Download as pdf or txt
Download as pdf or txt
You are on page 1of 50

PRESENTS

jsy vf/fu;e] 1989


Bare Act with Short Notes

A New Way to Learn

STAY CONNECTED:

Website: www.vidhikshiksha.com Email & Contact : connect.mmjoshi@gmail.com Twitter: @manmohanjoshi


Youtube: www.youtube.com/manmohanjoshi Facebook: www.facebook.com/manmohanjoshi.09 l www.facebook.com/vidhikshiksha

Mob.: 6262624121
रे ल अिधिनयम, 1989
(1989 का अिधिनयम संख्यांक 24)
[3 जून, 1989]
रे ल संबध
ं ी िविध का समेकन और
संशोधन करने के िलए
अिधिनयम
भारत गणराज्य के चालीसव वषर् म संसद् ारा िनम्निलिखत रूप म यह अिधिनयिमत हो :––
अध्याय 1

पर्ारं िभक
1. संिक्षप्त नाम और पर्ारं भ––(1) इस अिधिनयम का संिक्षप्त नाम रे ल अिधिनयम, 1989 है ।
(2) यह उस तारीख को पर्वृ होगा जो के न्दर्ीय सरकार, राजपतर् म अिधसूचना ारा, िनयत करे :
परं तु इस अिधिनयम के िभन्न-िभन्न उपबंध के िलए िभन्न-िभन्न तारीख िनयत की जा सकगी, और ऐसे िकसी उपबंध म इस
अिधिनयम के पर्ारं भ के पर्ित िकसी िनदश का यह अथर् लगाया जाएगा िक वह उस उपबंध के पर्वृ होने के पर्ित िनदश है ।
2. पिरभाषाएं––इस अिधिनयम म, जब तक िक संदभर् से अन्यथा अपेिक्षत न हो,––
(1) “पर्ािधकृ त” से रे ल पर्शासन ारा पर्ािधकृ त अिभपर्ेत है ;
1 [(1क) “पर्ािधकरण” से धारा 4क के अधीन गिठत रे ल भूिम िवकास पर्ािधकरण अिभपर्ेत है ;]
(2) “वहन” से रे ल पर्शासन ारा याितर्य या माल का वहन अिभपर्ेत है ;
(3) “दावा अिधकरण” से रे ल दावा अिधकरण अिधिनयम, 1987 (1987 का 54) की धारा 3 के अधीन स्थािपत रे ल
दावा अिधकरण अिभपर्ेत है ;
(4) “वग करण” से वस्तु के वहन के िलए पर्भािरत िकए जाने वाले रे ट को अवधािरत करने के पर्योजन के िलए
धारा 31 के अधीन िकया गया ऐसी वस्तु का वग करण अिभपर्ेत है ;
(5) “वगर् रे ट” से वग करण म की वस्तु के िकसी वगर् के िलए िनयत िकया गया रे ट अिभपर्ेत है ;
(6) “आयुक्त” से धारा 5 के अधीन िनयुक्त मुख्य रे ल सुरक्षा आयुक्त या रे ल सुरक्षा आयुक्त अिभपर्ेत है ;
(7) “वस्तु” से माल की कोई िविनिदष्ट मद अिभपर्ेत है ;
[(7क) “सक्षम पर्ािधकारी” से ऐसा कोई व्यिक्त अिभपर्ेत है, िजसे कदर्ीय सरकार ारा, अिधसूचना ारा, ऐसे क्षेतर्
2

के संबंध म, जो अिधसूचना म िविनिदष्ट िकया जाए, सक्षम पर्ािधकारी के कृ त्य का पालन करने के िलए पर्ािधकृ त िकया
गया है ;]
(8) “परे िषती” से रे ल रसीद म परे िषती के रूप म नािमत िक्त अिभपर्ेत है ;
(9) “परे षण” से रे ल पर्शासन को वहन के िलए स पा गया माल अिभपर्ेत है ;
(10) “परे षक” से िकसी रे ल रसीद म परे षक के रूप म नािमत वह व्यिक्त अिभपर्ेत है, िजसके ारा या िजसकी ओर
से रे ल रसीद के अन्तगर्त आने वाला माल रे ल पर्शासन को वहन के िलए स पा जाता है ;
(11) “डेमरे ज” से िकसी चल स्टाक के िनरोध के िलए अनुज्ञात समय छू ट की, यिद कोई हो, समािप्त के पश्चात् ऐसे
िनरोध के िलए उद्गृहीत पर्भार अिभपर्ेत है ;
(12) “पृष्ठांिकती” से वह व्यिक्त अिभपर्ेत है िजसके पक्ष म पृष्ठांकन िकया जाता है और उतरो र पृष्ठांकन की
दशा म वह व्यिक्त अिभपर्ेत है िजसके पक्ष म अंितम पृष्ठांकन िकया जाता है ;
(13) “पृष्ठांकन” से िकसी रे ल रसीद पर परे िषती या पृष्ठांिकती ारा यह िनदश जोड़ने के पश्चात् हस्ताक्षर करना
अिभपर्ेत है िक ऐसी रसीद म विणत माल म की सम्पि िकसी िविनिदष्ट व्यिक्त को संकर्ांत की जाए ;

1
2005 के अिधिनयम सं० 47 की धारा 2 ारा अंत:स्थािपत ।
2
2008 के अिधिनयम सं० 11 की धारा 2 ारा अंत:स्थािपत ।
2

(14) “िकराया” से याितर्य के वहन के िलए उद्गृहीत पर्भार अिभपर्ेत है ;


(15) “नौघाट” के अन्तगर्त नौका , पान्टून या बेड़ का पुल, झूला-पूल, उड़न-पुल और अस्थायी-पुल तथा नौघाट
के पहुंच मागर् और उतरने के स्थान ह ;
(16) “पर्ेषण िटप्पण” से धारा 64 के अधीन िनष्पािदत दस्तावेज अिभपर्ेत ह ;
(17) “माल-भाड़ा” से माल के वहन के िलए उद्गृहीत पर्भार, िजसके अंतगर्त पोतान्तरण पर्भार, यिद कोई हो,
अिभपर्ेत है ;
(18) “महापर्बन्धक” से धारा 4 के अधीन िनयुक्त िकसी आंचिलक रे ल का महापर्बन्धक अिभपर्ेत है ;
(19) “माल” के अंतगर्त िनम्निलिखत है––
(i) माल को समेिकत करने के िलए पर्युक्त आधान पि का या पिरवहन की वैसी ही वस्तुएं ; और
(ii) पशु ;
(20) “सरकारी रे ल” से के न्दर्ीय सरकार के स्वािमत्वाधीन कोई रे ल अिभपर्ेत है ;
(21) रे ल ारा माल के वहन के संबंध म, “अिभवहन म” से ऐसे माल के अिभवहन के पर्ारम्भ और पयर्वसान के
बीच की अविध अिभपर्ेत है और जब तक िक वह पहले समाप्त न िकया गया हो––
(क) अिभवहन उस समय ही पर्ारम्भ हो जाता है जब रे ल रसीद जारी कर दी जाती है या परे षण की
लदाई हो जाती है, इनम जो भी पूवर्वत हो ;
(ख) अिभवहन का िकसी चल स्टाक से परे षण के उतारने के िलए अनुज्ञात समय छू ट की समािप्त के
पश्चात् पयर्वसान हो जाता है और जहां माल उतारने का काम ऐसी समय छू ट के भीतर पूरा कर िलया गया है वहां
अिभवहन रेल पिरसर से माल के हटाए जाने के िलए अनुज्ञात समय छू ट की समािप्त पर पयर्विसत हो जाता है ;
(22) “समतल कर्ािसग” से वह स्थल अिभपर्ेत है जहां समतल पर रेल की पटिरयां िकसी सड़क को काटती ह ;
(23) “सामान” से यातर्ी का वह माल अिभपर्ेत है जो उसके ारा या तो अपने भारसाधन म ले जाया जाता है या
रे ल पर्शासन को वहन के िलए स पा जाता है ;
(24) “एकमुश्त रे ट” से वह रेट अिभपर्ेत है जो रे ल पर्शासन और परे षक के बीच माल के वहन के िलए और ऐसे
वहन के संबंध म िकसी सेवा के िलए परस्पर तय िकया गया है ;
(25) “गैर-सरकारी रे ल” से सरकारी रे ल से िभन्न कोई रे ल अिभपर्ेत है ;
(26) “अिधसूचना” से राजपतर् म पर्कािशत अिधसूचना अिभपर्ेत है ;
“पर्ािधकृ त अिधकारी” से धारा 179 की उपधारा (2) के अधीन के न्दर्ीय सरकार
1 [(26क) ारा पर्ािधकृ त कोई
अिधकारी अिभपर्ेत है ;]
(27) “पासर्ल” से िकसी यातर्ी या पासर्ल गाड़ी ारा वहन के िलए रे ल पर्शासन को स पा गया माल अिभपर्ेत है ;
(28) “पास” से िकसी व्यिक्त को कदर्ीय सरकार या रे ल पर्शासन ारा िदया गया पर्ािधकार अिभपर्ेत है जो उसको
यातर्ी के रूप म यातर्ा करने के िलए अनुज्ञात करता है, िकन्तु इसके अंतगर्त कोई िटकट नह है ;
(29) “यातर्ी” से िकसी िविधमान्य पास या िटकट से यातर्ा करने वाला कोई व्यिक्त अिभपर्ेत है ;
2 [(29क) “िहतब व्यिक्त” के अंतगर्त िनम्निलिखत भी ह :––
(i) इस अिधिनयम के अधीन भूिम के अजर्न म े िदए जाने वाले पर्ितकर म िकसी िहत का दावा करने
वाले सभी व्यिक्त ;
(ii) ऐसे जनजातीय और अन्य परं परागत वन िनवासी, िजन्ह ने अनुसूिचत जनजाित और अन्य
परं परागत वन िनवासी (वन अिधकार की मान्यता) अिधिनयम, 2006 (2007 का 2) के अधीन मान्यतापर्ाप्त कोई
परं परागत अिधकार खो िदए ह ;
(iii) भूिम को पर्भािवत करने वाले िकसी सुखाचार म िहतब कोई व्यिक्त ; और
(iv) सुसंगत राज्य िविधय के अधीन अिभधारण अिधकार रखने वाले व्यिक्त ;]

1
2003 के अिधिनयम सं० 51 की धारा 2 ारा (1-7-2004 से) अंत:स्थािपत ।
2
2008 के अिधिनयम सं० 11 की धारा 2 ारा अंत:स्थािपत ।
3

(30) “िविहत” से इस अिधिनयम के अधीन बनाए गए िनयम ारा िविहत अिभपर्ेत है ;


(31) “रे ल” से याितर्य या माल के सावर्जिनक वहन के िलए रे ल या रे ल का कोई पर्भाग अिभपर्ेत है और इसके
अंतगर्त िनम्निलिखत भी ह :––
(क) रे ल से अनुलग्न भूिम की सीमाएं दिशत करने वाली बाड़ या अन्य सीमा-िचह्न के भीतर की
सब भूिम ;
(ख) रे ल के पर्योजन के िलए या उसके संबंध म उपयोग म लाई जाने वाली सभी रे ल लाइन, साइिडग या
याडर् या शाखाएं ;
(ग) रे ल के पर्योजन के िलए या उसके संबंध म उपयोग म लाए जाने वाले सभी िव ुत कषर्ण उपस्कर,
िव ुत पर्दाय और िवतरण पर्ितष्ठापन ;
(घ) रे ल के पर्योजन के िलए या उसके संबंध म सिन्निमत सभी चल स्टाक, स्टेशन, कायार्लय, भांडागार,
माल उतारने-चढ़ाने के स्थान, कमर्शालाएं, िविनमार्ण शालाएं, िस्थर संयंतर् तथा मशीनरी, सड़क तथा गिलयां,
चालकवगर् कमरे , िवशर्ाम गृह, संस्थान, अस्पताल, जल संकमर् तथा जल पर्दाय पर्ितष्ठापन, कमर्चारी िनवास स्थान
और कोई अन्य संकमर् ;
(ङ) ऐसे सभी यान जो रेल के यातायात के पर्योजन के िलए सड़क पर उपयोग म लाए जाते ह और जो
रे ल के स्वािमत्व म ह, उसके ारा भाड़े पर िलए जाते ह या चलाए जाते ह ; और
(च) ऐसे सभी नौघाट, पोत, नौकाएं और बेड़,े जो िकसी नहर, नदी, झील या अन्य नाव्य अन्तदशीय जल
म रे ल के यातायात के पर्योजन के िलए उपयोग म लाए जाते ह और जो रे ल पर्शासन के स्वािमत्व म ह, उसके ारा
भाड़े पर िलए गए ह या चलाए जाते ह,
िकतु इसके अंतगर्त िनम्निलिखत नह ह :––
(i) कोई टर्ाम, जो पूणर्तया िकसी नगरपािलका क्षेतर् के भीतर है ; और
(ii) रे ल की वे लाइन जो िकसी पर्दशर्नी मैदान, मेला, पाकर् या िकसी अन्य स्थान म मातर् मनोरं जन के पर्योजन के
िलए िनिमत की गई ह ;
(32) “रे ल पर्शासन” से––
(क) सरकारी रे ल के संबंध म, िकसी आंचिलक रे ल का महापर्बंधक अिभपर्ेत है ; और
(ख) िकसी गैर-सरकारी रे ल के संबंध म, वह व्यिक्त जो िकसी रे ल का स्वामी या प ाधारी है या वह
व्यिक्त जो िकसी करार के अधीन रे ल चला रहा है, अिभपर्ेत है ;
1
[(32क) “रे ल भूिम” से ऐसी कोई भूिम अिभपर्ेत है िजसम िकसी सरकारी रे ल का कोई अिधकार, हक या िहत है ;]
(33) “रे ल रसीद” से धारा 65 के अधीन जारी की गई रसीद अिभपर्ेत है ;
(34) “रे ल सेवक” से रे ल सेवा के संबंध म, कदर्ीय सरकार ारा या िकसी रे ल पर्शासन ारा िनयोिजत कोई व्यिक्त
2 [िजसके अंतगर्त रे ल संरक्षण बल अिधिनयम, 1957 (1957 का 23) की धारा 2 की उपधारा (1) के खंड (ग) के अधीन
िनयुक्त रे ल-सरं क्षण बल का कोई सदस्य भी है] अिभपर्ेत है ;
(35) “रे ट” के अंतगर्त िकसी यातर्ी या माल के वहन के िलए कोई िकराया, भाड़ा या कोई अन्य पर्भार है ;
(36) “िविनयम” से इस अिधिनयम के अधीन रे ल रे ट अिधकरण ारा बनाए गए िविनयम अिभपर्ेत ह ;
(37) “चल स्टाक” के अंतगर्त रे ल पर चलने वाले रे ल इं जन, टडर, सवारी िडब्बे, वैगन, रे लकार, आधान, टर्क,
टर्ािलयां और सभी पर्कार के यान भी ह ;
[(37क) “िवशेष रे ल पिरयोजना” से ऐसी पिरयोजना अिभपर्ेत है, जो कदर्ीय सरकार ारा, समय-समय पर, एक
3

या अिधक राज्य या संघ राज्यक्षेतर् को समावेिशत करते हुए, िकसी िविनिदष्ट समय-सीमा म िकसी लोक पर्योजन के िलए
राष्टर्ीय अवसरं चना उपलब्ध कराने के िलए, उस रूप म अिधसूिचत की गई है ;]
(38) “स्टेशन से स्टेशन तक का रेट” से िविनिदष्ट स्टेशन के बीच बुक की गई िकसी िविनिदष्ट वस्तु को लागू
िवशेषत: घटाया गया रे ट अिभपर्ेत है ;

1
2005 के अिधिनयम सं० 47 की धारा 2 ारा अंत:स्थािपत ।
2
2003 के अिधिनयम सं० 51 की धारा 2 ारा (1-7-2004 से) अंत:स्थािपत ।
3
2008 के अिधिनयम सं० 11 की धारा 2 ारा अंत:स्थािपत ।
4

(39) “यातायात” के अंतगर्त हर वणर्न का चल स्टाक तथा यातर्ी और माल भी ह ;


(40) “अिधकरण” से धारा 33 के अधीन गिठत रे ल रे ट अिधकरण अिभपर्ेत है ;
(41) “स्थान भाड़ा” से वह पर्भार अिभपर्ेत है जो माल को रे ल से हटाने की समय छू ट की समािप्त के पश्चात् उसे
न हटाने के िलए माल पर उद्गृहीत िकया जाता है ;
(42) “आंचिलक रे ल” से धारा 3 के अधीन गिठत आचंिलक रे ल अिभपर्ेत है ।
अध्याय 2

रे ल पर्शासन
3. आंचिलक रेल––(1) कदर्ीय सरकार, सरकारी रे ल के दक्ष पर्शासन के पर्योजन के िलए, अिधसूचना ारा, ऐसी रे ल का
उतनी आंचिलक रे ल म गठन कर सके गी िजतनी वह ठीक समझे, और ऐसी अिधसूचना म ऐसी आंचिलक रे ल के नाम और मुख्यालय
को और उन क्षेतर् को िजनके संबंध म वे अिधकािरता का पर्योग करगे, िविनिदष्ट कर सके गी ।
(2) इस अिधिनयम के पर्ारं भ के ठीक पूवर् िव मान आंचिलक रे ल उपधारा (1) के अधीन गिठत आंचिलक रे ल मानी जाएंगी ।
(3) कदर्ीय सरकार अिधसूचना ारा, चल स्टाक, उसके भाग या रे ल म उपयोग िकए जाने वाले अन्य उपस्कर के अनुसंधान,
िवकास, िडजाइन बनाने, सिन्नमार्ण या उत्पादन म लगी रे ल की िकसी यूिनट को आंचिलक रे ल घोिषत कर सके गी ।
(4) कदर्ीय सरकार, अिधसूचना ारा, िकसी आंचिलक रे ल का उत्सादन कर सके गी, या िकसी िव मान आंचिलक रे ल या
आंचिलक रे ल म से िकसी नई आंचिलक रे ल का गठन कर सके गी, िकसी आंचिलक रे ल के नाम या उसके मुख्यालय को पिरवितत कर
सके गी या उन क्षेतर् का अवधारण कर सके गी िजनके संबंध म कोई आंचिलक रेल अिधकािरता का पर्योग करे गी ।
4. महापर्बंधक की िनयुिक्त––(1) कदर्ीय सरकार, अिधसूचना ारा िकसी व्यिक्त को िकसी आंचिलक रे ल का महापर्बंधक
िनयुक्त करे गी ।
(2) िकसी आंचिलक रे ल का साधारण अधीक्षण और िनयंतर्ण महापर्बंधक म िनिहत होगा ।
1
[अध्याय 2क

रे ल भूिम िवकास पर्ािधकरण


4क. रे ल भूिम िवकास पर्ािधकरण की स्थापना––के न्दर्ीय सरकार, इस अिधिनयम ारा या उसके अधीन पर्द शिक्तय का
पर्योग और कृ त्य का िनवर्हन करने के िलए, रे ल भूिम िवकास पर्ािधकरण के नाम से अिधसूचना ारा, एक पर्ािधकरण स्थािपत
कर सके गी ।
4ख. पर्ािधकरण की संरचना––(1) पर्ािधकरण अध्यक्ष, उपाध्यक्ष और चार से अनिधक अन्य सदस्य से, िजसके अंतगर्त रे ल
पर्शासन के बाहर से िवशेषज्ञ भी सिम्मिलत ह, से िमलकर बनेगा ।
(2) सदस्य इं जीिनयरी, रे ल बोडर्, पर्ािधकरण का पदेन अध्यक्ष होगा ।
(3) उपाध्यक्ष और तीन सदस्य, के न्दर्ीय सरकार ारा िनयुक्त िकए जाएंगे और उन िक्तय म से जो िकसी रे ल पर्शासन की
िसिवल इं जीनीयरी, िव और यातायात, िव ा शाखा म कायर्रत ह या कायर् कर रहे ह और िजन्ह उस सुसंगत िव ा शाखा म िजसे
के न्दर्ीय सरकार आवश्यक समझे, पयार्प्त अनुभव है ।
(4) के न्दर्ीय सरकार ऐसे िकसी सदस्य को भी िनयुक्त करे गी जो रे ल पर्शासन से बाहर का िक्त होगा और ऐसे क्षेतर् म
पयार्प्त अनुभव रखता है िजसे वह आवश्यक समझे ।
4ग. उपाध्यक्ष और अन्य सदस्य की िनयुिक्त के िनबन्धन और शत––अध्यक्ष से िभन्न, पर्ािधकरण के उपाध्यक्ष और अन्य
सदस्य की िनयुिक्त के िनबन्धन और शत तथा उनम आकिस्मक िरिक्तय को भरने की रीित वह होगी, जो िविहत की जाए ।
4घ. पर्ािधकरण के कृ त्य––(1) पर्ािधकरण, रे ल के िवकास से संबंिधत के न्दर्ीय सरकार के ऐसे कृ त्य का िनवर्हन और ऐसी
शिक्तय का पर्योग करे गा, जो के न्दर्ीय सरकार ारा उसे िविनिदष्ट रूप से समुनदेिशत की जाएं ।
(2) िविशष्टतया और पूवर्गामी शिक्त की ापकता पर पर्ितकू ल पर्भाव डाले िबना, के न्दर्ीय सरकार, पर्ािधकरण को
िनम्निलिखत सभी या िकन्ह कृ त्य को समनुदिे शत कर सके गी, अथार्त् :––
(i) इस अिधिनयम के उपबन्ध के अनुसरण म रे ल भूिम के उपयोग के िलए स्कीम या स्कीम तैयार करना ;

1
2005 के अिधिनयम सं० 47 की धारा 3 ारा अंत:स्थािपत ।
5

(ii) वािणिज्यक उपयोग के िलए रे ल भूिम का िवकास करना, जो गैर टैिरफ उपाय ारा राजस्व जुटाने के पर्योजन
के िलए के न्दर्ीय सरकार ारा स पी जाएं ;
(iii) भूिम और सम्पि के िवकास के संबंध म भारत या िवदेश म परामशर्, सिन्नमार्ण या पर्बन्धन सेवा का
िवकास करना और उन्ह उपलब्ध कराना तथा संिकर्या करना ;
(iv) कोई अन्य कायर् या कृ त्य करना जो के न्दर्ीय सरकार ारा िलिखत आदेश से उसे स पे जाएं ।
4ङ. पर्ािधकरण की करार करने और संिवदाएं िनष्पािदत करने की शिक्तयां––पर्ािधकरण, ऐसे िनदेश के अधीन रहते हुए,
जो उसे के न्दर्ीय सरकार ारा िदए जाएं, के न्दर्ीय सरकार की ओर से करार करने और संिवदाएं िनष्पािदत करने के िलए सशक्त होगा ।
4च. पर्ािधकरण के कारबार के संव्यवहार की पर्िकर्या––पर्ािधकरण को, अपनी स्वयं की पर्िकर्या को (िजसके अन्तगर्त उसकी
बैठक म गणपूित भी है) उसके ारा बनाए गए िविनयम ारा िविनयिमत करने और उसके ारा िकए जाने वाले सभी कारबार का
संचालन करने, सदस्य की सिमितय और उपसिमितय का गठन करने तथा उन्ह पर्ािधकरण की िकन्ह शिक्तय का (इस अध्याय के
अधीन िविनयम बनाने की शिक्त को अपविजत करते हुए) और कतर्व्य का पर्त्यायोजन करने की शिक्त होगी ।
4छ. पर्ािधकरण के अिधकािरय और अन्य कमर्चािरय की िनयुिक्त––(1) के न्दर्ीय सरकार, पर्ािधकरण को इस अिधिनयम के
अधीन उसके कृ त्य का दक्षतापूवर्क िनवर्हन करने म उसे समथर् बनाने के पर्योजन के िलए, उतने अिधकारी और अन्य कमर्चारी उपलब्ध
कराएगी और पर्ािधकरण, उन िनयम के अधीन रहते हए, जो के न्दर्ीय सरकार ारा इस िनिम बनाए जाएं, पर्ितिनयुिक्त पर या
अन्यथा, उतने अिधकािरय और अन्य कमर्चािरय को िनयुक्त करे गा, जो आवश्यक समझे जाएं ।
(2) पर्ािधकरण के पर्योजन के िलए िनयुक्त अिधकािरय और अन्य कमर्चािरय को संदय
े वेतन और भ े तथा सेवा के अन्य
िनबन्धन और शत वे ह गी, जो िविहत की जाएं ।
4ज. वेतन, भ आिद का भारत की संिचत िनिध म से चुकाया जाना––पर्ािधकरण के उपाध्यक्ष और अन्य सदस्य को संदय

वेतन और भ े तथा पर्शासिनक व्यय, िजनके अन्तगर्त पर्ािधकरण के अिधकािरय और अन्य कमर्चािरय को संदये वेतन और भ े
सिम्मिलत ह, भारत की संिचत िनिध म से चुकाए जाएंगे ।
4झ. पर्ािधकरण की िविनयम बनाने की शिक्त––(1) पर्ािधकरण, के न्दर्ीय सरकार के पूवर् अनुमोदन से, इस अध्याय के पर्योजन
को कायार्िन्वत करने के िलए इस अिधिनयम और तद्धीन बनाए गए िनयम से संगत िविनयम बना सके गा ।
(2) इस अध्याय के अधीन पर्ािधकरण ारा बनाया गया पर्त्येक िविनयम, बनाए जाने के पश्चात् यथाशीघर्, संसद् के पर्त्येक
सदन के समक्ष, जब वह ऐसी कु ल तीस िदन की अविध के िलए सतर् म हो जो एक सतर् म अथवा दो या अिधक आनुकर्िमक सतर् म पूरी
हो सके गी, रखा जाएगा । यिद उस सतर् के या पूव क्त आनुकर्िमक सतर् के ठीक बाद के सतर् के अवसान के पूवर् दोन सदन उस िनयम म
कोई पिरवतर्न करने के िलए सहमत हो जाएं या तत्पश्चात् दोन सदन इस बात से सहमत हो जाएं िक वह िविनयम नह बनाया जाना
चािहए तो वह ऐसे पिरवितत रूप म ही पर्भावी होगा या उसका कोई पर्भाव नह होगा । तथािप उस िविनयम के ऐसे पिरवितत या
िनष्पर्भाव होने से उसके अधीन पहले की गई िकसी बात की िविधमान्यता पर पर्ितकू ल पर्भाव नह पड़ेगा ।]
अध्याय 3

रे ल सुरक्षा आयुक्त
5. मुख्य रे ल सुरक्षा आयुक्त और रे ल सुरक्षा आयुक्त की िनयुिक्त––कदर्ीय सरकार, िकसी व्यिक्त को मुख्य रे ल सुरक्षा
आयुक्त और उतने अन्य व्यिक्तय को िजतने वह आवश्यक समझे, रे ल सुरक्षा आयुक्त िनयुक्त कर सके गी ।
6. आयुक्त के कतर्व्य––आयुक्त––
(क) िकसी रे ल का िनरीक्षण यह अवधािरत करने की दृिष्ट से करे गा िक क्या वह याितर्य के सावर्जिनक वहन के
िलए चालू िकए जाने के िलए उपयुक्त है, और उस बाबत कदर्ीय सरकार को इस अिधिनयम ारा या उसके अधीन अपेिक्षत
रूप म िरपोटर् देगा ;
(ख) िकसी रे ल का या उसम उपयोग म लाए जाने वाले िकसी चल स्टाक का ऐसा िनयतकािलक, या अन्य िनरीक्षण
करे गा, जैसा कदर्ीय सरकार िनदेश दे ;
(ग) िकसी रे ल पर िकसी दुघर्टना के कारण की इस अिधिनयम के अधीन जांच करे गा ; और
(घ) ऐसे अन्य कतर्व्य का िनवर्हन करे गा जो इस अिधिनयम ारा या उसके अधीन उसको पर्द िकए जाएं ।
7. आयुक्त की शिक्तयां––कदर्ीय सरकार के िनयंतर्ण के अधीन रहते हुए, आयुक्त, जब कभी इस अिधिनयम के पर्योजन म से
िकसी के िलए ऐसा करना आवश्यक हो,––
(क) िकसी रे ल या उसम उपयोग म लाए जाने वाले िकसी चल स्टाक म पर्वेश कर सके गा और उसका िनरीक्षण
कर सके गा ;
6

(ख) रे ल पर्शासन को संबोिधत िलिखत आदेश ारा अपने समक्ष िकसी रे ल सेवक की उपिस्थित की अपेक्षा कर
सके गा और ऐसे रे ल सेवक या रे ल पर्शासन से ऐसी पूछताछ की बाबत जैसी वह करना ठीक समझे, उ र या िववरणी की
अपेक्षा कर सके गा ; और
(ग) िकसी रे ल पर्शासन की या उसके कब्जे या िनयंतर्ण म की िकसी ऐसी पुस्तक, दस्तावेज या ऐसे सारवान् पदाथर्
को पर्स्तुत करने की अपेक्षा कर सके गा, िजसका िनरीक्षण करना उसे आवश्यक पर्तीत होता है ।
8. आयुक्त का लोक सेवक होना––आयुक्त, भारतीय दंड संिहता (1860 का 45) की धारा 21 के अथार्न्तगर्त लोक सेवक
समझा जाएगा ।
9. आयुक्त को दी जाने वाली सुिवधाएं––रे ल पर्शासन आयुक्त को इस अिधिनयम ारा या इसके अधीन उस पर अिधरोिपत
कतर्व्य के िनवर्हन के िलए या उसको पर्द शिक्तय का पर्योग करने के िलए सभी युिक्तयुक्त सुिवधाएं देगा ।
10. आयुक्त की वािषक िरपोटर्––मुख्य रे ल सुरक्षा आयुक्त पर्त्येक िव ीय वषर् म एक वािषक िरपोटर् उस िव ीय वषर् से,
िजसम ऐसी िरपोटर् तैयार की जाती है, ठीक पूवर्वत िव ीय वषर् के दौरान आयुक्त के िकर्याकलाप का पूणर् िववरण देते हुए तैयार
करे गा और उस तारीख से पूवर् जो कदर्ीय सरकार ारा िविनिदष्ट की जाए, इसकी पर्ितयां कदर्ीय सरकार को भेजेगा और के न्दर्ीय
सरकार, उस िरपोटर् को उसकी पर्ािप्त के पश्चात्, यथाशक्यशीघर्, संसद् के पर्त्येक सदन के समक्ष रखवाएगी ।
अध्याय 4

संकम का सिन्नमार्ण और अनुरक्षण


11. सभी आवश्यक संकम के िनष्पादन की रे ल पर्शासन की शिक्त––तत्समय पर्वृ िकसी अन्य िविध म िकसी बात के होते
हुए भी िकन्तु इस अिधिनयम के उपबंध और सावर्जिनक पर्योजन के िलए या कं पिनय के िलए भूिम के अजर्न की िकसी िविध के
उपबंध के अधीन रहते हुए और िकसी गैर-सरकारी रे ल की दशा म गैर-सरकारी रे ल और कदर्ीय सरकार के बीच िकसी संिवदा के
उपबंध के भी अधीन रहते हुए, रे ल पर्शासन िकसी रे ल के सिन्नमार्ण या अनुरक्षण के पर्योजन के िलए––
(क) िकन्ह भूखंड या िकन्ह माग , पहािड़य , घािटय , सड़क , रे ल या टर्ाम या िकन्ह निदय , नहर , नाल ,
सिरता या अन्य जलखंड या िकन्ह नािलय , पानी के नल , गैस के नल , तेल के पाइप , मल पर्णाली, िव ुत पर्दाय लाइन
या तार लाइन म, या उन पर, उनके आर-पार, नीचे या ऊपर ऐसे अस्थायी या स्थायी आनत, समपथ, पुल, सुरंग, पुिलया,
तटबंध, जलसेत,ु सड़क, रे ल की लाइन, पथ, रास्ते, निलकाएं, नािलयां, पर्स्तंभ, कटाव और बाड़, अन्त:गर्ाही कु एं, नलकू प,
बांध, नदी िनयंतर्ण और संरक्षण संकमर् बना या सिन्निमत कर सके गा जैसा वह उिचत समझे ;
(ख) िकन्ह निदय , नाल , सिरता या अन्य जल-सरिणय के मागर् को, उसके ऊपर या नीचे सुरंग , पुल , रास्त
या अन्य संकम के सिन्नमार्ण और अनुरक्षण के पर्योजन के िलए पिरवितत कर सके गा और िकन्ह निदय , नाल , सिरता या
अन्य जल-सरिणय या िकन्ह सड़क , माग या पथ को इस उ ेश्य से िक उन्ह रे ल के ऊपर या नीचे या बगल म से, अिधक
सुिवधापूवर्क ले जाया जा सके , अस्थायी रूप से या स्थायी रूप से मोड़ या पिरवितत कर सके गा या उसके तल को ऊंचा या
नीचा कर सके गा ;
(ग) रे ल से या रे ल तक पानी पर्वािहत करने के पर्योजन के िलए नािलयां या निलकाएं, रे ल से लगी हुई िकन्ह
भूिमय म या उन पर होकर या उनके नीचे बना सके गा ;
(घ) ऐसे घर, भांडागार, कायार्लय और अन्य भवन और ऐसे याडर्, स्टेशन, माल उतारने-चढ़ाने के स्थान, इं जन,
मशीनरी, सािधतर् और अन्य संकमर् तथा सुिवधाएं, जो रे ल पर्शासन उिचत समझे, पिरिनिमत और सिन्निमत कर सके गा ;
1
[(घक) वािणिज्यक उपयोग के िलए िकसी रे ल भूिम का िवकास करना ;]
(ङ) यथापूव क्त ऐसे भवन , संकम और सुिवधा म या उनम से िकसी म पिरवतर्न कर सके गा, उनकी मरम्मत
कर सके गा या उन्ह बन्द कर सके गा और उनके स्थान पर दूसरे बना सके गा ;
(च) रे ल के कायर्करण के संबंध म िकन्ह तार लाइन और टेलीफोन लाइन का पिरिनमार्ण, पर्वतर्न, अनुरक्षण या
मरम्मत कर सके गा ;
(छ) रे ल के कायर्करण के संबंध म िकसी िव ुत कषर्ण उपस्कर, िव ुत पर्दाय और िवतरण पर्ितष्ठापन का
पिरिनमार्ण, पर्वतर्न, अनुरक्षण या मरम्मत कर सके गा ; और
(ज) रे ल के बनाने, अनुरक्षण करने, पिरवतर्न या मरम्मत करने और उपयोग म लाने के िलए आवश्यक अन्य सब
कायर् कर सके गा ।

1
2005 के अिधिनयम सं० 47 की धारा 4 ारा अंत:स्थािपत ।
7

12. पाइप, िव त ु पर्दाय लाइन , नािलय या सीवर आिद की िस्थित म पिरवतर्न करने की शिक्त––(1) रे ल पर्शासन इस
अिधिनयम ारा उसको पर्द शिक्तय का पर्योग करने के पर्योजन के िलए गैस, जल, तेल या संपीिड़त वायु के पर्दाय के िलए िकसी
पाइप की िस्थित या िकसी िव ुत पर्दाय लाइन, नाली या सीवर की िस्थित म पिरवतर्न कर सके गा :
परं तु िकसी ऐसे पाइप, िव ुत पर्दाय लाइन, नाली या सीवर की िस्थित म पिरवतर्न करने के पूवर्, रे ल पर्शासन ऐसा करने की
सूचना पाइप, िव ुत पर्दाय लाइन, नाली या सीवर पर िनयंतर्ण रखने वाले स्थानीय पर्ािधकारी या अन्य व्यिक्त को देगा िजसम वह
समय उपदिशत िकया जाएगा जब ऐसे पिरवतर्न का कायर् पर्ारं भ िकया जाएगा ।
(2) रे ल पर्शासन उपधारा (1) म िनिदष्ट कायर् का िनष्पादन उपधारा (1) के परं तुक के अधीन सूचना पर्ाप्त करने वाले
स्थानीय पर्ािधकारी या व्यिक्त के समुिचत समाधानपर्द रूप म करे गा ।
13. सरकारी संपि के िलए संरक्षण––धारा 11 और धारा 12 की कोई बात––
(क) सरकारी रे ल के िकसी रे ल पर्शासन को ऐसे संकम , भूिमय या भवन पर या उनके बारे म, जो िकसी राज्य
सरकार म िनिहत ह या उसके कब्जे म ह, उस सरकार की सम्मित के िबना कु छ करने के िलए पर्ािधकृ त नह करे गी ; और
(ख) िकसी गैर-सरकारी रे ल के रे ल पर्शासन को ऐसे संकम , भूिमय या भवन पर या उनके बारे म, जो कदर्ीय
सरकार या िकसी राज्य सरकार म िनिहत ह या उसके कब्जे म ह, संब सरकार की सम्मित के िबना कु छ करने के िलए
पर्ािधकृ त नह करे गी ।
14. बाधा हटाने, मरम्मत करने या दुघटर् ना के िनवारण के िलए भूिम पर अस्थायी पर्वेश––(1) जहां रे ल पर्शासन की
राय म––
(क) इस बात का आसन्न खतरा है िक कोई वृक्ष, खंभा या संरचना रे ल लाइन पर ऐसे िगर सकती है िजससे चल
स्टाक के संचलन म बाधा हो सकती है, या
(ख) कोई वृक्ष, खंभा, संरचना या पर्काश चल स्टाक के संचलन के िलए व्यवस्था िकए गए िसगनल के िदखने म
बाधा डालता है, या
(ग) कोई वृक्ष, खंभा या संरचना उसके ारा अनुरिक्षत िकसी टेलीफोन या तार लाइन म बाधा डालती है,
वहां वह ऐसे उपाय कर सके गा, जो ऐसे खतरे को टालने के िलए या ऐसी बाधा हटाने के िलए आवश्यक ह और उसकी एक िरपोटर्
कदर्ीय सरकार को ऐसी रीित से और ऐसे समय के भीतर, जो िविहत िकया जाए, पर्स्तुत करे गा ।
(2) जहां रे ल पर्शासन की राय म,––
(क) कोई स्खलन या दुघर्टना हुई है ; या
(ख) रे ल से संबंिधत िकसी कटाव, तटबंध या अन्य संकमर् म कोई स्खलन या दुघर्टना होने की आशंका है,
वहां वह रे ल से लगी िकसी भूिम पर पर्वेश कर सके गा और ऐसे सभी कायर् कर सके गा, जो ऐसे स्खलन की मरम्मत करने या ऐसी
दुघर्टना को रोकने के पर्योजन के िलए आवश्यक ह और उसकी एक िरपोटर् कदर्ीय सरकार को ऐसी रीित से और ऐसे समय के भीतर, जो
िविहत िकया जाए, पर्स्तुत करे गा ।
(3) कदर्ीय सरकार उपधारा (1) या उपधारा (2) के अधीन िरपोटर् पर िवचार करने के पश्चात्, लोक सुरक्षा के िहत म,
आदेश ारा रे ल पर्शासन को िनदेश दे सके गी िक उपधारा (1) या उपधारा (2) के अधीन आगे कारर्वाई रोक दी जाए या वह ऐसी शत
के अधीन रहते हुए की जाए जो उस आदेश म िविनिदष्ट की जाएं ।
15. नुकसान या हािन के िलए रकम का संदाय––(1) रे ल पर्शासन के िवरु कोई वाद इस अध्याय के पूवर्गामी उपबंध म से
िकसी के ारा पर्द शिक्तय के पर्योग म कािरत िकसी नुकसान या हािन के िलए कोई रकम वसूल करने के िलए नह लाया जाएगा ।
(2) रे ल पर्शासन, इस अध्याय के पूवर्गामी उपबंध म से िकसी के ारा पर्द शिक्तय के पर्योग म कािरत िकसी नुकसान या
हािन के िलए संदाय करे गा या संदाय िनिवद करे गा और इस पर्कार संद या िनिवद िकसी रकम की पयार्प्तता के बारे म या रकम
पर्ाप्त करने के िलए हकदार व्यिक्तय के बारे म िववाद की दशा म वह िववाद को तत्काल िजले के िजला न्यायाधीश के िविनश्चय के
िलए िनिदष्ट करे गा और उसका उस पर िविनश्चय अंितम होगा :
परं तु जहां रे ल पर्शासन ऐसे िववाद के पर्ारं भ की तारीख से साठ िदन के भीतर, ऐसा िनदश करने म असफल रहता है, वहां
िजला न्यायाधीश संब व्यिक्त ारा उसे आवेदन िकए जाने पर, रे ल पर्शासन को िनदेश कर सके गा िक वह उस िववाद को उसके
िविनश्चय के िलए िनिदष्ट करे ।
(3) उपधारा (2) के अधीन िनदश िसिवल पर्िकर्या संिहता, 1908 (1908 का 5) की धारा 36 के अधीन अपील माना जाएगा
और उसका िनपटारा तद्नुसार िकया जाएगा ।
8

