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द्वितीय भाषा के रुप में ह द

िं ी (कोड सिं.– 085)


कक्षा 9िीिं – 10िीिं (2020-21)
भारत एक बहुभाषी दे श है जिसमें बहुत सी क्षेत्रीय भाषाएँ रची बसी हैं। भाषषक और साांस्कृततक दृजटि से भभन्न होने
के बाविूद भारतीय परां परा में बहुत कुछ ऐसा है िो एक दस ू रे को िोड़ता है । यही कारण है कक मातभ
ृ ाषा के रूप में
अलग भाषा को पढ़ने वाला षवद्यार्थी िब दस
ू री भाषा के रूप में हहांदी का चन
ु ाव करता है तो उसके पास अभभव्यजतत
का एक दृढ़ आधार पहली भाषा के रूप में पहले से ही मौिूद होता है । इसभलए छठी से आठवीां कक्षा में सीखी हुई हहांदी
का षवकास भी वह तेिी से करने लगता है । आठवीां कक्षा तक वह हहांदी भाषा में सन
ु ने, पढ़ने, भलखने और कुछ-कुछ
बोलने का अभ्यास कर चुका होता है । हहांदी की बाल पत्रत्रकाएँ और तछिपि
ु रचनाएँ पढ़ना भी अब उसे आ गया है ।
इसभलए िब वह नवीां एवां दसवीां कक्षा में हहांदी पढ़े गा तो िहाँ एक ओर हहांदी भाषा के माध्यम से सारे दे श से िुड़ग
े ा
वहीां दस
ू री ओर अपने क्षेत्र और पररवेश को हहांदी भाषा के माध्यम से िानने की कोभशश भी करे गा, तयोंकक ककशोरवय
के इन बच्चों के मानभसक धरातल का षवकास षवश्व स्तर तक पहुँच चुका होता है ।
शिक्षण उद्देश्य
 दै तनक िीवन में हहांदी में समझने-बोलने के सार्थ-सार्थ भलखने की क्षमता का षवकास करना।
 हहांदी के ककशोर-साहहत्य, अखबार व पत्रत्रकाओां को पढ़कर समझ पाना और उसका आनांद उठाने की क्षमता
का षवकास करना।
 औपचाररक षवषयों और सांदभो में बातचीत में भाग ले पाने की क्षमता का षवकास करना।
 हहांदी के िररए अपने अनभ
ु व सांसार को भलखकर सहि अभभव्यजतत कर पाने में सक्षम बनाना।
 सांचार के षवभभन्न माध्यमों (षरांि और इलेतरॉतनक) में रयत
ु त हहांदी के षवभभन्न रूपों को समझने की
योग्यता का षवकास करना।
 कक्षा में बहुभाषषक, बहुसाांस्कृततक सांदभों के रतत सांवद
े नशील सकारात्मक सोच बनाना।
 अपनी मातभ
ृ ाषा और पररवेशगत भाषा को सार्थ रखकर हहांदी की सांरचनाओां की समझ बनाना।
 सामाजिक मद्द
ु ों पर समझ बनाना (िातत, भलांग तर्था आर्र्थिक षवषमता)।
 कषवता, कहानी तर्था घिनाओां को रोचक ढां ग से भलखना।
 िातत, धमि, रीतत-ररवाि तर्था भलांग के षवषय को समझने की क्षमता का षवकास।
 भाषा एवां साहहत्य को समझने एवां आत्मसात करने की दक्षता का षवकास।
शिक्षण यक्ु ततयााँ
 द्षवतीय भाषा के रूप में पढ़ाई िा रही हहांदी भाषा का स्तर पढ़ने और पढ़ाने दोनों ही दृजटियों से मातभ
ृ ाषा
सीखने की तल
