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9/7/2014 पं

च तंक े
र क कहा नयां
| हं
द पटल - ह द क उ कृट रचनाएँ

हि◌ं
द पटल – ह द क उ कृट रचनाएँ

Hindipatal: Collection of Best Creation in Hindi –


Compiled by Ashutosh K Roy

प◌ं
चतंक े
रक कहा नयां

प◌ं
चतंक कहा नय क रचना का इ तहास भी बडा ह रोचक ह। लगभग
http://hindipatal.wordpress.com/%E0%A4%B2%E0%A5%8B%E0%A4%95-%E0%A4%95%E0%A4%A5%E0%A4%BE%E0%A4%8F%E0%A4%81/%E0%A4%… 1/67
9/7/2014 पं
च तंक े
र क कहा नयां
| हं
द पटल - ह द क उ कृट रचनाएँ

प◌ं चतंक कहा नय क रचना का इ तहास भी बडा ह रोचक ह। लगभग


2000 वष पू व भारत वष केद णी ह से म म हलारो य नामक नगर म
राजा अमरशि त का शासन था। उसकेतीन पुबहु शि त, उ शि त और
अनं तशि त थे। राजा अमरशि त िजतने उदार शासक और कु शल नी त
थे, उनकेपुउतने ह मू ख और अहं क ार थे
। राजा नेउ ह यवहा रक श ा
दे
नेयवहा रक श ा दे ने
क बहु त को शश क परं तुकसी भी कार से बात
नह ं बनी। हारकर एक दन राजा ने अपने मंय से मंणा क । राजा
अमरशि त केमंमं डल म कई कु शल, दरूदश और यो य मंी थे ,उ हंम
से एक मंी सु म त ने राजा को परामश दया क पं डत व णु शमा सवशा
के ाता और एक कु शल ा मण ह, य द राजकु मार को श ा देने और
यवहा रक प से त करने का उ तरदा य व पं डत पंडत व णु शमा को
स पा जाए तो उ चत होगा, वे अ प समय म ह राजकु मार को श त करने
क सामथ रखते ह।

र◌ाजा अमरशि त ने पं
डत व णु शमा से अनुर ोध कया और पा रतो षक के
प म उ ह सौ गां
व दे
नेका वचन दया। पं डत व णु शमा ने पा रतो षक को
तो अ वीकार कर दया, परंतुराजकुमार को श त करने केकाय को एक
चनुौती के प म वीकार कया। इस वीकॄत केसाथ ह उ ह ने घोषणा क
क म यह असं भव काय मा छः म हन म पू णक ं गा, य द म ऐसा न कर
सका तो महाराज मुझेमॄयुदं
ड देसकते ह।पंडत व णु शमा क यह भी म
ती ा सुनकर महाराज अमरशि त नि चं त होकर अपने शासन-काय म
य त हो गए और पं डत व नु शमा तीन राजकु मार को अपने आ म म ले
आए।

प◌ं डत व णुशमा नेराजकुमार को व वध कार क नी तशा से


संबं धत कथाएंसु
नाई। उ ह नेइन कथाओंम पा के प म पशु -प य का
वणन कया और अपनेवचार को उनकेमु ख सेय त कया। पशु -प य
को ह आधार बनाकर उ ह ने राजकुमार को उ चत-अनु चत आ द का ान
दया व यवहा रक प से श त करना आं र भ कया । राजकुमार क
श ा समा त होनेकेबाद पंडत व णु शमा नेइन कहा नय को पंचतंक
ेर क कहा नयां
केसंह के प म संक लत कया।

प◌ं
चतंक े
र क कहा नयां
अ लमं
द हं

आपस क फू

एक और एक यारह
एकता का बल
क◌ौए और उ लू
खरगोश क चतु
र ाई
गजराज व मू
षकराज
गधा रहा गधा ह
ग◌ोलू
-मोलू
और भालू
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च तंक े
र क कहा नयां
| हं
द पटल - ह द क उ कृट रचनाएँ

घ◌ं
ट धार ऊं

च◌ापलू
स मं
डल
झगडालू
मेढक
झ◌ू
ठ शान
ढ◌ गी सयार
ढ◌ोल क पोल
त◌ीन मछ लयां
द◌ुमन का वाथ
द◌ु
ट सप
नकल करना बु
र ा है
ब◌ं
दर का कले
जा
बगल
ुा भगत
प◌ं
चतंक े
र क कहा नयां
बडे
नाम का चम कार
बह पया गधा
बि◌ ल का याय
ब◌ुमान सयार
म खीचस
ूगीदड
मि◌ क सलाह

म◌ुतखोर मे
हमान
म◌ू
ख गधा
म◌ू
ख को सीख
म◌ू
ख बातू
नी कछु

र◌ं
ग म भं

र◌ं
गा सयार
श ु
क सलाह
शरारती बं
दर
स◌ं
गठन क शि त
स चा शासक
स चेम
स◌ां
ड और गीदड

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र क कहा नयां
| हं
द पटल - ह द क उ कृट रचनाएँ

सि◌ं
ह और सयार
स◌्
वजा त े

र◌ं
ग- बरं
गी मठाइयॉ
अ लमं द हं

एक बहुत बडा वशाल पे ड था। उस पर बीसीय हं
स रहते थे। उनम एक बहु त
याना हं
स था,बुमान और बहु त दरू
दश । सब उसका आदर करते ‘ताऊ’
कहकर बुलाते थे
। एक दन उसने एक न ह -सी बे
ल को पेड केतने पर बहुत
नीचेलपटते पाया। ताऊ नेदसूरेहं
स को बुलाकर कहा “देखो,इस बेल को
न ट कर दो। एक दन यह बे ल हम सबको मौत केमं ह म ले
ु जाएगी।”

एक यु
वा हं
स हं
सते
हु
ए बोला “ताऊ, यह छोट -सी बे
ल हम कै
सेमौत केमं
हम

ले
जाएगी?”

स◌्यानेहं
स ने
समझाया “आज यह तुह छोट -सी लग रह ह। धीरे
-धीरे
यह
पे
ड केसारेतने
को लपेटा मारकर ऊपर तक आएगी। फर बे
ल का तना मोटा
होनेलगे
गा और पे
ड सेचपक जाएगा, तब नीचेसेऊपर तक पे
ड पर चढने के
लए सीढ बन जाएगी। कोई भी शकार सीढ केसहारे
चढकर हम तक पहु ं

जाएगा और हम मारेजाएंग।े

द◌ू
सरे
हं
स को यक न न आया “एक छोट सी बे
ल कै
सेसीढ बने
गी?”

त◌ीसरा हं
स बोला “ताऊ, तु
तो एक छोट -सी बे
ल को खीं
चकर यादा ह
ल बा कर रहा है
।”

एक हं
स बडबडाया “यह ताऊ अपनी अ ल का रौब डालने
केलए अं
ट-शं

कहानी बना रहा ह।”

इस कार कसी दसूरे


हं
स ने
ताऊ क बात को गं
भीरता से
नह ंलया। इतनी
दरूतक दे
ख पाने
क उनम अ ल कहां
थी?

समय बीतता रहा। बे ल लपटते - लपट टे ऊपर शाख तक पहु ं


च गई। बे
ल का
तना मोटा होना शुहुआ और सचमु च ह पेड केतनेपर सीढ बन गई। िजस
पर आसानी से चढा जा सकता था। सबको ताऊ क बात क स चाई सामने
नजर आने लगी। पर अब कु छ नह ंकया जा सकता था य क बे ल इतनी
मजबू त हो गई थी क उसे न ट करना हं स केबस क बात नह ं थी। एक दन
जब सब हं स दाना चग
ुने बाहर गए हुए थे तब एक बहेलआ उधर आ नकला।
पे
ड पर बनी सीढ को देखते ह उसने पे
ड पर चढकर जाल बछाया और चला
गया। सां
झ को सारे हं
स लौट आए पे ड पर उतरेतो बहे
लए केजाल म बु र
तरह फंस गए। जब वे जाल म फं स गए और फडफडाने लगे, तब उ ह ताऊ क
बुमानी और दरू द शता का पता लगा। सब ताऊ क बात न मानने केलए
लि जत थे और अपने आपको कोस रहे थे
। ताऊ सबसे ट था और चप ुबैठा
था।

एक हंस नेह मत करकेकहा “ताऊ, हम मू


ख ह, ले
कन अब हमसे
मंह मत

फे
रो।’

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च तंक े
र क कहा नयां
| हं
द पटल - ह द क उ कृट रचनाएँ

द◌ूसरा हं
स बोला “इस संक ट सेनकालने क तरक ब तू ह हम बता सकता
ह। आगे हम ते
र कोई बात नह ंटालगे ।” सभी हं
स ने हामी भर तब ताऊ ने
उ ह बताया “मेर बात यान से सुनो। सुबह जब बहेलया आएगा, तब मु दा
होनेका नाटक करना। बहे लया तुह मु दा समझकर जाल सेनकाल कर
जमीन पर रखता जाएगा। वहां भी मरे समान पडेरहना। जै से
ह वह अि तम
हं
स को नीचे रखे
गा, म सीट बजाऊं गा। मेर सीट सु
नते ह सब उड जाना।”

स◌ु
बह बहे
लया आया। हंसो नेवै
सा ह कया, जै
सा ताऊ ने
समझाया था।
सचमु
च बहेलया हं
स को मुदा समझकर जमीन पर पटकता गया। सीट क
आवाज केसाथ ह सारे
हं
स उड गए। बहेलया अवाक होकर देखता रह गया।

स◌ीखः बुमान क सलाह गं


भीरता से
लेनी चा हए।

आपस क फू ट
ाचीन समय म एक व च प ी रहता था। उसका धड एक ह था, पर तुसर
दो थे
नाम था उसका भा ंड। एक शर र होनेकेबावजूद उसकेसर म एकता
नह ंथी और न ह था तालमेल। वेएक दस ूरे
सेबैर रखते थे
। हर जीव सोचने
समझने का काम दमाग से करता ह और दमाग होता ह सर म दो सर होने
केकारण भा ंड केदमाग भी दो थे। िजनम सेएक पू र ब जानेक सोचता तो
दस
ूरा पि चम फल यह होता था क टां ग एक कदम पू र ब क ओर चलती तो
अगला कदम पि चम क ओर और भा ं ड वयं को वह ं खडा पाता ता। भा ं

का जीवन बस दो सर केबीच र साकसी बनकर रह गया था।

एक दन भा ंड भोजन क तलाश म नद तट पर धम ूरहा था क एक सर को


नीचेगरा एक फल नजर आया। उसने च च मारकर उसे
चखकर दे खा तो
जीभ चटकानेलगा “वाह! ऐसा वा द ट फल तो मनेआज तक कभी नह ं
खाया। भगवान नेदु
नया म या- या चीज बनाई ह।”

“अ छा! जरा म भी चखकर दे


ख।ं
ू” कहकर दस
ूरेने
अपनी च च उस फल क
ओर बढाई ह थी क पहलेसर ने झटककर दस ूरेसर को दरूफ का और बोला
“अपनी गंद च च इस फल सेदरूह रख। यह फल मनेपाया ह और इसे मह
खाऊं
गा।”

“अरे! हम ्
दोन एक ह शर र केभाग ह। खाने -पीने
क चीज तो हम बांटकर
खानी चा हए।” दस
ूरेसर ने दल ल द । पहला सर कहनेलगा “ठ क! हम एक
शर र केभाग ह। पे
ट हमार एक ह ह। म इस फल को खाऊं गा तो वह पे
टमह
तो जाएगा और पेट ते
र ा भी ह।”

द◌ू
सरा सर बोला “खाने का मतलब के वल पे
ट भरना ह नह ं
होता भाई। जीभ
का वाद भी तो कोई चीज ह। तबीयत को सं
तु
ि ट तो जीभ से
ह मलती ह।
खाने
का असल मजा तो मं ह म ह ह।”

पहला सर तुनकर चढाने वालेवर म बोला “मने तेर जीभ और खाने के


मजेका ठे
का थोडे ह लेरखा ह। फल खानेकेबाद पे
ट से डकार आएगी। वह
डकार ते
रे
मंह से
ु भी नकलेगी। उसी से
गजुारा चला लेना। अब यादा
बकवास न कर और मु झेशांत सेफल खानेदे।” ऐसा कहकर पहला सर
चटकारेले
-लेक र फल खाने लगा।
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इस घटना केबाद दसूरेसर नेबदला लेनेक ठान ल और मौकेक तलाश म


रहनेलगा। कुछ दन बाद फर भा ंड भोजन क तलाश म घू म रहा था क
दस
ूरेसर क नजर एक फल पर पडी। उसे िजस चीज क तलाश थी, उसे वह
मल गई थी। दस
ूरा सर उस फल पर च च मारने ह जा रहा था क क पहले
सर ने
चीखकर चे तावनी द “अरे
, अरे
! इस फल को मत खाना। या तु झेपता
नह ंक यह वषै ला फल ह? इसेखानेपर मॄयुभी हो सकती है।”

द◌ू
सरा सर हं
सा “हेहेहे
! तु
चप
ुचाप अपना काम दे
ख। तु
झेया ले
ना ह क
म या खा रहा हू

? भू
ल गया उस दन क बात?”

पहलेसर ने समझानेक को शश क “तु


ने
यह फल खा लया तो हम दोन
मर जाएं
ग।े

द◌ूसरा सर तो बदला लेने


पर उता था। बोला “मै नेते
रेमरने
-जीने
का ठेका
थोडेह लेरखा ह? म जो खाना चाहता हू

, वह खाऊं
गा चाहे
उसका नतीजा कुछ
भी हो। अब मु
झेशांत सेवषैला फल खाने दे
।”

द◌ू
सरेसर ने
सारा वषै
ला फल खा लया और भा ं
ड तडप-तडपकर मर
गया।

स◌ीखः आपस क फू ट सदा ले


डू
बती ह।
एक और एक यारह
एक बार क बात ह क बन गर केघने जं
गल म एक उ मुत हाथी ने
भार
उ पात मचा रखा था। वह अपनी ताकत केनशेम चरूहोने
केकारण कसी
को कु
छ नेहंसमझता था।

बन गर म ह एक पे ड पर एक च डया व चडे का छोटा-सा सु


खी सं सार था।
च डया अंडो पर बै
ठ न ह-न ह यारे ब च केनकलने केसुनहरे सपने
दे
खती रहती। एक दन ू र हाथी गरजता, चं
घाडता पेड को तोडता-मरोडता
उसी ओर आया। दे खतेह देखते उसनेच डया केघ सले वाला पेड भी तोड
डाला। घ सला नीचे आ गरा। अंडे टू
ट गए और ऊपर से हाथी का पैर उस पर
पडा।

चि◌ डया और चडा चीखनेच लाने केसवा और कु छ न कर सके । हाथी के


जानेकेबाद च डया छाती पीट-पीटकर रोने लगी। तभी वहांकठफोठवी आई।
वह च डया क अ छ म थी। कठफोडवी ने उनकेरोने का कारण पू
छ ा तो
च डया नेअपनी सार कहानी कह डाल । कठफोडवी बोल “इस कार गम म
डू
बेरहने सेकुछ नह ं
होगा। उस हाथी को सबक सखाने केलए हमे कुछ
करना होगा।”

चि◌ डया नेनराशा दखाई “हम छोटे


-मोटे
जीव उस बलशाल हाथी से
कैसे
ट कर ले सकते ह?”

कठफोडवी ने
समझाया “एक और एक मलकर यारह बनते
ह। हम अपनी
शि तयां
जोडगे।”

से
“क◌ै?” च डया ने
पू
छ ा।

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“म◌ेर ा एक म वीं आख नामक भं


वरा ह। हम उससे सलाह लेना चा हए।”
च डया और कठफोडवी भं वरे
सेमल । भं वरा गन
ुगन
ुाया “यह तो बहुत बु
रा
हु
आ। मे र ा एक मढक म ह आओ, उससे सहायता मां
ग।े

अब तीन उस सरोवर केकनारे


पहुं
च,े
जहां वह मे
ढक रहता था। भं
वरेने
सार
सम या बताई। मढक भरायेवर म बोला “आप लोग धैय सेजरा यह ं
मेर
ती ा कर। म गहरे
पाने
म बै
ठकर सोचता हूं
।”

ऐसा कहकर मढक जल म कू द गया। आधे घंटेबाद वह पानी सेबाहर आया


तो उसक आं खे चमक रह थी। वह बोला “दो तो! उस ह यारेहाथी को न ट
करने क मेरेदमाग म एक बडी अ छ योजना आई ह। उसम सभी का
योगदान होगा।”

म◌ढक ने जै
सेह अपनी योजना बताई,सब खश ुी से
उछल पडे
। योजना
सचमु
च ह अदभु त थी। मढक ने
दोबारा बार -बार सबको अपना-अपना रोल
समझाया।

क◌ुछ ह दरूवह उ म त हाथी तोडफोड मचाकर व पेट भरकर क पल वाल


शाखाएंखाकर म ती म खडा झमूरहा था। पहला काम भंवरे
का था। वह हाथी
केकान केपास जाकर मधरुराग गज ं
ुानेलगा। राग सु
नकर हाथी म त होकर
आंख बं
द करकेझम ूनेलगा।

तभी कठफोडवी ने
अपना काम कर दखाया। व आई और अपनी सु ई जै
सी
नु
क ल च च सेउसने ते
ज ी सेहाथी क दोन आंख बीं
ध डाल । हाथी क आंखे
फू
ट ग । वह तडपता हु
आ अं धा होकर इधर-उधर भागनेलगा।

ज◌ैसे-जै
सेसमय बीतता जा रहा था, हाथी का ोध बढता जा रहा था। आं

सेनजर न आने केकारण ठोकर और ट कर से शर र ज मी होता जा रहा
था। ज म उसेऔर च लाने पर मजबू र कर रहे
थे

चि◌ डया कॄ
त वर म मे
ढक सेबोल “ब हया, म आजीवन तुहार आभार
रहू

गी। तु
मनेमे
र इतनी सहायता कर द ।”

म◌ेढक ने
कहा “आभार मानने
क ज रत नह ं
। म ह म केकाम आते
ह।”

एक तो आं
ख म जलन और ऊपर सेच लाते
- चं
घाडते
हाथी का गला सू

गया। उसे
ते
ज यास लगने
लगी। अब उसे
एक ह चीज क तलाश थी, पानी।

म◌े
ढक नेअपने
बहु
त से
बं
ध-ु
बां
धव को इक ा कया और उ ह ले
जाकर दरू
बहु
त बडे
ग ढे
केकनारे
बै
ठकर टराने
केलए कहा। सारेमे
ढक टराने
लगे।

म◌े
ढक क टराहट सु
नकर हाथी केकान खडेहो गए। वह यह जानता ता क
मे
ढक जल ोत केनकट ह वास करते ह। वह उसी दशा म चल पडा।

टराहट और ते
ज होती जा रह थी। यासा हाथी और ते
ज भागने
लगा।

ज◌ै
सेह हाथी ग ढे
केनकट पहु

चा, मे
ढक ने
पू
र ा जोर लगाकर टराना शु
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र क कहा नयां
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ज◌ै
से ह हाथी ग ढे
केनकट पहु ं
चा, मे
ढक ने
पू
र ा जोर लगाकर टराना शु
कया। हाथी आगेबढा और वशाल प थर क तरह ग ढे म गर पडा, जहां
उसके ाण पखेउडते दे
र न लगे
इस कार उस अहं क ार म डू
बेहाथी का अं

हु
आ।

स◌ीखः 1.एकता म बल ह।
2.अहंक ार का दे
र या सबेर अंत होता ह ह।
एकता का बल
एक समय क बात ह क कबू तर का एक दल आसमान म भोजन क तलाश
म उडता हु आ जा रहा था। गलती से वह दल भटककर ऐसेदे श केऊपर से
गजुरा, जहांभयंक र अकाल पडा था। कबू तर का सरदार चं तत था। कबूतर
केशर र क शि त समा त होती जा रह थी। शी ह कु छ दाना मलना ज र
था। दल का युवा कबूतर सबसे नीचे उड रहा था। भोजन नजर आने पर उसेह
बाक दल को सु चत करना था। बहु त समय उडने केबाद कह ंवह सूखा त
ेसे बाहर आया। नीचे ह रयाल नजर आने लगी तो भोजन मलने क
उ मीद बनी। यु वा कबूतर और नीचे उडान भरने लगा। तभी उसेनीचे खेतम
बहुत सारा अ न बखरा नजर आया “चाचा, नीचे एक खेत म बहु
त सारा दाना
बखरा पडा ह। हम सबका पे ट भर जाएगा।’

सरदार नेसूचना पातेह कबू


तर को नीचे उतरकर खे त म बखरा दाना चन
ुने
का आदेश दया। सारा दल नीचेउतरा और दाना चन
ुने लगा। वा तव म वह
दाना प ी पकडने वालेएक बह लए नेबखे र रखा था। ऊपर पे
ड पर तना था
उसका जाल। जैसे ह कबूतर दल दाना चग
ुनेलगा, जाल उन पर आ गरा।
सारेकबूतर फं
स गए।

कबूतर केसरदार नेमाथा पीटा “ओह! यह तो हम फं


सानेकेलए फैलाया
गया जाल था। भू
ख नेमेर अ ल पर पदा डाल दया था। मु
झेसोचना चा हए
था क इतना अ न बखरा होने का कोई मतलब ह। अब पछताए होत या,
जब च डया चग ुगई खेत?”

एक कबू
तर रोने
लगा “हम सब मारे
जाएं
ग।े

ब◌ाक कबूतर तो ह मत हार बैठे


थे, पर सरदार गहर सोच म डू
बा था।
एकाएक उसने कहा “सु
नो, जाल मजबू त ह यह ठ क ह, पर इसम इतनी भी
शि त नह ंक एकता क शि त को हरा सके । हम अपनी सार शि त को
जोडे
तो मौत केमं
ह म जाने
ु सेबच सकते ह।”

य◌ुवा कबू
तर फडफडाया “चाचा! साफ-साफ बताओ तु
म या कहना चाहते
हो। जाल ने
हम तोड रखा ह, शि त कै
सेजोडे
?”

सरदार बोला “तु


म सब च च से
जाल को पकडो, फर जब म फु
र कहू

तो एक
साथ जोर लगाकर उडना।”

सबनेऐसा ह कया। तभी जाल बछाने वाला बहे


लयां
आता नजर आया।
जाल म कबूतर को फं
सा दे
ख उसक आंख चमक । हाथ म पकडा डं
डा उसने
मजबूती से
पकडा व जाल क ओर दौडा।

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द पटल - ह द क उ कृट रचनाएँ

बहे
लया जाल से
कुछ ह दरूथा क कबू
तर का सरदार बोला “फु
ररर!”

स◌ारेकबूतर एक साथ जोर लगाकर उडे तो पू


र ा जाल हवा म ऊपर उठा और
सारे
कबू तर जाल को लेक र ह उडनेलगे। कबूतर को जाल स हत उडते
दे
खकर बहे लया अवाक रह गया। कु छ संभला तो जाल केपीछे दौडने
लगा।
कबूतर सरदार नेबहे लए को नीचेजाल केपीछे दौडतेपाया तो उसका इरादा
समझ गया। सरदार भी जानता था क अ धक दे र तक कबू तर दल केलए
जाल स हत उडते रहना संभव न होगा। पर सरदार केपास इसका उपाय था।
नकट ह एक पहाडी पर बल बनाकर उसका एक चह ूा म रहता था। सरदार
नेकबूतर को तेज ी से
उस पहाडी क ओर उडने का आदे श दया। पहाडी पर
पहु

चते ह सरदार का संकेत पाकर जाल समे त कबू तर चहे
ू केबल केनकट
उतरे

सरदार नेम चहूे


को आवाज द । सरदार ने
संेप म चह
ूेको सार घटना
बताई और जाल काटकर उ ह आजाद करने केलए कहा। कुछ ह देर म चह
ूे
ने
वह जाल काट दया। सरदार ने
अपनेम चह े
ूको ध यवाद दया और सारा
कबूतर दल आकाश क ओर आजाद क उडान भरने लगा।

स◌ीखः एकजुट होकर बडी सेबडी वपि त का सामना कया जा सकता ह।


कौए और उ लू
बहुत समय पहले क बात ह क एक वन म एक वशाल बरगद का पे ड कौओं
क राजधानी था। हजार कौए उस पर वास करते थे
। उसी पे
ड पर कौओंका
राजा मे
घवण भी रहता था।

बरगद केपेड केपास ह एक पहाडी थी, िजसम असंय गफ ुाएंथीं


। उन
गफ
ुाओं म उ लूनवास करते थे, उनका राजा अ रमदन था। अ रमदन बहु

परा मी राजा था। कौओंको तो उसने उ लुओं का द ु
मन न बर एक घो षत
कर रखा था। उसेकौओं सेइतनी नफरत थी क कसी कौए को मारेबना वह
भोजन नह ंकरता था।

जब बहुत अ धक कौए मारेजाने लगेतो उनकेराजा मेघवण को बहु


त च ता
हु
ई। उसनेकौओं क एक सभा इस सम या पर वचार करने केलए बुलाई।
मे
घवण बोला “मेरेयारे
कौओ, आपको तो पता ह ह क उ लु ओं के
आ मण केकारण हमारा जीवन असु र त हो गया ह। हमारा श ु
शि तशाल ह और अहं क ार भी। हम पर रात को हमलेकए जाते ह। हम रात
को दे
ख नह ं
पाते
। हम दन म जवाबी हमला नह ं कर पाते
, य क वे गफ
ुाओं
केअंधरेम सुर त बैठे
रहते ह।”

फि◌र मे
घवण नेयाने
और बुमान कौओं
सेअपने
सुझाव दे
ने
केलए
कहा।

एक डरपोक कौआ बोला “हम उ लं


से
ू समझौता कर ले
ना चा हए। वह जो शत
रख, हम वीकार कर। अपनेसेतकतवर द ु
मन सेपटते रहनेम या तु क
है
?”

बहु
त-से
कौओं
नेकां
कां
करकेवरोध कट कया। एक गम दमाग का कौआ
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बहु
त-से कौओंने कां
कां
करकेवरोध कट कया। एक गम दमाग का कौआ
चीखा “हम उन द ु
ट सेबात नह ं
करनी चा हए। सब उठो और उन पर
आ मण कर दो।”

एक नराशावाद कौआ बोला “श ु


बलवान ह। हम यह थान छोडकर चले
जाना चा हए।”

स◌्यानेकौए नेसलाह द “अपना घर छोडना ठ क नह ं


होगा। हम यहां
सेगए
तो ब कु ल ह टू
ट जाएं
ग।ेहमे
यह ंरहकर और प य से सहायता लेनी
चा हए।”

क◌ौओं म सबसेचतु
र व बुमान ि थरजीवी नामक कौआ था, जो चप
ुचाप
बै
ठा सबक दल ल सु
न रहा था। राजा मे
घवण उसक ओर मु
डा “महाशय,
आप चपुह। म आपक राय जानना चाहता हूं
।”

स◌्थरजीवी बोला “महाराज, श ु


अ धक शि तशाल हो तो छलनी त से
काम ले
ना चा हए।”

सी छलनी त? जरा साफ-साफ बताइए, ि थरजीवी।” राजा ने


“क◌ै कहा।

स◌्थरजीवी बोला “आप मु


झेभला-बु
र ा क हए और मु
झ पर जानले
वा हमला
क िजए।’

म◌े
घवण च का “यह आप या कह रहे
ह ि थरजीवी?”

स◌्थरजीवी राजा मे
घवण वाल डाल पर जाकर कान मे बोला “छलनी त के
लए हम यह नाटक करना पडे गा। हमारे
आसपास केपे ड पर उ लू जासूस
हमार इस सभा क सार कायवाह दे ख रहेह। उ हेदखाकर हम फू ट और
झगडे का नाटक करना होगा। इसकेबाद आप सारे कौओंको ले क र ॠ यमू क
पवत पर जाकर मेर ती ा कर। म उ लु ओं केदल म शा मल होकर उनके
वनाश का सामान जु
टाऊंगा। घर का भे
द बनकर उनक लं क ा ढाऊंगा।”

फि◌र नाटक शुहु आ। ि थरजीवी च लाकर बोला “म जैसा कहता हू



, वै
सा
कर राजा कर राजा केब चे। य हम मरवानेपर तुला ह?”

