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सामवेद PDF
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सामवेद PDF
रेखा ास
एम. ए., पी-एच. डी.
सं कृत सा ह य काशन
नई द ली
ISBN 81-87164-97-2
व. .– 535.5H15*
सं कृत सा ह य काशन के लए
व बु स ा. ल.
एम-१२, कनाट सरकस, नई द ली-११०००१
ारा वत रत
यह अनुवाद
सामवेद क इन ऋचा का यह अनुवाद सायण भा य पर आधा रत है, य क
सायणाचाय ने वै दक ऋचा (मं ) को समझने के लए या काचाय ारा न द तीन
साधन —परंपरागत ान, तक एवं मनन का पूरा सहारा लया था. इस से भी बड़ी बात यह
थी क उ ह ने अ य आचाय के समान वै दक ऋचा को कसी वशेष वाद का च मा पहन
कर नह दे खा है.
सायणाचाय ने वै दक ऋचा के संग के अनुसार मानव जीवन, य और अ या म
संबंधी अथ दए ह. वैसे अ धकतर अथ मानव जीवन से संबं धत ही ह. य और अ या म से
जुड़े अथ ायः कम थान पर ही दए गए ह. इ ह कारण से अनुवाद करते समय सायण
भा य को आधार बनाया गया है.
अनुवाद के दौरान इस बात का वशेष यान रखा गया है क सायणाचाय का आशय
पूरी तरह प हो जाए. अनुवाद क भाषा यथासंभव सरल एवं सुबोध रखी गई है, ता क
आम हद पाठक भी आसानी से समझ सक क वा तव म वेद म या है!
— काशक
पूवा चक
आ नेय पव
पहला अ याय
पव
सरा अ याय
तीसरा अ याय
चौथा अ याय
पवमान पव
पांचवां अ याय
आर यक पव
छठा अ याय
उ रा चक
पहला अ याय
सरा अ याय
तीसरा अ याय
चौथा अ याय
पांचवां अ याय
छठा अ याय
सातवां अ याय
आठवां अ याय
नौवां अ याय
आ नेय पव
अ याय खंड वषय मं
१. १. अ न क तु त १-१०
य पुरो हत २
धन के वामी ३
धनदाता अ न ४
सव े अ न ९
२. अ न क तु त १-१०
अ न क े ता १
ान के वामी अ न २
य र कअ न ७
३. अ न क तु त १-१४
सूय के प म अ न ११
श ुनाशक अ न १२
क याणकारी जल १३
४. अ न क तु त १-१०
५. अ न के लए आमं ण १-१०
अ न क तु त २-६
वग के नवासी ७
६. धनदाता अ न १-८
क याणकारी यश २
अ न क तु त ३-८
७. उपासक के लए संबोधन १-१०
बाल एवं त ण अ न २
मृ युधमा मनु य ३
अ न क तु त ४-१०
८. अ न क तु त १-८
क याणकारी पूषा दे व ३
९. अ न क तु त १-१०
१०. सोम, व ण, अ न आ द का आ
१-६ ान
अं गरस २
अ न क तु त ३-६
११. अ न क तु त १-१०
अ द त दे व ६
१२. अ न क तु त १-८
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सुखशां त दाता ४
दे व े ६
पव
२. १. उपासक के लए उद्बोधन १-१०
इं क तु त २
गौ क तु त ३
उपासक को सलाह ४
इं क तु त ५-८
शूरवीर इं ९
अंतयामी इं १०
२. े वीर इं १-१०
इं क तु त २-८
चर युवा इं ९
इं क तु त १०
३. म द्गण का चाबुक १-१०
इं क तु त २-३
दे वता क तु त ४
ण प त क तु त ५
वृ ासुर हंता इं ६
सूय क तु त ७
समथ इं ८
बु मान इं ९
इं क तु त १०
४. इं क तु त १-१०
सूय का द तेज ३
इं के सहायक पूषा ४
धन संप पृ वी ५
इं क तु त ६-९
सोम और पूषा १०
५. उपासक का आ ान १-१०
इं क तु त ३-९
उपासक का आ ान १०
६. इं क तु त १-१०
गाय के वामी इं ४
श ुनाशक इं ५
७. इं क माता १-१०
वेदानुसार आचरण २
अथववेद ा ण ३
अपूव उषा ४
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इं क तु त ५-९
वायु से नवेदन १०
८. व ण, म और अयमा १-९
इं क तु त २-४
व ा क दे वी सर वती ५
मनु य म मता ६
इं का आ ान ७
इं , अयमा और व ण ८
धनवान इं ९
९. इं क तु त १-१०
महान इं ३-४
बृह साम ५
ऋभु दे व ६
सव ा इं ७
इं क तु त ८
इं और पूषा ९
वृ ासुर संहारक इं १०
१०. भयनाशक इं १-१०
इं क तु त २-१०
११. इं और सोमरस १-९
इं क तु त २
इं का ३
लोक क र ा ४
म और व ण ५
उषा ६
म वव ण ७
म त् ८
वामन अवतार ९
१२. इं क तु त १-१०
३. १. इं क तु त १-१०
धनवान व ःखनाशक इं ३-४
श ुनाशक इं ५
तारनहार इं ६
इं क तु त ७-८
म द्गण क तु त ९
बलवान इं १०
२. उ तशील इं १-१०
इं क तु त २-१०
३. इं क तु त १-१०
म , व ण और अयमा ३
इं क तु त ४
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यजमान को संबोधन ५
बृह साम तो ६
इं क तु त ७-१०
४. इं क तु त १-१०
यश वी इं ३
सुखदायी मकान ४
आ यदाता इं ५
इं क तु त ६-१०
५. इं क तु त १-१०
६. इं क तु त १-१०
व धारी इं ३
स जन पालक इं ४
अ नीकुमार क तु त ५
पाप नवारक व ण ६
इं क तु त ७-१०
७. इं क तु त १-१०
व भ दे वीदे वता क तु त७
काशमान इं ८
बलवान इं ९
व धारी इं १०
८. सूय पु ी उषा १-१०
अ नीकुमार क तु त २-४
पोषक इं ५
पुरो हत को संबोधन ६
इं क तु त ७-१०
९. गाय के ध से सोमरस १-१०
इं क तु त २-७
सूय क तु त ८
तेज ९
महावीर इं १०
१०. सव य इं १-९
म द्गण क म ता २
अ मट म हमाशाली इं ३
अजातश ु इं ४
वजयदाता इं ५
क याणकारी इं ६
अ दाता इं ७
व स क तु त ८
जलवषक इं ९
११. दे व त ग ड़ १-१०
र क इं २
वेगशील इं ३
४. १. य संचालक इं १-८
पवतवासी इं २
श ु जत् इं ३
दे वपालक इं ४
आनंददायी म द्गण ५
हतकारी इं ६
द ध ाव ऋ ष ७
व पालक इं ८
२. वीर इं १-१०
सव इं २
श ु जत् इं ३
मतावान इं ४
इं के लए आमं ण ५
इं क तु त ६-७
उषा क तु त ८
दे वता से ९
य सदन १०
३. सेनानायक इं १-११
जन क याण के लए जलवषा२
वग के वामी ३
इं क तु त ४-६
धन के भंडार ७
आ म ाता ८
वगलोक और पृ वीलोक ९
स ाट् १०
इं का आ ान ११
४. इं क तु त १-१०
उपासक के लए उद्बोधन २
इं के ओज क शंसा ३
इं ारा सोमपान ४
वीर इं ५
रसीला सोमरस ६
सखा का आ ान ७
ा ण के लए उद्बोधन ८
सब ा णय के वामी ९
सब के क याण के लए १०
५. इं क तु त १-८
आ द य क तु त ५
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व न नवारक इं ६
आ द य क तु त ७
अ वान ८
६. ातृ कलह से मु १-१०
धनदाता इं २
म द्गण क तु त ३
गाय के वामी ४
बैल के समान बलवान इं ५
सम भाव वाले म द्गण ६
इं क तु त ७-१०
७. सूय पी इं क करण १-१०
वरा य क थापना २
स ता और उ साह क कामना ३
इं क तु त ४-८
सूय और चं ९
अ नीकुमार क तु त १०
८. अ न क तु त १-८
उषा क तु त ३
सोम क तु त ४
इं क तु त ५-६
अ न क उपासना ७
अयमा, म और व ण ८
९. सोम क तु त १-१०
म द्गण से का संबंध ७
ऊह तो ८
तेजोमय स वता ९
काशमान सोम १०
१०. इं क तु त १-१०
दे व कृपा से धन ा त ५
प व गाएं ६
धनधा य ७
इं /म द्गण क उपासना ९
ा ण और गाथाएं १०
११. अ न क तु त १-१०
उषा क बहन रात ५
इं क तु त ६-१०
१२. द गुण वाला सोमरस १-१०
काशमान सूय २
इं क तु त ३-४
अ न क उपासना ५
एवयाम त् ऋ ष ६
ह रत सोम ७
पवमान पव
५. १. सोम क तु त १-१०
य के समय ५
सोम क तु त ६-१०
२. सोम क तु त १-१०
३. श ुनाशक सोम १-१०
बु वधक सोम २
शु सोमरस ३
वेगमान सोम ४-५
मदम तकता सोम ६
सोम क तु त ७-१०
४. सूय के समान काशमान १-१४
बलदाता सोम २
नचोड़ा गया सोम ३-४
सोम क उ प ६
सोम क तु त ७-१४
५. सोम क तु त १-१२
आनंददायी सोमरस ५
श ुनाशक सोम ६
धनदाता सोम ७
आनंददायी सोमरस ८
प व और े सोम ९
आनंददायी सोमरस १०
अ दाता सोम ११
इं य सोम १२
६. सोम का आ ान १-१०
काशमान सोमरस २
सोम तु त ३-४
आनंदमय सोमरस ५
सवदाता सोम ६
र क सोम ७
प व सोमरस ८
इं य सोमरस ९
सोम तु त १०
७. सोम क तु त १-१२
बलशाली सोम ६
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सूय ारा स जत सोम ७
बलवधक सोमरस ८
सोम क तु त ९
दे वता के पालक सोम १०
धन दाता सोम ११
तु तयां १२
८. यजमान को संबोधन १-९
पालनहार सोमरस २
सोम का आनंददायी व प ३
आ म ाता सोम ४
सोम क तु त ५
इं य सोमरस ६
श ुहंता सोम ७
गुणागार सोमरस ८
यजमान को संबोधन ९
९. द सोम १-१२
सोम क तु त २-३
म वत सोमरस ४
वेगवान सोमरस ५
श दाता सोम ६
क याणकारी सोम ७
तु त सोम ८
काशमान सोमरस ९
मधुर सोमरस १०
आनंदमय सोमरस ११
साम यवान सोम १२
१०. सोम क तु त १-१२
जल पु सोम ५
सोम क तु त ६
प व सोमरस ७
सोम क तु त ८-१२
११. सोम क तु त १-८
श वधक सोमरस ४
संतानदाता सोम ५
पूजनीय सोम ६
आनंददायी सोम ७
श ुनाशक सोम ८
आर यक पव
६. १. इं क तु त १-९
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धन दे ने वाले इं २
दानी इं ३
व ण क तु त ४
सोम क तु त ५-८
अ दे व ारा आ म शंसा ९
२. इं क तु त १-७
सूय क तु त २
व धारी इं ३
इं क तु त ४
थ और स थ ५
वायु क तु त ६
इं क तु त ७
३. जाप त क तु त १-१३
सोम क तु त २-३
अ न क तु त ४
तु तय क उ प ५
आनंदकारी सोमरस ६
आरामदायी रा ७
काशमान अ न ८
दे वगण क तु त ९
यजमान क यशकामना १०
इं क तु त ११
सव व प आ मा १२
र कअ न १३
४. अ न क तु त १-१२
ऋतुएं २
पूण पु ष ३-७
वगलोक और पृ वीलोक क ८तु त
इं क तु त ९
तेज वता १०
इं क तु त ११-१२
५. अ न क तु त १-१४
अ दे ने व आयु बढ़ाने क ाथना
१
सूय क तु त २-१४
उ रा चक
१. १. यजमान को संबोधन १-९
द सोमरस २
सोम क तु त ३
उ वल सोमरस ४
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सोम क तु त ५-९
२. अ न क तु त १-१२
म और व ण क तु त ४-६
इं क तु त ७-९
अ न क तु त १०-१२
३. सोम क तु त १-८
उशना ऋ ष ८
४. इं क तु त १-९
आदरणीय सोम ४
इं क तु त ५-७
सहायक इं ८
इं क तु त ९
५. इं हेतु सोमरस १-१४
रा सनाशक सोम २
सोम क तु त ३-५
चमक ला सोमरस ६
से सोमरस ७-८
सोम क तु त ९
यजमान सहायक सोमरस १०
नाशक सोम ११
क याणकारी सोम १२
मधुर सोमरस १३
ापक सोमरस १४
६. यजमान को संबोधन १-१०
क याणकारी अ न २
अ न क तु त ३-५
इं क तु त ६-१०
३. १. सोम क तु त १-१५
फू तदायी सोमरस ४
सोम क तु त ५-१५
२. य संचालक अ न १-१३
अ न क तु त २-३
म और व ण का आ ान ४-६
सामगान से इं क तु त ७
आभूषणधारी इं ८
इं क तु त ९-१०
इं और अ न क उपासना ११-१३
३. सोम क तु त १-६
४. इं क तु त १-६
यजमान को संबोधन ३
र क इं ४
इं क तु त ५
श धारी इं ६
५. सोम क तु त १-९
अपूव सोम ८
हतकारी सोम ९
६. इं क तु त १-६
४. १. सोम क तु त १-१४
२. अ न क तु त १-१२
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म क तु त ४-६
म द्गण क तु त ७-८
इं क तु त ९-१२
३. सोम क तु त १-६
४. इं क तु त १-७
५. यजमान क वाणी १-९
सोम क उपासना २
सोम क तु त ३-४
इं क तु त ५
इं के सखा ६
प व सोम ान के वामी८
सूय क तु त ९
६. यजमान को संबोधन १-८
अ न क तु त २
इं क तु त ३-८
५. १. सोम क तु त १-१२
२. सोम क तु त १-९
३. अ न क तु त १-१२
म और व ण क तु त ४-५
यजमान को संबोधन ६
वैभववान इं ७
पवतप त इं ८
यजमान को संबोधन ९
अ न क तु त १०-१२
४. सोम क तु त १-८
अ ण आभा वाला सोमरस ७
५. इं क तु त १-८
राजा इं ७
यजमान को संबोधन ८
६. सोम क तु त १-११
सूय क तु त ५
सोमरस का प र करण ७
सवलोक जनक सोम ९
सव ा त सोम १०
७. यजमान को संबोधन १-९
अ न क तु त ३
इं क तु त ४-५
यजमान को संबोधन ६
इं क तु त ७-९
६. १. सोम क तु त १-१३
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इं क तु त ८, १०
२. सोम क तु त १-१४
३. अ न क तु त १-१२
सूय क तु त ४-५
म और व ण क तु त ६
इं क तु त ७-१२
४. सोम क तु त १-८
इं और सोम क तु त ८
५. इं क तु त १-६
६. सोम क तु त १-१४
७. अ न क तु त १-९
ा ण को संबोधन ४
७. १. सोम क तु त १-१६
शो धत सोमरस ९
श दायी सोमरस १२
२. सोम क तु त १-१७
यजमान को संबोधन ४
मददायी सोमरस १५
३. अ न क तु त १-१२
म और व ण क तु त ४-६
इं क तु त ७-१२
४. सोम क तु त १-८
५. इं क तु त १-९
६. सोम क तु त १-१४
यजमान को संबोधन ६
७. अ न क तु त १-९
इं क तु त ४-५
च क सा ६
उपासक को संबोधन ७
९. १. सोम क तु त १-१२
२. वायु और इं के न म सोम १-९
ा ण को संबोधन २
सोम क तु त ३-९
३. सोम क तु त १-९
यजमान को संबोधन २
प व सोमरस ५
मधुमय सोमरस ६
४. सोम क तु त १-५
५. सोम क तु त १-९
वकार र हत सोमरस ४
इं सहायक सोम ९
६. दे वगण को संबोधन १-६
अ न २
अ न क तु त ३
समथ इं ४
ब ल इं ५
इं क तु त ६
७. पुरो हत को संबोधन १-१०
सोम क तु त २
यजमान को संबोधन ३
शंसनीय सोमरस ४
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श धारी सोम ५
सोम क तु त ६
इं क तु त ७-१०
८. सोम क तु त १-९
तेज वी सोमरस ६
९. अ न क तु त १-९
त तअ न २
इं क तु त ३-९
१५. १. अ नक तु त १-११
२. अ नक तु त १-१०
३. अ नक तु त १-८
४. अ नक तु त १-९
१६. १. इं क तु त १-१२
अ न क तु त ११-१२
२. व ण क तु त १-८
इं क तु त २-५
सोम क तु त ६-८
३. पूषा दे व १-१२
म द्गण क तु त २-३
वगलोक ४
दे वी ५-६
इं क तु त ७-९
गौएं १०
सोमरस का वसजन ११
यजमान क याचना १२
४. इं क तु त १-१२
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सोम क तु त ७-८
सुख याचना ९
सव ा इं १०
यजमान को संबोधन ११-१२
१७. १. अ न क तु त १-११
यजमान को संबोधन ४
इं क तु त ५-६
व णु क तु त ९-११
२. वायु क तु त १-११
इं क तु त २-३
सोम क तु त ४
मददायी सोमरस ५
सोम क उपासना ६
अ न क तु त ७-९
व नहारी व र क इं १०-११
३. य १-९
इं शंसा २
सूय शंसा ३
इं क तु त ४-९
४. अ न का आ ान १-९
वृ ासुरहंता इं ५
ओजवान इं ६
इं तु त ७-८
यजमान को संबोधन ९
१९. १. अ न क तु त १-१४
सोम क तु त ४-७
इं क तु त ८-१४
२. सूय पु ी उषा १-१२
उषा तु त ४, ७-९
अ नीकुमार क तु त ५-६, १०-१२
३. अ न तु त १-९
उषा तु त ४-६
अ नीकुमार क तु त ७-९
४. अ न क तु त १-९
उषा क तु त ४-५
उषा और रा ६
अ न और उषा ७
अ नीकुमार क तु त ८-९
५. उषा क तु त १-१०
यजमान को लोभन ३
अ न, सूय, उषा ४
अ नीकुमार ५
अ नीकुमार को संबोधन ६
सोम क तु त ७-१०
२१. इं क तु त १-२७
पाप को संबोधन १३
मनु य को संबोधन १४
अ भमं त बाण १५
दे वगण को संबोधन २६
सवदे व उपासना २७
आ नेय पव
पहला अ याय
पहला खंड
अ न आ या ह वीतये गृणानो ह दातये. न होता स स ब ह ष.. (१)
हे अ न! हम सब आप क तु त (पूजा) करते ह. य म आप को आमं त करते ह.
आप आ कर कुश (घास) के आसन पर बै ठए. आप ह व (अ न म डाली जाने वाली प व
चीज) दे वता तक प ंचाइए. (यह माना जाता है क हम अ न म जो पदाथ डालते ह, वे
अ न के ारा मं से संबं धत दे वता तक प ंचते ह). (१)
वम ने य ाना होता व ेषा हतः. दे वे भमानुषे जने.. (२)
हे अ न! आप य के पुरो हत ह. आप सब का क याण करने वाले ह. दे वता ने ही
आप को मनु य (जन ) के बीच म था पत कया है. (२)
अ नं त वृणीमहे होतारं व वेदसम्. अ य य य सु तुम्.. (३)
हे अ न! आप सब कुछ जानने वाले ह. आप धन के वामी ह. इस य को अ छ
तरह करने के लए हम आप को त मान कर भेज रहे ह. (ह व अ न के मा यम से संबं धत
दे वता तक प ंचती है, इस लए अ न को दे वता का त माना जाता है). (३)
अ नवृ ा ण जङ् घनद् वण यु वप यया. स म ः शु आ तः.. (४)
हे अ न! आप अपने पूजक को धन दे ने वाले ह. स मधा ( जस से य क अ न
व लत क जाती है) से आप को अ छ तरह का शत कया गया है. आप हमारी तु त से
स होइए. य म व न डालने वाल (रा स एवं वृ य ) को न क जए. (४)
े ं वो अ त थ तुषे म मव यम्. अ ने रथं न वे म्.. (५)
हे अ न! आप पूजक को धन दे ने वाले ह. उ ह म क तरह ब त य ह. मेहमान
क तरह पूजा करने यो य ह. आप हमारी पूजा से स होइए. (५)
सरा खंड
नम ते अ न ओजसे गृण त दे व कृ यः. अमैर म मदय.. (१)
हे अ न! बल चाहने वाले मनु य आप को नम कार करते ह. म भी आप को नम कार
करता ं. आप अपने बल से मन का नाश क जए. (१)
तं वो व वेदस ह वाहमम यम्. य ज मृ से गरा.. (२)
हे अ न! आप ान के वामी ह. आप ह व को दे वता तक ले जाने वाले ह. आप
दे वता के त ह. म आप क कृपा पाने के लए ाथना करता ं. (२)
उप वा जामयो गरो दे दशतीह व कृतः. वायोरनीके अ थरन्.. (३)
हे अ न! यजमान क वाणी से कट होने वाली े तु तयां आप का गुणगान कर
रही ह. हम आप को वायु के पास था पत करते ह. (३)
उप वा ने दवे दवे दोषाव त धया वयम्. नमो भर त एम स.. (४)
हे अ न! हम आप के स चे भ ह. दनरात आप क पूजा करते ह. दनरात आप का
तीसरा खंड
अ नं वो वृध तम वराणां पु तमम्. अ छा न े सह वते.. (१)
हे ऋ वजो (उपासको)! अ न तु हारे अ हसक य म सहायक, े (उ म), सब के
हतकारी व बलशाली ह. तुम वाला (लपट ) से बढ़ते ए अ न क सेवा म जाओ. (१)
अ न त मेन शो चषा य स ं य३ णम्. अ नन व सते र यम्.. (२)
******ebook converter DEMO Watermarks*******
अ न अपनी तेज लपट से रा स और अ य व न को न कर. अ न हम सब कार
का धन (सुख) दान कर. (२)
अ ने मृड महाँ अ यय आ दे वयुं जनम्. इयेथ ब हरासदम्.. (३)
हे अ न! आप हम सुख द जए. आप महान व ग तशील यानी साम यवान ह. आप
दे वता के दशन के इ छु क यजमान के पास कुश (घास) के आसन पर वराजने के लए
यहां पधा रए. (३)
अ ने र ा णो अ हसः त म दे व रीषतः. त प ैरजरो दह.. (४)
हे अ न! आप पाप से हमारी र ा क जए. आप द तेज वाले ह. आप अजर
(बुढ़ापे से र हत) ह. आप हमारा नुकसान करने क इ छा रखने वाले श ु को अपने
तेजताप से भ म कर द जए. (४)
अ ने युङ् वा ह ये तवा ासो दे व साधवः. अरं वह याशवः.. (५)
हे अ न! अपने तेज ग त वाले े और कुशल घोड़ को (यहां पधारने के लए) रथ म
जो तए. (५)
न वा न य व पते ुम तं धीमहे वयम्. सुवीरम न आ त.. (६)
हे अ न! हम आप क शरण म ह. यजमान आप को आमं त करते ह. आप क पूजा
करते ह. आप क पूजा से सब कार के सुख ा त होते ह. हम ने दय से आप को यहां
था पत कया है. (६)
अ नमूधा दवः ककु प तः पृ थ ा अयम्. अपा रेता स ज व त.. (७)
हे अ न! आप सव च (सब से ऊंचे) ह. आप वगलोक और पृ वीलोक का पालन
करने वाले ह. आप इन के वामी ह. आप जल के सारे जीव को जीवन दे ते ह और काम म
लगाते ह. (७)
इममू षु वम माक स न गाय ं न सम्. अ ने दे वेषु वोचः.. (८)
हे अ न! आप हमारी इस ह व को दे वता तक प च ं ाइए. हम गाय ी छं द म आप क
ाथना कर रहे ह. आप हमारी इन दोन चीज को दे वता तक प ंचा द जए. (८)
तं वा गोपवनो गरा ज न द ने अ रः. स पावक ुधी हवम्.. (९)
हे अ न! गोपवन ऋ ष ने आप को अपनी तु त से उ प कया है. आप अंग म रस
के प म नवास करते ह. आप प व करने वाले ह. आप हमारी ाथना सु नए. (९)
प र वाजप तः क वर नह ा य मीत्. दध ना न दाशुषे.. (१०)
हे अ न! आप सव व अ के वामी ह. आप ह व के प म दए गए पदाथ को
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वीकार करते ह. उन ह वय को ा त करते ह यानी दे वता तक प ंचाते ह. आप
दानशील लोग को धनधा य दान करते ह. (१०)
उ यं जातवेदसं दे वं वह त केतवः. शे व ाय सूयम्.. (११)
सारे भुवन को दे खने के लए सूय क करण जस से उ प ई ह, ऐसे सूय के पम
वे अ न को भलीभां त धारण कए रहती ह. (११)
क वम नमुप तु ह स यधमाणम वरे. दे वममीवचातनम्.. (१२)
हे ऋ वजो (य करने वालो)! इस य म आप सब ान वाले अ न क तु त
क जए. वे स य धम से यु ह. वे श ु का (रोग का) नाश करने वाले ह. (१२)
शं नो दे वीर भ ये शं नो भव तु पीतये. शं योर भ व तु नः.. (१३)
हमारा क याण हो. द जल हमारे पीने के लए क याणकारी हो. जल रोग शांत
करने वाला हो. जल सुखशां त दे ते ए अमृत प म वा हत हो. (१३)
क य नूनं परीण स धयो ज व स स पते. गोषाता य य ते गरः.. (१४)
हे अ न! आप स य (स जन) के पालनहार ह. आप इस समय कस तरह के मानव के
कम को स य माग ( ज) तक प ंचा रहे ह. कस कम से आप क कृपा गौ को ा त
कराने वाली होगी. (१४)
चौथा खंड
य ाय ा वो अ नये गरा गरा व द से.
वयममृतं जातवेदसं यं म ं न श सषम्.. (१)
हे अ न! आप सब कुछ जानने वाले व अमर ह. आप म क तरह सहयोग करने
वाले ह. हम आप क तु त करते ह. हे ोताओ! आप भी ऐसे अ न क तु त क जए. (१)
पा ह नो अ न एकया पा ३ त तीयया.
पा ह गी भ तसृ भ जा पते पा ह चतसृ भवसो.. (२)
हे अ न! आप पहली तु त से हमारी र ा क जए. सरी तु त से हम संर ण दान
क जए. तीसरी तु त से हमारी र ा (पालनपोषण प) क जए. चौथी तु त से आप
हमारी सब कार से र ा क जए. हे अ न! आप सब को संर ण दे ने वाले ह. (२)
बृह र ने अ च भः शु े ण दे व शो चषा.
भर ाजे स मधानो य व रेव पावक द द ह.. (३)
हे अ न! आप बड़ी वाला वाले व युवा ह. आप संप ता व प व ता दे ने वाले ह.
पांचवां खंड
एना वो अ नं नमसोज नपातमा वे.
यं चे त मर त व वरं व य तममृतम्.. (१)
हे उपासको! अ से श दे ने वाले (बल के पु ), पूण ानी, नेह दे ने वाले, सुंदर य
वाले दे वता के त अ न को म नम कारपूवक ाथना से आमं त करता ं. (१)
शेषे वनेषु मातृषु सं वा मतास इ धते.
अत ो ह ं वह स ह व कृत आ द े वेषु राज स.. (२)
हे अ न! आप वन म ा त ह. आप माता म गभ के प म ा त ह. आप शेष
पदाथ म भी फैले ह. हम मनु य स मधा ारा आप को व लत करते ह. आप आल य
र हत ह. आप यजमान क ह व दे वता तक प ंचाते ह. आप दे वता के म य (बीच म)
सुशो भत होते ह. (२)
अद श गातु व मो य म ता यादधुः.
उपो षु जातमाय य वधनम नं न तु नो गरः.. (३)
धम के माग को पूरी तरह जानने वाले अ न कट हो रहे ह. इन के मा यम से य के
नयम पूरे कए जाते ह. अ न आय को ग त दे ने वाले ह. वे वाणी प म क जा रही
हमारी ाथना को वीकार करने क कृपा कर. (३)
अ न थे पुरो हतो ावाणो ब हर वरे.
ऋचा या म म तो ण पते दे वा अवो वरे यम्.. (४)
तो वाले हसा र हत य म सब से पहले अ न दे वता क थापना क जाती है.
सोमलता से रस नकालने वाले प थर एवं आसन भी था पत कए जाते ह. हे म तो! हे
ण प त! हे दे व! हम वेदमं ारा अपनी र ा का अनुरोध करते ह. (४)
अ नमी ड वावसे गाथा भः शीरशो चषम्.
अ न राये पु मीढ ुतं नरो ऽ नः सुद तये छ दः.. (५)
छठा खंड
दे वो वो वणोदाः पूणा वव ् वा सचम्.
उ ा स वमुप वा पृण वमा द ो दे व ओहते.. (१)
अ न धन दे ने वाले ह. इस लए हे होताओ! य म अ छ तरह भरे ए ुक (एक
सातवां खंड
आ जुहोता ह वषा मजय वं न होतारं गृहप त द ध वम्.
इड पदे नमसा रातह सपयता यजतं प यानाम्.. (१)
हे ऋ वजो (यजमानो)! आप अ न दे व को आमं त क जए. आप सब ओर शु ता
फैलाने वाली ह व अ न दे व को दान क जए. गृहप त गृह क र ा करने वाली अ न क
थापना कर. हवन क चीज के साथसाथ आप तु त कर के उन का वागतस कार कर.
(१)
च इ छशो त ण य व थो न यो मातराव वे त धातवे.
अनूधा यदजीजनदधा चदा वव स ो म ह यां ३ चरन्.. (२)
हे अ न! बाल एवं त ण (युवा) प आप का ह व प ंचाना ब त आ य वाला है.
आप पैदा होने के बाद ध पीने के लए अपनी दोन ही माता (पृ वी और अर णय ) के
पास नह जाते, ब क अ छे त क भू मका नभाते ए दे वता के पास ह व प ंचाने
जाते ह. (२)
इदं त एकं पर ऊ त एकं तृतीयेन यो तषा सं वश व.
संवेशन त वे ३ चा रे ध यो दे वानां परमे ज न े.. (३)
हे मृ यु धम वाले मनु य! अ न तु हारा एक भाग है. वायु तु हारा सरा भाग (शरीर)
है. सूय प तीसरे भाग (तेज) से तुम मलते हो. उन से मु हो कर मुन य तेज वी प
ा त करता है. अथात् मनु य को पावन थान म ज म ले कर दे व श य के लए य तथा
े बनना चा हए. ( पछले मं म मृ यु के बाद पुनः कृ त म मलने क या बताई है).
(३)
इम तोममहते जातवेदसे रथ मव सं महेमा मनीषया.
भ ा ह नः म तर य स स ने स ये मा रषामा वयं तव.. (४)
हे अ न! आप सब कुछ जानने वाले ह. हम तो प को रथ के समान उ म बु से
तैयार करते ह. हे अ न! हम आप के म ह. हम कसी कार का कोई क न हो. (४)
नौवां खंड
अ न ओ ज मा भर ु नम म यम गो.
नो राये पनीयसे र स वाजाय प थाम्.. (१)
हे अ न! आप हम खूब बल तथा धन द जए. आप बेरोकटोक ग त वाले ह. धन का
माग हम दखाइए. आप अ और बल वाला माग हम दखाइए. (१)
य द वीरो अनु याद न म धीत म यः.
आजु मानुषक् शम भ ीत दै म्.. (२)
हे अ न! मनु य वीर पु को पाने के लए आप को व लत करे. हवन के पदाथ से
सदा हवन करे. आप क कृपा से सदा परम सुख ा त करे. (२)
वेष ते धूम ऋ व त द व स छु आततः.
सूरो न ह ुता वं कृपा पावक रोचसे.. (३)
हे अ न! व लत होने के बाद आप का धुआं आकाश म फैलता है. बादल प म
बदल जाता है. आप प व करने वाले ह. तु त के भाव से आप सूय के समान का शत
होते ह. (३)
व ह ैतव शो ऽ ने म ो न प यसे.
दसवां खंड
सोम राजानं व णम नम वारभामहे.
आ द यं व णु सूय ाणं च बृह प तम्.. (१)
हम सोम, राजा, व ण, अ न, अ द त के पु , व णु, सूय एवं ा को बारबार याद
करते ए आमं त करते ह. अथात् इन सभी दे वता को तु तय से आमं त करते ह. (१)
इत एत उदा ह दवः पृ ा या हन्.
भूजयो यथा पथोद् ाम रसो ययुः.. (२)
य करने वाले आं गरस ऋ ष वगलोक को प ंचे. उसी के भाव से और भी ऊपर
गए. (२)
राये अ ने महे वा दानाय स मधीम ह.
ई ड वा ह महे वृषं ावा हो ाय पृ थवी.. (३)
हे अ न! हम ब त धन दान के लए आप को द त करते ह. आप वरदान क वषा
करने वाले ह. महान य के लए वगलोक और पृ वीलोक क तु त करते ह. (३)
दध वे वा यद मनु वोचद् े त वे तत्.
प र व ा न का ा ने म मवाभुवत्.. (४)
हे अ न! आप को संबो धत कर के अ वयु आ द पुरो हत तो उचारते ह. आप सब
कुछ जानते ह. आप सब कम को वैसे ही वश म रखते ह, जैसे प हए गाड़ी को. (४)
य ने हरसा हरः शृणा ह व त प र.
यातुधान य र सो बलं यु जवीयम्.. (५)
हे अ न! आप अपने तेज से यातना दे ने वाले रा स को सब ओर ( कार) से न कर
द जए. (५)
वम ने वसू रह ाँ आ द याँ उत.
यजा व वरं जनं मनुजातं घृत ुषम्.. (६)
हे अ न! आप यहां वसु, एवं आ द य दे वता के लए य क जए. आप उ म य
करने वाले, घी से स चने वाले, मनु से उ प ए मनु य का स कार (मनोकामना स
ारा) क जए. (६)
बारहवां खंड
म ह ाय गायत ऋता ने बृहते शु शो चषे. उप तुतासो अ नये.. (१)
हे तु त करने वालो! अ न य व स य के पालनहार ह. वे महान तेज वाले ह. आप
ऐसे महान र क अ न क तु त क जए. (१)
सो अ ने तवो त भः सुवीरा भ तर त वाजकम भः.
यय व स यमा वथ.. (२)
हे अ न! आप जन यजमान के म हो जाते ह, वे अ बल क र ा करने वाली े
संतान ा त करते ह. (२)
तं गूधया वणरं दे वासो दे वमर त दध वरे. दे व ा ह मू हषे.. (३)
हे तु त करने वालो! वग म दे वता तक ह व प ंचाने वाले अ न क तु त करो.
आप जस दे वता को इ मान कर पूजते ह, आप क ह व अ न उस दे वता तक प ंचा दे ते
ह. (३)
मा नो णीथा अ त थ वसुर नः पु श त एषः. यः सुहोता व वरः.. (४)
अ न य म मेहमान क तरह ह. उ ह य से र मत ले जाओ. वे दे वता को बुलाने
वाले ह. वे सुखशां त दे ने वाले ह. वे अनेक लोग ारा पू जत व सब को बसाने वाले ह. (४)
भ ो नो अ नरा तो भ ा रा तः सुभग भ ो अ वरः. भ ा उत श तयः.. (५)
हे अ न! आप को ह वय से तृ त कया है. आप हमारा क याण क जए. आप
ऐ यशाली ह. हम शुभ धन दान क जए. हम क याणकारी य ा त कराइए. हमारी
ाथनाएं हमारे लए मंगलमयी ह . (५)
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य ज ं वा ववृमहे दे वं दे व ा होतारमम यम्. अ य य य सु तुम्.. (६)
हे अ न! आप दे व म े ह. आप े य कराने वाले ह. आप अमर ह. इस य को
अ छ तरह पूरा करने वाले ह. हम आप क तु त करते ह. (६)
तद ने ु नमा भर य सासाह सदने कं चद णम्. म युं जन य म्.. (७)
हे अ न! आप हम तेज वी बनाइए. आप हम यश दान क जए. य म व न प ंचाने
वाले को हम वश म कर सक. उन का तर कार कर सक. आप बु वाले लोग क
बु ठ क क जए. आप उन के ोध को र क जए. (७)
य ा उ व प तः शतः सु ीतो मनुषो वशे.
व दे नः त र ा स सेध त.. (८)
हे अ न! आप यजमान के पालनहार ह. ह वय से तृ त और स होने पर आप जब
तक मनु य के घर रहते ह तब तक उन के सभी क र करते ह. यह बात जग स है.
(८)
पहला खंड
त ो गाय सुते सचा पु ताय स वने. शं यद्गवे न शा कने.. (१)
हे तु त करने वालो! सोम तैयार करने के बाद ब त से यजमान जन क तु त करते ह
जो धन दाता ह, तुम उन इं के लए ाथना करो. वे ाथनाएं उ ह उसी कार सुख दे ती ह,
जस कार गाय को घास. (१)
य ते नून शत त व ु नतमो मदः. तेन नूनं मदे मदे ः.. (२)
हे इं ! आप सैकड़ कम करने वाले ह अथवा आप सैकड़ कार का ान रखने वाले
ह. वह सोमरस हम ने आप ही के लए नकाला था. आप उस रस को पी कर आनं दत होइए
और हम भी आनंद दान क जए. (२)
गाव उप वदावटे मही य य र सुदा. उभा कणा हर यया.. (३)
हे गौओ! आप य थान क ओर जाइए. आप धा मक य वधा के लए ध आ द
दान क जए. आप के दोन कान वण से सुशो भत ह. (३)
अरम ाय गायत ुतक ारं गवे. अर म य धा ने.. (४)
हे तु त करने वालो! इं के घोड़े, गाय व इं धाम के लए पूरी तरह वै दक तु तयां
गाइए. (४)
त म ं वाजयाम स महे वृ ाय ह तवे. स वृषा वृषभो भुवत्.. (५)
हे इं ! आप उस बड़े रा स (वृ ासुर) को मारने वाले ह. आप व के समान बलवान
ह. हम अपनी सहायता के लए आप को आमं त करते ह. आप धन दाता ह. हम धन दान
क जए. (५)
वम बलाद ध सहसो जात ओजसः. व स वृष वृषेद स.. (६)
हे इं ! आप श ु को हराने वाले ह. आप बल और दय के धैय के कारण स ह.
आप वरदान तथा मनोवां छत फल को दे ने वाले ह. (६)
य इ मवधय म वतयत्. च ाण ओपशं द व.. (७)
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हे इं ! अंत र म मेघ को फैला कर आप ने बरसात आ द से पृ वी को बढ़ाया (समृ
कया). हम यजमान के य ने आप का यश बढ़ाया है. (७)
य द ाहं यथा वमीशीय व व एक इत्. तोता मे गोसखा यात्.. (८)
हे इं ! जैसे आप अकेले सम त वैभव के वामी ह, य द वैसे ही म भी सारे वैभव का
वामी हो जाऊं तो मेरी तु त करने वाले गौ आ द धनधा य वाले हो जाएं. (८)
प यंप य म सोतार आ धावत म ाय. सोमं वीराय शूराय.. (९)
सोमरस नकालने वाले पुरो हतो! आप शूरवीर इं के लए सोमरस अ पत क जए.
यह सोमरस सव शंसा के यो य है. (९)
इदं वसो सुतम धः पबा सुपूणमुदरम्. अनाभ य रमा ते.. (१०)
हे इं ! आप अंतयामी ह. यह सोमरस ली जए. अपनी स ता के लए इसे पी जए,
जस से आप का पेट पूरी तरह भर जाए. आप सब ओर से नभय ह. (१०)
सरा खंड
उद्घेद भ ुतामघं वृषभं नयापसम्. अ तारमे ष सूय.. (१)
उद यमान इं (सूय प म) े वीर, धन दे ने वाले व मनु य के हतकारी ह. वे उदार
वभाव के ह और (श ु पर) श हार करने वाले ह. (१)
यद क च वृ ह ुदगा अ भ सूय. सव त द ते वशे.. (२)
हे इं ! आप जल रोकने वाले मेघ को न करते ह. अभी उ दत ए आप से सब कुछ
का शत हो रहा है. सब कुछ आप के अधीन है. (२)
य आनय परावतः सुनीती तुवशं य म्. इ ः स नो युवा सखा.. (३)
हे इं ! तुवश और य को श ु ने र फक दया था, आप अपनी े नी त से उ ह
फर पास लौटा लाए. आप युवा ह. आप हमारे म हो जाइए. (३)
मा न इ ा या ३ दशः सूरो अ ु वा यमत्. वा युजा वनेम तत्.. (४)
हे इं ! रा स चार ओर से श बरसाने वाले व सब ओर वचरण करने वाले ह. आप
कृपा क जए जस से ऐसे रा स हमारी ओर न आ सक. आप क सहायता से हम ऐसे
रा स को न कर सक. (४)
ए सान स रय स ज वान सदासहम्. व ष मूतये भर.. (५)
हे इं ! आप हमारे संर ण के लए, भोग के लए तथा श ु पर वजय पाने के लए
हम ब त सा धन द जए. (५)
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इ ं वयं महाधन इ मभ हवामहे. युजं वृ ेषु व णम्.. (६)
हे इं ! हम थोड़ा धन होने पर भी ब त धन वाले आप को बुलाते ह. हम छोट बड़ी
सभी वप य से र ा करने वाले तथा श ु का नाश करने म सहायक आप को आमं त
करते ह. (६)
अ पब क वः सुत म ः सह बा े . त ाद द पौ यम्.. (७)
हे इं ! आप ने क से नकाले ए सोमरस को पीया. आप ने हजार भुजा वाले श ु
को मारा. आप क वीरता उसी समय का शत ई. (७)
वय म वायवो ऽ भ नोनुमो वृषन्. व वा ३ य नो वसो.. (८)
हे इं ! आप कामना क वषा करने वाले ह. हम आप क कामना करते ह. आप क
ओर मुंह कर के बारबार णाम करते ह. आप सव ापक ह. आप हमारे तो (क भावना)
को समझ ली जए. (८)
आ घा ये अ न म धते तृण त ब हरानुषक्. येषा म ो युवा सखा.. (९)
चर युवा इं े अ न को व लत करने वाले यजमान के म ह. य करने वाले
उन के लए कुश का आसन बछाते ह. (९)
भ ध व ा अप षः प र बाधो जही मृधः. वसु पाह तदा भर.. (१०)
हे इं ! आप े ष करने वाले सारे श ु का नाश क जए. व न डालने वाले श ु
को हराइए. हम यश दे ने वाला भरपूर धन दान क जए. (१०)
तीसरा खंड
इहेव शृ व एषां कशा ह तेषु य दान्. न यामं च मृ ते.. (१)
म द्गण के हाथ म चाबुक है. उन चाबुक से जो आवाज होती है, वह हम सुनाई दे ती
है. ये आवाज ( व नयां) यु म अनेक कार क वीरता द शत करती ह. (१)
इम उ वा व च ते सखाय इ सो मनः. पु ाव तो यथा पशुम्.. (२)
हे इं ! यजमान हाथ म सोमरस ले कर आप क ओर उसी तरह एका च हो कर
दे ख रहे ह, जैसे पशु पालक घास हाथ म ले कर ेम भाव से पशु क ओर दे खता है. (२)
सम य म यवे वशो व ा नम त कृ यः. समु ायेव स धवः.. (३)
हे इं ! सारी जा (जनता) न तापूवक वैसे ही आक षत हो रही है, जैसे समु क
ओर जाने वाली न दयां. (३)
दे वाना मदवो मह दा वृणीमहे वयम्. वृ णाम म यमूतये.. (४)
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हे दे वताओ! आप का संर ण पूजनीय व महान है. आप सारी इ छा को पूरा करते
ह. यह संर ण हमारे लए धन प है. हम अपने संर ण के लए आप से चार ओर से (सब
ओर से) ाथना करते ह. (४)
सोमाना वरणं कृणु ह ण पते. क ीव तं य औ शजः.. (५)
हे ण प त! आप सोम य करने वाले उ शज के पु क ीवान को का शत करने
क कृपा क जए. (५)
बोध मना इद तु नो वृ हा भूयासु तः. शृणोतु श आ शषम्.. (६)
हे इं ! आप वृ नामक रा स को मारने वाले ह. आप के लए ब त से लोग सोमरस
तैयार करते ह. आप हमेशा हमारे मनोरथ को जानने वाले ह. आप यु म श ु का नाश
करने वाले ह. आप साम यवान ह. कृपया आप हमारी तु त सु नए. (६)
अ ा नो दे व स वतः जाव सावीः सौभगम्. परा ः व य सुव.. (७)
हे सूय! आप हम पु पौ स हत धन दान क जए. गरीबी बुरे सपने क तरह
ःखदायी है. आप उसे र क जए. (७)
व ३ य वृषभो युवा तु व ीवो अनानतः. ाक त सपय त.. (८)
हे इं ! आप समथ व युवा ह. आप इ छाएं पूरी करने वाले ह. आप बलवान ह. आप
कसी के सामने झुकने वाले नह ह. आप कहां ह? इस समय कौन ानी आप क पूजा कर
रहा है? (८)
उप रे गरीणा स मे च नद नाम्. धया व ो अजायत.. (९)
पवत पर और न दय के संगम पर बु से क ई ाथना को सुनने के लए बु मान
इं कट होते ह. (९)
सं ाजं चषणीना म तोता न ं गी भः. नरं नृषाहं म ह म्.. (१०)
मनु य म इं भली कार का शत ह. वे तु त करने यो य ह. श ु को जीतने वाले
ह. हम उन महान इं क तु त करते ह. (१०)
चौथा खंड
अपा श य धसः सुद य हो षणः. इ दो र ो यवा शरः.. (१)
हे इं ! आप सुंदर ठोड़ी वाले और सुंदर मुकुट धारण करने वाले ह. यजमान ह व दे ने म
वशेष कुशल ह. आप ने ध और जौ से बनाए ए सोमरस को हण कया. (१)
इमा उ वा पु वसो ऽ भ नोनुवु गरः. गावो व सं न धेनवः.. (२)
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हे इं ! आप अनेक कार के वैभव वाले ह. हमारी तु तयां बारबार आप के पास उसी
तरह आना चाहती ह, जैसे ध वाली गाएं बारबार बछड़ क ओर आती ह. (२)
अ ाह गोरम वत नाम व ु रपी यम्. इ था च मसो गृहे.. (३)
ग तमान चं मंडल म सूय का द तेज है, ऐसा व ान् मानते ह अथात् सूय के छप
जाने पर उ ह के काश से चं मा का शत होता है. (३)
य द ो अनय तो महीरपो वृष तमः. त पूषाभुव सचा.. (४)
हे इं ! आप ब त बरसात के प म जल वा हत करते ह, इस लोक तक प ंचाते ह
तब पूषा दे वता आप के सहायक होते ह. वे पोषण करने म समथ दे वता ह. (४)
गौधय त म ता व युमाता मघोनाम्. यु ा व रथानाम्.. (५)
पृ वी माता धनसंप ह. वे म त के रथ म जुड़ी ई ह. वे सब ओर पू जत ह. वे अ
आ द उ प कर के अपने पु का पालनपोषण करती ह. (५)
उप नो ह र भः सुतं या ह मदानां पते. उप नो ह र भः सुतम्.. (६)
हे इं ! आप सोम के वामी ह. हम ने आप के लए सोमरस नचोड़ कर रखा है. आप
अपने हजार घोड़ से (स हत या मा यम से) हमारे इस य म पधा रए. आप ज द और
बारबार पधा रए. (६)
इ ा हो ा असृ ते ं वृध तो अ वरे. अ छावभृथमोजसा.. (७)
हे इं ! हम यजमान बारबार आप क तु त करते ह. हम अपने तेज से य ख म होने
पर होने वाले नान तक बारबार आप के लए आ त दान करते ह. (७)
अह म पतु प र मेधामृत य ज ह. अह सूय इवाज न.. (८)
हे इं ! आप पालनकता ह. हम ने आप क बु को अपनी ओर आक षत कर लया
है. यानी हम ने आप क कृपा ा त कर ली है. अब हम सूय दे व के समान का शत हो गए
ह. (८)
रेवतीनः सधमाद इ े स तु तु ववाजाः. ुम तो या भमदे म.. (९)
हे इं ! आप क कृपा से हम धनधा य संप हो कर स हो जाते ह. हमारी गाय पर
भी आप क कृपा हो. वे भी अ धक अ और ध दे ने वाली हो जाएं. (९)
सोमः पूषा च चेततु व ासा सु तीनाम्. दे व ा र यो हता.. (१०)
सोम और पूषा दे वता के रथ म वराजमान ह. वे इसी रथ म बैठने यो य ह. वे सभी
मनु य का उ साह बढ़ाने वाले ह. (१०)
छठा खंड
इद वोजसा सुत राधानां पते. पबा वा ३ य गवणः.. (१)
हे इं ! आप धन के वामी ह. आप ाथना करने यो य ह. हम ने ब त मेहनत से आप
के लए सोमरस नचोड़ा है. आप चपूवक इसे हण क जए. (१)
महाँ इ ः पुर नो म ह वम तु व णे. ौन थना शवः.. (२)
हे इं ! आप महान ह. आप के गुण े ह. आप व धारी ह. आप क क त वगलोक
क तरह फैले. आप के बल क चार ओर शंसा हो. (२)
आ तू न इ ुम तं च ं ाभ सं गृभाय. महाह ती द णेन.. (३)
हे इं ! आप बड़ेबड़े हाथ वाले ह. आप हमारे लए यशदायी धन दाएं हाथ म ली जए.
