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सरस्वती पूजा

http://www.mantraaonline.com/
सरस्वती पज
ू ा

Check List

1. Altar, Deity (statue/photo),

2. Two big brass lamps (with wicks, oil/ghee)

3. Matchbox, Agarbatti

4. Karpoor, Gandha Powder, Kumkum, gopichandan, haldi, Kaajal

5. Sri Mudra (for Sandhyaavandan), Vessel for Tirtha, Yajnopaviita

6. Puujaa Conch, Bell, One aaratii (for Karpoor), Two Aaratiis with wicks

7. Flowers, Akshata (in a container), tulsi leaves, tulsi mala

8. Decorated Copper or Silver Kalasha, Two pieces of cloth (new),

9. Coconut, 1/2 kg. Rice, Bananas 6, gold coin, gold chain

10. Extra Kalasha, 3 trays, 3 vessels for Abhisheka

11. Betel nuts 6, Betel nut Leaves 12, Banana Leaves 2, Mango Leaves 5-25

12. Dry Fruits, 5 bananas, 1 coconut - all for naivedya

13. Panchaamrita - Milk, Curd, Honey, Ghee, Sugar, Tender Coconut Water

14. Puja Book

15. Dora (thread)

http://www.mantraaonline.com/ 2|P age


१ At the regular altar ॐ उपें द्राय नमः | ॐ िरये नमः |
श्री कृष्णाय नमः ||
ॐ सर्वेभ्यो गुरुभ्यो नमः | ---------------------------------------------------------------------

ॐ सर्वेभ्यो दे र्वेभ्यो नमः | ३ प्राणायामः


(Due to pranayam, the rajas component decreases
ॐ सर्वेभ्यो ब्राह्मणेभ्यो नमः || and the sattva component increases)
प्रारं भ कायं ननर्र्विघ्नमस्तु | शुभं शोभनमस्तु |
इष्ट दे र्वता कुलदे र्वता सुप्रसन्ना र्वरदा भर्वतु || ॐ प्रणर्वस्य परब्रह्म ऋर्षः | परमात्मा दे र्वता |

अनुज्ां दे हि || दै र्वी गायिी छन्दः | प्राणायामे र्र्वननयोगः ||

At the सरस्र्वती altar


ॐ भःू | ॐ भर्व
ु ः | ॐ स्र्वः | ॐ मिः |
---------------------------------------------------------------------
२ आचमनः ॐ जनः | ॐ तपः | ॐ सत्यं |
ॐ भभ
ू र्व
ुि ः स्र्वः |
द्र्र्वराचम्य ॐ तत्सर्र्वतुर्वरि े ण्यं भगो दे र्वस्य धीमिी
धधयो यो नः प्रचोदयात ् ||
ॐ केशर्वाय स्र्वािाः | ॐ नारायणाय स्र्वािाः |
ॐ माधर्वाय स्र्वािाः | पन
ु राचमन
(Sip one spoon of water after each of the above three mantras| (Repeat Achamana 2 - given above)
Take a little water from the vessel for worship with an offering
spoon onto the palm and sip it| This is called achaman| Just as ॐ आपोज्योनत रसोमत
ृ ं ब्रह्म भूभर्व
ुि स्सुर्वरोम ् ||
bathing causes external purification, partaking water in this
way is responsible for internal purification| This act is repeated (Apply water to eyes and understand that you are of
thrice| Thus physical, psychological and spiritual, internal the nature of Brahman)
purification is brought about|)
---------------------------------------------------------------------

ॐ गोर्र्वंदाय नमः | ॐ र्र्वष्णर्वे नमः | ४ सङ्कल्पः


(Holding unbroken consecrated rice (akshata) and an offering
ॐ मधस
ु ूदनाय नमः | ॐ त्रिर्र्वक्रमाय नमः | spoon (pali) with water in the cup of one’s hand one should
chant the mantra with the resolve, ‘I of the .....lineage (gotra),
ॐ र्वामनाय नमः | ॐ श्रीधराय नमः | ..... am performing the .... ritual to obtain the benefit according
to the Shrutis, Smrutis and Purans in order to acquire .... result
ॐ हृषीकेशाय नमः | ॐ पद्मनाभाय नमः | and then should offer the water from the hand into the circular,
ॐ दामोदराय नमः | ॐ सङ्कषिणाय नमः |
shelving metal dish (tamhan). Offering the water into the
circular, shelving dish signifies the completion of an act.)
ॐ र्वासुदेर्वाय नमः | ॐ प्रद्युम्नाय नमः |
ॐ अननरुद्धाय नमः | ॐ पुरुषोत्तमाय नमः | सर्वि दे र्वता प्रार्िना
(Stand and hold a fruit in hand during sankalpa)
ॐ अधोक्षजाय नमः | ॐ नारससंिाय नमः |
ॐ अच्युताय नमः | ॐ जनादि नाय नमः | ॐ श्रीमान ् मिागणाधधपतये नमः |

http://www.mantraaonline.com/ Saraswathi Puja 3|P age


श्री गुरुभ्यो नमः | श्री सरस्र्वत्यै नमः | द्र्वादशैतानन नामानन यः पठे त ् श्रण
ु ुयादर्प ||
श्री र्वेदाय नमः | श्री र्वेदपुरुषाय नमः | र्र्वद्यारं भे र्र्वर्वािे च प्रर्वेशे ननगिमे तर्ा |
इष्टदे र्वताभ्यो नमः | संग्रामे संकटे चर्व
ै र्र्वघ्नः तस्य न जायते ||
(Prostrations to your favorite deity)
कुलदे र्वताभ्यो नमः | (Whoever chants or hears these 12 names of Lord
(Prostrations to your family deity) Ganesha will not have any obstacles in any of their
स्र्ान दे र्वताभ्यो नमः |
endeavours)

(Prostrations to the deity of this house)


ग्रामदे र्वताभ्यो नमः | शुकलांबरधरं दे र्वं शसशर्वणं चतुभज
ुि म ् |
प्रसन्नर्वदनं ध्यायेत ् सर्वि र्र्वघ्नोपशांतये ||
(Prostrations to the deity of this place)
र्वास्तद
ु े र्वताभ्यो नमः |
(Prostrations to the deity of all the materials we have
collected)
शचीपुरंदराभ्यां नमः | सर्विमङ्गल माङ्गल्ये सशर्वे सर्वािर्ि साधधके |
(Prostrations to the Indra and shachii) शरण्ये त्र्यंबके दे र्वी नारायणण नमोऽस्तुते ||
उमामिे श्र्वराभ्यां नमः |
(Prostrations to Shiva and pArvati)
लक्ष्मीनारायणाभ्यां नमः | (We completely surrender ourselves to that Goddess
(Prostrations to the Lords who protect us - LakShmi and who embodies auspiciousness, who is full of
NArAyaNa) auspicious-ness and who brings auspicousness to us)

मातार्पतभ्
ृ यां नमः |
(Prostrations to our parents) सर्विदा सर्वि कायेषु नास्स्त तेषां अमङ्गलम ् |
सर्वेभ्यो दे र्वेभ्यो नमो नमः | येषां हृहदस्र्ो भगर्वान ् मङ्गलायतनो िररः ||
(Prostrations to all the Gods)
सर्वेभ्यो ब्राह्मणेभ्यो नमो नमः |
(Prostrations to all Brahamanas - those who are in the religious
path) (When Lord Hari, who brings auspiciousness is
एतद्कमि प्रधान दे र्वताभ्यो नमो नमः | situated in our hearts, then there will be no more
inauspiciousness in any of our undertakings)
(Prostrations to Goddess Saraswathi, the main deity of this
puja)

तदे र्व लग्नं सहु दनं तदे र्व ताराबलं चंद्रबलं तदे र्व |
|| अर्र्वघ्नमस्तु ||
र्र्वद्याबलं दै र्वबलं तदे र्व लक्ष्मीपतेः तें नयऽयुगं
स्मरासम ||
सुमुखश्च एकदं तश्च कर्पलो गजकणिकः |
लंबोदरश्च र्र्वकटो र्र्वघ्ननाशो गणाधधपः || (What is the best time to worship the Lord? When our
hearts are at the feet of Lord Narayana, then the
धम्र
ू केतुगण
ि ाध्यक्षो बालचन्द्रो गजाननः | strength of the stars, the moon, the strength of
knowledge and all the Gods will combine and make it
the most auspicious time and day to worship the Lord)

http://www.mantraaonline.com/ Saraswathi Puja 4|P age


लाभस्तेषां जयस्तेषां कुतस्तेषां पराजयः | दग
ु ािलक्ष्मीयुकतां सरस्र्वती दे र्वीं प्रीत्यर्ं पूजनं च दे र्वी
येषां इस्न्दर्वरश्यामो हृदयस्र्ो जनादि नः || मािात्म्य मन्ि पठनं कररष्ये ॥

इदं फलं मया दे र्र्व स्र्ार्पतं पुरतस्तर्व |


(When the Lord is situated in a person's heart, he
will always have profit in his work and victory in all तेन मे सफ
ु लार्वास्प्तर् भर्वेत ् जन्मनन जन्मनन ||
that he takes up and there is no question of defeat (keep fruits in front of the Goddess)
for such a person)
---------------------------------------------------------------------
५. षडङ्ग न्यास
र्र्वनायकं गरु
ु ं भानंु ब्रह्मार्र्वष्णम
ु िे श्र्वरान ् |
(Purifying the body)
सरस्र्वतीं प्रणम्यादौ सर्वि कायािर्ि ससद्धये ||
---------------------------------------------------------------------
५.(१) कर न्यास
(To achieve success in our work and to find
(Purifying the hands)
fulfillment we should first offer our prayers
to Lord Vinayaka and then to our teacher, then
ॐ ह्ां | अंगुष्ठाभ्यायां नमः | हृदयाय नमः ||
to the Sun God and to the holy trinity of Brahma,
ViShNu and Shiva)
(touch the thumbs)
ॐ ह्ीं | तजिनीभ्यां नमः | सशरसे स्र्वािाः ||
श्रीमद् भगर्वतो मिापरु
ु षस्य र्र्वष्णोराज्या
(touch both fore fingers)
प्रर्वतिमानस्य अद्य ब्रह्मणो द्र्र्वतीय पराधे र्र्वष्णुपदे ॐ ह्ुं | मध्यमाभ्यां नमः | सशखायै र्वषट् ||
श्री श्र्वेतर्वराि कल्पे र्वैर्वस्र्वत मन्र्वन्तरे --------- दे शे (touch middle fingers)
ॐ ह्ैं | अनासमकाभ्यां नमः | कर्वचाय िुम ् ||
शासलर्वािन शके र्वतिमाने व्यर्विाररके ------------ नाम
(touch ring fingers)
संर्वत्सरे ---------------- आयणे --------------ऋतौ ---- ॐ ह्ौं | कननस्ष्ठकाभ्यां नमः | नेिियाय र्वौषट् ||
-------------- मासे -------------- पक्षे ----- नतर्ौ ----- (touch little fingers)

नक्षिे ----- र्वासरे सर्वि ग्रिे षु यर्ा रासश स्र्ान ॐ ह्ः | करतलकरपष्ृ ठाभ्यां नमः | अस्िाय फट् ||
(touch palms and over sleeve of hands)
स्स्र्तेषु सत्सु एर्वं गुणर्र्वशेषेण र्र्वसशष्टायां
---------------------------------------------------------------------
शुभपुण्यनतर्ौ मम आत्मन श्रनु तस्मनृ त पुराणोकत
५.(२) हदग्बन्धन
फलप्राप्यर्ं मम सकुटुम्बस्य क्षेम स्र्ैयि आयुरारोग्य ( show mudras)

चतुर्र्विध पुरुषार्ि ससध्यर्ं अंगीकृत सरस्र्वती


व्रतांगत्र्वेन संपाहदत सामग्रव्या सरस्र्वती प्रीत्यर्ं ॐ भूभर्व
ुि स्र्वरोम ् इनत हदग्बन्धः |
(snap fingers, circle head clockwise and clap hands)
यर्ा शकत्या यर्ा समसलता उपचार द्रव्यैः श्री सूकत
हदशो बद्नासम ||
परु ाणोकत मन्िैश्च ध्यान आर्वािनाहद षोडशोपचारे (shut off all directions i|e| distractions so that we can
concentrate on the Goddess)
दग
ु ािलक्ष्मीयुकतां सरस्र्वती दे र्वीं उद्हदश्य,
---------------------------------------------------------------------

http://www.mantraaonline.com/ Saraswathi Puja 5|P age


६ गणपनत पूजा ॐ मिागणपतये नमः | आचमनीयं समपियासम |
ॐ मिागणपतये नमः | स्नानं समपियासम |
(To prevent any obstacle from disrupting an auspicious
occasion, it is begun with the worship of Lord Ganapati|)
ॐ मिागणपतये नमः | र्वस्िं समपियासम |
आदौ ननर्र्विघ्नता ससध्यर्ं मिा गणपनत पज
ू नं ॐ मिागणपतये नमः | यज्ोपर्वीतं समपियासम |
कररष्ये | ॐ मिागणपतये नमः | चंदनं समपियासम |
ॐ मिागणपतये नमः | पररमल द्रव्यं समपियासम
ॐ गणानां त्र्वा शौनको गत्ृ समदो गणपनतजिगती
ॐ मिागणपतये नमः | पुष्पाणण समपियासम |
गणपत्यार्वािने र्र्वननयोगः ||
ॐ मिागणपतये नमः | धप
ू ं समपियासम |
ॐ मिागणपतये नमः | दीपं समपियासम |
(pour water)

