Download as pdf or txt
Download as pdf or txt
You are on page 1of 19

PRESENTS

fd'kksj U;k;
(ckydksa dh ns[kjs[k vkSj laj{k.k)
vf/fu;e] 2000
Bare Act with Short Notes

A New Way to Learn

STAY CONNECTED:

Website: www.vidhikshiksha.com Email & Contact : connect.mmjoshi@gmail.com Twitter: @manmohanjoshi


Youtube: www.youtube.com/manmohanjoshi Facebook: www.facebook.com/manmohanjoshi.09 l www.facebook.com/vidhikshiksha

Mob.: 6262624121
िकशोर न्याय (बालक की देखरे ख और संरक्षण)
अिधिनयम, 2000
(2000 का अिधिनयम संख्यांक 56)
[30 िदसम्बर, 2000]
िविध का उल्लंघन करने वाले िकशोर और देखरे ख और संरक्षण के िलए जरूरतमंद
बालक से संबिं धत िविध का, उनके िवकास की आवश्यकता को पूरा करते
हुए उिचत देखरे ख, संरक्षण और उपचार का उपबंध करते हुए तथा उनसे
संबिं धत िवषय का न्यायिनणर्यन और यन करने म बालक के
सव म िहत म, बालक के पर्ित मैतर्ीपूणर् दृिष्टकोण अपनाते
हुए तथा 1 [उनके अंितम पुनवार्स के िलए समेकन और
उससे संबिं धत या उसके आनुषिं गक
िवषय का संशोधन
करने के िलए
अिधिनयम]
संिवधान के अनुच्छेद 15 के खंड (3), अनुच्छेद 39 के खंड (ङ) और खंड (च), अनुच्छेद 45 और अनुच्छेद 47 सिहत, अनेक
उपबंध म राज्य पर यह सुिनिश्चत करने का पर्ाथिमक दाियत्व अिधरोिपत िकया गया है िक बालक की सभी आवश्यकताएं पूरी की
जाएं और उनके बुिनयादी मानवीय अिधकार का पूणर् रूप से संरक्षण िकया जाए;
और संयुक्त राष्टर् संघ की महासभा ने 20 नवंबर, 1989 को बालक के अिधकार से संबंिधत अिभसमय को अंगीकार
िकया है;
और बालक के अिधकार से संबंिधत अिभसमय ने ऐसे कु छ मानदंड िविहत िकए ह, िजनका बालक के सव म िहत को
पर्ाप्त करने के िलए, सभी पक्षकार राज्य ारा पालन िकया जाना है;
और बालक के अिधकार से संबंिधत अिभसमय ने न्याियक कायर्वािहय का सहारा िलए िबना, संभव सीमा तक पीिड़त
बालक को समाज म पुनः िमलाने के िलए बल िदया है;
और भारत सरकार ने उक्त अिभसमय का 11 िदसंबर, 1992 को अनुसमथर्न कर िदया है;
और िकशोर से संबंिधत िव मान िविध को, बालक के अिधकार से संबंिधत अिभसमय म िविहत मानक , िकशोर न्याय के
पर्शासन के िलए संयुक्त राष्टर् मानक न्यूनतम िनयम, 1985, (बीिजग िनयम), अपनी स्वतंतर्ता से वंिचत संयुक्त राष्टर् िकशोर संरक्षण
िनयम, (1990) और सभी अन्य सुसंगत अन्तरराष्टर्ीय िलखत को ध्यान म रखते हुए पुनः अिधिनयिमत करना समीचीन है ;
भारत गणराज्य के इक्यावनव वषर् म संसद् ारा िनम्निलिखत रूप म यह अिधिनयिमत हो:—
अध्याय 1

पर्ारं िभक
1. संिक्षप्त नाम, िवस्तार 2 [,पर्ारं भ और लागू होना]—(1) इस अिधिनयम का संिक्षप्त नाम िकशोर न्याय (बालक की देखरे ख
और संरक्षण) अिधिनयम, 2000 है ।
(2) इसका िवस्तार जम्मू-कश्मीर राज्य के िसवाय, संपूणर् भारत पर होगा ।
(3) यह उस तारीख को पर्वृ होगा जो के न्दर्ीय सरकार, राजपतर् म अिधसूचना ारा िनयत करे ।
[(4) तत्समय पर्वृ िकसी अन्य िविध म िकसी बात के होते हुए भी, इस अिधिनयम के उपबंध, ऐसे सभी मामल को लागू
3

ह गे िजनम ऐसी अन्य िविध के अधीन िविध का उल्लंघन करने वाले िकशोर का िनरोध, अिभयोजन, शािस्त या कारावास का दंडादेश
अंतवर्िलत है ।]
2. पिरभाषाएं—इस अिधिनयम म, जब तक िक संदभर् से अन्यथा अपेिक्षत न हो,—

1
2006 के अिधिनयम सं० 33 की धारा 2 ारा पर्ितस्थािपत ।
2
2006 के अिधिनयम सं० 33 की धारा 3 ारा पर्ितस्थािपत ।
3
2006 के अिधिनयम सं० 33 की धारा 3 ारा अंत:स्थािपत ।
2

(क) “सलाहकार बोडर्” से धारा 62 के अधीन गिठत, यथािस्थित, के न्दर्ीय या राज्य सलाहकार बोडर् या िजला और
नगर स्तर का सलाहकार बोडर् अिभपर्ेत है;
[(कक) “द क गर्हण” से वह पर्िकर्या अिभपर्ेत है िजसके ारा द क बालक अपने जैिवक माता-िपता से स्थायी रूप
1

से अलग कर िदया जाता है और अपने द क माता-िपता का उन सभी अिधकार , िवशेषािधकार और दाियत्व के साथ जो
उस नातेदारी के साथ संलग्न है, धमर्ज संतान बन जाता है ;]
(ख) “भीख मांगना” से अिभपर्ेत है,—
(i) लोक स्थान पर िभक्षा की याचना करना या पर्ाप्त करना या िकसी पर्ाइवेट पिरसर म िभक्षा की
याचना या पर्ाप्त करने के पर्योजन से पर्वेश करना, चाहे वह िकसी बहाने से हो;
(ii) िभक्षा अिभपर्ाप्त या उ ािपत करने के उ ेश्य से, अपना या िकसी अन्य िक्त या जीव जन्तु का
कोई वर्ण, घाव, क्षित, िवरूपता या रोग अिभदिशत या पर्दिशत करना;
(ग) “बोडर्” से धारा 4 के अधीन गिठत िकशोर न्याय बोडर् अिभपर्ेत है;
(घ) “देखरे ख और संरक्षण के िलए जरूरतमंद बालक” से ऐसा बालक अिभपर्ेत है,—
(i) िजसके बारे म यह पाया जाता है िक उसका कोई घर या िनिश्चत िनवास का स्थान और जीवन
िनवार्ह के दृश्यमान साधन नह ह;
1
[(iक) जो भीख मांगते हुए पाया जाता है, या जो आवारा बालक है या शर्मजीवी बालक है ;]
(ii) जो िकसी िक्त के साथ रहता है (चाहे वह बालक का संरक्षक हो अथवा नह ) और ऐसे
िक्त ने,—
(क) बालक को मारने या उसे क्षित पहुंचाने की धमकी दी है और उस धमकी को कायार्िन्वत
िकए जाने की युिक्तयुक्त संभावना है, या
(ख) िकसी अन्य बालक या बालक को मार िदया है, उसके या उनके साथ दु र्वहार या उसकी
या उनकी उपेक्षा की है और पर्श्नगत बालक के उस िक्त ारा मारे जाने, उसके साथ दु र्वहार या
उसकी उपेक्षा िकए जाने की युिक्तयुक्त संभावना है,
(iii) जो मानिसक या शारीिरक रूप से असुिवधागर्स्त या बीमार बालक है या ऐसा बालक है जो घातक
रोग या असाध्य रोग से पीिड़त है, िजनकी सहायता या देखभाल करने वाला कोई नह है,
(iv) िजसके माता-िपता या संरक्षक ह और ऐसे माता-िपता या संरक्षक बालक पर िनयंतर्ण रखने के िलए
अयोग्य या असमथर् ह,
(v) िजसके माता-िपता नह ह और कोई भी िक्त उसकी देखरे ख करने का इच्छु क नह है या उसके
माता-िपता ने उसका पिरत्याग 1[या अभ्यपर्ण] कर िदया है या जो गुमशुदा है और भागा हुआ बालक है और िजसके
माता-िपता युिक्तयुक्त जांच के पश्चात् भी नह िमल सके ह,
(vi) िजसका लिगक दु र्वहार या अवैध काय के पर्योजन हेतु घोर दु र्वहार, पर्पीड़न या शोषण िकया
जा रहा है या िकए जाने की संभावना है,
(vii) जो असुरिक्षत पाया गया है और उसके मादक दर् के कु पर्योग या उनके अवैध ापार म सिम्मिलत
िकए जाने की संभावना है,
(viii) िजसका लोकात्मा िवरु अिभलाभ के िलए दुरुपयोग िकया जा रहा है या िकए जाने की
संभावना है,
(ix) जो िकसी सशस्तर् संघषर्, िसिवल उपदर्व या पर्ाकृ ितक आपदा से पीिड़त है;
(ङ) “बालगृह” से धारा 34 के अधीन राज्य सरकार या स्वैिच्छक संगठन ारा स्थािपत और उस सरकार ारा
पर्मािणत संस्था अिभपर्ेत है;
(च) “सिमित” से धारा 29 के अधीन गिठत बाल कल्याण सिमित अिभपर्ेत है;
(छ) “सक्षम पर्ािधकारी” से देखरे ख और संरक्षण के जरूरतमंद बालक के संबंध म सिमित और िविध का उल्लंघन
करने वाले िकशोर के संबंध म बोडर् अिभपर्ेत है;

1
2006 के अिधिनयम सं० 33 की धारा 4 ारा अंत:स्थािपत ।
3

(ज) “योग्य संस्था” से ऐसा सरकारी या रिजस्टर्ीकृ त गैर-सरकारी संगठन या स्वैिच्छक संगठन अिभपर्ेत है जो िकसी
बालक की िजम्मेदारी लेने के िलए तैयार है और ऐसा संगठन 1 [सक्षम पर्ािधकारी की िसफािरश पर राज्य सरकार ारा] योग्य
पाया जाता है;
(झ) “योग्य िक्त” से ऐसा िक्त, जो सामािजक कायर्कतार् है या ऐसा कोई अन्य िक्त अिभपर्ेत है जो बालक
की िजम्मेदारी लेने के िलए तैयार है और सक्षम पर्ािधकारी ारा बालक को पर्ाप्त करने और उसकी देखरे ख करने के िलए
योग्य पाया जाता है;
(ञ) बालक के संबंध म “संरक्षक” से उसका नैसिगक संरक्षक या ऐसा कोई अन्य िक्त अिभपर्ेत है िजसकी
वास्तिवक देखरे ख या िनयंतर्ण म बालक है और उसे सक्षम पर्ािधकारी ारा उस पर्ािधकारी के समक्ष कायर्वाही के दौरान
संरक्षक के रूप म मान्यता दी गई है;
(ट) “िकशोर” या “बालक” से ऐसा िक्त अिभपर्ेत है िजसने अठारह वषर् की आयु पर्ाप्त नह की है;
[(ठ) “िविध का उल्लंघन करने वाला िकशोर” से ऐसा कोई िकशोर अिभपर्ेत है िजसके बारे म यह अिभकथन है िक
1

उसने कोई अपराध िकया है और ऐसा अपराध करने की तारीख को उसने अठारह वषर् की आयु पूरी नह की है ;]
2
* * * * * * *
(ढ) “स्वापक औषिध” और “मनःपर्भावी पदाथर्” के कर्मशः वही अथर् ह जो स्वापक ओषिध और मनःपर्भावी पदाथर्
अिधिनयम, 1985 (1985 का 61) म ह ;
(ण) “संपर्ेक्षण गृह” से धारा 8 के अधीन िविध का उल्लंघन करने वाले िकशोर के िलए राज्य सरकार ारा या
स्वैिच्छक संगठन ारा स्थािपत और उस राज्य सरकार ारा संपर्ेक्षण गृह के रूप म पर्मािणत िकया गया गृह अिभपर्ेत है;
(त) “अपराध” से तत्समय पर्वृ िकसी िविध के अधीन दंडनीय कोई अपराध अिभपर्ेत है;
(थ) “सुरिक्षत स्थान” से अिभपर्ेत है ऐसा कोई स्थान या ऐसी कोई संस्था (जो पुिलस हवालात या जेल नह है)
िजसका भारसाधक िक्त िकसी िकशोर को अस्थायी रूप से लेने और उसकी देखरे ख करने के िलए रजामंद है और जो सक्षम
पर्ािधकारी की राय म िकशोर के िलए सुरिक्षत स्थान है;
(द) “िविहत” से इस अिधिनयम के अधीन बनाए गए िनयम ारा िविहत अिभपर्ेत है;
(ध) “पिरवीक्षा अिधकारी” से अपराधी पिरवीक्षा अिधिनयम, 1958 (1958 का 20) के अधीन पिरवीक्षा अिधकारी
के रूप म राज्य सरकार ारा िनयुक्त अिधकारी अिभपर्ेत है;
(न) “सावर्जिनक स्थान” का वही अथर् होगा जो अनैितक ापार (िनवारण) अिधिनयम, 1956 (1956 का 104)
म है;
(प) “आशर्य गृह” से धारा 37 के अधीन स्थािपत गृह या िमलन के न्दर् अिभपर्ेत है;
(फ) “िवशेष गृह” से धारा 9 के अधीन राज्य सरकार ारा या स्वैिच्छक संगठन ारा स्थािपत और उस सरकार
ारा पर्मािणत संस्था अिभपर्ेत है;
(ब) “िवशेष िकशोर पुिलस एकक” से राज्य पुिलस बल की ऐसी इकाई अिभपर्ेत है जो धारा 63 के अधीन िकशोर
या बालक से िनपटने के िलए अिभपर्ेत है;
(भ) “राज्य सरकार” से संघ राज्यक्षेतर् के संबंध म, संिवधान के अनुच्छेद 239 के अधीन राष्टर्पित ारा िनयुक्त उस
संघ राज्यक्षेतर् का पर्शासक अिभपर्ेत है;
(म) उन सभी शब्द और पद के जो इस अिधिनयम म पर्युक्त ह िकतु पिरभािषत नह ह और दंड पर्िकर्या संिहता,
1973 (1974 का 2) म पिरभािषत ह, वह अथर् ह गे जो उस संिहता म उनके ह ।
3. ऐसे िकशोर के बारे म जांच जारी रखना जो िकशोर नह रह गया है—जहां िविध का उल्लंघन करने वाले िकसी िकशोर
या देखरे ख और संरक्षण के िलए जरूरतमंद बालक के िवरु जांच आरं भ कर दी गई है और उस जांच के दौरान वह िकशोर या बालक,
िकशोर या बालक नह रह गया है वहां इस अिधिनयम म या तत्समय पर्वृ िकसी अन्य िविध म िकसी बात के होते हुए भी उस िक्त
के बारे म जांच ऐसे जारी रखी जा सके गी और आदेश ऐसे िकए जा सकगे मानो ऐसा िक्त िकशोर या बालक बना रहा है ।

