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drishtiias.com/hindi/current-affairs-news-analysis-editorials/news-editorials/21-04-2021/print
ऐ तहा सक प से 1950 के दशक म त वष औसतन 7.1 अ ादे श जारी कये गए थे। हालाँ क
1990 के दशक म यह सं ा बढ़कर औसतन 19.6 त वष हो गई। पछले कु छ वष म अ ादे श
क सं ा म उ वृ दे ख ी गई है (वष 2019 एवं 2020 म मशः 16 एवं 15)।
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अ ादे श पर सव ायालय का नणय:
आरसी कू पर के स, 1970: आरसी कू पर बनाम यू नयन ऑफ इं डया (वष 1970) म सव
ायालय ने कहा क रा प त के अ ादे श जारी करने के फै सले को इस आधार पर
चुन ौती दी जा सकती है क 'त ाल कारवाई' क आव कता नह थी एवं अ ादे श
मु प से सदन म बहस एवं चचा को बायपास करने के लये जारी कया गया था।
डीसी वाधवा के स, 1987: अ ादे श के लगातार योग के मु े को फर से एक या चका
के मा म से सव ायालय म लाया गया। यह या चका बहार म वष 1967 एवं वष
1981 के बीच 256 अ ादे श क घोषणा से संब ं धत थी। इसम 11 ऐसे अ ादे श शा मल थे
ज 10 से अ धक वष तक योग म लाया जाता रहा, इस कारण उस समय बहार
'अ ादे श राज' के प म स था।
सव ायालय ने कहा क कायपा लका ारा अ ादे श जारी करने क श
का योग असाधारण प र तय म कया जाना चा हये न क वधा यका क
व ध बनाने क श के वक के प म।
कृ कु मार सह के स, 2017: कृ कु मार सह बनाम बहार रा म सव ायालय
ने कहा क अ ादे श को जारी करने का अ धकार कृ त म पूण नह है , यह सशत है । य द
मौजूद ा प र तय म त ाल कारवाई करना आव क है तभी इसका योग कया
जाना चा हये। अ ादे श का लगातार योग सं वधान पर आ ा के त धोखा है एवं
लोकतां क याओ ं का अनु चत योग है ।
अ ादे श से संब ं धत मु े
वधायी श का उपयोग: व धय का नमाण वधा यका का काय है । कायपा लका को
यह श वशेष प र तय म त ाल आव कताओ ं के लये दान कया जाता है एवं
इस कार बनाए गए कानून क समा त: तय होती है । कोई भी अ ादे श दोन
सदन क कायवाही शु होने के प ात् छह स ाह क समयसीमा तक ही लागू रहता है
(य द सदन से समथन ा न हो तो) क तु अ ादे श को पुन ः आगे बढ़ाना इस समय
सीमा को नज़रअंद ाज करता है ।
श य के पृथ रण के स ांत का उ ं घन: वष 1973 के के शवानंद भारती बनाम
के रल रा म सव ायालय ने सं वधान क "आधारभूत संरचना" के प म श य
के पृथ रण के स ांत को सूच ीब कया।
अ ादे श को संस द के स म नह होने पर ता ा लक कारवाई के लये बनाया
गया है , यह वधा यका का वक नह है । हालाँ क अनु े द 123 अ ादे श क
कोई सं ा क सीमा तय नह करता है ।
इस तरह, अ ादे श का पुन सयोजन श य के पृथ रण के स ांत का
उ ं घन करता है , क यह कायपा लका को वधा यका से वचार- वमश या
अनुमोदन के बना ायी प से व ध बनाने क अनुम त दे त ा है ।
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सव ायालय के नणय को नजरअंद ाज करना: अ ादे श के बारंब ार उपयोग पर
स फै सले के बाद भी क और रा सरकार दोन ने कई बार सव ायालय क
ट णय क अनदे ख ी क है ।
उदाहरण के लये वष 2013 और वष 2014 म तभू त कानून (संशोधन) अ ादे श
को तीन बार ा पत कया गया था। इसी कार भू म अ ध हण अ ध नयम म
संशोधन करने का अ ादे श दसंब र 2014 म जारी कया गया था एवं दो बार- अ ैल
और मई 2015 म पुन : ा पत कया गया।
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