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Revisedhindi A Sec 2020-21
Revisedhindi A Sec 2020-21
िं ी मातभ
ृ ाषा (कोड 002)
कक्षा 9व –िं 10व िं (2020-21)
माध्यममक स्तर तक आते-आते विद्यार्थी ककशोर हो चुका होता है और उसमें सन
ु ने, बोलने, पढ़ने, मलखने
के सार्थ-सार्थ आलोचनात्मक दृष्टि विकमसत होने लगती है । भाषा के सौंदयाात्मक पक्ष,
कर्थात्मकता/गीतात्मकता, अखबारी समझ, शब्द शष्ततयों कीसमझ, राजनैततक एिं सामाष्जक चेतना का
विकास, स्ियं की अष्स्मता का संदभा और आिश्यकता के अनुसार उपयत
ु त भाषा- प्रयोग, शब्दों का
सुचचंततत प्रयोग, भाषा की तनयमबद्ध प्रकृतत आदद से विद्यार्थी पररचचत हो जाता है । इतना ही नहीं िह
विविध विधाओं और अमभव्यष्तत की अनेक शैमलयों से भी पररचचत हो चक
ु ा होता है । अब विद्यार्थी की
दृष्टि आस-पडोस, राज्य-दे श की सीमा को लांघते हुए िैष्श्िक क्षक्षततज तक फैल जाती है । इन बच्चों की
दतु नया में समाचार, खेल, कफल्म तर्था अन्य कलाओं के सार्थ-सार्थ पत्र-पत्रत्रकाएँ और अलग-अलग तरह की
ककताबें भी प्रिेश पा चक
ु ी होती हैं।
इस स्तर पर मातभ
ृ ाषा दहंदी का अध्ययन सादहष्त्यक, सांस्कृततक और व्यािहाररक भाषा के रूप में कुछ
इस तरह से हो कक उच्चतर माध्यममक स्तर पर पहुँचते-पहुँचते यह विद्याचर्थायों की पहचान,
आत्मविश्िास और विमशा की भाषा बन सके। प्रयास यह भी होगा कक विद्यार्थी भाषा के मलखखत प्रयोग
के सार्थ-सार्थ सहज और स्िाभाविक मौखखक अमभव्यष्तत में भी सक्षम हो सके।
इस पाठ्यक्रम के अध्ययन से -
(क) विद्यार्थी अगले स्तरों पर अपनी रूचच और आिश्यकता के अनुरूप दहंदी की पढ़ाई कर सकेंगे
तर्था दहंदीमें बोलने और मलखने में सक्षम हो सकेंगे।
(ख) अपनी भाषा दक्षता के चलते उच्चतर माध्यममक स्तर पर विज्ञान, समाज विज्ञान और अन्य
पाठ्यक्रमों के सार्थ सहज संबद्धता (अंतसंबंध) स्र्थावपत कर सकेंगे।
(ग) दै तनक जीिन व्यिहार के विविध क्षेत्रों में दहन्दी के औपचाररक/अनौपचाररक उपयोग की दक्षता
हामसल कर सकेंगे।
(घ) भाषा प्रयोग के परं परागत तौर-तरीकों एिं विधाओं की जानकारी एिं उनके समसामतयक संदभों की
समझ विकमसत कर सकेंगे।
(ड.) दहंदी भाषा में दक्षता का इस्तेमाल िे अन्य भाषा-संरचनाओं की समझ विकमसत करने के मलए
करसकेंगे।
शिक्षण युक्ततयााँ
माध्यममक कक्षाओं में अध्यापक की भूममका उचचत िातािरण के तनमााण में सहायकहोनी चादहए। भाषा
और सादहत्य की पढ़ाई में इस बात पर ध्यान दे ने की जरूरत होगी कक -
• विद्यार्थी द्िारा की जा रही गलततयों को भाषा के विकास के अतनिाया चरण के रूप में स्िीकार
ककया जाना चादहए ष्जससे विद्यार्थी अबाध रूप से त्रबना खझझक के मलखखत और मौखखक
