में से हरएक के शलए स्र्ान और काम है ।”
क्राईस्ट ऑब्जेक्ट लेसन्स, पृ. 326. “हमारे शलए स्वगण में महल तैयार ककए गए हैं, यह बात उतनी है
ननजश्चत है जजनता की यह कक जगत में परमेश्वर के काम के शलए हमारे शलए ‘खास स्र्ान’ बनाए गए हैं।”
5 टे स्टीमनीज़, पृ. 512. “तीन तरह से परमेश्वर अपनी इच्छा को प्रगट करता है , कक वह हमारा अगुवाई
करे , और हमें दस
ू रों की अगुवाई के शलए तैयार करे । हम एक अजनबी से उसकी आवाज़ को कैसे पहचान
सकते हैं? हम उसे झठ
ू े चरवारे कक आवाज़ से कैसे अन्तर कर सकते हैं ? परमेश्वर उपने वचन, पववत्रिास्त्र
से हमें अपनी इच्छा प्रगट करता है ।”
5 टे स्टीमनीज़, पृ. 521. “उसकी आवाज़, उसकी दया के कामों में भी सुनाई दे ती है ; और हम उसे पहचान
लें गे यदद हम अपने ही रास्तों में चलने, अपनी इच्छा के अनस
ु ार काम करने के और अपववत्र हृदय का
कहना मान कर अपनी आत्माओं को उससे ऐसे अलग न कर लें कक हमारा वववेक इतना भ्रशमत नहीं हो
जाए कक हम अनन्त बातों के पहचान नहीं पाते हैं।”
िया की दृष्टि
6 टे स्टीमनीज़, पृ. 24. “सच्चे ववश्वास का यही गुर् है कक सही काम को सही वक्त में ककया जाए।
परमेश्वर कमणचाररयों का महान गुरू है , और अपनी दया की दृजष्ट से वह उपने काम को पूरा करने के शलए
राह तैयार करता है । वह मौके दे ता है , प्रभाववत करने के अवसर और काम करने के माधयमों को खोलता है ।
यदद उसके लोग उसकी दया के इिारों को प्रनत जागरुक रहें गे, और उसके सार् काम करने के शलए दृढ़
रहें गे, तो वे महान काम को परू ा होते दे खेंगे।...सौ गुर्ा बेहतर पररर्ाम।”
एजूकेिन, पृ. 267. “हमारे जीवन के शलए परमेश्वर की योजना पर हमें धयान दे ने की ज़रूरत है । ये वे
ननयम हैं जो यह सनु नजश्चत करते हैं कक हम वो काम को करे जो सबसे नज़दीक हो, ताकक हम अपने राहों
को परमेश्वर को सौंप दें , और उसकी दया के इिारों को दे ख सके।”
5 टे स्टीमनीज़, पृ. 134. “जो परमेश्वर के सबसे करीब रहते हैं वे ही उसके आवाज़ को पहचानते हैं जब वह
उनसे बोलता है । जो आजत्मक हैं वे आजत्मक बातों को पहचानते हैं। ”
शमननरी ऑफ़ हीशलंग, पृ. 24. “जो आवाज़ पर कान लगाते हैं उनके शलए ख्रीस्त हमेिा संदेि भेजता रहता
है ।”
एकट्स ऑफ़ दी अपोसकस, पृ. 24. “अकेले ववचार कतणव्य के शलए सरु क्षक्षत अगव
ु े नहीं हैं। ववरोधी लोगों को
यह ववश्वास कराने की कोशिि करता रहता है कक परमेश्वर उनकी अगव
ु ाई कर रहा है , जबकक हकीकत में
वे अपने ही ववचारों पर चल रहे होते हैं।”
5 टे स्टीमनीज़, पृ. 647. “मनष्ु यों के पास परमेश्वर की बजु धद और सारी िजक्तयों के स्रोत की ननरं तर
ज्योनत नहीं है कक अपने ववचारों में चलने से वे सरु क्षक्षत रहें गे।”
यिायाह 30:21. “जब कभी तुम दादहनी या बाईं ओर मुड़ने लगो, तब तुम्हारे पीछे से यह वचन तुम्हारे
कानों में पड़ेगा, ‘मागण यही है , इसी पर चलो।’”
धीरज की ज़रूरत है
5 टे स्टीमनीज़, पृ. 572. “धीरज धरें , और परमेश्वर आपकी मदद करे गा। धीरज धरें , और उज्जवल ज्योनत
ददखेगी।”
प्रोिेट्स एंड ककं ग्स, पृ. 220. “यदद तुम परमेश्वर में धीरज रखोगे, तो वह तुम्हारे हर एक प्रश्न का उत्तर
दे गा।”
एक खास प्रततज्ञा
शमननस्री ऑफ़ हीशलंग, पृ. 248. “जो कोई अपने जीवन को उसकी अगुवाई और उसकी सेवा में समवपणत कर
