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Final Manuscript - Round 1-18-07-18
Final Manuscript - Round 1-18-07-18
उडान”
समाज की संर्कीण
लिंगभेद मनोवति
ृ के चलते चिकित्सा विज्ञान
कल्पा और पज
ू ा का बहुमल्
ू य योगदान है ।
अन्य जो भी महानभ
ु ाव परोक्ष या अपरोक्ष
‘गालिब‘
दिन रात बस इन मुसीबतो में से निकलने के बारे में तरह तरह के विचार
करता रहता था। ओफिस में बैठता तो उधार वसूलने वाले आ जाते। बेंक के
कानन
ू ी करवाई करने की धमकी के फोन और नोटिस तो आते ही रहते थे।
मेरे पास उनको दे नेके लिए कोई संतोषजनक जवाब नहीं था। अिस लिए
बाहर ही ज्यादा भटकता रहता था। ऐसे समय में आदमी गम भुलाने के
लिए कोई ना कोई लत का शिकार हो ही जाता है । अंगरू की बेटी से जवानी
में याराना था उम्रके पांचवे दशक अच्छे संबंध रहे । फिर ना जाने क्या हुआ
किसने बेवफाई की इसका फैसला आज तक नही हो पाया। मैं भी
एक दिन मैं अपनी ओफिसमें बैठा सोच रहा था। तो ऐसे गमगीन आलम
में एक दर्दभरी आवाज दिल से उठी।
‘तोड दो यह चप
ु कि दम घट
ु ता है
गफ
ु तगु रहे जारी रूकावट अब और न हो’
मझ
ु े अपने आप पर ताज्जब
ु हुआ कि मेरा दिल कब से शायर हो गया।
मझ
ु े लगा कि दर्दको दबाने की अब कोई गंज
ु ाईश नहीं बची है अिसलिए
दिल ने अपने आप अब गम बयां करनेका रास्ता तलाश लिया है । कोई
हमदर्द नही मिलता तो कोई बात नही, मगर मेरे दर्दको कागज पर
उतारने से मझ
ु े कोई नही रोक सकता। मैने यह शेर आगे बढाने की
कोशिश की और नज्म आगे बढती ही गई। फिर तो दिल से बातचीत का
यह सिलसिला रूकरूक के चलता रहा। नाकामयाबियों के अंधेरे अब भी
नही खत्म हो रहे थे।
सधन्यवाद
मेरे मतानस
ु ार किसी बातको कम शब्दोमें लयात्मक एवं भावनात्मक ढं गसे
पेश करना ही कविता है । कवि ने अिसका खब
ू अच्छी तरह से निर्वाह
किया है । कविता संग्रह की सबसे बडी खब
ू ी अिसकी सरल भाषा है । मझ
ु े
आशा है कि आम आदमी भी अिसका रसपान कर सकेगा।
जीवन के रास्तो से गज
ु रते हुए जो कवि को खट्टे मीठे अनभ
ु व हुए, अुन्ही
को कवि ने कविता में पेश किया है । कहीं कहीं पीडा की अधिकता है । कि
पढते पढते मन उदास हो उठता है ।
दस
ू री कविता जो मुझे पसंद आई वो ‘ सूना कपाल‘ है । अिसमें कवि ने
बडी सूक्ष्मता से विधवा जीवन का चित्रण किया है ।
पज
ु ारीने किया बाहर दे नास्तिक का खिताब
हरमन चौहान
साहित्यकार
उदयपुर।
” अजन्मी की पीडा” लिखनेकी प्रेरणा मझ
ु े स्थानीय अखबार में प्रकाशित
