Download as pdf or txt
Download as pdf or txt
You are on page 1of 2

माँ

शारदे कहाँ तू
वीणा बजा रही है …..2
िकस मंजू ान से तू
जग को लुभा रही है …..4

िकस भाव से भवानी तू


मगन हो रही है
िवनती नही ं हमारी ों
माँ तू सुन रही है …….2

तेरे िसवा ओ माँ मेरी


दू जा कोई नही ं है ….2

िकस मंजू ान से तू
जग को लुभा रही है …..4

माँ शारदे कहाँ तू


वीणा बजा रही है …..2
िकस मंजू ान से तू
जग को लुभा रही है …..4

हम दीन बाल कब से
िवनती सुना रहे ह
चरणों म तेरे हम सब
सर को झुका रहे ह …..2

तेरी दया से ओ मैया


ये दु िनया चल रही है

िकस मंजू ान से तू
जग को लुभा रही है …..4

माँ शारदे कहाँ तू


वीणा बजा रही है …..2
िकस मंजू ान से तू
जग को लुभा रही है …..4

हम को दयामयी तू
ले गोद म पढ़ाओ
अमृत जगत म हमको
माँ ान का िपलाओ …..2

कर दे दया की नज़र
िवनती माँ यही है
िकस मंजू ान से तू
जग को लुभा रही है …..4

माँ शारदे कहाँ तू


वीणा बजा रही है …..2

माते री तू सुन ले
इतनी िवनय हमारी
करके दया तू हर ले
बाधा जगत की सारी ……2

गुड्डू गोिवंदा के भजन


शोभा बढ़ा रही है ….2
िकस मंजू ान से तू
जग को लुभा रही है …..4

माँ शारदे कहाँ तू


वीणा बजा रही है …..2
िकस मंजू ान से तू
जग को लुभा रही है …..4

माँ शारदे कहाँ तू


वीणा बजा रही है …..2
िकस मंजू ान से तू
जग को लुभा रही है …..4

माँ शारदे कहाँ तू


वीणा बजा रही है …..2
 

You might also like