1
2006 के अिधिनयम सं० 33 की धारा 4 ारा पर्ितस्थािपत ।
2
2006 के अिधिनयम सं० 33 की धारा 4 ारा लोप िकया गया ।
4

अध्याय 2

िविध का उल्लंघन करने वाला िकशोर


4. िकशोर न्याय बोडर्—(1) दंड पर्िकर्या संिहता, 1973 (1974 का 2) म िकसी बात के होते हुए भी, राज्य सरकार,
1 [िकशोर न्याय (बालक की देखरे ख और संरक्षण) संशोधन अिधिनयम, 2006 के पर्ारं भ की तारीख से एक वषर् की अविध के भीतर
राजपतर् म अिधसूचना ारा पर्त्येक िजले के िलए] इस अिधिनयम के अधीन िविध का उल्लंघन करने वाले िकशोर के संबंध म ऐसे बोडर्
को पर्द या अिधरोिपत शिक्तय का पर्योग और कतर् का िनवर्हन करने के िलए एक या अिधक िकशोर न्याय बोडर् का गठन कर
सके गी ।
(2) बोडर्, यथािस्थित, महानगर मिजस्टर्ेट या न्याियक मिजस्टर्ेट पर्थम शर्ेणी और ऐसे दो सामािजक कायर्कतार् से िमलकर
बनेगा िजनम से कम से कम एक मिहला होगी और वह न्यायपीठ के रूप म गिठत होगा और ऐसे पर्त्येक न्यायपीठ को दंड पर्िकर्या
संिहता, 1973 (1974 का 2) ारा, यथािस्थित, महानगर मिजस्टर्ेट या न्याियक मिजस्टर्ेट पर्थम शर्ेणी को पर्द शिक्तयां पर्ाप्त ह गी
और बोडर् के मिजस्टर्ेट को पर्धान मिजस्टर्ेट के रूप म पदािभिहत िकया जाएगा ।
(3) िकसी भी मिजस्टर्ेट को बोडर् के सदस्य के रूप म तब तक िनयुक्त नह िकया जाएगा जब तक िक उसके पास बाल
मनोिवज्ञान या बाल कल्याण के क्षेतर् म िवशेष ज्ञान या पर्िशक्षण न हो और िकसी भी सामािजक कायर्कतार् को बोडर् के सदस्य के रूप म
तब तक िनयुक्त नह िकया जाएगा जब तक िक वह बालक से संबंिधत स्वास्थ्य, िशक्षा या कल्याण के िकर्याकलाप म कम से कम सात
वष तक न लगा रहा हो ।
(4) बोडर् के सदस्य की पदाविध और वह रीित, िजसम ऐसा सदस्य त्यागपतर् दे सके गा, वे ह गी जो िविहत की जाएं ।
(5) बोडर् के िकसी सदस्य की िनयुिक्त राज्य सरकार ारा, जांच िकए जाने के पश्चात् समाप्त की जा सके गी, यिद—
(i) वह इस अिधिनयम के अधीन िनिहत की गई शिक्त के दुरुपयोग का दोषी पाया गया है,
(ii) वह ऐसे अपराध का िस दोष ठहराया गया है िजसम नैितक अधमता अंतवर्िलत है और ऐसी दोषिसि को
उल्टा नह गया है या उसे ऐसे अपराध की बाबत पूणर् क्षमा पर्दान नह की गई है,
(iii) वह िकसी िविधमान्य कारण के िबना, लगातार तीन मास तक बोडर् की कायर्वािहय म उपिस्थत होने म
असफल रहता है या वह िकसी वषर् म कम से कम तीन-चौथाई बैठक म उपिस्थत होने म असफल रहा है ।
5. बोडर् के संबध
ं म पर्िकर्या आिद—(1) बोडर् ऐसे समय पर बैठक करे गा और ऐसी बैठक म कारबार के सं वहार के संबंध म
पर्िकर्या के ऐसे िनयम का पालन करे गा जो िविहत िकए जाएं ।
(2) िविध का उल्लंघन करने वाले िकसी बालक को, जब बोडर् की बैठक नह हो रही हो, बोडर् के िष्टक सदस्य के समक्ष पेश
िकया जा सके गा ।
(3) बोडर्, बोडर् के िकसी सदस्य के अनुपिस्थत रहते हुए भी कायर् कर सके गा और बोडर् ारा िकया गया कोई आदेश,
कायर्वािहय के िकसी पर्कर्म के दौरान िकसी सदस्य की अनुपिस्थित के कारण ही अिविधमान्य नह होगा :
परन्तु िकसी मामले के अंितम िनपटारे के समय पर्धान मिजस्टर्ेट सिहत कम से कम दो सदस्य उपिस्थत रहगे ।
(4) अंतिरम या अंितम िनपटान म बोडर् के सदस्य के बीच राय की िभन्नता की दशा म बहुमत की राय अिभभावी होगी,
िकतु जहां ऐसा कोई बहुमत नह है, वहां पर्धान मिजस्टर्ेट की राय अिभभावी होगी ।
6. िकशोर न्याय बोडर् की शिक्तयां—(1) जहां िकसी िजले 2 * * * के िलए बोडर् गिठत िकया गया है वहां, ऐसे बोडर् को,
तत्समय पर्वृ िकसी अन्य िविध म िकसी बात के होते हुए भी, िकतु जैसा इस अिधिनयम म अिभ क्ततः अन्यथा उपबंिधत है उसके
िसवाय, िविध का उल्लंघन करने वाले िकशोर से संबंिधत इस अिधिनयम के अधीन सभी कायर्वािहय के संबंध म अनन्यतः कायर् करने
की शिक्तयां पर्ाप्त ह गी ।
(2) इस अिधिनयम ारा या इसके अधीन बोडर् को पर्द शिक्तय का पर्योग उच्च न्यायालय और सेशन न्यायालय ारा भी
िकया जा सके गा जब कायर्वाही अपील, पुनरीक्षण म या अन्यथा उनके समक्ष आए ।
7. इस अिधिनयम के अधीन सशक्त न िकए गए मिजस्टर्ेट ारा अनुसरण की जाने वाली पर्िकर्या—(1) जब िकसी ऐसे
मिजस्टर्ेट की, जो इस अिधिनयम के अधीन बोडर् की शिक्तय का पर्योग करने के िलए सशक्त नह है, यह राय है िक इस अिधिनयम के
िकन्ह उपबंध के अधीन (उसके समक्ष सा य देने के पर्योजन से िभन्न) लाया गया कोई िक्त िकशोर या बालक है तब वह उस राय
को अिवलंब अिभिलिखत करे गा और उस िकशोर या बालक को तथा उस कायर्वाही के अिभलेख को उस कायर्वाही पर अिधकािरता
रखने वाले सक्षम पर्ािधकारी को भेजेगा ।

1
2006 के अिधिनयम सं० 33 की धारा 6 ारा पर्ितस्थािपत ।
2
2006 के अिधिनयम सं० 33 की धारा 7 ारा लोप िकया गया ।
5

(2) वह सक्षम पर्ािधकारी िजसे उपधारा (1) के अधीन कायर्वाही भेजी गई है, इस पर्कार जांच करे गा मानो वह िकशोर या
बालक मूलतः उसके समक्ष लाया गया हो ।
[7क. िकसी न्यायालय के समक्ष िकशोरावस्था का दावा िकए जाने पर अनुसरण की जाने वाली पर्िकर्या—(1) जब कभी
1

िकसी न्यायालय के समक्ष िकशोरावस्था का कोई दावा िकया जाता है या न्यायालय की यह राय है िक अिभयुक्त व्यिक्त अपराध
कािरत होने की तारीख को िकशोर था तब न्यायालय ऐसे व्यिक्त की आयु का अवधारण करने के िलए जांच करे गा, ऐसा सा य लेगा
जो आवश्यक हो (िकन्तु शपथ-पतर् पर नह ) और इस बारे म उसकी िनकटतम आयु का कथन करते हुए िनष्कषर् अिभिलिखत करे गा िक
वह व्यिक्त िकशोर या बालक है अथवा नह :
परं तु िकशोरावस्था का दावा िकसी न्यायालय के समक्ष िकया जा सके गा और उसे िकसी भी पर्कर्म पर, यहां तक िक मामले के
अंितम िनपटान के पश्चात् भी, मान्यता दी जाएगी और ऐसे दावे का इस अिधिनयम म और उसके अधीन बनाए गए िनयम के उपबंध
के अनुसार अवधारण िकया जाएगा, भले ही उसकी िकशोरावस्था इस अिधिनयम के पर्ारं भ की तारीख को या उससे पहले समाप्त हो
गई हो ।
(2) यिद न्यायालय इस िनष्कषर् पर पहुंचता है िक कोई व्यिक्त उपधारा (1) के अधीन अपराध कािरत करने की तारीख को
िकशोर था, तो वह उस िकशोर को समुिचत आदेश पािरत िकए जाने के िलए बोडर् को भेजेगा, और यिद न्यायालय ारा कोई दंडादेश
पािरत िकया गया है तो यह समझा जाएगा िक उसका कोई पर्भाव नह है ।]
8. संपर्क्ष
े ण गृह—(1) कोई राज्य सरकार, पर्त्येक िजले या िजल के समूह म या तो स्वयं अथवा स्वैिच्छक संगठन के साथ
करार के अधीन ऐसे संपर्ेक्षण गृह स्थािपत कर सके गी और उनका अनुरक्षण कर सके गी जो इस अिधिनयम के अधीन िविध का उल्लंघन
करने वाले िकशोर को, उनसे संबंिधत िकसी जांच के लंिबत रहने के दौरान अस्थायी रूप से रखने के िलए अपेिक्षत हो ।
(2) जहां राज्य सरकार की यह राय है िक उपधारा (1) के अधीन स्थािपत या अनुरिक्षत गृह से िभन्न कोई संस्था इस
अिधिनयम के अधीन िविध का उल्लंघन करने वाले िकशोर को उनसे संबंिधत िकसी जांच के लंिबत रहने के दौरान अस्थायी रूप से
रखने के िलए ठीक है, वहां वह उस संस्था को इस अिधिनयम के पर्योजन के िलए संपर्ेक्षण गृह के रूप म पर्मािणत कर सके गी ।
(3) राज्य सरकार, संपर्ेक्षण गृह के पर्बंध के िलए, िजसम िकशोर के पुनवार्स और समाज म पुनः िमलाने के िलए उनके ारा
पर्दान की जाने वाली सेवा का स्तर और उनके िविभन्न पर्कार भी ह, और उन पिरिस्थितय के िलए िजनम तथा उस रीित के िलए
िजससे संपर्ेक्षण गृह का पर्माणन अनुद या पर्त्याहृत िकया जा सके गा, उपबंध इस अिधिनयम के अधीन बनाए गए िनयम ारा
कर सके गी ।
(4) पर्त्येक िकशोर को, जो माता-िपता या संरक्षक के पर्भार म नह रखा गया है और संपर्ेक्षण गृह म भेजा जाता है, पर्ारं िभक
पूछताछ, देखरे ख और उसकी आयु समूह, जैसे सात वषर् से बारह वषर्, बारह वषर् से सोलह वषर् और सोलह वषर् से अठारह वषर् के अनुसार
संपर्ेक्षण गृह म आगे सिम्मिलत करने के िलए िकशोर के वग करण के िलए पर्थमतः संपर्ेक्षण गृह की स्वागत इकाई म रखा जाएगा
िजसम शारीिरक और मानिसक स्तर और िकए गए अपराध की शर्ेणी को सम्यक् रूप से ध्यान म रखा जाएगा ।
9. िवशेष गृह—(1) कोई राज्य सरकार या तो स्वयं अथवा स्वैिच्छक संगठन के साथ करार के अधीन, पर्त्येक िजले या िजल
के समूह म ऐसे िवशेष गृह स्थािपत कर सके गी और उनका अनुरक्षण कर सके गी जो इस अिधिनयम के अधीन िविध का उल्लंघन करने
वाले िकशोर को रखने और उनके पुनवार्स के िलए अपेिक्षत हो ।
(2) जहां राज्य सरकार की यह राय है िक उपधारा (1) के अधीन स्थािपत या अनुरिक्षत गृह से िभन्न कोई संस्था इस
अिधिनयम के अधीन वहां भेजे जाने वाले िविध का उल्लंघन करने वाले िकशोर को रखने के िलए ठीक है वहां वह उस संस्था को इस
अिधिनयम के पर्योजन के िलए िवशेष गृह के रूप म पर्मािणत कर सके गी ।
(3) राज्य सरकार िवशेष गृह के पर्बंध के िलए, िजसम उनके ारा पर्दान की जाने वाली सेवा का स्तर और उनके िविभन्न
पर्कार भी ह, जो िकशोर को समाज म पुनः िमलाने के िलए आवश्यक ह, और उन पिरिस्थितय के िलए िजनम तथा उस रीित के िलए
िजससे िवशेष गृह का पर्माणन अनुद या पर्त्याहृत िकया जा सके गा, उपबंध, इस अिधिनयम के अधीन बनाए गए िनयम ारा
कर सके गी ।
(4) उपधारा (3) के अधीन बनाए गए िनयम म िविध का उल्लंघन करने वाले िकशोर का, उनकी आयु और उनके ारा िकए
गए अपराध की पर्कृ ि और उसके मानिसक और शारीिरक स्तर के आधार पर वग करण और पृथक्करण के िलए भी उपबंध िकया जा
सके गा ।
10. िविध का उल्लंघन करने वाले िकशोर की िगरफ्तारी— 2 [(1) जैसे ही िविध का उल्लंघन करने वाला कोई िकशोर पुिलस
ारा िगरफ्तार िकया जाता है तभी वह िवशेष िकशोर पुिलस बल एकक या अिभिहत पुिलस अिधकारी के पर्भार के अधीन रखा जाएगा