अमभव्यष्तत करने में उत्साह का अनुभि करें । विद्याचर्थायों पर शुवद्ध का ऐसा दबाि नहीं होना
चादहए कक िे तनािग्रस्त माहौल में पड जाएँ। उन्हें भाषा के सहज, कारगर और रचनात्मक रूपों
से इस तरह पररचचत कराना उचचत है कक िे स्ियं सहजरूप से भाषा का सज
ृ न कर सकें।
• विद्यार्थी स्ितंत्र और अबाध रूप से मलखखत और मौखखक अमभव्यष्तत करे । अचधगम बाचधत होने
पर अध्यापक, अध्यापन शैली में पररितान करें ।
• ऐसे मशक्षण-त्रबंदओ
ु ं की पहचान की जाए ष्जससे कक्षा में विद्यार्थी तनरं तर सकक्रय भागीदारी करें
और अध्यापक भी इस प्रककया में उनका सार्थी बने।
• हर भाषा का अपना व्याकरण होता है । भाषा की इस प्रकृतत की पहचान कराने में पररिेशगत और
पाठगत संदभों का ही प्रयोग करना चादहए। यह पूरी प्रकक्रया ऐसी होनी चादहए कक विद्यार्थी स्ियं
को शोधकताा समझे तर्था अध्यापक इसमें केिल तनदे शन करें ।
• दहंदी में क्षेत्रीय प्रयोगों, अन्य भाषाओं के प्रयोगों के उदाहरण से यह बात स्पटि की जा सकती है
कक भाषा अलगाि में नहीं बनती और उसका पररिेश अतनिाया रूप से बहुभावषक होता है ।
• मभन्न क्षमता िाले विद्याचर्थायों के मलए उपयुतत मशक्षण-सामग्री का इस्तेमाल ककया जाए तर्था
ककसी भी प्रकार से उन्हें अन्य विद्याचर्थायों से कमतर या अलग न समझा जाए।
• कक्षा में अध्यापक को हर प्रकार की विविधताओं (मलंग, जातत, िगा, धमा आदद) के प्रतत
सकारात्मक और संिेदनशील िातािरण तनममात करना चादहए।
• काव्य भाषा के ममा से विद्यार्थी का पररचय कराने के मलए जरूरी होगा कक ककताबों में आए
काव्यांशों की लयबद्ध प्रस्ततु तयों के ऑडडयो-िीडडयो कैसेि तैयार ककए जाएँ। अगर आसानी से कोई
गायक/गातयका ममले तो कक्षा में मध्यकालीन सादहत्य के अध्यापन-मशक्षण में उससे मदद ली
जानी चादहए।
• रा.शै.अ. और प्र. प.,(एन.सी.ई.आर.िी.) मानि संसाधन विकास मंत्रालय के विमभन्न संगठनों तर्था
स्ितंत्र तनमााताओं द्िारा उपलब्ध कराए गए कायाक्रम/ ई-सामग्री ित्ृ तचचत्रों और फीचर कफल्मों को
मशक्षण-सामग्री के तौर पर इस्तेमाल करने की जरूरत है । इनके प्रदशान के क्रम में इन पर
लगातार बातचीत के जररए मसनेमा के माध्यम से भाषा के प्रयोग कक विमशटिता की पहचान
कराई जा सकती है और दहंदी की अलग-अलग छिा ददखाई जा सकती है ।
• कक्षा में मसफा पाठ्यपस्
ु तक की उपष्स्र्थतत से बेहतर होगा कक मशक्षक के हार्थ में तरह-तरह की
पाठ्यसामग्री को विद्यार्थी दे खें और कक्षा में अलग-अलग मौकों पर मशक्षक उनका इस्तेमाल करें ।
• भाषा लगातार ग्रहण करने की कक्रया में बनती है , इसे प्रदमशात करने का एक तरीका यह भी है
