Download as docx, pdf, or txt
Download as docx, pdf, or txt
You are on page 1of 26

व्यंग्य नाटक

अजब मदारी - गजब तमाशा


अजब

मदारी

गजब

तमाशा

लेखक – अखतर अली

सम्पर्क – आमानाका ,कुकुर बेड़ा

रायपरु ( छत्तीसगढ़ ) 492001

मोबाईल न. 9826126781

लेखन आरं भ 15.02.2018

मंच एवम नुक्कड़ दोनों शैली के अनुकूल


( मंच पर प्रकाश के विभिन्न बिम्बों के साथ गाते हुए पात्रो का प्रवेश )

गीत - दे खने नाटक जो आये - उन सभी का शक्रि


ु या

मंच से करते है हम आगंतक


ु ो का शुक्रिया ||

क्या वजह थी – बात क्या थी

जो बल
ु ाया आपको

अपने घर में सुख से थे

हमने पुकारा आपको

एक बल
ु ावे पर जो आये उन सभी का शक्रि
ु या

दे खने नाटक जो आये उन सभी का शुक्रिया ||

पात्र एक - बस बस बस अब गाना बंद करो | जिन्हें आना था आ गये, जिन्हें बैठना था बैठ

गए , अब ये बोलने की ज़रूरत तो है ही नहीं कि अपने अपने मोबाईल सेट बंद

कर दे | क्यों बंद करे गे आप अपना हें ड सेट ? क्या ऐसा कोई कानन
ू है ?

पात्र दो - लेकिन बीच नाटक में फोन की घंटी बज गई तो ?

पात्र एक - तो अपन अपना नाटक रोक दे गे | पहले बातचीत हो जाये , वो फोन जेब में रख

दे गे तो अपन फिर से नाटक चालू कर दे गे |

पात्र तीन - इसमें तो बहुत दिक्कत हो जायेगी | हर पांच मिनट में यहाँ किसी का फोन

बजेगा तो क्या हम हर पांच मिनट में नाटक रोक दे गे ?

पात्र एक - हर पांच मिनट में क्यों बजेगा ? यहाँ मौजूद सभी मूर्ख और जिद्दी थोड़ी है जो

फोन बंद नहीं करे गे ? दे खो लगभग लगभग सभी ने अपने मोबाईल फोन बंद
कर दिए है |

पात्र चार - तो अब अपन अपना नाटक शुरू करे जिसका नाम है ------

समवेत - अजब मदारी गजब तमाशा |

पात्र एक - रुको रुको रुको ..... दर्शको का स्वागत तो हो गया , अब भगवान से प्रार्थना भी

कर ली जाये –

पात्र दो - हे प्रभु केवल नाटक में प्रकाश न हो बल्कि नाटक से समूची सष्टि
ृ में प्रकाश हो

जाये |

पात्र तीन - हे दे वतागण आप हमारी प्रस्तति


ु में पधारे और आलोचको , समीक्षकों ,पत्रकारों

निंदको से हमारी रक्षा करे |

पात्र चार - हे प्रभु रोगियों को राहत दे , पीडितो की मदद करे |

पात्र पांच - जितने भी बुरे लक्षणों से युक्त मनुष्य है उन्हें हम कला और साहित्य के माध्यम

से सध
ु ार दे | नाटक के दृश्यों से हम लोगो की आँखों का कचरा साफ़ कर दे ,

कानो में मधुर वाणी भर दे , सोच के रुके जल को प्रवाहित कर दे |

समवेत - हे प्रभु हमारे शब्दों में बल दे

वाणी में रस दे

दृश्यों में रं ग दे

हे प्रभु नाटक की आँख नाक कान कंधे और सिर सदा सलामत रहे |

तो दर्शको प्रस्तत
ु है नाटक

समवेत - अजब मदारी गजब तमाशा – अजब मदारी गजब तमाशा |


पात्र एक - एक दे श था , जैसा दे श होता है |

पात्र दो - वहां नागरिक थे , जैसे नागरिक होते है |

पात्र तीन - वहां व्यवस्था थी , जैसे व्यवस्थाये होती है |

पात्र चार - वहाँ कानून था , जैसे कानून होता है |

पात्र एक - वहाँ अदालत थी , जैसे अदालते होती है |

पात्र दो - वहां न्याय था , जैसे न्याय होता है |

पात्र तीन - वहां भी चोरी होती थी , हत्या होती थी , अपहरण होता था |

पात्र चार - झठ
ू फरे ब नंगई अपनी जवानी पर थी |

पात्र पांच - ऊपर वाले की कृपा से सब अच्छा अच्छा चल रहा था कि अचानक इस दे श को

किसी की नज़र लग गई और वहाँ का राजा बीमार हो गया | राजा साहब पलंग

पर अपनी आखरी साँसे गिन रहे थे , राजकीय वैद्य ने नाडी दे खी और कहा –

पात्र एक - राजा साहब के निधन हो जाने के अवसर निर्मित हो रहे है | नज़दीकी लोगो को

दरू कर दो | यमराज की इच्छा बलवती हो रही है |

समवेत - महाराज , महाराज |

पात्र एक - बाल का एक्सरे करवाते है , कान के मैल की लैब रिपोर्ट मंगवाई जाये |

समवेत - महाराज , महाराज |

पात्र दो - शायद महाराज कुछ बोलना चाह रहे है | सब शांत हो जाओ और ध्यान से सुनो

महाराज का आदे श | महाराज जब बोल रहे है तो ज़रूर दे श हित में ही बोल रहे

होगे वरना अंतिम समय बोलने की क्या आवश्यकता ?