म◌े
घावण चीख उठा “ग ार, राजा से
ऐसी बदतमीजी से
बोलने क ते र
ह मत कैसेहु
ई?”कई कौए एक साथ च ला उठे “इस ग ार को मार दो।”

र◌ाजा मेघवण नेअपनेपं


ख सेि थरजीवी को जोरदार झापड मारकर तनी से
गरा दया और घोषणा क “म ग ार ि थरजीवी को कौआ समाज सेनकाल
रहा हू

। अब से
कोई कौआ इस नीच से कोई सं
बध नेहंरखेगा।”

आसपास केपे ड पर छपे बैठे


उ लूजासू
स क आं खेचमक उठ । उ लु ओंके
राजा को जासू
स ने सूचना द क कौओंम फू
ट पड गई ह। मार-पीट और
गाल -गलौच हो रह ह। इतना सु
नतेह उ लु
ओं केसेनाप त नेराजा से
कहा
“महाराज, यह मौका ह कौओं पर आ मण करने का। इस समय हम उ ह
आसानी से हरा दगे
।”

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उ लु
ओं केराजा अ रमदन को से
नाप त क बता सह लगी। उसनेतु
रं

आ मण का आदे श देदया। बस फर या था हजार उ लुओंक सेना बरगद
केपे
ड पर आ मण करने चल द । पर तुवहां
एक भी कौआ नह ंमला।

मि◌लता भी कै से? योजना केअनुसार मे


घवण सारे कौओं को लेक र ॠ यमू क
पवत क ओर कू च कर गया था। पे
ड खाल पाकर उ लु ओं केराजा ने थक
ूा
“कौए हमारा सामना करने क बजाए भाग गए। ऐसे कायर पर हजार थ।ू ”
सारेउ लू हू
‘हू’ क आवाज नकालकर अपनी जीत क घोषणा करने लगे।
नीचेझा डय म गरा पडा ि थरजीवी कौआ यह सब दे ख रहा था। ि थरजीवी
नेकां-कांक आवाज नकाल । उसे दे
खकर जासू स उ लू बोला “अरे, यह तो
वह कौआ ह, िजसे इनका राजा ध का दे
क र गरा रहा था और अपमा नत कर
रहा था।’

उ लुओंका राजा भी आया। उसनेपू


छ ा “तुहार यह दद
ुशा कै
से हु
ई?”
िथरजीवी बोला “म राजा मे
घवण का नी तमंी था। मने उनको ने
क सलाह
द क उ लुओं का ने
तॄव इस समय एक परा मी राजा कर रहे ह। हम
उ लुओंक अधीनता वीकार कर ले नी चा हए। मेर बात सु
नकर मे घवण
ो धत हो गया और मुझेफटकार कर कौओं क जा त से बाहर कर दया।
मु
झे अपनी शरण म ले ल िजए।”

उ लुओं का राजा अ रमदन सोच म पड गया। उसके याने नी त सलाहकार ने


कान म कहा “राजन, श ु क बात का व वास नह ं करना चा हए। यह हमारा
श ुह। इसेमार दो।” एक चापलूस मंी बोला “नह ं
महाराज! इस कौए को
अपने साथ मलाने म बडा लाभ रहे
गा। यह कौओं केघर केभेद हम
बताएगा।”

र◌ाजा को भी ि थरजीवी को अपनेसाथ मलानेम लाभ नजर आया अओ


उ लूि थरजीवी कौए को अपने साथ ले
गए। वहां
अ रमदन नेउ लूसे
वक
सेकहा “ि थरजीवी को गफुा केशाह मे
हमान क म ठहराओ। इ ह कोई
क ट नह ंहोना चा हए।”

स◌् थरजीवी हाथ जोडकर बोला “महाराज, आपने मुझेशरण द , यह बहु



ह। मु
झेअपनी शाह गफ ुा केबाहर एक प थर पर सेवक क तरह ह रहने
द िजए। वहां
बैठकर आपकेगण ु गाते रहनेक ह मेर इ छा ह।” इस कार
ि थरजीवी शाह गफुा केबाहर डे
र ा जमाकर बै
ठ गया।

ग◌ुफ ा म नी त सलाहकार नेराजा सेफर से कहा “महाराज! श ुपर व वास


मत करो। उसे अपने घर म थान दे ना तो आ मह या करने समान ह।”
अ रमदन ने उसे ोध सेदे
खा “तु
म मु झेयादा नी त समझाने क को शश
मत करो। चाहो तो तुम यहां
से जा सकते हो।” नी त सलाहकार उ लूअपने
दो-तीन म केसाथ वहां सेसदा केलए यह कहता हु आ “ वनाशकाले
वपर त बु।”

क◌ुछ दन बाद ि थरजीवी लक डयां लाकर गफुा के वार केपास रखने लगा
“सरकार, स दयांआने वाल ह। म लक डय क झोपडी बनाना चाहता हू ं
ता क ठं
ड सेबचाव हो।’ धीरे
-धीरेलक डय का काफ ढे र जमा हो गया। एक
दन जब सारेउ लूसो रहे थेतो ि थरजीवी वहां
से उडकर सीधेॠ यमू क
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पवत पर पहुं
चा, जहां
मेघवण और कौओंस हत उसी क ती ा कर रहे
थे

ि थरजीवी नेकहा “अब आप सब नकट केजंगल से जहां
आग लगी ह एक-
एक जलती लकडी च च म उठाकर मेरे
पीछेआइए।”

क◌ौओं क सेना च च म जलती लक डयां पकड ि थरजीवी केसाथ उ लु


ओं
क गफुाओं म आ पहुं
चा। ि थरजीवी वारा ढे
र लगाई लक डय म आग लगा
द गई। सभी उ लू जलने या दम घु
टनेसेमर गए। राजा मे
घवण ने
ि थरजीवी को कौआ र न क उपा ध द ।

स◌ीखः श ुको अपने घर म पनाह देना अपने ह वनाश का सामान जुटाना


ह।
खरगोश क चतु र ाई
कसी घनेवन म एक बहु त बड़ा शेर रहता था। वह रोज शकार पर नकलता
और एक ह नह ं, दो नह ं
कई-कई जानवर का काम तमाम दे ता। जंगल के
जानवर डरनेलगेक अगर शे र इसी तरह शकार करता रहा तो एक दन
ऐसा आयेगा क जं गल म कोई भी जानवर नह ं बचेगा।

स◌ारेजंगल म सनसनी फै ल गई। शेर को रोकनेकेलये कोई न कोई उपाय


करना ज़ र था। एक दन जं गल केसारे जानवर इक ा हु
ए और इस न पर
वचार करने लगे। अ त म उ ह नेतय कया क वे सब शेर केपास जाकर
उनसे इस बारेम बात कर। दस
ूरेदन जानवर केएकदल शे र केपास पहु ं
चा।
उनकेअपनी ओर आते दे
ख शेर घबरा गया और उसनेगरजकर पू छ ा, ‘‘ या
बात है? तु
म सब यहांय आ रहे हो ?’’

ज◌ानवर दल केने ता नेकहा, ‘‘महाराज, हम आपकेपास नवे दन करने आये


ह। आप राजा ह और हम आपक जा। जब आप शकार करनेनकलते ह तो
बहुत जानवर मार डालते ह। आप सबको खा भी नह ं पाते
। इस तरह से हमार
संया कम होती जा रह है । अगर ऐसा ह होता रहा तो कु छ ह दन म जं गल
म आपकेसवाय और कोई भी नह ं बचेगा। जा केबना राजा भी कै सेरह
सकता है ? य द हम सभी मर जायगे तो आप भी राजा नह ं रहगे । हम चाहते
ह क आप सदा हमारे राजा बने रह। आपसे हमार वनती हैक आप अपने
घर पर ह रहा कर। हर रोज वयं आपकेखाने केलए एक जानवर भे ज दया
करगे । इस तरह से राजा और जा दोन ह चै न से रह सक गे।’’ शे
र को लगा
क जानवर क बात म स चाई है । उसने पलभर सोचा, फर बोला अ छ
बात नह ंहै। म तुहारे सु
झाव को मान ले ता हूं
। लेकन याद रखना, अगर
कसी भी दन तु मने मेरे
खाने केलये पूर ा भोजन नह ं भे
ज ा तो म िजतने
जानवर चाहू ं
गा, मार डालं
गा।’’ जानवर केपास तो और कोई चारा नह ं
ू ।
इस लये उ ह ने शे
र क शत मान ल और अपने -अपने घर चले गये।

उस दन से हर रोज शेर केखानेकेलये एक जानवर भेज ा जानेलगा। इसके


लये जंगल म रहने वाले सब जानवर म से एक-एक जानवर, बार -बार से
चनुा जाता था। कुछ दन बाद खरगोश क बार भी आ गई। शे र केभोजन के
लये एक न ह से खरगोश को चन ुा गया। वह खरगोश िजतना छोटा था, उतना
ह चतु र भी था। उसने सोचा, बे
क ार म शे
र केहाथ मरना मूखता हैअपनी

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जान बचानेका कोई न कोई उपाय अव य करना चा हये


, और हो सकेतो कोई
ऐसी तरक ब ढू

ढ़नी चा हयेिजसेसभी को इस मु
सीबत से सदा केलए
छु
टकारा मल जाये । आ खर उसने एक तरक ब सोच ह नकाल ।

खरगोश धीरे-धीरेआराम से शेर केघर क ओर चल पड़ा। जब वह शे


र केपास
पहु

चा तो बहु
त देर हो चक
ु थी।

भ◌ू ख केमारेशे
र का बु
र ा हाल हो रहा था। जब उसनेसफ एक छोटे से
खरगोश को अपनी ओर आते दे
खा तो गुसे सेबौखला उठा और गरजकर
बोला, ‘‘ कसनेतुह भेज ा है ? एक तो प ी जैसे हो, दस
ूरे
इतनी दे
र से
आ रहे
हो। िजन बेवकूफ नेतुह भे ज ा है
म उन सबको ठ क क ं गा। एक-एक का
काम तमाम न कया तो मे र ा नाम भी शे
र नह ं
।’’

न हेखरोगश ने आदर से ज़मीन तक झक ुकर, ‘‘महाराज, अगर आप कृ पा


करकेमे र बात सु
न ल तो मु
झेया और जानवर को दोष नह ं दगे । वेतो
जानते थेक एक छोटा सा खरगोश आपकेभोजन केलए पू र ा नह ंपड़े
गा,
‘इस लए उ ह ने छह खरगोश भे
जे थे
। लेकन रा ते म हम एक और शे र मल
गया। उसने पां
च खरगोश को मारकर खा लया।’’

यह सु
नतेह शेर दहाड़कर बोला, ‘‘ या कहा ? दस
ूरा शे
र ? कौन है
वह ? तु
मने
उसेकहां
दे
खा ?’’

‘‘महाराज, वह तो बहु
त ह बड़ा शेर है
’’, खरगोश ने
कहा, ‘‘वह ज़मीन के
अ दर बनी एक बड़ी गफ ुा म सेनकला था। वह तो मु झे ह मारने जा रहा था।
पर मने उससे कहा, ‘सरकार, आपको पता नह ंक आपनेया अ धे र कर
दया है
। हम सब अपने महाराज केभोजन केलये जा रहेथे, ले
कन आपने
उनका सारा खाना खा लया है । हमारेमहाराज ऐसी बात सहन नह ं करगे । वे
ज़ र ह यहाँ आकर आपको मार डालगे ।’

‘‘इस पर उसनेपू
छ ा, ‘कौन है तुहारा राजा ?’ मने
जवाब दया, ‘हमारा राजा
जं गल का सबसेबड़ा शे र है
।’

रे
‘‘महाराज, ‘मे ऐसा कहते ह वह गुसे सेलाल-पीला होकर बोला बेवकूफ इस
जंगल का राजा सफ म हू ं
। यहांसब जानवर मेर जा ह। म उनकेसाथ जै सा
चाहू
ंवैसा कर सकता हू ं
। िजस मू ख को तु
म अपना राजा कहते हो उस चोर को
मेरे
सामने हािजर करो। म उसे बताऊं
गा क असल राजा कौन है ।’ महाराज
इतना कहकर उस शे र ने आपको लवाने केलए मुझे यहां
भेज दया।’’

खरगोश क बात सु नकर शे र को बड़ा गुसा आया और वह बार-बार गरजने


लगा। उसक भयानक गरज से सारा जं
गल दहलने लगा। ‘‘मु
झेफौरन उस
मू
ख का पता बताओ’’, शेर ने दहाड़कर कहा, ‘‘जब तक म उसे जान सेन मार
दँ

ूा मु
झेचैन नह ंमलेगा।’’ ‘‘बहु
त अ छा महाराज,’’ खरगोश ने कहा ‘‘मौत
ह उस द ु
ट क सजा है। अगर म और बड़ा और मजबू त होता तो म खद
ुह
उसकेटुकड़े-टु
कड़ेकर देता।’’

‘‘चलो, ‘रा ता दखाओ,’’ शे


र ने
कहा, ‘‘फौरन बताओ कधर चलना है
?’’

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‘‘इधर आइये महाराज, इधर, ‘‘खगगोश रा ता दखाते हु


आ शेर को एक कु एँ
केपास ले गया और बोला, ‘‘महाराज, वह द ु
ट शेर ज़मीन केनीचेकले म
रहता है
। जरा सावधान र हये गा। कले म छु
पा द ु
मन खतरनाक होता है ।’’
‘‘म उससेनपट लँ गा,’’ शे
ू र नेकहा, ‘‘तु
म यह बताओ क वह है कहाँ?’’

जब मने
‘‘पहले उसेदे
खा था तब तो वह यह ं
बाहर खड़ा था। लगता है
आपको
आता दे
खकर वह कलेम घुस गया। आइये म आपको दखाता हू।’’

खरगोश ने
कुएंकेनजद क आकर शे र सेअ दर झां
क ने
केलयेकहा। शे
र ने
कु
एंकेअ दर झां
क ा तो उसे
कुएं
केपानी म अपनी परछा दखाई द ।

परछा को देखकर शेर ज़ोर से


दहाड़ा। कु
एंकेअ दर से आती हुई अपने ह
दहाड़नेक गजं
ू सुनकर उसने समझा क दसूरा शे
र भी दहाड़ रहा है
। दु
मन
को तु
रं
त मार डालने
केइरादेसेवह फौरन कुएं
म कूद पड़ा।

क◌ू दतेह पहले तो वह कु


एंक द वार से टकराया फर धड़ाम सेपानी म गरा
और डू बकर मर गया। इस तरह चतुर ाई सेशे
र सेछुी पाकर न हा खरगोश
घर लौटा। उसने जं
गल केजानवर को शे र केमारेजानेक कहानी सुनाई।
दु मन केमारेजाने क खबर सेसारे जंगल म खश ुी फै
ल गई। जं
गल केसभी
जानवर खरगोश क जय-जयकार करने लगे।
गजराज व मू षकराज
ाचीन काल म एक नद केकनारे बसा नगर यापार का के था। फर आए
उस नगर केबु रेदन, जब एक वष भार वषा हु ई। नद नेअपना रा ता बदल
दया।

ल◌ोग केलए पीने का पानी न रहा और देखते ह दे


खतेनगर वीरान हो गया
अब वह जगह के वल चह ू केलायक रह गई। चार ओर चह ूेह चहूे
नजर आने
लगे। चह
ूो का पू
र ा सा ा य ह था पत हो गया। चह ू केउस सा ा य का
राजा बना मू
षकराज चह ूा। चह
ू का भा य देखो, उनकेबसने केबाद नगर के
बाहर जमीन से एक पानी का ोत फू ट पडा और वह एक बडा जलाशय बन
गया।

नगर सेकुछ ह दरूएक घना जंगल था। जंगल म अन गनत हाथी रहते
थे।
उनका राजा गजराज नामक एक वशाल हाथी था। उस जंगल ेम भयानक
सू
खा पडा। जीव-ज तुपानी क तलाश म इधर-उधर मारे
-मारेफरने लगे

भार भरकम शर र वाले हा थय क तो दद
ुशा हो गई।

ह◌ा थय केब चेयास सेयाकु ल होकर च लाने व दम तोडने


लगे।
गजराज खदुसूखे
क सम या सेचं तत था और हा थय का क ट जानता था।
एक दन गजराज क म चील ने आकर खबर द क खं डहर बनेनगर के
दस
ूर ओर एक जलाशय ह। गजराज ने सबको तुरं
त उस जलाशय क ओर
चलने का आदे
श दया। सै
क ड हाथी यास बुझानेडोलतेहु
ए चल पडे

जलाशय तक पहुं
चनेकेलए उ ह खं डहर बनेनगर केबीच से गज
ुरना पडा।

ह◌ा थय केहजार पैर चह


ू को र दतेहु
ए नकल गए। हजार चह ूे
मारे गए।
खं
डहर नगर क सडक चह ू केखन स केक चड से
ू-मां लथपथ हो गई। मु सीबत
यह ंख म नह ं
हु
ई। हा थय का दल फर उसी रा तेसेलौटा। हाथी रोज उसी
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माग से
पानी पीने
जाने
लगे

क◌ाफ सोचने- वचारने


केबाद मू
षकराज केमंय ने कहा “महाराज,
आपको ह जाकर गजराज से बात करनी चा हए। वह दयालुहाथी ह।”
मू
षकराज हा थय केवन म गया। एक बडेपेड केनीचेगजराज खडा था।

म◌ूषकराज उसकेसामने केबडेप थर केऊपर चढा और गजराज को


नम कार करकेबोला “गजराज को मूषकराज का नम कार। हे
महान हाथी,
म एक नवेदन करना चाहता हू

।”

आवाज गजराज केकान तक नह ं पहु



च रह थी। दयालु
गजराज उसक बात
सु
ननेकेलए नीचे बै
ठ गया और अपना एक कान प थर पर चढेमूषकराज के
नकट ले जाकर बोला “न ह मयां
, आप कुछ कह रहेथे
। कॄ
पया फर से
क हए।”

म◌ू
षकराज बोला “हेगजराज, मुझेचहूा कहते ह। हम बडी संया म खंडहर
बनी नगर म रहतेह। म उनका मू
षकराज हू ं
। आपकेहाथी रोज जलाशय तक
जानेकेलए नगर केबीच से गजुरते ह। हर बार उनकेपैर तलेकुचले जाकर
हजार चह
ूेमरतेह। यह मूषक सं
हार बंद न हु
आ तो हम न ट हो जाएंग।े

गजराज ने दख
ुभरेवर म कहा “मू
षकराज, आपक बात सुन मुझे
बहु

शोक हुआ। हम ान ह नह ंथा क हम इतना अनथ कर रहे
ह। हम नया
रा ता ढू
ढ लगे।”

म◌ूषकराज कॄत ता भरेवर म बोला “गजराज, आपने मुझ जैसे


छोटेजीव
क बात यान से सु
नी। आपका ध यवाद। गजराज, कभी हमार ज रत पडे
तो याद ज र क िजएगा।”

गजराज ने सोचा क यह न हा जीव हमारेकसी काम या आएगा। सो उसने


केवल मुकु राकर मू षकराज को वदा कया। कु छ दन बाद पडौसी देश के
राजा नेसे
ना को मजबू त बनाने केलए उसम हाथी शा मल करने का नणय
लया। राजा केलोग हाथी पकडने आए। जं गल म आकर वे चप
ुचाप कई
कार केजाल बछाकर चले जाते ह। सै
क ड हाथी पकड लए गए। एक रात
हा थय केपकडे जानेसेचं तत गजराज जं गल म घूम रहेथेक उनका पै र
सूखी पि तय केनीचे छल से दबाकर रखे र सी केफंदेम फंस जाता ह। जै
से
ह गजराज ने पैर आगे बढाया र सा कस गया। र से का दस
ूरा सरा एक पे ड
केमोटे तनेसेमजबू ती सेबं
धा था। गजराज चं घाडनेलगा। उसने अपने
सेवक को पुक ारा, लेकन कोई नह ं आया।कौन फं दे
म फंसेहाथी केनकट
आएगा? एक यु वा जंगल भसा गजराज का बहु त आदर करता था। जब वह
भसा छोटा था तो एक बार वह एक ग ढे म जा गरा था। उसक च लाहट
सुनकर गजराज ने उसक जाअन बचाई थी। चं घाड सुनकर वह दौडा और फं दे
म फंसे गजराज केपास पहु ं
चा। गजराज क हालत दे ख उसे बहुत ध का
लगा। वह चीखा “यह कै सा अ याय ह? गजराज, बताइए या क ं ? म आपको
छुडानेकेलए अपनी जान भी दे सकता हू

।”

गजराज बोले टा, तु


“बे म बस दौडकर खं
डहर नगर जाओ और चह
ू केराजा
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च तंक े
र क कहा नयां
| हं
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गजराज बोले
“बेटा, तुम बस दौडकर खं
डहर नगर जाओ और चह
ू केराजा
मू
षकराजा को सारा हाल बताना। उससे
कहना क मेर सार आस टू
ट चक

ह।

भ◌सा अपनी पूर शि त सेदौडा-दौडा मूषकराज केपास गया और सार बात


बताई। मू
षकराज तुरं
त अपने बीस-तीस सै नक केसाथ भसे क पीठ पर बै
ठा
और वो शी ह गजराज केपास पहु ं
च।ेचह े
ूभसेक पीठ पर सेकू
दकर फंदे
क र सी कुतरनेलगे। कु
छ ह देर म फं देक र सी कट गई व गजराज
आजाद हो गए।

स◌ीखः आपसी सदभाव व े


म सदा एक दस
ूरे
केक ट को हर ले
ते
ह।

गधा रहा गधा ह


एक जं गल म एक शे र रहता था। गीदड उसका से वक था। जोडी अ छ थी।
शे
र केसमाज म तो उस शे र क कोई इ जत नह ं थी, य क वह जवानी म
सभी दसूरेशेर सेयुहार चक ुा था, इस लए वह अलग-थलग रहता था। उसे
गीदड जैसे चमचे क स त ज रत थी जो चौबीस घं टेउसक चमचा गर
करता रहे। गीदड को बस खाने का जुगाड चा हए था। पे
ट भर जानेपर गीदड
उस शेर क वीरता केऐसे गणु गाता क शे र का सीना फूलकर दगुना चौडा हो
जाता।

एक दन शे र नेएक बगडैल जंगल सां


ड का शकार करने का साहस कर
डाला। सां
ड बहुत शि तशाल था। उसनेलात मारकर शेर को दरूफ क दया,
जब वह उठने को हु
आ तो सां
ड ने
फां
-फां
करते हु
ए शे
र को सीग से एक पे
ड के
साथ रगड दया।

कि◌सी तरह शे र जान बचाकर भागा। शे


र सीं
गो क मार सेकाफ ज मी हो
गया था। कई दन बीते , पर तुशे
र केज म ट क होनेका नाम नह ंले रहे
थे

ऐसी हालत म वह शकार नह ं कर सकता था। वयंशकार करना गीदड के
बस का नह ं था। दोन केभूख मरने क नौबत आ गई। शे र को यह भी भय था
क खाने का जुगाड समा त होनेकेकारण गीदड उसका साथ न छोड जाए।

श◌ेर नेएक दन उसे सु


झाया “दे
ख, ज म केकारण म दौड नह ं
सकता।
शकार कै सेक ं? तु
जाकर कसी बे वकूफ-से
जानवर को बात म फंसाकर
यहांला। म उस झाडी म छपा रहू

गा।”

ग◌ीदड को भी शे
र क बात जंच गई। वह कसी मू ख जानवर क तलाश म
घू
मता-घूमता एक क बे केबाहर नद -घाट पर पहु

चा। वहां
उसे
एक म रयल-
सा गधा घास पर मं
ह मारता नजर आया। वह श ल से
ु ह बे
वकू
फ लग रहा
था।

ग◌ीदड गधे केनकट जाकर बोला “पां


य लागं
चाचा। बहु
ू त कमजोर हो अए
हो, या बात ह?”

गधेने
अपना दखुडा रोया “ या बताऊंभाई, िजस धोबी का म गधा हू

, वह
बहु
त ूर ह। दन भर ढुलाई करवाता ह और चारा कु
छ देता नह ं
।”

ग◌ीदड ने
उसेयौता दया “चाचा, मे
रे
साथ जं
गल चलो न, वहां
बहु
त हर -हर
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ग◌ीदड नेउसेयौता दया “चाचा, मे


रे
साथ जं
गल चलो न, वहां
बहु
त हर -हर
घास ह। खब
ूचरना तुहार सेहत बन जाएगी।”

गधे
नेकान फडफडाए “राम राम। म जं
गल म कै
सेरहू

गा? जं
गल जानवर
मु
झेखा जाएं
ग।े

“च◌ाचा, तुह शायद पता नह ंक जं गल म एक बगल ुा भगतजी का स सं ग


हु
आ था। उसकेबाद सारे जानवर शाकाहार बन गए ह। अब कोई कसी को
नह ंखाता।” गीदड बोला और कान केपास मं ह ले
ु जाकर दाना फ का “चाच,ू
पास केक बे से बे
चार गधी भी अपने धोबी मा लक केअ याचार से तंग
आकर जं गल म आ गई थी। वहां हर =हर घास खाकर वह खबूलहरा गई ह
तु
म उसकेसाथ घर बसा ले ना।”

गधेकेदमाग पर हर -हर घास और घर बसाने केसु


नहरे सपने छाने लगे।
वह गीदड केसाथ जं गल क ओर चल दया। जं गल म गीदड गधे को उसी
झाडी केपास ले गया, िजसम शे र छपा बैठा था।इससेपहलेक शे र पं
जा
मारता, गधेको झाडी म शेर क नील बि तय क टरह चमकती आं खेनजर
आ ग । वह डरकर उछला गधा भागा और भागताह गया। शे र बु
झेवर म
गीदड से बोला “भई, इस बार म तैयार नह ं
था। तुम उसेदोबारा लाओ इस बार
गलती नह ं होगी।”

ग◌ीदड दोबारा उस गधेक तलाश म क बे म पहु



चा। उसेदे
खतेह बोला
“चाचा, तु
मनेतो मेर नाक कटवा द । तु
म अपनी द ुहन से
डरकर भाग गए?”

“उस झाडी म मु
झेदो चमकती आं
खेदखाई द थी, जै
सेशे
र क होती ह। म
भागता न तो या करता?” गधे
नेशकायत क ।

ग◌ीदड झठूमूठ माथा पीटकर बोला “चाचा ओ चाचा! तु


म भी नरेमू
ख हो। उस
झाडी म तुहार द ुहन थी। जानेकतने ज म से वह तुहार राह दे
ख रह
थी। तुह दे
खकर उसक आं खेचमक उठ तो तुमने उसे शे
र समझ लया?”

गधा बहुत लि जत हुआ, गीदड क चाल-भर बात ह ऐसी थी। गधा फर


उसकेसाथ चल पडा। जंगल म झाडी केपास पहु ंचतेह शेर ने
नुक लेपं
ज ो से
उसे मार गराया। इस कार शेर व गीदड का भोजन जुटा।
सीखः दसूर क चकनी-चप ुडी बात म आने क मू खता कभी नह ंकरनी
चा हए।
गोलू-मोलूऔर भालू
गोलू-मोलूऔर प केदो त थे। गोलू जहां
दबुला-पतला था, वह ं
मोलूमोटा
गोल-मटोल। दोन एक-दसूरे पर जान देने
का दम भरते थे, ले
कन उनक
जोड़ी दे
खकर लोग क हंसी छू ट जाती। एक बार उ ह कसी दसूरेगां
व म रहने
वालेम का नमंण मला। उसने उ ह अपनी बहन केववाह केअवसर पर
बु
लाया था।

उनकेम का गां व कोई बहु


त दरूतो नह ं
था लेकन वहां
तक पहु

चनेकेलए
जं
गल से होकर गज
ुरना पड़ता था। और उस जं गल म जं
गल जानवर क
भरमार थी।

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द◌ोन चल दए…जब वे जंगल से होकर गजुर रहे थेतो उ ह सामने सेएक


भालू आता दखा। उसे दे
खकर दोन भय से थर-थर कांपने लगे। तभी दबुला-
पतला गोलू तेज ी से
दौड़कर एक पे ड़ पर जा चढ़ा, ले कन मोटा होनेकेकारण
मोलू उतना तेज नह ंदौड़ सकता था। उधर भालू भी नकट आ चक ुा था, फर
भी मोलूनेसाहस नह ं खोया। उसने सु
न रखा था क भालू मत
ृशर र को नह ं
खाते। वह तु
रं
त जमीन पर ले ट गये और सां स रोक ल । ऐसा अ भनय कया
क मानो शर र म ाण ह ह नह ं । भालू घु
र घु
र ाता हु
आ मोलू केपास आया,
उसकेचे हरेव शर र को संघा और उसे
ू मतृसमझकर आगे बढ़ गया।

जब भालू काफ दरूनकल गया तो गोलूपे


ड़ सेउतरकर मोलू केनकट आया
और बोला, ‘‘ म , मने
दे
खा था….भालू
तु
मसे कु
छ कह रहा था। या कहा
उसने?’’

