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ह द

िं ी मातभ
ृ ाषा (कोड 002)
कक्षा 9व –िं 10व िं (2020-21)
माध्यममक स्तर तक आते-आते विद्यार्थी ककशोर हो चुका होता है और उसमें सन
ु ने, बोलने, पढ़ने, मलखने
के सार्थ-सार्थ आलोचनात्मक दृष्टि विकमसत होने लगती है । भाषा के सौंदयाात्मक पक्ष,
कर्थात्मकता/गीतात्मकता, अखबारी समझ, शब्द शष्ततयों कीसमझ, राजनैततक एिं सामाष्जक चेतना का
विकास, स्ियं की अष्स्मता का संदभा और आिश्यकता के अनुसार उपयत
ु त भाषा- प्रयोग, शब्दों का
सुचचंततत प्रयोग, भाषा की तनयमबद्ध प्रकृतत आदद से विद्यार्थी पररचचत हो जाता है । इतना ही नहीं िह
विविध विधाओं और अमभव्यष्तत की अनेक शैमलयों से भी पररचचत हो चक
ु ा होता है । अब विद्यार्थी की
दृष्टि आस-पडोस, राज्य-दे श की सीमा को लांघते हुए िैष्श्िक क्षक्षततज तक फैल जाती है । इन बच्चों की
दतु नया में समाचार, खेल, कफल्म तर्था अन्य कलाओं के सार्थ-सार्थ पत्र-पत्रत्रकाएँ और अलग-अलग तरह की
ककताबें भी प्रिेश पा चक
ु ी होती हैं।
इस स्तर पर मातभ
ृ ाषा दहंदी का अध्ययन सादहष्त्यक, सांस्कृततक और व्यािहाररक भाषा के रूप में कुछ
इस तरह से हो कक उच्चतर माध्यममक स्तर पर पहुँचते-पहुँचते यह विद्याचर्थायों की पहचान,
आत्मविश्िास और विमशा की भाषा बन सके। प्रयास यह भी होगा कक विद्यार्थी भाषा के मलखखत प्रयोग
के सार्थ-सार्थ सहज और स्िाभाविक मौखखक अमभव्यष्तत में भी सक्षम हो सके।

इस पाठ्यक्रम के अध्ययन से -
(क) विद्यार्थी अगले स्तरों पर अपनी रूचच और आिश्यकता के अनुरूप दहंदी की पढ़ाई कर सकेंगे
तर्था दहंदीमें बोलने और मलखने में सक्षम हो सकेंगे।
(ख) अपनी भाषा दक्षता के चलते उच्चतर माध्यममक स्तर पर विज्ञान, समाज विज्ञान और अन्य
पाठ्यक्रमों के सार्थ सहज संबद्धता (अंतसंबंध) स्र्थावपत कर सकेंगे।
(ग) दै तनक जीिन व्यिहार के विविध क्षेत्रों में दहन्दी के औपचाररक/अनौपचाररक उपयोग की दक्षता
हामसल कर सकेंगे।
(घ) भाषा प्रयोग के परं परागत तौर-तरीकों एिं विधाओं की जानकारी एिं उनके समसामतयक संदभों की
समझ विकमसत कर सकेंगे।
(ड.) दहंदी भाषा में दक्षता का इस्तेमाल िे अन्य भाषा-संरचनाओं की समझ विकमसत करने के मलए
करसकेंगे।