(4) जहां िकसी रकम का उपधारा (2) ारा अपेिक्षत रूप म संदाय िकया गया है, वहां रे ल पर्शासन उस समय पर्वृ िकसी
अन्य िविध म िकसी बात के होते हुए भी, इस पर्कार संद िकसी रकम के संबंध म िकसी व्यिक्त के पर्ित सभी दाियत्व से, वे जो भी ह ,
उन्मोिचत हो जाएगा ।
16. सुिवधा संकमर्––(1) रे ल पर्शासन रे ल से लगी हुई भूिम के स्वािमय और अिधभोिगय की सुिवधा के िलए िनम्निलिखत
संकमर् बनाएगा और उनका अनुरक्षण करे गा, अथार्त् :––
(क) रे ल के ऊपर, नीचे या बगल म या रे ल तक जाने या रे ल से आने के िलए ऐसे कर्ािसग, पुल, पुिलयाएं और रास्ते,
जो राज्य सरकार की राय म उन भूिमय के , िजनम से होकर रे ल मागर् बनाया गया है, उपयोग म रे ल ारा कािरत िकसी
अवरोध को दूर करने के पर्योजन के िलए आवश्यक है ; और
(ख) रे ल के ऊपर, नीचे या बगल म इतने िवस्तार के सब आवश्यक पुल, सुरंगे, पुिलयाएं, नािलयां, जल-सरिणयां
या अन्य रास्ते िजतने राज्य सरकार की राय म उन भूिमय म से या उन तक, जो रे ल के िनकट ह या िजन पर रे ल का पर्भाव
पड़ा है, सब समय पर जल के इतने िनबार्ध रूप से पर्वहण के िलए िजतना रे ल के बनाए जाने से पूवर् था या यथाशक्य संभव
हो, पयार्प्त ह गे ।
(2) इस अिधिनयम के अन्य उपबंध के अधीन रहते हुए, उपधारा (1) म िविनिदष्ट संकमर् उन भूिमय म, िजनम से रे ल
गुजरती है, रे ल के िबछाए जाने या बनाए जाने के दौरान या तुरन्त पश्चात् रे ल पर्शासन के खचर् पर और ऐसी रीित से बनाए जाएंगे
िजससे उन भूिमय म िहतब या उन संकम से पर्भािवत व्यिक्तय को यथासंभव कम नुकसान या असुिवधा हो :
परन्तु––
(क) िकसी रे ल पर्शासन से यह अपेक्षा नह की जाएगी िक वह िकन्ह सुिवधा-संकम को ऐसी रीित से बनाए िजससे
रे ल के कायर्करण या उपयोग म रुकावट या बाधा हो या ऐसे िकन्ह सुिवधा-संकम को बनाए िजनकी बाबत भूिम के
स्वािमय या अिधभोिगय को ऐसे संकम के बनाए जाने की अपेक्षा न करने के पर्ितफलस्वरूप पर्ितकर का संदाय कर
िदया है ;
(ख) इस अध्याय म इसके पश्चात् जैसा उपबंिधत है उसके िसवाय, कोई रे ल पर्शासन, उस तारीख से िजसको उन
भूिमय म से होकर जाने वाली रे ल, सावर्जिनक यातायात के िलए पर्थम बार चालू की गई थी, दस वषर् की समािप्त
के पश्चात्, भूिम के स्वािमय या अिधभोिगय के उपयोग के िलए कोई और या अितिरक्त सुिवधा-संकमर् िनष्पािदत करने के
िलए दायी नह होगा ;
(ग) जहां रे ल पर्शासन ने सड़क या जलधारा पार करने के िलए यथोिचत सुिवधा-संकमर् की व्यवस्था कर दी है और
वह सड़क या जल धारा उस पर िनयंतर्ण रखने वाले व्यिक्त के कायर् या उपेक्षा से तत्पश्चात् मोड़ दी जाती है वहां रे ल
पर्शासन को उस सड़क या जलधारा को पार करने के िलए िकसी अन्य सुिवधा-संकमर् की व्यवस्था करने के िलए िववश नह
िकया जाएगा ।
(3) राज्य सरकार उपधारा (1) के अधीन िनष्पािदत िकए जाने वाले िकसी संकमर् के पर्ारं भ के िलए कोई तारीख िविनिदष्ट
कर सके गी और यिद उस तारीख के पश्चात् अगले तीन मास के भीतर रे ल पर्शासन संकमर् पर्ारं भ करने म असफल रहता है या उसे पर्ारं भ
करने पर उसे तत्परतापूवर्क िनष्पािदत करते रहने म असफल रहता है तो के न्दर्ीय सरकार ऐसी असफलता राज्य सरकार ारा उसकी
जानकारी म लाए जाने पर, रे ल पर्शासन को ऐसे िनदेश देगी जो वह ठीक समझे ।
स्पष्टीकरण––इस धारा के पर्योजन के िलए “भूिमय ” पद के अन्तगर्त सावर्जिनक सड़क भी ह ।
17. स्वामी, अिधभोगी, राज्य सरकार या स्थानीय पर्ािधकारी की अितिरक्त सुिवधा-संकमर् बनवाने की शिक्त––(1) यिद
िकसी रे ल ारा पर्भािवत िकसी भूिम का स्वामी या अिधभोगी यह समझता है िक धारा 16 के अधीन बनाए गए संकमर् उस भूिम के
उपयोग के िलए अपयार्प्त ह या यिद राज्य सरकार या स्थानीय पर्ािधकारी रे ल के आर-पार, नीचे या ऊपर सावर्जिनक सड़क या अन्य
संकमर् बनाना चाहता है तो, यथािस्थित, ऐसा स्वामी या अिधभोगी या राज्य सरकार या स्थानीय पर्ािधकारी िकसी भी समय रे ल
पर्शासन से यह अपेक्षा कर सके गा िक वह, यथािस्थित, उस स्वामी या अिधभोगी या राज्य सरकार या स्थानीय पर्ािधकारी के खचर् पर
ऐसे अितिरक्त सुिवधा-संकमर् बनाए जो आवश्यक समझे जाएं और िजनके िलए रे ल पर्शासन सहमत हो जाए ।
(2) उपधारा (1) के अधीन बनाए गए सुिवधा-संकम का अनुरक्षण भूिम के स्वामी या अिधभोगी, उस राज्य सरकार या
स्थानीय पर्ािधकारी के खचर् पर िकया जाएगा, िजसके अनुरोध पर संकमर् बनाए गए थे ।
(3) रे ल पर्शासन और, यथािस्थित, स्वामी या अिधभोगी, राज्य सरकार या स्थानीय पर्ािधकारी के बीच,––
(i) ऐसे अितिरक्त सुिवधा-संकम की आवश्यकता ; या
(ii) ऐसे अितिरक्त सुिवधा-संकम के सिन्नमार्ण पर उपगत िकए जाने वाले य ; या
(iii) ऐसे अितिरक्त सुिवधा-संकम के अनुरक्षण पर व्यय की मातर्ा, के बारे म मतभेद होने की दशा म, वह के न्दर्ीय
सरकार को िनिदष्ट िकया जाएगा िजसका उस पर िविनश्चय अंितम होगा ।
9

18. बाड़, फाटक और अवरोधक––के न्दर्ीय सरकार उतने समय के भीतर, िजतना उसके ारा िविनिदष्ट िकया जाए या ऐसे
अितिरक्त समय के भीतर जो वह मंजूर करे , अपेक्षा कर सके गी िक :––
(क) रे ल पर्शासन िकसी रे ल या उसके िकसी भाग के िलए और उसके संबध
ं म सिन्निमत सड़क के िलए
सीमा-िचह्न या बाड़ की व्यवस्था करे या उन्ह नवीकृ त करे ;
(ख) रे ल पर्शासन समतल कर्ािसग पर, यथोिचत, फाटक, जंजीर, अवरोधक, खंभे या डंडहरे पिरिनिमत करे या
नवीकृ त करे ;
(ग) रे ल पर्शासन फाटक , जंजीर या अवरोधक को खोलने और बन्द करने के िलए व्यिक्तय को िनयोिजत करे ।
19. उपिर पुल और अधोमाग पुल––(1) जहां रे ल पर्शासन ने सावर्जिनक सड़क के समतल पर आर-पार रे ल की लाइन
सिन्निमत की ह, वहां राज्य सरकार या सड़क का अनुरक्षण करने वाला कोई स्थानीय पर्ािधकारी िकसी भी समय सावर्जिनक सुरक्षा के
िहत म रे ल पर्शासन से अपेक्षा कर सके गा िक वह समतल पर सड़क को पार करने के बजाय सड़क को पुल या मेहराब ारा, उस पर
चढ़ने और उतरने की सुिवधा और अन्य सुिवधापूणर् पहुंच माग सिहत, रे ल मागर् के नीचे या ऊपर से ले जाए अथवा ऐसे अन्य संकमर्
िनष्पािदत करे जो मामले की पिरिस्थितय म राज्य सरकार या सड़क का अनुरक्षण करने वाले स्थानीय पर्ािधकारी को उस खतरे को
हटाने या कम करने के िलए सवार्िधक उपयुक्त पर्तीत हो जो समतल कर्ािसग से उत्पन्न होता है ।
(2) रे ल पर्शासन, यथािस्थित, राज्य सरकार या स्थानीय पर्ािधकारी से उपधारा (1) के अधीन कोई संकमर् िनष्पािदत करने की
शतर् के रूप म, यह अपेक्षा कर सके गा िक वह रे ल पर्शासन को संकमर् की संपूणर् लागत और संकमर् के अनुरक्षण का व्यय या ऐसी लागत
और व्यय का उतना अनुपात जो के न्दर्ीय सरकार न्यायसंगत और युिक्तयुक्त समझे संदाय करने का भार अपने ऊपर ले ।
(3) यथािस्थित, रे ल पर्शासन और राज्य सरकार या स्थानीय पर्ािधकारी के बीच उपधारा (1) म विणत िकसी िवषय के बारे
म कोई मतभेद होने की दशा म वह के न्दर्ीय सरकार को िनिदष्ट िकया जाएगा, िजसका उस पर िविनश्चय अंितम होगा ।
20. सुरक्षा के िलए िनदेश देने की के न्दर्ीय सरकार की शिक्त––िकसी अन्य िविध म िकसी बात के होते हुए भी,
के न्दर्ीय सरकार, यिद उसकी यह राय है िक िकसी संकमर् से, िजसे हाथ म िलया गया है या िलया जा सकता है, िकसी जल पर्वाह के
पर्ाकृ ितक पथ म पिरवतर्न या बाधा की या ऐसे पर्वाह की मातर्ा म वृि होने की संभावना है िजससे रे ल पथ का कटाव, तटबंध या कोई
अन्य संकमर् संकटापन्न हो सकता है, तो वह ऐसे संकमर् के िलए िजम्मेदार िकसी व्यिक्त, अिधकारी या पर्ािधकारी को उस संकमर् को
बन्द करने, िविनयिमत करने या पर्ितिष करने का िलिखत िनदेश जारी कर सके गी ।
1
[अध्याय 4क

िकसी िवशेष रे ल पिरयोजना के िलए भूिम अजर्न


20क. भूिम अजर्न करने, आिद की शिक्त––(1) जहां कदर्ीय सरकार का यह समाधान हो जाता है िक िकसी लोक पर्योजन के
िलए कोई भूिम िकसी िवशेष रे ल पिरयोजना के िनष्पादन के िलए अपेिक्षत है, वहां वह, अिधसूचना ारा, उस भूिम का अजर्न करने के
अपने आशय की घोषणा कर सके गी ।
(2) उपधारा (1) के अधीन पर्त्येक अिधसूचना, उस भूिम और उस िवशेष रे ल पिरयोजना का संिक्षप्त िववरण देगी,
िजसके िलए भूिम का अजर्न िकया जाना आशियत है ।
(3) यथािस्थित, राज्य सरकार या संघ राज्यक्षेतर्, इस धारा के पर्योजन के िलए, जब कभी अपेक्षा की जाए, सक्षम पर्ािधकारी
को भूिम अिभलेख के ब्यौरे उपलब्ध कराएगा ।
(4) सक्षम पर्ािधकारी, अिधसूचना के सार को दो स्थानीय समाचारपतर् म पर्कािशत कराएगा, िजनम से एक जन भाषा
म होगा ।
20ख. सवक्षण, आिद के िलए पर्वेश करने की शिक्त––धारा 20क की उपधारा (1) के अधीन अिधसूचना के जारी िकए
जाने पर, इस िनिम सक्षम पर्ािधकारी ारा पर्ािधकृ त िकसी व्यिक्त के िलए––
(क) कोई िनरीक्षण, सवक्षण, नापजोख, मूल्यांकन या जांच करना ;
(ख) तलमाप लेना ;
(ग) अवमृदा की खुदाई या उसम वैधन करना ;
(घ) संकमर् का सीमांकन और आशियत रे खांकन करना ;
(ङ) िचह्न लगाकर और खाई खोद कर ऐसे तलमाप , सीमा और रे खा को िचह्नांिकत करना ; या

1
2008 के अिधिनयम सं० 11 की धारा 3 ारा अंत:स्थािपत ।
10

(च) ऐसे अन्य कायर् या बात करना, जो सक्षम पर्ािधकारी ारा आवश्यक समझी जाएं,
िविधपूणर् होगा ।
20ग. सवक्षण, नापजोख, आिद के दौरान हुई नुकसानी का मूल्यांकन––भूिम पर ऐसा कोई संकमर् करते समय, जैसे िक
अवमृदा का सवक्षण, खुदाई या वेधन, सीमांकन या खाई खोदते या िकसी खड़ी फसल, बाड़ या वन को साफ करते या ऐसा कोई अन्य
कायर् या बात करते समय, िजससे धारा 20ख के अधीन, िविशष्टत: ऐसी भूिम से संबिं धत कोई कायर् करते समय, िजसे अजर्न कायर्वाही
से अपविजत िकया गया है, कोई नुकसान कािरत हो सकता है, कािरत नुकसान का मूल्यांकन िकया जाएगा और उक्त संकमर् के पूरा होने
से छह माह के भीतर उस भूिम म िहत रखने वाले व्यिक्तय को पर्ितकर का संदाय िकया जाएगा ।
20घ. आक्षेप , आिद की सुनवाई––(1) भूिम म िहतब कोई व्यिक्त, धारा 20क की उपधारा (1) के अधीन अिधसूचना के
पर्काशन की तारीख से तीस िदन की अविध के भीतर, उस उपधारा म विणत पर्योजन के िलए भूिम के अजर्न के संबंध म आक्षेप
कर सके गा ।
(2) उपधारा (1) के अधीन पर्त्येक आक्षेप, सक्षम पर्ािधकारी को िलिखत म िकया जाएगा और उसके आधार को उपविणत
करे गा तथा सक्षम पर्ािधकारी आक्षेपकतार् को या तो व्यिक्तगत रूप से या िविध व्यवसायी के माध्यम से, सुने जाने का अवसर देगा और
ऐसे सभी आक्षेप की सुनवाई करने के पश्चात् और ऐसी अितिरक्त जांच करने के पश्चात्, यिद कोई हो, जो सक्षम पर्ािधकारी आवश्यक
समझे, आदेश ारा, आक्षेप को या तो मंजूर कर सके गा या नामंजूर कर सके गा ।
स्पष्टीकरण––इस उपधारा के पर्योजन के िलए, “िविध व्यवसायी” का वही अथर् है, जो अिधवक्ता अिधिनयम, 1961
(1961 का 25) की धारा 2 की उपधारा (1) के खंड (i) म है ।
(3) उपधारा (2) के अधीन सक्षम पर्ािधकारी ारा िकया गया कोई आदेश अंितम होगा ।
20ङ. अजर्न की घोषणा––(1) जहां धारा 20घ की उपधारा (1) के अधीन कोई आक्षेप, उसम िविनिदष्ट अविध के भीतर,
सक्षम पर्ािधकारी को नह िकया गया है या जहां सक्षम पर्ािधकारी ने उस धारा की उपधारा (2) के अधीन आक्षेप को नामंजूर कर
िदया है, वहां सक्षम पर्ािधकारी, यथाशीघर्, तद्नुसार के न्दर्ीय सरकार को िरपोटर् पर्स्तुत करे गा और ऐसी िरपोटर् की पर्ािप्त पर,
के न्दर्ीय सरकार, अिधसूचना ारा, यह घोषणा करे गी िक भूिम को धारा 20क की उपधारा (1) म विणत पर्योजन के िलए अिजत िकया
जाना चािहए ।
(2) उपधारा (1) के अधीन घोषणा के पर्काशन पर, भूिम सभी िवल्लंगम से मुक्त के न्दर्ीय सरकार म पूणर्तया िनिहत
हो जाएगी ।
(3) जहां िकसी भूिम की बाबत, धारा 20क की उपधारा (1) के अधीन उसके अजर्न के िलए अिधसूचना पर्कािशत की गई है,
िकन्तु इस धारा की उपधारा (1) के अधीन कोई घोषणा, उस अिधसूचना के पर्काशन की तारीख से एक वषर् की अविध के भीतर
पर्कािशत नह की गई है, वहां उक्त अिधसूचना िनष्पर्भाव हो जाएगी :
परं तु एक वषर् की उक्त अविध की संगणना करने म, वह अविध िजसके दौरान धारा 20क की उपधारा (1) के अधीन जारी
अिधसूचना के अनुसरण म की जाने वाली िकसी कारर् वाई या कायर्वािहय पर िकसी न्यायालय के आदेश ारा रोक लगा दी गई है
अपविजत कर दी जाएगी ।
(4) उपधारा (1) के अधीन के न्दर्ीय सरकार ारा की गई िकसी घोषणा को िकसी न्यायालय म या िकसी अन्य पर्ािधकारी ारा
पर्श्नगत नह िकया जाएगा ।
20च. पर्ितकर के रूप म संदय
े रकम का अवधारण––(1) जहां कोई भूिम इस अिधिनयम के अधीन अिजत की जाती है,
वहां ऐसी रकम का संदाय िकया जाएगा, जो सक्षम पर्ािधकारी के आदेश ारा अवधािरत की जाएगी ।
(2) सक्षम पर्ािधकारी, घोषणा के पर्काशन की तारीख से एक वषर् की अविध के भीतर इस धारा के अधीन अिधिनणर्य देगा
और यिद उस अविध के भीतर कोई अिधिनणर्य नह िदया जाता है तो भूिम के अजर्न के िलए संपूणर् कायर्वािहयां व्यपगत हो जाएंगी :
परं तु सक्षम पर्ािधकारी, पिरसीमा की अविध की समािप्त के पश्चात्, यिद उसका यह समाधान हो जाता है िक िवलंब
अपिरहायर् पिरिस्थितय के कारण और उन कारण से, जो लेखब िकए जाएंग,े हुआ है तो वह छह मास की िवस्तािरत अविध के भीतर
अिधिनणर्य दे सके गा :
परं तु यह और िक जहां अिधिनणर्य िवस्तािरत अविध के भीतर िकया जाता है, वहां हकदार व्यिक्त को, न्याय के िहत म,
इस पर्कार िवस्तािरत अविध के पर्त्येक मास, अिधिनणर्य करने म िवलंब के िलए, अिधिनणर्य के मूल्य के पांच पर्ितशत से अन्यून की दर
से ऐसे िवलंब के पर्त्येक मास के िलए अितिरक्त पर्ितकर का संदाय िकया जाएगा ।
(3) जहां िकसी भूिम पर उपयोक्ता का अिधकार या सुखाचार की पर्कृ ित का कोई अिधकार, इस अिधिनयम के अधीन अिजत
िकया जाता है, वहां स्वामी और ऐसे िकसी अन्य व्यिक्त को, िजसका उस भूिम म उपभोग का अिधकार, ऐसे अजर्न के कारण िकसी भी
रीित म पर्भािवत हुआ है, उस भूिम के िलए, उपधारा (1) के अधीन अवधािरत रकम के दस पर्ितशत पर पिरकिलत रकम का संदाय
िकया जाएगा ।
11

(4) सक्षम पर्ािधकारी, यथािस्थित, उपधारा (1) या उपधारा (3) के अधीन रकम का अवधारण करने के िलए अगर्सर होने
से पूव,र् दो स्थानीय समाचारपतर् म पर्कािशत ऐसी लोक सूचना देगा, िजनम से एक जन भाषा म होगा, िजसम अिजत की जाने वाली
भूिम म िहतब सभी व्यिक्तय से दावे आमंितर्त िकए जाएंगे ।
(5) ऐसी सूचना म भूिम की िविशिष्टयां विणत ह गी और उस भूिम म िहतब सभी व्यिक्तय से व्यिक्तगत रूप से या
धारा 20घ की उपधारा (2) म िनिदष्ट िकसी अिभकतार् या िकसी िविध व्यवसायी के माध्यम से, िकसी भी समय और स्थान पर,
सक्षम पर्ािधकारी के समक्ष हािजर होने और उस भूिम म अपने-अपने िहत की पर्कृ ित का कथन करने की अपेक्षा की जाएगी ।
(6) यिद, यथािस्थित, उपधारा (1) या उपधारा (3) के अधीन सक्षम पर्ािधकारी ारा अवधािरत रकम, िकसी पक्षकार को
स्वीकायर् नह है तो वह रकम, िकसी भी पक्षकार ारा आवेदन िकए जाने पर, के न्दर्ीय सरकार ारा िनयुक्त िकए जाने वाले मध्यस्थ
ारा ऐसी रीित म, जो िविहत की जाए अवधािरत की जाएगी ।
(7) इस अिधिनयम के उपबंध के अधीन रहते हुए, माध्यस्थम् और सुलह अिधिनयम, 1996 (1996 का 26) के उपबंध,
इस अिधिनयम के अधीन पर्त्येक माध्यस्थम् को लागू ह गे ।
(8) सक्षम पर्ािधकारी या मध्यस्थ, यथािस्थित, उपधारा (1) या उपधारा (6) के अधीन पर्ितकर की रकम का अवधारण
करते समय, िनम्निलिखत को ध्यान म रखेगा––
(क) धारा 20क के अधीन अिधसूचना के पर्काशन की तारीख को भूिम का बाजार मूल्य ;
(ख) भूिम का कब्जा लेने के समय, अन्य भूिम से ऐसी भूिम को अलग करने के कारण, िहतब िक्त को
हुआ नुकसान, यिद कोई हो ;
(ग) भूिम का कब्जा लेने के समय, िहतब व्यिक्त को उसकी अन्य स्थावर संपि या उसके उपाजर्न को िकसी रीित
म हािनकर रूप से पर्भािवत करने वाले अजर्न के कारण हुआ नुकसान, यिद कोई हो ;
(घ) यिद, भूिम के अजर्न के पिरणामस्वरूप, िहतब व्यिक्त अपने िनवास या कारबार के स्थान को पिरवितत करने
के िलए बाध्य होता है तो ऐसे पिरवतर्न से आनुषंिगक युिक्तयुक्त व्यय, यिद कोई हो ।
(9) भूिम के बाजार मूल्य के अितिरक्त िजसका ऊपर उपबंध िकया गया है, यथािस्थित, सक्षम पर्ािधकारी या मध्यस्थ,
पर्त्येक मामले म, अजर्न की अिनवायर् पर्कृ ित के पर्ितफलस्वरूप ऐसे बाजार मूल्य पर साठ पर्ितशत की रािश पर्दान करे गा ।
20छ. भूिम के बाजार मूल्य के अवधारण के िलए मापदंड––(1) सक्षम पर्ािधकारी, भूिम के बाजार मूल्य का िनधार्रण और
अवधारण करने म िनम्निलिखत मापदंड अपनाएगा,––
(i) उस क्षेतर् म, जहां भूिम िस्थत है, िवकर्य िवलेख के रिजस्टर्ीकरण के िलए भारतीय स्टांप अिधिनयम,
1899 (1899 का 2) म िविनिदष्ट न्यूनतम भूिम मूल्य, यिद कोई हो ; या
(ii) उस गर्ाम म या आसपास, जहां उच्चतर कीमत संद की गई है, िस्थत उसी पर्कार की भूिम के िलए,
पूवर्वत तीन वष के दौरान रिजस्टर्ीकृ त िवकर्य िवलेख के पचास पर्ितशत से अन्यून से अिभिनिश्चत, िवकर्य कीमत
का औसत,
इनम से जो भी अिधक हो ।
(2) जहां उपधारा (1) के उपबंध, िनम्निलिखत िकसी कारण से लागू नह होते ह िक,––
(i) भूिम ऐसे क्षेतर् म िस्थत है, जहां भूिम म संव्यवहार उस क्षेतर् म तत्समय पर्वृ िकसी अन्य िविध ारा या उसके
अधीन िनबर्ंिधत ह ; या
(ii) उपधारा (1) के खंड (i) म यथाविणत उसी पर्कार की भूिम के संबंध म पूवर्वत तीन वष के रिजस्टर्ीकृ त िवकर्य
िवलेख उपलब्ध नह ह ; या
(iii) समुिचत पर्ािधकारी ारा भारतीय स्टांप अिधिनयम, 1899 (1899 का 2) के अधीन न्यूनतम भूिम मूल्य
िविनिदष्ट नह िकया गया है,
वहां, संबंिधत राज्य सरकार, लगे हुए क्षेतर् म या आसपास, जहां उच्चतर कीमत संद की गई है, िस्थत उसी पर्कार की भूिम के िलए,
संद औसत उच्चतर कीमत पर आधािरत उक्त भूिम की पर्ित यूिनट क्षेतर् न्यूनतम कीमत जो पूवर्वत तीन वष के दौरान रिजस्टर्ीकृ त
िवकर्य िवलेख के पचास पर्ितशत से अन्यून अिभिनिश्चत की गई हो, िविनिदष्ट करे गी और सक्षम पर्ािधकारी तद्नुसार भूिम का मूल्य
पिरकिलत कर सके गा ।
(3) सक्षम पर्ािधकारी, इस अिधिनयम के अधीन अिजत की गई भूिम का बाजार मूल्य िनधार्िरत और अवधािरत करने से पूवर्,
अिजत की जा रही भूिम के बाजार मूल्य का अवधारण करने के पर्योजन के िलए,––
(क) उस भूिम के आशियत भूिम उपयोग का पर्वगर् अिभिनिश्चत करे गा ; और
12

(ख) लगे हुए क्षेतर् या आसपास के आशियत पर्वगर् की भूिम का मूल्य ध्यान म रखेगा ।
(4) उस भूिम या भवन से, िजसको अिजत िकया जाना है, संलग्न भवन और अन्य स्थावर संपि या आिस्तय का बाजार
मूल्य अवधािरत करने म, सक्षम पर्ािधकारी िकसी सक्षम इं जीिनयर या सुसंगत क्षेतर् म िकसी अन्य िवशेषज्ञ की, जो सक्षम पर्ािधकारी
ारा आवश्यक समझा जाए, सेवा का उपयोग कर सके गा ।
(5) सक्षम पर्ािधकारी, वृक्ष और पौध का मूल्य अवधािरत करने के पर्योजन के िलए, कृ िष, वािनकी, उ ानकृ िष,
रे शम-उत्पादन के क्षेतर् म या िकसी अन्य क्षेतर् म, जो उसके ारा आवश्यक समझा जाए, अनुभवी व्यिक्तय की सेवा का उपयोग
कर सके गा ।
(6) भूिम अजर्न कायर्वािहय की पर्िकर्या के दौरान नष्ट हुई खड़ी फसल का मूल्य अवधािरत करने के पर्योजन के िलए,
सक्षम पर्ािधकारी, कृ िष के क्षेतर् म ऐसे अनुभवी व्यिक्तय की सेवा का उपयोग कर सके गा, जो वह आवश्यक समझे ।
20ज. रकम का िनक्षेप और संदाय––(1) धारा 20च के अधीन अवधािरत रकम, के न्दर्ीय सरकार ारा भूिम का कब्जा लेने
से पूवर्, सक्षम पर्ािधकारी के पास, ऐसी रीित म जमा की जाएगी, जो उस सरकार ारा िविहत की जाए ।
(2) सक्षम पर्ािधकारी उपधारा (1) के अधीन रकम जमा कर िदए जाने के पश्चात्, यथाशीघर्, के न्दर्ीय सरकार की ओर से रकम
का संदाय उसके िलए हकदार व्यिक्त या व्यिक्तय को करे गा ।
(3) जहां अनेक व्यिक्त उपधारा (1) के अधीन जमा की गई रकम म, िहतब होने का दावा करते ह, वहां सक्षम पर्ािधकारी
उन व्यिक्तय का अवधारण करे गा, जो उसकी राय म उनम से पर्त्येक को संदय
े रकम पर्ाप्त करने के िलए हकदार ह ।
(4) यिद रकम या उसके िकसी भाग के पर्भाजन या िकसी व्यिक्त के बारे म कोई िववाद उत्पन्न होता है, िजसको वह या
उसका भाग संदय
े है तो सक्षम पर्ािधकारी िववाद को मूल अिधकािरता वाले उस पर्धान िसिवल न्यायालय के िविनश्चय के िलए भेजग
े ा,
िजसकी अिधकािरता की सीमा के भीतर भूिम अविस्थत है ।
(5) जहां मध्यस्थ ारा धारा 20च के अधीन अवधािरत रकम, सक्षम पर्ािधकारी ारा अवधािरत रकम से अिधक है,
वहां मध्यस्थ धारा 20झ के अधीन कब्जा लेने की तारीख से उसके वास्तिवक िनक्षेप की तारीख तक, ऐसी अिधक रकम पर नौ पर्ितशत
वािषक की दर से ब्याज िदला सके गा ।
(6) जहां मध्यस्थ ारा अवधािरत रकम, सक्षम पर्ािधकारी ारा अवधािरत रकम से अिधक है, वहां अिधक रकम,
उपधारा (5) के अधीन िदए गए ब्याज के साथ, यिद कोई हो, के न्दर्ीय सरकार ारा, ऐसी रीित म सक्षम पर्ािधकारी के पास जमा
की जाएगी, जो उस सरकार ारा िविहत की जाए और उपधारा (2) से उपधारा (4) के उपबंध ऐसे िनक्षेप को लागू ह गे ।
20झ. कब्जा लेने की शिक्त––(1) जहां कोई भूिम धारा 20ङ की उपधारा (2) के अधीन के न्दर्ीय सरकार म िनिहत हो गई है
और उस भूिम की बाबत धारा 20च के अधीन सक्षम पर्ािधकारी ारा अवधािरत रकम को धारा 20ज की उपधारा (1) के अधीन,
के न्दर्ीय सरकार ारा सक्षम पर्ािधकारी को जमा कर िदया गया है, वहां सक्षम पर्ािधकारी, िलिखत सूचना ारा, स्वामी और ऐसे िकसी
अन्य व्यिक्त को, िजसके कब्जे म वह भूिम हो, सूचना की तामील से साठ िदन की अविध के भीतर सक्षम पर्ािधकारी या इस िनिम
उसके ारा सम्यक् रूप से पर्ािधकृ त िकसी व्यिक्त को उसका कब्जा अभ्यिपत या पिरद करने का िनदेश दे सके गा ।
(2) यिद कोई व्यिक्त उपधारा (1) के अधीन िदए गए िकसी िनदेश का अनुपालन करने से इं कार करे गा या उसम असफल
रहेगा तो सक्षम पर्ािधकारी,––
(क) यिद कोई भूिम, महानगर क्षेतर् के भीतर आने वाले िकसी क्षेतर् म िस्थत है तो पुिलस आयुक्त को
आवेदन करे गा ;
(ख) यिद कोई भूिम खंड (क) म िनिदष्ट क्षेतर् से िभन्न िकसी क्षेतर् म िस्थत है तो िजले के कलक्टर को
आवेदन करे गा,
और, यथािस्थित, ऐसा आयुक्त या कलक्टर, सक्षम पर्ािधकारी को या उसके ारा सम्यक् रूप से पर्ािधकृ त व्यिक्त को भूिम का
अभ्यपर्ण कराएगा ।
20ञ. जहां भूिम के न्दर्ीय सरकार म िनिहत हो गई है वहां भूिम म पर्वेश करने का अिधकार––जहां भूिम धारा 20ङ के अधीन
के न्दर्ीय सरकार म िनिहत हो गई है, वहां इस िनिम के न्दर्ीय सरकार ारा पर्ािधकृ त िकसी व्यिक्त के िलए िवशेष रे ल पिरयोजना या
उसके भाग के िनमार्ण, अनुरक्षण, पर्बंध या पर्चालन या उससे संब कोई अन्य कायर् करने के िलए भूिम म पर्वेश करना और भूिम पर
आवश्यक अन्य कायर् करना िविधपूणर् होगा ।
20ट. सक्षम पर्ािधकारी को िसिवल न्यायालय की कितपय शिक्तयां होना––सक्षम पर्ािधकारी को, इस अिधिनयम के पर्योजन
के िलए, िनम्निलिखत िवषय की बाबत, िसिवल पर्िकर्या संिहता, 1908 (1908 का 5) के अधीन िकसी वाद का िवचारण करते समय,
िसिवल न्यायालय की सभी शिक्तयां ह गी, अथार्त् :––
(क) िकसी व्यिक्त को समन करना और हािजर कराना और शपथ पर उसकी परीक्षा करना ;
13

