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Трипура
Трипура
возможным, но как способ медитации, я считаю этот опыт для себя достаточно ценным.
Интересная особенность. В звуковую ткань первых трех пад вплетены три биджа мантры : АЙМ
КЛИМ САУХ представляющие мантру богини Трипуры.
ऐन्द्रस्य शरासनस्य दधती मध्ये ललाटं प्रभां
शौक्लीं कान्तिमनुष्नगोरिव शिरस्यातन्वती सर्वतः।
एषासौ त्रिपरु ा हृदि द्यति
ु रिवोष्णांशोः सदाहः स्थिता
छिन्द्यान्नः सहसा पदै स्त्रिभिरघं ज्योतिर्मयी वाङ्मयी॥१॥
aindrasya śarāsanasya dadhatī madhye lalāṭaṁ prabhāṁ
śauklīṁ kāntimanuṣnagoriva śirasyātanvatī sarvataḥ |
eṣāsau tripurā hṛdi dyutirivoṣṇāṁśoḥ sadāhaḥ sthitā
chindyānnaḥ sahasā padaistribhiraghaṁ jyotirmayī vāṅmayī ||1||
Cияющая, словно лук Индры держа посреди лба. Белый прохладный свет луны от головы источая,
повсюду сияет Она. Этот свет — Трипура, в сердце и в жаре дня пребывающая всегда. Да отсечет
внезапно тремя падами зло Она, Та что Света полна и Речи полна! ||1||
श्रीत्रिपुरसन्
ु दरी सुप्रभातम ्
श्रीसेव्य-पादकमले श्रित-चन्द्र-मौले
श्रीचन्द्रशेखर-यतीश्वर-पूज्यमाने।
श्रीखण्ड-कन्दक
ु कृत-स्व-शिरोवतंसे
श्रीमन्महात्रिपुरसन्
ु दरि सुप्रभातम ् ॥ १॥
फालप्रकासि-तिलकाङ्क-सुवासिनीनां
कर्पूर-भद्र-शिखया तव दृष्टि-दोषम ् ।
गोष्ठी विभाति परिहर्तुमनन्यभावा
हे दे वि पङ्क्तिश इयं तव सप्र
ु भातम ् ॥ ८॥
भुक्त्वा कुचेल-पत
ृ ुकं ननु गोपबालः
आकर्ण्य ते व्यरचयत ् सुहृदं कुबेरम ् ।
व्याजस्य नास्ति तव रिक्त-जनादपेक्षा
निर्व्याजमेव करुणां नमते तनोषि ॥ १२॥
प्राप्नोति वद्धि
ृ मतलु ां पुरुषः कटाक्षैः द्वन्द्वी ध्रुवं
क्षयमुपति
ै न चात्र शङ्का।
मित्रस्तवोषसि पदं परिसेव्य वद्ध
ृ ः
चन्द्रस्त्वदीय-मुखशत्रत
ु या विनष्टः ॥ १३॥
सष्टि
ृ -स्थिति-प्रलय-साक्षिणि विश्व-मातः
स्वर्गापवर्ग-फल-दायनि शंभु-कान्ते ।
श्रुत्यन्तखेलिनि विपक्ष-कठोर-वज्रे भद्रे प्रसन्न-हृदये
तव सुप्रभातम ् ॥ १४॥