1
2006 के अिधिनयम सं० 33 की धारा 8 ारा अंत:स्थािपत ।
2
2006 के अिधिनयम सं० 33 की धारा 9 ारा पर्ितस्थािपत ।
6

जो िकशोर को समय नष्ट िकए िबना चौबीस घंटे के भीतर िकशोर की िगरफ्तारी के स्थान से यातर्ा म िलए गए आवश्यक समय को
छोड़कर बोडर् के समक्ष पर्स्तुत करे गा :
परन्तु िकसी भी दशा म, िविध का उल्लंघन करने वाले िकशोर को पुिलस हवालात या जेल म नह रखा जाएगा ।]
(2) राज्य सरकार—
(i) उन िक्तय के िलए उपबंध करने के िलए िजनके ारा (िजसके अंतगर्त रिजस्टर्ीकृ त स्वैिच्छक संगठन भी है)
िविध का उल्लंघन करने वाला कोई िकशोर, बोडर् के समक्ष पेश िकया जा सके गा; और
(ii) उस रीित का उपबंध करने के िलए िजससे ऐसे िकशोर को िकसी संपर्ेक्षण गृह म भेजा जा सके गा,
इस अिधिनयम के संगत िनयम बना सके गी ।
11. िकशोर पर अिभरक्षक का िनयंतर्ण—ऐसे िक्त का िजसके पर्भार म कोई िकशोर, इस अिधिनयम के अनुसरण म रखा
जाता है, जब आदेश पर्वतर्न म हो, िकशोर पर िनयंतर्ण इस पर्कार होगा जैसे िक उसका िनयंतर्ण उस समय होता यिद वह उसका माता-
िपता होता और उसके भरण-पोषण के िलए उ रदायी होगा तथा िकशोर, इस बात के होते हुए भी िक उसके माता-िपता या िकसी
अन्य िक्त ारा दावा िकया गया है, सक्षम पर्ािधकारी ारा किथत अविध के िलए पर्भार म बना रहेगा ।
12. िकशोर की जमानत—(1) जब कोई ऐसा िक्त, जो जमानतीय या अजमानतीय अपराध का अिभयुक्त है और दृश्यमान
रूप म िकशोर है, िगरफ्तार या िनरु िकया जाता है अथवा बोडर् के समक्ष उपसंजात होता है या लाया जाता है तब दंड पर्िकर्या संिहता,
1973 (1974 का 2) म या तत्समय पर्वृ िकसी अन्य िविध म िकसी बात के होते हुए भी, उस िक्त को पर्ितभू सिहत या रिहत
जमानत पर छोड़ िदया जाएगा, 1 [या िकसी पिरवीक्षा अिधकारी के पयर्वेक्षण के अधीन या िकसी उपयुक्त संस्था या िकसी उपयुक्त
व्यिक्त की देखरे ख के अधीन रखा जाएगा] िकन्तु इस पर्कार उसे तब नह छोड़ा जाएगा जब यह िवश्वास करने के युिक्तयुक्त आधार
पर्तीत होते ह िक उसके ऐसे छोड़े जाने से यह संभा है िक उसका संसगर् िकसी ज्ञात अपराधी से होगा या वह नैितक, शारीिरक या
मनोवैज्ञािनक रूप से खतरे म पड़ जाएगा या उसके छोड़े जाने से न्याय के उ ेश्य िवफल ह गे ।
(2) जब िगरफ्तार िकए जाने पर ऐसे िक्त को पुिलस थाने के भारसाधक अिधकारी ारा उपधारा (1) के अधीन जमानत
पर नह छोड़ा जाता है तब ऐसा अिधकारी उसे िविहत रीित से संपर्ेक्षण गृह म के वल तब तक के िलए रखवाएगा जब तक उसे बोडर् के
समक्ष न लाया जा सके ।
(3) जब ऐसा िक्त बोडर् ारा उपधारा (1) के अधीन जमानत पर नह छोड़ा जाता है तब वह कारागार के सुपुदर् करने के
बजाय उसके बारे म जांच के लंिबत रहने के दौरान ऐसी कालाविध के िलए जो उस आदेश म िविनिदष्ट की जाए, उसे संपर्ेक्षण गृह या
िकसी सुरिक्षत स्थान म भेजने के िलए आदेश करे गा ।
13. माता-िपता या संरक्षक अथवा पिरवीक्षा अिधकारी को इि ला—जहां कोई िकशोर िगरफ्तार िकया जाता है वहां उस
पुिलस थाने या िवशेष िकशोर पुिलस एकक का भारसाधक अिधकारी, िजसके पास वह िकशोर लाया जाता है, िगरफ्तारी के पश्चात्
यथाशक्य शीघर्—
(क) उस िकशोर के माता-िपता या संरक्षक को, यिद उसका पता चलता है, ऐसी िगरफ्तारी की इ ला देगा और यह
िनदेश देगा िक वह उस बोडर् के समक्ष उपिस्थत हो िजसके समक्ष िकशोर उपसंजात होगा; और
(ख) पिरवीक्षा अिधकारी को ऐसी िगरफ्तारी की इि ला देगा िजससे िक वह िकशोर के पूवर्वृ और कौटु िम्बक
पृष्ठभूिम के बारे म तथा अन्य ऐसी ताित्त्वक पिरिस्थितय के बारे म जानकारी अिभपर्ाप्त कर सके , िजनके बारे म यह
संभा है िक वे जांच करने म बोडर् के िलए सहायक ह गी ।
14. िकशोर के बारे म बोडर् ारा जांच— 2 [(1)] जहां अपराध से आरोिपत िकशोर, बोडर् के समक्ष पेश िकया जाता है, वहां को
बोडर् इस अिधिनयम के उपबंध के अनुसार जांच करे गा और वह िकशोर के संबंध म ऐसा आदेश कर सके गा जो वह ठीक समझे :
परन्तु इस धारा के अधीन कोई जांच इसके पर्ारं भ होने की तारीख से चार मास की अविध के भीतर जब तक िक बोडर् ारा
मामले की पिरिस्थितय को ध्यान म रखने के पश्चात् और िवशेष मामल म ऐसे िवस्तार के िलए िलिखत म कारण लेखब करने के
पश्चात् उक्त अविध िवस्तािरत नह की गई हो, पूरी की जाएगी ।
मुख्य न्याियक मिजस्टर्ेट या मुख्य महानगर मिजस्टर्ेट पर्त्येक छह मास पर बोडर् के समक्ष लंिबत मामल का पुनिवलोकन
3 [(2)

करे गा और बोडर् को अपनी बैठक की आवृि बढ़ाने का िनदेश देगा या अितिरक्त बोड का गठन करा सके गा ।]

1
2006 के अिधिनयम सं० 33 की धारा 10 ारा अंत:स्थािपत ।
2
2006 के अिधिनयम सं० 33 की धारा 11 ारा पुन:संख्यांिकत ।
3
2006 के अिधिनयम सं० 33 की धारा 11 ारा अंत:स्थािपत ।
7

15. आदेश जो िकशोर के बारे म पािरत िकया जा सके गा—(1) जहां बोडर् का जांच करने पर यह समाधान हो जाता है िक
िकशोर ने अपराध िकया है, वहां तत्समय पर्वृ िकसी अन्य िविध म िकसी तत्पर्ितकू ल बात के होते हुए भी, वह बोडर्, यिद वह ऐसा
करना ठीक समझता है, तो,—
(क) िकशोर को उसके िवरु समुिचत जांच करने के पश्चात् और माता-िपता या संरक्षक या िकशोर को परामशर्
देने के पश्चात् उपदेश या भत्सर्ना के पश्चात् घर जाने देने का िनदेश दे सके गा;
(ख) िकशोर को सामूिहक परामशर् और ऐसे ही िकर्याकलाप म भाग लेने का िनदेश दे सके गा;
(ग) िकशोर को सामुदाियक सेवा करने का आदेश दे सके गा;
(घ) िकशोर के माता-िपता को या स्वयं िकशोर को जुमार्ने का संदाय करने का आदेश दे सके गा यिद वह चौदह वषर्
से अिधक आयु का है और धन अिजत करता है;
(ङ) िकशोर को सदाचरण की पिरवीक्षा पर छोड़ने और माता-िपता, संरक्षक या अन्य योग्य िक्त की देखरे ख म
रखने का िनदेश, ऐसे माता-िपता, संरक्षक या अन्य योग्य िक्त ारा िकशोर के सदाचार और उसकी भलाई के िलए उस
बोडर् की अपेक्षानुसार पर्ितभू सिहत या रिहत, तीन वषर् से अनिधक की कालाविध के िलए, बंधपतर् िनष्पािदत िकए जाने पर,
दे सके गा;
(च) िकशोर को सदाचरण की पिरवीक्षा पर छोड़ने और सदाचार और उसकी भलाई के िलए िकसी योग्य संस्था की
देखरे ख म रखने का िनदेश तीन वषर् से अनिधक कालाविध के िलए दे सके गा;
1
[(छ) िकशोर को तीन वषर् की अविध के िलए िवशेष गृह म भेजने के िलए िनदेश देने वाला आदेश कर सके गा :
परं तु यिद बोडर् का यह समाधान हो जाता है िक अपराध की पर्कृ ित और मामले की पिरिस्थितय को ध्यान म रखते
हुए उन कारण से, जो लेखब िकए जाएं, ऐसा करना समीचीन है, तो बोडर् रोक आदेश की अविध को ऐसी अविध तक घटा
सके गा जो वह ठीक समझे ।]
(2) बोडर् िकशोर पर िकसी पिरवीक्षा अिधकारी या मान्यतापर्ाप्त स्वैिच्छक संगठन की माफर् त या अन्यथा सामािजक
अन्वेषण िरपोटर् अिभपर्ाप्त करे गा और ऐसा आदेश पािरत करने के पूवर् ऐसी िरपोटर् के िनष्कष पर िवचार करे गा ।
(3) जहां उपधारा (1) के खंड (घ), खंड (ङ) या खंड (च) के अधीन आदेश िकया जाता है वहां बोडर्, यिद उसकी यह राय है िक
ऐसा करना िकशोर के तथा लोकिहत म समीचीन है, तो अितिरक्त आदेश कर सके गा िक िविध का उल्लंघन करने वाले िकशोर आदेश म
नािमत पिरवीक्षा अिधकारी के पयर्वेक्षण म, तीन वषर् से अनिधक की ऐसी कालाविध के दौरान रहेगा, जो उस आदेश म िविनिदष्ट की
जाए, और ऐसे पयर्वेक्षण आदेश म ऐसी शत अिधरोिपत कर सके गा िजन्ह वह िविध का उल्लंघन करने वाले िकशोर के सम्यक् पयर्वेक्षण
के िलए आवश्यक समझे :
परन्तु यिद तत्पश्चात् िकसी समय बोडर् को पिरवीक्षा अिधकारी से िरपोटर् की पर्ािप्त पर या अन्यथा यह पर्तीत होता है िक
िविध का उल्लंघन करने वाला िकशोर पयर्वेक्षण की कालाविध के दौरान सदाचारी नह रहा है अथवा वह योग्य संस्था, िजसकी देखरे ख
म िकशोर को रखा गया था, अब िकशोर का सदाचार या भलाई सुिनिश्चत करने के िलए असमथर् है या रजामंद नह है तो वह ऐसी
जांच करने के पश्चात्, जो वह ठीक समझे, िविध का उल्लंघन करने वाले िकशोर को िवशेष गृह को भेजे जाने का आदेश कर सके गा ।
(4) उपधारा (3) के अधीन पयर्वेक्षण आदेश करते समय बोडर् िकशोर को तथा, यथािस्थित, माता-िपता, संरक्षक या अन्य
योग्य िक्त या योग्य संस्था को, िजसकी देखरे ख म िकशोर रखा गया है, आदेश के िनबंधन और शत समझा देगा और तत्काल उस
पयर्वेक्षण आदेश की पर्ितिलिप, यथािस्थित, िकशोर के माता-िपता, संरक्षक या अन्य योग्य िक्त या योग्य संस्था को और यिद कोई
पर्ितभू ह तो उन्ह और पिरवीक्षा अिधकारी को देगा ।
16. वे आदेश जो िकशोर के िवरु पािरत न िकए जा सकगे—(1) तत्समय पर्वृ िकसी अन्य िविध म िकसी तत्पर्ितकू ल बात
के होते हुए भी, िकसी िविध का उल्लंघन करने वाले िकशोर को मृत्यु 2 [या ऐसे िकसी कारावास का िजसकी अविध आजीवन कारावास
तक की हो सके गी,] दंडादेश नह िदया जाएगा, और न जुमार्ना देने म ितकर्म होने पर या पर्ितभूित देने म ितकर्म होने पर कारागार
के सुपुदर् िकया जाएगा :
परन्तु जहां ऐसे िकशोर ने, िजसने सोलह वषर् की आयु पर्ाप्त कर ली है, कोई अपराध िकया है और बोडर् का समाधान हो जाता
है िक िकया गया अपराध ऐसी गंभीर पर्कृ ित का है या उसका आचरण और आचार ऐसा रहा है िक यह उसके िहत म या िवशेष गृह म के
अन्य िकशोर के िहत म नह होगा िक उसे ऐसे िवशेष गृह भेजा जाए और यह िक इस अिधिनयम के अधीन उपबंिधत अन्य अध्युपाय
म से कोई भी उपयुक्त या पयार्प्त नह है वहां बोडर्, िविध का उल्लंघन करने वाले िकशोर को ऐसे स्थान म और ऐसे रीित से िजसे वह
ठीक समझे, सुरिक्षत स्थान म रखे जाने का आदेश कर सके गा और राज्य सरकार के आदेशाथर् मामले की िरपोटर् करे गा ।

1
2006 के अिधिनयम सं० 33 की धारा 12 ारा पर्ितस्थािपत ।
2
2006 के अिधिनयम सं० 33 की धारा 13 ारा पर्ितस्थािपत ।
8