ु ना में कुछ मांर्थर गतत से चलेगा। वह गतत धीरे -धीरे बढ़ सके, इसके भलए हहांदी अध्यापकों को
बड़े धीरि से अपने अध्यापन कायिक्रमों को तनयोजित करना होगा। ककसी भी द्षवतीय भाषा में तनपण
ु ता
राप्त करने-कराने का एक ही उपाय है-उस भाषा का लगातार रोचक अभ्यास करना-कराना। ये अभ्यास
जितने अर्धक रोचक, सकक्रय एवां रासांर्गक होंगे षवद्यार्र्थियों की भाषषक उपलजधध भी उतनी ही तेिी से हो
सकेगी। मख
ु र भाषषक अभ्यास के भलए वातािलाप, रोचक कहानी सन
ु ना-सन
ु ाना, घिना-वणिन, र्चत्र-वणिन,
सांवाद, वाद-षववाद, अभभनय, भाषण रततयोर्गताएँ, कषवता पाठ और अांत्याक्षरी िैसी गततषवर्धयों का
सहारा भलया िा सकता है ।
 काव्य भाषा के ममि से षवद्यार्थी का पररचय कराने के भलए िरूरी होगा कक ककताबों में आए काव्याांशों की
लयबद्ध रस्ततु तयों के ऑडियो-वीडियो कैसेि तैयार ककए िाएँ। अगर आसानी से कोई गायक/गातयका भमले
तो कक्षा में मध्यकालीन साहहत्य के अध्यापन-भशक्षण में उससे मदद ली िानी चाहहए।
 एन.सी.ई.आर.िी.मानव सांसाधन षवकास मांत्रालय के षवभभन्न सांगठनों तर्था स्वतांत्र तनमािताओां
द्वारा उपलधध कराए गए कायिक्रम/ई सामग्री वत्ृ तर्चत्रों और भसनेमा को भशक्षण-सामग्री के तौर पर
इस्तेमाल करने की िरूरत है । इनके रदशिन के क्रम में इन पर लगातार बातचीत के िररए भसनेमा के
माध्यम से भाषा के रयोग की षवभशटिता की पहचान कराई िा सकती है और हहांदी की अलग-अलग छिा
हदखाई िा सकती है ।
 कक्षा में भसर्ि एक पाठ्यपस्
ु तक की उपजस्र्थतत से बेहतर होगा कक भशक्षक के हार्थ में तरह-तरह की
पाठ्यसामग्री को षवद्यार्थी दे खें और कक्षा में अलग-अलग मौकों पर भशक्षक उनका इस्तेमाल कर सकें।
 भाषा लगातार ग्रहण करने की कक्रया में बनती है , इसे रदभशित करने का एक तरीका यह भी है कक भशक्षक
खुद यह भसखा सकें कक वे भी शधदकोश, साहहत्यकोश, सांदभिग्रर्थ
ां की लगातार मदद ले रहे हैं। इससे
षवद्यार्र्थियों में इनके इस्तेमाल करने को लेकर तत्परता बढ़े गी। अनम
ु ान के आधार पर तनकितम अर्थि तक
पहुँचकर सांतटु ि होने की िगह वे सिीक अर्थि की खोि करने के भलए रेररत होंगे। इससे शधदों की अलग-
अलग रां गत का पता चलेगा, वे शधदों के बारीक अांतर के रतत और सिग हो पाएँगे।
 भभन्न क्षमता वाले षवद्यार्र्थियों के भलए उपयत
ु त भशक्षण-सामग्री का इस्तेमाल ककया िाए तर्था ककसी भी
रकार से उन्हें अन्य षवद्यार्र्थियों से कमतर या अलग न समझा िाए।
 कक्षा में अध्यापन को हर रकार की षवषवधताओां (भलांग, धमि, िातत, वगि आहद) के रतत सकारात्मक और
सांवेदनशील वातावरण तनभमित करना चाहहए।

