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Natak - Ajab Madari Gajab Tamasha-1
Natak - Ajab Madari Gajab Tamasha-1
मदारी
गजब
तमाशा
मोबाईल न. 9826126781
जो बल
ु ाया आपको
एक बल
ु ावे पर जो आये उन सभी का शक्रि
ु या
पात्र एक - बस बस बस अब गाना बंद करो | जिन्हें आना था आ गये, जिन्हें बैठना था बैठ
कर दे | क्यों बंद करे गे आप अपना हें ड सेट ? क्या ऐसा कोई कानन
ू है ?
पात्र एक - तो अपन अपना नाटक रोक दे गे | पहले बातचीत हो जाये , वो फोन जेब में रख
पात्र तीन - इसमें तो बहुत दिक्कत हो जायेगी | हर पांच मिनट में यहाँ किसी का फोन
पात्र एक - हर पांच मिनट में क्यों बजेगा ? यहाँ मौजूद सभी मूर्ख और जिद्दी थोड़ी है जो
फोन बंद नहीं करे गे ? दे खो लगभग लगभग सभी ने अपने मोबाईल फोन बंद
कर दिए है |
पात्र चार - तो अब अपन अपना नाटक शुरू करे जिसका नाम है ------
पात्र एक - रुको रुको रुको ..... दर्शको का स्वागत तो हो गया , अब भगवान से प्रार्थना भी
कर ली जाये –
पात्र दो - हे प्रभु केवल नाटक में प्रकाश न हो बल्कि नाटक से समूची सष्टि
ृ में प्रकाश हो
जाये |
पात्र पांच - जितने भी बुरे लक्षणों से युक्त मनुष्य है उन्हें हम कला और साहित्य के माध्यम
से सध
ु ार दे | नाटक के दृश्यों से हम लोगो की आँखों का कचरा साफ़ कर दे ,
वाणी में रस दे
दृश्यों में रं ग दे
हे प्रभु नाटक की आँख नाक कान कंधे और सिर सदा सलामत रहे |
तो दर्शको प्रस्तत
ु है नाटक
पात्र चार - झठ
ू फरे ब नंगई अपनी जवानी पर थी |
पात्र एक - राजा साहब के निधन हो जाने के अवसर निर्मित हो रहे है | नज़दीकी लोगो को
पात्र एक - बाल का एक्सरे करवाते है , कान के मैल की लैब रिपोर्ट मंगवाई जाये |
पात्र दो - शायद महाराज कुछ बोलना चाह रहे है | सब शांत हो जाओ और ध्यान से सुनो
महाराज का आदे श | महाराज जब बोल रहे है तो ज़रूर दे श हित में ही बोल रहे
पात्र एक - शायद महाराज कागज़ कलम मांग रहे है | जो शब्द मुंह से निकल नहीं रहा है
पात्र दो - ये लो कागज़ |
हो गया |
राजगरु
ु , राजगरु
ु , राजगरु
ु |
( राजगुरु का प्रवेश )
समवेत - जय |
समवेत - जय |
समवेत - जय |
पात्र एक - गुरूजी बहुत ही अशुभ समाचार है , महाराज हमें छोड़ कर चले गए |
पात्र दो - महाराज कुछ कहना चाह रहे थे पर उनके मुंह से शब्द नहीं निकला |
पात्र तीन - महाराज ने लिखने का प्रयत्न किया पर उनसे एक शब्द भी लिखा नहीं गया |
राजगुरु - यह तो बहुत ही अशुभ हुआ | यह नहीं कहा और नहीं लिखा गया शब्द इस
सिर्फ और सिर्फ शब्दों से नष्ट होगा | अब हमे मिटने के लिए शत्रु की गोली और
और निराकार राजा राज्य करे गा यहाँ जो बस दिन रात खेला करे गा आँख
मिचौली |
गुरूजी - इस समय ग्रहों की जो स्थति है वह है – सूर्य कुम्भ राशि में , मंगल व्रिशिच्क में
, शनि ध्रुव में , राहू कर्क में तथा केतु का मकर राशि में संचार हो रहा है | योग
गरू
ु जी - फिर बिना दे र किये मदारी की तलाश शरू
ु कर दी जाये |
सख
ु सवि
ु धा के नवगीत ,
आ जाओ मदारी
जमूरा - आ गया |
जमूरा - दिखायेगा |
जमूरा - बताएगा |
मदारी - जमूरा |
जमूरा - उस्ताद |
जमूरा - तो ठीक है उस्ताद आप बजा दो ढ़ोल मै बजाता हूँ डमरू | नचा दे ते है बंदरिया |
मदारी - बच्चा लोग दो दो कदम पीछे हो जाये | जो खड़े है बैठ जाये , जो बैठे है वो
खड़े हो जाये |
जमूरा - गूंगे बोले न , अंधे दे खे न , बहरे सुने न ...... तभी खेल का मजा आएगा |
मदारी - जमूरा |
जमूरा - उस्ताद |
मदारी - ये क्या है ?
