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पंचतंत्र की प्रेरक कहानियां - हिंदी पटल - हिन्दी की उत्कृष्ट रचनाएँ
पंचतंत्र की प्रेरक कहानियां - हिंदी पटल - हिन्दी की उत्कृष्ट रचनाएँ
च तंक े
र क कहा नयां
| हं
द पटल - ह द क उ कृट रचनाएँ
हि◌ं
द पटल – ह द क उ कृट रचनाएँ
प◌ं
चतंक े
रक कहा नयां
प◌ं
चतंक कहा नय क रचना का इ तहास भी बडा ह रोचक ह। लगभग
http://hindipatal.wordpress.com/%E0%A4%B2%E0%A5%8B%E0%A4%95-%E0%A4%95%E0%A4%A5%E0%A4%BE%E0%A4%8F%E0%A4%81/%E0%A4%… 1/67
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च तंक े
र क कहा नयां
| हं
द पटल - ह द क उ कृट रचनाएँ
र◌ाजा अमरशि त ने पं
डत व णु शमा से अनुर ोध कया और पा रतो षक के
प म उ ह सौ गां
व दे
नेका वचन दया। पं डत व णु शमा ने पा रतो षक को
तो अ वीकार कर दया, परंतुराजकुमार को श त करने केकाय को एक
चनुौती के प म वीकार कया। इस वीकॄत केसाथ ह उ ह ने घोषणा क
क म यह असं भव काय मा छः म हन म पू णक ं गा, य द म ऐसा न कर
सका तो महाराज मुझेमॄयुदं
ड देसकते ह।पंडत व णु शमा क यह भी म
ती ा सुनकर महाराज अमरशि त नि चं त होकर अपने शासन-काय म
य त हो गए और पं डत व नु शमा तीन राजकु मार को अपने आ म म ले
आए।
प◌ं
चतंक े
र क कहा नयां
अ लमं
द हं
स
आपस क फू
ट
एक और एक यारह
एकता का बल
क◌ौए और उ लू
खरगोश क चतु
र ाई
गजराज व मू
षकराज
गधा रहा गधा ह
ग◌ोलू
-मोलू
और भालू
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च तंक े
र क कहा नयां
| हं
द पटल - ह द क उ कृट रचनाएँ
घ◌ं
ट धार ऊं
ट
च◌ापलू
स मं
डल
झगडालू
मेढक
झ◌ू
ठ शान
ढ◌ गी सयार
ढ◌ोल क पोल
त◌ीन मछ लयां
द◌ुमन का वाथ
द◌ु
ट सप
नकल करना बु
र ा है
ब◌ं
दर का कले
जा
बगल
ुा भगत
प◌ं
चतंक े
र क कहा नयां
बडे
नाम का चम कार
बह पया गधा
बि◌ ल का याय
ब◌ुमान सयार
म खीचस
ूगीदड
मि◌ क सलाह
म◌ुतखोर मे
हमान
म◌ू
ख गधा
म◌ू
ख को सीख
म◌ू
ख बातू
नी कछु
आ
र◌ं
ग म भं
ग
र◌ं
गा सयार
श ु
क सलाह
शरारती बं
दर
स◌ं
गठन क शि त
स चा शासक
स चेम
स◌ां
ड और गीदड
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र क कहा नयां
| हं
द पटल - ह द क उ कृट रचनाएँ
सि◌ं
ह और सयार
स◌्
वजा त े
म
र◌ं
ग- बरं
गी मठाइयॉ
अ लमं द हं
स
एक बहुत बडा वशाल पे ड था। उस पर बीसीय हं
स रहते थे। उनम एक बहु त
याना हं
स था,बुमान और बहु त दरू
दश । सब उसका आदर करते ‘ताऊ’
कहकर बुलाते थे
। एक दन उसने एक न ह -सी बे
ल को पेड केतने पर बहुत
नीचेलपटते पाया। ताऊ नेदसूरेहं
स को बुलाकर कहा “देखो,इस बेल को
न ट कर दो। एक दन यह बे ल हम सबको मौत केमं ह म ले
ु जाएगी।”
एक यु
वा हं
स हं
सते
हु
ए बोला “ताऊ, यह छोट -सी बे
ल हम कै
सेमौत केमं
हम
ु
ले
जाएगी?”
स◌्यानेहं
स ने
समझाया “आज यह तुह छोट -सी लग रह ह। धीरे
-धीरे
यह
पे
ड केसारेतने
को लपेटा मारकर ऊपर तक आएगी। फर बे
ल का तना मोटा
होनेलगे
गा और पे
ड सेचपक जाएगा, तब नीचेसेऊपर तक पे
ड पर चढने के
लए सीढ बन जाएगी। कोई भी शकार सीढ केसहारे
चढकर हम तक पहु ं
च
जाएगा और हम मारेजाएंग।े
”
द◌ू
सरे
हं
स को यक न न आया “एक छोट सी बे
ल कै
सेसीढ बने
गी?”
त◌ीसरा हं
स बोला “ताऊ, तु
तो एक छोट -सी बे
ल को खीं
चकर यादा ह
ल बा कर रहा है
।”
एक हं
स बडबडाया “यह ताऊ अपनी अ ल का रौब डालने
केलए अं
ट-शं
ट
कहानी बना रहा ह।”
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द पटल - ह द क उ कृट रचनाएँ
द◌ूसरा हं
स बोला “इस संक ट सेनकालने क तरक ब तू ह हम बता सकता
ह। आगे हम ते
र कोई बात नह ंटालगे ।” सभी हं
स ने हामी भर तब ताऊ ने
उ ह बताया “मेर बात यान से सुनो। सुबह जब बहेलया आएगा, तब मु दा
होनेका नाटक करना। बहे लया तुह मु दा समझकर जाल सेनकाल कर
जमीन पर रखता जाएगा। वहां भी मरे समान पडेरहना। जै से
ह वह अि तम
हं
स को नीचे रखे
गा, म सीट बजाऊं गा। मेर सीट सु
नते ह सब उड जाना।”
स◌ु
बह बहे
लया आया। हंसो नेवै
सा ह कया, जै
सा ताऊ ने
समझाया था।
सचमु
च बहेलया हं
स को मुदा समझकर जमीन पर पटकता गया। सीट क
आवाज केसाथ ह सारे
हं
स उड गए। बहेलया अवाक होकर देखता रह गया।
आपस क फू ट
ाचीन समय म एक व च प ी रहता था। उसका धड एक ह था, पर तुसर
दो थे
नाम था उसका भा ंड। एक शर र होनेकेबावजूद उसकेसर म एकता
नह ंथी और न ह था तालमेल। वेएक दस ूरे
सेबैर रखते थे
। हर जीव सोचने
समझने का काम दमाग से करता ह और दमाग होता ह सर म दो सर होने
केकारण भा ंड केदमाग भी दो थे। िजनम सेएक पू र ब जानेक सोचता तो
दस
ूरा पि चम फल यह होता था क टां ग एक कदम पू र ब क ओर चलती तो
अगला कदम पि चम क ओर और भा ं ड वयं को वह ं खडा पाता ता। भा ं
ड
का जीवन बस दो सर केबीच र साकसी बनकर रह गया था।
“अरे! हम ्
दोन एक ह शर र केभाग ह। खाने -पीने
क चीज तो हम बांटकर
खानी चा हए।” दस
ूरेसर ने दल ल द । पहला सर कहनेलगा “ठ क! हम एक
शर र केभाग ह। पे
ट हमार एक ह ह। म इस फल को खाऊं गा तो वह पे
टमह
तो जाएगा और पेट ते
र ा भी ह।”
द◌ू
सरा सर बोला “खाने का मतलब के वल पे
ट भरना ह नह ं
होता भाई। जीभ
का वाद भी तो कोई चीज ह। तबीयत को सं
तु
ि ट तो जीभ से
ह मलती ह।
खाने
का असल मजा तो मं ह म ह ह।”
ु
द◌ू
सरा सर हं
सा “हेहेहे
! तु
चप
ुचाप अपना काम दे
ख। तु
झेया ले
ना ह क
म या खा रहा हू
ं
? भू
ल गया उस दन क बात?”
द◌ू
सरेसर ने
सारा वषै
ला फल खा लया और भा ं
ड तडप-तडपकर मर
गया।
कठफोडवी ने
समझाया “एक और एक मलकर यारह बनते
ह। हम अपनी
शि तयां
जोडगे।”
से
“क◌ै?” च डया ने
पू
छ ा।
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र क कहा नयां
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द पटल - ह द क उ कृट रचनाएँ
म◌ढक ने जै
सेह अपनी योजना बताई,सब खश ुी से
उछल पडे
। योजना
सचमु
च ह अदभु त थी। मढक ने
दोबारा बार -बार सबको अपना-अपना रोल
समझाया।
तभी कठफोडवी ने
अपना काम कर दखाया। व आई और अपनी सु ई जै
सी
नु
क ल च च सेउसने ते
ज ी सेहाथी क दोन आंख बीं
ध डाल । हाथी क आंखे
फू
ट ग । वह तडपता हु
आ अं धा होकर इधर-उधर भागनेलगा।
ज◌ैसे-जै
सेसमय बीतता जा रहा था, हाथी का ोध बढता जा रहा था। आं
ख
सेनजर न आने केकारण ठोकर और ट कर से शर र ज मी होता जा रहा
था। ज म उसेऔर च लाने पर मजबू र कर रहे
थे
।
चि◌ डया कॄ
त वर म मे
ढक सेबोल “ब हया, म आजीवन तुहार आभार
रहू
ं
गी। तु
मनेमे
र इतनी सहायता कर द ।”
म◌ेढक ने
कहा “आभार मानने
क ज रत नह ं
। म ह म केकाम आते
ह।”
एक तो आं
ख म जलन और ऊपर सेच लाते
- चं
घाडते
हाथी का गला सू
ख
गया। उसे
ते
ज यास लगने
लगी। अब उसे
एक ह चीज क तलाश थी, पानी।
म◌े
ढक नेअपने
बहु
त से
बं
ध-ु
बां
धव को इक ा कया और उ ह ले
जाकर दरू
बहु
त बडे
ग ढे
केकनारे
बै
ठकर टराने
केलए कहा। सारेमे
ढक टराने
लगे।
म◌े
ढक क टराहट सु
नकर हाथी केकान खडेहो गए। वह यह जानता ता क
मे
ढक जल ोत केनकट ह वास करते ह। वह उसी दशा म चल पडा।
टराहट और ते
ज होती जा रह थी। यासा हाथी और ते
ज भागने
लगा।
ज◌ै
सेह हाथी ग ढे
केनकट पहु
ं
चा, मे
ढक ने
पू
र ा जोर लगाकर टराना शु
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द पटल - ह द क उ कृट रचनाएँ
ज◌ै
से ह हाथी ग ढे
केनकट पहु ं
चा, मे
ढक ने
पू
र ा जोर लगाकर टराना शु
कया। हाथी आगेबढा और वशाल प थर क तरह ग ढे म गर पडा, जहां
उसके ाण पखेउडते दे
र न लगे
इस कार उस अहं क ार म डू
बेहाथी का अं
त
हु
आ।
स◌ीखः 1.एकता म बल ह।
2.अहंक ार का दे
र या सबेर अंत होता ह ह।
एकता का बल
एक समय क बात ह क कबू तर का एक दल आसमान म भोजन क तलाश
म उडता हु आ जा रहा था। गलती से वह दल भटककर ऐसेदे श केऊपर से
गजुरा, जहांभयंक र अकाल पडा था। कबू तर का सरदार चं तत था। कबूतर
केशर र क शि त समा त होती जा रह थी। शी ह कु छ दाना मलना ज र
था। दल का युवा कबूतर सबसे नीचे उड रहा था। भोजन नजर आने पर उसेह
बाक दल को सु चत करना था। बहु त समय उडने केबाद कह ंवह सूखा त
ेसे बाहर आया। नीचे ह रयाल नजर आने लगी तो भोजन मलने क
उ मीद बनी। यु वा कबूतर और नीचे उडान भरने लगा। तभी उसेनीचे खेतम
बहुत सारा अ न बखरा नजर आया “चाचा, नीचे एक खेत म बहु
त सारा दाना
बखरा पडा ह। हम सबका पे ट भर जाएगा।’
एक कबू
तर रोने
लगा “हम सब मारे
जाएं
ग।े
”
य◌ुवा कबू
तर फडफडाया “चाचा! साफ-साफ बताओ तु
म या कहना चाहते
हो। जाल ने
हम तोड रखा ह, शि त कै
सेजोडे
?”