पात्र तीन - महाराज जो बोल रहे है वह समझ में नहीं आ रहा है |

पात्र चार - फिर तो वह ज़रूर शास्त्रीय संगीत होगा |

पात्र एक - शायद महाराज कागज़ कलम मांग रहे है | जो शब्द मुंह से निकल नहीं रहा है

उसे कागज़ पर लिख कर बतायेगे |

पात्र दो - ये लो कागज़ |

पात्र तीन ये लो कलम |

समवेत - लिखिये महाराज , लिखिये महाराज | महाराज , महाराज ,महाराज |

पात्र एक - महाराज अब नहीं बोलेगे , महाराज अब नहीं लिखेगे | महाराज का निधन हो

हो गया |

समवेत - महाराज का निधन हो गया , महाराज का निधन हो गया |

राजगुरु को बुलाया जाये , राजगुरु को बुलाया जाये

राजगरु
ु , राजगरु
ु , राजगरु
ु |

( राजगुरु का प्रवेश )

पात्र एक - राजगुरु की ----

समवेत - जय |

पात्र एक - राजगुरु की ----

समवेत - जय |

पात्र एक - राजगुरु की ----

समवेत - जय |
पात्र एक - गुरूजी बहुत ही अशुभ समाचार है , महाराज हमें छोड़ कर चले गए |

राजगुरु - महाराज ने अंतिम शब्द क्या कहा था ?

पात्र दो - महाराज कुछ कहना चाह रहे थे पर उनके मुंह से शब्द नहीं निकला |

राजगुरु - महाराज ने कुछ लिख कर दिया ?

पात्र तीन - महाराज ने लिखने का प्रयत्न किया पर उनसे एक शब्द भी लिखा नहीं गया |

राजगुरु - यह तो बहुत ही अशुभ हुआ | यह नहीं कहा और नहीं लिखा गया शब्द इस

राष्ट्र को बर्बाद कर दे गा | अब यह दे श बाढ़ भूकंप और ज्वालामुखी से नहीं

सिर्फ और सिर्फ शब्दों से नष्ट होगा | अब हमे मिटने के लिए शत्रु की गोली और

बम की आवश्यकता नहीं होगी | कोई आएगा इस धरा पर जो यहाँ की फ़िज़ाओ

को शब्दों से विषाक्त कर दे गा | अब दे श को तैयार हो जाना चाहिए शब्दों का

वज्रपात सहने के लिए | अब स्थितियां बदल जायेगी | अब राधिका साधिका नहीं

होगी | वीभत्स ही कलात्मक कहलायेगा अब | दे श से अध्यात्म और विज्ञान की

विदाई का समय आ गया है | वह अपने रं ग में सब को रं ग दे गा | एक निर्गुण

और निराकार राजा राज्य करे गा यहाँ जो बस दिन रात खेला करे गा आँख

मिचौली |

पात्र एक - गुरूजी हमारा नया राजा कौन होगा ?

गुरूजी - इस समय ग्रहों की जो स्थति है वह है – सूर्य कुम्भ राशि में , मंगल व्रिशिच्क में

, शनि ध्रुव में , राहू कर्क में तथा केतु का मकर राशि में संचार हो रहा है | योग

इस प्रकार बन रहा है कि अब इस दे श का राजा एक मदारी होगा | अब इस दे श


पर मदारी हुकूमत करे गा , दे श की सत्ता मदारी के हाथ में होगी , दे श की सत्ता

मदारी के हाथ में होगी |

पात्र दो - यह तो शुभ लक्षण नहीं है | इससे बचने का कोई उपाय ?

गुरूजी - इससे बचने का उपाय और भयंकर है | यदि सत्ता को मदारी से बचायेगे तो वह

जमरू े को मिल जायेगी | एक तरफ मदारी एक तरफ जमरू ा | अब हमें तय

करना होगा कि हम किस का चयन करे |

समवेत - गुरूजी जमूरे की तुलना में मदारी ही श्रेष्ठ रहे गा |

गरू
ु जी - फिर बिना दे र किये मदारी की तलाश शरू
ु कर दी जाये |

समवेत - मदारी ओ मदारी

जहां भी हो तुम , चले आओ डमरू बजाते

बंदरिया नाचते , जमूरा बुलाते ,

सम्भालो सत्ता , फूको मन्त्र , निकालो ताबीज

घुमाओ डंडा , पकड़ो माइक , भाषण पेलो , सपने दिखलाओ

बहरी गूंगी अंधी जनता से डरो नहीं ,

इसे चाहिये ही क्या ?