वह धन ब त शंसनीय हो. कई लोग ारा लेने यो य हो. (३)
अभ गोप त गरे मच यथा वदे . सूनु स य य स प तम्.. (४)
हे याजको! य वाले इं गौ के वामी ह. वे यजमान के पालनहार ह. वे य के पु
व स य के र क ह. आप मन से उन क तु त क जए. (४)
कया न आ भुव ती सदावृधः सखा. कया श च या वृता.. (५)
हे इं ! आप सदा बढ़ने वाले ह. आप वल ण ह. आप कस कम, पूजा व ध और भट
से हम पर कृपा करगे? आप कन द तेज से भर कर हमारे पास पधारगे? (५)
यमु वः स ासाहं व ासु गी वायतम्. आ यावय यूतये.. (६)
हे याजको! इं ब त से श ु का नाश करने वाले ह. सभी तु तय म इं का वणन
है. आप अपने संर ण के लए उन का आ ान क जए. (६)
सदस प त तं यम य का यम्. स न मेधामया सषम्.. (७)
हे इं ! आप अपूव, इ छत धन दे ने वाले और े ह. अपनी बु को बढ़ाने के लए
हम ने आप को ा त कया. (७)
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ये ते प था अधो दवो ये भ मैरयः. उत ोष तु नो भुवः.. (८)
हे इं ! वगलोक म नीचे जो रा ता है, जस रा ते से आप पृ वी का संचालन करते ह,
वह रा ता हमारे य थान तक प ंचता है. आप उस रा ते से हमारे य म पधार. (८)
भ ं भ ं न आ भरेषमूज शत तो. य द मृडया स नः.. (९)
हे इं ! आप सैकड़ काम करने वाले ह. आप हम खूब सुखदायी धन व बलशाली
बनाने वाला अ द जए. आप हम सुखी बनाने वाले ह. हे इं ! हम सुख द जए. (९)
अ त सोमो अय सुतः पब य य म तः.
उत वराजो अ ना.. (१०)
हे इं ! हम ने साफ, छान कर यह सोमरस तैयार कया है. तेज वी म द्गण और
अ नी दे वता इस सोमरस का पान करते ह. (१०)
सातवां खंड
ईङ् खय तीरप युव इ ं जातमुपासते. व वानासः सुवीयम्.. (१)
इं क माता उ म बल चाहने वाली ह. वे े काय करने क इ छु क ह. वे इं से
वीरतापूण धन चाहती ह. वे कट ए इं क सेवा करती ह. (१)
न क दे वा इनीम स न या योपयाम स. म ु यं चराम स.. (२)
हे इं ! हम वेद मं के अनुसार आचरण करते ह. हम कसी को नुकसान नह प ंचाते
ह. हम धम ( नयम) के व कोई काम नह करते ह. (२)
दोषो आगाद् बृहद्गाय ुमद्गाम ाथवण. तु ह दे व स वतारम्.. (३)
हे बृह साम का गायन करने वाले, काश वाले माग से जाने वाले अथववेद ा ण!
आप य काय से जाने अनजाने होने वाले दोष को र करने के लए स वता दे वता क तु त
क जए. (३)
एषो उषा अपू ा ु छत या दवः. तुषे वाम ना बृहत्.. (४)
यह उषा अपूव और ब त स ता दे ने वाली है. यह वगलोक से आ कर अंधकार का
नाश करती है. हे उषा के काय सहयोगी अ नीकुमारो! हम आप क वशेष तु त करते ह.
(४)
इ ो दधीचो अ थ भवृ ा य त कुतः. जघान नवतीनव.. (५)
हे इं ! आप को कोई नह जीत सकता. आप ने दधी च क ह ड् डय से बने व से
न यानवे असुर का नाश कया. (५)
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इ े ह म य धसो व े भः सोमपव भः महाँ अ भ रोजसा.. (६)
हे इं ! आप सोमरस के प म अ हण क जए व स होइए. हमारे यहां पधा रए.
अपनी श से हम श मान बनाइए. श ु को जीतने क श द जए. (६)
आ तू न इ वृ ह माकमधमा ग ह. महा मही भ त भः.. (७)
हे इं ! आप श ुनाशक व ब त महान ह. आप हमारे पास ज द आइए. आप अपने
र ा साधन के साथ शी हमारे यहां पधा रए. (७)
ओज तद य त वष उभे य समवतयत्. इ मव रोदसी.. (८)
हे इं ! आप का बल कट होने लगा है. आप वगलोक और पृ वी को चमड़े के समान
फैला रहे ह. (८)
अयमु ते समत स कपोत इव गभ धम्. वच त च ओहसे.. (९)
हे इं ! सोमरस के पास आप उसी तरह बराबर बने रहते ह, जस तरह गभवती
कबूतरी के साथ कबूतर बना रहता है. आप से नवेदन है क आप भी हमारी तु तय के
साथ बने रह. (९)
वात आ वातु भेषज श भु मयोभु नो दे . न आयू ष ता रषत्.. (१०)
वायु हमारे पास शां त और सुखदायी ओष धयां प ंचाएं. ये ओष धयां हमारी आयु
बढ़ाएं. (१०)
आठवां खंड
य र त चेतसो व णो म ो अयमा. न कः स द यते जनः.. (१)
जस यजमान क र ा े ान वाले व ण, म तथा अयमा दे वता करते ह, उस
यजमान का कोई बाल भी बांका नह कर सकता. (१)
ग ो षु णो यथा पुरा योत रथया. व रव या महोनाम्.. (२)
हे इं ! आप हमेशा क तरह गौ का समूह, घोड़ का समूह और यशदायी धन वैभव
दे ने के लए पधा रए. (२)
इमा त इ पृ यो घृतं हत आ शरम्. एनामृत य प युषीः.. (३)
हे इं ! आप क गौएं ब त सुंदर रंग वाली ह. ये स य और य को बढ़ाने वाली ह. ये
हमारे लए घी दे ने वाले ध को टपकाती ह (दे ती ह). (३)
अया धया च ग या पु णाम पु ु त. य सोमेसोम आभुवः.. (४)
नौवां खंड
उ वा म द तु सोमाः कृणु व राधो अ वः. अव षो ज ह.. (१)
हे इं ! सोमरस आप को आनंद दे . हे व धारी इं ! आप हम पर धन बरसाइए. आप
ा ण के े षय का नाश क जए. (१)
गवणः पा ह नः सुतं मधोधारा भर यसे. इ वादात म शः.. (२)
हे इं ! आप तु त करने यो य ह. आप हमारे छाने ए इस सोमरस को पी जए. आप
को सोम क धारा से स चा जाता है. हम आप क कृपा से शु कया आ अ (धन) ा त
होता है. (२)
सदा व इ कृषदा उपो नु स सपयन्. न दे वो वृतः शूर इ ः.. (३)
हे यजमानो! इं हमेशा आप के पास ह. वे पूजा कए जाने पर आप के य क ओर
आते ह. हम ने महान इं का वरण कया है. (३)
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आ वा वश व दवः समु मव स धवः. न वा म ा त र यते.. (४)
हे इं ! जैसे न दयां समु म मलती ह, वैसे ही सोमरस आप म मलता है. आप से बढ़
कर कोई महान नह है. (४)
इ मद्गा थनो बृह द मक भर कणः. इ ं वाणीरनूषत.. (५)
सामगान गाते ए उद्गाता (साम गाने वाले पुरो हत) बृह साम गा कर इं को स
करते ह. पूजा करने वाले मनु य तो से और हम यजमान मं के ारा उ ह स करते
ह. (५)
इ इषे ददातु न ऋभु णमृभु र यम्. वाजी ददातु वा जनम्.. (६)
हम जस इं क तु त कर रहे ह, वे हम े धन दान कर. इं हम उन ऋभु दे वता
को दान कर, जो सोमरस पीने से अमर हो गए. बलवान इं ! हम बलवान छोटे भाई द
ता क हम अ ा त कर सक. (६)
इ ो अ मह यमभी षदप चु यवत्. स ह थरो वचष णः.. (७)
हे इं ! आप थर ह. आप सारे संसार को दे खने वाले व ानी ह. आप शी ही भय
को र करने वाले तो ह ही, साथ ही भय को हमेशा के लए हटा दे ते ह. (७)
इमा उ वा सुतेसुते न ते गवणो गरः. गावो व सं न धेनवः.. (८)
हे इं ! आप ऋचा (मं ) से तु त करने यो य ह. येक य म हमारी ाथनाएं आप
के पास वैसे ही ज द प च
ं ती ह, जैसे धा गाएं अपने बछड़ के पास प ंचती ह. (८)
इ ा नु पूषणा वय स याय व तये. वेम वाजसातये.. (९)
इं और पूषा दे वता को अपने क याण के लए बुलाते ह. हम म ता के लए उ ह
बुलाते ह. हम अ व जल क ा त के लए इन दोन दे वता को बुलाते ह. (९)
न कइ व रं न यायो अ त वृ हन्. न येवं यथा वम्.. (१०)
हे इं ! आप वृ नामक असुर को मारने वाले ह. इं लोक म भी आप से े कोई नह
है. आप जैसा महान कोई सरा नह है. (१०)
दसवां खंड
तर ण वो जनानां दं वाज य गोमतः. समानमु श सषम्.. (१)
हे यजमानो! इं हमारा बेड़ा पार लगाने वाले ह. वे हमारे श ु को भय दखाने वाले
ह. वे पशु धन दे ने वाले ह. वे अ धन दे ने वाले ह. म उन क सदा तु त करता ं. (१)
असृ म द ते गरः त वामुदहासत. सजोषा वृषभं प तम्.. (२)
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हे इं ! आप के लए हम ने तु तयां रची ह. आप बलशाली ह. सब का पालनपोषण
करने वाले ह. वे तु तयां आप तक प ंच . सोम पीने वाले इं ने उन का भी सेवन कया.
(२)
सुनीथो घा स म य यं म तो यमयमा. म ा पा य हः.. (३)
हे इं ! ोह ( े ष) न करने वाले म त्, अयमा और म दे वता जस क र ा करते ह,
वह यजमान न य ही अ छ राह पर चलने वाला होता है. (३)
य डा व य थरे य पशाने पराभृतम्. वसु पाह तदा भर.. (४)
हे इं ! आप के पास जो अचंचल और थर धन है, ऐसा ही पु षाथ वाला धन हम
दान क जए. (४)
ुतं वो वृ ह तमं शध चषणीनाम्. आ शषे राधसे महे.. (५)
वृ ासुर को मारने वाले बल क म हमा सब ने सुनी है. मनु य को अ छा धन ा त
कराने क इ छा से वह बल आप को दे ता ं. (५)
अरं त इ वसे गमेम शूर वावतः. अरं श परेम ण.. (६)
हे इं ! आप वीर ह. आप क स हम ने कई बार सुनी है. आप जैसे े सरे
दे वता क स भी हम ा त हो. (६)
धानाव तं कर भणमपूपव तमु थनम्. इ ातजुष व नः.. (७)
हे इं ! दही और भुजे ए स ु वाले य के पुरोडाश ( साद) क ह व हम मं के
साथ सम पत कर रहे ह. आप इस सोम को ातःकाल हण क जए. (७)
अपां फेनेन नमुचेः शर इ ोदवतयः. व ा यदजय पृधः.. (८)
जब डाह करने वाली रा स क सारी सेना को इं ने हरा दया तब आप ने जल के
झाग से नमु च रा स का सर तोड़ (काट) दया. (८)
इमे त इ सोमाः सुतासो ये च सो वाः. तेषां म व भूवसो.. (९)
हे इं ! आप के लए यह सोमरस नचोड़ व छान कर तैयार कया है. आप ब त
धनवान ह. आप सोमरस से स होने क कृपा कर. (९)
तु य सुतासः सोमाः तीण ब ह वभावसो. तोतृ य इ मृडय.. (१०)
हे इं ! आप तेज वी व धनवान ह. आसन पर शु सोमरस रखा आ है. आप
कुशासन पर बै ठए. सोमरस पी जए. तु त करने वाल को सुख (अपनी कृपा) द जए.
(१०)
बारहवां खंड
अती ह म युषा वण सुषुवा समुपेरय. अ य रातौ सुतं पब.. (१)
हे इं ! जो यजमान ो धत हो कर सोमरस नचोड़े, आप उसे वीकार मत क जए.
जो अ छे व ध वधान से सोमरस नचोड़े, आप उसी के य म सोमरस हण क जए. (१)
क चेतसे महे वचो दे वाय श यते. त दद् य य वधनम्.. (२)
हे इं ! आप महान ह. आप क कृपा से हमारी मामूली ाथना भी शंसा पाती है.
हमारी ये ाथनाएं भी आप का गुणगान करती ह. अतः यजमान पर आप क कृपा होती है.
(२)
उ थं च न श यमानं नागो र यरा चकेत. न गाय ं गीयमानम्.. (३)
तु त न करने वाले इं के श ु ह. इं यजमान ारा पढ़े गए तो को अ छ तरह
जानते ह. इं पुरो हत के गाए गए साम को भी जानते व समझते ह. हम इं क तु त करते
ह. (३)
इ उ थे भम द ो वाजानां च वाजप तः. ह रवां सुताना सखा.. (४)
हे इं ! आप श शा लय म सब से यादा श शाली ह. आप ह र नामक घोड़े वाले
ह. आप ाथना से ब त स होते ह. आप सोमरस से म के समान नेह रखने क
कृपा कर. (४)
आ या प नः सुतं वाजे भमा णीयथाः. महाँ इव युवजा नः.. (५)
हे इं ! जस कार युवा ी (प नी) वाला पु ष कसी सरी ी पर नजर नह
डालता, उसी कार आप भी और क ह व पर नजर मत डा लए (मत ललचाइए). आप
हमारे ही सोम य म पधार कर ह व हण करने क कृपा कर. (५)
कदा वसो तो हयत आ अव मशा ध ाः. द घ सुतं वाता याय.. (६)
हे इं ! आप सब ओर ापक ह. बनाई गई नहर म जल रोकने क तरह हम सोमरस
तैयार कर के आप को भट करने के लए कब रोक. (६)
ा णा द राधसः पबा सोममृतू रनु. तवेद स यम तृतम्.. (७)
हे इं ! ा ण यजमान से सोमरस पी जए. आप मौसम के अनुसार सोमरस पी जए.
आप का और हमारा अटू ट नाता है. (७)
पहला खंड
अ भ वा शूर नोनुमो ऽ धा इव धेनवः.
ईशानम य जगतः व शमीशान म त थुषः.. (१)
हे इं ! आप इस जग के व जड़चेतन के वामी ह. आप सब कुछ दे ख सकते ह. जैसे
थन म ध लए गाएं बछड़ के पास जाने के लए उतावली रहती ह, वैसे ही हम उतावले हो
कर आप को णाम करते ह. (१)
वा म हवामहे सातौ वाज य कारवः.
वां वृ े व स प त नर वां का ा ववतः.. (२)
हे इं ! तु त करने वाले यजमान ह व दान के लए आप को आमं त करते ह. आप
स य (या स जन ) के पालनहार ह. हम तथा सरे सभी श ु या घोड़ से संबं धत यु म
मदद के लए आप को ही पुकारते ह. (२)
अ भ वः सुराधस म मच यथा वदे .
यो ज रतृ यो मघवा पु वसुः सह ेणेव श त.. (३)
हे यजमानो! इं पशु आ द ब त कार के धन वाले ह. वे अपनी तु त करने वाले को
ब वध धन दे ते ह. आप े धन दे ने वाले इं क हर कार से पूजाअचना कर. (३)
तं वो द ममृतीषहं वसोम दानम धसः.
अ भ व सं न वसरेषु धेनव इ ं गी भनवामहे.. (४)
हे यजमानो! जैसे गाएं बछड़ को दे ख कर खुशी से रंभाती ह, वैसे ही आप भी सोमरस
पीने से स इं के लए तु त गाइए. वे श ु ( ःख ) का नाश करने वाले ह. (४)
तरो भव वद सु म सबाध ऊतये.
बृहद्गाय तः सुतसोमे अ वरे वे भरं न का रणम्.. (५)
हे यजमानो! इं के ब त तेज ग त वाले घोड़े ह. वे इं ब त धनदाता ह. वे बाधा से
हमारी र ा करते ह. हम बृह साम गाते ए उन को उसी कार र ा के लए बुलाते ह, जैसे
ब चे अपनी र ा के लए अपने माता पता को बुलाते ह. (५)
तर ण र सषास त वाजं पुर या युजा.
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आ व इ ं पु तं नमे गरा ने म त ेव सु वम्.. (६)
इं तारनहार ह. हम बु से अ ा त करना चाहते ह. जैसे बढ़ई अपनी कारीगरी से
लकड़ी को न कर के प हए को गाड़ी के अनुकूल कर लेता है, वैसे ही हम इं दे व को
अपनी तु तय से अपने अनुकूल करना चाहते ह. (६)
पबा सुत य र सनो म वा न इ गोमतः.
आ पन बो ध सधमा े वृधे ३ ऽ मां अव तु ते धयः.. (७)
हे इं ! आप गाय का ध मला कर तैयार कए ए रसीले सोमरस को पी जए. उसे पी
कर आप स होइए. आप हम धन दे ने वाले बंधु ब नए. आप हम ग त क राह दखाइए.
आप क बु हम यजमान क र ा करे. (७)
व े ह चेरवे वदा भगं वसु ये.
उ ावृष व मघवन् ग व य उ द ा म ये.. (८)
हे इं ! आप मुझे धन दे ने के लए आइए. अ छे आचार वचार वाले हम लोग को राह
दखाइए व धन द जए. हम गाय के इ छु क ह. हम गोधन द जए. हम घोड़ के इ छु क ह.
हम अ धन द जए. (८)
न ह व रमं च न व स ः प रम सते.
अ माकम म तः सुते सचा व े पब तु का मनः.. (९)
हे म द्गणो! व स ऋ ष आप म से छोट को भी छोड़ कर तु त नह करते ह अथात्
छोट क भी तु त करते ह. आज हमारे इस सोम य म आप सभी इकट् ठे हो कर सोमरस
पी जए. (९)
मा चद य श सत सखायो मा रष यत.
इ म तोता वृषण सचा सुते मु था च श सत.. (१०)
हे यजमानो! आप इं के अलावा कसी अ य दे व क तु त मत करो. बेकार मेहनत
मत करो. एक साथ सोम य म बलवान इं क ही तु त करो. उ ह के बारे म ाथना
को बारबार उचारो. (१०)
सरा खंड
न क ं कमणा नश कार सदावृधम्.
इ ं न य ै व गूतमृ वसमधृ ं धृ णुमोजसा.. (१)
हे यजमानो! इं सदा उ तशील व समृ ह. वे सब से पू जत और महान बलशाली ह.
कसी से नह दबने वाले व श ुनाशक ह. जो य से इं को अपने अनुकूल बना लेता है, उसे
कोई भी नह दबा सकता है. (१)
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य ऋते चद भ षः पुरा ज ु य आतृदः.
स धाता स धं मघवा पु वसु न कता व त पुनः.. (२)
हे इं ! आप गले क ना ड़य को खून नकलने पर भी बना जोड़ने क साम ी के ही
जोड़ सकते ह. इं ब त वैभव वाले ह. वे कटे ए भाग को फर से जोड़ सकते ह. (२)
आ वा सह मा शतं यु ा रथे हर यये.
युजो हरय इ के शनो वह तु सोमपीतये.. (३)
हे इं ! आप के घोड़े मं के भाव से रथ म जुत जाते ह. आप के घोड़ क गरदन पर
लंबेलंबे बाल ह. वे सैकड़ घोड़े आप के सुनहरे रथ म जुत जाएं और सोमपान के लए आप
को य म ले आएं, यह अनुरोध है. (३)
आ म ै र ह र भया ह मयूररोम भः.
मा वा के च येमु र पा शनो ऽ त ध वेव तां इ ह.. (४)
हे इं ! जैसे राहगीर शी ही रे ग तान को पार कर लेता है, वैसे ही आप भी मोर जैसे
रोम वाले घोड़ से यहां आइए. जाल फैलाने वाले शकारी आप क राह म रोड़ा न अटका
सक. (४)
वम श सषो दे वः श व म यम्.
न वद यो मघव त म डते वी म ते वचः.. (५)
हे इं ! आप बलवान व काश वाले ह. आप अपने पूजक क शंसा करते ह. आप
धनवान ह. आप के अलावा कोई सुख दे ने वाला नह है. इसी कारण म आप क तु त करता
ं. (५)
व म यशा अ यृजीषी शवस प तः.
वं वृ ा ण ह य ती येक इ पुवनु षणीधृ तः.. (६)
हे इं ! आप श शाली ह. आप सोमरस पीने वाले और यशवान ह. आप यजमान के
हत के लए बड़े से बड़े श ु को भी अकेले ही न कर सकते ह. (६)
इ म े वतातय इ ं य य वरे.
इ समीके व ननो हवामह इ ं धन य सातये.. (७)
दे व के लए कए जाने वाले य म हम इं को ही आमं त करते ह. य के शु और
समापन दोन ही समय हम इं को आमं त करते ह. धन लाभ के लए हम इं को ही
आमं त करते ह. आप शी पधा रए. (७)
इमा उ वा पु वसो गरो वध तु या मम.
पावकवणाः शुचयो वप तो ऽ भ तोमैरनूषत.. (८)
तीसरा खंड
श यू ३ षु शचीपत इ व ा भ त भः.
भगं न ह वा यशसं वसु वदमनु शूर चराम स.. (१)
हे इं ! आप शची के प त ह. आप परा मी ह. आप हम संर ण के साथसाथ चाहे गए
वरदान द जए तथा सौभा य जैसा यश वी धन द जए. हम आप क आराधना करते ह. (१)
या इ भुज आभरः ववा असुरे यः.
तोतार म मघव य वधय ये च वे वृ ब हषः.. (२)
हे इं ! आप आ म श वाले ह. आप ने बलवान रा स से भोग के साधन जीते ह.
इस धन से आप अपने पूजक को संर ण द जए. जो आप को बारबार आमं त या याद
करते ह, आप उ ह धनवान बनाइए. (२)
म ाय ाय णे सच यमृतावसो.
व ये ३ व णे छ ं वचः तो राजसु गायत.. (३)
हे य करने वालो! आप का धन आप के य ह. आप म , व ण और अयमा दे वता
के लए छं दब ाथनाएं उन के य शाला म वराजमान हो जाने पर गाइए. (३)
अ भ वा पूवपीतय इ तोमे भरायवः.
समीचीनास ऋभवः सम वर ुदा गृण त पू म्.. (४)
हे इं ! ाथना करने वाले यजमान सब से पहले आप सभी दे वता से तो के
चौथा खंड
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स य म था वृषेद स वृषजू तन ऽ वता.
वृषा शृ वषे पराव त वृषो अवाव त ुतः.. (१)
हे इं ! न य ही आप वीर व मनोकामना पूरी करने वाले ह. सोम य करने वाले
यजमान ने अपनी र ा के लए आप को बुलाया है. आप हमारी र ा क जए. आप क
स पास भी है और ब त र र तक भी फैली ई है. (१)
य छ ा स पराव त यदवाव त वृ हन्.
अत वा गी भ ुग द के श भः सुतावाँ आ ववास त.. (२)
हे इं ! आप वृ ासुर नाशक ह. आप हमारे पास ह चाहे र, पर हम सोम य करने
वाले यजमान आप को आमं त करते ह. हम गरदन पर सुंदर बाल वाले घोड़ के समान
अपनी े तु तय से आप को बुलाते ह. (२)
अ भ वो वीरम धसो मदे षु गाय गरा महा वचेतसम्.
इ ं नाम ु य शा कनं वचो यथा.. (३)
हे यजमानो! आप अपने हत के लए इं क तु त करो. वे रा स को जीतने वाले ह.
वे सोमरस से खुश होने वाले ह. वे यश वी, वीर व बु मान ह. आप ऐसे इं क जैसे भी हो
वशेष तु त करो. (३)
इ धातु शरणं व थ व तये.
छ दय छ मघव य म ं च यावया द ुमे यः.. (४)
हे इं ! आप धनवान यजमान को और मुझे तीन ऋतु म सुखदायी क याणकारी
तीन मं जला घर द जए. इ ह पाने के लए हम श का योग न करना पड़े. (४)
ाय त इव सूय व े द य भ तः.
वसू न जातो ज नमा योजसा त भागं न द धमः.. (५)
हे यजमानो! जैसे सारी करण सूय के सहारे रहती ह, वैसे ही सारा संसार इं के सहारे
है. हम भी उ ह के सहारे ह. जैसे पता के धन म संतान क भागीदारी होती है, वैसे ही इं
के धन म हमारी भागीदारी हो. इं उ प ए और उ प होने वाल को बल से भाग दान
करते ह. (५)
न सीमदे व आप त दषं द घायो म यः.
एत वा च एतशो युयोजत इ ो हरी युयोजते.. (६)
हे इं ! आप चरायु ह. आप के त ा के बना मनु य उस े अ को नह पा
सकता है. जो इं को पाने के लए अपनी तु तय के घोड़े नह जोड़ता है, इं भी उस के
य म जाने के लए ह र तथा अ य घोड़ को नह जोड़ते ह. (६)
पांचवां खंड
यो राजा चषणीनां याता रथे भर गुः.
व ासां त ता पृतनानां ये ं यो वृ हा गृणे.. (१)
हे इं ! आप मनु य के राजा ह. आप के रथ क ग त क कोई भी बराबरी नह कर
सकता है. आप श ु क सेना और वृ ासुर को मारने वाले ह. हम सव े इं क तु त
करते ह. (१)
यत इ भयामहे ततो नो अभयं कृ ध.
मघव छ ध तव त ऊतये व षो व मृधो ज ह.. (२)
हे इं ! जस से हम डर आप उसी से हम नडर बनाइए. हम अभय दान द जए. हमारे
श ु को और हम मारने वाल को आप न क जए. (२)
छठा खंड
इत ऊती वो अजरं हेतारम हतम्.
आशुं जेतार होतार रथीतममतूत तु यावृधम्.. (१)
हे इं ! आप बूढ़े नह होते. आप श ु को मारने वाले ह. आप ज द वजय पाने
वाले ह. आप ब त तेज ग त वाले ह. आप ज द य म जाने वाले ह. आप अ छे रथ चलाने
वाले ह. आप जल को बढ़ाने वाले ह. हे यजमानो! ऐसे इं को आप अपनी र ा के लए
बुलाइए. (१)
मो षु वा वाघत नारे अ म रीरमन्.
आरा ा ा सधमादं न आ गहीह वा स ुप ु ध.. (२)
हे इं ! य करने वाले भी आप को हम से र न कर सक. आप र रह कर भी हमारे
पास ज द आइए. आप यह रह कर हमारी तु तयां सु नए. (२)
सुनोता सोमपा ने सोम म ाय व णे.
पचता प रवसे कृणु व म पृण पृणते मयः.. (३)
हे य करने वालो! व धारी इं के लए सोमरस नचोड़ो. इं को स करने के लए
पुरोडाश (भोग) पकाइए (बनाइए). यजमान क स ता के लए इं वयं ह व हण करते
ह. (३)
यः स ाहा वचष ण र ं त महे वयम्.
सह म यो तु वनृ ण स पते भवा सम सु नो वृधे.. (४)
हे इं ! आप श ु का वध करने वाले ह. आप सब को दे खने वाले ह. हम तु तय से
आप को बुलाते ह. आप ोध वाले, ब त धन वाले व स जन के पालक ह. आप यु म
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हमारा यश बढ़ाइए. (४)
शची भनः शचीवसू दवा न ं दश यतम्.
मा वा रा त पदस कदाचना म ा तः कदाचन.. (५)
हे अ नीकुमारो! आप अपने कम को ही धन मानने वाले ह. आप अपनी श से
दनरात हमारी इ छाएं पूरी क जए. आप का दान कभी कम नह होता. आप के ही दान क
तरह हमारे दान भी कभी कम न ह . (५)
यदा कदा च मीढु षे तोता जरेत म यः.
आ द दे त व णं वपा गरा ध ारं व तानाम्.. (६)
जब कभी ह व दाता यजमान के लए मनु य ाथना करे तब वशेष र ा करने वाली
ाथना से व ण दे वता क तु त करे. वे व ण पाप को र करने वाले व अनेक कार के
कम को धारण करने वाले ह. (६)
पा ह गा अ धसो मद इ ाय मे या तथे.
यः सं म ो हय य हर यय इ ो व ी हर ययः.. (७)
हे इं ! आप य म मेहमान बनने वाले ह. आप सोमरस पी कर, स हो कर हमारी
गाय क र ा क जए. आप ह र नामक घोड़े को रथ म जोतते ह. आप व धारण करने
वाले, सुंदर, हत साधने वाले और सुनहरे रथ वाले ह. (७)
उभय शृणव च न इ ो अवा गदं वचः.
स ा या मघवा सोमपीतये धया श व आ गमत्.. (८)
हे इं ! आप हमारे दोन ही कार के वचन पास आ कर सु नए. सब क ाथना सुन
कर यहां पधा रए और स होइए. हे इं ! आप बलवान व धनवान ह. सोमपान के लए
आप यहां पधा रए. (८)
महे च न वा वः परा शु काय द यसे.
न सह ाय नायुताय व वो न शताय शतामघ.. (९)
हे इं ! आप व धारण करने वाले ह. ब त से धन के बदले भी म आप को नह छोड़
सकता ं. हजार के बदले भी आप को नह बेचा जा सकता. अपार धन के बदले भी आप
को नह बेचा जा सकता. (९)
व याँ इ ा स मे पतु त ातुरभु तः.
माता च मे छदयथः समा वसो वसु वनाय राधसे.. (१०)
हे इं ! आप हमारे पता से भी यादा धन वाले ह. पालन न करने वाले हमारे भाई से
भी यादा धनवान ह. आप हमारी मां के समान ह. मुझे धनवान, अ वान और यशवान
सातवां खंड
इम इ ाय सु वरे सोमासो द या शरः.
ताँ आ मदाय व ह त पीतये ह र यां या ोक आ.. (१)
हे इं ! आप व धारण करने वाले ह. आप दही मला कर तैयार कए गए इस सोमरस
को पीने के लए अपने घोड़ से य मंडप म पधा रए. (१)
इम इ मदाय ते सोमा क उ थनः.
मधोः पपान उप नो गरः शृणु रा व तो ाय गवणः.. (२)
हे इं ! आप क स ता के लए खास तौर से साफ कर के मधुर सोमरस को तैयार
कया है. आप हमारी ाथना क वाणी को सु नए. आप हम मनचाहे फल द जए. (२)
आ वा ३ सब घा वे गाय वेपसम्.
इ ं धेनु सु घाम या मषमु धारामरङ् कृतम्.. (३)
हे इं ! आप उस गाय के समान शोभा पा रहे ह जो ब त ध दे ने वाली है, जस क
चाल शंसा करने यो य है, जो आसानी से हने यो य है, जो वशेष ल ण वाली है, जस
के तन से ध क कई धाराएं बहती ह. आप शी पधा रए. (३)
न वा बृह तो अ यो वर त इ वीडवः.
य छ स तुवते मावते वसु न क दा मना त ते.. (४)
हे इं ! बड़ेबड़े पवत भी आप को नह डगा सकते. आप हम पूजक को जो धन दे ते
ह, उस धन को कोई नह रोक सकता है. (४)
क वेद सुते सचा पब तं क यो दधे.
अयं यः पुरो व भन योजसा म दानः श य धसः.. (५)
हे इं ! सोम य म एक ही जगह सोमरस पीने वाले आप को कौन (नह ) जानता है.
आप कतना अ धारण करने वाले ह, यह भी कौन जानता है? सोमरस पी कर स होने
वाले इं अपने बल से श ु के नगर को न कर दे ते ह. (५)
य द शासो अ तं यावया सदस प र.
अ माकम शुं मघव पु पृहं वस े अ ध बहय.. (६)
हे इं ! आप य म व न डालने वाल को दं ड दे ते ह. आप को दं ड द जए. आप
धनवान ह. आप हमारे घर म सोमरस बढ़ाइए. (६)
व ा नो दै ं वचः पज यो ण प तः.
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पु ै ातृ भर द तनु पातु नो रं ामणं वचः.. (७)
व ा दे वता के श पी (कारीगर) ह. पज य दे व बरसात के वामी ह. ण पत
दे वता अपने बेट और भाइय के साथ हमारी र ा कर. दे वता क माता अ द त हमारी
र ा कर. अ द त ःख र करने वाली और र ा करने वाली हमारी तु तय से हम पर कृपा
कर. (७)
कदा चन तरीर स ने स स दाशुषे.
उपोपे ु मघव भूय इ ु ते दानं दे व य पृ यते.. (८)
हे इं ! आप अ हसक ह. आप ह व दे ने वाले यजमान पर कृपा रखते ह. आप
काशमान ह. आप क कृपा हम ा त होती है. (८)
युङ् वा ह वृ ह तम हरी इ परावतः.
अवाचीनो मघव सोमपीतय उ ऋ वे भरा ग ह.. (९)
हे इं ! आप वृ ासुर का नाश करने वाले ह. आप अपने ह र नामक घोड़े को रथ म
जो तए. आप धनवान व बलवान ह. आप सुंदर म द्गण के साथ वगलोक से यहां
पधा रए. (९)
वा मदा ो नरो ऽ पी य व भूणयः.
स इ तोमवाहस इह ु युप वसरमा ग ह.. (१०)
हे इं ! आप व धारण करने वाले ह. य करने वाले यजमान ने आप को आज भी
और पहले भी सोमरस भट कया है. आप य मंडप म पधा रए. तो पढ़ने वाले यजमान
के तो सु नए. (१०)
आठवां खंड
यु अद याय यू ३ छ ती हता दवः.
अपो मही वृणुते च ुषा तमो यो त कृणो त सूनरी.. (१)
अंधेरे को र कर के आती ई सूय क पु ी उषा सब को दखाई दे रही है. वह अपने
काश से घनघोर अंधेरे को र कर दे ती है. (१)
इमा उ वां द व य उ ा हव ते अ ना.
अयं वाम े ऽ वसे शचीवसू वश वश ह ग छथः.. (२)
हे अ नीकुमारो! काश चाहने वाले यजमान आप को बुलाते ह. म भी कम को धन
मानने वाले आप को बुलाता ं. हम अपनी र ा के लए आप दोन को बुलाते ह. हम आप
दोन को तृ त ( स ) करने के लए बुलाते ह. आप तु त करने वाले हर एक यजमान के
पास पधारते हो. (२)
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कु ः को वाम ना तपानो दे वा म यः.
नता वाम मया पमाणो शुने थमु आ यथा.. (३)
हे अ नीकुमारो! आप काश वाले ह. इस पृ वी पर रहने वाला कौन आप को
का शत कर सकता है. जो यजमान आप के लए प थर से सोम कूटकूट कर थक जाता
है, वह राजा के समान इ छानुसार भोग करने वाला होता है. (३)
अयं वां मधुम मः सुतः सोमो द व षु.
तम ना पबतं तरोअ यं ध र ना न दाशुषे.. (४)
हे अ नीकुमारो! आप के लए होने वाले य म यह मीठा सोमरस तैयार कया गया
है. यह सोमरस हम ने एक दन पहले तैयार कया है. आप इस का सेवन क जए. आप ह व
दे ने वाले यजमान को े धन दान क जए. (४)
आ वा सोम य ग दया सदा याच हं या.
भू ण मृगं न सवनेषु चु ु धं क ईशानं न या चषत्.. (५)
हे इं ! आप शेर के समान श शाली ह. आप भरणपोषण करने म समथ ह. हम आप
को य म सोमरस दान करते ह. हम वजय दलाने वाली ाथना से आप से याचना करते
ह. आप हम पर गु सा मत क जए. ऐसा कौन है, जो अपने वामी से याचना नह
करता है. (५)
अ वय ावया व सोम म ः पपास त.
उपो नूनं युयुजे वृषणा हरी आ च जगाम वृ हा.. (६)
हे पुरो हत! आप सोमरस को ज द तैयार क जए. इं ज द सोमरस पीना चाहते ह.
उ ह ने अपने घोड़े रथ म जोत लए ह. वृ ासुर का नाश करने वाले इं प ंच भी गए. (६)
अभीषत तदा भरे यायः कनीयसः.
पु वसु ह मघव बभू वथ भरेभरे च ह ः.. (७)
हे इं ! आप सब से बड़े ह. आप सब ओर से ला कर े धन मुझ तु छ मनु य को
दान क जए. आप धनवान ह और यु म सहायता के लए बुलाने यो य ह. (७)
य द यावत वमेतावदहमीशीय.
तोतार म धषे रदावसो न पाप वाय र सषम्.. (८)
हे इं ! आप जतने धन के वामी ह, हम भी उतने धन के वामी हो जाएं. आप धन
दे ने वाले ह. तु त करने वाल को धन दे ने क इ छा है. पा पय को धन दे ने क इ छा नह
है. (८)
वम तू त व भ व ा अ स पृधः.
नौवां खंड
असा व दे वं गोऋजीकम धो य म ो जनुषेमुवोच.
बोधाम स वा हय य ैब धा न तोमम धसो मदे षु.. (१)
हम ने तेज वी गाय के ध से सोमरस तैयार कया है. ऐसा सोमरस इं को वभाव से
ही ब त पसंद आता है. आप इस सोमरस को पी कर म त हो जाइए, स हो जाइए.
हमारी ाथना पर खासतौर से यान दे ने क कृपा क जए. (१)
यो न इ सदने अका र तमा नृ भः पु त या ह.
असो यथा नो ऽ वता वृध दो वसू न ममद सोमैः.. (२)
हे इं ! आप को बैठाने के लए हम ने खास य वे दका तैयार क है. आप म त के
साथ पधा रए. आप सब उस थान पर वरा जए. आप हमारे र क व हमारे पालक ह. आप
हम कई तरह के धन द जए. आप सोमरस पी कर स होइए. (२)
अदद समसृजो व खा न वमणवा ब धानाँ अर णाः.
महा त म पवतं व य ः सृज ारा अव य ानवा हन्.. (३)
हे इं ! आप ने बादल का जल नकालने के लए खासतौर पर दरवाज को (रा त
को) बनाया है, जस से बादल को भेद कर पानी पाया जा सके. आप पानी के रा ते क सब
बाधा को र करते ह. आप क कृपा से ब त जल धाराएं बही ह. आप ने रा स का नाश
कया है. (३)
सु वाणास इ तुम स वा स न य त ु वनृ ण वाजम्.
आ नो भर सु वतं य य कोना तना मना स ाम वोताः.. (४)
हे इं ! आप ब त धन दे ने वाले ह. सोमरस नचोड़ने वाले यमराज आप क तु त
करते ह. पुरोडाश पकाने वाले यजमान आप क तु त करते ह. आप हम हमारा चाहा गया
धन द जए. हम आप से श पा कर ब त धन पाते ह. (४)
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जगृ ा ते द ण म ह तं वसूयवो वसुपते वसूनाम्.
व ा ह वा गोप त शूर गोनाम म यं च ं वृषण र य दाः.. (५)
हे इं ! आप ब त धनवान ह. हम धन बल क कामना करते ह. अतः आप का दा हना
हाथ हण करते ह. हम जानते ह क आप गौ के वामी ह. आप हम हमारी इ छा पूरी
करने वाले अनेक धन द जए. (५)
इ ं नरो नेम धता हव ते य पाया युनजते धय ताः.
शूरो नृषाता वस काम आ गोम त जे भजा वं नः.. (६)
हे इं ! यु और संकट के समय म यु करने वाले मनु य यु म (और य म) आप
को सहायता के लए बुलाते ह. आप शूरवीर व धनदाता ह. आप गाय और पशू के बाड़े
म हम प ंचा द जए, ता क हम अ , धन व बल तीन का लाभ पा सक. (६)
वयः सुपणा उप से र ं यमेधा ऋषयो नाधमानाः.
अप वा तमूणु ह पू ध च ुमुमु या ३ मा धयेव ब ान्.. (७)
अ छे पंख वाली च ड़या के समान य से ेम रखने वाली सूय क करण इं तक
प ंचती ह. हे इं ! आप अब अंधेरे को र क जए. आप आंख को काश से भर द जए.
आप र सी से बंधे ए के समान हम को उन बंधन से छु ड़ाइए. (७)
नाके सुपणमुप य पत त दा वेन तो अ यच त वा.
हर यप ं व ण य तं यम य योनौ शकुनं भुर युम्.. (८)
हे सूय! आप प ी क तरह आकाश म उड़ने वाले ह. आप वेग वाले ह. आप सब का
पालनपोषण करने वाले ह. व ण के त ह. आप को लोग मन से नेह करते ह (चाहते ह).
आप को लोग अ न के उ प थान अंत र म प ी क तरह उड़ते ए दे खते ह. (८)
ज ानं थमं पुर ता सीमतः सु चो वेन आवः.
स बु या उपमा अ य व ाः सत यो नमसत ववः.. (९)
वेन गंधव पैदा ए. उ ह ने सब से पहले उ प होने वाले तेज का उपदे श कया.
उस तेज से सब को का शत कया. उ ह ने खासतौर पर उस तेज को अंत र म था पत
कया. जो पैदा हो चुके और जो पैदा ह गे, उन सब का कारण भी वही तेज है. (९)
अपू ा पु तमा य मै महे वीराय तवसे तुराय.
वर शने व णे श तमा न वचा य मै थ वराय त ुः.. (१०)
हे इं ! आप महान वीर व बलवान ह. आप ज द काम करने वाले ह. आप पूजनीय व
व धारी ह. आप के लए यजमान ब त सी सुखदायी तु तयां गा रहे ह. (१०)
दसवां खंड
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अव सो अ शुमतीम त दयानः कृ णो दश भः सह ैः.
आव म ः श या धम तमप नी ह त नृमणा अध ाः.. (१)
इं सभी को य ह. उ ह ने श ु ारा आ मण कए जाने पर उन पर फर से
आ मण कर के उन क सेना को हरा दया. उ ह ने कृ णासुर को भी हराया. कृ णासुर ब त
ती ग त वाला था. उस ने दस हजार सै नक को साथ ले कर उन पर हमला कया था.
कृ णासुर सभी के लए ःखदायक था. अंशुमती (नद ) के तट पर उस ने सभी को (आकृ
कर के) अपने चंगुल म फंसा लया था. उ ह ने इतने श मान कृ णासुर को भी हरा दया.
(१)
वृ य वा सथाद षमाणा व े दे वा अज य सखायः.
म र स यं ते अ वथेमा व ा: पृतना जया स.. (२)
हे इं ! सभी सहायक दे वतागण वृ ासुर से डर कर आप का साथ छोड़ कर भाग गए
(चले गए). उन सब के चले जाने पर आप ने म द्गण क म ता के कारण उन के सहयोग
से मन क सेना को हराया. (२)
वधुं द ाण समने ब नां युवान स तं प लतो जगार.
दे व य प य का ं म ह वा ा ममार स ः समान.. (३)
हे यजमानो! इं यु म वीरता दशाते ह. वे श ु क सेना को हराने वाले ह. उन क
कृपा ( भाव) से बूढ़ा भी जवान हो जाता है. आप उन क का म हमा दे खए, जो आज
मरी ई सी लगने पर भी कल फर जी जाती है अथात् उन क म हमा अ मट है. (३)
व ह य स त यो जायमानो ऽ श ु यो अभवः श ु र .
गूढे ावापृ थवी अ व व दो वभुम यो भुवने यो रणं धाः.. (४)
हे इं ! आप का कोई श ु उ प नह आ है अथात् आप अजातश ु ह. आप उ प
होते ही वृ ासुर आ द छह रा स के मन हो गए. अपने अंधकार से वगलोक और
पृ वीलोक को बचाया. आप ने दोन लोक को काश यु बनाया. आप ने ही दोन लोक
को थरता द . आप ने ही दोन लोक को सुंदर बनाया. (४)
मे ड न वा व णं भृ म तं पु ध मानं वृषभ थर नुम्.
करो यय त षी व यु र ु ं वृ हणं गृणीषे.. (५)
हे यजमानो! अ छे कम के कारण सभी जगह इं क सराहना होती है. वे वृ ासुर व
श ु वनाशक ह. उन क वगलोक म त ा है. वे बलवान ह. वे यु म थर रहते ह. वे
व धारी और नाशक ह. वे वजयदाता ह. हम भी उन क म हमा क सराहना करते ह.
(५)
वो महे महे वृधे भर वं चेतसे सुम त कृणु वम्.
यारहवां खंड
यमू षु वा जनं दे वजूत सहोवानं त तार रथानाम्.
अ र ने म पृतनाजमाशु व तये ता य महा वेम.. (१)
हे यजमानो! हम अपने क याण के लए ता य (ग ड़) का आ ान करते ह. वे दे व त
और बलवान ह. वे यु म हमारा भला कर सकते ह. वे श ु जत् व अबाध ग त वाले ह. वे
ब त तेज ग त से उड़ने म समथ ह. (१)
ातार म म वतार म हवेहवे सुहव शूर म म्.
वे नु श ं पु त म मद ह वमघवा वे व ः.. (२)
हे यजमानो! हम अपने क याण के लए इं का आ ान करते ह. वे हमारे ाता
(र क), सहायक, श शाली व स म ह. वे ब त से उपासक ारा तु य (उपासना यो य)
और धनवान ह. वे ह व के अ को हण करने क कृपा कर. (२)
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यजामह इ ं व द ण हरीणा र यां ३ व तानाम्.
म ु भद धुव वधा भुव सेना भभयमानो व राधसा.. (३)
हे यजमानो! इं हाथ म व धारण करते ह. वे वेगशील ह. वे रथ पर वराजमान ह. वे
अपनी दाढ़ मूंछ से श ु को डराने वाले व उपासक को धनवैभव दान करने वाले ह. (३)
स ाहणं दाधृ ष तु म ं महामपारं वृषभ सुव म्.
ह ता यो वृ स नतोत वाजं दाता मघा न मघवा सुराधाः.. (४)
हे यजमानो! इं श ु के ज थ के नाशक ह. उ ह भयभीत करने वाले ह. इं ब त
श मान ह. वे व धारी, वृ नाशक, अ दाता व यजमान को धन दे ने वाले ह. (४)
यो नो वनु य भदा त मत उगणा वा म यमान तुरो वा.
धी युधा शवसा वा त म ाभी याम वृषमण वोताः.. (५)
हे इं ! आप हमारी र ा क जए. आप क कृपा से हम श ु को हरा सक. हम
श ु को मारने के इ छु क ह. हम मारक अ श के साथ आ मण करने के लए तैयार
ह. हम ढ़ न य वाले ह. (५)
यं वृ ष
े ु तयः पधमाना यं यु े षु तुरय तो हव ते.
य शूरसातौ यमपामुप म यं व ासो वाजय ते स इ ः.. (६)
हे इं ! यजमान यु म सहायता के लए आप को पुकारते ह. आप उन क पुकार
सुनते ह. आप अ श वाले यो ा के बुलाने पर उन क सहायता करते ह. जल वषा के
लए आप से ही नवेदन कया जाता है. ा णगण आप को ही ह व सम पत करते ह. (६)
इ ापवता बृहता रथेन वामी रष आ वहत सुवीराः.
वीत ह ा य वरेषु दे वा वधथां गी भ रडया मद ता.. (७)
हे इं ! आप पवतवासी, वशाल रथ वाले एवं उपासना यो य ह. अ छ संतान वाले
यजमान आप को ह व भट करते ह. आप उस ह व का भोग लगाते ह. आप उस ह व से
स होते ह. आप हमारी ाथना से और यश वी ब नए. आप हम अ दान करने क
कृपा क जए. (७)
इ ाय गरो अ न शतसगा अपः ैरय सगर य बु नात्.
यो अ ेणेव च यौ शची भ व व त भ पृ थवीमुत ाम्.. (८)
हे इं ! आप ने अपने साम य से वगलोक और पृ वीलोक को उसी तरह घेर रखा है,
जैसे लोहे क पट् ट चार ओर से प हए को घेरे रखती ह. हमारी ाथनाएं अंत र से जल
बरसाने क साम य रखती ह. (८)
आ वा सखायः स या ववृ यु तरः पु चदणवां जग याः.
बारहवां खंड
गाय त वा गाय णो ऽ च यकम कणः.
ाण वा शत त उ श मव ये मरे.. (१)
हे इं ! आप सैकड़ कम करने वाले ह. गाने वाले आप के गुण गाते ह. मं से आप का
आ ान करते ह. ा नामक ऋ वक् वैसे ही वर साध कर आप क उपासना करते ह,
जैसे बांस के ऊपर नट अपनेआप को साधते ह. (१)
इ ं व ा अवीवृध समु चसं गरः.
रथीतम रथीनां वाजाना स प त प तम्.. (२)
हे इं ! आप े रथ पर वराजमान ह. आप े यो ा, अ व बल के वामी ह. आप
स जन के र क ह. हमारी सारी ाथनाएं आप का गुणगान करती ह. (२)
इम म सुतं पब ये मम य मदम्.
शु य वा य र धारा ऋत य सादने.. (३)
हे इं ! आप अमर व स तादायी ह. सदन म प र कृत सोमरस आप क ओर बढ़ रहा
है. आप उसे वीकारने क कृपा क जए. (३)
य द च म इह ना त वादातम वः.
राध त ो वद स उभयाह या भर.. (४)
हे इं ! आप धनवान व वल ण ह. हमारे पास ऐसा कोई धन नह है, जो हम आप को
भट कर सक. आप खुले हाथ से हम भरपूर धन दान करने क कृपा क जए. (४)
ु ी हवं तर या इ य वा सपय त.
ध
सुवीय य गोमतो राय पू ध महाँ अ स.. (५)
पहला खंड
य मै पपीषते व ा न व षे भर. अर माय ज मये ऽ प ाद वने नरः.. (१)
हे यजमानो! इं य के संचालक ह. वे सोमरस पीने के इ छु क रहते ह. वे सभी जगह
नधा रत समय पर प ंचते ह. वे उपयु थान के भागीदार ह. सब से पहले उन को ही य
क वेद पर त त कया जाता है. मनु य के य म वे जाने क इ छा रखते ह. आप सभी
उ ह इं को सोमरस से तृ त करने क कृपा क जए. (१)
आ नो वयो वयःशयं महा तं ग रे ाम्.
महा तं पू वणे ामु ं वचो अपावधीः.. (२)
हे इं ! आप पवतवासी ह. हम सोमरस द जए. वह सब जगह उपल ध है. आप घोर
नदा पद बात को हम से र करने क कृपा क जए. हे इं ! आप श ु को हराने वाले ह.
(२)
आ वा रथं यथोतये सु नाय वतयाम स.
तु वकू ममृतीषह म श व स प तम्.. (३)
हे इं ! आप श ु को हराते व यजमान का पोषण करते ह. हम आप से संर ण व
सुख चाहते ह. जैसे ग तशील रथ सब जगह घुमा कर ले आता है, उसी कार यजमान आप
को य थान पर ले आते ह. (३)
स पू महोनां वेनः तु भरानजे.
