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व्माकयण

ऩद ऩरयचम

प्रस्ततु त

भोती चन्द प्रजाऩतत


1
ऩद ऩरयचम
* भेया नाभ क्षऺतिज है ।
* भैं यामगॊज भें यहिा हॉ।
* भैं शायदा विद्मा भॊददय भें ऩढ़िा हॉ।
* भुझे खेरना फहुि ऩसॊद अच्छा रगिा है ।
इस प्रकाय अऩने फाये भें फिाने को ऩरयचम दे ना कहिे हैं। जैसे हभ अऩना ऩरयचम दे िे हैं, ठीक उसी
प्रकाय एक िाक्म भें जजिने शब्द होिे हैं, उनका बी ऩरयचम हुआ कयिा है ।
िाक्म भें जो शब्द होिे हैं,उन्हें ‘ऩद’ कहिे हैं। उन ऩदों का ऩरयचम दे ना ‘ऩद ऩरयचम’ कहरािा है ।
ऩद ऩरयचम- को ऩद व्माख्मा मा ऩदान्िम-बी कहिे हैं।
ऩद ऩरयचम भें ककसी ऩद का ऩर्ण व्माकयणर्क ऩरयचम ददमा जािा है । व्माकयणर्क ऩरयचम से
िात्ऩमण है -- िाक्म भें उस ऩद की जथिति फिाना, उसका लरॊग, िचन, कायक ििा अन्म ऩदों के साि
सॊफॊध फिाना।

ऩद ऩाॉच प्रकाय के होिे हैं- सॊऻा, सिणनाभ, विशेषर्, किमा ििा अव्मम । इन सबी ऩदों का ऩरयचम
दे िे सभम हभें तनम्नलरणखि बफन्दओ
ु ॊ का ध्मान यखना चादहए।

सॊऻा का ऩद ऩरयचम
सॊऻा का ऩद ऩरयचम दे िे सभम तनम्नलरणखि ऩहरुओॊ की जानकायी दे नी चादहए :--
1.सॊऻा का बेद
2.लरॊग
3.िचन
4.कायक
5.किमा के साि ऩद का सॊफॊध

जैसे- अऩर्
ू ाा ऩत्र लरखिी है ।

अऩूर्ाा -- व्मजक्ििाचक सॊऻा, थरीलरॊग, एकिचन, किाण कायक, 'लरखिी है ' किमा का किाण।
ऩत्र -- जातििाचक, ऩुज्रॊग, एकिचन, कभणकायक, ‘लरखिी है ’ किमा का कभण।

याभ ऩुस्तक ऩढ़िा है ।

याभ- व्मजक्ििाचक सॊऻा, ऩुज्रॊग, एक िचन, किाण कायक, „ऩढ़िा है ‟किमा का किाण।
ऩुस्तक- जातििाचक सॊऻा, थरीलरॊग, एकिचन, कभण कायक, „ऩढ़िा है ‟किमा का कभण।

2
नेहा महाॉ इसी भकान भें यहिी है ।

नेहा – सॊऻा )व्मजक्ििाचक सॊऻा(, थरीलरॊग,एकिचन, कयिा कायक, „नेहा‟यहना किमा की किाण है
भकान भें – सॊऻा )जातििाचक(, ऩुज्रॊग, एकिचन, अधधकयर् कायक कायक(„भें), भकान „यहना‟ किमा का

कभण है
हभ फाग भें घभने गए।
फाग भें – जातििाचक सॊऻा, एकिचन, ऩजु ्रॊग, अधधकयर् कायक

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सर्ानाभ का ऩद ऩरयचम
सिणनाभ का ऩद ऩरयचम दे िे सभम तनम्नलरणखि ऩहरुओॊ की जानकायी दे नी चादहए:-
1.सिणनाभ का बेद उऩबेद
2.लरॊग
3.िचन
4.कायक
5.किमा के साि सॊफॊध
जैसे- 1. गोर ने उसे फहुि भाया।

उसे --ऩुरूषिाचक सिणनाभ,अन्म ऩुरूष,उबम लरॊग,एकिचन,कभण कायक,‘भाया’ किमा का कभण।

2 .भेघा औय हभ भेरा दे खने गए।

हभ - ऩुरूषिाचक सिणनाभ,उत्तभ ऩुरूष,ऩुज्रॊग,


फहुिचन, किाण कायक ‘दे खने गए’ किमा का किाण।

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वर्शेषण का ऩद ऩरयचम
विशेषर् का ऩद ऩरयचम दे िे सभम तनम्नलरणखि ऩहरुओॊ की जानकायी दे नी चादहए:-
1.बेद,उऩबेद
2.लरॊग
3.िचन
4.कायक
5.विशेष्म
3
जैसे-

1.क्षऺतिज ऩहरी कऺा भें ऩढ़िा है ।


*ऩहरी- सॊख्मािाचक विशेषर् , तनजचचि सॊख्मािाचक विशेषर्, थरीलरॊग, एकिचन, अधधकयर्
कायक, ‘कऺा’ का विशेषर् |

2. मह ऩुथिक अप्ऩ की है ।
* मह - सािणनालभक विशेषर्,थरीलरॊग,
एकिचन,‘ऩथ
ु िक’ का विशेषर्।