एक फोटो के साथ खबर जिसमें शहर की मशहूर सूखी हुई झील में
आवारा कुत्तों एवं अन्य जानवरों द्वारा तीन क्षत विक्षत अविकसित
कन्या भ्रूण के शवों के अंग बिखरे हुए दिखाए गए थे। खबर ने मेरे
अंर्तमन कोनफरत और पीडा से भर दिया। उसकी अभिव्यक्ति अजन्मी
की पीडा में हुई। इस कविता की पहली लाइन जिस किसी शायर ने लिखी
हो अुनसे बिना अनुमति प्रयोग करनेके लिए क्षमाप्रार्थी हूं। कविताके
कथावस्तु के बारे मैं स्वंय कुछ नहीं कहूंगा आप खुद पढकर अच्छे बुरे का
फैसला लीजिए।
||1||
अजन्मी की पीडा
मां मुझे छुपाले अपने आंचल में
तझ
ु े मैंने पत्नी से मां बना दिया है
मेरा वजद
ू हिल गया सन
ु कर बातचीत
ताने सन
ु ती थी मैं दादी को दीदी को दे ते हुए
तकलीफ तझ
ु े न होगी मेरे लालन पालन में
मां कह कर पक
ु ारूंगी तोतली बोली में
काट दं ग
ू ी बचपन बिना गडि
ु या खिलोनें के
पेट भर लंग
ू ी परिवार का बचा खच
ु ा खाकर
फहरा दं ग
ू ी तिरं गा एवरे स्ट की चोटी पर
जीत लंग
ू ी सातों समंदर तैरकर
चभ
ु ते हैं तेरे हाथ जब सहलाते हैं मझ
ु े
जद
ु ा कर दे गें मझ
ु े काट काट कर कोखसे
तझ
ु े गवारा होगा तेरे जिस्मके टुकडों को
प्रदर्शन जल
ु स
ू धरना मतलबसे दे ते हैं
नया मद्द
ु ा दे तें हैं अवाम को
खम
ु ारी के उतार से पहले
रोजी रोटी खब
ू चलती है अिनकी
पत्र
ु चाहत और नसीब के मारो से
मत्ृ यद
ु ं ड क्यों मझ
ु े तू दे रही है
अगर चप
ु रही आज जमाने के लिहाज में
मैं थक गयी तझ
ु े जगाने में पैर मार मार कर
आंखे सख
ू ी होठ बंद है लरजती कोमल काया है
कमसिन इरादे
शफाखाने के पीछे की दीवार के पास
बजूद को और पख्
ु ता बनाता है
प्यास बझ
ु ा लेता है प्लास्टर पर छिडकाव से
जिंदगी पौधे की जड
ु गई है मेरे वजद
ू से
नाराजगी
तोड दो यह चुप कि दम घुटता है
रोक लो हर वो लफ्ज को
ईन्तजार
खब
ू भरते थे दम वो मझ
ु पर मरने का
गली से गज
ु रते तझ
ु से चौखट पे आया न गया
लट
ु ा दे ते हम जान अपनी तेरी अेक मस्
ु कराहट पर
तम
ु से ताउम्र रूख से पर्दा उठाया न गया
तमाम उम्र तम
ु से यह आजमाया न गया
बेवफाई का शम
ु ार है शायद तेरी फितरत में
तम
ु से अेक रोज भी बाहर आया न गया
मयकदे के साथियों से थी मझ
ु े वफा की उम्मीद
मिजाजपर्सी
ु
पुकार लेते गर तुम मुझे जाते जाते
||6||
सन
ू ा कपाल
रूठकर तम
ु चल दिए अंजाने सफर पर
क्या तम्
ु हें साथ चलना मेरे गवारा न था
यकीन था मझ
ु े तेरे किए हुअे वादो पर
हवाले की थी तझ
ु े पतवार कश्तीकी मेरी
गम
ु हो गए सब रास्ते रहबर जिनके तम