य य ारा मनुः पता दे वेषु धय आनजे.. (४)
यजमान ारा भट कए गए ह व के अ का भोग लगाने के लए इं य थल पर
उप थत होते ह. वे सभी दे वता के पालक व बु शील ह. (४)
यद वह याशवो ाजमाना रथे वा.
पब तो म दरं मधु त वा स कृ वते.. (५)
म द् आनंददायी ह. वे मीठा सोमरस पीते और अ उपजाते ह. वे तेज वी एवं ती
ग तमान ह. वे इं को य वेद तक प ंचाते ह. (५)
यमु वो अ हणं गृणीषे शवस प तम्.
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इ ं व ासाहं नर श च ं व वेदसम्.. (६)
हे इं ! आप यजमान के हतकारी, अ व बल के वामी, श ु जत्, य के वामी,
श नायक एवं सव ह. हम आप क उपासना करते ह. (६)
द ध ा णो अका रषं ज णोर य वा जनः.
सुर भ नो मुखा कर ण आयू ष ता रषत्.. (७)
हे यजमानो! हम द ध ाव (ऋ ष) क उपासना करते ह. द ध ाव (ऋ ष) वजेता,
घोड़े के समान ग तशील व शरीर को पोषण दे ने वाले एवं हमारी आयु म बढ़ोतरी करने वाले
ह. (७)
पुरां भ युवा क वर मतौजा अजायत.
इ ो व य कमणो धता व ी पु ु तः.. (८)
इं श ु क नग रय को व त करने वाले एवं जवान ह. वे क व, श मान,
व पालक, व धारी एवं अ ग य ह. (८)
सरा खंड
व ु भ मषं व द राये दवे.
धया वो मेधसातये पुर या ववास त.. (१)
हे यजमानो! आप वीर इं को ह व दान करो. वे य को पूरा करने म बु से कए
गए े काय क शंसा व मनोकामनाएं पूरी करते ह. वे यजमान का स मान करते ह. (१)
क यप य व वदो यावा ः सयुजा व त.
ययो व म प तं य ं धीरा नचा य.. (२)
इं के घोड़े अपनेआप को जानने वाले व सव ह. ये घोड़े इं को य म ले जाने म
लगे रहते ह. व ान् कहते ह क य म जाने का न य होते ही ये घोड़े अपनेआप रथ म
जुत जाते ह. (२)
अचत ाचत नरः यमेधासो अचत.
अच तु पु का उत पुर मद् धृ णवचत.. (३)
हे यजमानो! इं आप को अपनी कृपा से ऐसी संतान दान करते ह, जो य म च
रखती ह . वे यजमान क आकां ा पूरी करते ह. वे श ु जत् ह. आप सभी इं क अचना
क जए. (३)
उ थ म ाय श यं वधनं पु न षधे.
श ो यथा सुतेषु नो रारण स येषु च.. (४)
तीसरा खंड
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व ाः पृतना अ भभूतरं नरः सजू तत ु र ं जजनु राजसे.
वे वरे थेम यामुरीमुतो मो ज ं तरसं तर वनम्.. (१)
इं य म सव े थान पर वराजते ह. वे सेनानायक व ओज वी ह. उन क सेना
संग ठत है. वे अ श धारण करते ह. वे श ुनाशक, उ व म हमावान ह. यजमान तेजी से
काय करते ह. वे इं क उपासना करते ह. (१)
े दधा म थमाय म यवे ऽ ह य युं नय ववेरपः.
उभे य वा रोदसी धावतामनु यसाते शु मा पृ थवी चद वः.. (२)
हे इं ! आप ( मन ) का नाश करने वाले ह. आप ा णय के हत के लए जल
बरसाते ह. वगलोक और पृ वीलोक आप क इ छा से याशील होते ह. हम इं के उस
ोध क शंसा करते ह, जो अ याय को र करता है. हम यजमान आप पर ब त ा
रखते ह. (२)
समेत व ा ओजसा प त दवो य एक इ र त थजनानाम्.
स पू नूतनमा जगीषन् तं वतनीरनु वावृत एक इत्.. (३)
हे यजमानो! इं अपने पु षाथ से वगलोक के वामी बने ह. वे मनु य म पूजनीय,
अपूव व जीतने के इ छु क को वजय दलाते ह. आप सब मल कर उन क उपासना
क जए. (३)
इमे त इ ते वयं पु ु त ये वार य चराम स भूवसो.
न ह वद यो गवणो गरः सघ ोणी रव त त य नो वचः.. (४)
हे इं ! आप ब त धनवान ह. सभी जगह आप क शंसा होती है. हम आप क शरण
म ह. आप जैसा उपासना यो य और कोई दे वता नह ह. हम आप क उपासना करते ह.
आप हमारे उपासना वचन को (सब कुछ वीकारने वाली) पृ वी माता के समान वीका रए.
(४)
चषणीधृतं मघवानमु या ३ म ं गरो बृहतीर यनूषत.
वावृधानं पु त सुवृ भरम य जरमाणं दवे दवे.. (५)
हे इं ! आप सभी मनु य का पालनपोषण करते ह. आप धनवान, स एवं आप
यजमान क बढ़ोतरी करते ह. आप अमर ह. हम त दन आप के लए कई शंसापरक
तु तयां करते ह. हम कई द उपासना से बारबार आप क उपासना करते ह. (५)
अ छा व इ ं मतयः वयुवः स ीची व ा उशतीरनूषत.
प र वज त जनयो यथा प त मय न शु युं मघवानमूतये.. (६)
हे इं ! हम अपने संर ण, धनसंपदा व बु पाने के लए आप को चाहते ह. हम आप
से अपनी उ त क इ छा रखते ह. म हलाएं जैसे प त को चाहती ह, वैसे ही हमारी ाथनाएं
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आप को चाहती ह. (६)
अ भ यं मेषं पु तमृ मय म ं गी भमदता व वो अणवम्.
य य ावो न वचर त मानुषं भुजे म ह म भ व मचत.. (७)
हे यजमानो! आप इं क उपासना क जए. इं श ु को जीतने वाले ह. वे
ब शं सत ह. वे धन के भंडार और वगलोक क भां त व तृत ह. उन क म हमा चार
ओर ा त ह. ऐसे ानवान इं को आप सब भ जए. (७)
य सु मेषं महया व वद शतं य य सुभुवः साकमीरते.
अ यं न वाज हवन यद रथ म ं ववृ यामवसे सुवृ भः.. (८)
हे यजमानो! इं आ म ाता व म हमाशाली ह. वे सौसौ काय एक साथ करने वाले व
श ु से होड़ करने वाले ह. यजमान को धनदान करने के लए वे हवन म पधारते ह. घोड़े
क तरह तेजी से प ंचते ह. आप अपने संर ण के लए सौसौ ाथना से उन क उपासना
क जए. (८)
घृतवती भुवनानाम भ योव पृ वी मधु घे सुपेशसा.
ावापृ थवी व ण य धमणा व क भते अजरे भू ररेतसा.. (९)
वगलोक और पृ वीलोक काश संप ह. सभी ा णय को आधार दे ते ह. वे वशाल
व व तृत ह. वे मीठे जल वाले ह व परम श पर टके ए ह. वे अ वनाशी ह. उन क
उ पादन मता े है. (९)
उभे य द रोदसी आप ाथोषा इव.
महा तं वा महीना स ाजं चषणीनाम्.
दे वी ज न यजीजन ा ज न यजीजनत्.. (१०)
हे इं ! आप वगलोक और पृ वीलोक को उषा ारा का शत करते ह. आप ब त
महान व स ाट् ह. दे वता को जनने वाली अ द त ने आप को ज म दया है. (१०)
म दने पतुमदचता वचो यः कृ णगभा नरह ृ ज ना.
अव यवो वृषणं व द णं म व त स याय वेम ह.. (११)
हे यजमानो! आप इं को ह व दान क जए. आप उन क अचना क जए. उ ह ने
ऋ ज क मदद से कृ णासुर क गभवती य के साथ उस का वध कया. वे दाएं हाथ म
व धारण करने वाले ह. वे म द्गण क सेना के साथ मौजूद रहते ह. वे श मान ह.
यजमान उन से अपना संर ण चाहते ह. हम यजमान म ता के लए उन का आ ान करते
ह. (११)
चौथा खंड
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इ सुतेषु सोमेषु तुं पुनीष उ यम्. वदे वृध य द य महा ह षः.. (१)
हे इं ! आप के पु (यजमान ) ने आप के लए सोमरस प र कृत कया है. आप
यजमान और उपासक दोन क बढ़ोतरी व उ ह प व क जए. आप द व महान ह. (१)
तमु अ भ गायत पु तं पु ु तम्. इ ं गी भ त वषमा ववासत.. (२)
हे उपासको! आप इं का आ ान क जए. आप उन क शंसा क जए. आप उन के
गुण गाइए एवं उन का चतन क जए. (२)
तं ते मदं गृणीम स वृषणं पृ ु सास हम्. उ लोककृ नुम वो ह र यम्.. (३)
हे इं ! आप के हाथ म व है. आप बलवान व श ु जत् ह. आप के घोड़े मनु य का
हत साधते ह. सोमपान से आप म ऊजा आती है. हम उस ओज क शंसा करते ह. (३)
य सोम म वणवय ाघ त आ ये. य ा म सु म दसे स म भः.. (४)
हे इं ! य म व णु पधारे. आप ने उस के बाद सोमरस पया. आप आ य त
(ऋ ष) और म द्गण के साथ सोमरस पी कर स ए. आप कई अ य य म सोमरस
पी कर स ए (उसी कार) आप हमारे इस य म भी सोमरस पी कर स होइए. (४)
ए मधोम द तर स चा वय अ धसः. एवा ह वीर तवते सदावृधः.. (५)
हे यजमानो! मधुर सोमरस से स होने वाले इं को सोमरस द जए. वे वीर, तु त के
यो य ह. वे सदा बढ़ोतरी पाते ह. (५)
ए म ाय स चत पब त सो यं मधु. राधा स चोदयते म ह वना.. (६)
हे यजमानो! सोमरस इं को अ पत क जए. मीठा रसीला सोमरस पीने के बाद अपनी
म हमा से वे यजमान को भरपूर धन दे ते ह. (६)
एतो व तवाम सखायः तो यं नरम्.
कृ ीय व ा अ य येक इत्.. (७)
हे सखाओ! ज द आइए. हम इं क तु त कर. वे सव े ह और अकेले ही श ु
को हरा सकते ह. (७)
इ ाय साम गायत व ाय बृहते बृहत्. कृते वप ते पन यवे.. (८)
हे ा णो! आप इं के लए बृह साम के मं उचा रए. वे ानी, ववेक , महान
एवं उपासना के यो य ह. (८)
य एक इ दयते वसु मताय दाशुषे. ईशानो अ त कुत इ ो अ .. (९)
हे यजमानो! इं ई र, दानशील व धनदाता ह. वे तकार नह करते ह. अकेले होने
पांचवां खंड
गृणे त द ते शव उपमां दे वतातये. य स वृ मोजसा शचीपते.. (१)
हे इं (शचीप त)! हम पास ही हो रहे इस य म आप क म हमा क उपासना करते
ह. आप अपने ओज से वृ ासुर का नाश कर सके. (१)
य य य छ बरं मदे दवोदासाय र धयन्. अय स सोम इ ते सुतः पब.. (२)
हे इं ! आप सोमरस पी जए. सोमरस से मदम त हो कर ही आप ने दवोदास के लए
शंबर का नाश कया. (२)
ए नो ग ध य स ा जदगो . ग रन व तः पृथुः प त दवः.. (३)
हे इं ! आप सभी को य व श ु जत् ह. आप को कोई नह हरा सकता. आप ग र
जैसे वशाल व वगलोक के वामी ह. आप व के सभी वैभव हम दान कराने के लए
हमारे पास पृ वी पर पधारने क कृपा क जए. (३)
यइ सोमपातमो मदः श व चेत त. येना ह स या ३ णं तमीमहे.. (४)
हे इं ! आप अ धक सोमरस का पान करते ह. आप अतीव बलशाली व ब त अ धक
ऊज वी ह. इसी ऊजा (उ साह) से आप मन का नाश कर पाते ह. हम इस लए आप क
उपासना करते ह. (४)
तुचे तुनाय त सु नो ाघीय आयुज वसे. आ द यासः सुमहसः कृणोतन.. (५)
हे आ द यो! आप महान ह. आप हमारी संतान को लंबी आयु द जए. आप हमारी
संतान क संतान को द घ आयु दान करने क कृपा क जए. (५)
वे था ह नऋतीनां व ह त प रवृजम्. अहरहः शु युः प रपदा मव.. (६)
हे इं ! आप व न को र करना जानते ह. आप प व तापूवक आप य का
नराकरण करते ह. आप रोग नवारक ( च क सक) मनु य के समान सभी आप य को र
कर सकते ह. (६)
अपामीवामप धमप सेधत म तम्. आ द यासो युयोतना नो अ हसः.. (७)
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हे आ द यो! आप हम णता व श ुता के भाव से र रखने क कृपा क जए. आप
हम बु से बचाइए. (७)
पबा सोम म म दतु वा यं ते सुषाव हय ा ः.
सोतुबा या सुयतो नावा.. (८)
हे इं ! आप अ वान (घोड़े वाले) ह. आप स ता दे ने वाले सोमरस को पीने क कृपा
क जए. जन प थर से कूटकूट कर सोमरस नकाला जाता है, वे प थर य शाला म वैसे ही
थर ह, जैसे घुड़साल म र सय से बंधे घोड़े थर रहते ह. (८)
छठा खंड
अ ातृ ो अना वमना प र जनुषा सनाद स. युधेदा प व म छसे.. (१)
हे इं ! आप शु से ही भाइय के लड़ाईझगड़ से मु ह. आप के ऐसे भाईबंधु भी
नह ह, जो आप क मदद कर या आप पर राज कर. आप यु म संर ण दे कर अपने
भ के साथ भाईबंधुता था पत करते ह. (१)
यो न इद मदं पुरा व य आ ननाय तमु व तुषे. सखाय इ मूतये.. (२)
हे यजमानो! इं आरंभ से ही धनदाता ह. हम अपने क याण के लए उन क उपासना
करते ह. (२)
आ ग ता मा रष यत थावानो माप थात सम यवः. ढा च म य णवः.. (३)
हे म द्गणो! आप हमारे पास पधा रए. आप हम कोई नुकसान न प ंचाते ए हमारे
पास आइए. जो बलशाली ह, जो मन को ःखी करने वाले ह, वे भी हमारे पास रह. वे
हम से र न रह. (३)
आ या य म दवे ऽ पते गोपत उवरापते. सोम सोमपते पब.. (४)
हे इं दे व! आप घोड़ के मा लक, गाय व उवर भू म के वामी और सोमरस को पीने
वाले ह. हम आप को सोमरस पीने के लए आमं त करते ह. आप आइए और सोमरस
पी जए. (४)
वया ह व ुजा वयं त स तं वृषभ ुवीम ह.
स थे जन य गोमतः.. (५)
हे इं ! आप बैल के समान बलवान ह. जो गोपालक के त ोध करते ह हम उन के
त अपने को जोड़. आप क सहायता से उ चत उ र दे ते ए उन का वरोध कर. उ ह र
करने म आप हमारा साथ द जए. (५)
गाव ा सम यवः सजा येन म तः सब धवः. रहते ककुभो मथः.. (६)
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हे म द्गणो! आप सभी एक जैसे भाव वाले ह. गाएं समान जा त के भाव वाली ह. वे
हर दशा म वचरती ह और पर पर चाट कर ेम भाव को अ भ करती ह. (६)
वं न इ ा भर ओजो नृ ण शत तो वचषणे. आ वीरं पृतनासहम्.. (७)
हे इं ! आप सैकड़ कम करने वाले व वल ण ह. आप हम बलवान बनाइए. आप
हम वैभव व वीर पु दान करने क कृपा क जए. (७)
अधा ही गवण उप वा काम ईमहे ससृ महे. उदे व म त उद भः.. (८)
हे इं ! आप शंसा के यो य ह. जल के साथ जाने वाले लोग भी उस के समान हो
जाते ह. हम आप से अपनी इ छा पूण करने क कामना करते ह. हम आप के पास आ कर
आप क उपासना करते ह. (८)
सीद त ते वयो यथा गो ीते मधौ म दरे वव णे. अ भ वा म नोनुमः.. (९)
हे इं ! सोमरस प र कृत होने के बाद गाय के ध के साथ एकमेक हो जाता है.
सोमरस ऊजादायी व वाणी को ओज दे ता है. उस के पास जैसे प ी इकट् ठे हो कर
चहचहाते ह, वैसे ही हम इकट् ठे हो कर आप को नमन करते ह. (९)
वयमु वामपू थूरं न क चद्भर तो ऽ व यवः. व च हवामहे.. (१०)
हे इं ! आप व वाले व वल ण ह. जैसे गुणी को लोग (आदर पूवक) बुलाते
ह, उसी कार हम आप को बुलाते ह. हम सोमरस से आप को पूरी तरह तृ त करते ह. हम
आप क उपासना करते ह. (१०)
सातवां खंड
वादो र था वषूवतो मधोः पब त गौयः.
या इ े ण सयावरीवृ णा मद त शोभथा व वीरनु वरा यम्.. (१)
हे इं ! सूय प म आप क करण आप के साथ शो भत होती ह. वे करण वा द
मीठे सोमरस को पीती ह. वे करण वरा य म शो भत होती ह. (१)
इ था ह सोम इ मदो चकार वधनम्.
शव व ोजसा पृ थ ा नः शशा अ हमच नु वरा यम्.. (२)
हे इं ! आप व धारी व बलवान ह. सोमरस गुणी है. इन ाथना म हम ने सोमरस
के गुण का वणन कया है. पृ वी पर हमारे श ु का नाश हो. पूरी तरह वरा य क
थापना हो. (२)
इ ो मदाय वावृधे शवसे वृ हा नृ भः.
त म मह वा जषू तमभ हवामहे स वाजेषु नो ऽ वषत्.. (३)
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हे यजमानो! हम यजमान स ता और उ साह क कामना से इं क क त क
बढ़ोतरी करते ह. छोटे बड़े हर कार के यु म वे हमारी र ा करते ह. र ा के लए उन का
आ ान करते ह. वे यु म हमारी र ा कर. (३)
इ तु य मद वो ऽ नु ं व वीयम्.
य यं मा यनं मृगं तव य माययावधीरच नु वरा यम्.. (४)
हे इं ! आप व धारण करते ह. आप ग र (पवत) पर नवास करते ह. आप वराज
क इ छा से अचना करने वाल क सहायता करते ह. यु म आप मायावी हरण क तरह
छलीकपट के नाश के लए कूटनी त का सहारा लेते ह. (४)
े भी ह धृ णु ह न ते व ो न य सते.
इ नृ ण ह ते शवो हनो वृ ं जया अपो ऽ च नु वरा यम्.. (५)
हे इं ! आप सब ओर से मन पर हमला क जए. आप मन का नाश क जए.
आप का व श शाली व आप क श अतुलनीय है. आप ने अपने रा य क इ छा से
वृ ासुर का वध कया, वजय ा त क व जल ा त कया. (५)
य द रत आजयो धृ णवे धीयते धनम्.
युङ् वा मद युता हरी क हनः कं वसौ दधो ऽ मां इ वसौ दधः.. (६)
हे इं ! आप मद चुआने वाले अपने घोड़ को रथ म जो तए. आप कस का नाश करगे
यह आप पर नभर है. आप कस को धन दान करगे यह भी आप पर नभर करता है. आप
हम धन दान क जए. यु म श ु को जीतने वाले ही धन ा त करते ह. (६)
अ मीमद त व या अधूषत.
अ तोषत वभानवो व ा न व या मती योजा व ते हरी.. (७)
हे इं ! यजमान आप के दए ए अ से तृ त ए. यजमान सर हला कर स ता
कट करते ह. तेज वी ा ण नई ाथना पढ़ते ह. आप य म पधारने के लए घोड़ को
रथ म जोतने क कृपा क जए. (७)
उपो षु शृणुही गरो मघव मातथा इव.
कदा नः सूनृतावतः कर इदथयास इ ोजा व ते हरी.. (८)
हे इं ! आप धनवान ह. आप हमारी ाथना को सुनने क कृपा क जए. आप हम कब
अ छ वाणी वाला बनाएंगे? आप हमारी तु तय को अ छ तरह सुनने के लए पधा रए.
आप पधारने के लए अपने घोड़ को रथ म जोतने क कृपा क जए. (८)
च मा अ वा ऽ ३ तरा सुपण धावते द व.
न वो हर यनेमयः पदं व द त व ुतो व ं मे अ य रोदसी.. (९)
आठवां खंड
आ ते अ न इधीम ह ुम तं दे वाजरम्.
य या ते पनीयसी स म दय त वीष तोतृ य आ भर.. (१)
हे अ न! आप अजर (बुढ़ापे से मु ) ह. आप काशमान ह. हम आप को व लत
करते ह. आप वगलोक को का शत करते ह. आप उपासक को भरपूर धन द जए. (१)
आ नं न ववृ भह तारं वा वृणीमहे.
शीरं पावकशो चषं व वो मदे य ेषु तीणब हषं वव से.. (२)
हे अ न! अ छ ाथना से आप को ह व द जाती है. य म आप के लए कुश का
आसन बछाया जाता है. आप सव मौजूद ह. आप काशमान व महान ह. हम वशेष
स ता के साथ आप क उपासना करते ह. (२)
महे नो अ बोधयोषो राये द व मती.
यथा च ो अबोधयः स य व स वा ये सुजाते अ सूनृते.. (३)
हे उषा! आप पहले भी हम जा त करती रही ह. आप हम अब भी जा त क जए.
आप धन ा त के लए हम जा त क जए. आप काशयु और े व ध (अ छ तरह)
से उ प ह. आप वय के पु स य वा पर कृपा र खए. (३)
भ ं नो अ प वातय मनो द मुत तुम्.
अथा ते स ये अ धसो व वो मदे रणा गावो न यवसे वव से.. (४)
हे सोम! सोमरस से हमारा मन स हो जाता है. आप हमारे स मन को बल
द जए. याशील बनाने क कृपा क जए. आप हम हतकारी श द जए. े बनाइए.
आप हम म ता के लए े रत क जए. हमारा आप से वैसा ही सखा भाव हो जाए, जैसा
गाय का घास से हो जाता है. (४)
वा महाँ अनु वधं भीम आ वावृते शवः.
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य ऋ व उपाकयो न श ी ह रवां दधे ह तयोव मायसम्.. (५)
हे इं ! आप भीम (भीषण बलवान) ह. फर भी आप सोमरस का पान कर के अपने
बल क बढ़ोतरी करते ह. आप सुंदर ह. आप सर पर अ छ पगड़ी धारते ह. आप रथ म
घोड़ को जोतते ह. आप दाएं हाथ म व को कड़े क भां त धारण करते ह. (५)
स घा तं वृषण रथम ध त ा त गो वदम्.
यः पा हा रयोजनं पूण म चकेत त योजा व ते हरी.. (६)
हे इं ! आप गाय को जानने वाले (गो वद) ह. आप रथ म वराजते ह. आप का रथ
श शाली है. आप अपने घोड़ को रथ म जो तए. आप हमारी मनोकामनाएं पूरी करने क
कृपा क जए. (६)
अ नं तं म ये यो वसुर तं यं य त धेनवः.
अ तमव त आशवो ऽ तं न यासो वा जन इष तोतृ य आ भर.. (७)
हे अ न! आप बादल म घर क तरह रहते ह. आप क ओर य थान म गाएं आती
ह. आप क ओर ती ग त से घोड़े आते ह. आप क ओर ह व वाले यजमान आते ह. हम
आप क उपासना करते ह. आप यजमान को भरपूर अ दान करने क कृपा क जए.
(७)
न तम हो न रतं दे वासो अ म यम्.
सजोषसो यमयमा म ो नय त व णो अ त षः.. (८)
हे दे वताओ! आप मनु य को ग त क राह पर बढ़ाते ह. अयमा, म और व ण
राचा रय को र करते ह. आप क कृपा से मनु य पाप से र रहता है. आप क कृपा से
मनु य क ग त नह हो पाती है. (८)
नौवां खंड
पर ध वे ाय सोम वा म ाय पू णे भगाय.. (१)
हे सोम! आप का रस सु वा ( वा द ) होता है. आप इं , पूषा व भग दे व के लए
वा हत होइए. (१)
पयू षु ध व वाजसातये प र वृ ा ण स णः.
ष तर या ऋणया न ईरसे.. (२)
हे सोम! आप सोमरस से कलश को भर द जए. आप उस भरेपूरे ोणकलश म भरे
र हए. आप श मान होइए. आप मन पर आ मण क जए. हम आप कज से मु
कराइए. आप हमारे श ु को हराइए. आप उन पर हमला करने के लए जाइए. (२)
दसवां खंड
व तोदाव व तो न आ भर यं वा श व मीमहे.. (१)
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हे इं ! आप श ु का सवनाश करने वाले ह. आप हम भरपूर धन द जए. हम उसी
के लए आप क उपासना करते ह. (१)
एष ा य ऋ वय इ ो नाम ुतो गृणे.. (२)
हे इं ! आप ाता ह. आप ऋतु के अनुकूल काय करते ह. आप का स नाम इं है.
हम आप क उपासना करते ह. (२)
ाण इ ं महय तो अकरवधय हये ह तवा उ.. (३)
हे इं ! हम आप के य क बढ़ोतरी करते ह. हम अ ह रा स के नाश के लए
बु पूवक रचे गए मं से आप क तु त करते ह. (३)
अनव ते रथम ाय त ु व ा व ं पु त ुम तम्.. (४)
हे इं ! कई ऋ ष मु न आप क उपासना करते ह. दे वता ने आप के घोड़ के लए
रथ बनाया है. व ा (दे वता के श पकार) ने आप के लए ुमान (चमचमाते) व का
नमाण कया है. (४)
शं पदं मघ रयी षणो न कामम तो हनो त न पृश यम्.. (५)
यजमान दे वता क कृपा से धन व सुख क ा त करते ह. वे अ छे भवन क ा त
करते ह. जो य याग नह करते, उ ह इन सब क ा त नह होती है. (५)
सदा गावः शुचयो व धायसः सदा दे वा अरेपसः.. (६)
हे यजमानो! गाएं प व व पाप र हत होती ह. वे सभी ा णय ( व ) का भरणपोषण
करने वाली होती ह. (६)
आ या ह वनसा सह गावः सच त वत न य ध भः.. (७)
हे उषा! आप आइए. आप ध से भरे थन वाली गाय को वन से साथ ले कर पधा रए.
(७)
उप े मधुम त य तः पु येम र य धीमहे त इ .. (८)
हे इं ! हम मधुयु च मच से झरता आ धनधा य पाएं. हम आप के पास रहने के
लए इ छु क ह. हम आप से धन पाना चाहते ह. हम आप का यान धरते ह. (८)
अच यक म तः वका आ तोभ त ुतो युवा स इ ः.. (९)
हे म द्गण! आप उ म व काशमान ह. इं उपासना के यो य ह. हम उन क
उपासना करते ह. इं जवान, स व श ुनाशक ह. (९)
व इ ाय वृ ह तमाय व ाय गाथं गायत यं जुजोषते.. (१०)
यारहवां खंड
अचे य न क तह वाट् न सुम थः.. (१)
हे अ न! आप ह ववाहक, काशमान, ानवान ह. जैसे रथ नधा रत जगह ले जाता
है, वैसे ही आप जन जन दे वता के लए जोजो व तु सम पत क जाती है, उसे उनउन
दे वता तक प ंचाते ह. आप सव ाता ह. (१)
अ ने वं नो अ तम उत ाता शवो भुवो व यः.. (२)
हे अ न! आप हमारे समीप ह. आप र क, क याणकारी, संर क व उपासना के
यो य ह. (२)
भगो न च ो अ नमहोनां दधा त र नम्.. (३)
हे अ न! आप महान व र न धारण करते ह. आप सूय जैसे ह और यजमान को
सौभा यवान बनाते ह. (३)
व य तोभ पुरो वा स य दवेह नूनम्.. (४)
हे अ न! आप सभी श ु के नाशक ह. आप य वेद पर न त प से उप थत
रहते ह. (४)
उषा अप वसु मः सं वतय त वत न सुजातता.. (५)
उषा अ छ तरह कट हो कर अपनी करण से अपनी बहन रात के अंधेरे को र
करती है. वह अपना माग का शत करती है. (५)
इमा नु कं भुवना सीषधेमे व े च दे वाः.. (६)
इं और अ य सभी दे व क मदद से ऋ षगण इस भुवन को अपने अनुशासन (वश) म
रखते ह. इस से संसार म सुख बना रहता है. (६)
व ुतयो यथा पथा इ व तु रातयः.. (७)
हे इं ! जैसे छोटे पथ राजपथ से मल जाते ह, वैसे ही आप क कृपा से सभी को धन
क राह मलती है. (७)
अया वाजं दे व हत सनेम मदे म शत हमाः सुवीराः.. (८)
हम दे व हत ा त ह . हम अ व बल ा त हो. हम शतायु ह . हम स रह. हम
सुवीर ( े वीर) संतान मले. (८)
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ऊजा म ो व णः प वतेडाः पीवरी मषं कृणुही न इ .. (९)
हे इं ! म और व ण हम ऊज वी धन दान करते ह. आप हमारे अ को और
अ धक पौ क बनाने क कृपा क जए. (९)
इ ो व य राज त.. (१०)
इं व क शोभा ह. (१०)
बारहवां खंड
क केषु म हषो यवा शरं तु वशु म तृ प सोमम पब णुना सुतं यथावशम्.
स ममाद म ह कम कतवे महामु सैन स े वो दे व सय इ ः
स य म म्.. (१)
उ म द गुण वाला सोमरस इं को ा त आ. श शाली इं ने व णु के साथ
सोमरस को पीया. उस सोमरस म जौ का आटा मलाया. वह तृ तकारी और लोक म
ा त था. उस ने इं को महान काय करने क भी ेरणा दान क . (१)
अय सह मानवो शः कवीनां म त य त वधम.
नः समीची षसः समैरयदरेपसः सचेतसः वसरे म युम त ता गोः.. (२)
सूय हजार मनु य का हत करने वाले क व, दे खने यो य, काशमान व अंधकारभेदक
ह. वे उषा को भेजते ह. उन के काश के सामने चं मा और सरे न क चमक फ क
लगती है. (२)
ए या प नः परावतो नायम छा वदथानीव स प तर ता राजेव स प तः.
हवामहे वा य व तः सुते वा पु ासो न पतरं वाजसातये म ह ं वाजसातये..
(३)
हे इं ! आप स जन के पालनहार ह. जैसे अ न य शाला म पधारते ह, वैसे ही आप
हमारे पास पधारते ह. आप स प त ह. जैसे मन को हरा कर राजा घर आता है, वैसे ही
आप अंत र लोक से हमारे पास पधारते ह. हम यु म मदद के लए उसी तरह आप का
आ ान करते ह, जैसे अ ा द के लए पु पता को बुलाते ह. हम अ आ द भोग के साथ
अ ा द क ा त के लए आप का आ ान करते ह. (३)
त म ं जोहवी म मघवानमु स ा दधानम त कुत वा स भू र.
म ह ो गी भरा च य यो ववत राये नो व ा सुपथा कृणोतु व ी.. (४)
हे इं ! आप धनवान, उ व बलवान ह. आप को कोई नह हरा सकता है. सभी य म
आप क पूजा क जाती है. हम भी आप क पूजा करते ह. हम वाणी से आप क उपासना
करते ह. व धारी इं हमारे सभी पथ सुपथ बनाने क कृपा कर. (४)
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अ तु ौषट् पुरो अ नं धया दध आ नु य छध द ं वृणीमह इ वायू वृणीमहे.
य ाणा वव वते नाभा स दाय न से.
अध नूनमुप य त धीतयो दे वाँ अ छा न धीतयः.. (५)
हम यजमान ने बु पूवक अ न क य वेद म थापना क है. हम द अ न क
उपासना करते ह. हम इं और वायु से भी अपनी तु त सुनने का अनुरोध करते ह. दोन दे व
हम यश और धन दान करने क कृपा कर. हमारी ाथनाएं संबं धत दे व के पास ज र
प ंचगी. हमारे सभी य संबंधी काय दे व के पास प ंचाने के लए ही कए जा रहे ह. (५)
वो महे मतयो य तु व णवे म वते ग रजा एवयाम त्.
शधाय य यवे सुखादये तवसे भ द द ये धु न ताय शवसे.. (६)
हे इं ! आप महान ह. एवयाम त् (ऋ ष) आप क उपासना करते ह. एवयाम त् ऋ ष
क तु तयां म द्गण तक प ंच. एवयाम त् ऋ ष क तु तयां व णु तक प ंच. यजमान
का क याण हो. यजमान को सुखा द ा त हो. यजमान को म द्गण का बल ा त हो.
(६)
अया चा ह र या पुनानो व ा े षा स तर त सयु व भः सूरो न सयु व भः.
धारा पृ य रोचते पुनानो अ षो ह रः.
व ाय प ू ा प रया यृ व भः स ता ये भऋ व भः.. (७)
हे सोम! आप का रस हरे रंग का है. प र कृत सोमरस श ुनाशक है. उस क धारा
चमक ली और तमहारी (अंधकार र करने वाली) है. प र कृत हरी व लाल आभा वाला
सोमरस चमकता आ शो भत होता है. उस क सात रंग वाली करण अनेक प धारण
करती ह. (७)
अ भ यं दे व स वतारमो योः क व तुमचा म स यवस र नधाम भ यं
म तम्.
ऊ वा य याम तभा अ द ुत सवीम न हर यपा णर ममीत सु तुः कृपा वः.. (८)
हे स वता! हम आप क उपासना करते ह. आप क व, स यवान व अ यंत य ह. आप
का काश पृ वीलोक से अंत र लोक तक फैलता है. आप सुनहरे काश वाले ह. आप हम
य करने वाल पर अपनी कृपा बनाए रखते ह. (८)
अ न होतारं म ये दा व तं वसोः सूनु सहसो जातवेदसं व ं न जातवेदसम्.
य ऊ वया व वरो दे वो दे वा या कृपा.
घृत य व ा मनु शु शो चष आजु ान य स पषः.. (९)
हे अ न! आप को हम होता मानते ह. हम आप के दास ह. आप धनदाता, ानदाता व
सव ाता ह. आप जैसे सव ाता और ा ण को हम आ त दान करते ह. हम अपने य
म ऊ व (ऊंचे) लोक म रहने वाले दे व क कृपा चाहते ह. प व और काशमान आप को
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हम घी क आ त भट करते ह. आप स होइए. (९)
तव य य नृतो ऽ प इ थमं पू द व वा यं कृतम्.
यो दे व य शवसा ा रणा असु रण पः.
भुवो व म यदे वमोजसा वदे ज शत तु वदे दषम्.. (१०)
हे इं ! आप सव े , अपूव, द व मनु य के लए क याणकारी ह. वग म आप क
शंसा होती है. आप ने श ुनाश कया. श ु को हराया. आप ने जल वा हत कया. आप
सैकड़ कम करने वाले ह. आप सव ाता ह. आप अपने बल के साथ पधा रए. आप हमारी
ह व वीकारने क कृपा क जए. (१०)
पहला खंड
उ चा ते जातम धसो द व सद्भू या ददे . उ शम म ह वः.. (१)
हे सोम! वगलोक म आप के पोषक रस का ज म आ है. उसी वगलोक से आप
मह वपूण सुख और चुर अ पृ वी पर प ंचाते ह. (१)
वा द या म द या पव व सोम धारया. इ ाय पातवे सुतः.. (२)
इं के लए सोमरस नचोड़ा गया है. हे सोम! आप रसीले ह. आप स ता दे ने वाले
और वा द ह. आप क धाराएं नरंतर झर. (२)
वृषा पव व धारया म वते च म सरः. व ा दधान ओजसा.. (३)
हे सोम! आप गाढ़ गाढ़ धारा से यजमान के मटक म पधा रए. आप उन इं को
स क जए, जन क म द्गण भी सेवा करते ह. आप इं क साम य और बढ़ाइए और
यजमान क मनोकामनाएं पूरी क जए. (३)
य ते मदो वरे य तेना पव वा धसा. दे वावीरघश सहा.. (४)
हे सोम! आप का रस दे वता को ब त य, रा स का नाशक है. आप का रस
ब त स तादायी है. आप इस रस के साथ कलश (मटक ) म पधा रए. (४)
त ो वाच उद रते गावो मम त धेनवः. ह ररेत क न दत्.. (५)
य के समय तीन वेद के मं गाए जाते ह. धा गाएं अपने दोहन के लए रंभाती
ह. हरा सोमरस आवाज करता आ मटक म जाता है. (५)
इ ाये दो म वते पव व मधुम मः. अक य यो नमासदम्.. (६)
हे सोम! आप ब त मीठे ह. आप य शाला म पधा रए. आप इं के लए कलश म
पधा रए (जाइए). (६)
असा शुमदाया सु द ो ग र ाः. यनो न यो नमासदत्.. (७)
हे सोम! आप पवत पर पैदा ए ह. आप को स ता के लए नचोड़ा जाता है. जल से
सरा खंड
सोमासो मद युतः वसे नो मघोनाम्. सुता वदथे अ मुः.. (१)
हे सोम! आप स ता बढ़ाने वाले ह. आप को ह व दे ने के लए नचोड़ा गया है. आप
को अ और यश ा त के उद्दे य से इन कलश म भरा गया है. (१)
सोमासो वप तो ऽ पो नय त ऊमयः. वना न म हषा इव.. (२)
हे सोम! आप बु बढ़ाने वाले ह. आप पानी क लहर क तरह कलश म जाते ह.
आप वन के पशु क तरह प व पा म पधारते ह. (२)
पव वे दो वृषा सुतः कृधी नो यशसो जने. व ा अप षो ज ह.. (३)
हे सोम! आप बल और इ छा पू त के लए नचोड़े गए ह. आप हम यश वी बनाइए.
आप हमारे सभी श ु को न क जए. (३)
वृषा स भानुना ुम तं वा हवामहे. पवमान व शम्.. (४)
हे सोम! आप इ छा पू त, प व करने वाले व काशमान ह. आप सब को एक नजर
(समान ) से दे खते ह. हम इस य म आप को आमं त करते ह. (४)
इ ः प व चेतनः यः कवीनां म तः. सृजद रथी रव.. (५)
हे सोम! आप चेतना दे ने वाले ह. आप सभी को य ह. व ान क तु त के साथ
आप को पा म छाना जाता है. जैसे सारथी घोड़े को वश म रखता है, वैसे ही आप को धार
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से वश म कर के कलश म भरा जाता है. (५)
असृ त वा जनो ग ा सोमासो अ या. शु ासो वीरयाशवः.. (६)
हे सोम! आप बलवान, बल दे ने वाले एवं वेगवान ह. यजमान ने गाय , घोड़ और पु
को पाने क इ छा से आप को नचोड़ा है. (६)
पव व दे व आयुष ग ं ग छतु ते मदः. वायुमा रोह धमणा.. (७)
हे सोम! आप काशमान ह. आप छनने के लए पा म पधा रए. आप का आनंददायी
रस इं को प ंचे. आप धारा के प म वायु को ा त क जए. (७)
पवमानो अजीजन व ं न त यतुम्. यो तव ानरं बृहत्.. (८)
सोम प व ए. उस के बाद उ ह ने वगलोक से सब को का शत कर सकने वाली
यो त (वै ानर) को बजली क तरह चमकाया. (८)
प र वानास इ दवो मदाय बहणा गरा. मधो अष त धारया.. (९)
सोमरस नचोड़ने के बाद प व ाथना से यजमान तु त करते ए धारा म बांध कर
उसे छानते ह. (९)
प र ा स यद क वः स धो माव ध तः. का ं ब पु पृहम्.. (१०)
सोमरस बु बढ़ाने वाला है. अनेक लोग ारा चाहा गया है. लहर क तरह जल म
मलता है. यह यजमान क इ छा से पा म छनछन कर चू रहा है. (१०)
तीसरा खंड
उपो षु जातम तुरं गो भभ ं प र कृतम्. इ ं दे वा अया सषुः.. (१)
सोमरस को पानी, गाय का ध और घी मला कर अ छ तरह तैयार कया गया है. यह
श ुनाशक है. यह उ म सोमरस दे वता तक प ंचे. (१)
पुनानो अ मीद भ व ा मृधो वचष णः. शु भ त व ं धी त भः.. (२)
सोमरस बु बढ़ाने वाला, प व व सभी श ु पर आ मण करता है. ानी उस
सोम क तो से शोभा बढ़ाते ह. (२)
आ वश कलश सुतो व ा अष भ यः. इ र ाय धीयते.. (३)
शु सोमरस नकाल लया गया है. यह कलश म भरा जा रहा है. यह इ छा पू त करने
वाला सोमरस इं के लए भट कया जाता है. (३)
अस ज र यो यथा प व े च वोः सुतः. का म वाजी य मीत्.. (४)
चौथा खंड
अ च दद्वृषा ह रमहा म ो न दशतः. स सूयण द ुते.. (१)
सोम कामना पूरी करते ह. वे हरे और हमारे महान म ह. वे सूय के समान का शत
होते ह. नचोड़ते समय वे श द करते ह. (१)
आ ते द ं मयोभुवं व म ा वृणीमहे. पा तमा पु पृहम्.. (२)
हे सोम! आप बलदाता, सुखदाता, धनदाता, श ुनाशक व अनेक लोग ारा चाहे जाते
ह. आज य म हम आप के उस बल को याद करते ह. (२)
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अ वय अ भः सुत सोमं प व आ नय. पुनाही ाय पातवे.. (३)
हे पुरो हतो! प थर से कूटकूट कर नचोड़े गए सोमरस को आप छान कर मटक म
प ंचाइए. इं के पीने के लए आप सोमरस को शु बनाइए. (३)
तर स म द धाव त धारा सुत या धसः. तर स म द धाव त.. (४)
नचोड़ी गई सोमरस क धाराएं इं को स ता दे ने वाली ह. यह सोमरस जो इं को
दे ता है, वह ऊ व (ऊंची) ग त पाता है. वह सभी पाप से पार हो जाता है. (४)
आ पव व सह ण रय सोम सुवीयम्. अ मे वा स धारय.. (५)
हे सोम! आप हजार कार के े धन व अ हम दान क जए. (५)
अनु नास आयवः पदं नवीयो अ मुः. चे जन त सूयम्.. (६)
पुराने समय म लोग ने े थान पाने के लए सूय के समान तेज वी सोम को उ प
कया. (६)
अषा सोम ुम मो ऽ भ ोणा न रो वत्. सीद योनौ वने वा.. (७)
हे सोम! आप ब त काशमान एवं श द करते ए य पा म छनते ह. आप वन और
य शाला म वरा जए. (७)
वृषा सोम ुमाँ अ स वृषा दे व वृष तः. वृषा धमा ण द षे.. (८)
हे सोम! आप बलवान, तेज वी व इ छा पू त के संक प वाले ह. आप बल बढ़ाने वाले
इन गुण को धारण करने वाले ह. (८)
इषे पव व धारया मृ यमानो मनी ष भः. इ दो चा भ गा इ ह.. (९)
हे सोम! व ान् यजमान आप को नचोड़ते व छानते ह. हम अ रस ा त कराने के
लए आप धारा के प म छनते ए कलश म पधा रए. आप गौ आ द पशु को ा त
होइए. (९)
म या सोम धारया वृषा पव य दे वयुः. अ ा वारे भर मयुः.. (१०)
हे सोम! आप इ छा पूरी करने वाले व दे वता ारा चाहे गए ह. हम भी आप को
चाहते ह. बाल से बनी छलनी से छ नए. आप आनंददायी धारा का प ध रए व संर ण
द जए. (१०)
अया सोम सुकृ यया महा स यवधथाः. म दान इद् वृषायसे.. (११)
हे सोम! आप महान, अपने अ छे काय के कारण स माननीय व आनंददाता ह. आप
बैल क तरह श दे ते ह. (११)
पांचवां खंड
पुनानः सोम धारयापो वसानो अष स.
आ र नधा यो नमृत य सीद यु सो दे वो हर ययः.. (१)
हे सोम! आप प व करने वाले व पानी के साथ मल कर जलधार के प म आप
मटक म वेश करते ह. आप र न आ द क मती धन दे ने वाले और य मंडप म वराजमान
होते ह. आप काशमान, दे वता का हत साधने वाले, सुंदर, चमक ले व बहने वाले ह.
(१)
परीतो ष चता सुत सोमो य उ म ह वः.
दध वाँ यो नय अ वा ३ तरा सुषाव सोमम भः.. (२)
हे सोम! आप दे वता के लए सव े ह व ह. आप मनु य का हत साधने वाले ह.
आप को पुरो हत प थर के ारा नचोड़ते ह. हे यजमानो! आप इस सोमरस म जल
मलाइए. (२)
आ सोम वानो अ भ तरो वारा य या.
जनो न पु र च वो वश रः सदो वनेषु द षे.. (३)
हे सोम! प थर से कूट कर आप का रस नकाल लया जाता है. उस के बाद भेड़ के
बाल से बनी छलनी से छाना जाता है. हरे रंग वाला सोमरस ोणकलश म ऐसे वेश करता
है, जैसे नगर म पु ष. सोमरस लकड़ी के बरतन म वराजमान रहता है. (३)
सोम दे ववीतये स धुन प ये अणसा.
अ शोः पयसा म दरो न जागृ वर छा कोशं मधु तम्.. (४)
हे सोम! दे वता के पीने के लए आप को सधु के समान जल के साथ मलाया जाता
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है. आप आनंददायी होने के साथसाथ चेतना जगाने वाले भी ह. आप जल से मल कर मीठा
रस बरसाने वाले बरतन म वरा जए. (४)
सोम उ वाणः सोतृ भर ध णु भरवीनाम्.
अ येव ह रता या त धारया म या या त धारया.. (५)
यजमान सोमरस नचोड़ते ह. सोमरस भेड़ के बाल से बनी छलनी से छन कर नीचे
कलश म गरता है. यह हरा और आनंददायी है. यह धारा से मटक म जाता है. (५)
तवाह सोम रारण स य इ दो दवे दवे.
पु ण ब ो न चर त मामव प रधी र त तां इ ह.. (६)
हे सोम! हम आप क म ता म हर दन रमे रह. कई रा स हम क दे ते ह. आप
उन सब का नाश क जए. (६)
मृ यमानः सुह या समु े वाच म व स.
र य पश ं ब लं पु पृहं पवमाना यष स.. (७)
हे सोम! आप को अ छे हाथ क अ छ अंगु लय से नकाला गया है. आप प व
करने वाले ह. आप कलश म जाते समय आवाज करते ह. आप आराधक को चाहा गया एवं
पीला धन ( वण) दे ते ह. (७)
अ भ सोमास आयवः पव ते म ं मदम्.
समु या ध व पे मनी षणो म सरासो मद युतः.. (८)
सोमरस वेगवान है. वह मन को भाने वाला है. सोमरस आनंददायी है. पानी से भरे
मटक म साफ कर के सोमरस डाला जाता है. (८)
पुनानः सोम जागृ वर ा वारैः प र यः.
वं व ो अभवो ऽ र तम म वा य ं म म णः.. (९)
हे सोम! आप जा त दे ने वाले, य व प व ह. आप भेड़ के बाल से बनी छलनी म
छन कर नीचे गरते ह. आप अं गरस ऋ षय क परंपरा म सब से े ह. आप बु व क
ह. आप हमारे इस य को प व क जए. (९)
इ ाय पवते मदः सोमो म वते सुतः.
सह धारो अ य मष त तमी मृज यायवः.. (१०)
सोमरस आनंददायी है. वह साफ छाना आ है. वह म त से यु इं के लए तैयार
कया जाता है. सोमरस अनेक धारा वाला है. यह छलनी म छन कर शु होता है. फर
यजमान मं से इसे और शु करते ह. (१०)
पव व वाजसातमो ऽ भ व ा न वाया.
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व समु ः थमे वधमन् दे वे यः सोम म सरः.. (११)
हे सोम! आप को सब तो से प व कया गया है. आप खासतौर पर अ , धन ा त
कराने वाले व दे वता को आनंद दे ने वाले ह. आप को उ ह के लए खासतौर पर तैयार
कया जाता है. (११)
पवमाना असृ त प व म त धारया.
म व तो म सरा इ या हया मेधाम भ या स च.. (१२)
सोम म द्गण से यु , आनंददायी, इं के य व अ मय ह. य म काम आने वाला
शु सोमरस प व हो कर पा म गरता है. (१२)
छठा खंड
तु व प र कोशं न षीद नृ भः पुनानो अ भ वाजमष.
अ ं न वा वा जनं मजय तो ऽ छा बह रशना भनय त.. (१)
हे सोम! आप शी आइए. आप कलश म वरा जए. यजमान आप को प व करते ह.
आप यजमान को अ व धन द जए. जैसे बलवान घोड़े क र सी अंगुली से पकड़ कर उस
को शु कया जाता है, वैसे ही यजमान प व कर के आप को य शाला तक प ंचाते ह.
(१)
का मुशनेव व ु ाणो दे वो दे वानां ज नमा वव .
म ह तः शु चब धुः पावकः पदा वराहो अ ये त रेभन्.. (२)
यजमान उशना ऋ ष क तरह तो का पाठ करते ह. वे दे वता से संबं धत वृ ांत
बताते ह. वे ती ह. सोमरस काशमान व प व कारी है. उ म सोमरस आवाज करते ए
कलश म छनता है. (२)
त ो वाच ईरय त व ऋत य धी त णो मनीषाम्.
गावो य त गोप त पृ छमानाः सोमं य त मतयो वावशानाः.. (३)
यजमान ऋ वेद, यजुवद और सामवेद के मं से सोम क तु त करते ह. उन क तु त
ानमय है. वह तु त य को धारण करने वाली है. जैसे गाय के पास बैल जाते ह, वैसे ही
आराधक उ म सुख क इ छा से सोम के पास तु त करने के लए जाते ह. (३)
अ य ेषा हेमना पूयमानो दे वो दे वे भः समपृ रसम्.
सुतः प व ं पय त रेभन् मतेव स पशुम त होता.. (४)
सोमरस सोने से शु कया गया है. यह द और प व है. इसे दे वता को चढ़ाया
जाता है. नचोड़ा गया सोमरस वैसे ही पा म जाता है, जैसे वाला गाय के बाड़े म जाता है.