3. अििण फहुत शैतान रड़का है ।

*फहुत प्रविशेषर्, ऩुज्रॊग, एकिचन, कभणकायक, ‘शैिान’ का विशेषर् ।

*शैतान- गुर्िाचक विशेषर्, ऩजु ्रॊग, कभणकायक, ‘रड़का’ का विशेषर् ।

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क्रिमा का ऩद ऩरयचम
किमा का ऩद ऩरयचम दे िे सभम तनम्नलरणखि ऩहरुओॊ की जानकायी दे नी चादहए:-
1.बेद (कभण के आधाय ऩय)
2.लरॊग
3.िचन
4.धािु
5.कार
6.किाण का सॊकेि
जैसे -

4
1 .जथनग्धा तनफॊध लरखती है ।
*लरखती है - सकभणककिमा, थरीलरॊग, एकिचन, ‘लरख’धािु, ििणभानकार, जथनगधा इसकी किाण

2. फच्चे योज़ थकर जाते हैं।

*जाते हैं- अकभणक किमा, ऩुज्रॊग, फहुिचन,


‘जा’ धािु , ििणभान कार, ‘फच्चे’ इसके किाण ।

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अव्मम : क्रिमा वर्शेषण


किमा विशेषर् का ऩद ऩरयचम दे िे सभम तनम्नलरणखि ऩहरुओॊ की जानकायी दे नी चादहए :--
1.बेद
2.उऩबेद
3.विशेष्म-किमा का तनदे श।

जैसे-
िीर्ा योज सर्ेये धीये -धीये टहरिी है ।
1. योज सर्ेये-किमा विशेषर्, कारिाचक किमा विशेषर्, ‘टहरिी है ’ किमा का विशेषर्
2 .धीये धीये -किमा विशेषर्, यीतििाचक किमा विशेषर्, ‘टहरिी है ’ किमा की विशेषिा फिािा है ।

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अव्मम : सभच्
ु चमफोधक (मोजक)
सभुच्चमफोधक का ऩद ऩरयचम दे िे सभम तनम्नलरणखि ऩहरुओॊ की जानकायी दे नी चादहए :--
1.बेद
2.उऩबेद
3.सॊमुक्ि शब्द अििा िाक्म
जैसे-
1.दे िजानी औय श्रेमाॊश बाई-फहन हैं।
* औय- सभुच्चमफोधक अव्मम, सभाधधकयर् मोजक, ‘दे िजानी’ औय ‘श्रेमाॊश’ शब्दों को लभरा यहा
है ।
2. सबी रड़ककमाॉ खािी हैं जफक्रक ऩ्रिी फचािी है ।

5
*जफक्रक- सभुच्चमफोधक अव्मम, व्मधधकयर् मोजक, ‘सबी रड़ककमाॉ खािी हैं’,ििा ‘ऩ्रिी
फचािी है ’ दो िाक्मों को लभरा यहा है ।

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अव्मम : सॊफॊधफोधक
सॊफॊधफोधक का ऩद ऩरयचम दे िे सभम तनम्नलरणखि ऩहरुओॊ की जानकायी दे नी चादहए।
1.बेद
2.ऩदों/ऩदफॊधों/िाक्माॊशों से सॊफॊध का तनदे श
जैसे-

1.हभाये विद्मारम के ऩीछे खेर का भैदान है ।

* के ऩीछे - सॊफॊधफोधक अव्मम, थिानिाचक, ‘विद्मारम’ का सॊफॊध अन्म शब्दों से जोड़ने


िारा।

2. चोट के कायण याहुर खड़ा बी नहीॊ हो ऩा यहा ।

* के कायण- सॊफॊधफोधक अव्मम,कायर् सचक,‘चोट’ का सॊफॊध अन्म शब्द से जोड़िा है ।

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अव्मम : वर्स्भमाददफोधक
1.बेद
2.उऩबेद
3.सचक-बाि
जैसे-

1.शाफाश ! बफट्ट ने िो कभार कय ददमा।


* शाफाश ! - अव्मम , विथभमाददफोधक -
- अव्मम, हषण सचक |

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2 .हाम ! फाढ़ ने िो सफ कुछ डफो ददमा।

*.हाम ! -अव्मम, विथभमाददफोधक,शोक सचक |

कुछ अततरयक्त उदाहयण -


(1) अऩने गाॉि की लभट्टी छने के लरए भै ियस गमा ।
अऩने – विशेषर् )सािणनालभक(, एकिचन, ऩुज्रॊग, विशेष्म „गाॉि‟
गाॉर् की – सॊऻा )जातििाचक(, एकिचन, ऩुज्रॊग, सॊफॊधकायक कायक(„की‟)
लभट्टी – सॊऻा )द्रव्मिाचक(
भैं – सिणनाभ )उत्तभ ऩरु
ु ष(, एकिचन, ऩजु ्रॊग, „ियस गमा‟किमा का किाण
तयस गमा – किमा अकभणक(, सॊमुक्ि), बिकार, एकिचन, ऩुज्रॊग, किणि
त ाच्म, किाण “भै”

(2) तनधणन रोगो की ईभानदायी दे खो ।


तनधान – विशेषर् )गुर्िाचक(, फहुिचन, ऩुज्रॊग, विशेष्म „रोगो‟
रोगो की – सॊऻा )जातििाचक(, फहुिचन, ऩुज्रॊग, सॊफॊध कायक कायक(„की‟)
ईभानदायी – सॊऻा )बाििाचक(, कभण कायक, „दे खो' किमा का कभण
दे खो – किमा )सकभणक(, फहुिचन, धािु „दे ख‟, ििणभानकार, किमा का कभण „ईभानदायी‟

