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पाठ 14 -अकबरी लोटा

लेखक -अन्नपूर्ाानंद वर्ाा

1)प्रश्न –“लाला ने लोटा ले ललया बोले कुछ नहीं अपनी पत्नी का अदब र्ानते थे।”

लाला झाऊलाल को बेढंगा लोटा बबल्कुल पसंद नहीं था। फिर भी उन्होंने चुपचाप लोटा ले ललया ।आप के ववचार से
वे चुप क्यों रहे? अपने ववचार ललखखए।

उत्तर -लाला झाऊलाल ने वह बेढंगा लोटा पसंद न होने पर भी इसललए ले ललया क्योंफक उन्हें अपनी पत्नी के
गुस्से का डर था। लाला झाऊलाल उससे फकसी तरह का झगडा र्ोल नहीं लेना चाहते थे। उन्हें यह भी डर था फक
यदद उन्होंने लोटे र्ें पानी पीने से र्ना फकया तो क्या पता इससे भी खराब बतान र्ें अगली बार भोजन और पानी
लर्लें।

2) प्रश्न “-लाला झाऊलाल जी ने िौरन दो और दो जोडकर स्स्थतत को सर्झ ललया।” आपके ववचार से लाला
झाऊलाल ने कौन-कौन सी बातें सर्झ ली होंगी?

2)उत्तर -र्ेरे ववचार से लाला झाऊलाल ने तनम्नललखखत बातें सर्झ ली होंगी-

1) लसर से पांव तक भीगे और एक पैर को सहलाते अंग्रेज के हाथ र्ें अपना ही लोटा दे खकर झाऊलाल सर्झ गए
फक उनके लोटे से अंग्रेज़ को चोट लग गई है ।

2) अब वह अंग्रेज़ गाललयााँ दे ता हुआ झगडा करने जरूर आएगा।

3) उस अंग्रेज़ के साथ आसपास के लोग भी आएाँगे और तरह-तरह की बातें बनाएाँगे।

4) उनके और अंग्रेज के बीच होने वाले झगडे र्ें लोग रस लेने की कोलिि करें गे।

3) प्रश्न -अंग्रेज के सार्ने बबलवासी जी ने झाऊलाल को पहचानने तक से क्यों इंकार कर ददया था ?आपके
ववचार से बबलवासी जी ऐसा अजीब व्यवहार क्यों कर रहे थे?स्पष्ट कीस्जए।

उत्तर -अंग्रेज़ के सार्ने बबलवासी जी ने झाऊलाल को पहचानने से इसललए इनकार कर ददया स्जससे अंग्रेज़ को ज़रा
भी िक न हो फक ये दोनों लर्ले हुए हैं। ऐसा होने पर उनकी योजना कार्याब न हो पाती ।अपने अजीब व्यवहार
वाले बबलवासी जी अंग्रेज़ का ध्यान लाला झाऊलाल को पुललस थाने ले जाने की ओर से हटाना चाहते थे। उसकी
भावनाओं को उद्वेललत कर वह उसे लौटा ऊाँचे से ऊाँचे दार् पर खरीदवाना चाहते थे ।वह इसर्ें कार्याब भी रहे
थे।

4)प्रश्न- बबलवासी जी ने रुपयों का प्रबंध कहााँ से फकया था? ललखखए।

उत्तर -बबलवासी जी ने रुपयों का प्रबंध अपनी पत्नी की संदूक से लेकर फकया था ।उन्होंने यह कार् इतनी सिाई के
साथ फकया था फक उनकी पत्नी को इसकी भनक भी न लग पाई।

5)प्रश्न- आपके ववचार से अंग्रेज ने यह पुराना लोटा क्यों ललया ?खोज कीस्जए और ललखखए।
उत्तर -अंग्रेज ने वह पुराना लोटा खरीद ललया क्योंफक उसके पडोसी र्ेजर डगलस से पुर ानी चीजों का संग्रह करने र्ें
उसकी होड लगी रहती है ।गतवर्ा दहंदस्
ु तान आने पर वह यहााँ से जहााँगीरी अंडा लेकर गए थे। अब यह अंग्रेज इस
अकबरी लोटे को खरीदकर उन्हें यह ददखाना चाहता है फक वह भी दहंदस्
ु तान से अच्छी चीजें ला सकता है ।यह
अकबरी लोटा उस जहााँगीरी अंडे से एक पुश्त पुराना था। इसके अलावा इस लोटे का र्ूल्य भी अधधक था इसललए
इसका र्हत्त्व अधधक होगा ।वह र्ेजर डगलस से इस प्रततस्पधाा र्ें आगे रहना चाहता था।

6)प्रश्न- “इस भेद को र्ेरे लसवाए र्ेरा ईश्वर ही जानता है आप उसी से पूछ लीस्जए र्ैं नहीं बताऊंगा।”बबलवासी जी
ने यह बात फकससे और क्यों कही? ललखखए।

उत्तर-“ इस भेद को र्ेरे लसवाए र्ेरा ईश्वर की जानता है ।आप उसी से पूछ लीस्जए ।र्ैं नहीं बताऊंगा ।”यह बात
बबलवासी जी ने लाला झाऊलाल से कही। ऐसा उन्होंने इसललए कहा क्योंफक रुपए उन्होंने अपनी पत्नी की संदक
ू से
उस सर्य तनकाले थे जब वह सो रही थी ।उन्होंने सोती हुई पत्नी के गले से चुपचाप ताली तनकालकर संदक
ू से
रुपए तनकाल ललए ।।यह बात उनकी पत्नी न जान सकी। अब उनकी पत्नी को यह बात पता चले उससे पहले ही
वह इन रुपयों को संदूक र्ें रखने की जल्दबाज़ी र्ें थे।

7)प्रश्न-“ उस ददन राबि र्ें बबलवासी जी को दे र तक नींद नहीं आई।”

सर्स्या झाऊलाल की थी और नींद बबलवासी जी की उडी हुई थी क्यों? ललखखए।

उत्तर- यह सत्य है फक सर्स्या लाला झाऊलाल की थी और नींद बबलवासी जी की उडी ।इसका कारर् यह था फक
वह ढाई सौ रुपए उन्होंने अपनी पत्नी की संदक
ू से उठाए थे ।यदद यह बात उनकी पत्नी को पता चल जाती तो
इससे भी बडी सर्स्या उठ खडी होती। जब तक ये रुपए वे उसी जगह नहीं रख दे ते उन्हें नींद कैसे आ सकती थी।
यही कारर् था फक उनकी नींद उडी हुई थी।

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