ॐ मिागणपतये नमः | नैर्वेद्यं समपियासम |


ॐ गणानां त्र्वा गणपनतं िर्वामिे |
ॐ मिागणपतये नमः | ताम्बूलं समपियासम |
कर्र्वं कर्वीनामप
ु म श्रर्वस्तमं |
ॐ मिागणपतये नमः | फलं समपियासम |
ज्येष्ठराज ब्रह्मणां ब्रह्मणस्पत |
ॐ मिागणपतये नमः | दक्षक्षणां समपियासम |
आ नः शण्ृ र्वन्ननू तसभः सीदसादनं ||
ॐ मिागणपतये नमः | आनतिकयं समपियासम |

भःू गणपनतं आर्वाियासम |


ॐ भभ
ू र्व
ुि स्र्वः मिागणपतये नमः |
भुर्वः गणपनतं आर्वाियासम |
मन्िपुष्पं समपियासम |
स्र्वः गणपनतं आर्वाियासम |
ॐ भभ
ू र्व
ुि स्र्वः मिागणपतये नमः |
प्रदक्षक्षणा नमस्कारान ् समपियासम |
ॐ भूभर्व
ुि स्र्वः सांगं सपररर्वारं
सायुधं सशस्कतकं मिागणपनतं आर्वाियासम |
(O great Ganapati come along with Riddhi, Buddhi, ॐ भूभुर्व
ि स्र्वः मिागणपतये नमः | छिं समपियासम |
your entire family, all your weapons and might’)
ॐ मिागणपतये नमः | चामरं समपियासम |
ॐ मिागणपतये नमः | गीतं समपियासम |
ॐ भूभर्व
ुि स्र्वः मिागणपतये नमः ध्यायासम| ध्यानम ्
ॐ मिागणपतये नमः | नत्ृ यं समपियासम |
समपियासम |
ॐ मिागणपतये नमः | र्वाद्यं समपियासम |
ॐ मिागणपतये नमः | आर्वािनं समपियासम |
ॐ मिागणपतये नमः | सर्वि राजोपचारान ्
ॐ मिागणपतये नमः | आसनं समपियासम |
समपियासम ||
ॐ मिागणपतये नमः | पाद्यं समपियासम |
ॐ मिागणपतये नमः | अघ्यं समपियासम |

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ॐ औषधाय संर्वदं ते सोमेन सिराज् |
|| अर् प्रार्िना || यस्मै कृणेनत ब्राह्मणस्र्ं राजन ् पारयामसस ||
ॐ र्वक्रतुण्ड मिाकाय कोहटसूयि समप्रभ | (Touch the grains/rice/wheat)

ननर्र्विघ्नं कुरु मे दे र्व सर्वि कायेषु सर्विदा ||


१० कलश स्र्ापना
ॐ भूभर्व
ुि स्र्वः मिागणपतये नमः | प्रार्िनां (Two small heaps of rice should be made on the ground
amidst chanting mantras. Later, chanting the mantra two pots
समपियासम | of either gold, silver, copper or unbroken earthen pots
should be placed on these two heaps.)

अनया पूजया र्र्वघ्निताि मिागणपनतः प्रीयताम ् ||


ॐ आ कलशेषु धार्वनत पर्र्विे पररससंच्यते
(Offering of flowers - May Shri Mahaganapati, the vanquisher उकतैयज्
ि ेषु र्वधिते ||
of all obstacles be appeased with this worship of mine’,
chanting thus water should be released) (keep kalasha on top of rice pile)
ॐ इमं मे गङ्गे यमुने सरस्र्वती शुतुहद्र स्तोमं
---------------------------------------------------------------------
७ दीप स्र्ापना सचता परुष्ण्या |
अससकन्य मरुद्र्वध
ृ े र्र्वतस्तयाजीकीये श्रण
ु ुह्या
अर् दे व्यै र्वाम भागे दीप स्र्ापनं कररष्ये | सुषोमया ||
(fill kalasha with water)
अस्ग्ननािस्ग्नः ससमध्यते कर्र्वग्रििपनतयुर्व
ि ा िव्यर्वात ्
ॐ गंधद्र्वारां दरु ाधषां ननत्यपुष्टां करीर्षणीं |
जुर्वास्यः ||
ईश्र्वरीं सर्विभूतानां तासमिोपह्र्वयेधश्रयं ||
(light the lamps) (sprinkle in/apply gandha to kalasha)
--------------------------------------------------------------------- ॐ या फसलनीयाि अफला अपुष्पायाश्च पुस्ष्पणीः |
८ भसू म प्रार्िना बि
ृ स्पनत प्रसोतास्र्ानो मंचत्र्वं ि सः ||
(open palms and touch the ground. (put betel nut in kalasha)
first the earth (ground) on the right hand side (since the host
performing the religious ceremony is facing the east, the hand ॐ सहिरत्नानन दाशुषुसुर्वानत सर्र्वता भगः |
touching the ground is in the southern direction) and then the
earth on the left hand side, in front of oneself (that is the तम्भागं धचिमीमिे ||
northern direction) should be touched. Energies from the south (put jewels / washed coin in kalasha)
ॐ हिरण्यरूपः हिरण्य सस्न्द्रग्पान्न पात्स्येद ु हिरण्य
are distressing. To prevent them from causing distress, one
offers obeisance to them by touching the earth. The energies
from the north are however saluted as they are pleasant.)
र्वणिः |
मिीध्यौः पधृ र्र्वीचन इमं यज्ं समसमक्षतां
हिरण्ययात ् पररयोनेननिषद्या हिरण्यदा ददत््यन ्
र्पप्रतान्नो भरीमसभः ||
नमस्मै ||
---------------------------------------------------------------------
(put gold / daxina in kalasha)
९ धान्य रासश
ॐ काण्डात ् काण्डात ् प्ररोिं ती परुषः परुषः परर
एर्वानो दर्व
ू े प्रतनु सिस्रेण शतेन च ||

http://www.mantraaonline.com/ Saraswathi Puja 7|P age


समपियासम ||
(put duurva / karika )
ॐ अश्र्वत्र्ेर्वो ननशदनं पणणिर्वो र्वसनतश्कृत |
ॐ भूभर्व
ुि ःस्र्वः | र्वरुणाय नमः| धप
ू ं समपियासम ||
गो भाज इस्त्कला सर्यत्स नर्वर् पूरुषं ||
(put five leaves in kalasha)
ॐ भूभर्व
ुि ःस्र्वः | र्वरुणाय नमः| दीपं समपियासम ||
ॐ या फसलनीयाि अफला अपष्ु पायाश्च पस्ु ष्पणीः | ॐ भूभर्व
ुि ःस्र्वः | र्वरुणाय नमः| नैर्वेद्यं समपियासम ||
बि
ृ स्पनत प्रसोतास्र्ानो मंचत्र्वं ि सः || ॐ भूभर्व
ुि ःस्र्वः | र्वरुणाय नमः |
(place coconut on kalasha)
सकल राजोपचारार्े अक्षतान ् समपियासम ||
ॐ यर्व
ु ासर्व
ु ासः परीर्वीतागात ् स उश्रेयान ् भर्वनत
जायमानः | अर्वते िे ळो र्वरुण नमोसभररर्व यज्ेसभरीमिे िर्र्वसभिः |
तं धीरासः कार्वयः उन्नयंनत स्र्वाद्ध्यो स्र्वाद्ध्यो क्षयं नमस्मभ्यं सुरप्रचेता राजन ् नेनांसस सशश्रर्ः
मनसा दे र्वयंतः|| कृतानन ||
(tie cloth for kalasha)
र्वरुणाय नमः | मन्ि पुष्पं समपियासम ||
ॐ पण
ू ािदर्र्वि परापत सप
ु ण
ू ाि पन
ु रापत |
प्रदक्षक्षणा नमस्कारान ् समपियासम ||
र्वस्ने र्व र्र्वक्रीणार्वः इषमूजं शतक्रतो ||
(decorate copper plate and ashhTadala with kuMkuM)
इनत कलशं प्रनतष्ठापयासम || अनया पज
ू या भगर्वान ् श्री मिा र्वरुण प्रीयताम ् ||

सकल पूजार्े अक्षतान ् समपियासम || सकल पूजार्े अक्षतान ् समपियासम ||

--------------------------------------------------------------------- ---------------------------------------------------------------------
११ र्वरुण पूजन १२ कलश पज
ू न
(On the second kalasha) (continue with second kalasha)

तत्र्वायासम शुनः शेपोः र्वरुण त्रिष्टुप ् कलशे कलशस्य मख


ु े र्र्वष्णःु कण्ठे रुद्रः समाधश्रतः |
र्वरुणार्वािने र्र्वननयोगः || मूले ति स्स्र्तो ब्रह्मा मध्ये मातग
ृ णाः स्मत
ृ ाः ||
कुक्षौतु सागराः सर्वे सप्त द्र्वीपा र्वसंध
ु राः |
ॐ तत्र्वायासम ब्रह्मणा र्वन्दमानस्तदा शास्ते ऋग्र्वेदोर् यजुर्वेदः सामर्वेदोह्यर्र्विणः ||
यजमानो िर्र्वसभिः | अंगैश्च सहिताः सर्वे कलशंतु समाधश्रताः |
आिे लमानो र्वरुणः बोध्युरुशं समान आयुः प्रमोर्षः अि गायिी सार्र्विी शांनत पुस्ष्टकरी तर्ा ||
ॐ भूभर्व
ुि ःस्र्वः र्वरुणाय नमः |चंदनं समपियासम || आयान्तु दे र्व पूजार्ं असभषेकार्ि ससद्धये ||
(add to kalasha)
ॐ भूभर्व
ुि ःस्र्वः | र्वरुणाय नमः | अक्षतान ् ॐ ससताससते सररते यि संगर्े तिाप्लत
ु ासो
समपियासम|| हदर्वमुत्पतंनत |
(add to kalasha)
ये र्वैतन्र्वं र्र्वस्रजस्न्त धीरास्ते जनासो अमत
ृ त्त्र्वं
ॐ भूभर्व
ुि ःस्र्वः | र्वरुणाय नमः | िररद्रा कंु कुमं
भजस्न्त ||

http://www.mantraaonline.com/ Saraswathi Puja 8|P age


शङ्खं चंद्राकि दै र्वतं मध्ये र्वरुण दे र्वताम ् |
(Those who want to attain immortality take a
dip in the confluence of the Ganges, yamuna and
sarasvati rivers at the prayag. Let the water
पष्ृ ठे प्रजापनतं र्र्वंद्याद् अग्रे गंगा सरस्र्वतीम ् ||
in this kalasha become like the water from the
holy rivers)
त्र्वं पुरा सागरोत्पन्नो र्र्वष्णुना र्र्वधत
ृ ः करे |
|| कलशः प्रार्िनाः ||
नसमतः सर्वि दे र्वैश्च पाञ्चजन्य नमोऽस्तत
ु े ||
कलशः कीनतिमायष्ु यं प्रज्ां मेधां धश्रयं बलम ् | (This shaNkha has now become like the pAnchajanya,
योग्यतां पापिाननं च पुण्यं र्वद्
ृ धधं च साधयेत ् ||
which has come out of the ocean and which is the
hands of Lord MahaviShNu. Our prostrations to the
pAnchajanya)
(Let this kalasha increase our life span, presence
of mind, intellect,wealth, strength and status, destroy
our sins and increase our merits or puNya)
पाञ्चजन्याय र्र्वद्मिे | पार्वमानाय धीमहि |
तन्नो शङ्खः प्रचोदयात ् ||
सर्वि तीर्िमयो यस्मात ् सर्वि दे र्वमयो यतः |
अतः िररर्प्रयोऽसस त्र्वं पूणक
ि ंु भं नमोऽस्तुते || शङ्खाय नमः |
(All the holy waters, and all the Gods are now
present in this kalasha| Our prostrations to this सकल पूजार्े अक्षतान ् समपियासम ||
puurNakumbha which is hence dear to Lord Hari)
---------------------------------------------------------------------
कलशदे र्वताभ्यो नमः | १४ घंटाचिना
सकल पूजार्े अक्षतान ् समपियासम || (Pour drops of water from sha~Nkha on top of the bell
apply gandha flower)

|| मुद्रा ||
आगमार्िन्तु दे र्वानां गमनार्िन्तु राक्षसाम ् |
(Show mudras as you chant )
कुर्वे घंटारर्वं ति दे र्वताह्र्वा लक्षणम ् ||
ज्ानर्ोऽज्ानतोर्वार्प कांस्य घंटान ् नर्वादयेत ् |
ननर्वीषी करणार्े ताक्षि मुद्रा | (to remove poison)
राक्षसानां र्पशाचनां तद्दे शे र्वसनतभिर्वेत ् |
अमत
ृ ी करणार्े धेनु मुद्रा | (to provide nectar - amrit)
तस्मात ् सर्वि प्रयत्नेन घंटानादं प्रकारयेत ् ||
पर्र्विी करणार्े शङ्ख मुद्रा | (to make auspicious)
(When the bell is rung, knowingly or unknowingly,
संरक्षणार्े चक्र मुद्रा | (to protect) all the good spirits are summoned and all the evil
र्र्वपुलमाया करणार्े मेरु मुद्रा | (to remove mAyA)
spirits are driven away)