(3) मह ऩुथिक भेये लभर की है ।


मह – विशेषर् )सािणनालभक(, एकिचन, थरीलरॊग, विशेष्म „ऩुथिक‟
ऩुस्तक – सॊऻा )जातििाचक(, एकिचन, थरीलरॊग, कभण कायक, „है ' किमा का कभण
भेये – सिणनाभ ऩरु
ु षिाचक(– उत्तभ ऩरु
ु ष), ऩजु ्रॊग, एकिचन, सॊफॊधकायक
लभत्र की – सॊऻा )जातििाचक(, एकिचन, ऩुज्रॊग, सॊफॊध कायक कायक(„की), „है ' किमा से सॊफॊध
है – किमा, ििणभानकार, एकिचन

(4) नेहा महाॉ इसी भकान भें यहिी है ।


नेहा – सॊऻा )व्मजक्ििाचक सॊऻा(, थरीलरॊग,एकिचन, कयिा कायक, „नेहा‟यहना किमा की किाण है
महाॉ – किमा विशेषर् )थिानिाचक किमा विशेषर्(
इसी – विशेषर् )सािणनालभक(, ऩुज्रॊग, एकिचन, विशेष्म – „भकान'
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भकान भें – सॊऻा )जातििाचक(, ऩुज्रॊग, एकिचन, अधधकयर् कायक कायक(„भें), भकान „यहना‟किमा का
कभण है
यहती है – किमा )सकभणक(, थरीलरॊग, एकिचन, अन्म ऩुरुष, ििणभानकार, किणि
त ाच्म, „यहिी है „किमा की
किाण „नेहा' औय कभण „भकान‟है

(5) अये िाहिुभ बी ऩुथिक ऩढ़ सकिे हो। !


अये र्ाह !– विथभमाददफोधक, आचचमण का बाि
तुभ – सिणनाभ )भध्मभऩुरुष(, एकिचन, ऩुज्रॊग, किाणकायक, „ऩढ़ सकिे हो' किमा का किाण है
बी – तनऩाि
ऩुस्तक – सॊऻा )जातििाचक(, थरीलरॊग, एकिचन, कभणकायक, ऩुथिक „ऩढ़ सकिे हो‟किमा का कभण है
ऩढ़ सकते हो – किमा )सकभणक(, ऩजु ्रॊग, एकिचन, अन्म ऩरु
ु ष, ििणभानकार, किणि
त ाच्म, किमा का किाण
िुभ ि कभण ऩुथिक

कारा घोड़ा तेज बागता है |


कारा – गुर्िाचक विशेषर्, एकिचन, ऩजु ्रॊग, ‘घोड़ा’ विशेष्म है |

घोड़ा – जातििाचक सॊऻा, ऩुज्रॊग, एकिचन, ‘बागिा है ’ किमा का किाण |

तेज – यीतििाचक किमाविशेषर्, ‘बागिा है ’ किमा की विशेषिा प्रकट कय यहा है |

बागता है – अकभणक किमा, किणि


त ाच्म, ििणभान कार, ऩुज्रॊग, अन्म ऩुरुष, एकिचन, ‘घोड़ा’ उसका किाण है |

2. बागकय जाओ औय फाजाय से कुछ तो राओ |


बागकय – ऩिणकालरक किमा, यीतििाचक किमाविशेषर् |
फाजाय – जातििाचक सॊऻा, ऩुज्रॊग, एकिचन, अऩादान कायक |
कुछ – अतनचचमिाचक सिणनाभ, ऩुज्रॊग, एकिचन, कभणकायक |

3. हभ फाग भें गए ऩयन्तु र्हाॉ कोई आभ न लभरा |


हभ – उत्तभ ऩुरुषिाचक सिणनाभ, ऩुज्रॊग, फहुिचन, किाण कायक,‘गए’ किमा का किाण |
फाग भें – जातििाचक सॊऻा, ऩुज्रॊग, एकिचन, अधधकयर् कायक |
गए – अकभणक किमा, उत्तभ ऩुरुष, ऩुज्रॊग, फहुिचन, बिकार |

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ऩयन्तु – व्माधधकयर् सभुच्चमफोधक, दो िाक्मों को जोड़िा है |
र्हाॉ – थिानिाचक किमाविशेषर् |
कोई – सॊख्मािाचक विशेषर्, ऩजु ्रॊग, एकिचन, ‘आभ’ विशेष्म का विशेषर् |
आभ – जातििाचक सॊऻा, ऩजु ्रॊग, एकिचन, कभण कायक |
लभरा – सकभणक किमा, लभर धािु, अन्म ऩरु
ु ष, ऩजु ्रॊग, एकिचन,

बिकार, तनचचमािण, किणि


त ाच्म |

4. क्रकशन दसर्ीॊ कऺा भें फैठा है |


क्रकशन – व्मजक्ििाचक सॊऻा, ऩजु ्रॊग, एकिचन, किाण कायक, ‘फैठा है ’ किमा का किाण |
दसर्ीॊ – विशेषर्, िभसचक, सॊख्मािाचक, थरीलरॊग, एकिचन, ‘कऺा’ विशेष्म का विशेषर् |

