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1

आंख का तारा
(बाल नाटक)
नाटक)
लेखक-
क-ूेमःवप ौीवाःतव
(भारत एक
एक से एक सुदर नगर का दे श है ।इसका हर
हर नगर दे श के िलए मह'वपूण*
है ।कोई वःतुओं के उ'पादन के िलए ूिस/ है तो कोई अपनी ूाकृ ितक छटा के
िलए।एक
िलए।एक बार दे श पर एक शऽु ने आबमण कर 5दया।सारे
5दया।सारे नगर ने एक सभा
सभा
क7।5द8ली
क7।5द8ली को इस सभा का सभापित बनाया गया।सभी
गया।सभी नगर ने वचन 5दया 5क अब
वे और भी अिधक मजबूती से एक जुट होकर अपना उ'पादन बढ़ाय>गे तथा दे श म>
5कसी
5कसी चीज क7 कमी नह@ं होने द> गे।इससे दे श का संकट दरू होगा।इस सभा म> सबसे
अAछे नगर को ‘भारत
भारत क7 आंख का तारा’
तारा पद 5दया जाने वाला था।5कसको
था।5कसको िमला यह
पद,
पद 5कसको पहनायी गयी Bवजय क7 माला ? आइए दे ख> इस नाटक म>।)

पाऽः
5द8ली वाराणसी
कलकDा िशमला
बEबई बंगलौर
लखनऊ पंHजम
इलाहाबाद िचतरं जन
ौीनगर उदयपुर

(अिभनय के िलए नोट नगर का अिभनय लड़के या लड़5कयां कर> गे।वे ःथान के
अनुसार वेशभूषा धारण कर> गे।सभी पाऽ अपने माथे पर लगी पKट@ या गले म>
लटकती तLती पर उस नगर का नाम िलखे रह> गे Hजसका वे अिभनय कर रहे हM ।)

पहला Nँय
िसर पर टोपी,माथे
(िसर टोपी माथे पर लEबा ितलक
ितलक लगाए,
लगाए कुता* धोती पहने,कधे पर लाल
गमछा रखे,हाथ म> छड़@ घुमाते और मुंह म> पान चबाते वाराणसी का मंच पर ूवेश।)
।)
वाराणसी:
वाराणसी:(Rण भर इधर उधर दे ख कर)
कर)अरे िमयां लखनऊ!
लखनऊ!अरे ओ िमयां लखनऊ!
लखनऊ!
उठो,
उठो सबेरा हो गया मेरे भाई!
भाई!
लखनऊ:
लखनऊ:(भीतर से)कौन,वाराणसी
कौन वाराणसी महाराज!
महाराज!अरे ,कहां इतनी रात को चल पड़े !सबेरा कहां
हआ अभी तो अंधे
ु ,अभी धरे ा है ।मM तो अभी िलहाफ म> दबका
ु पड़ा हंू ।
वाराणसी:
वाराणसी:िशव िशव!
िशव!5दन चढ़ आया और तुEह> अभी रात लग रह@ है !मM तो ःनान
ःनान पूजा
पाठ सबसे िनबट चुका हंू ।
लखनऊ:
लखनऊ:Vया बात कर रहे हो िमयां ? तुEहारा Vया,
Vया जब भी गंगा जी म> डु ब5कयां मार
2

लीं सवेरा हो गया।


वाराणसी:
वाराणसी:अAछा भैया,ज8द@
ा ज8द@ से कपड़े पहन कर बाहर आ जाओ।भारत
जाओ।भारत के नगर क7
सभा म> नह@ं चलोगे?दे खो,आज
ो आज कौन सा शहर भारत क7 ‘आं
आंख का तारा’
तारा
बनता है ?
एक हाथ म> ली हई
(एक ु दप8ली
ु टोपी को िसर पर कर@ने से बैठाते हए चूड़@दार
ु ,चू ड़@दार पायजामा
ड़@
और िचकन का कुता* पहने,पैर म> मखमली जूितयां डाले,मुंह म> पान चबाते और दसरे