घंट दे र्वताभ्यो नमः |


---------------------------------------------------------------------

१३ शङ्ख पूजन सकल पूजार्े अक्षतान ् समपियासम ||


(pour water from kalasha to shaNkha
add gandha flower) (Ring the ghanTA)

---------------------------------------------------------------------
१५ आत्मशुद्धध
( Sprinkle water from sha~Nkha on puja items and devotees)

http://www.mantraaonline.com/ Saraswathi Puja 9|P age


प्रचण्डाय नमः |
अपर्र्विः पर्र्विो र्वा सर्वािर्वस्र्ांगतोऽर्प र्वा | पस्श्चमद्र्वारे द्र्वारधश्रयै नमः | जयाय नमः |
यः स्मरे त ् पुंडरीकाक्षं सः बाह्याभ्यंतरः शुधचः || र्र्वजयाय नमः |
उत्तरद्र्वारे द्र्वारधश्रयै नमः | गङ्गायै नमः | यमुनायै
---------------------------------------------------------------------
नमः |
१६ षट् पाि पूजा
( put tulasi leaves or axatAs in empty vessels)

ॐ दग
ु ािलक्ष्मीयुकतां सरस्र्वत्यै नमः
र्वायव्ये अघ्यं |
द्र्वारपालक पूजां समपियासम ||
नैऋत्ये पाद्यं |
ईशान्ये आचमनीयं | ---------------------------------------------------------------------
१९ पीठ पूजा
आग्नेये मधप
ु कं |
पूर्वे स्नानीयं |
पीठस्य अधोभागे
पस्श्चमे पुनराचमनं |
आधारशकत्यै नमः ||
---------------------------------------------------------------------
आहदकूमािय नमः ||
१७ पञ्चामत
ृ पूजा
( put tulasi leaves or axataas in vessels| अनन्ताय नमः |
र्वरािाय नमः ||
Panchamrit is nectar of five ingredients -
a mixture of milk, curds, clarified butter (ghee), honey and
स्र्वणिर्वेहदकायै नमः ||
sugar)

क्षीरे मङ्गळायै नमः | (keep milk in the रत्नमंडपाय नमः ||

centre) ससंिासनाय नमः ||

दधधनन गौयै नमः | (curd facing east ) तन्मध्ये मिा गौयै नमः |

घत
ृ े राजीर्वमुख्यै नमः | (Ghee to the south) पीठ पूजां समपियासम ||
---------------------------------------------------------------------
मधनु न सशर्वायै नमः | ( Honey to west )
२० हदग्पालक पज
ू ा (start from east of kalasha or
शकिरायां पार्वित्यै नमः | ( Sugar to north) deity)

---------------------------------------------------------------------
इंद्राय नमः,
१८ द्र्वारपालक पूजा
अग्नये नमः,
यमाय नमः,
पूर्वद्
ि र्वारे द्र्वारधश्रयै नमः | धािे नमः| र्र्वधािे नमः|
नैऋतये नमः,
दक्षक्षणद्र्वारे द्र्वारधश्रयै नमः | चण्डाय नमः |
र्वरुणाय नमः,

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र्वायर्वे नमः, || अङ्ग न्यासः ||
कुबेराय नमः,
ईशानाय नमः, आं हृदयाय नमः ||
ह्ीं सशरसे स्र्वािाः ||
इनत हदग्पालक पूजां समपियासम
क्रौं सशखायै र्वषट् ||
---------------------------------------------------------------------
२१ प्राण प्रनतष्ठा आं कर्वचाय िुं ||

(hold flowers/axata in hand) ह्ीं नेिियाय र्वौषट् ||

ध्यायेत ् सत्यम ् गुणातीतं गुणिय समस्न्र्वतं क्रौं अस्िाय फट् ||

लोकनार्ं त्रिलोकेशं कौस्तुभाभरणं िररम ् | भूभर्व


ुि स्र्वरोम ् इनत हदग्बन्धः ||

नीलर्वणं पीतर्वासं श्रीर्वत्सपदभूर्षतं


गोकुलानन्दं ब्रह्माध्यैरर्प पूस्जतम ् || रकतांभोधधस्र् पोतोल्लसदरुणसरोजाधधरुढाकराब्जै:।
पाशं कोदं डसमक्षूद्भर्वमर् गण
ु मप्यंकुशं पंचबाणान ्।।
ॐ अस्य प्राण प्रनतष्ठापन मिा मन्िस्य
ब्रह्मा र्र्वष्णु मिे श्र्वरा ऋषयः | त्रबभ्राणसक
ृ कपालं त्रिनयन लससतापी नर्वक्षोरुिाढ्या।
ऋग्यजुः सामार्र्वािणण छन्दांसस | दे र्वीबालाकिर्वणाि भर्वतु सुखकरी प्राणशस्कत: परा न:।
सकलजगत्सस्ृ ष्टस्स्र्नत संिारकाररणी
प्राणशस्कतः परा दे र्वता | लं प्
ृ व्यास्त्मकायै गन्धं समपियासम ।
आं बीजम ् | ह्ीं शस्कतः | क्रौम ् कीलकम ् | िं आकाशास्त्मकायै पष्ु पैः पज
ू यासम ।
अस्यां मूतौ प्राण प्रनतष्ठापने र्र्वननयोगः || यं र्वायव्यास्त्मकायै धप
ू मायापयासम ।
रं अग्न्यास्त्मकायै दीपं दशियासम ।
|| करन्यासः ||
र्वं अमत
ृ ास्त्मकायै अमत
ृ मिानैर्वेद्यं ननर्वेदयासम ।
सं सर्वािस्त्मकायै सर्वोपचारपज
ू ां समपियासम ॥
आं अंगुष्ठाभ्यां नमः ||
ह्ीं तजिनीभ्यां नमः ||
आं ह्ीं क्रौम ् क्रौम ् ह्ीं आं |
क्रौं मध्यमाभ्यां नमः ||
य र ल र्व श ष स ि |
आं अनासमकाभ्यां नमः ||
ॐ अिं सः सोऽिं सोऽिं अिं सः ||
ह्ीं कननस्ष्ठकाभ्यां नमः ||

अस्यां मूते प्राणः नतष्ठं तुः | अस्यां मूते जीर्वः


क्रौं करतलकरपष्ृ ठाभ्यां नमः ||
नतष्ठन्तु |

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अस्यां मूते सर्वेस्न्द्रयाणण मनस्त्र्वत ् चक्षुः अधचिता मुननसभः सर्वैऋिर्षसभः स्तूयते सदा।
श्रोि स्जह्र्वा याणैः र्वाकर्वाणण पादपायोपस्र्ानन एर्वं ध्यात्र्वा सदा दे र्वीं र्वास्ञ्छतं लभते नरः
प्राण अपान व्यान उदान समान अिागत्य
सुखेन धचरं नतष्ठन्तु स्र्वािाः | शुकलां ब्रह्मर्र्वचारसारपरमामाद्यां जगद्यार्पनीं
असुनीते पुनरस्मासु चक्षुर्वः पुनः प्राणसमिीनो र्वीणापुस्तकधाररणीमभयदां जाड्यान्धकारापिम ्।
दे हिभोगं ज्योक्ष क्षेम सूयम
ि ुच्चरन्तम ् अनुमते िस्ते स्फाहटकमासलकां र्र्वदधतीं पद्मासने संस्स्र्तां
मड
ृ यान स्र्वस्स्त अमत
ृ ं र्वै प्राणा अमत
ृ मापः र्वन्दे तां परमेश्र्वरीं भगर्वतीं बुद्धधप्रदां शारदाम ्
प्राणानेर्व यर्ा स्र्ानं उपह्र्वयेत ् ||
या कुन्दे न्दत
ु ुषारिारधर्वला या शुभ्रर्वस्िार्वत
ृ ा
स्र्वासमन ् सर्वि जगन्माते यार्वत्पूजार्वसानकं
या र्वीणार्वरदण्डमंडडतकरा या श्र्वेतपद्मासना।
तार्वत्र्वम ् प्रीनतभार्वेन त्रबम्बेस्स्मन ् (कलशेस्स्मन ्
या ब्रह्माच्युतशंकर प्रभनृ तसभदे र्वैः सदा र्वस्न्दता
प्रनतमायां) सस्न्नधधं कुरु ||
सा मां पातु सरस्र्वती भगर्वती ननःशेषजाड्यापिा
इनत प्राणं प्रनतष्ठापयासम |
सकल पूजार्े अक्षतान ् समपियासम ||
सरस्र्वतीं सत्यर्वासां सध
ु ांशस
ु मर्र्वग्रिाम ् ।
---------------------------------------------------------------------
२३ ध्यानं स्फहटकाक्षस्िजं पद्मं पुस्तकंच शुकं करै ः ॥

ॐ ( repeat 15 times) चतुसभिदिधत


ि ीं दे र्वीं चन्द्रत्रबंबसमाननाम ् ।
र्वल्लभामणखलार्ािनां र्वल्लकीर्वादनर्प्रयाम ् ॥
नीहारहारघनसारसुधाकराभाां
कल्याणदाां कनकचम्पकदामभष
ू ाम ्।
भारतीं भार्वये दे र्वीं भाषाणामधधदे र्वताम ् ।
उत्तङ्
ु गपीनकुचकांु भमनोहराङ्गीां
भार्र्वतां हृदये सद्सभभािसमनीं परमेस्ष्ठनः ॥
वाणीां नमामम मनसा वचसा ववभत्ू यै॥

ॐ दग
ु ािलक्ष्मीयुकतां सरस्र्वत्यै नमः । ध्यानात ्
I meditate upon the form of Goddess
ध्यानं समपियासम
Saraswati wearing garlands of gold and ---------------------------------------------------------------------
flowers, standing tall and high with very २४ आर्वािनं
pleasing and fully developed body. I ( hold flowers in hand)
prostrate in mind and speech to such a
चतुभज
ुि ां चन्द्रर्वणां चतुराननर्वल्लभाम ् ।
splendour.
आर्वाियासम र्वाणण त्र्वामाधश्रतानति र्र्वनाशनीम ् ॥
श्र्वेतपद्मासना दे र्वी श्र्वेतगन्धानुलेपना।

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२६ पाद्यं
I invoke Saraswati who is resembling
(offer water)
moon and has four hands, is the consort
पाद्यमाद्यन्त शून्यायै र्वेद्यायै र्वेदर्वाहदसभः ।
of four headed Brahma. O! saraswati, You
दास्यासम र्वाणण र्वरदे दे र्वराजसमधचिते ॥
are the destroyer of all afflictions of your
devotees.
ॐ दग
ु ािलक्ष्मीयुकतां सरस्र्वत्यै नमः । पाद्यं
(Place a flower at the feet of the Deity )
समपियासम ॥
अस्स्मन ् पुस्तकमण्डले दग
ु ािलक्ष्मीयुकतां सरस्र्वतीं
May I offer water (to wash your feet) to
आर्वाियासम ॥
you, Vaani, who is endless and who is
(offer flowers to Goddess)
cognizable only by the masters of Veda
आर्वाहितो भर्व | स्र्ार्पतो भर्व | सस्न्नहितो भर्व |
(Take a spoon of water to the feet of the
सस्न्नरुद्धो भर्व | अर्वकुस्ण्ठतो भर्व | सप्र
ु ीतो भर्व |
Deity , and pour it into Arghya vessel)
सुप्रसन्नो भर्व | सुमुखो भर्व | र्वरदो भर्व | ---------------------------------------------------------------------