रोज़ी रोटी की लोक कथाये ,

बिजली पानी सड़क की कविताएं ,

रोज़गार और सुरक्षा की लघु कथा ,

सख
ु सवि
ु धा के नवगीत ,
आ जाओ मदारी

मदारी , मदारी , मदारी |

( मदारी और जमूरे का डमरू बजाते हुए प्रवेश )

मदारी - आ गया , आ गया , आ गया | मदारी आ गया |

जमूरा - आ गया |

मदारी - खेल दिखायेगा |

जमूरा - दिखायेगा |

मदारी - तमाशा बताएगा |

जमूरा - बताएगा |

मदारी - जमूरा |

जमूरा - उस्ताद |

मदारी - आज एक नया खेल दिखायेगा |

जमरू ा - नया खेल ?

मदारी - एकदम नया खेल |

जमूरा - तो ठीक है उस्ताद आप बजा दो ढ़ोल मै बजाता हूँ डमरू | नचा दे ते है बंदरिया |

मदारी - बच्चा लोग दो दो कदम पीछे हो जाये | जो खड़े है बैठ जाये , जो बैठे है वो

खड़े हो जाये |

जमूरा - गूंगे बोले न , अंधे दे खे न , बहरे सुने न ...... तभी खेल का मजा आएगा |

मदारी - जमूरा |
जमूरा - उस्ताद |

मदारी - ये क्या है ?

जमूरा - लकड़ी है |

मदारी - कैसी है ?

जमरू ा - लम्बी है , गोल है , सड


ु ौल है |

मदारी - अब दे ख मेरा जाद ू , मेरा कमाल | मै मन्तर मारुगा – जाद ू फुकुगा | तू

दे खेगा , ये दे खेगा , वो दे खेगा | करे लापंथी दे खेगा बैगनपंथी दे खेगा |

जमरू ा - क्या दे खेगा |

मदारी - मेरा जाद ू का खेल दे खेगा | दे ख मै अभी इस लकड़ी को एक सुंदर लड़की बना

दं ग
ू ा |

जमूरा - लड़की बना दोगे ? उस्ताद ऐसा गजब मत करना , अगर तुमने इसे लड़की बना

दिया तो गजब हो जायेगा |

मदारी - जमूरा बात सीधी बोल , घुमा के नहीं | बोल क्या हो जायेगा |

जमूरा - उस्ताद लड़की तो बना दोगे पर बचा नहीं सकोगे |

मदारी - किस से ?

जमूरा - गैंगरे प से , हत्या से , दहे ज से | लकड़ी को लकड़ी रहने दो उस्ताद उसे नारी

बनाकर नारी सशक्तिकरण की पोल मत खोलो |

मदारी - यानी प्लान केंसल ?

जमरू ा - केंसल | आप तो सांप के काटे का ताबीज़ बेचो , और पब्लिक को बता दो –


मदारी - शमशान और कब्रस्तान में पहन कर मत जाना | झूठ बोलता नहीं , इससे

केवल सांप का काटा बचेगा ..... नेता , अफसर , मुल्ला , पंडित , पत्रकार

सम्पादक और प्रकाशक का काटा नहीं बचेगा |

जमूरा - तो साहे बान , मेहरबान , कद्रदान | सौ सुनार की एक लोहार की | फिर मत

कहना कि सारे ताबीज बिक गए और हमें बताया नहीं | ये ताबीज की कीमत

है दस का एक , दस का एक , दस का एक |

मदारी - दस का एक , दस का एक , दस का एक |

जमरू ा - उस्ताद आज का खेल खत्म | हो गया आज की रोटी का बन्दोबस्त |

मदारी - कहने वाले ने क्या खूब कहा है – ऊपर वाले के हाँ दे र है अंधेर नहीं | वो जब

दे ता है तो छप्पर फाड़ कर दे ता है |

जमूरा - उस्ताद ये माना उसके दरबार में दे र है अंधेर नहीं , पर इंसाफ का दे र से मिलना

भी तो अंधेर है | उसके दे र को ध्यान में रख कर मै तो उससे हमेशा यही दआ


मांगता हूँ – हे प्रभु भले दे र से दे ना , पर मानसून सर पर है इसलिए जिस दिन

छप्पर फाडेगा उसी दिन दे दे ना |

( अन्य पात्रो का अलग अलग विंग्स से प्रवेश )

पात्र एक - महाराज की ------- |

समवेत - जय |

पात्र एक - महाराज की -------|

समवेत - जय |
पात्र एक - महाराज की ------- |

समवेत - जय |

मदारी - आप लोग कौन है ?