(४)
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सोमः पवते ज नता मतीनां ज नता दवो ज नता पृ थ ाः.
ज नता नेज नता सूय य ज नते य ज नतोत व णोः.. (५)
सोमरस बु दायी, वगलोक को का शत करने वाला, पृ वी को पु करने वाला व
आनंददायी है. वह अ न, इं और व णु को आनंद दे ने वाला है. इसे पा म तैयार कया
जाता है. (५)
अ भ पृ ं वृषणं वयोधाम ो षणमवावश त वाणीः.
वना वसानो व णो न स धु व र नधा दयते वाया ण.. (६)
सोम तीन थान — अंत र , वन प त और शरीर म वास करने वाले ह. वे श मान
और अ दाता ह. उपासक ऊंची वाणी से उन क तु त करते ह. जल के दे वता व ण क
तरह जल म मलने वाले सोम उपासक को धन दे ते ह. (६)
अ ां समु ः थमे वधम जनयन् जा भुवन य गोपाः.
वृषा प व े अ ध सानो अ े बृह सोमो वावृधे वानो अ ः.. (७)
सोम जलमय ह. वे य के र क, इ छा पूरक और श वधक ह. वे यजमान को सब
से यादा उ साह और उ त दे ने वाले ह. (७)
क न त ह ररा सृ यमानः सीद वन य जठरे पुनानः.
नृ भयतः कृणुते न णजं गामतो म त जनयत वधा भः.. (८)
यजमान सब ओर से दबा व कूट कर सोमरस नकालते ह. वह हरा व प व है. वह
लकड़ी के बरतन म गरता आ बारबार आवाज करता है. उसे गाय के ध म मलाया जाता
है. इस से ह व बनाई जाती है. यजमान इस क तु त करते ह. (८)
एष य ते मधुमाँ इ सोमो वृषा वृ णः प र प व े अ ाः.
सह दाः शतदा भू रदावा श मं ब हरा वा य थात्.. (९)
हे इं ! आप का य सोमरस इ छा पूरी करता है. आप के लए यह मधुर श दायी
सोमरस छन रहा है. यह सैकड़ , हजार कार का धन दे ने वाला है. सोम ाचीन काल से ही
य म जा कर वराजते ह. (९)
पव व सोम मधुमाँ ऋतावापो वसानो अ ध सानो अ े.
अव ोणा न घृतव त रोह म द तमो म सर इ पानः.. (१०)
हे सोम! आप मधुर, जल म मलने वाले व ऊंचे थान पर वराजते ह. आप छन कर
प व होते ह. आप आनंददायी व इं के लए जल म मल कर तैयार होते ह. (१०)
सातवां खंड
नौवां खंड
अ भ या ण पवते चनो हतो नामा न य ो अ ध येषु वधते.
आ सूय य बृहतो बृह ध रथं व व चम ह च णः.. (१)
हे सोम! आप द वाले ह. सूय का रथ सब जगह जा सकता है. आप उस रथ
पर वराजमान होते ह और सारे संसार को दे खते ह. आप य जल म मलते ह एवं अ को
बढ़ाते ह. आप ापक होते ए बहते ह. (१)
अचोदसो नो ध व व दवः वानासो बृहद्दे वेषु हरयः.
व चद ाना इषयो अरातयो ऽ य नः स तु स नष तु नो धयः.. (२)
हे सोम! आप सर से े रत नह होते. आप का रस हरा है. आप को व धवत नचोड़ा
जाता है. आप हमारे य म पधा रए. आप य और यजमान के मन तथा दान न दे ने वाले
लोग को अ क इ छा होने पर भी अ , धन मत द जए. हमारी ाथनाएं जन जन
दे वता के लए ह, वे उनउन दे वता तक प ंच. (२)
एष कोशे मधुमाँ अ च द द य व ो वपुषो वपु मः.
अ यृ ३ त य सु घा घृत तो वा ा अष त पयसा च धेनवः.. (३)
हे सोम! आप का रस इं के व क भां त ब त ही बलवान और मीठा है. यह रस
व न करता आ ोणकलश म वेश करे. सोमरस क धाराएं फल को मधुर बनाने वाली,
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जल बरसाने वाली व धा गाय के समान आवाज करने वाली ह. (३)
ो अयासी द र य न कृत सखा स युन मना त स रम्.
मय इव युव त भः समष त सोमः कलशे शतयामना पथा.. (४)
यह सोमरस इं के पेट म प ंचता है. म क तरह सोम इं को कसी भी कार का
कोई क नह दे ते. युवक जैसे युव तय के साथ घुल मल कर रहता है, वैसे ही सोमरस जल
के साथ घुल मल कर रहता है. वह छलनी के अनेक छे द से छनछन कर मटके म जाता है.
(४)
धता दवः पवते कृ ो रसो द ो दे वानामनुमा ो नृ भः.
ह रः सृजानो अ यो न स व भवृथा पाजा स कृणुषे नद वा.. (५)
सोमरस सब को धारण कर सकता है. यह कम करने वाला और दे वता क श
बढ़ाने वाला है. यह छनछन कर घड़े म वेश करता है. श शाली यजमान इस को नचोड़ते
ह. यह श शाली घोड़े क तरह वेग से न दय के जल म वयं को मला लेता है. (५)
वृषा मतीनां पवते वच णः सोमो अ ां तरीतोषसां दवः.
ाणा स धूनाँ कलशाँ अ च द द य हा ा वश मनी ष भः.. (६)
सोम सब क इ छा पूरी करने वाले, वशेष कृपा रखने वाले, उषा और सूय क
श बढ़ाने वाले ह. व ान् यजमान इसे छानते ह. न दय का जल मला कर इसे तैयार
कया गया है. इं के पेट म प ंचने के लए यह श द करता आ घड़े म वेश करता है. (६)
र मै स त धेनवो रे स यामा शरं परमे ोम न.
च वाय या भुवना न न णजे चा ण च े य तैरवधत.. (७)
सोम े य म नवास करने वाले ह. इन के लए इ क स गाएं नय मत प से शु
ध दे ती ह. चार लोक के जल, शु ध होने के लए क याणकारी प से बहते ह. (७)
इ ाय सोम सुषुतः प र वापामीवा भवतु र सा सह.
मा ते रस य म सत या वनो वण व त इह स व दवः.. (८)
हे सोम! भलीभां त आप का रस नकाला जाता है. आप को इं के लए तैयार कया
गया है. रोग और रा स आप के पास न फटक. जो पापी लोग झूठा और स चा दोन तरह
का वहार करते ह, उन पर आप क कृपा न हो. आप हम इस य म धन दान क जए.
(८)
असा व सोमो अ षो वृषा हरी राजेव द मो अ भ गा अ च दत्.
पुनानो वारम ये य य येनो न यो न घृतव तमासदत्.. (९)
सोमरस काशमान, श व क और हरा है. वह राजा के समान सुंदर और दे खने
दसवां खंड
इ म छ सुता इमे वृषणं य तु हरयः. ु े जातास इ दवः व वदः.. (१)
सोमरस ब त ज द तैयार कया गया है. यह ान क बढ़ोतरी करने वाला और हरा है.
यह शी ही इ छा पूण करने वाले श मान इं के पास प ंचे. (१)
ध वा सोम जागृ व र ाये दो प र व. ुम त शु ममा भर व वदम्.. (२)
हे सोम! आप उ साह और फुत दे ने वाले ह. आप इं के पीने के लए इस कलश म
वेश क जए. आप हम काशवान और ानवान बनाइए. (२)
सखाय आ न षीदत पुनानाय गायत. शशुं न य ैः प र भूषत ये.. (३)
हे यजमानो! आप हमारे म ह. आप आइए व बै ठए. आप सोम को छानते समय क
जाने वाली तु त गाइए. जैसे ब चे को आभूषण से सजाया जाता है, वैसे ही आप ह व और
यारहवां खंड
पव व मधुम म इ ाय सोम तु व मो मदः. म ह ु तमो मदः.. (१)
हे सोम! आप अ यंत मधुर ह. आप य के बारे म सब कुछ जानने वाले ह. आप
सव म, काशमान व तेज वी ह. आप इं को आनंद दे ने के लए प व होइए. (१)
अ भ ु नं बृह श इष पते दद ह दे व दे वयुम्. व कोशं म यमं युव.. (२)
हे सोम! आप अ के वामी, काशमान, तु त व दे वता के पीने (पाने) यो य ह.
आप हम यश और बल द जए. आप ोणकलश को लबालब भर द जए. (२)
आ सोता प र ष चता ं न तोमम तुर रज तुरम्. वन मुद ुतम्.. (३)
हे यजमानो! सोम घोड़े जैसे वेगवान व तु त करने यो य ह. वे पानी क तरह वहमान
(बहने वाले) ह तथा काश क करण क तरह कह भी शी प ंचने वाले ह. आप सोमरस
को नचो ड़ए और उसी म जल मलाइए. उस के बाद उसे गो ध से स चए. (३)
एतमु यं मद युत सह धारं वृषभं दवो हम्. व ा वसू न ब तम्.. (४)
सोमरस स तादायी है, कई धारा से ोणकलश म झरता है, श बढ़ाने वाला है
तथा सभी धन का वामी है. व ान् यजमान सोमरस नचोड़ते ह. (४)
स सु वे यो वसूनां यो रायामानेता य इडानाम्. सोमो यः सु तीनाम्.. (५)
सोम धन, ध आ द रस व श के वामी ह. ये े संतान दे ने वाले ह. यजमान े
सोमरस नचोड़ते ह. (५)
वं ा३ दै ं पवमान ज नमा न ुम मः अमृत वाय घोषयन्.. (६)
हे सोम! आप प व , पूजनीय व काशवान ह. आप दे वता के बारे म सब कुछ
जानते ह. आप उन क अमरता क घोषणा करते ह. आप यजमान से उन क तु त कराते
ह. (६)
एष य धारया सुतो ऽ ा वारे भः पवते म द तमः. ळ ू मरपा मव.. (७)
सोम अ यंत आनंददायी ह. ये जल क लहर क तरह खेलतेकूदते ह. सोमरस को भेड़
के बाल से बनी छलनी से कलश म धार बना कर छाना जाता है. (७)
य उ या अ प या अ तर म न नगा अकृ तदोजसा.
अ भ जं त नषे ग म ं वम व धृ पवा ज.. (८)
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सोम बादल म जल को छ भ करते ह. वे बादल फैलाने वाले और जल को धारण
करने वाले ह. वे रा स ारा हरे गए गाय और घोड़ को घेर लेते ह. वे श ुनाशक ह.
कवचधारी वीर के समान सोम श ु को मार दे ते ह. (८)
पहला खंड
इ ये ं न आ भर ओ ज ं पुपु र वः.
य धृ ेम व ह त रोदसी उभे सु श प ाः.. (१)
हे इं ! आप व पा ण (हाथ म व धारण करने वाले) ह. आप सुंदर ठु ड्डी वाले ह.
आप हम यश और बलदायी अ दान क जए. आप हम वगलोक और पृ वीलोक दोन
को पु बनाने वाला धन दान क जए. (१)
इ ो राजा जगत षणीनाम ध मा व पं यद य.
ततो ददा त दाशुषे वसू न चोद ाध उप तुतं चदवाक्.. (२)
इं चराचर व पृ वी क सभी व तु और धन के वामी ह. वे दानदाता को सब कार
का धन दे ते ह. अ छ तरह तु त कए जाने पर वे पया त धन दे ते ह. (२)
य येदमा रजोयुज तुजे जने वन वः. इ य र यं बृहत्.. (३)
तेज वी इं का दान दा नय और वग दोन म शंसनीय है. इं का दान े और
संतोष दे ने वाला है. (३)
उ मं व ण पाशम मदवाधमं व म यम थाय.
अथा द य ते वयं तवानागसो अ दतये याम.. (४)
हे व ण! आप ऊपर और नीचे क ओर के बंधन को हम से र क जए. आप हमारे
सारे बंधन को श थल क जए. जस से हम आप के व ध वधान के अनुसार चल कर पाप
और क र हत जीवन जी सक. (४)
वया वयं पवमानेन सोम भरे कृतं व चनुयाम श त्.
त ो म ो व णो मामह ताम द तः स धुः पृ थवी उत ौः.. (५)
हे सोम! आप जग को प व करने वाले ह. आप क मदद से हम यु म अपना कत
भलीभां त नबाह सक. अ द त, म , व ण, पृ वी, सधु दे वता तथा वगलोक हम यश वी
बनाने क कृपा कर. (५)
सरा खंड
वमेतदधारयः कृ णासु रो हणीषु च. प णीषु श पयः.. (१)
हे इं ! काली, लाल और अनेक रंग वाली गाय म (सब म) आप ने एक जैसा
चमचमाता सफेद ध था पत कया है. हम आप के इस आ यजनक साम य क शंसा
करते ह. (१)
अ च षसः पृ र य उ ा ममे त भुवनेषु वाजयुः.
माया वनो म मरे अ य मायया नृच सः पतरो गभमादधुः.. (२)
उषा के संबंधी सूय खास ह. वे वयं काशमान और सब को का शत करने वाले ह.
वे ही जल बरसाने वाले मेघ का प भी ह. वे ही आकाश म गजना करते ह. बु मान
दे वता ने बु से इस जग को रचा. मनु य को दे खने वाले पतर ने माता के पेट (गभ) म
इसे था पत कया. (२)
इ इ य ः सचा स म आ वचोयुजा. इ ो व ी हर ययः.. (३)
इं के संकेत (इशारे) मा से घोड़े एक साथ रथ म जुत जाते ह. इं व धारी व
आभूषणधारी ह. (३)
तीसरा खंड
म य वच अथो यशो ऽ थो य य य पयः.
परमे ी जाप त द व ा मव हतु.. (१)
जा का पालन करने वाले जाप त वगलोक म नवास करते ह. वे हम आ म ान
व यश दे ने क कृपा कर. वे हम य से संबध
ं रखने वाली उ म ह व और अ साम ी दान
करने क कृपा कर. (१)
सं ते पया स समु य तु वाजाः सं वृ या य भमा तषाहः.
आ यायमानो अमृताय सोम द व वा यु मा न ध व.. (२)
हे सोम! आप श ुनाशक ह. आप ह व के लए नधा रत ध साम ी ा त क जए.
अमरता पाने के लए आप वगलोक म े अ और े बल को ा त क जए. (२)
व ममा ओषधीः सोम व ा वमपो अजनय वं गाः.
वमातनो वा ३ त र ं वं यो तषा व तमो ववथ.. (३)
हे सोम! आप ने पृ वीलोक म मौजूद सारी ओष धय को उ प कया है. आप ने जल
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को उ प कया है. आप ने गाय को उ प कया है. आप ने आकाश को फैलाया है. आप
ने अंधकार को र कया है. (३)
अ नमीळे पुरो हतं य य दे वमृ वजम्. होतार र नधातमम्.. (४)
हम यजमान संसार का क याण करने क इ छा रखते ह. हम अ न क तु त करते ह.
वे य म दे वता के त ह. हम य म अ न व लत करते ह. वे हम सुख और ऐ य
दान करते ह. (४)
ते म वत थमं नाम गोनां ः स त परमं नाम जानन्.
ता जानतीर यनूषत ा आ वभुव णीयशसा गावः.. (५)
ऋ षय ने सब से पहले यह जाना क वाणी के श द पूजनीय ह. उस के बाद उ ह ने
सात के तगुने यानी इ क स छ द म तो होते ह, यह ान ा त कया. उस के बाद वाणी
से उषा क तु त क . उस के बाद सूय के तेज के साथ ही काशमान अ य तु तयां
(वा णयां) उ प . (५)
सम या य युपय य याः समानमूव न पृण त.
तमू शु च शुचयो द दवा समपा पातमुप य यापः.. (६)
बरसात का पानी जमीन पर गर कर जमीन के पानी के साथ मल जाता है. ये दोन
पानी नद का प धारण कर लेते ह और समु म मल जाते ह. वहां ये पानी समु अ न
को आनंद दे ते ह. इसी कार सोमरस पानी म मल कर आनं दत करता है. (६)
आ ागा ा युव तर ः केतू समी स त.
अभूदभ
् ा नवेशनी व य जगतो रा ी.. (७)
सूय क करण को समेटने वाली रा पी ी आ गई है. यह सारे संसार को आराम
दे ने वाली है. यह सारे संसार का क याण चाहने वाली है. (७)
य वृ णो अ ष य नू महः नो वचो वदथा जातवेदसे.
वै ानराय म तन से शु चः सोम इव पवते चा र नये.. (८)
अ न सव ा त व काशमान ह. हम उन क तु त करते ह. हम य म उन के लए
तो गाते ह. वे सभी मनु य का हत करने वाले ह. उन के पास तो वैसे ही जाते ह, जैसे
य म सोम जाते ह. (८)
व े दे वा मम शृ व तु य मुभे रोदसी अपां नपा च म म.
मा वो वचा स प रच या ण वोच सु ने व ो अ तमा मदे म.. (९)
सभी दे वगण हमारे पूजनीय तो को सुनने क कृपा कर. वगलोक और पृ वीलोक
दोन हमारे तो को सुनने क कृपा कर. अ न हमारे तो सुन. हम कभी भी अ य और
चौथा खंड
ाज य ने स मधान द दवो ज ा चर य तरास न.
स वं नो अ ने पयसा वसु व य वच शे ऽ दाः.. (१)
हे अ न! आप चमचमाते ह. आप का मुख का शत है. उस मुख म जीभ अ न क
वाला म डाली गई ह व खाती है. आप धन दे ने वाले ह. आप अ व रमणीय धन द जए.
(१)
पांचवां खंड
अ न आयू ष पवस आ सुवोज मषं च नः. आरे बाध व छु नाम्.. (१)
हे अ न! आप हमारे अ क आयु बढ़ाने क कृपा क जए. आप हमारी आयु
बढ़ाइए. हमारे बल क आयु बढ़ाइए. आप को हम से र क जए. (१)
व ाड् बृह पबतु सो यं म वायुदध पताव व तम्.
वातजूतो यो अ भर त मना जाः पप त ब धा व राज त.. (२)
सूय ब त काशमान ह. वे खूब सोमरस पीएं. वे यजमान को न कंटक रख. उ ह
द घायु कर. वायु सूय क करण को र र तक प ंचाते ह. उन से वे जा का पालन करते
ह. अनेक कार से का शत होने म समथ होते ह. (२)
च ं दे वानामुदगादनीकं च ु म य व ण या नेः.
आ ा ावापृ थवी अ त र सूय आ मा जगत त थुष .. (३)
सूय दे वता के द तेज का समूह ह. वे म , व ण तथा अ न के ने ह. सूय के
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उगते ही वगलोक, पृ वीलोक और अंत र लोक आ द सभी उन के काश से जगमगा जाते
ह. (३)
आयं गौः पृ र मीदसद मातरं पुरः. पतरं च य वः.. (४)
सूय ग तशील व तेज वी ह. वे उ दत हो कर ऊपर थत हो जाते ह. सब से पहले वे
पृ वीलोक (माता), फर वगलोक ( पता) फर अंत र लोक को ा त होते ह. (४)
अ त र त रोचना य ाणादपानती. य म हषो दवम्.. (५)
सूय का काश अपनी करण से आकाश म घूमता है. सूय के उगने पर ये करण
दखती ह और अ त होने पर गायब हो जाती ह. सूय अंत र लोक को वशेष प से
का शत करते ह. (५)
श ाम व राज त वा पत ाय धीयते. त व तोरह ु भः.. (६)
दन क तीस घ ड़य तक सूय अपनी करण से का शत होते ह. इन सूय के लए हर
एक मुख वेदवाणी उचारता है ( तु त करता है). (६)
अप ये तायवो यथा न ा य य ु भः. सूराय व च से.. (७)
दन म जैसे चोर छप जाते ह, वैसे ही सूय के उगने पर ह, न , तारागण आ द छप
जाते ह. (७)
अ य केतवो व र मयो जनाँ अनु. ाज तो अ नयो यथा.. (८)
जैसे हम जलती ई अ न क वाला दे ख सकते ह, वैसे ही सूय क का शत करण
को हम दे ख सकते ह. वे सब को दे ख सकती ह. (८)
तर ण व दशतो यो त कृद स सूय. व माभा स रोचनम्.. (९)
हे सूय! आप सब को पार लगाने वाले ह. आप सारे संसार को दे ख सकते ह. आप सब
को का शत कर सकते ह. चं मा, ह, न आ द को आप ही चमकाते ह. (९)
यङ् दे वानां वशः यङ् ङु दे ष मानुषान्. यङ् व व शे.. (१०)
हे सूय! आप म द्गण के दे खते ए उन के सामने उ दत होते ह. आप मनु य के
दे खते ए उ दत होते ह. आप सभी के दे खते ए यानी सब के सामने कट होते ह. (१०)
येना पावक च सा भुर य तं जनाँ अनु. वं व ण प य स.. (११)
हे सूय! आप सभी को प व व का शत करने वाले ह. आप जस काश से सब को
का शत करते ह हम उस क उपासना करते ह. (११)
उ यामे ष रजः पृ वहा ममानो अ ु भः. प य मा न सूय.. (१२)
पहला खंड
उपा मै गायता नरः पवमानाये दवे. अ भ दे वाँ इय ते.. (१)
हे यजमानो! आप दे वता के लए य करना चाहते ह. आप छान कर साफ कए गए
सोमरस क तु त क जए. (१)
अ भ ते मधुना पयो ऽ थवाणो अ श युः. दे वं दे वाय दे वयु.. (२)
सोमरस द है. यह दे वता को य है. इसे दे वता ने दे वता के लए खोजा है.
अथवा ऋ षय ने गाय का ध मला कर इसे यजमान के लए तैयार कया है. (२)
स नः पव व शं गवे शं जनाय शमवते. श राज ोषधी यः.. (३)
हे सोम! आप हतकारी ह. आप हमारी गौ को सुख द जए. आप हमारे पु पौ
(आने वाली पी ढ़य ) व घोड़ को सुख द जए. आप ओष धय को हमारे लए क याणकारी
बनाइए. (३)
द व ुत या चा प र ोभ या कृपा. सोमाः शु ा गवा शरः.. (४)
सोमरस ब त चमक ला है. इस क धारा सब ओर टपकती ई आवाज करती है. साफ
नथारे ए सोमरस को गाय के ध म मलाया जाता है. (४)
ह वानो हेतृ भ हत आ वाजं वा य मीत्. सीद तो वनुषो यथा.. (५)
जैसे यु म शूरवीर क शंसा होती है व उसे त ा मलती है, वैसे ही य म
सोमरस क यजमान शंसा करते ह व य भू म म सोम को त ा मलती है. (५)
ऋध सोम व तये संज मानो दवा कवे. पव व सूय शे.. (६)
हे सोम! आप बु मान व परमवीर ह. आप सूय क भां त ऊपर चढ़ द काशमय
हो कर सब का क याण क जए. (६)
पवमान य ते कवे वा ज सगा असृ त. अव तो न व यवः.. (७)
हे सोम! आप श वधक ह. छानते समय आप क धार ऐसी ग तशील होती है, जैसे
सरा खंड
अ न आ या ह वीतये गृणानो ह दातये. न होता स स ब ह ष.. (१)
हे अ न! हम आप क तु त करते ह. दे वता को ह व प ंचाने के लए हम आप का
आ ान करते ह. आप य म कुश के आसन पर वरा जए. (१)
तं वा स म र रो घृतेन वधयाम स. बृह छोचा य व .. (२)
हे अ न! आप सुंदर व त ण (युवा) ह. हम स मधा और घी से आप को व लत
करते ह. आप व लत होइए. (२)
स नः पृथु वा यम छा दे व ववास स. बृहद ने सुवीयम्.. (३)
हे अ न! आप हम यश और यशदायी मता दोन ही दान क जए. लोग उस यश के
बारे म सुनने (जानने) के लए इ छु क रह. (३)
आ नो म ाव णा घृतैग ू तमु तम्. म वा रजा स सु तू.. (४)
हे म और व ण! आप े कम करने वाले ह. आप हमारे गौ थान को घी, ध से
स चने क कृपा क जए. आप हमारे लए परलोक के नवास थान को भी े , मधुर रस
से स चने क कृपा क जए. (४)
उ श सा नमोवृधा म ा द य राजथः. ा घ ा भः शु च ता.. (५)
हे म ाव ण! आप प व काय करने वाले ह. आप अनेक लोग से शं सत ह. ह व के
अ से आप बढ़ते ह. आप अपनी श से सुशो भत होते ह. (५)
गृणाना जमद नना योनावृत य सीदतम्. पात सोममृतावृधा.. (६)
हे म ाव ण! जमद न ऋ ष आप क तु त करते ह. आप य थान म पधा रए,
वरा जए. आप हमारे ारा तैयार कए गए सोमरस को हण क जए. आप हमारे य के
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कमफल को बढ़ाने क कृपा क जए. (६)
आ या ह सुषुमा ह त इ सोमं पबा इमम्. इदं ब हः सदो मम.. (७)
हे इं ! आप हमारे य म पधा रए. हम ने आप के लए व छ सोमरस तैयार कया है.
आप इस सोमरस को पी जए. आप इस कुश के आसन पर वराजमान होइए. (७)
आ वा युजा हरी वहता म के शना. उप ा ण नः शृणु.. (८)
हे इं ! आप के केश वाले मनोहर घोड़े मं सुनते ही वाहन म जुत जाते ह. आप के
घोड़े आप को य म लाने का क कर. आप हमारे पास य म पधार कर भलीभां त हमारी
ाथना को सुनने क कृपा क जए. (८)
ाण वा युजा वय सोमपा म सो मनः. सुताव तो हवामहे.. (९)
हे इं ! यजमान सोमय (कता) करने वाले ह. सोमरस तैयार करने वाले यजमान
ा ण ह. हम आप के यो य ाथना से सोमरस पीने वाले आप को आमं त करते ह.
(९)
इ ा नी आ गत सुतं गी भनभो वरे यम्. अ य पातं धये षता.. (१०)
हे अ न! हे इं ! सोमरस को हम ने अपनी तु तय से प व बनाया है. सोम वग से
आए ह. इ ह ने हमारे भ भाव को वीकार कया है. आप इस सोमरस को वीकार करने
क कृपा क जए. (१०)
इ ा नी ज रतुः सचा य ो जगा त चेतनः. अया पात मम सुतम्.. (११)
हे अ न! हे इं ! आप यजमान पर कृपा क जए. आप उन क मदद क जए. सोमरस
चेतनादायी है. उस से हम य करते ह. आप उस सोमरस को हण करने क कृपा क जए.
(११)
इ म नं क व छदा य य जू या वृणे. ता सोम येह तृ पताम्.. (१२)
हे अ न! हे इं ! सोम य के मुख साधन ह. हम उन क ेरणा से े रत होते ह. आप
दोन दे वता यजमान के लए उपयु फलदाता ह. आप सोमरस पी कर तृ त होइए और हम
य फल दान करने क कृपा क जए. (१२)
तीसरा खंड
उ चा ते जातम धसो द व स या ददे . उ शम म ह वः.. (१)
हे सोम! वगलोक म आप ने ज म पाया है. आप श व क, सुखदायी व यशदायी
ह. यजमान भू मलोक पर अ के प म आप को ा त करते ह. (१)
चौथा खंड
अ भ वा शूर नोनुमो ऽ धा इव धेनवः.
ईशानम य जगतः व शमीशान म त थुषः.. (१)
हे इं ! आप श मान, सव ाता व जगत् के वामी ह. जैसे बना ही ई गाएं रंभाती
ई अपने बछड़ क ओर भागती ह, वैसे ही हम आप के दशन और कृपा के लए लाला यत
ह. (१)
न वावाँ अ यो द ो न पा थवो न जातो न ज न यते.
अ ाय तो मघव वा जनो ग त वा हवामहे.. (२)
हे इं ! आप धनवान ह. आप जैसा न कोई वगलोक और न इस पृ वीलोक म आ है
और न होगा. हम गोधन व धनधा य के लए आप क तु त करते ह. (२)
कया न आ भुव ती सदावृधः सखा. कया श च या वृता.. (३)
इं सदै व बढ़ने वाले ह. वे वल ण, अ यंत श मान व हमारे सखा ह. हम कस बु
और कन संतु दायी पदाथ से आप क उपासना कर? कन कन श य से आप हमारे
सहयोगी ह गे? (३)
क वा स यो मदानां म ह ो म सद धसः. ढा चदा जे वसु.. (४)
सोम आदरणीय व स य न के लए आनंददायी ह. उ ह आनंद दे ने म वे सब से आगे
ह. सोम बलवान श ु के धन को न करने के लए इं को उ साह और साम य दान
करते ह. (४)
अभी षु णः सखीनाम वता ज रतृणाम्. शतं भवा यूतये.. (५)
हे इं ! आप हमारे म व यजमान के संर क ह. आप हमारी सैकड़ कार से र ा
करने के लए अ छ तैयारी कर ली जए. (५)
तं वो द ममृतीषहं वसोम दानम धसः.
अ भ व सं न वसरेषु धेनव इ ं गी भनवामहे.. (६)
गोशाला म गाएं जैसे बछड़ के लए लाला यत हो कर रंभाती ह, वैसे ही हम इं क
तु त के लए लाला यत हो कर ाथना करते ह. वे श ु से र ा करते ह. वे काशमान व
सोमरस से संतु होने वाले ह. (६)
ु सुदानुं त वषी भरावृतं ग र न पु भोजसम्.
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ुम तं वाज श तन सह णं म ू गोमनतमीमहे.. (७)
हे इं ! आप वगलोकवासी ह. आप उ म दान के दाता, ब त मतावान व पालनहार
ह. हम सैकड़ हजार क सं या म गोधन आप से चाहते ह. हम चुर अ , धन आप से
चाहते ह. (७)
तरो भव वद सु म सबाध ऊतये.
बृहद्गाय तः सुतसोमे अ वरे वे भरं न का रणम्.. (८)
ब चे अपनी सहायता के लए जैसे अपने भरणपोषण करने वाल को पुकारते ह, वैसे
ही हम यजमान अपनी सहायता के लए इं को पुकारते ह. इं वेगवान घोड़ वाले व
वैभवशाली ह. हे याजको! आप सोमय म अपनी र ा के लए बृह साम का गायन करते
ए उन क उपासना क जए. (८)
न यं ा वर ते न थरा मुरो मदे षु श म धसः.
आ या शशमानाय सु वते दाता ज र उ यम्.. (९)
इं सुंदर ठु ड्डी वाले ह. श शाली रा स व मरणधमा मनु य ( कतने ही श शाली
ह ) भी उ ह नह हरा सकते. वे सोमरस के आनंद म सोम य करने वाल को चुर यशदायी
धन दे ते ह. हम मन से उन क तु त करते ह. (९)
पांचवां खंड
वा द या म द या पव व सोम धारया. इ ाय पातवे सुतः.. (१)
इं के पीने के लए वा द और मीठा सोमरस तैयार कया गया है. वह सोमरस
अपनी पूण मददायी धारा से इं के लए झरे. (१)
र ोहा व चष णर भ यो नमयोहते. ोणे सध थमासदत्.. (२)
सोम रा सनाशक ह. जग ा ह. वे सोने के ोणकलश म वराजमान हो कर य थल
म त त हो गए. (२)
व रवोधातमो भुवो म ह ो वृ ह तमः. प ष राधो मघोनाम्.. (३)
हे सोम! आप धनदाता ह. आप श ु के बल नाशक ह. आप धनवान श ु के
पास मौजूद रहने वाले धन हम दान क जए. (३)
पव व मधुम म इ ाय सोम तु व मो मदः. म ह ु तमो मदः.. (४)
हे सोम! आप अ यंत मधुर ह. आप यजमान को कम का फल दे ते ह. आप काशमान
व तृ तदायी ह. आप इं के लए पा म छन कर तैयार हो जाइए. (४)
छठा खंड
य ाय ा वो अ नये गरा गरा च द से.
वयममृतं जातवेदसं यं म ं न श सषम्.. (१)
हे यजमानो! आप उपासना करने वाले ह. आप को हर य म व लत हो कर बढ़ने
वाले अ न क वाणी से तु त करनी चा हए. अ न अमर, ानी व हमारे म ह. हम उन क
उपासना करते ह. (१)
ऊज नपात स हनायम मयुदाशेम ह दातये.
भुव ाजे व वता भुवद्वृध उत ाता तनूनाम्.. (२)
अ न लगातार अ और श दाता ह. वे हमारा क याण चाहते ह. हम दे वता तक
ह व प ंचाने के लए अ न दे वता को ह व दान करते ह. वे यु म हमारे र क और हमारे
लए ग तकारी ह. वे हमारे पु के भी र क होने क कृपा कर. हम उन क उपासना करते
ह. (२)
ए षु वा ण ते ऽ न इ थेतरा गरः. ए भवधास इ भः.. (३)
हे अ न! आप आइए. हम आप के लए व ध वधान से तो उचारते ह. आप हमारी
और सर क तु तय को सु नए. सोमरस आप को बढ़ोतरी दान कर. (३)
य व च ते मनो द ं दधस उ रम्. त यो न कृणवसे.. (४)
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हे अ न! आप का मन जहां कह भी, जस पर भी है, आप उसे े बल और े
आवास दान करने क कृपा कर. (४)
न ह ते पूतम पद्व ेमानां पते. अथा वो वनवसे.. (५)
हे अ न! आप नयम आ द क र ा करने वाले, उन का पालन करने वाले यजमान क
र ा करते हो. उन का पालन करते हो. आप हमारी सेवा को वीकार क जए. आप का तेज
हमारी आंख को कसी भी कार क हा न न प ंचाए. (५)
वयमु वामपू थूरं न क चद्भर तो ऽ व यवः. व च हवामहे.. (६)
हे इं ! आप अपूव, व धारण करने वाले, वल ण व सव म ह. हम आप को
सोमरस चढ़ाना चाहते ह. हम आप से र ा का अनुरोध करते ह. हम आप को उसी तरह
पुकारते ह, जैसे नबल अपनी सहायता के लए सबल को पुकारता है. (६)
उप वा कम ूतये स नो युवो ाम यो धृषत्.
वा म य वतारं ववृमहे सखाय इ सान सम्.. (७)
हे इं ! हम य म अपनी र ा के लए आप क शरण लेते ह. आप श ुनाशक व युवा
ह. आप हमारे पास आइए. हमारी म ता वीका रए. आप के बारे म स है क आप
सेवा करने यो य ह. सब क र ा करते ह. (७)
अधा ही गवण उप वा काम ईमहे ससृ महे. उदे व म त उद भः.. (८)
हे इं ! आप उपासना करने यो य ह. हम आप से उसी कार अपनी इ छा पू त क
ाथना करते ह, जैसे पानी ले जाने वाले मनु य उस से अपनी इ छानुसार खेलते ह. (८)
वाण वा य ा भवध त शूर ा ण. वावृ वा सं चद वो दवे दवे.. (९)
हे इं ! आप व धारी व वीर ह. न दयां जैसे समु तक प ंच कर उसे बढ़ाती ह, उसी
कार हमारी तु तयां आप तक प ंच कर आप के यश को और बढ़ाती ह. (९)
यु त हरी इ षर य गाथयोरौ रथ उ युगे वचोयुजा. इ वाहा व वदा.. (१०)
इं ग तशील ह. उन के घोड़े उन के बड़े जुए वाले बड़े रथ म कहने मा से ही जुत
जाते ह. ये घोड़े गंत थान को भी वयं ही जानने वाले ह. ये यजमान क तु त सुनते ही
नधा रत जगह के लए चल पड़ते ह. (१०)
पहला खंड
पा तमा वो अ धस इ म भ गायत.
व ासाह शत तुं म ह ं चषणीनाम्.. (१)
हे यजमानो! आप इं क तु त क जए. वे आप के ारा चढ़ाए गए सोम पी अ को
पीने वाले तथा श ु का नाश करने वाले ह. वे सैकड़ कार के कम करने वाले व मनु य
को धन दे ने वाले ह. (१)
पु तं पु ु तं गाथा या ३ सन ुतम्. इ इ त वीतन.. (२)
हे यजमानो! आप इं क उपासना क जए. वे ब त स ह. वे य म अनेक लोग
ारा बुलाए जाते ह. अनेक लोग ारा उन क उपासना क जाती है. (२)
इ इ ो महोनां दाता वाजानां नृतुः. महाँ अ भ वा यमत्.. (३)
हे यजमानो! इं अ और धन दे ने वाले ह. वे महान दे व ह. वे हमारे सामने कट हो
कर हम अ धन आ द दे ने क कृपा कर. (३)
व इ ाय मादन हय ाय गायत. सखायः सोमपा ने.. (४)
हे यजमानो! इं ह र नाम के घोड़े वाले ह. वे सोमरस पीने वाले ह. आप उन इं के
लए मादक तो गाइए. (४)
श से थ सुदानव उत ु ं यथा नरः. यकृमा स यराधसे.. (५)
हे यजमानो! इं े धनदाता और स य पी धन वाले ह. हम व ध वधान स हत इं
क तु त करते ह. आप भी उन क तु त क जए. (५)
वं इन इ वाजयु वं ग ुः शत तो. व हर ययुवसो.. (६)
हे इं ! आप सैकड़ कार के कम करने वाले ह. आप हम अ , गाएं व सोना द जए.
(६)
वयमु वा त ददथा इ वाय तः सखायः. क वा उ थे भजर ते.. (७)
हे इं ! हम आप को अपना बनाना चाहते ह. हम म भाव से आप क उपासना करते
सरा खंड
अयं त इ सोमो नपूतो अ ध ब ह ष. एहीम य वा पब.. (१)
हे इं ! हम ने आप के लए छान कर सोमरस तैयार कया है. य क वेद पर बछे ए
कुश के आसन पर उसे त त कया है. आप ज द ही उस के नकट पधा रए. उस
सोमरस को पीने क कृपा क जए. (१)
शा चगो श चपूजनाय रणाय ते सुतः. आख डल यसे.. (२)
हे इं ! आप साम यवान व काशमान करण वाले ह. आप श मान, पूजनीय और
श ु का मानमदन करने वाले ह. हम ने आप क तृ त के लए यह सोमरस तैयार कया
है. आप पधा रए. इस सोमरस को हण क जए. (२)
य ते शृ वृषो णपा णपा कु डपा यः. य मन् द आ मनः.. (३)
हे इं ! शृंगवृष ऋ ष के पु सूय को आप ने धुरी पर था पत कया है. कुंडपायी य ,
जस म कुं डय से सोमरस पया जाता है, म मन लगाने क कृपा क जए. (३)
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आ तू न इ म तं च ं ाभ सं गृभाय. महाह ती द णेन.. (४)
हे इं ! आप बड़ेबड़े हाथ वाले ह. आप दाएं हाथ म हमारे लए यश वी, वल ण और
उपयु धन धारण क जए. आप हम उस धन को दान करने क कृपा क जए. (४)
व ा ह वा तु वकू म तु वदे णं तुवीमघम्. तु वमा मवो भः.. (५)
हे इं ! आप ब त श मान व ब त दे ने यो य संप वाले ह. आप ब त धनवान व
वशाल आकृ त वाले ह. हम जानते ह क आप के पास संर ण के ब त सारे साधन ह. (५)
न ह वा शूर दे वा न मतासो द स तम्. भीमं न गां वारय ते.. (६)
हे इं ! आप परा मी ह. आप दाता ह. जैसे भारी भरकम भयंकर बैल को कोई नह
हटा सकता है, वैसे ही या दे व, या मनु य कोई भी आप को नह डगा सकता. (६)
अ भ वा वृषभा सुते सुत सृजा म पीतये. तृ पा ुही मदम्.. (७)
हे इं ! आप बलशाली ह. हम आप के पीने के लए अ छ तरह छान कर सोमरस
तैयार करते ह. आप उस मदम त बना दे ने वाले सोमरस को पी कर तृ त होइए. (७)
मा वा मूरा अ व यवो मोपह वान आ दभन्. मा क षं वनः.. (८)
हे इं ! आप ा ण से े ष रखने वाल क सेवा वीकार मत क जए. मूख मनु य व
सर क हंसी उड़ाने वाल पर अपनी कृपा मत क जए. ये लोग आप पर कसी तरह अपना
भाव न जमा पाएं. (८)
इह वा गोपरीणसं महे म द तु राधसे. सरो गौरो यथा पब.. (९)
हे इं ! यजमान आप से ब त धन पाना चाहते ह. वे गाय के ध म मले सोमरस से
आप को तृ त करना चाहते ह. हरण जैसे तालाब म जल पीता है, वैसे ही आप इस य म
(पधार कर) सोमरस पी जए. (९)
इदं वसो सुतम धः पबा सुपूणमुदरम्. अनाभ य रमा ते.. (१०)
हे इं ! आप सव ापक ह. आप पेट भर कर इस सोमरस को पी जए. हम आप जैसे
नभय को सोमरस सम पत करते ह. (१०)
नृ भध तः सुतो अ ैर ा वारैः प रपूतः. अ ो न न ो नद षु.. (११)
हे इं ! नद के पानी म धो कर जैसे घोड़े को साफ करते ह, वैसे ही पानी म प थर से
कूट कर इस सोमरस को साफ कया है. प थर से कूट कर इस का रस नचोड़ा है. भेड़ के
बाल क छलनी से छानछान कर इसे साफ कया है. (११)
तं ते यवं यथा गो भः वा मकम ीण तः. इ वा म सधमादे .. (१२)
तीसरा खंड
इद वोजसा सुत राधानां पते. पबा वा ३ य गवणः.. (१)
हे इं ! आप धनप त, उपासना के यो य व बलशाली ह. आप नयमपूवक सं कार कए
गए इस सोमरस को शी हण क जए. (१)
य ते अनु वधामस सुते न य छ त वम्. स वा मम ु सो य.. (२)
हे इं ! आप सोम के यो य ह. यह सोमरस आप के लए तृ तदायी हो. यह सोमरस
अ व प है. आप इस सोमरस म सशरीर पधा रए. (२)
ते अ ोतु कु योः े णा शरः. बा शूर राधसा.. (३)
हे इं ! आप श मान ह. वशु सोम ाथना से आप के सर, दोन भुजा व
कांख तक प ंचे. हम आप से धन चाहते ह. (३)
आ वेता न षीदते म भ गायत. सखाय तोमवाहसः.. (४)
हे यजमानो! आप इं को स करने के लए शी आइए, बै ठए. उन के लए ाथना
व उपासना क जए. (४)
पु तमं पु णामीशानं वायाणाम्. इ सोमे सचा सुते.. (५)
हे यजमानो! आप इकट् ठे होइए. इं श ु को हराने क साम य रखते ह. वे ऐ य के
वामी ह. आप सभी उन क उपासना क जए. (५)
स घा नो योग आ भुव स राये स पु या. गम ाजे भरा स नः.. (६)
हे इं ! आप हम वीर बनाइए और नखा रए. आप हम समृ दान क जए. आप हम
ान व पोषकता दान क जए. आप हमारे समीप पधारने क कृपा क जए. (६)
योगेयोगे तव तरं वाजेवाजे हवामहे. सखाय इ मूतये.. (७)
हे यजमानो! हम पर बारबार काम म अपनी र ा के लए अपने म इं का आ ान
करते ह. (७)
अनु न यौकसो वे तु व त नरम्. यं ते पूव पता वे.. (८)
इं वगवासी ह. वे ब त लोग क मदद करते ह. हमारे पता (पूवज ) ने उन का
आ ान कया था. हम भी उन का आ ान करते ह. (८)
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आ घा गम द व सह णी भ त भः. वाजे भ प नो हवम्.. (९)
हे यजमानो! हम आशा है क इं हमारी ाथना से स ह गे. वे अपनी र ा और
वैभव के साथ हमारे पास अव य पधारगे. (९)
इ सुतेषु सोमेषु तुं पुनीष उ यम्. वदे वृध य र य महाँ ह षः.. (१०)
हे इं ! आप के पु आप के लए सोमरस प र कृत करते ह. आप महान ह. आप उन
के य तथा उन के तो क बढ़ोतरी करते ह. (१०)
स थमे ोम न दे वाना सदने वृधः. सुपारः सु व तमः सम सु जत्.. (११)
हे यजमानो! इं थम दे वता ह. वे आकाश म दे वता के आवास म नवास करते ह.
वे भलीभां त हमारी र ा करते ह. वे हम यश दान करते ह. वे असुर वजेता ह. हम उन का
आ ान करते ह. (११)
तमु वे वाजसातय इ ं भराय शु मणम्. भवा नः सु ने अ तम् सखा वृधे.. (१२)
हे इं ! हम अ ा त के लए आप का आ ान करते ह. हम अपने भरणपोषण के
लए आप का आ ान करते ह. हम सुमन (अ छे मन वाले) व आप के सखा बन. आप
हमारी बढ़ोतरी म हमारा सहयोग करने क कृपा क जए. (१२)
चौथा खंड
एना वो अ नं नमसोज नपातमा वे.
यं चे त मर त व वरं व य तममृतम्.. (१)
हे अ न! आप व के त ह. आप अमर, य व अ य ह. हम अपने य म आप का
आ ान करते ह. (१)
स योजते अ षा व मोजसा स व वा तः.
सु ा य ः सुशमी वसूनां दे व राधो जनानाम्.. (२)
अ न लोग के लए धन व प, व ान्, संयमशील व सब को जोड़ते ह. आप सम त
व को ओज से पूण करते ह. हम आप का आ ान करते ह. (२)
यु अद याय यू ३ छ ती हता दवः.
अपो मही वृणुते च ुषा तमो यो त कृणो त सूनरी.. (३)
उषा वगलोक क पु ी व अंधकार को र करती ह. वे अपनी करण से सभी को
का शत करती ह. वे आंख क यो त ह. वे अंधकार म यो त ह. वे उ म नारी ह. (३)
उ याः सृजते सूयः सचा उ म चवत्.
पांचवां खंड
अय नामनु ुत शु ं े अ यः. पयः सह सामृ षम्.. (१)
सोमरस चमक ला, ान बढ़ाने वाला व मनोकामना पूरी करने वाला है. ऋ षय ने इस
के सह व प का मरण कर के इसे तैयार कया है. (१)
अय सूय इवोप गय सरा स धाव त. स त वत आ दवम्.. (२)
सोम सात धारा से उसी कार दौड़ते ह ( वा हत होते ह), जस तरह सूय वगलोक
से सात करण से धरती पर आने के लए दौड़ते ह. (२)
अयं व ा न त त पुनानो भुवनोप र. सोमो दे वो न सूयः.. (३)
सोम सभी भुवन के ऊपर त त ह व सम त संसार पर राज करते ह. वे हमारे सूय
ह. (३)
एष नेन ज मना दे वो दे वे यः सुतः. ह रः प व े अष त.. (४)
सोमरस द है. दे वता सं कारपूवक उसे प र कृत करते ह. वह हरा है और उसे प व
छलनी म प र कृत कया जाता है. (४)
एष नेन म मना दे वो दे वे य प र. क व व ेण वावृधे.. (५)
सोम क व और व ान से शंसा ा त करते ह. वे सभी दे वता से ऊपर ह. उन को
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सं कारपूवक अनेक व धय से प र कृत कया जाता है. (५)
हानः न म पयः प व े प र ष यसे. दं दे वाँ अजीजनः.. (६)
सोमरस को छलनी से प र कृत कया जाता है और उसे बरतन (पा ) म नचोड़ा जाता
है. सोम आवाज करते ए पा म जाते ह तो लगता है मानो वे दे वता का आ ान कर रहे
ह . (६)
उप श ापत थुषो भयसमा धे ह श वे. पवमान वदा र यम्.. (७)
हे सोम! आप अक याणका रय को भयभीत क जए. आप हमारा मागदशन क जए.
आप हम धनधा य से प रपूण करने क कृपा क जए. (७)
उपो षु जातम तुरं गो भभ प र कृतम्. इ ं दे वा अया सषुः.. (८)
सोमरस को नचोड़ा जाता है. त प ात उस को प र कृत कया जाता है. फर जल म
मलाया जाता है. आप को गाय के ध म मलाया जाता है. दे वता भी सोम को बुलाते ह.
(८)
उपा मै गायता नरः पवमानाये दवे. अ भ दे वाँ इय ते... (९)
हे यजमानो! आप दे वता के गुण गाने क अपे ा सोम के गुण गाइए. (९)
छठा खंड
सोमासो वप तो ऽ पो नय त ऊमयः. वना न म हषा इव.. (१)
सागर क लहर सागर म जैसे मल जाती ह, वैसे सोमरस जल म मल जाता है. वन म
मले भस क तरह सोमरस जल म एकमेक हो जाता है. (१)
अ भ ोणा न ब वः शु ा ऋत य धारया. वाजं गोम तम रन्.. (२)
सोमरस चमक ला है. वह अपनी ऋत क धारा से भूरा सोम गाय के ध म झरता है.
वह श मान है. (२)
सुता इ ाय वायवे व णाय म द् यः. सोमा अष तु व णवे.. (३)
सोम इं , वायु, म द्गण व व णु को ा त ह . (३)
सोम दे ववीतये स धुन प ये अणसा.
अ शोः पयसा म दरो न जागृ वर छा कोशं मधु तम्.. (४)
हे सोम! आप को पानी से भरीपूरी न दय क तरह पानी म मलाया जाता है. आप
म दर (आनंददायी) व जा त ह. मधुरता चुआते ए सोमरस (पा म) इकट् ठा होता है. (४)
पहला खंड
पव व वाचो अ यः सोम च ा भ त भः. अ भ व ा न का ा.. (१)
हे सोम! आप मुख ह, आगे क पं म रहने वाले ह. आप हमारी तु तय पर यान
द जए. हमारी सभी तु तय और ाथना को सु नए. आप पूजनीय व संर णशील ह.
(१)
व समु या अपो ऽ यो वाच ईरयन्. पव व व चषणे.. (२)
हे सोम! आप सभी के कम को यान से दे खने वाले ह. आप अ ग य तु तय के
ेरक ह. अंत र के जल आप को ा त होते ह. (२)
तु येमा भुवना कवे म ह ने सोम त थरे. तु यं धाव त धेनवः.. (३)
हे सोम! आप के ही लए ये लोक थर ह. आप क महानता के कारण ये लोक थर
ह. गाएं आप को ध दे ने के लए दौड़दौड़ कर आप के पास आ रही ह. (३)
पव वे दो वृषा सुतः कृधी नो यशसो जने. व ा अप षो ज ह.. (४)
छाना आ आप का रस फू तदायी है. आप छनते ए अपनी धारा से प व होइए.