(ख) िकसी दस्तावेज के पर्कटीकरण और उसके पेश िकए जाने की अपेक्षा करना ;
(ग) शपथपतर् पर सा य गर्हण करना ;
(घ) िकसी न्यायालय या कायार्लय से िकसी लोक अिभलेख की अध्यपेक्षा करना ;
(ङ) सािक्षय की परीक्षा के िलए कमीशन िनकालना ।
20ठ. भूिम का उस पर्योजन के िलए उपयोग, िजसके िलए वह अिजत की गई––(1) इस अिधिनयम के अधीन अिजत भूिम को
लोक पर्योजन के िलए ही और के न्दर्ीय सरकार का पूवर् अनुमोदन पर्ाप्त करने के पश्चात् ही अंतिरत िकया जाएगा और न िक िकसी अन्य
पर्योजन के िलए ।
(2) जब, इस अिधिनयम के अधीन अिजत कोई भूिम या उसका भाग, कब्जा लेने की तारीख से पांच वषर् की अविध के िलए
अनुपयोिजत रहेगा तो उसे उ रभोगी ारा के न्दर्ीय सरकार को वापस कर िदया जाएगा ।
20ड. िकसी भूिम की कीमत के अंतर म, जब उच्चतर पर्ितफल के िलए अंतिरत की गई हो, भू-स्वािमय के साथ
िहस्सा बंटाना––जब कभी इस अिधिनयम के अधीन अिजत िकसी भूिम को पर्ितफल के िलए िकसी व्यिक्त को अंतिरत िकया जाता है,
तब अजर्न खचर् और पर्ाप्त पर्ितफल म अंतर के अस्सी पर्ितशत म, जो िकसी भी दशा म अजर्न खचर् से कम नह होगा, उन व्यिक्तय ,
िजनसे भूिम अिजत की गई थी या उनके वािरस के बीच उस मूल्य के अनुपात म िहस्सा बांटा जाएगा, िजस पर भूिम अिजत की गई थी
और उस पर्योजन के िलए, एक पृथक् िनिध रखी जाएगी, जो सक्षम पर्ािधकारी ारा उस रीित म पर्शािसत की जाएगी, जो के न्दर्ीय
सरकार ारा िविहत की जाए ।
20ढ. भूिम अजर्न अिधिनयम 1894 का 1 का लागू न होना––भूिम अजर्न अिधिनयम, 1894 की कोई बात इस अिधिनयम के
अधीन िकसी अजर्न को लागू नह होगी ।
20ण. राष्टर्ीय पुनवार्स और पुन व र् स्थापन नीित, 2007 का भूिम अजर्न के कारण पर्भािवत व्यिक्तय को
लागू होना––भारत सरकार के गर्ामीण िवकास मंतर्ालय ारा संख्या एफ० 26011/4/2007-एल०आर०डी०, तारीख 31 अक्तूबर, 2007
के अधीन पिरयोजना पर्भािवत कु टुंब के िलए अिधसूिचत राष्टर्ीय पुनवार्स और पुनव्यर्वस्थापन नीित, 2007 के उपबंध इस अिधिनयम
के अधीन के न्दर्ीय सरकार ारा भूिम के अजर्न के संबंध म लागू ह गे ।
20त. इस अध्याय के िवषय की बाबत िनयम बनाने की शिक्त––(1) के न्दर्ीय सरकार, इस अध्याय के पर्योजन को कायार्िन्वत
करने के िलए िनयम अिधसूचना ारा, बना सके गी ।
(2) िविशष्टतया और पूवर्गामी शिक्त की व्यापकता पर पर्ितकू ल पर्भाव डाले िबना, ऐसे िनयम म िनम्निलिखत सभी
या िकन्ह िवषय के िलए उपबंध िकया जा सके गा, अथार्त् :––
(क) धारा 20च की उपधारा (6) के अधीन मध्यस्थ की िनयुिक्त की रीित ;
(ख) वह रीित, िजसम धारा 20ज की उपधारा (1) और उपधारा (6) के अधीन सक्षम पर्ािधकारी के पास रकम जमा
की जाएगी ;
(ग) धारा 20ड के पर्योजन के िलए पृथक् िनिध रखने और उसके पर्शासन की रीित ।]
अध्याय 5

रे ल का चालू िकया जाना


21. रे ल चालू िकए जाने के िलए के न्दर्ीय सरकार की मंजरू ी––याितर्य के सावर्जिनक वहन के िलए कोई भी रे ल तब तक चालू
नह की जाएगी जब तक के न्दर्ीय सरकार ने उस पर्योजन के िलए उसके चालू िकए जाने की मंजूरी, आदेश ारा, न दे दी हो ।
22. िकसी रे ल के चालू िकए जाने की मंजरू ी देने से पूवर् औपचािरकता का अनुपालन िकया जाना––(1) के न्दर्ीय सरकार
धारा 21 के अधीन िकसी रे ल के चालू िकए जाने की अपनी मंजूरी देने से पूवर् आयुक्त से यह िरपोटर् अिभपर्ाप्त करे गी, िक––
(क) उसने रे ल और चल स्टाक का, िजसका उस पर उपयोग िकया जा सकता है, सावधानी से िनरीक्षण कर
िलया है ;
(ख) के न्दर्ीय सरकार ने जो गितमान और िस्थर िवस्तार अिधकिथत िकए ह, उनका अितलंघन नह हुआ है ;
(ग) रे ल की लाइन की संरचना, धुर की मजबूती, संकम का साधारण संरचनात्मक स्वरूप और िकसी चल स्टाक
के धुर का आकार और उन पर का अिधकतम कु ल भार के न्दर्ीय सरकार ारा अिधकिथत अपेक्षा के अनुरूप है ; और
(घ) उसकी राय म रे ल को उसका उपयोग करने वाली जनता के िलए िकसी खतरे के िबना, याितर्य के सावर्जिनक
वहन के िलए चालू िकया जा सकता है ।
14

(2) यिद आयुक्त की यह राय है िक रे ल को उसका उपयोग करने वाली जनता के िलए िबना िकसी खतरे के चालू नह िकया
जा सकता है तो वह अपनी िरपोटर् म इसके आधार को तथा उन अपेक्षा को भी, िजनका उसकी राय म के न्दर्ीय सरकार ारा मंजूरी
िदए जाने के पूवर् अनुपालन िकया जाना है, अिधकिथत करे गा ।
(3) के न्दर्ीय सरकार, आयुक्त की िरपोटर् पर िवचार करने के पश्चात् धारा 21 के अधीन रे ल के उसी रूप म चालू िकए जाने की
या उन शत के अधीन चालू िकए जाने की मंजूरी दे सके गी िजनको वह लोक सुरक्षा के िलए आवश्यक समझे ।
23. कु छ संकम के चालू िकए जाने के संबध ं म धारा 21 और धारा 22 का लागू होना––धारा 21 और धारा 22 के उपबन्ध
िनम्निलिखत संकम के चालू िकए जाने के संबंध म लागू ह गे यिद वे संकमर् याितर्य के सावर्जिनक वहन के िलए उपयोग म लाई जाने
वाली रे ल के भागरूप ह या उससे पर्त्यक्षत: संबंिधत ह और आयुक्त ारा धारा 22 के अधीन िरपोटर् के िदए जाने के पश्चात् सिन्निमत
िकए गए ह, अथार्त् :––
(क) रे ल की अितिरक्त लाइन और पथान्तर लाइन का चालू िकया जाना ;
(ख) स्टेशन , जंकशन और समतल कर्ािसग का चालू िकया जाना ;
(ग) याड को नया रूप देना और पुल का पुन: िनमार्ण करना ;
(घ) िव ुत कषर्ण का चालू िकया जाना ; और
(ङ) कोई पिरवतर्न या पुनिनमार्ण जो ऐसे िकसी संकमर् के संरचनात्मक स्वरूप पर ताित्त्वक रूप से पर्भाव डालता है
िजसको धारा 21 और धारा 22 के उपबन्ध लागू होते ह या िजस पर इस धारा ारा उनका िवस्तार िकया गया है ।
24. यातायात का अस्थायी िनलम्बन––जब िकसी रे ल लाइन पर कोई ऐसी दुघर्टना हो गई है िजसके पिरणामस्वरूप
यातायात अस्थायी तौर से रुक गया है और या तो रे ल की मूल लाइन और संकमर् अपने मूल स्तर तक पुन: स्थािपत कर िदए गए ह या
संचार के पुन:स्थापन के पर्योजन के िलए कोई अस्थायी पथान्तर बना िदया गया है तब, यथािस्थित, ऐसी पुन: स्थािपत रे ल की मूल
लाइन और संकमर् या अस्थायी पथान्तर को आयुक्त के पूवर् िनरीक्षण के िबना याितर्य के सावर्जिनक वहन के िलए िनम्निलिखत शत के
अधीन चालू िकया जा सके गा, अथार्त् :––
(क) दुघर्टना के कारण हाथ म िलए गए संकम के भारसाधक रे ल सेवक ने िलिखत रूप म यह पर्मािणत कर िदया है
िक पुन: स्थािपत रे ल की लाइन और संकम के , या स्थायी पथान्तर के , चालू िकए जाने से उसकी राय म, जनता के िलए
कोई खतरा पैदा नह होगा ; और
(ख) रे ल की लाइन और संकम के या पथान्तर के चालू िकए जाने की सूचना आयुक्त को तुरन्त भेजी जाएगी ।
25. याितर्य के सावर्जिनक वहन के िलए चालू की गई रे ल को बन्द करने की शिक्त––जहां याितर्य के सावर्जिनक वहन के
िलए चालू की गई और उपयोग म लाई गई िकसी रे ल का या उस पर उपयोग िकए जाने वाले िकसी चल स्टाक का िनरीक्षण करने के
पश्चात् आयुक्त की यह राय है िक उस रे ल या िकसी चल स्टाक के उपयोग से उसका उपयोग करने वाली जनता के िलए खतरा होगा
तो आयुक्त के न्दर्ीय सरकार को एक िरपोटर् भेजेगा, जो उस पर िनदेश दे सके गी िक––
(i) वह रे ल याितर्य के सावर्जिनक वहन के िलए बन्द कर दी जाए ; या
(ii) चल स्टाक का उपयोग बन्द कर िदया जाए ; या
(iii) उस रे ल या चल स्टाक का उपयोग याितर्य के सावर्जिनक वहन के िलए ऐसी शत के अधीन िकया जाए,
जो के न्दर्ीय सरकार लोक सुरक्षा के िलए आवश्यक समझे ।
26. बन्द रे ल का िफर से चालू िकया जाना––जब के न्दर्ीय सरकार ने धारा 25 के अधीन िकसी रे ल के बन्द िकए जाने का या
िकसी चल स्टाक के उपयोग को बन्द करने का िनदेश िदया है तो––
(क) रे ल को याितर्य के सावर्जिनक वहन के िलए तब तक िफर से चालू नह िकया जाएगा जब तक िक उसका
िनरीक्षण आयुक्त ारा नह कर िलया गया हो और िफर से चालू िकए जाने के िलए मंजूरी इस अध्याय के उपबन्ध के
अनुसार नह दे दी गई हो ; और
(ख) चल स्टाक का उपयोग तब तक नह िकया जाएगा जब तक िक उसका िनरीक्षण आयुक्त ारा नह कर िलया
गया हो और उसके पुन: उपयोग के िलए मंजूरी इस अध्याय के उपबन्ध के अनुसार नह दे दी गई हो ।
27. चल स्टाक का उपयोग––रे ल पर्शासन रे ल के सिन्नमार्ण, पर्चालन और कायर्करण के िलए ऐसे चल स्टाक का उपयोग कर
सके गा जो वह आवश्यक समझे :
परन्तु ऐसी रे ल के िकसी भाग म पहले से ही चल रहे चल स्टाक से िभन्न िडजाइन या िकस्म के िकसी चल स्टाक का उपयोग
करने से पूवर् ऐसे उपयोग के िलए के न्दर्ीय सरकार की पूवर् मंजूरी अिभपर्ाप्त की जाएगी :
15

परन्तु यह और िक के न्दर्ीय सरकार कोई ऐसी मंजूरी देने से पूवर्, आयुक्त से यह िरपोटर् अिभपर्ाप्त करे गी िक उसने चल स्टाक
का सावधानीपूवर्क िनरीक्षण कर िलया है और उसकी राय म ऐसे चल स्टाक का उपयोग िकया जा सकता है ।
28. शिक्तय का पर्त्यायोजन––के न्दर्ीय सरकार अिधसूचना ारा यह िनदेश दे सके गी िक धारा 29 को छोड़कर इस अध्याय
या उसके अधीन बनाए गए िनयम के अधीन उसकी शिक्तय और कृ त्य म से िकसी का पर्योग या िनवर्हन ऐसे िवषय के संबंध म और
ऐसी शत के अधीन, यिद कोई ह , जो अिधसूचना म िविनिदष्ट की जाएं, िकसी आयुक्त ारा भी िकया जा सके गा ।
29. इस अध्याय के िवषय की बाबत िनयम बनाने की शिक्त––(1) के न्दर्ीय सरकार इस अध्याय के पर्योजन को िकर्यािन्वत
करने के िलए, अिधसूचना ारा, िनयम बना सके गी ।
(2) िविशिष्टतया और पूवर्गामी शिक्त की व्यापकता पर पर्ितकू ल पर्भाव डाले िबना, ऐसे िनयम म िनम्निलिखत सभी या
िकन्ह िवषय के िलए उपबंध िकया जा सके गा, अथार्त् :––
(क) याितर्य के सावर्जिनक वहन के िलए रे ल के चालू िकए जाने की बाबत रे ल पर्शासन और आयुक्त के कतर्व्य ;
(ख) याितर्य के सावर्जिनक वहन के िलए, रे ल के चालू िकए जाने के पूवर्, िकए जाने वाले इन्तजाम और अनुपालन
की जाने वाली औपचािरकताएं ;
(ग) उस ढंग का, िजसम और उस गित का िजससे रे ल म उपयोग िकए जाने वाले चल स्टाक को गितमान या नोिदत
िकया जाना है, िविनयमन ;
(घ) वे मामले िजनम और वह सीमा िजस तक इस अध्याय म उपबिन्धत पर्िकर्या को त्यागा जा सके गा ।
अध्याय 6

रे ट का िनयत िकया जाना


30. रे ट िनयत करने की शिक्त––(1) के न्दर्ीय सरकार, समय-समय पर, साधारण या िवशेष आदेश ारा, याितर्य और माल के
वहन के िलए रे ट संपूणर् रे ल या उसके िकसी भाग के िलए, िनयत कर सके गी और माल के िविभन्न वग के िलए िविभन्न रे ट िनयत िकए
जा सकगे तथा ऐसे आदेश म वे शत िविनिदष्ट कर सके गी, िजनके अधीन ऐसे रे ट लागू ह गे ।
(2) के न्दर्ीय सरकार, ऐसे ही िकसी आदेश ारा ऐसे वाहन के आनुषंिगक या उनसे संबंिधत िकन्ह अन्य पर्भार के ,
िजनके अन्तगर्त संपूणर् रे ल या उसके िकसी भाग पर डेमरे ज और स्थान भाड़ा भी है, रे ट िनयत कर सके गी तथा ऐसे आदेश म वे शत
िविनिदष्ट कर सके गी िजनके अधीन ऐसे रे ट लागू ह गे ।
31. वस्तु को वग कृ त करने या रे ट म पिरवतर्न करने की शिक्त––के न्दर्ीय सरकार को,––
(क) िकसी वस्तु को उसके वहन के िलए पर्भािरत िकए जाने वाले रे ट का अवधारण करने के पर्योजन के िलए
वग कृ त या पुन: वग कृ त करने की ; और
(ख) वगर् रे ट और अन्य पर्भार को, बढ़ाने या घटाने की,
शिक्त होगी ।
32. कितपय रे ट पर्भािरत करने की रे ल पर्शासन की शिक्त––इस अध्याय म िकसी बात के होते हुए भी, रे ल पर्शासन िकसी
वस्तु के वहन के बारे म और ऐसी शत के अधीन रहते हुए, जो िविनिदष्ट की जाएं––
(क) स्टेशन से स्टेशन तक का रे ट उत्किथत कर सके गा ;
(ख) स्टेशन से स्टेशन तक के ऐसे रे ट को, जो अिधकरण ारा बनाए गए िकसी आदेश के अनुपालन म आरम्भ िकया
गया स्टेशन से स्टेशन तक का रे ट नह है, के न्दर्ीय सरकार ारा अवधािरत रीित म सम्यक् सूचना के पश्चात् बढ़ा या घटा
सके गा या र कर सके गा ;
(ग) स्टेशन से स्टेशन तक के रे ट से संलग्न ऐसी शत को, जो अिधकरण ारा बनाए गए आदेश के अनुपालन म लागू
की गई शत से िभन्न शत ह , वापस ले सके गा, अथवा उनम पिरवतर्न कर सके गा या संशोधन कर सके गा ; और
(घ) कोई एक मुश्त रे ट पर्भािरत कर सके गा ।
अध्याय 7

रे ल रे ट अिधकरण
33. रे ल रे ट का अिधकरण का गठन––(1) इस अध्याय म िविनिदष्ट कृ त्य के िनवर्हन के पर्योजन के िलए एक अिधकरण होगा
जो रे ल रे ट अिधकरण के नाम से ज्ञात होगा ।
(2) अिधकरण म एक अध्यक्ष और दो अन्य सदस्य ह गे जो के न्दर्ीय सरकार ारा िनयुक्त िकए जाएंगे ।
16

(3) कोई व्यिक्त अिधकरण के अध्यक्ष के रूप म िनयुिक्त के िलए तब तक अहर् नह होगा जब तक िक वह उच्चतम न्यायालय
या िकसी उच्च न्यायालय का न्यायाधीश नह है या नह रहा है और अिधकरण के अन्य दो सदस्य म से एक व्यिक्त ऐसा होगा िजसे,
के न्दर्ीय सरकार की राय म, देश की वािणिज्यक, औ ोिगक या आिथक पिरिस्थितय का िवशेष ज्ञान है और दूसरा ऐसा होगा िजसे
के न्दर्ीय सरकार की राय म रे ल के वािणिज्यक कायर्करण का िवशेष ज्ञान और अनुभव है ।
(4) अिधकरण का अध्यक्ष और अन्य सदस्य पांच वषर् से अनिधक की उतनी अविध के िलए पद धारण करगे जो िविहत
की जाए ।
(5) यिद अध्यक्ष या कोई अन्य सदस्य अंग शैिथल्य के कारण या अन्यथा अपने कतर्व्य का पालन करने म असमथर् हो जाता है
अथवा छु ी पर या अन्यथा ऐसी पिरिस्थितय म अनुपिस्थत है िजनम उसका पद िरक्त न हो तो के न्दर्ीय सरकार उसकी अनुपिस्थित के
दौरान उसके स्थान पर कायर् करने के िलए िकसी अन्य व्यिक्त को िनयुक्त कर सके गी ।
(6) कोई व्यिक्त जो अिधकरण के अध्यक्ष या अन्य सदस्य के रूप म पद धारण करता है, अपने पद की अविध की समािप्त पर
(जो आकिस्मक िरिक्त भरने के िलए पद नह है) उस पद पर पुनिनयुिक्त के िलए अपातर् होगा ।
(7) उपधारा (5) और उपधारा (6) के उपबंध के अधीन रहते हुए, अिधकरण का अध्यक्ष और अन्य सदस्य पद को ऐसे
िनबंधन और शत पर धारण करगे, जो िविहत की जाएं ।
(8) अिधकरण का कोई कायर् या कायर्वाही के वल इस कारण अिविधमान्य नह होगी िक––
(क) अिधकरण म कोई िरिक्त या उसके गठन म कोई तर्ृिट है, या
(ख) अिधकरण के अध्यक्ष या अन्य सदस्य के रूप म कायर् करने वाले व्यिक्त की िनयुिक्त म कोई तर्ुिट है ।
34. अिधकरण के कमर्चािरवृन्द––(1) अिधकरण के न्दर्ीय सरकार के पूवर् अनुमोदन से ऐसे अिधकािरय और कमर्चािरय को
िनयुक्त कर सके गा जो वह इस अध्याय के अधीन अपने कृ त्य के दक्ष िनवर्हन के िलए आवश्यक समझे ।
(2) अिधकरण के अिधकािरय और कमर्चािरय की सेवा के िनबंधन और शत वे ह गी, जो िविनयम ारा अवधािरत
की जाएं ।
35. अिधकरण की बैठक––अिधकरण की बैठक ऐसे स्थान या स्थान पर की जा सकगी, जो उसे अपने कारबार के संव्यवहार
के िलए सुिवधाजनक लग ।
36. रे ल पर्शासन के िवरु पिरवाद––ऐसा कोई पिरवाद िक रे ल पर्शासन––
(क) धारा 70 के उपबंध का उल्लंघन कर रहा है ; या
(ख) दो स्टेशन के बीच िकसी वस्तु के वहन के िलए ऐसा रे ट पर्भािरत कर रहा है जो अनुिचत है ; या
(ग) कोई ऐसा अन्य पर्भार जो अनुिचत है, उद्गृहीत कर रहा है,
अिधकरण से िकया जा सके गा और अिधकरण िकसी ऐसे पिरवाद को इस अध्याय के उपबंध के अनुसार सुनेगा और िविनिश्चत करे गा ।
37. िवषय जो अिधकरण की अिधकािरता के भीतर नह ह––इस अध्याय की कोई बात िनम्निलिखत के संबंध म अिधकरण
को अिधकािरता पर्दान नह करे गी––
(क) िकसी वस्तु का वग करण या पुन: वग करण ;
(ख) स्थान भाड़े और डेमरे ज पर्भार का (िजनके अंतगर्त ऐसे पर्भार से संलग्न शत भी ह) िनयतन ;
(ग) याितर्य के वहन के िलए उद्गृहीत िकराए और सामान, पासर्ल, रे ल सामगर्ी और सैिनक यातायात के वहन के
िलए भाड़े का िनयतन ;
(घ) एकमुश्त रे ट का िनयतन ।
38. अिधकरण की शिक्तयां––(1) अिधकरण को शपथ पर सा य लेन,े सािक्षय को हािजर कराने, दस्तावेज के पर्कटीकरण
और पेश िकए जाने के िलए िववश करने, सािक्षय की परीक्षा के िलए कमीशन िनकालने और पुनिवलोकन के पर्योजन के िलए
िसिवल पर्िकर्या संिहता, 1908 (1908 का 5) के अधीन िसिवल न्यायायल की शिक्तयां ह गी और उसे दण्ड पर्िकर्या संिहता,
1973 (1974 का 2) की धारा 195 और अध्याय 35 के सभी पर्योजन के िलए िसिवल न्यायालय समझा जाएगा और ऐसी धारा या
अध्याय म िकसी न्यायालय के पीठासीन अिधकारी के पर्ित िकसी िनदश की बाबत यह समझा जाएगा िक उसके अन्तगर्त अिधकरण के
अध्यक्ष के पर्ित िनदश है ।
(2) अिधकरण को ऐसे अंतिरम और अंितम आदेश, िजनके अन्तगर्त खच के संदाय के िलए आदेश भी ह, जो पिरिस्थितय म
अपेिक्षत हो पािरत करने की शिक्त होगी ।
17

39. अिधकरण को िनदश––धारा 37 म िकसी बात के होते हुए भी, के न्दर्ीय सरकार, उस धारा म िविनिदष्ट िवषय म से
िकसी के बारे म अिधकरण को िनदश कर सके गी और जहां कोई ऐसा िनदश िकसी ऐसे िवषय के बारे म िकया जाता है वहां अिधकरण
उस मामले की जांच करे गा और उस बाबत अपनी िरपोटर् के न्दर्ीय सरकार को पर्स्तुत करे गा ।
40. के न्दर्ीय सरकार ारा सहायता––(1) के न्दर्ीय सरकार अिधकरण को ऐसी सहायता देगी िजसकी वह अपेक्षा करे और
उसको ऐसी जानकारी भी देगी जो के न्दर्ीय सरकार के कब्जे म है और िजसे वह सरकार अिधकरण के समक्ष िकसी िवषय से
सुसंगत समझे ।
(2) के न्दर्ीय सरकार ारा इस िनिम सम्यक् रूप से पर्ािधकृ त कोई व्यिक्त अिधकरण के समक्ष िकन्ह कायर्वािहय म हािजर
होने और सुने जाने का हकदार होगा ।
41. सबूत, आिद का भार––धारा 36 के खण्ड (क) के अधीन िकसी पिरवाद के मामले म,––
(क) जब भी कभी यह िदखाया जाता है िक रे ल पर्शासन िकसी एक व्यापारी या व्यापािरय के िकसी वगर् से या
िकसी स्थानीय क्षेतर् म व्यापािरय से उसी या वैसे ही माल के िलए िनम्नतर रेट पर्भािरत करता है या उन्ह या वैसी ही
सेवा के िलए उन पर्भार से िनम्नतर पर्भार लेता है जो वह िकसी अन्य स्थानीय क्षेतर् म अन्य व्यापािरय से लेता है, तब यह
सािबत करने का भार रे ल पर्शासन पर होगा िक ऐसा िनम्नतर रे ट या पर्भार असम्यक् अिधमान नह है ;
(ख) यह िविनश्चय करने म िक कोई िनम्नतर रे ट या पर्भार असम्यक् अिधमान नह है अिधकरण उस मामले पर
पर्भाव डालने वाली िकसी अन्य बात के अितिरक्त इस बात पर भी िवचार करे गा िक क्या ऐसा िनम्नतर रे ट या पर्भार लोक
िहत म आवश्यक है ।
42. अिधकरण का िविनश्चय आिद––अिधकरण के िविनश्चय या आदेश आसीन सदस्य के बहुमत से ह गे और वे
अिन्तम ह गे ।
43. न्यायालय की अिधकािरता का वजर्न––िकसी ऐसे िवषय के संबंध म, िजसके बारे म अिधकरण कारर् वाई करने या
िविनश्चय करने के िलए इस अध्याय के अधीन सशक्त है, न तो कोई वाद संिस्थत िकया जाएगा न ही कोई कायर्वाही की जाएगी ।
44. अनुतोष जो अिधकरण मंजरू कर सके गा––धारा 36 के खण्ड (ख) या खण्ड (ग) के अधीन िकए गए िकसी पिरवाद की
दशा म, अिधकरण––
(i) ऐसी तारीख से जो वह उिचत समझे और जो पिरवाद के फाइल िकए जाने की तारीख से पहले की तारीख
नह हो, ऐसे रे ट या पर्भार िनयत कर सके गा जो वह युिक्तयुक्त समझे ;
(ii) खण्ड (i) के अधीन अिधकरण ारा िनयत रे ट या पर्भार से अिधक रकम के , यिद कोई हो, पर्ितदाय का िनदेश
दे सके गा ।
45. अिधकरण ारा िदए गए िविनश्चय का पुनरीक्षण––जहां कोई रे ल पर्शासन यह समझता है िक अिधकरण ारा
िविनश्चय िकए जाने की तारीख से उन पिरिस्थितय म िजन पर वह आधािरत था, सारवान् पिरवतर्न हो गया है वहां, वह ऐसी तारीख
से एक वषर् की समािप्त के पश्चात् अिधकरण को आवेदन कर सके गा और अिधकरण ऐसी जांच करने के पश्चात्, जो वह
आवश्यक समझे, िविनश्चय म फे रफार कर सके गा या उसका पर्ितसंहरण कर सके गा ।
46. अिधकरण के िविनश्चय या आदेश का िनष्पादन––अिधकरण अपने ारा िकए गए िकसी िविनश्चय या आदेश को
स्थानीय अिधकािरता रखने वाले िकसी िसिवल न्यायालय को भेज सके गा और ऐसा िसिवल न्यायालय ऐसे िविनश्चय या आदेश को
उसी पर्कार िनष्पािदत करे गा मानो वह उस न्यायालय ारा की गई कोई िडकर्ी हो ।
47. कदर्ीय सरकार को िरपोटर्––अिधकरण इस अध्याय के अधीन अपनी सभी कायर्वािहय की िरपोटर् पर्ित वषर् के न्दर्ीय
सरकार को पर्स्तुत करे गा ।
48. अिधकरण की िविनयम बनाने की शिक्त––(1) अिधकरण, कदर्ीय सरकार के पूवर् अनुमोदन से, और इस अध्याय के अधीन
अपने कृ त्य के पर्भावी िनवर्हन के िलए अपनी पर्िकर्या को साधारणतया िविनयिमत करने के िलए इस अिधिनयम और िनयम से संगत
िविनयम बना सके गा ।
(2) िविशष्टतया और पूवर्गामी शिक्त की व्यापकता पर पर्ितकू ल पर्भाव डाले िबना ऐसे िविनयम म िनम्निलिखत सभी या
िकन्ह िवषय के िलए उपबंध िकया जा सके गा, अथार्त् :––
(क) अिधकरण के अिधकािरय और कमर्चािरय की सेवा के िनबंधन और शत ;
(ख) अिधकरण ारा अपने समक्ष की िकन्ह कायर्वािहय म खचार् अिधिनण त करना ;
(ग) अिधकरण के िकसी सदस्य या िकसी अिधकारी या अिधकरण ारा िनयुक्त िकसी अन्य व्यिक्त को,
स्थानीय जांच करने के पश्चात् िरपोटर् देने के िलए, िकसी पर्श्न का िनदश ;
18

(घ) अिधकरण के समक्ष सुनवाई का अिधकार, परं तु कोई भी पक्षकार व्यिक्तगत रूप से या िलिखत रूप म सम्यक्
रूप से पर्ािधकृ त पर्ितिनिध ारा या िविध व्यवसायी ारा सुने जाने के िलए हकदार होगा ;
(ङ) अिधकरण ारा अपने समक्ष िकन्ह कायर्वािहय का इस बात के होते हुए भी िनपटाया जाना िक उसके अनुकर्म
म अिधकरण के सदस्य के रूप म आसीन व्यिक्तय म पिरवतर्न हुआ है ;
(च) अिधकरण के समक्ष कायर्वािहय के िलए और उनके संबध
ं म फीस का मापमान ।
अध्याय 8

याितर्य का वहन
49. स्टेशन पर कितपय समय सारिणय और यातर्ी िकराया सारिणय का पर्दशर्न––(1) पर्त्येक रे ल पर्शासन पर्त्येक स्टेशन पर
िकसी सहजदृश्य और सुगम स्थान म िहन्दी और अंगर्ेजी म, और उस क्षेतर् की िजसम स्टेशन िस्थत है, सामान्य पर्योग की पर्ादेिशक
भाषा म भी,––
(i) गािड़य के , जो याितर्य को ले जाती ह और उस स्टेशन पर रुकती ह, आगमन और पर्स्थान की समय
सारणी, और
(ii) ऐसे स्टेशन से ऐसे अन्य स्टेशन तक जैसा वह आवश्यक समझे, यातर्ी िकराया सूिचयां,
लगवाएगा ।
(2) ऐसे पर्त्येक स्टेशन पर जहां याितर्य को िटकट जारी िकए जाते ह, पर्वृ समय-सारणी की एक पर्ित स्टेशन मास्टर के
कायार्लय म रखी जाएगी ।
50. िकराए के संदाय पर िटकट का िदया जाना––(1) रे ल सेवक या इस िनिम पर्ािधकृ त अिभकतार् रे ल से यातर्ा करने के
इच्छु क िकसी व्यिक्त को, िकराए का संदाय करने पर, एक िटकट देगा, िजसम िनम्निलिखत िविशिष्टयां ह गी, अथार्त् :––
(i) िटकट जारी करने की तारीख ;
(ii) सवारी िडब्बे का दजार् ;
(iii) वह स्थान िजससे और वह स्थान जहां तक के िलए उसे जारी िकया गया है ; और
(iv) िकराए की रकम ।
(2) पर्त्येक रे ल पर्शासन वह समय दशार्एगा िजसके दौरान िकसी स्टेशन पर िटकट िखड़िकयां याितर्य को िटकट जारी करने के
िलए खुली रखी जाएंगी ।
(3) उपधारा (1) के खंड (ii) और खंड (iii) के अधीन िटकट पर िविनिदष्ट की जाने के िलए अपेिक्षत िविशिष्टयां,––
(क) यिद वह सवारी िडब्बे के िनम्नतम दज के िलए है तो िहन्दी, अंगर्ेजी और िटकट जारी करने के स्थान पर
सामान्यत: पर्योग की जाने वाली पर्ादेिशक भाषा म ह गी ; और
(ख) यिद वह सवारी िडब्बे के िकसी अन्य दज के िलए है तो िहदी और अंगर्ेजी म ह गी :
परं तु जहां मशीनीकरण या िकसी अन्य कारण से िकसी ऐसी भाषा म ऐसी िविशिष्टय को िविनिदष्ट करना संभव नह है
वहां के न्दर्ीय सरकार ऐसी िविशिष्टय को उस भाषा म िविनिदष्ट िकए जाने से छू ट दे सके गी ।
51. उस दशा के िलए उपबंध, िजसम उस दज या रे लगाड़ी के िलए, िजसम अितिरक्त याितर्य के िलए स्थान उपलब्ध नह है,
िटकट जारी िकया गया है––(1) िटकट उस दज के सवारी िडब्बे और उस रे लगाड़ी म, िजसके िलए िटकट जारी िकया गया है, स्थान की
उपलभ्यता की शतर् पर जारी िकया गया समझा जाएगा ।
(2) यिद उस दज के सवारी िडब्बे म, िजसके िलए िटकट जारी िकया गया है, कोई स्थान उपलब्ध नह है और उसका धारक
िनम्नतर दज के सवारी िडब्बे म यातर्ा करता है, तो वह उसके ारा िदए गए िकराए और उस दज के सवारी िडब्बे के िलए, िजसम वह
यातर्ा करता है, देय िकराए के बीच के अन्तर के पर्ितदाय को अपना िटकट वापस करने पर पाने का हकदार होगा ।
52. िटकट का र करण और पर्ितदाय––यिद कोई िटकट र करण के िलए वापस िकया जाता है तो रे ल पर्शासन उसे र करे गा
और ऐसी रकम का पर्ितदाय करे गा जो िविहत की जाए ।
53. कितपय िटकट के अंतरण का पर्ितषेध––िकसी व्यिक्त के नाम म जारी िकए गए िटकट का उस व्यिक्त ारा ही उपयोग
िकया जाएगा :
परं तु इस धारा की कोई बात एक ही रे लगाड़ी से यातर्ा करने वाले याितर्य ारा सीट या शाियका के पारस्पिरक अंतरण
को िनवािरत नह करे गी :
19

परं तु यह और िक इस िनिम पर्ािधकृ त कोई रे ल सेवक ऐसे यातर्ी के , िजसने सीट या शाियका का आरक्षण कराया है, नाम के
पिरवतर्न को, ऐसी िवशेष पिरिस्थितय के अधीन, जो िविहत की जाएं, अनुज्ञात कर सके गा ।
54. पास और िटकट का पर्दशर्न और अभ्यपर्ण––पर्त्येक यातर्ी इस िनिम पर्ािधकृ त िकसी रे ल सेवक ारा मांग िकए जाने
पर अपना पास या िटकट ऐसे रे ल सेवक को यातर्ा के दौरान अथवा यातर्ा की समािप्त पर, परीक्षा के िलए पर्स्तुत करे गा और
ऐसा िटकट––
(क) यातर्ा की समािप्त पर ; या
(ख) यिद ऐसा िटकट िकसी िविनिदष्ट अविध के िलए जारी िकया गया है तो ऐसी अविध की समािप्त पर,
अभ्यिपत करे गा ।
55. पास या िटकट के िबना यातर्ा करने का पर्ितषेध––(1) कोई भी व्यिक्त रे ल के िकसी सवारी िडब्बे म, जब तक िक उसके
पास उिचत पास या िटकट न हो या उसने ऐसी यातर्ा के िलए इस िनिम पर्ािधकृ त िकसी रे ल सेवक की अनुज्ञा अिभपर्ाप्त न कर ली हो,
यातर्ी के रूप म यातर्ा करने के पर्योजन से न तो पर्वेश करे गा और न उसम रहेगा ।
(2) उपधारा (1) के अधीन अनुज्ञा पर्ाप्त करने वाला व्यिक्त उस उपधारा म िनिदष्ट रे ल सेवक से सामान्यतया यह पर्माणपतर्
पर्ाप्त करे गा िक उसे ऐसे सवारी िडब्बे म यातर्ा करने के िलए इस शतर् पर अनुज्ञा दी गई है िक वह उस दूरी के िलए िजस तक यातर्ा की
जानी है, देय िकराया बाद म देगा ।
56. संकर्ामक या सांसिगक रोग से पीिड़त व्यिक्तय का वहन करने से इं कार करने की शिक्त––(1) ऐसे संकर्ामक या
सांसिगक रोग से, जो िविहत िकए जाएं, पीिड़त कोई व्यिक्त, इस िनिम पर्ािधकृ त रे ल सेवक की अनुज्ञा के िबना रे ल के िकसी सवारी
िडब्बे म पर्वेश नह करे गा या उसम नह रहेगा या रे लगाड़ी म यातर्ा नह करे गा ।
(2) उपधारा (1) के अधीन अनुज्ञा देने वाला रे ल सेवक ऐसे रोग से पीिड़त व्यिक्त को, उन अन्य व्यिक्तय से जो रे ल म हो,
अलग करने के िलए पर्बन्ध करे गा और ऐसे व्यिक्त का रे लगाड़ी म वहन ऐसी अन्य शत के अधीन रहते हुए िकया जाएगा जो िविहत
की जाएं ।
(3) कोई व्यिक्त जो उपधारा (1) के अधीन अपेिक्षत अनुज्ञा के िबना या उपधारा (2) के अधीन िविहत िकसी शतर् के उल्लंघन
म िकसी सवारी िडब्बे म पर्वेश करे गा या उसम रहेगा या रे लगाड़ी म यातर्ा करे गा तो उस व्यिक्त और उसके साथ यातर्ा करने वाले
िक्त के पास या िटकट िकसी रे ल सेवक ारा समपहृत िकए जाने के दाियत्वाधीन ह गे और वे रे लगाड़ी से हटा िदए जाने के
दाियत्वाधीन ह गे ।
57. पर्त्येक कक्ष के िलए याितर्य की अिधकतम संख्या––कदर्ीय सरकार के अनुमोदन के अधीन रहते हुए, पर्त्येक रे ल पर्शासन
याितर्य की ऐसी अिधकतम संख्या िनयत करे गा जो हर भांित के सवारी िडब्बे के पर्त्येक कक्ष म वहन िकए जा सकगे और ऐसी िनयत
की गई संख्या को पर्त्येक कक्ष के अंदर या बाहर िहदी और अंगर्ेजी म और उन क्षेतर् म, िजनम से होकर रे ल जाती है, सामान्य पर्योग की
पर्ादेिशक भाषा म से एक या अिधक म भी, सहजदृश्य रीित से पर्दिशत करे गा ।
58. मिहला के िलए कक्ष आिद िनिश्चत करना––पर्त्येक रे ल पर्शासन, याितर्य का वहन करने वाली पर्त्येक रे लगाड़ी म,
एक कक्ष या इतनी संख्या म शाियकाएं अथवा सीट िजतनी रे ल पर्शासन उिचत समझे, मिहला के अनन्य उपयोग के िलए
िनिश्चत करे गा ।
59. याितर्य और रे लगाड़ी के भारसाधक रे ल सेवक के बीच संचार––रे ल पर्शासन याितर्य का वहन करने वाली पर्त्येक
रे लगाड़ी म याितर्य और रे लगाड़ी के भारसाधक रे ल सेवक के बीच संचार के ऐसे दक्ष साधन की व्यवस्था और उनका अनुरक्षण करे गा
जो कदर्ीय सरकार ारा अनुमोिदत िकए जाएं :
परं तु जहां रे ल पर्शासन का यह समाधान हो जाता है िक िकसी रे लगाड़ी म उपबंिधत संचार साधन का दुरुपयोग िकया जा
रहा है वहां वह उस रे लगाड़ी म ऐसे संचार साधन को ऐसी अविध या अविधय के िलए जो वह ठीक समझे, बंद करा सके गा :
परं तु यह और िक कदर्ीय सरकार उन पिरिस्थितय को िविनिदष्ट कर सके गी िजनके अधीन रे ल पर्शासन को िकसी रे लगाड़ी म
ऐसे संचार साधन की व्यवस्था करने से छू ट दी जा सकती है ।
60. इस अध्याय के िवषय की बाबत िनयम बनाने की शिक्त––(1) कदर्ीय सरकार इस अध्याय के पर्योजन को कायार्िन्वत
करने के िलए िनयम, अिधसूचना ारा, बना सके गी ।
(2) िविशष्टतया और पूवर्गामी शिक्त की व्यापकता पर पर्ितकू ल पर्भाव डाले िबना, ऐसे िनयम म िनम्निलिखत सभी या
िकन्ह िवषय के िलए उपबंध िकया जा सके गा, अथार्त् :––
(क) याितर्य के िलए सुिवधा और स्थान (िजसके अंतगर्त रेलगािड़य म सीट या शाियका का आरक्षण भी है) ;
(ख) िटकट के र करण पर पर्ितदाय की रकम ;
20

