Professional Documents
Culture Documents
श्रीरामचरितमानस - गरुड़जी के सात प्रश्न तथा काकभुशुण्डि के उत्तर PDF
श्रीरामचरितमानस - गरुड़जी के सात प्रश्न तथा काकभुशुण्डि के उत्तर PDF
चौपाई :
* पुिन सप्रेम बोलेउ खगराऊ। जौं कृपाल मोिह ऊपर भाऊ"।
नाथ मोिह िनज सेवक जानी। सप्त प्रस्न मम कहहु बखानी"1"
भावाथर्
:-पक्षीराज गरुड़जी िफर प्रेम सिहत बोले- हे कृपालु! यिद मुझ पर आपका प्रेम है
, तो हे नाथ! मुझे अपना सेवक
जानकर मेरे सात प्रश्नों के उत्तर बखान कर किहए"1"
भावाथर्
:-हे नाथ! हे धीर बुिद्ध! पहले तो यह बताइए िक सबसे दुलर्भ कौन सा शरीर है
िफर सबसे बड़ा दुःख कौन है
और
सबसे बड़ा सुख कौन है , यह भी िवचार कर संक्षेप में ही किहए"2"
भावाथर्
:-िफर मानस रोगों को समझाकर किहए। आप सवर्ज्ञ हैं और मुझ पर आपकी कृपा भी बहुत है
। (काकभुशुिण्डजी ने
कहा-) हे तात अत्यंत आदर और प्रेम के साथ सुिनए। मैं यह नीित संक्षेप से कहता हूँ "4"
* सो तनु धिर हिर भजिहं न जे नर। होिहं िबषय रत मंद मंद तर"
काँच िकिरच बदलें ते लेहीं। कर ते डािर परस मिन देहीं"6"
भावाथर् :-संत दू सरों की भलाई के िलए दुःख सहते हैं और अभागे असंत दू सरों को दुःख पहुँ चाने के िलए। कृपालु संत भोज
के वृक्ष के समान दू सरों के िहत के िलए भारी िवपित्त सहते हैं
(अपनी खाल तक उधड़वा लेते हैं )"8"
भावाथर्
:-िकंतु दुष्ट लोग सन की भाँित दू सरों को बाँधते हैं और (उन्हें बाँधने के िलए) अपनी खाल िखंचवाकर िवपित्त
सहकर मर जाते हैं । हे सपोर्ं के शत्रु गरुड़जी! सुिनए, दुष्ट िबना िकसी स्वाथर् के साँप और चूहे के समान अकारण ही दू सरों
का अपकार करते हैं "9"
भावाथर्
:-वे पराई संपित्त का नाश करके स्वयं नष्ट हो जाते हैं
, जैसे खेती का नाश करके ओले नष्ट हो जाते हैं
। दुष्ट का
अभ्युदय (उन्नित) प्रिसद्ध अधम ग्रह केतु के उदय की भाँित जगत के दुःख के िलए ही होता है
"10"
भावाथर्
:-और संतों का अभ्युदय सदा ही सुखकर होता है
, जैसे चंद्रमा और सूयर् का उदय िवश्व भर के िलए सुखदायक है
।
भावाथर्
:-शंकरजी और गुरु की िनंदा करने वाला मनुष्य (अगले जन्म में) मेंढक होता है
और वह हजार जन्म तक वही मेंढक
का शरीर पाता है
। ब्राह्मणों की िनंदा करने वाला व्यिक्त बहुत से नरक भोगकर िफर जगत्
में कौए का शरीर धारण करके
जन्म लेता है
"12"
भावाथर्:-जो अिभमानी जीव देवताओं और वेदों की िनंदा करते हैं , वे रौरव नरक में पड़ते हैं
। संतों की िनंदा में लगे हुए लोग
उल्लू होते हैं
, िजन्हें मोह रूपी राित्र िप्रय होती है
और ज्ञान रूपी सूयर् िजनके िलए बीत गया (अस्त हो गया) रहता है "13"
भावाथर्
:-जो मूखर् मनुष्य सब की िनंदा करते हैं
, वे चमगादड़ होकर जन्म लेते हैं
। हे तात! अब मानस रोग सुिनए, िजनसे सब
लोग दुःख पाया करते हैं "14"
भावाथर्
:-सब रोगों की जड़ मोह (अज्ञान) है। उन व्यािधयों से िफर और बहुत से शूल उत्पन्न होते हैं
। काम वात है
, लोभ
अपार (बढ़ा हुआ) कफ है और क्रोध िपत्त हैजो सदा छाती जलाता रहता है "15"
भावाथर्
:-यिद कहीं ये तीनों भाई (वात, िपत्त और कफ) प्रीित कर लें (िमल जाएँ ), तो दुःखदायक सिन्नपात रोग उत्पन्न होता