हम लोग को यश वी बनाइए. हमारे सभी श ु का नाश क जए. (४)
य य ते स ये वय सास ाम पृत यतः. तवे दो ु न उ मे.. (५)
हे सोम! हम आप के म ह. हम ने आप से तेज वता पाई है. हम सभी श ु को
न करने क मता वाले हो गए ह. (५)
या ते भीमा यायुधा त मा न स त धूवणे. र ा सम य नो नदः.. (६)
हे सोम! आप के अ श भयंकर ह. वे श ु को डरा दे ने वाले ह. उन क सहायता
से श ु ारा क गई नदा क पीड़ा से हमारी र ा क जए. (६)
वृषा सोम ुमाँ अ स वृषा दे व वृष तः. वृषा धमा ण द षे.. (७)
हे सोम! आप श मान, काशमान, इ छापूरक एवं बल बढ़ाने के लए संक पशील
ह. हे इ छापूरक! आप दे वता और मनु य सब के लए क याणकारी कम धारण करने वाले
सरा खंड
अ नं तं वृणीमहे होतारं व वेदसम्. अ य य य सु तुम्.. (१)
अ न सभी धन पास रखने वाले, दे वता को य म बुलाने वाले, य को ठ क तरह
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कराने वाले व दे व को ह व प ंचाने वाले ह. हम आप क उपासना करते ह. (१)
अ नम न हवीम भः सदा हव त व प तम्. ह वाहं पु यम्.. (२)
हे अ न! आप जापालक, ह ववाहक, सव य, बुलाने यो य व अनेक नाम वाले ह.
आप हम सब के नेता ह. हम मं से आप का आ ान करते ह. (२)
अ ने दे वाँ इहा वह ज ानो वृ ब हषे. अ स होता न ई ः.. (३)
हे अ न! आप अर णय से उ प होने वाले व दे वता के त ह. आप आसन फैलाने
वाले यजमान के लए दे वता को बुला लाइए. आप मददगार और उपासना के यो य ह.
(३)
म ं वय हवामहे व ण सोमपीतये. या जाता पूतद सा.. (४)
हम शु , बलवान और य थल म कट होने वाले म और व ण दे वता का सोमरस
पीने के लए य म आ ान करते ह. (४)
ऋतेन यावृतावृधावृत य यो तष पती. ता म ाव णा वे.. (५)
म और व ण दे वता यजमान पर दयालु ह. वे स यमा गय पर कृपालु ह. उन
काशमान म और व ण दे वता का हम आ ान करते ह. (५)
व णः ा वता भुव म ो व ा भ त भः. करतां नः सुराधसः.. (६)
म और व ण दे वता अपने सभी र ा साधन से हमारी र ा कर. वे हमारे शरणदाता
ह. वे हम यश वी धन दान करने क कृपा कर. (६)
इ मद्गा थनो बृह द मक भर कणः. इ ं वाणीरनूषत.. (७)
साम गाने वाले पुरो हत ने बृह साम गा कर इं क तु त क . यजमान ने भी मं गा
कर इं क तु त क . शेष बचे ए लोग ने भी वाणी से इं क तु त क . (७)
इ इ य ः सचा स म आ वचोयुजा. इ ो व ी हर ययः.. (८)
इं व धारी ह. वे सोने के आभूषणधारी ह. उन क वाणी सुनते ही ह र नामक घोड़े
रथ म जुत जाते ह. अब वे अपने उ ह घोड़ को एक साथ रथ म जोतने वाले ह. (८)
इ वाजेषु नो ऽ व सह धनेषु च. उ उ ा भ त भः.. (९)
हे इं ! आप कसी से नह हार सकते. आप हम अपना बल संर ण दान क जए.
जन यु म हजार हाथीघोड़ का लाभ होता है, उन यु म भी आप हमारी सहायता
क जए. (९)
इ ो द घाय च स आ सूय रोहय व. व गो भर मैरयत्.. (१०)
तीसरा खंड
वृषा पव व धारया म वते च म सरः. व ा दधान ओजसा.. (१)
हे सोम! आप श व क ह. आप धारा प म छ नए. आप ोणकलश म पधा रए.
आप अपने बल से व को धारण करने वाले म त के म इं को आनंद दान क जए.
(१)
तं वा धतारमो यो ३: पवमान व शम्. ह वे वाजेषु वा जनम्.. (२)
हे सोम! आप प व , वगलोक, पृ वीलोक को धारण करने वाले व सव ा ह. आप
को हम यु म जाने के लए े रत करते ह. हम आप अ आ द द जए. (२)
अया च ो वपानया ह रः पव य धारया. युजं वाजेषु चोदय.. (३)
हे सोम! आप हरे ह. आप को अंगु लय से नचोड़ा गया है. आप ोणकलश म धारा
प म झरते जाइए. आप अपने म इं को यु म जाने के लए े रत क जए. (३)
वृषा शोणो अ भक न दद्गा नदय े ष पृ थवीमुत ाम्.
इ येव व नुरा शृ व आजौ चोदय ष स वाचमेमाम्.. (४)
हे सोम! हमारी ाथना को सुन कर आप उसी तरह आवाज करते ह, जैसे गाय को
दे ख कर लाल बैल आवाज करता है. आप वगलोक और पृ वीलोक पर पधारते ह. इं के
श द के समान हम आप क आवाज सुनते ह. आप अपना व प सब को बोध कराते ह.
यजमान क ाथना को सुनने क कृपा करते ह. (४)
चौथा खंड
वा म हवामहे सातौ वाज य कारवः.
वां वृ े व स प त नर वां का ा ववतः.. (१)
हे इं ! हम यजमान अपने अ क बढ़ोतरी क आकां ा से आप को आमं त करते
ह. आप पवतवासी, स प त व वृ हंता ह. े जन वप के समय आप को मरण करते
ह. (१)
स वं न व ह त धृ णुया मह तवानो अ वः.
गाम र य म सं कर स ा वाजं न ज युषे.. (२)
हे इं ! आप हाथ म व धारण करते ह. आप बलधारी व श धारी ह. आप यजमान
क ाथना से स होइए. उ ह अ धन दान करने क कृपा क जए. (२)
अ भ वः सुराधस म मच यथा वदे .
यो ज रतृ यो मघवा पु वसुः सह ेणेव श त.. (३)
हे यजमानो! इं नाना कार के वैभव दे ने वाले ह. आप हजार व धय से उ ह स
करने क को शश करो. (३)
शतानीकेव जगा त धृ णुया ह त वृ ा ण दाशुषे.
गरे रव रसा अ य प वरे द ा ण पु भोजसः.. (४)
मन का संहार करते समय इं यजमान क वैसे ही र ा करते ह, जैसे सेनानी श ु
पर चढ़ाई के समय सेना क . उन का यह संर ण यजमान को झरने के जल क तरह शां त
और तृ त दान करता है. (४)
पांचवां खंड
य ते मदो वरे य तेना पव वा धसा. दे वावीरघश सहा.. (१)
हे सोम! आप का रस वरे य, मददायी व द ह. आप प र कृत होइए. (१)
ज नवृ म म य स नवाजं दवे दवे. गोषा तर सा अ स.. (२)
हे सोम! आप वृ ासुर अ म (श ु ) के नाशक, द व संघषशील ह. आप गोधन
व अ धन दान करते ह. (२)
स म ो अ षो भुवः सूप था भन धेनु भः. सीदं ेनो न यो नमा.. (३)
हे सोम! बाज जैसे घ सले म सुशो भत होता है, उसी कार आप अपने सदन म
सुशो भत होते ह. आप गाय के ध म मलने पर चमचमाते ह. (३)
अयं पूषा र यभगः सोमः पुनानो अष त.
प त व य भूमनो य ोदसी उभे.. (४)
हे सोम! आप व प त व प व ह. आप पूषा और भग के लए वा हत होइए. आप
पृ वीलोक और वगलोक दोन को का शत करते ह. (४)
समु या अनूषत गावो मदाय घृ वयः.
सोमासः कृ वते पथः पवमानास इ दवः.. (५)
हे सोम! आप मददायी व य ह. आप के लए क गई तु तयां एक सरे से होड़ करती
ह. आप सभी का पथ दशन करते ह. (५)
य ओ ज तमा भर पवनाम वा यम्.
छठा खंड
एवा स वीरयुरेवा शूर उत थरः. एवा ते रा यं मनः.. (१)
हे इं ! आप शूरवीर ह. आप सं ाम म शूरवीर को अपनी वीरता दखाने का अवसर
दान करते ह. आप उन यु म थर रहते ह. इसी लए आप का मन आराधना के यो य है.
(१)
एवा रा त तु वमघ व े भधा य धातृ भः. अधा च द नः सचा.. (२)
हे इं ! आप सभी ऐ य धारण करते ह. आप क कृपा कभी भी समा त नह होती है.
आप हम पर कृपा क जए. (२)
मो षु ेव त युभुवो वाजानां पते. म वा सुत य गोमतः.. (३)
हे इं ! आप बलवान, श के वामी एवं ा के समान ह. आप हम बु मान बनाने
क कृपा क जए. (३)
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इ ं व ा अवीवृध समु चसं गरः
रथीतम रथीनां वाजाना स प त प तम्.. (४)
हे इं ! आप समु जैसे भरेपूरे ह और व को धारण करते ह. आप स प त, श पत
और दै वी श य के वामी ह. हम वाणी से आप क उपासना करते ह. (४)
स ये त इ वा जनो मा भेम शवस पते.
वाम भ नोनुमो जेतारमपरा जतम्.. (५)
हे इं ! हम आप के सखा ह. आप श मान ह. आप क छ छाया म हम कभी कसी
से भयभीत न ह . आप अपराजेय व वजेता ह. हम आप को नमन करते ह. (५)
पूव र य रातयो न व द य यूतयः.
यदा वाज य गोमत तोतृ यो म हते मघम्.. (६)
हे इं ! आप का दान अपूव है. आप हम (पूण) संर ण दे ते ह. आप जब उपासक को
अ धन दान दे ते ह तो वह कभी ीण नह होता. (६)
पहला खंड
एते असृ म दव तरः प व माशवः. व ा य भ सौभगा.. (१)
हे सोम! आप तेजी से छलनी क ओर भाग रहे ह. यजमान अपने सौभा य के लए
आप को प र कृत कर रहे ह. (१)
व न तो रता पु सुगा तोकाय वा जनः. मना कृ व तो अवतः.. (२)
हे सोम! आप श दाता, पापनाशी व हमारी पी ढ़य को पशु धन दे ते ह. आप अपना
माग वयं न मत करते ह. (२)
कृ व तो व रवो गवे ऽ यष त सु ु तम्. इडाम म य संयतम्.. (३)
हे सोम! आप हम धन दान करते ह. आप हमारी गाय के लए भी े धन दान
करते ह. आप पालने वाले ह. आप हमारी ाथना को वीकार क जए. (३)
राजा मेधा भरीयते पवमानो मनाव ध. अ त र ेण यातवे.. (४)
हे सोम! आप राजा ह. हम बु से आप क उपासना करते ह. आप अंत र म मण
करते ह. आप ोणकलश म थत रहते ह. (४)
आ नः सोम सहो जुवो पं न वचसे भर. सु वाणो दे ववीतये.. (५)
हे सोम! आप को दे वीदे वता के उपयोग के लए प र कृत कया जाता है. आप हम
भरपूर प, वच व ( भाव) व तेज दान क जए. (५)
आ न इ ो शात वनं गवां पोष व यम्. वहा भग मूतये.. (६)
हे सोम! आप हम सैकड़ गाएं व घोड़े दान क जए. आप उन सब का पालनपोषण
करने म स म ह. आप हम भा यशाली बनाने क कृपा क जए. (६)
तं वा नृ णा न ब त सध थेषु महो दवः. चा सुकृ ययेमहे.. (७)
हे सोम! आप वगलोक के महान वैभव से संप ह. आप चा (सुंदर) ह. आप को हम
अपने सुकम से पाना चाहते ह. हम आप क उपासना करते ह. (७)
संवृ धृ णुमु यं महाम ह तं मदम्. शतं पुरो णम्.. (८)
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हे सोम! आप महान, म हमाशाली व ती ह. आप श ु के सैकड़ नगर का नाश
करने वाले ह. हम आप से धन चाहते ह. (८)
अत वा र यर यय ाजान सु तो दवः. सुपण अ थी भरत्.. (९)
हे सोम! आप सुकम करने वाले, धन व श दाता ह. आप कभी थत नह होते ह.
ग ड़ आप को वगलोक से पृ वीलोक पर लाने क कृपा कर. (९)
अधा ह वान इ यं यायो म ह वमानशे. अ भ कृ चष णः.. (१०)
हे सोम! वगलोक से पृ वीलोक पर आने के बाद आप और ानदायी (संप ),
म हमाशाली, आकषक व मतावान हो जाते ह. (१०)
व मा इत् व शे साधारण रज तुरम्. गोपामृत य वभरत्.. (११)
हे सोम! आप वयं काशमान ह. आप य के र क व जल के ेरक ह. आप अमृत
और द ह. (११)
इषे पव व धारया मृ यमानो मनी ष भः. इ दो चा भ गा इ ह.. (१२)
हे सोम! आप ानवान ह. मनीषी यजमान आप को प र कृत करते ह. आप पौ क
अ दे ने वाले है. आप अपनी धारा म वा हत होइए. (१२)
पुनानो व रव कृ यूज जनाय गवणः. हरे सृजान आ शरम्.. (१३)
हे सोम! आप हरे व उपासना के यो य ह. आप जलवान होइए. आप यजमान को अ
दान करने क कृपा क जए. (१३)
पुनानो दे ववीतय इ य या ह न कृतम्. ुतानो वा ज भ हतः.. (१४)
हे सोम! आप प व व द ह. आप को इं और दे वता के लए प र कृत कया
जाता है. आप हत साधक, ु तमान व श शाली ह. आप इं तक प ंचने क कृपा
क जए. (१४)
सरा खंड
अ नना नः स म यते क वगृहप तयुवा. ह वाड् जु ा य.. (१)
हे अ न! आप क व, व ान्, युवा, ह ववाहक व य के र क ह. आप को स मधा से
व लत कया जाता है. (१)
य वाम ने ह व प त तं दे व सपय त. त य म ा वता भव.. (२)
हे अ न! आप ह वप त तथा दे व त ह. आप क जो व धवत र ा करते ह, आप उन
क र ा करने क कृपा क जए. (२)
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यो अ नं दे ववीतये ह व माँ आ ववास त. त मै पावक मृडय.. (३)
हे अ न! आप ह वमान ह. हम दे वता को ह व प ंचाने के लए आप से अनुरोध
करते ह. आप प व ह. आप हम सुखी बनाने क कृपा क जए. (३)
म वे पूतद ं व णं च रशादसम्. धयं धृताची साध ता.. (४)
हे म ! आप प व और द ह. हे व ण! आप जल उपजाते ह. आप दोन दे व हम
बु दान क जए. आप हम सा धए एवं हमारे श ु का नाश क जए. हम आप दोन
दे व का आ ान करते ह. (४)
ऋतेन म ाव णावृतावृधावृत पृशा. तुं बृह तमाशाथे.. (५)
हे म ! हे व ण! आप स य के र क ह. आप य को सफल बनाते ह. आप हम भी
पु यशाली व स य का र क बनाइए. (५)
कवी नो म ाव णा तु वजाता उ या. द ं दधाते अपसम्.. (६)
हे म ! हे व ण! आप द , जलधारी, क व व अनेक थान पर वास करते ह. आप
हम मतावान बनाते ह. (६)
इ ेण स ह से संज मानो अ ब युषा. म समानवचसा.. (७)
हे म द्गण! आप समान वच व वाले सदै व स रहते ह. आप तेजोमय, वीर व
भयमु ह. आप इं के साथ सुशो भत होते ह. (७)
आदह वधामनु पुनगभ वमे ररे. दधाना नाम य यम्.. (८)
हे म द्गण! आप पूजनीय व नामधारी ह. आप अपने धाम (न होने के बाद फर से
उ प होने वाले अ और जल) म गभ धारण कर के आकार ा त करते ह. आप य को
धारण करते ह. (८)
वीडु चदा ज नु भगुहा च द व भः. अ व द उ या अनु.. (९)
हे इं ! आप मजबूत से मजबूत कले को भी ढहा सकते ह. आप गूढ़ से गूढ़ गुफा म
भी वेश कर सकते ह. आग जैसे तेज वी म द्गण क ई करण को काश म लाते ह.
(९)
ता वे ययो रदं प े व ं पुरा कृतम्. इ ा नी न मधतः.. (१०)
हे इं ! हे अ न! आप परा मी उपासक के सारे क हरने वाले व सनातन ह. हम
आप दोन दे व का आ ान करते ह. (१०)
उ ा वघ नना मृध इ ा नी हवामहे. ता नो मृडात ई शे.. (११)
तीसरा खंड
अ भ सोमास आयवः पव ते म ं मदम्.
समु या ध व पे मनी षणो म सरासो मद युतः.. (१)
हे सोम! आप आनंददायी एवं फू तदायी ह. यजमान आनंद तथा फू त पाने के लए
ोणकलश के ऊपर रखी ई छलनी से आप को छानते ह. (१)
तर समु ं पवमान ऊ मणा राजा दे व ऋतं बृहत्.
अषा म य व ण य धमणा ह वान ऋतं बृहत्.. (२)
हे सोम! आप प व , लहरदार, वशाल व राजा ह. आप को म और व ण दे व के
पीने के लए य म था पत कया जाता है. (२)
नृ भयमाणो हयतो वच णो राजा दे वः समु य
् ः.. (३)
हे सोम! आप द , राजा, मनोहर व वल ण ह. आप समु जैसे ह. (३)
त ो वाच ईरय त व ऋत य धी त णो मनीषाम्.
गावो य त गोप त पृ छमानाः सोमं य त मतयो वावशानाः.. (४)
हे सोम! यजमान ऋक्, यजु और साम प तीन वा णय से आप का गुणगान करते ह.
ा ण और मनीषी उसी कार आप को खोजते (पूछते ए) आते ह, जस कार गाएं बैल
के पास जाती ह. (४)
सोमं गावो धेनवो वावशानाः सोमं व ा म त भः पृ छमानाः.
सोमः सुत ऋ यते पूयमानः सोमे अका ु भः सं नव ते.. (५)
हे सोम! धा गाएं आप को चाहती ह. ा ण पूछते ए सोम को चाहते ह. सुत
(यजमान) प व सोम को चाहते ह. यजमान ु प् छं द म रची गई ाथना से सोम क
उपासना करते ह. (५)
एवा नः सोम प र ष यमान आ पव व पूयमानः व त.
इ मा वश बृहता मदे न वधया वाचं जनया पुरं धम्.. (६)
चौथा खंड
य ाव इ ते शत शतं भूमी त युः.
न वा व सह सूया अनु न जातम रोदसी.. (१)
हे इं ! सैकड़ भू म, सैकड़ सूय और सैकड़ लोक भी आप क म हमा के बराबर नह
हो सकते. आप जैसा अब तक कोई उ प नह आ. भूमंडल और अंत र मंडल तक म
आप क समानता कोई नह कर सकता. (१)
आ प ाथ म हना वृ या वृष व ा श व शवसा.
अ माँ अव मघवन् गोम त जे व च ा भ त भः.. (२)
हे इं ! आप बलवान, साम यवान व मनोकामनाएं पूरी करने वाले ह. आप धनवान,
व धारी व े म तवान ह. आप अपने र ा साधन के साथ पधा रए. आप गाय से भरे ए
बाड़े दान क जए. (२)
वयं घ वा सुताव त आपो न वृ ब हषः.
पव य वणेषु वृ ह प र तोतार आसते.. (३)
हे इं ! आप श ुनाशी ह. हम सोमरस को जल वाह क भां त आप के पास वा हत
कर के लाते ह. हम आप को प र कृत सोमरस चढ़ाते तथा वराजने के लए आप को कुश
का आसन भट करते ह. (३)
वर त वा सुते नरो वसो नरेक उ थनः.
कदा सुतं तृषाण ओक आ गम द व द व व सगः.. (४)
हे इं ! आप सव वास करते ह. आप सब को वास दे ते ह. यजमान सोमरस चढ़ा कर
आप क उपासना करते ह. आप बैल क तरह आवाज करते ए अपने बेट के यहां कब
पधारने क कृपा करगे? (४)
क वे भधृ णवा धृष ाजं द ष सह णम्.
पश पं मघव वचषणे म ू गोम तमीमहे.. (५)
हे इं ! आप धनी, ानी, श ुनाशी व ब रंगी ह. आप हजार तरह के वैभव व हजार
गुनी श दे सकते ह. हम क ववंशी यजमान आप क उपासना करते ह. (५)
तर ण र सषास त वाजं पुरं या युजा.
आ व इ ं पु तं नमे गरा ने म त ेव सु वम्.. (६)
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हे इं ! हम आप के उपासक ह. हम भव सागर पार करना चाहते ह. हम बु का बल
(शारी रक बल के साथसाथ) भी पाना चाहते ह. चलता आ प हया जैसे एकदम नीचे आ
जाता है, वैसे ही हम ाथना पी प हए से इं के लए झुक जाते ह. (६)
न ु त वणोदे षु श यते न ेध त र यनशत्.
सुश र मघवन् तु यं मावते दे णं य पाय द व.. (७)
हे इं ! सोमयाग म सश (उ म) उपासक को आप उ चत (उपयु ) धन दान
करते ह. जो लोग दानदाता क नदा करते ह, जो लोग अ छा काम करने वाल क नदा
करते ह, ऐसे लोग पर आप अपनी कृपा मत क जए. (७)
पांचवां खंड
त ो वाच उद रते गावो मम त धेनवः. ह ररे त क न दत्.. (१)
यजमान तीन वा णयां उचारते ह. उन वा णय को सुन कर हरे रंग का सोमरस धा
गाय के रंभाने जैसी आवाज करता आ वा हत होता है. (१)
अभ ीरनूषत य ऋत य मातरः. मजय ती दवः शशुम्.. (२)
हम यजमान वगलोक के शशु सोम को प र कृत करने के लए मं उचारते ह. स य
क माता से सोम उ प ए ह. ानी सोम क उपासना करते ह. (२)
रायः समु ा तुरो म य सोम व तः. आ पव व सह णः.. (३)
हे सोम! आप हम सभी कार के सुख द जए. आप हम सभी कार के धन द जए.
आप हमारी हजार इ छा को पूरा करने के लए वा हत होने क कृपा क जए. (३)
सुतासो मधुम माः सोमा इ ाय म दनः.
प व व तो अ रं दे वान् ग छ तु वो मदाः.. (४)
हे सोम! आप मधुमान ह. हम आप के पु ह. आप इं को स करने के लए
वा हत होइए. आप प व ह और कभी रत (न ) नह होते. आप दे वता को आनंद
दान करने के लए उन के पास जाने क कृपा क जए. (४)
इ र ाय पवत इ त दे वासो अ ुवन्.
वाच प तमख यते व येशान ओजसः.. (५)
हे इं ! उपासक आप के लए सोमरस व छ करते ह. आप सब के ई र, ओज वी
और वाच प त ह. य म सोमरस का उपयोग कया जाता है. (५)
सह धारः पवते समु ो वाचमीङ् खयः.
सोम पती रयीणा सखे य दवे दवे.. (६)
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हे सोम! आप हजार घर वाले ह. आप प व व इं के सखा ह. आप जलवान व
धनवान ह. आप त दन ोणकलश म वा हत होते ह. (६)
प व ं ते वततं ण पते भुगा ा ण पय ष व तः.
अत ततनून तदामो अ ुते शृतास इ ह तः सं तदाशत.. (७)
हे सोम! आप प व ह. आप ान के वामी व दे ह के मा लक ह. आप समथ पर
कृपा करते ह. य करने वाले ही आप तक प ंच पाते ह. जस ने तन नह तपाया, वह आप
से कुछ (सुखकृपा) नह पा सकता. (७)
तपो प व ं वततं दव पदे ऽ च तो अ य त तवो थरन्.
अव य य प वतारमाशवो दवः पृ म ध रोह त तेजसा.. (८)
हे सोम! आप प व ह. आप मन को तपाने के लए वगलोक म फैले ए ह. आप
क करण चमक ली ह. ये चमक ली करण वगलोक के पीछे थत ह और यजमान क
र ा करती ह. (८)
अ च षसः पृ र य उ ा ममे त भुवनेषु वाजयुः.
माया वनो म मरे अ य मायया नृच सः पतरो गभमा दधुः.. (९)
हे सूय! आप सभी ह म सब से मुख ह. आप का शत होते ह. आप सभी लोक म
अपनी करण फैलाते ह तथा सभी भुवन म अ उपजाते ह. आप क करण सब को
का शत करती ह. ये करण अपने गभ म जल धारण करती ह. (९)
छठा खंड
म ह ाय गायत ऋता ने बृहते शु शो चषे. उप तुतासो अ नये.. (१)
हे यजमानो! आप महान य करने वाले ह. आप अ न क उपासना क जए. अ न
महान व तेज वी ह. (१)
आव सते मघवा वीरव शः स म ो ु या तः.
कु व ो अ य सुम तभवीय य छा वाजे भरागमत्.. (२)
हे अ न! आप वीर, यशवान व उ म बु वाले ह. आप पीढ़ दर पीढ़ धन और यश
दान करते ह. आप हम पर कृपा क जए. हम अ बल दान क जए. (२)
तं ते मदं गृणीम स वृषणं पृ ु सास हम्. उ लोककृ नुम वो ह र यम्.. (३)
हे इं ! आप साहसी, बलशाली एवं इ छापूरक ह. आप लोक का भला चाहने वाले व
अ से सुशो भत होते ह. सोमरस पीते ही आप स हो जाते ह. हम आप के व प क
शंसा करते ह. (३)
पहला खंड
त आ नीः पवमान धेनवो द ा असृ पयसा धरीम ण.
ा त र ा था वरी ते असृ त ये वा मृज यृ षषाण वेधसः.. (१)
हे सोम! आप प व ह और आप क धा गाएं द ह. उन के ध क धाराएं
वेगपूवक ोणकलश म प ंचती ह. ऋ ष शु सोमरस का सेवन करते ह. अंत र से उस
क धारा को बरतन म प ंचाते ह. (१)
उभयतः पवमान य र मयो ुव य सतः प र य त केतवः.
यद प व े अ ध मृ यते ह रः स ा न योनौ कलशेषु सीद त.. (२)
हे सोम! थर वभाव वाले आप को जब छाना जाता है तो आप क करण चार ओर
फैलती ह. हरा सोमरस छलनी म छाना जाता है तो वह ोणकलश म रहता है. सोम थर
रहने के इ छु क ह. (२)
व ा धामा न व च ऋ वसः भो े सतः प र य त केतवः.
ानशी पवसे सोम धमणा प त व य भुवन य राज स.. (३)
हे सोम! आप सव ा व श शाली ह. आप क बड़ीबड़ी करण सब ओर ापने
वाली व काश फैलाने वाली ह. आप प व व व प त ह. आप भुवन म सुशो भत होते ह.
(३)
पवमानो अजीजन व ं न त यतुम्. यो तव ानरं बृहत्.. (४)
हे सोम! आप प व ह. सोम वगलोक म बजली जैसा वशाल वै ानर नामक तेज
उपजाते ह. (४)
पवमान रस तव मदो राज छु नः. व वारम मष त.. (५)
हे सोम! आप प व व मदकारी ह. आप का रस रा स के लए व जत है. आप का
रस भेड़ के बाल से बनी छलनी म छन कर ोणकलश तक प ंचता है. (५)
पवमान य ते रसो द ो व राज त ुमान्. यो त व ं व शे.. (६)
हे सोम! आप प व ह. आप का रस बलवान व चमक ला है. आप सव ा त एवं
सरा खंड
आशुरष बृह मते प र येण धा ना. य ा दे वा इ त ुवन्.. (१)
हे सोम! आप म तमान ( व ान्) और दे व के य ह. आप अपनी रसधार के साथ
शी आइए. इस य म इं आ द दे वता ह. अतः आप इस य म अव य आइए. (१)
प र कृ व न कृतं जनाय यातय षः. वृ दवः प र व.. (२)
हे सोम! आप अशु थान को शु करने क कृपा क जए. आप यजमान के
भरणपोषण हेतु अ आ द के लए वषा करने क कृपा क जए. (२)
तीसरा खंड
जन य गोपा अज न जागृ वर नः सुद ः सु वताय न से.
घृत तीको बृहता द व पृशा ुम भा त भरते यः शु चः.. (१)
हे अ न! आप जा के र क, जा त करने वाले व कुशलता दान करने वाले ह. आप
यजमान को उ त के पथ पर अ सर करने के लए कट होते ह. आप घी क आ त से
व लत होते ह. आप वराट् (असीम) आकाश तक अपनी प ंच रखते ह. आप प व व
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मतावान ह. आप वगलोक को पश करते ह तथा यजमान के क याण के लए का शत
होते ह. (१)
वाम ने अ रसो गुहा हतम व व द छ याणं वनेवने.
स जायसे म यमानः सहो मह वामा ः सहस पु म रः.. (२)
हे अ न! अं गरस ऋ ष ने आप को खोजा. उस से पहले आप छपे ए थे. आप वृ
और वन प त म छप कर (गु त प म) रहते ह. आप को इसी लए अं गर ( मतावान) कहा
जाता है. आप को साम य का पु माना जाता है. आप को अर ण मंथन से कट कया
जाता है. (२)
य य केतुं थमं पुरो हतम नं नर षध थे स म धते.
इ े ण दे वैः सरथ स ब ह ष सीद होता यजथाय सु तुः.. (३)
हे अ न! आप दे वता के साथ रथ पर वराजते ह. आप के रथ पर य क पताका
फहराती है. यजमान घर, मन और य इन तीन थान पर ( वशेष प से) आप को कट
करते ह. आप े काम म लगे रहते ह. य करने वाले यजमान के लए आप य थान म
त त होते ह. (३)
अयं वां म ाव णा सुतः सोम ऋतावृधा. ममे दह ुत हवम्.. (४)
हे म ! हे व ण! आप य क बढ़ोतरी करते ह. व धवत प र कृत कया सोमरस
आप दोन दे व के सेवन के लए तुत है. आप दोन हमारे इस नवेदन को सुनने क कृपा
क जए. (४)
राजानावन भ हा ुवे सद यु मे. सह थूण आशाते.. (५)
हे म ! हे व ण! आप कभी भी पर पर (आपस म) ोह नह करते. य मंडप हजार
खंभ के सहारे बनाया गया है. वह य मंडप थर और सश है. आप दोन उस य मंडप
म वराजने क कृपा क जए. (५)
ता स ाजा घृतासुती आ द या दानुन पती. सचेते अनव रम्.. (६)
हे यजमानो! म और व ण आ त के प म भट कए गए घी का ही आहार लेते ह.
दोन दे व स ाट् ह, ऐ य के वामी ह, समान व वाले ह. वे यजमान क अनवरत
(लगातार) सहायता करते ह. (६)
इ ो दधीचो अ थ भवृ ा य त कुतः. जघान नवतीनव.. (७)
इं वैभववान ह. सभी दे वता उन का आदर करते ह. उ ह ने दधी च ऋ ष ारा दान क
गई ह ड् डय से बने श से न यानवे श ु को मारा. (७)
इछ य य छरः पवते वप तम्. त द छयणाव त.. (८)
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इं पवतप त ह. बादल म छपी अ श को उ ह ने कटाया. आय का वरोध
करने वाली श य को छ व छ कया. (८)
अ ाह गोरम वत नाम व ु रपी यम्. इ था च मसो गृहे.. (९)
हे यजमानो! सूय नरंतर ग तमान ह. वे चं मंडल म भले ही दखाई न द परंतु मौजूद
रहते ह. इस कार वे चं मा के घर म रहते ह. ता पय यह है क न केवल दन म ब क रा
म भी सूय क करण का शत रहती ह. (९)
इयं वाम य म मन इ ा नी पू तु तः. अ ाद्वृ रवाज न.. (१०)
हे अ न! हे इं ! उ म को ट के व ान् आप दोन दे व क उपासना करते ह. आप के
लए क गई ाथना वैसे ही सह प से (बु म) उपजती है, जैसे बादल के भीतर से
बरसात उपजती है. (१०)
शृणुतं ज रतुहव म ा नी वनतं गरः. ईशाना प यतं धयः.. (११)
हे अ न! हे इं ! यजमान आप दोन दे वता क उपासना व ह व सम पत करते ह.
आप उसे वीकारने क कृपा क जए. आप उन क वाणी (पुकार) सु नए. आप बु के
ई र ह. आप उ ह उन क मेहनत का फल दान क जए. (११)
मा पाप वाय नो नरे ा नी मा भश तये. मा नो रीरधतं नदे .. (१२)
हे अ न! हे इं ! आप नेता व उ तकारक ह. आप हम पाप व मारधाड़ ( हसा) से
बचाइए. आप हम नदनीय काय से र रख. (१२)
चौथा खंड
पव व द साधनो दे वे यः पीतये हरे. म द् यो वायवे मदः.. (१)
हे सोम! आप द , साधन संप , उ लास बढ़ाने वाले व बलव क ह. आप दे वता
के पीने के लए बढ़ोतरी पाते ह. आप म द्गण के लए वा हत होइए. आप वायु के लए
वा हत होइए. (१)
सं दे वैः शोभते वृषा क वय नाव ध यः. पवमानो अदा यः.. (२)
हे सोम! आप क व, य, बलवान व दे वता के बीच शोभायमान होते ह. आप
प र कृत हो कर वा हत होइए. (२)
पवमान धया हतो ३ ऽ भ यो न क न दत्. धमणा वायुमा हः.. (३)
हे सोम! बु पूवक आप क त ा क जाती है. आप हतकारी ह और आवाज करते
ए ोणकलश म वेश करते ह. आप वायु के साथ कलश म था पत होइए. (३)
पांचवां खंड
पबा सोम म म दतु वा यं ते सुषाव हय ा ः.
सोतुबा या सुयतो नावा.. (१)
हे इं ! यजमान अपने दोन हाथ से प थर से कूटकूट कर सोमरस नकालते ह. आप
उस सोमरस को पी कर आनं दत ह . आप इसे पी जए. आप अ के वामी ह. आप हम
भी अ जैसा बल दान क जए. (१)
य ते मदो यु य ा र त येन वृ ा ण हय ह स.
स वा म भूवसो मम ु.. (२)
हे इं ! आप अ के वामी व ऐ यशाली ह. आप सोमरस पी कर स होइए. आप
अपने सुंदर घोड़ को रथ म जो तए. आप स हो कर हमारे श ु का नाश क जए. हे
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इं ! आप हम भी मदम त व भावशाली बनाइए. (२)
बोधा सु मे मघव वाचमेमां यां ते व स ो अच त श तम्.
इमा सधमादे जुष व.. (३)
हे इं ! आप धन के वामी ह. आप यजमान क इस वाणी को सु नए. व स ऋ ष
श त गान कर के आप क अचना कर रहे ह. आप उन क ाथना, वाणी और ह व को
वीका रए. (३)
व ाः पृतना अ भभूतरं नरः सजू तत ु र ं जजनु राजसे.
वे वरे थेम यामुरीमुतो मो ज ं तरसं तर वनम्.. (४)
हे इं ! सभी आप का मह व वीकारते ह. सब आप क उपासना करते ह. आप ने
अपने बल से मन का नाश कया. आप ने अपने े कम से उ चा पदवी पाई. आप क
म हमा गाने वाले क साम य श बढ़ती है. आप ब त ज द काय करते ह. आप ज द
हमारी इ छा पूरी क रए. (४)
ने म नम त च सा मेषं व ा अ भ वरे.
सुद तयो वो अ हो ऽ प कण तर वनः समृ व भः.. (५)
हे इं ! आप परा मी ह. ा ण वन वर म आप क ाथना कर रहे ह. आप के
उपासक वन ह. हम आंख बंद कर व झुक कर आप को नमन करते ह. हे उपासको! आप
कसी से ई या ोह मत क जए. आप कान को सुहावनी लगने वाली ाथनाएं इं के लए
गाइए. (५)
समु रेभासो अ वर सोम य पीतये.
वः प तयद वृधे धृत तो ोजसा समू त भः.. (६)
हे इं ! आप संक पशील, सोमरस पीने वाले, बलवान, ऐ यशाली ह. आप यजमान
को भी म हमावान बनाने के इ छु क ह. यजमान इं क व धवत उपासना करते ह. (६)
यो राजा चषणीनां याता रथे भर गुः.
व ासां त ता पृतनानां ये ं यो वृ हा गृणे.. (७)
इं राजा ह. वे अपने रथ से तेज ग त से थान करते ह. वे वृ हंता ह. वे यजमान के
व ास क र ा करते ह, वे ये ह. हम उन का गुणगान करते ह. (७)
इ ंत स शु भ पु ह म वसे य य ता वध र.
ह तेन व ः त धा य दशतो महाँ दे वो न सूयः.. (८)
हे यजमानो! इं व धारी, दे खने म सुंदर व सूय जैसे तेज वी ह. उन म धा (दोहरी)
श है. वे दे व क र ा, रा स का नाश व हम संर ण दान करते ह. हम सभी को उन
छठा खंड
पर या दवः क ववया स न यो हतः. वानैया त क व तुः.. (१)
हे सोम! आप य, क व, हतकारी ह और लकड़ी क वेद पर त त ह. आप
द घायु दाता ह. य म आप का द रस अ वयु (पुरो हत) क कृपा से ा त होता है. (१)
स सूनुमातरा शु चजातो जाते अरोचयत्. महा मही ऋतावृधा.. (२)
हे सोम! आप सुपु ह. पृ वी आप क माता व अंत र आप के पता ह. आप अपने
माता पता को सुशो भत करते ह और ऋत् (स य) से बढ़ोतरी पाते ह. (२)
याय प यसे जनाय जु ो अ हः. वी यष प न ये.. (३)
हे सोम! आप उपासना के यो य ह. यजमान आप क थरता का यास करते ह. जो
मनु य े ष र हत ह और जो आप का गुणगान करते ह, उन को आप पोषक आहार के प
म ा त होते ह. (३)
व ा३ दै पवमान ज नमा न ुम मः. अमृत वाय घोषयन्.. (४)
हे सोम! आप द , प व और उ म ह. आप क अमरता क घोषणा करते ए
यजमान उपासना करते ह. (४)
येना नव वा द यङ् ङपोणुते येन व ास आ परे.
दे वाना सु ने अमृत य चा णो येन वा याशत.. (५)
हे सूय! आप क करण नई ह. सोमरस भी नए काम म लगाते ह, जस से (सोम से)
ा णगण चुर धन पाते ह, जस से यजमान को अ मलता है. सोम अ छे मन वाले ह.
सुंदर सोम से दे व को भी अमृत ा त होता है. (५)
सोमः पुनान ऊ मणा ं वारं व धाव त. अ े वाचः पवमानः क न दत्.. (६)
हे सोम! आप प व , लहरदार व अ गामी ह. यजमान वाणी से आप को और प व
बनाते ह. आप दौड़ते और आवाज करते ए ोणकलश म जाते ह. (६)
धी भमृज त वा जनं वने ड तम य वम्. अ भ पृ ं मतयः सम वरन्.. (७)
यजमान बलवान सोमरस को बु पूवक प र कृत करते ह. सोम वन म ड़ा करते ह.
समान वर म (एक साथ) बु पूवक ाथना गा कर यजमान तीन बरतन म रखे सोमरस
क उपासना करते ह. (७)
अस ज कलशाँ अ भ मीढ् वां स तन वाजयुः. पुनानो वाचं जनय स यदत्.. (८)
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हे सोम! आप पोषक ह और जल म मल कर रहते ह. यु म जाते ए घोड़े जैसे
आवाज करते ह, वैसे ही सोम आवाज करते ए तेजी से ोणकलश म जाते ह. (८)
सोमः पवते ज नता मतीनां ज नता दवो ज नता पृ थ ाः.
ज नता नेज नता सूय य ज नते य ज नतोत व णोः.. (९)
सोम वगलोक, पृ वीलोक, अ न, सूय, इं व व णु के जनक ह. सोम को प र कृत
कया जा रहा है. (१)
ा दे वानां पदवीः कवीनामृ ष व ाणां म हषो मृगाणाम्.
येनो गृ ाणा व ध तवनाना सोमः प व म ये त रेभन्.. (१०)
सोम ानी, दे वता , क वय , ऋ षय , पशु , मृग , बाज, गृ व वन प तय म
ा त ह. सोम आवाज करता आ ोणकलश म जाता है. (१०)
ावी वप ाच ऊ म न स धु गर तोमा पवमानो मनीषाः.
अ तः प य वृजनेमावरा या त त वृषभो गोषु जानन्.. (११)
हे सोम! आप क आवाज समु क लहर क भां त कण य है. आप अंतयामी व
अंत वाले ह. आप क मता असीम है तथा वह कभी समा त नह होती है. बैल जैसे
गाय के पास जाता है, वैसे ही आप ोणकलश म जाते ह. (११)
सातवां खंड
अ नं वो वृध तम वराणां पु तमम्. अ छा न े सह वते.. (१)
हे यजमानो! अ न अकूत श के भंडार ह. वह बढ़ोतरी करने वाले व े तम ह.
आप सभी अ न के नकट प ं चए. (१)
अयं यथा न आभुव व ा पेव त या. अ य वा यश वतः.. (२)
हे यजमानो! व ा (बढ़ई) जैसे लकड़ी को प (आकार) दान करते ह, तदवत (उसी
कार) अ न हम यश और व प दान करते ह. (२)
अयं व ा अ भ यो ऽ नदवेषु प यते. आ वाजै प नो गमत्.. (३)
हे अ न! आप सभी सुख व दे वता को भी संर ण दान करते ह. आप अ बल के
साथ हमारे समीप पधारने क कृपा क जए. (३)
इम म सुतं पब ये मम य मदम्. शु य वा य र धारा ऋत य सादने.. (४)
हे इं ! य म सोमरस क मददायी बड़ीबड़ी चमक ली धाराएं झर रही ह. आप य
सदन म पधा रए और सोमरस को पी जए. (४)
पहला खंड
गो व पव व वसु व र य व े तोधा इ दो भुवने व पतः.
व सुवीरो अ स सोम व व ं वा नर उप गरेम आसते.. (१)
हे सोम! आप गौ ध म त, प व , सव ाता, े पथ पर जाने वाले व सभी लोक
म ा त ह. सभी उपासक आप क उपासना करते ह. (१)
वं नृच ा अ स सोम व तः पवमान वृषभ ता व धाव स.
स नः पव व वसुम र यव य याम भुवनेषु जीवसे.. (२)
हे सोम! आप प व , फू तदायी, सव ापक व सव ाता ह. आप दौड़ते ए हमारे
पास पधा रए. आप हम धनवान बनाइए. आप क कृपा से हम सभी लोक म े जीवन
जीएं. (२)
ईशान इमा भुवना न ईयसे युजान इ दो ह रतः सुप यः.
ता ते र तु मधुमद्घृतं पय तव ते सोम त तु कृ यः.. (३)
हे सोम! आप सभी लोक के ई र, हरे, सव ा त एवं मधुरता यु ह. आप के रस
क धार नरंतर झरे. आप क कृपा से यजमान अपने त (संक प ) को पूरा करने म लगे
रह. (३)
पवमान य व व ते सगा असृ त. सूय येव न र मयः.. (४)
हे सोम! आप प व व सव ाता ह. सूय क तरह आप क करण (र मयां) वग से
फैल रही ह. (४)
केतुं कृ व दव प र व ा पा यष स. समु ः सोम प वसे.. (५)
हे सोम! आप सव ापक और वगलोक के ऊपर करण के पम ा त ह. आप
बरसात के प म पानी बरसा कर हम संप ता दे ते ह. (५)
ज ानो वाच म य स पवमान वधम ण. द दे वो न सूयः.. (६)
हे सोम! आप सूय जैसे द तमान ह. आप वाणी से प व ता को ा त होते ह. आप
आवाज करते ए ोणकलश म जाते ह. (६)
सरा खंड
क वदववीतये ऽ ा वारे भर त. सा ा व ा अ भ पृधः.. (१)
हे सोम! आप क व ह. आप को दे वता के लए प र कृत कया जाता है. आप सभी
श ु से पधा करने वाले ह. (१)
स ह मा ज रतृ य आ वाजं गोम त म व त. पवमानः सह णम्.. (२)
हे सोम! आप सह पव धारा से झरते ह. आप उपासक को गोवान और
तीसरा खंड
तव यो व य येव व ुतो ऽ ने क उषसा मवेतयः.
यदोषधीर भसृ ो वना न च प र वयं चनुषे अ मास न.. (१)
हे अ न! जब हम अ और वन प तय को आप के मुंह म डालते ह, उस समय आप
क लपट वषा के समय चमकने वाली बजली और उषा के काश क तरह गोचर होती
ह. (१)
वातोपजूत इ षतो वशाँ अनु तृषु यद ा वे वष त से.
आ ते यत ते र यो ३ यथा पृथक् शधा य ने अजर य ध तः.. (२)
हे अ न! हवा से हलने पर आप वन प तय के पीछे जा कर उसे चार ओर से आवृ
कर (घेर) लेते ह, उस समय आप को बढ़ते ए दे ख कर ऐसा लगता है—मानो रथ पर चढ़
कर कोई शूरवीर सब कुछ न (श ु का) करने के लए आगे बढ़ रहा हो. (२)
मेधाकारं वदथ य साधनम न होतारं प रभूतरं म तम्.
वामभ य ह वषः समान म वां महो वृणते ना यं वत्.. (३)
हे अ न! आप बु को बढ़ाते ह. आप य के साधन (शृंगार) ह. आप वशाल
आकार के ह. हम होता ह व वीकार करने के लए एक वर से आप के अलावा कसी और
का आ ान नह कर रहे ह. (३)
पु णा च यवो नूनं वां व ण. म व स वा सुम तम्.. (४)
हे सूय! हे व ण! आप पया त साधन वाले ह. आप अपनी सुम त हम ा त कराने क
कृपा क जए. हम आप के म हो जाएं. (४)
चौथा खंड
अषा सोम ुम मो ऽ भ ोणा न रो वत्. सीद योनौ वने वा.. (१)
पांचवां खंड
इ ो मदाय वावृधे शवसे वृ हा नृ भः.
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त म मह वा जषू तमभ हवामहे स वाजेषु नो ऽ वषत्.. (१)
हे इं ! आप मददाता व वृ नाशक ह. आप अपने र ा साधन से हम बलवान बना
सकते ह. हम आप से उन र ा साधन स हत यु म अपनी र ा करने का अनुरोध करते ह.
आप हमारी र ा करने क कृपा क जए. (१)
अ स ह वीर से यो ऽ स भू र पराद दः.
अ स द य चद्वृधो यजमानाय श स सु वते भू र ते वसु.. (२)
हे इं ! आप वीर सै नक ह. आप श ु क समृ (वैभव) का नाश क जए. आप
धनदाता ह. आप यजमान को वैभव दान करने क कृपा क जए. (२)
य द रत आजयो धृ णवे धीयते धनम्.
युङ् वा मद युता हरी क हनः कं वसौ दधो ऽ माँ इ वसौ दधः.. (३)
हे इं ! आप क कृपा से अपार समृ मलती है. आप अपने रथ म घोड़े जोत कर,
कस को मारना है और कस को नह , यह सोचते ए हम धन दान करने क कृपा क जए.
(३)
वादो र था वषूवतो मधोः पब त गौयः.
या इ े ण सयावरीवृ णा मद त शोभथा व वीरनु वरा यम्.. (४)
हे इं ! सूय क करण सु वा और मीठे सोमरस को पीती ह. सूय क ये करण आप
के पास सुशो भत होती ह अथात् अपने ही रा य म नवास करती ह. (४)
ता अ य पृशनायुवः सोम ीण त पृ यः.
या इ य धेनवो व ह व त सायकं व वीरनु वरा यम्.. (५)
हे इं ! सूय क ब रंगी करण आप को छू ती ह. ये करण आप को य ह और ये आप
के व को े रत करती ह. ये इं क गाय को भी य ह. ये वरा य म ही थत रहती ह.
(५)
ता अ य नमसा सहः सपय त चेतसः.
ता य य स रे पु ण पूव च ये व वीरनु वरा यम्.. (६)
हे इं ! सूय क करण ानमय ह. ये आप को नमन करती ह. ये जा त करने वाली ह.
ये इं को उन के पहले ( कए गए) के काय को याद दलाती ह. ये करण वरा य म ही
थत रहती ह. (६)
छठा खंड
असा शुमदाया सु द ो ग र ाः. येनो न यो नमासदत्.. (१)
पहला खंड
यो तय य पवते मधु यं पता दे वानां ज नता वभूवसुः.
दधा त र न वधय रपी यं म द तमो म सर इ यो रसः.. (१)
हे सोम! आप प व , मधुर, दे वता को य, पालक एवं धन दान करने वाले ह.
आप फू तदायी ह. आप इं को मदम त बना दे ते ह. आप यह क यो त ह. आप यजमान
के लए र न धारण करते ह. (१)
अ भ द कलशं वा यष त प त दवः शतधारो वच णः.
ह र म य सदनेषु सीद त ममृजानो ऽ व भः स धु भवृषा.. (२)
हे सोम! आप वगलोक के वामी, सैकड़ धारा वाले, वल ण, फू तदायी, ऊजा
व क व हरी आभा वाले ह. आप आवाज करते ए ोणकलश म जाते ह. आप जल म
मल कर तैयार होते ह. आप म के घर म रहने क तरह कलश म रहते ह. (२)
अ े स धूनां पवमानो अष य े वाचो अ यो गोषु ग छ स.
अ े वाज य भजसे मह न वायुधः सोतृ भः सोम सूयसे.. (३)
हे सोम! आप को हम तु तय से आमं त करते ह. हम आप को शो धत और जलमय
करने के समय भी तु त गाते ह. आप अ श मय हो कर आते ह, गौ क र ा करते ए
आते ह. आप चुर धन दे ने के लए भजे जाते ह. (३)
असृ त वा जनो ग ा सोमासो अ या. शु ासो वीरयाशवः.. (४)
हे सोम! आप काशमान, वेगवान व वीर ह. यजमान गाएं, घोड़े और संतान पाने के
लए आप को प र कृत करते ह. (४)
शु भमाना ऋतायु भमृ यमाना गभ योः. पव ते वारे अ ये.. (५)
हे सोम! यजमान के हाथ से तैयार, प र कृत व जल मला कर तैयार कया गया
सोमरस सुशो भत हो रहा है. (५)
ते व ादाशुषे वसु सोमा द ा न पा थवा. पव तामा त र या.. (६)
हे सोम! आप यजमान को पृ वीलोक, अंत र लोक और वगलोक के सभी वैभव
सरा खंड
सना च सोम जे ष च पवमान म ह वः. अथा नो व यस कृ ध.. (१)
हे सोम! आप प व ह. आप ब त उपासना के यो य ह. आप दे वता के पास जाइए.