कक्षा 9व िं व 10व िं में मातभ


ृ ाषा के रूप में ह द
िं ी-शिक्षण के उद्देश्य :
• कक्षा आठिीं तक अष्जात भावषक कौशलों (सुनना, बोलना, पढ़ना और मलखना) का उत्तरोत्तर
विकास।
• सज
ृ नात्मक सादहत्य के आलोचनात्मक आस्िाद की क्षमता का विकास।
• स्ितंत्र और मौखखक रूप से अपने विचारों की अमभव्यष्तत का विकास।
• ज्ञान के विमभन्न अनश
ु ासनों के विमशा की भाषा के रूप में दहंदी की विमशटि प्रकृतत एिं क्षमता
का बोध कराना।
• सादहत्य की प्रभािकारी क्षमता का उपयोग करते हुए सभी प्रकार की विविधताओं (राटरीयता, धमा,
मलंग एिं भाषा) के प्रतत सकारात्मक और संिेदनशील रिैये का विकास।
• जातत, धमा, मलंग, राटरीयता, क्षेत्र आदद से संबंचधत पि
ू ााग्रहों के चलते बनी रूदढ़यों की भावषक
अमभव्यष्ततयों के प्रतत सजगता।
• भारतीय भाषाओं एिं विदे शी भाषाओं की संस्कृततकविविधता से पररचय।
• व्यािहाररक और दै तनक जीिन में विविध अमभव्यष्ततयों की मौखखक ि मलखखत क्षमता का
विकास।
• संचार माध्यमों (वप्रंि और इलेतरॉतनक) में प्रयत
ु त दहंदी की प्रकृतत से अिगतकराना और निीन
भाषा प्रयोग करने कीक्षमता से पररचय।
• विश्लेषण और तका क्षमता का विकास।
• भािमभव्यष्तत क्षमताओं का उत्तरोत्तर विकास।
• मतभेद, विरोध और िकराि की पररष्स्र्थततयों में भी भाषा को संिेदनशील और तकापूणा इस्तेमाल
से शांततपण
ू ा संिाद की क्षमता का विकास।
• भाषा की समािेशी और बहुभावषक प्रकृतत की समझ का विकासकरना।

शिक्षण युक्ततयााँ
माध्यममक कक्षाओं में अध्यापक की भूममका उचचत िातािरण के तनमााण में सहायकहोनी चादहए। भाषा
और सादहत्य की पढ़ाई में इस बात पर ध्यान दे ने की जरूरत होगी कक -
• विद्यार्थी द्िारा की जा रही गलततयों को भाषा के विकास के अतनिाया चरण के रूप में स्िीकार
ककया जाना चादहए ष्जससे विद्यार्थी अबाध रूप से त्रबना खझझक के मलखखत और मौखखक
अमभव्यष्तत करने में उत्साह का अनुभि करें । विद्याचर्थायों पर शुवद्ध का ऐसा दबाि नहीं होना
चादहए कक िे तनािग्रस्त माहौल में पड जाएँ। उन्हें भाषा के सहज, कारगर और रचनात्मक रूपों
से इस तरह पररचचत कराना उचचत है कक िे स्ियं सहजरूप से भाषा का सज
ृ न कर सकें।
• विद्यार्थी स्ितंत्र और अबाध रूप से मलखखत और मौखखक अमभव्यष्तत करे । अचधगम बाचधत होने
पर अध्यापक, अध्यापन शैली में पररितान करें ।
• ऐसे मशक्षण-त्रबंदओ
ु ं की पहचान की जाए ष्जससे कक्षा में विद्यार्थी तनरं तर सकक्रय भागीदारी करें
और अध्यापक भी इस प्रककया में उनका सार्थी बने।
• हर भाषा का अपना व्याकरण होता है । भाषा की इस प्रकृतत की पहचान कराने में पररिेशगत और
पाठगत संदभों का ही प्रयोग करना चादहए। यह पूरी प्रकक्रया ऐसी होनी चादहए कक विद्यार्थी स्ियं
को शोधकताा समझे तर्था अध्यापक इसमें केिल तनदे शन करें ।
• दहंदी में क्षेत्रीय प्रयोगों, अन्य भाषाओं के प्रयोगों के उदाहरण से यह बात स्पटि की जा सकती है
कक भाषा अलगाि में नहीं बनती और उसका पररिेश अतनिाया रूप से बहुभावषक होता है ।
• मभन्न क्षमता िाले विद्याचर्थायों के मलए उपयुतत मशक्षण-सामग्री का इस्तेमाल ककया जाए तर्था
ककसी भी प्रकार से उन्हें अन्य विद्याचर्थायों से कमतर या अलग न समझा जाए।
• कक्षा में अध्यापक को हर प्रकार की विविधताओं (मलंग, जातत, िगा, धमा आदद) के प्रतत
सकारात्मक और संिेदनशील िातािरण तनममात करना चादहए।
• काव्य भाषा के ममा से विद्यार्थी का पररचय कराने के मलए जरूरी होगा कक ककताबों में आए
काव्यांशों की लयबद्ध प्रस्ततु तयों के ऑडडयो-िीडडयो कैसेि तैयार ककए जाएँ। अगर आसानी से कोई
गायक/गातयका ममले तो कक्षा में मध्यकालीन सादहत्य के अध्यापन-मशक्षण में उससे मदद ली
जानी चादहए।
• रा.शै.अ. और प्र. प.,(एन.सी.ई.आर.िी.) मानि संसाधन विकास मंत्रालय के विमभन्न संगठनों तर्था
स्ितंत्र तनमााताओं द्िारा उपलब्ध कराए गए कायाक्रम/ ई-सामग्री ित्ृ तचचत्रों और फीचर कफल्मों को
मशक्षण-सामग्री के तौर पर इस्तेमाल करने की जरूरत है । इनके प्रदशान के क्रम में इन पर
लगातार बातचीत के जररए मसनेमा के माध्यम से भाषा के प्रयोग कक विमशटिता की पहचान
कराई जा सकती है और दहंदी की अलग-अलग छिा ददखाई जा सकती है ।
• कक्षा में मसफा पाठ्यपस्
ु तक की उपष्स्र्थतत से बेहतर होगा कक मशक्षक के हार्थ में तरह-तरह की
पाठ्यसामग्री को विद्यार्थी दे खें और कक्षा में अलग-अलग मौकों पर मशक्षक उनका इस्तेमाल करें ।
• भाषा लगातार ग्रहण करने की कक्रया में बनती है , इसे प्रदमशात करने का एक तरीका यह भी है
कक मशक्षक खुद यह मसखा सकें कक िे भी शब्दकोश, सादहत्यकोश, संदभाग्रर्थ
ं की लगातार मदद ले
रहे हैं। इससे विद्याचर्थायों में इनके इस्तेमाल करने को लेकर तत्परता बढ़े गी। अनुमान के आधार
पर तनकितम अर्था तक पहुँचकर संतुटि होने की जगह िे सिीक अर्था की खोज करने के मलए
प्रेररत होंगे। इससे शब्दों की अलग-अलग रं गत का पता चलेगा, िे शब्दों के सक्ष्
ू म अंतर के प्रतत
और सजग हो पाएँगे।