म◌ोलूनेगुसे म भरकर जवाब दया, ‘‘मु


झेम कहकर न बुलाओ…और
ऐसा ह कुछ भालूने
भी मु झसे
कहा। उसनेकहा, गोलू
पर व वास न करना,
वह तुहारा म नह ंहै
।’’

स◌ुनकर गोलूश म दा हो गया। उसेअ यास हो गया था क उससेकतनी


भार भू
ल हो गई थी। उसक म ता भी सदैव केलए समा त हो गई। श ा
—स चा म वह है जो सं
क ट केकाम आए।

घ◌ंट धार ऊं

एक बार क बात ह क एक गांव म एक जुलाहा रहता था। वह बहु
त गर ब था।
उसक शाद बचपन म ह हो गई ती। बीवी आने केबाद घर का खचा बढना
था। यह च ता उसे खाए जाती। फर गां
व म अकाल भी पडा। लोग कंगाल हो
गए। जुलाहेक आय एकदम ख म हो गई। उसकेपास शहर जाने केसवा
और कोई चारा न रहा।

शहर म उसने कु
छ मह नेछोटे
-मोटे
काम कए। थोडा-सा पैसा अं
ट म आ गया
और गांव सेखबर आनेपर क अकाल समा त हो गया ह, वह गां
व क ओर
चल पडा। रा ते
म उसेएक जगह सडक कनारे एक ऊं
टनी नजर आई। ऊटं नी
बीमार नजर आ रह थी और वह गभवती थी। उसे
ऊंटनी पर दया आ गई। वह
उसेअपने साथ अपनेघर लेआया।

घर म ऊंटनी को ठ क चारा व घास मलने लगी तो वह पू


र तरह व थ हो गई
और समय आने पर उसने एक व थ ऊं ट अ चे को ज म दया। ऊंट ब चा
उसकेलए बहु त भा यशाल सा बत हु आ। कुछ दन बाद ह एक कलाकार
गां
व केजीवन पर च बनाने उसी गां
व म आया। प टंग के ुश बनानेकेलए
वह जुलाहे
केघर आकर ऊं ट केब चे क दमुकेबाल ले जाता। लगभग दो
स ताह गां
व म रहने केबाद च बनाकर कलाकार चला गया।

इधर ऊं
टनी खब ूदधूदेनेलगी तो जु
लाहा उसे
बे
चनेलगा। एक दन वहा
कलाकार गांव लौटा और जु
लाहेको काफ सारेपै
सेदे
गया, य क कलाकार
नेउन च से बहु
त पुर कार जीतेथेऔर उसकेच अ छ क मत म बके
थे
। जु
लाहा उस ऊंट ब चेको अपना भा य का सतारा मानने
लगा। कलाकार

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सेमल राशी केकुछ पै


स सेउसनेऊं
ट केगले
केलए संदर-सी घं
ु ट खर द
और पहना द । इस कार जु
लाहे
केदन फर गए। वह अपनी द ुहन को भी
एक दन गौना करकेलेआया।

ऊ◌ंट केजीवन म आने सेजुलाहे


केजीवन म जो सु ख आया, उससे जु
लाहे
के
दल म इ छा हु
ई क जुलाहे
का धं
धा छोड य न वह ऊं ट का यापार ह बन
जाए। उसक प नी भी उससेपूर तरह सहमत हु ई। अब तक वह भी गभवती
हो गई थी और अपनेसु
ख केलए ऊं टनी व ऊं
ट ब चे क आभार थी।

ज◌ुलाहेनेकुछ ऊंट खर द लए। उसका ऊंट का यापार चल नकला।अब


उस जुलाहेकेपास ऊंट क एक बडी टोल हर समय रहती। उ ह चरने केलए
दन को छोड दया जाता। ऊं
ट ब चा जो अब जवान हो चक
ुा था उनकेसाथ
घंट बजाता जाटा।

एक दन घंट धार क तरह ह केएक यु


वा ऊं
ट ने
उससे
कहा “भै
या! तु

हमसेदरू
-दरू य रहतेहो?”

घ◌ंट धार गव से बोला “वाह तु


म एक साधारण ऊं
ट हो। म घं
ट धार मा लक
का दल
ुारा हू

। म अपने सेओछे ऊं
ट म शा मल होकर अपना मान नह ंखोना
चाहता।”

उसी ेम वन म एक शे र रहता था। शे


र एक ऊं
चेप थर पर चढकर ऊं
ट को
दे
खता रहता था। उसेएक ऊं ट और ऊंट से अलग-थलग रहता नजर आया।
जब शेर कसी जानवर केझड ं
ुपर आ मण करता ह तो कसी अलग-थलग
पडेको ह चन
ुता ह। घंट धार क आवाज केकारण यह काम भी सरल हो गया
था। बना आंख देखेवह घंट क आवाज पर घात लगा सकता था।

द◌ू
सरेदन जब ऊं ट का दल चरकर लौट रहा था तब घंट धार बाक ऊंट से
बीस कदम पीछेचल रहा था। शे
र तो घात लगाए बै
ठा ह था। घं
ट क आवाज
को नशाना बनाकर वह दौडा और उसे मारकर जंगल म खींच लेगया। ऐसे
घं
ट धार केअहं
क ार ने
उसकेजीवन क घं ट बजा द ।

स◌ीखः जो वयं को ह सबसेे ठ समझता ह उसका अहं क ार शी ह उसे ले


डू
बता ह।
चापलूस मंडल
जंगल म एक शे र रहता था। उसकेचार से
वक थे चील, भेडया, लोमडी और
चीता। चील दरू
-दरूतक उडकर समाचार लाती। चीता राजा का अंगर क था।
सदा उसकेपीछे चलता। लोमडी शेर क सैेटर थी। भे डया गॄ
हमंी था।
उनका असल काम तो शे र क चापलूसी करना था। इस काम म चार मा हर
थे
। इस लए जं गल केदसूरे जानवर उ ह

च◌ापलूस मं डल कहकर पु क ारतेथे


। शेर शकार करता। िजतना खा सकता
वह खाकर बाक अपने सेवक केलए छोड जाया करता था। उससे मजेम
चार का पेट भर जाता। एक दन चील ने आकर चापलूस मंडल को सूचना द
“भाईयो! सडक केकनारे एक ऊंट बै
ठा ह।”

भ◌े
डया च का “ऊं
ट! कसी का फले
सेबछु
ड गया होगा।”

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च◌ीते
नेजीभ चटकाई “हम शेर को उसका शकार करने
को राजी कर ल तो
कई दन दावत उडा सकते
ह।”

ल◌ोमडी ने
घोषणा क “यह मे
र ा काम रहा।”

ल◌ोमडी शेर राजा केपास गई और अपनी जुबान म मठास घोलकर बोल


“महाराज, दत
ूने खबर द ह क एक ऊं ट सडक कनारे बै
ठा ह। मनेसुना ह
क मनु य केपाले जानवर का मां
स का वाद ह कुछ और होता ह। ब कु ल
राजा-महाराजाओं केका बल। आप आ ा द तो आपकेशकार का ऐलान कर
दं
?ू

श◌ेर लोमडी क मीठ बात म आ गया और चापलू स मं


डल केसाथ चील
वारा बताई जगह जा पहु

चा। वहां
एक कमजोर-सा ऊंट सडक कनारेनढाल
बै
ठा था। उसक आं ख पील पड चकु थीं। उसक हालत दे
खकर शे
र नेपू
छा
“ य भाई तुहार यह हालात कै सेहु
ई?”

ऊ◌ंट कराहता हु
आ बोला “जं गल केराजा! आपको नह ंपता इं
सान कतना
नदयी होता ह। म एक ऊं टो केका फले म एक यापार माल ढो रहा था। रा ते
म म बीमार पड गया। माल ढोने लायक नह ं उसने मुझे
यहांमरनेकेलए
छोड दया। आप ह मे र ा शकार कर मु झेमुि त द िजए।”

ऊ◌ं
ट क कहानी सुनकर शेर को दख
ुहु आ। अचानक उसकेदल म राजाओं
जै
सी उदारता दखानेक जोरदार इ छा हु
ई। शे
र नेकहा “ऊं
ट, तुह कोई
जं
गल जानवर नह ं मारे
गा। म तुह अभय देता हू

। तु
म हमारेसाथ चलोगे
और उसकेबाद हमारेसाथ ह रहोगे।”

च◌ापलूस मं
डल केचे
हरेलटक गए। भेडया फु
सफु
साया “ठ क ह। हम बाद
म इसेमरवानेक कोई तरक ब नकाल लगे। फलहाल शे
र का आदेश मानने
म ह भलाई ह।”

इस कार ऊं ट उनकेसाथ जंगल म आया। कु छ ह दन म हर घास खानेव


आरम करने सेवह व थ हो गया। शे र राजा के त वह ऊंट बहु
त कॄ

हु
आ। शेर को भी ऊं
ट का न वाथ े म और भोलापन भाने लगा। ऊं
ट केतगडा
होने
पर शेर क शाह सवार ऊं ट केह आ ह पर उसक पीठ पर नकलने
लगी लगी वह चार को पीठ पर बठाकर चलता।

एक दन चापलूस मंडल केआ ह पर शेर ने हाथी पर हमला कर दया।


दभ
ुा य से
हाथी पागल नकला। शे
र को उसने सं
ड से
ू उठाकर पटक दया। शे

उठकर बच नकलने म सफल तो हो गया, पर उसेच ट बहुत लगीं

श◌ेर लाचार होकर बै


ठ गया। शकार कौन करता? कई दन न शे र नेनेकु

खाया और न से वक ने। कतनेदन भू खे रहा जा सकता ह? लोमडी बोल “हद
हो गई। हमारेपास एक मोटा ताजा ऊं
ट ह और हम भू खेमर रहेह।”

च◌ीतेनेठं
डी सां
स भर “ या कर? शे
र नेउसेअभयदान जो देरखा ह। दे
खो
तो ऊं
ट क पीठ का कू
बड कतना बडा हो गया ह। चब ह चब भर ह इसम।”

भ◌े
डए केमं
ह से
ु लार टपकने
लगी “ऊं
ट को मरवाने
का यह मौका ह दमाग
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र क कहा नयां
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भ◌ेडए केमंह से
ु लार टपकने लगी “ऊं
ट को मरवाने
का यह मौका ह दमाग
लडाकर कोई तरक ब सोचो।”

ल◌ोमडी ने
धतू वर म सू
चना द “तरक ब तो मने
सोच रखी ह। हम एक
नाटक करना पडे
गा।”

सब लोमडी क तरक ब सु ननेलगे। योजना केअनु


सार चापलूस मं
डल शेर के
पास गई। सबसे पहलेचील बोल “महाराज, आपको भूखेपेट रहकर मरना
मुझसेनह ंदे
खा जाता। आप मुझे
खाकर भू ख मटाइए।”

ल◌ोमडी ने
उसेध का दया “चल हट! ते
र ा मां
स तो महाराज केदां
त म
फं
सकर रह जाएगाअ। महाराज, आप मुझे खाइए।”

भ◌े
डया बीच म कू
दा “तेरे
शर र म बाल केसवा ह ह या? महाराज! मु
झे
अपना भोजन बनाएं
ग।े”

अब चीता बोला “नह ं


! भे
डए का मां
स खाने
लायक नह ं
होता। मा लक, आप
मु
झेखाकर अपनी भू ख शां
त क िजए।”

च◌ापलूस मं
डल का नाटक अ छा था। अब ऊं ट को तो कहना ह पडा “नह ं
महाराज, आप मु
झेमारकर खा जाइए। मे
र ा तो जीवन ह आपका दान दया
हु
आ ह। मेरे
रहते
आप भू ख मर, यह नह ं
होगा।”

च◌ापलूस मं
डल तो यह ंचाहती थी। सभी एक वर म बोले
“यह ठ क रहे
गा,
महाराज! अब तो ऊं
ट खद
ुह कह रहा ह।”

च◌ीता बोला “महाराज! आपको सं


क ोच हो तो हम इसे
मार द?”

च◌ीता व भे
डया एक साथ ऊं
ट पर टू
ट पडे
और ऊं
ट मारा गया।

स◌ीखः चापलू स क दो ती हमे शा खतरनाक होती ह।


झगडालू मेढक
एक कुएंम बहुत से मेढक रहतेथे। उनकेराजा का नाम था गंगद त। गं गद त
बहुत झगडालूवभाव का था। आसपास दो तीन और भी कु एंथे। उनम भी
मेढक रहते थे
। हर कुएंकेमेढक का अपना राजा था। हर राजा सेकसी न
कसी बात पर गंगद त का झगडा चलता ह रहता था। वह अपनी मू खता से
कोई गलत काम करने लगता और बुमान मे ढक रोकने क को शश करता
तो मौका मलते ह अपने पालेगड

ुेमेढक सेपटवा दे ता। कुएंकेमेढक म
भीतर गंगद त के त रोष बढता जा रहा था। घर म भी झगड से चैन न था।
अपनी हर मुसीबत केलए दोष दे ता।

एक दन गंगद त पडौसी मेढक राजा से


खबूझगडा। खबूतू-तू
म-म हु
ई।
गंगद त नेअपनेकुएंआकर बताया क पडौसी राजा नेउसका अपमान कया
ह। अपमान का बदला ले
नेकेलए उसने अपनेमेढक को आदेश दया क
पडौसी कु
एंपर हमला कर सब जानते थेक झगडा गंगद त नेह शु कया
होगा।

क◌ु
छ याने
मेढक तथा बुमान ने
एकजु
ट होकर एक वर म कहा
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च तंक े
र क कहा नयां
| हं
द पटल - ह द क उ कृट रचनाएँ

क◌ुछ याने मेढक तथा बुमान ने एकजुट होकर एक वर म कहा


“राजन, पडौसी कु
एंम हमसेदग
ुनेमे
ढक ह। वेव थ व हमसेअ धक
ताकतवर ह। हम यह लडाई नह ंलडगे
।”

ग◌ंगद त स न रह गया और बु र तरह तल मला गया। मन ह मन म उसने


ठान ल क इन ग ार को भी सबक सखाना होगा। गं गद त ने अपने बेट को
बु
लाकर भडकाया “बेटा, पडौसी राजा ने
तुहारेपता ी का घोर अपमान
कया ह। जाओ, पडौसी राजा केबेट क ऐसी पटाई करो क वे पानी मां
गने
लग जाएं।”

ग◌ंगद त केबेटे
एक दस
ूरेका मं
ह दे
ु खनेलगे
। आ खर बडे बे
टे
नेकहा
“ पता ी, आपनेकभी हम टराने
क इजाजत नह ं द । टरानेसेह मे
ढक म
बल आता ह, हौसला आता ह और जोश आता ह। आप ह बताइए क बना
हौसलेऔर जोश केहम कसी क या पटाई कर पाएं ग?े

अब गं गद त सबसेचढ गया। एक दन वह कु ढता और बडबडाता कुएं


से
बाहर नकल इधर-उधर घू मनेलगा। उसेएक भयंक र नाग पास ह बने
अपने
बल म घु सता नजर आया। उसक आं ख चमक । जब अपने दुमन बन गए
हो तो द ु
मन को अपना बनाना चा हए। यह सोच वह बल केपास जाकर
बोला “नागदेव, मे
र ा णाम।”

न◌ागदे
व फु
फकारा “अरे
मेढक म तुहारा बै
र हू

। तुह खा जाता हू

और तू
मे
रेबल केआगेआकर मु झेआवाज दे रहा ह।

ग◌ंगद त टराया “हेनाग, कभी-कभी श ओ


ुंसेयादा अपने दख
ुदेने
लगते
ह। मे
र ा अपनी जा त वाल और सग ने इतना घोर अपमान कया ह क उ ह
सबक सखाने केलए मु झेतु
म जै
सेश ुकेपास सहायता मां
गनेआना पडा
ह। तु
म मे र दो ती वीकार करो और मजेकरो।”

न◌ाग नेबल से
अपना सर बाहर नकाला और बोला “मजे
, कै
सेमजे
?”

ग◌ं
गद त ने
कहा “म तुह इतने
मेढक खलाऊं
गा क तु
म मु
टाते
-मु
टाते
अजगर बन जाओगे।”

न◌ाग ने
शंक ा य त क “पानी म म जा नह ं
सकता। कै
सेपकडू

गा मे
डक?”

ग◌ं
गद त नेताल बजाई “नाग भाई, यह ं तो मे
र दो ती तुहारे
काम
आएगी। मै
नेपडौसी राजाओं केकुओं पर नजर रखने केलए अपने जासूस
मे
डक सेगुत सु रं
ग खदुवा रखी ह। हर कु
एंतक उनका रा ता जाता ह। सु
रं

जहांमलती ह। वहांएक क ह। तु म वहां
रहना और िजस-िजस मे ढक को
खानेकेलए कहूं
, उ ह खाते जाना।”

न◌ाग गंगद त सेदो ती केलए तै यार हो गया। य क उसम उसका लाभ ह


लाभ था। एक मूख बदले क भावना म अं धे होकर अपन को दश
ुमन केपे
ट के
हवालेकरने को तै
यार हो तो द ु
मन य न इसका लाभ उठाए?

न◌ाग गं
गद त केसाथ सु
रं
गक म जाकर बै
ठ गया। गं
गद त ने
पहले
सारे
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न◌ाग गंगद त केसाथ सुरं


ग क म जाकर बै ठ गया। गं
गद त नेपहलेसारे
पडौसी मे
ढक राजाओंऔर उनक जाओं को खानेकेलए कहा। नाग कु छ
स ताह म सारेदस
ूरेकुओं केमे
ढक सुरं
ग केरा ते जा-जाकर खा गया। जब
सब समा त हो गए तो नाग गं
गद त सेबोला “अब कसे खाऊं
? ज द बता।
चौबीस घं
टेपे
ट फु
ल रखने क आदत पड गई ह।”

ग◌ं
गद त ने
कहा “अब मे
रे
कुए केसभी यान और बुमान मे
ढक को
खाओ।”

वह खाए जा चक
ुेतो जा क बार आई। गं गद त नेसोचा “ जा क ऐसी
तै
सी। हर समय कु छ न कुछ शकायत करती रहती ह। उनको खाने केबाद
नाग नेखाना मां
गा तो गं
गद त बोला “नाग म , अब के
वल मेर ा कु
नबा और
मे
रेम बचे ह। खेल ख म और मे ढक हजम।”

न◌ाग नेफन फै
लाया और फु
फकारने लगा “मे
ढक, म अब कह ं
नह जाने
का। तू
अब खानेका इं
तजाम कर वना ह स।”

ग◌ंगद त क बोलती बंद हो गई। उसने नाग को अपनेम खलाए फर


उसकेबेटेनाग केपे
ट म गए। गं गद त ने सोचा क म और मे ढक िज दा रहे
तो बे
टेऔर पै
दा कर लगे। बे
टेखाने केबाद नाग फु
फकारा “और खाना कहां
ह? गं
गद त नेडरकर मे ढक क ओर इशार कया। गं गद त नेवयं केमन
को समझाया “चलो बूढ मेढक से छुटकारा मला। नई जवान मे
ढक से
ववाह कर नया सं
सार बसाऊं गा।”

म◌े
ढक को खाने
केबाद नाग ने
मं
ुह फाडा “खाना।”

ग◌ं
गद त नेहाथ जोडे
“अब तो के
वल म बचा हू

। तुहारा दो त गं
गद त ।
अब लौट जाओ।”

न◌ाग बोला “तू


कौन-सा मे
र ा मामा लगता ह और उसे
हडप गया।

स◌ीखः अपनो से बदला लेनेकेलए जो श ु का साथ लेता ह उसका अं त


नि चत ह।
झठू शान
एक जंगल म पहाड क चोट पर एक कला बना था। कले केएक कोने के
साथ बाहर क ओर एक ऊं चा वशाल दे वदार का पे
ड था। कले म उस रा य
क सेना क एक टु कडी तैनात थी। दे वदार केपेड पर एक उ लू रहता था। वह
भोजन क तलाश म नीचे घाट म फै ले ढलवांचरागाह म आता। चरागाह क
ल बी घास व झा डय म कई छोटे -मोटेजीव व क ट-पतं गेमलते , िज ह
उ लूभोजन बनाता। नकट ह एक बडी झील थी, िजसम हं सो का नवास था।
उ लूपेड पर बै
ठा झील को नहारा करता। उसे हंस का तैर ना व उडना
मंमुध करता। वह सोचा करता क कतना शानदार प ी ह हं स। एकदम
दध
ू-सा सफेद, गल
ुगल ुा शर र, सुर ाह दार गदन, संदर मु
ु ख व ते ज वी आं ख।े
उसक बडी इ छा होती कसी हं स से उसक दो ती हो जाए।

एक दन उ लू
पानी पीने
केबहाने
झील केकनारे
उगी एक झाडी पर उतरा।
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एक दन उ लूपानी पीने
केबहानेझील केकनारे उगी एक झाडी पर उतरा।
नकट ह एक बहु
त शाल न व सौ य हं
स पानी म तै
र रहा था। हं
स तै
र ता हु

झाडी केनकट आया।

उ लूनेबात करनेका बहाना ढू



ढा “हं
स जी, आपक आ ा हो तो पानी पी लं


बडी यास लगी ह।”

ह◌ं
स नेच ककर उसे दे
खा और बोला “ म ! पानी कॄत वारा सबको दया
गया वरदान ह। एस पर कसी एक का अ धकार नह ं ।”

उ लूने पानी पीया। फर सर हलाया जै


सेउसेनराशा हु
ई हो। हं
स ने
पू
छा
“ म ! असंतु टनजर आते हो। या यास नह ं
बु
झी?”

उ लूने
कहा “हे
हं
स! पानी क यास तो बु
झ गई पर आपक बतो से
मुझे
ऐसा
लगा क आप नी त व ान केसागर ह। मु
झम उसक यास जग गई ह। वह
कै
सेबु
झगेी?”

ह◌ं
स मुकुराया “ म , आप कभी भी यहांआ सकते ह। हम बात करगे
। इस
कार म जो जानता हू

, वह आपका हो जाएगा और म भी आपसे कु

सीखग

ूा।”

इसकेप चात हंस व उ लू रोज मलने लगे। एक दन हं स नेउ लू को बता


दया क वह वा तव म हंस का राजा हं
सराज ह। अपना असल प रचय दे ने
केबाद। हं
स अपनेम को नम ण दे क र अपने घर लेगया। शाह ठाठ थे।
खाने केलए कमल व नर गस केफू ल केयं ज न परोसेगए और जानेया-
या दल
ुभ खा य थे
, उ लूको पता ह नह ंलगा। बाद म स फ-इलाइची क
जगह मोती पेश कए गए। उ लू दं
ग रह गया।

अब हंसराज उ लू को महल म ले
जाकर खलाने- पलाने
लगा। रोज दावत
उडती। उसेडर लगने लगा क कसी दन साधारण उ लूसमझकर हं सराज
दो ती न तोड ले

इस लए वयं को कं
सराज क बराबर का बनाए रखने केलए उसनेझठूमूठ
कह दया क वह भी उ लू
ओं का राजा उ लू
क राज ह। झठ
ूकहने केबाअद
उ लूको लगा क उसका भी फज बनता ह क हंसराज को अपनेघर बु
लाए।

एक दन उ लू ने दग
ुकेभीतर होनेवाल ग त व धय को गौर सेदे
खा और
उसकेदमाग म एक यु ि त आई। उसने दग
ुक बात को खब ू यान से
समझा। सै नक केकाय म नोट कए। फर वह चला हं स केपास। जब वह
झील पर पहु

चा, तब हं
सराज कुछ हं
स नय केसाथ जल म तैर रहा था। उ लू
को दे
खतेह हं
स बोला “ म , आप इस समय?”

उ लू
ने उ तर दया “हांम ! म आपको आज अपना घर दखाने व अपना
मे
हमान बनानेकेलए ले जाने
आया हू

। म कई बार आपका मे
हमान बना हू


मु
झेभी से
वा का मौका दो।”

ह◌ं
स ने
टालना चाहा “ म , इतनी ज द या ह? फर कभी चलगे
।”

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उ लू
नेकहा “आज तो आपको लए बना नह ं
जाऊं
गा।”

ह◌ं
सराज को उ लू
केसाथ जाना ह पडा।

पहाड क चोट पर बनेकले क ओर इशारा कर उ लू उडते


-उडतेबोला “वह
मेर ा कला ह।” हं
स बडा भा वत हु
आ। वेदोन जब उ लू केआवास वाले पेड
पर उतरे तो कले केसै नक क परे
ड शुहोने वाल थी। दो सै
नक बुज पर
बगल ुबजाने लगे। उ लू दग
ुकेसैनक केरज केकाय म को याद कर
चकुा था इस लए ठ क समय पर हंसराज को लेआया था।उ लू बोला “दे
खो
म , आपके वागत म मे रेसै
नक बगल ुबजा रहे ह। उसकेबाद मे
र सेना
परेड और सलामी दे क र आपको स मा नत करेगी।”

नि◌ य क तरह परे


ड हुई और झं डे
को सलामी द गयी। हं
स समझा सचमुच
उसी केलए यह सब हो रहा ह। अतः हं
स ने
गदगद होकर कहा “ध य हो
म । आप तो एक शू
र वीर राजा क भां
त ह राज कर रहेहो।”

उ लूनेहं
सराज पर रौब डाला “मनेअपनेसैनक को आदे श दया ह क जब
तक मेरे
परम म राजा हं सराज मे
रेअ त थ ह, तब तक इसी कार रोज
बगल
ुबजे व सैनक क परे ड नकले ।”

उ लूको पता था क सै नक का यह रोज का काम ह। दै


नक नयम ह। हं

को उ लूनेफल, अखरोट व बनफशा केफू ल खलाए। उनको वह पहलेह
जमा कर चकुा था। भोजन का मह व नह ंरह गया। सैनक क परे
ड का जाद ू
अपना काम कर चक ुा था। हं
सराज केदल म उ लूम केलए बहु त
स मान पैदा हो चक
ुा था।

उधर सै
नक टुकडी को वहांसे
कूच करनेकेआदे श मल चकुेथे
। दस
ूरेदन
सैनक अपना सामान समे टकर जाने
लगे तो हं
स ने
कहा “ म , दे
खो आपके
सैनक आपक आ ा लए बना कह ं जा रहेह।

उ लूहडबडाकर बोला ” कसी नेउ ह गलत आदेश दया होगा। म अभी


रोकता हू

उ ह।” ऐसा कह वह ‘हू

हू

’ करने
लगा।

स◌ैनक ने उ लूका घु
घुआना सुना व अपशकु न समझकर जाना थ गत
कर दया। दसूरेदन फर वह हु आ। सै नक जाने लगेतो उ लूघुघु
आया।
सैनक केनायक ने ो धत होकर सै नक को मनहू स उ लू को तीर मारने
का आदेश दया। एक सै नक नेतीर छोडा। तीर उ लूक बगल म बै ठेहं
स को
लगा। वह तीर खाकर नीचेगरा व फडफडाकर मर गया। उ लू उसक लाश के
पास शोकाकुल हो वलाप करनेलगा “हाय, मने अपनी झठू शान केच कर
म अपना परम म खो दया। ध कार ह मु झ।े ”

उ लू
को आसपास क खबर से बे
सु
ध होकर रोते
दे
खकर एक सयार उस पर
झपटा और उसका काम तमाम कर दया।

स◌ीखः झठ
ू शान बहु
त महं
गी पडती ह। कभी भी झठ
ू शान केच कर म मत
पडो।
ढ गी सयार

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म थला केजंगल म बहुत समय पहले एक सयार रहता था। वह बहु



आलसी था। पेट भरनेकेलए खरगोश व चह ू का पीछा करना व उनका
शकार करना उसेबडा भार लगता था। शकार करने म प र म तो करना ह
पडता ह न। दमाग उसका शैतानी था। यह तकडम लगाता रहता क कै से
ऐसी जुगत लडाई जाए िजससेबना हाथ-पै र हलाए भोजन मलता रहे ।
खाया और सो गए। एक दन उसी सोच म डू बा वह सयार एक झाडी म दबुका
बै
ठा था।

ब◌ाहर चहू क टोल उछल-कू द व भाग-दौड करनेम लगी थी। उनम एक


मोटा-सा चह
ूथा, िजसेदस
ूरे चह
ूे‘सरदार’ कहकर बु
ला रहे
थेऔर उसका
आदेश मान रहेथे । सयार उ ह दे
खता रहा। उसकेमं
ह से
ु लार टपकती रह ।
फर उसकेदमाग म एक तरक ब आई।

जब चहूे
वहांसे
गए तो उसनेदबे पां
व उनका पीछा कया। कु छ ह दरूउन चह

केबल थे। सयार वापस लौटा। दस
ू रेदन ातः ह वह उन चहू केबल के
पास जाकर एक टां
ग पर डा हो गया। उसका मंह
ु उगतेस ू क ओर था।
र ज
आंखेबं
द थी।

च◌ू
हे
बोल सेनकले तो सयार को उस अनोखी मुा म खडे दे
खकर वे बहुत
च कत हु
ए। एक चह
ूेने
जरा सयार केनकट जाकर पू छ ा “ सयार मामा, तु

इस कार एक टां
ग पर य खडे हो?”

सि◌यार नेएक आंख खोलकर बोला “मू ख, तु


नेमे
रेबारे
म नह ं
सुना कभी? म
चार टां
ग नीचेटका दं

ूा तो धरती मे
र ा बोझ नह ं
स भाल पाएगी। यह डोल
जाएगी। साथ ह तु
म सब न ट हो जाओगे । तु
महारे
ह क याण केलए मु झे
एक टां
ग पर खडेरहना पडता ह।”

च◌ू
ह म खसुर-पु
सर हु
ई। वेसयार केनकट आकर खडेहो गए। चह
ू के
सरदार ने
कहा “हे
महान सयार, हम अपने
बारे
म कु
छ बताइए।”

सि◌यार नेढ ग रचा “मै


नेसैक ड वष हमालय पवत पर एक टां ग पर खडे
होकर तप या क । मेर तप या समा त होने पर एक टां
ग पर खडे होकर
तप या क । मेर तप या समा त होने पर सभी दे वताओं नेमुझ पर फू
ल क
वषा क । भगवान नेकट होकर कहा क मे रेतप सेमे
र ा भार इतना हो गया
ह क म चार पैर धरती पर रखंूतो धरती गरती हु ई मां ड को फोडकर
दस
ूर ओर नकल जाएगी। धरती मे र कॄपा पार ह टक रहे गी। तबसेम एक
टां
ग पर ह खडा हू

। म नह ं
चाहता क मे रेकारण दस ूरे
जीव को क ट हो।”

स◌ारेचहू का समू ह महातप वी सयार केसामनेहाथ जोडकर खडा हो गया।


एक चहूेनेपू
छ ा “तप वी मामा, आपनेअपना मं
ह सू
ु र ज क ओर य कर
रखा ह?”