आप श ु को जीतने के बाद हम यश वी बनाने क कृपा क जए. (१)
सना यो तः सना व ३ व ा च सोम सौभगा. अथा नो व यस कृ ध.. (२)
हे सोम! आप हम यो तमय बनाइए. आप हम व गक सुख द जए. आप हम
सौभा यवान एवं श ु वजय के बाद यश वी बनाइए. (२)
सना द मुत तुमप सोम मृधो ज ह अथा नो व यस कृ ध.. (३)
हे सोम! आप हम बलवान व कत परायण बनाइए. श ुनाश कर के आप हम सुखी
बनाइए. (३)
पवीतारः पुनीतन सोम म ाय पातवे. अथा नो व यस कृ ध.. (४)
हे यजमानो! आप सोम को प व करने वाले ह. आप इं के पीने के लए सोमरस
प व क जए और हमारा क याण करने क कृपा क जए. (४)
व सूय न आ भज तव वा तवो त भः. अथा नो व यस कृ ध.. (५)
हे सोम! आप अपने र ा साधन से हम सूय को भजने के लए े रत क जए. आप
हमारा हत साधने क कृपा क जए. (५)
तव वा तवो त भ य प येम सूयम्. अथा नो व यस कृ ध.. (६)
हे सोम! आप के र ा साधन और ान से हम द घ काल तक सूय के दशन करने म
समथ हो सक. आप हम द घायु दान करने क कृपा क जए. (६)
अ यष वायुध सोम बहस र यम्. अथा नो व यस कृ ध.. (७)
हे सोम! आप आयुधधारी ह. आप हम इहलौ कक और पारलौ कक धन व सुख दे ने
क कृपा क जए. (७)
अ य ३ षानप युतो वा ज सम सु सास हः. अथा नो व यस कृ ध.. (८)
हे सोम! आप यु े म वजयी होते ह. आप श ु को हराने वाले ह. आप
तीसरा खंड
इम तोममहते जातवेदसे रथ मव सं महेमा मनीषया.
भ ा ह नः म तर य स स ने स ये मा रषामा वयं तव.. (१)
हे अ न! आप तु त के यो य, सव ाता व सव ा ह. हम अपनी ा आप तक
प ंचाने के लए अपनी ाथना को रथ क तरह योग म लाते ह. आप क उपासना से
हमारी बु ती होती है. आप क म ता हम क से मु दलाने म समथ है. (१)
भरामे मं कृणवामा हवी ष ते चतय तः पवणापवणा वयम्.
जीवातवे तरा साधया धयो ऽ ने स ये मा रषामा वयं तव.. (२)
हे अ न! हम प व पव पर आप को स मधा से द त करते ह. ह व दान करते
ह. आप का चतन करते ह. आप हमारी बु ती क रए. हम आप क कृपा से अपना य
सफल बनाएं और क से मु रह. (२)
शकेम वा स मध सा या धय वे दे वा ह वरद या तम्.
वमा द याँ आ वह ता ३ म य ने स ये मा रषामा वयं तव.. (३)
हे अ न! हम स मधा से आप को व लत करते ह. हम दे वता को ह व दान
करते ह. आप उस ह व को हण करने के लए दे वता को बुलाने क कृपा क जए. हम
उ ह आमं त करने के इ छु क ह. आप अपनी म ता से हमारे सारे क को र करने क
कृपा क जए. (३)
त वा सूर उ दते म ं गृणीषे व णम्. अयमण रशादसम्.. (४)
हे म ! हे व ण! हम सूय दय के अवसर पर आप दोन दे व और सरे सभी दे वता
क उपासना करते ह. आप श ुनाशक ह. (४)
राया हर यया म त रयमवृकाय शवसे. इयं व ा मेधसातये.. (५)
हे म ! हे व ण! ये ा ण यजमान े बु के लए आप क उपासना करते ह. हम
आप से वण चाहते ह. हम क याण क कामना से आप क उपासना करते ह. (५)
ते याम दे व व ण ते म सू र भः सह. इष व धीम ह.. (६)
हे म ! हे व ण! हम व ान (ऋ वज ) के साथ संप वान ह . आप क कृपा से हम
अ और वण पा कर ऐ य यु ह . (६)
भ ध व ा अप षः प र बाधो जही मृधः. वसु पाह तदा भर.. (७)
चौथा खंड
इ ाये दो म वते पव व मधुम मः. अक य यो नमासदम्.. (१)
हे सोम! आप मददायी, मधुरतम और प व ह. आप म द्गण के साथ आने वाले इं
के लए झरने क कृपा क जए. (१)
तं वा व ा वचो वदः प र कृ व त धण सम्. सं वा मृज यायवः.. (२)
हे सोम! आप संसार के धारक व वाणी के ाता ह. याजक आप को भलीभां त
प र कृत कर रहे ह. (२)
रसं ते म ो अयमा पब तु व णः कवे. पवमान य म तः.. (३)
हे सोम! आप व ान् ह. म , व ण, अयमा और म द्गण आप के रस को पीने क
कृपा कर. (३)
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मृ यमानः सुह या समु े वाच म व स.
र य पश ं ब लं पु पृहं पवमाना यष स.. (४)
हे सोम! अ छे हाथ से प र कृत कया जाता आ सोमरस आवाज करते ए
ोणकलश म जाता है. आप का रंग सुनहरा है. आप अनेक लोग ारा चाहे जाते ह. आप
हम इ छत धन दान करने क कृपा क जए. (४)
पुनानो वारे पवमानो अ ये वृषो अ च द ने.
दे वाना सोम पवमान न कृतं गो भर ानो अष स.. (५)
हे सोम! आप प व व फू तदायी ह. यजमान ारा प र कृत कया गया सोमरस जल
म ब त ज द घुल जाता है. आप को दे वता के लए प व कया जाता है. दे व के ही
लए सोमरस म गाय का ध मलाया जाता है. आप को (उ ह के लए) प व कलश म
त त कया जाता है. (५)
एतमु यं दश पो मृज त स धुमातरम्. समा द ये भर यत.. (६)
हे सोम! समु आप क माता है. दस अंगु लय से प र कृत कया आ सोमरस
दे वता को चढ़ाया जाता है. (६)
स म े णोत वायुना सुत ए त प व आ. स सूय य र म भः.. (७)
हे सोम! आप सूय क करण ारा चमकाए जाते ह. आप प व एवं सुपा म रखे
जाते ह. आप इं और वायु को भट कए जाते ह. (७)
स नो भगाय वायवे पू णे पव व मधुमान्. चा म े व णे च.. (८)
हे सोम! आप प व , मधुर व सुंदर ह. आप को भग, वायु, पूषा, म और व ण के
लए प र कृत कया जाता है. (८)
पांचवां खंड
रेवतीनः सधमाद इ े स तु तु ववाजाः. ुम तो या भमदे म.. (१)
हे इं ! गौ को अपने साथ रखने से हम सुख पाते ह. आप क कृपा से हमारी गाएं
व थ और पु ह , पया त घी व ध द. (१)
आ घ वावान् मना यु ः तोतृ यो धृ णवीयानः. ऋणोर ं न च योः.. (२)
हे इं ! आप धीर ह. आप बु पूवक तु तकता को मनोवां छत पदाथ दान करने
क कृपा क जए. आप इस के लए वैसे ही सहायक ह, जैसे रथ के लए उस के प हए
सहायक होते ह. (२)
छठा खंड
प र वानो ग र ाः प व े सोमो अ रत् मदे षु सवधा अ स.. (१)
हे सोम! आप पवतवासी, प व , स तादायी और स तादायक म सव े ह. आप
का रस धारा प म झर रहा है. (१)
व व वं क वमधु जातम धसः मदे षु सवधा अ स.. (२)
हे सोम! आप ा ण, क व ( व ान्) व आप अ से पैदा होने वाले पोषक त व को
दे ते ह. आप स ता दे ने वाल म सव े ह. (२)
वे व े सजोषसो दे वासः: पी तमाशत. मदे षु सवधा अ स.. (३)
हे सोम! सभी दे वता आप को पीने के इ छु क रहते ह. स ता दे ने वाल म आप
सव े ह. (३)
स सु वे यो वसूनां यो रायामानेता य इडानाम्. सोमो यः सु तीनाम्.. (४)
हे सोम! आप हम अ छ संतान, गाएं और ऐ य दे ते ह. आप सुंदर पृ वी पर सुशो भत
ह. (४)
य य त इ ः पबा य म तो य य वायमणा भगः.
आ येन म ाव णा करामह ए मवसे महे.. (५)
हे सोम! आप के द रस को म त्, इं अयमा, भग आ द पीते ह. आप सुर ा हेतु
जैसे म और व ण को बुलाते ह, उसी कार हम इं को बुलाते ह. (५)
तं वः सखायो मदाय पुनानम भ गायत. शशुं न ह ैः वदय त गू त भः.. (६)
हे यजमानो! आप मद के लए पए जाने वाले सोमरस के गुण गाइए. वे हमारे सखा ह.
मां जैसे ब चे क शोभा बढ़ाती है, वैसे ही आप ह व और तो से सोम क शोभा बढ़ाइए.
(६)
सं व स इव मातृ भ र ह वानो अ यते. दे वावीमदो म त भः प र कृतः.. (७)
हे सोम! आप द व मददायी ह. आप को बु ारा प र कृत कया गया है. माता
जैसे पु को जल से प र कृत करती है, उसी तरह जल से आप को प र कृत कया गया है.
(७)
अयं द ाय साधनो ऽ य शधाय वीतये. अयं दे वे यो मधुम रः सुतः.. (८)
हे सोम! आप मधुर ह. आप को दे वता के लए व धवत प र कृत कया गया है.
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श दायी साधन के प म आप को पया जाता है. (८)
सोमाः पव त इ दवो ऽ म यं गातु व माः.
म ा वाना अरेपसः वा यः व वदः.. (९)
हे सोम! आप प व व म क तरह ह. आप हम े उद्दे य क ओर े रत करते
ह. आप आ म ाता और काशमान ह. आप उपासना के यो य ह. (९)
ते पूतासो वप तः सोमासो द या शरः.
सूरासो न दशतासो जग नवो ुवा घृते.. (१०)
हे सोम! आप प व ह, सूय जैसे काशमान ह. आप वल ण व दही म त ह. आप
ुव ( थर) ह. आप जल धारा से म त हो कर शु होते ह. (१०)
सु वाणासो भ ताना गोर ध व च.
इषम म यम भतः सम वर वसु वदः.. (११)
हे सोम! आप धनदाता ह. आप हम े धन दान करने क कृपा क जए. आप पृ वी
के ऊपर नवास करते ह. अनेक प थर से कूट कर आप का रस नचोड़ा जाता है. (११)
अया पवा पव वैना वसू न मा व इ दो सर स ध व.
न य वातो न जू त पु मेधा कवे नरं धात्.. (१२)
हे सोम! आप हम प व धारा से सराबोर क रए. आप हम धन से प रपूण क जए.
आप के रस के सेवन से सूय भी वायु क तरह हलके और ग तशील हो जाते ह. इं सोमरस
पी कर हम नेतृ व श दान करते ह, अ छ संतान दान करते ह. (१२)
उत न एना पवया पव वा ध ुते वा य य तीथ.
ष सह ा नैगुतो वसू न वृ ं न प वं धूनव णाय.. (१३)
हे सोम! आप उपासना के यो य ह. आप हमारे य तीथ म प व धारा से झ रए.
पेड़ से जैसे पके फल मलते ह, वैसे ही श ुनाश हेतु आप हम सह गुना धन दान करने
क कृपा क जए. (१३)
महीमे अ य वृष नाम शूषे मा वे वा पृशने वा वध े.
अ वापय गुतः ेहय चाषा म ाँ अपा चतो अचेतः.. (१४)
हे सोम! आप म हमाशाली ह और सुख बरसाते ह. आप को हराते व श ु को हम
से र करते ह. आप उन सभी श ु को बलहीन बनाते ह, न करते ह, जो यु म हम
हा न प ंचाने वाले ह. (१४)
सातवां खंड
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अ ने वं नो अ तम उत ाता शवो भवा व यः.. (१)
हे अ न! आप हमारे समीप र हए. आप हमारा ाण (र ा) क जए. आप हमारे लए
क याणकारी होने क कृपा क जए. (१)
वसुर नवसु वा अ छा न ुम मो र य दाः.. (२)
हे अ न! आप सब से धनी और सब के शरणदाता ह. आप आसानी से हमारे पास
पधा रए. आप ुमान (तेज वी) होइए व हम धन द जए. (२)
तं वा शो च द दवः सु नाय नूनमीमहे स ख यः.. (३)
हे अ न! आप द और काशमान ह. हम म के क याण के लए अ छे मन से
न त प से आप क उपासना करते ह. (३)
इमा नु कं भुवना सीषधेमे व े च दे वाः.. (४)
हे इं ! सभी दे व तथा सभी भुवन (लोक) हमारे लए सुखदायी (क याणदायी) ह . (४)
य ं च न त वं च जां चा द यै र ः सह सीषधातु.. (५)
हे इं ! आप आ द य समेत हम पर कृपा क जए. आप हमारा य सफल बनाइए.
आप हमारे शरीर को व थ बनाइए. आप हमारी संत त को सफल बनाइए. (५)
आ द यै र ः सगणो म र म यं भेषजा करत्.. (६)
आ द य , म द्गण एवं अ य सहयो गय के साथ इं हमारे वा ते भेषज (रोग
च क सा) तैयार करने क कृपा कर. (६)
व इ ाय वृ ह तमाय व ाय गाथं गायत यं जुजोषते.. (७)
हे उपासको! इं वृ हंता, व ान् और ा ण ह. आप उन के लए तु तयां गाइए. वे
उन तु तय को सुन कर स होते ह. (७)
अच यक म तः वका आ तोभ त ुतो युवा स इ ः.. (८)
साधक स माननीय व शंसा के यो य इं को भजते ह. ब ल एवं स इं उन को
अपना संर ण दान करते ह. (८)
उप े मधुम त य तः पु येम र य धीमहे त इ .. (९)
हे इं ! आप के संर ण म रहने वाले हम याजक ब ल ह और धा य से यु ह . (९)
पहला खंड
का मुशनेव व ु ाणो दे वो दे वानां ज नमा वव .
म ह तः शु चब धुः पावकः पदा वराहो अ ये त रेभन्.. (१)
उपासक उशना के समान े वाणी वाले ह. वे दे वता क जीवनी को अ छ तरह
तुत करते ह. सोम प व , का शत व पोषक ह. आप प र कृत होते समय श द करते ए
ोणकलश म जाते ह. (१)
ह सास तृपला व नुम छामाद तं वृषगणा अयासुः.
अ ो षणं पवमानं सखायो मष वाणं वद त साकम्.. (२)
श ु क श से बु मान यजमान भी घबरा जाते ह. वे शी वहां प ंचे, जहां सोम
तैयार कया जा रहा था. वे वहां प व सोम के लए वा यं बजाने लगे, जस से मधुर व न
होने लगी. सोम क कृपा से असहनीय श ु को भी दबाया जा सकता है. (२)
स योजत उ गाय य जू त वृथा ड तं ममते न गावः.
परीणसं कृणुते त मशृ ो दवा ह रद शे न मृ ः.. (३)
हे सोम! सहज प से खेलते ए आप शं सत ग त पाते ह, उस ग त को कसी के
ारा नापा नह जा सकता. आप दन म हरी और रा म सफेद (उ वल) आभा वाले होते
ह. (३)
वानासो रथा इवाव तो न व यवः. सोमासो राये अ मुः.. (४)
हे सोम! घोड़े और रथ क तरह (वेग से) आवाज करता आ सोमरस प व हो रहा है.
यह हम अपार वैभव दान करने क कृपा करे. (४)
ह वानासो रथा इव दध वरे गभ योः. भरासः का रणा मव.. (५)
हे सोम! आप का रस यजमान वैसे ही धारण करते ह, जैसे भारवाही दोन हाथ से
बोझा उठाता है. रथ जैसे यु म जाते ह, वैसे ही सोमरस य म ले जाया जा रहा है. (५)
राजानो न श त भः सोमासो गो भर ते. य ो न स त धातृ भः.. (६)
राजा क शंसा और सात यजमान से य था पत कया जाता है. गाय के घी
सरा खंड
असृ म दवः पथा धम ृत य सु यः. वदाना अ य योजना.. (१)
हे सोम! आप ऋत् (स य) व े माग पर चलते ह. आप य व यजमान को
भलीभां त जानते ह. (१)
धारा मधो अ यो महीरपो व गाहते. ह वह वःषु व .. (२)
सोम ह वय म े ह व व वंदनीय ह. आप क धारा उ कृ , मधुर एवं अ णी है. आप
क धारा जल म अवगाहन करती है. (२)
तीसरा खंड
मूधानं दवो अर त पृ थ ा वै ानरमृत आ जातम नम्.
कव स ाजम त थ जनानामास ः पा ं जनय त दे वाः.. (१)
हे अ न! आप वगलोक म मूध य ह. आप य म कट होते ह. आप पृ वी पर
मणशील ह. आप क व, स ाट् व अ त थ ह. आप लोग के नकटवत ह. आप दे वता
को कट करते ह. (१)
वां व े अमृतं जायमान शशुं न दे वा अ भ सं नव ते.
तव तु भरमृत वमायन् वै ानर य प ोरद दे ः.. (२)
हे अ न! आप व प व अमृत व प ह. आप संसार के वामी (नायक) ह. आप
य ारा अमरता पाते ह. आप क कृपा से यजमान द ता ा त करते ह. (२)
ना भ य ाना सदन रयीणां महामाहावम भ सं नव त.
वै ानर र यम वराणां य य केतुं जनय त दे वाः.. (३)
हे अ न! आप य क ना भ धन के भंडार, म हमावान, य के संचालक व य क
पताका ह. आप को अर ण मंथन से उ प कया जाता है. हम आप का आ ान करते ह.
(३)
वो म ाय गायत व णाय वपा गरा. म ह ावृतं बृहत्.. (४)
हे यजमानो! म और व ण महान, ा वान व वशाल ह. आप इन दे व के लए ऊंचे
वर से तो गाइए. दोन दे व उन तो को सुनने के लए य थान पर पधारने क कृपा
कर. (४)
स ाजा या घृतयोनी म ोभा व ण . दे वा दे वेषु श ता.. (५)
हे यजमानो! म और व ण ये दोन दे व दे वता म शं सत ह. दोन दे व स ाट् ह.
दोन दे व काश उ प करते ह. (५)
ता नः श ं पा थव य महो रायो द य. म ह वां ं दे वेषु.. (६)
हे म ! हे व ण! आप महान एवं दे वता के बीच सराहनीय ह. आप पृ वीलोक और
वगलोक का वैभव हम ा त कराने क कृपा क जए. (६)
इ ा या ह च भानो सुता इमे वायवः. अ वी भ तना पूतासः.. (७)
चौथा खंड
ो अयासी द र य न कृत सखा स युन मना त स रम्.
मय इव युव त भः समष त सोमः कलशे शतयामना पथा.. (१)
कई व धय से प र कृत शु सोमरस इं के पेट म प ंच रहा है. यह सोमरस इं के
पेट म अ छ तरह पच जाता है. जैसे युवा य के साथ रमण करता है, वैसे ही सोमरस
सैकड़ माग से कलश म त त होता है. (१)
वो धयो म युवो वप युवः पन युवः संवरणे व मुः.
ह र ड तम यनूषत तुभो ऽ भ धेनवः पयसेद श युः.. (२)
हे सोम! जो यजमान बु पूवक आप को प र कृत करते ह, वे आनंदपूवक अपनी
इ छापू त का लाभ पाते ह. गौएं अपने ध से सोमरस को स चती ह. वह खेलता (लहराता)
पांचवां खंड
सखाय आ न षीदत पुनानाय गायत. शशुं न य ैः प र भूषत ये.. (१)
हे यजमान म ो! आप आइए, बै ठए और सोम के लए ाथनाएं गाइए. आप शशु को
सजाने क भां त य सजाइए. (१)
समी व सं न मातृ भः सृजता गयसाधनम्. दे वा ं ३ मदम भ शवसम्.. (२)
हे यजमानो! सोमरस य का मुख साधन व मददायी है. दोन ही तरह अथात् द ता
और भौ तकता दोन कोण से वह श दायी है. आप सोमरस को वैसे ही जल म
मलाइए, जैसे माता के साथ ब चे घुल मल जाते ह. (२)
पुनाता द साधनं यथा शधाय वीतये. यथा म ाय व णाय श तमम्.. (३)
हे यजमानो! आप म व व ण के न म सोम को प र कृत कर. आप बल व
कुशलता क ा त और दे वता को भट करने के लए सोमरस को प र कृत क जए. (३)
वा य ाः सह धार तरः प व ं व वारम म्.. (४)
हे सोम! आप अ यंत बलशाली ह, हजार धार वाले और प व ह. आप का रस भेड़
के बाल से बनी छलनी म छनता है. (४)
स वा य ाः सह रेता अ मृजानो गो भः ीणानः.. (५)
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हे सोम! आप अ यंत बलशाली ह. आप हजार गुना बलशाली ह. आप जल से
ओत ोत ह. भेड़ के बाल से बनी छलनी से छनते ए आप ोणकलश म जाते ह. (५)
सोम याही य कु ा नृ भयमानो अ भः सुतः.. (६)
प थर से कूट कर नकाले ए सोमरस को यजमान ने तु तय से प र कृत कर दया
है. वह सोमरस इं के पेट म प ंचने क कृपा करे. (६)
ये सोमासः पराव त ये अवाव त सु वरे. ये वादः शयणाव त.. (७)
हे सोम! आप शयणावत् (सायण के अनुसार ‘शयणावत्’ कु े के शयणा नामक
मंडल (क म री) क एक झील का नाम है.) तालाब के नकट उ प होते ह. बाद म आप
को प र कृत कया जाता है. (७)
य आज केषु कृ वसु ये म ये प यानाम्. ये वा जनेषु पंचसु.. (८)
सोमरस आज क, ( हले ांट के अनुसार क मीर म एक थान) कमेर (काम करने
वाल ) के दे श नद के कनारे व पंचजन के बीच म पैदा होता है. पैदा होने के बाद उसे
प र कृत कया जाता है. (८)
ते नो वृ दव प र पव तामा सुवीयम्. वाना दे वास इ दवः.. (९)
सोमरस को नचोड़ा और प र कृत कया जाता है. वह वगलोक से े वीय क वषा
करता है. सोमरस पोषण दान करता है. (९)
छठा खंड
आ ते व सो मनो यम परमा च सध थात्. अ ने वां कामये गरा.. (१)
हे अ न! हम वाणी से और व स ऋ ष मन से आप क उपासना करते ह. आप उस
परम थान से भी हमारे पास पधारने क कृपा क जए. (१)
पु ा ह स ङ् ङ स दशो व ा अनु भुः. सम सु वा हवामहे.. (२)
हे अ न! आप सव ा, दशाप त और हमारे भु ह. हम यु म आप का आ ान
करते ह. (२)
सम व नमवसे वाजय तो हवामहे. वाजेषु च राधसम्.. (३)
हे अ न! आप मतावान व अद्भुत ह. हम यु हेतु बल ा त के लए आप का
आ ान करते ह. (३)
वं न इ ा भर ओजो नृ ण शत तो वचषणे. आ वीरं पृतनासहम्.. (४)
हे इं ! आप ओज वी, वल ण और सैकड़ कम करने वाले ह. आप पधा रए और हम
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वीरपु दान करने क कृपा क जए. (४)
व ह नः पता वसो वं माता शत तो बभू वथ. अथा ते सु नमीमहे.. (५)
हे इं ! आप ही हमारे पता और माता ह. हम आप के पु अ छे मन से आप से अ छे
सुख चाहते ह. आप शतकमा ह. (५)
वा शु म पु त वाजय तमुप ुवे सह कृत. स नो रा व सुवीयम्.. (६)
हे इं ! आप सह कमा (हजार काम करने वाले) ह. आप श मान ह. आप आ ान
के यो य ह. आप हम े वीयवान बनाने क कृपा क जए. (६)
यद च म इह ना त वादाम वः. राध त ो वद स उभयाह या भर.. (७)
हे इं ! आप अद्भुत ह. आप जैसी आ थक साम य हमारी नह है. आप दोन हाथ से
हम भरपूर धन दान (हाथ भरभर कर) क जए. (७)
य म यसे वरे य म ु ं तदा भर. व ाम त य ते वयमकूपार य दावनः.. (८)
हे इं ! आप वरे य व तेज वी ह. आप हम भरपूर समृ (ऐ य) दान क जए. उस
धन को पा कर हम भी दानदाता क साम य वाले हो जाएं. (८)
य े द ु रा यं मनो अ त ुतं बृहत्.
तेन ढा चद व आ वाजं द ष सातये.. (९)
हे इं ! आप आराधना के यो य, यशशाली और ब त वशाल ह. आप हम ऐसा धन
द जए, जस से हम ढ़ च वाले हो जाएं. आप हम साम यशाली बनाएं. (९)
पहला खंड
शशुं ज ान हयतं मृज त शु भ त व ं म तो गणेन.
क वग भः का ेन क वः स सोमः प व म ये त रेभन्.. (१)
हे सोम! आप ा ण ह. आप ब चे क तरह सब के मन को खला दे ते ह. म द्गण
आप को प रमा जत करते ह. क व का से आप क तु त करते ह. आप आवाज करते
ए प व हो जाते ह. (१)
ऋ षमना य ऋ षकृ वषाः सह नीथः पदवीः कवीनाम्.
तृतीयं धाम म हषः सषा स सोमो वराजमनु राज त ु प्.. (२)
हे सोम! आप ऋ षय जैसे मन वाले और उन जैसा गुण दान करने वाले ह. आप
तीसरे धाम के राजा इं को और तेज वी बनाने वाले ह. आप क वय क पदवी और
सह कमा ह. (२)
चमूष ेनः शकुनो वभृ वा गो व स आयुधा न ब त्.
अपामू म सचमानः समु ं तुरीयं धाम म हषो वव .. (३)
हे सोम! आप अ श धारी ह व गाय के ध म मलाए जाते ह. आप क लहर समु
क लहर के समान और राजा ह. आप तुरीय धाम (मो धाम) म वराजते व सुशो भत होते
ह. (३)
एते सोमा अ भ यम य कामम रन्. वध तो अ य वीयम्.. (४)
ये सोम इं को य ह. सोम कामना क वषा करते ह. ये उन के (इं के) वीय को
बढ़ाने वाले ह. (४)
पुनानास मूषदो ग छ तो वायुम ना. ते नो ध सुवीयम्.. (५)
हे सोम! आप प व ह. आप वायु और अ नीकुमार के साथ जाइए, जस से हम
े वीय धारण कर सक. (५)
इ य सोम राधसे पुनानो हा द चोदय. दे वानां यो नमासदम्.. (६)
हे सोम! आप प व ह. आप इं क आराधना हेतु हम हा दक ेरणा दे ने क कृपा
सरा खंड
सोमः पुनानो अष त सह धारो अ य वः. वायो र य न कृतम्.. (१)
वायु और इं के लए सोमरस नचोड़ा गया है. सोमरस प व व सह धारा वाला है.
भेड़ के बाल क छलनी से छान कर उसे तैयार कया गया है. (१)
पवमानमव यवो व म भ गायत. सु वाणं दे ववीतये.. (२)
हे ा णो! सोम आप को प व करने वाले ह. आप दे वता से अपने संर ण क
कामना क जए. आप इन के लए तु तयां गाइए. (२)
पव ते वाजसातये सोमाः सह पाजसः. गृणाना दे ववीतये.. (३)
तीसरा खंड
सोमा असृ म दवः सुता ऋत य धारया. इ ाय मधुम माः.. (१)
हे सोम! आप अ गामी व मधुरतम ह. आप को ऋत् क धारा के साथ इं के लए
तुत कया जाता है. (१)
अ भ व ा अनूषत गावो व सं न धेनवः. इ सोम य पीतये.. (२)
हे यजमानो! आप सोमरस पीने के लए इं से तु तय के साथ अनुरोध क जए. उ ह
सोम पलाने के लए आप उतने ही ाकुल हो जाइए, जतनी ाकुल गाएं अपने बछड़ को
ध पलाने के लए हो जाती ह. (२)
मद यु े त सादने स धो मा वप त्. सोमो गौरी अ ध तः.. (३)
चौथा खंड
उ े शु मास ईरते स धो म रव वनः. वाण य चोदया प वम्.. (१)
हे सोम! आप क आवाज समु क तरंग जैसी है. आप समु क तरह ही ग त से
बहते ह. आप प व वाणी को े रत करने क कृपा क जए. (१)
सवे त उद रते त ो वाचो मख युवः. यद ए ष सान व.. (२)
हे सोम! आप के सव (उ प ) होने के बाद यजमान के मुख से तीन वा णयां
(ऋग्वेद, यजुवद और सामवेद के मं क ) उ च रत होती ह. त प ात आप को ऊंचे थान
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पर बैठा कर प र कृत कया जाता है. (२)
अ ा वारैः प र य हर हव य भः. पवमानं मधु तम्.. (३)
हे सोम! आप प व ह व मधु चुआते ह. यजमान आप को प थर से कूट कर रस
नकालते ह. आप को जल से नम न कर दे ते ह. आप को भेड़ के बाल से बनी छलनी से
छान कर प र कृत कया जाता है. (३)
आ पव व म द तम प व ं धारया कवे. अक य यो नमासदम्.. (४)
हे सोम! आप आइए और आप इं को आनंद दे ने हेतु धारा से (प व ) छलनी म
छनने क कृपा क जए. (४)
स पव व म द तम गो भर ानो अ ु भः. ए य जठरं वश.. (५)
हे सोम! आप मददायी व गाय के ध के साथ मले ए ह. आप प व धारा से छ नए.
आप इं के पेट म व होने क कृपा क जए. (५)
पांचवां खंड
अया वीती प र व य त इ दो मदे वा. अवाह वतीनव.. (१)
हे सोम! आप इं के लए प र कृत होइए. आप इं को आनंद दान क जए. आप
नएनए क को र करने क कृपा क जए. (१)
पुरः स इ था धये दवोदासाय शंबरम्. अध यं तुवशं य म्.. (२)
हे सोम! आप का रस पीने के बाद ही इं ने शंबरासुर, तुवश और य को मारा. इन
तीन का नाश इं ने य करने वाले दवोदास के लए कया. (२)
प र णो अ म वद्गम द दो हर यवत्. रा सह णी रषः.. (३)
हे सोम! आप हम अ का ाता बनाइए. आप हम अ वान, गोवान व वणवान
बनाइए. आप सह धारा से झरने क कृपा क जए. (३)
अप न पवते मृधो ऽ प सोमो अरा णः. ग छ य न कृतम्.. (४)
सोमरस इं के प व थान तक (प व हो कर) प ंचता है. वह मधुर और जल
म त है. उस के वकार को र कर के उसे व छ कर दया गया है. (४)
महो नो राय आ भर पवमान जही मृधः. रा वे दो वीरव शः.. (५)
हे सोम! आप प व ह. आप हम धनवान तथा वीर क भां त यश वी बनाने क कृपा
क जए. (५)
छठा खंड
अ नं वो दे वम न भः सजोषा य ज ं तम वरे कृणु वम्.
यो म यषु न ु वऋतावा तपुमूधा घृता ः पावकः.. (१)
हे दे वगण! अ न सव पू य ह. आप य म उन को त बना कर भेजने क कृपा
क जए. वे मनु य के म और प व ह. घृत (घी) उन का अ है. वे तेज वी ह. (१)
ोथद ो न यवसे ऽ व य यदा महः संवरणाद् थात्.
आद य वातो अनु वा त शो चरध म ते जनं कृ णम त.. (२)
घोड़े जैसे घास चर जाते ह, उसी तरह अ न (दावा न) वृ को चट कर जाते ह. वे
हवा के माग का अनुकरण करते ह. उन का माग प व और काले धुएं वाला है. (२)
उ य ते नवजात य वृ णो ऽ ने चर यजरा इधानाः.
अ छा ाम षो धूम ए ष सं तो अ न ईयसे ह दे वान्.. (३)
हे अ न! आप क शी उ प वालाएं वषा करने के लए तैयार ह. आप अजर,
स मधा यु व दे वता के त ह. आप क लपट का धुआं वगलोक म दे वता तक (ह व
स हत) प ंच जाता है. (३)
त म ं वाजयाम स महे वृ ाय ह तवे. स वृषा वृषभो भुवत्.. (४)
इं श मान ह. वे और अ धक श शाली होने क कृपा कर. हम मन के नाश के
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लए इं को और यादा बलवान बनाना चाहते ह. (४)
इ ः स दामने कृत ओ ज ः स बले हतः. ु नी ोक स सो यः.. (५)
इं ब ल , हतकारी व दान (दे न)े का काय करते ह. वे वगलोक के वासी ह. वे
ोक (मं ) से तु य व सोमरस पीने यो य ह. (५)
गरा व ो न स भृतः सबलो अनप युतः. वव उ ो अ तृतः.. (६)
हे इं ! आप के हाथ म व सुशो भत है. वाणी से आप क शंसा क जाती है. आप
सबल, उ व व तृत ह. आप को कोई नह हरा सकता. (६)
सातवां खंड
अ वय अ भः सुत सोमं प व आ नय. पुनाही ाय पातवे.. (१)
हे पुरो हतो! सोमरस प व है. पाषाण से कूट कर इस का रस नकाला गया है. उस
को छ े म छान कर प र कृत कया गया है ता क इं उसे पी सक. (१)
तव य इ दो अ धसो दे वा मधो ाशत. पवमान य म तः.. (२)
हे सोम! आप प व व मधुमय ह. इं और म द्गण आप के इस सोमरस को पीते ह.
(२)
दवः पीयूषमु म सोम म ाय व णे. सुनोता मधुम मम्.. (३)
हे यजमानो! सोमरस वगलोक का अमृत और सव े है. व धारी इं उस का पान
करते ह. अतः उन के लए उस को प र कृत क जए. (३)
धता दवः पवते कृ ो रसो द ो दे वानामनुमा ो नृ भः.
ह रः सृजानो अ यो न स व भवृथा पाजा स कृणुषे नद वा.. (४)
सोमरस मधुर और दे वता का बल बढ़ाने वाला है, यजमान इस क शंसा करते ह.
अंत र म शु होता आ यह हरा सोमरस वेगवान घोड़ क तरह धारा के प म अपनी
साम य कट करता है. (४)
शूरो न ध आयुधा गभ योः व ३: सषास थरो ग व षु.
इ य शु ममीरय प यु भ र ह वानो अ यते मनी ष भः.. (५)
सोम हाथ म श धारण करते ह और वीर क भां त रथा ढ़ ह. वे गोर क, वीर व
इं के बलव क, यजमान के ेरक और द ह. सोमरस को गो ध म मलाया जाता है.
(५)
इ य सोम पवमान ऊ मणा त व यमाणो जठरे वा वश.
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नः प व व ुद ेव रोदसी धया नो वाजां उप मा ह श तः.. (६)
हे सोम! आप प व व लहरदार ह. आप और अ धक मताशाली बन कर इं के पेट
म वेश करने क कृपा क जए. बजली जैसे बादल को बरसात के लए े रत करती है,
उसी तरह आप पृ वीलोक पर धन बरसाइए. आप हम बु मान, धनवान व अ वान
बनाइए. (६)
यद ागपागुदङ् य वा यसे नृ भः.
समा पु नृषूतो अ यानवे ऽ स शध तुवशे.. (७)
हे इं ! मनु य ारा आप को सब ओर आमं त कया जाता है. हम पु और तुवश के
नाश के लए आप क उपासना करते रहे ह. आप (हमारे सभी) श ु को न करने क
कृपा क जए. (७)
य ा मे शमे यावके कृप इ मादयसे सचा.
क वास वा तोमे भ वाहस इ ा य छ या ग ह.. (८)
हे इं ! आप म (इं का वशेष कृपा पा ), शम (इं का सहयोगी), यावक (एक
ऋ ष) और कृप (इं का वशेष कृपा पा ) पर कृपालु ह. क व (एक या क) आप क
व भ तो से तु त करते ह. आप (यजमान के अनुरोध पर) य म पधारने क कृपा
क जए. (८)
उभय शृणव च न इ ो अवा गदं वचः.
स ा यः मघवा सोमपीतये धया श व आ गमत्.. (९)
हे इं ! आप हमारे य म पधार कर हमारी दोन कार क वा णय को सुनने क कृपा
क जए. आप ब ल व संप ह. आप हमारी उपासना से स होइए. आप सोमपान करने
के लए हमारे य म पधा रए. (९)
त ह वराजं वृषभं तमोजसा धषणे न त तुः.
उतोपमानां थमो नषीद स सोमकाम ह ते मनः.. (१०)
आकाश और पृ वी समथ व तेजोमय इं को अपनी साम य से कट करते ह. इं
अनुपम ह. (सभी उपमान म सव म ह). हे इं ! आप सोम (पान क ) क कामना से
य वेद पर अ ध त होने क कृपा क जए. (१०)
आठवां खंड
पव व दे व आयुष ग ं ग छतु ते मदः. वायुमा रोह धमणा.. (१)
हे सोम! आप का रस मददायी हो कर इं तक जाए. आप का रस श मान हो कर
वायु तक प ंचने क कृपा करे. आप प व ह. आप यजमान को आयु मान बनाने क कृपा
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क जए. (१)
पवमान न तोशसे र य सोम वा यम्. इ दो समु मा वश.. (२)
हे सोम! आप प व व संतु दायक ह. आप को दं ड दे ने क कृपा क जए. हम
आप का आ ान करते ह. (२)
अप न पवसे मृधः तु व सोम म सरः. नुद वादे वयुं जनम्.. (३)
हे सोम! आप प व ह. आप य क या व ध जानने वाले ह. आप ई यालु और
ना तक को र करने क कृपा क जए. आप का भाव दे वता जैसा ( द ) है. (३)
अभी नो वाजसातमं र यमष शत पृहम्.
इ दो सह भणसं तु व नं वभासहम्.. (४)
हे सोम! आप तेज वी ह. आप हम सैकड़ लोग ारा चाहा गया धन दान करने क
कृपा क जए. आप ारा दए गए धन से हम हजार लोग का भरणपोषण करने म समथ हो
सक. आप हम तेज वी और यश वी बनाने क कृपा क जए. (४)
वयं ते अ य राधसो वसोवसो पु पृहः.
न ने द तमा इषः याम सु ने ते अ गो.. (५)
हे सोम! हम आप का आ य चाहते ह. आप सभी के ारा चाहे जाते ह. आप हम जो
अ धन दान करते ह, उस से हम सुखी बन. आप सूय के साथ वास करने वाले ह. (५)
प र य वानो अ र द र े मद युतः.
धारा य ऊ व अ वरे ाजा न या त ग युः.. (६)
सोमरस े व तेज वी है. य म उस क धारा का योग कया जाता है. चमकने
वाले सोमरस क ऊ व धारा ग तमान के प म य म काम आती है. सोमरस को
वाभा वक प से प रशु कया जाता है. (६)
पव व सोम महा समु ः पता दे वानां व ा भ धाम.. (७)
हे सोम! आप प व , रसीले व पालक ह. दे वता के सभी धाम को अपने द रस
से प रपूण करने क कृपा क जए. (७)
शु ः पव व दे वे यः सोम दवे पृ थ ै शं च जा यः.. (८)
हे सोम! आप चमक ले ह. आप दे वता के लए ब हए. सोमरस वगलोक,
पृ वीलोक और सम त जा के लए सुखकारी होने क कृपा कर. (८)
दवो धता स शु ः पीयूषः स ये वधम वाजी पव व.. (९)
हे सोम! आप बलवान, चमक ले, अमृत के समान व वगलोक के धता (धारण कता)
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ह. आप स य पी य म वा हत होने क कृपा क जए. (९)
नौवां खंड
े ं वो अ तथ तुषे म मव यम्. अ ने रथं न वे म्.. (१)
हे अ न! आप ब त अ धक य व हमारे मेहमान ह. आप हम म जैसे य और
सव ाता ह. आप ह ववाहक ह. हम आप क तु त करते ह. (१)
क व मव श वं यं दे वास इ त ता. न म य वादधुः.. (२)
दे वता ने क व क भां त दो प (गाहप य और आहवनीय) म मनु य म अ न को
त त कया. (२)
वं य व दाशुषो नॄँ: पा ह शृणुही गरः. र ा तोकमुत मना.. (३)
हे इं ! आप हमारी वाणी सु नए. आप हम अपनी शरण म ली जए. आप अपने
यजमान क तु त पर यान द जए. आप उन क र ा के लए सचे रहने क कृपा
क जए. (३)
ए नो ग ध य स ा जदगो . ग रन व तः पृथुः प त दवः.. (४)
हे इं ! आप व पालक, पवत क भां त वशाल एवं वगलोक के वामी ह. आप
कृपया हमारे य (पास) म पधा रए. (४)
अ भ ह स य सोमपा उभे बभूथ रोदसी. इ ा स सु वतो वृधः प त दवः.. (५)
हे इं ! आप सोमरस पीने वाले व सच का पालन करने वाले ह. आप आकाश और
पृ वी दोन ही लोक म अपनी साम य रखते ह. आप वगलोक के प त ह. आप सोमय
करने वाल क बढ़ोतरी करने वाले ह. (५)
व ह श तीना म धता पुराम स. ह ता द योमनोवृधः प त दवः.. (६)
हे इं ! आप वगलोक के प त एवं शा त ह. आप नगर को धारण करने वाले, द यु
का नाश करने वाले व मनोबल क बढ़ोतरी करने वाले ह. (६)
पुरां भ युवा क वर मतौजा अजायत.
इ ो व य कमणो धता व ी पु ु तः.. (७)
हे इं ! आप (श ु के) नगर के भेदक, क व, युवा, व वाले, व के कम के
धारक व परा मी ह. आप क कई जगह शंसा होती है. आप अपने इसी व प के साथ
कट ए ह. (७)
वं वल य गोमतो ऽ पावर वो बलम्.
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वां दे वा अ ब युष तु यमानास आ वषुः.. (८)
हे इं ! आप ने अपने बल से गाय को चुराने वाले रा स के ज थे को न कया.
रा स के नाश के बाद सारे दे वता इकट् ठे ए. फर वे सभी दे वता तब आप के साथ
संग ठत ए. (८)
इ मीशानमोजसा भ तोमैरनूषत. सह ं य य रातय उत वा स त भूयसीः.. (९)
इं हजार दान दे ने वाले, ब त ओज वी व ब त मतावान ह. उन क सव भू रभू र
शंसा होती है. हम सभी को इं क तु त करनी चा हए. (९)
पहला खंड
अ ा समु ः थमे वधमन् जनय जा भुवन य गोपाः.
वृषा प व अ ध सानो अ े बृह सोमो वावृधे वानो अ ः.. (१)
सोम पानी बरसाने वाले, सब क र ा करने वाले व द ह. सब से पहले आकाश म
उ ह ने जा को उ प कर के त ा ा त क , फर पृ वी के ऊपर ाकृ तक छलनी से छन
कर के बढ़ोतरी ा त क . (१)
म स वायु म ये राधसे नो म स म ाव णा पूयमानः.
म स शध मा तं म स दे वा म स ावापृ थवी दे व सोम.. (२)
छाना गया सोमरस म , व ण तथा म द्गण क साम य बढ़ा दे ने वाला हो. वह इं के
भी बल को बढ़ाए. वह हम अ , धन दलाने के लए वायु को स करे. सोमरस अनुपम
( द ) है. वह वगलोक और पृ वीलोक दोन ही लोक के लए स ता बढ़ाने वाला हो.
(२)
मह सोमो म हष कारापां यद्गभ ऽ वृणीत दे वान्.
अदधा द े पवमान ओजो ऽ जनय सूय यो त र ः.. (३)
सोम ने सूय म काश उ प कया. इं म ओज था पत कया. ये जल के गभ व प
और महानतम ह. सोम ने ब त से काय कए ह. (३)
एष दे वो अम यः पणवी रव द यते. अ भ ोणा यासदम्.. (४)
सोम अमर ह. ये प ी के उड़ने क तरह वेग से ोणकलश म वेश करते ह. (४)
एष व ैर भ ु तो ऽ पो दे वो व गाहते. दध ना न दाशुषे.. (५)
सोम द और ा ण ारा शं सत ह. ये जल म मलते ह. सोम यजमान के लए
धन धारण करते ह. (५)
एष व ा न वाया शूरो य व स व भः. पवमानः सषास त.. (६)
शूरवीर जैसे बल योग करता है, वैसे ही सोम अपना धन दे ते ह. ये बलशाली,
साम यवान और ऐ यशाली ह. (६)
सरा खंड
एष धया या य ा शूरो रथे भराशु भः. ग छ य न कृतम्.. (१)
सोम शूरवीर ह. अंगु लय से इ ह नचोड़ा जाता है. ये ज द चलने वाले रथ से
बु पूवक इं के पास जाते ह. (१)
एष पु धयायते बृहते दे वतातये. य ामृतास आशत.. (२)
य थान म ब त से दे वता त त ह. ये उस य थल म बु पूवक अग णत काय
करने क इ छा रखते ह. (२)
तीसरा खंड
एष उ य वृषा रथो ऽ ा वारे भर त. ग छ वाज सह णम्.. (१)
सोम हजार घोड़ क तरह ग तपूवक जाते ह. ये रथ क तरह ग तमान ह. इ ह
ोणकलश म छलनी से छाना जाता है. ये अ दाता ह. (१)
एतं त य योषणो ह र हव य भः. इ म ाय पीतये.. (२)
इं के पीने के लए ह रत कां त वाला सोमरस प थर से त (तीन कार से तु तय
के साथ प व कया जाता आ) कूटा जा रहा है. (२)
एष य मानुषी वा येनो न व ु सीद त. ग छं जारो न यो षतम्.. (३)
चौथा खंड
एष वाजी हतो नृ भ व व मनस प तः. अ ं वारं व धाव त.. (१)
सोम मन के राजा, संसार को जानने वाले और घोड़े के समान तेजी से दौड़ कर
ोणकलश म जाते ह. (१)
एष प व े अ र सोमो दे वे यः सुतः. व ा धामा या वशन्.. (२)
सोमरस अमर व प व है. वह दे वता और उन क पी ढ़य के लए झरता है. यह
छन कर उन म (दे वता म) ा त हो जाता है. (२)
एष दे वः शुभायते ऽ ध योनावम यः. वृ हा दे ववीतमः.. (३)
सोम दे वता को ब त अ धक भाते ह. वे दे वता क द ता (दै वीभाव) को और
अ धक बढ़ा दे ते ह. वे अमर और श ुनाशी ह. य के कलश म सोमरस ब त अ धक
शो भत होता है. (३)
एष वृषा क न द श भजा म भयतः. अ भ ोणा न धाव त.. (४)
दस अंगु लयां मसलमसल कर सोमरस को नचोड़ती ह. यह श शाली है. यह
आवाज करता व दौड़ता आ ोणकलश म प ंचता है. (४)
एष सूयमरोचय पवमानो अ ध व. प व े म सरो मदः.. (५)
वगलोक प व कारी है. सोमरस वगलोक म आनंद दे ने वाला है. प व और छाना
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आ सोमरस सूय को का शत करने क साम य रखता है. (५)
एष सूयण हासते संवसानो वव वता. प तवाचो अदा यः.. (६)
सोम बंधनमु , उपासना यो य व तेज वी ह. सूय दे व जल, वायु आ द पांच त व म
मलने के लए इसे छोड़ते ह. (६)
पांचवां खंड
एष क वर भ ु तः प व े अ ध तोशते. पुनानो न प षः.. (१)
क व और ानी सोमरस क उपासना करते ह. यह पाप (रोग) नाशक, फू तदायी और
तृ तदायी है. इस का रस कूट कर नकाला जाता है. (१)
एष इ ाय वायवे व ज प र ष यते. प व े द साधनः.. (२)
सोम इं और वायु के लए छन कर नीचे भूलोक पर पधारते ह. वे प व और व गक
सुखदाता ह. (२)
एष नृ भ व नीयते दवो मूधा वृषा सुतः. सोमो वनेषु व वत्.. (३)
सोम सव ाता, श शाली और सव े ह. मनु य (यजमान) इ ह वन म वन क
उपयोगी व तु और ओषध के प म पाते ह. (३)
एष ग ुर च द पवमानो हर ययुः. इ ः स ा जद तृतः.. (४)
सोम का व प रसीला व फू तदायी ह. वे सव ाता ह. मनु य लकड़ी के बने बरतन
से इ ह य म ले जाते ह. (४)
एष शु य स यदद त र े वृषा ह रः. पुनान इ र मा.. (५)
सोम अंत र म शो भत होते ह. ये घोड़े क तरह बलवान और हरे ह. ये छलनी म
छनते ह. ये सादर इं के पास जाते ह. (५)
एष शु यदा यः सोमः पुनानो अष त. दे वावीरघश सहा.. (६)
सोम दे वता के र क, पा पय के संहारक, अ वनाशी और द और वे कलश म
वराजते ह. (६)
छठा खंड
स सुतः पीतये वृषा सोमः प व े अष त. व न ा स दे वयुः.. (१)
सोम व न को न करने वाले व द गुण से भरपूर ह. इ ह इं आ द दे व के लए
सातवां खंड
यः पावमानीर ये यृ ष भः संभृत रसम्.
सव स पूतम ा त व दतं मात र ना.. (१)
जो यजमान ऋ षय ारा संक लत जीवन क उपयोगी बात म यान लगाता है,
प व कारी सू (मं , तु तय ) का पाठ करता है वह यजमान प व और पोषक अ ा द
रस का आनंद लेता है. (१)
पावमानीय अ ये यृ ष भः संभृत रसम्.