श्रवण व वाचन (मौखिक बोलना) सिंबिंध योग्यताएाँ


श्रवण (सुनना) कौिल
• िखणात या पदठत सामग्री, िाताा, भाषण, पररचचाा, िाताालाप, िाद-वििाद, कविता-पाठ आदद का
सुनकर अर्था ग्रहण करना, मूल्यांकन करना और अमभव्यष्तत के ढं ग को जानना।
• िततव्य के भाि, विनोद ि उसमें तनदहत संदेश, व्यंग्य आदद को समझना।
• िैचाररक मतभेद होने पर भी ितता की बात को ध्यानपूिक
ा , धैयप
ा ूिक
ा ि मशटिाचारानुकूल प्रकार
से सुनना ि ितता के दृष्टिकोण को समझना।
• ज्ञानाजान मनोरं जन ि प्रेरणा ग्रहण करने हे तु सन
ु ना।
• िततव्य का आलोचनात्मक विश्लेषण करना एिं सुनकर उसका सार ग्रहण करना।

श्रवण (सन
ु ना) वाचन (बोलना) का परीक्षण : कुल 10 अिंक(5+5)

 श्रवण (सुनना) (5अंक): वर्णित या पठित सामग्री को सुनकर अर्िग्रहण करना, वातािलाप करना, वाद-वववाद,
भाषण, कववतापाि आठद को सन
ु कर समझना, मल
ू यांकन करना और अभभव्यक्तत के ढं ग को
समझना।
 वाचन (बोलना) (5अंक): भाषण, सस्वर कववता-पाि, वातािलाप और उसकी औपचाररकता, कायिक्रम-
प्रस्तुतत, कर्ा-कहानी अर्वा घटना सुनाना, पररचय दे ना, भावानुकूल संवाद-वाचन।

ठटप्पणी: वातािलाप की दक्षताओं का मूलयांकन तनरं तरता के आधार पर परीक्षा के समय ही होगा। तनधािररत 10 अंकों
में से 5 श्रवण (सुनना) कौशल के मूलयांकन के भलए और 5 वाचन (बोलना) कौशल के मूलयांकन के भलए होंगे।