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बहे
लया जाल से
कुछ ह दरूथा क कबू
तर का सरदार बोला “फु
ररर!”
फि◌र मे
घवण नेयाने
और बुमान कौओं
सेअपने
सुझाव दे
ने
केलए
कहा।
बहु
त-से
कौओं
नेकां
कां
करकेवरोध कट कया। एक गम दमाग का कौआ
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बहु
त-से कौओंने कां
कां
करकेवरोध कट कया। एक गम दमाग का कौआ
चीखा “हम उन द ु
ट सेबात नह ं
करनी चा हए। सब उठो और उन पर
आ मण कर दो।”
क◌ौओं म सबसेचतु
र व बुमान ि थरजीवी नामक कौआ था, जो चप
ुचाप
बै
ठा सबक दल ल सु
न रहा था। राजा मे
घवण उसक ओर मु
डा “महाशय,
आप चपुह। म आपक राय जानना चाहता हूं
।”
म◌े
घवण च का “यह आप या कह रहे
ह ि थरजीवी?”
स◌्थरजीवी राजा मे
घवण वाल डाल पर जाकर कान मे बोला “छलनी त के
लए हम यह नाटक करना पडे गा। हमारे
आसपास केपे ड पर उ लू जासूस
हमार इस सभा क सार कायवाह दे ख रहेह। उ हेदखाकर हम फू ट और
झगडे का नाटक करना होगा। इसकेबाद आप सारे कौओंको ले क र ॠ यमू क
पवत पर जाकर मेर ती ा कर। म उ लु ओं केदल म शा मल होकर उनके
वनाश का सामान जु
टाऊंगा। घर का भे
द बनकर उनक लं क ा ढाऊंगा।”
म◌े
घावण चीख उठा “ग ार, राजा से
ऐसी बदतमीजी से
बोलने क ते र
ह मत कैसेहु
ई?”कई कौए एक साथ च ला उठे “इस ग ार को मार दो।”
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उ लु
ओं केराजा अ रमदन को से
नाप त क बता सह लगी। उसनेतु
रं
त
आ मण का आदे श देदया। बस फर या था हजार उ लुओंक सेना बरगद
केपे
ड पर आ मण करने चल द । पर तुवहां
एक भी कौआ नह ंमला।
क◌ुछ दन बाद ि थरजीवी लक डयां लाकर गफुा के वार केपास रखने लगा
“सरकार, स दयांआने वाल ह। म लक डय क झोपडी बनाना चाहता हू ं
ता क ठं
ड सेबचाव हो।’ धीरे
-धीरेलक डय का काफ ढे र जमा हो गया। एक
दन जब सारेउ लूसो रहे थेतो ि थरजीवी वहां
से उडकर सीधेॠ यमू क
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पवत पर पहुं
चा, जहां
मेघवण और कौओंस हत उसी क ती ा कर रहे
थे
।
ि थरजीवी नेकहा “अब आप सब नकट केजंगल से जहां
आग लगी ह एक-
एक जलती लकडी च च म उठाकर मेरे
पीछेआइए।”
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भ◌ू ख केमारेशे
र का बु
र ा हाल हो रहा था। जब उसनेसफ एक छोटे से
खरगोश को अपनी ओर आते दे
खा तो गुसे सेबौखला उठा और गरजकर
बोला, ‘‘ कसनेतुह भेज ा है ? एक तो प ी जैसे हो, दस
ूरे
इतनी दे
र से
आ रहे
हो। िजन बेवकूफ नेतुह भे ज ा है
म उन सबको ठ क क ं गा। एक-एक का
काम तमाम न कया तो मे र ा नाम भी शे
र नह ं
।’’
यह सु
नतेह शेर दहाड़कर बोला, ‘‘ या कहा ? दस
ूरा शे
र ? कौन है
वह ? तु
मने
उसेकहां
दे
खा ?’’
‘‘महाराज, वह तो बहु
त ह बड़ा शेर है
’’, खरगोश ने
कहा, ‘‘वह ज़मीन के
अ दर बनी एक बड़ी गफ ुा म सेनकला था। वह तो मु झे ह मारने जा रहा था।
पर मने उससे कहा, ‘सरकार, आपको पता नह ंक आपनेया अ धे र कर
दया है
। हम सब अपने महाराज केभोजन केलये जा रहेथे, ले
कन आपने
उनका सारा खाना खा लया है । हमारेमहाराज ऐसी बात सहन नह ं करगे । वे
ज़ र ह यहाँ आकर आपको मार डालगे ।’
‘‘इस पर उसनेपू
छ ा, ‘कौन है तुहारा राजा ?’ मने
जवाब दया, ‘हमारा राजा
जं गल का सबसेबड़ा शे र है
।’
रे
‘‘महाराज, ‘मे ऐसा कहते ह वह गुसे सेलाल-पीला होकर बोला बेवकूफ इस
जंगल का राजा सफ म हू ं
। यहांसब जानवर मेर जा ह। म उनकेसाथ जै सा
चाहू
ंवैसा कर सकता हू ं
। िजस मू ख को तु
म अपना राजा कहते हो उस चोर को
मेरे
सामने हािजर करो। म उसे बताऊं
गा क असल राजा कौन है ।’ महाराज
इतना कहकर उस शे र ने आपको लवाने केलए मुझे यहां
भेज दया।’’
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जब मने
‘‘पहले उसेदे
खा था तब तो वह यह ं
बाहर खड़ा था। लगता है
आपको
आता दे
खकर वह कलेम घुस गया। आइये म आपको दखाता हू।’’
ँ
खरगोश ने
कुएंकेनजद क आकर शे र सेअ दर झां
क ने
केलयेकहा। शे
र ने
कु
एंकेअ दर झां
क ा तो उसे
कुएं
केपानी म अपनी परछा दखाई द ।
नगर सेकुछ ह दरूएक घना जंगल था। जंगल म अन गनत हाथी रहते
थे।
उनका राजा गजराज नामक एक वशाल हाथी था। उस जंगल ेम भयानक
सू
खा पडा। जीव-ज तुपानी क तलाश म इधर-उधर मारे
-मारेफरने लगे
।
भार भरकम शर र वाले हा थय क तो दद
ुशा हो गई।
माग से
पानी पीने
जाने
लगे
।
म◌ू
षकराज बोला “हेगजराज, मुझेचहूा कहते ह। हम बडी संया म खंडहर
बनी नगर म रहतेह। म उनका मू
षकराज हू ं
। आपकेहाथी रोज जलाशय तक
जानेकेलए नगर केबीच से गजुरते ह। हर बार उनकेपैर तलेकुचले जाकर
हजार चह
ूेमरतेह। यह मूषक सं
हार बंद न हु
आ तो हम न ट हो जाएंग।े
”
गजराज ने दख
ुभरेवर म कहा “मू
षकराज, आपक बात सुन मुझे
बहु
त
शोक हुआ। हम ान ह नह ंथा क हम इतना अनथ कर रहे
ह। हम नया
रा ता ढू
ढ लगे।”
गजराज बोले
“बेटा, तुम बस दौडकर खं
डहर नगर जाओ और चह
ू केराजा
मू
षकराजा को सारा हाल बताना। उससे
कहना क मेर सार आस टू
ट चक
ु
ह।
ग◌ीदड को भी शे
र क बात जंच गई। वह कसी मू ख जानवर क तलाश म
घू
मता-घूमता एक क बे केबाहर नद -घाट पर पहु
ं
चा। वहां
उसे
एक म रयल-
सा गधा घास पर मं
ह मारता नजर आया। वह श ल से
ु ह बे
वकू
फ लग रहा
था।
गधेने
अपना दखुडा रोया “ या बताऊंभाई, िजस धोबी का म गधा हू
ं
, वह
बहु
त ूर ह। दन भर ढुलाई करवाता ह और चारा कु
छ देता नह ं
।”
ग◌ीदड ने
उसेयौता दया “चाचा, मे
रे
साथ जं
गल चलो न, वहां
बहु
त हर -हर
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द पटल - ह द क उ कृट रचनाएँ
गधे
नेकान फडफडाए “राम राम। म जं
गल म कै
सेरहू
ं
गा? जं
गल जानवर
मु
झेखा जाएं
ग।े
”
“उस झाडी म मु
झेदो चमकती आं
खेदखाई द थी, जै
सेशे
र क होती ह। म
भागता न तो या करता?” गधे
नेशकायत क ।
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च तंक े
र क कहा नयां
| हं
द पटल - ह द क उ कृट रचनाएँ
घ◌ंट धार ऊं
ट
एक बार क बात ह क एक गांव म एक जुलाहा रहता था। वह बहु
त गर ब था।
उसक शाद बचपन म ह हो गई ती। बीवी आने केबाद घर का खचा बढना
था। यह च ता उसे खाए जाती। फर गां
व म अकाल भी पडा। लोग कंगाल हो
गए। जुलाहेक आय एकदम ख म हो गई। उसकेपास शहर जाने केसवा
और कोई चारा न रहा।
शहर म उसने कु
छ मह नेछोटे
-मोटे
काम कए। थोडा-सा पैसा अं
ट म आ गया
और गांव सेखबर आनेपर क अकाल समा त हो गया ह, वह गां
व क ओर
चल पडा। रा ते
म उसेएक जगह सडक कनारे एक ऊं
टनी नजर आई। ऊटं नी
बीमार नजर आ रह थी और वह गभवती थी। उसे
ऊंटनी पर दया आ गई। वह
उसेअपने साथ अपनेघर लेआया।
इधर ऊं
टनी खब ूदधूदेनेलगी तो जु
लाहा उसे
बे
चनेलगा। एक दन वहा
कलाकार गांव लौटा और जु
लाहेको काफ सारेपै
सेदे
गया, य क कलाकार
नेउन च से बहु
त पुर कार जीतेथेऔर उसकेच अ छ क मत म बके
थे
। जु
लाहा उस ऊंट ब चेको अपना भा य का सतारा मानने
लगा। कलाकार
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र क कहा नयां
| हं
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द◌ू
सरेदन जब ऊं ट का दल चरकर लौट रहा था तब घंट धार बाक ऊंट से
बीस कदम पीछेचल रहा था। शे
र तो घात लगाए बै
ठा ह था। घं
ट क आवाज
को नशाना बनाकर वह दौडा और उसे मारकर जंगल म खींच लेगया। ऐसे
घं
ट धार केअहं
क ार ने
उसकेजीवन क घं ट बजा द ।
भ◌े
डया च का “ऊं
ट! कसी का फले
सेबछु
ड गया होगा।”
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| हं
द पटल - ह द क उ कृट रचनाएँ
