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'देश की बात फाउंडेशन' के बारे में
'देश की बात फाउंडेशन' के बारे में
'देश की बात फाउंडेशन' के बारे में
वपछले कुछ वर्षों से राष्ट्रवाद दे श में एक बहस का ववर्षय बना हुआ है । आम आदमी से लेकर
लसयासतदान और बद्
ु र्धजीवी वगि तक सभी लोग राष्ट्रवाद की पररभार्षा अपने-अपने तरीके से
बता रहे हैं । ऐसे में वैचाररक और आपसी संघर्षि को पनपने का मौका लमल रहा है । लेककन इस
आपसी लड़ाई में राष्ट्रवाद के उद्दे श्यों को संकुर्चत करके भारत की ववलभन्नता से पररपणि
संस्कृतत को नजरअंदाज ककया जा रहा है । कश्मीर से लेकर कन्याकुमारी तक ववलभन्न भार्षा ,
बोली, रहन – सहन और ज ंदगी जीने के अलग अलग मायने हैं और इस ववववधता में एकता को
मजबत करते हुए सबको साथ लेकर चलना है ‘दे श की बात’ ।
इस मंच के जररये राष्ट्रवाद के ववलभन्न पहलुओं पर चचाि कर एक सकारात्मक राष्ट्रवाद की
सोच और भावना ववकलसत की जाएगी । 21वीं सदी के राष्ट्रवाद को भारतीय स्वतन्िता संग्राम
के सकारात्मक, शजक्तशाली और सजममललत राष्ट्रवाद के वैचाररक दृजष्ट्िकोण के पररप्रेक्ष से दे ख –
समझ कर उसी भावना को पन
ु : पैदा करना इस मंच का लक्ष्य है ।
दसरा ज्वलंत मुद्दा होगा भारत की तत्कालीन आर्थिक जस्थती और आने वाले समय की
चन
ु ौततयों पर चचाि और समाधानों पर ववजन तैयार करना । भारत को आर्थिक रूप से सुदृढ
बनाने के साधनों, तरीकों और उनके ववकास को लेकर जनमानस की ऊजाि को एक सकारात्मक
ददशा दे कर एक सशक्त दृजष्ट्िकोण बनाना इस मंच का मुख्य ध्येय होगा।
तीसरा मुद्दा जजसको ‘दे श की बात’ बहुत अहम मानती है वो है भारतीय संववधान की नीव,
उसकी प्रस्तावना में तनदहत इन मल्यों, लसद्धांतों और लक्ष्यों को वास्तववक रूप दे ना ।
चौथा तत्कालीन मुद्दा है , प्रािततक संपदा को संभाल कर रखना व उसका ववकास करना ।
अत्यर्धक उपभोग करने की प्रववृ ि ने प्रकृतत पर इतना बोझ डाल ददया है की उसके प्रततकल
असर रो मराि के जीवन पर ददखाई दे ने लगे हैं । इनपर चचाि और एक समाधान की ददशा में
कायि रूरी हैं ।
ये समकालीन मुद्दे दे श के ज्वलंत मुद्दे हैं, जजनसे जझने के ललए हमें एक हो कर इनका उपाय
ढं ढना होगा ।