• परीक्षक ककसी प्रासंचगक विषय पर एक अनुच्छे द का स्पटि िाचन करे गा। अनच्
ु छे द तथ्यात्मक
या सुझािात्मक हो सकता है । अनुच्छे द लगभग 100-150 शब्दों का होना चादहए।
या
परीक्षक 1-2 ममनि का श्रव्य अंश (ऑडडयो ष्तलप) सुनिाएगा। अंश रोचक होना चादहए। कथ्य
/घिना पूणा एिं स्पटि होनी चादहए। िाचक का उच्चारण शुद्ध, स्पटि एिं विराम चचह्नों के उचचत
प्रयोग सदहत होना चादहए।
• परीक्षार्थी ध्यान पूिक
ा परीक्षा/आडडयो ष्तलप को सुनने के पश्चात परीक्षक द्िारा पूछे गए प्रश्नों
का अपनी समझ से मौखखक उत्तर दें गे।

कौिलों के मल
ू यािंकनका आधार
श्रवण (सन
ु ना) वाचन(बोलना)
1 विद्यार्थी में पररचचत संदभों में प्रयुतत शब्दों और 1 विद्यार्थीकेिल अलग-अलग शब्दों और पदों
पदों को समझने की सामान्य योग्यता है । के प्रयोग की योग्यता प्रदमशात करता है ।
2 छोिे सस
ु ंबद्धकर्थनों को पररचचत संदभों में समझने 2 पररचचत संदभों में केिल छोिे सस
ु ंबद्ध
की योग्यता है । कर्थनों का सीममत शद्
ु धता से प्रयोग करता
है ।
3 पररचचत या अपररचचत दोनों संदभों में कचर्थत 3 अपेक्षक्षत दीघा भाषण में जदिल कर्थनों के
सूचना को स्पटि समझने की योग्यता है । प्रयोग की योग्यता प्रदमशात करता है ।
4 दीघा कर्थनों की श्रख
ं ृ ला को पयााप्त शुद्धता से 4 अपररचचत ष्स्र्थततयों में विचारों को ताककाक
समझता है और तनटकषा तनकाल सकता है । ढं ग से संगदठत कर धारा प्रिाह रूप में
प्रस्तुत कर सकता है ।
5 जदिल कर्थनों के विचार-त्रबद
ं ओ
ु ं को समझने की 5 उद्देश्यऔर श्रोता के मलए उपयुतत शैली को
योग्यता प्रदमशात करता है । अपना सकता है ।

हिप्पण
• परीक्षण से पूिा परीक्षार्थी को तैयारी के मलए कुछ समय ददया जाए।
• वििरणात्मक भाषा में ितामान काल का प्रयोग अपेक्षक्षत है ।
• तनधााररत विषय परीक्षार्थी के अनभ
ु ि संसार के हों, जैसे - कोई चि
ु कुला या हास्य-प्रसंग सन
ु ाना,
हाल में पढ़ी पुस्तक या दे खे गए मसनेमा की कहानी सुनाना।
• जब परीक्षार्थी बोलना प्रारं भ करें तो परीक्षक कम से कम हस्तक्षेप करें ।

परियोजना कायय - कुल अंक 10


 ववषय वस्तु - 5 अंक
 भाषा एवं प्रस्ततु त - 3 अंक
 शोध एवं मौभलकता - 2 अंक
• ठहन्दी भाषा और साठहत्य से जड़
ु े ववववध ववषयों/ ववधाओं / साठहत्यकारों / समकालीन लेखन / साठहक्त्यक
वादों / भाषा के तकनीकी पक्ष / प्रभाव / अनुप्रयोग / साठहत्य के सामाक्जक संदभो एवं जीवन मूलय संबध
ं ी
प्रभावों आठद पर पररयोजना कायि ठदए जाने चाठहए।
• सत्र के प्रारं भ में ही ववद्यार्ी को ववषय चुनने का अवसर भमले ताकक उसे शोध, तैयारी और लेखन के भलए
पयािप्त समय भमल सके ।