कऺा भें – जातििाचक सॊऻा, थरीलरॊग, एकिचन, अधधकयर् कायक |


फैठा है - अकभणक किमा, ‘फैठ’ धािु, अन्म ऩुरुष, ऩुज्रॊग, एकिचन, तनचचमािण, किणि
त ाच्म |

1. यभेश दसर्ीॊ कऺा भें फैठा है ।

* यभेश– व्मजक्ििाचक सॊऻा, ऩुज्रॊग, एकिचन, किाण कायक


* दसर्ीॊ– सॊख्मािाचक विशेषर्, थरीलरॊग, एकिचन, ‘कऺा’ का विशेषर्
* कऺा भें – जातििाचक सॊऻा, थरीलरॊग, एकिचन, अधधकयर् कायक
* फैठा है – अकभणक किमा, एकिचन, ऩुज्रॊग, ििणभान कार

2. कारा घोड़ा तेज बागता है ।

* कारा– गुर्िाचक विशेषर्, एकिचन, ऩजु ्रॊग, ‘घोड़ा’ का विशेषर्


* घोड़ा– जातििाचक सॊऻा, ऩजु ्रॊग, एकिचन, किाण कायक
* तेज– यीतििाचक किमाविशेषर् अव्मम
* बागता है – अकभणक किमा, ििणभान कार, ऩजु ्रॊग, एकिचन

3. बागकय जाओ औय फाजाय से कुछ िो राओ।

9
बागकय– यीतििाचक किमाविशेषर् अव्मम
फाजाय– जातििाचक सॊऻा, ऩजु ्रॊग, एकिचन, अऩादान कायक
कुछ– अतनचचमिाचक सिणनाभ, ऩजु ्रॊग, एकिचन, कभण कायक

4. हभदे हयादन घभने गए।


हभ– ऩुरुषिाचक सिणनाभ, ऩुज्रॊग, फहुिचन, किाण कायक

5. भोहन ऩाॉचर्ीॊ कऺा भें ऩढ़िा है ।


ऩाॉचर्ीॊ– सॊख्मािाचक विशेषर्, थरीलरॊग, ‘कऺा’ का विशेषर्

6. फीयफर अकफय के भॊरी िे।


अकफय– व्मजक्ििाचक सॊऻा, एकिचन, सॊफॊध कायक, ऩजु ्रॊग

7. िह तनत्म घभने जािा है ।


तनत्म– कारिाचक किमाविशेषर् अव्मम

8. िह इस दख
ु को नहीॊ सह सकेगा।
दख
ु – बाििाचक सॊऻा, एकिचन, ऩुज्रॊग, कभण कायक

9. र्ीय ऩुरुष सफकी प्रशॊसा प्राप्ि कयिा है ।


र्ीय– गुर्िाचक विशेषर्, एकिचन, ऩुज्रॊग, ‘ऩुरुष’ का विशेषर्

10. फहुत से रोग िहाॉँॉ जभा हो गए िे।


फहुत से– सॊख्मािाचक विशेषर्, ऩुज्रॊग, फहुिचन, ‘रोग’ का विशेषर्

11. कुणार ने कऺा भें प्रिभ थिान ऩामा।


कुणार– व्मजक्ििाचक सॊऻा, किाण कायक, ऩजु ्रॊग, एकिचन

12. िह भेयी फाि ऩय फहुत हॉसा।


फहुत– ऩरयभार्िाचक किमाविशेषर् अव्मम

13. िह स्कूर से अबी अबी आमा है ।


स्कूर से– जातििाचक सॊऻा, एकिचन, ऩजु ्रॊग, अऩादान कायक

10
14. सोभा साइक्रकर से गई।
साइक्रकर से– जातििाचक सॊऻा, एकिचन, ऩजु ्रॊग, कयर् कायक

15. सोहन इसी घय भें यहिा है ।


सोहन– व्मजक्ििाचक सॊऻा, एकिचन, ऩुज्रॊग, किाण कायक

16. िह ऩस्
ु तक भेये छोटे बाई की है ।
ऩस्
ु तक– जातििाचक सॊऻा, एकिचन, ऩजु ्रॊग, किाण कायक

17. वर्भरा महाॊ क्मों आई है?


वर्भरा– व्मजक्ििाचक सॊऻा, एकिचन, थरीलरॊग, किाण कायक

18. घय भें कौन यहिा है?


घय भें – जातििाचक सॊऻा, एकिचन, ऩुज्रॊग, अधधकयर् कायक

5. र्ह ऩुथिक ककसकी है ।


र्ह– सािणनालभक विशेषर्, एकिचन, ‘ऩुथिक’ का विशेषर्

20. मह फोरिा यहिा है ।


मह– ऩुरुषिाचक सिणनाभ, विशेषर्, ऩुज्रॊग, एकिचन, किाण कायक

21. मह रड़का फहुि भेधािी है ।


रड़का– जातििाचक सॊऻा, ऩजु ्रॊग, एकिचन, किाण कायक

22. भैं तेज़–तेज़ चरिा हॉ।


तेज़–तेज़– यीतििाचक किमाविशेषर् अव्मम

23. भैं उसे ददल्रीभें लभरॉ गा।


ददल्री– व्मजक्ििाचक सॊऻा, ऩजु ्रॊग, एकिचन, अधधकयर् कायक

24. नेहा ऩत्र लरखिी है ।


ऩत्र– जातििाचक सॊऻा, एकिचन, ऩुज्रॊग, कभण कायक

25. र्ाह! क्मा छक्का भाया है ।


र्ाह– विथभमाददफोधक अव्मम

11
26. ककिने सुगॊधधत ऩुष्ऩ हैं!
सुगॊधधत– गुर्िाचक विशेषर्, फहुिचन, ऩजु ्रॊग, ‘ऩष्ु ऩ’ का विशेषर्