ु थे
खश
ु नम
ु ा शामें बदल गई अमावसकी रातोंमें
सलवटे बिस्तरकी गवाह हैं करवटोकी
मस्
ु कराहट याद आती है तो भल
ू ी हुई कहानीसी
और कोई मन्
ु तजिर है मेरे उजडे शबाबका
वजद
ू उलझा हुआ है मेरा बदनसीबीके जालमें
गंज
ू ती है कानोमें अबभी खनक चडि
ू योंकी
पक
ु ारते थे जो कभी रसभरी जंब
ु ासे बाईजी
मस
ु ाफिर
ओ दरू के राही तुझे बहुत दरू है जाना
भख
ू प्यास भी रोक लेगी कदम राहों में
मायस
ू कर दे गें फासले मंजिलो के
पक
ु ार कर रोक लेगा कोई अपना पीछे से
महताब भी मह
ु छुपाएगा बादलोकी ओट में
गम
ु हो चक
ु े हैं जो राहो के मोडो पर
कंु दन बन निकलेगी मस
ु ीबतो में पलकर
चम
ू लेगी कामयाबियां हर कदम पर तझ
ु े
नाकाम की ईल्तजा है खद
ु ा से बस यही
आशियाना
हमने जब भी की आरजू आशियानेकी
खब
ू चस
ू ा किराया बढाकर जलील किया किसीने बेदखल करके
मस्
ु करा के हर सितम पर बदलते रहे हम मकान कपडो की तरह।
कि दोनो तरफ तू ही तू है
वादी प्रतिवादी तू ही तू है
आशिक और माशक
ू तू ही तू है
कश्ती तफ
ू ान और समंदर तू ही तू है
नेटीजन नामा ईन्टरनेटके प्रयोगके दौरानके मेरे सोशल मिडिया और डेटिग
ं
साईटोके अनभ
ु वो और अन्य सत्य घटनाओं पर आधारित है । कहानी के
पात्रोके नाम और जगह बदल दिए गऐ हैं। जिसमें मैंने दो दे शो के वासी
कैसे शादीशद
ु ा जिंदगी के घटनाक्रम से गज
ु रते हैं। अुसका वर्णन किया है ।
उम्मीद है कि आपको पसंद आएगा।
||10||
नेटीजन नामा
घम
ू ता फिरता था रोज नेट पर आवारा
तलाक शद
ु ा भी चाहती थी बच्चों के लिए बाप
गस्
ु सा भी खब
ू आता था पढकर यारब तझ
ु पर
क्या खब
ू लिख दी कहानी बदकिस्मती की एक जैसी
कुछ वक्त गज
ु ार रहे थे सनम की तलाश में
जानकारियां बेशम
ु ार थी तस्वीर और विडियो में
वो सर की जंबि
ु श से जल्
ु फोका भटक जाना
खद
ु ा की लिखी धरती पर एक नायाब गजल थी
गज
ु र जाए गर वो चमन से कहीं
बाखब
ू ी जानती थी वो मर्द की फितरत को
दिल धडकने की धन
ु मगर जद
ु ा जद
ु ा थी
नाक नक्श और कद आम सा ही था
वो खुलती ही जा रही थी खत दर खत
वो थी एक तलाकशुदा और तन्हा
बेहद मश
ु किल थी तलाश ऐसे मर्द की
मझ
ु े मालम
ू न था कहां ले जाएगी ये उल्फत
गफ्
ु तगु जारी थी बजरिये दिलो की धडकन के
दोनो बेतहाशा चम
ू े जा रही थी मझ
ु े ।
बेखद
ु ी छा गई थी जवानी की सोहबत में
हर कोइ पछ
ू ता कौन है कहां से आए हैं
फिदा था हर कोई खब
ू सरू ती दे खकर दोनो की
बात जिन्होनें आज तक न थी की मझ
ु से ।
बल
ु ाना ना भल
ू ते मगर एक ताकीद के साथ ।