(2) बोडर् से उपधारा (1) के अधीन िरपोटर् की पर्ािप्त पर राज्य सरकार, िकशोर के बारे म ऐसे इं तजाम कर सके गी जैसे वह
उिचत समझे और ऐसे िकशोर को ऐसे स्थान म और ऐसी शत पर, िजन्ह वह ठीक समझे, िनरु रखे जाने पर आदेश कर सके गी :
1 [परं तु
इस पर्कार आिदष्ट िनरोध की कालाविध िकसी भी दशा म इस अिधिनयम की धारा 15 के अधीन उपबंिधत की गई
अिधकतम कालाविध से अिधक नह होगी ।]
17. दंड पर्िकर्या संिहता के अध्याय 8 के अधीन की कायर्वाही का िकशोर के िवरु सक्षम न हो सकना—दंड पर्िकर्या संिहता,
1973 (1974 का 2) म िकसी तत्पर्ितकू ल बात के होते हुए भी, िकसी िकशोर के िवरु उक्त संिहता के अध्याय 8 के अधीन न कोई
कायर्वाही संिस्थत की जाएगी और न ही कोई आदेश िकया जाएगा ।
18. िकशोर और ऐसे िक्त की, जो िकशोर नह है संयक् ु त कायर्वाही का न होना—(1) दंड पर्िकर्या संिहता, 1973
(1974 का 2) की धारा 223 म या तत्समय पर्वृ िकसी अन्य िविध म िकसी बात के होते हुए भी कोई िकशोर िकसी ऐसे िक्त के साथ
जो िकशोर नह है िकसी अपराध के िलए आरोिपत या िवचािरत नह िकया जाएगा ।
(2) यिद कोई िकशोर, िकसी ऐसे अपराध का अिभयुक्त है िजसके िलए वह िकशोर और कोई अन्य िक्त, जो िकशोर नह
है, दंड पर्िकर्या संिहता, 1973 (1974 का 2) की धारा 223 के अधीन या तत्समय पर्वृ िकसी अन्य िविध के अधीन, उस दशा म जब िक
उपधारा (1) म अंतिवष्ट पर्ितषेध न होता, एक साथ आरोिपत और िवचािरत िकया जाता तो अपराध का संज्ञान करने वाला बोडर् उस
िकशोर और अन्य िक्त के पृथक् िवचारण का िनदेश देगा ।
19. दोषिसि से होने वाली िनरहर्ता का हटाया जाना—(1) िकसी अन्य िविध म िकसी बात के होते हुए भी, कोई िकशोर,
िजसने कोई अपराध िकया है और िजसके बारे म अिधिनयम के उपबंध के अधीन कारर् वाई की जा चुकी है, िकसी ऐसी िनरहर्ता के , यिद
कोई हो, अधीन नह होगा, जो ऐसी िविध के अधीन अपराध की दोषिसि से संलग्न हो ।
(2) बोडर् यह िनदेश देते हुए आदेश देगा िक ऐसी दोषिसि के सुसंगत अिभलेख, यथािस्थित, अपील की अविध या ऐसी
युिक्तयुक्त अविध की समािप्त के पश्चात् जो िनयम म िविहत की जाए, हटा िलए जाएंगे ।
20. लंिबत मामल के बारे म िवशेष उपबंध—इस अिधिनयम म िकसी बात के होते हुए भी, िकसी क्षेतर् के न्यायालय म, उस
तारीख को जबिक यह अिधिनयम उस क्षेतर् म पर्वृ होता है, लंिबत िकशोर िवषयक सब कायर्वािहयां उस न्यायालय म इस पर्कार चालू
रखी जाएंगी, मानो यह अिधिनयम पािरत नह िकया गया है और यिद न्यायालय का यह िनष्कषर् है िक िकशोर ने अपराध िकया है तो
वह उस िनष्कषर् को अिभिलिखत करे गा और उस िकशोर के बारे म कोई दंडादेश करने के बजाय उस िकशोर को बोडर् को भेज देगा, जो
उस िकशोर के बारे म आदेश इस अिधिनयम के उपबंध के अनुसार ऐसे करे गा मानो इस अिधिनयम के अधीन जांच पर उसका
समाधान हो गया है िक िकशोर ने वह अपराध िकया है :
[परं तु बोडर् िकसी ऐसे उपयुक्त और िवशेष कारण से जो आदेश म विणत िकया जाए, मामले का पुनिवलोकन कर सके गा
2

और ऐसे िकशोर के िहत म उपयुक्त आदेश पािरत कर सके गा ।


स्पष्टीकरण—िकसी न्यायालय म िविध का उल्लंघन करने वाले िकशोर से संबंिधत सभी लंिबत मामल म िजनके अंतगर्त
िवचारण, पुनरीक्षण, अपील या कोई अन्य दांिडक कायर्वािहयां भी ह, ऐसे िकशोर की िकशोरावस्था का अवधारण धारा 2 के खंड (ठ)
के िनबन्धनानुसार िकया जाएगा भले ही िकशोर इस अिधिनयम के पर्ारं भ की तारीख को या उससे पहले िकशोर न रहा हो और इस
अिधिनयम के उपबंध ऐसे लागू ह गे मानो उक्त उपबंध सभी पर्योजन के िलए और सभी ताित्त्वक समय पर पर्वतर्न म थे जब ऐसा
अिभकिथत अपराध िकया गया था ।]
इस अिधिनयम के अधीन िकसी कायर्वाही म अंतवर्िलत िविध का उल्लंघन करने वाले िकशोर या देखरे ख और संरक्षण
3 [21.

की आवश्यकता वाले बालक के नाम आिद के पर्काशन का पर्ितषेध—(1) िकसी समाचारपतर्, पितर्का का समाचार पृष्ठ या दृश्य माध्यम
म इस अिधिनयम के अधीन िविध का उल्लंघन करने वाले िकशोर या देखरे ख और संरक्षण की आवश्यकता वाले बालक के बारे म िकसी
जांच की कोई िरपोटर् िकशोर या बालक का नाम, पता या िव ालय या कोई अन्य िविशिष्टयां िजनसे िकशोर या बालक का पहचाना
जाना पर्किल्पत हो, पर्कट नह की जाएगी और न ही ऐसे िकशोर या बालक का कोई िचतर् ही पर्कािशत िकया जाएगा :
परं तु जांच करने वाला पर्ािधकारी ऐसा पर्कटन ऐसे कारण से जो लेखब िकए जाएंगे तब अनुज्ञात कर सके गा जब उसकी
राय म ऐसा पर्कटन िकशोर या बालक के िहत म हो ।
(2) उपधारा (1) के उपबंध का उल्लंघन करने वाला कोई िक्त जो ऐसी शािस्त के िलए दायी होगा, जो पच्चीस हजार
रुपए तक की हो सके गी ।]
22. िनकल भागे िकशोर की बाबत उपबंध—तत्समय पर्वृ िकसी अन्य िविध म इसके पर्ितकू ल िकसी बात के होते हुए भी,
कोई पुिलस अिधकारी, िविध का उल्लंघन करने वाले ऐसे िकशोर का िबना वारं ट के पर्भार ले सके गा जो िवशेष गृह या संपर्ेक्षण गृह या

1
2006 के अिधिनयम सं० 33 की धारा 13 ारा पर्ितस्थािपत ।
2
2006 के अिधिनयम सं० 33 की धारा 14 ारा अंत:स्थािपत ।
3
2006 के अिधिनयम सं० 33 की धारा 15 ारा पर्ितस्थािपत
9

िकसी ऐसे िक्त की देखरे ख से भाग िनकला है िजसके अधीन वह इस अिधिनयम के अधीन रखा गया था और उसे, यथािस्थित, उस
िवशेष गृह या संपर्ेक्षण गृह या उस िक्त को वापस िकया जाएगा और उस िकशोर के िवरु ऐसे भाग िनकलने के कारण कोई
कायर्वाही संिस्थत नह की जाएगी, िकन्तु िवशेष गृह या संपर्ेक्षण गृह या वह िक्त उस बोडर् को सूचना देने के पश्चात् िजसने िकशोर
के संबंध म आदेश पािरत िकया था, िकशोर के संबंध म ऐसे कदम उठा सके गा जो इस अिधिनयम के अधीन आवश्यक पर्तीत ह ।
23. िकशोर या बालक के पर्ित कर्ूरता के िलए दंड—जो कोई िकशोर या बालक का वास्तिवक भारसाधन या उस पर िनयंतर्ण
रखते हुए ऐसी रीित से, िजससे उस िकशोर या बालक को अनावश्यक मानिसक या शारीिरक कष्ट होना संभा हो उस िकशोर या
बालक पर हमला करे गा, उसका पिरत्याग करे गा, उसे उच्छन्न करे गा या जानबूझकर उसकी उपेक्षा करे गा या उस पर हमला या उसका
पिरत्यक्त, उच्छन्न या उपेिक्षत िकया जाना कािरत या उपाप्त करे गा, वह कारावास से, िजसकी अविध छह मास तक हो सके गी, या
जुमार्ने से, या दोन से दंडनीय होगा ।
24. भीख मांगने के िलए िकशोर या बालक का िनयोजन—(1) जो कोई, भीख मांगने के पर्योजन के िलए िकसी िकशोर या
बालक को िनयोिजत या पर्युक्त करता है या िकसी िकशोर या बालक से भीख मंगवाएगा, वह कारावास से, िजसकी अविध तीन वषर्
तक की हो सके गी और जुमार्ने से भी, दंडनीय होगा ।
(2) जो कोई, िकशोर या बालक का वास्तिवक भारसाधन या उस पर िनयंतर्ण रखते हुए, उपधारा (1) के अधीन दंडनीय
अपराध का दुष्पर्ेरण करे गा, वह कारावास से, िजसकी अविध एक वषर् तक की हो सके गी, और जुमार्ने से भी, दंडनीय होगा ।
25. िकशोर या बालक को मादक िलकर या स्वापक औषिध या मनःपर्भावी पदाथर् देने के िलए शािस्त—जो कोई, सम्यक् रूप
से अिहत िचिकत्सा वसायी के आदेश या बीमारी से अन्यथा िकसी िकशोर या बालक को लोक-स्थान म कोई मादक िलकर या कोई
स्वापक औषिध या मनःपर्भावी पदाथर् देगा या िदलवाएगा वह कारावास से, िजसकी अविध तीन वषर् तक की हो सके गी, और जुमार्ने से
भी, दंडनीय होगा ।
26. िकशोर या बालक कमर्चारी का शोषण—जो कोई, िकसी पिरसंकटमय िनयोजन के पर्योजन के िलए, िकशोर या बालक
को दृश्यमानतः उपाप्त करे गा या िकशोर के उपाजर्न को िवधािरत करे गा या उसके उपाजर्न स्वयं अपने पर्योजन के िलए उपयोग म
लाएगा वह कारावास से, िजसकी अविध तीन वषर् तक की हो सके गी, और जुमार्ने से भी, दंडनीय होगा ।
27. िवशेष अपराध—धारा 23, धारा 24, धारा 25 और धारा 26 के अधीन दंडनीय अपराध संज्ञेय ह गे ।
28. वैकिल्पक दंड—जहां कोई कायर् या लोप ऐसा अपराध गिठत करता है जो इस अिधिनयम के अधीन या िकसी के न्दर्ीय या
राज्य अिधिनयम के अधीन भी दंडनीय है, वहां तत्समय पर्वृ िकसी िविध म िकसी बात के होते हुए भी, ऐसे अपराध का दोषी पाया
गया अपराधी ऐसे अिधिनयम के अधीन हो, जो िकसी दंड का उपबंध करता है, ऐसे दंड का भागी होगा जो मातर्ा म अिधक हो ।
अध्याय 3

देखरे ख और संरक्षण के िलए जरूरतमंद बालक


29. बाल कल्याण सिमित—(1) राज्य सरकार, 1 [िकशोर न्याय (बालक की देखरे ख और संरक्षण) संशोधन अिधिनयम, 2006
के पर्ारं भ की तारीख से एक वषर् की अविध के भीतर राजपतर् म अिधसूचना ारा पर्त्येक िजले के िलए] इस अिधिनयम के अधीन देखरे ख
और संरक्षण के िलए जरूरतमंद बालक के संबंध म एक या अिधक बाल कल्याण सिमितय का, ऐसी सिमितय को पर्द शिक्तय का
पर्योग और कतर् का िनवर्हन करने के िलए गठन कर सके गी ।
(2) सिमित, एक अध्यक्ष और चार ऐसे अन्य सदस्य से िमलकर बनेगी िजन्ह िनयुक्त करना राज्य सरकार ठीक समझे और
उनम कम से कम एक मिहला होगी और दूसरा अन्य, बालक से संबंिधत िवषय का िवशेषज्ञ होगा ।
(3) अध्यक्ष और सदस्य की अहर्ताएं और पदाविध िजसके िलए उन्ह िनयुक्त िकया जाए, ऐसी होगी जो िविहत की जाए ।
(4) सिमित के िकसी सदस्य की िनयुिक्त, राज्य सरकार ारा जांच िकए जाने के पश्चात् समाप्त की जा सके गी, यिद—
(i) वह इस अिधिनयम के अधीन िनिहत की गई शिक्त के दुरुपयोग का दोषी पाया गया हो;
(ii) वह िकसी ऐसे अपराध का िस दोष ठहराया गया हो िजसम नैितक अधमता अंतवर्िलत है, और ऐसी
दोषिसि को उलटा नह गया है या ऐसे अपराध की बाबत उसे पूणर् क्षमा पर्दान नह की गई है;
(iii) वह, िकसी िविधमान्य कारण के िबना लगातार तीन मास तक, सिमित की कायर्वािहय म उपिस्थत रहने म
असफल रहता है या िकसी वषर् म कम से कम तीन चौथाई बैठक म उपिस्थत रहने म असफल रहता है ।
(5) सिमित, मिजस्टर्ेट की न्यायपीठ के रूप म कायर् करे गी और उसे दंड पर्िकर्या संिहता, 1973 (1974 का 2) ारा,
यथािस्थित, महानगर मिजस्टर्ेट या पर्थम वगर् न्याियक मिजस्टर्ेट को पर्द शिक्तयां पर्ाप्त ह गी ।

