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[27/05, 19:10] Sahil Kothari Training: Day 1

आमतौर पर लोग मं ो को मा कुछ श द क तरह दे खते ह पर तु वो यह नह ं जानते क इन म क तरं ग म


बहुत ताकत होती है । यह कुछ ऐसे-वैसे श द नह ं ह। इ हे हमारे ऋ ष-मु नय ने साल क यान साधना वारा
ा त कया है । म के वण मा से हमार चेतना जाग उठती है - यह म हमा है म क।

ये म अंत ान के तर से आये ह, शु ध चेतना से आये ह। दे खये, य द आप बैठ कर सोचगे और फर कुछ


करगे, और कुछ श द को जोड़कर उ ह अथ दगे, तो वो एक अलग बात हो जाती है । ले कन, ऐसा कुछ जो आपके
अंदर से आता है , जैसे कोई क वता, जैसे अंत ान, तब उसका व तार हो सकता है और आने वाल पी ढ़य म उसे
और अ धक जाना जा सकता है । और जब जब आप उसका व लेषण करगे, तो कोई न कोई नया अथ सामने
आएगा और इ ह को म कहते ह।

मं ो के लाभ ? । Benefits of mantras


‘मननत ायते इ त म ः’ - जब आप इस पर मनन करते ह, तो आपक ऊजा बढ़ती है । ऐसा कहा गया है -म के
अथ ज़ र होते ह, ले कन इनका अथ केवल हम शला के कोने जैसा है । अथ इतना यादा मह वपण
ू नह ं है ,
िजतना इन म क तरं ग को महसस ू करना है ।

मा ड म हर व तु दसू र कसी भी व तु को अपनी और आक षत करती है । जब आप मं ोचारण या हवन करते


ह त उसका वातावरण पर अ यंत सकारा मक भाव पड़ता है । म के उ चारण वारा वातावरण म सकारा मक
तरं गे फैलती है और उनका वण करने से मन शांत होता है ।

[28/05, 22:50] Sahil Kothari Training: Day 2


[28/05, 22:50] Sahil Kothari Training: 7 chakras

1. मल
ू ाधार च : यह शर र का पहला च है । गद
ु ा और लंग के बीच चार पंखु रय वाला यह 'आधार च ' है ।
99.9 लोग क चेतना इसी च पर अटक रहती है और वे इसी च म रहकर मर जाते ह। िजनके जीवन म भोग,
संभोग और न ा क धानता है उनक ऊजा इसी च के आसपास एक त रहती है ।

मं : लं

च जगाने क व ध : मनु य तब तक पशव ु त है , जब तक क वह इस च म जी रहा है इसी लए भोग, न ा और


संभोग पर संयम रखते हुए इस च पर लगातार यान लगाने से यह च जा त होने लगता है । इसको जा त
करने का दस
ू रा नयम है यम और नयम का पालन करते हुए सा ी भाव म रहना।

भाव : इस च के जा त होने पर यि त के भीतर वीरता, नभ कता और आनंद का भाव जा त हो जाता है ।


स धयां ा त करने के लए वीरता, नभ कता और जाग कता का होना ज र है ।

2. वा ध ठान च - यह वह च है , जो लंग मल
ू से चार अंगल
ु ऊपर ि थत है िजसक छ: पंखु रयां ह। अगर
आपक ऊजा इस च पर ह एक त है तो आपके जीवन म आमोद- मोद, मनोरं जन, घम ू ना- फरना और
मौज-म ती करने क धानता रहे गी। यह सब करते हुए ह आपका जीवन कब यतीत हो जाएगा आपको पता भी
नह ं चलेगा और हाथ फर भी खाल रह जाएंगे।

मं : वं

कैसे जा त कर : जीवन म मनोरं जन ज र है , ले कन मनोरं जन क आदत नह ं। मनोरं जन भी यि त क चेतना


को बेहोशी म धकेलता है । फ म स ची नह ं होती ले कन उससे जड़
ु कर आप जो अनभ
ु व करते ह वह आपके बेहोश
जीवन जीने का माण है । नाटक और मनोरं जन सच नह ं होते।

भाव : इसके जा त होने पर ू रता, गव, आल य, माद, अव ा, अ व वास आ द दग


ु ण का नाश होता है ।
स धयां ा त करने के लए ज र है क उ त सारे दगु ण
ु समा त हो तभी स धयां आपका वार खटखटाएंगी।

3. म णपरु च : ना भ के मलू म ि थत र त वण का यह च शर र के अंतगत म णपरु नामक तीसरा च है , जो