प्रसीद प्रसीद || २७ अघ्यं

(show mudras to Goddess) (offer water)


---------------------------------------------------------------------
२५ आसनं
अघिस्न्ि गि
ृ ाणेदं अघ्यं अष्टांग संयत
ु म् ।
अंबाणखलानां जगतां अंबुजासन सुन्दरर ॥
आसनं संगि
ृ ाणेदमासमते सकलामरै ः ।
आद्यते सर्विमुननसभरानतिदे सुरर्वैररणाम ् ॥
ॐ दग
ु ािलक्ष्मीयुकतां सरस्र्वत्यै नमः । अघ्यं
समपियासम ॥
ॐ दग
ु ािलक्ष्मीयुकतां सरस्र्वत्यै नमः । आसनं
May I offer you Arghyam (water to wash
समपियासम ॥
hands), enriched with eight ingredients, O!
(Kindly accept the seat, I offer You, O!
Amba, who is the destroyer of all sins,
Saraswati, who is worshipped by all Devas
the most beautiful in all of the worlds.
and Yogis and who is terror to Asuraas. -
(Take a spoon of water to the Diety and
offer flowers/axatha)
discharge into Arghya Vessel)
---------------------------------------------------------------------
---------------------------------------------------------------------

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२८ आचमनीयं पयो ददासम दे र्वेसश स्नानर्ं प्रनतगह्
ृ यताम ् ।।
(offer water or axathaa/ leave/flower) ॐ दग
ु ािलक्ष्मीयुकतां सरस्र्वत्यै नमः । पयः स्नानं
आचम्यतां तोयसमदं आधश्रतार्ि प्रदानयनन । समपियासम ।।
आत्मभूर्वदनार्वासे आधधिाररणण ते नमः ॥ पयः स्नानानंतर शुद्धोदक स्नानं समपियासम ।।
सकल पूजार्े अक्षतान ् समपियासम ।।
ॐ दग
ु ािलक्ष्मीयुकतां सरस्र्वत्यै नमः । आचमनीयं
---------------------------------------------------------------------
३०. १. २ दधध स्नानं (curd bath)
समपियासम ॥
May I offer water for Aachamana to you,
ॐ दधधक्राव्णो अकाररषं स्जष्णोरश्र्वस्यर्वास्जनः ।
O!Saraswati, who bestows all the
सुरसभनो मुखाकरत ् प्राण आयुंर्ष ताररषत ् ।।
aspirations of those who depend on
you, who resides on the tongue of
चन्द्र मन्डल सम्काशं सर्वि दे र्व र्प्रयं हि यत ् ।
Brahma, the Creator and who destroys all
स्नानार्ं ते प्रयच्छासम प्रीत्यर्ं प्रनतगह्
ृ यताम ्।।
the afflictions of devotees.

ॐ दग
ु ािलक्ष्मीयक
ु तां सरस्र्वत्यै नमः । दधध स्नानं
(Take a spoon of water to the Diety and
समपियासम ।।
dispose into the Arghya vessel)
--------------------------------------------------------------------- दधध स्नानानंतर शद्
ु धोदक स्नानं समपियासम ।।
२९ मधप
ु किम ् सकल पूजार्े अक्षतान ् समपियासम ।।
मधप
ु कं गि
ृ ाणेदं मधस
ु द
ू न र्वस्न्दते ।
---------------------------------------------------------------------
३०. १. ३ घत
ृ स्नानं (ghee bath)
मन्दस्स्मते मिादे र्र्व मिादे र्व समधचिते ॥

ॐ घत
ृ ं समसमक्षे घत
ृ मस्य योननघत
ि ृ े धश्रतो
ॐ दग
ु ािलक्ष्मीयुकतां सरस्र्वत्यै नमः । मधप
ु कं
घत
ृ ंर्वस्यधाम
समपियासम ॥
--------------------------------------------------------------------- अनष्ु ठधमार्वि मादयस्र्व स्र्वािाकृतं र्वष
ृ भ र्वक्षक्षिव्यं।।
३०. १ पञ्चामत
ृ स्नानं आज्यं सुरानां आिारं आज्यं यज्े प्रनतस्ष्ठतम ् ।
३०. १. १ पय स्नानं (milk bath) आज्यं पर्र्विं परमं स्नानार्ं प्रनतगह्
ृ यताम ् ।।

ॐ आप्याय स्र्व स्र्वसमेतत


ु े । ॐ दग
ु ािलक्ष्मीयक
ु तां सरस्र्वत्यै नमः । घत
ृ स्नानं
र्र्वश्र्वतः सोमर्वष्ृ ण्यं भर्वार्वाजस्य संगर्े ।। समपियासम ।।
कामधेनु समद्
ु भत
ू ं दे र्वर्षि र्पितस्ृ प्तदम ् । घत
ृ स्नानानंतर शद्
ु धोदक स्नानं समपियासम ।।

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सकल पूजार्े अक्षतान ् समपियासम ।। ३०. २ नाररकेलोदक स्नानं (Coconut water bath)
गंगा सरस्र्वती रे र्वा कार्वेरी नमिदा जलैः ।
---------------------------------------------------------------------
३०. १. ४ मधु स्नानं (honey bath)
स्र्ार्पतासस मया दे र्र्व तर्ा शास्न्तं कुरुश्र्व मे ।।

ॐ मधर्व
ु ात ऋतायते मधक्ष
ु रं नत ससन्धर्वः मास्ध्र्वनः ॐ दग
ु ािलक्ष्मीयुकतां सरस्र्वत्यै नमः । नाररकेलोदक

संतोष्र्वधीः स्नानं समपियासम ।।


---------------------------------------------------------------------
मधन
ु कता मुतोषसो मधम
ु त ् पाधर्िर्वं रजः मधद्
ु यौ
३०. ३ गंधोदक स्नानं (Sandlewood water bath)
रस्तुनः र्पता
मधम
ु ान्नो र्वनस्पनतर् मधम
ु ााँ अस्तु सूयःि
ॐ गंधद्र्वारां दरु ाधशां ननत्य पुष्पां करीर्षणीं ।
माध्र्वीगािर्वो भर्वंतु नः ||
ईश्र्वरीं सर्वि भूतानां तासम िोप व्ियेधश्रयं ॥
सर्वौषधध समुत्पन्नं पीयुष सदृशं मधु ।
िरर चंदन संभूतं िरर प्रीतेश्च गौरर्वात ् ।
स्नानार्ं मया दत्तं गि
ृ ाण परमेश्र्वर ।।
सुरसभ र्प्रय गोर्र्वन्द गंध स्नानाय गह्
ृ यतां ॥
ॐ दग
ु ािलक्ष्मीयुकतां सरस्र्वत्यै नमः । मधु स्नानं
समपियासम ।।
ॐ दग
ु ािलक्ष्मीयुकतां सरस्र्वत्यै नमः । गंधोदक
मधु स्नानानंतर शद्
ु धोदक स्नानं समपियासम ।।
स्नानं समपियासम ॥
सकल पूजार्े अक्षतान ् समपियासम ।। ---------------------------------------------------------------------
--------------------------------------------------------------------- ३०. ४ अभ्यंग स्नानं (Perfumed Oil bath)
३०. १. ५ शकिरा स्नानं (sugar bath)
ॐ स्र्वाधःु पर्वस्य हदव्याय जन्मने
ॐ कननक्रदज्र्वनुशं प्रभ्रुर्वान. इयधर्र्वािचमररतेर्व नार्वं ।
स्र्वादरु रन्द्राय सि
ु र्वीतु नाम्ने
सम
ु ंगलश्च शकुने भर्वासस मात्र्वा काधचदसभभार्र्वश्व्या
स्र्वादसु मििाय र्वरुणाय र्वायर्वे
र्र्वदत ॥
बि
ृ स्पतये मधम
ु ााँ अदाभ्यः ||
अभ्यंगार्ं सन्
ु दरी दे र्र्व तैलं पष्ु पाहद संभर्वं ।
सुगंध द्रव्य संसमश्रं संगि
ृ ाण जगन्माते ॥
इक्षु दण्डात ् समत्ु पन्ना, रसस्स्नग्धतरा शभ
ु ा
शकिरे यं मया दत्ता, स्नानातं प्रनतगह्
ृ यताम ्
ॐ दग
ु ािलक्ष्मीयुकतां सरस्र्वत्यै नमः । अभ्यंग
स्नानं समपियासम.
ॐ दग
ु ािलक्ष्मीयुकतां सरस्र्वत्यै नमः । शकिरा स्नानं ---------------------------------------------------------------------

समपियासम ।। ३०. ५ अंगोद्र्वतिनकं (To clean the body)

शकिरा स्नानानंतर शुद्धोदक स्नानं समपियासम ।।


सकल पज
ू ार्े अक्षतान ् समपियासम ।। अंगोद्र्वतिनकं दे र्वी कस्तूयािहद र्र्वसमधश्रतं ।
---------------------------------------------------------------------

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लेपनार्ं गि
ृ ाणेदं िररद्रा कंु कुमैयत
ुि ं ॥
तां म आर्वि जातर्वेदो लक्ष्मीमनपगासमनीम ् |
ॐ दग
ु ािलक्ष्मीयुकतां सरस्र्वत्यै नमः । अंगोद्र्वतिनं यस्यां हिरण्यं र्र्वन्दे यं गामश्र्वं पुरुषानिम ् || २ ||
समपियासम ॥
अश्र्वपूर्वां रर्मध्यां िस्स्तनादप्रमोहदनीम ् |
---------------------------------------------------------------------
३०. ६ उष्णोदक स्नानं (Hot water bath)
धश्रयं दे र्वीमुपह्र्वये श्रीमाि दे र्वी जुषताम ् || ३ ||

नाना तीर्ािदाहृतं च तोयमुष्णं मयाकृतं ।


कांसोस्स्म तां हिरण्यप्राकारामाद्रां ज्र्वलन्तीं तप्ृ तां
स्नानार्ं च प्रयश्चमे स्र्वीकुरुश्र्व दयाननधे ॥
तपियन्तीम ् |
पद्मेस्स्र्तां पद्मर्वणां तासमिोपह्र्वये धश्रयम ् || ४ ||
ॐ दग
ु ािलक्ष्मीयुकतां सरस्र्वत्यै नमः । उष्णोदक
चन्द्रां प्रभासां यशसा ज्र्वलंतीं धश्रयं लोके
स्नानं समपियासम ॥
---------------------------------------------------------------------
दे र्वजष्ु टामद
ु ाराम ् |
३१ शुद्धोदक स्नानं (Pure water bath) तां पद्समनीमीं शरणमिं प्रपद्येऽलक्ष्मीमे नश्यतां त्र्वां
sprinkle water all around र्वण
ृ े || ५ ||
ॐ आपोहिष्टा मयो भुर्वः | ता न ऊजे दधातन |
मिे रणाय चक्षसे | यो र्वः सशर्वतमो रसः
आहदत्यर्वणे तपसोऽधधजातो र्वनस्पनतस्तर्व र्वक्ष
ृ ोऽर्
तस्यभाजयते ि नः |
त्रबल्र्वः |
उशतीररर्व मातरः | तस्मा अरं गमामर्वो |
तस्य फलानन तपसानद
ु न्तम
ु ायान्तरायाश्च बाह्या
यस्य क्षयाय स्जन्र्वर् | आपो जनयर्ा च नः ||
अलक्ष्मीः || ६ ||

ॐ दग
ु ािलक्ष्मीयक
ु तां सरस्र्वत्यै नमः | शद्
ु धोदक
उपैतु मां दे र्वसखः कीनतिश्च मणणना सि |
स्नानं समपियासम||
(after sprinkling water around throw one tulsi leaf to प्रादभ
ु त
ूि ोऽस्स्म राष्रे स्स्मन्कीनतिमद्
ृ धधं ददातु मे || ७ ||
the north)
---------------------------------------------------------------------
३२ मिा असभषेकः क्षुस्त्पपासामलां ज्येष्ठामलक्ष्मीं नाशयाम्यिम ् |