है
। किठनता से प्राप्त (पूणर्) होने वाले जो िवषयों के मनोरथ हैं
, वे ही सब शूल (कष्टदायक रोग) हैं
, उनके नाम कौन
जानता है(अथार्त् वे अपार हैं )"16"
चौपाई :
* ममता दादु कंडु इरषाई। हरष िबषाद गरह बहुताई"
पर सुख देिख जरिन सोइ छई। कुष्ट दुष्टता मन कुिटलई"17"
भावाथर्
:-ममता दाद है
, ईषार् (डाह) खुजली है
, हषर्-िवषाद गले के रोगों की अिधकता है(गलगंड, कण्ठमाला या घेघा आिद
रोग हैं
), पराए सुख को देखकर जो जलन होती है , वही क्षयी है
। दुष्टता और मन की कुिटलता ही कोढ़ है
"17"
भावाथर्
:-अहंकार अत्यंत दुःख देने वाला डमरू (गाँठ का) रोग है
। दम्भ, कपट, मद और मान नहरुआ (नसों का) रोग है
।
* जुग िबिध ज्वर मत्सर अिबबेका। कहँ लिग कहौं कुरोग अनेका"19"
भावाथर्
:-मत्सर और अिववेक दो प्रकार के ज्वर हैं
। इस प्रकार अनेकों बुरे रोग हैं
, िजन्हें कहाँ तक कहूँ "19"
दोहा :
* एक ब्यािध बस नर मरिहं ए असािध बहु ब्यािध।
पीड़िहं संतत जीव कहुँ सो िकिम लहै
समािध"121 क"
भावाथर्:-एक ही रोग के वश होकर मनुष्य मर जाते हैं , िफर ये तो बहुत से असाध्य रोग हैं
। ये जीव को िनरंतर कष्ट देते
रहते हैं
, ऐसी दशा में वह समािध (शांित) को कैसे प्राप्त करे?"121 (क)"
भावाथर्
:-िनयम, धमर्, आचार (उत्तम आचरण), तप, ज्ञान, यज्ञ, जप, दान तथा और भी करोड़ों औषिधयाँ हैं
, परंतु हे
गरुड़जी! उनसे ये रोग नहीं जाते"121 (ख)"
चौपाई :
* एिह िबिध सकल जीव जग रोगी। सोक हरष भय प्रीित िबयोगी"
मानस रोग कछुक मैं गाए। हिहं सब कें लिख िबरलेन्ह पाए"1"
भावाथर्:-प्रािणयों को जलाने वाले ये पापी (रोग) जान िलए जाने से कुछ क्षीण अवश्य हो जाते हैं
, परंतु नाश को नहीं प्राप्त
होते। िवषय रूप कुपथ्य पाकर ये मुिनयों के हृदय में भी अंकुिरत हो उठते हैं
, तब बेचारे साधारण मनुष्य तो क्या चीज हैं "
2"
भावाथर् :-यिद श्री रामजी की कृपा से इस प्रकार का संयोग बन जाए तो ये सब रोग नष्ट हो जाएँ । सद्गरु
ु रूपी वैद्य के वचन
में िवश्वास हो। िवषयों की आशा न करे, यही संयम (परहेज) हो"3"
बालकाण्ड - Baal-Kand
अयोध्याकाण्ड - Ayodhya-Kand
अरण्यकाण्ड - Aranya-Kand
िकिष्कन्धाकाण्ड - Kishkindha-Kand
सुन्दरकाण्ड - Sundar-Kand
लंकाकाण्ड - Lanka-Kand
उत्तरकाण्ड - Uttar-Kand
Popular Posts
आइए जानते है
रावण के भाई कुम्भकणर् से जुडी कुछ रोचक बातें-
Archive
August 2016
27: जब कृष्ण और बलराम जी पहलवानों को मार कंस की ओर दौड़े -
20: जािनए प्रभु श्रीराम की सेना में कौन-कौन से महाबली योद्धा थे -
July 2016
23: जब सुलोचना मेघनाद का कटा सर लेने श्रीराम सेना-दल में जा पहुंची -
4: िवष्णुसहस्रनाम - जाने श्री िवष्णु के 1000 नामों की मिहमा और लाभ -
2: रावण की राक्षस सेना के बारे में पढ़ के दंग हो जायेंगे आप -
June 2016
23: सीताजी को स्पशर् करता रावण तो हो जाता भस्म, जािनए -
18: लक्ष्मण का धमर् संकट- जब बताना पड़ा राम-सीता में िकसके चरण हैंज़्यादा सुंदर -
11: नन्ही िगलहरी का रामसेतु मे सहयोग सुनके भाविवभोर हो जाएँ गे आप, ज़रूर पढ़ें-
3: जािनए पूरी कहानी क्यूँ करते हैं
शिनवार को हनुमान जी की पूजा?