सि◌यार ने
उ तर दया “सू
य क पू
ज ा केलए।”

“और आपका मं
ह य खल
ु ुा ह?” दस
ूरे
चहे
ूने
कहा।

“हवा खाने
केलए! म के
वल हवा खाकर िजं
दा रहता हू

। मु
झेखाना खाने

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“हवा खानेकेलए! म केवल हवा खाकर िजंदा रहता हू



। मु
झेखाना खाने

ज रत नह ं पडती। मे
रे
तप का बल हवा को ह पेट म भांत-भां
त केपकवान
म बदल देता ह।” सयार बोला।

उसक इस बात को सुनकर चहू पर जबरद त भाव पडा। अब सयार क


ओर सेउनका सारा भय जाता रहा। वे
उसकेऔर नकट आ गए। अपनी बात
का असर चह
ू पर होता दे
ख म कार सयार दल ह दल म खब ूहं
सा। अब
चह
ूेमहातप वी सयार केभ त बन गए। सयार एक टांग पर खडा रहता
और चहूे
उसकेचार ओर बै ठकर ढोलक, मजीरे
, खडताल और चमटे ले
कर
उसकेभजन गाते।

सि◌यार सयारम ्
भजनम ्
भजनम।

भजन कतन समा त होने केबाद चह


ू क टो लयांभि त रस म डूबकर
अपनेबल म घु सने लगती तो सयार सबसेबाद केतीन-चार चह
ू को
दबोचकर खा जाता। फर रात भर आराम करता, सोता और डकार ले
ता।

स◌ुबह होते
ह फर वह चह ू केबल केपास आकर एक टां ग पर खडा हो
जाता और अपना नाटक चालू रखता। धी चहू क संया कम होने लगी। चह

केसरदार क नजर से यह बात छपी नह ं रह । एक दन सरदार नेसयार से
पू
छ ह लया “हे महा मा सयार, मेर टोल केचह े
ूमु
झेकम होतेनजर आ रहे
ह। ऐसा य हो रहा ह?”

सि◌यार नेआश वाद क मुा म हाथ उठाया “हे


चतु र मू
षक, यह तो होना ह
था। जो स चे
मन सेमेर भि त लरेगा, वह सशर र बैकुठ को जाएगा। बहु त
सेचहूे
भि त का फल पा रहे
ह।”

च◌ू
हो केसरदार नेदेखा क सयार मोटा हो गया ह। कह ं
उसका पे
ट ह तो वह
बै
कुठ लोक नह ं ह, जहां
चह
ूेजा रहे
ह?

च◌ू
ह केसरदार नेबाक बचेचह
ू को चेताया और वयं उसने दस
ूरेदन
सबसेबाद म बल म घुसनेका न चय कया। भजन समा त होने केबाद चह
ूे
बल म घुसे। सयार ने
सबसे अंत केचह
ूेको दबोचना चाहा।

च◌ूह का सरदार पहलेह चौक ना था। वह दां


व मारकर सयार का पं
ज ा बचा
गया। अस लयत का पता चलते ह वह उछलकर सयार क गदन पर चढ
गया और उसने बाक चह ू को हमला करनेकेलए कहा। साथ ह उसने अपने
दां
त सयार क गदन म गढा दए। बाक चह ूेभी सयार पर झपटेऔर सबने
कुछ ह दे
र म महा मा सयार को कंकाल सयार बना दया। केवल उसक
ह डय का पं ज र बचा रह गया।

स◌ीखः ढ ग कु
छ ह दन चलता ह, फर ढ गी को अपनी करनी का फल
मलता ह ह।
ढोल क पोल
एक बार एक जंगल केनकटदो राजाओंकेबीच घोर युहुआ। एक जीता

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दस
ूरा हारा। से
नाएं
अपने नगर को लौट गई। बस, से
ना का एक ढोल पीछे
रह
गया। उस ढोल को बजा-बजाकर से
ना केसाथ गए भां
ड व चारण रात को
वीरता क कहा नयांसु
नातेथे

य◌ुकेबाद एक दन आं धी आई। आं
धी केजोर म वह ढोल लु
ढकता-पु ढकता
एक सूखेपे
ड केपास जाकर टक गया। उस पे
ड क सूखी टह नयां ढोल से
इस
तरह सेसट गई थी क ते
ज हवा चलतेह ढोल पर टकरा जाती थी और
ढमाढम ढमाढम क गजं
ुायमान आवाज होती।

एक सयार उस ेम घू मता था। उसने ढोल क आवाज सु नी। वह बडा


भयभीत हु आ। ऐसी अजीब आवाज बोलते पहलेउसनेकसी जानवर को नह ं
सुना था। वह सोचनेलगा क यह कै सा जानवर ह, जो ऐसी जोरदार बोल
बोलता ह’ढमाढम’। सयार छपकर ढोल को दे खता रहता, यह जाननेकेलए
क यह जीव उडने वाला ह या चार टां
गो पर दौडनेवाला।

एक दन सयार झाडी केपीछे


छुप कर ढोल पर नजर रखे था। तभी पे
ड से
नीचे
उतरती हु
ई एक गलहर कू दकर ढोल पर उतर । हलक -सी ढम क
आवाज भी हु
ई। गलहर ढोल पर बै
ठ दाना कु
तरती रह ।

सि◌यार बडबडाया “ओह! तो यह कोई हं


सक जीव नह ं
ह। मु
झेभी डरना नह ं
चा हए।”

सि◌यार फं
क-फं
ू ूककर कदम रखता ढोल केनकट गया। उसे संघा। ढोल का

उसेन कह ंसर नजर आया और न पै
र । तभी हवा केझक

ुेसेटह नयांढोल से
टकरा । ढम क आवाज हु
ई और सयार उछलकर पीछे जा गरा।

“अब समझ आया।” सयार उढने क को शश करता हु आ बोला “यह तो बाहर


का खोल ह।जीव इस खोल केअं दर ह। आवाज बता रह ह क जो कोई जीव
इस खोल केभीतर रहता ह, वह मोटा-ताजा होना चा हए। चब सेभरा शर र।
तभी येढम=ढम क जोरदार बोल बोलता ह।”

अपनी मांद म घु
सते ह सयार बोला “ओ सयार ! दावत खाने
केलए तै
यार
हो जा। एक मोटे
-ताजेशकार का पता लगाकर आया हूं
।”

सि◌यार पू
छ ने
लगी “तु
म उसे
मारकर य नह ं
लाए?”

सि◌यार ने
उसेझडक द “ य क म ते र तरह मूख नह ं
हू

। वह एक खोल के
भीतर छपा बै
ठा ह। खोल ऐसा ह क उसम दो तरफ सू
खी चमडी केदरवाजे
ह।म एक तरफ से हाथ डाल उसेपकडनेक को शश करता तो वह दस
ूरे
दरवाजेसेन भाग जाता?”

च◌ां
द नकलने पर दोन ढोल क ओर गए। जब व नकट पहु ंच ह रहे
थेक
फर हवा से
टह नयांढोल पर टकरा और ढम-ढम क आवाज नकल ।
सयार सयार केकान म बोला “सुनी उसक आवाज ?्जरा सोच िजसक
आवाज ऐसी गहर ह, वह खदु कतना मोटा ताजा होगा।”

द◌ोन ढोल को सीधा कर उसकेदोन ओर बै


ठे
और लगे
दां
तो से
ढोल केदोन
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द◌ोन ढोल को सीधा कर उसकेदोन ओर बै ठे


और लगे दां
तो से
ढोल केदोन
चमडी वाले भाग केकनारे फाडने
। जै
से ह चम डयां
कटने लगी, सयार बोला
“हो शयार रहना। एक साथ हाथ अं
दर डाल शकार को दबोचना ह।” दोन ने

’ क आवाज केसाथ हाथ ढोल केभीतर डाले
‘हू और अं
दर टटोलने लगे। अदं

कुछ नह ंथा। एक दस
ूरेकेहाथ ह पकड म आए। द नो च लाए “ह! यहां तो
कुछ नह ंह।” और वेमाथा पीटकर रह गए।

स◌ीखः शे
खी मारने
वाले
ढोल क तरह ह अं
दर से
खोखले
होते
ह।

त◌ीन मछ लयां
एक नद केकनारे उसी नद से
जुडा एक बडा जलाशय था। जलाशय म पानी
गहरा होता ह, इस लए उसम काई तथा मछ लय का य भोजन जल य
सूम पौधे उगते ह। ऐसेथान मछ लय को बहु त रास आते ह। उस जलाशय
म भी नद से बहु
त-सी मछ लयांआकर रहती थी। अं डे
दे
नेकेलए तो सभी
मछ लयां उस जलाशय म आती थी। वह जलाशय ल बी घास व झा डय
वारा घरा होनेकेकारण आसानी से नजर नह ं
आता था।

उसी मेतीन मछ लय का झड ं
ुरहता था। उनके वभाव भ न थे । अ ना
सं
क ट आने केल ण मलते ह संक ट टालनेका उपाय करने म व वास
रखती थी। यु कहती थी क सं क ट आने पर ह उससे बचनेका य न करो।
य ी का सोचना था क संक ट को टालने या उससे बचने क बात बेक ार ह करने
करानेसे कु
छ नह ंहोता जो क मत म लखा है , वह होकर रहे
गा।

एक दन शाम को मछु आरेनद म मछ लयां पकडकर घर जा रहे


थे। बहु

कम मछ लयांउनकेजाल म फं सी थी। अतः उनकेचे
हरे
उदास थे
। तभी उ ह
झा डय केऊपर मछल खोर प य का झड ं
ुजाता दकाई दया। सबक च च
म मछ लयांदबी थी। वे
च के।

एक ने
अनुमान लगाया “दो तो! लगता ह झा डय केपीछे
नद से
जुडा
जलाशय ह, जहां
इतनी सार मछ लयां पल रह ह।”

मछु
आरेपु
ल कत होकर झा डय म से
होकर जलाशय केतट पर आ नकले
और ललचाई नजर से
मछ लय को देखनेलगे।

एक मछु आरा बोला “अहा! इस जलाशय म तो मछ लयां भर पडी ह। आज


तक हम इसका पता ह नह ं लगा।” “यहां
हम ढे
र सार मछ लयांमलगी।”
दस
ूरा बोला।

त◌ीसरेने
कहा “आज तो शाम घरने
वाल ह। कल सु
बह ह आकर यहां
जाल
डालगे
।”

इस कार मछु
आरेदस
ूरेदन का काय म तय करकेचले
गए। तीन
मि लय नेमछु
आरेक बात सु
न ला थी।

अ ना मछल ने कहा “सा थयो! तु


मनेमछुआरे क बात सुन ल । अब हमारा
यहां
रहना खतरेसेखाल नह ं ह। खतरेक सू चना हम मल गई ह। समय
रहतेअपनी जान बचानेका उपाय करना चा हए। म तो अभी ह इस जलाशय

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को छोडकर नहर केरा तेनद म जा रह हू



। उसकेबाद मछुआरेसु
बह आएं,
जाल फ के
, मे
र बला से
। तब तक म तो बहु
त दरूअटखे लयां
कर रह हो-
ऊं
गी।’

प◌ यु मछल बोल “तुह जाना ह तो जाओ, म तो नह ं आ रह । अभी खतरा


आया कहांह, जो इतना घबराने क ज रत ह हो सकता है सं क ट आए ह न।
उन मछु आर का यहांआने का काय म र हो सकता है , हो सकता ह रात को
उनकेजाल चह ूे
कुतर जाएं
, हो सकता है। उनक ब ती म आग लग जाए।
भूचाल आकर उनकेगां व को न ट कर सकता ह या रात को मू सलाधार वषा
आ सकती ह और बाढ म उनका गां व बह सकता ह। इस लए उनका आना
नि चत नह ंह। जब वह आएं ग,ेतब क तब सोचगे । हो सकता ह म उनके
जाल म ह न फंसं।”

य ी ने
अपनी भा यवाद बात कह “भागने से
कुछ नह ं होने
का। मछु
आर
को आना ह तो वह आएं
ग।ेहम जाल म फं
सना ह तो हम फंसगे
। क मत म
मरना ह लखा ह तो या कया जा सकता ह?”

इस कार अ ना तो उसी समय वहांसेचल गई। यु और य ी जलाशय म


ह रह । भोर हु
ई तो मछु
आरेअपनेजाल को ले
क र आए और लगे जलाशय म
जाल फ कने और मछ लयां पकडने। यु नेसं
क ट को आए दे
खा तो लगी
जान बचाने केउपाय सोचने
। उसका दमाग ते
ज ी से
काम करने लगा। आस-
पास छपने केलए कोई खोखल जगह भी नह ंथी। तभी उसे
याद आया क
उस जलाशय म काफ दन से एक मरेहु
ए ऊद बलाव क लाश तैर ती रह ह।
वह उसकेबचाव केकाम आ सकती ह।

ज द ह उसे वह लाश मल गई। लाश सडने लगी थी। यु लाश केपे टम


घु
स गई और सडती लाश क सडां ध अपनेऊपर लपे टकर बाहर नकल । कु छ
ह देर म मछुआरेकेजाल म यु फं
स गई। मछुआरे नेअपना जाल खीं चा
और मछ लय को कनारे पर जाल से उलट दया। बाक मछ लयां तो तडपने
लगीं, पर तु युदम साधकर मर हु ई मछल क तरह पडी रह । मचआ ु रेको
सडां
ध का भभका लगा तो मछ लय को दे खनेलगा। उसनेन चल पडी यु
को उठाया और संघा “आक! यह तो कई दन क मर मछल ह। सड चक
ू ु
ह।” ऐसे बडबडाकर बुर ा-सा मं
ह बनाकर उस मछु
ु आरे ने यु को जलाशय म
फ क दया।

प◌ यु अपनी बु का योग कर संक ट से


बच नकलने म सफल हो गई थी।
पानी म गरते ह उसने
गोता लगाया और सु
र त गहराई म पहु

चकर जान
क खै र मनाई।

य ी भी दस
ूरेमछुआरेकेजाल म फं
स गई थी और एक टोकरे
म डाल द गई
थी। भा य केभरोसे
बै
ठ रहनेवाल य ी ने
उसी टोकर म अ य मछ लय क
तरह तडप-तडपकर ाण याग दए।

स◌ीखः भा य केभरोसे
हाथ पर हाथ धरकर बै
ठे
रहने वालेका वनाश
नि चत ह।
दुमन का वाथ
एक पवत केसमीप बल म मं द वष नामक एक बू
ढा सां
प रहता था। अपनी
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जवानी म वह बडा रौबीला सांप था। जब वह लहराकर चलता तो बजल -सी


क ध जाती थी पर बु
ढापा तो बडे-बड का तेज हर लेता ह।बुढापेक मार से
मं
द वष का शर र कमजोर पड गया था। उसकेवषदं त हलने लगेथेऔर
फु
फकारते हुए दम फूल जाता था। जो चहू े
उसकेसाए से भी दरूभागतेथे, वे
अब उसकेशर र को फां दकर उसेचढाते हुए नकल जाते । पेट भरनेकेलए
चह
ू केभी लाले पड गए थे । मंद वष इसी उधेड बु
न म लगा रहता क कस
कार आराम से भोजन का थाई बं ध कया जाए। एक दन उसे एक उपाय
सू
झा और उसे आजमाने केलए वह दादरुसरोवर केकनारे जा पहु

चा। दादरु
सरोवर म मेढक क भरमार थी। वहां उ हं का राज था। मंद वष वहांइधर-
उधर घू
मने लगा। तभी उसे एक प थर पर मे ढक का राजा बै ठा नजर आया।
मं
द वष नेउसे नम कार कया “महाराज क जय हो।”

म◌े
ढकराज च का “तु
म ! तु
म तो हमारे
बै
र हो। मे
र जय का नारा य लगा
रहे
हो?”

म◌ं
द वष वन वर म बोला “राजन, वे
पु
र ानी बात ह। अब तो म आप
मे
ढक क से वा करकेपाप को धोना चाहता हूं
। ाप से मुि त चाहता हू

। ऐसा
ह मे
रेनागगुका आदे श ह।”

म◌े
ढकराज ने
पू
छ ा “उ ह ने
ऐसा व च आदे
श य दया?”

म◌ंद वष ने मनगढंत कहानी सुनाई “राजन,्एक दन म एक उ यान म घू म


रहा था। वहां
कुछ मानव ब चेखे ल रहेथे। गलती सेएक ब चेका पैर मुझ
पर पड गया और बचाव वाभववश मने उसे काटा और वह ब चा मर गया।
मुझेसपने म भगवान ीकॄण नजर आए और ाप दया क म वष समा त
होतेह प थर का हो जाऊं
गा। मेरेगुदेव नेकहा क बालक क मॄ यु का
कारण बन मने कॄणजी को ट कर दया ह, य क बालक कॄण का ह प
होतेह। बहुत गड गडानेपर गुजी नेाप मु ि त का उपाय बताया। उपाय
यह ह क म वष केअं त तक मे ढक को पीठ पर बै ठाकर सै
र कराऊं
।”

म◌ं
द वष क बात सुनकर मे ढकराज च कत रह गया। सां
प क पीठ पर सवार
करनेका आज तक कस मे ढक को य ै ा त हु
आ? उसने सोचा क यह तो
एक अनोखा काम होगा। मे
ढकराज सरोवर म कूद गया और सारेमे
ढक को
इक ा कर मं
द वष क बात सु नाई। सभी मे
ढक भ च केरह गए।

एक बू ढा मे
ढक बोला “मे
ढक एक सप क सवारेकर। यह एक अदभु
त बात
होगी। हम लोग संसार म सबसेे ठ मे
ढक माने
जाएंग।े

एक सांप क पीठ पर बै
ठकर सै र करने केलालच नेसभी मे
ढक क अ ल पर
पदा डाल दया था। सभी ने ’ म ‘हां
‘हां ’ मलाई। मे
ढकराज नेबाहर आकर
मं
द वष से कहा “सप, हम तुहार सहायता करने केलए तैयार ह।”

बस फर या था। आठ-दस मे ढक मंद वष क पीठ पर सवार हो गए और


नकल सवार । सबसे आगे राजा बै
ठा था। मंद वष ने
इधर-उधर सै
र कराकर
उ हे
ण्सरोवर तट पर उतार दया। मेढक मं द वष केकहनेपर उसकेसर पर

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सेहोतेहु
ए आगे
उतरे
। मं
द वष सबसे पीछे वाले
मेढक को ग प खा गया। अब
तो रोज यह म चलनेलगा। रोज मंद वष क पीठ पर मेढक क सवार
नकलती और सबसे पीछेउतरने वालेको वह खा जाता।

एक दन एक दसूरेसप ने
मं द वष को मे
ढक को ढोतेख लया। बाद म उसने
मं
द वष को बहु
त ध कारा “अरे! य सप जा त क नाक कटवा रहा ह?”

म◌ंद वष नेउ तर दया “समय पडनेपर नी त सेकाम ले


ना पडता ह। अ छे
-
बु
रेका मे
रेसामनेसवाल नह ं
ह। कहतेह क मु सीबत केसमय गधे को भी
बाप बनाना पडे
तो बनाओ।”

म◌ंद वष केदन मजे से


कटनेलगे । वह पीछे
वालेवालेमे
ढक को इस
सफाईसे खा जाता क कसी को पता न लगता। मेढक अपनी गनती करना
तो जानतेनह ंथे
, जो गनती वारा माजरा समझ लेते

एक दन मेढकराज बोला “मुझे ऐसा लग हा ह क सरोवर म मे


ढक पहले
से
कम हो गए ह। पता नह ंया बात ह?”

म◌ंद वष ने
कहा “हेराजन, सप क सवार करने वालेमहान मे
ढक राजा के
प म आपक या त दरू -दरूतक पहु

च रह ह। यहां
केबहु
त सेमे
ढक आपका
यश फैलानेदस
ूरेसरोवर , तल व झील म जा रहे
ह।”

म◌ेढकराज क गव से छाती फूल गई। अब उसे सरोवर म मेढक केकम होने


का भी गम नह ं
था। िजतने मेढक कम होते जाते, वह यह सोचकर उतना ह
स न होता क सारे सं
सार म उसका झं डा गड रहा ह।

आ खर वह दन भी आया, जब सारे मेढक समा त हो गए। केवल मेढकराज


अकेला रह गया। उसनेवयं को अके लेमंद वष क पीठ पर बै
ठा पाया तो
उसनेमंद वष से पू
छ ा “लगता ह सरोवर म म अकेला रह गया हू

। म अके ला
कै
सेरहूं
गा?”

म◌ंद वष मुकुराया “राजन, आप च ता न कर। म आपका अके


लापन भी
दरूकर दं

ूा।”

ऐसा कहते हु
ए मं
द वष ने
मेढकराज को भी ग प सेनगल लया और वह ं
भे
ज ा जहां
सरोवर केसारे
मेढक पहु

चा दए गए थे।

स◌ीखः श ुक बात पर व वास करना अपनी मौत को दावत दे ना ह।


दु
ट सप
एक जंगल म एक बहु त पु
र ाना बरगद का पे
ड था। उस पे
ड पर घ सला बनाकर
एक कौआ-क वी का जोडा रहता था। उसी पेड केखोखले तनेम कह ं सेआकर
एक द ु
ट सप रहना लगा। हर वष मौसल आने पर क वी घ सले म अंडेदे
ती
और द ुट सप मौका पाकर उनकेघ सले म जाकर अं डेखा जाता। एक बार
जब कौआ व क वी ज द भोजन पाकर शी ह लौट आए तो उ ह ने उस द ुट
सप को अपने घ सले म रखे अंड पर झप ते देखा।

अ◌ंडेखाकर सप चला गया कौए ने


क वी को ढाडस बं
धाया “ ये, ह मत
रखो। अब हम श ुका पता चल गया ह। कु
छ उपाय भी सोच लगे
।”
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क◌ौए नेकाफ सोचा वचारा और पहले वालेघ सले को छोड उससेकाफ


ऊपर टहनी पर घ सला बनाया और क वी से कहा “यहांहमारेअं
डे
सुर त
रहगे
। हमारा घ सला पेड क चोट केकनारेनकट ह और ऊपर आसमान म
चील मं
डराती रहती ह। चील सां
प क बै
र ह। द ु
ट सप यहांतक आने का
साहस नह ंकर पाएगा।”

क◌ौवेक बात मानकर क वी ने


नए घ सले
म अं
डे
सुर त रहे
और उनम से
ब चेभी नकल आए।

उधर सप उनका घ सला खाल देखकर यह समझा क क उसकेडर से कौआ


क वी शायद वहां
सेचलेगए ह पर द ु
ट सप टोह लेता रहता था। उसने
दे
खा
क कौआ-क वी उसी पे
ड से
उडते ह और लौटते भी वह ंह। उसेयह समझते
दे
र नह ं
लगी क उ ह नेनया घ सला उसी पे
ड पर ऊपर बना रखा ह। एक दन
सप खोह सेनकला और उसने कौओं का नया घ सला खोज लया।

घ◌ सले
म कौआ दं
पती केतीन नवजात शशु थे। दु
ट सप उ ह एक-एक
करकेघपाघप नगल गया और अपने खोह म लौटकर डकार ले
नेलगा।

क◌ौआ व क वी लौटेतो घ सला खाल पाकर स न रह गए। घ सलेम हु


ई टू
ट-
फू
ट व न ह कौओं केकोमल पंख बखरे दे
खकर वह सारा माजरा समझ गए।
क वी क छाती तो दख
ुसे फटनेलगी। क वी बलख उठ “तो या हर वष मेरे
ब चेसां
प का भोजन बनते रहगे
?”

क◌ौआ बोला “नह ं


! यह माना क हमारेसामनेवकट सम या ह पर यहांसे
भागना ह उसका हल नह ं ह। वपि त केसमय ह म काम आते ह। हम
लोमडी म से सलाह ले नी चा हए।”

द◌ोन तुरं
त ह लोमडी केपास गए। लोमडी नेअपनेम क दख ुभर
कहानी सुनी। उसने कौआ तथा क वी केआंसूप छे
। लोमडी नेकाफ सोचने
केबाद कहा “ म ो! तुह वह पे
ड छोडकर जानेक ज रत नह ं ह। मेरेदमाग
म एक तरक ब आ रह ह, िजससे उस द ु
टसप सेछुटकारा पाया जा सकता
ह।”

ल◌ोमडी नेअपने चतुर दमाग म आई तरक ब बताई। लोमडी क तरक ब


सु
नकर कौआ-क वी खश ुी से
उछल पड। उ ह नेलोमडी को ध यवाद दया
और अपने घर लौट आए। अगले ह दन योजना अमल म लानी थी। उसी वन
म बहुत बडा सरोवर था। उसम कमल और नर गस केफू ल खले रहते थे
। हर
मं
गलवार को उस दे श क राजकु मार अपनी सहेलय केसाथ वहां जल-
डा करनेआती थी। उनकेसाथ अं गर क तथा सै नक भी आते थे

इस बार राजकुमार आई और सरोवर म नान करने जल म उतर तो योजना


केअनु सार कौआ उडता हु
आ वहांआया। उसनेसरोवर तट पर राजकु
मार
तथा उसक सहे लय वारा उतारकर रखे गए कपड व आभू षण पर नजर
डाल । कपडे से
सबसे ऊपर था राजकु
मार का य ह रेव मो तय का
वल ण हार।

क◌ौए ने
राजकु
मार तथा सहे
लय का यान अपनी और आक षत करने
के
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क◌ौए नेराजकु मार तथा सहे लय का यान अपनी और आक षत करने के


लए ‘कां
व-कांव’ का शोर मचाया। जब सबक नजर उसक ओर घू मी तो
कौआ राजकु मार का हार च च म दबाकर ऊपर उड गया। सभी सहेलयां चीखी
खो, दे
“दे खो! वह राजकुमार का हार उठाकर ले
जा रहा ह।”

स◌ै नक ने ऊपर देखा तो सचमुच एक कौआ हार ले


क र धीरे
-धीरे
उडता जा
रहा था। सै
नक उसी दशा म दौडने लगे। कौआ सैनक को अपने पीचे
लगाकर धीरे-धीरे
उडता हुआ उसी पेड क ओर लेआया। जब सै नक कु
चह
दरूरह गए तो कौए ने
राजकु मार का हार इस कार गराया क वह सां
प वाले
खोह केभीतर जा गरा।

स◌ै नक दौडकर खोह केपास पहु ं


च।ेउनकेसरदार नेखोह केभीतर झां
क ा।
उसने वहांहार और उसकेपास म ह एक काले सप को कुडं
ल मारेदे
खा। वह
च लाया “पीछे हटो! अं
दर एक नाग ह।” सरदार ने
खोह केभीतर भाला
मारा। सप घायल हुआ और फु फकारता हुआ बाहर नकला। जै सेह वह बाहर
आया, सै नक ने भाल से उसकेटुकडे-टु
कडेकर डाले

स◌ीखः बु का योग करकेहर सं


क ट का हल नकाला जा सकता ह।

नकल करना बु र ा है
एक पहाड़ क ऊं ची चोट पर एक बाज रहता था। पहाड़ क तराई म बरगद के
पे
ड़ पर एक कौआ अपना घ सला बनाकर रहता था। वह बड़ा चालाक और धत ू
था। उसक को शश सदा यह रहती थी क बना मे हनत कए खाने को मल
जाए। पेड़ केआसपास खोह म खरगोश रहते थे। जब भी खरगोश बाहर आते
तो बाज ऊंची उड़ान भरते और एकाध खरगोश को उठाकर ले जाते ।

एक दन कौए नेसोचा, ‘वै


सेतो येचालाक खरगोश मे
रेहाथ आएं गेनह ं
, अगर
इनका नम मां
स खाना हैतो मु
झे भी बाज क तरह करना होगा। एकाएक
झप ा मारकर पकड़ लंगा।’

द◌ू
सरेदन कौए ने भी एक खरगोश को दबोचने क बात सोचकर ऊं ची उड़ान
भर । फर उसने खरगोश को पकड़ने केलए बाज क तरह जोर से झप ा
मारा। अब भला कौआ बाज का या मु क ाबला करता। खरगोश ने उसे देख
लया और झट वहां सेभागकर च ान केपीछेछप गया। कौआ अपनी ह ं
झ क म उस च ान से जा टकराया। नतीजा, उसक च च और गरदन टू टग
और उसने वह ंतड़प कर दम तोड़ दया।
श ा—नकल करने केलए भी अकल चा हए।
बं
दर का कले जा
एक नद कनारे हरा-भरा वशाल पे ड था। उस पर खब ू वा द ट फल उगे
रहते। उसी पेड पर एक बदं र रहता था। बडा म त कलं दर। जी भरकर फल
खाता, डा लय पर झल ूता और कू दता-फांदता रहता। उस बं दर केजीवन म
एक ह कमी थी क उसका अपना कोई नह ं था। मां
-बाप केबारेम उसे कुछ
याद नह ं था न उसकेकोई भाई थाऔर न कोई बहन, िजनकेसाथ वह खे लता।
उस ेम कोई और बं दर भी नह ंथा िजससे वह दो ती गां
ठ पाता। एक दन
वह एक डाल पर बै ठा नद का नजारा दे ख रहा था क उसे एक लंबा वशाल
जीव उसी पे ड क ओर तै र कर आता नजर आया। बं दर नेऐसा जीव पहले कभी
नह ंदेखा था। उसने उस व च जीव से पूछ ा “अरेभाई, तुम या चीज हो?”
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द पटल - ह द क उ कृट रचनाएँ

वि◌शाल जीव ने
उ तर दया “म एक मगरम छ हू ं
। नद म इस वष मि लय
का अकाल पड गया ह। बस, भोजन क तलाश म घू
मता-घू
मता इधर आ
नकला हू

।”

ब◌ंदर दल का अ छा था। उसनेसोचा क पे


ड पर इतने
फल ह, इस बे
चारे
को
भी उनका वाद चखना चा हए। उसनेएक फल तोडकर मगर क ओर फ का।
मगर नेफल खाया बहुत रसीला और वा द ट वह फटाफट फल खा गया और
आशा सेफर बं दर क ओर देखनेलगा।

ब◌ंदर नेमुकराकर और फल फे क । मगर सारे


फल खा गया और अं तम
उसने सं
तोष-भर डकार ल और पेट थपथपाकर बोला “ध यवाद, बं
दर भाई।
खबूछक गया, अब चलता हूं
।” बं
दर नेउसेदस
ूरेदन भी आने का यौता दे
दया।

मगर दस ूरेदन आया। बं दर नेउसेफर फल खलाए। इसी कार बं दर और


मगर म दो ती जमने लगी। मगर रोज आता दोन फल खाते - खलाते, गपशप
मारते। बं
दर तो वै
सेभी अके ला रहता था। उसेमगर से दो ती करकेबहु त
स नता हु ई। उसका अके लापन दरूहुआ। एक साथी मला। दो मलकर
मौज-म ती कर तो दग ुना आन द आता ह। एक दन बात -बात म पता लगा
क मगर का घर नद केशू सरेतट पर ह, जहां उसक प नी भी रहती ह। यह
जानते ह बंदर नेउलाहन दया “मगर भाई, तु मनेइतनेदन मु झेभाभीजी के
बारे
म नह ं बताया म अपनी भाभीजी केलए रसीले फल देता। तु
म भी
अजीब नक ू हो अपना पेट भरते रहेऔर मे र भाभी केलए कभी फल ले कर
नह ंगए।

उस शाम बंदर नेमगर को जातेसमय ढे र सारे


फल चन ु-चनुकर दए। अपने
घर पहु

चकर मगरम छ ने वह फल अपनी प नी मगरम छनी को दए।
मगरम छनी ने वह वाद भरे फल खाए और बहु त संतुट हु
ई। मगर ने
उसे
अपनेम केबारे म बताया। प नी को व वास न हुआ। वह बोल “जाओ,
मु
झे बना रहे
हो। बं
दर क कभी कसी मगर से दो ती हु
ई ह?”