दस दल कमल पंखु रय से यु त है । िजस यि त क चेतना या ऊजा यहां एक त है उसे काम करने क धन ु -सी
रहती है । ऐसे लोग को कमयोगी कहते ह। ये लोग द ु नया का हर काय करने के लए तैयार रहते ह।

मं : रं

कैसे जा त कर : आपके काय को सकारा मक आयाम दे ने के लए इस च पर यान लगाएंगे। पेट से वास ल।

भाव : इसके स य होने से त ृ णा, ई या, चग


ु ल , ल जा, भय, घण ृ ा, मोह आ द कषाय-क मष दरू हो जाते ह।
यह च मल ू प से आ मशि त दान करता है । स धयां ा त करने के लए आ मवान होना ज र है ।
आ मवान होने के लए यह अनभ ु व करना ज र है क आप शर र नह ,ं आ मा ह। आ मशि त, आ मबल और
आ मस मान के साथ जीवन का कोई भी ल य दल ु भ नह ।ं

4. अनाहत च - दय थल म ि थत व णम वण का वादश दल कमल क पंखु ड़य से यु त वादश


वणा र से सश ु ो भत च ह अनाहत च है । अगर आपक ऊजा अनाहत म स य है , तो आप एक सज ृ नशील
यि त ह गे। हर ण आप कुछ न कुछ नया रचने क सोचते ह। आप च कार, क व, कहानीकार, इंजी नयर आ द
हो सकते ह।

मं : यं

कैसे जा त कर : दय पर संयम करने और यान लगाने से यह च जा त होने लगता है । खासकर रा को सोने


से पव
ू इस च पर यान लगाने से यह अ यास से जा त होने लगता है और सष
ु ु ना इस च को भेदकर ऊपर
गमन करने लगती है ।

भाव : इसके स य होने पर ल सा, कपट, हंसा, कुतक, चंता, मोह, दं भ, अ ववेक और अहं कार समा त हो
जाते ह। इस च के जा त होने से यि त के भीतर ेम और संवेदना का जागरण होता है । इसके जा त होने पर
यि त के समय ान वत: ह कट होने लगता है ।
यि त अ यंत आ म व व त, सरु त, चा र क प से िज मेदार एवं भावना मक प से संतु लत यि त व
बन जाता ह। ऐसा यि त अ यंत हतैषी एवं बना कसी वाथ के मानवता ेमी एवं सव य बन जाता है ।

5. वशु ध च - कंठ म सर वती का थान है , जहां वशु ध च है और जो सोलह पंखु रय वाला है । सामा यतौर
पर य द आपक ऊजा इस च के आसपास एक त है तो आप अ त शि तशाल ह गे।

मं : हं

कैसे जा त कर : कंठ म संयम करने और यान लगाने से यह च जा त होने लगता है ।

भाव : इसके जा त होने कर सोलह कलाओं और सोलह वभू तय का ान हो जाता है । इसके जा त होने से जहां
भख
ू और यास को रोका जा सकता है वह ं मौसम के भाव को भी रोका जा सकता है ।

6. आ ाच : म ू य (दोन आंख के बीच भक ृ ु ट म) म आ ा च है । सामा यतौर पर िजस यि त क ऊजा


यहां यादा स य है तो ऐसा यि त बौ धक प से संप न, संवेदनशील और तेज दमाग का बन जाता है
ले कन वह सब कुछ जानने के बावजद
ू मौन रहता है । इस बौ धक स ध कहते ह।

मं : ऊं

कैसे जा त कर : भक
ृ ु ट के म य यान लगाते हुए सा ी भाव म रहने से यह च जा त होने लगता है ।

भाव : यहां अपार शि तयां और स धयां नवास करती ह। इस आ ा च का जागरण होने से ये सभी शि तयां
जाग पड़ती ह और यि त एक स धपु ष बन जाता है ।
अगले प ने पर कैसे जा त कर सह ार च ...

7. सह ार च : सह ार क ि थ त मि त क के म य भाग म है अथात जहां चोट रखते ह। य द यि त यम,


नयम का पालन करते हुए यहां तक पहुंच गया है तो वह आनंदमय शर र म ि थत हो गया है । ऐसे यि त को
संसार, सं यास और स धय से कोई मतलब नह ं रहता है ।

कैसे जा त कर : मल
ू ाधार से होते हुए ह सह ार तक पहुंचा जा सकता है । लगातार यान करते रहने से यह च
जा त हो जाता है और यि त परमहं स के पद को ा त कर लेता है ।
[30/05, 00:10] Sahil Kothari Training: Day 3
[30/05, 00:10] Sahil Kothari Training: बीजम से वा य-सरु ा