च◌ीते
नेजीभ चटकाई “हम शेर को उसका शकार करने
को राजी कर ल तो
कई दन दावत उडा सकते
ह।”
ल◌ोमडी ने
घोषणा क “यह मे
र ा काम रहा।”
ऊ◌ंट कराहता हु
आ बोला “जं गल केराजा! आपको नह ंपता इं
सान कतना
नदयी होता ह। म एक ऊं टो केका फले म एक यापार माल ढो रहा था। रा ते
म म बीमार पड गया। माल ढोने लायक नह ं उसने मुझे
यहांमरनेकेलए
छोड दया। आप ह मे र ा शकार कर मु झेमुि त द िजए।”
ऊ◌ं
ट क कहानी सुनकर शेर को दख
ुहु आ। अचानक उसकेदल म राजाओं
जै
सी उदारता दखानेक जोरदार इ छा हु
ई। शे
र नेकहा “ऊं
ट, तुह कोई
जं
गल जानवर नह ं मारे
गा। म तुह अभय देता हू
ं
। तु
म हमारेसाथ चलोगे
और उसकेबाद हमारेसाथ ह रहोगे।”
च◌ापलूस मं
डल केचे
हरेलटक गए। भेडया फु
सफु
साया “ठ क ह। हम बाद
म इसेमरवानेक कोई तरक ब नकाल लगे। फलहाल शे
र का आदेश मानने
म ह भलाई ह।”
च◌ीतेनेठं
डी सां
स भर “ या कर? शे
र नेउसेअभयदान जो देरखा ह। दे
खो
तो ऊं
ट क पीठ का कू
बड कतना बडा हो गया ह। चब ह चब भर ह इसम।”
भ◌े
डए केमं
ह से
ु लार टपकने
लगी “ऊं
ट को मरवाने
का यह मौका ह दमाग
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भ◌ेडए केमंह से
ु लार टपकने लगी “ऊं
ट को मरवाने
का यह मौका ह दमाग
लडाकर कोई तरक ब सोचो।”
ल◌ोमडी ने
धतू वर म सू
चना द “तरक ब तो मने
सोच रखी ह। हम एक
नाटक करना पडे
गा।”
ल◌ोमडी ने
उसेध का दया “चल हट! ते
र ा मां
स तो महाराज केदां
त म
फं
सकर रह जाएगाअ। महाराज, आप मुझे खाइए।”
भ◌े
डया बीच म कू
दा “तेरे
शर र म बाल केसवा ह ह या? महाराज! मु
झे
अपना भोजन बनाएं
ग।े”
च◌ापलूस मं
डल का नाटक अ छा था। अब ऊं ट को तो कहना ह पडा “नह ं
महाराज, आप मु
झेमारकर खा जाइए। मे
र ा तो जीवन ह आपका दान दया
हु
आ ह। मेरे
रहते
आप भू ख मर, यह नह ं
होगा।”
च◌ापलूस मं
डल तो यह ंचाहती थी। सभी एक वर म बोले
“यह ठ क रहे
गा,
महाराज! अब तो ऊं
ट खद
ुह कह रहा ह।”
च◌ीता व भे
डया एक साथ ऊं
ट पर टू
ट पडे
और ऊं
ट मारा गया।
क◌ु
छ याने
मेढक तथा बुमान ने
एकजु
ट होकर एक वर म कहा
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ग◌ंगद त केबेटे
एक दस
ूरेका मं
ह दे
ु खनेलगे
। आ खर बडे बे
टे
नेकहा
“ पता ी, आपनेकभी हम टराने
क इजाजत नह ं द । टरानेसेह मे
ढक म
बल आता ह, हौसला आता ह और जोश आता ह। आप ह बताइए क बना
हौसलेऔर जोश केहम कसी क या पटाई कर पाएं ग?े
”
न◌ागदे
व फु
फकारा “अरे
मेढक म तुहारा बै
र हू
ं
। तुह खा जाता हू
ं
और तू
मे
रेबल केआगेआकर मु झेआवाज दे रहा ह।
न◌ाग नेबल से
अपना सर बाहर नकाला और बोला “मजे
, कै
सेमजे
?”
ग◌ं
गद त ने
कहा “म तुह इतने
मेढक खलाऊं
गा क तु
म मु
टाते
-मु
टाते
अजगर बन जाओगे।”
न◌ाग ने
शंक ा य त क “पानी म म जा नह ं
सकता। कै
सेपकडू
ं
गा मे
डक?”
ग◌ं
गद त नेताल बजाई “नाग भाई, यह ं तो मे
र दो ती तुहारे
काम
आएगी। मै
नेपडौसी राजाओं केकुओं पर नजर रखने केलए अपने जासूस
मे
डक सेगुत सु रं
ग खदुवा रखी ह। हर कु
एंतक उनका रा ता जाता ह। सु
रं
ग
जहांमलती ह। वहांएक क ह। तु म वहां
रहना और िजस-िजस मे ढक को
खानेकेलए कहूं
, उ ह खाते जाना।”
न◌ाग गं
गद त केसाथ सु
रं
गक म जाकर बै
ठ गया। गं
गद त ने
पहले
सारे
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ग◌ं
गद त ने
कहा “अब मे
रे
कुए केसभी यान और बुमान मे
ढक को
खाओ।”
वह खाए जा चक
ुेतो जा क बार आई। गं गद त नेसोचा “ जा क ऐसी
तै
सी। हर समय कु छ न कुछ शकायत करती रहती ह। उनको खाने केबाद
नाग नेखाना मां
गा तो गं
गद त बोला “नाग म , अब के
वल मेर ा कु
नबा और
मे
रेम बचे ह। खेल ख म और मे ढक हजम।”
न◌ाग नेफन फै
लाया और फु
फकारने लगा “मे
ढक, म अब कह ं
नह जाने
का। तू
अब खानेका इं
तजाम कर वना ह स।”
म◌े
ढक को खाने
केबाद नाग ने
मं
ुह फाडा “खाना।”
ग◌ं
गद त नेहाथ जोडे
“अब तो के
वल म बचा हू
ं
। तुहारा दो त गं
गद त ।
अब लौट जाओ।”
एक दन उ लू
पानी पीने
केबहाने
झील केकनारे
उगी एक झाडी पर उतरा।
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एक दन उ लूपानी पीने
केबहानेझील केकनारे उगी एक झाडी पर उतरा।
नकट ह एक बहु
त शाल न व सौ य हं
स पानी म तै
र रहा था। हं
स तै
र ता हु
आ
झाडी केनकट आया।
ह◌ं
स नेच ककर उसे दे
खा और बोला “ म ! पानी कॄत वारा सबको दया
गया वरदान ह। एस पर कसी एक का अ धकार नह ं ।”
उ लूने
कहा “हे
हं
स! पानी क यास तो बु
झ गई पर आपक बतो से
मुझे
ऐसा
लगा क आप नी त व ान केसागर ह। मु
झम उसक यास जग गई ह। वह
कै
सेबु
झगेी?”
ह◌ं
स मुकुराया “ म , आप कभी भी यहांआ सकते ह। हम बात करगे
। इस
कार म जो जानता हू
ं
, वह आपका हो जाएगा और म भी आपसे कु
छ
सीखग
ं
ूा।”
अब हंसराज उ लू को महल म ले
जाकर खलाने- पलाने
लगा। रोज दावत
उडती। उसेडर लगने लगा क कसी दन साधारण उ लूसमझकर हं सराज
दो ती न तोड ले
।
इस लए वयं को कं
सराज क बराबर का बनाए रखने केलए उसनेझठूमूठ
कह दया क वह भी उ लू
ओं का राजा उ लू
क राज ह। झठ
ूकहने केबाअद
उ लूको लगा क उसका भी फज बनता ह क हंसराज को अपनेघर बु
लाए।
एक दन उ लू ने दग
ुकेभीतर होनेवाल ग त व धय को गौर सेदे
खा और
उसकेदमाग म एक यु ि त आई। उसने दग
ुक बात को खब ू यान से
समझा। सै नक केकाय म नोट कए। फर वह चला हं स केपास। जब वह
झील पर पहु
ं
चा, तब हं
सराज कुछ हं
स नय केसाथ जल म तैर रहा था। उ लू
को दे
खतेह हं
स बोला “ म , आप इस समय?”
उ लू
ने उ तर दया “हांम ! म आपको आज अपना घर दखाने व अपना
मे
हमान बनानेकेलए ले जाने
आया हू
ं
। म कई बार आपका मे
हमान बना हू
ं
।
मु
झेभी से
वा का मौका दो।”
ह◌ं
स ने
टालना चाहा “ म , इतनी ज द या ह? फर कभी चलगे
।”
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उ लू
नेकहा “आज तो आपको लए बना नह ं
जाऊं
गा।”
ह◌ं
सराज को उ लू
केसाथ जाना ह पडा।
उ लूनेहं
सराज पर रौब डाला “मनेअपनेसैनक को आदे श दया ह क जब
तक मेरे
परम म राजा हं सराज मे
रेअ त थ ह, तब तक इसी कार रोज
बगल
ुबजे व सैनक क परे ड नकले ।”
उधर सै
नक टुकडी को वहांसे
कूच करनेकेआदे श मल चकुेथे
। दस
ूरेदन
सैनक अपना सामान समे टकर जाने
लगे तो हं
स ने
कहा “ म , दे
खो आपके
सैनक आपक आ ा लए बना कह ं जा रहेह।
स◌ैनक ने उ लूका घु
घुआना सुना व अपशकु न समझकर जाना थ गत
कर दया। दसूरेदन फर वह हु आ। सै नक जाने लगेतो उ लूघुघु
आया।
सैनक केनायक ने ो धत होकर सै नक को मनहू स उ लू को तीर मारने
का आदेश दया। एक सै नक नेतीर छोडा। तीर उ लूक बगल म बै ठेहं
स को
लगा। वह तीर खाकर नीचेगरा व फडफडाकर मर गया। उ लू उसक लाश के
पास शोकाकुल हो वलाप करनेलगा “हाय, मने अपनी झठू शान केच कर
म अपना परम म खो दया। ध कार ह मु झ।े ”
उ लू
को आसपास क खबर से बे
सु
ध होकर रोते
दे
खकर एक सयार उस पर
झपटा और उसका काम तमाम कर दया।
स◌ीखः झठ
ू शान बहु
त महं
गी पडती ह। कभी भी झठ
ू शान केच कर म मत
पडो।
ढ गी सयार
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जब चहूे
वहांसे
गए तो उसनेदबे पां
व उनका पीछा कया। कु छ ह दरूउन चह
ू
केबल थे। सयार वापस लौटा। दस
ू रेदन ातः ह वह उन चहू केबल के
पास जाकर एक टां
ग पर डा हो गया। उसका मंह
ु उगतेस ू क ओर था।
र ज
आंखेबं
द थी।
च◌ू
हे
बोल सेनकले तो सयार को उस अनोखी मुा म खडे दे
खकर वे बहुत
च कत हु
ए। एक चह
ूेने
जरा सयार केनकट जाकर पू छ ा “ सयार मामा, तु
म
इस कार एक टां
ग पर य खडे हो?”