मगर नेयक न दलाया “यक न करो भा यवान! वना सोचो यह फल मु


झेकहां
सेमले? म तो पे
ड पर चढने
सेरहा।”

मगरनी को यक न करना पडा। उस दन केबाद मगरनी को रोज बंदर वारा


भे
जेफल खाने को मलने लगे। उसे
फल खानेको मलते यह तो ठ क था, पर
मगर का बं
दर सेदो ती केच कर म दन भर दरूरहना उसेखलना लगा।
खाल बै
ठे ठे
-बै ऊंच-नीच सोचनेलगी।

वह वभाव से दुटा थी। एक दन उसका दल मचल उठा “जो बं दर इतने


रसीले फल खाता ह,उसका कले ज ा कतना वा द ट होगा?” अब वह चाल
सोचने लगी। एक दन मगर शाम को घर आया तो उसने मगरनी को कराहते
पाया। पू
छ नेपर मगरनी बोल “मु झे एक खतरनाक बीमार हो गई है

वैयजी ने कहा ह क यह के वल बंदर का कले
ज ा खाने
सेह ठ क होगी। तु

अपने उस म बं दर का कलेज ा ला दो।”

मगर स न रह गया। वह अपनेम को कै


सेमार सकाता ह? न-न, यह नह ं
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मगर स न रह गया। वह अपनेम को कै सेमार सकाता ह? न-न, यह नह ं


हो सकता। मगर को इनकार म सर हलाते देखकर मगरनी जोर से हाय-हाय
करने लगी “तो फर म मर जाऊं गी। तुहार बला से
और मे रेपे
ट म तुहारे
ब चेह। वेभी मरगे। हम सब मर जाएंग।ेतुम अपनेबं
दर दो त केसाथ खब ू
फल खाते रहना। हाय रे
, मर गई… म मर गई।”

प नी क बात सुनकर मगर सहर उठा। बीवी-ब च केमोह नेउसक अ ल


पर पदा डाल दया। वह अपने
दो त सेव वासघात करने , उसक जान ले
ने
चल पडा।

मगरम छ को सु बह-सुबह आते दे


खकर बंदर च कत हु आ। कारण पू छ नेपर
मगर बोला “बं
दर भाई, तुहार भाभी बहु
त नाराज ह। कह रह ह क दे वरजी
रोज मे
रेलए रसीले फल भेज तेह, पर कभी दशन नह ंदए। से वा का मौका
नह ंदया। आज तुम न आए तो देवर-भाभी का र ता ख म। तुहार भाभी ने
मुझेभी सु
बह ह भगा दया। अगर तुह साथ न ले जा पाया तो वह मुझेभी
घर म नह ंघु
सनेदे
गी।”

ब◌ं
दर खशुभी हु
आ और चकराया भी “मगर म आऊंकै से
? म , तु
म तो
जानतेहो क मुझे तै
र ना नह आता।” मगर बोला “उसक च ता मत करो,
मे
र पीठ पर बै
ठो। म ले चलंगा न तुह।”

ब◌ं
दर मगर क पीठ पर बै
ठ गया। कु
च दरूनद म जाने
पर ह मगर पानी के
अं
दर गोता लगाने
लगा। बं
दर च लाया “यह या कर रहेहो? म डू

जाऊं
गा।”

मगर हं
सा “तुह तो मरना ह ह ।”

उसक बात सु
नकर बं
दर का माथा ठनका, उसने
पू
छ ा “ या मतलब?”

मगर ने
बं
दर को कलेजे वाल सार बात बता द । बं
दर ह का-ब का रह गया।
उसे
अपनेम से ऐसी बेइमानी क आशा नह ंथी।

ब◌ं
दर चतुर था। तु
रंत अपने आप को सं भालकर बोला “वाह, तु
मने मुझेपहले
य नह ंबताया? म अपनी भाभी केलए एक तो या सौकले जेदेदं
।ूपर बात
यह ह क म अपना कले ज ा पे
ड पर ह छोड आया हूं
। तु
मने पहलेह सार बात
मु
झे न बताकर बहु त गलती कर द ह। अब ज द से वा पस चलो ता क हम
पे
ड पर सेकलेज ा लेतेचल। देर हो गई तो भाभी मर जाएगी। फर म अपने
आपको कभी माफ नह ं कर पाऊं गा।”

अ ल का मोटा मगरम छ उसक बात सच मानकर बं दर को ले


क र वापस
लौट चला। जैसेह वे पे
ड केपास पहुं
च,े
बंदर लपककर पे ड क डाल पर चढ
गया और बोला “मू ख, कभी कोई अपना कले ज ा बाहर छोडता ह? दस
ूरेका
कलेज ा ले
नेकेलए अपनी खोपडी म भी भे ज ा होना चा हए। अब जा और
अपनी द ुट बीवी केसाथ बैठकर अपने कम को रो।” ऐसा कहकर बं दर तो
पे
ड क टह नय म लु त हो गया और अ ल का द ु मन मगरम छ अपना
माथा पीटता हु
आ लौट गया।

स◌ीखः 1. दस
ूर को धोखा दे
ने
वाला वयं
धोखा खा जाता ह।
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स◌ीखः 1. दसूर को धोखा दे


नेवाला वयं धोखा खा जाता ह।
2. संक ट केसमय बु से काम लेना चा हए।
बगल ुा भगत
एक वन दे श म एक बहुत बडा तालाब था। हर कार केजीव केलए उसम
भोजन साम ी होने केकारण वहां नाना कार केजीव, प ी, मछ लयां ,
कछु ए और केकडे आ द वास करते थे। पास म ह बगलुा रहता था, िजसे
प र म करना ब कु ल अ छा नह ं लगता था। उसक आं खेभी कुछ कमजोर
थीं। मछ लयां पकडने केलए तो मे हनत करनी पडती ह, जो उसे खलती थी।
इस लए आल य केमारे वह ायः भू खा ह रहता। एक टांग पर खडा यह
सोचता रहता क या उपाय कया जाए क बना हाथ-पै र हलाए रोज भोजन
मले । एक दन उसे एक उपाय सू झा तो वह उसेआजमाने बै
ठ गया।

बगल
ुा तालाब केकनारे खडा हो गया और लगा आं
ख से
आंसूबहाने
। एक
के
कडे नेउसेआंसू बहाते
दे
खा तो वह उसकेनकट आया और पू
छ नेलगा
“मामा, या बात ह भोजन केलए मछ लय का शकार करने क बजाय खडे
आंसूबहा रहे
हो?”

बगलुेनेजोर क हचक ल और भराए गले से


बोला “बे
टे
, बहुत कर लया
मछ लय का शकार। अब म यह पाप काय और नह ंक ंगा। मेर आ मा
जाग उठ ह। इस लए म नकट आई मछ लय को भी नह ं पकड रहा हू

। तु

तो दे
ख ह रहेहो।”

क◌े
क डा बोला “मामा, शकार नह ं
करोगे
, कु
छ खाओगे
नह तो मर नह ं
जाओगे?”

बगलुे ने
एक और हचक ल “ऐसे जीवन का न ट होना ह अ छा ह बेटे
, वै
से
भी हम सबको ज द मरना ह ह। मु
झे ात हु
आ ह क शी ह यहां बारह वष
लं
ब ा सू
खा पडे
गा।”

बगल ुे
नेकेकडे को बताया क यह बात उसेएक कालदश महा मा ने बताई
ह, िजसक भ व यवाणी कभी गलत नह ं होती। के
कडे
नेजाकर सबको
बताया क कै सेबगलुेनेब लदान व भि त का माग अपना लया ह और सू
खा
पडने वाला ह।

उस तालाब केसारेजीव मछ लयां


, कछु
ए, के
कडे, ब तख व सारस आ द दौसे
-
दौडेबगल
ुे केपास आए और बोले
“भगत मामा, अब तु म ह हम कोई बचाव
का रा ता बताओ। अपनी अ ल लडाओ तुम तो महा ानी बन ह गए ह गए
हो।”

बगलुेनेकुछ सोचकर बताया क वहां से कुछ कोस दरूएक जलाशय ह


िजसम पहाडी झरना बहकर गरता ह। वह कभी नह ं सू
खता । य द जलाशय
केसब जीव वहांचले जाएंतो बचाव हो सकता ह। अब सम या यह थी क
वहांतक जाया कैसेजाएं
? बगलुेभगत ने यह सम या भी सु
लझा द “म तुह
एक-एक करकेअपनी पीठ पर बठाकर वहां तक पहुं
चाऊं
गा य क अब मे रा
सारा शे
ष जीवन दसूर क सेवा करने म गजुरेगा।”

सभी जीव ने
ग -ग होकर ‘बगल
ुा भगतजी क जै
’ केनारे
लगाए।
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अब बगलुा भगत केपौ-बारह हो गई। वह रोज एक जीव को अपनी पीठ पर


बठाकर लेजाता और कु छ दरूलेजाकर एक च ान केपास जाकर उसे उस
पर पटककर मार डालता और खा जाता। कभी मू ड हु
आ तो भगतजी दो फे
रे
भी लगातेऔर दो जीव को चट कर जाते तालाब म जानवर क संया घटने
लगी। च ान केपास मरे जीव क ह डय का ढे र बढनेलगा और भगतजी क
सेहत बनने लगी। खा-खाकर वह खबूमोटे हो गए। मु
ख पर लाल आ गई और
पं
ख चब केते ज से चमकने लगे। उ ह दे
खकर दस ूरेजीव कहते खो, दस
“दे ूर
क सेवा का फल और पुय भगतजी केशर र को लग रहा ह।”

बगलुा भगत मन ह मन खब ूहं


सता। वह सोचता क दे खो द ु
नया म कै से
-कै
से
मूख जीव भरे पडेह, जो सबका व वास कर ले तेह। ऐसे मूख क दु नया म
थोडी चालाक से काम लया जाए तो मजे ह मजे ह। बना हाथ-पै र हलाए
खबूदावत उडाई जा सकती ह सं सार से
मूख ाणी कम करने का मौका
मलता ह बैठे
- बठाए पे
ट भरनेका जुगाड हो जाए तो सोचने का बहुत समय
मल जाता ह।

बहु
त दन यह म चला। एक दन के कडे ने
बगल
ुेसेकहा “मामा, तु
मने
इतनेसारे
जानवर यहां
सेवहां
पहु

चा दए, ले
कन मेर बार अभी तक नह ं
आई।”

भगतजी बोले टा, आज ते


“बे र ा ह नं
बर लगाते
ह, आजा मे
र पीठ पर बै

जा।”

क◌े
केडा खशुहोकर बगल
ुे क पीठ पर बै
ठ गया। जब वह च ान केनकट
पहु

चा तो वहां
ह डय का पहाड देखकर केकडेका माथा ठनका। वह हकलाया
“यह ह डय का ढेर कै
सा ह? वह जलाशय कतनी दरूह, मामा?”

बगलुा भगत ठां


-ठां
करकेखब ुहं
सा और बोला “मू
ख, वहां
कोई जलाशय नह ं
ह। म एक- एक को पीठ पर बठाकर यहां
लाकर खाता रहता हू

। आज तु
मरेगा।”

क◌ेक डा सार बात समझ गया। वह सहर उठा पर तु


उसनेह मत न हार
और तुरंत अपने जंबू
र जै
सेपं
ज ो को आगे
बढाकर उनसेदु
ट बगल
ुेक गदन
दबा द और तब तक दबाए रखी, जब तक उसके ाण पखेन उड गए।

फि◌र के
केडा बगलुे
भगत का कटा सर ले
क र तालाब पर लौटा और सारे
जीव
को स चाई बता द क कै
सेदुट बगल
ुा भगत उ ह धोखा देता रहा।

स◌ीखः 1. दस
ूरो क बात पर आं खेमंदकर व वास नह ं
ू करना चा हए।
पा दत कर] 2. मु
[सं सीबत म धीरज व बुमानी से काय करना चा हए।
बडेनाम का चम कार
एक समय क बात है एक वन म हा थय का एक झड ं
ुरहता था। उस झड ं
ुका
सरदार चतुदत नामक एक वशाल, परा मी, गं भीर व समझदार हाथी था।
सब उसी क छ -छाया म शु ख सेरहतेथे। वह सबक सम याएं सु नता।
उनका हल नकालता, छोटे -बडे
सबका बराबर याल रखता था। एक बार उस
ेम भयं क र सू
खा पडा। वष पानी नह ं
बरसा। सारे ताल-तलैय ा सू
खने लगे

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पे
ड-पौधेकुहला गए धरती फट गई, चार और हाहाकार मच गई। हर ाणी
बं
द-बं
ू द केलए तरसता गया। हा थय ने
ू अपनेसरदार से कहा “सरदार, कोई
उपाय सो चए। हम सब यासेमर रहेह। हमारे
ब चे तडप रहेह।”

चतुदत पहलेह सार सम या जानता था। सबकेदख ुसमझता था पर उसक


समझ म नह ं आ रहा था क या उपाय करे। सोचते-सोचते
उसे बचपन क
एक बात याद आई और चतु दत नेकहा “मु
झे ऐसा याद आता ह क मे
रे
दादाजी कहतेथे
, यहां
सेपू
व दशा म एक ताल ह, जो भूमगत जल से जु
डे
होनेकेकारण कभी नह ंसू
खता। हम वहांचलना चा हए।” सभी को आशा क
करण नजर आई।

ह◌ा थय का झड ं
ुचतु
दत वारा बताई गई दशा क ओर चल पडा। बना पानी
केदन क गम म सफर करना क ठन था, अतः हाथी रात को सफर करते ।
पां
च रा केबाद वेउस अनोखेताल तक पहुं
च गए। सचमुच ताल पानी से
भरा था सारे
हा तय ने
खबूपानी पया जी भरकर ताल म नहाए व डु
ब कयां
लगा ।

उसी ेम खरगोश क घनी आबाद थी। उनक शामत आ गई। सै कड


खरगोश हा थय केपै र -तलेकुचले गए। उनकेबल र दे
गए। उनम हाहाकार
मच गया। बचे-कुचेखरगोश ने एक आपातकाल न सभा क । एक खरगोश
बोला “हम यहांसेभागना चा हए।”

एक तेज वभाव वाला खरगोश भागने केहक म नह ंथा। उसने कहा “हम
अ ल से काम लेना चा हए। हाथी अंध व वासी होते
ह। हम उ ह कहगेक
हम चंवंशी ह। तुहारेवारा कए खरगोश सं हार सेहमारेदे
व चंमा ट ह।
य द तु
म यहांसेनह ंगए तो चंदे व तुह वनाश का ाप दगे ।”

एक अ य खरगोश ने उसका समथन कया “चतु र ठ क कहता ह। उसक बात


हम माननी चा हए। लंबकण खरगोश को हम अपना दत ूबनाकर चतु दत के
पास भजेग।े
” इस ताव पर सब सहमत हो गए। लं बकण एक बहु त चतुर
खरगोश था। सारेखरगोश समाज म उसक चतु र ाई क धाक थी। बात बनाना
भी उसेखब
ूआता था। बात से बात नकालते जाने म उसका जवाब नह ंथा।
जब खरगोश ने उसे दत
ूबनकर जाने केलए कहा तो वह तु
रं
त तैयार हो
गया। खरगोश पर आए सं क ट को दरूकरकेउसेस नता ह होगी। लं बकण
खरगोश चतुदत केपास पहुं
चा और दरूसे ह एक च ान पर चढकर बोला
“गजनायक चतु दत, म लं
बकण च मा का दत ूउनका सं दे
श लेक र आया हूं।
च मा हमारेवामी ह।”

चतु
दत ने
पू
छ ा ” भई, या सं
दे
श लाए हो तु
म ?”

ल◌ं
बकण बोला “तुमने
खरगोश समाज को बहु
त हा न पहुं
चाई ह। च दे

तु
मसे बहु
त ट ह। इससेपहलेक वह तुह ाप दे द, तु
म यहांसेअपना झड


ले
क र चलेजाओ।”

चतु
दत को व वास न हु
आ। उसने
कहा “चंदे
व कहां
ह? म खद
ुउनकेदशन
करना चाहता हू

।”

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ल◌ंबकण बोला “उ चत ह। चंदेव असंय मॄ त खरगोश को ां


ज ल दे
ने
वयं ताल म पधारकर बैठे
ह, आईए, उनसे सा ा कार क िजए और वयं दे

ल िजए क वेकतने ट ह।” चालाक लं बकण चतु दत को रात म ताल पर ले
आया। उस रात पूणमासी थी। ताल म पू
ण चंमा का ब ब ऐसे पड रहा था
जैसेशीशेम त ब ब दखाई पडता ह। चतु दत घबरा गया चालाक खरगोश
हाथी क घबराहट ताड गया और व वास केसाथ बोला “गजनायक, जरा
नजद क से चंदेव का सा ा कार कर तो आपको पता लगेगा क आपकेझड ं

केइधर आने सेहम खरगोश पर या बीती ह। अपने भ त का दख ुदेखकर
हमारेचंदेवजी केदल पर या गज ुर रह है
|”

ल◌ंबकण क बात का गजराज पर जाद-ू सा असर हुआ। चतुदत डरते-डरते


पानी केनकट गया और सं डच ं
ू मा के त ब ब केनकट ले जाकर जांच
करने लगा। सं
ड पानी केनकट पहु
ू ं
चने पर संड सेनकल हवा से
ू पानी म
हलचल हु ई और च ंमा ला त ब ब कई भाग म बं ट गया और वकॄ त हो
गया। यह देखतेह चतु दत केहोश उड गए। वह हडबडाकर कई कदम पीछे हट
गया। लंबकण तो इसी बात क ताक म था। वह चीखा “देखा, आपको देखते ह
चंदेव कतने ट हो गए! वह ोध से कांप रहेह और गुसे सेफट रहेह।
आप अपनी खै र चाहते ह तो अपनेझड

ुकेसमे त यहांसेशी ा तशी थान
कर वना चंदेव पता नह ंया ाप दे द।”

चतुदत तु
रं
त अपने झड

ुकेपास लौट गया और सबको सलाह द क उनका
यहांसेतु
रं
त थान करना ह उ चत होगा। अपने सरदार केआदे
श को
मानकर हा थय का झड ं
ुलौट गया। खरगोश म खशुी क लहर दौड गई।
हा थय केजाने केकुछ ह दन प चात आकाश म बादल आए, वषा हु ई और
सारा जल सं
क ट समा त हो गया। हा थय को फर कभी उस ओर आने क
ज रत ह नह ं पडी।

स◌ीखः चतु र ाई सेशार रक प से बलशाल श ु को भी मात द जा सकती ह।


बह पया गधा
एक नगर म धोबी था। उसकेपास एक गधा था, िजस पर वह कपडे लादकर
नद तट पर ले जाता और धल ुेकपडे लादकर लौटता। धोबी का प रवार बडा
था। सार कमाई आटे -दाल व चावल म खप जाती। गधे केलए चार खर दने
केलए कु छ न बचता। गां व क चरागाह पर गाय-भस चरती। अगर गधा उधर
जाता तो चरवाहे डं
ड से पीटकर उसे भगा देते। ठ क सेचारा न मलने के
कारण गधा बहु त दबुल होने लगा। धोबी को भी च ता होने लगी, य क
कमजोर केकारण उसक चाल इतनी धीमी हो गई थी क नद तक पहु ं
चने म
पहले सेदगुना समय लगने लगा था।

एक दन नद कनारे जब धोबी ने
कपडेसूखने केलए बछा रखे थेतो आंधी
आई। कपडेइधर-उधर हवा म उड गए। आंधी थमने पर उसे
दरू
-दरूतक
जाकर कपडेउठाकर लानेपडे। अपने
कपडे ढूं
ढता हु
आ वह सरकंडो केबीच
घु
सा। सरकं
डो केबीच उसे
एक मरा बाघ नजर आया।

ध◌ोबी कपडेले
क र लौटा और ग र ब धे पर लादनेलगा गधा लडखडाया।
धोबी ने
दे
खा क उसका गधा इतना कमजोर हो गया ह क एक दो दन बाद
ब कु ल ह बै
ठ जाएगा। तभी धोबी को एक उपाय सू
झा। वह सोचने
लगा

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च तंक े
र क कहा नयां
| हं
द पटल - ह द क उ कृट रचनाएँ

“अगर म उस बाघ क खाल उतारकर ले आऊंऔर रात को इस गधे को वह


खाल ओढाकर खेत क ओर भे जंतो लोग इसे
ू बाघ समझकर डरगे । कोई
नकट नह ं
फटके गा। गधा खे
त चर लया करेगा।”

ध◌ोबी ने
ऐसा ह कया। दस
ूरेदन नद तट पर कपडे ज द धोकर सूखने
डाल दए और फर वह सरकं डो केबीच जाकर बाघ क खाल उतारने
लगा।
शाम को लौटतेसमय वह खाल को कपड केबीच छपाकर घर ले आया।

र◌ात को जब सब सो गए तो उसनेबाघ क खाल गधे को ओढाई। गधा दरूसे


दे
खने पर बाघ जैसा ह नजर आनेलगा। धोबी सं
तुट हु
आ। फर उसने गधे
को खेत क ओर खदे ड दया। गधे
नेएक खेत म जाकर फसल खाना शु
कया। रात को खे
त क रखवाल करने वाल ने खे
त म बाघ दे
खा तो वे
डरकर
भाग खडे हु
ए। गधेने भरपे
ट फसल खाई और रात अंधरे
ेम ह घर लौट आया।
धोबी नेतु
रं
त खाल उतारकर छपा ल । अब गधे केमजे आ गए।

हर रात धोबी उसेखाल ओढाकर छोड देता। गधा सीधे


खेत म पहु

च जाता और
मनपस द फसल खाने लगता। गधे को बाघ समझकर सब अपने घर म
दब
ुककर बै ठेरहते
। फसल चर-चरकर गधा मोटा होनेलगा। अब वह दग
ुना
भार लेक र चलता। धोबी भी खश
ुहो गया।

म◌ोटा-ताजा होने केसाथ-साथ गधे केदल का भय भी मटने लगाउसका


ज मजात वभाव जोर मारने लगा। एक दन भरपे ट खानेकेबाद गधे क
तबीयत म त होने लगी। वह भी लगा लोट लगाने
। खबूलोटा वह गधा। बाघ
क खाल तो एक ओर गर गई। वह अब खा लस गधा बनकर उठ खडा हु आ
और डोलता हु आ खे ट से बाहर नकला। गधे केलोट लगाने केसमय पौध के
र दे
जानेऔर चटकने क आवाज फै ल । एक रखवाला चपुचाप बाहर नकला।
खेत म झां
क ा तो उसेएक ओर गर बाघ क खाल नजर आई और दखाई
दया खे
त से बाहर आता एक गधा। वह च लाया “अरे , यह तो गधा ह।”

उसक आवाज और ने भी सु
नी। सब डं
से ले
क र दौसे
। गधे
का काय म खे

सेबाहर आकर रकने का था। उसनेमंह खोला ह था क उस पर डं
ु डे
बरसने
लगे। ोध सेभरेरखवाल ने उसेवह ंढे
र कर दया। उसक सार पोल खलु
चक
ु थी। धोबी को भी वह नगर छोडकर कह ं और जाना पडा।

स◌ीखः पहनावा बदलकर दस ूर को कु छ ह दन धोखा दया जा सकता ह।


अंत म असल प सामने आ ह जाता ह।
ब ल का याय
एक वन म एक पे ड क खोह म एक चकोर रहता था। उसी पे ड केआस-पास
कई पेड और थे, िजन पर फल व बीज उगते थे। उन फल और बीज से पे

भरकर चकोर म त पडा रहता। इसी कार कई वष बीत गए। एक दन उडते -
उडते एक और चकोर सां स लेनेकेलए उस पे ड क टहनी पर बै ठा। दोन म
बात हु। दस
ूरे चकोर को यह जानकर आ चय हु आ क वह के वल वह के वल
पेड केफल व बीज चग ुकर जीवन गज ुार रहा था । दस
ूरेनेउसे बताया- “भई,
दुनया म खाने केलए के वल फल और बीज ह नह ं होतेऔर भी कई
वा द ट चीज ह । उ ह भी खाना चा हए। खेत म उगने वालेअनाज तो बे ज ोड
होतेह। कभी अपने खानेका वाद बदलकर तो दे खो।”

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द◌ू
सरेचकोर केउडनेकेबाद वह चकोर सोच म पड गया। उसने
फैसला कया
क कल ह वह दरूनजर आने वालेखे
त क ओर जाएगा और उस अनाज
नाम क चीज का वाद चखकर दे खग
े।

द◌ूसरेदन चकोर उडकर एक खे त केपास उतरा। खेत म धान क फसल उगी


थी। चकोर नेक पल खाई। उसेवह अ त वा द ट लगीं । उस दन केभोजन
म उसे इतना आनंद आया क खाकर तॄ त होकर वह ंआख मं दकर सो गया।

इसकेबाद भी वह वह ं
पडा रहा। रोज खाता-पीता और सो जाता। छः – सात
दन बाद उसेसु
ध आई क घर लौटना चा हए।

इस बीच एक खरगोश घर क तलाश म घू म रहा था। उस इलाकेम जमीन के


नीचेपानी भरने
केकारण उसका बल न ट हो गया था। वह उसी चकोर वाले
पे
ड केपास आया और उसे खाल पाकर उसने उस पर अ धकार जमा लया
और वहांरहनेलगा। जब चकोर वापस लौटा तो उसने पाया क उसकेघर पर
तो कसी और का क जा हो गया ह। चकोर ो धत होकर बोला – “ऐ भाई, तू
कौन ह और मेरे
घर म या कर रहा ह?”

खरगोश नेदांत दखाकर कहा – “म इस घर का मा लक हू



। म सात दन से
यहां
रह रहा हू

, यह घर मे
र ा ह।”

चकोर गुसेसेफट पडा – “सात दन! भाई, म इस खोह म कई वष से


रह रहा
हू

। कसी भी आस-पास केपंछ या चौपाए से पू
छ ले
।”

खरगोश चकोर क बाट काटता हुआ बोला- “सीधी-सी बात ह। म यहां


आया।
यह खोह खाल पडी थी और म यहां
बस गय म य अब पडो सय से पू
छ ता
फ ं?”