पात्र दो - प्रजा हैं आपकी |

पात्र तीन - भक्त है आपके

पात्र चार - दास है आप के |

पात्र पांच - सेवक है आप के |

मदारी - कैसी बात कर रहे है ? मै तो एक मदारी हूँ |

पात्र एक - मौजूदा समय मदारियों के लिए बहुत अनुकूल है |

पात्र दो - महाराज ग्रहण कीजिये सिंहासन और दिखा दीजिये विश्व को अपना बन्दर नाच |

पात्र तीन - सत्ता की बागडोर हाथ में लीजिये और पूरी दनि


ु या को अपने इशारे पर नचाइये

इस तरह ---------- |

मदारी - ए यार धीरे धीरे

ए यार धीरे धीरे

ए यार धीरे धीरे

( सभी पात्र बंदर की तरह नाचते है )

पात्र एक - महाराज अब राज महल चले | नौकर चाकर , मंत्री वंत्री , इमका ठिमका सब

आपकी प्रतीक्षा कर रहे है | महल में चल कर अपना सिंहासन ग्रहण करिए और

उन्हें निर्देश दीजिये |


जमूरा - उस्ताद ये जाद ू उल्टा कैसे चल गया | डार्विन का सिद्धांत गलत साबित हो रहा

है | बन्दर आदमी हुआ तक तो ठीक था , यहाँ तो बंदर राजा हो रहा है |

मदारी - आप लोगो के पैर पड़ता हूँ हाथ जोड़ता हूँ | मेरे को माफ़ कर दो , मुझ गरीब

को घर जाने दो | एक मदारी राजा कैसे बन सकता है ?

पात्र एक - मदारी और राजा में ज़्यादा अंतर नहीं होता है | मदारी होना राजा होने की पहली

शर्त है | राजा होने कि इससे अधिक और कोई योग्यता हो ही नहीं सकती कि

प्रत्याशी मदारी है | आगे चल कर सभी राजा मदारी ही साबित होते है |

( दो लोग उसे ऊपर उठाते है और मंच का चक्कर लगाते है )

पात्र पांच - दे श का राजा कैसा हो ?

समवेत - एक मदारी जैसा हो |

पात्र पांच - दे श का राजा कैसा हो ?

समवेत - एक मदारी जैसा हो |

पात्र पांच - दे श का राजा कैसा हो ?

समवेत - एक मदारी जैसा हो |

पात्र एक - इस तरह पहुच गया मदारी राज महल में |

पात्र दो - सिंहासन पर बैठते ही उसे राजनीति आ गई |

पात्र तीन - राजा के कपड़े पहनते ही उसे राजा की अदाये आ गई |

पात्र चार - आ गया उसके लहजे में रौब और पैदा हो गया उसके अंदर आत्म विश्वास |

पात्र पांच - एक दिन उसने पत्रकार वार्ता में घोषणा कर दी –


राजा - आज का दिन दे श के इतिहास में स्वर्ण अक्षरों से लिखा जाएगा | हमें आप सब

के सामने यह घोषणा करते हुए अत्यंत प्रसन्नता हो रही है कि आज से बंदर

इस दे श का राष्ट्रीय पशु होगा | पूरे दे श में बंदर सरं क्षण सप्ताह मनाया जाएगा |

चौक चौक पर बंदर की मूर्ति स्थापित की जायेगी | हर शहर और गाँव गाँव में

मदारी संघ और बंदर सेना का निर्माण किया जाएगा |

पात्र एक - दे श का राजा कैसा हो ?

समवेत - एक मदारी जैसा हो |

पात्र एक - दे श का राजा कैसा हो ?

समवेत - एक मदारी जैसा हो |

राजा - पूरे दे श में बंदर नाच प्रतियोगिता आयोजित की जायेगी | शायरों से कहा जाएगा

बंदर की शान में गज़ले , नज्मे और कसीदे लिखे | सम्पादकों से निवेदन है कि

वे अपनी पत्रिकाओं के बंदर विशेषांक निकाले | हम अपने दे श में दनि


ु या का

सबसे बड़ा बंदर संग्रहालय बनायेगे जहां दर्ल


ु भ प्रजाति के बंदर रखे जायेगे | हम

युवा बेरोजगारों को बंदर पालन केंद्र खोलने के लिये बैंक से बिना ब्याज का ऋण

उपलब्ध करायेगे | जमरू ो को उच्च शिक्षा और नौकरियों में आरक्षण दिया

जाएगा |

पात्र एक - जब तक सूरज चाँद रहे गा ......

समवेत - राजा तेरा नाम रहे गा |

पात्र एक - जब तक सरू ज चाँद रहे गा ......


समवेत - राजा तेरा नाम रहे गा |

( नारे लगाते हुए सभी पात्र विंग्स में चले जाते है | दस


ू री ओर गायन से मंडली

का प्रवेश )

गीत - वतन वालो ये तम


ु नकले गिरानी दे खते जाओ

लहू सस्ता है और पानी महँगा दे खते जाओ ||

जिन्हें था सुख उगाना अब वही बंदर उगाते है

नये टाइप की ये खेती किसानी दे खते जाओ ||

गरीबो के लिए उसरत अमीरों के लिए इशरत

मगर मारे गए हम दरमियानी दे खते जाओ ||

फ़िगार इस दौर में भी तन्ज़ियाँ अश –आर कहता है

तुम इस शायर की आशिफ्ता बयानी दे खते जाओ || ( दिलावर फ़िगार )

( राजा और जमरू ा का प्रवेश )

राजा - दे श की सत्ता और सिस्टम पूरी तरह मेरे नियन्त्रण में है | रक्षा मंत्रालय , वित्त

मंत्रालय , अदालत , पुलिस , साहित्य अकादमी , नाट्य अकादमी सब जगह मैंने


अपने जमूरे तैनात कर दिए है | बस डमरू बजाने की दे र है , चाहू तो हास्य

फैला द ू , चाहू तो हिंसा |

जमरू ा - वह सब तो ठीक है , पर आपने मेरे लिए क्या सोचा है ?