बीजम लाभ
कं म ृ यु के भय का नाश, वचारोग व र त वकृ त म।

ं मधम
ु ेह, दय क धड़कन म।

घं वपनदोष व दररोग म।

भं बख
ु ार दरू करने के लए।

लं पागलपन म।

सं बवासीर मटाने के लए।

वं भख
ू - यास रोकने के लए।

लं थकान दरू करने के लए।


[30/05, 00:11] Sahil Kothari Training: बीजमं का मह व समझकर उनका उ चारण कया जाय तो बहुत
सारे रोग से छुटकारा मलता है । उनका अलग-अलग अंग एवं वातावरण पर असर होता है ।
ʹૐʹ के ʹओʹ उ चारण से ऊजाशि त का वकास होता है तो ʹमʹ से मान सक शि तयाँ वक सत होती ह। ʹૐʹ से
मि त क, पेट और सू म इि य पर साि वक असर होता है । ʹ ंʹ उ चारण करने से पाचन-तं , गले व दय पर
तथा ʹ ं ʹ से पेट, िजगर, त ल , आँत व गभाशय पर अ छा भाव पड़ता है । औष ध को एकटक दे खते हुए ʹૐ
नमो नारायणाय।ʹ मं का 21 बार जप करके फर औष ध लेने से उसम भगव -चेतना का भाव आता है और
वशेष लाभ होता है । रात को नींद न आती हो तो ʹशु धे-शु धे महायो गनी महा न े वाहा।ʹ इस मं का
जप- मरण कर। मरण करते-करते अव य अ छ नींद आयेगी।
[31/05, 19:49] Sahil Kothari Training: भगवान ी गणेश का बीज मं :-

सभी दे व म सबसे पहले पज


ू े जाने वाले दे व ी गणेश का बीज मं ” गं ” है |

इस बीज मं के नय मत जप से बु ध का वकास होता है और घर म धन संपदा क व ृ ध होती है |

भगवान शव का बीज मं :-

भगवान शव का बीज मं है : – ” ”

भगवान शव के इस बीज मं के जप से भोलेनाथ अ तशी स न होते है | इस बीज मं के भाव से अकाल


म ृ यु से र ा होती है व रोग आ द से छुटकारा मलता है |

भगवान ी व णु का बीज मं :-

भगवान ी व णु का बीज मं ” दं ” है |

जीवन म हर कार के सख
ु और ए वय क ाि त हे तु इस बीज मं वारा भगवान ी व णु क आराधना करनी
चा हए |
भगवान ी राम का बीज मं :-

भगवान ी राम का बीज मं ” र ं ” है

िजसे भगवान ी राम के मं के शु म योग करने से मं क बलता और भी अ धक हो जाती है भगवान ी


राम के बीज मं /Beej Mantra को इस कार से योग कर सकते है : र ं रामाय नमः

हनम
ु ान जी का बीज मं :-
भगवान ी राम के परम भ त हनम
ु ान जी आराधना क लयगु के समय म शी फल दान करने वाल है | ऐसे म
बीज मं वारा उनक आराधना आपके सभी दख ु को हरने म स म है |

हनम
ु ान जी का बीज मं है : ” हं ” |

भगवान ी कृ ण का बीज मं :-

भगवान ी कृ ण का बीज मं “ ल ं ” है .

िजसका उ चारण अकेले भी कया जा सकता है व भगवान ी कृ ण के वै दक मं के साथ भी | इस बीज मं का


योग इस कार से कर : ” ल ं कृ णाय नमः ” |

माँ दग
ु ा का बीज मं :-

शि त व प माँ दग
ु ा का बीज मं ” दं ू ”

िजसका अथ है : हे माँ, मेरे सभी दख


ु को दरू कर मेर र ा करो |

माँ काल का बीज मं :-


जीवन से सभी भय , ऊपर बाधाओं , श ओ
ु ं के छूटकारा दलाने म माँ काल के बीज मं वारा उनक आराधना
वशेष प से लाभ दान करने वाल है |

माँ काल का बीज मं है : ” ं”|

दे वी ल मी का बीज मं :-
दे वी ल मी को वाभाव से चंचल माना गया है इस लए वे अ धक समय के लए एक थान पर नह ं कती | घर म
धन-स प त क व ृ ध हे तु माँ ल मी के इस बीज मं वारा आराधना से लाभ अव य ा त होता है |