चकोर गुसे
म बोला- “वाह! कोई घर खाल मले
तो इसका यह मतलब हु आ
क उसम कोई नह ं
रहता? म आ खर बार कह रहा हू
ंक शराफत सेमे
र ा घर
खाल कर दे
वना…।”

खरगोश ने भी उसे ललकारा- “वना तूया कर ले


गा? यह घर मे
र ा ह। तु
झेजो
करना ह, कर ले।”

चकोर सहम गया। वह मदद और याय क फर याद ले


क र पडोसी जानवर के
पास गया सबनेदखावेक हूं
-हू

क , पर तु
ठोस प से
कोई सहायता करने
सामनेनह ंआया।

एक बू
ढेपडोसी ने
कहा – “ यादा झगडा बढाना ठ क नह ं
होगा । तु
म दोन
आपस म कोई समझौता कर लो।” पर समझौते क कोई सू र त नजर नह ंआ
रह थी, य क खरगोश कसी शत पर खोह छोडने को तै
यार नह ंथा। अं
तम
लोमडी ने
उ ह सलाह द – “तु
म दोन कसी ानी- यानी को पं च बनाकर
अपने झगडेका फै
सला उससे करवाओ।”

द◌ोन को यह सु
झाव पसं
द आया। अब दोन पं
च क तलाश म इधर-उधर
घू
मने लगे
। इसी कार घू
मते-घू
मतेवे
दोन एक दन गं
गा कनारेआ नकले।
वहां
उ ह जप तप म म न एक ब ल नजर आई। ब ल केमाथे पर तलक

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था। गले
म जनेऊ और हाथ म माला लए मॄ
गछाल पर बैठ वह पूर
तपि वनी लग रह ती। उसे
दे
खकर चकोर व खरगोश खशुी सेउछल पडे ।उ ह
भला इससेअ छा ानी- यानी कहांमलेगा। खरगोश नेकहा – “चकोर जी,
य न हम इससे अपने झगडेका फै
सला करवाएं
?”

चकोर पर भी ब ल का अ छा भाव पडा था। पर वह जरा घबराया हुआ था।


चकोर बोला -“मु
झेकोई आपि त नह है पर हम जरा सावधान रहना चा हए।”
खरगोश पर तो ब ल का जाद ूचल गया था। उसनेकहा-“अरे नह ं
! दे
खते
नह ं
हो, यह ब ल सांसा रक मोह-माया यागकर तपि वनी बन गई ह।”

स चाई तो यह थी क ब ल उन जैसेमू
ख जीव को फां सने केलए ह भि त
का नाटक कर रह थी। फर चकोर और खरगोश पर और भाव डालने के
लए वह जोर-जोर सेमंपडने लगी। खरगोश और चकोर ने उसकेनकट
आकर हाथ जोडकर जयकारा लगाया -“जय माता द । माता को णाम।”

बि◌ ल नेमुकु राते


हु
ए धीरे
सेअपनी आंखे
खोल और आश वाद दया
-“आयु मान भव, तु
म दोन केचहर पर चं
ता क लके
र ह। या क ट ह
तुह, ब चो?”

चकोर नेवनती क -“माता हम दोन केबीच एक झगडा ह। हम चाहते


ह क
आप उसका फै
सला कर।”

बि◌ ल नेपलक झपका -“हरे राम, हरे


राम! तुह झगडना नह ंचा हए।

म और शांत से
रहो।” उसने
उपदेश दया और बोल -“खैर , बताओ, तुहारा
झगडा या है
?”

चकोर नेमामला बताया। खरगोश ने अपनी बात कहनेकेलए मं ह खोला ह



था क ब ल ने पं
ज ा उठाकर रोका और बोल “ब चो, म काफ बूढ हू
ंठ क से
सु
नाई नह ंदे
ता। आं
खे भी कमजोर ह इस लए तुम दोन मेरेनकट आकर मे रे
कान म जोर सेअपनी-अपनी बात कहो ता क म झगडे का कारण जान सकंू
और तुम दोन को याय दे सकं
ू। जय सयाराम।”

व◌ेदोन भग तन ब ल केबलकु ल नकट आ गए ता क उसकेकान म


अपनी-अपनी बात कह सक । ब ल को इसी अवसर क तलाश थी उसने
‘ याऊं
’ क आवाज लगाई और एक ह झप े म खरगोश और चकोर का काम
तमाम कर दया। फर वह आराम सेउ ह खानेलगी।

व◌ेदोन भग तन ब ल केबलकु ल नकट आ गए ता क उसकेकान म


अपनी-अपनी बात कह सक । ब ल को इसी अवसर क तलाश थी उसने
‘ याऊं
’ क आवाज लगाई और एक ह झप े म खरगोश और चकोर का काम
तमाम कर दया। फर वह आराम सेउ ह खानेलगी।

स◌ीखः दो केझगडे
म तीसरे
का ह फायदा होता ह, इस लए झगड से दरू
रहो।
बुमान सयार
एक समय क बात ह क जंगल म एक शेर केपैर म कांटा चभ
ुगया। पंजेम
ज म हो गया और शे
र केलए दौडना असं
भव हो गया। वह लं गडाकर

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मुि कल सेचलता। शे र केलए तो शकार न करने केलए दौडना ज र होता


है
। इस लए वह कई दन कोई शकार न कर पाया और भू ख मरने लगा।
कहते ह क शेर मरा हु
आ जानवर नह ं खाता, पर तुमजबूर म सब कु

करना पडता ह। लं
गडा शे र कसी घायल अथवा मरे हु
ए जानवर क तलाश म
जंगल म भटकने लगा। यहांभी क मत ने उसका साथ नह ंदया। कह ं कु

हाथ नह ं
लगा।

ध◌ीरे
-धीरेपै
र घसीटता हुआ वह एक गफ ुा केपास आ पहुं
चा। गफ
ुा गहर और
सं
क र थी, ठ क वै
सी जैसे जंगल जानवर केमां द के प म काम आती ह।
उसने उसकेअं दर झां
क ा मां
द खाल थी पर चारो ओर उसे इस बात के माण
नजर आए क उसम जानवर का बसे र ा ह। उस समय वह जानवर शायद
भोजन क तलाश म बाहर गया हु आ था। शे र चप
ुचाप दबुककर बैठ गया ता क
उसम रहने वाला जानवर लौट आए तो वह दबोच ले ।

सचमु च उस गफ
ुा म सयार रहता था, जो दन को बाहर घू
मता रहता और रात
को लौट आता था। उस दन भी सू
र ज डू
बने केबाद वह लौट आया। सयार
काफ चालाक था। हर समय चौक ना रहता था। उसने अपनी गफुा केबाहर
कसी बडे जानवर केपैर केनशान दे खेतो च का उसेशक हुआ क कोई
शकार जीव मांद म उसकेशकार क आस म घात लगाए न बठा हो। उसने
अपने शक क पुि ट केलए सोच वचार कर एक चाल चल । गफ ुा केमुहाने
सेदरूजाकर उसने आवाज द “गफुा! ओ गफुा।”

ग◌ु
फ ा म चु
पी छायी रह उसनेफर पु
क ारा “अर ओ गफ
ुा, तु
बोलती य
नह ं
?”

भ◌ीतर शेर दम साधे बैठा था। भू


ख केमारेपे
ट कुलबुला रहा था। उसे
यह
इं
तजार था क कब सयार अं दर आए और वह उसे पे
ट म पहुं
चाए। इस लए
वह उतावला भी हो रहा था। सयार एक बार फर जोर से बोला “ओ गफुा! रोज
तुमे
र पुक ार का केजवाब म मु झे
अंदर बु
लाती ह। आज चप ु य ह? मने
पहलेह कह रखा ह क िजस दन तु मुझेनह ं
बुलाएगी, उस दन म कसी
दस
ूर गफुा म चला जाऊं गा। अ छा तो म चला।”

यह सु
नकर शे र हडबडा गया। उसने
सोचा शायद गफ
ुा सचमुच सयार को
अं
दर बु
लाती होगी। यह सोचकर क कह ंसयार सचमु च न चला जाए, उसने
अपनी आवाज बदलकर कहा “ सयार राजा, मत जाओ अं दर आओ न। म कब
सेतुहार राह दे
ख रह थी।”

सि◌यार शे
र क आवाज पहचान गया और उसक मूखता पर हं
सता हु
आ वहां
सेचला गया और फर लौटकर नह ं
आया। मू
ख शे
र उसी गफ
ुा म भू
खा- यासा
मर गया।

स◌ीखः सतक यि त जीवन म कभी मार नह ं खाता।


म खीचस ूगीदड
जंगल मे एक गीदड रहता था था। वह बडा क कं
जूस था, य क वह एक
जंगल जीव था इस लए हम पये -पै
स क कं जू
सी क बात नझींकर रहे
। वह
कंजू
सी अपनेशकार को खाने म कया करता था। िजतनेशकार से दस
ूरा
गीदड दो दन काम चलाता, वह उतने ह शकार को सात दन तक खीं चता।
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जैसेउसनेएक खरगोश का शकार कया। पहलेदन वह एक ह कान खाता।


बाक बचाकर रखता। दस
ूरेदन दसूरा कान खाता। ठ क वै
सेजै सेकंजू

यि त पै
सा घस घसकर खच करता ह। गीदड अपने पेट क कं जू
सी करता।
इस च कर म ायः भूखा रह जाता। इस लए दब
ुल भी बहुत हो गया था।

एक बार उसेएक मरा हुआ बारह सं


घा हरण मला। वह उसे खीं
चकर अपनी
मां
द म लेगया। उसने पहलेहरण केसीं ग खानेका फै
सला कया ता क मां

बचा रहे
। कई दन वह बस सींग चबाता रहा। इस बीच हरण का मां
स सड
गया और वह केवल ग केखाने लायक रह गया। इस कार म खीचस ू
गीदड ायः हं
सी का पा बनता। जब वह बाहर नकलता तो दस ूरेजीव उसका
म रयल-सा शर र दे
खते और कहते “वह देखो, म खीचसूजा रहा ह।

पर वह परवाह न करता। कं
जूस म यह आदत होती ह ह। कं
जूस क अपने
घर म भी ख ल उडती ह, पर वह इसेअनसु
ना कर देतेह।

उसी वन म एक शकार शकार क तलाश म एक दन आया। उसने एक


सुअ र को दे
खा और नशाना लगाकर तीर छोडा। तीर जं
गल सु
अ र क कमर
को बींधता हु
आ शर र म घु
सा। ो धत सुअ र शकार क ओर दौडा और उसने
खच से अपने नु
क लेदं
त शकार केपट म घ प दए। शकार ओर शकार
दोन मर गए।

तभी वहां
म खीचस ूगीदड आ नकला। व खशुी से उछल पडा। शकार व
सु
अ र केमां
स को कम से
कम दो मह ने
चलाना ह। उसनेहसाब लगाया।

“र◌ोज थोडा-थोडा खाऊं


गा।’ वह बोला।

तभी उसक नजर पास ह पडे धनु


ष पर पडी। उसने धनु
ष को संघा। धनु
ू षक
डोर कोन पर चमडी क प ी सेलकडी सेबं
धी थी। उसनेसोचा “आज तो इस
चमडी क प ी को खाकर ह काम चलाऊंगा। मां
स खच नह ंक ं गा। पू
र ा बचा
लंगा।’

ऐसा सोचकर वह धनु ष का कोना मं


ह म डाल प ी काटने
ु लगा। य ह प ी
कट , डोर छूट और धनु ष क लकडी पट से सीधी हो गई। धनु
ष का कोना
चटाक से गीदड केतालूम लगा और उसे चीरता हुआ। उसक नाक तोडकर
बाहर नकला। म खीचस ूगीदड वह ं मर गया।

स◌ीखः अ धक कं
जूसी का प रणाम अ छा नह ं
होता।

मि◌ क सलाह
एक धोबी का गधा था। वह दन भर कपड केग र इधर से उधर ढोने
म लगा
रहता। धोबी वयं कंजूस और नदयी था। अपने गधेकेलए चारे का बं

नह ं
करता था। बस रात को चरनेकेलए खल ुा छोड देता । नकट म कोई
चरागाह भी नह ं
थी। शर र से
गधा बहु
त दबुल हो गया था।

एक रात उस गधे
क मु
लाकात एक गीदड से
हु
ई। गीदड ने
उससे
पू
छ ा “ खए
महाशय, आप इतनेकमजोर य ह?”

गधे
नेदख
ुी वर म बताया क कै
सेउसेदन भर काम करना पडता ह। खाने
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गधे नेदख
ुी वर म बताया क कै से उसेदन भर काम करना पडता ह। खाने
को कुछ नह ंदया जाता। रात को अं
धरे
ेम इधर-उधर मं
ह मारना पडता ह।

ग◌ीदड बोला “तो समझो अब आपक भु खमर केदन गए। यहां पास म ह
एक बडा सि जय का बाग ह। वहां तरह-तरह क सि जयां उगी हु
ई ह। खीरे,
कक डयां, तोर , गाजर, मू
ल , शलजम और बै गन क बहार ह। मने बाड
तोडकर एक जगह अं दर घु
सने का गुत माग बना रखा ह। बस वहांसे हर रात
अंदर घु
सकर छककर खाता हू ं
और से हत बना रहा हू

। तु
म भी मे
रेसाथ आया
करो।” लार टपकाता गधा गीदड केसाथ हो गया।

ब◌ाग म घुसकर गधे नेमह न केबाद पहल बार भरपे


ट खाना खाया। दोन
रात भर बाग म ह रहेऔर पौ फटने सेपहलेगीदड जं
गल क ओर चला गया
और गधा अपने धोबी केपास आ गया।

उसकेबाद वे रोज रात को एक जगह मलते । बाग म घु


सते और जी भरकर
खाते। धीरे
-धीरे गधेका शर र भरने लगा। उसकेबाल म चमक आने लगी
और चाल म म ती आ गई। वह भु खमर केदन ब कु ल भूल गया। एक रात
खब
ूखाने केबाद गधे क तबीयत अ छ तरह हर हो गई। वह झम ूने लगा
और अपना मं ुह ऊपर उठाकर कान फडफडाने लगा। गीदड नेचंतत होकर
पू
छ ा “ म , यह या कर रहे हो? तुहार तबीयत तो ठ क ह?”

गधा आं
खेबं
द करकेम त वर म बोला “मे र ा दल गाने
का कर रहा ह।
अ छा भोजन करनेकेबाद गाना चा हए। सोच रहा हू
ंक ढचूराग गाऊं
।”

ग◌ीदड ने
तु
रं
त चे
तावनी द “न-न, ऐसा न करना गधे
भाई। गाने
-वानेका
च कर मत चलाओ। यह मत भू लो क हम दोन यहांचोर कर रहेह।
मु
सीबत को यौता मत दो।”

गधे
नेटे
ढ नजर से गीदड को दे
खा और बोला “गीदड भाई, तु
म जं
गल के
जं
गल रहे
। सं
गीत केबारेम तुम या जानो?”

ग◌ीदड ने
हाथ जोडे“म संगीत केबारेम कु छ नह ं
जानता। के
वल अपनी
जान बचाना जानता हू

। तु
म अपना बेसु
र ा राग अलापने
क िजद छोडो, उसी म
हम दोन क भलाई ह।”

गधे
नेगीदड क बात का बु
र ा मानकर हवा म दल
ु ती चलाई और शकायत
करने
लगा “तुमनेमे
रेराग को बेसु
र ा कहकर मे
र बे
इ जती क ह। हम गधे
शुशा ीय लय म रकते ह। वह मूख क समझ म नह ं आ सकता।”

ग◌ीदड बोला “गधे भाई, म मू


ख जं
गल सह , पर एक म केनातेमे
र सलाह
मानो। अपना मंह मत खोलो। बाग केचौक दार जाग जाएं
ु ग।े

गधा हं
सा “अरेमू
ख गीदड! मे
र ा राग सु
नकर बाग केचौक दार तो या, बाग
का मा लक भी फू
ल का हार लेक र आएगा और मे रे
गले म डालेगा।”

ग◌ीदड ने
चतुर ाई से
काम लया और हाथ जोडकर बोला “गधे भाई, मु
झे
अपनी गलती का अहसास हो गया ह। तु
म महान गायक हो। म मू
ख गीदड भी
तु
महारेगलेम डालने केलए फू
ल क माला लाना चाहता हूं
।मेरे
जानेकेदस
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| हं
द पटल - ह द क उ कृट रचनाएँ

मनट बाद ह तुम गाना शुकरना ता क म गायन समा त होने


तक फू

मालाएं
लेक र लौट सकं
।”

गधे ने
गव से सहम त म सर हलाया। गीदड वहां से सीधा जं
गल क ओर
भाग गया। गधे ने उसकेजानेकेकुछ समय बाद म त होकर रकना शु
कया। उसकेरकने क आवाज सु नतेह बाग केचौक दार जाग गए और उसी
ओर ल ले क र दौडे
, िजधर से
रकनेक आवाज आ रह थी। वहां पहु

चते ह
गधे को दे
खकर चौक दार बोला “यह ह वह द ु
ट गधा, जो हमारा बाग चर रहा
था।’

बस सारे
चौक दार डं
ड केसाथ गधे
पर पल पडे
। कु
छ ह दे
र म गधा पट-
पटकर अधमरा गर पडा।

स◌ीखः अपने शुभ च तक और हतै


षय क ने
क सलाह न मानने
का
प रणाम बु
र ा होता ह।

म◌ुतखोर मे हमान
एक राजा केशयनक म मं दर स पणी नाम क जं
ने
ू डे
र ा डाल रखा था। रोज
रात को जब राजा जाता तो वह चपुकेसेबाहर नकलती और राजा का खन ू
चसूकर फर अपनेथान पर जा छपती।

स◌ं
योग सेएक दन अि नमु
ख नाम का एक खटमल भी राजा केशयनक
म आ पहु

चा। जं
ने
ू जब उसे
दे
खा तो वहां
सेचले
जाने को कहा। उसने
अपने
अ धकार- ेम कसी अ य का दखल सहन नह ंथा।

ल◌ेकन खटमल भी कम चतु र न था, बोलो, ‘‘दे


खो, मे
हमान से इसी तरह
बताव नह ंकया जाता, म आज रात तुहारा मे हमान हू
ं।’’ जं
अततः खटमल

क चकनी-चप ुड़ी बात म आ गई और उसे शरण दे तेहु
ए बोल ,

‘‘ठ◌ीक है
, तु
म यहां
रातभर क सकते
हो, ले
कन राजा को काटोगे
तो नह ं
उसका खन ूचसूनेकेलए।’’

खटमल बोला, ‘‘ले


कन म तुहारा मे
हमान है
, मु
झेकु
छ तो दोगी खाने
के
लए। और राजा केखनूसेब ढ़या भोजन और या हो सकता है ।’’

‘‘ठ◌ीक है
।’’ जंबोल , ‘‘तु
ू म चप
ुचाप राजा का खन
ूचस
ूले
ना, उसे
पीड़ा का
आभास नह ं होना चा हए।’’

स ा तु
‘‘ज◌ै म कहोगी, बलकु
ल वै
सा ह होगा।’’ कहकर खटमल शयनक म
राजा केआने क ती ा करने लगा।

र◌ात ढलनेपर राजा वहां


आया और ब तर पर पड़कर सो गया। उसे दे

खटमल सबकु छ भूलकर राजा को काटने लगा, खन
ूचसूनेकेलए। ऐसा
वा द ट खन
ूउसने पहल बार चखा था, इस लए वह राजा को जोर-जोर से
काटकर उसका खन ूचसूने लगा। इससेराजा केशर र म ते
ज खज ुल होने
लगी और उसक नीं द उचट गई। उसने ोध म भरकर अपने सेवक से
खटमल को ढूं
ढकर मारने को कहा।

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र क कहा नयां
| हं
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यह सुनकर चतु र खटमल तो पं लग केपाए केनीचेछप गया ले कन चादर के


कोने पर बैठ जं
ूराजा केसेवक क नजर म आ गई। उ ह ने उसे पकड़ा और
मार डाला।
श ा—अजन बय पर कभी व वास न करो।
मुख गधा
कसी जंगल म एक शे र रहता था। एक सयार उसका से वक था। एक बार एक
हाथी सेशेर क लड़ाई हो गई। शेर बुर तरह घायल हो गया। वह चलने
- फरने
म भी असमथ हो गया। आहार न मलने सेसयार भी भूखा था।

श◌ेर नेसयार से कहा-‘तु म जाओ और कसी पशु को खोजकर लाओ, िजसे


मारकर हम अपने पेट भर सक ।’ सयार कसी जानवर क खोज करता हु आ
एक गाँव म पहु ँ
च गया। वहाँ उसने एक गधे को घास चरते हु
ए देखा। सयार
गधे केपास गया और बोला-‘मामा, णाम! बहु त दन बाद आपकेदशन हु ए
ह। आप इतने दब
ुले कै सेहो गए?’ गधा बोला-‘भाई, कुछ मत पू छ ो। मेरा
वामी बड़ा कठोर है । वह पेटभर कर घास नह ं दे
ता। इस धल ूसे सनी हुई घास
खाकर पे ट भरना पड़ता है ।’ सयार ने कहा-‘मामा, उधर नद केकनारे एक
बहुत बड़ा घास का मै दान है। आप वह ं चल और मे रेसाथ आनं द से रह।’गधे
नेकहा-‘भाई, म तो गाँव का गधा हूँ
। वहाँजंगल जानवर केसाथ म कै से रह
सकँूगा?’ सयार बोला- ‘मामा, वह बड़ी सु र त जगह है । वहाँकसी का कोई
डर नह ंहै। तीन ग धयाँ भी वह ंरहती ह। वेभी एक धोबी केअ याचार से तंग
होकर भाग आई ह। उनका कोई प त भी नह ं है
। आप उनकेयो य हो!’ चाहो
तो उन तीन केप त भी बन सकते हो। चलो तो सह ।’ सयार क बात सु नकर
गधा लालच म आ गया। गधे को ले
क र धतू सयार वहाँ पहुँ
चा, जहाँ शेर छपा
हु
आ बै ठा था। शे
र ने पं
जे से गधेपर हार कया ले कन गधे को चोट नह ं लगी
और वह डरकर भाग खड़ा हु आ।

तब सयार ने नाराज होकर शे र से कहा-‘तु म एकदम नक मे हो गए! जब


तुम एक गधे को नह ंमार सकते , तो हाथी सेकै से लड़ोगे ?’ शे
र झपता हु आ
बोला-‘म उस समय तै यार नह ंथा, इसी लए चक ू हो गई।’ सयार ने
कहा-‘अ छा, अब तु म पूर तरह तै यार होकर बै ठो, म उसेफर से ले
क र आता
हू

।’ वह फर गधे केपास पहु ँ
चा। गधे नेसयार को दे खते ह कहा-‘तुम तो मुझे
मौत केमँ ह म ह ले
ु गए थे। न जाने वह कौन-सा जानवर था। म बड़ी मु ि कल
सेजान बचाकर भागा!’ सयार ने हँ
सते हु
ए कहा-‘अरे मामा, तु म उसे पहचान
नह ंपाए। वह तो गधी थी। उसने तो े म से तुहारा वागत करने केलए
हाथ बढ़ाया था। तुम तो ब कु ल कायर नकले ! और वह बे चार तुहारेवयोग
म खाना-पीना छोड़कर बै ठ है। तुह तो उसने अपना प त मान लया है ।
अगर तु म नह ंचलोगे तो वह ाण याग दे गी।’गधा एक बार फर सयार क
बात म आ गया और उसकेसाथ चल पड़ा। इस बार शे र नह ंचकूा। उसने गधे
को एक ह झप े म मार दया। भोजन करने से पहले शेर नान करने केलए
चला गया। इस बीच सयार ने उस गधे का दल और दमाग खा लया।

श◌े
र नान करकेलौटा तो नाराज होकर बोला-‘ओ सयार केब चे
! तू
ने
मेरे
भोजन को जू
ठा य कया? तू नेइसके दय और सर य खा लए ?’

ध◌ू
त सयार गड़ गड़ाता हु
आ बोला-“महाराज, मने
तो कु
छ भी नह ं
खाया है

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र क कहा नयां
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ध◌ूत सयार गड़ गड़ाता हु आ बोला-“महाराज, मने तो कु


छ भी नह ं खाया है।
इस गधे का दल और दमाग था ह नह ं , य द इसकेहोते तो यह दोबारा मे
रे
साथ कै सेआ सकता था। शे र को सयार क बात पर व वास आ गया। वह
शांत होकर भोजन करने म जुट गया।”
सबक: जो दल और दमाग से काम नह ं ले
ते है
, वो हमे
शा कसी का शकार
हो जातेहैचाहेवो जानवर हो या फर इंसान ।
मूख को सीख
एक जं गल म एक पे ड पर गौरै
या का घ सला था। एक दन कडाकेक ठं ड पड
रह थी। ठंड सेकांपतेहु
ए तीन चार बं
दरो नेउसी पेड केनीचे आ य लया।
एक बं दर बोला “कह ं
से आग तापने को मले तो ठं
ड दरूहो सकती ह।”

द◌ू
सरेबं
दर नेसु
झाया “दे
खो, यहांकतनी सूखी पि तयांगर पडी ह। इ ह
इक ा कर हम ढे
र लगातेह और फर उसेसु लगाने का उपाय सोचतेह।”

ब◌ं
दर ने सूखी पि तय का ढेर बनाया और फर गोल दायरेम बै
ठकर सोचने
लगेक ढे र को कै
से सु
लगाया जाए। तभी एक बं
दर क नजर दरूहवा म उडते
एक जु गनूपर पडी और वह उछल पडा। उधर ह दौडता हु
आ च लाने लगा
खो, हवा म चं
“दे गार उड रह ह। इसेपकडकर ढेर केनीचेरखकर फं
क मारने

सेआग सु लग जाएगी।”

हां
“ह◌ां !” कहते हु
ए बाक बंदर भी उधर दौडने
लगे। पे
ड पर अपने घ सले म
बै
ठ गौरै या यह सब देख रह थे। उससेचपुनह ंरहा गया। वह बोल ” बं
दर
भाइयो, यह चं गार नह ंह यह तो जुगनूह।”

एक बं
दर ोध से
गौरै
या क दे
खकर गरु
ाया “मू
ख च डया, चप
ुचाप घ सले

दब
ुक रह।हम सखानेचल ह।”

इस बीच एक बं
दर उछलकर जु गनूको अपनी हथेलय केबीच कटोरा बनाकर
कै
द करने म सफल हो गया। जु
गनूको ढे
र केनीचे
रख दया गया और सारे
बं
दर लगेचार ओर सेढेर म फं
क मारने
ू ।

ग◌ौरै
या नेसलाह द “भाइयो! आप लोग गलती कर रह ह। जु
गनू
सेआग नह ं
सु
लगेगी। दो प थर को टकराकर उससेचंगार पै
दा करकेआग सुलगाइए।”

ब◌ं
दर नेगौरै
या को घू
र ा। आग नह ं
सुलगी तो गौरै
या फर बोल उठ “भाइयो!
आप मेर सलाह मा नए, कम से कम दो सू
खी लक डय को आपस म रगडकर
दे
खए।”

स◌ारेबं
दर आग न सुलगा पानेकेकारण खीजे
हुए थे
। एक बं
दर ोध से
भरकर आगे बढा और उसने गौरै
या पकडकर जोर सेपे
ड केतनेपर मारा।
गौरै
या फडफडाती हु
ई नीचेगर और मर गई।

स◌ीखः मूख को सीख दे


नेका कोई लाभ नह ंहोता। उ टे
सीख देने
वाला को
ह पछताना पडता ह।
मू
ख बातूनी कछुआ
एक तालाब म एक कछु आ रहता था। उसी तलाब म दो हं
स तै
र ने
केलए
उतरतेथे। हं
स बहु
त हं
स मु
ख और मलनसार थे । कछुए और उनम दो ती हते

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र क कहा नयां
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दे
र न लगी। हंसो को कछुए का धीमे-धीमेचलना और उसका भोलापन बहु त
अ छा लगा। हं स बहुत ानी भी थे। वेकछु ए को अदभु त बात बताते । ॠ ष-
मुनय क कहा नयां सुनाते
। हं
स तो दरू-दरूतक घू मकर आते थे
, इस लए
दस
ूर जगह क अनोखी बात कछु ए को बताते । कछुआ मंमुध होकर उनक
बात सुनता। बाक तो सब ठ क था, पर कछु ए को बीच म टोका-टाक करने क
बहुत आदत थी। अपने स जन वभाव केकारण हं स उसक इस आदत का
बु
र ा नह ं
मानते थे
। उन तीन क घ न टता बढती गई। दन गज ुरते गए।

एक बार बडे जोर का सु


खा पडा। बरसात केमौसम म भी एक बं द पानी नह ं

बरसा। उस तालाब का पानी सूखने लगा। ाणी मरने लगे, मछ लयां तो तडप-
तडपकर मर ग । तालाब का पानी और ते ज ी सेसूखने लगा। एक समय ऐसा
भी आया क तालाब म खाल क चड रह गया। कछु आ बडे सं क ट म पड गया।
जीवन-मरण का न खडा हो गया। वह ं पडा रहता तो कछु ए का अं त
नि चत था। हं
स अपनेम पर आए सं क ट को दरूकरने का उपाय सोचने
लगे। वेअपनेम कछु ए को ढाडस बं धानेका य न करते और ह त न
हारनेक सलाह दे ते
। हं
स केवल झठ ूा दलासा नह ं देरहे
थे । वेदरू-दरूतक
उडकर सम या का हल ढू ढते। एक दन लौटकर हं सो नेकहा “ म , यहां से
पचास कोस दरूएक झील ह।उसम काफ पानी ह तु म वहांमजे सेरहोगे।”
कछु आ रोनी आवाज म बोला “पचास कोस? इतनी दरूजाने म मुझे मह न
लगगे । तब तक तो म मर जाऊं गा।”