राजा - तेरे लिए सोचना क्या ? बोल क्या चाहिये तेरे को ? अपने भगवान से जो

माँगना है मांग ले , जब माँगना है तब मांग ले , दिन में ही मांगना ज़रूरी नहीं


है ,रात में भी मांग सकता है , भगवान रात में भी नहीं सोते | न डिनर करते है
न लंच | मैंने तुम लोगो की खातिर भगवान की बारहों महीने चौबीस घंटे की

डयूटी लगा दी है |

जमूरा - महाराज ज़्यादा बड़ी नहीं बहुत छोटी सी , दब


ु ली पतली , छुई मुई , नन्ही मुन्नी

, नाज़ुक सी एक इच्छा मन में पैदा हुई है | बस महाराज उसे पूरा कर दे |

राजा - बोल जमरू े , संकोच मत कर |

जमूरा - महाराज , मेरे को बोलने में शरम आ रही है | आप भी सुनोगे तो ज़मींन से दो

फुट उपर उछल जाओगे |

राजा - ऐसी कैसी इच्छा मन में जाग गई है , राजा बनने की तो इच्छा पैदा हो गई

है क्या ?

जमूरा - कैसी बात कर रहे हो उस्ताद , आप के रहते मेरे को क्या तकलीफ जो ऐसा

सोचू ?

राजा - सच्ची ?

जमूरा - सच्ची |

राजा - मुच्ची ?

जमरू ा - मच्
ु ची |

राजा - बंदर की कसम खा कर बोल |

जमूरा - बंदर की कसम खा कर कहता हूँ कि राजा बनने के बारे में मैंने कभी सोचा

भी नहीं |

राजा - अब बता तेरी इच्छा , तेरे मंह


ु से इच्छा इधर निकली और उधर मैंने उसे
पूरी किया |

जमूरा - महाराज मै कवि बनना चाहता हूँ |

राजा - कवि ? यानी गीतकार शायर ?

जमूरा - हाँ महाराज , एक ही इच्छा है कि मुझे काव्य लेखन के लिए दे श का सबसे बड़ा

परु स्कार मिले |

राजा - बस इत्तू सी बात | बोल इसमें मै तेरे लिए क्या कर सकता हूँ ? बस पहली

कविता लिख कर ला और उसी समय तुझे दे श का सबसे बड़ा कवि घोषित

करवा दं ग
ू ा | दस
ू रे वरिष्ठ कवि भी तझ
ु े झक
ु झक
ु के सलाम करे गे |

जमूरा - वह सब तो ठीक है लेकिन मै एक कविता भी लिखू कैसे ? मेरे को लिखना आता

ही नहीं | मै तो अनपढ़ हूँ, अंगूठा छाप आदमी | मै कविता कैसे लिखू ? कविता

लिखने के लिए शब्द चाहिए और मै शब्द लिखने में असमर्थ हूँ | महाराज कविता

लिखना चाहता हूँ पर मेरे पास शब्द नहीं है , मेरे पास शब्द नहीं है , मेरे पास

शब्द नहीं है |

राजा - बस इतनी सी बात और तुम दख


ु ी हो गए ? मदारी की सत्ता में जमूरो की इच्छा

परू ी न हो तो थू है ऐसी बादशाहत पर | मै ही तम्


ु हारा नहीं तम
ु भी मेरे

शाह हो | दे खो अब मेरा खेल |

( ताली बजाता है , पांचो सेवको का प्रवेश )

समवेत - तुमने पुकारा और हम चले आये

अब किस को चन
ू ा लगाये रे ||||
राजा - हमने फैसला ले लिया है |

पात्र एक - महाराज ने लिया है तो ज़रूर ऐतेहासिक फैसला ही होगा |

पात्र दो महाराज आप के फैसलों ने तो इतिहास की किस्मत चमका दी |

पात्र तीन - इतिहास के इतिहास में कभी इतने साहसिक फैसले दर्ज नहीं हुए होगे |

पात्र चार - आज की तारीख में भग


ू ोल इतिहास से चिड़ रहा होगा |

पात्र पांच - महाराज आप अपना फैसला सुनाये | हम पलक छपकते ही तमाम संचार के

माध्यमो से उसे दे श के कोने कोने में फैला दे गे |

पात्र एक - जैसे हमने बंदर के राष्ट्रीय पशु होने की खबर को फैलाया और उसकी जम के

मार्के टिंग की , जिसका नतीजा यह निकला कि पूरे दे श में बंदर छा गया |

पात्र दो - बंदर स्टील्स , बंदर स्ट्रक्चरल , बंदर आयल्स , बंदर छाप फटाका , बंदर छाप