हाथ म> उगालदान थामे, नजाकत के साथ लखनऊ का ूवेश।उगालदान
।उगालदान वह एक 5कनारे
रख दे ता है ।)
लखनऊ:
लखनऊ:तुमने सबेरे सबेरे आज मेरा मूड खराब कर 5दया।यहां
5दया।यहां तो दस बजे 5दन चढ़े
उठता हंू ।।तब बीबी Xयाली म> गरम गरम चाय
चाय ले कर िसरहाने हाHजर होती
है ।उससे पहले तो हम िलहाफ म> से िसर भी िनकालते।
वाराणसी:
वाराणसी:वाह िमयां लखनऊ,तु
लखनऊ तुEहारा भी जबाव नह@ं।नवाब लोग चले गये मगर तुEहार@
नवाबी अभी तक नह@ं गयी।
लखनऊ:
लखनऊ:(एक आह भरकर)
भरकर)आह,
आह वाराणसी महाराज,
महाराज तुमने तो मुझे सुनहले 5दन याद
5दला 5दये।तब मेरा रं ग और ह@ था।अब दस बजे तक उठ जाता हंू ।तब
।तब सारा
5दन सोने या मौज मःती म> िनकल जाता था।
वाराणसी:
वाराणसी:अब उन 5दन को भूल जाओ।जमाना
जाओ।जमाना बहत
ु बदल गया है भाई जान!
लखनऊ:
लखनऊ:ठZक कहते हो।
हो।िसनेमा के आगे मुग[ और तीतर क7 लड़ाई अब कौन पूछता
है ।पतंग लोग अब भी उड़ाते हM ।मगर उसम> वे मजे कहां रह गये?
वाराणसी:
वाराणसी:लगता है तुम बहत
ु दखी
ु रहते हो।मेरे 5कनार पर तो गंगा जी आज भी वैसी
ह@ बहती हM । मं5दर म> शंख और घटे वैसे ह@ बजते हM ।
लखनऊ:
लखनऊ:(सहसा आवाज बदल
बदल कर)
कर) Vया बात करते हो महाराज!
महाराज!गंगा जी का वह शु/
पानी अब कहां रहा।उसम>
रहा।उसम> तो िगरता है नाल का कचरा।बहते हM मुरदे ।और मM
Vय दखी
ु रहने लगा।Vया मेरे बीच गोमती नह@ं बहती?शहर
शहर म> कोई शहर है
तो बस लखनऊ!
लखनऊ!
वाराणसी
वाराणसी:
सी:अरे चलो चलो,
चलो तुEहार@ गोमती का पानी तो गंदा कर 5दया है लोग ने।
उसम> मछिलयां
मछिलयां तक Hजदा नह@ं रह पायीं।लगता है तुमने मेरा आज का
सारनाथ नह@ं दे खा।हर@
ा।हर@ मखमली घास के मैदान,
ान फूल क7 Vया\रयां,मृगदाव
म> चौक
चौक5ड़यां
5ड़यां भरते 5हरन।हजार
5हरन।हजार आदमी
आदमी रोज इह> दे खने आते हM ।
लखनऊ:
लखनऊ:अजी महाराज,उससे
महाराज उससे दने
ू लोग तो मेरे अजायबघर और िचH़डयाघर को ह@
दे खने पहंु च जाते हM ।Vया इमामबाड़े जैसी कोई इमारत तुEहारे यहां कोई है ?
वाराणसी:
वाराणसी:(तेज आवाज म>)Vय लखनऊ,मे
लखनऊ मेरा 5हद ू Bव^Bव_ालय दे ख लो तो तुEहार@
आंख> खुली क7 खुली रह जायं।
लखनऊ:
लखनऊ:(और तेज आवाज म>)मेरे यहां िचकन का कुता* और िचकन क7 साH़डयां बनती
3