पठन कौिल

• सरसरी दृष्टि से पढ़कर पाठ का केंद्रीय विचार ग्रहण करना।


• एकाग्रचचत हो एक अभीटि गतत के सार्थ मौन पठन करना।
• पदठत सामग्री पर अपनी प्रततकक्रया व्यतत करना।
• भाषा, विचार एिं शैली की सराहना करना।
• सादहत्य के प्रतत अमभरूचच का विकास करना।
• सादहत्य की विमभन्न विधाओं की प्रकृतत के अनुसार पठन कौशल का विकास।
• संदभा के अनुसार शब्दों के अर्था–भेदों की पहचान करना।
• सकक्रय (व्यिहारोपयोगी) शब्द भंडार की िवृ द्ध करना।
• पदठत सामग्री के विमभन्न अंशों का परस्पर संबंध समझना।
• पदठत अनच्
ु छे दों के शीषाक एिं उपशीषाक दे ना।
• कविता के प्रमख
ु उपादान यर्था - तुक, लय, यतत,गतत, बलाघातआदद से पररचचत कराना।

लेिन कौिल
• मलवप के मान्य रूप का ही व्यिहार करना।
• विराम-चचह् नों का उपयुतत प्रयोग करना।
• प्रभािपूणा भाषा तर्था लेखन-शैली का स्िाभाविक रूप से प्रयोग करना।
• उपयत
ु त अनच्
ु छे दों में बाँिकर मलखना।
• प्रार्थाना पत्र, तनमंत्रण पत्र, बधाई पत्र, संिेदना पत्र,ई-मेल,आदे श पत्र, एस.एम.एस आदद मलखना
और विविध प्रपत्रों को भरना।
• विविध स्रोतों से आिश्यक सामग्री एकत्र कर अभीटि विषय पर तनबंध मलखना।
• दे खी हुई घिनाओं का िणान करना और उन पर अपनी प्रततकक्रया दे ना।
• दहन्दी की एक विधा से दस
ू री विधा में रूपांतरण का कौशल।
• समारोह और गोष्टठयों की सूचना और प्रततिेदन तैयार करना।
• सार, संक्षेपीकरण एिं भािार्था मलखना।
• गद्य एिं पद्य अितरणों की व्याख्या मलखना।
• स्िानुभूत विचारों और भािनाओं को स्पटि सहज और प्रभािशाली ढं ग से अमभव्यतत करना।
• क्रमबद्धता और प्रकरण की एकता बनाए रखना।
• मलखने में मौमलकता और सज
ृ नात्मकता लाना।
रचनात्मक अशभव्यक्तत

अनच्
ु छे द लेिन
• पूणत
ा ा – संबचं धत विषय के सभी पक्षों को अनुच्छे द के सीममत आकार में संयोष्जत करना
• क्रमबद्धता – विचारों को क्रमबद्ध एिं तकासंगत विचध से प्रकि करना
• विषय-केष्न्द्रत – प्रारं भ से अंत तक अनच्
ु छे द का एक सत्र
ू में बंधा होना
• समामसकता – सीममत शब्दों में यर्थासंभि पूरी बात कहने का प्रयास, अनािश्यक बातें न करके
केिल विषय संबद्ध िणान-वििेचन

पत्र लेिन
• अनौपचाररक पत्र विचार-विमशा का जररया ष्जनमें मैत्रीपूणा भािना तनदहत, सरलता, संक्षक्षप्त और
सादगी के सार्थ लेखन शैली
• औपचाररक पत्रों द्िारा दै नंददनी जीिन की विमभन्न ष्स्र्थततयों में काया, व्यापार, संिाद, परामशा,
अनुरोध तर्था सुझाि के मलए प्रभािी एिं स्पटि संप्रेषण क्षमता का विकास
• सरल और बोलचाल की भाषाशैली, उपयुतत, सिीक शब्दों के प्रयोग, सीधे-सादे ढं ग से स्पटि और
प्रत्यक्ष बात की प्रस्तुतत
• प्रारूप की आिश्यक औपचाररकताओं के सार्थ सुस्पटि, सुलझे और क्रमबद्ध विचार आिश्यक तथ्य,
संक्षेप और सम्पण
ू त
ा ा के सार्थ प्रभािाष्न्ितत