अगरबत्ती , बंदर छाप बीड़ी , बंदर छाप गुटका |

पात्र तीन - बंदर हार्डवेयर , बंदर पें ट्स , बंदर सेनेटरी ,बंदर इलेक्ट्रिकल्स , बंदर ड्रेसेस , बंदर

स्टे शनरी , बंदर ऑटो , बंदर बेटरी , बंदर इलेक्ट्रानिक |

पात्र चार - बंदर पोहा एवम जलेबी , बंदर चाय नाश्ता , बंदर रे स्टारें ट , बंदर पान भंडार ,

बंदर आइसक्रीम , बंदर लाज , बंदर बियर बार |

पात्र पांच - बंदर किराया भंडार , बंदर शामियाना , बंदर बैंड पार्टी , बंदर साउं ड सर्विस ,

बंदर केंटरिन , बंदर मैरिज ब्योरो , बंदर मैरिज पार्क , बंदर सेहरा पार्टी ,

बंदर आर्के स्ट्रा , बंदर संगीत समीति |

पात्र एक - और बंदर अंडर गारमें ट्स |


पात्र दो - महाराज यह तो ट्रे लर है , फिल्म अभी बाकी है |

राजा - नहीं | हम थोड़े में से बहुत ज़्यादा समझ लेते है | आप जैसी कार्य कारिणी

पाकर हम खुश है | इस समय आप को एक विशेष कार्य के लिए बल


ु ाया गया है

| हम जमूरा को दे श के साहित्य जगत में बहुत बड़ी हस्ती के रूप में दे खना

चाहते है | हम चाहते है की जमरू ा की कलम से श्रेष्ठ कविताएं , कहानियाँ ,

उपन्यास , नाटक , निबंध और यात्रा संस्मरण निकले |

पात्र पांच - वाह वाह हुजुर की क्या नज़र है | विश्व साहित्य में जमूरा युग की खोज का श्रेय

सिर्फ आपको दिया जाएगा |

पात्र एक - मेरे को तो जमूरा में ग़ालिब , इकबाल और अमीर खुसरो नज़र आ रहे है |

पात्र दो - मेरे को आपके अन्दर कबीर , तल


ु सी और रहीम का रूप दिखाई दे रहा है |

पात्र तीन - मेरे को ऐसा लग रहा है मेरे सामने शेक्सपियर , बर्नाड शा , टालस्टाय खड़े

है |

पात्र चार - जमूरा सर के लिखे एक एक शब्द ..............

राजा - शब्द |

समवेत शब्द ?

राजा - शब्द |

समवेत - शब्द ?

राजा - शब्द शब्द शब्द |

समवेत - शब्द ? शब्द ? शब्द ?


राजा - शब्द हमारी राह में रोड़ा बन गए है |

शब्द हमारे सपने में बाधा डाल रहे है |

हमें शब्दों से नफरत हो गई है |

शब्दों से घिन्न आने लगी है हमें |

शब्द हमारे सबसे बड़े दश्ु मन है |

हम आज , अभी , इसी समय से दे श में एक नया क़ानून लागू कर रहे है |

समवेत - नया कानून और वह भी आधी रात को ?

राजा - हम आज ,अभी , इसी समय से , सम्पर्ण


ू राष्ट्र में शब्दों पर प्रतिबंध लगाते है |

आज के बाद से दे श में किसी भी भाषा के साहित्य में शब्दों का इस्तेमाल नहीं

किया जाएगा | सरकारी आदे श में शब्दों का कही प्रयोग नहीं होगा |

दे श के संविधान में से शब्द तुरंत प्रभाव से हटा दिए जाये | आज से अदालतों

के फैसले शब्दहीन हुआ करे गे | हमारा फैसला हर खासो आम तक पंहुचा दिया

जाये |

समवेत - सुनो सुनो सुनो , सुनो सुनो सुनो , सुनो सुनो सुनो |

सन
ु ो सन
ु ो सन
ु ो , सन
ु ो सन
ु ो सन
ु ो , सन
ु ो सन
ु ो सन
ु ो |

( सभी पात्र मंच पर चारो ओर बैठ जाते है , जमूरा अपनी बिन शब्दों की कविता

सुनाता है )

जमूरा - महाराज ये दे श भक्ति की कविता सुनिये , इसे मैंने आप को समर्पित किया है |

( जमरू ा कविता सन
ु ाने का अभिनय करता है , सब वाह वाह करते है )
पात्र एक - वाह महाराज , आपके सानिध्य में क्या काव्य की धारा बही है |