हM ।जो भी इह> पहन ले दना


ू खूबसूरत 5दखायी पड़ने लगे।तुम तो बस भांग
धतूरा खाने वाले हो।
वाराणसी:
वाराणसी:(उछलकर)
उछलकर)मेर@ बनारसी िस8क क7 साड़@
साड़@ के आगे
आगे ये िचकन के कपड़े झख
मार> गे।बस िमयां बैठ कर रे वH़डयां कुटकुटाओ।
लखनऊ:
लखनऊ:(उबल कर)
कर) लखनऊ का दशहर@ आम दे ख लो तो तुEहारे मुह
ं म> पानी आ
जाय।
वाराणसी:
वाराणसी:(बोध से)छोटे मुंह बड़@ बात>।मेरे लंगड़े आम क7 महक भर िमले तो तुEहार@
लार टपकने लगे।
लखनऊ:
लखनऊ:(चीख कर)
कर) मM इस उDर ूदे श क7 राजधानी हंू ।दे ख लेना आज ‘आं
आंख का
तारा।
तारा।’ मM ह@ चुना जाऊंगा।
वाराणसी:
वाराणसी:(पैर पटक कर)
कर) मM भगवान शंकर क7 आंख का तारा हंू ।
सहसा इलाहाबाद का ूवेश।वह जज वाला गाऊन (व`)
(सहसा व`)पहने हये
ु है ।)
इलाहाबाद:
इलाहाबाद:दोःत,
दोःत शात रहो।आप
रहो।आप लोग यह Vया झगड़ा कर रहे हM ?
वाराणसी:
वाराणसी:आइए इलाहाबाद जी।दे
जी।दे Hखए,ये
खए ये लखनऊ िमयां मुझे नीचा 5दखाने क7 कोिशश
कर रहे हM ।
लखनऊ:
लखनऊ:वाह,उ8टा
वाह उ8टा चोर कोतवाल को डांटे।सुबह ह@ सुबह जगाकर मेर@ नींद खराब कर
द@।उस
द@।उस पर से मुझे ह@ दोष दे रहे हो।
इलाहाबाद:
इलाहाबाद:शात हो जाओ दोःतो,आपम>
दोःतो आपम> म> से न कोई 5कसी से छोटा है न बड़ा।दोन
बड़ा।दोन
ह@ ूदे श क7 Vया,पू
Vया पूरे भारत क7 दो आंखे हो।(
हो।(सहसा खांसता है )
वाराणसी:
वाराणसी:आपक7 तबीयत ठZक नह@ं लगती।
इलाहाबाद:
इलाहाबाद:हां,एक तो शीतलहर@ से परे शान था।उस
था।उस पर हाईकोट* के सैकड़ मुकदमे रोज
रोज
दे खने पड़ते हM । आज कल कुEभ मेले के इतजाम म> जुटा हंू ।
लखनऊ:
लखनऊ:आपके यहां से aयादा ठं ड तो मेरे ह@ यहां थी।
वाराणसी:
वाराणसी:(हं स कर)
कर)दे खो भैया इलाहाबाद,
इलाहाबाद ये लखनऊ भाई जान हर चीज म> आगे रहना
चाहते हM ।ठं ढक हई
ु तो,गमc
गमc हई
ु तो,इनक
इनके यहां सब चीज> दसर

ू र से अिधक होती
हM ।अब बोलो,
बोलो इलाहाबाद का Bऽवेणी संगम है तुEहारे यहां?
इलाहाबाद:
इलाहाबाद:दोःत,
दोःत मM 5फर कहता
कहता हंू , आप लोग िमऽता और भाईचारे क7 बात> 5कया
कर> ।मेरा Bऽवेणी संगम तो पूरे दे श का है ।सारे दे श के लोग वहां ःनान करने
आते हM ।
लखनऊ:
लखनऊ:मM बात आने पर भले कुछ कह दं ,ू मगर 5कसी से बराबर@ नह@ं करना
चाहता।अब
चाहता।अब इलाहाबाद जी का 5कतना बड़ा नाम है ।वहां बAच के Bूय
Bूय चाचा
नेह जी पैदा हए
ु थे।उनका आनद भवन दे खने ह@ योdय है ।
इलाहाबाद:
इलाहाबाद:(घड़@ क7 ओर दे ख कर)
कर)दोःत,अब
दोःत अब सभा का समय हो रहा है ।हम> ज8द@ वहां
पहंु चना चा5हए।
4

तीन का ूःथान।पदा* िगरता है ।)