व्याकरण ब दिं ु
कक्षा 9िीिं
 शधद और पद
 शधद षवचार : श्रुततसमभभन्नार्थिक शधद, पयायिवाची, षवलोम शधद
 उपसगि एवां रत्यय
 अर्थि की दृजटि से वातय-भेद
कक्षा 10िीिं
 पदबांध
 रचना के आधार पर वातय रूपाांतर
 शधदों के अवलोकन द्वारा सामाभसक शधदों का षवग्रह तर्था पहचान
 मह
ु ावरों और उनका रयोग
 अलांकार की पहचान एवां रयोग

श्रिण (सन
ु ने) और िाचन ( ोलने) की योग्यताएाँ
 रवाह के सार्थ बोली िाती हुई हहांदी को अर्थिबोध के सार्थ समझना।
 हहांदी शधदों का ठीक उच्चारण करना तर्था हहांदी के स्वाभाषवक अऩत
ु ान का रयोग करना।
 सामान्य षवषयों पर बातचीत करना और पररचचाि में भाग लेना।
 हहांदी कषवताओां को उर्चत लय, आरोह-अवरोह और भाव के सार्थ पढ़ना।
 सरल षवषयों पर कुछ तैयारी के सार्थ दो-चार भमनि का भाषण दे ना।
 हहांदी में स्वागत करना, पररचय और धन्यवाद दे ना।
 हहांदी अभभनय में भाग लेना।
श्रिण (सन
ु ना)– 2.5 अिंक (ढाई अिंक) ि िाचन ( ोलना) -2.5 अिंक (ढाई अिंक) का परीक्षण : कुल 5 अिंक (पााँच
अिंक)
 परीक्षक षवद्यार्र्थियों से कषवता तर्था कहानी पाठ करें गे।
 परीक्षक ककसी रासाांर्गक षवषय पर एक अनच्
ु छे द का स्पटि वाचन करे गा। अनच्
ु छे द तथ्यात्मक या
सझ
ु ावात्मक हो सकता है । अनच्
ु छे द लगभग 80-100 शधदों का होना चाहहए।
या
परीक्षक 1 -1 2 भमनि का श्रव्य अांश (ऑडियो जतलप) सन
ु वाएगा। अांश रोचक होना चाहहए। कथ्य /घिना
1

पण
ू ि एवां स्पटि होनी चाहहए। वाचक का उच्चारण शद्ध
ु , स्पटि एवां षवराम र्चह्नों के उर्चत रयोग सहहत
होना चाहहए।
 परीक्षार्थी ध्यानपव
ू क
ि परीक्षक/ऑडियों जतलप को सन
ु ने के पश्चात ् परीक्षक द्वारा पछ
ू े गए रश्नों
का अपनी समझ से मौखखक उत्तर दें गे।

कौिलों के अिंतरण का मल
ू यािंकन
श्रिण (सन
ु ना) िाचन( ोलना)
1 षवद्यार्थी में पररर्चत सांदभों में रयत
ु त शधदों और 1 षवद्यार्थीकेवल अलग-अलग शधदों और पदों के रयोग
पदों को समझने की सामान्य योग्यता है । की योग्यता रदभशित करता है ।
2 छोिे सस
ु ब
ां द्ध कर्थनों को पररर्चत सांदभों में समझने 2 पररर्चत सांदभो में केवल छोिे सस
ु ब
ां द्ध कर्थनों का
की योग्यता है । सीभमत शद्ध
ु ता से रयोग करता है ।
3 पररर्चत या अपररर्चत दोनों सांदभों में कर्र्थत सच
ू ना 3 अपेक्षक्षत दीघि भाषण में िहिल कर्थनों के रयोग की
को स्पटि समझने की योग्यता है । योग्यता रदभशित करता है ।
4 दीघि कर्थनों की श्रांख
ृ ला को पयािप्त शद्ध
ु ता से समझता 4 अपररर्चत जस्र्थततयों में षवचारों को ताककिक ढां ग से
है और तनटकषि तनकाल सकता है । सांगहठत कर धारा रवाह रूप में रस्तत
ु कर सकता है ।
5 िहिल कर्थनों के षवचार-त्रबांदओ
ु ां को समझने की 5 उद्देश्यऔर श्रोता के भलए उपयत
ु त शैली को अपना
योग्यता रदभशित करता है । सकता है ।