कछु
ए क बात भी ठ क थी। हं
सो ने
अ ल लडाई और एक तर का सोच
नकाला।

व◌ेएक लकडी उठाकर लाए और बोले“ म , हम दोन अपनी च च म इस


लकडी केसरे पकडकर एक साथ उडगे। तु
म इस लकडी को बीच म सेमं
ह से

थामेरहना। इस कार हम उस झील तक तुह पहुं
चा दगे
उसकेबाद तुह
कोई च ता नह ं
रहे
गी।”

उ ह ने
चे
तावनी द “पर याद रखना, उडान केदौरान अपना मं
ह न खोलना।

वरना गर पडोगे
।”

कछुए ने
हामी म सर हलाया। बस, लकडी पकडकर हं स उड चले। उनकेबीच
म लकडी मंह दाबे
ु कछुआ। वे एक क बे केऊपर सेउड रहे
थेक नीचे खडे
लोग नेआकाश म अदभु त नजारा देखा। सब एक दस
ूरेको ऊपर आकाश का
दॄय दखाने लगे । लोग दौड-दौडकर अपने च ज पर नकल आए। कु छ
अपने मकान क छत क ओर दौडे । ब चेबू
डे
, औरत व जवान सब ऊपर
दे
खनेलगे। खबूशोर मचा। कछु ए क नजर नीचे उन लोग पर पडी।

उसेआ चय हुआ क उ ह इतने लोग दे


ख रहेह। वह अपनेम क चे तावनी
भू
ल गया और च लाया “देखो, कतने लोग हम देख रहे
है
!” मं
ह केखल
ु ुतेह
वह नीचेगर पडा। नीचे
उसक ह डी-पसल का भी पता नह ं लगा।

स◌ीखः बेमौकेमं
ह खोलना बहु
ु त महं
गा पडता ह।
रं
ग म भंग
एक बार जंगल म प य क आम सभा हु ई। प य केराजा ग ड थे। सभी
ग ड सेअसं तुट थे
। मोर क अ य ता म सभा हु ई। मोर ने
भाषण दया
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“सा थयो, ग डजी हमारेराजा ह पर मु


झेयह कहते हु
ए बहु त दख
ुहोता ह क
उनकेराज म हम प य क दशा बहु त खराब हो गई ह। उसका यह कारण ह
क ग डजी तो यहांसेदरूव णु लोक म व णुज ी क से वा म लगेरहतेह।
हमार ओर यान दे नेका उ ह समय ह नह ंमलता। हम अओअनी
सम याएं ले
क र फ रयाद करने जंगल चौपाय केराजा सं ह केपास जाना
पडता ह। हमार गनती न तीन म रह गई ह और न ते र ह म। अब हम या
करना चा हए, यह वचारने केलए यह सभा बु लाई गई ह।

ह◌ु
दहु
द ने ताव रखा “हम नया राजा चन
ुना चा हए, जो हमार सम याएं
हल करेऔर दस
ूरेराजाओंकेबीच बैठकर हम प य को जीव जगत म
स मान दलाए।”

म◌ु
ग ने
बां
ग द “कु
कडू

कं
ू। म हु
दहु
दजी के ताव का समथन करता हू

च◌ील ने
जोर क सीट मार “म भी सहमत हू

।”

म◌ोर ने पं
ख फैलाए और घोषणा क “तो सवस म त से
तय हु
आ क हम नए
राजा का चन
ुाव कर, पर कसेबनाएंहम राजा?”।

सभी प ी एक दसूरेसेसलाह करनेलगे। काफ देर केबाद सारस ने अपना


मं
ह खोला “म राजा पद केलए उ लू
ु ज ी का नाम पेश करता हू
ं। वे
बुमान
ह। उनक आं ख तेज वी ह। वभाव अ त गंभीर ह, ठ क जै
से राजा को शोभा
दे
ता ह।”

ह◌ान बल नेसहम त म सर हलाते हुए कहा “सारसजी का सु झाव बहु



दरू
द शतापू
ण ह। यह तो सब जानते ह क उ लू ज ी ल मी दे
वी क सवार है

उ लूहमारेराजा बन गए तो हमारा दा र य दरूहो जाएगा।”

ल मीजी का नाम सुनते ह सब पर जाद ू


सा भाव हु
आ। सभी प ी उ लू
को
राजा बनाने
पर राजी हो गए।

म◌ोर बोला “ठ क ह, म उ लू
ज ी सेाथना करता हू
ंक वे
कुछ श द बोल।”

उ लूने
घुघुआतेकहा “भाइयो, आपने राजा पद पर मु
झेबठाने का नणय
जो कया ह उससेम गदगद हो गया हू

। आपको व वास दलाता हू ंक मु झे
आपक से वा करनेका जो मौका मला ह, म उसका सदप
ुयोग करते हु

आपक सार सम याएं हल करनेका भरसक य न क ं गा। ध यवाद।”

प जन ने
एक वर म ‘उ लू
महाराज क जय’ का नारा लगाया।

क◌ोयल गानेलगी। चील जाकर कह ं


सेमनमोहक डजाइन वाला रे शम का
शाल उठाकर लेआई। उसेएक डाल पर लटकाया गया और उ लू उस पर
वराजमान हु
ए। कबू
तर जाकर कपड क रंग बरंगी ल र उठाकर लाए और
उ ह पे
ड क टह नय पर लटकाकर सजाने लगे। मओर क टो लयां पेड के
चार ओर नाचने लगी।

म◌ु
ग व शतु
र मु
ग ने
पे
ड केनकट पं
ज ो सेम ी खोद-खोदकर एक बडा हवन
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द पटल - ह द क उ कृट रचनाएँ

म◌ु
ग व शतुर मुग नेपे
ड केनकट पं ज ो सेम ी खोद-खोदकर एक बडा हवन
तै
यार कया। दसूरेप ी लाल रं
ग केफूल ला-लाकर कंुड म ढे
र लगाने
लगे।
कं
ड केचार ओर आठ-दस तोते
ु बैठकर मंपढने लगे।

बया च डय नेसोने व चा द केतार से मु


कुट बु
न डाला तथा हं
स मोती
लाकर मु
कुट म फट करने लगे। दो मुय तोतेपु
ज ा रय नेउ लू सेाथना
क “हेप ी े ठ, च लए ल मी मं दर चलकर ल मीजी का पू ज न कर।”

नि◌वा चत राजा उ लू
तोतेपं
डत केसाथ ल मी मं दर केओर उड चले
उनकेजाने केकुछ ण प चात ह वहां कौआ आया। चार ओर ज न सा
माहोल दे
खकर वह च का। उसनेपू
छ ा “भाई, यहांकस उ सव क तैयार हो
रह ह?

प य ने उ लूकेराजा बननेक बात बताई। कौआ चीखा “मु


झेसभा म य
नह ं
बु
लाया गया? या म प ी नह ं
?”

म◌ोर ने
उ तर दया “यह जं
गल प य क सभा ह। तु म तो अब जाकर
अ धकतर क ब व शहर म रहनेलगे
हो। तुहारा हमसेया वा ता?”

क◌ौआ उ लू केराजा बननेक बात सुनकर जल-भु न गया था। वह सर


पटकने लगा और कां-कांकरनेलगा “अरे, तुहारा दमाग खराब हो गया ह,
जो उ लूको राजा बनानेलगे
? वह चहे
ूखाकर जीता ह और यह मत भू लो क
उ लूकेवल रात को बाहर नकलता ह। अपनी सम याएं और फ रयाद ले कर
कसकेपास जाओगे ? दन को तो वह मले गा नह ं
।”

क◌ौए क बात का प य पर असर होने लगा। वेआपस म कानाफू सी करने


लगेक शायद उ लू को राजा बनानेका नणय कर उ ह ने गलती क ह। धीरे-
धीरे
सारेप ी वहां सेखसकने लगे। जब उ लूल मी पू ज न कार तोत के
साथ लौटा तो सारा रा या भषेक थल सू ना पडा था। उ लूघुघु
आया “सब
कहांगए?”

उ लू क से वका खं
ड रच पे
ड पर से
बोल “कौआ आकर सबको उ ट प ी
पढा गया। सब चलेगए। अब कोई रा या भषे
क नह ं
होगा।”

उ लू
च च पीसकर रह गया। राजा बनने
का सपना चरू
-चरूहो गया तब से
उ लू
कौओं का बै
र बन गया और दे खते
ह उस पर झपटता ह।

स◌ीखः कई म दस ूर केरं
ग म भंग डालने क आदत होती ह और वे उ -भर
क दु मनी मोल ले बै
ठतेह।
रं
गा सयार
एक बार क बात ह क एक सयार जं गल म एक पु र ाने
पे
ड केनीचेखडा था।
पू
र ा पे
ड हवा केते
ज झ केसेगर पडा। सयार उसक चपे ट म आ गया और
बु
र तरह घायल हो गया। वह कसी तरह घसटता- घसटता अपनी मां द तक
पहुं
चा। कई दन बाद वह मांद सेबाहर आया। उसे भू ख लग रह थी। शर र
कमजोर हो गया था तभी उसे एक खरगोश नजर आया। उसे दबोचनेकेलए
वह झपटा। सयार खछ ु दरूभागकर हांफ नेलगा। उसकेशर र म जान ह कहां
रह गई थी? फर उसने एक बटेर का पीछा करनेक को शश क । यहां भी वह

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द पटल - ह द क उ कृट रचनाएँ

असफल रहा। हरण का पीछा करने क तो उसक ह मत भी न हु ई। वह खडा


सोचनेलगा। शकार वह कर नह ं पा रहा था। भू
ख मरने क नौबत आई ह
समझो। या कया जाए? वह इधर उधर घू मने लगा पर कह ं
कोई मरा
जानवर नह ंि मला। घू
मता-घू
मता वह एक ब ती म आ गया। उसने सोचा
शायद कोई मुग या उसका ब चा हाथ लग जाए। सो वह इधर-उधर ग लय म
घू
मनेलगा।

तभी कुते भ -भ करते उसकेपीछेपड गए। सयार को जान बचाने केलए


भागना पडा। ग लय म घुसकर उनको छकाने क को शश करने लगा पर
कुते तो क बेक गल -गल से प र चत थे
। सयार केपीछेपडे कुत क
टोल बढती जा रह थी और सयार केकमजोर शर र का बल समा त होता जा
रहा था। सयार भागता हु
आ रं
गरे
ज क ब ती म आ पहु ं
चा था। वहां
उसे एक
घर केसामने एक बडा म नजर आया। वह जान बचाने केलए उसी म म
कूद पडा। म म रंगरे
ज नेकपडेरं
गनेकेलए रंग घोल रखा था।

क◌ु त का टोला भ कता चला गया। सयार सां स रोककर रं


ग म डूबा रहा। वह
केवल सां
स ले नेकेलए अपनी थथ ूनी बाहर नकालता। जब उसे पू
र ा यक न
हो गया क अब कोई खतरा नह ं ह तो वह बाहर नकला। वह रंग म भीग चक ुा
था। जंगल म पहुं
चकर उसने दे
खा क उसकेशर र का सारा रंग हरा हो गया ह।
उस म म रं गरे
ज ने
हरा रं
ग घोल रखा था। उसकेहरे रं
ग को जो भी जंगल
जीव देखता, वह भयभीत हो जाता। उनको खौफ से कां
पतेदे
खकर रं गेसयार
केद ुट शमाग म एक योजना आई।

र◌ं
गेसयार ने
डरकर भागते
जीव को आवाज द “भाइओ, भागो मत मे

बात सु
नो।”

उसक बात सु
नकर सभी जानवर भागते
जानवर ठठके

उनकेठठकने का रं
गेसयार नेफायदा उठाया और बोला “देखो, दे
खो मे
रा
रं
ग। ऐसा रं
ग कसी जानवर का धरती पर ह? नह ंन। मतलब समझो।
भगवान ने मु
झेयह खास रं
ग तुहारेपास भेज ा ह। तु
म सब जानवर को बु ला
लाओ तो म भगवान का संदे
श सुनाऊं
।”

उसक बात का सब पर गहरा भाव पडा। वे जाकर जं गल केदसूरेसभी


जानवर को बुलाकर लाए। जब सब आ गए तो रं गा सयार एक ऊं
चे प थर
पर चढकर बोला “व य ा णयो, जाप त मा ने मु
झेखदुअपने हाथ से
इस अलौ कक रं ग का ाणी बनाकर कहा क सं सार म जानवर का कोई
शासक नह ं ह। तुह जाकर जानवर का राजा बनकर उनका क याण करना
ह। तुहार नाम स ाट ककुदम
ुहोगा। तीन लोक केव य जीव तुहार जा
ह गे
। अब तुम लोग अनाथ नह ंरहे
। मे
र छ -छाया म नभय होकर रहो।”

सभी जानवर वै सेह सयार केअजीब रं ग से चकराए हु


ए ते
। उसक बात ने
तो जाद ू
का काम कया। शे र , बाघ व चीतेक भी ऊपर क सांस ऊपर और
नीचेक सांस नीचे रह गई। उसक बात काटने क कसी म ह मत न हू ई।
दे
खते ह देखतेसारे जानवर उसकेचरण म लोटने लगेऔर एक वर म बोले
“हेब मा केदतू, ा णय म े ठ ककुदमु, हम आपको अपना स ाट वीकार
करते ह। भगवान क इ छा का पालन करकेहम बडी स नता होगी।”
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र क कहा नयां
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एक बू
ढे
हाथी ने
कहा “हे
स ाट, अब हम बताइए क हमार या कत य ह?”

र◌ं
गा सयार स ाट क तरह पंज ा उठाकर बोला “तुह अपने स ाट क खब ू
से
वा और आदर करना चा हए। उसे कोई तकल फ नह ं होनी चा हए। हमारे
खाने
-पीने
का शाह बंध होना चा हए।”

श◌े
र नेसर झक ुाकर कहा “महाराज, ऐसा ह होगा। आपक से
वा करके
हमारा जीवन ध य हो जाएगा।”

बस, स ाट ककु
दम
ुबने
रं
गेसयार केशाह टाठ हो गए। वह राजसी शान से
रहनेलगा।

कई लोम डयांउसक से
वा म लगी रहतीं
भालू पं
खा झल
ुाता। सयार िजस
जीव का मां
स खाने
क इ छा जा हर करता, उसक ब ल द जाती।

जब सयार घू
मनेनकलता तो हाथी आगे -आगेसंड उठाकर बगल
ू ुक तरह
चं
घाडता चलता। दो शे
र उसकेदोन ओर कमां
डो बाडी गाड क तरह होते

र◌ोज ककु दम
ुका दरबार भी लगता। रं
गेसयार ने
एक चालाक यह कर द
थी क स ाट बनते ह सयार को शाह आदे श जार कर उस जं
गल सेभगा
दया था। उसेअपनी जा त केजाव वारा पहचान लए जानेका खतरा था।

एक दन स ाट ककु दम
ुखबूखा-पीकर अपने शाह मांद म आराम कर रहा था
क बाहर उजाला दे
खकर उठा। बाहर आया चांदनी रात खल थी। पास के
जंगल म सयार क टो लयां हू
‘हू SSS’ क बोल बोल रह थी। उस आवाज
को सु
नते ह ककु दम
ुअपना आपा खो बै ठा। उसकेअदं र केज मजात वभाव
नेजोर मारा और वह भी मं
ह चां
ु द क ओर उठाकर और सयार के वर म
मलाकर ‘हू हू
SSS’ करनेलगा।

श◌ेर और बाघ नेउसे


’हू
हूSSS’ करते दे
ख लया। वे च के, बाघ बोला “अर्
,
यह तो सयार ह। हम धोखा दे
क र स ाट बना रहा। मारो नीच को।”

श◌ेर और बाघ उसक ओर लपकेऔर दे


खते
ह दे
खते
उसका तया-पां
चा कर
डाला।

स◌ीखः नकल पन क पोल दे


र या सबे
र ज र खल
ुती है

श ु क सलाह
नद कनारे एक वशाल पे ड था। उस पे
ड पर बगलु का बहु
त बडा झड

ुरहता
था। उसी पे
ड केकोटर म काला नाग रहता था। जब अं
ड सेब चेनकल आते
और जब वह कु छ बडेहोकर मां
-बाप से
दरूरहने लगते
, तभी वह नाग उ ह खा
जाता था। इस कार वष से काला नाग बगलु केब चे हडपता आ रहा था।
बगलुेभी वहांसेजानेका नाम नह ंले
तेथे, य क वहांनद म कछु ओं क
भरमार थी। कछु ओंका नरम मांस बगलु को बहुत अ छा लगता था।

इस बार नाग जब एक ब चे को हडपने


लगा तो पता बगल
ुेक नजर उस पर
पड गई। बगल ुे
को पता लग गया क उसकेपहले ब च को भी वह नाग खाता
रहा होगा। उसे
बहु
त शोक हु
आ। उसे आंसू
बहातेएक कछुए ने दे
खा और पूछा
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“मामा, य रो रहे
हो?”

गम म जीव हर कसी केआगे अपना दख


ुडा रोने
लगता ह। उसने नाग और
अपनेमॄत ब च केबारेम बताकर कहा “म उससेबदला ले
ना चाहता हू

।”

कछुए नेसोचा “अ छा तो इस गम म मामा रो रहा ह। जब यह हमारेब चे


खा जातेह तब तो कुछ याल नह ं आता क हम कतना गम होता होगा। तुम
सां
प सेबदला लेना चाहते
हो तो हम भी तो तु
मसेबदला लेना चाहगे
।”

बगल
ुा अपने श ु
को अपना दख
ुबताकर गलती कर बै टा था। चतुर कछु

एक तीर से
दो शकार मारनेक योजना सोच चकुा था। वह बोला “मामा! म
तुह बदला ले
नेका बहु
त अ छा उपाय सु
झाता हू

।”

बगलुेनेअद र वर म पू छ ा “ज द बताओ वह उपाय या ह। म तुहारा


एहसान जीवन भरा नह ं भूलंूगा।’ कछुआ मन ह मन मुकु राया और उपाय
बतानेलगा “यहां सेकुछ दरूएक ने वलेका बल ह। नेवला सांप का घोर श ु
ह। ने
वलेक ो मछ लया बहुत य होती ह। तु म छोट -छोटा मछ लयां पकडकर
ने
वले केबल से सां
प केकोटर तक बछा दोने वला मछ लयां खाता-खाता
सां
प तक पहु ं
च जाएगा और उसे समा त कर देगा।’ बगल
ुा बोला “तुम जरा
मु
झे उस ने
वले का बल दखा दो।’

कचएुने बगल
ुेको ने
वले का बल दखा दया। बगल ुे ने वै
सेह कया जैसे
कचएुने समझाया ता। ने
वला सचमुच मछ लयां खाता हुआ कोटर तक
पहु

चा। ने
वलेको दे
खते ह नाग ने
फं
ुकार छोडी। कुछ ह देर क लडाई म नेवले
नेसां
प केटु
कडे
-टु
कडे कर दए। बगलुा खश
ुी से उछल पडा। कछु ए नेमन ह
मन म कहा “यह तो शुआत ह मूख बगलुे। अब मेर ा बदला शुहोगा और
तु
म सब बगलु का नाश होगा।”

कछु ए का सोचना सह नकला। ने वला नाग को मारने


केबाद वहां
से नह ं
गया। उसे अपने चार ओर बगलुेनजर आए,उसकेलए म हन केलए
वा द ट खाना। ने
वला उसी कोटर म बस गया, िजसम नाग रहता था और
रोज एक बगल ुेको अपना शकार बनाने लगा। इस कार एक-एक करकेसारे
बगलुेमारेगए।

स◌ीखः श ु क सलाह म उसका वाथ छपा होता है ।


शरारती बंदर
एक समय शहर से कुछ ह दरूपर एक मं दर का नमाण कै या जा रहा था।
मं दर म लकडी का काम बहु त थ इस लए लकडी चीरने वालेबहुत से मजदरू
काम पर लगे हु
ए थे
। यहां
-वहांलकडी केल टे पडे
हु
ए थेऔर ल टे व शहतीर
चीरने का काम चल रहा था। सारेमजदरूको दोपहर का भोजन करने केलए
शहर जाना पडता था, इस लए दोपहर केसमय एक घं टेतक वहांकोई नह ं
होता था। एक दन खाने का समय हु आ तो सारे मजदरूकाम छोडकर चल
दए। एक ल टा आधा चरा रह गया था। आधेचरे ल टे म मजदरूलकडी का
क ला फंसाकर चले गए। ऐसा करने सेदोबारा आर घुसानेम आसानी रहती
ह।

तभी वहां
बं
दर का एक दल उछलता-कू
दता आया। उनम एक शरारती बं
दर
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तभी वहांबंदर का एक दल उछलता-कूदता आया। उनम एक शरारती बंदर


भी था, जो बना मतलब चीज से छे
डछाड करता रहता था। पं
गेले
ना उसक
आदत थी। बं दर केसरदार नेसबको वहां
पडी चीज सेछेडछाड न करनेका
आदे श दया। सारेबंदर पे
ड क ओर चल दए, पर वह शैतान बं
दर सबक
नजर बचाकर पीछे रह गया और लगा अडं
गबेाजी करने

उसक नजर अध चरे ल टेपर पडी। बस, वह उसी पर पल पडा और बीच


मअडाए गए क ले को दे
खनेलगा। फर उसने पास पडी आर को दे
खा। उसे
उठाकर लकडी पर रगडने लगा। उससेकरर- करर क आवाज नकलने लगी
तो उसनेगुसे सेआर पटक द । उन बं दरो क भाषा म करर- करर का अथ
‘ नख ू
’ था। वह दोबारा ल टे
केबीच फंसे क ले को दे
खनेलगा।

उसकेदमाग म कौतु हल होने


लगा क इस क ले को ल टेकेबीच म से
नकाल दया जाए तो या होगा? अब वह क ले को पकडकर उसे बाहर
नकालने केलए जोर आजमाईश करने लगा। ल टेकेबीच फंसाया गया
क ला तो दो पाट केबीच बहु
त मजबूती सेजकडा गया होता ह, य क ल टे
केदो पाट बहुत मजबूति ं ग वाले
ि लप क तरह उसे दबाए रहतेह।

ब◌ं
दर खब
ूजोर लगाकर उसेहलानेक को शश करने लगा। क ला जो
लगानेपर हलनेव खसकने लगा तो बं
दर अपनी शि त पर खश
ुहो गया।

वह और जोर सेख -ख करता क ला सरकाने लगा। इस धीं


गामुती केबीच
बं
दर क पं
छ दो पाट केबीच आ गई थी, िजसका उसे
ू पता ह नह ं
लगा।

उसने उ सा हत होकर एक जोरदार झटका मारा और जै


सेह क ला बाहर
खं
चा, ल टेकेदो चरे भाग फटाक से
ि लप क तरह जु ड गए और बीच म
फंस गई बं
दर क पंछ । बं
ू दर च ला उठा।

तभी मजदरूवहां
लौटे। उ ह दे
खते
ह बं
दर नी भागनेकेलए जोर लगाया तो
उसक पंछ टू
ू ट गई। वह चीखता हु
आ टू
ट पं
छ ले
ू क र भागा।

स◌ीखः बना सोचे -समझे कोई काम न करो।


संगठन क शि तट
एक वन म बहु त बडा अजगर रहता था। वह बहुत अ भमानी और अ यंत ूर
था। जब वह अपनेबल सेनकलता तो सब जीव उससे डरकर भाग खडे
होते। उसका मं
ह इतना वकराल था क खरगोश तक को नगल जाता था। एक

बार अजगर शकार क तलाश म घू म रहा था। सारे
जीव तो उसेबल से
नकलते दे
खकर ह भाग चक ुेथे
। उसेकुछ न मला तो वह ो धत होकर
फुफकारने लगा और इधर-उधर खाक छानने लगा। वह ंनकट म एक हरणी
अपने नवजात शशु को पि तय केढे
र केनीचेछपाकर वयं भोजन क
तलाश म दरूनकल गई थी।

अजगर क फु फकार सेसूखी पि तयां


उडनेलगी और हरणी का ब चा नजर
आने लगा। अजगर क नजर उस पर पडी हरणी का ब चा उस भयानक जीव
को दे
खकर इतना डर गया क उसकेमंुह से
चीख तक न नकल पाई। अजगर

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नेदे
खते -ह -दे
खते नवजात हरण केब चेको नगल लया। तब तक हरणी
भी लौट आई थी, पर वह या करती? आंख म आं सू
भर जड होकर दरूसे
अपने ब चे को काल का ास बनतेदे
खती रह ।

हि◌रणी केशोक का ठकाना न रहा। उसनेकसी-न कसी तरह अजगर से


बदला लेनेक ठान ल । हरणी क एक ने वले से
दो ती ती। शोक म डू
बी
हरणी अपनेम ने वलेकेपास गईऔर रो-रोकर उसे अपनी दखुभर कथा
सुनाई। ने
वलेको भी बहुत दख
ुहुआ। वह दख ु-भरेवर म बोला “ म , मे रे
बस म होता तो म उअस नीच अजगर केसौ टु कडेकर डालता। पर या कर,
वह छोटा-मोटा सां
प नह ं
ह,िजसे म मार सकंूवह तो एक अजगर ह। अपनी
पंछ क फटकार से
ू ह मुझेअधमरा कर दे गा। लेकन यहांपास म ह ची टंय
क एक बांबी ह। वहांक रानी मे
र म ह। उससे सहायता मांगनी चा हए।”

हि◌रणी नराश वर म वलाप कया “पर जब तुहारे िजतना बडा जीव उस


अजगर का कुछ बगाडने
म समथ नह ंह तो वह छोट -सी चीं
ट या कर
लेगी?”