च◌ू
ह म खसुर-पु
सर हु
ई। वेसयार केनकट आकर खडेहो गए। चह
ू के
सरदार ने
कहा “हे
महान सयार, हम अपने
बारे
म कु
छ बताइए।”
सि◌यार ने
उ तर दया “सू
य क पू
ज ा केलए।”
“और आपका मं
ह य खल
ु ुा ह?” दस
ूरे
चहे
ूने
कहा।
“हवा खाने
केलए! म के
वल हवा खाकर िजं
दा रहता हू
ं
। मु
झेखाना खाने
क
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सि◌यार सयारम ्
भजनम ्
भजनम।
स◌ुबह होते
ह फर वह चह ू केबल केपास आकर एक टां ग पर खडा हो
जाता और अपना नाटक चालू रखता। धी चहू क संया कम होने लगी। चह
ू
केसरदार क नजर से यह बात छपी नह ं रह । एक दन सरदार नेसयार से
पू
छ ह लया “हे महा मा सयार, मेर टोल केचह े
ूमु
झेकम होतेनजर आ रहे
ह। ऐसा य हो रहा ह?”
च◌ू
हो केसरदार नेदेखा क सयार मोटा हो गया ह। कह ं
उसका पे
ट ह तो वह
बै
कुठ लोक नह ं ह, जहां
चह
ूेजा रहे
ह?
च◌ू
ह केसरदार नेबाक बचेचह
ू को चेताया और वयं उसने दस
ूरेदन
सबसेबाद म बल म घुसनेका न चय कया। भजन समा त होने केबाद चह
ूे
बल म घुसे। सयार ने
सबसे अंत केचह
ूेको दबोचना चाहा।
स◌ीखः ढ ग कु
छ ह दन चलता ह, फर ढ गी को अपनी करनी का फल
मलता ह ह।
ढोल क पोल
एक बार एक जंगल केनकटदो राजाओंकेबीच घोर युहुआ। एक जीता
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दस
ूरा हारा। से
नाएं
अपने नगर को लौट गई। बस, से
ना का एक ढोल पीछे
रह
गया। उस ढोल को बजा-बजाकर से
ना केसाथ गए भां
ड व चारण रात को
वीरता क कहा नयांसु
नातेथे
।
य◌ुकेबाद एक दन आं धी आई। आं
धी केजोर म वह ढोल लु
ढकता-पु ढकता
एक सूखेपे
ड केपास जाकर टक गया। उस पे
ड क सूखी टह नयां ढोल से
इस
तरह सेसट गई थी क ते
ज हवा चलतेह ढोल पर टकरा जाती थी और
ढमाढम ढमाढम क गजं
ुायमान आवाज होती।
सि◌यार फं
क-फं
ू ूककर कदम रखता ढोल केनकट गया। उसे संघा। ढोल का
ू
उसेन कह ंसर नजर आया और न पै
र । तभी हवा केझक
ं
ुेसेटह नयांढोल से
टकरा । ढम क आवाज हु
ई और सयार उछलकर पीछे जा गरा।
अपनी मांद म घु
सते ह सयार बोला “ओ सयार ! दावत खाने
केलए तै
यार
हो जा। एक मोटे
-ताजेशकार का पता लगाकर आया हूं
।”
सि◌यार पू
छ ने
लगी “तु
म उसे
मारकर य नह ं
लाए?”
सि◌यार ने
उसेझडक द “ य क म ते र तरह मूख नह ं
हू
ं
। वह एक खोल के
भीतर छपा बै
ठा ह। खोल ऐसा ह क उसम दो तरफ सू
खी चमडी केदरवाजे
ह।म एक तरफ से हाथ डाल उसेपकडनेक को शश करता तो वह दस
ूरे
दरवाजेसेन भाग जाता?”
च◌ां
द नकलने पर दोन ढोल क ओर गए। जब व नकट पहु ंच ह रहे
थेक
फर हवा से
टह नयांढोल पर टकरा और ढम-ढम क आवाज नकल ।
सयार सयार केकान म बोला “सुनी उसक आवाज ?्जरा सोच िजसक
आवाज ऐसी गहर ह, वह खदु कतना मोटा ताजा होगा।”
स◌ीखः शे
खी मारने
वाले
ढोल क तरह ह अं
दर से
खोखले
होते
ह।
त◌ीन मछ लयां
एक नद केकनारे उसी नद से
जुडा एक बडा जलाशय था। जलाशय म पानी
गहरा होता ह, इस लए उसम काई तथा मछ लय का य भोजन जल य
सूम पौधे उगते ह। ऐसेथान मछ लय को बहु त रास आते ह। उस जलाशय
म भी नद से बहु
त-सी मछ लयांआकर रहती थी। अं डे
दे
नेकेलए तो सभी
मछ लयां उस जलाशय म आती थी। वह जलाशय ल बी घास व झा डय
वारा घरा होनेकेकारण आसानी से नजर नह ं
आता था।
उसी मेतीन मछ लय का झड ं
ुरहता था। उनके वभाव भ न थे । अ ना
सं
क ट आने केल ण मलते ह संक ट टालनेका उपाय करने म व वास
रखती थी। यु कहती थी क सं क ट आने पर ह उससे बचनेका य न करो।
य ी का सोचना था क संक ट को टालने या उससे बचने क बात बेक ार ह करने
करानेसे कु
छ नह ंहोता जो क मत म लखा है , वह होकर रहे
गा।
एक ने
अनुमान लगाया “दो तो! लगता ह झा डय केपीछे
नद से
जुडा
जलाशय ह, जहां
इतनी सार मछ लयां पल रह ह।”
मछु
आरेपु
ल कत होकर झा डय म से
होकर जलाशय केतट पर आ नकले
और ललचाई नजर से
मछ लय को देखनेलगे।
त◌ीसरेने
कहा “आज तो शाम घरने
वाल ह। कल सु
बह ह आकर यहां
जाल
डालगे
।”
इस कार मछु
आरेदस
ूरेदन का काय म तय करकेचले
गए। तीन
मि लय नेमछु
आरेक बात सु
न ला थी।
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9/7/2014 पं
च तंक े
र क कहा नयां
| हं
द पटल - ह द क उ कृट रचनाएँ
य ी ने
अपनी भा यवाद बात कह “भागने से
कुछ नह ं होने
का। मछु
आर
को आना ह तो वह आएं
ग।ेहम जाल म फं
सना ह तो हम फंसगे
। क मत म
मरना ह लखा ह तो या कया जा सकता ह?”
य ी भी दस
ूरेमछुआरेकेजाल म फं
स गई थी और एक टोकरे
म डाल द गई
थी। भा य केभरोसे
बै
ठ रहनेवाल य ी ने
उसी टोकर म अ य मछ लय क
तरह तडप-तडपकर ाण याग दए।
स◌ीखः भा य केभरोसे
हाथ पर हाथ धरकर बै
ठे
रहने वालेका वनाश
नि चत ह।
दुमन का वाथ
एक पवत केसमीप बल म मं द वष नामक एक बू
ढा सां
प रहता था। अपनी
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र क कहा नयां
| हं
द पटल - ह द क उ कृट रचनाएँ
म◌े
ढकराज च का “तु
म ! तु
म तो हमारे
बै
र हो। मे
र जय का नारा य लगा
रहे
हो?”
म◌ं
द वष वन वर म बोला “राजन, वे
पु
र ानी बात ह। अब तो म आप
मे
ढक क से वा करकेपाप को धोना चाहता हूं
। ाप से मुि त चाहता हू
ं
। ऐसा
ह मे
रेनागगुका आदे श ह।”
म◌े
ढकराज ने
पू
छ ा “उ ह ने
ऐसा व च आदे
श य दया?”
म◌ं
द वष क बात सुनकर मे ढकराज च कत रह गया। सां
प क पीठ पर सवार
करनेका आज तक कस मे ढक को य ै ा त हु
आ? उसने सोचा क यह तो
एक अनोखा काम होगा। मे
ढकराज सरोवर म कूद गया और सारेमे
ढक को
इक ा कर मं
द वष क बात सु नाई। सभी मे
ढक भ च केरह गए।
एक बू ढा मे
ढक बोला “मे
ढक एक सप क सवारेकर। यह एक अदभु
त बात
होगी। हम लोग संसार म सबसेे ठ मे
ढक माने
जाएंग।े
”
एक सांप क पीठ पर बै
ठकर सै र करने केलालच नेसभी मे
ढक क अ ल पर
पदा डाल दया था। सभी ने ’ म ‘हां
‘हां ’ मलाई। मे
ढकराज नेबाहर आकर
मं
द वष से कहा “सप, हम तुहार सहायता करने केलए तैयार ह।”
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सेहोतेहु
ए आगे
उतरे
। मं
द वष सबसे पीछे वाले
मेढक को ग प खा गया। अब
तो रोज यह म चलनेलगा। रोज मंद वष क पीठ पर मेढक क सवार
नकलती और सबसे पीछेउतरने वालेको वह खा जाता।
एक दन एक दसूरेसप ने
मं द वष को मे
ढक को ढोतेख लया। बाद म उसने
मं
द वष को बहु
त ध कारा “अरे! य सप जा त क नाक कटवा रहा ह?”