त मै सर वती हे ीर स पमधूदकम्.. (२)
ऋ षय ने वेद मं क रचना क है. जो यजमान उन का अ ययनमनन करता है, उस
का ान बढ़ाने के लए सर वती सहायता करती ह. उस यजमान के लए शहद, ध, घी
आ द पोषक वयं दान करती ह. (२)
पावमानीः व ययनीः सु घा ह घृत तः.
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ऋ ष भः संभृतो रसो ा णे वमृत हतम्.. (३)
ऋ षय ने जो मं रचे ह, वे मं ा ण के लए अमृत सरीखे क याणकारी, हतकारी
व घी से चुए ए ह. वे नेह क धारा से सने ए और े फलदायी ह. (३)
पावमानीदध तु न इमं लोकमथो अमुम्.
कामा समधय तु नो दे वीदवैः समा ताः.. (४)
दे वी और दे वता ने मं संक लत कए ह. वे मं न केवल इस लोक म ब क
परलोक म भी हमारे लए क याणकारक ह . वे हमारी सारी इ छाएं पूरी करने वाले ह . (४)
येन दे वाः प व ेणा मानं पुनते सदा. तेन सह धारेण पावमानीः पुन तु नः.. (५)
दे वतागण जन से सदा अपने को नमल (प व ) बनाते ह, वैसी ही हजार धारा से
वेद के मं हम प व बनाने क कृपा कर. (५)
पावमानीः व ययनी ता भग छ त ना दनम्.
पु याँ भ ा भ य यमृत वं च ग छ त.. (६)
जो यजमान प व तादायी मं से रे णा लेता है, जो यजमान हतकारी मं म झान
रखता है, वह परमानंद का भागी होता है. वह पु य अ जत कराने वाले अ को खाता है
और अमरता का भागीदार होता है. (६)
आठवां खंड
अग म महा नमसा य व ं यो द दाय स म ः वे रोणे.
च भानु रोदसी अ त व वा तं व तः य चम्.. (१)
हे अ न! कौन सी ऐसी जगह है, जहां आप नह जा सकते? आप वगलोक और
पृ वीलोक म भलीभां त व लत ( का शत) होते ह. आप खूब काशवान, अ छ
आ तय वाले व युवा ह. हम आप को नम कार करते ह और आप क शरण म ह. (१)
स म ा व ा रता न सा ान न वे दम आ जातवेदाः.
स नो र ष रतादव ाद मा गृणत उत नो मघोनः.. (२)
हे अ न! आप का काश ान वाला है. आप उस काश को फैलाते रहते ह. आप
तेज वी ह और संसार के सभी पाप का नाश करने म समथ ह. आप कम करने से हम
रोकते ह और हमारी र ा करते ह. आप हमारी आ तय को हण करते ह. आप हमारे त
क याण क भावना धारण करते ह. (२)
वं व ण उत म ो अ ने वां वध त म त भव स ाः.
वे वसु सुषणना न स तु यूयं पात व त भः सदा नः.. (३)
नौवां खंड
पवमान य ज नतो हरे ा असृ त. जीरा अ जरशो चषः.. (१)
हे सोम! आप हरे ह. आप के रस क धारा स तादायक है. वह छन कर और साफ हो
कर झरती है. आप श ुनाशक ह और सब जगह जा सकते ह. (१)
पवमानो रथीतमः शु े भः शु श तमः. ह र ो म द्गणः.. (२)
हे सोम! आप प व , उ चतम थान पर शो भत, उ वलतर से उ वलतम, ह रत
शोभा वाले व सब को स ता दे ने वाले ह. आप को पु बनाने म म द्गण भी आप क
सहायता करते ह. (२)
पवमान ु ह र म भवाजसातमः. दध तो े सुवीयम्.. (३)
हे सोम! आप प व ह. आप घोड़े क तरह अपनी करण से सव प ंच जाते ह. आप
यजमान को अ छा वीय ( े संतान) दान करते ह. (३)
परीतो ष चता सुत सोमो य उ म ह वः.
दध वाँ यो नय अ व ३ ऽ तरा सुषाव सोमम भः.. (४)
यजमान जल म सोम को मलाते ह. वे प थर से कूट कर सोमरस नकालते ह. वह
दे वता के लए े है. यजमान उस से सब ओर स च. (४)
दसवां खंड
ाय त इव सूय व े द य भ त.
वसू न जातो ज नमा योजसा त भागं न द धमः.. (१)
हे यजमानो! इं उसी तरह चुर वैभव को बांटते ह, जैसे सूय करण को (अपने म)
बांटते ह. हम उन क कृपा से वैसे ही धन पाते ह, जैसे पता क कृपा से हम उन से संप
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का ह सा पाते ह. (१)
अल षरा त वसुदामुप तु ह भ ा इ य रातयः.
यो अ य कामं वधतो न रोष त मनो दानाय चोदयन्.. (२)
इं स जन (भ ) को धन दान करते ह. उन के दान ब त क याणकारी ह. यजमान
जब उन से कुछ चाहते ह तो उन का मन उ ह उस दान के लए े रत करता है. अतः हे
यजमानो! आप सब उन क तु त करो. (२)
यत इ भयामहे ततो नो अभयं कृ ध.
मघव छ ध तव त ऊतये व षो व मृधो ज ह.. (३)
हे इं ! आप हम उन सब से अभय दान क जए, जन से हम भय लगता है. आप हम
से व े ष रखने वाल को न क जए. आप हसक का नाश क जए. आप हमारी र ा
क जए. आप साम यवान ह. (३)
व ह राधस पते राधसो महः य या स वधता.
तं वा वयं मघव गवणः सुताव तो हवामहे.. (४)
हे इं ! आप धनप त, ब त धनधारी एवं उपा य ह. हम यजमान शु और प व
सोमरस का आनंद लेने के लए आप को आमं त करते ह. (४)
यारहवां खंड
व सोमा स धारयुम ओ ज ो अ वरे. पव य म हय यः.. (१)
हे सोम! आप ब ल व प व ह. आप य म धारा से वैभवयु माग बनाते ह. आप
धनदाता व श दाता ह. आप शु हो कर कलश म वरा जए. (१)
व सुतो म द तमो दध वा म स र तमः. इ ः स ा जद तृतः.. (२)
हे सोम! आप मददायी, बलधारी, य के मूलाधार, का शत, फू तदायी और श ु
को जीतने वाले ह. आप को जीता नह जा सकता. (२)
व सु वाणो अ भर यष क न दत्. ुम त शु ममा भर.. (३)
हे सोम! प थर से कूटकूट कर आप का रस नकाला व नचोड़ा जाता है. आप हम
ओज और साम य दान करने क कृपा कर. आप आवाज करते ए कलश म वेश करने
क कृपा क जए. (३)
पव व दे ववीतय इ दो धारा भरोजसा. आ कलशं मधुमा सोम नः सदः.. (४)
हे सोम! आप मधुरतायु ह. आप दे वता क तृ त के लए अपनी ओजयु
बारहवां खंड
आ घा ये अ न म धते तृण त ब हरानुषक्. येषा म ो युवा सखा.. (१)
इं जवान व यजमान के म ह. यजमान अ न को व लत करते ह. यजमान
दे वता के लए कुश के आसन बछाते ह. (१)
बृह द म एषां भू र श ं पृथुः व ः. येषा म ो युवा सखा.. (२)
यजमान के पास दे वता के लए भरपूर स मधाएं, चुर श , अग णत ाथनाएं ह.
इं इन यजमान के म ह और वे सदा जवान ह. (२)
अयु इ ुधा वृत शूर आज त स व भः. येषा म ो युवा सखा.. (३)
युवा इं जन यजमान के म ह वे यु म च नह रखते ह, फर भी श शाली
सै य बल वाले श ु को हरा सकते ह. (३)
य एक इ दयते वसु मताय दाशुषे. ईशानो अ त कुत इ ो अ .. (४)
इं संसार के ई र और यजमान को भरपूर वैभव दे ने वाले ह. वे अकेले ही श ु को
हराने के लए पया त ह. (४)
य वा ब य आ सुतावाँ आ ववास त. उ ं त प यते शव इ ो अ .. (५)
हे इं ! लाख म से जो कोई यजमान सोमय से आप को भजता है, आप उसे ज द
ही ओज वी बना दे ते ह. (५)
कदा मतमराधसं पदा ु प मव फुरत्. कदा नः शु वद् गर इ ो अ .. (६)
हे इं ! आप तु त न करने वाल को मामूली पौध क तरह कब हटाएंगे? कब आप
पहला खंड
सुष म ो न आ वह दे वाँ अ ने ह व मते. होतः पावक य च.. (१)
हे अ न! आप प व करने वाले ह. आप यजमान के क याण हेतु दे वता का
आ ान क रए. दे वता को ह व प ंचाने के लए ह व वीकार क जए. आप य को
सफल बनाने क कृपा क जए. (१)
मधुम तं तनूनपा ं दे वेषु नः कवे. अ ा कृणु तये.. (२)
हे अ न! आप व ान् व ऊपर क ओर जाने वाले ह. आप हमारे क याण के लए
तनमन के न म पोषक मधुरता से भरी ह वय को दे वता के लए वीकार क जए. उन
ह वय को वीकारने के बाद दे वता तक प ंचाने क कृपा भी क जए. (२)
नराश स मह यम म य उप ये. मधु ज ह व कृतम्.. (३)
हे अ न! आप दे वता को य, उन के लए स तादायी, मीठ ज ा वाले व
पूजनीय ह. हम इस य म अपनी ह वय को दे व तक प ंचाने का अनुरोध करते ह. (३)
अ ने सुखतमे रथे दे वाँ ई डत आ वह. अ स होता मनु हतः.. (४)
हे अ न! आप दे वता को साथ ले कर अपने सुखदायी रथ म य थान तक
पधा रए. आप दे वता को बुलाने वाले व मनु य का हत साधने वाले ह. (४)
यद सूर उ दते ऽ नागा म ो अयमा. सुवा त स वता भगः.. (५)
सूय के उ दत होने पर प व म , अयमा, स वता व भग हम मनचाहा धन ा त कराने
क कृपा कर. (५)
सु ावीर तु स यः नु याम सुदानवः. ये नो अ हो ऽ त प त.. (६)
हे दे वताओ! आप उ कृ क याण करने वाले, हमारे े र क व य थान के वासी
ह. आप अहम्, दं भ आ द रा स (बुरी वृ य ) से हमारी र ा करने क कृपा कर. (६)
उत वराजो अ द तरद ध य त य ये. महो राजान ईशते.. (७)
दे वता क माता अ द त समेत सभी दे वतागण हमारे त स कर. वे इ ह स
सरा खंड
आ जागृ व व ऋतं मतीना सोमः पुनानो असद चमूषु.
सप त यं मथुनासो नकामा अ वयवो र थरासः सुह ताः.. (१)
सोम जा त ह, तु तय को जानने वाले ह. वे छनछन कर ोणकलश म झरते ह.
धनवान अ छे हाथ वाले संप पाने के इ छु क पुरो हत इसे इकट् ठा कर के संभाल कर
रखते ह. (१)
स पुनान उप सूरे दधान ओभे अ ा रोदसी वी ष आवः.
या च य यसास ऊती सतो धनं का रणे न य सत्.. (२)
सोम प व ह, वगलोक और पृ वीलोक को अपनी आभा से पूण करते ह. इन क
रसधार ब त य लगने वाली है. वह हमारी र ा और हम वैभव दान करती है. यह
सोमरस इं के पास प ंचता है. (२)
स व धता वधनः पूयमानः सोमो मीढ् वां अ भ नो यो तषा वत्.
य नः पूव पतरः पद ाः व वदो अ भ गा अ म णन्.. (३)
सोम बढ़ोतरी पाने वाले, दे वता क बढ़ोतरी करने वाले और अभी साधने वाले ह.
छना आ सोमरस सब कार से हमारी र ा करे. आ म त व ाता हमारे पूव पतर अपनी
य ीय गाय को सोम से भरे ए पहाड़ के पास ले जाया करते थे. (३)
मा चद य श सत सखायो मा रष यत.
इ म तोता वृषण सचा सुते मु था च श सत.. (४)
हे म यजमानो! इं बलवान ह. आप सोमरस प र कृत कर के इं क ही तु त
तीसरा खंड
सूय येव र मयो ाव य नवो म सरासः सुतः साकमीरते.
त तुं ततं प र सगास आशवो ने ा ते पवते धाम कचन.. (१)
सोम क धाराएं वत होती ई पा म सूय क करण क तरह फैल रही ह. इं के
अलावा वे कसी अ य को नह मलत . (१)
उपो म तः पृ यते स यते मधु म ाजनी चोदते अ तरा स न.
पवमानः स त नः सु वता मव मधुमान् सः प र वारमष त.. (२)
सोम मधुर व बु व क ह. सोमरस इं को े रत करने वाला है. यजमान सोमरस
नचोड़ते व उसे जल म मलाते ह, उस को और प र कृत करते ह. (२)
उ ा ममे त त य त धेनवो दे व य दे वी प य त न कृतम्.
अ य मीदजुनं वारम यम कं न न ं प र सोमो अ त.. (३)
नचोड़ा जाता आ सोमरस आवाज करता है व द प को ा त करता है. गाय के
ध से उस को शु बनाया जाता है. वह द , काशमान व अ य है. (३)
अ नं नरो द ध त भरर योह त युतं जनयत श तम्.
रे शं गृहप तमथ ुम्.. (४)
हे नरो! अ न पूजनीय ह. वे हमारा भरणपोषण करते ह. वे गृहप त, अ युत और र से
ही दशनीय ह. आप सभी अर ण मंथन से अ न को कट करने क कृपा क जए. (४)
तम नम ते वसवो यृ व सु तच मवसे कुत त्.
द ा यो यो दम आस न यः.. (५)
हे अ न! आप वलनशील काशमान ह. आप को हम घर म व लत करते ह. आप
सुंदर (दशनीय) व प वाले ह. यजमान अपनी र ा के लए आप को य म त त करते
पहला खंड
उप य तो अ वरं म ं वोचेमा नये. आरे अ मे च शृ वते.. (१)
अ न उ म य करने वाले यजमान क ाथना सुनने के लए तैयार ह. हम उन क
उपासना करते ह. (१)
यः नी हतीषु पू ः संज मानासु कृ षु. अर ाशुषे गयम्.. (२)
अ न हमेशा का शत रहते ह. यजमान जब ेम भाव से मल कर रहते ह तो वे उन के
वैभव क र ा करते ह. (२)
स नो वेदो अमा यम नी र तु श तमः. उता मा पा व हसः.. (३)
अ न ब त क याणकारी ह. वे हम पाप (बुरी वृ य ) से र करने व हमारे वैभव
क र ा करने म हमारी सहायता करने क कृपा कर. (३)
उत ुव तु ज तव उद नवृ हाज न. धन यो रणेरणे.. (४)
अ न यु म मन को हराते ह व उन का धन जीतते ह. वे कट हो गए ह. मं
गायक पुरो हत को उन क तु त करनी चा हए. (४)
अ ने युं वा ह ये तवा ासो दे व साधवः. अरं वह याशवः.. (५)
हे अ न! आप के घोड़े शी जाने वाले ह. आप के घोड़े भी साम यवान ह. आप उन
को रथ म जो तए. (५)
अ छा नो या ा वहा भ या स वीतये. आ दे वा सोमपीतये.. (६)
हे अ न! आप सोमपान व दे वता को हमारी ओर उ मुख करने क कृपा क जए.
(६)
उद ने भारत ुमदज ेण द व ुतत्. शोचा व भा जर.. (७)
हे अ न! आप जग के पालक व अ ु ण (कभी ीण न हो सकने वाले) ह. आप भी
का शत होइए और जग को भी का शत क जए. आप व लत हो कर उ रो र
बढ़ोतरी ा त क जए. (७)
सरा खंड
अ ातृ ो अना वमना प र जनुषा सनाद स. युधेदा प व म छसे.. (१)
हे इं ! आप का कोई श ु नह ज मा और सम त उपासक को ही अपना बंधु
वीकारते ह. आप मन के त बंधु भाव से र हत और श ु के नाश क इ छा रखते ह.
आप सब के नयं क ह. (१)
न क रेव त स याय व दसे पीय त ते सुरा ः.
यदा कृणो ष नदनु समूह या द पतेव यसे.. (२)
हे इं ! आप श शाली ह. धन का गव करने वाले के आप सखा नह होते. जो सुरा पी
कर आप को पी ड़त करते ह, उन के भी आप सखा नह होते. जो ान, गुण संप के साथ
मल कर चलते ह, उन को आप पता के समान ेम करते ह. (२)
आ वा सह मा शतं यु ा रथे हर यये.
युजो हरय इ के शनो वह तु सोमपीतये.. (३)
हे इं ! आप का रथ सुनहरा है. आप के घोड़े संकेत मा से रथ म जुत जाते ह. आप
के वे घोड़े आप को सोमरस पलाने के लए रथ म बैठा कर य थान म लाने क कृपा कर.
(३)
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आ वा रथे हर यये हरी मयूरशे या.
श तपृ ा वहतां म वो अ धसो वव ण य पीतये.. (४)
हे इं ! आप के घोड़े मोर जैसे रंग और सफेद पीठ वाले ह. वे आप को य थान पर
लाने क कृपा कर, ता क आप मीठा अमृत जैसा सोमरस पी सक. (४)
पबा व ३ य गवणः सुत य पूवपा इव.
प र कृत य र सन इयमासु त ा मदाय प यते.. (५)
हे इं ! आप पूजनीय ह. सोमरस मददायी, आनंदव क व गुणमय है. आप सब से
पहले इस साफ छने ए सोमरस को पीने क कृपा कर. (५)
आ सोता प र ष चता ं न तोमम तुर रज तुरम्. वन मुद ुतम्.. (६)
हे यजमानो! सोमरस घोड़े क तरह वेगवान, जलमय व काश का व तारक है. आप
सोमरस छान कर, जल म मला कर तैयार क जए. (६)
सह धारं वृषभं पयो हं यं दे वाय ज मने.
ऋतेन य ऋतजातो ववावृधे राजा दे व ऋतं बृहत्.. (७)
सोमरस द गुण वाला, सुख बढ़ाने वाला, य और जल म मल कर बढ़ोतरी पाता
है. हे यजमानो! आप ध मला आ सोमरस दे वता के लए तैयार क जए. आप
प र कृत सोमरस दे वता के लए तैयार क जए. (७)
तीसरा खंड
अ नवृ ा ण जङ् घनद् वण यु वप यया. स म ः शु आ तः.. (१)
हे अ न! आप भलीभां त द त, आप काशमान, धनदाता ह. आप ह व से पोषण
पाते ह. आप श ु का नाश करने क कृपा क जए. (१)
गभ मातुः पतुः पता व द ुतानो अ रे. सीद ृत य यो नमा.. (२)
हे अ न! आप पृ वी माता के गभ म वशेष प से का शत ह व अंत र म पता क
भू मका म वराजमान ह. अ न य म वेद पर त त ह. (२)
जावदा भर जातवेदो वचषणे. अ ने य दय व.. (३)
हे अ न! जोजो सुख वगलोक म उपल ध ह, आप उन सुख को हम ा त कराने क
कृपा क जए. आप सव ा व वल ण ह. आप हम ान व संतान दान क जए. (३)
अ य ेषा हेमना पूयमानो दे वो दे वे भः समपृ रसम्.
सुतः प व ं पय त रेभ मतेव स पशुम त होता.. (४)
चौथा खंड
अ ने तोमं मनामहे स म द व पृशः. दे व य वण यवः.. (१)
पांचवां खंड
यम ने पृ सु म यमवा वाजेषु यं जुनाः. स य ता श ती रषः.. (१)
हे अ न! आप यु म जन लोग को लगाते ह, उ ह अ व बल दान करते ह और
मृ यु से उन क र ा करते ह. (१)
न कर य सह य पयता कय य चत्. वाजो अ त वा यः.. (२)
हे अ न! आप ने जस को बल दया है, उस बलवान वीर को कोई भी नह हरा सकता
है. (२)
स वाजं व चष णरव द्भर तु त ता. व े भर तु स नता.. (३)
हे अ न! ा ण ारा आप क शंसा क जाती है. आप संसार के ा ह. आप
घोड़ के ारा हम यु जताएं. आप क याणकारी ह. (३)
साकमु ो मजय त वसारो दश धीर य धीतयो धनु ीः.
ह रः पय व जाः सूय य ोणं नन े अ यो न वाजी.. (४)
सोमरस द , प व और ह रत आभा वाला है. सूय क करण से शु हो कर वह
ोणकलश म जाता है. वह घोड़े क तरह वेगवान हो कर कलश म जाता है. दस अंगु लयां
उस को मसलमसल कर शु बनाती ह. (४)
सं मातृ भन शशुवावशानो वृषा दध वे पु वारो अ द्भः.
मय न योषाम भ न कृतं य सं ग छते कलश उ या भः.. (५)
सोमरस सव े , दे वता को य व बलवान है. वह ध व जल म ऐसे एकमेक हो
जाता है, जैसे पु ष और ी तथा मां और ब चा एक सरे म एकमेक हो जाते ह. (५)
छठा खंड
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अ भ वायुं वी यषा गृणानो ३ ऽ भ म ाव णां पूयमानः.
अभी नरं धीजवन रथे ामभी ं वृषणं व बा म्.. (१)
हे सोम! आप तु त के बाद वायु, म और व ण को ा त होने क कृपा क जए.
आप नेतृ ववान, बु दाता और रथ पर सवार अ नीकुमार क ओर प ंच. आप व बा
इं को ा त होइए. (१)
अ भ व ा सुवसना यषा भ धेनूः सु घाः पूयमानः.
अ भ च ा भतवे नो हर या य ा थनो दे व सोम.. (२)
हे सोम! आप हम उ म व , अ छे ध वाली गाएं, सुनहरा सोना व धन द जए. आप
हम रथ के लए उ म घोड़े द जए. (२)
अभी नो अष द ा वसू य भः व ा पा थवा पूयमानः.
अ भ येन वणम वामा याषयं जमद नव ः.. (३)
हे सोम! आप हम द धन पृ वीलोक के सारे वैभव द जए. हम े धन को े
काय म लगाने क मता ा त हो. हम जमद न आ द ऋ षय जैसी मता दान करने क
कृपा क जए. (३)
य जायथा अपू मघव वृ ह याय.
त पृ थवीम थय तद त ना उतो दवम्.. (४)
हे इं ! श ु नाश हेतु आप कट ह . आप के कारण वगलोक को थरता व
पृ वीलोक को ढ़ता मली. (४)
त े य ो अजायत तदक उत ह कृ तः.
त म भभूर स य जातं य च ज वम्.. (५)
हे इं ! आप के कट होने पर सूय था पत ए व उ प ए. उस के बाद ाणी उ प
होने शु ए. आप सभी ा णय म ा त हो गए. आप ने े य कम को उपजाया. (५)
आमासु प वमैरय आ सूय रोहयो द व.
घम न साम तपता सुवृ भजु ं गवणसे बृहत्.. (६)
हे इं ! आप ने वगलोक म सूय को था पत कया. यजमान जैसे अ न कट करते ह,
वैसे ही हे यजमानो! आप बृह साम गा कर इं म स ता कट कराइए. इं ने शशु क
उ प से पहले ही पु कारी त व ( ध) उ प कर दए. (६)
म यपा य ते महः पा येव ह रवो म सरो मदः.
वृषा ते वृ ण इ वाजी सह सातमः.. (७)
हे इं ! आप हरे घोड़ वाले, वशाल पा क भां त, श मान, हषदायी व बलदायी ह.
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सोमरस अन गनत दानदाता है. आप उसे पी जए और अपना आनंद बढ़ाइए. (७)
आ न ते ग तु म सरो वृषा मदो वरे यः
सहावाँ इ सान सः पृतनाषाडम यः.. (८)
हे इं ! सोमरस बलदायी, हषदायी, उ म, अमर, श ु वजेता और मददायी ह. आप
इस सोमरस को पीने क कृपा क जए. (८)
व ह शूरः स नता चोदयो मनुषो रथम्.
सहावा द युम तमोषः पा ं न शो चषा.. (९)
हे इं ! आप शूरवीर व दानशील ह और मनु य को स माग पर े रत करते ह. अ न
क वाला जैसे तपाती है, वैसे ही आप श ु को तपाते ह. (९)
पहला खंड
पव व वृ मा सुनो ऽ पामू म दव प र. अय मा बृहती रषः.. (१)
हे सोम! आप प व व द , जल को लहराएं. आप अ य वा य दान करने क
कृपा क जए. (१)
तया पव व धारया यया गाव इहागमन्. ज यास उप नो गृहम्.. (२)
हे सोम! आप उन द जलधारा से प व होइए, जन से धा गाएं हमारे यहां
आ सक, धनधा य हमारे घर प ंच सक. (२)
घृतं पव व धारया य ेषु दे ववीतमः. अ म यं वृ मा पव.. (३)
हे सोम! आप दे वता ारा चाहे गए घृत क प व धाराएं चुआइए. आप हमारे लए
मूसलाधार बरसात क जए. (३)
स न ऊज ३ यं प व ं धाव धारया. दे वासः शृणवन् ह कम्.. (४)
हे सोम! आप हम ऊजा दान क जए. आप अ य व प व धारावान ह. आप
धारा से दौड़ कर कलश म वेश क जए. आप क आवाज सुन कर दे वतागण आनं दत
ह . (४)
पवमानो अ स यद ा यपजङ् घनत्. नव ोचय ुचः.. (५)
प व , श ुनाशक, काशमान और छना आ सोमरस ोणकलश म झरता है. (५)
य मै पपीषते व ा न व षे भर. अर माय ज मये ऽ प ाद वने नरः.. (६)
हे यजमानो! इं य के संचालक, व के ाता, अ णी, ग तशील व सोमरस पान
के इ छु क ह. आप इं के लए सोमरस को ोणकलश म भर द जए. (६)
एमेनं येतन सोमे भः सोमपातमम्.
अम े भऋजी षण म सुते भ र भः.. (७)
हे यजमानो! सोमरस रसीला है. आप उसे प र कृत क जए. इं ब त अ धक सोमरस
पीने वाले ह. वे ब च से सोमरस पीते ह. आप इं के पास जा कर ाथना क जए. (७)
सरा खंड
ब वे नु वतवसे ऽ णाय द व पृशे. सोमाय गाथमचत.. (१)
हे यजमानो! सोम ललाई वाले भूरे और श मान ह. वे वगलोक को पश करते ह.
आप उन द सोम क उपासना क जए. (१)
ह त युते भर भःसुत सोमं पुनीतन. मधावा धावता मधु.. (२)
हे यजमानो! प थर से कूट कर सोमरस नकाला गया है. व छ कर के छाना गया है.
आप उस सोमरस म गाय का ध मलाइए. (२)
नमसे प सीदत द नेद भ ीणीतन. इ म े दधातन.. (३)
हे यजमान! आप सोमरस म दही मलाइए. इस सोमरस को नम कारपूवक प व
बनाइए. उस के बाद आप यह सोमरस इं को पीने के लए भट क जए. (३)
अ म हा वचष णः पव व सोम शं गवे. दे वे यो अनुकामकृत्.. (४)
हे सोम! आप प व ह. आप सब कुछ दे खने वाले ह. आप दे वता के लए उन क
इ छानुसार काम करने वाले ह. आप श ुहंता ह. आप हमारी गाय के लए सुखशां त दान
क जए. (४)
इ ाय सोम पातवे मदाय प र ष यसे. म मनस प तः.. (५)
इं मन के मा लक ह. वे मन म रमते ह. ऐसे इं के पीने के लए, मद दे ने के लए
सोमरस प र कृत होता है. (५)
पवमान सुवीय रय सोम ररी ह णः. इ द व े ण नो युजा.. (६)
हे सोम! आप प व व अ छे वीयवान ह. आप हम इं से जो ड़ए. आप हम उन से
चाहा गया धन ा त कराने क कृपा क जए. (६)
उद्घेद भ ुतामघं वृषभं नयापसम्. अ तारमे ष सूय.. (७)
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हे इं ! आप सूय के समान काशमान ह. आप धनवान, श मान, यश वी व हतैषी
ह. आप दानशील मनु य के पास प ंचते ह. (७)
नव यो नव त पुरो बभेद बा ोजसा. अ ह च वृ हावधीत्.. (८)
हे इं ! आप अपनी भुजा के ओज से मन के न यानवे ठकाने न करने वाले ह.
आप वृ ासुर के नाशक ह. आप हम मनपसंद वैभव दान करने क कृपा क जए. (८)
स न इ ः शवः सखा ावद्गोम वमत्. उ धारेव दोहते.. (९)
हे इं ! आप हमारा क याण क जए. गाएं हमारी म ह. वे हमारे लए जैसे अग णत
धारा से ध बरसाती ह, वैसे ही आप भी हमारे लए धन बरसाइए. (९)
तीसरा खंड
व ाड् बृह पबतु सो यं म वायुदध पताव व तम्.
वातजूतो यो अ भर त मना जाः पप त ब धा व राज त.. (१)
सूय काशमान ह. वे जा का पालन करते ह, यजमान को नरोग बनाते ह, लंबी आयु
दे ते ह, हवा बहाते ह व सब के र क ह. इं कई प म सुशो भत हो रहे ह. वे भरपूर
सोमपान कर. (१)
व ाड् बृह सुभृतं वाजसातमं धम दवो ध णे स यम पतम्.
अ म हा वृ हा द युह तमं यो तज े असुरहा सप नहा.. (२)
सूय ब त काशमान व अ और बलदाता ह. वे धम से वगलोक को धारण करते ह,
अ म के नाशक ह, वृ हंता ह. वे श ु , रा स व के नाशक ह. वे सव अपना
काश फैलाते ह. (२)
इद े ं यो तषां यो त मं व ज न ज यते बृहत्.
व ाड् ाजो म ह सूय श उ प थे सह ओजो अ युतम्.. (३)
सूय यो तमान और मतावान ह. वे पूरी पृ वी को का शत करते ह. वे अ युत ह. वे
बल के साथ रहते ह. वे धन जीतने वाले ह. उन क यो त वशाल, यो तय म सव े एवं
व को जीतने वाली है. (३)
इ तुं न आ भर पता पु े यो यथा.
श ा णो अ म पु त याम न जीवा यो तरशीम ह.. (४)
हे इं ! पता जैसे पु का लालनपालन करता है, वैसे ही आप हमारा पोषण क जए.
आप हम य के े फल दान क जए. हम जीव को आप द यो त द जए. हम और
अनेक लोग सहायता के लए आप को पुकारते रहते ह. (४)
चौथा खंड
जनीय तो व वः पु ीय तः सुदानवः. सर व त हवामहे.. (१)
हे सर वती! आप े काय म अ ग या ह. हम अ छ संतान व दान के आकां ी ह.
हम आप को आमं त करते ह. (१)
उत नः या यासु स त वसा सुजु ा. सर वती तो या भूत्.. (२)
हे सर वती! आप हम य ह. आप क सात बहन ह. आप हम उन से जो ड़ए. हम
आप क तु त करते ह. (२)
त स वतुवरे यं भग दे व य धीम ह. धयो यो नः चोदयात्.. (३)
हम उन स वता दे वता का वरे य तेज धारण करना चाहते ह, जो हमारी बु को े
पथ क ओर उ मुख एवं े रत करते ह. (३)
सोमानां वरणं कृणु ह ण पते. क ीव तं य औ शजः.. (४)
हे ण प त! आप ने जैसे उ शज से उ प पु क ीवान को ानी, यश वी बनाया,
उसी तरह हम सोमया गय को भी बनाने क कृपा क जए. (४)
अ न आयू ष पवस आ सुवोज मषं च नः. आरे बाध व छु नाम्.. (५)
हे अ न! आप को हम से र भगाइए. आप हम द घायु बनाएं. हम बल व
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पु व क अ द जए. (५)
ता नः श ं पा थव य महो रायो द य. म ह वां ं दे वेषु.. (६)
हे व ण! आप हम अपनी श द जए. आप हम धरती और आकाश म फैला आ
सम त धन और ा तेज दान करने क कृपा क जए. (६)
ऋतमृतेन सप ते षरं द माशाते. अ हा दे वौ वधते.. (७)
व ण ोह न करने वाल क बढ़ोतरी करते ह. वे स य से स य के पालक ह. वे अभी
बलदायी ह. (७)
वृ ावा री यापेष पती दानुम याः. बृह तं गतमाशाते.. (८)
हे म ! आप उ म थान पर वरा जत ह. हम वषा के लए उन क उपासना करते ह.
वे पृ वी पर सब कुछ नयम से उपल ध कराते ह, दानशील व अ के वामी ह. (८)
यु त नम षं चर तं प र त थुषः. रोच ते रोचना द व.. (९)
सूय ग तशील दखाई दे ते ह, पर थर ह. वे अ न व प ह. हम उन क उपासना करते
ह. उन क करण सम त वगलोक को का शत कर सुशो भत होती ह. (९)
यु य य का या हरी वप सा रथे. शोणा धृ णू नृवाहसा.. (१०)
हे इं ! आप मनु य के र और बु को स माग पर ले जाने के लए अपने मनचाहे
लाल और ौढ़ घोड़ को रथ म जोतने क कृपा क जए. (१०)
केतुं कृ व केतवे पेशो मया अपेशसे. समुष रजायथाः.. (११)
हे सूय! आप असुंदर को सुंदर बना दे ने क साम य रखते ह. आप उषाकाल म उ दत
होते ह. (११)
पांचवां खंड
अय सोम इ तु य सु वे तु यं पवते वम य पा ह.
व ह यं चकृषे वं ववृष इ ं मदाय यु याय सोमम्.. (१)
हे इं ! आप के लए सोमरस तैयार कया जाता है. आप इस को पी जए. आप ही उस
को बरसाते ह, उपजाते ह. आप आनंद हेतु इसे हण क जए. आप हम इस से मलाइए.
हम आप क शरण म ह. (१)
सई रथो न भु रषाडयो ज महः पु ण सातये वसू न.
आद व ा न या ण जाता वषाता वन ऊ वा नव त.. (२)
हे इं ! आप यु म हमारे श ु को न कर दे ते ह. रथ म जैसे यादा वजन हो
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जाता है, वैसे ही आप हम धन द जए. आप हम धन दे ते ह. (२)
शु मी शध न मा तं पव वान भश ता द ा यथा वट् .
आपो न म ू सुम तभवा नः सह ा साः पृतनाषा न य ः.. (३)
हे सोम! आप प व ह. आप हम म द्गण जैसा बल ा त कराइए. आप य वत
प व और अनेक कार से सुशो भत होते ह. आप श ु को जीतने वाले और जल जैसे
प व ह. हम वैसी ही प व बु द जए. जैसे प व जा ई या, े ष से र रहती है, वैसे ही
हम भी वृ य से र रह. (३)
वम ने य ाना होता व ेष हतः. दे वे भमानुषे जने.. (४)
हे अ न! आप को दे वता ने मनु य के क याण हेतु नयु कया है. आप य के
होता (पुरो हत) ह. (४)
स नो म ा भर वरे ज ा भयजा महः. आ दे वा व य च.. (५)
हे अ न! आप हमारे य म अपनी ज ा (लपट ) से दे वता का यजन क जए.
आप दे वता को आमं त क जए और दे वता तक तृ तकारी ह व प ंचाने क कृपा
क जए. (५)
वे था ह वेधो अ वनः पथ दे वा सा. अ ने य ेषु सु तो.. (६)
हे अ न! आप य म पथ दशक ह. आप र या पास सभी पथ को जानते ह. आप
सव ाता ह. (६)
होता दे वो अम यः पुर तादे त मायया. वदथा न चोदयन्.. (७)
हे अ न! आप अमर व होता ह. आप माया से स मुख कट होते ह. आप ेरक ह.
(७)
वाजी वाजेषु धीयते ऽ वरेषु णीयते. व ो य य साधनः.. (८)
अ न बलवान ह. यु म श ुनाश हेतु उ ह था पत कया जाता है. ा ण य के
मुख साधन ह. उन से य फलीभूत होते ह. (८)
धया च े वरे यो भूतानां गभमा दधे. द य पतरं तना.. (९)
अ न वरे य (सव े ), सव ापक व व पालक ह. य के लए अ न को द क
पु ी (वेद ) ने धारण कया. (९)
छठा खंड
आ सुते स चत य रोद योर भ यम्. रसा दधीत वृषभम्.. (१)
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हे दे वताओ! सोमरस चमक ला और धया है. आप आकाश और पृ वी पर उस
सोमरस को मलाइए. वह धयापन सोमरस को अपने म मला लेता है. (१)
ते जानत वमो यं ३ सं व सासो न मातृ भः मथो नस त जा म भः.. (२)
भीड़ म भी जैसे बछड़े अपनी मां गाय के पास चले जाते ह, वैसे ही सोम
आ यदाता के पास चले जाते ह. गाएं जैसे अपने बाड़ को जानती ह, वैसे ही ये अपने
जाने यो य थान को जानते ह. (२)
उप वेषु ब सतः कृ वते ध णं द व. इ े अ ना नमः वः.. (३)
इं और अ न अपनी वाला से ह व को वगलोक तक प ंचा दे ते ह. उस के बाद सभी
इं और अ न को पोषक बनाते ह. (३)
त ददास भुवनेषु ये ं यतो ज उ वेषनृ णः.
स ो ज ानो न रणा त श ूननु यं व े मद यूमाः.. (४)
सभी भुवन म वे सब से बड़े कहलाए, सव उन क द त ा त ई. उन के बल
से सूय कट ए, जन के कट होने से श ु समा त हो जाते ह. सभी ाणी उ ह दे खते ही
खुश हो जाते ह. (४)
वावृधानः शवसा भूय जाः श ुदासाय भयसं दधा त.
अ न च न च स न सं ते नव त भृता मदे षु.. (५)
हे इं ! आप ने अपनी मता से बढ़ोतरी पाई. आप श मान, के मन ह और
उ ह य दे ते ह. आप चराचर के संचालक ह. हम उ ह (इं ) एक साथ नमन एवं उन क
उपासना करते ह. हम उ ह स ता दे ते ह और वयं भी स होते ह. (५)
वे तुम प वृ त व े यदे ते भव यूमाः.
वादोः वाद यः वा ना सृजा समदः सु मधु मधुना भ योधीः.. (६)
यजमान इं के लए य करते ह. हम जब दो और दो से तीन होते ह तो हमारी य
संतान को आप य ऐ य दान करने व उन के बाद आने वाली पीढ़ को भी मधुरता से
यु करने क कृपा क जए. (६)
क केषु म हषो यवा शरं तु वशु म तृ पत् सोमम पब णुना सुतं यथावशम्.
स ममाद म ह कम कतवे महामु सैन स े वो दे व सय इ ः
स य म म्.. (७)
सोम सव ापक काशमान इं को आनंद दे ते ह, जस से वे और भी अ धक महान
काम कर सक. वे स यवान और दे व व प ह. तीन ुक (पा ) म नकाले गए जौ के साथ
मले ए सोमरस को इं व णु के साथ पीते ह. (७)
पहला खंड
अभ गोप त गरे मच यथा वदे . सूनु स य य स प तम्.. (१)
हे यजमानो! इं स यप त, स य के वामी, गोप त व पवतप त ह. वे यथाश
आराधक का संर ण करते ह. आप इं क अचना क जए. (१)
आ हरयः ससृ रे ऽ षीर ध ब ह ष. य ा भ संनवामहे.. (२)
इं के घोड़े उन को घास के उन आसन पर त ा पत कर, जन पर हम य म उ ह
था पत कर के उन क उपासना करते ह. (२)
इ ाय गाव आ शरं ेव णे मधु. य सीमुप रे वदत्.. (३)
पास ही य म जब इं मधुर सोमरस का पान करते ह, उस समय व पा ण इं के
लए गाएं मीठा ध दे ती ह. (३)
आ नो व ासु ह म सम सु भूषत.
उप ा ण सवना न वृ हन् परम या ऋचीषम.. (४)
हे इं ! हमारे य आप क शोभा बढ़ाते ह. आप के लए गाई गई हमारी ाथनाएं आप
क शोभा बढ़ाती ह. हम यु म अपनी सहायता के लए आप को याद करते ह. आप
वृ नाशक ह. आप हम मनपसंद धन दान करने क कृपा क जए. (४)
वं दाता थमो राधसाम य स स य ईशानकृत्.
तु व ु न य यु या वृणीमहे पु य शवसो महः.. (५)
हे इं ! आप पहले दाता ह. आप धनदाता और स य के वामी ह. हम आप क
काशशीलता से जुड़ने एवं आप से बलवान और उ म संतान क कामना करते ह. (५)
नं पीयूषं पू य यं महो गाहा व आ नरधु त.
इ म भ जायमान सम वरन्.. (६)
अमृत तु य सोमरस अपूव और सव े है. यह वगलोक से कट आ. इं के सामने
यजमान मं गागा कर सोम क तु त करते ह. (६)
आद के च प यमानास आ यं वसु चो द ा अ यनूषत.
दवो न वार स वता ूणुते.. (७)
सरा खंड
अ ने व े भर न भज ष सह कृत.
ये दे व ा य आयुषु ते भन महया गरः.. (१)
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हे अ न! आप सभी अ नय के साथ हमारी ाथना को सु नए व ाथना क
म हमा बढ़ाइए. जो अ न व प ह, जो मनु य म ह उन सब से हमारा अनुरोध है. (१)
स व े भर न भर नः स य य वा जनः.
तनये तोके अ मदा स यङ् वाजैः परीवृतः.. (२)
य क अ न श शाली है. उस म सभी ह व भट करते ह. वे अ न अ य सभी
अ नय स हत श से घर कर हमारे क याण हेतु पधारने व हमारे स जन (पु ) का भी
क याण करने क कृपा कर. (२)
वं नो अ ने अ न भ य ं च वधय.
वं नो दे वतातये रायो दानाय चोदय.. (३)
हे अ न! आप अ य दे वता को हम धनदान करने के लए े रत करने क कृपा
क जए. आप अ य अ नय स हत हमारे आ म ान व य क भी बढ़ोतरी करने क कृपा
क जए. (३)
वे सोम थमा वृ ब हषो महे वाजाय वसे धयं दधुः.
स वं नो वीर वीयाय चोदय.. (४)
हे सोम! मुख यजमान अ बल के बारे म आप के लए े बु धारण करते ह.
आप हम वीर को (और अ धक) वीरता के लए ो सा हत करने क कृपा क जए. (४)
अ य भ ह वसा तत दथो सं न कं च जनपानम तम्.
शया भन भरमाणो गभ योः.. (५)
हे सोम! आप का रस छनछन कर छलनी से टपकता आ ोणकलश को उसी तरह
लबालब भर दे ता है, पीने वाले जल को चु लू से डालडाल कर जैसे पानी के हौज को पूरा
भर दे ते ह. (५)
अजीजनो अमृत म याय कमृत य धम मृत य चा णः.
सदासरो वाजम छा स न यदत्.. (६)
हे सोम! आप अमृतमय ह. आप मनु य के लए स य और मंगलकारी त व धारण
करते ह. आप ने सूय को कट कया, दे वगण क सेवा क और सदै व यजमान को अ , धन
दे ने हेतु लाला यत रहते ह. (६)
ए म ाय स चत पबा त सो यं मधु. राधा स चोदयते म ह वना.. (७)
हे यजमानो! आप इं को सोमरस से स चए. वे मधुर सोम रस को पीते ह. वे अपने
मह व से धन को आप लोग (के पास आने) के लए े रत करते ह. (७)
उपो हरीणां प त राधः पृ च तम वम्. नून ु ध तुवतो अ य.. (८)
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हे इं ! आप अ प त व धनप त ह. हम आप के लए ाथनाएं बोलते ह. आप तु त
करते ए अ ऋ ष क तु त अव य ही सुनने क कृपा क जए. (८)
न ं ३ ग पुरा च न ज े वीरतर वत्. न क राया नैवथा न भ दना.. (९)
हे इं ! आप से वीरतर कोई दे व व धनदाता पहले नह आ है. आप से पहले न ही
कोई आप जैसा उपासना यो य दे व आ है. (९)
नदं व ओदतीनां नदं योयुवतीनाम्. प त वो अ यानां धेनूना मषु य स.. (१०)
हे यजमानो! इं युवती उषा को उपजाने वाले ह, चं करण को उ प करने वाले
और गोपालक ह. वे गाय के ध को पोषक अ के प म ा त करने क इ छा रखते ह.
इं सब कुछ करने म समथ ह. (१०)
तीसरा खंड
दे वो वो वणोदाः. पूणा वव ् वा सचम्.
उ ा स च वमुप वा पृण वमा द ो दे व ओहते.. (१)
हे यजमानो! धनदाता अ न को घी और सोमरस से स चए. उ ह पूरी ह व द जए. वे
आप का पालनपोषण करने वाले ह. (१)
त होतारम वर य चेतसं व दे वा अकृ वत.
दधा त र नं वधते सुवीयम नजनाय दाशुषे.. (२)
दे वता ने े बु मान अ न को अपना होता बनाया है. वे ह व से हवन करते ह,
यजमान के लए र न धारते ह, अ छ संतान दे ते ह, दानदाता यजमान को श दान करते
ह. (२)
अद श गातु व मो य म ता यादधुः.
उपो षु जातमाय य वधनम नं न तु नो गरः.. (३)
अ न म यजमान त धारण करते ह. अ न े पथ दशक ह. वे े पथ दखाते ह.
अ न आय क बढ़ोतरी चाहते ह. अ न को हमारी वाणी ा त हो. (३)
य मा े ज त कृ य कृ या न कृ वतः.
सह सां मेधसाता वव मना नं धी भनम यत.. (४)
हे यजमानो! आप बु पूवक अ न को नमन क जए. आप हजार बु पूवक काय
से उन क उपासना क जए, जस से अ न कत परायण यजमान के लए श ुप को
ब त पी ड़त कर सक. (४)
दै वोदासो अ नदव इ ो न म मना.
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अनु मातरं पृ थव व वावृते त थौ नाक य शम ण.. (५)
अ न उ कृ वगलोक म नवास करते ह. वे इं जैसी साम य वाले ह. वे पृ वी माता
पर े य काय पूण कराते ह. वे व गक सुख दान करते ह. (५)
अ न आयू ष पवस आ सुवोज मषं च नः. आरे बाध व छु नाम्.. (६)
हे अ न! आप हम द घायु बनाइए. आप हम े अ , बल द जए. आप को
बा धत क जए. (६)
अ नऋ ष पवमानः पा चज यः पुरो हतः. तमीमहे महागयम्.. (७)
अ न ऋ ष ह. वे प व , पुरो हत, पंच व सव ा ह. हम उन के गुण गाते ह. (७)
अ ने पव व वपा अ मे वचः सुवीयम्. दध य म य पोषम्.. (८)
हे अ न! आप पोषक अ व धन धारण क रए. आप हम श व े संतान द जए
और प व बनाइए. (८)
अ ने पावक रो चषा म या दे व ज या. आ दे वा व य च.. (९)
हे अ न! आप प व एवं दे वता को खुश रखने वाले ह. आप अपनी ज ा
(लपट ) से दे वता को बुलाइए और दे वता के लए य कराइए. (९)
तं वा घृत नवीमहे च भानो व शम्. दे वाँ आ वीतये वह.. (१०)
हे अ न! आप सव ा ह. हम आप को घी से स चते ह. आप अद्भुत ह. हम आप से
दे वता का आ ान करने के लए नवेदन करते ह. (१०)
वी तहो ं वा कवे ुम त स मधीम ह. अ ने बृह तम वरे.. (११)
हे अ न! आप बु मान, य ेमी ह और ु तमान ह. हम वशाल य म आप को
स मधा से व लत करते ह. (११)
चौथा खंड
अवा नो अ न ऊ त भगाय य भम ण. व ासु धीषु व .. (१)
हे अ न! आप क सभी य म बु पूवक वंदना क जाती है. आप गाय ी छं द म
तु त गाने पर स होते ह. आप अपने र ा साधन से हमारी र ा करने क कृपा क जए.
(१)
आ नो अ ने र य भर स ासाहं वरे यम्. व ासु पृ सु रम्.. (२)
हे अ न! आप भरपूर धन द जए. आप श ुनाशक े साम य द जए. आप सभी
पहला खंड
क ते जा मजनानाम ने को दा वरः. को ह क म स तः.. (१)
हे अ न! मनु य म कौन आप का सगा, पथ दशक, य क ा व आप के व प का
ाता है? आप का आ य कहां है? (१)
वं जा मजनानाम ने म ो अ स यः. सखा स ख य ई ः.. (२)
हे अ न! मनु य म कौन आप का म है, य है? सखा स खय म कौन आप को
सवा धक य है? (२)
यजा नो म ाव णा यजा दे वाँ ऋतं बृहत्. अ ने य वं दमम्.. (३)
हे अ न! आप हमारे लए म और व ण क पूजा करने क कृपा क जए. आप
ब त से दे वता क पूजा करने क कृपा क जए. आप य क पूजा क जए. (३)
ईडे यो नम य तर तमा स दशतः. सम न र यते वृषा.. (४)
हे अ न! आप पूजनीय, नमन के यो य, तमहारी व दशनीय ह. आप को स मधा से
भलीभां त व लत कया जाता है. (४)
वृषो अ नः स म यते ऽ ो न दे ववाहनः. त ह व म त ईडते.. (५)
हे अ न! आप श शाली ह. घोड़े जैसे वाहन को ले जाते ह, वैसे ही आप दे वता के
वाहन को ले जाते ह. हे ह वमान! आप हमारी ाथनाएं वीका रए. (५)
वृषणं वा वयं वृष वृषणः स मधीम ह. अ ने द तं बृहत्.. (६)
हे अ न! आप श मान ह. हम श मान आप को ा त करने क इ छा रखते ह. हम
स मधा से आप को व लत करते ह. आप द तमान व वशाल ह. (६)
उ े बृह तो अचयः स मधान य द दवः. अ ने शु ास ईरते.. (७)
हे अ न! हम स मधा से आप को व लत करते ह. हमारी अ धक अचना से आप
वाला से बढ़ोतरी ा त करते ह. (७)
उप वा जु ो ३ मम घृताचीय तु हयत. अ ने ह ा जुष व नः.. (८)
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हे अ न! हमारी घी से भरी ई ह व आप का मन हरे. वह आप तक प ंचे. हे अ न!
आप हमारी उपासना को वीकार करने क कृपा क जए. (८)
म होतारमृ वजं च भानुं वभावसुम्. अ नमीळे स उ वत्.. (९)
हे अ न! आप दे वता के होता, आनंददाता, अद्भुत, वैभववान व काशमान ह.