ववज्ञापन लेिन
ववज्ञावपत वस्तु / ववषय को केंद्र में रिते ु ए
• विज्ञावपत िस्तु के विमशटि गुणों का उल्लेख
• आकषाक लेखन शैली
• प्रस्तुतत में नयापन, ितामान से जुडाि तर्था दस
ू रों से मभन्नता
• विज्ञापन में आिश्यकतानुसार नारे (स्लोगन) का उपयोग
• (विज्ञापन लेखन मे बॉतस, चचत्र अर्थिा रं ग का उपयोग अतनिाया नहीं)
सिंवाद लेिन
दो या दो से अचधक लोगों के बीच होने िाले िाताालाप/ बातचीत विषय, काल्पतनक या ककसी िाताा को
सुनकर यर्थार्था पर आधाररत संिाद लेखन की रचनात्मक शष्तत का विकास, कहानी, नािक, कफल्म और
िीिी सीररयल से लें।
• पात्रों के अनक
ु ू ल भाषा शैली
• शब्द सीमा के भीतर एक दस
ू रे से जुडे सार्थाक और उद्देश्यपूणा संिाद
• ितता के हाि-भाि का संकेत
• संिाद लेखन के अंत तक विषय/मुद्दे पर िाताा पूरी

लघु-कथा लेिन (हदए गए प्रस्थान बबिंद ु के आधार पर लघु कथा लेिन)


• तनरं तरता
• कर्थात्मकता
• प्रभािी संिाद/ पात्रानक
ु ु ल संिाद
• रचनात्मकता/कल्पना शष्तत का उपयोग
• ष्जज्ञासा/रोचकता
सिंदेि लेिन (िुभकामना, पवव-त्यौ ारोंएविं वविेष अवसरों पर हदए जाने वाले सिंदेि)
• विषय से संबद्धता
• संक्षक्षप्त और सारगमभात
• भाषाई दक्षता एिं प्रस्तुतत
• रचनात्मकता/सज
ृ नात्मकता
ह द
िं ी पाठ्यक्रम – अ (कोड सिं. - 002)
कक्षा 9व िं ह द
िं ी अ – परीक्षा े तु पाठ्यक्रम ववननदे िन 2020-21

परीक्षा भार ववभाजन


ववषयवस्तु उप भार कुल भार
1 अपदठत गद्यांश (चचंतन क्षमता एिं अमभव्यष्तत कौशल पर) अतत
लघूत्तरात्मक एिं लघत्ू तरात्मक प्रश्न पूछे जाएंगे। 10
एक अपदठत गद्यांश (100 से 150 शब्दों के) (1x2=2) (2x4=8) 10

2 व्याकरण के मलए तनधााररत विषयों पर विषय-िस्तु का बोध, भावषक त्रबंद ु


/संरचना आदद पर प्रश्न (1x16)
व्याकरण
1 शब्द तनमााण 8
16
उपसगा – 2 अंक, प्रत्यय – 2 अंक, समास – 4 अंक
2 अर्था की दृष्टि से िातय भेद – 4 अंक 4

3 अलंकार-(शब्दालंकार: अनप्र
ु ास, यमक, श्लेष) (अर्थाालंकार : उपमा, 4
रूपक, उत्प्रेक्षा, अततशयोष्तत, मानिीकरण)
3 पाठ्यपुस्तक क्षक्षततज भाग – 1 ि पूरक पाठ्यपुस्तक कृततका भाग -1
अ गद्य खंड 14

1 क्षक्षततज से तनधााररत पाठों में से गद्यांश के आधार पर विषय- 6


िस्तु का ज्ञान बोध, अमभव्यष्तत आदद पर तीन प्रश्न पूछे
जाएंग।े (2x3)
2 क्षक्षततज से तनधााररत गद्य पाठों के आधार पर विद्याचर्थायों की 8
उच्च चचंतन क्षमताओं एंि अमभव्यष्तत का आकलन करने हे तु
चार प्रश्न पूछे जाएंगे। (2x4) (विकल्प सदहत)
ब काव्य खंड 14 34

1 क्षक्षततज से तनधााररत कविताओं में से काव्यांश के आधार पर 6


तीन प्रश्न पूछे जाएंगे (2x3)
2 क्षक्षततज से तनधााररत कविताओं के आधार पर विद्याचर्थायों का 8
काव्यबोध परखने हे तु चार प्रश्न पूछे जाएंगे। (2x4) (विकल्प
सदहत)
स परू क पाठ्यपस्
ु तक कृततका भाग – 1 6

