'देश की बात फाउंडेशन' के बारे में

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दे श की बात फाउं डेशन

लोगों में दे शप्रेम एवं सकारात्मक राष्ट्रवाद की भावना जागत



करने तथा
दे श में सामाजजक, आर्थिक, राजनैततक ववचार के पुनजािगरण हे तु

दे श की बात लोगों में दे शप्रेम एवं सकारात्मक राष्ट्रवाद की भावना जागत


ृ करने तथा दे श में
सामाजजक, आर्थिक, राजनैततक ववचार के पुनजािगरण हे तु 70 साल की आजादी के बाद भी भारत
के सामने कई चन
ु ौततयााँ है , चाहे वो सामाजजक, आर्थिक, राजनैततक या प्राकृततक स्तर पर हों ।
क्या भारत 21 वीं सदी की इन चन
ु ौततयों के ललए तैयार है ? क्या इन चन
ु ौततयों पर ववचार –
ववमशि कर उनका हल ढं ढ कर दे श को एक नई सोच, नई ऊजाि और नए समाधानों की जरूरत हैं
? और उन पर कायि कैसे ककया जाये ? इन्ही सब सवालों का जवाब ढाँ ढने की प्रकिया से जन्मी
है ‘दे श की बात’।

‘दे श की बात’ दे श के ज्वलंत मद्


ु दों का समाधान ढाँ ढने की ददशा में एक सकारात्मक प्रयास है ।
इसका उद्दे श्य है दे श की वैचाररक क्षमता और ऊजाि को एकत्रित करके दे श के समग्र ववकास के
ललए उन्हें कियाजन्वत करना । इस मंच का ध्येय है की दे श के बुद्र्धजीवी वगि की ऊजाि को दे श
के समस्त नागररकों के समचे ववकास के ललए इस युग के पररप्रेक्ष्य में एक नई सोच, नई ददशा,
खोज, वैचाररक पन
ु जािगरण कर उसे यव
ु ा पीढ़ी का मागिदशिक बनाकर एक उन्नत और शजक्तशाली
भारत का ववकास करना है ।

वपछले कुछ वर्षों से राष्ट्रवाद दे श में एक बहस का ववर्षय बना हुआ है । आम आदमी से लेकर
लसयासतदान और बद्
ु र्धजीवी वगि तक सभी लोग राष्ट्रवाद की पररभार्षा अपने-अपने तरीके से
बता रहे हैं । ऐसे में वैचाररक और आपसी संघर्षि को पनपने का मौका लमल रहा है । लेककन इस
आपसी लड़ाई में राष्ट्रवाद के उद्दे श्यों को संकुर्चत करके भारत की ववलभन्नता से पररपणि
संस्कृतत को नजरअंदाज ककया जा रहा है । कश्मीर से लेकर कन्याकुमारी तक ववलभन्न भार्षा ,
बोली, रहन – सहन और ज ंदगी जीने के अलग अलग मायने हैं और इस ववववधता में एकता को
मजबत करते हुए सबको साथ लेकर चलना है ‘दे श की बात’ ।
इस मंच के जररये राष्ट्रवाद के ववलभन्न पहलुओं पर चचाि कर एक सकारात्मक राष्ट्रवाद की
सोच और भावना ववकलसत की जाएगी । 21वीं सदी के राष्ट्रवाद को भारतीय स्वतन्िता संग्राम
के सकारात्मक, शजक्तशाली और सजममललत राष्ट्रवाद के वैचाररक दृजष्ट्िकोण के पररप्रेक्ष से दे ख –
समझ कर उसी भावना को पन
ु : पैदा करना इस मंच का लक्ष्य है ।

दसरा ज्वलंत मुद्दा होगा भारत की तत्कालीन आर्थिक जस्थती और आने वाले समय की
चन
ु ौततयों पर चचाि और समाधानों पर ववजन तैयार करना । भारत को आर्थिक रूप से सुदृढ
बनाने के साधनों, तरीकों और उनके ववकास को लेकर जनमानस की ऊजाि को एक सकारात्मक
ददशा दे कर एक सशक्त दृजष्ट्िकोण बनाना इस मंच का मुख्य ध्येय होगा।

तीसरा मुद्दा जजसको ‘दे श की बात’ बहुत अहम मानती है वो है भारतीय संववधान की नीव,
उसकी प्रस्तावना में तनदहत इन मल्यों, लसद्धांतों और लक्ष्यों को वास्तववक रूप दे ना ।

चौथा तत्कालीन मुद्दा है , प्रािततक संपदा को संभाल कर रखना व उसका ववकास करना ।
अत्यर्धक उपभोग करने की प्रववृ ि ने प्रकृतत पर इतना बोझ डाल ददया है की उसके प्रततकल
असर रो मराि के जीवन पर ददखाई दे ने लगे हैं । इनपर चचाि और एक समाधान की ददशा में
कायि रूरी हैं ।

ये समकालीन मुद्दे दे श के ज्वलंत मुद्दे हैं, जजनसे जझने के ललए हमें एक हो कर इनका उपाय
ढं ढना होगा ।

दे श की बात इसी ददशा में एक कोलशश है ।

अपने लक्ष्य की प्राजतत के ललए ‘दे श की बात’ तनन्मललखखत कायि करे गी :-

1. सामाजजक, आर्थिक, राजनैततक व प्राकृततक मुद्दों पर सेलमनार, ववचार गोष्ट्ठी और सममलेन


आयोजजत करे गी । दे शप्रेम एवं सकारत्मक राष्ट्रवाद की भावना बढ़ाने तथा मानवीय सोच
ववकलसत करने के ललए सांस्कृततक कायििमों का आयोजन ।
2. वैज्ञातनक सोच पैदा करने के ललए ज्ञान केंद्र एवं ररसचि सेण्िर की स्थापना करना ।
3. दे श के ललए काम करने के ललए फ़ेलोलशप प्रदान करना । समाज से जड़
ु े सभी वगि के ववकास
के ललए लशक्षा, स्वास््य, पयािवरण संरक्षण, सामाजजक एवं राष्ट्रीय एकता और कौशल ववकास के
ललए पररयोजनाएं शुरू करना ।
ं िैंक और दे शदहत में कायिरत लोगों को फंडडंग के माध्यम से सपोिि कर दे श के समग्र
4. र्थक
ववकास का अपना लक्ष्य परा करना।

“इस धरती की कसम, इस अम्बर की कसम, ये ताना बाना बदलेगा.”


“तू खद
ु तो बदल, तू खद
ु तो बदल, तब तो ये ज़माना बदलेगा.”

आइये, इस ममशन को हम साथ ममल कर आगे बढ़ाएं ।

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