(तीन

दसरा
ू Nँय
सभा ःथल
(सभा ःथल का Nँय।मेज कुिस*यां लगी हई
ु हM ।इन पर इलाहाबाद,लखनऊ
इलाहाबाद लखनऊ,
लखनऊ
वाराणसी,कलकDा
वाराणसी कलकDा,
कलकDा बंगलौर,ब
लौर बEबई आ5द बैठे 5दखायी पड़ते हM ।सभापित क7 कुसc पर
5द8ली बैठा हआ
ु है ।)
5द8ली:
5द8ली:दोःत,
दोःत बहत
ु 5दन के बाद यह अवसर िमला है ।आज यहां दे श के सभी बड़े
ु हM । य5द दे श पर शऽु ने हमला न 5कया होता तो शायद यह
शहर पधारे हए
अवसर न िमलता।आज
िमलता।आज हम
हम एक बड़े संकट से िघरे हए
ु हM ।दे श क7 आजाद@
खतरे म> है । उसी पर Bवचार करने के िलए मुझे आज यह सभा बुलानी पड़@
है ।
बEबई:
बEबई:(खड़ा होकर)
होकर)सभापित महोदय,
महोदय आप इस दे श क7 राजधानी है ।आप पूरे दे श का
शासन चलाने म> सहायता करते हM ।इस संकट
कट से आपको भी बड़@ िचता
होगी।मM
होगी।मM आपको Bव^ास 5दलाता हंू -यहां शऽु अपने कदम भी नह@ं रख सकता।
सभा म> खुशी से तािलयां बजती हM ।)
(सभा
5द8ली:
5द8ली:मुझे अपने िमऽ बEबई क7 बात सुन कर बड़@ ूसनता हई
ु , मगर मM एक बुर@
बात क7 ओर आपका eयान खींचना चाहता हंू ।हम कभी धम* को लेकर,कभी
र कभी
भाषा को लेकर बेकार ह@ आपस म> लड़ते झगड़ते रहते हM ।यह ठZक नह@ं है ।
इलाहाबाद:
इलाहाबाद:सभापित जी का कहना सह@ है ,ले5कन अब आगे से ऐसा नह@ं होगा।हम
होगा।हम
अपनी एकता को और भी मजबूत बनाय>गे तथा आपस म> 5कसी तरह का
भेद-भाव नह@ं रख>गे।
सभी लोग तािलयां बजाते हM ।)
(सभी
5द8ली:
5द8ली:अपने दे श के िलए आपको 'याग करना पड़े गा,कg
ा कg उठाना होगा।दे
होगा।दे श म> गर@बी
बढ़ रह@ है । चीज के दाम बढ़ रहे हM ।इससे जनता दःखी
ु है ।जब तक उसका
दःख
ु दरू नह@ं 5कया जाएगा,हमारे
हमारे हाथ मजबूत नह@ं हो सक>गे।बोिलए,
बोिलए इस
संकट क7 घड़@ म> आप कैसे जनता क7 सहायता कर> ग?े आपके जबाव पर ह@
आप म> से 5कसी एक को आज‘भारत
आज भारत क7 आंख का तारा’
तारा चुना जायेगा।उसी
ा।उसी के
गले म> Bवजय क7 माला पड़े गी।
बEबई:
बEबई:मेरा कपड़े और 5फ8म का hयवसाय मशहर
ू है ।मM अब दे श को अAछे और
aयादा कपड़े दं ग
ू ा। दे श ूेम क7 5फ8म> बन>गी।इनसे
गी।इनसे हई
गी। ु आमदनी का एक बड़ा
5हःसा दे श को मजबूत बनाने म> लगेगा।
कलकDा:
कलकDा:मेरेरे यहां जूट का कारबार होता है ।मशीन को बनाने वाले बड़े बड़े कारखाने
हM ।मM अAछZ मशीन> दे कर दे श के उ_ोग धध को बढ़ाऊंगा।
िशमला:
िशमला:मेरे यहां पहाड़ क7 सुदरता
दरता दे खते ह@ बनती है ।साथ ह@ ये पहाड़ हमारे दे श
क7 सीमा के पहरे दार भी हM ।अब कोई शऽु इस दे श क7 सीमा पर आंख>
ख> भी
5