पठन कौिल
पढ़ने की योग्यताएाँ
 हहांदी में कहानी, तनबांध, यात्रा-वणिन, िीवनी, पत्र, िायरी आहद को अर्थिबोध के सार्थ पढ़ना।
 पाठयवस्तु के सांबध
ां में षवचार करना और अपना मत व्यतत करना।
 सांदभि साहहत्य को पढ़कर अपने काम के लायक सच
ू ना एकत्र करना।
 पहठत सामग्री के षवभभन्न अांशों का परस्पर सांबध
ां समझना।
 पहठत वस्तु का साराांश तैयार करना।
 भाषा, षवचार एवां शैली की सराहना करना।
 साहहत्य के रतत अभभरुर्च का षवकास करना।

शलखने की योग्यताएाँ
 भलखते हुए व्याकरण-सम्मत भाषा का रयोग करना।
 हहांदी के पररर्चत और अपररर्चत शधदों की सही वतिनी भलखना।
 षवराम र्चह्नों का समर्ु चत रयोग करना।
 लेखन के भलए सकक्रय (व्यवहारोपयोगी) शधद भांिार की वषृ द्ध करना।
 रभावपण
ू ि भाषा तर्था लेखन-शैली का स्वाभाषवक रूप से रयोग करना।
 उपयत
ु त अनच्
ु छे दों में बाांिकर भलखना।
 रार्थिना पत्र, तनमांत्रण पत्र, बधाई पत्र, सांवेदना पत्र, आदे श पत्र,ई मेल,एस.एम.एस आहद भलखना
और षवषवध रपत्रों को भरना।
 षवषवधस्त्रोतों स्रोतो से आवश्यक सामग्री एकत्र कर एक अभीटि षवषय पर अनछ
ु े दभलखना।
 दे खी हुई घिनाओां का वणिन करना और उन पर अपनी रततकक्रया रकि करना।
 पढ़ी हुई कहानी को सांवाद में तर्था सांवाद को कहानी में पररवततित करना।
 समारोह और गोजटठयों की सच
ू ना और रततवेदन तैयार करना।
 भलखने में मौभलकता और सििनात्मकता लाना।

रचनात्मक अशभव्यक्तत

अनच्
ु छे द लेखन
 पण
ू त
ि ा – सांबर्ां धत षवषय के सभी पक्षों को अनच्
ु छे द के सीभमत आकार में सांयोजित करना
 क्रमबद्धता – षवचारों को क्रमबद्ध एवां तकिसांगत षवर्ध से रकि करना
 षवषय-केजन्ित – रारां भ से अांत तक अनच्
ु छे द का एक सत्र
ू में बांधा होना
 समाभसकता– सीभमत शधदों में यर्थासांभव परू ी बात कहने का रयास, अनावश्यक बातें न करके
केवल षवषय सांबद्ध वणिन-षववेचन

पत्र लेखन
 अनौपचाररक पत्र षवचार-षवमशि का िररया जिनमें मैत्रीपण
ू ि भावना तनहहत, सरलता, सांक्षक्षप्त और
सादगी के सार्थ लेखन शैली
 औपचाररक पत्रों द्वारा दै नहां दनी िीवन की षवभभन्न जस्र्थततयों में कायि, व्यापार, सांवाद, परामशि,
अनरु ोध तर्था सझ
ु ाव के भलए रभावी एवां स्पटि सांरेषण क्षमता का षवकास
 सरल और बोलचाल की भाषाशैली, उपयत
ु त, सिीक शधदों के रयोग, सीधे-सादे ढां ग से स्पटि और
रत्यक्ष बात की रस्ततु त
 रारूप की आवश्यक औपचाररकताओां के सार्थ सस्
ु पटि, सल
ु झे और क्रमबद्ध षवचार आवश्यक तथ्य,
सांक्षेप और सम्पण
ू त
ि ा के सार्थ रभावाजन्वतत