पात्र दो महांराज हम तो तप्ृ त हो गए |

पात्र तीन - ऐसा काव्य पाठ हमने आज तक नहीं सुना था |

पात्र चार - ख़ास कर वह आखरी की दो लाइने तो कमाल थी उसे एक बार फिर से सुनाइये |

( जमरू ा फिर से सन
ु ाने का अभिनय करता है )

राजा - जमूरे के इस बिरले साहित्य को पूरे दे श में , शहर शहर , गाँव गाँव , गली गली

में फैला दो | कुछ ऐसी व्यवस्था करो की तालियाँ विश्राम के मूड में न हो |

हर हथेली को सचि
ू त कर दो कि तालियों का उत्पादन निर्बाध गति से चलता रहे

| तालियाँ हमारी पहली पसंद है , हम अपने हर तमाशे के बाद तालियाँ चाहते

है |

गीत - क्या गजब का दे श है ये , क्या गजब का दे श है |

बिन अदालत औ मव
ु क्किल के मक
ु दमा पेश है ||

आँखों में दरिया है सबके

दिल में है सब के पहाड़

आदमी भग
ू ोल है , जी चाहा नक्शा पेश है

क्या गजब का दे श है ये क्या गजब का दे श है (गीत – सर्वेश्वर दयाल सक्सेना )

पात्र पांच - महाराज , जमूरे सर के साहित्य की पूरे दे श में धूम मच गई है | प्रकाशक

इनके काव्य संग्रह निकालने के लिए मुंह मांगी रायल्टी दे ने के लिए तैयार

है , हर गायक इन्ही के गीत गा रहा है , कैसेट कम्पनियां ने जमरू े के गीतों


के कैसेट से बाज़ार को पाट दिया है , बंदर नाट्य मंच दे श भर में आपकी

कविताओं का नाट्य मंचन कर रहा है |

राजा - वाह | ऐसे हज़ारो गीत रचे जाये , लाखो रिकार्ड और कैसेट तैयार किये जाये ,

ऐसे बिरले गीतकार का दे श भर की संस्थाए सम्मान करे | साहित्य अकादमी

और संस्कृति मंत्रालय को इस बंदर नाच में लगा दिया जाये | उद्योगपतियों को

इसमें निवेश करने के लिए आमंत्रित किया जाये | ऐसे गीतों की खेती के लिए

किसानो को प्रशिक्षण दिया जाना चाहिए |

गीत - क्या गजब का दे श है ये , क्या गजब का दे श है

है सभी माहिर उगाने में हथेली पर फ़सल

और हथेली डोलती दरदर बनी दरवेश है

क्या गजब का दे श है ये क्या गजब का दे श है ||

पात्र एक - महाराज राज्य सरकारे , सार्वजनिक क्षेत्र के उपक्रम और कारपोरे ट क्षेत्र ने

सरकार के निर्णय की भूरी भूरी प्रशंसा की है और इसका हिस्सा बनने की इच्छा

व्यक्त की है |

राजा - सरकारी खजाना खोल दो | बैंको को बिन शब्दों का आदे श दे दो कि बिन शब्दों

के गीत संगीत के लिए सस्ती दर पर ऋण दे ने की आकर्षक योजना चालु करे |

दे श की सियासत में नये चेहरों को शामिल करो , पुराने लोगो को डाल दो

जेल में | बुद्धि के गोदामों को खाली करो और उसमे चापलूसी की यक्ति


ु याँ

भर दो | वित्त विभाग में मेरे को एक भी अधिकारी भोला भंडारी नहीं चाहिए |


गीत संगीत के इस आयोजन में पूरा शासन प्रशासन लगा दिया जाये | पूरे

मिशन का होना चाहिए कुशल प्रबन्धन | सरकार ने फैसला किया है की इस

अदभुद साहित्य सेवा के लिए जमूरा को दे श का सर्वोच्च सम्मान दिया जाये ,

जिसमे पुरस्कार स्वरूप दिए जायेगे एक हज़ार करोड़ रूपये |

( सब ताली बजाते है )

पात्र एक - महाराज गुप्तचर कुछ खबरे लेकर आया है |

महाराज - वह भी शुभ समाचार ही लाया होगा | बल


ु ाओ भई उसे भी बुलाओ |

( गप्ु तचर का प्रवेश )

गुप्तचर - महाराज की जय |

महाराज - क्या शुभ समाचार लाये हो ? पूरे दे श में जश्न का मौहोले है न ?

गुप्तचर जश्न तो है पर -------

महाराज - जनता उत्सव में डूबी हुई है न ?

गुप्तचर उत्सव तो चल ही रहा है पर ------ |

महाराज लोगो को हमारी बिन शब्दों की योजना कैसी लगी ?