(Sound the bell pour water from kalasha) अभूनतमसमद्


ृ धधं च सर्वां ननणुद
ि मे गि
ृ ात ् || ८ ||

श्री सक
ू त
गन्धद्र्वारां दरु ाधषां ननत्यपुष्टां करीर्षणीम ् |

हिरण्यर्वणां िररणीं सर्व


ु णिरजतस्रजाम ् | ईश्र्वरीं सर्विभूतानां तासमिोपह्र्वये धश्रयम ् || ९ ||

चन्द्रां हिरण्मयीं लक्ष्मीं जातर्वेदो ममार्वि || १.|

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मनसः काममाकूनतं र्वाचः सत्यमशीमहि | संननधत्स्र्व || १९ ||
पशूनां रूपमन्नस्य मनय श्रीः श्रयतां यशः || १० ||
पुिपौिं धनं धान्यं िस्त्यश्र्वाहदगर्वेरर्म ् |
कदि मेन प्रजाभूतामनय सम्भर्वकदि म | प्रजानां भर्वसस माता आयुष्मन्तं करोतु मे || २० ||
धश्रयं र्वासय मे कुले मातरं पद्ममासलनीम ् || ११ ||
धनमस्ग्नधिनं र्वायुधन
ि ं सूयो धनं र्वसुः |
आपः सज
ृ न्तु स्स्नग्धानन धचकलीतर्वसमे गि
ृ े | धनसमन्द्रो बि
ृ स्पनतर्विरुणं धनमस्तु ते || २१ ||
ननचदे र्वीं मातरं धश्रयं र्वासय मे कुले || १२ || र्वैनतेय सोमं र्पब सोमं र्पबतु र्वि
ृ िा |
आद्रां पुष्कररणीं पुस्ष्टं सुर्वणां िे ममासलनीम ् | सोमं धनस्य सोसमनो मह्यं ददातु सोसमनः || २३ ||
सूयां हिरण्मयीं लक्ष्मीं जातर्वेदो म आर्वि || १३ ||
ॐ दग
ु ािलक्ष्मीयुकतां सरस्र्वत्यै नमः | श्री सूकत
आद्रां यःकररणीं यस्ष्टं र्पङ्गलां पद्ममासलनीम ् | स्नानं समपियासम||
चन्द्रां हिरण्मयीं लक्ष्मीं जातर्वेदो म आर्वि || १४ || ॐ दग
ु ािलक्ष्मीयुकतां सरस्र्वत्यै नमः | मिाअसभषेक
स्नानं समपियासम||
तां म आर्वि जातर्वेदो लक्ष्मीमनपगासमनीम ् |
---------------------------------------------------------------------
३३ प्रनतष्ठापना
यस्यां हिरण्यं प्रभत
ू ं गार्वोदास्योश्र्वास्न्र्वन्दे यं
पुरुषानिम ् || १५ || ॐ दग ु ािलक्ष्मीयुकतां सरस्र्वत्यै नमः ॥ (repeat 12
times)
यः शुधचः प्रयतो भूत्र्वा जुिुयादाज्यमन्र्विम ् | | सुप्रनतष्ठमस्तु ||
---------------------------------------------------------------------
सक
ू तं पञ्चदशचं च श्रीकामः सततं जपेत ् || १६ ||
३४ र्वस्ि
(offer two pieces of cloth for the Goddess)
पद्मानने पद्म ऊरू पद्माक्षी पद्मसम्भर्वे |
तन्मेभजसस पद्माक्षी येन सौख्यं लभाम्यिम ् || १७|| दक
ु ू लद्र्र्वतयं दे र्र्व दरु रतापिर्वैभर्वे ।
र्र्वधधर्प्रये गि
ृ ाणेदं सध
ु ाननधधसमं सशर्वे ।
अश्र्वदायी गोदायी धनदायी मिाधने |
धनं मे जुषतां दे र्र्व सर्विकामांश्च दे हि मे || १८ || ॐ दग
ु ािलक्ष्मीयक
ु तां सरस्र्वत्यै नमः । र्वस्ियग्ु मं
समपियासम ॥
पद्मानने पद्मर्र्वपद्मपिे पद्मर्प्रये पद्मदलायताक्षक्ष| May I offer you two auspicous silk clothes, O! the
Consort of Brahma, who destroys all afflictions.
र्र्वश्र्वर्प्रये र्र्वश्र्वमनोनुकूले त्र्वत्पादपद्मं मनय (Place two flowers on the godess. )

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३५.५ कंु कुम
---------------------------------------------------------------------
३५.१ कंचक
ु ी
कंु कुमं कामदं हदव्यं कासमनी काम संभर्वं |

नर्वरत्नासभदि धां सौर्वणैश्चैर्व तंतुसभः । कंु कुमाधचिते दे र्वी सौभाग्यार्ं प्रनतगह्


ृ यतां ||

ननसमितां कंचक
ु ीं भकत्या गि
ृ ाण परमेश्र्वरी ।। ॐ दग
ु ािलक्ष्मीयुकतां सरस्र्वत्यै नमः | कंु कुमं

ॐ दग
ु ािलक्ष्मीयुकतां सरस्र्वत्यै नमः । कंचक
ु ीं समपियासम||
---------------------------------------------------------------------
समपियासम ।।
३५.६ कज्जल
---------------------------------------------------------------------
३५.२ कण्ठ सूि
सुनील भ्रमराभसं कज्जलं नेि मण्डनं |

मांगल्य तंतुमणणसभः मुकतैश्चैर्व र्र्वरास्जतं | मया दत्तं इदं भकत्या कज्जलं प्रनतगह्
ृ यतां ||

सौमंगल्यासभर्वध्
ृ यर्ं कंठसूिं ददासमते || ॐ दग
ु ािलक्ष्मीयुकतां सरस्र्वत्यै नमः | कज्जलं

ॐ दग
ु ािलक्ष्मीयुकतां सरस्र्वत्यै नमः |कंठसूिं समपियासम ||
---------------------------------------------------------------------
समपियासम||
३५.७ ससंदरू
---------------------------------------------------------------------
३५.३ पट्टसूिं
र्र्वद्युत ् कृशानु संकाशं जपा कुसुमसस्न्नभं |
पट्टसूिं भव्यं हदव्यं स्र्वणिपूणि कृतीयतम ् | ससन्दरू ं ते प्रदास्यासम सौभाग्यं दे हि मे धचरं ||
सौमंगल्यासभर्वद्
ृ यर्ं पत्तसूिं ददासम ते || ॐ दग
ु ािलक्ष्मीयुकतां सरस्र्वत्यै नमः | ससन्दरू ं
समपियासम ||
ॐ दग
ु ािलक्ष्मीयुकतां सरस्र्वत्यै नमः | पट्टसूिं ---------------------------------------------------------------------
समपियासम || ३५.८ कङ्कणं
---------------------------------------------------------------------
ॐ दग
ु ािलक्ष्मीयक
ु तां सरस्र्वत्यै नमः | कङ्कणं
३५.४ िररद्रा
समपियासम ||
---------------------------------------------------------------------
िररद्रा रं स्जते दे र्वी सुख सौभाग्य दानयनी | ३५. ९ नाना आभरणं
िररद्रां ते प्रदास्यासम गि
ृ ाण परमेश्र्वरर || र्वणिरूपे गि
ृ ाणेदं स्र्वणिर्वयि पररष्कृतम ् ।
अणिर्वोद्धत
ृ रत्नाढ्यं कणिभष
ू ाहद भष
ू णम ् ॥
ॐ दग
ु ािलक्ष्मीयक
ु तां सरस्र्वत्यै नमः | िररद्रा
समपियासम|| ॐ दग
ु ािलक्ष्मीयक
ु तां सरस्र्वत्यै नमः । नाना
---------------------------------------------------------------------
आभरणानन समपियासम ||

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--------------------------------------------------------------------- (Offer sandal paste or flower in leiu of, to the Deity)
३५. १० ताडपिाणण ---------------------------------------------------------------------
३८ अक्षत
ताडपिाणण हदव्याणण र्र्वधचिाणण शुभानन च |
अक्षतांस्त्र्वं गि
ृ ाणेमानिता नमराधचिते ।
कराभरणयुकतानन मातस्तत्प्रनतगह्
ृ यतां ||
अक्षतेऽद्भुतरूपाढ्ये यक्षराजाहदर्वस्न्दते ॥
ॐ दग
ु ािलक्ष्मीयुकतां सरस्र्वत्यै नमः | ताडपिाणण
समपियासम ||
--------------------------------------------------------------------- ॐ दग
ु ािलक्ष्मीयुकतां सरस्र्वत्यै नमः । अक्षतान ्
३५. ११ नाना पररमल द्रव्य समपियासम ॥
---------------------------------------------------------------------
नाना सुगस्न्धकम ् द्रव्यम ् चणू णिकृत्य प्रयत्नतः | ३९ पुष्प
ददासम ते नमस्तुभ्यं, प्रीत्यतं प्रनतगह्
ृ यतां ||
पुन्नाग जाती मल्लयाहद पुष्पजातं गि
ृ ाण मे ।
ॐ दग
ु ािलक्ष्मीयुकतां सरस्र्वत्यै नमः | नाना पररमल पुमर्िदानयनन परे पुस्तकाढ्य करांबुजे ॥
द्रव्यं समपियासम ||
ॐ दग
ु ािलक्ष्मीयक
ु तां सरस्र्वत्यै नमः । पष्ु पाणण
---------------------------------------------------------------------
३६ यज्ोपर्वीत
समपियासम ॥
May I offer flowers to you, O! devi, who holds the
उपर्वीतं गि
ृ ाणेदं उपमाशन्
ू यर्वैभर्वे । book in the hand and who is the bestower of
हिरण्यगभिमहिर्ष हिरण्मयगुणैः कृतम ् । aspirations of men.

(Place flowers at the feet of the Deity)


ॐ दग
ु ािलक्ष्मीयुकतां सरस्र्वत्यै नमः । यज्ोपर्वीतं ---------------------------------------------------------------------
४० नाना अलंकार
समपियासम ॥
---------------------------------------------------------------------
कहट सूताङ्गुली येच कुण्डले मुकुठं तर्ा |
३७ गंध
र्वनमालां कौस्तभ
ु ं च गि
ृ ाण सल
ु ोचनन ||
अन्धकाररर्प्रयाराध्ये गन्धमुत्तम सौरभम ् । ॐ दग
ु ािलक्ष्मीयुकतां सरस्र्वत्यै नमः | नाना
गि
ृ ाण र्वाणण र्वरदे गन्धर्वि पररपस्ू जते ॥ अलंकारान ् समपियासम||
---------------------------------------------------------------------
४१ अर् अङ्गपूजा
ॐ दग
ु ािलक्ष्मीयक
ु तां सरस्र्वत्यै नमः । गंधं
समपियासम ॥ ॐ पार्वनायै नमः | पादौ पूजयासम ||
May I offer sandal paste to you, O! Vaani, who is
worshipped by Shiva and Gandharvas. ॐ धगरे नमः | गुल्फौ पूजयासम ||

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ॐ जगद्र्वन्द्यायै नमः । जंघै पूजयासम || ४३ अर् पुष्प पूजा
ॐ जलजासनायै नमः | जानुनी पूजयासम ||
ॐ कामरूपायै नमः । करर्वीर पुष्पं समपियासम ॥
ॐ उत्तमायै नमः | ऊरून ् पूजयासम ||
ॐ जहटलायै नमः । जाजी पुष्पं समपियासम ॥
ॐ कमलासनर्प्रयायै नमः | कहटं पूजयासम ||
ॐ चस्ण्डकायै नमः । चम्पक पुष्पं समपियासम ॥
ॐ नानार्र्वद्यायै नमः | नासभं पूजयासम ||
ॐ र्र्वद्यारूपायै नमः । र्वकुल पुष्पं समपियासम ॥
ॐ र्वाण्यै नमः । र्वक्षस्र्लं पूजयासम ॥
ॐ शास्िरूर्पण्यै नमः । शतपि पुष्पं समपियासम ॥
ॐ कुरं गाक्ष्यै नमः । कुचौ पूजयासम ॥
ॐ कलारूर्पण्यै नमः । कंठं पूजयासम ॥
ॐ कालरात्र्यै नमः । कल्िार पुष्पं समपियासम ॥
ॐ भाषायै नमः । बािून ् पूजयासम ॥
ॐ सौम्यायै नमः । सेर्वस्न्तका पष्ु पं समपियासम ॥
ॐ धचरन्तनायै नमः । धचबुकं पूजयासम ॥
ॐ मिाभद्रायै नमः । मस्ल्लका पुष्पं समपियासम ॥
ॐ मुग्धस्स्मतायै नमः । मुखं पूजयासम ।
ॐ सरस्र्वत्यै नमः । इरुर्वंनतका पष्ु पं समपियासम ॥
ॐ लोलेक्षणायै नमः । लोचनं पज
ू यासम ॥
ॐ ज्ानमुद्रायै नमः । धगररकणणिका पुष्पं
ॐ कलायै नमः । ललाटं पूजयासम ॥
समपियासम ॥
ॐ र्वणिरूपायै नमः । कणौ पज
ू यासम ॥
ॐ करुणायै नमः । कचान ् पूजयासम ॥
ॐ अस्म्बकायै नमः । आर्सी पष्ु पं समपियासम ॥
ॐ सशर्वायै नमः । सशरः पज
ू यासम ॥
ॐ पद्माक्ष्यै नमः । पाररजात पुष्पं समपियासम ॥
ॐ दग
ु ािलक्ष्मीयुकतां सरस्र्वत्यै नमः | सर्वािङ्गाणण
ॐ परायै नमः । पन्
ु नाग पष्ु पं समपियासम ॥
पज
ू यासम ||
--------------------------------------------------------------------- ॐ कलाधरायै नमः । कुन्द पुष्पं समपियासम ॥
४२ अर् (नर्वशस्कत पूजा) ॐ मिाबलायै नमः । मालनत पष्ु पं समपियासम ॥
worship of nine powers
ॐ मेधायै नमः (intelligence) ॐ कान्तायै नमः । केतकी पष्ु पं समपियासम ॥
ॐ धश्रयाऐ नमः (wealth, affluence) ॐ मिाफलायै नमः । मन्दार पुष्पं समपियासम ॥
ॐ स्स्म्रत्यै नमः (memory) ॐ पद्मलोचनायै नमः । पातली पुष्पं समपियासम॥
ॐ प्रभायै नमः (effulgence) ॐ र्वाण्यै नमः । अशोक पुष्पं समपियासम ॥
ॐ पद्मायै नमः (fortune) ॐ पद्मननलयायै नमः । पूग पुष्पं समपियासम ॥
ॐ र्र्वद्यैश्र्वयै नमः (supreme knowledge)
ॐ प्रज्ायै नमः (wisdom) ॐ हदव्याङ्गायै नमः । दाहदमा पुष्पं समपियासम ॥
ॐ धत्ृ यै नमः (steady or firmminded) ॐ दे व्यै नमः । दे र्वदारु पुष्पं समपियासम ॥
---------------------------------------------------------------------