कृततका के तनधााररत पाठों पर आधाररत दो प्रश्न पछ


ू े जाएँगे (विकल्प 6
सदहत)। (3x2)
4 लेखन
अ विमभन्न विषयों और संदभों पर विद्याचर्थायों के तकासंगत विचार प्रकि 5
करने की क्षमता को परखने के मलए संकेत त्रबंदओ
ु ं पर आधाररत
समसामतयक एिं व्यािहाररक जीिन से जुडे हुए विषयों में से ककन्हीं
तीन विषयों पर 80 से 100 शब्दों में ककसी एक विषय पर अनुच्छे द
20
(5x1)
ब अमभव्यष्तत की क्षमता पर केंदद्रत औपचाररक अर्थिा अनौपचाररक 5
विषयों में से ककसी एक विषय पर पत्र। (5x1)
स ककसी एक विषय पर संिाद लेखन। (5x1) (विकल्प सदहत) 5

द लघु-कर्था लेखन (ददए गए प्रस्र्थान त्रबद


ं ु के आधार पर 100-120 5
शब्दों में) (विकल्प सदहत)
कुल 80
5 (क) श्रवण तर्ा वाचन 10

(ख) पररयोजना 10

कुल अंक 100

ननधावररत पस्
ु तकें :
1. क्षक्षनतज, भाग–1, एन.सी.ई.आर.िी., नई ददल्ली द्िारा प्रकामशत निीनतम संस्करण
2. कृनतका, भाग–1, एन.सी.ई.आर.िी., नई ददल्ली द्िारा प्रकामशत निीनतम संस्करण

कक्षा नौव िं
नोि – पाठ्यक्रम के ननम्नशलखित पाठ िा हदए गए ैं -
क्षक्षनतज, काव्य खंड • कबीर – साखखयाँ ि सबद पाठ से सबद-2
भाग – 1 • सुममत्रानंदन पंत – ग्राम श्री
• केदारनार्थ अग्रिाल - चंद्रगहना से लौिती बेर
• सिेश्िर दयाल सतसेना - मेघ आए
• चंद्रकांत दे िताले – यमराज की ददशा

• श्यामाचरण दब
ू े – उपभोततािाद की संस्कृतत
गद्य खंड
• चपला दे िी – नाना साहब की पत्र
ु ी दे िी मैना को भस्म कर ददया गया
• महादे िी िमाा – मेरे बचपन के ददन
• हज़ारीप्रसाद द्वििेदी – एक कुत्ता और एक मैना
कृनतका, • फणीश्िरनार्थ रे णु – इस जल प्रलय में
भाग – 1 • शमशेर बहादरु मसंह – ककस तरह आखखरकार मैं दहंदी में आया
ह द
िं ी पाठ्यक्रम -अ (कोड सिं. 002)
कक्षा 10व िं ह द
िं ी - अ परीक्षा े तु पाठ्यक्रम ववननदे िन 2020-21
प्रश्न-पत्र में दो खंड होंगे – खंड-अ और खंड-ब |
खंड-अ में बहुविकल्पी प्रश्न पूछे जाएँगे |
खंड-अ में कुल 53 प्रश्न होंगे ष्जनमें से केिल 40 प्रश्नों के ही उत्तर दे ने होंगे |
खंड-ब में िणानात्मक प्रश्न पूछे जाएँगे | प्रश्नों में उचचत आंतररक विकल्प ददए जाएँगे |