कक मशक्षक खुद यह मसखा सकें कक िे भी शब्दकोश, सादहत्यकोश, संदभाग्रर्थ
ं की लगातार मदद ले
रहे हैं। इससे विद्याचर्थायों में इनके इस्तेमाल करने को लेकर तत्परता बढ़े गी। अनुमान के आधार
पर तनकितम अर्था तक पहुँचकर संतुटि होने की जगह िे सिीक अर्था की खोज करने के मलए
प्रेररत होंगे। इससे शब्दों की अलग-अलग रं गत का पता चलेगा, िे शब्दों के सक्ष्
ू म अंतर के प्रतत
और सजग हो पाएँगे।
श्रवण (सन
ु ना) वाचन (बोलना) का परीक्षण : कुल 10 अिंक(5+5)
श्रवण (सुनना) (5अंक): वर्णित या पठित सामग्री को सुनकर अर्िग्रहण करना, वातािलाप करना, वाद-वववाद,
भाषण, कववतापाि आठद को सन
ु कर समझना, मल
ू यांकन करना और अभभव्यक्तत के ढं ग को
समझना।
वाचन (बोलना) (5अंक): भाषण, सस्वर कववता-पाि, वातािलाप और उसकी औपचाररकता, कायिक्रम-
प्रस्तुतत, कर्ा-कहानी अर्वा घटना सुनाना, पररचय दे ना, भावानुकूल संवाद-वाचन।
ठटप्पणी: वातािलाप की दक्षताओं का मूलयांकन तनरं तरता के आधार पर परीक्षा के समय ही होगा। तनधािररत 10 अंकों
में से 5 श्रवण (सुनना) कौशल के मूलयांकन के भलए और 5 वाचन (बोलना) कौशल के मूलयांकन के भलए होंगे।
• परीक्षक ककसी प्रासंचगक विषय पर एक अनुच्छे द का स्पटि िाचन करे गा। अनच्
ु छे द तथ्यात्मक
या सुझािात्मक हो सकता है । अनुच्छे द लगभग 100-150 शब्दों का होना चादहए।
या
परीक्षक 1-2 ममनि का श्रव्य अंश (ऑडडयो ष्तलप) सुनिाएगा। अंश रोचक होना चादहए। कथ्य
/घिना पूणा एिं स्पटि होनी चादहए। िाचक का उच्चारण शुद्ध, स्पटि एिं विराम चचह्नों के उचचत
प्रयोग सदहत होना चादहए।
• परीक्षार्थी ध्यान पूिक
ा परीक्षा/आडडयो ष्तलप को सुनने के पश्चात परीक्षक द्िारा पूछे गए प्रश्नों
का अपनी समझ से मौखखक उत्तर दें गे।
कौिलों के मल
ू यािंकनका आधार
श्रवण (सन
ु ना) वाचन(बोलना)
1 विद्यार्थी में पररचचत संदभों में प्रयुतत शब्दों और 1 विद्यार्थीकेिल अलग-अलग शब्दों और पदों
पदों को समझने की सामान्य योग्यता है । के प्रयोग की योग्यता प्रदमशात करता है ।
2 छोिे सस
ु ंबद्धकर्थनों को पररचचत संदभों में समझने 2 पररचचत संदभों में केिल छोिे सस
ु ंबद्ध
की योग्यता है । कर्थनों का सीममत शद्
ु धता से प्रयोग करता
है ।
3 पररचचत या अपररचचत दोनों संदभों में कचर्थत 3 अपेक्षक्षत दीघा भाषण में जदिल कर्थनों के
सूचना को स्पटि समझने की योग्यता है । प्रयोग की योग्यता प्रदमशात करता है ।
4 दीघा कर्थनों की श्रख
ं ृ ला को पयााप्त शुद्धता से 4 अपररचचत ष्स्र्थततयों में विचारों को ताककाक
समझता है और तनटकषा तनकाल सकता है । ढं ग से संगदठत कर धारा प्रिाह रूप में
प्रस्तुत कर सकता है ।
5 जदिल कर्थनों के विचार-त्रबद
ं ओ