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ॐ सुर्वाससन्यै नमः । सुगन्ध राज पुष्पं समपियासम॥ ॐ मिापातक नासशन्यै नमः । दाडडमा पिं
ॐ कामप्रदायै नमः । कमल पुष्पं समपियासम ॥ समपियासम ॥
ॐ मिाश्रयायै नमः । बदरी पिं समपियासम ॥
ॐ दग
ु ािलक्ष्मीयुकतां सरस्र्वत्यै नमः | पुष्पपूजां ॐ मासलन्यै नमः । दे र्वदारु पिं समपियासम ॥
समपियासम || ॐ मिाभोगायै नमः । शामी पिं समपियासम ॥
ॐ मिाभुजायै नमः । आम्र पिं समपियासम ॥
---------------------------------------------------------------------
४४ अर् पि पूजा

ॐ मिाभागायै नमः । मन्दार पिं समपियासम ॥


ॐ सरस्र्वत्यै नमः । तुलसी पिं समपियासम ॥
ॐ मिोत्सािायै नमः । र्वट पिं समपियासम ॥
ॐ मिाभद्रायै नमः । जाजी पिं समपियासम ॥
ॐ हदव्याङ्गायै नमः । कमल पिं समपियासम ॥
ॐ मिामायायै नमः । चम्पका पिं समपियासम ॥
ॐ सुरर्वस्न्दतायै नमः । र्वेणु पिं समपियासम ॥
ॐ र्वरप्रदायै नमः । त्रबल्र्व पिं समपियासम ॥
ॐ श्रीप्रदायै नमः । दर्व
ू ाियुग्मं समपियासम ॥
ॐ दग
ु ािलक्ष्मीयुकतां सरस्र्वत्यै नमः । पिपूजां
समपियासम ॥
ॐ पद्मननलयायै नमः । सेर्वस्न्तका पिं ---------------------------------------------------------------------
समपियासम॥ ४५ Katha – Devi Mahatmyam
ॐ पद्माक्ष्यै नमः । मरुग पिं समपियासम ॥
---------------------------------------------------------------------
४६ अष्टोत्तर पूजा (chant dhyAna shloka )
ॐ पद्मर्वकिकायै नमः । दर्वन पिं समपियासम ॥
ॐ सशर्वानज
ु ायै नमः । करर्वीर पिं समपियासम ॥ नमस्ते शारदे दे र्र्व काश्मीरपरु र्वाससनन ।
ॐ पुस्तकभत
ृ े नमः । र्र्वष्णु क्रास्न्त पिं त्र्वामिं प्रार्िये ननत्यं र्र्वद्यादानं च दे हि मे ॥ १ ॥
समपियासम॥
I prostrate to Shaaradaa, the resident of

ॐ ज्ानमद्र
ु ायै नमः । माधच पिं समपियासम ॥ kaashmira pura. I pray daily for you to

ॐ रमायै नमः । मस्ल्लका पिं समपियासम ॥ grant me wisdom and knowledge.

ॐ परायै नमः । इरुर्वस्न्तका पिं समपियासम ॥


ॐ कामरूपायै नमः । अपामागि पिं समपियासम ॥ (light the incense stick and play in a

ॐ मिार्र्वद्यायै नमः । पाररजात पिं समपियासम ॥ circular motion three times or place a
flower in lieu of)
या श्रद्धा धारणा मेधा र्वाग्दे र्वी र्र्वधधर्वल्लभा ।
भकतस्जह्र्वाग्रसदना शमाहदगुणदानयनी ॥ २॥

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नमासम यासमनीं नार् लेखालङ्कृतकुन्तलाम ् । ॐ मासलन्यै नमः ।
भर्वानीं भर्वसन्तापननर्वािपणसुधानदीम ् ॥ ३॥ ॐ मिाभोगायै नमः ।
भद्रकाल्यै नमो ननत्यं सरस्र्वत्यै नमो नमः । ॐ मिाभुजायै नमः ।
र्वेदर्वेदाङ्गर्वेदान्तर्र्वद्यास्र्ानेभ्य एर्व च ॥ ४॥
ब्रह्मस्र्वरूपा परमा ज्योनतरूपा सनातनी । ॐ मिाभागायै नमः ।
सर्विर्र्वद्याधधदे र्वी या तस्यै र्वाण्यै नमो नमः ॥५॥ ॐ मिोत्सािायै नमः ।
यया र्र्वना जगत्सर्वं शश्र्वज्जीर्वन्मत
ृ ं भर्वेत ् । ॐ हदव्याङ्गायै नमः ।
ज्ानाधधदे र्वी या तस्यै सरस्र्वत्यै नमो नमः ॥६॥ ॐ सुरर्वस्न्दतायै नमः ।
यया र्र्वना जगत्सर्वं मूकमुन्मत्तर्वत्सदा । ॐ मिाकाल्यै नमः ।
या दे र्वी र्वागधधष्ठािी तस्यै र्वाण्यै नमो नमः ॥७॥ ॐ मिापाशायै नमः ।
ॐ मिाकारायै नमः ।
ॐ सरस्र्वत्यै नमः । ॐ मिांकुशायै नमः ।
ॐ मिाभद्रायै नमः । ॐ पीतायै नमः ।
ॐ मिामायायै नमः । ॐ र्र्वमलायै नमः ।
ॐ र्वरप्रदायै नमः ।
ॐ श्रीप्रदायै नमः । ॐ र्र्वश्र्वायै नमः ।
ॐ पद्मननलयायै नमः । ॐ र्र्वद्युन्मालायै नमः ।
ॐ पद्माक्ष्यै नमः । ॐ र्वैष्णव्यै नमः ।
ॐ पद्मर्वकिकायै नमः । ॐ चस्न्द्रकायै नमः ।
ॐ सशर्वानज
ु ायै नमः । ॐ चन्द्रर्वदनायै नमः ।
ॐ पुस्तकभत
ृ े नमः । ॐ चन्द्रलेखार्र्वभूर्षतायै नमः ।
ॐ सार्र्वत्यै नमः ।
ॐ ज्ानमुद्रायै नमः । ॐ सुरसायै नमः ।
ॐ रमायै नमः । ॐ दे व्यै नमः ।
ॐ परायै नमः । ॐ हदव्यालंकारभूर्षतायै नमः ।
ॐ कामरूपायै नमः ।
ॐ मिार्र्वद्यायै नमः । ॐ र्वाग्दे व्यै नमः ।
ॐ मिापातक नासशन्यै नमः । ॐ र्वसुदायै नमः ।
ॐ मिाश्रयायै नमः । ॐ तीव्रायै नमः ।

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ॐ मिाभद्रायै नमः ।
ॐ मिाबलायै नमः । ॐ ियीमूतय
ि े नमः ।
ॐ भोगदायै नमः । ॐ त्रिकालज्ायै नमः ।
ॐ भारत्यै नमः । ॐ त्रिगुणायै नमः ।
ॐ भामायै नमः । ॐ शास्िरूर्पण्यै नमः ।
ॐ गोर्र्वन्दायै नमः । ॐ शंभासुरप्रमधर्न्यै नमः ।
ॐ गोमत्यै नमः । ॐ शुभदायै नमः ।
ॐ स्र्वरास्त्मकायै नमः ।
ॐ सशर्वायै नमः । ॐ रकतबीजननिन्त्र्यै नमः ।
ॐ जहटलायै नमः । ॐ चामुण्डायै नमः ।
ॐ र्र्वन्ध्यार्वासायै नमः । ॐ अस्म्बकायै नमः ।
ॐ र्र्वन्ध्याचलर्र्वरास्जतायै नमः ।
ॐ चस्ण्डकायै नमः । ॐ मुण्डकायप्रिरणायै नमः ।
ॐ र्वैष्णव्यै नमः । ॐ धम्र
ू लोचनमदनायै नमः ।
ॐ ब्राह्मयै नमः । ॐ सर्विदेर्वस्तुतायै नमः ।
ॐ ब्रह्मज्ानैकसाधनायै नमः । ॐ सौम्यायै नमः ।
ॐ सौदामन्यै नमः । ॐ सुरासुर नमस्कृतायै नमः ।
ॐ सध
ु ामत्ू यै नमः । ॐ कालरात्र्यै नमः ।
ॐ कलाधरायै नमः ।
ॐ सभ
ु द्रायै नमः । ॐ रूपसौभाग्यदानयन्यै नमः ।
ॐ सुरपूस्जतायै नमः । ॐ र्वाग्दे व्यै नमः ।
ॐ सर्व
ु ाससन्यै नमः । ॐ र्वरारोिायै नमः ।
ॐ सुनासायै नमः ।
ॐ र्र्वननद्रायै नमः । ॐ र्वाराह्यै नमः ।
ॐ पद्मलोचनायै नमः । ॐ र्वाररजासनायै नमः ।
ॐ र्र्वद्यारूपायै नमः । ॐ धचिांबरायै नमः ।
ॐ र्र्वशालाक्ष्यै नमः । ॐ धचिगन्धायै नमः ।
ॐ ब्रह्मजायायै नमः । ॐ धचिमाल्यर्र्वभूर्षतायै नमः ।
ॐ मिाफलायै नमः । ॐ कान्तायै नमः ।

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ॐ कामप्रदायै नमः । साज्यं त्रिर्वनति संयुकतं र्वस्ह्नना योस्जतुम ् मया |
ॐ र्वन्द्यायै नमः । गि
ृ ाण मङ्गलं दीपं र्वरदे भकत र्वत्सले ||
ॐ र्र्वद्याधरसुपूस्जतायै नमः । अक्षसूिाङ्कुशधरा पाशपुस्तकधाररणी |
ॐ श्र्वेताननायै नमः । मुकतािारसमायुकता र्वाधच नतष्ठतु मे सदा ||
O! Saraswati, who is holding a noose, a
ॐ नीलभुजायै नमः । book, and a rosary, please reside always
ॐ चतुर्वग
ि फ
ि लप्रदायै नमः । on my tongue.
ॐ चतुरानन साम्राज्यायै नमः ।
ॐ रकतमध्यायै नमः । (play a lighted wick in a circular motion
ॐ ननरं जनायै नमः । three times)
ॐ िं सासनायै नमः । ॐ दग
ु ािलक्ष्मीयुकतां सरस्र्वत्यै नमः | दीपं
ॐ नीलजङ्घायै नमः । दशियासम ||
ॐ ब्रह्मर्र्वष्णुसशर्वास्त्मकायै नमः ।
---------------------------------------------------------------------
४९ नैर्वेद्यं
( dip finger in water and write a square and 'shrii'
ॐ दग
ु ािलक्ष्मीयुकतां सरस्र्वत्यै नमः || अष्टोत्तर पूजां mark inside the square. Place naivedya on 'shrii'.
remove lid and sprinkle water around the vessel;
समपियासम || place in each food item one washed leaf or flower
--------------------------------------------------------------------- or akshata )
४७ धप
ू ं
दशांग गग्ु गल
ु ं धप
ू ं चन्दनागरु संयत
ु म् । ॐ शारदायै र्र्वद्मिे । र्वाग्दे र्वी च धीमहि ।