परीक्षा भार ववभाजन


ििंड – अ (ब ु ववकलप प्रश्न)
ववषयवस्तु उप भार कुलभार
1 अपदठत गद्यांश ि काव्यांश पर चचंतन क्षमता एिं अमभव्यष्तत कौशल पर
आधाररत बहुविकल्पी प्रश्न ।
अ एक अपदठत गद्यांश 150 से 200 शब्दों का |(1x5=5) विकल्प सदहत 5 10
ब एक अपदठत काव्यांश 150 से 200 शब्दों का |(1x5=5)विकल्प सदहत 5
2 व्याकरण के मलए तनधााररत विषयों पर विषय-िस्तु का बोध, भावषक त्रबंद/ु
संरचना आदद पर बहुविकल्पी प्रश्न | (1x16)
कुल 20 प्रश्न पछ
ू े जाएँगे ष्जसमें से केिल 16 प्रश्नों के उत्तर दे ने होंगे |
व्याकरण
16
1 रचना के आधार पर िातय भेद (4 अंक) 4
2 िाच्य (4 अंक) 4
3 पद पररचय (4 अंक) 4
4 रस (4 अंक) 4
3 पाठ्यपुस्तक क्षक्षततज भाग – 2
अ गद्य खंड 7
1 क्षक्षततज से तनधााररत पाठों में से गद्यांश के आधार पर विषय- 5
िस्तु का ज्ञान बोध, अमभव्यष्तत आदद पर पांच बहुविकल्पी प्रश्न
पूछे जाएँगे । (1x5)
2 क्षक्षततज से तनधााररत गद्य पाठों के आधार पर विद्याचर्थायों की 2
उच्च चचंतन क्षमताओं एिं अमभव्यष्तत का आकलन करने हे तु दो
बहुविकल्पी प्रश्न पछ
ू े जाएँगे। (1x2)
ब काव्य खंड 7 14
1 क्षक्षततज से तनधााररत कविताओं में से काव्यांश के आधार पर पाँच 5
बहुविकल्पी प्रश्न पछ
ू े जाएँगे (1x5)
2 क्षक्षततज से तनधााररत कविताओं के आधार पर विद्याचर्थायों का 2
काव्यबोध परखने हे तु दो बहुविकल्पी प्रश्न पछ
ू े जाएँगे। (1x2)
ििंड – ब (वणवनात्मक प्रश्न)
पाठ्यपुस्तक क्षक्षततज भाग – 2 ि पूरक पाठ्यपुस्तक कृततका भाग – 2
1 अ गद्य खंड
क्षक्षततज से तनधााररत पाठों में से विषय-िस्तु का ज्ञान बोध, 8
अमभव्यष्तत आदद पर चार प्रश्न पूछे जाएँगे । (2x4)
ब काव्य खंड
क्षक्षततज से तनधााररत कविताओं के आधार पर विद्याचर्थायों का 6
काव्यबोध परखने हे तु तीन प्रश्न पूछे जाएँगे। (2x3)
20
स पूरक पाठ्यपस्
ु तक कृततका भाग – 2
कृततका के तनधााररत पाठों पर आधाररत दो प्रश्न पछ
ू े जाएँगे । (3x2) 6
(विकल्प सदहत)
2 लेखन
अ विमभन्न विषयों और संदभो पर विद्याचर्थायों के तकासंगत विचार प्रकि 5
करने की क्षमता को परखने के मलए संकेत त्रबंदओ
ु ं पर आधाररत
समसामतयक एिं व्यािहाररक जीिन से जुडे हुए तीन विषयों में से
ककसी एक विषय पर 80 से 100 शब्दों में अनुच्छे द लेखन । (5x1)
20
ब अमभव्यष्तत की क्षमता पर केष्न्द्रत औपचाररक अर्थिा अनौपचाररक 5
विषयों में से ककसी एक विषय पर पत्र । (5x1)
स विषय से संबंचधत 25-50 शब्दों के अंतगात विज्ञापन लेखन । (5x1) 5
(विकल्प सदहत)
द संदेश लेखन (शुभकामना, पिा-त्योहारों एिं विशेष अिसरों पर ददए 5
जाने िाले संदेश) (30-40 शब्दों में) (5x1) (विकल्प सदहत)
कुल 80
3 (क) श्रवण तर्ा वाचन 10

(ख) पररयोजना 10

कुल अंक 100

ननधावररत पस्
ु तकें :
1. क्षक्षनतज, भाग–2, एन.सी.ई.आर.िी., नई ददल्ली द्िारा प्रकामशत निीनतम संस्करण
2. कृनतका, भाग–2, एन.सी.ई.आर.िी., नई ददल्ली द्िारा प्रकामशत निीनतम संस्करण
नोि – पाठ्यक्रम के ननम्नशलखित पाठ िा हदए गए ैं –

क्षक्षनतज, भाग – 2 काव्य खंड • दे ि


• जयशंकर प्रसाद – आत्मकथ्य
• नागाजन
ुा – यह दन्तरु रत मस
ु कान, फसल
• चगररजाकुमार मार्थरु – छाया मत छूना
• मंगलेश डबराल – संगतकार
गद्य खंड • मन्नू भंडारी – एक कहानी यह भी
• महािीरप्रसाद द्वििेदी –स्त्री-मशक्षा के विरोधी कुतकों का खंडन
• यतीन्द्र ममश्र – नौबतखाने में इबादत
• भदं त आनंद कौसल्यायन –संस्कृतत

कृनतका, भाग – 2 • एही ठै याँ झुलनी हे रानी हो रामा!


• मैं तयों मलखता हूँ ?

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