1
2006 के अिधिनयम सं० 33 की धारा 16 ारा पर्ितस्थािपत ।
10

30. सिमित के संबध ं म पर्िकर्या, आिद—(1) सिमित अपनी बैठक ऐसे समय पर और अपनी बैठक म कारबार के सं वहार
की बाबत पर्िकर्या के ऐसे िनयम का अनुपालन करे गी जो िविहत िकए जाएं ।
(2) देखरे ख और संरक्षण के जरूरतमंद बालक को सुरिक्षत अिभरक्षा म रखे जाने के िलए या अन्यथा तब जब सिमित सतर् म न
हो िष्टक सदस्य के सामने पेश िकया जा सके गा ।
(3) िकसी अंतिरम िविनश्चय के समय सिमित के सदस्य के बीच राय की िकसी िभन्नता की दशा म, बहुमत की राय
अिभभावी होगी िकन्तु जहां कोई ऐसा बहुमत नह है वहां अध्यक्ष की राय अिभभावी होगी ।
(4) उपधारा (1) के उपबंध के अधीन रहते हुए, सिमित, सिमित के िकसी सदस्य के अनुपिस्थत रहते हुए भी कारर् वाई कर
सके गी और सिमित ारा िकया गया कोई आदेश, कायर्वाही के िकसी पर्कर्म के दौरान के वल िकसी सदस्य की अनुपिस्थित के आधार पर
ही अिविधमान्य नह होगा ।
31. सिमित की शिक्तयां—(1) सिमित का बालक की देखरे ख, संरक्षण, उपचार, िवकास और पुनवार्स के मामल का
िनपटारा करने तथा साथ ही साथ उनकी मूलभूत आवश्यकता और मानव अिधकार के संरक्षण के िलए उपबंध करने का अंितम
पर्ािधकार होगा ।
(2) जहां िकसी क्षेतर् के िलए सिमित का गठन िकया गया है, वहां तत्समय पर्वृ िकसी अन्य िविध म िकसी बात के होते हुए
भी, िकन्तु अिधिनयम म अिभ क्त रूप म जैसा उपबंिधत है, उसके िसवाय, ऐसी सिमित की देखरे ख और संरक्षण के जरूरतमंद
बालक से संबंिधत, इस अिधिनयम के अधीन सभी कायर्वािहय के संबंध म अनन्यतः कायर् करने की शिक्त होगी ।
32. सिमित के समक्ष पेश िकया जाना—(1) देखरे ख और संरक्षण के िलए जरूरतमंद िकसी बालक को िनम्निलिखत िकसी
िक्त ारा सिमित के समक्ष पेश िकया जा सके गा—
(i) कोई पुिलस अिधकारी या िवशेष िकशोर पुिलस एकक या कोई पदािभिहत अिधकारी;
(ii) कोई लोक सेवक;
(iii) एक रिजस्टर्ीकृ त स्वैिच्छक संगठन, चाइल्ड लाइन या ऐसे अन्य स्वैिच्छक संगठन या िकसी अिभकरण ारा
िजन्ह राज्य सरकार ारा मान्यता दी जाए;
(iv) 1 * * * कोई सामािजक कायर्कतार् या लोक भावना से युक्त नागिरक; या
(v) स्वयं बालक ारा :
[परं तु बालक को समय नष्ट िकए िबना चौबीस घंटे की अविध के भीतर यातर्ा म िलए गए आवश्यक समय को
2

छोड़कर सिमित के समक्ष पेश िकया जाएगा ।]


(2) राज्य सरकार के जांच के लंिबत रहने के दौरान 1* * * सिमित को िरपोटर् देने की रीित का और बालक को बालगृह म
भेजने और स पने की रीित का उपबंध करने के िलए इस अिधिनयम से संगत िनयम बना सके गी ।
33. जांच—(1) धारा 32 के अधीन िरपोटर् की पर्ािप्त पर सिमित 3 * * * िविहत रीित से जांच करे गा और सिमित अपनी स्वयं
की या धारा 32 की उपधारा (1) म विणत िकसी िक्त या अिभकरण से पर्ाप्त िरपोटर् पर बालक को सामािजक कायर्कतार् या बाल
कल्याण अिधकारी ारा शीघर् जांच के िलए बालगृह भेजने के िलए आदेश करे गी ।
(2) इस धारा के अधीन जांच को, आदेश की पर्ािप्त के चार मास के भीतर या ऐसी कम अविध के भीतर जो सिमित ारा
िनयत की जाए, पूरा िकया जाएगा :
परन्तु जांच िरपोटर् पर्स्तुत करने के िलए समय को, ऐसी अविध के िलए बढ़ाया जा सके गा िजसे सिमित, पिरिस्थितय को
ध्यान म रखते हुए और लेखब कारण के आधार पर अवधािरत करे ।
[(3) राज्य सरकार, पर्त्येक छह मास म सिमित के समक्ष लंिबत मामल का पुनिवलोकन करे गी और सिमित को अपनी
4

बैठक की आवृि को बढ़ाने के िलए िनदेश देगी या अितिरक्त सिमितय का गठन करा सके गी ।
(4) जांच के पूरा हो जाने के पश्चात् यिद सिमित की यह राय है िक उक्त बालक का कोई कु टु म्ब या उसका कोई दृश्यमान
सहारा नह है या उसे देखरे ख या संरक्षण की लगातार आवश्यकता है, तो वह बालक को तब तक बालगृह या आशर्यगृह म रहने की
अनुज्ञा दे सके गी जब तक उसका उपयुक्त पुनर्वास नह हो जाता या जब तक वह अठारह वषर् की आयु पर्ाप्त नह कर लेता है ।]

1
2006 के अिधिनयम सं० 33 की धारा 17 ारा लोप िकया गया ।
2
2006 के अिधिनयम सं० 33 की धारा 17 ारा अंत:स्थािपत ।
3
2006 के अिधिनयम सं० 33 की धारा 18 ारा लोप िकया गया ।
4
2006 के अिधिनयम सं० 33 की धारा 18 ारा पर्ितस्थािपत ।
11

34. बालगृह—(1) राज्य सरकार या तो स्वयं या स्वैिच्छक संगठन से सहयोग करके िकसी जांच के लंिबत होने के दौरान
देखरे ख और संरक्षण के जरूरतमन्द बालक को रखने के िलए और तत्पश्चात् उनकी देखरे ख, उपचार, िशक्षा, पर्िशक्षण, िवकास और
पुनवार्स के िलए, यथािस्थित, पर्त्येक िजले म या िजल के समूह म बालगृह की स्थापना और उनका रखरखाव कर सके गी ।
(2) राज्य सरकार इस अिधिनयम के अधीन बनाए गए िनयम ारा, बालगृह के पर्बंध की बाबत िजसके अंतगर्त उनके ारा
पर्दान की जाने वाली सेवा के मानक और पर्कृ ित भी है तथा उन पिरिस्थितय के िलए िजनके अधीन और वह रीित िजसम िकसी
स्वैिच्छक संगठन को बालगृह का पर्माणपतर् या मान्यता पर्दान की जा सके गी या वापस ली जा सके गी, उपबंध कर सके गी ।
[(3) तत्समय पर्वृ िकसी अन्य िविध म अंतिवष्ट िकसी बात पर पर्ितकू ल पर्भाव डाले िबना, सभी संस्थाएं, चाहे वे राज्य
1

सरकार ारा या स्वैिच्छक संगठन ारा देखरे ख और संरक्षण की आवश्यकता वाले बालक के िलए चलाई जाती ह, िकशोर न्याय
(बालक की देखरे ख और संरक्षण) संशोधन अिधिनयम, 2006 के पर्ारं भ की तारीख से छह मास की अविध के भीतर इस अिधिनयम के
अधीन, ऐसी रीित म, जो िविहत की जाए, रिजस्टर्ीकृ त की जाएंगी ।]
35. िनरीक्षण—(1) राज्य सरकार, यथािस्थित, राज्य, िकसी िजले और नगर के िलए ऐसी अविध और ऐसे पर्योजन के िलए
जो िविहत िकए जाएं, बालगृह के िलए िनरीक्षण सिमितयां िनयुक्त कर सके गी (िजन्ह इसम इसके पश्चात् िनरीक्षण सिमितयां कहा
गया है) ।
(2) िकसी राज्य, िजले या िकसी नगर की िनरीक्षण सिमित म राज्य सरकार, स्थानीय पर्ािधकरण, सिमित, स्वैिच्छक संगठन
से उतनी संख्या म पर्ितिनिध ह गे और ऐसे अन्य िचिकत्सा िवशेषज्ञ और सामािजक कायर्कतार् ह गे जो िविहत िकए जाएं ।
36. सामािजक संपरीक्षा—के न्दर्ीय सरकार, या कोई राज्य सरकार, बालगृह के कृ त्य का ऐसी अविध पर और ऐसे िक्तय
और संस्था की माफर् त जो उस सरकार ारा िविनिदष्ट िकए जाएं, मानीटर और मूल्यांकन कर सके गी ।
37. आशर्यगृह—(1) राज्य सरकार, पर्ितिष्ठत और समथर् स्वैिच्छक संगठन को मान्यता पर्दान कर सके गी और उन्ह िकशोर
या बालक के िलए, िजतने अपेिक्षत ह उतने आशर्यगृह के गठन और उनके पर्शासन के िलए सहायता पर्दान कर सके गी ।
(2) उपधारा (1) म िनिदष्ट आशर्यगृह, ऐसे िक्तय के , जो धारा 32 की उपधारा (1) म िनिदष्ट ह, माध्यम से ऐसे गृह म
लाए गए जरूरतमन्द बालक की तात्कािलक मदद के िलए िमलन के न्दर् के रूप म कायर् करगे ।
(3) आशर्यगृह म, जहां तक संभव हो, ऐसी सुिवधाएं ह गी, जो िनयम ारा िविहत की जाएं ।
38. अंतरण—(1) यिद जांच के दौरान यह पाया जाता है िक बालक सिमित की अिधकािरता के बाहर के स्थान से है, तो
सिमित, बालक के िनवास के स्थान पर अिधकािरता वाले सक्षम पर्ािधकारी को उस बालक को अंतिरत करने का आदेश करे गी ।
(2) ऐसे िकशोर या बालक को उस गृह के कमर्चािरवृन्द की अनुरक्षा म ले जाया जाएगा, िजसम वह मूल रूप से ठहराया
गया है ।
(3) राज्य सरकार, बालक को संद िकए जाने वाले यातर्ा भ े के िलए उपबंध करने के िलए िनयम बना सके गी ।
39. पर्त्यावतर्न—(1) िकसी बालगृह या आशर्यगृह का पर्ाथिमक उ ेश्य बालक का पर्त्यावतर्न और संरक्षण होगा ।
(2) यथािस्थित, बालगृह या आशर्यगृह, ऐसे कदम उठाएंगे, जो अस्थायी या स्थायी रूप से अपने कु टु म्ब के वातावरण से
वंिचत बालक के पर्त्यावतर्न और संरक्षण के िलए आवश्यक समझे जाते ह, जहां ऐसा बालक, यथािस्थित, बालगृह या आशर्यगृह की
देखरे ख और संरक्षण के अधीन है ।
(3) सिमित को देखरे ख और संरक्षण के िलए जरूरतमंद िकसी बालक को उसके , यथािस्थित, माता-िपता, संरक्षक, उिचत
िक्त और उिचत संस्था को पर्त्यावितत करने की शिक्त होगी और वह उन्ह उपयुक्त िनदेश देगी ।
2
[स्पष्टीकरण—इस धारा के पर्योजन के िलए “बालक का पर्त्यावतर्न और संरक्षण” से,—
(क) माता-िपता
(ख) द क माता-िपता ;
(ग) पोषक माता-िपता ;
(घ) संरक्षक ;
(ङ) उपयुक्त व्यिक्त ;
(च) उपयुक्त संस्था,

1
2006 के अिधिनयम सं० 33 की धारा 19 ारा अंत:स्थािपत ।
2
2006 के अिधिनयम सं० 33 की धारा 20 ारा पर्ितस्थािपत ।
12

को पर्त्यावतर्न अिभपर्ेत ह ।]
अध्याय 4

पुनवार्स और समाज म पुनः िमलाना


40. पुनवार्स और समाज म पुनः िमलाने की पर्िकर्या—बालक का पुनवार्स और समाज म पुनः िमलाना बालगृह या िवशेष गृह
म बालक के ठहरने के दौरान आरं भ होगा और बालक के पुनवार्स और समाज म पुनः िमलाना आनुकिल्पक रूप से (i) द क गर्हण
ारा, (ii) पोषक देखरे ख, (iii) पर्ायोजकता, और (iv) पश्चात्वत देखरे ख संगठन म बालक को भेजकर िकया जाएगा ।
41. द क गर्हण—(1) बालक की देखरे ख करने और संरक्षण पर्दान करने का पर्ाथिमक उ रदाियत्व उसके कु टु म्ब का होगा ।
ऐसे बालक के पुनवार्स के िलए, जो अनाथ, पिरत्यक्त या अभ्यिपत ह, ऐसे तंतर् के माध्यम से, जो िविहत िकया जाए,
1 [(2)