समर्पितं मया भकत्या मिादे र्र्व प्रनतगह्


ृ यताम ् ॥ तन्नो सरस्र्वती प्रचोदयात ् ॥
ॐ दग ु ािलक्ष्मीयुकतां सरस्र्वत्यै नमः |
(show mudras) ;
र्वनस्पनत रसोद्भूतो गन्धाड्यो गन्ध उत्तमः |
धप
ू म ्-दास्यासम दे र्वेसश भर्वानन प्रनतगह्
ृ यताम ् || ननर्वीषी करणार्े ताक्षि मुद्रा |
अमत
ृ ी करणार्े धेनु मुद्रा |
ॐ दग
ु ािलक्ष्मीयक
ु तां सरस्र्वत्यै नमः | धप
ू ं आयापयासम||
--------------------------------------------------------------------- पर्र्विी करणार्े शंख मुद्रा |
संरक्षणार्े चक्र मुद्रा |
४८ दीपं
र्र्वपुलमाय करणार्े मेरु मुद्रा |

घत
ृ र्वनतंसमायुकतं मिातेजो मिोज्ज्र्वलम ् । (Touch naivedya and chant 9 times)'ॐ'
दीपं दास्यासम दे र्वेसश सुप्रीता भर्व सर्विदा ॥
ॐ सत्यंतर्वतेन पररर्षंचासम

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(sprinkle water around the naivedya)
भोः! दे र्वी भोजनार्ं आगच्छाहद र्र्वज्ाप्य | श्री दे व्यै नमस्तुभ्यम ् मिा नैर्वेद्यं उत्तमम ् |
(request Goddess to come for dinner) संगि
ृ ाण सुरश्रेस्ष्ठन ् भस्कत मुस्कत प्रदायकम ् ||

सौर्वणे स्र्ासलर्वैये मणणगण खधचते गोघत


ृ ां ॐ दग
ु ािलक्ष्मीयुकतां सरस्र्वत्यै नमः | नैर्वेद्यं
सुपकर्वां भक्ष्यां भोज्यां च लेह्यानर्प समपियासम ||
सकलमिं जोष्यम्न नीधाय नाना शाकैरूपेतं (cover face with cloth and chant gayatri mantra five
times or repeat 12 times दग
ु ािलक्ष्मीयुकतां सरस्र्वत्यै
समधु दधध घत
ृ ं क्षीर पानीय युकतं
नमः )
तांबूलं चार्प दे र्र्व प्रनतहदर्वसमिं मनसा धचंतयासम ||

सर्विि अमत
ृ ोर्पधान्यमसस स्र्वािाः ||
अद्य नतष्ठनत यस्त्कस्ञ्चत ् कस्ल्पतश्चापरं धग्रिे
ॐ दग
ु ािलक्ष्मीयक
ु तां सरस्र्वत्यै नमः | उत्तरापोषणं
पकर्वान्नं च पानीयं यर्ोपस्कर संयत
ु ं समपियासम ||
यर्ाकालं मनुष्यार्े मोक्ष्यमानं शरीररसभः
तत्सर्वं दे र्र्वपज
ू ास्तु प्रयतां मे जगदीश्र्वरी
(let flow water from shankha)
-------------------------------------------------------------------
सुधारसं सुर्र्वपुलं आपोषणसमदं ५० मिा फलं
तर्व गि
ृ ाण कलशानीतं यर्ेष्टमप
ु भज्
ु ज्यताम ् || (put tulsi / axathaa on a big fruit)
इदं फलं मया दे र्वी स्र्ार्पतं पुरतस्तर्व |

ॐ दग तेन मे सफलार्वास्प्तभिर्वेत ् जन्मनन जन्मनन ||


ु ािलक्ष्मीयक
ु तां सरस्र्वत्यै नमः |
अमत ॐ दग
ु ािलक्ष्मीयक
ु तां सरस्र्वत्यै नमः | मिाफलं
ृ ोपस्तरणमसस स्र्वािाः |
(drop water from sha|nkha) समपियासम |
---------------------------------------------------------------------
५१ फलाष्टक (put tulsi/akshata on fruits)
ॐ प्राणात्मने सरस्र्वत्यै स्र्वािा ।
कूष्माण्ड मातुसलङ्गम ् च ककिठी दाडडमी फलम ् |
ॐ आपानात्मने र्वाण्यै स्र्वािा ।
रम्भा फलं जम्बीरं बदरं तर्ा ||
ॐ व्यानात्मने र्वाग्दे व्यै स्र्वािा ।
ॐ दग
ु ािलक्ष्मीयुकतां सरस्र्वत्यै नमः | फलाष्टकं
ॐ उदानात्मने मिार्र्वद्यायै स्र्वािा ।
समपियासम ||
ॐ समानात्मने शास्िरूर्पण्यै स्र्वािा ।
---------------------------------------------------------------------
ॐ दग
ु ािलक्ष्मीयुकतां सरस्र्वत्यै नमः | ५२ करोद्र्वतिन

नैर्वेद्यं गह्
ृ यतां दे र्र्व भस्कतं मे अचलां कुरु | करोद्र्वतिनकं दे र्वी मया दत्तं हि भस्कततः |

ईस्प्सतं मे र्वरं दे हि इिि च परां गनतं || चारु चंद्र प्रभां हदव्यं गि


ृ ाण जगदीश्र्वरी ||

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ॐ दग
ु ािलक्ष्मीयुकतां सरस्र्वत्यै नमः | करोद्र्वतिनार्े गि
ृ ाण मङ्गलम ् दीपम ् सरस्र्वत्यै नमोस्तुते ||
चंदनं समपियासम ||
कपरूि कं मिाराज्ी रं भोद्भूतं च दीपकम ् |
---------------------------------------------------------------------
५३ तांबूलं
मङ्गलार्ं मिादे र्वी सङ्गि
ृ ाण जगन्माते ||
पूगीफलं सतांबूलं नागर्वस्ल्ल दलैयत
ुि म ् |
ताम्बूलं गह्
ृ यतां दे र्वी येल लर्वंग सम्युकतम ् || O! saraswati, may I offer this auspicious
ॐ दग
ु ािलक्ष्मीयुकतां सरस्र्वत्यै नमः | पूगीफल light of camphor and wick smeared with
ताम्बूलं समपियासम|| ghee. I salute You.
---------------------------------------------------------------------
५४ दक्षक्षणा
(play the camphor light three times in a
हिरण्य गभि गभिस्र् िे मबीज र्र्वभार्वसोः |
circular motion before the image of
अनन्त पुण्य फलदा अर् शास्न्तं प्रयच्छ मे ||
saraswati.
ॐ दग
ु ािलक्ष्मीयुकतां सरस्र्वत्यै नमः | सुर्वणि पुष्प
दक्षक्षणां समपियासम ||
--------------------------------------------------------------------- ॐ दग
ु ािलक्ष्मीयक
ु तां सरस्र्वत्यै नमः | कपरूि दीपं
५५ मिा नीराजन समपियासम ||
---------------------------------------------------------------------
५७ आरती
ॐ धश्रयै जातः धश्रय अननररयाय धश्रयं र्वयो
शारदे ओ र्र्वशारदे ।
जररतभ्
ृ यो ददानत
र्र्वघ्न र्र्वनाशनन शारदे ॥
धश्रयं र्वसाना अमत
ृ त्र्वमायन ् भर्वंनत सत्य स
ज्योनत स्र्वरूर्पणण शारदे ।
समर्ासमतद्रौ
आत्म स्र्वरूर्पणण शारदे ॥
धश्रय एर्वैनं तत ् धश्रयामादधानत संततमच
ृ ा र्वषट्कृत्यं
संतत्यै संधीयते प्रजया पशसु भः य एर्वं र्वेद ||
॥ ॐ जय जगदीश ् िरे ॥
ॐ दग
ु ािलक्ष्मीयुकतां सरस्र्वत्यै नमः |
मिानीराजनं दीपं समपियासम ||
--------------------------------------------------------------------- (you can add more AratI songs as
५६ कपरूि दीप needed)
---------------------------------------------------------------------

अचित प्राचित र्प्रयमेधासो अचित | ५८ प्रदक्षक्षणा


अचिन्तु पि
ु का उत परु ं धष्ृ णर्वचित || यानन कानन च पापानन जन्मांतर कृतानन च |
नीराजनम ् सकपरूि म ् घत
ृ र्वनति समस्न्र्वतम ् | तानन तानन र्र्वनश्यस्न्त प्रदक्षक्षण पदे पदे ||

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अन्यर्ा शरणं नास्स्त त्र्वमेर्व शरणं मम | ॐ दग
ु ािलक्ष्मीयुकतां सरस्र्वत्यै नमः | नत्ृ यं
तस्मात ् कारुण्य भार्वेन रक्ष रक्ष जनादि नी || समपियासम ||
ॐ दग
ु ािलक्ष्मीयुकतां सरस्र्वत्यै नमः | प्रदक्षक्षणान ् ॐ दग
ु ािलक्ष्मीयुकतां सरस्र्वत्यै नमः | र्वाद्यं
समपियासम || समपियासम ||
ॐ दग
ु ािलक्ष्मीयुकतां सरस्र्वत्यै नमः | दपिणं
---------------------------------------------------------------------
५९ नमस्कार
समपियासम ||
या कुन्दे न्द-ु तुषारिार-धर्वला या शुभ्र-र्वस्िार्वत
ृ ा
ॐ दग
ु ािलक्ष्मीयुकतां सरस्र्वत्यै नमः | व्यजनं
या र्वीणार्वरदण्डमस्न्डतकरा या श्र्वेतपद्मासना ।
समपियासम||
या ब्रह्माच्युत-शंकर-प्रभनृ तसभदे र्वैः सदा पूस्जता
ॐ दग
ु ािलक्ष्मीयुकतां सरस्र्वत्यै नमः | आन्दोलनं
सा मां पातु सरस्र्वती भगर्वती ननःशेषजाड्यापिा॥
समपियासम||
ॐ दग
ु ािलक्ष्मीयुकतां सरस्र्वत्यै नमः | राजोपचारान ्
शत्येनार्प नमस्कारान ् कुर्वितः जगदीश्र्वरर ।
समपियासम ||
शत जन्माधचितम ् पापं तत्कशणदे र्र्व नश्यनत ॥
ॐ दग
ु ािलक्ष्मीयुकतां सरस्र्वत्यै नमः | सर्वोपचारान ्
समपियासम ||
पाहि पाहि जगत्र्वन्द्ये समस्त भकतर्वत्सले ।
ॐ दग
ु ािलक्ष्मीयुकतां सरस्र्वत्यै नमः | समस्त
नमस्तुभ्यं नमस्तुभ्यं नमस्तुभ्यं नमोनमः ।।
राजोपचारार्े अक्षतान ् समपियासम ||
Save me O! Saraswati, who is worshipped by the
---------------------------------------------------------------------
entire universe and bestower of goodwill to Her
Devotees, I prostrate to You. ६१ मंि पुष्प
दग
ु ािलक्ष्मीयुकतां सरस्र्वत्यै नमः | नमस्कारान ्
समपियासम || यः शुधचः प्रयतो भूत्र्वा जुिुयादाज्यमन्र्विम ् |
---------------------------------------------------------------------
सक
ू तं पञ्चदशचं च श्रीकामः सततं जपेत ् ||
६० राजोपचार
गि
ृ ाण परमेश्र्वरी सरत्ने छि चामरे |
र्र्वद्या बद्
ु धध धनेश्र्वयि पि
ु पौिाहद संपदः |
दपिणं व्यजनं चैर्व राजभोगाय यत्नतः ||
पुष्पांजसल प्रदानेन दे हिमे ईस्प्सतं र्वरम ् ||
ॐ दग
ु ािलक्ष्मीयक
ु तां सरस्र्वत्यै नमः | छिं
समपियासम||
ॐ स्र्वस्स्त साम्राज्यं भोज्यं स्र्वाराज्यं र्वैराज्यं
ॐ दग
ु ािलक्ष्मीयक
ु तां सरस्र्वत्यै नमः | चामरं
पारमेष्ठां राज्यं मिाराज्यमाधधपत्यमयं समंत
समपियासम ||
पयाियी स्यात ् सार्विभौमः सार्वाियुष आंतादा
ॐ दग
ु ािलक्ष्मीयुकतां सरस्र्वत्यै नमः | गीतं
पराधाित ् पधृ र्व्यै समुद्रपयंताया एकरासळनत तदप्येषः
समपियासम||