(ग) वे पिरिस्थितय िजनके अधीन उन याितर्य के , िजन्ह ने सीट या शाियका का आरक्षण कराया है, नाम म
पिरवतर्न की अनुज्ञा दी जा सके गी ;
(घ) सामान का वहन और वे शत िजनके अधीन सामान स्टेशन के यातर्ी सामान घर म रखा जा सके गा ;
(ङ) वे रोग जो संकर्ामक या सांसिगक ह ;
(च) वे शत िजनके अधीन रे ल पर्शासन संकर्ामक या सांसिगक रोग से पीिड़त याितर्य का वहन कर सके गा और वह
रीित िजसम ऐसे याितर्य ारा उपयोग म लाए गए सवारी िडब्बे रोगाणु से मुक्त िकए जा सकगे ;
(छ) साधारणत: रे ल म यातर्ा करने और रे ल का उपयोग, कायर्चालन तथा पर्बंध करने का िविनयमन करने
के िलए ।
(3) इस धारा के अधीन बनाए गए िकसी िनयम म यह उपबंध िकया जा सके गा िक उसका कोई उल्लंघन जुमार्ने से, जो पांच
सौ रुपए से अिधक नह होगा, दण्डनीय होगा ।
(4) पर्त्येक रे ल पर्शासन अपनी रे ल के पर्त्येक स्टेशन पर इस धारा के अधीन बनाए गए सभी िनयम की एक पर्ित रखेगा और
िकसी भी व्यिक्त को उसका िनरीक्षण िन:शुल्क करने की अनुज्ञा देगा ।
अध्याय 9

माल का वहन
61. माल के वहन के िलए रे ट-पुस्तक आिद रखना––पर्त्येक रे ल पर्शासन पर्त्येक स्टेशन और ऐसे अन्य स्थान पर, जहां माल
वहन के िलए पर्ाप्त िकया जाता है, रे ट पुस्तक या अन्य दस्तावेज, िजनम एक स्टेशन से दूसरे स्टेशन तक माल के वहन के िलए पर्ािधकृ त
रे ट ह गे, रखेगा और िकसी फीस के संदाय के िबना सभी युिक्तयुक्त समय के दौरान िकसी व्यिक्त ारा देखे जाने के िलए उसे
उपलबध कराएगा ।
62. माल के पर्ाप्त करने आिद के िलए शत––(1) रे ल पर्शासन िकसी माल के पर्ाप्त करने, अगर्ेिषत करने, वहन करने या
पिरद करने के संबंध म ऐसी शत अिधरोिपत कर सके गा जो इस अिधिनयम या इसके अधीन बनाए गए िकन्ह िनयम से असंगत
नह ।
(2) रे ल पर्शासन पर्त्येक स्टेशन पर और ऐसे अन्य स्थान पर जहां माल वहन के िलए पर्ाप्त िकया जाता है उपधारा (1) के
अधीन उस समय पर्वृ शत की एक पर्ित रखेगा और उसे िकसी फीस के संदाय के िबना सभी युिक्तयुक्त समय के दौरान िकसी व्यिक्त
ारा देखे जाने के िलए उसे उपलब्ध कराएगा ।
63. जोिखम रे ट का उपबंध––(1) जहां रे ल पर्शासन को वहन के िलए कोई माल स पा जाता है वहां ऐसा वहन उस दशा के
िसवाय िजसम ऐसे माल के संबधं म स्वामी-जोिखम रे ट लागू है, रे ल-जोिखम रे ट पर िकया जाएगा ।
(2) कोई माल िजसके िलए स्वामी-जोिखम रे ट और रे ल जोिखम-रे ट पर्वृ है, िकसी भी एक रे ट पर वहन के िलए स पा जा
सके गा और यिद िकसी रे ट का िवकल्प नह िकया जाता है तो वह माल स्वामी-जोिखम रे ट पर स पा गया समझा जाएगा ।
64. पर्ेषण िटप्पण––(1) रे ल पर्शासन को वहन के िलए माल स पने वाला पर्त्येक िक्त ऐसे पर्रूप म, जो कदर्ीय सरकार ारा
िविनिदष्ट िकया जाए, पर्ेषण िटप्पण िनष्पािदत करे गा :
परं तु कोई पर्ेषण िटप्पण ऐसे माल की दशा म िनष्पािदत नह िकया जाएगा जो िविहत िकया जाए ।
(2) परे षक, पर्ेषण िटप्पण म उसके ारा दी गई िविशिष्टय की शु ता के िलए उ रदायी होगा ।
(3) परे षक, पर्ेषण िटप्पण म दी गई िविशिष्टय की अशु ता या अपूणर्ता के कारण रे ल पर्शासन को हुए िकसी नुकसान के
िलए पर्शासन की क्षितपूित करे गा ।
65. रे ल रसीद––(1) रे ल पर्शासन––
(क) उस दशा म जहां माल की ऐसा माल स पने वाले व्यिक्त ारा लदाई की जानी है, ऐसी लदाई के पूरा हो
जाने पर ; और
(ख) िकसी अन्य दशा म, उसके ारा माल के स्वीकार कर िलए जाने पर,
ऐसे रूप म रे ल रसीद जारी करे गा जो कदर्ीय सरकार ारा िविहत िकया जाए ।
(2) रे ल रसीद उसम उिल्लिखत वजन और पैकेट की संख्या का पर्थमदृ ् या सा य होगी :
21

परं तु यिद परे षण वैगन-भार या रे लगाड़ी-भार म ह और वजन की या पैकैट की संख्या की जांच उस रे ल सेवक ारा,
जो इस िनिम पर्ािधकृ त है, नह की जाती है, और उसके ारा रे ल रसीद म इस आशय का कथन अिभिलिखत कर िदया जाता है, तो,
यथािस्थित, उसम उिल्लिखत वजन को या पैकेट की संख्या को सािबत करने का भार परे षक, परे िषती या पृष्ठांिकती पर होगा ।
66. माल के वणर्न से संबिं धत कथन की अपेक्षा करने की शिक्त––(1) िकसी ऐसे माल का, जो रे ल ारा वहन िकए जाने के
पर्योजन के िलए रे ल पर लाया जाता है, स्वामी या उसका भारसाधक व्यिक्त और िकसी परे षण का परे िषती या पृष्ठांिकती इस िनिम
पर्ािधकृ त िकसी रे ल सेवक के अनुरोध पर, यथािस्थित, ऐसे स्वामी या व्यिक्त या ऐसे परे िषती या पृष्ठांिकती ारा हस्ताक्षिरत िलिखत
िववरण ऐसे रे ल सेवक को पिरद करे गा, िजसम माल का ऐसा वणर्न होगा जो रेल सेवक को ऐसे वहन के िलए रेट अवधािरत करने म
समथर् बनाए ।
(2) यिद ऐसा स्वामी या व्यिक्त उपधारा (1) के अधीन अपेिक्षत िववरण देने से इं कार करता है या देने म उपेक्षा करता है और
ऐसे माल के पैकेज को, यिद रे ल सेवक ऐसी अपेक्षा करे तो, खोलने से इं कार करता है, तो रे ल पर्शासन इस बात के िलए स्वतंतर् होगा िक
वह ऐसे माल को वहन के िलए स्वीकार करने से इं कार कर दे जब तक िक ऐसा स्वामी या व्यिक्त ऐसे वहन के िलए िकसी भी वगर् के
माल के उच्चतम रे ट का संदाय न करे ।
(3) यिद परे िषती या पृष्ठांिकती उपधारा (1) के अधीन यथा अपेिक्षत िववरण देने से इं कार करता है या देने म उपेक्षा
करता है, और ऐसे माल माल के पैकेज को, यिद रे ल सेवक ऐसी अपेक्षा करे , खोलने से इं कार करता है तो रे ल पर्शासन इस बात के िलए
स्वतंतर् होगा िक वह ऐसे माल के वहन की बाबत िकसी भी वगर् के माल के िलए उच्चतम रे ट पर्भािरत करे ।
(4) यिद उपधारा (1) के अधीन िदया गया िववरण ऐसे िकसी माल के वणर्न की बाबत, िजसका उससे संबंध होना
तात्पियत है, ताित्त्वक रूप से िमथ्या है तो रे ल पर्शासन ऐसे माल के वहन की बाबत वह रे ट पर्भािरत कर सके गा जो िकसी भी वगर् के
माल के िलए उच्चतम रे ट से, जो कदर्ीय सरकार ारा िविनिदष्ट िकया जाए, दुगुने से अिधक नह होगा ।
(5) यिद, िकसी रे ल सेवक और, यथािस्थित, ऐसे स्वामी या व्यिक्त, परे िषती या पृष्ठांिकती के बीच माल के वणर्न की बाबत,
िजसका उपधारा (1) के अधीन िववरण िदया गया है, कोई मतभेद पैदा हो जाता है तो रे ल सेवक माल को िनरु कर सके गा और उसकी
परीक्षा कर सके गा ।
(6) जहां उपधारा (5) के अधीन िकसी माल को परीक्षा के िलए िनरु िकया गया है, और ऐसी परीक्षा पर यह पाया जाता है
िक माल का वणर्न उससे िभन्न है जो उपधारा (1) के अधीन िदए गए िववरण म िदया गया है वहां ऐसे िनरोध और परीक्षा का खचर्,
यथािस्थित, ऐसे स्वामी या व्यिक्त, परे िषती या पृष्ठांिकती ारा वहन िकया जाएगा और रे ल पर्शासन ऐसी िकसी हािन, नुकसान या
क्षय के िलए जो ऐसे िनरोध या परीक्षा के कारण हो, दायी नह होगा ।
67. खतरनाक या घृणोत्पादक माल का वहन––(1) कोई भी व्यिक्त इस धारा के उपबंध के अनुसरण म के िसवाय अपने साथ
रे ल म ऐसा खतरनाक या घृणोत्पादक माल जैसा िविहत िकया जाए, न तो ले जाएगा न ही रे ल पर्शासन से वहन की अपेक्षा करे गा ।
(2) कोई भी व्यिक्त अपने साथ िकसी रे ल म उपधारा (1) म िनिदष्ट माल नह ले जाएगा जब तक िक वह उनकी खतरनाक
या घृणोत्पादक पर्कृ ित की िलिखत सूचना इस िनिम पर्ािधकृ त िकसी रे ल सेवक को नह दे देता है ।
(3) कोई भी व्यिक्त उपधारा (1) म िनिदष्ट माल को वहन के िलए उस िनिम पर्ािधकृ त िकसी रे ल सेवक को तब तक नह
स पेगा जब तक िक वह ऐसे माल वाले पैकेज के बाहर उसकी खतरनाक या घृणोत्पादक पर्कृ ित को सुिभन्न रूप से िचिह्नत नह कर
देता है और उसकी खतरनाक या घृणोत्पादक पर्कृ ित की िलिखत सूचना ऐसे रे ल सेवक को नह दे देता है ।
(4) यिद िकसी रे ल सेवक के पास यह िवश्वास करने का कारण है िक पैकेज म अंतिवष्ट माल खतरनाक या घृणोत्पादक है
और ऐसे माल की बाबत, यथािस्थित, उपधारा (2) या उपधारा (3) के अधीन अपेिक्षत सूचना नह दी गई है तो वह उसकी अंतवर्स्तु
अिभिनिश्चत करने के पर्योजन के िलए ऐसे पैकेज को खुलवा सके गा ।
(5) इस धारा म अन्तिवष्ट िकसी बात के होते हुए भी, कोई रे ल सेवक िकसी खतरनाक या घृणोत्पादक माल को वहन के िलए
स्वीकार करने से इं कार कर सके गा अथवा उसको अिभवहन म, यथािस्थित, रुकवा सके गा या हटवा सके गा यिद उसके पास यह िवश्वास
करने का कारण है िक ऐसे वहन के िलए इस धारा के उपबंध का अनुपालन नह िकया गया है ।
(6) इस धारा की िकसी बात का यह अथर् नह लगाया जाएगा िक वह भारतीय िवस्फोटक अिधिनयम, 1884 (1884 का 4)
या उस अिधिनयम के अधीन बनाए गए िकसी िनयम या आदेश के उपबंध का अल्पीकरण करती है और उपधारा (4) और उपधारा (5)
की िकसी बात का यह अथर् नह लगाया जाएगा िक वह सरकार के िकसी आदेश ारा या उसकी ओर से वहन के िलए स पे गए िकसी
माल को या िकसी ऐसे माल को लागू होती है, िजसे कोई सैिनक, नौसैिनक, वायुसैिनक या संघ के सशस्तर् बल का कोई अन्य अिधकारी
या कोई पुिलस अिधकारी या पर्ादेिशक सेना या राष्टर्ीय कै डैट कोर का कोई सदस्य इस पर्कार अपने िनयोजन या कतर्व्य के अनुकर्म म
िकसी रे ल म अपने साथ ले जाए ।
68. संकर्ामक या सांसिगक रोग से पीिड़त जीवजंतु का वहन––रे ल पर्शासन ऐसे संकर्ामक या सांसिगक रोग से, जो िविहत
िकए जाएं, पीिड़त जीवजंतु का वहन करने के िलए आब नह होगा ।
22

69. मागर् का बदलना––जहां रे ल पर्शासन के िनयंतर्ण के बाहर िकसी कारण से या याडर् म संकुलन के कारण या अन्य
कायर्चालन संबंधी कारण से, माल उस मागर् से िजससे वह बुक िकया गया है िकसी िभन्न मागर् ारा वहन िकया जाता है, वहां के वल
मागर् बदलने के कारण यह नह समझा जाएगा िक रे ल पर्शासन ने वहन-संिवदा भंग की है ।
70. असम्यक् अिधमान का पर्ितषेध––रे ल पर्शासन माल के वहन म िकसी िविशष्ट व्यिक्त को या िकसी िविशष्ट पर्कार के
यातायात को कोई असम्यक् या अयुिक्तयुक्त अिधमान नह देगा या उसको या उसके पक्ष म कोई फायदा नह देगा ।
71. कितपय माल के वहन की बाबत िनदेश देने की शिक्त––(1) यिद कदर्ीय सरकार की यह राय है िक लोकिहत म ऐसा
करना आवश्यक है तो वह साधारण या िवशेष आदेश ारा िकसी रे ल पर्शासन को––
(क) कदर्ीय सरकार ारा या उसको या िकसी राज्य सरकार ारा या उसको परे िषत ऐसे माल या ऐसे िकसी वगर् के
माल या ऐसे अन्य माल या ऐसे वगर् के माल के वहन के िलए, जो आदेश म िविनिदष्ट िकया जाए, िवशेष सुिवधाएं या
अिधमान देने के िलए ;
(ख) ऐसे मागर् या माग ारा और ऐसे रे ट पर जो आदेश म िविनिदष्ट िकया जाए, िकसी माल या िकसी वगर् के
माल का वहन करने के िलए ;
(ग) ऐसे स्टेशन पर, या को, वहन के िलए ऐसे माल या वगर् के माल को जो आदेश म िविनिदष्ट िकया जाए,
स्वीकार करना िनबर्ंिधत करने के िलए या स्वीकार करने से इं कार करने के िलए,
िनदेश दे सके गा ।
(2) उपधारा (1) के अधीन िकया गया कोई आदेश, ऐसे आदेश की तारीख से एक वषर् की अविध की समािप्त के पश्चात्
पर्भावी नह रहेगा िकन्तु वह उसी पर्कार के आदेश ारा एक समय म एक वषर् से अनिधक की ऐसी अविध के िलए जो आदेश म
िविनिदष्ट की जाए, समय-समय पर नवीकृ त िकया जा सके गा ।
(3) इस अिधिनयम म िकसी बात के होते हुए भी, पर्त्येक रे ल पर्शासन उपधारा (1) के अधीन िदए गए िकसी आदेश का
अनुपालन करने के िलए आब होगा और ऐसे िकसी आदेश के अनुसरण म रे ल पर्शासन ारा की गई कोई कारर् वाई धारा 70 का
उल्लंघन नह मानी जाएगी ।
72. वैगन और टर्क के िलए वहन की अिधकतम क्षमता––(1) पर्त्येक वैगन या टर्क का उसकी धुिरय पर सकल भार जब
वैगन या टर्क अपनी अिधकतम वहन क्षमता तक लदा हो ऐसी सीमा से अिधक नह होगा जो वैगन या टर्क के नीचे की धुरी के वगर् के
िलए कदर्ीय सरकार ारा िनयत की जाए ।
(2) उपधारा (1) के अधीन िनयत सीमा के अधीन रहते हुए, पर्त्येक रे ल पर्शासन अपने कब्जे म के पर्त्येक वैगन या टर्क के िलए
वहन की सामान्य क्षमता अवधािरत करे गा और इस पर्कार अवधािरत वहन की सामान्य क्षमता को ऐसे पर्त्येक वैगन या टर्क के बाहरी
भाग पर िकसी सहजदृशय रीित म शब्द और अंक म पर्दिशत करे गा ।
(3) पर्त्येक व्यिक्त जो िकसी ऐसे वैगन या टर्क का, जो िकसी रे ल के ऊपर से गुजरता है, स्वामी है, उपधारा (2) म िविनिदष्ट
रीित म वैगन या टर्क की सामान्य वहन क्षमता अवधािरत और पर्दिशत करे गा ।
(4) उपधारा (2) या उपधारा (3) म िकसी बात के होते हुए भी जहां रे ल पर्शासन िकसी िविनिदष्ट वगर् के माल का वहन करने
वाले िकसी वैगन या टर्क अथवा िकसी वगर् के वैगन या िकसी िविनिदष्ट पर्कार के टर्क की बाबत ऐसा करना आवश्यक या समीचीन
समझता है वहां वह ऐसे वैगन या टर्क या ऐसे वगर् के वैगन या टर्क के िलए सामान्य वहन क्षमता म पिरवतर्न कर सके गा और ऐसी शत
के अधीन, जो वह अिधरोिपत करना ठीक समझे, ऐसे वैगन या टर्क या वैगन , टर्क के वगर् के िलए ऐसी वहन क्षमता अवधािरत कर
सके गा जो अिधसूचना म िविनिदष्ट की जाए, और इस पर्कार अवधािरत वहन क्षमता पर्कट करने वाले शब्द और अंक ऐसे वैगन या टर्क
या ऐसे िकसी वगर् के वैगन या टर्क के बाहरी भाग पर पर्दिशत करना आवश्यक नह होगा ।
73. वैगन की अितभराई करने के िलए दण्डस्वरूप पर्भार––जहां कोई व्यिक्त धारा 72 की उपधारा (2) या उपधारा (3) के
अधीन पर्दिशत या उपधारा (4) के अधीन अिधसूिचत वैगन की अनुज्ञेय वहन क्षमता से अिधक माल का उसम लदान करता है वहां
रे ल पर्शासन, माल भाड़ा और अन्य पर्भार के अितिरक्त, यथािस्थित, परे षक, परे िषती या पृष्ठांिकती से शािस्त स्वरूप पर्भार ऐसी दर
पर, जो िविहत की जाएं, माल के पिरदान से पूवर् वसूल कर सके गा :
परन्तु यिद वैगन की क्षमता से अिधक लदे हुए माल का अगर्ेषक स्टेशन पर या गंतव्य स्थान से पहले िकसी स्थान पर पता
चलता है तो रे ल पर्शासन के िलए उसे उतारना और इस पर्कार उतारने की लागत और इस कारण ऐसे िकसी वैगन के रोके रखने के िलए
िकसी पर्भार का वूसल करना िविधपूणर् होगा ।
74. रे ल रसीद के अंतगर्त आने वाले माल म संपि का संकर्ांत होना––रे ल रसीद के अन्तगर्त आने वाले परे षण म संपि ,
यथािस्थित, परे िषती या पृष्ठांिकती को, ऐसी रे ल रसीद का उसको पिरदान कर िदए जाने पर, संकर्ांत हो जाएगी और उसे परे षक के
सभी अिधकार और दाियत्व पर्ाप्त ह गे ।
23

75. अिभवहन म रोकने या माल भाड़े के दाव के अिधकार पर धारा 74 का पर्भाव न होना––धारा 74 की कोई बात
िनम्निलिखत पर पर्ितकू ल पर्भाव नह डालेगी या उसको पर्भािवत नह करे गी––
(क) परे षक का रे ल पर्शासन को िकए गए िलिखत अनुरोध पर [माल िवकर्य अिधिनयम, 1930 (1930 का 3) के
अधीन यथापिरभािषत] असंद िवकर्ेता के रूप म माल को अिभवहन म रोकने का कोई अिधकार ;
(ख) परे षक से माल भाड़े का दावा करने का रे ल का कोई अिधकार ; या
(ग) उस धारा म िनिदष्ट परे िषती या पृष्ठांिकती का, ऐसे परे िषती या पृष्ठांिकती होने के नाते कोई दाियत्व ।
76. रे ल रसीद का अभ्यपर्ण––रे ल पर्शासन रे ल रसीद के अधीन परे षण का पिरदान ऐसी रे ल रसीद के अभ्यपर्ण पर करे गा :
परन्तु यिद रे ल रसीद पर्ाप्त नह हो रही है तो परे षण उस व्यिक्त को, जो रे ल पर्शासन की राय म माल पर्ाप्त करने का
हकदार है, ऐसी रीित से, जो िविहत की जाए, पिरद िकया जा सके गा ।
77. कितपय मामल म माल या उसके िवकर्य आगम का पिरदान करने की रे ल पर्शासन की शिक्त––जहां कोई रे ल रसीद
पर्ाप्त नह हो रही है और िकसी परे षण या िकसी परे षण के िवकर्य आगम का दो या अिधक व्यिक्तय ारा दावा िकया जाता है वहां
रे ल पर्शासन, यथािस्थित, ऐसे परे षण या िवकर्य आगम का पिरदान रोक सके गा और ऐसे परे षण या िवकर्य आगम का पिरदान ऐसी
रीित से करे गा, जो िविहत की जाए ।
78. मापने, वजन करने, आिद की शिक्त––रे ल रसीद म िकसी बात के होते हुए भी, रे ल पर्शासन को परे षण का पिरदान करने
के पूवर्, यह अिधकार हो सके गा िक––
(i) वह िकसी परे षण का पुन: माप, पुन: वजन या पुन: वग करण करे ;
(ii) माल भाड़ा या अन्य पर्भार की पुन: संगणना करे ; और
(iii) िकसी अन्य गलती का सुधार करे या ऐसी रकम का संगर्हण करे जो पर्भािरत करने से रह गई है ।
79. परे िषती या पृष्ठांिकती के अनुरोध पर परे षण का वजन कराना––रे ल पर्शासन, परे िषती या पृष्ठांिकती ारा अनुरोध
िकए जाने पर ऐसी शत के अधीन और ऐसे पर्भार, जैसे िविहत िकए जाएं और डेमरे ज पर्भार, यिद कोई है, के संदाय पर परे षण का
वजन कराने की अनुज्ञा दे सके गा :
परन्तु उन मामल को छोड़कर जहां इस िनिम पर्ािधकृ त रे ल सेवक ऐसा करना आवश्यक समझता है, स्वामी-जोिखम रे ट पर
बुक िकए गए माल का या ऐसे माल का जो िवनश्वर है और अिभवहन म िजसका वजन कम होने की संभावना है, वजन कराना अनुज्ञात
नह िकया जाएगा :
परन्तु यह और िक वैगन-भार या रे लगाड़ी-भार परे षण का वजन कराने का अनुरोध तब अनुज्ञात नह िकया जाएगा,
यिद याडर् म संकुलन के या ऐसी अन्य पिरिस्थितय के कारण, जो िविहत की जाएं, परे षण का वजन कराना साध्य नह है ।
80. गलत पिरदान के िलए रे ल पर्शासन का दाियत्व––जहां रे ल पर्शासन उस व्यिक्त को परे षण का पिरदान करता है जो रे ल
रसीद पर्स्तुत करता है, वहां वह इस आधार पर िकसी गलत पिरदान के िलए उ रदायी नह होगा िक ऐसा व्यिक्त उसका हकदार
नह है या रे ल रसीद पर पृष्ठांकन कू टकृ त है या अन्यथा तर्ुिटपूणर् है ।
81. परे षण का खुला पिरदान––जहां कोई परे षण नुकसानगर्स्त हालत म पहुंचता है या उसम गड़बड़ िकए जाने के िचह्न
िदखाई देते ह और परे िषती या पृष्ठांिकती उसके खुले पिरदान की मांग करता है वहां रे ल पर्शासन ऐसी रीित म जो िविहत की जाए,
खुला पिरदान देगा ।
82. परे षण का भागत: पिरदान––(1) परे िषती या पृष्ठांिकती, पिरदान के िलए परे षण या उसके भाग के तैयार होते ही,
ऐसे परे षण या उसके भाग का पिरदान इस बात के होते हुए भी लेगा िक ऐसे परे षण या उसके भाग को नुकसान पहुंचा है ।
(2) उपधारा (1) के अधीन भागत: पिरदान की दशा म, रे ल पर्शासन भागत: पिरदान पर्माणपतर् ऐसे पर्रूप म देगा, जो िविहत
िकया जाए ।
(3) यिद परे िषती या पृष्ठांिकती उपधारा (1) के अधीन पिरदान लेने से इं कार कर देता है तो परे षण या उसका भाग,
हटाए जाने के िलए अनुज्ञात समय से आगे के िलए स्थान-भाड़ा पर्भार के अधीन होगा ।
83. माल भाड़े या िकसी अन्य देय रािश के िलए धारणािधकार––(1) यिद परे षक, परे िषती या पृष्ठांिकती िकसी परे षण की
बाबत उसके ारा देय िकसी माल भाड़े या अन्य पर्भार की मांग करने पर संदाय करने म असफल रहता है तो रे ल पर्शासन ऐसे परे षण
या उसके भाग को िनरु कर सके गा या यिद ऐसा परे षण पिरद कर िदया गया है, तो ऐसे व्यिक्त के िकसी अन्य परे षण को, जो उसके
कब्जे म है या जो बाद म कब्जे म आता है, िनरु कर सके गा ।
(2) रे ल पर्शासन, ऐसे परे षण या उसके भाग का जो माल भाड़े या अन्य पर्भार की रकम के बराबर रकम वसूल करने के िलए
आवश्यक हो, यिद उपधारा (1) के अधीन िनरु माल––
24

(क) िवनश्वर पर्कृ ित का है तो उसका तुरंत िवकर्य कर सके गा, या


(ख) िवनश्वर पर्कृ ित का नह है, तो लोक नीलामी ारा िवकर्य कर सके गा :
परन्तु जहां रे ल पर्शासन की ऐसे कारण से जो लेखब िकए जाएंगे, यह राय है िक लोक नीलामी करना समीचीन नह है
वहां ऐसे परे षण या उसके भाग का ऐसी रीित से, जो िविहत की जाए, िवकर्य िकया जा सके गा ।
(3) रे ल पर्शासन उपधारा (2) के खंड (ख) के अधीन लोक नीलामी की कम से कम सात िदन की सूचना एक या अिधक
स्थानीय समाचारपतर् म देगा या जहां ऐसे कोई समाचारपतर् नह ह वहां ऐसी रीित म देगा, जो िविहत की जाए ।
(4) रे ल पर्शासन, उपधारा (2) के अधीन पर्ाप्त िवकर्य आगम म से, उसे शोध्य माल भाड़े और अन्य पर्भार , िजनके अंतगर्त
िवकर्य के िलए व्यय भी ह, के बराबर रािश को पर्ितधािरत कर सके गा और ऐसे आगम का अिधशेष और परे षण का भाग, यिद कोई हो,
उसके हकदार व्यिक्त को दे िदया जाएगा ।
84. अदावाकृ त परे षण––(1) यिद कोई व्यिक्त :––
(क) िकसी परे षण का ; या
(ख) धारा 83 की उपधारा (1) के अधीन िकए गए िनरोध से िनमुर्क्त परे षण का ; या
(ग) धारा 83 की उपधारा (2) के अधीन परे षण के िकसी शेष भाग का,
पिरदान लेने म असफल रहता है, तो ऐसे परे षण को अदावाकृ त माना जाएगा ।
(2) रे ल पर्शासन––
(क) ऐसे अदावाकृ त परे षण की दशा म, जो िवनश्वर पर्कृ ित का है, ऐसे परे षण का ऐसी रीित से, जो धारा 83 की
उपधारा (2) के खंड (क) म उपबंिधत है, िवकर्य कर सके गा ; या
(ख) ऐसे अदावाकृ त परे षण की दशा म, जो िवनश्वर पर्कृ ित का नह है, परे िषती को, यिद उसका नाम और पता
ज्ञात है और ऐसे परे षक को, यिद परे िषती का नाम और पता नह है, सूचना की तामील उससे यह अपेक्षा करते हुए
करवाएगा िक वह उसकी पर्ािप्त से सात िदन की अविध के भीतर माल को हटा ले और यिद ऐसी सूचना की तामील नह की
जा सकती है या सूचना म की गई अध्यपेक्षा के पालन म असफलता होती है, तो ऐसे परे षण का, धारा 83 की उपधारा (2)
के खंड (ख) म उपबंिधत रीित से, िवकर्य कर सके गा ।
(3) रे ल पर्शासन, उपधारा (2) के अधीन पर्ाप्त िवकर्य आगम म से उसे शोध्य माल भाड़े और अन्य पर्भार , िजनके अंतगर्त
िवकर्य के िलए व्यय भी ह, के बराबर रािश पर्ितधािरत करे गा और ऐसे िवकर्य आगम का अितशेष, यिद कोई हो, हकदार व्यिक्त को दे
िदया जाएगा ।
85. कितपय पिरिस्थितय म िवनश्वर परे षण का व्ययन––(1) जहां िकसी बाढ़, भूस्खलन, रे ल लाइन के टू ट जाने,
रे ल गािड़य के बीच टक्कर, रे लगाड़ी के पटरी से उतरने या िकसी अन्य दुघर्टना के कारण या िकसी अन्य कारण से िकसी मागर् पर
यातायात म अवरोध होता है और ऐसे यातायात के िफर से शीघर् चालू हाने की कोई सम्भाव्यता नह है और न ऐसा कोई अन्य समुिचत
मागर् है िजससे िवनश्वर परे षण के यातायात को इस पर्कार पथांतिरत िकया जा सके िजससे ऐसे परे षण की हािन या उसके क्षय या
नुकसान को रोका जा सके वहां रे ल पर्शासन धारा 83 की उपधारा (2) के खंड (क) म उपबंिधत रीित से उसका िवकर्य कर सके गा ।
(2) रे ल पर्शासन उपधारा (1) के अधीन पर्ाप्त िवकर्य आगम म से, उसे शोध्य माल भाड़े और अन्य पर्भार , िजनके अंतगर्त
िवकर्य के िलए य भी है, के बराबर रािश को पर्ितधािरत करे गा और ऐसे िवकर्य आगम का अिधशेष, यिद कोई हो, उसके हकदार
व्यिक्त को दे िदया जाएगा ।
86. धारा 83 से धारा 85 तक के अधीन िवकर्य का वाद के अिधकार पर पर्भाव न डालना––इस अध्याय म िकसी बात के होते
हुए भी, धारा 83 से धारा 85 तक के अधीन िवकर्य के अिधकार का, रे ल पर्शासन के उसे शोध्य िकसी माल भाड़े, पर्भार, रकम या अन्य
व्यय को वाद ारा वसूल करने के अिधकार पर पर्ितकू ल पर्भाव नह पड़ेगा ।
87. इस अध्याय के िवषय की बाबत िनयम बनाने की शिक्त––(1) कदर्ीय सरकार इस अध्याय के पर्योजन को कायार्िन्वत
करने के िलए िनयम, अिधसूचना ारा, बना सके गी ।
(2) िविशष्टतया और पूवर्गामी शिक्त की व्यापकता पर पर्ितकू ल पर्भाव डाले िबना, ऐसे िनयम म िनम्निलिखत सभी या
िकन्ह िवषय के िलए उपबंध िकया जा सके गा, अथार्त् :––
(क) ऐसा माल, िजसकी बाबत, धारा 64 की उपधारा (1) के परं तुक के अधीन कोई पर्ेषण िटप्पण िनष्पािदत नह
िकया जाएगा ;
(ख) धारा 67 की उपधारा (1) के पर्योजन के िलए खतरनाक और घृणोत्पादक माल ;
(ग) धारा 68 के पर्योजन के िलए संकर्ामक या सांसिगक रोग ;
25

(घ) धारा 73 के अधीन शािस्त पर्भार की दर ;


(ङ) धारा 76 के अधीन रे लरसीद के िबना परे षण का पिरदान करने की रीित ;
(च) धारा 77 के अधीन हकदार व्यिक्त को परे षण के या िवकर्य आगम के पिरदान की रीित ;
(छ) धारा 79 के अधीन वैगर-भार या रे लगाड़ी-भार परे षण का वजन करने की अनुज्ञा देने की शत और उसके िलए
संदय
े पर्भार और वजन कराने की अनुज्ञा न देने की पिरिस्थितयां ;
(ज) धारा 81 के अधीन खुला पिरदान देने की रीित ;
(झ) धारा 82 की उपधारा (2) के अधीन भागत: पिरदान पर्माणपतर् का पर्रूप ;
(ञ) धारा 83 की उपधारा (2) के परं तुक के अधीन परे षण या उसके भाग के िवकर्य की रीित ;
(ट) धारा 83 की उपधारा (3) के अधीन सूचना देने की रीित ;
(ठ) साधारणतया, रे ल ारा माल का वहन िविनयिमत करने के िलए ।
(3) इस धारा के अधीन बनाए गए िकसी िनयम म यह उपबंध िकया जा सके गा िक उसका उल्लंघन जुमार्ने से जो एक सौ
पचास रुपए तक का हो सके गा, दंडनीय होगा ।
(4) पर्त्येक रे ल पर्शासन पर्त्येक स्टेशन पर इस धारा के अधीन तत्समय पर्वृ िनयम की पर्ित रखेगा और िकसी भी व्यिक्त को
उसे िन:शुल्क देखने की अनुज्ञा देगा ।
अध्याय 10

अिधसूिचत स्टेशन को बुक िकए गए माल के बारे म िवशेष उपबंध


88. पिरभाषाएं––इस अध्याय म, जब तक िक संदभर् से अन्यथा अपेिक्षत न हो,––
(क) “आवश्यक वस्तु” से आवश्यक वस्तु अिधिनयम, 1955 (1955 का 10) की धारा 2 के खंड (क) म पिरभािषत
आवश्यक वस्तु अिभपर्ेत है ;
(ख) “अिधसूिचत स्टेशन” से धारा 89 के अधीन अिधसूिचत स्टेशन के रूप म घोिषत स्टेशन अिभपर्ेत है ;
(ग) अिधसूिचत स्टेशन के संबंध म, “राज्य सरकार” से उस राज्य की िजसम वह स्टेशन िस्थत है, सरकार या जहां
ऐसा स्टेशन िकसी संघ राज्यक्षेतर् म िस्थत है, वहां संिवधान के अनुच्छेद 239 के अधीन िनयुक्त उस संघ राज्यक्षेतर्
का पर्शासक, अिभपर्ेत है ।
89. अिधसूिचत स्टेशन घोिषत करने की शिक्त––(1) यिद कदर्ीय सरकार का यह समाधान हो जाता है िक यह आवश्यक है
िक के वल माल के वहन के िलए आशियत रे लगाड़ी से िकसी रे ल स्टेशन को वहन के िलए स पे गए माल को ऐसे रे ल स्टेशन से अिवलम्ब
हटाया जाना चािहए तो वह, अिधसूचना ारा, उस रे ल स्टेशन को, ऐसी अविध के िलए जो अिधसूचना म िविनिदष्ट की जाए,
अिधसूिचत स्टेशन घोिषत कर सकती है :
परं तु कदर्ीय सरकार इस उपधारा के अधीन िकसी रे ल स्टेशन को अिधसूिचत स्टेशन घोिषत करने के पूवर् िनम्निलिखत सभी
या िकन्ह बात का ध्यान रखेगी, अथार्त् :––
(क) ऐसे रे ल स्टेशन पर यातायात की मातर्ा और भंडारकरण के िलए उपलब्ध स्थान ;
(ख) ऐसे रे ल स्टेशन को साधारणत: बुक िकए जाने वाले माल की पर्कृ ित और मातर्ा ;
(ग) ऐसे रे ल स्टेशन से लम्बी अविध तक माल को न हटाने से माल की कमी होने की संभावना और ऐसी कमी के
कारण समुदाय को हो सकने वाली किठनाई ;
(घ) यिद ऐसे रे ल स्टेशन से माल को शीघर्तापूवर्क नह हटाया जाता है तो वहां पर रुके रहने वाले वैगन की
सम्भाव्य संख्या और ऐसे वैगन के शीघर् संचलन और उपलब्धता की आवश्यकता ;
(ङ) ऐसी अन्य बात (जो आम जनता के िहत की दृिष्ट से सुसंगत ह) जो िविहत की जाएं :
परं तु यह और िक िकसी रे ल स्टेशन की बाबत इस उपधारा के अधीन जारी की गई िकसी अिधसूचना म िविनिदष्ट अविध
पहली बार छह मास से अिधक नह होगी । िकन्तु ऐसी अविध, अिधसूचना ारा, पर्त्येक अवसर पर छह मास से अनिधक अविध तक
समय-समय पर बढ़ाई जा सकती है ।
(2) यिद कोई व्यिक्त, जो िकसी अिधसूिचत स्टेशन को वहन करने के िलए िकसी रे ल पर्शासन को कोई माल स पता है,
ऐसे पर्रूप और ऐसी रीित म, जो िविहत की जाए, कोई आवेदन करता है और उसम उस व्यिक्त का पता िविनिदष्ट करता है,
िजसको अिधसूिचत स्टेशन पर माल के पहुंचने की सूचना रिजस्टर्ीकृ त डाक ारा दी जाएगी और ऐसी सूचना देने के िलए अपेिक्षत डाक
26

