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गिलोय के उपयोग और नुकसान फायदे गुण
गिलोय के उपयोग और नुकसान फायदे गुण
H E A LT H C A RE FO R L I FE .
HOME » BLOG » HERBS » गलोय के फायदे गुण उपयोग और नुकसान | GILOY BENEFITS AND SIDE EFFECTS IN HINDI
› वृ ाव था म ह ी टू टना ( ै चर) : ल ण और
उपचार | Haddi Tutne ke Lakshan aur ilaj
गलोय क गणना आयुवद ने मह वपूण, उपयोगी तथा े औष धय म क जाती है। इन दस औष धय म गलोय इतनी TOPICS
मह वपूण और गुणकारी औष ध है क आयुव दक थ भाव काश नघ टु ’ जड़ी बू टय का वणन करने वाले एक अ याय का
नाम ही गलोय (गुडूची) के नाम पर ‘गुडू या द वग:’ रखा है। इसके गुण के आधार पर सं कृत म इसको कई गुण वाचक नाम दये › मु त हद पु तक Free PDF Download
गये ह जैसे मधुपण , अमृता, अमृतव लरी, कु डली, च ल णका, छ हा, व सादनी, सोमव ली, जीव ती, रसायनी, त का
आ द। › रोग और उपचार
सं कृत-गुडूची । ह द - गलोय ।मराठ -गुलवेल । गुजराती-गलो। बंगला-गुलंच । तैलुग-ु त पतोगे। ता मल- श डलको ड।
› मु ा व ान
क ड़-ग ड़ बेल। पंजाब- गलो।कोकण-ग ड़वेल। गोआ-अमृतबेल । करनाटक -अमरदव ली।फ़ारसी - गलोई । इंग लश-
टनो पोरा (Tinospara).। ले टन- टनो पोरा का फो लया (Tinospara cordifolia).
› सफल जीवन के सू
गलोय के फायदे व औषधीय योग : Health Benefits and Uses of Giloy in Hindi › आ या मक अनुभव
❉ वर, जीण वर, मोती वर (टायफाइड) और तीन दोष का शमन करने के लए गलोय का उपयोग सव े है और नरापद
› यो तष
है। जहां तक स भव हो गलोय क ताज़ी बेल काट कर योग करना चा हए। सं ह करके रखना हो तो ी म काल के अ त और
वषा शु होने से पहले इसे खूब सुखा कर रखना चा हए इसके ऊपर क छाल हटा कर टु कड़े करके कूट पीस कर या टु कड़े
करके सं ह करना चा हए।
❉ गलोय का उपयोग कसी भी ारा कया जा सकता है कसी भी रोग के रोगी क च क सा म कया जा सकता है और
कसी भी आयु वाला कसी भी ऋतु म कर सकता है।
❉ जैसे भूखे के लए भोजन करना ज़ री है उसी तरह कसी भी रोग के रोगी के लए कसी भी ऋतु म, कसी भी आयु म
ब चा, जवान बूढ़ा, गभवती या सूता ी के लए गलोय का उपयोग ज़ री व हतकारी है।
❉ दोष को सामा य करना इसक व श उपयो गता है अतः धातु और वात प आ द दोष को, उनक घट-बढ़ को र कर
उ ह स यक अव था म रखना गलोय क सबसे बड़ी उपयो गता है।
❉ प कोप (ए स डट ) को शा त करने म इसका उपयोग ब त गुणकारी स होता है। इसका उपयोग नरोग भी कर
सकता है। कुछ रोग म इसके उपयोग के बारे म ववरण तुत है।
6- व भ वर म गलोय के फायदे :
कसी भी कार का वर हो, गलोय स व एक ाम या गलोय चूण आधा च मच शहद के साथ सुबह शाम सेवन करना चा हए।
7- सर दद म गलोय के फायदे :
एक कार का सर दद होता है जो आधे सर म ही होता है इस लए इसे आधा सीसी कहते ह। यह सर दद सुबह सूय दय होने के
साथ शु होता है, म या ह काल तक बढ़ता जाता है और शाम होते होते दद र हो जाता है। इस ा ध को र करने के लए