गप्ु तचर अच्छी तो लगी पर ------ |

महाराज अच्छी लगेगी ही | हमने अपने इस फैसले से क्रांति ला दी है क्रांति | जानते है

इस फैसले से चारो ओर हमारी जय जयकार हो रही है , लोग हमें काँधे पर

उठा लेना चाहते है |

गप्ु तचर महाराज मै यह कहना चाह रहा हूँ कि -------- |


महाराज कहने की ज़रूरत नहीं हम जन भावना को समझते है | हम जनहित में और

घोषनाये करे गे | हम बोलना चाहते है माइक लाओ |

समवेत महाराज की जय , महाराज की जय |

महाराज हमारे विलोपित शब्दों के साहित्य की पूरी दनि


ु या में चर्चा है | जमूरा के इस

नवसज
ृ न को हम नया स्वरुप दे ना चाहते है | हम इतिहास और अध्यात्म के

साहित्य से भी शब्द हटा दे ने की घोषणा करते है |

समवेत महाराज की जय , महाराज की जय |

गप्ु तचर महाराज ----- |

महाराज प्रचार करा दो कि शब्द भाषा के दश्ु मन है |

समवेत दश्ु मन है भई दश्ु मन है | दश्ु मन है भई दश्ु मन है |

महाराज इस दे श में शब्दों का इस्तेमाल करना राष्ट्र द्रोह माना जाएगा |

समवेत राष्ट्र द्रोह , राष्ट्र द्रोह , राष्ट्र द्रोह |

महाराज मुल्ला और पंडितो के आश्रम में छापा मार कर शब्द जप्त कर लिए जाये , जो
भी

अपने लेख आलेख में शब्द इस्तेमाल करे गा उसे दी जायेगी सज़ा ए मौत |

समवेत सज़ा ए मौत दी जायेगी , सज़ा ए मौत दी जायेगी , सज़ा ए मौत दी जायेगी |

महाराज छापे मारने का काम पलि


ु स नहीं करे गी | यह काम किया जाएगा बन्दर संघ और

बंदरी सेना के द्वारा |

( सब ताली बजाते है , गुप्तचर ताली नहीं बजाता है )

महाराज - तमने ताली क्यों नहीं बजाई ? क्या तुम्हे मालम


ू नहीं हमे तालिया बहुत
पसंद है , हम अपने हर तमाशे के बाद चाहते है भरपूर तालिया ?

गुप्तचर - लेकिन ------- |

महाराज - चुप | जब सत्ता बोलती है तब बीच में कभी नहीं टोकना |

गुप्तचर महाराज आप समझते नहीं ----------

समवेत क्या --- महाराज समझते नहीं , महाराज समझते नहीं , महाराज समझते नहीं

गप्ु तचर हां समझ नहीं रहे है कि राजधानी के बाजारों में क्या चर्चा हो रही है | आप तक

केवल मीडियां की बात आ रही है , सरकारी ऐजेंसियो की बात आ रही है , जन

मानस की बात नहीं आ रही है |

महाराजा क्या कहा जा रहा है ?

गुप्तचर कह रहे है जब से एक मदारी के हाथ में सत्ता आई है , तब से दे श में बस

तमाशा ही चल रहा है | चाय दक


ु ानो , पान ठे लो , नुक्कड़ चौराहों पर बस एक

ही चर्चा है – राजा पगला है , राजा पगला है , राजा पगला है |

महाराज - किसने कहा राजा पगला है ?

समवेत इसने कहा , इसने कहा , इसने कहा |

महाराज तुमने वह क्यों कहा जो सत्ता सुनना नहीं चाहती ? सत्ता को इस तरह वही

बोलते है जो गद्दार है , दे शद्रोही है | दे शद्रोह की सज़ा क्या है ?

समवेत सज़ा ए मौत |

( राजा इशारा करता है और सभी मिल कर गुप्तचर की हत्या कर दे ते है )

महाराज - इस ह्त्या कांड की मै कठोर शब्दों में निंदा करता हूँ | वैचारिक मत भेदता हो
सकते है , लेकिन उसमे हिंसा के लिए कोई जगह नहीं है | इस मामले की

न्यायिक जांच की जायेगी और दोषियों को बक्शा नहीं जाएगा | मै मत


ृ क के

परिवार को दस लाख रुपये की आर्थिक सहायता की घोषणा करता हूँ |

पात्र एक - महाराज की ------ |

समवेत जय |

पात्र एक - महाराज की ------|

समवेत जय |

पात्र एक - जब तक सरू ज चाँद रहे गा -----|

समवेत राजा तेरा नाम रहे गा |

पात्र एक - जब तक सूरज चाँद रहे गा ----|

समवेत - राजा तेरा नाम रहे गा |

गीत शक्रि
ु या शक्रि
ु या अजी शक्रि
ु या

दर्शक बनी आप सी हस्तियाँ

शक्रि
ु या शुक्रिया |

कहने को खत्म हुआ नाटक यहाँ

पर इस लड़ाई का अंत कहाँ

मैदाने जंग हो गई ये विधा

नाटक को समझो न तुम मस्तियाँ

शक्रि
ु या शक्रि
ु या ||
होगी ज़रूरत जब भी जहां

पाओगे हम को तब तुम वहा

करते रहे गे सच का बयाँ

अब न रुकेगा ये कारवाँ

वादा नहीं है ये लाफ्ज़िया

शक्रि
ु या शुक्रिया |

( समाप्त _ 26 फ़रवरी 2018 )

You might also like