द क गर्हण का सहारा िलया जाएगा ।


(3) राज्य सरकार या के न्दर्ीय द क गर्हण संसाधन अिभकरण ारा समय-समय पर जारी िकए गए और के न्दर्ीय सरकार ारा
अिधसूिचत द क गर्हण के िलए िविभन्न मागर्दशर्क िस ांत के उपबंध को ध्यान म रखते हुए, िकसी न्यायालय ारा बालक को, ऐसे
बालक को द क म देने के िलए यथाअपेिक्षत िकए गए अन्वेषण के संबंध म अपना समाधान हो जाने के पश्चात्, द क गृह म िदया
जा सके गा ।
(4) राज्य सरकार, पर्त्येक िजले म अपनी एक या अिधक संस्था अथवा स्वैिच्छक संगठन को, िवशेषज्ञ द क गर्हण
अिभकरण के रूप म, ऐसी रीित म जो उपधारा (3) के अधीन अिधसूिचत मागर्दशर्क िस ांत के अनुसार द क गर्हरण के िलए अनाथ,
पिरत्यक्त या अभ्यिपत बालक के िनयोजन के िलए िविहत की जाए, मान्यता देगी :
परं त देखरे ख और संरक्षण की आवश्यकता वाले बालक के िलए, जो अनाथ, पिरत्यक्त या अभ्यिपत ह, राज्य सरकार या
िकसी स्वैिच्छक संगठन ारा चलाए जाने वाले बाल गृह और संस्थाएं यह सुिनिश्चत करगी िक ये बालक सिमित ारा द क गर्हण के
िलए उपलब्ध घोिषत िकए गए ह और सभी ऐसे मामले, उस िजले म द क गर्हण अिभकरण को, उपधारा (3) के अधीन अिधसूिचत
मागर्दशर्क िस ांत के अनुसार द क गर्हण म ऐसे बालक के िनयोजन के िलए िनिदष्ट िकए जाएंगे ।]
(5) कोई भी बालक द क गर्हण के िलए तब तक—
(क) जब तक सिमित के दो सदस्य पिरत्यक्त बालक की दशा म घोषणा नह कर देते िक बालक िविधक रूप से
स पने के िलए स्वतंतर् ह;
(ख) अभ्यिपत बालक की दशा म माता-िपता के पुनःिवचार के िलए दो मास की अविध बीत न गई हो; और
(ग) उस बालक की दशा म जो अपनी सहमित को समझ और अिभ क्त कर सकता है, उसकी सहमित के िबना,
पर्स्थािपत नह िकया जाएगा ।
1
[(6) न्यायालय बालक को द क गर्हण म,—
(क) िकसी व्यिक्त को उसकी वैवािहक िस्थित को िवचार म लाए िबना ; या
(ख) जीिवत स्वयं से उत्पन्न (जैिवक) पुतर् या पुितर्य की संख्या को िवचार म लाए िबना समान िलग के बालक को
द क गर्हण के िलए माता-िपता को ; या
(ग) िन:संतान दंपि को,
िदए जाने के िलए अनुज्ञात कर सके गा ।]
42. पोषण देखरेख—(1) ऐसे िशशु की, िजन्ह अन्ततोगत्वा द क म िदया जाना है, अस्थायी रूप से रखे जाने के िलए
पोषण देखरे ख की जा सके गी ।
(2) पोषण देखरे ख के दौरान, बालक को िकसी अल्पाविध या बढ़ाई गई अविध के िलए िकसी दूसरे कु टुंब के साथ रखा जा
सके गा, जो उन पिरिस्थितय पर िनभर्र करे गी जहां बालक के अपने माता-िपता पर्ायः िनयिमत रूप से और कभी-कभी पुनवार्स के
पश्चात् जहां से बालक अपने-अपने घर को वापस जा सकगे, िमल सकगे ।
(3) राज्य सरकार, बालक की पोषण देखरे ख कायर्कर्म की स्कीम के कायार्न्वयन के पर्योजन के िलए िनयम बना सके गी ।
43. पर्वतर्कता—(1) पर्वतर्कता कायर्कर्म म, िचिकत्सीय, पौषिणक, शैक्षिणक और जीवन स्तर म सुधार की दृिष्ट से बालक
की अन्य जरूरत को पूरा करने के िलए कु टुंब , बालगृह और िवशेष गृह को अनुपूरक सहयोग देने का उपबंध िकया जा सके गा ।

1
2006 के अिधिनयम सं० 33 की धारा 20 ारा पर्ितस्थािपत ।
13

(2) राज्य सरकार, बालक की िष्टक पर्वतर्कता, समूह पर्वतर्कता या सामुदाियक पर्वतर्कता जैसी पर्वतर्कता की िविभन्न
स्कीम के कायार्न्वयन के पर्योजन के िलए िनयम बना सके गी ।
44. पश्चात्वत देखरे ख संगठन—राज्य सरकार, इस अिधिनयम के अधीन बनाए गए िनयम ारा िनम्निलिखत के िलए
उपबंध कर सके गी—
(क) पश्चात्वत देखरे ख संगठन की स्थापना और मान्यता तथा इस अिधिनयम के अधीन उनके ारा िनवर्हन िकए
जा सकने वाले कृ त्य;
(ख) िकशोर या बालक की, उनके िवशेष गृह या बालगृह को छोड़ने के पश्चात् देखरे ख के पर्योजन के िलए और
उनको ईमानदार, कमर्ठ और उपयोगी जीवन िबताने के िलए समथर् बनाने के पर्योजन के िलए ऐसे पश्चात्वत देखरे ख
कायर्कर्म की कोई स्कीम;
(ग) पर्त्येक िकशोर या बालक की बाबत, उसको िवशेष गृह , बालगृह से िनमुर्क्त िकए जाने के पूवर् पिरवीक्षा
अिधकारी या उस सरकार ारा िनयुक्त िकसी अन्य अिधकारी ारा ऐसे िकशोर या बालक की पश्चात्वत देखरे ख की
आवश्यकता और उसकी पर्कृ ित, ऐसी पश्चात्वत देखरे ख की अविध, उसके पयर्वेक्षण के संबंध म एक िरपोटर् तैयार करने और
पर्स्तुत करने तथा पर्त्येक िकशोर या बालक की पर्गित की बाबत इस पर्योजन के िलए िनयुक्त पिरवीक्षा अिधकारी या अन्य
िकसी अिधकारी ारा पर्स्तुत करना;
(घ) ऐसे पश्चात्वत देखरे ख संगठन ारा बनाई रखी जाने वाली सेवा के मानक और पर्कृ ित;
(ङ) ऐसे अन्य िवषय जो िकशोर या बालक की पश्चात्वत देखरे ख के कायर्कर्म की स्कीम के कायार्न्वयन करने के
िलए आवश्यक हो :
परन्तु इस धारा के अधीन बनाया गया कोई िनयम ऐसे िकशोर या बालक के पश्चात्वत देखरे ख संगठन म तीन वषर् से अिधक
तक ठहरने के िलए उपबंध नह करगे :
परन्तु यह और िक सतर्ह वषर् से अिधक परन्तु अठारह वषर् से कम का िकशोर या बालक बीस वषर् की आयु पर्ाप्त करने तक
पश्चात्वत देखरे ख संगठन म रह सके गा ।
45. संयोजन और समन्वय—राज्य सरकार, बालक के पुनवार्स और उसे समाज म पुनः िमलाने को सुकर बनाने के िलए
िविभन्न सरकारी, गैर-सरकारी, िनगिमत और अन्य सामुदाियक अिभकरण के बीच पर्भावकारी संयोजन सुिनिश्चत करने के िलए
िनयम बना सके गी ।
अध्याय 5

पर्कीणर्
46. िकशोर या बालक के माता-िपता या संरक्षक की हािजरी—कोई सक्षम पर्ािधकारी िजसके समक्ष िकशोर या बालक इस
अिधिनयम के िकसी उपबंध के अधीन लाया जाता है, जब भी वह ऐसा करना ठीक समझे, िकशोर या बालक का वास्तिवक भारसाधन
या उस पर िनयंतर्ण रखने वाले माता-िपता या संरक्षक से अपेक्षा कर सके गा िक वह िकशोर या बालक के बारे म िकसी कायर्वाही म
उपिस्थत हो ।
47. िकशोर या बालक को हािजरी से अिभमुिक्त पर्दान करना—यिद जांच के अनुकर्म म िकसी पर्कर्म पर सक्षम पर्ािधकारी का
समाधान हो जाता है िक िकशोर या बालक की हािजरी जांच के पर्योजनाथर् आवश्यक नह है तो सक्षम पर्ािधकारी उसको हािजरी से
अिभमुिक्त पर्दान कर सके गा और िकशोर या बालक की अनुपिस्थित म जांच म अगर्सर हो सके गा ।
48. खतरनाक रोग से पीिड़त िकशोर या बालक को अनुमोिदत स्थान पर सुपद ु र् करना तथा उसकी भावी वस्था
करना—(1) जब िकसी ऐसे िकशोर या बालक के बारे म जो इस अिधिनयम के अधीन सक्षम पर्ािधकारी के समक्ष लाया गया है, यह
पाया जाता है िक वह ऐसे रोग से पीिड़त है िजसके िलए लंबे समय तक िचिकत्सीय उपचार की अपेक्षा होगी या उसे कोई शारीिरक या
मानिसक ािध है जो उपचार से ठीक हो जाएगी, तब सक्षम पर्ािधकारी िकशोर या बालक को, ऐसे समय के िलए िजसे वह अपेिक्षत
उपचार के िलए आवश्यक समझता है िकसी ऐसे स्थान को भेज सके गा जो इस अिधिनयम के अधीन बनाए गए िनयम के अनुसार
अनुमोिदत स्थान के रूप म मान्यतापर्ाप्त स्थान है ।
1* * * * * * *
49. आयु के िवषय म उपधारणा और उसका अवधारण—(1) जहां सक्षम पर्ािधकारी को यह पर्तीत होता है िक इस अिधिनयम
के उपबंध म से िकसी के अधीन उसके समक्ष (सा य देने के पर्योजनाथर् से अन्यथा) लाया गया िक्त िकशोर या बालक है वहां सक्षम
पर्ािधकारी, उस िक्त की आयु के बारे म सम्यक् जांच करे गा और उस पर्योजन के िलए ऐसा सा य लेगा (िकन्तु शपथपतर् नह ) जो

1
2011 के अिधिनयम सं० 12 की धारा 2 ारा लोप िकया गया ।
14

आवश्यक हो और उस िक्त की आयु यथाशक्य िनकटतम रूप से किथत करते हुए यह िनष्कषर् अिभिलिखत करे गा िक वह िक्त
िकशोर या बालक है या नह ।
(2) सक्षम पर्ािधकारी का कोई आदेश के वल इस कारण अिविधमान्य नह समझा जाएगा िक तत्पश्चात् यह सािबत हुआ है िक
वह िक्त, िजसके बारे म उसके ारा आदेश िकया गया है, िकशोर या बालक नह है और इस पर्कार उसके समक्ष लाए गए िक्त की
आयु के रूप म सक्षम पर्ािधकारी ारा अिभिलिखत आयु उस अिधिनयम के पर्योजन के िलए उस िक्त की सही आयु समझी जाएगी ।
50. िकशोर या बालक को अिधकािरता के बाहर भेजना—ऐसे िकशोर या बालक की दशा म िजसका मामूली तौर पर िनवास
का स्थान उस सक्षम पर्ािधकारी की, िजसके समक्ष वह लाया गया है, अिधकािरता के बाहर है वहां सक्षम पर्ािधकारी, यिद सम्यक् जांच
के पश्चात् उसका यह समाधान हो जाता है िक ऐसा करना समीचीन है, उस िकशोर या बालक को उस नातेदार या अन्य योग्य िक्त
के पास जो अपने मामूली तौर पर िनवास स्थान पर उसे रखने के िलए और उसकी उिचत देखरे ख और उस पर िनयंतर्ण रखने के िलए
रजामंद है, वापस भेज सके गा, य िप वह िनवास स्थान सक्षम पर्ािधकारी की अिधकािरता के बाहर है; और वह सक्षम पर्ािधकारी, जो
इस स्थान पर अिधकािरता का पर्योग करता है जहां िकशोर या बालक भेजा गया है, तत्पश्चात् उद्भूत होने वाली िकसी बात के बारे म
उस िकशोर या बालक के संबंध म ऐसी शिक्तयां रखेगा मानो मूल आदेश उसके ारा िकया गया हो ।
51. िरपोट का गोपनीय माना जाना—पिरवीक्षा अिधकारी या सामािजक कायर्कतार् की िरपोटर् िजस पर सक्षम पर्ािधकारी
ारा िवचार िकया गया है, गोपनीय मानी जाएगी :
परं तु सक्षम पर्ािधकारी यिद वह ऐसा करना ठीक समझता है तो, उसका सार, िकशोर या बालक को या उसके माता-िपता या
संरक्षक को संसूिचत कर सके गा और ऐसे िकशोर या बालक के माता-िपता या संरक्षक को इस बात का अवसर दे सके गा िक वह िरपोटर्
म किथत बात से सुसंगत कोई सा य पेश करे ।
52. अपील—(1) इस धारा के उपबंध के अधीन रहते हुए इस अिधिनयम के अधीन सक्षम पर्ािधकारी ारा िकए गए आदेश
से िथत कोई िक्त, उस आदेश की तारीख से तीस िदन के भीतर, सेशन न्यायालय को अपील कर सके गा :
परन्तु सेशन न्यायालय उस अपील को उक्त तीस िदन की अविध की समािप्त के पश्चात् तब गर्हण कर सके गा जब उसका यह
समाधान हो जाता है िक अपीलाथ समय के अन्दर अपील फाइल करने म पयार्प्त हेतुक से िनवािरत हुआ था ।
(2) (क) ऐसे िकशोर के बारे म िजसके बारे म यह अिभकिथत है िक उसने अपराध िकया है, बोडर् ारा िकए गए दोषमुिक्त
के िकसी आदेश; या
(ख) इस िनष्कषर् के बारे म िक वह उपेिक्षत िकशोर नह है, सिमित ारा िकए गए िकसी आदेश से, अपील नह होगी ।
(3) इस धारा के अधीन की गई िकसी अपील म सेशन न्यायालय ारा िकए गए िकसी आदेश के संबध
ं म ि तीय अपील नह
होगी ।
53. पुनरीक्षण—उच्च न्यायालय या तो स्वपर्ेरणा से या इस िनिम पर्ाप्त िकसी आवेदन पर, िकसी भी समय, िकसी ऐसी
कायर्वाही के अिभलेख को, िजसम िकसी सक्षम पर्ािधकारी या सेशन न्यायालय ने कोई आदेश पािरत िकया हो, आदेश की वैधता या
औिचत्य के संबंध म अपना समाधान करने के पर्योजनाथर् मंगा सके गा और उसके संबंध म ऐसा आदेश पािरत कर सके गा जो वह
ठीक समझे :
परन्तु उच्च न्यायालय इस धारा के अधीन िकसी िक्त पर पर्ितकू ल पर्भाव डालने वाला कोई आदेश उसे सुनवाई का
युिक्तयुक्त अवसर पर्दान िकए िबना, पािरत नह करे गा ।
54. जांच, अपील और पुनरीक्षण कायर्वािहय म पर्िकर्या—(1) इस अिधिनयम म जैसा अिभ क्ततः उपबंिधत है उसके
िसवाय, सक्षम पर्ािधकारी, इस अिधिनयम के उपबंध म से िकसी के अधीन जांच करते समय ऐसी पर्िकर्या का अनुसरण करे गा जो
िविहत की जाए और उसके अधीन रहते हुए दंड पर्िकर्या संिहता, 1973 (1974 का 2) म समन मामल म िवचारण के िलए अिधकिथत
पर्िकर्या का यावत्शक्य अनुसरण करे गा ।
(2) इस अिधिनयम ारा या इसके अधीन स्पष्टतः जैसा उपबंिधत है, उसके िसवाय, इस अिधिनयम के अधीन अपील या
पुनरीक्षण कायर्वािहय म अनुसरण की जाने वाली पर्िकर्या, यावतसाध्य, दंड पर्िकर्या संिहता, 1973 (1974 का 2) के उपबंध के अनुसार
होगी ।
55. आदेश को संशोिधत करने की शिक्त—(1) इस अिधिनयम के अधीन अपील और पुनरीक्षण के िलए उपबंध पर पर्ितकू ल
पर्भाव डाले िबना कोई सक्षम पर्ािधकारी, इस िनिम पर्ाप्त िकसी आवेदन पर िकसी आदेश को, जो उस संस्था के बारे म हो िजसम
िकसी िकशोर या बालक को भेजा जाना है या उस िक्त के बारे म हो िजसकी देखरे ख या पयर्वेक्षण म िकसी िकशोर या बालक को इस
अिधिनयम के अधीन रखा जाना है, संशोिधत कर सके गा :
परन्तु अपने िकसी आदेश के संबंध म संशोधन पािरत करने के िलए सुनवाई के दौरान कम से कम दो सदस्य और पक्षकार या
बचाव पक्ष उपिस्थत ह गे ।
15