27. भैं उसे महीलभरािा।


लभरा– अकभणक किमा, बिकार, ऩुज्रॊग, एकिचन

28. भैंकर फनायस जाऊॉँॉगा।

भैं– ऩुरुषिाचक सिणनाभ, ऩुज्रॊग, एकिचन, किाण कायक

29. शेयजॊगरीजानिय है ।
जॊगरी– गुर्िाचक विशेषर्, एकिचन, ऩुज्रॊग, ‘जानिय’ का विशेषर्

30. भेये दयर्ाजे ऩय कोई खड़ा है ।


दयर्ाजे– जातििाचक सॊऻा, एकिचन, ऩुज्रॊग, अधधकयर् कायक

31. भहादे िी िभाण कवर्ता लरखिी िी।


कवर्ता– जातििाचक सॊऻा, एकिचन, थरीलरॊग, कभण कायक

32. हभ फाग भें घभने गए।


फाग भें – जातििाचक सॊऻा, एकिचन, ऩुज्रॊग, अधधकयर् कायक

33. गणतॊत्र ददिस ऩय जगह-जगह याष्रीम ध्िज पहयामा जािा है ।


गणतॊत्र– गुर्िाचक विशेषर्, एकिचन, ऩुज्रॊग, ‘ददिस’ का विशेषर्

34. उस भकान भें एक साॉऩ यहिा है ।


भकान भें – जातििाचक सॊऻा, एकिचन, ऩजु ्रॊग, अधधकयर् कायक

35. याभ ने चमाभ को फुयी ियह भाया।


भाया– सकभणक किमा, बिकार, ऩुज्रॊग, एकिचन

36. इॊददया जी जहाॉ जहाॉ बी गई, सिणर थिागि हुआ।


इॊददया जी– व्मजक्ििाचक सॊऻा, थरीलरॊग, एकिचन, किाण कायक

37. हभ अऩने दे श ऩय भय लभटें गे।


12
भय लभटें ग–े अकभणक किमा, ऩुज्रॊग, फहुिचन

38. फाजाय से कुछ गेहॉ रे आना।


कुछ– ऩरयभार्िाचक विशेषर्, फहुिचन, ‘गेहॉ’ का विशेषर्

39. ज्िय के कायण िह उठ नहीॊ ऩाई।


के कायण– सॊफॊधफोधक अव्मम

40. दहभारम विचि का सफसे ऊॉचा ऩर्ात है ।


ऩर्ात– जातििाचक सॊऻा, ऩुज्रॊग, एकिचन

41. फारक यॊ गीन ऩतॊग उड़ा यहा है ।


ऩतॊग– जातििाचक सॊऻा, थरीलरॊग, एकिचन, कभण कायक

42. सॊसाय भें सदा सुखी कौन यहिा है !


सॊसाय भें – जातििाचक सॊऻा, एकिचन, ऩुज्रॊग, अधधकयर् कायक

43. सत्म की सदा जीि होिी है ।


सत्म की– बाििाचक सॊऻा, एकिचन, ऩुज्रॊग, सॊफॊध कायक

44. दहभारम ऩय सदा फपण जभी यहिी है ।


दहभारम– व्मजक्ििाचक सॊऻा, एकिचन, ऩजु ्रॊग, अधधकयर् कायक

45. याभ घय ऩय नहीॊ है ।


घय– जातििाचक सॊऻा, एकिचन, ऩुज्रॊग, अधधकयर् कायक

कुछ अततरयक्त उदाहयण -


(1) अऩने गाॉर् की लभट्टी छूने के लरए भै तयस गमा ।
अऩने – विशेषर् (सािणनालभक), एकिचन, ऩुज्रॊग, विशेष्म „गाॉि‟
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गाॉर् की – सॊऻा (जातििाचक), एकिचन, ऩुज्रॊग, सॊफॊधकायक (कायक „की‟)
लभट्टी – सॊऻा (द्रव्मिाचक)
भैं – सिणनाभ (उत्तभ ऩरु
ु ष), एकिचन, ऩजु ्रॊग, „ियस गमा‟किमा का किाण
तयस गमा – किमा (अकभणक, सॊमुक्ि), बिकार, एकिचन, ऩजु ्रॊग, किणि
त ाच्म, किाण “भै”

(2) तनधान रोगो की ईभानदायी दे खो ।


तनधान – विशेषर् (गुर्िाचक), फहुिचन, ऩुज्रॊग, विशेष्म „रोगो‟
रोगो की – सॊऻा (जातििाचक), फहुिचन, ऩुज्रॊग, सॊफॊध कायक (कायक „की‟)
ईभानदायी – सॊऻा (बाििाचक), कभण कायक, „दे खो' किमा का कभण
दे खो – किमा (सकभणक), फहुिचन, धािु „दे ख‟, ििणभानकार, किमा का कभण „ईभानदायी‟