नह@ं उठा सकेगा।


पंHजम:
जम:गोवा क7 राजधानी हंू ।गोवा के समुि के 5कनारे बहत
ु ह@ सुदर हM ।हजार
सैलानी यहां क7 सुदरता
दरता दे खने आते हM ।मM भारत के तट का रखवाला भी
हंू ।कोई शऽु अब इधर से भारत म> ूवेश नह@ं कर सकेगा।
ौीनगर:
ौीनगर:मM कँमीर का ूिस/ नगर हंू ।कँमीर को भारत का मुकुट समHझये,मेरे यहां
क7 झील> और बाग संसार म> अपनी सुदरता के िलए ूिस/ हM ।मM वचन दे ता
हंू 5क मेर@ भूिम पर पांव रखकर कोई शऽु भारत म> नह@ं आ सकता।
बंगलौर:
लौर:मेरे यहां बनने वाले हवाई जहाज से दे श का hयापार बढ़े गा और सेना के हाथ
भी मजबूत हगे।
िचतरं जन:
न:मेरे रे ल इं जन से अब दे श म> रे लगा5ड़य
लगा5ड़य का जाल और भी फैलेगा।दे श के
5कसी भी कोने म> पैदा होने वाली चीज> जरत क7 जगह पहंु च जाया कर> गी।
सभा म> तािलयां बजती हM ।)
(सभा
5द8ली:
5द8ली:आप लोग क7 बात> सुनकर मM खुशी से फूला नह@ं समा रहा हंू ।सचमुच अब
हमारे दे श म> 5कसी ूकार क7 कमजोर@ और कमी नह@ं रहे गी ले5कन
5कन मM अभी
तक यह नह@ं तय कर सका 5क ‘आं
आंख का तारा’
तारा पद 5कस शहर या ःथान को
5दया जाय।
सहसा सभा म> उदयपुर का ूवेश।चार ओर सनाटा सा छा जाता है ।उदयपुर लोहे का
(सहसा
कवच,
कवच पीठ पर ढाल,कमर
ढाल कमर म> तलवार,हाथ
तलवार हाथ म> लEबा भाला तथा चूड़@दार पायजामा
पायजामा पहने
राजपूती वेशभूषा म> है ।उसके घनी मूछ वाले रोबीले चेहरे पर सब क7 आंख> 5टक
जाती हM ।)
उदयपुर:(िसर झुकाकर सब को ूणाम करता हआ
ु ) इस सभा को उदयपुर ूणाम
करता है ।िमऽ,इस
िमऽ इस सभा म> मM ‘आं
आंख का तारा’
तारा पद लेने नह@ं आया हंू ।मM इस
महान पद के योdय हंू भी नह@ं।मेरे यहां न शानदार Bव^Bव_ालय हM और न
लEबे चैड़े बाजार।मे
बाजार।मेरे यहां कल कारखाने भी नह@ं हM ,न अनाज
अनाज या कपड़े क7
ूिस/ मं5डयां हM ।मेरे पास टटे
ू फूटे 5कले हM ,क
कंकर@ली धरती है ,ऊबड़ खाबड़
पहाH़डयां हM ,कुछ सूखे,कुछ हरे जंगल हM ।
लखनऊ:
लखनऊ:पर भाई,आपने
भाई आपने जमभूिम के िलए कुरबानी दे ने वाले राणा सांगा,महाराणा
ा महाराणा
ूताप जैसे वीर को तो पैदा 5कया है ।
वाराणसी:
वाराणसी:और कौन नह@ं जानता 5क आपके यहां ूाण का बिलदान करने वाली रानी
पिjनी जैसी वीर दे Bवयां हई
ु हM ।
इलाहाबाद:
इलाहाबाद:मातृभूिम के िलए
िलए अपना सारा धन दान करने वाले भामाशाह भी तो आप
ह@ क7 गोद म> खेले हM ।
गोवा:
गोवा:आप तो आज भी दे श को वीर जवान दे ते हM ।
उदयपुर:हां, ऐसे जवान जो भूख Xयास क7 भी परवाह नह@ं करते।हkत भूखे Xयासे
6

रहकर शऽु से लड़ते रहते हM ।मेरे बहा


बहादर
दरु बेटे अपना िसर दे द> गे, मगर एक इं च
धरती हाथ से नह@ं जाने दे ग>।मेरे यहां के बालक,बड़े
बालक बड़े ,बूढ़े,अमीर,
अमीर गर@ब सभी दे श
के िलए मर िमटना जानते हM ।
सभा म> तािलयां बजती हM )
(सभा
5द8ली:
5द8ली:भाइय!
भाइय! उदयपुर भाई,
भाई ने तो यहां आकर हम लोग क7 सार@ समःया ह@ हल
कर द@।मM समझता हंू अब मुझे ह@ नह@ं आप लोग
लोग को भी िनlय हो गया
होगा 5क ‘आं
आंख का तारा’
तारा पद उदयपुर भाई को ह@ िमलना चा5हए।सचमु
चा5हए।सचमुच
इनका 'याग महान है ।
चार ओर से आवाज> आती हM -हां-हां सचमुच यह पद
(चार पद उदयपुर भाई को ह@ िमलना
चा5हए)
चा5हए)
5द8ली:
5द8ली:तब मM इस सभा क7 ओर से Bवजय क7 माला उदयपुर भाई को पहनाता हंू ।
आगे बढ़ कर फूल का हार उदयपुर के गले म> पहनाता है उदयपुर खड़ा होकर सामने
(आगे
दोन हाथ जोड़कर िसर झुका लेता है ।सभा म> एक बार 5फर तािलयां बजाती हM ।)
पदा* िगरता है ।)
(पदा*
0000
ूेमःवप ौीवाःतव
आर एस-
एस-2/108,
108,राaय
राaय सEपBD
आवासीय प\रसर,
प\रसर,सेVटर-
टर-21,
21,इHदरानगर
लखनऊ-
लखनऊ-226016,
226016,
मोबाइल-
मोबाइल-07376627886

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