दोनो शक्र
ु मनाते थाने से बाहर आए
कुछ अरसा तो गज
ु र गया मेहमान नवाजी में
दभ
ु ाषिये की अदाकारी दिखाता रहता था मैं
दरि
ू यां मिटा डाली जोया ने अपने पन से
हिम्मत ही नही जट
ु ा पाते हम इजहार करने की
कोई भी मौका न चक
ू ता जताने का प्यार आपस में
तो सेवा आ बैठती दस
ू रे पहलू में
निवासी हो दनि
ु या के किसी भी कोनेकी
मझ
ु े बाजार में नहीं मिली पसंदीदा बोडका
उसी में खश
ु थी जो लाकर दे दी मैंने
अंडा ही भल
ू े भटके घर में आता था
मझ
ु े ईंतजार था पहल अुसकी तरफसे हो
था मझ
ु े यकीन करे गी वो बात कुछ
तय किया मैंने खल
ु ासा बात न हुई जब
बेहद खश
ु थी जोया सेवा को दे खकर
जो मझ
ु े मालूम थी विदे शी तहजीब के बारे में
रूहें निखर आई थी गस
ु ल अश्को से करके
महे च्छा
तम
ु ऋचा हो किसी वेदकी
स्तति
ु हो किसी दे वकी
लिखी तम
ु ने ही प्रथम कविता
तम
ु आलोचना के क्षितिज के पार
अलंकृत किया तम
ु ने मेरी सहगामिनी बनकर
खिल उठे सम
ु न अनंत मन उपवन में
भावविभोर कर गया मद
ृ ु स्पर्श तम्
ु हारा
शुभकामना
हो जाए बरसात कभी खारोंकी तझ
ु पर
गम
ु हो जांऐ राहें जिंदगीकी मायस
ू ीके अंधेरोमें
चलना मश्कि
ु ल हो तपती जिंदगीकी राहोंपर
दआ
ु ही बची है हयाते राह में लट
ु ते पिटते
तन्हाईयां
आने लगी है माफिक मझ
ु े अब तन्हाईयां
जस्
ु तजक
ू े जग
ु नु दमकते हैं स्याह रातोमें
घबराना जी का मजमेमें जद
ु ा रहना अपनोसे
नागवार गज
ु रती है अब नसीहत अजीजोकी
सरे राह गज
ु रते हुए हर शख्ससे
रोककर कहीं न पछ
ू ले हाल मेरे
दे खकर मस्
ु कराते चेहरोंको
खो जाता है कहीं सन
ु ते सन
ु ते बात किसीकी
मस्
ु करा दे ता है बेसाख्ता सोचते हुए तन्हाइमें
दर्दे जद
ु ाई है कि मिटाए जा रहा है मझ
ु े
वादे
याद होगी साथ जीने मरनेकी कसमें
आपकी बेरूखाईसे
नसीब हुई मझ
ु े जो महोब्बतमें
अश्क सख
ू चक
ु े हैं बेमियाद ईंतजार में
चमक आ जाती है सन
ू ी आंखोंमें
अुसका बुलावा
वो तन्हा बुला रहा है मुझे
बुला रहा है वो मझ
ु े तोडके सब नाते जमानेसे
हिम्मत दे ता है वो मझ
ु े तफ
ू ानसे निकल आनेकी
अपने परायोंकी
जद
ु ाई
करो न कैद लफ्जो को लबो की जेल में
भीगा गुनगन
ु ा रस महोब्बत का बहने दे ा जरा।
आ महसस
ू कर लें गर्माहट महोब्बत के रिश्तो की जरा।
जो रूठे हैं बल
ु ा लो अुनको दिले दरया के पास
गम
ु ां को रख दो कुछ दे र अलग खद
ु से जरा।
लट
ु ा दो सारी दौलतें महोब्बत की फिराकदिली से
सल
ु ा चक
ु ा हूं सपने मैं तरक्की के बेबसी में ।।
||17||