(3) मह ऩुस्तक भेये लभत्र की है ।


मह – विशेषर् (सािणनालभक), एकिचन, थरीलरॊग, विशेष्म „ऩुथिक‟
ऩुस्तक – सॊऻा (जातििाचक), एकिचन, थरीलरॊग, कभण कायक, „है ' किमा का कभण
भेये – सिणनाभ (ऩुरुषिाचक – उत्तभ ऩुरुष), ऩुज्रॊग, एकिचन, सॊफॊधकायक
लभत्र की – सॊऻा (जातििाचक), एकिचन, ऩुज्रॊग, सॊफॊध कायक (कायक „की), „है ' किमा से सॊफॊध
है – किमा, ििणभानकार, एकिचन

(4) नेहा महाॉ इसी भकान भें यहती है ।


नेहा – सॊऻा (व्मजक्ििाचक सॊऻा), थरीलरॊग,एकिचन, कयिा कायक, „नेहा‟यहना किमा की किाण है
महाॉ – किमा विशेषर् (थिानिाचक किमा विशेषर्)
इसी – विशेषर् (सािणनालभक), ऩजु ्रॊग, एकिचन, विशेष्म – „भकान'
भकान भें – सॊऻा (जातििाचक), ऩजु ्रॊग, एकिचन, अधधकयर् कायक (कायक „भें ), भकान „यहना‟किमा का
कभण है
यहती है – किमा (सकभणक), थरीलरॊग, एकिचन, अन्म ऩरु
ु ष, ििणभानकार, किणि
त ाच्म, „यहिी है „किमा की
किाण „नेहा' औय कभण „भकान‟है

(5) अये र्ाह! तुभ बी ऩुस्तक ऩढ़ सकते हो।


अये र्ाह! – विथभमाददफोधक, आचचमण का बाि
तुभ – सिणनाभ (भध्मभऩुरुष), एकिचन, ऩुज्रॊग, किाणकायक, „ऩढ़ सकिे हो' किमा का किाण है
बी – तनऩाि
ऩुस्तक – सॊऻा (जातििाचक), थरीलरॊग, एकिचन, कभणकायक, ऩुथिक „ऩढ़ सकिे हो‟किमा का कभण है
ऩढ़ सकते हो – किमा (सकभणक), ऩुज्रॊग, एकिचन, अन्म ऩुरुष, ििणभानकार, किणि
त ाच्म, किमा का किाण
िुभ ि कभण ऩुथिक

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6. सुयेश नौर्ीॊ कऺा भें खड़ा है ।

* सुयेश- व्मजक्ििाचक सॊऻा, ऩुज्रॊग, एकिचन, किाण कायक


* नौर्ीॊ- सॊख्मािाचक विशेषर्, थरीलरॊग, एकिचन, 'कऺा' का विशेषर्
* कऺा भें - जातििाचक सॊऻा, थरीलरॊग, एकिचन, अधधकयर् कायक
* खड़ा है - अकभणक किमा, एकिचन, ऩजु ्रॊग, ििणभान कार

7. सपेद हाथी तेज दौड़ता है ।

* सपेद- गुर्िाचक विशेषर्, एकिचन, ऩजु ्रॊग, 'हािी' का विशेषर्


* हाथी- जातििाचक सॊऻा, ऩजु ्रॊग, एकिचन, किाण कायक
* तेज- यीतििाचक किमाविशेषर् अव्मम
* दौड़ता है - अकभणक किमा, ििणभान कार, ऩजु ्रॊग, एकिचन

8. दौड़कय जाओ औय भाक्रकाट से कुछ तो राओ।

दौड़कय- यीतििाचक किमाविशेषर् अव्मम


भाक्रकाट- जातििाचक सॊऻा, ऩजु ्रॊग, एकिचन, अऩादान कायक
कुछ- अतनचचमिाचक सिणनाभ, ऩजु ्रॊग, एकिचन, कभण कायक

तनम्नलरखखत र्ाक्मों भें ये खाॊक्रकत शब्द का उधचत व्माकयखणक ऩरयचम –

1) फारक कऺा भें ऩढ़ यहा है |


 सॊऻा (जाततर्ाचक), ऩुलल्रॊग, एकर्चन
2) याधा घय भें यहिी है |
 व्मलक्तर्ाचक सॊऻा, एकर्चन, स्त्रीलरॊग, कताा कायक
3) भैं वऩछरे सार उसे दद्री भें लभरा िा |
 जाततर्ाचक सॊऻा, ऩलु ल्रॊग, एकर्चन
4) भोहन आज ददल्री जाएॉगा |
 व्मलक्तर्ाचक सॊऻा, ऩलु ल्रॊग, एकर्चन
5) शाभ तक िषाण हो सकिी है |
 कारर्ाचक क्रिमावर्शेषण “हो सकती है ” क्रिमा से सॊफद्ध है |
6) र्ह कर आएगा|
 सर्ानाभ, अन्म ऩुरुष, एकर्चन, ऩुलल्रॊग