जमूरा - लकड़ी है |
मदारी - कैसी है ?
मदारी - मेरा जाद ू का खेल दे खेगा | दे ख मै अभी इस लकड़ी को एक सुंदर लड़की बना
दं ग
ू ा |
जमूरा - लड़की बना दोगे ? उस्ताद ऐसा गजब मत करना , अगर तुमने इसे लड़की बना
मदारी - जमूरा बात सीधी बोल , घुमा के नहीं | बोल क्या हो जायेगा |
मदारी - किस से ?
जमूरा - गैंगरे प से , हत्या से , दहे ज से | लकड़ी को लकड़ी रहने दो उस्ताद उसे नारी
केवल सांप का काटा बचेगा ..... नेता , अफसर , मुल्ला , पंडित , पत्रकार
है दस का एक , दस का एक , दस का एक |
मदारी - दस का एक , दस का एक , दस का एक |
मदारी - कहने वाले ने क्या खूब कहा है – ऊपर वाले के हाँ दे र है अंधेर नहीं | वो जब
दे ता है तो छप्पर फाड़ कर दे ता है |
जमूरा - उस्ताद ये माना उसके दरबार में दे र है अंधेर नहीं , पर इंसाफ का दे र से मिलना
समवेत - जय |
समवेत - जय |
पात्र एक - महाराज की ------- |
समवेत - जय |
पात्र दो - महाराज ग्रहण कीजिये सिंहासन और दिखा दीजिये विश्व को अपना बन्दर नाच |
इस तरह ---------- |
पात्र एक - महाराज अब राज महल चले | नौकर चाकर , मंत्री वंत्री , इमका ठिमका सब
मदारी - आप लोगो के पैर पड़ता हूँ हाथ जोड़ता हूँ | मेरे को माफ़ कर दो , मुझ गरीब
पात्र एक - मदारी और राजा में ज़्यादा अंतर नहीं होता है | मदारी होना राजा होने की पहली
पात्र चार - आ गया उसके लहजे में रौब और पैदा हो गया उसके अंदर आत्म विश्वास |
इस दे श का राष्ट्रीय पशु होगा | पूरे दे श में बंदर सरं क्षण सप्ताह मनाया जाएगा |
चौक चौक पर बंदर की मूर्ति स्थापित की जायेगी | हर शहर और गाँव गाँव में
राजा - पूरे दे श में बंदर नाच प्रतियोगिता आयोजित की जायेगी | शायरों से कहा जाएगा
युवा बेरोजगारों को बंदर पालन केंद्र खोलने के लिये बैंक से बिना ब्याज का ऋण
जाएगा |
का प्रवेश )
राजा - दे श की सत्ता और सिस्टम पूरी तरह मेरे नियन्त्रण में है | रक्षा मंत्रालय , वित्त
राजा - तेरे लिए सोचना क्या ? बोल क्या चाहिये तेरे को ? अपने भगवान से जो
डयूटी लगा दी है |
राजा - ऐसी कैसी इच्छा मन में जाग गई है , राजा बनने की तो इच्छा पैदा हो गई
है क्या ?
जमूरा - कैसी बात कर रहे हो उस्ताद , आप के रहते मेरे को क्या तकलीफ जो ऐसा
सोचू ?
राजा - सच्ची ?
जमूरा - सच्ची |
राजा - मुच्ची ?
जमरू ा - मच्
ु ची |
जमूरा - बंदर की कसम खा कर कहता हूँ कि राजा बनने के बारे में मैंने कभी सोचा
भी नहीं |
जमूरा - हाँ महाराज , एक ही इच्छा है कि मुझे काव्य लेखन के लिए दे श का सबसे बड़ा
राजा - बस इत्तू सी बात | बोल इसमें मै तेरे लिए क्या कर सकता हूँ ? बस पहली
करवा दं ग
ू ा | दस
ू रे वरिष्ठ कवि भी तझ
ु े झक
ु झक
ु के सलाम करे गे |
ही नहीं | मै तो अनपढ़ हूँ, अंगूठा छाप आदमी | मै कविता कैसे लिखू ? कविता
लिखने के लिए शब्द चाहिए और मै शब्द लिखने में असमर्थ हूँ | महाराज कविता
लिखना चाहता हूँ पर मेरे पास शब्द नहीं है , मेरे पास शब्द नहीं है , मेरे पास
शब्द नहीं है |
अब किस को चन
ू ा लगाये रे ||||
राजा - हमने फैसला ले लिया है |
पात्र तीन - इतिहास के इतिहास में कभी इतने साहसिक फैसले दर्ज नहीं हुए होगे |
पात्र पांच - महाराज आप अपना फैसला सुनाये | हम पलक छपकते ही तमाम संचार के
पात्र एक - जैसे हमने बंदर के राष्ट्रीय पशु होने की खबर को फैलाया और उसकी जम के
पात्र दो - बंदर स्टील्स , बंदर स्ट्रक्चरल , बंदर आयल्स , बंदर छाप फटाका , बंदर छाप
पात्र तीन - बंदर हार्डवेयर , बंदर पें ट्स , बंदर सेनेटरी ,बंदर इलेक्ट्रिकल्स , बंदर ड्रेसेस , बंदर
पात्र चार - बंदर पोहा एवम जलेबी , बंदर चाय नाश्ता , बंदर रे स्टारें ट , बंदर पान भंडार ,
पात्र पांच - बंदर किराया भंडार , बंदर शामियाना , बंदर बैंड पार्टी , बंदर साउं ड सर्विस ,
बंदर केंटरिन , बंदर मैरिज ब्योरो , बंदर मैरिज पार्क , बंदर सेहरा पार्टी ,
राजा - नहीं | हम थोड़े में से बहुत ज़्यादा समझ लेते है | आप जैसी कार्य कारिणी
| हम जमूरा को दे श के साहित्य जगत में बहुत बड़ी हस्ती के रूप में दे खना
पात्र पांच - वाह वाह हुजुर की क्या नज़र है | विश्व साहित्य में जमूरा युग की खोज का श्रेय
पात्र एक - मेरे को तो जमूरा में ग़ालिब , इकबाल और अमीर खुसरो नज़र आ रहे है |
पात्र तीन - मेरे को ऐसा लग रहा है मेरे सामने शेक्सपियर , बर्नाड शा , टालस्टाय खड़े
है |
राजा - शब्द |
समवेत शब्द ?
