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मरराठठ दत्तबरावनठ

जय ययोगठश्वर दत्त दयराळ II एक जगतठ परततपराळ II


तच
अतरनसयय करूतन तनतमत्त II परगटतस जगतरास्तव तनतश्चत ॥
बरम्हराS च्यत शकरशं अवतरार ॥ शरणराशंगतरातस तत आधरार ॥
अशंतयरार्यामठ बरम्ह स्वरूप ॥ बराह गरू नररूप सरूप ॥
करातखशं अन्नपणरार्या झयोळठ ।। शराशंतत कमशंडलन करकमळठ ॥
कन ठय षड्भजरा कयोठठ चरार ॥ अनतशं बराहत तत तनधरार्यार ॥
आलयो चरणठ बराळ अजराण ॥ तदगबररा ,उठ जराई परराण ॥
ऐकन तन अजर्यान- भक्तठ- सराद ॥ परसन्न झरालरा तत सराकरात ॥
तदधलठ ऋतद तसदठ अपरार ॥ अशंतठ मयोक महरापद सरार ॥
कय लरा करा तत आज ॥ तवण मजलरा नरा आलब ॥
तवलब तज
तवष्णशमर्या तद्विज तरारूतनयरा ॥ शररातदशं जतवलराय परप यममयरा ॥
जशंभय दयवरा तररासतवलय ॥ कक परामतय त्वरा हराशंसतवलय ॥
पसरठ मरायरा मतर्या ॥ इशदं ररा करवठ वतधलरा र्या ॥
तदततसत तत
ऐसठ लठलरा जठ जठ शवर्या ॥ कय लठ ,वणर्णील ककै सठ
सवर्या॥ घयई आयन सतरारर्णी नराम ॥ कय लरा त्यरातय
तत तनष्कराम ॥ बयोतधयलय यदन परशरराम ॥ सराध्य
दयव परलराद अकराम ॥
ऐसठ हठ तव कक परा अगराध ॥ कराशं न ऐकशठ मराझठ सराद ? ॥
धराशंव अनशंतरा पराहठ न अशंत ॥ न करठ मध्ययच तशशचरा अशंत ॥
पराहनतन तद्विज पत्नठकक त स्नयह ॥ झरालरा सत तत तन:सदयह ॥
स् रामठ कतलतरार कक पराळ ॥ रजकरा तरारठ दयराळ ॥
मतर्य जडमढ
ाग
पयोटशळठ तद्विज तरातरयलरा ॥ बरराम्हण शरप यष्ठठ उदतरलरा ॥
सहराय करा नरा दय अजररा ? ॥ परसन्न नयनय दयख
जररा ॥ वकक शषन् क तत पल्लतवलरा ॥ उदरास
मजतवषयठ झरालरा ॥
वशंध्यरा स्तरठचठ सत स्वप्नय ॥ फळलठ झरालठ गहक रत्नय ॥
तनरस ठ य कयोड ॥ परवठ त्यराच्यरा मतनशंचय कयोड ॥
न तवपरतन

दयोहतवलठ वशंध्यरा मतहषठ ॥ बरराम्हण दरातरद्र्यरा हतरसठ ॥
घयवडरा भकनतन परसन्न कयम ॥ तदधलरा सवन णर्या घट सपरप
यम ॥
बरराम्हण स्तरठचरा मत भरतरार ॥ कय लरा सजठव , तत आधरार ॥
तपशराच्च तपडरा कय ॥ उठतवलरा शर ॥
लठ दर तवपरपतर
अशंत्यज हस्तय तवपरमदरास ॥ हरूनठ रतकलय ततरप तवकप रमरास ॥
तशंतक भक्तरा कणराशंत एक ॥ दशनर्या तदधलय शलठकै नयक ॥
एकच वयळठ अष्टस्वरूप ॥ झरालरा अससठ , पन्हरा अरूप ॥
तयोषतवलय तनज भक्त सजरात ॥ दराखवतन परतचतठ सराकरात ॥
हरलरा यवन नपक राचरा कयोड ॥ समतरा ममतरा तजलरा गयोड ॥
रराम-कन्हकैयरा रूपधररा ॥ कय ल्यरा लठलरा तदगबररा ॥
तशलरा तरातरल्यरा , गतणकरा , व्यराध ॥ पशपन कठ तज दयतठ सराद ॥
अधमरा तरारक तव शभ नराम ॥ गरातरा तकतठ न हयोतठ कराम ॥
आतध -व्यरातध -उपरातध -गवर्या ॥ टळतठ भरावय भजतरा सवर्या ॥
मठ मशंतर नच लरागय जराण ॥ परावय नर स्मरणय तनवरार्याण ॥
डरातकण ,शरातकण , ॥ ठ ,तपशराच्चय ,तझशंद असर ॥
मतहषरासर भत
पळतठ मषन् टठ आवळननठ ॥ धन -पररारर्यानरा -पतरसयोनठ ॥
करूतन धप गराइल नयमय ॥ दत्तबरावनठ जयो परप यमय ॥
सराधय त्यरालरा इह परलयोक ॥ मनठ तयराच्यरा उरय न
शयोक ॥ ररातहल तसदठ दरासठपरठ ॥ दकैन्य आपदरा पळत
दरठ ॥
नयमय बरावन गरूवरारठ ॥ परप ठमय बरावन पराठ करठ ॥
यररावकराशय स्मरठ सधठ ॥ यम न दडयशं त्यरास कधठ ॥
अनयक रूपठ हराच अभशंग ॥ भजतरा नडय न मरायरारशंग ॥
सहस नरामय वयष अनयक ॥ दत्त र अशंतठ एक ॥
र तदगब
वशंदन तजलरा वरारशंवरार ॥ वदय श्वरास हठ तव तनधरार्यार ॥
रकलरा वणर्यान करतराशं शयष ॥ कयोण रशकं मठ बहनकक त वयष ॥
अनभवतपक ् तठचय उदग् रार ॥ ऐकन नठ हशंसतरा खराइल मरार ॥
तपतस तत्वमसठ हरा दयव ॥ बयोलरा जयजय शरठ गरूदयव ॥
।। शरठ गरूदयव दत्त ॥

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