म◌ंद वष ने
कहा “हेराजन, सप क सवार करने वालेमहान मे
ढक राजा के
प म आपक या त दरू -दरूतक पहु
ं
च रह ह। यहां
केबहु
त सेमे
ढक आपका
यश फैलानेदस
ूरेसरोवर , तल व झील म जा रहे
ह।”
ऐसा कहते हु
ए मं
द वष ने
मेढकराज को भी ग प सेनगल लया और वह ं
भे
ज ा जहां
सरोवर केसारे
मेढक पहु
ं
चा दए गए थे।
घ◌ सले
म कौआ दं
पती केतीन नवजात शशु थे। दु
ट सप उ ह एक-एक
करकेघपाघप नगल गया और अपने खोह म लौटकर डकार ले
नेलगा।
द◌ोन तुरं
त ह लोमडी केपास गए। लोमडी नेअपनेम क दख ुभर
कहानी सुनी। उसने कौआ तथा क वी केआंसूप छे
। लोमडी नेकाफ सोचने
केबाद कहा “ म ो! तुह वह पे
ड छोडकर जानेक ज रत नह ं ह। मेरेदमाग
म एक तरक ब आ रह ह, िजससे उस द ु
टसप सेछुटकारा पाया जा सकता
ह।”
क◌ौए ने
राजकु
मार तथा सहे
लय का यान अपनी और आक षत करने
के
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नकल करना बु र ा है
एक पहाड़ क ऊं ची चोट पर एक बाज रहता था। पहाड़ क तराई म बरगद के
पे
ड़ पर एक कौआ अपना घ सला बनाकर रहता था। वह बड़ा चालाक और धत ू
था। उसक को शश सदा यह रहती थी क बना मे हनत कए खाने को मल
जाए। पेड़ केआसपास खोह म खरगोश रहते थे। जब भी खरगोश बाहर आते
तो बाज ऊंची उड़ान भरते और एकाध खरगोश को उठाकर ले जाते ।
द◌ू
सरेदन कौए ने भी एक खरगोश को दबोचने क बात सोचकर ऊं ची उड़ान
भर । फर उसने खरगोश को पकड़ने केलए बाज क तरह जोर से झप ा
मारा। अब भला कौआ बाज का या मु क ाबला करता। खरगोश ने उसे देख
लया और झट वहां सेभागकर च ान केपीछेछप गया। कौआ अपनी ह ं
झ क म उस च ान से जा टकराया। नतीजा, उसक च च और गरदन टू टग
और उसने वह ंतड़प कर दम तोड़ दया।
श ा—नकल करने केलए भी अकल चा हए।
बं
दर का कले जा
एक नद कनारे हरा-भरा वशाल पे ड था। उस पर खब ू वा द ट फल उगे
रहते। उसी पेड पर एक बदं र रहता था। बडा म त कलं दर। जी भरकर फल
खाता, डा लय पर झल ूता और कू दता-फांदता रहता। उस बं दर केजीवन म
एक ह कमी थी क उसका अपना कोई नह ं था। मां
-बाप केबारेम उसे कुछ
याद नह ं था न उसकेकोई भाई थाऔर न कोई बहन, िजनकेसाथ वह खे लता।
उस ेम कोई और बं दर भी नह ंथा िजससे वह दो ती गां
ठ पाता। एक दन
वह एक डाल पर बै ठा नद का नजारा दे ख रहा था क उसे एक लंबा वशाल
जीव उसी पे ड क ओर तै र कर आता नजर आया। बं दर नेऐसा जीव पहले कभी
नह ंदेखा था। उसने उस व च जीव से पूछ ा “अरेभाई, तुम या चीज हो?”
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वि◌शाल जीव ने
उ तर दया “म एक मगरम छ हू ं
। नद म इस वष मि लय
का अकाल पड गया ह। बस, भोजन क तलाश म घू
मता-घू
मता इधर आ
नकला हू
ं
।”
ब◌ं
दर खशुभी हु
आ और चकराया भी “मगर म आऊंकै से
? म , तु
म तो
जानतेहो क मुझे तै
र ना नह आता।” मगर बोला “उसक च ता मत करो,
मे
र पीठ पर बै
ठो। म ले चलंगा न तुह।”
ू
ब◌ं
दर मगर क पीठ पर बै
ठ गया। कु
च दरूनद म जाने
पर ह मगर पानी के
अं
दर गोता लगाने
लगा। बं
दर च लाया “यह या कर रहेहो? म डू
ब
जाऊं
गा।”
मगर हं
सा “तुह तो मरना ह ह ।”
उसक बात सु
नकर बं
दर का माथा ठनका, उसने
पू
छ ा “ या मतलब?”
मगर ने
बं
दर को कलेजे वाल सार बात बता द । बं
दर ह का-ब का रह गया।
उसे
अपनेम से ऐसी बेइमानी क आशा नह ंथी।
ब◌ं
दर चतुर था। तु
रंत अपने आप को सं भालकर बोला “वाह, तु
मने मुझेपहले
य नह ंबताया? म अपनी भाभी केलए एक तो या सौकले जेदेदं
।ूपर बात
यह ह क म अपना कले ज ा पे
ड पर ह छोड आया हूं
। तु
मने पहलेह सार बात
मु
झे न बताकर बहु त गलती कर द ह। अब ज द से वा पस चलो ता क हम
पे
ड पर सेकलेज ा लेतेचल। देर हो गई तो भाभी मर जाएगी। फर म अपने
आपको कभी माफ नह ं कर पाऊं गा।”
स◌ीखः 1. दस
ूर को धोखा दे
ने
वाला वयं
धोखा खा जाता ह।
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बगल
ुा तालाब केकनारे खडा हो गया और लगा आं
ख से
आंसूबहाने
। एक
के
कडे नेउसेआंसू बहाते
दे
खा तो वह उसकेनकट आया और पू
छ नेलगा
“मामा, या बात ह भोजन केलए मछ लय का शकार करने क बजाय खडे
आंसूबहा रहे
हो?”
क◌े
क डा बोला “मामा, शकार नह ं
करोगे
, कु
छ खाओगे
नह तो मर नह ं
जाओगे?”
बगलुे ने
एक और हचक ल “ऐसे जीवन का न ट होना ह अ छा ह बेटे
, वै
से
भी हम सबको ज द मरना ह ह। मु
झे ात हु
आ ह क शी ह यहां बारह वष
लं
ब ा सू
खा पडे
गा।”
बगल ुे
नेकेकडे को बताया क यह बात उसेएक कालदश महा मा ने बताई
ह, िजसक भ व यवाणी कभी गलत नह ं होती। के
कडे
नेजाकर सबको
बताया क कै सेबगलुेनेब लदान व भि त का माग अपना लया ह और सू
खा
पडने वाला ह।
सभी जीव ने
ग -ग होकर ‘बगल
ुा भगतजी क जै
’ केनारे
लगाए।
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बहु
त दन यह म चला। एक दन के कडे ने
बगल
ुेसेकहा “मामा, तु
मने
इतनेसारे
जानवर यहां
सेवहां
पहु
ं
चा दए, ले
कन मेर बार अभी तक नह ं
आई।”
क◌े
केडा खशुहोकर बगल
ुे क पीठ पर बै
ठ गया। जब वह च ान केनकट
पहु
ं
चा तो वहां
ह डय का पहाड देखकर केकडेका माथा ठनका। वह हकलाया
“यह ह डय का ढेर कै
सा ह? वह जलाशय कतनी दरूह, मामा?”
फि◌र के
केडा बगलुे
भगत का कटा सर ले
क र तालाब पर लौटा और सारे
जीव
को स चाई बता द क कै
सेदुट बगल
ुा भगत उ ह धोखा देता रहा।
स◌ीखः 1. दस
ूरो क बात पर आं खेमंदकर व वास नह ं
ू करना चा हए।
पा दत कर] 2. मु
[सं सीबत म धीरज व बुमानी से काय करना चा हए।
बडेनाम का चम कार
एक समय क बात है एक वन म हा थय का एक झड ं
ुरहता था। उस झड ं
ुका
सरदार चतुदत नामक एक वशाल, परा मी, गं भीर व समझदार हाथी था।
सब उसी क छ -छाया म शु ख सेरहतेथे। वह सबक सम याएं सु नता।
उनका हल नकालता, छोटे -बडे
सबका बराबर याल रखता था। एक बार उस
ेम भयं क र सू
खा पडा। वष पानी नह ं
बरसा। सारे ताल-तलैय ा सू
खने लगे
।
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पे
ड-पौधेकुहला गए धरती फट गई, चार और हाहाकार मच गई। हर ाणी
बं
द-बं
ू द केलए तरसता गया। हा थय ने
ू अपनेसरदार से कहा “सरदार, कोई
उपाय सो चए। हम सब यासेमर रहेह। हमारे
ब चे तडप रहेह।”
ह◌ा थय का झड ं
ुचतु
दत वारा बताई गई दशा क ओर चल पडा। बना पानी
केदन क गम म सफर करना क ठन था, अतः हाथी रात को सफर करते ।
पां
च रा केबाद वेउस अनोखेताल तक पहुं
च गए। सचमुच ताल पानी से
भरा था सारे
हा तय ने
खबूपानी पया जी भरकर ताल म नहाए व डु
ब कयां
लगा ।
एक तेज वभाव वाला खरगोश भागने केहक म नह ंथा। उसने कहा “हम
अ ल से काम लेना चा हए। हाथी अंध व वासी होते
ह। हम उ ह कहगेक
हम चंवंशी ह। तुहारेवारा कए खरगोश सं हार सेहमारेदे
व चंमा ट ह।
य द तु
म यहांसेनह ंगए तो चंदे व तुह वनाश का ाप दगे ।”
चतु
दत ने
पू
छ ा ” भई, या सं
दे
श लाए हो तु
म ?”
ल◌ं
बकण बोला “तुमने
खरगोश समाज को बहु
त हा न पहुं
चाई ह। च दे
व
तु
मसे बहु
त ट ह। इससेपहलेक वह तुह ाप दे द, तु
म यहांसेअपना झड
ं
ु
ले
क र चलेजाओ।”
चतु
दत को व वास न हु
आ। उसने
कहा “चंदे
व कहां
ह? म खद
ुउनकेदशन
करना चाहता हू
ं
।”
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चतुदत तु
रं
त अपने झड
ं
ुकेपास लौट गया और सबको सलाह द क उनका
यहांसेतु
रं
त थान करना ह उ चत होगा। अपने सरदार केआदे
श को
मानकर हा थय का झड ं
ुलौट गया। खरगोश म खशुी क लहर दौड गई।
हा थय केजाने केकुछ ह दन प चात आकाश म बादल आए, वषा हु ई और
सारा जल सं
क ट समा त हो गया। हा थय को फर कभी उस ओर आने क
ज रत ह नह ं पडी।
एक दन नद कनारे जब धोबी ने
कपडेसूखने केलए बछा रखे थेतो आंधी
आई। कपडेइधर-उधर हवा म उड गए। आंधी थमने पर उसे
दरू
-दरूतक
जाकर कपडेउठाकर लानेपडे। अपने
कपडे ढूं
ढता हु
आ वह सरकंडो केबीच
घु
सा। सरकं
डो केबीच उसे
एक मरा बाघ नजर आया।
ध◌ोबी कपडेले
क र लौटा और ग र ब धे पर लादनेलगा गधा लडखडाया।
धोबी ने
दे
खा क उसका गधा इतना कमजोर हो गया ह क एक दो दन बाद
ब कु ल ह बै
ठ जाएगा। तभी धोबी को एक उपाय सू
झा। वह सोचने
लगा
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ध◌ोबी ने
ऐसा ह कया। दस
ूरेदन नद तट पर कपडे ज द धोकर सूखने
डाल दए और फर वह सरकं डो केबीच जाकर बाघ क खाल उतारने
लगा।
शाम को लौटतेसमय वह खाल को कपड केबीच छपाकर घर ले आया।
उसक आवाज और ने भी सु
नी। सब डं
से ले
क र दौसे
। गधे
का काय म खे
त
सेबाहर आकर रकने का था। उसनेमंह खोला ह था क उस पर डं
ु डे
बरसने
लगे। ोध सेभरेरखवाल ने उसेवह ंढे
र कर दया। उसक सार पोल खलु
चक
ु थी। धोबी को भी वह नगर छोडकर कह ं और जाना पडा।
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द◌ू
सरेचकोर केउडनेकेबाद वह चकोर सोच म पड गया। उसने
फैसला कया
क कल ह वह दरूनजर आने वालेखे
त क ओर जाएगा और उस अनाज
नाम क चीज का वाद चखकर दे खग
े।
चकोर गुसे
म बोला- “वाह! कोई घर खाल मले
तो इसका यह मतलब हु आ
क उसम कोई नह ं
रहता? म आ खर बार कह रहा हू
ंक शराफत सेमे
र ा घर
खाल कर दे
वना…।”
एक बू
ढेपडोसी ने
कहा – “ यादा झगडा बढाना ठ क नह ं
होगा । तु
म दोन
आपस म कोई समझौता कर लो।” पर समझौते क कोई सू र त नजर नह ंआ
रह थी, य क खरगोश कसी शत पर खोह छोडने को तै
यार नह ंथा। अं
तम
लोमडी ने
उ ह सलाह द – “तु
म दोन कसी ानी- यानी को पं च बनाकर
अपने झगडेका फै
सला उससे करवाओ।”
द◌ोन को यह सु
झाव पसं
द आया। अब दोन पं
च क तलाश म इधर-उधर
घू
मने लगे
। इसी कार घू
मते-घू
मतेवे
दोन एक दन गं
गा कनारेआ नकले।
वहां
उ ह जप तप म म न एक ब ल नजर आई। ब ल केमाथे पर तलक
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था। गले
म जनेऊ और हाथ म माला लए मॄ
गछाल पर बैठ वह पूर
तपि वनी लग रह ती। उसे
दे
खकर चकोर व खरगोश खशुी सेउछल पडे ।उ ह
भला इससेअ छा ानी- यानी कहांमलेगा। खरगोश नेकहा – “चकोर जी,
य न हम इससे अपने झगडेका फै
सला करवाएं
?”