दे वी ल मी का बीज मं है : ” ीं ” |

दे वी सर वती का बीज मं : –

माँ सर वती व या को दे ने वाल दे वी है िजनका बीज मं ” ऐं ” है |


पर ा म सफलता के लए व हर कार के बौ धक काय म सफलता हे तु माँ सर वती के इस बीज मं /Beej
Mantra का जप भावी स ध होता है |
[03/06, 15:14] Sahil Kothari Training: यि त य द अपनी रा श के अनक ु ू ल मं का जाप करे तो लाभकार
होता है । इन मं का कोई वशेष वधान नह ं है ले कन सामा य सहज भाव से नान के प चात अपने पज ू ा घर या
घर म शु ध थान का चयन कर त दन धप ू -द प के प चात ऊन या कुशासन पर बैठ एवं अपनी शि त अनु प
एक, तीन या पांच माला का जाप कर।

नि चत ह इसका भाव होगा, िजससे धन, यश और सम ृ ध क व ृ ध होगी।

रा श - ल मी मं

मेष - ॐ ऐं ल ं स :

वष
ृ भ - ॐ ऐं ल ं ीं

कक - ॐ ऐं ल ं ीं

संह - ॐ ं ीं स :

क या - ॐ ीं ऐं स :

तल
ु ा-ॐ ं ल ं ीं

विृ चक - ॐ ऐं ल ं स :

धनु - ॐ ं लंस:

मकर - ॐ ऐं ल ं ं ीं स :

कंु भ - ॐ ं ऐं ल ं ीं

मीन - ॐ ं लंस:

मथनु - ॐ ल ं ऐं स :
[04/06, 19:30] Sahil Kothari Training: * ह कम को सध
ु ारने के लए मं *

सय
ू -सय
ू ओम ी सय
ू ा नमः

च -च ओम ी च ाय नम

बु ध-बध
ु ओम ी बु धाय नमः

sukra- ॐ ी शु या नम
मंगाल- ॐ ी अनगरकाया नम

गु - ॐ ी गु वे नमः

श न- ॐ ी श न चराय नमः

राहु- ॐ ी राहुवे नमः

केत-ु ॐ ी केतव ु े नमः


[06/06, 22:30] Sahil Kothari Training: Health Protection Mantra

ॐ हं सं हं सः

Om hansam hansaha

रोज सब
ु ह-शाम धापव
ू क इस मं क १-१ माला करने से शी ता से वा य लाभ होता है

कं -म ृ यु के भय का नाश, वचारोग व र त वकृ त म।

Relieves one from the fear of death; is useful in skin diseases and blood disorders.

ं -मधम
ु ेह, दय क धड़कन म।
Is beneficial in diabetes mellitus and palpitation.

घं – वपनदोष व दररोग म।
Helps in nocturnal emissions and leucorrhoea.

भं -बख
ु ार दरू करने के लए।
Relief from fever.

ल ं -पागलपन म।
Is useful in mental disorders.

सं -बवासीर मटाने के लए।


– Cures piles.
वं -भख
ू - यास रोकने के लए।
Prevents hunger and thirst.

लं -थकान दरू करने के लए।


Relieves fatigue and exhaustion.

for Marriage only for females

जय जय ग रवर राज कशोर , जय महे श मख


ु चं चकोर

jai jai girivar raaj kishori, jai mahesh mukh chandra chakori

Nirogi va sampann hone ke Liye Mantra [ Health Mantra]

नरोगी व ी स प न होने के लये

ॐ हुं व णवे नमः ।

नरोगी व ी स प न होने के लये इस म क एक माला रोज जप कर, तो आरो यता और स पदा आती ह

For accident-free Journey

ॐ ह जँू सः | ॐ भभू वःु वः | ॐ य बकं यजामहे सग


ु ं धं पिु टवधनम ् उ वा क मव बंधना म ृ योमु ीय
मामत
ृ ात ॐ | वः भ व
ु ः भःू ॐ | सः जँ ू ह ॐ |

om haum joom saha | om bhoorbhuvaha svaha | om trayambakam yajaamahe sugandhim


pushtivardhnam urvvarukamiva bandhanaanmrityormuksheeya maamrataat om | svaha
bhuvaha bhooh om | saha joom haum om |

Chant this Mahamrityunjay mantra once before starting your journey.

For problem-free Journey

ॐ नमो भगवते वासद


ु े वाय ।

om namo bhagvate vaasudevaay

Chant one mala of above mantra before starting your journey.


For Job,Marriage related problems

ॐ घं काल काल कायै नमः |

Om gham kaalee kaaleekaayai namah |

Japa this mantra to remove hurdles in marriage, job or other important occasions.

For Court-cases related problems

पवनतनय बल पवन समाना |


बु ध ववेक व ान नधाना ||

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