पर्भार का संदाय करता है तो रे ल पर्शासन अिधसूिचत स्टेशन पर माल के पहुंचने के पश्चात् यथासम्भव शीघर्, तद्नुसार ऐसी
सूचना भेजेगा ।
(3) पर्त्येक अिधसूिचत स्टेशन के िकसी सहजदृश्य स्थान पर िविहत पर्रूप म एक िववरण पर्दिशत िकया जाएगा िजसम ऐसे
माल का, जो इस तथ्य के कारण िक वह उसके अिभवहन की समािप्त से सात िदन की अविध के भीतर उस स्टेशन से नह हटाया
गया है, धारा 90 की उपधारा (1) के उपबंध के अनुसार लोक नीलामी ारा िवकर्य कर िदए जाने के दाियत्वाधीन होगा और उन
तारीख का िजनको उसका इस पर्कार िवकर्य िकया जाएगा, वणर्न होगा :
परं तु िभन्न-िभन्न तारीख को िवकर्य िकए जाने के िलए पर्स्तािवत माल की बाबत िभन्न-िभन्न िववरण इस पर्कार पर्दिशत
िकए जा सकगे ।
(4) यिद उपधारा (3) के अधीन पर्दिशत िकए जाने वाले िकसी िववरण म िविनिदष्ट माल के अन्तगर्त आवश्यक वस्तु भी ह
तो िववरण तैयार करने वाला रे ल सेवक, ऐसे िववरण तैयार करने के पश्चात् यथाशक्य शीघर् उसकी एक पर्ित िनम्निलिखत
को भेजेगा :––
(क) कदर्ीय सरकार का कोई पर्ितिनिध जो उस सरकार ारा इस िनिम नामिनदिशत िकया जाए ;
(ख) राज्य सरकार का कोई पर्ितिनिध, जो उस सरकार ारा इस िनिम नामिनदिशत िकया जाए ; और
(ग) वह िजला मिजस्टर्ेट िजसकी अिधकािरता की स्थानीय सीमा के भीतर वह रे ल स्टेशन िस्थत है ।
90. अिधसूिचत स्टेशन से न हटाए गए माल का व्ययन––(1) यिद ऐसा कोई माल जो के वल वहन के िलए आशियत रे लगाड़ी
ारा िकसी अिधसूिचत स्टेशन को स पा गया है, उस स्टेशन पर उसके अिभवहन की समािप्त के पश्चात् सात िदन की अविध के अंदर
ऐसे व्यिक्त ारा, जो उसे हटाने का हकदार है, उस स्टेशन से नह हटाया जाता है, तो रे ल पर्शासन उपधारा (2) के उपबंध के अधीन
रहते हुए लोक नीलामी ारा ऐसे माल का िवकर्य कर सके गा, और धारा 89 की उपधारा (3) के उपबंध के अनुसार ऐसे माल के वणर्न
वाले िववरण को पर्दिशत करने के अलावा, ऐसी लोक नीलामी की कोई सूचना देना आवश्यक नह होगा, िकतु वे तारीख िजनको इस
उपधारा के अधीन ऐसे नीलामी की जाए, एक या अिधक स्थानीय समाचारपतर् म अिधसूिचत की जा सके गी या जहां ऐसे कोई
समाचारपतर् नह ह वहां ऐसी रीित से, जो िविहत की जाए, अिधसूिचत की जा सके गी :
परं तु यिद ऐसे माल का हकदार कोई व्यिक्त इस उपधारा के अधीन उस माल के िवकर्य के पूवर् िकसी समय रे ल पर्शासन को
उसके बारे म देय माल भाड़ा और अन्य पर्भार और व्यय का संदाय कर देता है तो उसे वह माल हटाने िदया जाएगा ।
(2) यिद कोई ऐसा माल, िजसका उपधारा (1) के अधीन िकसी अिधसूिचत स्टेशन पर लोक नीलामी ारा िवकर्य िकया
जा सके गा, आवश्यक वस्तु होने के कारण, कदर्ीय सरकार या राज्य सरकार ारा अपने उपयोग के िलए अपेिक्षत है या यिद कदर्ीय
सरकार अथवा वह राज्य सरकार यह समझती है िक ऐसी सभी या िकन्ह आवश्यक वस्तु को उिचत मूल्य पर उपलब्ध कराने के िलए
ऐसा करना आवश्यक है, तो वह िलिखत आदेश ारा ऐसी नीलामी के भारसाधक रे ल सेवक को िनदेश दे सके गी िक वह ऐसा माल
उसको या ऐसी आवश्यक वस्तु के िवकर्य के कारबार म लगे हुए ऐसे अिभकरण, सहकारी सोसाइटी या अन्य व्यिक्त को (जो
सरकार के िनयन्तर्णाधीन कोई अिभकरण, सहकारी सोसाइटी या अन्य व्यिक्त है) अन्तिरत करे ।
(3) िकसी आवश्यक वस्तु के बारे म उपधारा (2) के अधीन जारी िकया गया पर्त्येक िनदेश ऐसे िकसी रे ल सेवक पर,
िजसको वह जारी िकया जाता है, और रे ल पर्शासन पर, आब कर होगा और यह बात िक ऐसी आवश्यक वस्तु ऐसे िनदेश के अनुपालन
म अन्तिरत कर दी गई है, माल के हकदार व्यिक्त ारा िकए गए िकसी दावे के िवरु पयार्प्त पर्ितरक्षा होगी :
परं तु––
(क) ऐसा िनदेश ऐसे िकसी रे ल सेवक या रे ल पर्शासन पर आब कर नह होगा यिद––
(i) ऐसा िनदेश ऐसे रे ल सेवक को इतने पयार्प्त समय पूवर् पर्ाप्त नह हुआ है िक वह ऐसी आवश्यक
वस्तु के िवकर्य को, िजससे िनदेश का संबंध है, रोक सके ; या
(ii) ऐसे माल का हकदार कोई व्यिक्त ऐसे िवकर्य के िलए िनयत समय के पूवर् उस माल के बारे म देय
माल-भाड़े और अन्य पर्भार और व्यय का संदाय कर देता है और यह दावा करता है िक उसे माल हटाने
िदया जाए ; या
(iii) ऐसे माल के िलए संदय े कीमत (जो, यथािस्थित, कदर्ीय सरकार या िकसी राज्य सरकार ारा
पर्ाक्किलत की गई हो) रे ल पर्शासन के खाते म िविहत रीित से जमा नह की जाती है और रे ल पर्शासन को उस
अितिरक्त रकम की क्षितपूित नह की जाती है जो वह कीमत म े संदाय करने के िलए इस कारण दायी हो सकता
है िक वह कीमत उपधारा (4) के उपबन्ध के अनुसार संगिणत नह की गई है ;
(ख) जहां के न्दर्ीय सरकार और राज्य सरकार ारा एक ही माल की बाबत िनदेश जारी िकए जाते ह, वहां पहले
पर्ाप्त िनदेश अिभभावी होगा ।
27

(4) उपधारा (2) के अधीन जारी िकए गए िकसी िनदेश के अनुपालन म अन्तिरत िकसी आवश्यक वस्तु के िलए संदये कीमत,
आवश्यक वस्तु अिधिनयम, 1955 (1955 का 10) की धारा 3 की उपधारा (3) के उपबंध के अनुसार पिरकिलत कीमत होगी :
परं तु––
(क) िकसी ऐसी आवश्यक वस्तु की दशा म, जो ऐसा खा पदाथर् है िजसके संबध ं म आवश्यक वस्तु अिधिनयम,
1955 (1955 का 10) की धारा 3 की उपधारा (3क) के अधीन जारी की गई कोई अिधसूचना उस पिरक्षेतर् म पर्वृ है िजसम
अिधसूिचत स्टेशन िस्थत है, संदय
े कीमत उस उपधारा के खण्ड (iii) और खण्ड (iv) के उपबंध के अनुसार पिरकिलत
की जाएगी ;
(ख) िकसी ऐसी आवश्यक वस्तु की दशा म, जो िकसी ऐसी शर्ेणी या िकस्म का खा ान्न, खा ितलहन या
खा तेल है िजसके संबंध म आवश्यक वस्तु अिधिनयम, 1955 (1955 का 10) की धारा 3 की उपधारा (3क) के अधीन जारी
की गई कोई अिधसूचना उस पिरक्षेतर् म पर्वृ नह है िजसम अिधसूिचत स्टेशन िस्थत है, संदय
े कीमत उस धारा की उपधारा
(3ख) के उपबंध के अनुसार पिरकिलत की जाएगी ;
(ग) िकसी ऐसी आवश्यक वस्तु की दशा म, जो िकसी पर्कार की चीनी है िजसके संबंध म आवश्यक वस्तु
अिधिनयम, 1955 (1955 का 10) की धारा 3 की उपधारा (3क) के अधीन जारी की गई कोई अिधसूचना उस पिरक्षेतर् म
पर्वृ नह है िजसम अिधसूिचत स्टेशन िस्थत है, संदय
े कीमत, यिद ऐसी चीनी को उत्पादक ारा स्वयं अपने िलए बुक िकया
गया है तो, उस धारा की उपधारा (3ग) के उपबंध के अनुसार पिरकिलत की जाएगी ।
स्पष्टीकरण––इस खंड के पर्योजन के िलए “उत्पादक” और “चीनी” पद के वे ही अथर् ह जो आवश्यक वस्तु अिधिनयम,
1955 (1955 का 10) की कर्मश: धारा 3 की उपधारा (3ग) के स्पष्टीकरण और धारा 2 के खंड (ङ) म ह ।
91. शोध्य रकम की कटौती के पश्चात् हकदार व्यिक्त को कीमत का संदाय िकया जाना––(1) रे ल पर्शासन, धारा 90 की
उपधारा (1) के अधीन माल के िवकर्य आगम म से अथवा उस धारा की उपधारा (4) के अधीन उसके िलए संदय े कीमत म से उतनी
रािश पर्ितधािरत कर सके गा जो उस माल के संबध
ं म देय माल-भाड़े और अन्य पर्भार और ऐसे माल और उसकी नीलामी के संबंध म
उपगत व्यय के बराबर है तथा यिद कोई अिधशेष रह जाता है तो वह उसके हकदार व्यिक्त को देगा ।
(2) उपधारा (1) म िकसी बात के होते हुए भी, रे ल पर्शासन उसम िनिदष्ट ऐसे िकसी माल-भाड़े या पर्भार या िकन्ह व्यय
को, या उसके अितशेष को वाद ारा वसूल कर सके गा ।
(3) ऐसा कोई माल, िजसका धारा 90 की उपधारा (1) के अधीन िवकर्य िकया जाता है या उस धारा की उपधारा (2) के
अधीन जारी िकए गए िनदश के अनुपालन म अन्तरण िकया जाता है, सभी िवल्लंगम से मुक्त होकर िकन्तु उस धनरािश को दी जाने
वाली पूिवकता के अधीन रहते हुए, जो रे ल पर्शासन ारा उपधारा (1) के अधीन पर्ितधािरत की जाए, कर्ेता या अन्तिरती म िनिहत
होगा और उस व्यिक्त ारा, िजसके पक्ष म ऐसा िवल्लंगम िव मान है, ऐसे िवल्लंगम की बाबत दावा उस उपधारा म िनिदष्ट
अिधशेष पर, यिद कोई है, िकया जा सके गा ।
92. इस अध्याय के िवषय की बाबत िनयम बनाने की शिक्त––(1) कदर्ीय सरकार, इस अध्याय के पर्योजन को कायार्िन्वत
करने के िलए िनयम, अिधसूचना ारा, बना सके गी ।
(2) िविशष्टतया और पूवर्गामी शिक्त की व्यापकता पर पर्ितकू ल पर्भाव डाले िबना, ऐसे िनयम म िनम्निलिखत सभी या
िकन्ह िवषय के िलए उपबन्ध िकया जा सके गा, अथार्त् :––
(क) वे बात िजनका कदर्ीय सरकार धारा 89 की उपधारा (1) के पहले परं तुक के खंड (ङ) के अधीन ध्यान रखेगी ;
(ख) वह पर्रूप और रीित िजसम धारा 89 की उपधारा (2) के अधीन कोई आवेदन िकया जा सके गा ;
(ग) वह पर्रूप िजसम धारा 89 की उपधारा (3) के अधीन कोई िववरण पर्दिशत िकया जाना अपेिक्षत है ;
(घ) वह रीित िजसम धारा 90 की उपधारा (1) के अधीन लोक नीलामी की तारीख को अिधसूिचत िकया जा
सके गा ; और
(ङ) वह रीित िजसम धारा 90 की उपधारा (3) के परं तुक के खंड (क) के उपखंड (iii) म िनिदष्ट माल की कीमत
रे ल पर्शासन के खाते म जमा की जा सके गी ।
अध्याय 11

वाहक के रूप म रे ल पर्शासन का उ रदाियत्व


93. माल वाहक के रूप म रे ल पर्शासन का साधारण उ रदाियत्व—इस अिधिनयम म अन्यथा उपबंिधत के िसवाय, रे ल
पर्शासन िनम्निलिखत िकसी कारण के िसवाय िकसी परे षण की अिभवहन म उद्भूत हािन, नाश, नुकसान या क्षय या उसके अपिरदान
के िलए उ रदायी होगा, अथार्त् :—
28

(क) दैवकृ त ;
(ख) यु कृ त ;
(ग) लोक शतर्ुकृत ;
(घ) िविधक आदेिशका के अधीन िगरफ्तारी, अवरोध या अिभगर्हण ;
(ङ) के न्दर्ीय सरकार या िकसी राज्य सरकार ारा अथवा के न्दर्ीय सरकार या िकसी राज्य सरकार ारा उस िनिम
उसके ारा पर्ािधकृ त उसके अधीनस्थ िकसी अिधकारी या पर्ािधकारी ारा अिधरोिपत िनबर्न्धन या आदेश ;
(च) परे षक या परे िषती या पृष्ठांिकती का या परे षक या परे िषती या पृष्ठांिकती के अिभकतार् या सेवक का कायर् या
लोप या उपेक्षा ;
(छ) माल म अन्तिनिहत तर्ुिट, क्वािलटी या खोट के कारण आयतन या वजन म पर्ाकृ ितक क्षय या अपचय ;
(ज) अपर्कट खराबी ;
(झ) आग, िवस्फोट या कोई अपर्त्यािशत जोिखम :
परन्तु जहां यह सािबत भी कर िदया जाता है िक ऐसी हािन, नाश, नुकसान, क्षय या अपिरदान पूव क्त िकसी एक या अिधक
कारण से हुआ है वहां भी रे ल पर्शासन ऐसी हािन, नाश, नुकसान, क्षय या अपिरदान के िलए अपने उ रदाियत्व से तब तक मुक्त नह
होगा, जब तक रे ल पर्शासन यह और सािबत नह कर देता है िक उसने माल के वहन म युिक्तयुक्त दूरदिशता और सतकर् ता बरती है ।
94. ऐसी साइिडग पर जो रे ल पर्शासन की नह है, माल का लदान या पिरदान िकया जाना—(1) जहां माल का रे ल ारा
वहन के िलए ऐसी साइिडग पर, जो रे ल पर्शासन की नह है, लदान िकया जाना अपेिक्षत है, वहां रे ल पर्शासन ऐसे माल की िकसी भी
कारण से उद्भूत िकसी हािन, नाश, नुकसान या क्षय के िलए उ रदायी नह होगा जब तक िक वह वैगन, िजसम माल रखा हुआ है, रे ल
पर्शासन और साइिडग के बीच वैगन की अदला-बदली के िविनिदष्ट स्थान पर न रख िदया गया हो और इस िनिम पर्ािधकृ त िकसी
रे ल सेवक को साइिडग के स्वामी ने तद्नुसार िलिखत रूप म सूचना न दे दी हो ।
(2) जहां रे ल पर्शासन ारा िकसी परे षण का ऐसी साइिडग पर, जो रे ल पर्शासन की नह है, पिरद िकया जाना अपेिक्षत है
वहां रे ल पर्शासन, ऐसे िकसी परे षण की िकसी भी कारण से उद्भूत िकसी हािन, नाश, नुकसान या क्षय या अपिरदान के िलए तब
उ रदायी नह होगा, जब रे ल और साइिडग के बीच वैगन की अदला-बदली के िविनिदष्ट स्थान पर उस वैगन को िजसम परे षण ह,
रख िदया गया हो और तद्नुसार यह सूचना इस िनिम पर्ािधकृ त िकसी रे ल सेवक ारा िलिखत रूप म साइिडग के स्वामी को दे दी
गई हो ।
95. अिभवहन म िवलम्ब या िनरोध—रे ल पर्शासन िकसी ऐसे परे षण की हािन, नाश, नुकसान या क्षय के िलए उ रदायी
नह होगा, िजसके बारे म स्वामी यह सािबत कर देता है िक वह उनके वहन म िवलम्ब या िनरोध के कारण हुआ है यिद रे ल पर्शासन
यह सािबत कर देता है िक ऐसा िवलम्ब या िनरोध उसके िनयंतर्ण के परे कारण से हुआ है या वह उसकी या उसके िकसी सेवक की
िकसी उपेक्षा या अवचार के िबना हुआ है ।
96. भारत म और िवदेश म रे ल पर गुजरने वाला यातायात—जहां भारत म िकसी स्थान से भारत के बाहर िकसी स्थान
तक या भारत के बाहर िकसी स्थान से भारत म िकसी स्थान तक या भारत के बाहर एक स्थान से भारत के बाहर िकसी अन्य स्थान तक
या भारत म िकसी एक स्थान से भारत के बाहर के िकसी राज्यक्षेतर् से होकर भारत म िकसी अन्य स्थान तक िकसी परे षण के वहन के
अनुकर्म म, उसे भारत म के िकसी रे ल पर्शासन की रे ल पर वहन िकया जाता है, वहां वह रे ल पर्शासन इस अध्याय के उपबंध म से
िकसी के अधीन माल की िकसी भी कारण से उद्भूत होने वाली हािन, नाश, नुकसान या क्षय के िलए उ रदायी नह होगा जब तक िक
उस माल के स्वामी ारा यह सािबत नह कर िदया जाता है िक ऐसी हािन, नाश, नुकसान या क्षय उस रेल पर्शासन की रे ल पर
हुआ है ।
97. स्वामी-जोिखम रे ट पर वहन िकया गया माल—धारा 93 म िकसी बात के होते हुए भी, रे ल पर्शासन तब तक
स्वामी-जोिखम रे ट पर वहन िकए गए िकसी परे षण की िकसी भी कारण से उद्भूत होने वाली िकसी हािन, नाश, नुकसान, क्षय या
अपिरदान के िलए, जो अिभवहन म हो, उ रदायी नह होगा जब तक यह सािबत न हो जाए िक वह हािन, नाश, नुकसान, क्षय या
अपिरदान उसकी या उसके िकसी सेवक की ओर से िकसी उपेक्षा या अवचार के कारण हुआ है :
परन्तु जहां —
(क) ऐसा संपूणर् परे षण या ऐसा कोई संपूणर् पैकेज, जो ऐसे परे षण का भाग है, परे िषती या पृष्ठांिकती को पिरद
नह िकया जाता है और रे ल पर्शासन ारा यह सािबत नह िकया जाता है िक ऐसा अपिरदान अिग्न या रे लगाड़ी की दुघर्टना
के कारण है ; या
29

(ख) ऐसे िकसी परे षण या ऐसे िकसी पैकेज के बारे म, जो ऐसे परे षण का भाग है, जो ऐसे आच्छािदत या सुरिक्षत
िकया गया था िक आच्छादन या सुरक्षा हाथ से सरलतापूवर्क नह हटाई जा सकती थी, पिरदान िकए जाने पर या उसके पूवर्
रे ल पर्शासन को यह बताया जाता है िक उस परे षण या पैकेज के िकसी भाग का अिभवहन म मूषण िकया गया है,
वहां रे ल पर्शासन परे षक, परे िषती या पृष्ठांिकती को यह पर्कट करने के िलए बाध्य होगा िक उस परे षण या पैकेज को, उस संपूणर्
अविध के दौरान जबिक वह उसके कब्जे या िनयंतर्ण म था, कै से रखा गया था, िकन्तु यिद ऐसे पर्कटीकरण से रे ल पर्शासन या उसके
िकसी सेवक की ओर से उपेक्षा या अवचार का समुिचत रूप से अनुमान नह लगाया जा सकता है तो ऐसी उपेक्षा या अवचार सािबत
करने का भार परे षक, परे िषती या पृष्ठांिकती पर होगा ।
98. तर्िटपूणर् दशा म या तर्ुिटपूणर् रूप से पैक िकया गया माल—(1) इस अध्याय के पूवर्गामी उपबंध म िकसी बात के होते
हुए भी, जब वहन के िलए िकसी रे ल पर्शासन को स पा गया कोई माल—
(क) तर्ुिटपूणर् दशा म है िजसके पिरणामस्वरूप उसका नुकसान, क्षय, िरसन या अपचय हो सकता है ; अथवा
(ख) या तो तर्ुिटपूणर् रूप से पैक िकया गया है या ऐसी रीित से पैक नह िकया गया है जो िविहत की जाए और ऐसा
तर्ुिटपूणर् या अनुिचत पैिकग के पिरणामस्वरूप उसका नुकसान, क्षय, िरसन या अपचय हो सकता है,
और ऐसी दशा या तर्ुिटपूणर् या अनुिचत पैिकग का तथ्य परे षक या उसके अिभकतार् ारा पर्ेषण िटप्पण म अिभिलिखत िकया गया है,
तब रे ल पर्शासन िकसी नुकसान, क्षय, िरसन या अपचय के िलए या उस दशा के िलए िजसम ऐसा माल गंत स्थान पर पिरदान के
िलए उपलभ्य है, उ रदायी नह होगा :
परन्तु यिद रे ल पर्शासन या उसके िकसी कमर्चारी की ओर से उपेक्षा या अवचार सािबत हो जाता है तो रे ल पर्शासन ऐसे
िकसी नुकसान, क्षय, िरसन या अपचय के िलए या उस दशा के िलए, िजसम ऐसा माल गंत स्थान पर पिरदान के िलए उपलभ्य है
उ रदायी होगा ।
(2) जब वहन के िलए रे ल पर्शासन को सुपुदर् िकए गए िकसी माल के गन्त स्टेशन पर पहुंचने पर यह पाया जाता है िक
उसको नुकसान पहुंचा है या उसका क्षय, िरसन या अपचय हुआ है तो रे ल पर्शासन माल के नुकसान, क्षय, िरसन या अपचय के िलए,
रे ल पर्शासन ारा यह सबूत देने पर उ रदायी नह होगा िक —
(क) माल रे ल पर्शासन को सुपुदर् िकए जाते समय तर्ुिटपूणर् दशा म था या उस समय या तो तर्ुिटपूणर् रूप से पैक िकया
हुआ था या ऐसी रीित म पैक नह िकया हुआ था जो िविहत की जाए और िजसके पिरणामस्वरूप उसका नुकसान, क्षय,
िरसन या अपचय हो सकता था ; और
(ख) रे ल ारा वहन के िलए माल को रे ल पर्शासन को सुपुदर् िकए जाते समय ऐसी तर्ुिटपूणर् दशा या तर्ुिटपूणर् या
अनुिचत पैिकग को रे ल पर्शासन या उसके िकसी सेवक के ध्यान म नह लाया गया था :
परन्तु यिद रे ल पर्शासन या उसके िकसी सेवक की ओर से िकसी उपेक्षा या अवचार का िकया जाना सािबत कर िदया जाता है
तो रे ल पर्शासन ऐसे िकसी नुकसान, क्षय, िरसन या अपचय के िलए उ रदायी होगा ।
99. अिभवहन की समािप्त के पश्चात् रे ल पर्शासन का उ रदाियत्व—(1) िकसी परे षण की हािन, नाश, नुकसान, क्षय या
अपिरदान के िलए रे ल पर्शासन अिभवहन की समािप्त के पश्चात् सात िदन की कालाविध तक भारतीय संिवदा अिधिनयम,
1872 (1872 का 9) की धारा 151, धारा 152 और धारा 161 के अधीन उपिनिहती के रूप म उ रदायी होगा :
परन्तु जहां परे षण स्वामी-जोिखम रे ट पर है वहां रे ल पर्शासन अपनी या अपने सेवक म से िकसी की उपेक्षा या अवचार के
सािबत होने पर ही ऐसी हािन, नाश, नुकसान, क्षय या अपिरदान के िलए उपिनिहती के रूप म उ रदायी होगा, अन्यथा नह ।
(2) अिभवहन की समािप्त से सात िदन की कालाविध के अवसान के पश्चात् उद्भूत िकसी परे षण की हािन, नाश, नुकसान,
क्षय या अपिरदान के िलए रे ल पर्शासन िकसी भी दशा म उ रदायी नह होगा ।
(3) इस धारा के पूवर्गामी उपबंध म िकसी बात के होते हुए भी, रे ल पर्शासन िवन र माल, जीवजन्तु , िवस्फोटक पदाथ
तथा ऐसे खतरनाक या अन्य माल की, जो िविहत िकया जाए, हािन, नाश, नुकसान, क्षय या अपिरदान के िलए अिभवहन की समािप्त
के पश्चात् उ रदायी नह होगा ।
(4) इस धारा के पूवर्गामी उपबंध की िकसी बात से िकसी िक्त के उस समय के िलए, जब तक परे षण रेल वैगन से उतार
नह िलया जाता है, या रे ल पिरसर से हटा नह िलया जाता, यथािस्थित, िकसी डेमरे ज या स्थान-भाड़े का संदाय करने के दाियत्व पर
पर्भाव नह पड़ेगा ।
100. सामान के वाहक के रूप म उ रदाियत्व—रे ल पर्शासन िकसी सामान की हािन, नाश, नुकसान, क्षय या अपिरदान के
िलए तभी उ रदायी होगा जब िकसी रे ल सेवक ने सामान बुक िकया हो और उसके िलए रसीद दी हो तथा उस सामान की दशा म जो
यातर्ी ारा अपने भारसाधन म वहन िकया जाता है, जब यह भी सािबत कर िदया जाता है िक हािन, नाश, नुकसान या क्षय उसकी या
उसके िकसी सेवक की उपेक्षा या अवचार के कारण हुआ था ।
30

101. जीवजन्तु के वाहक के रूप म उ रदाियत्व—रे ल पर्शासन, रे ल ारा वहन िकए गए िकसी जीवजन्तु के डर जाने या
ाकु लता के कारण या परे षक ारा वैगन के अिधक लदान के कारण उद्भूत िकसी हािन या नाश या क्षित के िलए उ रदायी
नह होगा ।
102. कितपय दशा म दाियत्व से िवमुिक्त—इस अध्याय के पूवर्गामी उपबन्ध म िकसी बात के होते हुए भी, कोई रे ल
पर्शासन िकसी परे षण की हािन, नाश, नुकसान, क्षय या अपिरदान के िलए िनम्निलिखत दशा म उ रदायी नह होगा :—
(क) जब ऐसी हािन, नाश, नुकसान, क्षय या अपिरदान इस तथ्य के कारण हुआ है िक धारा 66 की उपधारा (1) के
अधीन िदए गए िववरण म परे षण का ताित्त्वक रूप से िमथ्या वणर्न िकया गया है ; या
(ख) जहां परे षक या परे िषती या पृष्ठांिकती अथवा परे षक, परे िषती या पृष्ठांिकती के िकसी अिभकतार् ारा कोई
कपट गया है ; या
(ग) जहां रे ल पर्शासन ारा सािबत कर िदया जाता है िक वह िनम्निलिखत से कािरत या उद्भूत हुआ है —
(i) परे षक या परे िषती या पृष्ठांिकती ारा अथवा परे षक, परे िषती या पृष्ठांिकती के िकसी अिभकतार्
ारा अनुिचत लदाई या उतराई से ;
(ii) बलवा, िसिवल अशांित, हड़ताल, तालेबद
ं ी या शर्िमक के रोके जाने या अवरोध, िकसी भी कारण
से है, चाहे वह आंिशक हो अथवा साधारण ;
(घ) िकसी भी अपर्त्यक्ष या पािरणािमक हािन या नुकसान के िलए या ऐसी हािन के िलए जो िविशष्ट बाजार म
माल न पहुंचने से हुई है ।
103. िकसी परे षण के संबधं म धनीय दाियत्व की सीमा—(1) जहां कोई परे षण रे ल पर्शासन को रे ल ारा वहन िकए जाने के
िलए स पा जाता है और ऐसे परेषण का मूल्य परे षक ारा उपधारा (2) के अधीन अपेिक्षत रूप म घोिषत नह िकया जाता है वहां
िकसी परे षण की हािन, नाश, नुकसान, क्षय या अपिरदान के िलए रे ल पर्शासन के दाियत्व की रकम िकसी भी दशा म ऐसी रकम से
अिधक नह होगी जो ऐसे परे षण के , जो िविहत िकया जाए, वजन के पर्ित िनदश से पिरकिलत की जाती है और जहां ऐसे परे षण म
कोई जीवजन्तु है, वहां दाियत्व ऐसी रकम से अिधक नह होगा, जो िविहत की जाए ।
(2) उपधारा (1) म िकसी बात के होते हुए भी, जहां परे षक रे ल पर्शासन को रे ल ारा वहन के िलए िकसी परे षण को स पे
जाने के समय उसका मूल्य घोिषत करता है और ऐसे पर्ितशत पर्भार का, जो िविहत िकया जाए, ऐसे परे षण के उतने मूल्य पर, जो
उपधारा (1) के अधीन, यथािस्थित, पिरकिलत या िविनिदष्ट रे ल पर्शासन के दाियत्व से अिधक है, संदाय करता है वहां ऐसे परे षण की
हािन, नाश, नुकसान, क्षय या अपिरदान के िलए रे ल पर्शासन का दाियत्व इस पर्कार घोिषत मूल्य से अिधक नह होगा ।
(3) के न्दर्ीय सरकार, समय-समय पर अिधसूचना ारा यह िनदेश दे सके गी िक ऐसा माल, जो अिधसूचना म िविनिदष्ट िकया
जाए, रे ल ारा वहन के िलए तब तक स्वीकार नह िकया जाएगा जब तक िक ऐसे माल का उपधारा (2) के अधीन यथा अपेिक्षत मूल्य
घोिषत न िकया गया हो और पर्ितशत पर्भार का संदाय न िकया गया हो ।
104. खुले वैगन म वहन िकए गए माल के संबध ं म दाियत्व की सीमा—जहां कोई माल, जो साधारण पिरिस्थितय म, ढके
हुए वैगन म वहन िकया जाएगा और यिद उसे अन्यथा वहन िकया जाता है तो उसका नुकसान हो सकता है परे षक के पर्ेषण िटप्पण म
अिभिलिखत सहमित से खुले वैगन म वहन िकया जाता है, वहां माल के के वल इस पर्कार वहन िकए जाने के कारण उद्भूत नाश,
नुकसान या क्षय के िलए रे ल पर्शासन का उ रदाियत्व, इस अध्याय के अधीन अवधािरत ऐसे नाश, नुकसान या क्षय के दाियत्व की
रकम का आधा होगा ।
105. कितपय परे षण या सामान की अंतवर्स्तु की जांच करने का रे ल पर्शासन का अिधकार—जहां िकसी परे षण की बाबत
धारा 103 के अधीन मूल्य घोिषत िकया गया है वहां रे ल पर्शासन ऐसे परे षण का वहन करने के िलए यह शतर् रख सकता है िक उसके
ारा इस िनिम पर्ािधकृ त िकसी रे ल सेवक का परीक्षा ारा या अन्यथा यह समाधान कर िदया गया है िक वहन के िलए िदए गए
िकसी परे षण म वही वस्तुएं ह जो घोिषत की गई ह ।
106. पर्ितकर के िलए दावे और अिधक पर्भार के पर्ितदाय की सूचना—(1) रे ल ारा वहन िकए गए िकसी माल की हािन,
नाश, नुकसान, क्षय या अपिरदान के िलए रे ल पर्शासन के िवरु पर्ितकर का दावा करने के िलए कोई िक्त तब तक हकदार नह
होगा जब तक िक उसकी सूचना की तामील उसके ारा या उसकी ओर से —
(क) उस रे ल पर्शासन पर िजसको माल वहन के िलए सुपुदर् िकया जाता है ; या
(ख) उस रे ल पर्शासन पर, िजसके रे लमागर् पर वह गन्त स्टेशन है या जहां हािन, नाश, नुकसान या क्षय घिटत
हुआ है,
माल के स पे जाने को तारीख से छह मास की अविध के भीतर नह कर दी जाती है ।
31

(2) उपधारा (1) म विणत रेल पर्शासन म से िकसी से उस िक्त के ारा या उसकी ओर से माल के अपिरदान या पिरदान
म हुए िवलंब के संबंध म, उस माल की पहचान के िलए पयार्प्त िविशिष्टयां देते हुए छह मास की उक्त अविध के भीतर िलिखत रूप म
मांगी गई कोई जानकारी या की गई कोई पूछताछ या िलिखत रूप म िकया गया कोई पिरवाद, इस धारा के पर्योजन के िलए पर्ितकर के
िलए दावे की सूचना समझी जाएगी ।
(3) कोई िक्त रे ल ारा वहन िकए गए माल के बारे म अिधक पर्भार के पर्ितदाय का तब तक हकदार नह होगा जब तक
िक उसके ारा या उसकी ओर से उस रे ल पर्शासन को िजसे अिधक पर्भार का संदाय िकया गया है, ऐसे संदाय की तारीख से या ऐसे
माल के गंत स्टेशन पर पिरदान की तारीख से, इन दोन म से जो भी बाद की हो, छह मास के भीतर उसकी सूचना की तामील नह
कर दी गई है ।
107. माल की हािन आिद के िलए पर्ितकर के वास्ते आवेदन—माल की हािन, नाश, नुकसान, क्षय या अपिरदान के िलए
पर्ितकर के वास्ते कोई आवेदन, उस रे ल पर्शासन के िवरु , िजस पर धारा 106 के अधीन सूचना की तामील कर दी गई है, फाइल
िकया जाएगा ।
108. पर्ितकर का दावा करने के िलए हकदार िक्त—(1) यिद रे ल पर्शासन, वहन के िलए उसे स पे गए िकसी माल की
हािन, नाश, नुकसान, क्षय या अपिरदान के िलए िकसी पर्ितकर का संदाय रे ल रसीद पेश करने वाले िकसी परे िषती या पृष्ठांिकती को
कर देता है तो यह समझा जाएगा िक रे ल पर्शासन ने अपने दाियत्व का िनवर्हन कर िदया है और दावा अिधकरण के समक्ष रे ल पर्शासन
के िवरु कोई आवेदन या कोई अन्य िविधक कायर्वाही इस आधार पर नह लाई जाएगी िक परे िषती या पृष्ठांिकती ऐसा पर्ितकर पर्ाप्त
करने के िलए वैध रूप से हकदार नह था ।
(2) उपधारा (1) की कोई बात, माल म कोई िहत रखने वाले िकसी िक्त के अिधकार पर उस उपधारा के अधीन पर्ितकर
पर्ाप्त करने वाले परे िषती या पृष्ठांिकती के िवरु उसे पर्वितत करने के िलए, पर्ितकू ल पर्भाव नह डालेगी ।
109. रे ल पर्शासन, िजसके िवरु वैयिक्तक क्षित के वास्ते पर्ितकर के िलए आवेदन फाइल िकया जाना है—िकसी यातर्ी की
जीवन हािन या वैयिक्तक क्षित के वास्ते पर्ितकर के िलए दावा अिधकरण के समक्ष आवेदन िनम्निलिखत के िवरु संिस्थत िकया
जा सके गा—
(क) उस रे ल पर्शासन के िवरु िजससे यातर्ी ने अपना पास अिभपर्ाप्त िकया था या अपना िटकट कर्य
िकया था ; या
(ख) उस रे ल पर्शासन के िवरु िजसकी रे ल पर गन्त स्टेशन है या जहां ऐसी हािन या वैयिक्तक क्षित हुई है ।
110. सबूत का भार—िकसी माल की हािन, नाश, नुकसान, क्षय या अपिरदान के िलए पर्ितकर के वास्ते दावा अिधकरण के
समक्ष िकसी आवेदन म—
(क) वास्तव म हुई धनीय हािन ; या
(ख) जहां िकसी परे षण की बाबत धारा 103 की उपधारा (2) के अधीन कोई मूल्य घोिषत िकया गया है, वहां यह
िक इस पर्कार घोिषत मूल्य उसका सही मूल्य है,
सािबत करने का भार पर्ितकर का दावा करने वाले िक्त पर होगा िकन्तु इस अिधिनयम के अन्य उपबंध के अधीन रहते हुए उसके
िलए यह सािबत करना आवश्यक नह होगा िक हािन, नाश, नुकसान, क्षय या अपिरदान िकस पर्कार हुआ था ।
111. समुदर् पर दुघटर् ना के बारे म रे ल पर्शासन के दाियत्व की सीमा—(1) जब रे ल पर्शासन याितर्य या माल को अंशत:
रे ल ारा और अंशत: समुदर् ारा वहन करने के िलए संिवदा करता है, तब जीवन की ऐसी िकसी हािन, ऐसी वैयिक्तक क्षित या माल
की ऐसी हािन या नुकसान के िलए, जो समुदर् ारा वहन के दौरान दैवकृ त, लोकशतर्ुकृत, आग, मशीनरी, बायलर और वाष्प से हुई
दुघर्टना से और समुदर् , निदय और नौपिरवहन म िकसी भी पर्कृ ित और िकसी भी पर्कार के सभी और हर अन्य खतर और दुघर्टना
के कारण हो, उ रदाियत्व से रे ल पर्शासन को छू ट देने वाली शतर्, अिभ क्त िकए िबना भी, संिवदा का भाग समझी जाएगी और उस
शतर् के अधीन रहते हुए रे ल पर्शासन, चाहे वह पोत िजसका उपयोग समुदर् ारा वहन के िलए िकया गया है, िकसी भी राष्टर्ीयता या
स्वािमत्व का हो जीवन की ऐसी िकसी हािन, वैयिक्तक क्षित या माल की हािन या नुकसान के िलए, जो समुदर् ारा वहन के दौरान हो,
उस िवस्तार तक के िलए, न िक उससे अिधक, उ रदायी होगा िजस तक िक वह वािणज्य पोत पिरवहन अिधिनयम, 1958 (1958 का
44) के अधीन तब उ रदायी होता जब पोत उक्त अिधिनयम के अधीन रिजस्टर्ीकृ त होता और रे ल पर्शासन उस पोत का स्वामी होता ।
(2) यह सािबत करने का भार रे ल पर्शासन पर होगा िक ऐसी कोई हािन, क्षित या नुकसान जो उपधारा (1) म विणत है,
समुदर् ारा वहन के दौरान हुआ था ।
112. इस अध्याय के िवषय की बाबत िनयम बनाने की शिक्त—(1) के न्दर्ीय सरकार, इस अध्याय के पर्योजन को कायार्िन्वत
करने के िलए िनयम, अिधसूचना ारा, बना सके गी ।
(2) िविशष्टतया और पूवर्गामी शिक्त की ापकता पर पर्ितकू ल पर्भाव डाले िबना, ऐसे िनयम म िनम्निलिखत सभी या
िकन्ह िवषय के िलए उपबंध िकया जा सके गा, अथार्त् :—
32