न◌े
वलेनेकहा “ऐसा मत सोचो। उसकेपास चीं
टय क बहु
त बडी से
ना ह।
सं
गठन म बडी शि त होती ह।”

हि◌रणी को कुछ आशा क करण नजर आई। ने वला हरणी को लेक र चीं

रानी केपास गया और उसेसार कहानी सुनाई। चींट रानी ने
सोच- वचारकर
कहा “हम तुहार सहायता करगे । हमार बांबी केपास एक संक र ला नु
क ले
प थर भरा रा ता ह। तु
म कसी तरह उस अजगर को उस रा ते से आने पर
मजबू र करो। बाक काम मे
र सेना पर छोड दो।”

न◌ेवले को अपनी म चीं ट रानी पर पू


र ा व वास था इस लए वह अपनी
जान जो खम म डालने पर तै
यार हो गया। दसूरेदन नेवला जाकरसां प के
बल केपास अपनी बोल बोलने लगा। अपने श ुक बोल सु नतेह अजगर
ोध म भरकर अपनेबल से बाहर आया। ने वला उसी संक रेरा ते
वाल दशा
म दौडा। अजगर नेपीछा कया। अजगर कता तो ने वला मुडकर फुफकारता
और अजगर को गुसा दलाकर फर पीछा करने पर मजबू र करता। इसी
कार नेवले ने
उसेसंक र लेरा तेसेगजुरने पर मजबू र कर दया। नुक ले
प थर से उसका शर र छ लने लगा। जब तक अजगर उस रा ते से
बाहर
आया तब तक उसका काफ शर र छल गया था और जगह-जगह से खनू
टपक रहा था।

उसी समय चींटय क सेना नेउस पर हमला कर दया। चींटयां


उसकेशर र
पर चढकर छलेथान केनं गे
मां
स को काटनेलगीं
। अजगर तडप उठा।
अपना शर र पटकने लगा िजससेऔर मांस छलने लगा और चीं टय को
आ मण केलए नए-नए थान मलने लगे। अजगर चींटय का या
बगाडता? वे
हजार क गनती म उस पर टूट पड रह थी। कु
छ ह देरम ूर
अजगर ने तडप-तडपकर दम तोड दया।

स◌ीखः सं
गठन शि त बडे-बड को धल
ूचटा देती ह।
स चा शासक
कं
चन वन म शे
र सं
ह का राज समा त हो चक
ुा था पर वहांबना राजा के
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ि थ त ऐसी हो गई थी जै
से जं
गलराज हो िजसक जो मज वह कर रहा था।
वन म अशां त, मारकाट, गं
दगी, इतनी फैल गई क वहांजानवर का रहना
मुि कल हो गया। कु
छ जानवर शे र सं
ह को याद कर रहे
थेक “जब तक
शेर सं
ह ने
राजपाट सं भाला हु
आ था सारेवन म कतनी शां त और एकता थी।
ऐसे ह चलता रहा तो एक दन यह वन ह समा त हो जाएगा और हम सब
जानवर बेघर होकर मारेजाएंग।े”

ग◌ोलू भालूबोला- “कोई न कोई उपाय तो करना ह होगा- य न सभी कह ं


सहम त से हम अपना कोई राजा चन ुल जो शे र सं
ह क तरह हम पु
न: एक
जं
ज ीर म बां
धेऔर वन म एक बार फर से अमन शां त के वर गज

ू उठे।”
सभी गोलू भालूक बात से संतुट हो गए। पर सम या यह थी क राजा कसे
बनाया जाए? सभी जानवर वयं को दसूरेसेबड़ा बता रहे
थे

स◌ोनू मोर बोल - “ य न एक पखवाड़े तक सभी को कु छ न कु


छ काम दे
दया जाए तो अपने काम को सबसेअ छे ढं
ग सेकरेगा उसेह यहांका राजा
बना दया जाएगा।” सोनूवीट क बात से सहमत हो गए और फर सभी
जानवर को उनक यो यता केआधार पर काम देदया गया। ब पी लोमड़ी
को म ी हटाने का काम दया गया तो भोलूबं
दर को पे
ड़ पर लगे जालेहटाने
का, सोनी हाथी को प थर उठाकर एक ग ढे म डालने का काम स पा गया था
और मोनू खरगोश को घास क सफाई क ।

जब एक पखवाड़ा बीत गया तो सभी जानवर अपने -अपने


काय का यौरा
ले
क र एक मै दान म एक त हो गए। सभी जानवर ने अपना काम बड़ी सफाई
और मेहनत से पूर ा कया था। सफ सोनू
हाथी था िजसनेएक भी प थर ग ढे
म नह ंडाला था।

अब एक सम या फर खड़ी हो गई क आ खर कसकेकाम को सबसे अ छा


माना जाए। बुि दमान मोनू
खरगोश ने
यु
ि त सु
झाई “ य न मतदान करा
ल या जाए, िजसे सबसेयादा मत मलगेउसेह हम राजा चन
ुलगे।”

अगलेदन सुबह-सुबह चनुाव रख लया गया और एक बड़े


मैदान म सभी
पशु
-प ी मत दे
ने
केलए उपि थत हो गए। मतदान समा त होने केएक घं टे
प चात मत को गनने का काम शुहु
आ। यह या! सोनूहाथी गनती म
सबसे आगेचल रहा था और जब मत क गनती समा त हु ई तो सोनूहाथी
सबसेयादा मत सेवजयी हो गया। सभी जानवर एक दसूरेका मंह ताक

रहे
थे।

तभी प ीराज ग ण वहां उपि थत हुए और उपि थत सभी जानवर को


स बो धत करतेहु
ए बोले हाथी त दन प थर ले
- ‘सोनू क र ग ढे तक जाता
था कंतुजब उसनेदेखा क उस ग ढे म मे
रेअंडे
रखेहु
ए ह तो वह प थर को
उसम न डालकर पास ह जमीन पर एक त करता रहा। सोनू ने
अपने राजा
बनने केलालच को छोड़ एक जीव को बचाना यादा उपयोगी समझा। उसक
इस परोपकार क भावना को देखकर हम प य क भावना को दे खकर हम
प य ने तय कया क जो अपने लालच को छोड़कर दसूर केसु ख-द:ु
ख का
यान रख वह स चे तौर पर शासक बनने का अ धकार हैऔर चं ूक वन म
प य क संया पशु ओं सेअ धक थी इस लए सोनू हाथी चन
ुाव जीत गया।’
सबक: स चा शासक वह होता ह जो परोपकार क भावना को सव च थान
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द।
स चेम
बहुत समय पहले क बात ह। एक सु दं
र हरे
-भरेवन म चार म रहते थे।
उनम से एक था चहूा, दस
ूरा कौआ, तीसरा हरण और चौथा कछु आ। अलग-
अलगजा त केहोने केबावजू द उनम बहु त घ न टता थी। चार एक-दस ूरे पर
जान छडकते थे
। चार घु ल- मलकर रहते , खब
ूबात करते और खे लते
। वन म
एक नमल जल का सरोवर था, िजसम वह कछु आ रहता था। सरोवर केतट
केपास ह एक जामु न का बडा पेड था। उसी पर बने अपने घ सले म कौवा
रहता था। पे
ड केनीचे जमीन म बल बनाकर चह ूा रहता था और नकट ह
घनी झा डय म ह हरण का बसे र ा था। दन को कछु आ तट केरे त म धप

सेक ता रहता पानी म डुब कयां लगाता। बाक तन म भोजन क तलाश म
नकल पडते और दरूतक घू मकर सू या त केसमय लौट आते । चार म
इक े होतेएक दस ूरेकेगले लगते , खे लतेऔर धमा-चौकडी मचाते ।

एक दन शाम को चहूा और कौवा तो लौट आए, पर तुहरण नह ं लौटा। तीनो


म बैठकर उसक राह दे खने लगे। उनका मन खेलनेको भी नह ं हु
आ।
कछु आ भराए गलेसेबोला “वह तो रोज तुम दोन से
भी पहले लौट आता था।
आज पता नह ं, या बात हो गई, जो अब तक नह ंआया। मेर ा तो दल डूबा
जा रहा ह।

च◌ूहे
नेचं तत वर म कहा “हां, बात बहु
त गंभीर ह। ज र वह कसी
मु
सीबत म पड गया ह। अब हम या करे ?” कौवेने ऊपर दे
खतेहुए अपनी
च च खोल “ म ो, वह िजधर चरनेायः जाता ह, उधर म उडकर दे ख आता,
पर अं
धरेा घरनेलगा ह। नीचेकु
छ नजर नह ं आएगा। हम सु बह तक ती ा
करनी होगी। सु
बह होतेह म उडकर जाऊं गा और उसक कु छ खबर लाकर
तुह दं

ूा।”

कछु ए नेसर हलाया “अपनेम क कु शलता जानेबना रात को नीं


द कैसे
आएगी? दल को चै न कैसेपडे
गा? म तो उस ओर अभी चल पडता हूं
मेर चाल
भी बहुत धीमी हम ्
तुम दोन सुबह आ जाना ।” चहूा बोला “मु
झसे
भी हाथ पर
हाथ धरकर नह ं बैठा जाएगा। म भी कछुए भाई केसाथ चल पड सकता हूं
,
कौए भाई, तुम पौ फटते ह चल पडना।”

कछुआ और चह ूा तो चल दए। कौवेनेरात आं


खो-आं
खो म काट । जै से
ह पौ
फट , कौआ उड चला उडते -उडतेचार ओर नजर डालता जा रहा था। आगेएक
थान पर कछु आ और चह ूा जाते
उसे नजर आए कौवेनेकांकां करकेउ ह
सू
चना द क उ ह दे ख लया ह और वह खोज म आगे जा रहा ह। अब कौवेने
हरण को पुक ारना भी शु कया “ म हरण , तुम कहां
हो? आवाज दो
म ।”

तभी उसेकसी केरोने


क आवाज सु नाई द । वर उसकेम हरण का-सा
था। उस आवाज क दशा म उडकर वह सीधा उस जगह पहुं
चा, जहांहरण
एक शकार केजाल म फंसा चटपटा रहा था। हरण ने
रोतेहु
ए बताया क
कैसेएक नदयी शकार नेवहांजाल बछा रखा था। दभ
ुा यवश वह जाल न

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दे
ख पाया और फं स गया। हरण सु
बका “ शकार आता ह होगा वह मु
झे
पकडकर ले जाएगा और मे र कहानी ख म समझो। म कौवे ! तु
म चह
ूेऔर
कछुए को भी मे
र ा अं
तम नम कार कहना।”

क◌ौआ बोला “ म , हम जान क बाजी लगाकर भी तुह छु डा लगे


।” हरण
नेनराशा य त क “ले कन तुम ऐसा कैसेकर पाओगे?” कौवेने
पं ख
फडफडाए “सुनो, म अपनेम चह ू े
को पीठ पर बठाकर लेआता हू
ं। वह
अपनेपै
नेदां
तो से जाल कुतर दे
गा।” हरण को आशा क करण दखाई द ।
उसक आं खेचमक उठ ं “तो म , चहे
ूभाई को शी लेआओ।”

क◌ौआ उडा और ते ज ी से
वहां
पहुं
चा, जहां
कछुआ तथा चह ूा आ पहु

चे थे
। कौवे
नेसमय न ट कए बना बताया “ म ो, हमारा म हरण एक द ु ट शकार
केजाल म कै द ह। जान क बाजी लगी ह शकार केआने सेपहलेहमने उसे
न छुडाया तो वह मारा जाये
गा।” कछु आ हकलाया ” उसकेलए हम या
करना होगा? ज द बताओ?” चह ूेकेतेज दमाग ने कौवेका इशारा समझ
लया था “घबराओ मत। कौवे भाई, मुझेअपनी पीठ पर बै
ठाकर हरण के
पास लेचलो।”

च◌ूहेको जाल कु
तरकर हरण को मुत करने म अ धक देर नह ं
लगी। मुत
होतेह हरण ने अपनेम को गले लगा लया और ंधेगले सेउ ह
ध यवाद दया। तभी कछु आ भी वहांआ पहुचा और खश
ुी केआलम म
शा मल हो गया। हरण बोला “ म , आप भी आ गए। म भा यशाल हूं
, िजसे
ऐसे स चेम मले ह।”।

च◌ार म भाव वभोर होकर खश ुी म नाचनेलगे। एकाएक, हरण च का


और उसनेम को चे तावनी द “भाइयो, दे
खो वह जा लम शकार आ रहा ह।
तु
रंत छप जाओ।” चह ूा फौरन पास केएक बल म घु स गया। कौआ उडकर
पे
ड क ऊं ची डाल पर जा बै
ठा। हरण एक ह छलां ग म पास क झाडी म जा
घु
सा व ओझल हो गया। परं तुमं
द ग त का कछुआ दो कदम भी न जा पाया था
क शकार आ धमका। उसने जाल को कटा दे
खकर अपना माथा पीटा “ या
फंसा था और कसने काटा?” यह जाननेकेलए वह पै र केनशान केसु र ाग
ढू

ढने केलए इधर-उधर दे ख ह रहा था क उसक नजर रगकर जाते कछुए
पर पडी। उसक आं ख चमक उठ “वाह! भागते चोर क लंगोट ह सह । अब
यह कछु आ मे रे
प रवार केआज केभोजन केकाम आएगा।”

बस उसने कछु ए को उठाकर अपने थै


ले म डाला और जाल समे टकर चलने
लगा। कौवेनेतुरं
त हरण व चह ूे
को बु लाकर कहा “ म ो, हमारेम कछुए
को शकार थै लेम डालकर ले जा रहा ह।” चह
ूा बोला “हम अपनेम को
छु
डाना चा हए। लेकन कै से
?”

इस बार हरण ने सम या का हल सुझाया “ म ो, हम चाल चलनी होगी। म


लं
गडाता हु
आ शकार केआगे सेनकलंगा। मु
ू झे लं
गडा जान वह मु
झे पकडने
केलए कछु ए वाला थैला छोड मे
रे
पीछेदौडे
गा। म उसेदरूलेजाकर चकमा
दं

ूा। इस बीच चहूा भाई थै
लेको कु
तरकर कछु ए को आजाद कर दे ग। बस।”

य◌ोजना अ छ थी लं
गडाकर चलतेहरण को दे
ख शकार क बां
छेखल
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य◌ोजना अ छ थी लं गडाकर चलतेहरण को देख शकार क बां छेखल


उठ । वह थैला पटककर हरण केपीछे भागा। हरण उसे लंगडानेका नाटक
कर घने वन क ओर ले गया और फर चौकडी भरता ‘यह जा वह जा’ हो गया।
शकार दांत पीसता रह गया। अब कछु
ए सेह काम चलाने का इरादा बनाकर
लौटा तो उसेथैला खाल मला। उसम छेद बना हु
आ था। शकार मं ह

लटकाकर खाल हाथ घर लौट गया।

स◌ीखः स चेम ह तो जीवन म मु


सीबत का आसानी सेसामना कया जा
सकता ह।
सां
ड और गीदड
एक कसान केपास एक बगडैल सां
ड था। उसनेकई पशु
सीं
ग मारकर घायल
कर दए। आ खर तं
ग आकर उसने सां
ड को जंगल क ओर खदे
ड दया।

स◌ां
ड िजस जंगल म पहु ं
चा, वहां
खबूहर घास उगी थी। आजाद होने केबाद
सां
ड केपास दो ह काम रह गए। खब ूखाना, हु

क ारना तथा पे
ड केतन म सीं ग
फं
साकर जोर लगाना। सांड पहले से भी अ धक मोटा हो गया। सारे
शर र म
ऐसी मां
सपेशयां उभर जै से चमडी सेबाहर छलक ह पडगी। पीठ पर कं धो के
ऊपर क गांठ बढती-बढती धोबी केकपड केग र िजतनी बडी हो गई। गले म
चमडी व मां
स क तह क तह लटकने लगीं।

उसी वन म एक गीदड व गीदडी का जोडा रहता था, जो बडे


जानवर वारा
छोडेशकार को खाकर गजुारा चलातेथे। वयं वह केवल जंगल चह
ूआ द
का ह शकार कर पातेथे।

स◌ंयोग सेएक दन वह मतवाला सां ड झम


ूता हु आ उधर ह आ नकला िजदर
गीदड-गीदडी रहते
थे। गीदडी नेउस सांड को दे खा तो उसक आं खेफट क
फट रह ग । उसने आवाज दे क र गीदड को बाहर बु लाया और बोल “दे
खो तो
इसक मां स-पेशयां
। इसका मांस खाने म कतना वा द ट होगा। आह,
भगवान ने हम या वा द ट तोहफा भे ज ा ह।

ग◌ीदड ने
गीदडी को समझाया “सपनेदेखना छोडो। उसका मां
स कतना ह
चब ला और वा द ट हो, हम या ले
ना।”

ग◌ीदडी भडक उठ “तु म तो भ द ू


हो। दे
खतेनह ं
उसक पीठ पर जो चब क
गां
ठ ह, वह कसी भी समय गर जाएगी। हम उठाना भर होगा और इसकेगले
म जो मांस क तह नीचेलटक रह ह, वेकसी भी समय टू टकर नीचेगर
सकती ह। बस हम इसकेपीछे -पीछे चलतेरहना होगा।”

ग◌ीदड बोला “भा यवान! यह लालच छोडो।”

ग◌ीदडी िजद करनेलगी “तु


म हाथ म आया मौका अपनी कायरता से
गंवाना
चाहतेहो। तुह मे
रे
साथ चलना होगा। म अके
ल कतना खा पाऊंगी?”

ग◌ीदडी क हठ केसामने गीदड क कुछ भी न चल । दोन ने सांड केपीछे


-
पीछेचलना शु कया। सांड केपीछेचलते -च ते उ ह कई दन हो गए, पर
सां
ड केशर एर सेकु
छ नह ंगरा। गीदड ने बार-बार गीदडी को समझाने क
को शश क “गीदडी! घर चलते ह एक-दो चह
ू े
मारकर पे ट क आग बु झातेह।

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ग◌ीदडी क अ ल पर तो पदा पड गया था। वह न मानी “नह ं


, हम खाएं
गे
तो
इसी का मोटा-तजा वा द ट मां
स। कभी न कभी तो यह गरेगा ह ।”

बस दोन सां
ड केपीछे
लगे
रहे
। भू
खेयासे
एक दन दोन गर पडे
और फर न
उठ सके।

स◌ीखः अ धक लालच का फल सदा बुर ा होता ह।


संह और सयार
वष पहलेहमालय क कसी क दरा म एक ब ल ठ शे र रहा करता था। एक
दन वह एक भसेका शकार और भ ण कर अपनी गफ ुा को लौट रहा था।
तभी रा ते
म उसेएक म रयल-सा सयार मला िजसने उसे लेटकर द डवत ्
णाम कया। जब शे
र नेउससेऐसा करने का कारण पू
छ ा तो उसनेकहा,
“सरकार म आपका से वक बनना चाहता हूँ
। कुपया मु
झेआप अपनी शरण म
लेल। म आपक से वा क ँ
गा और आपके वारा छोड़े गयेशकार से अपना
गजुर-बसर कर लं
गा।” शे
ू र ने
उसक बात मान ल और उसेम वत अपनी
शरण म रखा।

क◌ुछ ह दन म शे र वारा छोड़ेगयेशकार को खा-खा कर वह सयार बहु त


मोटा हो गया। त दन सं ह केपरा म को दे ख-देख उसने भी वयं को संह
का त प मान लया। एक दन उसनेसं ह सेकहा, “अरेसंह ! म भी अब
तुहार तरह शि तशाल हो गया हू ँ
। आज म एक हाथी का शकार क ँ गा
और उसका भ ण क ँ गा और उसकेबचे -खचुेमाँ
स को तुहारेलए छोड़
दँ

ूा।” चँूक सं ह उस सयार को म वत ् दे
खता था, इस लए उसने उसक
बात का बुर ा न मान उसे ऐसा करने सेरोका। म-जाल म फँ सा वह द भी
सयार सं ह केपरामश को अ वीकार करता हु आ पहाड़ क चोट पर जा खड़ा
हु
आ। वहाँ से उसने चार और नज़र दौड़ाई तो पहाड़ केनीचे हा थय केएक
छोटेसे समूह को दे खा। फर सं ह-नाद क तरह तीन बार सयार क आवाज
लगा कर एक बड़े हाथी केऊपर कू द पड़ा। क तु हाथी केसर केऊपर न गर
वह उसकेपै र पर जा गरा। और हाथी अपनी म तानी चाल से अपना अगला
पै
र उसकेसर केऊपर रख आगे बढ़ गया। ण भर म सयार का सर
चकनाचरूहो गया और उसके ाण पखेउड़ गये ।

पहाड़ केऊपर सेसयार क सार हरकत दे खता हु


आ सं
ह नेतब यह गाथा
कह – ” होते
ह जो मू
ख और घम डी होती है
उनक ऐसी ह ग त।”

स◌ीखः कभी भी िजं दगी म कसी भी समय घम ड नह ंकरना चा हए।


वजा त े म
एक वन म एक तप वी रहते थे
। वे
बहुत पहु

चेहु
ए ॠ ष थे
। उनका तप या
बल बहुत ऊंचा था। रोज वह ातः आकर नद म नान करते और नद कनारे
केएक प थर केऊपर आसन जमाकर तप या करते थे। नकट ह उनक
कुटया थी, जहांउनक प नी भी रहती थी।

एक दन एक व च घटना घट । अपनी तप या समा त करने केबाद ई वर


को णाम करकेउ ह ने अपने हाथ खोलेह थेक उनकेहाथ म एक न ह -
सी चह
ुया आ गर । वा तव म आकाश म एक चील पं ज म उस चु
हया को
दबाए उडी जा रह थी और संयोगवश चु हया पं
ज ो से
छुटकर गर पडी थी।
ॠ ष नेमौत केभय से थर-थर कां
पती चुहया को देखा।
http://hindipatal.wordpress.com/%E0%A4%B2%E0%A5%8B%E0%A4%95-%E0%A4%95%E0%A4%A5%E0%A4%BE%E0%A4%8F%E0%A4%81/%E0%A4… 62/67
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ठ◌्ष और उनक प नी केकोई सं


तान नह ंथी। कई बार प नी सं
तान क
इ छा य त कर चकु थी। ॠ ष दलासा दे
तेरहतेथे। ॠ ष को पता था क
उनक प नी केभागय म अपनी कोख से सं
तान को ज म देक र मांबननेका
सु
ख नह ंलखा ह। क मत का लखा तो बदला नह ं जा सकता पर तु अपने
मं
ह से
ु यह स चाई बताकर वे
प नी का दल नह ंदख
ुाना चाहते थे
। यह भी
सोचतेरहतेक कस उपाय से प नी केजीवन का यह अभाव दरूकया जाए।

ॠ ष को न ह ंचुहया पर दया आ गई। उ ह ने अपनी आं ख बं


दकर एक मं
पढा और अपनी तप या क शि त से चु हया को मानव ब ची बना दया। वह
उस ब ची को हाथ म उठाए घर पहुं
चेऔर अपनी प नी से बोले भागे
“सु , तु

सदा सं
तान क कामना कया करती थी। समझ लो क ई वर ने तुहार
ाथना सु
न ल और यह ब ची भे ज द । इसेअपनी पुी समझकर इसका
लालन-पालन करो।”

ॠ ष प नी ब ची को दे
खकर बहु
त स न हु उई। ब ची को अपने हाथ म
ले
क र चम
ूने लगी “ कतनी यार ब ची है
। मे
र ब ची ह तो ह यह। इसेम
पुी क तरह ह पालंगी।”

इस कार वह चु हया मानव ब ची बनकर ॠ ष केप रवार म पलने लगी।


ॠ ष प नी स ची मांक भां त ह उसक दे खभाल करनेलगी। उसने ब ची
का नाम कां
ता रखा। ॠ ष भी कां
ता सेपतावत नेह करने लगे। धीरे
-धीरेवे
यह भूल गए क उनक पुी कभी चु हया थी।

म◌ांतो ब ची केयार म खो गई। वह दन-रात उसेखलाने और उससे खे


लने
म लगी रहती। ॠ ष अपनी प नी को ममता लु टातेदे
ख स न होतेक
आ खर सं तान न होने का उसेदख
ुनह ंरहा। ॠ ष नेवयं भी उ चत समय
आने पर कांताअ को श ा द और सार ान- व ान क बात सखाई। समय
पं
ख लगाकर उडने लगा। देखतेह दे
खतेमांका ेम तथा ॠ ष का ने हव
श ा ा त करती कां ता बढते-बढतेसोलह वष क सं दर, सु
ु शील व यो य
युवती बन गई। माता को बेट केववाह क चं ता सताने लगी। एक दन उसने
ॠ ष से कह डाला “सुनो, अब हमार कां
ता ववाह यो य हो गई ह। हम उसके
हाथ पीलेकर देनेचा हए।”

तभी कां
ता वहां
आ पहुं
ची। उसनेअपने के
श म फू
ल गथं
ूरखे थे। चे
हरे
पर
यौवन दमक रहा था। ॠ ष को लगा क उनक प नी ठ क कह रह ह। उ ह ने
धीरे
सेअपनी प नी केकान म कहा “म हमार ब टया केलए अ छे से
अ छा वर ढूं
ढ नकालंगा।”

उ ह ने
अपने तपोबल से
सूयदे
व का आवाहन कया। सू
य ॠ ष केसामने
कट हु
ए और बोले“ णाम मु
न ी, क हए आपनेमुझेय मरण कया?
या आ ा ह?”

ॠ ष नेकांता क ओर इशारा करकेकहा “यह मे


र बे
ट ह। सवगण
ु सु
शील ह।
म चाहता हू
ंक तुम इससेववाह कर लो।”

तभी कां
ता बोल “तात, यह बहु
त गम ह। मे
र तो आं
ख चंुधया रह ह। म
इनसेववाह कै सेक ं? न कभी इनकेनकट जा पाऊं
गी, न दे
ख पाऊंगी।”
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ॠ ष ने
कां
ता क पीठ थपथपाई और बोले
“ठ क ह। दस
ूरे
और े
ठ वर दे
खते
ह।”

स◌ूयदे
व बोले“ॠ षवर, बादल मु
झसेे
ठ ह। वह मु
झेभी ढक ले
ता ह। उससे
बात क िजए।”

ॠ ष केबु लाने पर बादल गरजते -लरजते और बज लयां चमकातेकट हु ए।


बादल को दे खते ह कांता नेवरोध कया “तात, यह तो बहु
त काले
रं
ग का ह।
मेर ा रं
ग गोरा ह। हमार जोडी नह ं
जमेगी।”

ॠ ष ने
बादल से
पू
छ ा “तुह बताओ क तु
मसेे
ठ कौन ह?”

ब◌ादल ने
उ तर दया “पवन। वह मु
झेभी उडाकर ले
जाता ह। म तो उसी के
इशारे
पर चलता रहता हू

।”

ॠ ष ने पवन का आवाहन कया। पवन दे


व कट हु
ए तो ॠ ष ने
कां
ता से

पू
छ ा “पुी, तुहे
यह वर पसं
द ह?”

क◌ां
ता नेअपना सर हलाया “नह ंतात! यह बहु
त चं
चल ह। एक जगह
टकेगा ह नह ं
। इसकेसाथ गॄ
ह थी कै
सेजमे गी?”

ॠ ष क प नी भी बोल “हम अपनी बे


ट पवन दे
व को नह ं
दगे
। दामाद कम
से
कम ऐसा तो होना चा हए, िजसे
हम अपनी आं
ख से दे
ख सक ।”

ॠ ष ने
पवन दे
व से
पू
छ ा “तुह बताओ क तु
मसेे
ठ कौन ह?”

पवन दे
व बोले
“ॠ षवर, पवत मु
झसे
भी े
ठ ह। वह मे
र ा रा ता रोक ले
ता
ह।”

ॠ ष केबु
लावे
पर पवतराज कट हु
ए और बोले
“ॠ षवर, आपने
मुझेय
याद कया?”

ॠ ष नेसार बात बताई। पवतराज ने


कहा “पू
छ ल िजए क आपक क या
को म पसं
द हू
ंया?”

क◌ांता बोल “ओह! यह तो प थर ह प थर ह। इसका दल भी प थर का


होगा।”

ॠ ष नेपवतराज सेउससे भी ेठ वर बताने


को कहा तो पवतराज बोले
“चह
ूा मु
झसेभी े ठ ह। वह मु
झेभी छे
दकर बल बनाकर उसम रहता ह।”

पवतराज केऐसा कहते ह एक चहूा उनकेकान सेनकलकर सामने आ


कू
दा। चह
ूेको दे
खते ह कां
ता खश
ुी से उछल पडी “तात, तात! मु
झेयह चह
ूा
बहु
त पसंद ह। मे
र ा ववाह इसी सेकर द िजए। मुझेइसकेकान और पं छ

बहु
त यारे लग रहे ह।मुझेयह वर चा हए।”

ॠ ष ने
मंबल से
एक चु
हया को तो मानवी बना दया, पर उसका दल तो
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ॠ ष ने
मंबल से एक चुहया को तो मानवी बना दया, पर उसका दल तो
चु
हया का ह रहा। ॠ ष ने
कां
ता को फर चु हया बनाकर उसका ववाह चह ूेसे
कर दया और दोन को वदा कया।

स◌ीखः जीव िजस योनी म ज म ले


ता ह, उसी केसंकार बने
रहते
ह।
वभाव नकल उपाय से नह ं
बदलेजा सकते ।

चतंक
20 thoughts on “पं े
रक
कहा नयां

1. princess says:
brilliant

REPLY अ ै
ल 26, 2010 AT 5:45 अपरा न
himanshu says:
wah

जुलाई 7, 2010 AT 4:19 अपरा न


2. bilal says:
pics ki kami hai warna to ekdum bindassssssss.

REPLY जनवर 17, 2011 AT 5:49 अपरा न


3. Anil Kumar says:
this is goo sir,

REPLY फ़रवर 3, 2011 AT 12:32 अपरा न


4. saeed ahmed says:
achchha pryas hai.

REPLY फ़रवर 5, 2011 AT 6:35 अपरा न


5. kartik says:
sari stories alag aglg pagter es pr ho to better hoga

REPLY फ़रवर 22, 2011 AT 4:35 अपरा न


6. Sudhir says:
Es puneet karya ke liye bahut bahut badhai.

REPLY माच 19, 2011 AT 7:12 पू वा न


7. Pankaj says:
I heartily praise your efforts to share this great work of literature
with everyone…I wish you lot of success and happiness in life. Keep
it up….excellent work by you

http://hindipatal.wordpress.com/%E0%A4%B2%E0%A5%8B%E0%A4%95-%E0%A4%95%E0%A4%A5%E0%A4%BE%E0%A4%8F%E0%A4%81/%E0%A4… 65/67
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REPLY माच 25, 2011 AT 8:51 अपरा न


8. kishore Sarkar says:
Bahut shubhkamnaye .. aap apne punit lakshya par safal ho yehi
kamna

REPLY जु लाई 12, 2011 AT 8:32 पू


वा न
9. Rakesh Singh says:
बहु
त बहु
त ध यवाद …

REPLY जु लाई 12, 2011 AT 9:46 अपरा न


10. varun says:
amazing, it is realy owsome.

REPLY जु लाई 27, 2011 AT 4:19 अपरा न


Ashutosh Kumar Roy says:
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Ashutosh
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ashutosh@hindipatal.com

जु लाई 28, 2011 AT 11:46 पूवा न


sudeep says:
hey ashutosh will uh help me in finding a story with 2 characters
in it but it shud be of 2 humans being with a nyyc moral plsss
will uhd doo it ????????

दस बर 4, 2011 AT 4:23 अपरा न


11. Pankaj says:
thanks,,,
moral : be good man
from Pankajpatel.in@gmail.com

REPLY नव बर 4, 2011 AT 11:10 पू वा न


NAJMA says:
the all stories is very very nice………………
i liked it………(‘_’)
< ))\_
_| |_

http://hindipatal.wordpress.com/%E0%A4%B2%E0%A5%8B%E0%A4%95-%E0%A4%95%E0%A4%A5%E0%A4%BE%E0%A4%8F%E0%A4%81/%E0%A4… 66/67
9/7/2014 पं
च तंक े
र क कहा नयां
| हं
द पटल - ह द क उ कृट रचनाएँ

नव बर 5, 2011 AT 1:16 अपरा न


Rinita says:
Where r u

नव बर 28, 2011 AT 8:14 अपरा न


12. Rinita says:
nice stories……………………………

REPLY नव बर 28, 2011 AT 8:13 अपरा न


13. Bharati Dhruw says:
हि◌ं
द लोक कथाओं को वतमान म चा रत करने केलए यह एक सराहनीय
कदम है. बहु
त बहु
त ध यवाद !

REPLY माच 13, 2012 AT 9:51 अपरा न


14. Nitin Tyagi says:
very good

REPLY अ ै ल 3, 2012 AT 11:32 अपरा न


15. anuj kumar says:
kamal hai. mara Ashiwad hai.

REPLY जु
लाई 5, 2013 AT 3:52 अपरा न

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