स चाई तो यह थी क ब ल उन जैसेमू
ख जीव को फां सने केलए ह भि त
का नाटक कर रह थी। फर चकोर और खरगोश पर और भाव डालने के
लए वह जोर-जोर सेमंपडने लगी। खरगोश और चकोर ने उसकेनकट
आकर हाथ जोडकर जयकारा लगाया -“जय माता द । माता को णाम।”
स◌ीखः दो केझगडे
म तीसरे
का ह फायदा होता ह, इस लए झगड से दरू
रहो।
बुमान सयार
एक समय क बात ह क जंगल म एक शेर केपैर म कांटा चभ
ुगया। पंजेम
ज म हो गया और शे
र केलए दौडना असं
भव हो गया। वह लं गडाकर
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ध◌ीरे
-धीरेपै
र घसीटता हुआ वह एक गफ ुा केपास आ पहुं
चा। गफ
ुा गहर और
सं
क र थी, ठ क वै
सी जैसे जंगल जानवर केमां द के प म काम आती ह।
उसने उसकेअं दर झां
क ा मां
द खाल थी पर चारो ओर उसे इस बात के माण
नजर आए क उसम जानवर का बसे र ा ह। उस समय वह जानवर शायद
भोजन क तलाश म बाहर गया हु आ था। शे र चप
ुचाप दबुककर बैठ गया ता क
उसम रहने वाला जानवर लौट आए तो वह दबोच ले ।
सचमु च उस गफ
ुा म सयार रहता था, जो दन को बाहर घू
मता रहता और रात
को लौट आता था। उस दन भी सू
र ज डू
बने केबाद वह लौट आया। सयार
काफ चालाक था। हर समय चौक ना रहता था। उसने अपनी गफुा केबाहर
कसी बडे जानवर केपैर केनशान दे खेतो च का उसेशक हुआ क कोई
शकार जीव मांद म उसकेशकार क आस म घात लगाए न बठा हो। उसने
अपने शक क पुि ट केलए सोच वचार कर एक चाल चल । गफ ुा केमुहाने
सेदरूजाकर उसने आवाज द “गफुा! ओ गफुा।”
ग◌ु
फ ा म चु
पी छायी रह उसनेफर पु
क ारा “अर ओ गफ
ुा, तु
बोलती य
नह ं
?”
यह सु
नकर शे र हडबडा गया। उसने
सोचा शायद गफ
ुा सचमुच सयार को
अं
दर बु
लाती होगी। यह सोचकर क कह ंसयार सचमु च न चला जाए, उसने
अपनी आवाज बदलकर कहा “ सयार राजा, मत जाओ अं दर आओ न। म कब
सेतुहार राह दे
ख रह थी।”
सि◌यार शे
र क आवाज पहचान गया और उसक मूखता पर हं
सता हु
आ वहां
सेचला गया और फर लौटकर नह ं
आया। मू
ख शे
र उसी गफ
ुा म भू
खा- यासा
मर गया।
पर वह परवाह न करता। कं
जूस म यह आदत होती ह ह। कं
जूस क अपने
घर म भी ख ल उडती ह, पर वह इसेअनसु
ना कर देतेह।
तभी वहां
म खीचस ूगीदड आ नकला। व खशुी से उछल पडा। शकार व
सु
अ र केमां
स को कम से
कम दो मह ने
चलाना ह। उसनेहसाब लगाया।
स◌ीखः अ धक कं
जूसी का प रणाम अ छा नह ं
होता।
मि◌ क सलाह
एक धोबी का गधा था। वह दन भर कपड केग र इधर से उधर ढोने
म लगा
रहता। धोबी वयं कंजूस और नदयी था। अपने गधेकेलए चारे का बं
ध
नह ं
करता था। बस रात को चरनेकेलए खल ुा छोड देता । नकट म कोई
चरागाह भी नह ं
थी। शर र से
गधा बहु
त दबुल हो गया था।
एक रात उस गधे
क मु
लाकात एक गीदड से
हु
ई। गीदड ने
उससे
पू
छ ा “ खए
महाशय, आप इतनेकमजोर य ह?”
गधे
नेदख
ुी वर म बताया क कै
सेउसेदन भर काम करना पडता ह। खाने
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च तंक े
र क कहा नयां
| हं
द पटल - ह द क उ कृट रचनाएँ
गधे नेदख
ुी वर म बताया क कै से उसेदन भर काम करना पडता ह। खाने
को कुछ नह ंदया जाता। रात को अं
धरे
ेम इधर-उधर मं
ह मारना पडता ह।
ु
ग◌ीदड बोला “तो समझो अब आपक भु खमर केदन गए। यहां पास म ह
एक बडा सि जय का बाग ह। वहां तरह-तरह क सि जयां उगी हु
ई ह। खीरे,
कक डयां, तोर , गाजर, मू
ल , शलजम और बै गन क बहार ह। मने बाड
तोडकर एक जगह अं दर घु
सने का गुत माग बना रखा ह। बस वहांसे हर रात
अंदर घु
सकर छककर खाता हू ं
और से हत बना रहा हू
ं
। तु
म भी मे
रेसाथ आया
करो।” लार टपकाता गधा गीदड केसाथ हो गया।
गधा आं
खेबं
द करकेम त वर म बोला “मे र ा दल गाने
का कर रहा ह।
अ छा भोजन करनेकेबाद गाना चा हए। सोच रहा हू
ंक ढचूराग गाऊं
।”
ग◌ीदड ने
तु
रं
त चे
तावनी द “न-न, ऐसा न करना गधे
भाई। गाने
-वानेका
च कर मत चलाओ। यह मत भू लो क हम दोन यहांचोर कर रहेह।
मु
सीबत को यौता मत दो।”
गधे
नेटे
ढ नजर से गीदड को दे
खा और बोला “गीदड भाई, तु
म जं
गल के
जं
गल रहे
। सं
गीत केबारेम तुम या जानो?”
ग◌ीदड ने
हाथ जोडे“म संगीत केबारेम कु छ नह ं
जानता। के
वल अपनी
जान बचाना जानता हू
ं
। तु
म अपना बेसु
र ा राग अलापने
क िजद छोडो, उसी म
हम दोन क भलाई ह।”
गधे
नेगीदड क बात का बु
र ा मानकर हवा म दल
ु ती चलाई और शकायत
करने
लगा “तुमनेमे
रेराग को बेसु
र ा कहकर मे
र बे
इ जती क ह। हम गधे
शुशा ीय लय म रकते ह। वह मूख क समझ म नह ं आ सकता।”
गधा हं
सा “अरेमू
ख गीदड! मे
र ा राग सु
नकर बाग केचौक दार तो या, बाग
का मा लक भी फू
ल का हार लेक र आएगा और मे रे
गले म डालेगा।”
ग◌ीदड ने
चतुर ाई से
काम लया और हाथ जोडकर बोला “गधे भाई, मु
झे
अपनी गलती का अहसास हो गया ह। तु
म महान गायक हो। म मू
ख गीदड भी
तु
महारेगलेम डालने केलए फू
ल क माला लाना चाहता हूं
।मेरे
जानेकेदस
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र क कहा नयां
| हं
द पटल - ह द क उ कृट रचनाएँ
गधे ने
गव से सहम त म सर हलाया। गीदड वहां से सीधा जं
गल क ओर
भाग गया। गधे ने उसकेजानेकेकुछ समय बाद म त होकर रकना शु
कया। उसकेरकने क आवाज सु नतेह बाग केचौक दार जाग गए और उसी
ओर ल ले क र दौडे
, िजधर से
रकनेक आवाज आ रह थी। वहां पहु
ं
चते ह
गधे को दे
खकर चौक दार बोला “यह ह वह द ु
ट गधा, जो हमारा बाग चर रहा
था।’
बस सारे
चौक दार डं
ड केसाथ गधे
पर पल पडे
। कु
छ ह दे
र म गधा पट-
पटकर अधमरा गर पडा।
म◌ुतखोर मे हमान
एक राजा केशयनक म मं दर स पणी नाम क जं
ने
ू डे
र ा डाल रखा था। रोज
रात को जब राजा जाता तो वह चपुकेसेबाहर नकलती और राजा का खन ू
चसूकर फर अपनेथान पर जा छपती।
स◌ं
योग सेएक दन अि नमु
ख नाम का एक खटमल भी राजा केशयनक
म आ पहु
ं
चा। जं
ने
ू जब उसे
दे
खा तो वहां
सेचले
जाने को कहा। उसने
अपने
अ धकार- ेम कसी अ य का दखल सहन नह ंथा।
‘‘ठ◌ीक है
, तु
म यहां
रातभर क सकते
हो, ले
कन राजा को काटोगे
तो नह ं
उसका खन ूचसूनेकेलए।’’
‘‘ठ◌ीक है
।’’ जंबोल , ‘‘तु
ू म चप
ुचाप राजा का खन
ूचस
ूले
ना, उसे
पीड़ा का
आभास नह ं होना चा हए।’’
स ा तु
‘‘ज◌ै म कहोगी, बलकु
ल वै
सा ह होगा।’’ कहकर खटमल शयनक म
राजा केआने क ती ा करने लगा।
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श◌े
र नान करकेलौटा तो नाराज होकर बोला-‘ओ सयार केब चे
! तू
ने
मेरे
भोजन को जू
ठा य कया? तू नेइसके दय और सर य खा लए ?’