May 2016
26: ज़रूर जािनए - आिखर क्यों िदया रघुनंदन ने लक्ष्मण को मृत्युदंड?
21: अकबर ने िकया था तुलसीदास जी को जेल में बंद तब िलखी थी हनुमान चलीसा
5: मेघनाद की शिक्तयों और शूरवीरता जानकर दंग हो जायेंगे आप, जरूर पढ़ें
-
April 2016
22: Hanuman Jayanti
11: आइए जानते है रावण के भाई कुम्भकणर् से जुडी कुछ रोचक बातें-
11: जरूर जािनए रावण के जन्म की रोचक कहानी -
7: ज़रूर जािनए रामायण मे शत्रुघ्न की भूिमका, योगदान और महत्व
2: कुछ ही लोग जानते हैं
लक्ष्मण वनवास के लगातार 14 वषोर् में नही सोये थे -
March 2016
22: जािनए सभी प्रान्तों में कैसे मनाते हैं
होली-
10: जािनए काकभुशुिण्ड और उनके पूवर्जन्म के बारे मे
8: िशवाष्टक स्तोत्र
February 2016
28: क्या आप जानते हैं
- हनुमान जी ने िलखी थी सबसे पहली रामायण और िफर उसे समुद्र मे फेंक दी थी -
21: जािनए भगवान िशव के 12 ज्योितिलर् गों में से एक को रामेश्वरम क्यूँ कहा जाता है
15: कौन थी शबरी और क्या थी उसकी कहानी ज़रूर पढ़ें -
January 2016
24: रामायण जटायु प्रसंग जािनए -
24: िहंदू धमर् में मिहलाएं क्यों नही फोड़ सकती नािरयल, जािनए कारण
23: सुबह-सुबह हमें सबसे पहले िकसे देखना चािहए, जािनए
15: ज़रूर जाने क्यूँ मानते हैं मकर संक्रांित -
December 2015
11: श्रीराम का धरती मां से िवनती की भरत के पैरों में पत्थर और कांटा न लगे -
October 2015
29: जािनए पूरी कथा क्यूँ मानते हैं धनतेरस?
28: जािनए क्यूँ मानते हैं नरक चतुदर्शी का त्योहार ?
28: जािनए क्यूँ मानते हैं करवाचौथ ?
21: जािनए सीता हरण के आलावा िकन-िकन कारणों से रावण की मृत्यु हुई?
14: नवरात्र का वैज्ञािनक और आध्याित्मक रहस्य -
14: नवरात्र - देवी दुगार् के नव रूप की कहानी
August 2015
4: राम सेतु को एडम िब्रज बोलना सही है ?
3: अंतर रामचिरतमानस और रामायण
2: क्यों मनाया जा रहा है रक्षाबंधन, जानें पूरी कहानी
2: हनुमान जी ने क्यों धारण िकया पंचमुखी रूप - जािनए पूरी कहानी ?
एक बार जब प्रभु श्रीराम, लक्ष्मण व सीता जी के साथ िचत्रकूट पवर्त की ओर जा रहे थे, तो वहां की राह बहुत ही पथरीली और
कंटीली थी।तभी प्रभु श्री...