गलोय स व एक ाम और मु ा प ी एक र ी (एक ाम म आठ र ी होती है) इस लए आठ ाम गलोय स व और मु ा प ी
एक ाम मला कर अ छ तरह घुटाई करके एक जान कर ल और इसक आठ पु ड़या बराबर मा ा क बना ल। एक-एक पु ड़या
सुबह सूय दय से पहले म ी मले ध या रबड़ी के साथ सेवन कर। दोपहर और रात को सोते समय सफ एक ाम गलोय स व
शहद म मला कर या शबत बनफशा के साथ ले ल। इस च क सा से थोड़े समय म । आधा सीसी का दद र हो जाता है। ( और
पढ़े – सर दद के 41 घरेलू नु खे)
14-आयुव दक च क सक डॉ. एस.पी. सह ने बताया क गलोय म रोग तरोधक मता पाई जाती है। इसका योग वषम
वर, कु रोग, वात र , मेह , कृ म, पेशाब म जलन, म दा न आ द रोग म कया जाता है। डॉ. सह ने बताया क कु एवं
जीण आमवात म ताज़ी गलोय का क क 10 तोला, अन त मूल का चूण 10 तोला, 100 ाम उबले जल म डाल कर 2 घ टे
ब द पा म रख कर छान कर पीने से अ छा लाभ होता है। वषम एवं जीण वर के लए गुडूची के वाथ एवं वरस म छोट
पीपल एवं मधु मला कर पीने से लाभ होता है। उ ह ने बताया क ब वष य तथा अमृत के समान गुणकारी होने के कारण इसे
‘अमृता’ भी कहा जाता है। गलोय वरस लेने से मल -मू संब धत रोग म अ छा लाभ करता है। गलोय से अनेक आयुव दक
औष धयां भी बनाई जाती है।
गलोय के साथ अ य वनौष धय का योग करके बनाये जाने वाले कुछ उ म योग क मा ा, सेवन- व ध और लाभ के वषय म
सं त जानकारी तुत है।
ये योग आयुव दक औष ध | नमाता ारा न मत बाज़ार म आयुव दक औष ध व े ता के यहां बने बनाए मलते ह।
1- गलोय का शबत- इस शबत को 4 बड़े च मच भर आधा कप पानी म घोल कर सुबह शाम पीना चा हए। यह शबत वर र
करने वाला तेज़ बुखार को उतारने वाला, प कोप का शमन करने वाला और आंख, छाती, पेट व पेशाब म होने वाली जलन
र करने वाला है। इसके सेवन से पेशाब खुल कर होता है, यास व जीण वर का शमन होता है, शरीर से पसीना नकलना ब द
होता है।
3-अमृता र - गलोय को अमृता भी कहते ह इस लए इस योग का नाम अमृता र है। भोजन के तुर त बाद, आधा कप ठ डे
पानी म अमृता र 4-5 बड़े च मच डाल कर पएं। यह औष ध पुराना बुखार, वषम वर, रसर ा द धातुगत वर, यकृत और
लीहा के वर आ द सभी कार के वर र करने के लए उ म गुण करती है। इसे 1-2 मास तक सेवन करना चा हए।
4अमृता द गु गुलु- इस औष ध क 2-2 गोली गरम पानी के साथ सुबह दोपहर शाम को लेना चा हए। यह औष ध वात र ,
बवासीर, म दा न, आम वात, भग दर, मेह , र दोष, वात कोप और क़ ज़ आ द ा धयां र करती है।
5-गुडू या द तैल- गुडूची गलोय का ही नाम है इस लए इस योग का नाम गुडू या द तैल रखा गया है। इस तेल क मा लश करने
से वात र , वचा के वकार, पसीना अ धक आना, वसप, खुजली, जलन आ द ा धयां र होती ह।
6-गुडू या द वाथ- वाथ का अथ है काढ़ा। इस वाथ (काढ़ा) को दन म 3-4 बार 2-2 | बड़े च मच भर थोड़े से पानी म मला
कर पीने से सब कार के बुखार, जलन, जी मचलाना और लौट-लौट कर बुखार आना आ द ा धयां र होती ह।
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