(2) सक्षम पर्ािधकारी ारा पािरत आदेश म की िलिपकीय भूल या उनम िकसी आकिस्मक चूक या लोप से उनम होने वाली
गलितयां िकसी समय सक्षम पर्ािधकारी ारा या तो स्वपर्ेरणा से या इस िनिम पर्ाप्त िकसी आवेदन पर सुधारी जा सकगी ।
56. बालक या िकशोर को उन्मोिचत और अंतिरत करने की सक्षम पर्ािधकारी की शिक्त—सक्षम पर्ािधकारी या स्थानीय
पर्ािधकारी, इस अिधिनयम म िकसी बात के होते हुए भी, िकसी समय यह आदेश कर सके गा िक देखरे ख और संरक्षण के िलए जरूरतमंद
बालक या िविध का उल्लंघन करने वाले िकशोर को, यथािस्थित, एक बालगृह या िवशेषगृह से, बालक या िकशोर के सव म िहत को
ध्यान म रखते हुए या तो आत्यिन्तक रूप से या ऐसी शत पर िजन्ह अिधरोिपत करना ठीक समझे, उन्मोिचत िकया जाए या िकसी
अन्य बालगृह या िवशेषगृह को और उसके रहने के नैसिगक स्थान को अंतिरत िकया जाए :
परन्तु बालगृह म या िवशेषगृह म या योग्य संस्था म या एक योग्य िक्त के अधीन िकशोर या बालक के ठहरने की कु ल
अविध ऐसे अंतरण ारा नह बढ़ाई जाएगी ।
अिधिनयम के अधीन बालगृह और भारत के िविभन्न भाग म ऐसी ही पर्कृ ित के बालगृह के मध्य अंतरण—राज्य
1 [57.

सरकार, यह िनदेश दे सके गी िक कोई बालक या िकशोर राज्य के भीतर िकसी बालगृह या िवशेषगृह से राज्य से बाहर िकसी अन्य
बालगृह, िवशेषगृह या ऐसी ही पर्कृ ित की संस्था या ऐसी संस्था को संब राज्य सरकार के परामशर् से, यथािस्थित, सिमित, या बोडर्
की पूवर् सूचना से अंतिरत िकया जाए और ऐसा आदेश उस क्षेतर् के समक्ष पर्ािधकारी के िलए, जहां बालक या िकशोर को भेजा जाता है
पर्वतर्न म माना जाएगा ।]
मानिसक रूप से बीमार या म या अन्य ओषिध के व्यसनी िकशोर या बालक का अंरतण—(1) जहां सक्षम पर्ािधकारी
2 [58.

को यह पर्तीत होता है िक इस अिधिनयम के अनुसरण म िकसी िवशेषगृह या संपर्ेक्षणगृह या बालगृह या आशर्यगृह या संस्था म रखा
गया कोई िकशोर या बालक, मानिसक रूप से बीमार व्यिक्त या म सार या अन्य ओषिध का ऐसा व्यसनी है, िजसके कारण िकसी
व्यिक्त के व्यवहार म पिरवतर्न होता है, वहां सक्षम पर्ािधकारी, मानिसक स्वास्थ्य अिधिनयम, 1987 (1987 का 14) या उसके अधीन
बनाए गए िनयम के उपबंध के अनुसार उसको िकसी मनिश्चिकत्सीय अस्पताल या मनिश्चिकत्सीय पिरचयार् गृह म, भेजने का आदेश
दे सके गा ।
(2) यिद िकसी िकशोर या बालक को उपधारा (1) के अधीन मनिश्चिकत्सीय अस्पताल या मनिश्चिकत्सीय पिरचयार् गृह म
भेजा गया था, तो समक्ष पर्ािधकारी, मनिश्चिकत्सीय अस्पताल या मनिश्चिकत्सीय पिरचयार् गृह के उन्मोचन पर्माणपतर् म दी गई
सलाह के आधार पर ऐसे िकशोर या बालक को व्यसिनय के िलए एकीकृ त पुनवार्स के न्दर् या मानिसक रूप से बीमार व्यिक्तय के िलए
(िजनके अंतगर्त स्वापक ओषिध या मन:पर्भावी पदाथर् के व्यसनी व्यिक्त भी ह) राज्य सरकार ारा पोिषत इसी पर्कार के के न्दर् म
भेजने का आदेश दे सके गा और ऐसा भेजा जाना, के वल, ऐसे िकशोर या बालक के आंतिरक रोगी उपचार के िलए अपेिक्षत अविध के
िलए होगा ।
स्पष्टीकरण—इस उपधारा के पर्योजन के िलए,—
(क) “व्यसिनय के िलए एकीकृ त पुनवार्स के न्दर्” का वह अथर् होगा जो भारत सरकार के सामािजक, न्याय और
अिधकािरता मंतर्ालय ारा बनाई गई “म पानता और पदाथर् (ओषिध) दुरुपयोग िनवारण के िलए तथा सामािजक रक्षा
सेवा के िलए सहायता की के न्दर्ीय सेक्टर स्कीम” नामक स्कीम या तत्समय पर्वृ िकसी अन्य तत्समान स्कीम के अधीन है ;
(ख) “मानिसक रूप से बीमार व्यिक्त” का वह अथर् होगा जो मानिसक स्वास्थ्य अिधिनयम, 1987 (1987 का 14)
की धारा 2 के खंड (ठ) म है ;
(ग) “मनिश्चिकत्सीय अस्पताल” या “मनिश्चिकत्सीय पिरचयार्गृह” का वह अथर् होगा जो मानिसक स्वास्थ्य
अिधिनयम, 1987 (1987 का 14) की धारा 2 के खंड (थ) म है ।
59. िनयोजन पर रखे गए िकशोर या बालक की िनमुिर् क्त और अनुपिस्थित—(1) जब िकशोर या बालक, बालगृह या
िवशेषगृह म रखा जाता है और, यथािस्थित, पिरवीक्षा अिधकारी या सामािजक कायर्कतार् की या सरकार या स्वैिच्छक संगठन की
िरपोटर् पर सक्षम पर्ािधकारी ऐसे िकशोर या बालक को उसके माता-िपता या संरक्षक के साथ या आदेश म पर्ािधकृ त ऐसे नािमत िक्त
के पयर्वेक्षण के अधीन रहने के िलए अनुज्ञात करते हुए िनमुर्िक्त पर िवचार कर सके गा जो िकशोर या बालक को िशिक्षत करने और
उसके िकसी उपयोगी ापार या आजीिवका के िलए पर्िशिक्षत करने या पुनवार्स के िलए उसकी देखरे ख करने के िलए उसे लेने और
उसका भार गर्हण करने का इच्छु क है ।
(2) सक्षम पर्ािधकारी, िकसी िकशोर या बालक को िवशेष अवसर पर जैसे परीक्षा, नातेदार के िववाह, पिरिचत और िनकट
संबंिधय की मृत्यु या माता-िपता की दुघर्टना या गंभीर बीमारी या इसी पर्कृ ित के िकसी आपात पर पयर्वेक्षण के अधीन, यातर्ा म िलए
गए समय को छोड़कर 3 [ऐसी अविध के िलए जो साधारणतया सात िदन से अिधक न हो,] अवकाश पर जाने के िलए अनुपिस्थित की
अनुज्ञा भी पर्दान कर सके गा ।

1
2006 के अिधिनयम सं० 33 की धारा 22 ारा पर्ितस्थािपत ।
2
2011 के अिधिनयम सं० 12 की धारा 3 ारा पर्ितस्थािपत ।
3
2006 के अिधिनयम सं० 33 की धारा 23 ारा पर्ितस्थािपत ।
16

(3) जहां अनुज्ञा पर्ितसंहृत या समपहृत हो जाए और िकशोर या बालक संब गृह को िजसम वापस जाने के िलए उसे िनदेश
िदया गया हो, वापस आने से इं कार कर देता है या असफल रहता है तो बोडर्, यिद आवश्यक हो, तो उसको भारसाधन म िदलवाएगा
और उसे संब गृह म वापस िभजवाएगा ।
(4) वह समय, िजसके दौरान िकशोर या बालक इस धारा के अधीन अनुद अनुज्ञा के अनुसरण म संब गृह से अनुपिस्थत
रहता है, उस समय का िहस्सा समझा जाएगा िजसके दौरान वह िवशेष गृह म रखे जाने का दायी हो :
परन्तु यिद िकशोर अनुज्ञा के पर्ितसंहृत या समपहृत हो जाने पर जब िवशेष गृह को वापस जाने म असफल रहता है तो वह
समय जो ऐसे वापस जाने म उसकी असफलता के पश्चात् तीत हो उस समय की संगणना म, िजसम वह संस्था म रखे जाने का दायी
हो, अपविजत िकया जाएगा ।
60. माता-िपता ारा अिभदाय—(1) वह सक्षम पर्ािधकारी, जो िकशोर या बालक को बालगृह म या िवशेषगृह म भेजने या
योग्य िक्त या योग्य संस्था की देखरे ख म रखने के िलए आदेश करता है, माता-िपता या िकशोर या बालक के भरण पोषण के दायी
अन्य िक्त को आय के अनुसार, यिद वह ऐसा करने म समथर् है, उसके भरण पोषण के िलए िविहत रीित से अिभदाय करने के िलए
आदेश कर सके गा ।
(2) सक्षम पर्ािधकारी, यिद आवश्यक हो, गरीब माता-िपता या संरक्षक को, गृह के अधीक्षक या पिरयोजना पर्बन्धक ारा
िकशोर या माता-िपता या संरक्षक या दोन के गृह से साधारण िनवास के स्थान तक की यातर्ा म िकए खच को, जो िविहत िकए जाएं,
िकशोर को भेजे जाने के समय संदाय करने के िलए िनदेश दे सकता है ।
61. िनिध—(1) राज्य सरकार या स्थानीय पर्ािधकारी, इस अिधिनयम के अधीन विणत िकशोर या बालक के कल्याण और
पुनवार्स के िलए ऐसे नाम से जो वह ठीक समझे, एक िनिध का सृजन कर सके गा ।
(2) िनिध म ऐसे स्वैिच्छक संदान, अिभदाय या अिभदान जमा िकए जाएंगे जो िकसी िष्ट या संगठन ारा िकए जाएं ।
(3) उपधारा (1) के अधीन सृिजत िनिध का पर्शासन राज्य सलाहकार बोडर् ारा ऐसी रीित से और ऐसे पर्योजन के िलए जो
िविहत िकए जाएं, िकया जाएगा ।
62. के न्दर्ीय, राज्य, िजला और नगर सलाहकार बोडर्—(1) के न्दर्ीय सरकार या राज्य सरकार, उस सरकार को, गृह की
स्थापना और अनुरक्षण, साधन को जुटाने, देखरे ख और संरक्षण के िलए जरूरतमंद बालक और िविध का उल्लंघन करने वाले िकशोर
की िशक्षा, पर्िशक्षण और पुनवार्स की सुिवधा की वस्था करने और संबंिधत िविभन्न शासकीय और अशासकीय अिभकरण म
समन्वयन से संबिं धत िवषय पर सलाह देने के िलए, यथािस्थित, के न्दर्ीय या राज्य सलाहकार बोडर् का गठन कर सके गी ।
(2) के न्दर्ीय या राज्य सलाहकार बोडर्, ऐसे िक्तय से िजन्ह, यथािस्थित, के न्दर्ीय या राज्य सरकार ठीक समझे, िमलकर
बनेगा और उसम पर्ख्यात सामािजक कायर्कतार्, बाल कल्याण के क्षेतर् म स्वैिच्छक संगठन और िनगिमत सेक्टर के पर्ितिनिध, िशक्षािवद्,
िचिकत्सा वृि क तथा राज्य सरकार के संब िवभाग के पर्ितिनिध ह गे ।
(3) इस अिधिनयम की धारा 35 के अधीन गिठत िजला या नगर स्तरीय िनरीक्षण सिमित भी िजला या नगर सलाहकार
बोड के रूप म कायर् करे गी ।
1 [62क. अिधिनयम के कायार्न्वयन के िलए उ रदायी बाल संरक्षण एकक का गठन/स्थापना—पर्त्येक राज्य सरकार, इस
अिधिनयम के कायार्न्वयन को, िजसके अंतगर्त गृह की स्थापना और उनका अनुरक्षण, इन बालक के संबंध म समक्ष पर्ािधकािरय की
अिधसूचना और उनका पुनवार्स तथा संब िविभन्न सरकारी और गैर-सरकारी अिभकरण से समन्वय करना भी है, सुिनिश्चत करने
की दृिष्ट से देखरे ख और संरक्षण की आवश्यकता वाले बालक और िविध का उल्लंघन करने वाले िकशोर से संबंिधत मामल पर
िवचार करने के िलए राज्य के िलए बालक संरक्षण एकक और पर्त्येक िजले के िलए ऐसे एकक का गठन करे गी, िजसम ऐसी अिधकारी
और अन्य कमर्चारी ह गे, जो उस राज्य सरकार ारा िनयुक्त िकए जाएं ।]
63. िवशेष िकशोर पुिलस एकक—(1) ऐसे पुिलस अिधकािरय को जो इस अिधिनयम के अधीन बहुधा या आत्यंितक रूप से
िकशोर या पर्ाथिमक रूप से िकशोर अपराध के िनवारण या िकशोर या बालक से िनपटने म लगे हुए ह, अपने कृ त्य को अिधक
पर्भावकारी रूप से करने के िलए समथर् बनाने की दृिष्ट से उन्ह िवशेषतया अनुदश
े और पर्िशक्षण िदया जाएगा ।
(2) पर्त्येक पुिलस थाने म कम से कम ऐसे एक अिधकारी को जो अिभरूिच और समुिचत पर्िशक्षण और िस्थितज्ञान रखता हो
‘िकशोर या बाल कल्याण अिधकारी’ के रूप म पदािभिहत िकया जाएगा जो पुिलस के समन्वय से िकशोर या बालक को संभालेगा ।
(3) िवशेष िकशोर पुिलस एकक िजसके िकशोर या बालक के संबंध म कायर्वाही करने के िलए ऊपर उिल्लिखत सभी
पदािभिहत पुिलस अिधकारी सदस्य ह गे, पर्त्येक िजले या नगर म िकशोर और बालक के साथ पुिलस वहार को समिन्वत करने और
उत्कृ ष्ट करने के िलए सृिजत िकए जा सकगे ।