विज्ञापन लेखन
विज्ञावपत िस्तु / विषय को केंद्र में रखते ु ए
 षवज्ञाषपत वस्तु के षवभशटि गण ु ों का उल्लेख
 आकषिक लेखन शैली
 रस्ततु त में नयापन, वतिमान से िुड़ाव तर्था दस
ू रों से भभन्नता
 षवज्ञापन में आवश्यकतानस
ु ार नारे (स्लोगन) का उपयोग
 (षवज्ञापन लेखन मे बॉतस, र्चत्र अर्थवा रां ग का उपयोग अतनवायि नहीां)

सिंिाद लेखन
दो या दो से अर्धक लोगों के बीच होने वाले वातािलाप/ बातचीत षवषय, काल्पतनक या ककसी वाताि को
सन
ु कर यर्थार्थि पर आधाररत सांवाद लेखन की रचनात्मक शजतत का षवकास, कहानी, नािक, कर्ल्म और
िीवी सीररयल से लें।
 पात्रों के अनक
ु ू ल भाषा शैली
 शधद सीमा के भीतर एक दस
ू रे से िुड़े सार्थिक और उद्देश्यपण
ू ि सांवाद
 वतता के हाव-भाव का सांकेत
 सांवाद लेखन के अांत तक षवषय/मद्द
ु े पर वाताि परू ी

सच
ू ना लेखन
ककसी षवशेष सच
ू ना को साविितनक करना, कम शधदों में औपचाररक शैली में भलखी गई सांक्षक्षप्त िानकारी
जिसमें लेखन में
 उद्देश्य की स्पटिता
 आम बोलचाल की भाषा और सरल वातयों का रयोग
 स्पटि शीषिक, मख्
ु य तथ्य/ षवषय वस्त,ु उपयोगी सांपकि सत्र
ू के सार्थ स्पटि सांरेषण क्षमता

सिंदेि लेखन(िभ
ु कामना, पिव-त्यौ ारों एििं वििेष अिसरों पर हदए जाने िाले सिंदेि)
 षवषय से सांबद्धता
 सांक्षक्षप्त और सारगभभित
 भाषाई दक्षता एवां रस्ततु त
 रचनात्मकता/सि
ृ नात्मकता

क ानी लेखन (दी गई पिंक्ततयों के आधार से क ानी लेखन)


 तनरां तरता
 रचनात्मकता/कल्पना शजतत का उपयोग
 रभावी सांवाद/ पात्रानक
ु ू ल सांवाद
 जिज्ञासा/रोचकता
 कर्थात्मकता

नारा लेखन (हदए गए विषय पर आधाररत नारा लेखन)


 शधदों का उपयत
ु त चयन एवां आपसी ताल-मेल
 षवषय से सांबद्धता
 आकषिण
 मौभलकता
 रचनात्मकता

कक्षा 9िीिंह द
िं ी‘ ’–परीक्षाओिं े तु पाठ्यक्रम विननदे िन 2020-21
परीक्षा भार विभाजन
विषयिस्तु उप भार कुल भार
1 अपहठत गद्याांश(र्चांतन क्षमता एवां अभभव्यजततकौशल पर अतत लघत्ू तरात्मक
10
एवां लघत्ू तरात्मक रश्न पछ
ू े िाएांग)े
i अपहठत गद्याांश (100 से 150 शधदों के) (1x2=2) (2x4=8) 10
2 व्याकरण
पाठ्यपस्
ु तक में हदए गए भाषा-अध्ययन के आधार पर (1x16)
i शधद और पद(2 अांक) 02
ii अनस्
ु वार (1 अांक), अनन
ु ाभसक (1 अांक) 02
iii उपसगि (2 अांक), रत्यय (2 अांक) 04
16
iv शधद-षवचार 06