यादों का अहसास
दफन कर चुका था
आज तस्वीर ने तेरी
खत्म हो चक
ु े रिश्तों की किताब में ।
गन
ु गन
ु ा रहा हूं भल
ू ा हुआ गीत
यह तो मरु ीद है आपका
धडकता भी है तो रूकरूक कर
ले ले कर आप का नाम।
न कर उं ची निगाहें
मेरी कीमत
लगते थे दाम पहले
आज चस्पा है मझ
ु पर
उं ची कीमत का लेबल।
को जगमगा दी है ।
रब की रहमत आज बरसी है
जाम दे ने की मिन्नत पर
आज हर कोइ फिक्रमंद है
ताने मारने से न चक
ू ते थे जो अपने
लियाकतें बेबस थी
सेहतमंद हो चक
ु ा है नसीब भी
न शिकायत बेगानो से है
कल्पाथेय
जन कहते रहता खडा सदा पुत्र
लंबा कद मद
ृ भ
ु ाषी धैर्यवान कर्मठ बाला
तम
ु त्रिपंड
ु तात के भाल का
मर्त
ू रूप अरमानों का
अभिभावक का तम
ु हो
भ्रमण कर कई दे शों का
स्थान प्रमख
ु सहकर्मियों में बनाया है
बन वैजयन्ती तम
ु हरि के कंठ में हर्षायी हो
सकल कामना है सख
ु द वैवाहिक जीवन की
पज
ू ाजंली
तम
ु सध
ु ा बरसाती रजनीश सी
पल्लवित परिवार की तम
ु नवबहार हो
दे वी प्रदत्त अनक
ु म्पा का दस
ू रा वर हो
मदि
ु त किया सबको तम
ु ने अपनी
पदचिन्हों का अनस
ु रण कभी किया नही
अग्रसर हुई तम
ु सदै व स्वंय निर्मित पथ पर
चन
ु ते सभी सवि
ु धाजनक पथ जीवन में
तम
ु खडी धप
ू में दे खती हो
उतरते हुए सपनों को धरती पर
तम
ु हारी नहीं कभी असफलता से
तमगे जीते तम
ु ने विभिन्न क्षेत्रों में
गगनचुंबी इमारतों पर
||21||
बचे खच
ु े पर लोगो के कबजे नाजायज हो गए
अदावत
कलम हाथमें है और दिलने बगावत की है
अदावत दोनोंने मझ
ु से खब
ु अच्छी निभायी है
मक्
ु कमल नहीं हुई अभी मेरी शायरी
अभी दर्ज होना बाकी है कई शहादतें महोब्बत की
भल
ू ा हआ नाम
हिकमत खब
ू अपनायी है
मैं ताबत
ू में हूं बंद और पीछे लश्कर है ।
दो ही पल मांगे थे मैंने
चप
ु करा दिया तम
ु ने बेवक्त की बात कहकर।
जंब
ु ा पे आज यह भल
ू ा हुआ नाम, क्या हुआ
भल
ु ा चक
ु ा हूं जिसे मैं जमानेकी गर्दिशों में
जद
ु ा करके हमदम जमाने ने
सितम खब
ू किया मझ
ु पर
बीच रह कर अजीजो के भी
तकसीम रिश्तो को
तलाशे राह
इश्क में जां दे नेका मझ
ु े कोई गम नहीं
वो गैर से पछ
ू ते हैं मेरे जान दे नेका सबब
आए भी अब तम
ु मेरे वक्ते सप
ु र्दे
ु खाक पर
पक
ु ार कर दे ख लेते शायद कुछ सांस बाकी हो।
हुजम
ु े गम खडे हैं मझ
ु े सीख दे ने को
जला चक
ु ा हूं आखिरी शमा तलाशे राहे मंजिल की
मत छे ड वो धन
ु जो मझ
ु े दौरे मांझी में ले जाये
--***--
न रहता होश मझ
ु े शाम ओ शहर का
--***--
||24||
हमदम