(क) रे ल पर्शासन को स पे गए माल के , धारा 98 की उपधारा (1) के खंड (ख) के अधीन, पैक करने की रीित ;
(ख) धारा 99 की उपधारा (3) के पर्योजन के िलए माल, और
(ग) धारा 103 की उपधारा (1) के अधीन िकसी परे षण की हािन, नाश, नुकसान, क्षय या अपिरदान के िलए रे ल
पर्शासन ारा संदय
े अिधकतम रकम ।
अध्याय 12

दुघटर् नाएं
113. रे ल दुघटर् ना की सूचना—(1) जब िकसी रे ल के कायर्चालन के अनुकर्म म, िनम्निलिखत म से कोई दुघर्टना होती
है, अथार्त् :—
(क) ऐसी दुघर्टना िजसम िकसी मानव जीवन की हािन या भारतीय दंड संिहता (1860 का 45) म यथापिरभािषत
घोर उपहित या सम्पि को ऐसी गंभीर क्षित पहुंची है जो िविहत की जाए ; या
(ख) ऐसी रे लगािड़य के बीच कोई टक्कर िजनम से कोई एक याितर्य का वहन करने वाली रे लगाड़ी है ; या
(ग) याितर्य का वहन करने वाली िकसी रे लगाड़ी या ऐसी रे लगाड़ी के िकसी भाग का पटरी से उतरना ; या
(घ) िकसी पर्कार की ऐसी कोई दुघर्टना िजसम पर्ायः मानव जीवन की हािन या यथापूव क्त घोर उपहित या
सम्पि की गंभीर क्षित होती है ; या
(ङ) िकसी अन्य पर्कार की ऐसी कोई दुघर्टना, िजसे के न्दर्ीय सरकार, राजपतर् म इस िनिम अिधसूिचत करे ,
तब जहां दुघर्टना हुई है, उस स्थान से िनकटतम स्टेशन का स्टेशन मास्टर या जहां कोई स्टेशन मास्टर नह है वहां रे ल के उस अनुभाग
का, िजस पर दुघर्टना हुई है, भारसाधक रे ल सेवक िबना िवलम्ब के दुघर्टना की सूचना उस िजला मिजस्टर्ेट और पुिलस अधीक्षक को
देगा िजसकी अिधकािरता के भीतर दुघर्टना हुई है, या उस पुिलस थाने के , िजसकी स्थानीय सीमा के भीतर दुघर्टना हुई है,
भारसाधक अिधकारी को देगा या, ऐसे अन्य मिजस्टर्ेट या पुिलस अिधकारी को देगा जो के न्दर्ीय सरकार ारा इस िनिम िनयुक्त िकया
जाए ।
(2) वह रे ल पर्शासन िजसकी अिधकािरता के भीतर दुघर्टना होती है तथा वह रे ल पर्शासन िजसकी वह रे ल है, जो
दुघर्टनागर्स्त हुई है, िबना िवलम्ब के , दुघर्टना की सूचना राज्य सरकार को और उस आयुक्त को देगा िजसकी दुघर्टनास्थल पर
अिधकािरता है ।
114. आयुक्त ारा जांच—(1) याितर्य का वहन करने वाली िकसी रे लगाड़ी के ऐसे दुघर्टनागर्स्त होने की िजसम मानव
जीवन की हािन या घोर उपहित हुई है िजससे िकसी यातर्ी को स्थायी पर्कृ ित की पूणर् या आंिशक िनःशक्तता हुई है, या रे ल सम्पि को
गंभीर नुकसान हुआ है, सूचना की धारा 113 के अधीन पर्ािप्त पर आयुक्त, यथासंभव शीघर् उस रेल पर्शासन को िजसकी अिधकािरता के
भीतर दुघर्टना हुई है, उन कारण की, िजनसे दुघर्टना हुई है, जांच करने के अपने आशय को अिधसूिचत करे गा और साथ ही जांच की
तारीख, समय और स्थान िनयत करे गा और संसूिचत करे गा :
परन्तु आयुक्त िकसी ऐसी अन्य दुघर्टना के बारे म भी जांच करने के िलए स्वतंतर् होगा िजसकी ऐसी जांच करना उसकी राय
म अपेिक्षत है ।
(2) यिद िकसी कारणवश आयुक्त दुघर्टना होने के बाद यथाशक्यशीघर् जांच करने के िलए समथर् नह है तो वह तद्नुसार रे ल
पर्शासन को अिधसूिचत करे गा ।
115. रे ल पर्शासन ारा जांच—जहां आयुक्त ारा धारा 114 की उपधारा (1) के अधीन कोई जांच नह की जाती है या जहां
आयुक्त ने उस धारा की उपधारा (2) के अधीन रे ल पर्शासन को यह सूिचत कर िदया है िक वह जांच करने के िलए समथर् नह है वहां
रे ल पर्शासन, िजसकी अिधकािरता के भीतर दुघर्टना हुई है, िविहत पर्िकर्या के अनुसार जांच कराएगा ।
116. जांच के संबधं म आयुक्त की शिक्तयां—(1) इस अध्याय के अधीन रेल पर िकसी दुघर्टना के कारण की जांच करने के
पर्योजन के िलए आयुक्त को, धारा 7 म िविनिदष्ट शिक्तय के अितिरक्त िनम्निलिखत िवषय के संबंध म ऐसी शिक्तयां ह गी जो
िसिवल पर्िकर्या संिहता, 1908 (1908 का 5) के अधीन िकसी वाद का िवचारण करते समय िकसी िसिवल न्यायालय म िनिहत
होती ह, अथार्त् :—
(क) िक्तय को समन करना और हािजर कराना और शपथ पर उनकी परीक्षा करना ;
(ख) दस्तावेज के पर्कटीकरण और उनके पेश िकए जाने की अपेक्षा करना ;
(ग) शपथपतर् पर सा य पर्ाप्त करना ;
(घ) िकसी न्यायालय या कायार्लय से िकसी लोक अिभलेख या उसकी पर्ितय की अध्यपेक्षा करना ;
33

(ङ) कोई अन्य िवषय, जो िविहत िकया जाए ।


(2) आयुक्त को इस अध्याय के अधीन जांच करते समय दंड पर्िकर्या संिहता, 1973 (1974 का 2) की धारा 195 और
अध्याय 26 के पर्योजन के िलए िसिवल न्यायालय माना जाएगा ।
117. आयुक्त के समक्ष िकया गया कथन—आयुक्त के समक्ष िकसी जांच म सा य देने के अनुकर्म म िकसी िक्त ारा िकया
गया कोई कथन, ऐसे कथन ारा िमथ्या सा य देने के िलए अिभयोजन के िसवाय, उसे िकसी िसिवल या दािण्डक कायर्वाही के
अध्यधीन नह बनाएगा या ऐसी कायर्वाही म उसके िवरु उपयोग म नह लाया जाएगा :
परन्तु यह तब जबिक वह कथन—
(क) ऐसे िकसी पर्श्न के उ र म िकया जाता है िजसका उ र देने की आयुक्त ने अपेक्षा की है ;
(ख) उस जांच की िवषय-वस्तु से सुसंगत है ।
118. पर्िकर्या, आिद—इस अध्याय के अधीन जांच करने वाला कोई रे ल पर्शासन या आयुक्त, जांच की सूचना ऐसे िक्तय
को भेज सके गा, ऐसी पर्िकर्या का पालन कर सके गा और िरपोटर् उस रीित म तैयार कर सके गा जो िविहत की जाए ।
119. यिद जांच आयोग की िनयुिक्त की जाती है, तो कोई भी जांच, अन्वेषण आिद नह िकया जाएगा—इस अध्याय के
पूवर्गामी उपबंध म िकसी बात के होते हुए भी, जहां दुघर्टना की जांच करने के िलए जांच आयोग अिधिनयम, 1952 (1952 का 60)
के अधीन जांच आयोग िनयुक्त िकया जाता है, वहां उस दुघर्टना के संबंध म लंिबत कोई जांच, अन्वेषण या अन्य कायर्वाही नह की
जाएगी, और ऐसी जांच से संबिं धत सभी अिभलेख या अन्य दस्तावेज ऐसे पर्ािधकारी को, जो के न्दर्ीय सरकार ारा इस िनिम
िविनिदष्ट िकया जाए, भेज िदए जाएंगे ।
120. ऐसी दुघटर् ना की जांच, जो धारा 113 के अंतगर्त नह आती—जहां ऐसी पर्कृ ित की कोई दुघर्टना, जो धारा 113 म
िविनिदष्ट नह है, रे ल के कायर्करण के अनुकर्म म होती है, वहां वह रे ल पर्शासन िजसकी अिधकािरता के भीतर दुघटर् ना हुई है, दुघर्टना
के कारण की ऐसी जांच करा सके गा जो िविहत की जाए ।
121. िववरिणयां—पर्त्येक रे ल पर्शासन, अपनी रेल पर घिटत होने वाली दुघर्टना की एक िववरणी, चाहे उन दुघटर् ना म
िकसी िक्त को क्षित पहुंची हो, अथवा नह , ऐसे पर्रूप और ऐसी रीित म और ऐसे अंतराल पर, जो िविहत िकए जाएं, के न्दर्ीय
सरकार को भेजेगा ।
122. इस अध्याय के िवषय की बाबत िनयम बनाने की शिक्त—(1) के न्दर्ीय सरकार इस अध्याय के पर्योजन को कायार्िन्वत
करने के िलए िनयम, अिधसूचना ारा, बना सके गी ।
(2) िविशष्टतया और पूवर्गामी शिक्त की ापकता पर पर्ितकू ल पर्भाव डाले िबना, ऐसे िनयम म िनम्निलिखत सभी या
िकन्ह िवषय के िलए उपबंध िकया जा सके गा, अथार्त् :—
(क) संपि की क्षित, जो धारा 113 की उपधारा (1) के खंड (क) के अधीन गंभीर मानी जाएगी ;
(ख) दुघर्टना की सूचना, जो धारा 113 के अधीन दी जानी है, का पर्रूप और दुघर्टना की वे िविशिष्टयां जो ऐसी
सूचना म ह गी ;
(ग) दुघटर् ना की सूचनाएं भेजने की रीित, िजसके अंतगर्त दुघटर् ना के तुरंत पश्चात् भेजे जाने वाले वगर् की
दुघर्टनाएं भी ह ;
(घ) िकसी दुघर्टना होने पर आयुक्त, रे ल पर्शासन, रे ल सेवक, पुिलस अिधकारी और मिजस्टर्ेट के कतर् ;
(ङ) वे िक्त िजन्ह इस अध्याय के अधीन िकसी जांच की बाबत सूचनाएं भेजी जानी ह, ऐसी जांच म अनुसरण
की जाने वाली पर्िकर्या और वह रीित िजसम ऐसी जांच की िरपोटर् तैयार की जाएगी ;
(च) रे ल पर्शासन ारा धारा 120 के अधीन दुघर्टना के कारण के िलए की जाने वाली जांच की पर्कृ ित ;
(छ) रे ल पर्शासन ारा धारा 121 के अधीन दुघर्टना की िववरणी भेजने का पर्रूप और उसकी रीित ।
अध्याय 13

दुघटर् ना के कारण याितर्य की मृत्यु और क्षित के िलए रे ल पर्शासन का दाियत्व


123. पिरभाषाएं—इस अध्याय म, जब तक िक संदभर् से अन्यथा अपेिक्षत न हो,—
(क) “दुघर्टना” से धारा 124 म विणत पर्कार की दुघर्टना अिभपर्ेत है ;
(ख) “आिशर्त” से मृतक यातर्ी का िनम्निलिखत कोई नातेदार अिभपर्ेत है, अथार्त् :—
(i) पत्नी, पित, पुतर् और पुतर्ी, और यिद मृतक यातर्ी अिववािहत या अवयस्क है तो उसके माता-िपता ;
34

(ii) माता-िपता, अवयस्क भाई या अिववािहत बिहन, िवधवा बिहन, िवधवा पुतर्वधु और पूवर् मृत पुतर्
की अवयस्क संतान, यिद वह मृतक यातर्ी पर पूणर् या आंिशक रूप से आिशर्त है ;
(iii) पूवर् मृत पुतर्ी की अवयस्क संतान यिद वह मृतक यातर्ी पर पूणर् रूप से आिशर्त है ;
(iv) िपतामह-िपतामही, जो मृतक यातर्ी पर पूणर् रूप से आिशर्त ह ।
1 [(ग) “अनपेिक्षत घटना” से अिभपर्ेत है,—
(1) याितर्य को वहन करने वाली िकसी रे लगाड़ी म या उस पर अथवा िकसी रे ल स्टेशन की पर्सीमा के भीतर
पर्तीक्षालय, यातर्ी सामान घर अथवा आरक्षण या बुिकग कायार्लय म या िकसी प्लेटफामर् पर या िकसी अन्य स्थान म िकसी
िक्त ारा,—
(i) आतंकवादी और िवध्वंसक िकर्याकलाप (िनवारण) अिधिनयम, 1987 (1987 का 28) की धारा 3 की
उपधारा (1) के अथर् म कोई आतंकवादी कायर् िकया जाना ;
(ii) कोई िहसात्मक आकर्मण िकया जाना अथवा लूट या डकै ती िकया जाना ;
(iii) बलवा िकया जाना, गोली मारना या आग लगाया जाना ;
(2) याितर्य को वहन करने वाली िकसी रे लगाड़ी से िकसी िक्त का दुघर्टनावश िगर जाना ।]
124. दाियत्व की सीमा—जब िकसी रे ल के कायर्करण के अनुकर्म म कोई दुघर्टना होती है, जो या तो ऐसी रे लगािड़य के बीच
टक्कर हो िजनम एक याितर्य का वहन करने वाली रे लगाड़ी है अथवा याितर्य का वहन करने वाली िकसी रे लगाड़ी या ऐसी रे लगाड़ी
का कोई भाग पटरी से उतर गया हो या कोई अन्य दुघर्टना हुई हो, तब चाहे रेल पर्शासन की ओर से ऐसा कोई दोषपूणर् कायर्, उपेक्षा या
ितकर्म हुआ हो या न हुआ हो जो उस यातर्ी को, जो क्षितगर्स्त हुआ है या िजसने हािन उठाई है, उसके बारे म अनुयोजन करने और
नुकसानी वसूल करने के िलए हकदार बनाता है, रे ल पर्शासन, िकसी अन्य िविध म िकसी बात के होते हुए भी, ऐसी दुघर्टना के
पिरणामस्वरूप मरने वाले यातर्ी की मृत्यु के कारण हुई हािन के िलए और ऐसी दुघर्टना के पिरणामस्वरूप हुई वैयिक्तक क्षित तथा
यातर्ी के स्वािमत्व म ऐसे माल की, जो उसके साथ उस कक्ष म या उस रे लगाड़ी म हो, हािन, नाश, नुकसान, या क्षय के िलए, उस सीमा
तक, जो िविहत की जाए, और के वल उस सीमा तक ही, पर्ितकर देने के दाियत्वाधीन होगा ।
स्पष्टीकरण—इस धारा के पर्योजन के िलए “यातर्ी” के अंतगर्त कतर् ारूढ़ रे ल सेवक आता है ।
2
[124क. अनपेिक्षत घटना म े पर्ितकर—जब िकसी रे ल के कायर्करण के अनुकर्म म कोई अनपेिक्षत घटना होती है तब
चाहे रे ल पर्शासन की ओर से ऐसा कोई दोषपूणर् कायर्, उपेक्षा या ितकर्म हुआ हो या न हुआ हो, िजसका उस यातर्ी को जो उससे
क्षितगर्स्त हुआ है या उस यातर्ी के िजसकी मृत्यु हो गई है, आिशर्त को उसके बारे म अनुयोजन करने और नुकसानी वसूल करने के िलए
हकदार बनाता है, रे ल पर्शासन, िकसी अन्य िविध म िकसी बात के होते हुए भी, ऐसी अनपेिक्षत घटना के पिरणामस्वरूप िकसी यातर्ी
की हुई मृत्यु, या उसको हुई क्षित ारा पहुंची हािन के िलए उस सीमा तक, जो िविहत की जाए, और के वल उस सीमा तक ही, पर्ितकर
देने के दाियत्वाधीन होगा :
परन्तु इस धारा के अधीन रे ल पर्शासन ारा कोई पर्ितकर संदय
े नह होगा, यिद यातर्ी की िनम्निलिखत के कारण मृत्यु होती
है या उसको क्षित होती है, अथार्त् :—
(क) उसके ारा आत्महत्या या िकया गया आत्महत्या का पर्यत्न ;
(ख) उसके ारा स्वयं को पहुंचाई गई क्षित ;
(ग) उसका अपना आपरािधक कायर् ;
(घ) उसके ारा म ता या उन्म ता की हालत म िकया गया कोई कायर् ;
(ङ) कोई पर्ाकृ ितक कारण या बीमारी अथवा िचिकत्सीय या शल्य िचिकत्सीय उपचार जब तक िक ऐसा उपचार
उक्त अनपेिक्षत घटना ारा हुई क्षित के िलए आवश्यक नह हो जाता है ।
स्पष्टीकरण—इस धारा के पर्योजन के िलए, “यातर्ी” के अंतगर्त िनम्निलिखत आते ह, अथार्त् :—
(i) कतर् ारूढ़ रे ल सेवक ; और

1
1994 के अिधिनयम सं० 28 की धारा 2 ारा (1-8-1994 से) अंत:स्थािपत ।
2
1994 के अिधिनयम सं० 28 की धारा 3 ारा (1-8-1994 से) अंत:स्थािपत ।
35

(ii) ऐसा िक्त िजसने याितर्य का वहन करने वाली िकसी रे लगाड़ी ारा, िकसी तारीख को, यातर्ा करने के िलए
कोई िविधमान्य िटकट या कोई िविधमान्य प्लेटफामर् िटकट कर्य िकया है और वह िक्त िकसी अनपेिक्षत घटना का िशकार
हो जाता है ।]
125. पर्ितकर के िलए आवेदन—(1) धारा 124 1 [या धारा 124क] के अधीन पर्ितकर के िलए आवेदन दावा अिधकरण को
िनम्निलिखत ारा िकया जा सके गा :—
(क) उस िक्त ारा िजसे क्षित पहुंची है या कोई हािन हुई है ; या
(ख) ऐसे िक्त ारा इस िनिम सम्यक् रूप से पर्ािधकृ त िकसी अिभकतार् ारा ; या
(ग) जहां ऐसा िक्त अवयस्क है, वहां उसके संरक्षक ारा ; या
(घ) जहां दुघर्टना 1[या अनपेिक्षत घटना] के पिरणामस्वरूप मृत्यु हो गई है वहां मृतक के िकसी आिशर्त ारा या
जहां ऐसा आिशर्त अवयस्क है वहां उसके संरक्षक ारा ।
(2) इस धारा के अधीन पर्ितकर के िलए िकसी आिशर्त ारा पर्त्येक आवेदन पर्त्येक अन्य आिशर्त के फायदे के िलए होगा ।
126. रे ल पर्शासन ारा अंतिरम राहत—(1) जहां कोई ऐसा िक्त, िजसने धारा 125 के अधीन पर्ितकर के िलए कोई
आवेदन िकया है, अंतिरम राहत का संदाय चाहता है, वहां वह, रे ल पर्शासन को अंतिरम राहत के संदाय के िलए, उस धारा के अधीन
िकए गए आवेदन की पर्ित सिहत आवेदन कर सके गा ।
(2) जहां उपधारा (1) के अधीन िकए गए िकसी आवेदन की पर्ािप्त पर और ऐसी जांच करने के पश्चात् जो रे ल पर्शासन ठीक
समझता है, उसका समाधान हो जाता है िक ऐसी पिरिस्थितयां िव मान ह िजनके कारण आवेदक को अिवलम्ब राहत देना अपेिक्षत है
वहां वह दावा अिधकरण ारा धारा 124 2 [या धारा 124क] के अधीन संदय े पर्ितकर की वास्तिवक रकम का अवधारण िकए जाने तक,
िकसी ऐसे िक्त को िजसे क्षित पहुंची है या िजसे हािन हुई है या उस दशा म जब दुघर्टना के पिरणामस्वरूप मृत्यु हो गई है, मृतक के
िकसी आिशर्त को उतनी रािश संद कर सके गा िजतनी वह ऐसी राहत देने के िलए युिक्तयुक्त समझता है िकन्तु संद रािश ऐसी दर
से, जो िविहत की जाए, संदये पर्ितकर की रकम से अिधक नह होगी ।
(3) रे ल पर्शासन, उपधारा (2) के अधीन अंतिरम राहत देने के बारे म आदेश करने के पश्चात्, यथाशक्यशीघर् उसकी एक पर्ित
दावा अिधकरण को भेजेगा ।
(4) उपधारा (2) के अधीन रे ल पर्शासन ारा संद िकसी रािश को, दावा अिधकरण ारा उस समय गणना म िलया जाएगा
जब वह संदय
े पर्ितकर की रकम अवधािरत करे ।
127. माल को हुई िकसी क्षित या हािन की बाबत पर्ितकर का अवधारण—(1) ऐसे िनयम के अधीन रहते हुए जो बनाए
जाएं, िकसी क्षित की बाबत संदय
े पर्ितकर की दर का अवधारण दावा अिधकरण ारा िकया जाएगा ।
(2) िकसी माल की हािन की बाबत संदय
े पर्ितकर उतना होगा िजतना दावा अिधकरण, मामले की पिरिस्थितय को दृिष्ट म
रखते हुए युिक्तयुक्त अवधािरत करे ।
128. कितपय अिधकार के बारे म ावृि —(1) धारा 124 3 [या धारा 124क] के अधीन पर्ितकर का दावा करने के िलए
िकसी िक्त के अिधकार से कमर्कार पर्ितकर अिधिनयम, 1923 (1923 का 8) या तत्समय पर्वृ िकसी अन्य िविध के अधीन संदय े
पर्ितकर को वसूल करने के उसके अिधकार पर पर्भाव नह पड़ेगा ; िकन्तु िकसी भी िक्त को उसी दुघर्टना के बारे म एक से अिधक
बार पर्ितकर का दावा करने का हक नह होगा ।
(2) उपधारा (1) की कोई बात मृत्यु या वैयिक्तक क्षित के िलए या संपि के नुकसान के िलए पर्ितकर के संदाय का उपबंध
करने वाली िकसी संिवदा या स्कीम के अधीन संदय
े पर्ितकर का अथवा िकसी बीमा पािलसी के अधीन संदय े िकसी रािश का दावा करने
के िकसी िक्त के अिधकार पर पर्भाव नह डालेगी ।
129. इस अध्याय के िवषय की बाबत िनयम बनाने की शिक्त—(1) के न्दर्ीय सरकार इस अध्याय के पर्योजन को कायार्िन्वत
करने के िलए िनयम, अिधसूचना ारा, बना सके गी ।
(2) िविशष्टतया और पूवर्गामी शिक्त की ापकता पर पर्ितकू ल पर्भाव डाले िबना, ऐसे िनयम म िनम्निलिखत सभी या
िकन्ह िवषय के िलए उपबंध िकया जा सके गा, अथार्त् :—
(क) मृत्यु के िलए संदय
े पर्ितकर ;
(ख) उन क्षितय की पर्कृ ित िजनके िलए पर्ितकर िदया जाएगा और ऐसे पर्ितकर की रकम ।

1
1994 के अिधिनयम सं० 28 की धारा 4 ारा (1-8-1994 से) अंत:स्थािपत ।
2
1994 के अिधिनयम सं० 28 की धारा 5 ारा (1-8-1994 से) अंत:स्थािपत ।
3
1994 के अिधिनयम सं० 28 की धारा 6 ारा (1-8-1994 से) अंत:स्थािपत ।
36

अध्याय 14

काम के घंट और िवशर्ाम की अविध का िविनयमन


130. पिरभाषाएं—इस अध्याय म, जब तक िक संदभर् से अन्यथा अपेिक्षत न हो, —
(क) रे ल सेवक का िनयोजन, उन दशा के िसवाय, “िनरं तर” कहा जाता है जबिक ऐसा िनयोजन अपविजत कर
िदया जाता है या आवश्यक रूप से आंतराियक या शर्म पर्धान घोिषत कर िदया गया है ;
(ख) रे ल सेवक का िनयोजन तब “आवश्यक रूप से आंतराियक” कहा जाता है जब वह िविहत पर्ािधकारी ारा इस
आधार पर ऐसा घोिषत कर िदया गया है िक रे ल सेवक के काम के दैिनक घंट के अंतगर्त बारह घंटे ूटी के दौरे म
पर्सामान्यत: िनिष्कर्यता की (कम से कम एक घंटे से अन्यून एक ऐसी कालाविध या पर्त्येक आधे घंटे से अन्यून दो ऐसी
कालाविधय सिहत) कु ल िमलाकर पचास पर्ितशत या अिधक की (औसतन लगातार बह र घंटे से अिधक की) ऐसी
कालाविधयां आती ह िजनम रे ल सेवक ूटी पर तो होता है िकन्तु उससे शारीिरक सिकर्यता या अिवरत ध्यान देने की
अपेक्षा नह होती है ;
(ग) रे ल सेवक के िनयोजन का “अपविजत” होना तब कहा जाता है जब वह िनम्निलिखत पर्वग म से िकसी एक
का हो, अथार्त् :—
(i) पर्बंधकीय या गोपनीय हैिसयत म िनयोिजत रे ल सेवक ;
(ii) सशस्तर् गारद या अन्य कािमक जो िकसी भी सशस्तर् पुिलस बल के समान ही अनुशासन के अधीन है ;
(iii) तकनीकी पर्िशक्षण या शास्तर्ीय (एके डेिमक) िशक्षा देने वाले रे ल स्कू ल के कमर्चािरवृन्द ;
(iv) ऐसे कमर्चािरवृन्द, जो िनयम के अधीन पयर्वेक्षक कमर्चािरवृन्द के रूप म िविनिदष्ट िकए जाएं ;
(v) कमर्चािरवृन्द के ऐसे अन्य पर्वगर् जो िविहत िकए जाएं ।
(घ) रे ल सेवक के िनयोजन का “शर्म पर्धान” होना तब कहा जाता है जब उसका ऐसा होना िविहत पर्ािधकारी ारा
इस आधार पर घोिषत कर िदया गया हो िक वह शर्म साध्य पर्कृ ित का है िजसम िनरन्तर एकागर्ता या कठोर शारीिरक शर्म
अंतविलत है, तथा िजसम िवशर्ाम की अविध अल्प है, या नह है ।
131. अध्याय का कितपय रे ल सेवक को लागू न होना—इस अध्याय की कोई बात ऐसे िकसी रे ल सेवक को लागू नह होगी
िजसे कारखाना अिधिनयम, 1948 (1948 का 63) या खान अिधिनयम, 1952 (1952 का 35) या रे ल सुरक्षाबल अिधिनयम,
1957 (1957 का 23) या वािणज्य पोत पिरवहन अिधिनयम, 1958 (1958 का 44) लागू होता है ।
132. काम के घंट की पिरसीमा—(1) वह रे ल सेवक िजसका िनयोजन आवश्यक रूप से आन्तराियक है िकसी भी सप्ताह म
पचह र घंटे से अिधक के िलए िनयोिजत नह िकया जाएगा ।
(2) वह रे ल सेवक िजसका िनयोजन िनरन्तर है, चौदह िदन की दो साप्तािहक कालाविधय म औसतन पतालीस घंटे पर्ित
सप्ताह से अिधक के िलए िनयोिजत नह िकया जाएगा ।
(3) वह रे ल सेवक िजसका िनयोजन शर्म पर्धान है चौदह िदन की दो साप्तािहक कालाविधय म औसतन पतालीस घंटे पर्ित
सप्ताह से अिधक के िलए िनयोिजत नह िकया जाएगा ।
(4) ऐसे िकन्ह िनयम के अधीन रहते हुए जो िविहत िकए जाएं, उपधारा (1) या उपधारा (2) या उपधारा (3) के उपबंध से
रे ल सेवक को िविहत पर्ािधकारी ारा अस्थायी छू ट दी जा सके गी यिद उसकी यह राय है िक ऐसी अस्थायी छू ट रे ल के सामान्य
कायर्करण म गम्भीर बाधा दूर करने के िलए या वास्तिवक या आशंिकत दुघर्टना की दशा म या उस समय, जब रे ल या चलस्टाक पर
िकसी अित आवश्यक कायर् का िकया जाना अपेिक्षत है, या िकसी आपात िस्थित म, िजसका पूवार्भास या िनवारण नह हो सकता था,
या काम के असाधारण दवाब की अन्य दशा म आवश्यक है :
परन्तु जहां ऐसी छू ट से उपधारा म से िकसी म िनिदष्ट िकसी रे ल सेवक के िनयोजन के घंट म वृि हो जाती है वहां उसे
काम के अितिरक्त घंट के िलए वेतन की उसकी सामान्य दर से दुगुने से अन्यून दर से अितकाल का संदाय िकया जाएगा ।
133. कािलक िवशर्ाम देना—(1) इस धारा के उपबंध के अधीन रहते हुए, उस रे ल सेवक को—
(क) िजसका िनयोजन शर्म पर्धान या िनरं तर है, रिववार को पर्ारं भ होने वाले हर सप्ताह म तीस कर्मवत घंट से
अन्यून का िवशर्ाम िदया जाएगा ;
(ख) िजसका िनयोजन आवश्यक रूप से आंतराियक है, रिववार को पर्ारं भ होने वाले हर सप्ताह म एक पूरी राितर्
सिहत चौबीस कर्मवत घंट से अन्यून का िवशर्ाम िदया जाएगा ।
(2) उपधारा (1) म िकसी बात के होते हुए भी,—
37

(i) रे ल इं जन या यातायात चल कमर्चािरवृन्द को पर्त्येक मास म कम से कम चार ऐसी कालाविधय का िवशर्ाम


िदया जाएगा िजनम से पर्त्येक कम से कम तीस कर्मवत घंट की होगी या कम से कम पांच ऐसी कालाविधय का िवशर्ाम
िदया जाएगा िजसम से पर्त्येक एक पूरी राितर् सिहत कम से कम बाइस कर्मवत घंट की होगी ;
(ii) के न्दर्ीय सरकार िनयम ारा उन रे ल सेवक को, िजन्ह उपधारा (1) म अिधकिथत मापमान से कम मापमान
पर िवशर्ाम की कालाविधयां दी जा सकगी, और ऐसी कालाविधय को, िविनिदष्ट कर सके गी ।
(3) ऐसे िनयम के अधीन रहते हुए जो इस िनिम बनाए जाएं, यिद िविहत पर्ािधकारी की राय है िक ऐसी पिरिस्थितयां,
जो धारा 132 की उपधारा (4) म िनिदष्ट की गई ह, िव मान ह तो वह िकसी रे ल सेवक को उपधारा (1) या उपधारा (2) के खंड (i) के
उपबंध से छू ट दे सके गा :
परन्तु इस पर्कार छू ट पर्ाप्त रे ल सेवक को, ऐसी पिरिस्थितय म जो िविहत की जाएं, ऐसी कालाविधय के िलए िजनको उसने
छोड़ा है, िवशर्ाम की पर्ितकरात्मक कालाविधयां दी जाएंगी ।
134. रे ल सेवक का टू ी पर रहना—इस अध्याय या उसके अधीन बनाए गए िनयम की कोई बात, जहां िकसी रे ल सेवक के
भारमुक्त होने की सम्यक् वस्था कर दी गई है वहां, जब तक वह भारमुक्त न कर िदया जाए, अपनी ूटी को छोड़ देने के िलए
पर्ािधकृ त नह करे गी ।
135. रे ल शर्िमक के पयर्वक्षे क—(1) ऐसे िनयम के अधीन रहते हुए, जो इस िनिम बनाए जाएं, के न्दर्ीय सरकार रे ल
शर्िमक के पयर्वेक्षक िनयुक्त कर सके गी ।
(2) रे ल शर्िमक के पयर्वेक्षक के कतर् िनम्निलिखत ह गे—
(i) यह अवधारण करने के िलए रेल का िनरीक्षण करना िक क्या इस अध्याय और इसके अधीन बनाए गए िनयम
के उपबंध का सम्यक् अनुपालन िकया जाता है ; और
(ii) ऐसे अन्य कृ त्य का पालन करना जो िविहत िकए जाएं ।
(3) रे ल शर्िमक के पयर्वेक्षक को धारा 7 और धारा 9 के पर्योजन के िलए आयुक्त समझा जाएगा ।
136. इस अध्याय के िवषय की बाबत िनयम बनाने की शिक्त—(1) के न्दर्ीय सरकार इस अध्याय के पर्योजन को कायार्िन्वत
करने के िलए िनयम, अिधसूचना ारा, बना सके गी ।
(2) िविशष्टतया और पूवर्गामी शिक्त की ापकता पर पर्ितकू ल पर्भाव डाले िबना, ऐसे िनयम म िनम्निलिखत सभी या
िकन्ह िवषय के िलए उपबंध िकया जा सके गा, अथार्त् :—
(क) वे पर्ािधकारी जो िकसी रे ल सेवक के िनयोजन को आवश्यक रूप से आंतराियक या शर्मपर्धान घोिषत
कर सकगे ;
(ख) ऐसी िकसी घोषणा के िवरु अपील और वह रीित िजसम और वे शत िजनके अधीन रहते हुए, ऐसी कोई
अपील फाइल की जा सके गी और सुनी जा सके गी ;
(ग) कमर्चािरवृन्द के वे पर्वगर् जो धारा 130 के खंड (ग) के उपखंड (iv) और उपखंड (v) के अधीन िविनिदष्ट िकए
जा सकगे ;
(घ) वे पर्ािधकारी िजनके ारा धारा 132 की उपधारा (4) या धारा 133 की उपधारा (3) के अधीन छू ट दी
जा सकगी ;
(ङ) खंड (घ) म िनिदष्ट पर्ािधकािरय ारा शिक्तय का पर्त्यायोजन ;
(च) वे रे ल सेवक िजनको धारा 133 की उपधारा (2) का खंड (ii) लागू होता है और िवशर्ाम की वे कालाविधयां जो
उनकी दी जाएंगी ;
(छ) रे ल शर्िमक के पयर्वेक्षक की िनयुिक्त और उनके कृ त्य ।
अध्याय 15

शािस्तयां और अपराध
137. उिचत पास या िटकट के िबना कपटपूवक
र् यातर्ा करना या यातर्ा करने का पर्यत्न करना—(1) यिद कोई िक्त रे ल
पर्शासन को धोखा देने के आशय से,—
(क) धारा 55 के उल्लंघन म रे ल के िकसी सवारी िडब्बे म पर्वेश करे गा या उसम रहेगा अथवा िकसी रे लगाड़ी म
यातर्ा करे गा ; या
38