 श्रतु तसम भभन्नार्थिक शधद – 2


 पयाियवाची – 2
 षवलोम – 2
v अर्थि की दृजटि से वातय भेद (2 अांक) 02
3 पाठ्यपस्
ु तक स्पशि भाग – 1 व परू कपाठ्यपस्
ु तक सांचयन भाग 1
अ गद्य खांि 11
i पाठ्यपस्
ु तक स्पशि के गद्य पाठों के आधार पर लघु रश्न ।(2x3) 06
ii पाठ्य पस्
ु तक स्पशि के तनधािररत पाठों(गद्य) पर एक तनबांधात्मक 05
रश्न (5x1)(षवकल्प सहहत) 28
ब काव्य खांि 11
i पाठ्यपस्
ु तक स्पशि के काव्य खांि के आधार पर लघु रश्न (2x3) 06
ii कषवता की समझ पर आधाररत एक तनबांधात्मक रश्न (5x1) 05

(षवकल्प सहहत)
स परू क पाठ्यपस्
ु तक सांचयन भाग – 1 06

‘सांचयन’ के तनधािररत पाठों पर आधाररत दो रश्न पछ


ू े िाएँग(े 3x2) 06
(षवकल्प सहहत)
4 लेखन 26

अ सांकेत त्रबांदओ
ु ां पर आधाररत समसामतयक/व्यावहाररक िीवन से िड़ु े हुए 06

षवषयों में से ककसी एक षवषय पर 80 से 100 शधदों में अनच्


ु छे द (6x1)
(षवकल्प सहहत) 26
ब अनौपचाररक षवषय से सांबर्ां धत पत्र (5x1) (षवकल्प सहहत) 05

स सांदेश लेखन (शभ


ु कामना, पवि-त्योहारों एवां षवशेष अवसरों पर हदए िाने 05
वाले सांदेश) (30-40 शधदों में) (5x1)(षवकल्प सहहत)
द ककसी एक जस्र्थतत पर 50-60 शधदों के अांतगित सांवाद लेखन (5x1)(षवकल्प 05

सहहत)
इ नारा – लेखन (स्लोगन लेखन) 20-30 शधदों में षवषय से सांबर्ां धत लेखन 05

(5x1) (षवकल्प सहहत)


कुल 80

ननधावररत पस्
ु तकें :
1. स्पिव, भाग–1, एन.सी.ई.आर.िी., नई हदल्ली द्वारा रकाभशत नवीनतम सांस्करण
2. सिंचयन, भाग–1, एन.सी.ई.आर.िी., नई हदल्ली द्वारा रकाभशतनवीनतम सांस्करण

नोि : तनम्नभलखखत पाठ केवल पठन के भलए:


स्पशि (भाग – 1)  वैज्ञातनक चेतना के वाहक चन्िशेखर वें कि
रामन
 गीत – अगीत
सांचयन (भाग – 1)  कल्लू कुम्हार की उनाकोिी, मेरा छोिा-सा
तनिी पस्
ु तकालय
कक्षा 10िीिं ह द
िं ी‘ ’ परीक्षा े तु पाठ्यक्रम विननदे िन 2020-2021

परीक्षा भार विभाजन


विषयिस्तु उप भार कुल भार
1 अपहठत गद्याांश(र्चांतन क्षमता एवां अभभव्यजततकौशल पर अतत लघत्ू तरात्मक
एवां लघत्ू तरात्मक रश्न पछ
ू े िाएांग)े 10
अ अपहठत गद्याांश (100 से 150 शधदों के) (2x4) (1x2) 10
2 व्याकरण
पाठ्यपस्
ु तक में हदए गए भाषा-अध्ययन के आधार पर (1x16)
1 पद बांध ( 2 अांक) 02
2 रचना के आधार पर वातय रूपाांतर (3 अांक) 03
16
3 समास (4 अांक) 04
4 अलांकार (अनर
ु ास, यमक, उपमा, रूपक, अततश्योजतत, मानवीकरण) (3 03
अांक)
5 मह
ु ावरे ( 4 अांक) 04
3 पाठ्यपस्
ु तक स्पशि भाग – 2 व परू क पाठ्यपस्
ु तक सांचयन भाग 2
अ गद्य खांि 11
1 पाठ्यपस्
ु तक स्पशि के गद्य पाठों के आधार पर लघु रश्न (2x3) 06
2 पाठ्य पस्
ु तक स्पशि के तनधािररत पाठों (गद्य) पर एक तनबांधात्मक 05
रश्न (5 x1) (षवकल्प सहहत) 28

