Professional Documents
Culture Documents
Seven Wonders of World
Seven Wonders of World
Seven Wonders of World
Kizomizu Dera- कियोमिजू-डेरा की स्थापना शुरुआती हीयन काल में हुई थी। मंदिर की
स्थापना 778 में शकानुए नो तामुरमारो द्वारा की गई थी, और इसकी वर्तमान इमारतों का निर्माण
1633 में किया गया था, जिसका आदेश तोकु गावा आईमित्सु ने किया था। पूरे ढांचे में एक भी
कील का इस्तेमाल नहीं किया गया है। यह परिसर के भीतर झरने से अपना नाम लेता है, जो पास
की पहाड़ियों से निकलता है।
Amazon Rainforest- अमेजन का जंगल दुनिया का सबसे बड़ा रेन फॉरेस्ट (वर्षावन) है. दुनिया
का 20% ऑक्सीजन यहीं से आता है, इसलिए इसे 'पृथ्वी का फे फड़ा' भी कहते हैं. यह जंगल 2.1
मिलियन वर्गमील में फै ला हुआ है. दक्षिणी अमेरिका से ब्राजील तक फै ले इस जंगल के बारे में कहा जाता है कि
अगर ये कोई देश होता, तो दुनिया का 9 वां सबसे बड़ा देश होता.
इसमें 390 अरब पेड़ हैं
Statue of Unity- स्टैच्यू ऑफ यूनिटी भारत के प्रथम उप प्रधानमन्त्री तथा प्रथम गृहमन्त्री वल्लभभाई
पटेल को समर्पित एक स्मारक है, जो भारतीय राज्य गुजरात में स्थित है। गुजरात के तत्कालीन मुख्यमन्त्री
नरेन्द्र मोदी ने 31 अक्टू बर 2013 को सरदार पटेल के जन्मदिवस के मौके पर इस विशालकाय मूर्ति के
निर्माण का शिलान्यास किया था। यह स्मारक सरदार सरोवर बांध से 3.2 किमी की दूरी पर साधू बेट नामक
स्थान पर है जो कि नर्मदा नदी पर एक टापू है। यह स्थान भारतीय राज्य गुजरात के भरुच के निकट नर्मदा जिले
में स्थित है।
Golconda Fort- हैदराबाद में स्थित इस किले को कु तुब शाही वंश के शासकों ने बनवाया था, जिन्होंने
यहां 1512 से शासन किया। किले में सबसे ज्यादा योगदान इब्राहिम कु ली कु तुब शाह वली ने दिया। इस किले
को उत्तरी छोर से मुगलों के आक्रमण से बचने के लिए बनाया अकॉस्टिक इस किले की सबसे बड़ी खासियत है।
Jantar Mantar- जयपुर का जन्तर मन्तर सवाई जयसिंह द्वारा १७२४ से १७३४ के बीच निर्मित एक
खगोलीय वेधशाला है। यह यूनेस्को के 'विश्व धरोहर सूची' में सम्मिलित है। इस वेधशाला में १४ प्रमुख यन्त्र हैं
जो समय मापने, ग्रहण की भविष्यवाणी करने, किसी तारे की गति एवं स्थिति जानने, सौर मण्डल के ग्रहों के
दिक्पात जानने आदि में सहायक हैं। इन यन्त्रों को देखने से पता चलता है कि भारत के लोगों को गणित एवं
खगोलिकी के जटिल संकल्पनाओं (कॉंसेप्ट्स) का इतना गहन ज्ञान था कि वे इन संकल्पनाओं को एक
'शैक्षणिक वेधशाला' का रूप दे सके ताकि कोई भी उन्हें जान सके और उसका आनन्द ले सके ।