राजा - शब्द |
समवेत - शब्द ?
किया जाएगा | सरकारी आदे श में शब्दों का कही प्रयोग नहीं होगा |
जाये |
समवेत - सुनो सुनो सुनो , सुनो सुनो सुनो , सुनो सुनो सुनो |
सन
ु ो सन
ु ो सन
ु ो , सन
ु ो सन
ु ो सन
ु ो , सन
ु ो सन
ु ो सन
ु ो |
( सभी पात्र मंच पर चारो ओर बैठ जाते है , जमूरा अपनी बिन शब्दों की कविता
सुनाता है )
( जमरू ा कविता सन
ु ाने का अभिनय करता है , सब वाह वाह करते है )
पात्र एक - वाह महाराज , आपके सानिध्य में क्या काव्य की धारा बही है |
पात्र चार - ख़ास कर वह आखरी की दो लाइने तो कमाल थी उसे एक बार फिर से सुनाइये |
( जमरू ा फिर से सन
ु ाने का अभिनय करता है )
राजा - जमूरे के इस बिरले साहित्य को पूरे दे श में , शहर शहर , गाँव गाँव , गली गली
में फैला दो | कुछ ऐसी व्यवस्था करो की तालियाँ विश्राम के मूड में न हो |
हर हथेली को सचि
ू त कर दो कि तालियों का उत्पादन निर्बाध गति से चलता रहे
है |
बिन अदालत औ मव
ु क्किल के मक
ु दमा पेश है ||
आदमी भग
ू ोल है , जी चाहा नक्शा पेश है
इनके काव्य संग्रह निकालने के लिए मुंह मांगी रायल्टी दे ने के लिए तैयार
राजा - वाह | ऐसे हज़ारो गीत रचे जाये , लाखो रिकार्ड और कैसेट तैयार किये जाये ,
इसमें निवेश करने के लिए आमंत्रित किया जाये | ऐसे गीतों की खेती के लिए
व्यक्त की है |
राजा - सरकारी खजाना खोल दो | बैंको को बिन शब्दों का आदे श दे दो कि बिन शब्दों
( सब ताली बजाते है )
गुप्तचर - महाराज की जय |
नवसज
ृ न को हम नया स्वरुप दे ना चाहते है | हम इतिहास और अध्यात्म के
महाराज मुल्ला और पंडितो के आश्रम में छापा मार कर शब्द जप्त कर लिए जाये , जो
भी
अपने लेख आलेख में शब्द इस्तेमाल करे गा उसे दी जायेगी सज़ा ए मौत |
समवेत सज़ा ए मौत दी जायेगी , सज़ा ए मौत दी जायेगी , सज़ा ए मौत दी जायेगी |
समवेत क्या --- महाराज समझते नहीं , महाराज समझते नहीं , महाराज समझते नहीं
गप्ु तचर हां समझ नहीं रहे है कि राजधानी के बाजारों में क्या चर्चा हो रही है | आप तक
महाराज तुमने वह क्यों कहा जो सत्ता सुनना नहीं चाहती ? सत्ता को इस तरह वही
महाराज - इस ह्त्या कांड की मै कठोर शब्दों में निंदा करता हूँ | वैचारिक मत भेदता हो
सकते है , लेकिन उसमे हिंसा के लिए कोई जगह नहीं है | इस मामले की
समवेत जय |
समवेत जय |
गीत शक्रि
ु या शक्रि
ु या अजी शक्रि
ु या
शक्रि
ु या शुक्रिया |
शक्रि
ु या शक्रि
ु या ||
होगी ज़रूरत जब भी जहां
अब न रुकेगा ये कारवाँ
शक्रि
ु या शुक्रिया |