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7) दादी जी सुफह–शाभ धीये -धीये टहरिी हैं |
 कारर्ाचक क्रिमावर्शेषण “टहरती हैं” क्रिमा से सॊफद्ध
8) हभ सफ िहाॉ ऩहुॉचे |
 अतनलचचत सॊख्मार्ाचक वर्शेषण, ऩलु ल्रॊग, फहुर्चन
9) गीिा इसी भकान भें यहिी हैं |
 जाततर्ाचक सॊऻा, ऩुलल्रॊग, एकर्चन, अधधकयण कायक “यहना” क्रिमा का कभा
10) िह तेज–तेज चरिी है |
 यीततर्ाचक क्रिमावर्शेषण “चरती है ” क्रिमा से सॊफद्ध
11) वऩिा जी ऩर ऩढ़ते हैं |
 सकभाक क्रिमा, कतार्
त ाच्म, ऩुलल्रॊग, साभान्म र्ताभानकार, अन्म ऩुरुष, फहुर्चन, “वऩता जी” कताा
के अनुसाय प्रमोग, तनचचमाथा
12) िह ऩुरुष विचिास के मोग्म है |
 गुणर्ाचक वर्शेषण, भूरार्स्था, एकर्चन, लरॊग, इसका वर्शेष्म „ऩुरुष‟ है |
13) याधा योज सर्ेये धीये -धीये टहरिी है |
 क्रिमावर्शेषण, कारर्ाचक क्रिमावर्शेषण, „टहरती है ‟ क्रिमा से सॊफद्ध
14) ठीक ! भैं योज़ आऊॉगा
 वर्स्भमाददफोधक, स्र्ीकायफोधक
15) क्मा तुभने मह ऩानी धगयामा है ?
 सर्ानाभ, भध्मभ ऩुरुष, ऩुलल्रॊग, एकर्चन
16) िुभ बी ऩुस्तक ऩढ़ सकिे हो |
 जाततर्ाचक सॊऻा, स्त्रीलरॊग, कभा कायक “ऩढ़ सकते हो‟‟ क्रिमा का कभा
17) भोहन कऺा भें ऩढ़ यहा है |
 जाततर्ाचक सॊऻा, स्त्रीलरॊग, एकर्चन, अधधकयण कायक “ऩढ़” क्रिमा से सॊफॊध
18) नेहा कवििा लरखती है |
 सकभाक क्रिमा, स्त्रीलरॊग, एकर्चन, “लरख ्” धातु र्ताभान कार
19) मह िही काय है |
 सर्ानाभ, तनचचमर्ाचक, अन्म ऩरु
ु ष, स्त्रीलरॊग, एकर्चन
20) भैं िुम्हाये साि चरिा हॉ |
 सर्ानाभ, उत्तभ ऩरु
ु ष, ऩलु ल्रॊग, एकर्चन

वऩछ्री ऩयीऺाओॊ भें आए प्रचन

4. हभ सफ झायखण्ड घभने गए।

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हभ सफ- ऩुरुषिाचक सिणनाभ, ऩुज्रॊग, फहुिचन, 14. यीभा स्कूटी से गई।
किाण कायक स्कूटी से- जातििाचक सॊऻा, एकिचन, थरीलरॊग,
कयर् कायक
5. सोहन आठर्ीॊ कऺा भें उऩजथिि है ।
आठर्ीॊ- सॊख्मािाचक विशेषर्, थरीलरॊग, एकिचन, 15. भोहन इसी घय भें यहिा िा।
'कऺा' का विशेषर् भोहन- व्मजक्ििाचक सॊऻा, एकिचन, ऩुज्रॊग,
किाण कायक
6. फीयफर अकफय के भॊरी िे।
अकफय- व्मजक्ििाचक सॊऻा, एकिचन, सॊफॊध 16. िह ऩलु स्तका भेये फड़े बाई की है ।
कायक, ऩजु ्रॊग ऩलु स्तका- जातििाचक सॊऻा, एकिचन, थरीलरॊग,
किाण कायक
7. िह योज घभने जािा है ।
योज- कारिाचक किमाविशेषर् अव्मम 17. कभर महाॊ क्मों आई है?
कभर- व्मजक्ििाचक सॊऻा, एकिचन, ऩुज्रॊग,
8. िह इस फीभायी को नहीॊ सह सकेगा।
किाण कायक
फीभायी- बाििाचक सॊऻा, एकिचन, थरीलरॊग, कभण
कायक 18. झोऩड़ी भें कौन यहिा है?
झोऩड़ी भें- जातििाचक सॊऻा, एकिचन, थरीलरॊग,
9. र्ीय आदभी सफकी प्रशॊसा प्राप्ि कयिा है ।
अधधकयर् कायक
र्ीय- गुर्िाचक विशेषर्, एकिचन, ऩुज्रॊग,
'आदभी' का विशेषर् 19. मह ऩुजथिका है ।
मह- सािणनालभक विशेषर्, एकिचन, 'ऩुजथिका' का
10. अत्मधधक जन िहाॉँॉ जभा हो गए िे।
विशेषर्
अत्मधधक- सॊख्मािाचक विशेषर्, ऩुज्रॊग,
फहुिचन, 'जन' का विशेषर् 20. र्ह फोरिा यहिा िी।
र्ह- ऩुरुषिाचक सिणनाभ, विशेषर्, थरीलरॊग,
11. सीता ने कऺा भें द्वििीम थिान ऩामा।
एकिचन, किाण कायक
सीता- व्मजक्ििाचक सॊऻा, किाण कायक, थरीलरॊग,
एकिचन 21. मह रड़की फहुि भेधािी है ।
रड़की- जातििाचक सॊऻा, थरीलरॊग, एकिचन, किाण
12. िह उसकी फाि ऩय तेज-तेज हॉसा।
कायक
तेज-तेज- ऩरयभार्िाचक किमाविशेषर् अव्मम
22. भैं धीये धीये चरिा हॉँॉ।
13. िह वर्द्मारम से अबी अबी गमा है ।
धीये धीये - यीतििाचक किमाविशेषर् अव्मम
वर्द्मारम से- जातििाचक सॊऻा, एकिचन,
ऩुज्रॊग, अऩादान कायक 23. भैं उसे करकत्ता भें लभरॉ ँॉगा।