वो रूसवा हैं मैं हूं अब बेखौफ अुनके मिजाज से
हाले दिल पछ
ू लेते तो तबियत बहल जाती
तफ
ू ान बेताब हैं शिकस्ता कश्ती डुबोने को
गर होते माझी तम
ु कश्ती साहिल पे लग जाती
--***--
||25||
गर्दिश
आफतो का सैलाब आया हुआ है अिस जिंदगी में
गज
ु रे हैं वो शायद अभी अभी मयकदे की राह से
यारब मझ
ु े बरबाद करने का
कर रहा है यह काम
तफ
ू ानी नहीं था समंदर मल्लाह भी था काबिल
वो रूबरू थे हम मख
ु ातिब थे अुनकी तस्वीर से।
तसव्वुर
बहारों के रूखसार पर भी अब उदासी उतर आयी है
अश्क सख
ू चक
ु े हैं राह तम्
ु हारी तकते तकते
--***--
कोशिश तो की थी मस्
ु करा के चंद गल
ु जट
ु ानेकी
मझ
ु े गम
ु ां न था कि वक्त के हाथ हालात की शमसीर होगी।
--***--
पंख तो तन
ू े दिए यारब सितम किया आसमान नीचा करके।
--***--
नजर आती है मझ
ु े सरू त आपकी हर सरू तमें
--***--
बदलते मौसम
खिजां और बहार सब मौसम बदलते हैं
गज
ु रते हैं हर राह पर कांरवा बहारो के
गल
ु जार होना चाहते हैं शाख पे सख
ू े हुए गल
ु
कोई ला दे मेरे गल
ु शन में रूठी हुई बहारको।
मैयत नाकाम की सप
ु र्दे
ु खाक नहीं तबीब को दे ना
कभी सन
ु वाई भी होगी मेरी बेवफाई की फरियाद
गन
ु गन
ु ाते हुए थकता रख लेता फिर सहे जकर।
आप जलवा अफरोज हुए
न कीजिए उम्मीद मझ
ु से अरदासकी
बत
ु परस्ती से तौबा करली है ।
--***--
महारत
दर्द दे नेमें तझ
ु े यकीनन
रिसता नही है खन
ू े जिगर
आपकी बेरूखाईसे
वो भी नाकाम हुई
अिस शब के गज
ु रने के बाद।
तसल्ली कब तक दें झठ
ू ी अिस दिल को
शमा है उदास शब का दम घट
ु ता है
उम्मीद हो चक
ु ी है बेबस
अश्क सख
ू चक
ु े हैं बेमियाद इंतजार में ।
बस एक नजर भर दे ख लंू
बहाना
मयकशी से तौबा कब के कर चुके थे हम
मुलाकात
कामयाबी मेरी किस्मत में
ु ाकात उनसे
होती है मल
--***--
जहांमें दस
ू रा फिर न होगा कोई मेरे यार जैसा।
--***--
कुछ खद
ु ाकी दे न होती है सबको
खद
ु ाने औरतको मर्दसे बेहतर बनाया है
नाजनीन की आरजू
दिल मेरा अितना फर्माबरदार नही है कि
--***--
--***--
--***--
दिल धडकना अब भी भल
ू जाता है
सन
ु कर आप जैसी आवाज किसीकी।
--***--
--***--
--***--
जांनिसारसे भला
--***--
लता मण्डप
बेवफा हुआ आंचल बचपन के आगाज पर
झक
ु ा हुआ था आसमान आस का जिसके मस्तक पर
गल
ु होते जा रहे थे चिराग तमाम उम्मीदोके
हमदर्दी काफूर हो चक
ु ी थी जमाने की निगाहों से
लरज रही थी हर शह मफ
ु लिसी के तफ
ू ान में
बन वक्ष
ृ तमु लताने अुस वक्त हमें छाया दी
मश्कि
ु लें आसान होंगी करे गें दआ