(ख) ऐसे िकसी एक तरफा पास या एक तरफा िटकट को जो पूवर्तन यातर्ा म पहले ही उपयोग म लाया जा चुका है
या वापसी िटकट की दशा म उसके आधे को, जो पहले ही ऐसे उपयोग म लाया जा चुका है, उपयोग म लाएगा या उपयोग म
लाने का पर्यत्न करे गा,
तो वह कारावास से, िजसकी अविध छह मास तक की हो सके गी, या जुमार्ने से, जो एक हजार रुपए तक का हो सके गा, या दोन से,
दंडनीय होगा :
परन्तु तत्पर्ितकू ल िवशेष और पयार्प्त कारण के अभाव म, जो न्यायालय के िनणर्य म विणत िकए जाएंगे, ऐसा दंड पांच सौ
रुपए के जुमार्ने से कम नह होगा ।
(2) उपधारा (1) म िनिदष्ट िक्त, उस दूरी के िलए िजस तक वह यातर्ा कर चुका है एक तरफ के साधारण िकराए के या
जहां उस स्टेशन के बारे म जहां से वह चला था, कोई संदह
े है वहां उस स्टेशन से जहां से रे लगाड़ी आरं भ होकर चली थी, एक तरफ के
साधारण िकराए के या यिद रे लगाड़ी म यातर्ा करने वाले याितर्य के िटकट की रे लगाड़ी के आरं भ होकर चलने के पश्चात् परीक्षा की
जा चुकी है तो उस स्थान से जहां िटकट की इस पर्कार परीक्षा की गई थी, या उस दशा म िजसम उनकी एक से अिधक बार परीक्षा की
गई है उस स्थान से, जहां उनकी अंितम बार परीक्षा की गई थी, एक तरफ के साधारण िकराए के अितिरक्त उपधारा (3) म विणत
अिधक पर्भार देने के िलए भी दायी होगा ।
(3) उपधारा (2) म िनिदष्ट अिधक पर्भार, उस उपधारा म िनिदष्ट एक तरफ के साधारण िकराए के बराबर रािश या
1 [दो सौ पचास रुपए], दोन म से जो भी अिधक हो, होगा ।
(4) भारतीय दंड संिहता (1860 का 45) की धारा 65 म िकसी बात के होते हुए भी, अपराधी को िस दोष ठहराने वाला
न्यायालय यह िनदेश दे सके गा िक न्यायालय ारा अिधरोिपत जुमार्ने के संदाय म ितकर्म करने वाला िक्त ऐसी अविध का, जो छह
मास तक की हो सके गी, कारावास भोगेगा ।
138. िबना उिचत पास या िटकट के यातर्ा करने के िलए या पर्ािधकृ त दूरी से आगे यातर्ा करने के िलए अिधक पर्भार और
िकराए का उद्गर्हण—(1) यिद कोई यातर्ी, —
(क) िकसी रे लगाड़ी म होते हुए या उससे उतरने पर अपना पास या िटकट धारा 54 के अधीन उसके िलए कोई मांग
की जाने पर परीक्षा या पिरदान के िलए तुरन्त पेश नह करे गा या करने से इं कार करे गा, या
(ख) धारा 54 के उपबंध के उल्लंघन म रे लगाड़ी से यातर्ा करे गा,
तो वह इस िनिम पर्ािधकृ त िकसी रे ल सेवक ारा मांग की जाने पर, उस दूरी के िलए, िजस तक वह यातर्ा कर चुका है, एक तरफ के
साधारण िकराए के , या जहां उस स्टेशन के बारे म जहां से वह चला था कोई संदहे है वहां उस स्टेशन से, जहां से रेलगाड़ी आरं भ होकर
चली थी, एक तरफ के साधारण िकराए के , या, यिद रे लगाड़ी म यातर्ा करने वाले याितर्य के िटकट की, रे लगाड़ी के आरं भ होकर
चलने के पश्चात् परीक्षा की जा चुकी है तो उस स्थान से जहां िटकट की इस पर्कार परीक्षा की गई थी या उस दशा म िजसम उनकी
एक से अिधक बार परीक्षा की गई है, उस स्थान से जहां उनकी अंितम बार परीक्षा की गई थी, एक तरफ के साधारण िकराए के
अितिरक्त उपधारा (3) म विणत अिधक पर्भार देने के िलए दायी होगा ।
(2) यिद कोई यातर्ी,—
(क) ऐसे सवारी िडब्बे म या पर, या ऐसी रे लगाड़ी ारा यातर्ा करे गा या यातर्ा करने का पर्यत्न करे गा, जो उस
शर्ेणी से, िजसके िलए उसने पास अिभपर्ाप्त िकया है या िटकट खरीदा है, उच्चतर शर्ेणी का है ; या
(ख) िकसी सवारी िडब्बे म या उस पर अपने ऐसे पास या िटकट ारा पर्ािधकृ त स्थान से आगे, यातर्ा करे गा,
तो वह, इस िनिम पर्ािधकृ त िकसी रे ल सेवक ारा मांग की जाने पर, उसके ारा िदए गए िकराए और उसके ारा की गई यातर्ा के
संबंध म संदय
े िकराए के बीच के अंतर और उपधारा (3) म िनिदष्ट अिधक पर्भार के संदाय के िलए दायी होगा ।
(3) ऐसा अिधक पर्भार, यथािस्थित, उपधारा (1) या उपधारा (2) के अधीन संदय
े रकम के बराबर रािश या
2 [दो सौ पचास रुपए,] दोन म से जो भी अिधक हो, होगा :
परं तु यिद ऐसे यातर्ी के पास धारा 55 की उपधारा (2) के अधीन अनुद पर्माणपतर् है तो कोई अिधक पर्भार संदय

नह होगा ।
(4) यिद उपधारा (1) म विणत अिधक पर्भार और िकराया, या उपधारा (2) म विणत अिधक पर्भार और िकराए का कोई
अन्तर देने के दाियत्वाधीन कोई यातर्ी इन उपधारा म से िकसी के अधीन उसकी मांग करने जाने पर, उसे, नह देता है या देने से
इं कार करता है तो इस िनिम रे ल पर्शासन ारा पर्ािधकृ त कोई रे ल सेवक ऐसी संदय
े रािश की वसूली के िलए, यथािस्थित, िकसी

1
2003 के अिधिनयम सं० 56 की धारा 2 ारा (1-7-2004 से) पर्ितस्थािपत ।
2
2003 के अिधिनयम सं० 56 की धारा 3 ारा (1-7-2004 से) पर्ितस्थािपत ।
39

महानगर मिजस्टर्ेट या पर्थम अथवा ि तीय वगर् न्याियक मिजस्टर्ेट को आवेदन कर सके गा मानो वह जुमार्ना हो और यिद मिजस्टर्ेट का
समाधान हो जाता है िक वह रािश संदय े है तो वह उसे इस पर्कार वसूल िकए जाने का आदेश देगा और यह आदेश भी दे सके गा िक
उसके संदाय के िलए दायी िक्त संदाय न करने पर दोन म से िकसी भांित का कारावास, िजसकी अविध एक मास तक की हो सके गी
िकन्तु दस िदन से कम की नह होगी, भोगेगा ।
(5) उपधारा (4) के अधीन वसूल की गई कोई रािश वसूल की जाते ही रे ल पर्शासन को संद की जाएगी ।
139. िक्तय को हटाने की शिक्त—धारा 138 म िनिदष्ट िकराया और अिधक पर्भार न देने वाला या देने वाला या देने से
इन्कार करने वाला कोई िक्त, इस िनिम पर्ािधकृ त िकसी रे ल सेवक ारा हटाया जा सके गा जो उसे हटाने के िलए िकसी अन्य
िक्त को अपनी सहायता के िलए बुला सके गा :
परन्तु इस धारा की िकसी बात से यह नह समझा जाएगा िक वह उच्चतर शर्ेणी के सवारी िडब्बे से हटाए गए िक्त को उस
शर्ेणी के सवारी िडब्बे म, िजसके िलए पास या िटकट उसके पास है, अपनी यातर्ा जारी रखने से पर्वािरत करती है :
परन्तु यह और िक िकसी स्तर्ी या बालक को, यिद उसके साथ कोई पुरुष यातर्ी नह है तो, उस स्टेशन पर, िजससे उसने अपनी
यातर्ा पर्ारम्भ की है या िकसी जंक्शन या टिमनल स्टेशन पर या िसिवल िजले के मुख्यालय म िस्थत स्टेशन पर, और के वल िदन म ही
हटाया जाएगा, अन्यथा नह ।
140. कितपय मामल म सदाचार के िलए पर्ितभूित—(1) जब िकसी न्यायालय का धारा 137 या धारा 138 के अधीन िकसी
िक्त को अपराध का िस दोष ठहराते समय यह िनष्कषर् है िक वह अभ्यासत: उस अपराध को कर रहा है या करने का पर्यत्न कर रहा
है और न्यायालय की यह राय है िक उस िक्त से सदाचार के िलए बंधपतर् िनष्पािदत करने की अपेक्षा करना आवश्यक या वांछनीय है
तब ऐसा न्यायायल उस िक्त पर दंडादेश पािरत करते समय से पर्ितभु सिहत या उनके िबना ऐसी रकम के िलए और तीन वषर् से
अनिधक की ऐसी कालाविध के िलए, जो वह ठीक समझे, बंधपतर् िनष्पािदत करने का आदेश दे सके गा ।
(2) उपधारा (1) के अधीन आदेश िकसी अपील न्यायालय ारा, या पुनरीक्षण की शिक्तय का पर्योग करते समय उच्च
न्यायालय ारा भी, िकया जा सके गा ।
141. रे लगाड़ी के संचार साधन म अनावश्यक रूप से हस्तक्षेप करना—यिद कोई यातर्ी या कोई अन्य िक्त, याितर्य और
रे लगाड़ी के भारसाधक रे ल सेवक के बीच के संचार के िलए रेल पर्शासन ारा रे लगाड़ी म विस्थत िकन्ह साधन का उपयोग या
उनम हस्तक्षेप, युिक्तयुक्त और पयार्प्त कारण के िबना करे गा तो वह कारावास से, िजसकी अविध एक वषर् तक की हो सके गी, या
जुमार्ने से, जो एक हजार रुपए तक का हो सके गा, अथवा दोन से, दंडनीय होगा :
परन्तु तत्पर्ितकू ल िवशेष और पयार्प्त कारण के अभाव म, िजनका उल्लेख न्यायालय के िनणर्य म िकया जाएगा, यिद कोई
यातर्ी युिक्तयुक्त और पयार्प्त कारण के िबना उस खतरे की जंजीर का पर्योग करे गा िजसकी वस्था रे ल पर्शासन ारा की गई है तो
ऐसा दंड—
(क) पर्थम अपराध के िलए दोषिसि की दशा म, पांच सौ रुपए के जुमार्ने से कम का नह होगा ; और
(ख) ि तीय या पश्चात्वत अपराध के िलए दोषिसि की दशा म तीन मास के कारावास से कम का नह होगा ।
142. िटकट के अंतरण के िलए शािस्त—(1) यिद कोई िक्त, जो इस िनिम पर्ािधकृ त कोई रे ल सेवक या अिभकतार्
नह है,—
(क) कोई िटकट या वापसी िटकट का कोई भी आधा भाग िवकर्य करे गा या िवकर्य करने का पर्यत्न करे गा ; या
(ख) कोई ऐसा िटकट, िजस पर सीट या बथर् का आरक्षण िकया जा चुका है या वापसी िटकट का कोई भी आधा
भाग या सीजन िटकट िकसी को देगा या देने का पर्यत्न करे गा,
िजससे िक कोई अन्य िक्त उसे लेकर यातर्ा कर सके तो वह कारावास से िजसकी अविध तीन मास तक की हो सके गी या जुमार्ने से,
जो पांच सौ रुपए तक का हो सके गा, या दोन से, दंडनीय होगा तथा वह िटकट भी जो उसने िवकर्य िकया हो या िजसके िवकर्य करने
का पर्यत्न िकया हो, अथवा िदया हो या देने का पर्यत्न िकया हो, समपहृत हो जाएगा ।
(2) यिद कोई िक्त इस िनिम पर्ािधकृ त रे ल सेवक या अिभकतार् से िभन्न िकसी अन्य िक्त से उपधारा (1) के खंड (क) म
िनिदष्ट कोई िटकट कर्य करे गा या उस उपधारा के खंड (ख) म िनिदष्ट कोई िटकट अपने कब्जे म लेगा तो वह कारावास से, िजसकी
अविध तीन मास तक की हो सके गी और जुमार्ने से, जो पांच सौ रुपए तक का हो सके गा, दंडनीय होगा और यिद िकसी पूव क्त िटकट
का कर्ेता या धारक उससे यातर्ा करे गा या यातर्ा करने का पर्यत्न करे गा तो उसका वह िटकट, जो उसने इस पर्कार कर्य या पर्ाप्त िकया है,
समपहृत हो जाएगा और उसके बारे म यह समझा जाएगा िक वह उिचत िटकट के िबना यातर्ा कर रहा है और उसके िवरु धारा 138
के अधीन कारर् वाई की जा सके गी :
परन्तु तत्पर्ितकू ल िवशेष और पयार्प्त कारण के अभाव म, िजनका उल्लेख न्यायालय के िनणर्य म िकया जाएगा, उपधारा (1)
और उपधारा (2) के अधीन ऐसा दंड दो सौ पचास रुपए के जुमार्ने से कम का नह होगा ।
40

143. रे ल िटकट को उपाप्त करने और पर्दाय करने का अपर्ािधकृ त कारबार चलाने के िलए शािस्त—(1) यिद कोई िक्त,
जो इस िनिम पर्ािधकृ त कोई रे ल सेवक या अिभकतार् नह है, —
(क) िकसी रे ल म यातर्ा के िलए या िकसी रे लगाड़ी म यातर्ा के िलए आरिक्षत स्थान के िलए िटकट उपाप्त करने
और पर्दाय करने का कोई कारबार करे गा ; या
(ख) ऐसा कोई कारबार करने की दृिष्ट से स्वयं या िकसी अन्य िक्त ारा िटकट कर्य करे गा या उसका िवकर्य
करे गा अथवा कर्य करने या िवकर्य करने का पर्यत्न के रगा,
तो वह कारावास से, िजसकी अविध तीन वषर् तक की हो सके गी, या जुमार्ने से, जो दस हजार रुपए तक का हो सके गा, या दोन से,
दंडनीय होगा और ऐसे िटकट भी, जो उसने इस पर्कार उपाप्त िकए ह , पर्दाय िकए ह , कर्य िकए ह , िवकर्य िकए ह अथवा िजनके कर्य
या िवकर्य का पर्यत्न िकया हो, समपहृत हो जाएंगे :
परन्तु तत्पर्ितकू ल िवशेष और पयार्प्त कारण के अभाव म, िजनका उल्लेख न्यायालय के िनणर्य म िकया जाएगा, ऐसा दंड
एक मास की अविध के कारावास से या पांच हजार रुपए के जुमार्ने से कम का नह होगा ।
(2) जो कोई इस धारा के अधीन दंडनीय िकसी अपराध का दुष्पर्ेरण करे गा, चाहे ऐसा अपराध िकया गया है अथवा नह ,
वह उसी दंड से दंडनीय होगा जो उस अपराध के िलए उपबंिधत है ।
144. फे री लगाने आिद और भीख मांगने पर पर्ितषेध—(1) यिद कोई िक्त रे ल पर्शासन ारा इस िनिम अनुद अनुज्ञिप्त
म िदए गए िनबंधन और शत के अधीन या अनुसार के िसवाय, रे ल के िकसी सवारी िडब्बे म या रे ल के िकसी भाग पर िकसी गर्ाहकी
के िलए संयाचना करे गा या िकसी भी पर्कार की िकसी वस्तु के िवकर्य के िलए फे री लगाएगा या उसे पर्दिशत करे गा तो वह कारावास
से, िजसकी अविध एक वषर् तक की हो सके गी या जुमार्ने से, जो दो हजार रुपए तक का हो सके गा, या दोन से, दंडनीय होगा :
परन्तु तत्पर्ितकू ल िवशेष और पयार्प्त कारण के अभाव म, िजनका उल्लेख न्यायालय के िनणर्य म िकया जाएगा, ऐसा दंड
एक हजार रुपए के जुमार्ने से कम का नह होगा ।
(2) यिद कोई िक्त रे ल के िकसी सवारी िडब्बे म या िकसी रे ल स्टेशन पर भीख मांगेगा तो वह उपधारा (1) म उपबंिधत
दंड का दायी होगा ।
(3) उपधारा (1) या उपधारा (2) म िनिदष्ट कोई िक्त इस िनिम पर्ािधकृ त िकसी रे ल सेवक ारा या िकसी अन्य िक्त
ारा, िजसे ऐसा रे ल सेवक अपनी सहायता के िलए बुलाए, यथािस्थित, रे ल के िकसी सवारी िडब्बे या रे ल के िकसी भाग या रे ल स्टेशन
से हटाया जा सके गा ।
145. म ता या न्यूसस—यिद िकसी रे ल के सवारी िडब्बे म या रे ल के िकसी भाग पर कोई िक्त,—
(क) म ता की हालत म होगा ; या
(ख) कोई न्यूसस या अिशष्ट कायर् करे गा अथवा गाली गलौच की या अश्लील भाषा का उपयोग करे गा ; या
(ग) जानबूझकर या िकसी पर्ितहेतु के िबना रे ल पर्शासन ारा उपलब्ध कराई गई िकसी सुख-सुिवधा म बाधा
डालेगा िजससे िकसी यातर्ी की आरामदायक यातर्ा पर पर्भाव पड़ता हो,
तो वह िकसी रे ल सेवक ारा रे ल से हटाया जा सके गा, और उसके पास या िटकट के समपहरण के अितिरक्त, कारावास से, जो छह
मास तक का हो सके गा और जुमार्ने से, जो पांच सौ रुपए तक का हो सके गा, दंडनीय होगा :
परन्तु तत्पर्ितकू ल िवशेष और पयार्प्त कारण के अभाव म, िजनका उल्लेख न्यायालय के िनणर्य म िकया जाएगा, ऐसा दंड—
(क) पर्थम अपराध के िलए दोषिसि की दशा म, एक सौ रुपए के जुमार्ने से कम का नह होगा ; और
(ख) ि तीय या पश्चात्वत अपराध के िलए दोषिसि की दशा म, एक मास के कारावास से और दो सौ पचास
रुपए के जुमार्ने से, कम का नह होगा ।
146. रे ल सेवक के कतर् म बाधा डालना—यिद कोई िक्त िकसी रे ल सेवक के कतर् के िनवर्हन म जानबूझकर बाधा या
रुकावट डालेगा तो वह कारावास से, िजसकी अविध छह मास तक की हो सके गी, या जुमार्ने से, जो एक हजार रुपए तक का हो सके गा,
या दोन से, दंडनीय होगा ।
147. अितचार और अितचार से पर्ितिवरत रहने से इं कार करना—(1) यिद कोई िक्त िकसी रे ल पर या उसके िकसी भाग
म िविधपूणर् पर्ािधकार के िबना पर्वेश करे गा या ऐसे भाग म िविधपूणर् रूप से पर्वेश करने के पश्चात् ऐसी सम्पि का दुरुपयोग करे गा या
वहां से जाने से इंकार करे गा, तो वह कारावास से, िजसकी अविध छह मास तक की हो सके गी, या जुमार्ने से, जो एक हजार रुपए तक
का हो सके गा, या दोन से, दंडनीय होगा :
परन्तु तत्पर्ितकू ल िवशेष और पयार्प्त कारण के अभाव म, िजनका उल्लेख न्यायालय के िनणर्य म िकया जाएगा, ऐसा दंड
पांच सौ रुपए के जुमार्ने से कम का नह होगा ।
41

(2) उपधारा (1) म िनिदष्ट कोई िक्त िकसी रे ल सेवक ारा या िकसी अन्य िक्त ारा िजसे ऐसा रे ल सेवक अपनी
सहायता के िलए बुलाए, रे ल से हटाया जा सके गा ।
148. पर्ितकर के िलए आवेदन म िमथ्या कथन करने के िलए शािस्त—यिद धारा 125 के अधीन पर्ितकर के िलए िकसी
आवेदन म कोई िक्त ऐसा कथन करे गा जो िमथ्या है या िजसके िमथ्या होने का उसे या तो ज्ञान या िवश्वास है या िजसके सही होने
का उसे िवश्वास नह है तो वह कारावास से, िजसकी अविध तीन वषर् तक की हो सके गी, या जुमार्ने से या दोन से, दंडनीय होगा ।
149. पर्ितकर के िलए िमथ्या दावा करना—यिद कोई िक्त िकसी रे ल पर्शासन से िकसी परे षण की हािन, नाश, नुकसान,
क्षय या अपिरदान के िलए िकसी पर्ितकर की अपेक्षा करने के िलए कोई ऐसा दावा करे गा जो िमथ्या है या िजसके िमथ्या होने का उसे
या तो ज्ञान या िवश्वास है या िजसके सही होने का उसे िवश्वास नह है तो वह कारावास से, िजसकी अविध तीन वषर् तक की हो
सके गी, या जुमार्ने से, या दोन से, दंडनीय होगा ।
150. रे लगाड़ी को िव ष
े त: ध्वस्त करना या ध्वस्त करने का पर्यत्न करना—(1) उपधारा (2) के उपबंध के अधीन रहते हुए
यह है िक यिद कोई िक्त इस आशय से या ज्ञान से िक यह संभा है िक वह रे ल पर यातर्ा करने वाले या िव मान िकसी िक्त का
क्षेम संकटापन्न कर सकता है िविधिवरु तया,—
(क) िकसी रे ल के ऊपर या आरपार कोई काष्ठ, पत्थर या अन्य पदाथर् या चीज रखेगा या फके गा ; या
(ख) िकसी रे ल की पटरी, स्लीपर या अन्य पदाथर् या चीज को उठाएगा, हटाएगा, ढीला करे गा या िवस्थािपत
करे गा ; या
(ग) िकसी रे ल के िकन्ह प्वाइं ट या अन्य मशीनरी को घुमाएगा, चलाएगा, खोलेगा या उसका िदशाभंग
करे गा ; या
(घ) िकसी रे ल पर या उसके िनकट कोई िसगनल या पर्काश करे गा या िदखाएगा या उसे िछपाएगा या
हटाएगा ; या
(ङ) िकसी रे ल के संबंध म कोई अन्य कायर् या बात करे गा या करवाएगा या करने का पर्यत्न करे गा,
तो वह आजीवन कारावास से या कठोर कारावास से, िजसकी अविध दस वषर् तक की हो सके गी, दंडनीय होगा :
परन्तु तत्पर्ितकू ल िवशेष और पयार्प्त कारण के अभाव म, िजनका उल्लेख न्यायालय के िनणर्य म िकया जाएगा, जहां कोई
िक्त कठोर कारावास से दंडनीय है वहां ऐसा कारावास—
(क) पर्थम अपराध के िलए दोषिसि की दशा म, तीन वषर् से कम का नह होगा, और
(ख) ि तीय या पश्चात्वत अपराध के िलए दोषिसि की दशा म, सात वषर् से कम का नह होगा ।
(2) यिद कोई िक्त उपधारा (1) के खंड म से िकसी खंड म िनिदष्ट कोई कायर् या बात,—
(क) िकसी िक्त की मृत्यु कािरत करने के आशय से िविधिवरु तया करे गा और ऐसे कायर् या बात के करने से
िकसी िक्त की मृत्यु कािरत हो जाती है ; या
(ख) इस बात को जानते हुए िविधिवरु तया करे गा िक वह कायर् या बात इतनी आसन्नसंकट है िक पूरी संभा ता
है िक वह िकसी िक्त की मृत्यु कािरत कर ही देगी या िकसी िक्त को ऐसी शारीिरक क्षित कािरत कर ही देगी िजससे ऐसे
िक्त की मृत्यु कािरत होना संभा है,
तो वह मृत्यु दंड या आजीवन कारावास से दंडनीय होगा ।
151. कितपय रे ल संपि य का नुकसान या िवनाश—(1) यिद कोई िक्त, इस आशय से या इस ज्ञान से िक यह नुकसान
संभा है िक उससे उपधारा (2) म िनिदष्ट रे ल सम्पि य म से िकसी का नुकसान या नाश हो सकता है अिग्न या िवस्फोटक पदाथर्
ारा या अन्यथा, ऐसी संपि का नुकसान करे गा या ऐसी संपि का नाश करे गा तो वह कारावास से, िजसकी अविध पांच वषर् तक की
हो सके गी, या जुमार्ने से, या दोन से, दंडनीय होगा ।
(2) उपधारा (1) म िनिदष्ट रे ल संपि यां, रे ल की पटरी, पुल, स्टेशन के भवन और संस्थापन, सवारी िडब्बे या वैगन,
लोकोमोिटक, िसगनल, दूर संचार, िव ुत कषर्ण और ब्लाक उपस्कर और ऐसी अन्य सम्पि यां ह िजन्ह के न्दर्ीय सरकार यह राय रखते
हुए िक उनके नुकसान या नाश से िकसी रे ल के कायर्चालन को खतरा होना संभा है, अिधसूचना ारा, िविनिदष्ट कर सके गी ।
152. रे ल ारा यातर्ा करने वाले िक्तय को िव ष
े त: उपहित पहुंचाना या उपहित पहुंचाने का पर्यत्न करना—यिद कोई
िक्त रे लगाड़ी के भागस्वरूप िकसी चल स्टाक पर, उसके सामने, उसम या उसके ऊपर कोई काष्ठ, पत्थर या अन्य पदाथर् या चीज इस
आशय से या इस ज्ञान से िक यह संभा है िक ऐसे चल स्टाक म या पर या उसी रे लगाड़ी के भागस्वरूप िकसी अन्य चल स्टाक म या
पर िव मान िकसी िक्त की सुरक्षा संकटापन्न हो सकती है, िविधिवरु तया फके गा या िगराएगा या मारे गा तो वह आजीवन
कारावास से, या कारावास से, िजसकी अविध दस वषर् तक की हो सके गी, दंडनीय होगा ।
42

153. रे ल ारा यातर्ा करने वाले िक्तय को सुरक्षा को जानबूझकर िकए गए कायर् या लोप ारा संकटापन्न करना—यिद
कोई िक्त िकसी रे ल पर यातर्ा करने वाले या िव मान िकसी िक्त की सुरक्षा को िकसी िविधिवरु कायर् या जानबूझकर िकए गए
िकसी लोप या उपेक्षा से संकटापन्न करे गा या करवाएगा या िकसी रे ल पर िकसी चल स्टाक म बाधा डालेगा या डलवाएगा या बाधा
डालने का पर्यत्न करे गा, तो वह कारावास से, िजसकी अविध पांच वषर् तक की हो सके गी, दंडनीय होगा ।
154. रे ल ारा यातर्ा करने वाले िक्तय की सुरक्षा को उतावलेपन या उपेक्षापूणर् कायर् या लोप से संकटापन्न करना—यिद
कोई िक्त उतावलेपन से और उपेक्षापूणर् रीित से कोई कायर् करे गा, या ऐसा कायर् करने का लोप करे गा, िजसे करने के िलए वह वैध
रूप से आब है, और रे ल पर यातर्ा करने वाले या िव मान िकसी िक्त की सुरक्षा उस कायर् या लोप से संकटापन्न होनी संभा है,
तो वह कारावास से, िजसकी अविध एक वषर् तक की हो सके गी, या जुमार्ने से, या दोन से, दंडनीय होगा ।
155. आरिक्षत कक्ष म पर्वेश करना या अनारिक्षत कक्ष म पर्वेश का पर्ितरोध करना—(1) यिद कोई यातर्ी—
(क) िकसी ऐसे कक्ष म पर्वेश करके िजसम रे ल पर्शासन ारा उसके उपयोग के िलए कोई शाियका या सीट आरिक्षत
नह की गई है ; या
(ख) िकसी अन्य यातर्ी के उपयोग के िलए रे ल पर्शासन ारा आरिक्षत की गई िकसी शाियका या सीट पर
अपर्ािधकृ त रूप से दखल करके ,
उसे तब छोड़ने से इं कार करे गा, जब ऐसा करने के िलए इस िनिम पर्ािधकृ त िकसी रे ल सेवक ारा अपेक्षा की गई हो तो ऐसा रे ल
सेवक उसे, यथािस्थित, उस कक्ष, शाियका या सीट से हटा सके गा या िकसी अन्य िक्त की सहायता से हटवा सके गा और वह ऐसे
जुमार्ने से भी, जो पांच सौ रुपए तक का हो सके गा, दंडनीय होगा ।
(2) यिद कोई यातर्ी िकसी ऐसे कक्ष म, जो पर्ितरोध करने वाले यातर्ी के उपयोग के िलए आरिक्षत नह िकया गया है, िकसी
अन्य यातर्ी के िविधपूणर् पर्वेश का पर्ितरोध करे गा तो वह जुमार्ने से, जो दो सौ रुपए तक का हो सके गा, दंडनीय होगा ।
156. रे लगाड़ी की छत, सीिढ़य या इं जन पर यातर्ा करना—यिद कोई यातर्ी या कोई अन्य िक्त, िकसी रे ल सेवक ारा
पर्ितिवरत रहने की चेतावनी िदए जाने के पश्चात् भी, िकसी सवारी िडब्बे की छत, सीिढ़य या पायदान पर या िकसी इं जन पर या
रे लगाड़ी के अन्य ऐसे िकसी भाग म, जो याितर्य के उपयोग के िलए आशियत नह है, यातर्ा करता रहेगा तो वह कारावास से िजसकी
अविध तीन मास तक की हो सके गी, या जुमार्ने से जो पांच सौ रुपए तक का हो सके गा, या दोन से दंडनीय होगा और उसे िकसी रे ल
सेवक ारा रे ल से हटाया जा सके गा ।
157. पास या िटकट म फे रफार करना या उसे िवरूिपत करना—यिद कोई यातर्ी अपने पास या िटकट म जानबूझकर फे रफार
करे गा या उसे िवरूिपत करे गा िजससे उसकी तारीख, संख्यांक या कोई ताित्त्वक भाग अपठनीय हो जाता है, तो वह कारावास से,
िजसकी अविध तीन मास तक की हो सके गी या जुमार्ने से, जो पांच सौ रुपए तक का हो सके गा, या दोन से, दंडनीय होगा ।
158. अध्याय 14 के उपबन्ध म से िकसी के उल्लंघन के िलए शािस्त—वह िक्त िजसके पर्ािधकार से िकसी रे ल सेवक को
अध्याय 14 या उसके अधीन बनाए गए िनयम के िकन्ह उपबंध का उल्लंघन करके िनयोिजत िकया जाता है, जुमार्ने से जो पांच सौ
रुपए तक का हो सके गा, दंडनीय होगा ।
159. रे ल सेवक आिद के िनदेश की यान के डर्ाइवर या संवाहक ारा अवज्ञा—यिद िकसी यान का कोई डर्ाइवर या
संवाहक, रे ल के पिरसर म होते हुए िकसी रे ल सेवक या पुिलस अिधकारी के उिचत िनदेश की अवज्ञा करे गा तो वह कारावास से
िजसकी अविध एक मास तक की हो सके गी, या जुमार्ने से, जो पांच सौ रुपए तक का हो सके गा, या दोन से, दंडनीय होगा ।
160. समतल कर्ािसग फाटक का खोलना या तोड़ना—(1) यिद कोई िक्त, जो रे ल सेवक या इस िनिम पर्ािधकृ त िक्त
नह है, िकसी समतल कर्ािसग के , जो सड़क यातायात के िलए बंद कर िदया गया है, दोन ओर िकसी स्थािपत फाटक या चेन या रोध
को खोलेगा तो, वह कारावास से, िजसकी अविध तीन वषर् तक की हो सके गी, दंडनीय होगा ।
(2) यिद कोई िक्त िकसी समतल कर्ािसग के , जो सड़क यातायात के िलए बन्द कर िदया गया है, दोन ओर स्थािपत िकसी
फाटक या चेन या रोध को तोड़ेगा तो वह कारावास से, िजसकी अविध पांच वषर् तक की हो सके गी, दंडनीय होगा ।
161. समतल कर्ािसग को, िजस पर आदमी नह है, उपेक्षापूवक
र् पार करना—यिद िकसी यान को चलाने या ले जाने वाला
कोई िक्त िकसी समतल कर्ािसग को, िजस पर कोई आदमी नह है, उपेक्षापूवर्क पार करे गा तो वह कारावास से, िजसकी अविध एक
वषर् तक की हो सके गी, दंडनीय होगा ।
स्पष्टीकरण—इस धारा के पर्योजन के िलए िकसी समतल कर्ािसग को, िजस पर कोई आदमी नह है, यान चलाकर या ले
जाकर, पार करने वाले िकसी िक्त के संबंध म, “उपेक्षा” से अिभपर्ेत है, ऐसे िक्त ारा ऐसे समतल कर्ािसग को—
(क) यह संपर्ेक्षण करने के िलए िक आ रहा कोई चल स्टाक दृिष्टगोचर है, ऐसे समतल कर्ािसग के िनकट यान रोके
िबना या उसे रोकने की सावधानी बरते िबना पार करना ; या
(ख) तब पार करना जब आ रहा चल स्टाक दृिष्टगोचर है ।
43

162. मिहला के िलए आरिक्षत िकसी सवारी िडब्बे या अन्य स्थान म पर्वेश करना—यिद कोई पुरुष यह जानते हुए या यह
िवश्वास करने का कारण रखते हुए िक िकसी रे लगाड़ी म कोई सवारी िडब्बा, कक्ष, शाियका या सीट अथवा कोई कमरा या अन्य स्थान
रे ल पर्शासन ारा मिहला के अनन्य उपयोग के िलए आरिक्षत िकया गया है, िविधपूणर् पर्ितहेतु के िबना—
(क) उस सवारी िडब्बे, कक्ष, कमरे या अन्य स्थान म पर्वेश करे गा या ऐसे सवारी िडब्बे, कक्ष, कमरे या स्थान म
पर्वेश करने के पश्चात् उसम रहेगा ; या
(ख) िकसी रे ल सेवक ारा ऐसी शाियका या सीट को खाली करने की अपेक्षा करने पर भी उस पर दखल रखेगा,
तो वह अपने पास या िटकट के समपहृत िकए जाने के दायी होने के अितिरक्त, ऐसे जुमार्ने से, जो पांच सौ रुपए तक का हो सके गा,
दंडनीय होगा और वह िकसी रे ल सेवक ारा हटाया भी जा सके गा ।
163. माल का िमथ्या वणर्न देना—यिद कोई िक्त, िजससे माल का वणर्न देने की धारा 66 के अधीन अपेक्षा की जाती है,
ऐसा वणर्न देगा जो ताित्त्वक रूप से िमथ्या है तो वह और यिद वह माल का स्वामी नह है तो स्वामी भी, इस अिधिनयम के िकसी
उपबन्ध के अधीन िकसी माल-भाड़े या अन्य पर्भार का संदाय करने के अपने दाियत्व पर पर्ितकू ल पर्भाव डाले िबना, ऐसे जुमार्ने से, जो
ऐसे माल के पर्ित िक्वटल या उसके भाग के िलए पांच सौ रुपए तक का हो सके गा, दंडनीय होगा ।
164. खतरनाक माल को िविधिवरु तया रे ल पर लाना—यिद कोई िक्त धारा 67 के उल्लंघन म अपने साथ कोई
खतरनाक माल वहन के िलए ले जाएगा या िकसी ऐसे माल को वहन के िलए रे ल पर्शासन को स पेगा, तो वह कारावास से, िजसकी
अविध तीन वषर् तक की हो सके गी, या जुमार्ने से जो एस हजार रुपए तक का हो सके गा, या दोन से, दंडनीय होगा और ऐसे माल को
रे ल पर ले जाने के कारण हुई िकसी हािन, क्षित या नुकसान के िलए भी दायी होगा ।
165. घृणोत्पादक माल को िविधिवरु तया रे ल पर लाना—यिद कोई िक्त, धारा 67 के उल्लंघन म अपने साथ कोई
घृणोत्पादक माल वहन के िलए ले जाएगा या ऐसा माल वहन के िलए रे ल पर्शासन को स पेगा तो वह जुमार्ने से, जो पांच सौ रुपए तक
का हो सके गा, दंडनीय होगा और ऐसे माल को रे ल पर ले जाने के कारण हुई िकसी हािन, क्षित या नुकसान के िलए भी दायी होगा ।
166. सावर्जिनक सूचना को िवरूिपत करना—यिद कोई िक्त िविधपूणर् पर्ािधकार के िबना,—
(क) रे ल पर्शासन के आदेश ारा रे ल या िकसी चल स्टाक पर लगाए गए या िचपकाए गए िकसी बोडर् या दस्तावेज
को उखाड़ेगा या जानबूझकर नुकसान पहुंचाएगा ; या
(ख) िकसी ऐसे बोडर् या दस्तावेज या िकसी चल स्टाक पर के िकन्ह अक्षर या अंक को िमटाएगा या बदलेगा,
तो वह कारावास से, िजसकी अविध एक मास तक की हो सके गी या जुमार्ने से, जो पांच सौ रुपए तक का हो सके गा या दोन से,
दंडनीय होगा ।
167. धूमर्पान—(1) यिद रे लगाड़ी के िकसी कक्ष म कोई अन्य यातर्ी धूमर्पान पर आक्षेप करता है तो कोई भी िक्त उस कक्ष
म धूमर्पान नह करे गा ।
(2) उपधारा (1) म िकसी बात के होते हुए भी, रे ल पर्शासन िकसी रे लगाड़ी या रे लगाड़ी के िकसी भाग म धूमर्पान पर्ितिष
कर सके गा ।
(3) जो कोई उपधारा (1) या उपधारा (2) के उपबंध का उल्लंघन करे गा, वह जुमार्ने से, जो एक सौ रुपए तक का हो सके गा,
दंडनीय होगा ।
168. रे ल पर यातर्ा करने वाले िक्तय की सुरक्षा को संकटापन्न करने वाले काय के , बालक ारा िकए गए अपराध के
बारे म उपबंध—(1) यिद बारह वषर् से कम आयु का कोई िक्त धारा 150 से धारा 154 तक के अधीन िकसी अपराध का दोषी है तो
उसे िस दोष ठहराने वाला न्यायालय ऐसे िक्त के िपता या संरक्षक से ऐसी रकम का और ऐसी अविध के िलए, जो न्यायालय
िनिदष्ट करे , ऐसे िक्त के सदाचरण के िलए एक बंधपतर् ऐसी अविध के भीतर जो न्यायालय िनयत करे , िनष्पािदत करने की अपेक्षा
कर सके गा ।
(2) बंधपतर् की रकम यिद समपहृत हो जाए तो न्यायालय ारा ऐसे वसूलीय होगी मानो वह स्वयं उसके ारा अिधरोिपत
जुमार्ना हो ।
(3) यिद िपता या संरक्षक न्यायालय ारा िनयत समय के भीतर उपधारा (1) के अधीन कोई बंधपतर् िनष्पािदत करने म
असफल रहेगा तो वह जुमार्ने से, जो पचास रुपए तक का हो सके गा, दंडनीय होगा ।
169. गैर-सरकारी रे ल पर शािस्त का उद्गर्हण—यिद कोई गैर-सरकारी रे ल के न्दर्ीय सरकार ारा इस अिधिनयम के िकसी
उपबंध के अधीन की गई अध्यपेक्षा का, िकए गए िकसी िविनश्चय या िनदेश का अनुपालन करने म असफल रहेगी अथवा इस
अिधिनयम के िकसी उपबंध का अन्यथा उल्लंघन करे गी तो के न्दर्ीय सरकार आदेश ारा ऐसी शािस्त, जो दो सौ पचास रुपए से अिधक
नह होगी और अितिरक्त शािस्त, जो पर्त्येक िदन के िलए िजसके दौरान उल्लंघन जारी रहता है, एक सौ पचास रुपए से अिधक नह
होगी, उद्गृहीत कर सके गी :
44