ु ं को समझने की 5 उद्देश्यऔर श्रोता के मलए उपयुतत शैली को
योग्यता प्रदमशात करता है । अपना सकता है ।
हिप्पण
• परीक्षण से पूिा परीक्षार्थी को तैयारी के मलए कुछ समय ददया जाए।
• वििरणात्मक भाषा में ितामान काल का प्रयोग अपेक्षक्षत है ।
• तनधााररत विषय परीक्षार्थी के अनभ
ु ि संसार के हों, जैसे - कोई चि
ु कुला या हास्य-प्रसंग सन
ु ाना,
हाल में पढ़ी पुस्तक या दे खे गए मसनेमा की कहानी सुनाना।
• जब परीक्षार्थी बोलना प्रारं भ करें तो परीक्षक कम से कम हस्तक्षेप करें ।
पठन कौिल
लेिन कौिल
• मलवप के मान्य रूप का ही व्यिहार करना।
• विराम-चचह् नों का उपयुतत प्रयोग करना।
• प्रभािपूणा भाषा तर्था लेखन-शैली का स्िाभाविक रूप से प्रयोग करना।
• उपयत
ु त अनच्
ु छे दों में बाँिकर मलखना।
• प्रार्थाना पत्र, तनमंत्रण पत्र, बधाई पत्र, संिेदना पत्र,ई-मेल,आदे श पत्र, एस.एम.एस आदद मलखना
और विविध प्रपत्रों को भरना।
• विविध स्रोतों से आिश्यक सामग्री एकत्र कर अभीटि विषय पर तनबंध मलखना।
• दे खी हुई घिनाओं का िणान करना और उन पर अपनी प्रततकक्रया दे ना।
• दहन्दी की एक विधा से दस
ू री विधा में रूपांतरण का कौशल।
• समारोह और गोष्टठयों की सूचना और प्रततिेदन तैयार करना।
• सार, संक्षेपीकरण एिं भािार्था मलखना।
• गद्य एिं पद्य अितरणों की व्याख्या मलखना।
• स्िानुभूत विचारों और भािनाओं को स्पटि सहज और प्रभािशाली ढं ग से अमभव्यतत करना।
• क्रमबद्धता और प्रकरण की एकता बनाए रखना।
• मलखने में मौमलकता और सज
ृ नात्मकता लाना।
रचनात्मक अशभव्यक्तत
अनच्
ु छे द लेिन
• पूणत
ा ा – संबचं धत विषय के सभी पक्षों को अनुच्छे द के सीममत आकार में संयोष्जत करना
• क्रमबद्धता – विचारों को क्रमबद्ध एिं तकासंगत विचध से प्रकि करना
• विषय-केष्न्द्रत – प्रारं भ से अंत तक अनच्
ु छे द का एक सत्र
ू में बंधा होना
• समामसकता – सीममत शब्दों में यर्थासंभि पूरी बात कहने का प्रयास, अनािश्यक बातें न करके
केिल विषय संबद्ध िणान-वििेचन
पत्र लेिन
• अनौपचाररक पत्र विचार-विमशा का जररया ष्जनमें मैत्रीपूणा भािना तनदहत, सरलता, संक्षक्षप्त और
सादगी के सार्थ लेखन शैली
• औपचाररक पत्रों द्िारा दै नंददनी जीिन की विमभन्न ष्स्र्थततयों में काया, व्यापार, संिाद, परामशा,
अनुरोध तर्था सुझाि के मलए प्रभािी एिं स्पटि संप्रेषण क्षमता का विकास
• सरल और बोलचाल की भाषाशैली, उपयुतत, सिीक शब्दों के प्रयोग, सीधे-सादे ढं ग से स्पटि और
प्रत्यक्ष बात की प्रस्तुतत
• प्रारूप की आिश्यक औपचाररकताओं के सार्थ सुस्पटि, सुलझे और क्रमबद्ध विचार आिश्यक तथ्य,
संक्षेप और सम्पण
ू त
ा ा के सार्थ प्रभािाष्न्ितत
ववज्ञापन लेिन