ध◌ू
त सयार गड़ गड़ाता हु
आ बोला-“महाराज, मने
तो कु
छ भी नह ं
खाया है
।
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द◌ू
सरेबं
दर नेसु
झाया “दे
खो, यहांकतनी सूखी पि तयांगर पडी ह। इ ह
इक ा कर हम ढे
र लगातेह और फर उसेसु लगाने का उपाय सोचतेह।”
ब◌ं
दर ने सूखी पि तय का ढेर बनाया और फर गोल दायरेम बै
ठकर सोचने
लगेक ढे र को कै
से सु
लगाया जाए। तभी एक बं
दर क नजर दरूहवा म उडते
एक जु गनूपर पडी और वह उछल पडा। उधर ह दौडता हु
आ च लाने लगा
खो, हवा म चं
“दे गार उड रह ह। इसेपकडकर ढेर केनीचेरखकर फं
क मारने
ू
सेआग सु लग जाएगी।”
हां
“ह◌ां !” कहते हु
ए बाक बंदर भी उधर दौडने
लगे। पे
ड पर अपने घ सले म
बै
ठ गौरै या यह सब देख रह थे। उससेचपुनह ंरहा गया। वह बोल ” बं
दर
भाइयो, यह चं गार नह ंह यह तो जुगनूह।”
एक बं
दर ोध से
गौरै
या क दे
खकर गरु
ाया “मू
ख च डया, चप
ुचाप घ सले
म
दब
ुक रह।हम सखानेचल ह।”
इस बीच एक बं
दर उछलकर जु गनूको अपनी हथेलय केबीच कटोरा बनाकर
कै
द करने म सफल हो गया। जु
गनूको ढे
र केनीचे
रख दया गया और सारे
बं
दर लगेचार ओर सेढेर म फं
क मारने
ू ।
ग◌ौरै
या नेसलाह द “भाइयो! आप लोग गलती कर रह ह। जु
गनू
सेआग नह ं
सु
लगेगी। दो प थर को टकराकर उससेचंगार पै
दा करकेआग सुलगाइए।”
ब◌ं
दर नेगौरै
या को घू
र ा। आग नह ं
सुलगी तो गौरै
या फर बोल उठ “भाइयो!
आप मेर सलाह मा नए, कम से कम दो सू
खी लक डय को आपस म रगडकर
दे
खए।”
स◌ारेबं
दर आग न सुलगा पानेकेकारण खीजे
हुए थे
। एक बं
दर ोध से
भरकर आगे बढा और उसने गौरै
या पकडकर जोर सेपे
ड केतनेपर मारा।
गौरै
या फडफडाती हु
ई नीचेगर और मर गई।
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दे
र न लगी। हंसो को कछुए का धीमे-धीमेचलना और उसका भोलापन बहु त
अ छा लगा। हं स बहुत ानी भी थे। वेकछु ए को अदभु त बात बताते । ॠ ष-
मुनय क कहा नयां सुनाते
। हं
स तो दरू-दरूतक घू मकर आते थे
, इस लए
दस
ूर जगह क अनोखी बात कछु ए को बताते । कछुआ मंमुध होकर उनक
बात सुनता। बाक तो सब ठ क था, पर कछु ए को बीच म टोका-टाक करने क
बहुत आदत थी। अपने स जन वभाव केकारण हं स उसक इस आदत का
बु
र ा नह ं
मानते थे
। उन तीन क घ न टता बढती गई। दन गज ुरते गए।
कछु
ए क बात भी ठ क थी। हं
सो ने
अ ल लडाई और एक तर का सोच
नकाला।
उ ह ने
चे
तावनी द “पर याद रखना, उडान केदौरान अपना मं
ह न खोलना।
ु
वरना गर पडोगे
।”
कछुए ने
हामी म सर हलाया। बस, लकडी पकडकर हं स उड चले। उनकेबीच
म लकडी मंह दाबे
ु कछुआ। वे एक क बे केऊपर सेउड रहे
थेक नीचे खडे
लोग नेआकाश म अदभु त नजारा देखा। सब एक दस
ूरेको ऊपर आकाश का
दॄय दखाने लगे । लोग दौड-दौडकर अपने च ज पर नकल आए। कु छ
अपने मकान क छत क ओर दौडे । ब चेबू
डे
, औरत व जवान सब ऊपर
दे
खनेलगे। खबूशोर मचा। कछु ए क नजर नीचे उन लोग पर पडी।
स◌ीखः बेमौकेमं
ह खोलना बहु
ु त महं
गा पडता ह।
रं
ग म भंग
एक बार जंगल म प य क आम सभा हु ई। प य केराजा ग ड थे। सभी
ग ड सेअसं तुट थे
। मोर क अ य ता म सभा हु ई। मोर ने
भाषण दया
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ह◌ु
दहु
द ने ताव रखा “हम नया राजा चन
ुना चा हए, जो हमार सम याएं
हल करेऔर दस
ूरेराजाओंकेबीच बैठकर हम प य को जीव जगत म
स मान दलाए।”
म◌ु
ग ने
बां
ग द “कु
कडू
ं
कं
ू। म हु
दहु
दजी के ताव का समथन करता हू
ं
”
च◌ील ने
जोर क सीट मार “म भी सहमत हू
ं
।”
म◌ोर ने पं
ख फैलाए और घोषणा क “तो सवस म त से
तय हु
आ क हम नए
राजा का चन
ुाव कर, पर कसेबनाएंहम राजा?”।
म◌ोर बोला “ठ क ह, म उ लू
ज ी सेाथना करता हू
ंक वे
कुछ श द बोल।”
उ लूने
घुघुआतेकहा “भाइयो, आपने राजा पद पर मु
झेबठाने का नणय
जो कया ह उससेम गदगद हो गया हू
ं
। आपको व वास दलाता हू ंक मु झे
आपक से वा करनेका जो मौका मला ह, म उसका सदप
ुयोग करते हु
ए
आपक सार सम याएं हल करनेका भरसक य न क ं गा। ध यवाद।”
प जन ने
एक वर म ‘उ लू
महाराज क जय’ का नारा लगाया।
म◌ु
ग व शतु
र मु
ग ने
पे
ड केनकट पं
ज ो सेम ी खोद-खोदकर एक बडा हवन
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म◌ु
ग व शतुर मुग नेपे
ड केनकट पं ज ो सेम ी खोद-खोदकर एक बडा हवन
तै
यार कया। दसूरेप ी लाल रं
ग केफूल ला-लाकर कंुड म ढे
र लगाने
लगे।
कं
ड केचार ओर आठ-दस तोते
ु बैठकर मंपढने लगे।
नि◌वा चत राजा उ लू
तोतेपं
डत केसाथ ल मी मं दर केओर उड चले
उनकेजाने केकुछ ण प चात ह वहां कौआ आया। चार ओर ज न सा
माहोल दे
खकर वह च का। उसनेपू
छ ा “भाई, यहांकस उ सव क तैयार हो
रह ह?
म◌ोर ने
उ तर दया “यह जं
गल प य क सभा ह। तु म तो अब जाकर
अ धकतर क ब व शहर म रहनेलगे
हो। तुहारा हमसेया वा ता?”
उ लू क से वका खं
ड रच पे
ड पर से
बोल “कौआ आकर सबको उ ट प ी
पढा गया। सब चलेगए। अब कोई रा या भषे
क नह ं
होगा।”
उ लू
च च पीसकर रह गया। राजा बनने
का सपना चरू
-चरूहो गया तब से
उ लू
कौओं का बै
र बन गया और दे खते
ह उस पर झपटता ह।
स◌ीखः कई म दस ूर केरं
ग म भंग डालने क आदत होती ह और वे उ -भर
क दु मनी मोल ले बै
ठतेह।
रं
गा सयार
एक बार क बात ह क एक सयार जं गल म एक पु र ाने
पे
ड केनीचेखडा था।
पू
र ा पे
ड हवा केते
ज झ केसेगर पडा। सयार उसक चपे ट म आ गया और
बु
र तरह घायल हो गया। वह कसी तरह घसटता- घसटता अपनी मां द तक
पहुं
चा। कई दन बाद वह मांद सेबाहर आया। उसे भू ख लग रह थी। शर र
कमजोर हो गया था तभी उसे एक खरगोश नजर आया। उसे दबोचनेकेलए
वह झपटा। सयार खछ ु दरूभागकर हांफ नेलगा। उसकेशर र म जान ह कहां
रह गई थी? फर उसने एक बटेर का पीछा करनेक को शश क । यहां भी वह
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र◌ं
गेसयार ने
डरकर भागते
जीव को आवाज द “भाइओ, भागो मत मे
र
बात सु
नो।”
उसक बात सु
नकर सभी जानवर भागते
जानवर ठठके
।
उनकेठठकने का रं
गेसयार नेफायदा उठाया और बोला “देखो, दे
खो मे
रा
रं
ग। ऐसा रं
ग कसी जानवर का धरती पर ह? नह ंन। मतलब समझो।
भगवान ने मु
झेयह खास रं
ग तुहारेपास भेज ा ह। तु
म सब जानवर को बु ला
लाओ तो म भगवान का संदे
श सुनाऊं
।”
एक बू
ढे
हाथी ने
कहा “हे
स ाट, अब हम बताइए क हमार या कत य ह?”
र◌ं
गा सयार स ाट क तरह पंज ा उठाकर बोला “तुह अपने स ाट क खब ू
से
वा और आदर करना चा हए। उसे कोई तकल फ नह ं होनी चा हए। हमारे
खाने
-पीने
का शाह बंध होना चा हए।”
श◌े
र नेसर झक ुाकर कहा “महाराज, ऐसा ह होगा। आपक से
वा करके
हमारा जीवन ध य हो जाएगा।”
बस, स ाट ककु
दम
ुबने
रं
गेसयार केशाह टाठ हो गए। वह राजसी शान से
रहनेलगा।
कई लोम डयांउसक से
वा म लगी रहतीं
भालू पं
खा झल
ुाता। सयार िजस
जीव का मां
स खाने
क इ छा जा हर करता, उसक ब ल द जाती।
जब सयार घू
मनेनकलता तो हाथी आगे -आगेसंड उठाकर बगल
ू ुक तरह
चं
घाडता चलता। दो शे
र उसकेदोन ओर कमां
डो बाडी गाड क तरह होते
।
र◌ोज ककु दम
ुका दरबार भी लगता। रं
गेसयार ने
एक चालाक यह कर द
थी क स ाट बनते ह सयार को शाह आदे श जार कर उस जं
गल सेभगा
दया था। उसेअपनी जा त केजाव वारा पहचान लए जानेका खतरा था।
एक दन स ाट ककु दम
ुखबूखा-पीकर अपने शाह मांद म आराम कर रहा था
क बाहर उजाला दे
खकर उठा। बाहर आया चांदनी रात खल थी। पास के
जंगल म सयार क टो लयां हू
‘हू SSS’ क बोल बोल रह थी। उस आवाज
को सु
नते ह ककु दम
ुअपना आपा खो बै ठा। उसकेअदं र केज मजात वभाव
नेजोर मारा और वह भी मं
ह चां
ु द क ओर उठाकर और सयार के वर म
मलाकर ‘हू हू
SSS’ करनेलगा।
श ु क सलाह
नद कनारे एक वशाल पे ड था। उस पे
ड पर बगलु का बहु
त बडा झड
ं
ुरहता
था। उसी पे
ड केकोटर म काला नाग रहता था। जब अं
ड सेब चेनकल आते
और जब वह कु छ बडेहोकर मां
-बाप से
दरूरहने लगते
, तभी वह नाग उ ह खा
जाता था। इस कार वष से काला नाग बगलु केब चे हडपता आ रहा था।
बगलुेभी वहांसेजानेका नाम नह ंले
तेथे, य क वहांनद म कछु ओं क
भरमार थी। कछु ओंका नरम मांस बगलु को बहुत अ छा लगता था।
“मामा, य रो रहे
हो?”