1
2006 के अिधिनयम सं० 33 की धारा 24 ारा अंत:स्थािपत ।
17

64. इस अिधिनयम के पर्ारं भ के समय दंडादेश भोग रहा िविध का उल्लंघन करने वाला िकशोर—िकसी भी क्षेतर् म जहां यह
अिधिनयम पर्वृ िकया जाता है, राज्य सरकार या स्थानीय िनकाय 1 [यह िनदेश देगा] िक कोई िविध का उल्लंघन करने वाला िकशोर
जो इस अिधिनयम के पर्ारं भ पर कारावास का दंडादेश भोग रहा है, ऐसा दंडादेश भोगने की बजाय उस दंडादेश की अविशष्ट
कालाविध के िलए िवशेष गृह को भेज िदया जाएगा या ऐसी संस्था म ऐसी रीित से रखा जाएगा िजसे राज्य सरकार या स्थानीय
िनकाय उिचत समझे और इस अिधिनयम के उपबंध िकशोर को ऐसे लागू ह गे मानो उसे बोडर् ारा, यथािस्थित, ऐसे िवशेष गृह या
संस्था को भेजने का आदेश िदया गया हो या इस अिधिनयम की धारा 16 की उपधारा (2) के अधीन संरिक्षत देखरे ख म रखने का आदेश
िदया हो :
[परं तु, यथािस्थित, राज्य सरकार या बोडर् िकसी ऐसे पयार्प्त और िवशेष कारण से जो लेखब िकया जाए, ऐसे कारावास
2

का दंडादेश भोग रहे िविध का उल्लंघन करने वाले ऐसे िकशोर के मामले का जो इस अिधिनयम के पर्ारं भ पर या उससे पूवर् िकशोर नह
रहा है पुनिवलोकन कर सके गा और ऐसे िकशोर के िहत म समुिचत आदेश पािरत कर सके गा ।
स्पष्टीकरण—ऐसे सभी मामल म िजनम इस अिधिनयम के पर्ारं भ की तारीख को िविध का उल्लघंन करने वाला िकशोर
िकसी भी पर्कर्म पर कारावास का कोई दंडादेश भोग रहा है, िकशोरावस्था के िववा क सिहत उसका मामला इस अिधिनयम म
अिधिनयम की धार 2 के खंड (ठ) म अंतिवष्ट और अन्य उपबंध तथा उसके अधीन बनाए गए िनयम के िनबंधनानुसार इस तथ्य के
होते हुए भी िक वह ऐसी तारीख को या उससे पूवर् िकशोर नह रहा है िविनिश्चत िकया गया माना जाएगा और तद्नुसार वह दंडादेश
की शेष अविध के िलए, यथािस्थित, िवशेष गृह या उपयुक्त संस्था म भेजा जाएगा िकन्तु ऐसा दंडादेश िकसी भी दशा म इस
अिधिनयम की धारा 15 म उपबंिधत अिधकतम अविध से अिधक का नह होगा ।]
65. बंधपतर् के बारे म पर्िकर्या—दंड पर्िकर्या संिहता, 1973 (1974 का 2) के अध्याय 33 के उपबंध, इस अिधिनयम के अधीन
िलए गए बंधपतर् को यावत्शक्य लागू ह गे ।
66. शिक्तय का पर्त्यायोजन—राज्य सरकार, साधारण आदेश ारा, यह िनदेश दे सके गी िक, इस अिधिनयम के अधीन
उसके ारा पर्योक्त कोई शिक्त उन पिरिस्थितय म और ऐसी शत के अधीन, यिद कोई हो, जो आदेश म िविहत की जाएं, उस
सरकार या स्थानीय पर्ािधकारी के अधीनस्थ िकसी अिधकारी ारा भी पर्योक्त ह गी ।
67. स ावपूवक र् की गई कारर् वाई के िलए संरक्षण—इस अिधिनयम के या उसके अधीन बनाए गए िकन्ह िनयम या िकए
गए आदेश के अनुसरण म स ावपूवर्क की गई या की जाने के िलए आशियत िकसी बात के बारे म कोई वाद या िविधक कायर्वाही राज्य
सरकार या गृह चलाने वाले िकसी स्वैिच्छक संगठन या इस अिधिनयम के अनुसरण म िनयुक्त िकसी अिधकारी या कमर्चािरवृन्द के
िवरु नह की जाएगी ।
68. िनयम बनाने की शिक्त—(1) राज्य सरकार इस अिधिनयम के पर्योजन को कायार्िन्वत करने के िलए राजपतर् म
अिधसूचना ारा िनयम बना सके गी :
[परं तु के न्दर्ीय सरकार, उन सभी या िकन्ह िवषय के संबंध म िजनकी बाबत राज्य सरकार, इस धारा के अधीन िनयम बना
3

सके गी, आदशर् िनयम बना सके गी और जहां ऐसे िकसी िवषय के संबंध म ऐसे आदशर् िनयम बनाए गए ह, वहां वे राज्य सरकार को लागू
ह गे जब तक िक उस िवषय के संबध ं म राज्य सरकार ारा िनयम नह बना िदए जाते और कोई ऐसे िनयम बनाए जाते समय जहां तक
व्यवहायर् हो वे ऐसे आदशर् िनयम के अनुरूप ह गे ।]
(2) िविशष्टतया और पूवर्गामी शिक्त की ापकता पर पर्ितकू ल पर्भाव डाले िबना, ऐसे िनयम म िनम्निलिखत सभी िवषय
या िकन्ह िवषय के िलए उपबंध िकया जा सके गा, अथार्त्:—
(i) बोडर् के सदस्य की पदाविध और वह रीित िजसम ऐसा सदस्य धारा 4 की उपधारा (4) के अधीन पद त्याग
सके गा;
(ii) बोडर् के अिधवेशन का समय और धारा 5 की उपधारा (1) के अधीन इसके अिधवेशन म कारबार के सं वहार
की बाबत पर्िकर्या के िनयम;
(iii) संपर्ेक्षण गृह का पर्बंध, िजसके अंतगर्त उनके ारा दी जाने वाली सेवा के मानक और िविभन्न िकस्म भी
आती ह तथा वे पिरिस्थितयां िजनम और वह रीित िजसम संपर्ेक्षणगृह का पर्माणपतर् अनुद िकया जा सके गा या वापस िलया
जा सके गा और ऐसे अन्य िवषय जो धारा 8 म िनिदष्ट ह;
(iv) िवशेष गृह का पर्बंध, िजसके अंतगर्त उनके ारा दी जाने वाली सेवा के मानक और िविभन्न िकस्म भी
आती ह तथा वे पिरिस्थितयां िजनम और वह रीित िजसम िवशेषगृह का पर्माणपतर् अनुद िकया जा सके गा या वापस िलया
जा सके गा और ऐसे अन्य िवषय जो धारा 9 म िनिदष्ट ह;

1
2006 के अिधिनयम सं० 33 की धारा 25 ारा पर्ितस्थािपत ।
2
2006 के अिधिनयम सं० 33 की धारा 25 ारा अंत:स्थािपत ।
3
2006 के अिधिनयम सं० 33 की धारा 26 ारा अंत:स्थािपत ।
18

(v) वे िक्त िजनके ारा िविध का उल्लंघन करने वाला कोई िकशोर बोडर् के समक्ष पेश िकया जा सके गा और ऐसे
िकशोर को धारा 10 की उपधारा (2) के अधीन िकसी संपर्ेक्षणगृह म भेजने की रीित;
(vi) धारा 19 के अधीन िकशोर की दोषिसि से लगी हुई उसकी िनरहर्ता को हटाने से संबंिधत िवषय;
(vii) अध्यक्ष और सदस्य की अहर्ताएं तथा पदाविध िजसके िलए उन्ह धारा 29 की उपधारा (3) के अधीन िनयुक्त
िकया जा सके गा;
(viii) सिमित के अिधवेशन का समय और धारा 30 की उपधारा (1) के अधीन इसके अिधवेशन म कारबार के
सं वहार की बाबत पर्िकर्या के िनयम;
(ix) पुिलस को और सिमित को िरपोटर् करने की रीित तथा बालक को, धारा 32 की उपधारा (2) के अधीन जांच के
लंिबत रहते बालगृह को भेजने और स पने की रीित;
(x) बालगृह का पर्बंध िजसके अंतगर्त उनके ारा पर्दान की जाने वाली सेवा के मानक और उनकी पर्कृ ित और
वह रीित िजसम बालगृह का पर्माणपतर्, या िकसी स्वैिच्छक संगठन को मान्यता, धारा 34 की उपधारा (2) के अधीन अनुद
की जा सके गी या वापस ली जा सके गी 1 [और उपधारा (3) के अधीन संस्था के रिजस्टर्ीकरण की रीित];
(xi) बालगृह के िलए िनरीक्षण सिमितय की िनयुिक्त, उनकी अविध और वे पर्योजन िजनके िलए िनरीक्षण
सिमितयां िनयुक्त की जा सकगी तथा ऐसे अन्य िवषय जो धारा 35 म िनिदष्ट ह;
(xii) धारा 37 की उपधारा (3) के अधीन आशर्य गृह ारा उपलब्ध कराई जाने वाली सुिवधाएं;
[(xiiक) धारा 41 की उपधारा (2) के अधीन द क गर्हण म पुनवार्स तंतर् का पर्त्यावितत िकया जाना; उपधारा (3)
1

के अधीन मागर्दशर्क िस ांत की अिधसूचना और उपधारा (4) के अधीन िवशेषज्ञ द क गर्हण अिभकरण को मान्यता
की रीित;]
(xiii) धारा 42 की उपधारा (3) के अधीन बालक के पोषण देखरे ख कायर्कर्म की स्कीम को कायार्िन्वत करना;
(xiv) धारा 43 उपधारा (2) के अधीन बालक के पर्योजन की िविभन्न स्कीम को कायार्िन्वत करना;
(xv) धारा 44 के अधीन पश्चात्वत देखरे ख संगठन से संबंिधत िवषय;
(xvi) धारा 45 के अधीन बालक के पुनवार्स और समाज म पुनः िमलाने के िलए िविभन्न अिभकरण के बीच
पर्भावी संबंध सुिनिश्चत करना;
(xvii) वे पर्योजन और रीित िजनम िनिध को, धारा 61 की उपधारा (3) के अधीन पर्शािसत िकया जाएगा;
(xviii) कोई अन्य िवषय जो िविहत िकए जाने के िलए अपेिक्षत है या िकया जाए ।
[(3) इस अिधिनयम के अधीन के न्दर्ीय सरकार ारा बनाया गया पर्त्येक िनयम, बनाए जाने के पश्चात् यथाशीघर्, संसद् के
1

पर्त्येक सदन के समक्ष, जब वह सतर् म हो, कु ल तीस िदन की अविध के िलए रखा जाएगा । यह अविध एक सतर् म अथवा दो या अिधक
आनुकर्िमक सतर् म पूरी हो सके गी । यिद उस सतर् के या पूव क्त आनुकर्िमक सतर् के ठीक बाद के सतर् के अवसान के पूवर् दोन सदन उस
िनयम म कोई पिरवतर्न करने के िलए सहमत हो जाएं तो तत्पश्चात् यह ऐसे पिरवितत रूप म ही पर्भावी होगा । यिद उक्त अवसान के
पूवर् दोन सदन सहमत हो जाएं िक वह िनयम नह बनाया जाना चािहए तो तत्पश्चात् वह िनष्पर्भाव हो जाएगा । िकन्तु िनयम के ऐसे
पिरवितत या िनष्पर्भाव होने से उसके अधीन पहले की गई िकसी बात की िविधमान्यता पर पर्ितकू ल पर्भाव नह पड़ेगा ।]
राज्य सरकार ारा इस अिधिनयम के अधीन बनाया गया पर्त्येक िनयम बनाए जाने के पश्चात् यथाशीघर् उस राज्य के
2 [(4)]

िवधान-मंडल के समक्ष रखा जाएगा ।


69. िनरसन और ावृि —(1) िकशोर न्याय अिधिनयम, 1986 (1986 का 53) इसके ारा िनरिसत िकया जाता है ।
(2) ऐसे िनरसन के होते हुए भी, उक्त अिधिनयम के अधीन की गई कोई बात या कारर् वाई इस अिधिनयम के तत्स्थानी
उपबंध के अधीन की गई समझी जाएगी ।
70. किठनाइय को दूर करने की शिक्त—(1) यिद इस अिधिनयम के उपबंध को पर्भावी करने म कोई किठनाई उत्पन्न होती
है तो के न्दर्ीय सरकार, ऐसे आदेश ारा, जो इस अिधिनयम के उपबंध से असंगत न हो, उस किठनाई को दूर कर सके गी :
परन्तु ऐसा कोई आदेश इस अिधिनयम के पर्ारम्भ से दो वषर् की अविध की समािप्त के पश्चात् नह िकया जाएगा ।
(2) तथािप, इस धारा के अधीन िकया गया कोई आदेश िकए जाने के पश्चात् यथाशीघर्, संसद् के पर्त्येक सदन के समक्ष रखा
जाएगा ।

1
2006 के अिधिनयम सं० 33 की धारा 26 ारा अंत:स्थािपत ।
2
2006 के अिधिनयम सं० 33 की धारा 26 ारा पुन:संख्यांिकत ।

You might also like