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श्लोकोऽसभगीतो मरूतः पररर्वेष्टारो मरुतस्या र्वसन ् (place a flower at the feet of the deity )
ग्रिे आर्वीक्षक्षतस्य कामप्रेर्र्विश्र्वेदेर्वा सभासद इनत ||
अघ्यि प्रदानं
ॐ दग
ु ािलक्ष्मीयुकतां सरस्र्वत्यै नमः | मंिपुष्पं
श्री दग
ु ािलक्ष्मीयुकतां सरस्र्वती व्रत सम्पूणि फल प्राप्तयर्ं
समपियासम ||
अघ्यि प्रदानं
कररष्ये |
---------------------------------------------------------------------
६२ शङ्ख ब्रमण (make three rounds of shankha with
water like arati and pour down; chant ॐ 9 times नीलोत्पलदल श्यामे पुण्डरीक ननभानने |
and show mudras)
गन्धपष्ु पफलस्तोयै गि
ृ ाणघ्यं नमोस्तत
ु े ||

इमां आपसशर्वतम इमं सर्विस्य भेषजे | ॐ दग


ु ािलक्ष्मीयुकतां सरस्र्वत्यै नमः | अघ्यं समपियासम||
---------------------------------------------------------------------
इमां राष्रस्य र्वधधिनन इमां राष्र भ्रतोमत ||
६५ आत्म समपिण
---------------------------------------------------------------------

६३ तीर्ि प्राशन यस्य स्मत्ृ या च नाम्नोकत्या तपः पज


ू ा क्रक्रयाहदषु |
शरीरे झझिरी भूते व्याहदग्रस्र्े कलेर्वरे । न्यूनं सम्पूणत
ि ां यानत सद्यो र्वन्दे तं अच्युतम ् ||
औषधं जाह्नर्वी तोयं र्वैद्यो नारायणो िररः ॥
अऩेऩ मया कृतेऩ, श्री सरस्र्वती व्रतेऩ,

अकाल मत्ृ यु िरणं सर्वि व्याधध ननर्वारणम ् | श्री सरस्र्वती सप्र


ु ीता सप्र
ु सऩ्ऩा र्वरदा भर्वत|ु

सर्वि पाप उपशमनम ् श्री सरस्र्वती पादोदकं शुभम ् || मध्ये मन्ि तन्ि स्र्वर र्वणि न्यूनानतररकत लोप
--------------------------------------------------------------------- दोष प्रायस्श्चत्तार्ं दे र्र्व नामिय मिामन्ि
६४ प्रार्िना
जपं कररष्ये ||
त्र्वमेर्व र्वाणणननणखलाश्च र्वेदा |
त्र्वम्शब्दः शस्कतश्च तदार्ि शस्कतः || ॐ गौयै नमः ॐ सशर्वायै नमः ॐ दग
ु ािलक्ष्मीयुकतां
त्र्वम्ब्रह्मर्र्वद्याससपरा परे सश | सरस्र्वत्यै नमः
त्र्वाम्ब्रह्मस्कनत शरणम ् प्रपद्ये || ॐ गौयै नमः ॐ सशर्वायै नमः ॐ दग
ु ािलक्ष्मीयुकतां
सरस्र्वत्यै नमः
O! Goddess Maha Saraswati, who is ॐ गौयै नमः ॐ सशर्वायै नमः ॐ दग
ु ािलक्ष्मीयुकतां
worshipped by all in the world, be pleased सरस्र्वत्यै नमः
with me all the time.
मन्ििीनम ्, क्रक्रयािीनम ्, भस्कतिीनम ् ज़नादि नन |

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यत ् पूस्जतम ् मया दे र्र्व पररपूणम
ि ् तदस्तु मे || (offer coconuts to brahmins with dakshiNa)

कायेन र्वाचा मनसेस्न्द्रयैर्वाि बुद्ध्यात्मना र्वा प्रकृनत


र्वायनदानं प्रनतगह्
ृ णातु ॥
स्र्वभार्वात ् |
करोसम यद्यत ् सकलं परस्मै नारायणायेनत
सुर्वाससन्ये र्वायन दानं
समपियासम ||
सरस्र्वती नतद्र्वन्तं गह्
ृ णातु चेदं ददानत च ।
तत्सपयाि र्र्वधौ दे र्र्व यस्त्कस्न्चत्साधधकं मया । उभयोस्तारक सरस्र्वती भर्वान्येते नमो नम ्ः ॥
क्षमस्र्व तहददं सर्वं कृपालो शुभ लकशणे ॥
स्र्वलंकृताः सर्व
ु ाससन्याः पानतव्रत्येन भर्ू षताः ।
नमस्करोसम | श्री दग
ु ािलक्ष्मीयक
ु तां सरस्र्वत्यै नमः ममाभीष्ट समद्
ृ यर्ं प्रनतगह्
ृ णन्तु र्वायनं ॥
प्रसादं सशरसा गह्
ृ णासम || ---------------------------------------------------------------------
--------------------------------------------------------------------- ६७ प्रसाद ग्रिणं
६६ उपयन दानं - ब्राह्मण सुर्वाससनन पूजा
(wash feet wipe offer gandha kumkum flowers
Prasad, fruits and gifts and make obeisances) सर्र्व मंगल मांगल्ये सशर्वे सर्वािर्ि साधधके ।
शरण्ये त्र्यस्म्बके गौरी नारायणी नमोस्तुते ॥
ब्राह्मणाय र्वायन दानं

ॐ दग
ु ािलक्ष्मीयुकतां सरस्र्वत्यै नमः ।
इष्ट काम्यार्ि प्रयक
ु त संयगाचररत श्री सरस्र्वती पज
ू ां
सरस्र्वती दे र्वी प्रसादं सशरसा गह्
ृ णासम ॥
सम्पूणि फल र्वाप्यर्ं श्रीनारायण स्र्वरूपाय ब्राह्मणाय
---------------------------------------------------------------------
र्वायन दानं कररष्ये ॥ ६८ र्र्वसजिन पूजा
आराधधतानां दे र्वतानां पन
ु ः पूजाम ् कररष्ये ||
श्रीनारायण स्र्वरूपाय ब्राह्मणाय आर्वािन पर्व
ू क ि ॐ दग
ु ािलक्ष्मीयुकतां सरस्र्वत्यै नमः ।
आसन गन्ध अक्षत धप
ू दीपाहद सकलाराधनै
स्र्वधचितम ् । पुनः पूजा

chant dhyaan shloka


नारायण प्रनतगह्
ृ णातु नारायणो र्वै ददानत च ।
नारायणो तारकोभ्यां नारायणाय नमो नमः । ॐ दग
ु ािलक्ष्मीयुकतां सरस्र्वत्यै नमः | ध्यायासम| ध्यानं
समपियासम |
भर्वान्यश्च मिादे व्या व्रत सम्पूणि
ि े तर्वे । ॐ दग
ु ािलक्ष्मीयुकतां सरस्र्वत्यै नमः | आर्वाियासम |
प्रीतये द्र्र्वजर्वयािय र्वायनम ् प्रददाम्यिम ् ॥

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ॐ दग
ु ािलक्ष्मीयुकतां सरस्र्वत्यै नमः | आसनं ॐ दग
ु ािलक्ष्मीयुकतां सरस्र्वत्यै नमः | पुष्प पूजां
समपियासम | समपियासम |
ॐ दग
ु ािलक्ष्मीयुकतां सरस्र्वत्यै नमः | पाद्यं ॐ दग
ु ािलक्ष्मीयुकतां सरस्र्वत्यै नमः | पि पूजां
समपियासम | समपियासम |
ॐ दग
ु ािलक्ष्मीयुकतां सरस्र्वत्यै नमः | अघ्यं ॐ दग
ु ािलक्ष्मीयुकतां सरस्र्वत्यै नमः | आर्वरण पूजां
समपियासम | समपियासम |
ॐ दग
ु ािलक्ष्मीयुकतां सरस्र्वत्यै नमः | आचमनीयं ॐ दग
ु ािलक्ष्मीयुकतां सरस्र्वत्यै नमः | अष्टोत्तर पूजां
समपियासम | समपियासम |
ॐ दग
ु ािलक्ष्मीयुकतां सरस्र्वत्यै नमः | पन्चामत
ृ स्नानं ॐ दग
ु ािलक्ष्मीयुकतां सरस्र्वत्यै नमः | धप
ू ं आयापयासम
समपियासम | ॐ दग
ु ािलक्ष्मीयुकतां सरस्र्वत्यै नमः | दीपं दशियासम
ॐ दग
ु ािलक्ष्मीयुकतां सरस्र्वत्यै नमः | मि असभषेकं ॐ दग
ु ािलक्ष्मीयुकतां सरस्र्वत्यै नमः | नैर्वेद्यं
समपियासम | समपियासम |
ॐ दग
ु ािलक्ष्मीयुकतां सरस्र्वत्यै नमः | र्वस्ियुग्मं ॐ दग
ु ािलक्ष्मीयुकतां सरस्र्वत्यै नमः | मिाफलं
समपियासम | समपियासम |
ॐ दग
ु ािलक्ष्मीयुकतां सरस्र्वत्यै नमः | यज्ोपर्वीतं ॐ दग
ु ािलक्ष्मीयुकतां सरस्र्वत्यै नमः | फलाश्स्टकं
समपियासम | समपियासम |
ॐ दग
ु ािलक्ष्मीयुकतां सरस्र्वत्यै नमः | गन्धं समपियासम ॐ दग
ु ािलक्ष्मीयुकतां सरस्र्वत्यै नमः | करोद्र्वर्िनकं
| समपियासम |
ॐ दग
ु ािलक्ष्मीयुकतां सरस्र्वत्यै नमः | नान पररमल
ॐ दग
ु ािलक्ष्मीयुकतां सरस्र्वत्यै नमः | ताम्बूलं
द्रव्यं समपियासम |
समपियासम |
ॐ दग
ु ािलक्ष्मीयुकतां सरस्र्वत्यै नमः | िस्तभूषणं
ॐ दग
ु ािलक्ष्मीयुकतां सरस्र्वत्यै नमः | दक्षक्षणां
समपियासम |
समपियासम |
ॐ दग
ु ािलक्ष्मीयुकतां सरस्र्वत्यै नमः | अक्षतान ्
ॐ दग
ु ािलक्ष्मीयुकतां सरस्र्वत्यै नमः | मिानीराजनं
समपियासम |
समपियासम |
ॐ दग
ु ािलक्ष्मीयुकतां सरस्र्वत्यै नमः | पुष्पं समपियासम
ॐ दग
ु ािलक्ष्मीयुकतां सरस्र्वत्यै नमः | कपरूि दीपं
|
समपियासम |
ॐ दग
ु ािलक्ष्मीयुकतां सरस्र्वत्यै नमः | नाना अलङ्कारं
ॐ दग
ु ािलक्ष्मीयुकतां सरस्र्वत्यै नमः | प्रदक्षक्षणां
समपियासम |
समपियासम |
ॐ दग
ु ािलक्ष्मीयुकतां सरस्र्वत्यै नमः | अंग पूजां
समपियासम |

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ॐ दग
ु ािलक्ष्मीयुकतां सरस्र्वत्यै नमः | नमस्कारान ्
समपियासम |
ॐ दग
ु ािलक्ष्मीयुकतां सरस्र्वत्यै नमः | राजोपचारं
समपियासम |
ॐ दग
ु ािलक्ष्मीयुकतां सरस्र्वत्यै नमः | मन्िपुष्पं
समपियासम |

पूजांते छिं समपियासम | चामरं समपियासम |


नत्ृ यं समपियासम | गीतं समपियासम |
र्वाद्यं समपियासम | आंदोसलक् आरोिणं समपियासम |
अश्र्वारोिणम ् समपियासम | गजारोिणं समपियासम |

दग
ु ािलक्ष्मीयुकतां सरस्र्वत्यै नमः | समस्त राजोपचार
दे र्वोपचार शकत्यप
ु चार भकत्यप
ु चार
पूजां समपियासम ||
---------------------------------------------------------------------
६९ क्षमापनं
अपराध सिस्राणण क्रक्रयन्ते अिननिशं मया |
तानन सर्वािणण मे दे र्र्व क्षमस्र्व परमेश्र्वरर ||

यान्तु दे र्व गणाः सर्वे पज


ू ां आदाय पाधर्िर्वीम ् |
इष्ट काम्यार्ि ससद्ध्यर्ं पुनरागमनाय च ||

(shake the kalasha)


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Puja Text – Sri S.A.Bhandarkar
Transliterated by Sowmya Ramkumar
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Last updated on Oct 13, 2013
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