दे गा वह कभी भी ऐसे पररजस्र्नत में नहीं पड़ेगा जजसके शलए उसने कोई योजना नहीं बनाई है ।। चाहे हमारी
पररजस्र्नत कोई भी हो, यदद हम उसके वचन का पालन करने वाले हैं, तो हमारे पास हमारी अगव
ु ाई करने
वाला अगुवा है ; चाहे हमारी परे िानी कोई हो, हमारे पास एक सम्मनत दे नेवाला है ; चाहे हमारे दुःु ख जो भी
हों, धोखे, या अकेलापन, हम पास एक हमददण , दोस्त है ।”
पर्
ू ग सबत
ू नहीीं दिये र्ए हैं
टे स्टीमनीज़, वो. 3, पृ. 258- “अववश्वास, जो संपूर्ण ज्ञान की मााँग करता है उस सबूत से कभी संतुष्ट नहीं
होगा जजसे परमेश्वर दे ना चाहता है । वह चाहता है उसके लोगों के ववश्वास सबत
ू के वजन दटके, न की
संपर्
ू ण ज्ञान पर।”
टे स्टीमनीज़, वो. 3, पृ. 255- “जो िक करना चाहते हैं उनके पास बहुत बहाने होंगे। पर ववश्वास के सारे
अवसरों को समाप्त नहीं करे गा। वह सबत
ू दे ता है ।”
क्राईस्ट ऑब्जेक्ट लेसन्स, पृपृ. 398,399- “परमेश्वर चाहता है कक हम उस पर बबना सवाल भरोसा करें जो
हमारे प्रनतिल को नाप है । जब यीिु मन में वास करता है तब प्रनतिल का ववचार सबसे महत्वपूर्ण नहीं रह
जाता है । यह हमारे सेवा को सकक्रय करने का कारर् नहीं है ।...वह हमें प्रनतिल के शलए अनत उत्साही नहीं
बनने दे ना चाहता है और न ही हमें यह महसूस कराना चाहता है कक प्रत्येक कायण के हमें इनाम शमलना
चादहए। हमें सही काम करने से अचधक उत्सक
ु ता प्रनतिल में नहीं ददखानी चादहए, चाहे इनाम जो भी हों।
परमेश्वर और मनष्ु यों के शलए प्रेम हमारा मकसद होना चादहए।”
शमननस्री ऑफ़ हीशलंग, पृ. 499- “याद रखें कक जजस भी पद में आप काम कर रहें हैं , आप अपने मकसद
को प्रगट करते हैं, जजससे चररत्र का ववकास होता है । जो भी आपका काम हो उसे इमानदारी से करें , उचचत
रूप से करें ; आसान काम ढूंढ़ने के रूझान को नष्ट करने की कोशिि करें ।”
शमननस्री ऑफ़ हीशलंग, पृ. 477- “यदद कोई भी ऊाँचे पद के शलए योग्य पाया जाता है तो उसे भार दे गा,
और शसिण उन्हीं पर नहीं, परन्तु उन पर भी जजन्होंने उन्हें जााँचा है , उनके मक
ू य को जानते हैं, और जो
समझदारी से आगे बढ़ने के शलए प्रोत्सादहत कर सकते हैं। ये वे लोग हैं जो प्रनतददन इमानदारी से अपने
ददए हुए काम को करते हैं, जो परमेश्वर के अपने समय में उसकी आवाज़ को सुनते हैं, ‘ऊाँचे पर उठाए
जाएाँगे।’”
मत्ती 20:26-28. “परन्तु तुम में ऐसा नहीं होगा; परन्तु जो कोई तुम में बड़ा होना चाहे , वह तुम्हारा सेवक
बने; और जो तुम में प्रधान होना चाहे , वह तुम्हारा दास बने; जैसे कक मनुष्य का पुत्र; वह इसशलए नहीं
आया कक उसकी सेवा टहल की जाए, परन्तु इसशलए आया कक आप सेवा टहल करे , और बहुतों की छुडौती
के शलए अपने प्रार् दे ।”
सबूत का वज़न
2 सेलेक्टे ड मेसेजेस, पृ. 207- “मनष्ु य का वववेक आत्म-त्याग, और पववत्रता से दरू ले जाता है , और बहुत
सारे चीजों का ननमाणर् करे गा जो परमेश्वर के संदंिों के प्रभाव को िून्य बना दे ता।”
3 टे स्टीमनीज़, पृ. 255. “परमेश्वर के भेजे तेज गवाही के खखलाि िैतान के पास िंका और असहमती
सुझाने की क्षमता है ।, और बहुतेरे यही सोचते हैं कक अववश्वास और सवाल खडे करना और दोर् ढुंढना
सदगुर् हैं, ये उनकी बुजधद का चचन्ह है । जो िक करना चाहते हैं उनके पास बहुत बहाने होंगे। पर ववश्वास
के सारे अवसरों को समाप्त नहीं करे गा। वह सबूत दे ता है ।”