ब काव्य खांि 11
1 पाठ्यपस्
ु तक स्पशि के काव्य खांि के आधार पर लघु रश्न (2x3) 06
2 कषवता की समझ पर आधाररत एक तनबांधात्मक रश्न (5 x1) 05

(षवकल्प सहहत)
स परू क पाठ्यपस्
ु तक सांचयन भाग – 2 06

परू क पाठ्यपस्
ु तक सांचयन के तनधािररत पाठों से दो रश्न रश्न पछ
ू े िाएगें 06
(3x2)
4 लेखन
अ सांकेत त्रबांदओ
ु ां पर आधाररत समसामतयक एवां व्यावहाररक िीवन से िुड़े हुए 6

ककन्ही तीन षवषयों में से ककसी एक षवषय पर 80 से 100 शधदों में अनच्
ु छे द
(6x1)
26
ब औपचाररक षवषय से सांबर्धत पत्र।(5x1) (षवकल्प सहहत) 5

स व्यावहाररक िीवन से सांबर्ां धत षवषयों पर आधाररत 30-40 शधदों में सच


ू ना 5
लेखन (5x1) (षवकल्प सहहत)
द षवषय से सांबर्ां धत 25-50 शधदों के अांतगित षवज्ञापन लेखन। (5x1)(षवकल्प 5
सहहत)
इ लघु कर्था लेखन – हदए गए रस्र्थान त्रबांद ु के आधार पर 100-120 शधदों में 5
लघु कर्था लेखन (5x1)(षवकल्प सहहत)
कुल 80

ननधावररत पस्
ु तकें :
1. स्पिव, भाग–2, एन.सी.ई.आर.िी., नई हदल्ली द्वारा रकाभशत नवीनतम सांस्करण
2. सिंचयन, भाग–2, एन.सी.ई.आर.िी., नई हदल्ली द्वारा रकाभशतनवीनतम सांस्करण

नोि : तनम्नभलखखत पाठ केवल पठन के भलए।

स्पशि (भाग – 2)  मधरु मधरु मेरे दीपक िल


 तीसरी कसम के भशल्पकार शैलेंि
 र्गरर्गि
प्रश्नपत्र का प्रश्नानस
ु ारप्रारूप कक्षा - 10 िीिं
क्रमसिं विषय-विस्तार ज्ञान – ोध अनप्र
ु योग विश्लेषणएििं सज
ृ नात्मकता

अ.लघु/बहुषवकल्पी लघु अ.लघु/बहुषवकल्पी ननिं धात्मक लघु ननिं धात्मक योग


1 अपहठत गदयाांश 2(5) 10
2 पद बांध 2(1) 02
3 रचना के आधार पर 1(3) 03
वातय रूपाांतर
4 समास 1(4) 04
5 अलांकार 1(3) 03
6 मुहावरे 1(4) 04
7 गद्य पाठों से रश्न 2(3) 06
8 गद्य पाठों से दीघि रश्न 5(1) 05
9 काव्य पाठों से रश्न 2(3) 06
10 काव्य पाठों से दीघि रश्न 5(1) 05
11 पूरक पुजस्तका से रश्न 3(2) 06
12 अनुच्छे द –लेखन 6(1) 06
13 पत्र –लेखन 5(1) 05
14 सूचना-लेखन 5(1) 05
15 षवज्ञापन –लेखन 5(1) 05
16 लघु कर्था –लेखन 5(1) 05

योग -- 2(12) = 24 1(14) = 14 5(2) = 10 3 (2) = 06 6(1)+5(4) = 26 80

नोट : अिंक ा रऔरप्रश्नों की सिंख्याकोष्ठक के भीतर ै।

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