ु गर मिलकर
बन शमादान तम
ु ने परिवार की रहनम
ु ाई की है
लक
ु ाछिपी
श्याम साथ मेरे क्यों लुकाछिपी खेलता है
तझ
ु े खेाजा मैंने माधव अनेक दे वालयो में
खबर दनि
ु यामें तेरी कहीं से भी मिलती नहीं
तंग आ चक
ु ा होगा नटवर भेस बदल बदल कर
मेरे दर्गु
ु णो से समर तू कब करे गा
तुलसीदल पंचामत
ृ की ठाकुरजी है तुझे आदत
मझ
ु े तू कब इस मोह माया से मक्
ु त करे गा
मझ
ु े तो किसी भोगमें तू नजर आता नहीं
महोब्बत के मकाम
न घटाऐं तंगहाली की छं टती हैं
समंदर गमों के सख
ू जांऐ
तडपती मफ
ु लिस रूह को चैन आए।
दिखा रास्ता खद
ु ा उनको मनानेकी
कर खद
ु ा कुछ और नेक काम
कोई काबे या बत
ु खाने पे सिजदा करता है
इजहार
मयकदाभी कुछ सन
ू ा था किस्मतसे
नाराजगी से दे खा मझ
ु े आंखे तरे रकर
बेखद
ु कर गए वो मस्
ु करा के नजदीक आकर
होशमें लाए वो लहरा कर अपना खश
ु बद
ू ार दामन
चम
ू लिया किसीने साकीकी दिलकश अदा पर
खामोशी
चाल खामोशी की दरम्यान मल
ु ाकात के चल गई
खता
यारब ऐसी क्या खता मझ
ु से हो गई है
तकिया
बदर किया शेखने मस्जिदसे मझ
ु काफिरको
पज
ु ारीने किया बाहर दे नास्तिक का खिताब
गजल का असर
उतरती है जब कागज पर एक गमगीन परु असर गजल
लिखता हूं फिर पढता हूं रोता हूं दीवाना हो गया हूं
भावनात्मक जद
ु ाईके डरसे रोता हूं
||40||
सामान
सजाता रहता है सामान एैय
् ाशीके
खब
ू बदनाम करता है
||41||
तस्वीर
याद सीने में दफन
--***--
इद्राज कबके कर चक
ु े हैं आप
इकरारे वफा दस
ू रे की किताब में ।
--***--
--***--
लौटा दं ग
ू ा बगैरत खश
ु ी को दर से अपने
ताउम्र तझ
ु े शर्म आई नजदीक मेरे आने से
न तरस आया तझ
ु े तडप पर मेरी कभी
तू और भी खिलखिलायी मस्
ु करानेकी कोशिश पर।
--***--
गली से अुनकी गज
ु रते हुए
कब्र में मझ
ु े लिटाने की।
--***--
||42||
शराब
कुरबान हुऐ मझ
ु पर अर्दली और अफसर
डूब गए मझ
ु में कितने शायर हुनरमंद गमजदा होकर
पेश आए जो मझ
ु से बेअदबीसे महफिलमें
गाफिल हो वो भल
ू गए होशके मक
ु ाम
तजवीज
तलाश थी जब हमें ऐक गमे गुसार की
खुशगवार लम्हो को
गर्दिश और जिल्लत को
जब गर्दिशसे निकलनेकी
शरीके जिंदगी
भल
ू ने की तझ
ु े कोई
तजवीज करते तो
लगता है कि गन
ु ाह
न मालम
ू हुआ मझ
ु े
गज
ु रते हैं कैसे दिन
जद
ु ा होने के बाद
अश्क दर अश्क
तझ
ु े भल
ु ाना खद
ु को
ठगना ही तो था
ठग के दिल को अपने
दिल में तझ
ु से कहने को
आप से मुलाकात में
रिश्ता दिल से जड
ु ता
महसस
ू करता रहा हूं मैं।
खबरदार दिल को
कशिश अब भी है