परन्तु ऐसी कोई शािस्त गैर-सरकारी रे ल को ऐसा अभ्यावेदन, जो वह ठीक समझे, करने का युिक्तयुक्त अवसर देने के
पश्चात् ही उद्गृहीत की जाएगी, अन्यथा नह ।
170. शािस्त की वसूली—कदर्ीय सरकार ारा धारा 169 के अधीन अिधरोिपत कोई शािस्त उस स्थान पर, जहां गैर-सरकारी
रे ल का मुख्यालय िस्थत है, अिधकािरता रखने वाले िजला न्यायालय म वाद ारा वसूलीय ह गी ।
171. धारा 169 या धारा 170 का के न्दर्ीय सरकार को कोई अन्य कारर् वाई करने से पर्वािरत न करना—धारा 169 या
धारा 170 की कोई बात इस अिधिनयम ारा या उसके अधीन गैर-सरकारी रे ल पर अिधरोिपत िकसी बाध्यता के िनवर्हन के िलए
उसको िववश करने के िलए कोई अन्य कारर् वाई करने से के न्दर्ीय सरकार को पर्वािरत नह करे गी ।
172. म ता के िलए शािस्त—यिद कोई रे ल सेवक ूटी पर होते हुए म ता की हालत म होगा तो वह जुमार्ने से, जो पांच
सौ रुपए तक का हो सके गा, दंडनीय होगा और जब ऐसी हालत म िकसी कतर् के पालन िकए जाने से रे ल पर यातर्ा करने वाले या
उसम िव मान िकसी िक्त की सुरक्षा संकटापन्न होनी संभा हो तब ऐसा रे ल सेवक ऐसे कारावास से िजसकी अविध एक वषर् तक
की हो सके गी, या जुमार्ने से, या दोन से, दंडनीय होगा ।
173. पर्ािधकार के िबना रे लगाड़ी, आिद का पिरत्याग—यिद िकसी रे ल सेवक को, जो ूटी पर है िकसी रे लगाड़ी या अन्य
चलस्टाक को एक स्टेशन या स्थान से दूसरे स्टेशन या स्थान तक चलाने के संबंध म कोई उ रदाियत्व स पा जाता है और वह उस
स्टेशन या स्थान पर पहुंचने से पहले, पर्ािधकार के िबना या ऐसी रे लगाड़ी या चलस्टाक को िकसी अन्य पर्ािधकृ त रे ल सेवक को समुिचत
रूप से स पे िबना अपनी ूटी का पिरत्याग कर देता है तो वह कारावास से, िजसकी अविध दो वषर् तक की हो सके गी, या जुमार्ने से,
जो एक हजार रुपए तक का हो सके गा, या दोन से, दंडनीय होगा ।
174. रे लगाड़ी आिद के चलने म बाधा डालना—यिद कोई रे ल सेवक ( टू ी पर होते हुए या अन्यथा) या कोई
अन्य िक्त—
(क) रे ल की पटरी पर बैठ कर या िपके िटग करके िकसी रे ल रोको आंदोलन या बंद के दौरान ; या
(ख) रे ल पर िबना पर्ािधकार कोई चल स्टाक रख कर ; या
(ग) रे ल के होजपाइप म छेड़छाड़ करके , उसे िवलग करके या िकसी अन्य रीित से उसे िबगाड़ कर या िसगनल
िगयर से छेड़छाड़ करके , या अन्यथा,
रे ल पर िकसी रे लगाड़ी या अन्य चल स्टाक को बाधा पहुंचाएगा या बाधा पहुंचवाएगा या बाधा पहुंचाने का पर्यत्न करे गा तो वह
कारावास से, िजसकी अविध दो वषर् तक की हो सके गी, या जुमार्ने से, जो दो हजार रुपए तक का हो सके गा, या दोन से,
दंडनीय होगा ।
175. िक्तय की सुरक्षा को संकटापन्न करना—यिद कोई रे ल सेवक जो ूटी पर है,—
(क) इस अिधिनयम के अधीन बनाए गए िकसी िनयम की अवज्ञा करके ; या
(ख) इस अिधिनयम या उसके अधीन बनाए गए िनयम के अधीन िकसी अनुदश
े , िनदेश या आदेश की अवज्ञा
करके ; या
(ग) िकसी उतावलेपन के या उपेक्षापूणर् कायर् या लोप ारा,
िकसी िक्त की सुरक्षा को संकटापन्न करे गा तो वह कारावास से, िजसकी अविध दो वषर् तक की हो सके गी, या जुमार्ने से, जो एक
हजार रुपए तक का हो सके गा, या दोन से, दंडनीय होगा ।
176. समतल कर्ािसग म बाधा डालना—यिद कोई रे ल सेवक अनावश्यक रूप से—
(क) िकसी चलस्टाक को ऐसे स्थान के आर-पार खड़ा रहने देगा जहां रे ल िकसी लोक मागर् को समतल पर पार
करती है ; या
(ख) समतल कर्ािसग को जनता के िलए बंद रखेगा, तो वह जुमार्ने से, जो एक सौ रुपए तक का हो सके गा,
दंडनीय होगा ।
177. िमथ्या िववरिणयां—यिद इस अिधिनयम के ारा या अधीन कोई िववरणी देने के िलए अपेिक्षत कोई रे ल सेवक िकसी
ऐसी िववरणी पर हस्ताक्षर करे गा और उसे देगा जो िकसी ताित्त्वक िविशिष्ट म िमथ्या है या िजसके िमथ्या होने का उसे या तो ज्ञान या
िवश्वास है या िजसके सही होने का उसे िवश्वास नह है तो वह कारावास से, िजसकी अविध एक वषर् तक की हो सके गी या जुमार्ने से,
जो पांच सौ रुपए तक का हो सके गा, या दोन से, दंडनीय होगा ।
178. िकसी रे ल सेवक ारा िमथ्या िरपोटर् करना—यिद कोई रे ल सेवक िजससे रे ल पर्शासन िकसी परे षण की हािन, नाश,
नुकसान, क्षय या अपिरदान के िकसी दावे के बारे म जांच करने की अपेक्षा करता है, ऐसी कोई िरपोटर् करे गा जो िमथ्या है या िजसके
45

िमथ्या होने का उसे या तो ज्ञान या िवश्वास है या िजसके सही होने का उसे िवश्वास नह है तो वह कारावास से, िजसकी अविध दो वषर्
तक की हो सके गी, या जुमार्ने से, जो एक हजार रुपए तक का हो सके गा या दोन से, दंडनीय होगा ।
[179. कितपय धारा के अधीन अपराध के िलए िगरफ्तारी—(1) यिद कोई िक्त धारा 150 से धारा 152 म विणत
1

कोई अपराध करे गा तो वह िकसी रे ल सेवक या पुिलस अिधकारी ारा, जो हैड कांस्टेबल की पंिक्त से नीचे का न हो, वारं ट या अन्य
िलिखत पर्ािधकार के िबना िगरफ्तार िकया जा सके गा ।
(2) यिद कोई िक्त धारा 137 से धारा 139, धारा 141 से धारा 147, धारा 153 से धारा 157, धारा 159 से धारा 167 और
धारा 172 से धारा 176 तक म विणत कोई अपराध करे गा तो वह के न्दर्ीय सरकार ारा अिधसूिचत िकसी आदेश ारा पर्ािधकृ त
अिधकारी ारा, वारं ट या अन्य िकसी िलिखत पर्ािधकार के िबना, िगरफ्तार िकया जा सके गा ।
(3) यथािस्थित, रे ल सेवक या पुिलस अिधकारी या पर्ािधकृ त अिधकारी, यथािस्थित, उपधारा (1) या उपधारा (2) के अधीन
िगरफ्तारी करने के िलए िकसी अन्य िक्त को अपनी सहायता के िलए बुला सके गा ।
(4) इस धारा के अधीन इस पर्कार िगरफ्तार िकए गए िकसी िक्त को, िगरफ्तारी के स्थान से मिजस्टर्ेट के न्यायालय तक
यातर्ा के िलए आवश्यक समय को छोड़कर, ऐसी िगरफ्तारी से चौबीस घंटे की कालाविध के भीतर िनकटतम मिजस्टर्ेट के समक्ष पेश
िकया जाएगा ।]
180. ऐसे िक्तय की िगरफ्तारी िजनका फरार होना आिद संभा है—(1) यिद कोई िक्त जो इस अिधिनयम के अधीन
2 [धारा179 की उपधारा (2)] म विणत अपराध से िभन्न, कोई अपराध करता है या धारा 138 के अधीन मांगे गए अिधक पर्भार या
अन्य रािश के संदाय के िलए दायी है अपना नाम और पता देने म असफल रहेगा या देने से इं कार करे गा या जहां यह िवश्वास करने का
कारण है िक उसके ारा िदया गया नाम और पता किल्पत है या यह िक वह फरार हो जाएगा तो 2[पर्ािधकृ त अिधकारी] वारं ट या
िलिखत पर्ािधकार के िबना उसे िगरफ्तार कर सके गा ।
(2) 2[पर्ािधकृ त अिधकारी या पुिलस अिधकारी] उपधारा (1) के अधीन िगरफ्तारी करने के िलए िकसी अन्य िक्त को
अपनी सहायता के िलए बुला सके गा ।
(3) इस धारा के अधीन िगरफ्तार िकए गए िकसी िक्त को जब तक िक उसे जमानत देने पर या यिद उसका सही नाम और
पता अिभिनिश्चत कर िलया गया है तो उस अपराध के िलए उसका िवचारण करने की अिधकािरता रखने वाले िकसी मिजस्टर्ेट के
समक्ष उसकी हािजरी के िलए पर्ितभु के िबना बंधपतर् िनष्पािदत िकए जाने पर, उसे पहले ही नह छोड़ िदया जाता है, िगरफ्तारी के
स्थान से मिजस्टर्ेट के न्यायालय तक यातर्ा के िलए आवश्यक समय को छोड़कर, ऐसी िगरफ्तारी से चौबीस घंटे की कालाविध के भीतर
िनकटतम मिजस्टर्ेट के समक्ष पेश िकया जाएगा ।
(4) दंड पर्िकर्या संिहता, 1973 (1974 का 2) के अध्याय 23 के उपबंध जहां तक हो सके , इस धारा के अधीन जमानत देने और
बंधपतर् के िनष्पािदत करने की बाबत लागू ह गे ।
[180क. अपराध के िकए जाने को अिभिनिश्चत करने के िलए पर्ािधकृ त अिधकारी ारा जांच—िकसी मामले के तथ्य और
3

पिरिस्थितय को अिभिनिश्चत करने के िलए, पर्ािधकृ त अिधकारी, धारा 179 की उपधारा (2) म विणत िकसी अपराध के िकए जाने की
जांच कर सके गा और यिद यह पाया जाता है िक वह अपराध िकया गया है तो सक्षम न्यायालय म कोई पिरवाद फाइल कर सके गा ।
180ख. पर्ािधकृ त अिधकारी की जांच करने की शिक्तयां—कोई जांच करते समय पर्ािधकृ त अिधकारी को,—
(i) िकसी िक्त को समन करने और हािजर कराने तथा उसका कथन अिभिलिखत करने ;
(ii) िकसी दस्तावेज को पर्कट और पेश करने की अपेक्षा करने ;
(iii) िकसी कायार्लय, पर्ािधकारी या िक्त से कोई लोक अिभलेख या उसकी पर्ित की अध्यपेक्षा करने ;
(iv) िकसी पिरसर म पर्वेश करने और उस पिरसर या िकसी िक्त की तलाशी लेने तथा िकसी संपि या
दस्तावेज को जो जांच की िवषयवस्तु से सुसंगत हो, अिभगर्हण करने,
की शिक्त होगी ।
180ग. िगरफ्तार िकए गए िक्त का यन—धारा 179 की उपधारा (2) के अधीन दंडनीय िकसी अपराध के िलए
िगरफ्तार पर्त्येक िक्त को यिद िगरफ्तारी पर्ािधकृ त अिधकारी से िभन्न िकसी िक्त ारा की गई थी तो उसे िबना िवलम्ब के ऐसे
अिधकारी को भेज िदया जाएगा ।

1
2003 के अिधिनयम सं० 51 की धारा 3 ारा (1-7-2004 से) पर्ितस्थािपत ।
2
2003 के अिधिनयम सं० 51 की धारा 4 ारा (1-7-2004 से) पर्ितस्थािपत ।
3
2003 के अिधिनयम सं० 51 की धारा 5 ारा (1-7-2004 से) अंत:स्थािपत ।
46

180घ. िगरफ्तार िकए गए िक्त के िवरु जांच िकस पर्कार की जाएगी—(1) जब िकसी िक्त को इस अिधिनयम के
अधीन दंडनीय िकसी अपराध के िलए पर्ािधकृ त अिधकारी ारा िगरफ्तार िकया जाता है तब ऐसा अिधकारी ऐसे िक्त के िवरु
आरोप की जांच करने के िलए अगर्सर होगा ।
(2) इस पर्योजन के िलए, िकसी संज्ञेय मामले का अन्वेषण करते समय पर्ािधकृ त अिधकारी उन्ह शिक्तय का पर्योग कर
सके गा और उन्ह उपबंध के अधीन होगा िजनका िकसी पुिलस थाने का भारसाधक अिधकारी पर्योग कर सकता है और
दंड पर्िकर्या संिहता, 1973 (1974 का 2) के िजन उपबंध के अधीन वह होता है :
परन्तु यह िक—
(क) यिद पर्ािधकृ त अिधकारी की यह राय है िक अिभयुक्त िक्त के िवरु संदह े करने का पयार्प्त सा य है या
युिक्तयुक्त आधार है तो वह उसे, मामले म अिधकािरता रखने वाले िकसी मिजस्टर्ेट के समक्ष जमानत के िलए पेश करे गा या
उसे ऐसे मिजस्टर्ेट की अिभरक्षा म भेजेगा ;
(ख) यिद पर्ािधकृ त अिधकारी को यह पर्तीत होता है िक अिभयुक्त िक्त के िवरु संदह
े का पयार्प्त सा य नह है
या युिक्तयुक्त आधार नह है तो वह अिभयुक्त िक्त को, पर्ितभू सिहत या उसके िबना, उसके बंधपतर् िनष्पािदत करने
पर छोड़ देगा, जैसा पर्ािधकृ त अिधकारी, यिद और जब ऐसा अपेिक्षत हो अिधकािरता रखने वाले मिजस्टर्ेट के समक्ष
उपसंजात होने के िलए िनदेश दे ।
180ङ. तलाशी, अिभगर्हण और िगरफ्तारी िकस पर्कार की जाएगी—इस अिधिनयम के अधीन सभी तलािशयां, अिभगर्हण
और िगरफ्तािरयां दंड पर्िकर्या संिहता, 1973 (1974 का 2) के अधीन तलािशय और िगरफ्तािरय से कर्मशः संबंिधत उपबंध के
अनुसार की जाएंगी ।
180च. पर्ािधकृ त अिधकारी ारा िकए गए िकसी पिरवाद का न्यायालय ारा संज्ञान—कोई न्यायालय, पर्ािधकृ त अिधकारी
के ारा िकए गए िकसी पिरवाद के िसवाय, धारा 179 की उपधारा (2) म विणत िकसी अपराध का संज्ञान नह लेगा ।
180छ. जांच से संबिं धत कितपय अपराध के िलए दंड—जो कोई जांच कायर्वािहय म साशय अपमान करे गा या कोई िवघ्न
कािरत करे गा अथवा जांच अिधकारी के समक्ष जानबूझकर िमथ्या कथन करे गा, वह ऐसी अविध के सादा कारावास से, जो छह मास
तक की हो सके गी या जुमार्ने से, जो एक हजार रुपए तक का हो सके गा या दोन से दंिडत िकया जाएगा ।]
181. अिधिनयम के अधीन अिधकािरता रखने वाला मिजस्टर्ेट—दंड पर्िकर्या संिहता, 1973 (1974 का 2) म िकसी बात के
होते हुए भी, महानगर मिजस्टर्ेट या पर्थम वगर् न्याियक मिजस्टर्ेट के न्यायालय से अवर कोई न्यायालय इस अिधिनयम के अधीन िकसी
अपराध का िवचारण नह करे गा ।
182. िवचारण का स्थान—(1) इस अिधिनयम या उसके अधीन बनाए गए िकसी िनयम के अधीन अपराध करने वाले िकसी
िक्त का ऐसे अपराध के िलए िवचारण ऐसे िकसी स्थान पर, जहां वह हो या िजसे राज्य सरकार इस िनिम अिधसूिचत करे , और
िकसी अन्य स्थान पर भी जहां तत्समय पर्वृ िकसी िविध के अधीन उसका िवचारण िकया जा सकता हो, िकया जा सके गा ।
(2) उपधारा (1) के अधीन पर्त्येक अिधसूचना राजपतर् म पर्कािशत की जाएगी और उसकी एक पर्ित ऐसे रे ल स्टेशन के , िजन्ह
राज्य सरकार िनिदष्ट करे , िकसी सहजदृश्य स्थान म सावर्जिनक जानकारी के िलए पर्दिशत की जाएगी ।
अध्याय 16

पर्कीणर्
183. अन्य पिरवहन सेवा की वस्था करने की शिक्त—(1) रे ल पर्शासन याितर्य या माल के वहन को सुकर बनाने के
पर्योजन के िलए या ऐसे वहन के िलए एकीकृ त सेवा की वस्था करने के िलए, िकसी अन्य पर्कार के पिरवहन की वस्था कर सके गा ।
(2) तत्समय पर्वृ िकसी अन्य िविध म िकसी बात के होते हुए भी, इस अिधिनयम के उपबंध उपधारा (1) म िनिदष्ट पर्कार
के पिरवहन ारा याितर्य या माल के वहन के संबध
ं म लागू ह गे ।
184. स्थानीय पर्ािधकािरय ारा रे ल पर कराधान—(1) िकसी अन्य िविध म िकसी पर्ितकू ल बात के होते हुए भी, रे ल
पर्शासन िकसी स्थानीय पर्ािधकारी को िनिधय की सहायता के िलए कोई कर संद करने के िलए तब तक दायी नह होगा जब तक िक
के न्दर्ीय सरकार अिधसूचना ारा, ऐसी अिधसूचना म िविनिदष्ट कर के संदाय के िलए रे ल पर्शासन को दायी घोिषत नह करती ।
(2) जब उपधारा (1) के अधीन के न्दर्ीय सरकार की कोई अिधसूचना पर्वृ हो तब रे ल पर्शासन या तो ऐसी अिधसूचना म
िविनिदष्ट कर या उसके बदले म ऐसी रािश, यिद कोई हो, जो के न्दर्ीय सरकार ारा इस िनिम िनयुक्त कोई अिधकारी, मामले की
सभी पिरिस्थितय को ध्यान म रखते हुए समय-समय पर उिचत और युिक्तयुक्त अवधािरत करे , स्थानीय पर्ािधकारी को संद करने के
िलए दायी होगा ।
(3) के न्दर्ीय सरकार उपधारा (1) के अधीन जारी की गई िकसी अिधसूचना को िकसी भी समय पर्ितसंहृत या पिरवितत
कर सके गी ।
47

(4) इस धारा की िकसी बात का यह अथर् नह लगाया जाएगा िक वह रे ल पर्शासन को िकसी स्थानीय पर्ािधकारी से जल या
िव ुत के पर्दाय के िलए या रे ल पिरसर की सफाई के िलए या िकसी अन्य सेवा के िलए, जो ऐसा स्थानीय पर्ािधकारी रे ल पर्शासन के
िलए करता हो या करने के िलए तैयार हो, संिवदा करने से िनवािरत करती है ।
185. िवज्ञापन के िलए रे ल पर कराधान—(1) िकसी अन्य िविध म िकसी पर्ितकू ल बात के होते हुए भी, रे ल पर्शासन, रे ल के
िकसी भाग म िकए गए िकसी िवज्ञापन के संबंध म िकसी स्थानीय पर्ािधकारी को िकसी कर के संदाय के िलए तब तक दायी नह होगा
जब तक िक के न्दर्ीय सरकार अिधसूचना ारा, ऐसी अिधसूचना म िविनिदष्ट कर के संदाय के िलए रे ल पर्शासन को, दायी घोिषत
नह करती ।
(2) के न्दर्ीय सरकार उपधारा (1) के अधीन जारी की गई िकसी अिधसूचना को िकसी भी समय पर्ितसंहृत या पिरवितत
कर सके गी ।
186. सद्भावपूवक र् की गई कारर् वाई के िलए संरक्षण—इस अिधिनयम या उसके अधीन बनाए गए िकन्ह िनयम या िकए गए
िकन्ह आदेश के अनुसरण म सद्भावपूवर्क की गई या की जाने के िलए आशियत िकसी बात के िलए कोई भी वाद, अिभयोजन या अन्य
िविधक कायर्वाही के न्दर्ीय सरकार, िकसी रे ल पर्शासन, रे ल सेवक या िकसी अन्य िक्त के िवरु नह होगी ।
187. रे ल संपि के िवरु िनष्पादन पर िनबर्न्धन—(1) कोई चल-स्टाक, मशीनरी, संयंतर्, औजार, िफिटग, सामगर्ी या
चीजबस्त, जो रे ल पर्शासन ारा अपनी रे ल पर यातायात के , या अपने स्टेशन या कमर्शाला के , पर्योजन के िलए उपयोग म लाई
जाती है या उपलब्ध कराई जाती है, िकसी न्यायालय की या स्थानीय पर्ािधकारी या ऐसे िकसी िक्त की, िजसे िविध ारा संपि को
कु कर् या करस्थम् करने या संपि को िनष्पादन म अन्यथा लेने की शिक्त पर्ाप्त है, िकसी िडकर्ी या आदेश के िनष्पादन म के न्दर्ीय सरकार
की पूवर् मंजूरी के िबना, नह ली जा सके गी ।
(2) उपधारा (1) की िकसी बात का यह अथर् नह लगाया जाएगा िक वह रे ल के उपाजर्न को िकसी िडकर्ी या आदेश के
िनष्पादन म कु कर् कर लेने के िकसी न्यायालय के पर्ािधकार पर पर्भाव डालती है ।
188. रे ल सेवक का भारतीय दंड संिहता के अध्याय 9 और धारा 409 के पर्योजन के िलए लोक सेवक होना—(1) कोई रे ल
सेवक, जो भारतीय दंड संिहता (1860 का 45) की धारा 21 के अथर् म लोक सेवक नह है, उस संिहता के अध्याय 9 और धारा 409 के
पर्योजन के िलए लोक सेवक समझा जाएगा ।
(2) भारतीय दंड संिहता (1860 का 45) की धारा 161 म “वैध पािरशर्िमक” की पिरभाषा म “सरकार” शब्द से, उपधारा (1)
के पर्योजन के िलए यह समझा जाएगा िक उसके अंतगर्त रे ल सेवक का उस हैिसयत म कोई िनयोजक भी है ।
189. रे ल सेवक ारा कोई ापार न करना—कोई रे ल सेवक—
(क) धारा 83 या धारा 84 या धारा 85 या धारा 90 के अधीन नीलाम की जाने वाली िकसी संपि को न तो स्वयं
न अिभकतार् ारा अपने नाम म या दूसरे के नाम म अथवा संयुक्तत: या दूसर के साथ िहस्सेदारी म, कर्य करे गा और न उसके
िलए बोली लगाएगा ;
(ख) रे ल पर्शासन के इस िनिम िकसी िनदेश के उल्लंघन म ापार नह करे गा ।
190. रे ल सेवक ारा िनरु संपि के रे ल पर्शासन को पिरदान के िलए पर्िकर्या—यिद कोई रे ल सेवक सेवोन्मोिचत या
िनलंिबत कर िदया जाता है या मर जाता है या फरार हो जाता है या स्वयं अनुपिस्थत रहता है और वह या उसकी पत्नी या िवधवा या
उसके कु टु म्ब का कोई सदस्य या उसका पर्ितिनिध, रे ल पर्शासन को यथापूव क्त िकसी ऐसी घटना के घटने पर ऐसे रे ल सेवक के कब्जे
या अिभरक्षा म रे ल पर्शासन का कोई स्टेशन, कायार्लय या अन्य भवन उसके अनुलग्नक सिहत या कोई पुस्तक, कागज-पतर्, चािबयां,
उपस्कर या अन्य वस्तुएं उस पर्योजन के िलए िलिखत सूचना के पश्चात्, रे ल पर्शासन को या रे ल पर्शासन ारा इस िनिम िनयुक्त
िकसी िक्त को देने से इन्कार करता है या देने म उपेक्षा करता है तो कोई महानगर मिजस्टर्ेट या पर्थम वगर् न्याियक मिजस्टर्ेट, रे ल
पर्शासन ारा या उसकी ओर से िकए गए आवेदन पर िकसी पुिलस अिधकारी को आदेश दे सके गा िक वह उिचत सहायता सिहत उस
स्टेशन, कायार्लय या अन्य भवन म पर्वेश करे और वहां पाए जाने वाले िकसी िक्त को हटा दे और उसका कब्जा ले ले या पुस्तक ,
कागज-पतर् या अन्य वस्तु को कब्जे म ले ले और उन्ह रे ल पर्शासन को या रे ल पर्शासन ारा उस िनिम िनयुक्त िक्त को पिरद
कर दे ।
191. अिभलेख और दस्तावेज म पर्िविष्टय का सबूत—रे ल पर्शासन के अिभलेख या अन्य दस्तावेज म की गई पर्िविष्टय
को रे ल पर्शासन ारा या उसके िवरु सब कायर्वािहय म सा य म गर्हण िकया जाएगा और ऐसी सब पर्िविष्टयां, या तो ऐसी
पर्िविष्टयां अंतिवष्ट करने वाले रे ल पर्शासन के अिभलेख या अन्य दस्तावेज के पेश िकए जाने पर या उन पर्िविष्टय की ऐसी
पर्ितिलिप पेश िकए जाने पर जो उन अिभलेख या अन्य दस्तावेज की अिभरक्षा रखने वाले अिधकारी ारा उसके हस्ताक्षर के अधीन
इस कथन के साथ पर्मािणत हो िक वह मूल पर्िविष्टय की सत्य पर्ितिलिप है और ऐसी मूल पर्िविष्टयां उसके कब्जे म रे ल पर्शासन के
अिभलेख या अन्य दस्तावेज म अंतिवष्ट ह, सािबत की जा सकगी ।
192. रे ल पर्शासन पर सूचना, आिद की तामील—िकसी ऐसी सूचना या अन्य दस्तावेज की, िजसकी रे ल पर्शासन पर तामील
करना इस अिधिनयम ारा अपेिक्षत या पर्ािधकृ त है, िकसी अंचल रे ल की दशा म महापर्बंधक पर या महापर्बंधक ारा पर्ािधकृ त िकसी
48

रे ल सेवक पर और िकसी अन्य रे ल की दशा म, उस रे ल के स्वामी या प ाधारी पर या िकसी करार के अधीन रे ल चलाने वाले
िक्त पर,—
(क) उसे उसको पिरद करके ; या
(ख) उसके कायार्लय म उसे छोड़कर ; या
(ग) उसके कायार्लय के पते पर रिजस्टर्ीकृ त डाक से भेजकर,
तामील की जा सके गी ।
193. रे ल पर्शासन ारा सूचना, आिद की तामील—जब तक इस अिधिनयम या इसके अधीन बनाए गए िनयम म अन्यथा
उपबंिधत न हो, िकसी ऐसी सूचना या अन्य दस्तावेज की, िजसकी रे ल पर्शासन ारा िकसी िक्त पर तामील करना इस अिधिनयम
ारा अपेिक्षत या पर्ािधकृ त है,—
(क) उसे ऐसे िक्त को पिरद करके ; या
(ख) उस िक्त के पर्ाियक या अंितम ज्ञात िनवास-स्थान पर उसे छोड़कर ; या
(ग) उस िक्त को उसके पर्ाियक या अिन्तम ज्ञात िनवास-स्थान के पते पर रिजस्टर्ीकृ त डाक से भेजकर,
तामील की जा सके गी ।
194. जहां सूचना की तामील डाक ारा की गई है वहां उपधारणा—जहां सूचना या अन्य दस्तावेज की तामील डाक ारा की
जाती है वहां यह समझा जाएगा िक उसकी तामील उस समय हो गई जब उसे अंतिवष्ट रखने वाला पतर् डाक के मामूली अनुकर्म म
पिरद हो जाता और ऐसी तामील को सािबत करने म यह सािबत करना पयार्प्त होगा िक सूचना या अन्य दस्तावेज अंतिवष्ट रखने
वाले पतर् पर ठीक पता िलखा गया था और वह रिजस्टर्ीकृ त था ।
195. रे ल पर्शासन का पर्ितिनिधत्व—(1) रे ल पर्शासन, िलिखत आदेश ारा, िकसी िसिवल, दांिडक या अन्य न्यायालय के
समक्ष िकसी कायर्वाही म, यथािस्थित, उसकी ओर से कायर् करने के िलए या उसका पर्ितिनिधत्व करने के िलए िकसी रे ल सेवक या अन्य
िक्त को पर्ािधकृ त कर सके गा ।
(2) रे ल पर्शासन ारा उसकी ओर से अिभयोजन संचािलत करने के िलए पर्ािधकृ त कोई िक्त, दंड पर्िकर्या संिहता,
1973 (1974 का 2) की धारा 302 म िकसी बात के होते हुए भी, मिजस्टर्ेट की अनुज्ञा के िबना ऐसे अिभयोजन को संचािलत करने के
िलए हकदार होगा ।
196. अिधिनयम से रे ल को छू ट देने की शिक्त—(1) के न्दर्ीय सरकार, अिधसूचना ारा, िकसी रे ल को इस अिधिनयम के सभी
या िकन्ह उपबंध से छू ट दे सके गी ।
(2) उपधारा (1) के अधीन जारी की गई पर्त्येक अिधसूचना, उसके जारी िकए जाने के पश्चात्, यथाशक्य शीघर्, संसद् के
पर्त्येक सदन के समक्ष रखी जाएगी ।
197. “रे ल” और “रे ल सेवक” की पिरभाषा से संबिं धत अनुपरू क िवषय—(1) धारा 67, धारा 113, धारा 121, धारा 123,
धारा 147, धारा 151 से धारा 154, धारा 160, धारा 164, धारा 166, धारा 168, धारा 170, धारा 171, धारा 173 से धारा 176,
धारा 179, धारा 180, धारा 182, धारा 184, धारा 185, धारा 187 से धारा 190, धारा 192, धारा 193, धारा 195 और इस धारा के
पर्योजन के िलए “रे ल” शब्द से, चाहे वह अके ला आया हो या अन्य शब्द के उपसगर् के रूप म आया हो, िकसी सि मार्णाधीन रे ल या
ऐसी रे ल के िकसी पर्भाग के पर्ित और याितर्य , जीवजन्तु या माल के सावर्जिनक वहन के िलए उपयोग म न आने वाली िकसी रे ल या
ऐसी रे ल के िकसी पर्भाग के और साथ ही धारा 2 के खंड (31) म उस शब्द की पिरभाषा के अंतगर्त आने वाली रे ल के पर्ित, िनदश है ।
(2) धारा 7, धारा 24, धारा 113, धारा 146, धारा 172 से धारा 176 और धारा 188 से धारा 190 तक के पर्योजन के िलए
“रे ल सेवक” पद के अंतगर्त वह िक्त है जो रे ल की सेवा के संबंध म िकसी रे ल के अधीन ऐसे िक्त ारा िनयोिजत हो जो रे ल
पर्शासन के साथ िकसी संिवदा को पूरी कर रहा है ।
198. िनयम बनाने की साधारण शिक्त—इस अिधिनयम म अन्यतर् अंतिवष्ट िनयम बनाने की िकसी शिक्त पर पर्ितकू ल
पर्भाव डाले िबना, के न्दर्ीय सरकार साधारणत: इस अिधिनयम के पर्योजन को कायार्िन्वत करने के िलए िनयम बना सके गी ।
199. संसद् के समक्ष िनयम का रखा जाना—इस अिधिनयम के अधीन बनाया गया पर्त्येक िनयम उसके बनाए जाने के
पश्चात् यथाशीघर्, संसद् के पर्त्येक सदन के समक्ष, जब वह सतर् म हो, कु ल तीस िदन की अविध के िलए रखा जाएगा । यह अविध एक
सतर् म अथवा दो या अिधक आनुकर्िमक सतर् म पूरी हो सके गी । यिद उस सतर् के या पूव क्त आनुकर्िमक सतर् के ठीक बाद के सतर् के
अवसान के पूवर् दोन सदन, उस िनयम म कोई पिरवतर्न करने के िलए सहमत हो जाएं तो तत्पश्चात् वह िनयम ऐसे पिरवितत रूप म
ही पर्भावी होगा । यिद उक्त अवसान के पूवर् दोन सदन सहमत हो जाएं िक वह िनयम नह बनाया जाना चािहए तो तत्पश्चात् वह
िनष्पर्भाव हो जाएगा, िकन्तु िनयम के ऐसे पिरवितत या िनष्पर्भाव होने से उसके अधीन पहले की गई िकसी बात की िविधमान्यता पर
पर्ितकू ल पर्भाव नह पड़ेगा ।
49

200. िनरसन और ावृि —(1) भारतीय रे ल अिधिनयम, 1890 (1890 का 9) इसके ारा िनरिसत िकया जाता है ।
(2) भारतीय रे ल अिधिनयम, 1890 (1890 का 9) (िजसे इसम इसके पश्चात् िनरिसत अिधिनयम कहा गया है) के िनरसन के
होते हुए भी—
(क) िनरिसत अिधिनयम के अधीन की गई या िकए जाने के िलए तात्पियत कोई बात या कारर् वाई (िजसके अंतगर्त
बनाया गया कोई िनयम, जारी की गई कोई अिधसूचना, िकया गया कोई िनरीक्षण या आदेश या की गई कोई िनयुिक्त या
सूचना या घोषणा या दी गई अनुज्ञिप्त, अनुज्ञा, पर्ािधकार या छू ट या िनष्पािदत िकया गया कोई दस्तावेज या िलखत या
िदया गया कोई िनदेश या की गई कोई कायर्वाही, अिधरोिपत की गई कोई शािस्त या जुमार्ना भी है), जहां तक वह इस
अिधिनयम के उपबंध से असंगत नह है, इस अिधिनयम के तत्स्थानी उपबंध के अधीन समझी जाएगी ;
(ख) िनरिसत अिधिनयम की धारा 41 की उपधारा (1) के अधीन रे ल रे ट अिधकरण को िकया गया कोई पिरवाद
िकन्तु िजसका इस अिधिनयम के पर्ारम्भ के पूवर् िनपटान नह िकया गया है और ऐसा पिरवाद जो िनरिसत अिधिनयम के
अधीन रे ल पर्शासन के िकसी कायर् या लोप के िवरु उक्त अिधकरण को िकया जाए, इस अिधिनयम के अध्याय 7 के उपबंध
के अनुसार इस अिधिनयम के अधीन गिठत अिधकरण ारा सुना जाएगा और िविनिश्चत िकया जाएगा ।
(3) उपधारा (2) म िविशष्ट िवषय के वणर्न से यह नह माना जाएगा िक उससे िनरसन के पर्भाव की बाबत, साधारण खंड
अिधिनयम, 1897 (1897 का 10) की धारा 6 के साधारणतया लागू होने पर पर्ितकू ल पर्भाव या कोई पर्भाव पड़ता है ।

______

You might also like