3 टे स्टीमनीज़, पृ. 258. “जो लोग परमेश्वर के बुलाने पर काम नहीं करें गे, परन्तु अचधक सबूतों और
अनक
ु ु ल पररजस्र्नतयों की इन्तज़ार में रहें गे, उनसे ज्योनत छीन ली जाएगी। एक ददन ददया गया सबत
ू ,
ठुकराए जाने पर, दस
ु री बार िायद कभी न दह
ु राए।”
5 टे स्टीमनीज़, पृ. 69. “एक बार परमेश्वर के आत्मा और उसके वचन की पुकार की अवहे लना करने के से,
जब आज्ञा पालन में क्रूस िाशमल हो, अनेकों ने बहुत अचधक खोया है —ककतना, ये वे कभी नहीं जानेंगे जब
तक की न्याय के ददन पस्
ु तकें खोलीं नहीं जाएाँगे।”
सींतुष्टि
किशलजप्पयों 4:11-13 – “क्योंकक मैं ने यह सीखा है कक जजस दिा में हुाँ; उसी में संतोर् करूाँ। मैं दीन होना
भी जानता हुाँ और बढ़ना भी जानता हुाँ; हर एक बात और सब दिाओं में मैं ने तप्ृ त होना, भख
ू ा रहना, और
बढ़ना-घटना सीखा है । जो मझ
ु े सामर्ण दे ता है उसमें मैं सब कुछ कर सकता हुाँ।”
क्राईस्टस ् ऑब्जेक्ट लेसन्स, पृ. 40,403. “उनका ककतना भी र्काने वाला क्यों न हो, सच्चे कमणचारी अपने
काम को नीरस नहीं समझते हैं। वे कार करने और काम में लाए जाने के शलए तैयार रहते हैं ; परन्तु यह
अनंद का काम है , जजससे खि
ु ी से करते हैं।”
शमननस्री ऑि हीशलंग, पृ. 472,403. “यह याद रखें कक जो काम हमें करना है वह हमारें चुनाव का न हो,
हमें उसे परमेश्वर के द्वारा हमारे शलए चन
ु े गए काम के रूप में स्वीकार करना चादहए।”
डडज़ायर ऑि एजेस, पृ. 88. “वह (मसीह) संसाररक महानता के संघर्ण नहीं करता र्ा, और सबसे ननम्न
पररजस्र्नत में भी वह संतुष्ट रहता र्ा।”
5 टे स्टीमनीज़, पृ. 184. “परन्तु हमें अपने ठहराए हुए स्र्ान को छोड़ने से डरना चादहए जब तक की
परमेश्वर इिारा न दे कक हमें दस
ू रे स्र्ान से उसकी सेवा करनी है । बहुत से लोग बेसब्री से वतणमान कतणव्यों
से माँह
ु िेर रहे हैं और दस
ू रे बड़े क्षेत्रों की और मुड़ रहे हैं; बहुत से लोग सोचते हैं कक दस
ू रे मोरचे पर सत्य
का पालन करना उनके शलए आसान रहे गा।”
1 टे स्टीमनीज़, पृ. 548. “बहुतेरे परमेश्वर के सीधे करने वाले चाकु के पास खुद को समवपणत नहीं करें गे।
जैसे की वह उनके ऊपर से गज़
ु रता है , और ऊबड़-खाबड़ सतह को तंग ककया जाता है , वे काम को बंद और
तोड़ने की करने की शिकायत करते हैं। वे परमेश्वर के कायाणलय से ननकलने की इच्छा रखते हैं, जहााँ उनके
सलाह की ज़रूरत
नीनतवचन 12:15. “मूढ़ को अपनी ही चाल सीधी जान पड़ती है , परन्तु जो सम्मनत मानता, वह बुजधदमान
है ।”
नीनतवचन 11:14. “जहााँ बुजधद की युजक्त नहीं, वहााँ प्रजा ववपवत्त मे पड़ती है ; परन्तु सम्मनत दे ने वालों की
बहुतायत के कारर् बचाव होता है ।”
टे स्टीमनीज़ टू शमननस्टसण, पृ. 497. “परमेश्वर के लोगों में से कुछ ऐसे भी लोग हैं जजन्हें परमेश्वर के कायण
में लंबा अनुभव है ....इन लोगों को परखे और चुने हुए सलाहकार के रूप में मानना चादहए। इनकी इज़्जत
की जानी चादहए, और उनके िैसलों को छोटे और कम अनुभव वालों को सम्मान करना चादहए, भले वे बड़े
पदो पर क्यों न हो।”
भजनसंदहता 34:22. “यहोवा अपने दासों का प्रार् मोल ले कर बचा लेता है ; और जजतने उसके िरर्ागत हैं
उन में से कोई भी दोर्ी न ठहरे गा।”
भजनसंदहता 37:5. “अपने मागण की चचन्ता यहोवा पर छोड़; और उस पर भरोसा रख, वही परू ा करे गा।”