लगे बुतपरस्ती का
मुझे मालूम है कि
लाईलाज हो चक
ु ा है बेवफाई का मर्ज
इलाज की अरदास
खो गए शायर कई
फरयाद
ना दोस्त ना हमख्याल अब खैर पूछता है
आंसू जो चम
ू लेगें मेरे जमीं को
टूटी जो गर आज आस मेरी
--***--
||45||
इजहार ए महोब्बत
वो रूबरू हैं और आज मझ
ु में हिम्मते मर्दा भी है
इजहारे महोब्बत कर ही दं ग
ू ा यकीनन
मददे खद
ु ा जो आज पासवान मेरे हैं
जंब
ु ा और जिस्मकी नाफरमानीने
जंब
ु ा कमबख्तने फिर भी
एक धन
ु में बज रही थी
सांसें उनकी कम और
मेरी तेज चल रही थी
जब
ु ां को कहां होश था
और बदनको बेबस
किए जा रही थी
अब तम्
ु हे शरीके हयात बनना है ।
||46||
रिवाज
रोकतें हैं कदम दनि
ु या के रिवाज
गज
ु रते हुए आशिक की मैयत को।
दर से अुनके निकल कर
न जाने खश
ु नम
ु ा जवानी कहां सरक गई
दस्तक दी मनहूस बढ
ु ापेने सरके बालोमें
छोडो सब दनि
ु यादारी भगवान में मन लगाओ
मयकदे से भी अब एक उब सी हो चली है
में अब फालतओ
ु की लिस्ट में जो आ गया हूं
मझ
ु े रोटी भी नही हजम होती खरीदी पेन्शनके पैसोकी
मंह
ु बिचकाती करती है तीमारदारी मेरी बीवी
दस
ू रे पतियों को दे खकर कोसती है खब
ू नसीबकेा
गला मेरे सन
ु हरी केरियरका घेाटकर
मां गई तो जद
ु ाईके आंसू बहाए थे
दनि
ु याके साहित्य का अध्ययन करो
इनमें दनि
ु याकी सारी कहानियोंके प्लोट हैं
उं चे ओहदे पर रह करभी,
अब हाल यह है कि दोबारा
क्लास से चक
ू े हैं एम ए हिन्दीमें
सर धन
ु ते हैं पछतावा कर रहे है
बात बातमें मझ
ु े हर काममें टोकती है
सूचना दे ती है मझ
ु े काम करने के बाद
वो बडबडाती आती है
मेरा तो तखल्लस
ु ही नाकाम है
बात जब नहीं सन
ु ाई दे ती एक बारमें
दनि
ु याके जलवे अब साफ नजर नही आते हैं
आज अस्पतालके बिस्तर पर
वो जाती है सिद्धीविनायक हर बध
ु वारको
मंह
ु खल
ु ा और हाथमें कौर रह गया
सन
ु कर लकवा मार गया मझ
ु े कुछ दे रका
आत्ररीला
तुम अबोधसे वर्षाके प्रथम बादलसे
कब कौन कहां जड
ु जाए जीवनपथ पर
तम
ु प्रश्न उठाते नित नए अपने भेालेपनसे
गाते तम
ु सदा गीत रच अपनी प्रतिभासे
मस्
ु कराते हो गर तम
ु यदि खल
ु कर
जड चेतन भी सब साथ जड
ु जाते
तम
ु बहते प्रपातके निश्चल जल हो
तम
ु उन्नत सागरमाथा चोटीसे
दख
ु ोका ताप जीवन में न कभी प्रखर हो
परिचय
पैदा हुआ मैं गल
ु ाम भारत के लाहोर शहर में
पढी हिन्दी गज
ु राती उर्दू कई राज्यो में अधरू ी
शिक्षा का समापन गज
ु राती में हुआ।
कदम सन
ु ीताके ठहरे गें अनेक सितारों पर
दिलसे गज
ु रे ख्याल भी अब आहिस्तासे