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अ ादे श का पुनः वतन

drishtiias.com/hindi/current-affairs-news-analysis-editorials/news-editorials/21-04-2021/print

यह ए डटो रयल दनांक 20/04/2021 को द हदू म का शत ले ख "The ordinance route is bad,


repromulgation worse” पर आधा रत है । इसम व धय के नमाण हे त ु अ ादे श को पुन ः जारी
करने से जुड़े मु पर चचा क गई है ।

हाल ही म क ीय सरकार ने ‘रा ीय राजधानी और संब े म वायु गुण व ा बंध न आयोग


अ ादे श, 2020’ को पुन ः ा पत/ जारी (Repromulgation) कया। ात है क इस
अ ादे श म रा ीय राजधानी े म वायु गुण व ा बंध न हे त ु एक आयोग क ापना का
ावधान है । इस कार संस द म पेश कये बना कानून बनाने के लये बार-बार अ ादे श जारी
करना कई खड़े करता है ।

ऐ तहा सक प से 1950 के दशक म त वष औसतन 7.1 अ ादे श जारी कये गए थे। हालाँ क
1990 के दशक म यह सं ा बढ़कर औसतन 19.6 त वष हो गई। पछले कु छ वष म अ ादे श
क सं ा म उ वृ दे ख ी गई है (वष 2019 एवं 2020 म मशः 16 एवं 15)।

अ ादे श क क ना मूल प से आपातकालीन ावधान के प म क गई थी। क तु हाल के


वष म अ ादे श के लगातार उपयोग से वधा यका क ासं गकता एवं श के पृथ रण के
स ांत पर च खड़ा होता है ।

अ ादे श से जुड़े संव ैधा नक ावधान:


सं वधान के अनु े द 123 के अनुस ार, कायपा लका को यह अ धकार ा है क कु छ
वशेष प र तय म अ ादे श जारी कर सकती है । अ ादे श तभी जारी कया जा सकता
है जब संस द (या रा वधा यका) के दोन सदन म से कोई एक सदन स म नह हो एवं
रा प त इस बात से संत ु हो क त ाल कारवाई करना आव क है ।
हाला क संस द क कायवाही पुन : शु होने पर दोन सदन ारा छह स ाह क समय-
सीमा म संब ं धत अ ादे श को पा रत करना आव क होता है । य द दोन ही सदन इसे
खा रज करने के प म मतदान करते ह अथवा रा प त ारा इसे वापस ले लया जाता है
तो अ ादे श समा हो जाता है ।
य द संस द कायवाही शु होने के बाद छह स ाह क समय-सीमा म ा पत कये गए
अ ादे श को पा रत नह करती है तो अ ादे श त: समा हो जाएगा।
अनु े द 213 के तहत रा सरकार के लये भी इसी तरह के ावधान मौजूद ह।


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अ ादे श पर सव ायालय का नणय:
आरसी कू पर के स, 1970: आरसी कू पर बनाम यू नयन ऑफ इं डया (वष 1970) म सव
ायालय ने कहा क रा प त के अ ादे श जारी करने के फै सले को इस आधार पर
चुन ौती दी जा सकती है क 'त ाल कारवाई' क आव कता नह थी एवं अ ादे श
मु प से सदन म बहस एवं चचा को बायपास करने के लये जारी कया गया था।
डीसी वाधवा के स, 1987: अ ादे श के लगातार योग के मु े को फर से एक या चका
के मा म से सव ायालय म लाया गया। यह या चका बहार म वष 1967 एवं वष
1981 के बीच 256 अ ादे श क घोषणा से संब ं धत थी। इसम 11 ऐसे अ ादे श शा मल थे
ज 10 से अ धक वष तक योग म लाया जाता रहा, इस कारण उस समय बहार
'अ ादे श राज' के प म स था।
सव ायालय ने कहा क कायपा लका ारा अ ादे श जारी करने क श
का योग असाधारण प र तय म कया जाना चा हये न क वधा यका क
व ध बनाने क श के वक के प म।
कृ कु मार सह के स, 2017: कृ कु मार सह बनाम बहार रा म सव ायालय
ने कहा क अ ादे श को जारी करने का अ धकार कृ त म पूण नह है , यह सशत है । य द
मौजूद ा प र तय म त ाल कारवाई करना आव क है तभी इसका योग कया
जाना चा हये। अ ादे श का लगातार योग सं वधान पर आ ा के त धोखा है एवं
लोकतां क याओ ं का अनु चत योग है ।

अ ादे श से संब ं धत मु े
वधायी श का उपयोग: व धय का नमाण वधा यका का काय है । कायपा लका को
यह श वशेष प र तय म त ाल आव कताओ ं के लये दान कया जाता है एवं
इस कार बनाए गए कानून क समा त: तय होती है । कोई भी अ ादे श दोन
सदन क कायवाही शु होने के प ात् छह स ाह क समयसीमा तक ही लागू रहता है
(य द सदन से समथन ा न हो तो) क तु अ ादे श को पुन ः आगे बढ़ाना इस समय
सीमा को नज़रअंद ाज करता है ।
श य के पृथ रण के स ांत का उ ं घन: वष 1973 के के शवानंद भारती बनाम
के रल रा म सव ायालय ने सं वधान क "आधारभूत संरचना" के प म श य
के पृथ रण के स ांत को सूच ीब कया।
अ ादे श को संस द के स म नह होने पर ता ा लक कारवाई के लये बनाया
गया है , यह वधा यका का वक नह है । हालाँ क अनु े द 123 अ ादे श क
कोई सं ा क सीमा तय नह करता है ।
इस तरह, अ ादे श का पुन सयोजन श य के पृथ रण के स ांत का
उ ं घन करता है , क यह कायपा लका को वधा यका से वचार- वमश या
अनुमोदन के बना ायी प से व ध बनाने क अनुम त दे त ा है ।

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सव ायालय के नणय को नजरअंद ाज करना: अ ादे श के बारंब ार उपयोग पर
स फै सले के बाद भी क और रा सरकार दोन ने कई बार सव ायालय क
ट णय क अनदे ख ी क है ।
उदाहरण के लये वष 2013 और वष 2014 म तभू त कानून (संशोधन) अ ादे श
को तीन बार ा पत कया गया था। इसी कार भू म अ ध हण अ ध नयम म
संशोधन करने का अ ादे श दसंब र 2014 म जारी कया गया था एवं दो बार- अ ैल
और मई 2015 म पुन : ा पत कया गया।

न ष

भारतीय सं वधान ने वधा यका, कायपा लका और ायपा लका के बीच श य के


पृथ रण का ावधान कया है , जसम कानून बनाना वधा यका का काय है । कायकारी
को आ -संय म दखाना चा हये और अ ादे श बनाने का उपयोग के वल अ ा शत या ज़ री
मामल म करना चा हये।

अ ास : य प अ ादे श क प रक ना अ ायी कृ त के प म क गई थी, ले कन


इनका पुन ः वतन इस सीमा को समा कर दे त ा है और उ ायी बना दे त ा है । चचा क जये।

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