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करकत्ता- व्मजक्ििाचक सॊऻा, ऩुज्रॊग, एकिचन, 33. स्र्तन्त्रता ददिस ऩय हय जगह याष्रीम
अधधकयर् कायक झॊडा रहयामा जािा है ।
स्र्तन्त्रता- गुर्िाचक विशेषर्, एकिचन, ऩजु ्रॊग,
24. सीभा ऩत्रत्रका लरखिी है ।
'ददिस' का विशेषर्
ऩत्रत्रका- जातििाचक सॊऻा, एकिचन, थरीलरॊग, कभण
कायक 34. उस घय भें एक शेय यहिा िा।
घय भें - जातििाचक सॊऻा, एकिचन, ऩुज्रॊग,
25. अये ! क्मा चौका भाया है ।
अधधकयर् कायक
अये - विथभमाददफोधक अव्मम
35. योहन ने याभ को फयु ी ियह ऩीटा।
26. ककिना सुन्दय पर हैं!
ऩीटा- सकभणक किमा, बिकार, ऩजु ्रॊग, किचन
सुन्दय- गुर्िाचक विशेषर्, एकिचन, ऩुज्रॊग,
'पर' का विशेषर् 36. गाॉधी जी जहाॉ जहाॉ बी गए, हय जगह थिागि
हुआ।
27. हभ उसे मही लभरे िे।
गाॉधी जी- व्मजक्ििाचक सॊऻा, ऩुज्रॊग, एकिचन,
लभरे- अकभणक किमा, बिकार, ऩजु ्रॊग, फहुिचन
किाण कायक

28. हभ कर फनायस जाएॉगे।


37. हभ सफ अऩने बायि ऩय भय लभटें गे।
हभ - ऩुरुषिाचक सिणनाभ, ऩुज्रॊग, फहुिचन, किाण
भय लभटें गे- अकभणक, ऩुज्रॊग, फहुिचन
कायक
38. फाजाय से थोड़ा अनाज रे आना।
29. शेय भाॉसाहायी ऩशु है ।
थोड़ा- ऩरयभार्िाचक विशेषर्, फहुिचन, 'अनाज'
भाॉसाहायी- गुर्िाचक विशेषर्, एकिचन, ऩुज्रॊग,
का विशेषर्
'ऩशु' का विशेषर्
39. फीभायी के कायण िह चर नहीॊ ऩाई।
30. उसकी खखड़की ऩय कोई खड़ा है ।
के कायण- सॊफॊधफोधक अव्मम
खखड़की- जातििाचक सॊऻा, एकिचन, थरीलरॊगओ,
अधधकयर् कायक 40. दहभारम सॊसाय का सफसे ऊॉँॉचा ऩहाड़ है ।
ऩहाड़- जातििाचक सॊऻा, ऩुज्रॊग, एकिचन
31. भहादे िी िभाण ने कवर्ताएॉ लरखी िी।
कवर्ताएॉ- जातििाचक सॊऻा, फहुिचन, थरीलरॊग, 41. सोन रार ऩतॊग उड़ा यहा है ।
कभण कायक ऩतॊग- जातििाचक सॊऻा, थरीलरॊग, एकिचन, कभण
कायक
32. हभ उद्मान भें टहरने गए।
42. वर्चर् भें सदा सुखी कौन यहिा है !
उद्मान भें - जातििाचक सॊऻा, एकिचन, ऩुज्रॊग,
वर्चर् भें - जातििाचक सॊऻा, एकिचन, ऩुज्रॊग,
अधधकयर् कायक
अधधकयर् कायक

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43. सच की हभेँेशा जीि होिी है । ऩहाड़ो ऩय- जातििाचक सॊऻा, फहुिचन, ऩुज्रॊग,
सच की- बाििाचक सॊऻा, एकिचन, ऩुज्रॊग, अधधकयर् कायक
सॊफॊध कायक
45. भोन वर्द्मारम भें नहीॊ है ।
44. ऩहाड़ो ऩय हभेशा फपण यहिी है । वर्द्मारम भें - जातििाचक सॊऻा, एकिचन,
ऩुज्रॊग, अधधकयर् कायक

7. ऩुनीि दसिीॊ कऺा भें पेँेर हो गमा।


अभ्मास कीलजए-
8. िह फाजाय गमा।
1. हभ भनारी घभने गए।
9. योज़ी थकर गई।
2. सच्चाई फड़ी दर
ु ाब िथिु है ।
10. िह क्रास भें सो गमा है ।
3. मह ऩुथिक भेयी है ।
11. आबास फाजाय गमा।
4. सुभन ने काभ ऩया नही ककमा।
12. यीना साििीॊ कऺा भें ऩढ़ती है ।
5. िह उसकी फाि चुऩचाऩ सुन यहा है ।
13. हभ कु्र घभने गए
6. शीरा ऩुजथिका ऩढ़ती है ।

प्रचन प्रारूऩ -

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