बगल
ुा अपने श ु
को अपना दख
ुबताकर गलती कर बै टा था। चतुर कछु
आ
एक तीर से
दो शकार मारनेक योजना सोच चकुा था। वह बोला “मामा! म
तुह बदला ले
नेका बहु
त अ छा उपाय सु
झाता हू
ं
।”
कचएुने बगल
ुेको ने
वले का बल दखा दया। बगल ुे ने वै
सेह कया जैसे
कचएुने समझाया ता। ने
वला सचमुच मछ लयां खाता हुआ कोटर तक
पहु
ं
चा। ने
वलेको दे
खते ह नाग ने
फं
ुकार छोडी। कुछ ह देर क लडाई म नेवले
नेसां
प केटु
कडे
-टु
कडे कर दए। बगलुा खश
ुी से उछल पडा। कछु ए नेमन ह
मन म कहा “यह तो शुआत ह मूख बगलुे। अब मेर ा बदला शुहोगा और
तु
म सब बगलु का नाश होगा।”
तभी वहां
बं
दर का एक दल उछलता-कू
दता आया। उनम एक शरारती बं
दर
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ब◌ं
दर खब
ूजोर लगाकर उसेहलानेक को शश करने लगा। क ला जो
लगानेपर हलनेव खसकने लगा तो बं
दर अपनी शि त पर खश
ुहो गया।
तभी मजदरूवहां
लौटे। उ ह दे
खते
ह बं
दर नी भागनेकेलए जोर लगाया तो
उसक पंछ टू
ू ट गई। वह चीखता हु
आ टू
ट पं
छ ले
ू क र भागा।
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नेदे
खते -ह -दे
खते नवजात हरण केब चेको नगल लया। तब तक हरणी
भी लौट आई थी, पर वह या करती? आंख म आं सू
भर जड होकर दरूसे
अपने ब चे को काल का ास बनतेदे
खती रह ।
न◌े
वलेनेकहा “ऐसा मत सोचो। उसकेपास चीं
टय क बहु
त बडी से
ना ह।
सं
गठन म बडी शि त होती ह।”
हि◌रणी को कुछ आशा क करण नजर आई। ने वला हरणी को लेक र चीं
ट
रानी केपास गया और उसेसार कहानी सुनाई। चींट रानी ने
सोच- वचारकर
कहा “हम तुहार सहायता करगे । हमार बांबी केपास एक संक र ला नु
क ले
प थर भरा रा ता ह। तु
म कसी तरह उस अजगर को उस रा ते से आने पर
मजबू र करो। बाक काम मे
र सेना पर छोड दो।”
स◌ीखः सं
गठन शि त बडे-बड को धल
ूचटा देती ह।
स चा शासक
कं
चन वन म शे
र सं
ह का राज समा त हो चक
ुा था पर वहांबना राजा के
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ि थ त ऐसी हो गई थी जै
से जं
गलराज हो िजसक जो मज वह कर रहा था।
वन म अशां त, मारकाट, गं
दगी, इतनी फैल गई क वहांजानवर का रहना
मुि कल हो गया। कु
छ जानवर शे र सं
ह को याद कर रहे
थेक “जब तक
शेर सं
ह ने
राजपाट सं भाला हु
आ था सारेवन म कतनी शां त और एकता थी।
ऐसे ह चलता रहा तो एक दन यह वन ह समा त हो जाएगा और हम सब
जानवर बेघर होकर मारेजाएंग।े”
द।
स चेम
बहुत समय पहले क बात ह। एक सु दं
र हरे
-भरेवन म चार म रहते थे।
उनम से एक था चहूा, दस
ूरा कौआ, तीसरा हरण और चौथा कछु आ। अलग-
अलगजा त केहोने केबावजू द उनम बहु त घ न टता थी। चार एक-दस ूरे पर
जान छडकते थे
। चार घु ल- मलकर रहते , खब
ूबात करते और खे लते
। वन म
एक नमल जल का सरोवर था, िजसम वह कछु आ रहता था। सरोवर केतट
केपास ह एक जामु न का बडा पेड था। उसी पर बने अपने घ सले म कौवा
रहता था। पे
ड केनीचे जमीन म बल बनाकर चह ूा रहता था और नकट ह
घनी झा डय म ह हरण का बसे र ा था। दन को कछु आ तट केरे त म धप
ू
सेक ता रहता पानी म डुब कयां लगाता। बाक तन म भोजन क तलाश म
नकल पडते और दरूतक घू मकर सू या त केसमय लौट आते । चार म
इक े होतेएक दस ूरेकेगले लगते , खे लतेऔर धमा-चौकडी मचाते ।
च◌ूहे
नेचं तत वर म कहा “हां, बात बहु
त गंभीर ह। ज र वह कसी
मु
सीबत म पड गया ह। अब हम या करे ?” कौवेने ऊपर दे
खतेहुए अपनी
च च खोल “ म ो, वह िजधर चरनेायः जाता ह, उधर म उडकर दे ख आता,
पर अं
धरेा घरनेलगा ह। नीचेकु
छ नजर नह ं आएगा। हम सु बह तक ती ा
करनी होगी। सु
बह होतेह म उडकर जाऊं गा और उसक कु छ खबर लाकर
तुह दं
ग
ूा।”
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र क कहा नयां
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दे
ख पाया और फं स गया। हरण सु
बका “ शकार आता ह होगा वह मु
झे
पकडकर ले जाएगा और मे र कहानी ख म समझो। म कौवे ! तु
म चह
ूेऔर
कछुए को भी मे
र ा अं
तम नम कार कहना।”
क◌ौआ उडा और ते ज ी से
वहां
पहुं
चा, जहां
कछुआ तथा चह ूा आ पहु
ं
चे थे
। कौवे
नेसमय न ट कए बना बताया “ म ो, हमारा म हरण एक द ु ट शकार
केजाल म कै द ह। जान क बाजी लगी ह शकार केआने सेपहलेहमने उसे
न छुडाया तो वह मारा जाये
गा।” कछु आ हकलाया ” उसकेलए हम या
करना होगा? ज द बताओ?” चह ूेकेतेज दमाग ने कौवेका इशारा समझ
लया था “घबराओ मत। कौवे भाई, मुझेअपनी पीठ पर बै
ठाकर हरण के
पास लेचलो।”
च◌ूहेको जाल कु
तरकर हरण को मुत करने म अ धक देर नह ं
लगी। मुत
होतेह हरण ने अपनेम को गले लगा लया और ंधेगले सेउ ह
ध यवाद दया। तभी कछु आ भी वहांआ पहुचा और खश
ुी केआलम म
शा मल हो गया। हरण बोला “ म , आप भी आ गए। म भा यशाल हूं
, िजसे
ऐसे स चेम मले ह।”।
य◌ोजना अ छ थी लं
गडाकर चलतेहरण को दे
ख शकार क बां
छेखल
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स◌ां
ड िजस जंगल म पहु ं
चा, वहां
खबूहर घास उगी थी। आजाद होने केबाद
सां
ड केपास दो ह काम रह गए। खब ूखाना, हु
ं
क ारना तथा पे
ड केतन म सीं ग
फं
साकर जोर लगाना। सांड पहले से भी अ धक मोटा हो गया। सारे
शर र म
ऐसी मां
सपेशयां उभर जै से चमडी सेबाहर छलक ह पडगी। पीठ पर कं धो के
ऊपर क गांठ बढती-बढती धोबी केकपड केग र िजतनी बडी हो गई। गले म
चमडी व मां
स क तह क तह लटकने लगीं।
ग◌ीदड ने
गीदडी को समझाया “सपनेदेखना छोडो। उसका मां
स कतना ह
चब ला और वा द ट हो, हम या ले
ना।”
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बस दोन सां
ड केपीछे
लगे
रहे
। भू
खेयासे
एक दन दोन गर पडे
और फर न
उठ सके।
ॠ ष प नी ब ची को दे
खकर बहु
त स न हु उई। ब ची को अपने हाथ म
ले
क र चम
ूने लगी “ कतनी यार ब ची है
। मे
र ब ची ह तो ह यह। इसेम
पुी क तरह ह पालंगी।”
ू
तभी कां
ता वहां
आ पहुं
ची। उसनेअपने के
श म फू
ल गथं
ूरखे थे। चे
हरे
पर
यौवन दमक रहा था। ॠ ष को लगा क उनक प नी ठ क कह रह ह। उ ह ने
धीरे
सेअपनी प नी केकान म कहा “म हमार ब टया केलए अ छे से
अ छा वर ढूं
ढ नकालंगा।”
ू
उ ह ने
अपने तपोबल से
सूयदे
व का आवाहन कया। सू
य ॠ ष केसामने
कट हु
ए और बोले“ णाम मु
न ी, क हए आपनेमुझेय मरण कया?
या आ ा ह?”
तभी कां
ता बोल “तात, यह बहु
त गम ह। मे
र तो आं
ख चंुधया रह ह। म
इनसेववाह कै सेक ं? न कभी इनकेनकट जा पाऊं
गी, न दे
ख पाऊंगी।”
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ॠ ष ने
कां
ता क पीठ थपथपाई और बोले
“ठ क ह। दस
ूरे
और े
ठ वर दे
खते
ह।”
स◌ूयदे
व बोले“ॠ षवर, बादल मु
झसेे
ठ ह। वह मु
झेभी ढक ले
ता ह। उससे
बात क िजए।”
ॠ ष ने
बादल से
पू
छ ा “तुह बताओ क तु
मसेे
ठ कौन ह?”
ब◌ादल ने
उ तर दया “पवन। वह मु
झेभी उडाकर ले
जाता ह। म तो उसी के
इशारे
पर चलता रहता हू
ं
।”
क◌ां
ता नेअपना सर हलाया “नह ंतात! यह बहु
त चं
चल ह। एक जगह
टकेगा ह नह ं
। इसकेसाथ गॄ
ह थी कै
सेजमे गी?”
ॠ ष ने
पवन दे
व से
पू
छ ा “तुह बताओ क तु
मसेे
ठ कौन ह?”
पवन दे
व बोले
“ॠ षवर, पवत मु
झसे
भी े
ठ ह। वह मे
र ा रा ता रोक ले
ता
ह।”
ॠ ष केबु
लावे
पर पवतराज कट हु
ए और बोले
“ॠ षवर, आपने
मुझेय
याद कया?”
ॠ ष ने
मंबल से
एक चु
हया को तो मानवी बना दया, पर उसका दल तो
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ॠ ष ने
मंबल से एक चुहया को तो मानवी बना दया, पर उसका दल तो
चु
हया का ह रहा। ॠ ष ने
कां
ता को फर चु हया बनाकर उसका ववाह चह ूेसे
कर दया और दोन को वदा कया।
चतंक
20 thoughts on “पं े
रक
कहा नयां
”
1. princess says:
brilliant
REPLY अ ै
ल 26, 2010 AT 5:45 अपरा न
himanshu says:
wah
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Thanks.
Ashutosh
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REPLY जु
लाई 5, 2013 AT 3:52 अपरा न
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