ववज्ञावपत वस्तु / ववषय को केंद्र में रिते ु ए
• विज्ञावपत िस्तु के विमशटि गुणों का उल्लेख
• आकषाक लेखन शैली
• प्रस्तुतत में नयापन, ितामान से जुडाि तर्था दस
ू रों से मभन्नता
• विज्ञापन में आिश्यकतानुसार नारे (स्लोगन) का उपयोग
• (विज्ञापन लेखन मे बॉतस, चचत्र अर्थिा रं ग का उपयोग अतनिाया नहीं)
सिंवाद लेिन
दो या दो से अचधक लोगों के बीच होने िाले िाताालाप/ बातचीत विषय, काल्पतनक या ककसी िाताा को
सुनकर यर्थार्था पर आधाररत संिाद लेखन की रचनात्मक शष्तत का विकास, कहानी, नािक, कफल्म और
िीिी सीररयल से लें।
• पात्रों के अनक
ु ू ल भाषा शैली
• शब्द सीमा के भीतर एक दस
ू रे से जुडे सार्थाक और उद्देश्यपूणा संिाद
• ितता के हाि-भाि का संकेत
• संिाद लेखन के अंत तक विषय/मुद्दे पर िाताा पूरी
3 अलंकार-(शब्दालंकार: अनप्र
ु ास, यमक, श्लेष) (अर्थाालंकार : उपमा, 4
रूपक, उत्प्रेक्षा, अततशयोष्तत, मानिीकरण)
3 पाठ्यपुस्तक क्षक्षततज भाग – 1 ि पूरक पाठ्यपुस्तक कृततका भाग -1
अ गद्य खंड 14
(ख) पररयोजना 10
ननधावररत पस्
ु तकें :
1. क्षक्षनतज, भाग–1, एन.सी.ई.आर.िी., नई ददल्ली द्िारा प्रकामशत निीनतम संस्करण
2. कृनतका, भाग–1, एन.सी.ई.आर.िी., नई ददल्ली द्िारा प्रकामशत निीनतम संस्करण
कक्षा नौव िं
नोि – पाठ्यक्रम के ननम्नशलखित पाठ िा हदए गए ैं -
क्षक्षनतज, काव्य खंड • कबीर – साखखयाँ ि सबद पाठ से सबद-2
भाग – 1 • सुममत्रानंदन पंत – ग्राम श्री
• केदारनार्थ अग्रिाल - चंद्रगहना से लौिती बेर
• सिेश्िर दयाल सतसेना - मेघ आए
• चंद्रकांत दे िताले – यमराज की ददशा
• श्यामाचरण दब
ू े – उपभोततािाद की संस्कृतत
गद्य खंड
• चपला दे िी – नाना साहब की पत्र
ु ी दे िी मैना को भस्म कर ददया गया
• महादे िी िमाा – मेरे बचपन के ददन
• हज़ारीप्रसाद द्वििेदी – एक कुत्ता और एक मैना
कृनतका, • फणीश्िरनार्थ रे णु – इस जल प्रलय में
भाग – 1 • शमशेर बहादरु मसंह – ककस तरह आखखरकार मैं दहंदी में आया
ह द
िं ी पाठ्यक्रम -अ (कोड सिं. 002)
कक्षा 10व िं ह द
िं ी - अ परीक्षा े तु पाठ्यक्रम ववननदे िन 2020-21
प्रश्न-पत्र में दो खंड होंगे – खंड-अ और खंड-ब |
खंड-अ में बहुविकल्पी प्रश्न पूछे जाएँगे |
खंड-अ में कुल 53 प्रश्न होंगे ष्जनमें से केिल 40 प्रश्नों के ही उत्तर दे ने होंगे |
खंड-ब में िणानात्मक प्रश्न पूछे जाएँगे | प्रश्नों में उचचत आंतररक विकल्प ददए जाएँगे |
(ख) पररयोजना 10
ननधावररत पस्
ु तकें :
1. क्षक्षनतज, भाग–2, एन.सी.ई.आर.िी., नई ददल्ली द्िारा प्रकामशत निीनतम संस्करण
2. कृनतका, भाग–2, एन.सी.ई.आर.िी., नई ददल्ली द्िारा प्रकामशत निीनतम संस्करण
नोि – पाठ्यक्रम के ननम्नशलखित पाठ िा हदए गए ैं –