आप हमारी तु तयां सुनने क कृपा क जए. (९)
पा ह नो अ न एकया पा ३ त तीयया.
पा ह गी भ तसृ भ जा पते पा ह चतसृ भवसो.. (१०)
हे अ न! आप एक तु त सुन कर हमारी र ा क जए. आप सरी तु त सुन कर
हमारी र ा क जए. आप तीसरी तु त सुन कर हमारी र ा क जए. आप चौथी तु त सुन
कर हमारी र ा क जए. (१०)
पा ह व मा सो अरा णः म वाजेषु नो ऽ व.
तवा म ने द ं दे वतातय आ प न ामहे वृधे.. (११)
हे अ न! आप सारी रा सी व वाथ वृ य से हमारी र ा क जए. आप हमारे
हतैषी ह. आप हमारे अभी दे व ह. हम आप क शरण म ह. (११)
सरा खंड
इनो राज र तः स म ो रौ ो द ाय सुषुमाँ अद श.
च क भा त भासा बृहता स नीमे त शतीमपाजन्.. (१)
हे अ न! आप राजा और श ु के लए भयानक ह. आप यजमान क मनोकामना
पूरी करते ह. आप च कत करने वाले आप भा कर ( काशमान) व वशाल ह. आप रा म
हवन के लए चमकते ह. (१)
कृ णां यदे नीम भ वपसाभू जनय योषां बृहतः पतुजाम्.
ऊ व भानु सूय य तभायन् दवो वसु भरर त व भा त.. (२)
हे अ न! आप पता (सूय) के जाए ह. आप ी प को कट करते ह. अंधेरी रात
को अपनी वाला से हटाते ह (परा त करते ह). आप अपने द तेज से सूय का तेज
ऊपर वगलोक म ही रोक लेते ह. आप अपने ही तेज से तेज वी होते ह. (२)
भ ो भ या सचमान आगा वसारं जारो अ ये त प ात्.
सु केतै ु भर न व त ुश द्भवणर भ रामम थात्.. (३)
क याणकारी अ न क क याणका रणी उषा सेवा करती ह. अ न श ुनाशक ह. वे
अपनी य बहन उषा के पास प ंचते ह. वे अंधेरे का नाश करते ह. वे सव गमनशील ह. वे
पहला खंड
अ भ वा पूवपीतये इ तोमे भरायवः.
समीचीनास ऋभवः सम वर ुदा गृण त पू म्.. (१)
हे इं ! यजमान चाहते ह क आप सब से पहले सोमरस पी जए. यजमान वै दक मं
से आप क तु त कर रहे ह. आप उ चत वाले ह. और ऋभुगण आप क गणना
सव थम करते ह. वे भी आप ही क तु त करते ह. (१)
अ ये द ो वावृधे वृ य शवो मदे सुत य व ण व.
अ ा तम य म हमानमायवो ऽ नु ु व त पूवथा.. (२)
हे इं ! आप सोमरस पी कर स होते ह. आप यजमान का वीय और श दोन
बढ़ाते ह. आप म हमावान ह. यजमान आप क उसी म हमा का बखान करते ह. (२)
वामच यु थनो नीथा वदो ज रतारः. इ ा नी इष आ वृणे.. (३)
हे इं ! हे अ न! यजमान आप क अचना करते ह. सामगायक आप के गुण गा रहे ह.
अ धन हेतु हम भी आप को आमं त करते ह. (३)
इ ा नी नव त पुरो दासप नीरधूनुतम्. साकमेकेन कमणा.. (४)
हे इं ! हे अ न! आप ने एक ही बार एक साथ न बे नगर को कंपकंपा दया. (४)
इ ा नी अपस पयुप य त धीतयः. ऋत य प या ३ अनु.. (५)
हे इं ! हे अ न! य के होता आ द पुरो हत स य के माग से हमारे य के पास
उप थत होते ह. (५)
इ ा नी त वषा ण वा सध था न या स च. युवोर तूय हतम्.. (६)
हे इं ! हे अ न! आप हत साधने वाले ह. आप के यास सदै व शुभ काय क ओर
लगे रहते ह. (६)
श यू ३ षु शचीपत इ व ा भ त भः.
भगं न ह वा यशसं वसु वदमनु शूर चराम स.. (७)
सरा खंड
इमं मे व ण ुधी हवम ा च मृडय. वामव युरा चके.. (१)
हे व ण! आप हमारी इन तु तय पर कान ( यान) द जए. आप हम सुख द जए. हम
आप से अपनी र ा क ाथना करते ह. (१)
तीसरा खंड
उत नो गोष ण धयम सां वाजसामुत. नृव कृणु तये.. (१)
हे पूषा! आप हमारी बु क र ा क जए. हमारी बु हम गोधन, अ धन व धन
ा त कराती है. (१)
शशमान य वा नरः वेद य स यशवसः. वदाकाम य वेनतः.. (२)
हे म द्गण! स य हमारा बल है. हम य करते ए पसीने से तर हो गए ह. आप ऐसे
उपासक क मनोकामनाएं पूरी करने क कृपा क जए. (२)
उप नः सूनवो गरः शृ व वमृत य ये. सुमृडीका भव तु नः.. (३)
हे म द्गण! आप जाप त के पु ह. आप अमर ह. आप हम सुखी बनाने क कृपा
क जए. आप तु तयां सुनने क कृपा क जए. (३)
वां म ह वी अ युप तु त भरामहे. शुची उप श तये.. (४)
हे वगलोक! हे पृ वीलोक! हम तु तय से आप के समीप प ंचते ह. हम आप दोन
लोक के लए भरपूर तु तयां उचारते ह. (४)
पुनाने त वा मथः वेन द ेण राजथः. ऊ ाथे सना तम्.. (५)
हे दे वी! आप वगलोक व पृ वीलोक को प व करती ह. आप काशवती ह. आप
य क प रपा टय का नवाह करती ह. (५)
मही म य साधथ तर ती प ती ऋतम्. प र य ं नषेदथुः.. (६)
हे दे वयो! हे अंत र लोक! यजमान आप के सखा ह. आप यजमान क मनोकामनाएं
पूरी करते ह. आप य को पूण कराते ह. आप य को पूरा सहयोग दे ते ह. (६)
अयमु ते समत स कपोत इव गभ धम्. वच त च ओहसे.. (७)
हे इं ! हमारी तु तयां नेह से आप के पास उसी तरह प ंचती ह, जैसे कबूतर ेम से
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कबूतरी के पास प ंचता है. (७)
तो राधानां पते गवाहो वीर य य ते. वभू तर तु सूनृता.. (८)
हे इं ! आप धन के वामी व वीर ह. आप वाणी से तु त यो य, अ छे ऋत (स य)
वाले और वैभववान ह. (८)
ऊ व त ा न ऊतये ऽ मन् वाजे शत तो. सम येषु वावहै.. (९)
हे इं ! आप सैकड़ काय करने वाले ह. आप हमारे संर ण के लए यास क जए.
आप उ च थान पर त त ह. हम आप से कुछ अ य बात के बारे म भी परामश
( नवेदन) करते रह. (९)
गाव उप वदावटे मही य य र सुदा. उभा कणा हर यया.. (१०)
हे गौओ! य थान के पास आप को बुलाया जा रहा है. आप रंभा कर आवाज
क जए. आप य फल दे ने वाली ह. आप के दोन ही कान सोने के ह. (१०)
अ यार मद यो न ष ं पु करे मधु. अवट य वसजने.. (११)
हम प थर से कूट कर नकाला गया, बचा आ सोमरस परम वीर इं के वसजन पर
भट करने के लए ोणकलश म था पत करते ह. (११)
स च त नमसावटमु चाच ं प र मानम्. नीचीनबारम तम्.. (१२)
हम यजमान उस परम श को नम कार करते ह, नमनपूवक य वधान करते ह.
उस परम श का च ऊपर (लोक) थत है, नीचे का ार चार ओर झुका आ है. वह
ार अ त है. (१२)
चौथा खंड
मा भेम मा म मो य स ये तव.
मह े वृ णो अ भच यं कृतं प येम तुवशं य म्.. (१)
हे इं ! हम आप के म ह, इस कारण हम कभी भी म से थके नह , कभी भी कसी
से डरे नह . आप महान ह. आप क कृपा सराहनीय है. तुवश और य दोन ही स
दखाई दे ते ह. (१)
स ामनु फ यं वावसे वृषा न दानो अ य रोष त.
म वा संपृ ाः सारघेण धेनव तूयमे ह वा पब.. (२)
हे इं ! आप मतावान ह. आप बाएं हाथ से ही (आसानी से) सब को शरण दे दे ते ह.
अ यंत ू र भी आप का कुछ बगाड़ नह सकते. मीठे ध वाली गाय के समान सुखदायी
पहला खंड
व े भर ने अ न भ रमं य मदं वचः. चनो धाः सहसो यहो.. (१)
हे अ न! आप सम त अ नय के साथ य म पधा रए. आप इस य म हमारे वचन
सु नए. आप हम अ दान करने क कृपा क जए. (१)
य च श ता तना दे वं दे वं यजामहे. वे इ यते ह वः.. (२)
हे अ न! हम इं , व ण और अ य दे वता को ह व दे कर भजन करते ह. वह सब
आप तक प ंचता है. (२)
यो नो अ तु व प तह ता म ो वरे यः. याः व नयो वयम्.. (३)
अ न हम य ह. वे व प त, होता और वरे य ह. उ ह हम सब य ह . (३)
इ ं वो व त प र हवामहे जने यः. अ माकम तु केवलः.. (४)
हे यजमानो! इं सभी लोक से ऊपर ह. लोग के क याण के लए हम उन का आ ान
करते ह. आप क कृपा से हम सब का क याण हो. (४)
स नो वृष मुं च स ादाव पा वृ ध. अ म यम त कुतः.. (५)
हे इं ! हमारे ारा सम पत ह व हण क जए. हमारी इ छा को खाली न लौटाएं.
आप ज द से ज द फल दे ने वाले ह. (५)
वृषा यूथेव व सगः कृ ी रय य जसा. ईशानो अ त कुतः.. (६)
हे इं ! आप बलवान ह. आप उसी तरह उपासक क इ छा पूरी करने जाते ह, जैसे
गाय के झुंड म बैल जाता है. आप ई र ह. आप हमारे वरोधी नह हो सकते. (६)
वं न ऊ या वसो राधा स चोदय.
अ य राय वम ने रथीर स वदा गाधं तुचे तु नः.. (७)
हे अ न! आप हम संर ण द जए. आप जो धन अपने रथ से ले जाते ह, वह हम
द जए. आप वल ण ह. हमारी पी ढ़यां भी यश वी ह . (७)
प ष तोकं तनयं पतृ भ ् वमद धैर यु व भः
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अ ने हेडा स दै ा युयो ध नो ऽ दे वा न रा स च.. (८)
हे अ न! आप सहयोगी व वतं ह. आप अपने र ा साधन से हमारी व पी ढ़य क
र ा क जए. आप ाकृ तक कोप और वृ य से हम बचाइए. (८)
क म े व णो प रच नाम य व े श प व ो अ म.
मा वप अ मदप गूह एत द य पः स मथे बभूथ.. (९)
हे व णु! आप सव ा त ह. आप अपना यह वराट् और ापक व प हम से
छपा कर (गु त) न र खए. आप कतने ही प य न धारण कर ल फर भी आप हमारी
र ा अव य करते ह. (९)
त े अ श प व ह मयः श सा म वयुना न व ान्.
तं वा गृणा म तवसमत ा य त म य रजसः पराके.. (१०)
हे व णु! आप र मवान व आदरणीय ह. म व व ान् भी आप क शंसा करते ह. हम
आप के व णुलोक से र ह, फर भी हम अपने लोक से आप क वैसे ही शंसा करते ह,
जैसे कोई छोटा भाई करता है. (१०)
वषट् ते व णवास आ कृणो म त मे जुष व श प व ह म्.
वध तु वा सु ु तयो गरो मे यूयं पात व त भः सदा नः.. (११)
हे व णु! वषट् कार से हम आप को आमं त करते ह. आप र मवान ह. आप हमारी
ह व को वीका रए. हमारी अ छ तु तयां आप क बढ़ोतरी कर. आप मंगलकारी
आशीवाद से हमारा क याण करने क कृपा क जए. (११)
सरा खंड
वायो शु ो अया म ते म वो अ ं द व षु.
आ या ह सोमपीतये पाह दे व नयु वता.. (१)
हे वायु! हम य म सब से पहले आप को सोमरस चढ़ाते ह. आप आदरणीय ह. हे
दे व! आप नयुत नामक घोड़े के साथ सोमपान के लए आ जाइए. (१)
इ वायवेषा सोमानां पी तमहथः.
युवा ह य ती दवो न नमापो न स यक्.. (२)
हे इं ! हे वायु! आप सोमपान के यो य ह. जलधार जैसे नीचे क ओर जाती है, वैसे ही
आप दोन के लए सोमरस क धारा प ंचती है. (२)
वाय व शु मणा सरथ शवस पती.
नयु व ता न ऊतय आ यात सोमपीतये.. (३)
तीसरा खंड
य इ मवधय द्भू म वतयत्. च ाण ओपशं द व.. (१)
य इं क बढ़ोतरी व भू म को व तृत करते ह. वे वगलोक से मेघ को वषा के लए
े रत करते ह. (१)
३ त र म तर मदे सोम य रोचना. इ ो यद भन लम्.. (२)
इं मेघ को भेदते व अंत र म वशेष शोभा बढ़ाते ह. वे सोमरस से स होते ह.
(२)
उद्गा आजद रो य आ व कृ व गुहा सतीः. अवा चं नुनुदे वलम्.. (३)
सूय ने गुफा क करण को बाहर नकाल कर उसे अं गरा (अंगधा रय ) तक
प ंचाया. उन करण को छपा कर रखने वाला रा स भाग गया. (३)
यमु वः स ासाहं व ासु गी वायतम्. आ यावय यूतये.. (४)
हे इं ! आप श ु को एक साथ मारते ह. हम अपनी र ा के लए तु तय से आप
को आमं त करते ह. (४)
यु म स तमनवाण सोमपामनप युतम्. नरमवाय तुम्.. (५)
हे इं ! आप यु करते ए कभी नह हारते. सोमपान के लए आप का मन ढ़ न य
वाला है. हम य म आप का सहयोग चाहते ह. (५)
श ाणइ राय आ पु व ां ऋचीषम. अवा नः पाय धने.. (६)
हे इं ! आप सव ाता व दशनीय ह. आप हमारे लए धन द जए. श ु से भी आप
को जो धन मले, वह हम द जए. (६)
तव य द यं बृह व द मुत तुम्. व शशा त धषणा वरे यम्.. (७)
हे इं ! आप अपनी वशालता, द ता और े बु से य और व को ती ण बनाते
ह. (७)
तव ौ र पौ यं पृ थवी वध त वः. वामापः पवतास ह वरे.. (८)
हे इं ! वगलोक और पृ वीलोक से आप के व प का व तार होता है. जल और
पवत आप को अपना वामी मानते ह. (८)
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वां व णुबृह यो म ो गृणा त व णः. वा श मद यनु मा तम्.. (९)
हे इं ! आप वशाल व आ यदाता ह. व णु, म और व ण आप क तु त गाते ह.
म द्गण आप को स करते ह. (९)
चौथा खंड
नम ते अ न ओजसे गृण त दे व कृ यः. अमैर म मदय.. (१)
हे अ न! हम बल ा त के लए आप को आमं त करते ह. आप अ म का मदन
करने क कृपा क जए. (१)
कु व सु नो ग व ये ऽ ने संवे षषो र यम्. उ कृ ण कृ ध.. (२)
हे अ न! आप महान ह. आप से हम महानता चाहते ह. आप हम गौ इ छु क को चुर
गोधन दान करने क कृपा क जए. (२)
मा नो अ ने महाधने परा व भारभृ था. संवग स र य जय.. (३)
हे अ न! आप हम से वमुख मत होइए. भारवाही जैसे बोझा ढोता है, वैसे ही आप
श ु समूह से जीते ए धन को हमारे लए ढोइए. (३)
सम य म यवे वशो व ा नम त कृ यः. समु ायेव स धवः.. (४)
न दयां जैसे समु क ओर जाती ह, वैसे ही सारे लोग आप के ोध के सामने नत हो
जाते ह. (४)
व चद्वृ य दोधतः शरो बभेद वृ णना. ेण शतपवणा.. (५)
इं ने अपनी श से सैकड़ धार वाले व से वृ ासुर का सर काट डाला. वृ ासुर ने
संसार को भयभीत कर रखा था. (५)
ओज तद य त वष उभे य समवतयत्. इ ेमव रोदसी.. (६)
इं ने अपने ओज से वगलोक और भूलोक को चमड़ी क तरह धारण कर रखा है.
(६)
सुम मा व वी र ती सूनरी.. (७)
हे इं ! आप अ छे मन वाले, वैभवशाली व रमणीय ह. (७)
स प वृष ा गहीमौ भ ौ धुयाव भ. ता वमा उप सपतः.. (८)
हे इं ! क याणकारी सुंदर घोड़ वाले रथ को धुरी पर चढ़ा कर हमारे पास प ं चए.
(८)
पहला खंड
प यंप य म सोतार आ धावत म ाय. सोमं वीराय शूराय.. (१)
हे यजमानो! आप सोमरस तैयार करने म लगे ए हो. आप शूरवीर इं को सोमरस भट
क जए. सोमरस मददायी है. आप ज द ज द दौड़ कर वह सोमरस इं को भट क जए.
(१)
एह हरी युजा श मा व तः सखायम्. इ ं गी भ गवणसम्.. (२)
इं के घोड़े वाणी के संकेत से ही रथ म जुत जाते ह. इं हमारे सखा व वाणी से
उपा य ह. इं के घोड़े उ ह ले कर य म आने क कृपा कर. (२)
पाता वृ हा सुतमा घा गम ारे अ मत्. न यमते शतमू तः.. (३)
हे इं ! आप वृ ासुर हंता व सोमपायी ह. आप मन को र भगाने व हमारे य म
अव य पधारने क कृपा क जए. (३)
आ वा वश व दवः समु मव स धवः. न वा म ा त र यते.. (४)
हे इं ! आप के अ त र और कोई दे व े नह ह. आप को सोमरस वैसे ही ा त हो,
जैसे समु को न दयां ा त होती ह. (४)
व थ म हना वृष भ सोम य जागृवे. य इ जठरेषु ते.. (५)
हे इं ! आप जा त व श मान ह. सोम के कारण आप क या त ब त ापक है.
आप के जठर (पेट) म प ंचा आ सोम भी शंसा ा त करता है. (५)
अरं त इ कु ये सोमो भवतु वृ हन्. अरं धाम य इ दवः.. (६)
हे इं ! आप ने वृ ासुर का हनन कया. हम ने आप को जो सोमरस भट कया, वह
आप के लए भरपूर हो. वह सोमरस अ य दे वता के लए भी भरपूर हो. (६)
जराबोध त व वशे वशे य याय. तोम ाय शीकम्.. (७)
हे अ न! आप को ाथना से व लत कया जाता है. आप बारबार यजमान के
क याण के लए य मंडप म कट होने क कृपा क जए. यजमान के लए अ छे तो
सरा खंड
इदं व णु व च मे ेधा न दधे पदम्. समूढम य पा सुले.. (१)
व णु ने अपने पैर को तीन कार से रखा. उन पैर क पदधू ल म ही सारा संसार
समा गया. (१)
ी ण पदा व च मे व णुग पा अदा यः. अतो धमा ण धारयन्.. (२)
व णु अपने तीन पैर म धम को धारण करते ए संसार को संचा लत करते ह. वे सव
ा त ह. (२)
व णोः कमा ण प यत यतो ता न प पशे. इ य यु यः सखा.. (३)
हे यजमानो! आप व णु के कम को दे खने क कृपा क जए. उन कम के वे ेरक
और इं के यो य म ह. (३)
त णोः परमं पद सदा प य त सूरयः. दवीव च ुराततम्.. (४)
तीसरा खंड
ए मधोम द तर स चा वय अ धसः. एवा ह वीर तवते सदावृधः.. (१)
हे यजमानो! सोमरस मधुर, सुखदायी व इं के लए आनंददायी है. आप इं क तु त
क जए. वे ही तु त के यो य ह. आप सोमरस भी उ ह क सेवा म सम पत क जए. (१)
इ थातहरीणां न क े पू तु तम्. उदान श शवसा न भ दना.. (२)
हे इं ! आप अ प त ह. ऋ षय ने आप के लए ाथनाएं रची ह. उन ाथना को
(आप ारा द गई) साम य के अलावा और कसी तरह नह ा त कया जा सकता है. (२)
तं वो वाजानां प तम म ह व यवः. अ ायु भय े भवावृधे यम्.. (३)
चौथा खंड
पवमाना असृ त सोमाः शु ास इ दवः. अ भ व ा न का ा.. (१)
हे सोम! आप का रस प व व चमक ला है. उसे सभी का (वेद मं ) के साथ
सं का रत कया जाता है. (१)
पवमाना दव पय त र ादसृ त. पृ थ ा अ ध सान व.. (२)
पहला खंड
अ नः नेन ज मना शु भान त व ३ वाम्. क व व ेण वावृधे.. (१)
हे अ न! आप काशमान व मेधावी ह. पुराने तो से यजमान आप को व लत
कर के आप का व तार करते ह. (१)
ऊज नपातमा वे ऽ नं पावकशो चषम्. अ म य े व वरे.. (२)
हे अ न! हम अपने इस य म अ न को आमं त करते ह. आप प व व काशमान
ह. आप ऊजा को नीचे नह गरने दे ते ह. (२)
स नो म मह वम ने शु े ण शो चषा. दे वैरा स स ब ह ष.. (३)
हे अ न! आप अपनी चमक ली लपट से अ य दे वता के साथ कुश के आसन पर
वरा जए. आप हमारे म ह. (३)
उ े शु मासो अ थू र ो भ द तो अ वः. नुद व याः प र पृधः.. (४)
हे सोम! प थर से कूट कर आप का रस नकाला जाता है. आप क उमड़ती ई लहर
से रा स का नाश होता है. जो हम से त पधा करते ह, आप उन श ु का नाश करने
क कृपा क जए. (४)
अया नज नरोजसा रथस े धने हते. तवा अ ब युषा दा.. (५)
हे सोम! आप साम यवान व श न ु ाशक ह, रथ को साथ ले कर श ु को न
क जए. हम दय से आप से धन दे ने के लए अनुरोध करते ह. (५)
अ य ता न नाधृषे पवमान य ढ् या. ज य वा पृत य त.. (६)
हे सोम! आप प व ह. आप के ढ़ त से रा स ग त नह कर सकते. जो श ु
यु करना चाहते ह, आप उन श ु का नाश क जए. (६)
त ह व त मद युत ह र नद षु वा जनम्. इ म ाय म सरम्.. (७)
सोमरस मद बरसाने वाला, फू तदायक व हरी कां त वाला है. इं हेतु सोम को नद के
जल से े रत कया जाता है. (७)
सरा खंड
त या सूनरी जनी ु छ ती प र वसुः. दवो अद श हता.. (१)
उषा सूय क बेट ह. वे े नारी ह. वे अपना काश चार ओर फैलाती ई जाती ह.
दन के न दखाई दे ने पर वे अपना काश फैलाती ह. (१)
अ ेव च ा षी माता गवामृतावरी. सखा भूद नो षाः.. (२)
उषा र मय क मां ह. वे र मयां अद्भुत और चमक ली ह. वे अ नीकुमार क म
ह. (२)
उत सखा य नो त माता गवाम स. उतोषो व व ई शषे.. (३)
उषा उपासना के यो य ह. वे र मय क मां ह और अ नीकुमार क म ह. (३)
एषो उषा अपू ा ु छत या दवः. तुषे वाम ना बृहत्.. (४)
हे अ नी! उषा अपूव, य व दन लाती ह. हम वशाल तो से उन क उपासना
करते ह. (४)
या द ा स धुमातरा मनोतरा रयीणाम्. धया दे वा वसु वदा.. (५)
हे अ नीकुमारो! आप बु मान के धनदाता ह. आप न दय को पैदा करने वाले,
मनोहर व धनवान ह. (५)
व य ते वां ककुहासो जूणायाम ध व प. य ा रथो व भ पतात्.. (६)
जब आप दोन अ नीकुमार का रथ प ी क भां त उड़ कर ऊपर जाता है तब आप
दोन के लए वग म भी तो पढ़े जाते ह. (६)
उष त च मा भरा म यं वा जनीव त. येन तोकं च तनयं च धामहे.. (७)
हे उषा! आप धनवती और य काय भी आरंभ करने वाली ह. आप अद्भुत वैभव
द जए, जस से हम संतान और अपने म का भरणपोषण करने म समथ हो सक. (७)
उषो अ ेह गोम य ाव त वभाव र. रेवद मे ु छ सूनृताव त.. (८)
हे उषा! आप गोवती व अ वती ह. आप रा के बाद दन लाने वाली ह. आप हम पु
तीसरा खंड
अ नं तं म ये यो वसुर तं यं य त धेनवः.
अ तमव त आशवो ऽ तं न यासो वा जन इष तोतृ य आ भर.. (१)
हे अ न! आप सव ापक ह. हम आप क उपासना करते ह. घोड़े व गाएं जन क
शरण म ह, हम यजमान को भी आप अपनी शरण म ली जए. हम न य नयम नभाने वाले
और ह व दे ने वाले ह. आप हम अ दान क जए. हम आप क उपासना करते ह. (१)
अ न ह वा जनं वशे ददा त व चष णः.
अ नी राये वाभुव स ीतो या त वाय मष तोतृ य आ भर.. (२)
हे अ न! आप यजमान को अ वान बनाने वाले, ापक वाले और पूजनीय ह.
आप स हो कर आसानी से यजमान को धन दे ते ह. आप उपासक को भरपूर धन दे ने
क कृपा क जए. (२)
सो अ नय वसुगृणे सं यमाय त धेनवः.
समव तो रघु वः स सुजातासः सूरय इष तोतृ य आ भर.. (३)
हे अ न! सारी गौएं तेज ग त वाले घोड़े व व ान् आप क शरण म ह. आप पूजनीय
चौथा खंड
अबो य नः स मधा जनानां त धेनु मवायतीमुषासम्.
य ा इव वयामु जहानाः भानवः स ते नाकम छ.. (१)
हे अ न! आप लोग (यजमान ) क स मधा से द त होते ह. न द से उठ कर गौएं
जैसे जा त होती ह, वैसे ही आप जा त ह. पेड़ क शाखाएं जैसे आकाश क ओर फैलती
ह, वैसे ही आप क लपट वग क ओर फैलती ह. (१)
अबो ध होता यजथाय दे वानू व अ नः सुमनाः ातर थात्.
स म य शदद श पाजो महान् दे व तमसो नरमो च.. (२)
हे अ न! आप य के बल आधार ह. दे व के लए (ह व प ंचाने हेतु) आप को
व लत कया जाता है. आप ऊ वगामी ह व सुबह अ छे मन से ऊपर क ओर जाते ह.
आप महान ह. आप को हम य दे ख सकते ह. आप दे वता व संसार को अंधकार से
र करते ह. (२)
यद गण य रशनामजीगः शु चरङ् े शु च भग भर नः.
आ णा यु यते वाजयं यु ानामू व अधय जु भः.. (३)
हे अ न! आप बाधाएं व अंधेरे को र करते ह. आप संसार को काशमान व यजमान
घी क आ तय से बलवान बनाते ह. आप ऊ वगामी हो कर उस घी वाली आ तय को
वीकारते ह. (३)
इद े ं यो तषां यो तरागा च ः केतो अज न व वा.
यथा सूता स वतुः सवायैवा रा युषसे यो नमारैक्.. (४)
हे उषा! आप सभी यो तय से े यो त वाली ह. आप क यो त सव फैलती है.
सभी व तु को यो तमय बना दे ती ह. स वता के अ त होने के बाद रा उषा को उ प
होने के लए जगह दे ती ह. (४)
श सा शती े यागादारैगु कृ णा सदना य याः.
समानब धू अमृते अनूची ावा वण चरत आ मनाने.. (५)
हे उषा! आप सूय का चमक ला व प ले कर पैदा और रा काले रंग का. सूय
दोन के समान प से बंधु ह, दोन अमर ह. वगलोक म एक के बाद एक आतीजाती ह.
दोन एक सरे का भाव समा त करती ह. (५)
पांचवां खंड
एता उ या उषसः केतुम त पूव अध रजसो भानुम ते.
न कृ वाना आयुधानीव धृ णवः त गावो ऽ षीय त मातरः.. (१)
हे उषा! आप उजाला फैलाती ह. आप के आने से पूव दशा म काश हो जाता है. वीर
अपने आयुध को जैसे चमकाते ह, वैसे ही आप संसार को चमचमा दे ती ह. माता उषा
त दन आती और जाती ह. (१)
उदप त णा भानवो वृथा वायुजो अ षीगा अयु त.
अ ुषासो वयुना न पूवथा श तं भानुम षीर श युः.. (२)
उषा के आते ही लाल करण आकाश म छा गई ह. अपनेआप जुते ए रथ से वे चेतना
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फैलाती ह तथा सूय क सेवा करती ह. (२)
अच त नारीरपसो न व भः समानेन योजनेना परावतः.
इषं वह तीः सुकृते सुदानवे व ेदह यजमानाय सु वते.. (३)
जो यजमान अचना करते ह, सोमरस को प र कृत करते ह, अ छे काय करते ह, दान
करते ह, उन यजमान को उषा अ व बल दे ती ह और काशमान बना दे ती ह. यु म
स जत वीर क भां त वे आकाश क शोभा बढ़ा दे ती ह. (३)
अबो य न म उदे त सूय ू ३ षा ा म ावो अ चषा.
आयु ाताम ना यातवे रथं ासावी े वः स वता जग पृथक्.. (४)
अ न वेद म व लत हो गए ह. सूय आकाश म उ दत हो गए ह. उषा महान ह. वे
अपनी तेज वता से सब को स कर दे ती ह. हे अ नीकुमारो! आप अपने घोड़े रथ म
जो तए, यहां थान क रए. सूय सभी को अलगअलग काय करने क ेरणा दे रहे ह. (४)
यु ु ाथे वृषणम ना रथं घृतेन नो मधुना मु तम्.
अ माकं पृतनासु ज वतं वयं धना शूरसाता भजेम ह.. (५)
हे अ नीकुमारो! आप अपने रथ म घोड़े जोत कर हमारे य म प ं चए. हम घृत से
पु क रए, हम आ म ान द जए, हम श ु को जीतने क मता द जए. हम धन पा
सक. हम आप को भजते ह. (५)
अवाङ् च ो मधुवाहनो रथो जीरा ो अ नोयातु सु ु तः.
ब धुरो मघवा व सौभगः शं न आ व पदे चतु पदे .. (६)
हे अ नीकुमारो! आप रथ पर वराज कर य म पधा रए. आप का रथ तीन प हय
वाला, मधुर अमृतधारी, तगामी, अ जुत, सराहनीय व तीन लोग के बैठने क जगह वाला
है. वह चुर ऐ यवान और सौभा यवान है. आप सब के त क याणकारी भावना रख कर
हमारे य थान म पधारने क कृपा क जए. (६)
ते धारा अस तो दवो न य त वृ यः. अ छा वाज सह णम्.. (७)
हे सोम! आप क झरने वाली धाराएं वैसे ही बरसती ह, जैसे वगलोक से बरसात होती
है. आप क धाराएं अ बरसाती ह. (७)
अभ या ण का ा व ा च ाणो अष त. हर तु ान आयुधा.. (८)
हे सोम! आप सव य, सव ा व ह रताभ ह. आप श ु पर आयुध से हार करते
ह. (८)
स ममृजान आयु भ रभो राजेव सु तः. येनो न व सु षीद त.. (९)
हे सोम! आप े कमा (अ छे काय करने वाले) ह. यजमान आप को प र कृत करते
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ह. आप राजा के समान व अ छे संक प वाले ह. बाज प ी जैसे वेगवान होता है, वैसे ही
आप वेगवान ह. आप ब त वेग से जल म मल जाते ह. (९)
स नो व ा दवो वसूतो पृ थ ा अ ध. पुनान इ दवा भर.. (१०)
हे सोम! आप वगलोक, पृ वीलोक और सव ा त ह. आप हम सब कार का
क याण दान करने क कृपा क जए. (१०)
पहला खंड
ा य धारा अ र वृ णः सुत यौजसः. दे वाँ अनु भूषतः.. (१)
हे सोम! आप का रस बलव क है. दे वता पर अनुकूल भाव डालने वाला है.
सोमरस क धाराएं वेगवती व ोणकलश म सुशो भत हो रही ह. (१)
स तं मृज त वेधसो गृण तः कारवो गरा. यो तज ानमु यम्.. (२)
हे सोम! आप काशमान, उपासना के यो य, अ के समान वेगशाली और व ान् ह.
अ वयुगण (पुरो हत) वाणीमय ाथना से सोमरस को प र कृत करते ह. (२)
सुषहा सोम ता न ते पुनानाय भूवसो. वधा समु मु य.. (३)
हे सोम! आप धनवान, उपासना के यो य, प व , ब त श शाली ह और र क ह.
आप समु के समान इस पा को भर दे ने क कृपा क जए. (३)
एष ा य ऋ वय इ ो नाम ुतो गृणे.. (४)
हे इं ! आप मौसम के अनुसार बढ़ोतरी पाते ह. आप य जैसे काम से बढ़ोतरी पाते
ह. आप बु मान और ानी ह. हम आप क उपासना करते ह. (४)
वा म छवस पते य त गरो न संयतः.. (५)
हे इं ! आप महान व बलवान ह. सदाचारी पु ष के पास जैसे क याण हेतु जाया जाता
है, वैसे ही हमारी वाणीमय ाथनाएं आप के पास प ंचती ह. (५)
व ुतयो यथा पथा इ व तु रातयः.. (६)
हे इं ! राजपथ से जैसे सरे पथ मलते ह, वैसे ही आप से भां तभां त के दान अनुदान
ा त होते ह. (६)
आ वा रथं यथोतये सु नाय वतयाम स.
तु वकू ममृतीषह म ं श व ं स प तम्.. (७)
हे इं ! आप अ छे मन वाले ह. आप स प त ह. आप े मागगामी ह. हम सुख और
क याण के लए उसी कार आप क उपासना करते ह, जस कार रथ क प र मा क
जाती है. (७)
तु वशु म तु व तो शचीवो व या मते. आ प ाथ म ह वना.. (८)
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हे इं ! आप म हमाशाली व श शाली ह. आप े कम करने वाले और सम त व
म ा त ह. (८)
य य ते म हना महः प र माय तमीयतुः. ह ता व हर ययम्.. (९)
हे इं ! आप अपने हाथ म वणमय व धारण करते ह. आप क म हमा अनंत है. (९)
आ यः पुरं ना मणीमद दे द यः क वनभ यो ३ नावा.
सूरो न वां छता मा.. (१०)
हे अ न! आप सूय के समान काशमान ह. यजमान य वेद बनाते ह. आप उन
य वे दय को व लत करते ह. आप वेगवान घोड़े क तरह ह. वायु क भां त ग तशील ह.
आप रदश और अनेक प म सुशो भत होते ह. (१०)
अ भ ज मा ी रोचना न व ा रजा स शुशुचानो अ थात्.
होता य ज ो अपा सध थे.. (११)
हे अ न! आप पृ वीलोक, अंत र लोक और वगलोक तीन को का शत करते ह.
आप दे वता को बुलाने वाले ह. आप जल म बड़वानल के प म वराजमान रहते ह. आप
य थान म य ा न के प म सुशो भत होते ह. (११)
अय स होता यो ज मा व ा दधे वाया ण व या.
मत यो अ मै सुतुको ददाश.. (१२)
हे अ न! जो ज मा है ( ा ण), जो वीर ह, जो जग के धारक ह, वे यजमान अ न
का आ ान करने वाले ह. अ न यजमान को े संतान दान करते ह. (१२)
अ ने तम ा ं न तोमैः तुं न भ ं द पृशम्. ऋ यामा त ओहैः.. (१३)
हे अ न! आप इं को उसी तरह ह व प ंचाते ह जैसे उन के घोड़े उ ह नधा रत थान
पर प ंचाते ह. आप वैसे ही हमारा क याण करते ह, जैसे य हमारा क याण करते ह. आप
दय ाही ह. हम उपासना और ाथना से आप को भजते ह. (१३)
अधा ने तोभ य द य साधोः. रथीऋत य बृहतो बभूथ.. (१४)
हे अ न! आप बल क बढ़ोतरी करने वाले, क याणकारी, मनोकामना पूरक ह और
ऋत् (स य) व प ह. आप य के मु य कताधता ह. (१४)
ए भन अकभवा नो अवाङ् व ३ ण यो तः.
अ ने व े भः सुमना अनीकैः.. (१५)
हे अ न! आप सुमन (अ छे मन वाले) और सूय क तरह यो तमान ह. आप सभी
पूजनीय दे व के साथ हमारे य म पधारने क कृपा क जए. (१५)
तीसरा खंड
उप नो ह र भः सुतं या ह मदानां पते. उप नो ह र भः सुतम्.. (१)
हे इं ! आप सोम के वामी ह. आप के घोड़े मनोहर ह. आप उन घोड़ के ारा इस
य म अव य ही पधारने क कृपा क जए. (१)
ता यो वृ ह तमो वद इ ः शत तुः. उप नो ह र भः सुतम्.. (२)
हे इं ! आप सैकड़ कम करने वाले ह. आप वृ हंता ह. आप अपने घोड़ से इस य
म अव य ही पधारने क कृपा कर. (२)
व ह वृ ह ेषां पाता सोमानाम स. उप नो ह र भः सुतम्.. (३)
हे इं ! आप वृ हंता एवं सोमरस पीने के इ छु क ह. आप अपने घोड़ से हमारे य म
पधारने क कृपा क जए. (३)
वो महे महेवृधे भर वं चेतसे सुम त कृणु वम्.
वशः पूव ः चर चष ण ाः.. (४)
हे इं ! मनु य अपने धन क बढ़ोतरी के लए आप को सोमरस सम पत करते ह. कतु
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ऐसी े ाथना से आप क उपासना करते ह. आप जापालक ह. आप ह व दे ने वाले
यजमान के पास पधारने क कृपा क जए. (४)
उ चसे म हने सुवृ म ाय जनय त व ाः.
त य ता न न मन त धीराः.. (५)
हे इं ! आप वशाल और महान ह. यजमान आप क तु त व ह व अ पत करते ह.
धीर पु ष इं के त को डगमगाने नह दे ते ह. (५)
इ ं वाणीरनु म युमेव स ा राजानं द धरे सह यै. हय ाय बहया समापीन्.. (६)
हे इं ! आप सब के राजा ह. आप के गु से के आगे कोई नह टक सकता. आप क
उपासना करने से श ु हारते ह. हम अपने बंधुबांधव को भी उन क उपासना के लए े रत
करते ह. (६)
य द यावत वमेतावदहमीशीय.
तोतारम धषे रदावसो न पाप वाय र सषम्.. (७)
हे इं ! हम भी आप के समान धनप त होने क इ छा रखते ह. आप हम यजमान को
पोषक धन द जए. आप पा पय को धन मत द जए. हम उपासक आप से यही ाथना
करते ह. (७)
श ेय म महयते दवे दवे राय आ कुह च दे .
न ह वद यमघव आ यं व यो अ त पता च न.. (८)
हे इं ! हम कह भी रह पर आप के लए य करने के लए समय व धन नकालते ह.
आप के अलावा हमारा कोई घ न नह है, कोई पता के समान सहायक भी (पालक) नह
है. (८)
ु ी हवं व पपान या े ब धा व याचतो मनीषाम्.
ध
कृ वा वा य तमा सचेमा.. (९)
हे इं ! आप हमारे आमं ण को यान से सुनने क कृपा क जए. आप ा ण व
मनी षय क ाथना पर यान द जए. आप हम समान च वाला मान कर हमारे अनुरोध
पर यान दे ने क कृपा क जए. (९)
न ते गरो अ प मृ ये तुर य न सु ु तमसुय य व ान्.
सदा ते नाम वयशो वव म.. (१०)
हे इं ! हम आप का नाम (यश) बढ़ाने वाली ाथनाएं करते ह ( तो गाते ह). आप
व ान् ह. आप क शूरवीरता को हम जानते ह. हम आप क उपासना करना नह छोड़
सकते. (१०)
चौथा खंड
ो व मै पुरोरथ म ाय शूषमचत.
अभीके च लोककृ स े सम सु वृ हा.
अ माकं बो ध चो दता नभ ताम यकेषां याका अ ध ध वसु.. (१)
हे यजमानो! आप इं के रथ के सामने उपासना क रए. आप श क उपासना
क जए. इं संसार के पालक, वृ हंता व ेरक ह. हमारी हा दक इ छा है क हमारे श ु
के धनुष क यंचा टू ट जाए. (१)
व सधू रवासृजो ऽ धराचो अह हम्.
अश ु र ज षे व ं पु य स वायम्.
तं वा प र वजामहे नभ ताम यकेषां याका अ ध ध वसु.. (२)
हे इं ! आप मेघ को भेदते ह. आप न दय के बहाव म आने वाली कावट को र
करते ह. हम आप को ह व भट करते ए स होते ह. हमारी इ छा है क हमारे श ु के
धनुष क यंचा टू ट जाए. (२)
व षु व ा अरातयो ऽ य नश त नो धयः.
अ ता स श वे वधं यो न इ जघा स त.
या ते रा तद दवसु नभ ताम यकेषां याका अ ध ध वसु.. (३)
हे इं ! हम पर आ मण करने वाले को आप वयं अपने श से मार डालते ह.
हमारी बु को आप ेरणा द जए. आप हम धना द दान क जए. हमारी हा दक इ छा है
क हमारे श ु के धनुष क यंचा टू ट जाए. (३)
रेवाँ इ े वत तोता या वावतो मघोनः े ह रवः सुत य.. (४)
हे इं ! आप धनवान ह. आप के उपासक भी धनवान हो जाते ह. आप के उपासक को
सब कार का धन ा त होता है. (४)
उ थं च न श यमानं नागो र यरा चकेत. न गाय ं गीयमानम्.. (५)
हे इं ! आप वाणी से तु त न करने वाले अ ानी के भी मन क भावना जानते ह.
तु त करने वाल के मन क भावना को भी जानते ह. आप गाया जाता आ साम गायन भी
जानते ह. (५)
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मा न इ पीय नवे मा शधते परा दाः. श ा शचीवः शची भः.. (६)
हे इं ! आप हम और अपमान करने वाल के भरोसे मत छो ड़ए. आप प व
श ा के ारा शची क तरह प व धन दान क जए. (६)
ए या ह ह र भ प क व य सु ु तम्.
दवो अमु य शासतो दवं यय दवावसो.. (७)
हे इं ! आप घोड़ के ारा पधा रए. आप क व क तु त सु नए. हे वगलोकवासी!
हम आप के राज म सुखी ह. (७)
अ ा व ने मरेषामुरां न धूनुते वृकः.
दवो अमु य शासतो दवं यय दवावसो.. (८)
हे इं ! सोम को कूटने वाले प थर भी मानो बोलते ए आप को बुला रहे ह. हे
वगलोकवासी! हम आप के राज म सुखी ह. (८)
आ वा ावा वद ह सोमी घोषेण व तु.
दवो अमु य शासतो दवं यय दवावसो.. (९)
हे सोम! कूटने वाला प थर आवाज करता आ सोमरस नकाल रहा है. उस से
नकलने वाली सोम क धारा वैसे ही कांप रही है, जैसे भे ड़ए के डर से भेड़ कांपती है. हम
वगलोकवासी इं के राज म सुखी ह. आप पधा रए. (९)
पव व सोम म दय ाय मधुम मः.. (१०)
हे सोम! आप प व ह. आप मदमाते ए इं के लए े रस झरने क कृपा क जए.
(१०)
ते सुतासो वप तः शु ा वायुमसृ त.. (११)
हे सोम! आप काशमान व बु व क ह. आप को वायु दे व के लए प र कृत कया
जाता है. (११)
असृ ं दे ववीतये वाजय तो रथा इव.. (१२)
हे सोम! आप को अ धन के इ छु क यजमान ऐसे तैयार करते ह, जैसे रथ को तैयार
कया जाता है. (१२)
पांचवां खंड
अ न होतारं म ये दा व तं वसोः सूनु सहसो जातवेदसं व ं न जातवेदसम्.
य ऊ वया व वरो दे वो दे वा या कृपा.
छठा खंड
सो अ ने तवो त भः सुवीरा भ तर त वाजकम भः.
यय व स यमा वथ.. (१)
हे अ न! जो आप को मै ी भाव से पा लेता है, वह यजमान े वीर और े
कमवान हो जाता है. आप क र ा (आशीवाद) से उस का बेड़ा पार हो जाता है. (१)
तव सो नीलवा वाश ऋ वय इ धानः स णवा ददे .
वं महीनामुषसाम स यः पो व तुषु राज स.. (२)
हे अ न! आप को सोमरस से स चा जाता है. वह वहमान, इ छत व काशमान है.
उस को आप के लए तैयार कया जाता है. आप म हमा वाली उषा दे वय के य ह. आप
रात को व तु म शो भत होते ह. (२)
तमोषधीद धरे गभमृ वयं तमापो अ नं जनय त मातरः.
त म समानं व नन वी धो ऽ तवती सुवते च व हा.. (३)
हे अ न! जलधाराएं मां क तरह आप को मानती ह. आप को ओष धयां गभ म धारण
करती ह. वन प तयां आप को गभ म धारण करती ह और संसार के स मुख कट करती ह.
(३)
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अ न र ाय पवते द व शु ो व राज त। म हषीव व जायते.. (४)
अ न इं के लए व लत होती है. वह वगलोक म वशेष प से चमकती ई
शो भत होती है. वह महारानी के समान दखाई दे ती है. (४)
यो जागार तमृचः कामय ते यो जागार तमु सामा न य त.
यो जागार तमय सोम आह तवाहम म स ये योकाः.. (५)
जो जा त ह, ऋचाएं उन क कामना करती ह. जो जा त ह, उ ह ही सोम ा त होते
ह. जो जा त ह, उ ह से सोम कहते ह क म तु हारा म ं. (५)
अ नजागार तमृचः कामय ते ऽ नजागार तमु सामा न य त.
अ नजागार तमय सोम आह तवाहम म स ये योकाः.. (६)
अ न जा त ह, अतः ऋचाएं उन क कामना करती ह, सोम उ ह ा त होते ह. अ न
जा त ह, अतः उ ह से सोम कहते ह क म तु हारा म .ं (६)
नमः स ख यः पूवसद् यो नमः साकं नषे यः. यु े वाच शतपद म्.. (७)
य म शु से त त दे वता को हमारा नम कार. म दे वता को नम कार.
सैकड़ पद वाली ऋचाएं दे वता तक प ंचने क कृपा कर. (७)
यु े वाच शतपद गाये सह वत न. गाय ं ै ु भं जगत्.. (८)
गाय ी, ु प् एवं जगती छं द म साम को हजार कार से गाते ह. सैकड़ पद वाली
ऋचाएं दे वता के लए गाई जाती ह. (८)
गाय ं ै ु भं जग ा पा ण स भृता. दे वा ओका सच रे.. (९)
हे अ न! गाय ी, ु प् और जगती छं द म नब साम को अनेक प म (अनेक
कार से) आप के लए गाया जाता है. (९)
अ न य त य तर न र ो यो त य त र ः. सूय यो त य तः सूयः.. (१०)
हे अ न! अ न यो त है, यो त अ न है. इं यो त है, यो त इं है. सूय यो त है,
यो त ही सूय है. (१०)
पुन जा न वत व पुनर न इषायुषा. पुननः पा हंसः.. (११)
हे अ न! आप ऊजा प म पधा रए. आप हम अ दान क जए. आप हम द घायु
द जए. आप बारबार पाप से हम बचाइए. (११)
सह र या न वत वा ने प व य धारया. व या व त प र.. (१२)
हे अ न! आप सभी धन को साथ ले कर पधारने क कृपा क जए. संसार म आनंद
सातवां खंड
य द ाहं यथा वमीशीय व व एक इत्. तोता मे गोसखा यात्.. (१)
हे इं ! आप धन के एकमा ई र ह. हम भी आप जैसे हो जाएं तो हमारे उपासक
गाय के साथ हमारी शंसा करगे. (१)
श ेयम मै द सेय शचीपते मनी षणे. यदहं गोप तः याम्.. (२)
हे शचीप त (इं )! य द हम गोप त हो जाएं तो अपने इन मनीषी उपासक को धन दे ने
क इ छा कर और उ ह धन भी द. (२)
धेनु इ सूनृता यजमानाय सु वते. गाम ं प युषी हे.. (३)
हे इं ! आप अपने पु यजमान को इ पदाथ गाय, घोड़े आ द दान करने क कृपा
क जए. (३)
आपो ह ा मयोभुव ता न ऊज दधातन. महे रणाय च से.. (४)
हे जल! आप ऊजा धारक व सुखदायी ह. आप हम सं ाम के लए बल दान करने
क कृपा क जए. (४)
यो वः शवतमो रस त य भाजयतेह नः. उशती रव मातरः.. (५)
हे जल! मां जैसे बालक को ध (रस) से पोसती है, उसी तरह आप अपने
क याणकारी रस से हम पोसने क कृपा क जए. (५)
त मा अरं गमाम वो य य याय ज वथ. आपो जनयथा च नः.. (६)
हे जल! आप हम पु पौ स हत यकारी रोग को जीतने क श उपजाने क कृपा
क जए. (६)
वात आ वातु भेषज श भु मयोभु नो दे . न आयू ष ता रषत्.. (७)
हे वायु! आप पधा रए. आप हमारे दय को खलाइए (खुश र खए). आप हमारे लए
क याणकारी ओष धयां ले कर आइए. आप हम द घायु दान क जए. (७)
उत वात पता स न उत ातोत नः सखा. स नो जीवातवे कृ ध.. (८)
हे वायु! आप के सवाय कोई हमारा पता, भाई व म नह है. आप हमारे जीवन को
साम यवान बनाने क कृपा क जए. (८)
यददो वात ते गृहे ३ ऽ मृतं न हतं गुहा. त य नो धे ह जीवसे.. (९)